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दुमका : जकीय जनजातीय हिजला मेला 2018

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  • आकर्षक एवं रोचक होगा जनजातीय फैशन शो. प्रतिभागी 16  फरवरी तक दे सकेंगे आवेदन.

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दुमका (अमरेन्द्र सुमन), 16 फरवरी  से आरंभ होने वाले राजकीय जनजातीय हिजला मेला में सांस्कृतिक कार्यक्रम के अन्तर्गत इस बार का एक प्रमुख आकर्षण जनजातीय फैशन शो प्रतियोगिता होगा । इस प्रतियोगिता को सफलता पूर्वक आयोजित करने के उद्देश्य से संथाल परगना महिला महाविद्यालय की व्याख्याता डॉ अंजुला मुर्मू की अध्यक्षता में एक बैठक आहूत की गई । तय हुआ कि मेले में पहली बार जनजातीय फैशन शो प्रतियोगिता आयोजित की जाएगी,  जिसमें झारखंड की महिलाएं पारंपरिक आभूषण व  परिधान में इस प्रतियोगिता में भाग ले सकेंगी। प्रतियोगिता कई चरणों में संपन्न होगा। जिसमें महिलाओं को घड़ा, डलिया, कुदाल आदि पारंपरिक वस्तुओं को साथ लेकर चलने के साथ-साथ निर्णायकों के विविध प्रकार के प्रश्नों से भी रुबरु होना होगा। इस अवसर पर डॉ अंजुला मुर्मू ने कहा कि इस प्रतियोगिता में शामिल होने के इच्छुक प्रतिभागी 16 फरवरी तक अपना आवेदन रजनी मुर्मू, (मोबाइल नंबर 87 97 55 79 56)  व  सुशीला बेसरा (मोबाइल नंबर 96 31 34 38 12)  पर संपर्क कर सकती हैं। प्रतिभागी आवेदन के साथ अपना सम्पर्क नम्बर अवश्य देंगी। उन्होंने यह भी कहा कि इच्छुक प्रतिभागी अपना आवेदन लिखित रूप में सूचना भवन दुमका में जमा करेंगी। बैठक में डॉ अंजुला मुर्मू,  दुधानी पंचायत के मुखिया चंद्रमोहन हादसा, प्रोफेसर रजनी मुर्मू,  सुशीला बेसरा, कमल सोरेन  ग्रामप्रधान दिगंबर मरांडी सहित अन्य अनेक सदस्य उपस्थित थे।  

रेणुका ने दिया रिजिजू के खिलाफ विशेषाधिकार नोटिस

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नयी दिल्ली 09 फरवरी, कांग्रेस की रेणुका चौधरी ने राज्यसभा में अपने ठहाके के मामले को गृह राज्यमंत्री किरण रिजिजू द्वारा फेसबुक पर अपने पोस्ट को री ट्वीट किये जाने पर उनके खिलाफ विशेषाधिकार नोटिस दिया है। श्रीमती रेणुका ने आज सदन में बजट पर चर्चा के दौरान पीठासीन सभापति वी़ पाटिल के सामने यह मुद्दा उठाते हुए उनसे पूछा कि उन्होंने जो विशेषाधिकार नोटिस दिया है,उसका क्या हुआ। श्रीमती रेणुका ने कहा कि उन्होंने नियम 188 के तहत यह विशेषाधिकार नोटिस दिया है। इस पर श्री पाटिल ने कहा कि आपके नोटिस के बारे में सभापति को फैसला लेना है। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जब सात फरवरी को सदन में राष्ट्रपति के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब दे रहे थे, तो श्रीमती रेणुका ने उनके भाषण दौरान ठहाका लगाया। सभापति एम़ वेंकैया नायडू ने उन्हें ऐसा न करने की सलाह दी, इस पर श्री मोदी ने कहा कि सभापति जी आप उन्हें हंसने दीजिये, रामायण सीरियल के बहुत दिन बाद ऐसी हंसी सुनने को मिल रही है और उसे रीट्वीट कर दिया। श्री रिजिजू ने फेसबुक पर रामायण धारावाहिक का एक क्लिप अपने पोस्ट में जोड़ दिया और उसे रीट्वीट कर दिया जिसके कारण मीडिया में यह खबर छा गयी। इस पर कांग्रेस ने भी सदन में इस मुद्दे को उठाया और यह मामला गरमा गया। श्रीमती रेणुका ने विशेषाधिकार नोटिस जारी कर इस मुद्दे पर अपना औपचारिक विरोध दर्ज किया है।

लोकसभा की कार्यवाही पांच मार्च तक स्थगित

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नयी दिल्ली, 09 फरवरी, कांग्रेस, वाईएसआर कांग्रेस और सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के घटक दल तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) के सदस्यों के भारी हंगामे के कारण लोकसभा में आज कोई कामकाज नहीं हो सका और एक बार के स्थगन के बाद सदन की कार्यवाही पांच मार्च तक के लिए स्थगित कर दी गयी। पहले स्थगन के बाद सदन की कार्यवाही 12 बजे दोबारा शुरू होते ही कांग्रेस के सदस्य अपनी सीटों पर खड़े होकर जोर-जोर से नारेबाजी करने लगे। वे ‘राफेल की कीमत बताओ’, ‘प्रधानमंत्री जवाब दो’ और ‘हमें न्याय चाहिए’ जैसे नारे लगा रहे थे। उधर तेदेपा के सदस्य हाथों में तख्तियां लेकर अध्यक्ष के आसन के समीप पहुंच गये और आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग के समर्थन में नारेबाजी करने लगे। वाईएसआर कांग्रेस के सदस्य भी नारेबाजी में शामिल थे, जबकि मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के सभी सदस्य अपनी सीट पर खड़े नजर आये। अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने हंगामे के बीच ही सदन पटल पर जरूरी दस्तावेज रखवाये तथा इसके बाद सदन की कार्यवाही पांच मार्च तक के लिए स्थगित कर दी। इससे पहले हंगामे के कारण प्रश्नकाल भी नहीं हुआ था। पूर्वाह्न 11 बजे जैसे ही सदन की कार्यवाही शुरू हुई, अध्यक्ष ने प्रश्नकाल शुरू करने की घोषणा की और अन्नाद्रमुक के सांसद आर. गोपालकृष्णन के सवाल पर महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने जवाब देना शुरू किया। इसी बीच तेदेपा और वाईएसआर कांग्रेस के सदस्यों ने हाथों में पोस्टर लेकर सदन में प्रवेश किया अौर अासन केे निकट आकर नारेबाजी शुरू कर दी। तभी पीछे की सीट पर तेदेपा के सदस्य एन शिवप्रसाद ने अपने सिर पर नकली बाल लगाये और आसन की ओर बढ़े। उनके चेहरे पर भी टीका एवं पाउडर लगा था।  अध्यक्ष ने दोनों पार्टियों के सांसदों से बार बार अपनी सीटों पर जाने का आग्रह किया, लेकिन उन्होंने नारेबाजी और तेज़ कर दी। इस पर श्रीमती महाजन ने सदन की कार्यवाही 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी थी। राष्ट्रपति के अभिभाषण के साथ 29 जनवरी को शुरू हुए बजट सत्र के पहले चरण का आज अंतिम दिन था। सत्र के दूसरे चरण की शुरुआत पांच मार्च से होगी और यह 6 अप्रैल तक चलेगा।

कम पानी में फसलों का भरपूर उत्पादन हो : राष्ट्रपति

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नयी दिल्ली 09 फरवरी, राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने कम से कम पानी में फसलों की भरपूर पैदावार लेने पर आज जोर देते हुए कहा कि जमीन की उत्पादकता बढ़ाने के लिए निरंतर नवाचार करते रहने की जरूरत है। श्री कोविन्द ने यहां भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के दीक्षांत समारोह को सम्बोधित करते हुए कहा कि देश की आबादी के अनुपात में खेती लायक जमीन और जल-संसाधनों की अपेक्षाकृत कमी है। इसलिए कम-से-कम पानी के इस्तेमाल से अधिक-से-अधिक पैदावार करने तथा जमीन की उत्पादकता को बढ़ाने के लिए निरंतर नवाचार करते रहने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि बीज से बाजार तक खेती की पूरी प्रक्रिया में नवाचार के अपार अवसर हैं। इन अवसरों का उपयोग करके विद्यार्थी कृषि-विकास में बहुत बड़ा योगदान दे सकते हैं। ऐसे अनेक उदाहरण हैं, जहां किसानों में जागरुकता पैदा करने के बाद इनोवेशन को उत्साह के साथ अपनाया है और अच्छे परिणाम प्राप्त किये हैं।

मधुबनी : 11 फरवरी को ‘आप’ का जिला कार्यकर्ता सम्मेलन

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  • 11 फरवरी को मधुबनी के आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं का जिला सम्मेलन। जुटेंगे जिले भर के कार्यकर्ता। प्रदेश और केंद्र से आएंगे पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारी।


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मधुबनी (लाइव आर्यावर्त डेस्क) 09 फरवरी, आम आदमी पार्टी, मधुबनी के कार्यकर्ताओं का जमघट लग रहा है जिला मुख्यालय में। जिला भर के कार्यकर्ता आगामी 11 फरवरी 2018 को आयोजित होने वाले जिला स्तरीय कार्यकर्ता सम्मेलन को सफल बनाने में लगे हुए हैं। पार्टी के जिला प्रवक्ता सह मीडिया प्रभारी मुकेश पंजियार के अनुसार प्रदेश प्रभारी संजय सिंह के नेतृत्व में विगत 3 फरवरी को पटना में आयोजित प्रादेशिक समीक्षा सम्मेलन में लिए गए निर्णय से जिलाध्यक्ष वीरेन्द्र यादव अवगत करायेंगे। आगामी विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव को देखते हुए कई महत्वपूर्ण निर्णय भी लिए जा सकते हैं। साथ ही सभी नवनिर्वाचित जिला कार्यकारिणी के दायित्वधारी एवं प्रखण्ड कार्यकारिणी के दायित्वधारी को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया जाएगा।

