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न्यू इंडिया का संकल्प एक क्रांति है, कर्तव्यों का निर्वहण ईमानदारी से करना होगा : डा0 लुईस मराण्डी

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दुमका, अमरेन्द्र कुमार/ बी बी सारस्वत, त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्था के निर्वाचित जन प्रतिनिधियों का जिलास्तरीय पंचायत सम्मेलन (न्यू इंडिया मंथन, संकल्प से सिद्धि) का शुभारंभ मंत्री समाज कल्याण डॉ लुईस मरांडी ने दीप प्रज्वलित कर किया। संकल्प समारोह में मंत्री डाॅ लुईस मरांडी ने दुमका जिला के सभी निर्वाचित जनप्रतिनिधि (जिला परिषद सदस्य/पंचायत समिति सदस्य/मुखिया/ग्राम पंचायत सदस्य को संकल्प दिलाया। सभा में उपस्थित लोगों को सम्बोधित करते हुए मंत्री डा0 लुईस मराण्डी ने कहा कि न्यू इंडिया का संकल्प एक क्रांति है। इसे हमें अपने अन्दर उतारना है तथा कर्तव्यों का निर्वहण पूरी ईमानदारी से करना है तभी समाज की कूरितियां समाप्त होगी। सरकार के विभिन्न योजनाओं के कार्यान्वयन से ही हम नये झारखण्ड का निर्माण कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जी ने महिलाओं की समस्या पर फोकस किया है जिसका उदाहरण उज्ज्वला गैस योजना, शौचालय निर्माण इत्यादी जो की देष की आधी आबादी से संबंधित है और एक क्रांती का रूप ले चुका है। उन्होंने कहा कि भारत के प्रधानमंत्री माननीय नरेन्द्र मोदी के नये भारत के सपने को साकार करना हमारा फर्ज है। ‘स्वच्छ भारत अभियान’ एक उत्तरदायी प्रशासन और लोगों के बीच जागरूकता पर निर्भर करता है। उन्होंने कहा कि इस संदर्भ में असली बदलाव केवल सार्वजनिक भागीदारी के जरिए ही लाया जा सकता है। दुमका के उपायुक्त मुकेश कुमार ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि दुमका को संकल्प से सिद्धि तक पहुंचाना है। विकास के कार्यों को वंचित समुह तक ले जाना है। जिसके लिए सभी जन प्रतिनिधि पर ये जिम्मेदारी बनती है कि सभी योजनाओं को पारदर्षिता से बिना अनियमितता के विष्वसनियता एवं ईमानदारी से लागु करें। इसके अतिरिक्त जन जागरूकता आम लोगों तक पहुंचाने की आवष्यकता है। उन्होंने कहा कि षिक्षा के मामले में दुमका जिले को जीरो डाॅप आउट घोषित करना हमारा लक्ष्य है। सभी जनप्रतिनिधि यह सुनिष्चित करें कि उनके क्षेत्र के सभी विद्यालय खुले रहें। षिक्षक षिक्षिकायें एवं छात्र छात्राओं की उपस्थिति तथा षिक्षा की गुणवत्ता पर निगरानी रखें। उन्होंने कहा की दुमका को विकास की ओर लेजाना है तो षिक्षा सबसे अहम है, इसके बिना विकास अधुरा है। ‘स्वच्छ भारत अभियान’ के तहत दुमका परिसदन में ”दमकता दुमका-क्ं्र्रसपदह क्नउां” अभियान का शुभारंभ किया है। जिसके तहत दुमका जिला को स्वच्छ एवं सुन्दर बनाना है और अगले एक वर्ष में इसे एक आइडियल जिले के रूप में स्थापित करना है। इसके तहत जिले में विभिन्न कार्यक्रम भी आयोजन किये जा रहे है। उपायुक्त ने कहा कि विडियो काॅन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सभी 10 प्रखण्डों की समीक्षा की जा रही है। विडियो काॅन्फ्रेंसिंग के माध्यम प्रखंड स्तर पर चल रहे विकास कार्यों यथा शौचालय निर्माण, मनरेगा, प्रधानमंत्री आवास योजना आदि की समीक्षा की जा रही है। उन्होंने कहा कि प्रति सप्ताह विडियो काॅन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अब जिला स्तर से प्रखण्डों एवं अंचलों के पदाधिकारियों के साथ समीक्षा की जायेगी।  डिजीटल साक्षरता को जन-जन तक पहुँचाने हेतु च्डळक्प्ैभ्।। कार्यक्रम को एक अभियान के रूप में दुमका जिले में संचालित किया जा रहा है। इस योजना के तहत जिले के 23817 व्यक्तियों का पंजीकरण किया गया है, जो राज्य भर के सभी जिलों में सर्वाधिक है। झारखण्ड के 24 जिलों में दुमका नम्बर 1 पर है। उन्होंने कहा कि यह योजना ग्रामीण क्षेत्रों के नागरिकों को कंप्यूटर या डिजिटल एक्सेस डिवाइस जैसे स्मार्ट फोन, कम्प्यूटर आदि संचालित करने के लिए उन्हें प्रशिक्षण प्रदान करती है, ई-मेल भेजने, प्राप्त करने, इंटरनेट ब्राउज करने, सरकारी सेवाएं एक्सेस करने, सूचना के लिए खोज, डिजिटल भुगतान करने के लिए आदि और इसलिए राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए उन्हें सूचना प्रौद्योगिकी और संबंधित अनुप्रयोगों, विशेष रूप से डिजिटल भुगतान का उपयोग करने में सक्षम बनाते हैं। इस योजना का उद्देश्य डिजिटल डिवाइड को पुल करना है, विशेषकर ग्रामीण आबादी को लक्षित करना, जिसमें अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल), महिलाओं और अलग-अलग विकलांग व्यक्तियों और अल्पसंख्यक हैं। उन्होेंने कहा कि दुमका जिला में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में दुमका जिला ने निर्धारित लक्ष्य से 1 लाख 30 हजार से कहीं ज्यादा बीमा करवाया है। लक्ष्य की प्राप्ति सामुहिक प्रयास का नतीजा है। इसी प्रकार हरएक योजना को लागु करने में टीम वर्क की आवश्यक है। उपायुक्त ने फिर एक बार स्वच्छता अभियान पर बल देते हुए कहा कि दुमका जिला को 2018 तक ओडीएफ करना है जिसके लिए सभी को समुह के रूप में संकल्प लेने की जरूरत है। शौचालयों के निर्माण के साथ-साथ इसका इस्तेमाल भी करना आवष्यक है। ये एक बहुत बड़ा लक्ष्य है जिसे हम टीम वर्क के जरीये ही चरण बद्ध तरीके से प्राप्त कर सकते है। अंत में उन्होंने सभी जन प्रतिनिधि एवं अधिकारियों से आग्रह किया कि आज जो हमने संकल्प लिया उसकी सिद्धि (प्राप्ति) के लिए सामुहिक, सकारात्मक तथा सतत प्रयास की आवष्यकता है। सम्मेलन को जिला परिषद अध्यक्षा जोयेस बेसरा, जिला परिषद उपाध्यक्ष असीम मंडल ने भी सम्बोधित किया। सम्मेलन का धन्यवाद ज्ञापन करते हुए उप विकास आयुक्त शशि रंजन ने कहा कि संकल्प है कि पांच वर्षाें में अर्थात 2022 में सिद्धि तक ले जाना है।

लाल बिहारी लाल“काब्य गौरव”सम्मान से सम्मानित

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नई दिल्ली। पोर्टल न्यूज चैनल मोबाइल न्यूज 24 डाँट काँम(www.mobilenews24.com) द्वारा लाल कला मंच के सचिव पर्यावरण प्रेमी एवंदिल्ली रत्नलाल बिहारी लाल को नव वर्ष पर आयोजितकाव्य पाठ्य के लिए“काब्य-गौरव सम्मान”से चैनल के मुख्य संपादक सह निदेशक नीरज नरुका एंववरिष्ठ साहित्यकार शिव प्रभाकर ओझा द्वारा सम्मानित किया गया।नव वर्ष के अवसर पर आयोजित इस काब्य पाठ में लालविहारी लाल सहित गिरिराज शर्मा गिरीश तथा शिव प्रभाकर ओझा ने भी भाग लिया औरउन्हें भी“काब्य-गौरवसम्मान”सेवरिष्ठ साहित्यकारएवं पत्रकार लाल बिहारी लाल तथा नीरज नरुका द्वारासम्मानित किया गय़ा। इस कार्यक्रम काप्रसारणयू ट्यूब एवं मोबाइल न्यूज 24 डाँट काँम पर 31 दिसंबर 2017 को मध्य रात्रि मेंकिया जायेग। लाल बिहारी लाल कोइससे पहले भी साहित्य एवं पत्रकारिता के क्षेत्र में दर्जनों पुरस्कार मिल चुकेहैं। इनकी भओजपुरी कविता क्रांति विहार के दो विश्वविद्यालयों में वी.ए. तथा एम.ए.में पढ़ाई जा रही है। लाल अभी तक 6 पुस्तको का संपादन कर चुके हैं।औऱ इनकी रचनायेंदेश के विभिन्न पत्र –पत्रिकाओं में अवरत प्रकाशित होते रहती है।आशा है लाल नयेसाल पर भी अपनी लेखनी को अनवरत धार देते रहेगे।

गणित प्रतियोगिता में झारखंड के बच्चों का धमाल

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रांची , आर्यावर्त डेस्क, मलेशिया में 72 देशों के 2676 बच्चों के बीच संपन्न हुयी 22 वीं यूसीमास अंतर्राष्ट्रीय मेन्टल अर्थमेटिक प्रतियोगिता में झारखंड के दिव्यम ढांढनिया और सुनिधि पेरिवाल  क्रमशः द्वितीय व तृतीय रनर अप पुरस्कार पाने में सफल हुए और वैश्विक स्तर पर अपनी प्रतिभा से दिव्यम एवं सुनिधि ने झारखंड राज्य सहित देश का नाम रोशन किया. झारखण्ड में यूसीमास की प्रमुख फ्रेंचाइजी सुप्रिया सिंह बताया कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर 14 वर्ष तक के बच्चों के बीच हुयी इस प्रतियोगिता में रांची ,सेंट थॉमस स्कूल के दोनों बच्चे 11 वर्षीय दिव्यम व 13 वर्षीय सुनिधि ने अपनी बुद्धिमता से विश्व मानचित्र पर झारखंड का नाम अंकित किया है. दोनों बच्चों को रांची लौटने के बाद यूसीमास कार्यालय में सम्मानित किया गया.

