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सुषमा स्वराज ने इटली के प्रधानमंत्री से मुलाकात की

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नई दिल्ली 30 अक्टूबर, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने सोमवार को इटली के प्रधानमंत्री पाओलो जेंटिलोनी से मुलाकात कर आपसी हितों के मुद्दों पर चर्चा की। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने ट्वीट कर कहा, "विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने नई दिल्ली में इटली के प्रधानमंत्री पाओलो जेंटिगोली से मुलाकात की। आपसी हितों के विभिन्न मुद्दों पर चर्चा हुई।" जेंटिलोनी रविवार को भारत आए थे। फरवरी 2007 में इटली के तत्कालीन प्रधानमंत्री रोमानो प्रोडी के भारत दौरे के बाद यह इटली के वर्तमान प्रधानमंत्री का पहला दौरा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जेंटिलोनी सोमवार को प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता करेंगे, जिसके बाद कई समझौतों पर हस्ताक्षर होने की उम्मीद है। जेंटिलोनी राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और उपराष्ट्रपति एम.वेंकैया नायडू से भी मुलाकात करेंगे।


सुरक्षा कारणों से जेट एयरवेज विमान की अहमदाबाद में इमरजेंसी लैंडिंग

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मुंबई/अहमदाबाद 30 अक्टूबर, विमानन कंपनी जेट एयरवेज की मुंबई से दिल्ली आ रही उड़ान सेवा की सोमवार को सुरक्षा कारणों की वजह से अहमदाबाद में इमरजेंसी लैंडिंग करानी पड़ी। इस विमान में चालक दल के सात सदस्यों सहित 122 यात्री सवार थे। विमान को अहमदाबाद हवाईअड्डे के दूरवर्ती क्षेत्र में सुरक्षित उतार लिया गया। सभी यात्रियों को विमान से उतारा गया और उनकी सघन जांच हुई। विमानन अधिकारी का कहना है कि विमान को संभावित रूप से हाईजैक किए जाने या उसमें बम रखे होने के खतरे के मद्देनजर सुरक्षा कारणों से विमान को अहमदाबाद में उतारा गया। अधिकारी ने बताया कि पायलट ने इस खतरे के बारे में अहमदाबाद हवाईअड्डा प्रशासन को सूचित किया। विमान बोइंग 737-900 की 9डब्ल्यू-339 की उड़ान सेवा रात लगभग 2.55 बजे मुंबई से रवाना हुई और सुरक्षा कारणों से रात लगभग 3.45 बजे अहमदाबाद में लैंड हुई। जेट एयरवेज की ओर से जारी बयान के मुताबिक, विमान की सुरक्षा को खतरे के मद्देनजर सुरक्षा प्रक्रियाओं के अनुसार आपातकाल की घोषणा के बाद उसे अहमदाबाद की ओर मोड़ा गया। बयान के मुताबिक, "इस मामले की जांच कर रही सुरक्षा एंजेसियों को हम पूरा सहयोग दे रहे हैं और फिलहाल, इस पर अधिक टिप्पणि करने में सक्षम नहीं है।"

तुषार गांधी ने महात्मा गांधी की हत्या की दोबारा जांच का विरोध किया

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नई दिल्ली 30 अक्टूबर, महात्मा गांधी के पौत्र तुषार गांधी ने राष्ट्रपिता की हत्या की दोबारा जांच का सोमवार को विरोध किया, लेकिन सर्वोच्च अदालत ने पूछा कि इस मामले में उनका उनका पक्षकार बनने का क्या आधार है। तुषार गांधी की ओर से वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह द्वारा इस मामले में पक्षकार बनाए जाने की मांग पर न्यायाधीश एस.ए.बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने उनसे अधिस्थिति स्पष्ट करने को कहा। इसके जवाब में जयसिंह ने हत्या की दोबारा जांच करने वाले याचिकाकर्ता की अधिस्थिति पर सवाल उठाए। जयसिंह ने कहा कि महात्मा गांधी की हत्या के 70 साल बाद मामले की दोबारा जांच नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा कि यह बुनियादी आपराधिक कानून है। अदालत ने मामले की सुनवाई चार सप्ताह के लिए स्थगित कर दी क्योंकि सलाहकार (एमीकस क्यूरी) अमरेंद्र शरण ने अदालत को बताया कि उन्हें राष्ट्रीय अभिलेखागार से कुछ दस्तावेज मिले हैं, लेकिन अभी पूरे दस्तावेज मिलने बाकी हैं।

ग्वालियर में इंजेक्शन लगने के बाद 50 महिलाओं की हालत बिगड़ी

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ग्वालियर 30 अक्टूबर, मध्य प्रदेश के ग्वालियर स्थित कमलाराजे अस्पताल के प्रसूति वार्ड में रविवार को इंजेक्शन लगाने के बाद 50 महिलाओं की हालत बिगड़ गई। महिलाओं ने ठंड लगने और बुखार की शिकायत की। पांच महिलाओं की हालत ज्यादा खराब होने पर उन्हें गहन चिकित्सा इकाई (आईसीयू) में भर्ती किया गया। पीड़ित महिलाओं के परिजनों ने बताया है कि रविवार रात लगभग 9.30 बजे उन्हें एंटी बायोटिक इंजेक्शन लगाया गया, जिसके कुछ देर बाद महिलाओं ने ठंड लगने की शिकायत की और उन्हें बुखार हो गया। चिकित्सकों को इसके बारे में बताया गया, लेकिन उन्हें कुछ देर इंतजार करने को कहा गया। महिलाओं की हालत बिगड़ती देख परिजनों ने हंगामा शुरू कर दिया। हालात और बिगड़ने पर चिकित्सक हरकत में आए। पांच महिलाओं की हालत ज्यादा खराब होने पर उन्हें आईसीयू में भर्ती कराया गया। अस्पताल के अधीक्षक डॉ. संजय चंदेल ने सोमवार को संवाददाताओं को बताया कि महिलाओं को एम्पीसिलीन इंजेक्शन लगाया गया था, जिसके चलते महिलाओं की तबियत बिगड़ी। मामले की जांच की जाएगी। 

आईजीआई पर तीन दिन बंद रहेगा एक रनवे

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 नयी दिल्ली 30 अक्टूबर, दिल्ली के इंदिरा गाँधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के तीन में से एक रनवे 7 नवंबर से तीन दिन के लिए बंद रहेगा जिसे हवाई अड्डे की प्रति घंटा परिचालन क्षमता में कमी आयेगी। हवाई अड्डे का संचालन करने वाली कंपनी दिल्ली अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा लिमिटेड (डायल) ने आज बताया कि रनवे 11-29 आगामी 07 नवंबर की रात 12 बजकर 01 बजे से 10 नवंबर की सुबह 07 बजे तक बंद रहेगा। इस दौरान उसकी उड़ानों का भार अन्य दो रनवे 10-28 और 09-29 पर होगा तथा हवाई अड्डे की परिचालन क्षमता घटकर 45 विमान प्रति घंटा रह जायेगी। अभी यह औसतन 67 उड़ान प्रति घंटा है। डायल ने बताया कि भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण और विमान सेवा कंपनियों के साथ सलाह-मशविरा करके रनवे बंद करने के समय का चयन किया गया है। इसके लिए नागर विमानन महानिदेशालय से अनुमति मिल चुकी है।

भारत, इटली व्यापार 8.8 अरब डॉलर से अधिक हो सकता है : मोदी

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नई दिल्ली 30 अक्टूबर, भारत और इटली के बीच मजबूत संबंधों की सराहना करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कहा कि दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार को 8.8 अरब डॉलर से अधिक होने की संभावना है। मोदी ने भारत की यात्रा पर आए अपने इतावली समकक्ष पाओलो जेंटिलोनी के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा, "भारत और इटली के बीच बहुत अच्छा संबंध है। हमारे बीच मजबूत वाणिज्यिक सहयोग रहा है। भारत और इटली में अपने द्विपक्षीय व्यापार को 8.8 अरब डॉलर से आगे बढ़ाने की क्षमता है।" मोदी ने कहा कि दोनों देशों ने कई क्षेत्रों में समझौता किया है, जिसमें खाद्य प्रसंस्करण, अवसंरचना और पर्यटन प्रमुख रूप से शामिल हैं, जहां दोनों देश सहयोग को मजबूत कर सकते हैं तथा उनकी अर्थव्यवस्थाओं में योगदान दे सकते हैं। मोदी ने यह भी कहा कि दोनों ही देश आतंकवाद और साइबर अपराध से निपटने के लिए बचनबद्ध हैं।

