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नई पहल : आचार्य द्विवेदी की स्मृति में दिल्ली में कार्यक्रम आज

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राइटर्स एंड जर्नलिस्ट एसोसिएशन-दिल्ली और आचार्य द्विवेदी राष्ट्रीय स्मारक समिति के संयुक्त तत्वावधान में पहली बार दिल्ली में आयोजन, सप्रे संग्रहालय भोपाल के संस्थापक पद्मश्री विजयदत्त श्रीधर को दिया जाएगा आचार्य द्विवेदी स्मृति राष्ट्रीय पुरस्कार, रमई काका स्मृति पुरस्कार रायबरेली के लोककवि सूर्य प्रसाद शर्मा निशिहर को मिलेगा





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नई दिल्ली। आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी की स्मृति में नई दिल्ली में सम्मान समारोह एवं संगोष्ठी गांधी शांति प्रतिष्ठान के सभागार में 20 मई को शाम पांच बजे से होगी। कार्यक्रम में आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी स्मृति राष्ट्रीय पुरस्कार सप्रे संग्रहालय-भोपाल के संस्थापक पद्मश्री विजयदत्त श्रीधर को प्रदान किया जाएगा। बतौर मुख्य अतिथि केंद्रीय हिन्दी संस्थान के उपाध्यक्ष डॉ. कमल किशोर गोयनका भाग लेंगे। राइटर्स एंड जर्नलिस्ट एसोसिएशन-दिल्ली और आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी राष्ट्रीय स्मारक समिति-रायबरेली के संयुक्त तत्वावधान में पहली बार आयोजित हो रहे इस सम्मान समारोह एवं संगोष्ठी में बतौर अतिथि दिल्ली के वरिष्ठ लेखक दिनेश कुमार शुक्ल, वरिष्ठ रचनाकार प्रेमपाल शर्मा भाग लेंगे। एसोसिएशन के अध्यक्ष अरविंद सिंह ने बताया कि मामा बालेश्वर स्मृति पुरस्कार हापुड़ के सामाजिक कार्यकर्ता कर्मवीर, अनुपम मिश्र स्मृति पर्यावरण पुरस्कार दिल्ली के वरिष्ठ पत्रकार पंकज चतुर्वेदी, रमई काका स्मृति पुरस्कार लोक कवि आचार्य सूर्य प्रसाद शर्मा निशिहर को दिया जाएगा। 

आचार्य द्विवेदी समिति के अध्यक्ष विनोद शुक्ल ने बताया कि कार्यक्रम में अरविंद घोष स्मृति पुरस्कार वरिष्ठ पत्रकार संजय सिंह, देवेंद्र उपाध्याय स्मृति पुरस्कार वरिष्ठ पत्रकार विवेक शुक्ल और महिला पत्रकार कंचना स्मृति पुरस्कार सुश्री प्रतिभा ज्योति को दिया जा रहा है। समिति के महामंत्री अनिल मिश्र ने बताया कि कार्यक्रम में रायबरेली के कई साहित्यकार, पत्रकार और समाजसेवी भाग लेंगे।


मधुबनी : राष्ट्रीय मध्यान भोजन रसोइया फ्रंट का सदस्यता अभियान

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मधुबनी/अंधराठाढ़ी।राष्ट्रीय मध्यान भोजन रसोइया फ्रंट के द्वारा प्रखंड में सदस्यता अभियान चलाया जायेगा। ये जानकारी प्रखंड अध्यक्ष रमन कुमार राम ने दी। उन्होंने बताया कि इस महीने की 21 और 28 तारीख को प्रखंड परिसर में एक आमसभा सह सदस्यता अभियान समारोह का आयोजन किया जायेगा। इस सदस्यता अभियान का नेतृत्व उत्तर बिहार प्रभारी संतोष कुमार श्रीवास्तव करेंगे। प्रस्तावित आम सभा की अध्यक्षता मधुबनी जिलाध्यक्ष सुश्री जूली देवी ने करेंगी। इस आम सभा सह सदस्यता अभियान का उद्देश्य अधिक से अधिक लोगो को सपने साथ जोड़ना है। बताते चले की रसोइयों का मानदेय दस हज़ार रुपया महीना करने, 10 की बजाय 12 महीने का मानदेय, पांच लाख का जीवन बीमा, रसोइयों का स्थायीकरण, धुँआ रहित चूल्हा, एमडीएम योजना का ठेकेदारी से रोकना आदि मांगो को लेकर संघ लगातार धरना प्रदर्शन और अभियान चला रहा है।s

विशेष : पाक कूलभूषण को लौटायेगा या सरबजीत जैसा हश्र ?

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कूलभूषण जाधव की फांसी पर हेग स्थित इंटरनेशनल कोर्ट की ओर से रोक लगाने के बाद पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने कि विश्व के सामने भारत को बेनकाब करेंगे। भारत ने इस मामले में पाकिस्तान को जिम्मेदारी भरा जवाब नहीं दिया। दुनिया की किसी भी अदालत के पास ये न्याय अधिकार नहीं है कि वह एक संप्रभु राष्ट्र की अदालत द्वारा दिए गए फैसले को पलट दे। पाकिस्तान पूरी ताकत से लड़ेगा। ऐसे में बड़ा सवाल तो यही है क्या पाकिस्तान कूलभूषण लौटायेगा या झूठ बोलेगा? 




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बेशक, इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस ने पूर्व भारतीय नौसैनिक कुलभूषण जाधव पर अपना फैसला सुना दिया है। इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस से भारत को बड़ी जीत हांसिल हुई है। कोर्ट ने कहा कि अंतिम फैसले तक पाकिस्तान कुलभूषण जाधव को फांसी नहीं दे सकता है। इसके साथ ही कोर्ट ने पाकिस्तान में कुलभूषण जाधव को काउंसलर एक्सेस देने की भी बात कही। कोर्ट ने कहा कि  दोनों देशों ने विएना समझौते पर दस्तखत किए हैं। कोर्ट के फैसले के बाद पाकिस्तान में भारत के उच्चायुक्त गौतम बंबावाले अब अपनी टीम के साथ कुलभूषण जाधव से मिल सकते हैं। बावजूद इसके पाकिस्तान का कहना है कि अपने राष्ट्रीय हित के मामले में इंटरनेशनल कोर्ट का फैसला नहीं मानेगा। इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस पहले भी इस तरह के कम से कम तीन फैसले दे चुका है। लेकिन पाकिस्तान ने नहीं माना। तो फिर बड़ा सवाल तो यही है क्या पाकिस्तान कूलभूषण लौटायेगा या झूठ बोलेगा? पाकिस्तान के काले करतूतों पर दुनिया कब करेगी एक्शन? कूलभूषण के टार्चर पर भारत का पाकिस्तान से बदला कब? ये ऐसे सवाल है जिसका जवाब जनता जानना चाहती है। इस फैसेल के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान की बड़ी किरकिरी हुई है। 

कुलभूषण मामले में भी पाकिस्तान संदेह के घेरे में है। क्योंकि साल भर पहले पाकिस्तान में गिरफ्तार किए गए कुलभूषण जाधव को पाकिस्‍तान की एक मिलिट्री कोर्ट ने मौत की सजा सुनाई है, पर इस बारे में हमेशा पाकिस्‍तान तथ्‍य छिपाता रहा है। उसने काफी समय तक भारत को ये नहीं बताया कि कुलभूषण जीवित है या नहीं और किस जेल में रखा गया है। इस मामले में भी आदेश पाकिस्तान के खिलाफ गया है। ऐसे में बड़ा सवाल तो यही है कि क्या पाकिस्तान इस पर अमल करेगा और अगर पाकिस्तान आदेश पर अमल नहीं करता है तो फिर भारत के पास आगे क्या रास्ता बचेगा? बता दें, हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के जस्टिस रॉनी अब्राहम ने अपने फैसले में कहा है कि पाकिस्तान को कुलभूषण जाधव को जासूस बताने का हक नहीं है। पाकिस्तान का कुलभूषण जाधव को गिरफ्तार करना एक विवादित मुद्दा है। कुलभूषण जाधव पर पाकिस्तान जो भी दावा कर रहा है, वह मान्य नहीं है। भारत और पाकिस्तान दोनों देशों के बीच वियना संधि है, 29 अप्रैल 1996 को भारत-पाक ने इस संधि पर हस्ताक्षर किए थे। अनुच्छेद 36 के तहत यह फैसले किया जाएगा। कुलभूषण जाधव मामले में अपील सही समय पर दायर नहीं की गई, हालांकि दोनों देश इस बात पर सहमत हैं कि जाधव एक भारतीय नागरिक है। जाधव पर अपील तय सीमा पर दायर करनी चाहिए थी। कोर्ट को सभी मामले में हस्तक्षेप करने का हक नहीं है। 

हालांकि कोर्ट ने यह कहा कि इंटरनेशनल कोर्ट के आखिरी फैसले तक कुलभूषण जाधव की फांसी पर रोक लगाई जाती है। भारत की मांग नियमों के अनुसार बिल्कुल सही है, वियना संधि के तहत भारत को अपने नागरिक की मदद करने का पूरा अधिकार है। जब तक इंटरनेशनल कोर्ट का आखिरी फैसला नहीं आता है, तब तक पाकिस्तान कुलभूषण जाधव को पूरी सुरक्षा मुहैया कराये। भारत को अपने नागरिक को राजनयिक, कानूनी मदद करने का पूरा अधिकार है। पर सवाल ये उठता है कि आखिर अब पाकिस्‍तान क्‍या कर सकता है? क्‍या वो जाध्‍ाव को फांसी दे सकता है? क्योंकि अब अंतरराष्‍ट्रीय कोर्ट के आदेश के बाद पाकिस्‍तान ऐसा करने से बचेगा। चूंकि पाकिस्‍तान यूएन का सदस्‍य और इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस का सदस्‍य देश है, इसलिए वह कानूनी तौर पर अब करेगा, इसकी गुंजाइश कम है। पर हां, उसकी जेल में बंद किसी कैदी के साथ क्‍या होगा, इस मामले में उसका रिकॉर्ड खराब ही रहा है। इसलिए इस बात की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है कि जाधव पर भी पाकिस्‍तान की जेल में बंद रहे सरबजीत की तरह हमला हो जाए। 

पाकिस्तान ने साल 1991 में लाहौर और फैसलाबाद में हुए बम धमाकों के बाद सरबजीत को आतंकवाद और जासूसी के इल्जाम में सजा ए मौत दी थी। पर सजा से पहले ही अप्रैल 2013 में कुछ कैदियों ने सरबजीत पर हमला कर दिया था और 5 दिन बाद अस्पताल में उन्होंने दम तोड़ दिया। पाकिस्तान की कोट लखपत जेल भारतीय कैदी किरपाल सिंह की भी संदिग्ध हालत में मौत हुई थी। पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में बम विस्फोटों के आरोप में कोर्ट ने किरपाल को मौत की सजा सुनाई गई थी, पर लाहौर हाईकोर्ट ने किरपाल को बम विस्फोटों के आरोप से बरी कर दिया था। इसके बाद उसकी संदिग्‍ध हालत में मौत हो गई थी। बता दें, हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय न्याय अदालत संयुक्त राष्ट्र के नियमों के तहत स्थापित किया गया है और संयुक्त राष्ट्र के चार्टर का अनुच्छेद 94 में साफ कहा गया है कि संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों को उन सभी मामलों में कोर्ट के आदेशों का पालन करना होगा, जिसमें वे पक्षकार हैं। यहां भारत और पाकिस्तान दोनों ने ही इस पर सहमति जताई थी। इसके साथ ही यहां आपसी विवादों को सुलझाने के लिए राजनयिक स्तर पर प्रयासों से जुड़े वियना समझौते का एक वैकल्पिक प्रोटोकॉल भी है और दोनों पड़ोसी मुल्क इस प्रोटोकॉल के भी हिस्सा हैं। 


गौर करने वाली है कि कोर्ट का आदेश अंतिम होता है और उसके खिलाफ आप कहीं अपील नहीं कर सकते हैं। हालांकि उसके पास अपने फैसलों को लागू करवाने की कोई शक्ति नहीं होती। ऐसे में अगर कोर्ट के आदेश पर अमल से पाकिस्तान इनकार करता है, तो फिर भारत को यह मामला संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में उठाना होगा। हालांकि सुरक्षा परिषद इस मामले में दखल से इनकार भी कर सकता है और अगर ऐसा होता है, तो भारत के लिए आदेश पर अमल कराने का कोई रास्ता नहीं बचेगा। वहीं अगर सुरक्षा परिषद के सभी सदस्य देश तैयार होते हैं, तो वे पाकिस्तान पर आदेश के पालन के लिए दबाव बना सकते हैं। हालांकि भारत के लिए यह काम खासा मुश्किल साबित होगा, क्योंकि सुरक्षा परिषद में चीन भी स्थायी सदस्य है और खुद को पाकिस्तान का सदाबहार दोस्त बताता है। हो सकता है चीन पाकिस्तान के खिलाफ प्रस्ताव पर वीटो न करें। कोर्ट ने पाकिस्तान की ओर से दी गयी सभी दलीलें खारिज कर दीं। पाकिस्तान ने सुनवाई के दौरान कहा था कि कुलभूषण जाधव के पास से पाकिस्तान का पासपोर्ट भी मिला था। कोर्ट ने पाकिस्तान की इस दलील का अपने फैसले में जिक्र तक नहीं किया। इसके साथ ही पाकिस्तान ने जो कैमरे पर जाधव के जो कथित कबूलनामे की बात कही थी, कोर्ट ने उसे भी नहीं माना। 





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(सुरेश गांधी)

विशेष आलेख : नये मोड़ पर व्यापम घोटाला

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व्यापम घोटाले ने एकबार फिर नया मोड़ लेता जा रहा है, मई का महीना मुख्यमंत्री शिवराज के लिए राहत भरी खबर लाया है, कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह व्यापम घोटाले में शिवराज सिंह चौहान के सीधे तौर पर शामिल होने का आरोप लगते आ रहे हैं. लेकिन  इस मामले में सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर करके कहा है कि कि सबूत के तौर पर जिस सीडी और पेन ड्राइव को पेश किया गया  था वे फर्जी पाए गये हैं.  सीबीआई का कहना है कि इसमें याचिकाकर्ताओं द्वारा  छेड़छाड़ की गयी है जिसके बाद भाजपा इसे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को क्लीन चिट दिए जाने के तौर पर पेश कर रही है. सीबीआई के हलफनामे के बाद सूबे  में सियासत गर्माई हुई है, एक तरफ  भाजपा कांग्रेस महासचिव दग्विजिय सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की मांग कर रही है, वहीं कांग्रेस का कहना है  कि क्लीन चिट देने का काम अदालत का है सीबीआई का नहीं.


जानकार बता रहे हैं व्यापमं घोटाले को लेकर सीबीआई की जांच का ट्रेक बदल सकता है इससे याचिकाकर्ता दग्विजिय सिंह की मुश्किल में पड़ सकते हैं क्योंकि सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है  वह इस  मामले में दग्विजिय सिंह और दूसरों के खिलाफ कार्यवाही कर  सकती है. व्यापमं घोटाले में भाजपा पहली बार  इतनी आक्रमक नजर आ रही है. मप्र सरकार के तीन वरिष्ठ  मंत्रियों द्वारा बाकायदा सीबीआई को ज्ञापन सौंपकर दिग्विजिय सिंह और  दो व्हिसल ब्लोअर के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने की मांग की गयी है. कांग्रेस की तरफ से इसका  पलटवार भी  किया गया  है. नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने कहा है कि व्यापम के मामले में  मुख्यमंत्री शिवराज सिंह कभी क्लीन नहीं हो सकते क्योंकि इस दौरान वाही मुख्यमंत्री रहे हैं जब इस दौरान की सभी उपलब्धियां  उनके खाते में है तो व्यापम घोटाले की कालिख से वे कैसे बच सकते हैं ? मुख्यमंत्री खुद स्वयं विधानसभा में 1000 प्रकरणों में गडबडी होना स्वीकार कर चुके हैं, जिसमें 2500 से ज्यादा लोगों को आरोपी बनाया गया था. इनमें से 21 सौ से ज्यादा को गिरफ्तार किया गया. वहीं चार सौ से ज्यादा अब भी फरार हैं. इस  मामले से जुड़े 50 से ज्यादा लोगों की मौत भी हो चुकी है,आज भी सैकडों लोग जेल में नही हैं. अजय सिंह ने मांग की है कि  अगर सीबीआई वाकई में  सच्चाई सामने लाना चाहती है तो उसे मुख्यमंत्री, उनकी पत्नी और जेल से छूटे पूर्व मंत्रियों का नार्को टेस्ट कराना चाहिए. ज्योतिरादत्यि सिंधिया ने भी उनका बचाव करते हुए कहा है कि “व्यापमं एक बहुत बड़ा घोटाला है सीबीआई ने अपने हलफनामे में शिवराज सिंह को क्लीनचिट दे दी हो, लेकिन सुप्रीम कोर्ट का फैसला आना अभी बाकी है”.

