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12वीं का अर्थशास्त्र प्रश्नपत्र 25 अप्रैल को,दसवीं पर फैसला 15 दिन में

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नयी दिल्ली, 30 मार्च, केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) की 12वीं कक्षा का लीक हुआ अर्थशास्त्र का प्रश्नपत्र अब 25 अप्रैल को देश भर में होगा। दसवीं के गणित के प्रश्नपत्र के लीक होने की जांच की जा रही है और पुष्टि होने पर यह परीक्षा केवल दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और हरियाणा में किसी दिन जुलाई में करायी जायेगी। शिक्षा सचिव अनिल स्वरूप ने आज यहां संवाददाताओं को बताया कि 12वीं के अर्थशास्त्र के प्रश्नपद्ध के लीक होने की पुष्टि हुई है और छात्रों के भविष्य में विभिन्न संस्थानों में प्रवेश से संबंधित मामलों को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है कि बारहवीं का अर्थशास्त्र पूरे देश में 25 अप्रैल को दोबारा होगा। यह कदम छात्रों के हितों को देखते हुए उठाया गया है। उन्होंने कहा कि देश के बाहर यह प्रश्नप्रत्र लीक नहीं हुआ है, इसलिए वहां यह परीक्षा दोबारा नहीं होगी। साथ ही उन्होंने कहा कि इससे 12 वीं के परिणाम में किसी तरह की देरी नहीं होगी। उन्होंने कहा कि दसवीं के गणित के प्रश्नपत्र के दिल्ली एनसीआर और हरियाणा में लीक होने की प्रारंभिक जानकारी मिली है। देश या विदेश में और कहीं इसके लीक होने की बात पता नहीं चली है। उन्होंने कहा कि साक्ष्यों तथा परिस्थितियों के आधार पर इसकी जांच की जा रही है और लीक की पुष्टि होने पर यह परीक्षा केवल दिल्ली एनसीआर तथा हरियाणा में जुलाई में आयोजित की जायेगी और जरूरत हुई तो 15 दिन में इसकी तिथि की घोषणा कर दी जायेगी। दसवीं के परिणाम में देरी के बारे में उन्होंने कहा कि परीक्षा की तारीख के समय ही इससे जुड़ी सभी बातों की घोषणा की जायेगी। सीबीएसई ने गत 28 मार्च को 12वीं और 10वीं का प्रश्नपत्र लीक होने की घटना का संज्ञान लेते हुए इनकी परीक्षा दोबारा आयोजित करने की घोषणा की थी।

देश की स्मृद्धि के लिए नवाचार जरूरी: प्रधानमंत्री मोदी

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नयी दिल्ली 30 मार्च, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नवाचार को दुनिया के समक्ष सभी चुनौतियों का समाधान बताते हुए आज कहा कि इससे देश की स्मृद्धि का मार्ग भी प्रशस्त होता है,  श्री मोदी ने देश भर में 28 केन्द्रों पर हो रही स्मार्ट इंडिया हैकेथान को वीडियो कांफ्रेन्स के जरिये संबोधित करते हुए कहा,‘‘नवाचार में दुनिया के समक्ष मौजूद चुनौतियों से निपटने की शक्ति है। ” उन्होंने कहा कि हमें नये तरीके ढूंढने चाहिए , फिर उनका पेटेंट करायें , इसके उत्पादन और उपलब्धता को आसान बनायें और इसे लोगों तक ले जायें। इस मार्ग पर चल कर देश को स्मृद्ध बनाया जा सकता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि छात्रों में नया करने की सोच ज्यादा होती है और इस तरह की सोच से अनुसंधान की इच्छा जाग्रत होती है।  प्रधानमंत्री ने कहा कि नवाचार एक शब्द मात्र नहीं है और न ही किसी खास मौके या घटना तक सीमित है। यह निरंतर चलने वाली पक्रिया है। जिज्ञासा नवाचार का महत्वपूर्ण पहलू है । उन्होंने छात्रों से कहा कि वे सवाल पूछने से कभी न हिचकिचायें। उन्होंने कहा कि किस देश में कितना नवाचार हुआ है यह उसकी स्मृद्धि को आंकने का पैमाना है।  उन्होंने कहा कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद उन देशों ने ज्यादा तरक्की की जिन्होंने उच्च शिक्षा पर ज्यादा जोर दिया।  इसे ध्यान में रखते हुए सरकार उच्च शिक्षण संस्थानों को अधिक से अधिक स्वायत्ता दे रही है और इस दिशा में आगे बढते हुए उत्कृष्ट संस्थान बनाये जाने का काम किया जा रहा है।

मधुबनी : जयनगर पुलिस ने भारी मात्रा में नेपाली शराब के साथ एक को पकड़ा

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जयनगर/मधुबनी (सुरेश कुमार गुप्ता)जिले के जयन vगर पुलिस ने गुप्त सुचना पर पटनागद्दी चौक से उत्तर रेलवे की यूटाइप सड़क के निकट भारी मात्रा में नेपाली शराब के साथ कारोबारी को पकड़ा। डीएसपी सुमित कुमार ने बताया कि आरोपी नेपाल के रामबाबू यादव व गणेश यादव के भट्टी से पीले रंग के बोरे में  तीन सौ एम एल के 1000 बोतल नेपाली देशी शराब को लाया। तथा इसे चार चक्के वाहन से बाहर भेजने की तैयारी में था। पुलिस को गुप्त सुचना मिली तथा एसआई रामचंद्र चौपाल व एएसआई रामप्रीत यादव के नेतृत्व में छापेमारी दल ने करीब 12 बोरे में रखे 1 हजार नेपाली देशी शराब के साथ एक कारोबारी को पकड़ा। हालांकि अन्य कारोबारी सहायक पुलिस की भनक लगते ही फरार हो गया। गिरफ्तार शराब कारोबारी देवधा थाना क्षेत्र के इनरवा निवासी बिहारी सदाय बताया गया है। डीएसपी ने बताया कि अनुसंधान में अन्य फरार कारोबारी के विरुद्ध भी कारवाई व गिरफ्तारी होगी। मौके पर थानाध्यक्ष उमाशंकर राय,एएसआई माया शंकर, एसआई, आरसी चौपाल, पिताम्बर चौधरी समेत अन्य पुलिस कर्मी मौजूद थे।

सिद्धरमैया का समय पूरा हो चुका है : अमित शाह

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मैसुरू, 30 मार्च, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया के गढ़ मैसुरू में आज कहा कि उनका‘‘ समय’’ पूरा हो चुका है और अगर उन्हें लगता है कि वे भाजपा एवं आरएसएस के कार्यकर्ताओं के खिलाफ हिंसा का इस्तेमाल कर भगवा विचारधारा को फैलने से रोक सकते हैं, तो वह गलतफहमी में हैं। शाह ने विधानसभा चुनाव से पहले आज कर्नाटक के दौरे के चौथे चरण की शुरूआत की। उन्होंने आज पुराने मैसूर क्षेत्र से अपने दौरे की शुरुआत करते हुए कहा कि12 मई को होने वाले प्रदेश विधानसभा चुनाव में क्षेत्र से सिद्धरमैया और जनता दल सेक्यूलर( जेडीएस) को पुराने मैसूर क्षेत्र से‘‘ अपनी जिंदगी का सबसे बड़ा सदमा’’ लगेगा। भाजपा की‘ नव शक्ति समावेश’ रैली को संबोधित करते हुए शाह ने यहां कहा, ‘‘ कहा जाता है कि भाजपा यहां( पुराने मैसूर क्षेत्र में) थोड़ी कमजोर है, लेकिन पार्टी कार्यकर्ताओं का काम देखने के बाद मुझे उम्मीद है कि सिद्धरमैया जी और जेडीएस को इस( पुराने) मैसूर क्षेत्र से अपनी जिंदगी का सबसे बड़ा सदमा लगेगा।’’  पिछले चुनाव में भाजपा एक भी सीट नहीं जीत सकी थी। अपनी दो दिवसीय यात्रा के दौरान शाह मैसूर, चामराजनगर, मांड्या और रामनगर जिलों का दौरा करने वाले हैं। वोक्कालिगा समुदाय का प्रभाव क्षेत्र माने जाने वाले इन चार जिलों की कुल26 विधानसभा सीटों में से भाजपा2013 के विधानसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं जीत सकी थी। इसके अलावा, यह मुख्यमंत्री सिद्धरमैया का गृह क्षेत्र है। सिद्धरमैया मैसूर के रहने वाले हैं। पुराने मैसूर में मुकाबला मुख्य रूप से कांग्रेस और पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवगौड़ा की अगुवाई वाली जेडीएस के बीच माना जा रहा है।

इस हफ्ते की शुरूआत में दावणगेरे में अपनी जुबान फिसलने की तरफ इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि उन्होंने सिद्धरमैया के भ्रष्टाचार का जिक्र करते वक्त अपने संबोधन में गलती कर दी थी, लेकिन राज्य की जनता ऐसी गलती नहीं करेगी, क्योंकि वह सिद्धरमैया के शासन को अच्छी तरह जानती है। उन्होंने कहा, ‘‘ सिद्धरमैया और राहुल गांधी सिद्धरमैया के भ्रष्टाचार के बारे में बोलते वक्त मुझसे हुई गलती पर काफी खुश थे। मैंने गलती की थी, लेकिन कर्नाटक के लोग ऐसी गलती नहीं करेंगे, क्योंकि वे सिद्धरमैया सरकार को बहुत अच्छी जान गए हैं।’’  दावणगेरे में एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान सिद्धरमैया सरकार को‘‘ सबसे भ्रष्ट’’ बताने की कोशिश में उन्होंने‘‘ येदियुरप्पा’’ सरकार का जिक्र कर दिया था। बहरहाल, भाजपा सांसद प्रहलाद जोशी की ओर से गलती की तरफ ध्यान दिलाने के बाद शाह ने अपनी गलती सुधार ली थी। भाजपा अध्यक्ष ने सिद्धरमैया पर कन्नड़ के मशहूर कवि कुवेंपू या मशहूर इंजीनियर सर एम विश्वेश्वरैया की‘‘ जयंती’’ ना मनाकर कर्नाटक की अस्मिता के साथ खेलने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा, ‘‘ सिद्धरमैया को वोट हासिल करने की खातिर केवल टीपू सुलतान( मैसूर के18 वीं सदी के शासक) की जयंती मनाना याद रहता है।’’  शाह ने मैसुरू के वाडियार शाही परिवार से भी मुलाकात की। वह पूर्व शाही परिवार से उनके निजी महल में मिले। इससे उनके भाजपा में शामिल होने या समर्थन करने की अटकलों को भी बल मिला है।  

हालांकि वडियार राजवंश के27 वें राजा यदुवीर ने इन अटकलों को खारिज करते हुए कहा कि उनके किसी पार्टी में शामिल होने की संभावनाएं नहीं हैं और वह सामाजिक कार्य के जरिये जनता के साथ अपना संबंध बनाए रखेंगे। शाह ने साथ ही कहा कि उनकी पार्टी कर्नाटक में सत्ता में आने पर आरएसएस एवं भाजपा के कार्यकर्ताओं के हत्यारों को पकड़ने की तमाम कोशिशें करेगी और उन्हें कठोरतम सजा देगी। उन्होंने कहा, ‘‘ मैं राज्य के लोगों से कहना चाहूंगा कि सिद्धरमैया का समय पूरा हो चुका है। येदियुरप्पा के नेतृत्व में भाजपा के अगली सरकार का गठन करने के साथ ही वह( आरएसएस एवं भाजपा के कार्यकर्ताओं के) हत्यारों को दुनिया के किसी भी कोने से पकड़ लाने की तमाम कोशिशें करेगी।’’  शाह मार्च, 2016 में मारे गए भाजपा के कार्यकर्ता राजू के परिवारवालों से मिलने के बाद संवाददाताओं से बात कर रहे थे। भाजपा अध्यक्ष ने कहा, ‘‘ उन्हें जेल भेजा जाएगा और कड़ी सजा दी जाएगी।’’  शाह ने कहा, ‘‘ राजनीति में हिंसा के लिए जगह नहीं होती। अगर सिद्धरमैया और उनकी सरकार को लगता है कि वे हमारी विचारधारा को फैलने से रोक सकते हैं, तो वे गलतफहमी का शिकार हैं।’’  लिंगायत समुदाय तक पहुंचने की भाजपा की कोशिशें जारी रखते हुए शाह आज यहां के सुत्तूर मठ में समुदाय के एक प्रमुख संत से भी मिले। शाह ने संत से मिलने के बाद ट्विटर पर लिखा, ‘‘ श्री सुत्तूर मठ के श्री शिवरात्रि देशीकेंद्र महास्वामीजी से मैसूरू में आशीर्वाद लिया।’’  उन्होंने अपने तीसरे चरण की यात्रा के तहत26 मार्च को तुमकुरू में सिद्धगंगा मठ के111 वर्षीय श्री शिवकुमार स्वामी से आशीर्वाद लिया था जो कि लिंगायत समुदाय के एक पूजनीय संत हैं। लिंगायत संतों के साथ भाजपा अध्यक्ष की मुलाकात को लिंगायतों/ वीरशैवों तक पहुंचने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है जो संख्या एवं राजनीति की दृष्टि से राज्य में ताकतवर हैं और भाजपा के लिए एक बड़ा मतदाता आधार हैं।

