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सीबीआई ने चिट फंड मामले में 20 से अधिक ठिकानों पर की छापेमारी

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नयी दिल्ली 12 जनवरी, केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने चिट फंड मामले की जांच के सिलसिले में आज पश्चिम बंगाल में कोलकाता समेत 20 अलग-अलग स्थानों पर छापेमारी की। सीबीआई ने एक वक्तव्य जारी कर यहां बताया कि चिट फंड मामले से जुड़े आरोपियों के आवास समेत आधिकारिक ठिकानों पर छापेमारी की गई। छापेमारी के दौरान मामले से जुड़े कई संवेदनशील दस्तावेज बरामद किए गए। सीबीआई ने बताया कि उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुसार इस संबंध में एक मुख्य प्रबंधक निदेशक समेत कोलकाता स्थित कंपनी के निदेशकों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी, 420, 406 के तहत एक मामला दर्ज किया गया है। आरोपियों पर जनता की ओर से चिट फंड में जमा की गई तीन करोड़ रुपये से अधिक की राशि हड़पने का अारोप हैं।

कश्मीर के स्कूलों में पढाये जा रहे हैं दो नक्शे : जनरल रावत

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नयी दिल्ली 12 जनवरी, सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने जम्मू - कश्मीर के स्कूलों में भारत के साथ-साथ जम्मू कश्मीर का नक्शा अलग से पढायें जाने पर चिंता व्यक्त करते हुए आज कहा कि राज्य की शिक्षा प्रणाली की समीक्षा किये जाने की जरूरत है। जनरल रावत ने यहां सेना के वार्षिक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि जम्मू कश्मीर में सोशल मीडिया से बहुत नुकसान हो रहा है क्योंकि यह दुष्प्रचार का साधन बन गया है। साथ ही उन्होंने राज्य की शिक्षा व्यवस्था पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि स्कूलों में छात्रों को दो नक्शे यानि भारत के साथ साथ जम्मू कश्मीर का नक्शा अलग से पढाया जा रहा है जो गलत है। इन बच्चों को शुरू से ही यह बताया जा रहा है कि वे अलग हैं। किसी भी अन्य राज्य में छात्रों को भारत के साथ साथ उस राज्य का नक्शा नहीं पढाया जा रहा। उन्होंने कहा कि इससे उन छात्रों के दिमाग में यह बात आयेगी कि वे देश के अन्य बच्चों से अलग और विशेष हैं। उन्होंने कहा कि दुष्प्रचार के चलते ही स्कूलों के बच्चे भी पथराव की घटनाओं में शामिल हो रहे हैं। जनरल रावत ने कहा कि मदरसों तथा मस्जिदों से भी गलत जानकारी बच्चों को दी जा रही है और इस पर अंकुश लगाये जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि इन सब बातों को देखते हुए वह चाहते हैं कि राज्य की शिक्षा प्रणाली की समीक्षा की जानी चाहिए। सेना प्रमुख ने कहा कि सेना के स्कूल इस समस्या से निपटने में मददगार साबित हो सकते हैं क्योंकि सेना के स्कूलों में इस तरह की शिक्षा नहीं दी जाती।

सीमाओं पर आधारभूत ढांचे के लिए पैसे की कमी नहीं : राजनाथ

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नयी दिल्ली 12 जनवरी,  केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने आज अाश्वस्त किया कि सीमाओं तथा निकटवर्ती क्षेत्रों में ढांचागत सुविधाओं के लिए पैसे की कमी आड़े नहीं आने दी जायेगी। श्री सिंह ने आज यहां मिलिट्री इंजीनियर सर्विस बिल्डर्स एसोसिएशन के 43 वें वार्षिक दिवस कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए कहा कि सरकार लंबे समय से लटकी पड़ी सामरिक रूप से महत्वपूर्ण परियाेजनाओं के लिए वन और पर्यावरण संबंधी प्रस्तावों को जल्द मंजूरी देगी। गृह मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इन परियोजनाओं को पूरा करने पर जोर दिया है और राष्ट्र हित में इन परियोजनाओं की मंजूरी में ढील दी जायेगी। उन्होंने कहा कि सामरिक महत्व के ढांचे को बनाने में निजी- सार्वजनिक भागीदारी मॉडल की भूमिका महत्वपूर्ण है। सरकार ने सड़कों के निर्माण के लिए सात लाख करोड रूपये की लागत से वर्ष 2017 से 2022 तक की एक महत्वाकांक्षी परियोजना पर काम शुरू किया है। इसके तहत 2000 किलोमीटर लंबी सड़क बनायी जायेगी। श्री सिंह ने सशस्त्र सेनाओं और केन्द्रीय पुलिस बलों से सीमा पर ढांचागत सुविधाओं के लिए बेहतर तालमेल बनाने को भी कहा ।

सुप्रीम कोर्ट के ‘आंतरिक मामले’ को लेकर कांग्रेस कर रही है राजनीति : भाजपा

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नयी दिल्ली 12 जनवरी, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने उच्चतम न्यायालय के चार न्यायाधीशों द्वारा मुख्य न्यायाधीश के विरुद्ध लगाए गए आरोपों को न्यायपालिका का आंतरिक मामला बताया और कहा कि कांग्रेस ने इस मामले को लेकर राजनीति करके जनता की निगाह में खुद को गिरा लिया है। भाजपा के प्रवक्ता डॉ. संबित पात्रा ने इस मामले में देर रात को पार्टी का पक्ष रखते हुए कहा कि यह उच्चतम न्यायालय का आंतरिक मामला है और अटॉर्नी जनरल ने बयान दे दिया है। इसमें राजनीति नहीं होनी चाहिए। यह देख कर हैरानी और दुख हुआ है कि चुनावों में बार बार ठुकरायी गयी कांग्रेस पार्टी इस घटना का राजनीतिक फायदा उठाने का प्रयास कर रही है। इससे उसने जनता की निगाह में खुद को गिरा लिया है। डॉ. पात्रा ने कहा, “भारत पूरे विश्व में अपने न्यायिक प्रक्रिया के लिए जाना जाता हैं। कुछ राजनीतिक पार्टी के लोग सड़क पर इसको लेकर राजनीति कर रहे हैं जो ठीक नहीं है। ये विषय न्यायपालिका का आंतरिक मामला है, हमें दुख है कि कांग्रेस पार्टी संविधान को ताक पर रख कर राजनीति कर रही है।” उन्होंने कहा, “कांग्रेस ने न्यायपालिका के आंतरिक विषयों का राजनीतिकरण करने का प्रयास किया है और यह गलत है। ऐसा करके कांग्रेस ने जनता के सामने खुद को गिरा लिया है। कांग्रेस ने एक गैरराजनीतिक मसले का राजनीतिक फायदा उठाने का प्रयास किया है जो सरासर गलत है।” उन्होंने कहा कि हम में से किसी को न्यायपालिका के मुद्दोंं का राजनीतिकरण नहीं करना चाहिए और यह कांग्रेस पार्टी को यही सलाह है।

4 जजों ने बुलाई प्रेस कांफ्रेंस, सीजेआई पर उठाई उंगली

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नयी दिल्ली, 12 जनवरी, आजाद भारत के इतिहास में पहली बार उच्चतम न्यायालय के चार मौजूदा न्यायाधीशों ने आज अपना कामकाज छोड़कर आनन-फानन में प्रेस कांफ्रेंस बुलाई और देश के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) की कार्यशैली पर सवाल खड़े किये। शीर्ष अदालत के दूसरे वरिष्ठतम न्यायाधीश जस्ती चेलमेश्वर के तुगलक रोड स्थित आवास पर बुलाये गये संवाददाता सम्मेलन में चारों न्यायाधीशों ने सर्वोच्च अदालत की कार्यप्रणाली में प्रशासनिक व्यवस्थाओं का पालन नहीं किये जाने और सुनवाई के लिए महत्वपूर्ण मुकदमों के आवंटन में मनमाना रवैया अपनाने का आरोप लगाया। इस प्रेस कांफ्रेंस में न्यायमूर्ति चेलमेश्वर के साथ न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर, न्यायमूर्ति रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ भी उपस्थित थे। ये सभी न्यायाधीश मामलों की सुनवाई बीच में ही छोड़कर अदालत कक्ष से बाहर आ गये थे और इन्होंने मीडिया के माध्यम से देश के समक्ष स्थिति रखने की योजना बनायी।  मीडिया को मुख्य रूप से न्यायमूर्ति चेलमेश्वर ने संबोधित किया और न्यायमूर्ति गोगोई ने भी बीच में टिप्पणी की। इन न्यायाधीशों ने कहा कि उच्चतम न्यायालय का प्रशासन ठीक तरह से काम नहीं कर रहा है और यदि इस संस्था को ठीक नहीं किया गया, तो लोकतंत्र खत्म हो जायेगा।

