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विशेष आलेख : जिम्मेदार चेहरों पर कालिख का लगना

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आजकल राष्ट्र में थोड़े-थोड़े अन्तराल के बाद ऐसे-ऐसे घोटाले, काण्ड या भ्रष्टाचार के किस्से उद्घाटित हो रहे हैं कि अन्य सारे समाचार दूसरे नम्बर पर आ जाते हैं। पुरानी कहावत तो यह है कि ”सच जब तक जूतियां पहनता है, झूठ पूरे नगर का चक्कर लगा आता है।“ इसलिए भ्रष्टाचार एवं घोटाले के प्रसंगों को कई बार इस आधार पर गलत होने का अनुमान लगा लिया जाता है। पर हमारे देश में ऐसे मामलें तो सच ही होते हैं, घोटाले झूठे नहीं होते। यह बात अलग है कि इन मामलों को दबाने वाली शक्तियां ज्यादा ताकतवर होती है। सच जब अच्छे काम के साथ बाहर आता है तब गूंँगा होता है और बुरे काम के साथ बाहर आता है तब वह चीखता है। सीबीआई की एक विशेष अदालत ने कोल आबंटन के एक मामले में कोयला मंत्रालय के चमकते चेहरे-पूर्व सचिव एच.सी. गुप्ता, मंत्रालय के तत्कालीन संयुक्त सचिव के. एस. करोपहा, तत्कालीन निदेशक के.सी. समरइया को दोषी ठहराया है, इन जिम्मेदार चेहरों पर कालिख का लगना न केवल चिन्ता का विषय है बल्कि शर्मसार करने वाला है। इन्हीं घोटालों एवं भ्रष्टाचार के कारण भारत इन भ्रष्ट मामलों में लगातार गिरावट की ओर अग्रसर है। दुनियाभर के भ्रष्टाचार पर नजर रखने वाली संस्था ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल के मुताबिक भारत साल 2016 में 2015 के मुकाबले रैंकिंग में नीचे चला गया है।


हमारे देश की यह विडम्बनापूर्ण स्थिति है कि भ्रष्टाचार के बहुत कम मामले तार्किक परिणति तक पहुंच पाते हैं। जब ऊंची पहुंच वाले लोग आरोपी हों, तब तो इसकी संभावना और भी क्षीण रहती है। इस लिहाज से कोयला घोटाले के एक मामले में बीते शुक्रवार को आया फैसला एक विरल घटना है, भ्रष्टाचार की लड़ाई में सफलता की एक पायदान चढ़ाई है। सीबीआइ की एक विशेष अदालत ने जिन अधिकारियों को दोषी ठहराया है, उनको भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम और भारतीय दंड संहिता के तहत सजा बाद में सुनाई जाएगी। इन पूर्व आला अफसरों ने गलत दस्तावेजों के आधार पर मध्यप्रदेश के थिसगोरा बी रुद्रापुरी कोल ब्लाक को मध्यप्रदेश की कंपनी कमल स्पांज स्टील एंड पॉवर लिमिटेड को आबंटित कर दिया। अदालत ने कंपनी और उसके निदेशक को भी धोखाधड़ी तथा आपराधिक साजिश का दोषी करार दिया है। यूपीए सरकार के दौरान के जो घोटाले काफी चर्चा का विषय बने उनमें कोयला घोटाला भी एक था। इससे जुड़े पच्चीस से अधिक मामलों में से केवल तीन में फैसला आ पाया है। इससे पहले निजी कंपनी और उससे जुड़े अधिकारियों को ही सजा सुनाई गई थी। यह पहला मामला है जिसमें मंत्रालय के तब के आला अफसरों पर गाज गिरी है। राजनेता, मंत्री, जन-प्रतिनिधि एवं प्रशासन से जुड़े लोगों ने अपने स्वार्थ एवं लालच के लिये देश के अस्तित्व एवं अस्मिता को दांव पर लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। कुछ दिन पूर्व ही लालू यादव एवं पूर्व वित्त मंत्री चिदम्बरम् भी ऐसे ही भ्रष्ट आरोपों की जांच के दायरे में आये हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री भी प्रतिदिन किसी-न-किसी भ्रष्टाचार के आरोप का सामना कर रहे हैं। कोई ‘चारे’ का तो कोई ‘चंदे’ का चोर हैं, भ्रष्टाचारी है।

करीब एक हजार करोड़ के चारा घोटाले में लालू यादव को पांच साल की सजा मिली हुई है। उनसे चुनाव लड़ने का अधिकार छिन चुका है। उसी तरह अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी पर शुरुआती दिनों से चंदे के हेर-फेर के आरोप लगते रहे हैं। केजरीवाल पर आरोप है कि उन्होंने ‘इंडिया अगेंस्ट करप्शन’ के नेटवर्क का इस्तेमाल किया और गलत तरीके से चंदे की उगाही करते रहे। सबसे बड़ी बात है कि अन्ना आंदोलन के दौरान वेे राजनीतिक पार्टियों को मिलने वाले चंदे में जिस पारदर्शिता की वकालत करते थे। जब अपनी बारी आई तो उन चंदों पर और उन्हें देने वाले नामों पर कुंडली मारकर बैठ गए। बड़ी बात ये है कि इस मामले में कई बार उनके अपने ही साथियों ने गंभीर आरोप लगाए हैं। केजरीवाल सरकार पर भ्रष्टाचार के और भी गंभीर आरोप हैं। उनपर निजी घूसखोरी का चश्मदीद गवाह भले ही पहली बार सामने आया हो, लेकिन दिल्ली में उनकी सरकार के भ्रष्टाचारों की लिस्ट तैयार की जाय तो वह बहुत ही लंबी हो सकती है। जैसे दिल्ली के विवादास्पद मुख्यमंत्री और उनके साले सुरेंद्र कुमार बंसल पर जाली कागजातों के आधार पर पीडब्ल्यूडी विभाग के ठेके लेने और फर्जी बिल बनाने के आरोप हैं। उसी तरह केजरीवाल ने राजेंद्र कुमार नाम के उस अफसर को अपना मुख्य सचिव बनाया जिसपर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप थे। डिप्टी सीएम समेत कई मंत्रियों पर भ्रष्टाचार के कई मामले चल रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन के कथित हवाला लिंक की छानबीन भी की जा रही है। दूसरों को ईमानदारी का सर्टिफिकेट देने वाले केजरीवाल के मंत्री जैन पर हवाला के माध्यम से 16.39 करोड़ रुपये मंगाने के आरोप हैं।

जाहिर है, भ्रष्टाचार के इन ढेर सारे मामलों की तरह कोयला घोटाला भी भ्रष्ट नौकरशाही और बेईमान कारोबारियों के गठजोड़ की तरफ इशारा करता है। यह पद के दुरुपयोग का मामला भी है, जिसके बिना कोई घोटाला संभव नहीं हो सकता। यूपीए सरकार के दौरान कोयला घोटाले का खुलासा 2012 में सीएजी की एक ड्राफ्ट रिपोर्ट से हुआ था। रिपोर्ट के मुताबिक 2004 से 2009 के बीच गलत तरीके से कोल आबंटन किए गए। नियम-कायदों की किस कदर धज्जियां उडाई गई, इसकी बानगी यह मामला भी है जिसमें कई पूर्व नौकरशाहों को दोषी पाया गया है। कंपनी के आवेदन में भरी त्रुटिया थी, अधूरापन था, दिशा-निर्देशों की अवहेलना की गई थी, कंपनी ने अपने राजनीतिक रिश्तों और पैसों की ताकत का गलत इस्तेमाल करके यह आवंटन हासिल किया था। यही नहीं, राज्य सरकार ने केएसएसपीएल को कोल ब्लाक आबंटित न करने की सलाह दी थी। इस सब के बावजूद उसका आवेदन मंजूर कर लिया गया। उस दौरान कोयला मंत्रालय का प्रभार तत्कालीन प्रधानमंत्री के पास था। इसलिए अदालत ने एचसी गुप्ता को प्रधानमंत्री को अंधेरे में रखने का दोषी भी पाया है। लेकिन क्या मनमोहन सिंह इस सवाल से बच सकते हैं कि आबंटन के लिए उन्होंने नीलामी की प्रक्रिया क्यों नहीं अपनाई थी?


