Quantcast
Channel: Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)
Viewing all 74166 articles
Browse latest View live

मोदी ने जीएसटी की आलोचना के लिए कांग्रेस को निशाने पर लिया

$
0
0
modi-attack-congress-on-gst
मोरबी (गुजरात), 29 नवंबर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जीएसटी को ‘गब्बर सिंह टैक्स’ करार देने के लिए कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी पर हमला करते हुए आज यहां कहा कि देश को लूटने वाले डकैतों के बारे में ही सोच सकते हैं। मोदी ने अपने गृह राज्य में विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार करने के दौरान यह टिप्पणी की। उन्होंने कांग्रेस पर छोटी-छोटी योजनाओं मसलन हैंड पम्प देने की योजना को लेकर भी श्रेय लेने और राजनीतिक फायदा हासिल करने का आरोप लगाया और कहा कि भाजपा सरकार लोगों के फायदे के लिए नर्मदा परियोजना जैसी प्रमुख परियोजनाएं लेकर आयी। प्रधानमंत्री ने सौराष्ट्र के मोरबी जिले में एक रैली में कहा, ‘‘देश को लूटने वाले डकैतों के बारे में ही सोच सकते हैं।’’ गुजरात में विधानसभा चुनाव दो चरणों में नौ और 14 दिसंबर को होगा। चुनाव नतीजे 18 दिसंबर को आएंगे। मोरबी में पहले चरण के तहत चुनाव होगा। इससे पहले राहुल ने हिंदी फिल्म ‘शोले’ के खलनायक को याद करते हुए वस्तु एवं सेवा कर को ‘गब्बर सिंह टैक्स’ करार दिया था। मोदी ने विपक्षी दल पर हमला करते हुए कहा, ‘‘कांग्रेस का विकास का मॉडल हैंड पम्प देने का है। भाजपा के लिए यह साउनी योजना (सौराष्ट्र क्षेत्र के लिए नर्मदा जल परियोजना) है जिसके तहत हम विशाल पाइप लाइनों के जरिये सौराष्ट्र के बांध भरेंगे।’’ उन्होंने सोमवार को गुजरात में एक के बाद एक चार रैलियां कर भाजपा के अभियान में नयी गति दी ।

डीडीए आवास योजना 2017 का ड्रॉ कल निकलेगा

$
0
0
2017-dda-house-allotment-tomorow
नयी दिल्ली, 29 नवंबर, डीडीए की नयी आवास योजना के लिये ड्रॉ कल निकाला जाएगा। इसके लिये डीडीए को 46000 से अधिक आवेदन मिले हैं। डीडीए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ड्रॉ कल सुबह 11 बजे से विकास सदन के ऑक्शन हॉल में निकाला जाएगा। कुल 12 हजार 617 फ्लैटों के लिये ड्रॉ निकाले जाएंगे। इन फ्लैटों को चार आय वर्ग श्रेणियों में बांटा गया है। ये फ्लैट रोहिणी, द्वारका, नरेला, वसंत कुंज, जसोला, पीतमपुरा, पश्चिम विहार और सिरसपुर जैसे स्थानों पर हैं। इनमें से 85 एचआईजी, 403 एमआईजी, 11757 एलआईजी और 372 जनता फ्लैट हैं। कुल फ्लैटों में से तकरीबन 10 हजार 2014 की आवास योजना के हैं जो जिसका कब्जा नहीं लिया गया था जबकि 2000 खाली पड़े हैं। डीडीए के अधिकारी ने कहा, ‘‘ड्रॉ कल निकाले जाएंगे। हम सब इसके लिये तैयार हैं।’’ उन्होंने कहा कि समूची प्रक्रिया का वेब स्ट्रीम के जरिये सीधा प्रसारण किया जाएगा। आम जनता ड्रा का ऑनलाइन सीधा प्रसारण URL -- http://webcast.gov.in/dda पर देख सकती है। दिलचस्पी रखने वाले आवेदक ड्रॉ की स्क्रीनिंग देखने के लिये डीडीए मुख्यालय भी आ सकते हैं।

सौ साल का हुआ ‘एक रुपये का नोट’

$
0
0
one-rupees-note-finish-100-years
मुंबई, 29 नवंबर, शादियों का मौसम चल रहा है तो एक रुपये के नोट से जुड़े किस्से हम सभी को याद होंगे। शगुन देने के लिए अब तो एक रुपये का सिक्का लगे लिफाफे आने लगे हैं लेकिन एक दौर ऐसा था कि परिवार के सदस्य एक रुपये के नोट को ढूंढते फिरा करते थे। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यही एक रुपये का नोट करीब 100 साल का हो चुका है और इसकी शुरुआत का इतिहास भी बड़ा दिलचस्प है। हुआ यूं कि दौर था पहले विश्वयुद्ध का और देश में हुकूमत थी अंग्रेजों की। उस दौरान एक रुपये का सिक्का चला करता था जो चांदी का हुआ करता था लेकिन युद्ध के चलते सरकार चांदी का सिक्का ढालने में असमर्थ हो गई और इस प्रकार 1917 में पहली बार एक रुपये का नोट लोगों के सामने आया। इसने उस चांदी के सिक्के का स्थान लिया। ठीक सौ साल पहले 30 नवंबर 1917 को ही यह एक रुपये का नोट सामने आया जिस पर ब्रिटेन के राजा जॉर्ज पंचम की तस्वीर छपी थी। भारतीय रिजर्व बैंक की वेबसाइट के अनुसार इस नोट की छपाई को पहली बार 1926 में बंद किया गया क्योंकि इसकी लागत अधिक थी। इसके बाद इसे 1940 में फिर से छापना शुरु कर दिया गया जो 1994 तक अनवरत जारी रहा। बाद में इस नोट की छपाई 2015 में फिर शुरु की गई। इस नोट की सबसे खास बात यह है कि इसे अन्य भारतीय नोटों की तरह भारतीय रिजर्व बैंक जारी नहीं करता बल्कि स्वयं भारत सरकार ही इसकी छपाई करती है। इस पर रिजर्व बैंक के गवर्नर का हस्ताक्षर नहीं होता बल्कि देश के वित्त सचिव का दस्तखत होता है। इतना ही नहीं कानूनी आधार पर यह एक मात्र वास्तविक ‘मुद्रा’ नोट (करेंसी नोट) है बाकी सब नोट धारीय नोट (प्रॉमिसरी नोट) होते हैं जिस पर धारक को उतनी राशि अदा करने का वचन दिया गया होता है।

दादर के एक प्रमुख सिक्का संग्राहक गिरीश वीरा ने  कहा, ‘‘पहले विश्वयुद्ध के दौरान चांदी की कीमतें बहुत बढ़ गईं थी। इसलिए जो पहला नोट छापा गया उस पर एक रुपये के उसी पुराने सिक्के की तस्वीर छपी। तब से यह परंपरा बन गई कि एक रुपये के नोट पर एक रुपये के सिक्के की तस्वीर भी छपी होती है।’’ शायद यही कारण है कि कानूनी भाषा में इस रुपये को उस समय ‘सिक्का’ भी कहा जाता था। पहले एक रुपये के नोट पर ब्रिटिश सरकार के तीन वित्त सचिवों के हस्ताक्षर थे। ये नाम एमएमएस गुब्बे, एसी मैकवाटर्स और एच. डेनिंग थे। आजादी से अब तक 18 वित्त सचिवों के हस्ताक्षर वाले एक रुपये के नोट जारी किए गए हैं। वीरा के मुताबिक एक रुपये के नोट की छपाई दो बार रोकी गई और इसके डिजाइन में भी कम से कम तीन बार आमूल-चूल बदलाव हुए लेकिन संग्राहकों के लिए यह अभी भी अमूल्य है।

गुजरात में कांग्रेस का जवाब देने की बजाय मखौल उड़ा रही है भाजपा

$
0
0
bjp-not-answering-congress-in-gujarat
अहमदाबाद 29 नवम्बर, गुजरात विधानसभा चनाव में कांग्रेस पार्टी जिन मुद्दों को उठा रही है राज्य में सत्तारुढ भारतीय जनता पार्टी उनका सीधा सीधा जवाब देने की बजाय उसका उपहास उड़ा रही है । दोनों दलों के अब तक के चुनाव प्रचार पर गौर किया जाये तो शुरुअाती दौर में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने अपने खास अंदाज में बेरोजगारी , नोटबंदी , वस्तु एवं सेवाकर कानून तथा संसद के शीतकालीन सत्र बुलाने में हो रही देरी , पटेल और अनुसूचित जातियों के मसलों को उठाया । उन्होंने फ्रांस के राफेल विमान सौदे को लेकर भी सवाल खड़े किये। श्री गांधी के सवाल उठाते ही भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने उन पर हमले बोलने शुरु कर दिये। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी , वित्त मंत्री अरुण जेटली , रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण , राज्य के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी ने श्री गांधी द्वारा उठाये गये मुद्दों का जवाब तो नहीं दिया उल्टे उनका जमकर मजाक उड़ाया । श्री मोदी ने नोटबंदी को लेकर कांग्रेस की आलोचना पर एक चुनाव सभा में इतना तक कह दिया कि कांग्रेस इस मुद्दे को इस प्रकार से उठा रही है जैसे किसी परिवार में कमाने वाला पुत्र मर गया हो । श्री मोदी ने अपने को गुजरात पुत्र बताते हुए कहा कि क्या इस राज्य के लोग उनका अपमान बर्दाश्त करेंगें । उन्होंने कहा कि कांग्रेस में नेता , नीति , नीयत अौर जमीन से जुड़ने का संकट है ।

