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पथ निर्माण विभाग में 200 अभियंताओं की बहाली शीघ्र : नंदकिशोर

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पटना 13 जनवरी, बिहार के पथ निर्माण मंत्री नंदकिशोर यादव ने आज बताया कि विभाग में शीघ्र ही 200 सहायक अभियंताओं को बहाल किया जाएगा और इसकी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। श्री यादव ने यहां बताया कि विभाग में रिक्त सहायक अभियंता (असैनिक) पदों पर अस्थायी बहाली संविदा के आधार पर की जायेगी। नियुक्त में राज्य सरकार की आरक्षण नीति का पालन और आदर्श रोस्टर का अनुपालन किया जायेगा। उन्होंने बताया कि बहाल किये जाने वाले दो सौ पदों में अनुसूचित जाति के लिए 30, अत्यन्त पिछड़ा वर्ग के लिए 58, पिछड़ा वर्ग के लिए 32, पिछड़ा वर्ग महिला के लिए छह और सामान्य वर्ग के लिए 73 पद आरक्षित हैं। महिला उम्मीदवारों को 35 प्रतिशत तथा केन्द्र सरकार से पेंशन पा रहे स्वतंत्रता सेनानियों के पोता-पोती नाती-नतिनी को दो प्रतिशत तथा 40 प्रतिशत या उससे अधिक नि:शक्त अभियर्थियों को आरक्षण का लाभ दिया जायेगा। मंत्री ने बताया कि संविदा पर बहाल होने वाले इन दो सौ विभिन्न सहायक अभियंताओं को प्रतिमाह 55 हजार रुपये मानदेय होगा जिसमें समय-समय पर संशोधन किया जा सकेगा। आवेदन आॅनलाईन लिया जायेगा जो 15 जनवरी से 09 फरवरी 2018 तक स्वीकार्य होगा। संविदा के आधार पर नियोजन की अवधि नियोजन की तारीख से एक वर्ष के लिए अथवा बिहार लोक सेवा आयोग की अनुशंसा के बाद नियमित नियुक्त होने तक (जो पहले हो) होगी। 

बिहार में ई-वे बिल की शुरुआत 15 जनवरी से : सुशील मोदी

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पटना 13 जनवरी, बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने आज बताया कि राज्य में पचास हजार रुपये से अधिक के माल के परिवहन के लिए 15 जनवरी से ई-वे बिल की व्यवस्था लागू हो जाएगी। श्री मोदी ने यहां राज्य के वाणिज्यकर पदाधिकारियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि 50 हजार से अधिक मूल्य के माल के परिवहन के लिए 15 जनवरी से प्रायोगिक तौर पर बिहार समेत पूरे देश में ई-वे बिल की व्यवस्था लागू की जा रही है। देश में मालों की आवाजाही के लिए 01 फरवरी से ई-वे बिल अनिवार्य होगा। उन्होंने बताया कि बिहार में ई-वे बिल जेनरेट करने के लिए पांच हजार लोगों को प्रशिक्षित किया जा चुका है जिनमें 888 ट्रांसपोर्टर हैं। उन्होंने अधिकारियों को सभी ट्रांसपोटर और डीलर को ई-वे बिल जेनरेट करने के लिए प्रशिक्षित करने का निर्देश भी दिया।  उपमुख्यमंत्री ने कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने के पहले से बिहार में लागू ‘सुविधा’ का ई-वे बिल की व्यवस्था से सरलीकरण हो गया है। ‘सुविधा’ के तहत परिवहन परमिट के लिए पहले जहां फार्म में 26 फील्ड भरने होते थे वहीं अब केवल आठ फील्ड ही भरना होगा। उन्होंने बताया कि निबंधित कारोबारी और ट्रांसपोटर अब कम्प्यूटर के अलावा मोबाइल ऐप के जरिए भी आसानी से ई-वे बिल जेनरेट कर सकेंगे। वहीं, राज्य के अंदर 10 किलेामीटर की दूरी तक माल के परिवहन के लिए ई-वे बिल की आवश्यकता नहीं होगी।  श्री मोदी ने बताया कि जीएसटी लागू होने के बाद 01 जुलाई 2017 से देश में चेकपोस्ट की व्यवस्था समाप्त कर दी गई जिसके कारण बड़ी मात्रा में बगैर कर अदायगी के मालों की आवाजाही से राज्यों को राजस्व का नुकसान हो रहा था इसीलिए 01 अप्रैल से लागू की जाने वाली ई-वे बिल की व्यवस्था को दो महीने पहले 01 फरवरी से पूरे देश में लागू की जा रही है। उन्होंने कहा कि 01 फरवरी से ई-वे बिल के बिना मालों के परिवहन को करवंचना के तौर पर देखा जायेगा और उसे जब्त किया जा सकता है। 

बिहार में अब एम्बुलेंस से लाखों रुपये की शराब बरामद

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मुजफ्फरपुर 13 जनवरी, बिहार में मुजफ्फरपुर जिले के अहियापुर थाना क्षेत्र से पुलिस ने आज एक एंबुलेंस से 105 कार्टन विदेशी शराब के साथ दो लोगों को गिरफ्तार किया है।  पुलिस सूत्रों ने यहां बताया कि सूचना मिली थी कि शराब तस्कर एंबुलेंस के जरिए विदेशी शराब की बड़ी खेप जिले में भेजने वाले हैं। इसी आधार पर राष्ट्रीय उच्च पथ संख्या- 57 पर गड़हा गांव के समीप एक संदिग्ध एंबुलेंस को रोककर उसकी तलाशी ली गयी। तलाशी के क्रम में वाहन से 105 कार्टन विदेशी शराब जप्त की गयी है। सूत्रों ने बताया कि इस सिलसिले में चालक और सह चालक को तत्काल गिरफ्तार कर लिया गया। गिरफ्तार चालक की पहचान हरियाणा के हिसार जिला निवासी सुरेन्द्र और प्रदीप के रूप मेें की गयी है। बरामद शराब की कीमत करीब दस लाख रुपये आंकी गयी है। 

राजौरी में पाकिस्तान ने किया संघर्ष विराम का उल्लंघन, एक जवान शहीद

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जम्मू 13 जनवरी, पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले में नियंत्रण रेखा के पास आज संघर्ष विराम का उल्लंघन करते हुए गोलीबारी की जिसमें सेना का एक जवान शहीद हो गया। रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि आज दोपहर राजौरी जिले के सुंदरबानी सेक्टर में नियंत्रण रेखा के पास पाकिस्तानी सेना ने संघर्ष विराम का उल्लंघन करते हुए भारतीय सेना की अग्रिम चौकियों पर गोलीबारी की जिसमें सेना का एक जवान गंभीर रूप से घायल हो गया जिसने बाद में दम तोड़ दिया। यह जवान लांस नायक योगेश मुरलीधर भड़ाना(28) महाराष्ट्र में धुले जिले के खलाने गांव का रहने वाला था। उसके परिवार में पत्नी पूनम योगेश है।  प्रवक्ता ने कहा कि शहीद जवान बहादुर और जिम्मेदार सैनिक था। देश उसके सर्वोच्च बलिदान और समर्पण का हमेशा कर्जदार रहेगा।

लोया मौत मामले की सुनवाई अब मंगलवार को होगी

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नयी दिल्ली, 13 जनवरी, सोहराबुद्दीन शेख फर्जी मुठभेड़ मामले के ट्रायल जज बीएच लोया की मौत की जांच संबंधी याचिका की सुनवाई उच्चतम न्यायालय सोमवार को नहीं कर सकेगा। शीर्ष अदालत की ओर से जारी नोटिस में बताया गया है कि मामले की सुनवाई करने वाली पीठ के एक न्यायाधीश -न्यायमूर्ति एम. एम. शांतनागौदर सोमवार को छुट्टी पर रहेंगे, इसलिए मामले की सुनवाई मंगलवार (16 जनवरी) को होगी। पीठ की अध्यक्षता करने वाले न्यायाधीश -न्यायमूर्ति अरुण कुमार मिश्रा 15 जनवरी को चेंबर मामलों की सुनवाई करेंगे। गत शुक्रवार को जब मामले की सुनवाई हुई थी तो न्यायालय ने महाराष्ट्र सरकार से जज के शव की पोस्टमार्टम रिपोर्ट पेश करने को कहा है।

