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Channel: Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)
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मुशर्रफ ने लश्कर-ए-तैयबा और जमात-उद-दावा के आतंकवादियों को बताया ‘‘देशभक्त’’

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कराची, 17 दिसंबर, पाकिस्तान के पूर्व सैनिक तानाशाह परवेज मुशर्रफ ने लश्कर-ए-तैयबा और जमात-उद-दावा समूहों को ‘‘देशभक्त’’ बताते हुए कहा है कि वह देश की ‘‘सुरक्षा’’ के लिए उनके साथ गठबंधन करने को तैयार हैं। एआरवाई न्यूज चैनल ने मुशर्रफ का हवाला देते हुए कहा, ‘‘वे (लश्कर-ए-तैयबा और जमात-उद-दावा) देशभक्त लोग हैं। सबसे ज्यादा देशभक्त। उन्होंने पाकिस्तान के लिए कश्मीर में अपने जीवन का बलिदान किया है..।’’ 74-वर्षीय मुर्शरफ ने पिछले महीने कहा था कि वह लश्कर-ए-तैयबा और उसके संस्थापक हाफिज सईद के सबसे बड़े प्रशंसक हैं। हाफिज मुंबई आतंकी हमलों का मुख्य सरगना है और अभी जमात-उत-दावा का प्रमुख है। मुशर्रफ ने कहा कि दोनों समूहों को खासा जन समर्थन प्राप्त है और अगर वे कोई राजनीतिक पार्टी बनाते हैं तो किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए। हाफिज सईद ने पिछले महीने अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा का खुलासा करते हुए घोषणा की थी कि उसका समूह 2018 का आम चुनाव लडेगा। मुशर्रफ ने कहा कि अब तक दोनों समूहों में से किसी ने भी उनसे संपर्क नहीं किया है और अगर वे उनकी (मुशर्रफ की) पार्टी के साथ गठबंधन करना चाहते हैं तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं है।

मिल्खा ने भारत-पाक के बीच खेल बहाल करने की वकालत की

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पटना, 17 दिसंबर, महान धावक मिल्खा सिंह ने भारत और पाकिस्तान के बीच खेलों को बहाल करने की वकालत करते हुए आज कहा कि खेल दोस्ती बढ़ाते हैं और खेलों के लिए हमारी टीमें वहां जानी और उनकी टीमें यहां आनी चाहिए । यहां हाफ मैराथन की हरी झंडी दिखाकर शुरुआत करते हुए मिल्खा ने कहा कि मैं पाकिस्तान और भारत ये यही कहूंगा कि ठीक ढंग से प्यार से रहें तो अच्छा रहेगा और जितना खेल हम खेले उससे सीखा कि खेल दोस्ती बढ़ाते हैं। हमारी टीमें वहां जानी और उनकी टीमें यहां आनी चाहिए । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा करते हुए मिल्खा ने कहा, ‘‘मैं मोदी जी के बारे में यही कहता हूं कि अच्छा है कि वह दुनिया के हर देश के साथ दोस्ती रखना चाहते हैं। वह चाहते हैं कि भारत की गरीबी दूर हो । वह कोशिश कर रहे हैं कि हर गरीब को रोटी, घर एवं नौकरी मिले।’’ पटना की पहली हाफ मैराथन दौड़ में करीब 4000 लोगों ने भाग लिया । इस दौड़ में पटना प्रमंडल आयुक्त आनंद किशोर सहित कई अन्य प्रमुख हस्तियां भी शामिल हुई। इस मैराथन में चार और 10 किलोमीटर की रन फोर फन और 21.2 किलोमीटर की हाफ मैराथन का आयोजन किया शामिल किया गया और इसकी टैगलाइन ‘रन फोर बिहार’ थी। इस मैराथन का आयोजन मुंबई की ईएलएएमएआई एंटरप्राइजेज द्वारा प्रोटोन स्पोर्ट्स के सहयोग से किया गया।

चुनाव आयोग ने राहुल के खिलाफ नोटिस वापस लिया

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नयी दिल्ली, 17 दिसंबर, चुनाव आयोग ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को 13 दिसंबर को जारी किया गया नोटिस आज देर रात वापस ले लिया। आयाेग ने आदर्श चुनाव आचार संहिता तथा जन प्रतिनिधित्व कानून 1951 की धारा 126 के प्रावधानों की समीक्षा के लिए एक समिति गठित करने का भी निर्देश दिया है। चुनाव आयोग ने गुजरात में अंतिम चरण के चुनाव का मतदान समाप्त होने से पूर्व की 48 घंटे की अवधि के दौरान कुछ टीवी चैनलों को साक्षात्कार देने और उसका प्रसारण होने के मद्देनजर नोटिस जारी किया था। आयोग ने इसे प्रथम दृष्टया आदर्श चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन मानते हुए उनसे 18 दिसंबर तक जवाब देने को कहा था। आयोग ने आज देर रात कांग्रेस को भेजे एक पत्र में कहा है कि श्री गांधी को जारी किया गया नोटिस वापस लिया जा रहा है।

राम मंदिर निर्माण में केंद्र सरकार कर रही देरी : चक्रपाणि

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मथुरा, 17 दिसम्बर, अखिल भारतीय हिंदू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चक्रपाणि महाराज ने अयोध्या मामले को लेकर हो रही देरी पर नाराजगी जताई है।  उन्होंने सरकार पर उपेक्षा का का आरोप लगाते हुए कहा कि मंदिर निर्माण के लिए केंद्र सरकार पर दबाव बनाना जरूरी हो गया है। मथुरा के सनेहबिहारी मंदिर में रविवार को पत्रकार वार्ता में उन्होंने कहा कि चार साल का समय बीत जाने के बावजूद अयोध्या में मंदिर निर्माण को लेकर केंद्र सरकार ने कोई कार्य नहीं किया है। इसलिए आज हमने ठा. बांकेबिहारीजी के दर्शन कर उनसे अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हो ऐसी कामना की है। कांग्रेस अध्यक्ष पद पर राहुल की ताजपोशी के सवाल पर उन्होंने कहा कि अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण के मसले पर राहुल गांधी को अपने पिता पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का अनुसरण करना चाहिए। उन्होंने कहा कि राजीव गांधी के कार्यकाल में अयोध्या में श्रीराम मंदिर के दरवाजे खुले थे। राहुल गांधी को अपने पिता का अनुसरण करते हुए अब अयोध्या में राममंदिर निर्माण की मुहिम में सहयोग देना चाहिए।

आप राज्यसभा की तीन सीटों के उम्मीदवारों पर जनवरी तक कर सकती है फैसला

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नयी दिल्ली, 17 दिसंब, आम आदमी पार्टी (आप) के एक नेता ने कहा है कि पार्टी राज्यसभा की तीन सीटों के लिए अपने उम्मीदवारों पर जनवरी के पहले हफ्ते तक निर्णय लेगी और वह पार्टी संगठन से बाहर के चेहरे पर विचार कर रही है। संसद के उपरी सदन की तीन सीटों के लिए आप में कई महत्वाकांक्षी हैं । मध्य जनवरी में इन सीटों के लिए चुनाव होने हैं। इस चुनाव के चलते पार्टी में कड़वाहट घुल गयी है। ऐसे में उम्मीदवारों की घोषणा में देरी के कई कारणों में यह भी एक कारण है। वरिष्ठ पार्टी नेता कुमार विश्वास उम्मीदवारी की दौड़ में शामिल नेताओं में एक हैं लेकिन फिलहाल उनकी कुछ समय से नेतृत्व के साथ अनबन चल रही है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ उनके वर्तमान समीकरण के चलते पार्टी द्वारा उन्हें उपरी सदन में भेजे जाने की गुजाइंश बिल्कुल क्षीण है। यदि पार्टी अपने उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारने का फैसला करती है तो उनके अलावा आशुतोष और संजय सिंह उपरी सदन के लिए दो अन्य उम्मीदवार हैं । नेता ने कहा, ‘‘लेकिन हम पार्टी संगठन के बाहर उम्मीदवार ढूढ रहे हैं। ’’ नेता ने बताया कि पार्टी कानून, आर्थिकी और सामाजिक कार्य के क्षेत्र से उम्मीदवार ढूढ़ने में जुटी है। पार्टी ने अक्तूबर में भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गर्वनर रघुराम राजन से संपर्क किया था लेकिन उन्होंने पेशकश ठुकरा दी थी। पार्टी के किसी भी नेता को राज्यसभा के चुनाव मैदान में नहीं उतारने के इस कदम को संगठन के अंदर अंर्तकलह पर विराम लगाने की कोशिश के रुप में देखा जा रहा है। दिल्ली राज्यसभा में तीन सदस्यों को भेजती है। फिलहाल जर्नादल द्विवेदी, परवेज हाशमी और कर्ण सिंह राज्सभा में दिल्ली का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं । उनका कर्यकाल जनवरी में खत्म हो रहा है। दिल्ली की 70 सदस्यीय विधानसभा में 67 सीटें पर काबिज आप के लिए अपने उम्मीदवारों का निर्वाचन कराना बिल्कुल आसान है।