इससे पूर्व इस साल मार्च के आखिरी दिनों में विधानसभा में कैग की रिपोर्ट सामने आयी थी जिसमें व्यापमं को लेकर शिवराजसिंह की सरकार पर कई गंभीर सवाल उठाये गये थे कैग की इस रिपोर्ट में 2004 से 2014 के बीच के दस सालों की व्यापमं की कार्यप्रणाली को लेकर सरकार की कड़ी आलोचना करते हुए बताया गया था  कि कैसे इसकी पूरी प्रक्रिया अपारदर्शी थी और बहुत ही सुनियोजित तरीके से नियमों को ताक पर रख दिया था. रिपोर्ट के अनुसार व्यापमं का काम केवल प्रवेश परीक्षाएं आयोजित कराना था लेकिन वर्ष 2004 के बाद वो भर्ती परीक्षाएं आयोजित करने लगा, इसके लिये व्यापमं के पास ना तो कोई विशेषज्ञता थी और ना ही इसके लिए म.प्र. लोकसेवा आयोग या किसी अन्य एजेंसी से परामर्श लिया गया, यहाँ तक कि इसकी जानकारी तकनीकी शिक्षा विभाग को भी नहीं दी गई और इस तरह से राज्य कर्मचारी चयन आयोग की अनदेखी करके राज्य सरकार ने व्यापमं को सभी सरकारी नियुक्तियों का काम दे दिया और राज्य सेवा में से इसमें शीर्ष अधिकारियों की नियुक्ति कर दी गयी. रिपोर्ट के अनुसार व्यापमं घोटाला सामने आने के बाद भी व्यावसायिक परीक्षा मंडल में परीक्षा लेने के लिए कोई नियामक ढांचा नहीं था, रिपोर्ट में जो सबसे खतरनाक बात बतायी गयी है वो यह है कि प्रदेश सरकार ने कैग को व्यापमं से सम्बंधित दस्तावेजों की जांच की मंजूरी देने से यह कहते हुए इनकार कर दिया था कि व्यापमं सरकारी संस्था नहीं है जबकि व्यापमं पूरी तरह से सरकारी नियंत्रण में काम करने वाली संस्था थी.

 ‘कैग’ की रिपोर्ट कांग्रेस को  हमलावर होने का मौका दे दिया था  विपक्ष के नेता अजय सिंह ने शिवराजसिंह का इस्तीफ़ा मांगते हुए कहा था कि  “अब यह सवाल नहीं है कि मुख्यमंत्री व्यापमं घोटाले में दोषी हैं या नहीं लेकिन यह तो स्पष्ट हो चुका है कि यह घोटाला उनके 13 साल के मुख्यमंत्रित्व काल में हुआ है, उनके एक मंत्री सहित भाजपा के पदाधिकारी जेल जा चुके हैं और उनके बड़े नेताओं से लेकर संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी सब जाँच के घेरे में हैं इसलिए अब उन्हें मुख्यमंत्री चौहान के इस्तीफे से कम कुछ भी मंजूर नहीं है.” दूसरी तरफ  भाजपा ने उलटे “कैग” जैसी संवैधानिक संस्था पर निशाना साधा था  और कैग’ द्वारा मीडिया को जानकारी दिए जाने को ‘सनसनी फैलाने वाला कदम बताते हुए उस पर सस्ती लोकप्रियता हासिल करने का आरोप लगाया था . 

 व्यापमं घोटाले ने  मध्य प्रदेश को देश ही नहीं पूरी दुनिया में बदनाम किया है. यह भारत के सबसे बड़े और अमानवीय घोटालों में से एक है जिसने सूबे के लाखों युवाओं के अरमानों और कैरियर के साथ खिलवाड़ करने का काम किया है. इस घोटाले की चपेट में आये ज्यादातर युवा गरीब, किसान, मजदूर और मध्यम वर्गीय परिवारों से हैं जो तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद अपना पेट काटकर अपने बच्चों को पढ़ाते हैं जिससे उनके बच्चे अच्छी उच्च शिक्षा प्राप्त कर अपने जीवन में स्थायित्व ला सकें और सम्मानजनक जीवन जी सकें. बहुत ही सुनियोजित तरिके से चलाये गये इस गोरखधंधे में मंत्री से लेकर आला अफसरों तक शामिल पाए गये. इसकी छीटें मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान तक भी गयी.  व्यापमं घोटाले की परतें खुलने के बाद इस घोटाले से जुड़े लोगों की असामयिक मौतों का सिलसिला सा चल पड़ा. लेकिन इन सबका शिवराज सरकार पर कोई असर नहीं पड़ा. शुरुआत में तो मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान इस घोटाले की जांच एसआईटी से ही कराने पर अड़े रहे लेकिन एक के बाद एक मौतों और राष्ट्रीय -अंतराष्ट्रीय मीडिया ने जब इस मुद्दे की परतें खोलनी शुरू की तो उन्हें सीबीआई जाँच की अनुशंसा के लिए मजबूर होना पड़ा.


मामला सीबीआई के हाथों में जाने के बाद व्यापमं का मुद्दा शांत पड़ने लगा था, मीडिया द्वारा भी इसकी रिपोर्टिंग लगभग छोड़ दी गयी. उधर एक के बाद एक चुनाव/ उपचुनाव जीतकर शिवराज सिंह चौहान अपनी स्थिति मजबूत करते जा रहे था. मध्यप्रदेश भाजपा द्वारा यह दावा किया जाने लगा था कि व्यापमं घोटाले का शिवराज की लोकप्रियता पर कोई असर नहीं हुआ है. कुल मिलकर मामला लगभग ठंडा पड़ चूका था, विपक्ष थक चूका था और सरकार से लेकर संगठन तक सभी राहत मना रहे थे.

व्यापमं घोटाले को देश के सबसे बड़े भर्ती घोटालों में से एक माना जाता है. जानकार इसे केवल एक घोटाले के रूप में नहीं बल्कि राज्य समर्थित नकल उद्योग के रूप में देखते हैं जिसने हजारों नौजवानों का कैरियर खराब कर दिया है. व्यापमं घोटाले का खुलासा 2013 में तब हुआ, जब पुलिस ने एमबीबीएस की भर्ती परीक्षा में बैठे कुछ फर्जी छात्रों को गिरफ्तार किया. ये छात्र दूसरे छात्रों के नाम पर परीक्षा दे रहे थे बाद में पता चला कि प्रदेश में सालों से एक बड़ा रैकेट चल रहा है, जिसके अंतर्गत फर्जीवाड़ा करके सरकारी नौकरियों रेवड़ियों की तरह बांटी गयीं हैं. मामला उजागर होने के बाद व्यापमं मामले से जुड़े 50  से ज्यादा अभियुक्तों और गवाहों की रहस्यमय ढंग से मौत हो चुकी है जो इसकी भयावहता को दर्शाता है. इस मामले मैं से 21 सौ से ज्यादा को गिरफ्तारियाँ हुई हैं. लेकिन जो गिरफ्तारियां हुई हैं, उनमें ज्यादातर या तो छात्र शामिल हैं या उनके अभिभावक या बिचौलिये. बड़ी मछलियाँ तो बची ही रह गयी हैं. हालांकि 2014 में मध्यप्रदेश के पूर्व शिक्षा मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा जरूर गिरफ्तार हुए थे जिन पर व्यापमं के मुखिया के तौर पर इस पूरे खेल में सीधे तौर पर शामिल होने का आरोप था लेकिन दिसम्बर 2015 में वे रिहा भी हो गये थे. पहले पुलिस फिर विशेष जांच दल और अब सीबीआई द्वारा इस मामले की जांच की जा रही है लेकिन अभी तक इस महाघोटाले के पीछे के असली ताकतों के बारे में कुछ भी पता नहीं चल सका है. 

2017 व्यापम के लिए बहुत नाटकीय साबित हो रहा है पहले  तो कैग रिपोर्ट  में सीधे तौर शिवराज सरकार की मंशा पर सवाल उठाये गये थे उसके बाद सुप्रीम कोर्ट में सीबीआई का हलफनामा आया है जिसमें आरोप लगाने वाले ही घेरे में नजर आ रहे हैं, ऐसा लगता है पूरा मामला गोल पहिये पर सवार हो चूका है जाहिर है इस महाघोटाले के पीड़ितों के लिए इंसाफ के दिन अभी दूर हैं.   






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जावेद अनीस 
Contact-9424401459
javed4media@gmail.com

गणि राजेन्द्र विजय: दांडी पकडे़ आदिवासियों के ‘गांधी’

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देश मंे यात्राएं बहुत हुई हैं व होती रहती हैं। पैदल यात्राएं हमारी संस्कृति व जन जीवन की एक बहुत पवित्र विधा रही है। इससे लोक जीवन को बहुत नजदीक से देखा जा सकता है। पर कालान्तर में इन्हें राजनैतिक रंग दिया जाता रहा है। अतः यात्राओं के प्रति भी लोगों के दृष्टिकोण में अन्तर आ गया। जैन साधु-साध्वियां सदैव ही पैदल विचरण करते हैं। सुखी परिवार अभियान के प्रणेता, आदिवासी जनजीवन के मसीहा एवं प्रख्यात जैन संत गणि राजेन्द्र विजय पिछले 30 वर्ष में करीब-करीब पूरे देश की पैदल यात्रा कर चुके हैं। वे कभी-कभी 50-50 किलोमीटर चलते हैं, हाल ही में गुजरात के कवांट से दिल्ली करीब 1000 किलोमीटर की दूरी उन्होंने 24 दिन में पूरी की है। वे पैदल यात्रा का कीर्तिमान करने वाले संत हैं। यात्राएं गणि राजेन्द्र विजयजी के जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है। वे इन यात्राओं में प्रतिदिन सुबह से शाम तक हजारों लोगों से सम्पर्क करते हैं, उन्हें ग्रामीण भाषा में समझाते हैं। उन्हें अपना गौरव प्राप्त करने का, अपने होने का भान कराते हैं। उनका कहना है कि आदिवासी समाज को उचित दर्जा मिले। वह स्वयं समर्थ एवं समृद्ध है, अतः शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिये स्वयं आगे आएं। एक तरह से एक संतपुरुष के प्रयत्नों से एक सम्पूर्ण पिछडा एवं उपेक्षित आदिवासी समाज स्वयं को आदर्श रूप में निर्मित करने के लिये तत्पर हो रहा है, यह एक अनुकरणीय एवं सराहनीय प्रयास है। लेकिन इन आदिवासी लोगों को राजनीतिक संरक्षक भी मिले, इसके लिये वे सभी राजनीतिक दलों के नेताओं से सम्पर्क स्थापित कर आदिवासी जीवन के दर्द से उन्हें अवगत कराया। 


भारतीय समाज में जिन आदर्शों की कल्पना की गई है, वे भारतीयों को आज भी उतनी ही श्रद्धा से स्वीकार हैं। मूल्य निष्ठा में जनता का विश्वास अभी तक समाप्त नहीं हुआ। व्यक्ति अगर अकेला भी हो पर नैतिकता का पक्षधर हो और उसका विरोध कोई ताकतवर कुटिलता और षड्यंत्र से कर रहा हो तो जनता अकेले आदमी को पसन्द करेगी। इन्हीं मूल्यों की प्रतिष्ठापना, गणि राजेन्द्र विजय की यात्रा का उद्देश्य है। गणि राजेन्द्र विजय एक ऐसा व्यक्तित्व है जो आध्यात्मिक विकास और नैतिक उत्थान के प्रयत्न में तपकर और अधिक निखरा है। वे आदिवासी जनजीवन के उत्थान और उन्नयन के लिये लम्बे समय से प्रयासरत हैं और विशेषतः आदिवासी जनजीवन में शिक्षा की योजनाओं को लेकर जागरूक है, इसके लिये सर्वसुविधयुक्त करीब 12 करोड की लागत से जहां एकलव्य आवासीय माडल विद्यालय का निर्माण उनके प्रयत्नों से हुआ है, वहीं कन्या शिक्षा के लिये वे ब्राह्मी सुन्दरी कन्या छात्रावास का कुशलतापूर्वक संचालन कर रहे हैं। इसी आदिवासी अंचल में जहां जीवदया की दृष्टि से गौशाला का संचालित है तो चिकित्सा और सेवा के लिये चलयमान चिकित्सालय भी अपनी उल्लेखनीय सेवाएं दे रहा है। अपने इन्हीं व्यापक उपक्रमों की सफलता के लिये वे कठोर साधना करते हैं और अपने शरीर को तपाते हैं। इन यात्राओं में आदिवासी के साथ-साथ आम लोगों में शिक्षा के साथ-साथ नशा मुक्ति एवं रूढ़ि उन्मूलन की अलख जगाते हैं। इन यात्राओं का उद्देश्य है शिक्षा एवं पढ़ने की रूचि जागृत करने के साथ-साथ आदिवासी जनजीवन के मन में अहिंसा, नैतिकता एवं मानवीय मूल्यों के प्रति आस्था जगाना है। हर आदमी अपने अन्दर झांके और अपना स्वयं का निरीक्षण करे। आज मानवता इसलिए खतरे में नहीं है कि अनैतिकता बढ़ रही है। अनैतिकता सदैव रही है- कभी कम और कभी ज्यादा। सबसे खतरे वाली बात यह है कि नैतिकता के प्रति आस्था नहीं रही।

 त्याग, साधना, सादगी, प्रबुद्धता एवं करुणा से ओतप्रोत आप आदिवासी जाति की अस्मिता की सुरक्षा के लिए तथा मानवीय मूल्यों को प्रतिष्ठापित करने के लिए सतत प्रयासरत हैं। मानो वे दांडी पकडे़ गुजरात के उभरते हुए ‘गांधी’ हैं। इसी आदिवासी माटी में 19 मई, 1974 को एक आदिवासी परिवार में जन्में गणि राजेन्द्र विजयजी मात्र ग्यारह वर्ष की अवस्था में जैन मुनि बन गये। बीस से अधिक पुस्तकें लिखने वाले इस संत के भीतर एक ज्वाला है, जो कभी अश्लीलता के खिलाफ आन्दोलन करती हुए दिखती है, तो कभी जबरन धर्म परिवर्तन कराने वालों के प्रति मुखर हो जाती है। कभी जल, जमीन, जंगल के अस्तित्व के लिये मुखर हो जाती है। इस संत ने स्वस्थ एवं अहिंसक समाज निर्माण के लिये जिस तरह के प्रयत्न किये हैं, उनमें दिखावा नहीं है, प्रदर्शन नहीं है, प्रचार-प्रसार की भूख नहीं है, किसी सम्मान पाने की लालसा नहीं है, किन्हीं राजनेताओं को अपने मंचों पर बुलाकर अपने शक्ति के प्रदर्शन की अभीप्सा नहीं है। अपनी धून में यह संत आदर्श को स्थापित करने और आदिवासी समाज की शक्ल बदलने के लिये प्रयासरत है और इन प्रयासों के सुपरिणाम देखना हो तो कंवाट, बलद, रंगपुर, बोडेली आदि-आदि आदिवासी क्षेत्रों में देखा जा सकता है। इतना ही नहीं यह संत गृहस्थ जीवन को त्यागकर  गृहस्थ जीवन को सुखी बनाने के लिये  जुटा है, इनका मानना है कि व्यक्ति-व्यक्ति से जुड़कर ही स्वस्थ समाज एवं राष्ट्र की कल्पना आकार ले सकती है। स्वस्थ व्यक्तियों के निर्माण की प्रयोगशाला है - परिवार। वे परिवार को सुदृढ़ बनाने के लिये ही सुखी परिवार अभियान लेकर सक्रिय है। उनका मानना है कि समाज में सुखी गृहस्थ जीवन व्यतीत करने के लिए सहिष्णुता की बहुत जरूरत है, जिसकी आज बहुत कमी होती जा रही है। 