केजरीवाल ने अपना अनशन टाला

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नयी दिल्ली, 30 मार्च, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सीलिंग के मुद्दे पर अपना अनशन टाल दिया है। केजरीवाल ने इस महीने के शुरू में कहा था कि शहर में अगर सीलिंग की कार्रवाई31 मार्च तक नहीं रूकी, तो वह अनशन करेंगे। आम आदमी पार्टी के मुताबिक, उच्चतम न्यायालय दो अप्रैल से सीलिंग के मामले की रोजाना आधार पर सुनवाई करने जा रहा है और आप सरकार ने इस मामले में दो वकीलों को नियुक्त किया है। आप की दिल्ली इकाई के मुख्य प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि कई व्यापारी संगठनों और वकीलों ने केजरीवाल से अनशन नहीं करने की अपील की थी क्योंकि इससे न्यायालय नाराज हो सकता है ।लिहाजा मुख्यमंत्री ने अपनी अनशन टालने का फैसला किया।

अगला लोकसभा चुनाव नहीं लडूंगा : देवगौड़ा

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बेंगलुरू, 30 मार्च, पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा ने आज कहा कि वह2019 में होने वाला लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे। हालांकि, देवगौड़ा ने कहा कि पार्टी का कोई भी वरिष्ठ नेता चुनाव लड़ने को इच्छुक नहीं है ऐसे में यदि जनता चाहे तो हासन से उनके पोते प्रज्जवल रेवान्ना उनके स्थान पर चुनाव लड़ सकते हैं। देवगौड़ ने हासन में संवाददाताओं से कहा, ‘‘ मैने संसदीय चुनाव नहीं लड़ने का निणर्य किया है। मैंने अपने जिले के सभी नेताओं से पूछा है कि क्या वे संसदीय चुनाव लड़ना चाहते है। उन्हें पहली वरीयता दी जाएगी।’’  उन्होंने कहा, ‘‘ मुझे क्या करना चाहिए, मैंने अपने जीवन के85 साल पूरे कर लिए है। उन्होंने कहा, ‘‘ मैं प्रज्जवल रेवान्ना को संसद भेजना चाहता हूं, लेकिन जनता निर्णय करेगी।’’ ‘‘ प्रज्जवल पढ़े लिखे हैं और उनमें क्षमताएं हैं, लेकिन कभी- कभी वे परेशान हो जाते हैं, जो कि आम बात है... ।’’  गौरतलब है कि प्रज्जवल गौडा के बडे पुत्र तथा पार्टी के वरिष्ठ नेता एचडी रेवन्ना के बेटे हैं और उन्हें हाल ही में प्रदेश महासचिव बनाया गया है। 

प्रधानमंत्री मोदी ने की नदियों को जोड़ने की हिमायत

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नयी दिल्ली, 30 मार्च, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश भर की नदियों को आपस में जोड़नेका आज समर्थन किया और कहा कि इस कदम से अधिक जल वाले क्षेत्रों तथा जल की कमी से जूझने वाले क्षेत्रों के बीच असंतुलन को समाप्त करने में सहायता मिल सकती है। मोदी ने स्मार्ट इंडिया हैकेथॉन के दौरान एक छात्र के प्रश्न के उत्तर में कहा कि दुनिया की17 प्रतिशत आबादी भारत में है जबकि देश के पासजल का केवल चार प्रतिशत है। उन्होंने कहा, ‘‘ हमारी आबादी के लिहाज से पानी सीमित है.... कुछ ऐसे छेत्र हैं जहां बाढ़ आती है। कई जगह नदियां सूखी पड़ी हैं। अगर इन्हें आपस में जोड़ दिया जाए तो तो समस्या हल हो सकती है। उन्होंने कहा कि नदियों को जोड़ना सरकार की परिकल्पना है और एक दिन यह हकीकत बनेगी। इससे पहले उन्होंने अलग अलग जगहों से जुड़े एक लाख प्रतिभागियों को वीडियो कान्र्फेंसिंग के जरिए संबोधित करते हुए कहा किसी के भी पास दुनियाभर का ज्ञान नहीं होता । प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘ यह सरकार पर भी लागू होता है.. सरकारें यह सोच कर सबसे बड़ी गलती करती है कि वे अकेले बदलाव ला सकती हैं। जबकि बदलाव लाता है, भागीदारीपूर्ण शासन । उन्होंने कहा कि सभी समस्याओं का मूल जानना जरूरी है और उन्हें हल करने के लिए अलग तरह से सोचने की जरूरत है। उनका मानना है कि नवोन्मेष महज एक शब्द भर नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘ नवोन्मेष एक सतत प्रक्रिया है। प्रश्न करना नवोन्मेष का अहम पहलू है।’’  मोदी ने कहा कि आईपीपीपी...‘ इनोवेट, पेटेंट, प्रोड्यूस और प्रॉस्पर’... ही आने वाले दिनों में नवोन्मेष को संचाालित करेंगी।

रोसड़ा हिंसा: भाजपा नेता समेत दस लोगों को जेल

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समस्तीपुर 30 मार्च, बिहार में समस्तीपुर जिले के रोसड़ा में सांप्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ने के मामले में पुलिस ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता मोहन पटवा समेत दस लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है।  पुलिस सूत्रों ने बताया कि गिरफ्तार किये गये लोगों पर पिछले 27 मार्च को रोसड़ा में आगजनी करने, पुलिस पर पथराव कर अपर पुलिस अधीक्षक समेत कई पुलिसकर्मियों को घायल करने और सांप्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ने का आरोप है। मामले में रोसड़ा थाना में 54 नामजद समेत करीब एक हजार लोगों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज की गई है।  पुलिस के अनुसार, मामले में वीडियो फुटेज के आधार पर उपद्रवियों की पहचान कर गिरफ्तारी की कार्रवाई की जा रही है।  इस बीच इलाके में तनाव को देखते हुए आज चौथे दिन भी निषेधाज्ञा लागू है। जिले के रोसड़ा अनुमंडल क्षेत्र की सभी सीमाओं को सील कर रैपिड एक्शन फोर्स (आरपीएफ) और स्थानीय पुलिस चौकसी बरत रही है।  इधर, भाजपा के जिलाध्यक्ष राम सुमरन सिंह ने भाजपा नेता समेत निर्दोष लोगों की गिरफ्तारी की निंदा करते हुए कहा कि स्थानीय पुलिस इन लोगों की गिरफ्तारी कर सरकार को बदनाम करने में लगी है। वहीं, समस्तीपुर के सांसद रामचन्द्र पासवान ने लोगों से आपसी सद्भभाव और शांति व्यवस्था कायम रखने की अपील की है।

गंभीर मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए हिंसा भड़काती है भाजपा : तेजस्वी

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पटना 30 मार्च, बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने राज्य के कई जिलों में हुए हिंसा के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को जिम्मेवार ठहराया और कहा कि रोजगार समेत अन्य गंभीर मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए ऐसा किया जा रहा है। श्री यादव ने आज एक के बाद एक कई ट्वीट कर भाजपा पर जमकर निशाना साधते हुए लिखा,“हम युवाओं को नौकरी और बेरोजगारों को रोज़गार की बात करते है तो भाजपा ध्यान भटकाने के लिए हिंसा भड़काती है।” उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को बताना चाहिए कि उन्होंने भाजपा के घोषणा पत्र में किए कितने वादे अबतक पूरे किये हैं। प्रधानमंत्री बतायें कि आखिर उन्होंने युवाओं के साथ विश्वासघात क्यों किया। एक अन्य ट्वीट में श्री यादव ने कहा, “मेरी बिहार के सभी दलित, महादलित,पिछड़ा और अतिपिछड़ा भाईयों से प्रार्थना है कि वो सामंतवादियों का मोहरा बनने से बचें। वो सभी बैकवर्ड हिंदुओं को लड़ाकर सत्ता पर कब्ज़ा जमा मनुवादी और ब्राह्मणवादी व्यवस्था को आक्रामकता से लागू करना चाहते है। इनके ज़हरीले डिज़ाइन से बचना होगा। सभी को मिलजुल कर शांतिपूर्वक रहना है क्योंकि ये जातिवादी संघी हमें बांटकर राज करना चाहते हैं। ये हमारे अधिकारों पर बात नहीं करना चाहते बल्कि हमें दूसरे मामलों में उलझायें रखना चाहते है।”

विशेष आलेख : नारी पूजनीय तो अत्याचार क्यों?

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विश्व महिला दिवस महिलाओं के अस्तित्व एवं अस्मिता से जुड़ा एक ऐसा दिवस है जो नारी शक्ति की सार्थक अभिव्यक्ति देता है। इसमें जहां नारी की अनगिनत जिम्मेदारियों के सूत्र गुम्फित हैं, वही नारी पर घेरा डालकर बैठे खतरों एवं उसे दोयम दर्जा समझे जाने की मानसिकता को झकझोरने के प्रयास भी सम्मिलित है। यह दिवस नारी को शक्तिशाली और संस्कारी बनाने के साथ-साथ उसके विकास की नवीन दिशाओं को उद्घाटित करने का अनूठा माध्यम है। वैयक्तिक स्वार्थों को एक ओर रखकर औरों को सुख बांटने और दुःख बटोरने की मनोवृत्ति का संदेश है। इसलिए इस दिवस का मूल्य केवल नारी तक सीमित न होकर सम्पूर्ण मानवता से जुड़ा है। 

एक टीस से मन में उठती है कि आखिर नारी का जीवन कब तक खतरों से घिरा रहेगा। बलात्कार, छेड़खानी, भूण हत्या और दहेज की धधकती आग में वह कब तक भस्म होती रहेगी? कब तक उसके अस्तित्व एवं अस्मिता को नौचा जाता रहेगा? कब तक खाप पंचायतें नारी को दोयम दर्जा का मानते हुए तरह-तरह के फरमान जारी करती रहेगी? भरी राजसभा में द्रौपदी को बाल पकड़कर खींचते हुए अंधे सम्राट धृतराष्ट्र के समक्ष उसकी विद्वत मंडली के सामने निर्वस्त्र करने के प्रयास के संस्करण आखिर कब तक शक्ल बदल-बदल कर नारी चरित्र को धुंधलाते रहेंगे? ऐसी ही अनेक शक्लों में नारी के वजूद को धुंधलाने की घटनाएं- जिनमें नारी का दुरुपयोग, उसके साथ अश्लील हरकतें, उसका शोषण, उसकी इज्जत लूटना और हत्या कर देना- मानो आम बात हो गई हो। महिलाओं पर हो रहे अन्याय, अत्याचारों की एक लंबी सूची रोज बन सकती है। न मालूम कितनी महिलाएं, कब तक ऐसे जुल्मों का शिकार होती रहेंगी। कब तक अपनी मजबूरी का फायदा उठाने देती रहेंगी। दिन-प्रतिदिन देश के चेहरे पर लगती यह कालिख को कौन पोछेगा? कौन रोकेगा ऐसे लोगों को जो इस तरह के जघन्य अपराध करते हैं, नारी को अपमानित करते हैं। पुरुष-समाज को उन आदतों, वृत्तियों, महत्वाकांक्षाओं, वासनाओं एवं कट्टरताओं को अलविदा कहना ही होगा जिनका हाथ पकड़कर वे उस ढ़लान में उतर गये जहां रफ्तार तेज है और विवेक अनियंत्रित हैं जिसका परिणाम है नारी पर हो रहे नित-नये अपराध और अत्याचार। पुरुष-समाज के प्रदूषित एवं विकृत हो चुके तौर-तरीके ही नहीं बदलने हैं बल्कि उन कारणों की जड़ों को भी उखाड़ फेंकना है जिनके कारण से बार-बार नारी को जहर के घूंट पीने को विवश होना पड़ता है।

