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इराक से 31 भारतीयों के पार्थिव अवशेष अमृतसर पहुंचे

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अमृतसर, 2 अप्रैल, इराक के मोसुल में 2014 में आतंकवादी समूह इस्लामिक स्टेट (आईएस) द्वारा मारे गए 38 भारतीयों के पार्थिव अवशेष सोमवार दोपहर भारतीय वायुसेना के एक विशेष विमान से यहां पहुंचे। विदेश राज्यमंत्री वी.के सिंह विमान में पार्थिव अवशेषों के साथ थे। सिंह ने मीडिया से कहा, "हम पीड़ितों का पता लगाने और शवों को जमीन से खोदकर निकालने में इराक की मदद के आभारी हैं। लापता भारतीयों की खोज के लिए भारत सरकार ने सर्वश्रेष्ठ प्रयास किए।"इस्लामिक स्टेट ने जून, 2014 में मोसुल पर कब्जा करने के बाद 39 भारतीयों की हत्या कर दी थी, लेकिन 38 भारतीयों के पार्थिव अवशेष ही वापस लाए गए हैं, क्योंकि एक शव की पहचान अभी भी बाकी है। पंजाब के 27 और हिमाचल प्रदेश के चार लोगों के ताबूत अमृतसर हवाईअड्डे पर संबंधित अधिकारियों को सौंप दिए गए हैं, जबकि सात ताबूतों को पश्चिम बंगाल (3) और बिहार (4) ले जाने के लिए एक अन्य विमान उड़ान भरेगा। पंजाब के सांस्कृतिक मामलों के मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ताबूतों को लेने के लिए हवाईअड्डे पर उपस्थित थे। इसके साथ ही जिन-जिन राज्यों से मृतकों को संबंध था, उन राज्यों के अधिकारी भी हवाईअड्डे पर मौजूद थे। अधिकारियों ने पीड़ितों के परिवारों से ताबूतों को न खोलने के लिए कहा है, क्योंकि मृतकों के अवशेष कब्रों से निकाले गए थे और उनसे जहरीले गैसों का उत्सर्जन हो सकता है। अधिकांश ने हालांकि इस दिशानिर्देश को अस्वीकार कर दिया है और कहा है कि वे पारंपरिक तौर पर अवशेषों का अंतिम संस्कार करेंगे। गौरतलब है कि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने 20 मार्च को संसद को सूचित किया था कि इराक में मजदूरी कर रहे जिन 39 भारतीयों का 2014 में मोसुल से अपहरण हो गया था, उनकी हत्या हो गई है। इससे पहले इराक से बच निकले हरजीत मसीह ने दावा किया था कि आईएस ने 39 भारतीयों की गोली मारकर हत्या कर दी है। इसके जबाव में विदेश मंत्री ने कहा था कि जब तक इस संबंध में कोई ठोस सबूत नहीं मिल जाता, वे किसी की मृत्यु की पुष्टि नहीं कर सकतीं।

दलित आंदोलन के दौरान देशभर में हिंसा, 6 लोगों की मौत

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नई दिल्ली, 2 अप्रैल, दलितों और जनजातियों के खिलाफ अत्याचारों पर लगाम लगाने वाले कानून को कमजोर करने के सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ दलित संगठनों द्वारा सोमवार को आयोजित दिनभर के भारत बंद के दौरान देश के कई हिस्सों में हिंसा भड़ उठी, जिसमें कम से कम छह लोगों की मौत हो गई और दर्जनों अन्य घायल हो गए हैं।  इस बीच केंद्र सरकार ने प्रदर्शनकारी दलितों को शांत करने के क्रम में कहा है कि उसने सर्वोच्च न्यायालय में 20 मार्च के उसके फैसले के खिलाफ एक समीक्षा याचिका दायर की है। सर्वोच्च न्यायालय का ताजा आदेश अनुसूचित जातियों के खिलाफ अत्याचार के मामलों में तत्काल गिरफ्तारी पर रोक लगाता है। गुजरात, पंजाब, राजस्थान, झारखंड, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार और ओडिशा नें प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच भिड़ंत की खबर है। हिंसा और आगजनी के कारण राज्यों में सामान्य हालात बिगड़ते दिखाई दिए। केंद्र सरकार ने उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के हिंसा ग्रस्त इलाकों में तत्काल 800 दंगा-रोधी पुलिसकर्मियों को भेजा है। दिल्ली में गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि उत्तर प्रदेश के मेरठ में त्वरित कार्रवाई बल (आरएएफ) की दो और आगरा में एक और हापुड़ में भी एक टुकड़ी भेजी गई है। मध्यप्रदेश में हिंसा के दौरान पांच लोगों की मौत हो गई और दर्जनों अन्य घायल हो गए है। प्रशासन ने हिंसा प्रभावित मुरैना, ग्वालियर और भिंड जिलों में कर्फ्यू लगा दिया है। राज्य की राजधानी भोपाल में भी प्रदर्शनकारियों ने सड़कों पर जाम लगाया और विरोध प्रदर्शन किया। 

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस बीच लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की। ग्वालियर के कलेक्टर राहुल जैन ने कहा कि जिले में हिंसा के दौरान तीन लोगों की मौत हो गई है, और 62 अन्य घायल हो गए हैं। जैन ने  कहा, "दो लोगों की मौत ग्वालियर शहर में और एक व्यक्ति की मौत डबरा कस्बे में हुई है। सभी मौतें आपसी संघर्ष में हुई हैं, जिसमें पुलिस की कोई भूमिका नहीं है।"उन्होंने बताया कि जिले के कई थाना क्षेत्रों में कर्फ्यू लागू है, और इंटरनेट सेवा निलंबित कर दी गई है। चंबल क्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक संतोष सिंह ने कहा कि भिंड और मुरैना में एक-एक व्यक्ति की मौत हुई है। मुरैना में मारे गए शख्स की पहचान राहुल पाठक के रूप में हुई है। वह एक छात्र नेता था। राजस्थान के अलवर में हिंसा के दौरान पवन कुमार नामक शख्स की मौत हो गई, जबकि जयपुर, अजमेर, जैसलमेर, बाड़मेर, जोधपुर और उदयपुर समेत राज्य के अन्य हिस्सों से भी हिसा की खबरें हैं। पंजाब और हरियाणा में भी बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए हैं। राज्य में दुकानें, शैक्षिक संस्थान व अन्य प्रतिष्ठान बंद रहे। पंजाब में 10वीं व 12वीं कक्षाओं की परीक्षाएं स्थगित कर दी गईं। राज्य की करीब 2.8 करोड़ आबादी में सबसे ज्यादा 32 फीसदी दलित हैं।

जालंधर, अमृतसर और भठिंडा में सैकड़ों की संख्या में प्रदर्शनकारियों ने तलवारों, डंडों, बेसबॉल के बल्लों और झंडों के साथ दुकानों और अन्य प्रतिष्ठानों को जबरन बंद कराया। रोहतक और पड़ोसी राज्य हरियाणा के अन्य शहरों में भी विरोध प्रदर्शन हुए। वहीं बिहार में पुलिस ने कहा कि आंदोलनकारियों ने रेल और सड़क यातायात जाम कर दिया। भीड़ ने बाजारों, दुकानों के साथ-साथ शिक्षा संस्थानों को बंद करवाया। भीम सेना और अन्य दलित संगठनों के समर्थकों ने तीन दर्जन लंबी दूरी वाली और स्थानीय रेलगाड़ियों को रोक दिया, जिससे हजारों यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ा है। पूर्व मध्य रेलवे के एक अधिकारी ने बताया, "प्रदर्शन के कारण रेल सेवा बहुत बुरी तरह से बाधित हुई।"इसके साथ ही वैशाली, मुजफ्फरपुर, नवादा, पटना और भागलपुर में हिंसा की सूचना मिली है। उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में भी हिंसा भड़क उठी। प्रदर्शनकारियों ने हापुड़, आगरा, मेरठ, सहरानपुर और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लोकसभा क्षेत्र वाराणसी में पुलिस पर पत्थर बरसाए और दुकानों को लूट लिया।