यह कोई छोटा घपला-घोटाला नहीं है, सीएजी की रिपोर्ट के मुताबिक कोयला घोटाले से देश को 1.86 लाख करोड़ का नुकसान हुआ। जाहिर है, यह प्राकृतिक संसाधनों की भारी लूट का मामला भी है, प्रशासन की पारदर्शिता एवं ईमानदारी को तार-तार करने का मामला है। 2-जी स्पेक्ट्रम घोटाला भी इसी तरह का था। कोयला घोटाले में कई राजनीतिकों के भी नाम सामने आए थे। जैसे-जैसे न्याय प्रक्रिया आगे बढ़ेगी संभव है तत्कालीन सरकार के बड़े राजनेताओं के नाम उजागर हो जाये। यह विडंबना ही है और सरकारी एजेन्सियों पर सरकार के दबाव का मामला भी है कि केएसएसपीएल को कोल ब्लाक आबंटित करने के मामले में सीबीआई ने आरोपपत्र दाखिल करने के बजाय क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी थी। सीबीआई ने तब कहा था कि इस मामले में पर्याप्त सबूत नहीं हैं जिससे आरोपियों को सजा दिलाई जा सके। लेकिन अदालत ने क्लोजर रिपोर्ट मंजूर नहीं की। इस तरह की भारत में भ्रष्ट व्यवस्था के खिलाफ कार्रवाही के लगातार खराब प्रदर्शन से पता चलता है कि सरकार छोटे और बड़े हर स्तर पर भ्रष्टाचार से निपटने में लगातार नाकाम हो रही है। भ्रष्टाचार के गरीबी, अशिक्षा और पुलिस कार्रवाइयों पर असर से दिखता है कि देश की अर्थव्यवस्था भले ही बढ़ रही हो लेकिन साथ ही असमानता भी बढ़ रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई के परिणाम भविष्य के गर्भ में हैं। लेकिन यह एक शुभ संकेत है कि इस दिशा में कुछ तो सार्थक होता हुआ दिख रहा है। 

पूर्व सरकारों की नीतियों का ही परिणाम है कि हम लगातार भ्रष्ट से भ्रष्टतर होते गये। दिन-प्रतिदिन जो सुनने और देखने में आता रहा है, वह पूर्ण असत्य भी नहीं था। पर हां, यह किसी ने भी नहीं सोचा कि जो हाथ राष्ट्र की बागडोर सम्भाले हुए थे, क्या वे सब बागडोर छोड़कर अपनी जेब सम्भाल लेंगे? ऐसा कभी हुआ नहीं। शक की सुई इतने लोगों की तरफ घूमी है कि जिनकी तरफ नहीं भी घूमी, वे भी वहम के घेरे में आ गए हैं। जिनकी तरफ सुई घूमी, वे कह रहे हैं, ”हमारी जनता उत्तर देगी“। जिनकी तरफ नहीं घूमी वे कह रहे हैं, ”बिना काले धन के हम बागडोर सम्भालने के लिए तख्त तक पहुंच ही नहीं सकते।“ राजनीति में भ्रष्टाचार को शिष्टाचार बनाने एवं भ्रष्टाचार को राजनीति की विवशता जताने की इन परिभाषाओं को बदले बिना भ्रष्टाचार की लड़ाई नहीं जीती जा सकती। प्रजातंत्र एक पवित्र प्रणाली है। पवित्रता ही इसकी ताकत है। इसे पवित्रता से चलाना पड़ता है। अपवित्रता से यह कमजोर हो जाती है। ठीक इसी प्रकार अपराध के पैर कमजोर होते हैं। पर अच्छे आदमी की चुप्पी उसके पैर बन जाती है। अपराध, भ्रष्टाचार अंधेरे में दौड़ते हैं। रोशनी में लड़खड़ाकर गिर जाते हैं। हमें रोशनी बनना होगा और रोशनी भ्रष्ट व्यवस्था से प्राप्त नहीं होती।





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(ललित गर्ग)
60, मौसम विहार, तीसरा माला, डीएवी स्कूल के पास, दिल्ली-110051
फोनः 22727486, 9811051133

आलेख : लोकतंत्र की वास्तविकता से दूर भागता विपक्ष

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भारत एक लोकतांत्रिक देश है। लोकतंत्र का आशय स्पष्ट है जनता का राज। हमारे देश में चुनाव के माध्यम से भले ही जनता अपना प्रतिनिधि चुनती है, लेकिन राजनेता जनप्रतिनिधि बनने के बाद आम जनता से बहुत दूर हो जाते हैं। इतना ही नहीं आम जनता में शामिल कोई भी व्यक्ति इस अपने इस जनप्रतिनिधि से मिलने का प्रयास करने के बाद भी मिल पाते हैं। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या वास्तव में नेता चुनाव जीतने के बाद जनप्रतिनिधि की भमिका का सही तरीके से पालन करते हुए दिखाई देते हैं। यकीनन इसका उत्तर नहीं में ही होगा, क्योंकि जनप्रतिनिधि महज कुछ चाटुकारों के प्रतिनिधि बनकर ही रह जाते हैं। सवाल यह भी है कि देश में फिर कैसा लोकतंत्र? क्या जनप्रतिनिधियों का जनता से दूर होना लोकतंत्र का परिचायक माना जा सकता है? ऐसे में लगता है कि देश में लोकतंत्र के मायने बदल गए हैं, या बदल रहे हैं।


वर्तमान राजनीतिक वातावरण में जिस प्रकार की स्वार्थी राजनीति का चलन बढ़ रहा है, उसमें दिख रहा है कि राजनेता अपने हर कार्य को या तो सही सिद्ध करने का प्रयास करता है या फिर वह सीधे तौर पर सरकार पर बदले की कार्यवाही का आरोप लगा देता है। ऐसे में स्वच्छ और स्वस्थ लोकतंत्र की कल्पना कैसे कर सकते हैं? लोकतांत्रिक जीवन मूल्यों को बचाए रखने के लिए वर्तमान में रचनात्मक विपक्ष का होना समय की मांग है। लेकिन हमारे देश में विपक्ष की रचनात्मकता समाप्त होती जा रही है। कहीं न कहीं अपने दोषों को छिपाने के लिए सरकार पर आरोप लगाना तो जैसे विपक्ष का स्वभाव ही बन गया है। यह बात सर्वथा सही है और देश की जनता भी इसको सही का दर्जा दे रही है कि देश की केन्द्र सरकार के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देश को सही रास्ते पर ले जाने का प्रयास कर रहे हैंख् लेकिन हमारे देश देश का विपक्ष अपने स्वभाव के अनुसार अच्छे काम में आलोचना की गुंजाइश तलाशने को मजबूर हो रहा है, जो लांकतंत्र के लिए ठीक नहीं कहा जा सकता है। हालांकि लोकतंत्र को मजबूती प्रदान करने के लिए विपक्ष का होना अत्यंत जरूरी कहा गया है, लेकिन विपक्ष अपनी भूमिका का सही रुप से प्रतिपादन नहीं करे तो विपक्ष की भूमिका पर सवालिया निशान लग जाना स्वाभाविक है।

इस वास्तविकता को भले ही देश की जनता स्वीकार करने लगी हो, लेकिन विपक्ष इस सच्चाई से दूर भागता हुआ दिखाई दे रहा है। विपक्ष सच्चाई को जाने बिना ही अपना बयान देकर देश की वास्तविक सरकार यानी जनता को गुमराह करने का दुष्कृत्य कर रहा है। हम जानते हैं कि नरेन्द्र मोदी की सरकार देश की जनता द्वारा लोकतांत्रिक तरीके चुनी हुई सरकार है। लेकिन विपक्ष का रवैया ऐसा दिखाई देता है कि मोदी ने आक्रमण करके उनसे सत्ता छीन ली हो। यह एक प्रकार से लोकतंत्र का अपमान ही तो कहा जाएगा। वास्तव में जो दल जनादेश का सम्मान नहीं करता, उसे देश में राजनीति करने का कोई अधिकार ही नहीं है, क्योंकि यह देश आम जनता का है और देश में आम जनता की सरकार है।

एक ताजा मामले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव की भाषा को ही ले लीजिए। जब लालू और उनके परिजनों के ठिकाने पर छापे की कार्यवाही की गई तो उन्होंने इस छापे की कार्यवाही को केन्द्र सरकार द्वारा बदले की कार्यवाही बता कर उस सत्य पर परदा डालने का कुत्सित प्रयास किया है, जो भ्रष्टाचार की कहानी को बयान करता है। वास्तव में लालू और उनके परिजनों ने फर्जी संस्थाएं बनाकर जमकर गोलमाल किया है। इस गोलमाल की जांच तो होना ही चाहिए। लेकिन चारा घोटाले में दोषी सिद्ध हो चुके लालू प्रसाद यादव ने वही पैंतरा अपनाया, जो गैर जिम्मेदार है। वास्तव में लालू को जांच संस्थाओं को सहयोग करना चाहिए, लेकिन सहयोग करना तो दूर उसने जनता के सामने गलत फहमी का निर्माण कर वास्तविकता को छिपाने का प्रयास किया। एसे में सवाल यही आता है कि क्या विपक्षी नेताओं से रचनात्मकता की अपेक्षा की जा सकती है। इसी प्रकार का मामला पी. चिदम्बरम के पुत्र कार्ति चिदम्बरम का भी कहा जा सकता है। कार्ति का व्यापार देश में ही नहीं, बल्कि विदेश में भी फैला हुआ है। इन्होंने भी संस्था बनाकर गोलमाल किया है। सवाल यह आता है कि जब सब सही है तो जांच करने से क्यों घबरा रहे हैं।

