Quantcast
Channel: Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)
Viewing all 74327 articles
Browse latest View live

विशेष आलेख : गलती का अधिकार मिला तो भारत में क्या होगा

$
0
0
rights-and-duties-india
नागरिकों को गलती करने का अधिकार देना सचमुच साहस की बात है लेकिन क्या फ्रांस की तरह भारत में भी नागरिकों को गलती करने का अधिकार दिया जा सकता है? पहली बात तो भारत में ऐसा संभव नहीं है और अगर ऐसा हुआ भी तो इसकी परिणिति की कल्पना सहज ही की जा सकती है? फ्रांस के लोग कानून की अहमियत समझते हैं। वे गलती करते वक्त भी सौ बार सोचेंगे लेकिन भारत में ऐसा नहीं है। यहां लोग गलतियां भी करेंगे और स्वीकारेंगे भी नहीं। अपनी गलतियों का ठीकरा दूसरों पर फोड़ने की राजनीति तो यहां रोज ही होती है। यहां आदमी सहूलियत का पंजा पहले पकड़ता है और इसके बाद कब पहुंचे मतलब हाथ के अंतिम छोर तक पहुंच जाता है, पता ही नहीं चलता। यहां गलती करने में भी सुविधा का संतुलन देखा जाता है। रियायत को लोग अधिकार समझ लेते हैं।  भारत के लोग गलती करने से इसलिए बचते हैं क्योंकि उन्हें डर होता है कि वे दंडित किए जा सकते हैं लेकिन जब उन्हें यह ज्ञात हो जाए कि गलती करना उनका अधिकार है तो फिर यहां गलतियों की बाढ़ आ जाएगी। विदेशों में तो प्रशासन यह तय भी कर लेगा कि गलती अनजाने में हुई है या जान बूझकर, लेकिन भारत में जांच में भी गलती को अधिकार मान लिया जाएगा। पहली गलती माफ हो जाएगी, इस विचार के दृढ़ होते ही देश में अपराधों की बूम आ जाएगी। यह सच है कि गलती आदमी से ही होती है। भारत के बुद्धिजीवी हमेशा इस बात की दलील देते रहे हैं कि जो काम करेगा, गलती उसी से होगी, जो काम ही नहीं करेगा, उससे गलती क्या खाक होगी। भारत में तो क्षमा को बड़प्पन की निशानी कहा गया है। ‘क्षमा बड़न को चाहिए छोटन को अपराध।’

  भारत में हर अपराध की सजा दंड ही नहीं है। अदालतें भी निर्णय देते वक्त इस बात का नीर-क्षीर विवेक करती हैं कि अपराध जान बूझकर किया गया है या गलती से हो गया है। दंड देते वक्त देश के विद्वान जज इस पर चिंतन जरूर करते हैं। ऐसे में नहीं लगता कि भारत में अलग से गलती का अधिकार देने वाला कोई कानून बनाने की जरूरत भी है। यह अलग बात है कि कभी दुनिया भारत की ओर देखती थी और आज भारत दुनिया को ओर देखता है। इस प्रवृत्ति को बदलने की जरूरत है। हम अपने भाग्य के निर्माता क्यों नहीं बन सकते? और यह तब तक संभव नहीं है जब तक कि हम औरों के प्रति उदार और अपने प्रति कठोर नहीं हों। गलतियों पर हर आदमी की जीरो टालरेंस की नीति होनी चाहिए। गलतियों पर समाज ध्यान दे या न दे, अदालतों से सजा मिले या न मिले लेकिन अगर गलतियों को लेकर खुद के मन में पीड़ा और पश्चाताप का हाहाकार न हो तो समझा जाना चाहिए कि हम अभी मनुष्य कहलाने योग्य नहीं बन पाए हैं। आचार्य रजनीश ने लिखा है कि गलती भी करें तो होश में रहकर। होश में रहकर गलती नहीं हो सकती है। गलती करने के लिए होश की नहीं, जोश की जरूरत होती है। विकथ्य है कि फ्रांस की इमैनुएल मैक्रों सरकार ने लोगों को गलती करने का अधिकार दिया है। इसके लिए उसने बाकायदा कानून भी बना दिया है। शर्त यह रखी गई है कि गलती अच्छी नीयत से की जाए। राइट टू मेक मिस्टेक नामक इस कानून को फ्रांसीसी सरकार विश्वसनीय समाज की आधारशिला मान रही है। मैक्रों ने चुनाव प्रचार के दौरान इस तरह का कानून बनाने का वादा किया था। इस लिहाज से फ्रांस की नेशनल असेंबली में सांसदों ने पूर्व कानून में संशोधन किया था। इस कानून के तहत सरकारी कामकाज के दौरान की गई पहली गलती माफ कर दी जाएगी। प्रशासन चाहे तो इस बात की जांच कर सकता है कि गलती के पीछे नीयत अच्छी रही या नहीं रही। स्वास्थ्य, पर्यावरण, सुरक्षा जैसे कुछ मामले को इस कानून से अलग रखा गया है।

 संभव है कि विपक्षी दलों को फ्रांस सरकार का यह प्रयोग रास भी आए और वे देर-सवेर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर इस तरह का कानून बनाने का दबाव भी बनाएं। ऐसे में क्या सरकार को देशवासियों को गलती का अधिकार देने वाला कानून बनाना चाहिए। गलती करनी चाहिए या नहीं, यह अपने आप में बड़ा सवाल है। गलती जानबूझकर हुई है या अनजाने में, यह हमेशा विचार का विषय रहा है। भारतीय बुद्धिजीवियों का गलतियों को लेकर हमेशा उदारवादी रवैया रहा है। उनका मानना है कि गलती मनुष्य से ही होती है। गलतियों से हमें सुधरने का मौका मिलता है। जो घोड़े पर सवार होता है, गिरता भी वही है। इस दलील का स्वागत किया जाना चाहिए। करके सीखने का जो सिद्धांत है, उसकी भी आत्मा यही है कि गलतियों से ही व्यक्ति सीखता है। अब सवाल उठता है कि क्या इसे कानूनी जामा भी पहनाया जाना चाहिए, जैसा कि फ्रांस की मौजूदा सरकार ने किया है।   भारत में लोग गलतियां न करें। गरुड़ पुराण में बताया गया है कि यमलोक में किस गलती की क्या सजा है। अगर आदमी गरुड़ पुराण पढ़ ले या सुन ले तो वह गलतियों से लगभग तौबा कर लेगा लेकिन इस देश में बहुत बड़ा तबका ऐसा भी है जो इसे भय का कारोबार ठहराने में भी संकोच नहीं करता। पूरा भारतीय धर्मदर्शन देश के आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक स्वास्थ्य के दृष्टिगत पथ्य का काम करता है। वहां यह बात दृढ़ता से कही गई है कि ‘सचिव, वैद्य, गुरु तीजि जो प्रिय बोलहिं भय आस। राज, धर्म, तन तीनि कर होंहि बेगहि नास।’ आज सचिव, चिकित्सक और गुरु क्या कर रहे हैं, यह किसी से छिपा नहीं है। बुनियाद में ही कमी हो तो भवन की मजबूती की उम्मीद की भी कैसे जा सकती है?

 जब पूरा देश 69 वां गणतंत्र दिवस मना रहा था, तब  कांग्रेस, एनसीपी समेत देश के 18 राजनीतिक दल मुंबई में ‘संविधान बचाओ’रैली निकाल रहे थे। महाराष्ट्र में पिछले महीने आक्रामक प्रदर्शन हुए थे। विवाद को मराठों और दलितों के बीच मतभेद को जोड़कर देखा गया था। पता चला कि गुजरात कांग्रेस के दलित विधायक जिग्नेश मेवाणी और पाकिस्तान जिंदाबाद का नारा लगाने वाले एक मुस्लिम छात्रनेता उमर खालिद की भडकाउ टिप्पणियों के चलते महाराष्ट्र के कई जिलों में तनाव के हालात बने थे। यह बात खुलकर सामने आ गई है कि चाहे गुजरात का पाटीदार आंदोलन हो या उना का कथित दलित उत्पीड़न कांड, इसके मूल में कांग्रेस और उसके विदेशी कनेक्शन की अहम भूमिका रही। ‘संविधान बचाओ’रैली को पहले मराठा और फिर दलित आंदोलन से उपजे गुस्से को विपक्ष भुनाना चाहता है। क्या यह गलती नहीं है? 

 अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर इस तरह की गलती को किए जाने का अधिकार क्या विपक्ष को कानूनी तौर पर दिया जाना चाहिए। जो फारुख अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला कश्मीर के पत्थरबाजों के मौलिक अधिकारों का वास्ता देते हैं। जो पाक अधिकृत कश्मीर को पाक का हिस्सा बताते हैं, यह जानते हुए भी है कि वह भारत का हिस्सा है, वे किस मुंह से संविधान को बचाने की बात करते हैं। उमर अब्दुल्ला कह रहे हैं कि देश को बचाने के लिए संविधान को बचाना होगा। उन्हें हरियाणा के स्कूल बस में बैठे बच्चों की सुरक्षा की चिंता है लेकिन जम्मू-कश्मीर के स्कूलों पर हो रही पाकिस्तान की गोलीबारी उन्हें नजर नहीं आती। उन्हें कश्मीरी पत्थरबाजों के मानवाधिकार नजर आते हैं लेकिन कश्मीर बचाने में जुटी सेना के मानवाधिकार उन्हें कभी नजर नहीं आए। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के प्रेसिडेंट सांसद असदुद्दीन ओवैसी को ट्रिपल तलाक को प्रतिबंधित करने वाला बिल मुस्लिमों के खिलाफ साजिश नजर आता है। ओवैसी मानते हैं कि कानून बनाकर महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध नहीं रोके जा सकते। दहेज प्रथा को गैरकानूनी करार देने से क्या दहेज के मामले कम हो गए? इसका मतलब तो यह हुआ कि देश में कोई कानून होना ही नहीं चाहिए। जब कानून है तो ये हालात हैं, नहीं होगा तो क्या होगा? 

 कांग्रेस नेताओं को लगता है कि कोई संगठन संविधान और उसकी मूल सिद्धांतों को बदलने की कोशिश कर रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऐलानिया तौर पर इस बात को कई बार कह चुके हैं कि भारत का एक ही धर्म है राष्ट्रधर्म और एक ही धर्मग्रंथ है और वह है संविधान। इसके बाद भी गणतंत्र दिवस पर संविधान बचाओ रैली निकालना क्या जायज है। रैली ही निकालनी थी तो शरद यादव बिहार में निकाल सकते थे। उमर अब्ुल्ला जम्मू कश्मीर में निकाल सकते थे। हार्दिक पटेल गुजरात में निकाल सकते थे। 18 दलों के नेता महाराष्ट्र में भी ऐसा करने को क्यों विवश हुए? इस राजनीतिक साजिश को गलती माना जाएगा या नहीं, यह तो वक्त तय करेगा और इस देश की जनता तय करेगी लेकिन इन षड़यंत्रों से देश मजबूत तो नहीं होता।

  यह सच है कि भाजपा ने तिरंगा रैली निकालकर अपने विरोधियों को जवाब दिया। इसे संविधान सम्मान रैली का नाम दिया गया। गणतंत्र दिवस पर प्रभात फेरी और तिरंगा रैली निकालने का सिलसिला आजादी से लेकर आज तक चला आ रहा है। देश में पाकिस्तान का झंडा फहराने और भारत माता की जय बोलने वालों पर हमले करने वालों को भी विपक्षी दल गलत नहीं मानते। इसमें भी उन्हें सत्तारूढ़ दल की नीतियां ही गलत लगती हैं। हर राज्य में कुछ ऐसे भी क्षेत्र हैं जिन्हें मिनी पाकिस्तान कहा जाता है। यहां इसी देश के लोग रहते हैं जो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर देशद्रोह का खेल खेलते हैं। लोकतंत्र तो तब मजबूत होता है जब देश के नागरिक विश्वसनीय हों। ‘अपना काम बनता, भाड़ में जाए जनता’ वाली रीति-नीति तो पतन-पराभव की ही वजह बनती है। अपने लिए तो सभी काम करते हैं लेकिन देश के लिए काम करने वालों की तादाद अंगुलियों पर गिनने भर है।   इस देश में कड़े कानून और उस पर अमल कराने वाले सख्त प्रशासक ही चाहिए। लोकतंत्र के चारों ही स्तंभों पर अंगुलियां उठ रही हैं। इस पर ध्यान देने की जरूरत है। देश का हर नागरिक एक दूसरे को सुधारने के लिए चेष्टारत है। जब तक हर इंसान खुद नहीं सुधरेगा, तब तक देश का सुधार कैसे होगा? हम सुधरेंगे, युग सुधरेगा। बदलाव की शुरुआत तो खुद से ही करनी होगी। जब तक हमारी जिंदगी में अच्छी किताबों का समावेश नहीं होगा तब तक गलतियां होती रहेंगी।   




--सियाराम पांडेय ‘शांत’--

राष्ट्रीय रोप चैंपियनशिप विजेता बनकर लौटी दिल्ली टीम भव्य स्वागत

$
0
0
delhi-won-national-rope
नई दिल्ली। भोपाल के भेल स्पोर्ट्स काम्प्लेक्स के 26 से 28 जनवरी तक आयोजित हुई 18 वीं राष्ट्रीय रोप स्किपिंग के लगभग सभी पदक  जीत कर ओवरऑल ट्राफी पर कब्ज़ा करके दिल्ली टीम वापिस लौट आयी।दिल्ली के हज़रत निज़ामुद्दीन रेलवे स्टेशन पर जैसी ही दिल्ली टीम पहुंची तो फिज़िकल एजुकेशन फेडरेशन ऑफ़ इंडिया में सचिव और आर एस एफ आई बोर्ड के सदस्य पियूष जैन के सैंकड़ों रोप स्किपिंग खेल प्रशसंकों और अभिभावकों के साथ दिल्ली टीम का ढोल नगाड़े बजाकर फुल मालाओं से भव्य स्वागत किया। इस अवसर पर दिल्ली के महासचिव निर्देश शर्मा,कोषाध्यक्ष एवं मीडिया प्रभारी अशोक कुमार निर्भय,टीम मैनेजर रामकुमार शर्मा,मुख्य तकनीकी प्रशिक्षक विवेक सोनी, प्रशिक्षक दीपक कुमार,आज़िम खान,हरीश सैनी,सुश्री हेमलता निषाद,सचिन कुमार और दिल्ली टीम के सभी बालक बालिका वर्ग के विजताओं को फूलों की माला पहनाकर स्वागत किया गया।  दिल्ली टीम की जीत की ख़ुशी में खिलाडियों और प्रशंसकों ने जमकर डांस करके खुशियों का इजहार किया। रेल सुरक्षा में लगे कर्मचारियों ने भी इस जीत पर खिलाडियों को शुभकामनाएं दीं।  

सनातन ज्योतिष पर नई पुस्तक "ज्योतिष विचार"

$
0
0
new-book-on-astrology
आर्यावर्त डेस्क, कोलकाता ,सनातन ज्योतिष पर जाने माने ज्योतिष और प्रशिक्षक अर्जुन चक्रवर्ती की 128 पन्नों की नई पुस्तक "ज्योतिष विचार "ज्योतिष विधा के जानकारों , ,छात्रों,और आम जनों के लिए मील का पत्थर साबित होगा. पुस्तक की विवेचना करते हुए प्रख्यात वास्तुविद ,ज्योतिष एवं मरीन अभियंता तमोजित चकवर्ती ने बताया कि 29 अध्यायों में विभक्त "ज्योतिष विचार"पुस्तक की सबसे बड़ी विशेषता इसकी सरल भाषा शैली है. ज्योतिष विधा के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालती यह पुस्तक छात्रों के लिए सहज शैली की वजह से मार्गदर्शन और उपयोग के लिए रामबाण के समान  है. अंग्रेजी भाषा में लेखक अर्जुन चक्रवर्ती द्वारा लिखित पुस्तक ज्योतिष विचार का बांगला अनुवाद अभिषेक साहा ने किया है. शख्त जिल्द वाली 128 पृष्ठों की 250 रुपये कीमत की यह पुस्तक ज्योतिष शास्त्र के शिक्षार्थियों, ज्योतिषियों,शोधार्थियों और ज्योतिष विज्ञानं में रूचि रखने वाले पाठकों के लिए गागर में सागर के सामान है.

