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मधुबनी : 1 अप्रैल से होने वाली मैट्रिक के उत्तर-पुस्तिका के मूल्यांकन का भी बहिष्कार की घोषणा

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  • उत्तर पुस्तिका मूल्यांकन कार्य का बहिष्कार आज पाँचवें दिन भी जारी ॥

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मधुबनी (दिनेश सिंह) - TET-STET पास नियोजित शिक्षक संघ (TSUNSS) , बिहार पंचायत-नगर प्रारंभिक शिक्षक संघ सहित कई शिक्षक संघ के अहवाह्नन पर  शिक्षकों ने “समान काम-समान वेतन” के मुद्दे पर पटना में पिछले दिनों धरना प्रदर्शन कर रहे शिक्षकों पर बर्बरता पूर्वक हुए पुलिसिया लाठीचार्ज के विरोध में  आज पुरे प्रदेश समेत मधुबनी जिला अंतर्गत सभी प्रखंडों के शिक्षकों ने सरकार के हिटलरशाही रवैये तथा नीतियों के खिलाफ सोमवार (27 मार्च) से शुरू हुआ उत्तर पुस्तिका मूल्यांकन कार्य का बहिष्कार आज पाँचवें दिन भी जारी रखा। लादनियाँ, खुटौना, राजनगर, झंझारपुर, हरलाखी सहित  जिले के 21 प्रखण्डों के शिक्षकों ने आज पाँचवे दिन भी उत्तर-पुस्तिकाओं का मूल्यांकन नहीं किया। जिले के बाबूबरही प्रखंड के सभी  शंकुल संसाधन केंद्रों पर भी मूल्यांकन कार्य का बहिष्कार जारी है।  बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ ने भी इंटरमीडिएट के कॉपियों के मूल्यांकन बहिष्कार को जारी रखते हुए 1 अप्रैल से होने वाली मैट्रिक के उत्तर-पुस्तिका के मूल्यांकन का भी बहिष्कार करने की घोषणा कर दिया है। जिले के विभिन्न प्रखंडों में  चन्द्र मोहन यादव, चन्दन कुमार, रवि कुमार, मो0 रफ़ी, राम कारन यादव, कृष्ण कुमार भारती, चंद्रशेखर प्रसाद गुप्ता, सत्येन्द्र कुमार पासवान, निर्मल ठाकुर, प्रखंड प्रधान सचिव सुरेश चन्द्र सुमन के नेतृत्व में शिक्षक मो0 फारूख, संजय सिंह, परशुराम झा, मो0 ईरफान, सतीश राय, हरिनारायण यादव, अशोक राम, राजेश कु. राय,  अनिल कु., ओम प्रकाश यादव, अवधेश झा, राज कुमार पूर्वे, दिलीप कुमार, अर्जुन कुमार, दिनेश प्रसाद, उमेश प्रसाद, मनोज कुमार, उमेश कुमार,अर्चना कुमारी, नीतू कुमारी, वीणा, मीरा, कंचन, कविता, नूतन कुमारी सहित सैकड़ो शिक्षक- शिक्षिकाओं ने मूल्यांकन कार्य का बहिष्कार किया।


महामुकाबले में सायना को पस्त कर सिंधू सेमीफाइनल में

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नयी दिल्ली, 31 मार्च, रियो ओलंपिक की रजत पदक विजेता पीवी सिंधू ने पूर्व नंबर एक सायना नेहवाल को शुक्रवार को हाई वोल्टेज क्वार्टरफाइनल मुकाबले में 21-16, 22-20 से हराकर बीडब्ल्यूएफ मेटलाइफ योनेक्स सनराइज सुपर सीरीज इंडिया ओपन बैडमिंटन टूर्नामेंट के महिला एकल सेमीफाइनल में प्रवेश कर लिया। तीसरी वरीयता प्राप्त सिंधू और छठी सीड सायना के बीच महामुकाबले को देखने के लिये सीरीफोर्ट स्टेडियम खचाखच भरा हुआ था। भारत की इन दोनों शीर्ष खिलाड़ियों ने उच्च स्तर के खेल का प्रदर्शन किया और पूरे मैच के दौरान दर्शकों को लगातार तालियां बजाने के लिये मजबूर किया। मैच बेहद रोमांचक था और एक-एक अंक के लिये जबर्दस्त संघर्ष देखने को मिला। सिंधू और सायना दोनों ने ही कई बेहतरीन स्मैश लगाये, ड्राप शॉट खेल और नेट पर एक दूसरे को छकाने की पूरी कोशिश की। सायना के पास दूसरे गेम में 20-19 के स्कोर पर मैच को निर्णायक गेम में ले जाने का सुनहरा मौका था। लेकिन इसी समय दबाव में वह अपने सर्विस नेट पर मार बैठी और उनके हाथ से मौका निकल गया। सिंधू ने 20-20 की बराबरी के बाद लगातार दो अंक लेकर 22-20 से दूसरा गेम जीता और 47 मिनट में मैच समाप्त कर दिया।



सिंधू ने इस जीत के साथ एक बार फिर साबित कर दिया कि मौजूदा समय में वह निर्विवाद रूप से देश की बैडमिंटन क्वीन हैं। सिंधू ने इसी कोर्ट में जनवरी में सीनियर बैडमिंटन लीग के दौरान सायना को हराया था और एक बार फिर उन्होंने लंदन ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता सायना को पस्त कर दिया। सिंधू और सायना जब अपना क्वार्टरफाइनल मुकाबला खेलने मुख्य काेर्ट पर पहुंच रही थीं तो साथ वाले कोर्ट पर शीर्ष वरीयता प्राप्त विश्व और ओलंपिक चैंपियन स्पेन की कैरोलिना मारिन और जापान की मिनात्सु मितानी के बीच मैच चल रहा था। मारिन ने मैच बेहद कड़े संघर्ष में 21-10, 20-22, 21-14 से जीतकर सेमीफाइनल में जगह बनाई। लेकिन दर्शकाें का उस संघर्षपूर्ण मैच से ज्यादा ध्यान भारतीय खिलाड़ियों के मुकाबले पर टिका हुआ था। मुख्य कोर्ट पर सायना और सिंधू का मैच शुरु होने से पहले जैसे ही युगल मैच समाप्त हुआ, दर्शक तालियां बजाने लगे क्योंकि उन्हें मालूम था कि अब वह घड़ी आ गई है जिसका उन्हें बेताबी से इंतजार था। मैच का पहला अंक सिंधू ने ड्राप शॉट से लिया लेकिन सायना ने जोरदार स्मैश लगाकर बराबरी कर ली। सायना एक समय 7-5 से आगे थी लेकिन सिंधू ने 7-7 की बराबरी के बाद बढ़त बनाने का जो सिलसिला शुरु किया वह फिर 19 मिनट में गेम समाप्त होने पर ही थमा। सिंधू ने 13-9, 17-11, 19-15 और 20-16 की बढ़त बनाने के बाद पहले गेम को 21-16 पर समाप्त किया।


