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कारों पर जीएसटी उपकर की बढ़ी दर कल से होगी लागू

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नयी दिल्ली 10 सितंबर, सरकार ने आज घोषणा की कि मध्यम और लक्जरी तथा एसयूवी श्रेणी की कारों पर वस्तु एवं सेवा कर की बढी हुई दरें कल यानी 11 सितंबर से लागू हो जाएंगी।केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड ने ट्वीट करके कहा कि खास मोटर वाहनों पर क्षतिपूर्ति उपकर में वृद्धि की अधिसूचना 11 सितंबर 2017 को जारी की जाएगी और यह उसी दिन आधी रात से प्रभावी हो जाएगी। वित्त मंत्री अरूण जेटली की अध्यक्षता में जीएसटी परिषद ने कल यहां हुई बैठक में मझौली कारों पर जीएसटी उपकर में दो प्रतिशत, बड़ी कारों में पांच प्रतिशत और एसयूवी पर सात प्रतिशत की बढ़ोत्तरी करने का फैसला किया था।


विशेष : बेरोकटरोक पुलिस का डंडा, नीट के खिलाफ 'जस्टिस फॉर अनीता'पर रोक।

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  • गलत कौन है-संविधान, संविधान लागू करने वाली सरकार या सुप्रीम कोर्ट?

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संविधान के अनुच्छेद 21 में सम्पूर्ण गरिमा के साथ जीवन जीना प्रत्येक व्यक्ति का मौलिक अधिकार है। संविधान के अनुच्छेद 226 एवं 32 में नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करने की गारण्टी न्यायपालिका के कंधों पर है। बावजूद इसके सम्पूर्ण भारत में हर दिन पुलिस लोगों को बेइज्जत करते हुए बेरहमी से डंडा बरसाती रहती है। एक आम नागरिक से लेकर समस्त जनप्रतिनिधि, मंत्री, मुख्यमंत्री, राज्यपाल, प्रधानमंत्री, जज और राष्ट्रपति तक, सब के सब जानते हैं कि हर दिन संविधान को तार-तार करते हुए पुलिस हर रोज सरेराह लोगों पर डंडा बरसाती रहती है। मगर किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता है, क्योंकि पुलिस के डंडे का बार केवल आम लोगों पर होता है।


इसके विपरीत 8 सितम्बर, 2017 को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अरुण मिश्रा, सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील सूरतसिंह को प्रस्तुत मामले में जिरह करने से वंचित करते हुए याचिका को निरस्त कर देते हैं। साथ ही 50 हजार का जुर्माना भी लगा देते हैं। केवल इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अरुण मिश्रा को वरिष्ठ वकील सूरतसिंह को द्वारा जिरह करने की मांग करने से इतना अपमान और असम्मान महसूस होता है कि न्यायिक अवमानना की धमकी देते हुए वकील को जेल भेजने की धमकी देते हैं। जबकि उसी सु्प्रीम कोर्ट के समक्ष न्याय की आस में हत्या के हजारों मुकदमें दशकों तक लम्बित पड़े रहते हैं। दशकों बाद अनेक आरोपियों को निर्दोष मानकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा रिहा कर दिया जाता है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट निर्दोष करार दिये जाते समय किसी भी निर्दोष व्यक्ति के सम्मान या जीवन की भरपाई करने के लिये कभी कोई आदेश जारी नहीं करता है? शायद ऐसे लोगों का सम्मान सुप्रीम कोर्ट को याद ही नहीं रहता है?

देशभर में सरेआम लोगों के साथ विभेद और अत्याचार जारी है! क्या यही वजह है कि राजस्थान की राजधानी जयपुर के रामगंज बाजार में 8 सितम्बर, 2017 को ही अकारण ही पुलिस का जवान एक बाइक सवार निर्दोष व्यक्ति पर डंडा बरसा देता है? जिसकी कड़ी प्रतिक्रिया होती है। आम लोग भड़क जाते हैं और जयपुर जल उठता है! इसके बावजदू सभी संवैधानिक संस्थान मौन साधे रहते हैं! एक ओर सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस को अपने सम्मान की रक्षा करने की इतनी चिन्ता है कि जज की कुर्सी पर बैठकर वरिष्ठ वकील को जेल भेजने की धमकी दी जाती है। दूसरी ओर पुलिस बेरोकटोक लोगों पर डंडा बरसाती रहती है। पुलिस पीड़ितों के मुकदमें तक दायर नहीं करती है और हत्यारें, चोर, डकैत और सफेदपोश लोगों को संरक्षण प्रदान किया जाता है।

ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि संविधान के अनुच्छेद 21 में गरिमापूर्ण जीवन जीने का मूल अधिकार किसको दिया गया है? अपने सम्मान के लिये उतावली न्यायपालिका जानवरों की भांति लोगों पर डंडा बरसाने वाली पुलिस के विरुद्ध कभी स्वयं संज्ञान क्यों नहीं लेती है? ऐसे मामलों में पुलिस तथा सरकारों के विरुद्ध संविधान प्रदत्त मूल अधिकारों की अवमानना की कार्यवाही नहीं की जाती है! क्या सुप्रीम कोर्ट को केवल अपनी स्वघोषित और स्वपरिभाषित अवमानना की तुलना में संविधान द्वारा प्रदत्त मूल अधिकारों अवमानना की कोई परवाह नहीं है? यदि ऐसा नहीं है तो ऐसा क्यों हो रहा है? जनता को पूछने का हक है कि इस सब के लिये कौन जिम्मेदार है?


'जस्टिस फॉर अनीता'नाम से तमिलनाडू में नीट के खिलाफ जारी प्रदर्शनों को भी 8 सितम्बर, 2017 को ही सुप्रीम कोर्ट द्वारा गलत मानते हुए, प्रदर्शनों को रोकने के आदेश जारी किये जाते हैं। यहां यह उल्लेखनीय है कि लोक सेवकों द्वारा हड़ताल करने को असंवैधानिक ठहरा चुके सुप्रीम कोर्ट द्वारा-ओबीसी को उच्च शिक्षण संस्थानों में आरक्षण प्रदान करने के खिलाफ हड़ताल करने वाले अनारक्षित वर्ग के लोक सेवकों की असंवैधानिक और गैर कानूनी हड़ताल को सही ठहराते हुए सप्रीम कोर्ट केन्द्र सरकार को आदेश जारी कर चुका है कि हड़तालियों को सरकारी सेवा से अनुपस्थित मानकर, उनका वेतन काटने का निर्णय लेकर केन्द्र सरकार हड़तालियों के प्रति निर्मम नहीं हो सकती है? आरक्षण के विरुद्ध हड़ताल करने वालों को ड्यूटी पर माना जावे और उनको पूर्ण वेतन दिया जावे। वही सुप्रीम कोर्ट 'जस्टिस फॉर अनीता'की मांग पर रोक लगा देता है! क्या यही लोकतंत्र है?

इन सब हालातों में देश के लोगों को क्या यह सवाल पूछने का हक नहीं है कि गलत कौन है-संविधान, संविधान लागू करने वाली सरकार या सुप्रीम कोर्ट? इस सवाल का जवाब तो तलाशना ही होगा? क्योंकि लोकतंत्र का दूसरा नाम सवाल पूछने की आजादी है!




-डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश'-राष्ट्रीय प्रमुख-हक रक्षक दल
(HRD Mission-90 For MOST) 
संपर्क : 9875066111, 09092017

विशेष आलेख : सर्वप्रिय अद्भुत व प्राणों को सर्वाधिक शुद्ध करने वाला वृक्ष पीपल

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सभी वय के लोगों के लिए परिचित, सर्वप्रचलित और सर्वप्रिय भारत के प्रसिद्ध वृक्ष पीपल की महिमा वेद , पुराण, चरक, सुश्रुत और निघण्टु आदि आयुर्वेद शास्‍त्रों में सर्वत्र गाई गई है, वहीं अतिप्राचीन काल से ही छोटे- बड़े वैद्य, चिकित्सक, ग्रामीणों के द्वारा पीपल के विभिन्न भागों अर्थात अंगों का औषध रूप में प्रयोग किये जाते रहने के कारण लोगों में बिश्वास है कि पीपल अनेक रोगों के लिए स्वयं औषध ही नहीं, अपितु औषधालय का भी रूप है। प्राचीन काल से ही नीम, बड़ और पीपल इन तीन वृक्षों को एक साथ लगाने की परिपाटी है, जिसे त्रिवेणी की संज्ञा प्रदान की गई है। यह दुःखों, रोगों से छुड़ाकर सुखी करने वाला और सच्चे तीर्थ का फल देने वाला कार्य करता है। विदेशों में इस बात पर हैरत प्रकट करते हुए कहा जाता है कि भारत देश में पीपल का ऐसा वृक्ष है, जो प्राणवायु अर्थात आक्सीजन प्रदान दिन में तो करता ही है रात में भी प्रदान करता है, जबकि अन्य सभी वृक्ष रात्रि में विषैला घातक वायु (कार्बन) छोड़ते हैं । इसीलिये पीपल की सर्वश्रेष्ठता को प्रदर्शित करते हुए श्रीमद्भगवद्गीता 10-26 में श्रीकृष्ण ने कहा है कि समस्त  वृक्षों में सर्वश्रेष्ठ पीपल का वृक्ष और देवर्षियों में अर्थात् जो देव होकर मन्त्रों के द्रष्टा होनेके कारण ऋषिभावको प्राप्त हुए हैं, उनमें मैं नारद हूँ। गन्धर्वों में मैं चित्ररथ नामक गन्धर्व हूँ, सिद्धों में अर्थात् जन्म से ही अतिशय धर्म, ज्ञान,वैराग्य और ऐश्वर्य को प्राप्त हुए पुरुषों में मैं कपिलमुनि हूँ। गीता की इस उक्ति से यह स्पष्ट है कि वृक्षों में सर्वश्रेष्ठ गुणवाला होने के कारण पीपल सर्वश्रेष्ठ वृक्ष है। इसलिये धर्मवृक्ष, शुचिद्रुमः, याज्ञिकः, श्रीमान और पवित्रकः आदि अनेक नाम पीपल वृक्ष के निघन्टुओं में दिये गए हैं। महात्मा बुद्ध ने भी इस पीपल वृक्ष के नीचे ही बैठकर तपस्या की थी। इसी कारण गया में आज भी उपस्थित इस वृक्ष का नाम बोधिवृक्ष भी है क्योंकि इसके नीचे तपस्या करने से महात्मा बुद्ध को बोध अर्थात ज्ञान की प्राप्‍ति हुई थी।


पीपल वृक्ष का विस्तार व फैलाव तथा ऊँचाई बहुत होती है। पीपल का वृक्ष सौ फुट से भी अधिक ऊँचा देखने में मिलता है। विस्तार, फैलाव व ऊँचाई इतना कि सैकड़ों पशु- पक्षी व मनुष्य उसकी छाया में विश्राम कर सकते हैं। भारत में सर्वत्र उपलब्ध इस वृक्ष को पौराणिक बहुत पवित्र और पूज्य मानते हैं तथा इसे देववृक्ष अर्थात इसे देवताओं का वृक्ष मानते हैं। झारखण्ड, छतीसगढ़,उड़ीसा, असम आदि प्रदेशों में तो आश्विन कृष्ण पक्ष के अष्टमी, जिसे श्राद्ध अष्टमी भी कहते हैं, को निर्जला उपवास रख कर पीपल वृक्ष के तना (डाल) को आंगन के मध्य में गाड़कर नृत्य- गान व संगीत के मध्य एक पौराणिक कथा का श्रवण और विधिवत पूजन-अर्चा करते हुए जीवित्पुत्रिका व्रत का आयोजन पुत्रमयी माताओं के द्वारा किया जाता है और अपने संतानों व परिवार के उज्ज्वल भविष्य की कामना करती हैं। दूसरे दिन महिलाएँ चौबीस घंटे पश्चात उपवास तोड़ पारण करती हैं। इस बात को भले ही उनका अंधविश्वास व अंधश्रद्धा समझा जाये, किन्तु इसका मूल कारण है कि पीपल में अनेक दिव्य गुण हैं और प्राणवायु को शुद्ध करने का सबसे अधिक गुण इसमें पाया जाता है। इस कारण फुसफुस अर्थात फेफड़े के रोगों, क्षय अर्थात तपेदिक, श्वास (दमा), कास (खांसी) तथा कुष्ठ, प्लेग, भगन्दर आदि रोगों पर बहुत लाभदायक सिद्ध हुआ है। यही कारण है कि भारतीय इसे बहुत श्रद्धा से लगाते हैं, और देवता समझकर प्रतिदिन जल सींचते हैं। जोहड़ों, घरों के अंदर व बाहर, ग्रामों के आस-पास तथा खेतों तक में सर्वत्र बड़ी भारी संख्या में पीपल के पाए जाने का यही कारण है।