गाँधी आज भी प्रासांगिक हैं- छब्बन

$
0
0
gandhi-still-matter
जमशेदपुर, (आर्यावर्त डेस्क), गाँधी कोई एक व्यक्ति नहीं अपितु एक सम्पूर्ण संस्था थे और महात्मा गाँधी आज भी उतने ही प्रासांगिक हैं जितने अपने जीवन काल में थे. सत्य ,अहिंसा और सर्वधर्म सदभाव की अविरल धारा ने ही गाँधी जी को गाँधी से महात्मा गाँधी बना दिया. राष्ट्रपिता मोहन दास करम चंद्र गाँधी की 7० वीं पुण्यतिथि पर आज जमशेदपुर के बिष्टुपुर अपना बाजार प्रांगण में श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए  कांग्रेस के वयोवृद्ध नेता एस.आर.ए.रिज़वी छब्बन ने कहा कि गाँधी के आदर्शों पर चल कर उनके सपनों के भारत का निर्माण करना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी. कार्यक्रम का सञ्चालन विजय सिंह और धन्यवाद् ज्ञापन रहमान ने किया.कार्यक्रम में कमलेश पांडेय,अजय मिश्रा,प्रमोद कुमार झा,कमल कांत शुक्ला,सनाउल्लाह अंसारी,मो.अनवर,मुस्ताक,रवि सोनकर,संजय आज़ाद,सूफियान आदि उपस्थित थे.

आदिवासी नृत्य व पंची परिधान की होगी प्रतियोगिता-एसडीओ राकेश कुमार

$
0
0
■■ भव्य और आकर्षक होगा हिजला मेला :  वर्ष 2018 के राजकीय जनजातीय  हिजला मेला में दुकान का दर होगा बेहद कम। मेले में साफ सफाई की होगी मुकम्मल व्यवस्था। पहली बार लगाई जायेगी आदिवासी म्यूजियम


hijla-mela-dumka
दुमका (अमरेन्द्र सुमन) राजकीय जनजातीय हिजला मेला महोत्सव 2018 को भव्य व आकर्षक बनाए रखने में कोई कोर कसर बाकी नहीं रखी जाएगी। अधिक से अधिक लोग दुकानों के माध्यम से रोजगार कर सकें इस हेतु मेला में दुकानों का दर बेहद कम कर दिया गया है। एसडीओ सह सचिव राजकीय जनजातीय हिजला मेला राकेश कुमार ने दिन मंगलवार (30 जनवरी 2018) को मेला परिसर के बाहरी प्रशाल में आयोजित हिजला मेला खेलकूद संघ, कला संस्कृति संघ व अन्य आयोजन समिति के सदस्यों के साथ-साथ हिजला पंचायत के ग्रामीणों के साथ बैठक में उपरोक्त बातें कही। एसडीओ ने कहा कि प्रत्येक वर्ष बाहरी कला मैदान में होने वाले आदिवासी नृत्य कला का प्रदर्शन इस बार मंच पर किया जाएगा। साथ ही इसके लिए प्रतियोगिताएँ  आयोजित होंगी। प्रतियोगिता में प्रत्येक नृत्य दल में पुरुषों को 11 में से कम से कम 8 तथा महिलाओं को 11 में से कम से कम 6 नृत्य प्रस्तुत करना अनिवार्य होगा। प्रत्येक नृत्य दल की प्रस्तुति में कम से कम 3  विलुप्त हो रही नृत्य शैली बाहा, गोलबरी व छठिहरी का प्रदर्शन करना अनिवार्य होगा। विजेता कला दल को क्रमशः 50,000-00, 40, 000-00 व 30, 000-00 का नकद पुरस्कार दिया जाएगा। शेष अन्य कला दल को 3, 000-00 दिया जाएगा। श्री कुमार ने इस प्रतियोगिता के लिए 11 फरवरी तक सभी कला दलों को आवेदन प्रस्तुत कर देने का निर्देश दिया है। एसडीओ श्री कुमार ने कहा कि इस वर्ष पुरुषों व महिलाओं के लिए अलग-अलग पंछी प्रदर्शन की प्रतियोगिता भी आयोजित की जाएगी। मेले में आदिवासी जीवनवृत्ति पर आधारित म्यूजियम भी लगाया जाएगा, जिसमें आदिवासी जीवन शैली को भलीभांति दर्शाया जाएगा। उन्होंने  कहा कि मेले को इस बार पूरी तरह व्यवस्थित किया जाएगा जिसमें घरेलु सामान से लेकर महिलाओं से संबंधित, अच्छे प्रकाशकों की पुस्तकें, खेलकूद, बाल मनोरंजन, खाने-पीने आदि के लिए अलग-अलग जोन में मेले के अंदर व्यवस्था की जाएगी। गत वर्ष मेला में दुकान के लिए लगाए गए विभिन्न स्टाॅलों के खाली रह जाने पर एसडीओ ने चिंता व्यक्त की तथा कहा कि इस बार मेले में दुकानों का दर बेहद कम रखा जाएगा ताकि अधिक से अधिक दुकान करने वाले मेले के अंदर अपना रोजगार कर सकेंगे। एसडीओ श्री कुमार ने मेले में साफ-सफाई की व्यवस्था को दुरुस्त बनाए रखने के निर्देश भी दिये ताकि मेले के अंदर दूकानदार अपनी-अपनी दुकान के समीप डस्टबिन रखेंगे। जिनके दुकान के आगे डस्टबिन नहीं होगा उनसे जुर्माना वसूल किया जाएगा। इससे पूर्व एसडीओ सहित तमाम लोगों ने मेला के सफल आयोजन के लिये हिजला मेला परिसर स्थित दिशोम मरांग बुरु थान में पारम्परिक रुप से पूजा अर्चना की। बैठक में एसडीओ राकेश कुमार सहित प्रशिक्षु आईएएस  विशाल सागर, नगर पर्षद अध्यक्ष अमिता रक्षित, डीएसपी रोशन गुड़िया, जिला सूचना एवं जनसंपर्क पदाधिकारी सैयद राशिद अख्तर, नगरपालिका पदाधिकारी संतोष कुमार चैधरी, जिला परिषद सदस्या चिंता देवी, भाजपा  जिलाध्यक्ष निवास मंडल, मुफस्सिल थाना इंस्पेक्टर के.के.सिंह, सब इंस्पेक्टर नगर थाना रामचरित्र पाल, सार्जेंट रंजीत कुमार, ए.एस.आइ. एस.के.ठाकुर, सरुआ पंचायत की मुखिया मंजूलता सोरेन, दुधानी पंचायत के मुखिया चंद्रमोहन हाँसदा, खेलकूद संघ के सचिव उमाशंकर चैबे, विमल भूषण गुहा, गौरकांत झा, हैदर हुसैन, राहुल दास, मदन कुमार, वरुण कुमार,  निमाय कांत झा, जीवानंद यादव, मनोज घोष, अरविंद कुमार, रमन कुमार वर्मा, वैद्यनाथ टूडू, सच्चिदानंद सोरेन, सीताराम सोरेन, ग्राम प्रधान सुनीलाल हाँसदा, आलिस हाँसदा, मोतीलाल मरांडी, सुरेश चंद्र सोरेन, मंजू लता सोरेन, मुकेश कुमार, सुनीता मरांडी, सिद्धोर हाँसदा, नीलू दीदी सहित बड़ी संख्या में खेलकूद, कला संस्कृति, एवं मेला आयोजन से जुड़े लोगों के साथ साथ हिजला पंचायत के ग्रामीण उपस्थित थे।

पुस्तक लोकार्पण : अंगिका/खोरठा पंडित अनूप कुमार वाजपेयी सेँ साक्षात्कार संवाद’ पुस्तक का लोकापर्ण

$
0
0
book-inaugrate
दुमका (अमरेन्द्र सुमन)  दिन मंगलवार (30 जनवरी 2018) को सूचना भवन, दुमका में डा. मीरा झा की पुस्तक ‘अंगिका/ खोरठा,  पं0 अनूप कुमार वाजपेयी सेँ साक्षात्कार संवाद’ पुस्तक का समारोह पूर्वक सामुहिक लोकापर्ण किया गया। परिचर्चा को संबोधित करते हुए डा. मीरा झा ने कहा कि उन्होंने अपने शोध में यह पाया है कि मौलिक रूप से अंगिका व खोरठा में कोई फर्क नहीं है। इसके लिए उन्होंने बजाप्ता अंग क्षेत्र का सर्वे किया, जिसका उल्लेख लोकार्पण समारोह के दौरान किया गया। श्री वाजपेयी ने कहा कि दुर्भाग्य से लोग अंगिका व खोरठा को अलग-अलग भाषा मानते हैं। इस पुस्तक में 42 प्रश्नोत्तरी के माध्यम से अंगिका व खोरठा के भ्रम को दूर किया गया है। दुमका के पुरातत्व वेत्ता पं. अनूप कुमार वाजपेयी से साक्षात्कार के आधार पर दो वर्ष की मेहनत के परिणामस्वरुप यह पुस्तक लोगों के सामने है। इससे पूर्व अंगिका को लेकर कई तरह के दावे तो किये गये हैं पर वाजपेयी ने पुरातात्विक, भौगोलीय, भाषायी एवं अन्य आधारों पर सोदाहरण बताया है कि दोनों भाषाएं एक ही है। पुरातत्व वेत्ता पं. अनूप कुमार वाजपेयी ने इस क्षेत्र में उनके द्वारा खोजे गये शिलापट्ट, जीवाश्म, सिक्के, पाषाण हथियार और विभिन्न मानक पुस्तकों के आधार पर दावा किया कि  विश्व की प्रचीनतम सभ्यता का अभ्युदय राजमहल पहाड़ियों में हुआ था जहां से लोग मैदानी क्षेत्र में जाकर बसे हैं। उन्होंने कहा कि जब सबसे प्राचीनतम सभ्यता यहां थी तो स्वभाविक है कि इसी क्षेत्र में पहली भाषा और लिपि का विकास हुआ है जिसके कई प्रमाण इस पुस्तक में दिये गये हैं। उन्होंने कहा कि अंगिका और खोरठा के भेद को दूर करते हुए अब इस भाषा को संविधान के आठवीं अनुसूचि में शामिल किया जाना चाहिये और झारखण्ड के विश्वविद्यालयों में इसकी पढ़ाई शुरू की जानी चाहिये। जिला आपूर्ति पदाधिकारी सह जिला पंचायती राज पदाधिकारी शिवनारायण यादव ने कहा कि अलग-अलग भाषाओं का भ्रम होने के कारण ही अंगिकाध्खोरठा को मान्यता नहीं मिल सकी। लेकिन अब इस विषय पर यह तथ्यपरक पुस्तक आ गयी है तो वह इस दिशा में पहल करेंगे। केकेएम कालेज पाकुड़ के पूर्व हिन्दी विभागाध्यक्ष डा. मनमोहन मिश्रा ने कहा कि विभिन्न प्रमाणों के आधार पर निःसंदेह अंगिकाध्खोरठा संस्कृत का आदि स्वरूप है। जो भाषा सुसंस्कृत होकर सामने आयी, वही है संस्कृत। उन्होंने यह भी कहा कि जब पाणिनी ने अपने सूत्र में अंगी लिपि का उल्लेख किया है तो ऐसे में अंगिकाध्खोरठा का सबसे प्राचीन भाषा नहीं होने का सवाल ही नहीं उठता है। सेवानिवृत्त एडीएम डा. सी एन मिश्रा ने कहा कि इस पुस्तक में और भी ऐसे संदर्भ हैं जिसपर शोध की संभावना बनती है। खोरठा और अंगिका में कोई भेद नहीं है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रयास फाउण्डेशन फाॅर टोटल डिवेलनमेंट के सचिव मधुर सिंह ने कहा इस प्रकार के शोधपरक पुस्तकों को हमारी संस्था सहयोग करेगी। सेवा निवृत्त सहकारिता पदाधिकारी अरूण सिन्हा अंग क्षेत्र की प्राचीनता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अंगिका और इसकी लिपि पर आगे शोध कार्य किया जाना चाहिये जिसमें यह पुस्तक मानक होगी। प्रो. शिव शंकर पंजियारा ने कहा कि भागलपुर से संबंध रहने के कारण उनकी इस पुस्तक के बारे जिज्ञासा थी। लोगों की जिज्ञासा शांत होगी और खोरठा एवं अंगिका का भ्रम दूर होगा। प्रो. अनुज आर्य ने कहा कि भाषा की उत्पत्ति और विकास को लेकर काफी लिखा। इस पुस्तक से शोध करनेवाले छात्रों को काफी मदद मिलेगी। पत्रकार राजीव रंजन ने कहा कि पं. वाजपेयी ने इस पुस्तक में तथ्यात्मक तरीके से चीजों को प्रमाणित किया है। पत्रकार अमरेन्द्र सुमन ने कहा कि पं. वाजपेयी के पास जो पुरातात्विक धरोहर है उसे सामने लाना चाहिये ताकि भाषा के साथ ही पुरातात्विक चीजों से भी लोग जुड़ सकें। डा. सपन पत्रलेख ने कहा कि आनेवाले समय में खोरठा/अंगिका विषय पर शोध करने वाले शोधार्थियों के लिए यह पुस्तक काफी लाभदायक साबित होगी। परिचर्चा को आचार्य रामजीवन झा, सामाजिक कार्यकर्ता शंकर सिंह पहाड़िया, अधिवक्ता जीवन राय, अशोक सिंह, राजकुमार उपाध्याय आदि ने भी संबोधित किया।