हम जानते हैं कि पूर्व में हंगामे की राजनीति केवल जनता के हित के लिए की जाती थी, लेकिन आज हंगामे की राजनीति केवल अपना स्वार्थ साधने का माध्यम बनती हुई दिखाई देने लगी है। चाहे वह लालू प्रसाद याव हों, चिदम्बरम हों या फिर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल। इस सबके विरोध में कोई न कोई प्रमाणों के साथ आवाज उठा रहा है। इन प्रमाणों में कितना दम है, यह तो समय बताएगा, लेकिन आग लगने पर धुंआ उठता ही है। केन्द्र सरकार का उद्देश्य यही है कि सिर्फ हंगामा करना मेरा मकसद नहीं, मेरा मकसद है देश की सूरत बदलना चाहिए। लेकिन यह राजनेता अपने आपको ऐसे प्रस्तुत कर रहे हैं, जैसे यह प्रधानमंत्री के बराबर हों और देश की जनता ने ऐसे ही कामों के लिए इनको चुना है। हम यह भी जानते हैं कि केजरीवाल ने तो अपनी पूरी राजनीति हंगामा खड़ा करते हुए ही की है। लेकिन जब इनका असली चरित्र सामने आया तो जनता को लगा कि वह ठगी गई है। विपक्षी दलों के नेताओं की कार्यशैली ऐसी होती जा रही है कि वे देश की सूरत ही बदलना नहीं चाहते।


बिहार के दबंग नेता की पहचान लालू यादव की है। वे और उनकी पत्नी राबड़ी देवी मुख्यमंत्री रहे, दोनों बेटे बिहार की वर्तमान नीतीश सरकार में मंत्री है। परिवार का प्रभाव और वैभव बढ़ता रहा, लेकिन बिहार वही रहा। गरीबी, अशिक्षा और बेकारी की पीड़ा से बिहार त्रस्त है। लालूजी का असली चेहरा उस समय दिखाई दिया, जब इनके बेटे-बेटियों और नजदीकियों की एक हजार करोड़ की बेनामी संपत्ति का पदार्फाश हुआ। देश-दुनिया को पता चल गया कि लालूजी चारा घोटाला ही नहीं, बल्कि उनके हंगामे की राजनीति में करोड़ों की संपत्ति बँटोरी है। अब अपने आपको उलटा चोर कोतवाल को डाटे की भूमिका में लालू प्रसाद लाते जा रहे हैं। हंगामा खड़ा करके सच्चाई को दबाने का प्रयास किया जा रहा है। विपक्षी दल के हंगामा खड़ा करने वाले ये राजनेता कितना सही हैं, और कितना गलत य िआने वाले समय में पता चल ही जाएगा, लेकिन अगर बलत नहीं है तो जांच संस्थाओं और सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल नहीं उठाना चाहिए। 




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सुरेश हिन्दुस्थानी
झांसी, उत्तरप्रदेश पिन- 284001
मोबाइल-09455099388
(लेखक वरिष्ठ स्तंभकार एवं राजनीतिक विश्लेषक हैं)

विदिशा (मध्यप्रदेश) की खबर 23 मई

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जनसुनवाई में 175 आवेदन प्राप्त हुए, मौके पर 122 आवेदन निराकृत

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कलेक्टर श्री अनिल सुचारी के द्वारा आज आहूत की गई जनसुनवाई कार्यक्रम में 175 आवेदकों ने आवेदन प्रस्तुत कर अपनी व्यक्तिगत और सार्वजनिक समस्याओं की ओर ध्यान आकर्षित कराया। कलेक्टर श्री सुचारी के द्वारा मौके पर 122 आवेदनों का निराकरण किया गया है शेष लंबित आवेदनों पर समय सीमा में कार्यवाही करने के निर्देश उन्होंने संबंधित विभागों के जिलाधिकारियों को दिए है। कलेक्टर न्यायालय कक्ष मंे हुई जनसुनवाई कार्यक्रम में ग्राम खाईखेडा के आवेदक श्री विपत सिंह राजपूत ने बताया कि एक साल पूर्व बरसात में मकान गिर गया था। अब तक आर्थिक सहायता भी नही मिली है आवेदक के द्वारा प्रधानमंत्री आवास दिलाए जाने हेतु आग्रह किया गया। मौके पर तहसीलदार को प्रकरण की जांच करने के निर्देश दिए गए वही प्रधानमंत्री आवास योजना के मापदण्डो से आवेदक को अवगत कराया गया। शमशाबाद के निःशक्त आवेदक श्री राजेन्द्र ने स्वरोजगार मुहैया कराए जाने हेतु आवेदन प्रस्तुत किया। मौके पर स्वरोजगार का प्रकरण तैयार कराया गया ओर आवेदक को बताया गया कि बैंक के माध्यम से वित्त पोषण कराया जाएगा। ग्राम सतपाडा के प्रेम सिंह ने कृषि पट्टे की भूमि का सीमांकन कराने हेतु आवेदन प्रस्तुत किया। तहसीलदार को कार्यवाही करने हेतु निर्देशित किया गया। आवेदन श्री चंदन सिंह ने बताया कि विगत एक साल से बिजली का मीटर बंद है किन्तु हर महीने तीन सौ यूनिट का बिल आ रहा है। ऊर्जा विभाग के अधिकारी को कार्यवाही करने हेतु निर्देशित किया गया है। जनसुनवाई कार्यक्रम में अपर कलेक्टर श्री एचपी वर्मा, तहसीलदार श्री संतोष बिटौलिया समेत विभिन्न विभागो के अधिकारी मौजूद थे। 

सीहोर (मध्यप्रदेश) की खबर 23 मई

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रुक जाना नहीं योजना में प्रवेश पंजीयन अब 25 मई तक
       
मध्यप्रदेश माध्यमिक शिक्षा मण्डल की कक्षा.10 और 12वीं की बोर्ड परीक्षा में अनुत्तीर्ण रहे विद्यार्थियों को आगे की पढ़ाई जारी रखने के लिये मध्यप्रदेश राज्य मुक्त स्कूल शिक्षा परिषद ने रुक जाना नहीं योजना चालू की थी। वर्ष 2016 में इस योजना में 70 हजार विद्यार्थी ने लाभ उठाया है। अब ये विद्यार्थी कक्षा.10 और 12 की परीक्षा पास कर आगे की पढ़ाई जारी रख सके हैं। वर्ष 2017 में रुक जाना नहीं योजना में प्रवेश पंजीयन की तिथि 25 मई तक बढ़ा दी गयी है। योजना में लाभ लेने वाले विद्यार्थी एमण्पीण् ऑनलाइन के कियोस्क पर जाकर निर्धारित शुल्क जमा कर पंजीयन करवा सकते हैं। रुक जाना नहीं योजना के तहत परीक्षा  आगामी 19 जून को होगी। जो विद्यार्थी इस योजना में पंजीकृत होगाए उसे सरकारी अथवा प्रायवेट स्कूल में कक्षा.11 में प्रोविजनल एडमीशन दिया जायेगा। योजना के संबंध में विस्त़ृत जानकारी के लिये कार्यालय के फोन नम्बर 0755.2559943 पर भी सम्पर्क किया जा सकता है।


1 माह तक चलेगा छूटे हुए मतदाताओं के नाम जोड़ने का विशेष अभियान
       
भारत निर्वाचन आयोग द्वारा जिला निर्वाचन अधिकारियों को 1 जुलाई से 31 जुलाई तक छूटे हुए मतदाताओं को जोड़ने के लिए विशेष अभियान चलाने के निर्देष दिए। 18 से 21 वर्ष के ऐसे मतदाता जिनका नाम अभी तक मतदाता सूची में नहीं जोड़ा गया हैए ऐसे मतदाताओं को कोई भी वोटर छूट नहीं जाएश् के थीम पर विशेष अभियान स्वीप प्लान चलाया जाएगा। जिला निर्वाचन कार्यालय द्वारा 1 माह में विशेष अभियान के तहत विभिन्न गतिविधियां आयोजित की जाएगीए जिसमें प्र‍शिक्षण के अलावा प्रचार अभियानए कॉल सेंटर और प्रेस कांफ्रेंस भी आयोजित होगी। 

ग्राम पंचायत स्तर पर खुलेगा नागरिक सुविधा केन्द्र
    
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भारत सरकार की नागरिक सुविधा केन्द्र परियोजना के तहत जिले के प्रत्येक ग्राम पंचायत स्तर पर एक या एक से अधिक नागरिक सुविधा केन्द्र खोले जायेंगे। जिससे ग्रामीणों को भी उनके दैनिक उपयोग की सुविधा अपने ग्राम में ही मिल सके ।इस सुविधा केन्द्र से ग्रामीणों को डीजी बैक द्वारा ग्रामीण आधार पंजीयनए आधार संशोधनए आधार ई केवाईसी प्रिन्टए प्राथमिक कम्प्यूटर कोर्सए किसान ई स्टोरए ई पशु चिकित्साए रेल एवं बस टिकिटए मोबाईल एवं डीटीएच रिचार्जए पेन कार्ड सेवाएए जीवन प्रमाण पत्रए प्रधानमंत्री आवास पंजीयनए राष्ट्रीय रोजगार सेवाए स्वच्छ भारतए जन सुरक्षा योजनाए मृत्यु प्रमाण पत्र पंजीयनए राष्ट्रीय पेंशन योजनाए पासपोर्टए ई.कोर्टए इंश्योरेंस सेवाए आधार सीडिंगए फसल बीमाए मोटर बीमाए बैंक मित्र रजिस्ट्रेशन आदि सेवाए प्राप्त हो सकेगी । 