एक फीसदी से अधिक टूटा शेयर बाजार

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मुम्बई, 09 फरवरी, अधिकतर अंतरराष्ट्रीय बाजारों के गिरावट में रहने की खबरों से मची खलबली के बीच आज बीएसई का सेंसेक्स 407.40 अंक यानी 1.18 फीसदी फिसलकर 04 जनवरी के बाद के निचले स्तर 34,005.76 अंक पर और एनएसई का निफ्टी 1.15 प्रतिशत यानी 121.90 अंक लुढ़ककर 10,454.95 अंक पर बंद हुआ। अमेरिका में रोजगार के मजबूत आंकड़ों से फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दर बढ़ाये जाने की संभावना बढ़ गयी है। इससे अधिकतर एशियाई बाजारों के साथ घरेलू शेयर बाजार भी कारोबार की शुरुआत से दबाव में आ गये। डॉलर के मुकाबले रुपये के कमजोर पड़ने और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) की बिकवाली का असर भी शेयर बाजार पर रहा। एफपीआई ने पूंजी बाजार से 35.63 करोड़ डॉलर के शेयर और डेट की बिकवाली की। फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दर बढ़ाये जाने की संभावना मजबूत होने से विदेशी बाजारों के साथ घरेलू बाजार भी गिरावट में खुले। सेंसेक्स 410.71 अंक लुढ़ककर 34,002.45 अंक पर खुला और पूरे कारोबार के दौरान लाल निशान में रहा। कारोबार के दौरान इसने 34,070.73 अंक के उच्चतम स्तर को छूने के बाद 33,849.65 अंक के दिवस के निचले स्तर तक का गोता लगाया। अंतत: गत दिवस की तुलना में 1.18 फीसदी टूटकर 34,005.76 अंक पर बंद हुआ। सेंसेक्स की 30 में से 24 कंपनियां लाल निशान में रहीं। निफ्टी की शुरुआत भी 160.35 अंक की गिरावट के साथ 10,416.50 अंक से हुई। कारोबार के दौरान 10,480.20 अंक के दिवस के उच्चतम और 10,398.20 अंक के निचले स्तर से होता हुआ यह गत दिवस की तुलना में 1.15 फीसदी गिरकर 10,454.95 अंक पर बंद हुआ। निफ्टी की 38 कंपनियां लाल निशान में रहीं। दिग्गज कंपनियों की तरह मंझोली कंपनियों में बिकवाली देखी गयी, लेकिन छोटी कंपनियों में लिवाली का जोर रहा। बीएसई का मिडकैप 0.09 प्रतिशत यानी 14.16 अंक लुढ़ककर 16,634.91 अंक पर रहा जबकि स्मॉलकैप 0.23 प्रतिशत यानी 41.79 अंक की बढ़त में 18,172.98 अंक पर बंद हुआ। बीएसई के 20 समूहों में से 13 के सूचकांक में गिरावट रही। बीएसई में कुल 2,910 कंपनियों के शेयरों में कारोबार हुआ, जिनमें से 1,404 में तेजी और 1,370 में गिरावट रही जबकि 136 के शेयरों के भाव अपरिवर्तित रहे।

विपक्षी दलों की कोविंद से लोया मामले में हस्तक्षेप की मांग

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नयी दिल्ली 09 फरवरी, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व में 15 विपक्षी दलों ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के विशेष जज बी  एच  लोया की मौत की विशेष जांच दल (एसआईटी) से जांच कराने को लेकर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से हस्तक्षेप करने की मांग की है। विपक्षी दलों के नेताओं ने इस संबंध में राष्ट्रपति को आज ज्ञापन सौंपा। श्री कोविंद से मुलाकात के बाद श्री गांधी ने पत्रकारों से कहा कि यह संसद की भावना का सवाल है। न्यायाधीश लोया की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत के मामले में संसद के 114 सदस्यों ने चिंता जाहिर की है और ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति ने उन्हें सकारात्मक आश्वासन दिया है और उन्हें भरोसा है कि इस मामले की निष्पक्ष जांच करायी जाएगी। श्री गांधी ने कहा कि न्यायाधीश लोया की मौत रहस्यमयी परिस्थिति में हुई है और इसे लेकर संशय बरकरार है। इसलिए, मामले की निष्पक्ष जांच आवश्यक है। न्यायाधीश लोया ही नहीं, उनके नजदीकी दो और लोगों की भी संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हुई है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तथा राष्ट्रपति से मिलने गए प्रतिनिधिमंडल के सदस्य कपिल सिब्बल ने कहा कि राष्ट्रपति से अनुरोध किया गया है कि वह इस मामले हस्तक्षेप करें और इसकी एसआईटी से जांच कराएं। उन्होंने कहा कि जांच दल में एसआईटी तथा सीबीआई के अधिकारी नहीं होने चाहिये। ये अधिकारी सरकार के दबाव में काम करते हैं, इसलिए उनके रहते निष्पक्ष जांच नहीं हो सकती। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के डी. राजा ने कहा कि यह मामला संवेदनशील है और देश हित में इसकी जांच आवश्यक है। राष्ट्रपति को सौंपे ज्ञापन में कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस, द्रविड़ मुन्नेत्र कषगम, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, आम आदमी पार्टी, झारखंड मुक्ति मोर्चा सहित 15 दलों के नेताओं के हस्ताक्षर हैं। राष्ट्रपति से मिलने वालों में श्री गांधी, श्री सिब्बल, श्री राजा के अलावा कांग्रेस के गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा तथा तृणमूल कांग्रेस के इदरीश अली सहित 13 दलों के नेता शामिल थे।

ट्रंप और मोदी के बीच टेलीफोन पर बातचीत

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वाशिंगटन,09 फरवरी, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज मालदीव में राजनीतिक संकट, अफगानिस्तान युद्ध और म्यांमार के रोहिंग्या शरणार्थियों की स्थिति के मसले पर बातचीत की। एशिया में चीन के वर्चस्व को रोकने के लिए ट्रंप प्रशासन ने भारत के साथ सैन्य और आर्थिक संबंधों को प्रगाढ़ करना शुरू कर दिया है। राष्ट्रपति भवन व्हाइट हाउस कार्यालय सूत्रों ने बताया कि दोनों नेताओं ने टेलीफोन पर बातचीत की और मालदीव के राजनीतिक संकट तथा लोकतांत्रिक संस्थाओं के सम्मान और कानून के शासन जैसे मुद्दे पर विस्तार से बातचीत की। एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि दोनाे नेताओं ने अफगानिस्तान की सुरक्षा को लेकर अपनी प्रतिबद्वता दोहराई। भारत ने हाल ही के वर्षों में अफगानिस्तान में सहायता में बढ़ोत्तरी की है और 2016 में और हथियार भेजने का वादा किया था। अमेरिका ने हाल ही में पाकिस्तान को दी जाने वाली आर्थिक सहायता में यह कहकर कटौती की है कि इसके बदले पाकिस्तान ने धोखा और विश्वासघात के अलावा कुछ नहीं दिया। दरअसल पाकिस्तान ने हक्कानी नेटवर्क और तालिबान के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है जिसे लेकर पाकिस्तान से अमेरिका काफी खफा है। इसके अलावा श्री ट्रंप ने उत्तर कोरिया के मामले में भी चर्चा की और बंगलादेश में पिछले वर्ष से रह रहे राेहिंग्या शरणार्थियों की दशा पर बातचीत की। इस आशय की रिपोर्टें मिल रही हैं कि इन शरणार्थियों के साथ काफी अमानवीय अत्याचार हो रहा है। भारत और उत्तर कोरिया के बीच राजनयिक संबध हैं, लेकिन भारत ने भोजन और दवाओं के अलावा अधिकतर वस्तुआें पर प्रतिबंध लगा रखा है। भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने पिछले वर्ष अक्टूबर में अमेरिकी विदेश मंत्री रैक्स टिलेरसन से मिलकर भारत का पक्ष रखा था कि संवाद कायम रखने के लिए दोनों देशों के बीच राजनयिक संपर्क आवश्यक है। दोनाें नेताओं ने मालदीव के राजनीतिक संकट तथा लोकतांत्रिक संस्थाओं के सम्मान और कानून के शासन जैसे मुद्दे पर विस्तार से बातचीत की।मालदीव के राष्ट्रपति ने चीन, पाकिस्तान आैर सऊदी अरब में अपने प्रतिनिधि भेजे हैं और उन्हें देश के राजनयिक संकट के बारे में अवगत कराने को कहा है। मालदीव में इस समय आपातकाल लागू है और वहां विपक्ष के नेताओं के अलावा सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश हिरासत में हैं।

गोरखपुर, फूलपुर संसदीय सीटों पर 11 मार्च को उपचुनाव

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नयी दिल्ली, 09 फरवरी, उत्तर प्रदेश की प्रतिष्ठित गोरखपुर और फूलपुर संसदीय सीटों पर उपचुनाव को लेकर लंबे समय से जारी संशय को खत्म करते हुए चुनाव आयोग ने दोनों सीटों पर 11 मार्च को मतदान कराने की अाज घोषणा कर दी। इसी के साथ बिहार की अररिया संसदीय सीट और राज्य की भाबुआ और जहानाबाद विधानसभा सीटों पर भी 11 मार्च को ही उपचुनाव के लिए मतदान कराया जाएगा। गोरखपुर की सीट योगी आदित्यनाथ के उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के बाद उनके लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने से रिक्त हुई थी। श्री केशव प्रसाद मौर्य काे उत्तर प्रदेश का उप मुख्यमंत्री बनाये जाने के बाद फूलपुर संसदीय सीट से उनके इस्तीफा दे देने के कारण रिक्त हुयी थी।  दोनों सीटों पर उपचुनाव की तिथि को लेकर लंबे समय से राजनीतिक हलकों में तरह-तरह की अटकलें लगाई जा  रही थीं।  उपचुनाव के लिए अधिसूचना 13 फरवरी को जारी की जायेगी। नामांकन पत्र दाखिल करने की अंतिम तिथि 20 फरवरी है और नामांकन पत्रों की जांच 21 फरवरी को की जायेगी। पर्चा वापस लेने की अंतिम तिथि 23 फरवरी है। सभी सीटों पर 11 मार्च को मतदान कराया जाएगा और परिणाम 14 मार्च को घोषित किए जाएंगे। सोलह मार्च तक सारी चुनावी प्रक्रियायें पूरी कर ली जाएंगी।

