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घर लाया गया मुंडे का पार्थिव शरीर, अंतिम संस्कार बुधवार को

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राष्ट्रीय राजधानी में मंगलवार को कार दुर्घटना में दिवंगत हुए केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री गोपीनाथ मुंडे का पार्थिव शरीर विशेष विमान के जरिए मुंबई लाया गया। मुंडे का अंतिम संस्कार बुधवार को उनके पैतृक गांव पराली वैजनाथ में किया जाएगा। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेताओं सहित हजारों की संख्या में शोकाकुल लोग मुंबई हवाईअड्डे पर मुंडे का पार्थिव शरीर लेने पहुंचे, और सुरक्षा बलों ने मुंडे को सलामी दी।

वाहनों के काफिले के साथ मुंडे का पार्थिव शरीर वर्ली स्थित उनके पारिवारिक आवास 'पूर्णा'लाया गया, ताकि उनके नाते-रिश्तेदार एवं निकट मित्र उन्हें अंतिम श्रद्धांजलि दे सकें। वरिष्ठ नेताओं में विनोद तावड़े, किरीट सौमैया, रामदास अठावले, राज पुरोहित, मुंडे की बेटी पंकजा मुंडे पाल्वे और अन्य लोग मुंडे के पार्थिव शरीर के साथ थे।

मुंडे का पार्थिव शरीर सांताक्रुज से वर्ली जिस रास्ते से लाया गया, उस पर सैकड़ों की संख्या में मुंडे के शोक संतप्त समर्थक उनका इंतजार करते रहे और 'गोपीनाथ मुंडे अमर रहें'के नारे लगाए।

बाद में मुंडे का पार्थिव शरीर नरीमन पॉइंट स्थित भाजपा के मुख्यालय पर रखा जाएगा जहां पार्टी कार्यकर्ता उन्हें श्रद्धांजलि देंगे। बुधवार की सुबह मुंडे का पार्थिव शरीर विशेष विमान के जरिए लातूर और फिर बीड जिले के उनके पैतृक गांव पराली वैजनाथ ले जाया जाएगा।

फ्रेंच ओपन : क्वार्टर फाइनल में हारीं सानिया-ब्लैक

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भारत की सानिया मिर्जा और जिम्बाब्वे की उनकी जोड़ीदार कारा ब्लैक फ्रेंच मंगलवार को ओपन ग्रैंड स्लैम टेनिस टूर्नामेंट के महिला युगल वर्ग में हार गई हैं। सानिया और ब्लैक की क्वार्टर फाइनल में हार के साथ इस अहम टूर्नामेंट में भारत की चुनौती समाप्त हो गई है। पांचवीं वरीय सानिया-ब्लैक की जोड़ी को चीनी ताइपे की सू वेई सेह और चीन की शुआई पेंग की शीर्ष वरीय जोड़ी के हाथों 6-2,3-6, 6-3 से हार मिली। यह मैच दो घंटे चला।

सानिया और ब्लैक की शुरूआत अच्छी नहीं रही। पहला सेट ये सिर्फ 38 मिनट में हार गईं। सेह और पेंग ने दो बार उनकी सर्विस ब्रेक की जबकि सानिया और ब्लैक सिर्फ एक बार ऐसा कर सकीं। दूसरे सेट में हालांकि सानिया और ब्लैक ने अपने खेल का स्तर उठाया और जीत हासिल की। इसके बाद मैच अंतिम सेट की ओर बढ़ा, जिसके माध्यम से मैच का निर्णय होना था।

अंतिम सेट में एक समय सेह और पेंग 3-2 से आगे थीं। छठे गेम में सेह और पेंग ने सानिया और ब्लैक की सर्विस ब्रेक की और 4-2 की बढ़त बना ली। 5-3 की बढ़त के साथ सेह और पेंग ने मैच के लिए जब सर्विस शुरू की तो सानिया और ब्लैक ने उन्हें कड़ी टक्कर दी लेकिन तब तक उनके हाथ से जीत का मौका निकल चुका था।

बिहार के जमुई में हाजत का दीवार तोड़ 5 कैदी फरार

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बिहार के जमुई न्यायालय में मंगलवार को पेशी के लिए लाए गए पांच कैदी अदालत की हाजत का दीवार तोड़कर फरार हो गए। इस घटना के बाद 12 पुलिस जवानों को निलंबित कर दिया गया है तथा फरार हुए कैदियों की धरपकड़ के लिए छापेमारी की जा रही है। पुलिस के अनुसार, जमुई जेल से न्यायालय में पेशी के लिए कैदियों को लाया गया था और हाजत में बने एक पुरुष सेल में 10 कैदियों को रखा गया था। कैदियों ने सेल के बाथरूम के दीवार में छेद बनाई और पांच कैदी फरार हो गए। 

जमुई के पुलिस अधीक्षक जितेंद्र राणा ने बताया कि भागने वाले कैदियों में रमेश हेम्ब्रम, टनटन मिश्रा, उमा पासवान, जयराम यादव, पिंटू राय शामिल हैं। रमेश पूर्व में नक्सली संगठन से जुड़ा हुआ है तथा टनटन खुद अपराधिक गिरोह का सरगना है। इन दोनों पर कई हत्या, लूट और अपहरण के मामले के दर्ज हैं। 

उन्होंने बताया कि इस घटना के बाद हाजत की सुरक्षा में तैनात 12 बिहार पुलिस जवानों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है।  राणा ने बताया कि इस घटना के पीछे साजिश के संकेत मिल रहे हैं। उन्होंने पुलिस पूरे मामले की छानबीन कर रही है, जो भी सुरक्षाकर्मी इस कांड में लिप्त पाए जाएंगे उन पर कारवाई की जाएगी। 

फरार कैदियों की गिरफ्तारी के लिए जिला के सभी थानों को अलर्ट कर दिया गया है तथा जिला की सीमाओं को सीलकर छापेमारी अभियान चलाया जा रहा है। 

गोपीनाथ मुंडे का अंतिम संस्कार आज उनके पैतृक गांव परली में होगा

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बीजेपी के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री गोपीनाथ मुंडे का अंतिम संस्कार आज उनके पैतृक गांव में किया जाएगा। मुंडे का पार्थिव शरीर मुंबई से लातूर पहुंच गया है। लातूर में बीजेपी के कई नेता भी पहुंच गए हैं। गोपीनाथ मुंडे को उनकी बेटी मुखाग्नि देगी। गोपीनाथ मुंडे का पैतृक गांव बीड जिले के पर्ली में है। जहां आज उनका पार्थिव शरीर ले जाया जाएगा।

जानकारी के मुताबिक मुंडे का पार्थिव शरीर बीजेपी दफ्तर से मुंबई एयरपोर्ट ले जाया गया है। मुंबई एयरपोर्ट से विमान के जरिए मुंडे का शव लातूर भेजा गया है। लातूर से हेलीकॉप्टर के जरिए उनके गांव पर्ली ले जाया जाएगा। इसके बाद उनके पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए उनके घर के बाहर रखा जाएगा। यहां से उनके शव को तोतला मैदान में आम लोगों के दर्शनार्थ रखा जाएगा।

