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फिल्म समीक्षा : ‘मेरे अपने जाने पहचाने लोगों की फिल्म’ अनारकली ऑफ आरा -

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यह मेरे अपने जाने पहचाने लोगों की फिल्म है। अनारकली ऑफ आरा देखने के बाद यह मेरा अपना वक्तव्य भी है और मेरी नितांत निजी अनुभूति भी जो मुझे इस फिल्म को देखने के बाद हुयी। जब मैं यह कहता हूँ कि अनारकली एक मेरे अपने जाने पहचाने लोगों की फिल्म है तो इसके अनेक संदर्भ हैं। मूर्त रूप में भी और अमूर्त भी। उन अनेक संदर्भों में न केवल इस फिल्म की कहानी है, कहानी की सामाजिक-सांस्कृतिक, राजनैतिक पृष्ठभूमि है, इस कहानी में अमानुषिकरण के शिकार हुये किरदारों का आर्तनाद है और उनका प्रतिरोध है बल्कि इस महागाथा की रचना में जीवित मनुष्यों का जो समूह लगा रहा है उन्हें और उनकी वैचारिक मेहनतकशी से भी मैं प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से परिचित हूँ।  फिल्म की कहानी आरा ज़िले की क्स्बाई ऑर्केस्ट्रा पार्टी में नाच गाकर अपना जीवन यापन करने वाली पुश्तैनी अदाकारा अनारकली की है जो शक्ति के मद में लिप्त एक स्थानीय महाविद्यालय के वाइस चांसलर और उसके गुर्गों द्वारा शारीरिक, भावनात्मक और मानसिक रूप से उत्पीड़न का शिकार होती है। यह उत्पीड़न इस कदर होता है कि अनारकली को उसकी अपनी बनाई हुयी सामाजिक जगह से विस्थापित भी होना पड़ता है और दिल्ली आना पड़ता है। उत्पीड़न का वह साया यहाँ भी उसका पीछा नहीं छोडता और वह आरा से पहले ही पलायन कर के दिल्ली आए हुये हीरामन की मदद से अपने लिए सामाजिक न्याय की लड़ाई लड़ती है। एक ऐसी लड़ाई जिसकी वकील वह खुद है और जज भी खुद। और न्यायालय है ऑर्केस्ट्रा का मंच। 


मेरी राय में एक अच्छी फिल्म वह होती है जो बहुत ही सादगी के साथ अपने प्रेक्षक को उसके अनुभव जगत में वापस ले जाती है और वहाँ जो विसंगत है अन्यायपूर्ण है उसकी तफतीश करने को प्रेरित करती है। उत्पीड़न के उस रूप का जिसका शिकार अनारकली इस फिल्म में होती है उसका वाजिब अंदाज़ा लगाने के लिए पुरुषों को कम से कम एक औरत होना होगा जो वे इस जनम में तो हो नहीं सकते और अगला जन्म कभी होता नहीं। मगर एक छोटे मोटे पुरुष नाटक कलाकार के तौर पर मैं उत्पीड़न के अन्य मामूली से रूप से अनारकली के उत्पीड़न के उस अनुभव से ज़रूर साझा करता हूँ जिसमें समाज मुझे और मेरे पेशे की वजह से हमेशा दोयम या निकृष्ट दर्जे का गिनने में कोई कसर नहीं छोडता। भांड, नौटकिया, ड्रामेबाज़, नाटकिया और बुद्धिजीवी जैसे शब्द कैसे गालियों के रूप में इस्तेमाल होते हैं यह बात हम सभी जानते हैं। कौन हैं वे लोग जिनके पास हमारे नाचने गाने के शौक पर गरियाने का अधिकार है? कहाँ से मिलता है इन्हें इसका लाइसेन्स? फिल्म बड़ी ही सादगी से सहजता से भरी भाषा में मेरे जहन में यह सवाल उठाने में मदद करती है और इसीलिए यह फिल्म मुझे मेरे अपने लोगों के बीच ले जाती है। अविनाश जो कि इस फिल्म के लेखक-निर्देशक हैं उनसे मेरी रूबरू मुलाक़ात गिनती की सिर्फ एक है उसके बात जितनी भी मुलाकातें हुयी वे या तो फोन पर या उनके ब्लॉग पर उनके लिखे हुये के माध्यम से। एक छोटी सी मुलाक़ात में किसी व्यक्ति के रवैये को देखकर और उसके द्वारा लिखे जा रहे लेखों को पढ़कर उस व्यक्ति को पहचानने की मेरी क्षमता यदि दुरुस्त है तो मैं कह सकता हूँ कि अविनाश सामाजिक सरोकारों से भरे एक ऐसे सहज और दिलेर इंसान हैं जिन्होनें तंग गलियों की घुटन को न केवल महसूस किया है बल्कि उस घुटन भरे जीवन से खुद बाहर निकलने और लोगों को बाहर निकालने का संघर्ष भी किया है। विषयवस्तु का चुनाव, कहानी का गठन, किरदारों की जीवंतता, लोकेशन का चुनाव, दृश्य निर्माण और सिनेमाई तत्वों के संयोजन से लेकर टीम को साथ लेकर चलने और पर्दे पर लाने तक के सफर में उनका यह व्यक्तित्व कहीं बिखरता हुआ नज़र नहीं आता। 

यूं तो पूरी फिल्म में दृश्यों के चुनाव में सतर्कता बरती गई है किन्तु फिल्म में लेखकीय दृष्टि से मेरे सबसे पसंदीदा दृश्य ये दो है। पहला जिसमें वाइस चांसलर अपने गुर्गों से पूछता है कल रात मैंने क्या किया था?’ और दूसरा अंत में जब अनारकली वाइस चांसलर को ‘रंडी हो रंडी से कम हो या बीवी हो... आइंदा पूछ के हाथ लगाइएगा...’ ऐसा कहकर सुनसान गली में भी उन्मुक्त चाल के साथ निकल जाती है और अपना घाघरा लहराती है। किसी समय जयपुर में कॉफी हाउस में हमारी टेबल से कुछ दूर की टेबल पर बैठने वाले हमारे करीबी मित्र रामकुमार के एक गीत समेत सभी गीतकारों और संगीतकार का काम फिल्म की पृष्ठभूमि को जबर्दस्त तरीके से उभारता है। मेरी राय में न यह पिंक से आगे की फिल्म है और न ही पीछे की दोनों के संदर्भ और पृष्ठभूमि अपनी अपनी हैं और दोनों के कलेवर एकदम जुदा। मुझे लगता है बैक्ग्राउण्ड स्कोर पार्श्व ध्वनि के चयन और इस्तेमाल में निर्देशक और ध्यान दे सकते थे। मुझे लगा कि जहां जहां बैक्ग्राउण्ड स्कोर फिल्म के कथानक को और तीखा बना सकता था वहाँ वहाँ इसका इस्तेमाल बड़े ही उपेक्षित और फीके तरीके से किया गया है। संजय मिश्रा मुझे हमेशा से पसंद आते रहे हैं और पसंद आने की वजह एक अभिनेता के रूप में चरित्र के प्रति उनका किया गया बर्ताव है। यह मेरा अंदाज़ा है जो गलत भी हो सकता है मगर चरित्र के चित्रांकन में वे जिस मेथोड़ोलोजी को अपनाते हैं वह पंकज कपूर के काफी करीब दिखती है विशेष रूप से स्पीच के निरूपण में। अनारकली में वाइस चांसलर के रूप में उनका होना कहानी के प्रभाव को दोगुना कर देता है। 