गणि राजेन्द्र विजयजी का मानना है कि इन्सान की पहचान उसके संस्कारों से बनती है। संस्कार उसके समूचे जीवन को व्याख्यायित करते हैं। संस्कार हमारी जीवनी शक्ति है, यह एक निरंतर जलने वाली ऐसी दीपशिखा है जो जीवन के अंधेरे मोड़ों पर भी प्रकाश की किरणें बिछा देती है। उच्च संस्कार ही मानव को महामानव बनाते हैं। सद्संस्कार उत्कृष्ट अमूल्य सम्पदा है जिसके आगे संसार की धन दौलत का कुछ भी मौल नहीं है। सद्संस्कार मनुष्य की अमूल्य धरोहर है, मनुष्य के पास यही एक ऐसा धन है जो व्यक्ति को इज्जत से जीना सिखाता है।  गणि राजेन्द्र विजयजी बच्चों को कच्चे घड़े के समान मानते हैं। उनका कहना है उन्हें आप जैसे आकार में ढालेंगे वे उसी आकार में ढल जाएंगे। मां के उच्च संस्कार बच्चों के संस्कार निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसलिए आवश्यक है कि सबसे पहले परिवार संस्कारवान बने माता-पिता संस्कारवान बने, तभी बच्चे संस्कारवान चरित्रवान बनकर घर की, परिवार की प्रतिष्ठा को बढ़ा सकेंगे। अगर बच्चे सत्पथ से भटक जाएंगे तो उनका जीवन अंधकार के उस गहन गर्त में चला जाएगा जहां से पुनः निकलना बहुत मुश्किल हो जाएगा। बच्चों को संस्कारी बनाने की दृष्टि से गणि राजेन्द्र विजय विशेष प्रयास कर रहे हैं। भारत को आज सांस्कृतिक क्रांति का इंतजार है। यह कार्य सरकार तंत्र पर नहीं छोड़ा जा सकता है। सही शिक्षा और सही संस्कारों के निर्माण के द्वारा ही परिवार, समाज और राष्ट्र को वास्तविक अर्थों में स्वतंत्रा बनाया जा सकता है। इसी दृष्टि से हम सबकों गणि राजेन्द्र विजय के मिशन से जुडना चाहिए एवं एक स्वस्थ समाज निर्माण का वाहक बनना चाहिए। आओ हम सब एक उन्नत  एवं आदर्श आदिवासी समाज की नींव रखें जो सबके लिये प्रेरक बने।

मेरी दृष्टि में गणि राजेन्द्र विजयजी के उपक्रम एवं प्रयास आदिवासी अंचल में एक रोशनी का अवतरण है, यह ऐसी रोशनी है जो हिंसा, आतंकवाद, नक्सलवाद, माओवाद जैसी समस्याओं का समाधान बन रही है। अक्सर हम राजनीति के माध्यम से इन समस्याओं का समाधन खोजते हैं, जबकि समाधान की अपेक्षा संकट गहराता हुआ प्रतीत होता है। क्योंकि राजनीतिक स्वार्थों के कारण इन उपेक्षित एवं अभावग्रस्त लोगों का शोषण ही होते हुए देखा गया है। गणि राजेन्द्र विजयजी के नेतृत्व में आदिवासी समाज कृतसंकल्प है रोशनी के साथ चलते हुए इस आदिवासी अंचन के जीवन को उन्नत बनाने एवं संपूर्ण मानवता को अभिप्रेरित करने के लिये।  गणि राजेन्द्र विजयजी के आध्यात्मिक आभामंडल एवं कठोर तपचर्या का ही परिणाम है आदिवासी समाज का सशक्त होना। सर्वाधिक प्रसन्नता की बात है कि अहिंसक समाज निर्माण की आधारभूमि गणि राजेन्द्र विजयजी ने अपने आध्यात्मिक तेज से तैयार की है। अनेक बार उन्होंने खूनी संघर्ष को न केवल शांत किया, बल्कि अलग-अलग विरोधी गुटों को एक मंच पर ले आये। जबकि गुट व्यापक हिंसा एवं जनहानि के लिये तरह- तरह के हथियार लिये एक दूसरे को मारने के लिये उतावले रहते थे। हिंसा की व्यापक संभावनाओं से घिरे इस अंचल को अहिंसक बनाना एक क्रांति एवं चमत्कार ही कहा जायेगा। सचमुच आदिवासी लोगों को प्यार, करूणा, स्नेह एवं संबल की जरूरत है जो गणिजी जैसे संत एवं सुखी परिवार अभियान जैसे मानव कल्याणकारी उपक्रम से ही संभव है, सचमुच एक रोशनी का अवतरण हो रहा है, जो अन्य हिंसाग्रस्त क्षेत्रों के लिये भी अनुकरणीय है। गणि राजेन्द्र विजयजी की विशेषता तो यही है कि उन्होंने आदिवासी उत्थान को अपने जीवन का संकल्प और तड़प बना लिया है। आदिवासी जन-जीवन में भी बहुत उजाले हैं, लेकिन इन उजालों को छीनने के प्रयास हुए हैं, हो रहे हैं और होते रहेंगे। आज बाहरी खतरों से ज्यादा भीतरी खतरे हैं। हिंसा और अलगाव की कई चुनौतियां हैं, जो समाधान चाहती है। पर गलत प्रश्न पर कभी भी सही उत्तर नहीं मिला करते। जब रोटी की जरूरत हो तो रोटी ही समाधान बनती है। रोटी के बिना आप किसी सिद्धान्त को ताकत का इंजेक्शन नहीं बना सकते। 





(ललित गर्ग)
ई-253, सरस्वती कंुज अपार्टमेंट
25 आई. पी. एक्सटेंशन, पटपड़गंज, दिल्ली-92
फोनः 22727486, 9811051133

मधुबनी : सूर्य मंदिर जाने वाली सड़के आज भी उपंक्षित है

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  • कमलादित्य सूर्य मंदिर जाने वाली सडके आज भी उपंक्षित है, हजार साल वाद भी कच्ची सडक ही साधन 

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मधुबनी/अंधराठाढी (मोo आलम अंसारी ), इतिहास प्रसिद्ध कमलादित्य सूर्य मंदिर जाने बाली सडक अब तक उपेक्षित है। सदियो पुराना यह सूर्य मंदिर है। सरकार की पर्यटक स्थलो की सूची में चिन्हीत रहने के बाबजूद क्यो कर उपेक्षित है। यह एकचिन्ता की विय है। प्रखंड मुख्यालय से महज चार किलो मीटर की दूरी पर तीन पंचायतो क्रमशः अंधराठाढी उत्तर, अंधराठाढी दक्षिण एवं जलसेन पंचायत की सीमा पर अवस्थित है। सूर्य मंदिर पर जाने के लिये तीन ओर से सडके है। अंधराठाढी खोपा मुख्य पथ में ठाढी मिश्राईन पोखर के नीकट से कमलादित्य सूर्य मंदिर तक जाती है। जमैला और पलार गांव से भी कच्ची सडक मिलती है। सभी आने जाने बाली सडके कच्ची है। अंधरा चौक से अंधरा गांव तक खरंजा है। अंधरा गाय ओलार से कमला दित्य सूर्य मंदिर तक दो चक्का बाहन से भी पहुंचना मुश्कील होता है। नदी के नजदीक रहने के वजह से सडके पर बालू की मोटी परते जम रहती है। वाईक व साईकिल चालक सफर करते समय फिसलते रहते है। कमला दित्य सूर्य मंदिर तक जाने के लिये पैपाइदल ही एक सहारा है। अव तक सरकारी योजना के नाम पर पूर्व मंत्री नीतिश मिश्रा ने एक यात्री सेड का निर्माण कराया है। ग्राम पंचायत के मुखिया ने सोलर लाईट चापाकल मुहैया किये है। प्राचीन सूर्य मंदिर के जगह भव्य सूर्य का निर्माण कराया गया । सडक की दुर्दसा के कारण श्रद्धालुओ के पहुचने में काफी दिक्कते होती है। इस सडक के सुधारी करन की दरकार है। कहती है मुखिया बीण देवी नम पूछने पर वताया कि मनरेगा योजना के तहत आम सभा से यह सडके स्वीकृत हैं। जल्द ही इस सडक पर मिटटी एवं खरंजा करण कार्य कराया जायेगा ।

स्मृति-शेष : श्री अनिल माधव दवे, बौद्धिक तेज से दमकता था उनका व्यक्तित्व

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केंद्रीय पर्यावरण मंत्री श्री अनिल माधव दवे,देश के उन चुनिंदा राजनेताओं में थे, जिनमें एक बौद्धिक गुरूत्वाकर्षण मौजूद था। उन्हें देखने, सुनने और सुनते रहने का मन होता था। पानी, पर्यावरण,नदी और राष्ट्र के भविष्य से जुड़े सवालों पर उनमें गहरी अंर्तदृष्टि मौजूद थी। उनके साथ नदी महोत्सवों ,विश्व हिंदी सम्मेलन-भोपाल, अंतरराष्ट्रीय विचार महाकुंभ-उज्जैन सहित कई आयोजनों में काम करने का मौका मिला। उनकी विलक्षणता के आसपास होना कठिन था। वे एक ऐसे कठिन समय में हमें छोड़कर चले गए, जब देश को उनकी जरूरत सबसे ज्यादा थी। आज जब राजनीति में बौने कद के लोगों की बन आई तब वे एक आदमकद राजनेता-सामाजिक कार्यकर्ता के नाते हमारे बीच उन सवालों पर अलख जगा रहे थे, जो राजनीति के लिए वोट बैंक नहीं बनाते। वे ही ऐसे थे जो जिंदगी के, प्रकृति के सवालों को मुख्यधारा की राजनीति का हिस्सा बना सकते थे।

     
भोपाल में जिन दिनों हम पढ़ाई करने आए तो वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक थे, विचार को लेकर स्पष्टता, दृढ़ता और गहराई के बावजूद उनमें जड़ता नहीं थी। वे उदारमना, बौद्धिक संवाद में रूचि रखने वाले, नए ढंग से सोचने वाले और जीवन को बहुत व्यवस्थित ढंग से जीने वाले व्यक्ति थे। उनके आसपास एक ऐसा आभामंडल स्वतः बन जाता था कि उनसे सीखने की ललक होती थी। नए विषयों को पढ़ना, सीखना और उन्हें अपने विचार परिवार (संघ परिवार) के विमर्श का हिस्सा बनाना, उन्हें महत्वपूर्ण बनाता था। वे परंपरा के पथ पर भी आधुनिक ढंग से सोचते थे। उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन अविवाहित रहकर समाज को समर्पित कर दिया। वे सच्चे अर्थों में भारत की ऋषि परंपरा के उत्तराधिकारी थे। संघ की शाखा लगाने से लेकर हवाई जहाज उड़ाने तक वे हर काम में सिद्धहस्त थे। 6 जुलाई,1956 को मध्यप्रदेश के उज्जैन जिले के बड़नगर में जन्में श्री दवे की मां का नाम पुष्पादेवी और पिता का नाम माधव दवे था।

गहरा सौंदर्यबोध और सादगीः
उनकी सादगी में भी एक सौंदर्यबोध परिलक्षित होता था। बांद्राभान (होशंगाबाद) में जब वे अंतरराष्ट्रीय नदी महोत्सव का आयोजन करते थे, तो कई बार अपने विद्यार्थियों के साथ वहां जाना होता था। इतने भव्य कार्यक्रम की एक-एक चीज पर उनकी नजर होती थी। यही विलक्षता तब दिखाई दी, जब वे भोपाल में हुए विश्व हिंदी सम्मेलन में इसे स्थापित करते दिखे। आयोजनों की भव्यता के साथ सादगी और एक अलग वातावरण रचना उनसे सीखा जा सकता था। सही मायने में उनके आसपास की सादगी में भी एक गहरा सौंदर्यबोध छिपा होता था। वे एक साथ कितनी चीजों को साधते हैं, यह उनके पास होकर ही जाना जा सकता था। हम भाग्यशाली थे कि हमें उनके साथ एक नहीं अनेक आयोजनों में उनकी संगठनपुरूष की छवि, सौंदर्यबोध,भाषणकला,प्रेरित करनी वाली जिजीविषा के दर्शन हुए। विचार के प्रति अविचल आस्था, गहरी वैचारिकता, सांस्कृतिक बोध के साथ वे विविध अनुभवों को करके देखने वालों में थे। शौकिया पर्यटन ने उनके व्यक्तित्व को गढ़ा था। वे मुद्दों पर जिस अधिकार से अपनी बात रखते थे, वह बताती थी कि वे किस तरह विषय के साथ गहरे जुड़े हुए हैं। उनका कृतित्व और जीवन पर्यावरण, नदी संरक्षण, स्वदेशी के युगानुकूल प्रयोगों को समर्पित था। वे स्वदेशी और पर्यावरण की बात कहते नहीं, करके दिखाते थे। उनके मेगा इवेंट्स में तांबे के लोटे ,मिट्टी के घड़े, कुल्हड़ से लेकर भोजन के लिए पत्तलें इस्तेमाल होती थीं। आयोजनों में आवास के लिए उनके द्वारा बनाई गयी कुटिया में देश के दिग्गज भी आकर रहते थे। हर आयोजन में नवाचार करके उन्होंने सबको सिखाया कि कैसे परंपरा के साथ आधुनिकता को साधा जा सकता है। राजनीति में होकर भी वे इतने मोर्चों पर सक्रिय थे कि ताज्जुब होता था।

कुशल संगठक और रणनीतिकारः
वे एक कुशल संगठनकर्ता होने के साथ चुनाव रणनीति में नई प्रविधियों के साथ उतरने के जानकार थे। भाजपा में जो कुछ कुशल चुनाव संचालक हैं, रणनीतिकार हैं, वे उनमें एक थे। किसी राजनेता की छवि को किस तरह जनता के बीच स्थापित करते हुए अनूकूल परिणाम लाना, यह मध्यप्रदेश के कई चुनावों में वे करते रहे। दिग्विजय सिंह के दस वर्ष के शासनकाल के बाद उमाश्री भारती के नेतृत्व में लड़े गए विधानसभा चुनाव और उसमें अनिल माधव दवे की भूमिका को याद करें तो उनकी कुशलता एक मानक की तरह सामने आएगी। वे ही ऐसे थे जो मध्यप्रदेश में उमाश्री भारती से लेकर शिवराज सिंह चौहान सबको साध सकते थे। सबको साथ लेकर चलना और साधारण कार्यकर्ता से भी, बड़े से बड़े काम करवा लेने की उनकी क्षमता मध्य प्रदेश ने बार-बार देखी और परखी थी।

  
बौद्धिकता-लेखन और संवाद से बनाई जगहः
उनके लेखन में गहरी प्रामाणिकता, शोध और प्रस्तुति का सौंदर्य दिखता है। लिखने को कुछ भी लिखना उनके स्वभाव में नहीं था। वे शिवाजी एंड सुराज, क्रिएशन टू क्रिमेशन, रैफ्टिंग थ्रू ए सिविलाइजेशन, ए ट्रैवलॉग, शताब्‍दी के पांच काले पन्‍ने, संभल के रहना अपने घर में छुपे हुए गद्दारों से, महानायक चंद्रशेखर आजाद, रोटी और कमल की कहानी, समग्र ग्राम विकास, अमरकंटक से अमरकंटक तक, बेयांड कोपेनहेगन, यस आई कैन, सो कैन वी जैसी पुस्तकों के माध्यम से अपनी बौद्धिक क्षमताओं से लोगों को परिचित कराते हैं। अनछुए और उपेक्षित विषयों पर गहन चिंतन कर वे उसे लोकविमर्श का हिस्सा बना देते थे। आज मध्यप्रदेश में नदी संरक्षण को लेकर जो चिंता सरकार के स्तर पर दिखती है , उसके बीज कहीं न कहीं दवे जी ने ही डाले हैं, इसे कहने में संकोच नहीं करना चाहिए। वे नदी, पर्यावरण, जलवायु परिर्वतन,ग्राम विकास जैसे सवालों पर सोचने वाले राजनेता थे। नर्मदा समग्र संगठन के माध्यम से उनके काम हम सबके सामने हैं। नर्मदा समग्र का जो कार्यालय उन्होंने बनाया उसका नाम भी उन्होंने ‘नदी का घर’ रखा। वे अपने पूरे जीवन में हमें नदियों से, प्रकृति से, पहाड़ों से संवाद का तरीका सिखाते रहे। प्रकृति से संवाद दरअसल उनका एक प्रिय विषय था। दुनिया भर में होने वाली पर्यावरण से संबंधित संगोष्ठियों और सम्मेलनों मे वे ‘भारत’ (इंडिया नहीं) के एक अनिवार्य प्रतिनिधि थे। उनकी वाणी में भारत का आत्मविश्वास और सांस्कृतिक चेतना का निरंतर प्रवाह दिखता था। एक ऐसे समय में जब बाजारवाद  हमारे सिर चढ़कर नाच रहा है, प्रकृत्ति और पर्यावरण के समक्ष रोज संकट बढ़ता जा रहा है, हमारी नदियां और जलश्रोत- मानव रचित संकटों से बदहाल हैं, अनिल दवे की याद बहुत स्वाभाविक और मार्मिक हो उठती है।




