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व्यंग्य : सफ़र के हमसफ़र

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जोड़ी का हर जगह महत्व है फिर वो चाहे मोज़े की जोड़ी हो, जूते की जोड़ी हो, संगीतकार की जोड़ी हो, क्रिकेट में ओपनिंग बैट्समैन की जोड़ी हो या फिर कोई और जोड़ी। कुछ कांड केवल जोड़ियों में ही संभव है। कुछ जोड़िया बेजोड़ होती है, तो कुछ जोड़िया जोड़तोड़ या गठजोड़ के गर्भ से उपजी होती है जैसे राजनैतिक जोड़िया। बाकि सब तरह की जोड़ियां तो समय-समय पर फुटेज और दिमाग  खाती रहती है पर कुछ जोड़िया ऐसी भी  होती है जिनके लाइमलाइट में आने से पहले ही उनकी किस्मत का बल्ब फ्यूज हो जाता है और उनका "टाइम-स्लॉट"यूज़ होने से रह जाता है। एक ऐसी ही जोड़ी है ,किसी भी बस के ड्राईवर और कंडक्टर की। हर बस में इस जोड़ी का मेल अवश्यम्भावी होता है इसलिए इनका तालमेल भी बहुत ज़रूरी होता है। ड्राईवर और कंडक्टर के बिना बस "बेबस"होती है। एक बस के लिए किसी ड्राईवर और कंडक्टर का वही महत्व होता है जो सरकार के लिए प्रधानमंत्री और गृहमंत्री का होता है। वैसे बस हो या सरकार, भगवान भरोसे ज़्यादा स्मूथ और अच्छे एवरेज से चलती है। बस चाहे निजी हो या सरकारी लेकिन वो चलती हमेशा से ड्राईवर और कंडक्टर के "निजी तौर-तरीको"से ही है। ड्राईवर हॉर्न बजाता है , कंडक्टर सीटी बजाता है बस केवल यात्री ही इनकी हरकतों पर ताली नहीं बजाते है। कहते है, जोड़िया ऊपर से बनकर आती है लेकिन ये जोड़ी ऐसी है जो अगर अपना काम सही से ना करे तो आपको ऊपर  भी पहुँचा सकती है।


जैसे कुछ लोगो की त्वचा से उसकी उम्र का पता ही नहीं चलता वैसे ही बस में घुसने के बाद "आपकी यात्रा मंगलमय हो"जैसे सुवाक्य पढ़ने के बाद ड्राईवर और कंडक्टर के स्वभाव का पता ही नहीं चलता। बस मे चढ़ने के बाद यात्री अपने सामान की नहीं बल्कि सम्मान की भी स्वयं ज़िम्मेदार होती है। अपने हाथ में स्टेरिंग और गियर लिए ड्राईवर, यात्रियों के भाग्य और अपने ड्राइविंग कौशल से सभी यात्रियों को उनके गंतव्य तक पहुँचाता है। ड्राईवर बस को अपनी हथेलियो पर रखता और उतने समय तक यात्री भी अपनी जान वहीं पर मतलब हथेली पर  रखते है।  जैसे जंगल का राजा शेर को माना जाता है वैसे ही सड़क का राजा बस का ड्राईवर होता है जो पूरी सड़क पर "वैध-अतिक्रमण"करते हुए बीच में चलता है और उसके इर्द-गिर्द बाकि वाहन उसकीे शरणागति लेते हुए चलते है। जिस प्रकार शेर के दहाड़ने से दूसरे सारे जानवर डर और घबराकर इधर-उधर भाग जाते है उसी प्रकार बस डाइवर के भयंकर "हॉर्न-नाद"से दूसरे वाहन चालक घबराकर बस को साइड दे देते है। बस ड्राईवर ब्रेक भी ऐसे लगाता है जैसे किसीे इमरजेंसी घटना के बाद आनन-फानन में प्रधानमंत्री ने मंत्रिमंडल की बैठक बुलाई हो। 

किसी बस-स्टाप पर यात्रियों के उतरने पर ड्राईवर, यात्रियो को देखकर ऐसा "फेशियल एक्सप्रेशन"देता है मानो वो बस चलाकर यात्रियों को अपने गंतव्य स्थान तक नहीं लाया हो बल्कि विदेश मंत्रालय के आदेश पर दूसरे देश से जान बचा उनको एयरलिफ्ट करवाकर लाया हो। बस ड्राईवर ट्रैफिक रूल्स का  केवल पालन ही नहीं करते है बल्कि "लालन-पालन"दोनों करते  है। ड्राईवर की सीट के ऊपर लिखा रहता है "ड्राईवर से बातचीत ना करे"ताकि ड्राईवर बिना व्यवधान के गाडी चलाते समय मोबाइल पर बात कर सके। माता-पिता और गुरुओ के बाद मुझे बस कंडक्टर ही सबसे प्रेरणास्पद व्यक्तित्व लगता है क्योंकि वो भी तमाम कठिनाईयो के बावजूद आपको हमेशा "आगे बढ़ने"की प्रेरणा देता है। मुझे हमेशा से ही कंडक्टर नाम का व्यक्तित्व असामान्य और अद्भुत लगता रहा है क्योंकि जब  रजनीकांत जैसा "महामानव असल ज़िंदगी में "कंडक्टर"की भूमिका निभा चुका हो तो कंडक्टर एक सामान्य व्यक्ति भला कैसे हो सकता है! मेरी राय में कंडक्टर किसी पार्टी हाई-कमान से कम हैसियत नहीं रखता है क्योंकि पार्टी हाई-कमान के बाद कंडक्टर ही एक ऐसा ऐसा व्यक्ति है जो "टिकट"देने में सबसे ज़्यादा आनाकानी करता है। विज्ञान के लिए टच-स्क्रीन पद्धति भले ही नई हो लेकिन कंडक्टर तो सदियो से "टच-पद्धति"का उपयोग कर खचाखच भरी बस में भी किसी भी कोने सेे किसी भी कोने तक पहुँचते रहे है। कंडक्टर के पास समय और "छुट्टे"की हमेशा किल्लत रहती है।


कंडक्टर दुनिया में पहला ऐसा इंसान है जिसे देखकर मुझे पता  लगा की कान का उपयोग एक "पेन-स्टैंड"की तरह भी किया जा सकता है।  खचाखच भरी बस में कंडक्टर के कर्कश स्वर और उसके बार बार सीटी बजाने का फायदा ये होता है आदमी जितनी देर बस में होता है उतनी देर आजकल के फ़िल्मी म्यूजिक को मिस नहीं करता है । चाहे कोई कितनी भी बुराई कर ले लेकिन मुझे तो ड्राईवर और कंडक्टर दोनों अभिभावको की तरह "केयरिंग"लगते है क्योंकि लंबे सफ़र के दौरान वही तय करते है कि आप को  कहाँ टॉयलेट के लिए जाना, कौनसी होटल में खाना है और वापस कितनी देर में आकर बस में बैठना है। दुनिया की हर जोड़ी की तरह ड्राईवर और कंडक्टर की जोड़ी भी बहुत खूबसूरत है बेशर्त इसे HD नज़रिए से देखा जाए।  बस के सफ़र में ड्राईवर और कंडक्टर को अपना हमसफ़र बनाएंगे तो कभी "सफ़र" (Suffer) नहीं करेंगे और अगर नहीं बनाएँगे तो टिकट के साथ साथ सफ़र भी जैसे तैसे कट ही जाएगा।




