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गुजरात में चुनाव को लेकर डरे हुए हैं भाजपा और प्रधानमंत्री मोदी : राहुल गांधी

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अहमदाबाद, 04 सितंबर, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने आज दावा किया कि गुजरात में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर 22 साल से राज्य में सत्तारूढ भाजपा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी डरे हुए हैं, श्री गांधी ने आज यहां साबरमती रिवरफ्रंट पर कांग्रेस के संवाद कार्यक्रम के दौरान कार्यकर्ताओं के सवालों के जवाब देते हुए यह दावा किया। उन्होंने कहा, ‘इस बार अगर गुजरात में भाजपा को देखें, प्रधानमंत्री मोदी को देखें तो ये लगेगा कि ये लोग चुनाव से घबराये हुए हैं, डरे हुए हैं। क्योंकि सच्चाई बाहर आती है इसे छुपाया नहीं जा सकता।’ उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार से न तो किसानों को न युवाओं और न ही छोटे व्यापरियों को कोई फायदा हुआ है बल्कि केवल श्री मोदी के समर्थक 5-10 बडे उद्योगपतियों को ही फायदा हुआ है। यह सब इस बार चुनाव में साफ हो जायेगा। कांग्रेस उपाध्यक्ष ने मीडिया पर पूरी तरह श्री मोदी के कथित समर्थक पांच छह पूंजीपतियों का दबाव होने का आरोप लगाया और कहा कि कुछ लोग जो दबाव में नहीं हैं उन्हें तानाशाही वाले अंदाज में दबाया डराया जा रहा है। पर किसानों, युवाओं और छोटे व्यापारियों को अपनी आवाज सामने लाने के लिए मीडिया की जरूरत नहीं। इसके अलावा अब सोशल मीडिया का विकल्प भी मौजूद है। लोगों को अब गुजरात मॉडल का खोखलापन दिख गया है, इस बार कांग्रेस को गुजरात में सरकार बनाने से कोई नहीं रोक सकता। इससे पहले एक अन्य प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि कांग्रेस अंतिम समय में पार्टी में आने वाले लोगों अथवा बाहुबली लोगों को पैराशूट सिस्टम की तर्ज पर टिकट नहीं दिया जायेगा केवल भाजपा और आरएसएस की विचारधारा से लडने वाले समर्पित कार्यकर्ताओं को ही टिकट मिलेंगे। जल्द ही टिकट की घोषणा होगी। पार्टी सरकार बनने पर अन्य कार्यकर्ताओं को भी सरकार में जगह देगी। अगर बडे से बडा पार्टी नेता पार्टी विरोधी काम करेगा तो उसे पार्टी में नहीं रहने दिया जायेगा। उन्होंने प्रधानमंत्री श्री मोदी पर चुनींदा उद्योगपतियों के लिए काम करने तथा छोटे मझौले व्यापारियों और किसानों की उपेक्षा का अारोप दोहराते हुए कहा कि उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री के तौर पर गुजरात के साणंद में टाटा नैनो संयंत्र के लिए 60 हजार करोड का लाभ दे दिया जबकि राज्य में किसानों पर मात्र 36 हजार करोड का कर्ज है। नैनो अब दिखती भी नहीं है अगर उक्त रकम उद्यमिता की भावना वाले गुजरात के दो तीन हजार छोटे उद्यमियों को दी जाती तो बडे पैमाने पर रोजगार पैदा होते। श्री गांधी ने दोहराया कि श्री मोदी के नोटबंदी के चलते छोटे और मझौले उद्योगों को सबसे अधिक नुकसान हुआ है और इसके चलते ही जीडीपी में करीब दो प्रतिशत की गिरावट दिख रही है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार का जीएसटी भी कांग्रेस के जीएसटी से अलग है और इसे जल्दबाजी में लागू किया गया। उन्होंने कहा कि जब कांग्रेस की सरकार बनेगी तो यह आदिवासियों तथा दलितों और अन्य वर्गों की समस्याओं और उनके जमीन सबंधी मुद्दों को सुलझायेगी। उन्होंने बेरोजगारी और शिक्षा प्रणाली की विफलता को भी प्रमुख मुद्दा बताया। उन्होंने कहा कि मेड इन इंडिया को सफल बनाने के लिए तथा चीन से मुकाबले के लिए चुने हुए बडे उद्याेगपतियों की बजाय लाखों छोटे और मझौले उद्योगों को मदद करना होगा ताकि वह वहां के सस्ते उत्पादन का विकल्प तैयार कर सकें। गुजरात पूरे देश को रास्ता दिखा सकता है। भाजपा ने दो दशक में गुजरात में चुने हुए बडे उद्योगपतियों की मदद की है लेकिन कांग्रेस सत्ता में आने पर छोटे और मझौले उद्योगों को आगे बढाने पर ध्यान केंद्रित करेगी। कांग्रेस स्वास्थ्य व्यवस्था को भी दुरूस्त करेगी।


फर्रुखाबाद में 30 दिन में 49 बच्चों की मृत्यु, डीएम, सीएमओ और सीएमएस हटाये गये

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लखनऊ 04 सितम्बर, उत्तर प्रदेश में गोरखपुर के बाद फर्रुखाबाद में 30 दिन में 49 बच्चों की मृत्यु के बाद हरकत में आयी सरकार ने जिलाधिकारी (डीएम), मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) और मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (सीएमएस) काे हटा दिया। मृतक बच्चों के परिजनों से बातचीत के आधार पर नगर मजिस्ट्रेट की तहरीर पर दर्ज करायी गयी रिपोर्ट में बच्चों की मृत्यु के कारणों में आक्सीजन की कमी भी बतायी गयी है जबकि सरकार ने साफ किया है कि आक्सीजन की कमी से किसी बच्चे की मृत्यु नहीं हुई है। इससे पहले, नगर मजिस्ट्रेट की तहरीर पर कड़ा रुख अख्तियार करते हुए सीएमओ, सीएमएस और डाक्टर्स के खिलाफ कोतवाली सदर में एफआईआर दर्ज करायी गयी। पूरे मामले की जांच के लिये लखनऊ से अधिकारियों का एक दल फर्रुखाबाद भेजा जा रहा है। फर्रुखाबाद के डा़ राम मनोहर लोहिया अस्पताल में 30 दिन में 49 बच्चों की असामयिक मृत्यु होने के बाद सरकार हरकत में आयी और रिपोर्ट दर्ज कराने के साथ ही जिलाधिकारी, सीएमओ और सीएमएस को तत्काल प्रभाव से हटा दिया। पूरे मामले की मजिस्ट्रेटी जांच के भी आदेश दिये गये हैं।

सशस्त्र सीमा बल का होगा इंटेलीजेन्स विंग : राजनाथ

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लखनऊ 04 सितम्बर, केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) के पास अपना इंटेलीजेंस विंग होगा जिससे वे देश की सुरक्षा मुस्तैदी से कर पायेंगे, श्री सिंह ने आज गोमतीनगर एक्स्टेंशन स्थित शहीद पथ के पास एसएफए क्वार्टर व एसएसबी फ्रंटियर आवासीय भवन का उद्घाटन करते हुए कहा कि सशस्त्र सीमा बल के पास शीघ्र ही अपना इंटिलिजेंस विंग होगा जिससे वे सीमा पर देश की सुरक्षा में अग्रणी भूमिका निभायेंगे। इसके लिये केन्द्र सरकार ने मंजूरी दे दी है। उन्होंने कहा, 'एसएसबी के जवानों ने जो कश्मीर में भू‍म‍िका न‍िभाई है वो काबि‍ले-तारीफ है। सीमा पर जो जवान रहते हैं वो सामान्य नागर‍िक नहीं हैं। पर‍िवार से अलग रहकर देश की सेवा करते हैं।'केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि जवानों ने आतंकवाद‍ियों से लड़ने का करि‍श्माई काम क‍िया है। क्लोज्ड बॉर्डर से ओपन बॉर्डर की सुरक्षा करना कठिन होता है। इसके बावजूद जवान पूरी सुरक्षा कर रहे हैं। मादक पदार्थ की तस्करी को रोकने से लेकर मानव तस्करी को रोकने तक के लिये जवान सक्रिय हैं। उन्होने कहा कि नेपाल सीमा से आतंकवाद रोकने तथा वहां आधारभूत सुविधायें बढ़ाने के लिये उत्तर प्रदेश और बिहार से बातचीत की जायेगी ।

मोदी, जिनपिंग की मंगलवार को होने वाली बैठक पर सबकी निगाहें

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शियामेन 04 सितम्बर, पाकिस्तान में सक्रिय जैश-ए-मोहम्मद और लश्करे-तैयबा सहित विभिन्न आतंकवादी संगठनों की हिंसा की भर्त्सना तथा आतंकवाद से मुकाबले के लिये व्यापक उपाय करने के आह्वान को लेकर ब्रिक्स घोषणापत्र जारी किये जाने के बाद अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आैर चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मंगलवार को होने वाली बैठक की ओर सभी की निगाहें लगी हुई है। श्री मोदी चीन के फुजियान प्रांत में तटीय शहर शियामेन में आयोजित नौवीं ब्रिक्स शिखर बैठक में भाग ले रहे हैं। डोकलाम क्षेत्र में भारत और चीन के बीच गतिरोध के परिप्रेक्ष्य में श्री मोदी और श्री जिनपिंग की बैठक को महत्वपूर्ण समझा जा रहा है। हालांकि श्री मोदी और श्री जिनपिंग की बैठक के समय को लेकर अभी तक कुछ स्पष्ट नहीं किया गया है। यह भी स्पष्ट नहीं किया गया है कि बैठक के दौरान डोकलाम क्षेत्र का विवाद भी बातचीत का एक मुद्दा होगा।

डिजिटल अर्थव्यवस्था से विकास की गति में तेजी : मोदी

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शियामेन. 04 सितंबर, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ब्रिक्स देशों के बीच नयी खोज के क्षेत्र में मजबूत सहयोग की आवश्यकता पर बल देते हुए आज कहा कि डिजिटल अर्थव्यवस्था से विकास की गति में तेजी अा सकती है और इससे सतत् विकास का लक्ष्य हसिल करने में भी मदद मिलेगी। श्री मोदी चीन के तटवटीय शहर शियामेन में नौंवें ब्रिक्स सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि इन देशों के स्मार्ट सिटी, आपात प्रबंधन से लेकर शहरीकरण के क्षेत्रों में आपसी सहयोग बढ़ाये जाने की जरूरत है। उन्हाेंने कहा कि आपसी सहयोग से ही विकास संभव है और एक मजबूत ब्रिक्स सहभागिता और ‘इनोवेशन’ विकास का जरिया बन सकता है। सौर ऊर्जा एजेंडा को मजबूती देने के लिए ब्रिक्स देश अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए)के साथ काम कर सकते हैं। उन्हाेंने कहा, “संयुक्त सहभागिता के तहत युवाओं को मुख्यधारा में जोड़ने, काैशल विकास में सहयोग बढ़ाने और उन्नत कार्यों में आदान -प्रदान की आश्वयकता है।” श्री मोदी सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए रविवार शाम यहां पहुंचे थे। उन्होंने रात को ही भारीतय समुदाय के लोगों से मुलाकात की। इस दौरान भारत माता की जय के नारे लगे और मोदी-मोदी की गूंज भी सुनाई दी। यह सम्मेल पांच सितंबर तक चलेगा। डोकलाम इलाके में भारत और चीन के बीच दो माह तक चले गतिरोध के बाद दोनों देशों ने 28 अगस्त को अपने- अपने सैनिकों को वापस बुलाने का फैसला किया था जिसके बाद पहली बार ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के नेताओं की मुलाकात हो रही है। सम्मेलन के लिए यहां आए नेता एक पूर्ण सत्र में भी हिस्सा लेंगे जहां वे प्रमुख क्षेत्रों में ब्रिक्स के सदस्य देशों के बीच सहयोग बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा करेंगे। इसके अलावा ये नेता, वैश्विक अर्थव्यवस्था और चुनौतियों सहित महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर भी चर्चा करेंगे।

ब्रिक्स घोषणापत्र में पाकिस्तान के आतंकी संगठनों का उल्लेख

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शियामेन 04 सितंबर, भारत काे आज उस वक्त एक अहम कूटनीतिक कामयाबी हासिल हुई, जब ब्रिक्स घोषणापत्र में चीन की अनिच्छा के बावजूद पाकिस्तान में सक्रिय लश्करे तैयबा और जैश ए मोहम्मद का नाम लेते हुए इन आतंकवादी संगठनों की हिंसा की भर्त्सना की गयी और आतंकवाद से मुकाबले के लिये व्यापक उपाय करने का आह्वान किया गया, चीन के फुजियान प्रांत में तटीय शहर शियामेन में आयोजित नौवीं ब्रिक्स शिखर बैठक के मुख्य सत्र के बाद जारी संयुक्त घोषणापत्र में एशिया में आतंकवाद एवं हिंसा पर गहरी चिंता व्यक्त की गयी, घोषणापत्र पर मेज़बान चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अलावा रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन, दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति जैकब जूमा और ब्राज़ील के राष्ट्रपति मिशेल तेमेर ने हस्ताक्षर किये। घोषणापत्र में कहा गया, “हम क्षेत्र में तालिबान, आईएसआईएल, अल कायदा और उनके साथी संगठनों पूर्वी तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट, इस्लामिक मूवमेंट ऑफ उज्बेकिस्तान, हक्कानी नेटवर्क, लश्करे तैयबा और जैश ए मोहम्मद, तहरीके तालिबान पाकिस्तान, हिज़्ब उत्तहरीर आदि की हिंसा के कारण नाज़ुक सुरक्षा स्थिति से चिंतित हैं।” उल्लेखनीय है कि ब्रिक्स शिखर बैठक से पहले पिछले सप्ताह चीन सरकार ने बीजिंग में कहा था कि भारत को पाकिस्तान और आतंकवाद का मुद्दा ब्रिक्स की बैठक में नहीं उठाना चाहिये। चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा था कि पाकिस्तान आतंकवाद के विरुद्ध प्रयासों में सबसे आगे है और उसने इसके लिए बलिदान दिया है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय को पाकिस्तान द्वारा किए गए योगदान और बलिदान को मान्यता देनी चाहिए। उन्होंने कहा था कि “जब पाकिस्तान के आतंकवाद विरोधी होने की बात आती है तो भारत की कुछ चिंताएं हैं, मैं नहीं सोचती कि यह ऐसा मुद्दा है , जिस पर ब्रिक्स में चर्चा की जानी चाहिए।” उन्होंने यह भी कहा कि चीन आतंकवाद विरोधी सहयोग को बढ़ाने के लिए पाकिस्तान एवं अन्य देशों के साथ काम करने का इच्छुक है।