अजित कुमार पी ने नौसेना उपप्रमुख का पदभार संभाला

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 नई दिल्ली 30 अक्टूबर, वाइस एडमिरल अजित कुमार पी ने सोमवार सुबह यहां साउथ ब्लाक में आयोजित एक औपचारिक समारोह में वाइस एडमिरल करमबीर सिंह से नौसेना उपप्रमुख का पदभार ग्रहण किया। रक्षा विभाग की ओर से जारी बयान के अनुसार, वाइस एडमिरल करमबीर सिंह 31 अक्टूबर को विशाखापट्टनम स्थित नौसेना की पूर्वी कमान में फ्लैग आफिसर कमांडिंग इन-चीफ का पदभार ग्रहण करेंगे। बयान के अनुसार, वाइस एडमिरल अजित कुमार भारतीय रक्षा अकादमी से पास हुए थे। वह एक जुलाई, 1981 को भारतीय नौसेना में शामिल हुए थे। वह मिसाइल और तोपखाना विशेषज्ञ हैं। कुमार को अग्रिम पंक्ति के युद्धपोतों के संचालन में व्यापक अनुभव प्राप्त है। उन्होंने नौसेना उच्च कमान पाठ्यक्रम किया है और अमेरिका के रोडे द्वीपसमूह के न्यूपोर्ट स्थित नौसेना युद्ध महाविद्यालय में अध्ययन किया है।

बिहार में परंपरागत उद्योगों की अपार संभावनाएं : नीतीश

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पटना 30 अक्टूबर, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने यहां सोमवार को कहा कि बिहार में परंपरागत उद्योगों की अपार संभवनाएं हैं। उन्होंने कहा कि सरकार हथकरघा और विद्युत करघा को और मजबूत करेंगी। उद्यमी पंचायत की बैठक की अध्यक्षता करते हुए उन्होंने कहा कि हस्तकरघा, विद्युत करघा, बुनकर, रंगरेज, सिल्क व्यवसाय से जुड़े प्रतिनिधियों ने अपनी समस्याओं को इस बैठक में रखा है, उसके समाधान के लिए गंभीरतापूर्वक चर्चा की गई। उन्होंने कहा, "हस्तकरघा, विद्युत करघा और रेशम के क्षेत्र में रोजगार की काफी संभावनाएं हैं। उन्होंने कहा कि तसर के उद्योग के लिए महिलाओं को 661 उपकरण दिए जा चुके हैं, जिससे और भी प्रभावकारी परिणाम सामने आएगा। हैंडलूम को-ऑपरेटिव सोसायटी की चर्चा करते हुए उन्होंने इसकी संख्या बढ़ाने की जरूरत बताई।" रंगरेजों के बारे में उन्होंने कहा, "रंगरेजों की अपनी पहचान है। बुनकर लोग रंगरेजों से आपसी संबंध को बेहतर बनाकर रोजगार की संभावना बढ़ा सकते हैं। रंगरेजों की एक समय बहुत दयनीय स्थिति हो गई थी, जिन्हें अपने जीविकोपार्जन के लिए तरह-तरह की परेशानियों से गुजरना पड़ता था। बुनकर क्षेत्र से जोड़कर रंगरेजों में रोजगार के अवसर को बढ़ाया जा सकता है।" मुख्यमंत्री ने कहा कि इन क्षेत्रों में रोजगार की काफी संभावनाएं हैं। उन्होंने इन उद्योगों से जुड़े लोगों से उपभोक्ताओं को आकर्षित करने के उपाय करने की अपील करते हुए कहा कि सरकार इन उद्योगों को और मजबूत करने के उपाय कर रही है। मुख्यमंत्री ने आश्वासन देते हुए कहा, "ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोजगार मिल सके, सरकार की यह कोशिश है। सरकार परंपरागत उद्योगों को मजबूती देना चाहती है। जो भी प्राथमिक चीजें हैं, उसमें हमारा पूरा सहयोग रहेगा।"


मप्र में 'आरती घोटाले'से हिंदू समाज शर्मसार : कांग्रेस

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भोपाल 30 अक्टूबर, मध्य प्रदेश में नर्मदा नदी को अविरल और प्रदूषण मुक्त करने के लिए निकाली गई नमामि देवी नर्मदे सेवा यात्रा के दौरान हुई आरती में घोटाले का खुलासा होने के बाद कांग्रेस ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर तीखा प्रहार किया है। विपक्षी पार्टी का कहना है कि 'हिंदू, राष्ट्रवाद और भगवान राम की बात करने वाली भाजपा ने 'आरती घोटाला'कर हिंदू समाज को शर्मसार किया है।'नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने सोमवार को एक बयान जारी कर कहा, "मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अगुवाई में निकाली गई नमामि देवी नर्मदे सेवा यात्रा में 'आरती घोटाला'तो घोटाला नंबर एक है, अभी और घोटाले सामने आना बाकी हैं। पूरी नर्मदा यात्रा के नाम पर किए गए घोटालों की सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच हो, क्योंकि अब इस देश में एक यही संस्था है, जहां से न्याय की उम्मीद है।" सिंह ने आगे कहा कि भाजपा सिर्फ वोटों और नोटों के लिए हिंदी, हिंदू और राष्ट्रवाद की बात करती है। उन्होंने कहा, "अयोध्या में राम मंदिर बनाने के नाम पर भाजपा ने पूरे देश में रामशिलाएं और धनराशि एकत्र किया, मगर उसका आज तक हिसाब नहीं दिया। इसके बाद रामपथ बनाने की जोरशोर से घोषणा की, जिसका आज तक कहीं पता नहीं है। सिंहस्थ कुंभ में अरबों रुपये का घोटाला किया गया। अब आरती घोटाला कर भाजपा ने बताया दिया है कि उसका हिंदू धर्म और संस्कृति से प्रेम 'नकली'है। असल मकसद इससे वोट और नोट कमाना है।" नेता प्रतिपक्ष ने सवाल किया कि घरों या मंदिरों में जो आरती पांच-दस रुपये में होती है, मुख्यमंत्री ने ऐसी कौन सी आरती की, जिस पर एक बार में 59 हजार रुपये खर्च आया? प्रधानमंत्री ने भी गंगा की इतनी महंगी आरती नहीं की होगी। वहीं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव ने कहा, "शिवराज राज में व्यापम घोटाले के बाद आरती घोटाला सामने आया है। एक वक्त की आरती पर 59 हजार रुपये खर्च होना नर्मदा यात्रा के नाम पर हुए घोटालों की पोल खोलता है।"