गूगल ने लोगों को गुमराह करने वाली न्यूज साइटों पर कार्रवाई की चेतावनी दी

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न्यूयार्क, 17 दिसंबर, आनलाइन पर फर्जी सामग्री की बढ़ती घटनाओं के बीच गूगल ने आज ऐसी समाचार साइटों को आगाह किया है। गूगल ने कहा कि अपने स्वामित्व, प्रमुख उद्देश्य, देश की जानकारी छिपाने वाली तथा प्रयोगकर्ताओं को गुमराह करने वाली साइटों को वह अपने न्यूज इंडेक्स से हटा देगी। इस बारे में जारी नए दिशानिर्देशों में प्रौद्योगिकी क्षेत्र की दिग्गज कंपनी ने कहा कि वह दुनिया की सभी खबरों को संगठित करना चाहती है और उसे पाठकों को उपलब्ध कराना चाहती है। कंपनी ने कहा कि उसका मकसद उपयोगी तथा समय पर समाचार सूचनाएं पाने के इच्छुक लोगों को बेहतर सर्वश्रेष्ठ अनुभव उपलब्ध कराना है। गूगल ने गूगल न्यूज पर शामिल साइटों को अपने स्वामित्व तथा प्राथमिक मकसद के बारे में सूचनाओं को छिपाना नहीं चाहिए और न ही प्रयोगकर्ताओं को गुमराह करने वाली जानकारी देनी चाहिए। गूगल ने कहा कि मूल रिपोर्टिंग तथा स्पष्टता गूगल न्यूज इंडेक्स में शामिल होने के लिए महत्वपूर्ण तत्व है। इसके अलावा वेबसाइटों द्वारा समाचार छापते वक्त डेटलाइन और बाइलाइन भी दी जानी चाहिए। दिशानिर्देशों में कहा गया है कि न्यूज पेज पर विज्ञापन और अन्य पेड प्रचार सामग्रियां आपकी सामग्री से अधिक नहीं हो सकते।

मधुबनी : तैयार होने के एक साल बाद भी बेकार पड़ा है मधुबनी का प्रेस क्लब भवन

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मधुबनी, 18 दिसंबर, मधुबनी में बिहार राज्य भवन निर्माण निगम लिमिटेड द्वारा रेड क्रॉस भवन के बगल में  इसी वर्ष जनवरी महीने में प्रेस क्लब भवन बन कर तैयार हुआ लेकिन अब तक यह भवन क्लब के रूप में पत्रकारों के लिए बंद है, ना सरकार की और से कोई हलचल ना प्रशासन की और से कार्रवाही, जिस से पत्रकारों में स्पष्ट नाराजगी देखने को मिल रही है । 60 लाख 69 हजार 400 रुपये की लागत से बनी इस भवन का उद्घाटन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने विकास समीक्षा यात्रा के दौरान गत 15 दिसंबर को किया पर उद्घाटन के बावजूद जिला प्रशासन की उदासीनता के कारण इस भवन पर ताला जड़ा हुआ है । मधुबनी के पत्रकारों कि मांग है कि अविलंब इस भवन को पत्रकारों के इस्तेमाल में लाया जाए या जिला प्रशासन स्थिति स्पष्ट करें कि उनकी मंशा क्या है हालांकि सालभर से रखरखाव के अभाव में इस भवन में कई जगह दरारें भी आ गई है ।

सराय पोखरा : लोगों ने कहा सफाई अभियान महज खानापूर्ति

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मधुबनी, 18 दिसंबर, अनुमंडल पदाधिकारी के आदेश पर नगर परिषद के स्वच्छता निरीक्षक दो ट्रेक्टर और 20 मजदूर लेकर पहुंचे विवादित सरकारी सराय पोखरा की सफाई के लिये। साथ मे पुलिस का जत्था भी मौजूद था। हर गतिविधि का वीडियोग्राफी हो रहा था सरकारी स्तर पर। सुबह 8 बजे सफाई कर्मचारी पहुंचते हैं स्थल पर। 9 बजे मजिस्ट्रेट के साथ पुलिसबल उपस्थित होते हैं और महज 2 घंटे की सफाई के बाद काम बंद हो जाता है अगले दिन के लिए। अनुमंडल पदाधिकारी के आदेश में वर्णित है सराय पोखर का स्थायी सफाई लेकिन नगर परिषद सड़क और पोखरा के इर्दगिर्द सफाई करती नजर आयी। स्थानीय लोगों में इस बात का रोष देखा गया। स्थानीय निवासी मुकेश पंजियार ने कहा कि कब्जाधारी का नगर परिषद से तालमेल है जिसका स्पष्ट असर आज के सफाई कार्यक्रम में देखा गया। इस तरह से लोगों के भावना के साथ खेलना सही नही है। आज के सफाई कार्यक्रम को देखते हुए लगता है कि नगर परिषद की मंशा सफाई करने की है ही नही। वरीय पदाधिकारियों के आदेश का अवहेलना कर रहा है नगर परिषद।  राजेन्द्र प्रसाद ने कहा कि समाज का विश्वास प्रशासनिक पदाधिकारी पर पूर्ण रूप से है और समाज को विश्वास है कि जिला पदाधिकारी एवं अनुमंडल पदाधिकारी लोकहित में सराय पोखरा का साफ सफाई और सौंदर्यीकरण अवश्य करेंगे। विजय घनश्याम ने कहा कि नगर युवा मंच का प्रयास आज रंग लाया और सफाई कार्य शुरू हुआ। भले कार्य धीमी गति से हो रहा है लेकिन उम्मीद की एक किरण उभरी है। नगरवासियों के सहयोग से शहर के सभी तालाब को अतिक्रमणमुक्त कर साफ सफाई के लिए प्रयासरत रहेगा नगर युवा मंच।

उत्तर प्रदेश : आर.एन चतुर्वेदी ‘भरत’ फिर पत्रकार परिषद के अध्यक्ष मनोनीत

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लखनऊ। पत्रकार परिषद की बैठक मोतीझील, लखनऊ स्थित मुख्यालय में संपन्न हुई जिसमें सर्वसम्मति से आर.एन चतुर्वेदी ‘भरत’ को एक बार फिर परिषद का प्रांतीय अध्यक्ष मनोनीत किया गया। इसके साथ ही उन्हें शाल-श्रीफल देकर सम्मानित भी किया गया। इस दौरान परिषद की पूर्व गतिविधियों पर भी विचार-विमर्श किया गया। प्रांतीय अध्यक्ष आर.एन चतुर्वेदी ‘भरत’ ने पत्रकारों की समस्याओं और उनके समाधान पर अपने विचार रखे। साथ ही उन्होंने पत्रकारों की सुरक्षा, स्वास्थ्य, आवास और अन्य परेशानियों के समाधान के लिए केंद्र और प्रदेश सरकार को अविलंब पत्र लिखने की बात भी कही। उन्होंने कहा कि पत्रकार परिषद अपने स्थापना काल से ही पत्रकारों का यथासंभव सहयोग करता रहा है। वह भविष्य में भी उनके हर दुख-दर्द में उनके साथ खड़ा रहेगा। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश पत्रकार परिषद के पदाधिकारी शरद कटियार, सियाराम पांडेय ‘शांत’, अनिल कुमार सिंह, गीता वाजपेयी, आकाश चतुर्वेदी आदि मौजूद रहे।

विशेष : बड़े - बड़ों की शादी और बीमारी ...!!

