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बिहार : डायन के शक में वृद्धा की हत्या

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बगहा 18 दिसम्बर, बिहार में पश्चिम चम्पारण जिले के चौतरवा थाना क्षेत्र में आज तड़के डायन के शक में एक महिला की गला दबाकर हत्या कर दी गयी। पुलिस सूत्रों ने यहां बताया कि चौतरवा थाना क्षेत्र की वार्ड संख्या-दो निवासी पार्वती देवी (70 वर्ष) के रिश्तेदारों को उनके डायन होने का शक था। इसी को लेकर परिवार के अन्य सदस्यों ने रविवार को महिला के साथ मारपीट की थी। पार्वती देवी और उनके रिश्तेदारों के बीच आज तड़के फिर विवाद बढ़ गया जिसके बाद लोगों ने उनकी गला दबाकर हत्या कर दी। इस सिलसिले में महिला के पुत्र ब्रजेश साह ने संबंधित थाना में तीन लोगों के खिलाफ नामजद प्राथमिकी दर्ज करायी है। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए नामजद आनंदी साह और द्रौपदी देवी को गिरफ्तार कर लिया है। मामले की जांच की जा रही है।

मोदी का जादू बरकरार , गुजरात हिमाचल में भाजपा सरकार

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नयी दिल्ली, 18 दिसंबर, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को गुजरात में मिली लगातार छठी जीत और हिमाचल प्रदेश में उसके कांग्रेस से सत्ता छीनने से एक बार फिर साबिज हो गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जादू अभी भी बरकरार है और उनके नेतृत्व में पार्टी लगातार ऊंचाईयों की ओर बढ़ रही है। गुजरात में कांग्रेस की आेर से मिली कड़ी टक्कर के बावजूद भाजपा ने 182 सदस्यीय विधानसभा में स्पष्ट बहुमत हासिल कर लगातार छठी जीत का रिकार्ड कायम किया वहीं उसने हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस को सत्ता से बेदखल कर इस पर्वतीय राज्य में एक बार फिर भगवा परचम लहरा दिया है। पिछले आम चुनाव से भाजपा की जीत का जो सिलसिला शुरु हुआ था वह गुजरात और हिमाचल प्रदेश में भी जारी रहा। हिमाचल प्रदेश मेें जीत के साथ भाजपा की झोली में 14 राज्य आ गये हैं। इसके अलावा पांच राज्यों में उसके सहयोगी दलों की सरकार है। दो दिन पूर्व कांग्रेस की बागडोर संभालने वाले राहुल गांधी के लिये ये चुनाव जीत की खुशी नहीं दे पाये। हिमाचल प्रदेश जहां उनकी पार्टी के हाथ से निकल गया वहीं गुजरात मेें पार्टी का प्रदर्शन पिछले कई चुनावों के मुकाबले अच्छा रहा लेकिन वह 22 वर्ष से चले आ रहे भाजपा के शासन को समाप्त करने में सफल नहीं हो सकी। हिमाचल की हार के बाद अब सिर्फ पांच राज्यों में कांग्रेस की सरकार बची है। उत्तर और पश्चिम भारत में सिर्फ पंजाब में वह सत्ता में है। गुजरात में भाजपा को लगातार छठी जीत मिलने का श्रेय श्री मोदी को जाता है जिन्होंने राज्य में धुआंधार प्रचार किया और विरोधियों के इन दावों को धूल धुसरित कर दिया कि नोटबंदी और जीएसटी से लोगों में भारी नाराजगी है जिसका खामियाजा भाजपा को भुगतना पड़ेगा। श्री मोदी के प्रयासों से भाजपा को जीत तो हासिल हुयी है लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव की तुलना में उसकी सीटें घट गयी हैं। वह इस बार एक सौ के आंकड़े के नहीं छू पायी । 

भाजपा को गुजरात में 182-सदस्यीय विधानसभा में उसने 99 सीटें हासिल की हैं, जबकि पिछली बार उसे 115 सीटें मिली थी। पहले से बेहतर प्रदर्शन कर रही कांग्रेस ने भी 77 सीटें जीती हैं, जो पिछली बार से 16 सीटें अधिक हैं। कांग्रेस ने भाजपा से कई सीटें छीनी है, जबकि भाजपा ने भी कांग्रेस से कुछ सीटें झटक ली हैं। मुख्यमंत्री विजय रूपाणी राजकोट पश्चिम सीट पर 53 हजार से अधिक मतों से जीत गये। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भावगनर पश्चिम सीट पर लगभग सात हजार मतों से जीते हैं। कांग्रेस समर्थित निर्दलीय प्रत्याशी जिग्नेश मेवाणी वडगाम सीट पर 19000 से अधिक मतों से जीत गये हैं। एक अन्य निर्दलीय भूपेन्द्र खांट मोरवा हडफ सुरक्षित सीट से जीते हैं। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने एक और भारतीय ट्राइबल पार्टी ने दो सीटों पर जीत हासिल की है। पिछले 22 साल से राज्य में सत्तारूढ भाजपा के प्रत्याशी तथा मंत्री और जाने माने आदिवासी नेता गणपत वसावा मांगरोल सुरक्षित सीट पर जीत गये हैं। वह पिछली बार भी इस सीट पर जीते थे। नडियाद सीट पर भाजपा के पंकज देसाई (पिछली विधानसभा में पार्टी के सचेतक) ने अपनी सीट बकरकरार रखी। भाजपा के प्रत्याशी तथा विजय रूपाणी सरकार के कैबिनेट मंत्री बाबू बोखिरिया ने पोरबंदर सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी और पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अर्जुन मोढवाडिया को 1855 मतों से पराजित कर अपनी यह सीट बरकरार रखी। पिछली बार जदयू के इकलौते विधायक रहे और भारतीय ट्राइबल पार्टी के नेता छोटू वसावा एक बार फिर झगड़िया सीट पर जीत गये हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पूर्व सीट मणिनगर पर भाजपा के सुरेश पटेल ने कांग्रेस की श्वेता ब्रह्मभट्ट को 75199 मतों के विशाल अंतर से हरा दिया। कांग्रेस के परेश धानाणी अमरेली सीट पर जीत गये हैं। पाटीदार बहुल ठक्करबापानगर में हार्दिक पटेल के वकील और कांग्रेस के बाबु मांगुकिया हार गये हैं। कांग्रेस ने भाजपा से जमालपुर खाड़िया, जूनागढ़, मांगरोल, जंबूसर आदि सीटें छीनी हैं। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के कांधल जाडेजा ने कुतियाणा सीट बरकरार रखी है।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस को करारी शिकस्त देकर सत्ता पर कब्जा कर लिया है। पार्टी ने 68 सदस्यीय विधानसभा में 44 सीटें जीती हैं लेकिन उसके मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार प्रेम कुमार धूमल और उसके प्रदेश अध्यक्ष सतपाल सिंह सत्ती चुनाव हार गये हैं। कांग्रेस को सिर्फ 21 सीटें हासिल हुयी हैं। एक सीट मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने जीती है जबकि दो सीटें निर्दलीय उम्मीदवारों की झोली में गयी हैं। मौजूदा मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता वीरभद्र सिंह तथा उनके पुत्र विक्रमादित्य सिंह ने जीत हासिल की है। श्री वीरभद्र सिंह ने अर्की सीट पर भाजपा के रतनपाल सिंह से 6051 मतों के अंतर से जीत हासिल की है। श्री सिंह आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक सम्पत्ति अर्जित करने के मामले में लगातार विपक्ष के निशाने पर थे। पूर्व मुख्यमंत्री श्री धूमल को कांग्रेस के उम्मीदवार राजिंदर राणा ने सुजानपुर सीट पर 1919 मतों से हराया। श्री धूमल के समधी और सांसद अनुराग ठाकुर के ससुर गुलाब सिंह ठाकुर जोगिन्दरनगर सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार प्रकाश राणा से 6,635 मतों से हार गए हैं। पूर्व मुख्यमंत्री सुखराम के पुत्र अनिल शर्मा भाजपा के टिकट पर जीतने में सफल रहे हैं। श्री सुखराम और श्री शर्मा हाल ही में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे। वीरभद्र सरकार के पांच मंत्रियों को इस चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा है, जिनमें बल्ह सीट से प्रकाश चौधरी, द्रंग से कौल सिंह, धर्मशाला से सुधीर शर्मा, भरमौर से ठाकुर सिंह भरमौरी और नगरोटा से जीएस बाली शामिल हैं। 

विशेष : पंजाब के निकाय चुनावों का हिंसक होना?