दोपहर करीब 2 बजे पूरे रीति-रिवाज के साथ उनके शव का अंतिम संस्कार किया जाएगा। अंतिम संस्कार में बीजेपी समेत सभी दलों के तमाम नेता शामिल होंगे। मुंडे को उनकी बेटी मुखाग्नि देगी।  

जनता की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए सभी प्रयास करेगी सरकार : मोदी

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद भवन में कहा है कि सरकार लोकतंत्र के इस मंदिर में लोगों की उम्मीदों और आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए सभी प्रयास करेगी।

मोदी ने कहा कि देश की जनता ने अभूतपूर्व मतदान करके जन प्रतिनिधियों को आशीर्वाद देकर 16वीं लोकसभा का चुनाव किया है। आज उसका प्रारंभ हो रहा है। देशवासियों को विश्वास दिलाता हूं कि लोकतंत्र के इस मंदिर में भारत के सामान्य मानवों की आकांत्रा की पूर्ति के लिए हर प्रयास किया जाएगा।  

उल्लेखनीय है कि 16वीं लोकसभा का पहला सत्र आज से शुरू हो गया। सदन की शुरुआत में केंद्रीय मंत्री गोपीनाथ मुंडे को श्रद्धांजलि दी गई, जिसके बाद सदन की कार्यवाही को दिनभर के लिए स्थगित कर दिया गया। मुंडे का मंगलवार को दिल्ली में एक सड़क हादसे में निधन हो गया था। पहले से तय कार्यक्रम के मुताबिक, आज प्रोटेम स्पीकर कमलनाथ को निर्वाचित सांसदों को शपथ दिलानी थी, लेकिन अब शपथ ग्रहण 5 और 6 जून को होगा।

6 जून को ही स्पीकर का चुनाव होगा। 9 जून को राष्ट्रपति संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करेंगे। 10 और 11 जून को राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा होगी, जिसके बाद सदन को अनिश्चित काल तक के लिए स्थगित कर दिया जाएगा।

दिवंगत मुंडे को श्रद्धांजलि देने के बाद लोकसभा के पहले सत्र की कार्यवाही स्थगित

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16वीं लोकसभा का पहला सत्र आज सुबह 11.00 बजे शुरू हुआ। लेकिन सदन में कोई कामकाज नहीं हुआ। सदन की कार्यवाही शुरू होने के बाद सभी सांसदों ने दिवंगत सांसद और केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री गोपीनाथ मुंडे को श्रद्धांजलि देने के लिए दो मिनट का मौन रखा। इसके बाद प्रोटेम स्पीकर ने सदन की कार्यवाही गुरुवार तक के लिए स्थगित कर दी। 

इससे पहले सदन के वरिष्ठ सांसद कमल नाथ (9 बार जीते सांसद) को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने प्रोटेम स्पीकर पद की शपथ दिलाई। सदन की कार्यवाही शुरू होने के बाद कमलनाथ ने गोपीनाथ मुंडे के जीवन बारे में जानकारी दी। मुंडे को श्रद्धांजलि देने के बाद सदन की कार्यवाही कल तक के लिए स्थगित कर दी गई। 

गोपीनाथ मुंडे के निधन की वजह से आज सदन में सांसदों का शपथ ग्रहण टाल दिया गया है। अब अब नए संसद सदस्यों को 5 जून और 6 जून को शपथ दिलाई जाएगी। आज से शुरू होने वाले संसद सत्र में 6 जून को ही स्पीकर का भी चुनाव होगा। 9 जून को राष्ट्रपति दोनों सदनों के संयुक्त सत्र को संबोधित करेंगे और 10 व 11 जून का धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा होगी और फिर उसी दिन सत्र समाप्त हो जाएगा। 

बुधवार को संसद सत्र की कार्यवाही स्थगित होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुबह 11.30 बजे संसद भवन परिसर में ही कैबिनेट की बैठक बुलाई है। कांग्रेस की ओर से मिल रही जानकारी के मुताबिक कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद राज्यसभा में विपक्ष के नेता होंगे। लोकसभा में विपक्ष के नेता को लेकर अभी कोई अंतिम फैसला नहीं हो सका है।

नौ जून को होगा दिलीप कुमार की आत्मकथा का विमोचन

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नौ जून की रात अपने आप में महत्वपूर्ण एवं खास होगी। इस दौरान फिल्मकार करण जौहर की मेजबानी में एक कार्यक्रम होगा, जिसमें अमिताभ बच्चन और आमिर खान सरीखे अभिनेताओं के हाथों बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता दिलीप कुमार की बहुप्रतीक्षित आत्मकथा का विमोचन होगा। वहीं सुर सम्राज्ञी लता मंगेशकर उनके लिए गाएंगी। दिलीप कुमार की आत्मकथा ‘सबस्टेंस एंड द शैडो’ का विमोचन यहां एक होटल में होगा।

विमोचन कार्यक्रम की मेजबानी करण जौहर करेंगे, जबकि लता मंगेशकर दीप प्रज्ज्वलित कर और दिलीप साब के लिए कुछ पंक्तियां गाकर इसका शुभारंभ करेंगी। यह समां बच्चन और आमिर के लिए पुस्तक विमोचन का मंच तैयार करेगा। इसका आलेख दिलीप कुमार के करीबी दोस्त उदय तारा नायर ने किया है।

इस मौके पर महानायक अमिताभ बच्चन पुस्तक में से एक पद या छंद पढ़ेंगे, जबकि आमिर जाने-माने लेखक प्रसून जोशी द्वारा लिखित एक कविता सुनाएंगे। दिलीप कुमार ने छह दशकों तक हिंदी सिनेमा प्रेमियों के दिलों पर राज किया और ‘ज्वार भाटा’, ‘मेला’, ‘नया दौर’,‘ देवदास’, ‘मधुमती’ और ‘मुगल-ए-आजम’ सरीखी सफल फिल्मों में अभिनय किया।

सानिया मिर्जा फ्रेंच ओपन के महिला युगल वर्ग में हारीं सानिया

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भारत की सानिया मिर्जा और जिम्बाब्वे की उनकी जोड़ीदार कारा ब्लैक फ्रेंच ओपन ग्रैंड स्लैम टेनिस टूर्नामेंट के महिला युगल वर्ग में हार गई हैं। सानिया और ब्लैक की क्वार्टर फाइनल में हार के साथ इस अहम टूर्नामेंट में भारत की चुनौती समाप्त हो गई है।


पांचवीं वरीय सानिया-ब्लैक की जोड़ी को चीनी ताइपे की सू वेई सेह और चीन की शुआई पेंग की शीर्ष वरीय जोड़ी के हाथों 2-6, 6-3, 3-6 से हार मिली। यह मैच दो घंटे चला।