मप्र में भाजपा वर्षगांठ पर बताएगी नोटबंदी के फायदे

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 भोपाल 30 अक्टूबर, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की मध्य प्रदेश इकाई आठ नवंबर को कालाधन विरोधी दिवस मनाएगी। इस मौके पर सभी 56 जिला मुख्यालयों में कार्यक्रम होंगे और इस दौरान आमजन को नोटबंदी से हुए लाभ का ब्यौरा दिया जाएगा। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान ने सोमवार को यहां एक बयान जारी कर कहा कि आठ नवंबर, 2016 को हुई नोटबंदी के बाद आतंकवाद व नक्सली गतिविधियों पर लगाम लगी, भ्रष्टाचार में निरंतर कमी आई। पार्टी ऐसे सामाजिक लाभ से जन-जन को अवगत कराएगी। उन्होंने कहा कि नोटबंदी से कालेधन के सृजन के स्रोत सूखे हैं और बैंकों में नकदी बढ़ी है। राजस्व संग्रह में इजाफा हुआ है, कालाधन विरोधी दिवस पर इन लाभों से जन-जन को अवगत कराया जाएगा। चौहान ने सभी जिलाध्यक्षों से कहा है कि वे स्थानीय सुविधा के अनुसार छह से नौ नवंबर के बीच कालेधन के विरोध में नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की जानकारी आमजन को दें।उन्होंने आगे बताया कि कालाधन विरोधी दिवस पर बुद्धिजीवी सम्मेलन, विचार-गोष्ठी, रैली, जुलूस सहित अन्य कार्यक्रम विशेष आकर्षण होंगे। चौहान ने कहा कि बीते वर्ष आठ नवंबर को नोटबंदी जैसा साहसिक कदम उठाकर देश में आर्थिक क्षेत्र में जो सुधार किया गया है, उसकी देश-विदेश में भी प्रशंसा हुई है। उन्होंने आगे कहा कि राजग सरकार की कालेधन को खत्म करने की प्रतिबद्धता का प्रमाण इसी बात से मिलता है कि सत्ता में आते ही मोदी सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय के उस आदेश का अनुपालन किया, जिसमें कालाधन पर रोक लगाने के लिए कहा गया था। केंद्र सरकार ने एसआईटी का गठन किया। बेनामी संपत्ति कानून की अधिसूचना जारी कर सख्ती से अमल शुरू किया। चौहान ने कहा कि इसी कड़ी में देश में जीएसटी व्यवस्था आरंभ की गई, जिससे भारत आज विदेशी निवेशकों का पसंदीदा स्थान बन चुका है। इसी का नतीजा है कि देश में विदेशी मुद्रा भंडार और विदेशी निवेश का नया कीर्तिमान बना है।

सीडी कांड में गिरफ्तार वरिष्ठ पत्रकार विनोद वर्मा न्यायिक हिरासत में भेजे गए जेल

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रायपुर 31 अक्टूबर, छत्तीसगढ़ में एक मंत्री की कथित अश्लील सीडी के मामले में उत्तरप्रदेश के गाजियाबाद से गिरफ्तार वरिष्ठ पत्रकार विनोद वर्मा को आज अदालत ने 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया।श्री वर्मा को पुलिस ने आज रिमांड की अवधि पूरी होने पर रायपुर जिला न्यायालय में न्यायधीश भावेश कुमार वट्टी की अदालत में पेश किया।पुलिस ने अदालत से आगे रिमांड की मांग नही की,जिसके बाद श्री वर्मा को अदालत ने 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया। श्री वर्मा को इससे पहले गाजियाबाद से ट्रांजिट रिमांड पर लाकर 29 अक्टूबर को अदालत में पेश किया गया था। पुलिस के अनुरोध पर अदालत ने वर्मा को तीन दिन के लिए पुलिस को रिमांड पर सौप दिया गया था। उन्हे 27 अक्टूबर को गाजियाबाद से उनके आवास से गिरफ्तार किया गया था। उनके अधिवक्ताओं द्वारा आज या कल जमानत के लिए आवेदन सौंपे जाने की उम्मीद है।

विरोट कोहली को लेकर फिल्म बनाना चाहते हैं करण जौहर

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मुंबई 31 अक्टूबर, बॉलीवुड के जाने माने फिल्मकार करण जौहर क्रिकेटर विराट कोहली को लेकर फिल्म बनाना चाहते हैं।करण जौहर ने कई स्टार किड्स को लॉन्च किया है। अब करण की नजर है भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली पर है। करण विराट की एक्टिंग से खासे प्रभावित हैं। विराट का हाल ही में आया एक एड कमर्शियल इसमें वह अपनी कथित गर्लफ्रेंड अनुष्का शर्मा के साथ नजर आ रहे हैं। करण यह एड देखकर इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने विराट की तारीफ में ट्वीट भी किया। उन्होंने लिखा कि अभिषेक वर्मन ने बेहद खूबसूरत एड डायरेक्ट किया है और विराट बेहतरीन एक्टर हैं। यह भी कहा जा रहा है कि करण जौहर विराट कोहली को अपनी फिल्म के लिए साइन करना चाहते हैं। अब अगर विराट हीरो बनेंगे, तो जाहिर है कि हीरोइन तो अनुष्का शर्मा ही होंगी।

ट्रंप के पूर्व प्रचार प्रमुख मानाफोर्ट नजरबंद

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वाशिंगटन 31 अक्टूबर, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के चुनाव प्रचार अभियान के अध्यक्ष रह चुके पॉल मानाफोर्ट को 2016 के राष्ट्रपति चुनाव में कथित रूसी हस्तक्षेप के आरोप के बाद नजरबंद कर दिया गया है। समाचार एजेंसी एफे के मुताबिक, न्यायाधीश डबोराह ए.रॉबिन्सन ने मानाफोर्ट और उनके पूर्व कारोबारी सहयोगी रिक गेट्स के सोमवार को अदालत के समक्ष पेश होने के बाद उन्हें पासपोर्ट जमा कराने को कहा। दोनों को अदालत की पेशियों, वकीलों से मुलाकात, चिकित्सा के लिए चिकित्सकों से मुलाकात और धार्मिक गतिविधियों में शामिल होने की छूट है, और इसके अलावा उनके घर से बाहर निकलने पर रोक लगा दी गई है। न्यायाधीश ने मानाफोर्ट पर एक करोड़ डॉलर और गेट्स पर 50 लाख डॉलर की जमानत राशि निर्धारित की है। यदि दोनों में से कोई भी नजरबंद की शर्तो का उल्लंघन करता है तो उन्हें इस जमानत राशि का भुगतान करना पड़ेगा। दोनों पर धनशोधन और षडयंत्र रचने आदि दर्जनभर आरोप हैं, जिसके खिलाफ इन्होंने खुद को निर्दोष बताते हुए याचिकाएं दायर की हैं। मानाफोर्ट और गेट्स गुरुवार को अदालत में पेश होंगे। ट्रंप ने सोमवार सुबह अपने पूर्व प्रचार प्रमुख के खिलाफ चल रहे इस मामले पर कहा कि मानाफोर्ट पर लगाए गए ये कथित आरोप उनके प्रचार अभियान से जुड़ने से पहले के हैं। ट्रंप ने ट्वीट किया, "माफ करना, लेकिन यह पॉल मानाफोर्ट के ट्रंप प्रचार अभियान से जुड़ने से बरसों पहले का मामला है। लेकिन हिलेरी और डेमोक्रेटिक को क्यों इससे अलग किया गया। कोई सांठगांठ तो नहीं है!" पिछले शुक्रवार को आईं मीडिया रपटों के मुताबिक, वाशिंगटन के एक ग्रैंड जूरी ने 2016 के राष्ट्रपति चुनाव में रूस के कथित हस्तक्षेप और रूस और ट्रंप के प्रचार अभियान के बीच संभावित सांठगांठ के लिए विशेष अभियोजक रॉबर्ट मूलर द्वारा की जा रही जांच के लिए अभियोग जारी किया था। जांचकर्ताओं ने मानाफोर्ट को निशाना बनाया, जिसने कई महीनों तक लॉबिस्ट के तौर पर काम किया था और एफबीआई ने जुलाई में उनके घर की तलाशी ली थी।

