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काॅवरियों को बेहतर सुविधा प्राप्त हो, इसका पूर्ण ध्यान रखा जाए : डीसी

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5 जुलाई तक सभी कार्य पूरे किये जायें। नगर पंचायत साफ सफाई को पूरी प्राथमिकता दें।  मेला को सफल बनाने में सबका सहयोग जरूरी। चप्पे चप्पे पर रहेगी नजर। चार अस्थायी थाना क्षेत्र में बांटा जायेगा बासुकिनाथ धाम मेला क्षेत्र। 



     

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सभी कार्य 5 जुलाई तक पूरा कर लिया जाय ताकि श्रावणी मेला 2017 का आयोजन सुचारु रुप से चल सके। डीसी दुमका मुकेश कुमार ने उपरोक्त बातें कही। डीसी व एस पी दुमका ने दिन बुधवार को बासुकिनाथ धाम में श्रावणी मेला का जायजा लिया। डीसी श्री कुमार ने मंदिर प्रभारी व वीडीओ संजय कुमार दास को मंदिर के एसी व अन्य सुविधाओं को सुनिश्चित करने का निदेश दिया। उन्होंने कहा कि जरूरत हो तो नया एसी क्रय किया जा सकता है। हर हाल में कांवरियों को बेहतर से बेहतर सुविधा मिले इसका ध्यान रखा जाय। पेयजल स्वच्छता विभाग के कार्यपालक अभियंता को निदेश देते हुए कहा कि शौचालय निर्माण व पेयजल की उपलब्धता ससमय पूरा कर लिया जाय। विद्युत विभाग के कार्यपालक अभियंता को निदेश दिया कि नगर पंचायत क्षेत्र के बाहर नोनीहाट पथ पर प्रकाश की व्यवस्था सुनिश्चित की जाय। वासुकिनाथ बस स्टैण्ड पर पूरे साल हाई मास्क लाईट जले तथा शौचालय का उपयोग हो। इसे सुनिश्चित करें। उन्होंने नगर पंचायत के कार्यपालक पदाधिकारी को साफ सफाई के लिए विशेष रूप से उत्तरदायी पदाधिकारी मानते हुए कहा कि मेला क्षेत्र में कहीं भी गंदगी दिखाई न दे। डीसी ने शिवगंगा के लिए एनडीआरएफ की एक टीम बासुकिनाथ धाम में प्रतिनियुक्ति के लिए अनुरोध करने पर बल दिया। शिवगंगा में श्रद्धालुओं के स्नान व पवित्रता की निष्ठा का ख्याल रखा जाय। डीसी ने सिविल सर्जन को यह निदेश दिया कि डाॅक्टरों की प्रतिनियुक्ति, दवाओं व एम्बुलेंस की उपलब्धता ससमय उपलब्ध हो इसकी गंभीरता को बनाए रखा जाए। एम्बुलेंस ऐसे स्थान पर रखे जायें जिससे आसानी से आवश्यकता पड़ने पर उसका उपयोग हो सके। दुमका के पुलिस अधीक्षक ने कहा कि बासुकिनाथ क्षेत्र को 4 अस्थायी थाना क्षेत्रों में बांटकर विशेष रूप से मेला के विधि व्यवस्था को संधारित किया जायेगा। मंदिर ओपी, भागलपुर बस स्टैण्ड, पानी टंकी ओपी, गोदाम रोड बैरियर ओपी तथा नंदी चैक ओपी के साथ एक यातायात ओपी नियंत्रण कक्ष भी बनाया जायेगा। पुलिस अधीक्षक ने यह भी कहा कि सभी पुलिस कर्मी ड्यूटी को भावना से कार्य करेंगे। बैठक में उप निदेशक जन सम्पर्क अजय नाथ झा, सिविल सर्जन विनोद कुमार साहा, एनडीसी डा सुदेश कुमार, नगर पंचायत कार्यपालक पदाधिकारी ज्योति कुमार सिन्हा, मंदिर प्रभारी सह बीडीओ संजय कुमार दास, कार्यपालक अभियंता पेयजल के के वर्मा, कार्यपालक अभियंता विद्युत विनोद कुमार, अंचल अधिकारी जरमुण्डी परमेश कुशवाहा व अन्य अधिकारी-कर्मी इस अवसर पर उपस्थित थे।


गांधी का स्वास्थ्य चिंतन ही रख सकता है सबको स्वस्थ : प्रसून लतांत

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  • अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर गांधी स्वच्छता एवं स्वास्थ्य विषय पर हुआ राष्ट्रीय सेमिनार
  • स्वस्थ बालिका स्वस्थ समाज की गुडविल एंबेसडरों ने लगाया तुलसी का पौधा, दिया स्वास्थ्य का संदेश
  • बिहार के समस्तीपुर जिला के सुदूर गांव बटहा में 1500 छात्र-छात्राओं ने स्वस्थ रहने का लिया संकल्प
  • प्रधान मंत्री की अध्यक्षता वाली गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति के मार्गदर्शन में स्वस्थ भारत (न्यास) ने किया अनुपम आयोजन


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नई दिल्ली/समस्तीपुर/रोसड़ा, ‘स्वस्थ रहने के लिए गांधी के स्वास्थ्य चिंतन को अपनाना पड़ेगा। स्वस्थ भारत की कुंजी गांधी के विचारों में ही अंतर्निहित है। यदि आप गांधी को जी रहे हैं तो निश्चित ही रोग आपसे कोसो दूर रहेगा। रोग को भगाने के लिए गांधी का स्वास्थ्य चिंतन रामवाण है।’ उक्त बातें गांधी स्वच्छता एवं स्वास्थ्य विषय पर बोलते हुए वरिष्ठ गांधीवादी चिंतक प्रसून लतांत ने कही। वे गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति के मार्गदर्शन में स्वस्थ भारत न्यास द्वारा आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार में बोल रहे थे। समस्तीपुर के सूदुर गांव बटहा के सुंदरी देवी सरस्वती विद्या मंदिर विद्यालय में आयोजित इस कार्यक्रम में बोलते हुए स्वस्थ भारत अभियान के राष्ट्रीय संयोजक आशुतोष कुमार सिंह ने कहा कि स्वच्छ भारत से ही स्वस्थ भारत का निर्माण संभव है। उन्होंने महात्मा गांधी के स्वच्छता के संदेश को साझा करते हुए कहा कि मन एवं तन दोनों की स्वच्छता जरूरी है। स्वच्छ मन से ही स्वस्थ तन का निर्माण होता है। स्वच्छता एवं स्वास्थ्य के संबंध पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि अस्वच्छता के कारण मलेरिया, डेंगू, डायरिया, पीलिया सहित तमाम तरह की बीमारियों के शिकार हम हो जाते हैं।

इस अवसर पर प्रो. बीके तिवारी ने युवाओं के बढ़ते स्वास्थ्य समस्या पर पेपर प्रेजेंटेशन प्रस्तुत किया। अपने पेपर में प्रो. तिवारी ने बताया कि खानपान एवं रहन सहन में आए बदलाव ने युवाओं को बीमारी के चंगुल में फंसा दिया है। वहीं समस्तीपुर में बेटियों का फ्री में ईलाज करने वाले डॉ. एन.के आनंद ने स्वस्थ भारत का सपना कैसे पूर्ण हो, इस विषय पर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि 25 वर्ष तक के युवाओं को और 60 वर्ष के बाद के बुजुर्गों का ईलाज पूरी तरह से सरकार को करवाना चाहिए। स्कूल के प्राचार्य अशोक कुमार सिंह ने छात्रों को स्वास्थ्य के प्रति सजग रहने का आह्वान करते हुए कहा कि स्वस्थ रहकर ही हम अपनी पढ़ाई-लिखाई भी ठीक से कर पायेंगे। वहीं समाजसेविका प्रियंका सिंह ने महिलाओं के स्वास्थ्य पर अपनी बात को रखा। योग प्रशिक्षक कुमार कृष्णनन ने योग की महिमा से छात्रों को अवगत कराया।

इस अवसर पर आगत अतिथियों का शॉल एवं तुलसी का पौधा देकर सम्मानित किया गया। स्वस्थ भारत न्यास द्वारा ‘स्वस्थ बालिका स्वस्थ स्वस्थ समाज’ की गुडविल एंबेसडर बनाई गई छात्राओं ने स्कूल प्रांगण में तुलसी का पौधा लगाकर तुलसी के महत्व को रेखांकित किया। साथ ही स्वास्थ्य का संदेश देते हुए कहा कि स्वस्थ रहने के लिए औषधीय पौधों का रोपण बहुत जरूरी है। इसके पूर्व शैलेंद्र मिश्र ने स्वागत भाषण किया। स्कूली छात्राओं ने स्वागत में गीत प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संचालन स्वस्थ भारत अभियान के बिहार प्रवक्ता विजयव्रत कंठ ने किया। धन्यवाद ज्ञापन कैलाश पोद्दार ने किया। सत्या, सोनाक्षी, आकांक्षा, अमृता, प्रेरणा ने भजन प्रस्तुत किया। इस अवसर पर मिथिलेश पाठक, राजेश कुमार सुमन सहित दर्जनों वरिष्ठ एवं बुद्धिजीवी लोग उपस्थित थे।