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ऋषि-महर्षियों की तपः पूत साधना से अभिसिंचित इस धरती के जर्रे-जर्रे में गुरु, अतिथि आदि की तरह नारी भी देवरूप में प्रतिष्ठित रही है। ‘मातृदेवो भवः’ यह सूक्त भारतीय संस्कृति का परिचय-पत्र है। आदि कवि महर्षि वाल्मीकि की यह पंक्ति- ‘जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी’ जन-जन के मुख से उच्चारित है। प्रारंभ से ही यहाँ ‘नारीशक्ति’ की पूजा होती आई है फिर क्यों नारी अत्याचार बढ़ रहे हैं? वैदिक परंपरा दुर्गा, सरस्वती, लक्ष्मी के रूप में, बौद्ध अनुयायी चिरंतन शक्ति प्रज्ञा के रूप में और जैन धर्म में श्रुतदेवी और शासनदेवी के रूप में नारी की आराधना होती है। लोक मान्यता के अनुसार मातृ वंदना से व्यक्ति को आयु, यश, स्वर्ग, कीर्ति, पुण्य, बल, लक्ष्मी पशुधन, सुख, धनधान्य आदि प्राप्त होता है, फिर क्यों नारी की अवमानना होती है? नारी का दुनिया में सर्वाधिक गौरवपूर्ण सम्मानजनक स्थान है। नारी धरती की धुरा है। स्नेह का स्रोत है। मांगल्य का महामंदिर है। परिवार की पीढ़िका है। पवित्रता का पैगाम है। उसके स्नेहिल साए में जिस सुरक्षा, शाीतलता और शांति की अनुभूति होती है वह हिमालय की हिमशिलाओं पर भी नहीं होती। सुप्रसिद्ध कवयित्रि महादेवी वर्मा ने ठीक कहा था-‘नारी सत्यं, शिवं और सुंदर का प्रतीक है। उसमें नारी का रूप ही सत्य, वात्सल्य ही शिव और ममता ही सुंदर है। इन विलक्षणताओं और आदर्श गुणों को धारण करने वाली नारी फिर क्यों बार-बार छली जाती है, लूटी जाती है?

पिछले कुछ दिनों में इंडिया ने कुछ और ऐसे मौके दिए जब अहसास हुआ कि भ्रूण में किसी तरह अस्तित्व बच भी जाए तो दुनिया के पास उसके साथ और भी बहुत कुछ है बुरा करने के लिए। बहशी एवं दरिन्दे लोग ही नारी को नहीं नोचते, समाज के तथाकथित ठेकेदार कहे जाने वाले लोग और पंचायतें भी नारी की स्वतंत्रता एवं अस्मिता को कुचलने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रही है, स्वतंत्र भारत में यह कैसा समाज बन रहा है, जिसमें महिलाओं की आजादी छीनने की कोशिशें और उससे जुड़ी हिंसक एवं त्रासदीपूर्ण घटनाओं ने बार-बार हम सबको शर्मसार किया है। विश्व नारी दिवस का अवसर नारी के साथ नाइंसाफी की स्थितियों पर आत्म-मंथन करने का है, उस अहं के शोधन करने का है जिसमें पुरुष-समाज श्रेष्ठताओं को गुमनामी में धकेलकर अपना अस्तित्व स्थापित करना चाहता है। नारी को अपने आप से रूबरू होना होगा, जब तक ऐसा नहीं होता लक्ष्य की तलाश और तैयारी दोनों अधूरी रह जाती है। स्वयं की शक्ति और ईश्वर की भक्ति भी नाकाम सिद्ध होती है और यही कारण है कि जीने की हर दिशा में नारी औरों की मुहताज बनती हैं, औरों का हाथ थामती हैं, उनके पदचिन्ह खोजती हैं। कब तक नारी औरों से मांगकर उधार के सपने जीती रहेंगी। कब तक औरों के साथ स्वयं को तौलती रहेंगी और कब तक बैशाखियों के सहारे मिलों की दूरी तय करती रहेंगी यह जानते हुए भी कि बैशाखियां सिर्फ सहारा दे सकती है, गति नहीं? हम बदलना शुरू करें अपना चिंतन, विचार, व्यवहार, कर्म और भाव। मौलिकता को, स्वयं को एवं स्वतंत्र होकर जीने वालों को ही दुनिया सर-आंखों पर बिठाती है।

हमें अपने आसपास के दायरों में खड़ी नारी को देखना होगा और यह तय करना होगा कि घर, समाज और राष्ट्र की भूमिका पर नारी के दायित्व की सीमाएँ क्या हो? जिस घर में नारी सुघड़, समझदार, शालीन, शिक्षित, संयत एंव संस्कारी होती है वह घर स्वर्ग से भी ज्यादा सुंदर लगता है क्योंकि वहाँ प्रेम है, सम्मान है, सुख है, शांति है, सामंजस्य है, शांत सहवास है। सुख-दुख की सहभागिता है। एक दूसरे को समझने और सहने की विनम्रता है। नारी अपने परिवार में सबका सुख-दुख अपना सुख-दुख माने। सबके प्रति बिना भेदभाव के स्नेह रखे। सबंधों की हर इकाई के साथ तादात्म्य संबंध जोड़े। घर की मान मर्यादा, रीति-परंपरा, आज्ञा- अनुशासन, सिद्धांत, आदर्श एंव रूचियों के प्रति अपना संतुलित विन्रम दृष्टिकोण रखें। अच्छाइयों का योगक्षेम करें एंव बुराइयों के परिष्कार में पुरुषार्थी प्रयत्न करें। सबका दिल और दिमाग जीतकर ही नारी घर में सुखी रह सकती है। आधुनिक महिलाओं मैथिलीशरण गुप्त के इस वाक्य-“आँचल में है दूध” को सदा याद रखें। उसकी लाज को बचाएँ रखें और भ्रूणहत्या जैसा घिनौना कृत्य कर मातृत्व पर कलंक न लगाएँ। बल्कि एक ऐसा सेतु बने जो टूटते हुए को जोड़ सके, रुकते हुए को मोड़ सके और गिरते हुए को उठा सके। नन्हे उगते अंकुरों और पौधों में आदर्श जीवनशैली का अभिसिंचन दें ताकि वे शतशाखी वृक्ष बनकर अपनी उपयोगिता साबित कर सकें। उसका पवित्र आँचल सबके लिए स्नेह, सुरक्षा, सुविधा, स्वतंत्रता, सुख और शांति का आश्रय स्थल बने, ताकि इस सृष्टि में बलात्कार, गैंगरेप, नारी उत्पीड़न जैसे शब्दों का अस्तित्व ही समाप्त हो जाए।




liveaaryaavart dot com

(ललित गर्ग)
60, मौसम विहार, तीसरा माला, 
डीएवी स्कूल के पास, दिल्ली-110051
फोनः 22727486, 9811051133

आलेख : इच्छा मृत्यु जिम्मेदारी से भागने का इंतजाम

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किसी भी व्यक्ति को इच्छा मृत्यु दी जा सकती है या नहीं, यह बड़ा सवाल एक बार फिर चर्चा के केंद्र में है। न्यायालयों में अक्सर लोग इच्छा मृत्यु की अपील करते रहते हैं। राष्ट्रपति और राज्यपाल से भी इच्छामृत्यु की मांग करने के प्रकरण अखबारों में छपते रहते हैं। यह मामला बेहद संवेदनशील है। ऐसे में सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय से पूरे देश का आश्चर्यचकित होना स्वाभाविक है।  सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्र की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय पीठ ने मौत को मौलिक अधिकार माना है। उसने अपने निर्णय में कहा हैै कि हर व्यक्ति को सम्मान के साथ मरने का अधिकार है। निष्क्रिय इच्छामृत्यु कानून वैध है। केंद्र सरकार चाहे तो इस बावत कानून बना सकती है लेकिन  सरकार इस संबंध में जब तक कानून नहीं बनाती, तब तक ये दिशानिर्देश लागू रहेंगे। हालांकि इसके लिए उसने यह भी कहा है कि मरीज ठीक हो सकता है या नहीं, मेडिकल बोर्ड से जब तक इसकी रिपोर्ट नहीं आ जाती तब तक असाध्य रोग से पीड़ित मरीज को इच्छा मृत्यु नहीं दी जा सकती। 

सर्वोच्च न्यायालय ने वर्ष 2005 में स्वयंसेवी संस्था ‘कॉमन कॉज’ द्वारा दायर याचिका पर यह निर्णय सुनाया है। अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कोर्ट को चिकित्सा विशेषज्ञों के हवाले से बताया था कि मरीज गरिमा के ठीक होने क ेअब कोई आसर नहीं हैं। ऐसे में उसे जीवनरक्षक प्रणाली से हटा दिया जाना चाहिए। अदालत अगर ऐसा करने की अनुमति नहीं देती है तो उसकी तकलीफ में इजाफा होगा। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 11 अक्तूबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।  42 साल तक कोमा में रही अरुणा शानबाग को इच्छा मृत्यु की अनुमति सर्वोच्च न्यायालय ने दी थी। यह और बात है कि इस संबंध में कोई कानूनी प्रावधान नहीं होने के चलते स्थिति स्पष्ट नहीं हो सकी थी।   किसी भी बुजुर्ग की यातनापूर्ण मृत्यु न हो, यह तय करना सरकार और न्यायालय का दायित्व है लेकिन गरिमा को दी गई इच्छा मृत्यु नजीर न बन जाए, इसका भी ध्यान रखा जाना चाहिए। मुंबई के वयोवृद्ध दंपति नारायण लावते  और इरावती ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से इच्छा मृत्यु की मांग की है। वे अपने बुढ़ापे से डरे हुए हैं। उनका कहना है कि वे निःसंतान हैं। उनके परिवार में भी कोई नहीं बचा है। बुढ़ापे में मौत बीमारी की वजह से ही आती है। वे बीमार हों, कष्ट झेलें। उनकी सेवा दूसरे लोग करें, इसलिए उन्हें इच्छामृत्यु दी जानी चाहिए। ऐसा करना आत्महत्या को प्रोत्साहन देना होगा। हर बुजुर्ग ऐसा चाहेगा तो सरकार के पास बड़ी विषम स्थिति पैदा हो जाएगी। 

 संयुक्त परिवार जिस तरह टूट रहे हैं। ‘हम दो-हमारे दो’ की भावना जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करने तक तो ठीक थी लेकिन अब तो यह हमारी सोच में शामिल हो गई है। बुजुर्गों को उनके हाल पर छोड़ दिया जा रहा है। वे या तो एकाकी जीवन जीने को अभिशप्त हैं या फिर अनाथालय या वृद्धाश्रम में रह रहे हैं। वहां वे भावनात्मक दृष्टि से रोज मरते हैं। अगर इस तरह के दंपति बीमार होते हैं तो उनकी देख-रेख कौन करेगा तो क्या सम्मानजनक मौत को मौलिक अधिकार मानते हुए अपनों द्वारा उपेक्षित वृद्धों को घुट-घुटकर मरने के लिए छोड़ दिया जाएगा या उन्हें इच्छामृत्यु की अनुमति दी जाएगी, यह अपने आप में बड़ा यक्षप्रश्न है।  जैन संत लंबे समय से संलेखना करते रहे हैं। कुछ हिंदू साधु-संत भी समाधि मरण की इच्छा रखते हैं। इस पर हमेशा देश के प्रबुद्धजन, कानूनविद सवाल उठाते रहे हैं। वर्षो तक कोमा में रहने वाले बुजुर्गों को जीवन से मुक्ति मिलनी चाहिए लेकिन यदि मौत को मौलिक अधिकार मान लिया जाएगा तो लोग बुजुर्गों की सेवा से अतिशीघ्र पिंड छुड़ा लेना चाहेंगे। यह प्रवृत्ति भारत की सेवाभावी परंपरा के विपरीत ही कही जाएगी। कुछ बुजुर्गों के इस सवाल में दम हो सकता है कि क्या उन्हें बिना कष्ट सहे मरने का अधिकार नहीं है। ऐसे लोगों को इतना जरूर जानना चाहिए कि जन्म लेते और मरते वक्त असह्य पीड़ा होती है। ‘जनमत-मरत दुसह दुख होई। यह मति गूढ़ जानि कोउ-कोउ।’ उसे दूसरा कोई नहीं जान सकता। बेटे को जन्म देते वक्त मां भी मरणांतक पीड़ा के दौर से गुजरती है और इस क्रम में अनेक माताओं की मौत भी हो जाती है। वृद्धजनों की इस अपील में दम हो सकता है कि जब जब राष्ट्रपति  के पास मौत की सजा का सामना कर रहे लोगों के प्रति दया दिखाने की शक्ति है तो वे उन्हें अपना जीवन समाप्त करने की इजाजत क्यों नहीं दे सकते? 