आलेख : आचार्य डाॅ. शिवमुनि क्रांतिकारी संतपुरुष

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भारत की रत्नगर्भा वसुंधरा ने अनेक महापुरुषों को जन्म दिया है, जो युग के साथ बहते नहीं, बल्कि युग को अपने बहाव के साथ ले चलते हैं। ऐसे लोग सच्चे जीवन के धनी होते हैं। उनमें जीवन-चैतन्य होता है। वे स्वयं आगे बढ़ते हैं, जन-जन को आगे बढ़़ाते हैं। उनका जीवन साधनामय होता है और जन-जन को वे साधना की पगडंडी पर ले जाते हैं, प्रकाश स्तंभ की तरह उन्हें जीवन पथ का निर्देशन देते हैं एवं प्रेरणास्रोत बनते हैं। आचार्य सम्राट डाॅ. शिव मुनिजी महाराज एक ऐसे ही क्रांतिकारी महापुरुष एवं संतपुरुष हैं। जिनका इस वर्ष हीरक जयन्ती महोत्सव वर्ष मनाया जा रहा है। हाल ही में उन्हें इन्दोर - मध्यप्रदेश में एक भव्य समारोह में अध्यात्म ज्योति के अलंकरण से सम्मानित किया गया।

आचार्य डाॅ. शिव मुनि पारसमणि हैं। उनके सान्निध्य से हजारों मनुष्यों का जीवन सर्वोत्तम और स्वर्णिम बना है। वे युगद्रष्टा एवं युगस्रष्टा धर्माचार्य हैं, उन्होंने युग की समस्याओं को समझा और उनका समाधान प्रदान किया। देश में सांप्रदायिकता, अराजकता, भोगवाद और अंधविश्वास का विष फैलाने वाले धर्माचार्य बहुत हैं। पर धर्म का यथार्थ स्वरूप बताने वाले आचार्य शिव मुनि जैसे धर्माचार्य कम हैं। उन्होंने धर्म के वैज्ञानिक और जीवनोपयोगी स्वरूप का मार्गदर्शन किया। वे प्रगतिशील हैं क्यांेकि उन्होंने धर्म के क्षेत्र में नये-नये प्रयोग किये हैं। वे महान परिव्राजक हैं क्योंकि वे कठोर चर्या भूख और प्यास से अविचलित रहकर गांव-गांव घूमे, हजारों किलोमीटर की पदयात्रा की। वे विशाल दृष्टि के धारक हैं, क्योंकि वे सबके होकर ही सबके पास पहुंचे। वे स्वयं में ज्ञान के सागर- विद्यापीठ हैं क्योंकि अध्ययन, अध्यापन, स्वाध्याय और साहित्य निर्माण उनकी सहज प्रवृत्तियां हैं। वे महान हैं क्योंकि उनकी गति महान लक्ष्य की ओर है। वे सिद्ध हैं, वे आस्थाशील हैं और विलक्षण हैं, इसलिये जन-जन के लिये पूजनीय है।

धार्मिक जगत के इतिहास में आचार्य शिव मुनि इन शताब्दियों का एक दुर्लभ व्यक्तित्व हंै। उनकी जीवनगाथा भारतीय चेतना का एक एक अभिनव उन्मेष हंै। आपके जीवन से, आपके दर्शन और मार्गदर्शन से असंख्य लोगों ने शांति एवं संतुलन का अपूर्व अनुभव किया है। आपका जन्म 18 सितम्बर 1942 को भादवा सुदी पंचमी के दिन पंजाब एवं हरियाणा की सीमा पर बसे रानिया नामक गांव में, आपके ननिहाल में हुआ। आपके पिता सेठ चिरंजीलाल जैन एवं माता श्रीमती विद्यादेवी जैन एक धार्मिक, संस्कारी, कुलीन एवं संपन्न परिवार के श्रावक-श्राविका थे। धर्म के प्रति यह परिवार अनेक पीढ़ियांे से समर्पित रहा है। यही कारण है कि पारिवारिक संस्कारों एवं धार्मिक निष्ठा की पृष्ठभूमि में आपने एवं आपकी बहन ने 17 मई 1972 को मलोठ मण्डी में दीक्षा स्वीकार की। आप शिव मुनि बने एवं बहन महासाध्वी निर्मलाजी महाराज के नाम से साधना के पथ पर अग्रसर हुए हैं। तृतीय पटधर आचार्य श्री देवेन्द्रमुनिजी के देवलोकगमन के पश्चात 9 जून 1999 को अहमदनगर (महाराष्ट्र) में श्रमण संघ के विधानानुसार आपश्री को श्रमण संघ के चतुर्थ पट्टधर आचार्य के रूप में अभिषिक्त किया गया। इससे पूर्व द्वितीय पट्टधर आचार्य श्री आनंद ऋषि जी महाराज ने 13 मई 1987 को आपको युवाचार्य घोषित किया। लगभग 1200 साधु-साध्वियों तथा लाखों श्रावकों वाले इस विशाल चतुर्विद श्रीसंघ के नेतृत्व का दायित्व आपने संभालने के पश्चात संपूर्ण भारत को अपने नन्हे पांव से नापा। आचार्य बनने के पश्चात आपने श्रमण संघ को नये-नये आयाम दिये। 

नीतिशास्त्री डब्ल्यू. सी. लूसमोर ने विकसित व्यक्तित्व को तीन भागों में बांटा है- विवेक, पराक्रम और साहचर्य। नीतिशास्त्री ग्रीन ने नैतिक प्रगति के दो लक्षण बतलाए हैं- सामंजस्य और व्यापकता। इनके विकास से मनुष्य आधिकारिक महान बनता है। व्यक्तित्व के विकास के लिए अपने आपको स्वार्थ की सीमा से हटाकर दूसरों से जोड़ देने वाला सचमुच महानता का वरण करता है। आचार्य सम्राट शिव मुनि का व्यक्तित्व इसलिए महान है कि वे पारमार्थिक दृष्टि वाले हैं। श्रेष्ठता और महानता उनकी ओढ़ी हुई नहीं है, कृत्रिम भी नहीं है बल्कि वह उनके व्यक्तित्व की सहज पहचान है। पुरुषार्थ की इतिहास परम्परा में इतने बड़े इतने बड़े पुरुषार्थी पुरुष का उदाहरण कम ही है, जो अपनी सुख-सुविधाओं को गौण मानकर जन-कल्याण के लिए जीवन जीये। 

अध्यात्म क्रांति के साथ-साथ समाज क्रांति के स्वर और संकल्प भी आपके आस-पास मुखरित होते रहे हैं। संत वही है जो अपने जीवन को स्व परकल्याण में नियोजित कर देता है। आचार्य शिव मुनि साधना के पथ पर अग्रसर होते ही धर्म को क्रियाकांड से निकालकर आत्म-कल्याण और जनकल्याण के पथ पर अग्रसर किया। उनका मानना है कि धर्म न स्वर्ग के प्रलोभन से हो, न नरक के भय से। जिसका उद्देश्य हो जीवन की सहजता और मानवीय आचारसंहिता का धुव्रीकरण। उन्होंने धर्म को अंधविश्वास की कारा से मुक्त कर प्रबुद्ध लोकचेतना के साथ जोड़ा। समाज सुधार के क्षेत्र में पिछले बारह वर्षों से आप त्रि-सूत्रीय कार्यक्रम को लेकर सक्रिय हैं। यह त्रि-सूत्रीय कार्यक्रम हैं- व्यसनमुक्त जीवन, जन-जागरण तथा बाल संस्कार। इन्हीं तीन मूल्यों पर आदर्श समाज की रचना संभव है।  आपने अपने धर्मसंघ के कार्यक्रमों को आगे बढ़ाते हुए जन-जन को ध्यान का प्रशिक्षण दिया। आप महान ध्यान योगी हैं। ध्यान और मुनि ये दो शब्द ऐसे हैं जैसे दीपक की लौ और उसका प्रकाश। सूर्य की किरणें और उसकी उष्मा। साधुत्व की सार्थकता और साधुत्व का बीज उसकी साधना में है जो निरंतर स्वाध्याय और ध्यान में संलग्न रहता है। स्वाध्याय से ज्ञान के द्वार उद्घाटित होते हैं, उसी ज्ञान को स्व की अनुभूतियों पर उतारने का नाम ध्यान है। इसी साधना को आचार्य सम्राट शिव मुनि ने अपने अस्तित्व का अभिन्न अंग बनाया है। वे स्वयं तो साधना की गहराइयों में उतरते हैं, हजारों-हजारों श्रावको को भी ध्यान की गहराइयों में ले जाते हैं। इस वैज्ञानिक युग में उस धर्म की अपेक्षा है जो पदार्थवादी दृष्टिकोण से उत्पन्न मानसिक तनाव जैसी भयंकर समस्या का समाधान कर सके, पदार्थ से न मिलने वाली सुखानुभूति करा सके, नैतिकता की चेतना जगा सके। आचार्य शिव मुनि ने अपने ध्यान के विभिन्न प्रयोगों से धर्म को जीवंत किया है। 

