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विशेष आलेख : पर्यावरण में युद्ध स्तरीय सुधार की जरुरत

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वर्तमान समय में वायु, जल, मिट्टी, तापीय, विकरणीय, औद्योगिक , समुद्रीय , रेडियोधर्मी, नगरीय प्रदूषण, प्रदूषित नदियाँ और जलवायु बदलाव तथा ग्लोबल वार्मिंग के खतरे लगातार बढ़ते जा रहे हैं। पिछले कुछ सालों में आम जनता में पर्यावरणीय चेतना कुछ हद तक बढ़ी है। इसके विभिन्न विकल्पों पर गम्भीर चिन्तन हुआ है।  अब यहां तक कहा जाने लगा है कि पर्यावरण को बिना हानि पहुँचाए या न्यूनतम हानि पहुँचाए टिकाऊ विकास सम्भव हो सकता है। लगभग 5000 साल तक खेती करने, युद्ध सामग्री निर्माण, धातु शोधन, नगर बसाने तथा जंगलों को काट कर बेवर खेती करने के बावजूद विकास और प्राकृतिक संसाधनों के बीच तालमेल बिठाकर उपयोग करने के कारण प्राकृतिक संसाधनों का ह्रास नहीं हुआ है। 


पर्यावरण दिवस रस्म अदायगी:- 5 जून विश्व पर्यावरण दिवस का आयोजन महज एक रस्म अदायगी है। इस अवसर पर बड़े-बड़े व्याख्यान दिये जाते हैं। हजारों पौधा-रोपण किए जाते हैं । पर्यावरण संरक्षण की झूठी कसमें खायी जाती हैं। इस एक दिन को छोड़ शेष 365 दिन प्रकृति के प्रति हमारा अमानवीय व्यवहार ही उेखा जाता है। यह इस बात का स्पष्ट प्रमाण है कि हम पर्यावरण के प्रति कितने उदासीन और संवेदन शून्य हैं ? आज हमारे पास शुद्ध पेयजल का अभाव है, सांस लेने के लिए शुद्ध हवा कम पड़ने लगी है। जंगल कटते जा रहे हैं, जल के स्रोत नष्ट हो रहे हैं, वनों के लिए आवश्यक वन्य प्राणी भी विलीन होते जा रहे हैं। औद्योगीकरण ने खेत-खलिहान और वन-प्रान्त निगल लिये हैं। वन्य जीवों का आशियाना छिनता चला जा रहा है। कल-कारखाने धुआं उगल रहे हैं और प्राणवायु को दूषित कर रहे हैं। यह सब एक बहुत बड़े खतरे की घंटी है। भारत की सत्तर प्रतिशत आबादी गांवों में रहती है। अब वह भी शहरों में पलायन हेतु आतुर है। शहरी जीवन दिन बदिन नारकीय होता जा रहा है। वहाँ हरियाली का नामोनिशान नहीं है, बहुमंजिली इमारतों के जंगल पसरते जा रहे हैं। शहरी घरों में कुएं नहीं होते, पानी के लिए बाहरी स्रोत पर निर्भर रहना पड़ता है। गांवों से पलायन करने वालों की झुग्गियां शहरों की समस्याएं बढ़ाती हैं। यदि सरकार गांवों को सुविधा-संपन्न बनाने की ओर ध्यान दे तो वहाँ से लोगों का पलायन रूक सकता है। वहाँ अच्छी सड़कें, आवागमन के साधान, स्कूल-कॉलेज, अस्पताल व अन्य आवश्यक सुविधाएं सुलभ हों तथा शासन की कल्याणकारी नीतियों और योजनाओं का लाभ आमजन को मिलने का पूरा प्रबंध हो तो लोग पलायन क्यों करेंगे ? गांवों में कृषि कार्य अच्छे से हो, कुएं-तालाब, बावड़ियों की सफाई यथा-समय हो, गंदगी से बचाव के उपाय किये जाएँ। वहाँ यदि ग्रामीण विकास योजनाओं का ईमानदारी-पूर्वक संचालन हो तो ग्रामों का स्वरूप निश्चय ही बदलेगा और वहाँ के पर्यावरण से प्रभावित होकर शहर से जाने वाले नौकरी-पेशा भी वहाँ रहने को आतुर होंगे।

बिलुप्त होती जाती प्रजातियाँ :-धरती का तापमान निरंतर बढ़ रहा है इसलिए पशु-पक्षियों की कई प्रजातियाँ लुप्त हो गयी हैं। जंगलों से शेर, चीते, बाघ आदि गायब हो चले हैं। भारत में 50 करोड़ से भी अधिक जानवर हैं जिनमें से पांच करोड़ प्रति वर्ष मर जाते हैं और साढ़े छ करोड़ नये जन्म लेते हैं। वन्य प्राणी प्राकृतिक संतुलन स्थापित करने में सहायक होते हैं। उनकी घटती संख्या पर्यावरण के लिए घातक है। जैसे गिद्ध जानवर की प्रजाति वन्य जीवन के लिए वरदान है पर अब 90 प्रतिशत गिद्ध मर चुके हैं। इसीलिए देश के विभिन्न भागों में सड़े हुए जानवर दिख जाते हैं। जबकि औसतन बीस मिनट में ही गिद्धों का झुंड एक बड़े मृत जानवर को खा जाता था। पर्यावरण की दृष्टि से वन्य प्राणियों की रक्षा अनिवार्य है। इसके लिए सरकार को वन-संरक्षण और वनों के विस्तार की योजना पर गंभीरता से कार्य करना होगा। वनों से लगे हुए ग्रामवासियों को वनीकरण के लाभ समझा कर उनकी सहायता लेनी होगी तभी हमारे जंगल नये सिरे से विकसित हो पाएंगे जिसकी नितांत आवश्यकता है। 

सभी प्राणियों में सन्तुलन हो :-पर्यावरण प्रदूषण पृथ्वी के सभी प्राणी एक-दूसरे पर निर्भर है तथा विश्व का प्रत्येक पदार्थ एक-दूसरे से प्रभावित होता है। इसलिए और भी आवश्यक हो जाता है कि प्रकृति की इन सभी वस्तुओं के बीच आवश्यक संतुलन को बनाये रखा जाये। इस 21वींसदी में जिस प्रकार से हम औद्योगिक विकास और भौतिक समृद्धि की और बढे चले जा रहे है, वह पर्यावरण संतुलन को समाप्त करता जा रहा है। अनेकानेक उद्योग-धंधों, वाहनों तथा अन्यान्य मशीनी उपकरणों द्वारा हम हर घडी जल और वायु को प्रदूषित करते रहते है। वायुमंडल में बड़े पैमाने पर लगातार विभिन्न घटक औद्योगिक गैसों के छोड़े जाने से पर्यावरण संतुलन पर अत्यंत विपरीत प्रभाव पड़ता रहता है। मुख्यतः पर्यावरण के प्रदूषित होने के मुख्य करण है - निरंतर बढती आबादी, औद्योगीकरण, वाहनों द्वारा छोड़ा जाने वाला धुंआ, नदियों, तालाबों में गिरता हुआ कूड़ा-कचरा, वनों का कटान, खेतों में रसायनों का असंतुलित प्रयोग, पहाड़ों में चट्टानों का खिसकाना, मिट्टी का कटान आदि।


विभिन्न प्रकार के प्रदूषण   
1.भूमि प्रदूषण:-पर्यावरण की रक्षा के लिए मृदा, जल, वायु और ध्वनी प्रदूषण की रोकथाम अनिवार्य है। भूमि-प्रदूषण का कारण है वनों का विनाश, खदानें, भू-क्षरण, रासायनिक खाद तथा कीटनाशक दवाओं का उपयोग आदि। भूमि की उर्वरता बढ़ाने हेतु रासायनिक खाद का तथा फसल को कीड़ों और रोगों से बचाने के लिए कीटनाशक दवाओं का उपयोग किया जाता है, जो भूमि को प्रदूषित कर देते हैं। इनके कारण भूमि को लाभ पहुंचाने वाले मेंढक व केंचुआ जैसे जीव नष्ट हो जाते हैं जबकि फसलों को क्षति पहुंचाने वाले कीड़े-मकोड़ों से बचाव में यही जीव सहायक होते हैं। अतः कृषि फसल में एलगी, कम्पोस्ट खाद तथा हरी खाद का उपयोग किया जाना चाहिए ताकि खेतों में ऐसे लाभदायक जीवों की वृद्धि हो सके जो खेती की उर्वरा शक्ति बढ़ा सकें। कृषि तथा अन्य कार्यों में कीटनाशकों के प्रयोग की बात करें तो विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अधिकांश कीटनाशकों को विषैला घोषित किया है, बावजूद इसके हमारे देश में तो इनका प्रयोग धड़ल्ले से हो रहा है।

2.जल प्रदूषण :-पृथ्वी का तीन चैथाई हिस्सा जलमग्न है फिर भी करीब 0.3 फीसदी जल ही पीने योग्य है। विभिन्न उद्योगों और मानव बस्तियों के कचरे ने जल को इतना प्रदूषित कर दिया है कि पीने के करीब 0.3 फीसदी जल में से मात्र करीब 30 फीसदी जल ही वास्तव में पीने के लायक रह गया है। जल प्रदूषण के कारण अनेक बीमारियाँ जैसे - पेचिस, खुजली, हैजा, पीलिया आदि फैलते है। चूंकि अब जल-संकट गंभीर रूप धारण कर चुका है अत एवं जल-स्रोतों को सूखने से बचाने के साथ-साथ जल-प्रदूषण को रोकने के उपाय भी करने होंगे। निरंतर बढ़ती जनसंख्या, पशु-संख्या, औद्योगीकरण, जल-स्रोतों के दुरुपयोग, वर्षा में कमी आदि कारणों से जल-प्रदूषण ने उग्र रूप धारण कर लिया है। नदियों एवं अन्य जलस्रोतों में कारखानों से निष्कासित रासायनिक पदार्थ व गंदा पानी मिल जाने से वह प्रदूषित हो जाता है। नदियों के किनारे बसे नगरों में जल-अधाजले शव तथा मृत जानवर नदी में फेंक दिये जाते हैं। कृषि-उत्पादन बढ़ाने और कीड़ों से उनकी रक्षा हेतु जो रासायनिक खाद एवं कीटनाशक प्रयोग में लाये जाते हैं वे वर्षा के जल के साथ बहकर अन्य जल-स्रोतों में मिल जाते हैं और प्रदूषण फैलाते हैं। नदियों, जलाशयों में कपड़े धोने, कूड़ा-कचरा फेंकने व मल-मूत्र विसर्जित करने से भी यह स्थिति पैदा होती है। ऐसे में जल का दुरूपयोग रोकना और मितव्ययिता से उसका प्रयोग करना आवश्यक है। बूंद-बूंद से ही घड़ा भरता है, यह कहावत अब चरितार्थ हो रही है। हमें वर्षा के जल को संरक्षित करना होगा।

3. वायु प्रदूषण :-पर्यावरण के लिए वायु और ध्वनि प्रदूषण भी कम घातक नहीं है। वायु में 78 प्रतिशत नाइट्रोजन, 21 प्रतिशतऑक्सीजन, 0.03 प्रतिशत कार्बन डाइऑक्साइड तथा शेष निष्क्रिय गैसें और जल वाष्प होती है। हवा में विद्यमान ऑक्सीजन ही जीवधारियों को जीवित रखता है। मनुष्य सामान्यतरू प्रतिदिन बाईस हजार बार सांस लेता है और सोलह किलोग्राम ऑक्सीजन का उपयोग करता है जो कि उसके द्वारा ग्रहण किये जाने वाले भोजन और जल की मात्रा से बहुत अधिक है। वायुमंडल में ऑक्सीजन का प्रचुर भंडार है किंतु औद्योगिक प्रगति के कारण वह प्रदूषित हो चला है। घरेलू ईंधन, वाहनों की बढ़ती संख्या और औद्योगिक कारखानें इसके लिए जिम्मेदार हैं। इससे निपटने के लिए कोयला, डीजल व पेट्रोल का उपयोग विवेक-पूर्ण ढंग से होना चाहिए। कारखानों में चिमनियों की ऊंचाई बढ़ायी जाए तथा उसमें फिल्टर का उपयोग किया जाए। घरों एवं होटलों में ईंधन के रूप में गोबर गैस व सौर ऊर्जा के इस्तेमाल पर जोर दिया जाना चाहिए।

