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त्रिपुरा में गुस्साये ग्रामीणों ने की थाने में तोड़फोड़

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अगरतला, 01 अगस्त, त्रिपुरा में पूर्वी अगरतला के औद्योगिक नगर बोधजंगनगर में कल रात एक आदिवासी महिला के अपहरण के बाद गुस्साये ग्रामीणों ने स्थानीय थाने में भारी उपद्रव मचाया तथा तोड़फोड़ की, इसके बाद तनाव को देखते हुये आज यहां धारा 144 लागू कर दी गयी। स्थानीय आदिवासियों के इस उपद्रव में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक शर्मिष्ठा चक्रवर्ती सहित नौ पुलिसकर्मी जख्मी हो गये। इसके बाद स्थिति को नियंत्रण में करने के लिये यहां पुलिस, त्रिपुरा राज्य राइफल्स (टीआरएस) तथा केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के जवानों को तैनात किया गया। यह घटना सोमवार की आधी रात में घटी तथा इसके बाद से इस क्षेत्र में तनाव का माहौल है। यहां कल रात कथित तौर पर एक महिला का अपहरण हुआ था जिसे लेकर इंडिजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) के कार्यकर्ताओं ने थाने का घेराव किया। स्थानीय खबरों के अनुसार यह महिला अपने पति के सहयोगी रहे टीआरएस के एक जवान के साथ भाग गयी है लेकिन आईपीएफटी के कार्यकर्ताओं का आरोप है कि इस महिला को सुरक्षाकर्मी ने अगवा किया है तथा स्थानीय पुलिस ने उसकी मदद की है। पश्चिमी त्रिपुरा के पुलिस अधीक्षक (एसपी) अभिजीत सप्तर्षि ने बताया कि आईपीएफटी समर्थकों ने बोधजंगनगर थाने पर हमला कर दिया तथा उन लोगों ने पथराव करके पुलिस संपत्ति को नुकसान पहुंचाया। हमले में नौ पुलिसकर्मी घायल हो गये। इसके बाद पुलिस ने उपद्रवियों को तितर-बितर के लिये आंसू गैस के गोले छोड़े। उन्होंने कहा कि अब हालात काबू में है लेकिन गांवों में अभी भी भारी संख्या में लोग इकट्ठा है तथा इस घटना को लेकर सोशल मीडिया में भी कुछ अफवाहें फैलाई गयी हैं। स्थानीय लोगों को कहना कि सोमवार को एक दंपती टीआरएस कैंप में गया था लेकिन वापस लौटते समय महिला रास्ते में अगवा हो गयी और पुलिस उसे ढूंढ पाने में विफल रही है।


झारखंड धर्म परिवर्तन विधेयक को मंजूरी, भारतीय संविधान में धर्म परिवर्तन करने का अधिकार

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रांची. झारखंड प्रदेश की सीएम रघुवर दास की अध्यक्षता में बैठक की गयी. मंत्री परिषद में 18 प्रस्तावों को मंजूरी दी. इसमें झारखंड स्वतंत्र विधेयक भी है. एससी/एसटी का धर्म परिवर्तन करवाने को 4 साल की सजा और 1 लाख रू.तक का जुर्माना लगाने का प्रस्ताव है.इसे विधान सभा से पारित करवाना होगा.

धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार(अनुच्छेद-25-28)

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भारत एक बहुधार्मिक समाज है. यहाँ अनेक धार्मिक समूह रहते हैं, जिनकी जनसँख्या असमान है. जहाँ हिन्दू धर्म को मानने वाले लोग 82% हैं,वही अन्य अल्पसंख्यक समूह भी पाए जाते है. चुकिं भारतीय समाज अभी भी धर्म पर आधारित है, और व्यक्ति समाज में ही विकास की प्रक्रिया से जुड़ता है, अतः व्यक्ति के व्यक्तित्व पर धर्म का प्रभाव निर्णायक होता है, इसलिए धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार व्यक्ति के विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है, अतः इसे मौलिक अधिकार के रूप में संविधान में शामिल कर जहाँ एक तरफ व्यक्ति के धार्मिक अधिकारों को राज्य द्वारा मान्यता प्रदान की गयी है; वही सभी धर्मों को समानता का दर्जा देकर भारतीय संविधान सभी धर्मों को समान रूप से प्रोत्साहन देने का कार्य करता है. संविधान के अंतर्गत एक धर्मनिरपेक्ष राज्य से सम्बंधित सभी प्रावधान मौजूद हैं. हालाँकि मूल संविधान के किसी भाग में इस शब्द का कोई जिक्र नही किया गया था; लेकिन हमारे संविधान निर्माता इस मुद्दे पर बहुत स्पष्ट थे कि भारत को किसी भी कीमत पर पाकिस्तान का हिन्दू रूपांतरण नही करना है. अतः उन्होंने बिना इस शब्द का जिक्र किये ही धर्मनिरपेक्षता के मूल्यों के प्रति श्रद्धा व्यक्त की. भारतीय धर्मनिरपेक्षता की प्रकृति सभी धर्मों के प्रति तटस्थता और निष्पक्षता के साथ-साथ सभी धर्मों को समान प्रोत्साहन देना भी है. कोई भी पंथनिरपेक्ष राज्य इस विचार पर आधारित होता है कि राज्य का विषय केवल व्यक्ति और व्यक्ति के बीच सम्बन्ध से है व्यक्ति और ईश्वर के बीच सम्बन्ध नही है. संविधान के कई उपबंधों द्वारा सभी धर्मों के प्रति निष्पक्षता का दृष्टिकोण सुनिश्चित किया गया है.(अनुच्छेद-25-28)


एक धर्मनिरपेक्ष राज्य के मुख्य लक्षण के अनुरूप भारत का भी कोई अपना राज्य-धर्म नही होगा. राज्य न तो अपने कोई धर्म की स्थापना करेगा और नही किसी विशिष्ट धर्म को विशेष सहायता प्रदान करेगा. संविधान के अंतर्गत सभी धर्म के लोगों के धार्मिक अधिकारों को समान रूप से रक्षित किया गया है- (बसु 2013 : 139)

राज्य किसी व्यक्ति या समूह से किसी धर्म को मानने या उसका प्रचार करने के एवज में किसी प्रकार का कोई कर नही वसूलेगा. लेकिन राज्य द्वारा पोषित किसी शिक्षा संस्था में किसी भी प्रकार की कोई धार्मिक शिक्षा नही दी जाएगी.(अनुच्छेद-27)

यदि अल्पसंख्यक या बहुसंख्यक द्वारा संचालित किसी संस्था को राज्य द्वारा सहायता दी भी जाती है; तो भी वह संस्था बिना सहमति के किसी भी छात्र पर किसी धार्मिक शिक्षा को ग्रहण करने या उसमें भाग लेने के लिए बाध्य नही कर सकता.(अनुच्छेद-28)

राज्य में निवास करने वाले प्रत्येक व्यक्ति और समूहों को बिना किसी दबाव के अपने अंतःकरण की स्वतंत्रता, और अपने धर्म को मानने, आचरण करने और प्रचार करने की स्वतंत्रता प्रत्याभूत की गई है. लेकिन ये सभी सुविधाएँ लोक व्यवस्था, सदाचार और स्वास्थ्य के हित में राज्य द्वारा प्रतिबंधित की जा सकती हैं. उपरोक्त परिसीमाओं के अधीन रहते हुए भारत में प्रत्येक व्यक्ति को न केवल धार्मिक विश्वास का, बल्कि ऐसे विश्वास से जुड़े हुए आचरण करने का और अपने विचारों का दूसरों को उपदेश करने का अधिकार है.(अनुच्छेद-25)

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भारत के प्रत्येक नागरिक को धर्म के मानने, आचरण करने और प्रचार करने के अधिकार के साथ-साथ अपने पसंद अनुसार धार्मिक संस्थाओं की स्थापना करने, तथा उनके संपत्ति के प्रबंधन का अधिकार है.(अनुच्छेद-26)
अनुच्छेद 25-26  द्वारा प्रत्याभूत धार्मिक स्वतंत्रता के प्रावधानों को भारत के न्यायपालिका के न्यायिक निर्णयों द्वारा और विस्तृत कर दिया गया हैं. न्यायालय के अनुसार अनुच्छेद 25-26 में व्यक्ति को श्रद्धा और विश्वास को मानने और प्रचार करने का अधिकार तो है ही वह सब कर्मकांड या प्रथाएं मानने का अधिकार भी है जो उस संप्रदाय के अनुयायियों द्वारा धर्म का अंग समझी जाती हैं. धर्म तो विश्वास का विषय है. यह आवश्यक नही है कि वह ईश्वरीय हो. भारत में सुप्रसिद्ध बौद्ध और जैन धर्म निरीश्वरवादी हैं. प्रत्येक धर्म में कुछ आस्थाएं और सिद्धांत होते हैं जिन्हें उस धर्म के अनुयायी अध्यात्मिक अभ्युदय के लिए सहायक मानते हैं. राज्य के कानून उन विषयों में हस्तक्षेप नही कर सकते जो सरवान रूप से धार्मिक हैं. भारत में न्यायालय को यह निर्णय करने का अधिकार हैं कि कोई विशिष्ट कर्मकांड या पूजा पद्धति उस धर्म की मान्यताओं के अनुसार आवश्यक है या नही. यदि कोई विशिष्ट पद्धति लोक स्वास्थ्य या सदाचार के विरुद्ध है, किसी सामाजिक,आर्थिक या राजनीतिक विनियमन करने वाली पद्धति का उलंघन करती है तो न्यायालय हस्तक्षेप कर सकेगा.(बसु 2013 : 140)

धर्मनिरपेक्षता के अर्थ से सम्बंधित विविध व्याख्याओं और इससे सम्बंधित विरोधाभाषों को दूर करने के लिए भारतीय उच्चतम न्यायालय के नौ जजों की बेंच ने एस.आर.बोम्बई केस(1994) में अपने एक निर्णय में इससे सम्बंधित शंकाओं के निराकरण का प्रयास किया. न्यायालय के अनुसार पंथनिरपेक्षता से सम्बंधित निम्नलिखित तथ्य हैं, जो भारतीय सन्दर्भ में प्रासंगिक हैं- धर्मनिरपेक्षता का यह अर्थ नही है कि राज्य का धर्म के प्रति शत्रुभाव है. अर्थ यह है कि राज्य को विभिन्न धर्मों के बीच तटस्थ रहना चाहिए. प्रत्येक व्यक्ति को अपना धर्म मानने और उस पर आचरण करने की स्वतंत्रता है. यह तर्क मान्य नही है कि यदि कोई व्यक्ति निष्ठावान हिन्दू या निष्ठावान मुस्लिम है तो वह धर्मनिरपेक्ष नही रह जाता. यदि धर्म का उपयोग राजनैतिक प्रयोजनों के लिए किया जाता है और राजनैतिक दल अपने राजनैतिक प्रयोजनों के लिए उसका आश्रय लेते हैं तो इससे राज्य की तटस्थता का उलंघन होगा. धर्म के आधार पर निर्वाचकों से अपील करना धर्मनिरपेक्षीय लोकतंत्र के विरुद्ध है. राजनीति और धर्म को मिलाया नही जाना चाहिए. यदि कोई राज्य सरकार ऐसा करती है तो उसके विरुद्ध संविधान के अनुच्छेद 356 के अधीन कार्रवाई उचित होगी. अतः इस अर्थ में धर्मनिरपेक्षता संविधान की मूलभूत लक्षण होगी.            (बसु 2013 : 142)


