Quantcast
Channel: Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)
Viewing all 74180 articles
Browse latest View live

बिहार में बाढ़ग्रस्त इलाकों में बारिश से प्रभावितों की मुश्किलें बढ़ी

$
0
0
rain-creates-problame-in-flood-area-bihar
पटना 01 सितंबर अगस्त, बिहार के कई जिलों में पिछले 24 घंटों के दौरान एक बार फिर बारिश होने से बाढ़ प्रभावितों की मुश्किलें बढ़ गयी है। योजना एवं विकास विभाग की ओर से आज यहां जारी आंकड़ों (सुबह साढ़े आठ बजे तक) के अनुसार, प्रदेश के 38 जिलों में कुछ को छोड़कर अधिकतर में पिछले 24 घंटे के दौरान 10 से 50 मिलीमीटर तक बारिश रिकार्ड की गयी है। बाढ़ग्रस्त पश्चिम चंपारण में जहां 39.1 मिलीमीटर वर्षा दर्ज की गयी है वहीं पूर्वी चंपारण में यह आंकड़ा 16.8 है। इसके अलावा किशनगंज, सुपौल, मधेपुरा, पूर्णियां, अररिया में भी हल्की वर्षा रिकार्ड की गयी है। पटना में 28.8, नालंदा में 27.7, भोजपुर में 36.7, बक्सर में 50.7, शिवहर में 33.9 और गोपालगंज में 45.9 मिलीमीटर बारिश हुई है। राजधानी पटना में गुरूवार दोपहर से आरंभ हुई बारिश आज सुबह रूक-रूक कर होती रही। आपदा प्रबंधन विभाग से प्राप्त जानकारी के मुताबिक पिछले 72 घंटों के दौरान बाढ़ से किसी के मरने की सूचना नहीं है। पड़ोसी राष्ट्र नेपाल और प्रदेश में लगातार बारिश के कारण राज्य के 19 जिलों में आई भीषण बाढ़ में अबतक 514 लोगों की मौत हुई है। बाढ़ प्रभावित कई जिलों में पिछले 24 घंटे के दौरान बारिश होने के बावजूद सरकार की ओर से राहत कार्य जारी है। राज्य में 25383 लोग अभी भी 54 राहत शिविरों में रह रहे हैं। प्रभावितों को 272 सामुदायिक रसोई के जरिये भोजन दिया जा रहा है। इस बीच केन्द्रीय जल आयोग के अनुसार, आज सुबह आठ बजे गंगा नदी का जलस्तर गांधीघाट में 96 एवं कहलगांव में 86 सेंटीमीटर नीचे रिकार्ड किया गया। घाघरा दरौली में 30 तथा गंगपुर सिसवन में 34 सेंटीमीटर नीचे हैं। इसी तरह अधवारा समूह का जलस्तर कमतौल में 87 जबकि एकमी घाट में खतरे के लाल निशान से 77 से.मी. नीचे था। आयोग ने इन नदियों के जलस्तर में अगले 24 घंटे में और गिरावट की संभावना व्यक्त की है। हालांकि गंगा, बूढ़ी गंडक, बागमती का जलस्तर कई जगहों पर अब भी ऊपर बना हुआ है। वहीं, मौसम विभाग ने अगले 24 घंटे के पूर्वानुमान में बताया कि बिहार के सभी नदियों के जलग्रहण क्षेत्र में हल्की से साधारण वर्षा होने की संभावना है। 


बिहार के बौद्ध गया में बनेगा विश्वस्तरीय कन्वेंशन सेंटर

$
0
0
university-convention-center-gaya
पटना 01 अगस्त, बिहार की राजधानी पटना और राजगीर में बने विश्वस्तरीय कन्वेशन सेंटर की तर्ज पर भगवान बुद्ध की ज्ञानस्थली बौद्ध गया में भी एक अरब रुपये की लागत से नये कन्वेंशन सेंटर का निर्माण किया जायेगा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज मुख्यमंत्री सचिवालय स्थित संवाद कक्ष में श्रम संसाधन विभाग एवं सहकारिता विभाग की उच्चस्तरीय समीक्षात्मक बैठक की। वहीं, मुख्यमंत्री ने कल देर शाम पर्यटन, कला, संस्कृति एवं युवा विभाग तथा पिछड़ा एवं अति पिछड़ा कल्याण विभाग की उच्चस्तरीय समीक्षात्मक बैठक की थी। समीक्षा बैठक में संबंधित विभाग के सभी बिन्दुओं पर विस्तृत चर्चा की गयी। समीक्षा बैठक की समाप्ति पर राज्य के मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह ने कल हुये पर्यटन तथा कला, संस्कृति एवं युवा विभाग की समीक्षा के संबंध में बताया कि विभाग के विभिन्न कार्यों की समीक्षा की गयी। उन्होंने कहा कि गया के बोधगया में एक सौ करोड़ रूपये की लागत से एक बड़ा कन्वेंशन सेंटर बनाया जायेगा। इस सेंटर के बनने के बाद बोधगया में बड़े कार्यक्रमों को करने में सहुलियत होगी। श्री सिंह ने बताया कि राज्य में सभी सर्किटों पर विस्तृत चर्चा की गयी। कांवरिया सर्किट, गांधी सर्किट, जैन सर्किट, बुद्ध सर्किट के विकास के लिए किये जा रहे कार्यों की समीक्षा की गयी। उन्होंने बताया कि राजगीर में पर्यटकों के लिये वेणुवन तथा उससे सटे सर्किट हाउस तथा पुराना सैनिक स्कूल क्षेत्र में एक सुन्दर लैंडस्केप बनाया जायेगा। 


पिछड़ा वर्ग एवं अति पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग की समीक्षा बैठक के संदर्भ में श्री सिंह ने बताया कि प्रवेशीकोत्तर छात्रवृति योजना के तहत पिछड़ा वर्ग एवं अति पिछड़ा वर्ग के प्रवेशीकोत्तर पाठ्यक्रम में अध्ययनरत छात्र/छात्राओं को वितीय वर्ष 2017-18 से छात्रवृति की राशि का विभाग द्वारा वितीय वर्ष 2016-17 के निर्धारित दर पर भुगतान करने की प्रक्रिया प्रारंभ करने का निर्णय लिया गया है। छात्रों को दी जाने वाली छात्रवृति जारी रहेगी। श्री सिंह ने बताया कि बिहार राज्य पिछड़ा वर्ग वित एवं विकास निगम के पुनर्जीवन की कार्रवाई करने एवं राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग वित एवं विकास निगम के साथ समन्वय स्थापित कर बिहार राज्य के सम्पूर्ण देनदारी के भुगतान के लिए आवश्यक कार्रवाई करने का निर्णय लिया गया है। बिहार राज्य पिछड़ा वर्ग वित एवं विकास निगम के माध्यम से बिहार कौशल विकास मिशन द्वारा निर्धारित दर एवं चयनित एजेंसी के माध्यम से पहली बार पिछड़ा वर्ग एवं अति पिछड़ा वर्ग के लाभार्थियों के लिये मुख्यमंत्री पिछड़ा वर्ग एवं अति पिछड़ा वर्ग कौशल विकास योजना प्रारंभ की जायेगी बैठक में उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, संबंधित विभागों के मंत्री के अलावा सभी संबंधित विभागों के प्रधान सचिव, सचिव समेत संबंधित विभागों के अन्य वरीय अधिकारी उपस्थित थे। 

रविवार को होगा मोदी मंत्रिमंडल में फेरबदल, कई नये चेहरे होंगे शामिल

$
0
0
modi-will-change-cabinet-on-sunday
नयी दिल्ली, एक सितंबर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को सुबह दस बजे अपनी मंत्रिपरिषद में फेरबदल करेंगे जिसमें कुछ सहयोगी दलों समेत कुछ नये चहरे शामिल हो सकते हैं । केंद्रीय मंत्रिमंडल में रविवार को सुबह दस बजे फेरबदल होगा । साल 2014 के मई माह में मोदी सरकार के केंद्र में सत्ता संभालने के बाद यह मंत्रिमंडल में तीसरा फेरबदल होगा। अधिकारी ने कहा, ‘‘रविवार को प्रात: करीब दस बजे राष्ट्रपति भवन में शपथ ग्रहण समारोह के लिए प्रक्रिया :तैयारी: शुरु हो गयी है। ’’ मंत्रिमंडल में होने वाले फेरबदल से पहले चार मंत्री राजीव प्रताप रुडी, संजीव कुमार बालियान, फग्गन सिंह कुलस्ते और महेंद्र नाथ पांडे इस फेरबदल से पहले इस्तीफा दे चुके हैं। भाजपा सूत्रों ने बताया कि इनके अलावा दो कैबिनेट मंत्रियों की ओर से भी इस्तीफे की पेशकश करने की बात सामने आई है जिनमें उमा भारती और कलराज मिश्रा के नाम की चर्चा है। हालांकि, उमा ने अपने ट्वीट में लिखा, 'कल से चल रही मेरे इस्तीफे की खबरों पर मीडिया ने प्रतिक्रिया पूछी। इस पर मैंने कहा कि मैंने ये सवाल सुना ही नहीं, न सुनूंगी, न जवाब ही दूंगी।’’ अपने अगले ट्वीट में वह लिखती हैं, 'इस बारे में या तो राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह या अध्यक्ष जी जिसको नामित करे, वही बोल सकते है। मेरा इस पर बोलने का अधिकार नही है।'ऐसी अटकलें हैं कि भाजपा महासचिव भूपेन्द्र यादव, पार्टी उपाध्यक्ष विनय सह्रस्त्रबुद्धे के अलावा प्रह्ललाद पटेल, सुरेश अंगडी, सत्यपाल सिंह और प्रह्लाद जोशी को भी मंत्री बनाया जा सकता है। बिहार में भाजपा के साथ गठबंधन सरकार बनाने वाली जदयू के भी मंत्रिमंडल में शामिल होने की संभावना है और जदयू की ओर से आर सी पी सिंह और संतोष कुमार के मंत्री बनाये जाने की चर्चा है। जदयू राजग में शामिल हो चुकी है।