विशेष आलेख : अस्पताल में भ्रष्टाचार एक बदनुमा दाग

$
0
0
corruption-in-hospital
आजकल देश में भ्रष्टाचार सर्वत्र व्याप्त है। एक तरह से भ्रष्टाचार शिष्टाचार हो गया है। ऐसे-ऐसे घोटाले, काण्ड एवं भ्रष्टाचार के किस्से उद्घाटित हो रहे हैं जिन्हें सुनकर एवं देखकर शर्मसार हो जाते हैं। समानांतर काली अर्थव्यवस्था इतनी प्रभावी है कि वह कुछ भी बदल सकती है, बना सकती है और मिटा सकती है। भ्रष्टाचार का रास्ता चिकना ही नहीं, ढालू भी है। यही कारण है कि इसमें शिक्षा एवं चिकित्सा के क्षेत्र को भी नहीं बख्शा है। हमारा नेतृत्व और देश को संभालने वाले हाथ दागदार हैं इसलिए वे इस भ्रष्टाचार के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई करते हुए दिखाई नहीं देते। दिल्ली सरकार के सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल हो या देश के सर्वोच्च आॅल इंडिया मेडिकल इंस्टीच्यूट या सफदरजंग अस्पताल इन सभी जगहों पर भ्रष्टाचार का व्याप्त होना बेहद चिंताजनक है। हाल ही में दिल्ली सरकार के जीबी पंत में मरीजों के इलाज में भ्रष्टाचार की खबरों ने न केवल चैंकाया है बल्कि शर्मसार किया है। अस्पताल में दलालों का बोलबाला है जो मरीजों से पैसे लेकर न केवल उनका इलाज कराते हैं बल्कि ऑपरेशन तक की भी व्यवस्था करते हैं। जहां सरकारी अस्पतालों में मरीजों को इलाज के लिए लंबी लाइन या सिफारिशों की जरूरत पड़ती है। यह सब होने के बावजूद भी इलाज हो, इसकी कोई गारंटी नहीं है। जीबी पत के मामले में भ्रष्टाचारियों एवं दलालों ने दिल्ली सरकार के मंत्री इमरान हुसैन द्वारा भेजे गए असलम नामक मरीज को भी नहीं बख्शा। इससे पता चलता है कि दलालों को किसी का डर नहीं है और वह धड़ल्ले से अपना काम कर रहे हैं। इसमें अस्पताल के कई डॉक्टर व कर्मचारी भी शामिल हैं, क्योंकि इनके बगैर यह अवैध धंधा नहीं हो सकता है। इस मामले में जांच कमेटी की रिपोर्ट में भी यह बात सामने आई है कि अस्पताल भ्रष्टाचार व राजनीति का अड्डा बन गया है। इस तरह का भ्रष्टाचार कोई नया नहीं है। हमारा देश गरीबी और पिछड़ेपन का ही खिताब नहीं पहना है। अब तो वह विश्व के सामने भ्रष्टाचार की सूची में नामांकित हो गया है, इससे बढ़कर और क्या दुर्भाग्य होगा? क्या विश्व के हासिये में उभरती भारत की तस्वीर को हम कुछ नया रंग नहीं दे सकते? क्या विश्व का नेतृत्व करने के लिए हममें इन नकारात्मक मूल्यों को समाप्त करने की पात्रता विकसित नहीं हो सकती? सरकारी किसी की भी हो हमें व्यक्ति नहीं विचार और विश्वास चाहिए। चेहरा नहीं चरित्र चाहिए। बदलते वायदे नहीं, सार्थक सबूत चाहिए। वक्तव्य कम और कर्तव्य ज्यादा पालन होंगे। तभी नया भारत निर्मित हो पाएगा। केजरीवालजी एक धर्मगुरु की मुद्रा में आजकल रेडियो पर बच्चे के हवाले से कहते हैं कि कोई डाॅक्टर, इंजीनियर, आईएएस, सीए, बनें या न बनें पर एक अच्छा इंसान जरूर बनंे। केजरीवालजी बच्चों से पहले अपने कर्मचारियों को नैतिक बनाने की कोई मुहिम छेड़े।

अस्पताल हों या स्कूलंे उनमें भ्रष्टाचार का पसरना एक अभिशाप है। आश्चर्य है कि सरकारी अस्पतालों के परिप्रेक्ष्य में कुछ दिनों में दलालों का इतना मजबूत नेटवर्क बना लिया है कि उनकी सेवाओं के बिना इलाज ही असंभव होता जा रहा है। निश्चित रूप से पिछले कई वर्षो से सरकारी अस्पतालों में यह सब चल रहा है। डॉक्टरों से मिलवाने, ऑपरेशन कराने, किसी तरह की जांच कराने, मरीज के लिए खून की व्यवस्था करने के एवज में पैसे लेने की शिकायतें पहले भी आती रही हैं, लेकिन दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई नहीं होती है। इन अस्पतालों में पहुंचने वाले ज्यादातर गरीब व मध्यमवर्गीय परिवार के मरीज होते हैं। वे निजी अस्पतालों में इलाज का खर्च वहन नहीं कर सकते हैं। इस स्थिति में सरकारी अस्पताल ही इनके लिए एक मात्र सहारा है, लेकिन वहां भी उन्हें निराशा हाथ लगती है। इस तरह के भ्रष्टाचार से दिल्ली सरकार के कामकाज पर भी प्रश्न चिह्न है। दिल्ली के लोगों के लिए जीबी पंत अस्पताल की 50 फीसद बेड आरक्षित करने की घोषणा की गई है, लेकिन इसका लाभ जरूरतमंदों को नहीं मिल रहा है। यह दिल्ली सरकार पर एक बदनुमा दाग है। उनकी कथनी और करनी में असमानता का द्योतक है। यह भी एक तथ्य है कि हमें सफलता भी तब तक नहीं मिलेगी, जब तक हम प्रशासन शैली में या तो विरोध करते रहेंगे या खामोशी/चुप्पी साधे रहेंगे। जरूरत है इन दोनों सीमाओं से हटकर देश के हित में जो गलत है उसे लक्ष्मणरेखा दें और जो सही है उसे उदारनीति और सद्भावना से स्वीकृति दें।

प्रजातंत्र एक पवित्र प्रणाली है। पवित्रता ही उसकी ताकत है। इसे पवित्रता से चलाना पड़ता है। अपवित्रता से यह कमाजोर हो जाती है। ठीक इसी प्रकार अपराध के पैर कमजोर होते हैं। पर अच्छे आदमी की चुप्पी उसके पैर बन जाते हैं। अपराध, भ्रष्टाचार अंधेरे में दौड़ते हैं। रोशनी में लड़खड़ाकर गिर जाते हैं। हमें रोशनी बनना होगा। और रोशनी भ्रष्टाचार से प्राप्त नहीं होती। हमने आजाद भारत का एक ऐसा सपना देखा था जहां न शोषक होगा न शोषित, न मालिक होगा और न मजदूर। न अमीर होगा और न गरीब। सबके लिए शिक्षा, रोजगार, चिकित्सा और उन्नति के समान, सही अवसर और बिना भ्रष्टाचार के सुविधाओं की उपलब्धि का नक्शा हमनें खींचा था। मगर कहां फलित हो पाया हमारी जागती आंखों से देखा गया स्वप्न? कहां सुरक्षित रह पाए जीवन-मूल्य? कहां अहसास हो सकी स्वतंत्र चेतना की अस्मिता? हमारी समृद्ध राष्ट्रीय चेतना जैसे बंदी बनकर रह गयी। शाश्वत मूल्यों की मजबूत नींवें हिल गई। राष्ट्रीयता प्रश्नचिन्ह बनकर दीवारों पर टंग गई। भ्रष्टाचार, शोषण, स्वार्थ और मायावी मनोवृत्ति ने विकास की अनंत संभावनाओं को थाम लिया। चरित्र और नैतिकता धुंधला गई। राष्ट्र में जब राष्ट्रीय मूल्य कमजोर हो जाते हैं सिर्फ निजी हैसियत से ऊंचा करना ही महत्वपूर्ण हो जाता है तो वह राष्ट्र निश्चित रूप से कमजोर हो जाता है। इसे कमजोर करने में भ्रष्टाचार के दलालों से ज्यादा खतरनाक है डाॅक्टरों की, राजनेताओं की आर्थिक भूख। यही कारण है कि हमारे जीवन में सत्य खोजने से भी नहीं मिलता। हमारा व्यवहार दोगला हो गया है। दोहरे मापदण्ड अपनाने से हमारी हर नीति, हर निर्णय समाधान से ज्यादा समस्याएं पैदा कर रही हैं। 

सबसे बड़ा विरोधाभास यह है कि हम हर स्तर पर वैश्वीकरण व अपने को बाजार बना रहे हैं। यह विरोधाभास नहीं, दुर्भाग्य है। अपने को, समय को पहचानने वाला साबित कर रहे हैं। पर हमने अपने आप को, अपने भारत को, अपने पैरों के नीचे जमीन को नहीं पहचाना। नियति भी एक विसंगति का खेल खेल रही है। पहले जेल जाने वालों को कुर्सी मिलती थी, अब कुर्सी पाने वाले जेल जा रहे हैं। यह नियति का व्यंग्य है या सबक? पहले नेता के लिए श्रद्धा से सिर झुकता था अब शर्म से सिर झुकता है। यह शर्म बढ़ते हुए भ्रष्टाचार के दावानल का परिणाम है। इस पर रोक लगना नये भारत के निर्माण की प्रथम प्राथमिकता होनी चाहिए।





liveaaryaavart dot com

(ललित गर्ग)
60, मौसम विहार, तीसरा माला, 
डीएवी स्कूल के पास, दिल्ली-110051
फोनः 22727486, 9811051133

सुमिता सिंह को मिला मोस्ट इन्टरप्राईजिंग फीमेल एएनओ एनसीसी का अवार्ड

$
0
0
sumita-singh-dumka-awarded
दुमका (अमर सुमन) दुमका की सुमिता सिंह को बिहार एवं झारखण्ड के एनसीसी डायरेक्टरेट (पटना) के एडीजी मेजर जेनरल शम्मी सभरवाल ने ‘‘मोस्ट इन्टरप्राईजिंग फीमेल एएनओ एनसीसी ग्रुप हेडक्र्वाटर हजारीबाग’ अवार्ड प्रदान किया है। उन्हें यह अवार्ड वर्ष 2017-18 में एएनओ के रूप में उनके बेहतरीन प्रदर्शन के लिए दिया गया है। जनवरी से अप्रैल 2017 में ग्वालियर (एमपी) में तीन माह के कोर्स के बाद सुमिता सिंह को एएनओ बनाया गया है। एएनओ बनने के पहले साल ही उन्हें अपने मेहनत और लगन के बदौलत यह उपलब्धि हासिल हुई है। उनके इस उपलब्धि पर एकलव्य माॅडल आवासीय बालिका विद्यालय, काठीजोरिया, दुमका की प्राचार्या करूणा शर्मा ने स्कूल परिवार की ओर से उन्हें बधाई दी है और उनके उज्जवल भविष्य की कामना की है। श्रीमती शर्मा  ने कहा कि कल्याण विभाग के एकमात्र स्कूल एकलव्य माॅडल आवासीय बालिका विघायल काठीजोरिया में एनसीसी संचालित किया जा रहा है। स्कूल की एनसीसी कैडेट्स ने भी एएनओ सुमिता सिंह के देखरेख में महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की है। श्रीमती सुमिता सिंह के बेस्ट फीमेल एएनओ का अवार्ड मिलने पर हमें गर्व है। सुमिता सिंह ने बताया कि समारोह में 4 झारखण्ड गल्र्स बटालियन, दुमका के सुबेदार मेजर मोहर सिंह एवं सिदो कान्हु विद्यालय की एनसीसी कैडेट सोनाक्षी कुमारी को भी इस समारोह में सम्मानित किया गया है। तीनों को यह सम्मान 3 फरवरी को एनसीसी डायरेक्टरेट, पटना में आयोजित विशेष अवार्ड समारोह में प्रदान किया गया है।

मधुबनी : रात्रि गश्ती के दौरान नशे में धुत्त होकर उत्पाद मचाते एक शराबी को गिरफ्तार किया

$
0
0
drinker-arrest-madhubani
अंधराठाढ़ी/मधुबनी (मोo आलम अंसारी) अंधराठाढ़ी। थानाध्यक्ष रामचंद्र मंडल ने रविवार की रात रात्रि गश्ती के दौरान नशे में धुत्त होकर उत्पाद मचाते एक शराबी को गिरफ्तार किया। पकड़े गए आरोपी की पहचान थाना क्षेत्र के कलुहा गांव निवासी वीरेंद्र कुमार सिंह के रूप में की गयी है। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ सम्बद्ध धाराओं के तहत मामला दर्ज कर उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। पुलिस ने इस बाबत जानकारी देते हुए बताया कि रविवार को थानाध्यक्ष रामचंद्र मंडल पुलिस बल में शामिल दयाराम यादव, किशुन मंडल और ललित पासवान आदि के साथ संध्या गश्ती करने निकले थे। अंधरा बाजार गुमती चौक स्थित ललित वस्त्रालय के पास एक युवक के द्वारा नशे में धुत्त होकर उत्पात मचा रहा था। पुलिस दल ने नशे में धुत शराबी को गिरफ्तार कर अंधराठाढ़ी रेफरल अस्तपाल ले गयी। जहां डॉक्टर ने उसके नशे में होने और शराब पीने की पुष्टी की। थानाध्यक्ष रामचंद्र मंडल ने बताया कि इस अबैध रूप से शराब बेचने और पीने वालों और अशांति फैलाने वाले तत्वों के खिलाफ पुलिस सख्त अभियान चला रही है। अंधराठाढ़ी पुलिस के द्वारा जगह-जगह चौक-चौराहो पर सिपाही मुस्तैद कर इस तरह के लोगो की धड़ पकड़ की जा रही है।

