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अपने इतिहास से सीखने को तैयार नहीं है मिथिला के लोग : पुष्यमित्र

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मधुबनी । मिथिला के लोग अपने इतिहास से सीखने को तैयार नहीं है। इतिहास पर बात होनी चाहिए। बातें हो भी रही है, लेकिन क्या मिथिला के लोग इतिहास को जानने, सुनने या उससे सीखने को तैयार है। यह बात आज जेएन कॉलेज में क्लब मधुबनी की ओर से आयोजित संगोष्ठि में प्रसिद्ध शोधकर्ता व पत्रकार पुष्यमित्र ने कही। रेडियो कोसी व नील आंदोलन पर किताब लिख चुके पुष्यमित्र ने कहा कि कहने और दिखाने को यहां बहुत कुछ है, लेकिन किसे सुनाया जाये। लोगों में इन धरोहरों के प्रति लगाव को अभाव है। लोग इतिहास सुनना और देखना नहीं चाहते हैं। जब तक लोग नहीं बदलेंगे तब तक हमारे कुछ भी कहने लिखने या दिखाने का कोई मतलब नहीं है। इस इलाके में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं, लेकिन जब तक यहां के लोग सुनने को तैयार नहीं होंगे, तब तक इन सब बातों पर चर्चा करने से कोई सकारात्मक नतीजे बाहर नहीं आयेंगे।

विशेष आलेख : सरकार से मुकदमेबाजी की संस्कृृृृति का पनपना

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सरकार से मुकदमेबाजी का बढ़ता प्रचलन एक समस्या बनता जारहा है। सरकार अपने स्तर पर अथवा संसद के जरिये जो भी फैसले ले रही हैं उनके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचनेे का अर्थ देश की न्याय व्यवस्था को बोझिल बनाने के साथ-साथ सरकार के शासन को बाधित करना है। इन विडम्बनापूर्ण स्थितियों का बढ़ना न तो सामान्य है और न ही देशहित में है। सरकार को प्रतिवादी बनाकर उन पर छोटे-छोटे प्रश्नों, कार्य-व्यवस्थाओं एवं निर्णयों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में मामलें दर्ज करना शुभ नहीं है। ऐसे मामलों की संख्या बढ़ना चिन्ताजनक तो है ही साथ ही राष्ट्रीय अस्मिता को धुंधलाने की कुचेष्टा भी है, जिन पर नियंत्रण जरूरी है। 

विधि मंत्रालय के अनुसार जहां बीते वर्ष ऐसे मामलों की संख्या 4229 थी वहीं उसके एक वर्ष पहले इस तरह के मामले 3497 ही थे। विधि मंत्रालय ने इस संदर्भ में जीएसटी के साथ-साथ नोटबंदी सरीखे मामलों के उदाहरण भी दिए। यदि यह सिलसिला इसी तरह कायम रहा तो शासन करना और कठिन हो सकता है। विकास के कार्यक्रमों को लागू करने की बजाय सरकार इस तरह की मुकदमेबाजी में ही उलझी रहेगी, जो विकसित होते राष्ट्र के लिये गंभीर स्थिति है। यह सही है कि सुप्रीम कोर्ट को सरकार के फैसलों और यहां तक कि संसद द्वारा पारित किए गए कानूनों की समीक्षा करने का अधिकार है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि सुप्रीम कोर्ट हर फैसले की समीक्षा करने बैठ जाए। दुर्भाग्य से पिछले कुछ समय से ऐसा ही हो रहा है। स्थिति यह है कि विधेयकों के रूप-स्वरूप को लेकर भी याचिकाएं दायर होने लगी हैं। ऐसा लग रहा है कि सरकार की कार्यप्र्रणाली, उसके द्वारा लिये गये निर्णय एवं नीतियों के खिलाफ जंग की- एक नई संस्कृति पनप रही हैं। एक नई किस्म की वाग्मिता पनपी है जो किन्हीं शाश्वत मूल्यों एवं बुनियादी प्रश्नों पर नहीं बल्कि भटकाव के कल्पित आदर्शों पर आधारित है। हर छोटी-छोटी बातों पर जनहित याचिकाओं के माध्यम से अपने को लोकप्रिय बनाने की मानसिकता कैसे जायज हो सकती है? जिसमें सभी नायक बनना चाहते हैं, पात्र कोई नहीं। भला ऐसी सोच किस के हित में होगी? सब अपना बना रहे हैं, सबका कुछ नहीं। और उन्माद की इस प्रक्रिया में एकता की संस्कृति एवं विकास की प्रक्रिया का नाम सुनते ही एक याचिका दायर करने को जी मचल उठते हैं। बहस वे नहीं कर सकते, इसलिए वे याचिका दायर करते हैं। राष्ट्रीयता, संवाद की संस्कृति एवं स्वस्थ चर्चा के प्रति असहिष्णुता की यह चरम सीमा है।

यह विडम्बनापूर्ण एवं विरोधाभास ही कहा जायेगा कि इस क्रम में लोकसभा अध्यक्ष के अधिकार को भी चुनौती दी जा रही है। आम तौर पर इस तरह की चुनौती जनहित याचिकाओं के नाम पर दी जाती है। इसमें कहीं कोई दो राय नहीं कि जनहित याचिकाओं ने न्याय को एक गरिमा प्रदान की है, लेकिन इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती कि संकीर्ण इरादों एवं स्वार्थों के तहत भी जनहित याचिकाएं दाखिल होने लगी हैं। ऐसी याचिकाओं का एक मकसद सरकार के काम में अड़ंगा लगाना एवं निर्णय को बाधित करना ही होता है। किस्म-किस्म की जनहित याचिकाएं दायर करने वाले तत्व किस कदर सक्रिय हो गए हैं, इसका पता इससे चलता है कि हाल ही के चर्चित बैंक में घोटाले के सामने आते ही इस बात को लेकर एक याचिका पेश कर दी गई कि इस मामले की जांच इस-इस तरह से होनी चाहिए। यह अच्छा हुआ कि सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की कि ऐसी याचिकाएं दायर करना प्रचार पाने का जरिया बन गया है। इस बात को महसूस करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने जनहित याचिकाओं के दुरुपयोग पर चिंता जताई है। उसने गतदिनों कहा था कि जनहित के नाम पर लोकप्रियता पाने और राजनीतिक लाभ हासिल करने के लिए इस व्यवस्था का दुरुपयोग किया जा रहा है, इसलिए इस पर पुनर्विचार की जरूरत है। आखिर सुप्रीम कोर्ट को इस तरह की बात कहने की जरूरत क्यों पड़ी, यह एक अहम् सवाल है। इस व्यवस्था को सम्मान देकर ही हम इसकी उपयोगिता कायम रख सकेंगे। 

सुप्रीम कोर्ट ने जनहित याचिकाओं यानी पीआइएल के दुरुपयोग पर तीखी  टिप्पणी करते हुए एक याचिकाकर्ता पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। न्यायाधीश पहले भी इस पर अनेक बार पर चिंता व्यक्त कर चुके हैं और इस बारे में विस्तृत नियम भी हैं, फिर भी पीआइएल का दुरुपयोग क्यों नहीं रुक पा रहा है? इस सन्दर्भ में सरकार के खिलाफ दायर होने वाली याचिकाओं की सुनवाई करने के संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट की ओर से यह तर्क दिया जाता है कि विधायिका अथवा कार्यपालिका अपना काम सही तरह नहीं करेगी तो किसी को तो हस्तक्षेप करना होगा। सवाल यह है कि क्या विधायिका अथवा कार्यपालिका इसी तर्क का सहारा लेकर सुप्रीम कोर्ट के मामलों में हस्तक्षेप कर सकती है? व्यवस्था अव्यवस्था से श्रेष्ठ होती है, पर व्यवस्था कभी आदर्श नहीं होती। आदर्श स्थिति वह है जहां व्यवस्था की आवश्यकता ही न पड़े और किसी के काम में किसी को हस्तक्षेप ही नहीं करना पडे़। कभी-कभी लगता है संसद एवं कार्यपालिका की जिम्मेदारी भी न्यायपालिका ही निभाती है। इन स्थितियों के बावजूद लगता है जनहित याचिकाएं प्रचार, प्रतिशोध और राजनैतिक स्वार्थ सिद्धि का हथियार बन रही है। आधारहीन और स्वार्थप्रेरित जनहित याचिकाओं की बाढ़ आ रही है, जो अदालतों के लिए समस्या बन गई हैं। इसीलिये सुप्रीम कोर्ट पहले भी इस संबंध में चेतावनी दे चुका है और पुनः उसने यही चेतावनी दोहरायी है। यह विडंबना है कि हमारे देश में जो भी व्यवस्था कमजोर वर्ग के हित में बनाई जाती है उसे बड़ी चालाकी से प्रभुत्वसंपन्न तबका हथिया लेता है और उसका इस्तेमाल अपने लिए करने लगता है।

जनहित याचिका की संस्कृति की जगह संवाद की संस्कृति बने तो समाधान के दरवाजे खुल सकते हैं। दिल भी खुल सकते हैं। लेकिन जरूरतमंद लोगों की बजाय इस व्यवस्था का भी राजनीतिकरण होने से यह वरदान बनी व्यवस्था अब अभिशाप बनने लगी है। यदि सरकार का हर फैसला सुप्रीम कोर्ट पहुंचने लगेगा तो इससे न केवल आवश्यक महत्व के मसलों पर अनिश्चितता व्याप्त होगी, अनावश्यक विलम्ब होगा, बल्कि ऐसे लोगों को बल भी मिलेगा जिनका काम ही अड़ंगे लगाना है। बेहतर हो कि सुप्रीम कोर्ट हर मामले की समीक्षा करने की प्रवृत्ति पर पुनर्विचार करे। भले ही अदालत ने जनहित याचिकाओं को प्रोत्साहित किया और इनके जरिए कुछ मसले सुलझाए गए, कुछ लोगों को शोषण से मुक्ति मिली। एक आशा की किरण बन कर ये जनहित याचिकाएं सामने आई, लेकिन इनके माध्यम से व्यापक सामाजिक-आर्थिक बदलाव का काम न हो सका बल्कि ये सरकार के कामों में अडंगा लगाने या अवरोधक के रूप में सामने आ रही है, जिन पर गंभीरता से चिन्तन जरूरी है। एक तबके के लिए यह अवसरवादिता के रूप लाभकारी सौदा भी बन गयी। इसलिये जो लोग इस अधिकार के जरिए सामाजिक परिवर्तन एवं शासन में पारदर्शिता की लड़ाई लड़ना चाहते हैं, उन्हें काफी सतर्क रहना होगा, आदर्श प्रस्तुत करना होगा और इसके दुरुपयोग को रोकना होगा। ध्यान रहे कि लंबित मुकदमों का बोझ बढ़ता ही चला जा रहा है। एक ओर जहां यह जरूरी है कि सुप्रीम कोर्ट अपनी लक्ष्मण रेखा का ध्यान रखे वहीं दूसरी ओर सरकार को भी यह देखने की आवश्यकता है कि ऐसे मामलों की संख्या भी क्यों बढ़ रही है जिसमें वह स्वयं मुकदमेबाजी में उलझी हुई है, यह आत्ममंथन उसे भी करना होगा।



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(ललित गर्ग)
60, मौसम विहार, तीसरा माला, 
डीएवी स्कूल के पास, दिल्ली-110051
फोनः 22727486, 9811051133

आलेख : डरती नहीं तभी तो फंसती है कांग्रेस

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कांग्रेस कार्रवाई डरती नहीं है। उसका हर छोटा-बड़ा नेता आजकल ऐसी ही शेखी बघार रहा है। इसकी वजह शायद यह है कि उन्हें किसी ने ‘डर के आगे जीत’ वाली बात समझा दी है। ओखली में सिर दिया तो मूसलों से डर कैसा? वैसे भी जो डर गया, वह मर गया। कांग्रेस भारत की सबसे पुरानी पार्टी है। डरने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता। कांग्रेस अगर डर रही होती तो देश में इतने कांड कैसे होते? पूर्व वित्तमंत्री पी. चिदंबरम के पुत्र कार्ति चिदंबरम की गिरफ्तारी इस बात का प्रमाण है कि दाल में कुछ न कुछ काला तो है ही। कांग्रेस भले ही यह समझाती रहे कि यह धुआं किसी आग की परिणिति नहीं है लेकिन इससे वह इस देश को समझा पाएगी, इसमें संदेह ही है। कांग्रेस का तर्क यह है कि वह नरेंद्र मोदी सरकार को जनता के प्रति जवाबदेह बनाने के लिए सत्य बोल रही है। वैसे भी सत्य बोलना और सत्य बोलने का दावा करना दो अलग बातें हैं और उनके बीच के फर्क को समझना वक्ती जरूरत भी है। विपक्ष में रहते हुए सच बोलना आसान होता है लेकिन जब मन में पूर्वाग्रह की गांठे पड़ी हों तो सच बोलते भी नहीं बनता। भाजपा नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी के खुलासे के आधार पर ही कार्ति चिदंबरम इस मुकाम तक पहुंचे हैं। उनका दावा है कि जल्द ही पी. चिदंबरम भी गिरफ्तार कर लिए जाएंगे। दोषी तो वे भी हैं। सच तो यह है कि भ्रष्टाचार में लिप्त कांग्रेसियों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। 

