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इंदिरा गांधी को संगीत में गहरी दिलचस्पी थी : लता

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मुंबई, 31 अक्टूबर, सुर सम्राज्ञी लता मंगेशकर ने मंगलवार को पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की 33वीं पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की और कहा कि संगीत में न केवल उनकी गहरी दिलचस्पी थी, बल्कि वह एक अच्छी गायिका भी थीं। लता ने ट्वीट किया, "आज भारत की पहली और एकमात्र महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि है। मैं उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करती हूं।" उन्होंने इंदिरा गांधी के साथ अपनी पुरानी तस्वीर भी साझा की। उन्होंने लिखा, "उनके साथ खूबसूरत संबंध था, उन्हें संगीत में बेहद दिलचस्पी थी और मैंने सुना है कि वह खुद भी अच्छी गायिका थीं।" इंदिरा गांधी की 31 अक्टूबर, 1984 को उनके अंगरक्षकों ने ही हत्या कर दी थी।वह जनवरी 1966 से मार्च 1977 तक और फिर 14 जनवरी, 1980 से अपनी मृत्यु तक प्रधानमंत्री रही थीं।


टाटा स्टील के एच आर उपाध्यक्ष को चाहिए आत्मरक्षा के लिए कार्बाइन

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विजय सिंह,आर्यावर्त डेस्क,जमशेदपुर, इस समाचार को पढ़ा.सोचने लगा कि देश की वैश्विक प्रतिष्ठित कंपनियों में शुमार टाटा स्टील जैसी संस्था के एच.आर. वाईस प्रेसिडेंट सुरेश दत्त त्रिपाठी को आत्मरक्षा के लिए कार्बाइन की जरुरत क्यों आन पड़ी ? यह प्रश्न इसलिए क्योंकि टाटा स्टील से हमारा पुराना नाता रहा है.पत्रकारिता के २६ वर्षों में और उससे पहले भी कंपनी अधिकारियों के सामाजिक दायरे को नजदीक से देखा है.सामुदायिक विकास की अवधारणा ने इस सम्मान को और संबलता प्रदान की. जमशेदपुर जैसे शहर में तो टाटा स्टील के अधिकारियों को जो मान सम्मान मिला है वो शायद ही कहीं और किसी को मिला हो. सामाजिक,प्रशासनिक या सरकारी दायरे में हर जगह टाटा स्टील के अधिकारियों की सर्वप्रथम पूछ रही है. और सबसे बड़ी बात जो मुझे लगी कि औद्योगिक शांति के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध टाटा स्टील जैसी कंपनी के मानव संसाधन विभाग के उपाध्यक्ष(टाटा स्टील में यह पद काफी महत्वपूर्ण और ताकतवर माना जाता है) जिनके पास मानव संसाधन के रूप में इतनी बड़ी पूंजी और ताकत हो उसे आत्मरक्षा के लिए किसी और चीज की जरुरत हो सकती है क्या?

शेयर बाजारों के शुरुआती कारोबार में गिरावट

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मुंबई 31 अक्टूबर, देश के शेयर बाजारों के शुरुआती कारोबार में मंगलवार को गिरावट का रुख है। प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स सुबह 10.07 बजे 4.77 अंकों की गिरावट के साथ 33,261.39 पर और निफ्टी भी लगभग इसी समय 11.90 अंकों की गिरावट के साथ 10,351.75 पर कारोबार करते देखे गए।बम्बई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का 30 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक सेंसेक्स सुबह 11.23 अंकों की गिरावट के साथ 33254.93 पर, जबकि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का 50 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक निफ्टी 1.25 अंकों की मजबूती के साथ 10,364.90 पर खुला।

जब तक कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी विपक्ष में रहेंगे उनके खिलाफ नहीं लिखूँगा। : नदीम अख्तर

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इंदिरा और राहुल

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आज से मैंने ये तय किया है कि जब तक कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी विपक्ष में रहेंगे, सोशल मीडिया पे उनके खिलाफ नहीं लिखूँगा। उनकी आलोचना का लेंस अब उसी दिन खोलूंगा, जिस दिन वो सत्ता में आएंगे। बहुत सोच-विचार के ये निर्णय लिया है। सुबह जब से इंदिरा गांधी की मौत पे बीबीसी में रेहान फ़ज़ल की रपट पढ़ी, तब से बेचैन था। भला ये कैसे हो सकता है कि एक प्रधानमंत्री ने ऑपरेशन ब्लू स्टार चलाकर धर्मभीरू सिखों को आहत कर दिया हो और जब खुफिया रिपोर्ट उनकी टेबल पे आए कि सिख सुरक्षाकर्मी उनकी जान के लिए खतरा हो सकते हैं तो प्रधानमंत्री उस फाइल पर सिर्फ तीन शब्द लिखें- Aren't we secular?

इतना बड़ा दिल, इतनी हिम्मत और देश की संस्कृति और इसके मिजाज के समझने का ऐसा नजरिया सिर्फ इंदिरा गांधी के पास हो सकता था, जिन्होंने अपना बचपन बापू के साए में बिताया था. वो जानती थीं कि अगर धर्म के नाम पर उन्होंने सिख सुरक्षाकर्मियों को अपनी सिक्योरिटी से हटाया तो इतिहास हमेशा ये लिखेगा कि देश के प्रधानमंत्री ने धर्म के नाम पर अपने सुरक्षा गार्डों से भेदभाव किया. ये जानते हुए कि तत्कालीन परिस्थितियों में उनकी जान को गंभीर खतरा है, उन्होंने राजधर्म का पालन किया. ये मामूली बात नहीं है. आज जब छोटे से छोटा टुटपुजिया राजनेता ओछी राजनीति के लिए धर्म का खुलेआम बेजा इस्तेमाल करता है और धर्म के नाम पर जनता में जहर बोता है और फिर अपनी सुरक्षा में सैकड़ों जवान लिए घूमता है कि कहीं कोई उनको मार ना दे, इस भीड़ में इंदिरा जी एक मिसाल थीं, आदर्श थीं. और अपने आदर्श के लिए उन्होंने अपनी जान तक की परवाह नहीं की.

आज मैं ये कहने का साहस कर रहा हूं कि स्वर्गीय इंदिरा गांधी की हत्या नहीं की गई थी. उन्होंने आत्महत्या की थी, देश की एकता और अखंडता के लिए. ये कोई सोच भी सकता है भला कि प्रधानमंत्री को उन्हीं की सुरक्षा में तैनात जवान 28-30 गोली मार के उनके जिस्म को छलनी-छलनी कर सकते हैं??!! वो भी तब जब सैकड़ों सिक्युरिटी लेयर से गुजरने के बाद इन जवानों को प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति की सुरक्षा में लगाया जाता है. इंदिरा गांधी के लिए बहुत आसान था कि ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद वो सिख सुरक्षाकर्मियों को अपनी सिक्योरिटी से हटा देतीं, वो भी तब जब इस बाबत खुफिया रिपोर्ट उनकी टेबल पर थी, पर उन्होंने ऐसा नहीं किया. आगे की कहानी तो और दर्दनाक है. खून से लथपथ प्रधानमंत्री को एम्स ले जाया जा रहा है और उनका सिर बहू सोनिया गांधी की गोद में है. सोनिया का पूरा गाउन इंदिरा के खून से सनकर लाल हो चुका है. उस दृश्य की जी रही सोनिया के दिलोदिमाग पर क्या असर पड़ा होगा, ये बस अंदाजा ही लगाया जा सकता है. फिर जब मृतप्राय इंदिरा जी को लेकर कार एम्स पहुंची तो पता चला कि देश के प्रधानमंत्री को गोलियों से छलनी करने की खबर किसी ने एम्स को नहीं दी ताकि स्टैंड बाई में उनके लिए डॉक्टर और इमरजेंसी सेवाएं खड़ी रहतीं. सिर्फ गेट खुलवाने में 3-4 मिनट का कीमती समय बर्बाद हो गया. इतनी सादगी, इतना समर्पण !!! वो देश की सबसे ताकतवर और लोकप्रिय प्रधानमंत्री थीं, जिसने पाकिस्तान के दो टुकड़े कर दिए. कोई मजाक नहीं था. और जब वो जिंदगी मौत से जूझ रही थीं तो देश की राजधानी में उन तक इमरजेंसी मेडिकल सर्विस भी वक्त तक नहीं पहुंचीं, बहुत अफसोसनाक है ये सब कुछ.

और इस हृदय विदारक हादसे से गुजरने के बाद सोनिया गांधी ने अपने पति की लाश के टुकड़े देखे होंगे तो उन पे क्या एहसास गुजरा होगा, ये क्लपनातीत है. घर के दोनों बच्चे प्रियंका और राहुल ने ये सब अपनी आंखों के सामने घटते देखा और इनकी स्मृतियां उनके मस्तिष्क पर कैसी उभरी होंगी, किसी को नहीं मालूम. ठीक उसी तरह जब आज दुनिया को मालूम चल रहा है कि राहुल गांधी ने चुपचाप निर्भया के भाई को पायलट बनाने में मदद की और उनके पिता की टेम्परेरी नौकरी पक्की करवाई पर सख्त हिदायत दी कि इसका ढिंढोरा ना पीटा जाए. ये संस्कार हैं, जो इन्हें परिवार से मिले हैं. सो मेरे लिए आज के बाद राहुल गांधी ना तो पप्पू हैं और ना बाबा. वो एक मैच्योर युवा हैं, जिनको पता है कि देश के हालात आज क्या हैं और अब वो इसे अपनी अगुुवाई में हैंडल करने के आतुर दिखते हैं. परिवार में दो-दो क्रूर हत्याएं देखने के बाद सत्ता संभालने की जो हिचक सोनिया-राहुल में दिखती थी, वो अब मुझे नहीं दिखती. सत्ता के शीर्ष पर होकर दो-दो जानें देश के लिए कुर्बान करने की ये मिसाल मुझे दुनिया में कहीं नहीं दिखतीं. अगर राहुल में कोई कमी है तो वो धीरे-धीरे सीख जाएंगे पर अब मुझे इस बात में कोई संदेह नहीं कि राहुल को एक बार देश की कमान सौंपकर आजमाने का वक्त आ गया है.

सो लोकतंत्र के यज्ञ में देश की जनता राहुल को लिए आहुति देगी या नहीं, ये तो उसे तय करना है. लेकिन आज के बाद कम से कम मैं राहुल गांधी को सीरियली सुनूंगा और उनकी बात को वजन दूंगा. गलतियां सब से होती हैं, भगवान कृष्ण से भी हुई थीं और गांधारी ने उनको इसीलिए श्राप भी दिया था कि हे मधुसूदन ! जब आप अपने बल से दोनों पक्षों को समझाकर महाभारत का युद्ध टाल सकते थे तो फिर क्यों कुरु वंश का सर्वानाश होने दिया? इस पे कृष्ण ने गंभीरता से अपनी गलती मानी थी और अपने वंश के नष्ट होने के गांधारी के श्राप को स्वीकार किया था. वो तो भगवान के अवतार थे और राहुल गांधी एक मानव. इसलिए उनकी पुरानी गलतियों को भुलाकर मैं राहुल गांधी को एक मौका देने को तैयार हूं. अगर वे देश नहीं चला पाएंगे तो उनकी भी कटु आलोचना होगी और उन्हें जनता सत्ता से निकाल-बाहर करेगी. लेकिन एक मौका तो उनको मिलना चाहिए, ऐसा मेरा मानना है. और अंत मे यशस्वी प्रधानमंत्री और अटल जी के शब्दों में -दुर्गा- यानी स्वर्गीय इंदिरा गांधी को मेरा नमन.

