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सरकार बोलती कम, काम ज्यादा करती है: योगी

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बाराबंकी, 25 नवम्बर, त्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने समाजवादी पाटी (सपा) पर निशाना साधते हुए कहा  “उनकी सरकार कम बोलती है, काम ज्यादा करती है।” श्री योगी ने आज यहां जीआइसी मैदान में चुनावी जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि उनकी सरकार बोलती कम है, काम ज्यादा करती है। सरकार ने भूमि के अवैध कब्जे को मुक्त कराने के लिए एंटी भू- माफिया टॉस्क का गठन किया है। उन्होंने कहा कि मैं प्रदेश में अब कुछ अवैध नही होने दूंगा। एंटी भू माफिया टास्क फोर्स की टीम अब अवैध कब्जा करने वालों की खबर लेगी। प्रदेश का विकास भेदभाव रहित होगा। समाजवादी सरकार के दौरान अवैध कब्जे करने वालों की अब खैर नही है। सपा तथा बहुजन समाज पार्टी(बसपा) सरकारों ने प्रदेश में नगरीय जीवन को नारकीय बना दिया था। उन्होंने कहा कि हम प्रदेश का काफी योजना बनाकर विकास कर रहे हैं। हम किसी छोटे व्यापारी को उजाड़ेंगे नहीं। उन्हें सलीके से बढ़ाएंगे। सड़कों को अतिक्रमण से खाली कराएंगे। व्यापक योजना लेकर आये हैं। यहां भेदभाव से बिजली मिलती थी। देव महादेवा में अब भेदभाव नही होता है। हम महादेवा को अयोध्या की तरह जगमग करना चाहते हैं। एल ई डी लाईट लगेगी। श्री योगी ने कहा कि स्वच्छता के लिए डोर टू डोर कूडा कलेक्शन होगा। सपा- बसपा की सरकार में गुंडागर्दी आतंक जनता पर बरपा करती थी। अब ऐसा नही होगा। पिछली सरकार ने युवाओं के साथ भेदभाव किया था। नौकरी पाने के लिये पैसा देना पड़ता था। प्रदेश के चार लाख युवाओं के लिए नौकरी दी जायेगी।

कुपोषण पर जागरुकता जरूरी: मोदी

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नयी दिल्ली, 25 नवंबर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समाज में कुपोषण के बारे में जागरुकता फैलाने पर जोर देते हुए कहा है कि इससे निपटने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों की सभी योजनाओं तथा कार्यक्रमों में समन्वय किया जाना चाहिए। आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार कुपोषण से निपटने के लिए उठाए गए विभिन्न कदमों की समीक्षा के लिए कल देर शाम बुलाई गयी उच्च स्तरीय बैठक में प्रधानमंत्री ने कहा कि पोषण के संबंध में समाज में व्यापक स्तर पर जागरुकता फैलाई जानी चाहिए और इसके लिए अनौपचारिक तरीके अपनाए जाने चाहिए। बैठक में प्रधानमंत्री कार्यालय, नीति आयोग और संबद्ध मंत्रालयों के अधिकारियों ने हिस्सा लिया। बैठक में देश में कुपोषण की मौजूदा स्थिति और इससे निपटने में आ रही विभिन्न समस्याओं पर चर्चा की गयी। इस समस्या के समाधान के लिए विकासशील देशों में चल रहे विभिन्न कार्यक्रमों पर भी विचार विमर्श किया गया। श्री मोदी ने कुपोषण, अल्पपोषण, कम वजन जन्म और रक्ताल्पता से निपटने के लिए एकजुट होेने पर भी बल दिया। उन्होेंने कहा कि वर्ष 2022 में आजादी की 75 वीं वर्षगांठ पर इन समस्याओं से निपटने के उपायों का असर जमीन पर दिखना चाहिए।

राहुल ने कहा: गुजरात में गुजरात माॅडल नहीं मोदी-रूपाणी मॉडल

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दहेगाम (गुजरात), 25 नवंबर, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने आज गुजरात के विकास के सत्तारूढ भाजपा के दावे पर एक बार फिर प्रहार करते हुए कहा कि राज्य में गुजरात मॉडल नहीं बल्कि मोदी-रूपाणी मॉडल है जिसके केवल पांच दस उद्योगपतियों की ही परवाह है। श्री गांधी ने अपने दो दिवसीय चुनावी दौरे के दूसरे दिन गांधीनगर के निकट दहेगाम में कहा कि राज्य में आज शिक्षा संस्थानों और स्वास्थ्य सुविधा सभी पर पांच दस उद्योगपतियों का कब्जा है। सारे बंदरगाह एक ही उद्योगपति काे दे दिये गये हैं जिसका नाम आप जानते हैं। यहां जादू दिखा रही सरकार ने जनता का 33 हजार करोड टाटा को नैनो के नाम पर दे दिया। यह पैसा छूमंतर हो गया पर नैनो कही दिखती नहीं। यह गुजरात मॉडल नहीं है, मोदी-रूपाणी मॉडल है। उन्होंने कहा कि गुजरात मॉडल वास्तव में कुछ और है। यह राज्य की शक्ति का उपयोग लोगों के लिए करने वाला मॉडल है। लोगों के पैसे को छीन कर उद्योगपतियों को देने वाला मॉडल नहीं। राज्य की महिला दुग्ध उत्पादकों के डर से न्यूजीलैंड ने यहां दूध भेजने की हिम्मत नहीं की। श्वेत क्रांति करने वाला गुजरात पूरी दुनिया को हिलाने की ताकत रखता है। राज्य को मोदी-रूपाणी मॉडल से कुछ मिलने वाला नहीं।  राज्य में कांग्रेस की सरकार बनेगी तो मुख्यमंत्री मोदी जी की तरह अपने मन की बात नहीं करेंगे बल्कि लोगों के मन की बात सुनेंगे। यह सरकार जनता की सरकार होगी, पांच दस उद्योगपतियों की नहीं। सभा के दौरान एक हवाई जहाज के आसमान में गुजरने पर श्री गांधी ने चुटकी लेते हुए कहा कि इसमें भी मोदी जी के दोस्त जा रहे हैं।

राज्यों के साथ सद्भावना केन्द्र की प्राथमिकता : राजनाथ

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नयी दिल्ली, 25 नवम्बर, केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने आज कहा कि केन्द्र ने सहकारी संघवाद को बढावा देने के लिए हाल के वर्षों में कई कदम उठाये हैं और राज्यों के साथ सद्भावना पूर्ण संबंध बनाना केन्द्र सरकार की प्राथमिकता है। श्री सिंह ने यहां अंतर राज्यीय परिषद की स्थायी समिति की 12 वीं बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि राज्यों के साथ सहयोग बढाना केन्द्र के लिए महत्वपूर्ण है और वह सहकारी संघवाद को बढावा देने के लिए इस दिशा में कदम उठाता रहेगा। उन्होंने बैठक में कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों पर सहमति बनने पर संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि आज सभी मुद्दों पर सकारात्मक और सार्थक बातचीत हुई है। उन्होंने कहा कि यह केन्द्र के प्रयासों का ही नतीजा है कि दस वर्षों के बाद अंतर राज्यीय परिषद की 2016 में बैठक हुई और इसके बाद से स्थायी समिति की बैठक नियमित रूप से हो रही है। इससे केन्द्र तथा राज्यों के बीच परस्पर सहयोग बढा है। उन्होंने इस बात पर भी संतोष जताया कि अब क्षेत्रीय परिषदों की बैठक नियमित और निर्धारित अंतराल पर हो रही है । केन्द्र का प्रयास है कि हर साल सभी क्षेत्रीय परिषदों की एक बैठक होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इन बैठकों में राज्यों के बीच तथा केन्द्र और राज्यों के कई महत्वपूर्ण मुद्दों का समाधान हुआ है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2015 में इस तरह के 82 तथा 2016 में 140 मुद्दों का समाधान किया गया था। श्री सिंह ने कहा कि स्थायी समिति की अगली बैठक के बाद पंछी आयोग के बारे में इनकी सिफारिशें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में होने वाली स्थायी समिति के समक्ष रखी जायेंगी।

डिजिटल प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल आम लोगों के सशक्तीकरण के लिए: सुषमा

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नयी दिल्ली, 25 नवंबर, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा है कि सरकार साइबर और डिजिटल मंचों का इस्तेमाल आम लोगों के सशक्तीकरण के वास्ते करने के लिए प्रतिबद्ध है। श्रीमती स्वराज ने साइबर सुरक्षा पर यहाँ आयोजित दो-दिवसीय वैश्विक सम्मेलन के समापन सत्र में शुक्रवार रात यह बात कही। उन्होंने कहा, “मोदी सरकार के ‘सबका साथ, सबका विकास’ की तर्ज पर मैं कहना चाहती हूँ ‘विकास के लिए साइबर, सबके लिए साइबर’। सरकार साइबर और डिजिटल मंचों का इस्तेमाल आम लोगों के सशक्तीकरण के लिए करने के लिए प्रतिबद्ध है।” उन्होंने कहा कि डिजिटलीकरण और साइबर स्पेस ने आर्थिक विकास के नये आयाम खोले हैं और सूचना के अभूतपूर्व भंडार तक लोगों को पहुँच उपलब्ध कराई है। इसने लोगों के संवाद के तौर-तरीके को भी पूरी तरह बदल दिया है, लेकिन इसके साथ ही इसने ऐसी चुनौतियाँ भी पेश की हैं, जिनके लिए कोई बना -बनाया समाधान नहीं है। विदेश मंत्री ने कहा कि वैश्विक समुदाय अब साइबर स्पेस से जुड़े खतरों के प्रति भी सजग हो गया है। इनसे निपटने के लिए एकजुट होकर काम करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि आतंकवादी संगठन भी नापाक साइबर साधनों का उपयोग अपने गलत उद्देश्यों के लिए कर रहे हैं। इसके मद्देनजर अंतरराष्ट्रीय सहयोग के नये तंत्र विकसित किये जाने की जरूरत है। इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि भारत सृजनात्मकता और विविधता की धरती है। डिजिटल भारत की सफलता डिजिटल समावेशन पर निर्भर करती है। भारत की कहानी परिवर्तन और सशक्तिकरण की कहानी है तथा इसके लिए इंटरनेट तक खुली पहुँच जरूरी है। डिजिटल पहुँच, डिजिटल समावेशन और डिजिटल सुरक्षा के तीन ‘डी’ को महत्त्वपूर्ण बताते हुये उन्होंने कहा कि इंटरनेट सबके लिए उपलब्ध होने के साथ सुरक्षित भी होना चाहिये। डिजिटल प्रौद्योगिकी बड़ा वरदान साबित हो सकती है, लेकिन हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि यह अभिशाप न/न बन जाये।

एससी/एसटी न्यायाधीशों की नगण्य संख्या चिंताजनक : कोविंद

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नयी दिल्ली, 25 नवम्बर, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने देश की अदालतों में महिला एवं वंचित तबकों के न्यायाधीशों की कम संख्या पर चिंता जताते हुए न्यायपालिका को इस महत्वपूर्ण पहलू पर विचार करने की सलाह दी है। श्री कोविंद ने राष्ट्रीय विधि दिवस के अवसर पर नीति आयोग और विधि आयोग के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित दो-दिवसीय सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए आज कहा कि अधीनस्थ अदालतों, उच्च न्यायालयों और उच्चतम न्यायालय में करीब 17 हजार न्यायाधीश हैं, लेकिन इनमें महिला न्यायाधीशों की भागीदारी 4,700 (महज एक चौथाई) है। उन्होंने न्यायपालिका, खासकर उच्च न्यायपालिका में महिला ही नहीं, बल्कि अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी), अनुसूचित जाति (एससी) एवं अनुसूचित जनजाति (एसटी) के न्यायाधीशों की नगण्य संख्या का भी जिक्र करते हुए इस स्थिति में सुधार की सलाह दी। उन्होंने, हालांकि इस बात पर भी जोर दिया कि ऐसे न्यायाधीशों की नियुक्तियों में गुणवत्ता से समझौता नहीं किया जाना चाहिए। राष्ट्रपति ने सार्वजनिक जीवन को कांच के घर की संज्ञा देते हुए कहा कि जनता सार्वजनिक जीवन में पारदर्शिता एवं शुचिता चाहती है और कानूनी बिरादरी को भी लोगों की इस मांग पर ध्यान देना चाहिए।

