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महात्मा गांधी की हत्या की नए सिरे से जांच संबंधी याचिका खारिज

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नई दिल्ली 28 मार्च, सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को महात्मा गांधी की हत्या की नए सिरे से जांच की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया। न्यायमूर्ति एस.ए. बोबडे व न्यायमूर्ति एल.नागेश्वर राव की पीठ ने पंकज फडनिस की याचिका को खारिज कर दिया। फडनिस ने अपनी याचिका में नई सामग्री के आधार पर महात्मा गांधी की हत्या की दोबारा जांच की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि यह नई सामग्री पहले मौजूद नहीं थी। न्याय मित्र अमरिंदर शरण जिन्होंने फडनिस द्वारा पेश की गई सामग्री की जांच की थी, उन्होंने भी महात्मा गांधी की हत्या की फिर से जांच का समर्थन नहीं किया। वरिष्ठ वकील शरण को अदालत द्वारा न्याय मित्र नियुक्त किया गया था व उन्हें याचिकाकर्ता फडनिस द्वारा पेश की गई सामग्री की जांच कर राय देने को कहा गया था।





कर्नाटक सरकार अब नीतिगत फैसले नहीं ले सकती : चुनाव आयोग

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बेंगलुरू 27 मार्च, चुनाव आयोग ने मंगलवार को कर्नाटक विधानसभा चुनाव की तिथि की घोषणा की जिसके बाद यहां आचार संहिता लागू हो गई। कांग्रेस सरकार 12 मई को होने वाले चुनाव के मद्देनजर राज्य में अब किसी भी प्रकार के नीतिगत फैसले नहीं ले सकती। एक चुनाव अधिकारी ने यह बात कही। मुख्य निर्वाचन अधिकारी संजीव कुमार ने यहां पत्रकारों से कहा, "आचार संहिता के अनुसार, राज्य सरकार अब नई परियोजनाओं की घोषणा नहीं कर सकती या लोकप्रिय कार्यक्रमों की शुरुआत नहीं कर सकती।"उन्होंने कहा, "नए कार्यक्रमों, परियोजनाओं, किसी भी प्रकार की वित्तीय छूट, किसी भी परियोजना की आधारशिला रखना इत्यादि, जिससे पार्टी सत्ता प्राप्त करने के लिए मतदाताओं को लुभा सकती हो, उन सभी पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।"उन्होंने कहा, "अगर किसी खास सरकारी योजनाओं के लिए बजटीय प्रावधान की पहले ही घोषणा हुई हो, तो भी आचार संहिता लागू रहने तक इसे आगे नहीं बढ़ाया जा सकता क्योंकि इन परियोजनाओं से मतदाताओं को लुभाया जा सकता है।"चुनाव समिति ने हालांकि बाढ़ व सूखे जैसी स्थिति से निपटने के लिए स्वीकृत योजनाओं को पूरा करने की अनुमति दी। कुमार के अनुसार, सरकार इस दौरान चुनाव से जुड़े अधिकारी जैसे उपायुक्त, वरिष्ठ पुलिस अधिकारी और निर्वाचन अधिकारियों का स्थानांतरण नहीं कर सकती। उन्होंने कहा, "इस दौरान बिना चुनाव आयोग के इजाजत के सरकार किसी भी प्रकार की नियुक्ति या पदोन्नति नहीं कर सकती।"उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग राज्य में निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करेगा। इस बीच, एक अधिकारी ने आईएएनएस को बताया कि राज्य सचिवालय में मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में कोई भी नीतिगत फैसले नहीं लिए गए।

केंद्र ने बंगाल से रामनवमी हिंसा पर रिपोर्ट मांगी

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नई दिल्ली 28 मार्च, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बुधवार को पश्चिम बंगाल सरकार से बीते दो दिनों में रामनवमी जुलूस के दौरान हुई आगजनी व हिंसा की घटनाओं पर रिपोर्ट मांगी है। मंत्रालय के अनुसार, केंद्र सरकार ने राज्य के कुछ जिलों में हिंसा व तनाव के जारी रहने की खबरों के मद्देनजर अर्धसैनिक बलों की सहायता की पेशकश भी की है। आसनसोल से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद बाबुल सुप्रियो ने मंगलवार को ममता बनर्जी की अगुवाई वाली पश्चिम बंगाल सरकार पर तुष्टिकरण की राजनीति करके सामुदायिक सौहार्द बिगाड़ने का आरोप लगाया और रानीगंज की स्थिति की जानकारी देने के लिए राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी से मुलाकात की। रानीगंज में सोमवार को रामनवमी जुलूस के दौरान दो समूहों के बीच हिंसा भड़क उठी थी। इस दौरान एक व्यक्ति की मौत हो गई, जबकि पुलिस उपायुक्त को एक हाथ गंवाना पड़ा। रामनवमी जुलूस के दौरान कई घरों व दुकानों में तोड़फोड़ व आगजनी की गई जिससे तनाव फैल गया। पुलिस ने इस मामले में 19 लोगों को गिरफ्तार किया है। किसी भी अवांछित घटना को रोकने के लिए सोमवार शाम से इलाके में भारी पुलिस बल तैनात किया गया है।

मध्यपूर्व शांति प्रक्रिया में गतिरोध के लिए इजरायल, अमेरिका जिम्मेदार : अब्बास

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रामल्ला 28 मार्च, फिलिस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने मंगलवार को मध्य पूर्व शांति प्रक्रिया में गतिरोध के लिए इजरायल व अमेरिका दोनों को जिम्मेदार ठहराया। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के मुताबिक, अब्बास ने यह टिप्पणी मोरक्को के विदेश मंत्री नासेर बॉरिता के साथ रामल्ला में एक बैठक के दौरान कही। उन्होंने कहा कि इजरायल के कदम व अमेरिका की अनुचित नीतियां शांति प्रक्रिया में गतिरोध का प्रमुख कारण हैं। अब्बास ने अंतर्राष्ट्रीय प्रस्तावों के आधार पर फिलिस्तीनी हितों के समाधान के लिए एक तंत्र विकसित करने के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय शांति सम्मेलन आयोजित करने के महत्व पर जोर दिया।फिलिस्तीन की सरकारी समाचार एजेंसी (डब्ल्यूएएफए) की रिपोर्ट के मुताबिक, राष्ट्रपति अब्बास ने मोरक्को के विदेश मंत्री को फिलिस्तीनी क्षेत्र के हालिया घटनाक्रम व शांति प्रक्रिया के बारे में जानकारी दी, जो कि इजरायल व अमेरिका की नीतियों की वजह से रुका हुआ है।


जम्मू एवं कश्मीर में सुरक्षा बलों व आतंकियों के बीच मुठभेड़

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जम्मू 28 मार्च, जम्मू एवं कश्मीर के राजौरी जिले के सुंदरबनी इलाके में बुधवार को सुरक्षा बलों और आतंकवादियों के बीच मुठभेड़ शुरू हो गई। पुलिस ने कहा, "सुंदरबानी इलाके में बुधवार सुबह संदिग्ध गतिविधि की सूचना मिलने पर सुरक्षा बलों ने तलाशी अभियान शुरू किया था।" पुलिस अधिकारी ने कहा, "सुरक्षा बलों को पास आता देख छिपे हुए आतंकवादियों ने उन पर गोलियां चलानी शुरू कर दी जिसके जवाब में सुरक्षा बलों ने भी गोलियां चलाईं। दोनों ओर से गोलीबारी जारी है।" पुलिस ने बताया कि इलाके में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) बटालियन मुख्यालय के संतरी ने सबसे पहले संदिग्ध गतिविधि देखी और चेतावनी के तौर पर हवा में गोली चलाई। जिसके बाद सेना, सीआरपीएफ और जम्मू और कश्मीर पुलिस ने तलाशी अभियान चलाकर छिपे हुए आतंकवादियों का पता लगाया।