न्यायाधीशों के सवालों का समाधान जरूरी : राहुल गांधी

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नयी दिल्ली, 12 जनवरी, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने उच्चतम न्यायालय के चार न्यायाधीशों के प्रेस कांफ्रेंस कर न्यायालय के कामकाज पर सवाल उठाने को अभूतपूर्व और गंभीर घटना करार देते आज कहा कि जो मुद्दे उठे हैं उन पर गम्भीरतापूर्वक विचार किया जाना चाहिए। श्री गांधी ने यहां कांग्रेस मुख्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा  “यह घटना पहली बार हुई है। चार जजों ने एक साथ सवाल पूछे हैं। यह गंभीर मामला है। श्री गांधी ने कहा“ न्यायाधीशों ने जरूरी सवाल उठाए हैं और इन सवालों को ध्यान से देखा जाना चाहिए। इन न्यायाधीशों ने इसे लोकतंत्र के लिए खतरनाक बताया है जिसका समाधान करने की जरूरत है।” कांग्रेस अध्यक्ष ने केंद्रीय जांच ब्यूरो के न्यायाधीश बी एच लोया की मौत का मुद्दा भी उठाया और कहा कि इस मामले की जांच उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीशों से करायी जानी चाहिए। न्यायाधीश लोया गुजरात के सोहराबुद्दीन शेख फर्जी मुठभेड़ मामले के ट्रायल जज थे। न्यायाधीश लोया की 2014 में संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गयी थी और इस मामले की उच्चतम न्यायालय में सुनवाई चल रही है।  गौरतलब है कि देश के इतिहास में पहली बार उच्चतम न्यायालय के चार मौजूदा न्यायाधीशों ने अपना कामकाज छोड़कर आज आनन-फानन में प्रेस कांफ्रेंस बुलाई और मुख्य न्यायाधीश की कार्यशैली पर सवाल खड़े करते हुए आरोप लगाया कि सर्वोच्च अदालत की कार्यप्रणाली में प्रशासनिक व्यवस्थाओं का पालन नहीं किया जा रहा है और सुनवाई के लिए महत्वपूर्ण मुकदमों के आवंटन में मनमाना रवैया अपनाया जा रहा है।

बंगलादेश विकास के मार्ग पर अग्रसर : हसीना

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ढाका 12 जनवरी, बंगलादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अपने दूसरे कार्यकाल के चार साल पूरे होने के अवसर पर आज राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा कि सत्तारूढ़ सरकार अपनी सफलता और असफलताओं का मूल्यांकन करेगी। सुश्री हसीना ने आज शाम टेलीविजन पर प्रसारित अपने संबोधन में कहा कि उनकी सरकार भूतकाल में की गई गलतियों को ठीक करते हुए अपनी सफलता और असफलताअों का मूल्यांकन कर आगे की ओर बढ़ेगी। 
उन्होंने कहा कि बंगलादेश विकास के मार्ग पर तेजी से बढ़ रहा है जहां से पीछे मुड़कर देखना संभव नहीं और उम्मीद जताई कि वर्तमान तथा भविष्य की पीढ़ियां सभी बाधाओं को पार करते हुए देश को समृद्धि और प्रगति के पथ पर ले जाएगी। 

बिहार में भूकंप सुरक्षा सप्ताह 15 जनवरी से

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पटना 12 जनवरी, भूकंप आने पर जानमाल की क्षति रोकने के उद्देश्य से लोगों को जागरूक बनाने के लिए बिहार में 15 जनवरी से भूकंप सुरक्षा सप्ताह शुरू होगा जो 21 जनवरी तक चलेगा। बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अध्यक्ष व्यासजी ने आज यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि 15 से 21 जनवरी तक चलने वाले इस सुरक्षा सप्ताह में भूकंप आने पर जोखिम न्यूनीकरण के लिए लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक आपदा को तो रोका नहीं जा सकता लेकिन लोगों को सुरक्षा उपायों के प्रति जागरूक बनाया जाये और उन्हें पर्याप्त प्रशिक्षण दिया जाये तो आपदा के प्रभाव को अवश्य कम किया जा सकता है। श्री व्यासजी ने कहा कि सुरक्षा सप्ताह के दौरान एनडीआरएफ और एसडीआरएफ द्वारा राजधानी पटना के महत्वपूर्ण सरकारी भवनों में भूकंप के समय सुरक्षा उपायों के बारे में लोगों को बताया जाएगा। उन्होंने कहा कि सुरक्षा सप्ताह का पहला कार्यक्रम 15 जनवरी को मगध महिला कॉलेज में आयोजित होगा। इसके बाद 17 जनवरी को यह कार्यक्रम बिहार विधानसभा और विधान परिषद् में होगा।

अध्यक्ष ने बताया कि एसडीआरएफ टीम भूकंप की चुनौतियों का सामना करने के लिए लोगों को आवश्यक सुरक्षा उपाय अपनाने के बारे में बताएगी। उन्होंने बताया कि एनडीआरएफ और एसडीआरएफ टीम पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल(पीएमसीएच), सेंट कैरेन स्कूल, आरपीएस स्कूल और नियोजन भवन में भी कार्यक्रम के माध्यम से सुरक्षा उपायों के प्रति लोगों को जागरूक करेगी। उन्होंने बताया कि पीएमसीएच में कर्मचारियों को भूकंप के दौरान मरीजों को बाहर निकालने या उन्हें सुरक्षित रखने के उपायों के बारे में विस्तार से बताया जाएगा। श्री व्यासजी ने बताया कि सुरक्षा सप्ताह के दौरान लोगों को जागरूक बनाने के उद्देश्य से जैविक उद्यान, एस. के. पुरी पार्क, पटना जंक्शन, पटना विश्वविद्यालय, राजेंद्र नगर टर्मिनल, बाजार समिति, सैदपुर हॉस्टल और पाटलीपुत्र रेलवे स्टेशन परिसर में नुक्कड़ नाटक भी आयोजित किया जाएगा। इस दौरान विद्यालय के छात्र-छात्राओं को नारा लिखने के लिए प्रोत्साहित करने के साथ ही वहां पेंटिंग प्रतियोगिता का आयोजन भी किया जाएगा। इस प्रतियोगिता के विजेताओं को 21 जनवरी को आयोजित होने वाले कार्यक्रम में पुरस्कार भी दिया जाएगा। अध्यक्ष ने कहा कि सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि सुरक्षा सप्ताह के दौरान सुरक्षा उपायों को अपनाने के प्रति जागरूक करने के लिए वे अपने क्षेत्रों में भी प्रतियोगिता का आयोजन करें। उन्होंने कहा कि इसके अलावा भवन निर्माण विभाग से आग्रह किया गया है कि लोगों को भूकंपरोधी भवन बनाने के लिए तकनीकी सलाह देने के उद्देश्य से जिला स्तर पर केंद्र शुरू करे।

धूप निकलने से बिहार के लोगों को ठंड से मिली राहत

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पटना 12 जनवरी,  बिहार में कई दिनों से जारी कड़ाके की ठंड के बाद आज हल्की धूप निकलने से लोगों को जहां थोड़ी राहत मिली वहीं कोहरे के कारण कई ट्रेनें अभी भी विलंब से चल रही हैं। मौसम विभाग से यहां मिली सूचना के अनुसार पटना, गया, भागलपुर, पूर्णिया समेत मध्य बिहार के कई जिलों में आज भी कोल्ड डे रहा। कल दिनभर धूप नहीं निकलने और पछुआ हवा के कारण ठिठुरन भरी ठंड से परेशान रहे लोगों ने आज दिन चढ़ने के बाद हल्की धूप निकलने से थोड़ी राहत महसूस की है। इसके अलावा सीमांचल एवं कोसी क्षेत्र के जिलों में भी हल्की धूप निकलने से दिन के समय कनकनी में जहां थोड़ी कमी आयी है वहीं शाम ढलने के बाद फिर से लोग ठंड से परेशान रहे। अगले 48 घंटे में सुबह के समय घना कोहरा बने रहने का पूर्वानुमान है। 