पटना विश्वविद्यालय ए॰आई॰एस॰एफ॰ का रोषपूर्ण प्रदर्शन,

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पी॰जी॰ में आॅनलाइन आवेदन में मनमानी शुल्क वसूली, भीषण गर्मी में पेयजल एवं पंखा का परीक्षा केन्द्रों पर व्यवस्था नहीं होने पर फूटा गुस्सा, कुलपति पोर्टिको तक पहुँचे छात्र, सुरक्षाकर्मियों ने गेट को किया बन्द, प्रतिकुलपति ने बुलाकर की वार्ता, कुछ मांगों पर सहमति, अतिरिक्त राशि लौटाने का निर्देश, 27 मई को पीयू गेट पर धरना का ऐलान। 




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पटना वि॰वि॰ः-पटना विश्वविद्यालय पर आॅल इण्डिया स्टूडेन्ट्स फेडरेशन ;।प्ैथ्द्ध के छात्रों ने आज रोषपूर्ण प्रदर्शन किया। स्नातक एवं स्नातकोत्तर में आॅनलाइन आवेदन में मनमानी वसूली पर रोक, दिव्यांग ;च्भ्द्ध कोटा आवेदन में जोड़ने, भीषण गर्मी में पीयू के परीक्षा केन्द्रों पर पेयजल एवं पंखा की व्यवस्था और पीयू सेन्ट्रल लाइब्रेरी को यथाशीघ्र खोलने एवं 24 घंटे करने की मांग को लेकर छात्रों का गुस्सा फूट पड़ा। प्रदर्शनकारी छात्रों के गुस्से को देख सुरक्षा कर्मियों ने विश्वविद्यालय के सभी गेट को बन्द कर दिया। चिलचिलाती धूप में आक्रोशित छात्र काफी देर तक नारे लगाने के बाद अलग-अलग रास्तों से विश्वविद्यालय के अन्दर पोर्टिको तक पहुँच बैठ गए और नारे लगाने लगे। इससे पहले छात्रों का जुलूस पटना काॅलेज से 11 बजे दिन में निकला। प्रतिकुलपति डाॅ॰ डाॅली सिन्हा वि॰वि॰ 1 बजे पहुंचीं। कुलपति की गैर मौजूदगी में प्रतिकुलपति ने ए॰आई॰एस॰एफ॰ के तीन सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल से बुलाकर वार्ता की। प्रतिनिधिमंडल मंे शामिल ए॰आई॰एस॰एफ॰ के राज्य सचिव सुशील कुमार, पीयू सचिव संदीप कुमार एवं पीयू उपाध्यक्ष अदनान इमरान ने प्रतिकुलपति से कहा कि पी॰जी॰ में मनमाने तरीके से छात्रों के पैसे आनलाइन से अधिक जमा हो रहा है। प्रतिकुलपति ने कहा कि कई छात्रों द्वारा फीस से अधिक राशि लिए जाने की शिकायत मिली है। छात्र इस तरह की शिकायत ई-मेल या पत्र से कर सकते हैं उनके लिये गये अतिरिक्त राशि की वापसी वि॰वि॰ करेगा। जिसमें एक छात्र से 1040 जबकि कई छात्रों से 1560 तक की वसूली हुई है। ए॰आई॰एस॰एफ॰ प्रतिनिधिमंडल ने इस बार स्नातक में एक परीक्षा लेने पर अलग-अलग काॅलेजों के शुल्क लिए जाने पर रोक की मांग की। प्रतिकुलपति ने कहा कि रजिस्ट्रेशन फी 300/- रु॰ एवं प्रति काॅलेज 300/- रु॰ लिया जाना विश्वविद्यालय ने निर्धारित किया है। छात्र नेताओं ने एक परीक्षा लेने एवं किसी एक काॅलेज में ही छात्रों का नामांकन होने पर अलग-अलग काॅलेजों के 300/- रु॰ लिए जाने पर रोक लगाने की मांग की। प्रतिनिधिमंडल की बातों की सुन प्रतिकुलपति डाॅ॰ सिन्हा ने एकेडमिक संकलन के कर्मियों को बुला दिव्यांग ;च्भ्द्ध कोटा एवं स्ववित्तपोषित कोर्सों के सम्बन्ध में त्रुटियों को दूर करने का निर्देश दिया। वहीं प्रतिकुलपति ने परीक्षा केन्द्रों पर पेयजल एवं पर्याप्त पंखों की व्यवस्था को लेकर प्राचार्यों से बात करने का भरोसा दिलाया। लेकिन जुलाई माह से पहले पीयू सेन्ट्रल लाइब्रेरी खोलने से इंकार किया। वहीं ए॰आई॰एस॰एफ॰ ने आगामी 27 मई को पटना विश्वविद्यालय मुख्यालय पर धरना का भी ऐलान किया। प्रदर्शन में ए॰आई॰एस॰एफ॰ के राज्य उपाध्यक्ष सुशील उमाराज, राज्य कार्यकारिणी सदस्य विकास कुमार गुप्ता, जिलाध्यक्ष पुष्पेन्द्र प्रणय, राज्य पार्षद विदानंद पासवान, आफताब, नारायण, सफदर इरशाद, किशोरी, विकास कुमार मौजूद थे।

दुमका : बासुकीनाथ दुर्गा मंदिर के समीप से शीघ्र हटेंगी शराब की दुकानेें--- बादल पत्रलेख

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दुमका (अमरेन्द्र सुमन), उप राजधानी दुमका के जरमुंडी प्रखंड अंतर्गत बासुकीनाथ में  विश्व प्रसिद्ध बासुुुकिनाथ मंदिर परिसर  स्थित लाइसेंसी शराब की दुकान व बासुकीनाथ रेलवे स्टेशन के समीप (जरमुंडी-हरिपुर मुख्य मार्ग पर स्थित) शराब की दुकान को जल्दी हटाया जाएगा। जरमुंडी  विधायक बादल पत्रलेख ने कहा  कि बासुकिनाथ मंदिर में आने वाले लाखों भक्तों की आस्था को देखते हुए यह निर्णय लिया जा रहा है। जिला बीस सूत्री समिति की बैठक में दिन सोमवार (22 मई 2017) को उक्त आशय  की जानकारी दी गई है ।  विधायक श्री पत्रलेख ने सोमवार की शाम 7:00 बजे उत्पाद अधीक्षक आशुतोष कुमार, जरमुंडी सीओ प्रमेश कुशवाहा व बासुकिनाथ नगर पंचायत के कार्यपालक पदाधिकारी ज्योति सिंह के साथ बासुकीनाथ दुर्गा मंदिर के समीप (बासुकिनाथ ग्रामीण बैंक  गेट पर स्थित) शराब की दुकान का निरीक्षण किया । शराब  दुकानदार कुंदन झा को जिला बीस सूत्री समिति की बैठक में लिए गए निर्णय से अवगत कराते हुए शराब की दुकान कहीं अन्यंत्र ले जाने को कहा।  शराब विक्रेता कुंदन झा ने  पंद्रह दिनों की मोहलत मांंगी।  जिस पर ग्रामीणों के साथ-साथ पदाधिकारियों ने भी मंजूरी दी। विधायक ने कहा कि बासुकिनाथ मंदिर के समीप स्थित शराब की दुकान को हटाने की माँग बासुकिनाथ  के स्थानीय नागरिकों  ने कई बार उनसे की थी। नागरिकों की बातों पर संज्ञान लेते हुए इस मुद्दे को जिला 20 सूत्री बैठक में उठाया था जिस पर त्वरित कार्रवाई की गई ।

राजस्थान से मुक्त बाल-श्रमिकों का गृह-राज्य में हुयी वापसी

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  • पटना 23 मई, आज सुबह करीब 9.20 में बीकानेर गुहाटी एक्सप्रेस ट्रेन से जयपुर से मुक्त कराये गए 68 बाल-श्रमिक एवं 26 गुमशुदा (निराश्रित)  बच्चे अपने घरेलु राज्य की राजधानी पटना पहुंचे. 

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मुक्त बाल-श्रमिकों में क्रमशः 19 पटना, 16 गया, 15 समस्तीपुर, 7 वैशाली, 4 कटिहार, 2 नवादा, 2 मधुबनी एवं 1 नालंदा जिले के बच्चे हैं. गुमशुदा बच्चों में क्रमशः 13 गया, 3 समस्तीपुर, 3 नालंदा, 2 सीतामढ़ी, 2 बेगुसराय, 1 नवादा एवं 1 पटना जिले के हैं. इन तमाम बच्चों के साथ जयपुर से 5 सदस्य का प्रतिनिधि मंडल में शामिल लोगों में क्रमशः अजय मेहेरदा, मोती लाल मीणा, बबन मिश्र, भगवत शर्मा एवं गुरुशेखरण के अलावा 6 सदस्यीय सुरक्षा दल प्रमुख थे. ज्ञातव्य हो की मुक्त कराये गए बाल मजदूरों को मानव-तस्करों के एजेंट के द्वारा बहला-फुसलाकर  कर बिहार से जयपुर में स्थित चूड़ी कारखाने, कालीन व् साड़ी एम्ब्रोइदरि के कारखानों में सस्ते मजदूरी दर पर लगाये गए थे, जहाँ कार्य-स्थल पर बुनियादी सुविधा भी मुकम्मल नहीं थी और 8 घंटों से ज्यादा इन बच्चों से कारखानों के मालिकों के द्वारा जबरन काम लिया जाता था. इसके अलावा इन बाल मजदूरों का शारीरिक व् मानशिक शोषण भी हो रहा था तथा इन्हें इनके कार्य के बदले उचित मजदूरी भी नहीं दिया जाता था. दूसरी ओर गुमशुदा बच्चों को मानव-तस्कर बिहार से जयपुर लेकर ट्रेन से पहुंचे तो जयपुर स्टेशन पर चाइल्ड लाइन के द्वारा पकडे गए थे.  