विस्तारा ने केबिन क्रू सदस्य के यौन उत्पीड़न की शिकायत दर्ज कराई

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नई दिल्ली 28 मार्च,  विमानन कंपनी विस्तारा ने बुधवार को कहा कि 24 मार्च को कंपनी की लखनऊ-दिल्ली उड़ान के दौरान केबिन क्रू की एक सदस्य का यौन उत्पीड़न करने के आरोप में एक यात्री के खिलाफ मामला दर्ज कराया गया है। एयरलाइन के एक प्रवक्ता ने कहा, "24 मार्च को लखनऊ से दिल्ली जा रही फ्लाइट संख्या यूके997 में सेवारत हमारे केबिन क्रू की एक सदस्य ने एक यात्री के द्वारा यौन उत्पीड़न किए जाने की शिकायत की है।" प्रवक्ता ने कहा, "हमने इस घटना की जानकारी पुलिस और अन्य संबंधित विभागों को दे दी है। एफआईआर दर्ज कर ली गई है और मामले की जांच चल रही है।"

हनुमान जयन्ती विशेष : हनुमान चमत्कारी ही नहीं, योगी भी हैं

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भगवान हनुमानजी इस कलियुग में महान शक्ति हैं, सबसे ज्यादा पूजे जाने वाले इष्ट हैं, जो अष्ट सिद्धि और नव निधि के देने वाले हैं। इसलिए उनकी विश्वासपूर्वक जो पूजा करता है, उसकी मनोकामना अवश्य पूरी होती है। उनको हिन्दू देवताआंे में सबसे शक्तिशाली माना गया है, वे रामायण जैसे महाग्रंथ के सह पात्र थे। वे भगवान शिव के ग्यारवंे रूद्र अवतार थे जो श्रीराम की सेवा करने और उनका साथ देने त्रेता युग में अवतरित हुए थे। भारतीय संस्कृति में मानव जीवन के लक्ष्य भौतिक सुख तथा आध्यात्मिक आनंद की प्राप्ति के लिए अनेक देवी देवताओं की पूजा का विधान है जिनमें पंचदेव प्रमुख हैं। पंच देवों का तेज पुंज श्री हनुमानजी हैं। माता अन्जनी के गर्भ से प्रकट हनुमानजी में पांच देवताओं का तेज समाहित हैं। अजर, अमर, गुणनिधि, सुत होहु- यह वरदान माता जानकीजी ने हनुमानजी को अशोक वाटिका में दिया था। स्वयं भगवान् श्रीराम ने कहा था कि- ‘सुन कपि तोहि समान उपकारी, नहि कोउ सुर, नर, मुनि,तुनधारी।’ बल और बुद्धि के प्रतीक हनुमानजी राम और जानकी के अत्यधिक प्रिय हैं। इस धरा पर जिन सात मनीषियों को अमरत्व का वरदान प्राप्त है, उनमें बजरंगबली भी हैं। उनको मारुतिनंदन, पवनपुत्र, केशरीनंदन आदि अनेकों नामों से पुकारा जाता है। उनका एक नाम वायुपुत्र भी है, उन्हें वातात्मज भी कहा गया है अर्थात् वायु से उत्पन्न होने वाला। वे सभी कलाओं में सिद्धहस्त एवं माहिर थे। वीरांे में वीर, बुद्धिजीवियांे में सबसे विद्वान। इन्होंने अपने पराक्रम और विद्या से अनेकों कार्य चुटकीभर समय में पूर्ण कर दिए है। वे शौर्य, साहस और नेतृत्व के भी प्रतीक हैं। समर्पण एवं भक्ति उनका सर्वाधिक लोकप्रिय गुण है। वे ज्योतिष के भी प्रकांड विद्वान थे। वे हर युग में अपने भक्तों को अपने स्वरूप का दर्शन कराते हैं और उनके दुःखों कोे हरतेे हैं। वे मंगलकत्र्ता एवं विघ्नहत्र्ता हैं। मंगलवार को हनुमानजी का जन्म हुआ, ऐसा माना जाता है। भिन्न-भिन्न लोगों ने इस महान् आत्मा का मूल्यांकन भिन्न-भिन्न दृष्टिकोण से किया है। हनुमान का चरित्र एक लोकनायक का चरित्र है और उनके इसी चरित्र ने उन्हें सार्वभौमिक लोकप्रियता प्रदान की है। उनके चरित्र ने जाति, धर्म और सम्प्रदाय की संकीर्ण सीमाओं को लांघ कर जन-जन को अनुप्राणित किया हैै। हनुमान का चरित्र बहुआयामी हैं क्योंकि उन्होंने संसार और संन्यास दोनों को जीया। वे एक महान् योगी एवं तपस्वी हैं और इससे भी आगे वे रामभक्त हैंे। हनुमान-भक्ति भोगवादी मनोवृत्ति के विरुद्ध एक प्रेरणा है संयम की, पवित्रता की। यह भक्ति एक बदलाव की प्रक्रिया है। यह भक्ति प्रदर्शन नहीं, आत्मा के अभ्युदय का उपक्रम है। 

गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है कि, जब-जब धर्म की हानि होती है, तब-तब मेरी कोई शक्ति इस धरा धाम पर, अवतार लेकर भक्तों के दुःख दूर करती है और धर्म की स्थापना करती है। भारत के तीर्थ स्थलों में कोई भोले का धाम है तो कोई जगत् नियंता श्री विष्णु का प्रतिनिधित्व करता है। कोई श्री राम के चरण रज से परम पवित्र है तो कोई श्रीकृष्ण की जीवन, कर्म व लीला भूमि है। कोई देवी मां के पूजनादि की आदि भूमि है तो कोई संत महात्माओं की कृपा दृष्टि से धर्म नगरी के रूप में स्थापित हुआ। लेकिन हनुमानजी पूरे भारतवर्ष में सर्वाधिक पूजे जाते हैं और जन-जन के आराध्य देव हैं। बिना भेदभाव के सभी हनुमान अर्चना के अधिकारी हैं। अतुलनीय बलशाली होने के फलस्वरूप इन्हें बालाजी की संज्ञा दी गई है। देश के प्रत्येक क्षेत्र में हनुमानजी की पूजा की अलग परम्परा है। विलक्षणताओं के प्रतीक हनुमान पूर्ण मानव थे। कहते हैं कि ब्रह्मा ने जब मनुष्य का निर्माण किया तो उन्हें बहुत प्रसन्नता हुई, क्योंकि उन्हें यह अनुभूत हुआ कि उनके द्वारा सृष्ट मानव ईश्वर का साक्षात्कार करने में समर्थ है। मानव न केवल संपूर्ण प्राणियों में सर्वश्रेष्ठ है, प्रत्युत वह अपनी साधना के द्वारा ब्रह्मपद को भी प्राप्त कर सकता है। त्रेतायुग के सर्वाधिक शक्तिशाली मानव हनुमान जिन्हें भ्रमवश अनेक देशी-विदेशी विद्वान पेड़ों पर उछल-कूद करनेवाला साधारण वानर मानते रहे हैं, लेकिन वे अपने अलौकिक गुणों और आश्चर्यजनक कार्यों के बल पर कोटि-कोटि लोगों के आराध्य बन गये। 