बोफोर्स: न्यायालय हिंदुजा बंधुओं को आरोप मुक्त करने के फैसले को चुनौती

$
0
0
sc-accept-hearing-on-hinduja-in-bofors
नयी दिल्ली, एक सितंबर, उच्चतम न्यायालय भाजपा नेता अजय कुमार अग्रवाल की उस याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत हो गया है जिसमें बेहद संवेदनशील बोफोर्स रिश्वत मामले में यूरोप स्थित उद्योगपति हिंदुजा बंधुओं को आरोपमुक्त करने के दिल्ली उच्च न्यायालय के 2005 के फैसले को चुनौती दी गई है। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायाधीश एएम खानविल्कर और न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड की पीठ ने कहा कि इसे वर्ष 30 अक्तूबर से प्रारंभ होने वाले सप्ताह में सुनवायी के लिए इस मामले को सूचिबद्ध किया जा रहा है। न्यायालय का यह आदेश 64 करोड़ रूपया के रिश्वत मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ अग्रवाल की ओर से दायर अंतरिम याचिका में पहले की याचिका पर शीघ्र सुनवायी और निर्णय लेने की मांग करने के बाद आया है। रिश्वत मामले की जांच करने वाली सीबीआई ने विशेष आरोपी को आरोप मुक्त करने के लिए शीर्ष न्यायालय में आवश्यक 90 दिन के अंदर कोई याचिका नहीं दायर की थी। इस मामले में भाजपा नेता ने व्यक्तिगत तौर पर याचिका दायर की जिसे 18 अक्तूबर 2005 को शीर्ष न्यायालय ने सुनवायी के लिए मंजूर किया था। भारत और स्वीडन की हथियार निर्माता कंपनी एबी बोफोर्स के बीच भारतीय सेना के लिए 400 155 एमएम होविट्जर तोपों की खरीद के लिए 1437 करोड़ रुपए का समझौता 24 मार्च 1986 को हुआ था। स्वीडन रेडियो ने 16 अप्रैल 1987 में अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया था कि कंपनी ने इस समझौते के लिए भारत के दिग्गज नेताओं और रक्षा अधिकारियों को भारी रिश्वत दी है। सीबीआई ने 22 जनवरी 1990 में एबी बोफोर्स कंपनी के तत्कालीन अध्यक्ष मार्टिन आर्डबो, कथित बिचौलिए विन चड्डा और हिंदुजा बंधुओं के खिलाफ भारतीय दंड संहिता और भ्रष्टाचार निरोधक कानून की विभिन्न धाराओं के तहत आपराधिक षडयंत्र रचने , धोखाधड़ी, जालसाजी के अरोप में एफआईआर दर्ज की थी। सीबीआई का आरोप था कि भारत और विदेश में अनेक अधिकारियों और व्यक्तियों ने 1982 और 1987 में आपराधिक षडयंत्र रचा और इसके कारण ही घूसखोरी, धोखाधड़ी , भ्रष्टाचार और जालसाजी जैसे अपराध हुए थे। इस मामले में पहला आरोपपत्र 22 अक्तूबर 1999 में चड्डा, ओट्टाविओ क्वात्रोची , तत्कालीन रक्षा सचिव एसके भटनागर, आर्डबो और बोफोर्स कंपनी के खिलाफ दाखिल किया गया था और 9 अक्तूबर 2000 में हिंदुजा बंधुओं के खिलाफ पूरक आरोप पत्र दाखिल किया गया था। दिल्ली में सीबीआई की विशेष अदालत ने 4 मार्च 2011 को क्वात्रोची को मामले से यह कहते हुए बरी कर दिया था कि उसके प्रत्यार्पण में देश गाढ़ी कमाई खर्च नहीं कर सकता।

कार्ति के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर के लिये ठोस वजह : सीबीआई

$
0
0
cbi-appeal-for-karti-lookout-notice
नयी दिल्ली, एक सितंबर, केन्द्रीय जांच ब्यूरो ने आज उच्चतम न्यायालय को बताया कि कथित रिश्वत के मामले में पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम के पुत्र कार्ति चितदंबरम के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर के लिये ‘‘सही, ठोस’’ वजह है। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने मामले के संबंध में सीबीआई की ओर से सीलबंद लिफाफे में पेश दस्तावेज रिकार्ड में लिये। पीठ ने कार्ति द्वारा दायर हलफनामे पर सीबीआई को जवाब देने का निर्देश दिया। कार्ति 23 और 28 अगस्त को जांचकर्ताओं के समक्ष पेश हुये थे और उन्होने इस दौरान उनसे हुयी पूछताछ संबंध में यह हलफनामा दायर किया है। अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को बताया कि ‘‘उनके (कार्ति के) खिलाफ लुकआउट सर्कुलर जारी करने के पीछे सही, ठोस वजह है। यह कोई साधारण या किसी एक कंपनी का मामला नहीं है बल्कि इसमें विदेशों में खातों और संपत्तियों का जाल-फरेब शामिल है। कार्ति की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल सुब्रमण्यम ने दलील दी, ‘‘जांच की विषय वस्तु मैं नहीं बल्कि मेरे पिता हैं जो कि वर्ष 2007 में एक कंपनी को विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) की मंजूरी देने के दौरान वित्त मंत्री थे और इसमें आरोप है कि इनमें से एक शर्त का उल्लंघन हुआ है।’’ उन्होंने कहा कि इस संबंध में छह सदस्यीय एफआईपीबी के एक भी सदस्य से पूछताछ नहीं हुई। एफआईपीबी के सभी सदस्य सचिव स्तरीय अधिकारी हैं। न्यायालय में इस मामले में अब 11 सितंबर को सुनवाई होगी।

रोके गए लोग वीजा के लिए दोबारा कर सकेंगे आवेदन : अमेरिका

$
0
0
people-may-reapply-for-usa-visa
न्यूयॉर्क, एक सितंबर, अमेरिका सरकार अधिकार समूहों के साथ एक कानूनी वाद को निपटाने के बाद उन लोगों को वीजा के लिए दोबारा आवेदन दायर करने की अनुमति देगी जिन्हें राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल के शुरुआती दिनों में देश में घुसने से रोक दिया गया था। न्यूयॉर्क में एक संघीय अदालत में हुए समझौते के नियम शर्तों के तहत सरकार को उन सभी लोगों से संपर्क करना होगा जिन्हें 27 जनवरी से प्रभाव में आए राष्ट्रपति के पहले कार्यकारी आदेश पर सीमाओं से वापस लौटा दिया गया था। हालांकि यह व्यवस्था आवेदकों को वीजा और मुआवजा मिलने की गारंटी नहीं देती, लेकिन यह सरकार को इन लोगों के दस्तावेजों पर विचार करते समय ‘सद्भावना’ से काम करने की बात कहती है। इस व्यवस्था के साथ दरवीश बनाम ट्रंप मामला खत्म हो गया है। यह वाद दो इराकी लोगों ने दायर किया था जिन्हें प्रतिबंध के चलते न्यूयॉर्क के जेएफके हवाईअड्डे पर हिरासत में ले लिया गया था। अमेरिकन सिविल लिबर्टीज यूनियन सहित कई अधिकार समूहों ने उनका प्रतिनिधत्व किया था। यह मूल कार्यकारी आदेश को पहली कानूनी चुनौती थी और इसके चलते प्रतिबंध के आधार पर किसी को भी अमेरिका से बाहर निकालने पर कानूनी रोक लग गई थी।

सर्वाधिक गोल करने वालों की सूची में पेले से आगे निकले रोनाल्डो

$
0
0
ronaldo-beat-pele
पोर्तो, एक सितंबर, क्रिस्टियानो रोनाल्डो के तीन गोल की मदद से पुर्तगाल ने विश्व कप यूरोपीय क्वालीफाइंग दौर में ग्रुप बी में फारो आइलैंड्स को 5 . 1 से हराकर सर्वाधिक अंतरराष्ट्रीय गोल करने वालों की सूची में पेले को पछाड़ दिया । रोनाल्डो के अब 78 गोल हो गए हैं और वह यूरोप के लिये सर्वाधिक गोल करने वाले हंगरी के फेरेंक पुस्कास से छह गोल पीछे है । पेले ने ब्राजील के लिये 77 गोल किये थे । सर्वाधिक अंतरराष्ट्रीय गोल ईरान के अली दाइ ने (109) किये हैं जबकि हंगरी के पुस्कास 84 गोल के साथ दूसरे स्थान पर हैं । जापान के कुनिशिगे कामामोतो के 80 और जाम्बिया के गोडफ्रे चितालू के 79 गोल हैं ।ईराक के हुसैन सईद के भी रोनाल्डो के समान 78 गोल हैं ।