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पता नहीं तब अपोलो या एम्स जैसे अस्पताल थे या नहीं, लेकिन बचपन में  अखबारों में किसी किसी चर्चित हस्ती खास कर राजनेता के इलाज के लिए विदेश जाने की खबर पढ़ कर मैं आश्चर्यचकित रह जाता था। अखबारों में अक्सर किसी न किसी बूढ़े व बीमार राजनेता की बीमारी की खबर होती । साथ में उनके इलाज के लिए विदेश रवाना  होने से संबंधित तस्वीरें भी। ऐसी खबरों से  मैं सोच में पड़ जाता था कि  देश चलाने वाले अपने इलाज के लिए विदेश जाकर क्या देश की स्वास्थ्य व्यवस्था पर खुद ही सवालिया निशान नहीं लगा रहे हैं। शादी , छुट्टियां या बीमारी के इलाज के लिए विदेश सिर्फ राजनेता ही नहीं बल्कि दूसरी  क्षेत्र की नामचीन हस्तियां भी जाया करती थी। पता लगता कि फलां ने फलां से शादी कर ली और हनीमून मनाने निकल गया किसी विदेशी लोकेशन पर। 80 - 90 के दशक की फिल्मों में अक्सर देखने को मिलता कि हीरो - हीरोइन ने सात फेरे लिये और पलक झपकते दोनों किसी विदेशी टूरिस्ट प्लेस पर पेड़ों के इर्द - गिर्द नाच - गा रहे हैं। ऐसे दृश्य तब की हमारी जवान हो रही पीढ़ी को हैरत में डाल देती थी। खैर  आश्चर्य करने से भला किसी पर क्या फर्क पड़ने वाला था। ताज्जुब तो नामचीनों के छुट्टियां बिताने विदेश जाने पर भी होता था। क्योंकि नजदीकी टूरिस्ट प्लेस भी हम जैसे लोग एक उम्र् गुजरने के बाद ही जा पाए थे। कुछ आर्थिक परेशानियां तो कुछ खुद को गैर जिम्मेदार या ऐश पसंद साबित करने से बचने के लिए। खैर मेरे छात्र जीवन में ही एक  राजनेता कम अभिनेत्री के विदेश में प्रसव की खबर की उस दौर के समाचार पत्र में खूब सुर्खियां बनी थी। कहा गया कि अभिनेत्री ने अपने नवजात को विदेशी नागरिकता दिलाने के लिए यह कदम उठाया। बहरहाल कुछ दिनों के विवाद के बाद हमेशा की तरह उस अभिनेत्री ने सुर्खियों में चल रही  उस खबर का खंडन कर दिया था। इधर  अनेक हृदयविदारक घटनाओं के बीच बीता पखवाड़ा खबरों की जबरदस्त खुराक वाला रहा। सनकी तानाशाह , बाबा रहीम के रहस्यमयी तिलस्म और क्रिकेट के विराट की शादी से जुड़ी खबरें दर्शकों के सामने चटपटे व्यंजनों से सजी थाली की तरह परोसी जाती रही। ये तीनों महानुभव पिछले कई महीनों से खबरों की दुनिया को गुलजार किए हुए हैं। पहले बात बाबा की । जो इन दिनों जेल में है। लेकिन इनके कारनामे आम लोगों को किसी रहस्यमयी दुनिया का आभास कराते हैं। समझ में नहीं आता कि जेल जाने से पहले ये बाबा क्या - क्या करते थे। यदि कारस्तानियां ऐसी - ऐसी तो इतनी दौलत किस जादू से जमा कर ली।  इनके चेले - चेलियां और शागिर्दों के कारनामे बाबा से किसी भी मायने में कम नहीं। कभी इस कुनबे की काली कमाई अरबों - खरबों में बताई जाती रही। वैभवपूर्ण खबरों से टेलीविजन के पर्दे पर रंगीनियत बिखरती रही। अचानक बताया गया कि बेचारी बाबा की एक चेली कंगाल हो चुकी है। उसके पास वकील करने लायक भी पैसे नहीं। दो - चार दिनों की गुमनामी के बाद जैसे ही हम बाबा के कारनामों को भूलने की कोशिश करते तभी कोई न कोई चैनल फिर इसी विषय पर चटपटी खबरें लेकर हाजिर हो रहा है। आब देश से हजारों मील दूर बसे सनकी तानाशाह की। यह शख्स भले ही विदेशी हो, लेकिन अपने चैनल वालों के खूब काम आ रहा है। लगता है कि यह मीडिया के लिए बगदादी का बेहतर विकल्प बन कर उभरा है। रोज किसी न किसी चैनल पर सनकी तानाशाह के हैरत अंगेज कारनामों के बारे में चटपटी खबरें परोसी जाती  है। सोचना पड़ता है कि  इतना सनकी और बददिमाग आदमी क्या किसी देश का शासक बने रह सकता है। खैर खबरों के हाईडोज में क्रिकेट के विराट की शाही शादी  ने भी कम स्वाद नहीं दिया वह भी विदेश में। शादी से ज्यादा अपना ध्यान विदेशी लोकेशन ढूंढने में ही व्यस्त रहा कि कम से कम टेलीविजन के पर्दे पर ही विदेशी धरती की सुरम्य वादियों के दर्शन हो जाएं।सोशल मीडिया से लेकर चैनलों तक में हर जगह इस शादी को ऐतिहासिक बनाने में कोई कसर नहीं रहने दी गई। शादी के बाद मधुचंद्रिमा की तस्वीरें भी छाई रही। खैर बड़े लोगों की  शादी हो या बीमारी अपने आप में ही बड़ी खबर जरूर है। 


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तारकेश कुमार ओझा,
खड़गपुर (पशिचम बंगाल) 
मेदिनीपुर संपर्कः 09434453934, 9635221463
लेखक पश्चिम बंगाल के खड़गपुर में रहते हैं और वरिष्ठ पत्रकार हैं।

विदिशा (मध्यप्रदेश) की खबर 18 दिसंबर

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परीक्षण नही निरीक्षण करें अधिकारी : कलेक्टर

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कलेक्टर श्री अनिल सुचारी ने लंबित आवेदनों की समीक्षा की। उन्होंने जिला महिला सशक्तिकरण अधिकारी को निर्देश देते हुए कहा कि जिले की ऐसी पंजीकृत संस्थाएं जहां बच्चे रह रहे है उन सभी संस्थाओं का परीक्षण नही निरीक्षण के उपरांत वरिष्ठ अधिकारियों को रिपोर्ट प्रेषित करें ताकि ऐसी संस्थाओं को नियमानुसार शासन स्तर से समयावधि में मदद मिल सकें। कलेक्टेªट के सभाकक्ष में हुई उक्त बैठक में विभिन्न विभागों में लंबित आवेदनों की बिन्दुवार समीक्षा की गई है। कलेक्टर श्री सुचारी ने कहा कि जिले के ऐसे एनआरसी केन्द्र जहां लक्ष्य से कम बच्चे भर्ती है उन क्षेत्रों के परियोजना अधिकारी समेत अन्य को शोकाॅज नोटिस जारी करने के निर्देश एकीकृत बाल विकास सेवाएं के जिला कार्यक्रम अधिकारी को दिए है। स्वास्थ्य और महिला बाल विकास के लक्ष्यपूर्ण कार्य नही होने पर नीति आयोग की रिपोर्ट में जिला पिछडा हुआ है। उन्होंने स्वास्थ्य और महिला बाल विकास के अधिकारियों को सख्त हिदायत देते हुए कहा कि लक्ष्य प्राप्ति में किसी भी प्रकार की कोताही बर्दाश्त नही की जाएगी। उन्होंने प्रधानमंत्री मातृत्व योजना के अब तक दो हजार हितग्राही ही लाभांवित होने पर असंतोष जाहिर करते हुए इस ओर विशेष बल देने की बात उन्होंने कही है। बैठक में श्रम कल्याण विभाग की योजनाओं से हितग्राहियों को अधिक से अधिक लाभ मिले इसके लिए विशेष अभियान चलाने के निर्देश कलेक्टर द्वारा विभाग के अधिकारी को दिए गए है। कलेक्टर श्री सुचारी ने मुख्यमंत्री भावांतर योजना के द्वितीय चरण तहत किसानो के पंजीयन के संबंध में भी पूछताछ की गई। इस दौरान बताया गया कि द्वितीय अवधि में नौ हजार 354 किसानों का पंजीयन किया गया है। उन सभी का प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत भी बीमा कराया गया है। कलेक्टर द्वारा विभिन्न विभागों के माध्यम से वितरित की जाने वाली छात्रवृत्ति की अद्यतन स्थिति का भी जायजा लिया गया। कलेक्टर श्री सुचारी ने हितग्राहीमूलक योजनाओं में स्टेट बैंक की विभिन्न शाखाओ के द्वारा वित्त पोषण में बरती जा रही ढीला ढाला रवैया पर अप्रसन्नता जाहिर करते हुए उन्होंने लीड बैंक आफीसर श्री विजय गुप्ता को निर्देश दिए कि स्टेट बैंक की किन-किन शाखाओं के द्वारा प्रकरण स्वीकृति के उपरांत अभी तक वित्त पोषण नही किया गया है कि जानकारी आगामी बैठक में स्पष्ट कारणों सहित लेकर आए। टीएल बैठक में आधार पंजीयन, जाति प्रमाण पत्र, सार्वजनिक वितरण प्रणाली की अद्यतन प्रगति की भी समीक्षा की गई। इसके अलावा बैठक में मुख्यमंत्री हेल्प लाइन, मानव अधिकार आयोग, पीजी सेल, समाधान आॅन लाइन और जन शिकायत निवारण के प्राप्त आवेदनों के साथ-साथ पेपर कंटिग पर अब तक संबंधित विभागों के अधिकारियों द्वारा की गई कार्यवाहियों की बिन्दुवार जानकारियां प्रस्तुत की गई। उक्त बैठक में एसडीएम श्री रविशंकर राय, संयुक्त कलेक्टर श्री आरडीएस अग्निवंशी, डिप्टी कलेक्टर श्री एके मांझी के अलावा, विभिन्न विभागों के जिलाधिकारी मौजूद थे। 