युवराज, गेल, वाटसन समेत 1122 खिलाड़ी आईपीएल के लिये रजिस्टर्ड

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नयी दिल्ली, 13 जनवरी, युवराज सिंह, क्रिस गेल , जो रूट और शेन वाटसन समेत 1122 खिलाड़ियों ने आईपीएल की आगामी नीलामी के लिये रजिस्ट्रेशन कराया है । नीलामी 27 और 28 जनवरी को बेंगलूरू में होगी । इसमें गौतम गंभीर, आर अश्विन, अजिंक्य रहाणे, कुलदीप यादव, मुरली विजय और केएल राहुल की भी बोली लगेगी । यह सूची आईपीएल की सभी आठ टीमों को भेज दी गई है जिसमें 281 ऐसे खिलाड़ी हैं जो भारत के लिये खेल चुके हैं जबकि 838 नये खिलाड़ी हैं । इनमें 778 भारतीय और तीन एसोसिएट देशों के खिलाड़ी शामिल हैं । विदेशी 282 खिलाड़ियों में से 58 आस्ट्रेलिया के , 57 दक्षिण अफ्रीका, 39 श्रीलंका और वेस्टइंडीज के , 30 न्यूजीलैंड के और 26 इंग्लैंड के हैं । विदेशी खिलाड़ियों में नजरें आस्ट्रेलिया के ग्लेन मैक्सवेल, इंग्लैंड के जो रूट, बेन स्टोक्स, क्रिस लिन, ईयोन मोर्गन और आस्ट्रेलियाई तेज गेंदबाजों मिशेल स्टार्क और पैट कमिंस पर रहेंगी ।  वेस्टइंडीज के खिलाड़ियों में ड्वेन ब्रावो, कार्लोस ब्रेथवेट, एविन लुईस और जासन होल्डर शामिल हैं ।वहीं दक्षिण अफ्रीका के हाशिम अमला, फाफ डु प्लेसिस, क्विंटोन डिकाक, डेविड मिलर, मोर्नी मोर्कल और कागिसो रबाडा नीलामी का हिस्सा होंगे । न्यूजीलैंड के केन विलियमसन, कोलिन मुनरो, टाम लाथम नीलामी का हिस्सा होंगे ।अफगानिस्तान के 13, बांग्लादेश के आठ, आयरलैंड के दो , जिम्बाब्वे के सात और अमेरिका के दो खिलाड़ी इसमें शामिल होंगे ।

न्याय, न्यापालिका के हित में काम किया : कुरियन जोसेफ

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कोच्चि, 13 जनवरी, मुकदमे के ‘‘चुनिंदा’’ तरीके से आवंटन और कुछ न्यायिक फैसले के विरूद्ध देश के प्रधान न्यायाधीश के खिलाफ एक तरह से बगावत का कदम उठाने वाले उच्चतम न्यायालय के चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों में एक न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ ने आज भरोसा जताया कि उन्होंने जो मुद्दे उठाए हैं उनका समाधान होगा । उनके और तीन अन्य न्यायाधीशों के प्रेस कांफ्रेंस के एक दिन बाद जोसेफ ने कहा कि उन्होंने न्याय और न्यायपालिका के हित में काम किया। स्थानीय न्यूज चैनलों ने कल के घटनाक्रम पर उनकी प्रतिक्रिया जानने के लिए यहां के निकट कलाडी में उनके पैतृक घर का रूख किया तो न्यायमूर्ति जोसेफ ने कहा, ‘‘न्याय और न्यायपालिका के पक्ष में खड़े हुए। यही चीज कल वहां (नयी दिल्ली में) हमने कहा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘एक मुद्दे की ओर ध्यान गया है। ध्यान में आने पर निश्चित तौर पर यह मुद्दा सुलझ जाएगा।’’ न्यायमूर्ति जोसेफ ने कहा कि ‘‘न्यायाधीशों ने न्यायपालिका में लोगों का भरोसा जीतने के लिए यह किया।’’

'मुगाबे की सलामती और सुरक्षा सुनिश्चित'

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हरारे, 13 जनवरी, जिम्बाब्वे के राष्ट्रपति एमर्सन मनांगाग्वा ने देश की हालिया राजनीतिक घटनाक्रम पर अंगोला के राष्ट्रपति जाओ लौरेंके को आश्वस्त करते हुए कहा कि पूर्व राष्ट्रपति राबर्ट मुगाबे की सलामती और सुरक्षा सुनिश्चित है। मनांगाग्वा ने लौरेंके को इस बात के लिए भी आश्वस्त किया कि इस वर्ष होने वाले आम चुनाव तय समय पर ही होंगे। सरकारी मीडिया न्यू जियाना की रिपोर्ट के अनुसार, मनांगाग्वा ने लौरेंके से अंगोला के लुआनडा में मुलाकात की। बैठक के बाद एक साक्षात्कार में, मनांगाग्वा ने कहा, "उन्होंने अपने समकक्ष को जिम्बाब्वे में हुए घटनाक्रम की जानकारी दे दी है।"उन्होंने कहा, "यह बेहतरीन मुलाकात थी। मैं जिम्बाब्वे में हुए हालिया घटनाक्रम की जानकारी देने अपने वरिष्ठ राष्ट्रपति लौरेंके को जानकारी देने लुआनडा आया था।"लुआनडा राजनीति, रक्षा और सुरक्षा के लिए दक्षिणी अफ्रीकी विकास समुदाय के मौजूदा अध्यक्ष भी हैं। मनांगाग्वा ने कहा कि चुनाव प्रस्तावित समय पर ही होंगे और नई सरकार पूर्व राष्ट्रपति मुगाबे की समृद्ध विरासत को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा, "हम इस बदलाव (ट्रांजिशन) को शांतिपूर्वक करेंगे और पूर्व राष्ट्रपति मुगाबे पूरी तरह सुरक्षित हैं, हम उनकी देखभाल करेंगे, वह हमारे देश के संस्थापक हैं, वह हमारे क्रांतिकारी प्रतीक हैं और हम उनकी विरासत को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं।"मनांगाग्वा ने कहा, "उनके आस-पास जो भी अपराधी थे, यह बदलाव उन्हें (अपराधी) प्रभावित करने वाले पद से हटा पाने में सक्षम हुआ है।"मनांगाग्वा और लौरेंके ने आर्थिक और व्यापारिक संबंधों समेत अन्य द्विपक्षीय संबंधों पर भी चर्चा की।

सर्वोच्च न्यायालय का संकट सुलझ जाएगा : वेणुगोपाल

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नई दिल्ली, 13 जनवरी, देश के महान्यायवादी के.के. वेणुगोपाल ने शनिवार को उम्मीद जाहिर की कि सर्वोच्च न्यायालय के चार शीर्ष न्यायाधीशों के विद्रोह से सर्वोच्च न्यायालय में उत्पन्न संकट शीघ्र ही 'सुलझ'जाएगा। उन्होंने पत्रकारों से कहा, "उम्मीद करते हैं कि सबकुछ ठीक हो जाएगा। मुझे भरोसा है कि सबकुछ सुलझ जाएगा।"वेणुगोपाल ने शुक्रवार को कहा था कि चारों शीर्ष न्यायाधीश प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ सार्वजनिक रूप से शिकायत करने को टाल सकते थे। उन्होंने कहा कि न्यायाधीश बहुत प्रतिष्ठित लोग हैं और उम्मीद जताई कि वे लोग अपने मतभेद आपस में सुलझा लेंगे। इसबीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रधान सचिव नृपेन्द्र मिश्रा को शनिवार सुबह प्रधान न्यायाधीश के आवास की ओर जाते देखा गया। उन्हें उनके आधिकारिक वाहन के अंदर तब बैठे देखा गया, जब वह प्रधान न्यायाधीश के आवास से वापस आ रहे थे।