स्वरा इस फिल्म की जान हैं। उन्हें इश्क़ वाला आदाब। यूं तो स्वरा को राँझना और तनु वेड्स मनु समेत अनेक फिल्मों के लिए स्मृति में रखा जा सकता है मगर मुझे स्वरा संविधान की वजह से ज़्यादा रहती रही हैं और अब अनारकली की वजह से याद रहेंगी। दोनों ही जगह मैं उनके अभिनय में मैं एक समानता पाता हूँ वह यह है कि अभिनय करते हुये उनकी खुद पर जो नज़र रहती है मतलब वे क्या कर रही हैं? क्या कह रही हैं? और क्या सुन रही हैं इसे धैर्य के साथ ‘माइंड’ करना और प्रतिकृया देना वह लाजवाब है। अभिनय से इतर सामाजिकों हकों से जुड़े मुद्दों पर बेबाक राय उन्हें तमाम अभिनेत्रियों से अलग बनाती है। विजय कुमार, पंकज त्रिपाठी और इश्तेयाक खान तीनों ही अभिनेताओं को मैंने थिएटर और फिल्म दोनों में अभिनय करते हुये देखा है। और यह मानते हुये कि मैं दोनों ही माध्यमों का एक ठीक ठाक सा सुधि दर्शक हूँ अतः कह सकता हूँ तीनों की एक समान खूबी यह है कि ये तीनों अभिनेता किसी भी चरित्र में अपने सेल्फ को धीरे धीरे ऐसा घुसाते चले जाते हैं कि वह चरित्र और इनका सेल्फ एकाकार हो जाता है और उस चरित्र का वॉल्यूम कई गुना बढ़ जाता है। और अंत में हमारे शहर जयपुर की लड़की इप्शिता के बारे में। हालांकि उसके पास पूरी फिल्म में बहुत कम समय था मगर जितना भी था उसमें इप्शिता ने उसके चरित्र को निभाने में अपनी रचनात्मक एजेंसी स्थापित की है।


निरंतर जटिल होते जा रहे सामाजिक-सांस्कृतिक और राजनैतिक जीवन के ताने बाने में किसी भी बात को सादगी और सहज भाषा में कहना सबसे मुश्किल काम है। यह काम तब और भी मुश्किल हो जाता है जब कहने वाले का सच अकेला पड़ रहा हो, जहां देखो वहाँ झूठ सर उठाकर खड़ा हो और कहे बिना रहा भी नहीं जा रहा हो। इस मामले में मैं अनारकली के निर्देशक और उनकी टीम को सौ में सौ नंबर देता हूँ।  समीक्षा की शुरुआत में मैंने लिखा था कि ‘यह मेरे अपने जाने पहचाने लोगों कि फिल्म है’ मुझे उम्मीद है कि मैं इस फिल्म के बारे में अपनी अनुभूति को ठीक से आपके सामने रख पाया हूँ। ऐसे ही मेरे अपने जाने पहचाने लोगों की फिल्में और भी बनाते रहिए। हमें दिखाते रहिए। 




अभिषेक गोस्वामी
जयपुर, राजस्थान 

मोदी सरकार ने राज्यसभा के अधिकार छीने : दिग्विजय

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नयी दिल्ली, 29 मार्च, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने आज कहा कि मोदी सरकार ने वित्त विधेयक में 40 विधेयकों को शामिल कर राज्यसभा के अधिकार छीन लिए हैं और इन्स्पेक्टर राज फिर से शुरू कर दिया है। श्री सिंह ने आज राज्यसभा में वित्त विधेयक पर चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि राज्यसभा में बहुमत न होने के करण ही सरकार ने वित्त विधेयक में 40 विधेयकों को शामिल किया इनमें से तीन को छोड़कर शेष सामान्य विधेयक हैं। सरकार जानती है कि वह राज्यसभा में इन विधेयकों को पारित नहीं करा सकती है, इसलिए उसने इन विधेयकों को धन विधेयक के रूप में शामिल किया। यह उनकी राजनीतिक मजबूरी हो सकती है लेकिन इस तरह उसने राज्यसभा के सदस्यों के अधिकार ही छीन लिए। उन्होंने कहा कि चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी ने इंस्पेक्टर राज खत्म करने की बात की थी लेकिन अब उसने जूनियर आयकर अधिकारियों को छापा मारने का अधिकार देकर फिर से बड़े पैमाने पर इंस्पेक्टर राज शुरू कर दिया। श्री सिंह ने कहा कि पहले यह अधिकार कमिश्नर का था लेकिन अब सहायक और उप कमिश्नर छापा मार सकता है और वह इसका कोई कारण बताने के लिए भी बाध्य नहीं होगा। इससे भ्रष्ट्राचार बढेगा और चार्टर्ड अकाउंटेंट की कमाई होगी, जो अनुमानत: करीब नौ हज़ार करोड़ रुपए की होगी। उन्होंने यह भी कहा कि यह सरकार एक तरफ इमानदार एनजीओ को परेशान कर रही है दूसरी तरफ कॉर्पोरेट के राजनीतिक चंदे की सीमा हटा दी इससे सरकार की नीयत का पता चलता है।

राज्यसभा में छाया रहा किसानों का दु:ख-दर्द

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नयी दिल्ली 29 मार्च, राज्यसभा में आज शून्यकाल के दौरान किसानों का दु:ख दर्द छाया रहा और संपूर्ण विपक्ष ने एक स्वर में कृषि ऋण माफ करने की माँग की जिस पर सरकार ने कहा कि खेती-किसानी की तकलीफों से वह अवगत है और किसानों को कोई नुकसान नहीं होने दिया जायेगा। शून्यकाल के दौरान उप सभापति पी.जे. कुरियन ने भी सदन की चिंताओं से सहमति जताई और कहा कि सरकार को इस दिशा में कुछ करना चाहिये। इससे पहले सदस्यों ने संसद भवन के समक्ष तमिलनाडू के किसानों के धरने का मुद्दा उठाया और कहा कि किसानों की हालत इस कदर खराब हो गयी है कि वे चूहे खाने के लिए मजबूर हो रहे हैं। समस्त विपक्षी सदस्यों ने एक स्वर में कहा कि किसानों के दु:ख-दर्द को समझते हुये उनका कृषि ऋण माफ किया जाना चाहिये। इस पर उद्योग मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि सरकार को तमिलनाडु के किसानों की स्थिति की पूरी जानकारी है और उनके समस्त मुद्दों से अवगत है। तमिलनाडु में कावेरी जल विवाद, फसल बीमा और सिंचाई तथा तेल खनन से संबंधित मुद्दे हैं जिनका समाधान करने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि वह खुद, कृषि मंत्री राधामोहन सिंह, जल संसाधन मंत्री उमा भारती और तेल एवं प्राकृतिक गैस मंत्री धमेंद्र प्रधान किसानों से व्यक्तिगत रूप से मिल रहे हैं और उनकी समस्याओं का समाधान कर रहे हैं। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि किसानों को नुकसान नहीं होने दिया जायेगा और उनके हितों की रक्षा हर कीमत पर की जायेगी।