विभाग के अनुसार, रात के समय तापमान में गिरावट होने की संभावना है। बर्फीली हवा के कारण बिहार के अधिकांश इलाकों में ठंड की संभावना जतायी गयी है। इसी तरह सुबह के समय कोहरे के कारण दृश्यता भी कम आंकी गयी है। अधिकतम तापमान गिरने से मौसम सर्द रह रहा है। ठंड के कारण पटना के संजय गांधी जैविक उद्यान में रह रहे छोटे ओर बड़े वन्य प्राणियों को इन दिनों भारी कठिनाई हो रही है। हालांकि वन एवं पर्यावरण विभाग की ओर से जानवरों के लिए उनके पिंजरे के पास ब्लोअर लगाया गया है। इस बीच मौसम विभाग के आधिकारिक सूत्रों ने यहां बताया कि पटना का अधिकतम तापमान 15.4 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 07.8 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया। वहीं, गया का अधिकतम 18.0 डिग्री एवं न्यूनतम 10.0 डिग्री, भागलपुर का अधिकतम 16.0 डिग्री और न्यूनतम 06.8 डिग्री तथा पूर्णिया का अधिकतम 17.0 तथा न्यूनतम तापमान 05.8 डिग्री सेल्सियस रहा।

न्याय के साथ विकास रहेगा जारी, नंदन गांव घटना की होगी जांच : नीतीश

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पटना 12 जनवरी, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बक्सर जिले के नंदन गांव में आज उनके काफिले पर की गई रोड़ेबाजी को लेकर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि घटना की जांच के बाद ही इसके वास्तविक कारणों का पता चल सकेगा।  समीक्षा यात्रा के क्रम में बक्सर पहुंचे श्री कुमार ने यहां आयोजित एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा, “ नंदन गांव की घटना की जांच होगी, तब असली कारण का पता चलेगा। हम विकास का काम करते हैं तो उकसावे और बहकावे की राजनीति में जुटे कुछ लोगों को परेशानी होती है, जिसकी मुझे कोई परवाह नहीं है। बिहार की जनता ने सेवा करने का मौका दिया है और हम न्याय के साथ विकास का काम करते हैं। हमारा रिश्ता लोगों की सेवा करने से है, उनके वोट से नहीं।” मुख्यमंत्री ने सात निश्चय योजना की चर्चा करते हुए कहा कि हर पंचायत में सात निश्चय के तहत निर्धारित विकास के काम होने हैं, जिसे 4 साल में हर हाल में पूरा करना है। कुछ लोगों के अंदर जो गलतफहमी है, वह अपने आप दूर हो जाएगी और किसी को कोई परेशानी नहीं होगी। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में विरोध करने का संवैधानिक अधिकार सबको है और इस तरह की हरकतों से अपनी बात को बुनियादी चीजों से भटकने नहीं देंगें। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार हर घर तक बुनियादी सुविधायें पहुंचाना चाहती हैं, जिसको निश्चय का नाम दिया गया है। शिक्षा, स्वास्थ्य, बुनियादी सुविधाएं, पुल-पुलिया, सड़क निर्माण जैसे हर क्षेत्र में विकास का काम तेजी से हो रहा है। 

श्री कुमार ने कहा कि बिहार पहला राज्य है, जहां प्राथमिक शिक्षक नियोजन, पंचायती राज और नगर निकाय के चुनाव में महिलाओं को 50 प्रतिशत का आरक्षण दिया गया है। लड़कियों के लिए पोशाक योजना और साइकिल योजना की शुरुआत की गई। उन्होंने कहा कि अब तक बिहार में आठ लाख स्वयं सहायता समूह का गठन हो चुका है और सरकार का लक्ष्य इसे दस लाख करने का है। जब महिलाओं में आत्मनिर्भरता बढ़ेगी, तभी वास्तव में महिला सशक्तिकरण होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि स्टुडेंट क्रेडिट कार्ड योजना के तहत चार लाख रुपये का ऋण, स्वयं सहायता भत्ता और कुशल युवा कार्यक्रम के जरिए युवाओं को भी मजबूत किया जा रहा है। बेहतर रोजगार की तलाश में जुटे युवाओं को दो साल तक स्वयं सहायता भत्ता के माध्यम से एक हजार रूपये मुहैया कराया जा रहा है। कम्प्यूटर प्रशिक्षण, संवाद कौशल और व्यवहार कौशल की ट्रेनिंग भी युवाओं को कुशल युवा कार्यक्रम के जरिए मुहैया कराया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हर जिले में इंजीनियरिंग कॉलेज, पॉलिटेक्निक संस्थान, जीएनएम संस्थान, पारा मेडिकल संस्थान, महिला आईटीआई और हर सब डिवीजन में एएनएम स्कूल आईटीआई स्थापित किया जा रहा है ताकि बिहार के युवाओं को पढ़ने के लिए बाहर नहीं जाना पड़े। श्री कुमार ने कहा कि कृषि रोड मैप बनाकर कृषि के क्षेत्र में काम करने वाले उस हर व्यक्ति को समृद्ध करना चाहते हैं। सरकार का लक्ष्य हर हिंदुस्तानी की थाली में बिहार का एक व्यंजन पहुंचाना है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2004-05 में अनाज का प्रोक्योरमेंट न के बराबर होता था। अब पैक्स के माध्यम से विकेंद्रीकृत तरीके से अनाज का प्रोक्योरमेंट हो रहा है। उन्होंने कहा कि पहले जहां 17 प्रतिशत नमी तक वाले धान की ही अधिप्राप्ति होती थी, जिसे इस वर्ष बढ़ाकर केंद्र सरकार ने 19 प्रतिशत कर दिया है। पहले जहां 50000 मीट्रिक टन ही धान की अधिप्राप्ति हो पाती थी, वह नमी की मात्रा बढ़ाए जाने के बाद इस वर्ष अब तक 230000 मीट्रिक टन से भी ज्यादा धान की अधिप्राप्ति की गई है। 

न्यायपालिका में हो आरक्षण लागू : श्याम रजक

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पटना 12 जनवरी, बिहार में सत्तारूढ़ जनता दल यूनाइटेड (जदयू) ने आज चार न्यायाधीशों के उच्चतम न्यायालय के प्रशासनिक कार्यों पर सवाल उठाये जाने के बाद न्यायिक सेवा आयोग का गठन करने एवं न्यायपालिका में आरक्षण लागू किये जाने की मांग करते हुए कहा कि यह अब और आवश्यक हो गया है। जदयू के राष्ट्रीय महासचिव एवं विधायक श्याम रजक ने यहां कहा कि चार न्यायाधीशों के उच्चतम न्यायालय के प्रशासनिक कार्यों को लेकर मीडिया के समक्ष आकर बोलना अपने आप में सवाल खड़ा करता है। उन्होंने न्यायाधीशों के इस खुलासे का स्वागत करते हुए कहा कि आज की तारीख इतिहास बन जाएगा। उन्होंने कहा कि दलित और पिछड़े वर्ग से आने वाले समाज के लोग वर्षों से यह आवाज उठाते रहे थे लेकिन अब तो न्यायाधीशों के इस संबंध में दिये गये बयान से सबकुछ साफ हो गया है। श्री रजक ने कहा कि न्यायाधीशों के बयान से अब यह स्पष्ट हो गया है कि न्याय व्यवस्था में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। यह लोकतंत्र के लिये खतरा ही नहीं बल्कि संक्रमण काल है। उन्होंने कहा कि देशभर में दलितों और पिछड़ों के साथ षड्यंत्र कर उन्हें प्रताड़ित करने के लिये गलत तरीके से मुकदमों में फंसा दिया जाता है। इसी कारण से दलित और पिछड़े सामाजिक एवं आर्थिक रूप से पिछड़ जाते है तथा उनके आश्रितों का शैक्षणिक विकास भी नहीं हो पाता है। पूर्व मंत्री ने कहा कि ऐसे में दलित -पिछड़े एवं गरीब वर्ग के लोगों को किस तरह से न्याय मिल सकेगा यह एक सोचनीय विषय है। इस वर्ग से आने वाले लोग अपनी बातों को कहां उठायेंगे और किससे न्याय की गुहार लगायेंगे। उन्होंने कहा कि यह बात सोचने पर मजबूर कर देती है कि नीचली अदालतों में स्थिति कैसी होगी। निचली अदालतों में न्याय के लिये किस कदर भटकना पड़ता होगा। श्री रजक ने कहा कि ऐसी स्थिति में न्यायिक सेवा आयोग का गठन करने एवं न्यायपालिका में आरक्षण की आवश्कता और बढ़ जाती है। उन्होंने सरकार से मांग की कि तत्काल आयोग का गठन और न्यायपालिका में आरक्षण लागू किया जाये ताकि न्यायिक व्यवस्था में दलितों-पिछड़ों की भागीदारी हो तथा उन्हें न्याय मिल सके।