आचार्य सम्राट शिव मुनि का जीवन विलक्षण विविधताओं का समवाय है। वे कुशल प्रवचनकार, ध्यानयोगी, तपस्वी, साहित्यकार और सरल व्यक्तित्व के धनी हैं। सृजनात्मक शक्ति, सकारात्मक चिंतन, स्वच्छ भाव, सघन श्रद्धा, शुभंकर संकल्प, सम्यक् पुरुषार्थ, साधनामय जीवन, उन्नत विचार इन सबके समुच्चय से गुम्फित है आपका जीवन। आप महान् साधक एवं कठोर तपस्वी संत हैं। पिछले 37 वर्षों से लगातार एकांतर तपकर रहे हैं। इक्कीसवीं शताब्दी को अपने विलक्षण व्यक्तित्व, अपरिमेय कर्तृत्व एवं क्रांतिकारी दृष्टिकोण से प्रभावित करने वाले युगद्रष्टा ऋषि एवं महर्षि हैं। उनकी साधना जितनी अलौकिक है, उतने ही अलौकिक हंै उनके अवदान। उन्होंने धर्म को अंधविश्वास एवं कुरीढ़ियों से मुक्त कर जीवन व्यवहार का अंग बनाने का अभिनव प्रयत्न किया है। उनका कार्यक्षेत्र न केवल वैयक्तिक है और न केवल सामाजिक बल्कि वह सार्वदेशिक, सार्वभौमिक एवं सार्वकालिक है। वे व्यक्ति एवं समाज दोनों की शुद्धि के लिए प्रयत्न कर रहे हैं। जनमानस में नैतिकता को मजबूत कर रहे हैं। वे धरती के भगवान बनकर मानव मन के ताप, संताप और संत्रास को हर रहे हैं। उन्होंने धरती पर स्वर्ग के अवतरण की कल्पना की है, सामाजिक कुरीढ़ियों के विरुद्ध जनचेतना को जागृत किया है, धर्म को जाति, वर्ग एवं संप्रदाय के घेरे से मुक्त कर आत्मशुद्धि के महान अनुष्ठान के रूप में प्रस्थापित किया, मानव को सौहार्दपूर्ण जीवन जीने की कला सिखाई। वे उत्क्रान्तचेता धर्मनायक हैं, उनका शासनकाल न केवल श्रमणसंघ के लिए बल्कि मानवता के लिए आध्यात्मिक विकास का पर्याय है। वे नित्य नये स्वप्न देखते हैं और तदनुरूप उन स्वप्नों को पुरा करते हैं। उन्होंने कितना कुछ किया इसकी एक लंबी फेहरिस्त है। चाहे वह आगम संपादन का कार्य हो, चाहे ध्यान के अभिनव प्रयोग, चाहे समाज सुधार के उपक्रम हो या बाल संस्कार के प्रयोग। एक लंबी कतार है आपके अवदानों के वरदान बनने की। 

जैन एकता की दृष्टि से आपने निरंतर उदारता का परिचय दिया है। वे हर समय जैन एकता एवं सद्भाव के लिए तत्पर रहते हैं। उनका प्रयास है कि जैन एकता का अभिनव वातवरण बने- एक ध्वज, एक ग्रंथ, एक दिन संवत्सरी पर्व जैसे मुद्दों पर समग्र जैन समाज की सहमति बने, इसके लिए वे प्रयारत हैं। आपके हीरक जयंती महोत्सव पर तेरापंथ के आचार्य श्री महाश्रमणजी द्वारा आपको ‘अध्यात्म ज्योति’ के अलंकरण से सम्मानित किया जाना आपके व्यापक एवं समन्वयवादी दृष्टिकोण का ही परिचायक है। यह जैन समाज की एक अभिनव घटना है जिसमें एक आचार्य दूसरे आचार्य को सम्मानित कर रहा है। 

आप एक महान साहित्यस्रष्टा युगपुरुष हैं। आपने सत्यं, शिवं और सौंदर्य की युगपथ उपासना की है, इसलिए आपका लेखन एवं वक्तव्य सृजनात्मकता को पैदा करने वाला है। आपके विचार सीमा को लांघ कर असीम की ओर गति करते हुए दृष्टिगोचर होते हैं। आपका रचित साहित्य बहुल होने के साथ-साथ हृदयग्राही और प्रेरक है। क्योंकि वह सहज है, हृदय एवं अनुभव की वाणी है जो किसी भी हृदय को झकझोरने, आनंद विभोर करने, जीवन की दिशा देने में सक्षम है। आपने दीक्षा लेने से पूर्व ही अंग्रेजी एवं दर्शनशास्त्र में एम.ए. कर लिया था। दीक्षा लेने के पश्चात भारतीय धर्मों में मुक्ति की अवधारणा, जैन धर्म का विशिष्ट संदर्भ इस विषय में पटियाला विश्वविद्यालय से पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। कलकत्ता विश्वविद्यालय ने आपको आपकी कृति ‘ध्यान एक दिव्य साधना’ पर डी.लिट की मानद उपाधि देकर सम्मानित किया। न केवल साहित्य के क्षेत्र में बल्कि आस्था के क्षेत्र में भी आपके विचारों का क्रांतिकारी प्रभाव देखने को मिलता है। आप सफल प्रवचनकार है और आपके प्रवचनों में जीवन की समस्याओं के समाधान निहित हैं। इस तरह हम जब आपके व्यक्तित्व पर विचार करते हैं तो वह प्रवहमान निर्झर के रूप में सामने आता है। उनका लक्ष्य सदा विकासोन्मुख है। ऐसे विलक्षण जीवन और विलक्षण कार्यों के प्रेरक आचार्य सम्राट शिवमुनिजी पर समूचा जैन समाज गर्व का अनुभव करता है और उनके हीरक जयंती महोत्सव वर्ष पर अभिवंदन करता है। 



( ललित गर्ग)
-60, मौसम विहार, तीसरा माला, 
डीएवी स्कूल के पास, दिल्ली-51
फोनः 22727486, 9811051133

मुंबई में रेलवे के लिए पुल बनाएगी सेना

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मुंबई 31 अक्टूबर, भारतीय सेना के इंजीनियर पहली बार मुंबई रेलवे स्टेशन पर एक नियमित प्रयोग में आने वाले पुल की डिजाइन और निर्माण करेंगे। इस पुल का निर्माण 'युद्ध स्तर पर'किया जाएगा। पश्चिमी रेलवे के एक अधिकारी ने मंगलवार को इस बात की जानकारी दी। पश्चिमी रेलवे के मंडल रेलवे प्रबंधक मुकुल जैन ने  बताया, "यह पुल अपने आप में अनोखा होगा और रेलवे द्वारा बनाए जाने वाले पुलों से अलग होगा। यह एलफिन्स्टन रोड स्टेशन के उत्तरी छोर पर परेल की तरफ स्थित होगा।" उन्होंने कहा कि सेना का एक दल स्थान की पहचान करेगा और कार्य को आगे बढ़ाने से पहले फुटओवर ब्रिज की डिजाइन और योजना रेलवे के समक्ष दाखिल करेगा। जैन के मुताबिक यह ऐसा पहली दफा हो रहा है कि एक नागरिक अनुबंध भारतीय सेना द्वारा नियंत्रित किया जाएगा। भारतीय सेना अपनी विशाल इंजीनियरिंग विशेषता के लिए जानी जाती है। पिछले महीने 29 सितम्बर को सेंट्रल रेलवे पर बने संकरे फुट ओवरब्रिज पर मची भगदड़ में 23 लोगों की मौत हो गई थी। यह ओवरब्रिज एलफिन्स्टन रोड को परेल से जोड़ता है। रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण, रेल मंत्री पीयूष गोयल, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और दूसरे अधिकारियों ने मंगलवार को एलफिन्स्टन रोड स्टेशन का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने भगदड़ के बाद हुए विकास कार्यों को जायजा लिया। इससे पहले मुंबई के भाजपा अध्यक्ष आशीष शेलार ने सीतारमण और गोयल से इस मुद्दे पर मुलाकात की थी जिसमें उन्होंने सेना के इंजीनियरों की विशेषज्ञता का जिक्र करते हुए पुल का निर्माण उनसे कराने की मांग की थी। सेना के इंजीनियर विकट स्थानों पर तेज गति से टिकाऊ पुल बनाने के लिए जाने जाते हैं।


विशेष : त्योहार और बाजार...!!