तीन दिवसीय भारत अफगान संस्कृति महोत्सव शुरू

$
0
0
three-day-india-afghan-culture-festival-commenced
नयी दिल्ली 29 नवम्बर, तीन दिवसीय भारत अफगानिस्तान संस्कृति महोत्सव आज यहाँ शुरू हो गया।केन्द्रीय संस्कृति मंत्री डॉ महेश शर्मा और अफगानिस्तान के संस्कृति एवं सूचना मंत्री प्रो. मोहम्मद रसूल बावरी ने इस महोत्सव का उद्घाटन किया। इस अवसर पर डॉ शर्मा ने कहा कि भारत और अफगानिस्तान कला, संगीत, भाषा आदि के क्षेत्रों में वर्षों से एक दूसरे से बंधे हैं और दोनों देशों के बीच मज़बूत दोस्ती रही है। अफगानिस्तान के मशहूर कलाकार उस्ताद सारग पटियाला घराने से ही प्रशिक्षित हैं और बॉलीवुड का संगीत भी उस से प्रभावित है। अफगानिस्तान का बामियान इलाका बौद्ध धर्म के प्रभाव में रहा है। उन्होंने कहा कि टैगोर का काबुलीवाला भी अफगानिस्तान के दिल से जुड़ा रहा है। वहां गुरुद्वारा और मंदिर भी हैं जिससे पता चलता है कि वहां का समाज सहिष्णु और उदार हैं। भारत अफगानिस्तान के पुनर्निमाण के तहत वहां की सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण भी करेगा और अफगान संगीत संस्था के निर्माण में मदद करेगा। इस महोत्सव का आयोजन भारतीय सांस्कृतिक सम्बन्ध परिषद और अफगानिस्तान दूतावास ने मिलकर किया है। इसमें दोनों देशों की सांस्कृतिक प्रदर्शनी भी आयोजित की गयी है।

कोविंद ने बेलुर मठ का दौरा किया

$
0
0
kovind-belur-math-visiting
बेलुर/हावड़ा 29 नवंबर, राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने आज यहां रामकृष्ण मठ और रामकृष्ण मिशन में स्वामी विवेकानंद और उनके गुरु रामकृष्ण परमहंस और शारदा देवी को श्रद्धांजलि अर्पित की। श्री कोविंद ने आज सुबह पश्चिम बंगाल के राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी के साथ यहां पहुंचकर विभिन्न मंदिरों के दर्शन करने के बाद स्वामी विवेकानंद और उनके गुरु रामकृष्ण परमहंस और शारदा देवी को श्रद्धांजलि अर्पित की। श्री कोविंद ने रामकृष्ण मठ के प्रमुख और रामकृष्ण मिशन के श्रीमंत स्मरणानंदजी महाराज से बातचीत की। उन्होंने श्री कोविंद को मिशन की गतिविधियों की जानकारी दी। श्री कोविंद ने मिशन के गरीबी शमन और शैक्षणिक परियोजनाओं में काफी रूचि दिखायी। श्री कोविंद को मठ में प्रसाद भी दिया गया। रामकृष्ण मठ और रामकृष्ण मिशन के मुख्यालय पहुंचने से पहले राष्ट्रपति ने मध्य कोलकाता के जोरासांको ठाकुर बाड़ी पहुंचकर राष्ट्रगान के रचयिता गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर को भी श्रद्धांजलि अर्पित की और यहां अधिकारियों से बातचीत की।  उन्होंने भवानीपुर में नेताजी सुभाषचंद्र बोस के पैतृक घर का भी दौरा किया अौर कोलकाता में बोस इंस्टिट्यूट के शताब्दी समारोह में हिस्सा लिया। उन्होंने आचार्य जगदीश चंद्र बोस द्वारा स्थापित बोस अनुसंधान संस्थान के शताब्दी समारोह के समापन कार्यक्रम में भी हिस्सा लिया।

दर्शन से पहले राहुल का नाम गैर हिन्दू रजिस्टर में हुआ दर्ज,

$
0
0
  • कांग्रेस ने कहा जनेऊधारी हिन्दू हैं

before-the-philosophy-rahul-s-name-was-registered-in-a-non-hindu-register-congress-said-that-jains-are-hindus
सोमनाथ, 29 नवंबर, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के आज सोमनाथ मंदिर में दर्शन से पहले उनका नाम उनकी मां और पार्टी अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी के राजनीतिक सचिव अहमद पटेल के साथ ‘गैर हिन्दू’ प्रवेशियों के लिए बनाये गये रजिस्टर में दर्ज किया गया। बाद में पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने अहमदाबाद में पत्रकारों से कहा कि यह एक षडयंत्र के तहत भाजपा ने कराया है। उन्होंने दावा किया कि श्री गांधी के मीडिया समन्वयक से कुछ और कह कर उक्त रजिस्टर में दस्तखत कराये गये थे। असल में श्री गांधी न केवल हिन्दू हैं बल्कि एक जनेऊधारी भी हैं। उनके नामकरण, बहन प्रियंका के शादी तथा पिता राजीव गांधी के अंतिम संस्कार के दौरान की तस्वीरों में यह देखा जा सकता है। उन्होंने भाजपा से चुनाव का स्तर इतना नहीं गिराने की अपील की। इससे पहले मंदिर के जनसपंर्क अधिकारी ध्रुवभाई जोशी ने कहा कि श्री गांधी और श्री पटेल का नाम श्री गांधी के मीडिया समन्वयक मनोज त्यागी ने मंदिर के प्रवेश के पहले सुरक्षा विभाग के ऐसे रजिस्टर में दर्ज कराया था। मंदिर के नियम के मुताबिक गैर हिन्दुओं के लिए ऐसा करना जरूरी होता है। ज्ञातव्य है कि मंदिर के गर्भगृह में श्री गांधी ने दोपहर की आरती और जलाभिषेक में भाग लिया था। श्री अहमद पटेल भी वहां मौजूद थे।

हिंसा की छिटपुट घटनाओं के बीच तीसरे चरण में लगभग 54 फीसदी मतदान

$
0
0
about-54-percent-voting-in-the-third-phase-among-the-sporadic-incidents-of-violence
लखनऊ 29 नवम्बर, मतदाता सूची में गड़बड़ी और फर्जी मतदान को लेकर हिंसा की छिटपुट वारदातों के बीच उत्तर प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव के तीसरे और आखिरी चरण में आज लगभग 54 फीसदी मतदान हुआ। निकाय चुनाव की मतगणना एक दिसम्बर को होगी और संभवत: उसी दिन सभी परिणाम सामने आ जायेंगे। तीसरे चरण में राज्य के 26 जिलों में 94 लाख पांच हजार मतदाताअों में से करीब 54 फीसदी ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। मतदान शाम पांच बजे समाप्त हुअा हालांकि मतदान की प्रक्रिया समाप्त होने के समय भी कई मतदान केन्द्रों पर सैकडो लोग कतारबद्ध दिखायी पड़े। राजधानी लखनऊ के बालागंज क्षेत्र में एक बूथ पर आज पुर्नमतदान भी हुआ।  इस चरण में सहारनपुर, बागपत, बुलंदशहर, मुरादाबाद, संभल, बरेली, एटा, फिरोजाबाद, कन्नौज, औरैया, कानपुर देहात, झांसी, महोबा, फतेहपुर, रायबरेली, सीतापुर, लखीमपुर खीरी, बाराबंकी, बलरामपुर, सिद्धार्थनगर, महाराजगंज, कुशीनगर, मऊ, चंदौली, जौनपुर तथा मिर्जापुर जिलों में वोट डाले गये।  इस चरण में पांच नगर निगमों सहारनपुर, मुरादाबाद, बरेली, फिरोजाबाद, झांसी के अलावा 76 नगर पालिका तथा 152 नगर पंचायत में वोट डाले गये। इसके साथ ही कुल 233 निकायों के 4,299 वार्डों के लिये मतदान हुआ। निकाय चुनाव के आखिरी चरण में भी कई मतदान केन्द्रों पर मतदाता सूची में गडबडी की शिकायते मिली। कई मतदान केन्द्रों पर मतदाता सूची में नाम न होने के कारण वापस लौट गये। सहारनपुर में प्रत्याशियों के दो गुटों के बीच झड़प हुयी हालांकि सुरक्षा बलों ने स्थिति को जल्द ही संभाल लिया।