ब्रह्मतेज के साथ-साथ शास्त्र-बल का जो आश्चर्यजनक योग हनुमान में प्रकट हुआ, वह अन्यत्र दिखाई नहीं पड़ता। शुद्ध आचार, विचार और व्यवहार से जुड़ी हनुमान की ऐसी अनेक चारित्रिक व्याख्याएं हैं जिनमें जीवन और दर्शन का सही दृष्टिकोण सिमटा हुआ है। हनुमान विद्वानों में सर्वश्रेष्ठ हैं। वाल्मीकि रामायण में उनको महाबलशाली घोषित करते हुए ‘बुद्धिमतां वरिष्ठं’ कहना पूर्ण युक्ति संगत है। ‘रामचरितमानस’ में भी उनके लिए ‘अतुलित बलधामं’ तथा ‘ज्ञानिनामग्रगण्यम’ इन दोनों विशेषणों का प्रयोग द्रष्टव्य है। ब्रह्मचारी हनुमानजी महान् संगीतज्ञ और गायक भी थे। इनके मधुर गायन को सुनकर पशु-पक्षी एवं सृष्टि का कण-कण मुग्ध हो जाता था। उनकी विद्वता के साथ-साथ तर्क-शक्ति अत्यंत उच्च कोटि की थी। ऐसे अनेक प्रसंग है जब उन्होंने अपनी तर्क-शक्ति से अनेक जटिल स्थितियों को सहज बना दिया। उनकी अलौकिक साधना एवं नैसर्गिक दिव्यता का ही परिणाम था कि वे  भय और आशंका से भरे वातावरण में भी निःशंक और निर्भीक बने रहते थे। संकट की घड़ी में भी शांतचित्त होकर अपने आसन्न कर्तव्य का निश्चय करना उत्तम प्रज्ञा का प्रमाण है। हनुमान इस सर्वोत्कृष्ट प्रज्ञा से युक्त थे। संपूर्ण विद्याओं के ज्ञान में उनकी तुलना देवताओं के गुरु बृहस्पति से की गयी है। महर्षि अगस्त्य के अनुसार हनुमान नवों व्याकरणों के अधिकारी विद्वान थे। नोबेल पुरस्कार विजेता आक्टाभियो पाज का भी यह सुनिश्चित मत है कि हनुमान ने व्याकरण शास्त्र की रचना की थी। मारुति नंदन, परमवीर, श्रीराम भक्त हनुमानजी की पवित्र मन से की गयी साधना और भक्ति चमत्कारपूर्ण परिणाम देने वाली है। कहते हैै-मर्यादा पुरुषोत्तम राम की सार्वकालिक सेवा करने एवं रावण-वध में उनका सहयोग करने के लिए भगवान राम का अवतार लेने से पूर्व ही त्रेतायुग में शिवजी ने अपने ग्यारहवें रुद्र के रूप में अवतार लिया था। वह ‘हनुमानजी’ के पवित्र लोकोपकारी नाम से विख्यात हुए। महादेव का हनुमान के रूप में अवतरण लेने के सन्दर्भ में कहा जाता है कि भगवान विष्णु महादेव के इष्ट देव हैं। वे उनके श्रीचरणों के शाश्वत पुजारी हैं। त्रेतायुग में रावणादि राक्षसों का सकुल संहार करके उनका उद्धार करने के लिए ही भगवान विष्णु अयोध्या के महाराज दशरथ के यहां अपनी सोलह कलाओं सहित पुत्र रूप में अवतरित हुए। अतः उनकी सेवा करने के लिए महादेव ने हनुमान के रूप में अवतार लिया। 

हनुमानजी तंत्र शास्त्र के महान पंडित हैं। समस्त देवताओं में वे शाश्वत देव हैं। परम विद्वान एवं अजर-अमर देवता हैं। वे अपने भक्तों का सदैव ध्यान रखते हैं। उनकी तंत्र-साधना, वीर-साधना है। वे रुद्रावतार और बल-वीरता एवं अखंड ब्रह्मचर्य के प्रतीक हैं। अतः उनकी उपासना के लिए साधक को सदाचारी होना अनिवार्य है। उसे मिताहारी, जितेन्द्रिय होना चाहिए। हनुमान साधना करने के लिए हर व्यक्ति उसका पालन नहीं कर सकता, इसलिए इस चेतावनी का सदैव ध्यान रखना चाहिए कि हनुमानजी को सिद्ध करने का प्रयास भौतिक सुखों की प्राप्ति या चमत्कार प्रदर्शन के लिए कभी नहीं करना चाहिए। उनकी भक्ति के माध्यम से भगवान राम के दर्शन तथा उनकी कृपा प्राप्त की जा सकती है। यह भक्ति हृदय की पवित्रता से ही संभव है और इसी से व्यक्ति घर और मन्दिर दोनों में एक-सा होता है। कहा जाता है की श्री हनुमानजी का जन्म ही राम भक्ति और उनके कार्यो को पूर्ण करने के लिए हुआ है। उनकी सांस-सांस में, उनके कण-कण में और खून के कतरे-कतरे में राम बसे हैं। एक प्रसंग में विभीषण के ताना मारने पर हनुमानजी ने सीना चिरकर भरी सभा में राम और जानकी के दर्शन अपने सीने में करा दिए थे। हनुमान की भक्ति या उनको पाने के लिये इंसान को इंसान बनना जरूरी है। जब तक भक्ति की धारा बाहर की ओर प्रवाहित रहेगी तब तक भगवान अलग रहेंगे और भक्त अलग रहेगा। हनुमान भक्ति के लिये जरूरी है उनके जीवन से दिशाबोध ग्रहण करो और अपने में डूबकर उसे प्राप्त करो। ‘जिन खोजा तिन पाइयां गहरे पानी पैठ’- यही है सच्ची हनुमान भक्ति की भूमिका। भक्ति का असली रूप पहचानना जरूरी है, तभी मंजिल पर पहुंचेंगे, अन्यथा संसार की मरुभूमि में ही भटकते रह जायेंगे। 





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(ललित गर्ग)
60, मौसम विहार, तीसरा माला, 
डीएवी स्कूल के पास, दिल्ली-110051
फोनः 22727486, 9811051133

विशेष : सीएम पद से हटेंगे तो पत्रकार बनेंगे नीतीश

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आज दोपहर में हम विधान सभा पहुंचे तो सत्‍ता पक्ष और प्रतिपक्ष दोनों के नेता के चैंबर में सन्‍नाटा पसरा हुआ था। नीतीश कुमार और तेजस्‍वी यादव दोनों में से कोई विधान सभा नहीं पहुंचे थे। दोनों ही सदनों में भोजनावकाश हो चुका था। परिषद के पत्रकार कक्ष में थोड़ी देर बैठकर लौटे तो तेजस्‍वी अपने चैंबर में बैठे थे। हम भी बैठे। दो बजे से विधान सभा की कार्यवाही शुरू होने वाली थी। धीरे-धीरे विधायक भी पहुंचने लगे। इस दौरान तेजस्‍वी यादव ने राजद के उस विधायक से बात करने की कोशिश की, जिनको धमकी मिली थी। लेकिन उनका फोन ऑफ मिला। इस पर तेजस्‍वी ने कहा कि सदस्‍यों का मोबाइल ऑफ क्‍यों रहता है। उन्‍होंने धमकी मामले की विस्‍तृत जानकारी जुटाने का निर्देश एक विधायक को दिया। प्रवक्‍ताओं से भी कहा कि हर घटना को लेकर अपडेट रहिए। इसके साथ ही कहा कि जिस विषय पर सदन में चर्चा होनी हो या बाहर मुद्दा बनने वाला हो, उसका इनपुट एवं रिफरेंस भी संबंधित व्‍यक्ति के पास होना चाहिए। इस बीच हमने अपनी पुस्तक ‘संभावनाओं के सोपान’ की एक कॉपी तेजस्वी यादव को दी। थोड़ी देर में घंटी बजी और सभी हाउस जाने लगे।