भारतीय संविधान में धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार निरपेक्ष अधिकार नही है. इसे सदाचार, स्वास्थ्य और लोक व्यवस्था बनाये रखने के लिए प्रतिबंधित किया जा सकता है. धार्मिक मुद्दे से जुड़े लौकिक विषयों के प्रबंध में भी राज्य का हस्तक्षेप हो सकता है. हिन्दू मंदिरों को सभी लोगों के लिए खोलने के लिए विधि का निर्माण किया जा सकता है. यह धार्मिक स्वतंत्रता के अंतर्गत सम्मिलित नही होगा.अतः भारतीय संविधान निर्माताओं ने एक ओर अन्तःकरण और धर्म की स्वतंत्रता का पूर्ण समर्थन किया, तो दूसरी ओर सामाजिक सुधार और लोक व्यवस्था पर भी पर्याप्त बल दिया. मूल प्रश्न उठता है कि, धार्मिक स्वतंत्रता के अंतर्गत धर्म परिवर्तन भी सम्मिलित है या नही. वस्तुतः यह विवाद तब उत्पन्न हुआ जब मध्य प्रदेश और उड़ीसा की सरकारों ने एक विधि निर्मित करते हुए यह व्यवस्था की कि , लोभ, कपट और बल  के आधार पर धर्म परिवर्तन दंडनीय अपराध होगा, लेकिन कुछ लोगों ने इसे धर्म विशेष के प्रति विरोधी बताते हुए न्यायपालिका में चुनौती दी. ऐसे लोगों का तर्क था कि, धार्मिक प्रचार में, धार्मिक परिवर्तन का अधिकार भी सम्मिलित है. लेकिन न्यायालय ने स्पष्ट कर दिया कि व्यक्तिगत रूप से कोई भी व्यक्ति धर्म परिवर्तन कर सकता है, पर यदि लोभ, कपट और बल का प्रयोग करते हुए इसे जबरन करवाने का प्रयास किया जाता है तो यह दंडनीय होगा. इसप्रकार देश के धर्मनिरपेक्षता के स्वरुप को कायम रखते हुए संविधान भारत के सभी नागरिकों को धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार देता है, ताकि वे अपने धार्मिक उपासना की पद्धति और जीवन पद्धति का निर्धारण कर सकें. इस प्रकार भारतीय संविधान जहाँ हर व्यक्ति के उपासना की पद्धति को सम्मान देता है; वही दूसरी तरफ यह सभी संस्थागत धर्मों को समान रूप से प्रोत्साहन देकर यह सकारात्मक धर्मनिरपेक्षता का उत्कृष्ट उदहारण प्रस्तुत करता है.

विशेष आलेख : सांसदों के लिए सक्रिय उपस्थिति अनिवार्य हो

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संसद में सितारों की अनुपस्थिति का मसला एक बार फिर सवालों के घेरे में है। राज्यसभा में क्रिकेट के मसीहा सचिन तेंदुलकर और प्रख्यात अदाकारा रेखा की लगातार अनुपस्थिति का मसला जोर-शोर से उठा। सदस्यों ने सवाल उठाया कि अगर इन के पास वक्त नहीं है तो सांसद बनते ही क्यों हैं? या उन्हें सांसद बनाया ही क्यों जाता है? लेकिन दोनों की ही राज्यसभा में मौजूदगी नाम मात्र की रही या न के बराबर रही है। अब तक इस गंभीर विषय पर संसद के बाहर ही चर्चा होती रही थी लेकिन शुक्रवार को संसद में यह प्रश्न उठना, इस विषय पर किसी निर्णायक स्थिति में पहुंचने की आवश्यकता को व्यक्त कर रहा है। प्रश्न केवल सितारों का नहीं है बल्कि सभी दलों के सांसदों के संसद में उपस्थिति के विषय पर बरती जा रही लापरवाही एवं संसद के प्रति अरुचि का है। जरूरत है एक ऐसा कानून बनाने की जो कम से कम 100 दिन की सक्रिय उपस्थिति को सांसदों के लिए अनिवार्य करे। संसदीय कार्यवाहियों को सुचारुरूप से चलाने एवं उनमें समुचित जन-प्रतिनिधित्व के लिए यह बहुत जरूरी है ताकि संसदीय कार्यों के प्रति अरुचि व लापरवाही खत्म हो।


सांसदों की उपस्थिति को लेकर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी बहुत सख्त है और इस विषय को लेकर उन्होंने सांसदों को चेताया भी है। वे कई बार सांसदों को उपस्थित रहने के लिए कह भी चुके हैं। लेकिन सांसदों पर इसका कोई असर नहीं दिख रहा है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अमित शाह ओबीसी बिल पर वोटिंग के वक्त बीजेपी सांसदों की गैरहाजिरी को गंभीरता से लिया है। प्रश्न किसी दल का नहीं, प्रश्न किसी बिल को बहुमत से पारित कराने का भी नहीं है। प्रश्न लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में लोकतांत्रिक प्रतिनिधियों की जबावदेही एवं जिम्मेदारी का है। सबके लिये नियम बनाने वाले, सबको नियमों का अनुशासन से पालन करने की प्रेरणा देने वाले सांसद या विधायक यदि स्वयं अनुशासित नहीं होंगे तो यह लोकतंत्र के साथ मखौल हो जाएगा। जब नेताओं के लिये कोई मूल्य मानक नहीं होंगे तो फिर जनता से मूल्यों के पालन की आशा कैसे की जा सकती है?
मास्टर-ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर और बॉलिवुड की तारिका रेखा को यूपीए सरकार ने बड़े शोरगुल के साथ राज्यसभा के लिए मनोनीत किया। अक्सर फिल्मी सितारों को राज्यसभा का सदस्य मनोनीत करने की हमारे यहां परम्परा-सी बन गयी है। जबकि उनके पास समय की कमी की शिकायत हर समय बनी रहती है। जिन उद्देश्यों से उन्हें राज्यसभा में  लाया जाता है, शायद वे उद्देश्य भी पूरे होते हुए नहीं देखेेे गये हैं।

सचिन अप्रैल 2012 में जब राज्यसभा सांसद बने थे तो उनका ये कहना था कि उनकी पहली प्राथमिकता क्रिकेट ही रहेगी, वो क्रिकेट की वजह से राज्यसभा के सदस्य बने हैं इसलिए वे क्रिकेट पर ही ध्यान लगाएंगे। उम्मीद की जा रही थी कि सचिन रिटायरमेंट के बाद शायद संसद में दिखने लगे, पिछले साल नवंबर में ही वे क्रिकेट से रिटायर भी हो गए, लेकिन फिर भी कुल 10 संसद सत्र के दौरान उनकी उपस्थिति सिर्फ तीन दिन की रही, उन्होंने राज्यसभा मे ना तो कोई सवाल पूछा ना ही किसी बहस में हिस्सा लिया। हालांकि रेखा का रिकॉर्ड इस मामले में सचिन के मुकाबले थोड़ा मजबूत है वे 7 दिन आई हैं। अप्रैल 2012 में राज्यसभा में नामित की गई अभिनेत्री ने न कोई सवाल पूछा है और न ही किसी चर्चा में हिस्सा लिया है। इसीलिये दोनों साथी सांसदों के निशाने पर हैं। वे केवल सांसदों के निशाने पर ही नहीं है बल्कि आमजनता के निशाने पर भी है। मामला सिर्फ रेखा और सचिन तक ही सीमित नहीं है, ऐसे कई और भी चेहरे हैं। अब मांग ये उठ रही है कि राज्यसभा में ऐसे सदस्यों को नामांकित किया जाए जो कम से कम अपने काम को गंभीरता से ले सकें, जो संसद को पूरा समय दे,  जो संसद में आएं और सत्र में कुछ बोलें। अपने अनुभव बांटें और अपने क्षेत्र या राष्ट्र की समस्याओं को सरकार के सामने रखे। हालांकि सचिन तेंदुलकर ने इस बवाल के बाद कहा कि उनके बड़े भाई की बाईपास सर्जरी हुई और इसी वजह से वे संसद नहीं आ सके।


संसद देश की सर्वोच्च संस्था है। सांसद देश की संसद का सम्मान करतेे हैं या नहीं, यह गहराई से सोचने की बात है। सांसद सरकार से सुख-सुविधा प्राप्त करें, यह बहुत गौण बात है। प्रमुख काम है देश के सामने आनेवाली समस्याओं का डटकर मुकाबला करना। अपना समुचित प्रतिनिधित्व करते हुए देश को प्रगति की ओर अग्रसर करना, उसे सशक्त बनाना। लेकिन ऐसा न होना दुर्भाग्यपूर्ण है, लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं को कमजोर करना है। संसद देश को उन्नत भविष्य देने का मंच है। सरकार इस पर जनता की गाढ़ी कमाई का बड़ा हिस्सा खर्च करती है। इसका अर्थ है कि लोकसभा सत्र में भाग लेने वाले दिनों में भत्ते सहित प्रत्येक लोकसभा सांसद पर करीब 270,000 रुपए का मासिक खर्च होता है। जब संसद सत्र चल रहा होता है, तब सांसदों को प्रतिदिन 2,000 रुपए का दैनिक भत्ता भी मिलता है। हालांकि इस पूरे मामले में अन्य भत्ते जैसे कि मुफ्त आवास, चिकित्सा देखभाल, यातायात और दूरसंचार सुविधाएं शामिल नहीं हैं। सत्र के दौरान संसद चलाने में सरकारी खजाने से प्रत्येक मिनट 250,000 रुपए का खर्च लगती है। इसलिये संसद का प्रति क्षण तभी कारगर, उपयोगी एवं संतोषजनक हो सकता है जब चुना हुआ या मनोनीत प्रत्येक सदस्य अपनी प्रभावी एवं सक्रिय भागीदारी निभाये।

देश जल रहा हो और नीरो बंशी बजाने बैठ जाये तो इतिहास उसे शासक नहीं, विदूषक ही कहेगा। ठीक वैसा ही पार्ट आज की अति संवेदनशील स्थितियों में सांसद अदा कर रहे हैं। चाहिए तो यह है कि आकाश भी टूटे तो उसे झेलने के लिये सात सौ नब्बे सांसद एक साथ खड़े होकर अमावस की घड़ी में देश को साहस एवं उजाला दे। लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है, यह विडम्बनापूर्ण है। हर दिन किसी न किसी विषय पर विवाद खड़ा कर संसद का कीमती समय गंवाया जा रहा है। महत्वपूर्ण प्रस्ताव पर सार्थक चर्चा की बजाय हो-हल्ला करके संसद की कार्रवाही को स्थगित करने का प्रचलन चल रहा है। कोई भी नहीं सोच रहा है कि इन स्थितियों में देश कहां पहुंचेगा? यह कर्तव्य-च्युति, असंसदीय गतिविधियां  क्या संसदीय इतिहास में एक काली रेखा नहीं होगी? निश्चित ही सांसदों की गैर-जिम्मेदाराना हरकतों से संसद अपने कर्तव्य से चूक रही है।

देश का भविष्य संसद एवं सांसदों के चेहरों पर लिखा होता है। यदि वहां भी अनुशासनहीनता, अशालीनता एवं अपने कत्र्तव्यों के प्रति अरुचि का प्रदर्शन दिखाई देता है तो समझना होगा कि सत्ता सेवा का साधन नहीं, बल्कि विलास का साधन है। यदि सांसद में विलासिता, आलस्य और कदाचार है तो देश को अनुशासन का पाठ कौन पढ़ायेगा? आज सांसदों की अनुपस्थिति के परिप्रेक्ष्य में इस विषय पर भी चिन्तन होना चाहिए कि जो वास्तविक रूप में देश के लिये कुछ करना चाहते हैं, ऐसे व्यक्तियों को संसद के पटल पर लाने की व्यवस्था बने। कौरा दिखावे न हो, बल्कि देश को सशक्त बनाने वाले चरित्रसम्पन्न व्यक्ति राज्यसभा में जुडे़- इसके लिये नये  चिन्तन की अपेक्षा है। हर कीमत पर राष्ट्र की प्रगति, विकास-विस्तार और समृद्धि को सर्वोपरि महत्व देने वाले व्यक्तित्वों को महत्व मिले, जो संसद के हर क्षण को निर्माण का आधार दे सके। 