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--अमित शर्मा--

विशेष आलेख : 100 जूते और 100 कच्चे प्याज़।

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एक कहानी कहीं पढ़ी थी जिस में एक बादशाह अपने वज़ीर को उसकी किसी बहुत ही गंभीर गलती पर सज़ा सुनाता है। बादशाह कहता है कि या तो तुम 100 कच्चे प्याज़ एक ही बैठक में खा लो या फिर भरे दरबार मे 100 जूते खा लो। वज़ीर सोचता है कि भरे दरबार मे सब के सामने 100 जूते खाने से बड़ी बेइज़्ज़ती होगी, इस बेहतर है कि 100 कच्चे प्याज़ ही खा लिया जाए। जब वज़ीर को प्याज़ खाने के लिए दिया गया तो कुछ कच्चे प्याज़ खाने के बाद ही उसकी हालत खराब होने लगती है। आंख और नाक से पानी बहने लगते हैं। 


अब वज़ीर कहता है कि मुझ से अब और प्याज़ नहीं खाया जाएगा। आप मुझे 100 जूते ही लगा लो। जब वज़ीर को दो चार जूते पड़ते हैं तो उसके होश ठिकाने लग जाते हैं। अब वज़ीर कहता है कि मुझे जूते मत मारो, मैं प्याज़ खाऊंगा। ऐसा करते करते वह जूते भी खाता जाता है और  प्याज़ भी खाता जाता है। आखिर में जब 100 प्याज़ की संख्या पूरी होती है तब तक वह 100 जूते भी खा चुका होता है। 

यहां तक तो यह एक चुटकुला था मगर वास्तविकता यह है कि हम बहुत ही निम्नस्तर की एक मूर्ख कौम हैं। हमने अपने व्यक्तिगत फायदे के लिए हर उस व्यक्ति के हाथों में अपना नेतृत्व सौंप दिया जो हमें अपने शासनकाल में 100 प्याज़ भी खिलाये और साथ में 100 जूते भी लगाए। दरअसल हम नेतृत्व के महत्व को ही नहीं समझते। जस्टिस काटजू ने भारत के 90% लोगों को मूर्ख कहा था। काटजू बिल्कुल सही थे। 

हमें इस बात की थोड़ी सी भी परवाह नहीं है कि जंतर मंतर पर प्रदर्शन कर रहे किसान सरकार से अपनी मांग मनवाने के लिए अपना ही मूत्र पी रहे हैं, हम तो बस योगी जी द्वारा किसानों के 1 लाख से कम के ऋण माफ किये जाने से खुश हैं। हम "एक के बदले दस सर"लाने का वादा करके सत्ता में आने वालों से यह नहीं पूछते की कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान क्यों फांसी पर चढ़ा रहा है। हम तो मोदी जी के सियाचिन में दीवाली मनाने से ही प्रफुल्लित हैं।हमें इस बात की ज़रा भी परवाह नहीं है कि चीन भारत अरुणाचल प्रदेश छः से अधिक ज़िलों का नाम बदल क्यों बदल रहा है। हम तो यह सोचकर ही मंद मंद मुस्काते हैं कि मोदी ही दुनिया का एकमात्र ऐसा व्यक्ति है जो पाकिस्तान को करारा जवाब दे सकता है। हमें ज़रा भी फिक्र नहीं कि अमेरिका में जातीय हिंसा में अबतक 8 से अधिक भारतीय मार डाले गए। हम तो मोहसिन, इखलाक, मिन्हाज, पहलू खान इत्यादि के मारे जाने को मुल्लों का विकेट गिरने से जोड़कर देखते हैं। हमें वन रैंक वन पेंशन के लिए जंतर मंतर पर महीनों तक संघर्ष करते सैनिक नहीं दिखाई दिए लेकिन हम तथाकथित सर्जिकल स्ट्राइक पर हवा में अपनी टोपियां उछालने लगते हैं। हमें इस बात की तनिक भी चिंता नहीं है कि हमारे समाज की 10000 से अधिक विधवा औरतें मथुरा और वृन्दावन में भीख मांग कर जीवनयापन कर रही हैं। हम तो तीन तलाक जैसे वाहियात मुद्दे पर हो रही बहस से ही खुश हो जाते हैं। हम ज़रा भी नहीं सोचते कि मोदी जी ने जो प्रतिवर्ष 2 करोड़ युवाओं को रोजगार देने का वादा किया था उसका क्या हुआ लेकिन हम गौरक्षक और हिन्दू युवा वाहिनी जैसी संस्था द्वारा फैलाये गए धार्मिक उन्माद को देखकर ही अंदर अंदर खुश होते रहते हैं। हमें इस बात से कोई मतलब नहीं कि भारत में किसानों की आत्महत्या रुकी या नही, बस हम तो इस बात से खुश हैं कि मोदी जी ने लालबत्ती कल्चर खत्म कर दिया है। हमें इस बात की ज़रा भी परवाह नहीं कि गंगा कितनी साफ हुई या साफ हुई भी की नहीं, लेकिन हम मोदी जी की बनारस में गंगा आरती और अक्षरधाम में पूजा करने से ही खुश हो जाते हैं। हमें इस बात की ज़रा भी परवाह नहीं कि भारत में ट्रेन दुर्घटना कितनी अधिक बढ़ गयी है, लेकिन हम सरकार द्वारा बुलेट ट्रेन की घोषणा मात्र से ही उछलने लगते हैं। हमें आदिवासियों और अल्पसंख्यकों पर होने वाले अत्याचार की कोई फिक्र ही नहीं है। हम तो बस यह सोचकर खुश हैं कि मोदी जी ने "सबका साथ, सबका विकास"का नारा दिया है। 


अनेकों मिसालें ऐसी हैं जहां हम भारतीयों की संवेदनहीनता साफ दिखाई पड़ती हैं। हम बहुत गहरी नींद में सो रहे हैं। हमारी नींद इतनी गहरी हो चुकी है की हमारी संवेदना मृत हो चुकी है। हमारी कौम है ही इसी लायक की हमारा बादशाह हमें 100 जूते भी लगाए और 100 प्याज़ भी खिलाये।



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मोहम्मद खालिद हुसैन
दोहा, क़तर। 

पुस्तक समीक्षा : नव काव्यांजलि एक निर्भीक अभिव्यक्ति

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राजीव मणि द्वारा संपादित ‘नव-काव्यांजलि’ में ‘अपनी बात’ कहते हुए संपादक की यह उक्ति अच्छी लगी कि संग्रह में मौजूद गलतियों की जवाबदेही उन पर है, लेकिन खूबियों का श्रेय कवियों को जाता है। प्रश्न उठता है कि किस प्रकार की गलतियों के लिए वे दायित्व ले रहे हैं? क्या इनमें रचनागत त्रुटियाँ भी शामिल है? यदि हाँ, तो कमियों के बचाव के लिए उनका पक्ष अनूठा है।  किसी भी कविता में कविता इस बात पर निर्भर करती है कि कवि वस्तु को किस तरह देखता है, क्योंकि वस्तु की भौतिक सत्ता कविता में गौण हो जाती है। ऐसे में कवि अपनी अंतर्दृष्टि के सहारे उसे संरचनागत विस्तार देता है। यहीं वह प्रस्थान बिंदु भी है, जहाँ से कवि अपनी निजता का अतिक्रमण भी करता चलता है। वस्तु की सर्वस्वीकार्यता प्रस्तुत करने की यह प्रक्रिया कवि की अवलोकन क्षमता, संवेदना की गहराई, रचने के लिए शिल्प के चुनाव के विवके पर बहुत ज्यादा निर्भर करती है। यहाँ रचना के अबूझ बन जाने का खतरा रहता है, जिससे आधुनिक कविता बुरी तरह पीड़ित है, लेकिन पाठक रचना को छोड़ रचनाकार (कवि) का नाम देखकर वाह-वाह कर देते हैं।