सिंगापुर में सैन्य साजो-सामान से लैस हाेंगे भारतीय युद्ध पोत

$
0
0
indian-warship-equipped-with-military-equipment-in-singapore
नयी दिल्ली 29 नवम्बर, दक्षिण चीन सागर में चीन के बढते प्रभुत्व के मद्देनजर भारत ने सिंगापुर के साथ सामरिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण समझौता किया है जिसके तहत भारतीय नौसेना के युद्धपोत सिंगापुर के चांगी नौसैनिक अड्डे पर रूक सकेंगे तथा वहां उन्हें जरूरी रक्षा साजो सामान की आपूर्ति की जा सकेगी। रक्षा मंत्री सीतारमण और भारत की यात्रा पर आये सिंगापुर के रक्षा मंत्री ऐंग इंग हेन्स ने आज यहां दूसरे रक्षा मंत्री स्तरीय संवाद के बाद दोनों देशों की नौसेनाओं के बीच सहयोग के एक व्यापक समझौते पर हस्ताक्षर किये। रक्षा मंत्री स्तर के संवाद के बाद दोनों मंत्रियों ने संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में इस समझौते की घोषणा की। श्री एेंग ने कहा , “ हम भारतीय नौसैनिक पोतों की चांगी नौसैनिक अड्डे की यात्रा का समर्थन करते हैं। द्विपक्षीय नौसेना समझौते में सैन्य साजो सामान की आपूर्ति का प्रावधान है। ” उन्होंने कहा कि दोनों देश मलक्का जल डमरू मध्य और अंडमान सागर में अपनी गतिविधियां बढायेंगे ।  भारत ने मलक्का जल डमरू मध्य के पूर्व में स्थित किसी देश के साथ पहली बार सैन्य साजो - सामान समझौता किया है। इसके तहत भारतीय नौसेना को सिंगापुर के नौसैनिक अड्डे पर सभी जरूरी सैन्य साजो सामान की आपूर्ति हो सकेगी।  दोनों नेताओं ने कहा कि नौसेनाओं के बीच द्विपक्षीय समझौते से समुद्री सुरक्षा , संयुक्त अभ्यास में सहयोग के साथ साथ दोनों नौसेनाओं के नौसैनिक एक दूसरे के यहां अस्थायी रूप से रूक सकेंगे और सैन्य साजो सामान साझा कर सकेंगे। दोनों देश सिंगापुर-भारत द्विपक्षीय समुद्री अभ्यास के 25 वर्ष पूरे होने पर इसकी रजत जयंती के मौके को मनाने के लिए उत्सुक हैं।

मोदी ने की चार सभाएं, कांग्रेस-राहुल पर किये तीखे हमले, की -सफाये की अपील

$
0
0
modi-s-four-meetings-sharp-attacks-on-congress-rahul
गांधीनगर, 29 नवंबर, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज अपने गृहराज्य गुजरात में एक बार फिर ताबड़तोड चार चुनावी सभाएं की और कांग्रेस तथा इसके उपाध्यक्ष राहुल गांधी पर तीखे हमले किये। श्री मोदी ने अपने सभी भाषण इस बार भी गुजराती में ही दिये तथा कांग्रेस पर घोर गुजरात विरोधी होने के आरोप दोहराये। उन्होंने यह भी कहा कि उनके विदेश दौरों के कारण दुनिया भर से बने बेहतर संबंधों की बदौलत ही श्रीलंका ने पांच भारतीय मछुआरों की फांसी की सजा माफ कर दी। खाड़ी देशों में मौत की सजा प्राप्त भारतीयों की सजा उम्रकैद में बदली जा सकी। सांप्रदायिकता के आरोपियों को लताड़ लगाते हुए ईसाई समुदाय की 100 नर्सों को इराक से तथा एक पादरी को अफगानिस्तान में आतंकियों के चंगुल से छुड़ा कर वापस लाया जा सका। पाटीदारों की बहुलता वाले मोरबी में पहली सभा करते हुए उन्होंने किसानों के मुद्दों को प्रमुखता से उठाया जबकि अन्य पिछड़ा वर्ग की खासी आबादी वाले प्राची में उन्होंने ओबीसी आयोग को लेकर कांग्रेस पर प्रहार किया। उन्होंने सेना में वन रैंक वन पेंशन योजना का मुद्दा भी उठाया। पालिताणा की तीसरी सभा (तीनो सौराष्ट्र क्षेत्र) तथा दक्षिण गुजरात की नवसारी में चौथी सभा में भी उन्होंने लोगों से कांग्रेस पर गुजरात की धरती पर झूठ फैलाने का आरोप लगाते हुए चुनाव में इसके सफाये की अपील की। उन्होंने विकास को चुनाव का मुख्य मुद्दा बताया। नोटबंदी और जीएसटी को लेकर भी उन्होंने कांग्रेस को आड़े हाथ लिया और चुनाव में प्रमख मुद्दा बने जीएसटी को गब्बर सिंह टैक्स बता कर उनकी सरकार पर हमला करने वाले कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी पर मोरबी में एक नये अंदाज में जवाबी वार करते हुए कहा कि इस कर प्रणाली को लेकर कई नये अर्थशास्त्री (श्री गांधी) ग्रांड स्टुपिड थॉट (भारी बेवकूफी वाला विचार) व्यक्त कर रहे हैं। श्री मोदी गांधी-नेहरू परिवार पर अपने तीखे हमलों का क्रम जारी रखते हुए सौराष्ट्र क्षेत्र में 38 साल पहले एक ही रात में सैकड़ों लोगों की जान लेने वाली मच्छू बांध दुर्घटना का जिक्र किया और इसके बाद चलाये जा रहे राहत कार्य के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के दुर्गंध से बचने के लिए ‘मुंह पर रूमाल ’ रखी तस्वीर की लोगों को याद दिलायी।

श्री मोदी ने कहा, ‘मै हैरान हूं कि कई नये अर्थशास्त्री और बुद्धिमान लाेग जिन्होंने जिंदगी भर जनता की तिजाेरी पर डाका मारा हो, उन्हें डाकुओं के सिवाय कुछ याद नहीं आता। इसलिए आज एक नया ग्रांड स्टुपिड थॉट यानी जीएसटी की बात हो रही है।’ उन्होनें कहा कि ये गरीब की बात करते हैं और चाहते हैं कि नमक, जूते, सस्ते कपड़े और सामान्य लोगों की जरूरत की चीजों पर 18 प्रतिशत कर लगा दिया जाये और शराब, कैंसरकारक सिगरेट, महंगी गाड़ियों जैसी चीजों को सस्ता कर दिया जाये। इस ग्रांड स्टुपिड थॉट से बड़ी गरीब विरोधी बात क्या हो सकती है। श्री मोदी ने गुजरात के लिए सबसे महत्वपूर्ण चीज पानी को घर घर पहुंचाने के कारण भाजपा को एक सौ साल तक चुनाव में नहीं हराने की अपील की और साथ ही लोगों से चुनौती भरे लहजे में यह भी कहा कि अगर सौराष्ट्र कच्छ क्षेत्र में भाजपा इसके पहले के विकास में रत्ती भर भी कम पड़े तो इसे ‘लात मार कर’ बाहर कर दे। उन्होंने मच्छू बांध टूटने की त्रासदी की बात भी उठायी और इसको लेकर भी कांग्रेस पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि राहत कार्य के दौरान राहुल गांधी की दादी इंदिराबेन (श्रीमती गांधी) जब आयी थी तो वह मुंह पर रूमाल डाले दुर्गंध और गंदगी से बचती फिर रही थीं। जबकि जनसंघ और आरएसएस के कार्यकर्ता कीचड़ और गंदगी में घुस कर सेवाभाव से काम कर रहे थे। उन्होंने कांग्रेस के शासन के दौरान गुजरात में एक हैंडपंप का आश्वासन देकर तीन चुनाव जीतने पर व्यंग्य किया और नर्मदा योजना तथा सौनी योजना आदि के भाजपा के विकास मॉडल की सराहना की।

श्री मोदी ने प्राची में कहा कि वह कांग्रेस के अड़ंगे के बावजूद ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा दिला कर रहेंगे। उन्होंने मछुआरों और किसानों के लिए सरकारी योजनाओं की भी विस्तार से चर्चा की। उन्होंने श्री गांधी के सोमनाथ दौरे पर भी व्यंग्य किया और कहा कि उनके परनाना जवाहर लाल नेहरू ने ही इसके जीर्णोद्धार का विरोध किया था। श्री मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर भी गुजरात में आकर नर्मदा योजना के बारे में झूठ बोलने का आरोप दोहराया। उन्होंने पालिताणा में भी कांग्रेस पर हमला जारी रखा और कहा कि इसने हमेशा गुजरात विरोधी काम किया है। गुजरात में चारो तरफ भाजपा की आंधी चल रही है जिससे कांग्रेस का सफाया हो जायेगा। उन्होंने लोगों से इस बार कांग्रेस को सबक सिखाने की भी अपील की। नवसारी में अपनी सभा में उन्होंने दावा किया कि 2002 से लेकर अब तक किसी चुनाव में जैसी लहर नहीं थी वैसी अब भाजपा के पक्ष में लहर है। उन्होंने डोकलाम विवाद के दौरान राहुल गांधी की चीनी राजदूत से मुलाकात, सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल खड़े करने, हाफिज सईद की रिहाई पर कांग्रेस के बर्ताव आदि के मुद्दे भी जोर शोर से उठाये।

बिहार में अपराधियों के हौसले बुलंद : उदयनारायण

$
0
0
no-law-and-order-in-bihar-uday-narayan-chaudhary
भागलपपुर 29 नवंबर, बिहार में सत्तारूढ़ जनता दल यूनाइटेड(जदयू)के वरिष्ठ नेता एवं विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने उनकी पार्टी की ही सरकार पर हमला करते हुए आज कहा कि राज्य में प्रशासन नाम की कोई चीज नहीं रह गई है और अपराधियों के हौसले बुलंद हैं। श्री चौधरी ने जिले के झंडापुर हरिजन टोला का दौरा कर लौटने के बाद यहां पत्रकारों से बातचीत में कहा कि पिछले दिनों इस टोला में हुयी तीन महादलितों की हत्या से आमजन दहशत में हैं। राज्य सरकार को ऐसी घटनाओं पर अविलंब ध्यान देना होगा। उन्होंने कहा कि झंडापुर में मजदूरी करने वाले महादलित परिवार के तीन लोगों की हुई हत्या एक जघन्य अपराध है। जदयू नेता ने कहा कि इस घटना में दबंगों की संलिप्तता है और इसके कारण वहां के लोग दहशत में हैं। भय के कारण वहां के लोग कुछ बोल नहीं पा रहे हैं। इस मामले में पुलिस-प्रशासन की ओर से अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुयी है। उन्होंने कहा कि इस हत्याकांड की एकमात्र गवाह घायल लड़की पटना में जीवन-मौत से जूझ रही है। उन्होंने कहा कि सरकार को घायल लड़की के इलाज की व्यवस्था किसी निजी अस्पताल अथवा अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में करानी चाहिए। साथ ही उसकी सुरक्षा भी होनी चाहिये। श्री चौधरी ने कहा कि प्रदेश में झंडापुर के महादलित परिवार की सामूहिक हत्या के अलावा खगड़िया के परबत्ती थाना क्षेत्र में चार युवकों की हत्या और उसी जिले के अमसिया गांव के करीब अस्सी परिवारों के घरो में दबंगों द्वारा आग लगाने जैसी घटनाओं से स्पष्ट हो गया है कि पुलिस और प्रशासन अपराध को रोकने में पूरी तरह से विफल साबित हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि राज्य में घटित इन घटनाओं को देखते हुए सरकार को अपराधियों पर अविलंब लगाम लगानी चाहिए । इसके अलावा पीड़ितों को पुनर्वास और सरकारी योजनाओं का लाभ भी दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रशासन को नजरिया बदलने की जरूरत है, तभी अपराध पर लगाम लग सकेगी। 

