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भारत-नेपाल सीमा सड़क निर्माण के लिए गृहमंत्री से मिलेंगे नंदकिशोर

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पटना 03 सितंबर, बिहार के पथ निर्माण मंत्री नंदकिशोर यादव भारत-नेपाल सीमा से लगे बिहार के क्षेत्र में सड़क निर्माण के लिए कल गृहमंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात करेंगे। श्री यादव ने आज यहां बताया कि वह गृहमंत्री के अलावा राज्य में राष्ट्रीय राजमार्गों से जुड़ी समस्याओं पर विचार-विमर्श करने के लिए राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी से भी मुलाकात करेंगे। उन्होंने कहा कि भारत-नेपाल सीमा पर बिहार में 557 किलोमीटर सड़क का निर्माण किया जाना है। नेपाल के क्षेत्र में बने टू लेन की तरह ही इसे बनाये जाने की योजना है। इससे बिहार के पूर्वी चम्पारण, पश्चिम चम्पारण, सीतामढ़ी, मधुबनी, सुपौल, अररिया और किशनगंज जिले को लाभ होगा। श्री यादव ने कहा कि इन जिलों से होकर गुजरने वाली भारत-नेपाल सीमा सड़क के लिए कुछ स्थानों पर राष्ट्रीय राजमार्ग को इसमें मिलाना पड़ सकता है। साथ ही कुछ बड़े पुल-पुलियों के निर्माण की भी जरूरत पड़ेगी। उन्होंने कहा कि गृहमंत्री श्री सिंह के साथ मुलाकात में इन मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की जाएगी। मंत्री ने कहा कि राज्य के राष्ट्रीय राजमार्गों और भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई)की समस्या से जुड़े कुछ प्रमुख विषयों पर सड़क एवं राजमार्ग मंत्री श्री गडकरी से भी विचार-विमर्श का कार्यक्रम प्रस्तावित है। उन्होंने कहा कि इस दौरान केन्द्रीय योजनाओं वाली सड़कों के लिए अधिक से अधिक धनराशि की उपलब्ध करवाना के लिए लिए भी वह प्रयास करेंगे।


अपने काम से मतलब रखें लालू : सुशील कुमार मोदी

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पटना 03 सितंबर, बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने केंद्रीय मंत्रिमंडल में हुये फेरबदल में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के घटक जनता दल यूनाईटेड(जदयू) के सांसदों को मंत्री पद नहीं दिये जाने को लेकर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के बयान पर आज कहा कि दूसरों पर उंगली उठाने से बेहतर होगा कि श्री यादव अपने काम से मतलब रखें। श्री मोदी ने यहां कहा कि श्री यादव को दूसरों पर उंगली नहीं उठानी चाहिए बल्कि उन्हें अपने काम से मतलब रखना चाहिए। उन्होंने कहा, “यह सभी जानते है कि 27 अगस्त को पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में हुई राजद की रैली में श्री यादव के अथक प्रयास के बावजूद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, उपाध्यक्ष राहुल गांधी, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल शामिल नहीं हुये।” उन्होंने कहा कि राजद अध्यक्ष के आग्रह के बावजूद इन शीर्ष नेताओं का रैली में नहीं आना यह साबित करता है कि उनको श्री यादव पर भरोसा नहीं है। उप मुख्यमंत्री ने कहा कि फिलहाल श्री यादव के लिए जरूरी है कि वह राजद के सत्ता से बाहर जाने के कारणों पर विचार करें। श्री यादव एवं उनकी पार्टी आज सड़क पर आ गई है फिर भी उन्होंने इससे कोई सबक नहीं लिया। उन्होंने राजद अध्यक्ष को अपना घर बचाने की नसीहत भी दी। 



इस बीच बिहार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अध्यक्ष नित्यानंद राय ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘सबका साथ सबका विकास’ के सिद्धांत पर काम करने के कारण राजग में चट्टानी एकता कायम है। घटक दल भी इसी सिद्धांत के आधार पर एकजुट हैं। ऐसे में इस बात का कोई अर्थ नहीं है कि कौन मंत्रिमंडल में शामिल है और कौन नहीं। उन्होंने कहा कि इससे कहीं बड़ा मुद्दा यह है कि राजग के घटक दल श्री मोदी के नेतृत्व में देश के विकास के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। पथ निर्माण मंत्री एवं बिहार में वर्ष 2013 से भाजपा के संयोजक नंदकिशोर यादव ने कहा कि यह मुद्दा पूरी तरह से भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के अधिकार क्षेत्र में है। इस मामले पर केवल शीर्ष नेतृत्व ही निर्णय लेता है। उन्होंने कहा कि इसके संबंध में उन्हें कोई जानकारी नहीं है। वहीं जदयू के राष्ट्रीय महासचिव के. सी. त्यागी ने मंत्रिमंडल में उनकी पार्टी को शामिल नहीं किये जाने को लेकर राजद अध्यक्ष के तीखी टिप्पणी पर आपत्ति जताते हुये कहा कि श्री यादव को अपनी जुबान पर लगाम रखनी चाहिए। गौरतलब है कि श्री यादव ने केन्द्रीय मंत्रिमंडल के विस्तार में जदयू को तरजीह नहीं दिये जाने के संबंध में आज यहां कहा कि अब जदयू का कोई वजूद नहीं रह गया है। उसके नेता मंत्रिपद की शपथ लेने की तैयारी कर रहे थे, लेकिन भाजपा ने उन्हें इसके लिए न्योता ही नहीं दिया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से उस अपमान का बदला लिया है जब श्री कुमार ने भोज के लिए भाजपा नेताओं को निमंत्रण देने के बाद अंतिम समय में उसे रद्द कर दिया था। राजद अध्यक्ष ने इसके अलावा भी कई आपत्तिजनक टिप्पणियां की हैं। 

आपातकाल में नाबालिग होने के बावजूद जेल गये थे नकवी

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नयी दिल्ली 03 सितंबर, मोदी सरकार में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) से कैबिनेट मंत्री के रूप में पदोन्नति पाने वाले मुख्तार अब्बास नकवी आपातकाल के दौरान जेपी आंदोलन में शामिल होने के कारण नाबालिग होने के बावजूद जेल जाना पड़ा था। उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद जिले के भादरी में 15 अक्टूबर 1957 को जन्मे श्री नकवी आपातकाल के दौरान 1975 में राजनीतिक गतिविधियों के कारण 17 साल की उम्र में जेल गये। वह तत्कालीन जनता पार्टी की गतिविधियों में शामिल रहे। जनता पार्टी (सेकुलर) के टिकट पर 1980 में वह उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव भी लड़े, लेकिन हार गये। उन्होंने 1980 में अयोध्या सीट से लोकसभा का चुनाव भी लड़ा, लेकिन वहाँ भी सफलता नहीं मिली। पहली बार वह 1998 में 12वीं लोकसभा के लिए चुने गये और वाजपेयी सरकार में सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री बनाये गये। वर्तमान में राज्यसभा के सदस्य और अल्पसंख्यक मामलों के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री नकवी कला में स्नातक तथा जनसंचार में स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की। वह बरेली के एफआरआई कॉलेज, इलाहाबाद के एंग्लो-वेर्ना कॉलेज यादगार कॉलेज तथा एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्निकल स्टडीज के छात्र रहे हैं। वह 2002, 2010 और 2016 में तीन बार राज्य सभा के लिए चुने गये हैं। श्री नकवी की अब तक तीन किताबें स्याह (1991), दंगा (1998) और वैशाली (2007) भी प्रकाशित हो चुकी हैं।

मोदी मंत्रिमंडल बना वरिष्ठ नागरिकों का क्लब : मनीष तिवारी

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नयी दिल्ली, 03 सितम्बर, कांग्रेस ने मंत्रिमंडल विस्तार को ‘अधिकतम सरकार और न्यूनतम शासन’ करार देते हुए आज कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अच्छा काम नहीं करने वाले मंत्रियों काे पदोन्नति देकर युवाओं को नजरअंदाज किया है और मंत्रिमंडल को वरिष्ठ नागिरकों का क्लब बना दिया है। कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता मनीष तिवारी ने यहां विशेष संवाददाता सम्मेलन में कहा कि जिन चार राज्य मंत्रियों को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है, पिछले तीन साल में उनका प्रदर्शन बहुत खराब रहा है। मंत्रि परिषद में जो नए लोग शामिल हुए हैं उनमें कोई युवा नहीं है जबकि श्री मोदी लगातार युवाओं की बात करते हैं। मोदी के मंत्रियों की औसत उम्र 60.4 वर्ष है जबकि देश की युवा आबादी की आैसत उम्र 27 साल है। उन्होंने कहा कि श्रीमती निर्मला सीतारमण के कार्यकाल में आयात-निर्यात में जबरदस्त गिरावट आयी लेकिन न सिर्फ उनका दर्जा बढ़ाया गया बल्कि उन्हें रक्षा मंत्रालय की जिम्मेदारी भी दी गयी है। उन्होंने कहा कि शायद उन्हें महिला होने का यह लाभ मिला होगा और उम्मीद है कि वह रक्षा मंत्रालय का हाल के वाणिज्य मंत्रालय जैसा नहीं करेंगी। श्री धर्मेंद्र प्रधान को कैबिनट मंत्री बनाए जाने पर उन्होंने कहा कि 38 माह के दौरान पेट्रोलियम राज्यमंत्री के रूप में श्री प्रधान ने आम आदमी नहीं बल्कि खास लोगों की सेेवा की है और उसी का फल है कि उनकी तरक्की कर दी गयी है। पेट्रोलियम मंत्री के रूप में उनके कार्यकाल में अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल के दाम बहुत नीचे आए लेकिन उसका फायदा देश की आम जनता को नहीं मिला। 

