Quantcast
Channel: Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)
Viewing all 74188 articles
Browse latest View live

मोदी, हसीना की लंदन में हो सकती है बैठक

$
0
0
modi-hasina-may-meet-in-london
ढाका 01 अप्रैल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बंगलादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना की बैठक अप्रैल के तीसरे सप्ताह में लंदन में हो सकती है, सुश्री हसीना और श्री मोदी राष्ट्रमंडल प्रमुखों की बैठक में शामिल होने लंदन जायेंगे। एक ऑनलाइन प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक दोनों देश राष्ट्रमंडल प्रमुखों की बैठक से इतर श्री मोदी एवं सुश्री हसीना के बीच एक बैठक किये जाने की पहल कर रहे हैं । अगर यह बैठक होती है तो इन देशों की सरकारों के मौजूदा कार्यकाल की अंतिम उच्चस्तरीय बैठक होगी , इसलिए इस बैठक को समूचे दक्षिण एशियाई क्षेत्र के लिए बहुत महत्वपूर्ण हाे सकती है। भारतीय विदेश मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक श्री मोदी और सुश्री हसीना मौजूदा अंतरराष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय मुद्दों और द्विपक्षीय हितों के मामले में चर्चा करेंगे, हालांकि श्री मोदी बैठक में तीस्ता मुद्दे पर नहीं बोलेंगे।

जीसैट-6ए का इसरो से संपर्कविच्छेद

$
0
0
communication-from-isro-s-gsat-6a-lost-efforts-to-revive-satellite
बेंगलुरू 01 अप्रैल, दूरसंचार उपग्रह जीसैट-6ए का भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन(इसरो) से संपर्क टूट गया है। इसरो की ओर से आज जारी बयान में बताया गया कि उन्नत तकनीकी क्षमता वाले संचार पैनल्‍स और उपकरणाें के साथ 29 मार्च को प्रक्षेपित दूरसंचार उपग्रह जीसैट-6ए से संपर्क टूट गया है, हालांकि उपग्रह से संपर्क जोड़ने तथा इसे भूस्थैतिक कक्ष में स्थापित करने का प्रयास किया जा रहा है। जीसैट-6ए उपग्रह एक हाई पावर एस-बैंड संचार उपग्रह है, जो अपनी श्रेणी में दूसरा है। भारत इससे पहले जीसैट-6 लांच कर चुका है। यह नया उपग्रह, अगस्‍त 2015 से धरती की कक्षा में चक्‍कर लगा रहे जीसैट-6 की मदद के लिए भेजा गया है। इस उपग्रह में लगा छह मीटर का कॉम्‍पैक्‍ट एंटीना धरती पर कहीं से भी उपग्रह के जरिये कॉलिंग को आसान बना देगा।

सीबीएसई पेपरलीक में तीन पुलिस हिरासत में

$
0
0
three-police-custody-in-cbse-paper
नयी दिल्ली 01 अप्रैल, दिल्ली की एक अदालत ने केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के प्रश्नपत्र लीक मामले में आज दो अध्यापकों समेत तीन लोगों को दो दिन के लिए पुलिस हिरासत में भेज दिया। दिल्ली पुलिस में अपराध शाखा में संयुक्त पुलिस आयुक्त आलोक कुमार ने यहां संवाददाताओं को बताया कि इन तीनों लोगों को सुबह बवाना इलाके से गिरफ्तार किया गया था। बाद में इन्हें अदालत के समक्ष पेश किया गया जहां उन्हें दो दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया। श्री कुमार ने बताया कि इन लोगों में से दो निजी विद्यालय में अध्यापक है जबकि तीसरा एक कोचिंग सेंटर में ट्यूटर है। उन्होंने बताया कि 12 वीं कक्षा का अर्थशास्त्र का प्रश्नपत्र परीक्षा शुरू होने से लगभग 40 मिनट पहले लीक हुआ था। इन अध्यापकों ने प्रश्नपत्र का फोटो लेकर व्हाट ऐप के जरिए ट्यूटर को भेजा था जिसे उसने छात्रों को भेजा था। बारहवीं कक्षा की अर्थशास्त्र की परीक्षा 25 मार्च को आयोजित की गयी जिसे बाद प्रश्नपत्र लीक होने के कारण रद्द कर दिया गया था।

साजिश के तहत तोडी जा रही है डा अंबेडकर की प्रतिमायें : सावित्री बाई

$
0
0
ambedkar-statues-are-being-broken-under-conspiracy--bjp-mp
लखनऊ 01 अप्रैल, डा भीमराव अंबेडकर की प्रतिमाओं को खंडित किये जाने की एक के बाद एक घटनाओं से क्षुब्ध भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सांसद सावित्री बाई ने आज केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार पर आरोप लगाया कि एक सुनियोजित साजिश के तहत बाबा साहब रचित संविधान को बदलने की कोशिश की जा रही है। भारतीय संविधान व आरक्षण बचाओ महारैली में शिरकत करते हुये भाजपा सांसद ने कहा कि पूरे देश में बाबा साहब की मूर्तियां तोड़ी जा रही हैं। संविधान को बदलने का षडयंत्र किया जा रहा है। आरक्षण पर कुठाराघात हो रहा है और वहीं दूसरी ओर आरक्षण को समाप्त करने के लिये बड़े पैमाने पर निजीकरण भी किया जा रहा है। इसके लिये 85 प्रतिशत बहुजन समाज को एकजुट होकर इनके मन्सूबों को कामयाब नहीं होने देना है। उन्होंने कहा “ मैं सांसद रहूं या न रहूं, लेकिन मैं संविधान बदलने की साजिश कतई बर्दाशत नहीं करूंगी। मेरे शरीर पर जो पीली वस्त्र देख रहे हैं यह गौतम बुद्ध जी कपड़ा चीवर है। जब तक पूरा देश बुद्धमय नहीं होगा तब तक समाज आगे नहीं जा सकता। ” सुश्री सावित्री बाई ने कहा कि पदोन्नति में आरक्षण का बिल लम्बित है, अनेकों बार उनके द्वारा संसद में यह बात उठायी गयी लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं है। उन्होंने घोषणा की कि इस प्रकार के कार्यक्रम प्रत्येक जिले में आयोजित किये जायेंगे। दलित घोड़े पर बैठता है तो उसकी हत्या कर दी जाती है, पूरे देश व प्रदेश में दलितों व महिलाओं पर अत्याचार बढ़ गया है। अब बहुजन समाज इसे बर्दाश्त नहीं करेगा।

कश्मीर मुठभेड़ में 11 आतंकवादी ढेर,3 जवान शहीद

$
0
0
11-militants-3-soldiers-killed-several-sf-jawans-injured-in-kashmir-encounters
अवंतिपोरा 01 अप्रैल, दक्षिण कश्मीर में आज मुठभेड़ की तीन अलग-अलग घटनाओं में 11 आतंकवादी मारे गए और तीन जवान शहीद हो गये। इस दौरान सुरक्षा बलों के साथ झड़प में दो नागरिकों की भी मौत हो गयी तथा 40 अन्य घायल हो गये। प्रशासन ने इस क्षेत्र में किसी भी तरह की अफवाहों को फैलने से रोकने के लिए कल रात से ही मोबाइल इंटरनेेट सेवा पर प्रतिबंंध लगा रखा है तथा सुरक्षा कारणों से श्रीनगर और बनिहाल एवं जम्मू के बीच रेल सेवा को स्थगित कर दी गयी है। गौरतलब है कि गत शनिवार को इसी इलाके में एक विशेष पुलिस अधिकारी (एसपीओ) की हत्या कर दी गयी थी तथा एक अन्य को घायल कर दिया गया था। पुलिस महानिदेशक एस पी वैद्य ने बताया कि शोपियां के काचडोरा में तीन और आतंकवादियों के शवों के बरामद होने के बाद दक्षिण कश्मीर में हुए तीनों मुठभेड़ों में मारे गये आतंकवादियों की संख्या बढ़कर 11 हो गयी है। उन्होंने कहा कि काचडोरा में मारे गये आतंकवादियों की संख्या बढ़ भी सकती है क्योंकि आतंकवादी जिस मकान में छिपे हुए थे उसके मलबे को हटाया जा रहा है। मुठभेड़ के दौरान उस मकान को ध्वस्त कर दिया गया था और उसमें चार से पांच आतंकवादियों के छिपे होने की खबर थी।  आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि काचडोरा मुठभेड़ के दौरान घायल एक जवान की अस्पताल में मौत हो जाने के बाद शहीद हुए जवानों की संख्या बढ़कर तीन हो गयी है। हालांकि इसकी सेना की ओर से आधिकारिक तौर पर पुष्टि नहीं की गयी है।  शोपियां के ही द्रागाद में हुए मुठभेड़ में सात आतंकवादी मारे गये जबकि अनंतनाग के पेठ डायलगाम में एक आतंकवादी मारा गया। अनंतनाग में हुए मुठभेड़ के दौरान एक अन्य आतंकवादी के समर्पण करने के बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया।

विशेष आलेख : दरकते रिश्तों से खण्डित होता समाज

$
0
0
relation-and-socity
अपनी ही बेटी-बहू के साथ बलात्कार की रोंगटे खड़ी कर देने वाली दर्दनाक, वीभत्स, डरावनी खबरों को पढ़कर देश की संवेदना थर्रा जाती है, खौफ व्याप्त हो जाता है और हर कोई स्वयं को असुरक्षित महसूस करता है। ऐसी घटनाएं देशभर में बढ़ रही हैं। क्या हो गया है लोगांे को-सोच ही बदल चुकी है। रिश्ते और उनकी मर्यादाएं भारतीय संस्कृति पहचान हुआ करते थे, आज उनकी मर्यादा एवं शालीनता खंडित हो रही है। यही वजह है कि आपसी रिश्तों में मिठास अब नाममात्र की रह गई है। बेटी-बहू के साथ बलात्कार के अलावा महिलाओं पर हो रहे तरह-तरह के अत्याचार, हिंसक वार और स्टाॅकिंग की घटनाएं समाज के संवेदनाशून्य और क्रूर होते जाने की स्थिति को ही दर्शाता है। रिश्तों की बुनियाद का हिलना एवं विखण्डित होना एक गंभीर समस्या है। लगातार समाज के बीमार मन एवं बीमार समाज की स्थितियांे ने केवल रिश्तों को कमजोर किया है बल्कि नारी के सम्मुख बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है। उन्माद एवं कुत्सित वासना के आगे असहाय निरुपाय खड़ी नारी पूछती है-इस जिस्म के लिये कब तक नारी संहार होगा? कब तक संस्कृति एवं मूल्यों को तार-तार किया जाता रहेगा? क्या समाज खुद से हार चुका है? क्या समाज के सुधरने की उम्मीद खत्म हो चुकी है? ऐसे सवालों के जवाब या तो हमारे पास होते नहीं या फिर हम खुद को इनसे बचाने की कोशिश में लगे रहते हैं। लेकिन कब तक? कभी न कभी तो हमें इनसे रूबरू होना ही पड़ेगा। जिन कंटीले एवं उबड़-खाबड़ रास्तों पर आज का समाज चल पड़ा है, उसमें अस्थिरता, टूटन, बिखराव के अलावा कुछ भी दिखाई नहीं देता। 
घर की चार-दीवारी में भी महिलाएं सुरक्षित नहीं है, उनके साथ हो रही क्रूरता और विलासिता तो घोर चिंताजनक है ही, संवेदना से रिक्त होते समाज का व्यवहार भी विचलित करता है। देश और दुनिया के स्तर पर देखा जाए तो किसी भी देश का, किसी भी दिन का अखबार उठाकर देख लें, महिला अपराध से संबंधित समाचार प्रमुखता से मिलेंगे। कहीं राह चलते उनके साथ दुव्र्यवहार हो रहा है तो कहीं घरों में ही उनकी अस्मिता को नौंचा जा रहा है। कहीं कार्यालय के सहयोगी, बाॅस व अड़ोस-पड़ोस के लोग उनका गलत रूप में शोषण कर रहे हैं तो कहीं पिता या ससुर के द्वारा बलात्कार की घटना घटित हो रही है, कहीं अपनी अवांछित इच्छाएं एवं कुत्सित भावनाएं थोपने के लिये स्टाॅकिंग किया जाता है। लेकिन मूल प्रश्न है कि कब तक यह सब होता रहेगा? कब तक संस्कृति को शर्मसार होते देखते रहेंगे? कब तक रिश्तों को खोखला करते रहेंगे?