दूसरे गेम में सायना ने बेहतरीन शुरुआत की और 4-1, 6-3,9-6, 13-9, 16-12, 19-16 की बढ़त बनाते हुये 20-19 पर गेम अंक पर पहुंच गई। लेकिन उसी समय दबाव में एक गलती सायना को भारी पड़ी और दो बार की पूर्व चैंपियन सायना को टूर्नामेंट से बाहर हो जाना पड़ा। सायना गेम अंक पर सर्विस कर रही थी और उनकी सर्विस सीधे नेट से जा टकराई और इसी के साथ सायना का सपना भी टूट गया। सिंधू ने इस मौके को दोनों हाथों से भुनाते हुये मैच जीत लिया और फिर दोनों हाथ उठाकर दर्शकों का अभिवादन किया। महिला एकल का दूसरा सेमीफाइनल टॉप सीड कैरोलिना मारिन और चौथी सीड जापान की अकाने यामागूची के बीच खेला जाएगा। मारिन ने जापान की मिनात्सु मितानी को 57 मिनट में 21-10, 20-22, 21-14 से और यामागूची ने हमवतन खिलाड़ी नोजोमी आेकूहारा को 51 मिनट में 21-13, 11-21, 21-18 से हराया। पुरुष वर्ग में एंटनसन ने भारत के समीर की कड़ी चुनौती पर 24-22, 21-19 से काबू पाते हुये सेमीफाइनल में जगह बनाई। एंटनसन का अगला मुकाबला सातवीं सीड चीनी ताइपे के चोऊ तियेन चेन से होगा। चेन ने डेनमार्क के हैंस क्रिस्टियन विटिनगुस को 31 मिनट में 21-10, 21-14 से पीट दिया। दूसरा सेमीफाइनल तीसरी सीड डेनमार्क के विक्टर एक्सेलसन और छठी सीड हांगकांग के एन लोंग एंगस के बीच खेला जाएगा। एक्सेलसन ने चीनी ताइपे की जू वेई वांग को एक घंटे चार मिनट में 19-21, 21-14, 21-16 से और एंगस ने इंडोनेशिया के टॉमी सुगियार्ताे को 54 मिनट में 10-21, 21-15, 21-19 से हराया। 

लघु बचत योजनाओं की ब्याज दर में कटौती

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नयी दिल्ली 31 मार्च, केंद्र सरकर ने वित्त वर्ष 2017-18 की पहली तिमाही के लिए लोक भविष्य निधि (पीपीएफ), किसान विकास पत्र और सुकन्या समृद्धि योजनाओं जैसी लघु बचत योजनाओं पर ब्याज दर में 10 आधार अंकों यानी 0.10 प्रतिशत की कटौती की है जो 01 अप्रैल से प्रभावी हो जायेगी। वित्त मंत्रालय ने आज जारी एक अधिसूचना के जरिये वित्त वर्ष 2017-18 की पहली तिमाही के लिए लघु बचत योजनाओं की ब्याज दरों में परिवर्तन किया है। डाकघर बचत खातों में यह कटौती लागू नहीं होगी। इस कटौती के बाद पीपीएफ में निवेश पर अब हर साल 7.9 प्रतिशत का ब्याज मिलेगा जबकि पहले आठ प्रतिशत मिलता था। इसी तरह पांच साल की मियाद वाली राष्ट्रीय बचत सर्टिफिकेट पर भी 7.9 प्रतिशत ब्याज मिलेगा। किसान विकास पत्र (केवीपी) में निवेश पर 7.6 प्रतिशत ब्याज मिलेगा और यह 112 महीने में परिपक्व होगा। सुकन्या समृद्धि योजना पर वार्षिक ब्याज दर अब 8.4 प्रतिशत हो जायेगी। वरिष्ठ नागरिक बचत जमा योजना पर भी ब्याज दर घटकर 8.4 प्रतिशत पर रह जायेगी। इसके अलावा आवर्ति जमा (आरडी) पर ब्याज दर 7.2 प्रतिशत होगी।

पाकिस्तान में विस्फोट,22 मरे

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पाराचिनार, 31 मार्च, पाकिस्तान में पूर्वोत्तर कबिलाई इलाके के शहर पाराचिनार में आज एक मस्जिद को निशाना बनाकर किये गये विस्फोट में 22 लोगों की मौत हो गयी जबकि कई अन्य घायल हो गये। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। एक राजनीतिक एजेंट इकरामुल्लाह खान ने बताया कि धमाके में मृतकों की संख्या 22 हो गयी है और 70 लोग घायल हुये हैं। इस हमले की जिम्मेदारी अबतक किसी संगठन ने नहीं ली है लेकिन हमला शिया मस्जिद के महिलाओं के प्रवेश द्वार के पास किया गया है जहां गत वर्ष सिलसिलेवार बम धमाके किये गये थे। पारचिनार के एक सांसद साजिद हुस्सैन ने कहा कि बंदूकधारी ने विस्फोट की घटना को अंजाम दिया है। उन्होंने कहा कि यह एक आत्मघाती हमला है। उन्होंने कहा कि यह एक व्यस्त क्षेत्र है और महिलाअों के मस्जिद को निशाना बनाया गया है।

गुजरात में गोहत्या के लिए उम्रकैद की सजा वाला कानून पारित

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गांधीनगर, 31 मार्च, गुजरात विधानसभा ने गाय की हत्या के लिए उम्रकैद का प्रावधान करने वाले राज्य सरकार के एक विधेयक को आज मंजूरी दे दी। संसदीय कार्य सह गृह राज्य मंत्री प्रदीपसिंह जाडेजा ने बताया कि गुजरात पशु संरक्षण संशोधन कानून 2017 के तहत गौवंशीय पशुओं की हत्या करने अथवा कराने के दोषियों के लिए उम्रकैद की सजा का प्रावधान किया गया है। इस अपराध के लिए न्यूनतम 10 साल की सजा होगी तथा एक लाख रूपये से लेकर पांच लाख रूपये तक का आर्थिक दंड होगा। गोमांस की तस्करी, रखने, खरीदने और बेचने के दोषियों के लिए सात से दस साल की सजा तथा पांच लाख से दस लाख रूपये तक दंड का प्रावधान किया गया है। गाेवंश के पशुओं की तस्करी पर रोक के लिए शाम सात बजे से सुबह पांच बजे तक इनके परिवहन पर रोक लगायी गयी है। गोमांस अथवा पशुओं की तस्करी में प्रयुक्त वाहनो को स्थायी तौर पर जब्त करने और संबंधित अपराधों को वर्ष 2011 के पुराने कानून में वर्णित जमानत योग्य अपराध की बजाय गैर जमानती अपराध बना दिया गया है। श्री जाडेजा ने गाय और गोवंश को भारत की संसकृति का प्रतीक बताते हुए इसके संरक्षण को जरूरी बताया। उन्होंने कहा कि साधु संतो और कई सामाजिक अग्रणियों ने गोहत्या पर रोक के लिए कडा कानून बनाने की मुख्यमंत्री विजय रूपाणी से मांग की थी। ज्ञातव्य है कि आज जब सदन में इस कानून को पारित किया गया तो दर्शक दीर्घा में बडी संख्या में साधु संत भी मौजूद थे।