आर्थिक वृद्धि में गिरावट का कारण नोटबंदी नहीं : राजीव कुमार

$
0
0
  • दूसरी तिमाही में आर्थिक वृद्धि 7.0 से 7.5 प्रतिशत रहने का अनुमान

demonetization-not-cause-for-gdp-fall-rajeev-kumar
नयी दिल्ली, एक सितंबर, नीति आयोग के नवनियुक्त उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने आज कहा कि मजबूत आर्थिक बुनियाद, बेहतर मानसून तथा एफडीआई एवं सेवा क्षेत्र के अच्छे प्रदर्शन से चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर 7.0 से 7.5 प्रतिशत रहने की उम्मीद है। उन्होंने यह भी कहा कि पहली तिमाही (अप्रैल-जून 2017) में आर्थिक वृद्धि दर में गिरावट का कारण नोटबंदी नहीं है। उल्लेखनीय है कि कल जारी आधिकारिक आंकड़ों में पहली तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 5.7 प्रतिशत बताई गई जो तीन साल में सबसे कम रही है। नीति आयोग के उपाध्यक्ष का पद संभालने के बाद अपने पहले संवाददाता सम्मेलन में कुमार ने कहा, ‘‘जीएसटी के सुचारू क्रियान्वयन, मजबूत आर्थिक बुनियाद, बेहतर मानसून तथा एफडीआई एवं सेवा क्षेत्र के अच्छे प्रदर्शन से चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही (जुलाई से सितंबर) में आर्थिक वृद्धि 7.0 से 7.5 प्रतिशत रहने की उम्मीद है।’’ यह पूछे जाने पर कि क्या नोटबंदी के कारण पहली तिमाही में आर्थिक वृद्धि कम रही है, उन्होंने इसे सिरे से खारिज करते हुए कहा, ‘‘जीडीपी की गिरावट में नोटबंदी का कोई हाथ नहीं हो सकता।’’ उन्होंने कहा, ‘‘नोटबंदी केवल छह सप्ताह के लिये आठ नवंबर से 30 दिसंबर तक थी। उसमें भी करेंसी मौजूद थी। जनवरी के पहले सप्ताह से नये नोटों को चलन में लाने का काम शुरू हो गया। वह छह सप्ताह का समय था जब करेंसी की कमी थी। इसीलिए यह कहना कि नोटबंदी से अप्रैल-जून के दौरान आर्थिक वृद्धि में गिरावट आयी बिल्कुल गलत है।’’ कुमार ने कहा, ‘‘मौद्रिक सिद्धांत को लेकर कुछ अर्थशास्त्रियों ने इस आधार पर अनुमान लगाया था कि मुद्रा में 10 या 14 प्रतिशत कमी से आर्थिक वृद्धि में इतनी कमी आएगी। यह व्यर्थ था।’’ उन्होंने इस मौके पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बयान का भी जिक्र किया जिसमें उन्होंने कहा था कि नोटबंदी से आर्थिक वृद्धि में करीब दो प्रतिशत कमी आयेगी। कुमार ने कहा कि तिमाही आंकड़े का इस प्रकार के निष्कर्ष के लिये उपयोग नहीं किया जा सकता। कुमार ने कहा कि वास्तव में जीडीपी वृद्धि में कमी का कारण जीएसटी लागू होने से पहले कंपनियों द्वारा उस दौरान बचे हुए मॉल को छूट देकर निकालना (डिस्टाकिंग) तथा विनिर्माण क्षेत्र का तुलनात्मक आधार पर कमजोर प्रदर्शन है। उल्लेखनीय है कि सालाना आधार पर विनिर्माण क्षेत्र में सकल मूल्य वर्धन (जीवीए) वृद्धि तेजी से घटकर चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में 1.2 % रह गई। एक साल पहले इसी तिमाही में यह 10.7 प्रतिशत थी। आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान के बारे में एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘‘मैं अभी नीति आयोग में नया हूं लेकिन मेरे हिसाब से जब नीति आयोग नीति पर काम करता है तो उसे आर्थिक वृद्धि के बारे में अनुमान के बारे में भी सोचना चाहिये। आखिर हम अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष और विश्वबैंक के अनुमान का हवाला देते ही हैं।’’


निजता और पारदर्शिता के बीच संतुलन हो : जेटली

$
0
0
balance-between-privacy-and-transparency-jaitley
नयी दिल्ली 01 सितंबर, वित्त मंत्री अरुण जेटली ने निजता और पारदर्शिता के बीच संतुलन बनाये जाने की आवश्यकता पर जोर देते हुये आज कहा कि उच्चतम न्यायालय ने निजता को मौलिक अधिकार घोषित करने के दौरान जो तर्क दिये हैं वही तर्क उन्होंने भी पिछले वर्ष मार्च में संसद में दिया था। श्री जेटली ने यहां ‘नया भारत- राजनीति में पारदर्शिता’ विषय पर प्रथम चरती लाल गोयल स्मृति व्याख्यानमाला में कहा कि 80 और 90 के दशक में पारदर्शिता पर जोर दिया गया था और उसके लिए कई संस्थान बने थे। राजनीति में भी गोपनीयता का संदर्भ बदल गया है। उच्चतम न्यायालय कहता है चुनाव लड़ने के लिए प्रत्याशी को अपनी संपत्तियों के संबंध में हलफनामा देना होगा क्योंकि सार्वजनिक जीवन में व्यक्ति का कोई भी मामला व्यक्तिगत नहीं होता है। उन्होंने कहा कि दो सप्ताह पहले निजता को मौलिक अधिकार में शामिल कर दिया गया। उन्होंने कहा कि क्या समाज को अपने निजी मामलों को गुप्त रखने का अधिकार होना चाहिए को लेकर पिछले वर्ष 16 मार्च को संसद में आधार कानून पर चर्चा के दौरान जो तर्क उन्होंने दिये थे शीर्ष अदालत ने भी निजता को मौलिक अधिकार में शामिल करने के दौरान दिये हैं। श्री जेटली ने कहा कि जब संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार ने आधार को लाया था तो सिर्फ सरकारी आदेश पर ले आया था। इसके लिए कानून नहीं बनाया था। इसके मद्देनजर कानून बनाने की जरूरत पड़ी और इसमें स्पष्ट किया गया है कि आधार के आंकड़ों को उपयोग सिर्फ उन्हीं कार्याें में किया जायेगा जिनके लिए आंकडे लिये गये हैं। यदि इसका दुरुपयोग होता है तो आपराधिक कार्रवाई की जायेगी। उन्होंने कहा कि दो दशकों से अधिक समय तक देश में खुलेपन की बात चल रही थी। अब निजता को मौलिक अधिकार में शामिल कर दिया गया है जो इनके बीच संतुलन बनाने की जरूरत होगी। इनका आपस में संतुलन आवश्यक है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा, अपराध की जानकारी और सामाजिक हित में कोई लाभ बंट रहा है तो निजता आड़े नहीं आयेगी। उन्होेंने कहा कि आगे चलकर राजस्व के मामले और भ्रष्टाचार रोकने के कदम उठाने में भी निजता का मामला आड़े नहीं आयेगा। उन्होंने कहा कि एक समय था जब सरकार का काम फाइल में छुपा रहता था और अंग्रेजों ने इसके लिए गोपनीयता कानून बनाया था। वर्तमान स्थिति में देश में सिर्फ राष्ट्रीय सुरक्षा और मंत्रिमंडल की बैठकों के मामले ही गोपनीयता के दायरेे में है। इनको छोड़कर हर तरह की जानकारी सार्वजनिक है या उनके बारे में सूचना के अधिकार के तहत जानकारी हासिल की जा सकती है।

सब्सिडी सिलेंडर आठ रुपये, गैर सब्सिडी 74 रुपया महंगा

$
0
0
subsidy-cylinder-rs-eight-non-subsidized-74-rupees-costly
नयी दिल्ली,01 सितंबर, तेल विपणन कंपनियों ने सब्सिडी वाले गैस सिलेंडर में आठ रुपये और गैर सब्सिडी वाले सिलेंडर में 74 रुपये की भारी बढोत्तरी की है। नयी दरें आज से लागू हो गयीं। देश की अग्रणी तेल विपणन कंपनी इंडियन ऑयल के अनुसार राजधानी दिल्ली में सब्सिडी वाला सिलेंडर अब 487.18 रुपये का मिलेगा । अभी तक यह 479.77 रुपये का था। सरकार ने रसोई गैस पर सब्सिडी खत्म करने के लिये पहले दो रुपये प्रति माह बढाने के लिए कहा था । बाद में चालू वित्त वर्ष के अंत तक रसोई गैस पर सब्सिडी खत्म करने के लिये इसे हर महीने चार रुपये बढाने का आदेश दिया था। इस वर्ष 01 जुलाई को सब्सिडी वाले रसोई गैस पर पिछले छह साल में सबसे अधिक 32 रुपये सिलेंडर की बढोत्तरी की गयी थी। सरकार ने 01 जुलाई से वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू किया था और इसी के परिणामस्वरूप दाम इतने अधिक बढ़े थे। नई दरों के अनुसार दिल्ली में अब गैर सब्सिडी वाला गैस सिलेंडर 597.50 रुपये का मिलेगा। पहले इसकी कीमत 524 रुपये थी। सरकार एक वित्त वर्ष में सब्सिडी दरों में उपभोक्ता को 14.2 किलोग्राम वाले 12 सिलेंडर सब्सिडी दरों पर उपलब्ध कराती है। इससे अधिक सिलेंडर लेने पर ग्राहक को गैर सब्सिडी की कीमत अदा करनी होती है।