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पंजाब के नगर निकाय चुनावों में कांग्रेस को विधानसभा चुनावों की ही तरह ऐतिहासिक जीत हासिल हुई है। पूरे देश में भाजपा का परचम फहरा रहा है, हाल ही में गुजरात एवं हिमाचल प्रदेश में भाजपा ने जीत हासिल करके कांग्रेसमुक्त भारत की दिशा में एक और कदम बढ़ाया है लेकिन पंजाब के निकाय चुनावों ने कांग्रेस की टूटती सांसों में नये प्राण का संचार किया है। लेकिन इन चुनावों ने लोकतंत्र को एक बार फिर लहूलुहान किया है, जो बेहद शर्मनाक एवं चिन्ता का विषय है। पंजाब मंे मतपेटी पर खून के धब्बे लगे, जो लोकतंत्र के नाम पर कालिख है। इतनी बड़ी चुनावी हिंसा एवं ज़ोर-ज़बरदस्ती मतदान केन्द्रों पर कब्जों ने लोकतंत्र का गला घोंट कर रख दिया। मूल्यों पर आधारित राजनीति करने का आश्वासन देने वालों से हमारा समकालीन इतिहास भविष्य की देहरी पर खड़ा कुछ सवालों का जवाब मांग रहा है। हिंसा ही नहीं, लोकतंत्र की विसंगति यह भी है कि जनता बेहतर की उम्मीद में पार्टी प्रत्याशियों को बदल-बदलकर परखती रहती है। बहरहाल, हार-जीत तो लगी रहती है, मगर इस तस्वीर का चिंताजनक पहलू यह है कि चुनाव के दौरान हिंसक संघर्ष की खबरें आई हैं। यह आकंड़ा विधानसभा चुनाव के दौरान हुई घटनाओं से अधिक है। खासकर मुख्यमंत्री अमरेंद्र सिंह के गृह जनपद पटियाला में हिंसा की घटनाएं ज्यादा चिंता बढ़ाने वाली हैं।

आज राजतंत्र नहीं लोकतंत्र है। जैसे राजतंत्र में लोकतंत्र नहीं चलता वैसे ही लोकतंत्र में राजतंत्र नहीं चलता। लोकतंत्र में जनमत ही सर्वाेच्च है। मत का अधिकार गिना गया है। वह भी सबको बराबर। मताधिकार के उपयोग में हिंसा का घुसना शुभ लक्षण नहीं है। इन चुनावों के चिन्तन का महत्वपूर्ण पक्ष है- हम लोकतंत्र में हिंसा एवं पतन के गलत प्रवाह को रोके। लोकतंत्र के इस पवित्र अनुष्ठान में हिंसा एवं आपराधिक तत्वों का बढ़-चढ़ कर हिस्सेदारी करना देश की लोकतांत्रिक मर्यादाओं एवं संस्कृति की साख पर प्रश्नचिन्ह खडे़ कर रही है। यहां प्रश्न कौन जीता या कौन हारा का नहीं है, प्रश्न लोकतांत्रिक मूल्यों का है। भले ही पंजाब में निकाय चुनावों में कांग्रेस ने अपना परचम लहरा दिया है। भले ही भारतीय जनता पार्टी, शिरोमणि अकाली दल बादल और आम आदमी पार्टी को करारी हार मिली है। भले स्थानीय निकाय चुनाव में मुद्दे पानी, बिजली, सड़कें, स्वच्छता, स्थानीय स्तर पर स्वास्थ्य सेवाएं और अन्य जनसुविधाएं के रहे हो, लेकिन बड़ा प्रश्न तो यह है कि चुनाव में हिंसा एवं आपराधिक तत्वों की धुसपैठ को कैसे रोका जाये?

लोेकतंत्र में सबसे महत्वपूर्ण पहलू चुनाव है। यह राष्ट्रीय चरित्र का प्रतिबिम्ब है। लोकतंत्र में स्वस्थ मूल्यों का बनाए रखने के लिये चुनाव की स्वस्थता अनिवार्य है। चुनाव में नीति की बात पीछे छूट जाती है तो वहां महासमर मच जाता है, हिंसा का खुला ताण्डव होता है, वहां सम्प्रदायवाद सिर उठाता है, जातिवाद के आधार पर वोटों का विभाजन होता है, धनबल हावी होता है। ये सब स्थितियां लोकतंत्र को मूच्र्छित करती है। लोकतंत्र के प्रसाद को सुदृढ़ आधार प्रदान करने के लिये जहां स्वतंत्रता, पारदर्शिता, नैतिकता जरूरी है वहीं अहिंसा भी मूल आधार है। इसके बिना लोकतंत्र का अस्तित्व टिक नहीं सकता। राजनीति का अपराधीकरण हो रहा है या अपराध का राजनीतिकरण? आतंकवाद, उग्रवाद के बाद अब यह कौन-सा वाद है? जिस प्रकार उग्रवादियों को एक भाषण, एक सर्वदलीय रैली या जुलूस से मुख्यधारा में नहीं जोड़ा जा सकता, ठीक उसी प्रकार चुनावों में हिंसा एवं अपराध का गठजोड़ को भी नहीं तोड़ा जा सकता। इसकी दवा है कि राष्ट्रीय पार्टियां जीतने वाले प्रत्याशी को नहीं अपितु योग्य चरित्रवान प्रत्याशी को टिकट दें। क्योंकि यह बात साफ है कि हिंसा के मूल में बाहुबल का प्रदर्शन ही है, जो लोकतांत्रिक मान्यताओं के अनुरूप तो कतई नहीं है। सरल शब्दों में कहें तो यह सत्ता पक्ष के दबदबे का पर्याय है। मगर इसकी एक वजह यह भी है कि जो लोग एक दशक से स्थानीय निकायों में काबिज थे, वे राज्य सरकार हाथ से निकल जाने के बाद लोकतंत्र की पहले पायदान पर छोटी सरकार के भी हाथ से निकल जाने से बेचैन हो उठे। चुनाव आयोग की सख्ती व शासन-प्रशासन की चुस्ती से भारत में चुनाव हिंसा से निरापद हो रहे हैं। लेकिन पंजाब में निकाय चुनावों में हिंसा की खबरों ने बेचैन कर दिया। तेजी से बढ़ता चुनावी हिंसक दौर पंजाब का दर्द नहीं रहा। इसने हर भारतीय दिल को जख्मी बनाया है। अब इसे रोकने के लिये प्रतीक्षा नहीं, प्रक्रिया आवश्यक है। इसके लिये चुनाव आयोग  और सरकार को सोचना होगा कि भविष्य में इस तरह की प्रवृत्ति को कैसे रोका जाये। किसी भी चुनाव में हिंसा का मतलब यही है कि लोगों को पारदर्शी तरीके से वोट देने से वंचित करने की कोशिशें हुई हैं, जो दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में कतई स्वीकार्य नहीं है। निकाय चुनावों में जीत के बाद कांग्रेस की भी जवाबदेही बनती है कि लोगों को पारदर्शी व जनभावनाओं के अनुरूप स्थानीय प्रशासन दे।

जालन्धर के 80 वार्डों में से 66 पर कांग्रेस का कब्जा हो गया है। भाजपा के कई दिग्गजों का पत्ता साफ हो गया है। दो-दो बार जीतते आए पार्षद भी हार गए हैं। इससे पता चलता है कि भाजपा और अकाली दल का जनाधार खिसक चुका है। अमृतसर में निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू की प्रतिष्ठा दाव पर थी। उन्होंने भी इन चुनावों में कड़ी मेहनत की। अमृतसर में तो अकाली दल का व्यापक जनाधार रहा है लेकिन वह भी काम नहीं आया। पटियाला तो कैप्टन अमरेन्द्र सिंह का गृह क्षेत्र है। अब तक पटियाला में कोई पार्टी इस तरह से नहीं जीती जिस तरह से पटियाला में कांग्रेस जीती है। लेकिन इस तरह की जीत का हिंसक होना, बूथ कैप्चरिंग का आरोप लगना या फिर लोकतंत्र की हत्या का आरोप लगना- जीत के मायने बदल देती है। भाजपा भले ही इन चुनावों में धांधलियों को लेकर कोर्ट का दरवाजा खटखटाए लेकिन राजनीतिक दलों को सोचना है कि लोकतंत्र को किस तरह हिंसा-मुक्त किया जा सकता है।  




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(ललित गर्ग)
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डीएवी स्कूल के पास, दिल्ली-110051
फोनः 22727486, 9811051133