मधुबनी : भाजपा कार्यकर्ताओं की एक बैठक

$
0
0
bjp-meeting-madhubani
अंधराठाढ़ी/मधुबनी (मोo आलम अंसारी)  अंधराठाढी। प्रखंड के कोसी निरीक्षण भवन प्रांगण में सोमवार को भाजपा कार्यकर्ताओं की एक बैठक हुई। बैठक की अध्यक्षता मंडल अध्यक्ष हरिशंकर राय ने की। बैठक में संगठन को सशक्त बनाने के लिए विचार विमर्श किया गया। बैठक में 1 फरवरी से 15 फरवरी तक शुचिता दिवस मनाकर कार्यकर्ताओं से धन संग्रह कर राशि इक्कठा करना और क्षेत्रीय कार्यकर्ताओं के सामने आ रही समस्याओं पर भी विस्तृत विचार विमर्श किया गया। बैठक में स्थानीय विधायक रामप्रीत पासवान भी बतौर अतिथि शामिल हुए। बैठक को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा की हमें केंद्र की जनकल्याणकारी योजनाओं को जनता तक पहुंचने के लिए जी जान से जुट जाना होगा। पार्टी कार्यकर्ता माननीय प्रधानमंत्री जी के निवेदन 1 फरवरी से 15 फरवरी तक शुचिता दिवस मनाएंगे और खुद राशि इक्कठी करेंगे। उज्ज्वला योजना, स्वच्छ्ता अभियान, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, कौशल विकास योजना आदि योजनाओं और कामो को भाजपा कार्यकर्ता जनता तक पहुंचाए। मौके पर जिला महामंत्री महेंद्र पासवान, अंधराठाढ़ी प्रभारी रणधीर खन्ना, संजय कुमार चौधरी, मंडल महामंत्री देवचन्द्र चौधरी और रंजन झा, मिडिया प्रभारी संजय सिंह, सुरेंद्र मंडल, युवा महामंत्री शैलेंद्र मिश्र, कृष्णदेव पासवान, संजय झा, मनोज कुमार, उमेश यादव, विजय राम, कृष्ण मुरारी झा, हरिमुकुंद झा, महेंद्र पंडित,  विश्वम्भर प्रसाद यादव, कुमरजी झा, रामचंद्र राम, वीर यादव, राम नारायण मंडल, राम किसुन राम, सुभाष चंद्र चौधरी सहित अन्य भाजपा नेता और दर्ज़नो कार्यकर्त्ता मौजूद थे।

मधुबनी : वाटर प्यूरिफायर एवं लैंप का वितरण

$
0
0
lamp-purifier-distribution-madhubni
मधुबनी, 6, फरवरी, 18 : जिला पदाधिकारी, मधुबनी  के द्वारा मंगलवार को स्थानीय रेडक्राॅस,मधुबनी में मैनुअल वाटर प्यूरिफायर एवं सोलर एवं विद्युत से चार्ज होने वाले लैंप का वितरण किया गया। मधुबनी जिले में जलसंचय एवं स्वच्छ जल उपलब्ध कराने के लिए लोगों को डेनमार्क रेडक्राॅस के द्वारा विविध कार्यक्रम शुरू किये गये है। जिसके क्रम में अंबेदकर बालिका उच्च विद्यालय,मधुबनी एवं एस0एस0बी0 के कुनौली बाॅर्डर स्थित पोस्ट को जिला पदाधिकारी के द्वारा 2 मैनुअल वाटर प्यूरिफायर का वितरण किया गया। इस प्यूरिफायर का उपयोग करने के लिए बिजली की भी आवष्यकता नहीं है। खासकर मधुबनी जिले में सुदूर देहाती क्षेत्रों में पानी में आर्सेनिक की मात्रा अधिक है। जिला पदाधिकारी द्वारा अधीक्षक,रेडक्राॅस को देहाती क्षेत्रों में शुद्ध पेयजल की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए और भी वाटर प्यूरिफायर उपलब्ध कराने का निदेष दिया गया।  जिला पदाधिकारी द्वारा भौआड़ा निवासी श्रीमती प्रमीला देवी एवं एक अन्य को सोलर एवं विद्युत चार्जिंग सुविधा से युक्त लैंप दिया गया। अधीक्षक,रेडक्राॅस ने बताया कि और 36 लोगों के बीच भी लैंप का वितरण किया जाना है,लेकिन वे सभी नहीं आ सके। इस अवसर पर श्री ए0के0 पांडेय, ए0एस0पी0, मधुबनी, श्री गिरीष पांडेय, अधीक्षक, रेडक्राॅस मधुबनी, प्रो0 चंद्रषेखर झा आजाद जी, प्रो0 नरेन्द्र नारायण सिंह निराला समेत अन्य लोग एवं छात्राएं उपस्थित थी।

सीहोर (मध्यप्रदेश) की खबर 06 फ़रवरी

$
0
0
*सफलता की कहानी*
  • *अशोक का शोक दूर हुआ मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना से*
  • *लोककल्याणकारीराज्य की अवधारणा को सार्थक करती शासन की योजना*

sehore news
ये कहानी है सीहोर शहर से बारह किलोमीटर दूर स्थित ग्राम सेमरादांगी मे निवासरत् परम्परागत केश शिल्पी के व्यवसाय मे लगे श्री रामेश्वर -श्रीमती कृष्णा सेन के घर आज से लगभग 35 वर्ष पूर्व जन्मे बालक अशोक सेन की। चूँकि पेशा परम्परागत् था तो पारिश्रमिक भी प्रचलित परंपराओं के अनुरूप साल मे दो बार फसल आने पर अनाज के रूप मे सामने वाले की इच्छानुसार। पूरे वर्ष केशकर्तन के अलावा मरण-करण आदि कार्यों मे सारे गाँव को सेवाएं देना और आय की कोइ निश्चितता नहीं। घोर गरीबी मे पले -बडे अशोक का बचपन गरीबी के दंश और अपमान की गहरी अनुभूतियों से भरा रहा। शासकीय स्कूल मे साथ पढने वाले गाँव के बडे घर के बच्चों द्वारा कभी चम्पी और कभी मालिश की बेगार करा लेना आम बात थी कभी-कभी बेगार न किये जाने पर चपतिया भी दिया जाता था। घर की विकट आर्थिक स्थिति और गाँव की रूढिवादी मानसिकता को देख अशोक चौदह वर्ष की उम्र मे सीहोर एक सैलून पर नाई की नौकरी करने लगे तन्ख्वाह थी दस रुपये रोज और काम का समय सुबह आठ बजे से रात नौ बजे तक। जीतोड़ परिश्रम प्रांरभ हो चुका था अपनी परिस्थितियों और किस्मत को बदलने का। तन्ख्वाह के दस रुपये मे से दो रुपया रोज साइकिल किराये मे चला जाता बचते आठ रुपये मतलब रोज कमाओ-रोज खाओ;विकास का कोई रास्ता नज़र न आता। अशोक ने आय मे वृद्धि के लिए कौशल प्राप्त करने का ठाना और निकल पडा इन्दौर जहाँ उसने लगभग तीन साल अपने काम मे माहिती हासिल की फिर भोपाल कुछ वर्ष एक अच्छे सैलून पर नौकरी की किन्तु पारिवारिक कारणों से गाँव आना पड़ा गृहस्थी की गाड़ी खींचने के लिए सीहोर के सैलून पर नौकरी वही जीतोड़ मेहनत और कमाई साठ से सत्तर रूपये रोज इस तरह सात साल गुजरे,अशोक  शहर के उत्कृष्ट केश शिल्पी के रूप मे पहचान स्थापित करने मे सफल रहा किन्तु आर्थिक हालात अब भी बद्तर थे।  बहुत से सुपरिचित हो चुके धनाढ्य लोगों से उसने स्वयं का सैलून स्थापित करने की इच्छा जताते हुए थोडी आर्थिक मदद की याचना की पर कोई भी तैयार न हुआ उसे समझ आ चुका था 

*भला गरीब का भी कोई दोस्त होता है क्या।*
अशोक शोकग्रस्त रहने लगा ऐसे ही 2015 मे एक दिन  केशकर्तन करते उसने अपना दुःख सीहोर के जनसंपर्क अधिकारी के सामने रखा, उन्होंने उसे मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना की जानकारी देते हुए पूरी प्रक्रिया से भी अवगत कराया। अशोक को आशा की किरण दिखाई दी उसने जिला उद्योग केन्द्र मे संपर्क कर खुद का हेयर कटिंग सैलून डालने का प्रकरण तैयार करने हेतु आवेदन दिया। पंद्रह दिवस मे ही अशोक को केनरा बैंक से तीन लाख रुपये का लोन प्राप्त हो गया बिना किसी ग्यारंटर के, सबसिडी के साथ; क्योंकि ग्यारंटी तो मध्यप्रदेश सरकार दे रही है। बस स्टैंड के पास किराए की दुकान मे डल गया *अलबेला जेन्ट्स पार्लर*हेयरकटिंग सैलून। डल गया तो चल भी गया और अशोक के कौशल के चलते ऐसा चला कि आज अशोक की दोनों बेटियाँ शहर के प्रसिद्ध अंग्रेजी स्कूल मे पढ़ रहीं हैं। अशोक ने तीन कुशल लोगों को सम्मानजनक पारिश्रमिक पर रोजगार दे रखा है,बैंक की किश्तें समय पर चुका रहें हैं और समस्त खर्च के बाद लगभग बीस हजार रुपया महिना अर्जित कर रहें हैं। और हाँ एक बात तो छूट ही गयी...अशोक अब खुद का चार पहिया वाहन  भी मेंटेन कर रहें हैं वीकेंड मे परिवार के साथ कार से अपने गाँव जाते हैं और जरुरतमंदों को इस तरह की योजनाओं की जानकारी  देते हुए कहते हैं गरीब का कोई दोस्त नहीं होता किन्तु सरकार सबकी दोस्त होती है। शासन की यह योजना सीहोर जिले मे अपने कुशल और त्वरित क्रियान्वयन से लोककल्याणकारी राज्य की अवधारणा को सार्थक कर रही है। यह योजना न होती तो अशोक ताउम्र शोकग्रस्त ही रहता और सदियों से जारी गरीबी के दुष्चक्र  मे आगामी पीढ़ियां भी फंसी रहती। अब कैसा लग रहा है पूछने पर अशोक की पत्नी रीना की आँखों मे खुशी के आंसू छलकने लगते हैं कहतीं हैं मुख्यमंत्री जी ने ऐसी योजना बनाकर भाई होने का धर्म सच्चाई से निभाया है।

युवा कांग्रेस ने पकोड़े तल कर जताया विरोध                 

sehore news
सीहोर। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के पकौड़े वाले भाषण को लेकर अब सियासत गर्मा गई है। विपक्ष ने इसको लेकर हमले करना शुरु कर दिए है।युवा कांग्रेस अध्यक्ष राजीव गुजराती बताया कि आज युवा कांग्रेस द्वारा स्थानीय बड़ा बाज़ार में प्रधानमंत्री पकोडा रोजग़ार योजना का  स्टाल लगाया।इसी कड़ी में आज मप्र के सीहोर में युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कुणाल चौधरी ने पकौड़े तल कर विरोध किया और जमकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी की।दरअसल,  देश मे बढ़ती बेरोजगारी के संदर्भ में पिछले दिनों देश के प्रधानमंत्री नरेंद मोदी और सोमवार को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने पकौड़े बनाने वालों को भी रोजगार के रूप में प्रदर्षित किया था। इसी बात को कांग्रेस नेमुद्दा बनाया ओर युवक कांग्रेस ने इसी मुद्दे को लेकर पूरे प्रदेश में प्रदर्शन किया। इसी कड़ी में आज प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहानके गृह जिले में युवक कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कुणाल चौधरी ने बडे़ बाजार में युवक कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के साथ पकौड़े तलकर बेरोजगारों का मजाक बनाने वाले मोदी और शाह का विरोध किया।इस दौरान युवक कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने जमकर नारेबाजी भी की ।गौरतलब है कि सोमवार को बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने सांसद के रूप में शपथ लेने के बाद राज्यसभा में अपना पहला भाषण दिया। जिसमें उन्होंने कहा कि पड़ लिखकर बेरोजगारी से अच्छा पकौड़े बेचना है।प्रदर्शन में शहर कांग्रेस अध्यक्ष  ओम वर्मा, पूर्व नपा अध्यक्ष राकेश राय, पूर्व नपा अध्यक्ष रुक्मणी रोहिला, उपाध्यक्ष जिला कांग्रेस कमलेश कतारे, पवन राठौर, विवेक राठौर, रमेश राठौर, एन एस यू आई जिलाध्यक्ष आनंद कटारिया,  राहुल ठाकुर, शंकर खरे, घनश्याम यादव, सीताराम भारती, प्रीतम चौरसिया, ओम बाबा राठौर, तुलसी राठौर, मनीष कटारिया, पीयूष मलवीयज़,मुकेश ठाकुर, मुस्तुफा अंजुम,देवेंद्र ठाकुर, सोनू परिहर्ज़, गजराज परमार, अवदेस परमार, नायाब खान, अमीर खान, मनीष मेवाड़ा, उत्तम जयसवाल,,अनुभव सेन, कमलेश यादव, प्रणय शर्मा, आदित्य उपाधयाय, राहुल गोस्वामी,शुर्यनाश जादौन, रवि चौधरी, निखिल पटेल, विनीत त्यागी आदि कार्यकर्ता उपस्थित थे।