‘कमजोर’ मोदी संसद में नहीं कर सकते विपक्ष का सामना: कांग्रेस

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नयी दिल्ली, 25 नवंबर, कांग्रेस ने आज कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राफेल रक्षा सौदे तथा उनके मंत्रिमंडल के सदस्यों पर उठे सवालों से ‘कमजोर’ पड़ गए हैं और विपक्ष का मुकाबला करने में असमर्थ हैं इसलिए गुजरात विधानसभा चुनाव के बाद संसद का शीतकालीन सत्र बुलाया गया है। कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता आनंद शर्मा ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि यदि संसद का सत्र गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले बुलाया गया होता तो वहां की जनता को मोदी सरकार की असलियत का पता लग जाता ।  उन्होंने कहा कि मोदी सरकार की नीतियों के कारण देश में रोजगार के अवसर खत्म हो गए हैं, निवेश घट रहा है, वित्तीय घाटा बढ़ रहा है, विनिर्माण क्षेत्र में जबरदस्त मंदी है और छोटे कारोबारी तथा आम जनता परेशान है। उनके मंत्रिमंडल के वरिष्ठ सदस्य अपने दायित्वों का निर्वहन करने की बजाय मंत्री पद की आचार संहिता का उल्लंघन कर रहे हैं और श्री मोदी रक्षा सौदा नियमों को तोड़कर राफेल लड़ाकू विमान सौदे में संदेह के घेरे में आ गए हैं।  उन्होंने कहा कि श्री मोदी इन मुद्दों से घिर गए हैं और इसके कारण इतने कमजोर पड़ गए हैं कि वह विपक्ष का सामना नहीं कर सकते हैं। इस सरकार ने देश को जो नुकसान पहुंचाया है, गुजरात विधानसभा चुनाव में उससे जुड़े सवालों से बचने के लिए संसद का शीतकालीन सत्र समय पर नहीं बुलाया गया है। उन्होंने कहा कि सत्र निर्धारित समय पर कराने की बजाए विधानसभा चुनाव समाप्त होने के बाद कराए जा रहे हैं। प्रवक्ता ने कहा कि भाजपा का यह आरोप गलत है कि पहले भी विधानसभा चुनाव के कारण संसद का सत्र टाला गया है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में भाजपा गुजरात विधानसभा के पिछले चुनाव का हवाला दे रही है लेकिन वह गलत है और तथ्यों को गलत तरीके से पेश किया जा रहा है।

मोदी की ‘मन की बात’ को मतदान केंद्रों तक किया जाएगा प्रसारित

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अहमदाबाद, 25 नवंबर, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने गुजरात में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आकाशवाणी से प्रसारित मन की बात कार्यक्रम को राज्य के 50 हजार से अधिक मतदान केंद्रों तक प्रसारित करने का कार्यक्रम तैयार किया है। इस अवसर पर भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह समेत अनेक वरिष्ठ पदाधिकारी और मंत्री उपस्थित रहेंगे। भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री अनिल जैन ने आज यहां संवाददाता सम्मेलन में बताया कि श्री मोदी के मन की बात कार्यक्रम को प्रसारित करने के लिए मतदान केंद्र स्तर पर प्रबंध किये गये हैं और वहां पार्टी के नेता उपस्थित रहेंगे। कल प्रसारित होने वाले इस कार्यक्रम में श्री शाह दरियापुर विधानसभा क्षेत्र में तथा वित्त मंत्री अरुण जेटली साबरमती में उपस्थित रहेंगे। इसी प्रकार से संगठन मामलों के राष्ट्रीय महामंत्री रामलाल इलिस ब्रिज विधानसभा क्षेत्र में और संयुक्त महामंत्री वी सतीश असरबा विधानसभा क्षेत्र में उपस्थित रहेंगे। राज्य के चुनाव मामलों के प्रभारी और राज्यसभा सदस्य भूपेंद्र यादव दनींदा विधानसभा क्षेत्र में और श्री जैन गांधीनगर उत्तर, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष जीतू भाई बघानी भावनगर पश्चिम, प्रदेश महामंत्री भीखू भाई दलसानिया बजेलपुर तथा मुख्यमंत्री विजय भाई रुपाणी मोरबाहादथ विधानसभा क्षेत्र में मौजूद रहेंगे। इसके अलावा भाजपा के अनेक वरिष्ठ नेता भी उपस्थित रहेंगे। श्री जैन ने कहा कि उनकी पार्टी सभी चुनावों को गंभीरता से लेती है और उसी के अनुरूप वह तैयारी करती है। उन्होंने कहा कि पार्टी ने गुजरात विधानसभा चुनाव को बहुत महत्वपूर्ण माना है और उसी के अनुरूप उसकी तैयारी की है। उनसे जब यह पूछा गया कि तमाम वरिष्ठ नेताओं को राज्य के चुनाव प्रचार में उतार दिया गया है जबकि कांग्रेस की ओर से सिर्फ पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी ही चुनाव प्रचार कर रहे हैं तो उन्होंने कहा कि भाजपा में नेताओं की एक लंबी ऋंखला है जबकि कांग्रेस में यह व्यवस्था नहीं है। उन्होंने कहा कि इससे पहले हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश और दूसरे राज्यों के चुनाव को भी इसी गंभीरता से लिया था।

‘सुशासन’ पर ही लड़ा जायेगा गुजरात चुनाव : जेटली

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अहमदाबाद, 25 नवंबर, केंद्रीय वित्त मंत्री तथा गुजरात चुनाव में भाजपा के प्रभारी अरूण जेटली ने कांग्रेस और इसके उपाध्यक्ष राहुल गांधी पर प्रचार के दौरान झूठे और काल्पनिक आंकड़े पेश करने, चुनावी रणनीति को लेकर बार-बार रंग बदलने और अराजकतावादी ताकतों का माेहताज हो जाने का आरोप लगाते हुए आज दावा किया कि यह चुनाव अंत में सुशासन के मुद्दे पर ही लड़ा जायेगा। श्री जेटली ने श्री गांधी की ओर से गुजरात में प्रचार दौरान भाजपा और मोदी सरकार पर लगातार लगाये जा रहे आरोपों को तथ्य से परे बताया और कहा कि मोदी सरकार ने किसी भी उद्योगपति का कर्ज माफ नहीं किया है। एक लाख 35 हजार करोड़ की कर्ज माफी की काल्पनिक बात करने वाले को (श्री गांधी को) ऐसा एक भी उदाहरण देना चाहिए। राफेल लड़ाकू विमान सौदा दो सरकारों के बीच है और इसमें राफेल को ही तय करना है कि यह किसको भागीदार बनायेगा। इस सौदे में अब कांग्रेस की सरकार की तरह क्वात्रोच्ची जैसे बिचौलिचे नहीं हैं। दस साल चली संप्रग सरकार के दौरान निर्णय नहीं होने से लटके इस सौदे के चलते वायुसेना की आक्रामण क्षमता प्रभावित हो रही थी। श्री गांधी को प्रशासन का अनुभव नहीं होने से वह सौदे की प्रक्रिया को समझ नहीं पा रहे। श्री जेटली ने अप्रैल 2015 में लगभग ढाई साल पहले ही पूरा हो चुके इस सौदे के मुद्दे को गुजरात चुनाव के समय उठाये जाने पर भी सवाल खड़ा किया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने दस साल तक देश के इतिहास की सबसे भ्रष्ट सरकार चलायी और अब वे भ्रष्टाचार की बात कर रहे हैं। साढे तीन साल के मोदी सरकार के दौरान जो भ्रष्टाचार के मामले खुल रहे हैं वह भी पुरानी सरकार के समय के ही हैं। लोकतंत्र में चुनाव को प्राथमिकता है और ऐसे समय में जनता के समक्ष की मुद्दोँ पर चर्चा हो जाती है। संसद के शीतकालीन सत्र को 15 दिसंबर से 5 जनवरी तक कराने के फैसले से शायद राहुल जी को इसलिए परेशानी है क्योंकि उन्हें नव वर्ष में विदेश जाने का मौका न मिले। मनरेगा में 35 हजार करोड़ देने की बात कर रहे कांग्रेस नेता को यह भी जानना चाहिए कि मोदी सरकार ने इसके लिए 48 हजार करोड़ दिये हैं।
उन्होंने पाटीदार आरक्षण आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल तथा अन्य जातिगत आंदोलनों के नेताओं के साथ कांग्रेस के गठजोड़ के प्रयास की ओर इशारा करते हुए कहा कि भाजपा शुरूआत से ही सुशासन और स्थिरता को मुद्दा बना रही है और इस पर दृढ रहेगी। अंत में भी सुशासन हीं मुद्दा रहेगा पर कांग्रेस बार बार रंग बदल रही है। विकास विरोधी मुद्रा और इसका मजाक उड़ाने के साथ अपने चुनाव अभियान की शुरूआत करने वाली कांग्रेस अब समाज को बांटने वाले अराजकतावादी ताकतों की मोहताज हो गयी है। यह राज्य पहले भी ऐसी अराजकता देख चुका है और अब उस दिशा में नहीं लौटेगा। श्री जेटली ने कहा कि अराजकतवादी ताकतों के साथ रह कर कांग्रेस नेतृत्व भी अपना रास्ता भटक गया है और तथ्यों के बजाय काल्पनिक विषयों को चुनाव में उठा रहा है। अब यह कहना कि गुजरात में 17 हजार स्कूल कम हो गये यह तो सरासर गलत आंकड़ा है। असल में इस काल में इतने ही स्कूल बढ़े हैं। मोदी सरकार ने किसी एक उद्योगपति का कर्ज माफ किया हो उसका एक उदाहरण दे दें। बड़े नेतृत्व को गलत तथ्य रखना शोभा नहीं देता। पर सच कम बोलना कांग्रेस का एक स्वभाव बन गया है।पार्टी को याद रखना चाहिए देश की जनता होशियार है और गुजरात की जनता तो और होशियार है। चुनाव को झूठ के जरिये नहीं जीता जा सकता। कांग्रेस और पास नेता हार्दिक पटेल के बीच 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण के कथित फार्मूले की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि आरक्षण का तीन दिन पहले जो फार्मूला बनाया, उसे संविधान या कानून अनुमति नहीं देता। ऐसे वायदे जो निभाये नहीं जा सकते उन्हें करने और स्वीकार करने वाले दोनो गुजरात की जनता से धोखाधड़ी कर रहे हैं। उन्होंने पास और कांग्रेस के गठजोड को धोखाधड़ी में जन्मा गठजोड़ करार दिया और कहा कि इसका सुशासन की परिकल्पना से दूर दूर तक कोई नाता नहीं है। एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि जीएसटी के मुद्दें पर कांग्रेस कई तरह के बयान दे रही है। अंदर इसका समर्थन करने के बाद बाहर बयान-बहादुर बन कर इसका विरोध कर रही है। सरकार इसका और सरलीकरण करेगी क्योंकि यह देश के व्यापक हित में हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा के पास कई बड़े नेताओं की संपदा है और यह कांग्रेस जैसी एक परिवार की पार्टी नहीं है और इनसे चुनाव प्रचार कराने में क्या गलत है।

अहमदाबाद में अब भी चुनावी समां नहीं बंधा

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अहमदाबाद, 25 नवंबर, गुजरात में विधानसभा चुनाव की चर्चा जगह-जगह होने लगी है लेकिन राजनीति और अर्थ का केन्द्रबिन्दु माने जाने वाले इस ऐतिहासिक शहर में अभी भी 'चुनावी रंग'नहीं चढ़ सका है। औद्योगिक, व्यावसायिक और शिक्षा का केंद्र माने जाने वाले इस नगर में प्रथम चरण का मतदान नौ दिसंबर को होने वाला है इसके बावजूद यहां न तो किसी पार्टी का झंडा, बैनर, पोस्टर आदि नजर आ रहा है और न ही कोई राजनीतिक परिदृश्य दिख रहा है। राज्य में सत्तारुढ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के नेताओं का दौरा शुरू हो गया है उसके बावजूद शहर उदास है. लगभग 70 लाख की आबादी वाले इस शहर में कुल 16 विधानसभा सीट है. शहर में निजी कंपनियों के बैनर पोस्टर तो दिख जाते हैं लेकिन राजनीतिक दलों का इस तरह का कोई प्रचार नहीं है. भाजपा और कांग्रेस के इस शहर के प्रमुख स्थानों पर आलीशान कार्यालय हैं लेकिन वहां कोई विशेष चहल-पहल नहीं है. भाजपा ने अपने कार्यालय के अलावा एसजी रोड में मीडिया केंद्र बनाया है जहां से प्रचार कार्य चलाया जा रहा है. कार्पोरेट घरानों के कार्यालयों की तर्ज बने यह केंद्र आधुनिक सुविधाओं से लैस है तथा यहां नेताओं के प्रेस कांफ्रेंस के लिए स्टूडियो जैसी सुविधाएं उपलब्ध करायी गयी है.इस कार्यालय के बाहर एक होर्डिंग लगा है जिस पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के अलावा कुछ स्थानीय नेताओं का चित्र लगा है. कांग्रेस का राज्य कार्यालय यहां कार्पोरेट घरानों की तर्ज पर ही शानदार ढंग से बना है. राजीव गांधी भवन में तमाम आधुनिक सुविधायें उपलब्ध है लेकिन यहां कोई विशेष चहल पहल नहीं है. इस संंबंध में पूछे जाने पर कार्यालय के कर्मचारियों ने बताया कि सभी पदाधिकारी पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी के कार्यक्रम में लगे हैं.  श्री गांधी कल से ही राज्य के दौरे पर हैं. श्री गांधी ने कल शाम ही शहर के पूर्वी क्षेत्र में एक रोड शो किया और लोगों को संबोधित किया. कांग्रेस कार्यालय के बाहर जो होर्डिंग लगे हैं उनमें से एक में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की एक बड़ी सी तस्वीर लगी है. इसके अलावा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी तथा पार्टी के अन्य स्थानीय नेताओं की छोटी-छोटी तस्वीर है. दूसरे होर्डिंग में श्रीमती गांधी की बड़ी सी तस्वीर लगी है जिसमें अन्य स्थानीय नेताओं का चित्र लगा है. भाजपा और कांग्रेस के कार्यालय में अपनी-अपनी पार्टी की मदद के लिए राजस्थान और महाराष्ट्र और अन्य राज्यों से पार्टी के पदाधिकारी और कार्यकर्ता आये हुए हैं. वे खुलकर कुछ भी बोलने से बचते हैं और केवल इतना कहते हैं कि पार्टी ने जो उन्हें जिम्मेदारी दी है उसे पूरा कर रहे हैं. अहमदाबाद स्थित निजी संस्थानों में काम करने वाले अधिकारी या कर्मचारी चुनाव की चर्चा किये जाने पर इससे बचते हैं. वे चुनाव संबंधी किसी भी सवाल को टाल कर जल्दी से निकल जाते हैं. यहां रहकर अलग-अलग प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी करने वाले युवक चुनावी चर्चा से बचते हैं. आमतौर पर ऑटो चालकों में चुनाव को लेकर दिलचस्पी है. सिंधी मूल के एक ऑटो चालक ने बताया कि अभी यहां कांग्रेस और भाजपा की बराबर की टक्कर है लेकिन जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का चुनाव प्रचार अभियान शुरू होगा तो स्थिति बदलेगी. यहां घर-घर में लोग श्री मोदी और श्री शाह को जानते हैं. भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी को अपना नेता बताने वाले इस आटो चालक ने कहा कि वह यहां से कई बार सांसद रहे इसके बावजूद अपने समाज के लिए कोई खास कार्य नहीं किया.