इस पुरे मुहिम व् बाल-श्रमिकों को मुक्त कराने में एक्शनएड के राजस्थान में कार्यरत सहयोगी संगठन “राजस्थान बाल अधिकार संरक्षण साझा अभियान” के विजय गोयल एवं उनके साथियों की अहम् भूमिका है, जो बाल अधिकार एवं बाल-श्रमिक उन्मूलन अभियान के लिए संकल्पित एवं सम्पर्पित हैं. दूसरी ओर एक्शनएड बिहार के प्रतिनिधि पंकज श्वेताभ एवं बिहार में कार्यरत सहयोगी जन-संगठन “असंगठित क्षेत्र कामगार संगठन” के राज्य संयोजक विजय कांत एवं अन्य साथी लाल मोहन रॉय (बाल अधिकार फोरम), अजय कुमार, अभिषेक कुमार, अधिवक्ता धनञ्जय कुमार एवं अन्य सभी मुक्त बाल-श्रमिकों एवं बंधुआ मजदूरों को पुनार्वषित करने हेतु संकप्लित एवं सम्पर्पित हैं. 

मधुबनी : बाढ विस्थापित परिवार को सरकारी भुखंड खाली कराने के आदेश से हरकंप।

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मधुबनी/अंधराठाढी (मोo आलम अंसारी) महरैल गांव के बाढ विस्थापित 52 परीवारो का फिर से आशियाना उजरने की नौवत आबनी है। बाढ की त्रासदी के कारण ये परिवार विस्थापित हुआ था। आसरा को तलाश करते सरकारी भूखंड को हो अपना आशरा बनाया । कानूनी अर्चन में फसते इन परिवार को सरकारी भूखंड खाली करने के आदेश से एक बार फिर रातो की निंद उड गयी है।र्वा 2004 में कमला नदी के तेज धार में इनका घरवार आदि सब दह गया था। उसके वाद बाढ विस्थापित परीवारो ने गांव के उच्चे सरकारी भूखंड पर अपना बास बनाया । विस्थापितो को पर्चा आदि भी विमुक्त किया गया । अधिकांश परिवार ब्राहमण समुदय के लोग है। अब सरकार उन्हे सुयोग्य श्रेणी के लाभुक नहीं मानती है। दी पर्चा को रदद करते हुये सरकारी भूखंड को खाली कराने का आदेश पारित कर दी है।र्वा वाद इस तरह के आदेश आते हीं विस्थापित परिवारो के बीच साप सुघ गयी । विस्थापित परिवार के लोगो ने मानननीय उच्च न्यायालय पटना के शरण में गये मामला उच्च न्यायालय में प्रक्रीयाधीन है। इसी तरह 147 किसानो को पूर्व में विमुक्त अधिशे भूमि की पर्चा रदद कर दिया गया है। पर्चा धारी पर्चा मिलने के वाद से उस भूखंड पर खेती वारी कर जीवन बसर करता था । आदेश मिलने के वाद से मायूस है। 


पेयजल को प्राथमिकता देते हुए डोभा, तालाब योजनाओं को भी सममय पूरा किया जाना चाहिए- बाउरी

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दुमका (अमरेन्द्र सुमन) सूबे के मंत्री अमर बाउरी की अध्यक्षता में दिन सोमवार को समाहरणालय सभागार में जिला योजना समिति की बैठक में आहुत की गई थी। बैठक को सम्बोधित करते हुए मंत्री सह अध्यक्ष अमर कुमार बाउरी ने कहा कि साझे प्रयास से दुमका के विकास का लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। सभी सदस्यों एवं अधिकारियों के परामर्श एवं मंतव्य से यह स्पष्ट है कि जिला के प्रत्येक गांव और नागरिक की पहुंच पेयजल तक हो। मंत्री ने कहा कि डोभा और तालाब निर्माण को प्राथमिकता देनी चाहिए इससे न केवल जल का संचय होगा बल्कि सिंचाई की सुविधा होगी तथा भू-गर्भ जल का स्तर भी उपर आएगा। योजना के लिए विहित प्रक्रिया से अनुशंसा ससमय होनी चाहिये तथा ससमय गुणवत्ता के साथ कार्यान्वयन होना चाहिये। बैठक में समाज कल्याण मंत्री सह दुमका विधायक डा लोईस मरांडी ने दुमका विधान सभा क्षेत्र की योजनाओं पर सिल सिलेवार अपने विचार रखे। जिला परिषद एवं नगर पर्षद अपनी योजनाओं में पेयजल को प्राथमिकता दें। बैठक में जरमुण्डी विधायक बादल ने जरमुण्डी विधान सभा क्षेत्र तथा विषेशकर बासुकिनाथधाम क्षेत्र में विकास की योजनाओं और समस्याओं पर बैठक में अपनी बातें रखी। उन्होंने गर्भगृह के नीर को भूगर्भ तक  ले जाने के लिए विषेश पहल करने की आवश्यकता बताई। उन्होंने बासुकिनाथ के लिए उपायुक्त को 50 लाख रुपया जिला योजना समिति से उपलब्ध कराने का अनुरोध किया। दुमका के उपायुक्त राहुल कुमार सिन्हा ने कहा कि जल के ऐसे स्रोत जहां स्वतः जल निकलता रहता है का विषेश प्रबंधन कर आसपास के क्षेत्रों में पेयजल व सिंचाई की आवश्यकता को पूरा किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि जन प्रतिनिधियों की भावनाओं को जन भावना समझते हुए विकास को मूर्त रूप देने की कोशिश होती है। आवश्यकता है सभी लोग अपनी निजता से उपर उठकर जिले के समग्र विकास के लिए समर्पित व तत्परता के साथ प्रयास करें। बैठक में सदस्यों ने क्षेत्र की अन्य समस्याओं की ओर मंत्री का ध्यान आकृष्ट कराया। बैठक में  इस वर्ष की योजनाओं पर ससमय कार्य पूरा करने का निर्णय लिया गया। बैठक में जरमुण्डी विधायक बादल पत्रलेख, उपायुक्त दुमका राहुल कुमार सिन्हा, उप विकास आयुक्त शशि रंजन, जिला परिषद अध्यक्ष जाॅयेस बेसरा, नगर पर्षद अध्यक्ष अमिता रक्षित, सांसद प्रतिनिधि गोड्डा सीताराम पाठक, सांसद प्रतिनिधि दुमका सुभाष सिंह, विधायक प्रतिनिधि लिट्टीपाड़ा लखीचन्द्र मंडल, जिला योजना समिति सदस्य योगेश मुर्मू, जयप्रकाश मंडल, असिम मंडल, लुखीराम टुडू, निभा जायसवाल, शिवकुमार बास्की, दिलीप हेम्ब्रम, वासुदेव टुडू, मनोहर बैठा, पुष्पा मरांडी, पुनम मुर्मू, चन्द्रशेखर यादव, राधेश्याम सिंह व निर्मला टुडू तथा योजना समिति से संबंधित पदाधिकारी एवं कर्मी उपस्थित थे। 

मधुबनी : मधुबनी नगर परिषद का सम्पूर्ण परिणाम

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मधुबनी नगर परिषद् के लिए हुए चुनाव की मतगणना आज कड़े सुरक्षा के बीच संपन्न हुई, मुख्य निर्वाची पदाधिकारी सह सदर अनुमंडल पदाधिकारी ने सभी विजेटों को प्रमाण पत्र दिया ! विजेता प्रतिनिधि इस प्रकार रहे!  वार्ड नं-1 : जयशंकर साह,  वार्ड नं-2 : विनीता देवी(बजरंग महतो), वार्ड नं-3 : सुनैना देवी, वार्ड नं-4 : धर्मवीर प्रसाद, वार्ड नं-5 : निर्मला देवी, वार्ड नं-6 : पूनम कुमारी, वार्ड नं-7 : सुरेन्द्र मण्डल, वार्ड नं-8 : रेखा नायक, वार्ड नं-9 :  बेंजीर खालिद, वार्ड नं-10 : रेहाना खातून, वार्ड नं-11 : वीणा गुप्ता, वार्ड नं-12 : आइशा खातून, वार्ड नं-13 : सोनाली देवी, वार्ड नं-14 :  सुनीता देवी, वार्ड नं-15 : महारानी देवी पुर्बे, वार्ड नं-16 : प्रीति चौधरी, वार्ड नं-17 : रज़ा इश्तेयाक,  वार्ड नं-18 : कैलाश साह, वार्ड नं-19 : सुभाष चंद्र मिश्र, वार्ड नं-20 : उमेश प्रसाद, वार्ड नं-21 : मनीष कुमार सिंह, वार्ड नं-22 : सबनम आरा, वार्ड नं- 23 : अरुण कुमार राय, वार्ड नं-24 : वारिस अंसारी, वार्ड नं-25 : सबनम प्रवीण, वार्ड नं-26 : कविता देवी, वार्ड नं-27 : जामुन सहनी, वार्ड नं-28 : खालिद अनवर, वार्ड नं-29 : हलीमा खातून, वार्ड नं-30 : प्रभावती देवी 