ब्रह्मपुत्र के पानी को मोड़ने वाली किसी सुरंग का निर्माण नहीं : चीन

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बीजिंग 31 अक्टूबर, चीन ने मंगलवार को उन मीडिया रिपोर्ट को खारिज कर दिया जिसमें कहा गया है कि चीन ब्रह्मपुत्र नदी के पानी को मोड़ने के लिए एक हजार किलोमीटर सुरंग बनाने की योजना बना रहा है विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा, "यह सच नहीं है। यह एक झूठी खबर है।" उन्होंने कहा, "चीन सीमा पार नदी सहयोग को विशेष महत्व देना जारी रखेगा।" हांगकांग के साउथ चाइना मॉर्निग पोस्ट के मुताबिक, चीन के इंजीनियरों ने सरकार के समक्ष एक हजार किलोमीटर लंबी सुरंग बनाने का प्रस्ताव रखा है जिसके जरिए ब्रह्मपुत्र नदी के पानी को तिब्बत से शिंगजियांग लाया जाएगा। अखबार ने कहा कि यह सुरंग दक्षिण तिब्बत में यारलुंग सांगपो नदी को शिंगजियांग के तकलीमाकान रेगिस्तान की तरफ मोड़ देगी। यही नदी भारत में ब्रह्मपुत्र कहलाती है जो बांग्लादेश में गंगा से जुड़ती है। एक भू तकनीकी इंजीनियर ने कहा कि प्रस्तावित सुरंग जो दुनिया के सबसे ऊंचे पठार से झरने के रूप में जुड़े कई हिस्सों में निकलेगी, 'शिंगजियांग को कैलीफोर्निया में बदल देगी।'

दिल्ली टी-20 : न्यूजीलैंड के खिलाफ अपना रिकार्ड सुधारने उतरेगा भारत

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नई दिल्ली 31 अक्टूबर, वनडे में बेहतरीन प्रदर्शन के बाद भारतीय टीम की नजरें बुधवार से शुरू हो रही तीन मैचों की टी-20 सीरीज में भी जीत हासिल कर न्यूजीलैंड के खिलाफ खेल के सबसे छोटे प्रारूप में अपना रिकार्ड सुधारने पर होंगी। यह सीरीज एक तरफ जहां श्रेयस अय्यर और मोहम्मद सिराज जैसे युवा खिलाड़ियों को अंतर्राष्ट्रीय मंच प्रदान करेगी तो वहीं आशीष नेहरा जैसे अनुभवी खिलाड़ियों के अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट के अंत की गवाह बनेगी। नेहरा इस मैच के बाद टी-20 मैचों से संन्यास लेंगे। भारत इस सीरीज में न्यूजीलैंड के खिलाफ ही तीन मैचों की वनडे सीरीज जीत कर आ रहा है। ऐसे में मौजूदा फॉर्म को देखें तो मेजबान टीम का पलड़ा ही किवी टीम पर भारी लग रहा है।लेकिन खेल के इस प्रारूप में किवियों ने हमेशा ही भारत को शिकस्त दी है। टी-20 विश्व कप और अन्य सीरीज मिलाकर भारतीय टीम कभी भी न्यूजीलैंड से टी-20 मैच नहीं जीत पाई। वनडे सीरीज में भी उसने भारत को अच्छी खासी टक्कर दी थी। ऐसे में मेजबान उसे हल्के में लेने की कोशिश तो बिल्कुल नहीं करेंगे। टी-20 के लिहाज से किवी टीम के पास कई अच्छे मैच विजेता खिलाड़ी हैं। कप्तान केन विलियमसन, मार्टिन गुप्टिल, टॉम लाथम, हेनरी निकोलस जैसे बल्लेबाज हैं। वहीं अनुभवी बल्लेबाज रॉस टेलर को टी-20 सीरीज के लिए टीम में वापस बुलाया गया है। वह चोटिल टोड एस्ले के स्थान पर टीम में आए हैं। टेलर के आने से निश्चित ही किवी टीम की बल्लेबाजी और मजबूत होगी। ट्रेंट बाउल्ट के रूप में उसके पास ऐसा गेंदबाज है जो भारतीय सरजमीं पर मेजबानों पर हावी रहा है । हाल ही में खत्म हुई वनडे सीरीज इसका उदहारण है। लेग स्पिनर ईश सोढ़ी के आने से उसे और मजबूती मिली है। भारत की मेजबानी में पिछले साल खेले गए टी-20 विश्व कप में सोढी ने भारत को एकतराफ मात दी थी। फिरोज शाह कोटला की विकेट कुछ हद तक गेंदबाजों की मददगार रहती है। अगर विकेट में ज्यादा कुछ बदलाव नहीं किए तो बड़े स्कोर का मैच मुमकिन होना मुश्किल होगा। किवी टीम के कई खिलाड़ी इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) में खेलते हैं। इसका फायदा भी उन्हें मिल सकता है। वहीं दूसरी तरफ भारत पूरी तरह से तैयार तो लग रही है। नेहरा का यह आखिरी अंतर्राष्ट्रीय मैच होगा। पूरी संभावना है कि इस वरिष्ठ गेंदबाज को अंतिम एकदाश में जगह मिलेगी। देखना यह होगा कि नेहरा के स्थान पर किसे बाहर बिठाया जाएगा। जसप्रीत बुमराह और भुवनेश्वर कुमार दोनों में से कोई एक गेंदबाज अंतिम एकादश से बाहर जा सकता है। स्पिन विभाग में कुलदीप यादव और लेग स्पिनर युजवेंद्र चहल को देखा जा सकता है। वहीं बल्लेबाजी की जिम्मेदारी रोहित शर्मा, शिखर धवन, कप्तान विराट कोहली, महेंद्र सिंह धौनी, हार्दिक पांड्या दिनेश कार्तिक के कंधों पर होगी। वनडे टीम का नियमित हिस्सा केदार जाधव इस सीरीज में नहीं हैं। ऐसे में उनकी जगह श्रेयस अय्यर को पदार्पण करने का मौका मिल सकता है।


टीमें : विराट कोहली (कप्तान), शिखर धवन, रोहित शर्मा, लोकेश राहुल, मनीष पांडे, श्रेयस अय्यर, दिनेश कार्तिक, महेंद्र सिंह धौनी (विकेटकीपर), हार्दिक पांड्या, अक्षर पटेल, युजवेंद्र चहल, कुलदीप यादव, भुवनेश्वर कुमार, जसप्रीत बुमराह, मोहम्मद सिराज, आशीष नेहरा।



न्यूजीलैंड : केन विलियमसन (कप्तान), मिशेल सैंटनर, ईश सोढ़ी, टिम साउदी, रॉस टेलर, ट्रेंट बाउल्ट, टॉम ब्रूस, कोलिन डी ग्रांडहोमे, मार्टिन गुप्टिल, मैट हेनरी, टॉम लाथम, हेनरी निकोलस, एडम मिलने, कोलिन मुनरो, ग्लेन फिलिप्स (विकेटकीपर)।

असमिया साहित्यकार के घर का संरक्षण करेगी ओडिशा सरकार

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भुवनेश्वर 31 अक्टूबर, ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने मंगलवार को घोषणा की कि राज्य सरकार दिवंगत असमिया साहित्यकार लक्ष्मीनाथ बेजबरुआ के सम्बलपुर स्थित आवास की मरम्मत और संरक्षण करेगी। पटनायक ने कहा, "मैं और ओडिशा के लोग लक्ष्मीनाथ बेजबरुआ का बेहद सम्मान करते हैं। राज्य सरकार अपने खर्च पर उनके आवास की मरम्मत करेगी और उसका संरक्षण करेगी।" उन्होंने कहा, "मुझे उम्मीद है कि इसके साथ दोनों राज्यों के बीच का सांस्कृतिक संबंध और मजबूत होगा।" पटनायक ने असम के सांस्कृतिक मामलों के मंत्री नव कुमार डोले और मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार ऋषिकेश गोस्वामी से बातचीत के दौरान यह आश्वासन दिया। असम के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल के निर्देश के अनुसार, डोले और गोस्वामी ओडिशा सरकार से इस मसले पर बातचीत के लिए राज्य में हैं। सरकार ने आश्वासन दिया कि इस विरासत को ढहाने नहीं दिया जाएगा। ओडिशा के पर्यटन मंत्री अशोक चंद्र पांडा ने कहा कि प्रारंभ में इमारत की मरम्मत पर 50 लाख रुपये खर्च किए जाएंगे। इससे पहले 27 अक्टूबर को सोनोवाल ने पटनायक से फोन पर बात करके उनसे बेजबरुआ के आवास का संरक्षण करने का आग्रह किया था, जो असम के लोगों की भावनाओं से जुड़ा है।



हार्दिक, कन्हैया लड़ाके लड़के हैं : उमा

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भोपाल 31 अक्टूबर, केंद्रीय मंत्री और मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने इशारों-इशारों में पाटीदार नेता हार्दिक पटेल और जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के नेता कन्हैया कुमार की प्रशंसा करते हुए कहा कि दोनों लड़ाके लड़के हैं, लेकिन वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विरोध में बोलकर टीआरपी हासिल करने की कोशिश में अपनी जमीन (जन समर्थन) तैयार नहीं कर पा रहे हैं। राजधानी प्रवास पर आई उमा भारती ने मंगलवार को अपने आवास पर संवाददाताओं से चर्चा के दौरान एक सवाल के जवाब में कहा, "हार्दिक पटेल एक अच्छे लड़ाके (जुझारु) लड़के हैं, वह अभी जितना गैर राजनीतिक (नॉन पॉलिटिकल) रहेंगे, उतनी ही उनकी ताकत बढ़ेगी, मैं हार्दिक को मॉनीटर कर रही हूं। कन्हैया कुमार को भी मॉनीटर किया था, अगर उसने भी प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ टिप्पणियां नहीं की होती, तो वह भी अच्छा लड़ाका होता।" उमा भारती ने आगे कहा कि हार्दिक को यह समझना चाहिए कि मोदी गुजरात का गौरव हैं, वे उत्तर प्रदेश के निवासी नहीं हैं, मगर उन्हें वहां की जनता ने जिताया। अभी गुजरात की जनता उनके साथ खड़ी होगी और विधानसभा चुनाव में फिर भाजपा भारी बहुमत से जीतने वाली है। उन्होंने हार्दिक को सलाह दी है कि वह अपने को गैर राजनीतिक रखें, क्योंकि गैर राजनीतिक रहने से उनकी ताकत बढ़ेगी और उसे अपनी पाटीदार आरक्षण की लड़ाई जारी रखनी चाहिए। उन्होंने आगे कहा, "कन्हैया कुमार ने अगर प्रधानमंत्री के खिलाफ टिप्पणी नहीं की होती तो वह भी एक अच्छा लड़ाका लड़का निकल रहा था। इन लोगों को कुछ हो जाता है और लगता है कि मोदी के खिलाफ बोलने से टीआरपी मिलती है, टीआरपी के चक्कर में ये अपने नीचे जमीन नहीं खड़ी कर पाते। मोदी के खिलाफ बोलने पर टीआरपी तो है, मगर जमीन (जनाधार) नहीं।" उमा ने दिग्विजय सिंह की नर्मदा परिक्रमा पर कहा, "दिग्विजय सिंह बड़े भाई हैं और भैया-भाभी नर्मदा जी की परिक्रमा कर रहे हैं। वह मुझे बुलाएंगे तो जरूर जाऊंगी और भंडारा में खाने भी जाऊंगी।" अमेरिका यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा मध्य प्रदेश की सड़कों को अमेरिका से बेहतर बताए जाने का उन्होंने समर्थन करते हुए कहा कि मध्य प्रदेश की सड़कें अमेरिका की सड़कों से अच्छी हो सकती हैं, क्या अमेरिका की सड़कें खराब नहीं हो सकतीं।


न्यायालय ने एआईएफएफ अध्यक्ष का चुनाव रद्द किया

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नई दिल्ली 31 अक्टूबर, दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को प्रफुल्ल पटेल के अखिल भारतीय फुटबाल महासंघ (एआईएफएफ) के अध्यक्ष पद के चुनाव पर रोक लगा दी है और पांच महीनों में नए तरह से चुनाव कराने को कहा है। न्यायाधीश रवींद्र भट्ट की अध्यक्षता वाली पीठ ने पूर्व चुनाव आयुक्त एस.वाई कुरैशी को एआईएफएफ का प्रशासक नियुक्त किया है। अदालत ने साथ ही एआईएफएफ की कार्यकारी समिति के चुनाव को बर्खास्त कर दिया है और कहा है कि वह चुनाव राष्ट्रीय स्पोर्ट्स कोड के बिना आयोजित किए गए थे।

सीहोर (मध्यप्रदेश) की खबर 31 अक्टूबर

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सरदार पटेल की जन्मतिथि पर अधिकारी/कर्मचारियों ने ली राष्ट्रीय एकता की शपथ

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जिले में 31 अक्टूबर 2017 को सरदार वल्लभ भाई पटेल की जन्म तिथि को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप मे मनाया गया। इस अवसर पर कलेक्ट्रेट परिसर मे कलेक्टर श्री तरूण कुमार पिथोडे ने जिले समस्त कार्यालय प्रमुखों सहित समस्त अधिकारी/कर्मचारियो को राष्ट्रीय एकता की शपथ दिलायी।


किसानो के साथ छलावा और अत्याचार बर्दाश्त नही- कुणाल चौधरी
  • युवा कांग्रेस ने शहर के मुख्य मार्गो से निकाली प्रभावी वाहन रेली