अगले साल और एक लाख युवाओं को मिलेगा रोजगार: रघुवर दास

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राँची 12 जनवरी, झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा है कि सरकार ने राज्य से बेरोजगारी हटाने का प्रण लिया है और आज 27 हजार से अधिक युवाओं को रोजगार मिलने पर उन्हें बधाई दी। श्री दास ने यहां खेलगांव स्थित टाना भगत इंडोर स्टेडियम में राष्ट्रीय युवा दिवस के अवसर पर आयोजित स्किल समिट 2018 के अवसर पर युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि यह एक ऐतिहासिक क्षण है। जब एक साथ 27 हजार से अधिक युवाओं को निजी क्षेत्रों में रोजगार प्राप्त हुआ है।  उन्होंने कहा,“ आप दिल लगा कर काम करें और झारखंड का नाम रोशन करें। स्टेडियम में उपस्थित युवाओं  के अपार भीड़ को संबोधित करते हुये श्री दास ने कहा कि आप युवाओं के उत्साह को देख ऐसा लग रहा है कि राज्य के युवाओं को आगे बढ़ने से कोई रोक नहीं सकता। स्वामी विवेकानंद जी की जंयती जिसे पूरा देश राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मना रहा है के अवसर पर झारखण्ड इतिहास रच रहा है। हमारी सरकार ने आज 25 हजार युवाओं को रोजगार देने का वादा किया था उसे आज पूरा किया है। आज झारखण्ड प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नये भारत के निर्माण के सपने को पूरा करने में अपनी सीधी भागीदारी निभा रहा है।” श्री दास ने कहा कि पूरा विश्व जब बेरोजगारी की समस्या से जूझ रहा है उसी समय झारखण्ड सरकार ने एक टीम भावना से काम कर जिसमें सरकार एवं निजी क्षेत्र ने मिलकर युवाओ को बेहतर रोजगारोन्मुख इको सिस्टम दिया है। उन्होंने कहा, “आज शान से कहा जा सकता है कि रोजगार देखना है विकास देखना है तो झारखण्ड आइये।” श्री दास ने अपने बीते समय को याद करते हुए बताया कि 1977 में मेरे पिताजी टाटा स्टील कंपनी से सेवा मुक्त  हुए थे और वह 1980 में 1500 रुपये में नौकरी पकड़ी साथ ही कुजू से कोयला लाकर भी अपनी टाल के माध्यम से बेचा। इसलिए वह बेरोजगारी का दर्द समझते हैं, इसका पूरा अनुभव है उन्हें। झारखंड का मुख्यमंत्री बनने पर उन्होंने संकल्प लिया के वह झारखंड का नंबर एक मजदूर बन कर राज्य की सेवा करेंगे। मुख्यमंत्री का पद उन्होंने सेवा के  लिये ही धारण किया है। उन्होंने कहा कि श्री मोदी की सोच है कि भारत की दुनिया भर में स्किल्ड इंडिया के रुप में एक अलग पहचान बने। उन्होंने कहा कि झारखंड में कुशल श्रमिकों की एक फौज तैयार हो रही हैए जो राज्य और देश के बाहर भी लोगों का ध्यान आकृष्ट करेंगे। उनकी सरकार ने 700 करोड़ रुपये खर्च कर झारखंड के बच्चों को कुशल बनाने का निर्णय लिया है।  मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था कि अंधेरा छटेंगा और विकास का सूरज निकलेगा झारखंड में अपार संभावनाएं हैं आने वाले वर्षों में हमारा देश विकसित राष्ट्रों की श्रेणी में खड़ा होगा। उन्होंने कहा कि राजधानी रांची में भी विदेश भवन जल्द बनेगा। युवा देश के बाहर सरकार द्वारा अधिकृत एजेंसी के माध्यम से ही जाएं। अगर बाहर उनके साथ कुछ दुर्घटना हो जाती है तो राज्य सरकार पांच लाख अनुदान स्वरुप प्रदान करेगी। आज वह 25 हजार से अधिक युवाओं को नौकरी दे रहे हैं अगले साल हम झारखंड के और एकलाख युवाओं को रोजगार दिये जायेंगे।

इस मौके पर केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस एवं कौशल विकास मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि झारखंड की कार्यकुशलता अब चरम पर है। यह सजग सरकार जिम्मेवार सरकार की छवि को परिलक्षित करता है। यहां आकर इस बात की जानकारी हुई कि झारखंड के 24 जिलों में मेगा स्किल डेवलपमेंट सेंटर स्थापित करने की योजना है।  उन्होंने कहा कि यह सोच बहुत आगे की है। झारखंड समृद्ध बनेगा। उनका मानना है कि विश्व की आधुनिकता को भारत के संस्कार से जोड़ने का नाम कौशल विकास है। इस पवित्र यज्ञ जनआंदोलन में झारखंड सरकार ने मुझे शामिल किया इसके लिए धन्यवाद। श्री प्रधान ने कहा कि पहले दिल्ली में योजनायें बनती थीं और सभी राज्य उसका अनुशरण करती थी लेकिन आज झारखण्ड की योजनाओं का दिल्ली सहित अन्य राज्यों में अनुकरण होता है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार की योजनाओं को पूरे देश में किसी राज्य ने अगर मूर्तरूप दिया है तो वह झारखंड है। हम सब की जिम्मेवारी है कि नौजवानों व आने वाली पीढ़ी को सुविधाओं से आच्छादित व उन्हें सम्मान की जिंदगी प्रदान करने की। इसमें कौशल विकास का महत्वपूर्ण योगदान है। उन्होंने कहा कि यह 3 साल की स्थिर सरकार की महत्वपूर्ण देन है कि आज हम एक साथ 25000 से ज्यादा युवाओं को रोजगार प्रदान कर रहे हैं। झारखंड में जल्द ही पाइपलाइन गैस कार्य का शुभारंभ होगा। प्राकृतिक गैस आने से ऑटोमोटिव कंपनी झारखंड आएगी । उन्होंने कहा कि यह तीन साल की स्थिर सरकार की महत्वपूर्ण देन है कि आज हम एक साथ 25000 से ज्यादा युवाओं को रोजगार प्रदान कर रहे हैं। झारखंड में जल्द ही पाइपलाइन गैस कार्य का शुभारंभ होगा। प्राकृतिक गैस आने से अ ऑटोमोटिव कंपनी झारखंड आएगी। इस अवसर पर राज्य की शिक्षा मंत्री नीरा यादव ने कहा कि युवा दिवस के अवसर पर 25 हजार से ज्यादा युवाओं को नौकरी प्रदान कर मोमेंटम झारखण्ड की वास्तविक छवि उभर कर सामने आई है। राज्य सरकार का संकल्प है कि आगे प्रत्येक वर्ष 1 लाख युवाओं को कौशल विकास का प्रशिक्षण देकर रोजगार से जोडा जायेगा। स्किल्ड यूनिवर्सिटी निर्माण हेतु सरकार कार्य कर रही है। युवा दिगभ्रमित न हों। उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद जी ने कहा था कि देश के बच्चों को ऐसी शिक्षा मिले जिससे उनका सर्वांगीण विकास हो सकेए वे आत्मनिर्भर बन सकेंए चरित्र का निर्माण और समाज सेवा की भावना उनमें भरी हो। प्रधानमंत्री जी ने भी गरीबी को चुनौती के रूप में लेकर इसके खिलाफ युद्ध छेडने की बात कही। प्रधानमंत्री ने कौशल युक्त मानव संसाधन पर जोर दिया। मुख्य सचिव राजबाला वर्मा ने कहा कि स्वामी विवेकानंद जी ने कहा था कि लगातार निरंतर चलते रहना है झारखण्ड सरकार भी स्वामी जी की उन बातों को आत्मसात करते हुए कार्य कर रही है ताकि राज्य के युवाओं का सशक्तीकरण हो तथा यहाँ के सवा तीन करोड़ जनता का समग्र विकास और समृधि सुनिश्चित हो सके। उन्होंने कहा कि झारखण्ड युवा राज्य है। राज्य के युवाओं के पास ऊर्जाए साहसए सपने और आकांक्षाएं हैं। ये ही राज्य की शक्ति हैं जिस पर हमें गर्व है। श्री दास कहते हैं कि युवाओं को सपने देखने दोए लक्ष्य ऊंचा रखने दो जिसके जरिये वे सफलता की ऊंची उड़ान भर सकें। युवाओं के इस उड़ान को और ऊर्जा प्रदान करने के उद्देश्य से स्किल समिट 2018 का आयोजन किया गया। श्रीमती वर्मा ने कहा कि राज्य के युवाओं के सपने को धरातल पर उतारने और उनकी आकांक्षाओं को मूर्तरूप देने के लिये झारखण्ड सरकार कृतसंकल्पित है। दूरगामी सोच और कार्ययोजना के साथ राज्य के बच्चों के सपनों को साकार करने में सरकार जुटी है ताकि आर्थिक व सामाजिक विकास में युवाओं का हाथ मजबूती से हो सके।  श्रीमती वर्मा ने बताया कि युवाओं को बेहतर कौशल विकास के तहत प्रशिक्षण प्राप्त हो इस निमित राज्य सरकार ने 700 करोड़ रुपये का उपबंध किया है। मेगा स्किल डेवलपमेंट सेंटर की स्थापना की गई है। गुणवत्ता युक्त प्रशिक्षण के लिये सिंगापुर कंपनी के साथ राज्य सरकार डव्न् कर गुणवत्ता पूर्ण प्रशिक्षण सुनिश्चित किया गया।