भारत में कपास बुवाई का रकबा 17 फीसदी बढ़ा

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फरीदकोट, 04 सितंबर, देश में विभिन्न कपास उत्पादक राज्यों में व्हाइट गोल्ड का कुल रकबा 119़ 88 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया है। पिछले वर्ष यह आंकड़ा 101़ 72 लाख हेक्टेयर था। कपास सीजन 2017-18 के दौरान देश में अभी तक व्हाइट गोल्ड (कपास) की बुवाई 17 प्रतिशत बढ़ी है। सूत्रों के अनुसार कपास की बुवाई का क्षेत्र बढ़ने का मुख्य कारण कपास सीजन की पैदावार में वृद्धि हुई तथा दूसरी ओर किसानों को कपास का भाव भी अच्छा मिला जिस कारण कपास की बुवाई में वृद्धि हुई। बाजार के जानकार सूत्रों के अनुसार देश में अभी तक चाहे कपास की बुवाई में 17 फीसदी इजाफा हुआ है लेकिन देश में इसका कुल उत्पादन अगले माह तक पता चलेगा। क्षेत्र में अच्छी बारिश भी कपास के लिये वरदान साबित हो रही है। इससे सफेद कीट से भी राहत मिली है। बाजार में कपास सीजन के दौरान मंदडियों का मानना है कि देश में इस बार चार करोड़ गांठ से अधिक पैदावार होगी तथा तेजडियों के अनुसार कपास की पैदावार लगभग 3़ 50 करोड़ से 3़ 55 करोड़ गांठें पैदावार होगी। भारतीय रूई बाजार में राजस्व की तंगी चल रही है जिससे स्पिनिंग मिलें बहुत कम रूई खरीद रही हैं। स्पिंनिंग मिलें अपनी रोजाना खपत से कम रूई खरीद रही हैं। उत्तर भारत में हरियाणा तथा पंजाब में धीमी गति से नयी आमद शुरू हो गई है तथा कई स्पिनिंग मिलों ने नयी रूई की खरीद भी शुरू कर दी है। सूत्रों का कहना है कि उत्तरी राज्यों के पंजाब ,हरियाणा,राजस्थान में रूई का अनसोल्ड स्टाक लगभग 5000 गांठ रह गया है। सिंतबर में रूई में मंदी नजर नहीं आ रही क्योंकि हरियाणा,पंजाब में नयी कपास की आमद बनी हुई है। उसकी तुलना में स्पिनिंग मिलों की मांग भी बराबर चल रही है। अनेक स्पिनिंग मिलें धन की तंगी का सामना कर रही हैं। सूत्रों के अनुसार बड़े घरानों की मिलों का यार्न अच्छा बिक रहा है जिससे उन्हें कोई डर नहीं है। जिन स्पिनिंग मिलों को सरकारी सुविधा प्राप्त हैं, वे बराबरी पर चल रही है लेकिन जिन मिलों को सरकारी सुविधा नहीं है वे भगवान के सहारे चल रही हैं। आज से इसके दामों में कुछ तेजी के आसार हैं।

मुझसे अधिक प्रतिभावान है शमिता : शिल्पा शेट्टी

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मुंबई. 04 सितंबर, बॉलीवुड अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी का कहना है कि उनकी बहन और अभिनेत्री शमिता शेट्टी उनसे अधिक प्रतिभावान है। शमिता शेट्टी को फिल्म इंडस्ट्री में आये हुये डेढ़ दशक हो गया है। शमिता की पहली फिल्म ‘मोहब्बतें’ थी जिसमें उन्होंने अमिताभ बच्चन और शाहरूख खान जैसे सितारों के साथ काम किया था। शमिता अब वेब सीरिज़ ‘यो के हुआ ब्रो’ में नजर आयेंगी। शिल्पा और शमिता के बीच जबरदस्त केमेस्ट्री और बॉन्डिंग है। दोनों एक दूसरे को बहुत प्यार करती हैं यह जगजाहिर है। शिल्पा ने शमिता के बारे में कहा,“शमिता शेट्टी मुझसे ज्यादा प्रतिभावान हैं। मैं यह इसलिए नहीं कह रही हूं कि वह मेरी बहन हैं। मैं एक कलाकार और अभिनेत्री की नज़र से यह कह रही हूं। मैंने जब भी शमिता को काम करते हुए देखा है तो यही कहती हूं कि वह मुझे बहुत अच्छी अभिनेत्री हैं। उसमें अभिनय बहुत ही स्वाभाविक तौर पर आता है। जबकि मुझे डांस और अभिनय दोनों के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती है। शमिता जो भी काम करती है वह बहुत ही गंभीरता से करती हैं।


सायना ने दूर किये मतभेद, गोपीचंद के पास लौटेंगी

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नयी दिल्ली , 04 सितम्बर, विश्व बैडमिंटन चैंपियनशिप के बाद स्टार खिलाड़ी सायना नेहवाल की राष्ट्रीय कोच पुलेला गोपीचंद के साथ एक तस्वीर छपी थी जिसके बाद कयास लगाए जा रहे थे कि क्या सायना फिर से गोपीचंद के पास लौटेंगी और यह बात आखिर सही साबित हो गयी। सायना गोपीचंद की अकादमी में लौट रही हैं। सायना ने खुद ट्विटर पर लगातार कई पोस्ट से इस बात की पुष्टि कर दी है कि वह विमल कुमार का साथ छोड़ कर गोपीचंद के पास लौट रही हैं। सायना ने तीन साल पहले गोपीचंद की अकादमी को छोड़ा था और दो सितम्बर 2014 से बेंगलूरु में विमल के साथ ट्रेनिंग शुरू की थी। विश्व चैम्पियशिप में कांस्य पदक जीतने वाली सायना ने कहा, “मैं पिछले कुछ समय से अपने ट्रेनिंग बेस को वापिस गोपीचंद अकादमी शिफ्ट करने के बारे में सोच रही थी। मैंने इस बारे में गोपी सर से बात भी की थी और मैं उनकी शुक्रगुजार हूं कि उन्होंने मुझे फिर से मदद करने पर सहमति जता दी।” 


सायना ने कहा, “अपने करियर के इस चरण मैं मुझे लगता है वह मुझे अपने लक्ष्य हासिल करने में मदद कर सकते हैं। मैं विमल सर की भी शुक्रगुजार हूं जिन्होंने पिछले तीन साल में मेरी काफी मदद की। विमल सर की बदौलत मैं रैंकिंग में नंबर वन बनी और 2015 की विश्व चैम्पियशिप में रजत तथा 2017 की विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता और आल इंग्लैंड के फाइनल में पहुंची।” उन्होंने कहा, “मुझे ख़ुशी है कि मैं अपने घर लौट रही हूं और हैदराबाद में ट्रेनिंग करना शुरू करूंगी।” उल्लेखनीय है कि गोपीचंद अकादमी छोड़ने के बाद सायना ने गोपीचंद से लगातार दूरी बनाकर रखी थी लेकिन सायना ने एक सप्ताह पहले विश्व चैम्पियशिप के दौरान गोपीचंद से बात करनी शुरू की थी और हाल ही में उनकी अकादमी में ट्रेनिंग शुरू की थी। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि गोपी के समय ही सायना ने लंदन ओलम्पिक में कांस्य पदक जीता था और कई अंतर्राष्ट्रीय खिताब अपने नाम किये थे। 

क्वीतोवा ने मुगुरूजा को चौंकाया, शारापोवा बाहर

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न्यूयार्क, 04 सितंबर, चेक गणराज्य की पेत्रा क्वीतोवा ने अपनी वापसी को विंबलडन चैंपियन गरबाइन मुगुरूजा पर यूएस ओपन टेनिस टूर्नामेंट में जबरदस्त जीत के साथ यादगार बना दिया। लेकिन रूस की मारिया शारापोवा की डोप प्रकरण के बाद वापसी का सफर चौथे दौर में ही समाप्त हो गया। महिला एकल के चाैथे दौर के मुकाबलों में 13वीं सीड चेक खिलाड़ी क्वीतोवा ने ग्रैंड स्लेम में सबसे बड़ा उलटफेर करते हुये तीसरी सीड स्पेनिश खिलाड़ी मुगुरूजा को लगातार सेटों में 7-6 6-3 से हराकर उनके लगातार दूसरा खिताब जीतने का सपना तोड़ दिया। क्वीतोवा पर गत वर्ष दिसंबर में अपने घर पर ही चोर ने चाकू से हमला कर दिया था जिसके बाद वह लंबे समय तक कोर्ट से दूर रही थीं। हालांकि इस वर्ष बर्मिंघम में उन्होंने खिताब जीतकर जबरदस्त अंदाज़ में टेनिस कोर्ट पर वापसी की और यूएस ओपन में एक घंटे 45 मिनट में ही खिताब की दावेदार और दुनिया की तीसरे बर की खिलाड़ी मुगुरूजा को हराकर बाहर कर अपनी शानदार वापसी को यादगार बना दिया। दो बार की विंबलडन चैंपियन जानलेवा हमले के बाद मात्र आठवें टूर्नामेंट में ही खेल रही हैं और अब क्वार्टरफाइनल में वह अमेरिका की वीनस विलियम्स से भिड़ेंगी जिन्होंने स्पेन की कार्ला सुआरेज़ नवारो को 6-3 3-6 6-1 से हराया। वीनस इस समय जबरदस्त फार्म में खेल रही हैं और इस वर्ष आस्ट्रेलियन ओपन तथा विंबलडन के फाइनल तक पहुंची थीं। क्वीतोवा ने वीनस के साथ मैच को लेकर कहा“ मेरे लिये एक बार फिर मुश्किल मैच होगा क्योंकि वीनस के साथ खेलना हमेशा चुनौतीपूर्ण होता है। लेकिन मैं अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने का प्रयास करूंगी।” 


वाइल्ड कार्ड प्रवेशधारी शारापोवा का डोपिंग के कारण लगे 15 महीने के निलंबन के बाद अपने पहले ग्रैंड स्लेम का सफर चौथे दौर में समाप्त हो गया। गैर वरीय रूसी खिलाड़ी के खिलाफ 16वीं सीड सेवासोवा ने कड़ा संघर्ष करते हुये दो घंटे 16 मिनट में 5-7 6-4 6-2 से जीत अपने नाम कर क्वार्टरफाइनल में प्रवेश कर लिया। लात्विया की खिलाड़ी के सामने अब गैर वरीय अमेरिका की स्लोएन स्टीफंस की चुनौती रहेगी जो अपने करियर में पहली बार ग्रैंड स्लेम के अंतिम आठ में पहुंची हैं। स्टीफंस ने 30वीं सीड जर्मनी की जूलिया जार्जिस को 6-3 3-6 6-1 से हराया। दूसरी ओर पुरूष एकल में अमेरिका के सैम क्वेरी ने जर्मनी के मिशा ज्वेरेव को 6-2 6-2 6-1 से एक घंटे 15 मिनट में एकतरफा अंदाज में हराकर क्वार्टरफाइनल में प्रवेश कर लिया जो टूर्नामेंट के एकल का सबसे छोटा मैच भी था। क्वेरी वर्ष 2011 के बाद से यूएस ओपन के क्वार्टरफाइनल में पहुंचने वाले पहले अमेरिकी खिलाड़ी भी हैं। क्वेरी के सामने अब अंतिम आठ में 28वीं सीड दक्षिण अफ्रीका के केविन एंडरसन की चुनौती होगी जिन्होंने इटली के पाब्लो लोरेंजी को 6-4 6-4 6-7 6-4 से हराकर बाहर किया। कनाडा के युवा खिलाड़ी डेनिस शापोवालोव को पाब्लो कारीनो बुस्ता ने 7-6 7-6 7-6 से हराया। अंतिम आठ में उनके सामने अर्जेंटीना के डिएगो श्वाट्जमैन होंगे जिन्होंने 16वीं सीड फ्रांस के लुकास पोइली को 7-6 7-5 2-6 6-2 से मात दी। 