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कहते हैं बाजार में वो ताकत हैं जिसकी दूरदर्शी आंखे हर अवसर को भुना कर मोटा मुनाफा कमाने में सक्षम हैं। महंगे प्राइवेट स्कूल, क्रिकेट , शीतल पेयजल व मॉल से लेकर फ्लैट संस्कृति तक इसी बाजार की उपज है। बाजार ने इनकी उपयोगिता व संभावनाओं को बहुत पहले पहचान लिया और नियोजित तरीके से इस क्षेत्र में आहिस्ता – आहिस्ता अपना आधिपत्य स्थापित भी कर ही लिया। कई साल  पहले जब बोतल बंद पानी का दौर शुरू हुआ तो मन में सहज ही सवाल उठता ... क्या जमाना आ गया है, अब बोतलों में पानी बिकने लगा है। लेकिन आज हम सफर के लिए ट्रेन पकड़ने से पहले ही बोतलबंद पानी खरीद कर बैग में रख लेते हैं। कई दशक पहले ही बाजार ने त्योहार को भी अवसर के रूप में भुनाना शुरू कर दिया। त्योहार यानी बड़ा बाजार। पहले जेबें खाली होते हुए भी त्योहार मन को असीम खुशी देते थे। त्योहार के दौरान दुनिया  बदली – बदली सी नजर आती थी। लेकिन दुनियावी चिंताओं के फेर में धीरे – धीरे मन में त्योहारों के प्रति अजीब सी  उदासीनता घर करने लगी। मन में सवाल उठता... यह तो चार दिनों की चांदनी है...। जब दिल में खुशी है ही नहीं तो दिखावे के लिए खुश दिखने का मतलब। फिर  त्योहारों में भी अजीब विरोधाभासी तस्वीरें नजर आने लगती। त्योहार यानी एक वर्ग के लिए मोटे वेतन के साथ अग्रिम और बोनस के तौर पर मोटी रकम के प्रबंध के साथ लंबी छुट्टियां की सौगात। फिर पर्यटन केंद्रों में क्यों न उमड़े भीड़। सामान्य दिनों में पांच सौ रुपयों में मिलने वाले कमरों का किराया पांच गुना तक क्यों न बढ़े। आखिर इस वर्ग पर क्या फर्क पड़ता है। लंबी छुट्टियां बीता कर दफ्तर पहुंचेंगे और महीना बीतते ही फिर मोटी तनख्वाह एकाउंट में जमा हो जाएगी। फिर सोचता हूं ठीक ही तो है। ये खर्च करते हैं तो उसका बंटवारा समाज  में ही तो होता है। किसी न किसी को इसका लाभ तो मिलता है। बीच में त्योहार की चकाचौंध से खुद को बिल्कुल दूर कर लिया था क्योंकि त्योहार की धमाचौकड़ी के बीच बेलून बेच रहे बच्चों की कुछ आमदनी हो जाने की उम्मीद में चमकती आंखें और सवारियां ढूंढ रही रिक्शा चालकों की सजग – चौकस निगाहें मन में अवसाद पैदा करने लगी थी। कोफ्त होती कि यह भी कैसी खुशी है। एक वर्ग खुशी से बल्लियों उछल रहा है तो दूसरा कुछ अतिरिक्त कमाई की उम्मीद में बेचैन है। क्या पता उसे इच्छित आमदनी न हो। तब क्या बीतेगा उन पर। विजयादशमी के हुल्लड़ में मैने अनेक चिंतित और हैरान – परेशान दुकानदार देखे हैं। जो पूछते ही कहने लगते हैं... क्या बताएं भाई साहब, इस साल आमदनी नहीं हुई, उल्टे नुकसान हो गया ... ढेर सारा माल बच गया। हिसाब करेंगे तो पता  चलेगा कितने का दंड लगा है। समझ में नहीं आता... अब बचे माल का करेंगे क्या। इस भीषण चिंता की लकीरें बेचारों के परिजनों के चेहरों पर भी स्पष्ट दिखाई पड़ती है। सचमुच त्योहारों ने संवेदनशील लोगों के दिलों को भारी टीस पहुंचाना शुरू कर दिया है। इस साल विजयादशमी से करीब एक पखवाड़े पहले मेरे छोटे से शहर में चार बड़े शॉपिंग मॉल खुल गए हैं। जिसमें हर समय भारी भीड़ नजर आती है। माल के कांच के दरवाजे ठेल कर निकलने वाले हर शख्स के हाथ में रंगीन पैकेट होता है जो उनके कुछ न कुछ खरीदारी का सबूत देता है। लोग खरीदें भी क्यों नहीं...। आखिर ब्रांडेड चीजें भारी छूट के साथ मिल रही है। साथ में कूपन और उपहार भी। लेकिन फिर सोचता हूं इसके चलते शहर के उन चार हजार दुकानदारों की दुनिया पर क्या बीत रही होगी जहां इस चकाचौंध के चलते मुर्दनी छाई हुई है। सचमुच यह विचित्र विरोधाभास है। हर साल हम नए मॉल खुले देखते हैं वहीं पहले खुले मॉल बंद भी होते रहते हैं। रोजगार से वंचित  इनमें कार्य करने वाले बताते हैं कि मालिकों ने बताया कि भारी घाटे के चलते मॉल को बंद करना पड़ा या फिर बैंकों के लोन का कुछ लफड़ा था। फिर मस्तिष्क में दौड़ने लगता  खंडहर में तब्दील होते जा रहे बंद पड़े वे तमाम मॉल जो कभी ऐसे ही गुलजार रहा करते थे। फिर सोच में पड़ जाता हूं आखिर यह कैसा खेल है। दुनिया में आने – जाने वालों की तरह इस बाजार में रोज  नया आता है तो पुराना रुख्सत हो जाता है।



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तारकेश कुमार ओझा, 
खड़गपुर (पशिचम बंगाल) 
संपर्कः 09434453934, 9635221463
लेखक पश्चिम बंगाल के खड़गपुर में रहते हैं और वरिष्ठ पत्रकार हैं।

पटेल प्रतिमा को लेकर अखिलेश ने भाजपा पर साधा निशाना

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लखनऊ, 31 अक्टूबर, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मंगलवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर हमला बोलते हुए कहा कि कुछ लोगों ने सरदार वल्लभ भाई पटेल के नाम पर लोहा एकत्र किया था, लेकिन अब उसका कहीं अता-पता नहीं है। लखनऊ में समाजवादी पार्टी मुख्यालय पर मंगलवार को सरदार पटेल की जयंती पर विशेष कार्यक्रम के दौरान अखिलेश ने यह बात कही। अखिलेश ने कहा, "वह आयोजकों को धन्यवाद देना चाहते हैं। जब कभी भी वल्लभ भाई पटेल की जयंती मनाई जाती है, यह मैदान भर जाता है। सरदार पटेल ने देश को एक करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। लाखों किसानों का भरोसा सरदार पटेल पर था।" भाजपा पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा कि कुछ लोगों ने लोहा इकट्ठा किया था, लेकिन उसका पता नहीं चला। अखिलेश ने कहा, "हम भरोसा दिलाते हैं कि सरदार पटेल के नाम पर बड़ा काम करेंगे। भाजपा के लोग झूठ बोलते हैं। उस पर भरोसा कैसे कर लेते हैं। गरीब, किसान, युवा परेशान है। नौकरियां भी जा रही हैं। गन्ना किसानों के साथ भी धोखा हुआ।"