आलेख : मूडीज की मोहर से बदलेगी दिशाएं

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नोटबंदी एवं जीएसजी के आर्थिक सुधारों को लागू करने के लिये मोदी सरकार को जिन स्थितियों का सामना करना पड़ रहा है, उन स्थितियों में अर्थव्यवस्था को गति देने के तौर-तरीके खोजे जा रहे हैं, ऐसे समय में मोदी सरकार के लिए एक बेहतर खबर आई है कि अमेरिकी क्रेडिट रेटिंग एजेंसी ‘मूडीज’ ने 13 साल बाद भारत की रेटिंग में सुधार करने का फैसला किया। यह एक संयोग ही है कि इसके पहले ऐसा फैसला 2004 में तब हुआ था जब केंद्र में भाजपा की अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकार थी। निश्चित ही यह देश के लिये आर्थिक एवं व्यापारिक दृष्टि से एक शुभ सूचना है, एक नयी रोशनी है एवं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आर्थिक एवं व्यापारिक प्रयोगों एवं नीतियों की सफलता एवं प्रासंगिकता पर मोहर है, उपयोगिता का एक तगमा है, जिससे लिये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं वित्तमंत्री अरुण जेटली यदि उत्साहित हो तो कोई अतिश्योक्ति नहीं है। जो भी हो, रेटिंग सुधरना सबके लिए अच्छी खबर है। सरकार की कोशिश होनी चाहिए कि माहौल सुधरने का लाभ सभी सेक्टर्स यानी बड़ी कम्पनियों के साथ मझौली एवं छोटी कम्पनियों एवं व्यापारियों को मिले।
भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने में सबसे अहम भूमिका उसके बढ़ते मार्केट की हो सकती है। इस दृष्टि से भारत में विदेशी निवेश को प्रोत्साहित करने में  मूडीज की रेटिंग की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है। मूडीज का यह फैसला विश्व समुदाय को भारत की ओर नए सिरे से ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रेरित करेगा। इसके पहले कुछ ऐसा ही काम विश्व बैंक की उस रैंकिंग ने भी किया था जो विभिन्न देशों में कारोबारी सुगमता के माहौल को बयान कर रही थी। यह एक सुखद संयोग है कि मूडीज के निष्कर्ष ने मोदी सरकार की नीतियों पर ठीक उस समय मुहर लगाई जब एक अमेरिकी संस्था के सर्वेक्षण से यह सामने आया कि तमाम चुनौतियों के बाद भी भारतीय प्रधानमंत्री की लोकप्रियता न केवल कायम है, बल्कि उसमें वृद्धि भी हो रही है।
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‘मूडीज’ की रेटिंग ऐसे समय आयी है जब देश में नोटबंदी एवं जीएसटी को लेकर नरेन्द्र मोदी को अनेक विपरीत स्थितियों का सामना करना पड़ रहा है। नोटबंदी और जीएसटी से लगे घावों को भरने के लिये सरकार के द्वारा हर दिन प्रयत्न किये जा रहे हंै। मोदी घोर विरोध, नोटबंदी एवं जीएसटी के घावों को गहराई से महसूस कर रहे हंै, ऐसे में भारतीय अर्थव्यवस्था को पहले से सक्षम और भरोसेमंद बताने वाली रेटिंग मोदी सरकार के साथ-साथ उद्योग-व्यापार जगत के लिए भी एक खुशखबरी है। यह न केवल इस क्षेत्र के लोगों की उत्साह भरी प्रतिक्रिया से पता चल रहा है, बल्कि शेयर बाजार में आई उछाल से भी। गुजरात के विधानसभा चुनाव से पहले इस रेटिंग का सामने आना, इन चुनाव के परिणामों को भी प्रभावित करेेगा। भाजपा के कुछ नेताओं के रुदन एवं विपक्षी नेताओं के असंतोष के बादल भी इससे छंटेंगे। हम अपने देश में भले ही नोटबंदी एवं जीएसटी को लेकर विरोधाभासी हो लेकिन इन आर्थिक सुधारों का विदेशों में व्यापक स्वागत हुआ है और माना गया है कि पहले नोटबंदी के द्वारा आर्थिक अनियमितताओं और फिर जीएसटी के जरिये भारतीय अर्थव्यवस्था को दुरुस्त करने का काम किया गया। चूंकि विपक्ष इन दोनों फैसलों को लेकर ही सरकार पर निशाना साधने में लगा हुआ था इसलिए अब उसके समक्ष यह कहकर खीझने के अलावा और कोई उपाय नहीं कि विश्व बैंक और मूडीज सरीखी एजेंसियों का आकलन कोई मायने नहीं रखता। हकीकत यह है कि ऐसी एजेंसियों की अपनी एक अहमियत है और वे अंतरराष्ट्रीय उद्योग-व्यापार जगत एवं निवेशकों के रुख-रवैये को प्रभावित भी करती हैं। आने वाले समय में  भारत का व्यापार इससे निश्चित रूप से प्रभावित होगा। 
कम-से-कम भारत की अर्थ व्यवस्था को यदि मजबूती मिलती है जो उस पर तो सर्वसम्मति बननी चाहिए, सभी में उत्साह का संचार होनाचाहिए, उसका तो स्वागत होना चाहिए। यह किसी पार्टी नहीं, देश को सुदृढ़ बनाने का उपक्रम है। इस पर संकीर्णता एवं स्वार्थ की राजनीति को कैसे जायज माना जासकता है? नये आर्थिक सुधारों, कालेधन एवं भ्रष्टाचार पर नकेल कसने के लिये मोदी ने जो भी नयी आर्थिक व्यवस्थाएं लागू की है, उसके लिये उन्होंने पहले सर्वसम्मति बनायी, सबकी सलाह से फैसले हुए हैं तो अब उसके सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं तो इसमें सभी को खुश होना चाहिए। यह अकेली भाजपा की खुशी नहीं हैं। कुछ भी हो ऐसे निर्णय साहस से ही लिये जाते हैं और इस साहस के लिये मोदी की प्रशंसा हुई है और हो रही है। संभव है कुछ समय बाद में अन्य अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसियां भी मूडीज की तरह ऐसे ही नतीजे पर पहुंचें तो आश्चर्य नहीं। भारत सरकार आर्थिक सुधार के व्यापक कार्यक्रमों को आकार देने में जुटी है, मोदी सरकार ने एक के बाद एक कई छोटे-बड़े सुधार किए हैं। इन सुधारों का श्रेय लेना उनका अधिकार है और लेना भी चाहिए। हमारे लिये यह स्वमूल्यांकन का भी अवसर है, हम मूडीज की ओर से दी गई रेटिंग से खुश हो ले, लेकिन हमारी क्षमताएं इससे भी अधिक है और इससे ऊंची रेटिंग पाने का धरातल भी अब हमारे पास है। उद्योग-व्यापार में तेजी न केवल आनी चाहिए, बल्कि वह दिखनी भी चाहिए। इससे ही सरकार की राजनीतिक चुनौतियां आसान होंगी और इसी से हम शक्तिशाली राष्ट्र बनने की दिशा में अग्रसर होंगे।
मूडीज के आकलन के सकारात्मक परिणाम भी सामने आयेंगे। किसी गहरे घाव को जड़ से नष्ट करने के लिये कड़वी दवा जरूरी होती है। अब कालेधन एवं भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिये नोटबंदी और जीएसटी भले ही कष्टदायक कदम सिद्ध हो रहे हैं, उन्हें वापस भी नहीं लिया जा सकता लेकिन मोदी ने जो रास्ता पकड़ा है, वह सही है, आर्थिक अराजकता एवं अनियमिता को समाप्त करने का रास्ता है और इसी से भारत दुनिया में एक आर्थिक महाशक्ति बनकर उभर सकेगा।
नरेन्द्र मोदी का आर्थिक दृष्टिकोण एवं नीतियां एक व्यापक परिवर्तन की आहट है। उनकी विदेश यात्राएं एवं भारत में उनके नये-नये प्रयोग एवं निर्णय नये भारत को निर्मित कर रहे हैं, ‘मूडीज’ एवं विश्व बैंक ने भी इन स्थितियों को महसूस किया है, मोदी की संकल्प शक्ति को पहचाना है, तभी वे रेटिंग एवं रैंकिंग दे रहे हैं। मोदी का सीना ठोक-ठोककर अपनी आर्थिक नीतियों के बारे में अपने मुंह मियां मिट्ठू बनना अनुचित नहीं है। भले ही राजनीति के दिग्गज एवं जानकर लोग इसे मोदी का अहंकार कहे, या उनकी हठधर्मिता लेकिन मोदी ने इन स्थितियों को झुठला दिया है। वे देश को जिन दिशाओं की ओर अग्रसर कर रहे हैं, उससे राजनीति एवं व्यवस्था में व्यापक सुधार देखा जा रहा है। आर्थिक क्षेत्र में हलचल हो रही है, नयी फिजाएं बनने लगी है।
निश्चित रूप से मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों के कारण शेयर मार्केट से लेकर कमोटिडी मार्केट तक विदेशी कंपनियों को बेहतर रिटर्न भारत से ही मिल सकता है, इस बात पर दुनिया में एक अनुकूल वातावरण बनने लगा है, सभी की नजरें भारत पर टिकी है। यही कारण है कि वे भारत को काफी तवज्जो दे रही है। उनका तो हाल यह है कि नीतियों को अनुमति मिलने से पहले ही वे निवेश के लिये तैयार हैं। इधर अनिवासी भारतीयों ने भी निवेश बढ़ाना शुरू कर दिया है। ये भारत की अर्थ-व्यवस्था के लिये शुभ संकेेत हैं। 



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(ललित गर्ग)
60, मौसम विहार, तीसरा माला, 
डीएवी स्कूल के पास, दिल्ली-110051
फोनः 22727486, 9811051133

विशेष : क्या हार्दिक मान सम्मान की परिभाषा भी जानते हैं?