20 हजार आबादी वाले इलाकों में शराब ठेके की दूरी में कमी

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नयी दिल्ली, 31 मार्च, उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गो के आसपास शराब के ठेकों पर रोक को लेकर अपने पहले के आदेश में संशोधन करते हुए 20 हजार से कम आबादी वाले इलाकों में यह दूरी 220 मीटर करने का आज आदेश दिया। मुख्य न्यायाधीश जगदीश सिंह केहर, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की पीठ ने विभिन्न पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कल फैसला सुरक्षित रख लिया था। पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि गत वर्ष 15 दिसम्बर के उसके आदेश में आज के संशोधन के अलावा शेष आदेश पूर्ववत होगा। न्यायालय के पूर्व के आदेश के तहत राजमार्गों के आसपास 500 मीटर के दायरे में शराब की दुकानों पर प्रतिबंध लगाया गया था। न्यायालय ने कल सुनवाई के दौरान कहा था कि जिन्दगी शराब से ज्यादा कीमती है। पीठ ने कहा कि शराब पीकर सड़कों पर होने वाली दुर्घटनाओं को ध्यान में रखकर यह फैसला दिया गया है। न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि उसके 15 दिसम्बर को दिये गये आदेश से पहले जो शराब के ठेके खुले हुए हैं उनकी वैधता इस वर्ष 30 सितम्बर तक मान्य रहेगी। इसके अलावा अन्य शराब की दुकानों को कल से बंद करना होगा । पीठ ने कहा कि आदेश में संशोधन करके दूरी कम करने संबंधी नया फैसला राजमार्गो के अलावा सिक्किम, हिमाचल प्रदेश और मेघालय जैसे पहाड़ी राज्यों में भी प्रभावी होगा । केरल, हिमाचल प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, पंजाब, तेलंगाना और हरियाणा सहित अन्य पक्षों की दलील थी कि शराब के ठेके के लिए राजमार्गों से 500 मीटर की दूरी का निर्धारण कुछ अधिक है और इसे कम किया जाना चाहिए। एटर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने भी इस दलील का समर्थन किया था और दूरी कम करने की बात की थी।

‘मुझे काम पर भेजो, वर्ना अगली बार नहीं आऊंगा’ : जस्टिस कर्णन

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नयी दिल्ली, 31 मार्च, अवमानना मामले का सामना कर रहे कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश सी एस कर्णन आज उच्चतम न्यायालय में व्यक्तिगत तौर पर पेश हुए और काम पर वापस भेजने की मांग की, जिसे शीर्ष अदालत ने ठुकरा दिया। संविधान पीठ ने न्यायमूर्ति कर्णन को चार सप्ताह के भीतर इस मामले में लिखित जवाब देने का निर्देश भी दिया। व्यक्तिगत तौर पर अब तक पेश नहीं होने के कारण जस्टिस कर्णन के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया गया था। वह मुख्य न्यायाधीश जे एस केहर की अध्यक्षता वाली सात-सदस्यीय संविधान पीठ के समक्ष पेश हुए और खुद को काम पर वापस भेजने की मांग की। न्यायमूर्ति कर्णन ने कहा, “मुझे काम पर वापस भेजा जाये, वर्ना मैं अगली बार अदालत के समक्ष पेश नहीं होऊंगा। मैं जेल जाने को तैयार हूं।” अदालत में उन्होंने अपना पक्ष स्वयं रखा, लेकिन उनके हावभाव और बहस के अंदाज को लेकर संविधान पीठ ने सवाल खड़े किये। न्यायमूर्ति केहर ने पूछा कि क्या वह मामले की गम्भीरता को समझने के लिए मानसिक तौर पर ठीक हैं। उन्होंने कहा, “यदि हां, तो आप चिकित्सा प्रमाण पत्र दिखाएं।” आरोपी न्यायाधीश ने किसी तरह के पश्चाताप से इन्कार करते हुए उन्हें काम पर वापस भेजने का अदालत से अनुरोध किया, लेकिन संविधान पीठ नहीं मानी। इस पर न्यायमूर्ति कर्णन ने कहा कि वह जेल भी जाने को तैयार हैं और वह अगली बार से पीठ के समक्ष पेश नहीं होंगे। संविधान पीठ ने 25 मार्च के एक पत्र का जिक्र करते हुए न्यायमूर्ति कर्णन से पूछा कि क्या वह माफीनामा देना चाहते हैं। पीठ ने कहा, “यदि आप माफीनामा देंगे तो यह मामला अलग दिशा में मुड़ जायेगा, माफी नहीं मांगने पर आपके खिलाफ मुकदमा चलेगा।” उनसे यह भी पूछा गया कि क्या वह मौखिक या लिखित में अपना पक्ष रखना चाहते हैं, इस पर उन्होंने कहा कि उनकी लड़ाई मद्रास उच्च न्यायालय में जारी भ्रष्टाचार के खिलाफ है, न कि किसी निजी व्यक्ति के विरुद्ध। न्यायमूर्ति कर्णन को कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के तौर कामकाज करने से रोका गया है। उन्होंने मुख्य न्यायाधीश से कहा, “यदि आप मुझे शऊर में लाना चाहते हैं तो काम पर वापस भेजिए।” आरोपी न्यायाधीश ने कहा कि वह यह साबित कर सकते हैं कि उनकी लड़ाई न्यायपालिका के खिलाफ नहीं, भ्रष्टाचार के खिलाफ है। उन्होंने कहा, “मैं भ्रष्टाचार के आरोप साबित कर सकता हूं। मैं यह भी साबित कर सकता हूं कि किस प्रकार न्यायपालिका में नियुक्तियां जाति के आधार पर होती है। मैं निर्दोष हूं और मैंने कोई गलत काम नहीं किया है।” न्यायालय ने इस मामले में चार सप्ताह के भीतर लिखित जवाब देने को कहा है।

सभी जैविक कृषि उत्पादों से निर्यात की सीमा हटी

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नयी दिल्ली, 31 मार्च, सरकार ने सभी जैविक कृषि उत्पादों के निर्यात पर लगी मात्रात्मक सीमा हटा दी है और अब इन उत्पादों तथा प्रसंस्कृत जैविक कृषि उत्पादों का निर्बाध निर्यात किया जा सकेगा। हालाँकि देश में दालों की कमी को देखते हुये इन पर से सीमा पूरी तरह हटाने की बजाय बढ़ा दी गयी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति की आज यहाँ हुई बैठक में ये फैसले लिये गये। साथ ही यह भी तय किया गया कि इन उत्पादों के अजैविक रूपों पर मौजूदा या भविष्य में लगायी जाने वाली सीमाओं/प्रतिबंधों के बावजूद जैविक उत्पाद के निर्यात पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा। जैविक दालों और मसूर के निर्यात की सीमा 10 हजार टन से बढ़ाकर 50 हजार टन प्रतिवर्ष की गयी है। सरकार का कहना है कि इन उत्पादों के निर्यात पर से सीमा हटा लेने और दालों के निर्यात की सीमा बढ़ाने से किसानों की आय दुगुनी करने के उसके लक्ष्य में मदद मिलेगी। इससे खेती की लागत में कमी आयेगी और किसानों को जैविक उत्पादों का बेहतर मूल्य मिल सकेगा। इससे जैविक खेती को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही भविष्य में भी जैविक कृषि उत्पादों के निर्यात को प्रतिबंधित नहीं करने के फैसले से निर्यातकों को लंबी अवधि के सौदे करने में अासानी होगी। इससे सरकार के विभिन्न कार्यक्रमों जैसे राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन, परंपरागत कृषि विकास योजना आदि को बढ़ावा मिलेगा। सरकार देश और विदेशों में जैविक कृषि उत्पादों की खपत की अपार संभावना का लाभ उठाने के लिए किसानों और निर्यातकों को मदद दे रही है।