नीतीश के काफिले पर पथराव

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बक्सर 12 जनवरी, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के काफिले पर आज ग्रामीणों ने पथराव किया जिसमें जनता दल यूनाइटेड(जदयू) के विधायक ददन सिंह यादव उर्फ ददन पहलवान के अलावा कई अन्य घायल हो गये। जदयू के बक्सर से विधायक ददन सिंह यादव ने बताया कि मुख्यमंत्री श्री कुमार अपनी विकास समीक्षा यात्रा के चौथे चरण के तहत आज बक्सर जिले के नंदन पंचायत के दौरे पर थे तभी ग्रामीणों ने उनके काफिले को देखते ही पथराव कर दिया। ग्रामीण गांव में विकास कार्य नहीं किये जाने से नाराज थे और इसी को लेकर उनके काफिले पर पथराव किया। हालांकि ग्रामीण जब पथराव कर रहे थे तभी मुख्यमंत्री का काफिला तेजी से गुजर गया जिससे वह बाल-बाल बच गये लेकिन काफिले के पीछे कुछ वाहनों के शीशे टूट गये। विधायक ने बताया कि इस घटना में वह घायल हुए हैं और उनका इलाज चल रहा है। पथराव में कुछ अन्य लोग भी घायल हुए हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के प्रयास के कारण ही नंदन गांव में बिजली, पानी और सड़क का निर्माण हो सका है। बक्सर विधानसभा क्षेत्र के लगभग सभी गांवों में आधारभूत संरचना और सुविधाएं उपलब्ध करायी गयी हैं। उन्होंने पथराव की इस घटना को दुखद बताया है। इस बीच पुलिस सूत्रों ने बताया कि वीडियो फुटेज देखा जा रहा है और उसके आधार पर दोषी व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई की जायेगी । 

कश्मीर में शिक्षा व्यवस्था के पुनर्निर्माण की जरूरत: जनरल रावत

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नयी दिल्ली 12 जनवरी, थल सेना अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत ने जम्मू-कश्मीर में सरकारी विद्यालयों की मौजूदा शिक्षा प्रणाली पर चिंता व्यक्त करते हुए आज कहा कि छात्रों को भ्रमित करने वाली शिक्षा प्रणाली का पुनर्निर्माण करने की जरूरत है। आगामी 15 जनवरी को थल सेना दिवस से पहले संवाददाता सम्मेलन में श्री रावत ने कहा कि कश्मीर के सरकारी विद्यालयों के शिक्षक छात्रों को ऐसी शिक्षा दे रहे हैं जो नहीं देनी चाहिये। वहां आपको दो नक्शे मिलेंगे, एक भारत का और एक जम्मू-कश्मीर का। एक बच्चे के लिये इसकी क्या जरूरत है? उन्होंने मदरसों पर भी छात्रों को गलत जानकारी देने और उन्हें भ्रमित करने का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार को घाटी में केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) पाठ्यक्रम वाले विद्यालयों की संख्या बढ़ाने की जरूरत है।  घाटी के युवाओं में कट्टरता के मुद्दे पर पूछने पर उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में सोशल मीडिया पर कट्टरता बहुत फैल रही है। विद्यालयों में कुछ शिक्षक छात्रों को ऐसी शिक्षा दे रहे हैं जो शायद नहीं देनी चाहिये। उन्होंने कहा सबसे ज्यादा भटके हुए नौजवान उन स्कूलों से आते हैं जहां उन्हें कट्टर बनाया जाता है। गलत जानकारी फैलाने वाले मदरसों और मस्जिदों पर नियंत्रण रखने के लिये कदम उठाए जाने हैं।

जजों के बीच मतभेद शनिवार तक समाप्त होने की उम्मीद: अटॉर्नी जनरल

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नयी दिल्ली 12 जनवरी, उच्चतम न्यायालय के चार वरिष्ठ न्यायाधीशों के अप्रत्याशित और अभूतपूर्व संवाददाता सम्मेलन के बाद उठे विवाद के बीच अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कल तक इस विवाद के समाप्त हो जाने की उम्मीद जताई है। श्री वेणुगोपाल ने अाज कहा कि मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा शीर्ष अदालत के अन्य सभी न्यायाधीशों के साथ कल मिलकर मतभेदों को दूर करेंगे। उन्होंने कहा कि इस अप्रत्याशित घटना के बाद उनकी मुलाकात न्यायमूर्ति मिश्रा से हुई थी और विवाद के कल तक समाप्त हो जाने की पूरी उम्मीद है। उन्होंने हालांकि अपने साथ हुए विचार विमर्श की विस्तृत जानकारी देने से इंकार कर दिया। अटॉर्नी जनरल ने चारों न्यायाधीशों द्वारा किए गए संवाददाता सम्मेलन पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि आज जो कुछ भी हुआ उसे टाला जा सकता था।

बिहार : ए॰आई॰एस॰एफ॰ ने निकाला आक्रोश मार्च

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  • न्यायपालिका की स्वायत्तता लोकतंत्र पर मंडराते खतरे और बक्सर में पुलिसिया दमन के खिलाफ दिखा आक्रोश।