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(ललित गर्ग)
60, मौसम विहार, तीसरा माला, डीएवी स्कूल के पास,
दिल्ली- 11 0051 
फोन: 22727486, 9811051133

विशेष : मोदी जी! कब सुनोगे ‘बेरोजगारों’ के मन की बात

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बेरोजगारों को रोजगार का सपना दिखाकर भारी बहुमत से सत्ता में आये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अच्छे दिन के वादे शिक्षित बेरोजगारों के लिये शेखचिल्ली के ख्वाब साबित हुए हैं। चपरासी की 5 पास नौकरी के लिये जहां एमबीए, बीटेक, एमटेक, ग्रेजुएट युवा लाइनों में लगे हुए हैं वहीं दूसरी तरफ संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी रिपोर्ट में मोदी सरकार को तो कटघरे में खड़ा ही किया गया है बल्कि भारत में बढ़ती बेरोजगारों की संख्या ने भी भयावह कहानी बयां की है। जो आने वाले दिनों में बड़े विवादों का कारण बन सकती है। पिछले दिनों मोदी की बीजेपी सरकार को आए तीन साल पूरे हो गए हैं, लेकिन मोदी के वादे अभी भी अधूरे पड़े हैं। मोदी ने सरकार बनने से पहले युवाओं से वादा किया था कि जैसे ही उनकी सरकार आती है, वे सबसे पहले देश के 1 करोड़ युवाओं को नौकरी देने का काम करेंगे, लेकिन तीन साल बीत जाने के बाद अभी भी देश में करोड़ों की संख्या में युवा बेरोजगार बैठे है। बेरोजगारों का सपना था कि अगर मोदी जी की सरकार बनी तो उनके अच्छे दिन आ जायेंगे और उन्होंने मोदी जी की रैलियांे में तो जय-जयकार की ही बल्कि गांव की गलियों से लेकर महानगरों तक घूम-घूमकर मोदी के पक्ष में जमकर वोटिंग भी कराई। उस समय युवाओं में मोदी के प्रति जो जोश और जुनून था वह सरकार बनने के बाद ठण्डा होता नजर आ रहा है। बल्कि सरकार के प्रति आक्रोश की झलक भी दिखाई दे रही है, जो कभी भी लावा के रूप में उभर सकती है। आखिर हो भी क्यों ना, जब आज तीन साल बाद भी ना तो बेरोजगारों के चेहरों पर चमक दिखाई दे रही है और न ही उनके सपने साकार होते नजर आ रहे हैं। कहने को तो आजादी के बाद ही रोजगार की गंभीर समस्या रही है लेकिन 1991 से 2013 के बीच भारत में करीब 30 करोड़ लोगों को नौकरी की जरूरत थी. इस दौरान केवल 14 करोड़ लोगों को रोजगार मिल सका। बेरोजगारों की बढ़ती संख्या और उनके आक्रोश को देखते हुए मोदी जी ने अच्छे दिनों का सपना दिखाकर उनका दिल तो जीता ही बल्कि प्रधानमंत्री की कुर्सी भी हासिल कर ली। 


मोदी सरकार ने युवाओं के सपनों को साकार करने के लिये स्किल इंडिया के तहत 2 अक्टूबर 2016 को प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना एक और दो शुरू की। जिसके माध्यम से 2016 से लेकर 2020 तक यानी चार साल में 20 लाख लोगों को ट्रेनिंग दी जानी है, का पूरे देश में संचालन किया जा रहा है। लेकिन यह योजना जमीन पर कम कागजों पर ज्यादा दौड़ रही है। जिसमें एक तरफ सरकार ने हर साल 5 लाख युवाओं को ट्रेनिंग देने का दावा कर रही है वहीं पिछले दिनों आयी एक मीडिया रिपोर्ट में खुलासा किया गया कि 29 जून 2017 तक प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना दो के तहत एक लाख 70,000 लोगों को ट्रेनिंग दी गई है। जबकि इस योजना के तहत हर साल पांच लाख लोगों को ट्रेनिंग दी जानी थी यानी इस साल यह योजना काफी पीछे चल रही है। जबकि छः जून की प्रेस काॅन्फ्रेंस में कौशल विकास मंत्री राजीव प्रताप रूडी ने कहा था कि जुलाई 2015 में लॉन्च हुई प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना एक के तहत साढ़े छब्बीस लाख लोगों को ट्रेनिंग दी चुकी है, जबकि कौशल विकास मंत्रालय की वेबसाइट पर लिखा है कि इस योजना के तहत करीब-करीब 20 लाख लोगों को ट्रेनिंग दी जा चुकी है। लेकिन इस रिपोर्ट में मंत्री और मंत्रालय के बयान में साढ़े छह लाख काअंतर साफ नजर आता है। कौशल विकास योजना से जुड़े प्रशिक्षिक एवं सामाजिक कार्यकर्ता दीपक गोस्वामी कहते हैं कि भारत सरकार प्रशिक्षण के नाम पर एनजीओ को 16 हजार रुपये का भुगतान कर रही है। जिसमें सांसद द्वारा सर्टिफिकेट के माध्यम से बेरोजगारों को शिक्षित करने का दावा किया जा रहा है। जबकि जमीनी धरातल पर इस योजना में बड़े पैमाने पर घोटाला और भ्रष्टाचार हो रहा है। जिससे बेरोजगारों के लिए यह योजना मात्र छलावा साबित हो रही है और एनजीओ मालामाल हो रहे हैं। जबकि भारतीय मजदूर संघ के मुताबिक नोटबंदी की वजह से 20 लाख नौकरियां चली गईं।

एक ओर प्रधानमंत्री मोदी देश और युवाओं की तकदीर बदलने का दावा कर रहे हैं वहीं दूसरी ओर संयुक्त राष्ट्र श्रम संगठन की रिपोर्ट उनके दावांे और भाषणों को ही कटघरे में खड़ा कर रही है। उसकी रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2017 और 2018 के बीच भारत में बेरोजगारी में इजाफा होने के पूरे आसार हैं। नया रोजगार भी पैदा होने में कई अड़चनें आ सकती है। रिपोर्ट में आशंका जताई गई है कि पिछले साल के 1.77 करोड़ बेरोजगारों की तुलना में 2017 में भारत में बेरोजगारों की संख्या 1.78 करोड़ और उसके अगले साल 1.8 करोड़ हो सकती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक बेरोजगारी दर और स्तर अल्पकालिक तौर पर उच्च बने रह सकते हैं क्योंकि वैश्विक श्रम बल में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। विशेषकर वैश्विक बेरोजगारी दर में 2016 के 5.7 प्रतिशत की तुलना में 2017 में 5.8 प्रतिशत की मामूली बढ़त की संभावना है।


आईएलओ के महानिदेशक गाइ राइडर के मुताबिक इस वक्त हमलोग वैश्विक अर्थव्यवस्था के कारण उत्पन्न क्षति एवं सामाजिक संकट में सुधार लाने और हर साल श्रम बाजार में आने वाले लाखों नवआगंतुकों के लिए गुणवत्तापूर्ण नौकरियों के निर्माण की दोहरी चुनौती का सामना कर रहे हैं। आईएलओ के वरिष्ठ अर्थशास्त्री और रिपोर्ट के मुख्य लेखक स्टीवेन टॉबिन ने कहा कि उभरते देशों में हर दो कामगारों में से एक जबकि विकासशील देशों में हर पांच में से चार कामगारों को रोजगार की बेहतर स्थितियों की आवश्यकता है। मोदी सरकार के तीन साल से अधिक के कार्यकाल में तमाम योजनाओं की घोषणाएं की गईं लेकिन जमीनी धरातल पर कोई भी एक योजना साकार रूप लेती नजर नहीं आ रही है। जिसमें उच्च शिक्षित बेरोजगार सफाई कर्मचारी, चपरासी, होमगार्ड, चैकीदार, सिपाही, कांस्टेबल जैसे पदों के लिये आवेदन कर बेरोजगारी का खौफनाक सच उजागर कर रहे हैं।



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---मफतलाल अग्रवाल---
संपर्क - 08865808521
(लेखक वरिष्ट पत्रकार एवं सामाजिक कार्यकर्ता हैं।)

आलेख : जब बनारसी छोरा बन गए शाहरुख

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लंबे इंतजार के बाद शाहरुख खान और अनुष्‍का शर्मा की फिल्म ‘जब हैरी मेट सेजल‘ 4 अगस्त को देशभर में रिलीज होगी। इससे पहले इस फिल्म के न सिर्फ कई छोटे-छोटे मिनी ट्रेलर रिलीज किए जा चुके हैं, बल्कि फिल्म प्रमोशन के लिए शाहरुख-अनुष्‍का दिल्ली, मुंबई समेत कई महानगरों में इवेंट भी कर चुके है। लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी या यूं कहे धर्म एवं आस्था की नगरी काशी में पूर्वांचल की शान भोजपुरीयां गायक मनोज तिवारी संग इवेंट करना एवं बनारसी पान खाने के कई मायने हैं। माना जा रहा है कि ऐसा कर शाहरुख खान ने असहिष्णुता वाले विवादित बयान से उबरने की कोशिश की, बल्कि पान खाकर बनारसियों का दिल भी जीता, जिसकी झलक उन्हें देखनें सड़क पर उतरे हुजूम में भी दिखा। कहा जा सकता है शाहरुख-अनुष्‍का की यह फिल्म ओपेनिंग डे पर ही 25-30 करोड़ के पार जायेगी। दावा है कि यह फिल्म 250 - 300 करोड़ तक का कमाई कर सकती है  
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दरअसल, शाहरुख अनुष्का के साथ अपनी आने वाली फिल्म ‘जब हैरी मेट सेजल‘ के प्रचार के लिए वाराणसी पहुंचे थे। कार्यक्रम के पहले कयास लगाएं जा रहे थे कि बनारस में उनका जबरदस्त विरोध इसलिए होगा क्योंकि उन्होंने पिछले वर्ष नवंबर में एक समारोह में कहा था कि ‘धार्मिक असहिष्णुता से बुरा कुछ भी नहीं है और यह भारत को अंधेरे युग की ओर ले जाएगा‘। इसके बाद जहां कई लोगों ने शाहरुख को राष्ट्रविरोधी करार दिया तो कई ने इसे राजनीतिक बयान माना। यहां तक कि कई राजनेताओं ने शाहरुख के इस बयान की निंदा की। यह अलग बात है कि शाहरुख ने अपनी सफाई में कहा, ‘कभी कभी मुझे दुख होता है, यहां तक कि मेरा रोने का मन करता है, जब मुझे यह कहने को मजबूर किया जाता है कि मैं इस देश से हूं, मैं एक देशभक्त हूं। हमें खुद को देशभक्त साबित करने के लिए एक-दूसरे से प्रतिस्पर्धा नहीं करनी है।‘ बावजूद इसके उनके इस बयान को लेकर भाजपा-आरएसएस समेत अन्य हिन्दू संगठनों में नाराजगी व विरोध-प्रदर्शन की बात कहीं जा रही थी। इससे शाहरुख खान एवं उनके करीबी भी वाकिफ थे। 