दस्तक अभियान का शुभांरभ

विदिशा जिले में दस्तक अभियान की आज से शुरूआत हुई है यह अभियान जिले में 27 जनवरी तक क्रियान्वित किया जाएगा। शुभांरभ कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए नगरपालिका अध्यक्ष श्री मुकेश टण्डन ने कहा कि टीकाकरण मानव सेवा का सबसे बडा काम है बच्चे स्वस्थ रहे इसके लिए उनका टीकाकरण कराया जाना अति आवश्यक है । उन्होंने इस पुण्य कार्य को पूर्ण ईमानदारी से करने की सलाह स्वास्थ्य विभाग के अमले को दी। कलेक्टर श्री अनिल सुचारी ने कहा कि सभी घरों में दस्तक देकर बच्चो का टीकाकरण अनिवार्यतः कराया जाए। इस कार्य मंे स्वास्थ्य विभाग के साथ-साथ एकीकृत बाल विकास सेवाएं की महती भूमिका है। बीमारियों के खिलाफ लड़ने में टीकाकरण अति आवश्यक है जिन बच्चों को समय अंतराल पर टीका लग जाते है तो वे अनेक बीमारियों से बचे रहते है। शासन प्रशासन का मुख्य उद्वेश्य है कि जनोमुखी योजनाओं का लाभ अविलम्ब समय सीमा में संबंधितों को मिले इसके लिए हम सबको अपने-अपने दायित्वों का निर्वहन करना होगा। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डाॅ बीएल आर्य ने दस्तक अभियान की आवश्यकता जिले में क्यो हुई है कि बिन्दुओं को रेखांकित करते हुए उन्होंने बताया कि इंटेंसफाइड मिशन इन्द्रधनुष वाले 13 जिलों में दस्तक अभियान 27 जनवरी तक संचालित होगा जिसमें विदिशा भी शामिल है। पांच वर्ष से छोटे उम्र के बच्चों वाले परिवारों के घरों मंे स्वास्थ्य एवं पोषण सेवाओं की दस्तक दी जाएगी। जिसका मुख्य उद्वेश्य है कि बाल मृत्यु दर में वांछित कमी लाना है। जिला टीकाकरण अधिकारी प्रमोद मिश्रा ने अभियान आयोजन के दौरान क्रियान्वित प्रमुख गतिविधियों पर गहन प्रकाश डाला। उन्होंने आशा, आंगनबाडी कार्यकर्ता, एएनएम, एमपीडब्ल्यू के अलावा स्वास्थ्य विभाग के अमले की भूमिका को भी रेखांकित किया। जिला चिकित्सालय परिसर में सम्पन्न हुए उक्त कार्यक्रम में एसडीएम श्री रविशंकर राय, सिविल सर्जन सह अधीक्षक श्री डाॅ संजय खरे के अलावा अन्य चिकित्सकगण एवं प्रशिक्षणार्थी मौजूद थे।

अनंतिम चयन सूची जारी

एकीकृत बाल विकास परियोजना विदिशा शहरी क्षेत्र के अंतर्गत आंगनबाडी केन्द्रों में रिक्त कार्यकर्ता एवं सहायिका की चयन प्रक्रिया खण्ड स्तरीय समिति के द्वारा की गई है। एसडीएम श्री रविशंकर राय की अध्यक्षता में चयन समिति के द्वारा अनंतिम चयन सूची जारी की गई है जिसके अनुसार वार्ड क्रमांक 16 में कार्यकर्ता पद पर सपना भार्गव, वार्ड 21 में सहायिका पद पर रजनी सेन, वार्ड 24 में सहायिका पद पर नेहा वंशकार का चयन सूची में नाम शामिल है। उक्त चयन प्रक्रिया के विरूद्व दावे आपत्तियां 22 दिसम्बर तक आमंत्रित की गई है। 

सफलता की कहानी : दिव्यांगो को पहली बार मिले लेपटाॅप

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विदिशा जिले में दिव्यांगो को पहली बार लेपटाॅप प्रदाय किए गए है। जनसुनवाई कार्यक्रम में लश्करपुर के श्री रामू अहिरवार और बासौदा की ग्राम सिरनोटा के दशरथ सिंह अहिरवार ने कलेक्टर को आवेदन प्रस्तुत करते हुए लेपटाॅप दिलाए जाने का आग्रह किया था। मुख्यमंत्री निःशक्त शिक्षा प्रोत्साहन योजना के तहत जिले के दोनो हितग्राहियों को लेपटाॅप दिलाए गए है। श्री रामू अहिरवार जो कक्षा बारहवीं में इन्दौर के शासकीय सुभाष उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बडा गणेश में अध्ययनरत है। उन्होंने चर्चा के दौरान बताया कि लेपटाॅप मिल जाने से जहां पढाई में सहूलियत होगी वही पार्ट टाइम जाॅब कर सकूंगा। इसके लिए श्री रामू के द्वारा प्रतिष्ठित संस्थानों को अपना मोबाइल नम्बर 9754236305 दर्ज कराया गया है। ताकि आवश्यकता पड़ने पर वे रामू से सीधा सम्पर्क कर सकें। पांच भाई और एक बहन में सबसे ज्यादा पढाई अब तक रामू ने की है। रामू ने बताया कि पांचवीं तक आंखो से मुझे दिखाई देता था उसके बाद पता नही कौन से बीमारी हुई कि मुझे आंखो से पूर्णतः दिखना बंद हो गया। शिक्षा के प्रति रामू का रूझान देखते हुए कलेक्टर ने दृष्टिबाधित अक्षम रामू को लेपटाॅप दिलाने के लिए विशेष पहल की है। हितग्राही रामू लेपटाॅप पाकर प्रसन्नचित मुद्रा में अपने घर की ओर रवाना हुआ। ग्राम सिरनोटा के दशरथ अहिरवार ने बताया कि वर्तमान में बीए पाचवें सेमेस्टर में अध्ययनरत हूं। संजय गांधी स्मृति महाविद्यालय में पढाई लिखाई मेरी जारी है। मेरा एमपी पीएससी परीक्षा के माध्यम से प्रशासानिक पद पर चयन हो इस कार्य में शासन की योजना के तहत मुझे प्रदाय किया गया लेपटाॅप मेरा सारथी बनेगा। श्री दशरथ को अभी से छोटे-छोटे काम के लिए उनके मोबाइल नम्बर 8871245375 पर सम्पर्क करने लगे है।

विशेष : देश में ‘मोदी मैजिक‘ का जलवा

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‘‘लोगों को नाराजगी है तो भरोसा भी है। भरोसा इस बात का है कि वह शख्स देश नहीं बेचेगा। घपले-घोटालों से देश को लुटने नहीं देगा। भ्रष्टाचार को पनपने नहीं देगा। श्रीराम की जन्मस्थली पर मंदिर वहीं बनायेगा‘‘। जनता का उसके प्रति यही विश्वास उसे न सिर्फ अजेय बनाती है, बल्कि करोड़ों-करोड़ हिन्दुस्तानियों के दिलों पर वह शख्स राज कर रहा है। वह शख्स कोई और नहीं, बल्कि प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी ही हैं। खासकर गुजरात व हिमाचल की जीत ने साफ कर दिया है कि चुनाव दर चुनाव जीतने वाले मोदी का विजयरथ को अब विपक्ष की एकजुटता भी नहीं रोक पाएगी। मतलब साफ है ये नतीजे बीजेपी के पक्ष में आने से ब्रांड मोदी के प्रति लोगों का भरोसा और भी बढ़ेगा  


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फिरहाल, गुजरात और हिमाचल विधानसभा चुनावों में बीजेपी को बहुमत इस बात का संकेत है कि मोदी का ‘विजयरथ अब यूं ही चलता रहेगा। कांग्रेस मुक्त भारत की ओर बीजेपी ऐसे ही आगे बढ़ती रहेगी। मोदी द्वारा देशहित में लिए जा रहे फैसले जनता को मंजूर हैं।  बता दें, बीते एक साल के दौरान आर्थिक सुधारों की दिशा में लिए गए कड़े कदम को कांग्रेस समेत पूरा विपक्ष चुनावी मुद्दा बनाएं हुए हैं। यूपी में मिली करारी शिकस्त के बावजूद गुजरात व हिमाचल में भी कांग्रेस ने तो प्रचार के शुरुआत से ही दावा किया कि नोटबंदी से किसान, मजदूर और छोटे कारोबारी परेशान हुए और इससे देश की अर्थव्यवस्था को तगड़ा झटका लगा हैं। इसी मुद्दे पर मोदी को घेरने की कोशिश भी की गयी। लेकिन नतीजों ने साफ कर दिया है कि विपक्ष के इस सबसे बड़े दांव की हवा पूरी तरह से निकल चुकी है। जबकि कांग्रेस पार्टी के लिए यह चुनाव खासा निर्णायक था। पार्टी के लिए अब नए अध्यक्ष राहुल गांधी के धुंआधार चुनावी अभियान और मोदी से सीधे टक्कर लेने के क्रम में हार की जिम्मेदारी का ठीकरा राहुल के सिर पर फोड़े जाने से बचा पाना मुश्किल होगा। वह राहुल गांधी जो बचपन में ही हिंसा का अपार दुख झेलते हए अब राजनीति में निडर व मजबूत बनकर कांग्रेस पार्टी के नए कप्तान बनें हैं। उनके सामने अब सबसे बड़ी चुनौती पार्टी को बचाने की होगी। क्योंकि भाजपा अपनी 18 राज्यों की सूची में दो और नाम जोड़कर 20 राज्यों को कांग्रेस मुक्त करा पाने में सफल हो गयी हैं। भाजपा के लिए यह अपने विजय अभियान में एक कदम और आगे बढ़ने जैसा है। ऐसे में बड़ा सवाल तो यही है, क्या मोदी की आंधी में चमक बना पायेंगे राहुल गांधी? पांच राज्यों में सिमटी कांग्रेस पार्टी के क्या अच्छे दिन आयेंगे? उछालभरी पिच पर क्या राहुल का बल्ला चलेगा? क्या कांग्रेस को अब भी राहुल कप्तानी की पारी का इंतजार हैं? क्या राहुल गांधी की कप्तानी में सीरिज दर सीरिज हार का सिलसिला थमेगा? 