विशेष आलेख : भाजपा को चेतावनी, कांग्रेस को सबक

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गुजरात के चुनाव परिणामों ने जहां भारतीय जनता पार्टी के कान खड़े कर दिए हैं, वहीं बर्फीले प्रदेश हिमाचल में कांग्रेस को बहुत बड़ा सबक दिया है। इन दोनों चुनावों के परिणामों के नेपथ्य से कुल मिलाकर यह संदेश तो प्रवाहित हो रहा है कि कांग्रेस धीरे-धीरे ही सही, परंतु सत्ता मुक्त पार्टी की ओर कदम बढ़ा रही है। वर्तमान में कांग्रेस के पास देश के चार ही राज्य ऐसे हैं, जहां उसकी सरकार है। इतना बड़ा देश और केवल चार राज्य। यह कांग्रेस के लिए आत्म मंथन का विषय हो सकता है। वैसे कांग्रेस गुजरात में अपनी बढ़ती हुई ताकत को देखकर आत्म मुग्ध हो रही है। वह अपनी हार को भी जीत मानने की भूल कर रही है। हालांकि यह सत्य है कि जो हारकर भी जीत जाए, उसे बाजीगर कहते हैं, लेकिन लोकतंत्र में यह कहानी अतिरेक की श्रेणी में आती है। लोकतंत्र में केवल सीटों की संख्या का गणित ही लगाया जाता है, पहले से कितनी सीट ज्यादा आई, इसका कोई महत्व नहीं है। गुजरात चुनाव के परिणामों ने यह बात तो जाहिर कर दी है कि भाजपा जैसी जीत चाहती थी, वैसी नहीं मिली। इसके विपरीत कांग्रेस को भी जैसे प्रदर्शन की उम्मीद थी, वैसा भी नहीं हुआ। भाजपा की पहले के मुकाबले कमजोर सरकार और कांग्रेस की प्रभावशाली हार ने दोनों ही दलों के कार्यकर्ताओं को उछलने कूदने का अवसर प्रदान किया है। गुजरात के परिणाम भाजपा के लिए खतरों भरा आमंत्रण है, वहीं कांग्रेस के लिए एक बहुत बड़ा सबक है। सबक इसलिए माना जा सकता है कि क्योंकि यह सिद्ध हो चुका है कि आज की राहुल गांधी वाली कांग्रेस में उतनी ताकत नहीं है, जो अकेले रहकर भाजपा का मुकाबला कर सके। इसलिए यह कहा जा सकता है कि कांग्रेस अपाहिज जैसी अवस्था को प्राप्त करने की ओर हो रही है। आगे कांग्रेस की अवसथ क्या होगी, इसका अनुमान लगाया जा सकता है, लेकिन बाहरी राजनीतिक जगत और अंदरखाने में कांग्रेस की इतिश्री की अवस्था को प्राप्त करने जैसी खबरें भी सुनाई देने लगी हैं। अभी हाल ही में वरिष्ठ राजनीतिज्ञ अमर सिंह ने कहा भी है कि नरेन्द्र मोदी न तो कभी हारे हैं और न ही हारेंगे। उनका आशय संभवत: यही निकाला जा सकता है कि कांग्रेस में अब उतनी ताकत नहीं है कि वह भाजपा को पराजित कर सकें। इसी प्रकार कांग्रेस तो चुनाव से पूर्व ही निराशा के स्वर प्रस्फुटित हो चुके हैं। गुजरात के चुनाव परिणामों ने भाजपा को गहरे सबक से साक्षात्कार कराया है। गुजरात की जनता ने भाजपा का भय से सामना कराया है। एक ऐसा भय जो आगामी चुनावों के लिए आत्म मंथन के लिए विवश करेगा। दूसरी सबसे बड़ी बात यह भी है कि जिस कांग्रेस के पास अपने कार्यालय में काम करने वाले कर्मचारियों को देने के लिए पैसे नहीं थे, उसके पास चुनावों के लिए धन कहां से आ गया। हम यह भी जानते हैं कि देश ही नहीं, बल्कि विदेश में कई संस्थाएं ऐसी हैं जो नरेन्द्र मोदी के राजनीतिक प्रभाव को कमजोर करने का प्रयास कर रही हैं। हो सकता है कि कांग्रेस को ऐसे ही लोगों ने धन उपलब्ध कराया हो, लेकिन हम तो यही कहेंगे कि यह सारा मामला जांच ऐजेंसियों का विषय है, इसका गणित भी जांच एजेंसियां ही लगा तो अच्छा रहेगा। परंतु जांच का विषय तो है ही। दोनों राज्यों के चुनाव परिणाम कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के लिए अपशकुन ही कहे जा सकते हैं, क्योंकि उनके अध्यक्ष बनने के तुरंत बाद ही उनकी ऐसी परीक्षा हुई कि दोनों राज्यों में असफल हो गए। शुरुआत में ही पराजय मिलना अध्यक्षी की मीठी खुशी में कड़वाहट पैदा कर गई।

गुजरात और हिमाचल प्रदेश में चुनावों के जो परिणाम आए हैं, उससे भारतीय जनता पार्टी को सत्ता मिल गई है। इन चुनाव परिणामों में खास बात यह है कि गुजरात में सत्ता विरोधी लहर बिलकुल भी दिखाई नहीं दी, इसके अलावा हिमाचल में सत्ता विरोधी लहर के चलते कांग्रेस को सत्ता छोड़नी पड़ी है। इससे यह साफ हो जाता है कि दोनों राज्यों में भाजपा की ही लहर दिखाई दी। गुजरात के चुनाव परिणाम का अध्ययन करने से यह प्रमाणित होता है कि वहां वास्तव में कांग्रेस के नाम पर कोई जादू नहीं था, कांग्रेस को जो भी सफलता मिली है, उसमें उन तीन नए नेताओं का व्यापक प्रभाव दिखाई देता है, जिन्होंने कांग्रेस का साथ दिया था। अब विचार किया जाए कि इन तीन नेताओं का साथ कांग्रेस को नहीं मिला होता तो कांग्रेस की स्थिति क्या होती। इसी प्रकार भाजपा की बात की जाए तो यह स्वाभाविक रुप से दिखाई देता है कि गुजरात में भाजपा और कांग्रेस के बीच वोट प्रतिशत का अंतर भी कम हुआ है। जो प्रतिशत पिछले चुनाव लगभग नौ था, अब वह मात्र सात प्रतिशत के आसपास दिखाई देता है। इससे स्वाभाविक रुप से यह सवाल आता है कि भाजपा की व्यापक लोकप्रियता में गिरावट भी आई है। भाजपा की सीटों की संख्या पिछले चुनाव परिणाम की तुलना में कम हुई हैं। राजनीतिक विश्लेषकों के गणित के हिसाब से देखा जाए तो यही सामने आता है कि अगर कांग्रेस की ओर से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को नीच नहीं कहा जाता तब भाजपा की क्या स्थिति होती, इतना ही नहीं कांग्रेस के कपिल सिब्बल ने भी कांग्रेस के वोट कम करने में अपना योगदान दिया है। इसलिए यह भी कहा जाने लगा है कि गुजरात चुनाव प्रचार के दौरान इस प्रकार की बयानबाजी ने ही कांग्रेस को कमजोर किया है। अगर ऐसा नहीं होता तो हो सकता था कि गुजरात में कांग्रेस और ज्यादा अच्छी स्थिति में होती। दोनों राज्यों के वुनाव परिणाम की समीक्षा की जाए तो यह स्वाभाविक रुप से दिखाई देता है कि कांग्रेस अपनी ओर से किसी प्रकार का प्रभाव नहीं छोड़ पाई है। दूसरी तरफ कांग्रेस के नए नवेले राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के खाते में यह दो असफलताएं और जुड़ गर्इं। गुजरात में कांग्रेस की अच्छी स्थिति की दुहाई देकर भले ही कांग्रेस अपना बचाव करे, लेकिन लोकतंत्र में सीटों की संख्या और बहुमत का खेल होता है, जो आज कांग्रेस के पास नहीं है। इसी प्रकार हम यह भी जानते हैं कि गुजरात में भाजपा को हराने के लिए चारों तरफ से अभिमन्यु जैसा चक्रव्यूह बनाने का प्रयास किया गया। ऐसे प्रयासों के बाद भी भाजपा ने सत्ता बचाने में सफलता प्राप्त की है। इस चुनाव में एक और खास बात यह दिखाई दी, वह यह है कि कांग्रेस की ओर से जातिवाद का खेल खेला गया। इस जातिवाद के सहारे ही कांग्रेस की सीटों में बढ़ोत्तरी हुई है। खैर जो भी हो, परिणाम आ चुके हैं और दोनों राज्यों में भाजपा की सत्ता आ चुकी है। यहां सबसे बड़ा सवाल यह भी है कि जो सत्ता विरोधी रुख हिमाचल में दिखाई दिया, वह गुजरात में नहीं था। सवाल यह भी है कि जिस प्रकार के कांग्रेस के राजनीतिक प्रभाव बढ़ने के बयान आ रहे हैं, वह सही नहीं कहे जा सकते, क्योंकि अगर कांग्रेस का राजनीतिक प्रभाव बढ़ा है तो फिर कांग्रेस हिमाचल में क्यों हार गई। कांगे्रस को सच्चाई का भी सामना करना चाहिए।




सुरेश हिन्दुस्थानी
लश्कर ग्वालियर मध्यप्रदेश
मोबाइल-9425101815, 9770015780
102 शुभदीप अपार्टमेंट, कमानीपुल के पास

राजनीति : इस वर्ष भी विपक्ष पर भारी पड़ा मोदी का भगवा खेमा

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  • वंशवाद के काऱण राजनेताओं की डूबी लुटिया, अलविदा 2017

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कोलकाता।यह साल मात्र कुछ दिनों का मेहमान है। इस वर्ष अगर देश ने कईयों को खोया है तो तमाम उपलब्धियां भी हासिल की है। लेकिन अगर हम बात देश के राजनीतिक परिदृश्य की करें तो साफ दिखता है कि 2017 में भी पीएम मोदी का जादू कम नही हुआ है व भगवा खेमे की ताकत में बढ़तरी ही हुई है। गुरात व हिमाचल समसामयिक उदाहरण है। वैसे बिगत तीन सालों के राजनीतिक घटना क्रम कहें या फिर हलचल पर ध्यान दें तो भाजपा की ताकत लगातार बढ़ती जा रही है और विपक्ष कमजोर ही नही हो रहा है हासिए पर जाने की स्थिती में है। 2017 में भी राज्य विधानसभाओं के चुनावों में भाजपा का परचम लहराया और बाकी विरोधियों ने जमीन पकड़ी। हलांकि इस दौरान राहुल गांधी के तेवर थोड़े तल्ख रहें ।  राहुल गांधी की कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में ताजपोशी हुई। लेकिन वह गुजरात व हिमाचल में किसी तरह का चमत्कार नहीं कर सकें। ऐसे भी लोग हैं जिनका मानना है कि राहुल के व्यक्तित्व में नया निखार दिखाई दे रहा है। राहुल पीएम नरेंद्र मोदी व भाजपा अध्यक्ष अमित शाह द्वारा की रातनीतिक पैंतरेबाजी को जवाब देने के लिये  अपने लिए नई लकीर खींचते दिखाई दे रहे हैं। अगर राहुल संप्रग में जान डाल सके तो विपक्ष को मजबूती मिल सकती है और वह 2019 के आम चुनावों में भाजपा को चुनौती दे पाने की की स्थिती में हो सकते हैं। अगर बात भगवा खेमे की करे तो पीेम मोदी और भाजपा के लिए यह साल तमाम परिस्थियों के बाद भी अच्छा रहा। हर मोड़ में मोदी व भगवा खेमे ने तथा राहुल और कांग्रेस को जमीन दिखाया। 