शायद यही वजह है कि शाहरुख खान के करीबियों ने पूर्वांचल के युवा दिलों की धड़कन भोजपुरियां गायक व भाजपा सांसद मनोज तिवारी के जरिए नारजगी को दूर करने का नुख्शा सूझा। जब शाहरुख के कहने पर उनके करीबियों ने मनोज तिवारी से संपर्क किया तो उन्होंने स्थिति को समझते हुए सहर्ष स्वीकार कर लिया और इंग्लैंड में आयोजित भोजपुरियां एवार्ड कार्यक्रम को आधे-अधूरे छोड़ बनारस पहुंच गए। कहा जा रहा है कि मनोज तिवारी के ही निवेदन पर शाहरुख खान की सुरक्षा से लेकर कार्यक्रम को सकुशल संपंन होने की जिम्मेदारी पुलिस प्रशासन ने ली। खुद मनोज तिवारी कार्यक्रम मे शरीक होकर शाहरुख खान का न सिर्फ हौसलाफजाई किया, बल्कि फिल्म हिट नहीं सुपरहिट होने का उन्हें आर्शीवाद भी दिया। लोग एक बार फिर से शाहरुख और अनुष्का की जोड़ी को देखने के लिए बेताब हैं। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि फिल्म के गाने अब तक लोगों की जुबां पर चढ़ चुके हैं। यूथ में इस फिल्म के गाने खूब पसंद किए जा रहे हैं। फिल्म की ज्यादातर शूटिंग यूरोप में हुई है। फिल्म में सस्पेंस और कॉमेडी का तड़का ठूस-ठूस कर भरा गया है। फिल्म 4 अगस्त को बड़े पर्दे पर रिलीज होगी।

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फिलहाल, ‘जब हैरी मेट सेजल‘ एक रोमांटिक कॉमेडी फिल्म है। फिल्म में फिल्म में शाहरुख खान व अनुष्का शर्मा हीरो-हेराइन की मुख्य भूमिकाओं में हैं। फिल्म में शाहरुख खान व अनुष्का शर्मा ‘रब ने बना दी जोड़ी‘ (2008) और ‘जब तक है जान‘ (2012) के बाद तीसरी बार दोनों साथ-साथ नजर आयेंगे। इसमें खान एक पर्यटन गाइड यानी पंजाबी ब्वाय हैरी यानी हरिंदर सिंह नेहरा की भूमिका में हैं, जो एक छुट्टी पर यूरोप घुमने आई गुजराती महिला से मिलता है, जिसका किरदार अनुष्का निभाएंगी। फिर दोनों कैसे प्यार में पड़ते हैं- यही फिल्म की कहानी है। फिल्म के ट्रेलर में अनुष्का शर्मा अपनी सगाई अंगूठी को ढूढ़ रही हैं जिसमें शाहरुख उनकी मदद करते हैं। फिल्म में शाहरुख को सब हैरी कहकर पुकारते हैं। अनुष्का के डायलॉग में कुछ-कुछ गुजराती टच देखने को मिल रहा है। कहा जा रहा है कि शर्मा को अपनी भूमिका के लिए खुद को तैयार करने के लिए कई महीनों की शब्दावली प्रशिक्षण की आवश्यकता पड़ी, क्योंकि उनका किरदार गुजरात से है। इस फिल्म के शीर्षक में कई बदलाव हुए जिसमें रिंग, रहनुमा और रौला नाम शामिल हैं पर अंत में फिल्म का शीर्षक ‘जब हैरी मेट सेजल‘ रखा गया। इस बाबत जब फिल्म के डायरेक्टर इम्तियाज अली से मनोज तिवारी ने पूछा तो उन्होंने खुद कहा, अगर यह टाइटिल न रखता तो बनारसी मेरा खून कर देते। फिल्‍म में शाहरुख खान और इम्तियाज अली पहली बार साथ-साथ काम कर रहे हैं। 

ट्रेलर में शाहरुख खान बता रहे हैं कि उनका कैरेक्टर लडकियों के मामले में अच्छा नहीं है इसके बावजूद अनु्ष्का उनकी बातों पर यकीन नहीं करती हैं। एलएलबी अनुष्का गुजराती एक्सेंट में शाहरुख को जरूरी बातें समझा रही हैं। इसके अलावा फिल्म शाहरुख खान गुजराती लोगों के एक ग्रुप को ‘बाय-बाय‘ करते हुए काफी खुश नजर आते हैं। शाहरुख खुद से अनुष्‍का को दूर रखने के लिए कई तरह की ट्रिक ट्राई करते हुए नजर आऐंगे। फिल्म में शाहरुख और अनुष्‍का के बीच की केमिस्‍ट्री इतनी लुभावनी है कि युवा धड़कने झूमती नजर आएंगी। पंजाबी शाहरुख और गुजराती अनुष्‍का की इस लव स्‍टोरी में गाएं गए गाने रिलीज होने से पहले ही युवा दिलों की जुबां पर भी चढ़ चुके हैं। खास यह है कि फिल्म के एक गाने में शाहरुख खान ‘बटरफ्लाई‘ की तर्ज पर डांस करते हुए अनुष्‍का शर्मा को रिझाते नजर आयेंगे। कहा जा सकता है फिल्म में अनुष्का नए जमाने की सिमरन के रुप में दिख रही है। अब शाहरुख सरदार के किरदार में दर्शकों को फैन बना पाएंगे ये देखना खास होगा। जहां तक फिल्म के हीट होने का सवाल है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि फिल्म में अरिजित सिंह की मधुर आवाज में गाएं गए गीत ‘हवाएं‘ की ट्रेलर रिलीज के तुरंत बाद 24 घंटे में करोड़ों लोगों ने पसंद किया है। 

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एक दिन में ही यह गाना ऑनलाइन सबसे ज्‍यादा देखा गया। इस गाने ‘हवाएं‘ में शाहरुख और अनुष्‍का के बीच का रोमांस देखने लायक है। फिल्म का पहला गीत जाने-माने गायक सुखविंदर सिंह और सुनिधि चैहान की धुन ‘राधा’ बन कर अनुष्का शर्मा इस कदर थिरकती नजर आ रही है कि युवा धड़कने कुर्सी से उठ झूमने लगते हैं। ट्रेलर में शाहरुख और अनुष्का के बीच जबरदस्त नोकझोक देखने को मिल रही हैं। यह अलग बात है कि ‘जब हैरी मेट सेजल‘ का जब टीजर लॉन्च हुआ था, तब ‘इंटरकोर्स‘ शब्द पर काफी हो-हल्ला मचा था। दरअसल टीजर में अनुष्का, शाहरुख से बातचीत के दौरान इस शब्द का प्रयोग करती हैं। इस मामले पर सीबीएफसी चीफ पहलाज निहलानी ने कहा था कि इस शब्द को क्लियर नहीं किया जा सकता। फिर खबर आई कि फिल्म को सेंसर बोर्ड ने सर्टिफिकेट दे दिया है। जिससे यही मालूम होता है कि सेंसर बोर्ड ने फिल्म इस शब्द को पास कर दिया या फिल्म के डायरेक्टर इम्तियाज अली ने खुद ही उस शब्द को डिलीट कर दिया, यह संस्पेंस है। अब इस बात की सच्चाई तो फिल्म रिलीज होने के बाद ही सामने आएगी। 


रिलीज होने से पहले फिल्म लोगों के दिमाग में किस कदर छाया हुआ है इसकी झलक उस वक्त देखने को मिली जब शाहरुख खान और अनुष्‍का शर्मा ने गायक मनोज तिवारी के साथ भोजपुरी गीत ‘बगल वाली जान मारे ली,  गायी तो ‘हर-हर महादेव’ से पूरा वातावरण गूंजायमान हो उठा। मजा तब आया जब पब्लिक ने शाहरुख की इस परफॉर्मेंस को हाथों हाथ लिया। शाहरुख और अनुष्का को देखने के लिए इकट्ठा हुई भीड़ भी इस भोजपुरी गाने की लाइन को गाने लगी। इसपर मनोज तिवारी ने कहा कि देखिए काशी बोल रही है। इसके पहले बनारस में सड़क किनारे से पान खाकर शाहरुख और अनुष्का ने बनारस का दिल जीत लिया। कहा, अब कोई बनारस आए और यहां का फेमस पान ना खाए, ऐसा कैसे हो सकता है। मंच पर जैसे ही शाहरुख व अनुष्का ने बनारसी अंदाज में कहा-‘जियो रजा बनारस, का हाल बा’ ..सब झूम उठे। 23 मिनट तक फैंस के बीच रहे सितारे दीवानगी देख उन्हें ‘जबरा फैन’ कहने को विवश हो गए। स्टेज पर अनुष्का ने बताया कि वो फैजाबाद में जन्मीं हैं। इसपर शाहरुख ने मांग की कि अनुष्का के नाम फैजाबाद में एक सड़क जरूर बनाई जाए। खास यह रहा कि मनोज तिवारी ने ‘जब हैरी मेट सेजल‘ का भोजपुरी में अनुवाद किया-‘हैरिया मिलल सजलवा से’ तो जोरदार तालियां बजीं। इम्तियाज से मनोज ने पूछा कि मूवी में खान न होते तो कौन होता। हंसते हुए अली ने कहा, यह दोनों न होते तो आज बनारसी मेरा खून कर देते दृ। कहा जा सकता है बॉलीवुड के किंग खान शाहरुख का जादू काशीवासियों के सिर चढ़कर बोल रहा है। सबसे ज्यादा क्रेज युवतियों में उस वक्त देखने को मिला, जब अपने चहेते सितारे की एक झलक पाने के लिए घंटों धूप में बेताब रहीं। 





(सुरेश गांधी)

मधुबनी : नये थानाध्यक्ष कुणाल कुमार ने जनप्रतिधियों, सामाजिक राजनीतिक कार्यकर्ता और आम लोगों

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अंधराठाढी/मधुबनी (मोo आलम अंसारी) अंधराठाढ़ी स्थानीय रुद्रपुर थाना परिसर में सोमवार की देर शाम नये थानाध्यक्ष कुणाल कुमार ने जनप्रतिधियों, सामाजिक राजनीतिक कार्यकर्ता और आम लोगों के साथ बैठक की। उन्होंने बताया कि पुलिस कप्तान दीपक बरनवाल के नेतृत्व में जिला पुलिस अपराध मुक्त मधुबनी बनाने के लिए प्रयासरत है। इस मुहिम में पब्लिक पुलिस के बीच संवाद और सहयोग की अहम भूमिका होती है। श्री कुमार ने कहा कि शराब अपराधों की जननी है। शराबखोरी से बहुत सारे अपराध जन्म लेते है । सिविल सोसाईटी से अपेक्षा है कि शराब बनाने, पीने और उनको सहयोग करने वाले के धर पकड़ में पुलिस प्रशासन को मदद करे। अपराध की गंध लगते ही अगरचे पुलिस को खवर मिल जाय तो अपराध नियंत्रण में सहुलियत होगी। उन्होंने कहा कि बतौर थानाध्यक्ष वे नागरिको को भय मुक्त रखने का प्रयास करेगे। अपराध नियंत्रण में मदद मिलती है । इस बैठक में प्रमुख सहित समाज के कई गणमान्य व्यक्ति , विभिन्न पंचायत के मुखिया, सरपंच, पंचस, वार्ड पंच, वार्ड सदस्य, व्यावसायीगण,राजनीतिक कार्यकर्ता और आम लोग शामिल हुए। बैठक में शामिल प्रमुख शुभेश्वर यादव ने कहा कि प्रखंड को अपराधमुक्त बनाने में सहयोग देना बतौर प्रमुख उनका भी दायित्व है। आम जिन्दगी में लोगों के सामने आने वाली समस्या को लेकर पुलिस प्रशासन पूरी तरह मुस्तैद है। लोगों द्वारा उठाये गए विभिन्न मुद्दे यथा अबैध शराब की बिक्री, ऑटो वालो की मनमानी, सड़क अतिक्रमण जैसे सवालों पर थाना प्रभारी ने इनका जल्द समाधान करने की बात कही। इस बैठक में जिप संजय यादव, मुखिया गीतानाथ झा, अरविंद चौधरी, राजेश कुमार मिश्रा, पंसस विष्णु देव यादव, संजय सिंह, रंजन झा, शिवेश झा उर्फ लाल बच्चा, समसुद्दीन नदाफ, संतोष झा, झारीलाल चौपाल, रामप्रकाश चौधरी, महाकांत चौधरी, राजेन्द्र यादव, कृष्ण कुमार झा, दुखनु पासवान, रामशंकर उपाध्याय, सहित पुलिस बल के अजय कुमार, कपिलदेव सिंह, जयनारायण सिंह, रामकुमार, रघुवीर, राजकुमार के साथ साथ अनेक सामाजिक और राजनितिक कार्यकर्ता शामिल हुए ।