 4.ध्वनि-प्रदूषण :- ध्वनि-प्रदूषण एक गंभीर समस्या है जो पर्यावरण ही नहीं संपूर्ण जीव जगत के लिए चुनौती है। जीव जंतुओं के अलावा पेड़ पौधे तथा भवन आदि भी वायु प्रदुषण से प्रभावित होते है। आये दिन मशीनों, लाउडस्पीकरो, कारों द्वारा तथा विवाहोस्तव, त्योहारों, धार्मिक कार्यों के अवसरों पर होने वाला ध्वनि प्रदुषण न जाने कितनों की नींद हराम करता रहता है। अनियंत्रित जनसंख्या, शहरों में यातायात के विविध साधनों, सामाजिक एवं सांस्कृतिक समारोहों में ध्वनि विस्तारक यंत्रों तथा कल-कारखानों के कारण बहुत शोरगुल बढ़ रहा है। लोग टेलीफोन और मोबाइल पर भी चीख-चीखकर बातें करते हैं। मल्टी स्टोरी आवासों तक में धीमे बोलने की संस्कृति विकसित नहीं हो सकी है। ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण हेतु कानून तो है पर उसका पालन नहीं किया जाता। भारत में लगभग 4000 से अधिक रासायनिक कारखाने है जिनमें काम करने वाले अनेक रोगों से पीड़ित हो जाते है और अनेकों का तो जीवन ही समाप्त हो जाता है। वन और वृक्षों का विनाश प्रदूषण का एक मुख्य कारण है। इसके साथ ही विचार प्रदूषण में एक स्वार्थबद्ध एवं संकुचित विचार वायुमंडल में दूषित लहरियों का संचार करते है। इनके कारण अनेक पेड़-पौधे तथा फूलों की वृद्धि बाधित होती है तथा अनैतिक कार्यों की प्रेरणा प्राप्त होती है।

पर्यावरण के प्रति जागरूकता और समाधान :-पर्यावरण की अवहेलना के गंभीर दुष्परिणाम समूचे विश्व में परिलक्षित हो रहे हैं। अब सरकार जितने भी नियम-कानून लागू करें उसके साथ साथ जनता की जागरूकता से ही पर्यावरण की रक्षा संभव हो सकेगी। इसके लिए कुछ अत्यंत सामान्य बातों को जीवन में दृढ़ता-पूर्वक अपनाना आवश्यक है। जैसे -प्रत्येक व्यक्ति प्रति वर्ष यादगार अवसरों (जन्मदिन, विवाह की वर्षगांठ) पर अपने घर, मंदिर या ऐसे स्थल पर फलदार अथवा औषधीय पौधा-रोपण करे, जहाँ उसकी देखभाल हो सके। उपहार में भी सबको पौधो दें। शिक्षा संस्थानों व कार्यालयों में विद्यार्थी, शिक्षक, अधिकारी और कर्मचारीगण राष्ट्रीय पर्व तथा महत्त्वपूर्ण तिथियों पर पौधों रोपे। विद्यार्थी एक संस्था में जितने वर्ष अध्ययन करते हैं, उतने पौधो वहाँ लगायें और जीवित भी रखें।प्रत्येक गांव शहर में हर मुहल्ले व कॉलोनी में पर्यावरण संरक्षण समिति बनायी जाये। निजी वाहनों का उपयोग कम से कम किया जाए। रेडियो-टेलीविजन की आवाज धीमी रखें। सदैव धीमे स्वर में बात करें। घर में पार्टी हो तब भी शोर न होने दें। जल व्यर्थ न बहायें। गाड़ी धोने या पौधों को पानी देने में इस्तेमाल किया पानी का प्रयोग करें। अनावश्यक बिजली की बत्ती जलती न छोडें। पॉलीथिन का उपयोग न करें। कचरा कूड़ेदार में ही डाले। अपना मकान बनवा रहे हों तो उसमें वर्षा के जल-संरक्षण और उद्यान के लिए जगह अवश्य रखें। ऐसी अनेक छोटी-छोटी बातों पर ध्यान देकर भी पर्यावरण की रक्षा की जा सकती है। ये आपके कई अनावश्यक खर्चों में तो कमी लायेंगे ही, पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाने की आत्मसंतुष्टि भी देंगे। तो प्रयास कीजिये - सिर्फ सालाना आयोजन के उपलक्ष्य में ही नहीं बल्कि एक आदत के रूप में भी पर्यावरण चेतना को अपनाने का। उल्लेखनीय है कि पर्यावरण-संरक्षण हेतु उत्कृष्ट कार्य करने वाले व्यक्ति और संगठन को भारत सरकार के पर्यावरण एवं वन मंत्रालय द्वारा एक-एक लाख रुपये का इंदिरा गाँधी पर्यावरण पुरस्कार प्रति वर्ष 19 नवंबर को प्रदान किया जाता है।पर्यावरण की महत्ता को देखते हुए इसे स्कूलों में बच्चो की पठन सामग्री में शामिल कर लिया गया है। हमारे चारों ओर प्रकृति तथा मानव निर्मित जो भी जीवित-निर्जीव वस्तुएं है, वे सब मिलकर पर्यावरण बनाती है। इस प्रकार मिटटी, पानी, हवा, पेड़-पौधे, जीव-जंतु सभी कुछ पर्यावरण से अंग है, और इन सभी के आपसी तालमेल (उचित मात्रा में होना) को पर्यावरण संतुलन कहा जाता है। प्रकृति से छेड़छाड़ और प्रदूषण के लगातार बढ़ते ग्राफ से पर्यावरण बिगड़ चुका है। 

ताजनगरी आगरा में प्रदूषण काफी ज्यादा :- ताजनगरी आगरा सहित कई शहर प्रदूषण के ग्राफ में काफी ऊपर जा चुके हैं, सांस लेना तक मुश्किल हो चुका है, मगर फिर भी लोग इन हालातों पर नहीं चेत रहे। जब विश्व पर्यावरण दिवस का मौका था, तो हर किसी को पर्यावरण बचाने की याद आई। किसी ने पौधे लगाते तो किसी ने पौधों का वितरण किया। हर दिन सुस्त रहने वाली सरकारी मशीनरी भी इस दिन सक्रिय नगर आई। नगर निगम प्रशासन ने कार्यक्रम आयोजित कर ताजनगरी क्षेत्र में लोगों को डस्टबिन का वितरण किया तो हर महकमे में अधिकारियों ने परिसर में पौधरोपण किया। डीएम गौरव दयाल ने भी कलेक्ट्रेट परिसर में पौधा लगाया। शहर में कई संस्थाओं ने जगह-जगह पौधे लगाए। यही नहीं सभी अधिकारियों ने महकमे के अन्य स्टाफ व लोगों को पौधे अधिक से अधिक लगाने व पर्यावरण बचाने की शपथ दिलवाई। अब देखना यह होगा कि इन पौधों को लगाने के बाद इनकी देखभाल कितनी की जाती है। क्या ये पौधे लंबे समय तक जीवित रहेंगे या हर बार की तरह ये भी कुछ दिन बाद सूखते नजर आएंगे। यदि इसके देखभाल की व्यवस्था भी इतनी ही मुस्तैदी से हो तो बहुत कुछ सुधार लाने की गुंजाइश देखी जा सकती है। जल जमीन और जंगल के लिए समर्पित तथा यमुना नदी में निर्मल जल धारा लाने के लिए प्रतिबद्ध ‘गुरु बशिष्ट मानव सर्वांगीण विकास सेवा समिति’ पिछले दो दशकों से आगरा के पर्यावरण के प्रति काफी चिन्तित तथा प्रयास शील है। इसके संस्थापक अध्यक्ष यमुना सत्याग्रही पं. अश्विनी कुमार मिश्र अपने कुछ समर्पित स्वयंसेवकों का साथ लेकर इस मुहिम में लगे हुए है। राज तथा समाज में उचित सामंजस्य बैठाते हुए उन्होंने आगरा के लिए बहुत कुछ किया है। बल्केश्वर घाट का आज जो स्वरुप बना है उसके लिए यह संस्था व यमुना सत्याग्रही के योगदान को विस्मृत नहीं किया जा सकता है। उनकी संकल्पना में अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। आगरा के 10 घाटों के सुधार तथा जीर्णोद्धार के लिए वे ना केवल साप्ताहिक यमुना आरती हाथीघाट पर करवाते है। अपितु अनेक सामाजिक तथा संास्कृतिक आयोजन भी करवाते रहतें हैं । आगामी 6 जून 2017 को हाथीघाट पर भारत के विभिन्न अंचलों से आये 150 कलाकारों का एक विशाल नृत्य नाटिका का आयोजन भी किया जा रहा है। ये सब सांस्कृतिक कार्यक्रम आम जनता को पर्यावरण स्वच्छता आदि से जोड़ने के लिए ही किया जा रहा है। इस घाट का व्यवसायिक उपयोग भी कुछ लोग कर रहे हैं परन्तु जन जागरुकता तथा स्वच्छता के प्रति उदासीन हैं । यदि प्रशासन इसकी निगरानी करे तो यह आगरा का एक मनोरम स्थल विकसित किया जा सकता है।






(डा. राधेश्याम द्विवेदी)

सन्दर्भ : जीवन का दुःख और ध्यान का सुख

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भौतिक चकाचैंध एवं आपाधापी के इस युग में मानसिक संतुलन हर व्यक्ति जरूरत है। मानसिक असंतुलन जीवन का सबसे बड़ा अभिशाप है। इससे व्यक्तिगत जीवन तो नरक बनता ही है, सम्पूर्ण मानवता भी अभिशप्त होती है। वर्तमान की स्थिति को देखकर ऐसा महसूस हो रहा है कि कुछेक व्यक्तियों का थोड़ा-सा मानसिक असंतुलन बहुत बड़े अनिष्ट का निमित्त बन सकता है। मानसिक संतुलन के अभाव में शांति के दर्शन करना, आनंद का स्पर्श करना भी दुर्लभतम बनता जा रहा है, जैसे कि रेत के कणों से तेल को प्राप्त करना। इस अशांत वातावरण में मन को अनुशासित व स्थिर करना दुष्कर कार्य बनता जा रहा है। इन स्थितियों में हम अपने दुख या कष्ट का विश्लेषण करें और यह जानने की कोशिश करें वास्तव में जब हम दुखी होते हैं तो हमारे भीतर दुखी या तनावग्रस्त कौन होता है तो पायेंगे कि दुखी होने वाला हमारा मन ही है। वही व्याकुल, तनावग्रस्त या चिंतित होता है। ध्यान एक ऐसी विद्या है जिससे हम अपने मन की शक्तियां बढ़ा सकते हैं जैसे इसके सहज रहने की शक्ति, इसके तनाव मुक्त रहने की शक्ति, इसके दुखी नहीं होने की शक्ति। ध्यान के समय हम इस संसार की सभी उलझनों से मुक्त हो जाते हैं। वह सब कुछ जो संसार से मिला है उसको छोड़कर बैठ जाते हैं। जब हम न मां होते हैं न बाप, न बेटा न बेटी, न सास न बहू, न अधिकारी न व्यवसायी, न अमीर न गरीब, न हिन्दू न मुस्लिम। तब हम केवल आत्मस्वरूप होते हैं क्योंकि ये सब पद, नाम, बुद्धि, विचार और अहंकार इस शरीर के हैं, आत्मा के नहीं। आत्मा से आत्मा के मिलन की प्रक्रिया है ध्यान। यो तो ध्यान की अनेक पद्धतियां प्रचलित है लेकिन प्रेक्षाध्यान स्वयं के द्वारा स्वयं को देखने एवं आत्म-साक्षात्कार की विशिष्ट ध्यान पद्धति है। यह आज के परिवेश में व्याप्त तनाव, अशांति, असंतुलन, कुण्ठा की सलवटों को दूर करने तथा भौतिक एवं पदार्थवादी मनोवृत्ति के अंधकार को प्रकाश में रूपान्तरित करने की सरल एवं सहज उपक्रम है।


 आज मानव तनाव की नाव में बैठकर जिंदगी का सफर तय कर रहा है। बच्चा तनाव के साथ ही जन्म लेता है। गर्भ का पोषण ही अशांत, तनाव एवं निषेधात्मक विचारों के साथ होता है तो बच्चे के मज्जा में तनाव व आक्रोश के बीज कैसे नहीं होंगे। हिंसा के इस युग में एक ज्वलंत प्रश्न है कि शांति कैसे मिले? तनाव से मुक्ति कैसे मिले? मन को स्थिर कैसे बनाया जाए? इन सारे निरुत्तरित प्रश्नों का समाधान आज भी उपलब्ध हो सकता है। जरूरी है कि हम उन्हीं तरीकों और विचारों के साथ किसी भी समस्या का हल नहीं करें, जिनके साथ हमने वह समस्या पैदा की है। समस्या की उत्पत्ति और समस्या के समाधान का मार्ग कभी भी एक नहीं हो सकता। आधुनिक युग का प्रत्येक व्यक्ति किसी-न-किसी प्रकार की चिंता व तनाव से ग्रस्त है। आज विश्व के सर्वाधिक विकसित व संपन्न राष्ट्र अमेरिका में लोग तनाव व चिंता से निजात पाने के लिए प्रतिवर्ष 10 करोड़ डाॅलर से अधिक व्यय करते हैं तथा कई टन मादक द्रव्यों का सेवन करते हैं। तनाव की यह समस्या नई नहीं है। प्राचीन काल में भी व्यक्ति इसके दुष्परिणामों से मुक्त नहीं था। लेकिन वर्तमान में इस समस्या ने काफी उग्र रूप धारण कर लिया है। जहां समस्या है वहां समाधान भी है। अशांत मन को अनुशासित करने की प्रक्रिया का मार्गदर्शन देने वाली कबीरदासजी की इस प्रेरणा का स्मरण रखे- जिन जागा तिन माणिक पाया। किसी भी समस्या के मूल में मन का असंयम होता है। जब मन में कोई बुरा विचार पैदा होता है तो हमारा आचार व व्यवहार भी बुरा बन जाता है। शक्ति जागरण व शान्त जीवन का महत्वपूर्ण सूत्र है-संयम। मन को अनुशासित कर असंयम से होने वाली समस्या पर काबू पाया जा सकता है।