आतंकवाद से निपटने और साइबर सुरक्षा के लिए समन्वित प्रयासों की जरुरत: मोदी

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शियामेन 05 सितंबर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अाज कहा कि आतंकवाद से निपटने, साइबर सुरक्षा और दुनिया को प्रदूषणरहित बनाने के लिए ब्रिक्स देशों को समन्वित प्रयास करने की जरूरत है। श्री मोदी ने ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान उभरते बाजार एवं विकासशील देशों के बीच संवाद कार्यक्रम में अपने संबोधन में कहा कि दुनिया भर में आतंकवाद से निपटने, साइबर सुरक्षा तथा जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों को कम करने के लिए सभी को सहयोग और समन्वित प्रयास करने की जरूरत है। ब्रिक्स की सदस्य पांच उभरती अर्थव्यवस्थाएं वैश्विक स्तर पर बदलाव ला सकती हैं। उन्होंने इसके लिए साइबर सुरक्षा और उच्च प्रौद्योगिकी समाधानों के इस्तेमाल पर जोर दिया। प्रधानमंत्री ने ब्रिक्स देशों से दक्ष, समानता पर आधारित और डिजिटल विश्व के लिए एकजुट होकर काम करने का आह्वान करते हुए कहा कि दुनिया के सबसे गरीब व्यक्ति को भी वित्तीय मुख्यधारा में शामिल किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि ब्रिक्स के सदस्य देशों ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका को एक डिजिटल और दक्ष विश्व के लिए मिलकर काम करना चाहिए ताकि एक स्वस्थ एवं निष्पक्ष दुनिया का निर्माण हो सके जिसका भविष्य सौहार्दपूर्ण हो।

ईडी ने मीसा भारती का फाॅर्महाऊस जब्त किया

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नयी दिल्ली 05 सितंबर, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने राष्ट्रीय जनता दल प्रमुख लालू प्रसाद यादव की सांसद बेटी मीसा भारती और उनके पति शैलेश कुमार का दक्षिणी दिल्ली के पालम के बिजवासन में स्थित फॉर्महाऊस जब्त कर लिया है। ईडी ने यह कार्यवाही धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत की है। यह फॉर्महाऊस मीसा भारती अौर उनके पति का है। ईडी ने बताया है कि फॉर्महाऊस मेसर्स मिशैल पैकर्स एण्ड प्रिंटर्स प्राइवेट लिमिटेड के नाम पर है। ईडी का आरोप है कि इसे 2008-09 में हवाला धनराशि के जरिये 1.2 करोड़ रुपये में खरीदा गया था। गौरतलब है कि ईडी ने कुछ माह पहले मीसा और उनके पति शैलेश के नाम से पंजीकृत तीन फॉर्महाऊस मिशैल पैकर्स एण्ड प्रिंटर्स लिमिटेड के परिसर में तलाशी ली थी। सुश्री मीसा और उनके पति इस कंपनी के कथित तौर पर निदेशक थे। ईडी ने जुलाई में सुरेन्द्र कुमार जैन और वीरेन्द्र जैन के यहां मुखौटा कंपनियों के जरिये करोड़ों रुपये के हवाला मामले में जांच की थी। बाद में निदेशालय ने जैन बंधुओं को पीएमएलए के तहत गिरफ्तार भी किया था। इस सिलसिले में निदेशालय ने मीसा भारती के चार्टटेड एकाउंटेन्ट को भी गिरफ्तार किया था। श्री जैन को हाल ही में जमानत मिली है। 

जीएसटी के बाद लगातार दूसरे महीने सेवा क्षेत्र में गिरावट

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service-area-goes-down-second-time-after-gstमुंबई 05 सितंबर, वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने के बाद लगातार दूसरे महीने अगस्त में देश के सेवा क्षेत्र में नये ऑर्डरों में गिरावट का क्रम जारी रहा और इसका निक्केई इंडिया पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) 47.5 दर्ज किया गया। जुलाई में पीएमआई 45.9 रहा था। निक्केई माह दर माह होने वाले बदलावों के आँकड़े जारी करता है। सूचकांक का 50 से नीचे रहना गतिविधियों में गिरावट और इससे ऊपर रहना सुधार दर्शाता है। वहीं, इसका 50 पर रहना स्थिरता दर्शाता है। निक्केई की आज जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि सेवा क्षेत्र की गतिविधियों के साथ नये ऑर्डरों में लगातार दूसरे महीने कमी आयी है हालाँकि, जुलाई में इसकी गिरावट की दर कुछ कम रही। कंपनियों ने इसे देखते हुये नौकरियों में भी छँटनी की है। इसके साथ उनकी लागत में भी मामूली इजाफा हुआ है। निक्केई द्वारा कराये गये सर्वेक्षण में हिस्सा लेने वाली कंपनियों ने हालाँकि भविष्य में विकास की उम्मीद को लेकर सकारात्मक संकेत दिये हैं। रिपोर्ट की लेखिका और आईएचएस मार्किट की मुख्य अर्थशास्त्री पॉलियाना डी लीमा ने इन आँकड़ों के बारे में कहा “सेवा क्षेत्र अगस्त में निजी क्षेत्र की अर्थव्यवस्था में सुस्ती का कारक रहा है। विनिर्माण की तेजी को सेवा क्षेत्र की गिरावट ने बेअसर कर दिया।” विनिर्माण क्षेत्र का सूचकांक जुलाई में 47.9 पर रहने के बाद अगस्त में सुधरकर 51.2 पर आ गया था। विनिर्माण और सेवा का संयुक्त सूचकांक जुलाई के 100 महीने के निचले स्तर 46 की तुलना में अगस्त में 49 पर रहा। सुश्री लीमा ने कहा “सेवा क्षेत्र में अनिश्चितता का रुख बना हुआ है। कंपनियों ने फिलहाल निवेश टाल दिया है जिससे नौकरियाँ कम हो रही हैं। साथ ही लागत मूल्य बढ़ रहा है और कंपनियाँ प्रतिस्पर्द्धा के दबाव में इसका बोझ ग्राहकों पर नहीं दे पा रही हैं।” उन्होंने हालांकि यह भी कहा है कि जुलाई की तुलना में अगस्त में गिरावट कम रहने से साफ है कि सब कुछ बिल्कुल अंधकारमय नहीं है। 

2022 तक झारखंड के सभी घरों को मिलेगा पेयजल

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रांची 05 सितंबर, झारखंड सरकार ने आज दावा किया कि वर्ष 2022 तक राज्य के सभी घरों में पेयजल उपलब्ध करा दिया जाएगा। जल संसाधन तथा पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री चंद्रप्रकाश चौधरी ने यहां 22 सितंबर को सरकार के 1000 दिन का कार्यकाल पूरा होने पर विभाग की ओर से कराये जा रहे कार्यों की जानकारी देते हुए कहा कि वर्ष 2022 तक राज्य के सभी घरों को पेयजल उपलब्ध कराने का लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि किसानों को सिचाई के लिए पानी उपलब्ध कराना भी सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल है। इस दिशा में भी लगातार कार्य किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि विभाग ने बजटीय प्रावधान के तहत प्राप्त राशि का 99 प्रतिशत व्यय किया है और वर्ष 2017-18 के दौरान लगभग 2000 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाली पेयजल योजनाओं को शुरू कराया जा रहा है। श्री चौधरी ने पेयजल एवं स्वच्छता विभाग की उपलब्धियां गिनाते हुए कहा कि 3541 करोड़ रुपये से अधिक की योजनाओं को सरकार ने स्वीकृति दी है, जिनमें 119 बड़ी योजनाएं और 7398 छोटी योजनाएं हैं। अब तक 74 बड़ी योजनाओं और 2295 लघु योजनाओं को पूरा करा लिया गया है। विगत दो वर्षों में पाईप जलापूर्ति योजना से राष्ट्रीय आच्छादन का औसत दर 1.80 प्रतिशत रहा जिसकी तुलना में झारखंड में 8.58 प्रतिशत औसत आच्छादन प्राप्त किया गया। राज्य में पाईप जलापूर्ति के मामले में राष्ट्रीय औसत से दो गुणा से ज्यादा की वृद्धि दर्ज की गयी है। मंत्री श्री चौधरी ने कहा कि जल संसाधन विभाग द्वारा कई महत्वपूर्ण कार्य कराये गये है। उन्होंने कहा कि राज्य जल संसाधन आयोग के गठन की स्वीकृति दे दी गई है। इसके लिये पदों का सृजन हो गया है और कर्मचारियों की नियुक्ति प्रक्रिया चल रही है। जल संरक्षण के लिये पुरानी योजनाओं को दुरुस्त कराया जा रहा है। तीन वर्षों में राज्य के 1800 तालाबों का जीर्णोद्धार कराया जायेगा। श्री चौधरी ने कहा कि सरकार ने 495 चेकडैम योजनाओं का कार्य पूर्ण करा लिया है। लघु सिंचाई योजना के तहत आहर, मध्यम सिंचाई योजना और तालाबों का जीर्णोद्धार कराया जा रहा है। राज्य में सिंचाई की क्षमता बढकर 36.70 प्रतिशत हो गई है। अब 181063 हेक्टेयर क्षेत्र को सिंचाई की सुविधा उपलब्ध हो गई है। मंत्री ने कहा कि सरकार 102 पुरानी वृहत एवं मध्यम सिंचाई योजनाओं को चरणबद्ध तरीके से सुदृढ करा रही है। उन्होंने कहा कि चार नयी योजनाओं तिलैया नहर, डोमनी नाला बराज, दाहरबाटी जलाशय और दुगनी बराज योजनाओं के लिये 237.82 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी गयी है। पुनासी जलाशय परियोजना के लिये केंद्र सरकार से स्वीकृति प्राप्त कर ली गयी है। सरकार ने गढवा जिले में सिंचाई एवं पेयजल की व्यवस्था के लिये 1064 करोड़ रुपये की लागत से विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करा लिया गया है। इस अवसर पर पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के प्रधान सचिव ए. पी. सिंह और विभाग के अभियंता प्रमुख तथा मुख्य अभियंता उपस्थित थे।

विशेष : अनीता की आत्महत्या का सबब

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तमिलनाडु में एक मजदूर की बेटी अनीता ने मेडिकल कॉलेज में दाखिला न मिलने के कारण आत्महत्या कर ली। सरकार की अतिश्योक्तिपूर्ण नीति की शिकार अनीता की ‘खुदकुशी’ की खबर और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर के साथ मोदी सरकार की ओर से घोषित ‘नारी शक्ति पुरस्कार-2017’ का विज्ञापन एक ही दिन दुनिया के सामने था..! कितनी विडम्बना है कि जिस देश में हम ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ का नारा बुलन्द करते हुए एक जोरदार मुहिम चला रहे हैं उस देश में हम एक प्रतिभा सम्पन्न बेटी की जिन्दगी को इसलिये नहीं बचा सके क्योंकि सरकार की नीति उसकी पढ़ाई में बाधक बन गयी। युवा सपनों का टूटना-बिखरना तो आम बात है लेकिन एक दलित बालिका के पढाई का सपना उसकी मौत का कारण बनना सरकार ही नहीं सम्पूर्ण राष्ट्रीयता पर एक बदनुमा दाग है। यह दाग ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ के संकल्प पर भी लगा है। 


अनीता की आत्महत्या न केवल हमारी शिक्षा प्रणाली पर सवाल खड़े किये है बल्कि सरकार की नीतियों की पोल भी खोल दी है। खड़े हुए ज्वलंत सवालों में प्रमुख सवाल यह भी है कि यह कौन सी शिक्षा व्यवस्था है जिसमें अनीता को एक बोर्ड में इतने अच्छे नंबर आते हैं कि वो उस लिहाज से हर मेडिकल कॉलेज में एडमिशन के लिए योग्य थी, लेकिन महज सिलेबस और नियमों में बदलाव से वह ‘अयोग्य’ हो गई. और उसके सपने ही नहीं टूटे बल्कि जीवन की सांसें भी शांत हो गयी। सवाल सरकार से यह भी पूछा जाना चाहिए कि जब 12वीं का सिलेबस हर राज्य के छात्रों के लिए अलग-अलग है तो ‘नीट’ की परीक्षा सिर्फ सीबीएसई बोर्ड के सिलेबस के ही अनुसार क्यों? क्या यह जानबूझकर राज्य शिक्षा बोर्ड्स से पढ़ने वाले स्टूडेंट्स के साथ किया जाने वाला अन्याय नहीं है? यह सर्वमान्य और सर्वज्ञात तथ्य है कि राज्य बोर्ड्स में पढ़ने वाले अधिकतर स्टूडेंट्स गरीब और कमजोर तबके से आते हैं. ‘नीट’ जैसे नियम इन छात्रों को मेडिकल जैसे प्रतिष्ठित कोर्सेज में एडमिशन लेने से रोकते हैं। अनीता के साथ भी यही हुआ। इस मामले में अनीता के पिता ने सवाल उठाया है कि आखिर मेरी बेटी का क्या दोष था? आखिर उसने यह कदम क्यों उठाया? इन सारे सवालों का अब जवाब कौन देगा? अनीता के पिता ने कहा, “अनिता ने हर मुश्किलों का सामने करते हुए पढ़ाई की। वह नीट को लेकर चिंतित थी। उसने क्या गलत किया था, इसका जवाब कौन देगा?” मुख्यमंत्री पलानीसामी द्वारा दी गई 7 लाख की सहायता राशि उनके परिवारवालों के भी जीवनभर आंसू नहीं रोक पाएगी। निर्धन मेधावी छात्रों को निःशुल्क कोचिंग के लिए भी संस्थानों को आगे आना होगा। सरकार की नीतियां एवं प्रक्रियाएं तो इतनी उलझनभरी होती हैं कि लाभ की खुशी कम और उलझनों के आंसू अधिक होते हैं।