नीतीश ने काले दाग धोने के लिए ही नये डिटर्जेंट का प्रयोग शुरू किया : लालू यादव

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पटना 02 अगस्त, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने भ्रष्टाचार के मुद्दे पर जीरो टॉलरेंस का दावा करने वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर एक बार फिर हमला बोलते हुए आज कहा कि नीतीश कुमार ने काले दाग़ धोने के लिए ही आज़माए हुए डिटर्जेंट का प्रयोग करना शुरू किया है। श्री यादव ने एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की रिपोर्ट में प्रदेश की नई सरकार में 75 प्रतिशत से अधिक मंत्रियों के खिलाफ आपराधिक मुकदमें दर्ज होने का हवाला देते हुए माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर अपने ख़ास अंदाज में लिखा, “ काले दाग़ धोने के लिए ही तो आज़माए हुए डिटर्जेंट का प्रयोग करना शुरू किया है। ” इस ट्वीट के माध्यम से श्री यादव ने इशारों ही इशारों में नीतीश कुमार के नये सहयोगी भारतीय जनता पार्टी पर भी हमला बोला है। एक अन्य ट्वीट में राजद सुप्रीमों ने अंतरात्मा की आवाज पर अपने पद से इस्तीफा देने के नीतीश कुमार के निर्णय पर कटाक्ष करते हुए कहा, “अरे भैया, क्यों अंतरात्मा को चैलेंज कर रहे हों? अंतरात्मा को सभी लोग कुर्सी आत्मा समझ लिए हो का।” वहीं श्री यादव के ट्वीट पर राज्य के पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने रिट्वीट करते हुए लिखा, “ इन्हें दाग़ अच्छे लगते है और दागियों से पुराना गहरा रिश्ता है। बेदाग़ छवि बगल में बैठे ये कैसे पचता।” गैर सरकारी संस्था एडीआर ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि बीजेपी के साथ मिलकर नीतीश कुमार की अगुवाई में बनी बिहार की नई सरकार के 75 फीसदी से ज्यादा मंत्रियों के खिलाफ आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य की मौजूदा जनता दल यूनाइटेड, भारतीय जनता पार्टी और लोक जनशक्ति पार्टी की सांझा सरकार के 29 में से 22 मंत्रियों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं जबकि पिछली महागठबंधन सरकार में कुल 28 मंत्रियों में से 19 मंत्री दागी थे। बिहार इलेक्शन वॉच और एडीआर की ओर से मुख्यमंत्री सहित 29 मंत्रियों के चुनावी हलफनामे के विश्लेषण के बाद यह रिपोर्ट तैयार की गई। रिपोर्ट के मुताबिक, मौजूदा सरकार के जिन 22 मंत्रियों ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले घोषित किए हैं, उनमें 9 के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं ।

पटना में युवती की गला दबाकर हत्या

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पटना 02 अगस्त, बिहार में राजधानी पटना किे बेऊर थाना क्षेत्र में बड़ी बहन के घर आयी एक युवती की आज गला दबाकर हत्या कर दी गयी। पुलिस सूत्रों ने यहां बताया कि कृष्ण बिहारी कॉलोनी में किराये के मकान में रहने वाली महिला के घर आयी सोनम कुमारी (18) की गला दबाकर हत्या कर दी गयी । पुलिस ने मकान मालिक की सूचना पर शव को बरामद कर पोस्टमार्टम के लिए पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल भेज दिया है। मृतका सुपौल जिले के त्रिवेणीगंज थाना क्षेत्र के बाजितपुर गांव की निवासी थी जो अपनी बड़ी बहन के घर आयी थी । सूत्रों ने बताया कि मृतका के माता-पिता दिल्ली में काम करते हैं । सोनम की बड़ी बहन के बयान पर देवर दिनेश कुमार के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कराया है । पुलिस के अनुसार देवर से युवती का प्रेम-प्रसंग चल रहा था और संभवत: इसी को लेकर उसकी हत्या की गयी है । आरोपी ऑटो रिक्शा चलाता है जो घटना के बाद से फरार है । पुलिस आरोपी की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी कर रही है । 


चीनी सामान के आयात की बजाय मेक इन इंडिया को बढ़ावा मिलेगा जीएसटी से : जेटली

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नयी दिल्ली 02 अगस्त,  वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के कर ढांचा ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के तहत स्वदेशी विनिर्माण को बढ़ावा देने वाला तथा चीन आदि देशों से आने वाले आयातित सामान पर ज़्यादा कर लगाने वाला है। श्री जेटली से लोकसभा में जम्मू कश्मीर में एकीकृत एवं केन्द्रीय जीएसटी के विस्तार के लिये लाये गये दो विधेयकों पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि हम इस कर प्रणाली के माध्यम से देश में मेक इन इंडिया को बढ़ावा देना चाहते हैं, ना कि विदेशी सामान के आयात को। उन्होंने कहा कि कोई सामान विदेश से आता है तो उस पर बेसिक सीमा शुल्क दस प्रतिशत लगेगा और एकीकृत जीएसटी 12 प्रतिशत लिया जायेगा। इस प्रकार से आयातित सामान पर 22 प्रतिशत कर लगेगा। सदन ने विधेयकाें को ध्वनिमत से पारित कर दिया। उन्होंने कहा कि इससे आयातित सामान की तुलना में भारतीय उत्पाद सस्ते होंगे। इसका कारण यह भी है कि जीएसटी की पूरी प्रणाली में अधिकतर उत्पादों पर पहले की तुलना में कर का भार कम होगा और उनके मूल्य में कमी आएगी।

पांच साल में 24 गुणा बढी मोबाइल डाटा खपत

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नयी दिल्ली, बीते पांच साल के दौरान देश में मोबाइल डाटा की प्रति व्यक्ति खपत 24 गुणा बढ़ी है और उपभोक्ताओं की संख्या में लगातार हो रही बढोतरी की बदौलत अगले पांच साल में इसके बढ़कर दोगुणा होने की उम्मीद है। साख निर्धारक एजेंसी क्रिसिल की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2022 तक डाटा उपभोक्ताओं की संख्या दोगुनी होकर 90 करोड़ के पार पहुंच जायेगी जिससे कुल डाटा खपत में चार गुणा बढोतरी की संभावना है। इसमें कहा गया है कि डाटा उपभोक्ताओं की बढ़ती संख्या के साथ दूरसंचार कंपनियों को प्रति उपभोक्ता अधिक डाटा खपत के लिए तैयार रहना होगा। वित्त वर्ष 2011-12 से 2016-17 के बीच 3जी और 4जी सेवाओं के आने से देश में प्रति उपभोक्ता मोबाइल डाटा का इस्तेमाल 61 एमबी से करीब 24 गुणा बढ़कर लगभग 1.30 जीबी प्रति माह पर पहुँच गया है। हालांकि रिलायंस जियो के नि:शुल्क ऑफर के कारण दूरसंचार कंपनियाँ इस मौके को भुना नहीं पायी और पिछले वित्त वर्ष के दौरान उन्हें डाटा की कीमतों में 40 प्रतिशत के करीब कटौती करनी पड़ी। रिपोर्ट के मुताबिक मोबाइल डाटा का इस्तेमाल वार्षिक 12 प्रतिशत की दर से बढेगा और 2022 तक प्रति उपभोक्ता खपत 2.3 जीबी मासिक हो जायेगी आैर इसके बाद इसमें स्थिरता आयेगी। विभिन्न देशों में डाटा खपत के संदर्भ में किये गये तुलनात्मक अध्ययन से यह बात सामने आयी है कि डाटा की खपत हाई स्पीड से जुड़ी है। भारत में 4जी सेवा पर मोबाइल डाटा की स्पीड दक्षिण कोरिया के मुकाबले आधी है। वाई-फाई से जुड़े आधारभूत ढांचों से लागत में कमी आयेगी और उपभोक्ताओं को तेज इंटरनेट भी मिल पायेगा। क्रिसिल का कहना है कि वाई-फाई सेवा के विस्तार से डाटा खपत में तेजी से बदलाव आयेगा। रिपोर्ट से यह बात भी सामने आयी है कि देश में कुल डाटा खपत का करीब 80 फीसदी वीडियो पर खर्च होता है, जबकि चीन में यह 77 प्रतिशत है। यहां लोग सबसे अधिक वीडियो हिंदी भाषा में देखते हैं। वीडियो देखने में होने वाले कुल डाटा खपत का करीब 60 फीसदी हिंदी वीडियो और 35 फीसदी अन्य क्षेत्रीय भाषाओं का वीडियो देखने में होता है।

रोनी स्क्रूवाला के साथ काम करने को लेकर उत्साहित हैं इरफान खान

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मुंबई, 02 अगस्त, बॉलीवुड अभिनेता इरफान खान फिल्मकार रोनी स्क्रूवाला के साथ काम करने जा रहे हैं। आरएसवीपी बैनर की नई परियोजना के लिए इरफान खान निर्माता रोनी स्क्रूवाला के साथ हाथ मिलाने जा रहे हैं। इरफान ने कहा कि वह स्क्रूवाला के साथ सहयोग करने के लिए उत्साहित हैं। इरफान खान ने कहा, मैं रोनी स्क्रूवाला के साथ सहयोग करने के लिए उत्साहित हूं। यह मेरे निभाने के लिए मजेदार किरदार है और इसका हिस्सा बनने के लिए दिलचस्प परियोजना भी है। आकर्ष खुराना के निर्देशन में बनने जा रही फिल्म जीवन के विभिन्न पड़ाव से जुड़े तीन किरदारों की कहानी हैं। इरफान फिल्म में रूढ़िवादी लेकिन उर्दू शायरी पसंद करने वाले शख्स के रूप में नजर आएंगे। फिल्म की शूटिंग अगस्त के अंत में शुरू होने की संभावना है।