तनाव व आपाधापी की जिंदगी में शांति के सुमन खिल सकते हैं, बशर्ते जीवन के प्रति सकारात्मकता का क्रम दीर्घकालिक व निरंतरता लिए हुए हो। दीनता और हीनता की ग्रंथि दुर्भेद्य कारागार के बंधन के समान है। उसे तोड़े बिना विकास का कोई भी सपना साकार नहीं हो सकता। जिस प्रकार अभिमान करना पाप है, बंधन है, उसी प्रकार स्वयं को दीन-हीन समझना भी पाप है, बंधन है। किसी भी प्रकार की विषमता और प्रतिक्रिया का अनुभव जीवन के लिए हानिकारक और बंधनकारक है। कतिपय अभिभावक अनुशासन करते हुए बच्चों के लिए अपमानजनक और हीनतासूचक भाषा का उपयोग करते हैं, यह उचित नहीं है। इससे उनके कोमल मस्तिष्क में हीनता के संस्कार अंकित हो जाते हैं। जिनका उनके भविष्य पर घातक प्रभाव होता है। बच्चों के लिए मार्गदर्शन जरूरी है, पर उनका आत्मविश्वास और आत्मसम्मान खंडित नहीं हो, यह ध्यान रखना भी आवश्यक है। पर उसके साथ हीनता और भीरुता की भावना को प्रोत्साहन नहीं मिलना चाहिए। जहां भक्ति और समर्पण के साथ आत्मशक्ति का आधार सबल होता है, वहां जीवन की धारा संतुलित और व्यवस्थित होती है। प्रसिद्ध वैज्ञानिक अलबर्ट आइंस्टीन प्रारंभ में अन्य विद्यार्थियों की तुलना में मंदबुद्धि समझे जाते थे। वे शिक्षकों के प्रश्नों का समुचित उत्तर नहीं दे सकते थे। इस स्थिति में उनके सहपाठी उनकी पीठ पर ‘मूर्ख’, ‘बुद्धू’ जैसे उपहासास्पद शब्द लिख देते थे। पर आइंस्टीन हीनता की भावना के शिकार नहीं हुए। शताब्दी के महान वैज्ञानिक के रूप में वे सारे विश्व में प्रसिद्ध हुए।


व्यक्ति और परिस्थिति का गहरा संबंध है। जिसे अनुकूल परिस्थितियां प्राप्त होती हैं वह सहजता से विकास कर सकता है। प्रतिकूल परिवेश में सफलता की ओर अग्रसर होना कठिन होता है। परिस्थितियों के निर्माता हम स्वयं हैं। उनकी दासता और पराधीनता पर विजय प्राप्त करना चाहिए। आज के जनमानस पर परिस्थितिवाद का व्यापक प्रभाव दृष्टिगोचर हो रहा है। इससे नाना प्रकार की मानसिक और सामाजिक समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। हर व्यक्ति का जीवन परिवर्तनशील है। समय-समय पर कठिनाइयों की दुर्गम घाटियां भी पार करनी होती हैं। जिनका मानस परिस्थितिवादी हो जाता है, वे उस स्थिति में अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर नहीं हो सकते। विश्व के सभी महापुरुष अपने आत्मबल और मनोबल के आधार पर सफलता के शिखर पर आरूढ़ हुए हैं।  हमारे आत्मबल और पुरुषार्थ में ही सफलता और सिद्धि का निवास होता है, बाहर के उपकरणों और साधनों में नहीं। शुक्र मानिये कि हमारे पास वह सब नहीं है जो हम चाहते हैं, इसका अर्थ यह है कि हमारे पास कल आज से ज्यादा खुश होने का एक अवसर मौजूद है। जब जागे तभी सवेरा। इसका अर्थ यह कदापि नहीं कि आपने आज कोई संकल्प लिया और अगले दिन  भूल जाये। होश की, जागरण की और सद्-संकल्प की प्रक्रिया दिनों और तारीखों से नहीं बंधी है- यह जीवन के हर पल से जुड़ी है। जीवन के हर क्षण से पूरा रस निचोड़ लेना, हर क्षण को पूरी जिजीविषा से जी लेना, हर क्षण में अपने प्राण उंड़ेल देना- यही है जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण। यही है जीवन का सद्-संकल्प। यही है समस्याओं से मुक्ति का मार्ग।

आज पहले की अपेक्षा सुविधावाद अधिक बढ़ा है। प्राचीन युग में जो साधन-सामग्री राजा-महाराजाओं के लिए सुलभ थी, वर्तमान में जन-साधारण के लिए उपलब्ध है। फिर भी हर व्यक्ति तनावग्रस्त दिखाई दे रहा है। उसके समक्ष विविध प्रकार की समस्याएं और प्रतिकूलताएं हैं। आज कठिनाइयों के रूप बदल गए हैं। जीवन के साथ उनका अटूट संबंध है। जहां जीवन है वहां समस्याएं और कठिनाइयां हैं। उनका समाधान और प्रतिकार आंतरिक बल और साहस से ही हो सकता है। जो परिस्थितिवादी होता है, वह स्वयं के सुधार और बदलाव पर ध्यान न देकर सिर्फ परिस्थितियों के बदलने का इंतजार करता है। परिस्थितिवादी लोग व्यवस्थाओं के दर्पण बदलने का आग्रह करते रहते हैं, पर उन्हें अपने जीवन में कभी समाधान प्राप्त नहीं हो सकता। आत्मबल, आत्मविश्वास एवं आत्म-विकास की ज्योति प्रज्वलित करने से ही वास्तविक विकास का मार्ग प्रशस्त हो सकता है, समाधान की दिशा प्राप्त हो सकती है। उसी से हिंसा की समस्या का समाधान मिल सकता है, तनाव एवं कुण्ठा पर काबू पाया जा सकता है, हीनता एवं दीनता की कमजोरियों को दूर किया जा सकता है। 




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(ललित गर्ग)
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दिल्ली में आयोजित हुई अवार्ड नाईट, राज महाजन ने गेस्ट ऑफ़ ऑनर को किया सम्मानित

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  • राज महाजन ने प्रियंका से कहा, “बिग बॉस में आप चले गए जबकि चर्चे तो मेरे हुए थे

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खूबसुरती भरे पलों के बीच में बीती आइकोनिक फेस -2017 की शाम. दिल्ली के ग्रैंड पाम में Jollywood और Eventize Media ने टैलेंट को मंच देने के लिए इस इवेंट का आयोजन किया, जहाँ मौजूद रहीं फिल्म, इवेंट, फैशन और मीडिया जगत की कई जानी-मानी हस्तियाँ. इस शो को बनाने वाले अरविन्द पराशर जॉली ने बताया कि “टैलेंट और खूबसूरती हम सभी में कहीं न कहीं छुपी होती है. बस जरुरत होती है उसे सामने लाने की. यह ब्यूटी टाइटल एक जरिया है ऐसे ही लोगों को एक छोटा सा प्लेटफार्म देने का. मुझे खुशी है मेरा यह प्रयास काफी हद तक सफल रहा.” इस शो में सभी कंटेस्टेंट ने अपने-अपने जलवे बिखेरे. साथ ही सभी ने अपने ख़ास टैलेंट के दम पर इस शाम को बनाया रंगीन, शानदार और मजेदार.


आइकोनिक फेस-2017 के जूरी मेम्बर और चीफ गेस्ट रहे प्रसिद्द संगीतकार और मोक्ष म्युज़िक कंपनी के मालिक राज महाजन. अन्य जूरी मेम्बेर्स में थे मशहूर डांस कोरियोग्राफर और गिनीज़ रिकॉर्ड होल्डर पंकज विज, फिल्म दंगल की हेड को-ऑर्डिनेटर और डायरेक्टर सुनीता सिंह, ग्लेमर वर्ल्ड से सर बॉब और यूनिवर्सल प्रोडक्शन से सुधांशु शारदा. फैशन-टैलेंट से भरी इस रात में मीडिया, फिल्म, संगीत से जुड़ी कई हस्तियों को सम्मानित किया गया. अपने-अपने टैलेंट के दम पर इंडस्ट्री में अलग मुकाम बनाने वाले लोगों को अवार्ड दिया गया. Guest of honor से बिग बॉस सीजन 10 में धमाल मचाने वाली प्रियंका जग्गा, कत्थक गुरु पुलकित मिश्रा, सावधान इंडिया फेम-टीवी आर्टिस्ट कमाल मालिक, मोक्ष म्युज़िक के वाईस प्रेसिडेंट अश्वनी राजपूत, दिल्ली सरकार में OBC के चेयरमैन भूपेंदर भावी, मोक्ष म्युज़िक की क्रिएटिव हेड और ‘यारा वे’ फेम मेघा वर्मा, यूनिवर्सल प्रोडक्शन से सुधांशु शारदा, प्रोडूसर जित्नेदर बेदी, एक्ट्रेस प्रीती वोहरा, सरीना क्लब से रुबीना, केशव इवेंट्स से लोकेश वर्मा, दलजीत सिंह डोगरा, प्रोडूसर सोनू गिरी, फैशन कोरियोग्राफर सैम विलियम्स और मिस्टर मिलॉन, भूतपूर्व निगम पार्षद रेखा रानी को नवाज़ा गया.

राज महाजन ने प्रियंका जग्गा को सम्मानित करते हुए कहा, “मीडिया में बिग बॉस में जाने को लेकर चर्चे तो जोर-शोर से मेरे नाम के हुए थे, लेकिन बिग बॉस के घर में अन्दर आप पहुँच गए.” जिस पर प्रियंका ने कहा, “आप के चर्चे हुए और हमने दाद दे दी.” गौरतलब है कि मीडिया की ख़बरों के अनुसार राज महाजन बिग बॉस के संभावित प्रतिभागियों में से एक थे और प्रियंका जग्गा बिग बॉस में रह कर आ चुकी हैं. इस शाम की ख़ास बात रही संगीतकार|म्युज़िक डायरेक्टर|राज महाजन} की वो घोषणा, जिसने सभी का दिल जीत लिया. तालियों की गूँज के बीच संगीतकार ने ऐलान किया कि ‘इस शाम के विजेता को हीं नहीं बल्कि सभी प्रतिभागियों को मोक्ष म्युज़िक के आने वाले गानों में अभिनय करने का चांस मिलेगा. मोक्ष म्युज़िक में उन सभी को काम दिया मिलेगा जो आगे बढ़ना चाहते हैं.’

म्युज़िक डायरेक्टर हमेशा अपने अलग विषय पर काम करने के लिए जाने जाते हैं. उन्होंने यहाँ भी एक धमाकेदार घोषणा की. “यारा वे” में लेस्बियन जैसे बोल्ड कांसेप्ट पर काम करने के बाद अब राज महाजन ट्रांसजेंडर पर काम करेंगे. उनके आने वाले गाने में ट्रांसजेंडर की लाइफ को फोकस किया जाएगा. नवीनीकरण पर काम करने वाले म्युज़िक डायरेक्टर को सबसे ज़्यादा पसंद आया इनोवेशन राउंड. सभी प्रतिभागियों को इसमें कुछ इनोवेटिव करना था. अंत में बारी आई विजेताओं के नाम की घोषणा करने की. जहाँ पुरुष वर्ग में दुष्यंत ने जीत गए तो वहीँ महिला वर्ग में टाइटल होल्ड किया प्रियंका कौर ने.

जाते-जाते अंत में चीफ गेस्ट राज महाजन ने शाम का मज़ा दो गुना कर दिया ओर सभी से वादा किया जल्द ही मोक्ष म्युज़िक अपने नये गाने रिलीज़ करेगा. और ऐसे ही सेल्फी सेशन के साथ रात कब बीत गयी पता ही नहीं चला. आइकोनिक फेस 2017 में मॉडल्स को खूबसूरत बनाया क्लब सरीना ने. आइकोनिक फेस 2017 शो को डायरेक्ट किया Jollywood और Eventize Media के मालिक अरविन्द पराशर जॉली ने.