मोदी के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच रिपोर्ट विधानसभा में पेश

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गांधीनगर, 31 मार्च, गुजरात सरकार ने तत्कालीन मुख्यमंत्री (अब प्रधानमंत्री) नरेन्द्र मोदी के कार्यकाल में भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के सेवानिृत्त जज ए बी शाह की अध्यक्षता में श्री मोदी के आदेश पर ही गठित आयोग की रिपोर्ट को आज आखिरकार विधानसभा के पटल पर रख दिया। इसे सदन में पेश करने की मांग को लेकर मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने जबरदस्त हंगामा किया था। आज भी इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस का प्रदर्शन जारी था। उपमुख्यमंत्री नीतिन पटेल ने 22 खंड और 5000 से अधिक पन्नों वाली इस रिपोर्ट को सदन में रखने के बाद कहा कि अब यह सार्वजनिक संपत्ति हो गयी है और कोई भी विधायक इसे सदन की लाइब्रेरी से लेकर पढ सकता है। सरकार ने पहले भी कहा था कि आयोग ने सभी आरोपों को नकारते हुए श्री मोदी और उनके सरकार को क्लिन चिट दे दी थी। ज्ञातव्य है कि कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष शंकरसिंह वाघेला, जो आज आलाकमान के बुलावे पर प्रदेश अध्यक्ष भरतसिंह सोलंकी के साथ दिल्ली जाने के कारण सदन में उपस्थित नहीं थे, ने बार-बार आरोप लगाया था कि सरकार अगर सदन में रिपोर्ट नहीं रखती तो इसका मतलब यह होगा कि वह श्री मोदी के भ्रष्टाचार को छुपाना चाहती है। उधर कांग्रेस के विधायक आज सदन में रिपोर्ट पेश करने की मांग तथा कल भाजपा अध्यक्ष सह विधायक अमित शाह की ओर से सदन में कांग्रेस पर लगाये गये आरोपों को लेकर माफी की मांग वाले बैनर पहन कर आये थे। उन्हें बाद में दिन भर के लिए सदन की कार्यवाही से निलंबित कर दिया गया। ज्ञातव्य है कि गत 20 फरवरी को शुरू हुए बजट सत्र का आज आखिरी दिन है। शाह आयोग ने विभिन्न औद्योगिक समूहों को जमीन के आवंटन में कथित अनियमितता एवं भ्रष्टाचार के आरोपो समेत ऐसे 12 आरोपों की जांच की थी। इसने अपनी रिपोर्ट कुछ वर्ष पहले ही राज्य सरकार को सौंप दिया था। सरकार ने पूर्व में भी दावा किया था कि आयोग ने सभी मुद्दों पर क्लिन चिट दे दी है। 

संस्कृतियों, भाषाओं का गढ़ रहा है भारत : प्रणव

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गुवाहाटी, 31 मार्च, राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने भारतीय समाज की विविधता और उसकी सहिष्णुतावादी प्रकृति का उल्लेख करते हुए कहा कि हमारा देश पुरातन काल से ही विभिन्न संस्कृतियों, भाषाओं और धर्मों का गढ़ रहा है। श्री मुखर्जी ने यहां ‘नमामि ब्रह्मपुत्र’ कार्यक्रम का शुभारंभ कर रहे थे। उन्होंने कहा, “ यदि कोई मुझे कहता है कि हम भारतीय लोग तार्किक हैं तो मैं यह स्वीकार करूंगा, लेकिन यदि कोई मुझसे कहे कि भारतीय असहिष्णु होते हैं ,तो इसमें मेरी असहमति होगी। ” उन्होंने कहा, “असम के महान विद्वान और समाज सुधारक शंकरदेव की शिक्षाओं समेत हमारी परंपरा हमें कभी असहिष्णु कार्यों की अनुमति नहीं देगी। ” श्री मुखर्जी ने कहा कि देश की 130 करोड़ जनसंख्या में सभी सात बड़े धर्मों का पालन करने वाले लोग रहते हैं । इसके अलावा देश में 200 भाषाएं बोलने वाले लोग रहते हैं तथा भारत विश्व में एकमात्र ऐसा देश है जहां एक झंडा और एक संविधान है। उन्होंने कहा, “लोगों में आपसी विश्वास और सामंजस्य हमारे देश की सबसे बड़ी ताकत है।” राष्ट्रपति ने वैश्विक मंच पर ब्रह्मपुत्र नदी से जुड़ी संस्कृति और सभ्यता का प्रचार करने के लिए असम सरकार के प्रयासों की प्रशंसा भी की। इस अवसर पर भूटान के प्रधानमंत्री तेशरिंग टोबगे, असम के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित, मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल के अलावा अन्य गणमान्य अतिथि भी मौजूद थे।

उच्चतम न्यायालय का रामजन्म भूमि मामले में जल्द सुनवाई से इन्कार

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नयी दिल्ली, 31 मार्च, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद और पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुब्रमण्यम स्वामी की रामजन्म भूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले में जल्दी सुनवाई से उच्चतम न्यायालय ने आज इन्कार कर दिया है। उच्चतम न्यायालय ने इस मामले में सुनवाई करते हुए श्री स्वामी की जल्दी सुनवाई की याचिका से इन्कार करते हुए उन्हें पक्षकार न मानने के साथ ही समय की कमी बताते हुए जल्द सुनवाई के अनुरोध से इन्कार कर दिया । न्यायालय में सुनवाई के दौरान इस मामले के पक्षकारों की दलील थी कि श्री स्वामी इस मुकदमें में पक्ष नहीं है, न्यायालय ने श्री स्वामी से कहा कि हमें अापने यह जानकारी नहीं दी कि आप मुख्य मुकदमे में पक्ष नहीं है। श्री स्वामी ने स्वयं स्वीकार किया कि वह इस मुकदमें में पार्टी नहीं है किन्तु इसे वह धार्मिक आस्था का मामला मानते हैं और इसलिए जल्द सुनवाई का अनुरोध किया है। श्री स्वामी ने कहा कि उनका इस विवाद में संपत्ति से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने याचिका केवल अपने पूजा करने के अधिकार की वजह से दायर की है। दोनों पक्षों की दलीले सुनने के बाद मुख्य न्यायाधीश जगदीश सिंह खेहर ने इस विवाद की जल्दी सुनवाई के अनुरोध को इन्कार कर दिया । गौरतलब है कि इसी माह उच्चतम न्यायालय ने इस विवाद का हल आपसी बातचीत के जरिये किये जाने का को कहा था। न्यायालय ने कहा था कि जरूरत पड़ने पर वह मध्यस्ता के लिये तैयार है। इससे पहले भी इस मामले के मुख्य याचिकाकर्ता स्वर्गीय मोहम्मद आसिम अंसारी के बेटे ने उच्चतम न्यायालय को पत्र लिखकर श्री स्वामी द्वारा मामले से जुड़े सभी पक्षों को इत्तला दिये बगैर तत्काल सुनवाई की मांग का विरोध किया था। गौरतलब है कि रामजन्म भूमि-बाबरी मस्जिद मामले के सबसे पुराने याचिकाकर्ताओं में एक अंसारी का पिछले साल जुलाई में निधन हो गया था। 95 वर्षीय श्री अंसारी वृद्धावस्था और हृदय संबंधी बीमारियों से पीड़ित थे। 