प्रदर्शनकारियों ने कई गाड़ियों को अपना निशाना बनाया और उनकी खिड़कियां तोड़ दीं। कुछ जगहों पर सरकारी संपत्तियों को भी नुकसान पहुंचाया गया। मेरठ में पुलिस दल पर कुछ लोगों ने कथित रूप से गोलियां चलाईं, जबकि आंदोलनकारियों ने एक यात्री बस को आग के हवाले कर दिया। मेरठ में 500 दलित युवकों ने मीडिया को निशाना बनाया और प्रदर्शन की तस्वीरें उतारने का प्रयास कर रहे पत्रकारों के कैमरे तोड़ दिए। गुजरात के बड़े कस्बों और शहरों में दलितों ने प्रदर्शन किए। अहमदाबाद और जामनगर में तोड़फोड़ की खबरें सामने आईं हैं। इस बीच केंद्र ने सोमवार को सर्वोच्च न्यायालय के उस आदेश को वापस लेने के लिए याचिका एक दायर की, जिसमें अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 के तहत शिकायत दर्ज कराने पर आरोपी को तुरंत गिरफ्तार नहीं करने का आदेश दिया गया है। सर्वोच्च न्यायालय ने 20 मार्च को अपने एक आदेश में कहा था कि पुलिस इस अधिनियम के तहत दर्ज शिकायत पर कार्रवाई करने से पहले उसकी सत्यता का पता लगाने के लिए जांच करेगी। केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सरकार शीर्ष अदालत द्वारा दिए गए तर्क से सहमत नहीं है।

दलितों का हक छीनना चाहती है भाजपा : मायावती

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लखनऊ, 2 अप्रैल, उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री एवं बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने सोमवार को कहा कि बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर के अथक प्रयासों से जो अधिकार पिछड़े और दलित वर्ग को मिले हैं, भाजपा उन्हें छीनना चाहती है। मायावती ने हालांकि प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा को नाजायज ठहराया है। बसपा प्रमुख ने भारत बंद के दौरान हुई हिंसा की कड़ी निंदा की है। उन्होंने कहा, "बसपा आंदोलन का समर्थन करती है, लेकिन इस दौरान हुई हिंसा को जायज नहीं ठहराती।"मायावती ने कहा कि कुछ जातिवादी लोग दलित और पिछड़े लोगों की आड़ में इस आंदोलन को हिंसक बना रहे हैं। उन्होंने पुलिस प्रशासन से ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की मांग की है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर पिछड़ा और दलित विरोधी होने का आरोप लगाते हुए कहा कि उनकी कथनी और करनी में फर्क का ही परिणाम है कि आज लोग सड़क पर उतरे हैं। बाबा साहेब के अथक प्रयासों से जो अधिकार पिछड़े और दलित वर्ग को मिले हैं, भाजपा उन्हें छीनना चाहती है। सरकार की इन नीतियों के चलते दलितों और आदिवासियों में गुस्सा है। बसपा सुप्रीमो ने कहा, "आरक्षण खत्म करने के लिए भाजपा सरकार सरकारी संस्थाओं का प्राइवेटाइजेशन करती जा रही है, इसीलिए हम प्राइवेट संस्थानों में भी दलित और पिछड़ों को आरक्षण की लगातार मांग कर रहे हैं।"गौरतलब है कि एससी-एसटी एक्ट में बदलाव पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पूरे देश में दलित संगठनों द्वारा सोमवार को भारत बंद का आयोजन किया गया। इसका व्यापक असर पूरे देश में देखने को मिला है।

केजरीवाल ने जेटली को लिखा पत्र, माफी मांगी

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नई दिल्ली, 2 अप्रैल, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सोमवार को केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाने को लेकर माफी मांग ली। जेटली दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) के अध्यक्ष रह चुके हैं। जेटली को लिखे एक पत्र में केजरीवाल ने कहा, "मैं स्पष्ट रूप से अपने द्वारा आपके ऊपर प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया पर लगाए गए सभी आरोपों को वापस लेता हूं। मेरे द्वारा लगाए गए आरोपों के कारण आपके सम्मान को हुए किसी तरह के नुकसान के लिए मैं आपसे और आपके परिवार से पूरी ईमानदारी से माफी मांगता हूं।"आम आदमी पार्टी और केजरीवाल ने डीडीसीए के अध्यक्ष के रूप में जेटली के 13 साल के निरंतर शासन के दौरान भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था। इसके बाद जेटली ने 10 करोड़ रुपये की मानहानि का दावा ठोका था। केजरीवाल के वकील राम जेठमलानी ने जेटली से सवाल करने के दौरान अभद्र भाषा का प्रयोग किया था और कहा था ये शब्द उनके मुवक्किल के हैं, जिसके बाद पिछले साल वित्तमंत्री ने दूसरा मुकदमा दायर किया था। पत्र में कहा गया, "मैं स्पष्ट रूप से कहता हूं कि राम जेठमलानी द्वारा दिए गए अपमानजनक और दुर्भावनापूर्ण बयान मेरे संज्ञान और निर्देश से नहीं दिए गए थे।"केजरीवाल के अलावा, जिन अन्य आप नेताओं ने जेटली से माफी मांगी है, उनमें आप सांसद संजय सिंह, वरिष्ठ नेता आशुतोष, दीपक बाजपेयी व प्रवक्ता राघव चड्ढा शामिल हैं। पत्र में कहा गया, "हम दो अलग राजनीतिक दलों से संबंध रखते हैं और मेरा मानना है कि हमें हमारे बीच की बेकार की मुकदमेबाजी को समाप्त कर देना चाहिए और हमारे देश के लोगों को हमारी क्षमताओं का सर्वश्रेष्ठ देना चाहिए।"केजरीवाल ने पहले पिछले महीने पंजाब के पूर्व मंत्री बिक्रम मजीठिया, उसके बाद केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल के बेटे अमित सिब्बल से माफी मांगी थी।

एटीपी रैंकिंग : फेडरर को पछाड़ नडाल शीर्ष पर

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मेड्रिड, 2 अप्रैल, स्पेन के दिग्गज टेनिस खिलाड़ी राफेल नडाल ने स्विट्जरलैंड के रोजर फेडरर को धकेलते हुए सोमवार को जारी टेनिस पेशेवर संघ (एटीपी) रैंकिंग में पहला स्थान हासिल कर लिया है। समाचार एजेंसी एफे के मुताबिक, फेडरर को पिछले महीने मियामी ओपन के राउंड ऑफ-64 में आस्ट्रेलिया के थांसी कोककिनकिस के हाथों मिली 6-3, 3-6, 6-7 से हार का खामियाजा भुगतना पड़ा है। मियामी ओपन का खिताब जीतने वाले अमेरिका के जॉन इश्नेर ने आठ स्थान की छलांग लगाई है और अब वह नौवें स्थान पर आ गए हैं। मियामी ओपन के फाइनल में मात खाने वाले जर्मनी के एलेक्जेंडर ज्वरेव एक स्थान चढ़ कर चौथे स्थान पर आ गए हैं। अर्जेटीना के जुआन मार्टिन डेल पोट्रो, आस्ट्रिया के डोमिनिक थीम, दक्षिण अफ्रीका के केविन एंडरसन ने क्रमश: अपना छठा, सातवां और आठवां स्थान कायम रखा है।