relation-and-socity
पिछले दिनों एक पिता ने अपनी चार बेटियों को चलती ट्रेन से फेंक दिया। यह घटना ऐसे ही दरकते रिश्तों की बानगी थी। कैसे कोई बाप इतना क्रूर हो सकता है कि अपनी ही बेटियों को ट्रेन से फेंक दे? कहीं असंतोष, विद्रोह या आक्रोश से भड़के व्यक्ति तंदूर कांड जैसे हत्याकांड करने से और कहीं अपनी वासनाओं के लिये निर्भया को गैंगरेप का शिकार बनाने से भी नहीं चूकते। महिला अपराध संबंधी कितनी ही कुत्सित, घृणित एवं भत्र्सना के योग्य घटनाएं आज हम अपने आसपास के परिवेश में देखते हैं। एक बेटी को आत्महत्या इसलिए करनी पड़ी कि उसका पिता उसे खाने को कुछ नहीं देता था। रुपए-पैसे-जमीन के लिए अपने ही भाई-बंधु का कत्ल कर देना-साधारण बात है। प्रेम-प्रसंगों पर होने वाली घटनाओं की तो जाने ही दीजिए। शायद ही कोई दिन ऐसा गुजरता है जब किसी प्रेमी-युगल की आत्महत्या या झूठी इज्जत के नाम पर हत्या की खबरें अखबारों में न आती हों। समझा जा सकता है कि जिस समाज में प्रेम करना ही गुनाह बना दिया गया हो, उसमें रिश्तों की डोर को बांधे या साधे रखना कितना कठिन है।

वैश्विक स्तर पर यह आंकड़ा कितना बड़ा होगा, आकलन कर पाना भी कठिन है। सिर्फ महिलाओं के साथ ही नहीं, स्कूल में पढ़नेवाली दस-बारह साल की कन्याओं के साथ ही ऐसी घटनाएं सुनने में आती हैं, जिसकी कल्पना कर पाना भी असंभव है। खास तौर पर काॅलेज में एवं उच्च शिक्षा प्राप्त करनेवाली छात्राएं तो आज इतनी चिंतनीय स्थिति में पहुंच गई हैं, जहां रक्षक ही भक्षक के रूप में दिखाई पड़ते हैं। वे इतनी असुरक्षित और इतनी विवश हैं कि कोई भी ऊंची-नीची बात हो जाने के बाद भी उनके चुप्पी साध लेने के सिवाय और कोई चारा नहीं है। परिस्थितियों से प्रताड़ित होकर कुछ तो आत्महत्या तक कर लेती हैं और कुछ को मार दिया जाता है। आधुनिक समाज कैसे इतना दकियानूसी हो सकता? कैसे कोई अपने ही रिश्तों का बलात्कार करने को उतावला हो सकता है? ये कृत्रिम सामाजिक आधुनिकता शहरों को विकसित तो कर रही है पर हमें अपने ही रिश्तों से काट भी रही है, हमें बीमार बना रही है, हमारी संस्कृति को धुंधला रही है। शायद इस अहसास को हम समझ कर भी समझने की कोशिश नहीं करना चाहते। कभी-कभी इस बात पर यकीन कर लेने का मन करता है कि समाज की मानसिकता को समझ पाना बेहद कठिन है। आखिर हम इतने संवेदनहीन कैसे हो गये है, इतने अव्यावहारिक कैसे हो गये है? 

सुप्रसिद्ध समाजशास्त्री डाॅ. मृदुला सिन्हा ने महिलाओं की असुरक्षा के संदर्भ में एक कटु सत्य को रेखांकित किया है- ‘अनपढ़ या कम पढ़ी-लिखी महिलाएं ऐसे हादसों का प्रतिकार करती हैं, किन्तु पढ़ी-लिखी लड़कियां मौन रह जाती हैं।’ सचमुच यह एक चैंका देनेवाला सत्य है। पढ़ी-लिखी महिला इस प्रकार के किसी हादसे का शिकार होने के बाद यह चिंतन करती है कि प्रतिकार करने से उसकी बदनामी होगी, उसके पारिवारिक रिश्तों पर असर पड़ेगा, उसका कैरियर चैपट हो जाएगा, आगे जाकर उसको कोई विशेष अवसर नहीं मिल सकेगा, उसके लिए विकास का द्वार बंद हो जाएगा। वस्तुतः एक महिला प्रकृति से तो कमजोर है ही, शक्ति से भी इतनी कमजोर है कि वह अपनी मानसिक सोच को भी उसी के अनुरूप ढाल लेती है। शायद समाज और हमारे बीच लगातार टूटते रिश्ते का कारण भी यही है। सोचिए कि जब हमारे बीच रिश्ते ही नहीं ठहर पाएंगे तो अपना कहने को यहां रह क्या जाएगा! इतना कमजोर होना भी ठीक नहीं कि खुद से बिछड़ने का गम न रहे। यह दुनिया तेजी से भाग रही है, लेकिन अपने पीछे कितना कुछ छोड़ती भी जा रही है, इसका अहसास किसी को नहीं है। एक बड़ा चिंतनीय पहलू समाज की संवेदनहीनता से भी जुड़ा है। आखिर हमारा समाज किधर जा रहा है! भारतीय संस्कृति एवं पारिवारिक रिश्तों के कारण ही भारत को स्वर्णभूमि कहा जाता था। महात्मा गांधी ने कहा भी है कि भारतभूमि एक दिन स्वर्णभूमि कहलाती थी, इसलिये कि भारतवासी स्वर्णरूप् थे। भूमि तो वही है, पर आदमी बदल गये हैं, इसलिये यह भूमि उजाड़-सी हो गयी है। इसे पुनः स्वर्ण बनाने के लिये हमें सद्गुणों द्वारा स्वर्णरूप बनाना है। सद्गुणों के विकास से ही रिश्तों की बुनियाद भी मजबूत होगी। रिश्तों के उपेक्षा के प्रति हमारी यह चुप्पी टूटनी जरूरी है। कब टूटेगी हमारी यह मूच्र्छा? कब बदलेगी हमारी सोच। यह सब हमारे बदलने पर निर्भर करता है। हमें एक बात बहुत ईमानदारी से स्वीकारनी है कि गलत रास्तों पर चलकर कभी सही नहीं हुआ जा सकता। 





liveaaryaavart dot com

(ललित गर्ग)
60, मौसम विहार, तीसरा माला, 
डीएवी स्कूल के पास, दिल्ली-110051
फोनः 22727486, 9811051133

राजनीति चर्चा : उपचुनावों के आधार पर लोकसभा चुनाव आंकना भूल होगी

$
0
0
by-poll-and-general-election
19 मार्च को योगी आदित्यनाथ, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल का एक वर्ष पूर्ण कर रहे है। भारी बहुमत, जनता की अपेक्षाओं और आशीर्वाद के बीच यूपी के मुख्यमंत्री बनने के ठीक एक साल बाद अपने प्रदेश के दो लोकसभा क्षेत्रों के उपचुनाव में इस प्रकार के नतीजों की कल्पना तो योगी आदित्यनाथ और भाजपा तो छोड़िये देश ने भी नहीं की होगी। वो भी तब जब अपने इस एक साल के कार्यकाल में उन्होंने तमाम विरोधों के बावजूद यूपी के गुंडा राज को खत्म करने और वहाँ की बदहाल कानून व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए एन्काउन्टर पर एन्काउन्टर जारी रखे। यहाँ तक कि एक रिपोर्ट के अनुसार एक बार 48 घंटों में 15 एन्काउन्टर तक किए गए। वादे के अनुरूप सत्ता में आते ही अवैध बूचड़खाने बन्द कराए। अपनी पहली कैबिनेट मीटिंग में किसानों के ॠण माफी की घोषणा की। लड़कियों और महिलाओं की सुरक्षा के लिए ऐन्टी रोमियो स्कवैड का गठन किया। अपनी सरकार में वीआईपी कल्चर खत्म करने की दिशा में कदम उठाए । यूपी के पेट्रोल पंपों पर चलने वाले रैकेट का भंडाफोड़ किया। प्रदेश को बिजली की बदहाल स्थिति से काफी हद तक राहत दिलाई। परीक्षाओं में नकल रुकवाने के लिए वो ठोस कदम उठाए कि लगभग दस लाख परीक्षार्थी परीक्षा देने ही नहीं आए। लेकिन इस सब के बावजूद जब उनके अपने ही संसदीय क्षेत्र में उपचुनाव के परिणाम विपरीत आते हैं तो न सिर्फ यह देश भर में चर्चा का विषय बन जाते हैं बल्कि सम्पूर्ण विपक्ष में एक नई ऊर्जा का संचार भी कर देते हैं। शायद इसी ऊर्जा ने चन्द्र बाबू नायडू को राजग से अलग हो कर मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए प्रेरित किया। खास बात यह है कि भाजपा की इस हार ने हर विपक्षी दल को भाजपा से जीतने की कुंजी दिखा दी, "उनकी एकता की कुंजी"। भाजपा के लिए समय का चक्र बहुत तेजी से घूम रहा है। जहाँ अभी कुछ दिनों पहले ही  वाम के गढ़ पूर्वोत्तर के नतीजे भाजपा के लिए खुश होने का मौका लेकर आए, वहीं उत्तरप्रदेश और ख़ास तौर पर गोरखपुर के ताजा नतीजों के अगले कुछ पल उसकी खुशी में  कड़वाहट घोल गए।  इससे पहले भी भाजपा अपने ही गढ़ राजस्थान और मध्यप्रदेश के उपचुनावों में भी हार का सामना कर चुकी है। सोचने वाली बात यह है कि इस प्रकार के नतीजे क्या संकेत दे रहे हैं? 

हालांकि एक या दो क्षेत्रों के उपचुनाव के नतीजों को पूरे देश के राजनैतिक विश्लेषण का आधार नहीं बनाया जा सकता लेकिन फिर भी यह नतीजे कुछ तो कहते ही हैं। कहने को कहा जा सकता है कि भाजपा का पारम्परिक वोटर वोट डालने नहीं गया और इसलिए कम वोटिंग प्रतिशत के कारण भाजपा पराजित हुई लेकिन हार तो हर हाल में हार ही होती है और उसे जीत में बदलने के लिए अपनी हार और अपने विरोधी की जीत दोनों  का ही विश्लेषण करना आवश्यक हो जाता है। उत्तर प्रदेश की ही बात लें। क्या दो लोकसभा सीटों पर समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार की जीत उसकी बढ़ती हुई लोकप्रियता का संकेत है? जी नहीं, खुद अखिलेश इस बात को स्वीकार कर चुके हैं कि उनकी इस जीत में बसपा के वोटबैंक का पूरा योगदान है और वह अकेले अपने दम पर इसे हासिल नहीं कर सकते थे। दरअसल बात भाजपा प्रत्याशियों के हारने की नहीं  उनकी हार में छिपे उस संदेश की है कि मुख्यमंत्री आदित्यनाथ और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य अपनी  छोड़ी सीट इसलिए हार गए क्योंकि वे अपने ही संसदीय क्षेत्र के लोगों का दिल नहीं जीत पाए। बात समाजवादी पार्टी और बसपा के गठबंधन की जीत की नहीं इस जीत में छिपे उस संदेश की है कि आज भी "जाति की राजनीति"के आगे "भ्रष्टाचार और विकास"कोई मुद्दा नहीं हैं। यह न सिर्फ कटु सत्य है किन्तु दुर्भाग्य भी है कि इस देश में आज भी विकास पर जाति हावी हो जाती है। सत्ता के लालच के लिए जाति और वोट बैंक के गणित के आगे सभी दल अपने आपसी मतभेद, मान अपमान के मुद्दे और दुशमनी तक भुलाकर एक हो जाते हैं।   जैसा कि  अभी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित करने के लिए लोकसभा में वो सभी दल एक जुट हो गए  जो राज्यों में एक दूसरे के प्रतिद्वंद्वी हैं। जैसे आंध्र की  वाईएसआर काँग्रेस पार्टी और तेलुगू देसम और पश्चिम बंगाल की तृणमूल काँग्रेस और माकपा।

देश की राजनीति और लोकतंत्र के लिए इससे अधिक दुर्भाग्यपूर्ण क्या हो सकता है कि ये सभी विपक्षी दल देश की जनता के सामने देश हित की कोई स्पष्ट नीति अथवा ठोस विचार रखे बिना केवल मात्र स्वयं को एकजुटता के साथ प्रस्तुत करके भी अपने अपने वोट बैंकों के आधार पर आश्चर्य जनक परिणाम प्राप्त कर लेते हैं। लेकिन वोटिंग प्रतिशत और जाति गत आँकड़ों का विश्लेषण करके सत्ता तक पहुंचने का रास्ता खोजने वाले यह विपक्षी दल चुनावी रणनीति बनाते समय यह भूल जाते हैं कि देश का वोटर आज समझदार हो चुका है। वो उस  ग्राउंड रिपोर्टिंग को नजरअंदाज करने की भूल कर रहे हैं  कि देश की जनता भाजपा के स्थानीय नेताओं और ढुलमुल रवैये से मायूस है जो इन नतीजों में सामने आ रही है लेकिन "मोदी ब्रांड"पर उसका भरोसा और  मोदी नाम का आकर्षण  अभी भी कायम है। आज  चुनाव जीतने के लिए वोटर  और जातिगत आंकड़ों से ज्यादा महत्वपूर्ण उसका मनोविज्ञान समझना और उससे जुड़ना है। और इसमें कोई दोराय नहीं कि आज भी देश के आम आदमी के मनोविज्ञान और भरोसे पर मोदी ब्रांड की पकड़ बरकरार है। जब बात देश की आती है तो इस देश के आम आदमी के सामने आज भी मोदी का कोई विकल्प नहीं है। इसलिए चुनावी पंडित अगर वोटर के मनोवैज्ञानिक पक्ष को नजरअंदाज करेंगे तो यह उनकी सबसे बड़ी भूल होगी। आगामी लोकसभा चुनावों की बिसात बिछाते समय विपक्ष इस बात को न भूले कि  "ये पब्लिक है ये सब जानती है"।