कुछ देर और हम वहीं रुके और फिर आफिस जाने के लिए विधान सभा के मुख्‍य द्वार से बाहर निकलने लगे। इच्‍छा हुई, थोड़ा ‘राजा का दरबार’ भी देख लिया जाये। मुख्‍यमंत्री के चैंबर में कई पत्रकार बैठे हुए थे। हम भी बैठकी में शामिल हो गये। आरा में एक पत्रकार की मौत को लेकर चर्चा हो रही थी। मुआवजा से लेकर जांच तक बात हुई। सीएम ने कहा कि पुलिस मामले की जांच कर रही है। बात समीक्षा यात्रा पर आयी। सीएम का प्रवाह बढ़ा- अब तक हम सभी जिलों में तीन-तीन समीक्षा यात्रा और बैठक कर चुके हैं। पंद्रह के बाद समीक्षा यात्रा शुरू किये थे। समीक्षा बैठक के दौरान कई चीजों को जानने और समझने का मौका भी मिलता है। इससे कार्यों में गति भी आती है और प्रशासनिक सक्रियता भी बनी रहती है। पेंशन भुगतान को लेकर होने वाली लापरवाही भी समीक्षा यात्रा के दौरान ही समझ आयी। इसको ठीक किया। कुसहा तबाही के बाद कोसी में घर बनाये जा रहे थे। विकास यात्रा के दौरान हमने देखा कि इस घर में शौचालय ही नहीं है। हमने घर के साथ शौचालय बनवाने का आदेश भी दिया।

बात भीड़ की हिंसा पर आयी। मुख्‍यमंत्री ने कहा कि जो व्‍यक्ति घर में मार खाता है, वही भीड़ में उग्र हो जाता है। कोई मां-बाप की मार खाता है, भाई का मार खाता है, पत्‍नी की मार खाता है। वही भीड़ देखकर आक्रमक हो जाता है और हिंसा पर उतर आता है। ऐसे लोग कायर होते हैं। इसी चर्चा में एक पत्रकार ने कहा कि विकास योजनाओं पर निगरानी के लिए औचक निरीक्षण भी किया जाना चाहिए। इस पर मुख्‍यमंत्री बोले- हमको सलाह मत दीजिये। औचक निरीक्षण से कुछ होता नहीं है। सलाह देना हम जानते हैं। हम भी आप लोगों को सलाह दे सकते हैं। इ जिम्‍मेवारी (सीएम पद) से मुक्‍त होंगे तो आपका वाला (पत्रकारिता) ही काम करेंगे। तब हम भी सलाह देंगे आपको। एक बार तो जिम्‍मेवारी से मुक्‍त हुए थे, लेकिन लोगों ने फिर सौंप दिया। इस बीच संसदीय कार्य मंत्री श्रवण कुमार आये और मंत्रणा के लिए मुख्‍यमंत्री के साथ अंदर वाले कक्ष में चले गये। इसके बाद चाय के साथ हम भी बाहर निकल लिये।



(वीरेंद्र यादव) विधान सभा से 

बिहार : यह क्या कर रहे हैं आपलोग, खुले में जाकर शौच न करें

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बिंद (नालंदा).नालंदा जिले में है बिंद प्रखंड. बिंद प्रखंड में सात पंचायत है. इसमें लोदीपुर ग्राम पंचायत भी है.जिला प्रशासन ने सभी पंचायतों स्वास्थ्यग्राही नियुक्त किया है.केवल तीन महीने के लिये ही बहाल किया गया हैं. इनको पंचायत को ओडीएफ करवाने में महत्वपूर्ण किरदार अदा करना होता है. इनको सुबह-शाम सीटी बजाते हैं ताकि लोग खुले में शौचक्रिया न करें.सी. एल. टी. एस.भी करना पड़ता हैं. इसे सामुदायिक आधारित संपूर्ण स्वच्छता कहते हैं. लोदीपुर ग्राम पंचायत के गांव/टोले में सुबह-शाम सीटी बजाने वाले स्वास्थ्यग्राही निशुपाल कुमार कहते हैं कि हमलोगों को तीन महीने के लिये बहाल किया गया. हमलोग ईमानदारी से कार्यशील रहे.जमकर सीएलटीएस कार्य किये . उनका मानना है कि हमलोग सीटी बजाते थे तो लोग खुले में शौच जाना बंद कर दिये. तब 'वास'टीम आकर स्वच्छता क्रांति  का अलख जगाया.यहां निरंतर कार्य करने की जरूरत है. बताते चले कि पटना जिले के मोकामा प्रखंड में शानदार अभियान चलाने के बाद जीवा का प्रवेश सीएम नीतीश कुमार के गृह प्रवेश नालंदा में. सीएम नीतीश कुमार के जन्म स्थली हरनौत और उसके बाद राजगीर प्रखंड में अभियान चलाने के बाद 14 फरवरी को बिन्द प्रखंड में धमाकेदार इंट्री.बिन्द प्रखंड के बी.डी.ओ.राकेश कुमार सिंह ने लोदीपुर पंचायत में स्थित पंचायत सरकार भवन में आश्रय दिये.लोदीपुर पंचायत की मुखिया आशा देवी के पतिदेव धर्मेंद्र ठाकुर ने सारी व्यवस्था कर दी. कहा गया कि निरंतर अभियान नहीं चलाने के कारण ग्रमीण खुले में पुन: शौच करने लगे. जीवा के द्वारा प्रोग्राम चलाने के बाद से ग्रामीण शौचालय में ही शौच करने लगे.कार्यकर्ता मोर्निंग  फोलोअप करने से बेहतर परिणाम सामने आने लगा. लब्बोलुआब यह है कि ग्रामीणों की मनोदशा बदलने के लिये निरंतर छोटे-छोटे कार्यक्रम करते रहने चाहिये. ऐसा करने से ग्रामीणों की आदत में सुधार हो जायेगा.

बिहार : घर में शौचालय नहीं रहने से अशांत हैं शांति देवी

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घर में शौचालय नहीं रहने से अशांत हैं शांति देवी.वह लोहिया स्वच्छ बिहार मिशन के पोस्टरों को देखकर घर में शौचालय बनाने को सोचने लगी थीं. जब जीवा द्वारा उचरथू पंचायत के मुफ्तीपुर गांव में वास एण्ड व्हील से कार्यक्रम देखी तो वह अपनी सोच को साकार करने में अडिग हो गयी. किसान हैं श्याम राउत.अभी-अभी खेत से लौटे हैं.कंधे पर कुदाल रखे हैं.घर के बाहर खड़ी होकर शांति देवी कह रही है कि उनके 2 संतान है.1 लड़का और 1 लड़की.दोनों की शादी करनी है.इसके पहले शौचालय बनाना है. आठवीं कक्षा पास शांति देवी कहती हैं कि लोहिया स्वच्छ बिहार मिशन के पोस्टर और दीवारों पर शौचालय संबंधी नारा देख और पढ़कर घर में शौचालय बनाने को सोचने लगी.यह देख लिजिये.ईट खरीद लिये हैं. हम दोनों का पुत्र रविद्र कुमार छात्र हैं.  पीजी में हैं. वैशाख (अप्रैल) माह में विवाह करना है.पुत्री के ससुराल वालों कहना है विवाह अगले साल होगा.