आदिवासी समाज को उपेक्षित नहीं होने दिया जाएगा : भाभोर

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नई दिल्ली, केन्द्रीय जनजाति राज्यमंत्री श्री जसवंत सिंह भाभोर ने कहा कि भारत के विकास में आदिवासी समुदाय का महत्वपूर्ण योगदान है। आदिवासी समाज को साथ में रखकर ही विकास को परिपूर्ण आकार दिया जा सकता है। जहां कहीं भी आदिवासी समुदाय की उपेक्षा एवं उत्पीड़न होता है तो वह राष्ट्र के लिए पीड़ादायक है। वर्तमान सरकार आदिवासी समाज को उपेक्षित नहीं होने देगी।  श्री भाभोर 10 पंडित पंत मार्ग पर प्रख्यात जैन संत एवं आदिवासी जनजीवन के प्रेरणास्रोत गणि राजेन्द्र विजयजी की पुस्तक ‘आदिवासी सभ्यता और संस्कृति’ का लोकार्पण करते हुए उक्त विचार व्यक्त किए। उन्होंने आगे कहा कि गणि राजेन्द्र विजयजी जैसे संत इस राष्ट्र के लिए मार्गदर्शक हैं और वे आदिवासी समुदाय के जनजीवन के उत्थान के लिए निरंतर प्रयासरत हैं। उनकी पुस्तक से आदिवासी समुदाय को बल मिलेगा।  पूर्व केन्द्रीय मंत्री श्री मनसुखभाई वसावा ने कहा कि भारत को यदि शक्तिशाली एवं समृद्ध बनाना है तो आदिवासी जनजीवन को राष्ट्र की मूलधारा में लाना होगा। विकास की मौजूदा अवधारणा इसलिए विसंगतिपूर्ण है कि उसमें आदिवासी जनजीवन की उपेक्षा एवं उनके अधिकारों की अवहेलना की गयी है। एक संतुलित समाज रचना के लिए आज आदिवासी जनजीवन को प्रोत्साहित किया जाना जरूरी है। 

गणि राजेन्द्र विजयजी ने कहा कि आज सबसे बड़ी अपेक्षा यह है कि आदिवासी अपना मूल्यांकन करना सीखे और खोई प्रतिष्ठा को पुनः अर्जित करे। यह कार्य राजनीति के आधार पर संभव नहीं है। इसके लिए संतपुरुषों एवं संस्कृतिकर्मियों को जागरूक होना होगा और एक सशक्त मंच बनाकर आदिवासी संस्कृति को जीवंत करना होगा। मेरी पुस्तक आदिवासी समाज की आवाज बनकर प्रस्तुत हो रही है। सांसद श्री रामसिंहभाई राठवा ने कहा कि आज आदिवासी समाज को जागरूक होने की जरूरत है। अक्सर उनका राजनीतिक शोषण होता रहा है। इस अवसर पर सुखी परिवार फाउंडेशन के राष्ट्रीय संयोजक श्री ललित गर्ग ने अतिथियों का स्वागत किया। पुणे महाराष्ट्र से आये श्री राजू ओसवाल, पीस आॅफ इंडिया के श्री विशाल भारद्वाज, श्री गोपाल पहाड़िया, पार्षद श्रीमती सुशीला शर्मा आदि ने अपने विचार व्यक्त करते हुए आदिवासियों के जल, जंगल और जमीन की जीवनशैली से जुड़ी गणि राजेन्द्र विजय की पुस्तक को उपयोगी बताया।

हिमाचल : देश की सब बड़ी भूमिगत परियोजना ने बनाया लगातार 9 बार रिकार्ड

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शिमला (मीनाक्षी भारद्वाज)देश की सब से बढ़ी भूमिगत जल विद्युत परियोजना नाथपा झाकड़ी ने लगातार नो बार डिजाइन एनर्जी लक्ष्य को समय से पहले पूर्ण कर रिकॉड बनाया है। सतलुज घाटी क्षेत्र में विभिन्न आपदाओं और विकट परिस्थियों के वावजूद कुशल प्रबंधन और परिस्थितियों से संतुलन बनाते हुए रिकार्ड कायम करने में सफलता हासिल की है। वित्तीय वर्ष 2017-18 के लिए एसजेवीएन लि0 के 1500 मेगाववाट नाथपा झाकड़ी जलविद्युत स्टेशन ने अपनी डिज़ाइन एनर्जी 6612 मि0यू0 के लक्ष्य को  28 दिसम्बर 2017 को हासिल कर लिया जब की यह लक्ष्य 31 मार्च 2018 तक के लिए था। इस तरह से नाथपा झाकड़ी ने यह लगातार 9 वे वर्ष में भी  सालाना लक्ष्य को समय से पहले पूर्ण किया है। परियोजना प्रमुख  संजीव सूद ने बताया कि संयंत्रों का वार्षिक रखरखाव 5 जनवरी से शुरू किया जाएगा तथा 20 फरवरी तक समाप्त होने की उम्मीद है। उन्होंने कहाकि संयत्रो को मुरम्मत करने के लिए यह समय उपयुक्त रहता है ताकि जब नदी में जल स्तर ऊंचा हो जाता है टॉप विद्युत उत्पादन में कमी न आये।  वर्तमान में सतलुज में सर्दियां होने के कारण पहाड़ो पर बर्फ जमने से जल स्तर काफी कम हो जाता है , ऐसे में इस समय का सदुपयोग कर संयंत्रों का रखरखाव किया जाता है। उन्होंने बताया की इस उपलब्धि के लिए निगम के अध्यक्ष सह प्रबन्ध निदेशक नन्द लाल शर्मा एवं निदेशक विद्युत आर.के. बंसल ने भी अपनी बधाई प्रदान की और साथ ही आशा भी व्यक्त किया है कि परियोजना इस प्रकार का उत्कृष्ट उत्पादन भविष्य में भी बदस्तूर जारी रखेगी ।  मुख्य महाप्रबंधक संजीव सूद  ने नाथपा झाकड़ी हाइड्रो पावर स्टेशन द्वारा निरन्तर उत्कृष्ट विद्युत उत्पादन का श्रेय परियोजना में कार्यरत कर्मचारियों तथा उनके परिवारजनों को दिया है।  उन्होंने  निगमित कार्यालय शिमला से निरन्तर मिलते रहे वांछित सहयोग के लिए कारपोरेट कार्यालय का भी  आभार व्यक्त किया ।

नए साल के जश्न में अत्यधिक शराब सेवन से बचें,लाइव आर्यावर्त.कॉम का निवेदन

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  • सबको मालूम है,मैं शराबी नहीं..फिर भी कोई पिलाये तो मैं क्या करूँ....

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आर्यावर्त डेस्क, ये जाने माने ग़ज़ल गायक पंकज उधास के लोकप्रिय ग़ज़ल की लाइन हैं. लेकिन अक्सर देखने में मिलता है कि नव वर्ष की पूर्व संध्या और नववर्ष के जश्न में  डूबे कई लोग ऐसे बहाने बना कर अत्यधिक शराब का सेवन करते हैं और फिर रंग में भंग की स्थिति बन जाती है. कई बार देखा गया है कि लोग जल्दीबाजी में शराब का सेवन करते हैं ,ऐसी स्थिति से डॉक्टर बचने की सलाह देते हैं. डॉक्टर आर.एल.अग्रवाल और डॉ.महेंद्र प्रसाद के अनुसार शराब सेवन करते समय मात्रा और समय दोनों का ध्यान जरुरी है. जरा सी अनुशासन हीनता से  लिवर,पैंक्रियाज ,ब्लड प्रेशर का खतरा उत्पन्न हो सकता है. विशेषज्ञों के अनुसार कम वक्त में ज्यादा अल्कोहल का सेवन ,जिसे तकनीकी भाषा में बिंज ड्रिंकिंग कहा जाता है ,से नशे की हालत में जीवन से भी हाथ धोना पड़ सकता है. अतः निवेदन है कि नए साल के जश्न में ,जो लोग शराब का सेवन करते हैं,कम मात्रा में सेवन करे,अनुशासन और गरिमा का ध्यान रखें. नशे की हालत में गाड़ी न चलाएं. नए साल का स्वागत जरूर करें परन्तु कोशिश करें कि शराब या अन्य नशीली वस्तुओं का सेवन नहीं करें. ध्यान रहे घर पर आपका और अन्य का परिवार इंतजार कर रहा है.... लाइव आर्यावर्त.कॉम की तरफ से सभी सुधि पाठकों, विज्ञापनदाताओं और शुभचिंतकों को नव वर्ष 2018 की शुभकामनायें..

रोप स्किपिंग नेशनल चैंपियनशिप के लिए दिल्ली टीम का चयन

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नई दिल्ली। आगामी 26 से 29 जनवरी 2018 को मध्यप्रदेश,भोपाल में रोप स्किपिंग फेडरेशन ऑफ़ इंडिया द्वारा आयोजित होने राष्ट्रीय रोप स्किपिंग (रस्सी कूद) चैंपियनशिप 2017-18 के लिए दिल्ली टीम का चयन किया गया। दिल्ली टीम का चयन मादीपुर गांव स्थित डॉ साहिब सिंह वर्मा स्मृति स्पोर्ट्स स्टेडियम में दिल्ली के सरकारी एवं पब्लिक स्कूलों,क्लबों और अकेडमी से आये लगभग 300 खिलाडियों में से जम्प रोप एसोसिएशन दिल्ली (रजि.) द्वारा किया गया।  जम्प रोप एसोसिएशन दिल्ली के अतिरिक्त जनसम्पर्क एवं मीडिया प्रभारी अशोक कुमार ने बताया कि भोपाल में आयोजित इस प्रतियोगिता में दिल्ली में 70 से अधिक खिलाडियों का चयन आयू वर्ग अंडर 14,17 ,19 और ओपन केटेगरी के लिए तकनीकी प्रशिक्षक विवेक सोनी,अज़ीम खान,दिनेश नवाल,कन्हैया कुमार,दीपक ने खिलाडियों की d और तकनीकी दक्षता के आधार पर किया है। दिल्ली टीम में चुने गए लगभग 70 रोप स्किपिंग खिलाडी विभिन्न वर्गों के अलग -अलग स्पर्धा में हिस्सा लेंगे। उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष की अपेक्षा इस बार टीम छोटी बनाई गयी है ताकि अच्छे खिलाडियों का अधिक से अधिक अपना हुनर दिखाने का मौका मिल सके। इस टीम ने पिछली राष्ट्रीय चैंपियनशिप में ओवरआल ट्राफी पर कब्ज़ा जमाकर सर्वाधिक पदक जीते थे।  जम्प रोप एसोसिएशन दिल्ली (रजि.) के अध्यक्ष भीमसेन वर्मा और महासचिव निर्देश शर्मा ने चयनित खिलाडियों को अपनी शुभकामना देते हुए कहा की यह टीम इस बार भी दिल्ली का मान बढ़ाएगी और खिलाडी अपना देश और परिवार का नाम रोशन करेंगे। 