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सीहोर/ म०प्र० युवा कांग्रेस के अध्यक्ष कुणाल चौधरी टीकमगढ़ से मंदसौर तक किसानो की आवाज़ बुलंद करने निकले है उनकी किसान स्वाभिमान एवं आधिकार यात्रा आज सीहोर पहुची । सीहोर विधानसभा युवा कांग्रेस द्वारा स्थानीय भोपाल नाके पर युवा कांग्रेस अध्यक्ष राजीव गुजराती के नेतृत्व में युवा कांग्रेसियों ने श्री चौधरी का भव्य स्वागत किया गया । युवा कांग्रेस अध्यक्ष राजीव गुजराती ने बताया की सीहोर जिले के वरिष्ठ कांग्रेस जनो की उपस्थिति में किसान सभा का आयोजन किया गया, सर्वप्रथम युवा कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष कुणाल चौधरी, इछावर विधायक शैलेन्द्र पटेल, आष्टा नपा एवं जिला कांग्रेस अध्यक्ष कैलाश परमार, राकेश राय, ओमदीप, धर्मेन्द्र ठाकुर, ओम वर्मा, कमलेश कटारे, के यु कुरैशी, हरीश राठौर, मनोज पटेल, राजाराम बड़ेभाई, विष्णु प्रसाद राठौर, राजेन्द्र ठाकुर, भूरा यादव, बाबूलाल पटेल, केके गुप्ता, डॉ अनीस खान, ओमकार यादव शमीम अहमद, ममता त्रिपाठी, इरफ़ान बेल्डर, प्रीतम चौरसिया, शंकर खरे, रघुवीर दांगी, घनश्याम यादव, आशीष गुप्ता, मुकेश ठाकुर, अरुण राय, राजा यादव, मांगीलाल जाट सहित सभी नेताओ और जिला कांग्रेस कमेटी, ब्लाक कांग्रेस कमेटी, युवा कांग्रेस, एनएसयुआई ने स्व० इंद्रा गाँधी जी की पुण्यतिथि एवं स्व० सरदार वल्लभ भाई पटेल की जन्मतिथि के अवसर पर भारत वर्ष के महान नेताओ को श्रधासुमन अर्पित कर श्रदांजलि अर्पित की । इसके बार छात्र संघ चुनावो में नवनियुक्त छात्र संघ अध्यक्ष मनीष तिवारी, और मंजू दीवान सहित एनएसयुआई पदाधिकारियो का कांग्रेस द्वारा सम्मान किया गया । कार्यक्रम को संबोधित करते हुए युवा कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कुणाल चौधरी ने कहा की देश के किसानो को प्रदेश सरकार लगातार जखम देने का कार्य कर रही है और केंद्र की भाजपा सरकार उस पर नमक छिड़कने का काम कर रही है किसान आन्दोलन के दौरान मंदसौर में छ: निर्दोष किसानो को गोलियों से मार दिया गया और कुछ दिनों पूर्व टीकमगढ़ में शांति पूर्ण आन्दोलन कर रहे किसानो और थाने मे कपडे उतरवा कर मारा गया। कार्यक्रम को अन्य नेताओ ने भी संबोधित किया । इसके बाद युवा कांग्रेस की किसान स्वाभिमान एवं आधिकार बाइक यात्रा नगर के इंग्लिशपूरा कोतवाली चौराहा मैंन रोड लिसा टाकीज चौराहा से मंडी होते हुए चाँदबढ़ पहुची यात्रा में बहुत बड़ी संख्या में युवा कांग्रेस कार्यकर्ता ने हाथो में झंडे लिए नारे लगाते बाइको से प्रभावी रेली निकाली । रेली के दौरान प्रदेशाध्यक्ष कुणाल चौधरी का जगह जगह स्वागत किया गया । युवा कांग्रेस की किसान स्वाभिमान एवं आधिकार यात्रा में मुख्य रूप से युवा कांग्रेस अध्यक्ष राजीव गुजराती, मो शाकिर, बहादुर परमार, विदिशा लोकसभा उपाध्यक्ष बिर्जेश पटेल, युवा कांग्रेस अध्यक्ष बुदनी अजय पटेल, आष्टा धर्मेन्द्र मेम्दाखेदी, एन एस यु आई जिलाध्यक्ष आनंद कटारिया, राहुल ठाकुर, तुलसी राठौर, मनीष कटारिया, देवेन्द्र ठाकुर, पियूष मालवीय, शुभम कचनेरिया, हरीश त्यागी, पंकज शर्मा, भगत तोमर, अभिषेक शर्मा, घनश्याम मीणा, हरगोविंद सिंह दरबार, सन्नी यादव, राहुल पांडे, अभिषेक त्यागी, विशाल मालवीय, प्रणय शर्मा, आदित्य उपाध्याय, लोकेन्द्र वर्मा, इश्वर ठाकुर, पन्नू खत्री, बिनेश चौहान, नवेद खान, नायब खान, बिक्का शुर्यवंशी, राहुल गोस्वामी, कमलेश यादव, मोहित किंगर, रवि मालवीय, गोविन्द मीणा, गजराज परमार, रवि चौधरी, निखिल पटेल, गौरव आजाद, सोनू विश्वकर्मा, मनीष मेवाडा, म्रदुल शर्मा, उत्तम जयसवाल, सूर्यांश जादौन, अखिलेश पाटीदार, यश यादव, जीत कुशवाहा, लकी पांडा, विराट यादव, विनीत त्यागी, विक्रम दांगी, अरविन्द दांगी, राजेश यादव, शोभित राय, रजत मेवाडा, जयसिंह भारती,राजेंद्र राजपूत, विकास राजपूत, गोलू ठाकुर, विनीत त्यागी, अनिल सेन, तनिष त्यागी, सौरभ राय, गब्बर मेवाडा, विजय मीणा, जुनेद खान, महेंद्र दांगी, अरुण मीणा, मो फ़राज़, सहित बड़ी संख्या में कार्यकर्ता उपस्थित थे ।  

दुमका (झारखण्ड) की 31 अक्टूबर की हलचल

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एयर फोर्स ने कराया ताकत का ऐहसास, विमानों ने दिखाये हैरतअंगेज कारनामें

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31 अक्टूबर का दिन दुमका के लिए ऐतिहासिक दिन रहा। सुबह सवेरे से ही बच्चे से लेकर युवा दुमका हवाई अड्डा की ओर जाते दिख रहे थे। ऐसा दुमका के इतिहास में पहली बार हो रहा था जब झारखण्ड का एक मात्र एयर फोर्स स्टेषन सिंगारसी अपनी स्वर्णजयन्ती वर्ष दुमका हवाई अड्डा पर मना रहा था। इस अवसर पर जिला प्रषासन की मद्द से भव्य एयर शो का आयोजन किया गया जिसमें इंडियन एयर फोर्स की टीम ने अपनी ताकत का एहसास कराया। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्ेष्य वायु सेना की ताकत के एहसास कराने के साथ-साथ युवाओं को इससे जुड़ने के लिए प्रेरित करना था। कार्यक्रम के दौरान वायु सेना के जाबाजों ने अद्भुत शक्ति एवं शौर्य का प्रदर्षन कर यह साबित कर दिया कि हम किसी से कम नही हैं। एयर शो के दौरान हैरतअंगेज करतब देख हजारों हजार की संख्या में मौजूद दर्षक रोमांचित हो गये। कार्यक्रम की शुरुआत में आकाष गंगा टीम ने 7000 हजार फीट की उचाई से झलांग लगाई और तिरंगे के रंग में रंगे पैराषूट से दुमका के हवाई अड्डे पर उतरे। पैराजंपर्स के इस कारनामें को देख कार्यक्रम को देखने पहुंचे लोगों की तालियों की गड़गड़ाहट से पूरा दुमका गंुजायमान हो उठा। एयर फोर्स के सूर्यकिरण एरोबेटिक टीम जैसे ही दुमका के आसमान में दिखी लोगों ने भरपूर तालियों के साथ उनका स्वागत किया। सूर्यकिरण एरोबेटिक टीम ने करीब 20 मिनट तक अपने करतब से लोगों का मनोरंजन किया। कुल चार विमान 700 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से बादलों को चीरते हुऐ अपना भव्य प्रदर्षन कर रही थी। इस दौरान हवा में विमान अलग-अलग आकृति बनाकर लोगों अपना करतब दिखा रही थी। एयर फोर्स के एयर वारियर ड्रील टीम के जबानों ने राईफल्स के जरिये ऐसा करतब दिखाया कि लोग दंग रह गये। साढ़े पाँच किलो वजन के राईफल को हाथ में फुटबाॅल की तरह घुमाया तो पूरा ग्राउंड खड़ा होकर उन्हें सलामी देता नजर आ रहा था। युवाओं के साथ-साथ बच्चे- बूढ़े सभी ने तालियों की गड़गड़ाहट से उनका भरपूर हौसला अफजाही किया। इससे पूर्व बच्चों ने इस आयोजन के दौरान कराटे का प्रदर्षन किया तथा अपने विधा से लोगों को रोमांचित किया। वहीं दूसरी तरफ झारखंड के पारंपरिक नृत्य भी आकर्षण का केन्द्र रहा। एयर शो की शुरुआत राष्ट्रगान की धुन से हुई। सभी ने खड़े होकर राष्ट्रगान गाया। कार्यक्रम के समापन पर ग्रुप कैप्टन अभिषेक झा ने कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए सभी को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि मैं तहे दिल से दुमका को धन्यवाद देता हंू जिन्होंने इस कार्यक्रम को सफल बनाने में अपना योगदान दिया। उन्होंने कहा कि दुमका जिला प्रषासन की जितनी भी तारीफ की जाय वो कम होगी। दुमका जिला प्रषासन ने इस आयोजन के लिए हर संभव मद्द किया। एयर फोर्स की टीम जिला प्रशासन को धन्यवाद देती है। उन्होंने कहा कि पुलिस महानिरीक्षक अखिलेष झा, दुमका के उपायुक्त मुकेष कुमार, पुलिस अधीक्षक मयूर पटेल, उप विकास आयुक्त शषिरंजन को इस सफल आयोजन के लिए धन्यवाद देता हूं। युवाओं को उन्होंने कहा कि इंडियन एयर फोर्स एक बेहतर कैरियर है आप सभी युवा एयर फोर्स जरुर चुने। राष्ट्रीय एकता दिवस के अवसर पर रन फाॅर यूनिटी, शपथ ग्रहण समारोह तथा फुटबाॅल मैच का आयोजन किया गया। मुख्यमंत्री आमंत्रण फुटबाॅल प्रतियोगिता में जिला स्तरीय मैच के फाईनल में गोपीकान्दर ने षिकारीपाड़ा को टाई ब्रेकर में हराया। 2 से 4 नवम्बर को जोनल स्तरीय फुटबाॅल प्रतियोगिता होगा जिसमें 6 जिला भाग लेंगे। जिसका आयोजन पुलिस लईन दुमका में किया जायेगा। कार्यक्रम में समाज कल्याण मंत्री डाॅ0 लुईस मरांडी, नगर पर्षद अध्यक्षा अमिता रक्षित, पुलिस महा निरीक्षक अखिलेष झा, पुलिस अधिक्षक मयूर पटेल, ग्रुप कैप्टन अभिषेक झा,  उप विकास आयुक्त शषिरंजन, प्रषिक्षु आई ए एस विषाल सागर, जिला प्रषासन के वरीय अधिकारी, एयर फोर्स के वरीय अधिकारी के साथ-साथ दुमका जिला सम्मानित नागरिकगण तथा बड़ी तादात में लोग उपस्थित थे।


राष्ट्रीय एकता दिवस का उद्देश्य सभी धर्मां की आपसी एकता से है-कुलपति

संताल एकडेमी सिदो कान्हु मुर्मू विश्वविद्यालय, दुमका से राष्ट्रीय एकता दिवस के अवसर पर पूर्वा0 7 बजे कुलपति प्रो मनोरंजन प्रसाद सिन्हा, कल्याण मंत्री डॉ लुईस मरांडी, प्रतिकुलपति प्रो सत्य नारायण मुंडा व नगर अध्यक्षा अमिता रक्षित ने संयुक्त रूप से भाग ले रहे सैकड़ो छात्र-छात्रों को हरी झंडी दिखाकर रन फॉर यूनिटी टीम को रवाना किया। इस कार्यक्रम के मद्देनजर हिन्दू मुस्लिम, सिक्ख व ईसाई की भेशभूषा में विविधता में एकता को प्रदर्शित किया। कुलपति ने कहा जाति, धर्म, वगर्, सम्प्रदाय, पंत, मजहब से अलग रहकर सभी धर्मों का सम्मान एक बराबर है। उन्होंने कहा राष्ट्रीय एकता दिवस का उद्देश्य राष्ट्रीय सीमाओं सहित सुरक्षा की आंतरिक चुनौतियों व परेशानियों को एक साथ मिल बैठ कर हल करें।  उन्होंने कहा नक्सलवाद, क्षेत्रवाद व जातिवाद जैसी समस्याओं से लोग जूझ रहे हैं। ऐसे में संगठित होकर ही बाधाओं को समाप्त किया जा सकता है। तभी एक भारत श्रेष्ठ भारत की कल्पना सार्थक हो सकती है। अखण्ड भारत के निर्माण में युवाओं की खासी भूमिका है। मंत्री डा0 लुईस मराण्डी, कुलपति डा0 मनोरंजन प्रसाद सिन्हा, नगर परिषद् अध्यक्षा अमिता रक्षित ने भी रन फाॅर यूनिटी में दौड़ लगाए। काफी संख्या में विवि पदाधिकारी शिक्षक, शिक्षकेत्तर कर्मी, छात्र-छात्राओं के साथ-साथ  आम लोग भी इस दौड़ मंे शामिल थे। इस दौरान विभिन्न राज्यो के पारंपरिक परिधान में छात्रों ने खुद को ढाल लिया था।  डिस्प्ले कार्ड में स्लोगन लेकर रन फॉर यूनिटी के उद्देश्य से आम लोगों को जागरुक किया जा रहा था। स्वत्रन्त्र देश के पहले गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल के 143 वीं जयंती के अवसर पर उनके सन्देश को खुद के चरित्र जोड़ने की अपील की गई। रन फॉर यूनिटी दौड़ के पहले कुलपति ने सभी प्रतिभागियों को राष्ट्रीय एकता की शपथ दिलाई। डॉ लुईस मरांडी व  अन्य गण्यमान्य व्यक्ति, पदाधिकारीगण, शिक्षकगण, शिक्षकेत्तरगण कर्मचारीगण व छात्र-छात्राओं ने इस अवसर पर   शपथ लिया। इस अवसर पर कुल सचिव डॉ धुर्व नारायण सिंह, विश्वविद्यालय खेल पदाधिकारी व कार्यक्रम के समन्वयक डा0 रंजीत कुमार सिंह, डॉ प्रमोदनी हांसदा, डॉ शम्भू नाथ मिश्रा, डॉ गगन ठाकुर, डॉ प्रशांत कुमार, डॉ रीना लकड़ा, प्रो सुजीत सोरेन, डॉ परमानंद सिंह, कॉलेज निरीक्षक डॉ काशीनाथ  झा, डॉ संजीव कुमार सिन्हा, सहायक कुलसचिव शम्भू सिंह, राजकुमार झा, इग्नोसिस मरांडी, अतुल झा, अजित कुमार सिंह, कार्यक्रम की समन्वयक प्रो अंजुला मुर्मू मौजूद थे। 