सियालदाह राजधानी में खाने की आपूर्ति करने वाले कांट्रैक्टर का ठेका रद्द

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नयी दिल्ली 29 मार्च, सरकार ने आज बताया कि नयी दिल्ली-सियालदाह राजधानी में खाना खाने के बाद कई यात्रियों के बीमार पड़ने के मामले में खाने की आपूर्ति करने वाले कांट्रैक्टर का ठेका रद्द कर दिया गया है। रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान यह मुद्दा उठाये जाने पर कहा कि इस तरह के मामलों में सरकार ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति का अनुसरण करती है। उन्होंने कहा कि उन्हें भी घटना की जानकारी समाचार पत्रों से ही मिली है और खबरों के आधार पर ही आरोपी कांट्रैक्टर आर.के. एसोसिएट्स को ठेका रद्द करने के लिए नोटिस जारी कर दिया है। तृणमूल कांग्रेस के तापस मंडल ने सदन में यह मामला उठाते हुए बताया कि बीमार हुए यात्रियों के परिजनों एवं अन्य सहयात्रियों ने खराब खाने की आपूर्ति के विरोध में आसनसोल रेलवे स्टेशन पर प्रदर्शन भी किया। उन्होंने कहा कि सियालदाह रेलवे स्टेशन पर उन्होंने जब इस सिलसिले में शिकायत दर्ज करायी तो वहाँ एक अधिकारी द्वारा उनसे कहा गया कि यह कोई महत्वपूर्ण बात नहीं है, ऐसा होता रहता है। रेल मंत्री ने रेल कैटरिंग से संबंधित अन्य पूरक प्रश्नों के उत्तर में सदन को सूचित किया कि रेलगाड़ियों में दिये जाने वाले खाने का स्तर सुधारने के लिए सरकार ने प्रयास शुरू कर दिये हैं। उन्होंने कहा कि वर्ष 2010 की खान-पान नीति की जगह कुछ सप्ताह पहले ही नयी नीति लागू की गयी है। इसके तहत जगह-जगह पर बेस किचन बनाये जायेंगे जो मेकेनाइज्ड होंगे और इसमें खाने में इंसानी हाथ काफी कम लगेंगे। आईआरसीटीसी खाने की गुणवत्ता की निगरानी करेगी और कैटरिंग का काम आतिथ्य प्रबंधन से जुड़े लोगों द्वारा किया जायेगा। उन्होंने कहा कि ई-कैटरिंग की सुविधा भी शुरू की गयी है जिसमें स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा बनाया गया खाना ट्रेनों में मुहैया कराया जा रहा है। पानी की गुणवत्ता के बारे में पूछे जाने पर श्री प्रभु ने बताया कि देश भर के कई रेलवे स्टेशनों पर ‘वाटर वेंडिंग’ मशीनें लगायी गयीं हैं। हमसफर ट्रेनों में ट्रेन के अंदर भी वाटर वेंडिंग मशीनें लगायी गयी हैं।

सकारात्मक सोच से ही देश की अर्थव्यवस्था में तेजी से हो रहा है सुधार : योगी आदित्य नाथ

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लखनऊ 29 मार्च, उत्तर प्रदेश केे मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने कहा है कि सकारात्मक सोच से ही देश की अर्थव्यवस्था में तेजी से सुधार हो रहा है, मुख्यमंत्री ने आज यहां तीन दिवसीय योग महोत्सव समारोह को संबोधित करते हुए कहा, “ मैं कभी जिम्मेदारी से नही भागा, मुख्यमंत्री का पद नही लेता तो लोग कहते जिम्मेदारी से भाग रहा है।” उत्तर प्रदेश में सडक से सदन तक की यात्रा की, सूबे के हालात के बारे में अच्छी तरह वाकिफ हूॅ। उन्होंने कहा कि सकारात्मक सोच से ही प्रदेश आगे बढेगा। उन्होंने कहा कि देश आतंकवाद, नक्सलवाद का शिकार हुआ, तमाम तरह की अराजकता देश में फैली। पार्टियों ने सत्ता के लिये राज किया। देश को अराजकता से उबारने का वर्ष 2014 के बाद शुरू हुआ। सकारात्मक सोच का ही परिणाम है कि देश की अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ रही है। भारत ने बल के आधार पर किसी को प्रभावित नही किया।

नंवबर में गुजरात पहुंचेगा मोदी का विजय रथ, हंसते हंसते हासिल करेंगे 150 का आंकडा : शाह

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अहमदाबाद, 29 मार्च, भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह ने उत्तर प्रदेश में 300 से अधिक सीटों पर प्रचंड जीत के बाद इस साल के अंत में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के गृहराज्य गुजरात में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए कार्यकर्ताओं से ऐसी संगठित तैयारी करने का आहवान किया ताकि कुल 182 सीटों में ‘हंसते-हंसते’ 150 से अधिक का आंकडा मिल जाए। श्री शाह ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की जीत के बाद श्री मोदी के साथ ही साथ उनके भी गृह राज्य गुजरात के पहले दौरे के दौरान यहां साबरमती नदी के किनारे रिवरफ्रंट पार्टी कार्यकर्ताओं के विशाल विजय विश्वास सम्मेलन में श्री मोदी को आजाद भारत का सबसे लोकप्रिय नेता करार देते हुए पिछले ढाई से पौने तीन साल में उनकी सरकार की उपलब्धियों का ब्यौरा दिया और कहा कि इस दौरान भाजपा ने हरियाणा, जम्मू कश्मीर, असम, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड समेत कई चुनावों में जीत के साथ देश की 59 प्रतिशत जनसंख्या और 65 प्रतिशत क्षेत्र पर अपनी सरकारें बना ली। उन्होंने गुजरात में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव की चर्चा करते हुए कहा कि श्री मोदी का विजय रथ घूमते घूमते नवंबर में गुजरात में आने वाला है जिसे आगे बढाना है। यह चुनाव सामान्य नहीं होगा। उन्होंने कार्यकर्ताओं को इस चुनाव को संगठित ढंग से लडने का संकल्प दिलाते हुए कहा कि इससे हंसते हंसते 150 से अधिक का आंकडा मिल जाएगा। श्री शाह ने कहा कि 1995 के पहले कांग्रेस सरकारों के शासन में गुजरात बेहाल था, बिजली पांच छह घंटे ही होती थी, जातिवाद का जहर गांव गांव तक फैला था और दंगों के कारण साल में 200 दिन कर्फ्यू लगे रहते थे। जातिवाद, दंगों, तुष्टिकरण और कुशासन का पर्याय बन चुकी कांग्रेस गुजरात में चुनाव के नजदीक आने पर कई तरह के झूठ फैलायेगी। इस झूठ के कीचड में से कमल (भाजपा का चुनाव चिन्ह) ही खिलेगा। कांग्रेस हर बार चुनाव आने पर अपनी जीत वाले शेखचिल्ली के दावे करती है जो मतगणना के दिन हवा हो जाते हैं पर इस बार इसने ऐसे दावे जरा पहले ही शुरू कर दिये थे जो उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्याें के चुनाव की मतगणना के दिन ही हवा हो गये। कानपुर में गंगा किनारे हुए कार्यकर्ता सम्मेलन में कायकर्ताओं के संकल्प से उत्तर प्रदेश में 300 से अधिक सीटें मिली थी और अब यहां साबरमती के किनारे के संकल्प से गुजरात में 150 से अधिक सीटों वाली सरकार बनेगी। उन्होंने मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के गुजरात में चुनावी अभियान ‘कांग्रेस आवे छे’ यानी कांग्रेस आ रही है पर भी जमकर प्रहार किया और कहा कि जनता कह रही है कि कांग्रेस जावे छे। उन्होंने कहा कि नेहरू जी कहते थे कि जनसंघ (भाजपा की पूर्ववर्ती पार्टी) 20 पीढी तक सत्ता में नही आयेगी। श्री राजीव गांधी के प्रधानमंत्रित्व काल में भाजपा की संसद में दो सीटों पर कटाक्ष करते हुए वह इसे हम दो हमारे दो पार्टी बताते थे, पर अब भाजपा के 11 कराेड सदस्य हैं1 15 राज्यों में सरकार है तथा कुल मिला कर 1385 विधायक और 400 सांसद हैं। अब कांग्रेस के लोकसभा में मात्र 44 सांसद हैं और यह एक के बाद एक चुनाव हारते हुए सिमट कर रह गयी है। उन्होंने श्री मोदी को आजादी के बाद देश का सर्वाधिक लोकप्रिय नेता बताते हुए कहा कि भाजपा की अपराजेय यात्रा शुरू करने का श्रेय भी उन्ही को जाता है। विपक्ष को समझ लेना चाहिए कि भाजपा 1990 से लेकर अब तक गुजरात में एक भी चुनाव में हारी नहीं है। श्री मोदी ने जातिवादी, परिवारवाद, तुष्टिकरण वाली राजनीति को समाप्त कर कामकाज यानी प्रदर्शन आधारित राजनीति के नये युग की शुरूआत की है। अगर कार्यकर्ता विजय का विश्वास लेकर मैदान में उतरेंगे तो कोई ताकत उन्हें हरा नहीं पायेगी। श्री मोदी के शासन में गुजरात का विकास हुआ अौर यह पूरे देश के लिए मॉडल बना। उनकी वजह से दुनिया भर में भारत का नाम भी बढा है। नर्मदा योजना जिसका पत्थर नेहरू जी ने रखा था उसका काम श्री माेदी ने आगे बढाया। गुजरात में सभी सीटों पर चुनाव लडने का एलान कर चुकी आम आदमी पार्टी पर प्रहार करते हुए श्री शाह ने कहा कि यह हर चुनाव के समय बिल्ली की तरह खडी हो जाती है। पिछले लोकसभा चुनाव में 432 सीटों में से 4 पर ही किसी तरह जीत सकी। बाकी पर इसकी जमानत जब्त हो गयी। गोवा में 40 में से 38 पर इसने जमानत गंवा दी। जीत एक पर भी नहीं मिली। पंजाब की 170 में से इसे मात्र 20 सीटें ही मिली, 25 पर जमानत गयी। यह ऐसी पार्टी है चुनावों के बाद अदृश्य हो जाती है। श्री शाह ने भाजपा की जीत, श्री मोदी सरकार के दौरान गुजरात को मिली केंद्रीय सहायता और अनुदान आदि का विस्तार से वर्णन किया। उन्होंने राहुल गांधी पर प्रहार करते हुए कहा वह कश्मीर में सैन्य कार्यवाही को इटालियन चश्मे से देख रहे हैं। मोदी सरकार में सेना सर्जिकल स्ट्राइक कर आतंकवादियों का जवाब देती है जबकि कांग्रेस के शासन में पाकिस्तान भारतीय सैनिकों के सिर काट ले जाता था।