आलेख : डूबते सूरज की बिदाई नववर्ष का स्वागत कैसे

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पेड़ अपनी जड़ों को खुद नहीं काटता,
पतंग अपनी डोर को खुद नहीं काटती,

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लेकिन मनुष्य आज आधुनिकता की दौड़ में अपनी जड़ें और अपनी डोर दोनों काटता जा रहा है। काश वो समझ पाता कि पेड़ तभी तक आज़ादी से मिट्टी में खड़ा है जबतक वो अपनी जड़ों से जुड़ा है और  पतंग भी तभी तक आसमान में उड़ने के लिए आजाद है जबतक वो अपनी डोर से बंधी है। आज पाश्चात्य सभ्यता का अनुसरण करते हुए जाने अनजाने हम अपनी संस्कृति की जड़ों और परम्पराओं की डोर को काट कर किस दिशा में जा रहे हैं? ये प्रश्न आज कितना प्रासंगिक लग रहा है जब हमारे समाज में महज तारीख़ बदलने की एक प्रक्रिया को नववर्ष के रूप में मनाने की होड़ लगी हो। जब हमारे संस्कृति में हर शुभ कार्य का आरम्भ मन्दिर या फिर घर में ही ईश्वर की उपासना एवं माता पिता के आशीर्वाद से करने का संस्कार हो,उस समाज में कथित नववर्ष माता पिता को घर में छोड़, होटलों में शराब के नशे में डूब कर मनाने की परम्परा चल निकली हो। जहाँ की संस्कृति में एक साधारण दिन की शुरुआत भी ब्रह्ममुहूर्त में सूर्योदय के दर्शन और सूर्य नमस्कार के साथ करने की परंपरा हो वहाँ का समाज कथित नए साल के पहले सूर्योदय के स्वागत के बजाय जाते साल के डूबते सूरज को बिदाई देने में डूबना पसंद कर रहा हो। यह तो आधुनिक विज्ञान भी सिद्ध कर चुका है कि पृथ्वी जब अपनी धुरी पर घूमती है तो यह समय 24 घंटे का होता है जिससे दिन और रात होते हैं, एक नए दिन का उदय होता है और तारीख़ बदलती है। जबकि पृथ्वी जब सूर्य का एक चक्र पूर्ण कर लेती है तो यह समय 365 दिन का होता है और इस काल खण्ड को हम एक वर्ष कहते हैं। यानी नव वर्ष का आगमन वैज्ञानिक तौर पर पृथ्वी की सूर्य की एक परिक्रमा पूर्ण कर नई परिक्रमा के आरंभ के साथ होता है।

वो परिक्रमा जिसमें ॠतुओं का एक चक्र भी पूर्ण होता है। सम्पूर्ण भारत में नववर्ष इसी चक्र के पूर्ण होने पर विभिन्न नामों से मनाया जाता है। कर्नाटक में युगादि,तेलुगु क्षेत्रों में उगादि,महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा,सिंधी समाज में चैती चांद,मणिपुर में सजिबु नोंगमा नाम कोई भी हो तिथि एक ही है चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा,हिन्दू पंचांग के अनुसार सृष्टि की उत्पत्ति का दिन,नव वर्ष का पहला दिन,नवरात्रि का पहला दिन। इस नववर्ष का स्वागत केवल मानव ही नहीं पूरी प्रकृति कर रही होती है। ॠतुराज वसन्त प्रकृति को अपनी आगोश में ले चुके होते हैं,पेड़ों की टहनियाँ नई पत्तियों के साथ इठला रही होती हैं, पौधे फूलों से लदे इतरा रहे होते हैं, खेत सरसों के पीले फूलों की चादर से ढके होते हैं, कोयल की कूक वातावरण में रस घोल रही होती है, मानो दुल्हन सी सजी धरती पर कोयल की मधुर वाणी शहनाई सा रस घोल कर नवरात्रि में माँ के धरती पर आगमन की प्रतीक्षा कर रही हो। नववर्ष का आरंभ माँ के आशीर्वाद के साथ होता है। पृथ्वी के नए सफर की शुरूआत के इस पर्व को मनाने और आशीर्वाद देने स्वयं माँ पूरे नौ दिन तक धरती पर आती हैं।

लेकिन इस सबको अनदेखा करके जब हमारा समाज 31 दिसंबर की रात मांस और मदिरा के साथ जश्न में डूबता है और 1 जनवरी को नववर्ष समझने की भूल करता है तो आश्चर्य भी और दुख भी होता है। क्योंकि आज भी हर भारतीय चाहे गरीब हो या अमीर, पढ़ा लिखा हो या अनपढ़ छोटे से छोटे और बड़े से बड़े काम के लिए "शुभ मुहूर्त"का इंतजार करता है। चाहे नई दुकान का उद्घाटन हो, गृहप्रवेश हो,विवाह हो,बच्चे का नामकरण हो,किसी नेता का शपथ ग्रहण हो, हर कार्य के लिए  "शुभ घड़ी"  की प्रतीक्षा की जाती है। 

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क्या होती है यह शुभ घड़ी ? 
अगर हम हिन्दू पंचांग के नववर्ष के बजाय पश्चिमी सभ्यता के नववर्ष को स्वीकार करते हैं तो फिर  वर्ष के बाकी दिन हम पंचांग क्यों देखते हैं? जब पूरे साल हम शुभ अशुभ मुहूर्त के लिए पंचांग खंगालते हुए उसके  "पूर्णतः वैज्ञानिक"  होने का दावा करते हैं तो फिर नववर्ष के लिए हम उसी पंचांग को अनदेखा कर पश्चिम की ओर क्यों ताकते हैं? यह हमारी अज्ञानता है, कमजोरी है,हीन भावना है या फिर स्वार्थ है? उत्तर तो स्वयं हमें ही तलाशना होगा। क्योंकि बात अंग्रेजी नववर्ष के विरोध या समर्थन की नहीं है बात है प्रमाणिकता की। हिन्दू संस्कृति में हर त्यौहारों की संस्कृति है जहाँ हर दिन एक त्यौहार है जिसका वैज्ञानिक आधार पंचांग में दिया है। लेकिन जब पश्चिमी संस्कृति की बात आती है तो वहाँ नववर्ष का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। इसके बावजूद जब हम पश्चिम सभ्यता का अनुसरण करते हैं तो कमी कहीं न कहीं हमारी ही है जो हम अपने विज्ञान पर गर्व करके उसका पालन करने के बजाय उसका अपमान करने में शर्म भी महसूस नहीं कर रहे। अपने देश के प्रति उसकी संस्कृति के प्रति और भावी पीढ़ियों के प्रति हम सभी के कुछ कर्तव्य हैं। आखिर एक व्यक्ति के रूप में हम समाज को और माता पिता के रूप में अपने बच्चों के सामने अपने आचरण से एक उदाहरण प्रस्तुत करते हैं। समय आ गया है कि अंग्रेजी नववर्ष की अवैज्ञानिकता और भारतीय नववर्ष की वैज्ञानिक सोच को न केवल समझें बल्कि अपने जीवन में अपना कर अपनी भावी पीढ़ियों को भी इसे अपनाने के लिए प्रेरित करें।




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--डाँ नीलम महेंद्र--

विशेष : न्याय की धीमी गति पर खड़े हुए सवाल

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देश में कानून प्रक्रिया की धीमी एवं सुस्त गति एक ऐसी त्रासदी बनती जा रही है, जिसमें न्यायालयों में न्याय के बजाय तारीखों का मिलना, केवल पीड़ित व्यक्ति को ही नहीं, बल्कि समूची व्यवस्था को घायल कर देती है। इससे देश के हर नागरिक के मौलिक अधिकारों का न केवल हनन होता है बल्कि एक बदनुमा दाग न्याय प्रक्रिया पर लग जाता है। इनदिनों जिस तरह के राजनीतिक अपराधों के न्यायालयी निर्णय सामने आये हैं, उन्होंने तो न्याय प्रणाली पर अनेक प्रश्न ही जड़ दिये हैं। बात चाहे चारे घोटाले की हो या 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले की। देश की जनता का कानून व्यवस्था पर भरोसा उठने लगा है। आज न्याय की देवी की आँखों पर पट्टी बंधे होने अर्थ है कि वह सब कुछ देख कर अनदेखा कर रही है, लेकिन आंखों पर पट्टी ही नहीं कानों में अब तो अवरोध भी लगा दिये गये हैं जो कानून के अंधे होने के साथ-साथ बहरे होने के भी परिचायक हंै। सशक्त लोकतंत्र के लिये राजनीति को अपराध मुक्त करना जरूरी है तो न्याय प्रणाली को भी विलम्ब मुक्त करना होगा। 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले पर आये निर्णय ने तो चैंकाया ही है साथ ही साथ चारा घोटाले के एक और मामले में लालू यादव और कुछ अन्य लोगों को दोषी करार दिया गया। कोई नहीं जानता कि वह दिन कब आएगा जब चारे घोटाले के सारे मामलों में भी फैसला आएगा और इन सब मामलों का अंतिम तौर पर निस्तारण होगा? यह संतोष का विषय है कि देर से ही सही, नेताओं के भ्रष्टाचार से जुड़े मामले अदालतों द्वारा निपटाए जा रहे हैं या फिर इस पर हैरानी प्रकट की जाए कि न्याय की गति इतनी धीमी क्यों है? 