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हालांकि गुजरात में 22 साल के शासन के बाद भाजपा का प्रदर्शन लगातार सिमटता नजर आ रहा है। वर्ष 2002 में 127 सीटों के आंकड़े के बाद 2007 में यह आंकड़ा 117 पर रुका और 2012 में भाजपा को 115 सीटों पर संतोष करना पड़ा। गुजरात का चुनाव इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए भी खासा निर्णायक साबित हुआ है। उनके लिए गुजरात जीतना प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया था। गुजरात में भाजपा की हार से 2019 का रास्ता खासा कठिन हो जाता। लेकिन जीत ने मोदी को न सिर्फ ताकत दी है, बल्कि देशहित में और कड़े फैसले लेने की जनता ने मंजूरी दे दी हैं। मतलब साफ है प्रधानमंत्री के आर्थिक सुधार या यूं कहे जीएसटी और नोटबंदी पर जनता ने मुहर लगा दी हैं। जनता ने मोदी को देश हित में और कड़े फैसले लेने की आजादी हैं। क्योंकि इस बार का गुजरात विधानसभा का चुनाव महज गुजरात के लिए नहीं लड़ा जा रहा था, बल्कि देश की सियासत के लिए भी एक लिटमस टेस्ट माना जा रहा था। 2019 का सेमीफाइनल के तौर देखा जा रहा था। प्रधानमंत्री मोदी के गुजरात से दिल्ली पहुंचने के बाद गुजरात में यह पहला चुनाव था। यह सीधे प्रधानमंत्री मोदी की प्रतिष्ठा से जुड़ा चुनाव था। इस चुनाव को बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के चुनावी गणित की असली परीक्षा के तौर पर देखा जा रहा था। गुजरात विकास मॉडल पर लगातार सवाल विपक्षी दल उठा रहे थे। गुजरात विधानसभा चुनाव के बिगुल बजने से पहले ही कांग्रेस ने श्‘विकास पागल हो गया का नारा दिया था, जो सीधे-सीधे हमला गुजरात के विकास मॉडल पर था। यही वजह है कि नरेंद्र मोदी ने गुजरात में बीजेपी की सियासी बिसात खुद बुन कर जीत में तब्दील कर दी। कहा जा सकता है इस जीत का असर 2019 के लोकसभा चुनाव पर भी पड़ेगा। बीजेपी-कांग्रेस दोनों पार्टियां गुजरात के रास्ते 2019 लोकसभा चुनाव को साधने की कोशिश कर रही है। मोदी ने गुजरात में बीजेपी को कामयाबी दिलाकर 2019 की राह आसान कर दी। खास यह है कि गुजरात विधानसभा चुनाव के नतीजों का प्रभाव अगले साल होने वाले राज्यों के विधानसभा चुनाव पर पड़ेगा। अगले बरस कई अहम राज्यों में चुनाव होने है। इनमें मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, कर्नाटक और ओडिशा जैसे राज्य शामिल हैं। बीजेपी गुजरात विधानसभा चुनाव जीत के नतीजों को इन राज्यों के चुनाव में बीजेपी के लिए फायदा दिलाएगा। पार्टी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह का राजनीतिक वर्चस्व में इजाफा होगा। 

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इन सब के बीच गुजरात में बीजेपी की जीत, गुजरात के विकास मॉडल पर सवाल उठाने वालों के लिए करारा जवाब है। गुजरात विधानसभा चुनाव में बीजेपी की जीत से विपक्ष को करारा झटका लगा है। गुजरात की हार से कांग्रेस ही नहीं बल्कि बीजेपी विरोधी दलों में हताशा पैदा होगी। इतना ही नहीं गुजरात में हार से विपछी दलों की एकजुटता में बिखराव बढ़ने की संभावना है। गुजरात में कांग्रेस की हार से उसके कई सहयोगी दल साथ छोड़ भी सकते हैं। इससे जहां कांग्रेस का कुनबा कमजोर होगा तो वहीं बीजेपी खेमा मजबूत होगा। जहां तक राहुल गांधी का सवाल है, वे कांग्रेस के नए अध्यक्ष चुन लिए गए हैं। या यू कहें देश की इस सबसे पुरानी पार्टी में औपचारिक रूप से राहुल युग शुरू हो चुका है...लेकिन इस नई शुरुआत के साथ राहुल को कई चुनौतियां भी विरासत में मिली है...कांग्रेस के नए अध्यक्ष के सिर पर कांटों का ताज है। उनके सामने खड़ी चुनौतियां वास्तव में उनकी असली परीक्षा लेंगी। क्योंकि राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष ऐसे वक्त बने हैं जब ‘कांग्रेस मुक्त भारत‘ का वीणा मोदी ने जोरशोर से उठा रखी हैं। एक-एक कर कांग्रेस के हाथ से सत्ता छिनती चली जा रही हैं। स्थिति यह है कि वर्तमान में 27 में से 5 राज्य ही उसके पास हैं। माना 132 साल पुरानी कांगे्रस का इतिहास परिवारवाद से ही घिरा रहा। नेहरु से लेकर सोनिया तक अध्यक्ष पद को हथियाएं रही, लेकिन उसे यह नहीं भूलना चाहिए कि पद से ज्यादा विचारधारा को मजबूत बनाएं रखना होता हैं। धर्म निरपेक्षता का दामन छोड़ भगवा चोल ओढ़ मंदिर मंदिर घूमने से कांग्रेस के साख पर बट्टा लगता नजर आ रहा हैं। ऐसा नहीं है कि नेहरु, इंदिरा, सोनिया हिन्दू विरोधी थी, उनमें भी धर्म के प्रति आस्था थी, लेकिन वोटबैंक को बचाएं रखने की खातिर सड़क पर उसका दिखावा नहीं करती थी। हो जो भी अगर ऐसा वे आगे भी करते रहे तो मुझे नहीं लगता कि वो कभी भी भाजपा के संगठनात्मक और मोदी की लोकप्रियता को चुनौती दे पायेंगे। क्योंकि कांग्रेस का चाहे वोट खिसका भी हो, लोगों के दिमाग में हमेशा कांग्रेस एक विकल्प के तौर पर रही है। कांग्रेस का पुराना वोट बैंक रहा है। अब राहुल चाहें तो उस वोट को अपनी ओर खींच रख सकते हैं - विचारों और उपलब्धियों दोनों के आधार पर.। मनमोहन सिंह ने सूचना के अधिकार में बदलाव पर काम किया हो, लेकिन उसे भुनाने की बजाए भ्रष्टाचार के कारण उनकी छवि प्रभावित रही। मोदी कहते है 2022 में जब हम 75 साल के होंगे तब उनके परिणाम दिखाई देंगे। इसका मतलब है कि वो 2019 में उपलब्धियों के न होने के खतरों को पहचानते हैं। उस कमजोरी का फायदा राहुल गांधी उठा सकते हैं। उनके पास संगठन को जोड़ने का मौका है - लेकिन ऐसा वह कर पायेंगे, इसकी संभावना दूर दूर तक नहीं दिखती। लेकिन कांग्रेस की उम्मीद है कि राहुल गांधी के आने से युवा पीढ़ी उनसे जुड़ेगी और वो खुद देखेंगे कि राहुल कैसे संगठन चला रहे हैं। फिरहाल, राहुल को पहला झटका गुजरात में लगा हैं। लोग कहेंगे कि राहुल गांधी के आते ही क्या हो गया, और फिर सारे तीर्थों की यात्री, ब्राह्मण जनेऊ पर जो बहस हुई है, उसकी बात होगी। शायद तीर्थयात्रा में भी यही कामना की गई थी कि अगर अपने बल पर नहीं तो भगवान के बल पर पार्टी आगे बढ़ जाए।  

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19 साल पहले अप्रैल 1998 में जब सोनिया गांधी ने जब कांग्रेस की कमान संभाली, तब भी पार्टी की सियासी हालत कमजोर थी। मई 1991 में राजीव गांधी की हत्या होने के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने सोनिया से पूछे बिना उन्हें कांग्रेस का अध्यक्ष बनाए जाने की घोषणा कर दी, परंतु सोनिया ने इसे स्वीकार नहीं किया और कभी भी राजनीति में नहीं आने की कसम खाई थी। सोनिया ने राजीव गांधी फाउंडेशन की स्थापना के साथ खुद राजनीति से दूर रखने की कोशिश की। इसके बाद 1996 में नरिसम्हा राव की सरकार जाने के बाद पार्टी की चिंता और बढ़ गई। इस चुनाव में बीजेपी और जनता दल ने भारी बढ़ी हासिल की और बीजेपी ने गठबंधन सरकार बनाई। कांग्रेस की हालत दिन-ब-दिन बुरी होती देख सोनिया गांधी ने कांग्रेस नेताओं के दबाव में 1997 में कोलकाता के प्लेनरी सेशन में कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता ग्रहण की। जिसके बाद अप्रैल 1998 में वो कांग्रेस की अध्यक्ष बनीं। इस तरह नेहरू-गांधी परिवार की पांचवी पीढ़ी के रूप में सोनिया गांधी ने कांग्रेस के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभाली। अब जबकि राहुल गांधी को पार्टी की कमान सौंपी गई है, तब भी कांग्रेस की हालत खस्ता है। 2004 और 2009 में सरकार बनाने के बावजूद 2014 में कांग्रेस को बड़ा झटका लगा और नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी ने पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाई। इसके बाद महाराष्ट्र, हरियाणा, यूपी, उत्तराखंड, गोवा, असम समेत कई सूबों में पार्टी ने अपने दम पर सरकार बनाई। जबकि दूसरी तरफ कांग्रेस एक के बाद चुनाव हारती गई। यहां तक कि निकाय चुनावों में भी कांग्रेस अपनी साख नहीं बचा पा रही है। गुजरात में राहुल कार्ड नहीं चला, हिमांचल हाथ से चला गया। अब सवाल ये है क्या राहुल गांधी अपनी मां सोनिया गांधी की तरह कांग्रेस को 2004 और 2009 जैसी जीत दिलाने में कामयाब हो पाएंगे?