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पटना, 13जनवरी, न्यायपालिका की स्वायत्तता व लोकतंत्र पर मंडराते खतरे और बक्सर में पुलिसिया दमन के खिलाफ आज आॅल इण्डिया स्टूडेन्ट्स फेडरेशन ;।प्ैथ्द्ध के छात्रों ने आक्रोश मार्च निकाला। पटना वि॰वि॰ गेट पर ए॰आई॰एस॰एफ॰ के कार्यकत्र्ता आक्रोश मार्च को लेकर जुड़ना शुरू किये थे तभी अचानक राज्यपाल के काफिले को लेकर पुलिस हरकत में आ गई। पुलिस ने रोकने की कोशिश की लेकिन ए॰आई॰एस॰एफ॰ के कार्यकत्र्ताओं के तीखे विरोध के कारण जुलूस आगे बढ़ा। पीयू गेट से आक्रोश मार्च निकल पी॰एम॰सी॰एच॰, सिविल कोर्ट, बी॰एन॰ काॅलेज होते हुए शहीद भगत सिंह चैक पहुँचा। न्यायपालिका की स्वतंत्रता के लिए बढ़े चलो, लोकतंत्र खतरे में, मोदी सरकार शर्म करो, सुप्रीम कोर्ट पर संकट के खिलाफ हल्ला बोला, जस्टिस लोया को न्याय दो, आर॰एस॰एस॰ के कब्जे से संवैधानिक संस्थाओं को मुक्त करो, आदि रोषपूर्ण नारे लगाए। शहीद भगत सिंह चैक पर पहुंच कर आक्रोश मार्च सभा में तब्दील हो गया। सभा को संबोधित करते हुए पटना हाईकोर्ट के वरीय अधिवक्ता मदन प्रसाद सिंह ने कहा कि ताजा घटनाक्रम से जाहिर है कि पानी सर से ऊपर निकल चुका है। देश के सर्वोच्च न्यायालय के चार जजों की पीड़ा सर्वोच्च न्यायालय के आंतरिक स्थिति को बयां करने के लिए काफी है। जस्टिस लोया के साथ न्याय की भी बात सामने आई है तो सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस पी॰ सदा शिवम का अमित शाह के पक्ष में फैसला देने पर राज्यपाल बना केन्द्र सरकार ने उन्हें खुश किया है। जबकि राज्यपाल का पद चीफ जस्टिस से छोटा है। सामाजिक कार्यकत्र्ता अक्षय कुमार ने कहा कि इसे मात्र चार जजांे का मसला कहकर इस ऐतिहासिक कदम को छोटा मानना होगा। यह पूरा मसला आर॰एस॰एस॰ जैसे खतरनाक संगठन का संवैधानिक संस्थाओं पर कब्जा के तौर पर भी देखना होगा। केदार दास श्रम संस्थान के अशोक कुमार ने कहा कि मौजूदा दौर में चार जजों का कदम साहसिक है। इस पूरे मसले को सड़क पर लाने के लिए ए॰आई॰एस॰एफ॰ के साथियों को धन्यवाद। ए॰आई॰एस॰एफ॰ के राज्य सचिव सुशील कुमार ने कहा कि देश की सबसे बड़ी अदालत के प्रति आम जनता की बहुत ही उच्च धरणा बनी हुई है। भाजपा नेताओं के दबाव मंे सब चीज किया जाना जगजाहिर हुआ है। इन मसलों को लेकर सभी छात्र संगठनों को गोलबंद कर आगे मजबूत लड़ाई लड़ी जाएगी। अध्यक्ष ए॰आई॰एस॰एफ॰ के राज्य पार्षद सुभाष पासवान ने की। सभा को मजदूर नेता अजय कुमार, सुमन्त शरण, ए॰आई॰एस॰एफ॰ के राज्य कार्यकारिणी सदस्य हरिशंकर सिंह, पीयू सचिव बब्लू राज, पीयू उपाध्यक्ष अदनान इमरान, मीर सैफ अली, रवि शंकर उपाध्याय, शेखर सुमन, विजय कुमार विमल, जयशंकर प्रसाद सिंह, अशोक कुमार, अंकित मौजूद थे।

बिहार : सर्वोच्च न्यायालय की अखण्डता एवं स्वायत्तता पर खतरा

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पटना 13 जनवरी 2018, भाकपा-माले के बिहार राज्य सचिव कुणाल ने सर्वोच्च न्यायालय और मुख्य न्यायाधीश की कार्य प्रणाली पर गम्भीर सवाल व चिंता व्यक्त करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय के चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों को प्रेस कांफ्रेंस बुलाने केा असाधारण कदम बताया है. उन्होंने कहा कि न्यायाधीशों ने कुछ बेहद महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाया है और इस बात पर चिंता व्यक्त की है कि मुख्य न्यायाधीश स्थापित मानदण्डों एवं अपने सहयोगी न्यायाधीशों की राय की अवहेलना करते हुए ‘मास्टर ऑफ रोस्टर’ के अपने प्राधिकार का दुरुपयोग कर चुनिन्दा संवेदनशील मुकदमों को अपनी पसन्द के कनिष्ठ जजों की बेंचों को दे रहे हैं. इसके निहितार्थ स्पष्ट हैं. उपरोक्त न्यायाधीशों ने इस तथ्य की ओर इंगित किया है कि मुख्य न्यायाधीश वर्तमान सरकार को फायदा पहुंचाने की मंशा से न्यायिक प्रक्रिया को तोड़-मरोड़ कर अपनी मनपसन्द बैंचों को मुकदमे दे रहे हैं दृ न्यायपालिका की स्वतंत्रता के लिए यह बहुत बड़ा खतरा है. मुख्य न्यायाधीश बेशक श्मास्टर ऑफ रोस्टरश् होते हैं परन्तु उनका दर्जा अन्य न्यायाधीशों के साथ बराबरी का होता है और उनसे अपेक्षा की जाती है कि वे रोस्टर (कार्यसूची) को तय करते समय पूर्व स्थापित मानदण्डों का पूरी पारदर्शिता के साथ पालन करेंगे, और यह भी कि मुख्य न्यायाधीश अन्य वरिष्ठतम न्यायाधीशों के सुझावोंध्सलाहों को सम्मान देंगे.

जस्टिस लोया- जो सोहराबुद्दीन फर्जी एनकाउन्टर मामले की सुनवाई कर रहे थे जिसमें भाजपा अध्यक्ष अमित शाह आरोपी हैं - की संदेहास्पद मौत से संम्बंधित पिटीशन को एक जूनियर न्यायाधीश को सौंप देना कल की प्रेस कांन्फ्रेंस की प्रमुख वजह बताया जा रहा है. उपरोक्त चारों न्यायाधीशों ने मुख्य न्यायाधीश से इस सम्बंध में मुलाकात की परन्तु उनकी चिन्ताओं की पूरी अनदेखी कर दी गई. यह भी सामने आ रहा है कि इसी तरह के और भी सम्वेदनशील मुकदमों को जिनमें भ्रष्टाचार के मामले एवं श्आधारश् से जुड़े मामले शामिल हैं, को पहले भी संदेहास्पद तरीके से जूनियर न्यायाधीशों की बैंचों को दिया गया अथवा मुख्य न्यायाधीश ने स्वयं अपने पास रख लिया. लोकतंत्र के लिए ऐसे गम्भीर खतरे को देश के सामने लाने का साहस दिखाने के लिए उपरोक्त चारों न्यायाधीश सराहना के पात्र हैं. शासक पार्टी द्वारा इसे न्यायपालिका का अन्दरूनी मामला बताना एक निराधार तर्क है. भारत को लोकतंत्र के रूप में बने रहने के लिए न्यायपालिका की स्वतंत्रता एक बेहद अहम मसला है. इस मामले को जनता के सामने लाकर उक्त न्यायाधीशों ने संविधान की रक्षा करने के अपने कर्तव्य का निर्वाह किया है. हमें कभी नहीं भूलना चाहिए कि इन्दिरा गांधी की सरकार के आगे तब के सर्वोच्च न्यायालय के आत्मसमर्पण ने आपातकाल का रास्ता बनाया था दृ आज चार न्यायाधीशों ने देश को फिर से चेताया है कि हम एक और आपातकाल के बीच में इस वक्त खड़े हुए हैं.

यह जरूरी है कि सरकार एवं मुख्य न्यायाधीश उपरोक्त चार न्यायाधीशों के सरोकारों एवं मंतव्य को समझें और भविष्य के लिए सर्वोच्च न्यायालय की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता एवं शुचिता की गारंटी करने के लिए उपयुक्त कदम उठायें. भारत के राष्ट्रपति को हस्तक्षेप करते हुए इस संवैधानिक संकट पर विचार करने के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाने की सलाह सरकार को देनी चाहिए. यह भी जरूरी है कि जस्टिस लोया की संदेहास्पद मृत्यु से जुड़े तथ्यों व परिस्थितियों की भरोसेमंद रूप से जांच होनी चाहिए. हम देश के आम लोगों एवं सभी लोकतंत्र पसंद शक्तियों से आग्रह करते हैं कि वे न्यायिक स्वायत्तता और स्वतंत्रता के इस संघर्ष में चारों वरिष्ठ न्यायाधीशों का साथ दें, ताकि लोकतंत्र एवं कानून का राज जैसे अल्फाज बेमायने बन कर न रह जायें.  