जॉर्डन के शाह से मोदी ने की मुलाकात

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अम्मान 09 फरवरी, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपनी चार देशों की यात्रा के पहले पड़ाव जॉर्डन की राजधानी अम्मान पहुंचे और उन्होंने शाह अब्दुल्ला द्वितीय बिन अल हुसैन से द्विपक्षीय भेंट की,  श्री मोदी के अम्मान पहुंचने पर हवाई अड्डे पर जॉर्डन के प्रधानमंत्री हनी फॉज़ी अल-मुल्की ने गर्मजोशी से उनकी अगवानी की, उन्हें जॉर्डन की सेना की एक टुकड़ी ने सलामी पेश की।  बाद में प्रधानमंत्री ने जॉर्डन के शाह अब्दुल्ला द्वितीय बिन अल हुसैन से भी मुलाकात की। श्री मोदी ने ट्वीट करके कहा, “हम अम्मान पहुंच गए हैं। मैं महामहिम शाह अब्दुल्ला द्वितीय का अम्मान हवाई अड्डे के उपयोग की इजाजत देने के लिए आभार व्यक्त करता हूं।” विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि यह भारतीय प्रधानमंत्री की 30 साल में पहली जॉर्डन यात्रा है। भारत एवं जॉर्डन के बीच 1950 से मैत्रीपूर्ण राजनयिक संबंध हैं।  श्री मोदी खाड़ी देशों के साथ अपने रणनीतिक संबंधों को नई ऊर्जा देने के लिए जॉर्डन, फिलीस्तीन, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और आेमान की यात्रा पर नई दिल्ली से आज दोपहर बाद रवाना हुए थे। जॉर्डन की यात्रा बहुत कम समय के लिए है और यह एक पारगमन यात्रा मात्र है जिसके बीच जॉर्डन के नेतृत्व से भी उनकी मुलाकात हुई।  प्रधानमंत्री की रवानगी पर प्रवक्ता ने नयी दिल्ली में कहा था कि खाड़ी एवं पश्चिम एशिया के देशों के साथ हमारे बहुआयामी संबंधों को प्रगाढ़ बनाने एवं अपने इस विस्तारित पड़ोस के साथ समुद्री सहयाेग को पुनर्परिभाषित करने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री श्री मोदी 9-12 फरवरी के तक की जॉर्डन, फिलीस्तीन, यूएई और ओमान की यात्रा पर रवाना हो गए। प्रवक्ता के अनुसार श्री मोदी की इन देशाें की यात्रा के दौरान आधिकारिक बैठकों में आतंकवाद के विरुद्ध संघर्ष में सहयोग का मुद्दा भी प्रमुख रूप से उठेगा। श्री मोदी ने अपने रवानगी पूर्व बयान में कहा कि खाड़ी एवं पश्चिम एशिया हमारे विदेश संबंधों में प्रमुख प्राथमिकता वाले देश है। इन देशों के साथ हमारे बहुआयामी एवं जीवंत संबंध हैं। प्रधानमंत्री ने जॉर्डन के शाह अब्दुल्ला द्वितीय के प्रति उनकी फिलीस्तीन यात्रा के लिए अम्मान के हवाई अड्डे के प्रयोग की सुविधा देने के लिए अाभार जताया। विदेश मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार श्री मोदी जॉर्डन, फिलीस्तीन और ओमान के दौरे पर पहली बार जा रहे हैं जबकि यूएई का उनका यह दूसरा दौरा होगा। श्री मोदी इस दौरान इन देशों में विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लेने के साथ ही यहां के नेताओं के साथ आपसी हित के मामलों पर चर्चा करेंगे। प्रधानमंत्री दुबई में आयोजित होने वाले छठे ‘वर्ल्ड गवर्नमेंट समिट’ को संबोधित करेंगे, जिसमें भारत को 'गेस्ट ऑफ ऑनर'का दर्जा दिया गया है। वह अमीरात और ओमान में भारतीय समुदाय के लोगों से भी मिलेंगे। श्री मोदी मस्कट में प्रवासी भारतीय समुदाय के आग्रह पर वहां स्थित दो सौ साल पुराने शिव मंदिर में दर्शन एवं पूजन के लिए जाएँगे जबकि दुबई में प्रवासी भारतीयों के एक कार्यक्रम में यूएई के शासकों द्वारा दी गई ज़मीन पर पर भव्य मंदिर का शिलान्यास वीडियो लिंक के माध्यम से करेंगे। यह ज़मीन दुबई और आबूधाबी के बीच स्थित है। प्रवक्ता के अनुसार श्री मोदी की इस यात्रा को विस्तारित पड़ोस के देशों के साथ संबंधों को मज़बूत बनाने की कोशिशों के क्रम में देखा जाना चाहिए। हाल ही में 10 आसियान देशों के शासनाध्यक्षों को भारत-आसियान मैत्री रजत जयंती शिखर सम्मेलन में आमंत्रित करना और गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में उनकी शिरकत के बाद अब श्री मोदी पश्चिम एशिया के इन देशों के साथ संबंधों में नई ऊर्जा भरने के लिये जा रहे हैं।

अर्थव्यवस्था की मजबूती को देखते हुये लगाया गया है एलटीजीटी: जेटली

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नयी दिल्ली 09 फरवरी, वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि अर्थव्यवस्था की मजबूती और निवेश की जरूरतों को देखते हुये दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ कर (एलटीजीटी) लगाया गया है। श्री जेटली ने आम बजट पर राज्यसभा में 12 घंटे की चर्चा का जबाव देते हुये कहा कि पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने इसकी शुरूआत की थी और उन्होंने अर्थव्यवस्था से जुड़े कई सवाल पूछे थे। वित्त मंत्री ने संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार (संप्रग) के अंतिम तीन वर्ष अौर मोदी सरकार के तीन वर्ष के कार्यालय के आर्थिक आंकड़ों की तुलना करते हुये कहा कि संप्रग के कार्यकाल में राजकोषीय घाटा, राजस्व घाटा, चालू खाता घाटा और महंगाई सब अपने रिकार्ड स्तर पर रहे जबकि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के कार्यकाल में सभी आर्थिक पैरामीटर नियंत्रित रहे हैं। सिर्फ चालू वित्त वर्ष में यह सरकार वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने के कारण राजकोषीय घाटा के लक्ष्य को हासिल नहीं कर पायी है क्योंकि 11 महीने के राजस्व में 12 महीने का व्यय किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि नोटबंदी और जीएसटी के कारण प्रत्यक्ष कर संग्रह में तेजी आयी है और चालू वित्त वर्ष में पहले 10 महीने में अप्रैल से जनवरी तक इसमें 19.7 प्रतिशत की बढोतरी हुयी है। इसके साथ ही जीएसटी लागू होने के बाद अप्रत्यक्ष करदाताओं की संख्या भी एक करोड़ के पार पहुंच गयी है। उन्होंने कहा कि पूंजीगत व्यय में कोई कमी नहीं की गयी है बल्कि संप्रग सरकार के कार्यकाल में हर वर्ष व्यय में एक लाख करोड़ रुपये से अधिक की कटौती की जाती थी जबकि मोदी सरकार के कार्यकाल में संशोधित अनुमान बजट अनुमान से अधिक रहा है। इसका मतलब है कि सरकार ने जन कल्याण के कार्याें पर व्यय किया है।

राफेल सौदे की कीमत देश को बताए सरकार : राहुल गांधी

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नयी दिल्ली, 09 फरवरी, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने आज कहा कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार ने विभिन्न रक्षा सौदे में कीमतों को सार्वजनिक किया था और अब मोदी सरकार को भी लड़ाकू विमान राफेल की कीमत देश को बतानी चाहिए। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने यहां संवाददाताओं से कहा कि सरकार राफेल विमानों की खरीद की कीमत बताने से क्यों बच रही है। रक्षा मंत्री ने पहले कहा था कि इन विमानों की कीमत सार्वजनिक कर दी जाएगी लेकिन अब वह अपने इस बयान से पलट गयी है। उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री अरुण जेटली का यह कहना गलत है कि संप्रग सरकार ने रक्षा सौदों की कीमतों को उजागर नहीं किया था।  कांग्रेस अध्यक्ष ने इससे पहले श्री जेटली को संबोधित ट्वीट में कहा था “आप कहते हैं संप्रग ने कभी रक्षा सौदों के कीमतों का खुलासा नहीं किया। आपके झूठ को उजागर करने के लिए संप्रग सरकार के रक्षा सौदों में पारदर्शिता को लेकर दिए गए तीन जवाब आपको दिखा रहा हूं। अब आप अपनी रक्षा मंत्री से कहें कि वह देश को राफेल जेट विमानों की कीमत बताए।” श्री गांधी ने इसके साथ ही इस संबंध में संसद में दिए गए तीन उत्तर भी पोस्ट किए हैं जिनमें लड़ाकू विमान सुखोई, मिराज तथा विमान वाहक पोत गोर्शकोव की कीमत बतायी गयी थी।

गरीब, किसान कल्याण योजनाओं की लोकप्रियता जीत की कुंजी होगी : प्रधानमंत्री

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नयी दिल्ली, नौ फरवरी, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज भाजपा सांसदों से केंद्रीय बजट में घोषित कल्याण योजनाओं की जानकारी आम लोगों के बीच पहुंचाने को कहा, साथ ही इस बात पर जोर दिया कि इन योजनाओं को लोकप्रिय बनाना एवं प्रचार प्रसार करना आगामी चुनाव में उनकी जीत की कुंजी साबित होगी । प्रधानमंत्री ने यह बात आज भाजपा संसदीय दल की बैठक में कही । बैठक में मौजूद रहे नेताओं के अनुसार प्रधानमंत्री ने कहा कि सांसदों की सफलता पार्टी के प्रदर्शन पर निर्भर करती है, ऐसे में उन्हें सरकार की गरीबोन्मुखी, किसान कल्याण योजनाओं को जनता के बीच लोकप्रिय बनाना चाहिए और वे इसके बारे में अपने निर्वाचन क्षेत्रों में लोगों को अगले एक माह में जानकारी दें । प्रधानमंत्री की टिप्पणी साल 2018 में कुछ राज्यों में आसन्न विधानसभा चुनाव और 2019 के लोकसभा चुनाव के संदर्भ में महत्वपूर्ण है। बैठक के बाद संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने संवादाताओं से कहा कि प्रधानमंत्री ने बजट के बारे में विस्तार से चर्चा की और विशेष तौर पर किसानों और गरीबों पर इसके सकारात्मक प्रभावों तथा स्वास्थ्य बीमा योजना से 10 करोड़ परिवारों को होने वाले लाभ का जिक्र किया । भाजपा संसदीय दल की बैठक ऐसे समय में हुई है जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी फलस्तीन, यूएई और ओमान की यात्रा पर जा रहे हैं । पार्टी संसदीय दल की बैठक में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने राफेल सौदे की जानकारी सार्वजनिक करने की मांग और इसको लेकर आरोप लगाने के लिये कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर निशाना साधा । शाह ने आज राहुल की राजनीति के तौर तरीकों को अलोकतांत्रिक करार दिया और कहा कि यह बात प्रधानमंत्री के भाषण में कांग्रेस पार्टी के बाधा डालने से स्पष्ट होती है।  साथ ही उन्होंने राफेल लड़ाकू विमान सौदे से जुड़ी बातों को राष्ट्रीय हित से जुड़ा बताते हुए इस पर राजनीति करने के लिए भी कांग्रेस अध्यक्ष की आलोचना की।

संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने बताया कि बैठक में अमित शाह ने कहा, ‘‘राहुल जी की राजनीति का तरीका अलोकतांत्रिक है । इसलिये प्रधनमंत्री के भाषण के दौरान इस प्रकार से व्यवधान डाला गया ।’’ उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री मोदी ने जब लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब देना शुरू किया तब कांग्रेस और वामदलों के सदस्य आसन के समीप आकर नारेबाजी करने लगे और पूरे भाषण के दौरान शोर शराबा करते रहे । भाजपा संसदीय दल की बैठक ऐसे समय में हुई है जब दो दिन पहले ही संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर जवाब देते हुए प्रधानमंत्री ने कांग्रेस पर तीखा प्रहार किया । आज की बैठक में प्रधानमंत्री मोदी, पार्टी अध्यक्ष शाह के अलावा केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, अरूण जेटली, पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी समेत अनेक नेता शामिल हुए । राफेल विमान सौदे पर कांग्रेस के आरोपों के संदर्भ में अनंत कुमार ने कहा कि सरकार राफेल सौदे के मुख्य बिन्दुओं को बता चुकी है तथा और बातें बतायेंगे । लेकिन हर एक तत्व को लेकर चर्चा करना देशहित में कितना उचित है, यही बात राष्ट्रीय अध्यक्ष ने बैठक में कही। संसद में प्रधानमंत्री के भाषण के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने बुधवार को कई सवाल पूछे थे । उन्होंने कहा था कि प्रधानमंत्री एक घंटे से अधिक बोले लेकिन राफेल सौदे के बारे में कुछ नहीं कहा । कांग्रेस राफेल सौदे को वर्तमान सरकार में सबसे बड़ा घोटाला होने का आरोप लगा रही है।

केंद्रीय बजट पर चर्चा का जवाब देते हुए कल वित्त मंत्री अरूण जेटली ने लोकसभा में राफेल विमान सौदे को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष पर तीखा प्रहार किया था। उन्होंने राहुल के वार पर पलटवार करते हुए कहा था कि इस सौदे की जानकारी सार्वजनिक करने की मांग करके राहुल गांधी भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ गंभीर समझौता कर रहे हैं और इस बारे में उन्हें वरिष्ठ नेता प्रणब मुखर्जी से सीखना चाहिए । जेटली ने कहा था, ‘‘ मेरा आरोप है कि वह :कांग्रेस अध्यक्ष: भारत की सुरक्षा से गंभीर समझौता कर रहे हैं।’’ वर्ष 2018..19 के केंद्रीय बजट पर चर्चा का उत्तर देते हुए जेटली ने कहा था कि कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप रहे है, ऐसे में अब वह राजग सरकार में भ्रष्टाचार तलाशने का प्रयास कर रही है। उसे कुछ नहीं मिला तो राफेल का मुद्दा उठा रहे हैं । इस बारे में कांग्रेस सदस्य शशि थरूर द्वारा सवाल उठाने पर जेटली ने कहा था, ‘‘ आपकी पार्टी के अध्यक्ष ने ऐसे आरोप राष्ट्रीय सुरक्षा की कीमत पर गढ़े हैं ।

महाशिवरात्रि विशेष : शिव हैं निर्माण एवं नव-जीवन के प्रेरक

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भगवान शिव आदिदेव है, देवों के देव है, महादेव हैं। सभी देवताओं में वे सर्वोच्च हैं , महानतम हैं , दुःखों को हरने वाले हैं । वे कल्याणकारी हंै तो संहारकर्ता भी हैं। प्रतिवर्ष महाशिवरात्रि का पर्व फाल्गुण मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है, जो शिवत्व का जन्म दिवस है। यह शिव से मिलन की रात्रि का सुअवसर है। इसी दिन निशीथ अर्धरात्रि में शिवलिंग का प्रादुर्भाव हुआ था। इसीलिये यह पुनीत पर्व सम्पूर्ण देश एवं दुनिया में उल्लास और उमंग के साथ मनाया जाता है। यह पर्व सांस्कृतिक एवं धार्मिक चेतना की ज्योति किरण है। इससे हमारी चेतना जाग्रत होती है, जीवन एवं जगत में प्रसन्नता, गति, संगति, सौहार्द, ऊर्जा, आत्मशुद्धि एवं नवप्रेरणा का प्रकाश परिव्याप्त होता है। यह पर्व जीवन के श्रेष्ठ एवं मंगलकारी व्रतों, संकल्पों तथा विचारों को अपनाने की प्रेरणा देता है। 

भगवान शिव भोले भण्डारी है और जग का कल्याण करने वाले हैं। सृष्टि के कल्याण हेतु जीर्ण-शीर्ण वस्तुओं का विनाश आवश्यक है। इस विनाश में ही निर्माण के बीज छुपे हुए हैं। इसलिये शिव संहारकर्ता के रूप में निर्माण एवं नव-जीवन के प्रेरक भी है। सृष्टि पर जब कभी कोई संकट पड़ा तो उसके समाधान के लिये वे सबसे आगे रहे। जब भी कोई संकट देवताओं एवं असुरों पर पड़ा तो उन्होंने शिव को ही याद किया और शिव ने उनकी रक्षा की। समुद्र-मंथन में देवता और राक्षस दोनों ही लगे हुए थे। सभी अमृत चाहते थे, अमृत मिला भी लेकिन उससे पहले हलाहल विष निकला जिसकी गर्मी, ताप एवं संकट ने सभी को व्याकुल कर दिया एवं संकट में डाल दिया, विष ऐसा की पूरी सृष्टि का नाश कर दें, प्रश्न था कौन ग्रहण करें इस विष को। भोलेनाथ को याद किया गया गया। वे उपस्थित हुए और इस विष को ग्रहण कर सृष्टि के सम्मुख उपस्थित संकट से रक्षा की। उन्होंने इस विष को कंठ तक ही रखा और वे नीलकंठ कहलाये। इसी प्रकार गंगा को पृथ्वी पर लाने के लिये भोले बाबा ने ही सहयोग किया। क्योंकि गंगा के प्रचंड दबाव और प्रवाह को पृथ्वी कैसे सहन करें, इस समस्या के समाधान के लिये शिव ने अपनी जटाओं में गंगा को समाहित किया और फिर अनुकूल गति के साथ गंगा का प्रवाह उनकी जटाओं से हुआ। ऐसे अनेक सृष्टि से जुड़े संकट और उसकेे विकास से जुड़ी घटनाएं हैं जिनके लिये शिव ने अपनी शक्तियों, तप और साधना का प्रयोग करके दुनिया को नव-जीवन प्रदान किया। शिव का अर्थ ही कल्याण है, वही शंकर है, और वही रुद्र भी है। शंकर में शं का अर्थ कल्याण है और कर का अर्थ करने वाला। रुद्र में रु का अर्थ दुःख और द्र का अर्थ हरना- हटाना। इस प्रकार रुद्र का अर्थ हुआ, दुःख को दूर करने वाले अथवा कल्याण करने वाले।  भौतिक एवं भोगवादी भागदौड़ की दुनिया में शिवरात्रि का पर्व भी दुःखों को दूर करने एवं सुखों का सृजन करने का प्रेरक है। भोलेनाथ भाव के भूखे हैं, कोई भी उन्हें सच्ची श्रद्धा, आस्था और प्रेम के पुष्प अर्पित कर अपनी मनोकामना पूर्ति की प्रार्थना कर सकता है। दिखावे, ढोंग एवं आडम्बर से मुक्त विद्वान-अनपढ़, धनी-निर्धन कोई भी अपनी सुविधा तथा सामथ्र्य से उनकी पूजा और अर्चना कर सकता है। शिव न काठ में रहता है, न पत्थर में, न मिट्टी की मूर्ति में, न मन्दिर की भव्यता में, वे तो भावों में निवास करते हैं। 

यह पर्व महाकाल शिव की आराधना का महापर्व है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन पूजा एवं अभिषेक करने पर उपासक को समस्त तीर्थों के स्नान का फल प्राप्त होता है। शिवरात्रि का व्रत करने वाले इस लोक के समस्त भोगों को भोगकर अंत में शिवलोक में जाते हैं। शिवरात्रि की पूजा रात्रि के चारों प्रहर में करनी चाहिए। शिव को बिल्वपत्र, धतूरे के पुष्प तथा प्रसाद में भांग अति प्रिय हैं। लौकिक दृष्टि से दूध, दही, घी, शकर, शहद- इन पाँच अमृतों (पंचामृत) का पूजन में उपयोग करने का विधान है। महामृत्युंजय मंत्र शिव आराधना का महामंत्र है। शिवरात्रि वह समय है जो पारलौकिक, मानसिक एवं भौतिक तीनों प्रकार की व्यथाओं, संतापों, पाशों से मुक्त कर देता है। शिव की रात शरीर, मन और वाणी को विश्राम प्रदान करती है। शरीर, मन और आत्मा को ऐसी शान्ति प्रदान करती है जिससे शिव तत्व की प्राप्ति सम्भव हो पाती है। शिव और शक्ति का मिलन गतिशील ऊर्जा का अन्तर्जगत से एकात्म होना है। लौकिक जगत में लिंग का सामान्य अर्थ चिह्न होता है जिससे पुल्लिंग, स्त्रीलिंग और नपुंसक लिंग की पहचान होती है। शिव लिंग लौकिक के परे है। इस कारण एक लिंगी है। आत्मा है। शिव संहारक हैं। वे पापों के संहारक हैं। शिव की गोद में पहुंचकर हर व्यक्ति भय-ताप से मुक्त हो जाता है। शिवरात्रि जागृति का पर्व है। जिसमें आत्मा का मंगलकारी शिव से मिलना होता है।  यह आत्म स्वरूप को जानने की रात्रि है। यह स्वयं के भीतर जाकर अथवा अंतश्चेतना की गहराइयों में उतरकर आत्म साक्षात्कार करने का दुर्लभ प्रयोग है। यह आत्मयुद्ध की प्रेरणा है, क्योंकि स्वयं को जीत लेना ही जीवन की सच्ची जीत है, शिवत्व की प्राप्ति है। काल के इस क्षण की सार्थकता शिवमय हो जाने में है। शक्ति माया नहीं है, मिथ्या नहीं है, प्रपंच नहीं है। इसके विपरीत शक्ति सत्य है। जीव और जगत भी सत्य है। सभी तत्वतः सत्य हैं। सभी शिवमय हैं। 

शिव शक्ति के प्रतीक ज्योतिर्लिंग का प्रादुर्भाव फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी की निशीथ काल में हुआ था। शिव पुराण के अनुसार सृष्टि के आरंभ में ब्रह्मा ने इसी दिन रुद्र रूपी शिव को उत्पन्न किया था। शिव एवं हिमालय पुत्री पार्वती का विवाह भी इसी दिन हुआ था। अतः यह शिव एवं शक्ति के पूर्ण समरस होने की रात्रि भी है। वे सृष्टि के सर्जक हैंै। वे मनुष्य जीवन के ही नहीं, सृष्टि के निर्माता, पालनहार एवं पोषक हैं। उन्होंने मनुष्य जाति को नया जीवन दर्शन दिया। जीने की शैली सिखलाई। शिवरात्रि भोगवादी मनोवृत्ति के विरुद्ध एक प्रेरणा है, संयम की, त्याग की, भक्ति की, संतुलन की। सुविधाओं के बीच रहने वालों के लिये सोचने का अवसर है कि वे आवश्यक जरूरतों के साथ जीते हैं या जरूरतों से ज्यादा आवश्यकताओं की मांग करते हैं। इस शिवभक्ति एवं उपवास की यात्रा में हर व्यक्ति में अहंकार नहीं, बल्कि शिशुभाव जागता है। क्रोध नहीं, क्षमा शोभती है। कष्टों में मन का विचलन नहीं, सहने का धैर्य रहता है। यह तपस्या स्वयं के बदलाव की एक प्रक्रिया है। यह प्रदर्शन नहीं, आत्मा के अभ्युदय की प्रेरणा है। इसमें भौतिक परिणाम पाने की महत्वाकांक्षा नहीं, सभी चाहों का संन्यास है। 