पी. चिदंबरम से पहले केंद्र सरकार कहीं सोनिया गांधी के दामाद रावर्ट वाड्रा को जेल में न डाल दे, इसे लेकर राहुल गांधी भी परेशान हैं। यह भी हो सकता है कि रावर्ट वाड्रा का नंबर चिदंबरम के बाद आए। रावर्ट वाड्रा को जेल भेजने की मुनादी भाजपा के कई बड़े नेता लोकसभा चुनाव के दौरान ही कर चुके हैं। पी. चिदंबरम को अभी तक अभयदान देने की पीछे केंद्र सरकार की यह सोच कदाचित यह भी रही हैै कि कहीं कांग्रेस इस कार्रवाई का सहानुभूतिक लाभ न उठा ले जाए। शहादत का लाभ उठाने में वैसे भी कांग्रेस का कोई जोड़ नहीं है। कार्ति को पकड़े जाने,पटियाला कोर्ट द्वारा उनके चार्टर्ड एकाउंटेंट को जेल भेजने और सीबीआई द्वारा कार्ति को 14 दिन की रिमांड पर देने की मांग के बाद कांग्रेस नेे जिस तरह सरकार पर आरोपों के बाण छोड़े हैं, उसकी मारक क्षमता से मोदी सरकार का तिलमिलाना स्वाभाविक है लेकिन भ्रष्टाचार में लिप्त जनों पर कार्रवाई तो करनी ही होगी। भ्रष्टाचार मिटाना है तो भ्रष्टाचारियों पर शिकंजा कसने का वादा तो निभाना ही पड़ेगा। कार्ति चिदंबरम पर आरोप है कि उन्होंने मुंबई स्थित आईएनएक्स मीडिया से कथित तौर पर 3.5 करोड़ रुपये की रिश्वत ली और उन्हें एफआईपीबी से मंजूरी दिलाई। यह सब उन्होंने वर्ष 2007 में अपने पिता पी चिदंबरम के देश का वित्तमंत्री रहते किया।  इस लिहाज से देखा जाए तो पी. चिदंबरम भी दोषी हुए। भले ही वे अपने बेटे के अलग काम और उसमें हस्तक्षेप और मदद न करने की दुहाई दें। केंद्रीय अन्वेंषण ब्यूरो को चिदंबरम और उनके बेटे के विरुद्ध कार्रवाई तो बहुत पहले ही करनी चाहिए थी लेकिन जब जागै तभी सबेरा। बेटे की गिरपफ्तारी के बाद चिदंबरम भी पकड़े जा सकते हैं लेकिन उनकी जमानत के लिए जिस तरह प्रयास हो रहे हैं। कार्ति सीने में दर्द का बहाना बना रहे हैं,वह सीबीआई को और अधिक पूछताछ का मौका न देने की कोशिश तो है ही।  

जो जैसा बोता है, वैसा ही काटता है। बबूल बोकर आम खाने का कोई सिद्धांत नहीं है? कांग्रेस का आरोप है कि वित्तीय घोटालों और कुशासन से लोगों का ध्यान भटकाने के लिए केंद्र सरकार यह सब कर रही है। उसने पीएनबी बैंक घोटाले के आरोपी नीरव मोदी को बचाने और कार्ति को पफंसाने का आरोप लगाया है। इसके बरक्स भाजपा का जवाब यह है कि कोई भी व्यक्ति कानून सेे ऊपर नहीं है। कानून अपना काम कर रहा है। यह कर्म प्रधान देश है जो जैसा करेगा, वैसा ही भरेगा। सीबीआई ने 15 मई 2017 को कार्ति चिदंबरम के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी। आईएनएक्स मीडिया उस समय पीटर मुखर्जी और इंद्राणी मुखर्जी के हाथ में था। भले ही इस प्राथमिकी में पी.चिदंबरम का नाम न हो लेकिन उन पर आरोप तो  है ही कि उन्होंने 18 मई, 2007 की एफआईपीबी की एक बैठक में आईएनएक्स मीडिया में 4.62 करोड़ रुपये के विदेशी निवेश को मंजूरी दी थी। इस रहस्य का उद्घाटन भाजपा ने नहीं, खुद प्रवर्तन निदेशालय ने किया था और सीबीआई को इसकी जानकारी दी थी। कार्रवाई का सिलसिला तो यहीं से तेज हुआ था। सीबीआई ने अपनी प्राथमिकी में इस बात का जिक्र किया है कि कार्ति ने अपने प्रभाव से  मॉरिशस से निवेश प्राप्त करने में एफआईपीबी की शर्तों के उल्लंघन की जांच को प्रभावित किया और इसके लिए आईएनएक्स मीडिया से पैसे लिए। सीबीआई ने इस बावत 10 लाख रुपये की राशि के वाउचर्स भी जब्त किए थे। 2011 में एयरसेल के संस्थापक सी. शिवशंकरण ने सीबीआई में एक शिकायत दर्ज करवाई थी कि उन पर अपने शेयर मैक्सिस को बेचने का दबाव बनाया जा रहा है। ऐसा करने वाले कौन थे, अगर सीबीआई इसका खुलासा करे तो कांग्रेस के लिए जवाब देना मुश्किल हो जाएगा कि इसमें उसका इंटरेस्ट क्या था? 

 2006 में मलेशिया की कंपनी मैक्सिस कम्युनिकेशन ने एयरसेल में 74 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदी थी। शिवशंकरण की शिकायत पर सीबीआई ने दयानिधि मारन और कलानिधि मारन, मैक्सिस के मालिक टी. कृष्णन आदि के विरुद्ध प्राथमिकी  दर्ज की थी। दयानिधि मारन के आवास पर छापेमारी भी हुई थी। यह अलग बात है कि 2017 में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो की विशेष अदालत ने मारन और अन्य को इस मामले में आरोपमुक्त कर दिया था। पहली बार साल 2015 में कार्ति का नाम भाजपा नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने उछाला था। उन्होंने कार्ति की विभिन्न कंपनियों के बीच वित्तीय लेन-देन का खुलासा किया था। उस समय भी कांग्रेस के नेताओं ने सुब्रह्मण्यम स्वामी की खुलकर आलोचना की थी। उनके खिलापफ जाने कौन-कौन से विशेषणों का प्रयोग किया था। उसके मूल में जाने की जरूरत नहीं है। कांग्रेस में सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय को खुलकर खेलने का अवसर नहीं मिल पाता था लेकिन मोदी सरकार के गठन के बाद उसे जब भ्रष्टाचारियों पर नकेल कसने का अवसर मिला तो कांग्रेस ने मोदी सरकार पर हमले भी तेज कर दिए। उसके सही निर्णयों को भी  गलत ठहराना आरंभ कर दिया।  अगर कांग्रेस वाकई सच बोल रही है या सच बोलने में यकीन रखती है तो देश में हुए करोड़ों-अरबों रुपये के घोटालों से उसके तार क्यों जुड़ रहे हैं?कांग्रेस ने अपने दौर में इन घोटालों की पर्देदारी क्यों की, मंथन तो इस पर भी होना चाहिए। कांग्रेस अगर सच बोलती है तो वह इस मामले में उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय क्यों गई? कार्ति चिदंबरम सीबीआई को जांच में सहयोग कर रहे हैं या नहीं, यह तो बाद में पता चलेगा लेकिन बिना आग के धुआं हो रहा है, यह बात गले नहीं उतर रही है। कांग्रेस के दौर में पहले भी अनेक बड़े घोटाले हुए हैं, सबके नाम गिनाना जरूरी नहीं है। भ्रष्टाचार का नाम लेते ही कांग्रेस का बोध होने लगता है। सांच को आंच नहीं लगती। सच तो यह है कि कांग्रेस ने देश का बड़ा नुकसान किया है। अब जब जनता उसे सत्ता से बाहर की राह दिखा चुकी है तो वह गुमराह करने वाली नीति पर आगे बढ़ चली है लेकिन पब्लिक है, सब जानती है। छिटपुट विजयों से उन्मत्त होने, उसे कुशासन और अहंकार की हार बताने से नहीं, आत्म सुधार से ही कांग्रेस का कायाकल्प होगा। अपनी पूर्व की पराजय का ठीकरा कांग्रेस ईवीएम पर फोड़ती रही है, राजस्थान और मध्यप्रदेश के उपचुनाव में हुई अपनी जीत और भाजपा की हार के लिए क्या वह इलेक्ट्राॅनिक वोटिंग मशीन को जिम्मेदार नहीं ठहराएगी? विरोध के लिए भी सुविधा का संतुलन तलाशना ठीक नहीं है। 





(सियाराम पांडेय ‘शांत’)

विशेष आलेख : स्वच्छ तन, स्वच्छ मन से बनता नया समाज

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दो अक्टूबर 2019 तक देश के हर परिवार को शौचालय सहित स्वच्छता-सुविधा उपलब्ध कराने, ठोस और द्रव अपशिष्ट निपटान व्यवस्था, गाँव में सफाई और सुरक्षित तथा पर्याप्त मात्रा में शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के उद्देश्य और भारत को पूर्ण स्वच्छ बनाने के लक्ष्य के साथ देश की राजधानी नई दिल्ली के राजघाट पर गत दो अक्टूबर 2014 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत की थी, तो ऐसा प्रचारित किया गया कि इस पूरे कालखंड में सम्पूर्ण विश्व की भांति भारत में भी मनुष्य के मल के निस्तारण की कोई उपयुक्त व्यवस्था कहीं नहीं थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सत्ता में आते ही स्वच्छता अभियान की शुरुआत करते हुए स्वयं सड़कों पर झाड़ू लेकर निकल पड़े। इसके बाद तो देशभर में नेताओं तथा अफसरों को अपना निर्धारित कार्य छोड़ झाड़ू लगाते देखा गया। एक बार तो ऐसा लगा कि अब सरकारी कार्यालयों में सफाई कर्मी , झाडूकश आदि पदों के लिए कार्य करने वालों की अब आवश्यकता ही नहीं रही। पूरे देश में इसकी व्यापक चर्चा हुई और इसकी सफलता और विफलता को लेकर काफी बहसें, वाद—विवाद, सम्मेलन व सेमिनार भी आयोजित की गई। परन्तु इस अभियान का एक सभ्यतामूलक एवं सांस्कृतिक आयाम भी है, जिसकी ओर लोगों ने ध्यान ही नहीं दिया। ऐसा नहीं कि विश्व के सर्वाधिक प्राचीन सभ्यता वाले देश में स्वच्छता के सम्बन्ध में कोई पारम्परिक सोच नहीं हो। उल्लेखनीय है कि पूर्णतः सत्य, शुद्धता व जनकल्याण पर आधारित सनातन जीवन पद्धति पर चलने वाले हमारे देश में स्वच्छता की अपनी एक प्राचीन भारतीय परम्परा रही है। इस परम्परा के अनुरूप ही देश में स्वच्छता के लिए ऐसी व्यवस्थाएँ विकसित की गई थीं जो न केवल भारतीय समाज के अनुकूल थी, बल्कि पर्यावरण और पारिस्थितिकी के लिये भी लाभकारी थी। लेकिन दुखद बात है कि स्वच्छता की इन प्राचीन और वैज्ञानिक भारतीय परम्परा को अपनाने के स्थान पर  उसके विपरीत सभी अभियान पाश्चात्य परम्परा के आधार पर संचालित किए जा रहे हैं। ऐसे में यह न केवल भारतीय संस्कृति के विरुद्ध है, बल्कि अवैज्ञानिक और अंत में पूरे समाज व प्रकृति के लिये हानिकारक सिद्ध होगा।

पाश्चात्य पद्धति से शिक्षित लोगों का भारतीयों को मखौल उड़ाते हुए कहना है कि प्राचीन भारतीय अपनी अज्ञानता व निर्धनता के कारण खुले में शौच के लिए जाते थे, और सर्वत्र गन्दगी फैलाते थे। पाश्चात्य नवबौद्धिकों को यह बात हजम होनी थोड़ी कठिन है कि खुले में शौच जाना भी समझदारी का व्यवहार हो सकता है। कारण यह है कि नवबौद्धिकों के अनुसार मनुष्य का पूरा विकास विगत तीन चार सौ वर्षों में ही हुआ है और वह विकास यूरोप के दयालु, उदार, बुद्धिमान और विद्वान लोगों ने किया है। इसलिये उससे पहले और वहाँ से इतर दुनिया में जो कुछ भी था, वह निरी जहालत के सिवा और कुछ भी नहीं थी। लेकिन यह असत्य तथा पूर्णतः सत्य बात नहीं है।  और ऐसा वर्तमान इतिहास लेखकों के पूर्णतः पश्चिम के विद्वानों के आश्रय रह इतिहास लेखन के कारण हुआ है। सुखद बात यह है कि भारतीय पुरातन ग्रन्थों के समीचीन अध्ययन से यह भ्रम सरलता से दूर हो जाता है। प्राचीन काल में भारतीयों का खुले में शौच जाना, कोई नासमझी भरा कदम नहीं था, और यह मजबूरी भी नहीं थी। भारत के लोगों को शौचालय बनाना न आता हो, ऐसा भी नहीं था, नगरों में जहाँ स्थान की कमी थी , वहाँ शौचालय थे। प्राचीन ग्रन्थों में तो प्रमाण स्वरूप इसके उल्लेख अंकित हैं ही, कई स्थान पर पुरातात्विक विभाग को इसके प्रमाण भी मिले हैं। परन्तु फिर भी हमारे पूर्वजों ने खेतों और जंगलों में शौच निवृति हेतु जाना स्वीकार किया तो इसके भी अलग कारण थे। खुले में शौच निवृति करना, खुले में स्नान करना परन्तु भोजन चौके के अंदर ग्रहण करना, यह प्राचीन भारतीय व्यवस्था का अंग था। लेकिन वर्तमान में ठीक इसके विपरीत आचरण किया जा रहा है। आज लोग शौच त्याग और स्नान तो बंद कमरे में कर रहे हैं, परन्तु खाना खुले में खा रहे हैं। इसका दुष्प्रभाव भारतीयों पर पड़ना तय है। 