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मैं वो भारत हूँ जो समूचे विश्व के सामने अपने गौरवशाली अतीत पर इठलाता हूँ।
गर्व करता हूँ अपनी सभ्यता और अपनी संस्कृति पर जो समूचे विश्व को अपनी ओर आकर्षित करती है।
अभिमान होता है उन आदर्शों पर जो हमारे समाज के महानायक हमें विरासत में देकर गए हैं।
कोशिश करता हूँ उन आदर्शों को अपनी हवा में आकाश में और मिट्टी में आत्मसात करने की ताकि इस देश की भावी पीढ़ियाँ अपने आचरण से मेरी गरिमा और विरासत को आगे ले कर जाएं।
लेकिन आज मैं आहत हूँ
क्षुब्ध हूँ
व्यथित हूँ
घायल हूँ
आखिर क्यों इतना बेबस हूँ?
किससे कहूँ कि देश की राजनीति आज जिस मोड़ पर पहुंच गई है या फिर पहुँचा दी गई है उससे मेरा दम घुट रहा है?
मैं चिंतित हूँ यह सोच कर कि गिरने का स्तर भी कितना गिर चुका है।
जिस देश में दो व्यक्तियों के बीच के हर रिश्ते के बीच भी एक गरिमा होती है वहाँ आज व्यक्तिगत आचरण सभी सीमाओं को लांघ चुका है?
लेकिन भरोसा है कि जिस देश की मिट्टी ने अपने युवा को कभी सरदार पटेल, सुभाष चन्द्र बोस,राम प्रसाद बिस्मिल, चन्द्र शेखर आजाद, भगत सिंह जैसे आदर्श दिए थे, उस देश का युवा आज किसी हार्दिक पटेल या जिग्नेश जैसे युवा को अपना आदर्श कतई नहीं मानेगा।

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इसलिए  नहीं कि किसी सीडी में हार्दिक आपत्तिजनक कृत्य करते हुए दिखाई दे रहे हैं बल्कि इसलिए कि वे इसे अपनी मर्दानगी का सुबूत बता रहे हैं। इसलिए नहीं कि जिग्नेश उनका समर्थन करते हुए कहते हैं कि यह तो हमारा मूलभूत अधिकार है बल्कि इसलिए कि ये लोग अवैधानिक और अनैतिक आचरण में अन्तर नहीं कर पा रहे। इसलिए नहीं कि हर वो काम जो कानूनन अपराध की श्रेणी में नहीं आता उसे यह जायज ठहरा रहे हैं बल्कि इसलिए कि कानून की परिभाषा पढ़ाते समय ये मर्यादाओं की सीमा नजरअंदाज करने पर तुले हैं। इसलिए नहीं कि वे यह तर्क दे रहे हैं कि सीडी के द्वारा मेरे निजी जीवन पर हमले का सुनियोजित षड्यंत्र है बल्कि इसलिए कि लोगों का नेतृत्व करने वाले का निजी जीवन एक खुली किताब होता है, वे इस बात को भूल रहे हैं, क्योंकि जब एक युवा किसी को अपना नेता मानता है तो वह उसे एक व्यक्ति नहीं बल्कि व्यक्तित्व के रूप में देखता है।

इसलिए नहीं कि वे शर्मिंदा नहीं हो रहे हैं बल्कि इसलिए कि वे आक्रामक हो रहे हैं। पश्चताप की भावना के बजाय बदले की भावना दिखा रहे हैं यह कहते हुए  कि बीजेपी में भी कई लोग हैं मैं उनकी भी सीडी लेकर आऊंगा। इसलिए नहीं कि यह कुतर्क दिया जा रहा है कि दो वयस्क आपसी रजामंदी से जो भी करें उसमें कुछ गलत नहीं है बल्कि इसलिए कि दो वयस्कों के बीच जो सम्बन्ध भारतीय संस्कृति में विवाह नामक संस्कार का एक हिस्सा मात्र है आज वे उसे विवाह के बिना भी जीवन शैली का हिस्सा बनाने पर तुले हैं ! और सबसे अधिक व्यथित उस पुरुषवादी सोच से हूँ कि "गुजरात की महिलाओं का अपमान किया जा रहा है"।  क्या हार्दिक मान सम्मान की परिभाषा भी जानते हैं? जो हार्दिक ने किया क्या वो सम्मानजनक था? यही है भारतीय संस्कृति और उनके संस्कार जिनके आधार पर वह गुजरात की जनता से समर्थन मांग रहे हैं? पिछड़ेपन के नाम पर आरक्षण का अधिकार मांग कर युवाओं का नेता बनने की कोशिश करने वाला वाला एक 24 साल का युवक देश के युवाओं के सामने किस प्रकार का उदाहरण प्रस्तुत कर रहा है। देखना चाहूँगा कि वो पाटीदार समाज क्या इस पटेल को स्वीकार कर पायेगा जिसने इस देश की राजनीति को विश्व  इतिहास में सबसे आदर्श व्यक्तित्वा वाली शख्सियत भारत के लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल दिये? जो लोग सत्ता के बाहर रहते हुए ऐसे आचरण में लिप्त हैं वे सत्ता से मिलने वाली ताकत में क्या खुद को संभाल पाएंगे या फिर उसके नशे में डूब जाएंगे? मैं व्यथित जरूर हूँ लेकिन निराश नहीं हूँ। आशावान हूँ कि मेरा देशवासी इस बात को समझेगा कि जो व्यक्ति अपने भीतर की बुराइयों से ही नहीं लड़ सकता वो समाज की बुराइयों से क्या लड़ेगा?



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डाँ नीलम महेंद्र

नोटबंदी : जनता में पास तो कांग्रेस को चुभन क्यों

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आजादी के बाद के सबसे बड़े आर्थिक सुधारों में से एक नोटबंदी का एक साल पूरा होने पर कांग्रेस जहां ‘काला दिवस‘ के रुप में याद किया, वहीं बीजेपी इसे ‘सफलता का उत्सव‘ के रुप में मनाया। बड़ा सवाल तो यही है कि क्या सियासी फायदे के लिए नोटबंदी पर सियासत जायज है? जबकि देश की सबसे बड़ी अदालत ‘जनता‘ ने यूपी चुनाव में एनडीए को नोटबंदी मसले पर प्रचंड बहुमत देकर अपना समर्थन दे चुकी हैं। मतलब साफ है अगर बीजेपी दावा कर रही है कि नोटबंदी पर यूपी जीते, अब गुजरात व हिमांचल भी जीतेंगे, तो कहीं न कहीं सच्चाई है, क्योंकि गुजरात की जनता में किए गए सर्वे की रिपोर्ट भी कुछ ऐसा ही बया कर रहे है 
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फिरहाल, नोटबंदी के एक साल बाद कहा जा सकता है कि इसके दीर्घकालीन परिणाम होंगे। एक साल के अल्पकाल में इसके असर की गहराई नापना ठीक नहीं हैं। ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की रिपोर्ट को मानें तो मार्च 2017 से पूर्व तक हमारे देश में रिश्वतखोरी की सबसे ज्यादा घटनाएं हुई। नोटबंदी के फैसले का इस पर असर देखने को मिल रहा है। रिश्वतखोरी के लिए नगद में लेन-देन होता रहा है। लेकिन अब कैशलेस की चलन से इस पर लगाम लगने की उम्मींद हैं। देखा जाएं तो जितने नोट फैसले के कारण चलन से बाहर हुए, उनका 99 फीसदी हिस्सा नये नोटों की शक्ल में मुद्रा प्रवाह में आ चुका है। खासकर नोटबंदी के बाद आयकर विभाग ने जिस तरह तकरीबन सवा लाख कारोबारियों को नोटिस जारी की है, उससे साफ है कि टैक्स चोरी की रैकेट का भी खुलासा होने की पूरी संभावना हैं। मतलब साफ है कांग्रेस द्वारा लगातार यह कहा जाना कि नोटबंदी के कारण आर्थिक विकास दर घट गया, कारोबार ठंडा पड़ गया, असंगठित क्षेत्र नकदी की किल्लत के कारण अपेक्षित परिमाण में उत्पादन-विपणन नहीं कर सका और रोजगार के अवसर कम हुए- ये सब तो बहस का मुद्दा हो सकता है, लेकिन यह सोलहों आना सच है कि नोटबंदी के मसले को लेकर आम गरीब जनमानस गदगद है। यूपी चुनाव में प्रचंड बहुमत इसका जीता जागता सबूत तो है ही, लाख झंझावतों के बाद भी पूरे देश में कहीं भी हंगामा, तोड़फोड़ व विरोध भी नहीं हुआ। कहा जा सकता है अगर नोटबंदी को जनता ने पास कर दिया है तो कांग्रेस को क्यों चुभन हो रही है? जबकि नीति आयोग जैसी संस्थाओं की ओर से भी कहा जा रहा है कि अर्थव्यवस्था की सुस्ती के लक्षण स्थायी नहीं हैं। इसके दूरगामी प्रभाव सकारात्मक रुप से देखने को मिलेंगे। 

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हो जो भी, सच तो यही है कि नोटबंदी के बाद पुराने नोट जमा करवाने में लोगों को भले ही परेशानी का सामना करना पड़ा, लेकिन सरकार के इस फैसले के कारण जाली नोटों के कारोबार को झटका लगा है। नोटबंदी के बाद डिजिटल पेमेंट और ऑनलाइन खरीदारी का चलन बढ़ा है। आरबीआई के मुताबिक नवंबर, 2016 में करीब 7 करोड़ लोगों ने डिजिटल ट्रांजेक्शन किया था, तो वहीं 2017 में साढ़े 8 करोड़ लोगों ने इस्तेमाल किया। प्रत्यक्ष कर का दायरा बढ़ा है। आयकर के मुताबिक पहले के सापेक्ष 17 फीसदी टैक्सपियर्स बढ़े है। 25 फीसदी ई-रिटर्न फाइल बढ़ी हैं। जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ और आतंकी गतिविधियों में तथा छत्तीागढ़ के नक्सल हिंसा में काफी कमी आई हैं। 15,497 करोड़ की ब्लैकमनी का पता चला, जो 2015-16 से 18 फीसदी ज्यादा है। मध्यम और दीर्घकाल में अर्थव्यवस्था को लाभ होगा। बैंकों की ब्याज दर में एक फीसदी की कमी आई हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में लोग अब भी नकद पर ही निर्भर है। यह अलग बात है कि नोटबंदी का सर्राफा कारोबार पर व्यापारिक रूप से सीधा फायदा नजर नहीं आया। अभी तक इस कारोबार में अधिक लेनदेन नकद में ही हो रहे हैं। आम तौर पर जो भी डिजिटल लेनदेन हो रहे हैं, तो वे बड़े ज्वेलरी शॉप में ही हो रहे हैं। एक अनुमान के अनुसार 10 से 20 फीसदी कारोबार ही कैशलेस हो पा रहा है। अतः इसका सीधा फायदा नहीं है। हां, दवा कारोबार से लेकर उद्योग-धंधों पर नोटबंदी का कुछ माह तक असर रहा था, लेकिन वैकल्पिक व्यवस्था हो जाने के बाद सबकुछ सामान्य हो गया था। अब लोग इससे पूरी तरह उबर चुके हैं। पहले 75 फीसदी थोक कारोबार नकद होता था, लेकिन अब 75 फीसदी कारोबार चेक या आटीजीएस से हो रहा है। अब रिटेलर भी आरटीजीएस, चेक या डिजिटल पेमेंट कर रहे हैं। खास यह है कि नोटबंदी की वजह से नकली नोट व उससे संबंधित अवैध कारोबार भी खत्म हो गये। लेकिन यह दावे के साथ कहा जा सकता है कि नोटबंदी से भ्रष्टाचार पूरी तरह खत्म नहीं हुए हैं। अब भी बड़े पैमाने पर सार्वजननिक क्षेत्रों में भ्रष्टाचार हो रहे है और इसमें एनडीए के पदाधिकारी व कार्यकर्ताओं की ही मौन स्वीकृति हैं। 

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भ्रष्टाचार के उजागर मामले 
भारत में भ्रष्टाचार गंभीर समस्या रही है। नेता से लेकर नौकरशाह तक इसमें लिप्त पाएं जाते रहे हैं। राज्यसभा में 10 अगस्त, 2017 को एक सवाल के जवाब में बताया गया कि भष्ट्राचार रोकथाम कानून के तहत हर दिन 11 लोगों पर मामले दर्ज होते हैं। इंडिया स्पेंड की एक रिपोर्ट के अनुसार, देश में बीते करीब ढाई साल में भ्रष्टाचार के 1629 मामले दर्ज हुए, जिसमें कुल 9960 लोग शामिल हैं। इनमें 6023 या 60 फीसदी लोग सामान्य नागरिक है। जबकि 3896 या 39 फीसदी सरकारी अधिकारी है। 41 राजनेता इन मामलों में शामिल हैं। 30 जून 2017 तक 6414 भ्रष्टाचार के मामले लंबित थे, जिनमें से 35,770, लोग शामिल थे। इसमें 18780 लोग आम नागरिक, 16875 सरकारी अधिकारी और 115 नेता थे। 2015 में पेंडिंग मामलों की बात करें तो 6663 केस पेंडिंग थे इस साल 30 जून तक 6364 मामले पेंडिंग रहे। रिपोर्ट के मुताबिक 2016 में अदालत द्वारा दोषी ठहराएं जाने का प्रतिशत 2015 के मुकाबले 16 फीसदी अधिक था। पिछले साल 1503 मामले आरोपी के दोषी ठहराए जाने पर खत्म हुए। वहीं इस साल शुरुवाती 6 महीने तक 199 केस में आरोपी को दोषी ठहराया गया। देखा जाएं तो सरकारी अधिकारी ज्यादा भ्रष्टचार में लिप्त है। 20947 शिकायतों में 1740 मामलों का निपटारा हुआ। सिर्फ 96 शिकायतें सीवीसी के अफसरों के पास जांच के लिए भेजा गया है। नोटबंदी के बाद कथित गड़बड़िया करने के आरोप में आरबीआई समेत 460 बैक अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की गयी है। 

जीएसटी बेहतर 
नोटबंदी की अगली कड़ी जीएसटी है, ऐसा कहना उचित नहीं होगा। लेकिन, इतना जरूर कहा जा सकता है कि जीएसटी एक अच्छा फैसला है। सरकार को चाहिए कि अब जीएसटी को कम से कम सही तरीके से लागू करने की कोशिश करे, क्योंकि यह भी एक अच्छा फैसला है और इससे देश को बहुत फायदा होने वाला है। यहां एक अच्छी बात देखने को मिल रही है। वह यह कि नोटबंदी की हड़बड़ी जैसी गलती अब जीएसटी में दिखायी नहीं दे रही है और सरकार लगातार इस मामले में तकनीकी रूप से विकसित कर रही है। कड़े फैसले लेने का यह भी एक फायदा होता है कि उसकी सीख से आगे की योजनाओं के क्रियान्वयन में आसानी होती है। 