केंद्र के कई मानकों पर झारखंड शीर्ष दस में : रघुवर दास

$
0
0
jharkhand-top-ten-raghuvar-das
रांची 29 नवम्बर, झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने आज कहा कि पिछले तीन साल में राज्य में विकास के हुये बेहतर कार्यों की बदौलत ही केंद्र सरकार के कई मानकों के आधार पर झारखंड शीर्ष दस में पहुंच गया है। श्री दास ने यहां राज्य विकास परिषद की बैठक में कहा कि बजट में तय राशि खर्च करना और विकास का परिणाम प्राप्त करना ही सफलता है। उन्होंने कहा कि एडवांस प्लानिंग करना बहुत जरूरी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी 15 वर्ष का विजन, सात वर्ष की रणनीति और तीन वर्षीय कार्य योजना बनाकर काम करने का आह्वान किया है। इसे ध्यान में रखते हुए ही मुख्यमंत्री बनने के बाद झारखंड में राज्य विकास परिषद का गठन किया। इस कमेटी ने तीन साल की कार्ययोजना तैयार की है। उन्होंने कहा कि सभी मंत्रियों से बात कर विभागीय सचिव अपने-अपने सुझाव 15 दिन में दें। इसके बाद कार्ययोजना को अंतिम रूप देकर एक रोडमैप तैयार कर इसे धरातल पर उतारा जायेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के छह जिले जो विकास की दृष्टि से पिछड़े हैं, पहले उन जिलों को ऊपर लाना है। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश देते हुये कहा कि इन जिलों में कौन से प्रखंड और पंचायत ज्यादा पिछड़े है इसकी सूची बनायी जाये। इन प्रखंड और पंचायतों में क्या समस्या है। इसे तैयार करें तो योजनाएं लागू करने में आसानी होगी।  बैठक में राज्य विकास परिषद् के सदस्य टी. नंदकुमार ने त्रिवर्षीय कार्ययोजना का प्रारूप मुख्यमंत्री को सौंपा। इसे 12 क्षेत्रों में बांटा गया है। सभी क्षेत्र के लिए विकास योजनाओं का प्रारूप तैयार किया गया है। बैठक में मुख्य सचिव राजबाला वर्मा, अपर मुख्य सचिव अमित खरे, उद्योग सचिव सुनील कुमार बर्णवाल, अर्थशास्त्री प्रो. रमेश शरण समेत सभी विभागों के वरीय पदाधिकारी उपस्थित थे।

नीतीश पर लालू का पलटवार, कहा-एकमात्र मुख्यमंत्री जिसपर हत्या का आरोप

$
0
0
lalu-attack-nitish-only-murderer-cm
पटना 29 नवम्बर, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के ‘ट्वीट वार’ पर पलटवार किया और कहा कि बिहार में इकलौता ऐसा मुख्यमंत्री है जिसपर जघन्य हत्या का संगीन आरोप है। श्री यादव ने आज अपने एक के बाद एक ट्वीट में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नाम लिये बिना उनपर जमकर निशाना साधते हुए लिखा, “बिहार में देश का इकलौता ऐसा स्वघोषित देशभक्त मुख्यमंत्री है जिसपर जघन्य हत्या का आरोप है। क्या देश के किसी और मुख्यमंत्री पर निर्मम हत्या का मामला दर्ज है और इसे छुपाने का साहस है। श्री यादव यहीं नहीं रुके और अपने दूसरे ट्वीट के जरिए तीखा प्रहार करते हुए कहा, “क्या आप ‘पेट के दांत’ ठीक करने वाले किसी डेंटिस्ट को जानते है। बिहार में जनादेश का एक हत्यारा है जिसके पेट में दांत है। उसने सभी नेताओं और पार्टियों को ही नहीं बल्कि करोड़ों गरीबों को भी अपने विषदंत से काटा है।” राजद सुप्रीमो ने सवालिया लहजे में कहा कि देश के किस देशभक्त मुख्यमंत्री पर जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के एक होनहार शोधार्थी की थीसिस चोरी करने पर दिल्ली उच्च न्यायालय ने 20 हज़ार रुपये का जुर्माना लगाया था। बच्चों की थीसिस चुराने वाले थीसिस चोर अपने आप को देशभक्त कहते हैं। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि बिहार के ‘थीसिस चोर’ देशभक्त मुख्यमंत्री बतायें कि उन्होंने 20 हज़ार रुपये का जुर्माना चेक में दिया, आरटीजीएस किया या नकद में अदा किया। इससे पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज सुबह ट्वीट करते हुए लिखा, “ जान की चिंता, माल-मॉल की चिंता, क्या सबसे बड़ी देशभक्ति है।” हालांकि अपने ट्वीट में मुख्यमंत्री ने किसी का नाम तो नहीं लिया लेकिन उनका ट्वीट राष्ट्रीय जनता दल (राजद) अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव और पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को जवाब के रूप में देखा जा रहा है। वहीं, मंगलवार को भी मुख्यमंत्री ने राष्ट्रीय जनता दल(राजद) सुप्रीमों, जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की सुरक्षा में कटौती करने के केंद्र के फैसले को लेकर जारी बयानबाजी के बीच सोशल मीडिया के जरिए विरोध पर तंज किया था। उन्होंने ट्वीट के जरिए विरोधियों पर हमला करते सवाल किया कि राज्य सरकार द्वारा जेड प्लस श्रेणी और विशेष सुरक्षा ग्रुप (एसएसजी) की मिली हुई सुरक्षा के बावजूद केंद्र सरकार से राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) एवं केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआपीएफ) के सैकड़ों सुरक्षाकर्मियों की उपलब्धता के जरिए लोगों पर रौब झाड़ने की मानसिकता क्या साहसी व्यक्तित्व का परिचायक है।

विशेष आलेख : गुजरात एवं हिमाचल में केसरिया की बयार

$
0
0
gujrat-and-himachl-election
समूचे देश की नजरे हिमाचल प्रदेश एवं गुजरात के चुनावों पर लगी है। चुनाव लोकतंत्र का प्राण है। लोकतंत्र मंे सबसे बड़ा अधिकार है- मताधिकार। और यह अधिकार सबको बराबर मिला हुआ है। पर अब तक देख रहे हैं कि अधिकार का झण्डा सब उठा लेते हैं, दायित्व का कोई नहीं। अधिकार का सदुपयोग ही दायित्व का निर्वाह है। इन दोनों प्रान्तों में मतदाता अपने अधिकार का सदुपयोग करते हुए लोकतंत्र के इतिहास के इस महत्वपूर्ण चुनाव की गवाही देगा। प्रतिदिन चुनावों की तस्वीर चुनाव परिणामों का गणित बदल देती है। लेकिन जो संकेत मिल रहे हैं एवं चुनाव पूर्व सर्वेक्षण आए हैं उससे यही प्रतीत होता है कि दोनों ही प्रान्तों की हवाओं में केसरिया रंग की बयार बह रही है, जहां हिमाचल में भाजपा सत्ता में वापसी करने की ओर अग्रसर है, वहीं गुजरात में एक बार फिर संकेत विकास के पक्ष में है। उधर चारों ओर से घिरती कांग्रेस वोट के लालच में जातिवाद और मजहबी राजनीति के सहारे अपनी डूबती नाव को पार लगाने की कोशिश में है और अपने युवराज का वही चिराग रगड़ रही है। ऐसे में लोकतंत्र का ऊंट किस करवट बैठेगा? जवाब माहौल में तैर रहा है।

कांग्रेस के लिये अब तक प्रत्याशियों के चयन में घोषित आदर्श कुछ भी रहे हों, पर जाति और धर्म का आधार कभी मिटा नहीं, यही इस पार्टी की विडम्बना है और यही आज की दशा का कारण भी। इसे बदलकर आधार योग्यता और आचरण बनाना होगा, तभी कांग्रेस अपनी डूबती नाव को बचा सकती है। मतदाता जब जाति और धर्म से पूर्वाग्रहित हो जाते हैं तब राजनीति दूषित हो जाती है। एक तनाव का रूप ले लेती है। अगर हिंसा से राज प्राप्त करना है तो फिर एकतंत्र और लोकतंत्र में क्या फर्क रह जाएगा, यह समझ अब तो इस पार्टी में आनी ही चाहिए। पार्टी को यह भी सोचना होगा कि चुनाव मात्र राजनीति प्रशासक ही नहीं चुनता बल्कि इसका निर्णय पूरे अर्थतंत्र, समाजतंत्र, जीवनतंत्र आदि सभी तंत्रों को प्रभावित करता है। प्रश्न उठता है- कांग्रेस के साथ यह गड़बड़ कैसे हुई और भाजपा को सामाजिक सफलता का मंत्र कैसे मिला!