सीतारमण को रक्षा मंत्री बनाना ‘मील का पत्थर’ : जेटली

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नयी दिल्ली 03 सितंबर, केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज केंद्रीय मंत्रपरिषद में हुए फेरबदल में श्रीमती निर्मला सीतारमण को रक्षा मंत्रालय की जिम्मेदारी देने काे ‘मील का पत्थर’ बताया है। श्री जेटली ने यहां संवाददाताओं से कहा कि इस फेरबदल में श्रीमती सीतारमण को रक्षा मंत्री बनाना महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि श्रीमती सीतारमण ने मंत्री के रूप में काम करते हुये बेहतरीन प्रदर्शन किया है और अपने लिए बड़ी जिम्मेदारी अर्जित की है। उन्होंने कहा, “मुझे पूरा भरोसा है कि निर्मला सीतारमण में मेरी सक्षम उत्तराधिकारी होंगी। वह योजनाओं को आगे बढ़ाएगीं।” मंत्रिपरिषद में हुए फेरबदल में श्रीमती सीतारमण को वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय से हटाकर रक्षा मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गयी है। 

मोदी ने राजनीतिक अनुभव, प्रशासनिक क्षमता को दी तरजीह

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नयी दिल्ली 03 सितम्बर, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नये भारत के निर्माण के संकलप को पूरा करने के लिए राजनीतिक अनुभव तथा प्रशासनिक क्षमता को तरजीह देते हुए आज चार राज्य मंत्रियों को उनके अच्छे प्रदर्शन के लिए पुरस्कृत कर कैबिनेट मंत्री बनाया तथा चार पूर्व नौकरशाहों समेत नौ नये चेहरों को अपनी मंत्रिपरिषद में जगह दी। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में 13 मंत्रियों को शपथ दिलायी जिनमें चार कैबिनेट तथा नौ राज्यमंत्री हैं। मोदी सरकार के तीन साल से अधिक लंबे कार्यकाल के तीसरे और बहुप्रतीक्षित मंत्रिपरिषद विस्तार में सिर्फ भारतीय जनता पार्टी के सदस्यों को ही शामिल किया गया है और सहयोगी दलों के किसी नेता को इसमें जगह नहीं दी गयी। यह विस्तार कुछ राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव और अगले आम चुनाव को ध्यान में रखकर किया गया है। पेट्रोलियम राज्य मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान, ऊर्जा राज्य मंत्री पीयूष गोयल , अल्पसंख्यक मामलों के राज्यमंत्री मुख्तार अब्बास नकवी तथा वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री निर्मला सीतारमन को उनके बेहतर कामकाज को देखते हुए पदोन्नति देकर कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। सर्वश्री शिव प्रताप शुक्ल, अश्विनी कुमार चौबे , वीरेन्द्र सिंह , अनंत कुमार हेगडे , आर के सिंह, हरदीप सिंह पुरी, गजेन्द्र सिंह शेखावत , सत्यपाल सिंह तथा के जे अल्फांस को राज्यमंत्री के रूप में शपथ दिलायी गयी है। मंत्रिपरिषद में शामिल किये गये नौ चेहरों में दो पूर्व आईएएस आर के सिंह तथा के जे़ अल्फांस , एक पूर्व आईपीएस सत्यपाल सिंह और एक पूर्व राजनयिक हरदीप सिंह पुरी हैं वहीं अन्य पांच नेताओं काे लंबा राजनीतिक अनुभव है। विस्तार और फेरबदल की इस कवायद को देख कर लगता है कि श्री मोदी ने विकास के लिये पैशन (जुनून), प्रोफिशिएंसी (दक्षता), प्रोफेशनल एंड पॉलिटिकल आकुमेन (पेशेवराना एवं राजनीतिक कौशल) पर विशेष ध्यान दिया है। सदस्यों के ट्रैक रिकॉर्ड , पिछले प्रदर्शन , भावी क्षमता का भी आकलन किया गया है। नये भारत के निर्माण के सरकारके ‘विजन’ के तहत इन सदस्यों का चयन किया गया है जिससे कि गरीब , शोषित, पीड़ित एवं वंचित वर्ग के हितों को प्राथमिकता दी जा सके और सरकारी योजनाओं का लाभ अंतिम व्यक्ति तक पहुंच सके। नये मंत्री विभिन्न सामाजिक एवं आर्थिक पृष्ठभूमि से हैं और उच्च शिक्षित हैं। ये उत्तर प्रदेश, केरल, कर्नाटक, राजस्थान, दिल्ली, मध्यप्रदेश , झारखंड और बिहार से हैं।

सीतारमण, गोयल, प्रधान को मिली अहम जिम्मेदारी,उमा से छिनी गंगा

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नयी दिल्ली. 03 सितम्बर, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सरकार के कामकाज और महत्वाकांक्षी कार्यक्रमों के क्रियान्वयन में तेजी लाने के लिए मंत्रिपरिषद में आज बड़ा फेरबदल अौर विस्तार करते हुये नितिन गडकरी, पीयूष गोयल, निर्मला सीतारमण और धर्मेंद्र प्रधान के साथ साथ कुछ पूर्व नौकरशाहों को अहम दायित्व सौंपा है। श्री मोदी ने बहुप्रतीक्षित फेरबदल में सरकार में अच्छा काम कर रहे मंत्रियों को पुरस्कृत करते हुए श्रीमती सीतारमण को रक्षा मंत्री तथा श्री गोयल को नया रेल मंत्री मंत्री बनाया है जबकि श्री गडकरी को मौजूदा मंत्रालयों के साथ साथ जल संसाधन ,नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्रालय भी सौंपा है। श्री प्रधान को कैबिनेट मंत्री का दर्जा देकर उन्हें पेट्रोलियम मंत्रालय केे साथ कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय दिया गया है । इस फेरबदल में श्रीमती सीतारमण, श्री गोयल अौर श्री प्रधान के साथ ही श्री मुख्तार अब्बास नकवी को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है और उन्हें अल्पसंख्यक मंत्रालय में ही रखा गया है। लगातार दो रेल दुर्घटनाओं के बाद रेल मंत्री पद से इस्तीफा देने वाले श्री सुरेश प्रभु को वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय सौंपा गया है जबकि सुश्री उमा भारती को जल संसाधन , नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्रालय से हटाकर पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय दिया गया है।

भुवी का पंजा, विराट का 30 वां शतक और 5-0

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कोलंबो, 03 सितंबर, मध्यम तेज़ गेंदबाज भुवनेश्वर कुमार (42 रन पर पांच विकेट) के करियर के सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन , महेंद्र सिंह धोनी के 100 स्टंपिंग के विश्व रिकॉर्ड और कप्तान विराट कोहली ( नाबाद 110 ) के 30 वें शतक के दम पर भारत ने श्रीलंका को पांचवें और अंतिम वनडे में रविवार को छह विकेट से पीटकर पहली बार श्रीलंकाई जमीन पर 5-0 की क्लीन स्वीप कर ली। भारत ने श्रीलंका को पांचवें और अंतिम वनडे में 49.4 अोवर में 238 रन पर रोकने के बाद कप्तान विराट की शतकीय पारी के दम पर 46.3 ओवर में चार विकेट पर 239 रन बनाकर श्रीलंका दौरे पर लगातार आठवीं जीत हासिल कर ली। विराट ने सीरीज का लगातार दूसरा शतक ठोका। उन्होंने पिछले मैच में 131 रन बनाये थे। विराट ने 116 गेंदों की नाबाद पारी में नौ चौके लगाए। उन्होंने धैर्य के साथ खेलते हुए स्ट्राइक रोटेट की और एक बार फिर लक्ष्य का सफल पीछा करते हुए भारत को जीत दिलाई। विराट ने केदार जाधव के साथ चौथे विकेट के लिए 109 रन की मैच विजयी साझेदारी की। केदार ने 73 गेंदों पर 63 रन में सात चौके लगाए। मनीष पांडेय ने 36 रन का योगदान दिया।