मुंडे का राजकीय सम्‍मान के साथ अंतिम संस्‍कार

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दिल्‍ली में सड़क हादसे में आकस्मिक निधन के बाद केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री और भाजपा नेता गोपीनाथ मुंडे का पार्थिव शरीर बुधवार दोपहर बीड जिले स्थित उनके पैतृक गांव परली ले जाया गया जहां उनकी बेटी पंकजा ने मुखाग्नि दी। इससे पहले परली में मुंडे के पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए रखा गया था। इस दौरान हजारों लोगों ने पार्थिव शरीर को श्रद्धांजलि दी। हालांकि इस बीच वहां माहौल बिगड़ गया था। कुछ लोग पत्‍थर फेंकने लगे थे। बाद में मुंडे की बेटी पंकजा ने लोगों से अपील कर किसी तरह व्‍यवस्‍था को फिर से कायम किया। बताया जा रहा है कि भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने हल्‍का लाठीचार्ज किया था जिससे भीड़ भड़क गई और पत्‍थर फेंकने लगी थी।

इससे पहले बुधवार सुबह वायुसेना के विशेष विमान से मुंडे का पार्थिव शरीर लातूर पहुंचा था। उस वक्‍त प्रकाश जावड़ेकर और राजीव प्रताप रूडी सहित भाजपा के कई नेता और कार्यकर्ता एयरपोर्ट पर मौजूद थे। उधर, बुधवार को 16वीं लोकसभा की कार्यवाही शुरू हो गई। हालांकि, पहले दिन मुंडे को श्रद्धांजलि देने के बाद सदन की कार्यवाही स्‍थगित कर दी गई।  

मुंडे का पार्थिव शरीर जब लातूर पहुंचा तो वहां सैकड़ों की तादाद में लोग मौजूद थे। अपने नेता के शव को देखते ही उनकी आंखों में आंसू आ गए। वहां मौजूद कई और लोगों ने मुंडे के लिए नारे भी लगाए।  

श्रद्धा के पात्र नहीं जो संरक्षण न दे सकें

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सामाजिक विषमताओं और समस्याओं का एक सबसे बड़ा कारण हम भी हैं जो कि ऎसे-ऎसे लोगों को सर चढ़ाए रखते हैं जो किसी काम के नहीं हैं। ऎसे खूब सारे लोग हमारे आस-पास भी हैं और दूर-दूर तक भी अपने झण्डेे गाड़े हुए बिराजमान हैं।

ये लोग समाज या देश के किसी काम के नहीं होते बल्कि इन लोगों को हमेशा मंच, लंच और टंच, आदर-सम्मान और श्रद्धा चाहिए। इसके लिए वे कुछ भी करने को तैयार रहते हैं यहाँ तक कि मरने-मारने पर भी उतारू होना इनके लिए कोई बड़ी बात नहीं।

सिर्फ और सिर्फ सम्मान की  कुंभकर्णी भूख को पूरा करने के लिए ये छोटे-मोटे स्वाँगिया कार्यक्रमों का आयोजन करते रहते हैं ताकि इनका वजूद भी बना रहे और आदर-सम्मान तथा श्रद्धा बटोरने के अवसर भी कम न हों।

दुनिया का कोई सा संबंध हो या कर्मयोग, ज्ञानयोग अथवा भक्तियोग की कोई सी धारा, सभी प्रकार के कर्मयोगों की सफलता का आनंद तभी है जब इनमें श्रद्धा का पुट हो। आजकल काम खूब सारे लोग कर रहे हैं, ढेरों रचनात्मक कार्यक्रमों से लेकर क्रियाकर्म तक हो रहे हैं, रोजाना हर तरफ कुछ न कुछ हो रहा है जो समाज की जीवंतता को प्रकटाने के लिए काफी है मगर इन सभी में श्रद्धा का अभाव है।

यह अभाव कत्र्ताओं से लेकर कर्म तक पसरा हुआ है। यही वजह है कि आजकल हर कर्म में जिसकी सर्वाधिक कमी महसूस की जा रही है वह है श्रद्धा। श्रद्धा उस गुड़ की तरह है जो जितनी अधिक मात्रा में घुलेगी, उतना अधिक बेहतर मिठास और सुगंध भरा परिणाम सामने होगा।

आजकल हर तरफ श्रद्धा का जितना अधिक ह्रास हो रहा है उतना पिछले दशकों में किसी का नहीं हुआ। बावजूद इसके हमारे अपने क्षेत्रों की गलियों-चौबारों से लेकर देश-दुनिया तक  ऎसे लोगों की भरमार है जो अपने आपको श्रद्धा का प्रतीक मानते हैं। 

बात पारिवारिक रिश्तों की हो, सामाजिक गतिविधियों की अथवा देश की रचनात्मक प्रवृत्तियों की, श्रद्धा के भी दो रूप हो गए हैं। एक है आंतरिक श्रद्धा और दूसरी दिखावटी। आंतरिक श्रद्धा में किसी को किसी के बारे में कुछ कहने और सुनने की आवश्यकता नहीं होती। आदमी और कर्म की तीव्रतर सुगंध ही इतनी फैली हुई होती है कि अपने आप श्रद्धा का ज्वार हिलोरें लेने लगता है और हर कोई हृदय से आदर-सम्मान देने लगता है। ऎसे लोगों और कामों के प्रति श्रद्धा का अतिरेक कोई चाहते हुए भी नहीं रोक पाता।

दूसरी ओर खूब सारे लोग ऎसे हैं जिनके प्रति लोकलाज या अपने क्षुद्र स्वार्थों के चक्कर में सार्वजनिक तौर पर श्रद्धा जताते तो हैं लेकिन हमारे मन में इनके प्रति श्रद्धा का कोई कतरा नहीं होता बल्कि जो कुछ हम करते हैं वह सारा का सारा दिखावटी होता है और इसका हमारे मन से कुछ भी लेना-देना नहीं होता। हम यह सब इसलिए करते हैं क्योंकि करना पड़ता है। कुछ लोग जो एक बार श्रद्धा और सम्मान के 440 वोल्ट के खंभोें पर चढ़ कर बैठ जाते हैं, फिर वहाँ से उतरते ही नहीं।

कई बार दूसरे लोगों की देखादेखी भी हम बाहरी श्रद्धा का इज़हार करते हैं। इस मामले में हमारा दोष नहीं है बिंल्क सदियों की गुलामी और भेड़-बकरियों के साथ रहते हुए संसंर्गजन्य दोष भी प्रमुख कारण है।

इन श्रद्धा पात्रों में कोई भी हो सकता है। जिन्हें हम जानते हैं वे भी, जिनसे अनजान होते हैं वे भी। कई लोगों को अपने बारे में बहुत बड़ा और ऊँचा हो जाने का भ्रम हो जाता है और ऎसा होने पर वे सातवें आसमान का सफर शुरू कर देते हैं, ये लोग फिर कभी नीचे उतर ही नहीं पाते। ऎसे लोग किसी के लिए कभी कुछ नहीं करते, बल्कि अपने ही अपने लिए जीने-मरने के लिए लालायित रहते हैं।

श्रद्धा अपने आप में वह विराट विषय है जिसमें संरक्षण, प्रोत्साहन, मार्गदर्शन, स्नेह और आत्मीयता जैसे भारी-भरकम शब्दों का समावेश होता है और इनके गुणधर्म का होना भी नितान्त जरूरी होता है। लेकिन आजकल हम जिन लोगों को श्रद्धापात्र मान बैठे हैं उनमें दुर्भाग्य से दो-चार फीसदी को छोड़कर शेष सारे के सारे श्रद्धा की कसौटी पर कभी खरा नहीं उतरते।