यह सरकार की विडम्बनापूर्ण सोच एवं नीति ही है कि वह यह इच्छा रखती है कि छात्र दो तरह के सिलेबस में महारत हासिल करे, तभी उसका डॉक्टर बनने का सपना पूरा होगा। यह कैसी व्यवस्था है जिसमें सरकार जो करें वो ही सही हो। एक आदर्श शासन व्यवस्था वह होती है जिसमें कम से कम कानून हो और जीवन विकास के रास्ते सुगम हो। अनीता के मौत की वजह हमारी व्यवस्था द्वारा बनाए गए उटपटांग नियम हैं। इस तरह के नियमों को बदले बिना अनीता जैसे पिछडे़ एवं दलित मेधावी छात्र-छात्राओं को बचाना नामुमकिन ही है। अनीता ने मजदूर-गरीब की बेटी होकर अपने हक की लड़ाई लड़ी। उसने देश की शीर्ष अदालत में राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (नीट) के खिलाफ लड़ाई लड़ी लेकिन फैसला उसके अनुरूप नहीं था। अनीता इसलिए परेशान थी कि उसने 12वीं कक्षा में 1200 में से 1176 अंक हासिल किए थे। गणित और विज्ञान में उसके 100 फीसदी अंक थे। वह डाक्टर बनना चाहती थी ताकि दूसरों को जीवनदान दे सके, मरीजों की सेवा कर सके लेकिन लोगों के जीवनदान देने के अपने सपने को पूरा होते हुए दिखाई न देने पर उसने खुद के जीवन को ही समाप्त कर दिया और पंखे से लटककर युवा सपनों का क्या हश्र होता है, उसकी वीभत्सता को उजागर कर दिया।  

नया भारत निर्मित करते हुए हम युवा पीढ़ी से अपेक्षा करते हैं कि वे सपने देखें है, हमारी युवापीढ़ी सपने देखती भी है, वह अक्सर एक कदम आगे का सोचती है, इसी नए के प्रति उनके आग्रह में छिपा होता है विकास का रहस्य। कल्पनाओं की छलांग या दिवास्वप्न के बिना हम संभावनाओं के बंद बैग को कैसे खंगाल सकते हैं? सपने देखना एक खुशगवार तरीके से भविष्य की दिशा तय करना ही तो है। किसी भी युवा मन के सपनों की विविधता या विस्तार उसके महान या सफल होने का दिशा-सूचक है। स्वप्न हर युवा मन संजोता है। यह बहुत आवश्यक है। खुली आंखों के सपने जो हमें अपने लक्ष्य का गूढ़ नक्शा देते हैं। लेकिन सरकार की नीतियां इन युवा सपनों को क्या सचमुच पंख लगाना चाहती है या अन्य राजनीतिक दांवों की भांति उनकी सच्चाई दूसरी ही होती है? नीट परीक्षा ‘एक राष्ट्र एक परीक्षा’ के प्रारूप पर आधारित है। यह एक अच्छा कदम हो सकता है लेकिन देशभर में पाठ्यक्रम भी समान होना चाहिए। अनीता ने सुप्रीम कोर्ट में यह भी सवाल उठाया था कि नीट परीक्षा ग्रामीण इलाकों के छात्रों के साथ न्याय नहीं करती। अब तमिलनाडु में अनीता की आत्महत्या को लेकर राजनीति शुरू हो गई है। अनीता को दलित छात्रा बताकर तूफान खड़ा किया जा रहा है। हैदराबाद यूनिवर्सिटी के पीएचडी छात्र रोहित वेमुला के आत्महत्या करने के बाद भी खूब राजनीति हुई थी। वह दलित था, नहीं था इस पर जोरदार बहस हुई थी। कुछ लोग मोदी सरकार की आलोचना करने में लग गए हैं कि यह सरकार दलितों, वंचितों तक शिक्षा पहुंचाने के खिलाफ है। छात्र सड़कों पर आकर प्रदर्शन करने लगे हैं। काश! हम रोहित वेमुला हो या अनीता- उन्हें एक छात्र के रूप में देखा होता। काश! यह पता लगाने की कोशिश होती कि आखिर ऐसे कौन से कारण हैं कि छात्र आत्महत्याएं कर रहे हैं। रोहित और अनीता ही नहीं, कई अन्य छात्र भी आत्महत्याएं कर चुके हैं। छात्र-छात्राओं का आत्महत्या करना और वह भी शिक्षा के नाम पर बेहद गंभीर स्थिति है, त्रासदी से कम नहीं है।


एथेंस के शासकों को सुकरात का इसलिए भय था कि वह नवयुवकों के दिमाग में अच्छे विचारों के बीज बानेे की क्षमता रखता था। लम्बे समय तक इस सोच का सर्वथा अभाव रहा। इस पीढ़ी में उर्वर दिमागों की कमी नहीं है मगर उनके दिलो दिमाग में विचारों के बीज पल्लवित कराने वालेे ‘सुकरात’ जैसे लोग दिनोंदिन घटते जा रहे हैं। कला, संगीत और साहित्य के क्षेत्र में भी ऐसे कितने लोग हैं, जो नई प्रतिभाओं को उभारने के लिए ईमानदारी से प्रयास करते हैं? हेनरी मिलर ने एक बार कहा था- ‘‘मैं जमीन से उगने वाले हर तिनके को नमन करता हूं। इसी प्रकार मुझे हर नवयुवक में वटवृक्ष बनने की क्षमता नजर आती है।’’ हमारे देश में कुछ लोगों का कहना है कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी युवापीढ़ी को अपने साथ ले चलने में समर्थ है। उनकी यह क्षमता दूसरी पार्टियों के लिय भय का कारण बनी। लेकिन अनीता की मौत ने इन स्थितियों को धुंधलाया है। महादेवी वर्मा के शब्दों में ‘‘बलवान राष्ट्र वही होता है जिसकी तरुणाई सबल होती है।’’ जिसमें मृत्यु का वरण करने की क्षमता होती है, जिसमें भविष्य के सपने होते हैं और कुछ कर गुजरने का जज्बा होता है, वही तरुणाई है। हमें गंभीरता से विचार करना चाहिए कि आखिर ऐसी कौन-सी परिस्थितियां हैं, जो इस पीढ़ी को उनके सपने पूरे करने में बाधक बन रही है। कहीं सम्पूर्ण युवापीढ़ी और उनके सपने राजनीति स्वार्थ पूर्ति के हथियार मात्र तो नहीं है?

आत्महत्या किसी भी समस्या का समाधान नहीं है, यह जीवन से पलायन है। लेकिन आत्महत्या के निर्णय का कारण जो स्थितियां बनती है, वे भी उस समाज एवं शासन व्यवस्था की सबसे बड़ी नाकामी का प्रतीक होती है। अनीता ने इस अन्याय के खिलाफ आवाज उठायी, काफी विरोध भी किया, संघर्ष करते हुए वह हार गयी, तब उसने आत्महत्या का कदम उठाया। यह कदम अमानवीय या कानून विरोधी है, लेकिन इसका कारण दोषपूर्ण नीतियां एवं शासन व्यवस्था है, जिसे सुधारे बिना छात्र-छात्राओं की आत्महत्याओं को नहीं रोका जा सकता।



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- ललित गर्ग-
दिल्ली-51
फोनः 22727486, 9811051133

आलेख : मोक्ष दिलायेंगा पितृपक्ष, पूरे होंगे हर अरमान...

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जीवन के चार पुरुषार्थ हैं। अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष। इन चार पुरुषार्थो में मोक्ष प्राप्ति के लिए पितृपक्ष सबसे उत्तम माना गया है। भाद्रपद पूर्णिमा से अश्विन अमावस्या तक का समय पितृ पर्व के रुप में मनाया जाता है। इसमें हम पितृ स्मरण करते है, जिसे श्राद्ध पर्व भी कहते हैं। इसमें पिंडदान और तर्पण का विधान सर्वोपरि है। कहते हैं तर्पण के जरिए ही पितृ मोक्ष प्राप्त करते हैं। अगर हर काम में आती है अड़चन। अगर संबंद्धों में होती है अनबन। कर्ज से जिंदगी हो गयी है दूभर। नहीं गूंजती घर-आंगन किलकारी तो इस बार अगर कर लिया श्रद्धा से पित्रों का तर्पण, तो हो जायेगी हर समस्याएं दूर। क्योंकि इस बार है विशेष संयोग। अमृत सिद्धि - सर्वार्थ सिद्धि जैसे संयोग होने से हो जायेंगी हर उलझन दूर 





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श्राद्धकर्म केवल कर्मकांड नहीं है। यह अपने पितरों के लिए हमारे मन की श्रद्धा, प्यार, कृतज्ञता का दरख्वाश है कि उन्होंने हमें जीवन दिया, हर प्रकार की उन्नति दी, धरती पर चलना-बोलना सिखाया। समाज की मुख्यधारा में चलने योग्य बनाया। ऐसे मातृ-पितृ ऋण को हम भला कैसे भूल सकते हैं। अग्नि पुराण के अनुसार, वसु, रुद्र एवं आदित्य श्राद्ध के देवता माने गए हैं इनका आह्वान कर किए गए श्राद्ध से पितर संतुष्ट होते हैं। कहते हैं 8 वसु, 11 रुद्र और 12 आदित्य हैं, इनसे ही सृष्टि की रचना हुई है। वैसे भी मनु स्मृति में मनुष्य के तीन पूर्वजों यथा पिता, पितामह एवं प्रपितामह इन सभी पितृ-देवों को वसुओं, रुद्रो एवं आदित्यों के समान माना गया है। श्राद्ध करते समय इन्हीं देवताओ को पूर्वजों का प्रतिनिधि मानना चाहिए और सच्चे मन से श्राद्ध की संपूर्ण क्रियाएं करना चाहिए। इससे समस्त पितरों को शांति मिलती हैं। 

कहा जा सकता है पितृ पक्ष अपने पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने, उनका स्मरण करने और उनके प्रति श्रद्धा अभिव्यक्ति करने का महापर्व है। इस अवधि में पितृगण अपने परिजनों के समीप विविध रूपों में मंडराते हैं और अपने मोक्ष की कामना करते हैं। परिजनों से संतुष्ट होने पर पूर्वज आशीर्वाद देकर हमें अनिष्ट घटनाओं से बचाते हैं। ज्योतिष मान्यताओं के आधार पर सूर्य देव जब कन्या राशि में गोचर करते हैं, तब हमारे पितर अपने पुत्र-पौत्रों के यहां विचरण करते हैं। विशेष रूप से वे तर्पण की कामना करते हैं। श्राद्ध से पितृगण प्रसन्न होते हैं और श्राद्ध करने वालों को सुख-समृद्धि, सफलता, आरोग्य और संतान रूपी फल देते हैं। पितृ पक्ष के दौरान वैदिक परंपरा के अनुसार ब्रह्मवैवर्तपुराण में यह निर्देश है कि इस संसार में आकर जो सद्गृहस्थ अपने पितरों को श्रद्धापूर्वक पितृ पक्ष के दौरान पिंडदान, तिलांजलि और ब्राह्मणों को भोजन कराते है, उनको इस जीवन में सभी सांसारिक सुख और भोग प्राप्त होते हैं। वे उच्च शुद्ध कर्मों के कारण अपनी आत्मा के भीतर एक तेज और प्रकाश से आलोकित होते है। मृत्यु के उपरांत भी श्राद्ध करने वाले सदगृहस्थ को स्वर्गलोक, विष्णुलोक और ब्रह्मलोक की प्राप्ति होती है। 

‘‘ब्रह्म ज्ञान, गया श्राद्धं 
गौगृह मरणं तथा 
कुसांग वासांग कुरुक्षेत्रे 
मुक्ति रेखा चतुर्थ विद्या‘‘

अर्थात मोक्ष प्राप्ति के लिए ये चार विद्याएं इन पंक्तियों में बताई गयी है, जिनमें गया श्राद्ध गृहस्थ जीवन के लिए सबसे सुलभ मार्ग हैं। इससे हम अपने पितरों को श्राद्ध कर्म के माध्यम से तृप्त करने की कामना करते हैं। इसी निमित्त मानव कालांतर से श्राद्ध कर्म करते हुए अपने पितरों को मुक्ति दिलाने का काम करता आया है। इसीलिए इसे श्रद्धा से करना चाहिए। कहते है पितृपक्ष पूर्वजों का ऋण यानी कर्ज उतारने का समय होता है। पितृपक्ष यानी महालया में कर्मकांड की विधियां और विधान अलग-अलग होते हैं। श्रद्धालु एक दिन, तीन दिन, सात दिन, पंद्रह दिन और सत्रह दिन का कर्मकांड करते हैं। शास्त्रों की मान्यता है कि पितृपक्ष में पूर्वजों को याद कर किया जाने वाला पिंडदान सीधे उनतक पहुंचता है और उन्हें सीधे स्वर्ग तक ले जाता है। माता-पिता और पुरखों की मृत्यु के बाद उनकी तृप्ति के लिए श्रद्धापूर्वक किए जाने वाले इसी कर्मकांड को ‘पितृ श्राद्ध‘ कहा जाता है। 

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श्राद्ध से श्रेयस्कर कुछ नहीं 
कहते है पितरों के कृत्यों से दीर्घ आयु, स्वर्ग, यश एवं पुष्टिकर्म (समृद्धि) की प्राप्ति होती है। श्राद्ध से यह लोक प्रतिष्ठित है और इससे योग (मोक्ष) का उदय होता है। श्राद्ध से बढ़कर श्रेयस्कर कुछ नहीं है। यदि कोई श्रद्धापूर्वक श्राद्ध करता है तो वह ब्रह्मा, इन्द्र, रुद्र एवं अन्य देवों, ऋषियों, पक्षियों, मानवों, पशुओं, रेंगने वाले जीवों एवं पितरों के समुदाय तथा उन सभी को जो जीव कहे जाते हैं, एवं सम्पूर्ण विश्व को प्रसन्न करता है। यम ने कहा है कि पितृपूजन से आयु, पुत्र, यश, कीर्ति, पुष्टि (समृद्धि), बल, श्री, पशु, सौख्य, धन, धान्य की प्राप्ति होती है। विष्णुधर्मोत्तरपुराण में ऐसा कहा गया है कि प्रपितामह को दिया गया पिण्ड स्वयं वासुदेव घोषित है, पितामह को दिया गया पिण्ड संकर्षण तथा पिता को दिया गया पिण्ड प्रद्युम्न घोषित है और पिण्डकर्ता स्वयं अनिरुद्ध कहलाता है। विष्णु को तीनों पिण्डों में अवस्थित समझना चाहिए। अमावस्या के दिन पितर लोग वायव्य रूप धारण कर अपने पुराने निवास के द्वार पर आते हैं और देखते हैं कि उनके कुल के लोगों के द्वारा श्राद्ध किया जाता है कि नहीं। ऐसा वे सूर्यास्त तक देखते हैं। जब सूर्यास्त हो जाता है, वे भूख एवं प्यास से व्याकुल हो निराश हो जाते हैं, चिन्तित हो जाते हैं, बहुत देर तक दीर्घ श्वास छोड़ते हैं और अन्त में अपने वंशजों को कोसते (उनकी भर्त्सना करते हुए) चले जाते हैं। जो लोग अमावस्या को जल या शाक-भाजी से भी श्राद्ध नहीं करते उनके पितर उन्हें अभिशापित कर चले जाते हैं। 