इसी बीच मधुबनी नगर परिषद-मतगणना  समाप्त हुआ नहीं कि चेयरमैन पद के लिए कवायद तेज हो गई है! गुणा -भाग चालु हो गया है, जैसा कि मालूम ही है चेयरमैन पद महिला के लिए आरक्षित है इस बार कई दावेदार है, पर्दे के पिछे चेयरमैन पद अपनी पसंद के बनाने के लिए कई बड़े लोग की भुमिका होती है  आगे  देखते हैं कि ऊँट किस करवट बैठता है क्या, कुल मिलाकर  मामला दिलचस्प रहने की संभावना है !!!

मधुबनी : पारा 38 के पार: गर्मी से लोग परेशानन

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मधुबनी -: ‘भरी दोपहरी जेठ की छाहों, चाहत छाह’ वाली उक्ति को चरितार्थ करते चमड़ी जला देने वाली गर्मी ने लोगों को परेशान कर दिया हैं. सोमवार को तो सुबह होते ही सूर्य देव की प्रखर किरणों ने लोगों को इस बात का एहसास करा दिया था कि आज की गर्मी परवान चढने वाली होगी. दिन जैसे—जैसे चढ़ता गया गर्मी से जनमानस की परेशानी भी बढ़ती गई. दोपहर होते—होते पारा 38 डिग्री के पार चला गया. बाजार सुनसान और सड़कें वीरान दिखने लगीं. चमड़ी जला देने वाली धूप तथा उमस भरी गर्मी से यूं तो लोग विगत करीब तीन—चार दिनों से परेशान हैं. परंतु आज के दिन को लोग यहॉ इस मौसम का सबसे गर्म दिन बता रहे हैं. करीब दस बजे दिन तक चलने वाली हवा भी दोपहर बाद थम सी गई है. इधर विगत कुछ समय से दिन और रात के तापमान में हो रहे अप्रत्याशित उतार चढ़ाव के कारण लोगों में सर्दी, खांसी, ज्वर के कारण बीमार होने के मामलों में भी इजाफा हुआ है. स्थानीय अनुमंडल अस्पताल में इस तरह के मरीजों की बहुतायात संख्या इन दिनों देखी जा रही है. दैनिक मजदूरी के कामों में लगे दिहाड़ी मजदूर तक काम पर जाने से परहेज बरत रहे हैं. बाजार में सड़कों पर भी दिन के दस बजते—बजते लोगों की आवाजाही कम हो जा रही है. शादी ब्याह का समय होने के कारण टेंट वाले मजदूर,खाना पकाने वाले कारीगर एवं अन्य महत्वपूर्ण कार्यों को अंजाम देने में लगे लोग परेशान दिख रहे हैं.

वायु सेना के लापता सुखोई लडाकू विमान की तलाश जारी

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तेजपुर. 23 मई, भारतीय वायु सेना का सुखोई -30 लडाकू विमान आज असम में तेजपुर के निकट लापता हो गया, विमान की तलाश के लिए चलाये गये अभियान को पड़ोसी राज्य अरुणाचल प्रदेश तक बढ़ा दिया गया है जहां विमान से अंतिम बार संपर्क हुआ था, वायु सेना के सूत्रों के अनुसार विमान ने तेजपुर के वायु सेना स्टेशन से नियमित प्रशिक्षण उड़ान भरी थी। हवाई अड्डे से करीब 60 किलोमीटर उत्तर दिशा में जब यह विमान था तभी उसका रडार एवं रेडियो संपर्क टूट गया। विमान में दो पायलट सवार थे। खोजबीन एवं बचाव अभियान में हेलीकॉप्टरों की भी मदद ली जा रही है। अभियान असम के सोनीपुर और विश्वनाथ जिलों तथा अरुणाचल के पश्चिमी कामेंग जिले में चलाया जा रहा है। रडार से संपर्क टूटने के बाद से विमान का कुछ पता नहीं चला है। इन इलाकों के स्थानीय ग्रामीणों को अलर्ट किया गया है और स्थानीय अधिकारियों को कोई भी सूचना मिलने पर स्थानीय अधिकारियों से संपर्क साधने के लिए कहा गया है। सूत्रों ने बताया कि फिलहाल रात होने के कारण अभियान को रोक दिया गया है और कल तड़के फिर से यह अभियान शुरू किया जायेगा।

मेजर गोगोई ने वाहन से व्यक्ति को बांधने के कदम का किया बचाव

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नयी दिल्ली 23 मई, पत्थरबाजों से बचाव के लिए एक व्यक्ति को मानव सुरक्षा कवच के तौर पर इस्तेमाल करने के लिए सेना के वाहन से बांधने के बाद विवादों में आये मेजर लीतुल गोगोई ने आज अपने इस कदम का बचाव करते हुए कहा कि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया और बिना गोली चलाये कई जिंदगी बचा ली । मेजर गोगोई ने एक समाचार चैनल से कहा, ‘ मैं डरता नहीं हूं । मैने कुछ भी गलत नहीं किया । यह मेरे ,मेरी संस्था और मेरे देश के लिए गलत नहीं था । मैंने अपना और कई नागरिकों का जीवन बचा लिया । इससे कोई बडा नुकसान नहीं हुआ । मेरे हिसाब से मैंने किसी बात का उल्लंघन नहीं किया । ’ मेजर ने कहा ‘ हम यहां लोगों की मदद के लिए हैं । सेना यहां उन लोगों से आम लोगों की रक्षा के लिए है जो हथियारों से लैस हैं और देश के खिलाफ लड रहे हैं । मेरा अपने सभी कनिष्ठ जवानों को यह संदेश है कि यदि आपका इरादा नेक है तो आपको कुछ नहीं होगा । ऐसे संकट के समय में हमारे वरिष्ठ आपके साथ हैं । सकारात्मक रहिये और कठिन परिश्रम करें । चीजें ठीक हो जाएंगी । ’ मेजर गोगोई ने कहा जब एक व्यक्ति को बांधने वाला वीडियो वायरल होेने पर विवाद खडा हुआ तो यह उनके लिए कठिन समय था । हालांकि यह पहले से सोचा -समझा फैसला नहीं था । 'अपने कदम का बचाव करते हुए उन्हाेंने कहा ,‘ उन्हें यह बात समझनी चाहिए यदि मैं फायरिंग करता तो क्या होता । ’ उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला की टिप्पणियों से उन्हें कोई फर्क नहीं पडता । हो सकता हो उन्होंने अपमानित महसूस किया हो । लेकिन यदि वह या कोई और मेरे स्थान पर होता तो क्या करता। श्रीनगर लोकसभा सीट के उपचुनाव के दौरान नौ अप्रैल को एक व्यक्ति को वाहन से बांधने का वीडियो वायरल होने के बाद मेजर गोगोई को आलोचनाओं का सामना करना पडा था । इसकी चौतरफा आलोचना होने के बाद सेना ने जांच के आदेश दिये थे । मेजर गोगोई को कल सेना प्रमुख के ‘प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया गया । सैन्य सूत्रों ने बताया कि जम्मू कश्मीर में आतंकवाद के विरूद्ध सतत प्रयास के लिए उन्हें यह सम्मान दिया गया है ।