विशेष आलेख : किसान आक्रोश के निहितार्थ और हिंसा

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मध्यप्रदेश के मंदसौर में किसानों के हिंसक आंदोलन के बाद एक बार फिर से देश में किसानों की दुर्दशा उजागर हुई है। यह बात सही है कि भारत कृषि प्रधान देश है, लेकिन वर्तमान में ऐसा दिखाई देता है कि यह बात केवल बोलने तक ही सीमित रह गई है। सरकारों की दृष्टि में कृषि की प्रधानता को कितना महत्व दिया जाता है, यह किसी से छुपा नहीं है। अगर महत्व दिया गया होता तो संभवत: देश का किसान आज भयावह स्थिति की ओर नहीं जाता। सवाल यह आता है कि कृषि प्रधान देश का किसान आज बदहाली के मार्ग पर क्यों जा रहा है? स्वतंत्रता मिलने के बाद देश में कृषि को प्रधानता दी जाती तो संभवत: किसानों के सामने आज जीने मरने के हालात पैदा नहीं होते। यह एक कड़वी सच्चाई है कि सरकार कितने ही दावे करे, लेकिन कृषि पर आश्रित किसान का परिवार आज ऐसे दोराहे पर खड़ा हुआ दिखाई दे रहा है, जहां से कोई रास्ता दिखाई नहीं देता। कौन नहीं जानता कि आज गांव खाली होते जा रहे हैं, ग्रामीण जीवन अभिशप्त होता जा रहा है। मंदसौर किसान आंदोलन के बाद उपजे हालातों में सरकार भले ही इसका आरोप कांगे्रस पर लगाने की कवायद करे, लेकिन यह सत्य है कि किसान लगातार बदहाली के मार्ग पर जा रहा है। जो प्रयास हो रहे हैं वे निरर्थक प्रमाणित हो रहे हैं। यह बात भी सही है कि आज से बीस वर्ष पूर्व प्रदेश में जब कांगे्रस की सरकार थी, उस समय किसानों की स्थिति आज के मुकाबले ज्यादा खराब रही, लेकिन आज अच्छे हैं, ऐसा दावा भी नहीं किया जा सकता। मंदसौर में जो कुछ हुआ वह चिन्ता का विषय है। कांगे्रस की उसमें भूमिकी रही होगी, यह भी स्वाभाविक है। क्योंकि मध्यप्रदेश में कांगे्रस विपक्षी दल की भूमिका में है। विपक्षी दल होने के नाते उससे सरकार के समर्थन की अपेक्षा करना संभव ही नहीं है। सरकार की ओर से भी कहा गया है कि इस आंदोलन के पीछे कांगे्रस का हाथ है। यह सही भी हो सकता है, लेकिन संभावना यह भी व्यक्त की जा रही है कि आंदोलन में असामाजिक तत्व भी शामिल हो गए थे, ऐसे में सवाल आता है कि अगर असामाजिक तत्व शामिल थे तब सरकार का गुप्तचर विभाग क्या कर रहा था। क्या यह सरकार की असफलता नहीं कही जाएगी। यह बात सही है कि वर्तमान में हमारे देश में कई प्रदेशों में खेती की स्थिति इतनी विकराल हो गई है कि किसान जीवन को समाप्त करने जैसा कदम उठाने लगा है। महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश की बात की जाए तो दोनों ही प्रदेश इस मामले में एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ करते दिखाई देते हैं। सबसे बढ़ा सवाल यह है कि पूरे देश का पेट भरने वाले किसान आज खुद क्यों मरने की हालात में पहुंचा है। इसके लिए हमारी सबकी सोच भी जिम्मेदार है। वर्तमान में भारत में जिस प्रकार से अर्थ आधारित जीवन की कल्पना का प्रादुर्भाव हुआ है, तब से हमारे देश के युवा नौकरी की तलाश में गांव से पलायन करने लगे हैं। इसके विपरीत आज मध्यप्रदेश ने कृषि के क्षेत्र में व्यापक सुधार किया है। तब सवाल यह है कि किसान आंदोलन करने के लिए बाध्य क्यों हुआ? इसके पीछे किसका ‘हाथ’ है। मध्यप्रदेश के मंदसौर में किसानों के हिंसक आंदोलन और कथित गोली चालन की घटना के बाद उपजे हालातों ने कई प्रकार के संदेहों को जन्म दिया है। मध्यप्रदेश की राजनीति में इसके निहितार्थ भी तलाशे जाने लगे हैं। किसान अपनी मांगों के लिए आंदोलन कर रहे हैं, और करना भी चाहिए, लोकतंत्र में सरकार तक अपनी आवाज पहुंचाने के लिए आंदोलन एक उचित माध्यम है। लेकिन यह आंदोलन हिंसक कैसे हुआ। क्या यह सब एक सोची समझी राजनीति का हिस्सा है? इसका उत्तर फिलहाल दे पाना संभव नहीं हैं। लेकिन ऐसे आंदोलन जनता के लिए अत्यंत कष्टकारी होते हैं। हमारे देश का दुर्भाग्य है कि ऐसे आंदोलनों को राजनीतिक समर्थन भी मिल जाता है। भारत की राजनीति में यह सर्वथा सत्य है कि सत्ताधारी दल कभी आंदोलन नहीं करता, इसके विपरीत विपक्षी राजनीतिक दल छोटे से मुद्दे पर भी विरोध करने की राजनीति करते हैं। यही विपक्षी दल किसी अन्य संस्था द्वारा सत्ता के विरोध में किए जाने वाले आंदोलन को आंख बंद करके समर्थन देते हैं। जिसके कारण ऐसे आंदोलन में समझौता होने की गुंजाइश समाप्त हो जाती है। चार दिन पूर्व समझौते की ओर जाने वाला यह आंदोलन किसके ‘हाथ’ के कारण जारी रहा। क्या इसके पीछे विपक्षी दल हैं या प्रदेश को अराजकता के मार्ग पर ले जाने की राजनीतिक साजिश है? मध्यप्रदेश सरकार ने साफ शब्दों में कहा है कि गोली चलाने में पुलिस का कोई हाथ नहीं है। फिर प्रश्न यह आता है कि वह ‘हाथ’ किसका है। मध्यप्रदेश में हुए किसान आंदोलन के पीछे कौन सी राजनीति काम कर रही है। यह बात सही है कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस लम्बे समय से सत्ता से दूर है। वह हर हालत में सत्ता में वापसी करने के लिए अवसर पैदा करना चाहती है। कोई आंदोलन होता है तो कांगे्रस बिना सोचे समझे उस आंदोलन को हवा देने का काम करती हुई कई बार दिखाई दी। इस किसान आंदोलन में किसकी क्या भूमिका है, यह तो हम नहीं कह सकते, लेकिन इतना जरुर है कि आंदोलन को हिंसक बनाने में किसी न किसी का ‘हाथ’ तो है। इस ‘हाथ’ के पीछे राजनीतिक सत्ता प्राप्त करने का उद्देश्य भी हो सकता है। अगर ऐसा है तो यह प्रदेश की भलाई के लिए कम, स्वार्थी कदम ज्यादा माना जाएगा। सवाल यह भी आ रहा है कि राजनीतिक उत्थान के लिए किए जा रहे इस आंदोलन से किसानों का कितना भला हो सकेगा? यह जरुर हो सकता है कि इससे विपक्षी दलों को लाभ मिल जाए, लेकिन जनता की भलाई नहीं हो सकती। मध्यप्रदेश में लम्बे समय से राजनीतिक वनवास भोग रही कांगे्रस के नेता अपने बयानों से यह दिखाने का प्रयास कर रहे हैं कि वे ही जनता के सच्चे हितैषी हैं। उनके बयानों में सत्ता पाने की छटपटाहट साफ देखी जा रही है। परंतु सवाल यह आता है सत्ता पाने के लिए ऐसे आंदोलन करना कहां तक उचित है।

किसानों के सामने फसल की सिंचाई करने का अभाव है, सरकार केवल दावे ही करती है, लेकिन धरातल पर इसकी परिणति नहीं हो रही है। आसमानी बारिश से सिंचाई के समुचित साधन उपलब्ध नहीं होने के कारण अब मजबूरन छोटे किसानों को रास्ते बदलने पड़ रहे हैं। बाजार में कीमतें आसमान छू रही हैं और छोटे के किसानों के पास नकदी की कमी है। ऐसा इसलिए भी हो रहा है कि किसान के अन्य किसी प्रकार का आय का स्रोत नहीं है। जो फसल किसान उगाता है, उसे तुरंत बेच देता है, क्योंकि उसे अपना कर्जा उतारना होता है। इसके बाद सारी फसल का लाभ वे व्यापारी ही उठाते हैं, जो फसल के खरीदार होते हैं। किसान को इसका सीधा लाभ कभी नहीं मिल पाता। सोचने वाली बात यह भी है कि किसान अपने उत्पाद को लेकर बाजार में जाता है, तो उसे बाजार भाव के अनुकूल दाम नहीं मिलते। यह विडंबना ही है कि पर्यावरण प्रदूषण के कारण अब समय पर मॉनसून नहीं आता और न किसानों को समय पर सिंचाई से साधन मिल पाते हैं। इसके लिए किसान सहित सारा समाज भी दोषी है। हम जाने अनजाने में अपने स्वार्थ के लिए प्रकृति का विनाश करते जा रहे हैं, जो प्रत्यक्ष रूप से मानव जीवन के साथ एक खिलवाड़ भी है। पेड़ पौधों को काटने के कारण हम मानसून की गति को तो प्रभावित कर ही रहे हैं, साथ ही कई प्रकार की बीमारियों को भी आमंत्रित कर रहे हैं। अगर हम पर्यावरण के लिए अभी से सचेत नहीं हुए तो आने वाला समय और भी ज्यादा खतरनाक ही होगा। हालांकि, सरकार ने किसानों के नाम पर अनेक परियोजनाओं की शुरूआत की है, लेकिन वह भी मॉनसून की बारिश की तरह सिर्फ पानी का छिड़काव के समान है। सरकार को किसानों की दशा सुधारने के लिए कुछ न कुछ पहल जरूर करनी होगी। जल प्रवाहित करने वाली नदियों के संरक्षण और संवर्धन पर जोर देना होगा। जिस दिन भारत में फसल सिंचाई के साधन फलीभूत होंगे, उस दिन सही मायने में भारत कृषि प्रधान देश की परिभाषा को सार्थकता प्रधान करेगा।




 सुरेश हिन्दुस्थानी
झांसी, उत्तरप्रदेश पिन- 284001
मोबाइल-09455099388
(लेखक वरिष्ठ स्तंभकार एवं राजनीतिक विश्लेषक हैं)

विदिशा (मध्यप्रदेश) की खबर 07 जून

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समर्थन मूल्य पर प्याज उपार्जन कार्य तीस जून तक
  • विपणन सहकारी संस्था द्वारा बासौदा में आठ रूपए प्रतिकिलो के मान से खरीदी जाएगी

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जिले के किसानो से समर्थन मूल्य पर प्याज खरीदी कार्य जिले के एक उपार्जन केन्द्र पर किया जाएगा। उक्त कार्य विपणन सहकारी संस्था के द्वारा नवीन कृषि उपज मंडी गंजबासौदा में पांच जून से किया जा रहा है जो तीस जून तक जारी रहेगा। राज्य शासन द्वारा प्याज का समर्थन मूल्य आठ सौ रूपए प्रति क्विंटल घोषित किया गया है। कलेक्टर श्री अनिल सुचारी ने समर्थन मूल्य पर प्याज खरीदी कार्य सुव्यवस्थित रूप से सम्पन्न हो इसके लिए नोड्ल अधिकारी नियुक्त किए गए है और उन्हें आवश्यक जबावदंेही सौंपी गई है। समस्त खरीदी कार्य का संचालन, मार्गदर्शन एवं पर्यवेक्षण हेतु बासौदा अनुविभागीय राजस्व अधिकारी श्री सीपी गोहल को दायित्व सौंपा गया है। इसके अलावा जिला आपूर्ति अधिकारी को उपार्जन केन्द्र का यथासंभव निरीक्षण एवं क्रय की गई प्याज को उचित मूल्य दुकानों पर विक्रय हेतु मार्गदर्शन देने का दायित्व सौंपा गया है। उपायुक्त सहकारिता को प्याज खरीदी एवं सहकारी संस्थाओं से प्याज उचित मूल्य की दुकानों में विक्रय की जबावदेंही तथा सहायक संचालक उद्यानिकी को खरीदी केन्द्र पर उद्यानिकी विभाग द्वारा सतत भ्रमण एवं गुणवत्ता इत्यादि का दायित्व सौंपा गया है। कलेक्टर श्री सुचारी के द्वारा जिला विपणन अधिकारी को प्याज खरीदी का भुगतान की सम्पूर्ण व्यवस्था का तथा मध्यप्रदेश सिविल सप्लाईज कार्पोरेशन के जिला प्रबंधक को प्याज के क्रय उपरांत तात्कालीन भण्डारण तथा उचित मूल्य की दुकानों के माध्यम से विक्रय करने की पूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई है। नापतौल निरीक्षक को खरीदी केन्द्र पर तौलकांटो एवं धर्म कांटो का सत्यापन करने एवं सतत निरीक्षण की जबावदेंही वही कृषि उपज मंडी बासौदा के सचिव को खरीदी केन्द्र पर प्याज खरीदी के लिए समुचित व्यवस्थाएं सुनिश्चित कराने एवं मंडी में व्यापक प्रचार-प्रसार करने का दायित्व सौंेपा गया है। 


निगरानी समिति
कलेक्टर श्री सुचारी के द्वारा जिला स्तरीय निगरानी समिति का भी गठन किया गया है। समिति के अध्यक्ष अपर कलेक्टर होंगे तथा उपायुक्त सहकारिता, जिला आपूर्ति अधिकारी, सचिव कृषि उपज मंडी बासौदा, सहायक संचालक उद्यान, जिला प्रबंधक मध्यप्रदेश स्टेट सिविल सप्लाईस कार्पोरेशन को तथा नापतौल निरीक्षक को निगरानी समिति का सदस्य नियुक्त किया गया है। इसके अलावा मध्यप्रदेश राज्य सहकारी विपणन संघ के जिला विपणन अधिकारी को सदस्य एवं समन्वयक बनाया गया है। गठित समिति खरीदी संबंधी समस्त विवादो का अंतिम निराकरण करेंगी। उपार्जन संबंधी सभी विषयों के लिए अपर कलेक्टर को एकाधिकार का दायित्व सौंपा गया है। 