'अमित शाह के खिलाफ आपराधिक मामला फिर खोला जाए'

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पणजी, 13 जनवरी, गोवा कांग्रेस इकाई के अध्यक्ष शांताराम नाईक ने शनिवार को मांग की कि सर्वोच्च न्यायालय के चार शीर्ष न्यायाधीशों की ओर से शुक्रवार को किए गए संवाददाता सम्मेलन के मद्देनजर भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह के खिलाफ आपराधिक मामला दोबारा खोला जाए। यहां जारी एक बयान के अुनसार, नाईक ने कहा कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के विशेष न्यायाधीश बृजगोपाल हरकिशन लोया की मौत की जांच भी फिर से होनी चाहिए। नाईक ने कहा, "सर्वोच्च न्यायालय के चार शीर्ष न्यायाधीशों की ओर से किए गए संवाददाता सम्मेलन के मद्देनजर वह आपराधिक मामला फिर खोला जाना चाहिए, जिसमें भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी एक आरोपी हैं।"उन्होंने कहा, "उसी तरह, सीबीआई के विशेष न्यायाधीश बृजगोपाल हरकिशन लोया की नागपुर में संदिग्ध हालातों में मौत की भी फिर से जांच होनी चाहिए।"नाईक ने पूछा, "अगर ऐसा है कि मामले आवंटित करने की प्रक्रिया पर संसद में सवाल नहीं उठाया जा सकता, तो फिर कैसे सरकार द्वारा अपनी कार्यकारी शक्तियों का इस्तेमाल कर मामलों को सर्वोच्च न्यायालय में भेजा जाता है।"नाईक ने सर्वोच्च न्यायालय में शासकीय कार्यतंत्र को और पारदर्शी बनाए जाने की मांग की।

विशेष आलेख : भटका हुआ है विकास का माॅडल

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आम आदमी के आर्थिक स्तर को ऊपर उठाने के हमारे आजाद भारत के संकल्प को मंजिल तक पहुंचाने में अब तक की सभी सरकारें नाकाम रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से बहुत अपेक्षाएं हैं, लेकिन आर्थिक संतुलन स्थापित करने एवं अमीर एव गरीब की खाई को पाटने की दृष्टि से उनकी एवं उनकी सरकार की नीतियां भी सन्देहास्पद ही कही जायेगी। क्योंकि उन्होंने जो दिशा पकड़ी वह भी ऐसे विकास का प्रारूप है जिसमें अमीर अधिक अमीर ही होता जायेगा? भले गरीबी को कुछ स्तर पर संतुलित कर लिया जाये। मोदी सरकार भी अपनी जिम्मेदारी पर गरीब से गरीब व्यक्ति को आर्थिक स्तर पर ऊपर उठने की कोई पुख्ता योजना प्रस्तुत नहीं कर पाई है। किसी गरीब को गैस सिलैण्डर दे देने से या उनके घर तक सड़क या बिजली पहुंचा देने से एक सन्तुलित आदर्श समाज की रचना नहीं होगी। 

हमने सरकार के भरोसे शिक्षा से लेकर स्वास्थ्य की बुनियादी व्यवस्था छोड़ी थी, लेकिन अब तक की सभी सरकारें इस मोर्चे पर असफल रही है, और इन दोनों बुनियादी क्षेत्रों का जमकर व्यावसायीकरण हुआ है। निजी क्षेत्र ने इन क्षेत्रों में अपना आतंक फैला रखा है। सरकार के भरोसे सौंपे गये इस दायित्व के पीछे भावना यही थी कि शिक्षा से लेकर स्वास्थ्य के क्षेत्र में उसकी भागीदारी से आम जनता को उचित शिक्षा मिलेगी और स्वास्थ्य के लिये मूलभूत सुविधाओं से वह महरुम नहीं रहना पडे़गा। गरीब से गरीब आदमी का बच्चा भी अपने व्यक्तित्व का विकास करके अपने भाग्य का विधाता बन सकेगा। आजादी के साथ ही सार्वजनिक क्षेत्र के माध्यम से देश के विकास की जो आर्थिक-सामाजिक संतुलन की आधारशिला रखी गई, वह सात दशक तक पहुंचते-पहुंचते ही चरमरा गयी। आज सरकारें व्यावसायिक कोरपोरेट घराने बनते जा रहे हैं। उनका मुख्य लक्ष्य जनता की सेवा न होकर लाभ-हानि हो गया है। देश में सेवा एवं बुनियादी जरूरतों की पूर्ति के लक्ष्य को हाशिये पर डाल दिया गया है और येन-केन-प्रकारेण धन कमाना ही सबसे बड़ा लक्ष्य बनता जा रहा है। आखिर ऐसा क्यों हुआ ? क्या इस प्रवृत्ति के बीज हमारी आजादी के लक्ष्य से जुड़े संकल्पों में रहे हैं या यह विश्व बाजार के दबाव का नतीजा है? इस तरह की मानसिकता राष्ट्र को कहां ले जाएगी? ये कुछ महत्त्वपूर्ण प्रश्न हैं, जिनपर मंथन जरूरी है। 

आजादी के शुरुआती तीन-चार दशक तक के शीर्ष नेतृत्व एवं नीति निर्माताओं में राष्ट्र के प्रति समर्पण था और भारत की संस्कृति एवं भारतीयता के प्रति वे निष्ठाशील थे। वे भारत को सशक्त बनाने के साथ-साथ संतुलित विकास की आधारशिला रखने  के लियेे तत्पर थे। उन्हें आम साधारण व्यक्ति के जीवन के कष्टकारी माहौल का अच्छी तरह पता था। वे शिक्षा के साथ-साथ स्वास्थ्य के क्षेत्रों को पवित्र कार्य यानी पुण्य बटोरने का साधन स्वीकारते थे और इसे ही आजाद भारत की सरकारों की प्राथमिकता भी मानते थे। ये दोनों ही क्षेत्र मानवीयता एवं परोपकार के भाव से ओत-प्रोत रहे परन्तु नब्बे के दशक तक पहुंचते-पहुंचते हमने जिस बाजारमूलक अर्थव्यवस्था को अपनाना शुरू किया। उसने विकास की परिभाषा को ही बदल कर रख दिया है। विदेशी निवेश के लुभावने एवं चकाचैंधभरे आह्वान में लगा कि रोजगार बढ़ेगा, गरीबी दूर होगी और सार्वजनिक क्षेत्र की जो कम्पनियां घाटे में चल रही हैं वे निजी भागीदारी से मुनाफा कमाने वाली मशीनों में तब्दील हो जायेंगी। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। घाटे के नाम पर सरकारों ने उन सरकारी मशीनों को बन्द ही कर दिया, जो आम जनता की सेवा के लिये गठित की गयी थी। सरकारों ने विकास के नाम पर जनता पर अनचाहा भार ही नहीं लादा बल्कि अपनी लाभ एवं लोभ की मानसिकता को भी थोपा है। विकास के नाम पर पनप रहा नया नजरिया न केवल घातक है बल्कि मानव अस्तित्व पर खतरे का एक गंभीर संकेत भी है। क्योंकि साम्राज्यवाद की पीठ पर सवार पूंजीवाद ने जहां एक ओर अमीरी को बढ़ाया है तो वहीं दूसरी ओर गरीबी भी बढ़ती गई है। यह अमीरी और गरीबी का फासला कम होने की बजाय बढ़ता ही जा रहा है जिसके परिणामों के रूप में हम आतंकवाद को, सांप्रदायिकता को, प्रांतीयता? नक्सलवाद को, माओवाद को देख सकते हैं, जिनकी निष्पत्तियां समाज में हिंसा, नफरत, द्वेष, लोभ, गलाकाट प्रतिस्पर्धा, रिश्ते में दरारें आदि के रूप में देख सकते हैं। सर्वाधिक प्रभाव पर्यावरणीय असंतुलन एवं प्रदूषण के रूप में उभरा है। चंद हाथों में सिमटी समृद्धि की वजह से बड़े और तथाकथित संपन्न लोग ही नहीं बल्कि देश का एक बड़ा तबका मानवीयता से शून्य अपसंस्कृति का शिकार हो गया है। 