गुजरात मेरे लिए ‘दूसरा घर’ : राष्ट्रपति कोविंद

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महेसाणा, 03 सितंबर, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आज कहा कि गुजरात में उन्हें सहज अपनेपन का अनुभव होता है तथा यह राज्य उनके लिए दूसरे घर जैसा है। श्री कोविंद ने आज से शुरू हुए अपने दो दिवसीय गुजरात प्रवास के दौरान यहां जैन संत पद्मसागरसुरीश्वरजी महाराज के 83 वें जन्मदिन के अवसर पर आयोजित समारोह में कहा कि राष्ट्रपति बनने के बाद यह उनकी पहली गुजरात यात्रा है पर इस राज्य से उनका करीब 45 साल पुराना संबंध है। वह पहले भी लगातार गुजरात आते रहे हैं। युवा अवस्था में वह तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के साथ काम कर चुके हैं और उनके साथ भी यहां आ चुके हैं। वह गुजरात के कोने कोने से वाकिफ हैं। यहां उन्हें अपनेपन का सहज अनुभव होता है। भले ही उनका जन्म उत्तर प्रदेश में हुआ हो पर गुजरात उनके लिए दूसरे घर जैसा है। राष्ट्रपति ने कहा कि गुजरात ने देश को वलसाड जिले के निवासी स्वर्गीय देसाई तथा उत्तर गुजरात के महेसाणा जिले के रहने वाले श्री नरेन्द्र मोदी के तौर पर दो प्रधानमंत्री दिये हैं। गुजरात के किसानों की भी एक अलग पहचान है और सहकारी आंदोलन देश के लिए उदाहरण हैं। उन्होंने हाल में उत्तर गुजरात में बाढ के दौरान मुख्यमंत्री विजय रूपाणी के पांच दिन तक वहीं रह कर सरकार चलाने की भी सराहना की। उन्होंने इस मौके पर महात्मा गांधी की न्यास सिद्धांत (थ्योरी ऑफ ट्रस्टीशिप) की चर्चा करते हुए लोगों से ऐसी ही भावना से काम करने का आहवान किया। उन्होंने जैन संत से 1994 से हुई अपनी पहचान की चर्चा की तथा उनके साथ अपने संबंध को पूर्वजन्म से जुडा करार दिया। मानवसेवा के लिए उनकी ओर से की जा रही पहल तथा प्राचीन पांडुलिपियों को बचाकर गांधीनगर के नजदीक कोबा के ज्ञान मंदिर में दो लाख पांडुलिपियों के विशालतम संग्रह के निर्माण जैसे सांस्कृतिक योगदान की सराहना की तथा उनसे आहवान किया कि वे अपने लाखों करोडों अनुयायियों को अहिंसा और न्यास सिद्धांत की तर्ज पर काम करने को कहें। राष्ट्रपति ने कहा कि वह चाहते हैं कि आज राष्ट्र का हर व्यक्ति राष्ट्र का निर्माता बने। इस मौके पर उन्होंने पूर्व सैनिक कल्याण कोष के लिए 63 लाख रूपये का योगदान देने के लिए मनीष भाई मेहता की सराहना की। उन्होंने कहा कि सशस्त्र बलों के सर्वोच्च कमांडर के तौर पर वह उन्हें धन्यवाद देते हैं। मैने राष्ट्रपति बनने के बाद यह निर्णय लिया था कि दिल्ली के बाहर पहली यात्रा सेना से संबंधित होगी और मैने लद्दाख में गोरखा बटालियन की पहली यात्रा की थी। 

मोदी ब्रिक्स शिखर बैठक के लिये चीन पहुंचे

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शियामेन, 03 सितंबर, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नौवीं ब्रिक्स शिखर बैठक में भाग लेने के लिये आज चीन के तटवर्ती शहर शियामेन पहुंच गये जहां वह अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद के मुद्दे को पुरज़ोर तरीके से उठाएंगे तथा वैश्विक आर्थिक स्थिति, राष्ट्रीय सुरक्षा एवं क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा करेंगे। नयी दिल्ली में केन्द्रीय मंत्रिमंडल के विस्तार के तहत नये मंत्रियों के शपथग्रहण समारोह में भाग लेने के बाद श्री मोदी एयर इंडिया के विशेष विमान से आज अपराह्न यहां के लिए रवाना हुए थे। वह पांच सितंबर को यहां से म्यांमार की तीन दिन की यात्रा पर जाएंगे। श्री मोदी के ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लेने के साथ ही इस संगठन के सदस्य देशों के नेताओं के साथ द्विपक्षीय बातचीत की भी उम्मीद है। प्रधानमंत्री ने कल शाम अपने यात्रा पूर्व वक्तव्य में वैश्विक चुनौतियों से निपटने और शांति एवं सुरक्षा बनाए रखने में ब्रिक्स की भूमिका को महत्वपूर्ण बताते हुए उम्मीद जतायी कि इस शिखर सम्मेलन में सृजनात्मक चर्चा होगी और सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे, जो इन देशों की साझीदारी का एजेंडा मजबूत करेंगे।

नोटबंदी से तीन करोड़ हुये बेरोजगार :शरद

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नयी दिल्ली 04 सितम्बर, जनता दल (यू) के वरिष्ठ नेता शरद यादव ने आज कहा कि नोटबंदी के कारण छोटे उद्योगों के बंद होने से देश में तीन करोड़ लोग बेरोजगार हो गये हैं तथा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में दो प्रतिशत की गिरावट आयी है । श्री यादव ने यहां संवाददाता सम्मेलन में रिजर्व बैंक की वार्षिक रिपोर्ट में नोटबंदी पर आये आंकड़ों के संदर्भ में यह बात कही । उन्होंने कहा कि नोटबंदी की घोषणा का दिन आठ नवम्बर काला दिवस के समान था । उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार नोटबंदी से अपने किसी भी उद्देश्य को पूरा करने में विफल रही है । यह निर्णय जल्दीबाजी में और बिना तैयारी के लिया गया जिसके कारण न केवल छोटे उद्योग बंद हुये बल्कि बैंकों में रुपये जमा करने के दौरान लाइनों में लगे 120 लोगों की मौत हो गयी , कृषि कार्य बाधित हुये ,असंगठित क्षेत्र के श्रमिक बेरोजगार हो गये तथा लोगों शदियां तक रोकनी पड़ी । उन्होंने कहा कि किसानों की आय 50 से 60 प्रतिशत तथा कृषि विकास दर दो प्रतिशत कम हो गयी है । मोदी सरकार ने प्रति वर्ष दो करोड़ लोगों को रोजगार देने का वादा किया था लेकिन नोटबंदी के कारण रियल स्टेट उद्योग में 44 प्रतिशत की गिरावट आयी है और बैंको के रिण देने का स्तर 60 साल में सबसे निचले स्तर पर आ गया है । 

प्रधानमंत्री के न्यू इंडिया के सपने को साकार करना मेरी अहम जिम्मेदारी :अश्विनी चौबे

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नयी दिल्ली 04 सिंतबर, केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार में पहली बार मंत्री बनाए गए बक्सर से भारतीय जनता पार्टी सांसद अश्विनी चौबे ने आज केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय में राज्यमंत्री का पदभार संभाल लिया। पदभार संभालने के बाद पत्रकारों से बातचीत में श्री चौबे ने कहा कि प्रधानमंत्री के न्यू इंडिया के सपने को साकार करना उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने उनपर भरोसा जताते हुए जो नयी जिम्मेदारी सौंपी है उसे पूरी निष्ठा के साथ निभाएंगे। स्वास्थ्य मंत्रालय में राज्य मंत्री के तौर पर आगे की रणनीति के सवाल पर उन्हाेंने कहा कि अभी उनके लिए सबकुछ नया है। सारा काम काम समझने में उन्हें थोड़ा समय लगेगा। हर चीज का बारीक अध्ययन करने के बाद ही वह भविष्य की योजनाओं के बारे में स्पष्ट रूप से कुछ कह पाएंगे। श्री चौबे केन्द्रीय मंत्रिमंडल में कल हुए तीसरे विस्तार में शामिल किए गए नौ नए चेहरों में से एक हैं। श्री चौबे भागलपुर से लगातार पांच बार विधायक रह चुके हैं। वह पहली बार 1995 में भागलपुर में जनता दल के केदारनाथ यादव को हराकर विधायक बने थे। वह 1995 - 2014 तक बिहार विधानसभा के सदस्य रहे। वह बिहार सरकार में आठ साल तक स्वास्थ्य, शहरी विकास और जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी सहित अहम विभागों का पदभार संभाल चुके हैं। श्री चौबे वर्ष 2013 में केदारनाथ में आयी बाढ़ में बाल बाल बचे थे। इस हादसे में उनके कुछ रिश्तेदारों की मौत हो गई थी। 

जेटली मानहानि मामले में जवाब दाखिल करने में देरी पर केजरीवाल पर पांच हजार रूपये का जुर्माना

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नयी दिल्ली 04 सितंबर, दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली के मानहानि मामले में जवाब दाखिल करने में देरी करने पर आज पांच हजार रूपये का जुर्माना लगाया । दिल्ली क्रिकेट एवं जिला संघ(डीडीसीए) मामले में श्री केजरीवाल के श्री जेटली पर वित्तीय अनिमितताओं का आरोप लगाने पर दस करोड़ रूपये का आपराधिक मानहानि का मुकदमा किया गया था। इस मुकदमें की सुनवाई के दौरान श्री केजरीवाल की तरफ से वरिष्ठ वकील राम जेठमलानी ने श्री जेटली को अपमानजनक शब्द कहें थे। श्री जेठमलानी ने न्यायालय में कहा था कि इन शब्दों का प्रयोग मुख्यमंत्री के कहने पर किया गया है। श्री जेटली ने इसके बाद दस करोड़ रूपये का एक और मानहानिक का मुकदमा श्री केजरीवाल पर किया था। इसी मामले में जवाब दाखिल करने में देरी करने का दोषी पाये जाने पर उच्च न्यायालय ने पांच हजार रूपये का जुर्माना लगाया है। इससे पहले न्यायालय में इस मामले की जल्दी सुनवाई के आदेश के खिलाफ मुख्यमंत्री की याचिका 25 अगस्त को खारिज कर दी थी। डीडीसीए अनियमितताओं आरोप के मामले में श्री जेटली ने श्री केजरीवाल के अलावा पार्टी के नेताओं राघव चड्ढा ,दीपक वाजेपयी, कुमार विश्वास, आशुतोष और संजय सिंह पर भी मुकदमा किया है।