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--संजय द्विवेदी--
(लेखक माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल में जनसंचार विभाग के अध्यक्ष हैं।)

प्रतिभा उम्र की मोहताज नहीं। पीएम नरेंद्र मोदी हैं आदर्श, मिलने की है ललक : मो0 फैयाज

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  • चार साल के नन्हें फैजान की है गजब की स्मरण शक्ति. देश, उसकी राजधानी से लेकर अन्य चीजे हैं कंठस्त याद 


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कहते हैं प्रतिभा उम्र की मोहताज नहीं होतीं। या तो यह ईश्वरीय शक्ति की एक अनुपम कृति होती है या फिर घर-परिवार, समाज के द्वारा प्राप्त संस्कृति-संस्कार, आचार-विचार व अनुभव का त्वरित गति से आत्मसात किया गया गुण। हम यहाँ बात कर रहे हैं एक ऐसे बालक की जो दिखता तो है बिल्कुल साधारण किन्तु उसकी अद्भुत क्षमता उसे लोकप्रिय बना डालती है। दुमका के बाघनोचा-राखाबनी में रहने वाले मो फारुक अनवर व गुड़िया खातुन के बेटे मो फैजान की गजब की स्मरण शक्ति है। विश्व के तमाम देश व उसकी राजधानी से लेकर अन्य चीजें उसे कंठस्थ याद है। चंद दिनों पूर्व ही उसने चार साल की उम्र पूरी की है। पिता फारुक एमए-बीएड कर चुके हैं और शिक्षक की नौकरी पाने के लिए खुद तैयारी कर रहे हैं। घर में उनके भतीजे रेहान हैं, जो सातवीं में पढते हैं। अपनी किताबों से विभिन्न विषयों पर आधारित चीजों सहित अन्य के रेहान को याद करते सुन फैजान को पहले ही दिन कई देशों की राजधानी याद हो गयी। जब इस बात का अहसास फारुक व उनकी पत्नी गुड़िया को हुआ, तो वे अपने बच्चे को इसके लिए प्रेरित करने लगे। जब माता-पिता को फूर्सत मिलती, दोनों बच्चे को बताते, पढ़ाते व याद कराते। चंद दिनों में ही उसने सभी देशों की राजधानी याद कर ली।  अब तो वह देश के प्रमुख नेताओं, मंत्री, मुख्यमंत्री के नामों को जानने में लगा हुआ है। चांद पर जाने की है तमन्ना है फैजान को। वह साइंटिस्ट बनना चाहता है ताकि विश्व की बारीकियों से अवगत हो सके। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फैजान काफी प्रभावित है। पीएम मोदी से वह वह मिलना भी चाहता है। चाणक्य उर्फ कौटिल्य उर्फ उपगुप्त (अर्थशास्त्र के जनक) के बारे में उसने लैपटॉप इंटरनेट के जरिये जाना था। कौटिल्य की तरह ही फैजान ब्रिलियेण्ट बनना चाहता है। फैजान के दादा हाजी शेखावत अंसारी बांधडीह मिडिल स्कूल से बतौर शिक्षक सेवानिवृत्त हो चुके हैं। वे कहते हैं कि बच्चे में विलक्षण प्रतिभा है। उसके सामने पढ़ने वाले छात्रों की बात सुनकर ही उसे सबकुछ याद आ जाता है। बाघनोचा-राखाबनी मुहल्लावासी मो0 अरशद कहते हैं कि इतनी कम उम्र में इतनी तीक्ष्ण स्मरण शक्ति बहुत बड़ी बात है। वे कहते हैं फैजान तरक्की के हर शिखर तक पहुंचेगा, ऐसी उम्मीद है। 


बासुकिनाथ धाम के इतिहास में एक नया अध्याय संस्कार सह प्रशासनिक भवन का निर्माण : डीसी

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दुमका (अमरेन्द्र सुमन),  उपायुक्त दुमका सह अध्यक्ष मंदिर न्यास समिति, बासुकिनाथधाम दुमका राहुल कुमार सिन्हा ने दिन मंगलवार को बासुकिनाथधाम मंदिर परिसर में संस्कार सह प्रशासनिक भवन का उद्घाटन किया। वैदिक मंत्रोच्चार के साथ उद्घाटन में जरमुण्डी विधायक बादल पत्रलेख व पूर्व सांसद व न्यास समिति के वरिष्ठ सदस्य अभयकान्त प्रसाद ने भी पूजा-अर्चना में हिस्सा लिया। इस अवसर पर उपायुक्त ने कहा कि इसका श्रेय पूरी टीम, जन प्रतिनिधियों व पंडा समाज को जाता है जिन्होेंने इसके निर्माण में हर तरह से सहयोग किया है। सबके प्रति हृदय से आभार प्रकट करते हुए उपायुक्त ने कहा कि यह श्रद्धालुओं के उपयोग में आयेगा तथा महत्वपूर्ण अवसरों पर प्रशासनिक दृष्टि से नियंत्रण रखने में सुविधा होगी। जरमुण्डी विधायक बादल पत्रलेख ने कहा कि यह एक दूरगामी पहल है तथा इसके लिए लोग उपायुक्त के योगदान को याद रखेंगे। पूर्व सांसद अभयकान्त प्रसाद ने अपनी शुभकामनायें देते हुए कहा कि मंदिर परिसर के विस्तार से श्रद्धालुओं को सुविधा होगी तथा महत्वपूर्ण अवसरों पर भीड़ को भी आसानी से नियंत्रित किया जा सकेगा। श्रावणी मेला और व्यवस्थित हो जायेगा। ज्ञात हो कि हंडवा स्टेट द्वारा निर्मित सैकड़ों वर्ष पुराना प्रसिद्ध वासुकिनाथधाम मंदिर का संचालन वासुकिनाथ मंदिर न्यास समिति के द्वारा किया जाता है। श्रद्धालुओं की प्रत्येक वर्ष बढ़ती संख्या को देखते हुए यह आवष्यक हो गया था कि मंदिर परिसर का विस्तार हो। मंदिर के दक्षिण में कलकतिया धर्मषाला का संचालन कोलकाता की श्रीमती सुषमा पोद्दार एवं श्री ओमप्रकाष पोद्दार के द्वारा किया जाता रहा है। यह भवन कुल 156 ग 60 वर्गफीट में बना हुआ था तथा मंदिर के दक्षिणी दीवार से सटा हुआ था।  धर्मषाला की प्रतिवर्ष होती क्रमषः जीर्णता तथा मंदिर से ठीक सटे होने के कारण धर्मषाला की व्यवहारिक अनुपयोगिता को ध्यान में रखते हुए दुमका के उपायुक्त राहुल कुमार सिन्हा ने फरवरी 2016 में नव वर्ष की शुभकामनायें देते हुए लोक कल्याण के लिए कलकतिया धर्मषाला के उत्तरी ओर लगभग 156ग30 वर्गफीट जमीन स्वेच्छा से दान देने का अनुरोध किया। सुषमा पोद्दार तथा ओम प्रकाष पोद्दार उपायुक्त से आकर दुमका में मिले तथा उन्हांेने उपायुक्त के प्रस्ताव पर सहर्ष स्वीकृति दी। सुषमा पोद्दार तथा ओम प्रकाष पोद्दार ने कहा कि पहली बार न्यास समिति के अध्यक्ष सह उपायुक्त ने हमें इतना मान दिया है। उन्होंने उपायुक्त के इस पहल की सराहना की। सुषमा पोद्दार तथा ओम प्रकाष पोद्दार ने विगत कई वर्षों से उच्च न्यायालय झारखण्ड रांची के समक्ष इससे संबंधित वाद को न्यायालय से वापस ले लिया। धर्मषाला का आधा भू-भाग 30ग156 वर्गफीट मंदिर न्यास समिति बासुकिनाथ के नाम से दे दिया गया। कलकतिया धर्मषाला का आधा भूभाग मंदिर न्यास समिति को उपलब्ध हो जाने के बाद संस्कार सह प्रषासनिक भवन का निर्माण के लिए उपायुक्त ने पहल की तथा रिकार्ड समय सीमा में इसका निर्माण पूरा किया। पुराने जीर्ण भवन को हटाने तथा नये दो मंजिले भवन के निर्माण पर लगभग देड़ करोड़ का व्यय संभावित है।  उद्घाटन अवसर पर बासुकिनाथ मंदिर न्यास समिति के सचिव जयप्रकाश झा, उप निदेशक जनसम्पर्क अजय नाथ झा, मंदिर प्रभारी व प्रखंड विकास पदाधिकारी जरमुण्डी, संजय दास, अंचल अधिकारी परमेश कुशवाहा, कार्यपालक पदाधिकारी नगर पंचायत ज्योति कुमार सिंह, कार्यपालक अभियंता भवन निर्माण रामेश्वर दास, पंडा धर्मरक्षिणी सभा के अध्यक्ष मनोज पंडा, अखिल भारतीय तीर्थ पुरोहित महासभा बासुकिनाथ इकाई के अध्यक्ष पडित जितेन्द्र झा, सदस्य रूपेश झा लाली, कुन्दन झा, कुन्दन पत्रलेख, सारंग झा, विश्वम्भर राव, तेजनारायण पत्रलेख, चन्द्रशेखर झा, मदन झा, गणेश झा व बड़ी संख्या में मंदिर के पंडागण, स्थानीय नागरिक उपस्थित थे।

सामयिकी : मोदी की श्रीलंका यात्रा - कहीं पे निगाहें, कहीं पे निशाना

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी गये तो श्रीलंका थे। पर उनकी निगाहें चीन पर लगी थीं। श्रीलंका जाकर पहला झटका उन्होंने चीन को दिया, जब श्रीलंका ने एक चीनी पनडुब्बी को कोलंबो बंदरगाह में ठहरने की अनुमति देने से साफ इनकार करते हुए कहा कि - यह असंभव है। चीन दशकों से भारत को घेरने की कोशिश कर रहा है। लेकिन अब मोदी के नेतृत्व वाला भारत चीन की हर चाल को काटने में लगा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने श्रीलंका के साथ टूटते तार को मजबूती से जोड़ने की कोशिश की है। 

दरअसल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी गये तो श्रीलंका थे, पर उनकी निगाहें चीन की चाल पर लगी थीं। ये महज एक संयोग नहीं था कि उसी दिन चीन के राष्ट्रपति चीन की उस महत्वाकांक्षी परियोजना वन बेल्ट एंड वन रोड कार्यक्रम को अंतिम रूप देने में लगे हुए थे, जो चीन को यूरोप और मध्यपूर्व के साथ जोड़ने वाली एक अत्यधिक व्यापक बुनियादी ढांचे वाली परियोजना है। रविवार 14 मई को बीजिंग में आयोजित इस समारोह में हिस्सा लेने के लिए दुनिया भर से लगभग 30 नेता पहुंचे, लेकिन भारत ने इसमें शामिल होने से इनकार कर दिया। चीन की वन बेल्ट एंड वन रोड नामक यह परियोजना प्राचीन रेशम मार्ग आर्थिक क्षेत्र या 21वीं सदी सामुद्रिक सिल्क मार्ग के जरिए 100 देशों को जोड़ने वाली एक भीमकाय परियोजना है। पांच महादेशों से गुजरने वाली इस परियोजना पर चीन अबतक 50 बिलियन डॉलर से ज्यादा निवेश कर चुका है। और अनुमान है कि आगे इस पर कुल 900 बिलियन डॉलर का निवेश होगा।


लेकिन भारत ने इसमें शामिल होने से इसलिए इनकार किया, क्योंकि एक तरफ चीन ने परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह एनएसजी में भारत के प्रवेश को रोक रखा है, तो दूसरी तरफ पाकिस्तानी आतंकवादियों के लेकर भी उसका रुख नकारात्मक है। इसके अलावा यह परियोजना भारत के पाक कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर के उस हिस्से से भी होकर गुजरती है, जो अभी भारत और पाकिस्तान के बीच विवाद का कारण बना हुआ है। चीन की इस परियोजना में भारत के शामिल होने से लगता कि भारत ने पाक कब्जे वाले कश्मीर पर पाक और चीन के प्रभुत्व को स्वीकार कर लिया है। लिहाजा भारत ने इसमें नहीं शामिल होने का ठीक फैसला किया। 

इधर चीन श्रीलंका में भारी निवेश कर वहां भी भारत की राहें मुश्किल बना रहा था। श्रीलंका सार्क में भारत का सबसे बड़ा साझीदार है। लेकिन चीनी निवेश के कारण वहां भी भारत के लिए नयी चुनौतियां खड़ी हो रही थीं। जबकि वहां के कोलंबो बंदरगाह में भारत से 70 प्रतिशत से अधिक ट्रांस-शिपमेंट होती है। लेकिन श्रीलंका में भारत का प्रभाव कम करने के लिए चीन ने सिर्फ 2016 में ही वहां 15 बिलियन की फंडिंग और निवेश किया है। इस तरह श्रीलंका में चीन की आर्थिक सक्रियता भारत के आगे बढ़ने की रफ्तार को सीमित ही नहीं कर रही थी, बल्कि हमारे व्यावसायिक हितों को नुकसान भी पहुंचा रही थी। इस लिहाज से मोदी की श्रीलंका यात्रा के खास मायने हैं।

दो साल के भीतर दूसरी बार श्रीलंका की यात्रा पर गए पीएम नरेंद्र मोदी ने वाराणसी और कोलंबो के बीच सीधी फ्लाइट शुरू करने की घोषणा कर दोनों देशों के बीच संबंधों को और प्रगाढ़ बनाने की पहल की है। उन्होंने घोषणा की कि इस साल अगस्त में, एयर इंडिया कोलंबो और वाराणसी के बीच सीधी उड़ानें भरना शुरू कर देगा। इससे श्रीलंका के हमारे भाई-बहनों के लिए बुद्ध की धरती की यात्रा आसान हो जाएगी और आप सीधे श्रावस्ती, कुशीनगर, संकासा, कौशंबी और सारनाथ की यात्रा कर पाएंगे।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जिस दिन श्रीलंका की धरती पर कदम रखा, उस दिन श्रीलंका में अंतर्राष्ट्रीय वेसाक समारोह मनाया जा रहा था। श्रीलंका के बौद्ध पंचांग में यह सबसे अहम दिन माना जाता है। प्रधानमंत्री मोदी इस समारोह के मुख्य अतिथि थे। अपने भाषण के दौरान मोदी ने कहा कि इस शुभ अवसर पर पूर्णत: आत्मजागृत सम्यकसम्बुद्ध की इस धरती पर मैं अपने साथ 1।25 अरब लोगों की शुभकामनाएं भी लाया हूं।

वास्तव में प्रधानमंत्री मोदी के शासनकाल में श्रीलंका-भारत संबंधों ने एक नया और सकारात्मक मोड़ लिया है। दोनों देश उच्चस्तरीय कूटनीति के साथ जुड़ने के इच्छुक रहे हैं और दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय यात्राएं कई गुना बढ़ गई हैं। इससे पहले राष्ट्रपति मैत्रीपाल सिरीसेना और प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने तीन-तीन बार दिल्ली के दौरे किए हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने भारत-श्रीलंका संबंधों में पारस्परिक अविश्वास को समाप्त कर विश्वास का एक नया दौर शुरु करने की कोशिश की है। क्योंकि पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे ने भारत को एक पड़ोसी दोस्त की बजाय एक क्षेत्रीय ताकत के रूप में देखा और क्षेत्रीय समीकरण के संतुलन के लिए उन्होंने चीन की तरफ अपना स्पष्ट झुकाव दिखाना शुरु किया। मोदी ने इस हालात को बदलने की सफल कोशिश की है। मोदी की यात्रा से पहले श्रीलंका द्वारा चीन की पनडुब्बी को हंबनटोटा बंदरगाह में उतारने की इजाजत देने के अनुरोध को ठुकरा देना भारत की पहली कूटनीतिक सफलता है। श्रीलंका ने न सिर्फ चीन के आग्रह को नकार दिया, बल्कि भारत की चिंताओं को देखते हुए चीन को दो टूक कह दिया कि यह असंभव है। इससे पहले श्रीलंका ने अक्टू बर 2014 में एक चीनी पनडुब्बीर को कोलंबो में खड़ा करने की इजाजत दी थी, जिसपर भारत ने कड़ा विरोध दर्ज कराया था।