4 नवम्बर से लगेगा दुमका में कबड्डी का महाकुंभ

4 नवम्बर से 7नवम्बर 2017 तक दुमका के सिदो कान्हु आउटडोर स्टेडियम में 16वर्ष से कम आयुवर्ग के बालक और बालिकाओं का 29 वाँ नेशनल सब जूनियर कबड्डी प्रतियोगिता आयोजित की जा रही है ।इस प्रतियोगिता में विभिन्न राज्य और संस्थाओं के लगभग 84 टीमों के भाग लेने की संभावना है ।जिला कबड्डी संघ के सचिव हैदर हुसैन ने बतलाया कि आयोजन की सभी तैयारियों को अंतिम रुप दिया जा रहा है ।इसके लिए आउटडोर स्टेडियम में 6 कबड्डी कोर्ट तैयार किया जा रहा है ।प्रत्येक दिन 3 कोर्ट पर बालकों का तथा 3 कोर्ट पर बालिकाओं का मैच आयोजित किया जायेगा ।उन्होंने बतलाया कि झारखंड टीम का चयन कर लिया गया है तथा सभी खिलाड़ियों को राष्ट्रीय कोच छोटन प्रसाद प्रशिक्षण दे रहे हैं ।उन्होंने झारखंड के खिलाड़ियों से उम्दा प्रदर्शन किये जाने की उम्मीद जाहिर की । श्री हुसैन ने कबड्डी खेल के सम्बन्ध में बतलाया कि कबड्डी एक खेल है, जो मुख्य रूप से भारतीय उपमहाद्वीप मे खेली जाती है। कबड्डी नाम का प्रयोग प्रायरू उत्तर भारत में किया जाता है, इस खेल को दक्षिण में चेडुगुडु और पूरब में हु तू तू के नाम से भी जानते हैं। यह खेल भारत के पड़ोसी देश नेपाल,  बांग्लादेश, श्रीलंका और पाकिस्तान में भी उतना ही लोकप्रिय तमिल, कन्नड और मल यालम में ये मूल शब्द, कबड्डी, बांग्लादेश का राष्ट्रीय खेल है। साधारण शब्दों में इसे ज्यादा अंक हासिल करने के लिए दो टीमों के बीच की एक स्पर्धा कहा जा सकता है। अंक पाने के लिए एक टीम का रेडर (कबड्डी-कबड्डी बोलने वाला) विपक्षी पाले (कोर्ट) में जाकर वहां मौजूद खिलाडियों को छूने का प्रयास करता है। इस दौरान विपक्षी टीम के स्टापर (रेडर को पकड़ने वाले) अपने पाले में आए रेडर को पकड़कर वापस जाने से रोकते हैं और अगर वह इस प्रयास में सफल होते हैं तो उनकी टीम को इसके बदले एक अंक मिलता है। और अगर रेडर किसी स्टापर को छूकर सफलतापूर्वक अपने पाले में चला जाता है तो उसकी टीम के एक अंक मिल जाता और जिस स्टापर को उसने छुआ है उसे नियमतरू कोर्ट से बाहर जाना पड़ता है। उन्होंने कहा कि16 वर्ष से कम उम्र अर्थात् सब जूनियर कबड्डी में कोर्ट का माप 11मीटर गुणा 8 मीटर होता है। कोर्ट के बीचोबीच एक लाइन खिंची होती है जो इसे दो हिस्सों में बांटती है। कबड्डी महासंघ के हिसाब से सब जूनियर कबड्डी में कोर्ट का माँप 11 मीटर गुणा 8 मीटर होता है। उन्होंने कहा कि खिलाडियों के पाले में आने के बाद टॉस जीतने वाली टीम सबसे पहले अपना खिलाड़ी (रेडर) विपक्षी पाले में भेजती है। यह रेडर कबड्डी-कबड्डी बोलते हुए जाता है और विपक्षी खिलाडियों को छूने का प्रयास करता है। इस दौरान वह इस बात का पूरा ख्याल रखता है उसकी सांस ना टूटे। सांस टूटने की स्थिति में उसे भागकर अपने पाले में लौटना होता और जब तक वह सांस रोके रखकर कबड्डी-कबड्डी बोल सकता है, वह अपनी चपलता का उपयोग कर विपक्षी खिलाडियों (स्टापरों) को छूने का प्रयास कर सकता है। इस प्रक्रिया में अगर वह विपक्षी टीम के किसी भी स्टापर को छूने में सफल होता है तो उस स्टापर को मरा हुआ (डेड) समझ लिया जाता है। ऐसे में उस स्टापर को कोर्ट से बाहर जाना पड़ता है। और अगर स्टापरों को छूने की प्रक्रिया में रेडर अगर स्टापरों की गिरफ्त में आ जाता है तो उसे मरा हुआ (डेड) मान लिया जाता है। यह प्रक्रिया दोनों टीमों की ओर से बारी-बारी चलती रहती है। इस तरह से हर दल का खिलाड़ी बारी बारी से क्रम बदलते रहते हैं और अंत में जिसके दल में सब्से ज्यादा सदस्य बचे रह जाते हैं उस दल को विजेता घोषित कर दिया जाता है। उन्होंने जानकारी दी कि यह खेल आमतौर पर 20-20 मिनट के दो हिस्सों में खेला जाता है। हर हिस्से में टीमें पाला बदलती हैं और इसके लिए उन्हें पांच मिनट का ब्रेक मिलता है। हालांकि आयोजक इसके एक हिस्से की अवधि 10 या 15 मिनट की भी कर सकते हैं। हर टीम में 5-6 स्टापर (पकड़ने में माहिर खिलाड़ी) व 4-5 रेडर (छूकर भागने में माहिर) होते हैं। एक बार में सिर्फ चार स्टापरों को ही कोर्ट पर उतरने की इजाजत होती है। जब भी स्टापर किसी रेडर को अपने पाले से बाहर जाने से रोकते हैं उन्हें एक अंक मिलता है लेकिन अगर रेडर उन्हें छूकर भागने में सफल रहता है तो उसकी टीम को अंक मिल जाता है। पूरे मैच की निगरानी सात लोग करते हैंरू एक रेफरी, दो अंपायर, दो लाइंसमैन, एक टाइम कीपर और एक स्कोर कीपर। तो आइए आने वाले दिनों में हमसब भी कबड्डी- कबड्डी, चेडुगुडु -चेडुगुडु और हु- तू -तू करने की तैयारी पूरी कर लें ।

आकाश में बादल घिरे रहने की वजह से एयर शो का पूरा रोमांस दर्शक उठा पाने में सफल नहीं रहे

सरदार बल्लभ भाई पटेल की जयंती व इंडियन एयर फोर्स स्टेशन, सिंगारसी (पाकुड़) संस्थान के गोल्डन जुबली वर्ष के अवसर पर दिन मंगलवार को प्रातः 9 से दोपहर 12 बजे तक दुमका हवाई अड्डा में एयर शो व एयरफोर्स ड्रिल का संयुक्त रुप से भव्य प्रदर्शन किया गया। दुमका व आसपास के क्षेत्रों से तकरीबन चालीस से पच्चास हजार की संख्या में मौजूद भीड़ ने इस शो का आनंद उठाया। आसमान में बादल छाये रहने की वजह से दर्शक इस कार्यक्रम का पूरा लुफत उठा पाने में सफल नहीं रहे। काफी देर तक बादल छटने का इंतजार लोग करते रहे। चारों ओर बादल से घिरे आकाश के बावजूद भारतीय वायुसेना के जवानों ने छः हजार फीट की उँचाई से पैरालैंिडग कर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस अवसर पर सूबे की समाज कल्याण मंत्री डा0 लुईस मराण्डी, जिला प्रशासन, दुमका की पूरी टीम, इंडियन एयरफोर्स सिंगारसी के पदाधिकारी व कर्मचारीगण, अन्य आमंत्रित अतिथिगण व मीडिया के लोग मौजूद थे। एयर फोर्स की आकाश गंगा टीम ने आसमान में छाए बादलों के बाद भी साहस का परिचय देते काफी ऊंचाई से पैरासूट के जरिये छलांग लगाकर लैन्डिंग किया तथा दर्शकों में रोमांच पैदा कर दिया। अद्भुत नजारा देखकर लोग काफी प्रभावित हुए। दुमका के अब तक इतिहास में शायद यह पहला अवसर है जबकि यहाँ एयर शो का आयोजन किया गया। भारतीय वायुसेना (इंडियन एयरफोर्स) भारतीय सशस्त्र सेना का एक अंग है जो देश की सुरक्षा के लिये वायु युद्ध, वायु सुरक्षा व वायु चैकसी जैसे महत्वपूर्ण काम को अंजाम देता है। भारत के पूर्ण गणतंत्र होने के पूर्व इसे रॉयल इंडियन एयरफोर्स के नाम से जाना जाता था। पूर्ण गणतंत्र भारत की घोषणा के बाद इसमें से जे वाई शब्द हटाकर सिर्फ इंडियन एयरफोर्स नाम रखा गया। झारखण्ड के एक मात्र एयर फोर्स स्टेशन सिंगारसी के गोल्डन जुबली वर्ष के अवसर पर आयोजित एयर शो में झारखंडी नृत्य की प्रस्तुति की गई। इस एयर शो में भारतीय वायुसेना की आकाश गंगा टीम ने 60000 फीट की ऊंचाई से पैरालैंंिडग किया। इससे पूर्व पूर्वा0 6ः 30 बजे रन फाॅर यूनिटी कार्यक्रम का आयोजन किया गया। दुमका परिसदन से प्रारंभ रन फाॅर यूनिटी टीन बाजार चैक, नीचे बाजार (सिन्धी चैक) होते हुए इन्डोर स्टेडियम तक आयोजित किया गया। दुमका हवाई अड्डा में ’’स्वच्छता एवं राष्ट्रीय एकता दिवस शपथ’’ समारोह का भी आयोजन किया गया।  

मधुबनी (बिहार) की 31 अक्टूबर की प्रशासनिक हलचल

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अधूरे पड़े कार्य के निर्माण हेतु समीक्षात्मक बैठक 

मधुबनी, 31 अक्टूबर,  जिला पदाधिकारी शीर्षत कपिल अशोक,की अध्यक्षता में मंगलवार को समाहरणालय स्थित कक्ष में राष्ट्रीय सम विकास योजना के अंतर्गत वाट्सन उच्च विद्यालय, मधुबनी में निर्मित इंडोर स्टेडियम में बैडमिंटन कोर्ट के अधूरे पड़े कार्य के निर्माण हेतु समीक्षात्मक बैठक की गयी। जिला पदाधिकारी ने समीक्षा के क्रम में उपस्थित पदाधिकारियों को राशि के अभाव में अधूरे पड़े बैडमिंटन कोर्ट का निर्माण कार्य शीघ्र पूरा करने का निर्देश दिया। जिला पदाधिकारी ने बैडमिंटन कोर्ट के लिए इनडोर फ्लोर बनाने एवं विद्युतीकरण कार्य को गुणवत्तापूर्वक करने का निर्देश दिया। बैठक में श्री रविशंकर, जिला योजना पदाधिकारी, मधुबनी, कार्यपालक अभियंता, भवन निर्माण विभाग, भवन प्रमंडल मधुबनी समेत अन्य लोग उपस्थित थे।

राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप मनाया गया

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मधुबनी, 31 अक्टूबर; जिला पदाधिकारी शीर्षत कपिल अशोक की अध्यक्षता में मंगलवार को समाहरणालय परिसर में सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्म दिवस राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप मनाया गया। इस अवसर पर समाहरणालय परिसर में सभी पदाधिकारियों एवं कर्मियों को राष्ट्रीय एकता दिवस का शपथ समाज के अन्य लोगों को भी दिलाया गया। इस अवसर पर जिला पदाधिकारी ने संबोधित करते हुए कहा कि सरदार वल्लभ भाई पटेल पूरे देष को एकता और अखंडता के प्रति एकजुट रखने में सफल हुए थे। उन्होने सरदार वल्लभ भाई पटेल के व्यक्त्वि और कृतित्व पर विस्तार पूर्वक प्रकाश डाला। शपथ ग्रहण कार्यक्रम में समाहरणालय परिसर में सभी कर्मियों के अलावे अन्य लोग भी शामिल हुए।

युवाओं को सत्य एवं निष्ठा की शपथ दिलायी गयी।

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मधुबनी, 31 अक्टूबर; नेहरू युवा केन्द्र मधुबनी के द्वारा मंगलवार को  सरदार वल्ल्भ भाई पटेल जयंती एवं राष्ट्रीय एकता दिवस के अवसर पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ श्री नवीन कुमार, ओएसडी, मधुबनी के द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया। साथ ही सभी युवाओं को सत्य एवं निष्ठा की शपथ दिलायी गयी। समारोह को संबोधित करते हुए ओएसडी श्री नवीन कुमार ने कहा कि सरदार पटेल एक ईमानदार एवं कर्तव्यनिष्ठ स्वतंत्रता सेनानी थे। उन्होने देश के हितों की रक्षा के लिए युवाओं को संगठित कर अंग्रेजों के विरूद्ध संधर्ष किया। उनमें नेतृत्व करने की अदभुत क्षमता थी। वर्तमान समय में युवाओं को सरदार पटेल के आदर्षो से प्रेरणा लेने की जरूरत है। इस अवसर पर डाॅ0 कनकाभ ने भी युवाओं से सरदार वल्लभ भाई पटेल के जयंती के अवसर पर ली गयी शपथ को आत्मषात कर उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि देने की अपील की।  इस अवसर पर केन्द्र के लेखापाल सोहेल जफर, श्री सुजीत कुमार झा, जनसंर्पक कार्यालय, कौषल पाठक, जीतेन्द्र कुमार, रचना कुमारी, विभा रानी, सोनी कुमारी,ललित कुमार झा, लक्ष्मण राम, माधवी कुमारी, पुजा कुमारी, सुजाता कुमारी, समेत अन्य लोग भी उपस्थित थे।