ऐसा भी होता है कि वस्तु का विन्यासगत विस्तार करते-करते कवि स्थूल विवरणों के सहारे अपने कत्र्तव्य की इतिश्री समझ लेता है। तब कविता निश्प्राण हो जाती है। यह एक बड़ी कमजोरी है, जिसको देखते हुए प्रकाशक कविता की पुस्तक छापने से घबराते हैं। यह संग्रह इस कमजोरी से मुक्त नहीं है, लेकिन संपादक कुछ अच्छी रचनाओं को सामने रखकर ‘नव काव्यांजलि’ प्रकाशित करने के लिए निश्चितरूपेण प्रशंसा के पात्र हैं। 

संग्रह की कुछ कविताओं में जीवन का मर्म, उसकी पेंददगियां, उसमें निहित प्रेम और करूणा, ईष्र्या-द्वेष, आशा-आकांक्षा, भ्रम और छल, संघर्ष, हिंसा और प्रतिहिंसा का विद्रूप खुलकर सामने आया है। दरअसल में काव्य रचना की चारित्रिक खूबियां हैं कि वह अपनी बनावट में लोकतांत्रिक हैं। राजनीतिक लोकतंत्र की अवधारणा से परे रचनागत लोकतांत्रिकता कविता की विशिष्ट पहचना है। यह तब भी कविता में थी, जब धरती पर लोकतंत्र नहीं था। कुम्भन दास की यह उक्ति-भक्तन को कहां सीकरी सो काम, स्वयं में एक पुख्ता प्रमाण है। ऐसे तो भक्ति आंदोलन का सूत्रपात ही लोकोन्मुखी प्रवृत्तियों के कारण लोकभाषाओं में हुआ। इसलिए न्यायसंगत मान्यता के तहत कविता संपूर्ण चराचर की निर्भीक अभिव्यक्ति है। मुझे खुशी हुई कि इस संग्रह में ज्यादातर कवियों की चिन्ता में आमजन सहित नदी, पेड, चिड़ियाँ, पहाड़ आदि शामिल हैं। 

सृष्टि का स्वरूप ही काव्यमय है। कोई भी कविता इस सत्य के अनुरूप ही शलाध्य हो सकती है। कहना न होगा कि मनुष्य ने काव्यमयता को बिगाड़ने की भरपूर कोशिश की है। यह कोशिश लगातार जारी है। कविता ऐसी कोशिश के खिलाफ किस तरह खड़ी है, यह उसकी सबसे बड़ी चुनौती है। संग्रहित कवियों से यह उम्मीद की जाती है कि इस आसन्न चुनौती से वे मुंह न मोड़ेंगें।


समीक्षक : बसंत कुमार राय

एक लाख का इनामी माओवादी कमांडर गिरफ्तार

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रायपुर 23 अप्रैल, छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले से एक माओवादी कमांडर को गिरफ्तार किया गया है जिसके सिर पर एक लाख रपये का नकद इनाम था। काटेकल्याण थाने के प्रभारी विजय पटेल ने कहा कि माओवादियों के जनमिलिशिया कमांडर के तौर पर सक्रिय हदमा मदकम (30) को कल परचेली और चिकपाल गांवों के पास एक जंगल से गिरफ्तार किया गया। उन्होंने कहा कि नक्सली के होने की सूचना मिलने पर सीआरपीएफ की 195वीं बटालियन और जिला बल के संयुक्त दस्ते ने अभियान चलाया। पटेल के मुताबिक मदकम माओवादियों के दरभा डिवीजन की काटेकल्याण समिति में सक्रिय था जिसने बस्तर में कई हमले किये हैं। एसएचओ ने कहा कि वह गुडसे गांव के पास 17 अप्रैल को नक्सलियों द्वारा किये गये आईईडी विस्फोट में कथित तौर पर शामिल था जिसमें एसटीएफ के दो जवान घायल हो गये। उन्होंने कहा कि वह माओवादियों के उस गुट का भी हिस्सा था जिसने इस साल फरवरी में गाटम गांव के पास एक यात्री बस से सवारियों को उतारकर कथित तौर पर उसमें आग लगा दी थी। मदकम पुलिस दलों पर हमलों समेत अन्य अपराधों में भी वांछित था।

किसानों की आय अगले पांच साल में दोगुनी करने का रोड मैप दिया शिवराज ने

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नयी दिल्ली, 23 अप्रैल, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किसानों की आय पांच वर्ष में दोगुनी करने के लिये खेती को पेशेवराना बनाने का आज एक व्यापक मॉडल पेश किया। श्री चौहान ने यहां राष्ट्रपति भवन में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आयोजित नीति आयोग की तीसरी शासकीय परिषद की बैठक में यह मॉडल पेश किया। बैठक में लगभग सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने भाग लिया। बैठक मुख्यतः स्वाधीनता के 75 वर्ष होने के उपलक्ष्य में ’’विजन डाक्यूमेंट आॅफ इंडिया 2022’’ को तैयार करना और उसके लक्ष्यों को हासिल करने के उपायों पर विस्तार से चर्चा करने के लिए आयोजित की गई थी। श्री चौहान ने किसानों की आय अगले पांच वर्षों में दोगुनी कैसे की जाये की रणनीति पर चर्चा करते हुए सिंचाई, प्रौद्योगिकी पीढ़ी और प्रसार, नीति एवं बाजार सुधार ई-नैम, पशुधन उत्पादकता इत्यादि के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि किसानों की आय दोगुनी करने के लिये कृषि की लागत में कमी लाने की जरूरत है। इसके साथ ही उत्पादकता एवं उत्पादन में वृद्धि की जानी चाहिए। कृषि विविधिकरण और किसानों को उत्पादन का बेहतर मूल्य मिलना चाहिए और कृषि क्षेत्र में आपदा प्रबंधन की महती भूमिका होनी चाहिए। उन्हाेंने इन उद्देश्यों को हासिल करने की रणनीति के बारे में विस्तार से बताया।

जनवरी दिसंबर को बजट वर्ष बनाने पर विचार करें राज्य : मोदी

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नयी दिल्ली, 23 अप्रैल, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राज्यों से जनवरी से दिसंबर को वित्त वर्ष बनाने की दिशा में पहल करने और विधानसभा तथा लोकसभा चुनाव एक साथ कराने पर गंभीरता से विचार करने की अपील की है। श्री मोदी ने आज यहां नीति आयोग की शासकीय परिषद की तीसरी बैठक में एक भारत श्रेष्ठ भारत एवं नये भारत की अवधारणा को साकार के लिए सभी राज्यों और मुख्यमंत्रियों के सहयोग और मिल-जुलकर प्रयास करने का आग्रह करते हुये कहा “ एक मुख्यमंत्री के रूप में मैं इससे भलीभांति परिचित हूं कि नये भारत के सपने को सभी राज्यों और मुख्यमंत्रियों के मिले जुले प्रयासों से ही साकार किया जा सकता है। ’’ बैठक के समापन पर अपने वक्तव्य में प्रधानमंत्री ने बजट पेश किये जाने की तिथि को करीब एक महीने पहले निर्धारित किये जाने का उल्लेख करते हुये कहा कि हमारे देश में कृषि आय बहुत महत्वपूर्ण है और कृषि आय की जानकारी मिलने के तत्काल बाद बजट तैयार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जनवरी से दिसंबर को वित्त वर्ष बनाने के बारे में सुझाव मिले हैं और राज्यों को इस दिशा में पहल करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि लोकसभा और विधानसभा चुनावों को एक साथ कराने के मुद्दे पर सकारात्मक चर्चा शुरू हुयी है। उन्होंने कहा कि भारत वर्षाें से राजनीति एवं आर्थिक कुप्रबंधन का शिकार रहा है। खराब समय प्रबंधन के कारण कई अच्छे कार्यक्रम और योजनाएं अनुमान के अनुरूप परिणाम देने में असफल रहे हैं। उन्होंने कहा कि इसके मद्देनजर ऐसी सशक्त व्यवस्था विकसित की जानी चाहिए जो विपरीत परिस्थितियों में भी काम कर सके।