राष्ट्र में दो रूप सामने आए-एक ओर अमीरों की ऊंची अट्टालिकाएं, दूसरी ओर फुटपाथों पर रेंगती गरीबी। एक ओर वैभव ने व्यक्ति को विलासिता दी और विलासिता ने व्यक्ति के भीतर क्रूरता जगाई, तो दूसरी ओर गरीबी तथा अभावों की त्रासदी ने उसके भीतर विद्रोह की आग जला दी। वह प्रतिशोध में तपने लगा, अनेक बुराइयां बिन बुलाए घर आ गईं। दलित हो या आदिवासी आज भी उनके साथ होने वाले हिंसक भेदभाव को हम देखते हैं तो यही लगता है कि आदमी-आदमी से असुरक्षित हो गया। चेहरे ही नहीं चरित्र तक अपनी पहचान खोने लगे हैं। नीति और निष्ठा के केंद्र बदलने लगे हैं। हमारा शीर्ष नेतृत्व एवं नीतियां सरकार को एक कम्पनी या कोरपोरेट हाउस की तरह चला रही है यही कारण है कि सरकारी कार्यालयों से लेकर विभिन्न सरकारी संस्थानों में ठेके पर काम कराने की बाढ़ आ चुकी है। इसमें कर्मचारियों की सेवा सुरक्षा और भविष्य की गारंटी को समाप्त कर दिया गया है। शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवाओं  का बाजारीकरण हो गया है। बाजारमूलक अर्थव्यवस्था का यह सिद्धान्त कि प्रतियोगिता मूलक व्यवस्था में जो सबसे ज्यादा स्वस्थ या योग्य होगा वही टिक पायेगा, जंगल के कानून की तरह वह इस प्रकार फैला है कि पूरा मध्यम व लघु दर्जे का उद्योग लगभग चैपट होने के कगार पर पहुंच गया है। बहुराष्ट्रीय कम्पनियों ने अपने उत्पादों की पहुंच छोटे कस्बों से लेकर गांवों तक के बाजार में इस तरह बना ली है कि घरेलू उद्योग उनके सामने टिक ही नहीं पा रहा है। सरकारी विभागों में लाखों की संख्या में नौकरियांे के पद रिक्त है सरकार इन्हें भरने से इसलिए घबरा रही है कि उस पर आर्थिक दबाव बढ़ेगा। सरकार अपनी घबराहट को छिपाने लिये कभी स्टार्टअप तो कभी मैंकिंग इंडिया का नारा उछालती है। लेकिन देश में बढ़ रही बेरोजगारी एवं छोटे व्यवसासियों की खस्ता हालात पर यदि ध्यान नहीं दिया गया तो आराजक स्थिति बन सकती है। 

रेेल्वे को हमने मुनाफा कमाने का जरिया बना दिया है। तत्काल और प्रिमियम के नाम पर खुला मुनाफा कमाया जा रहा है। आने वाले समय में सड़क, बिजली, पानी की भी यही दशा हो सकती है। वहां भी तत्काल एवं प्रिमियम सेवाएं शुरु हो सकती है। अच्छी सड़क का अमूक अमूक नाम से शुल्क होगा। बिजली-पानी भी इसी तरह की तत्काल एवं प्रिमियम शुल्क के साथ मिलने लगे तो कोई आश्चर्य नहीं। अमीर लोगों के जीवन को और सुगम बनाने के तरीके। यह वह तथाकथित सरकारी व्यवस्था है जो सामूहिक विकास को नकार कर वर्ग-विशेष, व्यक्ति-विशेष या सम्प्रदायगत लाभों को विकास का पर्याय मानती है । ऐसे दौर में ंभारत को बहुराष्ट्रीय कम्पनियां एक बार फिर पराधीन बना दे तो कोई आश्चर्य नहीं। कोई भी भारत का युवक यानी स्टार्टअप इन विदेशी कम्पनियों के सामने कैसे टिकेगा? जिनके लिये भारत के व्यापार को हथियाने एवं भोली-भली जनता को प्रलोभन देने के लिये पांच-दस हजार करोड का नुकसान उठाना साधारण बात है। विदेशी कम्पनियों से पहले तो उसका सामना किसी रिलायंस, टाटा या अडानी से ही है जिन्होंने हर छोटे-मोटे व्यापार पर अपना कब्जा कर रखा है और वे गांवों-कस्बों तक पहुंच गये हैं। कैसे घर-घर में व्यापार या उद्योग स्थापित होंगे, कैसे बेरोजगारी दूर होगी और कैसे सरकारी निर्भरता को कम किया जायेगा- यह अहम मुद्दा कब राष्ट्रीय चर्चा का हिस्सा बनेगा? हर नागरिक को अपने अस्तित्व एवं अस्मिता के लिये जागना होगा। भले हमारे पास कार, कोठी और कुर्सी न हो लेकिन चारित्रिक गुणों की काबिलियत अवश्य हो क्योंकि इसी काबिलियत के बल पर हम अपने आपको महाशक्तिशाली बना सकेगे अन्यथा हमारे देश के शासक जिस रास्ते पर हमें ले जा रहे हैं वह आगे चलकर अंधी खाई की ओर मुड़ने वाली हैं। 

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(ललित गर्ग)
60, मौसम विहार, तीसरा माला, 
डीएवी स्कूल के पास, दिल्ली-110051
फोनः 22727486, 9811051133

विदिशा (मध्यप्रदेश) की खबर 14 जनवरी

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सफलता की कहानी : योजना ने प्रशिक्षण को सार्थक किया

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दुर्गानगर में निवासरत श्रीमती मंजू किरार ने एसएटीआई के प्रशिक्षण संस्थान में सिलाई कढ़ाई का प्रशिक्षण प्राप्त करने के उपरांत घरेलू कामों में ही लगी रहती थी। स्वंय का व्यवसाय संचालन करने की इच्छा उन्होंने अपने पति रघुवीर से सांझा की। रघुवीर ने शासकीय योजनाओं के माध्यम से व्यवसाय संचालन हेतु मिलने वाले लोन प्राप्ति के संबंध में मार्गदर्शन प्राप्त किया। खादी ग्रामोद्योग के माध्यम से क्रियान्वित मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना के तहत पचास हजार रूपए का लोन सिलाई कढ़ाई का प्रकरण तैयार कराया गया था। उक्त प्रकरण पर एसएटीआई की सेन्ट्रल बैंक द्वारा वित्त पोषण किया गया। राशि प्राप्त होने के उपरांत हितग्राही श्रीमती किरार ने प्रशिक्षण में बतलाए गए हुनर का व्यवसाय में उपयोग करने लगी। दिन प्रतिदिन दुकान चल गई।दुर्गानगर मुख्य मार्ग पर  पलक मेचिंग सेन्टर के नाम से संचालित श्रीमती किरार के पास महिलाएं अपने वस्त्रों को सिलवाने हेतु बहुतायत आने लगी। इसके पश्चात उन्होंने अपनी दुकान में ही साडी फाॅल, ब्लाउस के कपडे़ की मेचिंग सेन्टर को भी खोल लिया है। जिससे आमदनी में वृद्वि होने लगी है श्रीमती किरार के द्वारा बैंक की नियमित किश्त जमा कराई जा रही है। हितग्राही श्रीमती किरार का कहना है कि प्रशिक्षण के उपरांत व्यवसाय संचालन हेतु मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना में जो आधार दिया है उसे मैं कभी नही भूल सकती हूं। अब मैं मोहल्ले की अनेक लड़कियों को सिलाई कढाई का काम सीखा रही हूं। ताकि भविष्य में वे भी योजनाओं का लाभ लेकर स्वालम्बी हो सकें।