--डाँ नीलम महेंद्र--

विशेष : केवल न्यूनतम आय ही नहीं, अधिकतम आय सीमा भी तय हो

$
0
0
age-should-be-define
यह तो सामान्य बात है कि अनेक सरकारी चिकित्सकों के संगठन अपना वेतन बढ़वाने की माँग करते रहते हैं। यह भी अक्सर देखने में आता है कि कुछ चिकित्सक, ज्यादा पैसे कमाने के लोभ में, अवसर पाते ही सरकारी स्वास्थ्य सेवा छोड़ कर, विदेशी या देशी, निजी या कॉर्पोरेट अस्पताल में पलायन कर जाते हैं। पर कनाडा के चिकित्सकों द्वारा चलाये जा रहे एक अनूठे अभियान ने पुनः विश्वास दिलाया है कि सैकड़ों चिकित्सक आज भी स्वास्थ्य सेवा को ‘सेवा’ मानते हैं, न कि एक व्यवसायिक कारोबार।

कनाडा के क्यूबेक राज्य के अभी तक 850 से अधिक चिकित्सकों और 150 से अधिक कनिष्ठ चिकित्सकों (जो स्नातकोत्तर अध्ययन अथवा प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं) ने सार्वजनिक रूप से अपनी वेतन वृद्धि नामंजूर कर दी है क्योंकि उनका कहना है कि उनकी अंतरात्मा को वेतन में बढ़ोतरी कैसे मंजूर हो सकती है जबकि नर्स, अन्य स्वास्थ्यकर्मी और मरीज, संसाधनों के अभाव में जूझ रहे हों (विरोध पत्र पढ़ें, वाशिंगटन पोस्ट न्यूज पढ़ें)। उनके अनुसार जब स्वास्थ्य सेवा बजट में कटौती हो रही हो तब चिकित्सकों का वेतन बढ़ाना किसी भी प्रकार से न्यायोचित नहीं है। इन चिकित्सकों का मानना है कि सशक्त स्वास्थ्य प्रणाली से ही जन-स्वास्थ्य सुरक्षा सम्भव है। जब नर्स और अन्य स्वास्थ्यकर्मी कम आय, चुनौतीपूर्ण व तनावपूर्ण स्थिति में कार्य करेंगे, और जीवन रक्षक स्वास्थ्य सेवाएँ मरीज की पहुँच के बाहर होती जाएँगी तो स्वास्थ्य सुरक्षा का सपना कैसे साकार होगा? इन चिकित्सकों ने अपील की है कि कनाडा सरकार चिकित्सकों का वेतन बढ़ाने के बजाय, इस धन से जन-स्वास्थ्य प्रणाली को सशक्त करे जिससे कि नर्स और अन्य स्वास्थ्यकर्मी बिना अनावश्यक तनाव के बेहतर व्यवस्था में कार्य कर सकें और स्वास्थ्य सेवाएँ सभी जरुरतमंदों तक पहुंच सकें।

कनाडा के चिकित्सकों ने यह महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया है कि क्यों केवल उच्च पदों पर आसीन व्यक्तियों का ही वेतन बढ़ता रहता है जबकि स्वास्थ्य बजट में कटौती होती है, और स्वास्थ्य सेवा पर आश्रित अन्य लोग इसका कुपरिणाम झेलते हैं। यह भारत में भी हर क्षेत्र में देखने को मिलेगा कि वरिष्ठ अधिकारियों का वेतन ही नहीं बढ़ता बल्कि उन्हें सेवानिवृत्ति के बाद मिलने वाले लाभ में भी इजाफा होता है और किसी पिछली तारीख से बढ़ा हुआ वेतन मिल जाता है परन्तु निचले पदों पर कार्यरत लोगों, खासकर संविदाकर्मी व दैनिक मजदूरी पर काम करने वालों पर वेतन आयोग की कृपा दृष्टि नहीं रहती। जब से ठेके पर संविदाकर्मी या मजदूर लिए जाने लगे हैं अब तो यह भी गारण्टी नहीं कि किए हुए काम का पूरा दाम भी मिलेगा।

भारत में भी कुछ ऐसे उदाहरण हैं जहाँ चिकित्सकों ने स्वास्थ्य सेवा को ’सेवा’ का काम माना है। तमिलनाडू राज्य में वेल्लोर स्थित क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज (सीएमसी), भारत का दूसरे नंबर का शीर्षस्थ मेडिकल कॉलेज और अस्पताल है (दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) पहले नंबर पर है), जहाँ वेतन अन्य मेडिकल कॉलेजों की तुलना में संभवतः सबसे कम है। यहाँ कार्यरत चिकित्सक, निदेशक व छात्र प्रायः बस से चलते हैं, तमिलनाडु की भीषण गर्मी के बावजूद अस्पताल के निदेशक तक के पास वातानुकूलित कमरा नहीं है, परन्तु रोगियों के लिए पूरी सुविधाएं उपलब्ध हैं। इतने कम वेतन और कम सुविधाओं में काम करने के बावजूद यहाँ के चिकित्सकों की उपलब्धियां बेमिसाल हैं - जैसे, भारत में अनेक अंग-प्रत्यारोपण, सबसे पहली बार एचआईवी की जांच, आदि, सब इसी अस्पताल में हुए, आज भी देश में एम्स के बाद यहीं सबसे अधिक मरीज स्वास्थ्य सेवा प्राप्त करते हैं। यही एक अस्पताल है जहाँ अनेक दशकों से हर मेडिकल छात्र और चिकित्सक-प्रोफेसर को, अनिवार्य रूप से हर साल ग्रामीण और दुर्लभ इलाकों में जाकर स्वास्थ्य सेवा देनी होती है। इसके विपरीत भारत में अनेक निजी मेडिकल कॉलेज ऐसे हैं जहाँ वेतन तो बहुत अधिक है, पर चिकित्सकीय कुशलता, शोध कार्य और शिक्षण के साथ समझौता होता है। इससे यह जाहिर होता है कि चिकित्सकीय कुशलता, उद्यमिता, शोध कार्य और शिक्षण का वेतन से कोई सीधा ताल्लुक नहीं है। बाबा आमटे के दोनों पुत्र विकास और प्रकाश और दोनों पुत्रवधु भारती और मंदाकिनी, प्रसिद्ध गांधीवादी चिंतक ठाकुरदास बंग के पुत्र अभय व पुत्रवधु रानी बंग, शहीद मजदूर नेता शंकर गुहा नियोगी द्वारा छत्तीसगढ़ के दल्ली राजहरा में स्थापित अस्पताल में काम करने वाले ऐसे कुछ चिकित्सकों के अनुकरणीय उदाहरण मिल जाएंगे जिन्होंने बजाए किसी बड़े शहर में रह कर पैसा कमाने के, गांवों में, कुष्ठ रोगियों तथा आदिवासियों के बीच रह कर भारत के गरीब ग्रामीण वर्ग को चिकित्सा सेवा प्रदान करने हेतु अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया।

क्यों आवश्यक है अधिकतम आय सीमा तय करना?
सिर्फ चिकित्सकों के लिए ही नहीं, बल्कि हर क्षेत्र में- चाहे वह निजी हो या सरकारी- न्यूनतम और अधिकतम आय सीमा, दोनों का ही तय होना अनिवार्य है, यदि हम वास्तव में एक ऐसी व्यवस्था स्थापित करने में विश्वास रखते हैं जहाँ कोई भी व्यक्ति अमानवीयता का शिकार न हो। विख्यात समाजवादी चिंतक डॉ. राम मनोहर लोहिया ने कहा था कि न्यूनतम और अधिकतम आय में अंतर 1:10 के अनुपात से अधिक नहीं होना चाहिए। यदि अंतर अधिक होगा तो जाहिर है कि समाज में गैर-बराबरी, शोषण, असंतुलन और अन्याय पनपेगा। ऑक्सफेम रिपोर्ट के अनुसार, 2017 में विश्व की 82% सम्पत्ति पर मात्र 1% सबसे अमीर लोगों का कब्जा था। इसी रिपोर्ट के अनुसार, 2016 में भारत की 58% सम्पत्ति पर 1% अमीर लोगों का स्वामित्व था और 2017 में यह प्रतिशत बढ़ कर 73% हो गया। यदि केवल चंद लोग ही सर्वोत्तम स्वास्थ्य-शिक्षा-जीवनशैली का लाभ उठायेगें, और बाकी जनता जर्जर हालत वाली स्वास्थ्य-शिक्षा व अन्य मौलिक आवश्यकताओं की पूर्ति रहित हालत में जीने के लिए मजबूर होगी, तो समाज में बंधुत्व की भावना कैसे रहेगी? 

यदि हम सच्चे देश-भक्त हैं तो भारत के संविधान में जो मूल्य निहित हैं, हम उन मूल्यों को तो चरितार्थ करें! भारतीय संविधान की प्रस्तावना के अनुसार भारत एक सम्प्रुभतासम्पन्न, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक, गणराज्य है। समाजवादी शब्द, हमारे संविधान की प्रस्तावना में इसलिए है क्योंकि भारत के सभी नागरिकों के लिए सामाजिक और आर्थिक समानता सुनिश्चित होना वांछित है, और जनता द्वारा चुनी हुई सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि केवल कुछ लोगों के ही हाथों में अधिकांश धन जमा होने से रोके तथा सभी नागरिकों को एक अच्छा जीवन स्तर प्रदान करे। 

महात्मा गाँधी ने भी यही गुरुमंत्र दिया था कि हर इंसान की जरुरत पूरी करने के लिए तो संसाधन हैं, पर एक भी इंसान के लालच को पूरा करने के लिए संसाधन पर्याप्त नहीं हैं।

राजनीतिज्ञ वरुण गाँधी ने भी जनवरी 2018 में यह कहा (समाचार पढ़ें) कि संपन्न सांसदों को सरकारी वेतन नहीं लेना चाहिए। आशा है कि वे स्वयं इस पर अमल कर रहे होंगे पर सन्देश साफ हैः सरकारी सेवा दे रहे हर व्यक्ति को यह चिंतन करना चाहिए कि उसे कितना वेतन चाहिए, अथवा चाहिए भी या नहीं। आजकल तो दाता-एजेंसी द्वारा पोषित गैर सरकारी संस्थाओं में कार्यरत, तथाकथित ‘सामाजिक कार्यकर्ताओं’ को भी, सेवा-क्षेत्र से अनेक गुना अधिक वेतन मिलने लगा है। सभी क्षेत्रों के लोगों को जरुरत से अधिक वेतन नहीं लेना चाहिए (इसमें लेखक भी शामिल हैं)। 

हाल ही में समाचार पढ़ा कि उपभोग सामग्री पर निजी अस्पतालों ने 1700% मुनाफा कमाया। भारतीय सरकार ने 2016 में जारी राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति के मसौदे में यह कहा कि स्वास्थ्य सबसे अधिक गति से तरक्की करने वाला उद्योग है। अपने देश में निजी मेडिकल कॉलेजों की संख्या अब सरकारी मेडिकल कॉलेजों से अधिक हो गयी है। यह वास्तव में चिंताजनक है कि निजी मेडिकल कॉलेज मोटा शुल्क ले कर चिकित्सक तैयार करते हैं। जबकि चिकित्सक बनने के लिए उन्हीं लोगों को आगे आना चाहिए जो सेवाभाव से चिकित्सकीय सेवा प्रदान कर सकें। जो चिकित्सक स्वास्थ्य-सेवा को धन कमाने के साधन के रूप में देखते हैं उनकी जन-स्वास्थ्य सेवा में कोई जगह नहीं होनी चाहिए। हमारे देश में कितने ऐसे चिकित्सक हैं जो स्वास्थ्य सेवा का व्यवसायीकरण कर मोटापा कम कराने, शरीर को सुडोल बनाने, गंजे सर पर बाल उगाने, यौन शक्ति बढ़ाने, आदि का भ्रामक प्रलोभन देकर पैसा कमा रहे हैं, वे जन-स्वास्थ्य का काम नहीं कर रहे। 

भारत सरकार की राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 क्या एक जुमला मात्र है? 
भारत सरकार ने 2017 में राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति जारी की जिसमें अनेक वायदे किये गए हैं। विश्व के सभी देशों ने 2030 तक क्षय रोग या टी.बी. उन्मूलन का वायदा किया है। पर भारत प्रशंसा का पात्र है कि उसने 2025 तक ही क्षय रोग समाप्त करने का वायदा किया है। परन्तु विश्व भर में सबसे अधिक क्षय रोग के मरीज भारत में ही हैं। यदि वर्तमान दर से क्षय रोग में गिरावट आई तो विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, 2184 तक ही क्षय रोग उन्मूलन का सपना साकार हो पायेगा। सरकार के भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद् की पूर्व निदेशक डॉ सौम्या स्वामीनाथन ने कहा है कि कुपोषण, क्षय रोग का सबसे बड़ा कारण है। जब तक कुपोषण समाप्त नहीं होगा तब तक क्षय रोग समाप्त करने का स्वर्णिम स्वप्न भी पूरा नहीं होगा। 