मोदी ने पूर्वोत्तर भारत के सांसदों के साथ बैठक की

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नयी दिल्ली 02 अगस्त, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज यहां पूर्वोत्तर भारत के सांसदों के साथ एक बैठक के दाैरान क्षेत्रीय विकास के मुद्दों पर चर्चा की। श्री मोदी ने एक ट्विट में कहा, “ बिहार, झारखंड, ओड़िशा और पश्चिम बंगाल के सांसदों के साथ विभिन्न मुद्दों, विशेषकर पूर्वोत्तर भारत के विकास के मुद्दों पर चर्चा हुई।” प्रधानमंत्री ने पूर्वोत्तर क्षेत्र में बाढ़ की स्थिति की समीक्षा के लिए कल वहां का दौरा करने के एक दिन बाद यह बैठक बुलायी। बैठक में संसदीय मामलों के मंत्री अनंत कुमार और अन्य केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद, राधामोहन सिंह, जयंत सिन्हा और एस एस अहलूवालिया भी मौजूद थे। इससे पहले कल प्रधानमंत्री ने असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और नागालैंड के मुख्यमंत्रियों और प्रशासन के उच्चाधिकारियों के साथ सिलसिलेवार बैठक की थी और बाढ़ से प्रभावित पूर्वोत्तर राज्यों में राहत, पुनर्वास, पुनर्निमाण और बाढ़ की रोकथाम के उपायों की कार्ययोजना के लिए दो हजार करोड़ रुपये से अधिक का राहत पैकेज की घोषणा की । मिजोरम के मुख्यमंत्री ललथनहावला बैठक में मौजूद नहीं थे, लेकिन राज्य की ओर से प्रधानमंत्री को एक ज्ञापन सौंपा गया था।

कुशल एवं प्रशिक्षित कामगारों की देश में भारी कमी : रुडी

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नयी दिल्ली, 02 अगस्त, सरकार ने आज कहा कि देश में कुशल कामगारों और प्रशिक्षित लोगों की भारी कमी है, इसलिए सरकार इस जरूरत को पूरा करने के लिए सभी जिलों में कौशल विकास केंद्र तेजी से स्थापित करने पर बल दे रही है। काैशल विकास मंत्री राजीव प्रताप रूडी ने लोकसभा में आज एक पूरक प्रश्न के उत्तर में कहा कि कुशल एवं प्रशिक्षित लोगों की देश में जितनी आवश्यकता है उसकी तुलना में काफी कम लोग कुशल एवं प्रशिक्षित हैं। इस कमी को दूर करने के लिए देश के विभिन्न हिस्सों में 512 प्रधानमंत्री कौशल विकास केंद्र स्थापित किये जाने हैं और अब तक 212 केंद्र स्थापित किये जा चुके हैं। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर के राज्यों में इस मामले में विशेष ध्यान दिया जा रहा है, क्योंकि वहां की परिस्थिति देश के अन्य हिस्सों की अपेक्षा भिन्न है। इसलिए वहां स्थानीय स्थिति के अनुकूल कौशल विकास कार्यक्रम चलाया जा रहा है। कौशल विकास के लिए राष्ट्रीय स्तर पर जो मानक बनाए जा रहे हैं वे पूर्वोत्तर के अनुकूल नहीं हैं, इसलिए सरकार इस पर विशेष ध्यान दे रही है। श्री रूडी ने कहा कि कौशल विकास के लिए पांच हजार रुपये तक का भत्ता छात्रों को दिया जा रहा है। यदि एक जिले से दूसरे जिले में कौशल विकास के लिए युवक जाते हैं तो वहां भी उन्हें भत्ता दिया जाता है। कौशल विकास में सुधार के लिए औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आईटीआई) के ट्रेड बदले गए हैं।

गुजरात राज्यसभा चुनाव में नोटा इस्तेमाल के खिलाफ याचिका पर उच्चतम न्यायालय में कल सुनवाई

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नयी दिल्ली, 02 अगस्त, उच्चतम न्यायालय गुजरात में राज्यसभा चुनाव में नोटा का इस्तेमाल करने के खिलाफ गुजरात कांग्रेस की याचिका पर कल सुनवाई करेगा। न्यायाधीश दीपक मिश्रा की खंडपीठ ने आज इस संबंध में याचिका पर सुनवाई करते हुये कहा कि वह इस पर कल सुनवाई करेगा। गौरतलब है कि गुजरात में राज्यसभा की तीन सीटों के लिये आठ अगस्त को चुनाव है। चुनाव में भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह , केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी अौर बलवंत सिन्हा राजपूत के अलावा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के सलाहकार अहमद पटेल उम्मीदवार हैं। भाजपा ने कांग्रेस से इस्तीफा देने वाले को भी उम्मीदवार बनाया है। गुजरात में राज्यसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक तूफान चरम पर है। कांग्रेस के 57 विधायक थे जिसमें से विधानसभा में विपक्ष नेता शंकर सिंह वघेला समेत कई विधायक इस्तीफा दे चुके हैं। पार्टी के विधायकों को और टूट से बचने के लिये कांग्रेस करीब 40 विधायकों को बेंगलूर के एक रिजार्ट में रखे हुये हैं। चुनावों में नोटा का इस्तेमाल करने पर कांग्रेस ने कड़ा ऐतराज जताया है और इसके खिलाफ उच्चतम न्यायालय में यह याचिका दी थी। नोटा के तहत मतदाता को यह अधिकार होता है कि जो भी उम्मीदवार खड़े हैं यदि उनमें से वह किसी को भी वोट देना नहीं चाहता तो नोटा का इस्तेमाल कर सकता है। चुनाव आयोग राज्यसभा चुनाव में नोटा का इस्तेमाल करने का समर्थक है। उसका कहना है कि उच्चतम न्यायालय के 2013 के इलेक्ट्रोनिक वाेटिंग मशीन (ईवीएम)में इसका प्रावधान आवश्यक किये जाने के बाद 2014 से यह प्रभावी हो गया है। कांग्रेस ने चुनाव आयोग के इस फैसले को लेकर भी उसके समक्ष अपना विरोध जताया था। कांग्रेस ने अपनी याचिका में दावा किया है कि राज्यसभा चुनाव में नोटा का इस्तेमाल करने को कानूनी मंजूरी नहीं है। उसने सरकार के इस कदम को गैर कानूनी बताया है।

बिहार : मगध विश्वविद्यालय शाखा कार्यालय पर रोषपूर्ण प्रदर्शन

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  • आक्रोशित छात्रों ने कुलपति का पुतला फूंका, दस सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल शाखा कार्यालय प्रभारी से मिला, प्रभारी ने परीक्षा नियंत्रक से कराई बात, कई मामलों में ठोस आश्वासन, 10 अगस्त तक स्नातक तृतीय खंड का परीक्षाफल, पी॰जी॰ सेमेस्टर-2 का परीक्षाफल 2 दिनों में, सेमेस्टर-4 का एक सप्ताह के अंदर, निःशुल्क शिक्षा के आदेश नहीं मानने वाले काॅलेजों पर कार्रवाई तय।

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पटना:- मगध विश्वविद्यालय के पटना शाखा कार्यालय पर ए॰आई॰एस॰एफ॰ के बैनर तले आज छात्रों ने रोषपूर्ण प्रदर्शन किया। आक्रोशित छात्रों ने मगध विश्वविद्यालय कुलपति का पुतला फूँक अपने गुस्से को प्रकट किया। शैक्षणिक सत्र नियमित करने, स्नातक प्रथम खंड की परीक्षा फार्म भरने की तिथि विस्तारित करने, सभी काॅलेजों में एक समान शुल्क संरचना लागू करने, जे॰एम॰एल॰ काॅलेज, खगौल एवं बी॰एस॰ काॅलेज, दानापुर मंे की गई मनमानी शुल्क वृद्धि की वापसी, संबद्ध काॅलेजों की मान्यता रद्द करने से उत्पन्न संकट दूर करने, छात्रसंघ चुनाव को लेकर शाखा कार्यालय पर मौजूद अधिकारियों का घेराव किया। कार्यालय के प्रभारी शैलेश कुमार प्रदर्शन की पूर्व सूचना पाकर पहले से ही गेट के बाहर खड़े थे। उन्होंने छात्रों के प्रतिनिधियों से वार्ता के लिए चलने को कहा। छात्रों के गुस्से का शिकार मौजूद अधिकारियों को होना पड़ा। वार्ता के लिए दस सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल शाखा कार्यालय में प्रभारी के दफ्तर में पहुँचा। प्रभारी श्री शैलेश कुमार ने कहा आपकी मांगों पर परीक्षा नियंत्रक से आज ही बात हुई है। पुष्टि के लिए ए॰आई॰एस॰एफ॰ के राज्य सचिव सुशील कुमार की बात मगध विश्वविद्यालय से फोन पर बात करायी। परीक्षा नियंत्रक ने 10 अगस्त तक स्नातक तृतीय खंड का परीक्षाफल प्रकाशित करने, पी॰जी॰ सेमेस्टर का परीक्षाफल दो दिनों एवं पी॰जी॰ सेमेस्टर-प्ट का परीक्षाफल एक सप्ताह के अंदर प्रकाशित करने, पी॰जी॰ सेमेस्टर प् एवं प्प्प् की परीक्षा अगस्त के तीसरे सप्ताह से शुरू करने, स्नातक द्वितीय खंड की परीक्षा सितंबर प्रथम सप्ताह एवं स्नातक प्रथम खंड की परीक्षा सितंबर के तीसरे सप्ताह तक कराने का भरोसा दिलाया। वहीं शाखा कार्यालय प्रभारी श्री कुमार ने कहा कि कल होनेवाली एग्जामिनेशन बोर्ड की बैठक उन संबद्ध काॅलेजों जिनकी मान्यता रद्द हो चुकी है के छात्रों के हित में विश्वविद्यालय फैसला लेगा। श्री कुमार ने पी॰जी॰ तक सभी छात्राओं एवं ैब्ध्ैज् के छात्रों को निःशुल्क शिक्षा के आदेश को नहीं मानने वाले प्राचार्यों पर कुलपति द्वारा कार्रवाई की बात कही। जबकि विश्वविद्यालय की अनुमति के बिना जे॰एन॰एल॰ काॅलेज, खगौल एवं बी॰एस॰ काॅलेज, दानापुर में शुल्क वृद्धि किये जाने पर सभी काॅलेजों में एक समान शुल्क संरचना लागू करने को लेकर वरीय अधिकारियों तक बात पहुँचा छात्रहित मंे फैसला कराने की बात कही। जबकि छात्रसंघ चुनाव दिसंबर में कराने की जानकारी दी। वार्ता में ए॰आई॰एस॰एफ॰ के राज्य सचिव सुशील कुमार, जिला उपाध्यक्ष जन्मेजय कुमार, राज्य परिषद् सदस्य बिट्टू कुमार, राकेश कुमार, अंकित कुमार, निशांत कुमार, आकाश कुमार, अमन कुमार, रवि कुमार, अजीत कुमार शामिल थे। जबकि प्रदर्शन में ए॰आई॰एस॰एफ॰ के जिला सचिव सुशील उमाराज, शशिकांत, संदीप, आनंद, परमात्मा, कुमार वैभव, नीतीश, ऋषि, राजीव, राहुल, प्रदुम्न सहित दर्जनों छात्र मौजूद थे। मीर सैफ अली की अध्यक्षता मंे सभा भी हुई।