नफा-नुकसान 
जहां तक नोटबंदी के नफा नुकसान का सवाल है तो यह सही है कि जितने नोट फैसले के कारण चलन से बाहर हुए, उनका 99 फीसदी हिस्सा नये नोटों की शक्ल में मुद्रा प्रवाह में आ चुका है। या यूं कहें 8 नवंबर, 2016 को जितनी मुद्रा चलन में थी, रिर्जव बैंके में करीब 86 फीसदी 500 व 1000 रुपये के नोट के रुप में थी। जिसमें आरबीआई 97 फीसदी जमा करा चुकी है। जीडीपी दो साल पूर्व 11 फीसदी के सापेक्ष घटकर पौने छह फीसदी पर जरुर पहुंच गयी है, लेकिन यह स्थायी नहीं हैं। आगे सुधरने के पूरे आसार है। नकली नोटों के पकड़ने की बात की जाय तो अब भी सरकार बहुत सफल नजर नहीं आ रही है। रिपोर्ट के मुताबिक 1000 रुपये के जितने बंद नोट वापस बैंकों में लौटे है उसमें सिर्फ 07 फीसदी ही नकली नोट रहे, जबकि राष्ट्रीय जांच एजेंसी के अनुसार 2015 तक 400 करोड़ रुपये नकली नोट के रुप में चलन में थे। जहां तक आर्थिक दर में गिरावट का सवाल है तो साल 1991-92 में जब त्तकालीन वित्तमंत्री और पीएम बने मनमोहन सिंह ने आर्थिक सुधारों की शुरुवात की थी, तब भी विकास दर में गिरावट आई थी। जब भी किसी देश में आर्थिक सुधार लाएं गए हैं वहां विकास दर में गिरावट आई हैं। भारत कोई अपवाद नहीं हैं। आज भारत की अर्थ व्यवस्था की विकास दर में जो गिरावट आई है वह अल्पकालिक ही कहा जायेगा। यह भी कोई बहुत कम नहीं हो गयी हैं।    

नोटबंदी के फायदे 
पीएम नरेन्द्र मोदी ने कहा, नोटबंदी देश के सवा सौ करोड़ लोगों द्वारा कालाधन और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ी गई निर्णयक लड़ाई थी, जिसमें उन्हें जीत हासिल हुई। उन्होंने लोगों से एक सर्वे में हिस्सा लेने का आग्रह किया जो नरेन्द्र मोदी एप पर उपलब्ध है, साथ ही कालाधन एवं भ्रष्टाचार को समाप्त करने के सरकार के प्रयासों के बारे में भी अपनी राय बतायें। नोटबंदी के बाद सवा दो लाख ऐसी कंपनियों को बंद कर दिया गया, जिसमें दो साल से कोई भी कामकाज नहीं किया गया था। साथ ही तीन लाख डायरेक्टरों को अयोग्य घोषित किया गया। सरकार के मुताबिक नोटबंदी के बाद करीब तीन लाख कंपनियों में से 5 हजार कंपनियों के बैंक खातों में 4000 करोड़ रुपये का लेन-देन हुआ। नोटबंदी का सबसे बड़ा फायदा यह है कि लोग अब ज्यादा से ज्यादा डिजिटल मनी की तरफ जाने लगे हैं। इससे पहले लोग इस तरफ उतना ध्यान नहीं देते थे, लेकिन हमारा देश अब डिजिटल इकोनॉमी की तरफ बढ़ रहा है। यह कैशलेस प्रक्रिया भ्रष्टाचार रोकने में काफी मददगार होगा। टैक्स देने वालों की संख्या बढ़ेगी, जिससे सरकार का राजस्व बढ़ेगा, जिसका इस्तेमाल जनकल्याणकारी योजनाओं के लिए किया जायेगा। जनकल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में भी अब अनियमितताएं कम होंगी, क्योंकि अब सारा हिसाब-किताब डिजिटल तरीके से होगा। इसमें अभी समय तो लगेगा ही, इसलिए पहले जरूरी है कि हम लोग डिजिटल इकोनॉमी के प्रावधानों को समझने की कोशिश करें।

कितना कैशलेस हुआ इंडिया?
बीते साल अक्टूबर से लेकर अगस्त तक के आंकडों के मुताबिक क्रेडिट व डेबिट कार्ड से दुकानों पर खरीदारी 51 हजार करोड़ से 71 हजार करोड़ है। जबकि मोबाइल वॉलेट से लेन-देन करीब-करीब दुगना हो गया। लेकिन बाजार में अब भी 95 फीसदी लेन-देन नकद में होता है। रिजर्व बैंक के आंकड़े बताते हैं कि चलन में नोट की तादाद बढ़ी ही है। मसलन बीते साल 14 अक्टूबर को बाजार में कुल 1,23,93,150 करोड़ रुपये चलन में थे जबकि इस साल 13 अक्टूबर को ये रकम 1,31,81,190 करोड़ रुपये रही। 

क्या कहते हैं आंकड़े
वैसे तो दर्जन भर से भी ज्यादा डिजिटल माध्यम बाजार में मौजूद है, लेकिन उनमे कार्ड, मोबाइल वॉलेट, भीम या यूपीआई जैसे माध्यम खासे इस्तेमाल में लाए जाते हैं। कार्ड को ही बात करें तो क्रेडिट और डेबिट कार्ड के जरिए प्वाइंट ऑफ सेल्स यानी पीओएस मशीन के जरिए बीते साल नोटबंदी के ठीक पहले यानी अक्टूबर में करीब 51803 करोड़ रुपये का लेन-देन हुआ। ये रकम दिसंबर में 89180 करोड़ रुपये के स्तर तक पहुंची, लेकिन उसके बाद उसमें गिरावट हुई और अगस्त में ये रकम 71712 करोड़ रुपये पर आ गयी। भीम, यूपीआई व यूएसएसडी जैसे माध्मयों को मिला दे तो यहां दिसबंर में कुल लेन-देन महज 101 करोड़ रुपये का था जो अगस्त में 4156 करोड़ रुपये पर पहुंचा। हालांकि मोबाइल वॉलेट के मामले में स्थिति कार्ड की ही तरह रही। यहां बीते साल अक्टूबर में करीब 3385 करोड़ रुपये का लेन-देन हुआ था जो जनवरी तक आते-आते 8385 करोड़ रुपये पर पहुंच गया, जबकि अगस्त में ये आंकड़ा 7762 करोड़ रुपये का रहा। 

डिजिटल ट्रांजेक्शन की दिक्कतें
डिजिटल माध्यमो के लेन-देन में कई तरह की चुनौतियां है मसलन कार्ड के भुगतान पर 0.25 फीसदी से तीन फीसदी या उससे ज्यादा का ट्रांजैक्शन चार्ज, कार्ड के इस्तेमाल पर क्लोनिंग का खतरा, और देश के कई इलाकों में कमजोर इंटरनेट कनेक्टिविटी है। 

नोटबंदी के बाद 170 आतंकी ढेर
नोटबंदी के बाद सुरक्षा बलों को कश्मीर में आतंकियों को बड़ी संख्या में मार गिराने में सफलता मिली है। जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों ने इस वर्ष करीब 170 आतंकवादियों को मार गिराया और इनमें अधिकतर घाटी में सक्रिय शीर्ष कमांडर थे। यह जानकारी राज्य के पुलिस महानिदेशक एस पी वैद्य ने दी। मारे गए आतंकियों में मसूद अजहर का भांजा तल्हा राशिद, जैश-ए-मोहम्मद का महमूद भाई, लश्कर-ए-तैयबा का अबु दुजाना और वसीम शाह के साथ ही बुरहान वानी का उत्तराधिकारी हिज्बुल मुजाहिदीन का सज्जार अहमद भट शामिल है। उनके मुताबिक इस वर्ष केवल कश्मीर में ही करीब 170 आतंकी मारे गए। चार-पांच शीर्ष कमांडरों के अलावा अन्य सभी शीर्ष आतंकियों को मार गिराया गया है। 

कालाधन पर खुलासा 
‘ऑफशोर लीक्स’ के खुलासे के तहत अब से चार साल पहले टैक्स-हैवन में गुपचुप धन रखने के एक बड़े मामले में 600 से ज्यादा भारतीयों के नाम सामने आये। फिर 1100 से ज्यादा भारतीयों के नाम ‘स्विस लीक्स’ के नाम से हुए खुलासे में सामने आये। इन खुलासों को लेकर कोई निष्कर्ष सामने आता, इसके पहले ही ‘पनामा पेपर्स‘ के नाम से देश के विदेशी बैंक या कंपनी में रकम रखने वाले लोगों की एक सूची सामने आ गयी। और अब इसी टेक पर एक खुलासा ‘पैराडाइज लीक्स‘ के नाम से हुआ है। इसमें एप्पलबाइ नाम के लॉ फर्म से जुटाये गये आंकड़ों के विश्लेषण के बाद टैक्स-हैवेन में धन रखनेवाले 700 से ज्यादा भारतीयों के नाम सामने आये हैं। इसमें भी राजनीति से लेकर उद्योग जगत और फिल्म इंडस्ट्री की नामी-गिरामी हस्तियों के नाम हैं। ऐसे में बड़ा सवाल तो यही है कि क्या सरकारी स्तर पर इसका कोई संज्ञान लिया जायेगा? साथ ही, एक मसला भ्रष्टाचार की पहचान, उसके स्वभाव और होने वाली प्रतिक्रिया से भी जुड़ा है। उदाहरण के तौर पर, अपने देश में छोटा-मोटा, टूटपूंजिया किस्म का भ्रष्टाचार सबकी नजर में होता है। जैसे मिड-डे मील स्कीम या मनरेगा में होने वाला भ्रष्टाचार। इसकी शासन-प्रशासन में शिकायत की जाती है, मामला अदालतों तक भी पहुंचता है। भ्रष्टाचार बड़ा लगे, जैसे कि कोल-ब्लॉक का आवंटन और स्पेक्ट्रम की नीलामी, तो नागरिक संगठन, विपक्षी दल और मीडिया के साझे प्रयास से वह राष्ट्रीय फलक पर चिंता का विषय बनता है। टैक्स-हैवेन के गुप्त खातों का मसला अलग है. वह लोगों की नजर में आता है, तब भी जांच की पहल नहीं होती, क्योंकि कानूनी नुक्ते उलझे होते हैं। एक तरफ से कोई उसे भ्रष्टाचार कह सकता है, तो दूसरी तरफ से सफाई दी जा सकती है कि किसी नियम का उल्लंघन नहीं हुआ है। उम्मीद की जानी चाहिए कि सरकार समाधान के लिए निष्पक्ष जांच के प्रयास करेगी और इसके लिए जरूरी अंतरराष्ट्रीय सहयोग के लिए तत्पर होगी। 

पैराडाइज खुलासे की निष्पक्ष जांच हो 
पनामा पेपर्स की तरह ही पैराडाइज पेपर्स में भी ढेर सारी फर्जी कंपनियों और फर्मों के बारे में खुलासा हुआ है, जो बड़े-बड़े लोगों के पैसों को विदेशी बैंकों में भेजने में मदद करते हैं। इन कंपनियों या फर्मों की शरण में दो तरह के लोग जाते हैं। एक तो वे, जो टैक्स की चोरी करते हैं और उन पैसों को इन फर्जी कंपनियों के जरिये विदेशी कंपनियों में या बैंकों में जमा करवा देते हैं। दूसरे वे लोग होते हैं, जो बनाये गये नाजायज पैसों को सेल कंपनियों के जरिये छुपाकर वापस लाते हैं। इन सेल कंपनियों को चलाने वाले वहीं के स्थानीय लोग होते हैं, मसलन वकील, सीए आदि। इस पूरी प्रक्रिया में कालेधन का एक बड़ा भ्रष्टाचार स्पष्ट है। भ्रष्टाचार दो तरह का होता है। पहला आपराधिक भ्रष्टाचार (क्रिमिनल करप्शन) और दूसरा नागरिक भ्रष्टाचार (सिविल करप्शन)। अफसोस इस बात का है कि जिन लोगों को टैक्स में छूट मिली होती है, वे भी ऐसे कंपनियों के जरिये अपने पैसों को छुपाते हैं। भारत के लिए तो यह खुलास बहुत मायने रखता है, क्योंकि यहां बहुत से लोग स्विस बैंक में पैसे रखते हैं। अगर सरकार इस बात की मंशा रखती है कि देश में भ्रष्टाचार पैदा ही न होने पाये, तो सरकार को चाहिए कि ऐसे मामले आने के बाद वह तुरंत ही कार्रवाई, और साथ नाजायन पैसों का छुपे तरीके से आवागमन को रोकने का सिस्टम विकसित कर भ्रष्टाचार को न बढ़ने दे। पैराडाइज पेपर्स के खुलासे और कालाधन रखने वालों को लेकर दो बातें महत्वपूर्ण हैं। एक तो यह कि ऐसे मामलों में जांच के बाद फौरन दूध का दूध और पानी का पानी होना चाहिए कि सच्चाई क्या है, ताकि इससे न सिर्फ निर्दोष लोगों को बदनामी से बचाया जाये, बल्कि टैक्स चोरी से सरकार के राजस्व पर पड़ने वाले असर को भी कम किया जाये। दूसरी बात यह है कि देश के आम लोगों के मन में यह बात बैठी हुई कि बड़े लोग चाहे कुछ भी कर लें, सख्त कानून भी उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता, या जिनके पास पैसा होता है, उन पर कोई कार्रवाई नहीं हो सकती है, वगैरह। अगर फौरन जांच के बाद सच्चाई बाहर आ जाये और दोषियों को सजा मिल जाये, तो इससे आम जन के मन में सरकारों और जांच एजेंसियों के प्रति विश्वास बढ़ेगा। इससे एक बड़ा संदेश जायेगा कि चाहे कोई कितना भी बड़ा हो, उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो सकती है। कालाधन के दो पहलू हैं। एक पहलू यह है कि जो कालाधन बन गया है, उसको कैसे छिपाकर रखा जाये। इसके लिए कई हथकंडे इस्तेमाल किये जाते हैं, रियल स्टेट में लगाये जाते हैं या फिर शेल कंपनियों के जरिये बाहर भेजे जाते हैं। यह सिर्फ भारत की बात नहीं है, बल्कि दुनिया के हर देश में ऐसा होता है। दूसरा पहलू है, सरकार को यह मालूम है कि किस तरह से परमिशन राज के चलते उद्योगपतियों और नौकरशाहों की सांठगांठ से कालेधन का निर्माण होता है। इन दोनों तरीकों पर सरकार जब तक रोक नहीं लगायेगी, तब तक कालेधन का पर अंकुश मुश्किल है। सरकार के लिए यह एक अच्छा मौका है कि पैराडाइज पेपर्स की जांच कराकर भ्रष्टाचार के खिलाफ चल रही जंग को जीतने में एक पड़ाव पार करे। कालेधन के खिलाफ सख्त कदम नोटबंदी को एक साल होने से ठीक पहले पैराडाइज पेपर्स का खुलासे का संकेत क्या है, यह आने वाला वक्त बतायेगा। 