एससी/एसटी एक्ट: केंद्र ने दायर की पुनर्विचार याचिका

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नयी दिल्ली 02 अप्रैल, केंद्र सरकार ने अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति (एससी/एसटी) अत्याचार निवारण अधिनियम से संबंधित उच्चतम न्यायालय के हालिया आदेश की समीक्षा के लिए आज पुनर्विचार याचिका दायर की। सामाजिक न्याय एवं आधिकारिता मंत्रालय के माध्यम से सरकार ने इस मामले में याचिका दायर करके शीर्ष अदालत से अपने गत 20 मार्च के आदेश पर फिर से विचार करने का अनुरोध किया है।  सरकार का मानना है कि एससी और एसटी के खिलाफ कथित अत्याचार के मामलों में स्वत: गिरफ्तारी और मुकदमे के पंजीकरण पर प्रतिबंध के शीर्ष अदालत के आदेश से 1989 का यह कानून ‘दंतविहीन’ हो जायेगा। मंत्रालय की यह भी दलील है कि सर्वोच्च न्यायालय के हालिया आदेश से लोगों में संबंधित कानून का भय कम होगा और एससी/एसटी समुदाय के व्यक्तियों के खिलाफ हिंसा की घटनाओं में बढ़ोतरी होगी। उच्चतम न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण फैसले में व्यवस्था दी है कि एससी/एसटी अत्याचार निवारण अधिनियम 1989 के तहत दर्ज मामलों में बगैर उच्चाधिकारी की अनुमति के अधिकारियों की गिरफ्तारी नहीं होगी। न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि गिरफ्तारी से पहले आरोपों की प्रारम्भिक जांच जरूरी है। इतना ही नहीं, गिरफ्तारी से पहले जमानत भी मंजूर की जा सकती है। न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल और न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित की पीठ ने गिरफ्तारी से पहले मंजूर होने वाली जमानत में रुकावट को भी खत्म कर दिया है। शीर्ष अदालत के इस फैसले के बाद अब दुर्भावना के तहत दर्ज कराये गये मामलों में अग्रिम जमानत भी मंजूर हो सकेगी। न्यायालय ने माना कि एससी/एसटी अधिनियम का दुरुपयोग हो रहा है। पीठ के नये दिशानिर्देश के तहत किसी भी सरकारी अधिकारी पर मुकदमा दर्ज करने से पहले पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) स्तर का अधिकारी प्रारंभिक जांच करेगा। किसी सरकारी अधिकारी की गिरफ्तारी से पहले उसके उच्चाधिकारी से अनुमति जरूरी होगी। महाराष्ट्र की एक याचिका पर न्यायालय ने यह अहम फैसला सुनाया है। पीठ ने केंद्र सरकार और न्याय मित्र अमरेंद्र शरण की दलीलों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। न्यायालय ने इस दौरान कुछ सवाल भी उठाये थे कि क्या एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 के लिए प्रक्रियात्मक सुरक्षा उपाय किये जा सकते हैं ताकि बाहरी तरीकों का इस्तेमाल न हो? क्या किसी भी एकतरफा आरोप के कारण आधिकारिक क्षमता में अधिकारियों पर मुकदमा चलाया जा सकता है और यदि इस तरह के आरोपों को झूठा माना जाये तो ऐसे दुरुपयोगों के खिलाफ क्या सुरक्षा उपलब्ध है? क्या अग्रिम जमानत मंजूर न होने की वर्तमान प्रक्रिया संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत उचित प्रक्रिया है? शीर्ष अदालत के इस फैसले को लेकर राजनीतिक हलकों में सरगर्मी तेज हो गयी थी और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के घटक दलों के कुछ एससी/एसटी सांसदों ने लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष एवं केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान एवं केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं आधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत के नेतृत्व में पिछले सप्ताह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात भी की थी। श्री गहलोत ने इस मामले में कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद को पत्र भी लिखा था।

प्रत्यक्ष कर संग्रह बजट अनुमान के पार

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नयी दिल्ली 02 अप्रैल, वित्त वर्ष 2017-18 में प्रत्यक्ष कर संग्रह बजट अनुमान 9.80 लाख करोड़ रुपये के आंकड़े को पार करते हुये 9.95 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया, राजस्व सचिव हसमुख अधिया और केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के प्रमुख सुशील चंद्रा ने आज यहां संवाददाताओं को यह जानकारी दी। श्री चंद्रा ने कहा कि वर्ष 2017-18 में संग्रहित प्रत्यक्ष कर राजस्व वित्त वर्ष 2016-17 में संग्रहित राजस्व की तुलना में 17.1 प्रतिशत अधिक है और बजट अनुमान से 1.5 प्रतिशत अधिक है, जबकि संशोधित अनुमान 10.05 लाख करोड़ रुपये से एक प्रतिशत कम है। श्री अधिया ने कहा कि ये आंकड़े 31 मार्च की आधी रात तक के हैं तथा बाद में इसमें बढ़ोतरी की पूरी उम्मीद है जिससे संशोधित अनुमान भी हासिल कर लिया जायेगा। उन्होंने कहा कि वर्ष 2017-18 में सकल प्रत्यक्ष कर संग्रह 11.44 लाख करोड़ रुपये रहा है जो इससे पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 13 प्रतिशत अधिक है। वर्ष 2017-18 में 1.4 लाख करोड़ रुपये का रिफंड दिया गया है। श्री चंद्रा ने कहा कि शुद्ध कंपनी आय कर (सीआईटी) में 17.1 प्रतिशत और प्रतिभूति लेनदेन कर (एसटीटी) सहित व्यक्तिगत आयकर में 18.9 प्रतिशत की बढोतरी हुयी है। वर्ष 2017-18 में 6.84 करोड़ आयकर रिटर्न दाखिल किये गये जबकि इससे पिछले वित्त वर्ष में यह आंकड़ा 5.43 करोड़ रहा था। इस तरह से इसमें 26 फीसदी की वृद्धि हुयी है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2013-14 में 3.79 करोड़ रिटर्न दाखिल हुये थे जो वर्ष 2017-18 में बढ़कर 6.48 करोड़ पर पहुंच गया है। इसमें 80.5 प्रतिशत की बढोतरी हुयी है।  उन्होंने कहा कि वर्ष 2017-18 में नये आयकर रिटर्न दाखिल करने वालों की संख्या 99.49 लाख रही जबकि वर्ष 2016-17 में इनकी संख्या 85.51 लाख रही थी।

उत्तर प्रदेश और बिहार में विधान परिषद चुनाव 26 अप्रैल को

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नयी दिल्ली 02 अप्रैल, उत्तर प्रदेश और बिहार में विधान परिषद के द्विवार्षिक चुनाव 26 अप्रैल को कराये जायेंगे । चुनाव आयोग की आज यहां जारी विज्ञप्ति के अनुसार उत्तर प्रदेश विधान परिषद की 13 सीटों तथा बिहार विधान परिषद की 11 सीटों के लिए चुनाव कराया जायेगा । इन सदस्यों का चुनाव विधानसभा सदस्य करेंगे । चुनाव की अधिसूचना नौ अप्रैल को जारी की जायेगी और नामांकन पत्र भरने की आखिरी तिथि 16 अ्रपैल होगी ।  नामांकन पत्रों की जांच 17 अप्रैल को की जायेगी तथा नाम 19 अप्रैल तक वापस लिए जा सकेंगे । मतदान 26 अप्रैल को सुबह नौ बजे से शाम चार बजे तक होगा और इसी दिन मतगणना की जायेगी ।

सीबीएसई पेपर लीक : सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को सुनवाई

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नयी दिल्ली, 02 अप्रैल, उच्चतम न्यायालय केंद्रीय माध्यमिक परीक्षा बोर्ड (सीबीएसई) की 10वीं एवं 12वीं कक्षाओं के प्रश्न-पत्र लीक मामले से संबंधित तीन याचिकाओं की सुनवाई बुधवार को करेगा। शीर्ष अदालत ने इन याचिकाओं की सुनवाई पर आज सहमति जताते हुए चार अप्रैल की तारीख मुकर्रर की।  पेपर लीक मामले में तीनों याचिकाकर्ताओं ने उच्चतम न्यायालय के समक्ष अलग-अलग तरह की मांग रखी है। दीपक कंसल की ओर से दाखिल पहली याचिका में याचिकाकर्ता ने दोबारा परीक्षा कराये जाने की बजाय पुरानी परीक्षा के आधार पर ही परीक्षाफल घोषित की जाये और लीक की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से करायी जाये। दूसरी याचिका केरल के कोच्चि शहर के दसवीं के छात्र रोहन मैथ्यू ने दायर की है। उसने भी पहले हो चुकी परीक्षा के आधार पर ही परीक्षाफल घोषित करने का निर्देश सीबीएसई को देने की मांग की है। पेशे से वकील अलख आलोक श्रीवास्तव की ओर से दायर तीसरी याचिका में पेपर लीक कांड की सीबीआई जांच कराये जाने की मांग की गयी है। अलख श्रीवास्तव ने अपनी याचिका में कहा है कि 12वीं की परीक्षा देने वाले प्रत्येक छात्र को पेपर लीक के कारण होने वाली मानसिक परेशानी, तनाव और असुविधा के लिए एक लाख रुपये हर्जाना दिया जाना चाहिए। याचिकाकर्ता ने छात्रों को किसी भी परेशानी से निजात दिलाने के लिए सारी परीक्षाएं फिर से कराये जाने का सीबीएसई को निर्देश देने का न्यायालय से अनुरोध किया है। इस मामले में दिल्ली पुलिस अब तक दो प्राथमिकी दर्ज कर चुकी है। बारहवीं कक्षा के अर्थशास्त्र के पेपर को लीक करने वाले तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है, जिनमें दो निजी स्कूलों के शिक्षक और एक ट्यूटर शामिल हैं।