शिव ने संसार और संन्यास दोनों को जीया है। उन्होंने जीवन को नई और परिपूर्ण शैली दी। पृथ्वी, पानी, अग्नि, वायु, वनस्पति की जीवन में आवश्यकता और उपयोगिता का प्रशिक्षण दिया। कला, साहित्य, शिल्प, मनोविज्ञान, विज्ञान, पराविज्ञान और शिक्षा के साथ साधना के मानक निश्चित किए। सबको काम, अर्थ, धर्म, मोक्ष की पुरुषार्थ चतुष्टयी की सार्थकता सिखलाई। वे भारतीय जीवन-दर्शन के पुरोधा हैं। आज उनका सम्पूर्ण व्यक्तित्व एवं कर्तृत्व सृष्टि के इतिहास का एक अमिट आलेख बन चुका है। उनका सम्पूर्ण जीवन प्रेरणास्रोत है। लेकिन हम इतने भोले हैं कि अपने शंकर को नहीं समझ पाए, उनको समझना, जानना एवं आत्मसात करना हमारे लिये स्वाभिमान और आत्मविश्वास को बढ़ाने वाला अनुभव सिद्ध हो सकता है। मानवीय जीवन के सभी आयाम शिव से ही पूर्णत्व को पाते हैं।  आज चारों ओर अनैतिकता, आतंक, अराजकता और अनुशासनहीनता का बोलबाला है। व्यक्ति, समाज एवं राष्ट्र- हर कहीं दरारे ही दरारे हैं, हर कहीं टूटन एवं बिखराव है। मानवीय दृष्टि एवं जीवन मूल्य खोजने पर भी नहीं मिल रहे हैं। मनुष्य आकृति से मनुष्य रह गया है, उसकी प्रकृति तो राक्षसी हो चली है। मानवता क्षत-विक्षत होकर कराह रही है। इन सबका कारण है कि हमने आत्म पक्ष को भुला दिया है। इन विकट स्थितियों में महादेव ही हमें बचा सकते हैं, क्योंकि शिव ने जगत की रक्षा हेतु बार-बार और अनेक बार उपक्रम किये। 

वस्तुतः अपने विरोधियों एवं शत्रुओं को मित्रवत बना लेना ही सच्ची शिव भक्ति है। जिन्हें समाज तिरस्कृत करता है उन्हें शिव गले लगाते हैं। तभी तो अछूत सर्प उनके गले का हार है, अधम रूपी भूत-पिशाच शिव के साथी एवं गण हैं। समाज जिनकी उपेक्षा करता है, शंकर उन्हें आमंत्रित करते हैं। शिव की बरात में आए नंग-धडं़ग, अंग-भंग, भूत-पिशाच इसी तथ्य को दृढ़ करते हैं। इस लिहाज से शिव सच्चे पतित पावन हैं। उनके इसी स्वभाव के कारण देवताआंे के अलावा दानव भी शिव का आदर करते हैं। सचमुच! धन्य है उनकी तितिक्षा, कष्ट-सहिष्णुता, दृढ़-संकल्पशक्ति, धैर्यशीलता, आत्मनिष्ठा और अखण्ड साधनाशीलता।  भारतीय संस्कृति की भांति शिव परिवार में भी समन्वयकारी गुण दृष्टिगोचर होते हैं। वहां जन्मजात विरोधी स्वभाव के प्राणी भी शिव के प्रताप से परस्पर प्रेमपूर्वक निवास करते हैं। शंकर का वाहन बैल है तो पार्वती का वाहन सिंह, गणेश का वाहन चूहा है तो शिव के गले का हार सर्प एवं कार्तिकेय का वाहन मयूर है। ये सभी परस्पर वैर भाव को छोड़कर सहयोग एवं सद्भाव से रहते हैं। शिव परिवार का यह आदर्श रूप प्रत्येक परिवार एवं समाज के लिए ग्राह्य है। आज समाज एवं राष्ट्र में ऐसे ही सद्भाव, सौहार्द एवं समन्वय की आवश्यकता है। 




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((ललित गर्ग)
60, मौसम विहार, तीसरा माला, 
डीएवी स्कूल के पास, दिल्ली-110051
फोनः 22727486, 9811051133

आलेख : भारतीय राजनीति का हिन्दुतत्व काल

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2014 के बाद से भारत की राजनीति में बड़ा शिफ्ट हुआ है जिसके बाद से यह लगभग तय सा हो गया है कि देश की सभी राजनीतिक पार्टियों को अपनी चुनावी राजनीति हिन्दुतत्व के धरातल पर ही करनी होगी इस दौरान उन्हें अल्पसंख्यकों के जिक्र या उनके हिमायती दिखने से परहेज करना होगा और राष्ट्रीय यानी बहुसंख्य्यक हिन्दू भावनाओं का ख्याल रखना पड़ेगा. 2014 के बाद का कुल जमा हासिल यह है कि भारत में एक अलग तरीके के राष्ट्रवाद को स्वीकृति मिल गयी है जिसका आधार धर्म है लेकिन यह मात्र 2014 का प्रभाव नहीं है बल्कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के उस धैर्यपूर्ण काम का इनाम है जिसे वो 1925 से करता चला आ रहा है.दरअसल संघ हमेशा से ही भारत के स्वाधीनता आन्दोलन के गर्भ से निकले नये लोकतान्त्रिक, धर्मनिरपेक्ष भारत की अवधारणा से सहमत नहीं रहा जहाँ राजसत्ता का अपना कोई  धर्म नहीं है और ना उसने कभी अपने हिन्दू राष्ट्र के कामना को छुपाया. वे आजादी के बाद हिन्दू धर्म को भारत का आधिकारिक राज्य धर्म घोषित नहीं किये जाने को एक अन्याय के रूप में देखते हैं. किसी विचारधारा के लिये इससे अच्छी स्थिति क्या हो सकती है कि उसके पास अपने खेल के लिये एक से ज्यादा टीमें हो जायें. आज हालत ऐसी बन चुके हैं कि स्वाधीनता आन्दोलन के विरासत का दावा करने वाली पार्टी कांग्रेस को धर्मनिरपेक्षता की जगह हिंदुत्व की राग को अलापना पड़ रहा है, उसके शीर्ष नेता खुद को हिन्दू साबित करने के लिये अपना जनेऊ दिखाने और मंदिरों का चक्कर लगाने को मजबूर हैं. 

इस बदलाव का असर आने वाले सालों में और ज्यादा स्पष्टता के साथ दिखाई पड़ेगा जब बहुसंख्यकों और खुद अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को लगने लगेगा कि वे इस देश में दूसरे दर्जे के नागरिक हैं. जाहिर है इस बदलाव के दूरगामी परिणाम देश के लिए अच्छे साबित नहीं होने वाले हैं गुजरात चुनाव के गहमा गहमी के दौरान एक टीवी बहस में कांग्रेस प्रवक्ता राजीव त्यागी खुल कर कहते हुये दिखाई दिए कि “बाबरी मस्जिद का ताला कांग्रेस ने खुलवाया, शिला न्यास कांग्रेस ने कराया, मस्जिद को कांग्रेस ने गिरवाया और मन्दिर भी कांग्रेस ही बनवाएगी”.  तो क्या भारत की राजनीति ने अपना धर्म चुन लिया है ? कम से कम नियम तो बदल ही चुके हैं. तथाकथित धर्मनिरपेक्ष दलों को ‘धर्मनिरपेक्ष मूल्यों’ के लिए खड़े होने का दिखावा भी छोड़ना पड़ रहा है और अब प्रतियोगिता हिन्दू दिखने की है. गुजरात चुनाव के दौरान देश की प्रमुख विपक्षी पार्टी ने स्पष्ट कर दिया है कि आने वाले दिनों में उसके राजनीति कि दिशा किस तरफ रहने वाली है, खींची गयी लकीर का सन्देश साफ है अब आप इस मुल्क में हिंदू विरोधी पार्टी टैग के साथ राजनीति करने का खतरा नहीं उठा सकते और ना ही मुस्लिम हितेषी होने का दिखावा कर सकते हैं. यह एक बड़ा बदलाव है जिसे हिंदुत्ववादी खेमा अपनी उपलब्धि मान सकता है. 

दूसरी तरफ दक्षिणपंथी खेमा जिसके लोग इस देश के शीर्ष पदों पर बैठ चुके है अब पूरी तरह से खुल कर सामने आ गया है. गुजरात चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री के पद पर विराजमान शख्स द्वारा जिस तरह की बातें कही गयीं है वैसा इस मुल्क में पहले कभी नहीं सुना गया था. मुख्यमंत्री मोदी अपने चुनावी भाषणों में मियां मुशर्रफ, अहमद मियां  पटेल, और जेम्स माइकल लिंगदोह का जिक्र करते थे और इस तरह से वे इशारों-इशारों में अपना सन्देश दे दिया करते थे. इस बार प्रधानमंत्री के तौर पर वे और ज्यादा खुल कर अपना सन्देश देते हुये नजर आये. उन्होंने कांग्रेस से सीधे तौर पर सवाल पूछा कि वो मंदिर के साथ है या मस्जिद के, उन्होंने मुख्यमंत्री पद के लिए एक मुसलमान का नाम को आगे बढ़ाने की पाकिस्तानी साजिश की थ्योरी को भी पेश किया और इस तरह से वे मुसलमानों को पाकिस्तान समर्थक बताने वाली धारणा को बतौर प्रधानमंत्री आगे बढ़ाते हुये नजर आये. भारत में राजसत्ता ने धर्मनिरपेक्षता को अपनाया जरूर लेकिन एक तरह की कशमश हमेशा ही बनी रही. पंडित नेहरू के समय ही बाबरी मस्जिद में मूर्तियां रख दी गयी थीं और फिर उन्हें वहीँ रहने दिया गया, इंदिरा गाँधी अपने दूसरे फेज में नरम हिन्दुतत्व के राह पर चल पड़ी थीं और राजीव गांधी के दौर में तो अयोध्या में मंदिर का ताला खुलवाने और शाहबानो मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने जैसे काम किये गये जिसके बाद से हाशिये पर पड़े हिंदुत्ववादी खेमे के लिये रास्ता खुल गया और फिर इस देश में आजादी के बाद का सबसे बड़ा आन्दोलन “राम मंदिर आन्दोलन” हुआ जिसके बाद कांग्रेस के नरसिंहराव सरकार के समय में बाबरी  मस्जिद गिरा दी गयी.