आनंदोत्सव का आयोजन जारी 

जिले में भी आनंदोत्सव का आयोजन आज 14 जनवरी से शुरू हो गया है जो 21 जनवरी तक जारी रहेगा। प्रत्येक दिन तीन-तीन ग्राम पंचायतों में तथा निकायों के वार्डो में आनंदोत्सव के तहत गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा। ग्राम पंचायत क्लस्टर स्तरीय आयोजन के लिए 15-15 हजार की राशि मुहैया कराई गई है। उक्त राशि से खेल मैदान एवं आयोजन की तैयारी, प्रतियोगिता में भाग लेने वाले प्रतिभागियों को स्वल्पाहार, कार्यक्रम की वीडियोग्राफी, विजेताओं को प्रमाण पत्र एवं मेडल प्रदाय करने के अलावा अन्य व्यवस्थाओं के लिए राशि प्रदाय की गई है। विदिशा अनुविभाग क्षेत्र में रविवार को आनंदोत्सव आयोजन कार्यक्रम के तहत तीन पंचायते क्रमशः इमलिया, धामनोद एवं अहमदपुर कस्बा के अलावा विदिशा निकाय के बरईपुरा में आयोजन किया गया था। इसी प्रकार के आयोजन जिले के अन्य पंचायतों में भी किए जा रहे है।

पात्रता पर्चियों का वितरण किया

विधायक श्री कल्याण सिंह ठाकुर ने रविवार को गुलाबगंज के मैदामिल में परिसर में आयोजित कार्यक्रम में नवीन पात्रताधारियों को खाद्यान्न पर्चियों का प्रदाय किया। कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि राज्य सरकार सभी वर्गो के हितों को ध्यानगत रखते हुए योजनाआंे का क्रियान्वयन करा रही है ऐसे हितग्राही जो पात्रता परीक्षण में सही पाए गए है उन सबको खाद्यान्न पर्चियां प्रदाय करने का कार्य जिले में वृहद रूप से किया जा रहा है।आयोजन स्थल पर 158 हितग्राहियों को पात्रता पर्चियों का वितरण अतिथियों द्वारा किया गया है। उक्त पर्चियां राष्ट्रीय खाद्यान्न सुरक्षा अधिनियम के तहत पात्रताधारी बीपीएल और अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्गो के हितग्राहियांे को प्रदाय की गई है। सहायक आपूर्ति अधिकारी श्री विजय सलोदे ने बताया कि 15 जनवरी तक जिले के सभी पात्रताधारियों को पर्चियां वितरित करने के निर्देश प्रसारित किए गए है के अनुपालन में हर रोज विकासखण्ड, ग्राम पंचायत स्तर पर इस प्रकार के आयोजन सतत जारी है। सभी पात्रताधारी को पर्चियां प्राप्ति के उपरांत समय पर खाद्यान्न मिल सकें इसके लिए जनवरी माह का आवंटन पूर्व में ही जारी किया जा चुका है।आयोजन स्थल पर श्री रघुवीर सिंह दांगी, श्री छत्रपाल शर्मा, स्थानीय सरपंच श्री मुकेश चैकसे के अलावा अन्य जनप्रतिनिधि एवं खण्ड स्तरीय अधिकारी, कर्मचारी मौजूद थे।

कॉंग्रेस के शासन में देश प्रदेश में हमेशा अमन शान्ति रही है: भार्गव

कांग्रेस कमेटी गुलाबगंज के द्वारा चलाए जा रहे "मेरा बूथ मेरा गौरव"कार्यक्रम के तहत ग्राम करारिया में उपस्थित जन समुदाय को संबोधित करते हुए वरिष्ठ कांग्रेस नेता श्री शशांक भार्गव ने कहा कि भारत में सर्व धर्म सद्भाव की पुरानी परंपरा रही है सभी धर्मों के लोग आपसी भाईचारे के साथ रहते आए हैं यही इस देश की खूबी है कांग्रेस पार्टी की लोकप्रियता से घबराकर भारतीय जनता पार्टी ने यात्राओं के माध्यम से जनता की धार्मिक भावनाओं का शोषण करना चाहती है, कांग्रेस पार्टी के शासन में देश प्रदेश में हमेशा अमन शांति रही है। इस अवसर पर पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष बसंत जैन जी ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी का मकसद केवल सत्ता में बने रहना है भारतीय जनता पार्टी के एजेंडे में प्रदेश के विकास, बेरोजगार युवा, दलित, अल्पसंख्यक, गरीब, और महिला वर्ग के लिए कोई जगह नहीं है, यह सत्ता में रहकर सिर्फ पूंजी पतियों को लाभ पहुंचाना चाहते हैं गरीब जनता का भला केवल कांग्रेस के शासन में ही होता है इस अवसर पर पूर्व जिला कांग्रेस सेवादल अध्यक्ष नरेंद्र पीतलिया, राम स्वरुप शर्मा, अजय कटारे,मोहर सिंह रघुवंशी,धन्ना लाल कुशवाहा,अनुज लोधी, दीवान किरार, दशन सक्सेना, लालू लोधी, ओमप्रकाश सोनी, राजकुमार डीडोत, अमित चौहान, राकेश शिवचरण शर्मा, दिनेश दांगी, तरुण भंडारी, सुमित शर्मा, जसमीत किरार, खरे साहब, शंकर सिंह राजपूत, दातार सिंह, अभिषेक शर्मा, घस्सू भाई, अतीक भाई, इलियास खान, तैयब खान, अकील भाई, आदि अनेक कांग्रेस कार्यकर्ता उपस्थित रहे।

मधुबनी : एक हज़ार से ज्यादा पेंशन आवेदकों ने पेंशन में सुधार के लिए अपना आवेदन दिया।

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अंधराठाढ़ी/मधुबनी ।पेंशन लाभार्थी के समस्याओ के निपटारे के लिए प्रखंड में आयोजित विशेष पेंशन शिविर शनिवार को समाप्त हो गया। इस दौरान शिविर में करीब एक हज़ार से ज्यादा पेंशन आवेदकों ने पेंशन में सुधार के लिए अपना आवेदन दिया। शिविर में पेंसन समस्याओं का उचित और त्वरित समाधान किया गया। प्रखंड विकास पदाधिकारी आलोक कुमार शर्मा ने बताया कि सामाजिक सुरक्षा के ऐसे पेंसनधारी जिनको अबतक पेंसन नही मिल रहा था उनका भुगतान सुनिश्चित करने के लिये ये शिविर आयोजित किया गया था। बताते चलें कि पहले चरण में 5 जनवरी से 13 जनवरी तक ये विशेष शिविर आयोजित किया गया था। शिविर के बारे मे विस्तृत जानकारी देते हुए प्रखंड आईटी सहायक अरविंद कुमार ने बताया कि जिला पदाधिकारी के आदेशानुसार सामाजिक सुरक्षा पेंसन योजना के पुराने पेंसनधारक जिन्हें अभी तक भुगतान नहीं मिल रहा है उनका भुगतान सुनिश्चित करने हेतु इस विशेष शिविर का आयोजन किया गया था। अरविंद ने बताया कि शिविर में हर पंचायत के लिए अलग अलग तारीख निर्धारित थी ताकि किसी समस्या को उत्पन होने से रोक जाए। सभी पंचायतो के छूटे लाभार्थीयों ने शिविर में आकर अपने अपने आधार कार्ड और बैंक पासबुक की छायाप्रति के साथ अपने समस्याओ का समाधान करवाया है।