विशेष : बच्चों की मौत से जुड़े सवाल

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गुजरात में विधानसभा चुनावों की गहमागहमी के बीच अहमदाबाद के सिविल अस्पताल में 24 घंटों के बीच आईसीयू में 9 नवजात शिशुओं की मौत पर हड़कम्प मच गया है। बदइंतजामी की वजह से अगस्त में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृहनगर गोरखपुर के बीआरडी चिकित्सालय में तीन-चार दिनों के अंदर तीस से ज्यादा बच्चों की मौत हो गई थी, जिसकी चर्चा पूरे देश में हुई थी। इसके बाद महाराष्ट्र के नाशिक में पचपन बच्चों की मौत हुई। इतनी बड़ी संख्या में और बार-बार बच्चों की मौत न सिर्फ दुखदायी है बल्कि चिकित्सा व्यवस्था पर सवालिया निशान लगाती है। यह हमारी न केवल नाकामी को दर्शाता है बल्कि इसने सम्पूर्ण चिकित्सा व्यवस्था की क्षमता, कुशलता और सोच को धुंधला दिया है। यह विडम्बना है कि विभिन्न क्षेत्रों में विकास के बावजूद हम स्वास्थ्य के मोर्चे पर पिछडे़ हुए हैं। यह पिछड़ापन इस हद तक है कि हम अपने बच्चों की जान नहीं बचा पा रहे हैं, उन्हें पर्याप्त चिकित्सा सुविधा नहीं दे पा रहे हैं। 

गौरखपुर के बाद अहमदाबाद और नाशिक में बच्चों की सामूहिक मौत होना यही सिद्ध करता है कि सरकारें और अधिकारी पुरानी घटनाओं से कोई सबक नहीं लेते। अपनी कमियों एवं कमजोरियों से सबक नहीं लेती। इस बात को अगर दरकिनार कर दिया जाए कि किस पार्टी की सरकार है या नहीं है, तो भी यह सवाल बनता है कि इसकी जिम्मेदारी क्यों न तय की जाए? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गुजरात से विशेष जुड़ाव है और यह माना जाता है कि गुजरात में उन्होंने विकास का एक अनूठा माॅडल प्रस्तुत किया है, क्या बच्चों की सामूहिक मौत की घटना उस विकास के माॅडल का हिस्सा है? क्या गुजरात में चिकित्सा व्यवस्था दूसरे तमाम राज्यों से बेहतर है? यदि उत्तर सकारात्मक है तो ऐसी लापरवाही का होना गंभीर मामला है। राज्य सरकार को यह देखना चाहिए कि आखिर किस स्तर पर व्यवस्था में चूक हुई है। सिर्फ कारण गिना देना बहानेबाजी से ज्यादा कुछ नहीं है। इन घटनाओं पर राजनीतिक बयानबाजी भी नहीं होनी चाहिए, आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला भी नहीं होना चाहिए। ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण एवं चुनौतीपूर्ण त्रासद घटनाओं की पुनरावर्ती न हो, बस इसकी ठोस व्यवस्था जरूरी है।


हालांकि मामले में तत्परता बरती है और जांच के आदेश दिए हैं। ग्यारह बच्चों की मौत हुई, जिनमें नौ मामलों की जांच के आदेश दिए गए हैं। अस्पताल का कहना है कि मरीज बच्चों को अस्पताल में भर्ती तब कराया गया था जब उनकी हालत ज्यादा खराब थी, जब निजी अस्पतालों को लगता है कि अब वे मरीजों का इलाज नहीं कर पाएंगे तो उन्हें वे सरकारी अस्पताल भेज देते हैं। अस्पताल के अधिकारियों ने यह भी कहा कि बच्चे देहात क्षेत्र से लाए गए थे, क्योंकि दिवाली की वजह से ग्रामीण क्षेत्र के चिकित्साधिकारी छुट्टी पर थे। इसलिए गर्भवती महिलाओं को अस्पताल पहुंचाने में देरी हुई। लेकिन यह सब कोई मान्य बहाना नहीं है। कारण कुछ भी रहे हों, नवजात शिशुओं की मौत काफी दुखद है, चिकित्सा व्यवस्था पर एक दाग है। वहीं गर्भवती महिलाओं के कुपोषित होने के कारण गुजरात में अब भी जन्म के दौरान शिशुओं का अत्यधिक कम वजन होना चुनौती बना हुआ है। गर्भवती माताओं के लिए सरकार कई योजनाएं चला रही है। गर्भकाल में भी उनकी निगरानी की जाती है। अगर गुजरात जैसे राज्य में भी गर्भवती माताओं को पोषण ठीक से नहीं मिल रहा है तो फिर ‘गुजरात मॉडल’ का यह कौन-सा रूप है!

गौरखपुर मैडिकल कालेज में बच्चों की मौत पर काफी हंगामा हुआ था। वहां बच्चों की मौत ऑक्सीजन की कमी से हुई। कहीं डाक्टरों की कमी, तो कहीं दवाइयों की उपलब्धता न होना, कहीं पर्याप्त मेडिकल संसाधन न होना इस तरह की दर्दनाक मौतों के कारण बनते हैं। लेकिन प्रशासन बच्चों की मौत के जो कारण बता रहा वे केवल लीपापोती है। अहमदाबाद में गौरखपुर जैसा कांड क्यों हुआ? इतने कम अंतराल के बाद इस तरह की घटना होना अनेक सवाल खड़े करती हैं। सवाल व्यवस्था में सुधार का है। सवाल पर्याप्त चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराने का है। सवाल बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा करने का है, सवाल डाक्टरों एवं अधिकारियों की जवाबदेही सुनिश्चित करने का है। इन सब दृष्टियों से स्वास्थ्य तंत्र में सुधार के बारे में केन्द्र सरकार और राज्य सरकारों को नए सिरे से सोचने की जरूरत है। इस संबंध में कई और पहलुओं को भी ध्यान में रखना होगा। इतनी बड़ी संख्या में बच्चों की मौत ने किन्हें आन्दोलित किया है, यह एक लम्बी बहस का मुद्दा है। लेकिन इतना तय है बच्चों की मौत के बहाने ही सही हमें चिकित्सा व्यवस्था पर गंभीर चिन्तन करने की जरूरत है। क्योंकि एक ओर तो अपने देश में सरकारी स्वास्थ्य ढांचे की दशा बहुत दयनीय है और दूसरी ओर राज्य सरकारें स्वास्थ्य-ढांचे में सुधार के लिए कोई ठोस कदम उठाती नहीं दिख रहीं। यद्यपि कई शहरों में एम्स जैसे अस्पताल बन रहे हैं लेकिन इस बात से सभी परिचित हैं कि दिल्ली के एम्स में गंभीर बीमारी से ग्रस्त मरीजों के आप्रेशन के लिए दो-तीन साल की लम्बी प्रतिक्षा करनी पडती है। यह देश का दुर्भाग्य नहीं तो क्या है कि पिछले दो दशक के भीतर स्वास्थ्य सुविधाओं के प्रति सरकारी तंत्र ने देखना उचित नहीं समझा। भारत का सार्वजनिक स्वास्थ्य पर खर्च लगभग 1.3 फीसद है, जो ब्रिक्स देशों में सबसे कम है। फिर यह कैसे कहा जा सकता है कि हमारी सरकारें लोगों के स्वास्थ्य के प्रति सचेत हैं और स्वास्थ्य के मुद्दे को संज्ञान में ले रही हैं। 

बीते लोकसभा चुनावों में और अभी गुजरात विधानसभा चुनाव में गुजरात की समृद्धि की गाथाएं सुनाई जा रही हैं। यह कैसी तरक्की है? यह कैसा विकास है? यह कैसी गौरव गाथाएं हैं? जहां ऐसे बच्चे पैदा हो रहे हैं जिनका वजन बहुत कम है। जहां आज भी आदिवासी क्षेत्रों में बीमार व्यक्ति को लाने-लेजाने की सुविधा नहीं है, चार व्यक्ति खाट (पलंग) पर मरीज को ढ़ोकर ले जाते हैं। इसका एक अर्थ यह भी है कि गुजरात का ग्रामीण-आदिवासी क्षेत्र अब भी कहीं ज्यादा उपेक्षित है और उसकी भी हालत शायद ओडिशा, छत्तीसगढ़ या झारखंड के ग्रामीण-आदिवासी क्षेत्रों जैसी ही है। वैसे भी नवजात बच्चों की मृत्यु के मामले में भारत की स्थिति बहुत चिंताजनक है। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट बताती है कि भारत में बाल मृत्यु-दर की स्थिति भयावह है। 2015 में 2.5 करोड़ बच्चों ने जन्म लिया था, जिनमें से बारह लाख बच्चे पांच साल की आयु पूरी होने से पहले ही मर गए। गरीबी उन्मूलन और महिलाओं के उन्नयन की तमाम योजनाएं होने के बावजूद यह स्थिति परेशान करने वाली है। यह भी देखा जाता है कि योजनाओं में भ्रष्टाचार भी एक बड़ी समस्या है। जब तक इस दिशा में कोई ठोस पहल नहीं होगी तब तक स्थिति सुधरने वाली नहीं है। चिकित्सा ऐसी सुविधा है, जो हर किसी को मिलनी चाहिए। विंडबना यह है कि शिक्षा और चिकित्सा के क्षेत्र में हमारी सरकारों ने जितनी जरूरत थी, उतनी चिंता नहीं की। विडम्बनापूर्ण तो यह भी है कि इन दोनों बुनियादी क्षेत्रों को निजी क्षेत्रों के हवाले कर सरकार निश्चिंतता की सांसें ले रही हंै, जबकि निजी क्षेत्र के लिये यह व्यवसाय है, मोटा घन कमाने का जरिया है। भला वे कैसे गरीब एवं पिछडे लोगों को लाभ पहुंचा सकती है? दोनों क्षेत्रों में निजीकरण बढ़ना सरकारों की असफलता को दर्शाता है।  

पर राष्ट्र केवल निजीकरण से ही नहीं जी सकता। उसका सार्वजनिक पक्ष भी सशक्त होना चाहिए। किसी भी राष्ट्र की ऊंचाई वहां की इमारतों की ऊंचाई से नहीं मापी जाती बल्कि वहां के नागरिकों के चरित्र से मापी जाती है। उनके काम करने के तरीके से मापी जाती है। हमारी सबसे बड़ी असफलता है कि आजादी के 70 वर्षों के बाद भी राष्ट्रीय चरित्र नहीं बन पाया। राष्ट्रीय चारित्र का दिन-प्रतिदिन नैतिक हृास हो रहा है। हर गलत-सही तरीके से हम सब कुछ पा लेना चाहते हैं। अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए कत्र्तव्य को गौण कर दिया है। इस तरह से जन्मे हर स्तर पर भ्रष्टाचार ने राष्ट्रीय जीवन में एक विकृति पैदा कर दी है और इसी विकृति के कारण न केवल स्वास्थ्य तंत्र लडखड़ा गया है बल्कि मासूम बच्चे मौत के शिकार हो रहे हैं।



(ललित गर्ग)
60, मौसम विहार, तीसरा माला, 
डीएवी स्कूल के पास, दिल्ली-110051
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इस जॉच रिपोर्ट के संकेत घातक है.

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लिंगदोह समिति की सिफारिशों के बाद राजस्थान में छात्रसंघों के चुनाव हुए। 6 बर्षो के बाद भी चुनाबों को लेकर छात्रों में कोई उत्साह नहीं दिखा था, रही सही कसर चुनाव के बाद प्रशासन और प्रवंधकों के दमन ने पूरी कर दी। इस बीच लोहागढ के नाम से प्रसिद्द भरतपुर जिले का एक छात्रासंघ अध्यक्ष ने हौसला नहीं खोया। उपखंड अधिकारी से लेकर अब अंत में मुख्यमंत्री को खुला पत्र लिखा है। जिसमें ऐसे हालातों में छात्रसंघ चुनावों को बंद करने की बात कही है। छात्रासंघ अध्यक्ष सुमन पटेल की ओर से सिंतबर 2010 में संभागीय आयुक्त भरतपुर को ज्ञापन सौंपकर जॉच कराने की मॉग की थी। इस प्रकरण में तहसीलदार बयाना की जॉच रिपोर्ट यह बताने के लिए काफी है कि शिक्षा के इन आलयों में विधार्थियों का किस प्रकार से शोषण हो रहा है।

प्रदेश में उच्च शिक्षा के लगभग एक हजार कॉलेज है। इन कॉलेजों में एक ओर जहॉ वैधानिक प्रवंधन नहीं है वही विधार्थियों को शिक्षा के नाम पर कोरा कागजी ज्ञान देने की साफ कोशिश की जा रही है। इस एक जॉच रिपोर्ट ने साफ तौर पर संकेत दिया है कि यदि हम ऐसे ही मूकदर्शक विधार्थियों की फौज तैयार करते रहे तो परिणाम घातक होगें। बच्चों में न खेल के प्रति रूचि होगी और न ही संस्कृति की समझ। उनके लिए सांस्कृतिक कार्यक्रम, शैक्षणिक पत्रिका के कोई मायने नहीं होगें। ऐसे में छात्रांसघ अध्यक्ष सुमन पटेल का मुख्यमंत्री को लिखा खुलापत्र बहुत मायने रखता है, जिसमें लिखा है कि ‘कार्यवाही करो या फिर छात्रसंघों के चुनावों को बंद करों। राजनीति की पहली पाठशाला की ऐसी दुर्गति से तो अच्छा है उन्हें इसका प्रशिक्षण ही नहीं दिया जाए।