इसी तरह से राजनीतिक पार्टियों द्वारा अल्पसंख्यकों को वोट बैंक के तौर पर इस्तेमाल किया जाता रहा लेकिन उनकी तरफ से इस समुदाय के उत्थान और विकास के वास्तविक प्रयास नहीं किये गये. दरअसल मुस्लिम समुदाय के वास्तविक मुद्दे कभी उनके एजेंडे में शामिल ही नहीं रहे बल्कि उनकी सारी कवायद दक्षिणपंथी ताकतों का डर दिखाकर कर मुस्लिम वोट हासिल करने तक ही सीमित रहती है. इस दौरान साम्प्रदायिकता को लेकर तथाकथित सेक्युलर पार्टियों की लड़ाई भी ना केवल नकली दिखाई पड़ी बल्कि कभी–कभी उनका “दक्षिणपंथी ताकतों” के साथ अघोषित रिश्ता भी नज़र आता है जहाँ गौर से देखने पर वे एक दूसरे की मदद करते हुये नज़र आते हैं जिससे देश के दोनों प्रमुख समुदायों को एक दूसरे का भय दिखा कर अपनी रोटी सेंकी जाती रहे. कालांतर में इस स्थिति का फायदा दक्षिणपंथी खेमे द्वारा बखूबी उठाया गया और उन्होंने धर्मनिरपेक्षता के विचार को मुस्लिम तुष्टिकरण और हिन्दू विरोधी विचार के तौर सफलतापूर्वक प्रचारित किता गया.

कुछ विचारक कांग्रेस पार्टी के नरम हिन्दुतत्व की रणनीति को भाजपा और संघ के सांप्रदायिक राजनीति के कांट के तौर पर देखते हैं लेकिन यह नर्म बनाम गर्म हिन्दुतत्व की एक कोरी बहस है, पते की बात तो अरुण जेटली ने कही है कि “जब ओरिजनल मौजूद है तो लोग क्लोन को भला क्यों तरजीह देंगे”. और अगर क्लोन को कुछ सफलता मिल भी जाये तो भी इसका असली मूलधन तो ओरिजनल के खाते में ही तो जाएगा. कभी हाशिये पर रही हिन्दुतत्व की राजनीति आज मुख्यधारा की राजनीति बन चुकी है. संघ राजनीति और समाज का एजेंडा तय करने की स्थिति में आ गया है. अब संघ धारा ही मुख्यधारा है. संघ के लिए इससे बड़ी सफलता भला और क्या हो सकती है कि बहुलतावादी भारतीय समाज पर एक ही रंग हावी हो जाए और देश की प्रमुख राजनीतिक पार्टियाँ नरम/ गरम हिन्दुतत्व के नाम पर प्रतिस्पर्धा करने लगें. भले ही इसका रूप अलग हो लेकिन आज भारत की दोनों मुख्य पार्टिया बहुसंख्यक हिन्दू पहचान के साथ ही आगे बढ़ रही हैं यह भारतीय राजनीति का हिन्दुतत्व काल है.



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जावेद अनीस 
Contact-9424401459
javed4media@gmail.com

विदिशा (मध्यप्रदेश) की खबर 10 फ़रवरी

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रात्रि चैपाल में समस्याओं का निदान, हितग्राही लाभांवित

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राज्यमंत्री श्री सूर्यप्रकाश मीणा ग्राम करैला में शुक्रवार की रात्रि में आयोजित की गई चैपाल कार्यक्रम में शामिल हुए। राज्यमंत्री श्री मीणा ने ग्रामवासियों से कहा कि उनकी मूलभूत अथवा व्यक्तिगत समस्या से अवगत होकर उनका हर संभव निराकरण हो इसके लिए विशेष तौर पर समाधान कार्यक्रमांें का आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने रात्रि चैपाल के उद्वेश्य को रेखांकित करते हुए कहा कि ऐेसे ग्रामीणबंधु जो रोजगार, स्वरोजगार के लिए दिन में इधर-उधर चले जाते है उन सभी को शासन की नवीनतम योजनाओं की जानकारी देने और उनसे लाभांवित कराने का प्रयास है ताकि उनके रोजगार, स्वरोजगार के क्रियान्वयन में किसी भी प्रकार का अवरोध ना हो सकें। एसडीएम श्री रविशंकर राय ने कहा कि ग्रामीणजनों की मूलभूत समस्याओं से अवगत होते हुए उनका निराकरण करने और शासन की योजनाओं की जानकारी देकर उनका लाभ दिलाने के उद्वेश्य से जिले में रात्रि चैपालो का आयोजन सतत जारी है। उन्होंने खासकर समाधान एक दिन में तत्काल की जानकारी देते हुए बताया कि अब 14 विभागों के माध्यम से क्रियान्वित 45 सुविधाओं का लाभ उसी दिन देने के उद्वेश्य से लोक सेवा गारंटी के माध्यम से क्रियान्वित की जा रही है। इसके अलावा उन्होंने राजस्व कार्यो की जानकारी दी। जनपद सीईओ श्रीमती वंदना शर्मा के द्वारा ग्रामीण विकास विभाग की जानकारी दी गई। राज्यमंत्री श्री मीणा ने मौके पर विभिन्न योजनाओं से लाभंावित होने वाले हितग्राहियों को मौके पर सामग्री व स्वीकृति पत्र प्रदाय किए। वही आमजनों की समस्याओं का निदान विभागो के अधिकारियों के द्वारा किया गया। आयोजन स्थल पर जनप्रतिनिधियों के अलावा विभिन्न विभागों के अधिकारी कर्मचारी मौजूद थे।

जिला स्तरीय कैरियर अवसर मेला 26 को

शासकीय कन्या अग्रणी महाविद्यालय विदिशा में 26 फरवरी को वृहद जिला स्तरीय कैरियर अवसर मेला का आयोजन किया जा रहा है। जिसमेें जिले के समस्त  महाविद्यालय में अध्ययनरत विद्यार्थियों को शामिल होने का आग्रह किया गया है। संस्था के प्राचार्य डाॅ एम प्रसाद ने बताया कि कैरियर अवसर मेला में कृषि, उद्योग, वानिकी, उद्यानिकी, मत्स्य, सुरक्षा एवं पुलिस बल तथा स्थानीय उद्योगपतियों द्वारा संचालित उद्योगो के अलावा अन्य उपभोक्ता उत्पादों के निर्माण के स्टाॅल लगाए जाएंगे। जिसमें शिक्षित बेरोजगारों को सीधे रोजगार संबंधी सूचनाएं व जानकारी उपलब्ध कराई जाएगी।

सफलता की कहानी : आवेदन देते ही निराकृत हुआ

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लोक सेवा गारंटी अधिनियम के तहत आमजनों की समस्याओं के निदान हेतु जिले में पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में क्रियान्वित समाधान एक दिन तत्काल सेवा के तहत चिन्हित 14 विभागों की 45 सेवाओं के आवेदन मिनिटों में निराकृत हो रहे है। आवेदिका पारूल त्रिपाठी, उज्जवल सोलंकी शासन की निराकरण संबंधी नई सुविधा से लाभांवित होने के उपरांत उनका कहना है कि ये तो चमत्कार हो गया। जहां पहले मूल निवासी आवेदन के लिए तीन से पांच दिन तक इंतजार करना पड़ता था पर आज आवेदन देने के दस मिनिट में ही मूल निवासी प्रमाण पत्र तैयार किया हुआ मेरे हाथ में आ गया। शासन की इस सेवा से हम अत्याधिक प्रभावित है। ऐसी ही सेवाएं मिलने से असंतोष नही पनपेगा। लोक सेवा गारंटी केन्द्र के महाप्रबंधक श्री अमित अग्रवाल ने बताया कि समाधान एक दिन में तत्काल सेवा प्रदाय के तहत जिला मुख्यालय पर पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में क्रियान्वयन शासन द्वारा किया गया है। चिन्हित विभागों की सेवाओं के आवेदन दोपहर डेढ बजे तक प्राप्त होने पर उसी दिन निराकृत आवेदकों को प्रदाय किए जा रहे है। समयावधि के उपरांत प्राप्त होने वाले आवेदनों पर दूसरे कार्य दिवस के प्रथमकाल में मुहैया कराए जा रहे है। शासन की इस महत्वाकांक्षी और जनहितैषी कार्यक्रम, योजना से विदिशा जिले में आज तक 568 आवेदन पंजीकृत हुए थे जिसमें से 529 का निराकरण उसी दिन किया जा चुका है।

जमीन और खेती के मुद्दे पर चुनाव हो - राजगोपाल

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  • भूमि अधिकार संसद में शामिल हुए हजारों भूमिहीन आदिवासी 
  • भूमिहीन आदिवासियों के समर्थन में आये विभिन्न राजनैतिक दल एवं जन संगठन के प्रतिनिधि 

election-on-land-and-farmerतिल्दा-रायपुर/एकता परिषद के तत्वाधान में प्रयोग आश्रम तिल्दा में दो दिवसीय भूमि अधिकार संसद का शुभारंभ गांधी जी के छायाचित्र के सम्मुख दीप प्रज्वलित एवं पूजा-अर्चना कर एकता परिषद के संस्थापक राजगोपाल पी.व्ही., राष्ट्रीय अध्यक्ष रनसिंह परमार, कांग्रेस के मीडिया प्रभारी शैलेश नितिन त्रिवेदी एवं ग्रामीण आदिवासी मुखियाओं द्वारा किया गया ।  इस कार्यक्रम में प्रमुख रूप से छत्तीसगढ़ के जनप्रतिनिधि जनकराम वर्मा-विधायक बलौदाबाजार, डाॅ. रेणु जोगी-विधायक कोटा, रामदयाल उईके-विधायक तानाखार, विधान मिश्रा-पूर्व विधायक एवं विभिन्न राजनीतिक पार्टी के पार्षदगण व युवा कार्यकर्ता शामिल हुए ।  इस अवसर पर संसद को संबोधन करते हुए राजगोपाल जी ने जनांदोलन 2018 के प्रमुख मांगों एवं उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि 30 वर्षों के लम्बे संघर्ष के बाद एकता परिषद के कार्य को देशभर में आप जैसे ग्रामीण मुखियाओं और युवक-युवतियों के सहयोग से फैलाने का कार्य किया गया ।  इस दौरान कई सफलता भी अर्जित हुआ, लेकिन आज भी गरीबों की कई प्रमुख मांगें अधूरे हैं, जिसको लेकर के जनांदोलन 2018 की घोषणा किया गया है ।  आंदोलन की प्रमुख मांगों को लेकर आप सबकी समझ बनाने और उन विषयों पर चर्चा करने के लिए इस संसद का आयोजन किया गया है ।  इस जनांदोलन की प्रमुख मांगें - राष्ट्रीय आवासीय भूमि अधिकार कानून की घोषणा एवं क्रियान्वयन, राष्ट््रीय महिला कृषक हकदारी कानून की घोषणा एवं क्रियान्वयन, राष्ट्रीय भूमि सुधार नीति की घोषणा एवं क्रियान्वयन, भारत सरकार द्वारा पूर्व में गठित राष्ट्रीय भूमि सुधार परिषद और राष्ट्रीय भूमि सुधार कार्यबल को सक्रिय करना, वनाधिकार कानून-2006 और पंचायत (विस्तार उपबंध) अधिनियम-1996 के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए राष्ट्रीय व प्रांतीय स्तर पर निगरानी तंत्र की स्थापना, भूमि संबंधी विवादों के शीघ्र समाधान के लिए त्वरित न्यायालयों का संचालन है ।  उक्त मांगों को लेकर देशभर के 300 जिलों में उपवास, 5 लाख हस्ताक्षर महामहिम राष्ट्र्पति के नाम, अक्टूबर 2018 में 25000 लोगों का दिल्ली कूच, नवम्बर 2018 में हर पंचायत में 10-10 लोगों का सामूहिक उपवास कार्यक्रम सुनियोजित है ।  