 पीपल का वृक्ष स्वयं भी अत्यन्त उदार अर्थात् परोपकारी वृक्ष है। इसके सम्बन्ध में कहा गया है -परोपकाराय फलन्ति वृक्षाः। इसकी छाया, फल, पत्ते, वल्कल अर्थात छाल और लकड़ी सभी प्राणियों के कार्य में आती है। इसकी दाढ़ी तो पुत्रदा होने से सर्वत्र प्रसिद्ध है । यह किसी सामान्य पीपल के वृक्ष में नहीं मिलती, इसलिए इसे लोग ढ़ूंढ़ते फिरते हैं। बहुत ढ़ूंढ़ने से किसी पीपल में पीपल की दाढ़ी मिलती है जो पुत्रदा होती है। इस दाढ़ी के प्रयोग अत्यंत फलप्रद हैं। इसके मूल से लेकर चोटी तक सब कुछ औषध रूप में कार्य में आता है। अतः इसको यज्ञिय वृक्ष कहते हैं। सभी प्राणियों को यह सुख ही देता है इसीलिए इसको देवता भी कहते हैं। सबको जो सुख देवे उसे देवता कहना उचित ही है। अनेक दिव्य गुणों का भंडार होने से भी यह देवता कहलाता है। वेद में भी फल के स्थान पर पिप्पल शब्द का ही प्रयोग किया है -

द्वा सुपर्णा सयुजा सखाया समानं वृक्षं परिषष्वजाते ।
तयोरन्यः पिप्पलं स्वाद्वत्त्यनश्‍नन्नन्यो अभि चाकशीति ॥
-ऋग्वेद मण्डल 1 सूक्त 164 मन्त्र 20

अर्थात -दो सदैव साथ रहने वाले सखा (मित्र) पक्षी हैं। दोनों एक ही वृक्ष (प्रकृति) पर निवास करते हैं। इनमें एक पक्षी जीवात्मा है जो इस वृक्ष के फल (पिप्पल) को स्वाद लेकर खाता है। दूसरा पक्षी परमात्मा इस जीव के अपने मित्र के अच्छे बुरे कर्मों को साक्षी रूप में देखता है और इसके अच्छे बुरे कर्मों का फल सुख तथा दुःख के रूप में सदैव देता ही रहता है। यहां फल के स्थान पर पिप्पल (पीपल) का प्रयोग किया गया है। प्रकृति जीवात्मा के भोग के रूप में कार्य में आती है, यही इसका पिप्पल (पीपल) रूपी फल है।

 वेद में अश्वत्थ, पीपल के विषय में अनेक मन्त्र मिलते हैं। पीपल को संस्कृत में पिप्पलः कहा जाता है। इसके अनेक नाम हैं। धन्वन्तरीय निघण्टु 78- 79 में पीपल के विभिन्न नामों का अंकन करते हुए कहा गया है कि पीपल के अन्य नाम पिप्पल, केशवावास, चलपत्र, पवित्रक, मंगल्य, श्यामलः, अश्‍वत्थ, बोधिवृक्ष, गजाशन, श्रीमान्, क्षीरद्रुमः, विप्र, शुभद, श्यामलश्छद, गुह्यपत्र, सेव्य, सत्य, शुचिद्रुम, चैत्यद्रुम, वनवृक्ष, चन्द्रकर, मिताह्वय आदि हैं। इसके अतिरिक्त गुरु, गुह्यपुष्प, कपीतन, कृष्णावास, महाद्रुम, नागबन्धु, वृक्षराज, नारायणम् आदि अनेक नाम और भी इस पीपल वृक्ष के अन्य निघन्टुओं में मिलते हैं। वक्षों में सर्वश्रेष्ठ होने से वृक्षराज, धर्मवृक्ष आदि भी इसके नाम दिये हैं। संस्कृत भाषा में पिप्पलः, अश्वत्थः आदि दो दर्जन से अधिक नाम हैं। हिन्दी में पीपल, पीपली, गुजराती में  पीप्पलो, पीपुलजरी, बंगाली में अश्वत्थ, असुद, असवट, पंजाबी में भोर, पीपल, तामिल में अचुक्तम्, अटास, अरशमरस, अस्वत्तम्, कुजीरावनम् इत्यादि, तेलगू में अश्वथ्यम्, बोधि, रावीचेट्ट आदि, फारसी में दरख्त-तेरजो, अंग्रेजी में पीपल ट्री और लैटिन में Ecus  Religiuse कहते हैं।


अथर्ववेद में अश्वत्थ सम्बन्धी पांच मन्त्र अंकित प्राप्य हैं पीपल के गुणों तथा औषध रूप सेवन से लाभादि का वर्णन अंकित हैं। अथर्ववेद काण्ड 5, सूक्त 4, मन्त्र 3 में पीपल की महिमा गान करते हुए कहा गया है - 

अश्वत्थो देवसदनस्तृतीयस्यामितो दिवि।
तत्रामृतस्य चक्षणं देवाः कुष्ठमवन्वत॥
- अथर्ववेद काण्ड 5, सूक्त 4, मन्त्र 3

अर्थात- अश्वत्थ वृक्ष की छाया देवताओं के बैठने योग्य है । जहां वीर और उनके अश्वों के बैठने योग्य पीपल की छाया है, वहां देवताओं को भी ब्राह्मणों और विद्वानों के लिए पीपल वृक्ष की छाया बहुत हितकारक है । इसलिये पीपल को देवसदन कहते हैं । वीरों और विद्वानों के ठहरने का स्थान है, यह स्थान मध्यम और निकृष्ठ अवस्था से परे है । अर्थात् द्वितीय वा तृतीय दर्जे का यह स्थान नहीं, यह सर्वोत्तम प्रकार का स्थान है । श्रेष्ठ गति वालों का यह उत्तम स्थान है । इसके सेवन से अमृत की (शुद्ध प्राणों की) शुद्ध वायु की प्राप्‍ति होती है । देव विद्वान् लोग पीपल के स्थान की, रोगनाशक स्थान की प्राप्‍ति की मांग करते हैं ।
  
इसी प्रकार का इससे मिलता-जुलता एक मन्त्र और अथर्ववेद काण्ड 6, सूक्त  95, अनुवाक 20 में भी अंकित है। वेद में पीपल को पुत्रदा औषध की संज्ञा प्रदान की गई है। पुत्रदा योग के सम्बन्ध में पीपल की महिमा मण्डन करते हुए अथर्ववेद काण्ड 6 सूक्त 11 मन्त्र 1 में कहा है - 

शमीमश्वत्थ आरूढस्तत्र पुंसवनं कृतम्।
तद्वै पुत्रस्य वेदनं तत्स्त्रीष्वा भरामसि ॥
- अथर्ववेद काण्ड 6 सूक्त 11 मन्त्र 1

अर्थात - जो अश्वत्थ (पीपल) का वृक्ष शमी वृक्ष पर उत्पन्न होकर आरूढ रहता है अर्थात् जो पीपल का वृक्ष शमी वृक्ष के ऊपर उगता है और उसी पर बड़ा होकर रहता है, चढा रहता है, उस पर ही सवार रहता है (जिसकी जड़ भूमि में नहीं जाती), वह पीपल का वृक्ष पुंसत्व शक्ति देने वाला होता है । वह पुत्रदा अर्थात् पुत्रोपन्न करने वाला होता है । इसका औषध रूप में सेवन किया जाये तो पुत्र की प्राप्ति करवाता है । ऐसे पीपल के फल, छाल, पत्र और दाढी, बल्कल आदि का स्त्रियों को सेवन कराने से उनका बांझपन दूर होता है और पुत्र की प्राप्ति होती है । 
  
पीपल के विभिन्न गुणों का उल्लेख करते हुए अथर्ववेद काण्ड 4, सूक्त 37 मन्त्र 4 में कहा है कि जिन स्थानों पर पीपल, बड़ आदि ऊंचे ऊंचे महावृक्ष होते हैं वहां पर अश्वारोही बलवान योद्धा होते हैं । पीपल के, बड़ के वृक्षों के नीचे उनके अश्व तथा वे स्वयं भी विश्राम करके सब रोगों से मुक्त रहते हैं । आकाश में दूषित वायु से उत्पन्न होने वाले छूत के रोगों, प्लेग, चेचक, हैजा, ज्वर आदि से वे सुरक्षित रहते हैं क्योंकि वे "प्रतिबद्धा"ज्ञानी जागरूक रहने वाले होते हैं । वे इन पीपल, वट आदि महावृक्षों के गुणों से परिचित होकर इनको औषध रूप में सेवन करते हैं तथा इन महावृक्षों की छाया, फल, फूल, दूध, पत्तों की शक्तिशाली औषध का सेवन करके मिरगी, अपस्मार, पागलपन आदि रोगों से बचे रहते हैं तथा विद्वान प्रतिबद्ध जागरूक होकर सुखी रहते हैं ।

अथर्ववेद काण्ड 19 सूक्त 39 मन्त्र 6 के अनुसार पीपल का वृक्ष देव विद्वान् ब्राह्मण संन्यासियों और वीर क्षत्रियों के बैठने तथा ठहरने का सर्वोत्तम स्थान है । यह मध्यम वा निकृष्ठ स्थानों से सर्वथा परे है अर्थात् सर्वोत्तम है । वहां सर्व प्रकार के रोगों दुःखों की निवृत्ति होती है तथा सर्व प्रकार के रोगों से छुटकारा मिलता है और अमृत रूपी आनन्द के दर्शन, प्राप्‍ति होती है । कुष्ठ और ज्वारादि रोग दूर होते हैं । सब की पीड़ायें दूर होती हैं। 

पीपल वृक्ष को सदा से ही सर्वश्रेष्ठ ,पूज्य और देववृक्ष माने जाने का मुख्य कारण यह है कि यह यज्ञीय वृक्ष है, अर्थात इसका प्रत्येक भाग सभी प्रणियों के लिये और विशेष रूप से मानव के कल्याणार्थ व उपादेय है। इसकी छाया अत्यंत शीतल व सुखद, पत्र कोमल, चिकने हरे रंग के आंखों को सुहाने लगने , फल पकने पर मधुर तथा स्वादु लगते हैं। औषध के रूप में इसके पत्र, त्वक, फल, बीज, दुग्ध (लाख), लकड़ी आदि इसका प्रत्येक अंग व अंश हितकर है। इसकी लकड़ियाँ भी यज्ञ में समिधा के रूप में काम आती हैं। दैनिक यज्ञ करने वाले को तोड़ने की आवश्यकता नहीं रहती, क्योंकि पीपल वृक्ष की छोटी-छोटी तथा पतली-पतली लकड़ियां स्वयं सूख कर झड़तीं रहतीं हैं, जो पीपल के वृक्ष के नीचे पड़ी हुई स्वयं मिल जातीं हैं। पीपल वृक्ष की आयु भी लम्बी होने के कारण यह लम्बे समय तक सुख देने वाला है, सर्व हितकर है । इसीलिये इसे देववृक्ष, यज्ञीयवृक्ष और पूज्य वृक्ष मने जाने से यह सर्वप्रिय वृक्ष बन गया है । यह भारत का अद्‍भुत् वृक्ष है जो प्राणों को सबसे अधिक शुद्ध करने वाला तथा शक्तिदायक है । सब वृक्षों में सबसे अधिक जीवन शक्ति आक्सीजन प्रदान करता है इसीलिये इसको घर और मन्दिरों सभी स्थानों पर श्रद्धा से लगाया जाता है । चैत्यद्रुम अर्थात मंदिरों का वृक्ष, विप्रः , शुभदः और मंगल्यः आदि इसके नाम हैं । एक और नाम है केशवावासः अर्थात श्रीकृष्ण  केशव, इस के नीचे आवास करते रहते थे । हाथी का प्रिय भोजन होने से गजाशनः, गजभक्षकः आदि भी नाम पीपल के हैं ।

पीपल के गुण का बखान करते हुए पुरातन ग्रन्थों में कहा गया है कि पीपल का वृक्ष रक्त, पित्त और कफ के रोगों को दूर करने वाला है। राजनिघन्टु में पीपल के गुण का वर्णन करते हुए कहा गया है कि पीपल सुमधुर (खूब मीठा स्वादिष्ट), कषायः (कषैला), शीतल (ठण्डा), कफ और पित्त रोगों का विनाश करने वाला है । रक्त सम्बंधी रोगों तथा दाह (जलन) को शान्त करने वाला है और योनिसंबन्धी स्‍त्री रोगों को तुरन्त शान्त करने वाला है । इसी में फलों के गुण का भी वर्णन करते कहा गया है कि पीपल वृक्ष के पके हुये फल हृदय रोगों को शान्त करने वाले और शीतल होते हैं । पित्त, रक्त और विष के कष्ट को दूर करते हैं । दाह, वमन, शोथ, अरुचि आदि रोगों को दूर करते हैं । फल पाचक, आनुलोमिक, संकोच, विकास-प्रतिबन्धक और रक्त शोधक हैं । आयुर्वेदिक ग्रन्थों के अनुसार पीपल मधुर, शीतल, कषैला, दुर्जर, भारी, रूखा, कान्ति को उज्जवल करने वाला, कड़वा, योनिशोधक और रक्तदोष, दाह (जलन), पित्त, कफ और व्रण (फोड़ों) जख्मों को ठीक और दूर करने वाला है ।