प्रधानमंत्री मोदी ने श्रीलंका के साथ सांस्कृतिक संबंधों को आधार बनाकर रिश्ते सुधारने की शानदार पहल की है। श्रीलंकाई लोग बहुतायत से जिस बौद्ध धर्म के अनुयायी हैं, उसके प्रवर्तक महात्मा बुद्ध का जन्मस्थान भारत है। बौद्ध धर्म के संदेश के जरिए मोदी ने तमिल राजनीति की गंदगी से दोनों देशों के बीच के संबंधों को दूर ले जाकर सांस्कृतिक एकता के दायरे में ले आने की कोशिश की है। दोनों देशों के बीच धार्मिक व सांस्कृतिक एकता बढ़ने से न सिर्फ दोनों देशों के बीच 2500 वर्ष से चले आ रहे संबंधों में फिर से गर्मी आएगी, बल्कि भारत खुद को एक ऐसी सौहार्द्रपूर्ण शक्ति के रूप में पेश कर सकता है, जिसे श्रीलंका के सिर्फ विकास और कल्याण में दिलचस्पी है।


मोदी ने श्रीलंका जाकर तमिलों के मुद्दे को भी नजरंदाज नहीं किया। उन्होंने श्रीलंका में बेघर हुए तमिल लोगों के लिए 10,000 अतिरिक्त मकान बनाने की घोषणा की। श्रीलंका के राष्ट्रपति ने भी इसका समर्थन करते हुए कहा कि सामाजिक न्याय के लिहाज से सिंहली, तमिल और मुस्लिम सभी के हित एक समान हैं।

श्रीलंका के साथ भारत के संबंधों को तेजी से आगे बढ़ाने के लिए भारत को दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और आर्थिक सहयोग के अलावा शिक्षा, शोध, सिनेमा, जल और जलवायु परिवर्तन जैसे विषयों को भी शामिल करना चाहिए। निश्चय ही इससे दोनों देशों के संबंध बेहद प्रगाढ़ हो जाएंगे। 

श्रीलंका जाकर प्रधानमंत्री मोदी ने चीन को साफ संदेश दिया है कि वह उसकी हर चाल से वाकिफ है और उसका जवाब देने के लिए सतर्क और तत्पर भी है।  


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ओंकारेश्वर पांडेय 
संपर्क - editoronkar@gmail.com
लेखक दिल्ली स्थित वरिष्ठ पत्रकार हैं।

बिहार : शराबबंदी के नारों के बीच तनखाह के बिना कर्मचारी

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पटना। शराबबंदी से मदहोश हो गये हैं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार। एक ही नारा और एकमात्रः कार्य है कि महिलाओं के कथन पर खरे उतरे,जिनके कहने पर शराबबंदी कर दिये हैं। कहते हैं कि शराबबंदी से परिवार में तनाव कम हो गया है। अपराध की संख्या में कमी आयी है। जरा राज्यकर्मियों के बारे में जानकारी लेते कि उनके घरों में किस तरह का कलह उत्पन्न हुआ और जारी है। प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, मसौढ़ी में कार्यरत महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को 18 माह से वेतनादि नहीं मिल रहा है। उसी तरह से सामाजिक सुरक्षा पेंशन भी भुगतान नहीं पा रहा है। आप सीएम साहब खुद ही अनुमान लगा लें कि जिस घर में 18 माह से वेतन नहीं मिल रहा है। तो कैसे जीवन बिता रहे होंगे। कैसे बच्चों की पढ़ाई जारी रख रहेंगे होंगे। बच्चों की न्यूनतम जरूरतों को पूर्ण करते होंगे। कहां से राशन-पानी लाते होंगे। प्रत्येक माह बिजली भुगतान कैसे करते होंगे। बैंक से लेने वाले ऋण का भुगतान कैसे करते होंगे।  शराबबंदी के पक्ष में है बिहार सरकार। इसके कारण राजस्व में निरंतर गिरावट जारी है। राज्यकर्मियों को समयानुसार वेतनादि नियमित भुगतान नहीं हो पा रहा है। इस संदर्भ में खुद परेशान हैं पटना जिले के असैनिक शल्य चिकित्सक सह मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी। कहते हैं कि मांग के अनुसार राशि का भुगतान नहीं किया जाता है। इसका असर राज्यकर्मियों के वेतनादि पर पड़ रहा है। 


स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत पुरूषों को वेतन मिल जाता है। महिलाओं के वेतन मिलने में दिक्कत है। विभिन्न प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में कार्यरत बड़ा बाबू काम के बदले में दाम वसूलने से बाज नहीं आते हैं। प्रत्येक काम के एवज में मोटी राशि हड़पते हैं। सीएम साहब आपके राज का यह हाल है कि राशि देने में विलम्ब करने वालों का बड़ा बाबू काम नहीं करते हैं। खुलेआम कहते हैं कि जिसके पास जाकर कहना है उसके पास जाकर कहो बाल बांका नहीं होगा। अब एक ही उपाय है कि बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार की तरह राज्यकर्मियों के लिए कर्मचारी शिकायत निवारण केन्द्र में निर्मित हो। सूचना के अधिकार की तरह कार्य निपटारा करने में कौताही बरतने वालों पर आर्थिक दंड लेने का प्रावधान हो। दंड की राशि पीड़ित कर्मी को दिया जाये। महात्मा गांधी मनरेगा की तरह समय सीमा के अंदर वेतन नहीं भुगतान करने 15 दिनों में 25 प्रतिशत, 30 दिन में 30 प्रतिशत, 60 दिनों में 35 प्रतिशत, 90 दिनों में 40 प्रतिशत और 120 दिनों में 50 प्रतिशत विलम्ब वेतन हर्जाना के रूप में कर्मियों को मिले। 4 माह के बाद एक माह का वेतन भुगतान किया जाए। 

बिहार : ईसाई समुदाय के समक्ष चुनौती

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पटना। पश्चिम चम्पारण में स्थित बेतिया, चुहड़ी, चकनी आदि जगहों से ईसाई पलायन करके आये थें। यहां पर धर्मप्रचारक के रूप में थे पास्कल मास्टर। सिल्वेस्टर भाजू, दाउद, पौल दाउद,रफायल महतो आदि मुठ्ठीभर के ही लोग थे। इन लोगों के प्रयास से कुर्जी परिवारों का विस्तार हुआ। मिशन में कार्यरत थे। मगर मिशन वालों ने सम्मान देने के बदले अपमानित करते रहे। इनके परिवार से सिस्टर और फादर भी बने। सदैव मिशनरी ईसाई समुदाय को चुनौती देते रहे। हालांकि ईसाई समुदाय की जनसंख्या पांच हजार की है । ऐसा दावा किया जाता है। 


इतिहास के साथ जुड़ी है कुर्जी पल्ली और संत माइकल उच्च विघालय। संत माइकल उच्च विघालय में ईसाई समुदाय के लोग ‘बी’ फोर बार्वची का कार्य किये। ‘ंडी’ से दरवान भी रहे। संत माइकल उच्च विघालय में कर्मियों के बच्चे और अन्य बच्चों को एडमिशन लिया जाता था। कुछ साल के बाद अध्ययनरत बच्चों को स्कूल से मिशनरी विदा कर देते थे। जो आज भी जारी है। बावजूद, इसके ईसाई समुदाय उभरने का प्रयास करते रहे। मिशनरियों के मायावी जाल से निकलने के क्रम में 1977 में अव्वल स्व0 जैकब जोसेफात ने मैनपुरा ग्राम पंचायत से पंच के लिए चुनाव लड़ा और विजयी घोषित हुए। इस तरह कुर्जी पल्ली के स्वर्णीम इतिहास में जैकब जोसेफात पहली बार ‘पंच’ बन सके। इसके बाद साउथ इंडियन सुसन रिचर्ड ने पश्चिम मैनपुरा ग्राम पंचायत के वार्ड सदस्य के लिए 2005 में चुनाव लड़ा और शानदार विजयी घोषित की गयी। इधर आशा पीटर ने पूर्वी दीघा ग्राम पंचायत के मुखिया पद के लिए नामांकन दाखिल की। मुखिया पद के चुनाव में 2005 में आशा पीटर काफी कम मतों से पराजित हो गयी। फिर से धार्मिक कार्य के साथ सामाजिक कार्य भी शुरू कर दी। कुर्जी पल्ली के इतिहास में वर्ष 2011 उल्लेखनीय है। एक नहीं दो ईसाइयों ने मुखिया पद के लिए नामांकन दाखिल किये। पूर्वी दीघा ग्राम पंचायत से आशा पीटर और पश्चिमी मैनपुरा ग्राम पंचायत से फिलिप जैकब। दोनों मुखिया के चुनाव में शिकस्त खा गये। 

त्रिस्तरीय ग्राम पंचायत के पूर्वी दीघा गा्रम पंचायत, पश्चिमी दीघा गा्रम पंचायत, उत्तरी मैनपुरा ग्राम पंचायत, पूर्वी मैनपुरा ग्राम पंचायत और पश्चिमी मैनपुरा ग्राम पंचायत को विघटित कर पटना नगर निगम में शामिल कर लिया गया। पांच पंचायतों को मिलाकर 3 वार्ड तैयार किया गया। वार्ड नम्बर- 22 ए, वार्ड नम्बर- 22 बी और वार्ड नम्बर- 22 सी। 6 साल के बाद बालूपर मुहल्ले से राजन जोवाकिम की पत्नी संजू राजन वार्ड नम्बर-22 बी से भाग्य अजमाने मैदान में कूद पड़ी हैं। उनका चुनाव चिन्ह है 

आसनसोल में ठहराव को लेकर एसीसी ने मंडल रेल प्रबंधक से की मुलाकात।

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  • साप्‍ताहि‍क एक्‍सप्रेस ट्रेनों को अर्घ-साप्‍ताहि‍क करने व हावड़ा-नई दि‍ल्‍ली राजधानी एक्‍सप्रेस के आसनसोल में ठहराव को लेकर एसीसी ने मंडल रेल प्रबंधक से की मुलाकात। 

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दुमका (अमरेन्द्र सुमन), आसनसोल चैम्‍बर ऑफ कॉमर्स (एसीसी) के प्रति‍नि‍धि मंडल ने दिन बुधवार (17.05.2017) को मंडल रेल प्रबंधक आसनसोल पी.के. मि‍श्रा से उनके कार्यालय कक्ष में मुलाकात कर आसनसोल में रेल की वर्तमान व्यवस्था व अन्य कठिनाईयों से संबंधित अपनी बातें रखी। मंडल रेल प्रबंधक आसनसोल से मुलाकात का नेतृत्व एसीसी अध्‍यक्ष नरेश अग्रवाल ने कि‍या। श्री मि‍श्रा के समक्ष अपनी माँग-सूची रखते हुए एसीसी प्रतिनिधि मंडल ने हावड़ा-नई दि‍ल्‍ली राजधानी एक्‍सप्रेस के आसनसोल में ठहराव व आसनसोल से खुलने वाली कुछ साप्‍ताहि‍क एक्‍सप्रेस ट्रेनों को अर्घ-साप्‍ताहि‍क (सप्‍ताह में दो बार) करने से संबंधित माँगें‍ प्रमुख रुप से शामि‍ल थीं। मंडल रेल प्रबंधक ने आसनसोल चैम्‍बर आॅफ काॅमर्स के सदस्‍यों को आश्‍वस्‍त कि‍या कि उनकी माँगों पर वि‍चार कि‍या जाएगा और अपेक्षि‍त हुआ, तो उसी के अनुरूप आवश्‍यक कदम भी उठाए जाएंगे। मंडल रेल प्रबंधक ने वि‍चार-वि‍मर्श के दौरान इस मंडल के कुछ स्‍टेशनों के सौंदर्यीकरण हेतु चैम्‍बर से सहयोग का आग्रह भी कि‍या। इस अवसर पर अपर मंडल रेल प्रबंधक आर. के. बरनवाल, वरि‍ष्‍ठ मंडल परि‍चालन प्रबंधक ए.के. मि‍श्रा भी इस दौरान बैठक में उपस्‍थि‍त थे। उपरोक्त की जानकारी रुपायन मित्रा पीआरओ, आसनसोल (ईस्टर्न रेलवे) रुपायन मि़त्रा ने प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से दी। 

झाबुआ (मध्यप्रदेश) की खबर 19 मई

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पुलिस ने ग्राम भामल में आयोजित की खाटला चैपाल 

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झाबुआ । पुलिस अधीक्षक श्री महेश चंद जैन द्वारा ग्राम भामल थाना थांदला में खाटला चैपाल का आयोजन किया गया। खाटला चैपाल में सैकड़ों की संख्या में उपस्थित बालक/बालिकाओं, महिलाओं, पुरूषों तथा बेटियों को- ‘‘कम से कम 18 वर्ष की उम्र तक, पढ़ना एवं पढ़ाना है, जीवन सुखद बनाना है, जीवन सुखद बनाना है’’ का प्रण कराया गया, साथ ही जिले में नाबालिग आयु में घर से भाग जाने/शादी कर लेने के दुष्परिणामों को उदाहरणों सहित समझाया जाकर सभी से अनुरोध किया गया कि 18 वर्ष की आयु के बाद ही शादी करें। प्रण कराया कि ‘‘18 वर्ष की आयु से पहले नहीं करेंगे अपनी बेटी की शादी’’ ‘‘तो पढ़ेगी, आगे बढ़ेगी और सुखी रहेगी बेटी तुम्हारी’’। उपस्थित ग्रामवासियों को समझाया गया कि शराब के नशे में वाहन चलाने से अधिकांश दुर्घटनाएं एवं मृत्यु हो रही हैं। यदि अपने परिवार के भविष्य की चिंता है तो शराब पीकर वाहन न चलायें, यह जानलेवा है। साथ ही ग्रामवासियों को छोटी-छोटी बातों पर झगड़ा/मारपीट नहीं करने की समझाइश के साथ खाटला चैपाल समाप्त हुई। अंत में सभी के साथ दाल-भात का भोजन किया गया। चैपाल के दौरान अनुविभागीय अधिकारी पुलिस थांदला श्री एन.एस.रावत, थाना प्रभारी थांदला श्री एस.एस.बघेल, चैकी खवासा का स्टाॅफ तथा गांव भामल एवं आसपास के ग्रामवासी उपस्थित रहे।


सट्टा खेलते तीन आरोपी रंगे हाथ गिरफ्तार, 13,255/-रू. जप्त,

झाबुआ । पुलिस अधीक्षक श्री महेश चंद्र जैन ने बताया कि दिनांक 19.05.2017 को मुखबिर की सूचना पर क्राइम ब्रांच की टीम के द्वारा पुराना बस स्टैण्ड, रानापुर मे दबिश देकर आरोपी पियूष पिता नन्दु दवे, निवासी सरदारपुर मार्ग रानापुर, संदीप पिता नारायण जैन, निवासी चन्द्र शेखर आजाद मार्ग रानापुर व कमरिया पिता पिदिया बन्डोड, निवासी बोहडली रानापुर को सट्टा लिखते रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया। आरोपियों के कब्जे से 13,255/-रू. जप्त कर गिर. किया गया। क्राइम ब्रांच की टीम में उनि अंजली श्रीवास्तव, सउनि राजेन्द्र शर्मा, आर. 239 बसु, आर. 524 मनोहर, आर. 81 प्रकाश, आर. 573 संदीप बघेल, आर.चा. अमित परिहार की सराहनीय भूमिका रही। उक्त सफलता पर पुलिस अधीक्षक श्री महेश चंद्र जैन ने क्राइम ब्रांच टीम को बधाई दी एवं पूरूस्कृत किए जाने की घोषणा की है।
                      
चारधाम यात्रा के जत्था रवाना

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झाबुआ। उत्तराखंड  चारधाम  यात्रा  हेतु  श्री  अन्नपूर्णा ट्रेवल्स एजेंसी  खवासा  की यात्री  बस  में  पिटोल एवं कुंदनपुर  से 30 यात्रियों  का  जत्था  रवाना  एक माह की यात्रा के  दौरान मध्यप्रदेश  राजस्थान  उत्तरप्रदेश  हरियाणा  पंजाब  जम्मू  कश्मीर  हिमाचल  प्रदेश उत्तराँचल  एवं  उत्तरप्रदेश के प्रमुख  तीर्थ स्थानों  एवं दर्शनीय  स्थलों पर पहुंचेगी  यात्रियों को बस तक  छोड़ने के लिए  पिटोल कस्बे  से बड़ी  संख्या  में लोग अपने अपने परिजनों पड़ोसियों  साथियो  को यात्रा की शुभकामनाये  देने हेतु इकट्ठा  हुए  