कौशल विकास मंत्रालय चुनौती नहीं जिम्मेदारी:प्रधान

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नयी दिल्ली 04 सितम्बर, कौशल विकास तथा उद्यमिता मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने आज कहा कि व्यावसायिक कौशल के साथ युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना उनके लिए चुनौती नहीं बल्कि एक नया दायित्व है और इसका वह जिम्मेदारी के साथ निर्वहन करेंगे। श्री प्रधान ने कौशल विकास तथा उद्यमिता मंत्रालय में अपने सहयोगी अनंत कुमार हेगड़े के साथ कार्यभार संभालने के बाद पत्रकारों से कहा कि यह उनके लिए नया मंत्रालय है। इस मंत्रालय में कैसे काम करना है इसके लिए स्थिति समझने के बाद जल्द ही एक रोडमैप तैयार किया जाएगा। पेट्रोलिय राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार के रूप में उन्होंने उज्ज्वला सहित कई नयी योजनाएं शुरू की ।कल मंत्रिपरिषद में हुए फेरबदल में उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाकर कौशल विकास मंत्री का अतिरिक्त दायित्व दिया गया। उन्होंने कहा कि हर साल 10 करोड़ युवाओं को रोजगार की जरूरत होती है। ये सभी युवक स्वाभिमान के साथ नौकरी पेशे से जुड़े इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कौशल विकास मंत्रालय का गठन किया। इस मंत्रालय ने युवाओं के कौशल विकास के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं और पिछले तीन साल से बड़ी संख्या में युवक पेशागत कुशलता के नौकरी में आ रहे हैं। कौशल विकास मंत्रालय को ज्यादा उपयोगी बनाने तथा गति देने के लिए उनकी प्राथमिकताओं के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि वह अपने सहयोगी श्री हेगड़े के साथ मंत्रालय से संबंधित गतिविधियों काे पहले पूरी तरह समझेंगे और फिर कार्य योजना बनाएंगे ताकि ज्यादा से ज्यादा युवाओं को सक्षम और कुशल बनाया जा सके।

सोना 10 महीने के उच्चतम स्तर पर

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 नयी दिल्ली 04 सितंबर, उत्तर कोरिया के हाइड्रोजन बम परीक्षण के बाद निवेशकों के सुरक्षित पीली धातु का रुख करने के कारण आज वैश्विक बाजारों के साथ दिल्ली सर्राफा बाजार में भी इसमें तेजी रही। सोना 200 रुपये चमककर नोटबंद के बाद के उच्चतम स्तर 30,600 रुपये प्रति दस ग्राम पर पहुँच गया। चाँदी भी 200 रुपये की छलाँग लगाकर 41,700 रुपये प्रति किलोग्राम पर रही। दोनों कीमती धातुओं में लगातार तीसरे दिन तेजी रही। सोने का यह 09 नवंबर 2016 और चाँदी का इस साल 21 अप्रैल के बाद का उच्चतम स्तर है। उत्तर कोरिया ने उसके अब तक के सबसे शक्तिशाली हाइड्रोजन बम का परीक्षण किया है। इसके बाद अमेरिका और दक्षिण कोरिया ने उसके खिलाफ घेराबंदी तेज कर दी है। भू-राजनीतिक तनाव के बीच निवेशकों ने शेयरों की बजाय सुरक्षित निवेश मानी जाने वाली पीली धातु में पैसा लगाया। इससे वैश्विक स्तर पर एक प्रतिशत चढ़कर सोना एक साल के उच्चतम स्तर पर पहुँच गया। लंदन में सोना हाजिर 12.95 डॉलर चढ़कर 1,337.45 डॉलर प्रति औंस पर रहा। दिसंबर का अमेरिका सोना वायदा 12.80 डॉलर की तेजी के साथ 1,343.20 डॉलर प्रति औंस बोला गया। चाँदी में भी करीब एक प्रतिशत की तेजी रही। चाँदी हाजिर 0.17 डॉलर की बढ़त में 17.85 डॉलर प्रति औंस बोली गयी।


उत्तर कोरिया के नये परीक्षण से शेयर बाजार लुढ़के

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मुम्बई 04 सितंबर, उत्तर कोरिया द्वारा शक्तिशाली हाइड्रोजन बम का परीक्षण करने से वैश्विक बाजारों में हड़कंप मच गया और घरेलू शेयर बाजार भी इसकी चपेट में आने से नहीं बच पाये। कमजोर वैश्विक संकेतों के बीच निवेशकों के बिकवाल बनने से आज बीएसई का 30 शेयरों वाला संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 189.98 अंक लुढ़ककर 31,702.25 अंक पर और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 61.55 अंक टूटकर 9,912.85 अंक पर बंद हुआ। उत्तर कोरिया के इस ताजा परीक्षण से वैश्विक मंच पर उथलपुथल मच गयी है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् ने आज इसी विषय पर चर्चा के लिए आपात बैठक बुलायी है। उत्तर कोरिया का यह छठा परीक्षण है और उसका दावा है कि इस बार उसने हाइड्रोजन बम का सफल परीक्षण किया है। जापान और दक्षिण कोरिया का भी कहना था कि इससे आया झटका अधिक शक्तिशाली झटका था। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस पर कड़ी आपत्ति दर्ज करते हुए कहा कि अमेरिका उचित समय आने पर उत्तर कोरिया के खिलाफ कार्रवाई करेगा। श्री ट्रंप ने ट्विटर पर कहा,“ मैंने दक्षिण कोरिया से कहा था कि उत्तर कोरिया के साथ तुष्टीकरण की उनकी बात नहीं बनेगी और उसने अंतरराष्ट्रीय समुदाय की चेतावनी को नजरअंदाज कर अपनी मर्जी ही चलाई जिससे यह साबित होता है कि उत्तर कोरिया केवल एक ही भाषा समझता है।” दक्षिण कोरिया के रक्षा मंत्री के अनुसार उत्तर कोरिया आने वाले समय में और बैलिस्टिक मिसाइल के परीक्षण कर सकता है । उन्होंने साथ ही आज यह चिंता भी जाहिर की कि संभवत: उत्तर कोरिया अंतर द्विपीय बैलिस्टिक मिसाइल भी लांच करने वाला है। सेंसेक्स अाज 39.87 अंक की मामूली बढ़त लेकर 31,932.20 अंक पर खुला और यही इसका दिवस का उच्चतम स्तर भी रहा। अगस्त में वाहनों की बिक्री के मजबूत आंकड़ों के बावजूद शेयर बाजार पर वैश्विक रूख अधिक हावी रहा। कारोबार के दौरान यह 31,560.32 अंक के निचले स्तर तक का गोता लगाता हुअा गत दिवस की तुलना में अंतत: 0.60 प्रतिशत लुढ़ककर 31,702.25 अंक पर बंद हुआ। सेंसेक्स की 30 में से 23 कंपनियां आज लाल निशान में रहीं। कोल इंडिया ने आज सबसे अधिक मुनाफा कमाया। गत शुक्रवार को कोल इंडिया ने उत्पादन के आकंड़े जारी किये,जिसके अनुसार उसने अगस्त में लक्ष्य से कहीं अधिक 3.76 करोड़ टन कोयले का उत्पादन किया है। सकारात्मक उत्पादन आंकड़ों के दम पर कंपनी के शेयरों में आज सबसे अधिक तेजी रही। निफ्टी का ग्राफ भी लगभग सेंसेक्स की तरह ही रहा। यह भी 9.75 अंक की बढ़त में 9,984.15 अंक पर खुला। कारोबार के दौरान 9,988.40 अंक के उच्चतम और 9,861.00 अंक के निचले स्तर से होता हुआ गत दिवस के मुकाबले 0.62 फीसदी टूटकर 9,912.85 अंक पर बंद हुआ। निफ्टी की 51 में 40 कंपनियों में आज जमकर बिकवाली हुई। बीएसई के 20 में 19 समूहों के सूचकांक में गिरावट रही। दिग्गज कंपनियों की तुलना में छोटी और मंझोली कंपनियों में अधिक बिकवाली हुई। बीएसई का मिडकैप 0.68 प्रतिशत यानी 106.24 अंक लुढ़ककर 15,580.42 अंक पर और स्मॉलकैप भी 0.68 प्रतिशत यानी 109.51 अंक लुढ़ककर 16,020.61 अंक पर बंद हुआ। बीएसई में आज कुल 2,822 कंपनियाें ने कारोबार किया। इनमें से 1,603 कंपनियों के शेयरों के भाव गिरावट में, 993 के बढ़त में और शेष 226 के अपरिवर्तित रहे। भूराजनैतिक अनिश्चितता के कारण विदेशी बाजारों में आज गिरावट का रुख रहा। यूरोपीय बाजारों में ब्रिटेन का एफटीएसई शुरुआती कारोबार में 0.10 प्रतिशत और जर्मनी का डैक्स 0.46 प्रतिशत की गिरावट में खुला। एशियाई बाजारों में सिर्फ चीन का शंघाई कंपोजिट 0.19 प्रतिशत की बढ़त में रहा जबकि जापान का निक्की 0.93 प्रतिशत, दक्षिण कोरिया का कोस्पी 1.19 प्रतिशत और हांगकांग का हैंगशैंग 0.76 प्रतिशत की गिरावट में बंद हुए। बीएसई के 20 समूहों में से 19 में गिरावट रही। सिर्फ धातु समूह में 0.26 फीसदी की तेजी रही। सबसे अधिक 1.39 फीसदी की गिरावट रिएल्टी समूह में रही। इसके अलावा दूरसंचार समूह में 1.32, इंडस्ट्रियल्स में 1.04 , आईटी में 1.02 और टेक में 0.94 प्रतिशत की गिरावट रही। शेष सभी समूहों के सूचकांक भी लुढ़के। सेंसेक्स की मात्र सात कंपनियों हरे निशान में रह पायी। सबसे अधिक 3.38 फीसदी की तेजी कोल इंडिया के शेयरों में देखी गयी। इसके अलावा दवा क्षेत्र की कंपनी सन फार्मा के शेयरों की कीमत में 2.79, ओएनजीसी में 1.06, ल्यूपिन में 0.24, विप्रो में 0.19, रिलायंस में 0.12 और भारतीय स्टेट बैंक में 0.04 फीसदी की बढ़त रही। अदानी पोटर्स के शेयरों की कीमत में सबसे अधिक 2.60 फीसदी की गिरावट रही। इसके अलावा इंफोसिस में 2.04, हिंदुस्तान यूनीलीवर में 1.94, हीरो मोटोकॉर्प में 1.82, एशियन पेंट्स में 1.70, टाटा मोटर्स में 1.61, भारती एयरटेल में 1.56, महिंद्रा एंड महिंद्रा में 1.53, कोटक महिंद्रा में 1.42, डॉ रेड्डीज में 1.27, सिप्ला में 1.17, एक्सिस बैंक में 1.04, एचडीएफसी बैंक में 0.91, एल एंड टी में 0.86, टाटा स्टील में 0.58, आईसीआईआई बैंक में 0.35, आईटीसी में 0.35, पावर ग्रिड में 0.28, बजाज ऑटो में 0.23, टीसीएस में 0.22, एचडीएफसी में 0.21, एनटीपीसी में 0.15 और मारुति में 0.11 प्रतिशत की गिरावट रही।