विदिशा (मध्यप्रदेश) की खबर 06 फ़रवरी

$
0
0
पूर्व विंग कमांडर ने श्रीहरि वृद्धाश्रम को दिया उपयोगी उपहार   

vidisha news
विदिषा 06 फरवरी 2018/विदिशा की होनहार बेटी भारतीय वायु सेना की पूर्व महिला विंग कमांडर श्रीमती अनुमा आचार्य ने श्रीहरि वृद्ध आश्रम के वृद्धजनो को 4 इलेक्ट्रिक हॉट वाटर पेड्ज भेंट किए, जिन्हे प्राप्त कर बुजुर्गो के चेहरे खिल गए।  उल्लेखनीय है कि विदिशा में ही जन्मी ओर पली, बढ़ी अनुमा भारतीय वायु सेना के विंग कमांडर जैसे महत्वपूर्ण पद से त्याग पत्र देकर विदिशा की पीड़ित  मानवता की सेवा में  आत्मीय रूप से जुटी हुई हैं। इसी के चलते श्री हरिवृद्धाश्रम के बुजुर्गों को होने वाले विभिन्न दर्दो में राहत पहुंचाने हेतु बेहद उपयोगी हॉट वाटर पेड़, यानी इलेक्ट्रानिक सिकाई मशीनें उन्होंने भेंट की है। आश्रम की संचालिका श्रीमती इंदिरा शर्मा ने बताया कि उम्र के अंतिम पड़ाव में बुजुर्गों को जोड़ो के दर्द की प्रायः समस्या रहती है। ऐसे में उन्हें ये इलेक्ट्रानिक सिकाई उपकरण अत्याधिक राहत प्रदान करेंगे। इस अवसर पर अनुमा आचार्य ने बताया कि शीघ्र ही वे सभी बुजुर्गो को व्यक्तिगत रूप से पृथक-पृथक मशीन भेंट करेगी। साथ ही आश्रम के बुजुर्गो को वे सारी खुशियाँ देने का प्रयास करेगी जिनसे वे अभी तक वंचित रहे है। इस अवसर पर अनुमा आचार्य के साथ उनके  चाचा शशि मोहन आचार्य पुजारी कांच मंदिर षिवालय भी विशेष रूप से उपस्थित रहे। उन्होंने भी बुजुर्गो को मिठाई वितरित कर सेवा के इस महायज्ञ में अपनी आहूति प्रदान की। यह जानकारी आश्रम की सेवा भावी कार्यकर्ता केशर जहाॅ ने दी है।

मुख्यमंत्रीजी वैवाहिक कार्यक्रम में शामिल हुए, वर-वधु को शुभार्शीवाद दिया

vidisha news
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चैहान मंगलवार को अल्प प्रवास पर विदिशा आए और यहां कुरवाई तहसील के वृन्दावन गार्डन में आयोजित वैवाहिक समारोह कार्यक्रम में शामिल हुए। मुख्यमंत्री श्री चैहान ने वर-वधु को शुभार्शीवाद दिया। ज्ञातव्य हो कि भाजपा जिलाध्यक्ष श्री दिनेश सोनी की सुपुत्री वसुन्धरा का वैवाहिक कार्यक्रम में आज केन्द्रीय ग्रामीण विकास, पंचायती राज स्वच्छता एवं पेयजल मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष श्री नंदकुमार सिंह चैहान तथा प्रभारी मंत्री श्री भूपेन्द्र सिंह ठाकुर के अलावा अन्य जनप्रतिनिधियों, गणमान्य नागरिकों ने वैवाहिक कार्यक्रम में शामिल होकर नवदम्पतियों को शुभार्शीवाद दिया।

अधिकांश समस्याओं का निराकरण हुआ

कलेक्टर श्री अनिल सुचारी के मार्गदर्शन में आज मंगलवार को आहूत की गई जनसुनवाई कार्यक्रम में 160 आवेदकों ने आवेदन प्रस्तुत कर अपनी व्यक्तिगत और सार्वजनिक समस्याओं की ओर ध्यान आकर्षित कराया।अपर कलेक्टर श्री एचपी वर्मा के द्वारा मौके पर 90 आवेदनों का निराकरण किया गया है शेष लंबित आवेदनों पर समय सीमा मंे कार्यवाही कर निराकरण की जानकारी बेवपोर्टल पर अंकित करने के भी निर्देश उनके द्वारा दिए गए है। जिला पंचायत के सभागार कक्ष में हुई जनसुनवाई कार्यक्रम में एसडीएम श्री रविशंकर राय, डिप्टी कलेक्टर श्री लोकेन्द्र सरल समेत अन्य विभागोें के अधिकारीगण पंक्तिबद्व-रो में बैठकर आवेदकों के आवेदनों को प्राप्त कर उनका निराकरण करने की कार्यवाही की गई है। आज हुई जनसुनवाई कार्यक्रम में अधिकांश आवेदन बीपीएल सूची में नाम दर्ज करने, आवास उपलब्ध कराने तथा इलाज हेतु आर्थिक सहायता मुहैया कराए जाने के प्राप्त हुए थे संबंधितों को मापदण्डों से अवगत कराया गया। दिव्यांग आवेदक श्री रामसिंह अहिरवार की संकटापन्न स्थिति को ध्यानगत रखते हुए अपर कलेक्टर श्री एचपी वर्मा ने आदिम जाति कल्याण विभाग के माध्यम से दो हजार रूपए की तत्काल आर्थिक सहायता दी है। ग्राम रामपुर बंधैया के दिव्यांग आवेदक राम सिंह का स्वरोजगार योजना के तहत प्रकरण भी तैयार कराया गया है ताकि हितग्राहीमूलक योजना का लाभ लेकर रामसिंह स्वरोजगारी हो सकें।

बेतवा नदी में मत्स्य बीज छोडा गया

मत्स्य विभाग के सहायक संचालक श्री एमके श्रीवास्तव ने बताया कि मंगलवार को बेतवा मत्स्य सहकारी समिति के अध्यक्ष श्री शिवलाल मांझी और अन्य के द्वारा बेतवा नदी के विभिन्न घाटो पर एक लाख से अधिक मत्स्य बीज को छोडा गया है जिसमें विभिन्न प्रजाति की मछली बीज शामिल है। मुख्यतः कतला, रेऊ, नरेन इत्यादि शामिल है। सहायक संचालक श्री श्रीवास्तव ने बताया कि समिति को शासन के दिशा निर्देशों के अनुरूप निःशुल्क मत्स्य बीज उपलब्ध कराया गया है ताकि समिति के सदस्य आजीविका के लिए मत्स्य पालन कर सकें।

सफलता की कहानी : योजना से आटो मिला और आटो से आर्थिक सबलता

vidisha news
दिन भर किराए के आटो को चलाकर मुश्किल से दो सौ से तीन सौ रूपए कमाने वाले श्री संतोष अहिरवार की तकदीर ‘‘मुख्यमंत्री आर्थिक विकास योजना’’ ने बदल दी है। हितग्राही संतोष पुत्र स्वर्गीय श्री रामप्रसाद अहिरवार ने बताया कि सात वर्ष की अल्पआयु में पिता का साया सर से उठ गया। मां ने मजदूरी करके मुझे दसवीं तक पढ़ाया, बीच में मां को लकवा हो जाने के कारण चल फिर नही पा रही थी। ऐसी स्थिति में मैंने पीथमपुर में आयशर कंपनी की नौकरी छोड़कर किराए पर आटो चलाने का काम करने लगा। चैबीस घंटे काम करने के बावजूद आर्थिक स्थिति में सुधार नही आ रहा था।  आटो से एक दिन बैंक के अधिकारी को छोड़ने का अवसर मिला। उन्होंने चर्चा के दौरान योजनाओं के तहत नया आटो फायनेंश कराने की सलाह मुझे दी। मैंने अन्त्यावसायी कार्यालय में अपनी स्थिति और शिक्षा तथा आटो चलाने के अनुभव एवं बैंक अधिकारी से हुई चर्चा की जानकारी दी। परिस्थितियां एक समान होती गई और मुझे सेन्ट्रल बैंक आॅफ इंडिया की तिलक चैक शाखा ने दो लाख 18 हजार रूपए का ऋण आटो क्रय करने हेतु स्वीकृत किया। जिसमें तीस प्रतिशत अनुदान भी मिला। हितग्राही संतोष ने बताया कि अब आटो से हर रोज स्कूल के बच्चों को लाना ले जाना कर रहा हूं और बीच-बीच में लोकर सवारियों को लाने ले जाने के कार्य करने से मुझे 15 से 18 हजार रूपए की आय होने लगी जिसमें 3800 रूपए की किश्त बैंक में नियमित जमा की जा रही है। डीजल मेन्टेनेस के बाद मुझे मिनीमम दस से ग्यारस हजार रूपए का शुद्व लाभ हो जाता है। मेरेे परिवार का भरण पोषण करने में ‘‘मुख्यमंत्री आर्थिक विकास योजना’’ साथी सिद्व हो रही है।

जिला स्तरीय स्वास्थ्य शिविर आठ को

राज्य बीमारी एवं राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत मरीजों के जांच व उपचार के लिए जिला स्तरीय शिविर आठ फरवरी को आयोजित किया गया है। यह शिविर प्रातः 11 बजे से भोपाल रोड स्थित नवीन जीएनएम टेªनिंग सेन्टर मेडीकल काॅलेज केम्पस में किया गया है। शिविर में चिन्हित बीमारियों का ईलाज निःशुल्क किया जाएगा। ऐसे बीपीएलधारी मरीज जिनका चिन्हांकन विकासखण्ड स्तर पर किया गया है वे उक्त शिविर में शामिल होकर लाभ उठा सकते है।

राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस नौ को

राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस का आयोजन नौ फरवरी को किया गया है। इस दिन एक वर्षीय बच्चों से लेकर 19 वर्ष तक के युवाओं को कृमिनाश्क एल्बेण्डाजोल की मीठी गोली खिलाई जाएगी। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डाॅ बीएल आर्य नेे बताया कि जिला मुख्यालय पर उक्त कार्यक्रम शुक्रवार की प्रातः 11 बजे से शासकीय माध्यमिक शाला माधवगंज क्रमांक-दो में आयोजित किया गया है। अभियान के तहत स्कूलों, आंगनबाडी केन्द्रों में दर्ज सभी बच्चों को कृमिनाश्क दवा निःशुल्क खिलाई जाएगी। बच्चों के अभिभावकों से आग्रह किया गया है कि वे पूर्व उल्लेखित आयु वर्ग के बच्चों के बेहतर स्वास्थ्य हेतु कृमिनाशक गोली अवश्य खिलवाएं। उक्त गोली से किसी भी प्रकार का हानिकारक प्रभाव नही होता है।

बिहार : बजट में समर्थन मूल्य संबंधी घोषणाएं किसानों को गुमराह करने वाला सफेद झूठ

$
0
0
  • सरकारी घोषणाओं का पर्दाफाश करने के लिए अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने किया राष्ट्रव्यापी संघर्ष का ऐलान

false-budget-cpi-ml
अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (ए.आई.के.एस.सी.सी.) ने 2018-19 के बजट को किसानों के साथ वित्त मंत्री द्वारा किया गया भद्दा मजाक, धोखा, छलावा करार दिया है। वित्त मंत्री की घोषणाओं को सफेद झूठ एवं महज चुनावी शुगूफा बतलाया है, जिसका पर्दाफाश गांव-गांव में किया जाएगा तथा किसानों की संपूर्ण कर्जा मुक्ति और किसानों को लागत से डेढ़ गुना दाम दिलाने तथा केंद्र सरकार किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ 12 फरवरी से 19 फरवरी के बीच राष्ट्रव्यापी अभियान चलाया जाएगा।  अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के अनुसार कृषि संकट से किसानों को उबारने के लिए किसानों की संपूर्ण कर्जा मुक्ति को लेकर बजट में तो कोई प्रावधान किया ही नहीं गया है। यहां तक कि वित्त मंत्री ने किसानों की आत्महत्याओं को रोकने का उल्लेख तक करने की आवश्यकता नहीं समझी है। देश की आबादी के 65 प्रतिशत किसानों को केवल 2.36 प्रतिशत बजट उपलब्ध कराने तथा लागत से डेढ़ गुना दाम देने की घोषणा के साथ आवश्यक बजट उपलब्ध न कराने, दामों की स्थिरिता के लिए बाजार में हस्तक्षेप हेतु गत वर्ष आवंटित 950 करोड़ की राशि को घटाकर 200 करोड़ किये जाने, भण्डारण, किसान पेंशन, प्राकृतिक आपदा, लागत कम करने (बीज, खाद, कीटनाशक, डीजल, पेट्रोल, बिजली, कृषि उपकरण), जलवायु परिवर्तन के लिए आवश्यक राशि आवंटित नहीं किये जाने से स्पष्ट हो गया है कि किसानों के साथ अन्याय, उपेक्षा और भेदभाव जारी है। ऐसी स्थिति में प्रधानमंत्री द्वारा किसानों की आमदनी दुगुनी करने का वायदा मात्र जुमला बनकर रह गया है। फसल बीमा के लिए आवंटित राशि, बीमा कंपनियों को लाभ देने के लिए ही आवंटित की गई है, किसानों के लिए नहीं।

एनडीए ने 2014 के चुनाव में लागत से डेढ़ गुना समर्थन मूल्य देने की घोषणा की थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट में सरकार बाकायदा शपथपत्र देकर फरवरी 2015 में पलट गयी। कृषि मंत्री ने इस आशय का बयान जुलाई 2017 में संसद में भी दिया। गत 4 वर्षों में न्यूनतम समर्थन मूल्य में की जाने वाली औसत बढ़ोतरी से भी कम बढ़ोतरी की गई। राज्य सरकार द्वारा लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी) को की गई लागत की कीमत संबंधी अनुशंसाओं में 30 से 50 प्रतिशत तक कटौती की गई। मंदसौर में 6 जून, 2017 को पुलिस गोलीचालन के बाद अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति का गठन किया गया। समिति में शामिल 191 किसान संगठनों द्वारा देश के 19 राज्यों में दस हजार किलोमीटर की किसान मुक्ति यात्रा किये जाने के बाद 20-21 नवंबर को नई दिल्ली में आयोजित लाखों किसानों की किसान मुक्ति संसद तथा किसान मुक्ति सम्मेलनों से पैदा हुए माहौल, किसानों की जागरूकता, देशभर में स्वतः स्फूर्त किसान आंदोलनों ने सरकार को समर्थन मूल्य के बारे में मुंह खोलने के लिए मजबूर किया। परंतु सरकार की कलई तब खुल गई जब वित्त मंत्री द्वारा कहा गया कि उसने रबी में ही अपने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) वायदे को पूरा कर दिया है जबकि वस्तुस्थिति यह है कि सरकार द्वारा लागत की परिभाषा ही बदल दी गई है। सरकार ने रबी में सी-2 के आधार पर लागत का आंकलन करने की बजाय ए-2 + एफएल पर आंकलन किया है। यह किसानों के साथ क्रूर मजाक है जिससे यह स्पष्ट होता है कि खरीफ में भी किसानों को स्वामीनाथन कमीशन की सिफारिशों के मुताबिक लागत से डेढ़ गुना समर्थन मूल्य नहीं मिलेगा। 