पीपली का वर्णन करते हुए राजनिघन्टु में कहा गया है कि पीपली छोटे पत्तों वाली - ह्रस्वपत्रिका भी इसका नाम है । पवित्रा, पिप्पलिका, क्षुद्रा और वनस्था इसके नाम हैं । पीपल के समान गुण वाली पिप्पलिका अर्थात पीपली भी होती है । पिप्पली (पीपली) मधुर, कशाय (कषैली), रक्तपित्त के दोषों को जीतने वाली है। विष विकारों तथा दाह (जलन) को शमन करने वाली है । कुछ भारी तथा हितकारी होती है। भावप्रकाश निघण्टु में पीपल को भारी, देर से पचने वाला, शीतल, कषैला, रूखा, व्रण (फोड़ों) जख्मों को ठीक करने वाला, योनि को शुद्ध करने वाला और पित्त, कफ, व्रण तथा रक्त विकार को नष्ट करने वाला कहा गया है। व्यवहार में पीपल के पत्र, त्वक् (छाल), फल, बीज, दुग्ध, लाख और दाढ़ी के रूप में प्रयुक्त होता है । इसके पत्ते कोमल, चिकने, हरित पाण्डुर वर्ण के होते हैं । पत्रवृन्त (डंठल) पतला, लम्बा होता है । पत्राकृति पान के समान किन्तु विशेष नोकदार शिरापूर्ण होती है । पुष्प इसके गुह्य (गुप्‍त) होने से इसका नाम गुह्यपुष्पक है । चैत्र में अर्थात पतझड़ के काल में इसके पत्ते झड़ जाते हैं और वर्षा से पूर्व ही कोमल पत्तों से पुनः शोभित हो जाता है । फल बहुत लगते हैं । जब कच्चे होते हैं तो हरे और पकने पर हल्के रक्त वर्ण के होते हैं । फलों का स्वाद मधुर होता है और वे गुणकारी होते हैं । इसका दूध बहुत ही शीघ्र रक्तशोधक, वेदनानाशक, शोषहर होता है । दूध का रंग सफेद होता है । कोमल पत्तों का लेप व्रण पर हितकारक होता है । लाख पुराने पेड़ों पर लगती है जो रक्तशोधक, रंजक, शीतल तथा ज्वर और निर्बलता को दूर करती है । लाक्षादि वा महालाक्षादि तैल में इसी पीपल की लाख का ही प्रयोग होता है, जो बहुत गुणकारी है। इस प्रकार प्रत्येक भाग पीपल का हितकारी होता है। इसी कारण पीपल का वृक्ष सब वृक्षों में श्रेष्ठ, पूज्य, पवित्र और गुणकारी माना गया है। इस महान गुणकारी व लोकहितकारी पीपल के विषय में वेद में कहा है -

अश्वत्थे वो निषदनं पर्णे वो वसतिष्कृता ।

वेद में आये पीपल के इस अश्वत्थ नाम की निरुक्ति और अर्थ इस प्रकार किया गया है - अश्वत्थः श्‍वः स्थास्यति न स्थास्यति वा । अर्थात् जिस प्रकार असार संसार में हमें पता नहीं हम कल रहेंगे वा नहीं इसका कोई ज्ञान नहीं । इसी प्रकार पीपल वा पीपल के पत्तों का यह पता नहीं कि वह कल रहेगा वा नहीं। इसीलिये चलपत्र पीपल का नाम है । इसके पत्ते सदैव चलते हिलते रहते हैं, गति में रहते हैं। वे स्थायी नहीं हैं। प्रतिवर्ष पतझड़ में चले ही जाते हैं, फिर नये पत्ते फूट आते हैं। इसीलिये पीपल के पत्तों का भी पता नहीं वे कल रहेंगे वा नहीं। जब पीपल बहुत पुराना भारी हो जाता है तब इसका भी पता नहीं होता वह कल रहेगा वा नहीं । इसीलिये इसका अश्वत्थ नाम है । इस विनाशशील संसार में पीपल वा पीपल के पत्ते समान संसार में हम सब का जीवन अनित्य है। सदा रहने वाला नहीं। अतः सावधान रहकर धर्माचरण करने की ही अश्वत्थ से शिक्षा मिलती है।




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अशोक “प्रवृद्ध”
करमटोली , गुमला नगर पञ्चायत ,गुमला 
पत्रालय व जिला – गुमला (झारखण्ड)

बिहार : मिस्सा बलिदान के बाद ईसाई धर्मरीति के अनुसार दफन

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पटना। प्रोफेसर प्रभा पौल का निधन हो गया हैं। मुंगेर में स्थित बी.आर.महिला कॉलेज की कमेस्ट्री डिपार्टमेंट की प्रोफेसर थीं। 7 सितम्बर को प्रथम सिवियर हार्ट अटैक पड़ने के बाद लोकल चिकित्सक से दिखाया। वहां से रेफर पटना किया गया। मगध हॉस्पिटल में दम तौड़ा। मगध हॉस्पिटल से प्रो.प्रभा को बांसकोठी स्थित विजय पौल के आवास पर लाया। संपूर्ण तैयारी कर प्रो.प्रभा को दर्शनार्थ रखा गया। प्रो.प्रभा का पिताजी का नाम फ्लोरियन पौल हैं। इनके 5 पुत्री और 2 पुत्र हैं। विजय पौल नामक भाई दामाद के घर ऑस्ट्रेलिया गये हैं। सपरिवार सालभर बाद आएंगे। भाई-भाभी ने ऑस्ट्रेलिया से बहन को हार्दिक श्रद्धांजलि अर्पित की है। परिवार वालों का कहना है कि प्रथम ह्दयाघात होने पर समझा गया कि गैस की समस्या है। इसके बाद लोकल चिकित्सक से दिखाया। उसने 12 घंटे के बाद रेफर किया। पटना के मगध हॉस्पिटल में भर्ती करायी। स्थिति की गंभीरता के आलोक में आईसीयू में चिकित्सक चिकित्सा शुरू किये। 33 घंटे के बाद कार्डियक मोनिटर पर रखी गयी। कुल 40 घंटे सेवा करवाने के पश्चात अलविदा कह कर दुनिया से प्रो. प्रभा पौल विदा हो गयी। उस समय 4 बज रहा था। 64 साल की थीं।


परिजनों ने यह बताया कि रविवार को बांसकोठी से शव यात्रा 10.30 बजे प्रारंभ कर कुर्जी चर्च में लाया जाएगा। यहां पर 11 बजे पवित्र मिस्सा बलिदान अर्पित किया जाएगा। मिस्सा बलिदान के बाद ईसाई धर्मरीति के अनुसार कुर्जी कब्रिस्तान में दफन कर दिया जाएगा। निधन की खबर मिलते ही 64 वर्षीय प्रो. प्रभा पौल को श्रद्धांजलि अर्पित करने अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष एम्ब्रोस पैट्रिक, बीजेपी के   अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश मंत्री राजन क्लेमेंट साह आदि पहुंचे। दिवगंत आत्मा की शांति के लिये दुआ किये। इस बीच कुर्जी चर्च के सहायक पल्ली पुरोहित फादर देवाशीष प्रसाद को सूचना दी गयी। सूचना के आधार पर फादर पहुंचे आवास पर प्रार्थना की और पवित्र जल का छिड़काव किया।

बिहार : भाकपा का जुझारू जन सत्याग्रह का आयोजन

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पटना, 10 सितम्बर, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की बिहार राज्य परिषद के आह्वान पर आगामी 5 और 6 अक्टूबर को राज्य के सभी जिला मुख्यालयों (समाहरणालयों) पर जुझारू जन सत्याग्रह के आयोजन कर केन्द्र और राज्य सरकार की जनविरोधी नीतियों का विरोध करते हुए आम आदमी पक्षी विकास माॅडेल अपनाने और आम आदमी की ज्वलंत समस्याओं का निदान करने की मांग की जाएगी। उक्त जन सत्याग्रह की तैयारियों के प्रथम चरण में विगत 1 से 10 सितम्बर तक गांवों में पार्टी इकाइयों की तरफ से पदयात्रा के आयोजन कर जनसत्याग्रह के मुद्दों की जानकारी देने के साथ-साथ बाढ़-सुखाड़ एवं अन्य समस्याओं के संबंध में जमीनी स्तर पर तथ्य जुटाने के काम में साढे़ तीन हाजर से अधिक कम्युनिस्ट कार्यकत्र्ताओं की टोलियों ने व्यापक जनसंपर्क किया। तैयारी के दूसरे चरण में 11 से 20 सितम्बर तक राज्य के सात कोनों से सात जीप जत्थे निकालकर व्यापक प्रचार-प्रसार के लिए हजारों छोटी-बड़ी सभाओं को पार्टी के राज्य नेताओं का अभियान दल संबोधित करेगा और आम लोगों से जनसत्याग्रह में शामिल होने की अपील करेगा। आज राजधानी पटना स्थित जनषक्ति भवन परिसर से लाल झंडों व रंगारंग बैनरों से सजे जीप जत्थों को पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य वरिष्ठ कम्युनिस्ट नेता एम. जब्बार आलम ने लाल झंडे सौंप कर फ्लैग आॅफ किया। रातों रात ये जत्थे अपने गंतब्य पर पहुंच जाएंगे, जहां से 11 सितम्बर से कार्यक्रम आरंभ होना है। उपरांत इसके 2, 3 ,4 अक्टूबर को तैयारियों के तीसरे चरण में सभी जिलों में प्रचार गाड़ियाँ दौड़ेंगी और जनसत्याग्रह को सफल बनाने की अंतिम अपील आम जनगण से करेगी। 5-6 अक्टूबर को लगातार दो दिनों तक राज्य के सभी समाहरणालयों का काम-काज ठप्प किया जाएगा।

आलेख : देश में न्याय की उम्मीद जगाते हाल के फैसले

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आज फिर से इस देश के जनमानस को इस देश की कानून व्यवस्था पर भरोसा होने लगा है कि न्याय की देवी की आँखों पर जो पट्टी अबतक इसलिए बंधी थी  कि वह सबकुछ देख कर अनदेखा कर देती थी  लेकिन अब  इसलिए बंधी होगी कि उसके सामने कौन खड़ा है इससे उन्हें कोई मतलब नहीं होगा और उनकी नज़र में सब बराबर हैं यह  केवल एक जुमला नहीं यथार्थ होगा।


अभी हाल ही में भारत में कोर्ट द्वारा जिस प्रकार से फैसले दिए जा रहे हैं वो देश में निश्चित ही एक सकारात्मक बदलाव का संकेत दे रहे हैं। 24 साल पुराने मुम्बई बम धमाकों के लिए अबु सलेम को आजीवन कारावास का फैसला हो या 16 महीने के भीतर ही बिहार के हाई प्रोफाइल गया रोडरेज केस में आरोपियों को दिया गया उम्र कैद का फैसला हो , देश भर में लाखों अनुनाईयों और राजनैतिक संरक्षण प्राप्त डेरा सच्चा सौदा के राम रहीम का केस हो या फिर देश के अल्पसंख्यक समुदाय से जुड़े तीन तलाक का मुकदमा हो। इन सभी में कोर्ट द्वारा दिए गए फैसलों ने देश के लोगों के मन में न्याय की धुंधली होती तस्वीर के ऊपर चढ़ती धुंध को कुछ कम करने का काम किया है। देश के जिस आम आदमी के मन में अबतक यह धारणा बनती जा रही थी कि कोर्ट कचहरी से न्याय की आस में जूते चप्पल घिसते हुए पूरी जिंदगी निकाल कर अपनी भावी पीढ़ी को भी इसी गर्त में डालने से अच्छा है कि कोर्ट के बाहर ही कुछ ले दे कर समझौता कर लिया जाए। वो आम आदमी जो लड़ने से पहले ही अपनी हार स्वीकार करने के लिए मजबूर था आज एक बार फिर से अपने हक और न्याय की आस लगाने लगा है। जिस प्रकार आज उसके पास उम्मीद रखने के लिए कोर्ट के हाल के फैसले हैं इसी प्रकार कल उसके पास उम्मीद खोने के भी ठोस कारण थे। उसने न्याय को बिकते और पैसे वालों को कानून का मजाक उड़ाते देखा था।


उसने एक अभिनेता को अपनी गाड़ी से कई लोगों को कुचलने के बाद और हिरण का शिकार करने के बावजूद उसे कोर्ट से बाइज्जत बरी होते देखा था। उसने दिल्ली के उपहार सिनेमा कांड में 18 साल बाद आए फैसले में आरोपियों को सज़ा देने के बजाए दिल्ली सरकार को मुआवजा देकर छोड़ने का फैसला  देखा था। उसने भोपाल गैस त्रासदी में लाखों लोगों के प्रभावित होने और 3787 लोगों के मारे जाने के बावजूद ( हालांकि अनाधिकृत संख्या 16000 के ऊपर है) उस पर आने वाला बेमतलब का फैसला देखा था।