25 अगस्त 2010 को छात्रसंघों के चुनाव हुए थे। चुनाब जीतते ही भरतपुर जिले की बयाना तहसील के अग्रसेन कन्या महाविधालय की चुनी गई छात्रासंघ अध्यक्ष सुमन पटेल ने छात्राओं के हितों के लिए संघर्ष करना आरम्भ कर दिया। इस संघर्ष की परिणति के रूप में तहसीलदार बयाना की एक जॉच रिपोर्ट हाल ही में आई है। सीधे तौर पर जॉच रिपोर्ट में छात्रसंघ के तमाम आरोप और मॉगों को सच माना गया है वहीँ कॉलेज प्रशासन और प्रबंधन के पक्ष को हास्प्रप्रद और गुमराह करने वाला। ऐसे में ही उच्च शिक्षा के एक कॉलेज की ये रिपोर्ट बता रही है कि शिक्षा के हमारे तंत्र को व्यवसाईयों ने कैसे कमाई का जरिया बना लिया है।

जुलाई 2010 से छात्रसंघों के चुनावों की चर्चा हुई थी हमने लगातर उस पर अपनी पैनी नजर रखी। 25 अगस्त 2010। इस दिन प्रदेश भर में राजनीति की पहली पाठशाला के लिए 6 वर्ष बाद मतदान किया। युवाओं ने उत्साह के साथ बढचढ कर हिस्सा लिया। उनका उत्साह धीरे धीरे शांत पड़ गया और पडता भी क्यों नहीं? प्राचार्य, प्रबंधन और प्रशासन किसी ने भी उनकी एक न सुनी। इस बीच एक छात्रासंघ अध्यक्ष छात्रा ऐसी भी रही जिसने अनवरत संघर्ष जारी रखा। संभागीय आयुक्त तक अपनी शिकायत को पहुंचाया, वही कॉलेज में लगातार छात्राओं के बीच अपनी सक्रियता बनाये रखी। मजबूरन एक जॉच कराई गई। उपखंड अधिकारी की लीपापोती वाली जॉच के बाद तहसीलदार बयाना ने मौके पर अपनी जॉच की। इस जॉच रिर्पोट में कॉलेज की तस्वीर साफ हो गई है। न तो खेल है,न ही महाविधालय की पत्रिका,स्वास्थ्य के नाम पर औपचारिकता है तो सास्कृतिक, सह्शैक्षनिक गतिविधियॉ कोसों दूर तक नजर नही आ रही। बार्षिक उत्सव तो बर्षो से नहीं कराया गया है। वहीं हर मद में पैसा बराबर लिया जा रहा है। कुल मिलाकर कहा जाये तो ये महाविधालय छात्राओं के लिए शिक्षा के नाम पर कलंक से कम नहीं है। जॉच अधिकारी ने अंत में लिखा भी है ‘‘इस प्रकार छात्राओं,कॉलेज शिक्षकों में समरसता,समंवय का भाव नहीं पाया जाना प्रतीत हुआ है। ऐसी परिस्थितियों में शिक्षा का वातावरण भी नहीं बनता है इस क्रम में निरंतर शिकायतें चली आ रही है’’।

प्रदेष के पूर्वी सिंह द्वार भरतपुर में बयाना एक कस्बा है। कस्बें में कन्याओं का एक निजी महाविधालय अग्रवाल समाज के द्वारा संचालित है। छात्रसंघ चुनावों की आहट के साथ ही इस महाविधालय की छात्राओं का आक्रेाश बाहर निकल आया। सर्वप्रथम 16 अगस्त को रैली निकालकर कस्बा सहित प्रशासन को यह सन्देश दिया कि कॉलेज के अन्दर खाने में सब कुछ ठीक ठाक नहीं है। शिक्षा के इस मन्दिर में कोरा कागजी ज्ञान है। उसे भी देने वाले कुछ तो समकक्ष शिक्षाधारी है। फीस के नाम पर मोटी राशी ली जाती है। उसे भी गतिविधियों के अनुसार दर्शाया जाता है,जबकि होता कुछ भी नहीं है।

छात्रसंघ की ओर से कॉलेज प्रशासन के समक्ष अपनी मॉगे रखी गई। जब महीनों कोई सुनवाई नहीं हुई तो संभागीय आयुक्त को अपनी मॉगों का ज्ञापन 29 सितंबर को सोंपा गया। वैसे देखे तो मॉग भी नहीं कह सकते। छात्राओं ने केवल शिक्षा से जुडे अपने अधिकारों की मॉग की थी। छात्रसंघ के नाम पर लगातार जो राशि ली जा रही है उसका हिसाब।स्वास्थ्य परीक्षण,बार्षिक उत्सव,सांस्कृतिक गतिविधिया,खेल कूद की व्यवस्था,आयोजन और सह्शैक्षनिक रूप में होने वाले अति आवष्यक कार्य जो कभी बर्षो से नहीं कराये कम से कम अब कराये जाये। कॉलेज के स्तर पर भ्रामक जबाब दिये गये। लेकिन रिर्पोट से सब कुछ साफ कर दिया है।

जॉच रिर्पोट के बिन्दु संख्या एक में लिखा है। 16837 रूप्यों में से 11837 का कोई बाउचर या खर्च के बारे में प्रबंधन द्वारा कोई जबाब नहीं दिया गया है। लिहाजा शेष राशि अन्य मद में खर्च किया जाना प्रतीत होता है इसलिए शिकायत सही पाई गई। बिन्दु संख्या एक ये आरम्भ हुआ ये सिलसिला रिपोर्ट के अंत तक और भी तीखे शब्दों में जारी रहा है जो साफ तौर पर कठोर कार्यवाही की मॉग करता नजर आता है। देखते है किसी के कान पर जूँ रेंगती भी है या नहीं।

बिन्दु संख्या दो में महाविधालय पत्रिका का जिक्र है। इसमें इस सत्र का विस्तार से जिक्र किया है। 289 छात्राओं से 14450 रूप्यों की प्राप्ति बताई गई है। जॉच अधिकारी ने साफ लिखा है कि ‘‘छात्राओं की रचनात्मक रचनात्मक कार्य,उत्कृष्ट सेवा,समाज उपयोगी कार्य,सांस्कृतिक सह्शैक्षनिक भ्रमण,बार्षिक उत्सव एंव महाविधालय की उपलब्धियों का उल्लेख करने वाली इस प्रकार की पत्रिका का महाविधालय द्वारा प्रकाशन नहीं किया जा रहा है। जॉच अधिकारी की आगे की टिपण्णी तो और भी गंभीर है जिसमें प्राचार्य द्वारा महाविधालय पत्रिका के रूप में दैनिक समाचार पत्रों को बताने वाले विचार को हास्यप्रद बताया गया है। इस राशि का उपयोग भी महाविधालय द्वारा अपनी मर्जी से व्यय किया जाना बताया गया है।

बिन्दु संख्या तीन में बार्षिक उत्सब की चर्चा है। जॉच अधिकारी ने माना है कि प्रतिवर्ष प्रतिछात्रा पचास रूप्ये लिये जा रहे है। रिपोर्ट में लिखा है कि महाविधालय स्वीकार करता है कि बर्ष 2005 से ऐसा कोई उत्सब आयोजित नहीं किया गया है। ये राषि लाखों में बैठती है। रिपोर्ट में आगे लिखा है कि इस मद में बसूली फीस का खर्च कहॉ किया गया है उसे भी प्राचार्य द्वारा अवगत नहीं कराया गया है।

विन्दु संख्या 4 में लिखा है कि शैक्षणिक सांस्कृतिक गतिविधयों के नाम पर प्रतिवर्ष 150 प्रतिछात्रा लिया जाता रहा है। यह राशि लगभग 50 हजार रुपये वार्षिक होती है। रिपोर्ट में छात्रासंघ अध्यक्ष के हवाले से कहा है कि तीन बर्ष के उसके अध्ययन काल में कभी इस महाविधालय में कुछ भी नहीं कराया गया है जो कुछ भी छात्राओं के लिए इस बर्ष रचनात्मक किया गया है वह छात्रासंघ की राशि में से निकाला जाना संभव हुआ है।जॉच अधिकारी ने आगे साफ किया है कि प्रवंधन ने इस मद के इस बर्ष के 43350 में 21585 रूप्यों का जो खर्चा दर्शाया है उसका भी कोई बाउचर जॉच के लिए प्रस्तुत नहीं किया। जिससे साफ होता है कि इन गतिविधियों के नहीं कराये जाने का छात्रासंघ का आरोप और षिकायत पूरी तरह से सही हैं। जॉच अधिकारी ने साफ किया है कि कॉलेज प्रवंधन द्वारा ऐसे मद की राषि का अन्य किसी मद में खर्च कर ‘‘छात्राओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाई गई है तथा जॉच अधिकारी को भी गलत तथ्य तथ्य व पत्रादि प्रस्तुत किये गये है’’।

बिन्दु संख्या पॉच में स्वास्थ्य परीक्षण के ढकोसले को चिंदी किया गया है। रिपोर्ट बताती है 289 छात्राओं में से 80 का स्वास्थ्य परीक्षण कराया जाना बताया गया है। जिनमें से न कोई छात्रा अस्वस्थ पाई गई और न ही किसी को कोई उपचार दिया गया। जॉच अधिकारी कहते है ‘‘ऐसी स्थिति में स्वास्थ्य परीक्षण मात्र एक औपचारिकता है महाविधालय प्रषासन द्वारा इस क्रम में कोई ठोस एंव संतोषजनक जबाब नहीं दिया गया’’।
बिन्दु संख्या 6 में खेल,क्रीडा की चर्चा है। महाविधालय द्वारा प्रतिवर्ष प्रतिछात्रा 100 रूप्ये लेना बताया गया है। चालू सत्र में 28900 की आय दर्षायी गई है। इतनी राषि में से केवल वर्तमान सत्र में 1930 का सामान क्रय किया जाना बताया गया है। इससे पहले कभी कुछ खर्चा खेल या सामान को लेकर कोई खर्चा नहीं किया गया है। जॉच अधिकारी छात्रासंघ अध्यक्ष के हवाले से लिखते है कॉलेज के पास किसी भी खेल गतिविधि के लिए कोई ग्राउंड और सुविधा नहीं है। आगे लिखा है चालू सत्र की शेष राषि का का प्रवंधन द्वारा कोई संतोषजनक जबाब नहीं दिया गया है तथा शेष राशि किस मदद में खर्च की गई है यह भी अवगत नहीं कराया गया है।

जॉच रिपोर्ट में आगे कहीं गई बात बहुत गंभीर है जिसका कि संबंध कॉलेज पर लगने वाले ऐसे आरोपों से है जो लंबे समय से लगते आ रहे है। जातीय भेदभाव। जॉच अधिकारी लिखते है कॉलेज प्राचार्य ने बताया कि छात्राओं कि फीस माफी बावत कोई मापदंड नहीं है। षिक्षण सत्र 2009-10 की फीस माफी की सूची से जॉच अधिकारी ने उद्वत किया है कि छात्रा हर्षिता शर्मा की फीस 60 रूप्ये माफ कि गई है वही पूजा,प्रियका गर्ग और निशा बंसल की पृथक पृथक 4110 रूप्ये की फीस माफ की गई है। जॉच अधिकारी का ये खुलासा साफ करता है कि कॉलेज प्रवंधन छात्राओं की फीस माफी करने में किस तरह से खुलेआम जातिगत भेदभाव का व्यवहार करता है। जॉच अधिकारी ने अपनी रिपोर्ट में कॉलेज प्रवंधन पर बर्षो से लगे आ रहे एक और आरोप को पुष्ट किया है। केवल अग्रवाल समाज के लोगों को ही प्रवंध समिति में शामिल किया जाना। इसकी जॉच के लिए जॉच अधिकारी को षिक्षण सत्र 2009-10 के लिए प्रवंध समिति की सूची उपलब्ध कराई गई है। उस समिति का गठन भी 28.11.10 की मीटिग में किया जाना बताया है। इसमें भी 18 सदस्य केवल अग्रवाल समाज के है। प्रवंध समिति के गठन के विधान के अनुसार यह किसी भी स्थिति में सही नहीं है। जिस विष्वविधालय प्रतिनिधि का चयन किया गया है उसका भी अनुमोदन नहीं हो पाया है।

जॉच अधिकारी की इस संवंध में की गई टिपण्णी गंभीर है। वो लिखते है‘‘ प्रवंध समिति में नियमों के विपरीत एक ही जाति के सदस्यों का बर्चस्व है। पूर्व की गठित समिति की सूची भी उपलब्ध नहीं कराई गई है’’। यहॉ भी मामले में गंभीर लोच है। जॉच अधिकारी से पूर्व महाविधालय ने संभागीय आयुक्त भरतपुर तक को भ्रामक जबाब दिये है। जो प्रवंधन समिति जॉच अधिकारी को 09-10 की दर्षायी गई है दरअसल वो है नहीं। इस प्रवंध समिति का गठन 18 जून 2006 को हुआ है। और तभी से ये पूर्णत नियमों के विरुद्ध गठित समिति आज दिन तक काम कर रही है। इसका गठन ही अवैधानिक नहीं,कार्यकाल भी वैधानिक नहीं है। पॉच साल से लगातार एक ही प्रवंध समिति जो कि अवैधानिक है कॉलेज का संचालन किये जा रही है।