gujrat-and-himachl-election
दरअसल, कभी राष्ट्रीय विचारों का सामूहिक मंच रही कांग्रेस पार्टी को कुनबे की बपौती समझने की भूल नेहरू काल से ही शुरू हुई। पार्टी के भीतर पीढ़ी-दर-पीढ़ी पुख्ता होते इस विचार का दंश अंततः सांगठनिक एवं वैचारिक कमजोरी के तौर पर पार्टी को झेलना पड़ा। इसकी उपेक्षा हुई होती तो भारतीय राजनीति की दिशा और दशा कुछ और ही होती। यदि इस पार्टी ने एक परिवार को ही तारणहार न माना होता तो पार्टी की भी दिशा-दशा आज जितनी भयावह एवं रसातल वाली नहीं होती। जबकि भारतीय जनता पार्टी ने परिवारवाद को कभी प्रश्रय नहीं दिय। यदि कहा जाए कि पं. दीनदयाल उपाध्याय का एकात्म मानववाद का दर्शन आज भाजपा की व्यापकता एवं जन-आस्था की सोच को सही रखने वाली सीख साबित हुआ है। आज जम्मू-कश्मीर से लगते पर्वतीय राज्य हिमाचल में जहां जनता राजनीतिक भ्रष्टाचार से आक्रोशित है, वही काठियावाड़ से गांधीनगर तक जातीय समीकरणों ने राज्य की राजनीति में उथल-पुथल मचाई हुई है। आदिवासी, दलित, पाटीदार के प्रश्न भी खड़े हैं। लेकिन इन प्रश्नों एवं विकास के बीच संग्राम में जीत किसकी होती है, जल्दी ही सामने आ जायेगी। बात सही है कि चुनाव पूर्व होने वाले सर्वेक्षण अंतिम परिणाम नहीं होते, लेकिन यह भी सच है कि सर्वेक्षण चुनाव की दशा-दिशा का संकेत जरूर कर देते हैं। गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर जो सर्वेक्षण के परिणाम सामने आए हैं, उसके हिसाब से इन दोनों राज्यों में भाजपा की सरकार बनती नजर आ रही है। इन दोनों राज्यों के चुनाव परिणामों के आधार पर ही 2019 के आम चुनाव का परिदृश्य तय होना है। 

टाइम्स नाउ न्यूज चैनल, इंडिया टुडे ग्रुप और एक्सिस माइ इंडिया ओपीनियन सर्वे के अनुसार गुजरात में भाजपा एक बार फिर से सरकार बनाने जा रही है और हिमाचल प्रदेश में वापसी की राह पर है। जबकि कांग्रेस की हालत में कोई खास सुधार होता नहीं दिख रहा। गुजरात में पिछले कुछ समय से भले ही जीएसटी, नोटबंदी और पाटीदार आंदोलन हो रहे हों, लेकिन लोगों का भरोसा अब भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर कायम है। सर्वेक्षण के अनुसार 66 प्रतिशत लोगों का मानना है कि नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से गुजरात को फायदा हुआ है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कामकाज का भी गुजरात के ज्यादातर लोगों ने समर्थन किया है। गुजरात के पिछले दिनों हुए स्थानीय चुनावों में तो भाजपा ने कांग्रेस का सूपड़ा ही साफ कर दिया। यहां के स्थानीय निकाय चुनावों में भाजपा ने कांग्रेस से 35 सीटें छीन लीं। उसने 126 में से 109 सीटें जीतीं।

हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर किए गए एक सर्वेक्षण के मुताबिक राज्य में कांग्रेस के हाथ से सत्ता जा सकती है और भाजपा की सत्ता में वापसी की प्रबल संभावना है। एबीपी न्यूज-सीएसडीएस-लोकनीति के सर्वेक्षण में बताया गया है कि इस बार भाजपा को हिमाचल प्रदेश में पूर्ण बहुमत मिलने के असार हैं। इस सर्वेक्षण में कहा गया है कि राज्य की जनता ने बेरोजगारी और कानून-व्यवस्था को बड़ा मुद्दा माना। करीब 68 प्रतिशत लोगों ने माना कि कांग्रेस के शासनकाल में राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति अधिक खराब हुई। भाजपा की इस जीत से कांग्रेस मुक्त भारत की दिशा में एक कदम और कदम बढ़ेगा।

मां, माटी, मनुष्य की चिंता बड़ी अच्छी बात है। भारत में राजनीति करने वाली हर पार्टी कुछ हेरफेर के साथ ऐसे ही मुहावरे लेकर जनता के पास जाती है। लेकिन गरीब को हमेशा सरकार का मुंह ताकते रहने वाला प्राणी बनाए रखने की राजनीति से सबसे ज्यादा नुकसान गरीबों का ही होता देखा गया है। लेकिन न तो भाजपा और न कांग्रेस ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली को साफ-सुथरा और जवाबदेह बनाया। अब ये दोनों पार्टियां चुनाव के वक्त गरीबों की एक दूसरे से बढ़कर हितैषी होने का दावा किस मुंह से कर रही है? गरीबों के लिए चलाई जाने वाली कल्याणकारी योजनाओं की हकीकत यह है कि भूख से मरने की खबरें आती रही हैं। अरसे से चल रहा एकीकृत बाल विकास कार्यक्रम कुपोषण पर काबू पाने की दुनिया की सबसे बड़ी योजनाओं में से एक है। इसके बावजूद भारत के बच्चों में करीब अड़तालीस फीसद कुपोषण के शिकार हैं। बच्चेे ही नहीं यहां मां भी लगातार कमजोर होती जा रही है, एक तरफ आधे से ज्यादा महिलाएं अनेमिया यानी खून की कमी से पीड़ित हैं, दूसरी तरफ 22 फीसदी महिलाएं बीमारी की हद तक मोटापे का शिकार हैं। साल 2017 की ग्लोबल न्यूट्रिशन रिपोर्ट ने इस तथ्य को उजागर करते हुए बताया है कि दुनिया में 15 से 49 साल की उम्र सीमा में सबसे ज्यादा अनीमिक महिलाएं भारत में ही हैं। इस रिपोर्ट की खासियत यह है कि यह पिछले साल मई महीने में जिनीवा में हुई वल्र्ड हेल्थ असेंबली में तय किए गए लक्ष्यों के बाद आई है और उनकी रोशनी में 140 देशों के हालात का जायजा लेती है। भारत की स्थिति ज्यादा चिंताजनक इसलिए मानी जा रही है क्योंकि लक्ष्य की दिशा में आगे बढ़ने के बजाय यहां पीछे की तरफ गति देखी जा रही है। पिछले साल की रिपोर्ट में यहां अनीमिक महिलाओं का प्रतिशत 48 था जो इस बार 51 हो गया है। इस मामले में सरकारी प्रयासों पर बारीकी से नजर रखनेवालों ने ठीक ही गौर किया है कि सरकार महिलाओं में कुपोषण की समस्या को पहचानने तो लगी है, लेकिन इसे नियंत्रित नहीं कर पा रही है। अगर सरकार कुछ कारगर प्रयास कर पाती तो हालात पहले के मुकाबले और बदतर तो न होते। आखिर ये बुनियादी सवाल क्यों नहीं चुनावी मुद्दे बनते? क्यों नहीं चुनाव के समय सरकार की नाकामयाबियों की चर्चा प्रमुखता से की जाती?

लोकतंत्र में चुनाव संकल्प और विकल्प दोनों देता है। चुनाव में मुद्दे कुछ भी हों, आरोप-प्रत्यारोप कुछ भी हांे, पर किसी भी पक्ष या पार्टी को मतदाता को भ्रमित नहीं करना चाहिए।”युद्ध और चुनाव में सब जायज़ है“- इस तर्क की ओट में चुनाव अभियान को निम्न स्तर पर ले जाने वाले किसी का भी हित नहीं करते। पवित्र मत का पवित्र उपयोग हो। देश के दो प्रमुख प्रान्तों के भाल पर लोकतंत्र का तिलक शुद्ध कुंकुम और अक्षत का हो। मत देते वक्त एक क्षण के लिए अवश्य सोचंे कि आपका मत ही इन प्रान्तों के चमन को सही बागवां देगा।



gujrat-and-himachl-election

(ललित गर्ग)
60, मौसम विहार, तीसरा माला, 
डीएवी स्कूल के पास, दिल्ली-110051
फोनः 22727486, 9811051133

आलेख : हुसैन की कुर्बानी ज़ुल्म के खिलाफ आवाज है

$
0
0
hussain-sacrifice-and-karbala
कर्बला का नाम सुनते ही मन खुद-ब-खुद कुर्बानी के ज़ज्बे से भर जाता है। जब से दुनिया का वजूद कायम हुआ है, तब से लेकर अब तक न जानें कितनी बस्तियां बनीं और उजड़ गईं, लेकिन कर्बला की बस्ती के बारे में ऐसा कहते हैं कि यह बस्ती सिर्फ 8 दिनों में तबाह कर दी गई। 2 मुहर्रम 61 हिजरी में कर्बला में इमाम हुसैन के काफिले को जब याजीदी फौज ने घेर लिया तो इमाम हुसैन  ने अपने साथियों से यहीं खेमे लगाने को कहा और इस तरह कर्बला की यह बस्ती बसी।