चुनाव आयोग की आलोचना पर हाईकोर्ट की रोक हटी

$
0
0
high-court-vactes-stay-on-criticism-of-election-commission
नयी दिल्ली, 01 सितम्बर, उच्चतम न्यायालय ने राजनीतिज्ञों को चुनाव आयोग की आलोचना करने पर प्रतिबंध लगाने वाले उत्तराखंड उच्च न्यायालय के फैसले पर आज रोक लगा दी। मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की खंडपीठ ने नैनीताल निवासी रमेश पांडेय की याचिका की सुनवाई करते हुए अंतरिम आदेश सुनाया। न्यायालय ने कहा, “हमने सभी संबंधित पक्षों की दलीलें विस्तृत तौर पर सुनी है। हम उच्च न्यायालय के उस आदेश पर रोक लगाते हैं जिसके तहत राजनेताओं को चुनाव आयोग की आलोचना करने से प्रतिबंधित किया गया था।” न्यायालय छह सप्ताह के बाद इस मामले की सुनवाई करेगा। याचिकाकर्ता ने दलील दी है कि उच्च न्यायालय का यह आदेश अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार के खिलाफ है। गौरतलब है कि गत दो जून को उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने कहा था कि किसी को भी चुनाव आयोग और इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) की आलोचना करने का अधिकार नहीं है। उच्च न्यायालय ने कहा था कि चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था है और राजनीतिक दलों को किसी भी संवैधानिक संस्था की साख को नुकसान पहुंचाने की इजाजत नहीं दी जा सकती। शीर्ष अदालत ने इस मामले में चुनाव आयोग से भी जवाब तलब किया है। 

चुनावी बौंड जारी करने की प्रक्रिया अंतिम चरण में : जेटली

$
0
0
process-to-issue-electoral-bonds-in-final-stape-jaitly
नयी दिल्ली 01 सितंबर, वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि राजनीतिक फंडिंग को स्वच्छ बनाने की प्रक्रिया के तहत चुनौवी बौंड लाने की घोषणा की गयी थी और अब उसे जारी करने की प्रक्रिया को अंतिम रूप दिया जा रहा है। श्री जेटली ने यहां ‘नया भारत-राजनीति में पारदर्शिता’ विषय पर चरती लाल गोयल स्मृति व्याख्यानमाला का शुभारंभ करते हुये कहा कि पिछले 70 वर्षाें में देश में बहुत कुछ सकरात्मक हुआ है लेकिन राजनीतिक फंडिंग में स्वच्छ धन आये, ऐसी व्यवस्था नहीं हो सकी है। उन्होंने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने इस दिशा में कुछ काम किया था और चेक से राजनीतिक दलों को चंदा देने वालों को आयकर में छूट देने का प्रावधान किया गया था लेकिन चंदा देने वालों ने इसका उपयोग नहीं किया और अभी भी चेक से चंदे का भुगतान न:न के बराबर होता है। वित्त मंत्री ने कहा कि राजनीतिक फंडिंग को स्वच्छ बनाने के उद्देश्य से चालू वित्त वर्ष के बजट में चुनावी बौंड जारी करने की घोषणा की गयी थी और अभी उसको जारी करने की प्रक्रिया को अंतिम रूप दिया जा रहा है। चंदा देने की चाहत रखने वाले इस बौंड को बैंक से खरीद सकते हैं और राजनीतिक दलों को इस बौंड को भुनाने के लिए एक अलग खाता रखना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि राजनीतिक फंडिंग में अब तक पारदर्शिता नहीं आयी है और इसमें स्वच्छ धन नहीं आ रहा है जिससे राजनीति खराब हो रही है बल्कि राजनेताओं की छवि भी खराब हो रही है। राजनीति का मापदंड बदल गया है। चुनाव लड़ने के लिए अब संपत्ति आदि के लिए हलफनामा देना पड़ता है। श्री जेटली ने कहा कि सार्वजनिक जीवन में लाेगों का कोई भी मामला व्यक्तिगत नहीं रहता है। राजनेता हो या नौकरशाह सभी को जबावदेह बनाने के लिए कानून बनाये गये थे लेकिन अब वर्तमान परिस्थितियों के अनुरूप उन पर विचार करने की जरूरत है। भाजपा नेता ने भ्रष्टाचार निरोधक कानून 1988 का उल्लेख करते हुये कहा कि यह कानून उदारीकरण से पहले बना था और उस समय देश में खुलापन नहीं था। उस समय की परिस्थितियों को ध्यान में रखकर कानून बनाया गया था लेकिन अब वर्तमान परिस्थितियों के अनुरूप में उसमें बदलाव की जरूरत है। अविश्वास के माहौल में शासन चलते नहीं हैं सिर्फ टालने की स्थिति होती है। उन्होंने कहा कि यदि कोई नौकरशाह वर्तमान परिस्थिति में निर्णय लेता है और उससे उसको कोई मौद्रिक लाभ नहीं होता है तो भी पांच वर्ष बाद यदि उस निर्णय से किसी तरह का नुकसान होता है तो उसके लिए सेवानिवृत्त हो चुके संबंधित नौकरशाह की पेंशन रोकी जाती है जो उचित नहीं है। इस तरह की व्यवस्था में बदलाव करना होगा। इस मौके पर बिहार एवं पश्चिम बंगाल के राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी, केन्द्रीय खेल मंत्री विजय गोयल, वरिष्ठ भाजपा नेता विजय कुमार मलहोत्रा और भाजपा उपाध्यक्ष श्याम जाजू भी मौजूद थे।

ब्रिक्स में आतंकवाद का मुद्दा उठा सकता है भारत

$
0
0
india-may-raise-terrorism-issue-in-brics-summit
नयी दिल्ली 01 सितंबर, भारत ने आज संकेत दिया कि वह चीन के विरोध के बावजूद शियामेन में होने वाली नौवीं ब्रिक्स शिखर बैठक में पाकिस्तान की धरती से प्रायोजित होने वाले आतंकवाद के मुद्दे को उठा सकता है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने ब्रिक्स की बैठक के सिलसिले में श्री मोदी की चीन यात्रा और म्यांमार की द्विपक्षीय यात्रा की जानकारी देने के लिये आयोजित संवाददाता सम्मेलन में यह संकेत दिया। सम्मेलन में पांच सदस्य देश -ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका भाग लेंगे. चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने आज बीजिंग में ब्रिक्स शिखर बैठक में आतंकवाद के मुद्दे से जुड़े एक सवाल के जवाब में कहा है कि भारत को पाकिस्तान और आतंकवाद के मुद्दे को ब्रिक्स की बैठक में नहीं उठाना चाहिये। इस बारे में एक सवाल के जवाब में श्री कुमार ने कहा कि आतंकवाद को लेकर भारत के रुख से दुनिया भली भांति परिचित है। यह कोई छिपा हुआ तथ्य नहीं है। हमने हर मंच पर आतंकवाद की निंदा की है और इस मुद्दे को उठाया है। उन्होंने कहा कि ब्रिक्स शिखर बैठक में एक संयुक्त वक्तव्य जारी किया जायेगा जिसमें अनेक बातें सर्वसम्मति के आधार पर जोड़ी जा रहीं हैं। जहां तक शिखर नेताओं की बैठक में नेता कोई भी मुद्दा उठाने के लिये स्वतंत्र होते हैं और इस मौके पर भारतीय प्रधानमंत्री किन किन मुद्दों को उठाएंगे, यह बताना उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर की बात है। ब्रिक्स शिखर बैठक के दौरान चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की प्रधानमंत्री श्री मोदी से द्विपक्षीय बैठक के बारे में पूछे जाने पर प्रवक्ता ने कहा कि अभी द्विपक्षीय बैठक तय नहीं हुई है। इसके लिये प्रतीक्षा कीजिये। इससे पहले चीनी प्रवक्ता ने कहा है कि पाकिस्तान आतंकवाद के विरुद्ध प्रयासों में सबसे आगे है और उसने इसके लिए बलिदान दिया है। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को पाकिस्तान द्वारा किए गए योगदान व बलिदान को मान्यता देनी चाहिए। सुश्री हुआ ने कहा, “हमने पाया है कि जब पाकिस्तान के आतंकवाद विरोधी होने की बात आती है तो भारत की कुछ चिंताएं हैं, मैं नहीं सोचती कि यह ऐसा मुद्दा है जिस पर ब्रिक्स में चर्चा की जानी चाहिए।” उन्होंने यह भी कहा कि चीन आतंकवाद विरोधी सहयोग को बढ़ाने के लिए पाकिस्तान एवं अन्य देशों के साथ काम करने का इच्छुक है। यह सभी पक्षों के साझा हितों को पूरा करता है।