पुस्तक परिचय : बच्चों का अनोखा संसार है ‘घरौंदा’

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आज के मोबाइल गेम, वीडियो गेम व भरे-पूरे कार्टून चैनलों के बीच बाल मनोविज्ञान को समझते हुए बच्चों पर केंद्रित तथा बच्चों को आकर्षित करने वाले बाल साहित्य या बाल पत्रिका का प्रकाशन किसी चुनौती से कम नहीं है। इस संदर्भ में हालिया प्रकाशित पुस्तक ‘घरौंदा’ निश्चित ही सराहनीय व संग्रहणीय है। नए पल्लव समूह के संस्थापक व प्रबंध संपादक राजीव मणि का नाम साहित्य के क्षेत्र में बिलकुल नया है, किंतु कम समय में ही उत्कृष्ट व बेहतर प्रबंधन के कारण अब वो किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। राजीव जी ने जिस विष्वास के साथ घरौंदा के संपादन के लिए युवा संपादक प्रदीप कुमार षर्मा को चुना, अब यह साबित हो चुका है कि उनका यह परिपक्व निर्णय था। इस पुस्तक में 50 बाल रचनाकारों की रचनाएं शामिल हैं। इसके तहत बाल मनोविज्ञान को समझते हुए रचनाओं को शामिल किया गया है। चाहे शिक्षाप्रद कविताएँ व कहानियाँ हों या स्वच्छता अभियान को प्रोत्साहित करने वाली बालगीत या फिर हास्य-व्यंग्य, बुझौव्वल/पहेली हो या फिर रंग-भरो स्तंभ, सभी सामग्री एक से बढ़कर एक हैं। इस पुस्तक में कीर्ति श्रीवास्तव, राजकुमार जैन राजन, आकांक्षा यादव, अरुणिमा सक्सेना जैसे सुप्रसिद्ध साहित्यकारों के साथ-साथ मीनाक्षी पारिक, मंजू शर्मा जैसे नवोदित रचनाकार एवं बाल रचनाकार रिचा राठौड़ की स्तरीय रचनाओं का संकलन किया गया है।        

‘हिन्दी बाल साहित्य: भविष्य एवं सरोकार’ शोध आलेख के तहत परषोतम कुमार ने बालमन एवं बाल पत्रिकाओं के अंतर्संबंध को बेहतर ढंग से समझाने की कोशिश की है। ‘परीक्षा और आत्महत्या’ लघु टिप्पणी द्वारा अशोक चतुर्वेदी ने बच्चों को धैर्य का अनूठा संदेश दिया है। वहीं कीर्ति श्रीवास्तव ने ‘किसान’ कविता में बालमन के अनुरूप शब्द दिए हैं। इलेक्ट्रॉनिक बधाई संदेश पर तंज करते हुए विनोद कुमार विक्की ने ‘डिजिटल हैप्पी न्यू ईयर’ व्यंग्य लिखा है। राजेश सिंह की कविता ‘वजन से ज्यादा बस्ता भारी’, राजकुमार जैन राजन की ‘पेड़ बचाएं’, शिशु रोग विशेषज्ञ डाॅ. अखिलेश शर्मा की प्रेरक कविता ‘मंजिल’, मनोरंजन सहाय की ‘भगवत गीता के बारे में दी गई जानकारी’, कवि राधे की ‘चींटी से सीख’, दीक्षा चैबे की रचनाएं ‘राष्ट्रभाषा हिन्दी’ एवं ‘तिरंगा झंडा’ सहित तमाम रचनाकारों की उम्दा रचनाएँ पठनीय हैं। घरौंदा पुस्तक से प्रेरित हो कई बाल साहित्यकारों, शिक्षकों एवं संपादकों ने अखिल भारतीय स्तर पर ‘घरौंदा क्लब’ का भी निर्माण किया है, जिसके तहत बच्चों की प्रतिभा को उभारकर उसे सृजन के प्रति आकर्षित करने का सराहनीय व प्रशंसनीय कार्य किया जा रहा है। पुस्तक में विशेष तौर पर राजीव मणि की खोजी पत्रकारिता एवं कुशल प्रबंधन के सामंजस्य को दर्शाता है घरौंदा क्लब। बच्चों के लेखन व क्रियाकलापों का लेखाजोखा है घरौंदा क्लब। क्लब की गतिविधियों पर केन्द्रित आलेख की शानदार प्रस्तुति से इस पुस्तक का महत्व और अधिक बढ़ जाता है। घरौंदा की उपलब्धि एवं सफलता से प्रभावित हो संपादकीय टीम जल्द ही घरौंदा की दूसरी सीरीज बाजार व बच्चों के बीच लाने का मन बना चुकी है। तनय प्रकाशन से प्रकाशित व रंगीन कार्टून से सुसज्जित कुल 176 पेज वाली आईएसबीएन संख्या प्राप्त इस रंगीन बाल साहित्य की कीमत मात्र 200 रुपये है।

परिचय
पुस्तक का नाम: घरौंदा (बाल पुस्तक)
प्रबंध संपादक: राजीव मणि
संपादक: डाॅ. प्रदीप कुमार षर्मा
प्रकाषक: तनय प्रकाषक
मूल्य: 200 रुपए
पुस्तक प्राप्ति: 9835265413.

हमें बेहतर इंसान और सच्चे नागरिक बनाने होंगे : सलमान खुर्शीद

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नई दिल्ली। आज हमारे भारत देश में शिक्षा का क्षेत्र अभी भी पिछड़ा हुआ है। इस लिए हमनें अच्छी शिक्षा,बेहतर इंसान,सच्चा नागरिक बनाने के लिए दिल्ली पब्लिक वर्ल्ड स्कूल की स्थापना की है। हमारी शिक्षा पद्धति सबसे अलग है क्योंकि हम शिक्षा को थीम आधारित बनाकर रोचक और बच्चों के सर्वांगीण विकास में सहायक बनाकर देश के नौनिहालों को शिक्षा दे रहे हैं। यह तो अभी शुरुवात है आगे आगे हम परिवार की तरह मिलकर बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए काम कर रहे हैं। यह विचार कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं सांसद ओर दिल्ली पब्लिक वर्ल्ड स्कूल सुभानपुर गाजियाबाद के वार्षिकोत्सव में प्रकट किये। उन्होंने  दिल्ली पब्लिक वर्ल्ड स्कूल सुभानपुर स्कूल के चेयरमैन राजकुमार त्यागी,प्रधानाचार्या श्रीमती योगिता कपिल के प्रयासों और स्कूल के माहौल को विश्व स्तरीय बनाने के लिए बधाई दी और कहा कि हमनें यह माना है अच्छी शिक्षा के माध्यम से ही अच्छा नागरिक,डाक्टर,इंजिनियर,वैज्ञानिक और सबसे जरुरी बेहतर इंसान बना सकेंगें। इस मौके पर स्कूल के चेयरमैन राजकुमार त्यागी एवं प्रधानाचार्या प्रधानाचार्याश्रीमती योगिता कपिल ने सांसद सलमान खुर्शीद एवं श्रीमती लुई खुर्शीद का हरियाली का प्रतीक पौधा देकर स्वागत किया। इस मौके पर बच्चों ने रंगारंग सांस्कृतिक,देश भक्ति से ओतप्रोत कार्यक्रम प्रस्तुत किए। अंतिम प्रस्तुति जिसमें माँ गंगा के उदगम से लेकर गंगा सागर तक की यात्रा को "नमामि गंगे "नाटिका के माध्यम से दिखाया गया था जिसपर समस्त अतिथियों ने खड़े होकर तालियां बजायी और बच्चों का हौंसला बढ़ाया। इस मौके पर विजेता बच्चों को पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर स्कूल के सलाहकार रवि सरीन समेत प्रबंधक समिति के सदस्य उपस्थित थे। समापन पर चेयरमैन राजकुमार त्यागी ने सभी मेहमानों,बच्चों,अभिभावकों और उपस्थित जनसमूह को आभार ज्ञापित किया।  