नेल्सन मंडेला की पत्नी विनी मंडेला का निधन

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जोहानसबर्ग 02 अप्रैल, दक्षिण अफ्रीका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति दिवंगत नेल्सन मंडेला की पत्नी और रंगभेद-विरोधी अभियान में अग्रणी रही विनी मादिकिजेला मंडेला का आज 81 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनके निजी सहायक जोदवा जवाने ने यह जानकारी दी। मंडेला परिवार की प्रवक्ता विक्टर दलामिनी ने अपने बयान में कहा, “विनी मंडेला का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। वह वर्ष की शुरुआत से ही अस्पताल में भर्ती थीं। उन्होंने आज दोपहर अपने परिवारजनों के बीच आखिरी सांस ली।” विनी मंडेला का जन्म 1936 में हुआ था और 1958 में उनका विवाह नेल्सन मंडेला से हुआ। जब नेल्सन मंडेला को रॉबन द्वीप पर निर्वासित कर दिया गया , तब उन्होंने ही रंगभेद विरोधी आंदोलन का नेतृत्व किया था। इसके बाद वह दक्षिण अफ्रीका की सरकार में मंत्री के पद पर भी रही। दक्षिण अफ्रीका में उनको राष्ट्रमाता का दर्जा हासिल था।

पेट्रोल के दाम साढ़े चार साल के उच्चतम स्तर पर

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नयी दिल्ली 02 अप्रैल, पेट्रोल के दाम लगातार बढ़ते हुये आज साढ़े चार साल के उच्चतम स्तर पर पहुँच गये, डीजल की कीमत भी सर्वकालिक उच्च स्तर पर रही। देश की सबसे बड़ी तेल विपणन कंपनी इंडियन ऑयल लिमिटेड से प्राप्त जानकारी के अनुसार, राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में आज पेट्रोल की कीमत 73.83 रुपये प्रति लीटर रही। इसका इससे उच्च स्तर सितंबर 2014 में दर्ज किया गया था जब यह 76.06 रुपये प्रति लीटर की सर्वकालिक ऊँचाई पर रहा था।  दिल्ली में सोमवार को डीजल की कीमत 64.69 रुपये प्रति लीटर रही।  अन्य महानगरों में मुंबई में आज पेट्रोल 81.69 रुपये प्रति लीटर, चेन्नई में 76.59 रुपये प्रति लीटर और कोलकाता में 76.54 रुपये प्रति लीटर बिका। इन तीनों महानगरों में डीजल के दाम क्रमश: 68.89 रुपये, चेन्नई में 68.24 रुपये और कोलकाता में 67.38 रुपये प्रति लीटर रहा।

फर्जी एजेंटों के जरिये विदेश न जाएं अकुशल कर्मचारी : वीके सिंह

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अमृतसर, 02 अप्रैल, विदेश राज्य मंत्री वीके सिंह ने आज अपील की कि नकली एजेंटों के माध्यम से कम पढ़े-लिखे लोग, अकुशल कर्मचारी/मजदूर विदेश न जाएं,  इराक में मारे गये 39 भारतीयों के पार्थिव अवशेष एक विशेष विमान से अमृतसर लाने के बाद श्री सिंह ने यहां संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा कि यह जो 39 लोग मारे गये हैं इनके बारे में एंबेसी में कोई जानकारी नहीं थी। कुछ पता ही नहीं था कि वह कब गये, कैसे गये। श्री सिंह ने बताया कि 39 लोगों का डीएनए मैच हो गया जिनके पार्थिव अवशेष लाये गये हैं। एक शव का डीएनए मैच 70 फीसदी हुआ है। उसके भाई-बहन का डीएनए लिया गया है जो वहां फिर से मिलान किया जाएगा और पुष्टि होने के बाद शव भारत को दिया जाएगा। श्री सिंह ने मृतकों के परिजनों से अपील की कि वहां ताबूत न खोलें क्योंकि वहां जांच की प्रक्रिया में रसायनों का इस्तेमाल किया गया है और ताबूत खोलने से हवा लग सकती है और अवशेषों को नुकसान हो सकता है। उन्होंने कहा कि वह परिजनों को ताबूत सौंप रहे हैं और यह उन पर निर्भर है कि वह घर जाकर चाहें तो अंतिम संस्कार करने से पहले ताबूत खोलें। इस अवसर पर नवजोत सिंह सिद्धू ने मृतकों के परिवारों को पांच-पांच लाख रुपये की आर्थिक सहायता की घोषणा की। उन्होंने यह आश्वासन भी दिया कि योग्यता के आधार पर परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाएगी। उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार पहले से परिवारों को बीस-बीस हजार रुपये की पेंशन दे रही है।

धोनी, शारदा सिन्हा सहित 39 हस्तियां पद्म अलंकरण से विभूषित

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नयी दिल्ली 02 अप्रैल, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने क्रिकेटर महेन्द्र सिंह धोनी, बिलियर्ड खिलाड़ी पंकज आडवाणी, बॉलीवुड अभिनेता मनोज नवनीत जोशी और कलाकार लक्ष्मण पई सहित विभिन्न क्षेत्रों की 39 महान हस्तियों को आज पद्म अलंकरणों से विभूषित किया।  राष्ट्रपति भवन के ऐतिहासिक दरबार हॉल में आयोजित एक रंगारंग समारोह में श्री कोविंद ने धोनी, आडवाणी, लक्ष्मण पई, मशहूर लोक गायिका शारदा सिन्हा तथा भारत में रूस के राजदूत रहे अलेक्जांद्र कदाकिन (मरणोपरांत) को पद्म भूषण से अलंकृत किया। पद्म अलंकरण समारोह के दूसरे चरण में आज 38 हस्तियों को पद्मश्री अलंकरण से अलंकृत किया गया। चार हस्तियां अनुपस्थित रहीं। पद्मश्री अलंकरण से सम्मानित हस्तियों में मलेशियाई शास्त्रीय नर्तक दातुक रामली इब्राहिम, कम्बोडिया के युवा नेता हुन मेनी, भारतीय भाषा के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए जापान निवासी टोमियो मिजोकामी, सार्वजनिक मामलों के लिए म्यांमार के थांत मिंट यू, ब्रुनेई के सामाजिक कार्यकर्ता मलाई हाजी अब्दुल्ला बिन हाजी और नेत्ररोग के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाले नेपाल सांदुक रुईत शामिल हैं। धोनी के साथ उनकी पत्नी साक्षी भी समारोह में शामिल हुईं। इंडियन टेरिटोरियल आर्मी की पोशाक में राष्ट्रपति भवन पहुंचे धोनी जब पद्म अलंकरण के लिए राष्ट्रपति के समीप पहुंचे तो दरबार हॉल में देर तक तालियों की गूंज सुनाई देती रही। समारोह में उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन एवं केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह के अलावा मंत्रिपरिषद के कई सदस्य और अन्य गणमान्य हस्तियां उपस्थित थीं।