सरकार एक बार फिर किसानों को बेवकूफ बनाना चाहती है। किसान संगठनों का संघर्ष डा स्वामीनाथन द्वारा की गई सिफारिश के मुताबिक किसानों को समग्र लागत की कीमत सी-2 दिलाना है जिसका वायदा प्रधानमंत्री ने सैकड़ों सभाओं में किया था। ऐसे समय में जबकि न्यूनतम समर्थन मूल्य भी किसानों को नहीं मिल रहा है तथा अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के आंकलन के मुताबिक केवल खरीफ (2017) में न्यूनतम समर्थन मूल्य तथा बाजार मूल्य के बीच 32,700 करोड़ रुपए का अंतर पाया गया है, जिसे हम किसानों की लूट मानते हैं। बाजार के दाम और समर्थन मूल्य के अंतर को पाटने के लिए बाजार में हस्तक्षेप हेतु हजारों करोड़ के बजट की आवश्यकता थी लेकिन सरकार द्वारा यह राशि 950 करोड़ रुपए से घटाकर 200 करोड़ रुपए कर दी गयी है। सरकार ने बजट में राष्ट्रीय कृषि विकास योजना की राशि 4500 करोड़ रुपए से घटाकर 3600 करोड़ रुपए कर दी है। मनरेगा के लिए 80 हजारा करोड़ की आवश्यकता थी लेकिन केवल 54 हजार करोड़ रुपया ही आवंटित किया गया है। आपदा राहत फंड में भी कटौती की गई है। अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने रमेश चंद्र कमेटी की सिफारिशों के आधार पर लागत की कीमत की गणना किये जाने की सरकार से मांग की है। अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति का मानना है कि किसानों के संपूर्ण कर्जा मुक्ति के लिए बजट आवंटन करने की बजाय सरकार ने उद्योगों के नॉन परफोर्मिंग एसेट को खत्म करने का बजट में वायदा किया है। गत 4 वर्षों में भी सरकार करोड़ों रुपए की छूट गिने-चुने औद्योगिक घरानों को देती रही है। अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने 12 फरवरी से 19 फरवरी के बीच देश भर में जनपद एवं तहसील स्तर तक उक्त मुद्दों को लेकर समिति में शामिल सभी संगठनों के द्वारा धरना-प्रदर्शन-सम्मेलन-प्रेसवार्ता-आमसभाएं आयोजित करने का ऐलान किया। 

देशभर में किसान मुक्ति सम्मेलनों के पूरा हो जाने पर बजट सत्र के दौरान संपूर्ण कर्जा मुक्ति बिल एवं किसान (कृषि उपज लाभकारी मूल्य गारंटी) अधिकार बिल संसद में किसानों की ओर से पेश किया जाएगा तथा इन दोनों मुद्दों को लेकर संसद में लोकसभा अध्यक्ष को याचिका भी सौंपी जाएगी। अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वयसमिति के वर्किंग ग्रुप के सदस्य व अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय महासचिव राजा राम सिंह ने बयान जारी करते हुए कहा कि इस सरकार जैसे देश की अर्थ ब्यवस्था के विकास दर को नापने का जैसे पैमाना ही बदल दिया था, कुछ उसी प्रकार उसने उत्पादन लागत के आकलन का पैमाना भी बदल दिया है । यह पूरा पूरी फर्जीवाड़ा है । इस धोखेबाज सरकार को सबक सिखाना होगा ।

मधुबनी : इंटरमीडिएट परीक्षा में तीन छात्र धराये !

$
0
0
intermediate-exam-3-supend
मधुबनी 6, फरवरी, 18 जिला पदाधिकारी, मधुबनी  के द्वारा इंटरमीडिएट परीक्षा-2018 के अवसर पर सोमवार को कई परीक्षा केन्द्रों का निरीक्षण किया गया। जिला पदाधिकारी द्वारा जे.एम.डी.पी.एल. महिला काॅलेज, मधुबनी, जे0एन0काॅलेज, मधुबनी,आर0के0 काॅलेज, मधुबनी एवं जी0एम0एस0एम उच्च विद्यालय, मधुबनी परीक्षा केन्द्रों का निरीक्षण किया गया। इस क्रम में उन्होने केन्द्राधीक्षकों एवं दंडाधिकारियों को कई आवष्यक निदेष दिये। उन्होने शांतिपूर्ण माहौल में कदाचारमुक्त परीक्षा संपन्न कराने का भी निदेष दिया। प्रथम पाली में रिजनल सेकेड्री स्कूल,जीवछ चैक मधुबनी केन्द्र पर राजा कुमार के बदले राकेष कुमार साहु को परीक्षा देते हुए हिरासत में लिया गया। स्वामी विवेकानंद विद्यालय,पंडौल से देवन कुमार को कदाचार करते पकड़ा गया है। मध्य विद्यालय, जितवारपुर से श्री प्रेम कुमार सहनी को चिट के साथ पकड़ा गया है। जिले में कुल 63 परीक्षा केन्द्र बनाये गये है। जिसमें 163 सी0सी0टी0वी0 कैमरों से निगरानी की जा रही है। परीक्षा केन्द्रों पर विडियोग्राफी की भी व्यवस्था की गयी है। पूरे जिले में शांतिपूर्वक परीक्षा संपन्न होने की सूचना है। प्रथम पाली में कुल 10,644 परीक्षार्थियों को परीक्षा में शामिल होना था। जिसमें से कुल 10,440 उपस्थित हुए एवं 204 परीक्षार्थी अनुपस्थित रहे। 2 परीक्षार्थी निष्कासित एवं 1 परीक्षार्थी दूसरे के बदले परीक्षा देते हुए हिरासत में लिया गया है। द्वितीय पाली में कुल 283 परीक्षार्थियों को परीक्षा में शामिल होना था। जिसमें से 275 उपस्थित हुए 8 परीक्षार्थी अनुपस्थित रहे। पूरे जिले में शांतपूर्वक परीक्षा संपन्न होने की सूचना है।

मधुबनी : वार्ड क्रियान्वन एवं प्रबंध समिति का गठन किया गया

$
0
0
meeting-andhrathadi-madhubani
अंधराठाढ़ी/मधुबनी। पंचायती राज विभाग की अधिसूचना के आलोक में ठाढ़ी दक्षिण पंचायत स्थित वॉड संख्या 8 में वार्ड सभा आयोजित की गई। वार्ड अध्यक्ष मुकेश कुमार झा ने इसकी अध्यक्षता की। बैठक में वार्ड क्रियान्वन एवं प्रबंध समिति का गठन किया गया। बैठक में वार्ड क्षेत्र के दर्ज़नो महिला एवं पुरुष उपस्थित हुए। बैठक में सर्वसम्मति से सुदेश कुमार को वार्ड क्रियान्वन एवं प्रबंध समिति का सचिव चुना गया। सदस्य के रूप में लक्ष्मी देवी, रानी देवी, धर्मशीला देवी और हीराकान्त मिश्र चुने गए। बताते चलें कि मुख्यमंत्री सात निश्चय योजना के तहत ग्रामीण पेयजल एवं पक्की गली नाली योजना के क्रियान्वन के लिए इस प्रबंध समिति का गठन किया गया है। अधिसूचना के अनुसार इस प्रबंध समिति में सात सदस्य होंगे। यह मुख्य रूप से लाभुकों की समिति होगी। वार्ड सदस्य इसका पदेन अध्यक्ष और वार्ड पंच पदेन उपाध्यक्ष होंगे। समिति में 3 महिला सदस्य होंगे। अध्यक्ष, पंचायती राज संस्थाओं और ग्राम कचहरी के किसी पदधारक के परिवार के सदस्य को सचिव के रूप में नही चुना जा सकता है।बैठक में शोभिकान्त झा सज्जन, रुद्रानंद मिश्र, मोहन मिश्रा अगहनु साहू,दिलीप कुमार साहू, उत्तिम लाल साहू, सदानंद मिश्र, फेकू झा,आदित्य नारायण झा,अवधेश झा, चाने राय आदि मौजूद थे

मधुबनी : आईसा और इनौस के कार्यकर्ताओं ने किया PM का पुतला दहन

$
0
0
aisa-inaus-protest-modi-madhubani
मधुबनी,6फरवरी "2018. शिक्षा बजट में कटौती,रेलवे बहाली में उम्र सीमा में कटौती व फार्म के दामों में की गईं बेतहाशा बृद्धी के खिलाफ में आर के कांलेज,मधुबनी के गेट पर आईसा और इनौस के कार्यकर्ताओं ने प्रधानमंत्री मोदी का पुतला दहन किया। नेतृत्व आईसा के जिला सचिव प्रमोद कामत एवं इनौस के जिला सचिव गोपाल यादव ने किया।भाकपा (माले )के छात्र युवा प्रभारी अनिल कुमार सिंह,आईसा के रणजीत कुमार,प्रकाश कुमार झा इनौस के ब्रम्हदेव यादव,संतोष साह,टुन टुन राम,शंम्भू खतबे सहित दर्जनों छात्र युवा ने भागिदारी किया।

विशेष आलेख : बजट में जमीन से आसमान तक के विकास का सपना

$
0
0
budget-with-dream
केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने वर्ष 2018 का केंद्रीय बजट पेश कर एक बार फिर साबित किया कि वे वित्तीय मामलों के बड़े फनकार हैं। जिस उस्तादी के साथ उन्होंने जमीन से आसमान तक अपने बजट में विकास की छलांग लगाई है, उसने उनके विरोधियों को झटका तो दिया ही है। सबको खुश करने की यह उनकी कोशिश ही है कि विपक्ष भी कुछ खास टिप्पणी कर पाने की स्थिति में नहीं है। सिवा यह कहने के कि यह एक साल पहले पेश किया गया 2019 का चुनावी बजट है।  सच तो यह है कि इस बजट में गांव, गरीब, किसान, उद्योग से जुड़े लोगों और आदिवासियों के विकास का तो ध्यान रखा ही गया है,देश की वाजिब जरूरतों को भी समझने की कोशिश की गई है। देश की परिवहन चिंताओं का भी समाधान तलाशा गया है। बजट में देश की जरूरतों और सम्यक विकास पर न केवल ध्यान रखा गया है बल्कि बेरोजगार हाथों को काम देने की ठोस आश्वस्ति भी इस बजट का प्राणतत्व बनी है। जेटली ने अपने बजट में गांवों और किसानों की बेहतरी तथा वरिष्ठ नागरिकों के हितों का ही नहीं, राजनेताओं के हितों का भी पूरा ध्यान रखा है। सांसदों का वेतन तय करने के लिए नया कानून बनाने की बात की गई है जिसके तहत हर 5 साल में सांसदों के वेतन और भत्ते की समीक्षा की जानी है। 1 अप्रैल, 2018 से यह व्यवस्था आरंभ होगी। राष्ट्रपति को 5 लाख, उपराष्ट्रपति को 4 लाख और राज्यपाल को मिलेगी 3 लाख रुपये बतौर वेतन मिलेंगे। 

मोदी सरकार में भारत के दुनिया की सातवीं बड़ी अर्थव्यवस्था बनने पर भी उन्होंने अपनी पीठ थपथपाई है। उनके इस बयान को कांग्रेस के पूर्व वित्तमंत्री प्रणव मुखर्जी के हालिया बयान का प्रतिवाद भी कहा जा सकता है जिसमें उन्होंने कहा था कि देश की अर्थव्यवस्था को आगे ले जाने में कांग्रेस के वित्तमंत्रियों की बड़ी भूमिका रही है। जेटली का मौजूदा बयान समझदार को ईशारा काफी वाला ही है। उन्होंने कहा है कि देश की अर्थव्यवस्था लगभग 6 प्रतिशत है। 2018-19 में अर्थव्यवस्था के 7.2 से 7.5 के बीच प्रतिशत रहने का अनुमान है। जिन कंपनियों का वार्षिक टर्नओवर 250 करोड़ है उन्हें भी कॉर्पोरेट टैक्स में 25 प्रतिशत टैक्स देना होगा। इससे देश के  99 फीसद लघु, सूक्ष्म और मध्यम उद्योगों को लाभ मिलेगा। आयकर में किसी तरह की छूट न मिलने से नौकरीपेशा लोगों को जरूर झटका लगा हैै। गरीबों को जेटली का बड़ा तोहफा हो सकती है नेशनल हेल्थ स्कीम। इसके तहत हर जरूरतमंद गरीब परिवार को 5 लाख रुपए प्रतिवर्ष इलाज के लिए मदद मिलेगी। इसके लिए केंद्र सरकार ने 1200 करोड़ का कोष निर्धारित किया है। दुनिया भर में यह अपनी तरह का पहला कोष है। इस कोष से देश के 10 करोड़ परिवार लाभान्वित होंगे। सरकार का दावा है कि वह 50 करोड़ लोगों का स्वास्थ्य बीमा करवाएगी। 24 नए मेडिकल कॉलेज खोलेगी। टीबी मरीजों को हर माह 500 रुपये की मदद देगी। गरीबों के प्रति सरकार की यह चिंता यह बताती है कि सरकार गरीबों का दर्द और उनकी चिंताओं को समझती भी है और उनके हर सुख-दुख में उनके साथ खड़ी भी है। 

रेलवे के विकास को लेकर भी वित्त मंत्री ने बड़ी घोषणाएं की हैं। उन्होंने न केवल इस निमित्त 1.48 लाख करोड़ का प्रावधान किया है बल्कि समूचे रेल नेटवर्क को ब्राॅडगेज में तब्दील करने का वादा भी किया है। इससे न केवल रेल पटरियां नई हो जाएंगी बल्कि रेल हादसों की तादाद में भी कमी आएगी। मुंबई लोकल का 90 किमी तक विस्तार, 25 हजार से ज्यादा यात्रियों वाले सभी रेलवे स्टेशन पर एस्केलेटर्स बनाने, सभी रेलवे स्टेशनों पर वाईफाई और सीसीटीवी कैमरे लगाने, 600 बड़े रेलवे स्टेशनों के आधुनिकीकरण और 36 हजार किमी. की नई रेल लाइनें बिछाए जाने का प्रावधान इस बात का संकेत तो है ही कि केंद्र सरकार रेलवे महकमे को रामभरोसे छोड़ने के पक्ष में नहीं है। हवाई यातायात को लेकर भी वित्तमंत्री की चिंता बजट में मुखरता से साथ झलकी है। उन्होंने हवाई यातायात को सस्ता और सुगम बनाने की बात कही है। हवाई अड्डों की संख्या में पांच गुना इजापफा करने की उनकी घोषणा को कमोवेश इसी रूप में लिया जा सकता है। सरकार की योजना 56 बेकार पड़े एयरपोर्ट और 31 हेलीपेड्स का भी उपयोग करने की है। एयरपोर्ट अथॉरिटी के पास संप्रति 124 हवाई अड्डे हैं। सरकार का प्रयास हवाई यातायात को एक अरब करने का है। 