भारतीय जीवन शैली मानव श्रम प्रधान थी। इसमें मनुष्य के चारों ही अवस्थाओं अर्थात आश्रमों में परिश्रम की महिमा गाई गई है । जीवन में मानव श्रम प्रधान होने के कारण मानव की दिनचर्या सहज ही बन जाती है। भारतीय जीवन शैली की दिनचर्या में रात्रि में समय से सोना और प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में जागना सहज ही शामिल था। ब्रह्ममुहुर्त का समय पूरे वर्ष भर मुँह अंधेरे ही शुरू होता है। तात्पर्य है कि अंधेरे में लज्जा का विषय नहीं उठता। ध्यातव्य यह भी है कि शौच का सम्बन्ध भोजन से है। मनुष्य जैसा भोजन करेगा, उसका वैसा शौच होगा। इसीलिए हमारे पूर्वजों ने भोजन के नियमन पर विशेष ध्यान देते हुए आहार-विहार के विशेष नियम बनाए जिससे मनुष्य स्वस्थ रहे और शौच हेतु उसे बार- बार जाना न पड़े । मैंने स्वयं गाँव में बड़े-बुजुर्गों से सुना है - एक बार जाए योगी, दो बार जाए भोगी और तीन बार या बार-बार जाए रोगी। इसका अर्थ है कि योगी अर्थात आहार-विहार के नियमों का पालन करने वाला व्यक्ति (गृहस्थ भी हो सकता है) तो प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त में केवल एक बार ही शौच जाता है, भोगी व्यक्ति को सुबह और शाम को दो बार शौच जाना पड़ता है और रोगी व्यक्ति ही दो से अधिक बार शौच जाता है। ऐसे में बड़ी संख्या एक बार ही शौच निवृत्त हुआ करती थी और वह भी सवेरे-सवेरे मुँह अंधेरे। भारत की पारम्परिक व्यवस्था उचित आहार-विहार और अति प्रातःकाल वनों या खेतों में शौच निवृत्ति की है। इसकी किसी भी कारण से निंदा या तिरस्कार नहीं किया जाना चाहिए। हाँ, इसके पूरक के रूप में शौचालयों की व्यवस्था अवश्य की जानी चाहिए। अभी तो इस समस्या के समाधान हेतु सरकारी स्तर पर बड़े पैमाने पर लोगों को अनुदान देकर शौचालय निर्माण कराये जा रहे हैं, परन्तु बाद में शौचालय और उनके टैंकों में भरे मलों का निस्तारण भी एक बड़ी समस्या ही साबित होने वाली है। विशेषकर गाँवों में जहाँ पीने का पानी भी दूर से भरकर लाना पड़ता है, शौचालय के लिये अलग से पानी की व्यवस्था करना और भी कठिन कार्य साबित होगा। ऐसे में पानी के अभाव में शौचालय ही रोग का घर बन जाएँगे। साथ ही यदि पूरे गाँव को शौचालय की आदत पड़ गई तो ये शौचालय पूरे गाँव का बोझ उठा नहीं पाएँगे। इसलिये इस व्यवस्था का उपयोग केवल पूरक के तौर पर किया जाना ही उचित होगा।
  
वैदिक जीवन पद्धति में धर्म का पांचवां लक्षण शौच को माना जाता है, प्राचीन धर्म ग्रन्थों में भी इस बात की पुष्टि की गई है कि शौच मानव धर्म है और मानव को इस धर्म का पालन शुद्धता व पवित्रता को ध्यान में रखकर करना ही उत्तम होगा । प्राचीन भारतीय इस तथ्य से भली –भांति परिचित थे कि स्वच्छ तन, स्वच्छ मन से ही बनता है नया समाज । इसीलिए योगाभ्यासियों के लिए बनाए गये नियमों में भी योगाभ्यासी के लिये दूसरी सीढ़ी नियम के पाँच लक्षणों में भी पहला लक्षण शौच ही माना गया है। इस प्रकार धर्म का पालन करना हो या फिर योग साधना द्वारा जीवन्मुक्ति पानी हो, भारतीय मनीषियों ने शौच यानी कि अंतः और बाह्य स्वच्छता को अत्यावश्यक माना है। इसलिए भारतीय परम्परा के अनुसार और धर्म के पाँचवें लक्षण शौच के पालन के प्रयास के रूप में स्वच्छता अभियान चलाना हितकारी सिद्ध होगा । भारतीयों ने प्राचीन काल से ही स्वच्छता और स्वास्थ्य को जोड़ कर देखा है और उसका पालन भी किया है। आज आवश्यकता है कि लोगों को उनके इसी सनातन धर्म की याद दिलाई जाए। उसके पालन के प्रति उन्हें जागरूक किया जाए। तभी यह स्वच्छता अभियान सफल हो सकता है।



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अशोक “प्रवृद्ध”
करमटोली , गुमला नगर पञ्चायत ,गुमला 
पत्रालय व जिला – गुमला (झारखण्ड)

बिहार : कैंसर रोग से पीड़ित फुलपति देवी को मसीहा की तलाश

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  • क्या वह मसीहा स्वास्थ्य मंत्री हैं?

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चण्डी.मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह क्षेत्र नालंदा में जानलेवा कैंसर रोग से पीड़ित फुलपति देवी कराह रही हैं.फिलवक्त  परिजन 1 लाख जमापूंजी और 2 लाख रू.खर्च कर दिये हैं. कहीं से आशा नहीं दिख पाने से निराश होकर परिजन हाथ खड़ा  कर दिये हैं. भगवानपुर  रोड से गुजरकर थरथरी गांव तक जाने वाली के किनारे भगवानपुर मुसहरी अवस्थित हैं.यहां करीब 300 घर है और जनसंख्या 1580.यहां से 80 प्रतिशत मुसहर उत्तर प्रदेश में ईट भट्टे में काम करने चले जाते हैं. इसमें फुलपति देवी भी थीं.अस्वस्थ होने के कारण भट्टा पर नहीं गयीं.योनि से रक्त स्त्राव होने लगा.वह सामान्य रक्त स्त्राव समझकर चुप रहीं. इस संदर्भ में 5 बच्चों की मां और पीड़िता की सासू मां फुलवरियां देवी ने कहा कि उसकी योनि से अधिक रक्त स्त्राव होने पर परिजन चिंतित हो गये.लोकल चिकित्सकों से दिखाने पर चिकित्सकों ने रेफर अनिसाबाद पटना महावीर कैंसर हॉस्पिटल में कर दिये. उन्होंने कहा कि चिकित्सक बच्चादानी निकालने का निर्णय किये.ऑपरेशन के दरम्यान रक्त स्त्राव रूकने का नाम ही नहीं लिया.हारकर ऑपरेशन करना ही बंद कर दिये.वह कपड़ा लगाकर स्त्राव को बाहर गिरने से रोकती हैं. उन्होंने कहा कि भट्टे में काम पर जाने के एवज में 1 लाख जमापूंजी और 2 लाख रू.महाजनों से 5  रू.सैकड़ा व्याज पर चिकित्सा कराये. अब पैसा नहीं रहने के कारण चिकित्सा बंद है.जो अर्थावभाव साफ दिखता है.दवा तो नहीं दुआ की जरूरत है.भगवान और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से दुआ है कि मेरी पुत्रवधु फुलपति देवी की जिंदगी को लम्बी करने में सहायक बनें. यहां के विलास मांझी व हीरा मांझी ने बिहार  सरकार के स्वास्थ्य मंत्री से आग्रह किया है कि चिकित्सा  की व्यवस्था करें नहीं तो पीड़िता की अकाल मौत हो जाएगी.इस समय अन्न त्याग दी है.सिर्फ पानी व जूस पर जीर्वित है.

बिहार : लिच-पिट पद्धति में शौचालय गृह में स्नान की जगह भी

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  • खुले शौच और स्नान करना बंद

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चण्डी.नालंदा जिले में है चण्डी प्रखंड.प्रखंड कार्यालय के पीछे रहते हैं गैर सरकारी संस्थाओं के डार्लिंग व जदयू के महादलित मुसहर समुदाय  के  लोग. कार्यालय के पीछे में रहने वाले मोहनटीशन मुसहरी के लोग काफी पिछड़ गये हैं. यहां पर 40 घरों में मुसहर रहते हैं. सुशासन बाबू और डबल इंजिन की सरकार ने रोजगार सृजन करने व कर कारखाना नहीं खोलने से काफी संख्या लोग पलायन करने को बाध्य हैं.महात्मा गांधी नरेगा भी महादलितों को रोजगार के लिये बाहर जाने से रोक नहीं सका. 30 मुसहर राजस्थान,त्रिपुरा आदि जगहों में जाकर कार्य कर रहे हैं. मोहनटीशन मुसहरी विरान है. विरानगी मुसहरी में रहने वाले हैं धर्मवीर मांझी.  पेशे से राजमिस्त्री हैं.राजमिस्त्री को 500 और मजदूर को 300 रू.मिलता है. खैर, धर्मवीर मांझी ने अपनी कला प्रदर्शन लिच-पिट पद्धति से शौचालय बनाने के दरम्यान किया है. अटैच बाथरूम बना लिया है. इस संदर्भ में धर्मवीर कहते हैं कि लोहिया स्वच्छ बिहार अभियान     के तहत शौचालय में बना है.खुद ही राजमिस्त्री हैं, इसके आधार पर अटैच बाथरूम बनाकर महिलाओं की इज्जत बचाने का कार्य अंजाम दिये हैं. दो तरह से इज्जत बचेगी.अव्वल खुले में शौच और द्वितीय खुले में स्नान नहीं करेंगी.  

विशेष : जीत की इच्छा शक्ति से नार्थ ईस्ट में भाजपा का झंडा बुलंद

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* आर्यावर्त डेस्क,विजय सिंह ,29 मार्च ,2018, मेरी जानकारी में आज तक कभी भी उत्तर पूर्वी राज्यों में विधानसभा या संसदीय चुनावों को इतना महत्व नहीं दिया गया जितना 2018  विधानसभा चुनाव में मिला.पूरे देश की निगाहें नार्थ ईस्ट के त्रिपुरा ,मेघालय और नागालैंड के विधानसभा चुनावों पर थी. मामला बिलकुल स्पष्ट था ,लेफ्ट बनाम राइट. वाम पंथ बनाम दक्षिण पंथ ने मतदाताओं का ऐसा ध्रुवीकरण किया कि वह पंथों से आगे निकल कर कुशासन बनाम सुशासन के नारों में परिवर्तित होता दीख पड़ा.  तभी तो त्रिपुरा जैसे राज्य जहाँ पिछले 25 वर्षों से वाम झंडा लहरा रहा था ,जहाँ देश के सबसे ईमानदार राजनीतिज्ञ कहे जाने वाले 20 वर्षों से मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाल रहे माणिक सरकार की सादगी पर भी भाजपा की रणनीति भारी पड़ी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की जोड़ी के जीतने की इच्छा शक्ति ने २५ साल पुराने वाम शासन को झटके में उखाड़ फेंका.विगत चुनाव में 49 विधानसभा सीटों पर अपने प्रत्याशियों की जमानत जब्त कराने कराने वाली भाजपा की यह जीत कोई अप्रत्याशित नहीं है बल्कि सोची समझी रणनीति और मजबूत इरादों की विजय है. मेरी जानकारी में 2014 में प्रधानमंत्री की कुर्सी सँभालने और भाजपा को आम चुनाव में बेहतरीन जीत दिलाने वाले नरेंद्र मोदी ने देश की बागडोर सँभालने के साथ ही विपक्ष विहीन सत्ता की परिकल्पना की पटकथा लिखनी शुरू कर दी थी ,जिसमे पूर्वोत्तर राज्य भी पहली प्राथमिकता में थे. विशेषकर त्रिपुरा में तो सत्तारूढ़ वाम दल और पूरा विपक्ष भाजपा की तरफ से निश्चिंत थे क्योंकि 25 वर्षों का निर्वाध शासन और लगातार भाजपा की पटखनी का इतिहास सामने था.यही अतिविश्वास वाम और अन्य विपक्ष के लिए हार का कारण बना.