सरकार एससी,एसटी कल्याण के लिए प्रतिबद्ध, अफवाहों पर ध्यान न दें : राजनाथ

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नयी दिल्ली 02 अप्रैल, गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने भारत बंद के दौरान हिंसक प्रदर्शनों में लोगों की जान जाने पर दुख व्यक्त करते हुए आज कहा कि सरकार अनुसूचित जाति, जनजाति तथा अन्य कमजोर वर्गों के कल्याण के प्रति वचनबद्ध है और उन्हें कानून के तहत पूरे संरक्षण की गारंटी देती है। अनुसूचित जाति तथा जनजाति अधिनियम के संबंध में उच्चतम न्यायालय के हाल के फैसले के विरोध में देश भर में आज भारत बंद के दौरान हुई हिंसा की घटनाओं में छह लोगों की मौत हो चुकी है और कई अन्य घायल हुए हैं। श्री सिंह ने लोगों से शांति बनाये रखने तथा असामाजिक तत्वों द्वारा फैलाई जा रही अफवाहों पर ध्यान नहीं देने की अपील की है। उन्होंने सभी राजनीतिक दलों से भी समाज के विभिन्न वर्गों के बीच सांप्रदायिक सद्भावना बनाये रखने की अपील की है। गृह मंत्री ने कहा कि उन्हाेंने सभी राज्यों को कानून व्यवस्था की स्थिति बनाये रखने को कहा है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सभी प्रभावित राज्यों को अर्द्धसैनिक बल तथा अन्य सहायता उपलब्ध कराने को तैयार है। उन्होंने कहा कि सरकार ने आदेश के मद्देनजर उच्चतम न्यायालय में पुनर्विचार याचिका दायर कर दी है और सरकार अनुसूचित जाति, जनजाति तथा अन्य कमजोर वर्गों के कल्याण तथा उनके हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। सरकार उन्हें कानून के तहत पूरा संरक्षण देने की भी गारंटी देती है। उन्होंने कहा कि हिंसक घटनाओं में लोगों की जान जाने का उन्हें दुख है। उल्लेखनीय है कि केन्द्र सरकार ने हिंसा से प्रभावित उत्तर प्रदेश तथा मध्य प्रदेश में त्वरित कार्य बल और अर्द्धसैनिक बलों की चार चार कंपनियां भेजी हैं। बंद और हिंसा से प्रभावित गुजरात,बिहार,राजस्थान,हरियाणा और पंजाब में स्थिति की निगरानी की जा रही है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में पुलिस पूरी तरह चौकस है और सभी एहतियाती कदम उठाये जा रहे हैं।

भारत बंद में व्यापक हिंसा, आठ की मौत, जन जीवन अस्त व्यस्त

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नयी दिल्ली 02 अप्रैल, अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम में तत्काल गिरफ्तारी का प्रावधान हटाने के फैसले के विरोध में आज दलित समुदाय से जुड़े संगठनों के ‘भारत बंद’ के दौरान कई स्थानों पर हुई हिंसक घटनाओं में कम से कम आठ लोगों की मौत हो गयी और पुलिसकर्मियों समेत कई लोग घायल हो गए। बंद के दौरान हिंसा की घटनाओं में मध्यप्रदेश में पांच, उत्तरप्रदेश में दो और राजस्थान में एक व्यक्ति की मौत हुई है। इसके अलावा कई लोग घायल हुए हैं और कुछ लोगों को गिरफ्तार किया गया है। देशभर में विभिन्न हिस्सों में दलित समाज के कई संगठनों ने फैसले का विरोध करते हुए हिंसक प्रदर्शन किये। कई स्थानों पर तोड़ फोड़, आगजनी, यातायात जाम करने, रेल पटरियां उखाड़ने तथा पुलिस के साथ झड़पें हुई। कई शहरों में प्रदर्शनकारियों को तितर बितर करने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पडा। दलितों संगठनों के आह्वान पर आयोजित भारत बंद से जनजीवन अस्त व्यस्त रहा। कुछ स्थानों पर बाजार बंद रहे और वाहन नहीं चले। उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, झारखंड, बिहार तथा पंजाब सहित अन्यों राज्यों में सैंकडों प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया गया है। विभिन्न राज्यों में हिंसक प्रदर्शनों से उत्पन्न स्थिति से निपटने के लिए हिंसा से सबसे अधिक प्रभावित उत्तर प्रदेश तथा मध्य प्रदेश में त्वरित कार्य बल एवं अर्द्धसैनिक बलों की चार-चार कंपनियां भेजी गयी हैं। गृह मंत्रालय के अनुसार बंद और हिंसा से प्रभावित गुजरात , बिहार , राजस्थान , हरियाणा और पंजाब में स्थिति की निगरानी की जा रही है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में पुलिस पूरी तरह चौकस है। उत्तर प्रदेश में स्थिति से निपटने के लिए त्वरित कार्य बल की दो कंपनी मेरठ में तथा एक - एक कंपनी हापुड़ तथा आगरा में भेजी गयी है। मध्य प्रदेश में ग्वालियर तथा भोपाल में दो - दो कंपनियां भेजी गयी हैं।

आलेख : धर्म विशेष से जोड़कर लोगों में दूरी या वैमनस्यता पैदा करना असंवैधानिक

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जब भी भारतीय नव वर्ष शुरू होता है। वे लोग जिनकी इस नव वर्ष में अगाध आस्था है, आपस में एक दूसरे को बधाई और शुभकामनाएं ज्ञापित करते हैं। मगर बीमार मानसिकता के कुछ लोग हर साल रंग में भंग डालते रहते हैं। अत: मैंने अपनी फेसबुक वाल पर 19 मार्च, 2018 को एक छोटा सा सवाल पूछ लिया था कि "यह कैसी राष्ट्रभक्ति है? भारतीय नववर्ष हमारा नहीं, बामणों का है! लेकिन संविधान भारत का नहीं अम्बेडकर का है?''अनेक ऐसे कट्टरपंथी अंधभक्तों को इससे भी बहुत ज्यादा पीड़ा होने लगी, जो कथित रूप से खुद को अम्बेड़करवादी, बुद्धिष्ट और संविधानवादी कहते हैं, लेकिन हकीकत में वे हैं नहीं। हकीकत में इनके विचारों या आचरण में अम्बेड़कर के चिंतन, बुद्ध की प्रज्ञा, संविधान की विशालता तथा भारत की एकता—अखण्डता से दूर दूर तक कोई वास्ता ही नजर नहीं आता। सच में ये लोग बहुजन एकता तथा अम्बेड़करवाद के नाम पर संचालित कैडर कैम्पों में सुनाई जाने वाली झूठी तथा मनगढंथ कहानियों पर आधारित घृणित ज्ञान के रुग्ण उत्पाद हैं जो सत्य को जाने बिना देश के सौहार्द को मिटाने के लिये अम्बेड़कर, बुद्ध और संविधान की आड़ में समाज में कट्टरता को फैलाते रहते हैं। इनमें से कुछ अज्ञानियों ने सवाल पूछा है कि 'कहाँ पढ़ लिया कि ये/नव वर्ष भारत का नववर्ष है'। इसलिये फिलहाल मैं, अपनी टिप्पणी के पहले हिस्से पर ऐसे कट्टरपंथियों से नयी पीढी को भ्रमित होने से बचाने के लिये अपनी बात लिख रहा हूं। दूसरे हिस्से पर फिर कभी लिखूंगा।

हिन्दी, उर्दू, मराठी, पंजाबी, गुजराती, मलयालम, कन्ऩड़ आदि सभी भाषाएं भारत में जन्मी हैं और भारत के लोगों द्वारा बोली जाती हैं। इसीलिये ये सभी भाषाएं भारतीय भाषाएं कहलाती और मानी जाती हैं। बेशक गुजरात का रहने वाला मलयालम को नहीं समझता हो और महाराष्ट्र में रहने वाला पंजबी को नहीं समझता हो। बेशक हम सभी भारतीय लोग, सभी भाषाओं के समर्थक न भी हों। फिर भी भारत की भाषाओं को हम भारतीय या भारत की भाषाएं ही कहते हैं और जो नहीं कहते, उन्हें संविधान का सम्मान करना है तो मानना और कहना ही होगा। ठीक इसी संवैधानिक उदारता से शक संवत (कनिष्क), विक्रम संवत आदि जितने भी संवत भारत में उदित होकर भारत के लोगों द्वारा स्वीकारे और दैनिक आचरण में माने जाते हैं, सभी भारतीय संवत कहलाते हैं। भारतीय संवतों को किसी धर्म विशेष से जोड़कर लोगों में दूरी या वैमनस्यता पैदा करना असंवैधानिक है और देशद्रोह से कम नहीं है।




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डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश'
संपर्क : 9875066111