इस बस्ती मे इमाम हुसैन के साथ उनका पूरा परिवार और चाहने वाले थे। बस्ती के पास बहने वाली फुरात नदी के पानी पर भी याजीदी फौज ने पहरा लगा दिया। 7 मुहर्रम को बस्ती में जितना पानी था, सब खत्म हो गया। 9 मुहर्रम को याजीदी कमांडर इब्न साद ने अपनी फौज को हुक्म दिया कि दुश्मनों पर हमला करने के लिए तैयार हो जाए। उसी रात इमाम हुसैन ने अपने साथियों को इकट्ठा किया। तीन दिन का यह भूखा, प्यासा कुनबा रात भर इबादत करता रहा।इसी रात रानी 9 मुहर्रम की रात को इस्लाम में शबे आशूर के नाम से जाना जाता है। दस मुहर्रम की सुबह इमाम हुसैन ने अपने साथियों के साथ नमाज़-ए-फ़र्ज अदा किया। इमाम हुसैन की तरफ से सिर्फ 72 ऐसे लोग थे, जो मुक़ाबले में जा सकते थे। यजीद की फौज और इमाम हुसैन के साथियों के बीच युद्ध हुआ, जिसमें इमाम हुसैन अपने साथियों के साथ नेकी की राह पर चलते हुए शहीद हो गए और इस तरह कर्बला की यह बस्ती 10 मुहर्रम को उजड़ गई।इसी लिए सारी दुनियां कर्बला को हज़रत इमाम हुसैन की ज़ात से जानती है।तभी से सैकड़ों सालों से सारी दुनियां मे मोहर्रम के महीने मे या हुसैन की सदा गूंजती आ रही है।

कुछ लोग कहतेँ है कि कर्बला सत्‍ता के लिए दो शहज़ादों की एक जंग थी ।लेकिन नही जंग तब होती है जब दोनो तरफ से बराबर ताकतेँ होती हैँ।लेकिन यहां तो यज़ीद के पास लाखोँ की फौज और दूसरी तरफ महज़ 72 अपराध ।दरअसल यज़ीद अपने निरंकुश और जनविरोधी शासन पर हुसैन की सहमती की मुहर लगवाना चाहता था।एक विशाल साम्राज्य का बादशा तो वह बन ही चुका था ।लेकिन उसका मकसद था कि हुसैन उसे अपना समर्थन दे दे ताकि राज्य मे फैली अराजकता ,व्यभिचार,जनता पर अत्याचार और बेईमानी को उस समय के मुसलमान भी सही मानलेँ।असल मे यज़ीद को हुसैन की ज़रूरत थी इसी लिए उसने अपने मकसद के लिए ज़ुल्म की वह सारी हदें पार कर दी जिसकी मिसाल इतिहास मे दूसरी नही मिलती है।यज़ीद ने इमाम हुसैन सहित कर्बला के हर शहीद के साथ हद दर्जे की बदसलूकी की और राक्षसी अमल को अंजाम दिया ।  हुसैन रसूल के नवासे होने के साथ -साथ वक्त के इमाम भी थे ।इस लिए हुसैन की रज़ामंदी से एक तो ये बातेँ इस्लाम के दायरे मे आ जाती दूसरे भविश्य  मे इन बातोँ का विरोध करने वाले किसी भी आदमी या समूह को यज़ीद रसूल का हवाला दे कर आसानी से कुचल देता ।यज़ीद ने पहले हुसैन को बैयत यानी सहमती का पैग़ाम भिजवाया ।जब हुसैन ने यज़ीद की अराजकता और निरकुंशता पर सहमति देने से इंकार कर दिया तो उसने आंतकवाद का सहारा लिया।बल पूर्वक हुसैन को मजबूर करना चाहा लेकिन वह झुके नही और अपने साथियोँ के साथ शहादत का जाम पीने को सहर्ष तैयार हो गये।जुल्मे की बानगी देखिये अरब का तपता रेगिस्ताँन उपर से हुसैन और उनके साथियों का तीन दिन तक पानी बंद कर दिया गया था जिसमे 6 माह के मासूम अली अज़गर भी शामिल थे। हदीसोँ मे ज़िक्र आया है कि हुसैन ईश्वर को चाहने वाले थे । हुसैन अगर यज़ीद के खिलाफ बद दोआ के लिए हाथ उठा देते तो वह अल्लाह के कहर से फनां हो जाता ।उसकी फौज नेस्त  नाबूत हो जाती । अपनी ऐड़ियां ज़मीन पर रगड़ देते तो पानी के झरने फूंट पड़ते ।लेकिन हुसैन आखिरी नबी की सुन्नत ,इंसानियत, सच्चाई और इंसाफ का संदेश संसार को देना चाहते थे।उनका मकसद था कि यज़ीदी आंतकवाद दुनियां से मिट जाये और कोई दूसरा इंसानियत का दमन ना कर सके ।यही वजह थी कि उनका आंदोलन तमाम भौगोलिक और ऐतिहासिक सीमाऔं को लांघता हुआ हर ज़माने के लिए प्रभावी हो गया।कुछ इतिहासकारों ने लिखा है कि हुसैन का भरत से लगाव था और  उन्‍होनें यज़ीद से भारत जाने देने  की आज्ञा भी मांगी थी लेकिन उसका मकसद तो सिर्फ इंसानियत के पैकर को मिटाना था।

आज के संदर्भ मे अगर कर्बला को देखा जाये तो वह सामाजिक रिश्तोँ की पूरी प्रयोगशाला दिखती है।दरअसल कर्बला मे इमाम हुसैन के 72 साथियोँ की ही शहादत हुयी ।लेकिन उनके इन मुट्रठी भर साथियों मे हर वह चरित्र और नाते रिश्‍ते मौजूद थे जिसकी ज़रुरत एक पूर्ण समाज के र्निमाण मे पड़ती है।उनके काफिले मे हर रिश्ते  मौजूद थे और सब मे शहादत के लिए पहले जाने की होड़ मची थी उसका पूरा चित्रण करना तो यहां मुमकिन नही है।इमाम हुसैन के साथ उनके जांबाज़ भाई हज़रत अब्बास और नवविवाहित भतीजे जनाबे कासिम ने तो शहादत दी ही ।उनके दोस्तोँ ,मानने वालोँ और अज़ीज़ोँ ने भी शहादत का जाम पिया।लेकिन सबसे अहम बात ये रही कि बादशाह यज़ीद के ताकतवर सरदार हज़रत हुर भी अपनी इलाकेदारी और सरदारी छोड़ कर हुसैन के ख़ैमे मे चले आये थे।इतिहास गवाह है कि इन्ही हज़रत हुर को यज़ीद ने इमाम हुसैन के काफिले को रोकने और घेर कर कर्बला तक लाने की ज़िम्मेदारी सौपी थी ।जिस पर हुर ने पूरी तरह अमल किया और इमाम के काफिले को घेर कर कर्बला तक लाये।लेकिन अखिरी वक्त पर वह सोते से जागे और उन्हेँ लगा कि इमाम का रास्ता हक की तरफ जा रहा है और यज़ीद जिस राह पर है वह दीन ,समाज और मानवता के विरुद्ध है। रवायतोँ मे मिलता है कि हुर जब इमाम हुसैन से मिलने आये तो एक गुनाहगार की तरह अपने हाथोँ को पीछे बांध कर आये थे ।लेकिन हुसैन ने ना केवल उनको बल्कि अपने दूसरे चाहने वालोँ को रात के अंधेरे मे वापस जाने की मोहलत भी दी।ये जानते हुए भी कि कुछ घंटों बाद उनकी शहादत तय है फिर भी  हुसैन का कोई साथी वापस नही लौटा वफादारी की ऐसी दूसरी मिसाल इतिहास मे नही मिलती है।हुसैन कर्बला के मैदान मे प्यासे शहीद कर दिये गये थे।यकीनन इससे साबित होता है कि कर्बला एक अज़ीम क़ुर्बानी ज़रूर थी ।लेकिन इससे ईश्वर ने इमाम हुसैन के ज़रिए इंसान को वह संदेश प्रयोग करके दिखवा दिए जिसका ज़िक्र पवित्र कुरान मे किया गया है और जिसे आखिरी नबी ने दुनियां को बताया।इंसान अगर मोहम्‍मद मुस्तफा स.अ.स. की सुन्नसत पर पढ़ कर अमल ना कर सके तो कर्बला और हुसैन की तरफ देख कर उसे अपने जीवन मे अपना सके ।वास्तव मे कर्बला समाज को जोड़ने की प्रेरणा हैँ।कर्बला मानवता के लिए नसीहत है।कर्बला आतंकवाद और ज़ुल्म  के खिलाफ एक आवाज़ है।अब जब भी अत्याचार के मुकाबले न्याय की सुरक्षा की बात आयेगी तो हर ज़बान पर हुसैन का नाम अवश्य़ आयेगा।कर्बला का दर्द अत्याचार से थके हुए लोगों को आज भी उर्जा प्रदान करता है।तभी तो महात्मा गांधी से लेकर रविंद्रनाथ टैगोर,स्वामी विवेकानंद,जवाहर लाल नेहरू जैसी महान शक्सियतों ने इमाम हुसैन की कुर्बानी को सभी धर्मोँ के लिए आदर्श जीवन की राह बताया है।महान संत गुरू गोविंद सिँह ने कहा था कि हुसैन ज़मीर का नाम है।शायद आज भारत के हर हिस्से में इमाम हुसैन का ग़म बहुसंख्यक वर्ग में उसी शिद्दत से मनाया जाता जिस तरह से मुसलमान मनाते हैं।कई इलाके तो ऐसे हैं जहां हिन्दुओं के जरिए ग़मे हूसैन मनाने का सिलसिला करीब सौ साल से चला आ रहा है। दुर्गा पूजा और मोहर्रम साथ साथ पड़ने के बाद भी कई स्थानों ताज़िए और मां दुर्गा की प्रतिमा अगल बगल रखी गई।मेरा विश्वास ये कहता है कि कर्बला से हमें सामाजिक एकता का भी संदेश मिलता है।यानी  हुसैन की कुर्बानी को धर्म और राष्‍ट्र की सीमाओं मे नही बांधा जा सकता है।इसमे कोइ शक नही कि हुसैन हर धर्मो के आदर्श है और उनका जि़क्र आते ही हर आखें नम हो जाती है।कर्बला को  जानने ,समझने के बाद क्या अब भी ये सवाल नही पैदा होता की आज सारी दुनियां जिस इसलामी आतंकवाद का हवाला देती है उसका सच्चें और न्याय प्रिय मुसलमानों से क्‍या लेना देना ?रसूल की सुन्‍नत और हुसैन के आदर्शों पर चल कर आज आतंकवाद पर काबू पाया जा सकता है।क्यो कि  इस्लाम मे मानव जीवन की बड़ी अहमियत है।यह कर्बला और यह मोहर्रम हमे हमेशा याद दिलाएगा की ज़ुल्मी चाहे जितना बड़ा हो,चाहे जितना खूँखार हो और हम चाहे जितने कम हों,अगर ईमानदारी से उसके खिलाफ हैं तो उसका नेस्तनाबूद होना तय है। जब सच के लिए झूठ के आगे झुकने की मजबूरी आन पड़े तो कर्बला को देखना,सर कटकर भी बहुत बार सच को ज़िंदा रखता है।बस यह तय कर लेना की सच ज़्यादा ज़रूरी है या आप।।जिस दिन यह फैसला कर लेंगे उस दिन कर्बला का ताबीज़ पा जाएँगे।