ये लोग अपने आपको महान साबित करने के लिए जिंदगी भर जतन करते रहते हैं मगर लोगों को गुमराह करने के सिवा कुछ नहीं कर पाते। लोग इन पर निर्भर होने का दम भरते हैं मगर ये लोग किसी काम के नहीं हुआ करते। 

श्रद्धा पाने योग्य बन जाने वाला व्यक्ति ऎसा होना चाहिए जिसमें संरक्षण प्रदान करने का माद्दा हो, समुदाय के लिए त्याग कर सके, किसी भी प्रकार की विषम परिस्थितियों को तपस्या के रूप में ले। लेकिन जिनके प्रति हम श्रद्धा का सागर समर्पित करते हुए नहीं अघाते उनमें काफी सारे लोग हमारी आशाओं, अपेक्षाओं तथा आकांक्षाओं के अनुकूल नहीं होते।

हर समाज और क्षेत्र में ऎसे आभूषण विद्यमान हैं जो श्रद्धेय कहे जाते हैं लेकिन इनकी हकीकत यही है कि ये सिर्फ और सिर्फ दर्शनीय होकर ही रह गए हैं, किसी को संरक्षण प्रदान करने की बात ये कभी नहीं सोचते।

बावजूद इसके हमारा यह दुर्भाग्य है कि ऎसे लोगों को श्रद्धेय की मखमली गादी पर बिठाये रखकर हम समुदाय को ही गुमराह करने लगे हैं। जो लोग समाज का, समाज के श्रेष्ठ व्यक्तित्वों को संरक्षण प्रदान नहीं कर सकते, उनके प्रति श्रद्धा दिखाना भी अपराध है और यही कारण है कि समाज में कर्मठ और श्रेष्ठीजन पलायन कर हाशिये पर जा रहे हैं और तथाकथित श्रद्धेयों की महफिल हर कहीं परवान पर है।

श्रद्धा का इससे बड़ा अपमान और कुछ नहीं हो सकता।  इस किस्म के श्रद्धेय श्रद्धा अभिव्यक्त करने के नहीं बल्कि श्रद्धांजलि देने के लायक ही हैं। इस शाश्वत सत्य को आज हम नहीं समझ पाएं तो यह हमारा और अपने समाज का ही दुर्भाग्य है।




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---डॉ. दीपक आचार्य---
9413306077
dr.deepakaacharya@gmail.com

बिहार : मासूम बच्चों ने डी.एम. अंकल से कहा कि आप बड़ा........ हो!

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पटना। आंगनबाड़ी केन्द्र के मासूम बच्चों ने डी.एम. अंकल से कहा कि आप बड़ा........ हो! आप जरूर ही उधेड़बुन में पड़ गए होंगे! अध्ययनरत बच्चों को गर्मी और ठंडक मौसम में छुट्टी दी जाती है। प्रायःसभी स्कूलों में प्रावधान किया गया है। केवल आंगनबाड़ी केन्द्र में अध्ययनरत बच्चों को मौसमी छुट्टी नहीं दी जाती है। इसको लेकर मासूम बच्चों ने डी.एम.साहब को बड़ा.... करार दिया है। 

खैर, पहले प्रचलित था कि आंगनबाड़ी केन्द्र का मतलब होता है। जहां आंगन है तो वहां बाड़ी नहीं है। जहां बाड़ी है तो वहां आंगन नहीं है। अब सुशासन सरकार के शासनकाल में सुधार हुआ है। मगर और सुधार लाने की जरूरत है। मनरेगा और अन्य योजनाओं से आंगनबाड़ी केन्द्र का भवन निर्माण किया गया है। मगर शौचालय का निर्माण नहीं किया गया है। अगर शौचालय निर्माण भी किया गया है। उसे फिनिसिंग नहीं किया गया। इस संदर्भ में आंगनबाड़ी केन्द्र की सेविका शारदा देवी कहती हैं कि शौचालय के अभाव में बच्चे शौचक्रिया करने घर चले जाते हैं। यहां पर शौचालय को फिनिसिंग टच नहीं दिया गया है। 

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एक अन्य आंगनबाड़ी केन्द्र की सेविका राधा देवी का कहना है कि यहां तो शौचालय बना ही नहीं है। सहायिका तारा देवी  बच्चों को घर ले जाकर शौचक्रिया करवा देती हैं। यहां देखा गया कि सहायिका तारा देवी बच्चों को साबुन से हाथ धुलाकर भोजन देती हैं। जब सेविका राधा देवी बैंग में साबुन ढूढ़ने में कामयाब हो गयी तो सहायिका को 10 रू. देकर दुकान से साबुन खरीदवा लायी। अन्य आंगनबाड़ी केन्द्र की तरह बच्चों का वजन लेने वाला मापक खराब है। बस इसी से पता चल जाता है कि बच्चों का वजन लिया जाता होगा? 

यहां पर कुपोषण और अति कुपोषण बच्चों को विभक्त करना है। इसी विभाजन के आधार पर खाघान्न मिलता है। 40 बच्चों को रोजाना खाना दिया जाता है। प्रत्येक माह 15 तारीख को पोषाहार दिवस मनाया जाताा है। उस दिन 40 किशोरी को तीन किलोग्राम चावल, डेढ़ किलोगा्रम दाल और 300 ग्राम सोयाबीन दिया जाता है। 8 गर्भवती और 8 दूध पिलाने वाली मां को तीन किलोग्राम चावल और डेढ़ किलोग्राम दाल दिया जाता है। 44 कुपोषित बच्चों को ढाई किलोग्राम चावल और 1 किलोग्राम दाल दिया जाता है। 2 अति कुपोषित बच्चों को 4 किलोग्राम चावल और 2 किलोग्राम दाल दिया जाता है। आंगनबाड़ी केन्द्र के 40 बच्चों को बाबू साहब बनने के लिए ढाई सौ रू. दिया जाता है। 





आलोक कुमार
बिहार 

बिहार : आफत की दौर से गुजरते सामाजिक कार्यकर्ता

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पटना। प्रगति ग्रामीण विकास समिति नामक गैर सरकारी संस्था के पास नरेश मांझी सेवारत हैं। सामाजिक कार्यकर्ता 35 दिनों के अंदर सुपुत्री गायत्री कुमारी, भगीना बारू मांझी और भतीजा विजय मांझी को खो दिया। इसके कारण सामाजिक कार्यकर्ता मानसिक तनाव से गुजर रहे हैं। 

सामाजिक कार्यकर्ता नरेश मांझी कहते हैं कि उनकी सुपुत्री गायत्री कुमारी होनहार थीं। मैट्रिक में प्रथम श्रेणी से उत्र्तीण होने के बाद आई.एस.सी. कर रही थीं। उसे अध्ययन में ध्यान देने के कारण घरेलू कार्य में करने में मन नहीं लगाती थीं। इसके कारण छोटी बहन से सदैव तू-तू-मैं-मैं होते रहता। इसमें गायत्री कुमारी की मां भी ताना मारती थीं। इससे नाराज होकर 18 अप्रैल 2024 को फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। वह 20 साल की थीं। अपने गांव हथियाकांध मुसहरी के लोगों के सहयोग से गंगा मइया के गर्भ में गायत्री कुमारी को दे दिया गया। 