सुविधाएं
प्याज उपार्जन केन्द्र पर उपलब्ध कराई जाने वाली सुविधाओं के संबंध मंे बताया गया कि उपार्जन समिति द्वारा किसानों को बैठने हेतु छायादार स्थल, पीने के लिए साफ पानी के अलावा फस्र्ट एड बाक्स और शौचालय की व्यवस्था का क्रियान्वयन किया जाएगा। 

आकस्मिक निरीक्षण
कलेक्टर श्री सुचारी के द्वारा उपार्जन केन्द्र के आकस्मिक निरीक्षण हेतु अनुविभागीय स्तरीय निरीक्षण दल का भी गठन किया गया है। उक्त दल खरीदी केन्द्र का आकस्मिक निरीक्षण कर व्यवस्थाओं का जायजा लेते हुए बिक्री हेतु आ रही प्याज निर्धारित स्पेसिफिकेशन के अनुसार ही खरीदी की जा रही है का जायजा लेगा एवं क्रेता विक्रेता के विवादोे का निराकरण करेगा। निरीक्षण दल में अनुविभागीय राजस्व अधिकारी बासौदा को दल प्रमुख तथा सदस्य के रूप में बासौदा के तहसीलदार, वरिष्ठ कृषि विस्तार अधिकारी उद्यान, सहकारिता निरीक्षक, सहायक कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारी, मंडी सचिव के अलावा नापतौल निरीक्षक को शामिल किया गया है।

भुगतान
समर्थन मूल्य पर प्याज विक्रय करने वाले किसानों को प्याज खरीदी का भुगतान आरटीजीएस/एनईएफटी के माध्यम से जिला विपणन अधिकारी, उपार्जन समिति द्वारा किया जाएगा। इस हेतु किसानों को प्याज विक्रय के समय उनके बैंक खाते का नाम, खाता क्रमांक एवं आईएफएससी कोड, साक्ष्य साथ में लाने का आग्रह किया गया हैै। 

आर्थिक सहायता के प्रकरणों में मदद जारी
कलेक्टर श्री अनिल सुचारी ने आर्थिक सहायता के चार प्रकरणों में आर्थिक मदद के आदेश जारी कर दिए है। तदानुसार मुख्यमंत्री कृषक जीवन कल्याण योजना के अंतर्गत विदिशा तहसील के ग्राम आदमपुर के श्री विनोद कुमार की मृत्यु कृषि कार्यो के दौरान करंट लगने से हो जाने के कारण मृतक की पत्नी श्रीमत भूरीबाई नामदेव को चार लाख दो हजार रूपए की आर्थिक सहायता जारी की गई है जिसमें दो हजार रूपए अन्त्येष्टि अनुदान भी शामिल है। सर्पदंश के दो प्रकरणों में भी मृतकों के निकटतम परिजनों को क्रमशः चार-चार लाख रूपए की आर्थिक सहायता जारी की गई है जिसमें बासौदा तहसील के ग्राम सूजा निवासी पप्पू की मृत्यु हो जाने पर मृतक की पत्नी श्रीमती वतीबाई सहरिया को तथा ग्राम अमोदा की कुमारी सेवंती की मृत्यु सर्पदंश से हो जाने पर मृतिका के पिता श्री रामप्रसाद अहिरवार को पूर्व उल्लेखित आर्थिक मदद जारी की गई है। इसी प्रकार विदिशा नगर बजरिया के श्याम लखेरा की मृत्यु बेतवा नदी में डूबने से हो जाने के कारण मृतक की मां श्रीमती मीना लखेरा को चार लाख रूपए की आर्थिक मदद आरबीसी के प्रावधानों के तहत जारी की गई है।


कोचिंग में पढ़ाने हेतु शिक्षकों से आवेदन आमंत्रित

आदिम जाति कल्याण विभाग द्वारा संचालित जिला स्तरीय उत्कृष्ट बालक एवं कन्या छात्रावास में कोचिंग के लिए विषयवार शासकीय एवं निजी विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों से आवेदन 15 जून तक आमंत्रित किए गए है। चयनित शिक्षकों को तीन सौ रूपए प्रति कालखड के मान से अधिकतम 20 कालखण्ड का मानदेय प्रदाय किया जाएगा। ततसंबंध में अन्य विस्तृत जानकारी के लिए आदिम जाति कल्याण विभाग के जिला संयोजक कार्यालय में कार्यालयीन दिवसों, अवधि में सम्पर्क कर प्राप्त की जा सकती है। 

स्वरोजगार हेतु आॅन लाइन आवेदन आमंत्रित

मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना एवं मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना जो जिला व्यापार एवं उद्योग केन्द्र के माध्यम से क्रियान्वित की जा रही है उक्त योजनाओं के तहत स्वंय का रोजगार स्थापित करने के इच्छुक अपना आवेदन आॅन लाइन दर्ज करा सकते है।  जिला व्यापार एवं उद्योग केन्द्र के महाप्रबंधक श्री सुनील तिवारी ने बताया कि डीएलसीसी की बैठक में जिले की बैंकों को लक्ष्य आवंटित किए गए है अतः जिले के ऐसे बेरोजगार युवा जो स्वंय का रोजगार स्थापित करना चाहते है वे विभाग के माध्यम से क्रियान्वित योजनाओं का लाभ लेने के लिए अपने आवेदन एमपी आॅन लाइन के माध्यम से प्रेषित कर सकते है।मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना में 18 से 45 आयु के आवेदक जो पांचवीं पास हो ने स्वरोजगार संचालन हेतु पचास हजार से दस लाख रूपए तक का ऋण उद्योग, सेवा व्यवसाय हेतु बैंको के माध्यम से मुहैया कराया जाएगा। मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना से लाभ लेने हेतु हितग्राही को दसवीं पास होना चाहिए। उक्त योजना के तहत दस लाख से एक करोड़ तक का ऋण बैंक के माध्यम से उद्योग एवं सेवा कार्य हेतु मुहैया कराया जाएगा। ततसंबंध में अन्य विस्तृत जानकारी के लिए जिला उद्योग एवं व्यापार केन्द्र विदिशा के एवं कियोस्क से सम्पर्क कर प्राप्त की जा सकती है। उक्त योजना में सभी प्रकार के वाहन एवं पशुपालन कार्य प्रतिबंधित है।

बिहार : दो और पुत्रियां भी लालू की ‘राजनीतिक विरासत’ संभालने को तैयार

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राजद प्रमुख लालू यादव की राजनीतिक विरासत के लिए उनकी संतानों में टकराव होगा या नहीं, यह समय और परिस्थिति बताएगी। लालू यादव का आधार वोट उनकी किस संतान को उनका उत्‍तराधिकारी मानता है, यह भी भविष्‍य में तय होगा। लेकिन इतना तय है कि बिहार की राजनीतिक जमीन में अपनी संभावनाओं की तलाश में लालू यादव की दो और पुत्रियों जुटी हैं।

चंदा और हेमा यादव हैं दीघा विधान क्षेत्र के वोटर 
लालू यादव की पुत्री चंदा यादव (35 वर्ष) और हेमा यादव (32 वर्ष) भी बिहार में राजनीति करना चाहती हैं। वे भी अपने भाईयों तेजस्‍वी यादव व तेज प्रताप यादव और बहन मीसा भारती के समान विधायक या सांसद बनना चाहती हैं। चंदा और हेमा दीघा विधान सभा क्षेत्र के वेटनरी कॉलेज परिसर स्थित बूथ के वोटर हैं। मीसा भारती, तेजस्‍वी और तेज प्रताप भी इसी बू‍थ के वोटर हैं। लालू यादव व राबड़ी देवी भी इसी बूथ के मतदाता हैं।


वेटनरी कॉलेज परिसर में बूथ नंबर 18 के हैं वोटर
पटना नगर निगम के वार्ड संख्‍या 4 के बूथ नंबर 18 के वोटर लिस्‍ट लालू यादव के परिजनों का नाम है। लालू परिवार के अन्‍य लोगों का नाम वोटर लिस्‍ट में होना सामान्‍य राजनीतिक प्रक्रिया है। लेकिन हेमा और चंदा यादव का वोटर लिस्‍ट में नाम होना कई राजनीतिक संभावनाओं को जन्‍म देता है। कई सवाल भी खड़ा करता है। क्‍या लालू यादव हेमा और चंदा को भी विधायक या सांसद की संभावित लिस्‍ट की उम्‍मीदवार समझते हैं। क्‍या तेजस्‍वी व तेज प्रताप को अपनी दो अन्‍य बहनों की राजनीतिक चुनौती का सामना करना पड़ेगा। हेमा और चंदा का वोटर होना सामान्‍य राजनीतिक प्रक्रिया नहीं है। इसके कारण की तलाश और परिणाम का सबको इंतजार रहेगा।



नाम ------------- वोटरलिस्‍ट में क्रम संख्‍या

लालू प्रसाद -------- 18244
राबड़ी देवी -------- 18245
मीसा भारती -------- 18269
तेजप्रताप यादव -------- 17700
चंदा यादव -------- 18204
हेमा यादव -------- 18205
तेजस्‍वी यादव -------- 18206






साभार : बिरेन्द्र यादव 

सीहोर (मध्यप्रदेश) की खबर 07 जून

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14 जून को विश्व रक्तदान दिवस

जिले में 14 जून 2017 को विश्व रक्तदान दिवस एवं जून माह स्वैच्छिक रक्तदान माह के रूप में मनाया जाएगा। जनसामान्य को स्वैच्छिक रक्तदान कर असहाय व्यक्तियों की मदद करने हेतु प्रेरित किया जाएगा। 

नीम के बीज से बने कीटनाशक उपयोगी

नीम के बीज के कीटनाशक किसानों के लिए उपयोगी हैं। किसान स्वयं कीटनाशक तैयार कर सकते है। विधि इस प्रकार है - नीम का बीज अच्छे से सूखा हुआ 5 किलो, पानी साफ-सुथरा 100 लीटर, साबुन 200 ग्राम तथा कपडा छानने के लिए। आवश्यकतानुसार नीम का बीज 5 किलो लें और बारीक पीस लें। इसे दुगुने पानी 10 लीटर में रातभर भिगोकर रखें। अगली सुबह इसे लकडी की छडी से दूधिया सफेद रंग होने तक अच्छी तरह मिला लें। इसे दो परत मसलिन कपडे से अच्छी तरह से छान लें और इस घोल को 100 लीटर का बना लें इस घोल में 1 प्रतिशत साबुन मिला लें साबुन को थोडे से पानी में अच्छी तरह से मिलाकर फिर नीम के घोल में मिलायें । घोल को अच्छी तरह से मिलाकर ही छिडकाव करें। 


नगरीय निकाय के नाम निर्देशन पत्र ऑनलाईन भी होगें

मध्यप्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा पहली बार नगरीय निकाय 2017 में अभ्यर्थियों के नाम निर्देशन भरने के लिए ऑनलाईन सुविधा प्रारंभ की है। अभ्यर्थी राज्य निवार्चन आयोग की वेबसाईट पर नाम निर्देशन पत्र ऑनलाईन भर सकता है। भरे गए आवेदन पत्र को निर्धारित समयावधि में त्रुटि होने पर सुधार भी किया जा  सकता है। नाम निर्देशन पत्र भरने की सुविधा के लिए सुविधा केंद्र बनाए गए है। अभ्यर्थी नॉमिनेशन टेस्ट के तौर पर भी भर सकता है तथा सुधार भी कर सकता है। राज्य निर्वाचन द्वारा उपलब्ध कराई गई सुविधा के अनुसार पीडीएफ फाईल में जनरेट कर सकता है और प्रिंट भी प्राप्त कर सकेगा। अभ्यर्थी द्वारा भरे गए फार्म की संतुष्टि होने पर फार्म का प्रिंट लेकर रिटर्निंग अधिकारी को समय सीमा में जमा कर सकता है। यह सुविधा नाम निर्देशन पत्र किए जाने की अंतिम तिथि के दोपहर 12 बजे तक अभ्यर्थी के लिए उपलब्ध रहेगी।

जिले मे स्वच्छता अभियान के उत्कृष्ठ कार्यो को देखने आये भारत सरकार के सचिव
  • ग्राम पंचायत जहागीरपुरा पहुचकर किया कार्यो का अवलोकन, सामुदाय से की बात

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जिले मंे स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) अंतर्गत किये गये उत्कृष्ठ कार्यो का अवलोकन भारत सरकार के ग्रामीण विकास विभाग के सचिव श्री परमेश्वरम अययर ने जनपद पंचायत सीहोर की ग्राम पंचायत जहागीरपुरा पहुचकर किया। इस दौरान मध्यप्रदेश शासन ग्रामीण विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव श्री राधेश्याम जुलानिया, स्वच्छ भारत मिशन के संचालक श्री अतुल श्रीवास्तव, मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत सीहोर डाॅ. केदार सिंह, जिला समन्वयक स्वच्छ भारत मिशन श्री विकास वाघाडे़ के साथ संबंधित अधिकारी ग्राम पंचायत मे उपस्थित रहे। सचिव भारत सरकार श्री अययर ने ग्राम पंचायत को खुले मे शौच मुक्त बनाने के लिए अपनाई गई रणनीति पर ग्रामीणो से चर्चा की समुदाय के साथ समाज की सहभागिता से सफल ओडीएफ के लिए किये गये कार्यो का अवलोकन किया। ग्राम पंचायत मे गठित महिला निगरानी समिति द्वारा जागरूकता के लिए बनाये गये स्वच्छता गीत का प्रस्तुतीकरण किया गया । ग्रामीणो ने सचिव भारत सरकार को बताया कि महिला निगरानी समिति ग्राम पंचायत को ओडीएफ बनाये रखने के लिए मोर्निंग फोलोअप करती है। जिसमें ढोलक बजाकर बनाये गये स्वच्छता गीत गाकर ग्रामीणो को शौचालय का उपयोग करने के लिए सतत प्रेरित किया जाता है। श्री अययर ने ग्रामीणो एवं निगरानी समिति द्वारा किये जा रहे कार्यो को सराहते हुए कहाॅ कि ग्रामीणजन आपसी समझ से गांव के परिवेश को स्वच्छ बनाये रखे जिससे स्वच्छता आदत में बदल जाये।