मकर संक्रांति : अनेकता में एकता का पर्व

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हमारी भारतीय संस्कृति में त्योहारों, मेलों, उत्सवों व पर्वो का महत्वपूर्ण स्थान है। यहां साल में दिन कम और त्योहार अधिक है। ऐसे में यह कहे तो भी अतिश्योक्ति नहीं होगी कि यहां हर दिन होली और हर रात दिवाली होती है। दरअसल ये त्योहार और मेले ही है जो हमारे जीवन में नवीन ऊर्जा का संचार करने के साथ ही परस्पर प्रेम और भाईचारे को बढ़ाते है। एक ऐसा ही 'तमसो मां ज्योर्तिगमय'का साक्षात् प्रेरणापुंज, अंधकार से उजास की ओर बढ़ने व अनेकता में एकता का संवाहक पर्व है मकर संक्रांति। हर साल 14 जनवरी को धनु से मकर राशि व दक्षिणायन से उत्तरायण में सूर्य के प्रवेश के साथ संपूर्ण भारत सहित विदेशों में मनाया जाना वाल यह पर्व अलग-अलग प्रांतों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। 

पंजाब व जम्मू-कश्मीर में 'लोहड़ी'के नाम से प्रचलित यह पर्व भगवान बाल कृष्ण के द्वारा 'लोहिता'नामक राक्षसी के वध की खुशी में मनाया जाता है। इस दिन पंजाबी भाई जगह-जगह अलाव जलाकर उसके चहुंओर भांगडा नृत्य कर अपनी खुशी जाहिर करते है। वहीं पांच वस्तुएं तिल, गुड़, मक्का, मूंगफली व गजक से बने प्रसाद की अग्नि में आहुति प्रदत्त करते है। वहीं देश के दक्षिणी इलाकों में इस दिन को 'पोंगल'के रुप में मनाने की परंपरा है। फसल कटाई की खुशी में तमिल हिंदुओं के बीच हर्षोल्लास के साथ चार दिवस तक मनाये जाने वाले 'पोंगल'का अर्थ है - विप्लव या उफान। इस दिन तमिल परिवारों में चावल और दूध के मिश्रण से जो खीर बनाई जाती है उसे 'पोंगल'कहा जाता है। इसी तरह गुजरात में मकर संक्रांति का ये पर्व 'उतरान'के नाम से मनाया जाता है। तो वहीं महाराष्ट्र में इस पर्व को 'गुडी पडवा'कहा जाता है तथा इस दिन लोग एक-दूसरे के घर जाकर तिल और गुड़ से बने लड्डू खिलाकर मराठी में 'लिळ गूळ ध्या आणि गोड़ गोड़ बोला'कहते है। जिसका हिन्दी में अर्थ होता है तिल और गुड़ के लड्डू खाइये और मीठा-मीठा बोलिये। तो वहीं असम प्रदेश में इस पर्व को 'माघ बिहू'के नाम से जाना व मनाया जाता है। इसी तरह इलाहबाद में माघ मेले व गंगा सागर मेले के रुप में मनाया जाने वाले पर्व मकर संक्रांति पर 'खिचड़ी'नामक स्वादिष्ट व्यंजन बनाकर खाने की परंपरा है। जनश्रुति है कि शीत के दिनों में खिचड़ी खाने से शरीर को नई ऊर्जा मिलती है। 

मकर संक्रांति को मनाने के पीछे अनेक धार्मिक कारण भी है। इसी दिन गंगा भागीरथ के पीछे चलकर कपिल मनु के आश्रम से होते हुए सागर में जा मिली थी। तो वहीं इस दिन भीष्म पितामह ने सूर्य के उत्तरायण की दिशा में गमन के साथ ही स्वेच्छा से अपना देह त्यागा था। यह दिन श्रद्धा, भक्ति, जप, तप, अर्पण व दान-पुण्य का दिन माना जाता है। या यूं कहे कि हिंदू धर्मावलंबियों के लिए मकर संक्रांति का महत्व वैसा ही जैसा कि वृक्षों में पीपल, हाथियों में ऐरावत और पहाड़ों में हिमालय का है। भले मकर संक्रांति का पर्व देश के विभिन्न प्रदेशों में अलग-अलग नामों से मनाया जाता हो पर इसके पीछे समस्त लोगों की भावना एक ही है। तिल और गुड़ के व्यंजन हमें एक होने का संदेश देते है। तो वहीं नीले अंबर में शीतल वायु के संग उड़ती पतंग मानवीय यथार्थ से रू-ब-रू करवाती है। इंसान को शिखर पर पहुंचकर भी अभिमान नहीं करना चाहिए यह पतंग भलीभांति समझाती है। क्योंकि जिस प्रकार पतंग भले कितनी ही क्यूं ना ऊंचे आकाश में उड़े पर उसे खींचने वाली डोर इंसान के हाथ में ही रहती है। वैसे ही इंसान भी भले कितना ही अकूत धन-दौलत के अभिमान की हवा के बूते विलासिता व ऐश्वर्य के आसमान में उड़े लेकिन उसके सांसों की डोर भी परमपिता परमेश्वर अविनाशी के हाथों में ही रहती है। अंत्वोगत्वा पतंग हो या इंसान दोनों का माटी में विलीन होना तय है। इसलिए इंसान को भूलकर भी अपने जड़ों और संस्कारों से हटकर कोई गलत कृत्य नहीं करना चाहिए। 

पतंगबाजी के दौरान उन बेजुबान पक्षियों का भी ध्यान रखा जाना चाहिए जो सुबह अपने घर से दाने की तलाश में निकलते हैं। पर पतंग के पक्के धागे की डोर के कारण उनकी शाम नहीं हो पाती है। जहां मकर संक्रांति पुण्य अर्जित करने का स्वर्णिम पल व पर्व है वहां यदि किसी निर्दोष पक्षी के प्राण लिये जाये तो यह सबसे बड़ा पाप ही है। मानवीय संवेदना का परिचय देते हुए पतंगबाजी कच्चे मांझे के साथ दोपहर के समय केवल दो से तीन घंटे के बीच ही करें। और यदि कोई पक्षी मांझे की चपेट में घायल व जख्मी अवस्था में मिलें तो यथासंभव उपचार व सहायता प्रदान करें। केवल हम मकर संक्रांति को पतंगबाजी व तिल और गुड़ के स्वादिष्ट व्यंजनों तक ही सीमित न रखें अपितु इस पावन पर्व पर आपसी रंजिश और बैर मिटाकर प्रेम, स्नेह, भाईचारे व अपनत्व के साथ रहते हुए हिंदू-मुस्लिम का भेद भुलाकर अनेकता में एकता की मिसाल संपूर्ण जगत में दीप्तिमान करें। तभी जाकर हम सच्चें मायनों में मकर संक्रांति के पर्व की प्रासंगिकता जमीनी धरातल पर सिद्ध कर पाएंगे।



देवेंद्रराज सुथार
बागरा, जालोर, राजस्थान।
मोबाइल - 8107177196
(लेखक जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय जोधपुर में अध्ययनरत है और साथ में स्वतंत्र पत्रकारिता करते है।)

15 जनवरी से प्रारंभ होगा पी के लाल मेमोरियल टी-20 क्रिकेट टूर्नामेंट, 24 जनवरी को खेला जाएगा फाइनल मुकाबला

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झारखण्ड की कुल आठ टीमों सहित पड़ोसी राज्य बिहार, प0 बंगाल, यूपी, दिल्ली व रेलवे की कुल 16 टीमों का होगा नाॅकआउट स्तर पर संघर्षप्रद प्रदर्शन। टर्फ पर खेला जाएगा सारा मैच। स्व0 प्रमोद कुमार लाल मेमोरियल टी-20 क्रिकेट टूर्नामेंट समिति के अध्यक्ष, नगर परिषद्, दुमका के उपाध्यक्ष, सामाजिक कार्यकर्ता व लोकप्रिय जनप्रतिनिधि विनोद कुमार लाल का दूसरा है यह सफलतम प्रयास। संताल परगना प्रमण्डल के प्रतिभाशाली क्रिकेट खिलाड़ियों को बड़े आकार का प्लेटफार्म प्राप्त हो, यह टूर्नामंेट इसी कड़ी को आगे बढ़ाने का काम करेगा। विनोद कुमार लाल खुद के अच्छे क्रिकेट व शतरंज के खिलाड़ी रह चुके हैं। बीसीसीआई स्तर के पैनल वन के शान्तनु डे व सुबीर बनर्जी की देखरेख व निगरानी में सम्पन्न होगा पूरा टूर्नामेंट। 