बोफोर्स मामले में अंतिम सुनवाई 30 अक्टूबर से

$
0
0
bofors-hearing-october-30
नयी दिल्ली, 01 सितम्बर, उच्चतम न्यायालय बोफोर्स तोप घोटाला मामले में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता अजय अग्रवाल की अपील पर 30 अक्टूबर से सुनवाई करेगा। मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने मामले की त्वरित सुनवाई का श्री अग्रवाल का अनुरोध स्वीकार करते हुए कहा कि वह याचिकाकर्ता की अपील पर अंतिम सुनवाई 30 अक्टूबर से शुरू करेगी। श्री अग्रवाल ने दिल्ली उच्च न्यायालय के 2005 के उस फैसले को चुनौती दी है, जिसमें उसने बोफोर्स तोप दलाली कांड में हिन्दुजा बंधुओं को आरोप मुक्त कर दिया था। उनकी दलील है कि इस मामले में केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई ) ने 31 मई 2005 को दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले को शीर्ष अदालत में चुनौती नहीं दी। वर्ष 2005 में दिल्ली उच्च न्यायालय ने घोटाले के आरोपी हिंदुजा बंधुओं- श्रीचंद, गोपीचंद और प्रकाशचंद- के खिलाफ सभी आरोपों को खारिज कर दिया था। दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले के 90 दिनों के भीतर सीबीआई द्वारा उच्चतम न्यायालय में चुनौती नहीं दिये जाने और मामले को रफा-दफा किये जाने के आरोप के बाद श्री अग्रवाल ने निजी हैसियत में एक अपील दायर की थी जिसे शीर्ष अदालत ने 18 अक्टूबर 2005 को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया था, लेकिन लंबे समय से यह याचिका लंबित थी। इसलिए पेशे से वकील श्री अग्रवाल ने इस मामले में पिछले दिनों एक और याचिका दायर करके त्वरित सुनवाई का अनुरोध किया था। भाजपा नेता ने सुनवाई के दौरान दलील दी कि उनकी अपील 2005 से ही लंबित है और इस पर त्वरित सुनवाई की जानी चाहिए। उनकी दलील से सहमति जताते हुए पीठ ने 30 अक्टूबर से सुनवाई करने का निर्णय लिया है। याचिका को लेकर श्री अग्रवाल का कहना है, “मैंने यह याचिका देशहित को ध्यान में रखकर उच्चतम न्यायालय में दायर की है, क्योंकि सीबीआई ने बोफोर्स घोटाले के मामले को उस वक्त आगे नहीं बढ़ाया, जबकि न्यायालय का फैसला त्रुटिपूर्ण था। उस वक्त यह बताया गया था कि कानून मंत्रालय ने इसकी इजाजत सीबीआई को नहीं दी थी।’'श्री अग्रवाल ने भाजपा के टिकट पर रायबरेली से कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ 2014 का आम चुनाव लड़ा था।

एस पी त्यागी समेत नौ के खिलाफ आरोप-पत्र दायर

$
0
0
vvip-chopper-scam-charge-sheet-filed-against-tyagi-others
नयी दिल्ली, 01 सितम्बर, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने अगस्ता वेस्टलैंड वीवीआईपी हेलीकॉप्टर घोटाला मामले में पूर्व वायुसेना प्रमुख एस पी त्यागी समेत नौ आरोपियों के खिलाफ दिल्ली की अदालत में आज आरोप-पत्र दाखिल किया। जांच एजेंसी ने सीबीआई के विशेष न्यायाधीश अरविंद कुमार के समक्ष आरोप-पत्र दायर किया। सीबीआई सूत्रों ने यहां बताया कि जांच एजेंसी ने त्यागी सहित जिन नौ लोगों के खिलाफ आरोप-पत्र दायर किया है, उनमें पूर्व वायुसेना अध्यक्ष के चचेरे भाई संजीव त्यागी, वकील गौतम खेतान और एयर मार्शल (सेवानिवृत्त) जे एस गुजराल तथा पांच विदेशी नागरिक शामिल हैं। पूर्व वायुसेना प्रमुख को गत वर्ष नौ दिसंबर को गिरफ्तार किया गया था, लेकिन 17 दिन बाद ही 26 दिसंबर 2016 को उनकी जमानत मंजूर कर ली गयी। सीबीआई का आरोप है कि त्यागी और दूसरे आरोपियों ने अगस्तावेस्टलैंड मामले में रिश्वत ली थी। इन लोगों ने हेलीकॉप्टर की खरीद में निर्माता को 53 करोड़ डॉलर का ठेका पाने में मदद की थी। भारतीय वायुसेना के संचार बेड़े में इन 12 हेलीकॉप्टरों का इस्तेमाल राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और दूसरे विशिष्ट व्यक्तियों की सवारी के तौर पर होना था। जांच एजेंसी ने कहा कि कंपनी को रिश्वत लेकर फायदा पहुंचाया गया। यह रिश्वत कई कंपनियों से परामर्श सेवा के नाम पर लिया गया। मामले में आरोपियों पर आपराधिक साजिश रचने, धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत 12 मार्च, 2013 को एक प्राथमिकी दर्ज की गयी थी।


मंत्रिपरिषद् का विस्तार रविवार को, जद यू को मिलेगी जगह

$
0
0
cabinet-expansion-will-be-held-on-sunday-jd-u-will-get-bearth
नयी दिल्ली 01 सितंबर, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी रविवार को अपनी मंत्रिपरिषद का बहुप्रतीक्षित विस्तार एवं फेरबदल करेंगे जिसमें भारतीय जनता पार्टी के कुछ नये चेहरों के साथ-साथ जनता दल यू जैसे नये सहयोगी दलों को भी जगह मिलने की संभावना है। कुछ विभागों के खाली रहने और कुछ मंत्रियों के पास एक से ज्यादा विभाग होने के कारण फेरबदल लंबे समय से प्रतीक्षित है। मंत्रिपरिषद् में फेरबदल की अटकलें पिछले वर्ष के अंत से लगायी जाती रही हैं। मोदी मंत्रिपरिषद में यह तीसरा और 2019 के अाम चुनाव से पहले संभवत आखिरी फेरबदल होगा। फेरबदल से पहले कौशल विकास मंत्री राजीव प्रताप रूडी, मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री महेन्द्रनाथ पांडेय तथा स्वास्थ्य राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने कल अपने पद से इस्तीफा दे दिया। इसके अलावा ऐसी रिपोर्ट है कि संजीव बालियान, गिरिराज सिंह, कलराज मिश्र, उमा भारती, चौधरी बीरेन्द्र सिंह और निर्मला सीतारमण ने त्यागपत्र देने की पेशकश की है। वित्त मंत्री अरूण जेटली ने भी कल संकेत दिया था कि वह लंबे समय तक रक्षा मंत्रालय की अतिरिक्त जिम्मेदारी नहीं संभालेंगे। ऐसी अटकलें हैं कि श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय भी इस्तीफा दे सकते हैं । उन्हें आज भा आधिकारिक सूत्रों के अनुसार नये मंत्रियों को सुबह दस बजे राष्ट्रपति भवन में शपथ दिलायी जायेगी। मंत्रिपरिषद् में जपा अध्यक्ष अमित शाह ने मिलने के लिए बुलाया था। लघु उद्योग मंत्री कलराज मिश्र को उनकी उम्र को देखते हुए मंत्रिमंडल से हटाकर राज्यपाल बनाये जाने की अटकलें हैं। कुछ मंत्रियों के पास काफी समय से एक से ज्यादा मंत्रालयों की जिम्मेदारी है। श्री मनोहर पर्रिकर को गत मार्च में गोवा का मुख्यमंत्री बनाये जाने के बाद से रक्षा मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार वित्त मंत्री अरूण जेटली के पास है। श्री अनिल माधव दवे के निधन के बाद पर्यावरण मंत्रालय का कार्यभार विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डा हर्षवर्धन को दिया गया था। श्री वेंकैया नायडू के उप राष्ट्रपति बनने के बाद सूचना प्रसार मंत्रालय का प्रभार कपडा मंत्री स्मृति ईरानी तथा शहरी विकास मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार ग्रामीण विकास मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर के पास है। कुछ स्वतंत्र प्रभार वाले राज्य मंत्रियों की पदोन्नति हाेने तथा कुछ के विभागों में परिवर्तन किये जाने की संभावना है। पेट्रोलियम राज्यमंत्री धर्मेन्द्र प्रधान, ऊर्जा राज्य मंत्री पीयूष गोयल और संचार एवं रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा की पदोन्नति हो सकती है। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में हाल ही में शामिल हुए जनता दल (यू) के दो सांसदों को मंत्री बनाया जा सकता है। शिवसेना को भी एक और स्थान मिलने की संभावना है। अन्नाद्रमुक में छाये आंतरिक संकट का हल निकल सका तो उसे भी मंत्रिमंडल में स्थान मिल सकता है। गुजरात , हिमाचल प्रदेश तथा कर्नाटक में कुछ महीनों में विधान सभा चुनाव होने वाले हैं और ऐसा माना जा रहा है कि मंत्रिपरिषद विस्तार में इन राज्यों का प्रतिनिधित्व बढाया जा सकता है। 