दिल्ली निगम चुनावों में 54 प्रतिशत मतदान

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नयी दिल्ली, 23 अप्रैल, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), कांग्रेस और आम आदमी पार्टी(आप) तीनों के लिये साख का सवाल बने दिल्ली निगमों के 270 वार्डों पर आज मतदान संपन्न होने के साथ 2537 उम्मीदवारों की किस्मत ईवीएम मशीनों में बंद हो गयी। मतदान लगभग शांतिपूर्ण रहा और करीब 54 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया। राज्य निर्वाचन अायुक्त एस के श्रीवास्तव ने संवाददाताओं को बताया कि शाम साढे पांच बजे मतदान समाप्त होने तक लगभग 54 प्रतिशत मतदान हुआ। मतदान सुबह आठ बजे शुरू हुआ था। उन्होंने बताया कि मतदान के दौरान कहीं से किसी अप्रिय घटना की सूचना नहीं है। उन्होंने दावा किया कि मतदान के लिए जिन ईवीएम का इस्तेमाल किया गया, उनमें छेड़छाड़ और गड़बड़ी की कोई गुंजाइश नहीं है। श्री श्रीवास्तव ने बताया कि 18 ईवीएम में बैटरी और बटन संबंधी खराबियों की शिकायत मिली थी जिन्हें बदल कर नयी मशीनें लगायी गयीं। उन्होंने मतदाता सूची में नाम होने के बावजूद लोगों को मतदान करने से रोके जाने संबंधी आरोपों को निराधार बताया। आयोग के मुताबिक शाम चार बजे तक 44.7 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया। तीनों निगमों में कुल 272 वार्ड है । मौजपुर और सराय पीपलथला में उम्मीदवार की मृत्यु हो जाने के कारण चुनाव स्थगित किया गया । इस बार निगम चुनावों में पहली बार नोटा के विकल्प का इस्तेमाल किया गया। वोटों की गिनती 26 अप्रैल को होगी । इस बार निगम चुनाव में पहली बार भाजपा, कांग्रेस और आप के बीच त्रिकोणीय मुकाबला था। तीनों ही दलों के लिये निगम चुनाव साख का सवाल है। सुबह मतदान बहुत धीमी गति से शुरू हुआ । विशिष्ट व्यक्तियों में उपराज्यपाल अनिल बैजल , मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, केन्द्रीय मंत्री हर्षवर्द्धन, विजय गोयल, पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित, दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन, दिल्ली सरकार के मंत्री सत्येन्द्र जैन, कपिल मिश्रा, दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता बिजेन्द्र गुप्ता, सांसद मीनाक्षी लेखी, परवेश वर्मा, रमेश विधूड़ी और महेश गिरी आदि शामिल थे। शुरू में धीमे मतदान के बावजूद कई बूथों पर मतदाताओं की लंबी-लंबी कतारें देखी गयी । महिलाओं और बुजुर्गों में मतदान को लेकर खासा जोश देखा गया । श्री बैजल ने अपनी पत्नी के साथ ग्रेटर कैलाश दो के मतदान केन्द्र पर वोट डाला। श्री केजरीवाल अपनी पत्नी और माता-पिता के साथ सिविल लाइंस मतदान केन्द्र पर वोट डालने गये। श्री माकन ने राजौरी गार्डन और डा. हर्षवर्द्धन ने अपनी परिवार के साथ कृष्णानगर के रतनदेवी स्कूल में वोट डाला। श्रीमती दीक्षित ने निजामुद्दीन पूर्व के एक मतदान केन्द्र पर वोट डाले। राज्य चुनाव आयोग ने शांतिपूर्ण और निष्पक्ष मतदान के लिये चाक-चौबंद प्रबंध किये हुए थे। अर्द्ध सैनिक बलों के अलावा दिल्ली पुलिस और होमगार्ड केे जवान भी तैनात रहें। कुछ केन्द्रों पर ईवीएम में छिटपुट खराबी की रिपोर्टों के अलावा मतदान कमोबेश शांतिपूर्ण रहा। मतदान के लिये कुल 13 हजार 141 केन्द्र बनाये गये थे। इनमें से 799 संवदेनशील और 208 अतिसंवेदनशील थे। तीनों निगमों में 2537 उम्मीदवार खड़े थे। कुल मतदाताओं की संख्या एक करोड़ 34 लाख 23 हजार 783 थी । एक लाख से अधिक कर्मचारी चुनाव ड्यूटी पर तैनात किये गये थे। पहली बार वोट डालने वाले मतदाताओं की संख्या एक लाख से अधिक थी। 18 वर्ष आयु वाले मतदाताओं की संख्या करीब 25 हजार थी। पहली बार वोट डालने वाले मतदाताओंं को प्रोत्साहित करने के लिये आयोग ने उन्हें गुलाब का फूल और चॉकलेट जैसे उपहार देने की व्यवस्था की थी। भाजपा ने इस बार अपने किसी वर्तमान पार्षद अथवा इसके रिश्तेदार को टिकट नहीं दिया था। पार्टी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता के बल पर चुनाव लड़ा ।

नडाल ने 10वीं बार जीता मोंटे कार्लाे का खिताब

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मोंटे कार्लो, 23 अप्रैल, क्ले कोर्ट के बेताज बादशाह स्पेन के राफेल नडाल ने अपना करिश्माई प्रदर्शन बरकरार रखते हुये जाएंट किलर हमवतन अलबर्ट रामोस विनोलास की चुनाैती को रविवार को ध्वस्त कर 10वीं बार मोंटे कार्लाे मास्टर्स टेनिस टूर्नामेंट का पुरुष एकल का खिताब जीत लिया। पूर्व नंबर एक और चौथी वरीयता प्राप्त नडाल ने विनाेलास को एक घंटे 16 मिनट तक चले खिताबी मुकाबले में 6-1, 6-3 से पीटा। इस जीत के साथ नडाल ओपन युग में किसी एक टूर्नामेंट को 10 बार जीतने और 50 करियर क्ले कोर्ट खिताब पूरे करने वाले पहले खिलाड़ी बन गये। 14 बार के ग्रैंडस्लेम चैंपियन नडाल के करियर का 70वां एटीपी वर्ल्ड टूर खिताब और 29वां एटीपी मास्टर्स 1000 खिताब है। वर्ष 2010 के बाद से मोंटे कार्लाे में यह पहला मौका था जब बांए हाथ के दो खिलाड़ी फाइनल में आमने सामने हुये थे। नडाल का रामोस के खिलाफ इससे पहले 2-0 का रिकॉर्ड था जो अब उन्होंने 3-0 का कर लिया है। नडाल 11वीं बार मोंटे कार्ले मास्टर्स के फाइनल में पहुंचे थे और उन्होंने अब यहां अपना रिकॉर्ड 10 जीत और एक हार का कर लिया है। नडाल को यहां एकमात्र हार 2013 में नोवाक जाेकोविच के हाथों मिली थी। मोंटे कार्लाे मास्टर्स के इतिहास में ओपन युग में यह चौथा मौका था जब स्पेन के दोनों खिलाड़ी फाइनल में आमने सामने थे।