1500छात्र-छात्राओं ने लिया योग का प्रशिक्षण, मुंगेर से आए योग प्रशिक्षक कुमार कृष्णन ने बताया योग का गुण इसके पूर्व सुबह में 1500 बालक-बालिकाओं ने योग का प्रशिक्षण लिया। योग प्रशिक्षक कुमार कृष्णन ने छात्र-छात्राओं को शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य के लिए मंत्रों के मह्त्व को रेखांकित करते हए कहा कि मंत्रों के पाठ से जहां एकाग्रता ज्यादा संभव होती है नकारात्मक प्रवृति नाश होता है। शुक्ष्म योग, पद्मासन, धनुरआसन के साथ-साथ शितली ब्राह्मणी, उद्गीत, अनुलोम विलोम, कपाल भारती प्राणायाम कराया गया। इस अवसर पर उन्हें शॉल एवं तुलसी का पौधा देकर स्कूल के प्राचार्य अशोक कुमार सिंह ने सम्मानित किया। 

विशेष : कितनी भयंकर हो सकती है वास्तु दोष की परिणति?

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विगत 20 सालों से लोगों को नि:शुल्क वास्तु सलाह देने के दौरान मेरा एक से बढ़कर एक दुखी, तबाह, पीडि़त, हताश, दिग्भ्रमित लोगों से पाला पड़ा है, लेकिन अपने एकमात्र पुत्र की हत्या के चंद महीनों बाद ही अपने पति की सड़क दुर्घटना में अकाल मृत्यु की वज्रपात सरीखी घटना से रु-ब-रू होने वाली कामरुप जिले के ऊपरहाली गांव की एक महिला की करुण जीवन गाथा ने मुझे अंदर तक हिला कर रख दिया। गत रविवार गत रविवार (18 जून 2017) को उक्त महिला के पति की सड़क दुर्घटना में मौत की घटना को दस दिन हो चुके थे। वो सिर्फ डेढ़ महीने पहले की बात है, जब वह महिला अपनी दीदी के साथ मेरे घर पर अपने घर का वास्तु देखने का अनुरोध करने आई थी। मांग में चमकता सिंदुर तथा ललाट पर असम की साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता लेखिका स्वर्गीय मामोनी रॉयसम गोस्वामी की तरह बड़ी सी लाल बिंदी लगाये मैंने जब उन्हें पहली बार देखा था तो मुझे इस बात का अहसास भी नहीं हुआ था कि वो अपने एकमात्र पुत्र की हत्या का दर्द अपने अंतर में छुपाए है। उस रोज उक्त महिला को जब मैंने अपनी दीदी के घर विधवा के रूप में सफेद साड़ी में देखा तो मेरा कलेजा मुंह को आ गया था। 


मैं जब उनके घर का वास्तु देखने गया था तो मैंने उनके घर के दक्षिण-पश्चिम कोने में हैंडपंप देख उनसे तत्काल उसे हटाने को कहा था क्योंकि वास्तु के नियमानुसार घर के दक्षिण-पश्चिम कोण में कुंआ, बोरिंग, सेप्टिक टैंक, हैंडपंप अथवा अन्य किसी भी प्रकार का गढ्ढा हो तो उस परिवार में लड़ाई-झगड़े, कोर्ट केस, दुर्घटना, अकाल मृत्यु सरीखी घटनाएं घटती हैं। वे अपने बेटे की अकाल मृत्यु का दर्द झेल रही थी। अत: मैंने भविष्य में और वैसी कोई घटना न हो, इसलिए तत्काल हैंडपंप हटाने को कहा था। घर आकर उन्होंने अपने पति को मेरी सलाह के बारे में बताया तो उन्होंने बात पर ज्यादा गंभीरता नहीं दिखाई तो उक्त महिला ने मुझे पुन: फोन पर अपने पति की वास्तु के प्रति लापरवाही की बात कही तथा दीदी के घर आकर पति को समझाने की बात कही। मैं तथा उनकी दीदी ने उनके पति को काफी समझाया। मैंने दक्षिण-पश्चिम कोण में बोरिंग, कुंए, हैंडपंप, सेप्टिक टैंक की वजह से दुर्घटना-अकाल मृत्यु की घटना घटने वाले कई परिवारों के विडियो इंटरव्यु का भी हवाला दिया। उन्होंने जल्द ही हैंडपंप हटाने की बात कही जरूर, लेकिन अविश्वास की वजह से अथवा किसी मजबुरी की वजह से उसे नहीं हटाया।


कल जब उनकी दीदी ने मुझे फोन कर सूचित किया कि असम पुलिस की नौकरी करने वाले उसके बहनोई की एक सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो चुकी है तो मैं स्तब्ध रह गया। मैंने बारम्बार उन्हें हैंडपंप हटाने को कहा था, लेकिन हैंडपंप तो नहीं हटा, अलबत्ता उनके पति को ही दुनिया से हटना पड़ा। रविवार को जब मैं उनके घर गया तो मांग में चमकते सिंदुर व ललाट पर चमकती बड़ी लाल बिंदी के साथ मेरे घर वास्तु देखने का अनुरोध करने आई महिला को सफेद साड़ी में बुत बनकर बैठे देखकर मैं स्तब्ध रह गया। मुझे देखते ही उसकी दीदी ने कहा-'झांझरी दा, आपोनार कथा मानि लोवा होले ताईर आजि ऐई अवस्था नोहोलहेंतेन। श्राद्धोर काज शेष होले मोयो आपुनी कोवार दोरे ताईर घोरोर दोमकोल गुसाई दिम आरु मोर घोरोर वास्तुओ होलाई दिम (झांझरी जी, आपकी बात मान ली होती तो आज उसकी यह दशा नहीं होती। श्राद्ध होने के बाद उसके घर का हैंडपंप हटाने के साथ ही मैं आपके बताये अनुसार अपने घर का भी वास्तु दोष पूरी तरह ठीक करूंगी।)। पिछले बीस सालों में मैंने वास्तु की महत्ता को पग-पग पर महसूस किया है, लेकिन इस घटना से महसूस हुआ कि वास्तु की अनदेखी का कितना भयंकर परिणाम हो सकता है। यह सिर्फ एक परिवार की कहानी नहीं, पूर्वोत्तर के घर-घर की कहानी है। पूर्वोत्तर के लोग पूरी तरह वास्तु के विपरीत गृह निर्माण करते आये हैं, इसलिए समूचा पूर्वोत्तर पिछड़ा, उग्रवाद पीडि़त, अलगाववादी व नकारात्मक मानसिकता का शिकार है। विगत 20 सालों से घर-घर जाकर लोगों को नि:शुल्क वास्तु सलाह देने के पीछे भी यही भावना छिपी है कि पूर्वोत्तर के लोग जीवन में वास्तु की महत्ता को समझे।




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--राजकुमार झांझरी--

विशेष आलेख : ईद इंसानियत का पैगाम देता है

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भारत जहां साम्प्रदायिक सौहार्द एवं आपसी सद्भावना के कारण दुनिया में एक अलग पहचान बनाये हुए है वहीं यहां के पर्व-त्यौहारों की समृद्ध परम्परा,  धर्म-समन्वय एवं एकता भी उसकी स्वतंत्र पहचान का बड़ा कारण है। इन त्योहारों में इस देश की सांस्कृतिक विविधता झलकती है। यहां बहुत-सी कौमें एवं जातियां अपने-अपने पर्व-त्योहारों तथा रीति-रिवाजों के साथ आगे बढ़ी हैं। प्रत्येक पर्व-त्यौहार के पीछे परंपरागत लोकमान्यताएं एवं कल्याणकारी संदेश निहित है। इन पर्व-त्यौहारों की श्रृंखला में मुसलमानों के प्रमुख त्यौहार ईद का विशेष महत्व है। हिन्दुओं में जो स्थान ‘दीपावली’ का है, ईसाइयों में ‘क्रिसमस’ का है, वही स्थान मुसलमानों में ईद का है। यह त्योहार रमजान के महीने की त्याग, तपस्या और व्रत के उपरांत आता है । यह प्रेम और भाईचारे की भावना उत्पन्न करनेवाला पर्व है । इस दिन चारों ओर खुशी और मुस्कान छाई रहती है । हर कोई ईद मनाकर स्वयं को सौभाग्यशाली समझता है। 