पुरुषों का साइकिल चलाना यौन सेहत के लिए हानिकारक नहीं

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न्यूयॉर्क, 13 जनवरी, साइकिल चालन परिवहन, व्यायाम और अवकाश का एक लोकप्रिय साधन है। यह पुरुषों के यौन सेहत और मूत्र प्रणाली के लिए हानिकारक नहीं हो सकता है। एक शोध से यह जानकारी मिली है। पहले यह माना जाता था कि साइकिल चलाने से पुरुषों का यौन स्वास्थ्य प्रभावित होता है, लेकिन अध्ययन में कहा गया है कि साइकिल चलाने के लाभ 'जोखिम की तुलना में काफी अधिक हैं'और इससे हृदय को फायदा होता है।शोधकर्ताओं का कहना है, "तैराकों और धावकों की तुलना में साइकिल चलानेवालों में बेहतर स्तंभन क्षमता देखी गई।"शोधकर्ताओं का यह भी कहना है कि न तो साइकिल और न ही सड़क की हालत से साइकिल चालक पर कोई नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। शोधकर्ताओं ने कहा कि साइकिल चलाने के दौरान 20 फीसदी से अधिक वक्त तक खड़े रहने से गुप्तांगों को अकड़ने से बचाता है, लेकिन साइकिल के हैंडल की ऊंचाई को सीट की ऊंचाई से कम कर देने से गुप्तांगों में अकड़न की समस्या हो सकती है तथा दबाव वाली जगह पर शरीर में घाव भी हो सकते हैं। अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के प्रोफेसर बेंजामिन ब्रेयर ने बताया, "हमारा मानना है कि ये नतीजे साइकिल चालकों के लिए काफी उत्साहजनक होंगे। साइकिल चलाने से हृदय को काफी लाभ होता है और जोड़ों पर कम प्रभाव पड़ता है। हमारा मानना है कि इससे हमारे शरीर को मिलने वाला स्वास्थ्य लाभ काफी अधिक है तथा इससे वजन बढ़ने जैसी समस्या से बचाव होता है।"यह शोध जर्नल ऑफ यूरोलॉजी में प्रकाशित किया गया है।

हिंसा फैलाते 'हिंदुत्व'को नकारें : नयनतारा सहगल

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कोलकाता, 14 जनवरी, दिग्गज लेखिका नयनतारा सहगल ने कहा है कि वर्तमान राजनीतिक हालात 'किसी के भी हित में नहीं'हैं। उन्होंने साथ ही हिंसा को बढ़ावा दे रहे 'हिंदुत्व'के विचार को खारिज करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि इसका 'हिंदू धर्म से कुछ लेना देना नहीं'है। उन्होंने कहा, "अभी बहुत मुश्किल हालात हैं। वर्तमान राजनीतिक हालात में, ताकतें हर प्रकार के विरोध और असहमति को खत्म करने का प्रयास कर रही हैं। जो लोग उनसे असहमत हैं, वे मारे जा रहे हैं। उनमें से आखिरी इंसान गौरी लंकेश थीं।"लेखक ने बताया, "लेखक ही नहीं, मवेशियों को ले जा रहे लोगों को भी मारा जा रहा है। गोमांस रखने तक के संदेह में लोगों की हत्या की जा रही है।"  सहगल ने शनिवार शाम को एपीजे कोलकाता साहित्य उत्सव 2018 के अवसर से इतर कहा, "इसका उपाय यही है कि हिंदुत्व का चोला उतारकर फेंक दिया जाए और इसे दरकिनार किया जाए। यह हिंसा फैला रहा है। यह एक बहुत खतरनाक विचारधारा है और इसका हिंदू धर्म से कोई लेना देना नहीं है। कई लेखक इस विचारधारा के खिलाफ खुलकर बोल और लिख रहे हैं।"उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म 'कोई आतंकवादी पंथ नहीं'है और न ही यह हिंसा को बढ़ावा देता है।

सहगल ने कहा, "वर्तमान (राजनीतिक) हालात न सिर्फ लेखकों के लिए बल्कि किसी के लिए भी हित में नहीं हैं। जिसे भी वे पसंद नहीं करते, उनके खिलाफ मामले दर्ज कर देते हैं। उत्पीड़न और हत्याएं की जा रही हैं और बहुत ही खराब राजनीतिक माहौल है।"सम्मानित लेखिका ने कहा कि भारत ने आजादी के समय लोकतंत्र को विकास से पहले रखने का फैसला किया था और साथ ही धर्मनिरपेक्ष रहना भी तय हुआ था। इस पर सभी को गर्व होना चाहिए। महोत्सव में 'महिला लेखिकाएं : शेपिंग ए न्यू इंडिया'सत्र के दौरान 'प्रभा खैतान वुमेन्स वॉयस अवॉर्ड'की घोषणा की गई। इस पहल की सराहना करते हुए उन्होंने कहा, "मैं हमेशा महिलाओं और पुरुषों के बीच रेखा खींचने से नफरत करती रही हूं। ऐसा इसलिए है क्योंकि मेरे परिवार में पुरुष, महिलाओं के अधिकारों को पूरी तवज्जो देते हैं। मैं हमेशा से महिलाओं और पुरुषों के बीच साझेदारी में मजबूती से विश्वास रखती हूं।"

बातचीत के दौरान उन्होंने कहा, "मैंने पढ़ने के दौरान पाया कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान और नाइजीरिया के लेखक अपने देशों की राजनीतिक परिस्थितियों से राजनीतिक रूप से काफी ज्यादा जुड़े हुए हैं। भारतीय लेखक भारत की परिस्थितियों से उतना अधिक नहीं जुड़े हैं।"उन्होंने कहा, "मुझे यह नहीं पता कि यह सही मूल्यांकन है या नहीं। लेकिन जो मैंने पढ़ा उससे मुझे यह महसूस हुआ। उन्होंने अपने देशों के विभिन्न राजनीतिक हालातों के बारे में बड़ी प्रबलता से लिखा है।"

2 साल पर लगना चाहिए विश्व पुस्तक मेला

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नई दिल्ली, 14 जनवरी, दिल्ली के प्रगति मैदान में 6 जनवरी से चल रहे विश्व पुस्तक मेले का नौवें दिन रविवार को समापन हो गया। लोकप्रिय लेखकों के साथ कई युवा एवं नए लेखकों की कृतियां चर्चा का केंद्र रहीं।  इस बार देखा गया कि धर्म से जुड़ी किताबों के स्टॉल पिछले वर्षो की तुलना में ज्यादा थे। कई लोग यह कहते सुने गए कि पहले की तरह यह मेला हर साल के बजाय दो साल पर लगना चाहिए। इससे मेले के प्रति आकर्षण और बढ़ेगा। हर साल लगने वाले इस मेले में इस बार भी काफी भीड़ देखी गई। इसके बावजूद कई पाठकों और प्रकाशकों का कहना है कि उनके लिए यह अधिक उत्साहवर्धक नहीं रहा। लोगों का कहना है कि हिंदी किताबों के मंडप में लगने वाले लेखक मंच में चर्चा का स्तर भी घटा है। इस बार मेले की थीम 'पर्यावरण संरक्षण'रखा गया था। थीम मंडप को आकर्षक ढंग से सजाया गया और इस विषय से संबंधी किताबें रखी गई थीं। इस मंडप के मंच पर पर्यावरण के बारे में परिचर्चाएं भी आयोजित की गईं।

एक प्रकाशक सरिता प्रसाद ने बातचीत के दौरान बताया कि वह लगभग सात सालों से इस विश्व पुस्तक मेले में आ रही हैं। लोग किस तरह की किताबों की मांग करते हैं, यह पूछने पर उन्होंने कहा, "लोग हमारे स्टॉल पर आकर सबि शर्मा, अश्विन सांघी, रुचिता दिवेकर जो फिटनेस पर लिखती हैं और अमीश जैसे लेखकों की किताबों की ज्यादा मांग करते हैं।"उन्होंने आगे बताया कि लोग पुस्तक मेले में आते हैं तो उन्हें अनेक नए लेखकों के बारे में भी पता चलता है। यहां कई भाषाओं की किताबें मिल जाती हैं, जैसे अंग्रेजी, हिंदी, उर्दू, पंजाबी, मराठी, मैथिली, तमिल, तेलुगू, ओड़िया और कन्नड़ समेत देश की कई भाषाओं की किताबें। कल्पना प्रकाशन के देवेंद्र ने बताया कि वह करीब पिछले चौदह सालों से यहां आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि वह सामाजिक विज्ञान और हिंदी मीडियम की सारी किताबें उपलब्ध कराते हैं। उन्होंने बताया कि लोग हमारे यहां साहित्य की किताबें लेना ज्यादा पसंद कर रहे हैं। इस बार युवा पीढ़ी में ज्यादा उत्साह देखने को मिला। टाट बाबा फाउंडेशन के डी.बी. शर्मा ने बताया कि वह सद्गुरु आनंददेव टाट बाबा जी द्वारा लिखित मेडिटेशन की किताबें रखते हैं। शर्मा ने विश्व पुस्तक मेले को लेकर अपना उद्देश्य बताते हुए कहा कि वह मेडिटेशन को लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं, ताकि लोग खुद में परिवर्तन लाएं और मेडिटेशन करके तनावमुक्त रहें। उन्होंने बताया कि वह वर्ष 1995 से इस पुस्तक मेले में आ रहे हैं। वह चाहते हैं कि यह मेला दो साल में एक बार होना चाहिए, क्योंकि हर साल मेला लगने से इसके प्रति लोगों का आकर्षण खत्म होता जा रहा है।