खेल सिर्फ क्रिकेट नहीं है : कपिल

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नयी दिल्ली, 23 अप्रैल, पूर्व भारतीय क्रिकेट कप्तान कपिल देव का मानना है कि हिन्दुस्तान आज इस मोड़ पर खड़ा है जब देश को सिर्फ क्रिकेट नहीं बल्कि सभी खेलों में रूचि लेनी चाहिये। विश्वकप विजेता कप्तान कपिल ने शनिवार शाम एेतिहासिक इंडिया गेट पर ‘ऊर्जा सीएपीएफ़ अंडर -19 फुटबॉल टैलेंट हंट’ टूर्नामेंट की घोषणा के अवसर पर कहा,“ खेल सिर्फ क्रिकेट नहीं है। हर युवा को काेई न कोई खेल खेलना चाहिये। मैदान होने चाहिये, सुविधाएं होनी चाहिये जहां युवा अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर सकें। ” कपिल ने कहा,“ मैं सभी जवानों को धन्यवाद देता हूं जिन्होंने फुटबॉल को आगे ले जाने की जिम्मेदारी उठाई है। ऊर्जा के इस विचार को जो भी सामने लाया है मैं उन्हें भी सलाम करता हूं। हिन्दुस्तान आज इस मोड़ पर है कि देश को सभी खेलों में रूचि लेनी चाहिये। ” ‘ऊर्जा सीएपीएफ़ अंडर -19 फुटबॉल टैलेंट हंट’ के ब्रांड एंबेसेडर कपिल ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) की सराहना करते हुये कहा,“ उसने क्रिकेट को देश के कोने-काेने तक पहुंचा दिया है। अब हम सभी की जिम्मेदारी है कि हम खेलों पर ध्यान दें और इन्हें कोने-कोने तक ले जाएं। ” कपिल ने साथ ही मीडिया को भी सलाह दी कि वह सिर्फ गेंद और बल्ले पर ध्यान न लगाएं बल्कि बाकी खेलों को भी उतनी ही प्रमुखता दें। उन्होंने कहा,“ अक्टूबर में अंंडर 17 फुटबॉल विश्वकप का देश में आयोजन होना है और हम सभी को इस जोश को आगे भी बरकरार रखना है। तभी देश फुटबॉल में नई ऊंचाईयों पर पहुंच पाएगा। ” ऊर्जा सीएपीएफ अंडर -19 फुटबॉल टैलेंट हंट टूर्नामेंट अगले तीन महीनों तक देश के विभिन शहरों में खेला जाएगा जिसमें कुल 1200 मैच होंगे और इसका फाइनल 25 जुलाई को दिल्ली में खेला जाएगा। इस टूर्नामेंट में कुल 20 लाख रुपये की पुरस्कार राशि दी जायेगी।

हस्तशिल्प को बढावा देने के लिए सरकार तत्पर

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नयी दिल्ली 23 अप्रैल, हस्तशिल्प निर्यात में अच्छी खासी बढोत्तरी दर्ज किये जाने के बावजूद सरकार ने मशीन निर्मित उत्पादों को कड़ी टक्कर देने के मकसद से हस्तकरघा उद्योग को बढ़ावा देने की दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाये हैं। देश में हस्तशिल्प निर्यात वित्त वर्ष 2013-14 के 26,212.29 करोड़ रुपये के आंकड़े से बढ़कर अप्रैल 2016 से फरवरी 2017 के बीच 31,516.92 करोड़ रुपये हो गया। सरकार ने हस्तशिल्प उद्योग को मशीन निर्मित उत्पादों से मिल रही कड़ी प्रतिस्पर्धा को देखते हुए इसे मजबूत करने की दिशा में कई पहल की हैं। गत साल बनायी गयी नयी हस्तशिल्प नीति के तहत हस्तकरघा उद्योग को प्रोत्साहन देने के लिए तीन बातों पर मुख्य जोर दिया जायेगा। सूत्रों के मुताबिक इसी के तहत आंतरिक साज-सज्जा तथा अन्य उपयोगी चीजों में इस्तेमाल किये जाने वाले गुणवत्तापूर्ण हस्तशिल्प उत्पादों के आधार को बढ़ाने के लिए उसे आर्थिक रुप से आकर्षक बनाया जायेगा। कपड़ा मंत्रालय का जोर विरासत और विलुप्तप्राप्य होने वाली हस्तकला के संरक्षण के साथ-साथ प्रीमियम हस्तशिल्प उत्पादों को संवर्द्धित करने पर है। मंत्रालय ने साथ ही 2024-25 तक इस क्षेत्र में साढ़े तीन करोड़ अतिरिक्त रोजगार सृजित करने का लक्ष्य रखा है। सरकार देश तथा विदेशों में आयोजित होने वालों मेले और प्रदर्शनियों आदि में शामिल होने के लिए मार्केट डेवलपमेंट असिस्टेंस ( एमडीए) और मार्केट एक्सेस इनिशिएटिव (एमएआई) मुहैया कराती है। इसके अतिरिक्त मार्केट रिसर्च , ब्रांडिंग, अंतरराष्ट्रीय प्रचार आदि के लिए भी हरसंभव सहायता प्रदान की जाती है।

आलिया बनेंगी कश्मीर की कली

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मुंबई 23 अप्रैल, बॉलीवुड अभिनेत्री आलिया भट्ट, शर्मिला टैगोर और प्रीति जिंटा के बाद सिल्वर स्क्रीन पर कश्मीरी युवती का किरदार निभाती नजर आ सकती है। बॉलीवुड के जाने-माने फिल्मकार-गीतकार गुलजार की पुत्री और निर्देशक मेघना गुलज़ार 1971 भारत पाकिस्तान युद्ध के दौरान की एक कहानी पर आधारित फिल्म बनाने जा रही है। इस फिल्म में आलिया को एक कश्मीर लड़की की भूमिका के लिए कास्ट किया जा रहा है। यह एक ऐसी कश्मीरी लड़की की कहानी है जिसकी शादी पाकिस्तान सेना के एक अधिकारी से हो जाती है। कहा जा रहा है कि इस फिल्म को प्रोड्यूस करने के लिए करण जौहर के धर्मा प्रोडक्शंस ने जंगली पिक्चर्स के साथ गठजोड़ किया है। हालांकि इस बारे में अभी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की गयी है। बताया जाता है कि ये फिल्म हरिंदर सिक्का की किताब कॉलिंग सहमत पर आधारित होगी जो एक कश्मीरी विवाहित महिला के इर्द-गिर्द घूमती है। इस दौरान भारतीय सेना को ऐसी सूचनाएं दी जाती है जिससे भारतीय सेना के जवानों की जान बच जाती है। गौरतलब है कि इससे पूर्व शर्मिला टैगौर फिल्म कश्मीर की कली और प्रीति जिंटा मिशन कश्मीर में कश्मीरी युवती का किरदार निभा चुकी हैं।