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राहुल गांधी के बारे में कहा जा रहा है कि वह अब चौकने है और फूंक कर कदम रखना चाहते हैं। अब वह . अपनी मां सोनिया गांधी की तरह कुछ जी हुजूरी टाइप के लोगों के चक्कर में न रह कर अग्रसर हैं और शायद  हिंदुत्व को आधार मानकर चल रहें हैं मंदिरों में जाना तो यही संकेत देता है। खबरों की माने तो कि राहुल अपनी टीम में युवाओं को ज्यादा प्रतिनिधित्व दें सकते हैं। यहां वह अपने पिता स्व. पूर्व पीएम राजीव गांधी से प्रभावित दिख रहें है। वंशवाद के आरोपों के तहत राहुल गांधी की ताजपोशी को लेकर भी तमाम टिप्पणियां हुईं।  लेकिन देश की राजनीति में जिस तरह से इस साल लालू यादव और मुलायम यादव परिवार को वंशवाद का खमियाजा भरना पड़ा ऐसा राहुल के मामले में नहीं हुआ। उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान मुलायम कुनबे में बिखराव आया। यूपी में मुलायम सिंह और समाजवादी पार्टी नाव डूब ही गई। राष्ट्रिय अध्यक्ष पद की कुर्सी पर भी बेटे अखिलेश ने कब्जा कर लिया। बात अगर बिहार की करे तो लालू यादव व उनका कुनबा जो पूरे साल विवादों में घिरा रहा। लालू की तरह ही उनके बेटे और बेटी घोटालों में फंसते दिखे। वंशवाद के मोह में डूबे लालू यादव की नीति से बिहार सरकार से राजद गायब हो गया।  वही नीतीश ने एक बार फिर भाजपा का हाथ थामकर अपनी सरकार को बचाये रखा। यहा साल शरद यादव व मायावती के लिये टीक नहीं रहा।  इन दोनों की राज्य सभा सदस्य्तापर गाज गिरी। . शरद यादव को तो नीतीश ने पार्टी को अपने कब्जे में लेकर बाहर का रास्ता दिखा दिया। हलांकि मायावती ने उप्र में अपनी पार्टी बसपा की बुरी तरह हार से के बाद राज्य सभा से इस्तीफ़ा दे दिया था। बंगाल की ममता सरकार की बात करे तो सीएम ममता बनर्जी के कभी अत्यंत खास रहे मुकुल राय ने भाजपा का दमान पकड़ लिया और वह तृणमूल सरकार के खात्मे के लिये व्यूह की रचना कर रहें हैं। कहा जा रहा है कि उक्त सरकार में रहे तमाम लोग भी वंशवाद के सिकार हैं लेकिन किसी की हिम्मत नहीं है कि वह फौरी तौर पर मुकुल राय का रास्ता अपना सकें। आरोप है कि पार्टी में ममता व उनके भतीजे अभिषेक के अलवा किसी की नहीं चलती है। राजनीति के गलियारों से कहा जा रहा है कि अभिषेक अब राज्य की सत्ता में न. दो की हैसियत रखते है। अब बात जीएसटी की करे तो देश भर में इसका लागू होना भी एक महत्वपूर्ण कदम है। लेकिन एक वर्ग जीएसटी के विरोध में भी हैं।  कहा जा रहा था कि नोटबंदी व जीएसटी का गुजरात व हिमाचल के चुनावों पर गहरा असर पड़ेगा, ले किन जो पऱिणाम आये इससे तो लगता है कि नोटबंदी व जीएसटी का गुजरात व हिमाचल में असर ही नहीं पड़ा। उक्त मुद्दे यहां गौड़ ही रहे और लोगों ने भगवा खेमे को ही सत्ता के लिये चुन लिया।





liveaaryaavart dot com--जगदीश यादव--

सीहोर (मध्यप्रदेश) की खबर 19 दिसंबर

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दस्तक अभियान पर निकली जनजागरूकता रैली

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18 दिसंबर से 18 जनवरी 2018 तक निरंतर एक माह संचालित दस्तक अभियान की जनजागरूकता के लिए शहरी प्र्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र्र सीहोर से आज एक जनजागरूकता रैली को जिला स्वास्थ्य अधिकारी डाॅ.टी.आर.उईके एवं जिला टीकाकरण अधिकारी डाॅ.एम.के.चंदेल ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इस अवसर पर शहरी टीकाकरण अधिकारी डाॅ.नीरा श्रीवास्तव, जिला कार्यक्रम प्रबंधक श्री धीरेन्द्र आर्य,डिप्टी मीडिया अधिकारी सुश्री उषा अवस्थी,जिला मीडिया सलाहकार श्री शैलेश कुमार, आरबीएसके समन्वयक सुश्री दीनू शर्मा,जिला कम्यूनिटी मोबीलाईजर श्रीमती विन्ध्यवासिनी कुशवाहा, श्री हरिओम मेवाड़ा सहित शहरी क्षेत्र की समस्त ए.एन.एम.,आशा कार्यकर्ता, आशा सहयोगिनी, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र का स्टाॅफ उपस्थित था।मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डाॅ.डीआर अहिरवार ने बताया कि दस्तक अभियान के अंतर्गत ए.एन.एम.,आशा एवं आंगनबाडी कार्यकर्ताओं द्वारा घर-घर पहंुचकर शून्य से 5 वर्ष तक के बच्चों को 10 से से भी अधिक प्रकार की सेवाएं दी जा रही है जिसमें कुपोषण,कम वजन व खून की कमी की जांच,हाथ धुलाई,ओआरएस का घोल बनाना,जन्मजात विकृति के बच्चों का चिन्हांकन किया जा रहा है तथा कम वजन वाले बच्चों को उपचार हेतु रेफर भी किया जाएगा। डाॅ.अहिरवार ने बताया कि दस्तक अभियान को सफल बनाने के लिए प्रचार-प्रसार गतिविधियों के अंतर्गत आशा कार्यकर्ताओं एवं एएनएम द्वारा घर-घर जाकर अनुरोध पत्र प्रदान किए जा रहे है वहीं ग्राम स्तर पर नारे एवं संदेश लेखन कर अभियान की सफलता के लिए सहयोग मांगा जा रहा है और जनजाग्रति लाई जा रही है,वहीं माता बैठकों के माध्यम से बच्चों की माताओं को भी दस्तक अभियान में सहभागिता के लिए जागरूक किया जा रहा है एवं प्राथमिक स्कूलों में विद्यार्थियों को संदेश देकर भी व्यापक प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। आज शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केेन्द्र से निकाली गई जनजागरूकता रैली भी इसी अभियान का एक हिस्सा है। श्री अहिरवार ने बताया कि दस्तक अभियान के अंतर्गत शून्य से 5 साल तक के करीब 1 लाख 88 हजार 572 बच्चों को लाभान्वित किये जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। 

विदिशा (मध्यप्रदेश) की खबर 19 दिसंबर

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जनसुनवाई में 178 आवेदन प्राप्त हुए, मौके पर 40 आवेदनों का निराकरण

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कलेक्टर श्री अनिल सुचारी के मार्गदर्शन में आज मंगलवार को आहूत की गई जनसुनवाई कार्यक्रम में 178 आवेदकों ने आवेदन प्रस्तुत कर अपनी व्यक्तिगत और सार्वजनिक समस्याओं की ओर ध्यान आकर्षित कराया। अपर कलेक्टर श्री एचपी वर्मा ने मौके पर 40 आवेदनों का निराकरण किया है शेष लंबित आवेदनों पर समय सीमा मंे कार्यवाही कर निराकरण की जानकारी बेवपोर्टल पर अंकित करने के भी निर्देश उनके द्वारा दिए गए है। जिला पंचायत के सभागार कक्ष में एसडीएम श्री रविशंकर राय, संयुक्त कलेक्टर श्री आरडीएस अग्निवंशी समेत अन्य विभागोें के अधिकारीगण पंक्तिबद्व-रो में बैठकर आवेदकों के आवेदनों को प्राप्त कर उनका निराकरण करने की कार्यवाही की गई है। जनसुनवाई कार्यक्रम में नटेरन तहसील के ग्राम पट्टन के वायोवृद्व श्री उधम सिंह ने श्रवण यंत्र प्रदाय करने हेतु आवेदन प्रस्तुत किया। मौके पर ही सामाजिक न्याय विभाग के माध्यम से अपर कलेक्टर द्वारा आवेदक को श्रवण यंत्र प्रदाय किया गया है। तहसील लटेरी की ग्राम पंचायत झूकरजोगी की सरपंच श्रीमती कपूरीबाई कुशवाह और अन्य आवेदको ने अवगत कराया कि ग्राम खैरखेडी में पदस्थ शिक्षकों द्वारा अध्यापन कार्य नही कराया जा रहा है ग्राम में आज तक बिजली की व्यवस्था नही की गई है उक्त ग्राम में एक भी बीपीएलधारी परिवार एवं पेंशनधारी हितग्राही नही है। उक्त आवेदन को गंभीरता से लेते हुए अपर कलेक्टर द्वारा लटेरी एसडीएम को आवश्यक दिए गए है। वही डीपीसी को शैक्षणिक व्यवस्था की जांच कर पालन प्रतिवेदन दो दिवस के भीतर प्रस्तुत करने के भी निर्देश दिए गए है। ग्राम गाजीपुर के आवेदक श्री रामस्वरूप ने शौचालय की राशि दिलाए जाने हेतु आवेदन प्रस्तुत किया। जांच पड़ताल के उपरांत राशि दिलाए जाने का आश्वासन दिया गया। ग्राम पचमा के मदन सिंह ने फसल बीमा की राशि दिलाए जाने हेतु आवेदन प्रस्तुत किया था। डंडापुरा की श्रीमती गुड्डीबाई ने बीपीएल कार्ड जारी करने हेतु आवेदन प्रस्तुत किया। तहसील त्योेंदा के आवेदक श्री शंकर सिंह ने आवास दिलाने हेतु, ग्राम मसूदपुर के मिट्ठूलाल ने आर्थिक सहायता दिलाए जाने हेतु आवेदन प्रस्तुत किया था। संबंधित आवेदकों को नियम प्रक्रिया से अवगत कराया गया।  