विदिशा (मध्यप्रदेश) की खबर 07 जून

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एसडीएम द्वारा आपदा प्रबंधन का जायजा

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वर्षाकाल के दौरान विदिशा अनुविभाग क्षेत्र में किसी भी प्रकार की क्षति ना हो इसके लिए किए जाने वाले प्रबंधनों पर आज विचार विमर्श किया गया। एसडीएम श्री आरपी अहिरवार की अध्यक्षता में आहूत इस बैठक में सीएसपी श्री नागेन्द्र पटेरिया, होमगार्ड डिस्ट्रिक्ट कमाण्डेट श्री सुनीत मिश्रा, तहसीलदार श्री संतोष बिटौलिया, जनपद सीईओ श्री एके जैन के अलावा मुख्य नगरपालिका अधिकारी श्री सत्येन्द्र धाकरे, एनएच, पीडब्ल्यूडी, आरईएस, पीएमजीएसबाय के एसडीओ, महिला एवं बाल विकास विभाग, स्वास्थ्य विभाग , खाद्य विभाग, ऊर्जा विभाग समेत अन्य खण्ड स्तरीय अधिकारी, पटवारी मौजूद थे विदिशा जनपद पंचायत के सभाकक्ष में सम्पन्न हुई बैठक में एसडीएम श्री आरपी अहिरवार ने सभी अधिकारियों से कहा कि टीमवर्क की भावना से आपदा प्रबंधन के कार्यो का क्रियान्वयन करें। बाढ से प्रभावितों को किन स्कूलों में ठहराया जाएगा का आंकलन पूर्व में कर उन स्कूलांे में तमाम व्यवस्थाएं क्रियान्वित की जाए जिसमें मुख्य रूप से प्रकाश, पानी, दवाईयां, भोज्य पदार्थ तथा वस्त्र आदि शामिल है। स्कूलों के अधिग्रहण हेतु आवश्यक आदेश की प्रतियां संस्था प्रभारियों को मुहैया कराए जाने के निर्देश उन्होंने तहसीलदार को दिए। हर विभाग की अपनी टीम अपने आप तैयार रहें ताकि आवश्यकता पड़ने पर जैसे ही सूचना प्राप्त हो अविलम्ब मोर्च पर डंट जाए। जिला मुख्यालय के साथ-साथ ग्राम स्तर पर किए जाने वाले आपदा प्रबंधन के संबंध में उनके द्वारा बिन्दुवार समीक्षा की गई। उन्होंने कहा कि जिन विभागों की सड़के है उन विभागों के अधिकारियों का नैतिक दायित्व है कि वे सड़कों में पड़ने वाली पुल-पुलियोें पर संकेतक चिन्हों को लगवाएं और पुल-पुलियो के दोनो तरफ कर्मचारियों की तैनाती सुनिश्चित कराएं। बाढ़ आपदा प्रबंधन पर आधारित महत्वपूर्ण जानकारियां एवं पूर्व तैयारियों और राहत बचाव के संबंध में विभागों की एकजाई जानकारी संग्रहित की जाए और जिसकी प्रतियां सभी विभागों के अधिकारियों को उपलब्ध कराई जाए। उन्होंने कहा कि हर विभाग के नोड्ल अधिकारी एवं उसके सहायक नोड्ल अधिकारी का नाम एवं सम्पर्क नम्बर खण्ड स्तरीय कंट्रोल रूम में अनिवार्य रूप से दर्ज कराया जाए। उन्होंने स्थानीय स्थल के गोताखोरो की सूची तैयार कर एक प्रति जिला कार्यालय को उपलब्ध कराने की बात कही। एसडीएम श्री अहिरवार ने कहा कि विदिशा नगर क्षेत्र में बेतवा नदी और वर्षारूपी जल बस्तियों में भर जाता है जिसका चिन्हांकन पूर्व में किया जा चुका है। इसके अलावा और नए क्षेत्रों में जलभराव की संभावना हो तो उसकी सूची तैयार की जाए। वर्षाकाल के दौरान अनुविभाग क्षेत्र के सभी अधिकारी कर्मचारी समन्वय स्थापित कर एक दूसरे से सतत सम्पर्क बनाए रखेंगे। तहसील कार्यालय में भी कंट्रोल रूम बनाया गया है जिसका दूरभाष क्रमांक 230142 है। इसी प्रकार के कंट्रोल रूम नगरपालिका में भी बनाए जाएंगे। उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में किसी भी प्रकार की आपदा होने पर त्वरित कंट्रोल रूम को सूचित करने का आग्रह संबंधितों से किया है। एसडीएम श्री अहिरवार ने ऊर्जा विभाग के अधिकारी से कहा कि नगर में अनेक जगह डीपी खुली हुई अतः वर्षाकाल के दौरान बिजली आपूर्ति के दौरान किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना ना घटे इसके लिए तमाम प्रबंध सुनिश्चित किए जाए। स्वास्थ्य विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग की संयुक्त टीम गठित करने के निर्देश उनके द्वारा दिए गए है प्रत्येक टीम में चार-चार सदस्य होंगे। 


जिले में 11.73 मिमी औसत वर्षा दर्ज 

जिले के तहसील कार्यालयों में स्थापित वर्षामापी यंत्रो पर बुधवार की प्रातः आठ बजे दर्ज की गई वर्षा की जानकारी देते हुए अधीक्षक भू-अभिलेख श्रीमती सविता पटेल ने बताया कि बुधवार को जिले में 11.73 मिमी औसत वर्षा दर्ज की गई है जबकि एक जून से अब तक 16.63 मिमी औसत वर्षा हो चुकी है। उक्त अवधि में गतवर्ष 2.3 मिमी औसत वर्षा हुई थी। बुधवार को तहसीलवार दर्ज की गई वर्षा अनुसार विदिशा में 19.2 मिमी, बासौदा में 2.8 मिमी, कुरवाई में 3.8 मिमी, सिरोंज में दो मिमी, गुलाबगंज में 32 मिमी, नटेरन में 24 मिमी, ग्यारसपुर में दस मिमी वर्षा दर्ज की गई है। जबकि लटेरी तहसील में वर्षा नगण्य रही।

आर्यावर्त विशेष : नैन्सी ह्त्या कांड !!

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हो गया उद्भेदन, घर में ही नैन्सी की ह्त्या की गई और हत्यारा परिवार निकला जिसने इन्साफ के लिए खूब रंगरेलियां मनाई!! जी हाँ जस्टिस फॉर नैन्सी नामक रंगरेलियां जिसने मधुबनी को फिर से बदनाम करने की साजिश रची ! ये मधुबनी का दुर्भाग्य ही है कि फिर से लगभग वही कहानी दुहराई जा रही थी जिसमें मधुबनी को जला दिया गया था, बस इस बार मधुबनी मीडिया ने हवा के झरोखे में नहीं स्थिति को आंकलन कर सच के करीब पहुँचने में समय लगाया और इस रंगरेली का टारगेट बनते हुए भी मधुबनी को झुलसाने वालों के साथ होने से इनकार कर दिया !!

नैंसी की ह्त्या पर से पर्दा उठ कर कांड भले ही घर की चाहरदीवारी को रक्त रंजित किया हो मगर इसके साथ उन सभी के पोल भी खुले जिसने नैंसी के बहाने राजनितिक महत्वाकांक्षा पर जिले के आवाम को चढ़ाना शुरू कर दिया था, इस लौ की लपट दिल्ली तक उठी और दिल्ली तक की गैरजिम्मेदार मीडिया ने इन्ही अफवाहों के बजारुओं के बूते भ्रामक खबर के सहारे पहुच बनाने की कोशिश की, ABP न्यूज़ ने तो पराकाष्ठा ही कर दी जब सनसनी में बतौर सनसनी बना कर इस भ्रम पर मुहर लगाने की कोशिश की.



वेब मीडिया को धन्यवाद केवल इस लिए दिया जा सकता है कि उसकी पहल और आक्रामक पत्रकारिता ने जांच में तेजी लाने को जिला पुलिस को बाध्य किया और आनन् फानन में SIT का गठन और झंझारपुर अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी निधि रानी की कुशलता ने पुरे मामले की एक एक परत खोल कर रख दी. गुनाहगारों ने अपना गुनाह कबूल किया है और अब बारी है उन गुनाहगारों की जिसने मधुबनी को बदनाम करने के लिए भ्रामकता का सहारा लिया, अब वो भी अपनी माटी से माफ़ी मांगे और गुनाहगार को कड़ी सजा दिलवाने के लिए पहल करें 





---रजनीश के झा---

मधुबनी : ठाढी गांव में शिव चर्चा का आयोजन

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मधुबनी/अंधराठाढी ( मोo आलम अंसारी), स्थानीय ठाढी गांव के ब्रहम स्थान महात्मा नन्दीश्वर झा स्मृति स्थल में बुधवार को भव्य शिव चर्चा का आयोजन किया गया । इस मैके पर दूर दराज से प्रवचन देने शिव गुरू बहने पहुंची थी । शिव ही गुरू है शिव ही आदि और अन्त है। वहीं पालन कर्ता और वहीं संहार कर्ता है। शिव की पूजा अर्चना कभी व्यर्थ नहीं जाती है। सच्चे लगन से शिव चर्चा और शिव व्रत करने से सभी इंच्छित मनोकामना पूर्ण होती है। रंजू देवी ने अगुआई में आयोजित शिव चर्चा में जगदम्बा गुरू बहन, धूरनी गुरू बहन, शीलादेवी गुरूवहन के अलावे ललिता देवी उपमुखिया देव सुन्दरी देवी, कविता देवी, बबीता देवी, भूकंप साह, राजू साह ,बारीस लाल रामपरीक्षण ठाकुर समेत दर्जनो शिव भक्त चर्चा में शामिल थे।

दुमका : यूपीएससी परीक्षा में 75 वाँ स्थान प्राप्त शशि प्रकाश सिंह को सम्मानित किया गया

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  • यूपीएससी परीक्षा में 75 वाँ स्थान प्राप्त साहिबगंज की प्रतिभा शशि प्रकाश सिंह को नागरिक प्रतिभा सम्मान समारोह के तहत सम्मानित किया गया। 

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दुमका (अमरेन्द्र सुमन), साहिबगंज महिला कॉलेज, साहिबगंज में महाविद्यालय परिवार की ओर से दिन बुधवार को नागरिक प्रतिभा सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर भारतीय प्रशासनिक सेवा की परीक्षा में 75 वां स्थान प्राप्त शशि प्रकाश सिंह व उनकी माता जी को एक साथ सम्मानित किया गया। इस अवसर पर प्रभारी प्राचार्य डॉ मृदुला सिन्हा ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि साहिबगंज जिले के लिये यह विशेष गौरव की बात है। युवाओ के लिए प्रेरणा के पात्र शशि प्रकाश सिंह की इस सफलता से छात्रों में आगे बढ़ने की प्रेरणा जगेगी। उनकी प्रतिभा का कद्र करते हुए महाविद्यालय परिवार की ओर से इसी आलोक में प्रतिभा सम्मान समारोह का आयोजन किया गया है। इस अवसर पर  प्रोफेसर (डॉ) रणजीत कुमार सिंह ने आईएस में 75 वाँ स्थान प्राप्त शशि प्रकाश सिंह से आग्रह किया कि महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं व युवाओं के बीच  कैरियर कॉन्सिलिंग, प्रतियोगिता परीक्षा, मनोवैज्ञानिक स्तर पर वे अधिक से अधिक मुखर कैसे हो सकते है तथा मौखिक परीक्षा की तैयारी से संबंधित जानकारी देना चाहेंगे ताकि इस जिले के अन्य छात्र उनसे लाभ प्राप्त कर सकें। श्री सिंह ने इसे सहज स्वीकार किया। इस कार्यक्रम में अलग-अलग संगठनों से जुड़े लोगों सहित आम नागरिकों व  छात्र-छात्राओं  को आमन्त्रित किया गया था। कोचिंग चला रहे शिक्षक से भी अनुरोध किया गया की व अपने-आपने कोचिंग सेन्टर से जुड़े छात्रांे को भी इस अवसर पर महाविद्यालय में उपस्थित होने का निर्देश जारी करें ताकि छा़त्रों के बीच सैद्धान्तिक व तकनीक ज्ञान को बाँटा जा सके। इस कार्यक्रम में शामिल डा0 ध्रूव ज्योति सिंह, विधायक अनंत ओझा, डा0 विजय बोधिलाल ंिसन्हा, कृण्णा सिंह, संत जेवियर्स सोक्सा काॅर्डिनेटर एन के झा, कमल महावर, अनवर अली, संतोष सिंह, सद्दाम हुसैन, बबलू मराण्डी, व दर्जनों अन्य छात्र-छात्राएँ यथा अब्दुुल कयूम, अनुप्रिया कुमारी, जितेन्द्र मराण्डी, विपिन कुमार ममौजूद थे। प्रकाश सिंह व उनकी माता को इस अवसर पर शाॅल ओढाकर सम्मानित किया गया। 