अभी नरेश मांझी गमगीन अवस्था से गुजर ही रहे थे कि पुनपुन में स्थित पैमार घाट में रहने वाले दीदी और जीजा के पास हादसा हो गया। जीजा सुदेश्वर मांझी के पुत्र बारू मांझी ने विषपान कर लिया। दानापुर, सगुना मोड़ के पास अवस्थित मुसहरी में बारू मांझी का विवाह हुआ। बारू मांझी की पत्नी को जोडिंस हो गया था। वह छह माह बीमार रही। वह बीमारी से उभर गयी थीं। इसके आलोक में बारू मांझी पत्नी को मैके से ससुराल ले जाना चाहते थे। बारू मांझी की पत्नी ने माताजी के घर पर नहीं रहने के बहाना बना दिया। अभी माताश्री नहीं हैं। इसके रोशनी में ‘मैं’ ससुराल नहीं जाऊंगी। इतना सुनना था कि बारू मांझी बाढ़ की तरह बहककर बोलने लगा। अब कभी भी ले जाने के लिए नहीं आएंगे। यहां से बैरंग वापस जाने के बाद बारू मांझी दोस्तों के संग मुर्गा और दारू का पाटी किया। वह पहले ही बाजार से विष भी खरीदकर लाया था। 30 अप्रैल 2014 को दोस्तों के संग पाटी उड़ाने के बाद दारू में जहर डालकर खामोश हो गया। वह 25 साल का था। दोनों पति और पत्नी के सहयोग से बाल-बच्चा नहीं हुआ था। गरीबी के कारण मिट्टी खोंदकर दफना दिया गया। 

पहले सुपुत्री और भगीना को खो जाने के मातम से उभरे नहीं थे कि एक और हादसा हो गया। इस बार भतीजा जहर पान कर लिया। वह भी दोस्तों के संग 23 मई 2014 को शराब और मुर्गा खाया। खाते और पीते परिवार के पुत्र ने खा और पीकर अंतिम सास छोड़ा। सुरेश मांझी के सपुत्र विजय मांझी ( 25 साल) की शादी हो गयी थी। अभी दो बच्चे हैं। विजय की पत्नी जवानी में ही विधवा हो गयी। अब 2 बच्चों की जिदंगी बनाने की जिम्मेवारी आ गयी है। हथियाकांध मुसहरी के ही बगल में मिट्टी खोंदकर दफना दिया गया।   बाद बारू मांझी पर रहने वाली लड़की की गयी थी। इस तरह सामाजिक कार्यकर्ता नरेश मांझी को 35 दिनों के अंदर जोरदार झटका लगा। 



आलोक कुमार
बिहार 

सुमित्रा महाजन का लोकसभा अध्यक्ष बनाना लगभग तय

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लोकसभा में सबकी चहेती और संसदीय कार्यप्रणाली में लंबा अनुभव रखने वाली सुमित्रा महाजन, मीरा कुमार के स्थान पर लोकसभा की अगली अध्यक्ष हो सकती हैं। भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा में लंबे अनुभव वाली सदस्य सुमित्रा महाजन को सदन की अगली अध्यक्ष बनाने की पूरी तैयारी कर ली है। शुक्रवार को चुनाव की औपचारिकता पूरी होने के बाद वह मीरा कुमार के बाद देश की दूसरी महिला लोकसभा अध्यक्ष होंगी।

पार्टी सूत्रों के अनुसार सुमित्रा महाजन को लोकसभा अध्यक्ष बनाया जाना लगभग सुनिश्चित हो गया है। उनका नाम सामने आने से पहले डा मुरली मनोहर जोशी का नाम भी इस पद के लिए लिया जा रहा था। इंदौर से आठ बार सांसद चुनी गई महाजन को पूरी पार्टी में स्नेह से सुमित्रा ताई कहकर पुकारा जाता रहा है और पूरे राजनीतिक फलक में उन्हें दलगत भावना से ऊपर उठकर समान आदर मिलता रहा है।

लोकसभा अध्यक्ष के तौर पर पिछले पांच वर्ष से सदन की कार्यवाही बहुत सहज और मिठास भरे अंदाज में चला रहीं मीरा कुमार के बाद लोकसभा को एक और सौम्य और विनम्र चेहरा मिलने जा रहा है। लोकसभा के वरिष्ठ सदस्य और अस्थायी अध्यक्ष कमलनाथ नए सांसदों को गुरुवार को और शुक्रवार को सदस्यता की शपथ दिलाएंगे और नए लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव शुक्रवार को होगा।

महाराष्ट्र के चिपलून में 12 अप्रैल 1943 को जन्मी सुमित्रा ताई का विवाह इंदौर के जयंत महाजन के साथ हुआ। इंदौर के विश्वविद्यालय से ही उन्होंने एमए और एलएलबी किया। बाद में सुमित्रा ताई इंदौर संसदीय क्षेत्र का पर्याय बन गई। उन्होंने पहली बार लोकसभा का चुनाव 1989 में लडा़ और पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रकाश चंद्र सेठी को पराजित किया।

इसके बाद से इंदौर ने सुमित्रा ताई के अलावा किसी और को अपना नुमाइंदा बनाना पसंद नहीं किया। वह अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में मंत्री भी बनी। वह 2002 से लेकर 2004 के बीच मानव संसाधन विकास, संचार और पेट्रोलियम मंत्री रहीं।
  
सुमित्रा ताई ने 16वीं लोकसभा के चुनाव में चार लाख से अधिक वोटों से जीत दर्ज की। वह लोकसभा की ऐसी तीसरी सदस्य हैं जो आठ बार सांसद रही हैं।

नीतीश कुमार ने नई सरकारी सुविधाएं ठुकराई

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बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सरकार द्वारा मुहैया कराई जा रहीं नई सुविधाएं ठुकरा दी है। नई सुविधाओं के तहत उन्हें दो निजी सचिव, दो निजी सहायक, दो निम्नवर्गीय लिपिक और चार आदेशपाल मिलने वाले थे। उन्होंने सरकार से यह निर्णय वापस लेने का भी आग्रह किया है।

नीतीश कुमार ने बुधवार को अपने फेसबुक वॉल पर लिखा, आज समाचार पत्रों के माध्यम से ज्ञात हुआ कि बिहार सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्री को पद छोड़ने के प्रथम पांच वर्षों के दौरान स्टाफ की सुविधा देने का निर्णय लिया है। ऐसा प्रतीत होता है कि आज के संदर्भ में इस निर्णय का लाभ केवल मुझे ही प्राप्त होगा। अत: मैं इस सुविधा को विनम्रतापूर्वक अस्वीकार करता हूं और साथ ही मैं सरकार से इस निर्णय को वापस लेने का आग्रह करता हूं।

उल्लेखनीय है कि मंगलवार को मंत्रिमंडल की बैठक में पूर्व मुख्यमंत्री को कार्यमुक्त होने से पांच वर्ष तक दो निजी सचिव, दो निजी सहायक, दो निम्नवर्गीय लिपिक और चार आदेशपाल की सुविधा देने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई थी। कुल मिलाकर यह सुविधा केवल नीतीश कुमार को मिलनी है, क्योंकि नीतीश पिछले आठ वर्षों से बिहार के मुख्यमंत्री थे। इसके पहले पूर्व मुख्यमंत्री को आजीवन नि:शुल्क आवास और सुरक्षा दिए जाने का प्रावधान था।