अश्विन आईपीएल से बाहर, विजय का खेलना संदिग्ध

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नयी दिल्ली, 31 मार्च, स्टार आफ स्पिनर रविचंद्रन अश्विन स्पोर्ट्स हर्निया के कारण पांच अप्रैल से शुरु हाे रहे इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) ट्वंटी-20 क्रिकेट टूर्नामेंट के 10वें संस्करण से बाहर हो गए हैं जबकि सलामी बल्लेबाज मुरली विजय का खेलना संदिग्ध माना जा रहा है।  आईपीएल में राइजिंग पुणे सुपरजाएंट्स के लिये खेलने वाले अश्विन स्पोर्ट्स हार्निया के कारण लीग के 10वें सत्र से बाहर हो गए हैं। वह छह से आठ सप्ताह तक मैदान से बाहर रहेंगे। लेकिनल उनके इंग्लैंड में एक जून में शुरू हो रही चैंपियंस ट्रॉफी तक फिट हो जाने की संभावना है। अश्विन अब जल्द ही अपना रिहैबलिटेशन शुरू करेंगे। 30 वर्षीय अश्विन ने न्यूजीलैंड, इंग्लैंड, बंगलादेश और आस्ट्रेलिया के खिलाफ हुये सीरीज में लगतार 13 टेस्ट मैच खेले हैं और इन 13 टेस्ट मैचों में उन्होंने 738.2 ओवर गेंदबाजी की जो एक सीजन में किसी भारतीय गेंदबाज द्वारा फेंके गए सबसे ज्यादा ओवर हैं। अश्विन के 2016-17 सत्र में 82 विकेट हो गए हैं। हाल ही में ऑस्ट्रेलिया के साथ समाप्त हुई टेस्ट सीरीज में उन्होंने 21 विकेट झटके थे। अश्विन के अलावा भारतीय टीम के सलामी बल्लेबाज और किंग्स इलेवन पंजाब के पूर्व कप्तान मुरली विजय का भी लीग के दसवें सत्र में खेलना संदिग्ध माना जा रहा है। विजय के कंधे में चोट है और उन्हें अब सर्जरी करानी होगी। पंजाब का टीम प्रबंधन भारतीय टीम के फिजियो पैट्रिक फरहार्ट की रिपोर्ट का इंजतार कर रहा है जिसके बाद ही विजय को लेकर कोई अंतिम फैसला किया जाएगा। इससे पहले सलामी बल्लेबाज लोकेश राहुल बार्डर-गावस्कर ट्राफी के दौरान कंधे में लगी चोट के चलते आईपीएल से बाहर हो गये हैं। समझा जाता है कि राहुल अपनी चोट की सर्जरी के लिये जल्द लंदन रवाना हो सकते हैं। आस्ट्रेलिया के खिलाफ हाल में समाप्त हुई चार टेस्टों की सीरीज में छह अर्धशतक बनाने वाले राहुल को इस दौरान कंधे में चोट लग गयी थी। ऐसे में उन्हें आईपीएल के 10वें संस्करण से पूरी तरह बाहर रहना होगा। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक अश्विन और विजय के अलावा तेज गेंदबाज उमेश यादव और दुनिया के नंबर दो ऑलराउंडर रवींद्र जडेजा भी आईपीएल के शुरुआती मैचों से बाहर रह सकते हैं। भारतीय कप्तान विराट कोहली के कंधे में भी चोट है और वह भी आईपीएल के शुरुआती मैचों से बाहर रहेंगे। जडेजा आस्ट्रेलिया के खिलाफ हुई टेस्ट सीरीज में मैन आफ द सीरीज रहे थे। जडेजा ने सीरीज में 25 विकेट लेने के अलावा 127 रन भी बनाये थे।



अश्विन के अलावा भारतीय टीम के सलामी बल्लेबाज और किंगस इलेवन पंजाब के पूर्व कप्तान मुरली विजय का भी लीग के दसवें सत्र में खेलना संदिग्ध माना जा रहा है। विजय को कंधे में चोट है और उन्हें अब सर्जरी कराना होगा। पंजाब के टीम प्रबंध भारतीय टीम के फिजियो पैट्रिक फरहात की रिपोर्ट का इंजतार कर रहे हैं इसके बाद ही कोई विजय को लेकर कोई अंतिम फैसला लिया जाएगा। इससे पहले सलामी बल्लेबाज लोकेश राहुल बार्डर-गावस्कर ट्राफी के दौरान कंधे में लगी चोट के चलते आईपीएल बाहर हो गये। समझा जाता है कि राहुल अपनी चोट की सर्जरी के लिये जल्द लंदन रवाना हो सकते हैं। आस्ट्रेलिया के खिलाफ हाल में समाप्त हुई चार टेस्टों की सीरीज में छह अर्धशतक बनाने वाले राहुल को इस दौरान कंधे में चोट लग गयी थी। ऐसे में उन्हें आईपीएल के 10वें संस्करण से पूरी तरह बाहर रहना होगा। खबरों के मुताबिक अश्विन और विजय के अलावा तेज गेंदबाज उमेश यादव और दुनिया के नंबर दो ऑलराउंडर रवींद्र जडेजा भी आईपीएल के शुरुआती मैचों से बाहर रह सकते हैं। जडेजा आस्ट्रेलिया के खिलाफ हुई टेस्ट सीरीज में मैन आफ द सीरीज रहे थे। जडेजा ने सीरीज में 25 विकेट लेने के अलावा 127 रन भी बनाये।

दोगुने वेतन के बाद भी खुश नहीं भारतीय खिलाड़ी

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नयी दिल्ली,31 मार्च, भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड(बीसीसीआई) ने हाल में अनुबंधित खिलाड़ियों के वेतन को बढ़ाकर दोगुना कर दिया है लेकिन इसके बावजूद कुछ भारतीय खिलाड़ियों ने वेतन को लेकर असंतोष जताया है। क्रिकइंफो की रिपोर्ट के अनुसार कुछ भारतीय खिलाड़ियों ने नये अनुबंध पर असंतोष जताते हुये कहा है कि इससे उनकी मांग पूरी नहीं होती है। रिपोर्ट के अनुसार पिछले कुछ महीनों से ही इस मामले को लेकर चर्चा चल रही है और खिलाड़ियों ने इसके समाधान के लिये कदम उठाने के लिये कहा था। वर्ष 2003 में केंद्रीय अनुबंध प्रक्रिया शुरू करने में अहम भूमिका निभाने वाले पूर्व क्रिकेटर और मौजूदा भारतीय कोच अनिल कुंबले ने इस बात पर काफी जोर दिया था कि सभी अनुबंधित खिलाड़ियों को राजस्व का बड़ा हिस्सा मिले न कि कुछ प्रतिशत। वहीं मामले की जानकारी रखने वाले एक अधिकारी ने बताया कि लगभग सभी खिलाड़ियों ने इस विषय पर चर्चा में हिस्सा भी लिया था। इस महीने की शुरूआत में कुंबले ने खिलाड़ियों और सपोर्ट स्टाफ को भुगतान को लेकर उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त प्रशासकों की समिति के सामने एक प्रस्ताव पेश किया था। इसके बाद हाल में सीओए ने खिलाड़ियों के वेतन को बढ़ाकर दोगुना कर दिया था। हालांकि खिलाड़ी अभी भी इसे लेकर संतुष्ट नहीं हैं। लेकिन फिलहाल आने वाले दिनों में खिलाड़ियों की सीओए के साथ कोई बैठक की सूचना नहीं है। 