काशी में होता है त्रिपिंडी श्राद्ध 
तीनों लोकों में न्यारी यूपी के काशी एवं बिहार के गया में भारत ही नहीं सात समुन्दर पार से लोग अपने-अपने पूर्वजों को ‘श्राद्ध‘ देने के लिए पहुंचते हैं। कहा जाता है कि काशी में प्राण त्यागने वाले हर इन्सान को भगवन शंकर खुद मोक्ष प्रदान करते हैं, मगर जो लोग काशी से बाहर या काशी में अकाल प्राण त्यागते हैं उनके मोक्ष की कामना से काशी के पिशाच मोचन कुण्ड पर त्रिपिंडी श्राद्ध किया जाता है। काशी के अति प्राचीन पिशाच मोचन कुण्ड पर होने वाले त्रिपिंडी श्राद्ध की मान्यताएं हैं कि पितरों को प्रेत बाधा और अकाल मृत्यु से मरने के बाद व्याधियों से मुक्ति मिल जाती है। इसीलिए पितृ पक्ष के दिनों तीर्थ स्थली पिशाच मोचन पर लोगों की भारी भीड़ उमड़ती है। पितृ पक्ष अपने पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने, उनका स्मरण करने और उनके प्रति श्रद्धा अभिव्यक्ति करने का महापर्व है। इस अवधि में पितृगण अपने परिजनों के समीप विविध रूपों में मंडराते हैं और अपने मोक्ष की कामना करते हैं। परिजनों से संतुष्ट होने पर पूर्वज आशीर्वाद देकर हमें अनिष्ट घटनाओं से बचाते हैं। 


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पितरों तक पहुंचता है अर्पित पिंड 
भाद्र कृष्णपक्ष की प्रतिपदा से लेकर अमावस्या की तिथि तक पिंडदान से संबंधित कर्मकांड गया की पवित्र पिंडवेदियों पर पुरखों के नामित पिंड अर्पित किए जाते हैं, जो उन तक पहुंचने की कामना के साथ किये जाते हैं। पिंड का अर्पण हम ‘स्वथा‘ शब्द के उच्चारण से करते हैं। मान्यता है कि स्वथा अग्नि नारायण की पत्नी है, जो प्रथम रुप में पिंडों को ग्रहण करती हैं। अमावस्या तिथि को सूर्य नारायण के समक्ष देवताओं की एक सभा होती है जिसमें पितरों के देवता वसु, रुद्र और आदित्य उपस्थित होते हैं। स्वथा द्वारा ग्रहण किए गए पिंड को पितरों के देवता को सभा में समर्पित किया जाता हैं। जो भू-लोक में पुत्र द्वारा अर्पित किए गए पिंड उनके पितरों तक पहुंचाने की जिम्मेदारी लेते हैं।  

गया तीर्थ सबसे उत्तम 
महर्षि व्यास के अनुसार समस्त तीर्थो में गया उत्तम हैं। यह पितृ तीर्थ के साथ-साथ मंगलदायक तीर्थ भी हैं। ‘पितृतीर्थ गयानाम सर्व तीर्थवरं शुभम्। यत्रास्ते देवदेवेशः स्वयमेव पितामः।।‘ हालांकि न सिर्फ गया, बल्कि किसी भूभाग में नदी या तालाब में हम पितरों का तर्पण कर सकते हैं। पितरों के निमित्त अमावस्या तिथि में श्राद्ध व दान का भी महत्व हैं। 

मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने भी की थी श्राद्ध 
इसकी महत्ता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि श्रीराम जैसे आदर्श पुत्र ने भी गया में फल्गु नदी के किनारे अपने पिता व अन्य पितरों का श्राद्ध किया, पिंडदान किया। इसका उल्लेख वाल्मीकि रामायण में है कि वनवास के दौरान भगवान राम, लक्ष्मण और सीता पितृ पक्ष के दौरान श्राद्ध करने के लिए गया धाम पहुंचे। युधिष्ठिर ने महाभारत युद्ध में मारे गये सभी परिजनों का श्राद्ध हरियाणा के कैथल के करीब सरस्वती नदी के किनारे स्थित पृथुदक तीर्थ (अब पेहवा) में किया। मतलब साफ है पितरों की मुक्ति के लिए तो श्राद्ध पक्ष में तर्पण किये जाने का विधान शास्त्रों में है, यह अपने पूर्वजों के प्रति संतति का कृतज्ञता निवेदन भी है। अपने पूर्वजों के सत्कार्यों का स्मरण हमें सदा प्रेरणा देता है न केवल इसके लिए कि हम उसके अनुसार जीवन में आगे आएं बल्कि इसके लिए भी कि हम अपनी आने वाली संतानों के लिए भी कुछ ऐसा जीवनादर्श प्रस्तुत करके जाएं जिसे वह गौरव के साथ याद कर सकें और स्वयं भी वैसा करने को प्रेरित हों।  

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कलाम ने भी कहा, श्राद्ध है सबसे श्रेष्ठ कर्म 
पूर्व राष्ट्रपति डॉ अब्दुल कलाम ने अपनी पुस्तक ‘इंडिया विजन 2020‘ में इस बात का उल्लेख किया है कि ‘हम अपने बच्चों के लिए कैसी दुनिया छोड़ कर जाना चाहते हैं, इसका विचार करें।‘ इसलिए केवल पितरों का श्राद्ध ही श्रद्धापूर्वक न करें, बल्कि जीवित तीर्थ माता-पिता और बुजुर्गों की प्यार और आदर के साथ सेवा भी करें ताकि हमारे बच्चे भी उससे सीख लें और हमें अपने बुढ़ापे में उनकी बेरुखी व उपेक्षा का शिकार न होना पड़े। क्योकि माता-पिता और बुजुर्ग जीवित तीर्थ होते हैं। उनका प्रेमपूर्ण भाव से दर्शन, उनकी सेवा, उनका सम्मान, प्यार व अपनत्व से उनकी देखभाल करना, उन्हें संभालना इससे बड़ा तीर्थाटन और क्या हो सकता है? इस भाव को कितने सुंदर तरीके से इन पंक्तियों में पिरोया गया है-‘जिन माता-पिता की सेवा की, उन तीरथ स्नान कियो न कियो।‘ माता-पिता के प्रति हमारे शास्त्रकारों ने आदर, प्रेम और अपनत्व बनाये रखने के लिए ही उन्हें ‘मातृ देवो भव, पितृ देवो भव‘ कहा ताकि हम उनमें देवत्व के दर्शन कर सकें और उनकी सेवा कर स्वयं को धन्य व कृतज्ञ बना सकें। श्रवण कुमार की कथा इस सेवा भाव का आदर्श है। इस कृतज्ञता को व्यक्त करते हुए माता-पिता से आशीर्वाद मांगने का उल्लेख करते हुए वेद मंत्र है-‘ऊं अर्यमा न त्रिप्त्याम् इदंतिलोदकं तस्मै नमरू, ऊं मृत्योर्मा अमृतं गमय।‘ पितरों के देव अर्यमा को प्रणाम-पिता, पितामह,  पितामह और माता, प्रपितामही आपको बारंबार प्रणाम। आप हमें मृत्यु से अमरता की ओर ले चलें। 

बदलाव का असर बुजुर्गो पर 
आधुनिकता के इस दौर में बदलाव का सबसे घातक असर रिश्तों पर पड़ा है। बुजुर्ग माता-पिता या दादा-दादी एकदम अकेले से पड़ते जा रहे हैं। हाल यह है कि धरती-आकाश एक कर देने की तमन्ना रखने वाले कुछ कलयुगी बच्चों को अपने बुजुर्गो की ओर प्यार भरी निगाह डालने की मोहलत भी नहीं है। जिंदगी का शिखर छूने की चाह उन्हें देश के महानगरों के रास्ते विदेश तक ले जाती है। बुजुर्ग कहीं पीछे छूट जाते हैं, इतने पीछे कि जिन्हें कभी बड़े चाव से एक-एक शब्द बोलना सिखाया, आज वे उनका एक बोल सुनने के लिए तैयार नहीं है। आखिर धरती पर पहला कदम रखना और चलना तो उन्होंने ही सिखाया था हमें। शायद किसी कवि ने ठीक ही कहा है, ‘तमन्नाओं से भरी इस जिंदगी में-हम सिर्फ भाग रहे हैं‘ कुछ रफ्तार धीमी कर मेरे दोस्त और इस जिंदगी को जियो, खूब जियो मेरे दोस्त।‘ जबकि सच तो यह है कि ये बुजुर्ग हमसे ही आस लगाये हुए होते हैं। यह एहसास तब होता है जब हम बुजुर्ग हो जाते हैं। 

युवाओं की बदलती मानसिकता 
बदलते दौर में एक तरफ जहां ‘श्राद्ध‘ का नाम सुनते ही कुछ लोग फट पड़ते है। कहते है, ‘जीते जी मां-बाप को तो एक गिलास पानी पिला न सके, अब चले है उन्हें पानी पिलाने, जो इस दुनिया जहां में हैं ही नहीं। ये सब पुराने जमाने का है, उससे कब तक चिपके रहेंगे। हद तो तब हो जाता है जब माता-पिता, बुजुर्गों के प्रति सेवा-सत्कार की भावना, उनको सुख देने वाला आचरण जिस भारतीय अध्यात्म दर्शन और संस्कृति की पहचान है, वहां वृद्धाश्रमों का चलन तेजी से बढ़ रहा है। लेकिन खुशी है कि कुछ लोग ऐसे भी है जो ‘श्राद्ध‘ आते ही अपने-अपने बुजुर्गो व माता-पिता को तर्पण-अर्पण करने की तैयारी में पूरे अकीदत से जुट जाते है। चाहे वह धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी हो या गया पितृ पक्ष शुरु होते ही श्राद्ध करने वाला जमघट दिखता है। वैसे भी श्राद्धकर्म केवल कर्मकांड नहीं है, यह अपने पितरों के लिए हमारे मन की श्रद्धा, प्यार, कृतज्ञता का निवेदन है कि उन्होंने हमें जीवन दिया, सब प्रकार की उन्नति कर सुखोपभोग करने योग्य बनाया, उनके प्यार और आशीर्वाद से हम फूले-फलें। ‘श्रद्धया दीयते यत् तत् श्राद्धम‘ अर्थात पितरों की तृप्ति के लिए सनातन विधि से श्रद्धापूर्वक जो कर्म किये जाते हैं, उन्हें श्राद्ध कहते हैं।  

विभिन्न स्थानों पर होता है श्राद्ध 
देश में श्राद्ध के लिए गया, बद्रीनाथ, हरिद्वार, गंगासागर, त्रयंबकेश्वर, प्रयाग, काशी, जगन्नाथपुरी, कुरुक्षेत्र, पुष्कर सहित 55 स्थानों को महत्वपूर्ण माना गया है। कहते है इन स्थलों पर भगवान पितरों को श्रद्धापूर्वक किए गए श्राद्ध से मोक्ष प्रदान कर देते हैं, लेकिन गया में किए गए श्राद्ध की महिमा का गुणगान तो भगवान राम ने भी किया है। कहा जाता है कि भगवान राम और सीताजी ने भी राजा दशरथ की आत्मा की शांति के लिए गया में ही पिंडदान किया था।

चैदह दिन का होगा श्राद्ध 
सनातन धर्म में आश्विन माह का पहला पखवारा पूर्वजों को समर्पित है। इसे पितृपक्ष कहते हैं। यह आश्विन कृष्ण प्रतिपदा उदया से अमावस्या तक होता है। इस बार इसकी शुरुवात सात सितंबर से हो रही है। लेकिन इस दिन मध्याह्न में प्रतिपदा न मिलने से इस तिथि का श्राद्ध छह सितंबर को ही किया जाएगा। इस पक्ष में षष्ठी की हानि है। त्रयोदशी व चतुर्दशी का श्राद्ध एक ही दिन 18 सितंबर को किया जाएगा। इसके अलावा अमावस्या दो दिन पड़ रही है। इसमें 19 सितंबर को श्राद्ध अमावस्या (सर्वपैत्री अमावस्या) यानी पितृ विसर्जन किया जाएगा। जबकि  20 सितम्बर को स्नान-दान की अमावस्या मनाई जाएगी। अमावस्या तिथि 19 सितंबर को दिन में 11.16 बजे लग रही है, जो 20 को प्रातः 10.22 बजे तक रहेगी। इस लिहाज से इस बार पितृपक्ष 14 दिन का होगा। शास्त्रों में मनुष्यों के लिए तीन ऋण बताए गए हैं। ये हैं-देव ऋण, ऋषि ऋण और पितृ ऋण। जिसमें माता-पिता के प्रति श्रद्धा का समावेश किया गया है। उनके ऋण से मुक्त न होने पर जन्म निर्थक बताया गया है, इसीलिए सनातन धर्म में पितरों के प्रति श्रद्धा अर्पित करने को पितृपक्ष महालया की व्यवस्था की गई। पितृ-ऋण से पार पाने के लिए पितृपक्ष में श्राद्ध कर्म ही एकमात्र पद्धति है। विष्णु पुराण में कहा गया है कि श्राद्ध से तृप्त होकर पितृ ऋण सभी कामनाओं को तृप्त करते हैं। 