राहुल गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष पद पर आसीन होने के बाद उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती उत्तर प्रदेश में पार्टी को फिर से खड़ा करने की होगी। उत्तर प्रदेश में नेहरू-गांधी परिवार की सामाजिक और राजनीतिक धरोहर है, जो पांच पीढ़ियों तक फैली और गहरी है। उनकी भी सियासी जमीन यहीं पर हैं और भविष्य के सवाल भी यहीं से वाबस्ता हैं, लिहाजा मिशन उत्तर प्रदेश की उनके लिये बड़ी अहमियत होगी। राजनीतिक प्रेक्षकों के मुताबिक उत्तर प्रदेश में राहुल के लिये चुनौती कांग्रेस को फिर से खड़ा करने की होगी। इसके साथ ही उन राज्यों में भी पार्टी को मजबूत करना होगा, जहां इस वक्त वह हाशिये पर है। कांग्रेस की अगली चुनौती विकास का नया विमर्श खड़ा करने की है। वह समाजवाद, मिश्रित अर्थव्यवस्था और वैश्वीकरण तीनों पद्धतियों की प्रणेता रही है। कांग्रेस को नीतिगत स्तर पर इस उलझन से निकलने का नया रास्ता बनाना है ताकि समता आधारित भ्रष्टाचार विहीन विकास हो सके। एक चुनौती मंडल और आम्बेडकरवादी ताकतों से संवाद करने की भी है। कांग्रेस को अगर अपने से दूर छिटकी दलित, पिछड़ी और आदिवासी जातियों को साथ लाना है तो उसके नेताओं से अंग्रेजी में नहीं जनता की जुबान में बात करनी होगी और उनकी राजनीतिक भागीदारी सुनिश्चित करनी होगी। 

अमित शाह का जलवा 
अमित शाहन ने जब से बीजेपी की कमान संभाली है, तभी से उनके नेतृत्व में बीजेपी लगातार जीत हासिल करती आ रही है। 09 जुलाई, 2014 वे राजनाथ सिंह के बाद बीजेपी के अध्यक्ष बने थे। उनके नेतृत्व में 12 राज्यों में हुए चुनावों में पार्टी ने जीत हासिल की है। खुद अमित शाह निजी स्तर पर अजेय रहे हैं। 1989 से 2014 के बीच शाह गुजरात राज्य विधानसभा और विभिन्न स्थानीय निकायों के लिए 42 छोटे-बड़े चुनाव लड़े, लेकिन वे एक भी चुनाव में पराजित नहीं हुए। 

कांग्रेस की 29वीं हार 
पिछले कई सालों से कांग्रेस लगातार हार का सामना करती आ रही है। पिछले लोकसभा चुनावों में कांग्रेस को सबसे बुरी हार का सामना करना पड़ा था। कांग्रेस सिमट कर 44 सीटों पर आ गई। कांग्रेस को इतनी भी सीट नहीं मिलीं, जिससे वह विपक्ष की भूमिका निभा सके। हिमाचल और गुजरात में मिली हार कांग्रेस की लगातार 29वीं हार है। लगातार हार से कांग्रेस चार राज्यों में सिमट कर रह गई है। 

त्रिमूर्ति फैक्‍टर का असर नहीं 
कांग्रेस ने इस बार के गुजरात चुनाव में दलित नेता जिग्‍नेश मेवाणी, ओबीसी नेता अल्‍पेश ठाकोर और पाटीदार नेता हार्दिक पटेल पर दांव लगाया था। इन नेताओं ने भी प्रत्‍यक्ष या परोक्ष रूप से कांग्रेस को समर्थन दिया था। कांग्रेस ने इन नेताओं के दम पर चुनाव लड़ा। यानी क्षत्रिय-ओबीसी, दलित, आदिवासी और पाटीदार जातियों के आधार पर कांग्रेस ने समीकरण बनाया, लेकिन इसका फायदा इतना नहीं हुआ कि कांग्रेस की चुनावी वैतरणी को पार लगा सके। 

कांग्रेस का मुस्लिम से किनारा 
कांग्रेस ने अगर गुजरात में भाजपा के 22 साल पुराने किले में सेंध लगाने में कुछ हद तक सफल रहते हुए पिछली बार के मुकाबले जो सुधार किया है तो उसके पीछे कई कारण रहे हैं। कांग्रेस ने राहुल गांधी के नेतृत्व में जिस तरह से इस बार गुजरात में जनसंपर्क किया वो कहीं न कहीं कांग्रेस की छवि के विपरीत रहा। राहुल गांधी ज्यादा आक्रामक नजर आए। उनके भाषण में ज्यादा परिपक्वता दिखाई दी। अहम बात ये है कि कांग्रेस ने इस बार जो सबसे अलग हटकर काम किया वो था मुस्लिम से किनारा। कांग्रेस ने इस बार हिंदू कार्ड खेला। राहुल गांधी कांग्रेस की धर्मनिरपेक्ष छवि के उलट जनेऊ धारण करते, मंदिर के चक्कर लगाते और मुस्लिम वोटर्स से किनारा करते हुए नजर आए। हालांकि उनके गैर हिंदू रजिस्टर में नाम जुड़ने और जनेऊ धारण करने को लेकर काफी चर्चा रही जिसने उन्हें गुजरात में एक अलग छवि दी है। हालांकि इसे लेकर कांग्रेस से जुड़े मुस्लिम नेताओं का मानना था कि वह हमेशा से कांग्रेस के साथ रहे हैं और ये चुनाव धार्मिक आधार पर नहीं लड़े जा रहे हैं ऐसें में कांग्रेस का मुस्लिम की बात नहीं करना कोई बड़ी बात नहीं है। 

देश के 19 राज्यों में बीजेपी की सरकार
गुजरात-हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी जीत गयी। इसी के साथ बीजेपी लगातार देश की सबसे बड़ी पार्टी बनती जा रही है। बीजेपी ने गुजरात-हिमाचल प्रदेश की सत्ता में वापसी करके एक और बढ़त बनाई है। हिमाचल की सत्ता कांग्रेस को हाथों से छीनकर 19 राज्यों में अपनी सत्ता को बरकरार रखा है। जबकि सिर्फ 4 राज्यों में कांग्रेस की सरकार है। मतलब साफ है ‘कांग्रेस मुक्त भारत‘ के नारे के साथ आगे बढ़ रही है। 

फीका रहा बीजेपी का प्रदर्शन 
हालांकि गुजरात में 22 साल के शासन के बाद भाजपा का प्रदर्शन लगातार सिमटता नजर आ रहा है। वर्ष 2002 में 127 सीटों के आंकड़े के बाद 2007 में यह आंकड़ा 117 पर रुका और 2012 में भाजपा को 115 सीटों पर संतोष करना पड़ा। यह अलग बात है कि 

हार कर भी राहुल का कद बढ़ा 
कांग्रेस पार्टी ने जिस तरह से इस चुनाव में प्रचार किया है, उससे राहुल गांधी के लिए यह हार इतनी बुरी नहीं हैं। वो अपने आपको एक टक्कर देने वाले नेता और विपक्ष के चेहरे के तौर पर इस चुनाव में स्थापित कर चुके हैं। कांग्रेस पार्टी की वर्तमान स्थिति को देखें तो यह कोई छोटी उपलब्धि नहीं है। क्योंकि गुजरात के जिन हिस्सों को भाजपा अपना अभेद्य दुर्ग मानती थी, वहां पर सेंध लगा पाने में कांग्रेस सफल रही है। इससे राज्य में कांग्रेस अपनी नई जमीन तैयार कर पाने की स्थिति में और भाजपा को आने वाले चुनावों में टक्कर देती नजर आ सकती है। 

कांग्रेस की 29वीं हार
चुनाव नतीजों से ठीक दो दिन पहले शनिवार को राहुल गांधी कांग्रेस के अध्यक्ष बने थे। अध्यक्ष बनते ही राहुल को दो राज्यो में कांग्रेस की बड़ी हार का सामना करना पड़ा। हालांकि जब राहुल अध्यक्ष पद का ताज पहन रहे थे, कांग्रेस तो खासे उत्साह में थी ही, बीजेपी के कुछ नेताओं ने भी उनकी शान में कसीदे पढ़ते हुए राहुल को देश का प्रधानमंत्री होने तक के दावे कर डाले थे।  