इस वर्ष ईद-उल-फितर 26 जून 2017 को मनाया जाएगा। इस्लामी कैलेंडर के नौवें महीने को रमजान का महीना कहते हैं और इस महीने में अल्लाह के सभी बंदे रोजे रखते हैं। इसके बाद दसवें महीने की ‘शव्वाल रात’ पहली चाँद रात में ईद-उल-फितर मनाया जाता है। इस रात चाँद को देखने के बाद ही ईद-उल-फितर का ऐलान किया जाता है। ईद-उल-फितर ऐसा त्यौहार है जो सभी ओर इंसानियत की बात करता है, सबको बराबर समझने और प्रेम करने की बात की राह दिखाता है। इस दिन सबको एक समान समझना चाहिए और गरीबों को खुशियाँ देनी चाहिए। कहते है कि रमजान के इस महीने में जो नेकी करेगा और रोजा के दौरान अपने दिल को साफ-पाक रखता है, नफरत, द्वेष एवं भेदभाव नहीं रखता, मन और कर्म को पवित्र रखता है, अल्लाह उसे खुशियां जरूर देता है। रमजान महीने में रोजे रखना हर मुसलमान के लिए एक फर्ज कहा गया है। भूखा-प्यासा रहने के कारण इंसान में किसी भी प्रकार के लालच से दूर रहने और सही रास्ते पर चलने की हिम्मत मिलती है।
ईद का आगमन मनुष्य के जीवन को आनंद और उल्लास से आप्लावित कर देता है। ईद लोगों में बेपनाह खुशियां बांटती है और आपसी मोहब्बत का पैगाम देती है। ईद का मतलब है एक ऐसी खुशी जो बार-बार हमारे जीवन में आती है और उसे बांटकर बहुगुणित किया जाता है। गरीब से गरीब आदमी भी ईद को पूरे उत्साह से मनाता है। दुःख और पीड़ा पीछे छूट जाती है । अमीर और गरीब का अंतर मिट चुका है। खुदा के दरबार में सब एक हैं, अल्लाह की रहमत हर एक पर बरसती है। अमीर खुले हाथों दान देते हैं। यह कुरान का निर्देश है कि ईद के दिन कोई दुःखी न रहे। यदि पड़ोसी दुःख में है तो उसकी मदद करो। यदि कोई असहाय है तो उसकी सहायता करो। यही धर्म है, यही मानवता है, यही ईद मनाने का हार्द है। यह खुशी वह मानसिक स्थिति है जो किसी संयोग शृंगार के फलस्वरूप मनुष्य को प्राप्त होती है। मुसलमान एक वर्ष में दो ईदें मनाते हैं। पहली ईद रमजान के रोजों की समाप्ति के अगले दिन मनायी जाती है जिसे ईद-उल-फित्र कहते हैं और दूसरी हजरत इब्राहिम और हजरत इस्माइल द्वारा दिए गए महान बलिदानों की स्मृति में मनायी जाती है अर्थात् ‘इर्द-उल-अजीहा।’ ईदुल फित्र अरबी भाषा का शब्द है जिसका तात्पर्य अफतारी और फित्रे से है, जो हर मुसलमान पर वाजिब है। सिर्फ अच्छे वस्त्र धारण करना और अच्छे पकवानों का सेवन करना ही ईद की प्रसन्नता नहीं बल्कि इसमें यह संदेश भी निहित है कि यदि खुशी प्राप्त करना चाहते हो तो इसका केवल यही उपाय है कि प्रभु को प्रसन्न कर लो। वह प्रसन्न हो गया तो फिर तुम्हारा हर दिन ईद ही ईद है।

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ईद हमारे देश ही नहीं दुनिया का एक विशिष्ट धार्मिक, सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक त्यौहार है। अध्यात्म का अर्थ है मनुष्य का खुदा से संबंधित होना है या स्वयं का स्वयं के साथ संबंधित होना। इसलिए ईद मानव का खुदा से एवं स्वयं से स्वयं के साक्षात्कार का पर्व है। यह त्यौहार परोपकार एवं परमार्थ की प्रेरणा का विलक्षण अवसर भी है, खुदा तभी प्रसन्न होता है जब उसके जरूरतमद बन्दों की खिदमत की जाये, सेवा एवं सहयोग के उपक्रम किये जाये। असल में ईद बुराइयों के विरुद्ध उठा एक प्रयत्न है, इसी से जिंदगी जीने का नया अंदाज मिलता है, औरों के दुख-दर्द को बाँटा जाता है, बिखरती मानवीय संवेदनाओं को जोड़ा जाता है। आनंद और उल्लास के इस सबसे मुखर त्योहार का उद्देश्य मानव को मानव से जोड़ना है। मैंने बचपन से देखा कि हिन्दुओं का दीपावली और मुसलमानों की ईद- दोनों ही पर्व-त्यौहार इंसानियत से जुडे़ हंै। अजमेर एवं लाडनूं की हिन्दू-मुस्लिम सांझा संस्कृति में रहने के कारण दोनों ही त्यौहारों का महत्व मैंने गहराई से समझा और जीया है। मैंने अपने इर्द-गिर्द महसूस किया कि सद्भाव और समन्वय का अर्थ है- मतभेद रहते हुए भी मनभेद न रहे, अनेकता में एकता रहे। आचार्य तुलसी के समन्वयकारी एवं मानव कल्याणकारी कार्यक्रमोें से जुड़े रहने के कारण हमेशा जाति, वर्ण, वर्ग, भाषा, प्रांत एवं धर्मगत संकीर्णताओं से ऊपर उठकर मानव-धर्म को ही अपने इर्द-गिर्द देखा और महसूस किया। इस्लाम का बुनियादी उद्देश्य व्यक्तित्व का निर्माण है और इर्द का त्यौहार इसी के लिये बना है। धार्मिकता के साथ नैतिकता और इंसानियत की शिक्षा देने का यह विशिष्ट अवसर है। इसके लिए एक महीने का प्रशिक्षण कोर्स रखा गया है जिसका नाम रमजान है। इस प्रशिक्षण काल में हर व्यक्ति अपने जीवन में उन्नत मूल्यों की स्थापना का प्रयत्न करता है। इस्लाम के अनुयायी इस कोर्स के बाद साल के बाकी 11 महीनों में इसी अनुशासन का पालन कर ईश्वर के बताये रास्ते पर चलते हुए अपनी जिंदगी सार्थक एवं सफल बनाते हैं। 


रोजा वास्तव में अपने गुनाहों से मुक्त होने, उससे तौबा करने, उससे डरने और मन व हृदय को शांति एवं पवित्रता देने वाला है। रोजा रखने से उसके अंदर संयम पैदा होता है, पवित्रता का अवतरण होता है और मनोकामनाओं पर काबू पाने की शक्ति पैदा होती है। एक तरह से त्याग एवं संयममय जीवन की राह पर चलने की प्रेरणा प्राप्त होती है। इस लिहाज से यह रहमतों और बरकतों का महीना है। हदीस शरीफ में लिखा है कि आम दिनों के मुकाबले इस महीने 70 गुना पुण्य बढ़ा दिया जाता है और यदि कोई व्यक्ति दिल में नेक काम का इरादा करे और किसी कारण वह काम को न कर सके तब भी उसके नाम पुण्य लिख दिया जाता है। बुराई का मामला इससे अलग है जब तक वह व्यक्ति बुराई न करे उस समय तक उसके नाम गुनाह नहीं लिखा जाता। ईद जीवन का दर्शन देती है। स्वस्थ और उन्नत जीवन-शैली का सम्पादन करती है। ईद से हमारे आसपास अच्छे लोगों और अच्छे विचारों का परिवेश बनता है। यहां की उत्सवप्रियता में भी जड़ता नहीं, विवेक जागता है। हर इंसान के भीतर जीने का सही अर्थ विकसित होता है। ईद और उनसे जुड़ा दर्शन संसार की बीहड़ वीथियों के बीच मंजिल के सही रास्ते तलाशने की दृष्टि देता है। जीवन की दिशा और दर्शन का मूल्यांकन इसी से जुड़ता है। मेरी दृष्टि में बीज से बरगद बनने और दीये से दीया जलने की परम्परा का यही आधार है। 