विशेष : कश्मीर के योगीश्वर : स्वामी नन्दबब

$
0
0
swami-nand-baba-kashmir
कश्मीर, जिसे देवभूमि भी कहा जाता है, प्राचीनकाल से विद्या-बुद्धि, धर्म-दर्शन तथा साहित्य-संस्कृति का प्रधान केन्द्र रहा है। इस भूखण्ड को 'ऋश्य-व'आर'भी कहते है क्योंकि यहां की अद्भुत एवं समृद्ध दार्शनिक परंपरा के दर्शन हमें इस भू-भाग में आविर्भूत अनेक साधु-संतों,सूफियों,मस्त-मलंगों,तपीश्वरों,जोगियों वीतरागियों सिद्ध पुरुषों आदि के रूप में हो जातें है। कहने की आवश्यकता नहीं कि ऐसे ही स्वनामधन्य महापुरुषों की श्रेण्य-परंपरा में स्वामी नन्द बब का नाम बड़े आदर के साथ लिया जाता है। कुछ वर्ष पूर्व माता वैष्णो देवी के दर्शन कर लौटती बार जम्मू में कुछ घंटे रुकने का सुयोग बना। जहां मैं रुका वही आसपास नन्द बब का स्मारक/मन्दिर है,यह जानकर मेरी इच्छा इस मन्दिर को देखने की हुई।'लाले दा बाग'में (अखनूर रोड पर स्थित) इस सुन्दर मन्दिर को देख मन-प्राण पुलकित हुए। संयोग से उसी दिन नन्द बब की स्मृति में एक हवन आयोज्य था। अत: उस दिन भक्त जनों की अच्छी-खासी भीड़ भी जुड़ी हुई थी। कश्मीरी परंपरानुसार मोगल चाय, कुलचे प्रसाद आदि को मैं और मेरे परिवार के सदस्यों ने सादर ग्रहण किया। मन्दिर में जब नन्द बब की मूर्ति के मै ने दर्शन किए तो मेरी आंखें उन्हें एकटक निहारती रही----- मेरी स्मृति काल की परतों को चीरती हुई लगभग ६० वर्ष पीछे चली गई।----देखते ही देखते नन्द बब की छवि मेरी आंखें के सामने तिरने लगी। पुरुषयार हब्बाकदल श्रीनगर-कश्मीर में स्थित हमारे घर पर नन्द बब यदा-कदा आया करते थे। पूरे मुहल्ले में हमारे घर का आंगन तनिक बड़ा था जिस में प्रवेश करते ही नन्द बब इधर से उधर तथा उधर से इधर चक्कर काटने लग जाते । देखते-ही-देखते मुहल्ले भर के लोग हमारे आंगन में एकत्र हो जाते जिन में बच्चों की संख्या अधिक होती। कुछ उन्हें श्रद्धा की दृष्टि से,कुछ कुतूहल की दृष्टि से तथा कुछ विस्मय की दृष्टि से देखने लग जाते। भौहें उनकी तनी हुई होतीं। कभी आकाश की ओर दृष्टि घुमाते तो कभी सामने वाले की ओर। कागज की पुर्जी पर कुछ लिखकर वे बुदबुदाते जिसे समझ पाना कठिन होता। मेरे दादा जी उनकी खुदा-दोस्ती से शायद वाकिफ थे इस लिए उन्हें पर्याप्त आदर देते। नन्द बब भी दादाजी के प्रति सम्मान का भाव रखते। दोनों के बीच मौन-संभाषण होता और इस प्रकिया में नन्द बब दाएं-बाएं इधर-उधर तथा उपर-नीचे देखकर दादाजी को कागज की एक पुर्जी थमाकर निकल जाते। सभी कहते कि नन्द बाबा का दर्शन देना किसी महत्वपूर्ण धटना का सूचक है। 


नन्द बब जिसे कश्मीरी जनता नन्दमोत यानी नन्द मस्ताना या नन्द मलंग के नाम से अधिक जानती है,का पहनावा एकदम विचित्र था। ऐसा पहनावा जो ज़्यादातर जोगी फकीर,मस्त-मौला किस्म के लोग पहनते है।कद-काठी लम्बी, गठीला शरीर, दमकता चेहरा, गले में दाएं-बाएं जनेऊ,सिर पर हैट, कोट-पेंट,कमरबन्द,माथे पर लम्बा तिलक हाथ में छड़ी, कमरवन्द के साथ वगल में लटकती एक छुरी व टीन का वना डिब्बा/(नोर)।चाल मस्तानी-फुर्तीली। भाषा-बोली अनबूझी,आंखें कभी स्थिर तो कभी अस्थिर।रूहानियत के उस कलन्दर के लिए सभी बराबर थे। जाति-भेद की संकीर्णताओं से मुक्त उस पूतात्मा के लिए हिन्दू-मुस्लमान सभी समान थे। उसके लिए सभी प्रभु की संतानें थी। न कोई ऊंचा और न कोई नीचा।कहते हैं एक झोली उनके कंधे पर सदैव लटकती रहती जिसमें श्रीमद्भगवद् गीता, गुरु ग्रंथ साहब, बाइबिल, कुरान शरीफ आदि पवित्र ग्रन्थ रहते। हर जाति के लोगों से वे प्यार करते तथा हर धर्म के लोग उनसे मुहब्बत करते। वे भक्तों के और भक्त उनके। 

उपलब्ध सूचनाओं के अनुसार नन्द बब का जन्म पौष कृष्ण पक्ष दशमी संवत् 1953 मंगलवार तदनुसार एक अप्रेल 1897,शनिवार को हुआ था।उनको पिता का नाम शंकर साहिब तथा माता का नाम यम्बरज़ल था । दस अक्टूबर १९७३ को नंदबब दिल्ली के एक अस्पताल में ब्रह्मलीन हुए । पुष्करनाथ बठ द्वारा रचित 'नन्द ज्योति'नामक पुस्तक में नन्द बब की अन्तिम यात्रा का बड़ा ही मार्मिक वर्णन मिलता है: 'उनका पार्थिव शरीर हवाई जहाज के जरिए उनके भक्त जनों ने श्रीनगर लाया। यहां चोटा-बाजार के शिवालय मन्दिर में उनके शव को बड़े आदर से लोगों ने आखिरी दर्शन के लिए रखा। सारे शहर तथा गांव में समाचार फैल गया। हिन्दू-मुस्लमान अपनी छातियां पीटते हाथों में फूल/आखिरी नजराना लेकर बबजी के दर्शन करके इधर-उधर खड़े होकर रोते-विलखते थे।पूरा शहर लोगों से उमड़ पड़ा। बबजी का आखिरी श्राद्ध तथा क्रिया-कर्म इसी मन्दिर में हुआ। इसके बाद एक मिलिट्री गाड़ी, जिसे फूलों से सजाया गया था, में नन्द बब के शव को रखा गया। यहां से शव-यात्रा शुरू हुई जिसमें हजारों लोग (हिन्दू-मुस्लमान) शामिल हुए।श्मशान घाट पहुंचकर जब इनके शव को चिता पर रखा गया और मुखाग्नि दी गई तो उपस्थित जन समुदाय जोर-जोर से रोने लगा।रोती आवाजें चारो ओर से गूंजने लगी.’स्वामी नन्द बब की जय’, ‘स्वामी नन्द वव की जय’. ,’नन्द बब अमर हैं’, ‘नन्द बब अमर है.!’

नन्द बब की दिव्यता उनकी रूहानियत उनकी सिद्ध-शक्ति उनकी करामातों आदि का विवरण सर्वविदित है। वे असहायों के सहायक, दीन-दुखियों के दु:ख-भंजक,अनाथों के नाथ तथा मानव-वन्धुता के उपासक थे। कहते है कि उनकी भविष्य-वाणियां अटल एवं अचूक होती थीं।जो भी उनके पास सच्चे मन से फरियाद लेकर जाता था, नन्द बब उसकी मुराद पूरी कर देते थे। ऐसी अनेक घटनाएं कथाएं करामातें आदि इस मस्त-मौला के जीवनचरित के साथ जुड़ी हुई है जिन सब का वर्णन करना यहां पर संभव नहीं है। केवल दो का उल्लेख कर नन्द बब की महानता का अन्दाज लगाया जा सकता है।एक दिन एक नौजवान बब के पास साइकिल पर आया। बब की नजरें ज्यों ही इस नौजवान पर पड़ी उस ने इस को कमरे में बंद कर दिया और बाहर से ताला लगा दिया और बबजी कही चले गए। बब के जाने के वाद नौजवान ने घर वालों से खूव मिन्नत की कि उसे छुड़ाया जाए और आखिर काफी अनुनय-विनय के बाद घर वालों का हृदय पसीजा और उन्होंने उस नौजवान को छोड़ दिया। उधर कुछ देर बाद ही नन्द बब लौट आए और नौजवान को कमरे में न देखकर चिंतित हो उठे। उनके मुंह से अचानक निकल पड़ा: 'विचोर मूद गव जान मरग!'अर्थात् वेचारा मारा गया,भरी जवानी में मारा गया! ये शब्द वे बार-बार दोहराने लगे । तभी बाहर से आकर किसी शख्स ने यह समाचार बब जी को दिया कि जो नौजवान उनके यहां से कुछ देर पहले निकला था, उसका ‘मगरमल बाग’ के निकट सेना की एक द्रक के साथ एक्सीडेण्ट हो गया और घटना-स्थल पर ही उस नौजवान की मौत हो गई। समाचार सुनकर सारे घर में सन्नाटा छा गया। ‘काश! नौजवान ने मेरी वात मानी होती और वह बाहर न गया होता’-बब जी मन में साचे रहे थे।