जीएसटी परिषद् अच्छा काम करे, यह सबकी जिम्मेदारी: जेटली

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नयी दिल्ली, 29 मार्च, वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जीएसटी परिषद को सर्वसम्मति से गठित देश का पहला संघीय संस्थान बताते हुए आज कहा कि इसमें केंद्र तथा सभी राज्यों का प्रतिनिधित्व है और उन्हें उम्मीद है कि यह अच्छे ढंग से काम करेगी। श्री जेटली ने लोकसभा में वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) से संबद्ध चार विधेयक संयुक्त रूप से चर्चा के लिए पेश करते हुए कहा कि इस विधेयक का मकसद पूरे देश में एक समान कर प्रणाली को लागू करना है। देश में वर्तमान में जारी अप्रत्यक्ष कर प्रणाली 15 सितम्बर तक जारी रहेगी और उसके बाद पूरे देश में समान कर प्रणाली की नयी व्यवस्था लागू हो जाएगी। जीएसटी को चर्चा के लिए पेश करते समय सदन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी भी मौजूद थीं। उन्होंने कहा कि चारों विधेयक जीएसटी से संबद्ध हैं और इसके जरिए कर व्यवस्था को संघीय ढांचे में परिवर्तित किया जा रहा है। पूरी व्यवस्था के लिए अलग से प्रावधान किए गए हैं जिसमें सबसे अहम जीएसटी परिषद की व्यवस्था है। परिषद में 32 वित्त मंत्री शामिल हैं। इनमें 29 राज्यों के वित्त मंत्रियों के अलावा दिल्ली तथा पुड्डुचेरी की चुनी हुई सरकारों के वित्त मंत्री भी हैं।

प्रधानमंत्री ने भाजपा सांसदों को दिया दो माह का एजेंडा

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नयी दिल्ली 29 मार्च, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 11 राज्यों के सांसदों से आज यहां मुलाकात की और उन्हें अगले दो माह के लिये एजेंडा से अवगत कराया। श्री मोदी ने 7 लोक कल्याण मार्ग स्थित अपने निवास पर सुबह नाश्ते पर दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, चंडीगढ़, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल, झारखंड, ओडिशा और असम सहित पूर्वोत्तर के सांसद को आमंत्रित किया और 12 अप्रैल को संसद का बजट सत्र समाप्त होने के बाद दो माह तक का एजेंडा समझाया और सक्रिय रूप से जुटने का आह्वान किया। सूत्रों ने बताया कि संसद का सत्र 12 अप्रैल को खत्म होने के तुरंत बाद 14 अप्रैल को डा. भीमराव अंबेडकर की जयंती पड़ेगी। इसके बाद मई महीने में मोदी सरकार के तीन साल पूरा होने को लेकर सरकार की उपलब्धियों को लेकर जनता के बीच जाना है। इसको लेकर सरकार और संगठन ने कसरत शुरू कर दी है। सूत्रों ने बताया कि श्री मोदी ने देश की वर्तमान राजनीति में आये दूरगामी परिवर्तन को मद्देनजर रखकर भाजपा सांसदों का समाज जीवन के भिन्न भिन्न जनसमूहों के साथ संपर्क माध्यम से जुडऩे का मार्गदर्शन दिया। साथ ही गरीब और वंचित परिवारों के साथ लगाव बनाने के साथ-साथ अपने कार्यक्षेत्र में केंद्र सरकार की कई कल्याणकारी योजनाओं और लाभार्थी समुदायों तक उन्हें कैसे पहुंचायें इसका भी दिशा निर्देश दिया। प्रधानमंत्री ने कहा कि वर्तमान सांसदों के पास सोशल मीडिया तकनीक के माध्यम से मोबाइल संचार का सर्वोत्तम माध्यम है। इसका जनप्रतिनिधि अपने कायक्षेत्र में व्यापक स्तर पर सघन जनसंपर्क कर सकते हैं। इस मौके पर भाजपा अध्यक्ष अमित शाह भी मौजूद थे। श्री शाह ने आगामी 6 अप्रैल को भाजपा के स्थापना दिवस से 14 अप्रैल-डॉ अंबेडकर जयंती तक देशभर में जनसंपर्क अभियान में सांसदों की भूमिका बताई। श्री शाह ने कहा कि पांच राज्यों के चुनाव के नतीजों से यह बात साफ है कि देश की राजनीति में प्रधानमंत्री मोदी ने गरीब लक्षीय राजनीति से, कई सालों से चली आ रही राजकीय विकृतियां के माहौल को पराजित कर दिया है। मोदी सरकार के विभिन्न गरीब, गांव, किसान एवं युवाओं और महिलाओं के लिए जो कार्यक्रम हैं, उसके लाभार्थी समुदायों का अलग अलग सम्मेलन ब्लॉक स्तर पर आयोजित करने के निर्देश दिये। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के भी सभी सातों सांसद प्रधानमंत्री निवास पहुंचे थे। अगले महीने दिल्ली में नगर निगमों के चुनाव होने वाले हैं। इसमें भाजपा हैट्रिक बनाने की तैयारी कर रही है। सूत्रों के मुताबिक श्री मोदी ने दिल्ली के सभी सांसदों से इस बावत भी बातचीत की। इसके अलावा नवम्बर में होने जा रहे हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव की रणनीति पर भी वहां के सांसदों से चर्चा किया।