इस बीच सीओए अधिकारी ने कहा कि कुंबले के प्रस्ताव के अनुसार सबकुछ नये सिरे से करना होगा जो फिलहाल इतनी जल्दी संभव नहीं है। लेकिन उन्होंने कहा कि वह आने वाले समय में इस मामले पर विचार कर सकते हैं। कुंबले के प्रस्ताव के कुछ दिनों बाद गत सप्ताह सीओए ने 32 खिलाड़ियों को नया अनुबंध जारी किया है जिसमें ग्रेड ए में शामिल खिलाड़ियों को अब दो करोड़ रूपये प्रति वर्ष मिलेंगे। यह राशि पहले एक करोड़ रूपये थी। वहीं ग्रेड बी में शामिल खिलाड़ियों को अब पहले के 50 लाख रूपये के बजाय एक करोड़ तथा ग्रेड सी के खिलाड़ियों को 25 लाख के बजाय 50 लाख रूपये प्रति वर्ष मिलेंगे। इसके अलावा मैच फीस को टेस्ट में सात लाख रूपये से बढ़ाकर 15 लाख रूपये, वनडे में चार लाख से बढ़ाकर छह लाख रूपये और ट्वंटी 20 में दो से बढ़ाकर इसे तीन लाख रूपये कर दिया गया है। वर्ष 2010 के बाद यह बदलाव किया गया है। इसके अलावा सीओए ने कोचों की फीस में 50 फीसदी का इजाफा किया है जिन्हें अब दो महीने के आईपीएल विंडो को छोड़कर प्रति माह 15 लाख रूपये मिलेंगे। हालांकि खिलाड़ियों का मानना है कि बीसीसीआई को जो सालाना आय होती है उसमें खिलाड़ियों की हिस्सेदारी काफी कम है। एक अंदाजे के अनुसार वर्ष 2015-16 में बोर्ड को 1365.35 करोड़ की कमाई हुई थी जिसमें खिलाड़ियों को 53.35 करोड़ का ही भुगतान किया गया था। बोर्ड अपने राजस्व का कुल 26 फीसदी भुगतान करता है जिसमें अंतरराष्ट्रीय, घरेलू और जूनियर सभी वर्ग के खिलाड़ी शामिल हैं। वहीं भारतीय खिलाड़ियों ने यह भी असंतोष जताया है कि उन्हें इंग्लैंड और आस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों से कम भुगतान किया जा रहा है जबकि भारतीय बोर्ड दुनिया का सबसे धनी क्रिकेट बोर्ड है और आईसीसी में भी वह राजस्व में सबसे अधिक योगदान देता है। इसके अलावा घरेलू क्रिकेटरों ने भी कम भुगतान को लेकर असंतोष व्यक्त किया है। 

शहरयार ने दिया पीसीबी अध्यक्ष पद से इस्तीफा

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लाहौर,31 मार्च, पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड(पीसीबी) के पूर्व अध्यक्ष शहरयार खान ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है लेकिन वह जून में आईसीसी की सालाना बैठक के बाद अपना पद छोड़ेंगे। 83 वर्षीय शहरयार ने यहां बोर्ड सदस्यों के साथ बैठक में अपना इस्तीफा पत्र सौंप दिया है। उन्होंने इसके तुरंत बाद पत्रकारों से बातचीत में बताया कि निजी और स्वास्थ्य कारणों से ही वह यह फैसला ले रहे हैं। हालांकि बताया जा रहा है कि शहरयार पर पूर्व अध्यक्ष नज़म सेठी के लिये पद खाली करने का दबाव भी था। वर्ष 2014 में शहरयार को सर्वसम्मति से पीसीबी का प्रमुख चुना गया था और उनका कार्यकाल इस वर्ष अगस्त में समाप्त होगा। हालांकि उससे पहले ही शहरयार ने पद से इस्तीफा दे दिया है। लेकिन वह तुरंत प्रभाव से फिलहाल पद नहीं छोडेंगे जिसकी वजह जून में आईसीसी की सालाना बैठक है जिसमें नये संविधान को लेकर अहम फैसले होने हैं और शहरयार की इसमें अहम भूमिका रह सकती है। शहरयार ने अपने निर्णय को लेकर कहा“ मैंने बोर्ड से इस बारे में बात की और अपना निर्णय उन्हें सुना दिया है कि मैं अगस्त में अपने कार्यकाल समाप्त होने तक पद पर नहीं रहूंगा। मैं स्वास्थ्य और निजी कारणों से अब आगे बोर्ड के साथ कामकाज जारी नहीं रखूंगा। मैंने प्रधानमंत्री नवाज शरीफ जो बोर्ड के मेंटर हैं उन्हें भी इस बारे में बता दिया है ताकि नये अध्यक्ष को लाने के लिये प्रक्रिया शुरू की जा सके।” पाकिस्तान सुपर लीग के प्रमुख सेठी को पीसीबी का अगला अध्यक्ष माना जा रहा है जो पहले भी कई बार बोर्ड का कार्यभार संभाल चुके हैं। 

बिहार भाजपा के विधान पार्षद लाल बाबू प्रसाद पार्टी के सभी पदों से निलंबित

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पटना 31 मार्च, बिहार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उपाध्यक्ष और विधान परिषद के सदस्य लाल बाबू प्रसाद को आज पार्टी के सभी पदों से निलंबित कर दिया गया है । भाजपा विधान मंडल दल के नेता एवं पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने यहां पत्रकारों से बातचीत में कहा कि लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) की विधान पार्षद नूतन सिंह के साथ कथित दुर्व्यवहार करने का मामला प्रकाश में आने के बाद श्री प्रसाद को तत्काल प्रभाव से पार्टी के सभी पदों से निलंबित कर दिया गया है । श्री मोदी ने कहा कि पार्टी की नयी कार्यसमिति में भी उन्हें जगह नहीं दी गयी है । उन्होंने कहा कि श्री प्रसाद को कारण बताओ नोटिस भी पार्टी की ओर से दिया गया है । उल्लेखनीय है कि दो दिन पूर्व विधान परिषद परिसर में भाजपा के विधान पार्षद लाल बाबू प्रसाद और विधानसभा के सदस्य नीरज कुमार बबलू के बीच कथित तौर पर हाथापायी हुयी थी । श्री बबलू की पत्नी लोजपा से विधान परिषद की सदस्य हैं और कथित तौर पर उनके साथ दुर्व्यवहार हुआ था । 