राष्ट्रपति का दो दिवसीय पश्चिम बंगाल दौरा

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राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी कल (गुरुवार) से पश्चिम बंगाल का दो दिवसीय दौरा करेंगे। अपने दौरे के दौरान राष्ट्रपति सम्मानित शिक्षाविद् आचार्य सतीश चंद्र मुखर्जी के जन्म की 150वीं वर्षगांठ महोत्सव का उद्घाटन करेंगे तथा अन्य समारोहों में भी हिस्सा लेंगे।

राष्ट्रपति भवन से आज जारी किए गए बयान के मुताबिक वे कल ही सर आशुतोष मुखर्जी के 150वें जन्मदिन के मौके पर एक लेक्चर भी देंगे। गौरतलब है कि मुखर्जी 31 मार्च, 1906 से लेकर 30 मार्च 1914 तक और फिर 4 अप्रैल 1921 से लेकर 3 अप्रैल 1923 तक कोलकाता विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर रहे थे।
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी शुक्रवार को पश्चिम बंगाल का दौरा खत्म कर उसी दिन नई दिल्ली वापस लौट जाएंगे।

उत्तर प्रदेश राष्ट्रपति शासन के लिए फिट केस: आरके सिंह

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उत्तर प्रदेश में बलात्कार और हत्या की वारदात बढ़ने के बीच भाजपा सांसद और पूर्व गृह सचिव आरके सिंह ने कहा कि राष्ट्रपति शासन लगाने के लिए उत्तर प्रदेश फिट केस है, क्योंकि राज्य सरकार कानून व्यवस्था को नियंत्रित करने में पूरी तरह विफल रही है।

सिंह ने संवाददाताओं से कहा कि यह एक विफल राज्य है। कोई कानून व्यवस्था नहीं है। बलात्कार और हत्या आम बात है। कोई नियंत्रण नहीं है। राज्य पूरी तरह विफल रहा है। राष्ट्रपति शासन के लिए ये फिट केस है।सिंह ने आरोप लगाया कि राज्य प्रशासन के हर स्तर पर राजनीतिक हस्तक्षेप जमकर हो रहा है विशेषकर पुलिस में। इससे प्रशासन ध्वस्त हो गया है। अलीगढ़ में एक महिला न्यायाधीश के बलात्कार के कथित प्रयास का जिक्र करते हुए नवनिर्वाचित सांसद ने कहा कि एक न्यायाधीश भी अपने घर पर सुरक्षित नहीं है।

सिंह राज्य में बलात्कार और हत्या की घटनाओं पर टिप्पणी कर रहे थे। इनमें हाल ही में बदायूं में दो चचेरी बहनों का गैंगरेप और हत्या का मामला शामिल है। ग्रामीण विकास मंत्री गोपीनाथ मुंडे के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए सिंह ने कहा कि दिल्ली में देर रात में और सुबह के वक्त यातायात सिग्नल काम नहीं करते। इस व्यवस्था को सही करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में लाल बत्तियां सुबह चार बजे से काम करनी चाहिए। हमें दिल्ली में गोल चक्करों की व्यावहारिकता के बारे में भी सोचना होगा।

बिहार : चोर के संदेह में 2 छात्रों को पीट-पीटकर मार डाला

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पटना के खुसरूपुर थाना क्षेत्र में ग्रामीणों ने चोर समझकर दो छात्रों की पीट-पीटकर हत्या कर दी। दोनों मृतक 10वीं कक्षा के छात्र बताए जाते हैं। इस मामले की एक प्राथमिकी दर्ज करा दी गई है जिसमें 20 लोगों को आरोपी बनाया गया है। इसमें दो लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है। पुलिस के अनुसार मंगलवार को मीरनगर निवासी विश्वनाथ प्रसाद का पुत्र छोटू कुमार और सागर पासवान का पुत्र गोलू कुमार बैकटपुर गांव में खड़े होकर मोबाइल फोन से बात कर रहे थे। इसी क्रम में कुछ ग्रामीणों को शक हुआ कि ये दोनों चोर हैं, क्योंकि कुछ ही दिन पूर्व गांव के एक ट्रैक्टर से बैक्ट्री की चोरी हो गई थी। 

ग्रामीणों ने दोनों को पकड़कर लाठी-डंडे से जमकर पिटाई कर दी। अधिक पिटाई होने के कारण दोनों बच्चे बेहोश हो गए तब ग्रामीणों ने इन्हें सड़क के किनारे छोड़कर चले गए। पुलिस को जब इसकी सूचना मिली तब पुलिस घटनास्थल पर पहुंचकर घायलावस्था में दोनों को फतुहा राजकीय अस्पताल ले गई परंतु चिकित्सकों ने दोनों को पटना रेफर कर दिया। पटना ले जाने के क्रम में दोनों की रास्ते में ही मौत हो गई। 

खुसरूपुर के थाना प्रभारी ने बीके मेधावी ने बताया कि इस मामले में दो लोगों अनिल यादव और मुनिलाल को मंगलवार की रात को गिरफ्तार कर लिया है तथा शेष आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी की जा रही है। ग्रामीणों के अनुसार छोटू के पिता बिहार पुलिस में भागलपुर में सहायक अवर निरीक्षक के पद पर कार्यरत हैं। 

शोर न मचाओ, कुछ करके दिखाओ

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अनियमित मौसम, लू के थपेड़ों से लेकर हाड़ पर तीर चलाती शीत, बादलों का फटना और सब कुछ बह जाना, बेमौसम बरसात और बाढ़, बार-बार मावठों, ओलावृष्टि की धमक, भीषण गर्मी का कहर और कंपकंपाती ठंड, ऑक्सीजन की कमी, ओजोन परत का बेहाल होना, थरथर्राने वाला भूकंप और ज्वालामुखी ... सब कुछ गड़बड़।

मौसम का मिजाज अब न क्षेत्रों के अनुकूल रहा है, न इंसान या और जीव-जंतुओं के। मनचला हो गया है मौसम, बदचलन हो गया है सब कुछ। अभी तक तो इतना ही हुआ है, आगे-आगे देखते जाईये क्या-क्या नहीं होने वाला है।

इंसान की बदचलनी का यही सब कुछ माहौल चलता रहा तो वह सब कुछ हो ही जाने वाला है जिसकी कल्पना करना भी हमारी रूह को कंपा देने वाला है। केदारनाथ की त्रासदी को हुए अभी ज्यादा समय नहीं हुआ है। ऎसी कितनी ही त्रासदियों के साक्षी हम हैं।

जिन पंच तत्वों से हमारी प्रकृति बनी है, जिस बुनियाद पर धरती टिकी है, उसकी रक्षा करना हमारा फर्ज है। हमारा कत्र्तव्य यह भी है कि जो कुछ पुरखे हमारे लिए छोड़ गए हैं उसकी रक्षा करें, सदुपयोग भी करें और आने वाली पीढ़ियों का ख्याल भी रखें। मगर हमने अपनी इन मर्यादाओं को भुला दिया है। हम चाहते हैं कि सब कुछ हमारे हक़ में लील लें, बाद में क्या हो, किसने देखा।