वित्त विधेयक पर राज्यसभा में विपक्ष के चार संशोधन पारित

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नयी दिल्ली 29 मार्च, विपक्षीदल अपनी एकजुटता दिखाते हुये आज राज्यसभा में वित्त विधेयक में चार संशोधन मत विभाजन से कराने में सफल रहे और सदन ने इनके साथ विधेयक को मंजूरी देकर लोकसभा को लौटा दिया। वित्त विधेयक 2017 पर करीब छह घंटे की चर्चा के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली के जबाव के पश्चात कांग्रेस के दिग्विजय सिंह ने इस विधेयक के जरिये आयकर कानून में किये गये बदलावों पर दो संशोधन तथा गैर सरकारी संगठनों को मिलने वाले विदेशी चंदे के बारे में किये गये बदलावों पर एक संशोधन पेश किया जिन्हें सदन ने मत विभाजन के जरिये पारित कर दिया। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के सीताराम येचुरी ने राजनीतिक दलों के चंदे के लिए कंपनी कानून में किये गये बदलावों पर संशोधन रखा, उसे भी सदन ने मत विभाजन से पारित कर दिया। इन सभी संशोधनों के पारित होने से पूर्व ही तृणमूल कांग्रेस के सदस्य वित्त मंत्री के जबाव पर असंतोष जताते हुये सदन वर्हिगमन कर गये। सदन ने इन संशोधन के साथ वित्त विधेयक को ध्वनिमत से मंजूरी देकर लोकसभा को लौटा दिया।

एक अप्रैल से नहीं बिकेंगे बीएस-थ्री वाहन : सुप्रीम कोर्ट

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नयी दिल्ली, 29 मार्च, उच्चतम न्यायालय ने आज स्पष्ट कर दिया कि भारत स्टेज-3 (बीएस-थ्री) उत्सर्जन मानक वाले वाहन एक अप्रैल से न तो बिकेंगे, न इनका पंजीकरण ही होगा। न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने बीएस-थ्री उत्सर्जन मानक वाले वाहनों की बिक्री की अनुमति संबंधी केंद्र सरकार का अनुरोध ठुकरा दिया। शीर्ष अदालत ने कहा कि एक अप्रैल से बीएस-थ्री उत्सर्जन मानक वाले वाहनों का न तो पंजीकरण होगा, न ही बिक्री। न्यायालय के इस फैसले से विभिन्न वाहन निर्माता कंपनियों के करीब नौ लाख वाहनों की बिक्री नहीं हो पाएगी। इससे इन कंपनियों को कुल 12 हजार करोड़ रुपये का नुकसान उठाना होगा। न्यायालय ने इस मामले में कल फैसला सुरक्षित रख लिया था और इसके लिए आज भोजनावकाश के बाद दो बजे का समय निर्धारित किया था। इसने सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैनुफैक्चर्स (सियाम) एवं अन्य की याचिकाओं की सुनवाई पूरी करने के बाद कल कहा था, “हम इस मामले में बुधवार दो बजे आदेश सुनायेंगे।” बजाज ऑटो लिमिटेड और पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण ऑथरिटी (ईपीसीए) ने भी एक अप्रैल से बीएस-थ्री वाहनों की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने के लिए अलग-अलग याचिकाएं दायर की थी। फेडरेशन ऑफ ऑटोमाबाइल डीलर्स एसोसिएशन्स (फाडा) ने एक वादकालीन याचिका (आईए) दायर करके न्यायालय से अनुरोध किया था कि वह 31 मार्च के बाद भी बीएस-थ्री वाहनों की बिक्री की अनुमति प्रदान करे, जिसे न्यायालय ने ठुकरा दिया। मामले में न्याय मित्र ने कहा था कि बड़े शहरों में खासकर घनी बस्तियों में प्रदूषण काफी खतरनाक स्तर पर है और चार पहिया वाहन निर्माता कंपनियों को पर्यावरण सुरक्षा अधिनियम का पालन करना चाहिए। उन्होंने कहा था कि सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ऑटोमोबाइल कंपनियां केवल बीएस-फोर वाहन ही बनाएं और बेचें, लेकिन वे लाभ कमाने के चक्कर में बीएस थ्री वाहन बनाने में कमी नहीं कर रही हैं। सबको पता है कि सरकार आज नहीं तो कल अधिसूचना लागू करेगी ही, इसके बावजूद वे अमल नहीं करना चाहती हैं। ऐसी स्थिति में उन्हें बीएस-थ्री वाहन बेचने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।

जीएसटी से जुड़े चार विधेयकों को लोकसभा की मंजूरी

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नयी दिल्ली 29 मार्च, देश काे एक बाजार के रूप में पिरोने और अब तक के सबसे बड़े अप्रत्यक्ष कर सुधार के लिए मील का पत्थर माने जा रहे वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) से जुड़े चार विधेयकों को लोकसभा ने आज ध्वनिमत से पारित कर दिया, सरकार का जीएसटी को इस साल 01 जुलाई से लागू करने का लक्ष्य है। चार विधेयकों - केंद्रीय जीएसटी विधेयक, एकीकृत जीएसटी विधेयक, केंद्रशासित क्षेत्र जीएसटी विधेयक और जीएसटी (राज्यों को क्षतिपूर्ति) विधेयक - पर सदन में दिन भर चली चर्चा के बाद विपक्ष की आपत्तियों का जवाब देते हुये वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि इनके कानून बनने से पूरा देश एक बाजार के रूप में स्थापित हो जायेगा और वस्तुओं की निर्बाध आवाजाही सुनिश्चित हो सकेगी तथा एक सरल कर व्यवस्था लागू होगी जिसका उल्लंघन करना आसान नहीं होगा। उन्होंने कुछ विपक्षी सदस्यों की इस आशंका को निर्मूल बताया कि जीएसटी परिषद् को कर की दर तय करने का अधिकार देने से इस मामले में संसद की संप्रभुता समाप्त हो जायेगी। उन्होंने कहा परिषद् का काम सिर्फ सिफारिश करना है जबकि सिफािरशों पर अमल के लिए कानून संसद और राज्य विधानसभाएँ ही बनायेंगी। जीएसटी में कर के चार स्लैब तय किये गये हैं। पहला स्लैब शून्य प्रतिशत का है जिसमें मुख्य रूप से खाद्यान्न तथा अन्य जरूरी पदार्थों को रखा जायेगा। दूसरा स्लैब पाँच प्रतिशत का है। मानक स्लैब 12 और 18 प्रतिशत के रखे गये हैं जबकि चौथा स्लैब 28 प्रतिशत का है। जिन वस्तुओं पर अभी 28 प्रतिशत से ज्यादा कर है उसका इससे ऊपर का हिस्सा उपकर के रूप में एकत्रित कर राज्यों की क्षतिपूर्ति के लिए इस्तेमाल किया जायेगा। इसके बाद भी यदि कुछ राशि बचेगी तो वह केंद्र और राज्यों के बीच बाँटी जायेगी। केंद्रीय जीएसटी विधेयक में अधिकतम 40 प्रतिशत का प्रावधान रखा गया है। श्री जेटली ने बताया कि किस वस्तु को किसी स्लैब में रखना है इस पर जीएसटी परिषद् अगले महीने से काम शुरू कर देगी। शराब को विधेयक के दायरे से बाहर रखा गया है। पेट्रोलियम उत्पाद विधेयक के दायरे में हैं, लेकिन उन पर जीएसटी के तहत कर लगाना कब शुरू करना है इसके बारे में फैसला जीएसटी परिषद को बाद में करना है। साथ ही अचल संपत्ति को भी जीएसटी के दायरे में लाने पर चर्चा हुई थी किंतु राज्य सरकारों ने स्टाम्प ड्यूटी से होने वाले राज्सव के नुकसान की आशंका जतायी थी। हालाँकि, दिल्ली सरकार इसके पक्ष में थी। उन्होंने कहा कि परिषद् में यह सहमति बनी थी कि जीएसटी लागू होने के एक साल के भीतर इस पर पुनर्विचार करेंगे।