झाविमो ने की लिट्टीपाड़ा उपचुनाव की तारीख बदलने की मांग

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रांची 31 मार्च, झारखंड में लिट्टीपाड़ा विधानसभा उपचुनाव की तारीख बदलने की मांग को लेकर झारखंड विकास मोर्चा (झाविमो-प्रजातांत्रिक) के प्रतिनिधिमंडल ने आज यहां राज्य के मुख्य चुनाव पदाधिकारी से मुलाकात की। प्रतिनिधिमंडल ने इस उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) एवं झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) द्वारा चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन करते हुए पैसा और पद का दुरुपयोग करने और 09 अप्रैल को ईसाइयों के प्रमुख त्योहार ईस्टर होने के कारण उपचुनाव की तिथि परिवर्तित करने को लेकर राज्य के मुख्य चुनाव पदाधिकारी से मुलाकात की और मांगों से संबंधित एक पत्र सौंपा। प्रतिनिधिमंडल में झाविमो के केन्द्रीय महासचिव बंधु तिर्की, केन्द्रीय उपाध्यक्ष रामचंद्र केसरी, केन्द्रीय सचिव सरोज सिंह, महिला मोर्चा की केन्द्रीय अध्यक्ष शोभा यादव के साथ ही तौहीद आलम और सूरज शाहदेव आदि मौजूद थे। 

अब बिजली बिल में होगा सब्सिडी का उल्लेख : नीतीश

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पटना 31 मार्च, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 01 अप्रैल से शुरू हो रहे वित्तीय वर्ष में प्रभावी बिजली दरों के लिए बिल के नये प्रारूप लाये जाने की घोषणा करते हुये आज कहा कि इसमें विभिन्न श्रेणी के उपभोक्ताओं के लिए सरकार की ओर से प्रति यूनिट दी जा रही सब्सिडी का उल्लेख रहेगा ताकि लोगों को यह पता चल सके कि बिजली क्षेत्र में कितनी सब्सिडी दी जा रही है। श्री कुमार ने यहां विधानसभा में बिल के नये प्रारूप लाये जाने की घोषणा करते हुये कहा कि राज्य सरकार उपभोक्ताओं को राहत देने के उद्देश्य से उनकी बिजली खपत पर बड़ी मात्रा में सब्सिडी देती रही है लेकिन उन्हें इस तथ्य का पता ही नही चल पाता है। उन्होंने कहा कि सरकार ने वित्त वर्ष 2016-17 में विभिन्न श्रेणी के उपभोक्ताओं को बिजली बिल पर कुल 2704 करोड़ रुपये सब्सिडी दी है। मुख्यमंत्री ने कहा, “बिजली पर सरकार की ओर से दी जा रही सब्सिडी के बारे में उपभोक्ताओं को बताने के लिए नीतिगत निर्णय लिया गया है।” उन्होंने कहा कि अब ग्राहकों को प्राप्त होने वाले बिजली बिल में प्रति यूनिट दी जाने वाली सब्सिडी का उल्लेख किया जाएगा ताकि उपभोक्ताओं को स्पष्ट रूप से पता चल सके कि सरकार से उनके बिजली उपभोग पर कितनी सब्सिडी मिल रही है। यह व्यवस्था 01 अप्रैल से लागू होगी।


श्री कुमार ने कहा कि सरकार ने राज्य में बिजली की निर्बाध आपूर्ति एवं बेहतर व्यवस्था के लिए 01 नवंबर 2012 को बिहार राज्य विद्युत बोर्ड (बीएसईबी) को पुनगर्ठित कर पांच कंपनियों बिहार स्टेट पावर (होल्डिंग) कंपनी, नॉर्थ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी, साउथ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी, बिहार स्टेट पावर जेनरेशन कंपनी एवं बिहार स्टेट पावर ट्रांसमिशन कंपनी का सृजन किया था। मुख्यमंत्री ने कहा कि विभिन्न श्रेणी के उपभोक्ताओं का बिजली दर निर्धारित करने के उद्देश्य से वर्ष 2006 में बिहार विद्युत विनियामक आयोग का गठन किया था। उन्होंने कहा कि इसके बाद से आयोग द्वारा ही प्रत्येक वर्ष विद्युत बिक्री दर निर्धारित की जाती है। श्री कुमार ने कहा कि विद्युत वितरण कंपनियों की ओर से अनुमानित वार्षिक व्यय के आधार पर आयोग के समक्ष याचिका दायर की जाती है, जिसमें वितरण कंपनियों को प्राप्त अनुदान की राशि को घटाने के बाद शेष राशि की जांच करने के बाद दर निर्धारित की जाती है। उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया में गहन समीक्षा के बाद यह पाया गया कि उपभोक्ताओं को बिजली आपूर्ति पर वास्तविक लागत और सरकार की ओर से दी जा रही सब्सिडी की जानकारी नहीं हो पाती है। इसके मद्देनजर एक सोची-समझी रणनीति के तहत वर्ष 2017-18 में विद्युत दर याचिका को शून्य सब्सिडी पर दायर किया गया। इससे सरकार को विभिन्न श्रेणी के प्रत्येक उपभोक्ता के लिए सब्सिडी तय करने में आसानी होने के साथ ही प्रक्रिया में पारदर्शिता बनी रहेगी। 


मुख्यमंत्री ने कहा कि यह पहले ही स्पष्ट किया जा चुका है कि नये वित्तीय वर्ष की शुरुआत से पहले सरकार के सब्सिडी की घोषणा करने से उपभोक्ताओं को आयोग द्वारा निर्धारित बिजली दर से कम का भुगतान करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि ग्राहकों को प्राप्त हाेने वाले बिजली बिल में अब सरकार की ओर से दी जाने वाली सब्सिडी का स्पष्ट उल्लेख रहेगा। इससे विद्युत वितरक कंपनियों को समेकित तकनीकी एवं वाणिज्यिक (एटीएंडसी) क्षति में कमी लाने में मदद मिलेगी। श्री कुमार ने कहा कि आयोग ने वित्तीय वर्ष 2017-18 के लिए कुटीर ज्योति स्कीम के तहत प्रति यूनिट बिजली दर 6.08 रुपये निर्धारित की है जबकि इस पर सरकार 3.58 रुपये सब्सिडी देगी, जिससे उपभोक्ताओं को एक यूनिट के लिए केवल 2.50 रुपये का भुगतान करना होगा। इस स्कीम के तहत पश्चिम बंगाल के उपभोक्ताओं को प्रति यूनिट 3.44 रुपये और उत्तर प्रदेश के उपभोक्ताओं को 3.17 रुपये बिल देना होता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्रामीण उपभोक्ताओं की दो श्रेणी घरेलू और गैर घरेलू निर्धारित है। घरेलू श्रेणी के ग्राहकों के लिए बिजली दर 6.45 रुपये प्रति यूनिट तय की गई है जबकि इस पर 3.10 रुपये की सब्सिडी दी जाएगी। इसी तरह गैर घरेलू श्रेणी के उपभोक्ताओं के लिए निर्धारित 6.83 रुपये प्रति यूनिट दर की तुलना में सरकार 2.50 रुपये प्रति यूनिट सब्सिडी देगी। श्री कुमार ने कहा कि शहरी क्षेत्र में घरेलू श्रेणी उपभोक्ताओं के लिए निर्धारित 6.48 रुपये प्रति यूनिट दर पर 1.48 रुपये प्रति यूनिट सब्सिडी जबकि गैर घरेलू श्रेणी के ग्राहकों के लिए 8.02 रुपये प्रति यूनिट दर पर 40 पैसे प्रति यूनिट सब्सिडी दी जाएगी। उन्होंने कहा कि वित्तीय वर्ष 2017-18 में सरकार द्वारा उपभोक्ताओं को 2952 करोड़ रुपये सब्सिडी देगी जो 31 मार्च को समाप्त हुये वित्त वर्ष 2016-17 के 2704 करोड़ रुपये की तुलना में 248 करोड़ रुपये अधिक है। उन्होंने कहा कि पड़ोसी राज्यों पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश में निर्धारित बिजली दर के मुकाबले बिहार में यह दर काफी कम है। 