शुभ मुहूर्त 
सोलह श्राद्ध इस साल 15 दिन के होंगे। अब 16 दिन के श्राद्ध का संजोग वर्ष 2020 में बनेगा। वर्ष 2016 में भी श्राद्ध 15 दिन थे। लगातार दूसरे वर्ष तिथि घटने से पितृ पक्ष इस बार भी एक दिन कम हो गया। श्राद्ध 6 सितंबर को पूर्णिमा से शुरू होंगे। इसी दिन दोपहर में प्रतिपदा का श्राद्ध भी होगा। 15 दिन बाद 20 सितंबर को सर्व पितृ अमावस्या पर श्राद्ध समापन होगा। पूर्णिमा से अमावस्या तक यह 16 दिन का होने से इसे सोलह श्राद्ध कहते हैं। लेकिन तिथियां घटने बढ़ने के साथ इसके दिन कम ज्यादा होते हैं। 2016 के बाद इस वर्ष 2017 में भी सोलह श्राद्ध 15 दिन के होंगे। 6 सितंबर को सूर्योदय से पूर्णिमा होने से सुबह पूर्णिमा का श्राद्ध होगा। इस दिन 12.32 बजे प्रतिपदा का श्राद्ध भी करेंगे। क्योंकि श्राद्ध पूजन व ब्राह्मण भोज का समय दिन का बताया है। पितृ पक्ष का दिन एक दिन कम होगा। वहीं कुछ पंडित बीच में पंचमी तिथि का क्षय होना भी बता रहे हैं। इस तरह पितृ पक्ष का पूरा एक दिन घटने से श्राद्ध पूरे 16 दिन नहीं होंगे। अमृत सिद्धि - सर्वार्थ सिद्धि जैसे संयोग भी रहेंगे। कहते है श्राद्ध में पितृ प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते है। इसमें खरीदी से कोई नुकसान नहीं होता है। हालांकि कई लोग इस खरीदी को अशुभ भी मानते है। इस दौरान 8 सितंबर को दोपहर 12.31 बजे अमृत सिद्धि योग, 11 सितंबर को सुबह 9.21 से रवि योग, 12 सितंबर को सुबह 6.16से सर्वार्थ सिद्धि योग, 14 सितंबर को रात 2 बजे सर्वार्थ सिद्धि योग लगेगा, जो 15 सितंबर तक रहेगा। 17 सितंबर को भी मंगल उदय हो रहा है। इन योग में पूजा, दान खरीददारी आदि कर सकते हैं। सीधे उन तक पहुंचता है और उन्हें सीधे स्वर्ग तक ले जाता है। माता-पिता और पुरखों की मृत्यु के बाद उनकी तृप्ति के लिए श्रद्धापूर्वक किए जाने वाले इसी कर्मकांड को कहा जाता है पितृ श्राद्ध। 
श्राद्ध तिथियां इस प्रकार है 
06 सितंबर - प्रतिपदा का श्राद्ध 
07 सितंबर - द्वितीया का श्राद्ध 
08 सितंबर - तृतीया का श्राद्ध 
09 सितंबर - चतुर्थी का श्राद्ध 
10 सितंबर - पंचमी (भरणी) का श्राद्ध 
11 सितंबर - अनुदया षष्ठी का श्राद्ध 
12 सितंबर - सप्तमी का श्राद्ध 
13 सितंबर - अष्टमी का श्राद्ध 
14 सितंबर - नवमी (सौभाग्यवती स्त्रियों) का श्राद्ध 
15 सितंबर - दशमी का श्राद्ध 
16 सितंबर - एकादशी (इंद्रा एकादशी)
17 सितंबर - द्वादशी (संन्यासी, वैष्णव, यति का श्राद्ध) 
18 सितंबर - त्रयोदशी व चतुर्दशी का श्राद्ध (शस्त्रदि से मृत व्यक्तियों का श्राद्ध) 
19 सितंबर -अमावस्या श्राद्ध (सर्वपैत्री) व पितृ विसर्जन विशेष तिथियां 

प्रतिपदा का श्राद्ध छह सितंबर 
मातृ नवमी 14 सितंबर (माता की मृत्यु 1 तिथि ज्ञात न होने पर श्राद्ध का विधान) 
आश्विन कृष्ण चतुर्दशी (किसी दुर्घटना 1 में मृत व्यक्तियों का श्राद्ध) सर्वपैत्री अमावस्या 19 सितंबर (मृतक 1 की तिथि ज्ञात न हो या अन्यान्य कारणों 1 से नियत तिथि पर श्रद्ध न होने पर इस 1 दिन श्राद्ध का विधान) 

पिंड से प्रारंभ मानव जीवन 
मानव जीवन का आकार पिंड से ही प्रारंभ होता है। मां के गर्भ में हम सूक्ष्म रुप के बाद पिंड रुप में आते हैं। यह पिंड पांच तत्वों से बना होता है। क्षिति, जल, पावक, गगन और समीर से तैयार यह शरीर भी अंत में पिंड रुप में ही विलीन हो जाता है। इसी पिंड को व्यक्ति शहद, तिल, घी, शक्कर और जौ पांच तत्वों के साथ अपने पितरों को अर्पित करते हैं। मान्यता है कि जो देवताओं का प्रिय होता है, तिल बुरी शक्तियों को दूर करता है। कुश की जड़ में ब्रह्मा जी का वास होता है, उसके मध्य में नारायण और अग्र भाग में शंकर विराजमान रहते हैं। इसलिए पिंडदान में इन पांच तत्वों के साथ कुश का शामिल होना विशेष महत्व रखता हैं। 

अपनों से नहीं रुठते पितृ 
कहते हैं कुंडली में ‘पितृदोष‘ आया है वास्तविक रुप से ग्रहों की स्थिति के अनुसार यह बात सच भी होती है। मगर क्या हमनें इसके पीछे छिपे कारण को कभी ढूढ़ा हैं। जवाब में हर किसी के जिह्वा पर ‘ना‘ ही आएगा। वह इसलिए क्योंकि हम अपने बुजुर्गो को जीते ज ीवह मान नहीं दे पाएं जो उन्हें देना चाहिए था। इसके बावजूद भी वे अपनों से हमेसा प्रेम की इच्छा रखते रहे। हमारे लाख अपमान के बाद भी वे हमसे स्नेह रखते रहे लेकिन हम वैसा नहीं कर पाएं। चूकि वह तो बाद में भी यह स्नेह नहीं छोड़ते हैं लेकिन आपके द्वारा किए गए इस तरह के कर्मो की वजह से कुंडली में इस तरह के योग आते हैं। 

जीवितों की सेवा ही पितरों की संतुष्टि है 
केवल पितरों को श्राद्ध ही श्रद्धापूर्वक न करें बल्कि जीवित तीर्थ माता-पिता और बुजुर्गो की प्यार और आदर के साथ सेवा भी करें। ताकि हमारे बच्चे भी उससे सीख लें और हमें अपने बुढ़ापे में उनकी बेरुखी व अपेक्षा का शिकार न होना पड़े। जब जीवितों की सेवा करेंगे तभी तो हमारे पितर हमेसा से संतुष्ट होंगे। आज के समय में हर किसी के लिए महत्वपूर्ण है कि जीते जी माता-पिता की सेवा करना, उनका सम्मान करना, प्यार व अपनत्व से उनकी देखभाल करना, उन्हें संभालना, इससे बड़ा तीर्थाटन और क्या हो सकता है भला? आप भले ही तमाम तीर्थ कर लो, लेकिन जिसे अपने बड़ों का दिल दुखाया है उसके लिए इन तीर्थो के दर्शन से भी कुछ नहीं सकता और पितृ भी उनसे प्रसंन नहीं होते। यह बात सोचने की है कि जिन लोगों को आप जीते - जी दो रोटी नहीं दे सकते उनके लिए बाद में मात्र दिखावे के लिए कर्मकांड करते हुए खूब खाना बंटवाओगें तो क्या फायदा मिलेगा? जब आपके बुजुर्ग इस दुनिया में ही आपके व्यवहार से प्रसंन न हो सके तो फिर वे मृत्यु पश्चात आपका यह भोज कैसे स्वीकार करेंगे। इसलिए यह ध्यान रखने योग्य बात हैं कि श्राद्ध केवल कर्मकांड नहीं हैं। यह अपने पितरों के लिए हमारे मन की श्रद्धा, प्यार, कृतज्ञता का प्रतीक हैं। उन्होंने हमें जीवन दिया। धरती पर पहला कदम रखना, बोलना और चलना तो उन्होंने ही सिखाया था हमें। हर प्रकार की उन्नति दी। समाज की मुख्यधारा में चलने योग्य बनाया। शायद किसी कवि ने ठीक ही कहा है, ‘तमन्नाओं से भरी इस जिंदगी में-हम सिर्फ भाग रहे हैं‘ कुछ रफ्तार धीमी कर मेरे दोस्त और इस जिंदगी को जियो, खूब जियो मेरे दोस्त।‘ जबकि सच तो यह है कि ये बुजुर्ग हमसे ही आस लगाये हुए होते हैं। यह एहसास तब होता है जब हम बुजुर्ग हो जाते हैं। ऐसे में हम मातृ-पितृ ऋण को भला कैसे भूल सकते हैं? वैसे भी इस ऋण से आज तक कोई उत्र्तीण नहीं हो सका है।  




(सुरेश  गांधी)

दुमका (झारखण्ड) की हलचल 05 सितम्बर

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लघु-सिचाई कर्मचारी संघ जिला शाखा दुमका के पदाधिकारियों का चुनाव संपन्न

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झारखण्ड राज्य अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ, जिला शाखा दुमका के तत्वावधान में महासंघ के कार्यकारी अध्यक्ष वीरेन्द्र साह की अध्यक्षता व चुनाव पर्यवेक्षक मो0 सलालुद्दिन (चालक संघ) की देखरेख में लघु-सिचाई कर्मचारी संघ जिला शाखा दुमका के पदाधिकारियों का चुनाव दिन रविवार 03 नवम्बर 2017 को जिला महासंघ कार्यालय, दुमका में सर्वसम्मति के साथ   सम्पन्न हुआ।  इस चुनाव में सौदागर मांझी को सम्मानित अध्यक्ष के रुप में संघ में स्थान दिया गया जबकि जयदेव दत्त को अध्यक्ष की जिम्मेवारी सौंपी गई।  मोती लाल टुडू, राज कुमार सिंह, रघुनन्दन सिंह व फणीभूषण पाल को उपाध्यक्ष के पद से नवाजा गया। जिला सचिव का पद सुमेश्वार पंडित को प्रदान किया गया। अनूप लाल यादव, रामचन्द्र सेन, उपेन्द्र नाथ सिंह व मो0 जब्बार, को संयुक्त सचिव का दायित्व सोंपा गया। नवीन शर्मा को कोषाध्यक्ष पद पर बिठाया गया।  लक्ष्मीकांत ठाकुर, श्रीनिवास मिस्त्री, बंगाली कापनी, भगवान मुर्मू, मो0 जन्मउद्दी अंसारी, सुखलाल, चुड़की टुडू व बाहा सोरेन को संघर्ष समिति का सदस्य बनाया गया।


दुमका में खुला पीटर इंग्लैंड का 13 वाँ एक्सक्लुसिव शोरुम, पूरे भारतवर्ष में इसकी सात सौ शाखाएँ कर रही हैं काम 

मारवाड़ी चैक (जिला स्कूल रोड) दुमका स्थित मेसर्स नव्या अपारेल में पीटर इंग्लैंड के 13 वें एक्सक्लुसिव शोरुम का उद्घाटन दिन सोमवार को पूरी भव्यता के साथ संपन्न हुआ। शोरुम का उद्घाटन शंकर लाल भुवानियां व गौरी शंकर मेहरिया संयुक्त रुप से किया। बतौर मुख्य अतिथि प्रेमसंस ग्रुप के डायरेक्टर पंकज पोद्दार ने कहा कि पिछले सौ वर्षों से बाबूलाल प्रेमकुमार टेक्सटाईल्स के क्षेत्र में अपनी सेवाएँ प्रदान करता आ रहा है। पीटर इंग्लैंड के क्षेत्रीय प्रबंधन (रिजनल मैनेजर) हरिहरा राव ने कहा कि उचित मूल्य पर बढ़िया से बढ़िया फेब्रिक्स के लिये कम्पनी पीटर इंग्लैंड मशहूर है। इस कम्पनी की पूरे भारतवर्ष मंे सात सौ से अधिक शाखाएँ हैं। ब्रांड के डिस्ट्रीब्यूट्र्स धनंजय अग्रवाल ने कहा इस वर्ष झारखण्ड में 10 शोरुम खोलने की योजना कम्पनी ने बना रखी है। दुर्गापूजा के पूर्व पीटर इंग्लैंड के 13 वें शोरुम की ओपनिंग से दुमका सहित आसपास के इलाकों से लोग जरुरत के हिसाब से उचित मूल्य पर गारमेंटस की खरीद इस शोरुम से कर सकेंगे। कम्पनी की एरिया मैनेजर श्रुति सबरवाल ने कहा कि झारखण्ड के विभिन्न जिलों में अब तक कम्पनी के 12 एक्सक्लुसिव शोरुम खुल चुके हैं। इस वर्ष 10 अन्य शोरुम खोलने की योजना पर काम चल रहा है। दुमका 13 वें स्थान पर है। एरिया मैनेजर श्रुति सबरवाल ने कहा कि वर्तमान समय में हर कोई कपडों के पहवाने से पहचाना जा रहा है।  दुमका में इस शोरुम के खोलने का निर्णय कम्पनी ने बाजार को देखते हुए लिया है। इस शोरुम में मेन्सवियर के सर्ट, पैन्ट, टी-सर्ट, जिंस, कुर्ता, सूट, ब्लेजर, बेल्ट, टाई, सहित अण्डरगार्मेटस उपलब्ध होगंे। इस अवसर पर अमित कुमार भुवानियां, विशाल डोकानिया, अमित कुमार, प्रवीण चैधरी, जीवानन्द चादव, ललित अग्रवाल व अन्य लोग मौजूद थे। 