हवाला, पत्थरबाजी, नक्सल को झटका 
जहां तक काला धन, हवाला व नक्सल पर रोक की बात है तो यह सही है कि नोटबंदी के बाद सरकार ने तीस हजार करोड़ से ज्यादा के काले धन का पता लगाया है। आगे भी जांच एजेंसियां काम में लगी हुई हैं। हवाला कारोबार को जबरदस्त झटका लगा है। बेनानी संपत्ति कानून पर अमल से रियल स्टेट में काले धन का इस्तेमाल कम हुआ है। कालेधन को लेकर लोगों में खौफ है। रिजर्व बैंक ने खुद स्वीकारा है कि करीब 99 फीसद पैसा वापस आया है। चूंकि अभी नेपाल में पुराने नोटों को बदलने के तरीके को लेकर वहां की सरकार के साथ सहमति नहीं बन पा रही है इसलिए वहां का आंकड़ा आना बाकी है। सरकार का दावा है कि किसने किस बैंक में कितना पैसा जमा करवाया है। एजेंसियां ऐसे लोगों या कंपनियों की धरपकड़ में लगी है। यह अलग बात है कि जितने मामलों की जांच होनी है और इनकम टैक्स वालों के पास जितना स्टाफ हैं उसे देखते हुए कहा जा सकता है कि मामले निपटाने में सालोंसाल लग जाएंगे। आतंकवादियों के पास पैसों का टोटा पड़ा हुआ है। नक्सलियों का बहुत सा पैसा तबाह हुआ है। जमीन में प्लास्टिक की थैलियों में रखा पुराना पैसा काफी हद तक मिटटी हो चुके हैं। हालांकि यह सच है कि सरकार कैशलेस को बढ़ावा दे रही है, लेकिन भारत जैसे देश में जहां इंटरनेट की क्नेक्टिविटी कमजोर है, जहां सबके पास बैंक अकाउंट नहीं है, नकदी का चलन रहा है वहां एक झटके में सब कैशलेस नहीं हो सकते हैं। 





(सुरेश गांधी)

विशेष आलेख : ब्रांड राहुल से बीजेपी में बढ़ती बेचैनी

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सोशल मीडिया के इस दौर में राजनीति में नेता ब्रांडिंग और गढ़ी गयी छवियों के सहारे आगे बढ़ते हैं यहाँ ब्रांड ही विचार है और विज्ञापन सबसे बड़ा साधन, साल 2014 में नरेंद्र मोदी ने इसी बात को साबित किया था और अब राहुल गाँधी भी इसे ही दोहराना चाह रहे हैं. इसी आजमाये हुये हथियार के सहारे वे अपनी पुरानी छवि को तोड़ रहे हैं और सुर्खियां बटोर रहे हैं. इसका असर भी होता दिखाई पड़ रहा है जिसका अंदाजा गुजरात में उनको मिल रहे रिस्पांस और भाजपा की बेचैनी को देख कर लगाया जा सकता है.

2014 में मिली करारी हार के बाद से देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही थी, पहले केंद्र और फिर एक के बाद एक सूबों में अपनी सरकारें गवाने के बाद उसके भविष्य पर ही सवालिया निशान लग गया था, वैसे तो किसी भी राजनीतिक दल के लिये चुनाव में हार-जीत सामान्य बात है लेकिन यह हार कुछ अलग थी कांग्रेस इससे पहले भी हारती थी लेकिन  तब उसकी वापसी को लेकर किसी को संदेह नहीं होता था लेकिन इस बार कांग्रेसी भी उसकी वापसी को संदेह जताते हुए देखे जा सकते थे. ज्यादा दिन नहीं बीते जब इतिहासकार रामचंद्र गुहा कांग्रेस को बगैर नेता वाली पार्टी बता रहे थे. सबसे ज्यादा सवाल राहुल गाँधी और उनके नेतृत्व उठाये गये क्योंकि वही नेहरु खानदान और कांग्रेस पार्टी के वारिस हैं, खुद उनकी ही पार्टी के नेता खुलेआम उन्हें सियासत के लिए अनफिट करार देने लगे थे और उनके अंडर काम करने की अनिच्छा जताने लगे थे. इसकी ठोस वजहें भी रही हैं, अपने एक दशक से ज्यादा के लम्बे पॉलिटिकल कैरियर में राहुल ज्यादातर समय अनिच्छुक और थोपे हुए गैर-राजनीतिक प्राणी ही नजर आये हैं जिससे उनकी छवि एक “कमजोर” 'संकोची'और 'यदाकदा'नेता की बन गयी जो अनमनेपन से सियासत में है. 

इस दौरान उनकी दर्जनों बार री-लांचिंग हो चुकी है हर बार की री-लांचिंग के बाद कुछ समय के लिये वे बदले हुए नज़र आये लेकिन इसकी मियाद बहुत कम होती थी. एक बार फिर उनकी रीब्रांडिंग हुयी है, अब अपने आप को वे धीरे-धीरे एक ऐसे मजबूत नेता की छवि में  पेश कर रहे हैं जो नरेंद्र मोदी का विकल्प हो सकता है, उनकी बातों, भाषणों और ट्वीटस में व्यंग, मुहावरे, चुटीलापन, हाजिरजबावी का पुट आ गया है जो कि लोगों को आर्कर्षित कर रहा है . इधर परिस्थितियाँ भी उनको मदद पहुंचा रही हैं हर बीते दिन के साथ मोदी सरकार अपने ही वायदों और जनता के उम्मीदों के बोझ तले दबती जा रही है, अच्छे दिन,सब का साथ सब का विकास, गुड गवर्नेंस, काला धन वापस लाने जैसे वायदे पूरे नहीं हुये हैं और नोटबंदी व जीएसटी जैसे कदमों ने परेशानी बढ़ाने का काम किया है आज की स्थिति में  नरेंद्र मोदी और अमित शाह के सामने चुनौती यह है कि उन्होंने पिछले तीन सालों में जो हासिल किया था उसे बचाये रखना है, जबकि राहुल और उनकी पार्टी पहले से ही काफी-कुछ गवां चुके है अब उनके पास खोने के लिए कुछ खास बचा नहीं है, ऐसे में  उनके पास तो बस एक बार फिर से वापसी करने या विलुप्त हो जाने का ही विकल्प बचता है. इस दौरान घटित दो घटनायें भी कांग्रेस और राहुल गाँधी के लिये के लिये मौका साबित हुई हैं, पहला पंजाब विधानसभा चुनाव में “आप” के गुब्बारे का फूटना और दूसरा नीतीश कुमार का भगवा खेमे में चले जाना. पंजाब में आप की विफलता से राष्ट्रीय स्तर पर उसके कांग्रेस के विकल्प के रूप में उभरने की सम्भावना क्षीण हुयी है, जबकि नीतीश कुमार को 2019 में नरेंद्र मोदी के खिलाफ विपक्ष का चेहरा माना जा रहा था लेकिन उनके पाला बदल लेने से अब राहुल गाँधी के पास मौका है कि वे इस रिक्तता को भर सकें. कांग्रेस के रणनीतिकार राहुल को भारत के कनाडा के युवा और उदारपंथी प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के रूप में पेश करना चाहते है जो दुनिया भर के  उदारपंथियों के चहेते हैं.  यह एक अच्छी रणनीति हो सकती है क्योंकि नरेंद्र मोदी का मुकबला आप उनकी तरह बन कर नहीं कर सकते बल्कि इसके लिये सिक्के का दूसरा पहलू बनना पड़ेगा जो ज्यादा नरम, उदार, समावेशी  और लोकतान्त्रिक हो, शायद राहुल की यही खासियत भी है.

 लेकिन इस रिक्तता को भरने के लिये केवल ब्रांडिंग ही काफी नहीं है, कांग्रेस पार्टी का  संकट गहरा है और लड़ाई उसके आस्तित्व से जुडी है. दरसल  कांग्रेस का मुकाबला अकेले भाजपा से नहीं बल्कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और उसके विशाल परिवार से है जिसके पास संगठन और विचार दोनों हैं. इसलिए कांग्रेस को अगर मुकाबले में  वापस आना है तो उसे संगठन और विचारधार दोनों स्तर पर काम काम करना होगा उसे अपने जड़ों की तरफ लौटना होगा और आजादी के आन्दोलन के दौरान जिन मूल्यों और विचारों की विरासत उसे मिली थी उन्हें अपने एजेंडे में लाना होगा, उग्र और एकांकी राष्ट्रवाद के मुकाबले समावेशी और बहुत्लावादी राष्ट्रवाद की अवधारणा को पेश करना होगा तभी जाकर वह अपनी खोई हुई जमीन दोबारा हासिल कर सकती है. बहरहाल बदले हुये इस माहौल में लोगों की राहुल गाँधी से उम्मीदें बढ़ रही हैं खासकर उदारपंथियों के वे चहेते होते जा रहे हैं उनका नया रूप कांग्रेस के लिए उम्मीद जगाने वाला है लेकिन यह निरंतरता की मांग करता है जिसमें उन्हें अभी लम्बा सफर तय करना है इसके साथ ही उन्हें कई कसौटियों पर भी खरा उतरना पड़ेगा. अभी भी उन्हें पार्टी के अंदर और बाहर दोनों जगह एक प्रेरणादायक और चुनाव जिता सकने वाले नेता के तौर पर स्वीकृति नहीं मिली है जो उन्हें हासिल करना है. 

अपनी पार्ट टाइम, अनिच्छुक नेता की छवि से बाहर निकलने के लिए भी उन्हें और प्रयास करने होंगें क्योंकि उनके समर्थकों को ही यह शक है कि कहीं वे अपनी पुरानी मनोदशा में वापस ना चले जायें. फिलहाल तो वे “ब्रांड राहुल” की मार्केटिंग सफलता के साथ करते हुये नजर आ रहे हैं आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि राहुल की ब्रांडिंग का असर क्या होता है और भाजपा इसका मुकाबला कैसे करती है? 




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जावेद अनीस 
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बिहार : दिव्यांग है सोनी देवी

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मोकामा(पटना). माता मइया की कहर आँख में आ जाने  से सोनी देवी हो गयी हैं दिव्यांग. बता दे कि चिकेन पॉक्स को ही माता मइया कहकर महिमामंडित करते हैं. चिकित्सकों की सलाह नहीं लेते हैं. जब सोनी 10 साल की थीं तब चिकेन पॉक्स से ग्रसित हो गयी थीं. उसके कारण आँख की रौशनी खो दीं. दोनों आँखों से द्वियांग हो गयी. उत्तरी मरांची ग्राम पंचायत के मुखिया ने सोनी को नि:शक्ता सामाजिक सुरक्षा पेंशन स्वीकृत कर यश के भागी बने. मालपुर ग्राम पंचायत के बादपुर गांव के मिठ्ठु राम से विवाह सोनी का हो गया. मिठ्ठु भी दिव्यांग हैं.दुर्भाग्य से उसे पेंशन नहीं मिल पा रहा है. मिठ्ठु और सोनी के 2 लड़कियां संजू और रंजू है. दोनों आंगनबाड़ी केंद्र में पड़ती हैं. इस समय 35 साल की हैं. शौचालय नहीं रहने के औरों की तरह खुले में शौचक्रिया करने जाती है. वहीं सामाजिक सुरक्षा पेंशन नहीं मिलने से परेशान हैं.15 माह से पेंशन नहीं मिल रहा है 6 हजार रू०.  ग्लोबल इंटरफेथ वॉश अलायंस जीवा के कार्यकर्ता ने बीडीओ, मोकामा को आपबीती बयानकर आवेदन देने कहा है.