क्षेत्रीय पार्टियों की वैशाखी पर चल रही देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस को वर्तमान अध्यक्ष राहुल गाँधी ने गुजरात चुनाव में जरूर अपने जुझारू पराक्रम से सम्मानजनक स्थिति में पहुंचाया परन्तु त्रिपुरा और नागालैंड में पार्टी खाता भी नहीं खोल पायी. राहुल गाँधी यह भूल गए कि जीत का वरण करने के लिए पराक्रम एक नितांत प्रक्रिया है,सामयिक नहीं. कांग्रेस और वाम नेताओं को इस बात की भनक तक नहीं लगी कि विगत दो- ढाई वर्षों में भाजपा ने धीरे धीरे अपना संगठन त्रिपुरा में खड़ा कर वाम के पारम्परिक वोटों में सेंध लगा ली थी और जीत का मार्ग बहुत पहले ही सुगम कर रखा था. कांग्रेस ने तो भाजपा की धुंआधार चुनाव प्रचार की बैटिंग से घबराकर पहले ही मैदान खाली कर दिया थ नागालैंड में भी भाजपा की आक्रामक रणनीति ने स्थानीय राजनीतिक दलों के चुनाव बहिष्कार की हवा के बीच क्षेत्रीय दलों को चुनावी मैदान तक दौड़ाने में सफल रही. यह भाजपा के सफल रणनीति का परिणाम ही था कि बहिष्कार का मुद्दा ही चुनाव से गायब हो गया .पहले से नागालैंड में स्थापित एन.डी.ए. की सरकार में भाजपा ने 12 सीटें प्राप्त कर अपनी स्थिति को मजबूत किया है. मेघालय जहाँ भाजपा को मात्र 2सीटों से संतोष करना पड़ा लेकिन 21 सीटें प्राप्त कर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में कांग्रेस फिर रणनीति बनाने में पिछड़ गयी,यहाँ तक कि पूर्व कांग्रेसी नेता संगमा की नेशनल पीपल्स पार्टी को साथ लाने में भी असफल रही और सिर्फ 2 सीटें प्राप्त कर बाकी पार्टियों को मिला कर मेघालय की सत्ता पर कब्ज़ा कर भाजपा ने कांग्रेस मुक्त भारत का नारा चरितार्थ किया है. पूर्वोत्तर राज्यों में भाजपा के बुलंद इरादे आने वाले राज्यों के चुनाव में भी असरकारक होंगे,इससे इंकार नहीं किया जा सकता .कांग्रेस को एक बार फिर जमीनी स्तर पर सोचना होगा वरना रास्ता आसान नहीं होगा.विशेषकर कर्णाटक में साख बचाने के लिए कांग्रेस को जी तोड़ मेहनत करनी होगी. 

बिहार : सुरेंद्र मांझी के बच्चे बंधुआ मजदूर न बन जाये

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  • करीब चार लाख रू.का कर्ज माथे पर छह में तीन बालक हैं और तीन की शादी हुई है

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चण्डी.एक साल से सुरेंद्र मांझी की पत्नी फूल कुमारी देवी बीमार हैं.वह जानलेवा कैंसर रोग से पीड़ित है. रात में घर में और दिन में भगवानपुर रोड के किनारे मइया-मइया करके विलाप करती हैं.उसकी दास्तान को देखकर   किसी राहगीर ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पास सचित्र मेल 7 मार्च, 2018 की रात 10:40 मिनट पर प्रेषित किया.सीएम कार्यालय ने 8 मार्च, 2018  को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर  दिन के उजाले मेंं 1:42 मिनट पर मेल health health-bih@nic.in ANUPAM KUMAR SUMAN cmrf-bih@gov.in को प्रेषित किया.किसी तरह की कार्रवाई नहीं होने पर 12 मार्च,2018 की सुबह 5 बजे दम तोड़ दी. नालंदा जिले के चण्डी प्रखंड  में स्थित है भगवानपुर पंचायत.इस पंचायत के वार्ड नम्बर- 2 में भगवानपुर मुसहरी.वार्ड नम्बर-2 के वार्ड सदस्य हैं धुरी मांझी.अपने बिरादरी की दु:ख दर्द व समस्याओं को प्रशासन के समक्ष उठाने में अक्षम हैं वार्ड सदस्य.करीब एक साल से कैंसर रोग से पीड़ित फूल कुमारी देवी को मुख्यमंत्री सहायता कोष से जानलेवा कैंसर रोग का चिकित्सा नहीं करा सका. हां,उन्होंने यह जरूर आश्वासन दिया  कि कबीर अंत्येष्ठि योजना से मिलने वाली राशि 1500 रू. दिलवाने  का प्रयास करेंगे. खुद पंचायत के मुखिया से मिलकर बात करेंगे ताकि राशि मिल सकें.

यह दास्तान सुशासन बाबू के गृह क्षेत्र नालंदा की है. महादलित मुसहर समुदाय की गरीब महिला जानलेवा कैंसर रोग से पीड़ित थीं. फूल पति देवी नामक रोगी कराह रही थीं. फिलवक्त परिजन 1 लाख जमापूंजी और 2 लाख रू.खर्च कर दिये. कहीं से आशा नहीं दिख पाने से निराश होकर परिजन हाथ खड़ा  कर दिये हैं. बता दें कि  भगवानपुर  रोड से गुजरकर थरथरी गांव तक जाने वाली के किनारे भगवानपुर मुसहरी अवस्थित हैं.यहां करीब 300 घर है और जनसंख्या 1580.यहां से 80 प्रतिशत मुसहर उत्तर प्रदेश में ईट भट्टे में काम करने चले जाते हैं. इसमें फूल पति देवी भी थीं.अस्वस्थ होने के कारण भट्टा पर नहीं गयीं.योनि से रक्त स्त्राव होने लगा.वह सामान्य रक्त स्त्राव समझकर चुप रहीं.  इस संदर्भ में सुरेंद्र मांझी, तारा मांझी,वकील मांझी,सलीता देवी और प्रमिला देवी नामक   5 बच्चों की मां और पीड़िता की सासू मां फूलकुरी देवी ने कहा कि पुत्रवधु की योनि से यकायक अधिकाधिक रक्त स्त्राव होने लगा.इससे परिजन चिंतित हो गये.तब जाकर मेन रोड पर स्थित लोकल चिकित्सक से दिखाया गया.उक्त चिकित्सक ने रक्त स्त्राव रोकने के ख्याल से बच्चादानी निकालने को लेकर ऑपरेशन कर दिया. रोगी की बेहालत होते देख चिकित्सक ने तुरंत रेफर कर दिया. चिकित्सक ने परिजनों को बताया कि रोगी जानलेवा रोेग कैंसर से पीड़ित.

स्थानीय महाजनों से व्याज पर ऋण लेक कैंसर का इलाज कराने को फूल पति देवी के परिजन पटना अनिसाबाद में स्थित महावीर कैंसर संस्थान में ले गये.वहां पर वह 27 जुलाई, 2017 को भर्ती करायी गयीं.उन्होंने कहा कि चिकित्सक बच्चादानी निकालने का निर्णय किये.ऑपरेशन के दरम्यान रक्त स्त्राव रूकने का नाम ही नहीं लिया.हारकर ऑपरेशन करना ही बंद कर दिये.वह कपड़ा लगाकर स्त्राव को बाहर गिरने से रोकती. उन्होंने कहा कि भट्टे में काम पर जाने के एवज में 1 लाख जमापूंजी और 2 लाख रू.महाजनों से 5  रू.सैकड़ा व्याज पर चिकित्सा कराये. अब पैसा नहीं रहने के कारण चिकित्सा बंद हो गया.जो अर्थाभाव साफ दिखता है.दवा तो नहीं दुआ की जरूरत है.भगवान और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से दुआ है कि मेरी पुत्रवधु फूल पति देवी की जिंदगी को लम्बी करने में सहायक बनें. यहां के विलास मांझी व हीरा मांझी ने बिहार  सरकार के स्वास्थ्य मंत्री से आग्रह किया है कि चिकित्सा  की व्यवस्था करें नहीं तो पीड़िता की अकाल मौत हो जाएगी.इस समय अन्न त्याग दी है.सिर्फ पानी व जुस पर जीर्वित है. मृत्यु पूर्व दर्द से बेहाल फूल पति देवी  मइया-मइया कहकर चिल्लाती रहती थीं,अब उनके बच्चे पंकज मांझी,नीतीश मांझी,चंदन मांझी,सरस्वती देवी,तीजू कुमारी और गायत्री कुमारी मइया-मइया चिल्लाकर रोती हैं.नीतीश मांझी ने सीएम नीतीश कुमार को कटघरे में डाल दिया है 5 दिनों के बाद भी मेरी मां की सुधि लेकर लेने अधिकारी नहीं आयेे.सीएम नीतीश कुमार को मेल भेजा गया.सीएम कार्यालय द्वारा हेल्थ डिपार्टमेंट और मुख्यमंत्री सहायता फंड के अनुपम कुमार सुमन को  मेल भेजा गया.इस मेल के खेल में मेरी मां फूल पति देवी का ही खेल समाप्त हो गयी.आंसू छलकाकर सरस्वती देवी कहती है कि करीब चार लाख रू.कर्ज हो गया है. लगता है कि महाजनों के पास भाई-बहन बंधुआ मजदूर न बन जाये.

महावीर जयंती की बधाई वाले ट्वीट पर ट्रोल हुए शशि थरूर व डिम्पल यादव

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ट्विटर पर काफी ऐक्टिव रहने वाले कांग्रेस नेता शशि थरूर गुरुवार को महावीर जयंती के मौके पर एक तस्वीर शेयर कर घिर गए। माइक्रोब्लॉगिंग साइट पर लोगों ने उन्हें यह कहते हुए ट्रोल करना शुरू कर दिया कि उन्होंने भगवान महावीर की जगह महात्मा बुद्ध की तस्वीर शेयर कर दी है। विवाद बढ़ने के बाद थरूर को इस पर सफाई देनी पड़ी। दरअसल शशि थरूर ने हैपी महावीर जयंती लिखते हुए तस्वीर के साथ ट्वीट किया था। यूजर्स पुष्पेंद्र मुनि ने इसे भगवान बुद्ध की तस्वीर बताते हुए शशि थरूर का ध्यान इस ओर दिलाया। वहीं सपा प्रमुख अखिलेश यादव की पत्नी व सांसद डिम्पल यादव ने भी गोतम बुद्ध की तस्वीर पोस्ट करते हुए महावीर जयंती की शुभकामनाएँ दी। जिससे यूजर्स काफ़ी संख्या में पोस्ट करते हुए उन्हें भारतीय संत के जीवन दर्शन का अध्ययन करने को कहा।

पटना : दु:खभोग के अंतिम बुधवार को मुसीबत

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पटना. ईसाई समुदाय का चालीस दिवसीय दु:खभोग अंतिम चरण में है.दु:खभोग के अंतिम बुधवार को अल्पसंख्यक ईसाई कल्याण संघ के सहयोग से दिव्या रानी हांसदा के निवास स्थान फेयरफील्ड कॉलोनी, दीघा पर प्रभु येसु के दुःखभोग से सम्बंधित 'मुसीबत'नामक भजन एवं प्रार्थना का कार्यक्रम हुआ।जिसमें अल्पसंख्यक ईसाई कल्याण संघ के महा सचिव एस. के. लॉरेंस,क्लारेंस हेनरी,संस्था के सहायक सचिव रंजीत कुमार, कार्यकारिणी समिति की सदस्या प्रियंका, रीता, इग्नासिउस पीटर, बर्नार्ड पीटर,फ्रैंक अंतोनी, किशोरी नटाल,कमल, प्रवीण , प्रकाश,रौनेल्ड तथा गायक मण्डली के लोगों के साथ साथ काफी संख्या में भक्त जन उपस्थित हुए। अपनी प्रार्थना में एस. के.लॉरेंस के अलावा दिव्या हांसदा ने सभी बीमार, लाचार लोगों के स्वस्थ होने की कामना करने के साथ साथ सभी धर्म के लोगों में आपसी सौहार्द भाईचारा बना रहे, इसकी कामना की।

सीहोर (मध्यप्रदेश) की खबर 29 मार्च

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  • *वृहद विधिक जागरूकता शिविर श्याममपुर मे सम्पन्न*
  • *दो हजार से अधिक हितग्राही लाभान्वित*

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सीहोर, 29 मार्च 2018, राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के तत्वावधान मे सीहोर जिले की श्याममपुर तहसील मुख्यालय पर 29 मार्च को वृहद विधिक जागरूकता शिविर आयोजित किया।शिविर मे दो हजार से अधिक हितग्राहियों को शासन की विभिन्न योजनाओं से लाभान्वित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे जिला एवं सत्र न्यायाधीश माननीय ऋषभ कुमार सिंघई ने उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए कहा कि इस शिविर का उद्देश्य गरीबी उन्मूलन योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन, असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों, बच्चों के मैत्रीपूर्ण विधिक सेवा तथा संरक्षण, वरिष्ठ नागरिकों, आदिवासियों के अधिकारों का संरक्षण एवं प्रवर्तन तथा नशा पीड़ितों के लिए विधिक सेवा तथा नशा उन्मूलन योजनाओं का प्रचार प्रसार तथा जन जागरण  है जागरूकता से ही सशक्तिकरण संभव है। विशिष्ट अतिथि  कलेक्टर श्री तरुण कुमार पिथोडे ने शासन की योजनाओं पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि यह ऐतिहासिक पल है हमारी न्यायपालिका न्यायहित मे लोगों के द्वार तक पहुंच रही है। एसपी श्री सिद्धार्थ बहुगुणा ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि सभी के समन्वित प्रयास से ही समाज का उत्थान हो सकेगा। कार्यक्रम को जिला वन संरक्षक, जिला अभिभाषक संघ अध्यक्ष श्री अनिल दुबे, एडीजे श्री शैलेंद्र नागोत्रा, एडीजे श्री नवीन शर्मा तथा जिला विधिक सेवा अधिकारी श्रीमती आरती शुक्ला पाण्डे ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर विधिक जागरूकता आधारित नुक्कड़ नाटक तथा आदिवासी नृत्य का मंचन किया गया। जिले के चालीस विभागों के  प्रदर्शन स्टाल तथा स्वास्थ्य परीक्षण शिविर का भी आयोजन किया गया। कार्यक्रम का संचालन श्री प्रदीप चौहान ने किया। कार्यक्रम मे सभी शासकीय सेवक तथा पाँच हजार से अधिक स्थानीयजन  उपस्थित थे।