इस वर्ष छत्तीसगढ़ राज्य में लोकसभा एवं विधानसभा का चुनाव होने जा रहा है ।  इसलिये गांव-गांव के आदिवासी-गरीब वंचित परिवारां को एकजुट होकर ‘‘जमीन और खेती के मुद्दों पर चुनाव हो‘‘, इसके लिए सत्तासीन और सभी राजनैतिक पार्टियों को चुनौती देने की आवश्यकता है ।  पूर्व केन्द्रीय मंत्री अरविन्द नेताम जी ने आंदोलन को समर्थन देते हुए कहा कि जन-संगठनों को आंदोलन के साथ-साथ राजनैतिक विकल्प को भी तलाशने की भी आवश्यकता है ।  छत्तीसगढ़ के आदिवासी अपने हक और अधिकार के लिए वर्षों से संघर्ष कर रहे हैं लेकिन किसी भी राजनैतिक पार्टी के आदिवासी नेता इनके आवाज का ताकत देने के लिए साथ नहीं हैं ।  आदिवासियों के हक और अधिकार के लिए पेशा अधिनियम जैसे कई कल्याणकारी कानून संविधान में दर्ज है, लेकिन कानून होने के बावजूद पेशा के क्षेत्र में कई कम्पनियाॅ खनन एवं खनिज के नाम पर आदिवासियों को जल, जंगल और जमीन से वंचित किया जा रहा है । पूर्व विधायक वीरेन्द्र पाण्डेय ने कहा कि हर व्यक्ति को ईमान व इज्जत की रोटी मिलनी चाहिये ।  वर्तमान सरकार सस्ते दामों में चांवल देकर एक तरफ तो राजनैतिक फायदे ले रहे हैं, वहीं दूसरी ओर शराब के नाम पर गरीबों को लूटने का साजिश कर रहे हैं ।  

संसद में उपस्थित आदिवासी ग्रामीण मुखियाओं ने अपनी बात रखते हुए कहा कि सरकार द्वारा वनाधिकार कानून लागू होने के बावजूद भी आदिवासियों को उनके काबिज भूमि का पूर्ण अधिकार एवं वनभूमि में सामुदायिक अधिकार नहीं मिल पाया है ।  इसके लिए एकता परिषद द्वारा घोषित जनांदोलन 2018 में हम सभी एकजुट होकर शामिल होंगे ।  इस कार्यक्रम में राज्यभर के 19 जिलों से लगभग 3500 आदिवासी मुखियाओं ने भाग लिया ।  सम्मेलन के प्रथम दिवस संसद को नदीघाटी मोर्चा के संयोजक गौतम बंदोपाध्याय, कांग्रेस के मीडिया प्रभारी शैलेश नितिन त्रिवेदी, छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा के जनकलाल ठाकुर, अरविन्द नेताम, वीरेन्द्र पाण्डेय, राजू शर्मा, ज्ञानाधार शास्त्री, मीना वर्मा, हेमलता वर्मा, विमला बाई, मानवती कुॅवर, बीरसिंह, लालू खैरवार आदि ग्रामीण मुखियाओं ने संबोधित किया ।  पूरे कार्यक्रम का संचालन अरूण कुमार, मोहम्मद खान, रमेश शर्मा ने किया । 

प्रेरक : बिहार के लाल ने खोजा भूकंप पुर्नानुमान तंत्र

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umesh kumar verma bihar
मोतिहारी। भारत ने हमेशा विश्व को एक नयी राह दिखायी है। चाहे वह चिकित्सा का क्षेत्र हो या गणित का। शिल्पकला हो या मूर्तिकला। भाषा हो या दुनिया का कोई भी क्षेत्र। भारतीय संस्कृति का प्राचीन ज्ञान हर क्षेत्र में अग्रणी रहा है, और शायद यही कारण है कि भारत को विश्वगुरु कहा जाता था। जिन चीजों की खोज विश्व आज कर रहा है, भारत में आज से हजारों वर्ष पहले उन चीजों का आविष्कार हो चुका था। आज भी भारत की इस धरती पर ऐसे अनेक उदाहरण भरे पड़े हैं जिनके अंदर विश्व को नया नजरिया देने की ताकत है। जी हां, जिस भूकंप के पूर्वानुमान के बारे में विश्व के छोटे-बड़े तमाम वैज्ञानिक यह कहते थे कि भूकंप का पूर्वानुमान असंभव है, उस भूकंप के बारे में एकदम सटीक जानकारी देने की तकनीक का ईजाद कर उमेश कुमार वर्मा ने बिहार सहित इस देश का नाम विज्ञान के क्षेत्र में एक बार फिर से ऊंचा किया है।

*प्राध्यापकों की बात से मिली प्रेरणा*
व्यक्ति यदि ठान ले तो कुछ भी असंभव नहीं है। सच्ची लगन से हर असंभव चीज संभव हो सकती है। दरअसल इन बातों को उमेश ने बखूबी साबित किया है।पटना निवासी उमेश संप्रति मोतिहारी के महारानी जानकी कुंवर बालिका उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में अध्यापन कार्य करते हैं। वे बताते हैं कि भूगर्भ शास्त्र में पटना विश्वविद्यालय 1984 में ऑनर्स करते समय प्रोफेसरों ने यह कहा कि भूकंप का पूर्वानुमान असंभव है, उसी समय मन में यह ठान लिया कि असंभव को संभव कर दिखाउंगा और लगातार इसमें लगा रहा। रोजी रोटी की तलाश में अरुणाचल प्रदेश गये और वहां लगभग एक साल तक काम किया, फिर डीएवी संस्थान में 12 वर्षों तक अपनी सेवाएं दी।हालांकि इस दौरान काम का बोझ अधिक होने से शोध कार्य कुछ धीमा हो गया था। 2007 में बिहार सरकार की नौकरी में आने के बाद शोध कार्य में फिर गति आई और इसे एक मिशन बना लिया। इस दौरान भूकंप के पूर्वानुमान से संबंधित दिन रात एक कर जो कुछ ढूंढ़ा उसकी एक प्रति आईआईटी खड़गपुर को भेजा।वहां के माइनिंग के हेड ऑफ डिपार्टमेंट को यह आईडिया बहुत पसंद आया और उन्होंने तुरंत बुला भेजा। उन्होंने सारी सुविधाएं देने का वायदा किया और अपना शोध जारी रखने का आग्रह किया, लेकिन नौकरी छोड़कर जाना संभव नहीं था, लिहाजा कभी कभार छुट्टियों में वहां जाकर शोध कार्य करते रहे। 2007 से 2008 के बीच वहां कई बार जाने का मौका मिला और इस बीच शोध से संबंधित कई पुस्तकों का गहन अध्ययन किया  सिस्मोलॉजी से संबंधित लगभग सारी किताबें पढ़ डाली। इस दौरान करीब एक हजार से अधिक शोध-पत्र का अध्ययन किया तब जाकर अपने शोध को फॉरम्यूलेट करने का काम शुरू हुआ।

*टोक्यो यूनिवर्सिटी के शोध पत्र से मिला क्लू*
इस दौरान टोक्यो यूनिवर्सिटी के एक शोध पत्र को पढ़ते ही मन में उठ रहे संकेतों को बल मिला और जो कुछ पहले से खोजा था उसके तार इस शोध से कहीं ना कहीं जुड़ते दिखाई दिए। दरअसल उस शोध पत्र में यह बात जाहिर की गई थी कि सूर्य ग्रहण के समय भूकंप आने की संभावना बढ़ जाती है। टोक्यो यूनिवर्सिटी के इस शोधपत्र में 2001 से लेकर 2004 तक के बीच हुए सूर्यग्रहण और उसके प्रभाव से आए भूकंप का विवरण भी अंकित था।इसको आधार मानते हुए अपने शोध को और आगे बढ़ाया। इस दौरान कई विषयों का सहारा लेना पड़ा। भौतिकी, रॉक मैकेनिक्स, गणित, भूगर्भशास्त्र जैसे अन्य कई विषयों के सहयोग से यह संभव हुआ। लिहाजा जब भी कहीं शोध पत्र प्रस्तुत किया,उस समय कठिनाई का सामना करना पड़ता था क्योंकि शोध पत्र की संपुष्टि के लिए एक साथ सारे विषयों के विशेषज्ञों की आवश्यकता होती। इस क्रम में 2010 में जब शोध पत्र जमा किया, उस समय साल भर के भीतर आने वाले सारे भूकंप की जानकारी उसमें दे दी थी। इसकी सौ प्रतिशत प्रामाणिकता को देखने के बाद हैदराबाद विश्वविद्यालय में दिसंबर 2010 में शोध पत्र प्रकाशित करवाया।उनका यह शोध आईजेईई हैदराबाद, कैफ़ेट इनोवा दिसंबर,2010 के वॉल्यूम नंबर-4 में, इसु नंबर-6 के पेज नंबर 945 से 955 तक लिखित है।

पूर्व में भूकंप की जानकारी देकर सबको सकते में डाला। इसके बाद नेपाल में आने वाले भूकंप के पहले ही सटीक जगह और समय के बारे में भी बता चुके थे। पहले तो लोगों को विश्वास नहीं हुआ लेकिन जब भूकंप आया तो लोग सकते में आ गए। 2014 में अमेरिका भी गए थे जहां 4 शोध पत्र प्रकाशित हुआ। श्री वर्मा बताते हैं कि भूकंप का पूर्वानुमान लगाने के लिए उन्होंने 15 तकनीकों का इजाद किया है, जिससे बिल्कुल सही समय और एकदम सही स्थान पता लगाया जा सकता है। दरअसल सेटेलाइट से आने वाली तरंगों का अलग अलग अर्थ होता है। उन तरंगों का गहनता से अध्ययन करने पर भूकंप से जुड़ी जानकारी भी मिलती है। सिर्फ कुछ घंटों की निगरानी के बाद यह पता चल जाता है कि धरती के विभिन्न हिस्सों में क्या चल रहा है। सेटेलाइट से मिली तरंगों के आधार पर धरती के भीतर होने वाली हलचल भी स्पष्ट होती है, और इससे ठीक-ठीक पूर्वानुमान भी लग जाता है।