नगद इनाम की घोषणा

पुलिस अधीक्षक श्री विनीत कपूर ने थाना सिरोंज में दर्ज अपराध के फरार आरोपी की सूचना देने अथवा गिरफ्तारी कराने में मदद करने वाले के लिए नगद इनाम देने की घोषणा की है। थाना सिरोंज मेें दर्ज अपराध प्रकरण क्रमांक 329/17 का फरार आरोपी शेरू उर्फ शेर सिंह पुत्र भूमन सिंह यादव निवासी ग्वारी की सूचना देने अथवा गिरफ्तारी में मदद करने वाले के लिए पांच हजार रूपए का इनाम घोषित किया गया है सूचना देने वाला व्यक्ति चाहे तो उसका नाम गोपनीय रखा जाएगा।

खण्ड मुख्यालय पर भी आयोजित होंगे कार्यक्रम

राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस 24 दिसम्बर को जिला मुख्यालय के साथ-साथ विकासखण्ड मुख्यालय पर कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। ततसंबंध में जिला आपूर्ति अधिकारी द्वारा विकासखण्ड मुख्यालयों पर पदस्थ विभागीय अधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश जारी किए है। श्री मारू के द्वारा कार्यक्रम के संबंध में प्राप्त दिशा निर्देश की प्रतियां भी उन्हें उपलब्ध कराई गई है। जिला आपूर्ति अधिकारी श्री मारू ने जिले के सभी विकासखण्डों पर राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस नियत तिथि को आयोजित करने हेतु की जाने वाली व्यवस्थाओं एवं कार्यक्रम स्थल पर नापतौल, खाद्य एवं औषधी, विद्युत विभाग, बैंक, गैस ऐजेन्सियों, स्वैच्छिक उपभोक्ता संगठन एवं अन्य उपभोक्ताओं संबंधी प्रदर्शनी अनिवार्यतः लगाई जाएं। उन्होंने उपभोक्ताओं के जागरूकता संबंधी उक्त कार्यक्रम का प्रतिवेदन मय फोटोग्राफ सहित 26 दिसम्बर तक अनिवार्यतः उपलब्ध कराने के भी निर्देश जारी किए है।

सफलता की कहानी : ‘‘एक पंथ दो काज’’ हुआ बोरीबंधान

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जल संचय एवं बचाव की पे्ररणा देने हेतु जिले मंे बोरीबंधान का कार्य दु्रतगति से क्रियान्वयन है। विदिशा विकासखण्ड के ग्राम चिडोरिया में नाले के उपर बनाया गया बोरीबंधान एक पंथ दो काज को चरितार्थ कर रहा है। बोरीबंधान से जहा नाले में जल भरा हुआ है वही आवागमन हेतु बोरियां पुल का काम कर रही है। गांव के बच्चे अब सुगमता से दौड लगाते हुए नाले के इस पार  से उस पार जा रहे है जहां पहले उन्हें नाले के अन्दर से निकलना पड़ता था। इस असुविधा कष्टदायी स्थिति से निजात मिला है। जनपद सीईओ के द्वारा अधिक से अधिक बोरीबंधान के कार्य जलप्रवाह क्षेत्र में करने के लिए प्रेरणादायी मार्गदर्शी उद्बोधन से ग्राम चिडोरिया के सरपंच श्री पवन किरार अत्याधिक प्रभावित हुए। उन्होंने गांव के नाले पर सबसे पहले बोरीबंधान का कार्य जन सहयोग से करने की ठानी। श्री किरार ने गांववासियों से संवाद स्थापित किया और बोरीबंधान से होने वाले फायदे को गिनाया। उनकी बात गांव वालो को भा गई और एक दिन में ही गांव के 20 से 25 लोगो ने अपना सहयोग देकर नाले पर बोरीबंधान का कार्य पूर्ण कर लिया है। अब नाले में दोनो तरफ पर्याप्त मात्रा में जल भरा हुआ है जिसका उपयोग पशु पीने में कर रहे है वही समीपवर्ती किसान सिंचाई में उपयोग कर रहे है। गांव वालो का कहना है कि यह तो एक पंथ दो काज जैसी बात हो गई है। अब बच्चे आने जाने में परेशान नही हो रहे है और भू-जल स्तर बढ रहा है।

बिहार : पूर्व विधान पार्षद एवं स्वतंत्रता सेनानी कामरेड जयमंगल सिंह नहीं रहें।

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पटना, 19 दिसम्बर। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव सत्य नारायण सिंह ने पार्टी के लगभग सौ वर्षीय वेटरन षिक्षक नेता, पूर्व विधान पार्षद एवं स्वतंत्रता सेनानी जयमंगल सिंह के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। राज्य कार्यालय से जारी एक प्रेस बयान में भाकपा राज्य सचिव ने कहा है कि जयमंगल सिंह, सारण जिला के नयागांव थानान्तर्गत चतुरपुर गांव के निवासी थे। छात्र जीवन में ही वे भारतीय स्वाधीनता आन्दोलन में कूद पड़े। वे 40 के दषक के शुरूआती काल ही में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी में शामिल हुए। उनका राजनीतिक जीवन षिक्षक आन्दोलन से शुरू हुआ। वे राज्य में माध्यमिक षिक्षकों के चहेते नेता थे। षिक्षकों ने उन्हें 1978 में पहली बार सारण षिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से बिहार विधान परिषद के लिए चुना। तब से लगातार 1996 तक तीन बार वे बिहार विधान परिषद के सदस्य के रूप में निर्वाचित होते रहे। वे सारण जिला के सुतिहार उच्च विद्यालय के प्रधानाध्यापक पद से सेवा मुक्त हुए। कामरेड जयमंगल सिंह वर्षों तक सारण जिला भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के सचिव पद पर कार्यरत रहे। विधान पार्षद के रूप में भी कुछ समय तक वे जिला सचिव रहे। वे षिक्षकों के अलावे किसानों-मजदूरों के भी लोकप्रिय नेता थे। उनके निधन से राज्य के षिक्षक आन्दोलन सहित किसान-मजदूर और समस्त वाम-जनवादी आन्दोलन को अपूर्णीय क्षति हुयी है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव सत्य नारायण सिंह ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके शोक संतप्त परिवार को संवेदना प्रेषित किया है। 

बिहार : 10+2 उच्च विघालय गोनावां, पोआरी में स्वच्छता परिक्रमा

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हरनौत.नालंदा जिले में है हरनौत प्रखंड. इस प्रखंड में है पोआरी पंचायत.10+2 उच्च विघालय. केवल 9 वीं कक्षा के 3 सेक्सन है. इसके आलोक में स्वच्छता अभियान संचालित करने वाले जीवा के कार्यकर्ताओं ने तीन टीम में किये और तीनों कक्षाओं के विघार्थियों को स्वच्छता संबंधित जानकारी दिये.पहली टीम में सुबोध कुमार व धन्नजंय कुमार ,दूसरी टीम में अवधेश कुमार व कारू कुमार और तीसरी टीम में मनीष कुमार व पंकज कुमार. बता दें कि इन तीनों टीमों के नेतृत्व करने वालों ने विघार्थियों से पूछताछ  किये कि कितने विघार्थियों के पास शौचालय नहीं है? पता चला कि 151 विघार्थियों में से  27 विघार्थियों के घरों में शौचालय नहीं है. इस तरह 124 विघार्थियों के घरों में शौचालय हैं जो शुभ सकेंत है. वहीं एक सामान्य ज्ञान के तहत जानकारी ली गयी कि कितने लोग शौचक्रिया के पहले हाथ धोते हैं? एक जन भी नहीं कहा कि शौचक्रिया के पहले हाथ नहीं होते हैं. प्रश्नकर्ता ने कहा कि आपलोगों ने बेहतर ढंग से सुने,समझे और बोले. इसके बाद सुबोध कुमार ने कहा कि रैली के शक्ल में स्वच्छता परिक्रमा विघालय में ही की गयी। आगे कहा कि इन विद्यार्थियों ने अपने-अपने हाथों में नारा लिखित तख्तियों को लेकर चल रहे थें. इसके अलावे जोरदार ढंग से नारा बुलंद कर रहे थें.इस विघालय के शिक्षकों और जीवा के कुशल कार्यकर्ताओं के नेतृत्व में स्वच्छता परिक्रमा किया गया. इस परिक्रमा में शामिल विघार्थियों ने नारा लगाये. सफाई करना मेरा काम स्वच्छ रहे हमारा गांव, गांव का हालत कैसा हैं लोटा लेकर बैठा हैं, लोटा बोतल बंद करो शौचालय का प्रबंध करो,मम्मी पापा शर्म करो शौचालय का प्रबंध करो, बाहर में शौच नहीं जाना हैं गाँव को निर्मल बनना हैं और आंखों से हटाओ पट्टी खुले में न करों टट्टी.कक्षा 9 ए, 9 बी और 9सी स्वच्छता परिक्रमा में कुल 151 विद्यार्थियों  ने हिस्सा लिया.सभी शिक्षकों एवं विद्यार्थियों को जीवा की ओर से धन्यवाद दिया गया.यहां के प्रधानाध्यापक ने  कहा कि हमलोग इस तरह के कार्यक्रम को किया करते हैं और अनवरत करते रहेंगे। 

बिहार : रामबली प्रसाद और प्रेमचंद सिन्हा की गिरफ्तारी घोर निंदनीय: माले

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  • दमन व धोखाधड़ी के जरिए आंदोलनों को दबाया नहीं जा सकता.