दुमका : रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ गिरफतार हुआ सहायक लिपिक

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दुमका, (अमरेन्द्र सुमन) सड़क निर्माण कार्य की समाप्ति के बाद आयकर विभाग में रकम से संबंधित प्रमाण पत्र जमा करने के निमित्त नगर परिषद् मिहिजाम (जामताड़ा) के सहायक लिपिक द्वारा विभागीय प्रमाणपत्र निर्गत करने के 12 हजार रुपये की मांग परिवादी संदीप रतन से की गई थी जिसकी जानकारी एसीबी, दुमका को दे दी गई थी। दिन बुधवार को परिवादी से रिश्वत स्वरुप उपरोक्त राशि को लेने के क्रम में सहायक लिपिक विजय सिंह भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो, दुमका की गिरफत में आ गया। परिवादी के बयान के अनुसार आठ लाख रुपये की लागत से उसे पीसीसी सड़क निर्माण से संबंधित कार्यादेश प्राप्त हुआ था। सड़क निर्माण कार्य खत्म हो जाने के बाद आयकर विभाग में रकम प्राप्ति प्रमाणपत्र जमा करने के लिये उसने (मिहिजाम) जामताड़ा नगर परिषद् के सहायक लिपिक विजय सिंह से सम्पर्क स्थापित किया। सहायक लिपिक ने विभागीय प्रमाणपत्र निर्गत करने के एवज में परिवादी से 12 हजार रुपये की मांग की। परिवादी रिश्वत देना नहीं चाहता था। अपने सत्यापित आवेदन में उपरोक्त की पूरी जानकारी भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो, दुमका को उसने दी। एसीबी की टीम ने परिवादी के आरोपों की जाँच की जो सत्य था। परिवादी के लिखित आवेदन के आधार पर भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो, दुमका थाना कांड सं0-04/2017 दिनांक 06 जून 2017 को पंजीकृत करते हुए व 07 जून 2017 को परिवादी से बारह हजार रुपये बतौर रिश्वत लेते हुए अभियुक्त विजय सिंह को रंगे हाथ गिरफतार कर लिया। मालूम हो, अभियुक्त विजय ंिसह आम बगान (वार्ड नं0-3) थाना व पोस्ट मिहिजाम, जामताड़ा का रहने वाला है। वर्ष 2017 में एसीबी का यह 59 वाँ ट्रैप केस है जबकि दुुमका का दूसरा ट्रैप केस। 

मधुबनी : बिजली आपूर्ति की समस्या को लेकर हंगामा

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मधुबनी/अंधराठाढ़ी। ( मोo आलम अंसारी) बिजली आपूर्ति की समस्या को लेकर  गौड़ अंधरा गांव के उपभोक्ताओं ने बुधवार को  रुद्रपुर फीडर पर हो हंगामा किया। लोगो का आरोप है कि बिजली की आंख मिचौली, इतनी भीषण गर्मी में बिजली की अनियमित आपूर्ति की जाती है। फीडर में तैनात कर्मियों द्वारा अक्सर शट डाउन क्र दिया जाता है।  आक्रोशित लोगो को देख फीडर कर्मी ने फीडर के मुख्य द्वार पर ताला मौका जड़ कर वहां से फरार हो गए। सूचना मिलते ही रुद्रपुर थाना पुलिस ने भी  ने मौके पर पहुंचकर लोगो को समझाया बुझाया। गौरतलब है कि प्रखंड में दो फीडरों अंधराठाढ़ी और रुद्रपुर फीडर से बिजली की आपूर्ति होती है।  अंधराठाढ़ी फीडर में  करीब बीस बाइस घंटे बिजली की आपूर्ति होती है, जवकि रुद्रपुर फीडर से मुश्किल से 8 घंटे ही बिजली मिल पाती है। बिजली की ये असमानता से लोगों में काफी आक्रोश  है। लोगो ने कहा बिजली व्यवस्था में कोई भी समस्या होने पर भी विभाग के लोग ठीक करने तक नही आते। प्राइवेट मिस्त्री से दुगुना तिगुना पैसा देकर कम करना पड़ता हैं। लोगों ने कहा कि महीनों से उन्हें बिजली बिल भी नही दिया जा रहा है। लोगो ने ये भी आरोप लगाया कि विभाग में कार्यरत कुछ मिस्त्री जानबूझकर ऐसा करते है। समस्या दूर करने के नाम पर नज़राना मांगते हैं। पहले भी लोग इन मांगों को लेकर कई बार प्रदर्शन कर चुके हैं, मगर विभाग सब कुछ जानते हुए भी मूकदर्शक बना हुआ है। प्रदर्शन करने वालों में श्रीनारायण चौधरी, मुकेश नारायण चौधरी, कालेश्वर चौधरी, रामराघव यादव, बिनोद यादव, ब्रजेश झा, प्रकाश चौधरी, रोबिन, छोटू पासवान, इंद्रदेव पासवान, राकेश यादव, शिबू यादव, नागेंद्र यादव, आशाराम यादव, दयानंद यादव, प्रमोद यादव, विजय साहू, रोहित और विजय चौधरी समेत दर्ज़नो युवा शामिल थे।

मधुबनी : नैंसी हत्याकांड की गुत्थी सुलझी, चाचा ने की हत्या

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पटना : पिछले कई दिनों से चर्चा में रहे बिहार के मधुबनी जिले में हुए नैंसी हत्याकांड में अब एक नया चौंकाने वाला मोड़ सामने आया है. नैंसी हत्याकांड मामले में काफी जद्दोजहद के बाद पुलिस को बड़ी कामयाबी हाथ लगी है. खबर के मुताबिक, मासूम नैंसी की हत्या करने वाला कोई और नहीं, बल्कि खुद उसके चाचा ही हैं. दरअसल, पुलिस ने पूछताछ के लिए नैंसी के चाचा राघवेंद्र और पंकज को हिरासत में लिया था. जहां पुलिस की पूछताछ में नैंसी के चाचा ने अपना गुनाह कुबूल कर लिया है. लेकिन हत्या की जिन वजहों को उसने बताया है, वो काफी हैरान करने वाला है.  खुद एसपी दीपक वर्णमाल ने इस बात की जानकारी दी है कि सख्ती से पूछताछ के बाद नैंसी के दोनों चाचा ने हत्या के जुर्म को कुबूल लिया है. इतना ही नहीं हत्या करने की वजह पर से भी पर्दा हटा दिया है. दोनों चाचा ने पुलिस की पूछताछ में बताया कि नैंसी के बुआ का किसी के साथ प्रेम संबंध था. बावजूद इसके बुआ का रिश्ता कहीं और तय कर दिया गया था. हालांकि, बुआ के अवैध प्रेम संबंध की भनक नैंसी को हो गई थी. नैंसी कहीं इस बात का भंडाफोर न कर दे इस डर की वजह से इन दोनों चाचा ने 25 मई को नैंसी को अगवा कर लिया. हैरान करने वाली बात ये थी कि नैंसी के बुआ की शादी 26 मई को होनी थी. इसलिए शादी में किसी तरह का खलल न पैदा हो जाए और बुआ का राज सबके सामने न आ जाए, इसी वजह से नैंसी के दोनों चाचा ने मिलकर उसकी बेरहमी से गला दबा हत्या कर दी. इन दोनों हत्यारे चाचा ने नैंसी को मौत के घाट उतारने के बाद अगले दिन अपनी बहन की शादी भी संपन्न कराई. शादी संपन्न हो जाने के बाद 27 मई को हत्यारे चाचा ने नैंसी का शव बाहर फेंक दिया. बता दें कि इससे नैंसी हत्याकांड मामले में 5 जून को उसके चाचा राघवेंद्र समेत छह लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया था. हालांकि, पूछताछ के बाद चार लोगों को छोड़ दिया गया. वहीं, राघवेंद्र झा एवं पंकज कुमार अब भी पुलिस की हिरासत में हैं. बता दें कि इस हत्याकांड को सुलझाने के लिए SIT का गठन किया गया था. 

दुमका : कई दिन बीत गए अभी तक अंचल व टाउन थाना ने जाँच की कोई कार्रवाई पूरी नहीं की

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  • मामला उप राजधानी दुमका नगर परिषद् क्षेत्रान्तर्गत वार्ड सं0-16 के राजेन्द्र नगर (गिलानपाड़ा) मुहल्ले की है। 
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दुमका नगर परिषद् क्षेत्र अन्तर्गत वार्ड नम्बर 16 गिलान पाड़ा (राजेंद्र नगर) में नगर परिषद द्वारा निर्माणधीन पीसीसी सड़क को एक दबंग व्यक्ति द्वारा जबरन रोक दिये जाने के कारण संवेदक द्वारा उपरोक्त को अधूरा छोड़ दिया गया था। इस मामले को गंभीरता से लेते हुए अनुमंडल पदाधिकारी जय प्रकाश झा ने जन शिकायत के बाद पत्रांक संख्या 259 दिनांक 3 जून 2017 के माध्यम से अंचल अधिकारी दुमका व नगर थाना प्रभारी दुमका को मामले की जांच कर त्वरित कार्रवाई का आदेश दिया। अनुमण्डल पदाधिकारी द्वारा जारी आदेश के तीन दिनों बाद भी अंचल कार्यालय व दुमका नगर थाना द्वारा अब तक कोइ कार्रवाई नही की गई है। दुमका नगर परिषद के तत्वावधान में शहर के वार्ड संख्या 16 गिलान पाड़ा (राजेन्द्र नगर) में निर्माणधीन पीसीसी सड़क को एक दबंग व्यक्ति द्वारा रोक दिये जाने के संवेदक द्वारा उक्त कार्य को अधूरा छोड़ दिया गया था, परिणामस्वरुप नगर परिषद व जिला प्रशासन के विरुद्ध  आम लोगो का आक्रोश दिन-व-दिन बढ़ता ही जा रहा था। स्थानीय नागरिको द्वारा बीते 31 मई को  जिले के उपायुक्त, अनुमंडल पदाधिकारी, नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी व नगर परिषद अध्यक्ष को लिखित शिकायत भी भेजी गई थी, बावजूद नगर परिषद व जिला प्रशासन द्वारा किसी प्रकार का संज्ञान नही लिया जा रहा था। प्राप्त जानकारी के अनुसार राजेन्द्र नगर निवासी संजय यादव ने बाहुबल का इस्तेमाल करते हुए सड़क निर्माण कार्य यह कह कर रुकवा दिया है कि सड़क उनकी निजी जमीन पर अवस्थित है, जबकि श्री यादव स्वयं एक अनुसूचित जनजाति समुदाय के व्यक्ति सुनील मुर्मू की जमाबन्दी जमीन पर दानपत्र से प्राप्त जमीन पर मकान बनाकर रह रहे है। सुनील मुर्मू ने संजय यादव के अलावे कई अन्य लोगो को दानपत्र पर जमीन देकर दस फीट सड़क आवागमण छोड़ रखा है जिसपर तीन फीट जमीन का अतिक्रमण खुद बाहुबली संजय यादव ने पूर्व में ही शौचालय का निर्माण करवा लिया है। शेष बचे सात फीट सड़क को भी वे अपना बता रहे हैं बिल्कुल गैरवाजिब है। रोकवा दिया है। मुहल्लेवासियों का आरोप है कि खाली सड़क मार्ग का मालिकाना हक सुनील मुर्मू के नाम पर खतिहान में दर्ज है। नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी सड़क अतिक्रमण करनेवाले को ही शह दे रहे है। सड़क का निर्माण कार्य अवरुद्ध हो जाने से भारी जलजमाव की स्थिति बनी हुई है। इस रास्ते से गुजरने वाले लोग काफी मुश्किलों से अपना काम कर पा रहे हैं। 


बिहार : भाकपा-माले ने मध्यप्रदेश के मंदसौर में किसानों की हत्या की कड़ी निंदा की.