 जिसे इच्छा मृत्यु कहा जा रहा है, क्या उसमें मरीज की अपनी सहमति है या उनके परिजन उनके लिए इच्छामृत्यु मांग रहे हैं। इस धरती पर मरना कोई नहीं चाहता। सभी जानते हैं कि मौत निश्चित है फिर भी जीने की इच्छा रखते हैं। यही संसार का सबसे बड़ा आश्चर्य है। बुजुर्ग तो उसी दिन मर जाता है जिस दिन उसके परिजन उसे उपेक्षित कर देते हैं। उसके बेटे-बहू उसे अलग रहने को अभिशप्त कर देते हैं। बुजुर्गों के प्रति सेवा भाव रखने वाला कोई भी व्यक्ति उसे मरने नहीं देना चाहेगा लेकिन यहां तो स्वयंसेवी संस्था बुजुर्ग के लिए इच्छा मृत्यु मांग रही है। क्या परिजनों के अतिरिक्त अन्य लोगों को भी किसी बुजुर्ग के लिए इच्छा मृत्यु मांगने का हक है? देश की सबसे बड़ी अदालत को विचार तो इस पर भी करना चाहिए। विचारणीय तो यह है कि 2005 से 2018 तक जो वेंटीलेटर पर जिंदा है, उसके जीने की संभावना कैसे नहीं है। जो जी सकता है, वह ठीक भी हो सकता है। यह तो भारतीय चिकित्सा पद्धति और चिकित्सकों की काबिलियत पर भी सवाल है। चिकित्सा वैज्ञानिकों को इस पर शोध करना चाहिए कि प्राचीन काल में बेहोश व्यक्ति एक खुराक बूटी के सेवन से कैसे जीवित हो जाते थे? गंभीर रूप से घायल योद्धा जड़ी-बूटियों के लेप से ठीक होकर दूसरे दिन युद्ध लड़ने कैसे पहुंच जाते थे? आज किसी का पैर टूट जाता है तो उसे महीनों बेड रेस्ट की जरूरत क्यों पड़ती है? क्या यह हमारी चिकित्सा पद्धति का दोष है या लोगों की सहन शक्ति,जीने की इच्छाशक्ति कम हो गई है?

  इच्छा मृत्यु का वरदान पूरी धरती पर केवल भीष्म पितामह को मिला था। यह वरदान उनके पिता शांतनु ने दिया था। इच्छा मृत्यु का वरदान या तो मां दे सकती है या पिता लेकिन हममें पिता के लिए अपना सर्वस्व त्यागने की क्षमता ही नहीं है। सेवा से ही मेवा मिलता है लेकिन इस देश में लगता है कि सेवा की अवधारणा ही खत्म हो गई है। भीष्म पितामह के बाद धरती पर किसी को भी इच्छा मृत्यु का वरदान नहीं मिला। भीष्म पितामह ने इस वरदान का प्रयोग इसलिए किया कि वे सूर्य के दक्षिणायन रहते मरना नहीं चाहते थे। वे हस्तिनापुर को समर्थ हाथों में देखना चाहते थे। उनका पूरा शरीर बाणों से छिदा हुआ था। बाणों  की शय्या सजी थी। कितना कष्ट रहा होगा उन्हें लेकिन जब तक हस्तिनापुर को उसका योग्य उत्तराधिकारी नहीं मिल गया तब तक उन्होंने अपने प्राण नहीं त्यागे। भीष्म भी बुजुर्ग थे। क्या इस देश के बुजुर्ग भीष्म नहीं बन सकते? शरीर का कष्ट मायने नहीं रखता। मन का कष्ट भारी होता है। सच तो यह है कि अपनों की उपेक्षा से वृद्धों का मनोबल टूट गया है। उसे बढ़ाने की जरूरत है। इच्छामृत्यु की वैधानिकता पर सवाल नहीं उठाया जा सकता लेकिन यह परंपरा न बन जाए, उत्तरदायित्वों से बचने का जरिया न बन जाए, चिंता तो इस बात की है। 





(सियाराम पांडेय ‘शांत’)

व्यंग्य : आम आदमी का आधार... खास का पासपोर्ट ...!!

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अपने देश व समाज की कई विशेषताएं हैं। जिनमें एक है कि देश के किसी हिस्से में कोई घटना होने पर उसकी अनुगूंज लगातार कई दिनों तक दूर - दूर तक सुनाई देती रहती है। मसलन हाल में चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद त्रिपुरा में प्रतिमा तोड़ने की घटना की प्रतिक्रिया में लगातार कहीं न कहीं प्रतिमाएं खंडित - दूषित की जा रही है। इसके पहले देश की राजधानी स्थित कैंपस से ... दिल मांगे आजादी ... आजादी का डरावना शोर सुनाई दिया था। देश के लाखों लोगों की तरह पहले मुझे भी यह पागलों का प्रलाप महसूस हुआ था। लेकिन यह क्या इसके बाद देश के दूसरे राज्यों में भी अनेक कैंपसों से ऐसे नारों की कर्णभेदी शोर सुन कर मैं घबरा गया। मुझे  हैरानी हुई कि देश आजाद होने के बाद भी इतने सारे लोग अब भी आजादी के मतवाले हैं। दूसरी खासियत यह है कि यहां हमेशा कोई न कोई कागजात - प्रमाण पत्र बनवाना नागरिकों के लिए अनिवार्य होता है। इसे लेकर अघोषित इमर्जेंसी जैसे हालात लगातार अदृश्य रूप में मौजूद रहते हैं। स्कूल की देहरी लांघ कॉलेज पहुंचने तक नए बच्चों के लिए जन्म तो स्वर्ग सिधारने वालों के लिए मृत्यु प्रमाण पत्र अनिवार्य घोषित हो चुका था। इस प्रमाण पत्र का आतंक कुछ ऐसा कि हम अपने को खुशनसीब मानने लगे कि हमारे जमाने में ऐसा कोई लोचा नहीं रहा। बच्चा घर में जन्मा नहीं कि मां - बाप को उसके बर्थ सर्टिफिकेट की चिंता सताने लगी। इसी तरह परिवार के किसी बुजुर्ग के वैकुंठगमन पर रोने - पीटने के बीच ही संबंधियों में कानाफूसी शुरू हो जाती कि भैया मृत्यु प्रमाण पत्र का जरा देख लेना... नहीं तो बाद में परेशानी होगी...। समय - काल और परिस्थितियों में अलग - अलग तरह के प्रमाण पत्रों का आतंक नई पीढ़ी में छाता रहा। कभी डरावने शोर के बीच सुनाई पड़ता कि पाव - छटांक चाहे जो मिले लेकिन सरकारी राशन कार्ड मेंटेन रखना जरूरी है नहीं तो समझ लो हुक्का - पानी बंद। 80 - 90  के दशक में देश में जब बिहार वाले  लालू प्रसाद यादव का जलवा था तभी राजनेताओं पर हंटर चलाने एक कड़क अफसर आ गया... नाम टीएन शेषन। शेषन साहब ने सरकारों को मजबूर कर दिया हर नागरिक का सचित्र परिचय पत्र बनाने को। मोहल्ले के प्राथमिक स्कूल के सामने कतार में खड़े होकर हमने भी अपना यह परिचय पत्र बनवाया। फोटो खिंचवाने के बाद अपना लेमिनेटेड कार्ड देखने को लगातार कई दिनों तक उत्सुक रहा। कार्ड हाथ में ले संतुष्ट हुआ कि चलो हर किसी के पास दिखाने को अब कुछ तो है। फिर आधार कार्ड की अनिवार्यता लागू हो गई। 

आधार नहीं तो समझो आप इंसान नहीं।  जन्म और मृत्यु के इस  चक्र के बीच ज्यादातर सामान्य लोग पासपोर्ट - वीसा के तनाव से मुक्त रहते थे। क्योंकि कुल जमा इन शब्दों से सामना फिल्मी पर्दे पर ही होता था। जो ज्यादातर तस्करों से संबद्ध होता था। कोई खुर्राट खलनायक पासपोर्ट या वीसा बना - दिखा रहा है क्योंकि उसे विदेश भागना है ... या फिर फिल्मी हीरो को किसी खलनायक को पकड़ने के लिए विदेश की उड़ान भरना है तो उसे भी ये चाहिए। फिल्मी पर्दे पर ऐसे दृश्य देख हम सुकून महसूस करते थे कि अपन ... इन लफड़ों से मुक्त हैं। न अपने को विदेश जाना है ना यह खानापूर्ति करने की जरूरत है। लेकिन अब इसी पासपोर्ट ने एक नहीं बल्कि दो - दो सरकारों को सांसत में डाल रखा है क्योंकि मुंबई बम विस्फोट कांड में पकड़े या पकड़ाए गए किसी फारुख टकला के मामले में यह खुलासा हुआ है कि फरारी के 25 साल के दौरान भी न सिर्फ वह धड़ल्ले से भारतीय पासपोर्ट का उपयोग कर रहा था, बल्कि दो बार उसने इसका नवीनीकरण भी सफलतापूर्वक करवा लिया। लेकिन टकला ही क्यों अक्सर किसी हाई प्रोफाइल अपराध की खबर देखने - सुनने के दौरान ही हमें यह भी बत दिया जाता है कि इसे करने वाला पहले ही देशी पासपोर्ट पर विदेश निकल चुका है। और सरकारी अमला सांप निकलने के बाद लकीर पीटने की कवायद में जुटा है। लुक आउट नोटस , इंटरपोल वगैरह - वगैरह...।  वैसे किसी भी कागजात को बनाने के मामले  में देखा तो यही जाता है कि अच्छे - खासे प्रतिष्ठित लोगों के किसी प्रकार का प्रमाण पत्र बनवाने में जूते घिस जाते हैं। लेकिन उसी को गलत धंधे वाले घर बैठे हासिल करने में सफल रहते हैं। मैने आज तक किसी दागी आदमी को किसी प्रकार की सरकारी खानापूर्ति के लिए परेशान होते नहीं देखा। अलबत्ता सम्मानित - प्रतिष्ठित लोगों को लांछित होते सैकड़ों बार देख चुका हूं।



तारकेश कुमार ओझा, 
खड़गपुर (पशिचम बंगाल) 
संपर्कः 09434453934, 9635221463
लेखक पश्चिम बंगाल के खड़गपुर में रहते हैं और वरिष्ठ पत्रकारहैं। 

विशेष : सृष्टि का आरंभ दिवस भारतीय नववर्ष

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हमारी भारतीय संस्कृति के अनुसार प्रत्येक चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रथम तिथि को ‘नवसंवत्सर’ अर्थात् नववर्ष का शुभारंभ माना जाता है। इस दिन के अनेक धार्मिक, सांस्कृतिक व ऐतिहासिक महत्व है। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन ब्रह्माजी ने सृष्टि का निर्माण किया था और मानव सभ्यता की शुरुआत हुई थी। महान गणितज्ञ भास्कराचार्य द्वारा इसी दिन से सूर्योदय से सूर्यास्त तक दिन, मास और वर्ष की गणना कर पंचांग की रचना की गई थी। सम्राट विक्रमादित्य ने इसी दिन अपना राज्य स्थापित किया था। पांच हजार एक सौ बारह वर्ष पूर्व युधिष्ठिर का राज्याभिषेक भी इसी दिन हुआ था, चौदह वर्ष के वनवास और लंका विजय के बाद भगवान राम ने राज्याभिषेक के लिए इसी दिन को चुना था व स्वामी दयानन्द सरस्वती ने आर्य समाज की स्थापना भी इसी पावन दिवस पर की थी। संत झूलेलाल का अवतरण दिवस व शक्ति और भक्ति के नौ दिन अर्थात् नवरात्रा का यह स्थापना दिवस भी है। इस दिन से लेकर नौ दिन तक मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है।