उसी तरह, 2017 राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति और सतत विकास लक्ष्य 2030 के चलते भारत सरकार ने वायदा किया है कि गैर संक्रामक रोगों की मृत्यु दर 2025 तक 25% कम होगी और 2030 तक 33%। गौरतलब बात यह है कि, आम जनता जिन स्वास्थ्य चुनौतियों, आपदाओं से जूझ रही है, उनमें से अधिकांश से बचाव मुमकिन है। उदाहरण के लिए, 5 साल से कम उम्र के बच्चों में मृत्यु का सबसे बड़ा कारण निमोनिया है, जिससे बचाव और इलाज मुमकिन है. फिर भी विश्व-स्तर पर सबसे अधिक बच्चे निमोनिया से भारत में ही मरते हैं। गैर-संक्रामक रोगों से 70% मृत्यु होती है जिनमें ह्रदय रोग, पक्षाघात, अनेक प्रकार के कैंसर, श्वास संबंधी रोग, आदि, शामिल हैं। इन गैर-संक्रामक रोगों का खतरा काफी हद तक टाला जा सकता है यदि तम्बाकू और शराब सेवन बंद हो, सभी नागरिकों को शारीरिक व्यायाम व श्रम करने का अवसर मिले, पौष्टिक आहार मिले, स्वच्छ हवा में सांस लेने को मिले, आदि। एक ओर सरकार की छत्रछाया में ऐसे अनेक उद्योग पनप रहे हैं जिनके उत्पाद गैर संक्रामक रोगों का खतरा बढ़ाते हैं जैसे कि शराब और तम्बाकू उद्योग, वहीं दूसरी ओर, जो विकास मॉडल और नीतियाँ हमारी सरकार अपना रही है वो अधिकांश नागरिकों के लिए, स्वच्छ हवा में श्वास लेना, रोजाना व्यायाम व श्रम करना, पौष्टिक आहार लेना, आदि, दुर्लभ कर रही है। जहाँ एक ओर अमीर वर्ग के लिए व्यायामशाला (जिम) आदि खुल रहे हैं, एक कंपनी स्वच्छ हवा के सिलेंडर बेच रही है, वहीं दूसरी ओर अधिकांश नागरिक नारकीय हालत में जीवन जीने के लिए मजबूर हैं। न तो उनके पास रहने के लिए हवादार घर हैं व न ही उनके बच्चों के खेलने के लिए सुरक्षित सार्वजानिक स्थान।

कनाडा के चिकित्सकों द्वारा उठाया गया यह ऐतिहासिक कदम वास्तव में सराहनीय एवं अनुकरणीय है। परंतु यह केवल चिकित्सकों तक ही नहीं सीमित रहना चाहिए। चाहे वे राजनीतिक पार्टियों के प्रतिनिधि हों (जो समाज सेवी होने का दावा करते हैं), या फिर वे सरकार के अधिकारीगण हों, वकील हों या अन्य पेशेवर, उद्योगपति हों या व्यापारी सबके वेतन की अधिकतम सीमा तय करनी होगी, तभी समाज में व्याप्त विषमताएँ दूर हो पाएँगीं।

सरकार से वेतन पाने वाले, सरकारी अस्पताल में इलाज करवाएं
इसके अलावा हाल ही में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल व न्यायमूर्ति अजीत कुमार ने अपने फैसले में कहा है कि सरकार से वेतन पाने वालों को सरकारी अस्पतालों में ही इलाज कराना चाहिए और बड़े अधिकारियों या मंत्रियों को कोई विशेष सुविधा नहीं मिलनी चाहिए। वे भी सामान्य लोगों की तरह ही इलाज कराएं। यदि ऐसा हो जाए तो सरकारी चिकित्सालयों की स्थिति काफी सुधर जाएगी और इस देश के गरीब को भी अच्छी चिकित्सा सेवा मुहैया हो जाएगी। साथ ही न्यायलय ने सरकारी अस्पतालों में रिक्त पदों पर भर्ती के आदेश भी दिए।

भारत ने अन्य 190 से अधिक देशों के साथ, संयुक्त राष्ट्र महासभा में 2030 तक सतत विकास लक्ष्य पूरा करने का वायदा किया है। हमारा मानना है कि बिना समाजवादी व्यवस्था कायम किए, प्रत्येक व्यक्ति का सतत विकास मुमकिन नहीं।




शोभा शुक्ला, बॉबी रमाकांत, डॉ संदीप पाण्डेय
सिटीजन न्यूज़ सर्विस (सीएनएस)
(डॉ संदीप पाण्डेय, मग्सेसे पुरुस्कार से सम्मानित वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता हैं (twitter @sandeep4justice); शोभा शुक्ला, सीएनएस की संपादिका और लोरेटो कान्वेंट से सेवा निवृत्त वरिष्ठ शिक्षिका हैं (twitter @shobha1shukla); और बॉबी रमाकांत विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा पुरुस्कृत, सीएनएस से जुड़े हैं (twitter @bobbyramakant))

विशेष : कमला के हौसले और राज्य की बंदिशें

$
0
0
women-sarpanch-chhatisgadh
बलरामपुर-रामानुजगंज ज़िला छत्तीसगढ़ के उत्तरी हिस्से में आता है। यह छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से तकरीबन 440 किलोमीटर दूर है। बलरामपुर-रामानुजगंज के राजपुर ब्लाॅक की करजी पंचायत की सरपंच हैं कमला कुजूर। कमला कुजूर इस गांव की बहू हैं। इनका मायका जसपुर ज़िले के बगीचा तहसील के सन्ना गांव में हैं। कमला की आयु 40 बरस है। कमला की शादी 1992 में हुई। परिवार में पति व तीन बेटियों को मिलाकर कुल पांच सदस्य हैं। कमला ने पांचवी तक की शिक्षा प्रौढ़ शिक्षा कार्यक्रम के तहत हासिल की है। कमला के परिवार की आय का मुख्य साधन खेती-बाड़ी व परिवार में कमाने वाले सिर्फ उनके पति ही हैं। परिवार की मासिक आय 3-4 हज़ार रूपये महीना है। पंचायत की कुल आबादी लगभग 1550 है।  सरपंच के तौर पर यह कमला का तीसरा सत्र है। इसके पहले वह दो सत्रों में सरपंच रह चुकी हैं। करजी पंचायत की सीट 1995-96 से ही महिला आरक्षित है। कमला ने 1995-96 में पहली बार गांव वालों के कहने पर सरपंच का चुनाव लड़ा व जीत हासिल की। 2004-2005 में कमला कुजूर ने फिर सरपंच के पद पर चुनाव लड़ा व जीत हासिल की। लेकिन 2010 के चुनाव में सरपंच के पद उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इस बारे में कमला कुजूर कहती हैं कि-‘‘मैं दो बार से सरपंच का चुनाव जीत रही थी। 2010 के चुनाव में गांव वालों का कहना था कि अब किसी और को भी मौका मिलना चाहिए। इसी वजह से मुझे हार का सामना करना पड़ा। 2010 में सुशीला सिंह सरपंच का चुनाव जीतीं। अपने पांच साल के कार्यकाल के दौरान सुशीला सिंह ने पंचायत में कोई खास काम नहीं किया। इसी कारण 2015 के चुनाव में लोगों ने मुझे तीसरी बार फिर सरपंच चुना। सुशीला सिंह ने अपने पांच साल के कार्यकाल के दौरान पंचायत में सिर्फ एक सीसी रोड के निर्माण के अलावा एक राशन की दुकान का निर्माण कराया था।’’

लोगों की मदद करना, उनकी बात सुनना, लोगों के बीच उठना बैठना कमला को पसंद रहा हैै। लोगों के सुख दुख साझा करने वाली कमला को महिला सीट आने पर लोगों ने यह चाहा कि कमला ही उनकी सरपंच बनें। कमला को पहली बार सरपंच का चुनाव लड़ने के लिए गांव वालों ने ही उन्हें प्रेरित किया। इसीलिए कमला को सरपंच बनने में किसी बड़े विरोध का सामना नहीं करना पड़ा क्योंकि गांव के लोगों ने ही उन्हें चुनाव में भाग लेने के लिए उत्साहित किया था। सरपंच बनने के बाद सभी वर्गांे के लोगों के द्वारा कमला को स्वीकार किया गया। शुरूवात में बैठकों में जाते हुए कमला को थोड़ी बहुत परेशानी का सामना करना पड़ा। बैठकों में बोलते हुए वह संकोच महसूस करती थीं। उनमें थोड़ा आत्मविश्वास की कमी थी। इस बारे में कमला कुजूर कहती हैं कि-‘‘जब मैं पहली बार सरपंच बनी तो बैंठकों को आयोजन करने में मुझे बहुत परेशानी होती थी। बैठकों में सब लोगों के सामने बोलने में मैं संकोच महसूस करती थी। लेकिन शुरूआती दिनों में मेरे पति ने मेरा पूरा सहयोग किया। पंचायत के कामों के लिए वह हर जगह मेरे साथ जाते थे। अधिकारियों से बात-करने में भी उन्होंने मेरा पूरा सहयोग किया। धीरे-धीरे मेरा आत्मविश्वास बढ़ने लगा और मैं पंचायत के काम-काज स्वंय देखने लगी। आज पंचायत के काम-काज करने में मुझे कोई दिक्कत नहीं होती है। पंचायत मैं विकास से जुडे निर्णय मैं उपसरपंच व पंचों के सहयोग से स्वयं लेती हंू।’’
           
women-sarpanch-chhatisgadh
आज कमला पंचायत के सारे काम काज स्वयं देखती हैं। विकास से जुड़े मुद्दों पर अधिकारियों के सामने अपनी बात बेबाकी से रखती हैं। महिला होने व कम शिक्षित होने के नाते कमला को कभी भी किसी तरह के भेदभाव व उपेक्षा का सामना नहीं करना पड़ा। महिला सरपंच के तौर पर करजी पंचायत के विकास के लिए कमला कुजूर के द्वारा किए गए कामों की एक लंबी सूची है। उन्होंने पंचायत में राशन की दुकान खुलवाने के साथ-साथ चार सीसी रोड का निर्माण करवाया। गांव के लोगों की समस्याओं को जानने के लिए वह महीने में दो बार आम सभा का आयोजन करती हैं। पंचायत को ‘खुले से शौचमुक्त’ बनाने के लिए उन्होंने ग्रामसभा में सर्वसम्मति से प्रस्ताव लेकर पांच सदस्यों की एक समिति का गठन किया। समिती के सदस्य सुबह सवेरे गांव का भ्रमण कर इस बात की निगरानी करते हैं कि कोई  खुले में शौच तो नहीं कर रहा है। इसका उल्लंघन करने वालों पर जुर्माने का प्रावधान है। इसके अलावा उन्होंने पंचायत के आंगनबाड़ी केंद्र पर एक अतिरिक्त कक्ष का निर्माण कराया ताकि आंगनबाडी से दिये जाने वाले भोजन को सुचारू रूप से व स्वच्छ तरीके से पकाया जा सके। लोगों को स्वास्थ्य समस्याओं से निजात दिलाने के लिए कमला ने गांव में उप स्वास्थ्य केंद्र शुरू करवाने के लिए कोशिश की और अन्नतः गांव को एक उप स्वास्थ्य केंद्र मिल गया। पानी की समस्या को दूर करने के लिए चार छोटे तालाबों के निर्माण के साथ तीन हैंडपंप लगवाए व पुराने हैंडपंप की मरम्मत करवायी। प्राइमरी स्कूल व पंचायत भवन की मरम्मत करवायी।
          
पंचायत में विकास के कामों के बारे में गांव की एक स्थानीय निवासी सुमार साय कहती हैं कि- ‘‘पंचायत के विकास के लिए कमला काफी अच्छा काम कर रही हैं। उन्होंने गांव में तालाब का निर्माण कराया जिससे पानी की समस्या दूर हुई है। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत लोगों को आवास दिलवाए। हम चाहते हैं कि कमला ही अगली बार भी हमारी सरपंच बनें।’’ कमला का सरपंच के पद पर बार-बार चुना जाना इस बात का प्रमाण है कि उन्होंने समुदाय की बेहतरी के लिए गांव में काम किये हैं और वह अपनी पंचायत और जनता में लोकप्रिय हैं । कमला आज सरपंच हैं और 2020 के चुनाव में फिर से सरपंच का चुनाव लड़ना चाहती हैं। लेकिन अब राज्य में यह नियम लागू होने की बात है कि जो आठवीं कक्षा तक शिक्षित हंै वही चुनाव में भाग ले सकता है। अगर यह नियम लागू हो जाता है तो यह बात निश्चित है कि वह अगली बार सरपंच का चुनाव लड़ने से वंचित हो जाएंगी। कमला कहती हैं कि ‘‘वह अगला सरपंच का चुनाव लड़ना चाहती हैं किन्तु उनकी शिक्षा पांचवी कक्षा तक ही है। आठवीं पास का नियम आने से वह इस चुनाव में भाग नहीं ले सकेंगी।’’ कमला आगे कहती हैं कि ‘‘केवल वह ही नहीं, गांव की अन्य महिलाएं भी सरपंच का चुनाव नहीं लड़ पाएंगीं जो आठवीं तक पढ़ी नहीं हैं। कमला कहती हैं कि हालांकि हम अपने बच्चों को ठीक से शिक्षित कर रहे हैं इसलिए नई पीढ़ी में शिक्षा का स्तर बढ़ा है लेकिन पहले के ज़माने में लड़कियों को पढ़ाने की परंपरा नहीं थी इसलिए बहुत सी औरतें शिक्षित नहीं हैं। कमला का कहना है कि आंठवीं तक न पढ़ी होने का मतलब यह नहीं कि वह पंचायत और गांव की भलाई के काम नहीं कर सकतीं। इस तरह की नियमावली के लागू होने पर तो वह या उनके जैसी अनेकों, काम करने की उत्साहित महिलाएं पंचायत और शासन में नहीं आ सकेंगी।’’ कमला का हौसला हालांकि अभी भी टूटा नहीं है। वह इस बात के लिए कटिबद्ध हैं कि वह सरपंच की सीट के लिए अगली बार फिर चुनाव में खड़ी होंगी और इसके लिए वह उन शर्तों को पूरा भी करेंगी जो अनिवार्य हैं। कमला कहती हैं कि ‘‘पंचायत मंे आठवीं पास लड़कियों की कमी नहीं हैं मगर चुनाव के लिए इच्छुक आठवीं पास महिलाएं बहुत कम हैं। कमला ने तय किया है कि वह भारत मिशन के तहत आठवीं पास करके सरपंच का चुनाव ज़रूर लड़ेगीं।’’ अब आगे देखना यह है कि क्या राज्य का कोई और नियम तो उनकी इस महत्वाकांक्षा के आड़े नहीं आएगा?
        