ईद के बाद प्रत्येक मुसलमान दूसरे व्यक्ति से गले मिलता है भले वह उसे न जानता हो। इस प्रकार ऊंच-नीच, जात-पांत के सभी भेद और रंग या नस्ल की सभी सीमाएं इस अवसर पर मिट जाती है और परस्पर मिलने वाले उस समय केवल इंसान ही होते हैं। बराबर होकर खुशी देने और महसूस करने का यही संदेश है जो ईद के माध्यम से समस्त संसार को दिया जाता है। इसीलिए हजरत मोहम्मद ने यह उपदेश दिया है कि जो लोग साधन संपन्न होते हैं उनका कर्तव्य है कि वे निर्धनों और कमजोरों की यथासंभव सहायता करें। उनकी खुशी निरर्थक है यदि उनके सामने कोई कमजोर निर्धन है जिसके पास खाने-पहनने को कुछ न हो। इसलिए ईद की खुशियों मंे उन बेबस, लाचार, मजबूर लोगों को भी सम्मिलित करना जरूरी है जो इसमें शामिल होने की हैसियत नहीं रखते। इसीलिए इस्लाम में हर मुसलमान पर सदका ए फित्र वाजिब है। इसका मतलब है कि अपनी बुनियादी जरूरतों के लिए रख कर बाकी साढ़े बावन तोले चांदी या उतने ही रुपये या वह भी न हों तो पौने दो किलो अनाज ही या फिर अपनी चल पूंजी का ढ़ाई प्रतिशत हिस्सा दान के रूप में जरूरतमंदों में बांट कर ईद की खुशियों में उनके बराबर के भागीदार बनें। एक संतुलित एवं स्वस्थ समाज निर्माण यह एक आदर्श प्रकल्प है। इसलिए ईद के दिन प्रत्येक मुसलमान ईद की नमाज पढ़ने के लिए ईदगाहों में एकत्रित होते हैं, आपस में गले मिलते हैं, अपने मित्रों-संबंधियों से मिलने जाते हैं, दान करते हैं और अपने पूर्वजों की मजारों पर जाकर प्रार्थना करते हैं। ईद का सन्देश समतामूलक मानव समाज की रचना है। यही कारण है कि हाशिये पर खड़े दरिद्र और दीन-दुःखी, गरीब-लाचार लोगों के दुख-दर्द को समझें और अपनी कोशिशों से उनके चेहरों पर मुस्कान लाएं-तभी हमें ईद की वास्तविक खुशियां मिलेंगी।






(ललित गर्ग)
ई-253, सरस्वती कंुज अपार्टमेंट
25 आई. पी. एक्सटेंशन, पटपड़गंज, दिल्ली-92
फोनः 22727486, 9811051133

विशेष आलेख : जश्न मनाने वालों चुल्लू भर पानी में डूब मरो।

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देश को बड़ी उम्मीदें थी। चैंपियंस ट्रॉफी में भारत-पाक मैच का फाइनल। सबकी निगाहें इस मैच पर थी। पूरा देश बस यही सोच रहा था कि भारत एक बार फिर से चैंपियंस ट्रॉफी का विजेता बनेगा। लेकिन किस्मत में कुछ और ही लिखा था। पाकिस्तान के 338 रनों के लक्ष्य के सामने भारतीय बल्लेबाज धराशाही हो गए। भारतीय टीम के फैंस नाराज दिखे, उनकों काफी अफसोस हो रहा था। इंडिया के इस मैच को हारने पर काफी दुख हो रहा था। तो वहीं दूसरी ओर पाक की जीत पर कश्मीर में जश्न मनाया जा रहा था। कश्मीर ही नहीं देश के बहुत से प्रदेश और जिलों में पाक की इस जीत पर जश्न मनाया गया। जैसे ही पाक ने चैंपियंस ट्रॉफी का फाइनल मैच जीता, या जीत की औपचारिकता ही बची थी पटाखों की गूंज सुनाई देने लगी थी। कश्मीर की बात करें तो पाकिस्तानी टीम की जीत की खुशी में श्रीनगर के शहरों में पटाखे फोड़े जाने की भी खबर है । कश्मीरी महिलाएं भी सड़क पर आकर पाकिस्तान की जीत पर गाने गा-गाकर खुशी मना रही थीं। कश्मीर के गावों के जिन लोगों के पास पटाखे नहीं थे उन्होंने ढोल पीट-पीटकर खुशी मनाई थी। हद है ये कैसे लोग है। और भारत में क्या कर रहें हैं ?  जिस देश में रहते हो उसी से इतनी नफ़रत। जिसका खाते हो उसी से इतनी ईर्ष्या। कभी सोचा है कि देश ने तुम्हें क्या दिया है। 


जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी नेता मीरवाइज उमर फारूक ने तो हद कर दी। चैंपियंस ट्राफी के फाइनल मैच में भारत की हार पर मीरवाइज़ उमर फारूक़ ने पाकिस्तान को बधाई देते हुए जमकर जश्न मनाया। हुर्रियत ने भारत की हार पर पटाखे फोड़े। मीरवाइज ने ट्वीट ने ट्वीट किया कि ऐसा लगता है जैसे ईद पहले आ गई हो। कभी सोचा है कि जहां रहते हो किस देश का हिस्सा है। इतना ही प्यार है पाकिस्तान से तो वहां जाकर रहो। फिर देखों वहां की आवाम किस तरह का व्यवहार करती है तुम्हारे साथ। कुछ तो शर्म की होती। चलों घाटी में अलगाववादियों ने जश्न मनाया मान लेतें हैं, वो खुद को इस देश का नहीं मानते। लेकिन अफ़सोस उस समय हुआ जब देश के अन्य हिस्सों में भी पटाखे फोड़े गए। अरे चुल्लू भर पानी में डूब मरते। ऐसा करते हुए जरा सा भी देश का ख्याल नहीं आया। हा आएगा भी कैसे? जिस्म यहां और रूह पाक में। खाना यहां और बजाना पाक का। जो अपने मुल्क के प्रति वफ़ादार नही हो सकता वो किसी इंसान के प्रति क्या होगा?  हम फाइनल हार गए थे, लेकिन हम पाकिस्तान की टीम से हमेशा जीतते आए हैं। तोड़ा निराशा वहां भी हुई जब फैंस खिलाडियों के पोस्टर जलाने लगे। 

हार के दुख में विरोध प्रदर्शन करने लगे। हमें धैर्य बनाकर रखना चाहिए। क्रिकेट अनिश्चिताओं का खेल है। हमारे इन्हीं खिलाडियों ने विश्व कप भी दिलाया है। फाइनल मैच में उनका दिन नही था। आप सभी क्रिकेट फैंस के दुख के समझा जा सकता है। पर उन खिलाडियों को भी पाकिस्तानी टीम से हारने का अफ़सोस जरूर हुआ होगा। टीवी फोड़ना, पत्थर फेकना, गाली देना, पोस्टर जलाना, हम सबको शोभा नहीं देता है।  ये सब पड़ोसी देश को ही पसंद है। ये उनका काम है। भारतीय टीम ने तो अच्छा मुकाम हासिल किया है। हम सब मैच जीतते हैं तो एक दो तो हारेगें भी। हमें अपने आप को बड़ा खुशनसीब वाला समझना चाहिए कि हम ऐसे लोकतंत्र वाले देश में है, जहां हमें अपनी बात रखने की पूरी आजादी मिलती है। और उनको भी अपने आप को खुशनसीब वाला समझना चाहिए जो खाते तो इस देश का और बजाते है पड़ोसी का। जिस थाली में खाते हैं उसी में छेद करने का काम करते हैं।






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रवि श्रीवास्तव (स्वतंत्र पत्रकार)
ई मेल : ravi21dec1987@gmail.com