योगपथ प्रकाशन की मधुलेखा मित्रा ने कहा, "हम लोगों को एक ही किताब देते हैं, जो योग के बारे में है।"उन्होंने यहां आने का अपना उद्देश्य बताते हुए कहा, "हम लोगों को बताना चाहते हैं कि उन्हें योग संबंधी चार या पांच किताबें खरीदने की जरूरत नहीं है, बल्कि उन्हें हमारे यहां की एक ही किताब में सबकुछ मिल जाएगा।"उन्होंने कहा, "मेरा अनुभव यहां बहुत अच्छा रहा, मुझे यहां आकर बहुत कुछ सीखने को मिला।"मेले में किताब खरीदने आईं दिल्ली यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर सुजाता ने बताया कि वह 6 जनवरी से ही रोज मेले में आ रही हैं। उन्होंने कहा, "पिछली बार की तुलना में इस बार लोगों में ज्यादा उत्साह देखने को मिला। मुझे लगता है कि लेखक मंच ने स्तरीयता के मामले में लोगों को थोड़ा निराश किया है। मंच पर पहले बहुत अच्छे स्तरीय प्रोग्राम हुआ करते थे, लेकिन इस बार लेखक मंच का स्तर थोड़ा गिरा है।"संवाद प्रकाशन के स्टॉल पर किताब खरीदने आईं सविता कौशिक ने बताया, "इस स्टॉल पर महिलाओं के लिए काफी अच्छी किताबें हैं। मैंने स्त्री-विमर्श की किताबें देखी हैं, जो पिछली बार नहीं थी। ताराबाई शिंदे की 'स्त्री-पुरुष की तुलना'अच्छी किताब मानी जाती है, जो यहां मिल गई। पंडित रमाबाई की किताब भी मुझे यहीं मिली।"इस बार मेले में देश के लगभग 850 और अन्य देशों के लगभग 40 प्रकाशकों ने हिस्सा लिया। मेले की खास बात यह रही कि हंसध्वनि थिएटर के मंच पर हर शाम लोकगीत, लोक और शास्त्रीय नृत्य के अलावा कई नाटकों का मंचन व मुशायरे का आयोजन हुआ।

गूगल ने महाश्वेता देवी को समर्पित किया डूडल

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नई दिल्ली, 14 जनवरी, सर्च इंजन गूगल ने रविवार को जानी-मानी लेखिका व सामाजिक कार्यकर्ता महाश्वेता देवी को उनकी 92वीं जयंती पर अपने डूडल के जरिए श्रद्धांजलि दी। 14 जनवरी 1926 को ढाका (बांग्लादेश) में जन्मी महाश्वेता देवी बंगाली लेखिका थीं, जिन्हें कई साहित्य पुरस्कारों जैसे साहित्य अकादमी अवॉर्ड (बंगाली), ज्ञानपीठ अवॉर्ड, रमन मैगससे अवॉर्ड से नवाजा गया। उन्हें पद्मश्री और पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया गया। 28 जुलाई 2016 को कोलकाता में उनका निधन हो गया। उनकी प्रसिद्ध साहित्यिक रचनाओं में 'हजार चुराशिर मां', 'रुदाली'और 'अरण्येर अधिकार'शामिल हैं। महाश्वेता देवी ने 100 से ज्यादा उपन्यास लिखे। उनका पहला उपन्यास 'झांसीर रानी'था। झांसी की रानी लक्ष्मीबाई पर आधारित यह उपन्यास 1956 में प्रकाशित हुआ था। पत्रकारिता, साहित्य और रचनात्मक संचार कला में योगदान देने के लिए साल 1997 में उन्हें रमन मैगसेसे अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। महाश्वेता देवी को साहित्य में योगदान देने के लिए 2003 में प्रतिष्ठित पुरस्कार 'ऑरद्रे देस आर्ट्स एत देस लेटर्स'से भी सम्मानित किया गया था।

नए युग के मनोरंजन में अवसरों का विस्तार हुआ है : नोरा फतेही

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मुंबई, 14 जनवरी, थ्रिलर फिल्म 'माइ बर्थडे सॉन्ग'में मुख्य भूमिका में नजर आने वाली मॉडल-अभिनेत्री नोरा फतेही ने कहा कि डिजिटल मनोरंजन मंचों के उद्भव ने कलाकारों को अपनी प्रतिभा को उभारने के अधिक अवसर दिए हैं।  'रॉकी हैंडसम'और 'बाहुबली : द बिगनिंग'में अतिथि भूमिका निभाने वाली नोरा 19 जनवरी को रिलीज होने वाली अपनी फिल्म को लेकर उत्साहित हैं। उन्होंने कहा, "कैमरे के सामने प्रदर्शन करना एक अलग चीज है और एक पूरी फिल्म शूटिंग करना अलग है। मैंने किसी फिल्म की प्रतीक्षा करने के बजाए मैंने हर उस चीज को किया जो मेरे सामने आई। मुझे लगता है कि यह आज के नए मनोरंजन युग का सबसे अच्छा हिस्सा है।"उन्होंने कहा, "किसी को अवसरों को लेकर निराश नहीं होना पड़ रहा है फिर चाहें वह फिल्म हो, लघु फिल्म हो या कोई वेब श्रृंखला या टीवी शो। मनोरंजन के लिए अवसरों का विस्तार हो गया है।"'माइ बर्थडे सॉन्ग'की शूटिंग के शुरुआती दिनों में नोरा थोड़ा चिंतित थीं। लेकिन, उनके सह-कलाकारों व निर्देशक के प्रोत्साहन के बाद उनके अंदर आत्मविश्वास आ गया। उन्होंने कहा, "मुझे फिल्मों को लेकर कोई अनुभव नहीं था। इसलिए मैं सोचती थी कि संजय सूरी और समीर सोनी जैसे अनुभवी लोगों के साथ काम करने में डर लगेगा। लेकिन, मैं कहना चाहूंगी कि इन लोगों ने बहुत प्रोत्साहन दिया। जब मैं अच्छा शॉट देती थी तो वे ताली बजाते थे।"

केवल एक पीढ़ी को ही आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए : सोनम वांगचुक

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नई दिल्ली, 14 जनवरी, लद्दाख के शिक्षा सुधारक और अन्वेषक सोनम वांगचुक का कहना है कि आरक्षण नीति के तहत मिलने वाले लाभों को किसी परिवार की एक पीढ़ी तक ही सीमित रखा जाना चाहिए। जिन परिवारों की एक पीढ़ी ने आरक्षण का लाभ ले लिया, उन्हें इस अधिकार को छोड़ देना चाहिए और अपनी अगली पीढ़ी को नहीं देना चाहिए।  फिल्म '3 इडियट्स'में आमिर खान द्वारा निभाया गया प्रेरणादायक किरदार फुनशुक वांगडू शिक्षा सुधारवादी सोनम वांगचुक से ही प्रेरित था। वह कहते हैं कि शैक्षिक संस्थानों में सीटों में आरक्षण और रोजगार में आरक्षण देने वाली नीति में संशोधन किया जाना चाहिए और उसे एक परिवार में एक पीढ़ी तक ही सीमित रखा जाना चाहिए। वांगचुक ने एक साक्षात्कार में कहा, "हमारे यहां जो लोग आरक्षण के हकदार हैं, उन्हें इसका लाभ नहीं मिल रहा है। जिन्हें ये लाभ मिल रहे हैं, उन्होंने शीर्ष पर एक क्रीमी लेयर बना लिया है।"आर्थिक स्थिति के आधार पर आरक्षण की आवश्यकता पर बात करते हुए वांगचुक ने कहा कि मौजूदा आरक्षण नीति में सुधार की आवश्यकता है। वांगचुक शिक्षा प्रणाली में बदलाव लाने और प्रशिक्षण के व्यावहारिक पहलुओं पर अधिक जोर देने के उद्देश्य के साथ लद्दाख में हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव्स (एचआईएएल) विश्वविद्यालय खोलने की योजना बना रहे हैं।