उत्तरकाशी बस हादसा, 21 मरे, सात घायल

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देहरादून. 23 मई, उत्तराखंड के उत्तरकाशी में आज गंगोत्री धाम से दर्शन कर लौट रही मध्यप्रदेश के इंदौर के यात्रियों से भरी बस गंगोत्री हाईवे पर नालूपानी के पास गहरी खाई में गिर गयी जिससे 21 यात्रियों की मौत हो गयी और सात अन्य घायल हो गये। तीन यात्रियों का अभी तक कोई पता नहीं चल पाया है। पुलिस के मुताबिक गंगोत्री धाम के दर्शन करने के बाद इंदौर के 57 यात्रियों का दल दो बसों में सवार होकर वापस लौट रहा था। चालक और खलासी समेत 31 यात्री एक बस में थे तथा 30 यात्री दूसरी बस में सवार थे। दोनों बसे आगे पीछे चल रही थी। सूत्रों के अनुसार शाम करीब छह बजे 30 यात्रियों से भरी बस उत्तरकाशी से 25 किलोमीटर दूर ऋषिकेश की ओर गंगोत्री हाईवे पर नालूपानी में बस अनियंत्रित होकर 300 मीटर गहरी खाई में गिर गई। घायलों को नजदीक के अस्पताल में भर्ती कराया गया है। सभी इंदौर के बेटमा के निवासी हैं। घायलों की पहचान भागीरथ, अंजू देवी, बलीराम चौहान, जीतेंद्र चौधरी और भावना के रूप में की गई है। बाहर निकाले गए तीन यात्रियों की भी शिनाख्त की जा रही है। कुछ यात्री छिटक कर भागीरथी नदी में गिरे। उत्तरकाशी से चिन्यालीसौड़ जा रहे भाजपा के जिलाध्यक्ष रामसुंदर नौटियाल ने जिलाधिकारी डॉ. आशीष श्रीवास्तव और पुलिस अधीक्षक को घटना की सूचना दी। साढ़े छह बजे डीएम और एसपी मौके पर पहुंचे। साथ ही एसडीआरएफ, आइटीबीपी, पुलिस व निम की टीम मौके पर गई। लेकिन जिस स्थान से यात्री बस खाई में गिरी उस स्थान पर खड़ी पहाड़ी होने के कारण टीम राहत और बचाव के लिए नहीं उतर पाई। जानकारी के अनुसार टीम को धरासू चमियारी मोटर मार्ग से चार किलोमीटर की दूरी तय कर भागीरथी नदी के दूसरे छोर पर जाना पड़ा। जहां जल पुलिस, एसडीआरएफ और आइटीबीपी की टीम ने नदी पर की। जिसके बाद वहां से रास्सियों के सहारे सात घायलों को रेस्क्यू किया गया। जिलाधिकारी श्रीवास्तव और एसपी ददन पाल ने बताया कि अबतक 20 शवों को निकाला गया है। अभीतक मृतकों की शिनाख्‍त नहीं हो पाई है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने हादसे पर गहरा शोक व्यक्त किया है। श्री रावत ने बस हादसे की मजिस्ट्रेट से जांच कराने की घोषणा करते हुए कहा कि हादसे में मरने वालों के परिजनों को एक-एक लाख और घायलों को 50-50 हजार रुपये की आर्थिक सहायता दिया जाएगा। मध्यप्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने भी ट्वीट कर घटना पर गहरा दुख जताया और मृतकों के परिजनों को 2-2 लाख रुपए सहायता देने की घोषणा की। घटना के बाद प्रशासन ने हेल्प लाइन नंबर जारी किये हैं। साथ ही डीसीआऱ उत्तरकाशी का हेल्पलाईन न0- 9411112976, एस0पी0 उत्तरकाशी- 9411112737, रेन्ज कार्यालय देहरादून- 0135-2716201 जारी कर दिये गये हैं। पुलिस कन्ट्रोल रूम 0731-100, 09425928259, सीएस हुड्डा 09825058988 राहुल गायकवाड़, नायब तहसीलदार 09993535505 तहसीलदार।

जीएसटी से दवाईयां, स्‍मार्टफोन, चिकित्‍सा उपकरण होंगे सस्ते

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नयी दिल्ली 23 मई, देश में एक राष्ट्र एक कर की परिकल्पना पर आधारित वस्‍तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के लागू होने पर सीमेंट, दवाईयों, स्मार्टफोन और सर्जिकल उपकरणों जैसी विभिन्‍न वस्‍तुओं पर कर दर घटने से ये सस्ते हो सकते हैं, सीमेंट पर केंद्रीय उत्‍पाद शुल्‍क 12.5 प्रतिशत और 125 रूपये पीएमटी तथा 14.5 प्रतिशत की दर से वैट लगता है, इन दरों पर कुल वर्तमान कर 29 प्रतिशत से अधिक है। अगर इसमें केंद्रीय बिक्री कर (सीएसटी), चुंगी शुल्‍क, प्रवेश कर आदि जोड़े तो तो यह 31 प्रतिशत से अधिक होता है जबकि जीएसटी में यह कुल मिलाकर 28 प्रतिशत है। आयुर्वेदिक, यूनानी, सिद्धा, होम्‍योपैथिक या जैव रसायन सहित दवाईयों के मामले में भी कर का बोझ कम होगा। आम तौर पर दवाईयों पर छह प्रतिशत केंद्रीय उत्‍पाद शुल्‍क और 5 प्रतिशत वैट लगता है। इनके अलावा दवाईयों पर केन्द्रीय विक्रय कर (सीएसटी), चुंगी, प्रवेश कर आदि भी लगते हैं। इन दरों पर वर्तमान कुल कर 13 प्रतिशत से अधिक है। इसके विपरीत आयुर्वेदिक औषधियों सहित दवाईयों पर प्रस्‍तावित जीएसटी दर 12 प्रतिशत है। स्‍मार्टफोन पर अभी दो 2 प्रतिशत केंद्रीय उत्‍पाद शुल्‍क (1 प्रतिशत उत्‍पाद शुल्‍क और 1 प्रतिशत राष्‍ट्रीय आपदा दस्‍ता शुल्‍क -एनसीसीडी) लगता है। अलग अलग राज्‍यों में वैट दर 5 प्रतिशत से 15 प्रतिशत है। स्‍मार्टफोन पर औसत वैट दर लगभग 12 प्रतिशत है। इस प्रकार इस पर अभी कुल कर 13.5 प्रतिशत से अधिक है। इसके विपरीत जीएसटी में स्‍मार्टफोन पर कर दर 12 प्रतिशत है। इसी तरह सर्जिकल उपकरणों सहित चिकित्‍सीय उपकरणों पर आमतौर पर 6 प्रतिशत केंद्रीय उत्‍पाद शुल्‍क और 5 प्रतिशत वैट लगता है। सीएसटी, चुंगी ,प्रवेश कर आदि के साथ कुल वर्तमान कर 13 प्रतिशत से अधिक है। इसके विपरीत जीएसटी के तहत प्र‍स्‍तावित दर 12 प्रतिशत है।


लंबे समय बाद पटरी पर लौट रही वैश्विक अर्थव्यवस्था, कुछ विकसित देशों की नीति से खतरा: जेटली

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गांधीनगर, 23 मई, केंद्रीय वित्त मंत्री अरूण जेटली ने आज कहा कि मंदी के लंबे दौर के बाद वैश्विक अर्थव्यवस्था अब पटरी पर लौट रही है हालांकि कुछ विकसित देशों की ‘अंदर की ओर देखने’ की नीति के चलते इसके फिर से छिन्न-भिन्न होने की संभावना भी बढ रही है। श्री जेटली ने आज यहां अफ्रीकी विकास बैंक समूह के निदेशक मंडल की वार्षिक बैठक के उद्घाटन समारोह में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मौजूदगी मे कहा कि दुनिया अनिश्चितता के दौर से गुजर रही थी पर आर्थिक गतिविधियों में मंदी के लंबे दौर के बाद आखिरकार सुधार की शुरूआत हो गयी है। पिछले साल वैश्विक आर्थिक वृद्धि दर 3.5 प्रतिशत थी जो इस साल सुधर कर 3.6 प्रतिशत रहने की उम्मीद है। लेकिन कुछ बडी अर्थव्यवस्थाओं के ‘भीतर की ओर’ देखने (वैश्विकरण के उलट) की नीति के चलते इसके फिर से छिन्न भिन्न होने की संभावना भी बढ रही है। उन्होंने इस संदर्भ में अपने हाल के अमेरिका दौरे के दौरान हुए मिश्रित अनुभव का भी जिक्र किया। हालांकि उन्होंने कहा कि अफ्रीका और भारत दोनो बेहतर कर रहे हैं और यह सदी केवल एशिया के बजाय एशिया और अफ्रीका दोनो की होगी। दुनिया की एक तिहाई आबादी भारत और अफ्रीका में रहती है। कई तरह के आर्थिक सुधारों के चलते भारत की आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष के दौरान 7.7 प्रतिशत रहेगी। अफ्रीका भी अब बेहतर कर रहा है और इसकी औसत वृद्धि दर भी इस साल 3.4 प्रतिशत रहेगी। वहां मध्यम वर्ग की आबादी भी बढ रही है जिसकी क्रय क्षमता बढने से वहां की अर्थव्यवस्था को और मजबूती मिलेगी। भारत और अफ्रीका को एक दूसरे पर बिना कोई शर्त थोपे सहयोग के रास्ते पर चलते रहना चाहिए। दोनो के बीच सहयोग और संबंध और मजबूत हो रहे हैं। हाल के समय में राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने 16 अफ्रीकी देशों का दौरा किया है और ऐसा एक भी अफ्रीकी देश नहीं जहां कोई न कोई भारतीय मंत्री न गया हो। यह महज संयोग नहीं है। श्री जेटली ने यह भी कहा कि अफ्रीका में कृषि क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं। अफ्रीका में पूरे विश्व की 60 प्रतिशत कृषि योग्य भूमि है जबकि वहां अब तक केवल 10 प्रतिशत खाद्यान्न का ही उत्पादन होता है। दूसरी तरह दुनिया की आबादी के 17 प्रतिशत का बोझ संभालने वाले भारत के हिस्से ऐसी केवल 2 प्रतिशत भूमि ही है। उन्होंने उम्मीद जतायी कि भारत और अफ्रीका के बीच परस्पर बढते संबंध भविष्य में और मजबूत होंगे।