*शाहिद नकवी *

विशेष : वास्तु की अवहेलना का परिणाम

$
0
0
vastu-and-result
कल मैं असम के एक छोटे शहर के एक संभ्रांत परिवार के युवक के व्यवसाय प्रतिष्ठान का वास्तु (Vastu) देखने के लिए गया था। विगत लगभग महीने भर से फोन करने के बावजूद मैं उनके अनुरोध को पूरा नहीं कर पाया था। आखिर कल कई अन्य परिवारों के साथ ही उक्त युवक की ज्वेलरी की दुकान का वास्तु (Vastu) देखने गया। वहां जाकर मुझे याद आया कि उनकी दुकान जिस मकान में है, उस मकान का निर्माण उनके पिता ने करवाया था तथा मकान के निर्माण के दौरान उन्होंने मुझे वास्तु देखने के लिए बुलाया था। उनकी मकान के दक्षिण-पश्चिम में सेप्टिक टैंक (Septic Tank) तथा दक्षिण-पूर्व में हैंडपंप (Handpump) बैठाने की योजना थी। मुझे अब भी अच्छी तरह याद है कि मैंने उन्हें सेप्टिक टैंक तथा हैंडपंप का स्थान बदलने की सलाह दी थी, लेकिन उन्होंने स्थानाभाव के कारण वैसा करना संभव न होने की बात कही थी। मैंने उनसे काफी जोर देकर कहा कि दक्षिण-पूर्व में हैंडपंप होने से काफी आॢथक नुकशान होता है तथा दक्षिण-पश्चिम में सेप्टिक टैंक होने से परिवार में लड़ाई-झगड़े, कोर्ट केस, दुर्घटना तथा अकाल मृत्यु सरीखी घटनाएं घटती हैं। मेरे काफी जोर देकर कहने के बावजूद उन्होंने किसी प्रकार का परिवर्तन करना गंवारा नहीं किया। शायद उनका वास्तु में विश्वास नहीं था अथवा स्थानाभाव के कारण वे ऐसा नहीं करना चाह रहे थे। मेरा काम उन्हें सही सलाह देना था, जो मैंने किया, लेकिन करना तो उन्हें ही था। मैं अपनी बात कह वापस लौट आया था।

चंद महीनों के बाद अचानक एक रोज उनका देहावसान हो गया, जबकि उन्हें किसी प्रकार की बीमारी नहीं थी। दुकान पर जाने पर युवक ने मुझे बताया कि उनकी ज्वैलरी की दुकान भी काफी नुकशान पर चल रही है। कभी-कभी दो-तीन दिनों तक बिक्री नहीं होती। ग्राहक आते भी हैं तो सामान देखकर दाम पूछने के बाद वापस लौट जाते हैं और दूसरी दुकानों से माल खरीद लेते हैं। उनकी बात सुनकर मुझे काफी दुख हुआ। उनके पिता इलाके के काफी समृद्ध व्यक्ति थे तथा उनके पास सैकड़ों बीघा जमीन थी। उन्होंने कई लोगों व सामाजिक संस्थाओं को मुफ्त में जमीन भी दी थी। लेकिन प्रकृृति (वास्तु) की अनदेखी करने के कारण आज उनका समृद्ध परिवार पैसों की भारी तंगी व व्यावसायिक नुकशान झेलने पर विवश था। कल तक लोगों को दिल खोलकर दान देने वाला परिवार आज पैसों की तंगी से जुझने पर मजबूर था। मैंने उनसे उनके पिता को बताई बातों का उल्लेख करते हुए कहा कि प्रकृृति के नियमों के विपरीत चलने का परिणाम काफी घातक होता है। जिस भगवान (Bhagwan), अल्ला (Allah), गॉड (God) को आज तक किसी ने नहीं देखा, लोग उसकी पूजा, नमाजी और प्रार्थना करने में जीवन बीता देते हैं, लेकिन जिस धरती पर मनुष्य रहता है, जिसकी छाती से उत्पन्न हुआ अन्न और पानी तथा जिसके वायुमण्डल से ऑक्सीजन ग्रहण कर जीवन जीता है, उस धरती की पल-पल अनदेखी करता है और यही मनुष्य की अशांति, समस्याओं, मुश्किलों का मुख्य कारण है। मनुष्य कितना भी ताकतवर, समृद्ध, साधन संपन्न क्यों न हो, उसे धरती के नियमों को मानकर चलना ही होगा, वर्ना उसका भी हश्र उक्त युवक के परिवार सरीखा होना तय है। आज फैंसीबाजार में एक बड़े व्यवसायी के घर का वास्तु देखने गया था, जिनका फैंसीबाजार में अपना चार मंजिला मकान है तथा आठगांव में बड़ा व्यवसाय प्रतिष्ठान भी है। पिछले दिनों में कई वास्तुविदों को बुलाकर वास्तु सलाह लेने के बाद लगभग हफ्ते भर पहले उन्होंने मुझे भी आमंत्रित किया था। काम की व्यस्तता के कारण हफ्ते भर बाद आज उनके घर जा पाया था। मैंने उन्हें मकान में कुछ परिवर्तन करने की सलाह दी। अब वे भी अपने मकान में वास्तु सुधार करने को मजबूर हो गये हैं। अत: धरती पर रहने वाले मनुष्यों को आज नहीं कल धरती के नियमों के अनुसार चलना ही पड़ेगा। धरती के नियमों की अनदेखी करने वालों का वैसा ही हश्र होना निश्चित है, जैसा ऊपर उल्लेख किये दोनों परिवारों का हुआ है।