नगर पालिका में हो रहे घोर भ्रष्‍टाचार के खिलाफ कांग्रेस ने खोला मोर्चा

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झाबुआ। सांसद कांतिलाल भूरिया ने आज स्‍थानीय सर्किट हाउस में भाजपा शासित नगर पालिका द्वारा किए जा रहे भ्रष्‍टाचार को लेकर तीखा हमला किया। श्री भूरिया ने आज प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि नगर पालिका द्वारा पिछले चुनाव में झाबुआ के विकास एवं सोंदर्यकरण के जो वादे किए गए थे वे धरातल पर कहीं नजर नही आते। नगर पालिका द्वारा पिछले 4 वर्ष कोई काम नही किया गया किंतु चुनाव के कुछ माह पूर्व वार्डों में छोटा-मोटा कार्य कर जनता को गुमराह करने की कोशिश की जा रही है। साथ ही करवाए जा रहे कार्य में भी भारी भ्रश्‍टाचार किया जा रहा है। जनता की गाढी कमाई भी ये नेता पचाने में हिचकिचा नहीं रहे। श्री भूरिया ने भाजपा के नेताओं पर आरोप लगाते हुए कहा‍ कि भाजपा के राजगढ नाका मित्र मंडल ने धर्म के नाम पर लाखों रूपये का चंदा उगवाया है तथा उसका आज तक आय-व्‍यय का ब्‍योरा सार्वजनिक नही किया गया। तथा इस चंदे की रकम का दुरूपयोग अपनी राजनीतिक महत्‍वकांक्षाओ को पूरा करने के लिए किया गया। श्री भूरिया ने नगर पालिका अध्‍यक्ष की बेनामी संपत्ति एवं उनके साथियों की जांच की भी मांग की। उन्‍होने आगे कहा कि नगर की जनता नगर पालिका के कामों से परेशान है। नगर में जनता की सुविधाओं हेतु कोई कार्य नहीं किए। नगर में पार्किग व्यवस्था नहीं है, सब्जी बाजार स्थायी नही है, और ना ही नगर में अवैध कारोबारियों पर कोई नकेल कसी हुई है। बस स्टैंड के पीछे सारे अवैध काम नगर पालिका की नाक के नीचे हो रहें है। इन्‍हें भाजपा नेताओ का संरक्षण प्राप्‍त है, ये नेता इन कामों के बदले बडी रकम उगवाई करने में लगे हुवे है। भूरिया ने आगे कहा कि झाबुआ नगर एवं आस-पास के क्षेत्रों में जितने भी निर्माण कार्य विगत 6 माह में हुए हे उनका स्तर काफी घटिया हे। लोगो की खून पसीने की कमाई जो नगर पालिका में टैक्स के रूप में जमा होती है उन पैसों का जमकर दुरूपयोग हो रहा है। जनता आने वाले चुनाव मं एक-एक पाई का हिसाब मांगेगी। नगर पालिका ने इन साढ़े 4 सालो में करोड़ो के काम नही करोड़ो रु का भ्र्ष्टाचार किया है। जनता जाग चुकी है, एक भी भ्रष्‍टाचारी नही बचेगा। जनता कांग्रेस पार्टी को नगर में उम्मीद भरी निगाह से देख रही है। हम वर्तमान की भ्रष्‍टाचारी नगर पालिका को उखाड फेंक कर नई ईमानदार नगर पालिका बनाकर लोगो का सपना पूरा करेंगे। श्री भूरिया ने कहा कि अभी तो पोल-खोल की यह शुरूआत है अभी पिक्‍चर बाकी है। जनता के समक्ष भाजपा की कारगुजारी एवं भ्रष्‍टाचार का लेखा-जोखा जनता के सामने प्रसतुत कर कांग्रेस पार्टी भाजपा को पूरी तरह बेनकाब करेगी। श्री भूरिया ने कहा कि कांग्रेस ने जो भी वादे किए उसे पूर्ण किए है एवं जनता को सुविधाएं मुहईया करवाई है जबकि भाजपा अपने किए हुए वादो को भूल जाती है। और नए चुनाव में नए जुमले के साथ जनता को गुमराह करने की कोशिश करती है। जनता अब भाजपा की कथनी व करनी के अंतर को समझ चुकी है। अब आने वाले चुनाव में जनता अपनी कमाई का पूरा हिसाब इनसे मांगेगी। एवं भाजपा को सबक सिखाएगी। इस अवसर पर जिला कांग्रेस अध्‍यक्ष निर्मल मेहता, सांसद प्रतिनिधि एवं नव नियुक्‍त जिला कांग्रेस उपाध्‍यक्ष डॉ.विक्रांत भूरिया, पूर्व विधायक वालसिंह मेडा, जिला कांग्रेस प्रवक्‍ता हर्ष भट्ट, आचार्य नामदेव, लोकसभा युवक कांग्रेस अध्‍यक्ष आशीष भूरिया, सेवादल जिला संगठक राजेश भट्ट, शहर कांग्रेस कार्यवाहक अध्‍यक्ष गौरव सक्‍सेना, पार्षद रशीद कुरेशी, अविनाश डोडियार, कांग्रेस नेता नाथुभाई ठेकेदार, गोपाल शर्मा आदि कांग्रेस पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता विशेष रूप से उपस्थित थे।


जिला कांग्रेस की कार्यकारिणी घोषित

झाबुआ। प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अरूण यादव के निर्देषानुसार व सांसद एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया एवं वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं की अनुशंषा पर जिला कांग्रेस अध्यक्ष निर्मल मेहता ने आज सांसद कांतिलाल भूरिया की उपस्थिति में स्थानीय सर्किट हाउस में प्रेस वार्ता आयोजित कर जिला कांग्रेस की कार्यकारिणी घोषित की। श्री यादव एवं  श्री मेहता ने जिला कार्यकारिणी में बनाए गए उपाध्यक्ष, महामंत्री एवं कार्यकारिणी के सदस्यों एवं जिला प्रवक्ताओं से नियुक्त करने के साथ ही उनसे अपेक्षा की है कि वे अपने-अपने पद का कार्यभार शीघ्र ग्रहण कर अ.भा.कांग्रेस  के अध्यक्ष सोनिया गांधी एवं राष्ट्रीय उपाध्यक्ष  राहूल गांधी की भावनानुसार  संगठन को मजबुत एवं गतिशील बनाने में सहयोग प्रदान करेगें।  इसके साथ ही आगामी चुनावों को देखते हुए प्रदेश एवं केन्द्र की भाजपा सरकार के झुठे लुभावने वादे , भ्रष्टाचार, वादाखिलाफी व अक्षमता को उजागर करेगें तथा केन्द्र की तत्कालीन कांग्रेस यूपीए सरकार की उपलब्धियों एवं कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी जिला एवं ब्लाक स्तर तक आम जनो तक पहूंचाने में अपनी सक्रिय भूमिका का निर्वाह करेंगे। उक्त जानकारी जिला कांग्रेस प्रवक्ता हर्ष भटट ने दी।

कैरियर काउंसलर हेतु आवेदन आमंत्रित

झाबुआ । जिला रोजगार कार्यालय झाबुआ में कैरियर काउंसिंलिंग योजना अंतर्गत मार्गदर्शन देने हेतु अनुभवी काउंसलर एवं विषय विशेषज्ञों के गेस्ट पैनल के गठन हेतु आवेदन आमंत्रित किए जा रहे है। नामांकित काउंसलरों को सप्ताह में निर्धारित 2 दिवस काउंसिलिंग हेतु कार्यालय में आमंत्रित किया जाएगा एवं उद्योग संचानलालय मध्यप्रदेश रोजगार विंध्याचल भवन भोपाल द्वारा निर्धारित मानदेय 750/- दिया जाएगा। इच्छुक आवेदक 7 जून 2017 तक अपने आवेदन जिला रोजगार कार्यालय झाबुआ में जमा कर सकते है। मनोवैज्ञानिक काउंसलर हेतु अनिवार्य योग्यता साइकोलाॅजी में स्नातकोत्तर डिग्री या पीजी डिप्लोमा होना चाहिए। इन्फार्मेंशन काउंसलर हेतु योग्यता मार्गदर्शन के क्षेत्र में अनुभव सहित किसी भी स्ट्रीम में डिग्री/पीजी डिग्री होना चाहिए। इच्छुक आवेदक अधिक जानकारी के लिए जिला रोजगार कार्यालय से संपर्क कर सकते है।

आतंकवाद विर¨धी दिवस पर शासकीय सेवाको ने ली शपथ
  • कलेक्टर कार्यालय में कलेक्टर श्री आशीष सक्सेना ने दिलाई शपथ

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झाबुआ । प्रतिवर्ष 21 मई क¨ आतंकवाद विर¨धी दिवस मनाया जाता है। इस बार 20 एवं 21 मई क¨ अवकाश ह¨ने के कारण आज शुक्रवार 19 मई क¨ शासकीय कार्यालय¨ं में शपथ ग्रहण की गई। कलेक्टर कार्यालय में कलेक्टर श्री आशीष सक्सेना ने सभी को आतंकवाद विरोधी दिवस पर शपथ दिलाई। कलेक्टर कार्यालय परिसर में सीईओ जिला पंचायत श्री अनुराग चैधरी, एडीएम श्री दिलीप कपसे, सहायक आयुक्त श्रीमती शकुन्तला डामोर कोषालय अधिकारी श्रीमती ममता चंगोड संयुक्त कलेक्टर श्री अली सहित शासकीय सेवक उपस्थित थे। जिले में कलेक्टर कार्यालय सहित शासकीय कार्यालयों में आंतकवाद से डटकर मुकाबला करने के लिए अधिकारी-कर्मचारियंो द्वारा सामूहिक शपथ ली गई।

आतंकवाद विर¨धी दिवस शपथ
हम भारतवासी अपने देश की अहिंसा एवं सहनशीलता की परम्परा में दृढ़-विश्वास रखते है तथा निष्ठापूर्वक शपथ लेते हैं कि हम सभी प्रकार के आतंकवाद अ©र हिंसा का डटकर विर¨ध करेंगे। हम मानव जाति के सभी वगर्¨ं के बीच शांति, सामाजिक सदभाव तथा सूझबूझ कायम करने अ©र मानव जीवन मूल्य¨ं क¨ खतरा पहुँचाने वाली अ©र विघटनकारी शक्तिय¨ं से लड़ने की भी शपथ लेते हैं।

अल्प विराम कार्यक्रम का हुआ आयोजन

झाबुआ । सहायक आयुक्त कार्यालय कक्ष में अल्प विराम कार्यक्रम का आयोजन किया गया। अल्प विराम कार्यक्रम में सहायक आयुक्त कार्यालय एवं शिक्षा विभाग के शासकीय सेवक उपस्थित थे। अल्प विराम कार्यक्रम में श्री असफाक अली संयुक्त कलेक्टर, श्रीमती अनुराधा गहरवाल उप संचालक जनसम्पर्क ने अल्प विराम कार्यक्रम का संचालन किया। अल्प विराम कार्यक्रम में शासकीय अधिकारी एवं कर्मचारियों के व्यवहार और विचारो को और अधिक सकारात्मक करने के लिए अपने आपकों पहचानने अपने अंदर छुपी अच्छाईयों को और अधिक बढाने एवं अपने अंदर की बुराईयों को धीरे-धीरे कम करने के लिए अभ्यास करवाया गया। कार्यक्रम में सहायक आयुक्त शकुन्तला डामोर, जिला शिक्षा अधिकारी श्री सोलंकी सहित 35 से अधिक शासकीय सेवकों ने भाग लिया।

जनप्रतिनिधि सम्मेलन 20 से 25 मई तक

झाबुआ । पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग अंतर्गत संचालित योजनाओं के सफल क्रियान्वय के लिए जनपद स्तर पर 20 से 25 मई तक जनप्रतिनिधियों के सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा। प्रस्तावित कार्यक्रम के अनुसार 20 मई को पेटलावद में प्रातः 11 बजे से, थांदला में 21 मई को प्रातः 11 बजे से, झाबुआ में 22 मई को प्रातः 11 बजे, राणापुर में 23 मई को प्रातः 11 बजे से, रामा में 24 मई को प्रातः 11 बजे से एवं मेघनगर में 25 मई को दोपहर 2 बजे से जनप्रतिनिधि सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा।

तालाब गहरीकरण कार्य हुआ प्रारंभ

jhabua news
झाबुआ । जिले में ग्राम संसद के दौरान लिये गये निर्णय अनुसार तालाब गहरीकरण कार्य प्रारंभ हो गया है। थांदला ब्लाक के जुलवानिया छोटा, मियाटी, झाबुआ ब्लाक के लोहारिया, बखतपुरा राणापुर ब्लाक के छापर खण्डा, मेघनगर के हत्यादेली, रामा के बोचका, में तालाब गहरीकरण का काम जनभागीदारी से प्रारंभ हो गया है। किसान अपने स्वयं के खर्च से तालाब से मिट्टी निकालकर अपने खेतो में डाल रहे है। तालाब की मिट्टी निकल जाने से तालाब की जलधारण क्षमता बढेगी एवं किसानो को खेत के लिए उपजाऊ मिट्टी भी मिल रही है। जिससे जमीन की उपजाऊ क्षमता में भी वृद्धि होगी।

उन्मुखीकरण कार्यक्रम 22 एवं 23 मई को

झाबुआ । भारत सरकार के प्लान एप्रुवल बोर्ड द्वारा सर्व शिक्षा अभियान की वार्षिक कार्य योजना वर्ष 2017-18 का सैद्धांतिक अनुमोदन प्रदान किया गया है। तद्नुसार शासकीय प्राथमिक एवं माध्यमिक शालाओं में अध्ययनरत समस्त बच्चों को नवीन शैक्षणिक सत्र प्रारंभ होने पर ही हितग्राही मूलक योजनाओं का लाभ समय पर मिल सके और उन्हें गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा प्राप्त हो सके। इसके लिए शासकीय सेवकों का उन्मुखीकरण कार्यक्रम 22 एवं 23 मई को नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण अरेरा हिल्स भोपाल में प्रातः 10 बजे से आयोजित किया जाएगा।

रोजगार की पढाई चले आईटीआई

झाबुआ । शासन द्वारा 11 मई से प्रारंभ किये गये रोजगार की पढाई चले आईटीआई अभियान के दौरान स्कूल में पढ रहें एवं 10 वी कक्षा के बाद पढाई छोड चुके विद्यार्थियों को स्वरोजगार से जोडने के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा है। आईटीआई द्वारा अल्पावधि प्रशिक्षण प्रदान कर युवाओं को स्वरोजगार के लिए ऋण भी उपलब्ध करवाया जाएगा। जिले में शासकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्था झाबुआ में जिले के इच्छुक युवाओं को जोडने के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

शालाओ में स्वीकृत पदो के अनुरूप होगी पदस्थापना

झाबुआ । जिले में शालाओं में स्वीकृत शैक्षणिक पदो के अनुरूप पदस्थापना सुनिश्चित करने के लिए युक्तियुक्करण की कार्यवाही एजुकेशन पोर्टल के माध्यम से आॅनलाईन की जा रही है। प्राथमिक शालाओं के लिए प्राप्त आपत्तियों के निराकरण एवं एजुकेशन पोर्टल पर जिलों द्वारा आपत्तियों को अपलोड करने में हुए विलम्ब के कारण प्राथमिक शालाओं के युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया की शेष कार्यवाही के लिए समय सारणी जारी की गई है। मान्य की गई आपत्तियों के आधार पर जानकारी को एजुकेशन पोर्टल संकुल प्राचार्य द्वारा 18 मई तक अद्यतन किया गया। इसी प्रकार आपत्तियों के निराकरण उपरांत अतिशेष सूची का एजुकेशन पोर्टल पर प्रदर्शन 20 मई को किया जाएगा तथा एजुकेशन पोर्टल पर अतिशेष शिक्षकों द्वारा 22 मई से 25 मई तक विकल्प प्रस्तुत किए जाएंगे। काउसंलिंग के माध्यम से अंतिम रूप से पदस्थापना सूची आॅनलाइन एजुकेशन पोर्टल पर 27 मई को प्रदर्शित की जाएग्री तथा अतिशेष शिक्षको द्वारा पदभार ग्रहण करने के लिए 31 मई अंतिम तिथि निर्धारित की गई है। युक्तियूक्तकरण प्रक्रिया के अंतर्गत अन्य स्थानों पर पदस्थ किए गये शिक्षक, अध्यापक संवर्ग के व्यक्तियों को निर्धारित समयावधि में नवीन पदस्थ संस्था में पदभार ग्रहण करना अनिवार्य होगा। इस प्रक्रिया से शिक्षकों का वेतन आहरण पूर्व संस्था से युक्तियुक्तकरण के संबंध में आदेश जारी होने के उपरांत आहरित नहीं किया जाएगा। संबंधित आहरण संवितरण अधिकारी, जिला शिक्षा अधिकारी, जिला कोषालय अधिकारी एवं उप कोषालय अधिकारी इन निर्देशो का अनुपालन सुनिश्चित करेगे। युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया से प्रभावित शिक्षक, अध्यापक संवर्ग को प्रथमतः नवपदाकित संस्था में कार्यभार ग्रहण करना अनिवार्य होगा। युक्तिकरण की निहित प्रकिया के पालन होनेकी स्थिति में निर्धारित प्रावधान के अनुसार पदभार ग्रहण करने के उपरांत शिक्षक, अध्यापक द्वारा अपील प्रस्तुतकी जा सकती है, पदभार ग्रहण नहीं करने की स्थिति में प्रस्तुत की गई अपील पर विचार नहीं किया जाएगा। अपील का निरारकण अपील प्राप्त होने के 15 दिवस में किया जाएगा। अपील मान्य होने की स्थिति में अपीलार्थी को युक्तियुक्त करण की प्रकिया के पूर्व पदस्थ संस्था में पुनः पदांकन का अवसर प्राप्त होगा लेकिन अपील के अतिरिक्त अन्य किसी भी स्थिति में स्थानांतरित शिक्षक या अध्यापक पुनः उसी संस्था में पदस्थ नहीं किया जायेगा। युक्तियुक्तरण प्रभावित शिक्षक, अध्यापक को किसी भी प्रकार का अवकाश नव पदाकिंत संस्था में पद भार ग्रहण करने के पूर्व स्वीकार नहीं किया जायेगा। युक्तियुक्तकरण के बाद पदभार ग्रहण करने पर संकुल प्राचार्य द्वारा अति आवश्यक होने पर ही अवकाश स्वीकार किया जाएगा। युक्तियुक्तकरण आदेश के जारी होने के बाद 3 दिवस में पदभार ग्रहण कर जानकारी एजुकेशन पोर्टल पर अध्ययतन करना अनिवार्य होगा।