विश्वविद्यालय के बारे में बात करते हुए वांगचुक ने कहा कि हालांकि अभी कोई ठोस योजना नहीं है लेकिन एक सोच यह है कि चूंकि 'पहाड़ इस संस्थान का मूल होंगे', इसलिए 50 फीसदी सीटों को लद्दाख के युवाओं के लिए अलग रखा जाना चाहिए। एचआईएएल एक गैर-पारंपरिक विश्वविद्यालय होगा जो छात्रों को पर्वतों की जानकारी और पर्वतीय क्षेत्रों के विकास का प्रशिक्षण देगा ताकि वे पहाड़ों में रहते हुए धन अर्जित कर सकें। आईआईटी से पढ़े अन्वेषक ने मौजूदा शिक्षा प्रणाली पर भी अपने विचार साझा किए जिसके बारे में कहा जा रहा है कि कुछ हद तक यह बेरोजगार इंजीनियरों को पैदा करने के लिए जिम्मेदार है। उन्होंने कहा, "मैं दो चीजें देख रहा हूं। पहला ये कि जिस तरह से छात्रों को सिखाया जाता है उस तरीके को बदला जाए ताकि उन्हें उपयोगी और प्रासंगिक ज्ञान हासिल मिले। दूसरी चीज यह है जो उतनी ही महत्वपूर्ण है कि क्यूं हर कोई व्यक्ति सोचता है कि उसे कोई शख्स, कंपनी या सरकारी संस्थान नौकरी पर रख ले। शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जो छात्र के अंदर अपने कौशल को उभारकर और उसका इस्तेमाल कर खुद आगे बढ़ने को प्रेरित कर सके।"

वांगचुक को उम्मीद है कि उन्हें उनकी परियोजना के लिए 26 जनवरी तक सात करोड़ रुपये मिल जाएंगे जो देश के दुर्गम लद्दाख क्षेत्र में एक विश्वविद्यालय के पहले पाठ्यक्रम को शुरू करने के लिए जरूरी 14 करोड़ रुपये का आधा हिस्सा है। इस पाठ्यक्रम का नाम इंटीग्रेटेड माउंटेन डेवलपमेंट कोर्स होगा। उन्होंने कहा कि अब तक आम लोगों से 4.6 करोड़ रुपये मिल चुके हैं। बाकी की राशि औद्योगिक संस्थानों की पहल कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (सीएसआर) के जरिए 26 जनवरी तक इकट्ठी होने की उम्मीद है। वांगचुक के अनुसार, "कॉपोरेट सेक्टर से जैन इरिगेशन सिस्टम्स कंपनी ने हमेशा समर्थन किया है। इसी तरह एसेल और हाल ही में सार्वजनिक क्षेत्र की गैस कंपनी पेट्रोनेट एलएनजी ने हमारी परियोजना में रुचि दिखाई है और ये सभी हमारे लिए प्रतिबद्ध हैं।"सार्वजनिक क्षेत्र की पांच संस्थाओं ने परियोजना के लिए पांच करोड़ रुपये की राशि देने के लिए प्रतिबद्धता जताई है जिनमें भारतीय रेलवे, कोल इंडिया शामिल हैं। वह कहते हैं, "चूंकि, यह सरकार का पैसा है, इसलिए इसे हम हमारी सहयोगी हिल काउंसिल ऑफ लद्दाख के माध्यम से हासिल कर सकते हैं।"वांगचुक विश्वविद्यालय को मान्यता दिलाने के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से संपर्क नहीं करेंगे। इसके बजाए वह उम्मीद करते हैं कि जम्मू और कश्मीर सरकार राज्य विधानसभा में एक विधेयक पारित करेगी जो संस्थान को राज्य विश्वविद्यालय के रूप में मान्यता देगा।

शेयर बाजार : आर्थिक आंकड़े, तिमाही नतीजे तय करेंगे चाल

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मुंबई, 14 जनवरी, अगले सप्ताह शेयर बाजार की चाल प्रमुख कंपनियों की दूसरी तिमाही के तिमाही नतीजे, घरेलू और वैश्विक व्यापक आर्थिक आंकड़े, वैश्विक बाजारों के प्रदर्शन, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) और घरेलू संस्थापक निवेशकों (डीआईआई) द्वारा किए गए निवेश, डॉलर के खिलाफ रुपये की चाल और कच्चे तेल की कीमतों के आधार पर तय होंगे। अगले सप्ताह जिन प्रमुख कंपनियों के तिमाही आंकड़े जारी होंगे, उनमें अडाणी पॉवर, हिन्दुस्तान यूनीलीवर और जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज के अक्टूबर-दिसंबर (2017) तिमाही के आंकड़े बुधवार (17 जनवरी) को जारी होंगे। अडानी एंटरप्राइजेज, अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकॉनमिक जोन, भारती एयरटेल, हिन्दुस्तान जिंक, अल्ट्राटेक सीमेंट और यस बैंक के अक्टूबर-दिसंबर (2017) तिमाही के आंकड़े गुरुवार (18 जनवरी) को जारी होंगे। एचडीएफसी बैंक, आईडीएफसी बैंक, आईटीसी, कोटक महिंद्रा बैंक और विप्रो के अक्टूबर-दिसंबर (2017) तिमाही के आंकड़े शुक्रवार (19 जनवरी) को जारी होंगे।

शेयर बाजार में अगले सप्ताह उतारचढ़ाव का दौर जारी रहेगा, क्योंकि आम बजट की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। हाल के मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, संसद का बजट सत्र 29 जनवरी से शुरू होगा और वित्त वर्ष 2018-19 का आम बजट 1 फरवरी को पेश किया जाएगा। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को 29 जनवरी को संबोधित करेंगे। देश का आर्थिक सर्वेक्षण भी उसी दिन सदन के पटल पर रखा जाएगा। बजट सत्र का पहला चरण 29 जनवरी से शुरू होकर 9 फरवरी तक चलेगा। उसके बाद उसका दूसरा सत्र 5 मार्च से शुरू होकर 6 अप्रैल तक चलेगा। व्यापक आर्थिक मोर्चे पर, सरकार थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) पर आधारित मुद्रास्फीति के दिसंबर (2017) के आंकड़े सोमवार (15 जनवरी) को जारी करेगी। नवंबर में डब्ल्यूपीआई 8 महीनों के उच्च स्तर पर 3.9 फीसदी पर थी, जबकि अक्टूबर में यह 3.6 फीसदी पर थी। 

वैश्विक मोर्चे पर, अमेरिकी बाजार सोमवार को मार्टिन लुथर किंग जूनियर दिवस के अवसर पर बंद रहेंगे। ब्रिटेन के उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) का दिसंबर (2017) का आंकड़ा मंगलवार (16 जनवरी) को जारी किया जाएगा। चीन के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का आंकड़ा मंगलवार (16 जनवरी) को जारी किया जाएगा। अमेरिका के कच्चे तेल की इंवेंटरी का आंकड़ा गुरुवार (18 जनवरी) को जारी किया जाएगा। ब्रिटेन की कुल खुदरा बिक्री का दिसंबर का आंकड़ा शुक्रवार (19 जनवरी) को जारी किया जाएगा।
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