भारत के विभिन्न भागों में इस पर्व को भिन्न-भिन्न नामों से मनाया जाता हैं। महाराष्ट्र में इस दिन को ‘गुड़ी पड़वा’ के रुप में मनाते है। ‘गुड़ी’ का अर्थ होता है - ‘विजय पताका’। आज भी घर के आंगन में गुड़ी खड़ी करने की प्रथा महाराष्ट्र में प्रचलित है। दक्षिण भारत में चंद्रमा के उज्ज्वल चरण का जो पहला दिन होता है उसे ‘पाद्य’ कहते हैं। गोवा और केरल में कोंकणी समुदाय इसे ‘संवत्सर पड़वो’ नाम से मनाते है। कर्नाटक में यह पर्व ‘युगाड़ी’ नाम से जाना जाता है। आन्ध्र प्रदेश और तेलंगाना में ‘उगाड़ी’ नाम से मनाते हैं। कश्मीरी हिन्दू इस दिन को ‘नवरेह’ के तौर पर मनाते हैं। मणिपुर में यह दिन ‘सजिबु नोंगमा पानबा’ या ‘मेइतेई चेइराओबा’ कहलाता है। 

दरअसल इस समय वसंत ऋतु का आगमन हो चुका होता है और उल्लास, उमंग, खुशी और पुष्पों की सुगंध से संपूर्ण वातावरण चत्मकृत हो उठता है। प्रकृति अपने यौवन पर इठला रही होती है। लताएं और मंजरियाँ धरती के श्रृंगार के प्रमुख प्रसंधान बनते है। खेतों में हलचल, हंसिए की आवाज फसल कटाई के संकेत दे रही होती है। किसान को अपनी मेहनत का फल मिलने लगता है। इस समय नक्षत्र सूर्य स्थिति में होते है। इसलिए कहा जाता है कि इस दिन शुरु किये गये कामों में सफलता निश्चित तौर पर मिलती है। 

इस दिवस के अनेकों महत्व होने के उपरांत भी भारतीयों की ये अनभिज्ञता ही रही है कि वे अपनी संस्कारों और जड़ों से कटकर आधी रात को शराब के नशे में बेसुध होकर पाश्चात्य नववर्ष मनाना उचित समझते है। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भी हम अपने चेहरे से परतंत्रता के दाग नहीं हटा पाएं है। जब आजादी के बाद नवंबर 1952 को पंचांग सुधार समिति की स्थापना की गयी। तब समिति ने अपनी रिपोर्ट में विक्रमी संवत को स्वीकार करने की सिफारिश की थी। किन्तु, तत्कालीन प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू के आग्रह पर ग्रेगेरियन कैलेंडर को ही सरकारी कामकाज हेतु उपयुक्त मानकर 22 मार्च 1957 को इसे राष्ट्रीय कैलेंडर के रूप में स्वीकृत कर लिया। इसके लिए यह तर्क दिया कि जब संसार के अधिकतर देशों ने समान कालगणना के लिए ईस्वी सन् स्वीकार कर लिया है तो दुनिया के साथ चलने के लिए हमें भी इसका प्रयोग करना चाहिए। इस तरह हमने सुविधा को आधार बनाकर राष्ट्रीय गौरव से समझौता कर लिया है। लेकिन बांग्लादेश व नेपाल का सरकारी कैलेंडर विक्रम संवत् ही है।

ईस्वी सन् का प्रारंभ ईसा की मृत्यु पर आधारित है। परंतु उनका जन्म और मृत्यु अभी भी अज्ञात है। ईसवी सन् का मूल रोमन संवत् है। यह 753 ईसा पूर्व रोमन साम्राज्य के समय शुरू किया हुआ था। उस समय उस संवत् में 304 दिन और 10 मास होते थे। उस समय जनवरी और फरवरी के मास नहीं थे। ईसा पूर्व 56 वर्ष में रोमन सम्राट जूलियस सीजर ने वर्ष 455 दिन का माना। बाद में इसे 365 दिन का कर दिया। उसने अपने नाम पर जुलाई मास भी बना दिया। बाद में उसके पोते अगस्टस ने अपने नाम पर अगस्त का मास बना दिया। उसने महीनों के बाद दिन संख्या भी तय कर दी। इस प्रकार ईसवी सन् में 365 दिन और 12 मास होने लगे। फिर भी इसमें अंतर बढ़ता गया। क्योंकि पृथ्वी को सूर्य की एक परिक्रमा पूरी करने के लिए 365 दिन 6 घंटे, 9 मिनट और 11 सैकंड लगते हैं। ईसवी सन् 1583 में इसमें 18 दिन का अंतर आ गया। तब ईसाइयों के धर्मगुरू पोप ग्रेगरी ने 4 अक्तूबर को 15 अक्तूबर बना दिया और आगे के लिए आदेश दिया कि 4 की संख्या से विभाजित वाले होने वर्ष में फरवरी मास 29 दिन का होगा। 400 वर्ष बाद इसमें 1 दिन और जोड़कर इसे 30 दिन का बना दिया जाएगा। इसी को ग्रेगरियन कैलेंडर कहा जाता है जिसे सारे ईसाई जगत ने स्वीकार कर लिया। ईसाई संवत् के बारे में ज्ञातव्य है कि पहले इसका आरंभ 25 मार्च से होता था परंतु 18वीं शताब्दी से इसका आरंभ 1 जनवरी से होने लगा। 

अंततः आज हमें अपनी संस्कृति को बदलने की नहीं बल्कि कैलेंडर बदलने की जरुरत है। स्वामी विवेकानन्द ने कहा था - ‘यदि हमें गौरव से जीने का भाव जगाना है, अपने अन्तर्मन में राष्ट्र भक्ति के बीज को पल्लवित करना है तो राष्ट्रीय तिथियों का आश्रय लेना होगा। गुलाम बनाए रखने वाले परकीयों की दिनांकों पर आश्रित रहने वाला अपना आत्म गौरव खो बैठता है।’



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देवेंद्रराज सुथार
बागरा, जालोर, राजस्थान।
मोबाइल - 8107177196
जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय जोधपुर में अध्ययनरत। 

अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव का समापन

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मोरारजी देसाई  राष्ट्रीय योग संस्थान नई दिल्ली एवं आयुष मंत्रालय, भारत सरकार के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित त्रिदिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव का समापन स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज की पावन उपस्थिति में अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव की अध्यक्षता श्री श्रीपद येसो नाईक जी और मुख्य अतिथि श्रीमती सुमित्रा महाजन जी, विशिष्ट अतिथि पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज,  आचार्य बालकृष्ण  जी योग बनाता है व्यक्ति को योग्य पृथ्वी को बचाना है तो पर्यावरण को बचाना होगा- पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी  ऋषिकेश. ताल कटोरा इंडोर स्टेडियम में मोरारजी देसाई  राष्ट्रीय योग संस्थान, नई दिल्ली एवं आयुष मंत्रालय, भारत सरकार के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित त्रिदिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव का समापन समारोह परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज की पावन उपस्थिति में सम्पन्न हुआ.

अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव समापन समारोह की अध्यक्षता राज्यमंत्री आयुष मंत्री, भारत सरकार श्री श्रीपद येसो नाईक जी ने की तथा आज के कार्यक्रम की मुख्य अतिथि लोकसभा अध्यक्ष श्रीमती सुमित्रा महाजन जी तथा इस पावन अवसर पर पंतजलि योग पीठ से आचार्य बालकृष्ण शास्त्री जी, जीवा की अन्तर्राष्ट्रीय महासचिव साध्वी भगवती सरस्वती जी, नरेश कुमार जी, डाॅ एम. वी. भोले, डाॅ नागेन्द्र जी तथा अन्य विशिष्ट अतिथियों ने सहभाग किया।  ताल कटोरा इंडोर स्टेडियम में योग के विविध आयामों यथा योग के वैज्ञानिक पहलू, इंटीग्रेशन आॅफ योग एण्ड हेल्थ केयर, स्पेशल थेरेपी तकनीक इन योग, योग सूत्र, योग विषय पर सत्संग, क्विज काम्पटीशन, योग के क्षेत्र की सक्सेस स्टोरीज और  क्विज काम्पटीशन के विजेताओं को पुरस्कार वितरण किया गया.

अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव के समापन समारोह को सम्बोधित करते हुये परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा, ’वसुधैव कुटुम्बकम को साकार करने के लिये योग एक प्रयोग है. योग, व्यक्ति को योग्य बनाता है और उस योग्यता का उपयोग समाज के लिये; पर्यावरण के लिये; नदियों के लिये तथा पूरी धरती को प्रदूषण मुक्त करने के लिये करें. स्वामी जी ने कहा कि योग से करे नये-नये प्रयोग और उन प्रयोगों का उपयोग विश्व बन्धुत्व के लिये; समरसता, सद्भाव; संस्कार; संस्कृति और शान्ति की स्थापना के लिये योग का प्रयोग करे. स्वामी जी महाराज ने कहा, योग, अब पर्यावरण के करे प्रयोग। योग के साथ-साथ पर्यावरण योग भी बहुत जरूरी है.हमें पृथ्वी को बचाना है तो पर्यावरण को बचाना होगा.स्वामी जी ने कहा कि इस देश ने अपनी संस्कृति को संस्कारों को जो महत्व दिया है उसी के कारण ये देश आज पूरे विश्व में 1000 सालों तक अनेक शासकों के द्वारा दिये दुःख को झेलता हुआ भी आगे बढ़ता रहा और आज भी जिंदा है और सदियों तक जिंदा रहेगा.ौयोग किसी भी प्रकार के वाद और विवाद को समाप्त कर सकता है.

आचार्य बालकृष्ण शास्त्री जी ने कहा कि योग, रोगों से मुक्ति की माध्यम है योग के माध्यम से हम परमपिता परमात्मा की निकटता प्राप्त कर सकते है. अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाने का मतलब है कि अब योग की शक्ति को पूरी दुनिया ने स्वीकार किया है उन्होने इसका श्रेय प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी जी एवं स्वामी रामदेव जी महाराज को दिया. राज्यमंत्री आयुष मंत्री, भारत सरकार श्री श्रीपद येसो नाईक जी ने उपस्थित सभी महानुभावों का धन्यवाद किया और कहा कि हम सभी मिलकर योग का अभ्यास करे और योग को बढ़ावा दे.  स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज एवं अन्य अतिथियों ने क्विज काम्पटीशन के विजेताओं को पुरस्कार एवं प्रमाणपत्र वितरित किये.इस अवसर पर वहां उपस्थित सभी अतिथियों को पर्यावरण संरक्षण का संकल्प कराया. स्वामी जी महाराज ने विशिष्ट अतिथियों को रूद्राक्ष का पौधा भेंट किया.

बिहार : गुड फ्राइडे के दिन छुट्टी नहीं देने पर बिफर लोग

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पटना. सोशल मीडिया पर गुड फ्राइडे के दिन छुट्टी घोषित नहीं होने, बेतिया में कुछ लोगों का पैर प्रत्येक साल पैर धोने और पटना में विक्टर फ्रांसिस द्वारा निर्मित  झांकी नहीं निकालने को लेकर गर्मागरम चर्चा चलती रही.तथाकथित राजनीतिक दामन थामने वाले ईसाई नेताओं पर कीचड़ उछाला गया कि हिम्मत है तो गुड फ्राइडे की छुट्टी दिला दें. बता दें कि सरकार पर दबाव बनाने के लिये अखबार का सहारा लिया.इस पर सरकार ने संज्ञान नहीं ली.तब सरकार के पक्ष में नेता बोलने लगे और मुद्दे को विषयांतर कर दिये.मिशनरियों द्वारा संचालित स्कूलों में 1 नवम्बर को सभी संतों के पर्व के दिन मिलने वाली छुट्टी को रद्द कर दी गयी है. इसको लेकर बवाल काटे. बेतिया चर्च के फादर और बिशप पर फेसबुकिया हमला किया गया.यहां पर लगातार पेटेंट लोगों का ही पैर धोया जा रहा है.पुण्य वृहस्पतिवार को बहुत सारे बुर्जुग हैं जो पैर धुलवाने का माद्दा रखते हैं.इस विषय को लेकर यहाँ पर और भी लोगों के रिएक्शन देख कर अच्छा लग रहा है और इससे यह साबित होता है की इन चमचों और पैरिश  प्रिस्ट के कार्यों से सिर्फ़ यूथ ही नहीं बल्कि पैरिश के लोग भी परेशान है.7 तारीख़ के बाद साथ आइए साथ बैठिए और आगे का रूप रेखा तैयार करिए और पैरिश को चाटुकारों से बचाइए.