तीन किशोरीयो का हुआ अपहरण
     
झाबुआ । फरि. कलसिंह पिता भीमा डामोर उम्र 50 वर्ष निवासी टिकडी बोडिया ने बताया कि मेरी लड़की प्रेम उम्र 12 साल घर पर अकेली थी जो बिना बताये की चली गयी मुझे शंका है कि आरोपी खुमा पिता रामा कटारा नि. भोयरा, प्रेम को बहला फुसलाकर  भगाकर कर ले गया। प्रकरण थाना राणापुर मे अपराध क्रं. 224/17, धारा 363 भादवि का प्रकरण पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया। फरि. बदरी पिता दित्या बारिया उम्र 36 वर्ष निवासी सुल्तानपुरा ने बताया कि मेरी लड़की रामकन्या उम्र 15 साल घर पर अकेली थी जो बिना बताये की चली गयी, जिसे कोई अज्ञात आरोपी बहला फुसलाकर  भगाकर कर ले गया। प्रकरण थाना पेटलावद मे अपराध क्रं. 224/17, धारा 363 भादवि का प्रकरण पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया। फरि. मानसिंह पिता तेरसिंह मेडा उम्र 41 वर्ष निवासी नहारपुरा ने बताया कि मेरी लड़की सीमा उम्र 17 साल घर से शोच करने कहकर गयी थी जो जिसे आरोपी जालु पिता माला गरवाल निवासी नहारपुरा बहला फुसलाकर जबरन अपहरण कर ले गया। प्रकरण थाना पेटलावद मे अपराध क्रं. 227/17, धारा 363 भादवि का प्रकरण पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया।

दहेज प्रताडना़ का अपराध पंजीबद्ध
       
झाबुआ । फरि‍. नेहा पति दिनेशंचद्र भुरिया उम्र 22 वर्ष नि. डी.आर.पी.लाईन झाबुआ ने बताया कि आरोपी दिनेशंचद्र पिता रतनसिंह भुरिया अन्य 03 निवासीगण पिपलीपाडा द्वारा फरि. से 02 लाख रूपये की दहेज की मांग कर मारपीट कर शारीरिक व मानसिक रूप से प्रताडित कर घर से निकाल दिया। प्रकरण में थाना कोतवाली में अपराध क्रं0 430/17 498-ए ,34 भादवि का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया। 

अवैध शराब के दो अपराध पंजीबद्ध
       
झाबुआ ।  आरोपी पुनमचंद पिता गार्वधन गामड नि. झकनावदा के अवैध कब्जे से 1200/-रू0 की शराब जप्त कर गिर. किया गया। प्रकरण में थाना रायपुरिया में अपराध क्रं0168/17 धारा 34-ए आब. एक्ट का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया। आरोपी रवि पिता किशन  नि. सामली के अवैध कब्जे से 2800/-रू0 की शराब जप्त कर गिर. किया गया। प्रकरण में थाना रायपुरिया में अपराध क्रं0170/17 धारा 34-ए आब. एक्ट का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया।

जहरीली दवाई पीने से मोत 
  
झाबुआ । माधु पिता गंभीर सोलंकी उम्र 30 वर्ष नि. चोरमांडली की जहरिली दवाई पीने से दौरान ईलाज मृत्यु होने पर थाना रानापुर में मर्ग क्रं. 23/17 धारा 174 जाफौ की कायमी की गयी।

विशेष आलेख : तीन साल तो मात्र एक पड़ाव है

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परिवर्तन कब किसके रोके रुका है। न पहले रुका, न आगे कभी रुकेगा। बस प्रतिक्रियावादी या कट्टरवादी-हार्ड लाइनर्स इसकी रफ्तार कम कर सकते हैं। यह भी प्रकृति का नियम है कि जिसे जितना रोका जाएगा, चाहे वह व्यक्ति हो या समाज या कौम, वह और त्वरा से आगे बढ़ेगा। आज सभी तरफ से विकास और प्रगति की आवाज उठ रही है। सुधार और सरलीकरण के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। जो शुभ भविष्य का सूचक है। लेकिन इस शुभता को भी लीलने के प्रयास हार्ड लाईनर कर रहे हैं, कल भी करेंगे। नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री बने हुए तीन वर्ष पूरे होने जा रहे हैं। अपने कार्यकाल के अतिमहत्वपूर्ण तीन वर्ष सम्पन्नता की एवं सरकार के कामकाज की गहन समीक्षा व बहसें भी प्रारम्भ हो गयी हैें। मोदी के मंत्रियों ने अपने तीन साल के कामकाज का रिपोर्ट कार्ड भी साक्षात्कारों के माध्यम से देना प्रारम्भ कर दिया है। वहीं मोदी सरकार अपने तीन साल के कार्यकाल पर जश्न मनाने के मूड में भी आगयी है लेकिन इन तीन वर्षंो के कार्यकाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने व्यक्तित्व व काम करने के ढंग से सभी को प्रभावित करने का सफल प्रयास किया हैं। पीएम मोदी लगातार अपने कार्यक्रमों व योजनाओं के बल पर देश व सामज में बदलाव लाने का दिन रात हरसंभव प्रयास कर रहे हैं। मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने जहां कई  क्षेत्रों में अपने दमखम का सशक्त परिचय देते हुए साहसिक निर्णयों के बल पर जनता के मन में भरोसा कायम रखा है वहीं दूसरी ओर वैश्विक जगत मेें भी बदलाव लाने का एक सफल अभिनव प्रयास सरकार कर रही है।  मोदी ने लोकसभा चुनाव के दौरान अच्छे दिनों का जो वादा किया था उसे लेकर विपक्ष पूछ रहा है कि कहां हैं अच्छे दिन? विपक्ष की मानें तो तीन साल में देश बेहाल है। विपक्ष को यह सवाल करने का जनतांत्रिक अधिकार है। लेकिन इस तरह के सवालों के जबाव से विपक्ष कभी संतुष्ट नहीं हो सकता। इन सवालों के जबाव का एक ही तरीका है और वह है आम जनता की खुशी और नाराजगी की। उनकी खुशी-नाराजगी नापने का सबसे बड़ा पैमाना चुनाव होते हैं। दो महीने पहले पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में लोगों ने मतदान के जरिये बता दिया कि वे किससे खुश हैं और किससे नाराज?


तीन वर्ष का पडाव किसी भी सरकार के लिये अपनी उपलब्धियों पर इतराने के लिये नहीं होना चाहिए। यह अवसर समीक्षा एवं आत्मावलोकन का अवसर होना चाहिए। जो किया है उसका संतोष होना चाहिए, लेकिन जो किया जाना ज्यादा अपेक्षित है, उसकी सशक्त योजना बननी चाहिए, किये जाने वाले कार्यों पर चिन्तन-मंथन होना चाहिए। यह सही है कि इन तीन वर्षों में व्यापक काम हुआ है, नयी उम्मीदें जगी है, नया विश्वास जागा है। आज देश में औद्योगिक विकास दर दुनिया में संभवतः सबसे अधिक है। भ्रष्टाचाररहित सरकार देने का दावा भी सबसे बड़ी उपलब्धि है। नोटबंदी के द्वारा भले ही कालेधन एवं भ्रष्टाचार पर काबू पाने का लक्ष्य आधा-अधूरा रहा हो, लेकिन कालेधन पर हमले के साहस के लिये जनता  ने मोदी सरकार की भूरि-भूरि सराहना की है। स्वच्छ भारत अभियान, गंगा सफाई अभियान, बेटी बचाओ- बेटी पढ़ाओ, बेटियों की सुरक्षा के लिए सुकन्या समृद्धि योजना, गैस सब्सिडी त्यागो जैसी योजनाओं से भी मोदी सरकार आम जनता के जीवन व विचारों में क्रांतिकारी बदलाव लाने में सफल रही है। आर्थिक सुधारों को अपने अंदर समेटे जीएसटी बिल का मार्ग भी साफ हुआ है। राजनीति में वास्तविकता से ज्यादा अहमियत जनता के विश्वास की होती है। आम जनता का मानना है कि पिछले तीन साल में समाज के गरीब तबके में प्रधानमंत्री के प्रति विश्वास बढ़ा है। इसका कारण उनके वादे ही नहीं, सरकार का जमीन पर पहुंचा काम भी है। योजनाएं तो सभी सरकारें अच्छी बनाती हैं। चुनौती होती है उन्हें लागू करने की। किसी योजना को किस तरह लागू करना चाहिए, इसका सबसे ज्वलंत उदाहरण बनी है उज्ज्वला योजना। एक साल में सवा दो करोड़ गरीबों के घर रसोई गैस पहुंच गई है। बात केवल इतनी नहीं है कि इतने बड़े पैमाने पर गैस कनेक्शन दिए गए, ज्यादा अहम बात यह है कि एक भी मामले में भ्रष्टाचार की शिकायत नहीं आई। भ्रष्टाचार ऐसा मुद्दा है जो कांग्रेस के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार के पतन का सबसे बड़ा कारण बना। तो क्या तीन साल में देश से भ्रष्टाचार खत्म हो गया? इसका जवाब कोई भी हां में नहीं दे सकता, लेकिन एक बात मोदी के विरोधी भी दबी जबान से ही सही, मानते हैं कि तीन साल में सरकार में ऊंचे पदों पर बैठे किसी व्यक्ति के खिलाफ भ्रष्टाचार का कोई आरोप नहीं लगा है। सत्ता का गलियारा अक्सर दलालों का अड्डा बना होता था, कम-से-कम अब वहां ये दलाल तो दिखाई नहीं देते। इसका अर्थ यही नहीं है कि सरकार में भ्रष्टाचार पूर्णतः समाप्त हो गया है। 

यह भी एक उपलब्धि ही है और जनता का विश्वास है कि विकास के लिये नरेन्द्र मोदी सरकार कुछ-न-कुछ कर रही है। प्रधानमंत्री मोदी यह और ऐसी अनेक उपलब्धियों के श्रेय के हकदार है, जो उन्हें मिलना ही चाहिए। मोदी सरकार न  केवल फैसले ले रही हैं, बल्कि पारदर्शी और प्रभावी तरीके से लागू भी कर रही हैं। जबकि पूर्व सरकार की नीतियों से देश की अर्थव्यवस्था तेजी से बिगड़ रही थी उससे लगता था कि भारी आर्थिक संकट देश के सम्मुख खड़ा होने वाला है। सरकार में फैसले होते नहीं थे और होते थे तो कोई मानता नहीं था। नौकरशाही को समझ में नहीं आता था किसकी सुनें और किसकी न सुनें? तब कोई मंत्री अपने को प्रधानमंत्री से कम नहीं समझता था। घोर अराजकता का माहौल निर्मित हो गया है, अंधेरा घना था, उससे बाहर निकलना असंभव दिख रहा था, लेकिन मोदी सरकार ने उन अंधेरों से बाहर निकाला है तो उसका श्रेय तो दिया ही जाना चाहिए। मोदी सरकार ने पडौसी राष्ट्र पाकिस्तान की हरकतों एवं अशांति फैलाने की नीतियों का कूटनीति तरीके से जबाव देकर जनता के लगातार टूटते विश्वास को जोड़ा है। उन्होंने पाकिस्तान के नियंत्रण वाले कश्मीर के हिस्से में सर्जिकल स्ट्राइक की मंजूरी दी और भारतीय सेना ने पहली यह कारनामा कर पूरी दुनिया को अचरज में डाल दिया। अंतरराष्ट्रीय मंच पर आतंकवाद को नीति के रूप में प्रयोग कर रहे पाकिस्तान को भारत ने अलग थलग करने में भी सफलता हासिल की है इसी कारण आज पाकिस्तान पर अमेरिका से लेकर कई देशों ने दबाव बनाया है कि वह आतंकवाद को प्रश्रय देना बंद करे। यह मोदी सरकार की बड़ी कामयाबी है। चीन की दादागिरी को भी बढ़ने न देना सरकार की सफलता है। चीन जहां एक तरफ पाकिस्तान की मदद कर रहा है वहीं भारत के कई हिस्से पर अपना दावा करता रहा है। एलएसी को वह स्वीकार नहीं कर रहा है। लेकिन कई दशकों बाद भारत ने लेह के आगे अपने 100 टैंक भेजे और युद्धाभ्यास किया। वहीं अरुणाचल प्रदेश के विकास और सीमा पर सड़क निर्माण कार्य को तेजी से आगे बढ़ाया गया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भ्रष्टाचार पर अंकुश लगे, इसके लिए सभी सरकारी भुगतान ऑनलाइन करने का निर्णय लिया। टेंडरिंग को पूरी तरह ऑनलाइन करने का आदेश दिया। इस प्रकार के कई आदेश सरकार ने दिए और इसकी उपलब्धि कितनी है और इससे भ्रष्टाचार पर कितना अंकुश लगा है, यह भविष्य के गर्भ में है। लेकिन एक शुभ शुरुआत तो इसे कहा ही जा सकता है। इसी तरह डिजिटल भारत के सपने को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी आगे बढ़ रहे हैं। उनके पिछले तीन साल के कार्यक्रम में वह लगातार इस ओर बढ़ते जा रहे हैं। लोगों से इस दिशा में काम करने का आग्रह कर रहे हैं। सरकार के सभी विभागों को डिजिटलाइजेशन के लिए प्रेरित कर रहे हैं। उनका मानना है कि इससे पर्यावरण से लेकर धन-हानि दोनों को बचाया जा सकता है। कई सरकारी काम अब इस माध्यम से होने लगे हैं। इतना ही नहीं कई ऐसे फॉर्म को सरल किया जिसके चलते लोगों को समस्याओं का सामना करना पड़ता था। प्रधानमंत्री की नया भारत की संकल्पना से उत्साह जागा है। उन्होंने इसके लिए कैशलेस भारत की बात कही है। वह चाहते हैं कि देश में नकदी का चलन न हो। यह सबसे बड़ा माध्यम है भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने का। पीएम को कितनी कामयाबी मिली, या मिलेगी यह तो साफ नहीं कहा जा सकता है, लेकिन लोगों ने माना कि पीएम भ्रष्टाचार के खिलाफ मजबूत किलेबंदी की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। आजादी के पहले अंग्रेजों ने भारत के लिए कई कानून बना जो आज अप्रासंगिक हो गये है। मोदी सरकार ने कई ऐसे कानून रद्द कर दिए जिनकी अब कोई जरूरत नहीं है। एक अच्छी शासन व्यवस्था के लिये कानून कम-से-कम होने जरूरी है। मोदी सरकार चुनाव की खामियों को दूर करने एवं राजनीति अपराध एवं भ्रष्टाचार पर नियंत्रण के लिये भी प्रभावी उपक्रम कर रही है। लोकतंत्र का अर्थ चुनाव और मतदान का अधिकार भर नहीं है। यह एक नियंत्रण और संतुलन के माध्यम से समस्त नागरिकों के अधिकारों और स्वतंत्रता की सुरक्षा का दायित्व भी देता है। आज ढांचे में परिवर्तन लाने की शुरूआत हो गई है। क्यों न हम राजनीतिक ढांचे को सुधारने की प्रक्रिया शुरू करें। ताकि देश की राजनीति का एक चरित्र बने। वरना आज के राजनीतिज्ञों को चुनाव की तिथियों के आगे भारत का भविष्य दिखता ही नहीं।