न्याय की धीमी गति ऐसा प्रश्न है जो न केवल न्याय प्रणाली पर बल्कि हमारे समूची लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर एक ऐसा दाग है जिसने सारे दागों को ढंक दिया है। एक तरह से अपराध पर नियंत्रण की बजाय अपराध को प्रोत्साहन देने का जरिया बनती जा रही है हमारी कानून व्यवस्था। न्याय के विलम्ब से अपराध करने वालों के हौसले बुलन्द रहते हैं कि न्याय प्रक्रिया उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकती या बीस-पचीस वर्षों में फैसला आयेगा जब तक स्थितियां बहुत बदल चुकी होगी, अपराध करने वाले जिन्दा रहेंगे भी या नहीं। अदालती फैसलों की विडम्बना ही कही जायेगी कि जब अनेक निर्णय आते हैं तब तक तो अपराधी स्वर्ग पहुंच चुके होते हैं। यह सही है कि चारा घोटाला सरकारी धन की लूट का एक बड़ा मामला था और उसमें नेताओं और नौकरशाहों के साथ चारा आपूर्ति करने वाले भी तमाम लोग शामिल थे, लेकिन आखिर इसके क्या मायने कि जो घोटाला 1996 में उजागर हुआ उसमें फैसला 2017 में हो रहा है? राम रहीम से पीड़ित साध्वी का उदाहरण भी हमारे सामने है। उन्हें अपनी पहचान छिपाते हुए देश के सर्वोच्च व्यक्ति माननीय प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर अपनी पीड़ा बयान की थी। फिर भी न्याय मिलने में 15 साल और भाई का जीवन लग गया। यह वह देश है जहाँ बलात्कार की पीड़ित एक अबोध बच्ची को कानूनी दाँवपेंचों का शिकार होकर 10 वर्ष की आयु में एक बालिका को जन्म देना पड़ था। जहाँ साध्वी प्रज्ञा और कर्नल पुरोहित को सुबूतों के अभाव के बावजूद वर्षों जेल में रहना पड़ा है। यह देर ही नहीं, एक तरह की अंधेर है। इसी अंधेरगर्दी एवं अदालती कामकाज पर शोध करने वाली बंगलुरु की एक संस्था के अध्ययन में यह बात सामने आई है कि देश के कुछ हाईकोर्ट ऐसे हैं जो मुकदमों का फैसला करने में औसतन चार साल तक लगा दे रहे हैं। वहीं निचली अदालतों का हाल इससे भी दुगुना बुरा है। वहां मुकदमों का निपटारा होने में औसतन छह से साढ़े नौ साल तक लग जा रहे हैं। हाईकोर्ट के मामले में देश भर में सबसे बुरा प्रदर्शन राजस्थान, इलाहाबाद, कर्नाटक और कलकत्ता हाईकोर्ट का रहा है। निचली अदालतों में गुजरात सबसे फिसड्डी है, जिसके बाद उड़ीसा, झारखंड, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र आदि आते हैं। 

यह भी न्याय प्रणाली की एक बड़ी विसंगति ही कही जायेगी कि चारे घोटाले में विशेष अदालत के इस फैसले को ऊपरी अदालत में चुनौती दी जाएगी-ठीक वैसे ही जैसे पहले आए फैसले को लेकर दी गई थी। इस पर भी गौर करें कि जिस मामले में लालू यादव को दोषी पाया गया और जगन्नाथ मिश्र बरी किए गए उसमें कुल 38 आरोपियों में से 11 की मौत हो चुकी है। एक हजार करोड़ के इस घोटाले से जुड़े अनेक तथ्य चिन्तनीय है और बड़े सवाल खड़े करते हैं। क्या किसी को परवाह है कि ऐसी स्थिति क्यों बन रही है? अपने देश की न्यायिक प्रक्रिया की सुस्त रफ्तार कोई नई-अनोखी बात नहीं। न जाने कितने मामले वर्षों और दशकों तक तारीख पर तारीख से दो-चार होते रहते हैं, आखिर कब तक ये स्थितियां चलती रहेगी और प्रश्नों से घिरी रहेगी? राजनीतिक अपराधों एवं भ्रष्टाचार में लिप्त राजनेताओं पर आरोप लगता रहा है कि वे कानून को अपने इशारों पर नचाते हंै। वे अपनी पहुंच और प्रभाव के चलते पहले तो अपने खिलाफ जांच को प्रभावित करने का हर संभव जतन करते हैं और फिर अदालती प्रक्रिया में अडंगा डालने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाते हैं। दुर्भाग्य से कई बार वे सफल भी होते हैं। जिस कानून से आमजन न्याय की उम्मीद लगाता है, उसी कानून के सहारे उसने अपराधियों को बच के निकलते हुए देखा है, यह दुर्भाग्यवपूर्ण ही कहा जायेगा।

राजनीतिक अपराधों के मामलों में एक स्वर यह भी सुनने को मिलता रहा है कि आज तक किसी बड़े राजनेता को कोई सजा नहीं हुई है। एक तरह से राजनीति अपराध करने का लाईसैंस बनता गया है। अपवाद स्वरूप जब कभी किसी राजनेता को कोई सजा हो भी जाती है तो वे एक काम यह भी करते हैं कि निचली अदालत के फैसले के बाद जमानत हासिल कर जनता के बीच जाकर सहानुभूति अर्जित करते हैं। इस दौरान वे कानून के प्रति अपनी कथित आस्था का दिखावा करते हुए यह प्रचार भी करते रहते हैं कि उन्हें राजनीतिक बदले की कार्रवाई के तहत फंसाया गया। कई बार तो वे जेल जाने की अच्छी-खासी राजनीतिक कीमत वसूल कर लेते हैं। जब ऐसा होता है तो सम्पूर्ण न्याय प्रणाली एवं शासन का उपहास ही उड़ता है। यह किसी से छिपा नहीं कि लालू यादव ने किस तरह अपने खिलाफ चल रहे मुकदमों को राजनीतिक तौर पर भुनाया। यदि नेताओं और अन्य प्रभावशाली लोगों के आपराधिक मामलों में त्वरित न्याय की कोई ठोस व्यवस्था नहीं बनती तो न्याय होना न होने बराबर है। बल्कि ऐसे न्याय की तो निर्थकता ही साबित होना तय है। बेहतर हो कि नीति-नियंता इस पर गंभीरता से विचार करें कि नेताओं के मामलों के निस्तारण में जरूरत से ज्यादा देरी क्यों रही है?

इसमें कोई शक नहीं कि मौजूदा न्यायिक प्रणाली बेहद धीमी गति से काम कर रही है। नतीजतन में अदालतों में लंबित मुकदमों की संख्या करोड़ों तक पहुंच चुकी है। राष्ट्रीय अदालत प्रबंधन की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक बीते तीन दशकों में मुकदमों की संख्या दोगुनी रफ्तार से बढ़ी है। अगर यही स्थिति बनी रही तो अगले तीस वर्षों में देश के विभिन्न अदालतों में लंबित मुकदमों की संख्या करीब पंद्रह करोड़ तक पहुंच जाएगी। इस मामले में विधि एवं न्याय मंत्रालय के आंकड़े भी चैंकाने वाले हैं। रिपोर्ट के अनुसार देश में 2015 तक देश के विभिन्न अदालतों में साढ़े तीन करोड़ से अधिक मुकदमे लंबित थे। एक कहावत है कि दुश्मनों को भी अस्पताल और कचहरी का मुंह न देखना पड़े। इसके पीछे तर्क यही है कि ये दोनों जगहें आदमी को तबाह कर देती हैं। और जीतनेवाला भी इतने विलंब से न्याय पाता है, वह अन्याय के बराबर ही होता है। छोटे-छोटे जमीन के टुकड़े को लेकर तीस-चालीस साल मुकदमे चलते हैं। फौजदारी के मामले तो और भी संगीन स्थिति है। अपराध से ज्यादा सजा तो लोग फैसला आने के पहले ही काट लेते हैं। यह सब केवल इसलिए होता है कि मुकदमों की सुनवाई और फैसले की गति बहुत धीमी है। वर्षों तक मुकदमे फैसले के इंतजार में पीड़ितों का न सिर्फ समय और पैसा बर्बाद होता है, बल्कि सबूत भी धुंधले पड़ जाते हैं। देश में आबादी के लिहाज से जजों की संख्या बहुत कम है, विकसित देशों की तुलना में कई गुना कम। बात केवल अदालतों से न्याय नहीं मिल पाने तक सीमित नहीं है, बात न्यायिक प्रक्रिया में लगने वाले समय की भी है और न्याय संस्कृति को दुरुस्त करने की भी है। 





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(ललित गर्ग)
60, मौम विहार, तीसरा माला, 
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फोन: 22727486, मोबाईल: 9811051133

सामयिकी : ...तो फिर 2जी घोटाले का दोषी कौन?

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देश में संप्रग सरकार के समय हुए 2जी घोटाले में न्यायालय के निर्णय के साथ ही भाजपा और कांग्रेस में राजनीतिक बयानबाजी प्रारंभ हो गई है। कांग्रेस जहां इस घोटाले को पूरी तरह से झूठा प्रमाणित करने की कवायद कर रही है, वहीं भाजपा की तरफ से अभी भी इसे घोटाले का रुप ही देने की राजनीति की जा रही है। इस प्रकार की बयानबाजी निश्चित ही देश के वातावरण में भ्रम की स्थिति को पैदा करती हैं। वास्तव में होना यह वाहिए कि देश के दोनों प्रमुख दलों इस पर राजनीति करने के बजाय देश हित में अपनी राजनीति करें। अगर इसमें भ्रष्टाचार हुआ है तो आगे भी अपील के लिए संभावनाएं हैं। इस मामले में निर्णय आने के बाद देश के सुप्रसिद्ध अधिवक्ता और भाजपा नेता डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी का कथन बहुत ही पेच खड़ा करने वाला दिखाई दे रहा है। उनका कहना है कि इस प्रकरण में सरकार की ओर से जो वकील लाए गए थे, उन्होंने इस प्रकरण को सही ढंग से लड़ा ही नहीं था। स्वामी ने इसे अंतिम निर्णय भी नहीं माना। साथ ही सरकार से ऊपरी न्यायालय में प्रकरण को ले जाने की भी बात कही।

अगर स्वामी की बात को सही माना जाए तो यह निष्कर्ष तो निकलता ही है कि इसमें कहीं न कहीं गड़बड़ हुई है। वास्तव में भ्रष्टाचार हुआ है तो नरेन्द्र मोदी की सरकार को इसका खुलासा करने के लिए ईमानदारी से प्रयास करना चाहिए। पहले देश में भ्रष्टाचार के बारे में आम राय यही बनती जा रही थी कि देश से भ्रष्टाचार समाप्त हो ही नहीं सकता, लेकिन आज इस धारणा में बदलाव देख जाने लगा है। जनमानस अब साफ तौर कहने लगा है कि मोदी सरकार भ्रष्टाचार को समाप्त करने की दिशा में सार्थक कदम बढ़ा रही है। यह सही है कि देश से भ्रष्टाचार समाप्त होना ही चाहिए। इसके लिए कांग्रेस को भी पूरे मन से सरकार का साथ देना चाहिए। राजनीतिक श्रेय पाने के लिए बयानबाजी करना भ्रष्टाचार को समाप्त का माध्यम नहीं माना जा सकता। कांग्रेस के बड़े राजनेता भी इस निर्णय को ऐसे प्रचारित कर रहे हैं कि जैसे भ्रष्टाचार कभी हुआ ही नहीं। कांग्रेस कभी भ्रष्टाचार करती ही नहीं थी। सभी जानते हैं कि मनमोहन सिंह की सरकार भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाली सरकार साबित हो रही थी। मुझे लगता है कि इस सरकार के समय ही सबसे ज्यादा ऐसे भ्रष्टाचार के मामले सामने आए जो सत्ता में भूमिका निभाने वाले राजनेताओं द्वारा किए गए थे। जिसमें दो जी घोटाला और कोयला खदान आवंटन जैसे मामले हमारे सामने हैं। इतना ही नहीं मनमोहन की सरकार को भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाली सरकार तक प्रचारित किया गया था।