दुमका : अवैध पत्थर खदान में चट्टान के नीचे दबकर तीन मजदूरों की हुई दर्दनाक मौत

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दुमका (अमरेन्द्र सुमन) उप राजधानी दुमका के शिकारीपाड़ा प्रखंड अंतर्गत सरसडंगाल (मकरापहाड़ी) में दिन सोमवार (19 जून 2017) की दोपहर एक हादसे में तीन मजदूरों की हुई दर्दनाक मौत के बाद पूरा का पूरा जहाँ एक ओर स्तब्ध है वहीं दूसरी ओर प्रखण्ड के जर्रे-जर्रे में खामोशी की चादर बिछी है। इतना बड़ा हादसा होने के बाद भी अवैध पत्थर खदान संचालकों के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं होना आने वाले वक्त के लिये एक बड़ा संकट साबित हो सकता है। सामान्य घटना की तरह इस घटना को ऐसा नजरअंदाज कर दिया गया है कि क्षेत्र में कुछ हुआ ही न हो। मालूम हो, मकरापहाड़ीे के जिस खदान में यह हादसा हुआ, मरने वाले 35 वर्षीय मजदूर मंजूर अंसारी (आमड़ाटोला) सहित 25 वर्षीय मिस्टर अंसारी (सोनाढाव) व 30 वर्षीय बाबुूल अंसारी शामिल हैं। यह भी बात सामने आ रही है कि इस घटना में कुल 8 व्यक्तियों की मृत्यु हुई है, किन्तु यह पूरी तरह स्पष्ट नहीं हो पा रहा है। दरअसल यह घटना तब घटित हुई जब उपरोक्त मजदूर पत्थर खदान में ड्रिल कर रहे थे कि तभी अचानक एक बड़ा सा चट्टान मजदूरों पर आकर गिर पड़ा जिससे वे सभी दबकर काल के गाल में समा गए। मकरापहाड़ी व सरसडंगाल के नागरिकों सहित शिकारीपाड़ा के कुछ व्यक्तियों ने अलग-’अलग जानकारी देते हुए कहा कि  जिस खदान में चट्टान के खिसकने से मजदूरों की मौत हुई वह खदान सार्थ मंडल (राजबांध) काजल साह (शिकारीपाड़ा) व कार्तिक पाल (स्थान मालूम नहीं) द्वारा संयुक्त रूप से चलाया जा रहा था। तीनों मृतकों को आनन-फानन में रामपुर हाट (वीरभूम) ले जाया गया जहाँ उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। कुछ महींने पूर्व इसी शिकारीपाड़ा प्रखंड के बादल पाड़ा के दो मजदूरों की मौत खदान में दब जाने के कारण हो गई थी, बावजूद घटना से कोई सीख नहीं ली गई, और बेरोक-टोक अवैध पत्थर खनन का धंधा चलता रहा जो आज भी निर्वाध जारी है। कुछ ही महीनें के अन्तराल में हुई इस दूसरी घटना के बाद भी खनन विभाग व संबंधित थाना द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की जाती है तो फिर इस मामले का पटाक्षेप हो जाएगा।   मकरापहाड़ी में घटित इस घटना ने जिले की कानून-व्यवस्था की पोल खोल कर रख दी है। पूरी इमानदारी के साथ काम के प्रति प्रतिबद्धता दर्शाने वाली रघुवर दास सरकार भी इस घटना के बाद कटघरे में खड़ी नजर आती है। जिला खनन कार्यालय के संरक्षण में इस प्रखण्ड के विभिन्न इलाकों यथा- बेनागड़िया, चितरागड़िया, हरिपुर, सरसडंगाल, मकरापहाड़ी, गोसाईपहाड़ी, कुलकुली डंगाल, रामजान, कादरपोखर व अन्य स्थानों पर दो सौ से अधिक अवैध पत्थर खनन का कारोबार बिना किसी भय के निर्वाध जारी है। इन अवैध पत्थर खदानों के संचालन में शामिल कारोबारियों द्वारा प्रतिमाह जिला खनन पदाधिकारी (डीएमओ) को एकमुश्त मोटी रकम दी जाती है। पहले यह गोरखधंधा काफी हद तक संतुलन में था किन्तु अब खुलेआम हो चुका है। अवैध पत्थर खनन कारोबारियों को न तो स्थानीय प्रशासन, पुलिस प्रशासन, अंचंल व जिला खनन पदाधिकारी से कोई डर रह गया है और न ही क्षेत्र के प्रबुद्ध नागरिकों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, पत्रकारों व अन्य बुद्धिजीवियों से ही रह गया है। 

विशेष : कोविन्द को नीतीश के समर्थन से विपक्ष मौन

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देश के सबसे बड़े पद राष्ट्रपति के लिए भारतीय जनता पार्टी ने बिहार के वर्तमान राज्यपाल रामनाथ कोविद का नाम आगे करके एक प्रकार से झूठ पर आधारित राजनीति करने वाले राजनीतिक दलों के मुंह बंद कर दिए हैं। हालांकि राजग की ओर से रामनाथ कोविंद का नाम तय करने के बाद विपक्षी राजनीतिक दलों की ओर से विरोधी बयान आना स्वाभाविक ही था। लेकिन जैसे जैसे समय निकल रहा है, स्थितियां राजग के अनुकूल होती जा रही हैं। विपक्ष की ओर से एक स्वर ऐसा भी सुनाई दिया कि रामनाथ कोविद को जानता ही कौन है? ऐसा कहने वालों की बुद्धि पर तरस आता है। क्योंकि जो व्यक्ति लम्बे समय से भारतीय राजनीति में सक्रिय रहा हो और जो राजनीतिक दृष्टि से प्रभावी बिहार जैसे राज्य में राज्यपाल के पद पर हो, उसे नहीं जानने का मतलब कहीं न कहीं राजनीतिक अज्ञानता का ही प्रदर्शन करता है। जिस प्रकार से विरोध करने के लिए विरोध करना विपक्ष का स्वभाव बन गया है, नीतीश कुमार ने राजग उम्मीदवार को समर्थन देकर इस परिभाषा को बदलने का प्रयास किया है। वास्तव में एक परिपक्व नेता के तौर पर नीतीश कुमार के इस कदम की पूरी तरह से सराहना हो रही है। नीतीश ने एक ही झटके में विपक्ष को चारों खाने चित कर दिया है। पूर्व में सपा मुखिया मुलायम सिंह और अब अखिलेश के समर्थन में आने के बाद विपक्षी दलों के पास कोई गुंजाइश भी नहीं बची है। ऐसे में भी अगर कांगे्रस अन्य विपक्षी दलों के साथ मिलकर अलग प्रत्याशी सामने लाते हैं तो वह महज एक खानापूर्ति के अलावा और कुछ नहीं होगा। कांगे्रस के हाथ से अवसर निकल चुका है, फिर भी चूंकि कांगे्रस और वामपंथी दलों को केवल विरोध करना है, इसलिए उनके पास अब कोई चारा भी नहीं है। बिलकुल कुछ इसी प्रकार के हालात अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्रित्व काल में भी दिखाई दिए, उन्होंने देश के महान वैज्ञानिक भारत रत्न डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाकर सबको उनका समर्थन करने के लिए बाध्य कर दिया। विपक्ष ने उस समय राजनीतिक लाभ हानि का गणित लगाकर कलाम को समर्थन दिया। अब सवाल यह आता है कि जब भाजपा हमेशा विपक्ष को भी स्वीकार होने वाला सामने लाती है, तब कांगे्रस सहित अन्य राजनीतिक दल इस प्रकार की कार्यवाही क्यों नहीं करती। कांगे्रस जब सत्ता में थी, तब उसने केवल अपने संकेत पर चलने वाले नामों को ही प्रमुखता दी। कौन नहीं जानता कि कई व्यक्ति पद पर बैठने के बाद भी अपने आपको कांगे्रस और उसके नेताओं के वफादार होने की भाषा बोल चुके हैं। क्या ऐसी भाषा बोलने वालों को पूरे देश का राष्ट्रपति माना जा सकता था। वास्तव में देखा जाए तो जिस प्रकार से विपक्ष बयानबाजी कर रहा है कि कम से कम राष्ट्रपति पद की गरिमा को तो ध्यान में रखा जाता, उसमें यही कहना तर्कसंगत होगा कि कांगे्रस ने कभी भी राष्ट्रपति की गरिमा का ध्यान नहीं रखा। इतना ही नहीं कांगे्रस के जो नेता सरकार में शामिल नहीं थे, उन्होंने अपने प्रधानमंत्री को भी कुछ नहीं समझा।


विपक्षी राजनीतिक दलों में राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी को लेकर असहज की स्थिति पैदा हो गई है। जिस प्रकार एक एक करके विपक्षी दल राजग प्रत्याशी के समर्थन में आते जा रहे हैं। उससे यह तो तय हो ही गया है कि अब रामनाथ कोविंद का राष्ट्रपति बनना लगभग तय हो गया है। इसको तय करवाने में एक प्रकार से विपक्षी दलों का भी योगदान माना जा सकता है, क्योंकि रामनाथ कोविंद का नाम जैसे ही राजग की ओर से घोषित किया, वैसे ही विपक्ष और मीडिया ने उनको दलित कहना प्रचारित कर दिया, जिसका लाभ राजग को मिल रहा है। विपक्ष के कारण ही आज पूरे देश को यह पता चल गया है कि भविष्य के राष्ट्रपति रामनाथ जी दलित वर्ग से आते हैं। हालांकि यह सच है कि रामनाथ जी भले ही इस वर्ग से संबंध रखते हों, लेकिन उन्होंने बहुत पहले ही अपने आपको राष्ट्रीय राजनीति का धुरंधर प्रमाणित कर दिया है। इसलिए उन्हें दलित के रुप में प्रचारित करना न्यायोचित नहीं कहा जा सकता। हां वे निश्चित ही इस पद के योग्य हैं। 