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पटना 7 जून, भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल ने मध्यप्रदेश के मंदसौर में 6 जून को भाजपा सरकार द्वारा आंदोलन कर रहे किसानों पर पुलिस फायरिंग, जिसमें 5 किसानों की निर्मम हत्या कर दी गयी और कई लोग घायल हुए हैं, की कड़ी निंदा की है. उन्होंने कहा कि आज देश के हरेक हिस्से में किसान आंदोलनरत हैं और मध्यप्रदेश में वे ऐतिहासिक हड़ताल पर हैं. महाराष्ट्र में भी किसान कर्ज की माफी और उत्पादों के न्यूनतम समर्थन मूल्य के सवाल पर आंदोलन कर रहे हैं. मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चैहान और उनके मंत्री निर्लज्जता के साथ किसानों को एंटी-सोशल करार दे रहे हैं. इस तरह का झूठ आरएसएस के प्रोपगंडा स्कूल की चारित्रिक पहचान है. मध्य प्रदेश के मंदसौर में स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशों को लागू करने, कर्ज माफी, भमि अधिग्रहण कानून-2013 में किये गये बदलाव को वापस लेने जैसे मुद्दों को लेकर आंदोलन कर रहे किसानों पर की पुलिस फायरिंग सें 5 किसानों की मौत से भाजपा का असली किसान विरोधी-लोकतंत्र विरोधी चेहरा उजागर हुआ है. विगत सप्ताह से ही महाराष्ट्र भी कमोवेश इन्ही मांगो को लेकर आंदोलित है और किसानों का आंदोलन तेजी से फैलता जा रहा है. स्वामीनाथन कमटी की सिफारिशों में सबसे महत्वपूर्ण बात किसानों की फसल की लागत मूल्य का निर्धारण कर उसमें 50 फीसदी जोड़ कर सरकार द्वारा खरीद की गारण्टी किया जाना है. किसानों की बदहाली और आत्महत्याओं में बेहताशा बढ़ोतरी के मद्देनजर साथ ही देश के विकास के लिए भी जरूरी था कि इन सिफारिशों को लागू किया जाता, परन्तु कांगे्रस ने लागू नहीं किया और लोक सभा चुनाव में अपने प्रचार अभियान में मोदी जी ने इसका वायदा किया था। परन्तु आज हम सभी जानते हैं कि पूरे देश में हालात् बद से बदतर होते जा रहे हैं, नोटबंदी से रही सही कसर भी पूरी कर दी थी। भाकपा-माले किसानों के आदंोलन का पूरी तरह समर्थन करता है और न्यूनतम समर्थन मूल्य,  कर्ज की माफी और स्वामीनाथन कमिटी की रिपोर्ट को लागू करने की मांग की करती है.


सीपीएम दफ्तर में घुसकर सीपीएम महासचिव के साथ हाथापाई की कोशिश शर्मनाक.
भाकपा-माले ने आज दिल्ली स्थित सीपीआईएम के कार्यालय में घुसकर सीपीआईएम के महासचिव काॅ. सीताराम येचुरी के साथ-साथ हाथापाई, बदतमीजी, उनके प्रेस कांफ्रेस को बाधित करने की घटना की कड़ी आलोचना की है. अपने बयान में पार्टी ने कहा है कि आरएसएस की गुंडावाहिनी लोकतंत्र की धज्जियां उड़ाने पर तुली हुई है और अपने विरोधियों व खासकर वामपंथी नेताओं-कार्यकर्ताओं को अपना निशाना बना रही है. यह देश के लोकतांत्रिक समाज के लिए बेहद खतरनाक है.

भाकपा ने छात्रो के बंद का समर्थन किया और किसान हत्या की भर्त्सना की

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8 जून को छात्रों के बिहार बंद का समर्थन

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पटना 07 जून। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिवमंडल ने 8 जून को वामपंथी छात्र.युवा संगठनों द्वारा प्रस्तावित बिहार बंद को समर्थन देने का निर्णय लिया है और अपनी तमाम इकाइयों का आह्वान किया है कि वे बंद को सफल बनाने के लिए हर स्तर पर छात्रों .नौजवानों का सक्रिय सहयोग करें।  स्मरणीय है कि बिहार इंटर के परीक्षाफल में हुई व्यापक धांधली के विरूद्ध उठ रही छात्रों की आवाज और उनके प्रतिरोध को बर्बर पुलिसिया कार्रवाइयों के जरिए दबाये जाने के चलते उद्वेलित छात्र.युवाओं ने उक्त बंद का आह्वान किया है। उक्त आषय की जानकारी देते हुए पार्टी के राज्य सचिवमंडल सदस्य रामबाबू कुमार ने मूल्यांकन और परीक्षाफल में हुई धांधली के पैमाने को देखते हुए मुख्यमंत्री नीतीष कुमार से मांग की है कि इंटर की कापियों का पूर्णरूपेण पुनर्मूल्यांकन कराया जाए तभी लोगों का भरोसा पुनर्जीवित हो सकेगा। सीमित पुनर्मूल्यांकन के लिए शुल्क में किंचित कमी कर देने अथवा कंपार्टमेंटल परीक्षा करा देने से दागदार हो चुकी षिक्षा.परीक्षा व्यवस्था से लोगों का ध्यान नहीं हटाया जा सकता ।



मध्य प्रदेश में किसान हत्या की भर्त्सना

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव सत्य नारायण सिंह ने मध्यप्रदेष के मंदसौर में भाजपा सरकार की पुलिस द्वारा छः किसानों की हत्या की तीव्र भत्र्सना करते हुए कहा कि इससे भाजपा का किसान-विरोधी चेहरा बेपर्द हो गया है। ज्ञातव्य है कि कर्जमाफी और फसल की लाभकारी कीमत की मांग को लेकर हजारों किसानों ने हाइवे को जाम कर रखा था जिन पर सीआरपीएफ ने अंधाधंुध गोलियां बरसाकर कम से कम छः किसानों को मौत के घाट उतार दिया और दर्जनों को घायल कर दिया । अपने काले कारनामे पर पर्दा डालने के लिए अधिकारियों ने मनगढंत कहानी बनायी कि प्रदर्षनकारी किसान नहीं, बल्कि असमाजिक तत्व थे। सरकार की ओर से इसे कांग्रेस की चाल करार दिया गया। परंतु वास्तविकता तो यह है कि गोलीबारी से बच निकले किसानों के साथ-साथ मध्य प्रदेष भाजपा के अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चैहान तक ने सरकार और प्रषासन की झूठी कहानी को सिरे से खारिज कर दिया। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने देषभर के किसानों से अपील की कि वे भाजपा के किसान पक्षी वायदों की हकीकत को पहचाने और किसान-हंता शासन को हर स्तर पर निर्णायक चुनौती देने के लिए उठ खड़े हों, चाहे वह मध्य प्रदेष हो, महाराष्ट्र हो या देष का कोई अन्य राज्य हो।

पटाखा कारखाने में आग लगने से 20 मजदूरों की जिंदा जलने से मौत, 10 अन्य झुलसे

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बालाघाट सात जून,  यहां कोतवाली पुलिस थानांतर्गत खेरी गांव में एक पटाखा कारखाने में आज दोपहर अचानक आग लगने से 20 मजदूरों की जिंदा जलने से मौत हो गई, जबकि 10 अन्य लोग झुलस गये। घायलों में दो की हालत गंभीर है। अतिरिक्त पुलिस महानिरीक्षक जी जर्नादन ने ‘भाषा’ को बताया कि कोतवाली पुलिस थाना क्षेत्र में स्थित कारखाने में दोपहर लगभग तीन बजे आग लगी। यह जगह जिला मुख्यालय से लगभग 10 किलोमीटर दूर है। उन्होंने बताया, ‘‘कारखाने में आग लगने से 20 लोग मारे गये और 10 लोग घायल हुये हैं। घायलों में से आठ को उपचार के लिये नागपुर भेजा गया है। इनमें दो की हालत गंभीर है।’’ जर्नादन ने कहा कि शेष दो बचे घायलों का उपचार जिला अस्पताल में किया जा रहा है। बालाघाट के कलेक्टर भरत यादव ने बताया कि यह आग वारिस अहमद की पटाखा फैक्टरी में लगी। यह लाइसेंस वाली फैक्टरी थी। हादसा उस वक्त हुआ, जब ये मजदूर फैक्टरी में काम कर रहे थे। यादव ने कहा कि आग लगने का असली कारण अब तक पता नहीं चल पाया है। हो सकता है कि किसी मजदूर ने बीड़ी पीने के बाद वहां फंेक दी हो। उन्होंने कहा कि अब आग को बुझा दिया गया है। जहां फैक्टरी थी, उस इलाके में आवासीय इलाका नहीं था। यादव ने बताया कि आग लगने के कारणों की जांच की जा रही है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मृतकों के परिजनों को दो-दो लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है तथा घायलों का इलाज शासकीय व्यय पर किया जायेगा।

पाकिस्तान में सैन्य शिविर बना सकता है चीन : पेंटागन

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वाशिंगटन, सात जून, चीन के पाकिस्तान एवं उन अन्य देशों में अतिरिक्त सैन्य अड्डों की स्थापना करने की संभावना है, जिनके साथ उसके लंबे समय से मित्रवत संबंध एवं समान सामरिक हित रहे हैं। पेंटागन ने एक नयी रिपोर्ट में यह बात उस वक्त कही है जब दुनिया की सबसे बड़ी सेना अपनी ताकत के विस्तार में जुटी हुई है। चीन के सैन्य जमावड़े पर अमेरिकी संसद में पेश अपनी वाषिर्क रिपोर्ट में अमेरिका के रक्षा मंत्रालय ने कहा कि जिबूती के सामरिक क्षेत्र में सैन्य अड्डे का निर्माण चीन का ऐसा पहला कदम है और संभवत: वह दुनिया में अपने मित्र देशों के बंदरगाहों पर सैन्य अड्डों का विस्तार करेगा। हिंद महासागर, भूमध्यसागर एवं अटलांटिक महासागर जैसे ‘‘सुदूरवर्ती समुद्री क्षेत्रों’’ में नियमित सैन्य तैनाती के लिए जरूरी साजो सामान की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए चीन विदेशी बंदरगाहों तक अपनी पहुंच में विस्तार कर रहा है। पेंटागन ने कहा, ‘‘चीन अपने सैन्य अड्डों की स्थापना उन देशों में करना चाहेगा जिन देशों के साथ उसके लंबे समय से मित्रवत संबंध और समान सामरिक हित जुड़े रहे हैं जैसे कि पाकिस्तान और ऐसे देश जहां विदेशी सेना की मेजबानी के उदाहरण देखने को मिले हैं।’’ गौरतलब है कि चीन बलुचिस्तान में सामरिक रूप से महत्वपूर्ण ग्वादर बंदरगाह का विकास कर रहा है और कई अमेरिकी विशेषज्ञों का कहना है कि चीन ने यह कदम वहां अपनी सैन्य मौजूदगी के उद्देश्य से उठाया है। पेंटागन की रिपोर्ट पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए चीन ने कहा कि अमेरिका के रक्षा विभाग ने देश की सेना के संबंध में ‘‘गैरजिम्मेदाराना बयान’’ दिया है। बीजिंग में विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने संवाददाताओं से कहा, वाषिर्क रिपोर्ट में ‘‘चीन की राष्ट्रीय रक्षा विकास और हमारी सम्प्रभुता की सुरक्षा के लिए उठाये गये तर्कपूर्ण कदमों और सुरक्षा हितों पर तथ्यों से इतर बहुत गैरजिम्मेदाराना बयान दिया गया है।’’ हुआ ने कहा, ‘‘चीन उसका कड़ाई से विरोध करता है।’’ उन्होंने कहा कि बीजिंग दक्षिण-प्रशांत क्षेत्र और दुनिया में शांति तथा स्थिरता की सुरक्षा करने वाला बल है। हालांकि पीएलए के विदेशों में संभावित सैन्य अड्डों पर टिप्पणी करने से इनकार करते हुए प्रवक्ता ने कहा कि चीन और पाकिस्तान घनिष्ठ मित्र हैं जो विभिन्न क्षेत्रों में परस्पर हित का सहयोग करते हैं।

खेल मंत्रालय ने ध्यानचंद को भारत रत्न देने का आग्रह किया

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नयी दिल्ली, सात जून, खेल मंत्रालय ने प्रधानमंत्री कार्यालय को पत्र लिखकर दिवंगत महान हाकी खिलाड़ी ध्यानचंद को भारत रत्न देने का आग्रह किया है। इस महान हाकी खिलाड़ी को भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान दिलाने की मंत्रालय की यह नवीनतम कोशिश है। खेल मंत्री विजय गोयल ने  पुष्टि की कि उन्होंने इस संदर्भ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखा है। गोयल ने कहा, ‘‘हां हमने ध्यानचंद को भारत रत्न के संदर्भ में प्रधानमंत्री को लिखा है। उन्हें मरणोपरांत यह सम्मान देना देश को उनकी सेवाओं की सच्ची श्रद्धांजलि होगी।’’ यह पहली बार नहीं है जब खेल मंत्रालय ने ध्यानचंद के लिए भारत रत्न की मांग की है जिन्होंने भारत को तीन ओलंपिक :1928, 1932 और 1936: में स्वर्ण पदक दिलाने में मदद की। वर्ष 2013 में संप्रग सरकार ने महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर पर इस महान हाकी खिलाड़ी को सम्मान के लिए चुना था। हालांकि उसी साल तेंदुलकर के अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर से संन्यास लेने के कुछ ही घंटों बाद घोषणा की गई कि यह क्रिकेटर इस पुरस्कार को पाने वाला पहला खिलाड़ी होगा। यह पूछने पर कि क्या ध्यान चंद को तेंदुलकर से पहले भारत रत्न मिलना चाहिए था, गोयल ने कहा, ‘‘मैं इस मामले में नहीं पड़ना चाहता और इस तरह के महान खिलाड़ियों के बारे में टिप्पणी करना उचित नहीं होगा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘आप किसी पुरस्कार से ध्यानचंद की उपलब्धियों को नहीं आंक सकते। वह इससे कहीं बढ़कर हैं।’

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