ऐसा नहीं है कि तीन साल में सब कुछ अच्छा ही हुआ है। देश को जातिवाद और धर्मान्धता से बाहर निकाला जाना जरूरी है, संभवतः इसमें सरकार कमजोर रही है।। हमारी विविधता को एकता में बांधे रखने वाले सूत्रों को शुद्ध रखने में भी कहीं-न-कहीं चूक हो रही है। स्वच्छता का नारा देने वाली सरकार के शासन में ही दिल्ली में सबसे ज्यादा गंदगी का साम्राज्य देखने को मिला। दीपक तले अंधेरा तो होता ही है। देश में अपराध की घटनाएं कम होने का नाम नहीं ले रहीं। सही है कि कानून व्यवस्था राज्य का मामला है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद पुलिस सुधार के मामले पर कुछ खास नहीं हुआ है। लोकसभा चुनाव में मोदी को मिले भारी समर्थन में सबसे बड़ी भागीदारी युवाओं की रही। रोजगार उनके लिए सबसे बड़ा मुद्दा है। लेकिन सरकार ने युवाओं की भावनाओं से खिलवाड़ ही किया है, कभी स्टार्टअप के नाम पर तो कभी मैंक इन इंडिया के नाम पर। विकास की उपलब्धियों से हम ताकतवर बन सकते हैं, महान् नहीं। महान् उस दिन बनेंगे जिस दिन किसी निर्दोष का खून इस धरती पर नहीं बहेगा। जिस दिन कोई भूखा नहीं सोएगा, जिस दिन कोई अशिक्षित नहीं रहेगा, जिस दिन देश भ्रष्टाचारमुक्त होगा। जिस दिन शासन और प्रशासन में बैठे लोग अपनी कीमत नहीं, मूल्यों का प्रदर्शन करेंगे। यह आदर्श स्थिति जिस दिन हमारे राष्ट्रीय चरित्र में आयेगी, उस दिन महानता हमारे सामने होगी। फूलों से इत्र बनाया जा सकता है, पर इत्र से फूल नहीं उगाए जाते। उसके लिए बीज को अपनी हस्ती मिटानी पड़ती है। आज भी जश्न मनाने से ज्यादा जरूरी है जश्न की पात्रता को हासिल करने की। एक मोदी नहीं, हर सत्ता पर बैठा व्यक्ति अपने को शासक नहीं, सेवक माने। 




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(ललित गर्ग)
60, मौसम विहार, तीसरा माला, डीएवी स्कूल के पास, दिल्ली-110051
फोनः 22727486, 9811051133

मधुबनी : उद्घाटन से पहले दरकने लगी सड़क ।

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निर्माण एजेंसी के खिलाफ आबाज उठने लगे है, 

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मधुबनी/अंधरा ठाढ़ी (मोo आलम अंसारी), प्रखंड मुख्यालय से झंझारपुर जाने बाली  मुख्य सड़क है।  दो दिन पूर्व झंझारपुर सासद ने  इसका उद्घघाटन किया था।  इस सडक की लम्बाई मात्र 16 किलोमीटर है।   प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना से 9 करोड़ 41 लाख रूपये की लागत से बनी है।इसका  कार्यकारी एजेंसी आर डब्लू डी झंझारपुर था। सड़क निर्माण में प्राक्कलन के अनदेखी करने का आरोप लगते रहे हैं। लोगो का कहना है की निर्माण एजेसी गुणवत्तावका खयाल नही रखा। निधारित मात्र से कम मेटल देकर निर्माण किया गया है। इस सडक में कमला नदी के पूर्वी तटबंध पर हो कर सडक गुजरती है। सरना भदुआर में कई जगहो पर सड़क टुटने लगा है। रैन कट बनने लगा है। आमलोगो की बात सुने तो उनका कहना है कि झंझारपुर सांसद  को उदघाटन से पूर्व सड़क की गुणवत्ता को   मुआईना कर लेना चाहिए। दीगर वात है  सड़क की गुणवत्ता  को लेकर स्थानीय लोगो ने  शिकायती आवेदन भी दिया था। कईबार जगह-जगह ग्रामीणों द्वारा सड़क निर्माण के समय आन्दोलन व सड़क जाम भी किया  था।  विभाग ने सडक निर्माण में  गुणवत्ता का पुरा ध्यान रखने का भरोसा दिलाया था। हरना गांव निवासी के अभ्यावेदन पर ग्रामीण कार्य विभाग पटना के विशेष कार्य पदाधिकारी ने अपर मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी सह सचिव संजय कुमार को एस क्यू एम से जांच करवा कर प्रतिवेदन समर्पित करने को कहा गया था।  आवेदन कर्ता ने ग्रामीण कार्य विभाग के अधिकारीयों को इस संम्बंध में आवेदन देकर संबेदक पर घटिया निर्माण करने का आरोप लगाया था।  इस बात को लेकर निर्माण एजेंसी  ने आवेदक को सरकारी कार्य में बाधा डालने  आरोप में जेल भेजवाने की धमकी तक दिया था । आवेदक का कहना है कि उक्त सड़क के मध्य में हरना और भदुआर के बीच दो किलो मीटर के दायरे में नियम के विपरीत सड़क निर्माण किया गया है।  सडक के दुसरे हिस्से से अधिक मजबूत सडक बननी चाहिए थी। जबकि इसी मुख्य बिंदु पर सडक कमजोर है। कहते है अधिकारी सहायक अभियंता आर डी डव्लू झंजरपुर ने पूछने पर बताया की सभी बिन्दुओ पर जाँच पूरी कर ली गयी है। कार्य में गुणवत्ता का पूर्ण खयाल रखा गया है।

दुमका : खनन नियमों की खुलकर की जा रही अवहेलना, धड़ल्ले से जारी है अवैध पत्थर खनन का कार्य

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दुमका (अमरेन्द्र सुमन) उप राजधानी दुमका के प्रखंड शिकारीपाड़ा के बेनागड़िया, चितरागड़िया, पिनरगड़िया कुलकुली डंगाल, गोसाई पहाड़ी, काठपहाड़ी, रामजाम, इत्यादि क्षेत्रों में प0 बंगाल व झारखंड-प0 बंगाल सीमान्तर्गत कुछ तथाकथित अवैध पत्थर खनन कारोबारियों द्वारा वन एवं पर्यावरण व खनन नियमों की खुलकर अवहेलना की जा रही है। इतना ही नहीं एक खनन राजस्व  की भारी चोरी भी जारी है। पूरे इलाके में स्टोन डस्ट से आम-अवाम की जिन्दगी को भी तबाह किया जा रहा है। भाजपा के रानेश्वर प्रखंड अध्यक्ष, बबलू दत्ता ने डीसी, दुमका से अवैध पत्थर खनन माफियाओं के विरूद्ध कार्रवाई की माँग की थी किन्तु आज तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा सका। भाजपा के प्रखण्ड अध्यक्ष बबलू दत्ता ने कहा खनन विभाग, स्थानीय पुलिस, अंचलाधिकारी व वन विभाग की सहमति से पिछले 22 अप्रैल से अवैध पत्थर उत्खनन का गोरखधंधा लगतार जारी है। इससे पूर्व दो-तीन महीनें तक यह कारोबार पूरी तरह बंद था। श्री दत्ता के अनुसार कुलकुली डंगाल में पश्चिम बंगाल के पत्थर व्यवसायी राजीव बनर्जी द्वारा दाग संख्या 393 पर अवैध रूप से किए जा रहे पत्थर उत्खनन कार्यों के विरूद्ध दुमका के एक पूर्व विधायक व वरिष्ठ नेता कमलाकांत प्रसाद सिन्हा ने खनन सचिव, झारखंड रांची को पत्र लिखा था (जिसकी काॅपी डीसी दुमका को भी दी गई थी) उक्त पत्र पर जिलास्तरीय पदाधिकारी की ओर से क्या-क्या कदम उठाए गए इसकी कोई जानकारी नहीं उन्हें उपलब्ध नहीं करायी गई। श्री दत्ता के अनुसार पत्थर खनन कारोबारी राजीव बनर्जी द्वारा 93 बीघा 15 कट्ठा 10 धूर के एक बड़े गोचर जमीन पर अवैध रूप से पत्थर उत्खनन का कार्य करवाया जा रहा है जबकि ग्राम प्रधान कुलकुली डंगाल व सीओ, शिकारीपाड़ा द्वारा श्री बनर्जी के विरूद्ध पत्र संख्या 363/रा0 21 अपैल 2016 के माध्यम से शिकारीपाड़ा थाना कांड संख्या -49/ 2016 के तहत एक एफआईआर भी श्री बनर्जी के विरुद्ध दर्ज कराया गया था। पत्थर व्यवसायी राजीव बनर्जी के द्वारा प्रतिदिन 50-60 गाड़ी पत्थर का अवैथ खनन किया जा रहा है। इनके विरूद्ध दुमका सिविल कोर्ट में अभी भी एक मामला लंबित है। हाई कोर्ट से जमानत पर रिहा होने के बाद भी गैर कानूनी तरीके से काम करने का जुनून और अवैध तरीके से पैसे कमाने की ललक श्री बनर्जी में साफ देखी जा सकती है।  श्री दत्ता के अनुसार कुलकुली डंगाल में दाग संख्या 393 पर तकरीबन 94 बीघा जमीन गोचर है। वर्षो से संताल-पहाड़िया समुदाय के लोग इस स्थल का प्रयोग मवेशियों को चराने तथा उनके विश्राम स्थल के रूप में करते आ रहे थे। गैंजर्स सेटलमेंट के खाता संख्या 47 की जमीन पर राज्य सरकार एवं जिला प्रशासन को खुली चुनौती देते हुए पत्थर माफिया द्वारा  अवैथ पत्थर  उत्खनन का कार्य किया जा रहा है। एसपीटी एक्ट का उल्लंघन भी इस तरह श्री बनर्जी द्वारा  किया जा रहा है। उनके विरुद्ध खनन विभाग कोई सख्त कदम नहीं उठा रहा। जाहिर सी बात है कि दोनों के बीच का आपसी रिश्ता काफी मृदुल है। जिला प्रशासन एवं खनन सचिव  की नींद नहीं खुली तो वह दिन दूर नहीं जब दूसरे राज्य के लोग झारखण्ड की उप राजधानी दुमका को आर्थिक रूप से पंगु बना देंगे। 

मधुबनी : सात निश्चय योजना को लेकर वार्ड सदस्य महासंघ अपील की तैयारी में जूटे।

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मधुबनी/अंधराठाढी, राज्य सरकार के सात निश्चय योजना लागू कराने को लेकर वार्ड सदस्य महासंघ अपील की तैयारी में जूट गये है। उक्त आशय की जानकारी  वार्ड सदस्य महासंघ के प्रखंड अध्यक्ष मो आलम ने दी है। उन्होने वताया कि सात निश्चय योजना को लेकर मुखिया महासंघ ने न्यायालय में एक पक्षीय दलिल प्रस्तुत किया । वार्ड सदस्यो को मजबूत होने से पूर्ण पंचायती राज व गांम स्वराज स्थापित होगा । मुखिया को अपने सामने वार्ड सदस्यो के अधिकार मिलते देख सहन नहीं हुआ । आनन फानन में माननीय उच्च न्यायालय के शरण में चला गया। माननीय उच्चन्यायालय के आदेश को हमलोग सम्माण करते है।डब्बल बेंच में पुनः सुनवाई हेतु अपील दाखिल करेगे। मो आलम ने कहा कि दो पिछले पंचवर्षीय से आम सभा से नहीं वार्ड सभा से योजनाओ की चयन होती है। उस चयनित सूची से प्राथमिकता पंचायत कार्यकारणी तय करती है । जव तक मुखिया को चेक काटनें का अधिकार समाप्त नहीं होता है तव तक पंचायती  राज अपने मूल व्यवस्था के अनुकूल नहीं हो सकता है। हम वार्ड सदस्यो को भी देर सवेर हक अवश्य मिलेगा । मुझे न्यायपालिका पर पूर्ण आस्था है।

मधुबनी : समाज सेवी सुशील मंडल की पुण्य तिथि मनी ।

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  • उनके बताये पद चिन्हो पर चलना ही असली पुण्यतिथि : प्रखंड प्रमुख । 

remember-sushil-mandal-madhubaniअंधराठाढी/मधुबनी, समाज सेवी सुशील मंडल के चौथी पुण्यतिथि मंगलवार को उनके पैत्रिक गाव शिवा गांव में मनाया गया । इस अवसर पर स्थानीय प्रखंड प्रमुख शुभेश्वर यादव ने उनके तैल चित्र पर माल्यार्पण कर पुण्यतिथि का शुभारंभ किया । उन्होने माल्यार्पण के वाद मौजूद लोगो को संबोधित करते हुये कहा कि सुशीप वावू उपेक्षित वंचित लोगो को हमेशा आगे बढ़ाने के प्रति सजग रहते थे। समाज में समाजिक सदभाव और भाईचारगी के माहैल बनाने के प्रति प्रतिवद्ध रहते थे। उनके पद चिन्हो पर चलने से ही उनकी अशल पुण्यतिथि मानी जायेगी । कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वरिठ अधिवक्ता व वरिठ राजद नेता व पूर्व जीप सदस्य हरिमोहन मंडल ने अपने उदगार व्यक्त करते हुये उनके याद में आश्रु बहाने लगे । पूरा माहैल गमगीन हो गया । समारोह को मृत्युउत्सव के रूप में मनाने का निर्णण लिया । अधिवक्ता व पूर्व मुखिया अतिकुर रहमान , इन्इ्रकान्त प्रसाद, प्रयाग लाल यादव ,देव किसून यादव , वद्री नारायण यादव, अरूण कुमार महतो ,नागेन्द्र लाल दास, दीपक टीवरेवाल, राजद अध्यक्ष जयबीर यादव, सुशील दास समेत दर्जनो र्वक्ताओ ने माल्यार्पण व उदबोधन किया ।    

मधुबनी : विद्यालय प्रबंध समिति की बैठक में कई प्रस्ताव पारित।

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  • जिला कार्यक्रम पदाधिकारी स्थापना भी मौजूद थे। 

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मधुबनी/अंधराठाढ़ी। स्थानीय प्रोजेक्ट बालिका +2 उच्च विद्यालय के कार्यालय कक्ष में शनिवार को प्रबंध समिति की एक बैठक हुई। प्रबंध समिति के अध्यक्ष सह विधान पार्षद रामलखन राम रमन ने इसकी अध्यक्षता की। बैठक में जिला कार्यक्रम पदाधिकारी स्थापना रामाश्रय प्रसाद भी मौजूद थे। लंबे विचार विमर्श के बाद बारह प्रमुख प्रस्तावो को पारित किया गया। विद्यालय परिसर का सीमांकन और चहारदीवारी निर्माण, शौचालय और पेयजल व्यवस्था का सुधारीकरण, बिजली, भवन, उपस्कर समन्धी आदि प्रमुख प्रस्ताव पारित किया गया। बैठक शुरू होने से पूर्व कार्यक्रम पदाधिकारी ने शौचालय पेयजल कमरे आदि की  स्थल निरिक्षण किया। विद्यालय में कई त्रुटियांऔर मुख्य समस्याओ से अवगत हुए।  प्रधानाध्यापक से कई बिन्दुओ पर स्थिति भी जाना। कार्यक्रम पदाधिकारी ने बैठक में अध्यक्ष का ध्यान भी आकृष्ट किया। उन्होंने मौजूदा समस्याओं को प्रस्ताव में लाने का सुझाव दिया।


बैठक के बाद अध्यक्ष श्री रमन ने बताया कि इस विद्यालय के सर्वांगीण विकास के लिए सभी संभव प्रयास किया जायेगा। इस विद्यालय का विकास और आधुनिकरण उनकी प्राथमिकता है। समिति के शिक्षा प्रेमी सदस्य शंकर यादव ने कहा कि प्रखंड के एकमात्र बालिका उच्च विद्यालय के विकास हेतु श्री रमन और कार्यक्रम पदाधिकारी की रूचि सराहनीय है। पारित प्रस्ताव पर अमल होने से विद्यालय में छात्राओं की मुश्किलें कम होगी और शिक्षा का स्तर बेहतर होगा। बैठक में प्रधानाध्यापक दिलीप कुमार यादव, पंसस विष्णु देव यादव  शिक्षक रंगलीला देवी के अलावे चंद्रकांत चौधरी, रामनारायण पासवान सहित शिक्षक प्रमोद मंडल, शैलेंद्र चौधरी, संजय कुमार, लक्ष्मी कुमारी, लालन मिश्र, राकेश कुमार, प्रेरणा कुमारी आदि मौजूद थे।
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