बिहार : टी.बी.बीमारी से 9 साल से जूझते कैलू मांझी

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चण्डी. सूबे में रोजगार का अभाव है. इसके आलोक में महादलित मुसहर समुदाय के लोग पलायन करने को बाध्य हैं.इसमें कैलू मांझी भी है.इसकी कहानी दर्दनाक है.वह 2009 से टी.बी.रोग से बेहाल हैं.जब भगवानपुर मुसहरी में चिनमी पर लौटकर आते हैं तब पुन: दवा खाना शुरू करते हैं.यह सिलसिला 9 साल से जारी है. भगवानपुर मुसहरी की पहचान चण्डी मुसहरी की है. इंदिरा आवास योजना से मकान बने हैं और सात निश्चय के तहत हर घर नल का जल पहुंचाया गया है. यह सुविधा कैलू मांझी को मिला है.कैलू मांझी कहते हैं कि मेरी पत्नी लक्ष्मी देवी की अकाल मौत 2015 में हार्ट अटैक से हो गयी.दोनों के 3 लड़का और 2 लड़की हैं. 5 बच्चों को संभालना है और बीमारी का उपचार करना मुश्किल है.

बिहार : इस अंधेरी रात की सुबह कब होगी?

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  • चार पीढ़ी से लोग रहते हैं एक भी लड़की मैट्रिक उर्तीण नहीं

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शेखपुरा.इस जिले में है बरबीघा प्रखंड.इसमें है तेयुस ग्राम पंचायत.इस पंचायत में है जयती ग्राम.यहां पर महादलित मुसहर समुदाय के लोग रहते है. चार पीढ़ी से रहने वाले 175 घरों में रहते हैं. 11 लड़के मैट्रिक उर्तीण हैं.एक भी लड़की मैट्रिक उर्तीण नहीं हैं.यहां के सरकारी शिक्षक बिदेश्वरी मांझी और गर्भ्भी देवी के 5 संतान हैं.4 लड़का व 1लड़की हैं.दोनों दम्पति के पुत्र चंदन कुमार कीर्तिमान स्थापित कर दिया.अव्वल 2016 बी.ए.पास कर गया.इसके पीछे रिकॉडधारी के अनुज राहुल कुमार हैं जो 2017 में बी.ए.पास किया.इस तरह यहां केवल 2 ग्रेजुएट है.जो बेगारी का दंश झेल रहे हैं. कल्याणकारी राज्य में जितना विकास होना था उतना विकास नहीं हुआ है.इसके आलोक में महादलित बंधुआ मजदूर बनने को बाध्य हैं. 2 तो काशी विगहा में और 90 प्रतिशत मुसहर हरियाणा, पंजाब, त्रिपुरा, कानपुर आदि जगहों के ईट भट्टों  में बंधुआ मजदूर बनकर रह गये हैं. रिकॉड बनाने वाले चंदन कुमार की सीता देवी से हुई है.दोनों के 3 लड़के हैं. चंदन ने कहा कि बिहार में रोजगार की संभावना नदारद है.इसके आलोक में सूबें में जोरों से पलायन जारी है. टोला-टोला से पलायन जारी है.हमारे जयंती ग्राम से 90 प्रतिशत लोग पलायन कर लिये हैं.हमारे होम प्लेस में विरानगी है. 

बी.ए.तक पढ़े- लिखे चंदन कुमार कहते हैं कि बगल में काशी विगहा है.यहां के भूमिहारों के पास 2 मुसहर बंधुआ मजदूर हैं.एक का बनारसी मांझी है.दूसरी की पत्नी का नाम रामदाय देवी है. मालिकों ने 15 कट्टा खेत दिये हैं.काम करने पर 5 सेर कच्चा चावल/गेहूं दिया जाता है. वहीं 90 प्रतिशत लोग पलायन कर जाते हैं. दलाल सब्ज बाग दिखाते हैं.बेहतर आवास व स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध है.15 दिनों में खुराकी के नाम पर मोटी रकम दी जाती है.आगे कहा कि 30 प्रतिशत लोगों को इंदिरा आवास योजना से मकान बना है.इनको 1.20 लाख रू.मिलता है.हर किस्तवार चरण में दलाल  7 रू.ऐंठ लेता है.करीब 25  हजार रू.चटनी की तरह दलाल चाट लेते हैं.इसके कारण मकान अधूरा रह जाता है. जो दलाल महादलितों को पलायन के एवज में मोटी रकम देते हैं. इस रकम से महादलित अधूरे मकान को पूर्ण करते हैं.यह सिलसिला जारी रहता है.

यहां के महादलित अक्टूबर से जुलाई माह तक ईंट भट्टों पर कार्य करते हैं. वहां पर बच्चे भी जाते हैं.जो शिक्षा से वंचित हो जाते हैं.हालांकि लोकल प्रशासन का प्रयास होता है कि बच्चों को शिक्षा से जोड़ा जाये.पर ऐसा नहीं होता है.भट्टा पर बाल मजदूर बनकर रह जाते हैं.इस समुदाय के बच्चों का भविष्य चौपट होती जा रही है. इनको महात्मा गांधी नरेगा भी रोकने में नाकामयाब है.  यहां पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का सात निश्चय को धरती पर उतारने का काम नहीं किया गया है.बावजूद, इसके परिसम्पति में आंगनबाड़ी केंद्र,उप स्वास्थ्य केंद्र,प्राथमिक विघालय,पंचायत भवन अवस्थित है.ग्रामीणों का कहना है कि  उप स्वास्थ्य केंद्र में ताला लटका रहता है.पड़ोसी नालंदा जिले के बिंद प्रखंड के लोदीपुर पंचायत में एएनएम दीदी रहती हैं और केंद्र में आती नहीं हैं.जयंती ग्राम में प्राथमिक विघालय है.काशी विगहा में उत्क्रमिक विघालय है.तेयुस में श्रीकृष्ण मोहन  10 +2 उच्च विघालय है.बिहार शरीफ में कॉलेज है.इस तरह की सुविधाओं से महादलित समुदाय के बच्चे फायदा नहीं उठा पाते हैं.बकरी,गाय व भैंस पालने में लगे रहते हैं. महादलितों में बुने मांझी ने बरबीघा प्रखंड के बीडीओ से आग्रह किये हैं सामुदायिक भवन और चबूतरा निर्माण हो.वार्ड न.की वार्ड सदस्या सरस्वती देवी से आग्रह किये हैं कि हमलोगों का पैरोकार बनें.