एक दूसरी घटना इस प्रकार से है। एक व्यक्ति स्वामी जी के पास आशीर्वाद के लिए आया। उसकी पत्नी एक असाध्य रोग से पीडित थी। शायद कैसर था उसे। सारे डाक्टरों ने उसे जवाब दे दिया था। अब आखिरी सहारा नन्द बब का था। बब के सामने उस व्यक्ति ने अपनी व्यथा-कथा अश्रुपूरित नेत्रों से कही जिसे सुनकर स्वामीजी का हृदय पसीजा और उन्होंने उस व्यक्ति की मुसीबत को दूर करने का मन बनाया। स्वामीजी ने कागज के टुकड़े पर कुछ लिखा और कहा कि वह जाकर कश्मीर के ही एक अन्य (परम संत) भगवान् गोपीनाथजी से तुरन्त मिले। स्वामी नन्द बब भगवान गोपी नाथ जी को वहुत मानते थे।वह व्यक्ति भगवान गोपी नाथ जी के पास गया जो उस वक्त साधना में लीन थे। थोड़ी दर वाद जव उस व्यक्ति ने नन्द बब द्वारा दिये गए उस कागज़ को गोपीनाथ जी महाराज को दिखाया तो वे झट बोले कि यह काम तो वे खुद भी कर सकते थे,तुम्हें यहां किस लिए भेजा?उस व्यक्ति की चिन्ता वढ़ गई।भगवान गोपी नाथ जी उस व्यक्ति से कुछ नहीं बोले अपितु दमादम हुक्का पीते रहे। वह व्यक्ति भी वही पर जमा रहा। थोड़ी देर वाद भगवान गोपी नाथ उठ खड़े हुए और अपने फिरन/चोले की जेब में से थोड़ी-सी राख को निकालकर कागज में लपटेकर उस व्यक्ति से कहा कि इसे वह अपनी पत्नी को खिला दे,ईश्वर ने चाहा तो सब ठीक हो जाएगा।प्रभु की लीला देखिए कि उस राख रूपी प्रसाद को ग्रहण कर कुछ ही दिनों में उस व्यक्ति की पत्नी स्वस्थ हो गई। उस व्यक्ति की पत्नी का इलाज कश्मीर के सुप्रसिद्ध डाक्टर अली मुहम्मद जान कर रहे थे। जब उन्होंने देखा कि उनका रोगी जो एक असाध्य और भयंकर रोग से जूझ रहा था, एक मस्त-मौला फकीर की करामात से ठीक हुआ तो डाक्टर साहव के मन में भी स्वामी नन्द बब एवं भगवान गोपी नाथ जी से मिलने की इच्छा जागृत हुई। खुदा-दोस्त फकीरों की करामातों को देख डाक्टर साहव मन ही मन खूब चकित हुए और उनकी प्रशंसा करने लगे। 

नन्द बब का स्मारक अपनी पूरी दिव्यता के साथ ‘लाले का बाग़’ मुठी (जम्मू) में अवस्थित है तथा कश्मीरी समाज की समूची सारूंकृतिक धरोहर का साक्षी वनकर उसकी अतीतकालीन आध्यात्मिक समृद्धि की पताका को बड़े ठाठ से फहरा रहा है। यहां पर स्व० स्वामी श्री चमनलाल जी वामजई का नामोल्लेख करना अनुचित न होगा जिनकी सतत प्रेरणा एवं सहयेग से उक्त स्मारक की स्थापना संभव हो सकी है। आज उन्हीं की बदौलत मंदिरों वाले इस जम्मू शहर में एक और 'मन्दिर'अपनी पूरी भव्यता,गरिमा तथा शुचिता के साथ कश्मीर मण्डल की रूहानियत को साकार कर रहा है। सच में, नन्द बब जैसे खुदा-दोस्तों का आविर्भाव मानव-जाति के लिए वरदान-स्वरूप होता है और शारदापीठ कश्मीर को इस बात का गर्व प्राप्त है कि उसकी धरती पर नन्द बब जैसे योगीश्वर अवतरित हुए हैं।




डा०शिबन कृष्ण रैणा
अरावली विहार,
अलवर,(राजस्थान)

शिक्षक दिवस विशेष : शिक्षक समाज की धुरी व देश निर्माता

$
0
0
teachers-day
समाज की नवचेतना को आकार एवं दिशा देने में शिक्षक की अहम् भूमिका होती है। शिक्षक समाज का दर्पण व निर्माण वाहक है। नवशिशु नामक नवकोपले जब इस संसार जगत में प्रवेश करती है, तो उस समय वह परिवार की पाठशाला में मां नामक शिक्षक से संस्कारों व व्यवहार की तालीम ग्रहण करती है। यह कहे तो भी अतिश्योक्ति नहीं होगी कि सीखाने वाला व सीख देने वाला हर प्राणी शिक्षक है। शिक्षक वह पुंज है जो अज्ञान के तमस को मिटाकर ज्ञान की ज्योति प्रज्जवलित करता है। वह आफताब है जिसके पास ज्ञान का प्रकाश है। वह समंदर है जिसके पास ज्ञान रुपी अमृत का अथाह जल है। जिसका कभी क्षय मुमकिन नहीं है। शिक्षक को समाज में सदैव ही सर्वश्रेष्ठ पद पर रखकर उसकी बुद्धिमता का सम्मान किया गया है। बड़े-बड़े राजाओं के मस्तक शिक्षक के चरणों में नतमस्तक हुए है। यदि प्राचीन समय की बात की जाये तो शिक्षक के आश्रम में रहकर ही राजकुमार अपना जीवन विकसाते थे। आश्रम में ही उनकी शिक्षा-दीक्षा संपंन होती थी। हमारे वेद-ग्रंथों में शिक्षक को साक्षात् ब्रह्मा, विष्णु व महेश की संज्ञा दी गई है। शिक्षक समाज की धुरी है जिसके मार्गदर्शन में देश का निर्माण करने वाला भविष्य सुशिक्षित व प्रशिक्षित होता है। नरेंद्र को स्वामी विवेकानंद बनाने वाले व शिवा (शंभू) को छत्रपति शिवाजी बनाने वाले शिक्षक स्वामी रामकृष्ण परमहंस व समर्थ गुरु रामदास ही थे। चाणक्य जैसे शिक्षक के आक्रोश ने चन्द्रगुप्त मौर्य का निर्माण कर घनानंद के अहंकार का मर्दन कर दिया था। शिक्षक की प्रेरणा और ज्ञान से पत्थर पारस बने है। शिक्षक केवल किताबी शिक्षा ही नहीं देता अपितु जिंदगी जीने की कला भी सीखाने का काम करता है।


अपना भारत देश सदैव से ही शिक्षकों की खान रहा है। इस देश में कई शिक्षक ऐसे हुए जिन्होंने अपनी शिक्षण कला के माध्यम से नगीने तैयार कर अपना गौरव बढ़ाया है। भले वो शिक्षक के रुप में पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम हो जिनकी मृत्यु भी युवाओं को संबोधित करते हुई। भारत में शिक्षक दिवस मनाने की भूमिका कुछ इस तरह बंधी कि स्वतंत्र भारत के पहले उपराष्ट्रपति जब 1962 में राष्ट्रपति बने तब कुछ शिष्यों एवं प्रशंसकों ने उनसे निवेदन किया कि वे उनका जनमदिन शिक्षक दिवस के रूप में मनाना चाहते हैं। तब डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी ने कहा कि मेरे जन्मदिवस को शिक्षक दिवस के रूप में मनाने से मैं अपने आप को गौरवान्वित महसूस करूंगा। तभी से 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। भारत ही नहीं बल्कि विश्व में भी अलग-अलग दिन शिक्षक दिवस मनाया जाता है। मसलन चीन में 1931 में शिक्षक दिवस की शुरूआत की गई थी और बाद में 1939 में कन्फ्यूशियस के जन्म दिन, 27 अगस्त को शिक्षक दिवस घोषित किया गया लेकिन 1951 में इसे रद्द कर दिया गया। फिर 1985 में 10 सितम्बर को शिक्षक दिवस घोषित किया गया लेकिन वर्तमान समय में ज्यादातर चीनी नागरिक चाहते हैं कि कन्फ्यूशियस का जन्मदिन ही शिक्षक दिवस हो। इसी तरह रूस में 1965 से 1994 तक अक्टूबर महीने के पहले रविवार के दिन शिक्षक दिवस मनाया जाता था। जब साल 1994 से विश्व शिक्षक दिवस 5 अक्टूबर को मनाया जाना शुरू हुआ तब इसके साथ समन्वय बिठाने के लिये इसे इसी दिन मनाया जाने लगा। 