फुटबॉल संस्कृति बनाने की जरुरत: भूटिया

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नयी दिल्ली, 23 अप्रैल, पूर्व भारतीय फुटबॉल कप्तान बाइचुंग भूटिया का मानना है कि यदि देश को फुटबॉल में आगे ले जाना है तो फुटबॉल संस्कृति विकसित करने की जरुरत है। देश के सर्वश्रेष्ठ स्ट्राइकरों में से एक रहे भूटिया ने शनिवार शाम ऐतिहासिक इंडिया गेट पर ‘ऊर्जा सीएपीएफ़ अंडर -19 फुटबॉल टैलेंट हंट’ टूर्नामेंट की घोषणा सेे इतर कहा,“ देश में अक्टूबर में अंडर 17 विश्वकप फुटबॉल टूर्नामेंट का आयोजन होने जा रहा है जो एक बड़ी पहल है। मैं उम्मीद करता हूं कि इस टूर्नामेंट के आयोजन से हम फुटबॉल में काफी आगे जाएंगे।” भूटिया ने कहा,“ पहली बार ऐसा देखने में आ रहा है कि फुटबॉल को लेकर लोगाें में काफी रूचि दिखाई दे रही है। हमारे लिये इस समय सबसे बड़ी जरुरत देश में फुटबॉल संस्कृति विकसित करने की है। हम विदेश में फुटबॉल के ऊंचे स्तर और वहां की लीगों की बात करते हैं, जहां फुटबॉल को लेकर एक जुनून हैं। हमें भी अपने देश में ऐसा ही जुनून पैदा करना होगा और ज्यादा से ज्यादा बच्चों तक पहुंचना हाेगा।” पूर्व कप्तान ने कहा,“ यह बहुत ही सही समय है जब हम फुटबॉल को लेकर जागरूकता फैला सकते हैं और लोगों की सोच बदल सकते हैं। हम जितना ज्यादा इसका प्रचार करेंगे उतना ही इसका माता पिता पर असर दिखाई देगा जो अपने बच्चों को फुटबॉल में भेजेंगे।” 


अंडर 17 विश्वकप की तैयारियों के बारे में पूछने पर भूटिया ने कहा,“ तैयारियां अच्छी चल रही है। पिछले दो वर्षाें में खेल मंत्रालय और फुटबॉल फेडरेशन ने तैयारियों में कोई कसर नहीं छोड़ी है। खिलाड़ियों को हर तरह का एक्सपोजर और सुविधाएं दी जा रही है।”  भूटिया ने विश्वकप के स्टेडियमों के बारे में पूछने पर कहा,“ फीफा का अपना मापदंड है जिसे बनाए रखना बहुत जरुरी है। अब तक इस मापदंड को हर लिहाज से पूरा किया गया है। जिन राज्यों में विश्वकप के मैच खेले जाने हैं उन राज्यों ने अपने शहरों के स्टेडियमों को फीफा मापदंड के हिसाब से उन्नत किया है। फीफा के निरीक्षण दल ने भी स्टेडियमों और तैयारियों पर संतोष जताया है।”  इस अवसर पर माैजूद दो बार के ओलंपिक पदक विजेता पहलवान सुशील कुमार ने भी कहा,“ हमारे लिये यह बड़े गर्व की बात है कि हमारे देश में फीफा अंडर 17 विश्वकप का अायोजन हो रहा है। हमें एकजुट होकर पूरी दुनिया को संदेश देना है कि हम शानदार आयोजन करने में सक्षम हैं।” 

झारखण्ड : डायन के आरोप में पति-पत्नी की हत्या

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डाल्टेनगंज 23 अप्रैल, झारंखड में पलामू जिले के हैदरनगर थाना क्षेत्र के सजवन गांव में आज जादू टोना के आरोप में पति-पत्नी की हत्या कर दी गई।  आधिकारिक सूत्रों ने यहां बताया कि सजवन गांव के रामसुंदर मेहता की पत्नी मनोरमा देवी पर कुछ लोगों को डायन होने का शक था । इसी शक के कारण कुछ लोगों ने आज सुबह उनके घर पर हमला कर दिया और पति-पत्नी की तेज धार के हथियार से हत्या कर दी तथा उनके दो बेटों को गंभीर रूप से घायल कर दिया । वहीं, उनकी दो बेटियों ने घर से भाग कर जान बचाई। इस बीच पुलिस अधीक्षक इंद्रजीत महथा ने यहां बताया कि हत्या का कारण सम्पत्ति विवाद है और इसे जादू टोना से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए । उन्होंने बताया कि आरोपी ने अपने छोटे भाई और उसकी पत्नी के साथ चार बच्चों की हत्या करने के इरादे से हमला किया था । इस मामले में तीन लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है जबकि चौथे आरोपी की तलाश की जा रही है । 

सीतामढ़ी में शराबी पति को पत्नी पकड़कर ले गयी थाना

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सीतामढ़ी 23 अप्रैल, बिहार में सीतामढ़ी जिले के नगर थाना क्षेत्र में शराबी पति से परेशान एक महिला ने आज उसे पकड़कर थाना पहुंचा दिया। पुलिस सूत्रों ने यहां बताया कि अमघट्टा गांव की ममता देवी अपने शराबी पति अनिल कुमार से परेशान थी । महिला का आरोप है कि वह शराब के नशे में अक्सर उसकी पिटायी करता था । इसी से परेशान होकर उसने ग्रामीणों के सहयोग से नशे की हालत में उसे पकड़कर थाना ले आयी। सूत्रों ने बताया कि पत्नी की लिखित शिकायत के बाद उसे गिरफ्तार कर मेडिकल जांच के लिए सीतामढ़ी सदर अस्पताल भेज दिया गया है । 

फर्जी कंपनी बनाकर हजारों करोड़ की बेनामी संपत्ति का मालिक बने सुशील मोदी : राजद

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पटना 23 अप्रैल, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने आज बिहार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विधान मंडल दल के नेता एवं पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी पर अपने सगे भाई राज कुमार मोदी और उनके परिवार के सदस्यों के साथ मिलकर कई फर्जी कम्पनियां बनाकर हजारों करोड़ रुपये की बेनामी सम्पत्ति का मालिक बनने का आरोप लगाते हुए इसकी जांच कराने की मांग की है। राजद के राष्ट्रीय प्रवक्ता मनोज झा ने यहां पार्टी मुख्यालय में प्रदेश अध्यक्ष रामचन्द्र पूर्वे और पूर्व सांसद जगदानंद सिंह की उपस्थिति में आयोजित संवाददता सम्मेलन में कहा कि श्री मोदी अपने सगे भाई राज कुमार मोदी एवं उनके दो पुत्र और दोनों पुत्रवधु तथा चचेरे भाई श्री महावीर मोदी के साथ फर्जी कम्पनियों का मकड़जाल बनाकर काले धन को सफेद बनाने का गोरख धंधा पिछले 15 वर्षों से कर रहे हैं। श्री मोदी वर्ष 2005 में उप मुख्यमंत्री बनने के बाद पिछले 12 वर्षों में हजारों करोड़ रुपये की बेनामी सम्पत्ति के मालिक बन गये। उन्होंने कहा कि पहले श्री मोदी के पिता और उनके भाईयों की राजधानी पटना में रेडीमेड कपड़ों की छोटी दुकानें हुआ करती थीं। श्री झा ने कहा कि श्री मोदी के भाई राज कुमार मोदी की प्रमुख कम्पनी आशियाना होम्स प्राइवेट लिमिटेड है, जिसकी सात सहयोगी कम्पनियां तथा इससे जुड़ी दो कम्पनियां हैं। इसके साथ ही राज कुमार मोदी और ललित कुमार छावछरियां की सैकड़ों फर्जी कम्पनियां है, जिनका मुख्य उद्देश्य काले धन को सफेद बनाना है। उन्होंने कहा इन फर्जी कम्पनियों में से कुछ को उद्देश्य प्राप्त होने पर इस ग्रुप के अन्य कम्पनियों में विलय कर दिया गया । राजद प्रवक्ता ने कहा कि वर्तमान में अब इन कम्पनियों की अधिकांश परियोजनाएं दिल्ली एनसीआर एवं उत्तरी भारत में हैं और बावजूद इसके इनकी तीन-चार कम्पनियों को छोड़कर सभी का निबंधित कार्यालय कोलकता के चौरंगी में है। इनकी प्रमुख कम्पनी आशियाना होम्स के निदेशक ललित कुमार छावछरिया हैं। उन्होंने कहा कि श्री छावछरिया को देश में फर्जी कम्पनी बनाकर काले धन को सफेद करने का बेताज बदशाह माना जाता है । 