जैसा कि कमला की कहानी से ज़ाहिर है, वह नए आने वाले नियमों की बाधा को पार करके आगे बढ़ना चाहती हैं पर सवाल महत्वपूर्ण है कि ऐसी कितनी बाधाएं हर महत्वाकांक्षी ग्रामीण महिला लांघ पाएगी? तो क्या नियम बनाते समय नीति निर्धारकों को ग्रामीण परिवेश, वहां की स्थितियों, मौजूदा हालातों को नज़र में रखते हुए ही नियम नहीं बनाने चाहिए क्योंकि अन्नतः तो सही व्यक्ति का चुनाव ही काम की दृष्टि से महत्वपूर्ण है।



(गौहर आसिफ)

मधुबनी : जयनगर में भारतबंदी का रहा असर

$
0
0
  • बाइक जूलूस,चक्का जाम करके जताया विरोध 


bharat-bandh-in-jaynagar
मधुबनी/जयनगर (आर्यावर्त डेस्क) 02) अप्रैल, अनुसूचित जाति से जुडे लोगो ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ प्रायोजित भारतबंदी का जयनगर में असर रहा।  शहर के विभिन्न मुख्य सड़क शहीद चौक,पटनागद्दी चौक,युनियन टोल महेन्द्र चौक,सुरेका अतिथि भवन के निकट ,निबंधन कार्यालय के निकट बेरिकेटिगं लगा कर चक्का जाम कर दिया। जिससे बड़ी वाहन तो दुर साईकल .मोटरसाइकिल चालकों को भी आवागमन में भारी फजीहत उठानी पड़ी। वीर कुंवर सिंह के निकट बंद सर्मथकों ने नेपाली चार चक्के वाहन को रोककर उसके सीसा फोड़ दी तथा ड्राइवर व उसमें बैठे लोगों के साथ हाथापाई की। वहीं पर दो नास्ते दुकान को बंद करने के क्रम में हंगामा हुआ और उनका सामान फेंक दिया गया ।  सोमवार होने के कारण बाजार स्वतः बंद थी। बंदी इतना असरदार था कि मानो जयनगर में नाकाबंदी कि तरह माहौल था। यहांतक कि होटल,नास्ता,चाय,पान समेत स्कूल समेत अन्य प्रतिष्ठान बंद रही।  बंदी सर्मथक अलग अलग तरीकों से विरोध दर्शाया। जिसमें बाइक जूलूस से प्रर्दशन ,टायर जलाकर, तथा विभिन्न मार्गो पर चक्का जाम शामिल था। बंदी सर्मथन का नेतृत्व अनुसुचित जाति व जनजाति मंच के अध्यक्ष कैलाश पासवान, अम्बेडकर विकास मंच के सुशील कुमार पासवान, भाकपा से अमीरूदीन, भाकपा माले के भुषण सिंह, कांग्रेस के रामचंद्र साह,राजद के इदरीश मंसुरी, विनोद शर्मा, विमल यादव,रामबाबू यादव के नेतृत्व में अलग अलग जत्था बनाये हुये थे। बंदी में उप प्रमुख मिथलेश पासवान, प्रदीप पासवान, विजय महतो,भोला पासवान, विनोद पासवान, प्रीति पासवान, अशोक पासवान, मो. मुस्तफा, राम अशीष राम,अर्जुन पासवान, श्रवण साह समेत दर्जनों लोग शामिल थे।

विदिशा (मध्यप्रदेश) की खबर 02 अप्रैल

$
0
0
विदिशा को अव्वल बनाने समन्वित प्रयास किए जाएंगे : श्रीमती सुषमा स्वराज

विदेश मंत्री तथा विदिशा संसदीय क्षेत्र से सांसद श्रीमती सुषमा स्वराज ने कहा है कि विदिशा को केवल शिक्षा, स्वास्थ्य और महिला बाल विकास ही नही बल्कि सभी क्षेत्रों मंे अग्रणी बनाने के लिए जनप्रतिनिधियों को समन्वित प्रयास करने होंगे। वे आज भोपाल स्थित अपने निवास पर विदिशा जिले में शिक्षा, स्वास्थ्य और महिला बाल विकास विभाग द्वारा संचालित गतिविधियों की समीक्षा कर रहीं थी। इस सर्वदलीय बैठक में उद्यानिकी राज्यमंत्री श्री सूर्यप्रकाश मीणा, सांसद श्री लक्ष्मीनारायण यादव, विधायक सर्वश्री कल्याण सिंह ठाकुर, वीर सिंह पंवार, श्री निशंक जैन सहित जिला पंचायत अध्यक्ष श्री तोरण सिंह दांगी, नगरपालिका अध्यक्ष श्री मुकेश टण्डन, जनपद पंचायतों के अध्यक्ष, शिक्षा, स्वास्थ्य और महिला बाल विकास विभागों के प्रमुख सचिव तथा विदिशा जिला कलेक्टर सहित सभी संबंधित विभागों के अधिकारी उपस्थित थे। श्रीमती स्वराज ने कहा कि सरकार के पास योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए धन की कमी नहीं है। किन्तु सतत माॅनिटरिंग न हो पाने के कारण योजनाओं का लाभ उठाने से पात्र लोग वंचित रह जाते है। उन्होंने कहा कि क्षेत्र के विकास के लिए माइक्रो लेवल प्रबंधन की आवश्यकता है। त्रि-स्तरीय मानिटरिंग प्रणाली होनी चाहिए। गांव में शिक्षा, स्वास्थ्य और आंगनबाडी कार्यकर्ताओं के कामकाज की मानिटरिंग पंच-सरपंच करें। नगरीय क्षेत्रों में पार्षद यह काम करें तथा जिला स्तर पर मानिटरिंग का काम विधायक और संासद करें। विदेश मंत्री श्रीमती सुषमा स्वराज ने कहा कि सभी स्कूलों में उस स्कूल में पढ़ाने वाले अध्यापक का चित्र लगाया जाए। निरीक्षण के समय जनप्रतिनिधियों और अधिकारी बच्चों से अध्यापक की उपस्थिति की जानकारी लें तथा यदि अध्यापक नहीं आते है तो उनके विरूद्व कार्यवाही की जाए। प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में डाक्टरों तथा ग्रामीण अंचलों में एएनएम की उपस्थिति को सुनिश्चित किया जाए। बेहतर स्वास्थ्य  सेवाएं ग्रामीणों तक पहंुचे, इसके लिए जो भी आवश्यक कदम हों, उठाएं जाएं। श्रीमती सुषमा स्वराज ने सभी जनप्रतिनिधियों से आग्रह किया कि वे अपने क्षेत्र के भ्रमण के समय ग्रामों में चल रही योजनाओं के क्रियान्वयन के बारे में अवश्य जानकारी लें तथा जानकारी से उन्हें अवगत कराया जाए। बैठक में अधिकारियों द्वारा विदिशा जिले में इनके विभाग के द्वारा की गई व्यवस्थाओं की जानकारी दी तथा जनप्रतिनिधियों ने भी अपने विचार व्यक्त किए।   

ज्वायफुल प्रवेशोत्सव से विद्यार्थी गद्गद् हुए

vidisha news
स्कूल शिक्षा विभाग के द्वारा जारी कैलेण्डर के अनुसार नवीन शैक्षणिक सत्र दो अपै्रल से शुरू हुआ है। सत्र के प्रथम दिवस जिले की सभी शैक्षणिक संस्थाओ में ज्वायफुल प्रवेशोत्सव का आयोजन किया गया था। जिला स्तरीय प्रवेशोत्सव बागरी के माध्यमिक शाला मेें आयोजित किया गया जिसे सम्बोधित करते हुए जिला पंचायत की उपाध्यक्ष एवं शिक्षा समिति की अध्यक्ष श्रीमती गुड्डीबाई लालाराम चैधरी ने नवप्रवेशीय छात्राओं को स्वंय अपने हाथो से तिलक लगाकर हार पहनाया और उनसे कहा कि वे हर रोज स्कूल आएं।  मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चैहान ने विद्यार्थियों के कल्याण हेतु अनेक योजनाओं संचालित कराई जा रही है उन सबका लाभ विद्यार्थियों को स्कूल आने पर ही मिल सकेगा। जिपं उपाध्यक्ष श्रीमती गुड्डीबाई ने बारहवीं में 75 प्रतिशत तक अंक लाने पर आगे की पढाई के लिए उपयोग में लाए जाने वाले कम्प्यूटर इसी प्रकार ई-दक्षता में विद्यार्थी काॅलेजों में पिछडे ना इसके लिए उन्हें बकायदा आधुनिक मोबाइल भी निःशुल्क प्रदाय किए जा रहे है। उन्होंने विद्यार्थियों के कल्याण हेतु संचालित योजनाओं पर विस्तारपूर्वक प्रकाश डाला। स्कूल शिक्षा विभाग के संयुक्त संचालक श्री बीडी सक्सेना ने पढाई लिखाई के लिए नई विधा ज्वायफुल पर गहन प्रकाश डाला। उन्होंने लर्निंग के लिए ज्वायफुल, इन्जांय कैसे करें को उदाहरणों से प्रस्तुत किया। आयोजन के दौरान कक्षा छटवीं में नवप्रवेशीय चार छात्राओं का स्थानीय छात्रावास में दाखिल कराया गया। उन्हें लालाराम चैधरी ने पाठ्यपुस्तके प्रदाय की। इसके अलावा मध्यान्ह भोजन के संबंध में भी जानकारी दी गई। श्री लालाराम चैधरी ने बच्चों से कहा कि वे खूब मन लगाकर पढ़ाई करें और क्षेत्र के साथ-साथ अपने माता-पिता का नाम रोशन करें। पढाई लिखाई में कही कोई दिक्कत आए तो सीधे जिला पंचायत को अवगत करा सकते है ताकि उस समस्या का निदान किया जा सकें। कार्यक्रम में कक्षा एक से लेकर बारहवीं तक के विद्यार्थियों को प्रतीक स्वरूप पाठ्यपुस्तकांे का वितरण किया गया है। आयोजन स्थल पर श्री विनोद चैधरी, श्री सौदान सिंह सूर्यवंशी, श्री एचएन लखेरा तथा स्थानीय सरपंच गणमान्य नागरिक और संस्था के प्राचार्य श्री मुकेश खरे मौजूद थे। 

लटेरी में भी आयोजित हुआ प्रवेशोत्सव, विधायक ने दो लाख रूपए देने की घोषणा की

जनपद शिक्षा केन्द्र लटेरी के अंतर्गत समस्त प्राथमिक तथा माध्यमिक शालाओं सहित हायर सेकेण्डरी एवं हाई स्कूलांे में दो अपै्रल को प्रवेशोत्सव का आयोजन किया गया था।  आनंदपुर के स्कूल में आयोजित प्रवेशोत्सव कार्यक्रम में स्थानीय विधायक श्री गोवर्धन उपाध्याय भी शामिल हुए। उन्होंने बच्चों से कहा कि वे हर रोज स्कूल जरूर आएं। इसी प्रकार की अपेक्षा उनके द्वारा बच्चो के अभिभावकों से व्यक्त की है। विधायक श्री उपाध्याय ने शाला भवन की मरम्मत हेतु विधायकनिधि से दो लाख रूपए की राशि देने की घोषणा की है के आश्य की  जानकारी देते हुए क्षेत्र के खण्ड स्त्रोत समन्वयक श्री लक्ष्मण सिंह यादव ने बताया कि बच्चे नियमित स्कूल आएं इसके लिए स्थानीय स्तर पर नवाचार किया जा रहा है। बच्चों के अभिभावको के मोबाइल नम्बरों का समूह बनाया गया है ताकि बच्चे स्कूल नही आते है तो उसका उपयोग सम्पर्क करने हेतु किया जा सकें।  