विदिशा (मध्यप्रदेश) की खबर 29 मार्च

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सफलता की कहानी : योजना ने गोरेलाल की जीवन शैली बदली 

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उद्यानिकी राज्यमंत्री श्री सूर्यप्रकाश मीणा ने मंगलवार को नटेरन के अन्त्योदय मेला में जैसे ही गोरेलाल को साइकिल सौंपी। त्वरित आंखोे में खुशी झलकी। ग्राम तिलातिली श्री गोरेलाल ने बताया कि श्रम विभाग की योजनाओ के तहत पहले मुझे कारीगरी के उपकरण मिले अब काम पर पहुंच सकंू इसके लिए साइकिल मिली है। मेरे बच्चों को भवन संनिर्माण योजना के तहत छात्रवृत्ति भी मिल रही है। निश्चित ही श्रम विभाग की अनेक योजनाओं का लाभ मिलने से मेरे परिवार में परिवर्तन स्पष्ट दिख रहा है जहां पहले मैं दूसरों के साथ मजदूरी कर रहा था अब स्वंय मैं ठेकेदार के काम देख रहा हूॅ। वही अब मेरे बच्चों का भविष्य सुधर रहा है खाने के लिए सस्ती दर पर राशन मिल रहा है वही इलाज की आवश्यकता पडे तो निःशुल्क सुविधाएं मिली है निश्चित ही हम गरीबो का ऐसी ही योजनाओं ने उद्वार किया है।   

सफलता की कहानी : पैरो के हुनर ने लेपटाॅप दिलाया

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नटेरन तहसील के ग्राम नकतरा के दिव्यांग श्री विपत सिंह अपने पैरो के हुनर से गांव ही नही पूरी जनपद में प्रसिद्वी पा रहे है। दोनो हाथ नही होने के बावजूद विपत सिंह ने जीवन में कभी हार नही मानी और परीक्षाओं में पैरो से लिखकर अव्वल श्रेणी में उत्तीर्ण हुए है। दिव्यांग विपत सिंह की लगन और उत्साह को देखते हुए उन्हें मुख्यमंत्री निःशक्त शिक्षा प्रोत्साहन योजना के तहत राज्यमंत्री श्री सूर्यप्रकाश मीणा ने मंगलवार को अन्त्योदय मेला में हितग्राही श्री विपत सिंह पुत्र श्री बालाराम अहिरवार को लेपटाॅप प्रदाय किया है। लेपटाॅप पाकर विपत सिंह के चेहरे पर खुशी की आभा झलकी। दिव्यांग विपत सिंह अहिरवार ने बताया कि अब पढ़ाई के लिए एक और सहयोगी बन गया है। शासन ने निश्चित ही मेरी प्रगति के द्वार लेपटाॅप के माध्यम से खोले है अभी तक मुझे हर चीज कापियों में लिखनी पढ़ती थी निश्चित ही लेपटाॅप मिल जाने से उसकी बचत होगी और कही भी कभी भी लेपटाॅप खोलकर पढ़ सकूंगा। हितग्राही विपत सिंह अहिरवार नटेरन के उत्कृष्ट विद्यालय में 11वीं का छात्र है। हाथ नही होने के बाबजूद कृषि के क्षेत्र में लगाव होने के कारण विपत सिंह ने कृषि विषय को लेकर आगे की पढाई कर रहा है। हितग्राही का कहना है कि कृषि क्षेत्र में होने वाले परिवर्तन की जानकारी अपने गांव में लेपटाॅप के माध्यम से दूंगा। 

हजारो ने देखी योजनाओं की प्रदर्शनी  

शासकीय योजनाओं के प्रचार प्रसार और आमजनों को अवगत कराने के उद्वेश्य से जिले में हर संभव प्रयास किए जा रहे है जिसमें मुख्य रूप से योजनाओं पर आधारित साहित्य, फोल्डर, फीचर्स का वितरण शामिल है।महामाई मंदिर सिरोंज में चैत्र नवरात्रि के दौरान आने वाले श्रद्वालुगणों को शासकीय योजनाओं की जानकारी सुगमता से देने के उद्वेश्य से राज्य स्तरीय प्रदर्शनी जनसम्पर्क संचालनालय के द्वारा लगवाई गई थी। जिसका हजारों श्रद्वालुओं ने अवलोकन किया और शासकीय योजनाओं से लाभांवित होने वाले हितग्राहियोें की दिनचर्या से अभिविभूत हुए है।

प्रकोष्ठों का गठन

कलेक्टर श्री अनिल सुचारी के द्वारा दिए गए निर्देशो के अनुपालन में खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में आगामी ग्रीष्मकाल के दौरान किसी भी प्रकार की पेयजल संकट की स्थिति निर्मित ना हो इसके लिए पूर्व में किए जाने वाले प्रबंधों की व्यवस्थाएं सुनिश्चित कराई जाए। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के प्रभारी कार्यपालन यंत्री श्री गौरव सिंघई ने बताया कि जिला मुख्यालय के साथ-साथ खण्ड मुख्यालयों पर पेयजल सूखा राहत प्रकोष्ठों का गठन किया गया है। प्रकोष्ठों के संचालन और सूचनाओं की प्राप्ति के लिए अधिकारी, कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है। ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल संकट की सूचना प्राप्ति हेतु जिला मुख्यालय पर बनाए गए कंट्रोल रूम के प्रभारी श्री एमएल नेमा होंगे। जिनका मोबाइल नम्बर 9425684426 पर सूचित किया जा सकता है। इसी प्रकार विदिशा एवं नटेरन का संयुक्त कंट्रोल रूम लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी उपखण्ड विदिशा कार्यालय में बनाया गया है जिसका दूरभाष 07592-232838 है, ग्यारसपुर में बनाए गए प्रकोष्ठ का मोबाइल नम्बर 999834991 तथा बासौदा एवं कुरवाई के कंट्रेाल रूम का नम्बर 07594-221430 है। इसी प्रकार लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी उपखण्ड सिरोंज कार्यालय में सिरोंज एवं लटेरी की पेयजल समस्याओं की सूचना प्राप्ति हेतु बनाए गए कंट्रोल रूम का नम्बर 07591- 253036 है। संचालित प्रकोष्ठ (कंट्रोल रूम) प्रातः आठ बजे से रात्रि आठ बजे तक क्रियाशील रहेंगे। कंट्रोल रूम में प्राप्त होने वाली शिकायतों का निराकरण तीन दिवस के भीतर नही होने पर जिला मुख्यालय पर बनाए गए कंट्रोल रूम के दूरभाष क्रमांक 07592-250663 पर सूचित करने का आग्रह विभाग के अधिकारी द्वारा किया गया है। 

पंपो की कंट्रोल यूनिट मोबाइल  

कृषि विभाग द्वारा जिले के किसानों को सोलर पंपों का वितरण योजनाओं के तहत किया जा रहा है इन सभी पंपो का कंट्रोल अथवा चालू बंद करने का कार्य मोबाइल से कही से भी किया जा सकता है। बशर्ते नेटवर्क मिलना चाहिए। किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग के उप संचालक श्री पीके चैकसे ने बताया कि कंपनियों द्वारा जीपीएस सिस्टम के नए पंप लाॅच किए गए है। इनकी प्राप्ति के लिए किसान भाई आॅन लाइन आवेदन अभी भी कर सकते है। जिले में चार सौ किसानों के द्वार आॅन लाइन आवेदन दाखिल किए गए थे जिन्हें पंप मुहैया कराए जा चुके है। उप संचालक श्री चैकसे ने बताया कि पांच हार्स पाॅवर के पंप की कीमत साढे पांच लाख रूपए है जिसमें 85 प्रतिशत अनुदान हितग्राही को मिलेगा। इसी प्र्रकार तीन हाॅर्स पाॅवर पम्प की कुल लागत साढे तीन लाख रूपए है और अनुदान 90 प्रतिशत है। हितग्राही को सौ मीटर पाइप, पम्प सोलर सिस्टम सभी प्रदाय किए जाएंगे।

महावीर जयंती की बेला में श्रीहरि वृद्धाश्रम में मनाई विवाह की वर्षगांठ

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विदिषा 29 मार्च 2018/ जैन सोशल ग्रुप विदिशा द्वारा भगवान महावीर जयंती के पर्व को सेवा पर्व के रूप में मनाया जा रहा है। इसके अंतर्गत विभिन्न प्रकार की सेवा गतिविधियां जारी हैं। इसी श्रृंखला में श्रीहरि वृद्धाश्रम में भी बुजुर्गों को उपयोगी वस्तुएं प्रदान की तथा अल्पाहार कराया। इस अवसर पर जैन सोशल ग्रुप के संस्थापक अध्यक्ष वरिष्ठ समाजसेवी राकेश जैन के पुत्र प्रो.देवांश जैन और पुत्रवधू श्रीमती हर्षदा जैन ने अपने परिवार के सेवा संस्कारो से प्रेरित होकर राजधानी भोपाल से विदिषा आकर अपनी प्रथम वैवाहिक वर्षगांठ वृद्धाश्रम में बुजुर्गों के साथ मनाई। इस अवसर पर दंत चिकित्सक डॉ. पोरष जैन, डाॅ. अदम्य शक्ति निगम तथा डाॅ. नीरज शक्ति निगम ने सभी बुजुर्गों का दंत परीक्षण-निदान किया। इस अवसर पर डॉ नवीन शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार विनायक सोले, डॉ. के सी बागरेचा, राजेश जैन, प्रदीप जैन, मीनाक्षी जैन सारिका बड़कुल, विमल तारण, आशा तारण, राजीव लोचन ताम्रकार ज्योति लश्करी, अवनेश जैन, प्रकाश आदि विषेष रूप से उपस्थित रहे। इस अवसर पर वृद्धाश्रम की अध्यक्ष श्रीमती इन्दिरा शर्मा तथा वेदप्रकाश शर्मा सहित सभी बुजुर्गो ने नवदंपत्ती को शुभाशीर्वाद दिया। 

मधुबनी : सत्याग्रह से स्वच्छाग्रह कार्यक्रम की सफलता के लिए बैठक का आयोजन

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मधुबनी (आर्यावर्त डेस्क) 29, मार्च, 18,   जिला पदाधिकारी,मधुबनी की अध्यक्षता में गुरूवार को स्थानीय डी.आर.डी.ए. सभागार में “सत्याग्रह से स्वच्छाग्रह” कार्यक्रम की सफलता के लिए बैठक का आयोजन किया गया।  बैठक में उप विकास आयुक्त, अपर समाहत्र्ता, , निदेषक,डी.आर.डी.ए., , सिविल सर्जन मधुबनी, जिला पंचायती राज पदाधिकारी , नजारत उप समाहत्र्ता,, उप निर्वाचन पदाधिकारी सह जिला जनसंपर्क पदाधिकारी,, डी.पी.एम जीविका समेत सभी अनुमंडल पदाधिकारी,सभी प्रखंड विकास पदाधिकारी,सभी अंचल अधिकारी,प्रखंड परियोजना प्रबंधक(जीविका) समेत अन्य पदाधिकारीगण उपस्थित थे। जिला पदाधिकारी ने उपस्थित पदाधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि लोहिया स्वच्छ बिहार अभियान कार्यक्रम के अंतर्गत दिनांक 02 से 10 अप्रैल 2018 “सत्याग्रह से स्वच्छाग्रह” कार्यक्रम का आयोजन किया जाना है। उक्त कार्यक्रम का उद्देष्य खुले में शौच से मुक्त कराये जाने के साथ-साथ व्यक्तिगत शौचालय को बढ़ावा देते हुए स्वच्छता के सभी आयामों में आषातीत सफलता प्राप्त करना है। इस कार्यक्रम को सफल बनाने हेतु जिला स्तर पर कोषांग का गठन किया गया है। उन्होंने सभी प्रखंड विकास पदाधिकारी को प्रखंड स्तर पर डाटा इंट्री कोषांग का गठन करने का निदेष दिया। एवं डाटा इंट्री कार्य में तेजी लाने का भी निदेष दिया। उन्होने प्रति पंचायत 250 शौचालय निर्माण का लक्ष्य पूरा करने का निदेष दिया। जिला पदाधिकारी ने कहा कि राज्य के बाहर से लगभग 350 स्वच्छाग्रही जिले में दिनांक 02.04.18 को आयेगें और वे 08.04.18 तक विभिन्न पंचायतों एवं ग्रामों में जाकर लोगों के बीच स्वच्छता से संबंधित जागरूकता फैलाने का कार्य करेंगे। ये सभी 09.04.18 को मोतिहारी के लिए रवाना होंगे। राज्य के बाहर से आये हुए स्वच्छाग्रहियों के दल को आवष्यकतानुसार आवासन स्थल पर आवासन,भोजन,विद्युत की आपूर्ति,सुरक्षा इत्यादि उपलब्ध कराने का निदेष दिया। उन्होने बाहर से आये स्वच्छाग्रहियों के दल को आवसन स्थल से आवंटित ग्राम पंचायत/ग्राम में आवागमन हेतु प्रति प्रखंड 02 वाहन (08 स्वेच्छाग्राही के हिसाब से रखा गया है,ज्यादा संख्या होने पर वाहन की संख्या बढ़ाया जा सकता है) उपलब्ध कराने का निदेष दिया। इस कार्यक्रम में यथा रहने-खाने,वाहन एवं अन्य खर्च का वहन स्वच्छ भारत मिषन के आई.ई.सी. मद से करने का निदेष दिया गया। जिला पदाधिकारी द्वारा सभी प्रखंड विकास पदाधिकारी को निदेष दिया कि वे सभी विद्यालयों में स्वच्छता कार्यक्रम हेतु सभी षिक्षकों को सहभागिता सुनिष्चित करने का निदेष दिया गया। विद्यालयों के छात्र-छात्राओं को शौचालय का उपयोग हेतु प्रेरित करने एवं उनके द्वारा ग्राम स्तर पर शौचालय निर्माण का वातावरण तैयार करने में सहयोग लेने का निदेष दिया गया। विद्यालय स्तर पर अभिभावक-षिक्षक की बैठक कर सभी अभिभावक को खुले में शौच मुक्ति की दिषा में उत्प्रेरित करने का निदेष दिया गया। उन्होने सभी अनुमंडल पदाधिकारी को नल-जल के क्रियान्वयन की रैंडमली जांच करने का भी निदेष दिया।