देश के बहुचर्चित दो जी स्पेक्ट्रम घोटाले पर से फिलहाल परदा उठ गया है, इसे कांग्रेस ने अपनी ईमानदारी के प्रमाणपत्र के रुप में प्रचारित करना भी प्रारंभ कर दिया है। संप्रग सरकार में मंत्री पद पर आसीन रहने वाले दो राजनेता ए. राजा और कनिमोझी के अलावा 15 आरोपियों और तीन कंपनियों को न्यायालय ने पर्याप्त प्रमाण नहीं होने के कारण बरी कर दिया। न्यायालय ने साफ कहा कि सरकार की ओर से पैरवी करने वाले अधिवक्ता प्रमाण प्रस्तुत नहीं कर सके कि इस मामले में किसी भी प्रकार का लेनदेन हुआ है। हम जानते हैं कि इस घोटाले ने पूर्ववर्ती संप्रग सरकार को बहुत परेशान किया था। यहां तक कि देश की सत्ता से भी हटना पड़ा था। यहां सवाल यह भी है कि उस समय सरकार के किसी भी मंत्री के पास इसको झुठलाने के लिए पर्याप्त प्रमाण नहीं थे। कांग्रेस के पास तो संभवत: आज भी नहीं है। अगर इस मामले में न्यायालय का फैसला नहीं आता तो कांग्रेस आज भी यह नहीं कह पाती कि इसमें किसी प्रकार का भ्रष्टाचार नहीं हुआ। इसलिए आज कांग्रेस के नेताओं द्वारा यह कहा जाना कि कांग्रेस ईमानदार है, गले नहीं उतर रहा।

सीबीआई के विशेष न्यायाधीश ओ.पी. सैनी ने 2जी घोटाला मामले में आज फैसला सुनाया। राजा और अन्य आरोपियों के खिलाफ अप्रैल 2011 में दायर अपने आरोपपत्र में केन्द्रीय जांच ब्यूरो ने आरोप लगाया था कि 2जी स्पेक्ट्रम के 122 लाइसेंसों के आवंटन के दौरान 30,984 करोड़ रुपए की राजस्व हानि हुई थी। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट में 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाले को 1,76,000 करोड़ रुपए का बताया गया था। हालांकि सीबीआई ने अपने आरोप पत्र में करीब 31,000 करोड़ रुपए के घोटाले का उल्लेख किया था। उच्चतम न्यायालय ने दो फरवरी, 2012 को इन आवंटनों को रद्द कर दिया था। सुनवाई के दौरान सभी आरोपियों ने अपने खिलाफ लगे आरोपों से इनकार किया था। फिर सवाल यह आता है कि दो जी स्पेक्ट्रम घोटाले का दोषी कौन है? यहां सबसे महत्वपूर्ण सवाल यह भी है कि इसके लिए तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार ने तमाम नियमों की अनदेखी करके घोटाला किया था। यह भी सच है कि तत्कालीन संप्रग सरकार की ओर से 2जी स्पेक्ट्रम की संभावित असलियत तो उसी समय सामने आ गई थी, जब 2012 में न्यायालय ने इस नीलामी को रद्द कर दिया था। इससे यह कहा जा सकता है कि नीलामी रद्द करने के पर्याप्त कारण भी रहे होंगे। वैसे यह आज की प्रचलित धारणा सी बनती जा रही है कि कोई भी आरोपी अपने आपको बचाने का भरपूर प्रयास करता है। इसमें ऐसे ही खेल की संभावना दिखाई देती है। हालांकि यह निर्णय न्यायिक संस्था का है, इसलिए उसके निर्णय पर किसी भी प्रकार का सवाल नहीं है। सवाल हमारी राजनीतिक व्यवस्था का है। क्या यह सच नहीं है कि संप्रग सरकार के समय राजनीतिक भ्रष्टाचार किया गया। आज भले ही इस मामले में आरोपियों को बरी कर दिया है, लेकिन फिर वही सवाल सामने आ रहा है कि इसके कारण सरकार को जो राजस्व हानि हुई, उसके पीछे कौन से कारण थे। अगर राजस्व की हानि हुई है तो उसको प्राप्त करने के लिए क्या प्रयास किए जा रहे हैं। वह राजस्व किसे मिला, नहीं मिला तो सरकारी खजाने में क्यों नहीं आया? यह ऐसे सवाल हैं, जिनके उत्तर तलाश करना बहुत ही जरुरी है। नहीं तो कांग्रेस के नेता इसे भले ही अपनी सरकार के लिए प्रमाणपत्र मानें, लेकिन सही मायनों में यह ईमानदारी का प्रमाणपत्र है ही नहीं।



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सुरेश हिन्दुस्थानी
लश्कर ग्वालियर मध्यप्रदेश
मोबाइल-9425101815, 9770015780 
(लेखक वरिष्ठ स्तंभकार और राजनीतिक विश्लेषक हैं)

बिहार : स्‍पीकर रुलिंग पार्टी के हित को अनदेखा नहीं कर सकता

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  • विधान सभा के पूर्व अध्‍यक्ष उदय नारायण चौधरी ने ‘BYN’ से कहा

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बिहार विधान सभा के पूर्व अध्‍यक्ष उदय नारायण चौधरी इन दिनों ‘सरकार’ से खफा चल रहे हैं। आरक्षण की आंच को तेज करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्‍हें इस बात का मलाल है कि वे संपूर्ण वंचित समाज की बात कर रहे हैं और मीडिया उन्‍हें सिर्फ दलित में बांध दे रहा है। आज हमने करीब ढाई-तीन साल पहले के उनके कुछ विवादास्‍पद फैसलों के संबंध में बातचीत की। इसमें राजद के एक गुट को अलग मान्‍यता देने और आठ विधायकों की सदस्‍यता समाप्‍त करने से जुड़े मामलों पर चर्चा की। हमने उनसे पूछा कि आपके इन विवादित फैसलों में मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार की कितनी भूमिका थी या कितना हस्‍तक्षेप था। इस पर उन्‍होंने माना कि कोई भी स्‍पीकर रुलिंग पार्टी के इंटरेस्‍ट को अनदेखा नहीं कर सकता है। हालांकि उन्‍होंने कहा कि इन बातों पर मीडिया से चर्चा में अब कुछ रखा नहीं है।

हमारा मुख्‍य फोकस उन आठ पूर्व विधायकों पर था, जिनकी 15वीं विधानसभा सदस्य के रूप में प्राप्‍त सभी सुविधाएं छीन ली गयी हैं। 2014 में राज्‍य सभा के उपचुनाव में निर्दलीय प्रत्‍याशी के पक्ष में पोलिंग एजेंट बनने और मतदान करने को लेकर जदयू के कई विधायकों के खिलाफ कार्रवाई की गयी थी, जिनमें से आठ अपनी जिद पर अड़े रहे और सदस्‍यता भी गवां दी। इन आठ विधायकों में दो ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू और नीरज कुमार बबलू भाजपा के‍ टिकट पर जीत कर विधान सभा लौट आये हैं। 15वीं विधानसभा के लिए पहली बार निर्वाचित राहुल शर्मा, रवींद्र राय व सुरेश चंचल को पूर्व विधायक के रूप में मिलने वाली सारी सुविधाएं बंद हैं। हालां‍कि तीन अन्‍य पूनम देवी, राजू कुमार सिंह और अजीत कुमार पहले भी विधायक रह चुके थे, लेकिन 15वीं विधान सभा के कार्यकाल के रूप में मिलने वाली पेंशन बंद है।

पूर्व स्‍पीकर श्री चौधरी ने कहा कि मामला न्‍यायालय में है। हमने कानून सम्‍मत कार्रवाई की थी। विधान सभा की कार्रवाई को लेकर स्‍पीकर का फैसला सर्वोपरि होता है। राजद के एक गुट को अलग मान्‍यता देने और मान्‍यता रद करने के संबंध में उन्‍होंने कहा कि हमने आवेदन के आधार पर औपबंधिक मान्‍यता दी थी। लेकिन आवेदन पर हस्‍ताक्षर करने वाले सदस्‍यों ने जब हस्‍ताक्षर को सही मानने से इंकार कर दिया तो अलग गुट की मान्‍यता रद भी कर दी। हालांकि हस्‍ताक्षर करने वाले कई सदस्‍यों ने बाद में विधानसभा से इस्‍तीफा भी दे दिया था।

उल्‍लेखनीय है कि 2013 में भाजपा को सत्‍ता से ‘धकियाने’ के बाद नीतीश कुमार ने राजद में सेंधमारी की कोशिश की थी। इसी के तहत कुछ विधायकों के कथित रूप से फर्जी हस्‍ताक्षर के बाद स्‍पीकर उदय नारायण चौधरी ने राजद के एक गुट को विधान सभा में अलग से मान्‍यता दे दी थी, जबकि इस गुट को विधायक दल का दो-तिहाई सदस्‍यों का समर्थन प्राप्‍त नहीं था। हालांकि काफी हंगामे के बाद स्‍पीकर ने अलग गुट की मान्‍यता को रद कर दिया था। इसके बाद नीतीश कुमार ने राजद विधायकों को विधान परिषद में भेजने का भरोसा दिलाकर इस्‍तीफा दिलवा दिया था, ताकि पार्टी का विधान सभा में बहुमत हो जाये। लेकिन 2104 के लोकसभा चुनाव में हार के बाद समीकरण बदला और लालू यादव व नीतीश कुमार साथ आ गये।


साभार : बी वाई एन न्यूज़ 

रोप स्किपिंग नेशनल चैंपियनशिप के लिए दिल्ली टीम का चयन हुआ

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नई दिल्ली। डॉ साहिब सिंह वर्मा स्मृति स्पोर्ट्स स्टेडियम मादीपुर गांव में भोपाल में आगामी 26 से 29 जनवरी को होने वाली राष्ट्रीय रोप स्किपिंग (रस्सी कूद) चैंपियनशिप में भाग लेने के लिए दिल्ली टीम का चयन  जम्प रोप एसोसिएशन दिल्ली (रजि.) द्वारा किया गया जिसमें विभिन्न वर्गों के विभिन्न इवेंट के लिए टीम का चयन हुआ।  जम्प रोप एसोसिएशन दिल्ली के अतिरिक्त जनसम्पर्क एवं मीडिया प्रभारी अशोक कुमार ने बताया कि भोपाल में आयोजित इस प्रतियोगिता में दिल्ली में 70 से अधिक खिलाडियों का चयन आयू वर्ग अंडर 14,17 ,19 और ओपन केटेगरी के लिए तकनीकी प्रशिक्षक विवेक सोनी,अज़ीम खान,दिनेश नवाल,कन्हैया कुमार,दीपक ने खिलाडियों की क्षमता और दक्षता के आधार पर किया है। दिल्ली की टीम में इस बार लगभग 70 खिलाडी रोप स्किपिंग की विभिन्न स्पर्धाओं में हिस्सा लेंगे। उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष की अपेक्षा इस बार टीम छोटी बनाई गयी है ताकि अच्छे खिलाडियों का अधिक से अधिक अपना हुनर दिखाने का मौका मिल सके। इस टीम ने पिछली राष्ट्रीय चैंपियनशिप में ओवरआल ट्राफी पर कब्ज़ा जमाकर सर्वाधिक पदक जीते थे।  जम्प रोप एसोसिएशन दिल्ली (रजि.) के अध्यक्ष भीमसेन वर्मा और महासचिव निर्देश शर्मा ने चयनित खिलाडियों को अपनी शुभकामना देते हुए कहा की यह टीम इस बार भी दिल्ली का मान बढ़ाएगी और खिलाडी अपना देश और परिवार का नाम रोशन करेंगे। 