कोविंद व नायडू ने दीं शिक्षक दिवस पर शुभकामनाएं

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नयी दिल्ली 04 सितम्बर,राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद और उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने शिक्षक दिवस के अवसर पर सभी शिक्षकों को बधाई और शुभकामनाएं दी हैं। श्री कोविंद ने राष्ट्रीय शिक्षक दिवस की पूर्वसंध्या पर अाज कहा कि विख्यात दार्शनिक और शिक्षक, भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिन प्रत्येक वर्ष 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। हमारे देश में गुरु शिष्य की महान परंपरा रही है। शिक्षक अपना ज्ञान विद्यार्थियों को देकर उन्हें सशक्त बनाते हैं। वे बच्चों को एक अच्छा इंसान बनाते हैं। इसलिए समाज शिक्षकों के प्रति सम्मान और आभार प्रकट करता है। शिक्षक एक आदर्श हैं ,जो बच्चों में जिज्ञासा और सीखने की भावना पैदा करते हैं। उन्होंने कहा,“ मैं इस अवसर पर डॉ. राधाकृष्णन के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं और हमारे महान राष्ट्र के सभी शिक्षकों को हार्दिक बधाई देता हूं। उपराष्ट्रपति ने अपने संदेश में कहा कि शिक्षक देश के वास्तविक निर्माता है, जो बच्चों के भविष्य को स्वरूप देकर उन्हें जिम्मेदार नागरिक बनाते हैं। श्री नायडू ने अपने संदेश में कहा कि राष्ट्रीय शिक्षक दिवस देश के दूसरे राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन की स्मृति में पांच सितम्बर को मनाया जाता है, जो एक प्रकांड विद्वान और शिक्षाविद् भी थे। उन्होंने कहा कि शिक्षक दिवस एक विशेष दिन है, जब हजारों शिक्षकों को उनकी अमूल्य सेवाओं के लिए सम्मानित किया जाता है। उन्होंने कहा कि वह राष्ट्रीय शिक्षक दिवस के अवसर पर देश के सभी शिक्षकों को बधाई और शुभकामनाएं देते हैं।

विशेष आलेख : 35A जैसे दमनकारी कानूनों का बोझ देश क्यों उठाए

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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 35 A 14 मई 1954 को तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद द्वारा संविधान के परिशिष्ट में पंडित नेहरू की अनुशंसा पर समाविष्ट किया गया था। इस अनुच्छेद द्वारा जम्मू कश्मीर विधानसभा को यह अधिकार मिलता है कि 1) वह अपने मूल निवासियों को परिभाषित करे 2) इसके अनुसार जम्मू कश्मीर का मूल निवासी वह व्यक्ति है जो 14 मई 1954 को राज्य का नागरिक हो या फिर 10 साल पहले से यहाँ रह रहा हो। 3) राज्य सरकार के अधीन नियोजन,सम्पत्ति का अर्जन,राज्य में बस जाने या छात्रवृतियां या ऐसी अन्य प्रकार की सहायता ,अधिकार अथवा विशेषाधिकार जो भी राज्य सरकार प्रदान करती है केवल राज्य के स्थानीय मूल निवासियों को ही दिए जाएंगे।


भारत का हर नागरिक गर्व से कहता कि कश्मीर हमारा है लेकिन फिर ऐसी क्या बात है कि आज तक हम कश्मीर के नहीं हैं? भारत सरकार कश्मीर को सुरक्षा सहायता संरक्षण और विशेष अधिकार तक  देती है लेकिन  फिर भी भारत के नागरिक के कश्मीर में कोई मौलिक अधिकार भी नहीं है? 2017 में कश्मीर की ही एक बेटी चारु वलि खन्ना एवं 2014 में एक गैर सरकारी संगठन  'वी द सिटिजंस'द्वारा सुप्रीम कोर्ट में अनुच्छेद 35A के खिलाफ याचिका दायर की गई है जिसका फैसला दीवाली के बाद अपेक्षित है। आज पूरे देश में 35A पर जब बात हो रही हो और मामला कोर्ट में विचाराधीन हो तो कुछ बातें देश के आम आदमी के जहन में अतीत के साए से निकल कर आने लगती हैं। पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के यह शब्द भी याद आते हैं कि, "कश्मीरियत जम्हूरियत और इंसानियत से ही कश्मीर समस्या का हल निकलेगा "। किन्तु बेहद निराशाजनक तथ्य यह है कि यह तीनों ही चीजें आज कश्मीर में कहीं दिखाई नहीं देती। कश्मीरियत, आज आतंकित और लहूलुहान है। इंसानियत की कब्र आतंकवाद बहुत पहले ही खोद चुका है और जम्हूरियत पर अलगवादियों का कब्जा है। और मूल प्रश्न यह है कि जम्मू कश्मीर राज्य को आज तक विशेष दर्जा प्रदान करने वाली  धारा 370 और 35A लागू होने के बावजूद कश्मीर आज तक  'समस्या'क्यों है? कहीं समस्या का मूल ये ही तो नहीं हैं? जब भी देश में इन धाराओं पर कोई भी बात होती है तो फारूख़ अब्दुल्लाह हों या महबूबा मुफ्ती कश्मीर के हर स्थानीय नेता का रुख़ आक्रामक और भाषण भड़काऊ क्यों हो जाते हैं? आज सोशल मीडिया के इस दौर में धारा 370 और  35A 'क्या है'यह तो अब तक सभी जान चुके हैं लेकिन यह 'क्यों हैं 'इसका उत्तर अभी भी अपेक्षित है।
धारा  370 जो कि भारतीय संविधान के 21 वें भाग में समाविष्ट है और जिसके शीर्षक शब्द हैं  "जम्मू कश्मीर के सम्बन्ध  में अस्थायी प्रावधान" , वो 370 जो खुद एक अस्थायी प्रावधान है,उसकी  आड़ में 14 मई 1954 को प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की अनुशंसा पर तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद द्वारा 35A को 'संविधान के परिशिष्ट दो 'में स्थापित किया गया था।

इतिहास
1947 से पहले जम्मू कश्मीर एक रियासत थी जो कि  "जम्मू और कश्मीर के महाराजा"के अधीन थी। 1912 से  1932 के बीच 1927 में तत्कालीन महाराजा ने एक अधिसूचना जारी की थी जिसमें उन्होंने केवल राज्य के मूल निवासियों को ही सरकारी सुविधाओं का लाभ एवं राज्य में जमीन खरीदने के अधिकार देने की बात की थी। जब 26 अक्टूबर 1947 में जम्मू कश्मीर रियासत का भारत संघ में विलय हुआ तो उपर्युक्त अधिसूचना को बरकरार रखा गया। इसके परिणामस्वरूप  बँटवारे के वक्त जो परिवार पाकिस्तान से भारत के किसी भी हिस्से में आकर बस गए वे भारत के नागरिक बन गए लेकिन वे परिवार जो जम्मू और कश्मीर में बसे वो आज तक शरणार्थी बने हुए हैं। किस नियोजन से 1954 में एक अनुच्छेद के द्वारा जम्मू कश्मीर विधानसभा को अपने प्रदेश के मूल निवासियों को परिभाषित करने का अधिकार दिया गया? यह बात सही है कि काफी पहले से महाराजा के समय से जम्मू कश्मीर में इस प्रकार के कानून थे कि कोई बाहरी व्यक्ति यहां सम्पत्ति नहीं खरीद सकता क्योंकि महाराजा को डर था कि कहीं अंग्रेज यहाँ पर जमीन खरीद कर अपना अधिकार स्थापित करना न शुरू कर दें। लेकिन जब पाकिस्तान के आक्रमण के बाद जम्मू और कश्मीर के महाराजा ने भारत में विलय को स्वीकार किया तो किस साजिश के तहत अंग्रेजों के समय उनके डर से बनाए गए कानूनों को धारा 370 का जामा पहनाकर जारी रखा गया ?