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पटना 19 दिसंबर 2017, बिहार के चर्चित कर्मचारी नेता, महासंघ गोप गुट के सम्मानित अध्यक्ष और भाकपा-माले बिहार राज्य कमिटी के सदस्य का. रामबली प्रसाद तथा महासंघ गोप गुट के वर्तमान महासचिव का. प्रेमचंद सिन्हा की गिरफ्तारी की भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल ने कड़ी निंदा की है.  उन्होंने कहा कि जिस तरीके से उक्त दोनों नेताओं को गिरफ्तारी किया गया है, वह बेहद खतरनाक संकेत है. आंदोलनकारी नेताओं को वार्ता के बहाने बुलाकर जेल भेजने का काम किया गया है. यह भाजपा-जदयू सरकार की घोर अलोकतांत्रिक व तानाशाही रवैये का दिखलाता है. दमन व धोखाधड़ी के जरिए जनांदोलनों की आवाज को कुचला नहीं जा सकता. बिहार सरकार अब इसी रास्ते चल रही है. माले राज्य सचिव ने आग कहा कि अपनी मांगों को लेकर एएनएम (आर) लंबे समय से आंदोलित हैं. जिसका नेतृत्व हमारे ये दो कर्मचारी नेता कर रहे हैं. एनएम (आर) की मांगों पर 18 दिसंबर को स्वास्थ्य मंत्री से वार्ता का लिखित पत्र प्राप्त हुआ था. जब उक्त दोनों नेताओं के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल वार्ता के लिए स्वास्थ्य विभाग पहुंचा, तो वार्ता की बजाए धोखे से दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया और दिन भर सचिवालय थाने में बैठाकर रखा गया. प्रेमचंद सिन्हा को कल ही और रामबलि प्रसाद को आज जेल भेज दिया गया. काॅ. रामबली प्रसाद को रात भर थाने में बैठकाकर रखा गया. माले नेता ने दोनों नेताओं की अविलंब रिहाई की मांग की है. और बिहार सरकार को चेतावनी दी है कि धोखे के जरिए आंदोलन के दमन से बाज आए. 

बिहार : सुरेंद्र स्निग्ध को जसम पटना की ओर से श्रद्धांजलि.

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पटना : 19 दिसंबर 2017, जन संस्कृति मंच, पटना इकाई ने कवि, उपन्यासकार, संपादक और अध्यापक प्रो. सुरेंद्र स्निग्ध के निधन पर आज छज्जूबाग स्थित भाकपा-माले विधायक दल कार्यालय में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया और उन्हें अपनी श्रद्धांजलि दी. इस मौके पर एआइपीएफ के संयोजक संतोष सहर ने कहा कि पिछले कुछ दिनों से फेंफड़े में गंभीर संक्रमण की वजह से  वेंटिलेटर पर थे और जीवन-मृत्यु के बीच संघर्ष जारी था। इस मौके पर जसम पटना के संयोजक राजेश कमल, अनिल अंशुमन, अभिनव कुमार, सुधांशु, शशांक मुक्त शेखर, रामकुमार आदि उपस्थित थे. उन्होंने कहा कि सत्तर और अस्सी के दशक में बिहार में उभरे क्रांतिकारी किसान आंदोलन और सामंतवाद-विरोधी सामाजिक बदलाव के आंदोलन से सुरेंद्र स्निग्ध गहरे तौर पर प्रभावित थे। उनके उपन्यास ‘छाड़न’ में आजादी के आंदोलन की दो धाराओं के बीच संघर्ष से लेकर क्रांतिकारी नक्षत्र मालाकार के संघर्ष और नक्सलबाड़ी आंदोलन के प्रभाव में सीमांचल के इलाके में विकसित हुए क्रांतिकारी किसान आंदोलन को दर्ज किया गया है। कई समीक्षकों ने उनके इस उपन्यास को रेणु के ‘मैला आंचल’ की परंपरा को आगे बढ़ाने वाला उपन्यास बताया है। शिल्प के स्तर पर इस उपन्यास में रिपोर्ताज, संस्मरण, कविता आदि कई विधाओं का उपयोग किया गया है।  राजेश कमल ने कहा कि प्रो. सुरेंद्र स्निग्ध अपनी पीढ़ी के जाने-माने कवि थे। ‘पके धान की गंध’, ‘कई कई यात्राएं’, ‘रचते-गढ़ते’ और ‘अग्नि की इस लपट से कैसे बचाऊं कोमल कविता’ उनके प्रमुख कविता संग्रह हैं। ‘जागत नींद न काजै’, ‘शब्द-शब्द बहु अंतरा’ और ‘नई कविता रू नया परिदृश्य’ नामक उनकी आलोचना की पुस्तकें प्रकाशित हैं। बाद में उन्हें आईजीआईएमएस, पटना ले जाया गया, जहां 18 दिसंबर को रात्रि में उनका निधन हो गया। अनिल अंशुमन ने कहा कि 5 जून 1952 को बिहार के पूर्णिया जिले के सिंघियान गांव में प्रो. सुरेंद्र स्निग्ध का जन्म हुआ था। जन संस्कृति मंच की स्थापना में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी। जन संस्कृति मंच की पत्रिका ‘नई संस्कृति’ के अतिरिक्त उन्होंने पटना विश्वविद्यालय की पत्रिका ‘भारती’ और ‘गांव-घर’ नामक पत्रिका का संपादन किया था। ‘प्रगतिशील समाज’ के कहानी विशेषांक और उन्नयन के बिहार-कवितांक का भी उन्होंने संपादन किया था। अभिनव कुमार ने ‘क्रांतिकारी दोस्तों के नाम’ जो प्रो. स्निग्ध की बेहद चर्चित कविता है, का पाठ किया और उन्हें श्रद्धांजलि दी.

अय्यर और सिब्बल के बयानों ने संभवत: राहुल को नुकसान पहुंचाया : मोइली

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हैदराबाद, 19 दिसंबर, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एम वीरप्पा मोइली ने आज इशारों में कहा कि हो सकता है कि मणि शंकर अय्यर और कपिल सिब्बल के विवादास्पद बयानों ने गुजरात चुनाव अभियानों के दौरान पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा हासिल किए गए फायदों को बर्बाद कर दिया हो । उन्होंने दावा किया कि वर्ष 2019 के आम चुनावों के लिए राहुल “(प्रधानमंत्री) नरेंद्र मोदी के विकल्प के तौर पर” उभरे हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने मोदी पर गुजरात के मतदाताओं को “भावनात्मक रूप से ब्लैकमेल” करने का आरोप लगाया और कहा कि राजनीतिक दलों को “जुमलों” के आधार पर चुनाव नहीं जीतना चाहिए। मोइली ने कहा, “अय्यर जैसे हमारे लोगों को उनके ( प्रधानमंत्री ) खिलाफ वैसे मुद्दे नहीं उठाने चाहिए थे।” पूर्व केंद्रीय मंत्री अय्यर द्वारा की गई “नीच” की टिप्पणी के संदर्भ में बात कर रहे थे। भाजपा ने कल गुजरात में कांग्रेस से कड़ा मुकाबला करते हुए लगातार छठी बार सत्ता हासिल की। उनसे जब पूछा गया कि क्या अय्यर की टिप्पणी कांग्रेस को भारी पड़ी तो उन्होंने कहा, “हो सकता है। नरेंद्र मोदी ने उस बयान का इस्तेमाल कांग्रेस और हमारे नेताओं पर हमला बोलने के लिए किया। हमें बहुत सावधान रहना चाहिए था।” इसके अलावा उन्होंने सिब्बल के उस बयान को भी “अनावश्यक” बताया जिसमें उन्होंने राम जन्मभूमि मामले की सुनवाई को वर्ष 2019 के आम चुनावों के बाद तक टालने के लिए कहा था। मोइली ने कहा, “उन्हें (सिब्बल) ऐसे बयान नहीं देने चाहिए थे। पार्टी की ओर से ऐसे बयान देने के लिए वह अधिकृत नहीं थे।” उन्होंने कहा, “कई बार हमारा नेतृत्व यानि राहुल गांधी द्वारा जो कुछ भी किया जाता है, उसे ऐसे बयान बर्बाद कर देते हैं। यह पार्टी का दृष्टिकोण नहीं है और प्रधानमंत्री ने इस बयान का भी इस्तेमाल किया ।’’ मोइली ने कहा कि राहुल के नेतृत्व में गुजरात में कांग्रेस का प्रदर्शन “सर्वश्रेष्ठ के समान” रहा।