अभी तक देश को प्रधानमंत्री देने वाला उत्तरप्रदेश राज्य पहली बार देश को राष्ट्रपति देने जा रहा है। जो उत्तरप्रदेश का सौभाग्य ही कहा जाएगा। भारतीय जनता पार्टी के नेता रहे रामनाथ कोविंद का मार्ग अब पूरी तरह से सफलता के पायदान पर जाता हुआ दिखाई देने लगा है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जिस प्रकार से रामनाथ कोविन्द को समर्थन दिया है, उससे विपक्ष की हालत पतली होती हुई दिखाई दे रही है। पहले विपक्ष की ओर से यह भी संकेत मिल रहे थे, कि विपक्ष भी अपना उम्मीदवार उतारेगा, जैसे समय निकलता जा रहा है, विपक्ष कमजोर होता जा रहा है, क्योंकि राजनीतिक कारणों को ध्यान में रखते हुए कोई भी राजनीतिक दल रामनाथ कोविंद का खुलकर विरोध करने की स्थिति में नहीं है। विपक्षी दल भी राष्ट्रपति पद के लिए दलित चेहरा को सामने लाने पर विचार कर रहा है, इसके लिए वह पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार को आगे करके दाव लगाना चाहती है। रामनाथ कोविद और मीरा कुमार दोनों ही काफी योग्य हैं। अगर आप दोनों का जाति के हिसाब से आकलन करेंगे तो उनकी प्रतिभा के साथ खिलवाड़ ही माना जाएगा। हमारे देश का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि विरोध की राजनीतिक करने का स्वभाव ही बन गया है। वास्तव में केवल विरोध करना ही राजनीति नहीं कही जा सकती। वर्तमान में बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविद भारतीय राजनीति के जाने पहचाने चेहरा हैं। उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय में गरीबों के लिए मुफ्त में लड़ाई लड़ी। बेहद सादगी से जीवन जीने वाले रामनाथ जी अपने कुशल व्यवहार के चलते जनता में अत्यंत प्रिय रहे हैं। जो भी उनसे एक बार मिला, वह उनका ही हो गया। इसके साथ ही उन्होंने सामाजिक उत्थान के लिए भी कई प्रेरणादायी काम किए हैं। कोविद की उम्मीदवारी के बाद विपक्षी दलों की राजनीति में एक तूफान सा आया हुआ दिखाई दे रहा है। उनकी समझ में नहीं आ रहा कि अब क्या किया जाए। एक दलित को रोकने के लिए दूसरे दलित को मैदान में उतारना केवल राजनीति के अलावा कुछ नहीं कहा जा सकता। विपक्ष का यह कदम दलित को रोकने जैसा ही कहा जाएगा। रामनाथ कोविद के उत्तरप्रदेश से होने के कारण दलितों के सहारे राजनीति करने वाली बसपा प्रमुख मायावती को करारा झटका लगा है। अब वह यह नहीं कह सकती कि भाजपा दलित विरोधी है। एक प्रकार से उनकी राजनीति करने का हथियार उनके हाथ से जाता हुआ दिखाई दे रहा है। खैर जो भी हो, भाजपा ने अपनी सोच के आधार पर राष्ट्रपति का नाम घोषित कर दिया है, अब विपक्षी दल किसको सामने लाती है, यह समय बताएगा।





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सुरेश हिन्दुस्थानी
झांसी, उत्तरप्रदेश पिन- 284001
मोबाइल-09455099388
(लेखक वरिष्ठ स्तंभकार एवं राजनीतिक विश्लेषक हैं)

कश्मीर में मुठभेड़ में लश्करे तैयबा के तीन आतंकवादी, एक नागरिक मारा गया

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पुलवामा, 22 जून, जम्मू कश्मीर के पुलवामा जिले में सुरक्षा बलों ने छह घंटे की मुठभेड़ के बाद आज तड़के लश्कर-ए-तैयबा के तीन आतंकवादियों को मार गिराया। मुठभेड़ को लेकर प्रदर्शन शुरू हो गए जिसमें एक नागरिक की मौत हो गई जिसके बारे में पुलिस ने कहा कि पहले भी पथराव की घटनाओं में उसका नाम आता रहा है। नागरिक तवसीफ हसन वानी :28: तब मारा गया जब सुरक्षा बलों ने मुठभेड़ के बाद उनके खिलाफ शुरू हुए प्रदर्शनों को शांत करने का प्रयास किया। पुलिस के एक अधिकारी ने कहा कि वह भीड़ का नेतृत्व कर रहा था। अधिकारी ने कहा, Þ Þपथराव की घटनाओं में शामिल होने का उसका पुराना इतिहास रहा है। वह गड़बड़ी फैलाने में शामिल रहता था और उसके खिलाफ 10 मामले दर्ज थे। उसे 2010 और 2016 में लोक सुरक्षा कानून के तहत हिरासत में लिया गया था। क्षेत्र में उसे छोटा गिलानी के नाम से जाना जाता था जो कि कट्टरपंथी हुर्यित नेता एस ए एस गिलानी के संदर्भ में था। पुलिस ने इस गुप्त सूचना के बाद काकपुरा क्षेत्र स्थित एक मकान की घेराबंदी कर ली कि उसमें तीन आतंकवादी छुपे हुए हैं। इन आतंकवादियों में प्रमुख आतंकवादी कमांडर माजिद मीर भी शामिल था। मीर कथित रूप से काकपुरा के पूर्व सरपंच फयाज अहमद की हत्या और जिला पीडीपी अध्यक्ष अब्दुल गनी डार की गत अप्रैल में हुई हत्या में शामिल था। मीर को अबु दुजाना का नजदीकी माना जाता है जो कि एक पाकिस्तानी नागरिक है और कश्मीर घाटी में लश्कर के अभियानों की कमान संभालता है। मीर के बारे में कहा जाता है कि वह घाटी के युवाओं को आतंकवाद में शामिल होने के लिए प्रेरित करने के लिए जिम्मेदार था। अधिकारी ने कहा कि मुठभेड़ में मारे गए दो अन्य आतंकवादियों में शाहिद और इरशाद अहमद शामिल हैं। मुठभेड़ कल रात 10 बजे शुरू हुई और आज तड़के चार बजे समाप्त हुई।


मधुबनी : पत्रकारों के जांचदल के साथ इंस्पेक्टर ने किया बदसलूकी, कार्रवाई की मांग।

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घोघरडीहा/मधुबनी (किशोर कुमार) । थाना क्षेत्र के नगर पंचायत वार्ड नम्बर एक निवासी ETV के पत्रकार सुरेश झा पर गुरुवार को हुए जानलेवा हमला की जांच करने आयी पत्रकारो के एक दल के साथ पुलिस इंस्पेक्टर सुबोध ठाकुर के द्वारा दुर्व्यवहार किये जाने की बात सामने आयीं है। बताते चले की गुरुवार को ईटीभी  के पत्रकार सुरेश झा को नगर पंचायत के चुनावी रंजिश को लेकर कुछ लोगोँ ने उनके घर पर जानलेवा हमला कर दिया था । इस घटना को लेकर श्री झा के लिखित ब्यान पर थाना मे चार नामजद आरोपियों पर कांड संख्या 63/17दर्ज किया गया है इसी मामले को लेकर इंडियन फेडरेशन ऑफ वर्किंग जरनलिष्ट के जिलाध्यक्ष हेमंत सिंह,जिला महासचिव सह ETV जिला संवाददाता अभिषेक कुमार,सचिव सह कौमी तंजीम के जिला प्रमुख आकिल हुसैन सहित अन्य पत्रकार मामले की जांच के लिए घोघरडीहा थाना पहुचकर थानाध्यक्ष रंजीत कुमार से मुलाकात कर वस्तुस्थिति की जानकारी लिए उसी वक्त पुलिस निरीक्षक सुबोध ठाकुर भी थाने पर पहुँचे जिसके बाद पत्रकारो का प्रतिनिधि मंडल पुलिस इंस्पेक्टर श्री ठाकुर से मिलकर आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग किये जिसपर इंस्पेक्टर भड़क गए और पत्रकारो के साथ अभद्र व्यवहार करने लगे। इंस्पेक्टर के इस व्यवहार से  नाराज़ पत्रकारो ने एक स्वर मे उसकी निंदा करते हुए जिला पुलिस अधीक्षक से फुलपरास के पुलिस निरीक्षक सुबोध ठाकुर पर कार्रवाई किये जाने की मांग किये है।