विशेष : नीतीश को नहीं फला ‘अंतरात्‍मा जागरण’ का जहानाबादी ‘प्रसाद’

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  • मुसलमान और भूमिहार वोटरों का भरोसा हासिल नहीं कर सका जदयू

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अररिया लोक सभा और जहानाबाद व भभुआ विधानसभा उपचुनाव में राजद व भाजपा ने अपनी-अपनी सीटों पर कब्‍जा बरकरार रखा है। अररिया में राजद के सरफराज आलम ने भाजपा के प्रदीप सिंह को 61788 मतों से हराया। जहानाबाद में राजद के सुदय यादव ने जदयू के अभिराम शर्मा को 35036 मतों से पराजित किया। जबकि भभुआ में रिंकी पांडेय ने कांग्रेस के शंभु पटेल को करीब 16 हजार मतों से हराया है। मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार की ‘अंतरात्‍मा‘ जागने के बाद यह पहला उपचुनाव है। 2015 के विधान सभा चुनाव में जहानाबाद में उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी रालोसपा ने अपना उम्‍मीदवार दिया था। उपचुनाव में रालोसपा के दोनों गुटों व हम के बीच विवाद गहराने के बाद इस सीट पर भाजपा के स्‍थानीय नेताओं ने दावा किया था। लेकिन भाजपा को कोई ‘योग्‍य’ उम्‍मीदवार नहीं मिला तो इस सीट को ‘अंतरात्‍मा जागरण’ के ‘प्रसाद’ के रूप में नीतीश कुमार को सौंप दिया। नीतीश कुमार ने पहले ही उपचुनाव नहीं लड़ने की घोषणा की थी, लेकिन भाजपा के ‘प्रसाद’ को नकार नहीं सके। भाजपा के आग्रह पर नीतीश ने अभिराम शर्मा को उम्‍मीदवार बना दिया।

लगता है उपचुनाव में भाजपा का ‘जहानाबादी प्रसाद’ नीतीश के लिए अशुभ साबित हुआ। 2015 के विधान सभा में राजद को 30321 वोटों का मार्जिन मिला था, जबकि उपचुनाव में राजद को 35 हजार से अधिक वोटों की बढ़त मिली है। उपचुनाव में महागठबंधन से नीतीश कुमार के अलग होने का कोई नुकसान राजद को नहीं हुआ है, ज‍बकि नीतीश के साथ होने का नुकसान ही एनडीए को उठाना पड़ा है। जहानाबाद का परिणाम बताता है कि भूमिहार वोटरों ने एक बार फिर भाजपा के सहयोगी को नकार दिया है। पिछले विधान सभा चुनाव में भी भूमिहार वोटरों ने रालोसपा, हम और लोजपा को समर्थन नहीं दिया था। इसके कारण भाजपा के तीनों सहयोगियों ने 86 सीटों पर अपना उम्‍मीदवार उतारा था, जिसमें से सिर्फ 5 प्रत्‍याशी ही जीत पाये। जहानाबाद उपचुनाव के कई अन्‍य मायने भी निकाले जा सकते हैं। फिलहाल इतना तय है कि मुसलमान और भूमिहार वोटरों का भरोसा नीतीश कुमार हासिल नहीं कर सके हैं। इसका खामियाजा आखिरकार भाजपा को ही उठाना पड़ेगा।



(वीरेंद्र यादव)

मधुबनी : "फरोग-ए-उर्दू सेमिनार का उद्धाटन

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मधुबनी (आर्यावर्त डेस्क) 28 मार्च : श्री शीर्षत कपिल अशोक,जिला पदाधिकारी, मधुबनी के द्वारा बुधवार को स्थानीय टाउन हॉल में उर्दू निदेशालय, मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग, बिहार सरकार के योजनान्तर्गत "फरोग-ए-उर्दू सेमिनार एवं कार्यक्रम का उद्धाटन दीप प्रज्वलित कर किया गया। कार्यक्रम का आयोजन जिला उर्दू भाषा कोषांग,मधुबनी के द्वारा किया गया। इस अवसर पर श्री विनोद कुमार,उप निर्वाचन पदाधिकारी सह जिला जनसंपर्क पदाधिकारी, मधुबनी, श्री सुजीत कुमार,जिला परिवहन पदाधिकारी, मधुबनी, प्रो.इश्तेयाक अहमद, मो.अमानुल्लाह खान, मौलाना मंसूर आलम, मो.तौहीद, सुल्तान अहमद शम्सी, मंसूर आलम समेत अन्य लोग उपस्थित थे। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जिला पदाधिकारी,मधुबनी ने कहा कि उर्दू भाषा कई राष्ट्रों को जोड़ती है। यह सरल और मधुर भाषा है। उर्दू में भी बात करें तो अच्छा लगता है। बच्चो को उर्दू की अच्छी तालीम मिले  यह प्रयास सबो को करना चाहिये। उन्होंने उपस्थित लोगों से कहा कि यदि वे सभी उर्दू साहित्य की किताबें उपलब्ध कराएं तो उसे वे जिले के विभिन्न पुस्तकालयों में सुरक्षित रखवाने का कार्य करेंगे। ताकि उर्दू भाषी लोग भी पढ़ सके। उन्होंने कहा कि वे प्रयास करेंगे कि सभी कार्यालयों पर कार्यालय का नाम उर्दू में भी लिखा जाये।  जिला पदाधिकारी ने एन. एच. पर उर्दू में भी लिखे हुए संकेतक लगवाने के लिए प्रयास करने की बात कही।

विशेष : गांव की चहकती गौरैयों से बतियाना...

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पिछले 17 वर्षों में ऐसा पहली बार हुआ कि मुझे अपने पैतृक गांव रजनपुरा में तकरीबन सवा महीना रहने का मौका मिला। खेत-खलिहान, गाय-बाछी, घर के आंगन में चहकती गौरैयों से बतियाने का मौका मिला। मां के गोद में सिर रखने का अवसर प्राप्त हुआ। गांव के नयका पीढी के साथ क्रिकेट खेलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। नई पीढ़ी के साथ समय बिताकर ऊर्जावान होने का बेहतरीन मौका तो मिला ही साथ ही इस नव पौध ने यह जाना-समझा की मैं भी इसी गांव का हूँ। उनसे मिले आगाध स्नेह से अघाना स्वभाविक भी है। अभिभूत हूँ। सीवान जिला के रजनपुरा के बच्चों में गजब का स्पार्क है। जो काम करते हैं, जमकर करते हैं। तमाम अच्छी बातों के बीच कुछ बातें चुभन भी पैदा कर रही हैं। पढ़ाई-लिखाई के प्रति इनमें उदासीनता दिखी। खासतौर से निकुम्भटोली के बच्चे पने करियर को लेकर लापरवाह दिखें। यह लापरवाही शुभ संकेत नहीं है। उन्हें समझना होगा की अगर वे अपने परिवार, गांव, जिला-जवार, प्रदेश एवं देश से न्याय करना चाहते हैं तो उन्हें खुद को कर्मयोगी बनाना होगा। सार्थक कामों के लिए प्रयत्न करने होंगे। 

अपने गांव के साथ-साथ देश के सभी बच्चों को एक किताब पढ़ने की सलाह देता हूँ। आपलोग महात्मा गांधी जी की पुस्तक 'हिन्द स्वराज'जरूर पढ़िए। यह किताब आपके जीवन में मार्गदर्शक का काम करेगी। महात्मा गांधी को लेकर आपके मन में अगर कोई नकारत्मकता है, तब तो आप यह किताब जरूर पढ़िए। सच कहूं तो बहुत बदल गया है मेरा गांव। गांव में पावर हाउस लग गया है। स्वच्छ जल की आपूर्ति होने लगी है। गांव को जिला मुख्यालय सीवान से जोड़ने वाली सड़क डबल लेन की हो गईं हैं। ऑटो-टेंपो सीधे गांव से मिलने लगे हैं। राज्य मुख्यालय पटना जाने के लिए सुबह में दो बसों की सुविधा हो गयी है। 18 घंटे बिजली रहने से घर-घर टीवी चलने लगे हैं। गांव के लोग दिल्ली के चैनलों पर चलने वाले वाक युद्ध को देख-सुन कर देश के भविष्य पर खूब चर्चा करने लगे हैं।  एक बात और यहां नीतीश और लालू से ज्यादा चर्चित केजरीवाल हैं। लालू को हुई जेल से गांव के लोग खुश हैं। उन्हें लगता है की देर है अंधेर नहीं है। देश के संविधान एवं न्याय ब्यवस्था पर उनका यही यकीन हमारे लोकतंत्र की मजबूती है।