उसने जेसिका लाल की हत्या के हाई प्रोफाइल आरोपीयों को पहले कोर्ट से बरी होते लेकन फिर मीडिया और जनता के दबाव के बाद उन्हें दोषी मानते हुए अपना ही फैसला पलट कर दोषियों को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाते देखा था। उसने न्यायालयों में मुकदमों के फैसले आते तो बहुत देखे थे लेकिन न्याय होता अब देख रहा है। उसने इस देश में एक आम आदमी को न्याय के लिए संघर्ष करते देखा है। उसने इस देश की न्यायिक प्रणाली की दुर्दशा पर खुद चीफ जस्टिस को  रोते हुए देखा है। जिस कानून से वह न्याय की उम्मीद लगाता है उसी कानून के सहारे उसने अपराधियों को बच के निकलते हुए देखा है। दरअसल हमारे देश में कानूनों की कमी नहीं है लेकिन उनका पालन करने और करवाने वालों की कमी जरूर है। कल तक हम कानून से खेलने वाला एक ऐसा समाज बनते जा रहे थे जहाँ पीड़ित का संघर्ष पुलिस थाने में रिपोर्ट लिखवाने के साथ ही शुरू हो जाता था। राम रहीम से पीड़ित साधवी का उदाहरण हमारे सामने है।उन्हें अपनी पहचान छिपाते हुए देश के सर्वोच्च व्यक्ति माननीय प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर अपनी पीड़ा बयान करनी पड़ी थी फिर भी न्याय मिलने में 15 साल और भाई का जीवन लग गया। यह वो देश है जहाँ बलात्कार की पीड़ित एक  अबोध बच्ची को कानूनी दाँवपेंचों का शिकार हो कर 10 वर्ष की आयु में एक बालिका को जन्म देना पड़ता है। जहाँ साध्वी प्रज्ञा और कर्नल पुरोहित को सुबूतों के अभाव के बावजूद सालों जेल में रहना पड़ता है ।



जान मार्शल जो कि अमेरिका के चौथे चीफ जस्टिस थे,उनका कहना था कि 'न्याय व्यवस्था की शक्ति प्रकरणों का निपटारा करने,फैसला देने या किसी दोषी को सजा सुनाने में नहीं है,यह तो आम आदमी का भरोसा और विश्वास जीतने में निहित है।'जबकि भारत में इसके विपरीत मद्रास उच्च न्यायालय के न्यायाधिपति किरुबकरन को एक अवमानना  मामले की सुनवाई के दौरान भारतीय न्याय व्यवस्था के विषय में कहना पड़ा कि देश की जनता पहले ही न्यायपालिका से कुण्ठित है अतः पीड़ित लोगों में से मात्र 10% अर्थात अतिपीड़ित ही न्यायालय तक पहुँचते हैं। बात केवल अदालतों से न्याय नहीं मिल पाने तक सीमित नहीं थी, बात न्यायिक प्रक्रिया में लगने वाले समय की भी है लेकिन यह एक अलग विषय है जिस पर चर्चा फिर कभी। जब कोर्ट में न्याय के बजाय तारीखें मिलती हैं तो सिर्फ उम्मीद नहीं टूटती हिम्मत टूटती है, सिर्फ पीड़ित व्यक्ति नहीं हारता उसका परिवार नहीं हारता लेकिन यह हार होती है उस न्याय व्यवस्था की जो अपने देश के हर नागरिक के मौलिक अधिकारों की भी रक्षा नहीं कर पाती। कहते हैं कानून अँधा होता है लेकिन  हमारे देश में तो पिछले कुछ समय से वो अंधा ही नहीं बहरा भी होता जा रहा था। उसे न्याय से महरूम हुए लोगों की चीखें भी सुनाई नहीं दे रही थीं। किन्तु  आज फिर से इस देश के जनमानस को इस देश की कानून व्यवस्था पर भरोसा होने लगा है कि न्याय की देवी की आँखों पर जो पट्टी अबतक इसलिए बंधी थी  कि वह सबकुछ देख कर अनदेखा कर देती थी  लेकिन अब  इसलिए बंधी होगी कि उसके सामने कौन खड़ा है इससे उन्हें कोई मतलब नहीं होगा और उनकी नज़र में सब बराबर हैं यह  केवल एक जुमला नहीं यथार्थ होगा।



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--डॉ नीलम महेंद्र--

दी बेतिया पैरिश थ्रिफ्ट एण्ड क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी का चुनाव 15 सितम्बर को

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बेतिया। जी हां, काफी मेहनत के बाद बेतिया और पटना में सोसायटी बन पायी। इसमें अमेरिकन जैसुइट की भूमिका अधिक थी। इसे दी बेतिया पैरिश थ्रिफ्ट एण्ड क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी  लिमिटेड के सदस्य बढ़ा रहे हैं।आज न्यूनतम व्याज लेकर अधिकतम 20 हजार रू.दे पा रहे हैं। इसमें तमाम सदस्यों का सहयोग मिलता है। खैर, दी बेतिया पैरिश थ्रिफ्ट एण्ड क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड में कार्यकारिणी समिति के सदस्यों की खास भूमिका है। तमाम सदस्यों द्वारा निर्वाचित अथवा सर्वसम्मति से चयन करते हैं अध्यक्ष,सचिव,कोषाध्यक्ष और सदस्यों। बताया गया कि दी बेतिया पैरिश थ्रिफ्ट एण्ड क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड के कुछेक लोगों के कारण आम चुनाव नहीं करवाया जा सकता था। इसका परिणाम कार्यकारिणी समिति के सदस्य के रूप में 17 सालों से कुंडली मारकर बैठ गये थे। ऐसे लोग नहीं करवाना चाहते थे। घालमेल कर सर्वसम्मति (निर्विरोध) कार्यकारिणी समिति के सदस्य बन जाते थे। काफी मशक्कत करने के बाद 15 सितम्बर को आम चुनाव होने जा रहा है। इस बार दाल गलने नहीं दिया गया। हालांकि घर के आसपास रहने वाले और रिश्तेदारों को मिलाकर सोसायटी के जिला कार्यालय में भेजने वाले थे। अपने 9 लोगो को चयन कर बकायदा  निर्विरोध निर्वाचित करावाने में थे। कुछ लोगों की सक्रियता से उनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया। बतौर वैकल्पिक 9 लोगों को मैदान में उतार दिया गया। ऐसा कर देने चुनाव करवाना अनिवार्य हो गया।


हां, काफी दिनों की प्रतीक्षा के बाद दी बेतिया पैरिश थ्रिफ्ट एण्ड क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड  के सदस्यों  का चुनाव होने जा रहा है। जिसमें कुल 16 लोगों ने नामांकन पत्र भरा है। सभी दी बेतिया पैरिश थ्रिफ्ट एण्ड क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड के सदस्यों  से निवेदन किया गया है कि जिनका खाता इस सोसाइटी लिमिटेड में है वे लोग दिनांक 15/09/2017 को बेतिया ब्लॉक आफिस में सुबह 7 बजे से सायं 5 बजे के बीच अपनी कीमती वोट का उपयोग करें। सही व्यक्ति का ही चुनाव करने में अपना योगदान दें l वोट देने के लिए आप अपना पासबुक और कोई पहचान पत्र ( वोटर आइडी, आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, पासपोर्ट इत्यादि ) ले कर जाए दी बेतिया पैरिश थ्रिफ्ट एण्ड क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड में कार्य सेवा करने वाले प्रत्याशी हैं। सर्वश्री 1 अजीत पौल साह 2 जोसेफ माइकल (जोई माइकल) 3 रेमंड रेमी 4 तारा क्लेमेंट 5 अगस्तिन आदम 6 सुनील डीक्रूज़ 7 रंजीत सर 8 उषा सल्वतोरी 9 कुलदीप तिर्की 10 रीता पीटर 11 फिलिप पास्कल 12 मेरी वायलेट 13 रेजी एडविन 14 मेरी माइकल 15 सल्वतोरी बाप्तिस्ट 16 स्वाती ओस्ता

सभी 16 प्रत्याशियों को निर्वाचन चिन्ह आवंटित है। अजीत पौल साह का निर्वाचन चिन्ह 1 स्लेट है।

जेएनयू को बदनाम व बर्बाद की करने की संघी साजिश का छात्रों ने दिया मुंहतोड़ जवाब.

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  • सृजन घोटाले की सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में सीबीआई जांच करायी जाए, राजनीतिक संरक्षण को भी जांच केे दायरे में लाया जाए.
  • बाढ़ पीड़ितों के प्रति बिहार सरकार का रवैया बेहद असंवेदनशील, शराबबंदी कानून की आड़ में दलित-गरीबों का लगातार हो रहा उत्पीड़न
  • ऐतिहासिक पटना म्यूजियम को बर्बाद करने की चल रही है कोशिशें.

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पटना 10 सितंबर, जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्र संघ चुनाव में यूनाइटेड लेफ्ट की ऐतिहासिक जीत हुई है. भाकपा-माले जेएनयू के छात्रों को बधाई देती है. यूनाइटेड लेफ्ट की ओर से अध्यक्ष व उपाध्यक्ष पद पर आइसा, महासचिव पद पर एसएफआई और संयुक्त सचिव पर डीएसएफ के उम्मीदवारों ने काफी मार्जिन से संघ गिरोह के छात्र संगठन एबीवीपी को हराया है. यह जीत जेएनयू को बदनाम व बर्बाद करने की संघी साजिश व सरकारी मुहिम के खिलाफ छात्रों का निर्णायक जनादेश है. जेएनयू ने उन्माद-उत्पात की ताकतों को पूरी तरह खारिज कर दिया है. यह जीत जेएनयू में संघ विचारधारा को थोपने के खिलाफ है. जेएनयू वीसी द्वारा हाल ही में कैंपस में टैंक लगाने की बात कही गयी थी, जिसका बाहरी प्रचार यह किया गया कि इससे छात्रों में राष्ट्रवाद की भावना पनपेगी. लेकिन दरअसल वह टैंक कैंपस में संघ विचारधारा की जीत का प्रतीक था. चुनाव परिणाम में वीसी और संघ परिवार के उस भ्रम को पूरी तरह बेनकाब कर दिया है और संघ विचारधारा पर वामपंथ विचारधारा की जीत हुई है.


जेएनयू में वामपंथ की जीत ऐसे मौके पर हुई है, जब संघ व भाजपा परिवार पूरे देश में उन्माद व उत्पात फैलाने में लगी हुई है. और विरोध-प्रतिरोध की आवाज को कुचलने में लगी हुई है. निर्भिक महिला पत्रकार गौरी लंकेश की पहले बर्बरता से हत्या कर दी गयी और उसके बाद सोशल मीडिया पर उनकी हत्या का जश्न भी मनाया गया. जब भाजपा से ही आने वाले केंद्रीय सूचना मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इस घटना की निंदा की, तो उन ताकतों ने अपने ही नेता को भी नहीं छोड़ा. इससे जाहिर होता है कि नफरत की राजनीति करने वाली ताकतें आज पूरी तरह निरंकुश हो गयी हैं. ऐसी स्थिति में जेएनयू की जीत सभी लोकतांत्रिक व अमनपसंद जनता को राहत प्रदान करने वाली है. बिहार में बाढ़ राहत अभियान में सरकार घोर लापरवाही बरत रही है. लोग भूख और बीमारी से परेशान हैं, लेकिन सरकार कई तरह की शत्र्तों को लादकर राहत अभियान बाढ़ पीड़ितों की पहंुच से दूर कर दे रही है. बाढ़ राहत अभियान के प्रति सरकारी संवेदनहीनता के खिलाफ हमारी पार्टी ने 9 सितंबर को बाढ़ प्रभावित इलाके में चक्का जाम किया. हम तमाम बाढ़ पीड़ितों को 3 माह का राशन व 15 हजार रु. तत्काल उपलब्ध कराने की मांग करते हैं. गरीबों को काम नहीं मिल रहा है. हमारी मांग है कि गरीबों-मजदूरों को मनरेगा की 3 महीने की अग्रिम मजदूरी दी जाए. मृतक के परिजनों को 10 लाख रु. मुआवजा दिया जाए. हम बटाईदार किसानों सहित सभी किसानों के लिए 15 हजार रु. प्रति एकड़ की दर से फसल मुआवजे की भी मांग करते हैं. पशुधन क्षति का भी उपयुक्त मुआवजा और चारे की मुकम्मल व्यवस्था का ठोस इंतजाम भी किया जाए. बाढ़ का स्थायी समाधान निकाला जाए. उत्तर-पूर्व के सभी गरीबों को पक्का मकान उपलब्ध कराया जाए.

सृजन खजाना घोटाले ने राजनेता-नौकरशाह व अफसरों के गठजोड़ के उस नापाक तंत्र को पूरी तरह बेनकाब कर दिया है, जिसके द्वारा जतना की गाढ़ी कमाई को व्यक्तिगत मुनाफा कमाने मंे लगाया गया. बिहार में भाजपा व नीतीश कुमार ने भ्रष्टाचार के ही नाम पर तख्तापलट किया, लोकतंत्र का अपहरण किया, जबकि ठीक उसी वक्त नीतीश कुमार व सुशील कुमार मोदी को इस सृजन घोटाले की पूरी जानकारी थी. जिन भी नेताओं के साथ मनोरमा देवी की तस्वीरें हैं, उन्हें जांच के दायरे में लाना चाहिए, इस घोटाले के राजनीतिक संरक्षण को जांच के दायरे में लाकर ही सच्चाई सामने लाया जा सकता है. हमारी मांग है कि सुप्रीम कोर्ट के प्रत्यक्ष निर्देशन में इस घोटाले की सीबीआई जांच करायी जाए. बिहार में शराबबंदी के नाम पर दलित-गरीबों पर जुल्म जारी है. जहानाबाद में मस्तान मांझी व पेंटर मांझी की सजा के बाद अब अरवल में प्रशासन ने 47 लोगों की घर निलामी का आदेश निकाल रखा है. जाहिर है इसमें सर्वाधिक संख्या दलित-गरीबों की है. हम इस अन्याय की कड़ी निंदा करते हैं और बिहार सरकार से मांग करते हैं कि शराबबंदी कानून के काले प्रावधानों को अविलंब वापस लिया जाए. हम बिहार सरकार द्वारा वर्षों पुरानी व ऐतिहासिक पटना म्यूजियम को बर्बाद करने की कोशिशों का विरोध करते हैं. पटना म्यूजिययम को समृद्ध करने की आवश्यकता है, लेकिन उसकी जगह पर सदियों पुरानी व ऐतिहासिक मूर्तियों को दूसरी जगह स्थानांतरिक किया जा रहा है, यह बेहद निंदनीय है.