सरकारी योजनाओं से कायाकल्प करें : रानी कुमारी

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पटना। पटना नगर निगम के वार्ड नम्बर- 27 की वार्ड पार्षद हैं रानी कुमारी। पटना नगर निगम बोर्ड के निर्णयानुसार सीएम नीतीश कुमार के विकसित बिहार के 7 निश्चय 'आर्थिक हस, युवाओं को बल'को धरती पर उतारना है। इसको मूर्त रूप देने का प्रयास का साक्षी बना ऐतिहासिक गोलघर। इसके परिसर में कई दर्जन युवाओं का जमावाड़ा दिखा। मौके पर वार्ड पार्षद रानी कुमारी ने युवाओं का आह्वान किया कि सीएम नीतीश कुमार जी का महत्वांकाक्षी 7 निश्चय से फायदा उठाये। बिहार स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना, कुशल युवा कार्यक्रम और मुख्यमंत्री निश्चय स्वयं सहायता भत्ता योजना। बता दें कि बिहार स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना के तहत बैंकों से जोड़कर सरकार द्वारा 12 वीं कक्षा उर्त्तीण इच्छुक विघार्थियों के लिए 4  लाख रूपये तक के शिक्षा ऋण पर राज्य सरकार की गारंटी। 4 साल की पढ़ाई  और 1 साल नौकरी खोजने की सहुलियत देने के बाद रकम वापसी करनी है। अधिकतम आयु 25 वर्ष है। कुशल युवा कार्यक्रम योजना के तहत 15 से 25 आयु के युवा/युवती जो मैट्रिक उर्त्तीण हैं अथवा उच्च शिक्षा में अध्ययनरत/उपाधि प्राप्त कर चुके हैं, उन्हें भाषा (हिन्दी/अंग्रेजी) एवं व्यवहार कौशल तथा बुनियादी कम्प्यूटर ज्ञान का प्रशिक्षण दिया जायेगा। मुख्यमंत्री निश्चय स्वयं सहायता भर्त्ता योजना के तहत नौकरी खोजने व साक्षात्कार में आवाजाही करने लिये 24 माह 1 हजार रू.दिया गया।     

विदिशा (मध्यप्रदेश) की खबर 02 अगस्त

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पेड़ मानव को सदैव देने का काम करते है : कलेक्टर 

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ग्राम पंचायत सोंठिया में आज पौधरोपण कार्य सम्पन्न हुआ। जिला पंचायत अध्यक्ष श्री तोरण सिंह दांगी ने कहा कि पेड आज मानव के लिए अति आवश्यक है। आने वाली पीढी को विरासत में हम अच्छा पर्यावरण देकर जाएं इसके लिए अधिक से अधिक पौधे लगाना अति आवश्यक है। कलेक्टर श्री अनिल सुचारी ने कहा कि पेड़ मानव को सदैव देने का काम करते है चाहे वे फल-फूल, पत्तियां, लकडियां इसके अलावा आॅक्सीजन देते है। जिस क्षेत्र में पेड़ो की संख्या अधिक होती है वहां का पर्यावरण अन्य क्षेत्रों की अपेक्षा बेहतर होता है। कलेक्टर श्री सुचारी ने कहा कि पेडो के प्रति हमारे भी कुछ नैतिक दायित्व है। एक पौधे को पेड बनने में कई वर्ष लग जाते है। मानव अपनी आवश्यकता के अनुरूप कभी भी पेडो पर कुल्हाडी चलाने लगते है जो वर्तमान पर्यावरण के प्रतिकूल है। उन्होंने पौधो की देखभाल पेड़ होने तक सतत करने का आव्हान करते हुए कहा कि विदिशा जिले में अधिक से अधिक पौधरोपण हो इसके लिए प्रशासनिक अमला के साथ-साथ आमजनों की सहभागिता अतिमहत्वपूर्ण है। राज्य सरकार द्वारा पौधरोपण को बढावा देने के लिए अनेक योजनाओं के माध्यम से अनुदान मुहैया कराया जा रहा है। ग्राम पंचायत सोंठिया के स्कूल प्रागंण में आयोजित कार्यक्रम को श्री रमेश शर्मा ने भी सम्बोधित किया। 



सम्मानित
ग्राम पंचायत सोंठिया की सरपंच श्रीमती रीना सिलावट के द्वारा उत्कृष्ट कार्यो का सम्पादन करने पर उन्हें राज्य सरकार द्वारा सम्मानित किया गया है। सम्मान प्रमाण पत्र आज जिला पंचायत अध्यक्ष श्री तोरण सिंह दांगी, कलेक्टर श्री अनिल सुचारी ने संयुक्त रूप से सौंपा। 

पौधरोपण
ग्राम पंचायत सोंठिया के तालाब की पार के नीचे अतिथियों एवं छात्राओं द्वारा पौधरोपण कार्यक्रम में भी सहभागिता निभाई गई। ज्ञातव्य हो कि नगर की एक निजी शैक्षणिक संस्था द्वारा सोंठिया तालाब के गहरीकरण कार्य में बढचढकर भागीदारी निभाई गई है। उक्त संस्था के द्वारा आज पौधरोपण कार्यक्रम आयोजित किया गया था। कार्यक्रम स्थल पर जिला पंचायत सीईओ श्री दीपक आर्य समेत अन्य गणमान्य नागरिक एवं विद्यार्थी मौजूद थे।

हितग्राहीमूलक योजनाआंे में तेजी लाएं : कलेक्टर


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कलेक्टर श्री सुचारी ने हितग्राहीमूलक योजनाओं में तेजी लाने के निर्देश दिए है। टीएल बैठक में उन्होंने कहा कि क्वार्टरली लक्ष्यों की पूर्ति समय सीमा में पूरी की जाए। जिलाधिकारी बजट आवंटन की जानकारी अपनी टेबिल पर रखें। उन्होंने एक प्रति जिला कार्यालय को उपलब्ध कराने के निर्देश दिए है। कलेक्टर श्री सुचारी ने कहा कि अनुदान आवंटन उपलब्धता के बावजूद यदि हितग्राहीमूलक योजनाओं में वित्त पोषण कराने में लापरवाही परलिक्षित होती है तो जिलाधिकारी सीधे दोषी माने जाएंगे। 

स्कूलांे की माॅनिटरिंग
जिले के शासकीय स्कूलों में पदस्थ गुरूजनों की उपस्थिति की क्रास मानिटरिंग के लिए जिलें में किए गए नवाचार की भी समीक्षा इस दौरान की गई। कलेक्टर ने डीपीसी और जिला शिक्षा अधिकारी को निर्देश दिए कि हर रोज कार्यवाही की नस्ती प्रस्तुत करें। डीपीसी ने बताया कि जुलाई माह तक अनुपस्थित पाए गए 103 शिक्षकों को शोकाॅज नोटिस जारी किए गए है। ज्ञातव्य हो कि शिक्षकों की उपस्थिति, अवकाश के आवेदनों की जानकारी के लिए जन शिक्षकों को सौंपे गए स्कूलांे की जानकारियां सीधे वाट्सअप के माध्यम से जिलाधिकारियों को प्रेषित की जा रही है। 

पट्टेधारियों को योजनाओं का लाभ
जिले के वनोक्षेत्र में रहने वाले 1285 परिवारों को शासन के मापदण्ड अनुसार पट्टे प्रदाय किए गए है। इन सभी हितग्राहियांे के बैंकों में खाते खुलवाने, केसीसी जारी करने के साथ-साथ निवासरत क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाएं अविलम्ब मुहैया कराए जाने के निर्देश कलेक्टर द्वारा दिए गए है। उन्होंने कहा कि आगामी टीएल बैठक में उपरोक्त कार्यो के साथ-साथ घुमक्कड़-अद्र्वघुमक्कड परिवारो को दी जाने वाली सुविधाओं के परिपेक्ष्य में क्रियान्वित कार्यो की समीक्षा की जाएगी। 



फार्म उपलब्ध कराने के निर्देश
कलेक्टर श्री सुचारी ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के फार्म जिले के सभी एसडीएम, तहसील कार्यालयों के साथ-साथ जनपदों में पर्याप्त संख्या में उपलब्ध कराने के निर्देश संबंधितों को दिए है। इस दौरान काॅ-आपरेटिव बैंक के सीईओ श्री विनय प्रकाश सिंह ने बताया कि बैंक के ऋणी 62 हजार किसानों की फसलों का बीमा योजना के तहत किया जा चुका है। बैठक में श्रम, कृषि, खनिज, खाद्य विभाग, आदिम जाति कल्याण, उच्च शिक्षा, स्कूल शिक्षा, आरईएस, पीडब्ल्यूडी, आधार कार्ड, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी, स्वास्थ्य विभाग, ऊर्जा विभाग के लंबित आवेदनों और जाति प्रमाण पत्र, सार्वजनिक वितरण प्रणाली की अद्यतन प्रगति की भी समीक्षा की गई। वही वरिष्ठ कार्यालयों के साथ-साथ मानव अधिकार आयोग, पीजी सेल, समाधान आॅन लाइन और जन शिकायत निवारण के प्राप्त आवेदनों और पेपर कंटिग पर अब तक संबंधित विभागों के अधिकारियों द्वारा की गई कार्यवाहियों की बिन्दुवार जानकारियां प्रस्तुत की गई। कलेक्टेªट के सभाकक्ष में हुई इस बैठक में अपर कलेक्टर श्री एचपी वर्मा, डिप्टी कलेक्टर द्वय श्री रविशंकर राय, श्री एके मांझी के अलावा समस्त विभागों के जिलाधिकारी मौजूद थे।

ग्रामवार योजनाएं बनाई जाएंगी

जिला योजना अधिकारी श्री एसआर रायकवार ने बताया कि जिले के विकास हेतु ग्रामवार कार्ययोजना बनाई जाएगी इसके लिए एक दिवसीय प्रशिक्षण दोपहर 12 बजे से पांच अगस्त को एसएटीआई के सभागार कक्ष में आयोजित किया गया है। 

राजस्व कार्यो में जिला पिछडे़ ना : कलेक्टर

कलेक्टर श्री अनिल सुचारी ने आज पटवारियों के लिए आयोजित दक्षता संवर्धन कार्यशाला में कहा कि जिला राजस्व कार्यो में पिछडे ना इस कार्य में पटवारियों की महती भूमिका है। उन्होंने कहा कि हर गांव में जमीन से जुडा एक ना एक प्रकरण मिल जाता है अतः पटवारी और कोटवार एकजुट होकर स्थानीय स्तर की राजस्व समस्याओं का निदान तीव्र गति से करें। कलेक्टर श्री सुचारी ने कहा कि अभी भी भ्रमण के दौरान अविवादित नामांतरण और बंटवारा के प्रकरण लंबित होने की जानकारी प्राप्त होती है। उन्होंने जिस पर अप्रसन्नता जाहिर करते हुए कहा कि अविवादित नामांतरण, बंटवारा के तमाम प्रकरण दस दिन के अन्दर दर्ज कर पंचायत सचिव के माध्यम से इस्तिहार जारी कराएं इसके पश्चात आगामी ग्राम सभाओं में ठहराव प्रस्ताव का अनुमोदन अनिवार्यतः करें। उन्होंने वी-1 का वाचन गांव-गांव में जाकर करने के निर्देश दिए है।  प्रशिक्षण कार्यशाला में डायवर्सन, नजूल वसूली, राजस्व न्यायालयों में लंबित प्रकरण, सीएम हेल्पलाइन, जन शिकायत, लोक सेवा गारंटी में दर्ज प्रकरणों के अलावा राजस्व अभिलेख, अपडेशन, एनआईसी साफ्टवेयर में अभिलेखों की अद्यतन कार्यवाही कार्ययोजना तैयार कर तीस अगस्त तक पूर्ण होने के उपरांत निःशुल्क खसरा खतौनी वितरण की कार्यवाही, सिविल न्यायालय में पंजी संबंधी तमाम प्रकरणों के जबाव दावा समय सीमा में दाखिल कराने, अतिक्रमण पंजी में अतिक्रमण मामलों की रिपोर्ट दर्ज करने, पटवारी बस्ता का निरीक्षण, ग्राम पंचायतों की मांग के अनुसार आबादी घोषित करना, ग्राम में उपलब्ध आवासहीन आबादी को आवासों की उपलब्धता के अलावा अधिकार पत्र वितरण, ऐसे मामले जहां अधिकार वितरण पत्र वितरण शेष है उन ग्रामों के अधिकार पत्र तैयार करने हेतु न्यायालय में तीस अगस्त तक प्रस्तुत करने और पटवारी डायरी का संधारण इत्यादि की विस्तृत जानकारी दी गई है। एसएटीआई के कैलाश सत्यार्थी सभागृह में आयोजित उक्त कार्यशाला को अपर कलेक्टर श्री एचपी वर्मा, एसडीएम श्री आरपी अहिरवार, डिप्टी कलेक्टर श्री रविशंकर राय ने भी तथ्यात्मक पूर्ण जानकारियां दी। कार्यशाला में एसएलआर समेत जिले के समस्त पटवारी मौजूद थे। 