विशेष आलेख : राज्यसभा चुनाव नतीजे ने ढीले किए सपा-बसपा के कसबल

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उत्तर प्रदेश में भाजपा के नौ राज्यसभा प्रत्याशियों की जीत ने सपा और बसपा गठबंधन के कसबल ढीले कर दिए हैं। जिस तरह बिगड़े हुए दूध से माखन नहीं निकलता, उसी तरह बिगड़ी बात नहीं बनती। टूटे हुए धागे को जोड़ने पर उसमें गांठ तो लगती ही है। राज्य अतिथिगृह कांड के बाद सपा और बसपा के बीच जो दरार पड़ गई थी, उसे दूर करने के लिए अखिलेश यादव लंबे समय से प्रयासरत थे लेकिन सफलता नहीं मिल पा रही थी। गोरखपुर और फूलपुर संसदीय उपचुनाव में मायावती ने सपा के समर्थन की घोषणा कर वर्षों पुरानी मतभेद की दरार पर मिट्टी डालने का काम किया था। उस चुनाव में भाजपा प्रत्याशियों को उन्होंने शिकस्त भी दी और इसी के साथ भाजपा बनाम गठबंधन दल की राजनीति पर देश भर में विमर्श तेज हो गया था। कांग्रेस भी गठबंधन में शामिल होने को बेताब है। उत्तर प्रदेश के राज्यसभा चुनाव में इसी भावभूमि के साथ उसने बसपा प्रत्याशी भीमराव अंबेडकर को अपने विधायक के मत भी दिलाए। अगर बसपा प्रत्याशी जीतता तो शायद कांग्रेस के योगदान की कोई कीमत भी होती लेकिन मायावती ने अखिलेश यादव को सहयोग के लिए जितनी तवज्जो दी, उतना शायद कांग्रेस को नहीं दिया। सिर्फ धन्यवाद से काम चला लिया। कांग्रेस की स्थिति तो ‘बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना’ वाली ही है। वह नेकी भी करती है और दरिया में भी डाल रही है। श्रेय मिलना नहीं है तो इसके अलावा उसके पास चारा ही क्या है?

  रही बात मायावती की तो वे कभी किसी का उधार नहीं रखतीं। तुरंत हिसाब बराबर कर देती हैं। बसपा प्रमुख मायावती ने तो अखिलेश यादव को अनुभवहीन करार दे दिया है। बकौल मायावती अगर अखिलेश यादव राजा भैया के झांसे में नहीं आते तो बसपा प्रत्याशी नहीं हारता। उन्होंने यह भी कहा कि अखिलेश की जगह अगर मैं होती तो मैं सपा प्रत्याशी को पहले जिताती। इसका मतलब साफ है कि सपा ने खुलकर उनका साथ नहीं दिया। जब उन्हीं के दल के विधायक ने भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में वोट डाल दिया तो वे अखिलेश को क्या कहेंगी। भले ही मायावती ने अपने विधायक अनिल सिंह को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया हो लेकिन अखिलेश पर दिए गए अनुभवहीनता वाले बयान ने सपा-बसपा गठबंधन की मजबूती पर सवाल तो उठा ही दिए हैं। यह बयान कहीं न कहीं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के उस आरोप के नजदीक है जिसमें उन्होंने कहा था कि सपा केवल लेना जानती है, देना नहीं जानती। वह चाहती तो बसपा प्रत्याशी को राज्यसभा चुनाव जिता सकती थी। जाहिर तौर पर मुख्यमंत्री का यह बयान सपा-बसपा गठबंधन को कमजोर करने की रणनीति का ही हिस्सा हो सकता है। मायावती ने यह भी स्वीकार किया है कि गोरखपुर और फूलपुर की हार के बाद भाजपा को दिन में तारे दिख रहे थे। भाजपा ने सपा- बसपा गठबंधन तोड़ने के लिए राज्यसभा चुनाव में नौवां उम्मीदवार खड़ा किया। भाजपा और संघ को लगता है कि ऐसा करके वह सपा-बसपा गठबंधन में दरार डाल देगी लेकिन ऐसा नहीं होगा। हम लोकसभा आम चुनाव में पूरी ताकत झोंक देंगे। उन्होंने रालोद के बारे में नए सिरे से चिंतन करने की बात कही। यह जीत गोरखपुर और फूलपुर का बदला नहीं हो सकती। बकौल मायावती फूलपुर और गोरखपुर में भाजपा जनता के वोट से हारी है जबकि राज्यसभा को नौवीं सीट उसने जोड़-तोड़ से जीती है। यह खरीद-फरोख्त की जीत है। राजनीति कारोबार नहीं है लेकिन उसे कारोबार बनाने का काम तो मायावती ने ही किया था। न केवल उत्तर प्रदेश बल्कि मध्य प्रदेश में भी वह गिव एंड टेक की रणनीति पर काम कर रही थीं। इस सच से इनकार नहीं किया जा सकता कि सपा अगर चाहती तो बसपा प्रत्याशी नहीं हारता लेकिन सपा ने सबसे पहले अपनी प्रत्याशी जया बच्चन को वरीयता दी। उन्हें पता था कि राजा भैया उनका साथ देंगे लेकिन यह नहीं सोचा कि राजा भैया मायावती राज में हुए अपने उत्पीड़न को कैसे भूल जाएंगेेे। उन्होंने अखिलेश यादव से भी अपने रिश्ते निभाए और भाजपा के साथ भी। उन्होंने अगर यह कहा कि डिनर खाकर उन्होंने कोई गड़बड़ नहीं किया है तो वे अपनी जगह बिल्कुल सही थे। उन्होंने तो पहले ही स्पष्ट कर दिया कि वे अखिलेश के प्रति प्रतिबद्ध हैं, मायावती और उनकी पार्टी उनकी पसंद नहीं हो सकती। उन्होंने अपना वोट जया बच्चन को दिया। सिद्धांततः यह सही भी था। वे मायावती की पार्टी को किस उपकार के बदले लाभ पहुंचाते। उन्होंने अपने एक परिचित विधायक का वोट भाजपा के नवम प्रत्याशी अनिल अग्रवाल को दिला दिया। राजा भैया जिस किसी के भी साथ रहे, संबंध निभाने के मामले में कभी पीछे नहीं घटे। यह तो अखिलेश यादव को भी सोचना चाहिए था कि राजा भैया मायावती के प्रत्याशी का साथ क्यों देंगे?  वे चाहते तो राजा भैया के वोट को पहले ही जया बच्चन के लिए जोड़ लेते और किसी सपा विधायक एक वोट भीमराव अंबेडकर के लिए निर्धारित कर देते। 