व्यंग्य : इच्छाधारी हनीप्रीत की तलाश

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टी. वी. में अखबारों में नेताओं के नारों में गाँव-गली-गलियारों में सब जगह डेरा सच्चा सौदा प्रमुख फर्जी बाबा राम रहीम गुरमीत सिंह की शिष्या उर्फ दत्तक बेटी हनीप्रीत का ही जिक्र है। मोहल्ले के पांच वर्ष के बच्चे से लेकर अस्सी वर्षीय बुजुर्ग रामू काका जिनके दांत नहीं, पेट में आंत नहीं फिर भी मुंह पर सवाल है - बेटा ! हनीप्रीत मिली क्या ? हनीप्रीत हनीप्रीत न होकर जैसे कालाधन हो। जिसे हर आड़ा-टेड़ा नेता पकड़ कर लाने का दावा करता है। अब तो नेताओं को कालाधन लाऊंगा कि जगह बदलकर कहना चाहिए - भाईयों और बहनों ! मैं हनीप्रीत को लाऊंगा। जो हनीप्रीत को ढूंढकर लाए, वो ही सच्चा नेता होए। एक जमाना था जब स्त्रीलिंग शब्द पुलिस का घनिष्ठ संबंध समाज के प्रतिष्ठित डॉन व माफिया के साथ जोड़कर देखा जाता था। अलबत्ता यह कहा जाता था - डॉन को पकड़ना मुमकिन ही नहीं नामुमकिन है। डॉन के पीछे ग्यारह मुल्कों की पुलिस है। अब लगता है ये डॉयलॉग बदलकर ऐसे पेश किया जाना चाहिए - हनीप्रीत को पकड़ना मुमकिन ही नहीं नामुमकिन है। हनीप्रीत का पीछा दर्जन भर राज्यों की पुलिस कर रही है। हनीप्रीत हुस्न की मल्लिका है। जिसकी शराबी आंखें किसी को भी धोखा दे सकती है। जिसके गुलाबी गाल किसी को भी मोहित कर सकते है। जिसके कमल की पखुंडियों जैसे होंठ किसी को भी विचलित कर सकते है। लहराते काले केशों की घनघोर घटाएं जिसकी छांव में कोई भी अपना अस्तित्व भूलकर खो सकता है। हनीप्रीत की हवा कितनों को ही आसाराम बनने पर विवश कर सकती है। ऐसी आकर्षक, सुन्दर, मनमोहनी, रुपवती हनीप्रीत की भला किसको तलाश नहीं होगी ! पर मिलती ही नही है ससुरी ! मिलती है तो बाबाओं को। यह भी कितनी अजब-गजब बात है प्राचीन समय में बाबा, ऋषि-मुनि नवयुवतियों से दूर रहकर तपस्या करते थे। लेकिन आज जमाना बदल गया है। आज तो कोई मामूली से मामूली बाबा भी बिना नवयुवती के साथ अपना दरबार चलाना पसंद नहीं करता। अग्रेजी शब्द हनी का हिन्दी में अर्थ होता है - शहद और प्रीत यानि प्रेम। मतलब प्रेम का शहद। जिसे कौन नहीं चखना चाहेगा ? मुझे लगता है हनीप्रीत के पीछे पुलिस को न लगाकर एंटी रोमियो स्कॉर्ड के नाम पर पकड़े गये सड़कछाप मजनूंओं के गिरोह को लगाना चाहिए। और साथ में यह स्कीम रख देनी चाहिए कि पकड कर लाने वाले को हनीप्रीत के साथ पांच घंटे बिताने का सुअवसर दिया जायेगा। अगर सौभाग्यवश मेरी इस बात का मान रखते हुए सरकार यह ऑफर अमल में लाती है तो कसम से सबसे पहले मैं ही भागूंगा हनीप्रीत को पकड़ने के लिए। हनीप्रीत इच्छाधारी नागिन की तरह रंग-रुप बदलकर पुलिस की आंखों में चकमा दे रही है। बरहाल, स्थिति को देखकर लगता है हनीप्रीत जैसा राष्ट्रीय मुद्दा शांतिपूर्वक हल होने से देश की समस्त समस्याओं का समाधान हो जायेगा ! हनीप्रीत आते ही जैसे भारत किसी मिसाइल लांच के सफल प्रक्षेपण की भांति विश्व कीर्तिमान रच लेगा ! हनीप्रीत मिलते ही जैसे फर्जी बाबाओं को जन्म देने वाले रक्तबीज का सदैव के लिए अंत हो जायेगा ! आज पुलिस के साथ-साथ मीडिया की मोस्ट डिमांडेड गर्ल बन चुकी है हनीप्रीत। कुछेक मीड़िया के चैनल वाले बाबा गुरमीत सिंह की गिरफ्तारी से लेकर अब तक हनीप्रीत के पूरे खानदान का पोस्टमार्टम कर चुके है। यहां तक की उन्होंने तो पड़ौसियों को भी नहीं छोड़ा। आज हनीप्रीत और हनीसिंह का दौर चल रहा है। बाबाओं को हनी की तलब है। अधिकांश बाबाओं के मुंह में राम और बगल में कोई न कोई हनीप्रीत है। सही है आज के इस दौर में बिना हनीप्रीत के भला कोई बाबा कब तक रहे ?



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--देवेंद्रराज सुथार--
जालोर, राजस्थान। 

बिहार : कुर्सी से बेदखल दो ‘वंचितों’ को यादव ने दिलायी वीआईपी कुर्सी

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विधानसभा के पूर्व अध्‍यक्ष उदय नारायण चौधरी और पूर्व मंत्री सह विधायक श्‍याम रजक का ‘वंचित बोध’ जग गया है। दोनों ने कल दलित व वंचितों के हक की लड़ार्इ लड़ने का संकल्‍प लिया था। आज दोनों ही सरदार वल्‍लभ पटेल की जयंती पर आयोजित राजकीय समारोह में वीआईपी कुर्सी से बेदखल कर दिये। सरदार वल्‍लभ पटेल के जयंती समारोह में श्‍याम रजक और उदय नारायण चौधर बारी-बारी से कार्यक्रम स्‍थल पर पहुंचे। उदय नारायण चौधरी पहली और श्‍याम रजक दूसरी पंक्ति की वीआईपी कुर्सियों बैठे थे। लेकिन वीआईपी होने का उनका भ्रम जल्दी ही टूट गया। सुरक्षाकर्मियों ने दोनों से बिना तौली वाली कुर्सी पर बैठने का आग्रह किया और दोनों कुर्सी छोड़कर दूसरी ओर बैठ गये। उनके साथ विधायक संजीव चौरसिया भी बैठे हुए थे। थोड़ी देर बाद सड़क निर्माण मंत्री नंदकिशोर यादव पहुंचे। वह वीआईपी के लिए आरक्षित कुर्सी पर बैठे। शिक्षा मंत्री कृष्‍णनंदन प्रसाद वर्मा भी झकास तौली वाली कुर्सी पर बैठे थे। इस बीच मुख्‍यमंत्री भी कार्यक्रम स्‍थल पर पहुंचे। वे भी राज्‍यपाल के लिए निर्धारित कुर्सी छोड़कर बैठ गये। पहली पंक्ति में किनारे की दोनों वीआईपी कुर्सियां खाली थीं। नंद किशोर यादव की नजर श्‍याम रजक पर पड़ी। उन्‍होंने श्‍याम रजक को बैठने के लिए बुलाया, लेकिन श्‍याम वहां जाने को तैयार नहीं थे। लेकिन श्री यादव के आग्रह पर वे उनके बगल वाली कुर्सी पर बैठ गये। इसके बाद श्री यादव ने दूसरी खाली पर कुर्सी पर बैठने के लिए उदय नारायण चौधरी को बुलाया। वह भी झेंपते हुए कृष्‍णनंदन वर्मा के बगल वाली वीआईपी कुर्सी पर बैठ गये। थोड़ी देर बाद राज्‍यपाल सत्‍यपाल मलिक भी पहुंचे। उनके पहुंचने के बाद मार्ल्‍यापण की औपचारिक प्रक्रिया शुरू हुई। मार्ल्‍यापण के बाद फिर सभी अपनी-अपनी कुर्सी पर बैठे। इस दौरान मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार श्‍याम रजक और उदय नारायध चौधरी से भी बातचीत की। बातचीत का विषय भी ‘वंचित वेदना’ ही था।