उपचार केम्प से 363 मरीज लाभांवित हुए

राष्ट्रीय आयुष मिशन के अंतर्गत सिरोंज की नगरपालिका शादी हाॅल में 31 मार्च को वृहद उपचार केम्प का आयोजन किया गया था जिसमें आयुर्वेद पद्वति से मरीजों का इलाज चिकित्सकों द्वारा किया गया है । जिला आयुष अधिकारी डाॅ एसआर सिद्वीकी ने बताया कि शिविर में कुल 363 मरीजों का परीक्षण कर उन्हें निःशुल्क रोगोपचार की दवाईया प्रदाय की गई है। शिविर से लाभांवित होने वालो में पुरूष 175, महिला 135, बालक 25, बालिका 28 शामिल है।

मेरा बूथ मेरा गौरव यात्रा पहुॅची बेस, गणेषपुरा, टीला आदि क्षेत्रों में

विदिषाः मेरा बूथ मेरा गौरव कार्यक्रम एवं जन चेतना यात्रा विदिषा विधानसभा के ग्रामीण क्षेत्रो में समस्त ग्रामो में पहुंचने के बाद आज से वरिष्ठ कांग्रेस नेता शषांक भार्गव के नेतृत्व में ब्लाक कांग्रेस कमेटी विदिषा शहर एवं मण्डलम् कमेटीयों के तत्वाधान में त्रिवेणी मंदिर से दर्षन कर प्रारम्भ हो गई हैं इस क्रम में यात्रा आज पुहंची जहां पर मतदान केन्द्र के कार्यक्रताओ को सम्मानित किया साथ ही युवाओं को पार्टी से जोडा और उन्हे सदस्यता प्रदान कि। इस अवसर पर शषांक भार्गव ने संबोधित करते हुए कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में इस यात्रा के माध्यम से हमने हर एक ग्राम के क्षेत्र की समस्याओं को चिन्ह्ति कर प्रषासन के माध्यम से हल करवाने का प्रयास किया इसी प्रकार शहरी क्षेत्रो में भी इस यात्रा के माध्यम से हम प्रत्येक महोल्ले और वार्ड की समस्याओं को चिन्ह्ति कर प्रषासन से उनको हल करवाने का पुरजोर प्रयास करेंगे।  नगर कांग्रेस अध्यक्ष वीरेन्द्र पीतलिया ने कहा की यात्रा हर रोज शाम को 4 बजे वार्डो में एंव मोहल्लो में पहुंच कर जनता से संवाद स्थापित करेगे। इस कार्यक्रम में यात्रा बेस, गणेषपुरा, टीला पंहुची ।  यात्रा में शामिल थे वीरेन्द्र पीतलिया, शषांक भार्गव, डोंगरसिंह जी, धन्नाभईया, मोहरसिंह रंधुवषी, यषवंत शर्मा, अनुज लोधी, नवनीत कुषवाह, धर्मेन्द्र यादव, मोनू पाल, अविनाष शर्मा, अषीष यादव, अरविन्द शर्मा, विनोद राजपूत, राजकुमार डिडोत सहित अनेकों कांग्रेस कार्यकर्ता उपस्थित रहें। 

खुले में शौच मुक्त की झूठी रिर्पोट में कई परिवार रह जाएंगे शौचालय निर्माण राषि से वंचित 5 अप्रैल को कांग्रेस करेगी विरोध प्रर्दषन - भार्गव

विदिशा:- विदिषाा जिला प्रषासन द्वारा हाल ही में एक रिर्पोट प्रदेष सरकार को सौंपी गई हैं जिसमें विदिषा जिले को शौच मुक्त होने को दावा किया गया हैं जिला प्रषासन इस तरह की फर्जी रिर्पोट भेजकर शावासी लेने का प्रयास कर रहा हैं। प्रषासन के इस प्रयास में विदिषा जिले के कई परिवार शौचालय निर्माण की अनुदान राषि से वंचित रह जाएगें।  पूर्व प्रदेष कांग्रेस सचिव शषांक भार्गव ने इस प्रयास को निदनीय बताते हुए जिला प्रषासन के आला अधिकारियों को जमीनी हकीकत जानने की अपील की हैं उन्होने बताया कि आज भी विदिषा शहर में हजारों परिवार हैं जिनके घरों में शौचालय नही हैं एवं ये लोग आज भी अनुदान पर शौचालय निर्माण के आवेदन लेकर भटक रहें हैं वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में ये तादात और भी ज्यादा हैं। पूरे जिले में आज भी हजारों परिवार खुले आसमान के नीचे शौच जाने को मजबूर हैं। जिला प्रषासन की इस रिर्पोट पर सवालिया निषान खडें होते हैं। भार्गव ने जिला प्रषासन से मांग की हैं कि जिला कलेक्टर बताए कि किसके दबाब में उन्होने ये रिर्पोट तैयार की हैं एवं तत्काल प्रभाव से इस रिर्पोट को निरस्त किया जाए ताकि हजारों परिविार अनुदान पर शौचालय निर्माण से वंचित ना रह जाए।  अन्यथाा कांग्रेस पार्टी जिला प्रषासन के खिलाफ आंदोलन करने को विवष होगी। भार्गव ने बताया कि वे अपने कार्यकर्ताओ के साथ खुद शहर की निचली वस्तीयों एवं विदिषा विधानसभा के समस्त ग्रामो में सर्वे कराकर जिला प्रषासन को धरातल की वास्तविकता से अवगत कराएगें एवं 5 अप्रैल को जिला कलेक्टर कार्यालय पर उन सभी पीडित परिवारों के साथ प्रर्दषन करेंगे जिनके घरो में आज तक शौचालय निर्माण नहीं हुआ हैं।

सीहोर (मध्यप्रदेश) की खबर 02 अप्रैल

$
0
0
नगर पालिका / नगर परिषद हेतु रजिस्ट्रीकरण एवं सहायक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी नियुक्त

sehore-news
कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी (नगर पालिका) श्री तरूण कुमार पिथोडे व्दारा आदेश जारी कर जिले के नगर पालिका एवं नगर परिषदों के लिए रजिस्ट्रीकरण अधिकारी एवं सहायक रजिस्ट्रीकरण अधिकारियों तथा अपील प्राधिकारी नियुक्त कर दिए गए हैं। जारी आदेशानुसार नगर पालिका परिषद सीहोर हेतु अनुविभागीय अधिकारी राजस्व सीहोर को रजिस्ट्रीकरण अधिकारी एवं तहसीलदार सीहोर को सहायक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी एवं अपर कलेक्टर सीहोर को अपील प्राधिकारी नियुक्त किया गया है। नगर पालिका परिषद आष्टा हेतु अनुविभागीय अधिकारी राजस्व आष्टा को रजिस्ट्रीकरण अधिकारी एवं तहसीलदार आष्टा को सहायक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी एवं अपर कलेक्टर सीहोर को अपील प्राधिकारी नियुक्त किया गया है। इसी तरह नगर परिषद जावर हेतु प्रभारी तहसीलदार जावर को रजिस्ट्रीकरण अधिकारी एवं मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत आष्टा को सहायक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी एवं अनुविभागीय अधिकारी राजस्व आष्टा को अपील प्राधिकारी नियुक्त किया गया है। नगर परिषद कोठरी हेतु अतिरिक्त तहसीलदार आष्टा को रजिस्ट्रीकरण अधिकारी एवं नायब तहसीलदार आष्टा को सहायक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी एवं अनुविभागीय अधिकारी राजस्व आष्टा को अपील प्राधिकारी नियुक्त किया गया है। नगर परिषद इछावर हेतु तहसीलदार इछावर को रजिस्ट्रीकरण अधिकारी एवं मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत इछावर को सहायक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी एवं अनुविभागीय अधिकारी राजस्व इछावर को अपील प्राधिकारी नियुक्त किया गया है।  नगर परिषद बुधनी हेतु तहसीलदार बुधनी को रजिस्ट्रीकरण अधिकारी एवं मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत बुधनी को सहायक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी एवं अनुविभागीय अधिकारी राजस्व बुधनी को अपील प्राधिकारी नियुक्त किया गया है। नगर परिषद रेहटी हेतु तहसीलदार रेहटी को रजिस्ट्रीकरण अधिकारी एवं नायब तहसीलदार रेहटी को सहायक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी एवं अनुविभागीय अधिकारी राजस्व बुधनी को अपील प्राधिकारी नियुक्त किया गया है। नगर परिषद शाहगंज हेतु तहसीलदार बुधनी को रजिस्ट्रीकरण अधिकारी एवं नायब तहसीलदार शाहगंज को सहायक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी एवं अनुविभागीय अधिकारी राजस्व बुधनी को अपील प्राधिकारी नियुक्त किया गया है। नगर परिषद नसरूल्लागंज हेतु प्रभारी तहसीलदार नसरूल्लागंज को रजिस्ट्रीकरण अधिकारी एवं मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत नसरूल्लागंज को सहायक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी एवं अनुविभागीय अधिकारी राजस्व नसरूल्लागंज को अपील प्राधिकारी नियुक्त किया गया है। नियुक्त अधिकारी नगरीय निकायों की फोटोयुक्त मतदाता सूची के सतत पुनरीक्षण संबंधी निर्देशानुसार मतदाता सूची तैयार करने का कार्य करेंगे। 

दैनिक वेतनभोगी श्रमिक हेतु स्थायी करने संबंधी बैठक 4 को

जिले में कार्यरत दैनिक वेतनभोगी श्रमिक के लिए स्थायी कर्मियों को विनियमित करने संबंधी बैठक 4 अप्रैल,2018 को दोपहर 12 बजे कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में आयोजित की गई है। इस सिलसिले में अपर कलेक्टर व्दारा जिले के समस्त कार्यालय प्रमुखों को निर्देशित किया गया है कि वे बैठक में जानकारी के साथ नियत तिथि एवं समय पर अनिवार्य रूप से उपस्थित रहना सुनिश्चित करें तथा गठित समिति के सदस्यों को भी अवगत कराएं। 

जिले की जनपद पंचायत हेतु रजिस्ट्रीकरण एवं सहायक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी नियुक्त

कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी (पंचायत) श्री तरूण कुमार पिथोडे व्दारा आदेश जारी कर जिले के जनपद पंचायतों के लिए रजिस्ट्रीकरण अधिकारी एवं सहायक रजिस्ट्रीकरण अधिकारियों तथा अपील प्राधिकारी नियुक्त कर दिए गए हैं। जारी आदेशानुसार जनपद पंचायत सीहोर हेतु अनुविभागीय अधिकारी राजस्व सीहोर को रजिस्ट्रीकरण अधिकारी एवं तहसीलदार सीहोर एवं श्यामपुर को सहायक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी एवं अपर कलेक्टर सीहोर को अपील प्राधिकारी नियुक्त किया गया है। जनपद पंचायत आष्टा हेतु अनुविभागीय अधिकारी राजस्व आष्टा को रजिस्ट्रीकरण अधिकारी एवं तहसीलदार आष्टा एवं जावर को सहायक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी एवं अपर कलेक्टर सीहोर को अपील प्राधिकारी नियुक्त किया गया है। जनपद पंचायत इछावर हेतु अनुविभागीय अधिकारी राजस्व इछावर को रजिस्ट्रीकरण अधिकारी एवं तहसीलदार इछावर को सहायक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी एवं अपर कलेक्टर सीहोर को अपील प्राधिकारी नियुक्त किया गया है। जनपद पंचायत नसरूल्लागंज हेतु अनुविभागीय अधिकारी राजस्व नसरूल्लागंज को रजिस्ट्रीकरण अधिकारी एवं तहसीलदार नसरूल्लागंज को सहायक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी एवं अपर कलेक्टर सीहोर को अपील प्राधिकारी नियुक्त किया गया है। जनपद पंचायत बुधनी हेतु अनुविभागीय अधिकारी राजस्व बुधनी को रजिस्ट्रीकरण अधिकारी एवं तहसीलदार बुधनी एवं रेहटी को सहायक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी एवं अपर कलेक्टर सीहोर को अपील प्राधिकारी नियुक्त किया गया है। नियुक्त अधिकारी नगरीय निकायों की फोटोयुक्त मतदाता सूची के सतत पुनरीक्षण संबंधी निर्देशानुसार मतदाता सूची तैयार करने का कार्य करेंगे। 

ई उपार्जन में पंजीकृत किसान  मण्डी मे गेहूं बेचकर भी अधिक लाभ पा सकते हैं - कलेक्टर