राष्ट्र निर्माता सम्मान समारोह का आयोजन।

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शिक्षक दिवस की पूर्व संध्या  छात्र चेतना संगठन, रानीश्वर प्रखंड इकाई के तत्वावधान में  मयूराक्षी ग्रामीण डिग्री महाविद्यालय रानीश्वर में राष्ट्र निर्माता सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। सम्मान समारोह में मुख्य अतिथि छात्र चेतना संगठन के केंद्रीय प्रमुख हिमांशु मिश्रा ,विशिष्ट  अतिथि प्राचार्य डॉ अब्दुल रईस खान (काॅलेज के प्राचार्य )इंटर कालेज के प्राचार्य बी  बी साहा , प्रदेश संगठक उदयकांत पांडेय, डॉ स्वर्ण सिंह, गजेंद्र सिंह, रूपम कुमारी , रिणा कुमारी,  मोहम्मद रिजाउद्दीन, ऐन के पाल सहित भारी संख्या में शिक्षक-शिक्षिकाएॅ व  छात्र - छात्राए उपस्तिथ थे। कार्यक्रम में उत्कृष्ट कार्य करने वाले शिक्षकों के सम्मान में उपस्तिथ शिक्षकों को मोमेंटो व कलम देकर सम्मानित किया गया।  कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केंद्रीय प्रमुख हिमांशु मिश्रा ने कहा कि छात्र व शिक्षकों  का संबंध पिता- पुत्र की तरह होता है।  भारतीय संस्कृति में गुरु का पद ईश्वर से भी ऊंचा माना जाता है। गुरु-शिष्य के ऐसे गरीमामय  को छात्र चेतना संगठन कोटि सह प्रणाम करता है। छात्र चेतना संगठन का मुख्य उद्देश्य छात्रों को स्वयं के प्रति जिम्मेदार बनाते हुए समाज एवं राष्ट्र के प्रति जिम्मेदार बनाना है और यह तभी संभव है जब हमे गुरुओ का मार्गदर्शन प्राप्त हो । श्री मिश्रा ने कहा कि वर्तमान समय मे छात्र एवं शिक्षको की गरिमा का ह्रास हुआ है जो कि शुभ संकेत नही है। अतः हम युवाओ को चाहिए कि हम अनुशासित हो, अध्यनशील हो , राष्ट्रवादी हो क्योंकि छात्र का अर्थ होता है छत्र की तरह शील वाला। वही कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डॉ रईस खान ने कहा कि छात्र चेतना संगठन का यह कार्यक्रम एक अद्भुत एवं प्रेरणादायी कार्यक्रम है जिससे हर किसी को प्रेरणा लेने की जरूरत है। निश्चित ही ऐसे कार्यक्रम से छात्र एवं शिक्षको के बीच प्रगाढ़ता बढ़ेगी ।छात्र अनुसाहित होकर अध्ययन करे। शिक्षक हर हमेसा उनके साथ खड़ा मिलेगा। कार्यक्रम को प्राचार्य बी0बी0 साहा , रीणा कुमारी , गजेंद्र सिंह , स्वर्ण सिंह , ने भी संबोधित किया । कार्यक्रम का संचालन संथाल परगना प्रभारी राजीव मिश्रा ने किया एवं कार्यक्रम के सफल आयोजन में नगर संगठन प्रभारी दुमका अमित कुमार यादव, रानीश्वर इकाई के पार्थो राउत ,नगर प्रभारी रोहित पांडेय , आशीष शील , प्रियगोपाल दास , राजेश पांडेय , माला भंडारी , असीमा मंडल का महत्वपूर्ण योगदान रहा।कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगीत वंदेमातरम के साथ हुआ।

झारखण्ड धर्म स्वतंत्र विधेयक 2017 के विरुद्ध विशाल रैली के माध्यम से 28 अलग-अलग चर्चों से संबद्ध इसाई समुदाय ने रघुवर सरकार के विरुद्ध किया विरोध प्रदर्शन। डीसी के माध्यम से राज्यपाल को ज्ञापन। 

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12 अगस्त 2017 को झारखण्ड सरकार द्वारा पारित झारखण्ड धर्म स्वतंत्र विधेयक 2017 व भूमि अर्जन, पुर्नवास व विस्थापन में उचित प्रतिकार व पारदर्शिता का अधिकार (झारखण्ड संशोधन) विधेयक 2017 को निरस्त करने की मांग को लेकर दिन गुरुवार (24 अगस्त 2017) को आॅल चर्चेस एसोसिएशन आॅफ संताल परगना, दुमका के वैनर तले इसाई समुदाय के पास्टर, बुद्धिजीवि, सामाजिक कार्यकर्ता, शुभचिन्तक, आदिवासी समाज के परम्परागत अगुवों व इसाई धर्मावलम्बियों ने मौन जुलूस निकाल कर सरकार के विरुद्ध अपना विरोध प्रकट किया। इससे पूर्व इसाई धर्मावलम्बियों ने एक विशाल रैली के माध्यम से दुमका नगर के विभिन्न मार्गों में अपनी बहुमत उपस्थिति दर्ज करायी। डीसी, दुमका के माध्यम से राज्यपाल, झारखण्ड द्रौपदी मुर्मू के नाम पर एक ज्ञापन भी प्रेषित किया। इस रैली व प्रदर्शन के संयोजक डा0 सुशील मराण्डी ने कहा कि झारखण्ड विधानसभा में पास किया गया विधेयक झारखण्ड धर्म स्वतंत्रता विधेयक 2017 व भूमि अर्जन विधेयक 2017 असंवैधानिक है। यह लोकतंत्र पर आघात है। सेवानिवृत्त अधिकारी ई0 जे0 सोरेन ने कहा कि सरकार द्वारा पारित भूमि अर्जन, पुर्नवास व पुनव्र्यवस्थापन में उचित प्रतिकार और पारदर्शिता का अधिकार (झारखण्ड संशोधन) विधेयक 2017 में रैयतों से बिना सहमति लिये सरकार अपने प्रयोजन के लिये जमीन ले सकती है। ग्राम सभा की सहमति लेना अनिवार्य नहीं बनाया गया है। ऐसी स्थिति मंे सरकार कानून का गलत प्रयोग कर जमीन हड़पने की साजिश रच रही है। अनुसूचित क्षेत्रो मंें रहने वाले आदिवासी समुदाय के लोगों के लिये संवैधानिक अधिकारों में हनन होगा। इससे पूर्व राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया। अधिवक्ता सामुएल सोरेन ने कहा कि इस विधेयक से भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25 से 28 तक के मौलिक अधिकारों का हनन है। ऐसा कानूून संविधान की आत्मा पर प्रहार है। इसे शीघ्र निरस्त किया जाए। सभा में डा0 संजय सेबास्टियन मरांडी, शीरिल सोरेन, मार्शल टुडू, किनू हेम्ब्रम, पौलूस मुर्मू, सोनोत हांसदा, विनोद कुमार वास्की, श्यामदेव हेम्ब्रम, एहतेशाम अहमद, पिटर हेम्ब्रम, नंदलाल हेम्ब्रम, लुसु हेम्ब्रम, छवि हेम्ब्रम इत्यादि ने भी अपने-अपने विचार व्यक्त किये। दुमका डायस के फादर विशप जूलियस मरांडी व फादर सोलोमन ने रैली मे बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। आॅल चर्चेस एसोसिएशन आॅफ संताल परगना, दुमका ने पर्चा के माध्यम से इसाई समुदाय को जागरुक करते हुए कहा है कि विधान सभा की प्रवर समिति को सौंपने के विपक्ष के सुझाव को अमान्य करते हुए सरकार ने उपरोक्त विधेयकों को मंजूरी प्रदान की है। ऐसा प्रतीत होता है कि विधेयक को मंजूरी देने में काफी हड़वड़ाहट दिखलाई गई है। सरकार की मंशा में खोट है। सरकार की मंशा स्वार्थी तत्वों की मनोकामनाओं को पूर्ण करना है। धर्म आस्था का विषय है। आदिवासियों की एकता को तोड़ने के लिये कानून को हथियार बनाकर वैसे लोगों को सरकार निशाना बनाना चाहती है जो गलत नीतियों का विरोध करते हैं। झारखण्ड धर्म स्वतंत्र विधेयक 2017 में धर्मांतरण को संज्ञेय अपराध की श्रेणी में रखकर इसके खिलाफ कड़े प्रावधान निर्धारित किये गए हें। धोखाधड़ी, लालच, प्रलोभन व दबाव से जबरन धर्मांतरण की बात सरकार करती है किन्तु पिछले 16 वर्षों में ऐसे मामलों के विरुद्ध कितने लोगांे के विरुद्ध कार्रवाई की गई सरकार इन आँकड़ों को प्रस्तुत करने से डरती है। भादसं की धारा 295 ए के तहत जबकि सरकार को प्रयाप्त कानूनी अधिकार प्राप्त है । धर्मातरण राज्य का सबसे बड़ा मुद्दा है तो फिर सरकार श्वेत पत्र क्यों नहीं जारी करती ? आॅल चर्चेस एसोसिएशन आॅफ संताल परगना, दुमका की ओर से कहा गया कि धर्मांतरण आस्था व हृदय परिवर्तन का मसला है। एक धर्म निरपेक्ष राज्य में किसी नागरिक का धर्म क्या होगा सरकार कैसे तय कर सकती है ? आॅल चर्चेस एसोसिएशन आॅफ संताल परगना, दुमका द्वारा प्रस्तुत आँकड़ों के मुताबिक वर्ष 1951 में ईसाइयों की जनसंख्या 4. 12 प्रतिशत थी। वर्ष 1961 में बढ़कर यह 4.17 प्रतिशत हो गई। वर्ष 1971 में जनसंख्या का प्रतिशत बढ़कर 4. 35 प्रतिशत हो गई। वर्ष 1981 में घटकर इनकी जनसंख्या प्रतिशत 3. 72 हो गई। वर्ष 1991 में 3. 72 प्रतिशत, वर्ष 2001 में यह बढ़कर 4. 10 प्रतिशत व वर्ष 2011 में 4. 30 प्रतिशत। पिछले 70 वर्षों में इसाई धर्मावलम्बियों की जनसंख्या प्रतिशत 4 प्रतिशत पर ही अटकी हुई है। मिशनरियों से जुड़े बुद्धिजीवियों का कहना है संविधान के भाग-3 के अनुच्छेद 25 के अन्तर्गत लोक व्यवस्था, सदाचार व स्वास्थ्य के अधीन प्रत्येक नागरिक को अन्तःकरण की स्वतंत्रता व धर्म के आचरण व प्रचार का समान हक है। झारखण्ड धर्म स्वतंत्र विधेयक 2017 वर्तमान स्थिति में असंवैधानिक व संविधान के अनुच्छेद 13 (2) के अन्तर्गत प्रदत्त मौलिक अधिकार का उल्लंघन है। 

न्यू इंडिया का संकल्प एक क्रांति है, कर्तव्यों का निर्वहण ईमानदारी से करना होगा : डा. लुईस मराण्डी

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दुमका (अमरेन्द्र कुमार/ बी बी सारस्वत) त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्था के निर्वाचित जन प्रतिनिधियों का जिलास्तरीय पंचायत सम्मेलन (न्यू इंडिया मंथन, संकल्प से सिद्धि) का शुभारंभ मंत्री समाज कल्याण डॉ लुईस मरांडी ने दीप प्रज्वलित कर किया। संकल्प समारोह में मंत्री डाॅ लुईस मरांडी ने दुमका जिला के सभी निर्वाचित जनप्रतिनिधि (जिला परिषद सदस्य/पंचायत समिति सदस्य/मुखिया/ग्राम पंचायत सदस्य को संकल्प दिलाया। सभा में उपस्थित लोगों को सम्बोधित करते हुए मंत्री डा0 लुईस मराण्डी ने कहा कि न्यू इंडिया का संकल्प एक क्रांति है। इसे हमें अपने अन्दर उतारना है तथा कर्तव्यों का निर्वहण पूरी ईमानदारी से करना है तभी समाज की कूरितियां समाप्त होगी। सरकार के विभिन्न योजनाओं के कार्यान्वयन से ही हम नये झारखण्ड का निर्माण कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जी ने महिलाओं की समस्या पर फोकस किया है जिसका उदाहरण उज्ज्वला गैस योजना, शौचालय निर्माण इत्यादी जो की देष की आधी आबादी से संबंधित है और एक क्रांती का रूप ले चुका है। उन्होंने कहा कि भारत के प्रधानमंत्री माननीय नरेन्द्र मोदी के नये भारत के सपने को साकार करना हमारा फर्ज है। ‘स्वच्छ भारत अभियान’ एक उत्तरदायी प्रशासन और लोगों के बीच जागरूकता पर निर्भर करता है। उन्होंने कहा कि इस संदर्भ में असली बदलाव केवल सार्वजनिक भागीदारी के जरिए ही लाया जा सकता है।