सितंबर 2010 से चली प्रक्रिया अप्रेल 2011 में यहॉ तक पहुंची है। जिस छात्रसंघ और छात्राओं ने इसके लिए संघर्ष किया उनमें से अधिकांष की षिक्षा इस महाविधालय से पूरी हो गई है। कुछ शेष है। लेकिन ऐसे में बडा सवाल ये है कि क्या प्रषासन के कान पर जूँ रेगेंगी। आधे अधूरे अक्षर ज्ञान के रूप में नारकीय शिक्षा पा रही इन छात्राओं का आगे कुछ भला हो पायेगा। निजीकरण के रूप में षिक्षा की दुकाने खोले जा रही सरकारें और उनकी नौकरशाही की नींद कहीं खुलेगी भी या फिर सब कुछ यों ही कागजों में सिमटता जायेगा। यदि ऐसा होता रहा तो आने वाली पीढियों से जो उम्मीदें हम लगायें बैठे है वो कभी पूरी नहीं हो पाऐगी। छात्राओं को जब कॉलेज स्तर की शिक्षा में खेल,सांस्कृतिक, सह्शैक्षनिक गतिविधियों,पत्रिका प्रकाशन जैसी महत्वपूर्ण गतिविधियों तक के आयोजन के लिए फीस देने पर प्रकाशन के चक्कर लगाने पड रहे हों तो उनसे उम्मीद करना बेमानी ही है। इस पूरे मामले पर छात्रासंघ अध्यक्ष सुमन पटेल का कहना है कि इतने पर भी कोई प्रभावी कार्यवाही नहीं हुई तो उसका लोकतंत्र और उसके चलाने वालों,सरकारी मशीनरी पर से विशवास पूरी तरह से उठ जायेगा।



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राजीव शर्मा
भरतपुर

मधुबनी : कमला दित्य सूर्य मंदिर पर्यटन स्थलो की सूची में अब तक शामिल नही

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अंधराठाढी/मधुबनी (मोo आलम अंसारी) अंधराठाढी। इतिहास प्रसिद्ध कमलादित्य स्थान के गंगजला नदी में कभी इलाके के लोग छठ पूजा मनाने पहुचते थे . नगी के रुघन होने के करण तीन गाँव के लोग छठ पूजा मनाते है . गंगजला का सम्बन्ध प्राचीन काल से है . मान्यता है की भगवान कृष्ण पुत्र शम्ब द्वारा पूजित यह स्थल कमलार्क है . जिसका नाम वर्ष 1901 के सर्वे में कमलादान स्थान है . फ़िलहाल कमलादित्य के नाम से प्रचलित है . कमला दित्य स्थान यहॉ के प्राचीनतम एतिहासिक स्थलो में शुमार है। प्रखण्ड मुख्यालय से महज दो किलोमीटर की दूरी पर है। कर्णाट बंशीय राजा नान्यदेव के महामंत्री श्रीधरठक्कुर ने यहॉ सूर्य मंदिर का निर्माण करवाया था। किमबंदती है कि भगबान कृष्ण व जामबंती पुत्र शाम्ब जव अपने पिता श्रीकृष्ण के ही कोप भाजन बन गये थे। तव नारद जी ने उन्हे मुक्ति का यह मार्ग बताया था । बारह भिन्न भिन्न राशि में भिन्न भिन्न जगहो पर भगवान सूर्य के अर्घ देने से पुनः पूर्व स्वरूप मिल सकता है। कृष्ण पुत्र शाम्ब द्वारा पूजित स्थलो में यह स्थान भी है।  कालान्तर में राजा महराजाओ ने उक्त स्थलो पर सूर्य मंदिर का निर्माण कराया । कोणार्क,पुण्डयार्क, अग्नियार्क, वेदार्क , कमलार्क ,सहित कुल बारह है। शास्त्रो के मुताविक मिथिला में छः जगह और मिथिला से बाहर छः जगह प्रसिद्ध सूर्य मंदिर है। कमलादित्य स्थान के सूर्य मंदिर  सूर्य सर्किट का अंग हैं । आज भी इस स्थान के चारो ओर विशाल तालाव होने का प्रमाण मिलता है। यहॉ के बृद्धो का कहना है कि गंगजला नामके तालाव में पहले सूर्य अर्घ देने की प्रथा प्रचलित थी।अर्घ में सरसो के भूजे हुए साग आदि उसका प्रसाद हुआ करता था।  यह भी चर्चा है कि उक्त गंगजला तालाव में अष्टदल कमल खिला करते थे। गंगजला नदी आज भी विद्यमान है जो कमला दित्य सूर्य मंदिर से एक किलो मीटर पूर्व में बहती है . जहाँ कई गाँवो के छठ

ब्रतियो द्वारा छठ पूजा की जाती है .

अंधराठाढ़ी कमला दित्य सूर्य मंदिर पर्यटन स्थलो की सूची में  अब तक शामिल नही .
अंधराठाढीकमला दित्य सूर्य मंदिर पर्यटन स्थलो की सूची में अब तक शामिल नही करना यहॉ की लोगो की पुरानी मांग है। कई बार इसकी जॉच पडताल भी की गयी ।प्रतिवेदन सरकार तक गया । परन्तु अवतक पर्यटक स्थल के रूप में घोषित नहीं हो पाया है। ग्रामीणो के द्वारा नये मंदिर के निर्माण के दौरान पुराने मंदिर की नीव में एक समाधि स्थल मिला था। समाधि स्थल के उपर एक शिलापट्ट था । उस पर मगरध्वज योगी का नाम अंकित है। शिलापट्ट के नीचे तपस्वी योगी का नरकंकाल भी मिला था। इसको मिट्टी के बरतन में समेट कर नवनिर्मित मंदिर में प्रतिमा पाद पीठ के नीचे गाड दिया गया । यह भी चर्चा है कि कमलादित्य स्थान में एक भोजपत्र का पेड हुआ करता था। प्राचीन काल में भोजपत्र पर लिखने की प्रथा थी। कमलादित्य स्थान में डाकनी माई का भी स्थाल प्राचीन काल से ही है।मध्यरात्रि में तेज लौ लेकर यदा कदा डाकनी माई के निकलने की भी चर्चा है। यहॉ तंत्र साधना पी रहने का भी साक्ष्य मिलता है। इस स्थान की यह भी खासियत है कि इसके चारो दिशा के कोण में सामान दूरी पर मदनेश्वर स्थान, मुक्तेश्वर स्थान ,चदेश्वर स्थान , हुलेश्वर स्थान नाम के चार प्रसिद्ध शिव मंदीर  है। इतिहासिक साक्ष्य है कि कमलादित्य स्थान के नाम से तकरीवन 22एकड जमीन थी।अतिक्रमण और जमीन कुछ लोगो द्वारा खरीदने के कारण कमलादित्य स्थान फिलहाल कुछ कट्ठो में सिमट कर रह गया है।कमलादित्य स्थान पहुॅच पथ का अबतक काली करण नहीं हो पाया हैं । पूर्व सांसद प्रो रामदेव भंडारी के स्थानीय विकास एच्छिक कोष से आधाअधुरा खरंजाकरण हुआ था। इसके बादतत्कालीन विधायक नीतीश मिश्रा ने एक यात्री सेड का निर्माण कराया । पंचायत की ओर से सोलर लाईट , चापाकल आदि की यवस्था की गयी है। यहॉ बासन्तिक दूर्गा पूजा होती है और मेला लगता है। 

मोक्ष म्यूजिक कंपनी की नई स्टार सिंगर बनेगी हॉट डिंपल शर्मा

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  • संगीतकार राज महाजन के आगामी गानों में सुन पायेंगे डिंपल गर्ल की मधुर आवाज़

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अभी हाल ही में, प्रसिद्द रिकॉर्ड लेबल मोक्ष म्यूजिक कंपनी ने अपने आगामी म्यूजिक एलबम्स के लिए हॉट एंड खूबसूरत डिंपल गर्ल के साथ कॉन्ट्रैक्ट साईन किया. इस नई प्रतिभा की खोज राज महाजन ने हिमाचल की वादियों से की है. गॉडफादर के तौर पर राज महाजन डिंपल शर्मा को अपने नए स्टार गायक के तौर पर प्रमोट करेंगे. बेमिसाल ख़ूबसूरती की मल्लिका डिंपल शर्मा की गायकी का अपना अलग ही स्टाइल है. क्लासिकल से लेकर हिप-हॉप में रूचि रखने वाली डिंपल ने बताया कि वो कैसे अरविन्द पराशर जॉली जी से मिलीं और कैसे उन्होंने डिंपल को राज महाजन तक पहुँचने में मदद की. सही मायनों में अब जाकर डिंपल के सफ़र की असली शुरुआत होने जा रही है. हिमाचल से दिल्ली तक का सफ़र करने वाली डिंपल गर्ल ने अपने इस नए सफ़र के बारे में कहा, “मैं जॉली जी की बहुत शुक्रगुजार हूँ, जो उन्होंने मुझे राज महाजन सर से मिलवाया. अभी मेरी शुरुआत है लेकिन उन्होंने (राज महाजन) मुझे अभी से ही मार्गदर्शन करना शुरू कर दिया है. मुझे विश्वास नहीं हो रहा है मेरा प्रोफेशनल गायक बनने का सपना इतनी जल्दी पूरा हो जाएगा.”

राज महाजन को लोग ‘गॉड फादर’ कहते हैं. राज महाजन ने कई उभरते हुए कलाकारों को उनकी मंजिल तक पहुँचाया है. आज राज संगीत जगत में जाना-पहचाना नाम है. राज ही हैं जिन्होंने दिल्ली में डॉलीवुड टैलेंट क्लब की शुरुआत की. इस क्लब ने उन सभी लोगों को मंच दिया जिनके पास अपने टैलेंट को दिखाने का कोई जरिया नहीं था. हॉट गायिका डिंपल शर्मा के बारे में राज महाजन का कहते है, “डिम्पल वाकई में वर्सटाइल परफ़ॉर्मर है. आवाज़ का टोन काफी अच्छा है लेकिन अभी उसे पोलिश करना बाकी है. बहुत जल्द आप उसे मनोरंजन की दुनिया में धूम मचाते हुए देखेंगे.” बहरहाल डिंपल अपने पहले वाले गाने को लेकर काफी उत्साहित हैं. आने वाले समय में उनके कई गाने संगीत जगत में धमाका करने के लिए तैयार हैं. जिनमें शामिल हैं ‘कमली यार दी’, ‘सांवरियां’, ‘ज़ालिम लोशन’ इत्यादि. तो फिर, तैयार रहिये दिलकश अदाओं और खूबसूरत मुस्कान लिए आ रही है हॉट एंड सेक्सी डिंपल आपका मनोरंजन करने के लिए.

विशेष : गुजरात में कांग्रेस के सामने चुनौतियों का पहाड़

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देश के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बने गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस में अभी से ऐसे हालात बनने लगे हैं, जिनके कारण कांग्रेस के समक्ष एक तरफ कुआ तो एक तरफ खाई जैसी परिस्थितियां निर्मित होती दिखाई दे रही हैं। कांग्रेस की राष्ट्रीय राजनीति में गहरा प्रभाव रखने वाले अहमद पटेल के सामने पहले से भी ज्यादा चुनौती पैदा होती जा रही हैं। अभी हाल ही में अहमद पटेल से जुडे एक व्यावसायिक स्थल से आतंकवादियों की गिरफ्तारी उनको कठघरे में खड़ा करती हुई दिखाई दे रही है। इससे जहां कांग्रेस को पटखनी देने के लिए भाजपा को प्रभावशाली मुद्दा मिला है, वहीं कांग्रेस बैकफुट की ओर जाती हुई दिखाई दे रही है। कांग्रेस की सबसे बड़ी दुविधा यही है कि अगर वह अहमद पटेल से दूर रहने का प्रयास करती है तो स्वाभाविक रुप से कांग्रेस को मुसलमान वर्ग से नाराजी भी झेलनी पड़ सकती है, जो कांग्रेस कतई नहीं चाहती। अगर अहमद पटेल का समर्थन करती है तो फिर कांग्रेस से वह वर्ग दूर जा सकता है, जिसके लिए उसने लम्बे समय से रणनीति का उपयोग किया। कहने का तात्पर्य स्पष्ट है कि पटेल वर्ग को अपने पाले में करने के लिए कांग्रेस ने राजनीतिक चाल चली, उसमें कांग्रेस को उस समय सफलता मिलती हुई भी दिखाई दे रही थी, जब हार्दिक पटेल कांग्रेस नेता राहुल गांधी के संकेत पर कांग्रेस का समर्थन करते हुए दिखाई दिए। हालांकि हार्दिक पटेल जिस मुद्दे पर गुजरात में उभरे हैं, उस मुद्दे पर अडिग रहना उनकी राजनीतिक मजबूरी है। इसलिए हार्दिक पटेल ने अब कांग्रेस के सामने यक्ष स्थिति पैदा कर दी है। हार्दिक पटेल ने कांगे्रस से सवाल किया है कि पटेल आरक्षण पर कांग्रेस अपना रुख स्पष्ट करे।