विदिशा (मध्यप्रदेश) की खबर 10 सितम्बर

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कलेक्टर द्वारा गुलाबगंज तहसील का जायजा, नाजिर को शोकाॅज नोटिस देने के निर्देश

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कलेक्टर श्री अनिल सुचारी ने रविवार को गुलाबगंज तहसील का निरीक्षण कर राजस्व कार्यो के सम्पादन का जायजा लिया। कलेक्टर श्री सुचारी ने तहसील के नाजिर श्री शकील खाॅन को शोकाॅज नोटिस देने के निर्देश तहसीलदार श्रीमती सरोज अग्निवंशी को दिए है। कलेक्टर श्री सुचारी ने तहसील कार्यालय के आरसीएल, अदमपैरवी में बंद किए गए प्रकरणों, बंदोवस्त के प्रकरण, अर्थदण्ड पंजी, डायवर्सन, न्यायालय में दर्ज प्रकरण, लोक सेवा गारंटी के अलावा सम्पादित राजस्व कार्यो का अवलोकन विभिन्न प्रकार की पंजी, नोटशीट के माध्यम से किया। कलेक्टर श्री सुचारी ने तहसील कार्यालय के निरीक्षण के दौरान नाजिर श्री खाॅन से कैश के संबंध में जानकारी प्राप्त की। उनके द्वारा कैश लाॅकर में कितनी राशि रखी गई है को मौके पर गिनवाया, बतलाई गई राशि उपलब्ध ना होने पर एवं राजस्व प्रकरणों की शाखा के प्रकरण पंजी में दर्ज नही करने के फलस्वरूप श्री खाॅन को शोकाॅज नोटिस देने के निर्देश दिए गए है। कलेक्टर श्री सुचारी ने तहसीलदार श्रीमती अग्निवंशी से कहा कि बंदोवस्त के प्रकरण तहसील गठन तिथि से स्पष्ट अंकित हो। उन्होंने अविवादित नामांतरण, बंटवारा एवं राजस्व वसूली के प्रकरण में शत प्रतिशत कार्यवाही की जाए। न्यायालयीन प्रकरणों की समीक्षा के दौरान कलेक्टर श्री सुचारी ने कहा कि बंटवारा, नामांतरण के जिन प्रकरणों में आदेश पारित किया जाता है उन प्रकरणों में संबंधित आवेदक के पक्ष एवं विपक्षकर्ताओं की बात अनिवार्य रूप से सुनी जाए और उसे न्यायालय निर्णय में अंकित किया जाए। उन्होंने अर्थदण्ड के सभी प्रकरण दायरा पंजी में दर्ज करने के निर्देश दिए है। निरीक्षण के दौरान आरसीएम के बेवपोर्टल पर 361 प्रकरण प्रदर्शित हो रहे है जबकि पंजी में 421 प्रकरणों की प्रविष्टियां परलिक्षित होने पर उन्होंने असंतोष जाहिर करते हुए कहा कि शत प्रतिशत प्रकरण बेवपोर्टल पर दर्ज कराए जाएं। ऐसे प्रकरण जो वरिष्ठ न्यायालय में को प्रेषित किए गए है का स्पष्ट उल्लेख पंजी में अंकित किया जाए और वरिष्ठ न्यायालय कार्यालय से  पावती प्राप्ति का प्रतिवेदन अनिवार्य रूप से संलग्न किया जाए। कलेक्टर श्री सुचारी ने तहसील क्षेत्र में डायवर्सन की डिमांड बी-1 से लेकर बी-4 पंजी अब तक तैयार नही करने पर संबंधितों को चेतावनी दी की 15 दिवस के भीतर उपरोक्त कार्यवाही पूरी की जाए। कलेक्टर श्री सुचारी के द्वारा तहसील कार्यालय की विभिन्न शाखाओं, रिकार्ड रूम का भी इस दौरान जायजा लिया गया। उन्होंने मासिक प्रतिवेदन एक वर्ष से अधिक का स्टाॅक रूम में नही रखने, जिन प्रकरणों  में आदेश पारित किए जा चुके है उन्हें रिकार्ड रूप में सुरक्षित रखने के निर्देश दिए गए है। तहसील कार्यालय में आने वाले अधिवक्तागणों एवं उनके पक्षकारों के बैठने हेतु तमाम प्रबंध सुनिश्चित करने के भी निर्देश उन्होंने दिए है।   


जिले मंे 614.2 मिमी औसत वर्षा हुई

जिले की तहसीलों में स्थापित वर्षामापी यंत्रो पर रविार की प्रातः आठ बजे दर्ज की गई वर्षा की जानकारी देते हुए अधीक्षक भू-अभिलेख श्रीमती सविता पटेल ने बताया कि रविवार को जिले में 5.3 मिमी औसत वर्षा दर्ज की गई है जबकि एक जून से आज दिनांक 10 सितम्बर तक 614.2 मिमी औसत वर्षा हो चुकी है। उक्त अवधि में गतवर्ष 1367.2 मिमी औसत वर्षा हुई थी। ज्ञातव्य हो कि जिले की सामान्य वर्षा 1075.2 मिमी है। रविवार को तहसीलवार दर्ज की गई वर्षा तदानुसार विदिशा में चार मिमी, कुरवाई में आठ मिमी, सिरोंज एवं गुलाबगंज में क्रमशः एक-एक मिमी, नटेरन मेें 29 मिमी वर्षा दर्ज की गई है। इसके अलावा अन्य तहसीलो में वर्षा नगण्य रही।

दिल से कार्यक्रम का प्रसारण

मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चैहान ने आज दिल से कार्यक्रम के तहत युवाओं से संवाद स्थापित किया। विदिशा जिले में भी मुख्यमंत्री जी के लाइव भाषण का युवाजन अधिक से अधिक लाभ उठा सकेें। इसके लिए व्यापक प्रबंध सुनिश्चित किए गए थे। जिले की सभी छात्रावासों में रह रहे छात्रावासी युवाजनोें ने भी लाइव प्रसारण को सुना हैं। छात्रावासोें में रेडियो, टीवी की व्यवस्था की गई थी। डीपीसी श्री सुरेश खाण्डेकर ने बताया कि छात्रावासों में टीवी एवं रेडियो के माध्यम से प्रसारित होने वाले मुख्यमंत्री जी के संदेश को सभी युवक-युवतियों ने सुना है वही हाॅट बाजारों में युवाजनों ने चैराहो पर की गई व्यवस्थाओं के माध्यम से मुख्यमंत्री जी के लाइव भाषण को सुना है।

झाबुआ (मध्यप्रदेश) की खबर 10 सितम्बर

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राष्ट्र सेवा का भाव ले सतत सक्रिय रहे - श्री सिंह
  • उप्र परिवहन मंत्री श्री स्वतंत्रदेव सिंह ने झाबुआ - आलीराजपुर भाजपा संगठन की ली महत्वपूर्ण बैठक

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झाबुआ । भारतीय जनता पार्टी सभी वर्ग की पार्टी है , इस विशाल संगठन के कारण देश सदैव सुरक्षित रहेगा।यहाँ समर्पण का विशेष महत्व है , किसी प्रकार की चाह के बिना राष्ट्र सेवा का भाव लेकर सतत सक्रिय रहे।आदिवासी कमजोर नहीं है , उनमें अद्भुत नेतृत्व क्षमता है , संगठन नेता बनाने में सहयोग करता है लेकिन अपनी नेतृत्व क्षमता का परिचय कार्यकर्ता को ही देना होता हैं।सभी कार्यकर्ता व पदाधिकारी जनता से सतत जीवन्त संपर्क बनाए रखे।राष्ट्र सेवा के साथ हम देश को टूटने और पीटने नहीं देंगे। उक्त प्रभावी विचार उत्तर प्रदेश के परिवहन मंत्री श्री स्वतंत्रदेव सिंह ने मेघनगर में भाजपा संगठन की महत्वपूर्ण बैठक में व्यक्त किए। उक्त जानकारी देते हुए जिला भाजपा मीडिया प्रभारी श्री अंबरीष भावसार ने बताया श्री सिंह भाजपा केंद्रीय संगठन के निर्देश पर झाबुआ - रतलाम लोकसभा निर्वाचन क्षैत्र के दो दिवसीय प्रवास के तहत 9 सितम्बर को झाबुआ जिला प्रवास पर रहे।इस अवसर पर लोकसभा क्षैत्र के दो जिलो झाबुआ और आलीराजपुर के भाजपा संगठन की संयुक्त बैठक का आयोजन मेघनगर स्थित बाफना कॉलेज परिसर में किया गया। यहाँ क्षेत्रीय विधायको सहित विभिन्न स्तरीय  पदाधिकारियों की बैठको के अनेक सत्र रखे गए।जिसमें लोकसभा निर्वाचन क्षैत्र में भाजपा  संगठन की गतिविधियों और विस्तार से सम्बंधित विभिन्न विषयों पर विचार - विमर्श के साथ श्री सिंह ने भाजपा पदाधिकारियों को मार्गदर्शन प्रदान करते हुए दिशा निर्देश दिए।इस अवसर पर भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष व झाबुआ जिला प्रभारी श्रीमती रंजना बघेल , संभागीय संगठन मंत्री श्री जयपालसिंह चावड़ा , झाबुआ भाजपा जिलाध्यक्ष श्री दौलत भावसार , प्रदेश कार्यसमिति सदस्य व आलीराजपुर जिला प्रभारी श्री ओम सोनी , आलीराजपुर भाजपा जिलाध्यक्ष श्री राकेश अग्रवाल , विधायक श्री शांतिलाल बिलवाल , सुश्री निर्मला भूरिया , श्री कलसिंह भाबोर , श्री नागरसिंह चैहान , श्री माधौसिंह डावर सहित लोकतंत्र सेनानी , वरिष्ठ कार्यकर्ता , समस्त जिला पदाधिकारी ,  मण्डल अध्यक्ष , मीडिया , आई टी सेल व सोशल मीडिया पदाधिकारी उपस्थित थे।


’कलाल समाज के अध्यक्ष पद हेतु चुनाव सम्पन’ ’ढाडमचंद बने अध्यक्ष’

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झाबुआ।  झाबुआ- अलीराजपुर मेवाड़ा कलाल समाज के चुनाव संम्पन्न हुए।  3 दशक के बाद होने वाले चु नाव में ऐतिहासिक  उपस्थिति दर्ज के साथ संवैधानिक रूप से चुनाव सम्पन्न हुए । इस चुनाव मे झाबुआ- अलीराजपुर मेवाड़ा कलाल समाज मे विभाजित 14 वार्डो के पार्षद नामांकन पत्र वापसी दिनांक 30 अगस्त को वार्ड 1 के पार्षद के रूप में शंकरलाल सोलंकी, 2 जगदीश बसेर,3 अम्बालाल भटेवरा, 4 अरुण मेलिवार, 5 पुरषोत्तम सोलंकी,6 नीरज  सोलंकी 7 मुकेश चैहान, 8 डिमपेश पडियार,9 धन्नालाल बसेर,10 भूपेंद्र भानपुरिया, 11 देवकुमार पडियार, 12 शंकरलाल भटेवरा ,13 नन्दलाल चैहान, 14 गोपाल कृष्ण चैहान  निर्विरोध मनोनीत हो चुके थे। जिसकी घोषणा चुनाव प्रभारी द्वारा की गई। समाज के अध्यक्ष पद के लिए 2 प्रत्याशी के बीच मे मुकाबला था, जिसमे ढाडमचंद लोदावरा  ने अपने प्रतिद्वंदी जयंतीलाल बसेर को 181 मतो से हराकर जीत दर्ज की। चुनाव प्रभारी जीवनलाल पडियार ने बताया कि सुबह 10 बजे तय समय से मतदान शुरू हुआ जिसकी पुर्व से  संवैधानिक रूप से पूरी पारदर्शिता के साथ 5 बूथ बनाकर मतदान कक्ष में सीसी कैमरे लगाकर चुनाव व्यवस्था विधिवत  रूप से की गई , पीठासीन अधिकारी अशोक चैहान के साथ ही चुनाव अधिकारी 1व 2 के रूप में रमेश भटेवरा, नैना भटेवरा,मनोहर बसेर , संतोष बसेर , महेंद्र भानपुरिया , देवेंद्र बसेर ,राकेश भानपुरिया, कमलेश बसेर , महेश चैहान,,, आदि ने चुनाव सम्पन्न करवाने में विशेष योगदान दिया जिन्होंने अपने अनुभव से चुनाव मतदान करवाए । समाज के ऐतिहासिक चुनाव में सभी 21 वर्ष से अधिक महिला व पुरुषों ने बढ़-चढ़ के भाग लिया। समाज के सचिव ऐजनलाल भानपुरिया ने बताया कि मतदान 10 बजे शुरू होकर तय समय अनुसार 3 बजे तक मतदाताओ का आना जारी रहा । कुल 14 वार्डो के 1244 मतदाताओं में से 870 ने  समाज द्वारा आयोजित इस विशाल यज्ञ में अपनी मताहूती दी। जिसमे 9 वोट रिजेक्ट होकर जयंतीलाल बसेर को 340 व  ढाडमचंद लोदावरा ने521 मत हासील कर  जीत हासिल की जिसकी विधिवत घोषणा चुनाव प्रभारी जीवनलाल पडियार द्वारा की गई। इस  अवसर पर मुख्य भामाशाह के रूप में समाज के लिए भोजन की  व्यवस्ता पुरषोत्तम सोलंकी ने की । लोदावरा की जीत के बाद प्रतिद्वंद्वी जयंतीलाल बसेर के साथ उपस्थित समाजजन ने नवनिर्वाचित अध्यक्ष को बधाई दे कर समाज के लिए आगामी 3 वर्षों में समाज का अग्रणी विकास करने की उम्मीद जताई । श्री बसेर ने कहा कि में सदैव समाज विकाश के लिए अपना पूरा सहयोग  पूरी टीम को प्रदान करूँगा। नवनिर्वाचित अध्यक्ष ने समाज का आभार मानकर जिस विश्वाश के साथ जीत दिलाई उसी विश्वाश के साथ मे 24 घंटे समाज की सेवा के लिए खड़ा रहूंगा, कहते हुए कहा कि मेरा  उद्देश्य समाज की सेवा करना है, समाज मे शिक्षा को बढ़ावा देने की योजना के साथ समाज मे  एकरूपता लाना ही मुख्य उद्देश्य है। 
उत्‍तरप्रदेश के परिवहन मंत्री द्वारा झाबुआ में दिये गए बयानों पर जिला कांग्रेस ने जताई कड़ी आपत्ति