दुमका : आम आदमी को राहत दिलाना ही मुख्य मकसद : विनोद कु0 लाल।

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  • नगर परिषद्  क्षेत्र में लगातार समस्याओं से जूझ रहे आम आदमी को राहत दिलाना ही मुख्य मकसद -उपाध्यक्ष पद प्रत्याशी विनोद कु0 लाल। 

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दुमका (अमरेन्द्र सुमन) नगर पालिका आम चुनाव 2018 में नगर परिषद् दुमका के निर्दलिय उपाध्यक्ष पद उम्मीदवार विनोद कुमार लाल ने डीजल पम्प मशीन चुनाव चिन्ह आवंटित किये जाने के बाद पत्रकार वार्ता आयोजित कर घोषणा पत्र जारी किया। घोषणा पत्र जारी करते हुए श्री लाल ने कहा कि दुमका नगर परिषद् क्षेत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार किसी से छुपा नहीं है। पिछले कार्यकाल में भ्रष्टाचार के विरुद्ध आवाज उठाने के कारण अविश्वास प्रस्ताव का दंश उन्हें झेलना पड़ा था। यह दिगर बात है कि विरोधी इसमें कामयाब नहीं हो सके और औंधे मुँह उन्हें खानी पड़ी। विरोधियों की चाल उल्टी पड़ गई। यह दिगर बात है कि उन्हें इसका कोई मलाल नहीं। विरोधियों से कोई जातीय दुश्मनी भी नहीं। सबके साथ समान व्यवहार उनके संस्कार में शामिल है। किसी से कोई गिला शिकवा नहीं। नगर परिषद् दुमका में व्याप्त भ्रष्टाचार से किन्तु काफी क्षुब्ध श्री लाल ने कहा उपाध्यक्ष के रुप में फिर से निर्वाचित होने के बाद उनकी सबसे प्रमुख प्राथमिकता नगर परिषद् में फैले भ्रष्टाचार से दुमकावासियों को राहत प्रदान करने का होगा। श्री लाल ने कहा यह बिडंबना ही है कि जिस नगर परिषद् के विकास के लिये करोड़ों रुपये आवंटित था, उसी नगर परिषद् से तकरीबन 20 करोड़ रुपया सरेण्डर करना पड़ा। नगर परिषद् के विकास मद में यदि इतनी बड़ी राशि का उपयोग ईमानदारी पूर्वक होता तो नगर परिषद् क्षेत्र की स्थिति आज कुछ और होती। नगर परिषद् के कार्यपालक पदाधिकारी व अन्य लोगों की वजह से इतनी बड़ी राशि वापस कर दी गई। 

नगर परिषद् दुमका के लिये निर्दलिय उपाध्यक्ष पद उम्मीदवार विनोद कुमार लाल ने कहा कि हर कोई जानता है कि शहर में पेयजलापूर्ति की भारी समस्या विद्यमान है। हिजला जलापूर्ति योजना खस्ताहाल में है। इस परियोजना का डीपीआर तैयार कर उसे जल्द से जल्द पूरा करने के लिये वे प्रतिबद्ध हैं। योजना बनाकर नगर परिषद् का विकास, नगर परिषद् अन्तर्गत तमाम विद्यालयों, अन्य शिक्षण संस्थानों, मंदिरों, मस्जिदों, व विभिन्न धार्मिक स्थलों में पेयजलापूर्ति की पर्याप्त सुविधा, खूँटा बाँध, बड़ा बाँध, रसीकपुर बड़ा बाँध, को रमणीक स्थलो के रुप में पहचान दिलाना, दुमका कोर्ट परिषर में नागरिक सुविधाओं की बहाली, शिकायत व सुझाव कोषांगों के माध्यम से आम जनता की समस्याओं के समाधान की दिशा मे बेहतर कदम उठाना, शहर की समस्याओं का त्वरित समाधान, स्ट्रीट लाईट से शहर को दुधिया रौशनी से जगमगाना, साफ-सफाई व स्वच्छता पर विशेष घ्यान देकर नागरिकांे को जागरुकर करना, सभी वार्डों के प्रबुद्ध तबकों यथा-प्रोफेसर, वकिल, समाज सेवी, अवकाश प्राप्त सैनिक, महिला, पुरोहित, मौलाना व पादरियों की समिति बनाकर उनके सुझावों पर गंभीरता के साथ काम करना, मवेशी हाट व साप्ताहिक हाट को हटाकर उक्त स्थलों पर खूबसूरत डेली मार्केट का निर्माण, सफाईकर्मियों के काॅलोनियों में हर तरह की सुविधाएँ, गरीबांे के लिये मेडिकेटेड नेट का वितरण करना ताकि मलेरिया व अन्य असाध्य बीमारियों से उन्हें बचाया जा सके के प्रति पूर्ण गंभीरता, सड़क दुर्घटनाओं में मारे गए युवाओं की समाधि स्थल का निर्माण, शहर के खिलाड़ियों को समय-समय पर नगर परिषद् की ओर से सम्मानित करना, प्रतिभावान खिलाड़ियों को प्रा्रेत्सहित करना, बूचड़खानों की शहर से बाहर व्यवस्था व कीमतों पर नियंत्रण तथा राज्य सरकार द्वारा बढ़ाए गए होल्डिंग टैक्स की राशि को यथायोग्य कम कराने के प्रति पूर्ण प्रतिबद्धता उनके एजेंडें में शामिल है। 

श्री लाल ने कहा जिन-जिन वार्डों में चुनावी भ्रमण वे कर रहे सर्वाधिक समस्या पेयजल, बिजली व अन्य समस्याओं से लोग उन्हें अवगत करा रहे हैं। कई महिलाओं ने खराब चापानलों की मरम्मती की समस्या से अवगत कराया। खुद के प्रयास से चैबीस ंघंटे के भीतर खराब पड़े चापानल से उन्हें निजात दिलाने का प्रयास किया। गर्मी के दिनों में सरुआ, दुधानी, केवटपाड़ा, डंगालपाड़ा इत्यादि मुहल्न्लों में पानी की भयावह समस्या उत्पन्न हो जाती है। पिछले 5 वर्षों के कार्यकाल में नगर परिषद् क्षेत्र के लिये उन्होंने जो भी कार्य किये जनता अच्छी तरह जानती है। मालूम हो प्रतिष्ठित संवेदक, समाजसेवी व नगर परिषद् दुमका के पूव्र उपाध्यक्ष विनोद कुमार लाल दुमका में कई बड़े खेल संगठनों के साथ-साथ सामाजिक संगठनों को समय-समय पर अपना बहुमूल्य समय और यथायोग्य सहायता प्रदान करते रहे हैं। शादी-विवाह, जन्म-मृत्यु, पूजा-अनुष्ठान, सामाजिक कार्यों में लगातार बढ़-चढ़ कर भाग लेने वाले विनोद कुमार लाल खूटा बाँध छठ पूजा समिति के अध्यक्ष भी हैं। प्रतिवर्ष व्यक्तिगत रुचि रखकर श्री लाल ने छठव्रतियों को अत्यधिक सुविधाएँ प्रदान करने का काम किया है। पूरे शहर में श्री लाल के विरुद्ध आम नागरिकांे का दिल से समर्थन व्यक्त किया जा रहा है। आने वाले समय में औरत-मर्द, युवा सभी श्री लाल के पक्ष में अपने-अपने मतों के इस्तेमाल का आश्वासन दे रहे हैं। देखना यह होगा कि भाजपा के टिकट पर लड़ रहे तथा अन्य कई विरोधी प्रत्याशियों को कितने बड़े अंतर से श्री लाल धूल चलाते हैं। 

’’राष्ट्रीय नदी गंगा समाधान शिखर सम्मेलन का समापन ’’

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’हमारी गंगा हमारा भविष्य’ : भारतीय वन्य जीव संस्थान द्वारा संचालित जैव विविधता संरक्षण एवं गंगा जीर्णोद्धार कार्यक्रम का शुभारम्भ ’गंगा रिवर इंस्टीटयूट’ की विधिवत घोषणा स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी द्वारा राष्ट्रीय नदी गंगा समाधान समिट के दूसरे दिन का शुभारम्भ शहरी विकास मंत्री उत्तराखण्ड राज्य श्री मदन कौशिक जी, पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, डाॅ साध्वी भगवती सरस्वती जी एवं अन्य विशिष्ट अतिथियों ने दीप प्रज्वलित कर किया गंगा के किनारे बसे तटीय पांच राज्यों के प्रतिनिधि, 80 से अधिक शहरों के प्रतिभागी, 150 से अधिक मेयर, प्रशासक, नगरपालिकाओं के अध्यक्ष, 70 से अधिक वक्ता, नवीन आविष्कारक, 30 पीÛ एचÛ ईÛ डीÛ वाटर इंजीनियर, 250 गंगा प्रहरी, नमामि गंगे के अधिकारी,  वाइल्ड लाइफ आॅफ इण्डिया के 150 प्रतिनिधियों, फिक्की के अधिकारी, उच्च प्रशासनिक अधिकारी, तकनीकी प्रशासक, गंगा मंत्रालय के अधिकारी एवं प्रतिनिधियों ने किया सहभाग

’’सरकार के ग्रैण्ड प्लान के साथ जनसमुदाय अपना ग्राउंड प्लान’ जोडे़ ’’, ’गंगा किताबों में नहीं हमारे हृदय में बहती रहे’-पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती, 

राज्य के माॅडल के आधार पर तकनीकी प्रयोग जरूरी- श्री मदन कौशिक

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ऋषिकेश, 11 मार्च। परमार्थ निकेतन में राष्ट्रीय नदी गंगा समाधान शिखर सम्मेलन का समापन और भारतीय वन्य जीव संस्थान द्वारा संचालित जैव विविधता संरक्षण एवं गंगा जीर्णोद्धार कार्यक्रम का शुभारम्भ शहरी विकास मंत्र उत्तराखण्ड सरकार श्री मदन कौशिक जी, पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, डाॅ साध्वी भगवती सरस्वती जी एवं अन्य विशिष्ट अतिथियों ने दीप प्रज्वलित कर किया। आज के कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री मदन कौशिक जी रहे, उन्होने सैंकड़ों की संख्या में उपस्थित गंगा प्रेमियों एवं गंगा प्रहरियों को सम्बोधित किया। पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने माननीय मंत्री श्री मदन कौशिक जी को रूद्राक्ष की माला, अंगवस्त्र तथा हरित भेंट सेव फल का पौधा भेंट कर स्वागत किया। यह एक ऐतिहासिक अवसर है जब गंगा के तट पर पहली बार गंगा के तटीय पांच राज्यों के प्रतिनिधि, 80 से अधिक शहरों के प्रतिभागी, 150 से अधिक मेयर, प्रशासक, नगरपालिकाओं के अध्यक्ष, 70 से अधिक वक्ता, नवीन आविष्कारक, 30 पी. एच. ई.डी.(वाटर इंजीनियर, 250 गंगा प्रहरी, वाइल्ड लाइफ आॅफ इण्डिया के 150 प्रतिनिधियों, फिक्की के अधिकारी, उच्च प्रशासनिक अधिकारी एवं तकनीकी विशेषज्ञ, परमार्थ निकेतन में राष्ट्रीय नदी गंगा की समस्याओं का जिक्र करने नहीं बल्कि समाधान निकालने के लिये एकत्र हुये है। आज केे प्रातःकालीन सत्र में भारतीय वन्य जीव संस्थान द्वारा संचालित जैव विविधता संरक्षण एवं गंगा जीर्णोद्धार कार्यक्रम के अन्तर्गत अपने-अपने क्षेत्र में गंगा की जैव विविधता के संरक्षण हेतु जागरूकता लाने हेतु सभी प्रतिभागियों को प्रेरित किया गया। यह कार्यशाला गंगा प्रहरियों एवं सभी प्रतिभागियों को कार्यक्रम के उद्देश्य के साथ गतिविधियों के प्रति अभिमुखीकरण करने का मंच प्रदान करेगी। तत्पश्चात सभी प्रतिभागियों ने गंगा के लिये बनायी जा रही भावी योजनाओं पर खुली चर्चा की और एक दूसरे के राज्यों में गंगा की वर्तमान स्थिति एवं गंगा संरक्षण हेतु चलाये जा रहे कार्यक्रम; उनके प्रभावों एवं भविष्य की रणनीति पर विचार मंथन हुआ। आज के कार्यक्रम के समन्वयक डाॅ एस. ए.हुसैन ने कार्यक्रम के विषय में विस्तृत जानकारी दी। डाॅ रूचि बडोला जी ने गंगा प्रहरी की संकल्पना, उनके कार्यो एवं जिम्मेदारियों के विषय जानकारी प्रदान की।