गुजरात चुनाव ने प्रधानमंत्री मोदी की विश्वसनीयता पर सवाल उठाया : राहुल गांधी

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नयी दिल्ली, 19 दिसंबर, कांग्रेस के नवनिर्वाचित अध्यक्ष राहुल गांधी ने गुजरात विधानसभा चुनाव के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर सीधे हमला बोलते हुए आज कहा कि इन नतीजों से उनकी विश्वसनीयता पर सवाल उठ गया है। उन्होंने दावा किया कि प्रधानमंत्री मोदी की बात को देश नहीं सुन रहा है। राहुल ने संसद भवन परिसर में पत्रकारों से कहा, ‘‘ तीन चार महीने पहले जब हम गुजरात गये थे तो कहा गया था कि कांग्रेज भाजपा से नहीं लड़ सकती। तीन चार महीने में हमने ठोस काम किया। सिर्फ मैंने नहीं, एआईसीसी की टीम और गुजरात के लोगों ने भी। और आपने नतीजे देखे हैं। भाजपा को गुजरात में जबरदस्त झटका लगा है। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘ हमारे लिए अच्छा नतीजा है। ठीक है कि हम हार गये। यदि थोड़ा और ठीक करते तो जीत जाते। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं गुजरात एवं हिमाचल प्रदेश के लोगों को दिल से धन्यवाद देता हूं। चुनाव जीतने वालों को बधाई देता हूं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ मुझे वहां पता चला कि मोदीजी का जो माडल है, उसे गुजरात के लोग मानते ही नहीं। प्रचार बहुत अच्छा है। (इसका) मार्केटिंग बहुत अच्छी है पर अंदर से खोखला है। हमने जो अभियान चलाया, उसका वह जवाब नहीं दे पाये। विकास की बात कर रहे हैं पर सच्चाई यह है कि वह उसका जवाब नहीं दे पाये। आपने देखा होगा कि चुनाव से पहले मोदीजी के पास कहने के लिए कुछ रहा नहीं था।’’ राहुल ने गुजरात चुनाव प्रचार की चर्चा करते हुए कहा, ‘‘ आम तौर पर नेता जाता है और सोचता है कि गुजरात को मैं अपनी बात बताऊं। पर तीन महीने में गुजरात और वहां की जनता ने मुझे काफी सिखाया है। मुख्य बात यही सिखाई कि आपके विपक्ष में जितना भी क्रोध हो, जितना भी धन हो, जितना भी बल हो, उसे आप प्यार से, भाईचारे से टक्कर दे सकते हैं। उन्होंने कहा कि यह बात गांधीजी ने बहुत पहले सिखायी थी। किन्तु यह बात गुजरात में है और बहुत गहरे तक है। आपने गुजरात के चुनाव में जो देखा, यह वही भावना है। उन्होंने कहा कि गुजरात ने भाजपा और प्रधानमंत्री मोदी को संदेश दिया है कि यह जो गुस्सा-क्रोध आपमें है, वह आपके काम नहीं आयेगा। इसको प्यार हरा देगा। विकास के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि इस चुनाव में प्रधानमंत्री ने कहा कि यह विकास का चुनाव है। उन्होंने बोला कि जीएसटी पर मोहर है। यह अजीब सी बात है कि चुनाव के दौरान उनके भाषणों में न तो विकास की बात हो रही थी और न जीएसटी की, न नोटबंदी की। उन्होंने कहा, ‘‘मोदी जी की विश्वसनीयता पर बहुत बड़ा सवाल उठ गया है। उनके लिए यह बहुत मुश्किल होगा। वो जो कह रहे हैं...वह देश सुन नहीं रहा है, यह बात गुजरात ने दिखायी है। यह आपको आने वाले समय में बहुत आसानी से दिखेगा। मोदीजी ने भ्रष्टाचार की बात लगातार की। आपने राफेल के मामले में, जय शाह के मामले में एक शब्द भी नहीं बोला।’’ उल्लेखनीय है कि गुजरात की 182 विधानसभा में भाजपा को 99 और कांग्रेस को 77 तथा हिमाचल प्रदेश में भाजपा को 44 एवं कांग्रेस को 21 सीटें मिली हैं।

अमेरिका की नई सुरक्षा नीति में कहा गया - भारत एक उभरती हुई वैश्विक शक्ति

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वॉशिंगटन, 19 दिसंबर, अमेरिका की नई राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति (एनएसएस) में भारत को एक उभरती हुई वैश्विक शक्ति बताते हुए डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने कहा है कि इससे भारत के साथ अमेरिका की रणनीतिक साझेदारी और मजबूत होगी तथा वह भारत-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा कायम रखने के लिए भारत के नेतृत्व क्षमता के योगदान का समर्थन करता है। एनएसएस के 68 पन्नों वाले इस दस्तावेज में कहा गया है कि अमेरिका जापान, ऑस्ट्रेलिया और भारत के साथ सहयोग बढ़ाएगा। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कल राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति जारी की। सुरक्षा रणनीति में कहा गया, 'हम भारत के वैश्विक शक्ति के रूप में मजबूत रणनीतिकार और रक्षा सहयोगी के रूप में उभरने का स्वागत करते हैं।'एनएसएस में कहा गया, 'हम अमेरिका के बड़े रक्षा सहयोगी भारत के साथ रक्षा और सुरक्षा सहयोग को बढ़ाएंगे। हम क्षेत्र में भारत के बढ़ रहे संबंधों का समर्थन करते हैं।'भारत-अमेरिका रक्षा संबंध की चर्चा भारत-प्रशांत क्षेत्र के संदर्भ में किया गया है। इस क्षेत्र में अमेरिका ने भारत को दक्षिणी और मध्य एशिया में महत्वपूर्ण कार्य सौंपा है। इस सुरक्षा नीति को लेकर व्हाइट हाउस का कहना है कि यह अमेरिका के लिए सकारात्मक रणनीतिक दिशा तय करेगी जिससे दुनिया में अमेरिकी बढ़त फिर कायम होगी और इससे देश को मजबूती मिलेगी।

एनएसएस के अनुसार, 'हम अपनी रणनीतिक साझेदारी भारत के साथ मजबूत करेंगे और हिंद महासागर सुरक्षा तथा समूचे सीमा क्षेत्र में भारत के नेतृत्वकारी भूमिका का समर्थन करेंगे।'चीन के वन बेल्ट वन रोड (ओबीओआर) और चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे के मद्देनजर अमेरिकी प्रशासन ने कहा कि इलाके में चीन के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए वह दक्षिण एशियाई देशों को अपनी 'संप्रभुता'बरकरार रखने में मदद करेगा। एनएसएस में कहा गया, 'हम दक्षिण एशियाई देशों को उनकी संप्रभुता बरकरार रखने में मदद करेंगे क्योंकि इस क्षेत्र में चीन अपना प्रभाव बढ़ा रहा है।'भारत ने सीपीईसी का विरोध किया था क्योंकि यह पाकिस्तान के कब्जे वाली कश्मीर से होकर गुजरती है। एनएसएस में कहा गया है कि इस क्षेत्र में अमेरिका के हितों में आतंकवादी खतरों का मुकाबला करना, सीमा-पार आतंकवाद को रोकने के साथ ही परमाणु हथियारों को आतंकवादियों के हाथों में पड़ने से रोकना शामिल है।

विशेष : दूसरों की मदद करने से किशोरों में बढ़ता है आत्मविश्वास

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न्यूयॉर्क, 19 दिसंबर, अपरिचित लोगों की नि:स्वार्थ भाव से मदद करने या उनके साथ अपनी चीजें साझा करने से किशोरों के आत्मविश्वास में वृद्धि होती है। यह शोध में यह बात सामने आई है। अमेरिका की ब्रिघम यंग यूनिवर्सिटी (बीवाईयू) के वैज्ञानिकों ने पाया कि यह बात उन लोगों पर लागू नहीं होती है जो सिर्फ अपने दोस्तों या परिजन की मदद करते हैं। बीवाईयू की प्रोफेसर लॉरा पडिला-वाकर ने कहा, 'यह अध्ययन हमें इस चीज को समझने में मदद करता है कि जो किशोर अपरिचित लोगों की मदद करते हैं, वे कुछ समय बाद खुद को लेकर बेहतर महसूस करते हैं।'लॉरा ने कहा, 'किशोरावस्था में आत्मविश्वास के महत्व को देखते हुए यह शोध महत्वपूर्ण है।'उन्होंने कहा, 'केवल रिश्तेदारों या दोस्तों की मदद करने की तुलना में अपरिचितों की मदद करने का व्यक्ति की नैतिक पहचान या स्वयं को लेकर उसकी सोच पर अधिक उल्लेखनीय प्रभाव पड़ता है।'इससे पहले किए गए शोधों में भी कहा गया था कि दूसरों की मदद करने वाला सकारात्मक व्यवहार रखने वाले किशोर परेशानियों से दूर रहते हैं और उनके पारिवारिक संबंध भी मजबूत होते हैं, लेकिन ऐसा पहली बार है जब इस व्यवहार को आत्मविश्वास से जोड़ा गया है। यह अध्ययन 'एडोलसन्स'जर्नल में प्रकाशित हुआ है।