बिहार : विधानसभा सत्र को लेकर माले विधायक दल की बैठक, विभिन्न मुद्यों पर सरकार को घेरने की बनी रणनीति

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पटना 26 नवम्बर 2017, विधानसभा के आगामी सत्र को लेकर आज माले विधायक दल की बैठक हुई. बैठक विधायक दल के नेता काॅ. महबूब आलम के आवास पर हुई. जिसमें महबूब आलम के अलावा सत्यदेव राम, सुदामा प्रसाद, पार्टी की ओर से विधायक दल के प्रभारी व पूर्व विधायक राजाराम ंिसंह तथा विधायक दल के सचिव काॅ. उमेश सिंह ने हिस्सा लिया. बैठक में विधानसभा सत्र के दौरान सरकार को विभिन्न मोर्चों पर घेरने की रणनीति पर बातचीत हुई. माले विधायक दल ने कहा है कि विधानसभा के इस सत्र में बिहार में सांप्रदायिक उन्माद-उत्पात की घटनाओं व दलित-गरीबों पर लगातार हो रहे हमले को प्रमुखता से उठाया जाएगा. इस बार दुर्गापूजा-मोहर्रम के अवसर पर राज्य के तकरीबन 17 जिले सांप्रदायिक दंगों की चपेट में आए, और नीतीश सरकार तमाशा देखते रही. जब से भाजपा ने बिहार में सत्ता का अपहरण किया है, तब से इस तरह की घटनाओं में लगातार वृद्धि हो रही है और अल्पसंख्यक समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है. भाजपा की कोशिश है कि कम तीव्रता का लेकिन व्यापक स्तर पर सांप्रदायिक उन्माद भड़काकर बिहार में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण किया जाए. इस पर सरकार को घेरा जाएगा. गौगुंडों का आतंक भी यहां आरंभ हो चुका है. एक तरफ अल्पसंख्यक निशाने पर हैं, तो दूसरी ओर दलितों पर हमले में कोई कमी नहीं आई है. 25 नवम्बर की रात भागलपुर में सामंती-अपराधियों ने एक ही परिवार के तीन लोगों की बर्बरता से गला रेतकर हत्या कर दी. दलित-गरीबों पर लगातार बढ़ रहे हमले व अपराध की घटनाओं में बेतहाशा वृद्धि को सदन में प्रमुखता से उठाया जाएगा.

‘खुले में शौच से मुक्ति’ अभियान के तहत अब इस काम में शिक्षकों को भी लगा दिया गया है. जबकि पहले से ही उनपर कई तरह के भार हैं. खुले में शौच से मुक्ति अभियान आज पूरी तरह महिलाओं व गरीबों को बेइज्जत व अपमानित करने का अभियान बन गया है. अब गरीबों को बेइज्जत करने का दायित्व शिक्षकों को दे दिया गया है. यह बेहद निंदनीय है. शिक्षकों केा गैरशैक्षणिक कार्य से मुक्त करने और सभी गरीबों के लिए शौचालय निर्माण के लिए अग्रिम राशि मुहैया कराने तथा खुले में शौच से मुक्ति के नाम पर गरीबों-महिलाओं को अपमानित करना बंद करने का सवाल उठाया जाएगा. शिक्षकों के लिए समान काम के लिए समान वेतन भी मुद्दा होगा. आंदोलनरत एएनएम कर्मियों की मांगों को पूरा करने के लिए सदन के अंदर आवाज उठायी जाएगी. एक तरफ सरकार गरीबों को बेइज्जत करने का अभियान चला रही है, दूसरी ओर राजधानी पटना सहित राज्य के विभिन्न जिलों में शौचालय घोटाला का मामला प्रकाश में सामने आ रहा है. लेकिन इन घोटालों में केवल छोटी मछलियों को पकड़ रही है. राजनेता व अफसरों के गठजोड. के संरक्षण में ही इस तरह के घोटाले हो रहे हैं. सृजन के बाद शौचालय घोटाला ने बिहार सरकार के भ्रष्टाचार पर जीरो टाॅलरेंस की नीति की पोल खोल दी है. लेकिन इन सभी मामलों में सरकार केवल छोटी मछलियों को पकड़ रही है. हम इसके राजनीतिक संरक्षण की जांच की मांग के लिए आवाज उठायेंगे. विश्वविद्यालयों में शिक्षक नियुक्ति मामले में भी भ्रष्टाचार का मामला प्रकाश में आया है. सरकार ने धान खरीदने की तिथि की घोषणा तो कर दी है, लेकिन अभी तक किसानों का कहीं भी धान नहीं खरीदा जा रहा है. बटाईदार सहित सभी किसानों की धान खरीद भी माले विधायकों का एक महत्वपूर्ण एजेंडा होगा.

पटना : ईसाई समुदाय सड़क पर उतरे

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पटना. रविवार को राजधानी के ईसाई समुदाय सड़क पर उतरे और बुलंदी के साथ ईसा मसीह को राजाओं के राजा घोषित किये.आज नयना विराम वस्त्रों से सुशोभित लोग फेयरफील्ड कॉलोनी की ओर कदम बढ़ाने लगे.एक एक कर कोई आठ हजार लोग एकत्रित हो गये.इसके बाद वार्षिक यूख्रीस्तीय यात्रा प्रारंभ की गयी. दोपहर 2 बजे से हॉली कॉस सोसायटी परिसर फेयरफील्ड से यूख्रीस्तीय यात्रा शुरू की गयी.नेतृत्व महाधर्माध्यक्ष विलियम डिसूजा कर रहे थे.  कैमूर से खबर है कि बिशप सेवास्टियन के नेतृत्व में यूख्रीस्तीय यात्रा निकाली गयी.बोकारों से भी खबर है यूख्रीस्तीय यात्रा निकालने की. 

बिहार : दलितों की बर्बर हत्या के खिलाफ माले का कल बिहपुर बंद.

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  • 30 नवम्बर को भागलपुर बंद, माले जांच टीम ने किया घटनास्थल का दौरा.

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पटना 26 नवम्बर 2017, भाकपा-माले राज्य कुणाल ने भागलपुर जिले के बिहपुर के झंडापुर में अज्ञात अपराधियों द्वारा दलितों की बर्बर हत्या की  कड़ी भत्र्सना की है. उन्होंने कहा कि पूरे राज्य और खासकर भागलपुर में आए दिन हत्या व बलात्कार की घटनायें घट रही हैं, लेकिन नीतीश सरकार बैठकर तमाशा देख रही है. इस बर्बर हत्याकांड के खिलाफ भाकपा-माले ने कल 27 नवम्बर को बिहपुर और 30 नवम्बर को भागलपुर बंद का आह्वान किया है. कल ही भागलपुर शहर में ऐपवा का प्रदर्शन भी होगा. इस बर्बर घटना की जानकारी मिलते ही भागलपुर के माले जिला सचिव काॅ. विन्देश्वरी मंडल के नेतृत्व में एक जांच टीम ने घटना स्थल का दौरा किया. जांच टीम में उनके अलावा माले के बिहपुर प्रखंड सचिव सुधीर यादव, सोलठी पासवान, कांग्रेस यादव, बैजनाथ सिंह, ऐपवा की नेता रेणु देवी आदि शामिल थे. जांच टीम ने कहा कि जिस तरीके से हत्या की गयी है, वह बेहद दर्दनाक है. झंडापुर बस्ती में लगभग 10 घर रविदास जाति के हैं. अभी गांव में आतंक का माहौल ऐसा है कि कोई कुछ भी बताने को तैयार नहीं. आज 26 नवम्बर की सुबह गायत्री दास के परिवार के चार सदस्य में तीन गायत्री दास, उनकी पत्नी मीना देवी और 12 वर्ष का पुत्र छोटू कुमार मृत पाए गए. सभी मृतकों का सर बुरी तरह कुचला हुआ था और फर्श पर खून की धारा थी. शरीर पर कई जगह गहरे घाव के निशान थे. गायत्री दास की 17 वर्षीय बेटी बिलकुल नंगी अवसथा में बेहोश पायी गयी. उनके शरीर पर भी कई जगह चोटें थीं. गायत्री दास व उनके पुत्र का गुप्तांग काट दिया गया था. महिलाओं के गुप्तांगों पर भी हमले के निशान थे. लड़की की स्थिति को देखकर यह आशंका की जा रही है कि उससे बलात्कार की कोशिश की गयी और विरोध करने पर परिवार के सभी सदस्यों पर बर्बरता से हमला किया गया. लड़की को पीएमसीएच रेफर कर दिया गया है, जहां वह जीवन-मौत से जूझ रही है.

जांच टीम ने कहा कि सबसे पहले लड़की के इलाज व सुरक्षा की गारंटी बिहार सरकार को अविलंब करनी चाहिए. क्योंकि होश में आने पर वह हमलावरों का नाम बता सकती है, और इस कारण उसे मारने की कोशिश हो सकती है. भागलपुर सदर अस्पताल में माले नेता मुकेश मुक्त, बसर अली और सुरेश सिंह ने घायल लड़की को जाकर देखा. माले ने इस बर्बर हत्याकांड के खिलाफ कल 27 नवम्बर को बिहपुर बंद और 30 नवम्बर को भागलपुर बंद का आह्वान किया है. कल ही शहर में इन सवालों पर ऐपवा का प्रदर्शन होगा.

झाबुआ (मध्यप्रदेश) की खबर 26 नवम्बर

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रोजाना लगती हे रेत की मण्डी: खनिज विभाग मोन 

jhabua news
पारा-- प्रदेश मे रेत के खनन पर लगे प्रतिबंध हटने के बाद अवेध बालु रेत परिवहन कर्ताओ की तो चल निकली हे। बिना रायलटी के प्रति दिन दर्जनो वाहन इस पुनित कार्य मे लगे हंे। जिला खनिज अधिकारी को इससे कोई वास्ता नही हे। अवेध रेत परिवहन की सुचना मिलने के बाद भी खनिज अधिकारी अपने आपसी सदभावना के चलते कारवाही करने मे रुची नही रखते। पारा नगर से प्रति दिन दर्जनो की तादाद मे अवेध बालु रेत का परिवहन किया जा रहा हे। इस अवेध रेत का परिवहन प्रति दिन चोबीसो घण्टे मे 40 से 50 ट्रक, ट्रालो, डम्फरो व टेक्टरो के माध्यम से बिना किसी रायलटी के किया जा रहा हे। अलीराजपुर जिले के अम्बुआ कठ्ठीवाडा, बोरझर आदी ओर से प्रति दिन तडके चार बजे से लेकर देर रात्री तक इन अवेध रेत परिवहन कर्ता वाहनो का आवगमन चलता रहता हे। इस बाबात खनिज अधिकारीयांे को कारवाही करने की सुचना भी आमजनो द्वारा दिजाती हे तब खनिज अधिकारी बडी ढीलाई से मोके पर पहुचते तब तक वाहन अपने गंतव्य की ओर निकल जाते हे या अपने  उपलब्ध नही होने का बहाना बनाते हे। यहा लगती हे रेत मण्डी-- अलीराजपुर जिले से अवेध रुप से बिना रायलटी के परिवहन होने वाली बालु रेत की मण्डी पारा नगर मे बस स्टेण्ड के निचे शंकर मंदिर वाले चोक पर ,राजगढ रोड पर होली चोक व हायर सेकेण्ड्री स्कुल मेदान के सामने प्रति दिन सुबह 6 बजे से 8 बजे तक लगती हे। वही अलीराजपुर व राणापुर की तरफ से आने वाले कुछ वाहन रजला मे भी खडे रहते हे । जहा टेक्टरो द्वारा आई रेत की मण्डी सजती हे व दलालो के द्वारा ओने पोने दामो आई रेत  का एक टेक्टर 6 से 7 हजार रुपए मे बिकता हे। दोपहर पश्चात उक्त सभी वाहन उपयोग कर्ता के यहा खाली होकर पुनः अपने मुकाम पर पहुच जाते हे। वही कोई कोई वाहन तो अपने तय शुदा भाव के अनुसार व उपयोग कर्ता की मांग पर एक दो फेरे ज्यादा भी लगा लेता हे। यह हे रेत के बढे दामो का कारण--देश भर मे ग्रामीण विकास व प्रधानमंत्री आवास योजना के चलते बालु रेत की मांग बढने से रेत का भाव आज दुने से भी ज्यादा होगया हे। सरकार की मंशा अनुरुप गांव गांव मे बनने वाले प्रधान मंत्री आवास की सहायता राशी के चक्क्र मे कई लोग जुगाड लगा कर अपने पुराने मकानो को तुडवा कर नवीन भवन बना रहे हे। वही जिन लोगो को इस का लाभ मिला रहा हे। उनकी संख्या भी बहुत मात्रा मे हे। जिनको की एक निश्चित अवधि मे अपना भवन पुर्ण कर सरकारी सहायता राशी प्राप्त करना हे। इसी भागम भाग व मोके का फयदा उठाते हुए रेत माफीयाओ ने अपने एक टेक्टर के दाम इतने ज्यादा बढा दिए कि जितने मे एक वर्ष पहले एक ट्रक भर कर रेत आजाती थी। सडक से गुजरते हे ओवरलोड रेत वाहन--पारा स्थित राजगढ राणापुर रोड प्रधान मंत्री सडक मे बनी हे जिसकी लोड वहन क्षमता 8 टन से ज्यादा की नही हे। इस सुचना का बोर्ड भी प्रधानमंत्री सडक विभाग ने पारा स्थित वन विभाग के आफिस के सामने लगा रखा हे बावजुद इसके प्रतिदिन रेत भरे 40 टन से भी ज्यादा के अवेध रेत से भरे ट्रक ट्राले व डम्फर इस रोड पर से गुजरते हे। जो इस हलकी रोड का दम निकालने पर तुले हुवे हे। पुलिस की उदासीनता का आलम यह हेकि वे भी इस मार्ग से निकले ने वाले ओवर लोड वाहनो पर कोई कारवाही नही करते हे। पुलिस की इसी उदासीनता चलते रेत माफीयाओ के होसले बुलंद हे व बिना कीसी रुकावट के ओवरलोड वाहन इस सडक से निकले मे कोई भय महसुस नही करते हे। 