मतदान तैयारियों की समीक्षा आज

नगर परिषद शमशाबाद के अध्यक्ष को वापिस बुलाए जाने के लिए 11 अगस्त को मतदान होगा। निर्वाचन प्रक्रिया शांतिपूर्वक एवं निष्पक्ष रूप से सम्पन्न हो इसके लिए कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी श्री अनिल सुचारी की अध्यक्षता में तीन अगस्त की प्रातः 11 बजे से कलेक्टेªट के सभाकक्ष में बैठक आयोजित की गई है। उप जिला निर्वाचन अधिकारी ने उक्त जानकारी देते हुए बताया कि बैठक में तमाम सेक्टर मजिस्टेªट, जोनल अधिकारी एवं गठित विभिन्न प्रकोष्ठो की निगरानी हेतु जिन अधिकारियों को दायित्व सौंपे गए है उनके द्वारा अब तक किए गए कार्यो की बिन्दुवार समीक्षा की जाएगी। संबंधितों से तमाम जानकारी सहित बैठक में उपस्थित होने के निर्देश प्रसारित किए गए है।

“दाँतरे अखिल भारतीय कांग्रेस के D.R.O. नियुक्त”

विदिशा I अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी,नई दिल्ली के मुख्य निर्वाचन अधिकारी द्वारा जिले के बरिष्ठ कांग्रेस नेता , समाजसेवी, पत्रकार इंजी. अजय दाँतरे को जम्मू-कश्मीर प्रदेश के बारामुल्ला जिले का जिला-निर्वाचन अधिकारी (D.R.O.) नियुक्त किया है I दाँतरे वहाँ कांग्रेस संगठन के राष्ट्रीय स्तर पर चल रहे सदस्यता अभियान और, संगठन- चुनाओं सम्बंधित समस्त कार्य देखेंगे दाँतरे कांग्रेस की प्रशिक्षण -और चुनाव प्रबंधन करने बाली संस्था “जवाहरलाल नेहरू लीडरशिप इंस्टिट्यूट” , नई दिल्ली के मुख्य-प्रशिक्षक के तौर पर कार्य करने के साथ ही ,इससे पूर्व संगठन में म.प्र. युवा कांग्रेस के पूर्व प्रदेश महासचिव , एन॰एस॰यू॰आई॰ विदिशा के पूर्व ज़िलाध्यक्ष, पूर्व ज़िला कांग्रेस महामंत्री आदि अनेक महत्वपूर्ण पदों पर कार्य कर अपनी सेवाएं दे चुके हैं उनकी इस नियुक्ति पर जिले के अनेक कांग्रेसजनों ने उन्हें शुभकामनायें देते हुए राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी जी एवं राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री राहुल गांधी जी का आभार व्यक्त किया है I

पनगढिया के इस्तीफे से विकास की गति होगी बाधित : अंजान

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नयी दिल्ली 02 अगस्त, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के वरिष्ठ नेता अतुल कुमार अंजान ने आज कहा कि नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविन्द पनगढिया ने प्रधानमंंत्री कार्यालय के साथ गहरे मतभेदों के कारण इस्तीफा दिया है और इससे देश के विकास की गति बाधित होगी, श्री अंजान ने यूनीवार्ता से बातचीत में दावा किया कि पिछले कुछ महीनों से श्री पनगढिया के प्रधानमंत्री कार्यालय तथा वित्त मंत्री अरुण जेटली के साथ गहरे मतभेद चल रहे थे और इसी के परिणामस्वरुप उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दिया है । उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री कार्यालय से नीति आयोग के लिए नीतियां एवं कार्यक्रम बनकर आतें थे और नीति आयोग को उन्ही पर अमल करने को कहा जाता था । इसके कारण आयोग अपनी ओर से कुछ नहीं कर पा रहा था । यहां तक कि विशेषज्ञों को भी अपने कामकाज में नहीं जोड पा रहा था और न ही विभिन्न क्षेत्रों के लिए अपनी समितियां बना पा रहा था । भाकपा नेता ने कहा कि नीति आयोग के कार्य क्षेत्र में कुछ और बाहरी हस्तक्षेप भी किया जा रहा था । उन्होंने कहा कि कहा जा रहा है कि श्री पनगढिया ने कोलंबिया विश्वविद्यालय से लिया गया अवकाश पूरा होने और शिक्षण क्षेत्र में लौटने की उनकी इच्छा के कारण इस्तीफा दिया है लेकिन क्या एक अमेरिकी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर का पद देश के इस महत्वपूर्ण पद से ज्यादा अहम है जिस पर कई बडी हस्तियां रह चुकी हैं । उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को वास्तविक स्थिति देश के समक्ष स्पष्ट करनी चाहिये जो नीति आयोग के अध्यक्ष भी हैं । श्री अंजान ने कहा कि श्री पनगढिया के इस समय नीति आयोग के उपाध्यक्ष पद से हटने से देश के विकास की गति को नुकसान पहुंचेगा । उनका कहना था कि नोटबंदी के बाद पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा था कि इससे सकल घरेलू उत्पाद में दो प्रतिशत तक की कमी हो सकती है और मौजूदा हालात को देखते हुए उनकी बात सच लग रही है । ऐसी स्थिति में नीति आयोग के उपाध्यक्ष का इस्तीफा देना ठीक नहीं है ।

पनामा पेपर्स मामले में रमन सिंह पर हो कार्रवाई : जोगी

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नयी दिल्ली 02 अगस्त, छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री तथा छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस के अध्यक्ष अजित जोगी ने मोदी सरकार पर भ्रष्टाचार के खिलाफ मुँहदेखी कार्रवाई करने का आरोप लगाते हुये आज कहा कि राज्य के वर्तमान मुख्यमंत्री रमन सिंह के बेटे अभिषेक सिंह का पनामा पेपर्स में नाम आने के बावजूद केंद्र सरकार उन पर कार्रवाई नहीं कर रही है। श्री जोगी ने यहाँ संवाददाता सम्मेलन में कहा कि उन्होंने पनामा पेपर्स की जांच के लिए एक टीम बनायी थी और टीम ने जो सबूत जुटाये हैं उसके अनुसार अभिषेक की वर्जिन ब्रिटिश आइलैंड एक सेल कंपनी है। साथ ही उनके (अभिषेक) और श्री सिंह के करोड़ों रुपये वर्जिन ब्रिटिश आइलैंड और स्विस बैंकों में जमा हैं। राज्य में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं और इस संबंध में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि उन्होंने चुनाव का बिगुल बजा दिया है। श्री जोगी ने आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) से संबद्ध होने के कारण श्री सिंह और अभिषेक के खिलाफ जाँच नहीं हो रही है। दोनों ने शेयरकॉर्प नामक कंपनी के माध्यम से स्विटजरलैंड के यूएसबी एजी नामक बैंक में अपना कालाधन जमा कराया है। उन्होंने कहा कि शेयरकॉर्प वही कंपनी है जिसके माध्यम से विजय माल्या ने अपना पैसा विदेश भेजा था।” श्री सिंह और उनके पुत्र पर दूसरा आरोप श्री जोगी ने यह लगाया है कि उन्होंने इटली की कंपनी अगस्ता वेस्टलैंड से हेलीकॉप्टर खरीदने में सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग करते हुये नियमों का उल्लंघन कर 15.7 लाख डॉलर (करीब 9.5 करोड़ रुपये) का घोटाला किया। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार ने वर्ष 2008 में अगस्ता वेस्टलैंड से एक हेलिकॉप्टर खरीदा था। इसके लिए राज्य सरकार ने शार्प ओशन नामक कंपनी को आधिकारिक कमीशन एजेंट नियुक्त किया था जबकि वर्ष 1985 में ही ऐसे सौदों के लिए कमीशन एजेंट की नियुक्ति को गैर-कानूनी बना दिया गया था। दिलचस्प तथ्य यह है कि तीन जुलाई 2008 को अभिषेक ने क्वेस्ट हाइट्स नाम से एक कंपनी खोली जिसमें शार्प ओशन ने सारा पैसा स्थानांतरित कर दिया। इसके बाद शार्प ओशन बंद हो गयी। श्री जोगी ने दावा किया है कि क्वेस्ट हाइट्स का पता भी श्री सिंह के निजी निवास स्थान का है। उन्होंने आरोप लगाया किया कि दोनों पिता-पुत्र का सारा काला धन स्विस बैंक और वर्जिन आइलैंड में वर्ष 2008 में ही जमा कराया गया है। उन्होंने पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम, उनके परिवार और बीजू जनता दल के सांसद बैजंत पांडा के वित्तीय संबंधों की जाँच की भी माँग की और कहा कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन(संप्रग) सरकार के कार्यकाल में श्री चिंदबरम के नेतृत्व में विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड द्वारा दी गयी निवेश की सभी स्वीकृतियों की जाँच की जानी चाहिये।

रिर्साट पर नहीं कर्नाटक के मंत्री के 39 ठिकानों पर पडे़ हैं छापे : जेटली

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नयी दिल्ली 02 अगस्त, राज्यसभा में सदन के नेता एवं वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज स्पष्ट किया कि कर्नाटक के जिस रिसोर्ट में कांग्रेस के गुजरात के विधायक ठहरे हुये हैं वहां आयकर विभाग ने छापा नहीं मारा है बल्कि कर्नाटक के एक मंत्री और उनके 39 स्थानों पर छापेमारी की गयी है। कांग्रेस के आंनद शर्मा सहित पार्टी के कई अन्य सदस्यों ने आज शून्यकाल शुरू होते ही सदन में इस मुद्दे को उठाया और नारेबाजी की। श्री शर्मा ने आरोप लगाया कि सरकार आयकर विभाग, प्रवर्तन निदेशालय और केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) का दुरूपयोग कर रही है। कांग्रेस सदस्यों के हंगामे के कारण उप सभापति पी जे कुरियन ने सदन की कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित कर दी। नारेबाजी के बीच श्री जेटली ने कहा कि आयकर विभाग ने कर्नाटक के एक मंत्री के घर पर छापा मारा है और इसी दौरान यह मंत्री अपने घर से निकलकर उस रिसोर्ट में छुप गया जहां गुजरात के कांग्रेस विधायकों को ठहराया गया है। उन्होंने कहा कि जिस व्यक्ति के यहां छापेमारी की कार्रवाई की जाती है उसका बयान लिया जाता है इसलिए आयकर विभाग के अधिकारी उस रिसोर्ट में गये जहां संबंधित मंत्री कुछ कागजात फाड़ रहे थे। अधिकारियों ने फाड़े गये कागजों को एकत्रित किया और पंचनामा बनाया। उन्होंने कहा कि इस छापे का उस रिसोर्ट से कोई लेनादेना नहीं है और इस कार्रवाई को गुजरात के विधानसभा चुनाव से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए। सदन में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने सरकार पर पलटवार करते हुए कहा कि वह बीजेपी के उन नेताओं पर सीबीआई की छापेमारी कराए जो कांग्रेस नेताओं को 15 करोड़ रुपये देने की पेशकश कर रहे थे।

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