तीन अप्रैल से पलामू में शुरू होगी आदिम जनजाति डाकिया योजना

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डालटनगंज, 31 मार्च, झारखंड के नक्सल प्रभावित पलामू जिले में आगामी तीन अप्रैल से आदिम जनजाति डाकिया योजना की शुरूआत होगी। जिले के उपायुक्त अमित कुमार ने आज यहां बताया कि जिले में चार हजार आदिम जनजाति परिवार अंत्योदय योजना से जुड़े हुए हैं। इन परिवारों को तीन अप्रैल से घर पर ही पैकेट बंद अनाज मिलेगा। अनाज का पैकेट चैनपुर में महिला सखी मंडल द्वारा तैयार किया जा रहा है। उपायुक्त ने बताया कि तीन अप्रैल को तीन-चार प्रखंडों से इसकी शुरूआत होगी और इसी दिन प्रखंडों का रूट चार्ट और तारीख तय की जायेगी। यह तय किया जायेगा कि किस तिथि को किस प्रखंड में पैकेट बंद अनाज का वितरण होगा। ऐसा इसलिए किया जा रहा है, ताकि तय तिथि को लोग अपने घर पर रहे। 

बिहार विधानमंडल की कार्यवाही अनिश्चित काल के लिए स्थगित

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पटना 31 मार्च, बिहार विधानमंडल के दोनों सदनों की कार्यवाही आज अनिश्चित काल के लिए स्थगित हो गई। विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी ने समापन भाषण में निर्धारित कार्यों को पूरा करने में सदस्यों के सहयोग की सराहना करते हुये कहा कि बजट सत्र में कुल 23 बैठकें हुई और इस दौरान कई महत्वपूर्ण विधेयक पारित किये गये। उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2017-18 के लिए बजट पारित होने के साथ ही सदन ने बिहार राज्य विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक 2017, पटना विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक 2017 और कई महत्वपूर्ण विधेयकों को स्वीकृति दी। बाद में सभाध्यक्ष ने सभा की कार्यवाही अनिश्चित काल के लिए स्थगित करने की घोषणा की । बिहार विधान परिषद् में भी सभापति अवधेश नारायण सिंह ने कार्य संचालन को सफलतापूर्वक सम्पन्न कराने में सदस्यों के सहयोग की प्रशंसा करते हुये कहा कि बजट सत्र के दौरान विधानसभा से पारित कई महत्वपूर्ण विधेयकों को परिषद् ने स्वीकृति प्रदान की। सभापति ने इसके बाद सदन को अनिश्चित काल के लिए स्थगित करने की घोषणा की। 

बिजली दर में बढ़ोतरी से लोगों पर 1748 करोड़ का बोझ : भाजपा

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पटना 31 मार्च, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने बिहार में विद्युत दर में हुई बढ़ोतरी से उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए सरकार की ओर से आज की गई घोषणा पर कहा कि बिजली कम्पनियों की अकर्मण्यता के कारण सरकारी अनुदान देने के बावजूद राज्यवासियों को पहले के मुकाबले 1748 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ वहन करना पड़ेगा। भाजपा विधानमंडल दल के नेता और पूर्व वित्त मंत्री सुशील कुमार मोदी ने यहां कहा कि विद्युत दर में की गई बढ़ोतरी से उपभोक्ताओं को राहत देने की सरकार की घोषणा ‘खोदा पहाड़ निकली चुहिया’ जैसी है। उन्होंने कहा कि बिजली कम्पनियों की अकर्मण्यता का नतीजा है कि सरकार के अनुदान देने के बावजूद राज्य की जनता को 1748 करोड़ रुपये का बोझ वहन करना पड़ेगा। पिछले वर्ष की न्यूनतम दर और वर्तमान घोषित दर में 36 से 80 प्रतिशत तक की वृद्धि की गई है। पिछले 15 वर्षों में एक साथ की गई यह सर्वाधिक वृद्धि है जिसका विरोध भाजपा अपने सहयोगी दलों के साथ पूरे प्रदेश में करेगी। श्री मोदी ने कहा कि विभिन्न श्रेणियों के उपभोक्ताओं के बिजली शुल्क में न्यूनतम 36 से लेकर 80 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी का बोझ कुटीर ज्योति योजना अन्तर्गत गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) जीवन-यापन कर रहे उपभोक्ताओं पर भी पड़ेगा जो पहले 1.70 रुपये की दर से प्रति यूनिट बिजली का भुगतान करते थे अब उन्हें 80 पैसे प्रति यूनिट की बढ़ोत्तरी के साथ 2.50 रुपये देना होगा। 


पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि घरेलू-1 (ग्रामीण) की बिजली दर में 1.25 रुपये की वृद्धि कर 2.10 रुपये से बढ़ाकर 3.35 रुपये प्रति यूनिट कर दिया गया है। इसी प्रकार घरेलू-2 (शहरी) विद्युत दर में दो रुपये की बढ़ोतरी के साथ तीन रुपये से बढ़ाकर पांच रुपये प्रति यूनिट, गैर घरेलू-1 (ग्रामीण) में 1.93 रुपये की वृद्धि कर 2.40 रुपये को 4.33 रुपये तथा गैर घरेलू-2 (शहरी) में सर्वाधिक 2.47 रुपये की बढ़ोतरी कर 5.15 रुपये से 7.62 रुपये प्रति यूनिट कर दिया गया है। भाजपा नेता ने कहा कि बिहार विद्युत विनियामक आयोग ने कहा था कि बिजली की गैर अनुदानित नई दर लागू करने के बाद बिहार की जनता पर 4700 करोड़ का बोझ बढ़ेगा। सरकार ने बिजली कम्पनियों को अनुदान के तौर पर मात्र 2952 करोड़ रुपये ही दिये हैं यानी शेष 1748 करोड़ रुपये का भार आम जनता को ही वहन करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि यदि सरकार बिजली दर को पड़ोसी राज्यों के समतुल्य करना चाहती थी तो उसे एकमुश्त नहीं किस्तों में करना चाहिए था। बिहार में औद्योगिक बिजली (हाईटेंशन) की नई दर भी उत्तर प्रदेश की तुलना में काफी ज्यादा है। श्री मोदी ने कहा कि जनता पर डाले गए इस अप्रत्याशित बोझ को भाजपा किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेगी और अपने सहयोगी दलों के साथ सरकार की इस जनविरोधी एवं गरीब विरोधी कार्रवाई का राज्यव्यापी विरोध करेगी। 

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