वित्त मंत्री ने देश को यह बताया है कि काले धन पर अंकुश लगाने के उसके प्रयासों के तहत देश में आयकर संग्रह 90 हजार करोड़ रुपये बढ़ा है। 19.25 लाख नए करदाता बढ़े हैं। डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन 12.6 प्रतिशत बढ़ा है। अगले साल जीडीपी घाटा 3.3 प्रतिशत रहने का अनुमान है। किसान उत्पाद कंपनियों को 100 करोड़ के टर्नओवर पर शत प्रतिशत आयकर में छूट देने का प्रावधान भी सराहनीय है। कुल मिलाकर इस बजट का पूरा फोकस ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर है। गांवों के विकास उसकी योजना के केंद्र में है। वित्तमंत्री ने एक बार फिर किसानों के कल्याण के लिए सरकार की प्रतिबद्ध दोहराई है। 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने का संकल्प दोहराते हुए उन्होंने 2 हजार करोड़ की लागत से कृषि बाजार बनाने खरीफ फसलों का समर्थन मूल्य उत्पादन मूल्य से डेढ़ गुना करने का ऐलान भी किया है। ऑपरेशन ग्रीन शुरू करने, पशुपालकों और मछली पालकों को भी किसान क्रेडिट कार्ड देने, आलू, टमाटर और प्याज के लिए 500 करोड़ का प्रावधान करने और  42 मेगा फूड पार्क बनाने के प्रस्ताव को किसानों के लिए बेहत हितकारी तो कहा ही जा सकता है।  बांस को वन क्षेत्र से अलग कर वित्तमंत्री ने बंसपफोर समुदाय को प्रकारांतर से पार्टी लाइन से जोड़ने की भी कोशिश की है। बांस लगाने वाले किसान भी इससे सीधे तौर पर लाभान्वित होंगे। 1290 करोड़ की लागत के राष्ट्रीय बांस मिशन, मछली और पशुपालन के लिए दो नए फंड का प्रावधान बंसफोर समुदाय और मल्लाहों के लिए संजीवनी का काम कर सकता है। कृषि ऋण के लिए 11 लाख करोड़ का प्रस्ताव सुखद है और यह संकेत देता है कि सोहनलाल द्विवेदी का भारत की आत्मा कहलाने वाला गांव अब उपेक्षित नहीं रहा। 

दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण घटाने के लिए नई योजना का ऐलान उन्होंने नया ऐलान किया। अपनेबजट में उन्होंने खेतों में पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण से निपटने के तज्ञेर-तरीके भी बताए। इससे उन्होंने यह जताने की कोशिश की कि सरकार समस्याओं को लटकाने में नहीं, सुलझाने में रुचि रखती है। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत ग्रामीण इलाकों में 52 लाख गरीबों को घर देने, 8 करोड़ ग्रामीण महिलाओं को मुफ्त एलपीजी कनेक्शन देने, 4 करोड़ गरीब घरों को सौभाग्य योजना के तहत बिजली कनेक्शन देने का प्रावधान तथा गांवों में 2 करोड़ नए शौचालय बनाने का बजट प्रस्ताव कर उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विकास योजनाओं को ही विस्तार दिया है।  बजट में शिक्षा व्यवस्था की सुद्ढ़ता का भी विशेष ध्यान रखा गया है। प्री-नर्सरी से लेकर 12वीं तक के लिए नई शिक्षा योजना लाने के वादे को इसी रूप में देखा जा सकता है। बड़ोदरा में रेलवे यूनिवर्सिटी बनाने और नवोदय स्कूल की तर्ज पर आदिवासियों के लिए एकलव्य स्कूल खेले जाने के सरकार के बजट प्रस्ताव को इसी आलोक में देखना ज्यादा मुफीद होगा। वित्त मंत्री ने बजट में व्यापार शुरू करने के लिए मुद्रा योजना के तहत 3 लाख करोड़ मुद्रा योजना के तहत दिए जाने और छोटे उद्योगों के लिए 3794 करोड़ खर्च करने की बात कही है। इसे युवाओं को रोजगार देने के लिए शुरू की गई स्टार्ट अप योजना को विस्तार देने के क्रम में ही देखा जा रहा है। सरकार ने नए कर्मचारियों के ईपीएफ में 12 प्रतिशत योगदान देने और ईपीएफ में महिलाओं का योगदान 12 से 8 प्रतिशत करने तथा 70 लाख नई नौकरियां पैदा करने की बात कहकर नौकरीपेशा लोगों, महिलाओं और युवाओं को अपने खेमे में लाने की भी कोशिश की है। 

 कपड़ा उद्योगों को लिए 7148 करोड़ का प्रावधन, दलितों के कल्याण के लिए 56619 करोड़ और अनुसूचित जनजाति के कल्याण के लिए 39135 करोड़ का ऐलान कर जेटली ने एक तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वर्ष 2019 की चुनावी राह आसान कर दी है। स्मार्ट सिटी के लिए 99 शहरों का चयन, धार्मिक-पर्यटन वाले शहरों के लिए हेरिटेज सिटी योजना और 100 स्मारकों को आदर्श बनाने की घोषणा कर वित्तमंत्री ने विपक्ष से एकबारगी विरोध करने की ताकत छीन ली है। 500 शहरों में पेयजल के लिए अमृत योजना, 494 परियोजनाओं के लिए 19428 करोड़ का प्रावधान कर वित्तमंत्री ने सरकार की जनसापेक्ष नीति और नीयत का भी इजहार किया है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस बार के बजट भाषण में परंपरा भी तोड़ी है। आजादी के बाद हिंदी में बजट भाषण करने वाले वे देश के पहले वित्त मंत्री बन गए हैं। 250 करोड़ तक के टर्नओवर वाली कंपनियों पर लगेगा 25 पर्सेंट कॉर्पोरेट टैक्स देना होगा। गांवों में इंटरनेट के विकास के लिए 10 हजार करोड़ रुपये सरकार देगी। ग्रामीण क्षेत्रों 5 लाख हॉटस्पॉट बनाए जाएंगे।। 99 प्रतिशत लघु एवं सीमांत उद्योगों को 25 प्रतिशत कर ही देना होगा। 250 करोड़ तक के टर्नओवर वाली कंपनियों पर 25 प्रतिशत कॉर्पोरेट टैक्स लगेगा। वित्तमंत्री ने यह तो कहा है कि नए करदाता बढ़े हैं लेकिन उन्होंने इस बात पर चिंता भी जाहिर की है कि देश में अभी भी बहुतेरे लोग हैं जो ईमानदारी के साथ कर नहीं दे रहे हैं। उन्होंने 5.95 लाख करोड़ रुपयेके सरकारी घाटे का बजट पेश किया है और वित्तीय वर्ष 2018-19 में  वित्तीय घाटा 3.3 प्रतिशत रहने की बात कही है। आभासी मुद्रा के इस्तेमाल पर रोक लगाने के लिए कदम उठाने का प्रस्ताव देश की जनता के लिए न केवल राहतकारी है बल्कि उसे धोखाधड़ी से बचाने वाला भी साबित होगा। सोने के लिए जल्दी ही नई नीति का ऐलान करने के भी वित्तमंत्री ने संकेत दिए हैं। इससे सोने को लाने और ले जाने में सहजता हो सकती है। 

 सरकारी कंपनियों के शेयरों को बेचकर 2018-19 में 80 हजार करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य जरूर विस्मयकारी है लेकिन सरकार अपनी आवष्यकताओं और विवशताओं को बेहतर जानती है। 14 सरकारी कंपनियों को शेयर बाजार में ले जाने का और क्या विकल्प हो सकता है, अगर इस पर सरकार पुनर्विचार करे तो ज्यादा उपयुक्त होगा। 2 सरकारी बीमा कंपनियां शेयर बाजार में आएंगी।  डिजिटल इंडिया प्रोग्राम के लिए 3037 करोड़ रुपये की राशि का आवंटन और गांवों में 22 हजार हाटों को कृषि बाजार में तब्दील करने का प्रस्ताव इस बात का प्रमाण है कि सरकार इस देश की विकास यात्रा को दूर तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध है। यह बजट जितना शहर के लिए उपयोगी है, उससे कहीं अधिक गांव के लिए उपयोगी है। आर्थिक समानता लाने के लिए देर-सवेर गांवों पर ध्यान तो देना ही था। यह नेक शुरुआत है। स्वागतव्य है। 





--सियाराम पांडेय ‘शांत’ --

विशेष : पद्मावत पर विरोध की राजनीति क्यों?

$
0
0
padmavat-and-politics
कल परिवार के साथ ‘पद्मावत’ देखी। इस फिल्म को लेकर जितने शोर-शराबें, बवाल अथवा अफवाहों ने देश की जनता को गुमराह किये हुए था, फिल्म देखकर लगा कि इस देश की जनता को बेमतलब कितना गुमराह किया जा सकता है। जिन राजपूतों ने और उनकी करणी सेना इस फिल्म का व्यापक विरोध किया, आन्दोलन चलाया, हिंसा की, तोड़फोड़ की- यह सब राजपूतों की आन-बान-शान को धुंधलाने के नाम पर किया गया। जबकि संजय लीला भंसाली की इस फिल्म को देखकर लगा कि इसमें ऐसा कुछ नहीं है। यह फिल्म देखकर और इसमें फिल्माये एवं दिखाये गये मेवाड़ के गौरव एवं राजपूतों की जीवनशैली को देखकर हर व्यक्ति गौरवान्वित हुआ। उस महान् संस्कृति एवं इतिहास के प्रति नतमस्तक भी हुआ और गद्गद् भी हुआ। प्रश्न है कि फिर विरोध क्यों हुआ? आन्दोलन क्यों हुआ? क्यों सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना हुई? क्यों विभिन्न राज्य सरकारों ने इसे अपने प्रांतों में प्रदर्शन नहीं करने के फरमान जारी किये? आखिर कौन लोग इस फिल्म के नाम पर इंसानों को बांटने की कोशिश कर रहे थे। यदि राजनीतिक स्वार्थ के लिये यह सब किया गया है तो अब ऐसी स्वार्थी राजनीति पर अंकुश लगना ही चाहिए। एक नई किस्म की वाग्मिता पनप रही है जो किन्हीं शाश्वत मूल्यों पर नहीं बल्कि भटकाव के कल्पित आदर्शों के आधार पर है। जिसमें सभी नायक बनना चाहते हैं, पात्र कोई नहीं। भला ऐसी सामाजिक व्यवस्था किस के हित में होगी?

‘पद्मावत’ के विरोध की राजनीति को देखते हुए यही लगा कि सब अपना बना रहे हैं, सबका कुछ नहीं। और उन्माद की इस प्रक्रिया में एकता की संस्कृति का नाम सुनते ही हाथ हथियार थामने को मचल उठते हैं। मनुष्यता क्रूर, अमानवीय और जहरीले मार्गों पर पहुंच जाती है। बहस वे नहीं कर सकते, इसलिए हथियार उठाते हैं। संवाद की संस्कृति के प्रति असहिष्णुता की यह चरम सीमा है। यह हमारे देश का दुर्भाग्य है कि हम बिना पड़ताल के, बिना सत्य का साक्षात्कार किये भावनाओं में बह कर राष्ट्रीय सम्पत्ति का नुकसान करने लगते हैं, जनहानि कर देते हैं। बिना ठोस प्रमाण के उत्पात मचाने वालों ने आखिर किन अराजक शक्तियों के इशारों पर लम्बे समय तक यह हिंसक आन्दोलन चलाया? जबकि फिल्म देखने के बाद मुझे लगा कि यह राजपूत संस्कृति का, उनके संस्कारों का, उनके सिद्धान्तों का, उनकी आन-बान-शान का, उनके इतिहास का, उनके नारी सम्मान का इतना भव्य, मनोरम, सटीक एवं प्रभावशाली प्रदर्शन पहली बार हुआ है, जिससे राजपूत जीवनशैली एवं संस्कृति का महिमामंडन ही हुआ है। राजपूतों की संस्कृति पर फिल्में बहुत बनी है, लेकिन संजय लीला भंसाली बधाई के पात्र हैं कि उन्होंने मेवाड़ की संस्कृति, सती प्रथा को, मेवाड़ के आत्म-सम्मान को, राजपूतों की मान-मर्यादा को खूबसूरती से दर्शाया है। उन्होंने राजपूतों की वीरता तथा बलिदान को गौरवान्वित किया है और इसे देख कर प्रत्येक राजपूत ही नहीं देश का हर नागरिक गर्व महसूस कर रहा है। ‘पद्मावत’ के विरोध ने अनेक प्रश्न खड़े किये हैं। जो आत्म-मंथन का अवकाश चाहते हैं। क्यों राजपूत करणी सेना ने इतने दिनों के विरोध के बाद अपने बवाल को वापस लेने का फैसला किया है? इतना ही नहीं, करणी सेना ने एक कदम आगे बढा़ते हुए अपने सदस्यों को राजस्थान में इसे रिलीज करवाने में मदद करने को कहा है। पूरा साल लोग करणी सेना के विरोध प्रदर्शनों से लेकर आयोजित बंद-हिंसा-आन्दोलन आदि को देखते-सुनते व झेलते रहे थे। सर्वत्र तेरहवीं सदी की रानी पद्मावती की ही बातें हो रही थीं। जबकि इस फिल्म में रानी पद्मावती और अलाउद्दीन के बीच कोई भी सीन नहीं है। इसमें ऐसा कुछ नहीं है जो राजपूत समाज के इतिहास और भावनाओं को नुकसान पहुंचाए। फिर इतना विरोध क्यों एवं किनके इशारों पर हुआ। गलतफहमियां पनपनी नहीं चाहिए, क्योंकि इसी भूमिका पर विरोधी विचार जनम लेते हैं, विरोध का वातावरण बनता है।