2002 में अनुच्छेद 21 में संशोधन करके 21A को उसके बाद जोड़ा गया था तो अनुच्छेद 35A को अनुच्छेद 35 के बाद क्यों नहीं जोड़ा गया, उसे परिशिष्ट में स्थान क्यों दिया गया? जबकि संविधान में अनुच्छेद 35 के बाद 35a भी है लेकिन उसका जम्मू कश्मीर से कोई लेना देना नहीं है। इसके अलावा जानकारों के अनुसार जिस प्रक्रिया द्वारा 35 A को संविधान में समाविष्ट किया गया वह प्रक्रिया ही अलोकतांत्रिक है एवं भारतीय संविधान के अनुच्छेद 368 का भी उल्लंघन है जिसमें निर्धारित प्रक्रिया के बिना संविधान में कोई संशोधन नहीं किया जा सकता। एक तथ्य यह भी कि जब भारत में विधि के शासन का प्रथम सिद्धांत है कि  'विधि के समक्ष'प्रत्येक व्यक्ति समान है और प्रत्येक व्यक्ति को  'विधि का समान 'संरक्षण प्राप्त होगा तो क्या देश के एक राज्य के  "कुछ"नागरिकों को विशेषाधिकार देना क्या शेष नागरिकों के साथ अन्याय नहीं है? यहाँ  "कुछ"नागरिकों का ही उल्लेख किया गया है क्योंकि 35 A राज्य सरकार को यह अधिकार देती है कि वह अपने राज्य के  'स्थायी नागरिकों 'की परिभाषा तय करे।  इसके अनुसार  जो व्यक्ति 14 मई 1954 को राज्य की प्रजा था या 10 वर्षों से राज्य में रह रहा है वो ही राज्य का स्थायी नागरिक है इसका दंश झेल रहे हैं वो परिवार जो 1947 में पश्चिमी पाकिस्तान से भारत में आए थे। जहाँ देश के बाकी हिस्सों में बसने वाले ऐसे परिवार आज भारत के नागरिक हैं वहीं जम्मू कश्मीर में बसने वाले ऐसे परिवार आज 70 साल बाद भी शरणार्थी हैं। इसका दंश झेल रहे हैं 1970 में प्रदेश सरकार द्वारा सफाई के लिए  विशेष आग्रह पर पंजाब से बुलाए जाने वाले वो सैकड़ों दलित परिवार जिनकी संख्या आज दो पीढ़ियाँ बीत जाने के बाद हजारों में हो गई है लेकिन ये आज तक न तो जम्मू कश्मीर के स्थाई नागरिक बन पाए हैं और न ही इन लोगों को सफाई कर्मचारी के आलावा कोई और काम राज्य सरकार द्वारा दिया जाता है। जहाँ एक तरफ जम्मू कश्मीर के नागरिक विशेषाधिकार का लाभ उठाते हैं इन परिवारों को उनके मौलिक अधिकार भी नसीब नहीं हैं। जहाँ पूरे देश में दलित अधिकारों को लेकर तथाकथित मानवाधिकारों एवं दलित अधिकार कार्यकर्ता बेहद जागरूक हैं और मुस्तैदी से काम करते हैं वहाँ कश्मीर में दलितों के साथ होने वाले इस अन्याय पर सालों से मौन क्यों हैं? ये परिवार जो सालों से राज्य को अपनी सेवाएं दे रहे हैं विधानसभा चुनावों में वोट नहीं डाल सकते, इनके बच्चे व्यवसायिक शिक्षण संस्थानों में प्रवेश नहीं ले सकते। 

किस मकसद के तहत 1954 में अनुच्छेद 35A जोड़ा गया?देश की एकता को खण्ड खण्ड करने वाले इस प्रकार के 'विशेषाधिकार'कश्मीर के आवाम को भारत के आवाम से जोड़ने का काम कर रहे हैं या फिर तोड़ने का? जिस दिन जम्मू और कश्मीर का आम आदमी इस सच्चाई को समझ जाएगा कि कश्मीर को दी गई इस विशेषता का लाभ वहाँ अलगाववादियों द्वारा उठाया जा रहा है और कश्मीरी आवाम इन "विशेषाधिकारों"के बावजूद देश के बाकी हिस्सों से बहुत पीछे रह गया है वो खुद ही इसके खिलाफ खड़ा होगा।

क्या यही कश्मीरियत है? क्या यही जम्हूरियत है? क्या यही इंसानियत है? वक्त आ गया है इस बात को समझ लेने का कि संविधान का ही उपयोग संविधान के खिलाफ करने की यह कुछ लोगों के स्वार्थों को साधने वाली पूर्व एवं सुनियोजित राजनीति है । क्योंकि अगर इस अनुच्छेद को हटाया जाता है तो इसका सीधा असर राज्य की जनसंख्या पर पड़ेगा और चुनाव में उन लोगों को वोट देने का अधिकार  मिलने से जिनका मत अभी तक कोई मायने नहीं रखता था निश्चित ही इनकी राजनैतिक दुकानें बन्द कर देगा। आखिर ऐसा क्यों है कि जम्मू कश्मीर भारत का हिस्सा होते हुए भी एक कश्मीरी लड़की अगर किसी गैर कश्मीरी लेकिन भारतीय लड़के से शादी करती है तो वह अपनी जम्मू कश्मीर राज्य की नागरिकता खो देती है लेकिन अगर कोई लड़की किसी गैर कश्मीरी लेकिन पाकिस्तानी लड़के से निकाह करती है तो उस लड़के को कश्मीरी नागरिकता मिल जाती है। समय आ गया है कि इस प्रकार के कानून किसके हक में हैं इस विषय पर खुली एवं व्यापक बहस हो। कश्मीर के स्थानीय नेता जो इस मुद्दे पर भारत सरकार को कश्मीर में विद्रोह एवं हिंसा की बात करके आज तक विषय वस्तु का रुख़ बदलते आए हैं बेहतर होगा कि आज इस विषय पर ठोस तर्क प्रस्तुत करें कि इन दमनकारी कानूनों का बोझ देश क्यों उठाए ? इतने सालों में इन कानूनों की मदद से आपने कश्मीरी आवाम की क्या तरक्की की? क्यों आज कश्मीर के हालात इतने दयनीय है कि यहाँ के नौजवान को कोई भी 500 रु में पत्थर फेंकने के लिए खरीद पाता है? देश आज जानना चाहता है कि इन विशेषाधिकारों का आपने उपयोग किया या दुरुपयोग? क्योंकि अगर उपयोग किया होता तो आज कश्मीर खुशहाल होता खेत खून से नहीं केसर से लाल होते डल झील में लहू नहीं शिकारा बहती दिखतीं युवा एके 47 नहीं विन्डोज़ 7 चला रहे होते और चारु वलि खन्ना जैसी बेटियाँ आजादी के 70 साल बाद भी अपने अधिकारों के लिए कोर्ट के चक्कर लगाने के लिए विवश नहीं होतीं। 



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--डॉ नीलम महेंद्र--

पं. कमलापति त्रिपाठी काशी की संस्कृति के धरोहर थे : विश्वम्भरनाथ मिश्र

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  • उनकी 112वीं जयंती के मौके पर आयोजित ‘राष्ट्रीय पत्रकारिता पुरस्कार‘ समारोह में सम्मानित हुए कई पत्रकार 

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लखनऊ (सुरेश गांधी )।पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस के सीनियर लीडर पंडित कमलापति त्रिपाठी की 112वीं जयंती धूमधाम से मनायी गयी। इस मौके पर हिन्दू संस्थान के यशपाल सभागार में आयोजित ‘राष्ट्रीय पत्रकारिता पुरस्कार‘ समारोह में पंडित कमलापति त्रिपाठी फाउंडेशन वाराणसी की ओर से कई पत्रकारों को भी सम्मानित किया गया। प्रथम पुरस्कार टीवी एंकर विनोद दुआ को दिया गया। उन्हें एक लाख रुपये का चेक और स्मृति चिन्ह भी दिया गया। जबकि अन्य वरिष्ठ पत्रकारों को स्मृति चिन्ह व अंग वस्त्र देकर सम्मानित किया गया। इसके अलावा पंडित कमलापति त्रिपाठी जी द्वारा लिखे ग्रंथ ‘बापू और भारत’ का विमोचन भी किया गया। इन्दिरा गांधी शताब्दी वर्ष में आयोजित कार्यक्रम का शुभारम्भ दीप प्रज्जवलन और पं कमलापति त्रिपाठी, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, श्रीमती इन्दिरा गांधी जी के चित्र पर माल्यार्पण एवं राष्ट्रगीत वन्देमातरम से तथा समापन राष्ट्रगान से हुआ।  


कार्यक्रम की मुख्य अतिथि पूर्व केंद्रीय मंत्री व कांग्रेस कार्य समिति की सदस्य मोहसिना किदवई ने कहा कि आजादी की लड़ाई में पत्रकारों व शायरों का बहुत बड़ा योगदान है। आज देश के हालात बहुत अच्छे नहीं हैं। पं कमलापति त्रिपाठी एक सिद्धान्तनिष्ठ राजनेता और मूल रूप से निर्भीक, स्वतंत्र एवं ईमानदार पत्रकार और सम्पादक थे। उनमें मानवीय संवेदना और सिद्धान्तनिष्ठा की दृढ़ता निहित थी। वह एक उसूलपसन्द इन्सान थे। जिन्होने राजनीतिक प्रशासक के रूप में बुनियादी सिद्धान्तों से कभी समझौता नहीं किया। वह गांधी की परम्परा के पत्रकार और राजनीतिज्ञ थे जिसने आजादी से पहले और आजादी के बाद भी संघर्षों की मिसाल कायम की। वाराणसी के संकट मोचन मंदिर के महंत प्रो. विश्वम्भर नाथ मिश्र ने कहा कि आज सबकुछ है लेकिन विजन नहीं है। बनारस को क्योटो बनाने की बात करना ठीक वैसे ही जैसे किसी पिता को उसके बेटे की नकल करने को कहा जाएं। श्री मिश्र ने कहा कि पंडित जी काशी की संस्कृति के राष्ट्रीय राजनीतिज्ञ क्षितिज पर आदर्श प्रतिनिधि थे। पंडित जी की पत्रकारिता सच्चाई, निर्भिकता और आवाम की आवाज थी। देश की आजादी में पत्रकारों, साहित्यकारों का अहम किरदार था। वे वसुल पसंद राजनेता और पत्रकार थे। 