 रही बात चुनाव में जीत-हार की तो वह बेहद सामान्य बात है लेकिन मायावती को अखिलेश को अनुभवहीन नहीं कहना चाहिए था। यह तो सोचा ही जाना चाहिए कि अखिलेश यादव भी अब उनकी तरह ही एक क्षेत्रीय दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। गोरखपुर और फूलपुर में भाजपा की हार न होती तो शायद यह गठबंधन आगे बढ़ता ही नहीं। इसके बाद डिनर डिप्लोमेसी का खेल शुरू हो गया था लेकिन भाजपा ने राज्यसभा चुनाव में नौवां प्रत्याशी उतारकर, उसे चुनाव जिताकर इस गठबंधन की नींव में दरार तो डाल ही दी है। मुख्यमंत्री पहले ही इस दोस्ती को ‘केर-बेर की’ बता चुके हैं। मायावती राजनीतिक नुकसान बर्दाश्त नहीं कर सकतीं। मायावती को प्रधानमंत्री पद का दावेदार करार देकर सपा ने प्रदेश की हुकूमत अपने नाम करने की चाल तो चली लेकिन राज्यसभा चुनाव नतीजे ने पहले ही मायावती के विश्वास को हिला दिया है। मायावती के ‘कुंडा के गुंडा’ वाली टिप्पणी के बाद भले ही अखिलेश यादव ने राजा भैया के शुक्रिया वाले ट्विट को हटा दिया है लेकिन इससे भी उनकी अनुभवहीनता ही साबित हुई है। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में सीटों के बंटवारे में कांग्रेस और सपा के बीच की खींचतान किसी से छिपी नहीं है। मायावती इतना मोल-भाव कर पाने की स्थिति में तो नहीं ही होंगी। चुनाव में हार-जीत रणनीति की होती है। प्रत्याशी तो निमित्त मात्र होते हैं। भाजपा के विजय रथ को रोकने के लिए विपक्ष एकजुट तो हो भी जाए लेकिन अपने स्वार्थों से वह समझौता नहीं कर सकता। विपक्ष राज्य सभा चुनाव को लोकसभा उपचुनाव का बदला माने या न माने लेकिन भाजपा अब अति आत्मविश्वास में नहीं आने वाली है। दूध का जला छांछ फूंककर पीता है, यह बात विपक्ष को समझनी ही होगी। कांग्रेस कह रही है कि भाजपा ने दलित को हराया है, दलित उसे हराएंगे। बेहद हास्यास्पद तर्क है यह। कांग्रेस इससे आगे सोच भी नहीं सकती। गठबंधन धर्म निभाना आसान नहीं है शायद। यह आग का दरिया है और डूबकर जाना है। मोदी और योगी के विरोध की नाव पर सवार विपक्ष को नाव में स्वार्थगत मतभेदों के छेद भरने पर भी विचार करना होगा क्योंकि राजनीति में चुनाव जीतना ही सबका अभीष्ठ है। कोई किसी का सगा नहीं है, सब मतलब के यार हैं। खुद ही से दोस्ती है, खुद ही से प्यार है। यहां बस नकद ही चलता है, उधार का नहीं कोई आधार है। राजनीति एक ऐसा बाजार है, जहां अपने ही का संसार है। जिस तरह लोभियों के शहर में ठग उपासा नहीं मरता, उसी तरह मतलबियों के संसार में निश्छल प्रेम नहीं टिका करते। सपा-बसपा गठबंधन अभी चलेगा क्योंकि दोनों के पास ‘इनके और न उनके ठौर’ वाली स्थिति है लेकिन जब धक्का लगेगा तो संबंधों का यह घड़ा जरूर फूटेगा। ‘धबका लागा फूटि गा कछू न आया हाथ।’ मायावती, अखिलेश के साथ भी यही कुछ होना है। गठबंधन की राजनीति टिकाऊ नहीं होती, इसका हस्र यह देश पहले ही देख चुका है।     






--सियाराम पांडेय ‘शांत’ --

आलेख : हबीबगंज जंक्शन प्राइवेट लिमिटेड

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सरकार हमारे रेलवे स्टेशनों को एअरपोर्ट के तर्ज पर विकसित करना चाहती है. हाल ही में वित्त मंत्रालय ने रेलवे स्टेशनों को इंफ्रास्ट्रक्चर का दर्जा देने की स्वीकृति दी है जिसके तहत रेलवे स्टेशनों का व्यावसायिक व रिहायशी उपयोग भी किया जा सकेगा. इस व्यवस्था के तहत रेल मंत्रालय अपने आप को यातायात व्यवस्था यानी ट्रेन चलाने तक ही सीमित कर लेगा जबकि एयरपोर्ट की तर्ज पर रेलवे स्टेशनों पर भी निजी कम्पनियां यात्री सुविधायें उपलब्ध करायेंगी. इसे इंटिग्रेटेड मैनेजमेंट सिस्टम कहा जा रहा है जिसमें रेल संचालन का जिम्मा तो रेलवे के पास रहेगा, लेकिन ट्रेन टिकट, प्लेटफार्म टिकट जारी करने स्टेशन पर खाने-पीने की व्यवस्था, डिस्प्ले बोर्ड जैसी अन्य यात्री सुविधायें प्राइवेट कंपनियों के जिम्मे होगा. इसके लिये बतौर पायलट प्रोजेक्ट पांच स्टेशनों का चुनाव भी कर लिया गया है जिसमें आनंद विहार, चंडीगढ़, पुणे, सिकंदराबाद, बंगलूरू के स्टेशन शामिल हैं. 

लेकिन हबीबगंज का हालिया अनुभव बताता है कि इससे एअरपोर्ट की तरह हमारे रेलवे स्टेशन भी खासे महंगे और आम आदमी की पहुँच से दूर हो जायेंगीं. कल्पना कीजिये कि आप ने अपनी मोटरसाइकिल रेलवे स्टेशन पर पार्किंग की है और जब वापस आते हैं तो दो दिनों के पार्किंग चार्ज के रूप में आपको 60 रू. की जगह 480 रूपये का बिल थमा दिया जाता है, पिछले दिनों भोपाल स्थित हबीबगंज रेलवे स्टेशन पर यात्रियों ने अपने आपको इसी स्थिति में पाया जिसके बाद पाँव के नीचे से जमीन खिसकनी ही थी. दरअसल बंसल पाथवे हबीबगंज प्राइवेट लिमिटेड ने हबीबगंज स्टेशन पर पार्किंग शुल्क कई गुना बढ़ा दिया था जिसके बाद अचानक इस तरह से रेट बढ़ने से काफी विवाद हुआ और नागरिकों की तरफ से इसका कड़ा विरोध किया गया. इस पूरे मामले में देश का सबसे बड़ा सार्वजनिक उपक्रम भारतीय रेलवे बहुत बेचारा नजर आया, उसके अधिकारी बस यही कह पा रहे थे कि प्राइवेट कॉन्ट्रैक्टर पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के जरिए मिली ताकतों का दुरूपयोग कर रहा है. पहले तो रेलवे के अधिकारियों के हस्तक्षेप के बावजूद कंपनी ने पार्किंग चार्ज घटाने से साफ इंकार कर दिया हालांकि बाद में इसमें थोड़ी कमी कर दी गयी, लेकिन पार्किंग फीस अभी भी पहले के मुकाबले 10 गुना ज्यादा है. ऊपर से कंपनी के अधिकारियों की तरह से यह साफ़ कर दिया गया है कि बढ़े हुये पार्किंग शुल्क में जितनी कमी हो सकती थी कर दी गयी है अब और कोई बदलाव नहीं किया जाएगा. 

दरअसल 1 फरवरी से कंपनी ने जिस तरह से पार्किंग शुल्क बढ़ाया था वो आम आदमी के लिये रूह कंपा देने वाला है, बढ़ोतरी के तहत दुपहिया वाहनों के लिए मासिक पास शुल्क 5,000 रुपए महीना और चार पहिया गाड़ियों के लिये 16,000 रुपए कर दिया गया था.  इसी तरह से दो घंटे के लिए दो पहिया वाहन खड़ा करने पर 5 रूपये की जगह 15 रुपए व चार पहिया वाहन के 10 की जगह 40 रूपये कर दिया गया था. यही नही हर दो घंटे बाद चार्ज बढ़ता जाएगा और इस तरह से 24 घंटे के लिए दोपहिया वाहन का चार्ज 235 रूपये और चार पहिया का चार्ज 590 रुपए कर दिया गया था. इसी के साथ ही पार्किंग में यह सूचना भी लगा दी गयी कि पार्किंग में खड़ी वाहनों की सुरक्षा के लिये कंपनी जिम्मेदार नहीं है और पार्किंग के दौरान गाड़ी में कोई डेंट आने पर, कोई सामान चोरी होने पर कंपनी जवाबदार नही होगी. विरोध के बाद इसमें कमी की गयी है लेकिन अभी भी रेट सर चकरा देने वाला है, अब दुपहिया वाहनों के लिए मासिक पास शुल्क 4,000 रुपए महीना और चार पहिया गाड़ियों के लिये 12,000 महिना रुपए कर दिया गया है. इसी तरह से हबीबगंज स्टेशन पर अब दुपहिया वाहन के लिये एक दिन का पार्किंग चार्ज 175 रूपये और चार पहिया वाहनों के लिये 460 रूपये चुकाने होंगें. 