--राजकुमार झांझरी--

व्यंग्य : सपने में रावण से वार्तालाप

$
0
0
मैें स्वप्नदर्शी हूं। इसलिए मैं रोज सपने देखता हूं। मेरे सपने में रोज-ब-रोज कोई न कोई सुंदर नवयुवती दस्तक देती है। मेरी रात अच्छे से कट जाती है। वैसे भी आज का नवयुवक बेरोजगारी में सपनों पर ही तो जिंदा है। कभी कभी डर लगता है कि कई सरकार सपने देखने पर भी टैक्स न लगा दे। खैर ! बात सपनों की चल ही पड़ी है तो एक ताजा वाकया सुनाता हूं। मुलाहिजा गौर फरमाइयेगा ! कल रात को जैसे ही मैं सोया। सोने के बाद जैसे ही मुझे सपना आया तो किसी सुंदर नवयुवती की जगह सपने में रावण को देखकर मैं हक्का-बक्का रह गया।रावण मुझे देखकर जोर-जोर से हंसने लगा। एक लंबी डरावनी ठहाके वाली हंसी के बाद रावण बोला - कैसे हो, वत्स ! मैंने कहा - आई एम फाइन एडं यू ? रावण डांटते हुए बोला - अंग्रेजी नहीं हिन्दी में प्रत्युत्तर दो। मेरी अंग्रेजी थोड़ी वीक है लेकिन, ट्यूश्न चालू है। मैंने कहा - मैं ठीक हूं। आप बताईये ! रावण बोला - मेरा हाजमा खराब है। मैंने कहा - चूर्ण दूं। यहां ईनो लेना पसंद करेंगे ! छह सेकंड में छूट्टी। रावण आक्रोशवश बोला - मेरे हाजमे का इलाज चूर्ण नहीं है, वत्स ! मेरे हाजमे का इलाज केवल तुम ही है। तुम लेखक हो ना ? मैंने डरे-सहमेे हुए कहा - बुरा ही सही लेकिन, लेखक तो हूं। बोलिये मैं आपका क्या इलाज कर सकता हूं। रावण बोला - तुम समझाओ उन लोगों को जो मुझे हर साल जलाते है। जलाने के बाद जश्न मनाते है। क्या वे लोग मुझे जलाने लायक है ? मुझे जलाने का अधिकार या वध करने का हक केवल मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम को है। ऐसे ऐसे लोग मुझे जला रहे है, जो पुरुषोत्तम तो छोड़ो ठीक से पुरुष भी कहलाने लायक नहीं है। यदि मेरी एक अवगुण ”अहंकार“ के कारण मुझे इतनी बड़ी सजा मिली तो आज के ये नेता को कोरे-कोरे कैसे घूम रहे है ? मैंने तो केवल सीता मैया का अपहरण किया। अपहरण के बाद छुआ तक नहीं। मुझे जलाने वाले अपहरण से कई आगे पहुंच चुके है। क्या उनका वध नहीं होना चाहिए ? तुम लोग हर साल कागज का रावण बनाकर फूंकते हो लेकिन, मन में बैठा मुझसे भी बड़ा रावण तुम्हारा मरता नहीं है। तुम लोग कितना छल करते हो, पाप करते हो, दंभ भरते हो। इतना सब तो मेरे अंदर भी नहीं था। आज मुझे तुम जैसे नीच प्राणियों को देखकर खुद पर गर्व हो रहा है। तुम उन्हें समझाओ, वत्स ! मुझे हर साल नहीं जलाये, पहले खुद का चरित्र राम जैसा बनाये। इतना कहते ही रावण उड़न छू हो गया। रावण के जाने के बाद शांतिपूर्वक मैंने सोचा तो लगा कि रावण बात तो बड़ी सही व गहरी कह गया। हम हर साल रावण दहन के नाम पर केवल रस्म अदायगी ही तो करते है। हमारे देश में साक्षात् सीता जैसी नारियां आज भी सुरक्षित नहीं है। रावण के दस से ज्यादा सिर हो चुके है। हर सरकारी क्षेत्र में एक रावण मौजूद है। जिसे रिश्वत का भोग लगाये बिना काम नहीं होता। कहने को राम का देश है पर रावण ही रावण नजर आते है। रावण ने वत्स कहकर मुझे भी अपना वंशज बना ही लिया। इसलिए रावण का वंशज होते हुए इन इंसानों को समझाना मेरे वश की बात नहीं है। साॅरी, रावण जी ! 



liveaaryaavart dot com

--देवेंद्रराज सुथार--

बिहार : मीडिया में हाथ आजमाएंगे सोशल मीडिया के हीरो धीरेंद्र, सीवान से खास नाता

$
0
0
city-media-siwan
बिहार के सीवान जिले के युवा कारोबारी धीरेंद्र तिवारी एक बार फिर चर्चा में हैं। दरअसल, उन्होंने मीडिया इंडस्ट्री में हाथ आजमाने का फैसला किया है। धीरेंद्र ने देश के प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद के जन्मदिन के मौके पर न्यूज वेबसाइट लॉन्च करने का एलान किया है। टाउन आजतक के नाम की ये वेबसाइट सीवान की खबरों को फोकस करेगी। लॉन्चिंग से पहले ही सुर्खियां बटोर रही न्यूज वेबसाइट townaajtak.com की पहली झलक भी गुरुवार को देखने को मिली। सीवान के पिपरा गांव के धीरेंद्र ने लॉन्चिंग के लिए इस खास दिन को चुनने की वजह बताते हुए कहा, मुझे गर्व है कि मैं उस धरती से हूं जहां से राजेंद्र प्रसाद जैसे महान शख्सयित पैदा हुए। वह हम सबके लिए प्रेरणा हैं। उनकी सच्चाई और सादगी का मैं फैन हूं। यही वजह है कि मैंने इस खास दिन वेबसाइट लॉन्च करने का फैसला लिया। बता दें कि धीरेंद्र पिछले दिनों तब चर्चा में आए थे जब सोशल मीडिया पर उनकी सक्‍सेस स्‍टोरी वायरल हुई। दरअसल, धीरेंद्र दिल्‍ली के मल्‍टीनेशनल कंपनी की नौकरी छोड़कर सिवान में अपने एनआरआई दोस्‍त के साथ खेती कर रहे हैं। धीरेंद्र ने लॉ और मैनेज्‍मेंट की पढ़ाई की है।

बिहार : जब वार्ड सदस्य रीता देवी के पति नगीना पंडित ठगा गये

$
0
0
  • बीडीओ भी वादा निभा नहीं रहे हैं

ward-member-cheated-mokama
मोकामा(पटना). शिकारी आयेगा जाल बिछाएंगा और लोभ से फंसना नहीं.मगर इंसान ने एक दोस्त से क्षणिक दोस्ती करने के बाद दोस्त को व्यापार करने के लिये 46 हजार रू.दे दिये. बरहपुर ग्राम पंचायत के वार्ड नम्बर 1की वार्ड सदस्य रीता देवी हैं.इनके पति हैं नगीना पंडित. गरीबी से बेहाल हैं.राह चलते 30.4.2017 को सीतामढ़ी में रहने वाले विजय महतो से मुलाकात हो गयी. क्षणिक समय में जिगरी दोस्त बन गये.विजय महतो ने नगीना महतो को व्यापार करने के लिये 46 हजार रू.दिये.इस राशि से वार्ड सदस्य पति नगीना ने खेत से परवल खरीदकर व्यापार करने लगे. गुलटेन महतो के पुत्र विजय महतो ,मेहेदी नगर, वार्ड नम्बर - 7 में रहते हैं. जो चिरौली, रींगा, सीतामढ़ी में है.अपने घर से विजय महतो फोन करके नगीना से मोकामा से सब्जी सीतामढ़ी वाहन से मंगवाते थे.सिलसिला चला और नगीना ने विजय के 46 हजार रू.उतार दिये.

नगीना पंडित कहते हैं कि विजय ने अधिक सब्जी भेजने को कहा तो नगीना ने मैत्री को देखते हुए 41600 रू.की सब्जी भेज दिया.वाहन खर्च 500 रू.लगा.विजय महतो यह 42100 की राशि देने में आनाकानी करने लगे. नगीना कहते कि जीप पर दबंग लोगों लेकर विजय महतो के घर चले गये.मिले नहीं तो पांच-छह ठहरने बाद प्रकट हुए.कर जोड़कर कहने लगे कि सुबह देगें और बैंक अकाउट नम्बर दें.वहां से वापस आ गये. इंतजार करते रहे.फोन करने पर विजय ने कहा कि नेपाल जा रहे हैं. नेटवर्किंग नहीं होने के कारण मोबाइल काम नहीं करेगा सो कॉल नहीं करें.वह स्वीच ऑफ कर दिया. वार्ड नम्बर -1 की प्रतिनिधि और नगीनी की पत्नी   रीता देवी कहती हैं कि माली हालत खराब है.पति मजदूरी करते हैं. मोकामा प्रखंड के बीडीओ नीरज कुमार ने कहा कि प्रतिनिधि नमूना पेश करने के लिए शौचालय निर्माण करा लें.प्रोत्साहन राशि 12  हजार रू.देंगे. जो 6 माह के बाद भी नहीं मिली. खुद का वादा बीडीओ निभा नहीं रहे हैं.कुल मिलाकर कष्टकर जिंदगी है. 2 लड़की 1लड़का है.

बिहार : अधूरे शौचालय को लोगों ने बना दिये स्टोर रूम

$
0
0

  • सीएम के नाम डीएम को भेज दिया मेल

toilet-become-store-room
मोकामा(पटना).महारानी स्थान  मंदिर है मरांची दक्षिणी में. इस मंदिर के सामने 50 घर मजदूर समुदाय का है. इसमें फुलैना महतो, मूसो तांती.निरंजन कुमार आदि का घर है. 50 घरों में रहने वाले लोग खुले में शौचक्रिया करने को मजबूर हैं. मरांची ग्राम पंचायत में 13 वार्ड. इस पंचायत के मुखिया पर्केश कुमार हैं. वार्ड न. 7 की वार्ड सदस्या आशा देवी हैं. इनका पति शंभू सिंह है. मूसो तांती कहते है कि 50 घर है. 10 घरों में संजय सिंह शौचालय बना रहे हैं. इस पंचायत के सरपंच है राजनीति सिंह. शौचालय बनवाने वाले संजय सिंह सरपंच राजनीति सिंह के पुत्र है. संजय सिंह के द्वारा  10 शौचालय बनवाया गया है.जो अधूरा है. अर्द्धनिर्मित शौचालय की स्थिति यह है कि स्व.गीता महतो के पुत्र फुलैना महतो नामक मजदूर ने शौचालय को स्टोर रूम में तब्दील कर दिया है. बेलचा,पाइप आदि समान रखे हैं. फुलैना महतो को मजदूरी में 200 मिलता है. वह बच्चों की पढ़ाई पर अधिक व्यय करता है.इसके कारण  मनीष कुमार, आईएससी,काजल कुमारी 8, आयुष कुमार, आंगनबाड़ी केंद्र और आयुशी कुमारी बच्ची हैं.फुलैना महतो कहते है कि निर्माण के 6 माह के बाद भी कार्य इतिश्री नहीं हुई. निरंजन कुमार हैं एक छात्र हैं. जीवा कार्यकर्ताओं के ठहराव   स्थल    आदर्श   मध्य विघालय पर आकर जानकारी ली.पीसी रंजीत कुमार सिंह ने विस्तृत रूप से जानकारी दिए.इस ओर कार्यवाही नहीं की गयी.
Viewing all 74166 articles
Browse latest View live




Latest Images