प्रकृति के आँगन में रहते हुए मौज-मस्ती लूटने की बजाय हमने प्रकृति को ही लूटना शुरू कर दिया है। पहाड़ों को मसल कर मैदान बना दिया है। नालों और नदियों का अस्तित्व मिटाने के सफर पर हम चल ही पड़े हैं, पेड़ों और जंगलों से हमारा रिश्ता खत्म सा ही हो गया है। जिस पैमाने पर बस्तियों का सफर शुरू हुआ उसने वनों-जंगलों-पेड़ों का सफाया किया है।

जियो और जीने दो के सिद्धान्त के दावे और उद्घोष करने वाले हम खुदगर्ज और शोषक लोगों ने अपने घरौंदों के चक्कर में वन्य जीवों, पशु-पक्षियों और हमारे सहचरों के बसेरों को उजाड़ कर रख दिया है और चाहते हैं जंगलों पर भी हमारा कब्जा हो जाए। 

जमीन के टुकड़ों को हम टकसाल मान बैठे हैं और अपना जमीरतक  भुला बैठे हैं। एक जमाना था जब पेड़ों की डालियां आसमान को छूती हुई बादलों का हाथ पकड़ कर जमीन पर ले आया करती थीं। आज पेड़ नहीं  उनकी जगह मोबाइल टॉवरों का कब्जा है।  कोई क्षेत्र ऎसा नहीं बचा है जो टॉवरों के जंगल की तरह न दिखता हो। पंचतत्वों का संतुलन हमने समाप्त कर दिया है। यही कारण है कि प्रकृति अब हमने रूठी हुई है।

हम हर साल विश्व पर्यावरण दिवस मनाते हैं। इस दिन सारे के सारे लोग पर्यावरण बचाने के लिए समर्पित प्रयासों के संकल्प लेते हैं, गोष्ठियों और विभिन्न आयोजनों में गला फाड--फाड़कर चिल्लाते हैं और वादे तो ऎसे कर लेते हैं जैसे कि आज ही के दिन पर्यावरण चेतना का कोई चमत्कार हो ही जाने वाला है।

खूब सारे लोगों का जन्म ही लगता है पर्यावरण चेतना पैदा करने के लिए ही हुआ है। फिर इनके समानधर्मा लोगों की भी कहाँ कोई कमी है। पेड़ लगाने की बातें की जाती हैं। पिछले कई दशकों से यही हो रहा है। कितना अच्छा होता कि ये लोग गलाफाड़ भाषणों और संकल्पों की बजाय कम से कम इस दिन एक-एक पेड़ ही लगाते। ऎसा होता तो आज हमें पर्यावरण दिवस मनाने की आवश्यकता ही नहीं होती।

मगर हकीकत यह है कि हम इतने नालायक होते जा रहे हैं कि खुद कुछ करना नहीं चाहते। हमारी सदैव मंशा यही रहती है कि हम निर्देशक की भूमिका में रहें और दूसरे लोग मजदूरों की तरह काम करते रहें।

आज पर्यावरण का प्रदूषण बढ़ रहा है। बाहर और भीतर सब तरफ प्रदूषण का माहौल है। इंसान का दिल-दिमाग भी प्रदूषित है, आबोहवा भी प्रदूषित है और सब कुछ उलटा-पुलटा होता जा रहा है। पर्यावरण प्रदूषण के लिए हम स्वयं जिम्मेदार हैं। यदि हम सभी लोग अपनी मर्यादाओं में रहें, समाज और क्षेत्र तथा प्रकृति के लिए अपनी ड्यूटी के प्रति वफादार रहें, जो जिस काम के लिए मुकर्रर है वह अपने कामो ं को पूरी ईमानदारी के साथ करें और मानवीय संवेदनाओं, सेवा व परोपकार के सामाजिक सरोकारों को अपने स्वाथोर्ं से ऊपर रखे, तो कोई कारण नहीं कि पर्यावरण का संतुलन इतना बेहतर हो जाए कि हमें पर्यावरण के नाम पर सालाना आयोजनों की दरकार ही न रहे।

पर्यावरण रक्षा के लिए आयोजनों, वादों, संकल्पों, भाषणबाजी और नौटंकियों से कहीं ज्यादा जरूरत अपने मन को साफ-सुथरा रखने की है और समाज तथा क्षेत्र के लिए  जीने का ज़ज़्बा पैदा करने की है। एक बार हमारे मन-मस्तिष्क का पर्यावरण ठीक हो जाए तो फिर परिवेश को सुधारना कोई मुश्किल नहीं है। समस्या वहाँ ही है जहाँ हम सिर्फ लच्छेदार भाषण तो झाड़ना चाहत े हैं, पर्यावरण असंतुलन पर अभिनय करते हुए घड़ियाली आँसू बहाकर औरों की सहानुभूति तो लूटना चाहते हैं मगर करना कुछ नहीं चाहते।

आज का दिन हमें यथार्थ का बोध कराने आया है। यह दिन चीख-चीख कर यह कहना चाहता है कि अब भी समय है कुछ करो, वरना सब कुछ तबाह हो जाएगा।जब पर्यावरण ही न रहेगा तो हमारा हश्र क्या होगा, इस बारे में हमें सोचने की आवश्यकता नहीं है।


विश्व पर्यावरण दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएँ ...


live aaryaavart dot com

---डॉ. दीपक आचार्य---
9413306077
dr.deepakaacharya@gmail.com

बिहार : नहीं थम रहा जद (यू) का आंतरिक विवाद

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nitish jitan manjhi
बिहार में जीतन राम मांझी सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार के बाद ही जनता दल (युनाइटेड) में उठा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस विवाद को लेकर हालांकि जद (यू) के बड़े नेता लगातार प्रयास कर रहे हैं, परंतु यह थमने के बजाए धीरे-धीरे बढ़ता ही जा रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी माने जाने वाले संजय कुमार सिंह ने भी बुधवार को प्रवक्ता पद से इस्तीवफा देकर अपनी नाराजगी जाहिर कर दी है। मंत्रिमंडल विस्तार के बाद जद (यू) में नाराज लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है। मंत्रिमंडल विस्तार में अन्य दलों से आए नेताओं को तरजीह देने से नाराज संजय ने पार्टी प्रवक्ता पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने अपना इस्तीफा पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष को सौंप दिया है। इस बीच सूत्रों का मानना है कि वे पार्टी भी छोड़ सकते हैं। 


इधर, जद (यू) के प्रवक्ता पद से इस्तीफा दे चुके विधान पार्षद नीरज कुमार बुधवार को पटना पहुंचे। पटना पहुंचने के बाद उन्होंने पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि अभी भी वे अपने स्टैंड पर कायम हैं। उन्होंने कहा 'ऐसे लोगों को जिन्हें जनता ने नकार दिया है वैसे लोगों को पहले विधान पार्षद बनाया गया और फिर मंत्रिमंडल में स्थान दिया गया। यह उन कार्यकर्ताओं के लिए अपमान है जिन्होंने इस पार्टी को सींचने का काम किया है।' 