झाबुआ । भाजपा के राष्‍ट्रीय नेतृत्‍व द्वारा कांग्रेस पार्टी के वरिष्‍ठ नेता, पूर्व केन्‍द्रीय मंत्री एवं क्षेत्रीय सांसद कांतिलाल भूरिया, पूर्व केन्‍द्रीय मंत्री एवं गुना सांसद ज्‍योतिरा‍दित्‍य सिंधिया की कांग्रेस की समर्पित परंपरागत संसदीय सीटों के लिए नियुक्‍त उत्‍तरप्रदेश के परिवहन मंत्री स्‍वतंत्र सिंह के झाबुआ प्रवास के दौरान मिडिया को दिये गए वक्‍तव्‍य पर जिला कांग्रेस कमेटी ने कडी आपत्ति लेते हुए उन्‍हें अपने बयान वापस लेने की मांग की है। परिवहन मंत्री ने मिडिया के सांसद कांतिलाल भूरिया के विरूद्ध जो ओछी बयानबाजी कर अपने आपको झाबुआ जिले में अपनी ओछी व छिछोली मानसिकता का ही परिचय दिया है। जिला कांग्रेस अध्‍यक्ष निर्मल मेहता, जिला पंचायत अध्‍यक्ष सुश्री कलावती भूरिया, जिला कांग्रेस उपाध्‍यक्ष डॉ.विक्रांत भूरिया, लोकसभा युवक कांग्रेस अध्‍यक्ष आशीष भूरिया, जिला कांग्रेस प्रवक्‍ता हर्ष भट्ट एवं जिला कांग्रेस के पदाधिकारियों ने संयुक्‍त विज्ञप्ति जारी कर कहा कि जो व्‍यक्ति उत्‍तरप्रदेश के काल्‍पी विधानसभा क्षेत्र के वर्ष 2012 में संपन्‍न हुए विधानसभा चुनाव बतौर भाजपा प्रत्‍याशी के रूप में अपनी साख व जमानत भी नहीं  बचा सका हो जो प्रधानमंत्री व भाजपा के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष अमित शाह से उनकी नजदिकीयां होने के कारण वर्ष 2015 में नियुक्‍त प्रभार वाले प्रदेश बिहार-विधानसभा चुनाव में भाजपा की करारी हार करा चुका हो और वर्ष 2017 में उत्‍तरप्रदेश विधानसभा चुनाव में पराजय के भय से चुनाव लड़ने की हिम्‍मत न जुटा पाया हो वह इन कांग्रेस के दिग्‍गजों का सामना कौनसी शक्ति के बल पर करेगा। जिला कांग्रेस अध्‍यक्ष ने कहा कि भाजपा के तथा कथित नेता सत्‍ता के मद में चुर होकर अर्नगल व बैसिरपैर की बयानबाजी पर उतर आये है उन्‍हें न तो राजनीति का ज्ञान है और न ही क्षेत्र की राजनैतिक स्थितियों का। वे केवल भाजपा के चाटुकार नेताओं जो स्‍चयं तो कोई बयान बाजी नही करते है केवल अपना स्‍वार्थ सिद्ध करने के लिये उत्‍तरप्रदेश के परिवहन मंत्री को मन घंडंत सुचनाएं देकर ऐसी ओछी व निम्‍न कोटी की बयान बाजी करवाकर केवल अपनी टीआरपी बडान के में विश्‍वास करते है। उन्‍हें न तो आम जनता से कोई लेना देना है। सांसद कांतिलाल भूरिया जो इस संसदीय क्षेत्र के विकास पुरूष है तथा राष्‍ट्रीय स्‍तर के आदिवासी नेता है। ऐसे में स्‍वतंत्र सिंह द्वारा दिये गए बयान हास्‍यास्‍पद लगते है। जिला कांग्रेस ने स्‍वतंत्र सिंह को भूरिया जी से माफी मांगकर अपने वकतव्‍य वापस लेने की मांग की है अन्‍यथा जिला कांग्रेस उन्‍हें काले झंडे दिखाएगी।


छत के कवेलु हटाकर घर मे उतरा किया जबरन बलात्कार 

झाबुआ। फरि. नेे बताया कि अपने घर में साई थी कि आरोपी सेरा पिता जानिया कटारा निवासी पांचखेरिया ने फरि. के घर के उपर से कवेलू हटाकर अंदर घुस गया व फरि. का मुंह दबाकर जान से मारने कि धमकी देकर जबरन खोटा काम किया। प्रकरण में थाना काकनवानी में अपराध क्रमांक 292/17 धारा 376(2)(एन),450,506 भादवि का प्रकरण पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया।

स्कुल जारही लडकी से छेड़छाड़ 
  
झाबुआ । फरि. ने बताया कि स्कूल जा रही थी कि आरोपी बबलू पिता गणपत प्रजापत व हीतेश निनामा निवासी गण थांदला ने मोटर सायकल लेकर आये व आरोपी बबलू ने मुझसे शादी क्यों नही करती कहकर बुरी नियत से हाथ पकड़ा, व जान से मारने की धमकी दी। प्रकरण में थाना थांदला में अपराध क्रमांक 429/17 धारा 354-ए,506,34 भादवि व 7/8 पास्को एक्ट का प्रकरण पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया।

सट्टे का अपराध पंजीबद्ध
  
झाबुआ । आरेापी पप्पु पिता हेमराह गवली उम्र 48 साल निवासी झाबुआ को अवैध रूप से हारजीत पैसों का दाव लगाकर सट्टा अंक पर्ची लिखते कब्जे से सट्टा पर्ची, लीड पेन व नगदी 1350/-रू0 जप्त कर गिर. किया गया। प्रकरण में थाना कोतवाली में अपराध क्रं0 710/17 धारा 4-क धुत अधि. का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया।

किराना दुकान मे चोरी 
  
झाबुआ । फरि. मनोज पिता शंकरलाल भटेवरा उम्र 30 साल निवासी नौगांवा ने बताया कि अज्ञात बदमाश ने फरि. की किराना दुकान का ताला तोड़कर अंदर घुसे व पुरानी टीवी, किराना सामान व नगदी 5000 रू. चुराकर ले गया। प्रकरण में थाना थांदला में अपराध क्रंमाक 430/17 धारा 457,380 भादवि का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया।

मधुबनी : शिक्षक संघ ने एक दिवसीय धरना

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अंधराठाढ़ी/मधुबनी (मोo आलम अंसारी) अंधराठाढी।बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ के  प्रखंड इकाई ने शनिवार को बी आर सी भवन के आगे एक दिवसीय धरना दिया और  प्रदर्शन किया। धरना का नेतृत्त्व प्रखंड अध्यक्ष अमरेश कुमार यादव ने की।धरनार्थियो ने जिला शिक्षा पदाधिकारी मधुबनी द्वारा संघ के जिला अध्यक्ष पर दर्ज कराए मुकदमा को गलत और शाजिश के तहत होना बताया। जिला शिक्षा पदाधिकारी  के खिलाफ शिक्षक चुप नही बैठेगे। बैठक में संघ के बैद्यनाथी राम कृष्णमोहन चौधरी ,उपेन्द्र प्रसाद,संजय झा बबिता कुमारी मुमताज आलम चंद्रशेखर संजय कुमार श्रवन कामत अशोक कुमार राम् सुमन कुमार झा अशोक कुमार ब्रह्मदेव पासवान आदि दर्जनों शिक्षको ने अपनी बात रखे।

मधुबनी : शिक्षा समिति ने सफाई अभियान चलाया।

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अंधराठाढी/मधुबनी (मोo आलम अंसारी) अंधराठाढी।मध्य विद्यालय फुलवरिया में  शिक्षा समिति ने सफाई अभियान चलाया।  वार्ड सदस्य सह विद्यालय शिक्षा समिति अध्यक्ष  विश्वम्भर प्रसाद यादव इसका नेतृत्व कर रहे थे। सफाई अभियान में विद्यालय के प्रधान शिक्षक शम्भू  कुमार, शिक्षक अशोक श्रीवास्तव, अरूण कुमार प्रसाद, रमेश कुमार यादव, सुलेखा देवी समेत टाेला सेवक एवं छात्र छात्रा सम्मिलित हुए थे।  अध्यक्ष विश्वम्भर प्रसाद यादव ने स्वच्छता पर चर्चा करते हुए बताया कि स्वच्छता में इस्वर की बसना होती है। विद्यालय तो साक्षात् सरस्वती मंदिर होता है। वैसे तो साफ सफाई विद्यालय रूटीन की बात है। रूटीन नही दायित्व समझ कर साफ सफाई करनी चाहिए। विद्यालय ही नही अपने अपने निवास स्थान के  आस परोस  को पूर्ण सफाई रखना चाहिए। 

मधुबनी : पूर्व मंत्री ने भी किया कथा वाचन, 4 पुस्तको का लोकार्पण।

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  • सहित्यनुरागी ग्रामीण पूरी रात डटे रहे

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अंधराठाढी/मधुबनी (आलम अंसारी) अंधराठाढ़ी। शनिवार की रात डुमरा गांव में सगर राति दीप जरय का आयोजन हुआ। यह इसका 95 वा आयोजन था। कथाकार नारायण यादव इसके संयोजक और प्रमोद, लाल बहादुर, अनिल और संजय कुमार व्यवस्थापक थे। वरिष्ठ कथाकार और टैगोर पुरस्कार से सम्मानित जगदीश प्रसाद मंडल, डॉक्टर कमला कांत झा, विधान पार्षद राम लखन राम रमन और नारायण यादव ने दीप जलाकर संयुक्त रूप से इसका उद्घाटन किया। सगर राति दीप जले कार्यक्रम मैथिली कथा साहित्य और संस्कृति को बचाये रखने का प्रयास है। यह स्वतः स्फूर्त कार्यक्रम है। बाल मनोविज्ञान, प्रेम के बदलते रूप और सामाजिक रूढ़िवादिता पर चोट करती हुई कहानियां पढ़ी गयी और उन्हें खूब सराहा गया।  इसके बाद कथा संग्रह त्रिकालदर्शी, नवकी पुतोहु, पुननर्वा और कविता संग्रह फूलवाइर का लोकार्पण हुआ। इसके रचयिता क्रमशः जगदीश प्रसाद मंडल, नारायण यादव, कपिलेश्वर राऊत और राम लखन राम रमन हैं। बाल कथाकार अनुभव आनंद की बाल कथा गप्पू भैया चोर नै छैथ से कथा सत्र शुरू हुआ। राम लखन राम रमन, जगदीश प्रसाद मंडल, डॉक्टर कमला कांत झा, वरिष्ठ कवि कथाकार प्रीतम निषाद, डॉक्टर उमेश कुमार, रतन रवि, कपिलेश्वर राऊत, रामविलास साहू, शंभूशरण, नंदलाल राय, दीनानाथ प्रसाद, उमेश नारायण कर्ण, आनंद झा, आनंद मोहन, बाबूनन्दन झा, बाल गोविंदाचार्य, लक्ष्मीदास रामचंद्र राय, बैद्यनाथी राम, शंभू सौरभ, राधाकांत मंडल आदि दर्ज़नो मैथिली कथाकारो और कवियों ने बारी-बारी से कविताओं और कथाओं का वाचन किया। युवा कथाकार बैद्यनाथी राम की कथा गरीबक हाल पर लोग देर तक तालियां बजाते रहे। समीक्षा पैनल के प्रधान निर्मली कॉलेज के डॉक्टर शिवकुमार प्रसाद थे।