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दुमका (अमरेन्द्र सुमन) स्व0 प्रमोद कुमार लाल मेमोरियल टी-20 क्रिकेट टूर्नामेंट-2018 का आगाज 15 जनवरी से होगा। यह टूर्नामेंट 24 जनवरी तक चलेगा। टी-20 क्रिकेट का यह दूसरा टूर्नामंेट है। इस टूर्नामेंट के लिये उप राजधानी दुमका का एतिहासिक गाँधी मैदान सज-धज कर तैयार हो चुका है। झारखण्ड सहित पूरे भारत वर्ष के विभिन्न प्रदेशों से कुल 16 टीमों का टर्फ विकेट पर प्रदर्शन देखने लायक होगा। गाँधी मैदान, दुमका में 13 जनवरी को पत्रकार वार्ता आहुत कर उपरोक्त की जानकारी पी के लाल मेमोरियल टी-20 क्रिकेट टूर्नामेंट समिति के अध्यक्ष, नगर परिषद्, दुमका के उपाध्यक्ष, सामाजिक कार्यकर्ता व लोकप्रिय जनप्रतिनिधि विनोद कुमार लाल ने दी। आयोजन समिति से जुड़े उमाशंकर चैबे, महेशराम चन्द्रवंशी, कुणाल दास, दीपक झा, बादल चटर्जी, मनोज दारूका, वंशीधर पंडित, विभीषण राउत, मो सिकन्दर बख्त, मो वसीम, राजीव सिन्हा, दीपक कुमार सिंह, राजा बाबू, सरफराज, मो अजीम, मो अकबर, डब्ल्यू कुमार समेत अन्य की उपस्थिति में श्री लाल ने कहा यह दूसरा वर्ष है जबकि वृहत पैमाने पर टी-20 क्रिकेट टूर्नामेंट का आयोजन दुमका में किया जा रहा है। पी के लाल टी-20 क्रिकेट टूर्नामेंट आयोजन समिति के सचिव उमाशंकर चैबे ने कहा बीसीसीआई स्तर के पैनल वन के अंपायर शान्तनु डे व सुबीर बनर्जी की देखरेख व निगरानी में पूरा टूर्नामेंट सम्पन्न होगा। उन्होंने कहा क्रिकेट के इतिहास में दुमका में यह पहला अवसर होगा जब टर्फ विकेट पर क्रिकेट का सारा मैच संपन्न होगा। टूर्नामेंट में रणजी ट्रॉफी स्तर के कई प्रसिद्ध खिलाड़ियों के खेलने की संभावना है जो मैच में चार चाँद लगा जाऐगें। विजेता टीम को दी जानेवाली राशि में इस वर्ष बढ़ोत्तरी की गई है। श्री लाल के अनुसार विजेता टीम को जहाँ एक ओर 1, 50, 000 रुपये दिये जाऐंगे वहीं उपविजेता टीम को 75, 000 रुपये की धन राशि दी जाएगी। मैन ऑफ द सीरीज को एक मोटर साइकिल बतौर पुरस्कार प्रदान किया जाएगा। विदित हो, पिछले टूर्नामेंट की तुलना में इस वर्ष मैन ऑफ द मैच व अन्य पुरुस्कार की राशियों में भी बढ़ोत्तरी की जाएगी। झारखंड से भाग ले रही टीमों मंे दुमका देवघर, गोड्डा सहित गिरिडीह, धनबाद, जमशेदपुर व राँची की टीमें भाग लेंगी। झारखण्ड के अलावे बिहार, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, उत्तर प्रदेश व रेलवे की टीमें मैदान पर अपना-अपना भाग्य आजमाऐंगी। पी के लाल टी-20 क्रिकेट टूर्नामेंट आयोजन समिति के अध्यक्ष, नगर परिषद, दुमका के उपाध्यक्ष, सामाजिक कार्यकर्ता व लोकप्रिय जनप्रतिनिधि विनोद कुमार लाल ने वृहत पैमाने पर ऐसे टूर्नामेंट के आयोजन के पीछे खेल के प्रति समर्पित खिलाड़ियों की प्रतिभाओं को निखारना बतलाया। उन्होंने कहा वर्ष 1990 तक क्रिकेट के क्षेत्र में दुमका काफी समृद्ध था। नब्बे के दशक के बाद इस खेल में राजनीति ने भीतरघात करना शुरु कर दिया। परिणाम रहा कि क्रिकेट के क्षेत्र में समृद्ध दुमका धीरे-धीरे शून्यता की ओर अग्रसर हो गया। फिर से इस खेल को  संताल परगना क्षेत्र में प्रतिष्ठापित करने व इस क्षेत्र के प्रतिभाओं के लिये एक बड़ा प्लेटफार्म तैयार हो सके इसके लिये बड़े वजट के टूर्नामेंट का आयोजन एक बड़ी जरुरत थी। 

बक्सर में विकास की असली तस्वीर दिखाने के जुर्म में दलित-गरीबों का किया गया दमन: माले

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  • भाकपा-माले की राज्यस्तरीय टीम ने किया घटनास्थल का दौरा.

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पटना 13 जनवरी, भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल ने बक्सर के नंदन गांव में दलित-गरीबों पर बर्बर पुलिसिया कहर की कड़ी निंदा की है. उन्होंने कहा कि जब दलित-गरीबों ने विकास की असली तस्वीर से नीतीश कुमार को अवगत कराना चाहा, तो उनकी तानाशाही खुलकर समाने आ गयी है. वे समीक्षा यात्रा की महज नौटंकी कर रहे हैं. भाजपा-जदयू की सरकार पूरी तरह से दलित-गरीबों के खिलाफ काम कर रही है. उन्होंने कहा कि कल की घटना के उपरांत नंदन गांव में दलित-गरीबों पर पुलिस ने आतंक बरपा रखा है. अब तक चार महिलाओं समेत 16 लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है. उसमें 16-17 वर्ष के नौजवान भी शामिल हैं. माले ने नीतीश कुमार को आगाह किया है कि जनता के आक्रोश को दमन के सहारे नहीं कुचला जा सकता. तानाशाही आचरण छोड़कर नीतीश कुमार को बिहार की जनता की बातों को गंभीरता से सुनना चाहिए. इस घटना के संदर्भ में भाकपा-माले की एक राज्य स्तरीय टीम ने आज घटनास्थल का दौरा किया. इस टीम में पार्टी के राज्य स्थायी समिति के सदस्य व काराकाट के पूर्व विधायक अरूण कुमार सिंह, बक्सर के पार्टी जिला सचिव काॅ. मनोहर, शंकर राम, अयोध्या सिंह, वीर बहादुर पासवान, और कन्हैया पासवान शामिल थे. जांच टीम ने कहा है कि नंदन गांव में रविदास, पासवान व मुसहर समुदाय के दलित-गरीब रहते हैं. कुछ यादव जाति के गरीब भी इस टोले में रहते हैं. अपनी समीक्षा यात्रा के दौरान नीतीश कुमार 12 जनवरी को इस गांव में पहंुचे. दलित-गरीब किसी झांसे की बजाए सरकार के मुखिया को विकास की असली तस्वीर दिखलाना चाहते थे. वे दिखलाना चाहते थे कि जब गरीबों के पास जमीन ही नहीं तो शौचालय का निर्माण कहां से करवाया जाएगा? दलित टोले में विकास के कार्य पूरी तरह नदारद ही हैं. यहां तक कि मुख्यमंत्री के आने के पहले जो उनसे काम करवाया गया, उसका भी पैसा उन्हें नहीं दिया गया. ग्रामीण जनता अपना यह दर्द मुख्यमंत्री को बताना चाहती थी. लेकिन समीक्षा यात्रा की ढोंग करने वाले नीतीश कुमार को जनता की इन सच्चाइयों से कोई मतलब नहीं था. इसी कारण जनता आक्रोशित हुई. माले जांच टीम ने कहा कि आक्रोशित जनता पर बर्बर पुलिसिया दमन में स्थानीय विधायक ददन पहलवान और सामाजिक कल्याण मंत्री संतोष निराला ने विशेष भूमिका निभाई. लोगों को बर्बर तरीके से पीटा गया. घर की चाहरदीवारी तड़पकर लोगों के साथ मार-पीट हुई और उन्हें गिरफ्तार किया गया. चार महिलाओं रमरतिया देवी, लखमुनिया देवी, तारामुनि देवी और सोना देवी सहित 16 अन्य लोगों केा गिरफ्तार किया गया. यह बेहद निंदनीय है.
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