ये कहना हे इनका--हम समय समय पर कारवाही करते रहते हे।  खनिज वाले इस पर ध्यान नही देते हे व बुलाने पर भी समय पर नही आते हे। : बी एस बघेल, पुलिस चोकी प्रभारी पारा

29 नवंबर को मुख्यमंत्री के शासन के 12 साल पूर्ण होने पर भाजपा मुख्यालय पर करेगी कार्यक्रम

झाबुआ । भारतीय जनता पार्टी जिलाध्यक्ष दौलत भावसार ने एक जानकारी में बताया कि मध्यप्रदेश सरकार के यशस्वी मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चैहान के शासन के 12 साल पूर्ण होने पर झाबुआ जिला मुख्यालय पर भाजपा संगठन कार्यक्रम आयोजित करेगा। इस अवसर पर शासन की विभिन्न योजनाओ के हितग्राहियो का सम्मान भी किया जावेगा। ओर आतिशबाजी भी की जावेगी जिलास्तरीय वृहद बैठक का आयोजन भी किया जावेगा। जिसमें समस्त जिला पदाधिकारी कार्यकारिणी सदस्य मोर्चा के जिला कार्यकारिणी मंडल कार्यकारिणी भाजपा सहित मोर्चो की एवं प्रकोष्ठो के संयोजन एवं सारे जनप्रतिनिधि अपेक्षित व आमंत्रित रहेगे। उक्त जानकारी जिला भाजपा मिडिया प्रभारी अंबरीष भावसार द्वारा हमारे प्रतिनिधि को दी गई।

कड़कड़ाती ठंड से राहत दिलाने के लिए  मालवा जैन महासंघ एवं रोटरी क्लब द्वारा जरूरतमंदों को वितरित किए गए कंबल

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झाबुआ। मालवा जैन महासंघ एवं रोटरी क्लब झाबुआ द्वारा रविवार को दोपहर 12 बजे एक कार्यक्रम का आयोजन कर बाजार में घूमने वाले जरूरतमंदों एवं गरीबजनों को निःषुल्क कंबल का वितरण किया गया, ताकि उन्हें शीत ऋतु मंे लगने वाली कड़ाके की ठंड में ठिठुरन से राहत मिल सके। कार्यक्रम में उपस्थित मालवा जैन महासंघ के केंद्रीय प्रवक्ता यषवंत भंडारी ने बताया कि उनके एवं उनके पुत्र निखिल भंडारी द्वारा प्रतिवर्ष शीत ऋतु मंे बाजार में घूमने वाले जरूरतमंदों एवं गरीबजनों को कंबल, शाल, स्वेटर आदि का वितरण किया जाता है। सुबह एवं रात्रि के दौर में लगने वाली ठंड के दौरान फुटपाथ एवं अन्यत्र जगहों पर गरीबो ंएवं निराश्रितों को विश्राम करते समय काफी परेषानी होती है एवं उनके स्वास्थ्य को भी नुकसान पहुंचता है। उन्हें मद्द की दरकार रहती है।

कंबलों का किया वितरण
इस उद्देष्य से मालवा जैन महासंघ एवं रोटरी क्लब के बेनर तले केंद्रीय प्रवक्ता यषवंत भंडारी एवं रोटरी क्लब के युवा सदस्य निखिल भंडारी तथा उनके परिवारजनों द्वारा 20 से अधिक गरीबांे एवं जरूरत मंदो को कंबलों का वितरण किया गया। इस अवसर पर रोटरेक्ट क्लब अध्यक्ष रिंकू रूनवाल एवं उपाध्यक्ष दौलत गोलानी भी उपस्थित थे।

दोे चरणों में मनाई जावेगी गीता जयंती महोत्सव, श्री रामानुजजी के मुख से प्रवाहित होगी श्री मदभागवत कथा
बैठक का हुआ आयोजन, दिये गये सुझाव ।

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झाबुआ । नगर में पिछले 52 बरसों से गीता जयंती महोत्सव का आयोजन एक पंरपरा बन चुकी है । नगर के इतिहास में गीता जयंती के समारोह में देश के ख्यातनाम संतो एवं महात्माओं ने  इस धरा पर आकर अपनी अमृतवाणी से इस आयोजन को सार्थक किया है । पिछले कुछ अर्से से हालांकि कुछ शिथिलता आई जरूर है किन्र्तु िफर से  इस बार नगर की परंपरा स्थापित हो कर यहां की सामाजिक,धार्मिक संस्थाओं एवं धर्मप्रेमियों ने इसे  यादगार बनाने के लिये  गीता जयंती समारोह को भव्य पैमाने पर दो चरणों में आयोजित करने की योजना को साकार किया जारहा है। 27 नवम्बर से  29 नवंबर तक स्थानीय दशा नीमा समाज के श्री चारभूजा नाथ मंदिर में पण्डित विश्वनाथ शुक्ला गीता महात्म्य पर चर्चा कर धर्म सन्देश प्रवाहित करेगें । गीता विश्व का सर्वोच्च आध्यात्मिक ग्रंथ होकर यह सर्वकालिक है , इसमें हर धर्म के लोगों की बातों एवं उपदेशो का समावेश है। एकेश्वरवाद का भंडार है जिसमें परमात्मा का स्वरूप जड चेतन सबमे व्याप्त है । दूसरे चरण में  इसी कडी में प्रकांड विद्वान आचार्य रामानुजजी जो पूज्य स्वामी सत्यमित्रानंदजी के शिष्य एवं स्वामी श्री अवधेशानंदजी के गुरूभाई है, के मुखरबिंद से श्रीमद भागवत कथा की निर्झरिणी 24 दिसंबर से 31 दिसम्बर तक पैलेस गार्डन में सुसज्जित पाण्डाल में धर्मप्रमियों के बीच प्रवाहित होगी । भगवार वेदव्यासजी के श्रीमुख से निकली श्री मदभागवत कथा का सुंदर विश्लेषण कर आम लोगो ं के जन जीवन को स्रुखद बनाना ही  मुख्य उद्देश्य है। उक्त उदगार इतिहासवेत्ता प्रो. केके त्रिवेदी ने शनिवार की रात्री को  गीता जयंती समारोह के आयोजन समिति द्वारा आयोजित बैठक में कार्यक्रम का संचालन करते हुए नगर के समाजसेवियो, धार्मिक संस्थाओ,प्रबद्धजनो एवं धर्मप्रमियों की आयोजन को लेकर आहूत बैठक को संबोधित करते हुए कही । पैलेस गार्डन में आयोजित इस वृहद बैठक में रानापुर के समाजसेवी एवं सनाधर्म संस्था के अध्यक्ष गंभीरमल राठी ने संबोधित करते हुए पूज्य रामनुजजी के जीवन वृत की जानकारी देते हुए बताया कि  गुजरात के सुरेन्द्र नगर के गदडा गांव में एक गरीब शिक्षक परिवार के यहां जन्म रामानुजजी ने मात्र 10 वर्ष की आयु में ही संुदरकांड कों कंठस्थ कर लिया एवं 12 वर्ष की आयु मे अहमदाबाद में दादा कृष्णदेवजी से आध्यात्मिक शिक्षा ग्रहण की थी । 1996 में पहली बार सागर आश्रम बडौदा मे प्रथम कथा का आयोजन किया था । हरिद्वार भारत माता मंदिर में स्वामी सत्यमित्रानंद जी इनकी कथा से प्रभावित होकर इन्हे शिष्य बनाया औ र गुरूदीक्षा प्रदान की । इनके पिताजी भी प्रतिदिन 108 हनुमान चालिया का नियमित पाठ करते है। इनकी कथाओं का आयोजन अमेरिका, ब्रिटेन सहित कई देशो में हुआ है । श्री राठी ने बताया कि व्यासपीठ पर कोई भी धनराशि ग्रहण नही करते है और प्राप्त धनराशि का उपयोग इनके द्वारा जन कल्याण के क्षेत्र तथा स्वास्थ्य एवं शिक्षा मे किया जाता है । समय की पाबंदी इनकी विशेषता है । अतः आयोजित कथा में मर्यादा का पालन प्रथम शर्त रहती है। उन्होने कहा कि भागवत ऐसा ग्रंथ है जिसे पैसों से नही तोला जासकता हैै । झाबुआ नगर हमेशा सेही धर्मक्षेत्र में अग्रणी रहा है । इस अवसर पर किन्नर समाज की प्रमुख रानी बहिन ने भी संबोधित करते हुए आगामी 1 से 15 दिसम्बर तक वृहद किन्नर सम्मेलन आयोजित करने की जानकारी देते हुए 28 नवम्बर को किन्नर समाज द्वारा नगर भोज के आयोजन की जानकारी देते हुए भागवत कथा में सहयोग देने की बात कहीं । पाटीदार समराज के नाथुलाल पाटीदार, भगवतीलाल शाह ने भी अपने विचार व्यक्त किये । सुश्री कीर्ति देवल ने नगर में हिन्दुओं के बच्चों के लिये संस्कृमत पाठशालाा खाले जाने  पर विचार रखे । राजेन्द्र सोनी ने भी मीडिया की भूमिका पर विचार व्यक्त किये । एडवोकेट जगदीशचन्द्र नीमा ने भगवत गीता के सन्देशो ं को आत्मसात करने वाला बताते हुए आत्बल बढाने वाला बताया तथा कथा के दौरान बच्चों के लिये तथा महिलाओं के लिये  एक एक सत्र पृथक से आयोजित करने की बात कहीं ।श्रीमती नीलीनी बैरागी ने भागवत कथा को आत्म शोधन का साधन बताया । अरोडा खत्री समाज के अरूण अरोडा ने पूर्ण सहयोग देने तथा सौपे गये दायित्वों का निर्वाह करने की बात कहीं । घनश्याम बैरागी ने भी भागवत कथा के दौरान गायत्री परिवार द्वारा पूर्ण सहयोग देने की बात कहीं ।कीर्ति भावसार ने भी पूर्ण सहयोग देने का संकल्प दुहराया । नीरजसिंह राठौर से बताया कि कथा के आयोजन मे 5 से 10 लाख तक का व्यय होगा  । बैठक केदौरान ही 1 लाख 85 हजार से अधिक की राशि संकलित होने की जानकारी देते हुए नगर में सकल हिन्दू संगठन के गठन की आवश्यता बताई जिसका करतल ध्वनि से अनुमोदन किया गया । कथा पैलेस गार्डन में 24 से 31 दिसम्बर तक दोपहर 1 बजे से सायंकाल 5 बजे तक आयोजित होगी । भागवत कथा के र्सफल आयोजन को लेकर आगामी बैठक 16 दिसम्बर को आयोजित होगी जिसमे विभिन्न समितियों के गठन के बारे में निर्णय को अन्तिम रूप दिया जावेगा । अन्त मे आभार प्रदर्शन कन्नु भाई राठौर ने व्यक्त किया ।

विदिशा (मध्यप्रदेश) की खबर 26 नवम्बर

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विदिशा के "चलो आज कुछ अच्छा करते है"ग्रुप के युवाओं ने शहीदों की शहादत पर जगमगाया शहीद ज्योति स्तम्भ...

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26/11  आतंकी हमले में शहीद जबानों की सहादत को विदिशा के युवको ने सलाम किया....शहीद जवानों की याद में विदिशा शहीद ज्योति स्तभ पर मोमबत्ती लगाकर जगमगाया....ओर राष्ट्रगीत ओर राष्ट्र भक्ति के नारे लगाए गए....वही युवाओं का कहना है आतंकी हमले के अपनी जान निछावर कर जवानों ने देश वासियों की जान बचाई.....उनकी कुर्वानी को हम बेकार नही जाने देंगे इसी मौके पर युवाओं ने देश की रक्षा में अपना योगदान देने की कसम खाई.....कुलदीप शर्मा, अभिषेक शर्मा,राजकुमार , शुभम, जय रघुवंशी, गौरव रघुवंशी, सौरभ , प्रभाकर दीपक माहेश्वरी, सुमित....मौजूद रहे.
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