राजनीतिक रंग ले रहा है पटेल कोटा आंदोलन : अमित शाह

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अहमदाबाद, 10 सितंबर, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने आज कहा कि गुजरात में पटेल कोटा आंदोलन के संयोजकों का रूझान ? ‘‘एक सियासी दल’’ की ओर है, हालांकि उन्होंने स्पष्ट तौर पर विपक्षी दल कांग्रेस का नाम नहीं लिया। उन्होंने कहा कि इस वर्ष के अंत में होने वाले राज्य विधानसभा के चुनाव के नजदीक आने के साथ ही आरक्षण को लेकर आंदोलन राजनीतिक रंग लेता जा रहा है। भाजपा अध्यक्ष ने यहां रेजॉल्यूट गुजरात या ‘अधीखम गुजरात’ नाम के कार्यक्रम में युवाओं के सवालों के जवाब दिए। एक प्रतिभागी ने पूछा कि भाजपा सरकार अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी के तहत आरक्षण की मांग को लेकर हुए पाटीदार आंदोलन से किस तरह निबट रही है, इस पर शाह ने कहा कि भाजपा सरकार ने हार्दिक पटेल के नेतृत्व में प्रदर्शनकारियों से कहा है कि वे ‘‘कानूनी प्रक्रिया’’ का पालन करें लेकिन ‘‘आंदोलन की दिशा बदल चुकी है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ बदलावों को देखने पर आप पाएंगे कि धीरे-धीरे यह एक ऐसा आंदोलन बन गया है जिसे एक राजनीतिक दल का समर्थन हासिल है। लोग इस आंदोलन से भावनात्मक तौर पर जुड़े थे लेकिन आयोजकों का रूझान एक राजनीतिक दल की ओर हो रहा है।’’ शाह ने कहा कि उनकी पार्टी की सरकार ने गुजरात में आंदोलनकारियों से कहा है कि अपने लक्ष्य को पाने के लिए कानूनी प्रक्रिया का पालन करें।


उन्होंने कहा, ‘‘पाटीदार आंदोलन की प्रमुख मांग के अुनसार अगर किसी जाति को ओबीसी श्रेणी में शामिल किया जाना है तो उस जाति की ओर से ओबीसी आयोग में एक आवेदन देना चाहिए।’’ अनुशंसा के बाद ही किसी जाति को उस श्रेणी में जगह मिल सकती है। शाह ने कहा, ‘‘ लेकिन दुर्भाग्य से आंदोलन की दिशा बदल गई... चुनाव करीब आ रहे हैं, ऐसे में आप देखेंगे कि धीरे-धीरे यह मुद्दा राजनीतिक रंग लेता जाएगा। ’’ उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय के आदेश के मुताबिक आरक्षण 50 फीसदी से अधिक नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि एससी, एसटी उम्मीदवारों के लिए आरक्षण बाध्यकारी है और कोई भी राज्य सरकार इसमें बदलाव नहीं कर सकती है लेकिन यदि किसी जाति को ओबीसी श्रेणी के तहत स्थान चाहिए तो उसे एक प्रक्रिया से होकर गुजरता पड़ता है और ओबीसी आयोग में इस बाबत एक आवेदन जमा करना होता है। हाल ही में हार्दिक पटेल ने संकेत दिए थे कि आगामी विस चुनाव में वह कांग्रेस का समर्थन कर सकते हैं। पटेल आरक्षण आंदोलन वर्ष 2015 से चल रहा है।

डेरा मुख्यालय में तलाशी अभियान खत्म

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सिरसा/चंडीगढ. 10 सितंबर, हरियाणा के सिरसा में डेरा सच्चा सौदा मुख्यालय के परिसरों में तीन दिनों से चल रहा तलाशी अभियान पूरा हो गया है। इसके साथ ही, यह भी पता चला कि इसके अंदर चल रहे अस्पताल से भेजे जाने वाले शवों का कोई उपयुक्त रिकार्ड नहीं रखा जाता था और एक ‘स्किन बैंक’ बगैर लाइसेंस के चलाया जा रहा था। इस बीच, हरियाणा पुलिस ने कहा है कि पंचकूला हिंसा के सिलसिले में डेरा के एक वरिष्ठ सदस्य गोविंद को गिरफ्तार कर लिया है जबकि डेरा प्रमुख की मुंहबोली बेटी हनीप्रीत इंसां को पकड़ने के लिए छापे मारे जा रहे हैं। हरियाणा सरकार के जन संपर्क विभाग के उप निदेशक सतीश मेहरा के मुताबिक तलाशी अभियान में दो गुप्त सुरंगों का पता चला। इनमें से एक सुरंग डेरा प्रमुख के आवास को साध्वियों के हॉस्टल से जोड़ती है जबकि दूसरी सुरंग एक अवैध पटाखा फैक्टरी से जुड़ती है। एक अवैध फैक्टरी की मौजूदगी का पता चला और एके 47 कारतूस का एक खाली डब्बा जैसी स्तब्ध करने वाली चीजें भी मिली हैं। अवैध फैक्टरी से 84 कार्टन पटाखे और रसायन भी मिले हैं। इसके अलावा डिजाइनर कपड़े और टोपियां मिली हैं। मेहरा ने बताया कि मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रीगनेंसी (एमटीपी) अधिनयिम को डेरा द्वारा लागू करने में अनियमितता होने का भी पता चला है।


उन्होंने बताया कि तलाशी अभियान में कई सरकारी एजेंसियां शामिल थी। इसके पूरा होने के बाद अब मोबाइल इंटरनेट और ट्रेन सेवाएं कल से बहाल हो जाएंगी, जो अब तक स्थगित थी। हालांकि, उन्होंने कहा कि डेरा सच्चा सौदा परिसर के पास कर्फ्यू लगा रहेगा। उन्होंने कहा कि स्थानीय बाशिंदों को रोजमर्रा की जरूरत की चीजें खरीदने के लिए इसमें ढील दी जाएगी। सुरक्षा बलों और विभिन्न सरकारी विभागों ने सुरक्षा के व्यापक बंदोबस्त के साथ आठ सितंबर को एक समन्वित तलाशी अभियान शुरू किया था। इसमें पुलिस, अर्द्धसैनिक बल और नागरिक प्रशासन के कर्मियों को शामिल किया गया था। पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के एक निर्देश पर इसे शुक्रवार को शुरू किया गया था। डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह की गिरफ्तारी के दो हफ्ते बाद यह तलाशी अभियान किया गया। बलात्कार के दो मामलों में डेरा प्रमुख को एक विशेष अदालत ने दोषी और 20 साल की जेल की सजा सुनाई थी। मेहरा ने आज शाम यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘डेरा में तलाशी अभियान प्रक्रिया आठ सितंबर से शुरू हुई थी और इसकी निगरानी अदालत आयुक्त एकेएस पवार कर रहे थे। तलाशी अभियान आज तक जारी रहा और यह प्रक्रिया अब पूरी हो गई है। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘अभियान सुगम और शांतिपूर्ण रहा। ’’ तलाशी अभियान अब 100 फीसदी पूरा हो गया है। मेहरा ने कहा , ‘‘इस अभियान में लगाई टीमों ने अपनी - अपनी रिपोर्ट अदालत आयुक्त को सौंप दी है, जो अब अपनी रिपोर्ट पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय को सौंपेंगे। ’

किसानों के साथ धोखा हुआ : अखिलेश

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लखनऊ, 10 सितंबर, समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आज कहा कि कर्जमाफी के नाम पर किसानों के साथ धोखा किया गया है और उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार को जवाब देना चाहिए कि बजट का पैसा कहां गया। अखिलेश ने कुशीनगर के रामकोला में किसान शहीद दिवस की 25वीं पुण्यतिथि पर एक जनसभा में कहा, 'कर्जमाफी के नाम पर किसानों के साथ धोखा हुआ है। प्रदेश सरकार को जवाब देना चाहिए कि बजट का पैसा कहां गया? सभी किसानों का कर्ज माफ क्यों नहीं हुआ?'सपा की ओर से जारी विज्ञप्ति के मुताबिक अखिलेश यादव ने कहा कि प्रदेश में पिछले छह महीने की भाजपा सरकार में जहां एक ओर विकास रूक गया वहीं दूसरी ओर किसानों का कर्ज भी माफ नहीं हुआ। समाजवादी सरकार में प्रदेश में चीनी के संकट को दूर करने के लिये बंद चीनी मिलों को चलाने का काम हुआ था जिससे गन्ना किसानों को बड़ी राहत मिली थी। उन्होंने कहा कि किसानों को मंडियों और बाजार से जोड़ने के साथ उनके जीवन में खुशहाली लाने के लिये समाजवादी सरकार में सड़कों का तीव्र गति से निर्माण हुआ। मात्र 23 महीनों में विश्वस्तरीय आगरा एक्सप्रेस-वे के निर्माण से विकास का जो रास्ता हम लोगों ने दिखाया उसे केन्द्र और राज्य सरकार को आगे बढ़ाना चाहिए क्योंकि अधिक से अधिक सड़कों के निर्माण से विकास में तेजी आती हैं और गांवों के लिए रोजगार एवं समृद्धि का रास्ता खुलता है। सपा अध्यक्ष ने कहा कि कब्रिस्तान, श्मशान, ईद, दीपावली, के नाम पर वोट मांगने वाले आज सत्ता में है जिनका विकास से कोई वास्ता नहीं है। उन्होंने कहा, 'जब बबूल का पेड़ लगाया है तब आम कहां से मिलेगा।'उन्होंने कहा कि सपा प्रदेश सरकार के झूठ का पुलिंदा खोलेगी। गरीबों, किसानों, नौजवानों, की लड़ाई सपा मजबूती से लड़ेगी। जनता के आक्रोश की वजह से ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ चुनाव लड़ने की हिम्मत नहीं कर पायें लेकिन गोरखपुर के उपचुनाव में समाजवादी जनता के हक की लड़ाई लड़ेंगे और उसी में ये तय होगा कि जनता समाजवादियों के साथ है। उधर, राज्य के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने हरदोई में एक जनसभा के दौरान कहा, 'पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव 'डिप्रेशन'में है। कुछ दिन आराम करें, सही हो जायेंगे।'

बिहार में भीषण सड़क हादसा, चार पुलिसकर्मी समेत पांच की मौत

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मुजफ्फरपुर 11 सितम्बर, बिहार में मुजफ्फरपुर जिले के पानापुर आउट पोस्ट के अकुराहा ढ़ाला के समीप आज तड़के एक सड़क हादसे में चार पुलिसकर्मियों समेत पांच लोगों की मौत हो गयी जबकि पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) समेत तीन अन्य घायल हो गये । पुलिस सूत्रों ने यहां बताया कि अकुराहा ढ़ाला के समीप पुलिस गश्ती दल एक संदिग्ध वाहन को रोककर उसकी तलाशी ले रहा था। इसी क्रम में पुलिस उपाधीक्षक कृष्ण मुरारी प्रसाद भी अपने दल के साथ वहां पहुंच गये। वाहन की तलाशी के बाद पुलिस उपाधीक्षक ने वाहन को छोड़ने का निर्देश दिया। पुलिसकर्मी सड़क के बीच डिवाइडर पर खड़े थे तभी विपरीत दिशा से आ रहे एक तेज रफ्तार ट्रक डिवाइडर पर चढ़ गयी। इस दुर्घटना में चार पुलिसकर्मियों की मौके पर ही मौत हो गयी । सूत्रों ने बताया कि इस हादसे में पुलिस उपाधीक्षक समेत चार लोग घायल हो गये। घायलों को जब अस्पताल ले जाया जा रहा था तभी रास्ते में दूसरे वाहन के चालक की मौत हो गयी। घायल डीएसपी, आउट पोस्ट प्रभारी समेत तीन लोगों का इलाज स्थानीय अस्पताल में चल रहा है। मृतक पुलिसकर्मियों की पहचान विश्वमोहन शर्मा, विमल चौधरी , मुन्ना चौधरी और फरमान अंसारी के रूप में की गयी है। वहीं वाहन चालक शिनाख्त नहीं की जा सकी है । दुर्घटना के बाद ट्रक चालक मौके पर से फरार हो गया ।

लालू का भागलपुर में नुक्कड़ नाटक साबित होगा आत्मघाती : नीतीश कुमार

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पटना, 11 सितम्बर, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सृजन घोटाले के विरोध में कल राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के प्रमुख लालू प्रसाद यादव की भागलपुर में की गई जनसभा को ‘नुक्कड़ नाटक’ बताया और कहा कि यह उनके लिए आत्मघाती साबित होगा । श्री कुमार ने आज यहां अपने आवास पर आयोजित लोक संवाद कार्यक्रम के बाद संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि श्री लालू प्रसाद यादव ने भागलपुर में नुक्कड़ नाटक किया है। यह उनके लिए आत्मघाती साबित होगा । उन्होंने कहा कि घोटाले की जांच केन्द्रीय जांच ब्यूरो(सीबीआई) कर रही है । किसी को इस जांच पर भरोसा नहीं है और अदालत से जांच की निगरानी चाहते हैं तो वे उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय जायें । अदालत जांच की निगरानी करे यह कहना बिहार सरकार के क्षेत्राधिकार में नहीं है। मुख्यमंत्री ने कहा कि घोटाले का खुलासा उन्होंने किया था । चार-पांच दिन की जांच में जैसे ही लगा कि घोटाला बहुत बड़ा है तो उन्होंने तुरंत इसकी सीबीआई से जांच कराने की अनुशंसा कर दी। उन्होंने कहा कि जिनके पास सृजन घोटाले में उनके या किसी और के खिलाफ कोई सबूत हैं तो वह उसे सीबीआई को क्यों नहीं देते । सीबीआई जांच कर रही है। वह अपनी जांच में उस सबूत का इस्तेमाल कर सकती है।