बिहार : पूर्व सांसद जलालुद्दीन अंसारी, भाकपा ने दी श्रधांजलि

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पटना, 18 दिसम्बर। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के वरिष्ठ नेता, पूर्व सांसद एवं भाकपा पूर्व राज्य सचिव कामरेड जलालुद्दीन अंसारी का निधन 17 दिसम्बर की रात्रि में उनके गया स्थित आवास पर हो गया। उनकी मृत्यु की खबर सुनते ही पार्टी सदस्यों, हमदर्दों, शुभ चिंतकों एवं राज्य की जनता में शोक की कहर फैल गयी। पार्टी के राज्य कार्यालय अजय भवन और राज्य के सभी जिला कार्यालयों पर उनके सम्मान में झंडे मुझका दिये गए। इनकी उम्र लगभग 75 वर्ष थी वे अरवल जिला के बैहराबाद गांव में 17 नवम्बर, 1942 को पैदा हुए थे। वे पिछले कुछ दिनों से अस्वस्थ चल रहे थे। भाकपा महासचिव का॰ सुधाकर रेड्डी ने टेलीफोन से का॰ जलालुद्दीन अंसारी के निधन पर गहरा दुःख व्यक्त किया है। भाकपा राज्य सचिव का॰ सत्य नारायण सिंह सहित राज्य सचिवमंडल ने भी उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। आज राज्य कार्यालय से जारी प्रेस विज्ञप्ति में राज्य सचिव ने कहा है कि का॰ जलालुद्दीन अंसारी के निधन से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और बिहार में वामपंथी आन्दोलन को बड़ी क्षति हुयी है। का॰ जलालुद्दीन अंसारी का सक्रिय राजनीतिक जीवन 1965-66 में बिहार के छात्र आंदोलन से शुरू हुआ। इसके पूर्व ही वे भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी से 1960 में जुड गये थे। का॰ जलालुद्दीन अंसारी के नेतृत्व में 1965-66 का छात्र आन्दोलन कि ऐतिहासिक राजनीतिक घटना के रूप में याद किया जाता है। उन दिनों वे आॅल इण्डिया स्टूडेन्ट फेडरेषन की बिहार इकाई के अध्यक्ष थे। इसी छात्र आन्दोलन की बदौलत बिहार में पहली बार कांग्रेस पार्टी सरकार से बाहर हो गयी।

पटना विष्वविद्यालय से स्नातक व कानून की पढ़ायी पूरी करके वे गया में वकालत करने लगे। उनकी राजनीतिक क्षमता और पार्टी के प्रति प्रतिबद्धता को देखते हुए उन्हें गया जिला का पार्टी सचिव भी चुन लिया गया। तब से वे पार्टी के पूरावक्ती कार्यकत्र्ता के रूप में काम करने लगे। कुछ ही दिनों बाद वे पार्टी के राज्य नेतृत्व से जुड़ गए और उनकी राजनीति का केन्द्र पटना बन गया अपनी राजनीतिक और सांगठनिक क्षमता के बल पर वे कई वर्षों तक बिहार पार्टी के राज्य सचिव भी रहे। का॰ जलालुद्दीन अंसारी लंबे समय तक पार्टी की राष्ट्रीय परिषद के सदस्य भी रहे और बाद में वे राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य के रूप में भी निर्वाचित हुए। उनका संबंध शोषित पीड़ित जनता के साथ-साथ किसानों से भी गहरा रहा। वे अखिल भारतीय किसान के के उपाध्यक्ष भी चुने गये। का॰ अंसारी 1994 से 2000 तक राज्य सभा के सदस्य भी रहे। का॰ जलालुद्दीन अंसारी एवं बहुआयामी राजनीतिक नेता थे। पार्टी संगठन और माक्र्सवाद-लेनिनवाद के अच्छे जानकार थे। वे आजीवन समाजवाद की स्थापना के लिए चल रहे वामपंथी आन्दोलन के एक मूर्धन्य नेता थे। किसानों, मजदूरों, छात्रों, नव जवानों तथा अन्य शोषित-पीड़ित जनों के हितों और अधिकारों की रक्षा के लिए सतत संघर्षरत रहे। इन संघर्षों के दौरान कई बार इन्हें जेल भी जाना पड़ा। समाज में लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्ष और सामाजिक न्याय के लिए इन्हें सदा याद किया जायेगा। वे वाम-जनवादी शक्तियों की एकता के लिए सदा प्रयासरत रहे। उनकी मृत्यु से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी को भारी क्षति हुआ ही है, बिहार के वाम-जनवादी आन्दोलनों, किसानों, मजदूरों, छात्र, नौजवानों एवं मेहनतकष जनता के आन्दोलनों को भारी क्षति हुयी है।

गुजरात की जनता ने भाजपा के अहंकार को दिया करारा जवाब: माले

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  • तमाम कोशिशों के बावजूद 99 पर सिमटी भाजपा.

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पटना 18 दिसंबर 2017, भाकपा-माले के राज्य सचिव कुणाल ने कहा है कि गुजरात चुनाव में वहां की जनता ने भाजपा को करारा जबाव दिया है. जो भाजपा 150 सीटों का दंभ भर रही थी, वह महज 99 सीटों पर सिमट गयी है. भाजपा ने चुनाव जीतने के लिए ‘गुजरात माॅडल’ से लेकर बुलेट ट्रेन, सी प्लेन तथा सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के लिए औरंगजेब से लेकर पाकिस्तान तक जैसे विषयों को चुनावी मुद्दा बनाया, फिर भी वह 99 तक ही पहुंच पाई.  भाजपा के इस अहंकार का करारा जवाब देने के लिए भाकपा-माले गुजरात की जनता को बधाई देती है. इस अहंकार को तोड़ने में दलित-वंचितों, मजदूरों-किसानों-व्यापारियों और महिलाओं की बड़ी भूमिका रही है. गुजरात चुनाव ने देश में व्याप्त भय के माहौल को भी मजबूती से तोड़ा है और डर व नफरत से स्वतत्रंता, बदलाव व लोकतंत्र के लिए आने वाले संघर्षों का नया टोन भी सेट किया है. निश्चित तौर पर गुजरात चुनाव के नतीजोें से भाजपा के सांप्रदायिक उन्माद की राजनीति के खिलाफ जनसंघर्षों की आवाज को नई ताकत मिली है. इसी कड़ी में गुजरात के रैडिकल युवा नेता जिग्ेनश मेवाणी की जीत भी शामिल है. हमारी पार्टी ने जिग्नेश का समर्थन किया था और हमारी पार्टी के विधायक सुदामा प्रसाद व अन्य नेता उनके चुनाव प्रचार में गुजरात भी गये थे. जिग्नेश मेवाणी की जीत समाज के कमजोर वर्ग की जीत है. जनता की आवाज गुजरात विधानसभा में पहुंची है. हिमाचल में भाजपा-कांग्रेस के ध्रुवीकरण के बीच एक सीट पर सीपीआईएम की जीत भी स्वागतयोग्य है.

जाति, वंशवाद व तुष्टिकरण पर विकास की जीत : शाह

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नई दिल्ली, 18 दिसम्बर, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने सोमवार को यहां कहा कि गुजरात में भाजपा की जीत वंशवाद व तुष्टिकरण पर विकास की राजनीति की जीत है। शाह ने कहा कि 2019 लोकसभा चुनाव में भाजपा की जीत 'स्पष्ट'है। गुजरात में भाजपा की सीटें कम होने के सवाल पर उन्होंने इसके लिए 'जाति की राजनीति'और 'घटिया स्तर की राजनीतिक चर्चा'को जिम्मेदार बताया। उन्होंने यह भी कहा कि सीटें कम होने के कारणों के लिए बैठक की जाएगी। शाह ने कहा, "कांग्रेस ने चुनाव प्रचार के स्तर को नीचे गिराया, जिस वजह से हमारी सीटें कम हुईं, लेकिन हमने पिछले बार के मुकाबले ज्यादा मत प्रतिशत प्राप्त किए।"उन्होंने कहा कि वर्ष 2012 में, भाजपा ने 47.8 प्रतिशत मत प्राप्त किया था, जबकि इस बार 49.10 प्रतिशत मत प्राप्त किया है। हमने 1.25 प्रतिशत ज्यादा मत हासिल किए। शाह ने कहा, "वर्ष 1990 से, भाजपा गुजरात में कोई भी चुनाव नहीं हारी है और पार्टी राज्य में छठी बार सरकार बनाने जा रही है। जातिवाद, वंशवाद व तुष्टिकरण की राजनीति समाप्त हो गई। यह प्रदर्शन आधारित राजनीति के नए युग की शुरुआत है।"उन्होंने कहा, "मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व पर विश्वास करता हूं, 70 वर्षो बाद लोकतंत्र का चेहरा बदल रहा है।"भाजपा अध्यक्ष ने कहा, "हम सरकार बनाने जा रहे हैं और हमारा मत प्रतिशत भी बढ़ा है।"गुजरात चुनाव के दौरान चर्चा का स्तर गिराने के लिए कांग्रेस को आड़े हाथ लेते हुए उन्होंने कहा, "अगर वह इससे कुछ सबक सीखेंगे तो, 2019 लोकसभा चुनाव एक बेहतर माहौल में हो सकेगा।"इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन(ईवीएम) पर लगे आरोपों पर पूछे जाने पर उन्होंने कहा, "क्या हम ईवीएम को बदल सकते हैं? यह सरकार के हाथ में नहीं है, इसका संचालन चुनाव आयोग करता है।"