सम्मानित होने वालों में टीवी एंकर विनोद दुआ ने कहा कि इलकेट्रानिक व सोशल मीडिया के आने के बाद समाज की आवाज और बुलंद हो गई है। उन्होंने पत्रकारों का आह्वान करते हुए कहा कि उन्हें नेताओं से दूरी बनाकर रखनी चाहिए। हम माध्यम हैं नेताओं के क्लब के मेंबर नहीं। हमें कभी भी सरकारी व दरबारी बनने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। हम अपनी-अपनी समझ व काबिलियत के अनुसार समझते हैं और विश्लेषण करते हैं। सोशल मीडिया जब से आया है तब से बिना कुछ सोचे-समझे जिसे जो मन में आता है वह लिख देता है। उन्होंने केंद्रीय मंत्रिमंडल के विस्तार पर चुटकी लेते हुए कहा, दिक्कत इंजन में है और हम गाड़ी का पहिया बदल रहे हैं। कहा, कि आज की पत्रकारिता अघोषित आपातकाल से गुजर रही है जिसमें लोग खौफजदा हैं, कहना चाहते हैं लेकिन नहीं कह सकते। ऐसे में पंडित कमलापति त्रिपाठी जिस स्वतंत्र पत्रकारिता के कायल थे वह प्रेरणादायक है। 


पंडित कमलापति त्रिपाठी फाउंडेशन के अध्यक्ष राजेशपति त्रिपाठी ने लोगों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि हमारा परिवार 90 साल से कांग्रेस से जुड़ा है। धर्मनिरपेक्षता का झंडा हम ऐसे ही बुलंद रखेंगे। पंडित जी कृतिजीवि पत्रकार थे । पंडित जी राष्ट्र सेवा और पत्रकारिता के वक्ति उपज थे। विशिष्ट अतिथि एवं दिल्ली विष्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर दिनेश सिंह ने कहा कि पं0 कमलापति त्रिपाठी के प्रखर सम्पादकीय अग्रलेखों का प्रभाव था कि मेरे पिता किषोरवय में सन 42 की क्रान्ति में क्रान्तिकारी गतिविधियों की तरफ उन्मुख हो गये। वह भारतीयता की चेतना से ओतप्रोत और राजनेता थे। वरिष्ठ पत्रकार श्री के विक्रमराव ने कहा कि पं कमलापति त्रिपाठी पत्रकारिता और राजनीति के समान रूप से पुरोधा थे जिन्होने न केवल आजादी की लड़ाई में योगदान दिया बल्कि देश में सबसे पहले आगे बढ़कर श्रमजीवी पत्रकारों को संगठित भी किया। कार्यक्रम में प्रो. राममोहन पाठक ने भी विचार व्यक्त किए। सम्मानित होने वाले पत्रकारों में नवीन जोशी, दिलीप अवस्थी, अतुल चंद्रा, गोविंद पंत राजू, राजेंद्र द्विवेदी, रवींद्र सिंह, सुरेंद्र दुबे, शरत प्रधान, रोली खन्ना, आलोक पराड़कर, प्रदीप शाह, किशन सेठ, सुबीर रॉय, जोखू तिवारी, निरंकार सिंह, गोपेश पांडेय आदि शामिल हैं। समारोह का संचालन प्रो सतीश राय एवं धन्यवाद ज्ञापन श्री बैजनाथ सिंह ने किया। वरिष्ठ पत्रकारों को सम्मानित करने वालों में श्री ललितेशपति त्रिपाठी, श्री शिवानन्द पाण्डेय, श्री सौरभ तिवारी, श्री अखिलेश त्रिपाठी, श्री अंकित तिवारी, श्री सतीश चैबे, श्री प्रजानाथ शर्मा शामिल रहे। कार्यक्रम को सफल बनाने में पूर्व सांसद श्रीमती अन्नू टण्डन ने अहम भूमिका अदा की।

विशेष आलेख : अणुव्रत के आदर्शों का हो नया भारत

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सत्तर वर्ष पूर्व भारत की स्वतंत्रता के बुनियादी पत्थर पर नव-निर्माण का सुनहला भविष्य लिखा गया था। इस लिखावट का हार्द था कि हमारा भारत एक ऐसा राष्ट्र होगा जहां न शोषक होगा, न कोई शोषित, न मालिक होगा, न कोई मजदूर, न अमीर होगा, न कोई गरीब। सबके लिए शिक्षा, रोजगार, चिकित्सा और उन्नति के समान और सही अवसर उपलब्ध होंगे। आजादी के सात दशक बीत रहे हैं, अब एक बार पुनः नये भारत, स्वर्णिम भारत एवं अणुव्रत के आदर्शों का भारत बनाने के लिये हम तत्पर हो रहे हैं। हमारी जागती आंखों से देखा जा रहा है एक स्वप्न। अहसास कराया जा रहा है स्वतंत्र चेतना की अस्मिता का। आचार्य तुलसी ने भारत की स्वतंत्रता के साथ ही जनता के समक्ष यह स्पष्ट कर दिया कि अंग्रेजों के चले जाने मात्र से देश की सारी समस्याओं का हल होने वाला नहीं है। बाह्य स्वतंत्रता के साथ यदि आंतरिक स्वतंत्रता नहीं जागेगी तो यह व्यर्थ हो जाएगी। प्रथम स्वाधीनता दिवस पर प्रदत्त प्रवचन का निम्न अंश उनकी जागृत राष्ट्र-चेतना का बल सबूत है- ‘‘कल तक तो अच्छे बुरे की सब जिम्मेदारी एक विदेशी हुकूमत पर थी। यदि देश में कोई अमंगल घटना घटती या कोई अनुत्तरदायित्वपूर्ण बात होती तो उसका दोष, उसका कलंक विदेशी सरकार पर मढ़ दिया जाता या गुलामी का अभिशाप बताया जा सकता था। लेकिन आज तो स्वतंत्र राष्ट्र की जिम्मेदारी हम लोगों पर है। स्वतंत्र राष्ट्र होने के नाते जब अच्छे बुरे की सब जिम्मेदारी जनता और उससे भी अधिक जनसेवकों पर है।’’ लेकिन आचार्य तुलसी की इस बात को हमने गंभीरता से नहीं लिया। राष्ट्रनेता और राष्ट्र की जनता दोनों अपने उत्तरदायित्व का ख्याल नहीं रख पायी।  राष्ट्र राजनैतिक दासता से तो मुक्त हो गया है पर उसे मानसिक दासता से मुक्त करना अत्यंत आवश्यक था, देश में स्वस्थ वातावरण बनाने के लिये आचार्य तुलसी ने अणुव्रत आंदोलन का सूत्रपात किया। तभी से आचार्य श्री तुलसी ने अणुव्रत आंदोलन के माध्यम से मानवता की सेवा का व्रत ले लिया। अणुव्रत एक ऐसी मानवीय आचार-संहिता है, जिसका किसी उपासना या धर्म विशेष के साथ संबंध न होकर सत्य, अहिंसा आदि मूल्यों से है। ‘‘अणुबम एक क्षण में करोड़ों का नुकसान कर सकता है तो अणुव्रत करोड़ों का उद्धार कर सकता है’’-आचार्य तुलसी की यह उक्ति अणुव्रत आंदोलन के महत्व को उजागर करती रही है। इस आंदोलन ने भारत की नैतिक-चेतना को प्रभावित कर आध्यात्मिक, सांस्कृतिक एवं राष्ट्रीय मूल्यों की सुरक्षा करने का प्रयत्न किया है।


आज हमें अणुव्रत की बुनियाद पर एक ऐसे भारत को निर्मित करना है जो न केवल भौतिक  दृष्टि से ही बल्कि नैतिक दृष्टि से भी सशक्त हो। स्वतंत्रता के सातवें दशक में पहुंचकर पहली बार ऐसा आधुनिक भारत खड़ा करने की बात हो रही है जिसमें नये शहर बनाने, नई सड़कें बनाने, नये कल-कारखानें खोलने, नई तकनीक लाने, नई शासन-व्यवस्था बनाने के साथ-साथ नया इंसान गढ़ने का प्रयत्न हो रहा है। एक शुभ एवं श्रेयस्कर भारत निर्मित हो रहा है। आखिर नया भारत बनाने की आवश्यकता क्यों पड़ी? अनेक प्रश्न खडे़ हैं, ये प्रश्न इसलिये खड़े हुए हैं क्योंकि आज भी आम आदमी न सुखी बना, न समृद्ध। न सुरक्षित बना, न संरक्षित। न शिक्षित बना और न स्वावलम्बी। अर्जन के सारे स्रोत सीमित हाथों में सिमट कर रह गए। स्वार्थ की भूख परमार्थ की भावना को ही लील गई। हिंसा, आतंकवाद, जातिवाद, नक्सलवाद, क्षेत्रीयवाद तथा धर्म, भाषा और दलीय स्वार्थों के राजनीतिक विवादों ने आम नागरिक का जीना दुर्भर कर दिया। हमारी समृद्ध सांस्कृतिक चेतना जैसे बन्दी बनकर रह गई। शाश्वत मूल्यों की मजबूत नींवें हिल गईं। राष्ट्रीयता प्रश्नचिन्ह बनकर आदर्शों की दीवारों पर टंग गयी। आपसी सौहार्द, सहअस्तित्व, सहनशीलता और विश्वास के मानक बदल गए। घृणा, स्वार्थ, शोषण, अन्याय और मायावी मनोवृत्ति ने विकास की अनंत संभावनाओं को थाम लिया। 