‘जन सहयोग से जन सरोकार’ के दो साल - वीरेंद्र यादव न्‍यूज

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मासिक पत्रिका ‘वीरेंद्र यादव न्‍यूज’ अपने प्रकाशन का दो साल पूरा कर लिया है। पूरे 24 महीने। यह हमारा दूसरा वार्षिकांक है। शुरू के दो अंक हमने पाक्षिक पत्रिका के रूप में निकाला था, इस कारण उसकी गिनती नहीं कर रहे हैं। पत्रकारिता मेरा पेशा है, लेकिन यह पत्रिका पेशेवर नहीं है। इसे हमने अपने सामाजिक जिम्‍मेवारी व दायित्‍व के तहत प्रकाशित करना शुरू किया था। पहले ही अंक में हमने घोषणा की थी कि पत्रिका शुभेच्‍छुओं से प्राप्‍त आर्थिक मदद से छपेगी और इसका वितरण फ्री में किया जाएगा। पत्रिका की अवधारणा है- जन सहयोग से जनसरोकार।

हमने इस पत्रिका को जन सरोकार के मुद्दे से जोड़े रखा। सम-सामयिक राजनीतिक परिस्थितियों पर पत्रिका ने अपना पक्ष रखा। अपने पक्ष में पत्रिका ने तथ्‍य भी रखे। कई बार पक्ष पर तथ्‍य भारी पड़ता हुआ भी दिखा। पत्रिका को लेकर कई टिप्‍पणी भी पाठकों से मिली। एक साथी ने कहा- आप आंकड़ों के साथ अपना एजेंडा थोपना चाहते हैं। एक पूर्व विधान पार्षद की टिप्‍पणी थी- आपकी पत्रिका पिछड़ावाद की वकालत करती है, इसलिए इसे हम अपने ड्राइंग रूम में नहीं रखते हैं। कई पाठकों की सकारात्‍मक टिप्‍पणी भी मिली। लेकिन पत्रिका के कंटेंट को लेकर सभी की एक समान धारणा है- इसके आंकड़े बहुत उपयोगी होते हैं। यही अवधारणा इस पत्रिका की सबसे बड़ी पूंजी है।

पत्रिका लोगों से प्राप्‍त आर्थिक मदद यानी चंदा से प्रकाशित होती है। हर अंक में औसतन 10-12 हजार रुपये की लागत आती है। अपने मुख्‍य कार्य के अतिरिक्‍त पत्रिका के लिए संसाधन और कंटेंट जुटाना बड़ा काम हो जाता है। पत्रिका के हर अंक को हम अंतिम अंक मानते हैं। क्‍योंकि पत्रिका जन सहयोग से प्रकाशित होती है। यदि जन सहयोग बंद हुआ तो पत्रिका भी बंद हो जाएगी। संसाधन जुटाने के क्रम में चंदा कम और आश्‍वासन ज्‍यादा मिलता है। कई बार आश्‍वासन भी बोझ लगने लगता है। लेकिन इन्‍हीं आश्‍वासनों के बीच से उम्‍मीद की राह भी दिखती है।

पत्रिका हर महीने नियमित रूप से प्रकाशित हो रही है तो पाठकों का भी एक बड़ा योगदान है। हम पत्रिका के प्रिंट एडिशन के साथ ऑनलाइन एडिशन भी आप तक पहुंचाते हैं। फेसबुक, ईमेल के साथ वाट्सअप के माध्‍यम से भी हजारों पाठक ‘वीरेंद्र यादव न्‍यूज’ के मासिक अंक के साथ नियमित खबरों को भी पढ़ते हैं। पत्रिका की निरंतरता के लिए आपका आर्थिक सहयोग अपेक्षित है। इसके साथ ही हम आपको इतना भरोसा जरूर दिलाएंगे कि हमारी राय से असहमत हो सकते हैं, लेकिन आंकड़ों व तथ्‍यों को आप नकार नहीं पाएंगे।

कोडा को राहत , सजा पर रोक

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नयी दिल्ली 02 जनवरी, केन्द्रीय जांच ब्यूरो(सीबीआई) की विशेष अदालत से कोलगेट मामले में सजा पाये झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोडा को दिल्ली उच्च न्यायालय से बडी राहत मिली है । न्यायालय ने विशेष अदालत को उन्हें और तीन अन्य की तीन वर्ष की जेल और 25 लाख जुर्माने की सजा पर अगली सुनवाई तक स्थगन आदेश दिया है । न्यायमूर्ति अनु मल्होत्रा ने आज इस मामले पर सुनवाई करते हुए स्थगन आदेश दिया। मामले की अगली सुनवाई 22 जनवरी को होगी। न्यायालय ने अगली सुनवाई तक जुर्माना अदा करने पर भी रोक लगाई है। सीबीआई की विशेष अदालत के जज भरत पाराशर ने 16 दिसम्बर को दस वर्ष पुराने मामले में कोडा और तीन अन्य आरोपियों को तीन तीन साल की सजा सुनाई थी। सजा के बाद सभी दोषियों को दो महीने की अंतिरम जमानत भी मिल गई थी। यह मामला झारखंड के राजहरा उत्तरी कोयला ब्लाक आवंटन कोलकाता की विनी आयरन ऐंड स्टील उद्योग को आवंटित किए जाने में हुई अनियमितताओं से जुडा था। यह आवंटन 2007 में किया गया था । इस मामले के कोडा के अलावा पूर्व कोयला सचिव एच सी गुप्ता . झारखंड के पूर्व मुख्य सचिव अशोक कुमार बसु और कोडा के करीबी विजय जोशी को सजा सुनाई गई थी । इसके अलावा विनी आयरन पर 50 लाख रुपए का जुर्माना लगाया था। गुप्ता पर एक लाख रुपए का जुर्माना लगाया था । कोडा और तीन अन्य पर 120 बी ( आपराधिक साजिश) 420 धोखाधडी . 409 (सरकारी पद पर रहते हुए भ्रष्टाचार) और भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत मुकदमा चला था। निर्दलीय विधायक कोडा 2006 में झारखंड के पांचवें मुख्यमंत्री बने थे और 709 दिन इस पद पर रहे थे।

मधुबनी : कडकडाती ठण्ड में जिला कलेक्टर ने किया औचक निरिक्षण

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मधुबनी,02 जनवरी, जिला पदाधिकारी के द्वारा मंगलवार को राजनगर प्रखंड कार्यालय का औचक निरीक्षण किया गया। निरीक्षण के क्रम में श्री किशोर कुमार झा, लिपिक अनुपस्थित पाये गये। जिला पदाधिकारी ने अनुपस्थित कर्मियों से स्पष्टीकरण पूछने का निर्देश दिया। जिला पदाधिकारी ने पेंषनधारियों की वर्ष 2004-05 से वर्ष 2014-15 तक का लेखा संख्या की खोज कर सहायक निदेषक, सामाजिक सुरक्षा, मधुबनी को शीघ्र भेजने का निर्देश दिया। उन्होंने बरामदे पर रखे गये पुराने बक्सा एवं उपस्करों को ई-किसान भवन के एक कमरा में सुरक्षित रखवाने का निर्देश प्रखंड विकास पदाधिकारी को दिया।  जिला पदाधिकारी ने प्रखंड विकास पदाधिकारी को कार्यालय में पर्याप्त रौशनी की व्यवस्था करने का निर्देश दिया। प्रखंड कार्यालय, राजनगर के मुख्य द्वार पर विभिन्न प्रकार के फाॅर्म बेचे जाने को गंभीरता से लेते हुए प्रखंड विकास पदाधिकारी को अविलंब हटवाने का निर्देश दिया।

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उसके बाद जिला पदाधिकारी द्वारा सामुदायिक अस्पताल, राजनगर का निरीक्षण किया गया। निरीक्षण के क्रम में प्रखंड चिकित्सा पदाधिकारी अनुपस्थित पाये गये। जिला पदाधिकारी ने सिविल सर्जन, मधुबनी को जांच कर कार्रवाई करने को कहा। निरीक्षण के क्रम में फ्रीजर खराब पाया गया, तथा दूसरे नये फ्रीजर को अबतक उपयोग में नहीं लाया गया है। जिसे शीघ्र उपयोग में लाने का निर्देश दिया गया। अस्पताल में भर्ती मरीजों को कंबल नहीं उपलब्ध कराये जाने को लेकर नाराजगी व्यक्त की गयी। तथा श्री शंकर पासवान,बाबूवरही एवं मैनी पासवान, परसा, बाबूवरही को जिला पदाधिकारी द्वारा कंबल उपलब्ध कराया गया। भर्ती मरीजों को कंबल उपलब्ध कराने का निर्देश दिया। जिला पदाधिकारी द्वारा दवा केन्द्र का भी निरीक्षण किया गया। चिकित्सकों एवं अन्य लोगों की मांग पर जिला पदाधिकारी द्वारा अस्पताल परिसर में सामुदायिक शौचालय बनवाने का निदेष प्रखंड विकास पदाधिकारी को दिया। साथ ही उन्होनें कहा कि अस्पताल परिसर में एक चापाकल की व्यवस्था कार्यपालक अभियंता, पी0एच0ई0डी0, मधुबनी करेंगे।