---बिरेन्द्र यादव न्यूज़--

विशेष आलेख : “रागदेश” जिसे अनसुना कर दिया गया

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उग्र राष्ट्रवाद के इस कानफाडू दौर में राज्यसभा टेलीविजन ने “राग देश” फिल्म बनायी है जो पिछले 28 जुलाई को रिलीज हुई और जल्दी ही परदे से उतर भी गयी. वैसे तो यह एक इतिहास की फिल्म है लेकिन अपने विषयवस्तु और ट्रीटमेंट की वजह से यह मौजूदा समय को भी संबोधित करती है.यह दक्षिणपंथी राष्ट्रवाद के एकांगी संस्करण के बरक्स उस राष्ट्रवाद के तस्वीर को पेश करती है जो समावेशी, सहनशील और एक दूसरे को बर्दाश्त करने वाला है और इसकी जड़ें भारत के स्वाधीनता आन्दोलन में हैं, दुर्भाग्य से आज यह निशाने पर है. कुछ अपनी सीमाओं और दर्शकों के उदासीनता के चलते “राग देश” बॉक्स आफिस पर खास असर नहीं दिखा सकी. लेकिन “राग देश” जैसी फिल्म का बनना और उसका देशभर के सिनेमाघरों में रिलीज होना ही अपने आप में कम महत्वपूर्ण नहीं है. फिल्म के मूल विषयवस्तु देशभक्ति है इसके बावजूद भी यह कोई शोर-शराबे वाली प्रोपेगेंडा फिल्म नहीं है. यह हमारे सामने देशभक्ति और राष्ट्रवाद का बहुत ही सीधे और सरल तरीके पेश करती है और निष्पक्ष तरीके से इतिहास का पाठ पढ़ाती है. 

राज्य सभा टीवी इससे पहले ‘भारतीय संविधान’ के निर्माण को लेकर एक सीरिज बना चूका है जो हमारा संविधान कैसे बना और इसको लेकर किस तरह के बहस-मुहाबसे हुए को बहुत खूबसूरती के साथ बयान करता है. इस सीरिज का निर्देशन श्याम बेनेगल ने किया था. राज्य सभा टीवी ने इस बार हमारी आजादी के आन्दोलन के एक ऐसे अध्याय को फिल्म के रूप में पेश किया है जिसका जिक्र अपेक्षाकृत कम होता रहा है. “रागदेश” आजाद हिन्द फौज और इसके तीन जाबांज अफसरों कर्नल प्रेम सहगल, कर्नल गुरबख्श सिंह ढिल्लन और मेजर जनरल शाह नवाज खान के लाल किले में हुए मशहूर ट्रायल की कहानी है. फिल्म के शुरुआत में परदे पर लिखा आता है कि यह फिल्म सत्य घटनाओं पर आधरित है. अफवाहों और सोशल मीडिया पर एंटी सोशल झूट फ़ैलाने वाले इस दौर में यह एक ऐसी फिल्म है जो इतिहास का सबक देती है. फिल्म का निर्देशन तिग्मांशु धूलिया ने किया है. जो इससे पहले हासिल और पान सिंह तोमर जैसी फिल्मों के लिये चर्चित रहे हैं. हिन्दुस्तानी की आजादी में लालकिले का प्रतीकात्मक महत्त्व है. 15 अगस्त 1947 को लालकिले पर तिरंगा लहराकर की हमने अपनी आजादी का ऐलान किया था और पीछे सत्तर सालों से हम यही दोहराते आ रहे हैं. आम हिन्दुस्तानी आज़ाद हिन्द फौज और लालक़िले में इसके तीन महानायकों के ख़िलाफ़ चलाये गये मुक़दमे के बारे में कम ही जानता है. 

दरअसल दूसरे विश्व युद्ध के समय अंग्रेज सरकार की फौज में शामिल हजारों हिन्दुस्तानी सिपाहियों को अंग्रेजों ने जापान के सामने हार मानते हुए सरेंडर कर दिया था. बाद में इन्हीं में से बड़ी संख्या में सैनिक आजाद हिन्द फौज में शामिल होकर अंग्रेज सेना के खिलाफ लड़े और बाद में पकड़े गए. इन सैनिकों पर इंग्लैंड के राजा के खिलाफ लड़ने का आरोप लगाया गया. कैप्टन शाहनवाज़, कर्नल ढिल्लन और कर्नल प्रेम सहगल ऐसे ही तीन फौजी अफसरों थे जिनपर दिल्ली में मुकदमा चलाया गया था जो इतिहास में “रेड फोर्ट ट्रायल” नाम से दर्ज है. इस मुक़दमे की वजह से ही नेता जी की नीतियों और आजाद हिन्द फ़ौज की बहादुरी के किस्से देश के कोने –कोने में फैला था. 2 घंटा 17 मिनट की यह फिल्म इतिहास के पन्नों को खोलते हुये इसी कहानी को बयां करती है और साथ में हमें मौजूदा समय के लिए कुछ जरूरी सबक भी देती जाती है. यह अलग–अलग सुरों के राग बनाने की भी कहानी है. दरअसल फिल्म के तीनों मुख्य किरदार भारत की विविधता का प्रतिनिधित्व है जिनकी देश’ की एक सामूहिक परिकल्पना है जिसके लिये वे सांझी लड़ाई लड़ते हैं. इनमें एक हिन्दू, दूसरा मुस्लिम और तीसरा सिख है. कर्नल प्रेम सेहगल, मेजर जनरल शाह नवाज खान और लेफ्टिनेंट कर्नल गुरबख्श सिंह ढिल्लों की लड़ाई विविधताओं से भरे भारत की सामूहिक लड़ाई है, वे सांझे भविष्य के लिये लड़ते हैं. फिल्म के अंत में एक सीन है जिसमें दिखाया गया है लोगों के हाथ में हरा, भगवा कई तरह के झंड़े है लेकिन इनमें एक झंडा सबसे बड़ा और ऊँचा है यह तिरंगा है जिसके साए में सभी आस्थायें और विचार फल फूल रहे हैं.

फिल्म में रिसर्च वर्क बेहतरीन है और इसपर मेहनत की गयी है, तथ्यों को बहुत बारीकी से समेटा गया है. लेकिन एक फिल्म के लिये सिर्फ जानकारियाँ ही काफी नहीं है. सिनेमा की अपनी अलग भाषा होती है जो यहाँ कमजोर है. इसके चलते फिल्म कई जगह सुस्त और सपाट नजर आती है. कहानी को और बेहतर तरीके से कहा जा सकता था. यह एक बेहतरीन फिल्म हो सकती थी अगर इसकी तारतम्यता पर भी ध्यान दिया जाता. इन कमजोरियों के बावजूद अपने अनछुए विषय और मिजाज की वजह से यह फिल्म देखने लायक है. यह हमें ना सिर्फ इतिहास का सबक देती है बल्कि इतिहास को प्रस्तुत करने और राष्ट्रवाद व देशभक्ति को समझने का नजरिया भी देती है जो मौजूदा समय में हमारे लिए बड़े काम का हो सकता है. 




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जावेद अनीस 
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