मीडिया और संचार माध्यम अस्पताल के ब्लड बैंक की तरह : यशवंत सिन्हा

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रांची 29 मार्च, पूर्व केंद्रीय विदेश मंत्री यशवंत सिन्हा ने मीडिया की तुलना अस्पताल के ब्लड बैंक से करते हुए आज कहा कि मीडिया एवं कोई अन्य संचार माध्यम, अस्पताल के ब्लड बैंक की तरह है यदि अस्पताल का ब्लड बैंक ही दूषित हो जाएगा तो उस अस्पताल में कोई मरीज सुरक्षित नहीं रहेगा और न ही वहां कोई इलाज कराने जाएगा। श्री सिन्हा ने एक हिन्दी समाचार पत्र के रांची स्थित नये कार्यालय के उदघाट्न और इलेक्ट्रानिक पेपर के लोकार्पण समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि संचार माध्यमों की भी यदि विश्वसनीयता खत्म हो जाएगी, लोकतंत्र का चौथा स्तंभ दूषित हो जाएगा तो फिर लोग किस पर भरोसा करेंगे। एक जमाने में टीवी आया तो लोगों ने यह कहना शुरु कर दिया कि अब अखबारों की कोई जरुरत नहीं होगी लेकिन आज भी लोग देखने-सुनने के बजाय पढ़ना ज्यादा पसंद करते है और जिस तरह से संचार का टेलीविजन माध्यम दूषित हुआ है उससे अखबारों पर लोगों की निर्भरता और भी बढ़ी है। वे आज भी सुबह.सुबह घंटों कई अखबार पढ़ना पसंद करते है। पूर्व मंत्री ने भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी के तौर पर अपने दिनों को याद करते हुए का कि जब वह भाप्रसे अधिकारी के रुप में कार्यरत थे तो लोग कहते थे कि आईएएस के कारण ही देश बर्बाद हो रहा है तब आईएएस की नौकरी छोड़ दी और राजनीति में प्रवेश किया। इसके बाद जहां भी जाते तो लोग कहते कि राजनीतिज्ञों की वजह से देश बर्बाद हो रहा है। एक बार किसी ने मुझे पत्रकार भी बनने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि आज पत्रकार बन जाना आसान है लेकिन विषय का अध्ययन नहीं होने के कारण कई बार पूछे गये कुछ बेतूके सवालों का जवाब देने का भी मन नहीं करता है लेकिन इसके बावजूद राजनेता होने के कारण ऐसा करना मुश्किल होता है। 


श्री सिन्हा ने कहा कि राजनीतिज्ञों एवं मीडिया में चोली-दामन का साथ है। उन्होंने अखबार प्रबंधन से आर्थिक नुकसान का वहन कर भी ग्रामीण के रोजमर्रा से जुड़े और स्थानीय समस्याओं को उठाने के लिए आभार व्यक्त किया और जमीनी मुद्दों को जोरदार तरीके से उठाने की अपील की। इस मौके पर राज्य के नगर विकास मंत्री सी.पी सिंह ने कहा कि अखबार चलाना खेल नहीं है। उन्होंने कहा कि व्यवसायिक जगह का यह सिद्धांत कि जितना बिकेगा, उतना फायदा होगा इस जगह में लागू नहीं होता है। उन्होंने कहा कि आजादी के पहले जिन उद्देश्यों को लेकर अखबार निकाला जाता था। आज भी कुछ अखबार प्रबंधन उस परंपरा को जीवित रखे हुए है और व्यवसायिक लाभ के लिए अखबार नहीं निकाल रहे है। उन्होंने यह भी अपील कि अखबार प्रबंधन यदि रचनात्मक भूमिका नहीं निभा सकता है तो नकारात्मक भूमिका भी नहीं निभाएं और चाहे कोई कितना प्रभावशाली व्यक्ति हो, उसके संबंध में भी खबर छापे और कमजोर से कमजोर व्यक्ति के खिलाफ भी आधारहीन खबरें छपने से बचाना चाहिए। राज्य के संसदीय कार्य मंत्री सरयू राय ने कहा कि देश में आजादी की लड़ाई के वक्त कई अखबार निकाले जाते थे उन नामी गिरामी संपादकों और औद्योगिक घरानों की भूमिका अलग थी। संपादक मंडली अखबारों के चयन पर विचार करती थी और इस दौरान प्रबंधन से भी टकराव होता था लेकिन उदारीकरण एवं व्यवसायिक युग में अखबार के तेवर बदले है। 

आईडिया ने रांची में फोर जी सेवा शुरू की

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रांची 29 मार्च, देश के दूरसंचार बाजार में चल रहे प्राइस वार के बीच आईडिया सेलुलर ने झारखंड की राजधानी रांची में आज से फोर जी सेवा शुरु कर दी है।  कंपनी के ऑपरेटिंग ऑफिसर (कॉरपोरेट) अनिश राय ने आज यहां संवाददाता सम्मेलन में औपचारिक तौर पर चौथी पीढ़ी की सेवाओं के शुरुआत की घोषणा करते हुए कहा कि नई सवाओं को जरिए ग्राहकों को विश्वस्तरीय नेटवर्क के साथ-साथ विश्वस्तरीय सेवायें भी मिलेंगी। झारखंड और बिहार कंपनी के लिए काफी महत्वपूर्ण बाजार है जहां अबभी विस्तार की काफी संभावनाएं है। उन्होंने बताया कि कंपनी तेजी से फोर जी सेवाओं को विस्तार कर रही है और जून 2017 तक बिहार- झारखंड के पटना, गया,सासाराम, मोतिहारी, धनबाद और बोकारो समेत 18 शहरों को कवर कर लिया जायेगा। श्री राय ने बताया कि आईडिया म्यूजिक लांच , आईडिया मूवी क्लब तथा आईडिया गेम एप्स के लाँच के साथ कंपनी ने डिजिटल सेवाओं के क्षेत्र में प्रवेश किया है । उन्होंने आशा जताई कि नई एप्स के माध्यम से निश्चय ही ग्राहक नयी तरह की सेवा का लुत्फ ले सकेंगे। 