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फिर जिला पदाधिकारी द्वारा बाबूवरही के श्री जगदीश नंदन उच्च विद्यालय, बाबूवरही के परिसर में श्री श्री 108 नवयुवक गणेश पूजा समिति बाबूवरही के द्वारा स्वच्छ भारत अभियान के तहत एक दिवसीय महिला फुटबाॅल टूर्नामेंट का दीप प्रज्वलित कर उद्घाटन किया गया। इस अवसर पर जिला पदाधिकारी द्वारा उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा गया कि महिला सशक्तीकरण की देन है, कि इतने कड़ाके की ठंढ़ में भी लड़कियां फुटबाॅल खेलने को उत्साहित होकर पटना और मुजफ्फरपुर से चलकर बाबूवरही आयी है। उनके द्वारा लोगों से बाल विवाह एवं दहेज उन्मूलन अभियान में योगदान देने की अपील की गयी। इस अवसर पर कला जत्था के कलाकारों द्वारा संास्कृतिक कार्यक्रम के माध्यम से लोगों को बाल-विवाह एव ंदहेज उन्मूलन के प्रति जागरूक किया गया। उसके बाद जिला पदाधिकारी द्वारा प्रखंड कार्यालय, मधेपुर परिसर में आयोजित बृद्धावस्था पेंशन शिविर का निरीक्षण किया गया। इस क्रम में अनुमंडल पदाधिकारी  झंझारपुर, अंचल अधिकारी  मधेपुर, प्रखंड विकास पदाधिकारी एवं अंचल पदाधिकारी अंधराठाढ़ी समेत अन्य पदाधिकारीण उपस्थित थे। शिविर में काफी संख्या में लोगों की भीड़ जुटी थी। शिविर में मधेपुर प्रखंड के वेहट दक्षिणी एवं दीप पश्चिमी माध्यम से आवेदन  पत्र लेने एवं आॅनलाईन करने की कार्रवाई की जा रही थी। कुछ लोगों द्वारा डी0आर0 की राशि प्राप्त नहीं होने की शिकायत की गयी। जिला पदाधिकारी ने अंचल पदाधिकारी को निर्देश दिया कि 30 जनवरी 2018 तक सभी मामलों का निष्पादन कर अनुपालन प्रतिवेदन भेजे। फिर जिला पदाधिकारी द्वारा लखनौर प्रखंड कार्यालय परिसर में आयोजित पेंशन शिविर का निरीक्षण किया गया। जिसमें 117 आवेदन प्राप्त हुये थे। जिला पदाधिकारी ने बताया कि सभी अंचलों में 05.01.18 से वृद्धावस्था पेंषन षिविर का आयोजन किया जायेगा। सभी पेंषन षिविरों में ठंढ़ से बचाव हेतु सभी अंचलाधिकारियों को अलाव की व्यवस्था करने का निदेष दिया गया है।

विदिशा (मध्यप्रदेश) की खबर 02 जनवरी

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जनसुनवाई में 152 आवेदन प्राप्त हुए, मौके पर 32 आवेदनों का निराकरण

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कलेक्टर श्री अनिल सुचारी के मार्गदर्शन में मंगलवार को सम्पन्न हुई जनसुनवाई कार्यक्रम में 152 आवेदकों ने आवेदन प्रस्तुत कर अपनी व्यक्तिगत और सार्वजनिक समस्याओं की ओर ध्यान आकर्षित कराया। मौके पर 32 आवेदनों का निराकरण किया गया है शेष लंबित आवेदनों पर समय सीमा मंे कार्यवाही कर निराकरण की जानकारी बेवपोर्टल पर अंकित करने के निर्देश संबंधित विभागों के अधिकारियों को दिए गए है। जिला पंचायत के सभागार कक्ष में एसडीएम श्री रविशंकर राय, संयुक्त कलेक्टर श्री आरडीएस अग्निवंशी समेत अन्य विभागोें के अधिकारीगण पंक्तिबद्व-रो में बैठकर आवेदकों के आवेदनों को प्राप्त कर उनका निराकरण करने की कार्यवाही की गई है। ग्राम कागपुर के श्री राजू रैकवार ने स्वंय के इलाज हेतु आर्थिक राशि मुहैया कराए जाने हेतु आवेदन प्रस्तुत किया। आवेदक को अवगत कराया गया कि चिरायु अस्पताल के द्वारा तैयार किया गया प्राक्कलन के आधार पर नियमानुसार स्वीकृति की कार्यवाही की जाएगी। गमाखर के आवेदक श्री हरनाम सिंह ने बताया कि विगत आठ माह से सीमांकन हेतु आवेदन दिया गया है किन्तु सीमांकन नही हुआ है। ततसंबंध मंे बासौदा एसडीएम को आवश्यक कार्यवाही करने हेतु निर्देशित किया गया। शेरपुरा की आवेदिका जमनाबाई ने बताया कि उन्हें विधवा पेंशन मिल रही थी पिछले डेढ-दो माह से पेंशन नही मिल रही है। आवेदिका को पेंशन क्यों नही मिल रही है की जांच करने के निर्देश दिए गए है। आज हुई जनसुनवाई कार्यक्रम में अधिकांश आवेदन बीपीएल सूची में नाम दर्ज करने, बिजली बिलों की देयक राशि को कम करने, आर्थिक सहायता मुहैया कराने के प्राप्त हुए थे। संबंधित आवेदकों को पात्रता के मापदण्डों से अवगत कराय गया। जनसुनवाई कार्यक्रम में ग्राम जटखेडी पठारी के वायोवृद्व आवेदक श्री रामसिंह दांगी ने कानो से कम सुनवाई देने की बात कही। मौके पर आवेदक को श्रवण यंत्र प्रदाय किया गया है। 

दिव्यांगों कोे सहायता राशि व सामग्री का वितरण 

जिला पंचायत सीईओ श्री दीपक आर्य ने दिव्यांग दम्पति को पचास हजार रूपए की सहायता राशि का चेक अपने चेम्बर में प्रदाय किया। सामाजिक न्याय विभाग के माध्यम से दिव्यांग व्यक्तियों को समान अवसर, अधिकार संरक्षण और पूर्ण भागीदारी अधिनियम के तहत विवाह प्रोत्साहन हेतु आर्थिक मदद प्रदाय की गई। ज्ञातव्य हो कि ग्राम नयापुरा लटेरी के वार्ड क्रमांक-दो के निःशक्त श्री विनोद साहू को पचास हजार रूपए की तथा दिव्यांग लाल सिंह रैकवार को लेपटाॅप प्रदाय किया है।

सरपंच को पृथक करने एवं पंचायत सचिव के खिलाफ निलंबन की कार्यवाही

जिला पंचायत सीईओ श्री दीपक आर्य के द्वारा जारी आदेश में उल्लेख है कि विदिशा जनपद पंचायत की ग्राम पंचायत कबूला के सरपंच सोनू मैना द्वारा पंचायत राज एवं ग्राम स्वरोजगार अधिनियम एवं मनरेगा के जारी स्पष्ट दिशा निर्देशों का उल्लघंन पाए जाने पर उन्हें अपना पक्ष प्रस्तुत करने हेतु जिला पंचायत से पत्र जारी किया गया था। श्री मैना के द्वारा दिए गए मौखिक जबाव तर्क संतोषजनक नही पाए जाने पर उनके खिलाफ सरपंच पद से पृथक करने की कार्यवाही एवं छह वर्ष के लिए पंचायत के किसी निर्वाचन के लिए निरहित घोषित करने के आदेश जारी किए गए है वही ग्राम के सचिव बृजमोहन मेहर को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने के आदेश जारी कर दिए है। निलंबन अवधि में सचिव मेहर का मुख्यालय जनपद पंचायत नटेरन नियत किया गया है और उन्हें नियमानुसार जीवन निर्वाह भत्ता देय होगा।

जिपं की स्थायी समिति की बैठक चार को

स्वास्थ्य महिला एवं बाल कल्याण समिति की सभापति श्री मती माधवी माथुर की अध्यक्षता में गठित समिति की बैठक चार जनवरी को आयोजित की गई है। यह बैठक जनपद पंचायत के सभागार कक्ष में दोपहर दो बजे से शुरू होगी। जिला कार्यक्रम अधिकारी एवं समिति के सचिव श्री बृजेश शिवहरे ने संबंधित विभागों को समुचित जानकारी सहित बैठक में नियत समय पर उपस्थित होने के निर्देश प्रसारित किए है। 

आईएमए ने हड़ताल समाप्त की

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नई दिल्ली, 2 जनवरी, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने मंगलवार को देश भर के निजी अस्पतालों में बाह्य रोगी विभाग (ओपीडी) सेवाओं की 12 घंटे की हड़ताल खत्म कर दी है। आईएमए ने यह कदम उनकी मांग पर सरकार द्वारा राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग विधेयक 2017 को प्रवर समिति को भेजने पर सहमति जताने के बाद उठाया है। आईएमए के पूर्व अध्यक्ष के.के.अग्रवाल ने कहा, "अभी-अभी हमें सूचना मिली है कि सरकार ने हमारी मांगों से सहमति जताते हुए विधेयक को प्रवर समिति के पास भेजा है। इसके बाद हमने अपनी 12 घंटे की हड़ताल समाप्त कर दी है।"आईएमए ने मंगलवार को 'जन विरोधी व मरीज विरोधी'राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) विधेयक, 2017 के विरोध में देश भर के निजी अस्पतालों में 12 घंटे के बंद का आह्वान किया था। एनएमसी विधेयक भारतीय चिकित्सा परिषद (एमसीआई) की जगह लेगा। आईएमए के 2.77 लाख सदस्य हैं, जिसमें देश भर के कॉरपोरेट अस्पताल, पॉली क्लिनिक, नर्सिग होम शामिल हैं। आईएमए के ओपीडी के 12 घंटे के बंद के आह्वान का देश के तमाम राज्यों के निजी अस्पतालों में काफी असर दिखा लेकिन राष्ट्रीय राजधानी में इस पर मिलीजुली प्रतिक्रिया देखी गई। अपोलो, बीएलके सुपर स्पेशियलिटी व सर गंगा राम व दर्जनों दूसरे अस्पतालों सहित कई बड़े कॉरपोरेट अस्पतालों ने अपना कामकाज जारी रखा।

अभी लंबा सफर तय करना है : राजकुमार राव

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नई दिल्ली, , अभिनेता राजकुमार राव अपनी अभिनय क्षमता के बलबूते दर्शकों के दिल में खास जगह बना ली है। फिल्म 'शाहिद'के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीत चुके अभिनेता की इस साल प्रदर्शित फिल्मों 'बरेली की बर्फी'और 'न्यूटन'को दर्शकों ने खूब सराहा। उनमें लीक से हटकर काम करने का जज्बा है, इसलिए कहते हैं, 'अभी तो लंबा सफर तय करना है।'पुरस्कृत अभिनेता हाल ही में नोएडा में आयोजित 'सिग्नेचर स्टार्टअप मास्टर क्लास'के दूसरे संस्करण का हिस्सा बने। राजकुमार ने इत्मीनान से अपने बारे में काफी कुछ बताया। यह पूछने पर कि किस चीज ने उन्हें अभिनय में आने के लिए प्रेरित किया, उन्होंने कहा, "मुझे नहीं पता कि किस चीज ने मुझे प्रेरित किया, लेकिन मुझे याद आता है कि बचपन में मैं अपने परिवार के साथ काफी फिल्में देखा करता था और जब स्कूल में था तो थिएटर से मैंने अभिनय की शुरुआत की, फिर मुझे इससे लगाव हो गया। मुझे कुछ अलग बनना, अलग किरदार निभाना भाने लगा। यह सोचने लगा कि यह एक खूबसूरत दुनिया है। मैं कई कलाकारों और लोगों की नकल किया करता था। अभिनय करने का मैंने वास्तव में लुत्फ उठाया है।"राजकुमार राव की फिल्म 'न्यूटन'विदेशी भाषा की श्रेणी में भारत की ओर से आधिकारिक प्रविष्टि के रूप में ऑस्कर में भेजी गई थी, हालांकि फिल्म ऑस्कर की दौड़ से बाहर हो गई, लेकिन फिल्म को लोगों ने काफी सराहा। यह फिल्म न्यूटन कुमार नाम के एक सरकारी क्लर्क के बारे में है, जिसे चुनावी ड्यूटी पर छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित जंगली इलाके में भेज दिया जाता है और वह विपरीत हालात के बावजूद निष्पक्ष चुनाव कराने की कोशिश करता है।