कुर्जी चर्च में गुड फ्राइडे के दिन सुबह में विक्टर फ्रांसिस के द्वारा निर्मित झांकी प्रस्तुत की जाती थी जिसे इस साल प्रदर्शित करने नहीं दिया गया.उसके बदले फादर जोनसन,फादर सुशील और फादर देवाशीष ने मिलकर बुनियादी समस्याओं को समेटकर चौदह मुकाम पेश किये.जो घंटाभर में खत्म हुआ.इसे लोगों ने नकारा.विक्टर फ्रांसिस के समक्ष आकर चिंता व आक्रोश व्यक्त किये.खुद विक्टर ने कहा कि सैकड़ों लोग आकर कहा कि धार्मिक आयोजन फीका रहा.मीडिया का भी रूझान नहीं था.चटपटा नहीं था लोग  कैसे आयेंगे. कुर्जी पल्ली परिषद के पूर्व पार्षद क्लारेंस हेनरी ने कहा कि अनुमानित 90 प्रतिशत लोग झांकी देखने के समर्थन और मूड में हैं. 10 प्रतिशत लोग आड़गा लगा रखा.ऐसे लोग के विचार से परिवर्तन कर दिया गया.एक बार याजक और अयाजक वर्ग आमने-सामने आ गये हैं.नोट्रेडम एकेडमी द्वारा क्रिश्चियन बच्चों को स्कूल में एडमिशन लेने तिड़कमबाजी अपनाया जाता है.

विशेष आलेख : महावीर बनने की तैयारी में जुटें

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भगवान महावीर आदमी को उपदेश और दृष्टि देते हैं कि धर्म का सही अर्थ समझो। धर्म तुम्हें सुख, शांति, समृद्धि, समाधि, आज, अभी दे या कालक्रम से दे, इसका मूल्य नहीं है। मूल्य है धर्म तुम्हें समता, पवित्रता, नैतिकता, अहिंसा की अनुभूति कराता है। महावीर का जीवन हमारे लिए इसलिए महत्वपूर्ण है कि उसमें सत्य धर्म के व्याख्या सूत्र निहित हैं, महावीर ने उन सूत्रों को ओढ़ा नहीं था, साधना की गहराइयों में उतरकर आत्मचेतना के तल पर पाया था। आज महावीर के पुनर्जन्म की नहीं बल्कि उनके द्वारा जीये गये आदर्श जीवन के अवतरण की/पुनर्जन्म की अपेक्षा है। जरूरत है हम बदलें, हमारा स्वभाव बदले और हम हर क्षण महावीर बनने की तैयारी में जुटें तभी महावीर जयंती मनाना सार्थक होगा।

भगवान महावीर से जुड़ा एक पौराणिक प्रसंग है। इन्द्र ने देवों की एक परिषद बुलाई और सभी देवों के बीच में कहा-महावीर जैसा कष्ट सहिष्णु मनुष्य इस पृथ्वी पर कोई नहीं है। यहां उपस्थित देवों में से कोई भी उन्हें अपने पथ से विचलित नहीं कर सकता। परिषद के सदस्य देवों ने इन्द्र की बात से सहमति व्यक्त की। किन्तु संगम नामक देव इन्द्र की बात से सहमत नहीं हुआ। उसने कहा-‘कोई भी मनुष्य इतना कष्ट सहिष्णु नहीं हो सकता, जिसे देवता अपनी शक्ति से विचलित न कर सकें। यदि आप मेरे कार्य में बाधक न बनें तो मैं उन्हें विचलित कर सकता हूं।’ इन्द्र को वचनबद्ध कर संगम मनुष्य लोक में आया। उसने महावीर को कष्ट देना शुरू किया। केवल एक रात्रि में बीस बार मारक कष्ट दिए। उसने हाथी बनकर महावीर को आकाश में उछाला, वृश्चिक बनकर काटा, वज्र चींटियों का रूप धारण कर उनके शरीर को लहूलुहान किया, फिर भी महावीर के मन में कोई प्रकम्पन नहीं हुआ। वे तनिक भी विचलित नहीं हुए और अपनी साधना में लगे रहे। आचार्य तुलसी ने इसी संन्दर्भ में कहा है कि विचलन तब होता है, जब व्यक्ति हिंसा से प्रताड़ित होता है। हिंसा की प्रताड़ना तब होती है, जब व्यक्ति संवेदन के साथ ध्यान को जोड़ता है और यह मानने लग जाता है कि कोई दूसरा उसे सता रहा है। अहिंसा का सूत्र है कि ध्यान को संवेदन के साथ न जोड़ें और किसी दूसरे को कष्टदाता न मानें। भगवान महावीर अपने कर्म-संस्कारों के सिवाय किसी दूसरे को दुःख देने वाला नहीं मानते थे और अपने ध्यान को चैतन्य से विलग नहीं करते थे। इसलिए भयंकर कष्टों पर वातावरण पैदा करके भी संगम अपने लक्ष्य को पूरा नहीं कर सका।

संगम ने महावीर को विचलित करने का दूसरा रास्ता अपनाया। उसने रूपसियों की कतार खड़ी की और महावीर को अपने प्रेम-जाल में फंसाने का प्रयत्न शुरू कर दिया लेकिन वहां भी वह महावीर की साधना को भंग नहीं कर सका। क्योंकि महावीर की अहिंसा में प्रतिकूल और अनुकूल दोनों परिस्थितियों पर समान रूप से विजय प्राप्त करनी होती है। अनुकूल वातावरण में अविचलित रहना प्रतिकूल वातावरण की विजय से अधिक कठिन है। पर चैतन्य की महाज्वाला के प्रदीप्त होने पर प्रतिकूल और अनुकूल दोनों ईंधन उसमें भस्म हो जाते हैं, उसे भस्म नहीं कर पाते। संगम ने तरह-तरह के घातक और मर्मांतक प्रयोग किये, लेकिन महावीर को परास्त नहीं कर सका और उसका धैर्य विचलित हो गया। आखिर में हार कर उसने महावीर के पास आकर कहा-‘भंते! अब आप सुख से रहें। मैं जा रहा हूं। आपकी अहिंसा विजयी हुई है, मेरी हिंसा पराजित। मैं आपको कष्ट दे रहा था और आप मुझ पर करुणा का सुधासिंचन कर रहे थे। मैं आपको वेदना के सागर में निमज्जित कर रहा था और आप यह सोच रहे थे कि संगम मुझे निमित्त बनाकर हिंसा के सागर में डूबने का प्रयत्न कर रहा है। आपके मन में एक क्षण के लिए भी मुझ पर क्रोध नहीं आया। मुझे इसका दुख है कि मैंने आपको बहुत सताया, किन्तु मुझे इस बात का गर्व भी है कि समत्व की अनुपम प्रतिमा को मैंने अपनी आंखों से देखा।’ सचमुच महावीर अहिंसा के महान साधक एवं प्रयोक्ता थे।

महावीर की अहिंसा जीवों को न मारने तक सीमित नहीं थी। उसकी सीमा सत्य-शोध के महाद्वार का स्पर्श कर रही थी। इसीलिये भगवान महावीर की मूल शिक्षा है- ‘अहिंसा’। सबसे पहले ‘अहिंसा परमो धर्मः’ का प्रयोग हिन्दुओं का ही नहीं बल्कि समस्त मानव जाति के पावन ग्रंथ ‘महाभारत’ के अनुशासन पर्व में किया गया था। लेकिन इसको अंतर्राष्ट्रीय प्रसिद्धि दिलवायी भगवान महावीर ने। भगवान महावीर ने अपनी वाणी से और अपने स्वयं के जीवन से इसे वह प्रतिष्ठा दिलाई कि अहिंसा के साथ भगवान महावीर का नाम ऐसा जुड़ गया कि दोनों को अलग कर ही नहीं सकते। अहिंसा का सीधा-साधा अर्थ करें तो वह होगा कि व्यावहारिक जीवन में हम किसी को कष्ट नहीं पहुंचाएं, किसी प्राणी को अपने स्वार्थ के लिए दुःख न दें। ‘आत्मानः प्रतिकूलानि परेषाम् न समाचरेत्’’ इस भावना के अनुसार दूसरे व्यक्तियों से ऐसा व्यवहार करें जैसा कि हम उनसे अपने लिए अपेक्षा करते हैं। इतना ही नहीं सभी जीव-जन्तुओं के प्रति अर्थात् पूरे प्राणी मात्र के प्रति अहिंसा की भावना रखकर किसी प्राणी की अपने स्वार्थ व जीभ के स्वाद आदि के लिए हत्या न तो करें और न ही करवाएं और हत्या से उत्पन्न वस्तुओं का भी उपभोग नहीं करें।  भगवान महावीर का संपूर्ण जीवन तप और ध्यान की पराकाष्ठा है इसलिए वह स्वतः प्रेरणादायी है। भगवान के उपदेश जीवनस्पर्शी हैं जिनमें जीवन की समस्याओं का समाधान निहित है। भगवान महावीर चिन्मय दीपक हैं। दीपक अंधकार का हरण करता है किंतु अज्ञान रूपी अंधकार को हरने के लिए चिन्मय दीपक की उपादेयता निर्विवाद है। वस्तुतः भगवान के प्रवचन और उपदेश आलोक पंुज हैं। ज्ञान रश्मियों से आप्लावित होने के लिए उनमें निमज्जन जरूरी है। 



(ललित गर्ग)
60, मौसम विहार, तीसरा माला, 
डीएवी स्कूल के पास, दिल्ली-110051
फोनः 22727486, 9811051133

सीहोर (मध्यप्रदेश) की खबर 31 मार्च

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सफलता की कहानी : शासन की योजना से जुटाए सिंचाई के साधन, खेती बनी लाभ का धंधा

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सीहोर जिले की बुधनी तहसील के ग्राम जोनतला के किसान श्री कमलेश लगभग साढ़े चार एकड़ खेत पर कृषि कार्य कर अपना भरण पोषण करते हैं। कमलेश बताते हैं कि मेरे पास पूर्व में सिंचाई के लिए डीजल पंप नही था जिसकी वजह से में एक ही फसल ले पाता था। मेरी आर्थिक स्थिति अच्छी न होने के कारण मैं बाजार से पंप क्रय नही कर पाता था। मेरे द्वारा कृषि विभाग से विभिन्न योजनाओं की जानकारी प्राप्त की तथा डीजल पंप 5 हार्सपावर अनुदान पर क्रय किया जिसमें मुझे 10,000/- रूपये का अनुदान प्राप्त हुआ जिसकी वजह से में अब वर्ष में दो फसल लेता हूँ खरीफ में मेरे द्वारा धान पूसा बासमती की फसल ली जिससे मुझे भरपूर लाभ मिला तथा रबी में मैंने गेंहू की फसल लगाई और इंजन से सिंचाई की तथा विपरीत मौसम में भी 19 क्वि. प्रति एकड़ गेंहू की उपज प्राप्त की। जिससे मेरी आर्थिक स्थिति सुधरी एवं मुझे भरपूर लाभ मिला। में अन्य कृषकों से भी आग्रह करता हूँ कि वे शासन की इस योजना का लाभ उठाएं और कृषि को लाभ का धंधा बनाएं।

रोगी कल्याण समिति की बैठक में  कलेक्टर ने दिए कडे निर्देश

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शनिवार 31 मार्च,2018 को कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में कलेक्टर श्री तरूण कुमार पिथोडे ने रोगी कल्याण समिति की आवश्यक बैठक ली। बैठक में कलेक्टर ने अस्पताल में व्याप्त अव्यवस्थाओं, सफाई व्यवस्था एवं अनावश्यक भीड को रोकने सहित अन्य व्यवस्थाएं सुधारने के लिए सख्त निर्देश दिए। उन्होंने रोगी कल्याण समिति की आय में वृध्दि करने के उपायों के तहत सामान्य श्रेणी के ओपीडी मरीजों के लिए बनाये जा रहे पर्चों का शुल्क 5 रूपये से बढाकर 10 रूपये, भर्ती हेतु बनाये जाने वाले पर्चों का शुल्क 20 रूपये से बढाकर 30 रूपये तथा एक्सरे शुल्क 100 रूपये प्रति एक्सरे निर्धारित करने के निर्देश दिए। कलेक्टर ने कहा कि अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों के लिए प्रत्येक मरीज को मात्र 2 अटेडेंट पास ही दिए जाए जिससे अस्पताल के वार्डों में होने वाली अनावश्यक भीड को रोका जा सके। उन्होंने यह भी निर्देश दिए कि अस्पताल परिसर में पोलीथीन पूर्णत: बेन किया जाए। उल्लंघन करने वालों पर 500 रूपये जुर्माना लगाया जाए और इसकी सूचना देने वालों को 200 रूपये ईनाम दिया जाए। कलेक्टर ने रोगी कल्याण समिति के तहत अस्पताल में पदस्थ कर्मचारियों के वेतन बढाने के भी निर्देश दिए। श्री पिथोडे ने एचएचओ को निर्देश दिए कि अस्पताल में कार्यरत कर्मचारियों द्वारा की जाने वाली लापरवाही बर्दाश्त न की जाए। कलेक्टर श्री पिथोडे ने अपनी ओर से दस हजार रूपये का चैक भी रोगी कल्याण समिति को भेंट किया ताकि और अच्छी व्यवस्थाएं की जा सकें। बैठक में सीएमएचओ डॉ. डी.आर. अहिरवार, सिविल सर्जन डॉ. ए.ए.कुरेशी, आरएमओ डॉ. सुधीर श्रीवास्तव, ईई पीडब्ल्यूडी श्री सतीश शर्मा, बाल विकास अधिकारी श्री संजय सिंह, श्री राजकुमार गुप्ता उपस्थित थे। 
 