राजनीतिक हालातों के विश्लेषण करने पर ऐसा भी लगता है कि हार्दिक का यह बयान भी पूरी तरह से कांग्रेस को फायदा पहुंचाने का एक कदम है। क्योंकि कांग्रेस पटेल वर्ग को आरक्षण देने की घोषणा कर सकती है। राजनीतिक लाभ प्राप्त करने के लिए कांग्रेस का यह कदम अब उजागर होने लगा है। जनता भी इस बात को समझने लगी है कि कांग्रेस अपने राजनीतिक उत्थान के लिए कैसी भी राजनीति कर सकती है। समाज में विघटन पैदा करने वाली कांग्रेस ने राज भी इसी पद्धति को आधार बनाकर ही किया है। आज भी कांग्रेस उसी राह का अनुसरण कर रही है। समाज में फूट डालने की मानसिकता से किया गया प्रचार चुनाव में सफलता तो दिला सकता है, लेकिन देश को मजबूत नहीं बना सकता। इसलिए कांग्रेस के बारे में यह आसानी से कहा जा सकता है कि वह केवल सत्ता प्राप्त करने के लिए ही राजनीति करती रही है, आज भी वही कर रही है। देश की समृद्धि से उसे कोई मतलब नहीं है। गुजरात चुनाव में जिस प्रकार से राजनीतिक प्रचार किया जा रहा है, उससे यह भी लगने लगा है कि भाजपा में किसी भी प्रकार की घबराहट नहीं है, वहीं दूसरी ओर कांगे्रस के हालात इसके विपरीत दिखाई दे रहे हैं। उसमें घबराहट भी है और अपना अस्तित्व बचाए रखने के सशंकित जिजीविसा भी है। ऐसे में कांग्रेस किस परिणति को प्राप्त होगी, यह कहना फिलहाल मुश्किल जरुर है, लेकिन उसके अपने कार्यकर्ता इस बात के लिए आशान्वित भी नहीं हैं कि गुजरात में कांग्रेस की सरकार ही बनेगी। कांग्रेस के कार्यकर्ता और राजनीतिक विश्लेषक भी यह बात स्वीकार करने लगे हैं कि कांग्रेस की स्थिति में सुधार अवश्य हो सकता है, परंतु सरकार नहीं बन सकती। वर्तमान में कांग्रेस के समक्ष चुनौतियां ज्यादा हैं और प्रभावी भी हैं। क्योंकि गुजरात के पूर्व चुनावों में कांग्रेस के लिए चुनौती के रुप में राज्य का मुख्यमंत्री था, आज एक प्रधानमंत्री है। इससे स्पष्ट है कि अब गुजरात में चुनौती ज्यादा बड़ी है। राज्य का कोई व्यक्ति आज देश का प्रधानमंत्री है, यह भाजपा के लिए सकारात्मक कहा जा सकता है और भाजपा को इसी का राजनीतिक लाभ मिलेगा, यह तय है। राजनीतिक स्थितियां जो तस्वीर प्रदर्शित कर रही हैं, वह यह स्पष्ट कर रही हैं कि राज्य ही नहीं पूरे देश में आज नरेन्द्र मोदी सबसे बड़े राजनेता के रुप में स्थापित हुए हैं। ऐसी स्थिति में कांगे्रस का उनसे मुकाबला करना टेड़ी खीर ही प्रमाणित हो रहा है। कांग्रेस के नेता भले ही कुछ भी कहें, लेकिन वास्तविकता यही है कि गुजरात में भाजपा के सामने खड़े होने के लिए कांग्रेस को बहुत परिश्रम करना पड़ेगा।

बहरहाल भाजपा व कांग्रेस दोनों के लिए यह चुनाव प्रतिष्ठा का सवाल है। यह कहना भी गलत नहीं होगा कि दोनों पार्टियों में गुजरात चुनावों का माहौल लोकसभा चुनावों जैसा है। 1995 से निरंतर सत्ता में रही भाजपा अपने इस गढ़ को केवल बरकरार ही रखना नहीं चाहती, बल्कि इन चुनावों से नोटबंदी व जीएसटी जैसे मुद्दों पर जनता की मोहर लगवाने के मूड में है। दोनों राजनीतिक पार्टियां इस घमासान में एड़ी-चोटी का जोर लगाएंगी। पिछले 22 सालों से 60 सीटों तक सीमित रही कांग्रेस अपनी नजर इस बार पटेल और पाटीदार समाज पर टिकाए हुए है। गुजरात विधानसभा के पहले के चुनावों के राजनीतिक प्रचार पर ध्यान दिया जाए तो यही सामने आता है कि विपक्षी राजनीतिक दलों ने सांप्रदायिकता को अपना प्रमुख चुनावी हथियार बनाया था। दूसरी ओर भाजपा विकास, विकास और केवल विकास की ही बात करती रही। अब कांग्रेस से अपने पुराने मुद्दों से बहुत दूरी बना ली है। उसे समझ में आने लगा है कि गुजरात की जनता सांप्रदायिकता फैलाने वाले दलों के साथ नहीं है, वह पूरी तरह से विकास करने वाले दल भाजपा के साथ है। इसी कारण से भाजपा गुजरात में अभी तक सत्ता में है। गुजरात चुनावों में इस बार सबसे खास बात यह भी है कि राज्य में मुख्यमंत्री रह चुके नरेद्र मोदी पहली बार प्रधानमंत्री के रुप में चुनाव प्रचार कर रहे हैं, जो भाजपा के लिए सकारात्मक है। अच्छी बात यह है कि गुजरात चुनावों में चाहे विरोधी दलों की बयानबाजी हो या फिर भाजपा नेताओं के बयान, सभी अब विकास की बात करने के लिए ही राजनीति करते दिखाई दे रहे हैं। पिछले चुनाव में कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी ने नरेन्द्र मोदी को मौत का सौदागर तक बता दिया, लेकिन इसका परिणाम यही निकला कि भाजपा को गुजरात की सत्ता प्राप्त हो गई और कांग्रेस विपक्ष में ही रही। अब कांग्रेस को भी लगने लगा है कि इस प्रकार के मुद्दों से कोई राजनीतिक लाभ नहीं मिलने वाला है। इसलिए उसने भी आज भाजपा की तरह विकास की बात करनी प्रारंभ कर दी है। यानी गुजरात में अब विकास ही राजनीतिक मुद्दा है। कांग्रेस भले ही अपने राजनीतिक लाभ के लिए विकास की बात कर रही हो, लेकिन यह भी सच है कि कांग्रेस विकास से कोसों दूर है। हम जानते हैं कि कांग्रेस के एक बड़े नेता ने विकास को पागल की संज्ञा दे दी। यानी कांग्रेस मानती है कि देश में जहां भी विकास होगा, वह केवल पागलपन के अलावा कुछ भी नहीं है। इससे यह आसानी से समझ में आ जाता है कि कांग्रेस की राजनीति में स्थिरता नाम की कोई बात नहीं है। वह विकास की राजनीति भी कर रही है और विकास को पागल भी बता रही है। अब देखना यही होगा कि गुजरात में कांग्रेस भाजपा को पराजित करने के लिए किस प्रकार की योजनाएं बनाती है।

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सुरेश हिन्दुस्थानी
लश्कर ग्वालियर मध्यप्रदेश
मोबाइल-9425101815,9770015780
(लेखक वरिष्ठ स्तंभकार और राजनीतिक विश्लेषक हैं)

डोकलाम विवाद सुलझाने में भूटान नरेश की भूमिका सराहनीय : कोविंद

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नई दिल्ली 1 नवंबर, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बुधवार को डोकलाम विवाद सुलझाने में भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्येल वांगचुक की भूमिका की सराहना की। भूटान स्थित डोकलाम क्षेत्र में भारत और चीन की सेना आमने-सामने आ गईं थीं। कोविंद ने राष्ट्रपति भवन में भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्येल वांगचुक, उनकी पत्नी रानी पेमा जेतसुन वांगचुक और राजकुमार जिग्मे नामग्याल वांगचुक से मुलाकात के बाद यह बात कही। भूटान का शाही जोड़ा मंगलवार को चार दिवसीय सद्भावना दौरे के तहत भारत पहुंचा। हाल ही में भूटान के डोकलाम क्षेत्र में भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच हुए गतिरोध के मद्देनजर शाही परिवार का यह दौरा महत्वपूर्ण माना जा रहा है।भारत और चीन के सेनाएं भूटान के डोकलाम क्षेत्र में दो महीने तक आमने-सामने रहीं थीं। दोनों देशों की ओर से अपनी सेनाओं को पीछे हटाने के निर्णय के बाद यह विवाद अगस्त में समाप्त हुआ था। यह विवाद चीन द्वारा भूटान के इस क्षेत्र में सड़क निर्माण का कार्य करने की वजह से शुरू हुआ था। उस समय भारत और भूटान ने कहा था कि बीजिंग का यह कदम भारत-भूटान-चीन के अंतर्राष्ट्रीय तिराहे (ट्राइजंक्शन) पर यथास्थिति का उल्लंघन है। राष्ट्रपति भवन की ओर से जारी बयान के अनुसार, राष्ट्रपति ने कहा कि भारत और भूटान की अविभाज्य और साझा सुरक्षा चिंताएं हैं। बयान के अनुसार, "कोविंद ने डोकलाम क्षेत्र में विवाद सुलझाने के लिए भूटान नरेश की निजी संलिप्तता, मार्गदर्शन और समर्थन के लिए गहरी सराहना की। उन्होंने कहा कि डोकलाम विवाद सुलझाने के लिए जिस तरह भारत और भूटान एक साथ खड़े हो गए, वह हमारी दोस्ती को दिखाता है।" कोविंद ने उनके शासन का पहला दशक सफलतापूर्वक पूरा करने और स्थिर, खुशहाल और समृद्ध भूटान के लिए उनके दृष्टिकोण की भी सराहना की। बयान के अनुसार, उन्होंने कहा कि भारत भूटान में त्वरित विकास और साथ ही पर्यावरण के साथ अपनी विशेष संस्कृति को बचाने के प्रयास को देखकर काफी खुश है। कोविंद ने कहा, "भारत अपने ज्ञान, अनुभव और संसाधनों को भूटान के साथ साझा कर काफी खुश है। सरकार और भूटान के लोगों द्वारा स्थापित की गई प्राथमिकता के आधार पर हमारा विकास सहयोग आगे बढ़ता है।" उन्होंने कहा, "भारत और भूटान अनुकरणीय द्विपक्षीय संबंध साझा करते हैं। हमारा संबंध विशेष और खास है। हमारा द्विपक्षीय संबंध विश्वास और समझ पर आधारित है। हमें हमारे द्विपक्षीय सहयोग को उदाहरण बनाने के लिए सबकुछ करना चाहिए, ताकि पड़ोसी देशों द्वारा इसे उदाहरण के रूप में लिया जाए।" भारत और भूटान के बीच सुरक्षा, सीमा प्रबंधन, व्यापार, ट्रांजिट, अर्थव्यवस्था, हाइड्रो-पॉवर, विकास सहयोग और जल संसाधन के संबंध में कई संस्थागत तंत्र स्थापित हैं। भारत, भूटान में 1416 मेगावाट की तीन हाइड्रोइलेक्ट्रिक परियोजना स्थापित करेगा। जिसमें से तीन-चौथाई उत्पादित बिजली निर्यात की जाएगी और शेष का घरेलू दोहन किया जाएगा। भारत भूटान का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। 2016 में दोनों देशों के बीच 8,723 करोड़ का व्यापार हुआ। इससे पहले बुधवार को विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने शाही परिवार से यहां मुलाकात की थी।

चिटफंड धोखाधड़ी मामले में 2 कंपनियों के खिलाफ सीबीआई का आरोप-पत्र

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कोलकाता 1 नवंबर, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने बुधवार को बताया कि 335 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के चिटफंड मामले में उसने कोलकाता की दो निजी कंपनियों के अध्यक्ष और निदेशकों के खिलाफ आरोप-पत्र दाखिल किया है। सीबीआई की ओर से जारी बयान के मुताबिक, एंजिल एग्रीटेक लिमिटेड और एंजिल रूरल डेवलपमेंट लिमिटेड, दोनों कंपनियों पर आरोप है कि उन्होंने निवेशकों को बहुत ज्यादा मुनाफा दिलाने का झांसा देकर उनसे अपनी निवेश योजनाओं के तहत पैसे लिए थे। लेकिन बाद में उन्होंने अपनी कंपनियों का कामकाज बंद कर दिया और निवेशकों को उनके तकरीबन 335 करोड़ रुपये नहीं लौटाए। सीबीआई ने एंजिल एग्रीटेक लिमिटेड के चेयरमैन एस. के. हक और प्रबंध निदेशक एस. के. नजीबुला के साथ-साथ दोनों कंपनियों पर भारतीय दंड संहिता की धारा 409 के तहत आपराधिक विश्वासघात और धारा 120 बी के तहत आपराधिक साजिश और प्राइज चिट एंड मनी सर्कुलेशन स्कीम (प्रतिबंध) अधिनियम के तहत आरोप-पत्र दाखिल किया है। आरोप-पत्र दक्षिण 24 परगना के बरुइपुर स्थित अतिरिक्त मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के समक्ष दायर किया गया है। सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर नवंबर 2014 से मामले की जांच कर रही सीबीआई ने बताया कि बड़ी साजिश तय करने और धन का पता लगाने के लिए मामले में जांच जारी है।

राहुल ने व्यापमं घोटाले में शिवराज को क्लीन-चिट का उड़ाया उपहास

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नई दिल्ली 1 नवंबर, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने बुधवार को भाजपा को आड़े हाथों लिया। उन्होंने व्यापमं घोटाले में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को क्लीन-चिट दिए जाने को लेकर भाजपा की आलोचना की। कांग्रेस उपाध्यक्ष ने कहा कि भाजपा नेता के खिलाफ आरोपों को कूड़ेदान में डाल दिया गया है। राहुल ने एक ट्वीट में मामले से संबंधित एक खबर को जोड़कर उपहास के लहजे में कहा- नैतिकता गई कूड़ेदान, जय स्वच्छ भारत अभियान। गौरतलब है कि सीबीआई ने मध्यप्रदेश में 2013 में प्रकाश में आए करोड़ों रुपये के व्यापमं परीक्षा घोटाला मामले में मंगलवार को 490 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किए। जबकि मामले में प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को क्लीन चिट दे दी है।


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