विकास के लिए शोध जरुरी : रघुवर

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रांची 29 मार्च, झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने विकास के लिए शोध की आवश्यकता पर बल देते हुए आज कहा कि शोध के जरिए न केवल अतीत के बारे में जाना जा सकता है, बल्कि भविष्य की तैयारी भी की जा सकती है। श्री दास ने रांची विश्वविद्यालय में आयोजित सरहुल मिलन समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि उनकी सरकार ने शोध की महत्ता को देखते हुए शोध संस्थानों को मजबूत करने के लिए कई जरूरी कदम उठाये हैं। शोध करके न केवल हम अपने अतीत के बारे में जान सकते हैं, बल्कि भविष्य की तैयारी भी कर सकते हैं। विकास के लिए शोध जरूरी है। उन्होंने कहा कि शोध करने के लिए छात्र यदि दूसरे राज्य जाना चाहें, तो सरकार उनकी हरसंभव मदद करेगी। श्री दास ने कहा कि नृत्य और संगीत राज्य की संस्कृति की पहचान है। सरकार प्रदेश के प्रत्येक गांव में अखड़ा बनायेगी। इनके जरिए लोग न केवल अपनी संस्कृति की पहचान बरकरार रख सकेंगे बल्कि मनोरंजन भी कर पायेंगे। हर वर्ष यहां प्रतियोगिताओं का आयोजन कराया जायेगा। इसके बाद पंचायत स्तर, प्रखंड स्तर, जिला स्तर पर प्रतियोगिता होगी। इनमें चयनित कलाकारों को जनजातीय संस्कृति मेला के नाम से मोरहाबादी में तीन दिन की राज्यस्तरीय प्रतियोगिता में पुरस्कृत किया जायेगा। इस मेला के आयोजन से राज्य की संस्कृति की पहचान पूरी दुनिया में हो सकेगी। 


श्री दास ने कहा कि दुनिया आदिवासी संस्कृति, उनकी परम्परा, रीति-रिवाज, रहन-सहन, खान-पान, लोक-कला, लोक-गीत एवं लोक-नृत्य इत्यादि के विषय में जानना चाहती है। इसमें शोध संस्थान एवं तीन दिवसीय जनजातीय संस्कृति मेला अहम भूमिका अदा कर सकता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस तरह के मेले के आयोजन से पयर्टन को भी बढ़ावा मिलेगा। विदेशी पर्यटकों के आने से विदेशी मुद्रा भी प्राप्त होगी। उन्होंने कहा कि झारखंड के आदिवासी समाज ने राज्य को विकसित करने के लिए काफी खून पसीना बहाया है। आजादी के 70 वर्ष के बाद भी गांव की दशा नहीं सुधरी है। वर्तमान सरकार ने गांव की दशा सुधारने का प्रण किया है। श्री दास ने कहा कि राज्य के गरीबों के जीवन स्तर को ऊपर उठाना और उनके चेहरे पर मुस्कान लाना मेरे जीवन का लक्ष्य है। अब बिचौलिये और दलालों की राज्य में कोई जगह नहीं है। उन्होंने छात्रों का आह्वान करते हुए कहा कि पढ़े -लिखे छात्र भी अपने गांव को समय दें। वहां लोगों को जागरूक करें। छोटे-छोटे काम से बड़ा बदलाव आ सकता है। उन्होंने कहा कि पर्व-त्योहार संस्कृति के स्तम्भ होते हैं। ये जोड़ने का कार्य करते हैं। पर्व-त्योहार पूरे धूम-धाम, उल्लास एवं उत्साह के साथ मनाएं लेकिन अनुशासन भी रखें। कार्यक्रम में रांची विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ रमेश कुमार पाण्डेय, रजिस्ट्रार डॉ अमर कुमार चौधरी, विश्वविद्यालय विकास पदाधिकारी डॉ हरि उरांव, जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ टी0एन0साहू समेत अनेक प्राध्यापक, शोधार्थी एवं काफी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित थे। 

किसानों को स्वायल हेल्थ कार्ड देने में नीतीश सरकार विफल : भाजपा

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पटना 29 मार्च, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता और बिहार विधान सभा की लोक लेखा समिति के सभापति नंदकिशोर यादव ने नीतीश सरकार को किसान विरोधी करार दिया और कहा कि यह सरकार किसानों को स्वायल हेल्थ कार्ड देने में भी विफल रही है । श्री यादव ने आज यहां कहा कि राज्य में कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए मिट्टी की उर्वरा शक्ति की जांच परख कर किसानों को स्वायल हेल्थ कार्ड देने में राज्य सरकार पूरी तरह विफल साबित हुई है। कार्ड देने की निर्धारित तिथि में मात्र दो दिन ही बचे हैं और अब तक मात्र 29.50 लाख किसानों को कार्ड देने का सरकार ने दावा किया है। इस कार्य के लिए केन्द्र सरकार ने 7.50 करोड़ रूपये दिये थे लेकिन आज तक राज्य सरकार आधी राशि ही खर्च कर सकी। उन्होंने कहा कि जब तक जमीन और मिट्टी की गुणवत्ता नहीं सुधरेगी तब तक पैदावार और उत्पादकता में वृद्धि की हम कल्पना नहीं कर सकते। भाजपा नेता ने कहा कि देश के अधिसंख्य राज्यों में यह योजना पूरी होने को है लेकिन बिहार में यह योजना पूरी तरह किसानों तक नहीं पहुंच पाई है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का शुरू से ही किसान विरोधी रवैया रहा है। चाहे धान की खरीद का मामला हो या उन्हें बोनस अथवा डीजल अनुदान की राशि देने का। कृषि और किसानी विकास की योजनाओं की अनदेखी ने राज्य सरकार का किसान विरोधी चेहरा भी उजागर कर दिया है। 


उप-राज्यपाल ने दिये दिल्ली सरकार से 97 कराेड़ रूपये वसूलने के निर्देश

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नई दिल्ली, 29 मार्च, दिल्ली के उप-राज्यपाल अनिल बैजल ने राज्य के मुख्य सचिव को अरविंद केजरीवाल नीत आम आदमी पार्टी (आप) सरकार से 97 करोड़ रुपए वसूलने के अाज आदेश दिये। सूत्रों ने आज बताया, “श्री बैजल ने मुख्य सचिव एम एम कुट्टी को सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश का उल्लंघन करते हुए विज्ञापन पर भुगतान करने के लिए दिल्ली सरकार से 97 करोड़ रुपये वसूलने के आदेश दिये हैं। ” उन्होंने कहा कि श्री बैजल ने श्री कुट्टी को इस मुद्दे में जिम्मेदारी तय करने को कहा है। सरकारी विज्ञापनों में कटेंट रेग्यूलेशन के लिए बनी कमेटी ने दिल्ली के मुख्य सचिव को अपनी जांच रिपोर्ट भेजी और इस संबंध में कार्रवाई करने को कहा था। समिति ने दिल्ली सरकार से विज्ञापन की कुछ श्रेणियों पर खर्च की गई राशि का आकलन करने के लिए भी कहा था और इसे संबंधित राजनीतिक पार्टी से प्रतिपूर्ति करने के लिए कहा था। उप-राज्यपाल कार्यालय ने कहा, “जैसा कि कानून विभाग द्वारा सलाह दी गई और सचिव द्वारा इसे प्रस्तावित किया गया था, उस राशि का भुगतान करने के लिए संबंधित राजनीतिक पार्टी को नोटिस जारी किया जाना चाहिए। नोटिस में सभी विज्ञापनों का पूरा विवरण दिया जाना चाहिए और सरकारी खजाने में आवश्यक राशि का भुगतान करने के लिए 30 दिन की समय सीमा दिए जाने चाहिए।