चारा घोटाले में भी क्लीनचिट मिलने के बाद लालू को जाना पड़ा था जेल : सुशील मोदी

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पटना 23 अप्रैल, बिहार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विधानमंडल दल के नेता एवं पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कथित मिट्टी घोटाले में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार को मुख्य सचिव से क्लीनचिट मिलने पर सवाल खड़े करते हुये आज कहा कि चारा घोटाले के मामले में भी श्री यादव को इसी तरह क्लीनचिट मिली थी लेकिन बाद में उन्हें जेल जाना पड़ा था। श्री मोदी ने कहा कि पहले मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह ने कहा कि इस मामले की केवल संबंधित संचिका मंगाई गई है, कोई जांच का आदेश नहीं दिया गया है। जब जांच हुई ही नहीं तो फिर श्री सिंह ने राजद अध्यक्ष श्री यादव एवं उसके परिवार को क्लीन चिट कैसे दे दी। उन्होंने कहा कि चारा घोटाला मामले में भी श्री यादव को इसी तरह क्लीनचिट मिली थी लेकिन बाद में उन्हें और कई अधिकारियों को जेल जाना पड़ा था। भाजपा नेता ने कहा कि शुरू में 90 लाख रुपये की योजना की बात कही गई, फिर संजय गांधी जैविक उद्यान पटना के निदेशक ने कहा कि पाथ-वे बनाने के लिए 44 लाख रुपये की मिट्टी खरीदी गई है। अब मुख्य सचिव पलट कर कह रहे हैं कि उद्यान में पेड़ काटने से खाली हुई जगह को भरने के लिए नौ लाख रुपये की मिट्टी खरीदी गई है। उन्होंने कहा कि चिड़ियाघर में जो पाथ-वे बना उसके लिए मिट्टी किस योजना के तहत और कहां से लाई गई। पूर्व उप मुख्यमंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार में श्री यादव एवं उनके परिवार के खिलाफ कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं है तो कुछ माह बाद सेवानिवृत्त होने वाले मुख्य सचिव की क्या हैसियत कि वे राजद अध्यक्ष के मंत्री पुत्रों तेजप्रताप यादव (पर्यावरण एवं वन मंत्री) एवं तेजस्वी प्रसाद यादव (उप मुख्यमंत्री) को मिट्टी घोटाले के आरोप में दोषी करार दें। उन्होंने श्री कुमार को चुनौती देते हुये कहा कि मुख्यमंत्री में यदि हिम्मत है तो मिट्टी घोटाले की संचिका सार्वजनिक कर सर्वदलीय समिति से जांच कराएं। 


श्री मोदी ने सवालिया लहजे में कहा कि सरकार बताये कि जिस एम. एस. इंटरप्राइजेज को लालू परिवार के राज्य में बन रहे सबसे बड़े शॉपिंग मॉल के बेसमेंट से मिट्टी कटाई एवं ढुलाई का काम दिया गया उसके लिए निविदा कब निकाला गया था। निविदा किस अखबार में छपा था और किन लोगों की कमेटी ने निविदा को स्वीकृति प्रदान की। उन्होंने कहा कि क्या श्री यादव के 700 करोड़ रुपये की लागत से बन रहे माॅल और संजय गांधी जैविक उद्यान की मिट्टी की जांच कराई गई। भाजपा नेता ने कहा कि दरअसल अब यह घोटाला केवल मिट्टी का नहीं बल्कि अरबों-खरबों रुपये के माॅल और जमीन का है। उन्होंने कहा कि श्री कुमार में यदि हिम्मत है तो इस पूर मामले की जांच विशेष जांच दल (एसआईटी) या सर्वदलीय समिति से कराएं। उल्लेखनीय है कि मुख्य सचिव ने शनिवार को चर्चित मिट्टी घोटाला मामले में राजद अध्यक्ष एवं उनके परिवार को क्लीनचिट देते हुये कहा था कि संजय गांधी जैविक उद्यान की मिट्टी खरीद में कोई घोटाला नहीं हुआ है और उद्यान के लिए नौ लाख रुपये की मिट्टी मंगवायी गयी है। 

रांची : बस के पलटने से सात बाराती की मौत , 50 घायल

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रांची 23 अप्रैल, झारखंड में राजधानी रांची के पिथोरिया थाना क्षेत्र में पतरातू वैली के निकट आज एक बस के पलट जाने से सात बारातियों की मौत हो गयी तथा 50 से अधिक घायल हो गये। पुलिस सूत्रों ने यहां बताया कि बस पर सवार 100 से अधिक लोग शादी में शामिल होने के लिये चमा नगरी से रामगढ़ जिले के पतरातू जा रहे थे तभी पतरातू वैली के निकट चालक के संतुलन खो देने से बस अनियंत्रित होकर पलट गयी। सूत्रों ने बताया कि इस दुर्घटना में कम से कम सात लोगों की मौत हो गयी जबकि 50 से अधिक घायल हो गये। घायलों को रिम्स तथा स्थानीय अस्पातल में भर्ती कराया गया है। मृतकों में तीन की पहचान चंदन टोप्पो , राहुल टोप्पो और रिया कच्छप के रूप में की गयी है जबकि अन्य की पहचान नही की जा सकी है। इस बीच झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने घटना पर शोक व्यक्त किया है। उन्होंने मृतकों के परिजनों को एक-एक लाख रुपये और घायलों को 20-20 हजार रुपये देने की घोषणा की है। 

बिहार को बीमारियों के प्रकोप से बचाने में सरकार पूरी तरह विफल : नंदकिशोर

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पटना 23 अप्रैल, बिहार विधान सभा की लोक लेखा समिति के सभापति और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता नंदकिशोर यादव ने नीतीश सरकार पर लोगाें के स्वास्थ्य की अनदेखी करने का आरोप लगाते हुये आज कहा कि राज्य को बीमारियों के प्रकोप से उबारने में सरकार पूरी तरह विफल साबित हो रही है। श्री यादव ने यहां कहा कि केंद्र सरकार की स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण की योजनओं के कार्यान्वयन में शिथिलता और लापरवाही बरतने के कारण कई प्रकार की जानलेवा बीमारियाें का प्रकोप राज्य में विकराल रूप लेता जा रहा है। उन्होंने कहा कि बिहार सरकार राज्य को बीमारियों के प्रकोप से उबारने में पूरी तरह विफल साबित हो रही है। भाजपा नेता ने कहा कि राज्य के सभी 38 जिलों में कुष्ठ, कालाजार और फाइलेरिया जैसे रोग तेजी से फैल रहे हैं। इनमें 33 जिलों में कालाजार से लगभग पांच हजार व्यक्ति पीड़ित हैं। केंद्र सरकार के प्रयासों से राज्य में कालाजार उन्मूलन के लिए सघन अभियान चलाया गया था लेकिन महागठबंधन की सरकार बनने के बाद अभियान को गति देने में राज्य की ओर से यथोचित सहयोग नहीं मिल रहा है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शराबबंदी का ढींढोरा पीटने में व्यस्त हैं तो स्वास्थ्य मंत्री बांसुरी बजाने में मस्त। संक्रामक रोगों के नियंत्रण की दिशा में राज्य सरकार की पहल शून्य है । 