उन्होंने तत्काल ऐसे लोगों को पार्टी से बाहर करने की मांग करते हुए कहा कि उनके नेता नीतीश कुमार हैं जिन्होंने राजनीति में एक आदर्श प्रस्तुत किया है। इस बीच जद (यू) के सूत्रों के मुताबिक जद (यू) के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने नीरज से फोन पर बात की है परंतु वे अपने स्टैंड पर बने हुए हैं। इधर, नीरज के आवास पर जद (यू) के विक्षुब्ध नेताओं की बैठक हो रही है। 



इस बीच विधायक ज्ञानेन्द्र सिंह ज्ञानु के तेवर भी ठंडे पहीं पड़े हैं। ज्ञानु ने अनुशासन समिति के अध्यक्ष के नाते पथ निर्माण मंत्री राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह, राष्ट्रीय महासचिव आऱ सी़ पी़ सिंह और विधान पार्षद ललन सर्राफ और संजय कुमार सिंह का बर्खास्त करने की सिफारिश की है। उन्होंने दावा किया है कि पार्टी से नाराज 16 विधायक उनके साथ हैं। इधर, राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य और विधायक अजीत कुमार भी मंत्रिमंडल विस्तार से नाराज हैं। 



इस बीच प्रदेश जद (यू) के अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा कि कहीं कोई बवंडर नहीं मचा है। एक परिवार में तो कभी नाराजगी हो जाती है, पार्टी तो बहुत बड़ी है। कुछ लोग नाराज हैं, जिन्हें मना लिया जाएगा।'उल्लेखनीय है कि सोमवार को मांझी सरकार के मंत्रिमंडल का विस्तार करते हुए 14 नए मंत्रियों को शपथ दिलाई गई थी। 

विशेष : दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना पर बैठे लोगों के टेंट उखाड़ दिए

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  • पटना के दानापुर प्रखंड परिसर में ठौर जमाने वालों को मिला नोटिस 

women molestation and fightपटना। आज दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना पर बैठे भगाणा पीडि़तों के टेंट उखाड़ दिए गए। कल पटना में दानापुर प्रखंड के सीओ   कुमार कुंदन लाल ने प्रखंड कार्यालय परिसर में रह रहे कटावपीडि़तों को खाली करने के लिए नोटिस दिया गया है। इस तरह की कार्रवाई एसडीओ राहुल कुमार के निर्देश पर प्रखंड कार्यालय परिसर से कटावपीडि़तों को हटाया जा रहा है। 

दिल्ली के जंतर-मंतर पर 14 अप्रैल से धरना दियाः आज दिल्ली में धरना पर बैठे भगाणा पीडितों के टेंट पुलिस ने उखाड़ दिए। इन लोगों ने अनुसूचित जाति आयोग, महिला आयोग, मानवाधिकार आयोग समेत सभी संबद्ध सत्ता केंद्रों से संपर्क किया। लेकिन सुनवाई होना तो दूर, कहीं से आश्वासन तक नहीं मिला। घुमा-फिरा कर सबका टका सा उत्तर रहा कि आप लोगों को जो नियमसंगत मुआवजा मिलना था, मिल चुका है। सभी आरोपी गिरफ्तार हो चुके हैं। अब इस मामले में करने को कुछ खास नहीं है। दिल्ली के सत्ता-केंद्रों का यह रवैया अनायास नहीं है। इसकी जड में हैं हिसार के एसपी शिवास कविराज की रिर्पाेटें। सभी आयोग और सरकारें वास्तव में एसपी की रिर्पाेर्ट पर ही निर्भर रहती हैं। पिछले दिनों मैंने शिवास से इस विषय पर बातचीत की थी। उनका का कहना था कि सभी चार लडकियों को 1 लाख 20-20 हजार रूपये का मुआवजा दिया जा चुका है, इनमें से दो लडकियों के साथ ही सहमति से संबंध बनाया गया था, जिसे रेप कहा जा रहा है। उन दोनों को 65-65 हजार रूपये अतिरिक्त दे दिये हैं। एफआईआर में जिन पांच लोगों के नाम उन्होंने दिये हैं, सभी को गिरफ्तार किया जा चुका है। जिस सरपंच राकेश वे गिरफ्तार करने कह रहे हैं, उसका नाम न एफआइआर में है, न उसके खिलाफ कोई सबूत है। हम उसे गिरफ्तार नहीं करेंगे। लडकियां अपनी मर्जी से घर छोड कर भागी थीं। उस रात उन लडकों से उनकी फोन पर बातचीत की कॉल डिटेल्स हमारे पास है। एक लडकी से पास से जो मोबाइल फोन बरामद हुआ है, वह भी एक आरोपी लडके ने ही खरीद कर गिफ्ट किया था। उसकी रसीद हमारे पास है। उस रात की भठिंडा रेलवे स्टेशन की विडियो फुटेज भी हमारे पास है, जिसमें लडकियां खुद टिकट रखीदती हुई दिख रही हैं। आंदोलन को हिसार में समर्थन दे रहे वेदपाल तंवर व भगाणा गांव के लोग आपराधिक प्रवृति के हैं। इन पर कई मामले पहले से दर्ज हैं। भगाणा गांव में कोई सामाजिक वहिष्कर नहीं है। पुलिस की टीम वहां 24 घंटे रह रही है। एसपी शिवास कविराज के इस बयान को किसी विश्लेषण की जरूरत नहीं है। उनकी मानसिकता और सरोकार स्पष्ट हैं। मुझे लगता है कि हिसार के एसपी के तबादले की मांग भी रखनी चाहिए अन्यथा इस मामले में समूचा सरकारी तंत्र और अदालतें भी वहीं सुनेंगीं, जो एसपी कहेगा।

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पटना के दानापुर प्रखंड कार्यालय में ठौर जमायाः पटना में गंगा नदी के उफान से दियारा क्षेत्र जलमग्न हो गया। इस उफान से महादलितों की बस्ती गंगा नदी में विलिन हो गयी। वहां से भागकर लोग दानापुर प्रखंड कार्यालय में पनाह लिए। आपदा प्रबंधन विभाग की ओर अनाज और भोजनादि की व्यवस्था की गयी। वहीं दानापुर प्रशासन के द्वारा मानस पंचायत के नया पानापुर में कटावपीडि़तों को बसाने के लिए जमीन अधिग्रहण कर लिया गया है और जमीन का पर्चा भी दिया जा रहा है, लेकिन पीडि़तों शहरी क्षेत्र में जमीन की मांग कर रहे  हैं। दानापुर प्रखंड के सीओ कुमार कुंदन लाल ने प्रखंड कार्यालय परिसर में रह रहे कटावपीडि़तों को खाली करने के लिए नोटिस दिया गया है। इस तरह की कार्रवाई एसडीओ राहुल कुमार के निर्देश पर प्रखंड कार्यालय परिसर से कटावपीडि़तों को हटाया जा रहा है। इसके पहले भी सात-आठ बार नोटिस दिया गया और दीवारों पर चिपकाया गया है। लेकिन पीडि़त परिसर को खाली नहीं कर रहे हैं।




आलोक कुमार
बिहार 
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