कलेक्टर श्री तरुण कुमार पिथोडे ने बताया कि गेहूं के ई उपार्जन हेतु पंजीकृत किसान अपनी उपज को समर्थन मूल्य पर खरीदी केन्द्र के अलावा कृषि उपज मण्डी मे खुला बेचकर भी अधिक लाभ पा सकते हैं। यदि खुला विक्रय मे उनकी उपज का मूल्य न्यूनतम समर्थन मूल्य से अधिक मिलता है तब भी शासन की योजनांतर्गत प्रति क्विंटल 265 रुपये उन्हें प्रदाय किए जाएंगे। इससे किसान अपनी उपज पर अधिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं।

टीएल बैठक में कलेक्टर ने दिए निर्देश 

सोमवार 2 अप्रैल को कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में आयोजित टीएल बैठक में कलेक्टर श्री तरुण कुमार पिथोडे ने सभी विभाग प्रमुखों को समयावधि में कार्य पूर्ण करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा मजदूरों के विकास के लिए असंगठित मजदूरों को चिन्हित करने और उनके पंजीयन करने की दिशा में जिले भर में पंजीयन कार्य हेतु लगाए जा रहे शिविरों में पंजीयन का कार्य किया जा रहा है। जिन अधिकारियों की इस कार्य की मॉनीटरिंग हेतु ड्यूटी लगाई गई है वह ध्यान रखें कि पंजीयन 100 प्रतिशत हो। उन्होंने एसडीएम, सीईओ जनपद और सीएमओ को भी निर्देशित किया कि शिविरों में जाकर स्वयं देंखें। 1 अप्रैल को अवकाश होने के कारण सोमवार को सुबह 10.30 बजे कलेक्टर कार्यालय में सभी अधिकारी / कर्मचारियों व्दारा सामूहिक रूप से राष्ट्रगीत का गायन किया गया। 

सेवा निवृत्त कर्मियों का किया सम्मान

कलेक्टर श्री तरूण कुमार पिथोडे ने 31 मार्च, 2018 को सेवा निवृत्त हुए 18 शासकीय सेवकों का शाल - श्रीफल भेंटकर सम्मान किया एवं उन्हें पीपीओ वितरित किए। इस अवसर पर कलेक्टर  श्री पिथोडे ने उपस्थित सेवा निवृत्त कर्मचारियों के सुखमय जीवन की कामना करते हुए कहा कि देश के विकास में आप लोगों का भी बडा योगदान है। मैं आशा करता हूं कि सेवा निवृत्त होने के बाद भी आप समाज को दिशा देने के लिए तत्पर रहेंगे और उन्हें शासन द्वारा चलाई जा रही विभिन्न लाभप्रद योजनाओं की जानकारी देकर उनके विकास में सहभागी बनेंगे। सेवा निवृत्त होने वालों में व्याख्याता श्रीमती संध्या श्रीवास्तव,भृत्य श्री सुरेश कुमार, श्री धनसिंह, श्री रमेशचन्द्र पाराशर तथा श्री अब्दुल रईस खान, प्र.अ. श्री रामकिशन ठाकुर, श्री सतीश चन्द्र दुबे तथा श्री लखनलाल धुर्वे, शिक्षक श्री महेन्द्र कुमार गुप्ता तथा श्री सत्यनारायण दुबे, स.प.चि.क्षे. अधि. श्री दिनेशचंद्र विश्वकर्मा, इलेक्ट्रीशियन श्री व्दारका प्रसाद, डाकरनर श्री भीमसिंह, सहायक ग्रेड 3 श्री राकेश सक्सेना, श्री नन्दू महाजन, सहायक ग्रेड 1 श्री विरेन्द्र भदौरिया, सहायक ग्रेड 2 श्री रामचन्द्र पेठारी तथा उद्यान वि.अधि. स्व. श्री बल्लू राठौर शामिल है।

बिहार : छात्र संगठनों ने बंद को बनाया असरदार,लॉ कॉलेज से डाकबंगला तक मार्च

$
0
0
student-protest-in-bihar-band-sc-st-act
पटना (आर्यावर्त डेस्क):-छात्र संगठनों ने आज बंद को असरदार एवं प्रभावी बनाया | एस.सी.,एस.टी.एक्ट को निष्प्रभावी बनाने के खिलाफ सड़क पर उतरे छात्रों को आम जनता का जबरदस्त समर्थन मिला | ए.आई.एस.एफ,आइसा व छात्र राजद के बैनर तले सड़क पर उतरे छात्रों ने सबसे पहले आठ बजे से हीं लॉ कॉलेज के पास जाम लगा दिया | लगभग 10बजे जुलूस की शक्ल में छात्रों का हुजूम एनआईटी मोड़ पहुंचा और वहां भी जाम लगा दिया|पटना वि.वि. गेट,पटना कॉलेज,मखनिया कुंआं,बी.एन. कॉलेज एवं कारगिल चौक पर भी काफी देर तक रूककर जाम लगा दिया|छात्रों के जुलूस के दरम्यान अशोक राजपथ,गांधी मैदान के समीप एवं फ्रेजर रोड की दुकानें  पूर्णत: बंद रहीं एवं बंद शांतिपूर्ण रहा | जुलूस में शामिल छात्रों को जे.पी.गोलंबर पर रोकने की पुलिस ने कोशिश की लेकिन उग्र तेवर देख दण्डाधिकारी ने बीच-बचाव कर जाने दिया| जिसके बाद जुलूस डाकबंगला चौराहा तक गया | जुलूस का नेतृत्व  ए.आई.एस.एफ. के राज्य सचिव सुशील कुमार,राज्य कार्यकारिणी सदस्य सुभाष पासवान,आइसा के राज्य अध्यक्ष मोख्तार,छात्र राजद के वरीय नेता धीरज सिंह यादव एवं पीयू अध्यक्ष राहुल यादव कर थे| नेतृत्वकारी छात्रों ने पी.एम.सी.एच. स्थित बाबा साहब की प्रतिमा के पास संकल्प सभा भी आयोजित किया |  इस दौरान डाकबंगला चौराहा पर नेतृत्वकारी छात्र नेताओं ने कहा कि नीला,लाल एवं हरे झंडे की एकता की वजह जुमलेबाज सरकार बौखलाई हुई हैं | संविधान में छेड़छाड़ एवं दलित अधिकारों पर हमले आर.एस.एस.के इशारे पर जारी है | दरअसल आर.एस.एस. मनुवादी सिद्धांतों के आधार पर खंड-खंड में देश को बांटकर लंबे समय तक राज करना चाहती है| जिसे कामयाब नहीं होने दिया जाएगा |सुप्रीम कोर्ट व सांवैधानिक संस्थायें भी इससे परे नहीं है|पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट के जजों की पीड़ा को पूरे देश ने सुना है | आज का आंदोलन चेतावनी मात्र है | आज के आंदोलन में संजीत कुमार,अभिषेक राज,राजीव किशोर, राकेश प्रसाद, सैफ अली, गौतम सागर, फैज अख्तर, आशीष, विशाल, मुब्बसिर, जनार्दन, जन्मेजय, आनंद, प्रशांत, पंकज, संतोष सहित सैकड़ो लोग शामिल थे | 

बिहार : दलितों और वंचित समुदाय के साथ कांग्रेस : प्रदेश अध्यक्ष

$
0
0
congress-with-sc-st
पटना (आर्यावर्त डेस्क)।बिहार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जनाब कौकब कादरी ने दीघा में जेपी सेतु के पास भारत बंद के समर्थन में हो रहे विशाल प्रदर्शन का नेतृत्व किया। प्रदर्शन को सम्बोधित करते हुए श्री कादरी ने सभी विपक्षी दलों को इस मुद्दे पर साथ आने का स्वागत किया साथ ही कहा कि कांग्रेस ने ही इस एक्ट को बना दलितों वंचितों को सम्मान के साथ जीने का अधिकार दिया था। दलितों वंचितों के विकास में भागीदारी दिया व उन्हें अपमानित करने वाली शक्तियों से बचाव का हथियार इस एक्ट के रूप में दिया। आज बहुत दुखी, मायूस और आक्रोशित हैं सभी काँग्रेस जन क्योंकि दलित वंचित समाज को जो शक्ति काँग्रेस ने दिया था, उसे यह मोदी जी की तानाशाही व संघी मानसिकता की सरकार खत्म करना चाहती है, मोदी सरकार लगातार संविधान के साथ मजाक कर रही है, दलितों वंचितों के साथ धोखा अन्याय कर रही है। श्री राहुल गाँधी जी के नेतृत्व में काँग्रेस हर वंचित समाज का हर मुसीबत में साथ देगी, उन्हें विकास की मुख्यधारा में ला और आगे बढ़ाने को काँग्रेस प्रतिबद्ध है। प्रदर्शन के आयोजन एवं आंदोलन में शामिल प्रमुख काँग्रेसजन श्री शशि रंजन, श्री अर्जुन मण्डल पूर्व मंत्री, श्री अजय चौधरी, श्री एच के वर्मा, श्री सरोज तिवारी, श्रीमती जयंती झा, श्रीमती सुधा मिश्रा, श्रीमती रीता सिंह, शरीफ अहमद रंगरेज, नीरज यादव, दिनेश चौधरी, पंकज, कुंदन गुप्ता, संतोष श्रीवास्तव, राजेश कुमार, बिलास कुमार, सिसिल साह भी प्रमुखता से शामिल रहे व सभा को सम्बोधित किया। इस विरोध प्रदर्शन में राजद, हम, भीम आर्मी, के भी कई कार्यकर्ता शामिल हुए।बिहार के सभी जिलों में कांग्रेस ने भारत बंद के समर्थन में जबर्दस्त प्रदर्शन किया।

बिहार : वीवीआईपी भोज का हाथ से निकल जाने की आह !

$
0
0
vip-party-in-assembly-bihar
विधानसभा का बजट सत्र कल समाप्‍त हो रहा है। सत्र समाप्ति की पूर्व संध्‍या पर विधान सभा स्‍पीकर विजय कुमार चौधरी ने अपने आवास पर आज रात एक भोज का आयोजन किया है। इसका मकसद महीना भर के शोर-शराबा और हंगामे के बाद लजीज व्‍यंजन से 'मन का मैल'साफ करने का प्रयास भी हो सकता है। केंद्र से लेकर पटना तक की सरकार 'स्‍वच्‍छता'पर खास ध्‍यान दे रही है। वैसी भी नेता प्रतिपक्ष तेजस्‍वी यादव ने सत्‍तारूढ नेताओं को 'रगड़-रगड़ कर धोने'की चेतावनी पहले ही दे चुके हैं। यानी दोनों पक्ष साफ-सफाई पर खास ध्‍यान दे रहा है। तो स्‍पीकर ने भी भोज के बहाने अपनी ओर से 'भाईचारा'की कोशिश की।

आज हम विधान सभा पहुंचे तो भोज की जानकारी मिली। तो हम भी भोज में 'एंट्री'मारने की राह तलाशने लगे। कई दरवाजे पर छान मार आये, लेकिन राह नहीं मिली। लेकिन राह बंद होने के कारण जल्‍द ही समझ में आ गयी। विधान सभा के आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि भोज में मंत्री, विधायकों के अलावा विधान सभा प्रेस सलाहकार समिति के सदस्‍यों को आमंत्रित किया गया है। उनके लिए अलग से 'भोज एंट्री'कार्ड भी जारी किया गया है। इसी 'भोज एंट्री'कार्ड के अभाव में वीवीआईपी भोज का मौका बिना गांठ के पगहा के तरह हाथ से निकल गया। इसके साथ ही एक बेहतर न्‍यूज का मौका भी चूक गया।

इस बीच हम 'राजा के दरबार'की बैठकी में शामिल हो गये। मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार एक पुस्‍तक पढ़ रहे थे। उसके अवलोकन के बाद टेबुल पर रखी पत्रिका'यथावत'को देखकर उन्‍होंने पूछा कि यह किनकी पत्रिका है। इसके जवाब में पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह ने कहा कि यह रवींद्र किशोर सिन्‍हा की पत्रिका है। इसी बीच हमने 'वीरेंद्र यादव न्‍यूज'का अप्रैल अंक मुख्‍यमंत्री को अवलोकनार्थ दिया। उन्‍होंने थोड़ी देर पढ़ने के बाद कहा कि आप तो लिखते ही रहते हैं, लिखते रहिए। इसी बातचीत के क्रम में मुख्‍यमंत्री विधान परिषद की कार्यवाही में हिस्‍सा लेने के लिए अपने कक्ष से बाहर निकले। हम भी अपना झोला पीठ पर लटका कर दरवाजे की ओर बढ़ लिये।





--वीरेंद्र यादव, विधान सभा से--

बिहार : भारत बंद ऐतिहासिक, एससी-एसटी कानून में संशोधन के खिलाफ भारी आक्रोश: कुणाल

$
0
0
  • बंद के दौरान माले व दलित संगठन के कार्यकर्ताओं पर भाजपा-आरएसएस का हमला बेहद शर्मनाक.

bharat-bandh-historical
पटना 2 अप्रैल 2018, भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल ने एससी-एसटी कानून में संशोधन के खिलाफआज आहूत भारत बंद को ऐतिहासिक करार दिया है. उन्होंने कहा कि बिहार में भी बंद काफी असरदार रहा. दलितों, अल्पसंख्यकों व कमजोर वर्ग पर बढ़ते हमले के खिलाफ भाकपा-माले ने बंद का सक्रिय समर्थन किया था. भाजपा व आरएसएस का घोर दलित विरोधी चेहरा उजागर हो चुका है. हाल के दिनों में बिहार सहित पूरे देश में दलितों पर दमन-अत्याचार की घटनाओं में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है. लेकिन उत्पीड़न की ऐसी घटनाओं पर रोक लगाने की बजाए सरकार दलित अत्याचार निरोधक कानून को ही कमजोर करने में लगी हुई है. आज के बंद में जनता के विभिन्न हिस्सों का गहरा आक्रोश दिखा है. माले राज्य सचिव ने आगे कहा कि बिहार में जगह-जगह माले व दलित संगठनों के कार्यकर्ताओं को भाजपा व आरएसएस के लोगों ने निशाना बनाया है. ये फासीवादी ताकतें प्रतिरोध के न्यूनतम अधिकार को भी कुचल देने पर आमदा हैं. खगड़िया में हमारी पार्टी के जिला सचिव अरूण कुमार दास को निशाना बनाया गया. दरभंगा में मनोज बैठा, मुजफ्फरपुर में आइसा नेता दीपक और आरा के कतीरा छात्रावास के छात्र सुरेन्द्र पासवान फासीवादियों के हमले में गंभीर रूप से घायल हो गए हैं. हमारी पार्टी लोकतंत्र विरोधी इन कार्रवाइयों की कड़ी भत्र्सना करती है.