 कलेक्टर के निर्देश पर असंगठित मजदूरों के पंजीयन हेतु, एसडीएम ने ली बैठक

कलेक्टर श्री तरूण कुमार पिथोडे के निर्देश पर शनिवार 31 मार्च को एसडीएम श्री राजकुमार खत्री ने सीएमओ नगरपालिका श्री सुधीर सिंह के साथ नगरपालिका परिषद में असंगठित मजदूरों के पंजीयन कार्य में लगाए गए समस्त नपा कर्मचारियों की बैठक ली एवं सटीक एवं शीध्र पंजीयन के लिए आवश्यक गाइड लाईन दी। दिए गए निर्देशों के तहत अब कर्मचारियों को अलग अलग प्रकार के मजदूरों के पंजीयन करने का कार्य सौपा गया है। इसमें कपडा दुकानों पर कार्यरत, होटलों पर कार्यरत, ईट भट्टों पर कार्यरत, ड्राइविंग कार्य में लगे, मेकेनिक कार्य सहित अन्य कार्यो में मजदूरी करने वाले मजदूरों को प्रत्येक श्रेणी के लिए एक एक कर्मचारी पंजीयन कार्य करेगा। यही नही शहर में कार्यरत ऐसे मजदूर जो गांवों में रहते है और रोज मजदूरी करने शहर में आते हैं को भी समझाईश दी जाएगी कि मुख्यमंत्री जी द्वारा मजदूरों के हित में चलाई जा रही इस योजना के समस्त लाभ प्राप्त करने के लिए अपने अपने गांवों में पंजीयन अवश्यक करायें।       
   
अभियान की तिथि
समस्त  ज़िलों में असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों का 01 अप्रैल से विशेष अभियान चलाकर पंजीयन किया जाएगा । 

असंगठित श्रमिक कौन
असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों में कृषि मजदूर, घरों में काम करने वाले, फेरी लगाने वाले दुग्ध श्रमिक, मछली पालन श्रमिक, पत्थर तोड़ने वाले, पक्की ईंट बनाने वाले, बाज़ारों में दुकान पर काम करने वाले, गोदामों में काम करने वाले, परिवहन, हथकरघा, पावरलूम, रंगाई-छपाई, सिलाई, अगरबत्ती बनाने वाले, चमड़े में वस्तुयें और जूते बनाने वाले, ऑटो रिक्शा चालक, आटा, तेल, दाल तथा चावल मिलों में काम करने वाले, लकड़ी का काम करने वाले, बर्तन बनाने वाले, कारीगर, लुहार, बढ़ई तथा माचिस एवं आतिशबाज़ी उद्योग में लगे श्रमिक होंगे।

हितग्राहियों के लाभ
असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के पंजीयन करने के पश्चात गर्भवती श्रमिक को महिलाओं पोषण आहार 4 हज़ार रुपये, प्रसव पर 12 हज़ार 500, मुखिया श्रमिक की मृत्यु पर 2 लाख से 4 लाख सहायता, अंतिम संस्कार के लिए 5 हज़ार सहायता, गंभीर बीमारी पर ईलाज, हर श्रमिक को मकान हेतु सहायता, श्रमिकों के बच्चों को पहली कक्षा से उच्च शिक्षा हेतु सहायता, प्रतियोगी परीक्षाओं हेतु कोचिंग, स्वयं का रोजगार हेतु प्रशिक्षण और बैंक ऋण, श्रमिकों हेतु स्वरोजगार प्रशिक्षण। साइकिल-रिक्शा चलाने वाले को ई-रिक्शा और हाथ ठेला चलाने वाले को ई-लोडर का मालिक बनाने की पहल 5 प्रतिशत ब्याज अनुदान के साथ 30 हज़ार की सब्सिडी दी जाएगी, शहरों में छोटे-मोटे काम करने वालों को साईकिल के लिए 4 हज़ार रुपये की सहायता, असंगठित श्रमिक परिवारों को बिजली कनेक्शन उनसे 200 रुपये मासिक फ्लैट रेट पर बिजली, तेंदुपत्ता तोड़ने, महुआ के फूल एवं चिरोंजी बीनने वाली श्रमिक बहनों को चरण पादुका योजना के तहत जूते-चप्पल और प्यास बुझाने के लिए ठंडे पानी की कुप्पी आदि से लाभांवित किया जाएगा ।

पंजीयन हेतु पात्रता
असंगठित मजदूरों के पंजीयन हेतु श्रमिक की आयु  18 से 60 वर्ष तक की आयु हो,  असंगठित श्रमिक श्रेणी में कार्यरत हो, श्रमिक आयकर दाता ना हो तथा उसके पास 1 हेक्टेयर से ज्यादा कृषि भूमि नहीं होना चाहिए।

पंजीयन हेतु दस्तावेज़
असंगठित मजदूरों के पंजीयन हेतु हितग्राही को निर्धारित प्रारूप में आवेदन सह घोषणा पत्र भरना होगा तथा समग्र आई. डी. क्रमांक, पासपोर्ट साइज फ़ोटो,  राशन कार्ड की फोटो कापी, बैंक पासबुक की फोटोकॉपी, आधार कार्ड की फोटोकॉपी आवेदन के साथ संलग्न करना होगा।  पंजीयन दिनांक से 5 वर्ष तक वैध रहेगा तथा पंजीयन पूर्णत: निशुल्क होगा।

पंजीयन शिविर
जिले में पंजीयन शिविर ग्रामीण क्षेत्रांतर्गत ग्राम पंचायत स्तर पर तथा  शहरी क्षेत्र में झोन स्तर पर शिविर आयोजित किए जाएंगे।  पंजीयन / हितलाभ हेतु ग्रामीण क्षेत्र के लिए पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग तथा शहरी क्षेत्र हेतु नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग को नोडल विभाग नियुक्त किया गया है।
 
मंत्री श्री आर्य ने किया कन्या हाईस्कूल का शुभारंभ, महायज्ञ में भी हुए शामिल

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प्रदेश के पशुपालन, जेल, पर्यावरण तथा मछुआ कल्याण एवं मत्स्य विकास विभाग मंत्री श्री अंतरसिंह आर्य शनिवार 31 मार्च को सीहोर जिले की नसरूल्लागंज तहसील के ग्राम बावडीखेडा (देवझीरी) पहुंचे और श्रीराम मारूति महायज्ञ के समापन में सम्मिलित होकर पूर्णाहुति दी। इसके पश्चात ग्राम लाडकुई पहुंचकर शासकीय कन्या माध्यमिक विद्यालय का उन्नयन होने पर कन्या हाईस्कूल का शुभारंभ किया। मंत्री श्री आर्य गूलरपुरा भी पहुंचे जहां उन्होंने हनुमान जयंती पर पूजा अर्चना की। इस अवसर पर मध्यप्रदेश वन विकास निगम अध्यक्ष श्री गुरू प्रसाद शर्मा, म.प्र.वेयर हाउसिंग कार्पोरेशन के अध्यक्ष श्री राजेन्द्र सिंह राजपूत सहित अन्य जनप्रतिनिधि तथा बडी संख्या में स्थानीयजन एवं शासकीय सेवक उपस्थित थे। 

उपाध्यक्ष श्री अहिरवार विभागीय अधिकारियों से चर्चा करेंगे आज

म.प्र. राज्य सहकारी अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम के उपाध्यक्ष (राज्य मंत्री दर्जा) श्री भुजबल सिंह अहिरवार रविवार 1 अप्रैल, 2018 को प्रात: 10 बजे विभागीय अधिकारियों के साथ बैठक कर चर्चा करेंगे एवं दोपहर 4 बजे सीहोर से भोपाल हेतु प्रस्थान करेंगे। श्री अहिरवार 31 मार्च को शाजापुर से प्रस्थान कर रात्रि को 8 बजे सीहोर सर्किट पहुंच जाएंगें। 

विदिशा (मध्यप्रदेश) की खबर 31 मार्च

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विदिशा जिला ओडीएफ घोषित हुआ

सम्पूर्ण विदिशा जिला आज ओडीएफ घोषित हुआ है के आश्य की जानकारी आज जिला पंचायत के सभागार कक्ष में आहूत बैठक के दौरान दी गई। जिला पंचायत सीईओ श्री दीपक आर्य ने बताया कि जिले में ओडीएफ के मापदण्डों के अनुरूप कार्यो को कराने में जनप्रतिनिधियों, गणमान्य नागरिकों और अधिकारियों के सहयोग से संभव हुआ है। कलेक्टर श्री अनिल सुचारी के प्रति आभार व्यक्त करते हुए जिला पंचायत सीईओ ने कहा कि सर के मार्गदर्शन में तय रणनीति के अनुसार जिले में ओडीएफ घोषित कराने के मापदण्डों को प्राप्त किया गया है। 

नवीन तकनीकियों को उपयोग करें-राज्यमंत्री श्री मीणा

उद्यानिकी राज्यमंत्री श्री सूर्यप्रकाश मीणा ने आज नटेरन में किसानो के प्रशिक्षण कार्यक्रम में कहा कि नवीन तकनीकियों का उपयोग कर हम पैदावार में वृद्वि कर सकते है। इसके लिए जिले में हर संभव प्रयास किए जा रहे है। उन्होंने वैज्ञानिकों द्वारा बतलाई जा रही पद्वतियों का खेतों में उपयोग करने की सलाह दी। राज्यमंत्री श्री मीणा ने कहा कि किसानों की आय को दुगना करने के लिए उद्यानिकी विभाग की भी कार्ययोजना एवं रूटचार्ट तय किया गया है। तदानुसार किसानों को अभिप्रेरित किया जा रहा है। राज्यमंत्री श्री मीणा ने बताया कि उद्यानिकी विभाग के माध्यम से क्रियान्वित योजनाओं में पचास प्रतिशत अनुदान देय है वही अनुसूचित जाति, जनजाति वर्ग के किसानों के लिए योजनाओं पर 75 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है। क्षेत्र में उद्यानिकी फसलों के प्रति किसानों का रूझान बढे इसके लिए ग्राम पंचायत स्तरों पर भी प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित कर किसानों को उद्यानिकी फसले लेने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। राज्यमंत्री श्री मीणा ने कहा कि उद्यानिकी फसले नगदी फसले होती है बाजार में लेकर सीधे बेचने पर राशि प्राप्त हो जाती है। उद्यानिकी फसलों को लेने वाले किसान हर रोज राशि प्राप्त करें इसके लिए उन्हें फल-फूल सब्जियों की उन्नत किस्मों के बीज सुगमता से मुहैया कराए जा रहे है। कार्यक्रम को जनप्रतिनिधियों के द्वारा भी सम्बोधित किया गया। नटेरन के मंगल भवन प्रागंण में आयोजित दो दिवसीय प्रशिक्षण सहकार्यशाला में अनुसूचित जाति, जनजाति वर्ग के कृषकों को आमंत्रित किया गया है। कार्यशाला की रूपरेखा एवं उद्वेश्यों की जानकारी विभाग के सहायक संचालक श्री केएल व्यास द्वारा दी गई। कार्यशाला में कृषि वैज्ञानिकों द्वारा उद्यानिकी क्षेत्र में हुए बदलाव की जानकारी विस्तारपूर्वक दी गई है। उन्होंने प्रशिक्षण के द्वितीय सत्र में प्रश्नोत्तरी सवालो के माध्यम से किसानों की समस्याओं का निदान किया।