सरकारी व्यवस्था का रोना,चंदा इकट्ठा कर जाते हैं विदेश
श्री वर्मा इन तमाम बातों के बावजूद अब तक सरकारी सहायता से दूर हैं। कई बार विश्व के अनेक जगहों से बुलावा आया लेकिन पैसे के अभाव में वहां नहीं जा सके। 26 जनवरी को सेन फ्रांसिस्को जाने वाले हैं, जहां यह तकनीक प्रदर्शित होगी। इस आश्चर्यजनक शोध के प्रति सरकारी उदासीनता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इससे जुड़ी बातों को लेकर जब भी श्री वर्मा विदेश जाते हैं तो इसके लिए उन्हें चंदे का सहारा होता है और उस राशि से विदेश जा पाते हैं। सरकारी वेतन का रोना यहां भी है। वे नियोजित शिक्षक है और कई महीनों से तनख्वाह नहीं मिली। बताते हैं कि कुछ वर्ष पहले बिहार सरकार के आपदा प्रबंधन विभाग ने उनको भूकंप के पूर्वानुमान की तकनीक वाली मशीन बनाने की अनुशंसा कर दी थी इतना ही नहीं इसके लिए राशि भी निर्धारित की जा चुकी थी लेकिन योजना विभाग के प्रधान सचिव की उदासीनता के चलते मामला लटक गया। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इन्हें एनोवेटिव कॉउंसिल का सदस्य भी बनाया है। देशभक्ति का जज्बा कहिए कि श्री वर्मा अपनी तकनीक को अन्य देशों के साथ साझा नहीं करना चाहते, लेकिन दुख के साथ बताते हैं कि सरकारी सहायता के अभाव में यह विशिष्ट तकनीक मर रही है, और अब अमेरिका से बुलावा आया है।भारत के किसी व्यक्ति द्वारा इजाद की गई तकनीक को अमेरिका के नाम पर याद किया जाए यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। बिल्कुल साधारण रहन-सहन और मिलनसार स्वभाव के शिक्षक उमेश प्रसाद वर्मा की ख्याति उनके इलाके में है। बताते हैं कि नेपाल में आए भूकंप के दौरान उनके कहने पर पूरे मोहल्ले वासी घर से बाहर आ गए थे और तय समय पर भूकंप भी आया।

*प्रधानमंत्री से है उम्मीदें*
फिलहाल श्री वर्मा को इस बात की प्रतीक्षा है कि सरकार की आंखें खुल जाए और इस बड़े आविष्कार को मूर्त रुप दिया जाए, ताकि भूकंप का पूर्वानुमान लगाने संबंधी चर्चा जहां भी हो वहां भारत अगले पायदान पर रहे। श्री उमेश बताते हैं कि उनकी तकनीक भले ही सरकारी व्यवस्था की मारी हो, लेकिन देशभक्ति का जो जज्बा देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अंदर है उन तक यदि इस शोध की जानकारी किसी प्रकार पहुंचे तो वे अवश्य इसपर संज्ञान लेंगे और उन्हें उम्मीद है कि ऐसा हो सकता है।






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अभिजीत कुमार
पत्रकार, मधुबनी 
मेल : mr.reporter25@gmail.com

जनांदोलन 2018 में शामिल होंगे छत्तीसगढ़ से दस हजार भूमिहीन

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तैयारी के प्रमुख बिन्दु
*75 क्विंटल अनाज 40 हजार रूपये ।
*9500 सदस्य ।
*50000 हस्ताक्षर, महामहिम राष्ट्पति के नाम ।
*2000 ग्राम सभाओं से अनुमोदन ।
*12000 वनभूमि के व्यक्तिगत दावे ।
*100 गांवों में सामुदायिक दावे 
*20 जिलों में समानान्तर जनांदोलन ।

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तिल्दा-रायपुर/एकता परिषद के तत्वाधान में आयोजित भूमि अधिकार संसद के दूसरे दिन छत्तीसगढ़ के 20 जिलों से आये एकता परिषद के मुखियाओं ने जनांदोलन 2018 के तैयारी को लेकर हो रहे गांव-गांव में प्रचार-प्रसार एवं विभिन्न तैयारी के संबंध में अपने-अपने प्रस्तुती मंच के माध्यम से साझा किया ।  मुखियाओं के प्रस्तुतीकरण के संगठन के पूर्व अरूण कुमार ने अपनी बात रखते हुए कहा कि एकता परिषद छत्तीसगढ़ में जिन मुद्दों को लेकर हम-सब काम कर रहे हैं, उन पर गंभीरतापूर्वक विचार-विमर्श एवं भावी रणनीति बनाने की आवश्यकता है ।  इसके अलावा जनांदोलन के नेतृत्वकर्ता राजगोपाल जी ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि वर्तमान में छत्तीसगढ़ राज्य में चुनाव होने जा रहे हैं ।  इस अवसर का लाभ लेते हुए समस्त राजनैतिक पार्टियों के साथ संवाद स्थापित कर जमीन एवं पूर्ण शराबबंदी के मुद्दे को घोषणा पत्र में शामिल करने हेतु दबाव बनायें, ताकि प्रत्येक परिवार को आवास हेतु 10 डिसमिल जमीन और खेती के लिए 5 एकड़ जमीन मिल सके ।  छत्तीसगढ़ में जिस तरह से गांव-गांव को उजाड़कर उनकी जमीन उद्योगपतियों को दे रहे हैं, इससे गांव और गरीब की हालत तेजी से खराब होती जा रही है ।  सभा में उपस्थित नेता प्रतिपक्ष टी.एस.सिंहदेव को संबोधित करते हुए कहा कि गांधी विचारों और सिद्धांतो पर आधारित अंतिम व्यक्ति के लिए जन कल्याणकारी घोषणा पत्र तैयार हो ताकि सुन्दर छत्तीसगढ़ राज्य का निर्माण किया जा सके ।  वर्तमान सरकार लोगों को स्वावलम्बी बनाने के बजाय परावलम्बी बना रहे हैं।  लोगों के हाथ से जीवन जीने के तमाम संसाधन छीना जा रहा है । एकता परिषद का हमेशा प्रयास रहा है कि लोगों को हक और अधिकार मिले ताकि खुशहाल जीवन जी सके । गठन के लम्बे संघर्ष के बाद सरकार के साथ कई मुद्दोें पर समझौता हुआ था, लेकिन आज तक उन वादों और समझौंतों पर अमल नहीं हुआ ।  इस पर पुनः दबाव बनाने के लिए 2 अक्टूबर 2018 से देशभर से दस लाख भूमिहीन वंचित समुदाय के सत्याग्रही पलवल से दिल्ली पदयात्रा करने जा रहे हैं ।  हम आशा और विश्वास करते हैं कि जनता के मुद्दों को राजनैतिक दल अपने घोषणा पत्र में शामिल करें ।  

सभा में उपस्थित नेताप्रतिपक्ष टी.एस. सिंहदेव ने राजगोपाल जी द्वारा उठाये गये तमाम मुद्दों और जन कल्याणकारी बातों को शत्-प्रतिशत समर्थन करते हुए घोषणा पत्र में शामिल करने की सहमति जाहिर की, साथ ही जन समुदाय को संबोधित करते हुए कहा कि गांव-गांव में सर्वे कर भूमि की उपलब्धता को तलाश करें ।  छत्तीसगढ़ में जो खदान और उद्योग विनाशकारी एवं प्रदूषण फैलाने वाले हैं, उनको बंद करने का कार्य किया जायेगा ।   आगरा समझौता एवं स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट पर सरकार द्वारा गंभीरता पूर्वक विचार कर उचित क्रियान्वयन किया जायेगा ।  सम्मेलन के दूसरे दिन नेता प्रतिपक्ष टी.एस. सिंहदेव, पूर्व केन्द्रीय मंत्री चरणदास महंत, महासमुन्द विधायक विमल चोपड़ा, जैजेैपुर विधायक केशव चन्द्र, किसान नेता राजू शर्मा ने अपनी बात रखते हुए जनांदोलन को समर्थन दिया ।  छत्तीसगढ़ के अलावा मध्यप्रदेश के वरिष्ठ साथी संतोष सिंह, सरोज बहन, श्रद्धा बहन एवं अनीस भाई, रनसिंह भाई ने भाग लिया । सम्मेलन के अंतिम सत्र में गांव-गांव से आये ग्रामीण मुखिया एवं अतिथियों ने जनांदोलन 2018 को सफल बनाने के लिए छत्तीसगढ़ से दस हजार भूमिहीनों को शामिल कराने का संकल्प लिया ।  एकता परिषद के राष्ट्र्ीय कमेटी के सदस्य मीना बहन ने आभार व्यक्त किया । उक्त बातों की जानकारी मीडिया प्रभारी पीलाराम पटेल ने दी ।  

अगले वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटे की स्थिति संतोषजनक रहने की उम्मीद: जेटली

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नयी दिल्ली, 10 फरवरी, वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि अगले वित्त वर्ष में राजकोषीय स्थिति संतोषजनक रहने की उम्मीद है और मौजूदा स्थिति को देखते हुये राजकोषीय घाटा लक्ष्य से ऊपर निकलने की किसी तरह की कोई चिंता नहीं दिखाई देती है। वित्त मंत्री ने विश्व बाजार में कच्चे तेल के बढ़ते दाम को लेकर तुरंत किसी तरह की चिंता को भी खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि अटकलबाजी को लेकर किसी तरह का कोई आकलन नहीं किया जाना चाहिये। इस मामले में यदि पिछले तीन दिन में कच्चे तेल के दाम का रुख देखा जाये तो यह बिल्कुल् उल्टा रहा है। कच्चे तेल के दाम चढ़ने के बाद गिरे हैं। उन्होंने कहा कि इस समय जो स्थिति है उसे देखते हुये अगले वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा बढ़ने की आशंका नहीं दिखाई देती है। बजट के बाद रिजर्व बैंक निदेशक मंडल के साथ होने वाली परंपरागत बैठक को संबोधित करने के बाद आयोजित संवाददाता सम्मेलन में जेटली ने कहा कि मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की पिछली बैठक में दरों को अपरिवर्तित रखने का जो निर्णय लिया गया वह ‘‘संतुलित निर्णय’’ था। रिजर्व बैंक गवर्नर उर्जित पटेल की अध्यक्षता में सात फरवरी को मौद्रिक नीति समिति की बैठक हुई थी, जिसमें मुख्य नीतिगत दर में कोई बदलाव नहीं किया गया।
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