श्री कुमार ने उत्तर बिहार और सीमांचल में इस साल आयी बाढ़ का जिक्र करते हुए कहा कि बाढ़ से राज्य को काफी नुकसान हुआ है। राज्य के 19 जिलों में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हुयी, जहां 187 प्रखण्डों के 2371 पंचायतों के अन्तर्गत एक करोड़ 71 लाख 64 हजार लोग प्रभावित हुये। प्रभावितों को सहायता देने के लिए राज्य सरकार की ओर से युद्धस्तर पर राहत एवं बचाव कार्य चलाया गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि बाढ़ प्रभावित परिवारों को सरकार की ओर से प्रति परिवार 6 हजार रूपये का नगद अनुदान आर0टी0जी0एस0 के माध्यम से दिया जा रहा है। अब तक 13 लाख परिवारों को अनुदान दिया जा चुका है और आने वाले एक सप्ताह में सभी पीड़ितों को अनुदान उपलब्ध करा दिया जायेगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी 26 अगस्त को प्रभावित क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण कर पूर्णिया में एक बैठक की थी। इस दौरान प्रधानमंत्री को बाढ़ से हुयी क्षति की जानकारी दी गयी थी। श्री कुमार ने कहा कि इस संबंध में राज्य सरकार की ओर से एक ज्ञापन तैयार कर केन्द्र को आज भेजा गया है। उन्होंने कहा,“हमने व्यावहारिक रूप से नियम एवं परम्पराओं के आधार पर केन्द्र सरकार से सीमित राशि की मांग की है। सरकार ने आपदा पीडि़तों के बीच राहत वितरण के लिएअपने खजाने से 2451 करोड़ रूपये अतिरिक्त उपलब्ध कराया है। व्यावहारिक नजरिया अपनाते हुये हमने केन्द्र सरकार से 7,636 करोड़ रूपये की आशा प्रकट की है, जो मिलना चाहिये।” 

मुख्यमंत्री ने बाढ़ के बाद संभावित जलजनित बीमारियों के संदर्भ में कहा कि बाढ़ग्रस्त इलाकों में पानी घटने पर कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं। इसके लिये पानी में डी0डी0टी0 का छिड़काव किया जाता है तथा लोगों को दवाई उपलब्ध करायी जाती है। आपदा विभाग इन सभी चीजों का समन्वय कर रहा है। इस संबंध में प्रतिदिन रिपोर्ट ली जा रही है। श्री कुमार ने कोशी त्रासदी की चर्चा करते हुए कहा कि त्रासदी में केन्द्र से एक हजार दस करोड़ रुपये की अतिरिक्त सहायता मिली थी।यह बुनियादी राहत कार्य के लिये मिला था। बाकी जो राशि की मांग राज्य सरकार ने की थी, वह अबतक नहीं मिली है। त्रासदी से प्रभावित लोगों की मदद के उद्देश्य से राज्य सरकार ने विश्व बैंक से कर्ज लेकर राहत एवं बचाव कार्य किया था। नोटबंदी के संदर्भ में पूछे गये एक सवाल के जवाब में श्री कुमार ने कहा कि नोटबंदी का असर लंबे अवधि में दिखेगा। नोटबंदी से किसके पास कितना पैसा है, इसके बारे में उन्हें समझाना तो होगा ही। नोटबंदी गरीबों को अच्छा लगा था। उन्होंने कहा कि नोटबंदी के बाद अब बेनामी संपति पर हमला शुरू हो गया है। बेनामी संपति पर जब पूरे देश में हमला होगा तथा बेनामी संपति को जब्त किया जायेगा तो इसका और फायदा होगा। 

उच्चतम न्यायालय की टिप्पणी पर राजद ने नीतीश से की इस्तीफे की मांग

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पटना 11 सितम्बर, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को चुनावी हलफनामे में तथ्य छुपाने को लेकर अयोग्य ठहराये जाने संबंधी याचिका पर आज उच्चतम न्यायालय के चुनाव आयोग से जवाब तलब किये जाने पर उनसे इस्तीफे की मांग की। राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह ने यहां पार्टी के प्रदेश कार्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा कि उच्चतम न्यायालय ने इस मामले में संज्ञान लिया है । इस मामले में अदालत ने चुनाव आयोग को नोटिस जारी करके पूछा कि आखिर क्यों न श्री कुमार की विधान परिषद की सदस्यता समाप्त कर दी जाये। न्यायालय ने जवाब के लिए चार हफ्ते का समय दिया है। श्री सिंह ने कहा कि श्री कुमार ने अपने चुनावी दस्तावेजों में उनके खिलाफ हत्या का मामला दर्ज होने की जानकारी नहीं दी थी। उन्होंने कहा कि वर्ष 2004 और 2012 में चुनावी दस्तावेज जमा करते समय श्री कुमार ने आपराधिक जानकारी छुपाई थी जो अपराध है । उन्होंने कहा कि श्री कुमार भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की बात तो करते हैं लेकिन जब अपने ऊपर इसे लागू करना होता है तो उसमें वह दोहरा मापदंड अपनाते हैं। राजद उपाध्यक्ष ने कहा कि तत्कालीन उप मुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव के खिलाफ केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के प्राथमिकी दर्ज किये जाने पर ही श्री कुमार ने महागठबंधन तोड़ दिया था। नैतिकता की दुहाई देने वाले श्री कुमार को उच्चतम न्यायालय के आयोग से रिपोर्ट मांगे जाने पर उन्हें पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं रह गया है । 


श्री सिंह ने कहा कि सृजन घोटाले को लेकर पार्टी की कल भागलपुर में हुयी सभा में भीषण गर्मी के बावजूद अपार भीड़ जुटी थी। सरकार का पैसा गैर सरकारी लोगों के पास कैसे चला गया, इसका जवाब प्रदेश की जनता जानना चाह रही है । उन्होंने कहा कि कई हजार करोड़ रुपये का सृजन घोटाला हुआ है । राजद उपाध्यक्ष ने कहा कि वह पहले से ही कहते रहे हैं कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कभी भी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की गोद में जाकर बैठ सकते हैं तब इसपर जनता दल यूनाइटेड(जदयू) के प्रवक्ता उनकी उम्र का भी ख्याल नहीं करते थे और अशोभनीय टिप्पणी करने से बाज नहीं आते थे। श्री सिंह ने कहा कि जदयू के पांच प्रवक्ता, जो महागठबंधन सरकार के समय उनके खिलाफ अशोभनीय टिप्पणी कर रहे थे वही प्रवक्ता उस समय भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी पर भी अभद्र टिप्पणी करने से बाज नहीं आते थे। उस वक्त श्री कुमार की नैतिकता कहां चली गयी थी । उन्होंने कहा कि उनकी कही बातें सही साबित हुयी। जिसने डीएनए में खराबी की बात कही आज उसी के पास श्री कुमार चले गये। 

मर्यादा की लक्ष्मण रेखा पार न करें लालू : ललन सिंह

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पटना 11 सितंबर, बिहार में सत्तारूढ़ जनता दल यूनाईटेड (जदयू) ने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव को भागलपुर की सभा में उनके भाषण में इस्तेमाल किये गये शब्दों पर कड़ी नाराजगी जताते हुये आज कहा कि श्री यादव मर्यादा की लक्ष्मण रेखा पार न करें नहीं तो उल्टा पड़ जाएगा। जदयू के वरिष्ठ नेता एवं जल संसाधन मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने यहां पार्टी कार्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा, “भागलपुर में कल राजद की सभा में श्री यादव ने जिस भाषा का प्रयोग किया वह उनके जैसे नेता को शोभा नहीं देता है। वह व्यक्तिगत चरित्र हनन पर उतर आए हैं। हम भी उनके जैसी भाषा का इस्तेमाल कर सकते हैं लेकिन हमारे संस्कार और संस्कृति इसकी अनुमति नहीं देते।” उन्होंने कड़ी नाराजगी जताते हुये कहा श्री यादव मर्यादा की लक्ष्मण रेखा पार न करें नहीं तो उल्टा पड़ जाएगा। श्री सिंह ने कहा कि आयकर विभाग, केंद्रीय जांच ब्यूराे और प्रवर्तन निदेशालय की जांच से घिरे राजद अध्यक्ष इन दिनों हताश चल रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह हताशा की चरम सीमा है, जो उनकी भाषा में दिखाई पड़ रही है। उन्होंने कहा कि राजद अध्यक्ष बोलते समय अपनी भाषा पर नियंत्रण रखें।


मंत्री ने श्री यादव के सृजन घोटाले की जांच की निगरानी के लिए उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाने के बयान पर कहा कि यदि उनके पास घोटाले को लेकर कोई साक्ष्य है तो उसे केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को उपलब्ध करायें। उन्होंने कहा कि राजद अध्यक्ष के पास यदि जांच ठीक नहीं चलने का कोई प्रमाण है तो उन्हें उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय अवश्य जाना चाहिए। श्री सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ही सृजन घोटाले को उजागर किया और इसकी जांच की जिम्मेदारी आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) को सौंपी। इसके बाद सीबीआई से इसकी जांच कराने की अनुशंसा भी कर दी। अब सीबीआई मामले की जांच कर रही है, तो इसमें संलिप्त कोई भी बच नहीं पाएगा। उन्होंने श्री यादव के सृजन यात्रा पर कटाक्ष करते हुये कहा कि वह सीबीआई कार्यालय की यात्रा के बजाय सृजन यात्रा क्यों कर रहे हैं। मंत्री ने कहा कि 11 मार्च 1996 को पटना उच्च न्यायालय ने चारा घोटाले की सीबीआई से जांच कराने का आदेश दिया था। इसके विरोध में राजद अध्यक्ष उच्चतम न्यायालय पहुंच गये जबकि न्यायालय ने उच्च न्यायालय के आदेश को सही करार दिया। वह इससे भी नहीं माने तो उनके वकील ने सीबीआई जांच प्रभावित होने की आशंका जताई। इस पर सर्वोच्च न्यायालय ने जांच की निगरानी उच्च न्यायालय को सौंप दी। उन्होंने कहा कि इसी तरह सृजन मामले में श्री यादव को लगता है कि उनके पास पुख्ता साक्ष्य हैं तो वह न्यायालय जाने के लिए स्वतंत्र हैं। 

श्री सिंह ने राजद अध्यक्ष के श्री कुमार पर जनादेश का अपमान कर महागठबंधन छोड़ भाजपा में चले जाने के बयान पर कहा कि आखिर श्री कुमार ने उनपर और उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ लगे बेनामी संपत्ति के आरोपों का जनता के बीच जाकर तथ्यपरक जवाब देने को ही तो कहा था। उन्होंने कहा कि राजद अध्यक्ष यदि सफाई देते भी तो उनके पास दो ही जवाब होते- बेनामी संपत्ति उनकी है या नहीं और यदि है तो आय का स्रोत बतायें। उन्होंने कहा कि श्री यादव आज भी बता दें कि अरबों रुपये की बेनामी संपत्ति उनकी है या नहीं। उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि ऐसे में भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम करने वाले मुख्यमंत्री श्री कुमार क्या करते। उन्होंने अपनी बेदाग और निर्विवाद छवि को बचाने तथा राज्य की जनता के हित में महागठबंधन से किनारा कर लिया। मंत्री ने राजद उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह के जदयू प्रवक्ताओं पर अमर्यादित टिप्पणी करने के आरोप पर कहा कि उनके प्रवक्ताओं ने कभी भी ऐसा नहीं किया। उलटे श्री सिंह महागठबंधन बनने के बाद से लगातार राजद अध्यक्ष के इशारे पर जदयू नेताओं के खिलाफ अभद्र भाषा का प्रयोग करते रहे। उन्होंने राजद की भागलपुर सभा के बार में कहा कि वह ‘मदारी’ की नुक्कड़ सभा थी। जदयू के वरिष्ठ नेता एवं ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव ने कहा कि राज्य की साढ़े 11 करोड़ आबादी पर पड़ने वाले प्रभाव को ध्यान में रखते हुये किसी भी पार्टी के नेता को अमर्यादित भाषा का प्रयोग नहीं करना चाहिए। उन्होंने श्री कुमार के महागठबंधन से नाता तोड़ने को जनादेश का अपमान बताये जाने पर कहा कि वर्ष 1995 के चुनाव में जनता दल को जनादेश मिला था फिर क्यों राजद अध्यक्ष ने 1997 में अलग पार्टी राजद बनाकर अपनी पत्नी राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री बना दिया। उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि क्या वह जनादेश का अपमान नहीं था। 

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