अगले साल से भारत का कोई गांव बिजली के बिना नहीं रहेगा : मोदी

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गांधीनगर, 23 मई, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज लगभग 80 सदस्य देशों वाले अफ्रीकी विकास बैंक समूह के निदेशक मंडल की वार्षिक बैठक का औपचारिक उद्घाटन करते हुए भारत को नया भारत बनाने के लिए उनकी सरकार के प्रयासों और योजनाओं को साझा किया और कहा कि ऐसे ही प्रयासो तथा आधारभूत संरचना, ऊर्जा आदि क्षेत्रों में अभूतपूर्व निवेश के चलते अगले साल तक देश में एक भी ऐसा गांव नहीं होगा जहां बिजली की पहुंच न हो। चार वर्तमान अथवा पूर्व अफ्रीकी राष्ट्रप्रमुखों तथा 80 देशों के करीब 3000 प्रतिनिधियों की मौजूदगी में यहां महात्मा मंदिर में कल से शुरू हुई इस बैठक का आज औपचारिक उद्घाटन करते हुए श्री माेदी ने अफ्रीका और भारत तथा गुजरात के सदियों पुराने संबंधों का भी विस्तार से जिक्र किया। उन्होंने कहा कि इससे दोनो संस्कृतियां परस्पर समृद्ध हुई हैं। स्वाहिली भाषा में कई शब्द हिन्दी के ही है। उन्होंने अफ्रीकी देशों के आजादी के आंदोलन में भारतीयों की भूमिका की भी चर्चा की तथा यह भी कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने अपने अहिंसक आंदोलन के हथियार को दक्षिण अफ्रीका में ही धार दिया था। उन्होंने कहा कि दोनो क्षेत्रों में सबंध और मजबूत ही हुए हैं और भारत को इस पर गर्व है। वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद से उन्होंने अफ्रीका को शीर्ष वरीयता दी है। उन्होंने तथा अन्य भारतीय मंत्रियों, राष्ट्रपति तथा उपराष्ट्रपति ने अफ्रीकी देशों का व्यापक दौरा किया है। शिक्षा के क्षेत्र में भी दोनो क्षेत्रों में गहरा रिश्ता है तथा 13 राष्ट्राध्यक्षों समेत अन्य गणमान्य अफ्रीकी लोगों ने भारतीय संस्थानों में शिक्षा हासिल की है। दोनो देशाें के बीच द्विपक्षीय व्यापार भी बढा है। भारत और जापान ने मिल कर भी अफ्रीका के विकास के लिए योजना बनायी है। भारत के निजी क्षेत्र ने भी गुजरात में पिछले 20 साल में 54 अरब डालर का निवेश किया है। भारत वहां सबसे बडे पांच निवेशकों में है। भारत कृषि के क्षेत्र में समृद्धि पैदा करने के मामले में अफ्रीकी विकास बैंक से सीखना चाहता है जिसका इस्तेमाल वर्ष 2022 तक किसानों की आय दुगनी करने की योजना के लिए संसाधन, बाजार उपलब्धता अादि के लिए किया जा सके। दोनो क्षेत्रों में एक जैसी चुनौतियां है। हमे मुद्रास्फीति जैसे बडे आर्थिक संकेतकों को नियंत्रित रखते हुए सीमित संसाधनों के साथ गरीबी उन्नमूलन तथा आधारभूत संरचना के विकास आदि के काम करने है। भारत ने कम नकदी वाली व्यवस्था की पहल के मामले मे केन्या की सफल मोबाइल बैंकिंग प्रणाली से सीखा है। उन्होने कहा कि उनकी सरकार के तीन साल के दौरान वित्तीय घाटा, भुगतान संतुलन घाटा, मुद्रास्फीति नीचे गयी है जबकि सकल घरेलू उत्पाद, विदेशी मुद्रा भंडार और पूंजी निवेश बढा है। ये अर्थव्यवस्था के मोटे सूचक हैं। श्री मोदी ने भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए सरकारी सहायता को सीधे बैंक खाते में डालने और इस संदर्भ में रसोई गैस सब्सिडी के जरिये की गयी चार अरब डॉलर की बचत का जिक्र भी किया। उन्होंने यूरिया पर नीम की परत चढाने की सफल योजना, मिट्टी की सेहत की जानकारी वाले स्वाइल हेल्थ कार्ड योजना आदि की भी विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि मेक इन इंडिया, स्मार्ट सिटी योजना, सबके लिए आवास योजना, डिजीटल इंडिया आदि के जरिये आने वाले समय में भारत को दुनिया का विकास इंजन बनाया जाएगा हालांकि इसके साथ ही इसे जलवायु के अनुकूल विकास का एक नमूना भी बनाया जाएगा। पिछले कुछ समय में आधारभूत संरचना और अन्य क्षेत्रों में अभूतपूर्व निवेश हुआ है। इसके परिणामस्वरूप अगले साल से भारत मे एक भी गांव बिजली के बिना नहीं रह जाएगा। उन्होंने देश के आर्थिक विकास को गति देने में दो महत्वपूर्ण कारक सार्वत्रिक बैंकिंग और इसके जरिये जन धन जैसी योजना और आधार कार्ड को बताया। श्री मोदी ने कहा कि खेल में भारत अफ्रीकी देशों के धावकों का लंबी दूरी के दौड में तो मुकाबला नहीं कर सकता पर वह बेहतर भविष्य के लिए लंबे और कठिन दौड में उसके साथ ही रहेगा। 

बीएसएफ,पाक रेंजर्स ने आईबी पर फ्लैग बैठक की

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जम्मू. 23 मई, सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) और पाकिस्तानी रेंजर्स ने यहां सुचेतगढ़ सेक्टर में अंतरराष्ट्रीय सीमा पर एक फ्लैग बैठक की और दोनों पक्ष सीमा पर शांति बनाये रखने के लिए प्रतिबद्ध नजर आये। एक आधिकारिक प्रवक्ता ने यहां बताया कि पाकिस्तानी रेंजर्स के अनुरोध पर एक घंटे तक अंतरराष्ट्रीय सीमा पर कमांडेंट विंग कमांडर स्तरीय फ्लैग बैठक हुई। उन्होंने बताया कि बैठक के दौरान दोनों पक्षों के कमांडरों ने अरनिया सेक्टर में बिना उकसावे के हाल में की गयी गोलीबारी समेत विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की। प्रवक्ता ने बताया कि बैठक मैत्रीपूर्ण और सकारात्मक माहौल में हुई।

सेना की भारी फायरिंग में पाकिस्तान की कई चौकियां ध्वस्त

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नयी दिल्ली 23 मई, भारतीय सेना ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में पिछले वर्ष की गयी सर्जिकल स्ट्राइक के बाद जम्मू कश्मीर के नौशेरा सेक्टर में नियंत्रण रेखा के पार भारी फायरिंग करते हुए पाकिस्तानी सेना की कई चौकियों को ध्वस्त कर दिया। सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल अशोक नरूला ने आज यहां संवाददाताओं को सेना की इस कार्रवाई का ब्योरा देते हुए कहा कि इसका मुख्य उद्देश्य घुसपैठियों और आतंकवादियों को भारतीय सीमा में घुसने में मदद करने वाली पाकिस्तान की चौकियों को ध्वस्त करना था और इस कार्रवाई में पाकिस्तान की कई चौकियों को भारी नुकसान पहुंचा है। मेजर जनरल नरूला ने हालाकि इस कार्रवाई की निश्चित तारीख नहीं बतायी लेकिन सूत्रों को कहना है कि यह कार्रवाई 20 और 21 मई को की गयी है। उन्होंने कहा कि सेना इस कार्रवाई से नियंत्रण रेखा पर पूरी तरह अपना दबदबा बनाये हुए है। सेना ने भारी तोपों के जरिये की गयी इस कार्रवाई का वीडियो भी जारी किया है।

पाकिस्तान ने भारतीय सेना के दावे काे किया खारिज

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इस्लामाबाद. 23 मई, पाकिस्तानी सेना ने भारतीय सेना के इस दावे को खारिज कर दिया कि उसने नौशेरा सेक्टर में नियंत्रण रेखा के पास कुछ पाकिस्तानी चौकियों को तबाह किया है। ‘डाॅन’ में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार इंटर सर्विस पब्लिक रिलेशन्स (आईएसपीआर) के महानिदेशक मेजर जनरल आसिफ गफूर ने एक ट्वीट में कहा,“ नौशेरा सेक्टर में एलओसी पर पाकिस्तानी चौकियों को नष्ट करने और सीमा पार नागरिकों पर पाकिस्तानी सेना द्वारा गोलीबारी करने के भारत के दावे गलत हैं।” भारतीय सेना ने आज कहा था कि जम्मू कश्मीर के नौशेरा सेक्टर में नियंत्रण रेखा के पार भारी फायरिंग करते हुए पाकिस्तानी सेना की कई चौकियों को ध्वस्त कर दिया गया। भारतीय सेना ने भारी तोपों के जरिये की गयी इस कार्रवाई का वीडियो भी जारी किया है।

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