श्री यादव ने कहा कि राज्य सरकार अपनी नाकामियों पर परदा डालने के लिए नई-नई योजना और कार्यक्रमों का नगाड़ा बजा रही जबकि पूर्व के निर्णयों के कार्यान्वयन में पूरी तरह से विफल है। यही कारण है कि संक्रामक और जानलेवा बीमारियों के नियंत्रण के लिए वर्ष 2010 में निर्धारित ‘सुशासन के कार्यक्रम’ द्वितीय सूत्र में ही स्वास्थ्य सेवाओं के तहत 16 सूत्री कार्यक्रम के कार्यान्वयन का संकल्प किया गया था लेकिन सारे संकल्प आधे-अधूरे रह गये और सरकार के डपोरशंखी नये-नये संकल्प उस पर हावी हो गये। भाजपा नेता ने सवालिया लहजे में कहा कि पटना के इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (आईजीआईएमएस) में कैंसर संस्थान की स्थापना के लिए केंद्र सरकार की ओर से प्राप्त 33 करोड़ रुपये का क्या हुआ। मुजफ्फरपुर में नेत्र बैंक और पटना के राजेन्द्रनगर में नेत्र अस्पताल खोलने की घोषणा का क्या हश्र हुआ। श्री यादव ने कहा कि राज्य के सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों को 30 शैय्या वाले स्वास्थ्य केन्द्रों में उत्क्रमित करने और प्रदेश के राजमार्गों के किनारे अत्याधुनिक ट्रॉमा सेंटरों की स्थापना के संकल्प के कार्यान्वयन की क्या प्रगति है, इसके बारे में कोई कहने और बताने वाला नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार की नींद तभी टूटेगी जब कालाजर से लोग काल के गाल में समाने लगेंगे और राज्य में त्राहिमाम मचेगा। 

सत्ता से बेदखल सुशील मोदी सरकारी अधिकारियों पर निकाल रहे भड़ास : जदयू

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पटना 23 अप्रैल, जनता दल यूनाईटेड (जदयू) ने कथित मिट्टी घोटाला मामले में मुख्य सचिव की ओर से लालू परिवार को दी गई क्लीनचिट को लेकर बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी के बयान पर पलटवार करते हुये आज कहा कि राजकाज से बेदखल कर दिये गये श्री मोदी अब सरकारी अधिकारियों पर भड़ास निकाल रहे हैं। जदयू के मुख्य प्रवक्ता एवं विधान पार्षद संजय सिंह ने कहा कि कथित मिट्टी घोटाला मामले में सचिव अंजनी कुमार सिंह के बयान पर श्री मोदी की प्रतिक्रिया उनके मानसिक दिवालियेपन की निशानी है। उन्होंने कहा कि राजकाज से बेदखल कर दिये जाने से बौखलाये भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विधानमंडल दल के नेता श्री मोदी अब अपनी भड़ास सरकार और सरकारी अधिकारियों पर निकाल रहे हैं। श्री सिंह ने कहा कि मुख्य सचिव ने अपने बयान में कहा है, ‘मैंने इस मिट्टी ख़रीद के संबंध में वन विभाग से फ़ाइल मंगाई थी। इसमें यह तथ्य सामने आया है कि केवल नौ लाख रुपये की मिट्टी की खरीद की गई है। मिट्टी की ढुलाई और इससे जुड़ी मजूदरी पर कुल मिलाकर चालीस लाख रुपये खर्च हुए हैं। इस खरीद में पूरी तरह से विभागीय प्रक्रियाओं का पालन किया गया। फ़ाइल के तथ्यों के हिसाब से अस्सी लाख रुपये के घोटाले जैसी कोई बात सामने नहीं आई है।’ उन्होंने कहा कि सुशील मोदी अपनी राजनीति को ज़िंदा रखने के लिए इसी तरह लोगों पर आरोप लगाते रहते हैं। 


जदयू प्रवक्ता ने कहा कि राजनीति में शुचिता का शोर मचाने वाली भाजपा को अपने नेताओं का काला कारनामा दिखाई नहीं दे रहा है। बयानबाजी से पहले श्री मोदी को ईमानदारी से आत्मनिरीक्षण करना चाहिए। बिहार भाजपा में 64 प्रतिशत विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामले लंबित हैं। भाजपा वाकई पार्टी विथ डिफरेंस है, क्योंकि दागियों और दूसरी पार्टी से निकाले गए दागियों को पार्टी में शामिल करने में यह सबसे आगे है। श्री सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रशंसक से अवसरवादी आलोचक बने श्री मोदी को मुख्यमंत्री के नेतृत्व में विकसित हो रही नई राजनीतिक संस्कृति से सीख लेने की जरूरत है। उन्होंने ने कहा कि श्री कुमार कभी किसी के दबाव में काम नही करते है, जो राजनीतिक और समाजिक रूप से सही होता है, वही फैसला लेते है। कानून अपने स्तर पर काम कर रहा है जिसपर भी आरोप लगे है उसकी जांच हो रही है। जदयू प्रवक्ता ने कहा कि श्री मोदी को अपना कुनबा देखना चाहिए, जहां भ्रष्टाचारियों की पूरी फेहरिस्त है। पूर्व उप मुख्यमंत्री को शायद यह समझ में नही आता है कि सरकार के दायरे में क्या है। श्री मोदी को छपास रोग लग गया है इसलिए वे किसी भी मामले पर उल्टा सीधा बयान देकर अखबार में छपना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि राज्य में कानून का राज है और हमेशा रहेगा। 

जम्मू-कश्मीर के छात्रों से समय-समय पर मिलें : मोदी

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नयी दिल्ली, 23 अप्रैल,  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दूसरे राज्यों में पढ़ने वाले जम्मू-कश्मीर के छात्रों से संबंधित राज्य सरकारों से समय-समय पर मिलने की अपील करते हुये आज कहा कि राज्याें को अपने कुछ कार्यक्रम जम्मू-कश्मीर में भी आयोजित करने चाहिए। नीति आयोग की शासकीय परिषद की आज यहां हुई तीसरी बैठक में जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती सईद द्वारा हाल ही कई राज्यों में उनके प्रदेश के छात्रों के साथ हुये बर्ताव का मुद्दा उठाते हुये कहा गया था कि दूसरे राज्यों में पढ़ने वाले उनके राज्य के छात्रों की हितों की रक्षा संबंधित राज्य सरकारों को करनी चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने देश के विभिन्न राज्यों को जम्मू-कश्मीर आने का निमंत्रण भी दिया। इस पर प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्रियों को अपने-अपने राज्यों के कुछ कार्यक्रम जम्मू-कश्मीर में आयोजित करने का सुझाव दिया। श्री मोदी ने जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री के सुझाव का समर्थन किया और कहा कि दूसरे राज्यों में पढ़ने वाले जम्मू कश्मीर के छात्रों से संबंधित राज्यों की सरकारों को समय-समय पर मिलने रहना चाहिए।

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