केन्द्रीय नीति आयोग के प्रतिनिधियों ने जायजा लिया

भारत नीति आयोग के प्रतिनिधि एवं सीएमडी भारत नेट श्री संजय सिंह और राज्य नीति आयोग के प्रतिनिधि श्री केदार शर्मा द्वारा आज विदिशा जिले में क्रियान्वित योजनाओं की उपलब्धि और माॅनिटरिंग का आज पुनः जायजा लिया। जिला पंचायत सभाकक्ष में हुई इस समीक्षा बैठक में कलेक्टर श्री अनिल सुचारी, जिपं सीईओ श्री दीपक आर्य के अलावा स्वास्थ्य, महिला एवं बाल विकास विभाग की अधिकारी मौजूद थे। केन्द्रीय नीति आयोग के प्रतिनिधि श्री संजय सिंह ने नीति आयोग के द्वारा कराए गए सर्वे के निर्धारित प्रपत्रों के अनुरूप जिले में प्रपत्रों पर क्रियान्वयन जानकारियां आॅन लाइन अंकित कर समय सीमा में भिजवाना सुनिश्चित करने के निर्देश स्वास्थ्य एवं स्कूल शिक्षा विभाग और महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारी को दिए। श्री संजय सिंह ने कहा कि आंगनबाडी केन्द्रो के माध्यम से दी जाने वाली सुविधाआंे से लाभांवित होने वालो की जानकारियां आॅन लाइन अपलोड करने की व्यवस्था क्रियान्वित की जाए। उन्होंने जिले में रिपोर्ट संग्रह के लिए क्या व्यवस्थाएं संचालित हो रही है कि जानकारी संबंधित विभागों के अधिकारियों से प्राप्त की। स्वास्थ्य एवं शिक्षा विभाग के कार्यो के फलस्वरूप विदिशा जिला पिछडे जिलों में शामिल है इसके लिए जिले में विशेष कार्यो पर बल देने साथ ही साथ माॅनिटरिंग करने पर अत्यधिक ध्यान देने की बात उन्होंने कही है। शैक्षणिक गुणवत्ता में सुधार हो इसके लिए समय पर संबंधितों के द्वारा अपने दायित्वों का निर्वहन किया जाए। स्थानीय स्तर पर क्रास मानिटरिंग के प्रबंध सुनिश्चित किए जाए। कलेक्टर श्री अनिल सुचारी ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग और महिला एवं बाल विकास विभाग के ग्राम स्तरीय अमले के द्वारा जो सेवाएं प्रदान की जा रही है उसकी अद्यतन जानकारियां समय सीमा में अपडेट नही करने के कारण जिला पिछडी श्रेणी में शामिल है उन्होंने सीधे अपडेट करने की कार्यवाही क्रियान्वित करने के निर्देश संबंधित विभागों के अधिकारियों को पुनः दिए। बैठक में बताया कि आंगनबाडी कार्यकर्ता द्वारा समुचित जानकारियां परियोजना स्तर पर दी जाती है इसी प्रकार टीकाकरण एवं स्वास्थ्य संबंधी कार्यो की अद्यतन जानकारियां आशा कार्यकर्ता द्वारा बीएमओ को दी जा रही है उक्त परम्परा में परिवर्तन लाने के निर्देश दिए गए है। समीक्षा बैठक में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डाॅ बीएल आर्य, एकीकृत बाल विकास सेवाएं के जिला कार्यक्रम अधिकारी श्री बृजेश शिवहरे के अलावा मत्स्य, पशु चिकित्सा, उद्यानिकी, कृषि, जल संसाधन विभाग के अधिकारी मौजूद थे।

सकारात्मक उपलब्धि जनप्रतिनिधियों के सहयोग से संभव

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कलेक्टर श्री अनिल सुचारी ने आज विदिशा जिला नीति आयोग के मापदण्ड में पिछडने के कारणों को दूर करने में जनप्रतिनिधियों का सहयोग अतिआवश्यक है के परिपेक्ष्य में आज जनप्रतिनिधियों की बैठक जिला पंचायत के सभागार कक्ष में उनके द्वारा आहूत की गई थी। इस बैठक मंें विधायक श्री कल्याण सिंह ठाकुर, जिला पंचायत अध्यक्ष श्री तोरण सिंह दांगी के अलावा समस्त जनपदों के अध्यक्ष, एसडीएम, जनपद सीईओ मौजूद थे। कलेक्टर श्री सुचारी ने नीतिआयोग के द्वारा निर्धारित फार्मेट के अनुरूप जिले में आशातीत प्रगति परलिक्षित नही होने के कारण पिछडे जिलों में शामिल करने के कारणों को रेखांकित किया। उन्होंने स्वास्थ्य, शिक्षा और महिला एवं बाल विकास विभाग के कार्यो की माॅनिटरिंग में जनप्रतिनिधियों से सुझाव प्राप्त किए। इस दौरान जनप्रतिनिधियों ने क्षेत्रों की भौगोलिकता को ध्यानगत रखते हुए स्वंय माॅनिटरिंग करने के दायित्वों का निर्वहन करने की सहमति व्यक्त की है। पावर प्रोजेक्टर के माध्यम से नीति आयोग द्वारा निर्धारित मापदण्डो के अनुरूप जिले में हासिल की गई प्रगति और कमियों को रेखांकित किया गया। कमियों को दूर करने के लिए स्थानीय स्तर पर किए जाने वाले प्रयासों पर सभी ने सहमति व्यक्त की है। जनप्रतिनिधियों द्वारा ग्राम स्तरीय अमले खासकर आंगनबाडी कार्यकर्ता, आशा कार्यकर्ता, अपने दायित्वों का निर्वहन पूर्ण ईमानदारी से करंे तो शत प्रतिशत प्रगति हासिल की जा सकती है। इस कार्य में कोटवारों, पंचायतों के सचिवों का भी सहयोग लेने पर बल दिया गया है। स्वास्थ्य, महिला एवं बाल विकास विभाग के लिए निर्धारित मापदण्डों की बिन्दुवार जानकारी दी गई और प्रगति की जानकारियां आॅन लाइन दर्ज कराने पर बल दिया गया।

परीक्षा परिणाम घोषित

जिला शिक्षा अधिकारी श्री एचएन नेमा ने बताया कि नवमीं एवं 11वीं का परीक्षा परिणाम आज घोषित किया गया है कक्षा नवमीं का परीक्षा परिणाम 48.66 है वर्ष 2018 की वार्षिक परीक्षा में कुल 22425 छात्र शामिल हुए थे जिसमें बालक 11277 तथा बालिकाएं 11148 शामिल है। परीक्षा परिणाम घोषित होने के उपरांत 4883 बालक एवं 5986 बालिकाएं कुल 10912 विद्यार्थी उत्तीर्ण हुए है। 792 विद्यार्थी को पूरक घोषित किया गया है तथा नवमी की परीक्षा में 6026 बालक एवं 4738 बालिकाएं अनुत्तीर्ण हुई है।  इसी प्रकार 11वीं की वार्षिक परीक्षा में कुल 12129 विद्यार्थी शामिल हुए है जिसमें 5558 बालक एवं 6571 बालिकाएं है। 11वीं का परीक्षा परिणाम 93.13 रहा है। कुल 11296 विद्यार्थी उत्तीर्ण हुए है उनमें 5043 बालक एवं 6253 बालिकाएं शामिल है जबकि 313 बालक एवं 272 बालिकाओं को पूरक और 303 बालक एवं 206 बालिकाएं अनुत्तीर्ण हुई है।

बिहार : यह कैसा विघालय है भाई? जहां 10 साल से शौचालय अधूरा पड़ा हुआ है

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चण्डी. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह क्षेत्र नालंदा का हाल है. एक ऐसा विघालय है,जहां 10 साल से शौचालय अधूरा पड़ा हुआ है.फिल्म शौले के एक डायलॉग की तरह पूछा जा रहा है कि यह कैसा विघालय है भाई? इस प्रखंड के प्रखंड विकास पदाधिकारी व प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी ही प्राथमिक विघालय, सिंदुआरा की सुधि ले रहा हैं.इसका दुष्परिणाम टीचर और स्टूडेंट्स पर पड़ रहा है. सीएम नीतीश कुमार की जन्म-स्थली प्रखंड हरनौत सीमांत से सटे चण्डी प्रखंड है.इस प्रखंड के महकार पंचायत में है सिंदुआरा गांव.इस गांव में है प्राथमिक विघालय,  सिंदुआर.यहां की प्रधानाध्यापिका हैं बच्ची कुमारी.ये सिंदुआरा में ही रहती हैं.यहां पर डिम्पल कुमारी व सुबोध कुमार. यहां की प्रधानाध्यापिका कहती हैं कि मुखिया जी के फंड से सेप्टिटेक बाथरुम तैयार किया गया.राशि के अभाव में शौचालय अधूरा पड़ गया.वे यहां 1983 से कार्यशील हैं.अब तो अवकाश ग्रहण करने वाली हैं.काफी मिन्नत आरजू करने के बाद मुखिया जी शौचालय निर्माण करवाये.बनते-बनते पैसा कम हो गया और काम ठप पड़ गया.इसके बाद बीडीओ साहब के पास गुहार लगाये.10 साल से अधूरा पड़ा है. छात्रों ने कहा कि हमलोग 2 नम्बर (मल-त्याग)करने पोखर के किनारे,खेत में आदि जगहों में जाते हैं.मेडम डिम्पल कुमारी जी प्रधानाध्यापिका के घर चल जाती हैं.घंटों बाद आती हैं.इससे पढ़ाई बाधित होती है.

बताते चले कि 2 अक्टूबर,2019 तक स्वच्छ भारत निर्माण करना है.इसके आलोक में केंद्र सरकार के द्वारा स्वच्छ भारत मिशन और बिहार सरकार के द्वारा लोहिया स्वच्छ बिहार अभियान सफलतापूर्ण संचालित है. इसके आलोक में परमार्थ निकेतन के संचालक स्वामी चितानंद सरस्वती महाराज जी के अथक प्रयास से हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई आदि धर्माधिकारियों के सहयोग से ग्लोबल इंटरफेथ वास एलायंस जीवा का गठन किया है. इस समय जीवा के द्वारा स्वच्छता क्रांति रथ से स्वामी चितानंद जी का संदेश लोगों तक पहुंचाया जा रहा है. संदेश में मुख्यत: स्वच्छ जल पीने व खुले में शौच नहीं करने का है. पटना जिले के शहरी क्षेत्र दीघा में, इसी जिले   मोकामा प्रखंड, सीएम नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा के हरनौत प्रखंड,राजगीर प्रखंड ,बिन्द प्रखंड और चण्डी प्रखंड के गांवों में वास एण्ड व्हील के सहयोग से स्वच्छता जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. संदेश सुनने वाले लोगों ने कहा कि जीवा के द्वारा नोबल कार्य किया जा रहा है.ऐसे में परमार्थ निकेतन के संस्थापक स्वामी चितानंद सरस्वती महाराज जी को नोबल पुरस्कार देकर सम्मानित करना वक्त की मांग है. 

तृणमूल ने रैलियां निकालीं, भाजपा, विहिप ने मंदिर में समारोह मनाया

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कोलकाता, 31 मार्च, पश्चिम बंगाल में कड़ी सुरक्षा के बीच आज हनुमान का जन्मोत्सव मनाया गया। सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने राज्य के कई हिस्सों में रंगारंग जुलूस निकाले और हनुमान की पूजा आयोजित कीं। पार्टी के वरिष्ठ नेता और मंत्री समारोहों में हिस्सा लेते दिखे। भाजपा और विश्व हिंदू परिषद( विहिप) ने सादे तरीके से जन्मोत्सव मनाते हुए मंदिर एवं मठों में छोटे स्तर पर समारोह आयोजित किए। भगवा ब्रिगेड ने इस हफ्ते की शुरूआत में रामनवमी के जश्न को लेकर राज्य के कई हिस्सों में हुई व्यापक हिंसा को देखते हुए हनुमान जन्मोत्सव समारोहों को सादे तरीके से मनाने का फैसला किया। विहिप के प्रदेश अध्यक्ष सचिंद्रनाथ सिंह ने कल कहा था कि हनुमान जन्मोत्सव पर बड़ी रैलियां निकालने से राज्य में और समस्याएं पैदा हो सकती हैं। पुलिस ने हनुमान जन्मोत्सव के जश्न के दौरान किसी तरह की अप्रिय घटना से बचने के लिए राज्य में सुरक्षा की व्यापक व्यवस्था की है। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया, ‘‘ हम संदिग्ध गतिविधियों पर नजर बनाए हुए हैं। किसी को भी हथियार लेकर रैलियां निकालने की मंजूरी नहीं होगी।’’ 
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