चुनौतीपूर्ण किरदार निभाना चाहती है : नेहा शर्मा

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नई दिल्ली, 29 मार्च, बॉलीवुड अभिनेत्री नेहा शर्मा का कहना है कि वह चुनौतीपूर्ण किरदार निभाना चाहती है। नेहा आखिरी बार फिल्म तुम बिन-2 में नजर आयी थीं। वह जल्द ही अनीस बज्मी की फिल्म ‘मुबारकां’ में एक विशेष किरदार में नजर आयेंगी। नेहा फिल्मों की पटकथाओं और भूमिकाओं के चयन में बहुत सावधानी बरतती हैं। नेहा ने कहा “मुझे लगता है। मैंने लोगों को एक साल में पांच फिल्में करते हुए देखा है। मैं दिलचस्प विषयों का चुनाव करती हूं, जो मुझे काम करने के लिए उत्तेजित करते हैं। ” नेहा शर्मा ने कहा “मुझे लगता है कि इसके कारण विकल्प बहुत ही सीमित हो जाते हैं। मैं फिलहाल कुछ चीजों पर काम कर रही हूं। मैं जल्द से जल्द इस बारे में बात करूंगी। ”‘मुबारकां’ में अनिल कपूर, अर्जुन कपूर, इलियाना डी क्रूज और आथिया शेट्टी प्रमुख भूमिकाओं में होंगी।

नकारात्मक किरदार निभाने में मजा आता है : प्रियंका चोपड़ा

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मुंबई, 29 मार्च, बॉलीवुड अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा का कहना है कि उन्हें नकारात्मक किरदार निभाने में काफी मजा आता है। प्रियंका चोपड़ा का कहना है कि बुरा बनने का अपना मजा है। वह अपनी पहली हॉलीवुड फिल्म ‘बेवॉच’ में नकारात्मक किरदार में नजर आएंगी। प्रियंका ने ट्विटर के जरिए ड्वेन जॉनसन, जैक एफ्रॉन, एलेक्जेंड्रा दद्दारियो, केली रोरबाक और जॉन बास के साथ अपनी तस्वीर साझा की। प्रियंका ने तस्वीर के साथ लिखा, बुरा बनने में बहुत मजा आता है! ‘बेवॉच’ के कलाकार सिनेमाकॉन 2017 विक्टोरिया लीड्स में.. ‘बेवॉच’ ..द रॉक, जैक एफ्रॉन, एलेक्जेंड्रा दद्दारियो, केली रोरबाक और जॉन बास। प्रियंका ने जॉनसन और एफ्रॉन के साथ भी अपनी तस्वीर साझा की। उन्होंने दोनों के साथ को मजेदार बताया। यह फिल्म 1990 के दशक की लोकप्रिय टीवी श्रृंखला ‘बेवॉच’ पर आधारित है। फिल्म मई में प्रदर्शित होगी।

राजकपूर की फिल्मों के साथ अलविदा कहेगा रीगल सिनेमा

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नयी दिल्ली, 29 मार्च, कभी दिल्ली की शानो शौकत में चार चांद लगाने वाला रीगल सिनेमा कल के बाद इतिहास बन जायेगा। 1932 में बना राजधानी का पहला प्राइम सिंगल स्क्रीन थिएटर 'रीगल'अब सिनेप्रेमियों से हमेशा के लिए विदाई ले लेगा। रीगल सिनेमा हॉल सिने प्रेमियों के साथ-साथ बाॅलीवुड सितारों का भी चहेता हॉल हुआ करता था। खासकर आर.के बैनर के फिल्मों का इससे खास लगाव रहा। खुद राज कपूर भी अपनी फिल्मों का प्रीमियर रीगल सिनेमा हॉल में ही करते थे। रीगल सिनेमा पर आर.के. बैनर तले बनी लगभग सभी फिल्में रिलीज हुई और कई फिल्मों ने यहां सिल्वर जुबली का जश्न भी मनाया। रीगल अपने दर्शकों से बाॅलीवुड के इस शो मैन की फिल्मों के साथ विदाई लेगा। 30 मार्च को सिनेमा हॉल में अाखिरी दो शो राज कपूर के नाम रहेगा। शाम छह बजे ‘मेरा नाम जोकर’ और शाम नौ बजे ‘संगम’ को प्रदर्शित किया जायेगा। रीगल सिनेमा के सह संचालक विशाल चौधरी ने यूनीवार्ता से बताया कि राजकपूर का इस सिनेमाघर से जुड़ाव और दर्शकों की विशेष मांग पर उन्हाेंने राज कपूर की फिल्मों के साथ अलविदा कहने का मन बनाया। उन्होंने कहा कि राजकपूर और नरगिस की फिल्मों का प्रीमियर इसी सिनेमा हाॅल में हुआ करता था। राजकपूर और नरगिस यहां हॉल में बैठकर अपनी फिल्में देखा करते थे। कपूर खानदान से इस सिनेमा हॉल का रिश्ता पृथ्वीराज कपूर के जमाने से रहा था। विभाजन के बाद पाकिस्तान से आए पृथ्वीराज कपूर के नाटकों का मंचन यहीं हुआ करता था। उनके तीन नाटक पठान, दीवार व आहूति का मंचन यहीं हुआ था। विशाल ने बताया कि उनकी योजना रीगल सिनेमा हाल काे सिंगल स्क्रीन से मल्टीप्लेक्स बनाने की है। मल्टीप्लेक्स बनाने को लेकर एनडीएमसी समेत अन्य विभागों को आवेदन किया गया है।हालांकि, अभी पूरी मंजूरी नहीं मिली है। मंजूरी मिलने के बाद इस ऐतिहासिक सिनेमा हाॅल को तोड़कर मल्टीप्लेक्स में तब्दील किया जाएगा। उन्होंने कहा कि चूंकि रीगल विरासत इमारत में हैं तो बाहर से इसमें कुछ छेड़छाड़ नहीं किया जा सकता लेकिन सिनेमाघर को अंदर से ताेड़कर नये लुक में पेश किया जायेगा। इस काम में ढेड़ से दो वर्ष का समय लग सकता है। 

नालंदा विश्वविद्यालय के अंतरिम कुलपति ने यौन हमला मामले को लेकर दिया इस्तीफा

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राजगीर :नालंदा:, 29 मार्च, बिहार के नालंदा जिले के राजगीर स्थित नालंदा अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय के अंतरिम कुलपति ने दो विद्यार्थियों द्वारा यौन हमला करने की कथित घटना के बाद आज अपने पद से इस्तीफा दे दिया। इन दोनों विद्यार्थियों में एक को निलंबित कर दिया गया है। विश्वविद्यालय की मीडिया प्रभारी स्मिता पोलाईट ने बताया कि साथी विद्यार्थियों का यौन उत्पीड़न करने के आरोप में एक विद्यार्थी को निलंबित कर दिया गया है जबकि दूसरे का छात्रावास बदल दिया गया है। एक महीने पूर्व दो छात्रों के खिलाफ इस मामले में शिकायत मिली थी। दोनों पर साथी विद्यार्थियों का यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया था। निर्धारित प्रक्रिया के तहत उनके खिलाफ कार्रवाई की गयी। पोलाईट ने बताया कि विश्वविद्यालय की आतंरिक शिकायत जांच समिति ने इस मामले की जांच कर गत 20 मार्च को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। नियमों का पालन करते हुए और चांसलर की मंजूरी से एक विद्यार्थी को निलंबित कर दिा गया जबकि दूसरे का कल छात्रावास बदल दिया गया था। इससे पहले, छात्रों के एक समूह ने इस मुद्दे पर कुलपति कार्यालय के सामने प्रदर्शन किया था। नालंदा अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय कुलपति कार्यालय के समक्ष उक्त मामले को लेकर प्रदर्शन कर रहे छात्रों को पुलिस अधीक्षक आशीष कुमार ने शांत कराया। इस बीच आज शाम अंतरिम कुलपति ने नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया।

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