क्या कारण बना कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद वाहनों को आग के हवाले करने, ट्रक ड्राइवरों के साथ मारपीट से लेकर स्कूल बसों पर पथराव तथा जलाने के प्रयास जैसी हिंसा एवं बर्बरता होती रही। चाहे भाजपा हो या कांग्रेस राजनीतिक जगत में इस हिंसा को लेकर पूर्ण चुप्पी इनके गिरते स्तर और वोट राजनीति का प्रमाण है। राजस्थान, हरियाणा, मध्यप्रदेश की चुनी हुई सरकारों ने सर्वोच्च न्यायालय के आदेश को लागू करवाने के बजाय खुलेआम इसे चुनौती ही नहीं दी, मनमानी करने वाले तत्वों का काफी हद तक साथ भी दिया। न केवल सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की गरिमा को धराशायी किया गया, बल्कि भविष्य में उद्दंड समूहों द्वारा समाज पर अपने मुद्दों को थोपने का मार्ग प्रशस्त किया और ऐसा उस बात के लिए हुआ जिसे किसी ने न देखा था और न ही उसका कोई प्रमाण उनके पास था। एक स्वस्थ लोकतांत्रिक व्यवस्था में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार सभी को समान रूप से मिला हुआ है। चित्रकला, नृत्य, नाटक, कहानी, लेखन आदि में दूसरों के विचारों, कलाओं एवं संस्कृति के प्रति असहिष्णुता प्रकट कर हम सामाजिक विघटन की जमीन तैयार करते हैं जो अनेक विघटनों का कारण बनती। इस तरह से पद्मावत का विरोध करने लगेगा तो समाज भला किस तरह से इतिहास एवं संस्कृृति से सीख लेने की बात सोच सकेगा। लोकतंत्र में ऐसी विघटनकारी स्थितियों का कोई स्थान नहीं होना चाहिए।
इतिहास एवं संस्कृति के नाम पर राजनीतिक रोटियां सेंकने वाले लोकतंत्र को कमजोर कर रहे हैं। यदि आप गौर करेंगे तो पाएंगे कि जहां-जहां पद्मावत कोे लेकर उग्र विरोध का वातावरण बना उन राज्यों में बीजेपी सत्ता पर काबिज है। तो क्या विरोधी पार्टी के लोगों ने इस आन्दोलन को हवा दी? राजस्थान की वसुंधरा सरकार की तो मजबूरी थी कि वहां पर दो लोकसभा एवं एक विधानसभा सीटों के लिए उपचुनाव होने थे, इसलिए वसुंधरा सरकार से कोई भी कार्रवाई की उम्मीद करना ही बेमानी था। यदि वसुंधरा को कार्रवाई करनी होती तो करणी सेना के प्रमुख कालवी पर उसी दिन मुकदमा कर देती, जिस दिन उनके लोगों ने पद्मावत के सेट को तोड़ा था और भंसाली को थप्पड़ जड़े थे। यदि उस वक्त कालवी पर मुकदमा हो जाता तो आज ये नौबत ही नहीं आती। लेकिन जो स्थिति बनी, पद्मावत के तर्कहीन विरोध से जो विघटनकारी माहौल बना, वैसी स्थिति भविष्य में न हो, इसका हम सबको प्रयास करना चाहिए। विरोध की संस्कृति की जगह संवाद की संस्कृति बने तो समाधान के दरवाजे खुलते जायेंगे, दिल भी खुलते जायेंगे। बुझा दीया जले दीये के करीब आ जाये तो जले दीये की रोशनी कभी भी छलांग लगा सकती है। ऐसी स्थिति में हम राजनीतिक मोहरें बनने से बच सकेंगे। पद्मावत, गौरक्षा, राष्ट्र गीत, राष्ट्र ध्वज क्या कह रहे हैं? यह कोई नहीं सुन रहा। इन्हें बैसाखी बनाकर राजनीति मत चलाओ। स्वयं बैसाखी बनकर उनका संदेश फैलाओ, ताकि संस्कृति गाढ़ी सांझी बनी रहे।



liveaaryaavart dot com

(ललित गर्ग)
60, मौसम विहार, तीसरा माला, 
डीएवी स्कूल के पास, दिल्ली-110051
फोनः 22727486, 9811051133

आलेख : एक दूसरे की सत्ता खत्म करने की राजनीति में, क्या पिस जाएगा भारत ?

$
0
0
politics-and-india
भारत देश में 1975 से जो सत्ता अस्तित्व में रही है वह कांग्रेस सरकार की सत्ता थी। और इसीलिए कांग्रेस ने भारत में कई सालों तक जमकर राजनीति की। लेकिन कहते है ना कि एक म्यान में दो तलवार नहीं टिक सकती। वैसे ही जबतक देश में दो या दो से अधिक पार्टियां राजनीति करने पर उतर आए, तो ऐसे में उस देश की सत्ता भी चरमरा जाएगी और देश का विकास भी संभवत: उसी सीमा पर आ जाएगा जहां से वह शुरू हुआ ​था। मुख्यत: भारत की स्थिति भी अभी बहुत अच्छी स्थिति में है ऐसा भी हम नहीं कह सकते। क्योंकि भारत एक ऐसा देश है जो   कई विभिन्न परिस्थितियों  भुखमरी, नोटबंदी, आर्थिक अव्यवस्थाओं, भ्रष्टाचार जैसी सभी चीजों से गुजर रहा है। और अब ऐसे में राजनीतिक दल भी अगर इसके विकास में अवरोधक बन जाएं तो  भारत का विकास तो ठप्प ही समझो। ऐसा इसीलिए क्योंकि ऐसी राजनीतिक पार्टियां एक ऐसी चक्की की तरह है जिसमें पूरा भारत देश पिसता नजर आ रहा है।  अब सबसे अहम मुद्दे की बात करें तो वह ये है कि आखिर भारत की राजनीति किस प्रकार गर्मा रही है। और किस प्रकार से यह भारत के विकास में बाधक बन रही है। तो आजकल भारत में चल कुछ यूं रहा है कि कांग्रेस पार्टी भाजपा पर और भाजपा पार्टी कांग्रेस पर तंज कसने का मौका नहीं छोड़ रहे है जब जिसको मौका मिलता है वह उस पर राजनीतिक तंज कसना शुरू कर देता है। लेकिन कहते है न कि हर चीज एक दायरे तक एक सीमा तक ही अच्छी लगती है। उसी प्रकार से राजनीति भी सिर्फ उतनी ही अच्छी लगती है जबतक वह वास्तविक दृष्टि से राजनीतिक रूप में हो।  क्योंकि आजकल राजनीति नहीं राजनीति के नाम पर एजेंडे खड़े किए जाते है, और उन्हीं को सियासी मुद्दों का नाम भी दे दिया जाता है। अब अगर राजनीतिक पार्टियों पर एक नजर डाले तो हम समीक्षात्मक रूप से क्या पाएंगे आइए जानते है। 

सबसे पहले बात करें कांग्रेस सरकार की तो कांग्रेस पार्टी जब शुरूआती दौर में बनी ही थी तब वह मिशन के तौर पर कार्यरत थी। लेकिन धीरे — धीरे कांग्रेस अपने मिशन से तो हट ही गई साथ ही कई प्रकार के घोटालों में इस पार्टी के लोगों के नाम भी सामने आए। जिससे  आज सभी लोग भली भांति परिचित है। चाहे वह भ्रष्टाचार में लिप्त नेता हो या कोई भी अन्य घोटाले उसमें कांग्रेस की ही हाइपरलिंक समझ में आई।  अब अगर बात करें भाजपा सरकार की तो भाजपा ने एक ओर जहां गरीब जनता और पूरे देशभर से जो वादे किए थे। उनमें वह कहीं न कहीं कमजोर साबित होती अब नजर आ रही है। अब सबसे बड़ी बात यह है कि भाजपा जहां एक ओर कांग्रेस मुक्त भारत का सपना देख रही है। वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस अब अपना सिक्का जमाने की कोशिश में है और वह अपनी इस कोशिश में सफल होती हुई नजर भी आ रही है। क्योंकि इस बात का स्पष्टीकरण तो इस बात से ही हो जाता है कि अब कांग्रेस मध्यप्रदेश पर अपनी सत्ता जमाने में कामयाब साबित हो रही है। और अगर ऐसा हो गया तो यह बीजेपी के कांग्रेस मुक्त भारत के सपने का खंडन तो कर ही देगा।


लेकिन आज जरूरत इस बात की है कि भाजपा को कांग्रेस मुक्त भारत की बजाय देश के विकास की उन्नति के सपने देखने होंगें। देश को भृष्टाचारियों से आजाद करने के सपने देखने ​होंगें। लेकिन सोचने की बात यह है कि जब भारत के ​ही लेाग राजनीतिक रूप से लड़ते रहेंगें, तबतक भारत देश अपने बाहरी शत्रु देशों से किस प्रकार लड़ सकता है। हमारे देश की सीमा पर कोई जवान शहीद हो जाता है और राजनीतिक प्रहार पहले शुरू हो जाते है। कारणों पर किसी का ध्यान नहीं जाता, कमियों पर किसी का ध्यान नहीं जाता बस सभी राजनेताओं को यह ध्यान होता है कि पार्टियों पर राजनीतिक तंज कैसे कसा जाए। उन्हें किस प्रकार से घेरा जाए।और मुद्दे को सियासी रूप कैसे दिया जाए। उस जवान के प्रति किसी को कोई सहानूभूति ही नहीं है बस एक दूसरे पर तंज कसने के अलावा। राजनीतिक दल कभी यह नहीं सोचते है कि कोई बाहर का व्यक्ति हमारे जवान को मार गया तो उस पर कुछ विचार किया जाए उस पर किसी की कोई प्रतिक्रिया नहीं होगी और होगी भी तो एक दो दिन बस और फिर वह मुद्दा राजनीतिक रूप ले लेता है।

अब होता क्या है हमारे देश मे, अपनी सत्ता को बनाये रखने के लिए राजनेता अपने विचार दूसरो पर थोपने का प्रयास करने लगते है। अभी हाल ही में पीएम मोदी ने बेंगलुरू में राज्य की सत्ताधारी कांग्रेस की सिद्धारमैया सरकार पर तंज कसते हुए कहा है कि राज्य सरकार की उल्टी गिनती शुरू हो गई है और आने वाले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस हारेगी और भाजपा सत्ता में आएगी। मोदी जी ने तो यहां तक कह दिया कि देश को कांग्रेस कल्चर की जरूरत नही है लेकिन अगर वास्तव में ऐसा होता तो क्या मध्यप्रदेश में बीजेपी की सरकार सिमटती हुई नजर आती। सरकार अपनी राय जनता पर थोपने का प्रयास क्यो कर रही है। सत्ता की सरकार को यह समझना जरूरी है कि उसकी आखिर ऐसी क्या कमियां थी जिससे म.प्र. में उसका अस्तित्व सिमटने की कगार पर आ गया है। वहीं मोदी की इन बातों को सुनकर तो कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी पीएम मोदी पर करारा पलटवार कर दिया और ​ मोदी जी की बातों पर एतबार न करने की सलाह लोगो को दे डाली। राहुल गांधी भी गढे मुर्दे  उखाड़ने में पीछे नही है उन्होंने भी कह दिया कि नगा के तीन साल बीत गए लेकिन समझौते का कहीं कोई अता पता ही नहीं है। मतलब राहुल ने मोदी जी की जुबान पर भी प्रश्नचिन्ह लगा दिया है उन्होनें कहा है कि मोदी सिर्फ बोलते है वास्तव में वह करते नहीं है। 

पकोड़े की राजनीति
आजकल भारत में एक और राजनीति चल रही है। वह है पकोड़े की राजनीति। जी हां आजकल पकौड़े की सियासत भारत मे जोरों पर है ! जबसे पीएम मोदी के मुँह से पकौड़े शब्द का उच्चारण हुआ है। पकौड़े देश की राजनीति पर छा गए है। आज पकौड़े ने नेताओं के दिलो में एक अहम स्थान बना लिया है। मुद्दे के रूप में पकौड़ा आज विपक्ष की पहली पसंद बन गया है। इन दिनों भाजपा और विपक्ष के बीच बयानों में पकौड़े का किरदार बड़ा अहम् हो गया है। हाल ही में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने राज्यसभा में अपना पहला भाषण दिया और गलती से उन्होंने यह कह दिया कि बेरोजगारी से अच्छा है पकौड़े बेचना, परिश्रम से पैसे कमाना बस फिर क्या था, पकौड़ा फिर सुर्खियों में आया। इस मुद्दे को लेकर इस समय राजनीति गर्म है। मोदी द्वारा पकौड़ा बेचने को भी रोजगार बताने पर पर कांग्रेस नेता और पूर्व वित्त पी चिदंबरम ने कह दिया कि अगर पकौड़ा बेचना नौकरी है तो भीख मांगने को भी रोजगार के तौर पर ही देखना चाहिए। गौरतलब है कि यूथ कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने छत्तीसगढ़  में भाजपा के विरोध में पकौड़ा प्रदर्शन भी आयोजित किया, और छत्तीसगढ़ में शिक्षित बेरोजगार पकौड़ा सेंटर भी खोल दिया। कई बैनर पर तो यह भी लिखा की हर साल 2 करोड़ की नौकरियां भजिया बेचने को मजबूर है। रोजगार के मुद्दे पर इस प्रकार से चौतरफा आलोचना झेल रही मोदी सरकार अब अपने विरोधियों से बचने का रास्ता तलाश रही है। इसके लिए बीजेपी नेता और सांसद अजीब-अजीब तरह के तर्क भी दे रहे हैं। आलम ये है कि अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और सरकार के लोग पकौड़ा बेचने को भी रोजगार मानने लगे हैं।

आपको बता दें कि कांग्रेस बीजेपी को लगातार रोजगार के मुद्दे पर पहले दिन से ही घेरती रही है। हालांकि बीजेपी भी अपने विरोधियों को जवाब देने की कोशिश कर ही रही है।  नरेन्द्र मोदी ने जो 2014 के लोकसभा चुनाव के वक्त हर साल 1 करोड़ रोजगार देने का वादा किया था। और सत्ता में आने के बाद भी ऐसा कुछ नही हुआ तो आमजनता तो वास्तविकता समझ ही जाएगी। बहरहाल बेरोजगारी के मुद्दे को लेकर देशभर में भी कई जगह विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। इसी क्रम में समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव ने भी पकौड़ा प्रदर्शन आयोजित किया, यहाँ भी पकौड़े तले गए। बहरहाल अभी पकौड़ा रुकने का नाम नहीं ले रहा है और विपक्ष इस लज़ीज मुद्दे को फ़िलहाल छोड़ने के मूड में नहीं है। अब जबतक इस तरीके की राजनीति भारत मे चलती रहेगी तब तक शायद ही भारत में  रोजगार उत्पन्न हो पाएं। इसीलिए आवश्यकता इस बात की है कि राजनीतिक दल कम से कम भारत के मार्ग में अवरोधक न बने राजनीति को राजनीति के तरीके से लें। नहीं तो एक दूसरे की सत्ता को खत्म करने के साथ साथ पूरा भारत भी राजनीति की चक्की में पिस जाएगा।





politics-and-india

ज्योति मिश्रा
फ्रीलांस पत्रकार, ग्वालियर
संपर्क : 7999842095
Jmishra231@gmail.com
Viewing all 74327 articles
Browse latest View live




Latest Images