यह पूछे जाने पर कि 'न्यूटन'जैसी फिल्म के बाद दर्शकों की उनसे अपेक्षा बढ़ गई है, तो क्या बढ़िया पटकथा चुनने को लेकर वह किसी तरह का दबाव महसूस करते हैं, उन्होंने कहा, "मैं हर बार अच्छी पटकथा से जुड़ने की कोशिश करता हूं। मैं करियर की शुरुआत से ही ऐसा करने की कोशिश करता रहा हूं। अगर आप मेरी फिल्मों को देखें तो मैंने हमेशा बेहतरीन कहानी वाली फिल्में चुनने की कोशिश की है। चाहे वह 'ट्रैप्ड'हो या 'शाहिद', 'न्यूटन'या 'बरेली की बर्फी'हो, यह सिलसिला जारी रहेगा और मेरी यही कोशिश रहती है कि मैं अपने चाहने वालों को कुछ और नया पेश करूं और बतौर अभिनेता खुद को चुनौती दूं।"अपने अब तक फिल्मी सफर को लेकर राजकुमार राव ने कहा, "मुझे लगता है कि यह बढ़िया रहा है। सात साल हो चुके हैं। मुझे लगता है कि मेरी शुरुआत अच्छी रही है, ऐसा महसूस होता है कि मैंने बस अभी शुरुआत की है और मुझे लगता है कि मुझे अभी भी लंबा सफर तय करना है, लेकिन मैंने जो भी काम अब तक किया है, उसे लेकर गर्व महसूस करता हूं। मैं हर शख्स का आभारी हूं, जिन्होंने सोचा कि मैं ये बेहतरीन किरदार निभा सकता हूं और मैं सोचता हूं कि यह जारी रहेगा। मैं बेहतरीन अभिनय करने के लिए लालायित रहता हूं और लालायित ही रहना चाहता हूं और बस काम करते रहना चाहता हूं।"'न्यूटन'जैसी फिल्म का हिस्सा बनने पर अभिनेता को गर्व है, इस फिल्म में शानदार अभिनय के लिए एशिया पैसिफिक स्क्रीन अवार्ड में उन्होंने सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार जीता।

उन्होंने कहा, "फिल्म ऑस्कर से भले ही बाहर हो गई, लेकिन जिस तरह से इसे सराहा गया, उस पर गर्व महसूस होता है। फिल्म को जो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उपलब्धियां मिलीं, वह अभिभूत कर देने वाला है। चाहे वह बर्लिन अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव हो या हांगकांग फिल्म फेस्टिवल या ट्रिबेका फिल्म फेस्टिवल, इसकी उपलब्धियां बड़ी हैं, बड़े पैमाने पर इसे सराहा गया और मुझे 'न्यूटन'पर बहुत ज्यादा गर्व है।"'सिग्नेचर स्टार्टअप मास्टर क्लास'का हिस्सा बनने के बारे में उन्होंने कहा, "यह एक बेहतरीन मंच है। मुझे लगता है कि यह एक शानदार पहल है। मैंने सिग्नेचर मास्टर क्लास को फॉलो करता रहा हूं। मैंने इसका पहला सीजन देखा है, मुझे लगता है कि यह सच में बेहद प्रेरणास्पद है। मैंने कई हस्तियों के साक्षात्कार देखे हैं और बहुत कुछ सीखा है तो मुझे लगता है कि लोगों के सीखने के लिए यह एक बढ़िया पहल है और अगर आप किसी को प्रेरित करते हैं, अगर मेरी कहानी किसी को प्रेरित करती है, तो मेरे लिए इससे जुड़ना अच्छी बात है।"राजकुमार राव का कहना है कि उनका बस अभिनेता बनने का सपना था और वह इस सपने को हर दिन जी रहे हैं।

दुष्कर्म की घटनाओं से आहत सीनू ने बना डाली 'रेप प्रूफ पैंटी'

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नई दिल्ली, सात साल की बच्ची से दुष्कर्म और उसके बाद उसकी हत्या ने 19 साल की सीनू कुमारी को झकझोर कर रख दिया। बीएससी की यह छात्रा कुछ ऐसा करना चाहती थी, जिससे महिलाओं के साथ इस तरह की घटनाएं न हों। इसी जज्बे के साथ सीनू ने रेप प्रूफ पैंटी तैयार की। यह कोई आम पैंटी नहीं है, बल्कि नई इलेक्ट्रॉनिक तकनीक से लैस पैंटी है, जिसमें स्मार्टलॉक लगा है, जो पासवर्ड से ही खुल सकता है। लोकेशन की सही जानकारी बताने के लिए इसमें जीपीआरएस सिस्टम है और घटनास्थल की बातचीत रिकॉर्ड करने के लिए रिकॉर्डर भी लगा है। उत्तर प्रदेश के फरुर्खाबाद जिले के एक साधारण परिवार से ताल्लुक रखने वाली सीनू ने बताया, "मैं रोजाना हो रही रेप की घटनाओं से दुखी थी। एक दिन सात साल की बच्ची से रेप और फिर गला घोंटकर उसकी हत्या की खबर पढ़कर मैं अंदर तक हिल गई थी। उसी वक्त मैंने ठान लिया था कि मुझे कुछ करना है।"उन्होंने कहा, "बीएससी थर्ड ईयर की स्टूडेंट हूं, कई तरह के मॉडल बनाती रहती हूं। सोचा, क्यों न इस तरह की पैंटी बनाई जाए, जिससे रेप रोकने में मदद मिल सके। एक महीने की मेहनत के बाद मैंने यह पैंटी तैयार की।"

इस पैंटी में किस तरह के उपकरण लगे हैं? यह पूछने पर सीनू ने कहा, "इसमें एक स्मार्टलॉक लगा है, जो पासवर्ड के बिना नहीं खुल सकता। यह पैंटी ब्लेडप्रूफ कपड़े की बनी है, जिसे चाकू या किसी भी धारदार हथियार से काटा नहीं जा सकता और न ही जलाया जा सकता है। इसमें एक बटन लगा है, जिसे दबाने पर 100 या 1090 नंबर पर ऑटोमैटिकली कॉल चला जाएगा और जीपीआरएस सिस्टम की मदद से पुलिस घटनास्थल पर पहुंच जाएगी। पैंटी में रिकॉर्डर भी लगा है, जिसमें घटनास्थल की सारी बातें रिकॉर्ड हो जाएंगी।"बकौल सीनू, यह मॉडल और भी बेहतर हो सकता है। इसमें सुधार की गुंजाइश है। विभिन्न कंपनियों की मदद से इसमें और सुधार लाया जा सकता है। इस पैंटी मॉडल को तैयार करने में लगे खर्च के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा, "इसे बनाने में 5,000 रुपये तक का खर्च आया है। मुझे पता है कि इस मॉडल में और सुधार के बाद बाजार तक आने में इसकी कीमत आम पैंटी की तुलना में थोड़ी महंगी हो सकती है, लेकिन सरकार से उम्मीद है कि वह महिला सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इसे गरीब महिलाओं तक भी पहुंचाने में मदद करेगी।"

रेप प्रूफ पैंटी ईजाद करने के लिए सीनू की काफी सराहना भी हो रही है। जब केंद्रीय बाल एवं महिला विकास मंत्री मेनका गांधी तक बात पहुंची, तो उन्होंने सीनू के इस मॉडल को सराहा और उन्हें भविष्य में आमजन की सुरक्षा के लिए प्रयत्नशील रहने की शुभकामनाएं दीं। सीनू ने इस पैंटी का पेटेंट कराने के लिए आवेदन इलाहाबाद स्थित नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन (एनआईएफ) के पास भेजा है। बकौल सीनू, वह रेल दुर्घटना से बचने में सहायक एक उपकरण पर भी काम कर रही हैं, जो बढ़ रही रेल दुर्घटनाओं को रोकने में कारगर साबित हो सकता है।

वाट्स एप नहीं करेगा इन स्मार्टफोन्स पर काम

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सैन फ्रांसिस्को, 2 जनवरी, फेसबुक के स्वामित्व वाली मोबाइल मैसेजिंग एप-वाट्स एप उन स्मार्टफोन्स पर नए साल में काम करना बंद कर देगा, जो 'ब्लैकबेरी ओएस', 'ब्लैकबेरी 10', 'विंडोज फोन 8.0'और अन्य पुराने प्लेटफार्म पर चलते हैं। एक प्रवक्ता ने कंपनी की वेबसाइट के सर्पोट नोट में लिखा, "ये प्लेटफार्म्स हमें वह क्षमता प्रदान नहीं करते हैं, जिनकी हमें एप के फीचर का विस्तार करने के लिए भविष्य में जरूरत होगी।"नोट में कह गया, "अगर आप इन प्लेटफार्म्स पर आधारित किसी मोबाइल फोन का प्रयोग करते हैं तो हम आपको सलाह देते हैं कि नए ओएस वर्शन में अपग्रेड कर लें। या फिर एंड्राडय ओएस 4.0 प्लस, आईफोन जो कि आईओएस 7 प्लस, और विंडोज फोन 8.1 प्लस पर चलनेवाले स्मार्टफोन का प्रयोग करें, ताकि आप वाट्स एप का प्रयोग जारी रख सकें।"इन प्लेटफार्म्स पर यूजस वाट्स एप का प्रयोग तो जारी रख सकेंगे, लेकिन नया खाता नहीं खोल सकेंगे। वाट्स एप ने कहा, "क्योंकि, हम अब इन प्लेटफार्म्स के लिए सक्रिय रूप में डेवलप करने का काम नहीं करेंगें। साथ ही कई फीचर किसी भी समय काम करना बंद कर सकते हैं।"
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