गुजरात ने विभाजनकारी, जातीय राजनीति को खारिज किया : रूपानी

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अहमदाबाद, 18 दिसम्बर, गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपानी ने सोमवार को कहा कि राज्य के लोगों ने कांग्रेस की विभाजकारी व जातीय राजनीति को खारिज कर दिया और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विकास के मॉडल को वोट दिया। रूपानी ने यह भी कहा कि पार्टी का संसदीय बोर्ड मुख्यमंत्री के उम्मीदवार का फैसला करेगा। गुजरात की सत्ता में भाजपा के कायम रहने के साथ रूपानी ने मीडिया से कहा, "राज्य के लोगों ने कांग्रेस की विभाजनकारी व जातीय राजनीति को खारिज कर दिया।"उन्होंने कहा कि राज्य के लोगों ने भाजपा के विकास मॉडल को वोट दिया है। इसी वजह से बीते 22 सालों में सत्ता में रहने के बाद वह लगातार छठे कार्यकाल में सत्ता में आने में समर्थ हुई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए 'घटिया शब्दों'का इस्तेमाल करने पर कांग्रेस की कड़ी निंदा करते हुए रूपानी ने कहा, "कांग्रेस नेताओं ने प्रधानमंत्री के लिए घटिया शब्दों का इस्तेमाल किया और राज्य के माहौल को दूषित किया।"उन्होंने कहा, "लेकिन राज्य के लोगों ने मोदी की नीतियों में निष्ठा जताई।"उन्होंने कहा कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने चुनाव के दौरान पार्टी का मार्गदर्शन किया। सत्तारूढ़ भाजपा ने सोमवार को गुजरात में सत्ता बरकरार रखी, जबकि कांग्रेस दूसरे स्थान पर रही, लेकिन कांग्रेस का प्रदर्शन पहले से बेहतर रहा।

मोदी के गृहनगर वडनगर में हारी भाजपा

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अहमदाबाद, 18 दिसम्बर, गुजरात विधानसभा चुनाव में बहुमत के साथ जीत हासिल कर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) प्रदेश की सत्ता पर अपनी पकड़ बरकरार रखने में कामयाब जरूर रही, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गृहनगर वडनगर जिस विधानसभा क्षेत्र में आता है, वहीं भाजपा हार गई। वडनगर ऊंझा विधानसभा क्षेत्र में आता है, जहां से कांग्रेस प्रत्याशी आशा पटेल ने भाजपा विधायक पटेल नारायणभाई लल्लूदास को 19,500 मतों से शिकस्त दी है। आशा पटेल को कुल 81,797 वोट मिले, जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा प्रत्याशी को 62,268 मत प्राप्त हुए। लल्लूदास ने पिछले विधानसभा चुनाव में आशा पटेल को 25,000 मतों से पराजित किया था। ऊंझा विधानसभा क्षेत्र पाटीदार समुदाय का गढ़ है। कांग्रेस के स्टार प्रचारक पार्टी प्रमुख राहुल गांधी ने अपने नवसर्जन यात्रा के दौरान ऊंझा में जोर-शोर के साथ प्रचार किया था। इलाके के अपने चुनावी दौरे के दौरान राहुल गांधी ने वडनगर स्थित उमिया माता मंदिर में दर्शन भी किए थे। मोदी का लालन-पालन वडनगर में ही हुआ था। गुजरात में विधानसभा चुनाव की अधिसूचना जारी होने के कुछ ही सप्ताह पहले मोदी ने गंगा तट पर स्थित हिंदुओं की पवित्र धार्मिक नगरी हरिद्वार में वडनगर इलाके के तीर्थयात्रियों के लिए उमिया धाम आश्रम का उद्घाटन किया था।

क्रोध के खिलाफ गरिमा से लड़ने के लिए कार्यकर्ताओं पर गर्व : राहुल गांधी

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नई दिल्ली, 18 दिसम्बर, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सोमवार को पार्टी कार्यकर्ताओं को 'क्रोध के खिलाफ गरिमा'से लड़ने के लिए शुक्रिया अदा किया और कहा कि गुजरात व हिमाचल प्रदेश के चुनाव में कांग्रेस का सबसे मजबूत पक्ष पार्टी की 'शालीनता व साहस'रहा। गांधी ने ट्वीट किया, "मेरे प्यारे कांग्रेसी भाइयों व बहनों, आपलोगों ने मुझे काफी गौरवान्वित किया। आप जिनसे लड़े उनसे अलग हो, क्योंकि आपने गरिमा के साथ क्रोध से मुकाबला किया। आपने सभी को बता दिया कि कांग्रेस का सबसे मजबूत पक्ष इसकी शालीनता व साहस है।"गुजरात व हिमाचल प्रदेश में भाजपा स्पष्ट जीत की ओर बढ़ रही है, वहीं संघर्ष के बावजूद कांग्रेस पार्टी को गुजरात में निराशा हाथ लगी।

जनादेश स्वीकार्य, मगर मोदी का तिलिस्म टूटा : कांग्रेस

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भोपाल, 18 दिसंबर, गुजरात के चुनाव में कम अंतर से हारी कांग्रेस ने भारतीय जनता पार्टी पर करारा हमला बोला है। मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अरुण यादव ने कहा है कि 'जनादेश स्वीकार्य है, परंतु भाजपा के ब्रांड एम्बेसडर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का तिलिस्म उनके ही गृहराज्य में टूट गया है'क्योंकि जीत का अंतर उंगलियों पर गिना जा सकता है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष यादव ने एक बयान जारी कर कहा कि कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृह प्रांत में दी गई कड़ी टक्कर के बाद उंगलियों पर गिने जाने वाले अंतर पर सरकार बनाने वाली भाजपा को बधाई देते हुए प्राप्त जनादेश को स्वीकार किया है। उन्होंने कहा कि विकास और गुजरात मॉडल की बात करने वाले प्रधानमंत्री ने गुजरात चुनाव में विकास की बात ही नहीं की। वे गुजरात के पूरे चुनाव में विकास के मुद्दे से हटकर सिर्फ और सिर्फ पाकिस्तान और धर्माधता के मुद्दे पर ही फोकस करते रहे। यादव ने आगे कहा कि हालांकि कांग्रेस पार्टी ने एक सशक्त विपक्ष के रूप में राहुल गांधी के नेतृत्व में अपनी व्यापक उपस्थिति दर्ज कराई है। भाजपा जो दावा कर रही थी, वह तो धरा रह गया। भाजपा यह माने कि उसे गुजरात में मुश्किल से जीत मिल पाई है। यादव ने यह भी कहा कि गुजरात चुनाव के परिणामों में एक सशक्त उपस्थिति दर्ज कराने के साथ कांग्रेस ने तीन प्रतिशत मतों का इजाफा किया है।

बिहार : भाजपा कार्यालय में जश्न का माहौल

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पटना, 18 दिसंबर, गुजरात और हिमाचल के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की मिली निर्णायक बढ़त के बाद बिहार के भाजपा कार्यालय में जश्न का माहौल है। निर्णायक बढ़त मिलते ही सोमवार को भाजपा के कई बड़े नेता और कार्यकर्ता प्रदेश कार्यालय पहुंचे और जश्न मनाया। इस दौरान लोगों ने आतिशबाजी की और मिठाई बांटी। लोगों ने नरेंद्र मोदी और अमित शाह जिंदाबाद के नारे भी लगाए। बिहार के कई जिला मुख्यालयों में भी भाजपा कार्यकर्ताओं में जश्न का माहौल दिखा। बेगूसराय, सासाराम, पूर्णिया, मुजफ्फरपुर में भी कार्यकर्ताओं ने भाजपा की जीत पर पटाखे छोड़े और एक-दूसरे को अबीर-गुलाल लगाया। भाजपा के वरिष्ठ नेता और बिहार के पथ निर्माण मंत्री नंदकिशोर यादव ने गुजरात और हिमाचल में जीत का श्रेय जनता के बजाय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व अध्यक्ष अमित शाह को दिया। उन्होंने कहा, "गुजरात और हिमाचल प्रदेश में पूर्ण बहुमत से भाजपा की जीत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति देशवासियों के निरंतर बढ़ते विश्वास और भरोसे का प्रतीक है। पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह के कुशल चुनावी प्रबंधन और कार्यकतराओं को एक सूत्र में पिरोने की कला को मतदाताओं ने न केवल स्वीकारा, बल्कि उनकी भावनाओं पर अपनी मंजूरी की मुहर लगाई।"उन्होंने कहा कि देश की जनता एक-एक राज्य से कांग्रेस का सफाया कर प्रधानमंत्री के कांग्रेसमुक्त भारत के संकल्प को साकार कर रही है। कांग्रेस की तुष्टीकरण की नीति और जातिवाद के आधार पर चुनाव की रणनीति को गुजरात की जनता ने खारिज कर दिया।
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