बिहार : डीएसपी लॉ एण्ड ऑडर के आश्वासन के बाद जाम हटा

$
0
0
  • पूर्व सरपंच शिवशंकर शर्मा और उनके परिवार के लोगों पर मार-मारकर अर्द्धमरा करने का आरोप

dsp-law-and-order-remove-zam
पटना. एससी/एसटी को आरक्षण के रूप में संवैधानिक अधिकार मिला है.एससी/एसटी एक्ट में संशोधन  सुप्रीम कोर्ट के जज उदय ललित ने किया है.उनका मानना है आरक्षण का दुरूपयोग हो रहा है. एससी/एसटी संशोधित एक्ट में एससी/एसटी द्वारा दायर मामले पर तत्काल गिरफ्तारी नहीं होगी.सीनियर अधिकारियों द्वारा मसले की सच्चाई व पड़ताल के बाद ही गिरफ्तारी संभव होगी.इसके खिलाफ भीम सेना व विपक्षी दलों ने भारत बंद का ऐलान किये थे.जो हिंसक बनकर सफल रहा. बाकी कसर एससी की मडर के बाद रोड जाम करने से हो गयी. मामला दीघा थानार्न्तगत हमीदपुर मोहल्ला   का है. किसी का जन्म दिनकर छोटू कुमार साहनी नामक 16 वर्षीय बालक घर आया था.दीघा ग्राम पंचायत के पूर्व  सरपंच शिवशंकर शर्मा का भतीजा व सुभाष शर्मा के पुत्र छोटू कुमार साहनी के घर आया और बुलाकर ले गया.घर से चलकर छोटू सरपंच के घर गया. घर पर छोटू गया तो मधुमक्खी की तरह सरपंच के परिवार के लोग टूट पड़ गये. जमकर धुनाई करने लगे.जब छोटू अर्द्धमरा हो गया तो उसे अपने मकान के सामने लाकर रख दिया. कुछ समय के बाद पूर्व सरपंच के परिवार के लोग प्रचारित करने लगे कि मेरे घर में आज (31 मार्च ) चोरी की नियत से चार चोर घुसे थे.तीन तो सीढ़ी के सहारे उतर गये.न पकड़ाने के डर से छोटू छत पर से कूद पड़ा.तब जाकर यह स्थिति बन गयी है. जो मुहल्ले के लोगों के गले नहीं उतर रहा है.इसे मनगढ़ंत करार दिया.मोहल्ले के लोगों का कहना है कि मार-मार अर्द्धमरा कर दिया है.  मां-बाप को खो देने वाले छोटू मौसी के घर पर रहता है. मौसी के परिवार पेशेवर मछली बेचने वाले हैं. इस परिस्थिति में छोटू को पाकर हैरान हो गये.  तबतक रात ढलकर 1 अप्रैल हो गया. तुरंत उठाकर छोटू को पीएमसीएच ले गये.यहां के सीएमओ ने परिवार को बतला दिया कि स्थिति गंभीर है. इस बीच इलाज के दरम्यान छोटू दम तोड़ दिया. पूर्व सरपंच शिवशंकर शर्मा और उनके परिवार के लोगों के द्वारा चोरी करने के आरोप में  जमकर धुनाई करने के उपरांत छोटू कुमार साहनी  की मौत होने के बाद पोस्टमार्टम कर शव को परिजनों को दिया गया. पोस्टमार्टम के बाद परिजन छोटू को घर हमीदपुर मोहल्ला लाये. इसके बाद लोकल लोगों ने कथित छोटू के  हत्यारों  को गिरफ्तार करने व पर्याप्त मुआवजा की मांग को लेकर पटना-दानापुर मुख्य मार्ग को कुर्जी पुल के पास जाम कर दिया. कई जगह लोगों को बांस में आग लगाकर विरोध जाहिर किये.इस बीच डीएसपी लॉ एण्ड ऑडर के आश्वासन के बाद जाम हटा.

मधुबनी : पंडौल में भारत बंद शांतिपूर्ण सफल, सरकार पलटी

$
0
0

  • पंडौल में भारत बंद के समर्थन में लोग 

bharat-bandh-pandaul-madhubani
पंडौल/मधुबनी, 02 अप्रैल -अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अधिनियम में संशोधन के विरुद्ध आहूत एकदिवसीय भारत बंद का व्यापक असर है। सोमवार की सुबह से ही बंद समर्थकों ने सकरी मधुबनी दरभंगा व पूर्णिया को आने जाने वाली सड़के व एनएच जाम कर दी । पंडौल बाजार मे हिरा लाल दास, कैलाश राम, संतोष पासवान, रजाअली के नेतृत्व मे बंद समर्थकों ने सड़क पर उतर दुकानों को बंद करा दिया । सकरी मधुबनी सड़क पर कई स्थानों पर टायर जला जा व बांस बल्ला लगा सड़क जाम कर दिया गया । लोग परेसान होते रहे जबकि सड़कों पर कही प्रशासन नहीं दिखा जिससे यातयात पर असर पड़ा है । जाम के कारण एनएच 57 पर सन्नाटा पसरा रहा जिससे जनजीवन प्रभावित रहा । पंडौल प्रखंड कार्यालय, बैंक, बाजार समेत सभी कार्यालय में काम काज ठप रहा । सड़क जाम के कारण वाहनों का परिचालन ठप हो गया है तथा निजी विद्यालयों की बसें नहीं चली । बंद समर्थक सरकार विरोधी नारे लगा रहे हैं। भारत बंद के बाद दूर दराज के यात्री दिन भर गाड़ियों के परीक्षा में बैठे रहे । कई लोगों ने बताया कि वह पांच किमी पैदल चल कर सकरी पहुंचे है । यहाँ से आगे जाने के लिए प्रतीक्षा कर रहा हूँ ।

दरभंगा : भारत बंद का दरभंगा में व्यापक असर

$
0
0
  • जगह-जगह हिंसक झड़प, रोड़ेबाजी और आगजनी ट्रेनों पर पथराव, रोके गये कई ट्रेने सीबीएससी परीक्षा केन्द्रों पर बंद समर्थकों का हमला

bharat-band-in-darbhanga
दरभंगा (आर्यावर्त डेस्क) :एससी/एसटी एक्ट को लेकर भारत बंद का दरभंगा के शहरी क्षेत्र में व्यापक असर दिखा. बंद समर्थकों के आक्रमकता के कारण कई जगहों पर झड़पें हुई. रोड़ेबाजी और मारपीट की घटनाएं कई जगहोें पर प्रतिवेदित हुई. आक्रमकता इतनी अधिक थी कि न्यायालय परिसर में भी बंद समर्थक घुसकर तांडव किया. स्वतंत्रता सेनानी एक्सप्रेस पर पथराव किया गया. वहीं बिहार सम्पर्क क्रांति और कमला गंगा इंटरसीटी टेÑनों को दरभंगा और लहेरियासराय स्टेशन पर आंदोलनकारियों ने रोका और इंजन पर चढ़कर प्रदर्शन किया. दरभंगा गुदरी, अलुआ गद्दी बाजार में बंद समर्थकों और व्यवसायियों के बीच मारपीट एवं रोड़ेबाजी की घटना घटी. पुलिस प्रशासन के पहुंचने के बाद वहां स्थिति नियंत्रण में आयी. भंडार चौक पर वाहनों में तोड़-फोड़ की गई. बंद समर्थक प्राय: शहर के सभी चौकों पर टायर जलाकर और बांस-बल्ला लगाकर जाम कर दिया. वहीं दरभंगा का चिकित्सा क्षेत्र अल्लपट्टी, बेता आदि का क्षेत्र भी बंद समर्थकों की नजर पर रहा. बंद करवाने वालों में आपातकालीन व्यवस्था को भी नहीं बख्सा. हालाकि लोगों ने बंद समर्थकों को बताने का प्रयास किया कि आपातकालीन व्यवस्था में चिकित्सकीय क्षेत्र रहता है. इसको प्रभावित न करें, परंतु बंद समर्थक इतने उत्तेजित थे कि उनलोगों ने दवा दुकानदारों से मारपीट तक कर ली. इतना ही नहीं डाक्टरों के निजी क्लिनिकों को भी बंद कराया. बंद को लेकर सीबीएससी के परीक्षार्थियों को काफी कठिनाई का सामना करना पड़ा. दोनार स्थित हॉलीक्रॉस 10वीं के छात्र-छात्राएं की परीक्षा निर्धारित थी. बंद समर्थक लाठी और डंडे के साथ स्कूल में प्रवेश कर गये. शिक्षक और परीक्षार्थियों के साथ दुर्व्यवहार करने लगे, यहां तक कि जबरन परीक्षा स्थगित का नोटिस भी निकलवाया. सूचना मिलने पर अनुमंडल पदाधिकारी डॉ. गजेन्द्र प्रसाद सिंह और अपर पुलिस अधीक्षक दिलनवाज अहमद दंगा निरोधी दस्ते के साथ पहुंचे और सीबीएससी से बात कर परीक्षा शुरू करवाये. वहीं पुलिस ने लहेरियासराय स्टेशन पर फसे 40 बच्चों को महात्मा गांधी शिक्षण संस्थान पहुंचाया. वहीं कुछ छात्रों को पुलिस ने थलवारा स्टेशन से लाकर परीक्षा में शामिल कराया. हॉलीक्रॉस में 12 बजे से 3 बजे तक परीक्षा हुई और 257 परीक्षार्थियों ने परीक्षा में भाग लिया. बंद समर्थक मुख्य सड़कों एनएच, एसएच को तो जाम कर ही रखा था. शहर के गली-मुहल्लों की सड़कों को भी टायर जलाकर जाम कर रखा था. जिसके कारण आम लोगों को काफी कठिनाई का सामना करना पड़ा. बंद समर्थकों के निशाने पर समाहरणालय, न्यायालय, दरभंगा टावर, लहेरियासराय टावर, कॉमर्शियल चौक, अल्लपट्टी चौक, दोनार चौक, स्टेशन चौक, शास्त्री चौक, मिर्जापुर चौक, खनका चौक, नाका न.5 चौक, नाका न.6 चौक, बेला मोड़, हसनचक, कादिराबाद चौक सहित अधिकांश चौक को अवरूद्ध कर दिया. इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में भी चौक-चौराहों को जाम करने की सूचना है.

कानपूर : बीसीए की छात्रा ने फांसी लगायी

$
0
0
girl-commit-sucide-in-kanpur
कानपुर, दो अप्रैल, वरिष्ठों की छेडखानी एवं कथित पुलिस निष्क्रियता से परेशान एक छात्रा ने फांसी लगाकर जान दे दी। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अखिलेश कुमार ने आज बताया कि छात्रा सीएसजेएम विश्वविद्यालय में बीसीए कर रही थी। उसने पिता को बताया था कि दो सीनियर अनिकेत पाण्डेय एवं अनिकेत दीक्षित उसे रोज अपमानित करते हैं। कुमार के मुताबिक छात्रा ने 12 मार्च को पुलिस को मामले की जानकारी दी थी, लेकिन बाद में उसने लिखित दिया कि वह कथित रूप से छेड़खानी करने वाले वरिष्ठों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं चाहती है। छात्रा के परिवार वालों ने पुलिस निष्क्रियता का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि इसी वजह से छात्रा ने पंखे से लटककर जान दी है। कुमार ने बताया कि उप निरीक्षक अजय मिश्र को निलंबित कर दिया गया है जबकि थाना प्रभारी समीर सिंह को लाइन हाजिर किया गया है।
Viewing all 74188 articles
Browse latest View live




Latest Images