बदलते दौर में शिक्षक के रंग-रुप, रहन-सहन व वेशभूषा में काफी बदलाव देखने को मिला है। पहले शिक्षक आश्रम में वैदिक शिक्षा देते थे, तो अब शिक्षक आधुनिक शिक्षा कक्षाकक्ष में देने लगे है। गुरु-दक्षिणा की जगह हर महीने फीस दी जाने लगी है। शिक्षकों के नाम भी अब टीचर व सर हो गये है। काफी कुछ बदलाव शिक्षक के आचरण में देखने को मिल रहा है। बाजारवाद के प्रलोभन ने शिक्षक की छवि को भी चोटिल करने का प्रयास किया है। धनलोलुपता और चकाचैंध ने शिक्षक को सम्मोहित किया है। कुटिया में दी जाने वाली शिक्षा अब बड़े-बड़े बिल्डिंग के वतानुकूलित कमरों में दी जाने लगी है। शिक्षक के रुप में शिक्षा का सौदा करने वाले सौदागर पनपने लग गये है। स्कूल सीखने की जगह न होकर मोल भाव के किराणा स्टोर में परिवर्तित हो चुके है। पैसे देकर मनचाही डिग्री खरीदी जा सकती है। ऐसे संक्रमण काल में शिक्षक की सही पहचान धूमिल होती जा रही है। लोगों की गलत अवधारणा यह कहते पायी गई कि शिक्षक कौन बनता है ? शिक्षक जैसे महत्वपूर्ण इकाई को काल का ग्रास लग गया है। विगत सालों में घटित कई घटनाओं ने शिक्षक के चरित्र पर प्रश्नचिन्ह लगाये है। बिहार टॉपर्स घोटाले ने शिक्षक की बदलती मानसिकता का परिचय दिया है। दरअसल, ऐसे लोगों को शिक्षक कहना शिक्षक का अपमान करना ही होगा। यह कथित शिक्षक के वेश में वे दलाल है जो शिक्षा का करोबार करके गुनाह को अंजाम देते है। ऐसे लोग शिक्षक कहलाने के कथ्य ही हकदार नही है।

बिलकुल ऐसी बात भी नहीं है कि अच्छे शिक्षक खत्म हो गये है। आज भी कई ऐसे शिक्षक है जो सेवानिवृत्ति के बाद भी स्कूलों में निःशुल्क शिक्षा दे रहे है। सुदूर इलाकों में जाकर बालपीढ़ी को शिक्षित करने का बीड़ा उठाये हुए है। ऐसे शिक्षकों में पहला नाम आता है केरल के मल्लापुरम् के पडिजट्टुमारी के मुस्लिम लोअर प्राइमरी स्कूल के गणित के 42 वर्षीय अध्यापक अब्दुल मलिक का। बीते 20 वर्षों से वे स्कूल तैर कर जाते और आते हैं। एक और तरीका है उनके पास स्कूल पहुंचने का। सड़क मार्ग। पर सड़क मार्ग से 24 किलोमीटर लंबी यात्रा में खराब होने वाले समय को बचाने के लिए अब्दुल मलिक प्रतिदिन अपने घर से स्कूल और स्कूल से वापस घर तैरकर जाते हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि उन्होंने आज तक अपने स्कूल से एक दिन की भी छुट्टी नहीं ली है। इसके अलावा अब्दुल एक बड़े पर्यावरण प्रेमी भी है। 


इसी तरह एक ओर शिक्षक है जिनका नाम आलोक सागर है, जो आदिवासियों की जीवनशैली बदल रहे। इनका जन्म 20 जनवरी 1950 को दिल्ली में हुआ था उन्होंने 1966-71 मतक आईआईटी दिल्ली से बी.टेक किया और फिर वही से 1971-73 में एम.टेक की डिग्री पूरी करी उसके बाद वो पी.एचडी करने के लिए राइज यूनिवर्सिटी ह्यूस्टन चले गए। पी.एचडी करने के बाद करीब डेढ़ साल तक यूएस में जॉब करी पर आखिर देश की मिट्टी की खुशबू इन्हें वापिस भारत ले आई वहां से आने के बाद एक साल तक आईआईटी दिल्ली में पढाया उसी दौरान इन्होंने पूर्व आर बी आई गवर्नर रघुराम राजन को भी पढाया था। करीब 90 के दशक में आदिवासी श्रमिक संघठन के अपने साथियों के साथ मध्य प्रदेश आ गए थे, आलोक जी फिलहाल कोचामू नामक गाँव जो की मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से लगभग 165 किलोमीटर दूरी पर स्थित है, यही इनका ठिकाना है। उन्होंने यहाँ करीब 50000 से ज्यादा पौधे लगाए है, साथ ही फलदार पौधे लगाकर गान में लोगो को गरीबी से लड़ने में मदद कर रहे है। गाँव में लोगो की मदद करना और बच्चो को शिक्षा प्रदान करना इनकी दिनचर्या में शामिल है। 
भारत में ऐसे आदर्श व प्रेरणादायी शिक्षकों की सूची काफी लंबी है। यह सब वे शिक्षा के कुलदीपक है जो जग को अपनी रोशनी से रोशन कर रहे है। ऐसे शिक्षक ही वास्तविक मायनों में सम्मान के असल हकदार है। इनके लिए शिक्षक होने का अर्थ जीवन की अंतिम सांस तक ज्ञान की ज्योति जलाये रखना है। ऐसे महान शिक्षकों को याद करने का 5 सितंबर खास दिन है।





liveaaryaavart dot com

---देवेन्द्रराज सुथार---
मोबाईल नंबर - 8101777196 
लेखक जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय जोधपुर में अध्ययनरत है।

कन्हैया पर हमला निंदनीय : भाकपा

$
0
0
attack-on-kanhaiya-shamefull-cpi
पटना, 03 सितम्बर। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के बिहार राज्य सचिवमंडल ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि मधेपुरा जिला के बिहारीगंज में ए.आई.एस.एफ. नेता जे.एन.यू. छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार के काफिले पर आर.एस.एस., भाजपा के गुन्डों ने जिस  तरह से कातिलाना हमला किया और पूरे शहर में जैसा उत्पात मचाया वह न सिर्फ निन्दनीय है, बल्कि आने वाले फासिस्ट हमलों का संकेत भी है। लिहाजा सभी देषभक्त, लोकतांत्रिक शक्तियों और लोगों को एकजुट होकर उनसे मुकाबला को उठ खड़ा होना होगा। यह वक्त की मांग है। स्मरणीय है कि कन्हैया कुमार अपने साथियों के साथ बाढ़ की विभिषिका का जायजा लेने कल दिनांक 1 सितम्बर, को जा रहे थे जिसकी पूर्व सूचना ए.आई.एस.एफ. नेताओं ने प्रषासन को दे रखी थी, परन्तु उसने कोई एहितियाती कार्रवाई नहीं की जो बहुत खेदजनक है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिवमंडल सदस्य रामबाबू कुमार ने मांग की है कि संघ परिवार के उत्पात मचाने वाले और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाय जो नीतीष कुमार के साथ अपना ताजा गठबंधन से ज्यादें उत्साहित होकर अपने कार्रवाई को अंजाम दे रहा है, और उन्होंने प्रषासनिक विफलता के लिए त्वरित कार्रवाई करने के साथ-साथ कन्हैया कुमार को कार्यक्रमों के दौरान समूचित सुरक्षा व्यवस्था की गारंटी मुख्यमंत्री नीतीष कुमार की नैतिक जवाबदेही है जिसका उन्हें हमेषा ख्याल रखना चाहिए।   

मधुबनी : मुस्लिम भाइयो ने एक दुसरे को गले लगाकर बकरीद की शुभकामना दी.

$
0
0
muslim-congratulate-people
अंधराठाढ़ी/मधुबनी (मोo आलम अंसारी) अंधराठाढी।प्रखंड क्षेत्र में मुस्लिम भाइयो ने ईद उल अजहा पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया .इस मौके पर लोगो ने अपने गाँव  या बगल के मगरिवो में नमाज अदा किये  . वर्षा के वजह से अधिकांश जगह मस्जिद में हीं नमाज अदा की गयी . तीन दिनों तक चलने बाला यह पर्व सोमवार को समाप्त होगी . पहले दिन शनिवार को सैकड़ो बकरों की कुर्वानी दी गयी .इस पर्व में गरीव आमिर सभी अपने क्षमता के मुताविक क़ुरबानी पर खर्च करते  है. सुवह से ही मुस्लमान भाई इदगहो की ओर प्रस्थान किये. क्षेत्र के प्रमुख इदगहो में आज विशेष नमाज अदा की गयी .इदगहो को विशेष रूप से सजाया संबारा  गया था . लोगो ने एक दुसरे को गले लगाकर बकरीद की शुभकामना दी . मदन पंचायत की जमैला बाजार में बगेफिरदौस जमा मस्जिद में ईद उल अझ की विशेष नमाज अदा की गयी मौलवी मो रहमतुल्लाह शम्सी के मुताविक बकरीद हज की  समाप्ति पर मनाया जाता है . बकरीद का अलग महत्व है . कुरान में वताया गया है की अल्लाह ने  हजरत इब्राहीम से सपने में उनकी सबसे प्यारी चीज की कुर्वानी मांगी थी . हजरत इब्राहीम ने अपने प्यारे बेटे की कुर्वानी देने का फैसला ले लिया . मगर जैसे ही उस्की कुर्वानी देने को वो उसकी गर्दन पर बार किया अल्लाह ने उनके बेटे की जगह एक दुमा की क़ुरबानी दिला दी . बकरीद के मौके पर स्थानीय शासन प्रशासन ने जगह जगह इदगहो में सुरक्षा व्यवस्था में पुलिस बल और दंडाधिकारी को तैनात किया गया था . प्रमुख मगरीवो में गिदरगंज, जमैला , सर्रा , हरना , ठाढ़ी, गंधरा इन , पस्टन मरुकिया, गंगद्वार आदि गाँव के कब्रिस्तान है.

Viewing all 74180 articles
Browse latest View live


Latest Images