पाकिस्तान समर्थन नारे लगाने वालों पर से हटाया गया देशद्रोह का आरोप

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भोपाल, 22 जून, भारत को हराकर पाकिस्तान के आईसीसी चैंम्पियन्स ट्राफी विजेता बनने पर आतिशबाजी कर जश्न मनाने एवं पाकिस्तान के समर्थन में नारे लगाने के लिए मध्यप्रदेश के बुरहानपुर जिले से मंगलवार को गिरफ्तार किये गये 15 लोगों के खिलाफ लगे देशद्रोह के आरोप को प्रदेश सरकार ने आज हटा लिया है। बुरहानपुर के पुलिस अधीक्षक आर आर एस परिहार ने  बताया, हमने इन 15 लोगों के खिलाफ भादवि की धारा 124ए :देशद्रोह: का आरोप हटा दिया है और इसके स्थान पर भादंवि की धारा 153ए :सांप्रदायिक सौहार्द बिगाडना: लगाई है। गौरतलब है कि रविवार को लंदन में आईसीसी चैंम्पियन्स ट्राफी के फायनल मैच में पाकिस्तान ने भारत को 180 रन से हराया था। पाकिस्तान की इस जीत पर गिरफ्तार किये गये इन 15 लोगों ने बुरहानपुर जिले के मोहद कस्बे में जश्न मनाते हुए आतिशाबाजी की और पाकिस्तान के समर्थन में नारे भी लगाये। परिहार ने कहा कि जांच में पता चला है कि उनका इरादा देशद्रोह नहीं था और उनका पहले आपराधिक रिकार्ड भी नहीं है। पुलिस ने 19 से 35 साल की आयु के इन 15 लोगों को भादवि की धारा 124ए :देशद्रोह: और 120बी :आपराधिक षडयंत्र: के तहत बुरहानपुर जिले के मोहद कस्बे से सोमवार को गिरफ्तार किया था। इसके बाद मंगलवार को इन्हें बुरहानपुर की एक अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें 15 दिन के न्यायिक रिमांड पर भेजा गया है। वर्तमान में ये सभी आरोपी बुरहानपुर जिले से सटे हुए खंडवा जिला जेल में बंद हैं।

अफगानिस्तान में कार बम धमाके में 20 की मौत , 50 घायल

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लश्कर गाह :अफगानिस्तान: , 22 जून, दक्षिणी अफगानिस्तान में आज एक बैंक के बाहर कार बम धमाके में कम से कम 20 लोगों की मौत हो गई और 50 अन्य घायल हो गए। सराकारी प्रवक्ता उमर ज्वाक ने कहा,  विस्फोट में कम से कम 20 लोग मारे गए और 50 लोग घायल हो गए जिसमें आम नागरिक और सैन्यकर्मी दोनों शामिल हैं।उन्होंने कहा कि मृतक संख्या बढ़ सकती है। 

कुंबले विवाद के बावजूद वेस्टइंडीज के खिलाफ टीम इंडिया प्रबल दावेदार

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पोर्ट आफ स्पेन, 22 जून, कप्तान विराट कोहली कल यहां वेस्टइंडीज की कमजोर टीम के खिलाफ पहले एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैच से पूर्व मुख्य कोच अनिल कुंबले के विवादास्पद हालात में टीम का साथ छोड़ने से मैदान के बाहर के विवादों को पीछे छोड़ना चाहेंगे। कुंबले का मुख्य कोच के रूप में सफर कैरेबियाई सरजमीं पर ही शुरू हुआ था लेकिन एक साल के भीतर भारतीय टीम यहां अपने कोच के बिना लौटी है। चैंपियंस ट्राफी में भारत के प्रदर्शन से अधिक सुखर्यिां कप्तान कोहली के कोच कुंबले के साथ मतभेदों ने बटोरी। कप्तान कोहली ऐसे मुश्किल समय में वेस्टइंडीज से कमजोर प्रतिद्वंद्वी की उम्मीद नहीं कर सकते थे जिसे अफगानिस्तान के खिलाफ भी जूझना पड़ा। पांच मैचों की एकदिवसीय श्रृंखला और एकमात्र टी20 अंतरराष्ट्रीय में कुछ बड़ी जीत इस पूरे विवाद से लोगों का ध्यान हटाने में कोहली की मदद करेगी। साथ ही यह ऐसा मौका होगा जब कोहली को टीम चयन में पूरी छूट होगी क्योंकि बल्लेबाजी कोच संजय बांगड़ की संभवत: इसमें कोई भूमिका नहीं होगी। जेसन होल्डर की अगुआई वाली वेस्टइंडीज की टीम ने हाल में अफगानिस्तान के खिलाफ 1-1 से श्रृंखला बराबर की और इसमें कोई संदेह नहीं है कि मौजूदा भारतीय टीम का स्तर मेजबान टीम से बेहतर है। कोहली भी इससे अच्छी तरह वाकिफ हैं और बीसीसीआई के आला अधिकारियों से कुंबले मामले में पूरा समर्थन मिलने के बाद भारतीय कप्तान के लिए गलती की गुंजाइश काफी कम होगी। भारत के वनडे में 5-0 से जीतने की उम्मीद की जा रही है क्योंकि वेस्टइंडीज के 13 खिलाड़ियों को कुल मिलाकर 213 मैच खेलने का अनुभव है जिसमें कप्तान होल्डर 58 मैचों के साथ सबसे अनुभवी खिलाड़ी हैं।

शीर्ष अमेरिकी मुख्य कार्यकारियों के साथ रोजगार सृजन पर चर्चा करेंगे मोदी

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वाशिंगटन, 22 जून, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को अपनी अमेरिका यात्रा के दौरान शीर्ष अमेरिकी मुख्य कार्यकारी अधिकारियों :सीईओ: के साथ बैठक में भारत में रोजगार सृजन पर विचार विमर्श करेंगे। प्रधानमंत्री के साथ बैठक में वॉल-मार्ट, एपल और कैटरपिलर जैसी कंपनियों के मुख्य कार्यकारी शामिल होंगे। समझा जाता है कि इस बैठक में लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में दक्षता, नोटबंदी के बाद के वृहद आथर्कि परिदृश्य और अगले महीने लागू होने वाले माल एवं सेवा कर :जीएसटी: से होने वाले संभावित लाभों पर चर्चा होगी। प्रौद्योगिकी कंपनियों के मुख्य कार्यकारियों के साथ बैठक में आईटी उद्योग पर नए वीजा अंकुशों के प्रभाव पर भी बातचीत होगी। उद्योग जगत के एक दिग्गज ने कहा कि वाशिंगटन में प्रधानमंत्री और करीब 20 शीर्ष अमेरिकी मुख्य कार्यकारियों के बीच विचार विमर्श मुख्य रूप से रोजगार पर केंद्रित रहेगा। सरकार रोजगार के मोर्चे पर काफी ध्यान दे रही है। ऐसा अनुमान है कि सालाना आधार पर 1.2 करोड़ रोजगार के अवसरों से 30 से 40 प्रतिशत सिर्फ खुदरा क्षेत्र में पैदा होंगे।

कश्मीर में मुठभेड़, तीन लश्कर आतंकवादी मरे

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श्रीनगर 22 जून, दक्षिणी कश्मीर के पुलवामा जिले में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में लश्करे-तैयबा के तीन आतंकवादियों की मौत हो गई जबकि सेना का एक अधिकारी घायल हो गया। आधिकारिक सूत्राें ने आज यहां बताया कि सेना और पुलिस के विशेष अभियान समूह ने पुलवामा में काकापोरा के समीप आतंकवादियों की मौजूदगी की खुफिया सूचना मिलने के आधार पर कल रात तलाशी अभियान चलाया था। सुरक्षा बल के जवान इलाके की ओर बढ़ रहे थे , तभी वहां छुपे आतंकवादियों ने स्वाचालित हथियारों से उन पर गोलीबारी की। जवाबी कार्रवाई में सुरक्षा बलों ने भी गोलियां चलाई। मुठभेड़ में लश्करे-तैयबा से जुड़े तीन स्थानीय आतंकवादियों की मारे जाने की रिपोर्ट मिली है। सुरक्षा बलों ने घटनास्थल से तीन एके राइफल तथा अन्य हथियार और गोलाबारुद बरामद किया है। उन्होंने बताया कि मुठभेड़ में सेना का एक अधिकारी घायल हाे गया, जिसे अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

बिहार के राज्यपाल के तौर पर केशरी नाथ त्रिपाठी ने शपथ ली

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पटना 22 जून, पश्चिम बंगाल के राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी ने बिहार के राज्यपाल के रूप में शपथ ली। श्री त्रिपाठी को आज यहां राजभवन में पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश राजेन्द्र मेनन ने शपथ दिलायी । इस मौके पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, बिहार विधानसभा के अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी, उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, और प्रतिपक्ष के नेता प्रेम कुमार के अलावा नीतीश मंत्रिमंडल के कई अन्य सदस्य भी उपस्थित थे । गौरतलब है कि राष्ट्रपति चुनाव के लिए बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविंद ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था । इसके कारण श्री त्रिपाठी को बिहार के कार्यवाहक राज्यपाल नियुक्त किया गया है । श्री त्रिपाठी इससे पूर्व भी बिहार के प्रभारी राज्यपाल रह चुके हैं। राज्यपाल के तौर पर श्री देवानंद कुंवर का कार्यकाल समाप्त होने और 16 अगस्त 2015 को श्री रामनाथ कोविंद के शपथ ग्रहण के पहले तक वह बिहार के कार्यवाहक राज्यपाल रह चुके हैं ।