विदेशों में प्रवास करने वाले लोगों के मामले में भारत सबसे ऊपर

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संयुक्त राष्ट्र, 19 दिसंबर, विदेशों में रहने वाले लोगों के मामले में भारत सबसे ऊपर है जहां के 1.70 करोड़ अपना देश छोड़कर दूसरे देशों में निवास करते हैं। इनमें से 50 लाख लोग खाड़ी क्षेत्रों में रहते हैं। संयुक्त राष्ट्र की एक नई रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आयी है। वर्ष 2017 के लिए जारी की गई अंतरराष्ट्रीय प्रवास रिपोर्ट के मुताबिक मेक्सिको, रूस, चीन, बांग्लादेश, सीरिया, पाकिस्तान और यूक्रेन में भी प्रवासियों की बड़ी संख्या है जो विदेशों में रहती हैं। इन देशों के 60 लाख से 1.10 करोड़ लोग दूसरे देश में निवास करते हैं। वर्ष 2017 में भारत से सबसे ज्यादा 1.70 करोड़ लोग अपना देश छोड;कर अन्य देशों में जा बसे। मेक्सिको दूसरे नंबर पर रहा जिसके 1.30 करोड़ लोग विदेशों में रहते हैं। बड़ी प्रवासी जनसंख्या वाले अन्य देशों में रूस जिसके एक करोड़ दस लाख लोग, चीन जिसके एक करोड़ लोग, बांग्लादेश और सीरिया के सत्तर लाख लोग और पाकिस्तान एवं यूक्रेन के साठ-साठ लाख लोग अपना देश छोड़कर दूसरे देशों में रहते हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत के प्रवासी कई देशों में निवास करते हैं जिनमें संयुक्त अरब अमीरात में 30 लाख लोग, अमेरिका और सउदी अरब में 20 लाख लोग रहते हैं। इसमें बताया गया कि अनुमान के मुताबिक अब करीब 25.80 करोड़ लोग अपने जन्म के देश को छोड़कर दूसरे देशों में रह रहे हैं। वर्ष 2000 के बाद से इन आंकड़ों में 49 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है। रिपोर्ट में कहा गया कि अंतरराष्ट्रीय प्रवास सतत विकास के वर्ष 2030 के एजेंडा को लागू करने के लिहाज से चिंता का विषय है।

वायु प्रदूषण किशोरों को आक्रामक बना सकता है : अध्ययन

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लॉस एंजिलिस, 19 दिसंबर, वायु प्रदूषण पर आये एक नये अध्ययन ने चेतावनी दी है कि इसका उच्च स्तर किशोरों के बीच आपराधिक व्यवहार के खतरे को बढ़ा सकते हैं । अनुसंधानकर्ताओं ने बताया कि वायु प्रदूषण के उच्चतम स्तर की वजह से छोटे और विषैले कण विकसित हो रहे मस्तिष्क में प्रवेश कर जाते हैं, इससे मस्तिष्क में सूजन होता है जिससे भावना और फैसले लेने के लिए जिम्मेदार मस्तिष्क के हिस्से को नुकसान पहुंचता है। उन्होंने बताया कि यह अनुसंधान स्वच्छ हवा के महत्व को बताने वाली एक चेतावनी है और यह बताता है कि शहरी क्षेत्रों में पौधों की कितनी जरूरत है। इस अध्ययन का नेतृत्व करने वाली अनुसंधानकर्ता डायना योनान के अनुसार प्रदूषण के लिए जिम्मेदार छोटे कणों को पार्टिकुलेट मेटर (पीएम 2.5) भी कहा जाता है। यह कण एक बाल के किनारे से भी 30 गुणा छोटा होता है। ये कण स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक होते हैं। अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ सदर्न कैलिफोर्निया की रिसर्च एसोसिएट योनान ने कहा, 'ये छोटे विषैले कण हमारे शरीर में प्रवेश करके हमारे फेफड़ों और दिल को प्रभावित करते हैं।'उन्होंने बताया, 'पीएम 2.5 खासकर के विकसित हो रहे मस्तिष्क के लिए नुकसानदायक होते हैं क्योंकि यह मस्तिष्क की संरचना और तंत्रिका तंत्र को क्षति पहुंचाने के साथ ही जैसा कि हमार अध्ययन बताता है कि इससे किशोरों के व्यवहार भी प्रभावित होते हैं।'यह अध्ययन 'जर्नल ऑफ एबनॉर्मल चाइल्ड साइकोलॉजी'में प्रकाशित हुआ है।

सिखों के धर्म परिवर्तन पर पाकिस्तान से बात करेगा भारत

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नई दिल्ली, 19 दिसम्बर, भारत ने मंगलवार को कहा कि वह सिख समुदाय के कुछ सदस्यों के पाकिस्तान में इस्लाम कबूल करने के लिए मजबूर करने संबंधी रपट पर पाकिस्तान से बात करेगा। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने ट्वीट किया, "हम पाकिस्तान सरकार के साथ इस मुद्दे पर उच्चस्तर पर बात करेंगे।"पाकिस्तानी मीडिया की रपट के मुताबिक, खैबर पख्तूनवा प्रांत के हंगू जिले के सिख समुदाय के सदस्यों ने उपायुक्त शाहिद महमूद से कहा कि सहायक आयुक्त तहसील ताल याकूब खान कथित तौर पर सिखों को इस्लाम अपनाने को मजबूर कर रहे हैं। शिकायतकर्ता फरीद चंद सिंह के हवाले से कहा गया है कि समुदाय के लोग इस इलाके में 1901 से मुस्लिमों के साथ शांतिपूर्ण तरीके से रह रहे हैं। उन्होंने कहा कि हंगू जिले के निवासियों ने सिख लोगों को कभी नुकसान नहीं पहुंचाया।

व्यवसायिक सिनेमा से बहुत प्यार है : जैकलिन

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नई दिल्ली, 19 दिसंबर, अभिनेत्री जैकलिन फर्नाडीज बॉलीवुड की उन अभिनेत्रियों में से एक है, जो देश की सबसे बड़ी व्यावसायिक रूप से सफल फिल्मों का हिस्सा रही हैं। इसके साथ उनका कहना है कि उन्हें व्यवसायिक सिनेमा से बहुत प्यार है। 'रेस 2'से लेकर 'किक'और 'हाउसफुल 2'और 'हाउसफुल 3'के साथ अभिनेत्री ने बार-बार बेहतरीन फिल्मों से जनता का मनोरंजन किया है। वर्ष 2017 की ब्लॉकबस्टर में से एक 'जुड़वा 2'में जैकलीन का मुख्य आधार रहा है, जिसने बॉक्स-ऑफिस पर छप्पर फाड़ कमाई की है। वह बॉलीवुड की उन चुनिंदा अभिनेत्रियों में से एक है, जिसकी फिल्मों ने 100 करोड़ से ज्यादा की कमाई की है, जिसमें 5 फिल्में 100 करोड़ से अधिक हैं, जो निश्चित रूप से शीर्ष दावेदार के रूप में अभिनेत्री के रुख को मजबूत करती हैं।जैकलिन से जब व्यवसायिक सिनेमा के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, "मुझे व्यवसायिक सिनेमा से बहुत प्यार है। मुझे लगता है कि लोग व्यावसायिक सिनेमा की अभिनेत्रियों को गंभीरता से नहीं लेते।"उन्होंने कहा, "लोग भूल जाते हैं कि भले ही हम व्यावसायिक फिल्मों में चीजों को सहज रूप से पेश करते हैं, लेकिन इसमें बहुत सारे काम होते हैं। यही वजह है कि हर कोई व्यावसायिक अभिनेत्री नहीं बन सकती। इन सब से ज्यादा, मैं खुद को एक मनोरंजन के रूप में देखती हूं। यह मुझे ऐसा करने का मौका देता है और मैं इससे खुश हूं।"

व्यापार : टाटा एस ने 20 लाख बिक्री का आंकड़ा किया पार

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नई दिल्ली, 19 दिसम्बर, मिनी-ट्रक टाटा एस ने 20 लाख वाहनों की बिक्री के आंकड़े को पार कर एक महत्वपूर्ण कीर्तिमान हासिल किया है। 2005 में पेश टाटा एस भारत में सफलतापूर्वक मिनी-ट्रक की अवधारणा को लाने में अग्रणी रहा है। कंपनी ने मंगलवार को एक बयान में कहा कि पिछले 12 वर्षो के दौरान हर 3 मिनट में टाटा एस एक नए कारोबार को जन्म देता है, रोजगार पैदा करता है और उद्यमशीलता के अवसरों को प्रेरित कर रहा है, जिसके परिणामस्वरूप भारत के सुदूर इलाकों में रहने वाले लोगों के जीवन में बदलाव आ रहा है। रणनीतिक तौर पर अंतिम छोर तक परिवहन से जुड़े सभी कार्यों को पूरा करने के लिए तैयार टाटा एस भारत में अनगिनत छोटे स्तर के ट्रांसपोर्टरों और उद्यमियों के बीच विश्वसनीयता और व्यावसायिक सफलता का पर्याय बन गया है। टाटा मोटर्स के वाणिज्यिक वाहन कारोबार के प्रमुख गिरीश वाघ ने कहा, "यह महान गर्व का क्षण है और यह हमारे ग्राहकों की ओर से यह प्रमाण है कि भारत का पहली मिनी-ट्रक, हमारा छोटा चमत्कार-टाटा एस ने महज 12 साल के अपने शानदार सफर में 20 लाख वाहनों के सड़क पर फर्राटे भरने का महत्वपूर्ण कीर्तिमान हासिल किया है।"उन्होंने कहा, "65 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी के साथ बाजार में अग्रणी टाटा एस ने उद्योग में सर्वाधिक बहुमुखी छोटे वाणिज्यिक वाहन के तौर पर खुद को साबित किया है। अंतिम छोर तक परिवहन की उभरती जरूरतों से लेकर भारत को स्वच्छ बनाने के सरकार के स्वच्छ भारत मिशन तक और परिवारों तक गैस सिलिंडरों की आपूर्ति कर प्रधानमंत्री उज्‍जवला योजना तक में टाटा एस योगदान दे रहा है।"
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