  तरल अपशिष्ट प्रबंधन का समाधान विषय पर विशेषज्ञोें ने अपने विचार व्यक्त किये। सभी प्रतिभागियों ने एक-एक कर स्थानीय समस्याओं को साझा किया, इस पर विशेषज्ञों ने समाधान दिये और फिर मिलकर भावी योजनायें बनायी गयी। मुस्कान ज्योति संस्था से आये प्रतिनिधियों ने ठोस अपशिष्ट प्रबन्धन एवं झारखण्ड से आये श्री अरविंद मिश्रा द्वारा जैव विविधता एवं सामुदायिक संरक्षण के संबंध में चर्चा की। आज के विशेष सत्र में हरित शवदाह ग्रह पर भी विचार मंथन किया गया। दोपहर के सत्र में समुदाय और काॅर्पोरेट सहभागिता और सौंदर्यीकरण विषय पर भारत के वन्य जीव संस्थान (डब्ल्यू आई आई) के साथ संयुक्त विचार मंथन हुआ। तत्पश्चात साॅलिड वेस्ट मैनेजमेंट पर विस्तृत चर्चा और समाधान सत्र का आयोजन किया गया। चर्चा के पश्चात सभी ने अपनी-अपनी प्रस्तुतियां प्रस्तुत की। पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा, इस समागम का लक्ष्य है, ’’आप सभी अपने टाइम, टैलेंट, टेक्नोलाॅजी एवं टेनासिटी के साथ माँ गंगा के लिये कार्य करे। आज समय है जब हम गंगा के लिये कुछ कर सकते है नहीं तो भविष्य में हमें सरस्वती नदी थी की तरह गंगा नदी थी कहना और पुस्तकों में पढ़ना पड़ सकता है। उन्होने कहा कि ’गंगा किताबों में नहीं हमारे हृदय में बहती रहे’। भगीरथ को याद करते हुये कहा, भगीरथ की तपस्या अत्यंत कठोर थी उसकी तरह नहीं पर थोड़ा प्रयास तो जरूरी है। भगीरथ ने कभी सेल्फी नहीं ली बल्कि सेल्फ (खुद) को लगा दिया और कठोर तपस्या की। हम भी ’सेल्फी तक सीमित न रहे अपने सेल्फ को भी जोड़े’।पूज्य स्वामी जी ने कहा कि ’सरकार के ग्रैण्ड प्लान के साथ जनसमुदाय अपना ग्राउंड प्लान’ जोडे तो बेहतर परिणाम प्राप्त होंगे।’

शहरी विकास मंत्री श्री मदन कौशिक जी, सभी गंगा पहरी और गंगा प्रेमियों का गंगा प्रति समर्पण, प्रेम, आस्था और मन के भावों को देखकर प्रसन्न हो उठे उन्होने कहा कि हमने पूज्य स्वामी जी से निवेदन किया की मई माह में हम दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन देहरादून में करेंगे उसमें इस कार्यशाला के मंथन के पश्चात जो भी तकनीकी उत्तराखण्ड के लिये बेहतर सिद्ध होती है उसे लागु किया जायेगा। मंत्री जी ने राज्य के माॅडल के आधार पर तकनीकी के प्रयोग पर जोर दिया। उन्होने कहा कि प्रत्येक स्थान की अलग-अलग समस्यायें होती है तो तकनीकी समाधान भी उस परिस्थिति के अनुसार होने चाहियें। उन्होने कहा कि गंगा के लिये कार्य तो वर्षो से चल रहे है परन्तु विगत चार-पांच वर्षो में विलक्षण परिणाम देखने को मिले है। माननीय मंत्री जी गंगा स्वच्छता में युुवाओं की भागीदारी को देखकर अत्यंत प्रसन्न हुये और कहा कि सरकारी कार्यो से गंगा निर्मल और अविरल नही हो सकती उसके लिये जनभागीदारी नितांत अवश्यक है। श्री कौशिक जी ने साॅलिड वेस्ट मेनेजमेंट हेतुु भी राज्य व स्थान के अनुसार समाधान निकालने पर जोर दिया उन्होने कहा कि एक जैसी तकनीकी को हर जगह लागु करने पर बेहतर परिणाम नहीं प्राप्त किये जा सकेते। उन्होने कहा कि हरिद्वार शहर में 87 प्रतिशत सीवेज सुचारू रूप से कार्य कर रहे है और शीघ्र ही हम बाकी बचे 13 प्रतिशत सीवेज को शुरूकर सौ प्रतिशत सीवेज सुचारू रूप से कार्य करने वाला शहर बना देंगे। माननीय मंत्री जी ने इस कार्यशाला के आयोजन हेतु पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज को धन्यवाद देते हुये कहा की आप पूरे विश्व के लिये कार्य करते है मेरा निवेदन है कि आप तीन से चार महिने केवल उत्तराखण्ड के लिये कार्य करे, हमारा मार्गदर्शन करे तो हम उत्तराखण्ड को एक माॅडल राज्य के रूप में स्थापित कर सकते है।

वाइल्ड लाइफ आॅफ इण्डिया के डाॅ राजीव चैहान जी ने जैव विविधता संरक्षण एवं गंगा के जीर्णोंद्धार के लिये चलाये जा रहे अभियान के विषय में जानकारी देते हुये कहा कि ’यह परियोजना विज्ञान आधारित जलीय जीवों के बहाली की योजना है। गंगा और अन्य नदियों में रहने वाले जीव यथा डाल्फिन, कछुये और घडियाल नदी के जल को स्वच्छ रखने मंे महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते है लेकिन नदियों में बढ़ता प्रदूषण जलीय जीवों के जीवन को संकटग्रस्त बनाता जा रहा है। अतः वाइल्ड लाइफ आॅफ इण्डिया द्वारा छः घटकों में परियोजनायें चलायी जा रही है जिसके अन्तर्गत समुदाय को जोड़कर उन्हे जलीय जीवों के संरक्षण की प्रेरणा दी जाती है। वक्ताओं ने गंगा की स्वच्छता, संरक्षण एवं जैवविविधता के संरक्षण के विषय में जानकारी प्रदान की। इस अवसर पर पांच राज्यों से 500 से अधिक संख्या में आये प्रतिभागियों ने गंगा नदी की वर्तमान स्थिति, विभिन्न राज्यों में गंगा संरक्षण हेतु चलाये जा रहे कार्यक्रमांे की जानकारी और भविष्य की रणनीति पर विचार मंथन किया गया। पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज, शहरी विकास मंत्री श्री मदन कौशिक जी के साथ सभी विशिष्ट अतिथियों ने नदियों की स्वच्छता एवं स्वच्छ जल की आपूति हेतु वाटर ब्लेसिंग सेरेमनी की। स्वामी जी महाराज ने नदियों को स्वच्छ रखने और तटों पर वृक्षारोपण का संकल्प कराया। पांच राज्यों से आयें प्रतिभागियों ने कहा कि पहली बार चरणबद्ध तरीके  से हमारी समस्याओं को सुना गया और समस्या के अनुसार हमें समाधान दिया। वे सभी यहा की गंगा जी, स्वच्छ जल एवं तटों की स्वच्छता देखकर आश्चर्य चकित थे उन्होने कहा कि गंगा के सभी तटों को इस  प्रकार स्वच्छ रखने का प्रयास करेंगे। प्रतिभागी सायंकालीन परमार्थ गंगा से भी अत्यंत प्रभावित हुये और कहा कि वास्तव में परमार्थ गंगा तट की आरती हमें दैवीय स्नान का आनन्द देती है हम दो दिनों से अनुभव कर रहे मानों हम स्वर्ग में है। उन्होने कहा कि ऐसी निर्मल गंगा सभी तक पहुंचे।

मधुबनी : मांगो के समर्थन में कार्यपालक सहायकों निकाला विरोध मार्च

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  • -कार्यपालक सहायकों का हड़ताल चौथे दिन भी जारी 
  • -प्रधान सचिव एवं डीएम द्वारा हटाने जाने का निर्गत पत्र को जलाकर किया विरोध प्रदर्शन
  • -हड़ताल पर जाने से सभी विभागों में कम्प्यूटर  संबंधित कामकाज ठप

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मधुबनी।आज दिनांक 29.03.18 को कार्यपालक सहायक संघ इकाई मधुबनी के सदस्यों ने अपने सात सूत्री मांगों के समर्थन में राज्यव्यापी हड़ताल का चौंथे दिन भी जारी रहा। सरकार की गलत मंशा एवं गलत नीति के विरोध में गुरुवार को शहर में विरोध मार्च निकाला। प्रधान सचिव सामान्य प्रशासन विभाग सह बिहार प्रशासनिक सुधार मिशन एवं डीएम द्वारा हड़ताली कार्यपालक सहायक को 48 घंटे में काम पर वापस लौटने एवं नहीं आने पर संविदा मुक्त करने से संबंधित धमकी भरा पत्र को जलाकर विरोध प्रदर्शन किया। वक्ताओं ने कहा कि मांगे पूरी नहीं होने तक बेमियादी हड़ताल जारी रहेगा। विभाग की धमकी से संघ डरने वाला नहीं है। समाहरणालय के समक्ष अम्बेदकर  प्रतिमा  परिसर में जिले के सभी कार्यपालक सहायकों ने सेवा स्थायी एवं वेतनमान, समायोजन, मानदेय विषमता, हटाये गये कार्यपालक सहायक को वरीयता के आधार पर पुनर्नियोजन एवं अनुभव की मान्यता सहित सात सूत्री मांगों के साथ सरकार द्वारा कार्यपालक सहायकों को तुष्टिकरण रवैया रखने के कार्यपालक सहायकों  धरना प्रदर्शन किया। 

जिला अध्यक्ष उपेन्द्र प्रसाद सिंह ने कहा कि जिला पदाधिकारी द्वारा संविदा मुक्त पत्र के माध्यम से कहा गया कि कार्यपालक सहायकों के हड़ताल पर रहने के कारण कार्यालय कार्य पूर्णतः ठप हो गया है। आम जनों को काफी परेशानी हो रही है। स्पष्ट है, कि कार्यपालक सहायक के कार्यो का ही परिणाम है, कि आज हमारी हड़ताल से सरकार का महत्वपूर्ण कार्य प्रभावित हो गया है। इस संबंध में बताया गया कि पूर्व में कई बार संघ के माध्यम से हम अपने मांगों के लिए सरकार से अनुरोध कर चुके है, 19 फरवरी  को विवश होकर कार्यपालक सहायकों ने हडताल करने का निर्णय लिया था। जिसे आम जन के कठिनाई एवं बिहार प्रशासनिक सुधार मिशन के आश्वसन पर हमलोगों ने हड़ताल वापस ले लिया। इस बार दिनांक 15 मार्च को शाषी परिषद के बैठक में मानदेय विषमता के संबंध में बिहार प्रशासनिक मिशन के तीन पदों में सिर्फ कार्यपालक सहायक के परीक्षा का प्रस्ताव रखा गया। बांकि दो पद (आई मैनेजर एवं आईटी सहायक) को बिना परीक्षा लिए मानदेय बढ़ोतरी की गयी, जो कि बीपीएसएम पदाधिकारी के गलत मंशा को दृष्टिगत करता है एवं कार्यपालक सहायकों को बार-बार ठगने का प्रयास किया जा रहा है। इस निर्णय से मधुबनी जिला सहित पूरे बिहार में कार्यपालक सहायकों में आक्रोश व्याप्त है और जब तक हमारी मांगों को सरकार नहीं मानती है, तो हड़ताल में रहते हुए आंदोलन को और भी तेज किया जाएगा। 
बिहार राज्य अरापत्रित कर्मचारी महासंघ, मधुबनी के जिला मंत्री गणपत झा एवं सहायक जिला मंत्री रमण प्रसाद सिंह ने कहा कि आम जन एवं सरकार के लिए दिन रात एक कर काम रहे कार्यपालक सहायक का  शौक नहीं कि इतनी तेज धूप में धरना प्रदर्शन एवं आंदोलन करे। सरकार के तानाशाही के कारण आज सभी सड़क पर आने को विवश है। श्री झा ने कहा कि कार्यपालक सहायक स्नातक है, कम्प्यूटर की दक्षता रखते है। कार्यालय अबधि में लगातार इनसे कार्यालय समय से देर रात तक तक काम कराया जाता है, ऐसी परिस्थिति में मानदेय वृद्धि में परीक्षा का कोई औचित्य ही नहीं बनता है। कार्यपालक सहायक का मानदेय 11000 दिया जाता है, जिसमें बढ़ती महंगाई के दौर में कार्यपालक मूल भूत आवश्यकताओं की पूर्ति करना भी दूर्लभ हो गया है। सरकार के संपूर्ण महत्वकांक्षी योजना जैसे - लोक सेवाओं का अधिकार, लोक शिकायत निवारण, स्वच्छ भारत मिशन, आवास योजना, बिजली, मनरेगा, आपूर्ति, बाल विकास परियोजना, कृषि, रजिस्ट्री, थाना सहित जिला से प्रखंड तक कार्यालय सभी कार्य प्रभावित है। यदि सरकार हमारी सेवा स्थायीकरण एवं मानदेय विषमता सहित सात सूत्री मांगों को नहीं मानती है तो मधुबनी सहित पूरे बिहार में आंदोलन को और भी तेज किया जाएगा। 
विरोध प्रदर्शन एवं धरना स्थल पर संजीत कुमार, सत्यजीत ठाकुर, राजन ठाकुर, पारस ठाकुर, नीरज कुमार, अखिलेश कुमार, फकीर कुमार मंडल, राम उदगार राम, जय प्रकाश यादव, नरेन्द्र झा, सचिन कुमार, मनीषा कुमारी, प्रीति कुमारी, ममता कुमारी, निशा कुमारी, स्नेहा कुमारी, नूतन कुमारी,  अजीत कुमार मंडल, बौआजी पासवान, मो0 मजहर खाॅ, राजीव कुमार झा, ललन चैरसिया, अनिल अंसुमन, सुमन कुमार, गोपाल  चंद्र शशि, सचिन कुमार, कमलेश रंजन, बब्लू ठाकुर, प्रदीप कुमार राय, सुशांत कुमार, अनिल कुमार, विक्रम कुमार, अजीत कुमार, अजय कुमार, राकेश कुमार मौजूद थे।