येचुरी ने नायडू को आड़े हाथ लिया

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नयी दिल्ली, 22 जून, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने किसानों के कर्ज माफ करने को फैशन बताने संबंधी बयान देने के लिए सूचना एवं प्रसारण मंत्री वेंकैया नायडू को आज आड़े हाथ लिया। पार्टी के वरिष्ठ नेता सीताराम येचुरी ने श्री नायडू के इस बयान पर टिप्पणी करते हुए ट्वीट किया,“ क्या यह सरकार यह भी कहना चाहती है कि किसानों का आत्महत्या करना भी एक फैशन है। हमें तो किसानों के लिए कर्ज माफी से अधिक कुछ करने की जरुरत है लेकिन यहां तो किसानों का मजाक उड़ाया जा रहा है। ” गौरतलब है कि श्री नायडू ने अपने एक बयान में कहा था कि किसानों का अत्यंत असाधारण स्थिति में ही कर्ज माफ किया जाना चाहिए , लेकिन कर्ज माफी तो फैशन बन गया है। यह कोई अंतिम समाधान नहीं है आपको व्यवस्था का ख्याल रखना चाहिए और संकट में घिरे किसानों की सुध ली जानी चाहिए। श्री येचुरी ने योग दिवस के अवसर पर कुछ किसानों द्वारा आश्वासन किये जाने पर टिप्पणी करते हुए कहा कि सरकारी आंकड़ों के अनुसार 2014 से अब तक 36 हज़ार किसानों ने आत्महत्या की है।

भारत ने संयुक्त राष्ट्र से कहा, कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता की जरूरत नहीं

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नयी दिल्ली 22 जून, भारत ने आज स्पष्ट किया कि कश्मीर समस्या के समाधान के लिए किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता की जरूरत नहीं है और संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरस को भी भारत के इस रुख से अवगत करा दिया गया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गोपाल बागले ने नियमित ब्रीफिंग में संवाददाताओं के यह पूछे जाने पर कि क्या संयुक्त राष्ट्र महासचिव कश्मीर समस्या के समाधान के लिए भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता कर रहे हैं, यह जानकारी दी। उन्होंने कहा,“ भारत का इस मुद्दे पर रुख एकदम स्पष्ट है कि द्विपक्षीय मुद्दों का समाधान द्विपक्षीय बातचीत से ही किया जा सकता है और यह बात संयुक्त राष्ट्र महासचिव को भी बता दी गयी है। ” उल्लेखनीय है कि श्री गुटरेस ने हाल ही में न्यूयार्क में संवाददाताओं के सवाल के जवाब में कहा था कि वह कश्मीर मुद्दे के समाधान के संबंध में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री से तीन बार और भारत के प्रधानमंत्री से दो बार मिल चुके हैं। श्री गुटेरस ने इसी महीने 3 तारीख को रूस में श्री मोदी से मुलाकात की थी। सूत्रों के अनुसार समझा जाता है कि इस मुलाकात के दौरान ही श्री मोदी ने श्री गुटेरस को इस मुद्दे पर भारत के रुख से अवगत करा दिया था। श्री गुटेरस शंघाई सहयोग संघ की बैठक में भी पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और श्री मोदी से मिले थे। श्री गुटेरस और श्री मोदी की अगले महीने जर्मनी में जी- 20 शिखर सम्मेलन में भी मुलाकात होने की संभावना है। ज्ञात हो कि संयुक्त राष्ट्र कश्मीर के मुद्दे पर भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता के सवाल पर हमेशा से सतर्क प्रतिक्रिया करता रहा है क्योंकि भारत हमेशा से कहता रहा है कि कश्मीर मुद्दे का समाधान द्विपक्षीय स्तर पर ही हो सकता है।

जीटीए के सभी निर्वाचित जीजेएम सदस्य इस्तीफा देंगे

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दार्जिलिंग 22 जून, गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम)के अध्यक्ष विमल गुरुंग ने आज कहा कि अर्द्ध-स्वायत्तशासी संस्था गोरखालैंड क्षेत्रीय प्रशासन(जीटीए) के लिये निर्वाचित जीजेएम के सभी सदस्य अपने पदों से इस्तीफा देंगे और दार्जिलिंग में नेपाली भाषी लोगों के पृथक राज्य की मांग को लेकर अंतिम सांस तक संघर्ष करेंगे। श्री गुरुंग ने गत शनिवार को सिंगमाड़ी में हिंसक घटना में एक व्यक्ति की मौत को लेकर दार्जिलिंग पुलिस की ओर से अपने और पत्नी आशा के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किये जाने के संबंध में कहा कि सिंगमाड़ी में पुलिस फायरिंग में पार्टी के तीन कार्यकर्ताओं की मौत हुई है। श्री गुरुंग ने एक निजी टेलीविजन चैनल से कहा,“ हम गोरखालैंड राज्य के लिये गोलियां खाने को तैयार हैं। ” उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी एक ‘डर्टी’खेल खेल रही हैं। उन्हाेंने कहा कि 20 जून को सर्वदलीय बैठक में निर्णय ले लिया गया था कि दो अगस्त को होने वाले जीटीए चुनाव में कोई पार्टी हिस्सा नहीं लेगी। इस बीच सिक्किम के मुख्यमंत्री पवन चामलिंग ने केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह को गत 20 जून को यह कहते हुये गोरखालैंड के गठन के लिये पत्र लिखा था कि भारतीय गोरखाओं के लिये अलग राज्य बनाये जाने से पूर्वी हिमालयीन क्षेत्र में सभी स्तर पर विकास होगा और क्षेत्र में शांति स्थापित होगी। श्री चामलिंग के इस बयान पर पश्चिम बंगाल के शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने प्रतिक्रिया व्यक्त हुये कहा कि पड़ोसी राज्य को दार्जिलिंग के बारे में कोई टिप्पणी करने से पहले सावधानी बरतनी चाहिये।

राष्ट्रपति चुनाव :लालू ने नीतीश से मीरा को समर्थन देने की की अपील

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नयी दिल्ली 22 जून, बिहार में महागठबंधन सरकार में शामिल राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से राष्ट्रपति पद के चुनाव में विपक्ष की उम्मीदवार मीरा कुमार को समर्थन देने की आज अपील की और कहा कि वह राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद का समर्थन करने की ऐतिहासिक भूल न करें । श्री यादव ने राष्ट्रपति पद के लिए विपक्ष के उम्मीदवार के चयन के लिए यहां हुई 17 विपक्षी दलों की बैठक में श्रीमती मीरा कुमार का नाम तय किये जाने के बाद संवाददाताओं से बातचीत में श्री नीतीश कुमार से अपील की कि वह श्री कोविंद को समर्थन देने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करें । उन्होंने कहा ,‘मैं श्री नीतीश कुमार से अपील करता हूं और कल पटना जाकर भी अपील करूंगा कि वह ऐतिहासिक भूल न करें । उनकी पार्टी से गलत निर्णय हो गया ,उसे बदलें । ’उन्होंने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी श्री नीतीश कुमार से यह अपील की है । यह पूछे जाने पर कि क्या श्री कुमार के राजग उम्मीदवार को समर्थन देने से बिहार सरकार पर खतरा पैदा हो गया है और क्या उन्हें धोखा दिया गया है , श्री यादव ने कहा कि धोखा दिया या नहीं यह नीतीश जानें । सरकार चलती रहेगी । उस पर कोई खतरा नहीं है । अपने फैसले की घोषणा के बावजूद बिहार में महागठबंधन की सरकार को कोई खतरा नहीं है ।

अन्नाद्रमुक के दोनों धड़ों ने राष्ट्रपति के राजग उम्मीदवार का समर्थन किया

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चेन्नई 22 जून, तमिलनाडु में सत्तारूढ़ अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) के दोनों धड़ों अन्नाद्रमुक अम्मा और अन्नाद्रमुक पीटीए ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद को आज अपना समर्थन देने का संकल्प जताया। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री ओ पन्नीरसेल्वम के नेतृत्व में अन्नाद्रमुक पीटीए ने अपने समर्थकों के साथ विचार-विमर्श करके श्री कोविंद को सर्वसम्मति से अपना समर्थन देने का निर्णय लिया। अन्नाद्रमुक पीटीए को 12 विधायकों और 12 ही सांसदों का समर्थन प्राप्त है। श्री पन्नीरसेल्वम ने कहा कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने उनसे फोन पर बात करके उनका समर्थन मांगा था और इसके बाद अन्नाद्रमुक पीटीए ने श्री कोविंद को अपना समर्थन देने का निर्णय लिया। अन्नाद्रमुक पीटीए ने एक विज्ञप्ति में कहा कि श्री शाह ने श्री पन्नीरसेल्सम से फोन पर बात की और राजग के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार का समर्थन करने के लिए उन्हें धन्यवाद दिया।

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