दुमका के उपायुक्त मुकेश कुमार ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि दुमका को संकल्प से सिद्धि तक पहुंचाना है। विकास के कार्यों को वंचित समुह तक ले जाना है। जिसके लिए सभी जन प्रतिनिधि पर ये जिम्मेदारी बनती है कि सभी योजनाओं को पारदर्षिता से बिना अनियमितता के विष्वसनियता एवं ईमानदारी से लागु करें। इसके अतिरिक्त जन जागरूकता आम लोगों तक पहुंचाने की आवष्यकता है। उन्होंने कहा कि षिक्षा के मामले में दुमका जिले को जीरो डाॅप आउट घोषित करना हमारा लक्ष्य है। सभी जनप्रतिनिधि यह सुनिष्चित करें कि उनके क्षेत्र के सभी विद्यालय खुले रहें। षिक्षक षिक्षिकायें एवं छात्र छात्राओं की उपस्थिति तथा षिक्षा की गुणवत्ता पर निगरानी रखें। उन्होंने कहा की दुमका को विकास की ओर लेजाना है तो षिक्षा सबसे अहम है, इसके बिना विकास अधुरा है। ‘स्वच्छ भारत अभियान’ के तहत दुमका परिसदन में ”दमकता दुमका-क्ं्र्रसपदह क्नउां” अभियान का शुभारंभ किया है। जिसके तहत दुमका जिला को स्वच्छ एवं सुन्दर बनाना है और अगले एक वर्ष में इसे एक आइडियल जिले के रूप में स्थापित करना है। इसके तहत जिले में विभिन्न कार्यक्रम भी आयोजन किये जा रहे है। उपायुक्त ने कहा कि विडियो काॅन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सभी 10 प्रखण्डों की समीक्षा की जा रही है। विडियो काॅन्फ्रेंसिंग के माध्यम प्रखंड स्तर पर चल रहे विकास कार्यों यथा शौचालय निर्माण, मनरेगा, प्रधानमंत्री आवास योजना आदि की समीक्षा की जा रही है। उन्होंने कहा कि प्रति सप्ताह विडियो काॅन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अब जिला स्तर से प्रखण्डों एवं अंचलों के पदाधिकारियों के साथ समीक्षा की जायेगी।  डिजीटल साक्षरता को जन-जन तक पहुँचाने हेतु PMGDISHAA  कार्यक्रम को एक अभियान के रूप में दुमका जिले में संचालित किया जा रहा है। इस योजना के तहत जिले के 23817 व्यक्तियों का पंजीकरण किया गया है, जो राज्य भर के सभी जिलों में सर्वाधिक है। झारखण्ड के 24 जिलों में दुमका नम्बर 1 पर है। उन्होंने कहा कि यह योजना ग्रामीण क्षेत्रों के नागरिकों को कंप्यूटर या डिजिटल एक्सेस डिवाइस जैसे स्मार्ट फोन, कम्प्यूटर आदि संचालित करने के लिए उन्हें प्रशिक्षण प्रदान करती है, ई-मेल भेजने, प्राप्त करने, इंटरनेट ब्राउज करने, सरकारी सेवाएं एक्सेस करने, सूचना के लिए खोज, डिजिटल भुगतान करने के लिए आदि और इसलिए राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए उन्हें सूचना प्रौद्योगिकी और संबंधित अनुप्रयोगों, विशेष रूप से डिजिटल भुगतान का उपयोग करने में सक्षम बनाते हैं।

इस योजना का उद्देश्य डिजिटल डिवाइड को पुल करना है, विशेषकर ग्रामीण आबादी को लक्षित करना, जिसमें अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल), महिलाओं और अलग-अलग विकलांग व्यक्तियों और अल्पसंख्यक हैं। उन्होेंने कहा कि दुमका जिला में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में दुमका जिला ने निर्धारित लक्ष्य से 1 लाख 30 हजार से कहीं ज्यादा बीमा करवाया है। लक्ष्य की प्राप्ति सामुहिक प्रयास का नतीजा है। इसी प्रकार हरएक योजना को लागु करने में टीम वर्क की आवश्यक है। उपायुक्त ने फिर एक बार स्वच्छता अभियान पर बल देते हुए कहा कि दुमका जिला को 2018 तक ओडीएफ करना है जिसके लिए सभी को समुह के रूप में संकल्प लेने की जरूरत है। शौचालयों के निर्माण के साथ-साथ इसका इस्तेमाल भी करना आवष्यक है। ये एक बहुत बड़ा लक्ष्य है जिसे हम टीम वर्क के जरीये ही चरण बद्ध तरीके से प्राप्त कर सकते है। अंत में उन्होंने सभी जन प्रतिनिधि एवं अधिकारियों से आग्रह किया कि आज जो हमने संकल्प लिया उसकी सिद्धि (प्राप्ति) के लिए सामुहिक, सकारात्मक तथा सतत प्रयास की आवष्यकता है। सम्मेलन को जिला परिषद अध्यक्षा जोयेस बेसरा, जिला परिषद उपाध्यक्ष असीम मंडल ने भी सम्बोधित किया। सम्मेलन का धन्यवाद ज्ञापन करते हुए उप विकास आयुक्त शशि रंजन ने कहा कि संकल्प है कि पांच वर्षाें में अर्थात 2022 में सिद्धि तक ले जाना है।

मुगलसराय वाले बालक येसु से रू-ब-रू होने का मौका

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  • हां- हां नोवेना,चंगाई सभा और शोभा यात्रा में भाग ले सकते हैं, रेलवे मंत्रालय से विशेष व्यवस्था करने का आग्रह

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मुगलसराय (चंदौली)। यूरोपियन कॉलोनी में स्थित बाल येसु तीर्थ मंदिर। बालक येसु की प्रतिमा काष्ट की है। इसी को लेकर बाइजज्त झांकी निकाली जाती है।पल्ली पुरोहित एवं डायरेक्टर हैं फादर बिपिन सी.जे.।इनका कहना है कि जोरशोर से तैयारी जारी हैं। नोवेना प्रार्थना और त्रिदिवीस चंगाई प्रार्थना आयोजित है।सभी लोगों का स्वागत है।

महापर्व 3 दिसम्बर को
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ससंदीय क्षेत्र में है वाराणसी धर्मप्रांत। संत जेवियर का पर्व है 3 दिसम्बर। इसी दिन यानी 3 दिसम्बर,2017 को1 बजे से भव्य शोभा यात्रा निकालने का निश्चय किया गया है। दिल्ली महाधर्मप्रांत के महामहिम धर्माध्यक्ष अनिल कुट्टो एवं वाराणसी धर्मप्रांत के धर्माध्यक्ष यूजिन जोसेफ मिलकर मिस्सा बलिदाव अर्पित करेंगे। इनके साथ चमत्कारी बालक येसु का महापर्व एवं तीर्थयात्रा में हजारों की संख्या में मौजूद भक्तगण ख्रीस्तयाग  में शिरकत करेंगे। इन पर पवित्र जल का छिड़काव करेंगे बिशप।


नोवेना और मिस्सा बलिदान
तीर्थयात्रा कार्यक्रम के दरम्यान नोविना एवं पवित्र मिस्सा बलिदान से आत्मिक लाभ उठाये। जी 27 नवम्बर, 2017, शाम 5 बजे से डी एल डब्ल्यू एवं नगवा पल्ली के द्वारा नोविना प्रार्थना। 28  नवम्बर 2017, शाम 5 से मढ़ौली एवं लोहता पल्ली के द्वारा नोविना और  29 नवम्बर, 2017, 5 से संत मेरीज कैथिडल,शिवपुर एवं मवैया पल्ली द्वारा नोविना प्रार्थना।

त्रिदिवसीय चंगाई प्रार्थना
त्रिदिवसीय चंगाई प्रार्थना30 नवम्बर से 2 दिसम्बर, 2017 तक फादर अमित देव के द्वारा। प्रात: 9-12 तक प्रवचन। शाम में 4 -7 प्रवचन एवं आराधना । हर दिन 7.30 से ही मिस्सा बलिदान रामनगर के द्वारा 30 नवम्बर की तरह ,1 नवम्बर को चंदौली द्वारा और  2 नवम्बर को मुगलसराय में मिस्सा बलिदान अर्पित होगा।

विशेष ट्रेन की व्यवस्था हो
बिहार से भारी संख्या में मुगलसराय तीर्थयात्रा में जाते हैं। इसके आलोक में विशेष ट्रेन चलाने की जरूरत है। रेलवे मंत्रालय से आग्रह किया जा रहा है ।

सीहोर (मध्यप्रदेश) की खबर 05 सितम्बर

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शिक्षक दिवस सम्मान समारोह संपन्न 

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विधायक श्री सुदेश राय की अध्यक्षता एवं श्री मोहनलाल चेयरमेन उपाध्यक्ष जिला पंचायत सीहोर के मुख्य आतिथ्य में डाॅ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिवस पर स्कूल शिक्षा विभाग सीहोर द्वारा शिक्षक सम्मान समारोह शासकीय आवासीय खेलकूद संस्था सीहोर में 5 सितम्बर को संपन्न हुआ। कार्यक्रम में सर्वप्रथम अतिथियों ने सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। स्वागत भाषण जिला शिक्षा अधिकारी अनिल वैघ ने प्रस्तुत किया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए विधायक सुदेश राय ने गुरूओं का आशीर्वाद प्राप्त कर प्रगति के पथ पर आगे बढते रहने कि प्रेरणा प्रदान की।  कार्यक्रम में श्री मोहन लाल चेयरमेन ने शिक्षकों की परिभाषा को अपने शब्दों के माध्यम से प्रस्तुत किया। इस अवसर पर शिक्षा विभाग में अपना अतुलनीय योगदान देने वाले सेवानिवृत्त शिक्षकों का सम्मान शाल एवं श्रीफल देकर अतिथियों के द्वारा किया गया।



सम्मान प्राप्त करने वाले शिक्षक
कार्यक्रम में जिन शिक्षकों को सम्मानित किया गया उनमें श्रीमती शैलजा जोशी शिक्षक, श्रीमती उषा वर्मा शिक्षक,  श्री विश्राम सिंह सहायक शिक्षक, श्री देवकरण वर्मा सहायक शिक्षक, श्रीमती संुदरी मेधानी सहायक शिक्षक, श्री कमल सिंह प्रधानाध्यापक, कु. शहनाज खान शिक्षक, श्रीमती पुष्पा दुबे प्रधानाध्यापक, श्री रामचरण मालवीय प्रधानाध्यापक, श्रीमती प्रेमा राजपूत, श्री राजेन्द्र दीक्षित शिक्षक, श्री लाडसिंह परमार प्रधानाध्यापक, श्री पूरन सिंह खेलवाल प्रधानाध्यापक, श्री फूलसिंह ठाकुर शिक्षक,    श्री उमराव सिंह शिक्षक, श्री राजेन्द्र प्रसाद शिक्षक, श्री कन्हैयालाल सिसोदिया प्रधानाध्यापक, श्री उमराव सिंह ठाकुर शिक्षक, श्रीमती रत्ना देवी मानवास सहायक शिक्षक, श्री श्यामनारायण शर्मा प्रधानाध्यापक, श्री कचरू सिंह बकोदिया प्रधानाध्यापक शामिल है। इस अवसर पर सरिता राठौर, नीना दुबे, टी गौरी, व्ही एन पाल, अशोक दुबे, माधव सिंह यादव, संजय सक्सेना, आशीष शर्मा, सतीश त्यागी, प्रदीप नांगिया, दीपक बिसोरिया, अरूशेन्द्र शर्मा, दिलीप राठौर, एच एन मिश्रा उपस्थित थे। अंत में आभार   श्री आलोक शर्मा ने व्यक्त किया।

शिषक ही करते है बेहतर जीवन का निर्माण : आनंद कटारिया 

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भारत के पूर्व राष्ट्रपति डा. राधाकृष्णन के जन्म दिवस को शिषक दिवस के रूप में मनाया जाता है| शिषक ही बच्चो को पीडीए लिखा कर जीवन जीने के अच्छे संस्कार देते है| आज शिषक दिवस के उपलक्ष्य में सीहोर जिला भारतीय राष्ट्रिय छात्र संगठन ने नगर के विभिन्न महाविधालय में पहुच कर शिषको का सम्मान कर शिषक दिवस मनाया | एन.एस.यू.आई कार्यकर्ता शासकीय चन्द्रशेखर आजाद महाविद्यालय पहुचे और प्राचार्य श्रीमती पुष्पा दुबे और प्राचार्य श्री मती उर्मिला सलूजा को साल श्री फल से सम्मान कर पुष्पगुच्छ भेट किया | ईएसआई प्रकार एन.एस.यू.आई कार्यकर्ताओ ने अन्य शिषण संस्थानों में पहुच कर शिषाको का सम्मान किया | इस अवसर पर यूथ कांग्रेस अध्यक्ष राजीव गुजराती एन.एस.यू.आई जिलाध्यक्ष आनंद कटारिया यूथ कांग्रेस आईटी सेल के प्रदेश सचिव मनीष कटारिया, पी.जी कालेज अध्यक्ष देवेन्द्र ठाकुर, कमलेश यादव मुस्तुफा अंजुम, सोनू विश्वकर्मा, दीपक सिसोदिया, यश यादव, अनुभव सेन, उत्तम जायसवाल, सोहेल लाला, दीपक मालवीय, देवराज सोलंकी, अखलेश बडोदिया, राहुल ठाकुर, सतप्रित कोर, भारती दोसिया आदि कार्यकर्ता उपस्थित थे |  
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