अमुमन हमारा गांव-जवार धार्मिक सौहार्द के लिए जाना जाता रहा है। लेकिन विगत् कुछ वर्षों में हिन्दू-मुसलमान के बीच दरारें चौड़ी हुई हैं। रामनवमी के पूर्व संध्या पर निकली झांकी में दूसरे समुदाय द्वारा निजामपुर में रास्ता रोके जाने को लेकर हुए विवाद में पत्थरबाजी तक हो गयी। गांव का यह मिज़ाज आशंकित कर रहा है। मैंने अपनी मां को ताज़िया की पूजा करते बचपन में देखा था। वह दृश्य विलुप्त हो गया है। मैं और मेरी पत्नी प्रियंका दो से तीन होने गांव आये थे। हुए भी। लेकिन चार दिन के अंदर ही हम फिर दो बच गए। इस दुःखग्नि को छोड़, यह जरूर कहूंगा गांव का जवाब नहीं।  


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आशुतोष कुमार सिंह 
संपर्क 9891228151
ईमेल ashutoshinmedia@gmail.com
परिचय:लेखक स्वस्थ भारत अभियान के राष्ट्रीय संयोजक हैं। देश के जाने माने घुमक्कड़ हैं। 

हैरिटेज फोटोग्राफर संतोष कुमार की मधुबनी में फ़ोटो प्रदर्शनी

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  • भौडागढी और राजनगर हमारी पहचान : अशोक 
  • जे.एन. कॉलेज में दिखा तिरहुत का गौरवशाली इतिहास तस्वीरों के माध्यम से दिखाया गया मधुबनी के दो सौ वर्षों का सफर

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मधुबनी । मधुबनी के जिलाधिकारी एस के अशोक ने कहा है कि राजनगर और भौडागढी हमारी पहचान है। इन धरोहरों को बचाने के लिए हर संभव प्रयास किया जायेगा। श्री अशोक आज क्लब मधुबनी के बैनर तले आम लोगों में धरोहर के प्रति जागरुकता पैदा करने के लिए जे.एन. कॉलेज , मधुबनी में एक खास तरह की फोटो प्रदर्शनी सह संगोष्ठि का उदघाटन करने के बाद लोगों को संबोधित कर रहे थे। करीब दो सौ वर्षों की तस्वीरों को देखने के बाद उन्होंने कहा कि ऐसे आयोजनों से हमें अपनी विरासतों को जानने देखने और समझने का मौका मिलता है। नयी पीढियों के लिए एक सुनहरा अवसर है। हमें यह जानने का अवसर मिलता है कि किस प्रकार हमारा इलाका देश और दुनिया से जुड़ा हुआ था। उन्होंने अगले वर्ष से मिथिला महोत्सव के दौरान भी ऐसी फोटो प्रदर्शनी लगाने की बात उन्होंने कही। धरोहरों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि राजनगर के विकास के लिए वो राज परिवार के संपर्क में हैं और भौडागढी के संबंध में भी उकी राज परिवार से वार्ता हो रही है। जिलाधिकारी ने कहा कि इस इलाके की राजनीति आर्थिक और सामाजिक समृद्धिता का पता इन तस्वीरों से चलता है और इस इलाके के विकास में यह जानकारी एक अहम भूमिका निभा सकती है। 

मधुबनी के पूर्व विधायक राजकुमार महासेठ ने कहा कि इन तस्वीरों को देखकर कई पुरानी यादें और लोग याद आ गये। श्री महासेठ ने कहा कि अभी भी अगर हम अपनी धरोहरों के प्रति सचेत हो गये तो बहुत कुछ बचाया जा सकता है। कांग्रेस के पूर्व सांसद शकील अहमद ने कहा कि इस प्रकार का आयोजन बहुत देर से हुआ। इसे पहले हो जाना चाहिए था। इन तस्वरों को देखना सचमुच में एक अनोखा अनुभव है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए जेएन कॉलेज के प्राचार्य डॉ प्रेम प्रसाद ने कहा कि इस प्रकार की प्रदर्शनी से युवाओं को अपनी धरोहरों को समझने का मौका मिलेगा और उनके प्रति लगाव बढ़ेगा। आगत अतिथियों का स्वागत अजयधारी सिंह ने किया, जबकि  संतोष कुमार ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम के संयोजक अभय अमन सिंह ने बताया कि प्रदर्शनी को देखने के लिए करीब 3 हजार लोग आये है।

मिथिला : राज काल का समृद्ध करोबार स्वराज में नष्ट हुआ : अवनिंद्र

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मधुबनी । मिथिला का औद्योगिक विकास आजादी के बाद लगातार अवसान की ओर है। एक समद्ध इलका आज बेहद पिछड़ चुका है। रोजगार के अवसर ही नहीं हमारे आसपास की कई विधाएं भी समाप्त हो गयी हैं। यह बात आज जेएन कॉलेज में क्लब मधुबनी की ओर से आयोजित संगोष्ठि में प्रसिद्ध शोधकर्ता अवनिंद्र झा ने कही। श्री झा ने बहुत ही विस्तार से इस इलाके के कारोबार और विधाओं की जानकारी दी साथ ही उससे पैदा होनेवाले अवसर के संबंध में बताया। उन्होंने करीब दो सौं वर्षों के कारोबार और उद्योगों की चर्चा करते हुए बताया कि सूत, जूट और ईग के अलावा कई ऐसी विधाएं इस इलाके में मौजूद थी जो इस इलाके में न केवल रोजगार पैदा करती थी बल्कि इलाके की पहचान भी थी। श्री झा ने कहा कि पुरनिया से चंपारण तक का यह तिरहुत का इलाका आजादी के बाद लगातार पिछडता जा रहा है। बडे उद्योग ही नहीं बल्कि लघु और कुटिर उद्योग भी समाप्त हो चुके हैं। पलायन ने उन अवसरों को भी पैदा होने से पहले खत्म कर दिया जो इन कारोबार के खत्म होने के बाद कोई विकल्प के तौर पर पैदा होता।   

स्नेह लता को मिथिला ने दी उपेक्षांजलि : निराला

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मधुबनी । मिथिला ने अपने ही रत्नों की उपेक्षा की है। मिथिला के पुत्र स्नेहलता को आज भोजपुर से अवध तक के लोगों के कंठों में बसे हुए हैं, लेकिन अपने इलाके के लोगों ने ही उन्हें भूला दिया। यह बात आज जेएन कॉलेज में क्लब मधुबनी की ओर से आयोजित संगोष्ठि में प्रसिद्ध पत्रकार निराला बिदेसिया ने कही। स्नेहलता के गीत भोजपुर और अवध में भी गाये जाते हैं। निराला ने स्नेहलता के कई गीतों की चर्चा करते हुए कहा कि रामकथा कि अधिकतर गीत जो इन इलाकों में गायी जाती हैं वो स्नेहलता की लिखी हुई हैं। दहेज और बाल विवाह पर स्नेहलता ने जो लिखा है वो आज भी समाज को झकझोर रहा है।  उन्होंने कहा कि विद्यापति  मिथिला के महान कवि रहे हैं, लेकिन आज केवल उनकी ही बातें हो रही है, जबकि इस इलाके से कई ऐसे कवि हुए जिनकी रचनाएं अन्य इलाकों में भी लोग गाते हैं। 

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