आयकर विभाग ने कर न चुकाने वाले 24 के नाम सार्वजनिक किए

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नयी दिल्ली, 29 मार्च, आयकर विभाग ने कर नहीं चुकाने वालेऐेसे 24 व्यक्तियों और इकाइयों की सूचना जारी की है जो या तो फरार हैं या जिन्होंने धन सम्पत्ति के अभाव में कर चुका पाने में असमर्थता प्रकट की है। इन पर लगभग490 करोड़ रुपये का कर बकाया है।  विभाग ने चूककर्ताओं को लज्जित करने की नीति के तहत प्रमुख राष्ट्रीय अखबारों में विज्ञापन देकर उनके नाम सार्वजनिक किये हैं। दिल्ली में प्रधान आयकर महानिदेशक की तरफ सेप्रकाशित नोटिस में उनको तत्काल बकाया कर के भुगतान की सलाह दी गयी है। इस सार्वजनिक घोषणा में कंपनी या व्यक्ति की पहचान, कंपनी के निदेशकों और उनके भागीदारी, कंपनी के गठन की तारीख( व्यक्तियों के संदर्भ में जन्म तिथि), उनके स्थायी खाता संख्या या कर कटौती खाता संख्या( टीएएन), उनके रिकार्ड में दर्ज पते, बकाया कर, आकलन वर्ष तथा संबंधित आयकर प्राधिकरण के अधिकार क्षेत्र का जिक्र किया गया है। ये चूककर्ता कंपनियां खाद्य प्रसंस्करण, सर्राफा कारोबार, साफ्टवेयर, रीयल एस्टेट और इनगॉट विनिर्माता आदि से जुड़ी हैं। सर्वाधिक86.27 करोड़ रुपये का बकाया दिल्ली की कंपनी मेसर्स स्टाक गुरू और उसकी भागीदार लोकेश्वर देव पर है। नोटिस में कहा गया है कि चूककर्ता का कोई पता नहीं है और कर भुगतान के लिये संपत्ति भी अपर्याप्त है।  इन कंपनियों पर बकाया आकलन वर्ष2009-10 और2010-11 के हैं। सूची में शामिल कुछ चूककर्ताओं ने आकलन वर्ष1989-90 के लिये कर का भुगतान नहीं किया। कोलकाता के अर्जुन सोनकर के ऊपर51.37 करोड़ रुपये का बकाया है और उसका भी कोई पता नहीं है। उसके बाद कोलकाता के ही किशन शर्मा का नाम है जिनपर47.52 करोड़ रुपये का बकाया है। कुल24 इकाइयों पर कर बकाया है। ये इकाइयां अहमदाबाद, गुवाहाटी, विजयवाड़ा, नासिक, सूरत, दिल्ली, वडोराा, कोलकाता तथा अन्य शहरों के हैं। इन सभी पर कुल मिलाकर490 करोड़ रुपये का कर बकाया है। आयकर विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सार्वजनिक सूची का मकसद लोगों को इस बारे में जानकारी देना है ताकि अगर उनके पास कोई सूचना है तो वे इन चूककर्ताओं को पकड़ने में विभाग की मदद कर सके।

भारत-पाक ने स्थायी सिंधु आयोग की बैठक की

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नयी दिल्ली, 29 मार्च, भारत और पाकिस्तान ने आज यहां स्थायी सिंधु आयोग की बैठक की और सिंधु जल संधि के तहत कई मुद्दों पर चर्चा की। सूत्रों ने आज कहा कि स्थायी सिंधु आयोग की114 वीं बैठक कल भी जारी रहेगी और इस दौरान भारत की कुछ पनबिजली परियोजनाओं के डिजायन पर पाकिस्तान की आपत्ति तथा संधि के तहत अन्य मुद्दों पर चर्चा हो सकती है। भारत कहता आया है कि इन परियोजनाओं का डिजाइन दोनों देशो के बीच1960 में हस्ताक्षरित संधि के अनुकूल ही है। वार्ता में भारतीय शिष्टमंडल के सदस्य सिंधु जल आयुक्त पी के सक्सेना, विदेश मंत्रालय का एक प्रतिनिधि और तकनीकी विशेषज्ञ शामिल हुए। बैठक में पाकिस्तान के छह सदस्यीय शिष्टमंडल का नेतृत्व सैयद मुहम्मद मेहर अली शाह ने किया।  यह बैठक राजनयिकों के कथित उत्पीड़न सहित विभिन्न मुद्दों को लेकर दोनों देशों के बीच जारी तनाव की पृष्ठभूमि में हो रही है। स्थायी सिंधु आयोग मूलत: सिंधु जल संधि के तहत स्थापित एक व्यवस्था है जिसके तहत जल वितरण समझौते के कार्यान्वयन के लिए सहयोगात्मक व्यवस्था करना और उसे बनाए रखना तथा सिंधु जल प्रणालियों के विकास में दोनों पक्षों के बीच सहयोग को आगे बढ़ाना शामिल है। एक सूत्र ने कहा कि दोनों पक्षों ने नियमित एवं प्रशासनिक मुद्दों पर चर्चा की और बाढ डेटा सहित अन्य जानकारियां साझा कीं। परियोजनाओं से संबंधित मुद्दों पर कल चर्चा हो सकती है। पाकिस्तान ने चिनाब के बेसिन में स्थित भारत की रातले(850 मेगावाट), पाकल दुल(1000 मेगावाट) और लोअर कलनाई(48 मेगावाट) परियोजनाओं को लेकर चिंता जाहिर की है। उसका तर्क है कि इन परियोजनाओं से सिंधु जल संधि का उल्लंघन होता है। सिंधु जल संधि के तहत छह नदियों... व्यास, रावी, सतलुज, सिंधु, चिनाब और झेलम के पानी का बंटवारा और बंटवारे संबंधी अधिकार आते हैं। स्थायी सिंधु आयोग की अंतिम बैठक मार्च2017 में इस्लामाबाद में हुई थी। संधि के अनुसार, स्थायी सिंधु आयोग की बैठक साल में कम से कम एक बार जरूर होती है। यह बैठक क्रमश: भारत में और फिर पाकिस्तान में, एक के बाद एक होती है।

बिहार : सांप्रदायिक हिंसा मामलों में 50 गिरफ्तार

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समस्तीपुर/बिहारशरीफ, 29 मार्च, बिहार के नालंदा और समस्तीपुर जिले में पिछले दो दिनों के दौरान दो समुदाय के बीच झडप मामलों में भाजपा के दो कार्यकर्ताओं सहित 50 लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। समस्तीपुर जिला के रोसडा बाजार में गत 27 मार्च को चैती दुर्गा पूजा के अवसर पर दो समुदाय के बीच विवाद के बाद पथराव और आगजनी में तीन मोटरसाइकिल जलकर खाक हो गयी। समस्तीपुर के पुलिस अधीक्षक दीपक रंजन ने बताया कि सीसीटीवी फुटेज के आधार पर शरारती तत्वों की पहचान की जा रही है। अब तक 11 लोगों को पूछताछ के लिए थाना लाया गया है। इसमें दो भाजपा के स्थानीय नेता हैं। पूछताछ के लिए थाना लाये गये लोगों का नाम नहीं बताया गया है। रोसडा बाजार में किसी के प्रवेश रोक लगा दिया गया है । मां दुर्गा की प्रतिमा के विसर्जन करने को ले जा रहे प्रतिमा पर एक समुदाय के कुछ शरारती तत्वों द्वारा चप्पल फेंकने के बाद दूसरे समुदाय के लोगों ने रोसडा बाजार स्थित एक समुदाय के धर्मस्थल मस्जिद पर पथराव किया तथा तीन मोटरसाइकिल में आग लगा दी। घटना की सूचना मिलने पर ​स्थिति को नियंत्रित करने के लिए वहां पहुंचे दलसिंहसराय अनुमंडल पुलिस अधिकारी संतोष कुमार और समस्तीपुर नगर इंस्पेक्टर चतुर्वेदी सुधीर कुमार पथराव की चपेट आकर जख्मी हो गये। हालात पर काबू पाने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा। दरभंगा प्रमंडल के आयुक्त, पुलिस महानिरीक्षक, उपमहानिरीक्षक और समस्तीपुर के जिलाधिकारी प्रणव कुमार ने अतिरिक्त बल के साथ घटनास्थल पहुंचकर हालात को काबू में किया। जिलाधिकारी प्रणव कुमार ने बताया कि स्थिति नियंत्रण को अब नियंत्रण में बताते हुए कहा कि पुलिस गश्त जारी है। पूरे रोसडा शहर में धारा 144 लगा दी गयी है और पूरे जिला में इंटरनेट सेवा बंद कर दी गयी है। नालंदा जिला के सिलाव में कल हुए हिंसक झड़प के बाद पुलिस ने अब तक 36 लोगों को गिरफ्तार किया है जिनमें 2 महिलाएं शामिल हैं। गत बुधवार को रामनवमी जुलूस के दौरान रास्ते को लेकर उत्पन्न विवाद के दौरान बाद दो पक्षों में हिंसक झड़प में दोनों ओर से किए गए पथराव में पुलिसकर्मी समेत दो दर्जन से अधिक लोग जख्मी हो गये थे। पुलिस अधीक्षक सुधीर कुमार पोरिका ने बताया कि इस मामले में सिलाव थाना में प्राथमिकी भी दर्ज करायी गयी है जिसमें 74 नामजद अभियुक्त बनाये गये हैं जबकि 1700 अज्ञात के विरूद्ध प्राथमिकी दर्ज की गयी है। इस मामले में गिरफ्तार किए गए सभी लोगों को पुलिस ने जेल भेज दिया है।

शेर कितना भी भूखा हो, शेर ही रहेगा : अखिलेश

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मैनपुरी, (उप्र), 29 मार्च, समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने विधान परिषद में सपा-बसपा गठबंधन को लेकर ‘सर्कस के शेर’ सम्बन्धी टिप्पणी करने वाले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को जवाब देते हुए कहा कि शेर चाहे कितना भी भूखा हो, वह शेर ही रहेगा। अखिलेश ने यहां संवाददाताओं से बातचीत में प्रदेश की भाजपा सरकार द्वारा राज्य के सरकारी दस्तावेजों में बाबा साहब का नाम भीमराव अम्बेडकर की जगह ‘भीमराव रामजी आंबेडकर’ किये जाने के बारे में कहा, ‘‘अब यह जरूरी हो गया है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ संविधान की कुछ पंक्तियां पढ़ लें।’’  उन्होंने कहा, ‘‘अगर पढ़ लेंगे तो वह सदन में यह भी नहीं कहेंगे कि शेर भूखा है, वह दूसरे का खाना खाता है..... शेर कितना भी भूखा हो, वह शेर ही रहेगा।’’  पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि योगी अगर संविधान पढ़ लेंगे तो शायद सदन में समाजवाद को लेकर दिखने वाली उनकी नाराजगी नहीं दिखायी देगी। मालूम हो कि मुख्यमंत्री योगी ने कल विधान परिषद में वर्ष 2018-19 के बजट पर चर्चा के दौरान सपा-बसपा के गठजोड़ पर कटाक्ष करते हुए किसी का नाम लिये बगैर कहा था कि कुछ लोग आजकल सर्कस के शेर हो गये हैं। सर्कस का शेर शिकार करने में असमर्थ होता है, इसलिये दूसरों की जूठन पर ही अपनी पीठ थपथपाता और गौरवान्वित होने की कोशिश करता है। उन्होंने कहा था कि वह इसलिये गौरवान्वित होता है क्योंकि उसे लगता है कि उसे कोई शिकार मिल गया है, तो सर्कस का शेर बनने के बजाय खुद पर और अपने स्वाभिमान पर विश्वास करें तो बहुत अच्छी बात होगी। योगी ने समाजवाद को भी ‘धोखा‘ और ‘मृगतृष्णा‘ बताते हुए उसे फासीवाद और नाजीवाद से जोड़ा था। इसके बाद, सपा प्रमुख अखिलेश ने इस पर किये गये ‘ट्वीट‘ में कहा था कि संविधान की उद्देशिका में ‘समाजवादी’ शब्द संविधान की मूल भावना के रूप में दर्ज है। मुख्यमंत्री का समाजवाद को ‘झूठा, समाप्त और धोखा’ कहना संविधान की अवमानना का गम्भीर मुद्दा है, इसके लिये उन्हें देश से माफी मांगनी चाहिये और एक सच्चे योगी की तरह पद त्याग देना चाहिये।
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