स्वतंत्रता हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है, लेकिन इसका स्वाद हम चख ही नहीं पाए। ऐसा लगता रहा है कि जमीन आजाद हुई है, जमीर तो आज भी कहीं, किसी के पास गिरवी रखा हुआ है। ट्रेन या सड़क दुर्घटनाएं हो या बार-बार आतंकी बम धमाकों से दहल जाना या फिर महिलाओं की सुरक्षा का प्रश्न- चहुं ओर लोक जीवन में असंतोष है, असुरक्षा का भाव है। लोकतंत्र घायल है। वह आतंक का रूप ले चुका है। मुझे अपनी मलेशिया एवं सिंगापुर की यात्रा से लौटने के बाद महसूस हुआ कि हमारे यहां की फिजां डरी-डरी एवं सहमी-सहमी है। कभी पुलिस कमिश्नर तो कभी राजनेताओं ने महिलाओं पर हो रहे हमलों, अत्याचारों के लिये उनके पहनावें या देर रात तक बाहर घुमने को जिम्मेदार ठहराया है, जबकि सिंगापुर एवं मलेशिया में महिलाओं के पहनावें एवं देर रात तक अकेले स्वच्छंद घूमने के बावजूद वहां महिलाएं सुरक्षित हंै और अपनी स्वतंत्र जीवन जीती है। हमें समस्या की जड़ को पकडना होगा। केवल पत्तों को सींचने से समाधान नहीं होगा। ऐसा लगता है कि इन सब स्थितियों में जवाबदेही और कर्तव्यबोध तो दूर की बात है, हमारे सरकारी तंत्र में न्यूनतम मानवीय संवेदना भी बची हुई दिखायी नहीं देती।  संसद में विरोधी पार्टियों के द्वारा बार-बार अवरोध खड़ा कर दिया जाता है, जनता के हितों पर कुछ सार्थक निर्णय लेने के लिये चुनी गयी संसद अपने ही हितों के लिये संसद की कार्यवाही का अवरोध करना, कैसा लोकतांत्रिक आदर्श है? प्रश्न है कि कौन स्थापित करेगा एक आदर्श शासन व्यवस्था? कौन देगा इस लोकतंत्र को शुद्ध सांसंे? जब शीर्ष नेतृत्व ही अपने स्वार्थों की फसल को धूप-छांव देने की तलाश में हैं। जब रास्ता बताने वाले रास्ता पूछ रहे हैं और रास्ता न जानने वाले नेतृत्व कर रहे हैं सब भटकाव की ही स्थितियां हैं। 


बुद्ध, महावीर, गांधी, आचार्य तुलसी हमारे आदर्शों की पराकाष्ठा हंै। पर विडम्बना देखिए कि हम उनके जैसा आचरण नहीं कर सकते- उनकी पूजा कर सकते हैं। उनके मार्ग को नहीं अपना सकते, उस पर भाषण दे सकते हैं। आज के तीव्रता से बदलते समय में, लगता है हम उन्हें तीव्रता से भुला रहे हैं, जबकि और तीव्रता से उन्हें सामने रखकर हमें अपनी एवं राष्ट्रीय जीवन प्रणाली की रचना करनी चाहिए। गांधी, शास्त्री, नेहरू, जयप्रकाश नारायण, लोहिया के बाद राष्ट्रीय नेताओं के कद छोटे होते गये और परछाइयां बड़ी होती गईं। हमारी प्रणाली में तंत्र ज्यादा और लोक कम रह गया है। यह प्रणाली उतनी ही अच्छी हो सकती है, जितने कुशल चलाने वाले होते हैं। लेकिन कुशलता तो तथाकथित स्वार्थों की भेंट चढ़ गयी। लोकतंत्र श्रेष्ठ प्रणाली है। पर उसके संचालन में शुद्धता हो। लोक जीवन में ही नहीं लोक से द्वारा लोक हित के लिये चुने प्रतिनिधियों में लोकतंत्र प्रतिष्ठापित हो और लोकतंत्र में लोक मत को अधिमान मिले- यह वर्तमान समय की सबसे बड़ी अपेक्षा है। इस अपेक्षा को पूरा करके ही हम नया भारत बना सकेंगे। भारत स्वतंत्र हुआ। आजादी के लिये और आजाद भारत के लिये हमने अनेक सपने देखें लेकिन वास्तविक सपना नैतिकता एवं चरित्र की स्थापना को देखने में हमने कहीं-ना-कहीं चूक की है। आज जो देश की तस्वीर बन रही है उसमें मानवीय एकता, शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व, मैत्री, शोषणविहीन सामाजिकता, अंतर्राष्ट्रीय नैतिक मूल्यों की स्थापना, सार्वदेशिका निःशस्त्रीकरण का समर्थन आदि तत्त्व को जिस तरह की प्राथमिकता मिलनी चाहिए थी वह नहीं मिली, जो कि जनतंत्र की स्वस्थता के मुख्य आधार हैं। नया भारत को निर्मित करते हुए हमें इन तत्त्वों को जन-जन के जीवन में स्थापित करने के लिये संकल्पित होना होगा। इसके लिये केवल राजनीतिक ही नहीं बल्कि गैर-राजनीतिक प्रयास की अपेक्षा है।

हमारी सबसे बड़ी असफलता है कि हम 70 वर्षों में भी राष्ट्रीय चरित्र नहीं बना पाये। राष्ट्रीय चरित्र का दिन-प्रतिदिन नैतिक हृास हो रहा था। हर गलत-सही तरीके से हम सब कुछ पा लेना चाहते थे। अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए कत्र्तव्य को गौण कर दिया था। इस तरह से जन्मे हर स्तर पर भ्रष्टाचार ने राष्ट्रीय जीवन में एक विकृति पैदा कर दी थी। देश में एक ओर गरीबी, बेरोजगारी और दुष्काल की समस्या है। दूसरी ओर अमीरी, विलासिता और अपव्यय है। देशवासी बहुत बड़ी विसंगति में जी रहे हैं। एक ही देश की धरती पर जीने वाले कुछ लोग पैसे को पानी की तरह बहाएँ और कुछ लोग भूखे पेट सोएं- इस असंतुलन की समस्या को नजरंदाज न कर इसका संयममूलक हल खोजना चाहिए। वर्तमान में आचार्य श्री महाश्रमण के नेतृृत्व में अणुव्रत आन्दोलन इसी काम को अंजाम दे रहा है। हमारे राष्ट्रनायकों ने, शहीदों ने एक सेतु बनाया था संस्कृति का, राष्ट्रीय एकता का, त्याग का, कुर्बानी का, जिसके सहारे हम यहां तक पहंुचे हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदीजी भी ऐसा ही सेतु बना रहे हैं, ताकि आने वाली पीढ़ी उसका उपयोग कर सके। मोदीजी चाहते हैं कि हर नागरिक इस सेतु बनाने के लिये तत्पर हो। यही वह क्षण है जिसकी हमें प्रतीक्षा थी और यही वह सोच है जिसका आह्वान है अभी और इसी क्षण शेष रहे कामों को पूर्णता देने का, क्योंकि हमारा भविष्य हमारे हाथों में हैं। ऐसा करके ही हम अणुव्रत की आधारभित्ति पर नये भारत को निर्मित करने के संकल्प की सार्थकता सिद्ध कर पाएंगे।

अणुव्रत आन्दोलन का 68वां राष्ट्रीय अधिवेशन कोलकता में आचार्य श्री महाश्रमणजी की सन्निधि में 8, 9 एवं 10 सितम्बर 2017 को आयोजित हो रहा है, जब देश की नैतिक एवं अहिंसक शक्तियां जुटेंगी एवं अणुव्रत के आदर्शों पर नया भारत निर्मित करने हेतु सार्थक भूमिकाओं का निर्माण करेंगी। अणुव्रत ने अब तक क्या किया? कितना किया? और कैसे किया? इसका पूरा लेखा-जोखा एकत्रित करना दुःसंभव है। किन्तु इतना निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि मानवीय मूल्यों के संदर्भ में वैचारिक क्रांति की दृष्टि से भारत के धरातल पर यह एक प्रथम उपक्रम है, इस तथ्य से आज किसी को सहमति हो या न हो, पर कोई इतिहासकार जब आजादी के साथ निर्मित हुए भारत एवं सत्तर वर्ष बाद निर्मित होने जारहे नये भारत-स्वर्णिम भारत का इतिहास लिखेगा, तब अणुव्रत का नाम स्वर्णाक्षरों में अंकित होगा।





- ललित गर्ग-
-60, मौसम विहार, तीसरा माला, 
डीएवी स्कूल के पास, दिल्ली-51
फोनः 22727486, 9811051133
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