हबीबगंज पहले से ही आईएसओ प्रमाणित रेलवे स्टेशन है, लेकिन पिछले साल मार्च में सरकार द्वारा इसके पुनर्विकास व आधुनिकीकरण का फैसला किया गया. रेलवे स्टेशन को आधुनिक बनाने के लिए बंसल ग्रुप को ठेका दिया गया और इस तरह से भारतीय रेल स्टेशन विकास निगम लिमिटेड (आईआरएसडीसी) और बंसल ग्रुप के बीच समझौते पर हस्ताक्षर के बाद से यह देश का पहला प्राइवेट रेलवे स्टेशन बन गया है. समझौते के तहत रेलवे ने अपने आपको केवल गाड़ियों के संचालन तक ही सीमित कर लिया है जबकि कंपनी स्टेशन का संचालन करेगी जिसमें स्टेशन पर पॉर्किंग, खानपान आदि का एकाअधिकार तो कंपनी के पास रहेगा ही इसके अलावा कंपनी स्टेशन पर एस्केलेटर, शॉपिंग के लिए दुकानें, फूड कोर्ट और अन्य सुविधाओं का विस्तार भी करेगी.  इससे पहले भी बंसल कंपनी का एक और कारनामा सामने आ चूका है, पिछले साल मई में भोपाल से प्रकाशित समाचारपत्रों में एक खबर प्रकाशित हुई थी जिसके अनुसार “बंसल पाथवे हबीबगंज लिमिटेड” द्वारा हबीबगंज स्टेशन परिसर में कमर्शियल कॉम्प्लेक्स के बेसमेंट निर्माण के लिए मंजूरी से अधिक खुदाई की जा रही थी. इस मामले में जब शिकायत पर खनिज विभाग द्वारा जांच किया गया तो पाया गया कि कंपनी के पास 2 हजार घनफीट के खुदाई की मंजूरी की तुलना में 10 गुना अधिक खुदाई की गयी थी, यही नहीं इस खुदाई से निकले खनिज को बाद में रेलवे के निर्माण कार्य में इस्तेमाल करना था लेकिन इसे बाजार में बेचा जा रहा है. 

पिछले डेढ़ सदी के दौरान रेलवे ने भारतीयों के मोबिलिटी में क्रांतिकारी रूप से बदलाव लाने का काम किया है. एक तरह से यह हमारे राष्ट्रीय अखंडता की सबसे बड़ी प्रतीक है. रेलवे ने इस महादेश के विभिन्न प्रान्तों, लोगों, स्थानों को जोड़ने का काम किया है. रेल आम भारतीयों की सवारी है और साथ है सबसे बड़ा सावर्जनिक उपक्रम भी, यह अन्य परिवहन साधनों की तुलना में किफायती भी है. आज करीब ढाई करोड़ लोग प्रतिदिन ट्रेनों से यात्रा करते हैं जो की रेलवे के बिना संभव नहीं है. यह पर्यावरण बचाती है और साथ ही करीब 14 लाख लोगों को नौकरी देने का काम करती है. रेल हमारे लिये यातायात का मुख्य साधन तो है ही साथ इसका जुड़ाव हमारे जज़्बातों से भी रहा है. पीढ़ियों से यह हमारे जीवन का एक जरूरी हिस्सा बन चुकी है. हम सब की रेलवे से जुड़ी कोई ना कोई कहानी जरूर है लेकिन हबीबगंज के शुरूआती अनुभव बताते हैं कि रेलवे के निजीकरण के कितने व्यापक प्रभाव पड़ने वाले हैं. इसे देख सुन कर छत्तीसगढ़ के शिवनाथ नदी की कहानी याद आ गयी, 1998 में इसका निजीकरण कर दिया गया जिसके बाद नदी पर सदियों से चला आ रहा सामुदायिक अधिकार भी खत्म हो गया था. हबीबगंज जंक्शन के साथ भी यही हुआ है, स्टेशन का संचालन एक निजी कंपनी के हाथ में चले जाने के बाद इस पर से भी सामुदायिक अधिकार खत्म हो गया है. 

लेकिन यह कहानी महज हबीबगंज तक सीमित नहीं रहने वाली है, गौरतलब है कि सरकारें बहुत ही योजनाबद्ध तरीके से धीरे-धीरे और टुकड़ों में रेलवे का निजीकरण करती जा रही हैं जिसके तहत शुरूआती दौर में खान-पान सेवाओं सहित साफ़ सफाई का निजीकरण काफी हद तक किया जा चूका है. अब रेलवे स्टेशनों के निजीकरण की दिशा में बहुत ही सधे तरीके से काम किया जा रहा है. सत्ताग्रहण के तुरंत बाद मोदी सरकार ने एक मुश्त 14 प्रतिशत रेल किराया बढ़ा दिया था और साथ ही “भारतीय रेल की वित्तीय हालत एवं कामकाज को सुधारने” के लिए सुझाव देने के लिये बिबेक देबराय समिति का गठन भी किया गया था जिसके बाद कमेटी ने रेलवे को ‘प्रतियोगिता की एक ख़ुराक’ की वकालत करते हुए रेलवे के कॉर्पोरेटाइजेशन और रेल मंत्रालय को केवल नीति बनाने तक सीमित रखने की सिफारिश की थी लेकिन रेल यूनियनों के कड़े विरोध के बाद मोदी सरकार इस दिशा में सीधे तौर पर आगे नहीं बढ़ सकी और सरकार को यह घोषणा करनी पड़ी कि “हम स्वामित्व नहीं बदलना चाहते”. इसके बाद 2017 में मोदी सरकार द्वारा रेल डेवलपमेंट अथॉरिटी(आरडीए) का गठन किया गया जो कि एक स्वायत्त संस्था है और रेल मंत्रालय के लिए काम करती है. आरडीए को मुख्य रूप से तीन कामों की जिम्मेदारी सौंपी गयी है, रेलवे का यात्री किराया और मालभाड़ा तय करना, निवेशको के लिए आदर्श माहौल तैयार करना और रेलवे की तरफ से मिलने वाली बाकी सुविधाओं की गुणवत्ता में सुधार करना. मोदी सरकार के इस फैसले को रेलवे के किश्तों में निजीकरण के दिशा में महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है.  

दरअसल मोदी सरकार भारतीय रेलवे के इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा निजी हस्तक्षेप करने के प्रति प्रतिबद्ध नजर आ रही है, मौजूदा बजट में 600 स्टेशनों को विकसित करने की घोषणा की गई है. देश का यह पहला तथाकथित मॉडल स्टेशन के शुरूआती अनुभव आम रेल यात्रियों के लिए डराने वाले हैं. हबीबगंज रेलवे स्टेशन को वर्ल्ड क्लास बनने में अभी समय है. काम भी शुरुआती दौर में ही है लेकिन कंपनी द्वारा पार्किंग रेट को कई गुना बढ़ा दिया जाना ही जाहिर करता है कि उनका पूरा फोकस मुनाफे पर है उन्हें यात्रियों की सुविधा या क्षमताओं से कोई सरोकार नहीं है.  निजीकरण के पीछे सबसे बड़ा तर्क यह दिया जाता है कि  इससे निजी लाभ और प्रतिस्पर्धा की भावना बढ़ेगी और फिर “ग्राहकों” को सुविधाएं बेहतर मिलेंगी लेकिन हबीबगंज का अनुभव बताता है कि रेलवे का किसी भी तरह का निजीकरण करोड़ों यात्रियों के लिए घातक साबित हो सकता है. आम आदमी के लिये रेलवे जैसा सुलभ साधन उनके हाथ से बाहर निकल जाएगा. हबीबगंज जंक्शन के प्राइवेट लिमिटेड बनने का फायदा सिर्फ एक कंपनी को होगा लेकिन इसका खामियाजा लाखों यात्रियों को उठाना पड़ेगा. इसे निजी क्षेत्र को बहुत ही सस्ते दामों पर भारतीय रेल का बुनियादी ढ़ांचा तो मिल जाएगा लेकिन आम यात्री से उनकी सबसे सुलभ और किफायती सवारी छिन सकती है.



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जावेद अनीस 
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विदिशा (मध्यप्रदेश) की खबर 03 अप्रैल

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जिले में 255 नवीन उचित मूल्य दुकानों का संचालन होगा
  •  आॅन लाइन आवेदन 16 अपै्रल तक आमंत्रित

जिले की प्रत्येक ग्राम पंचायत में एक-एक उचित मूल्य दुकान संचालित करने के निर्देश मध्यप्रदेश सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत जारी किए गए है। कलेक्टर श्री अनिल सुचारी के द्वारा ततसंबंध में जारी आदेश में उल्लेख है कि विदिशा जिले में कुल 255 नवीन उचित मूल्य दुकानों का संचालन किया जाएगा। कलेक्टर श्री सुचारी के द्वारा आॅन लाइन आवेदन प्राप्ति के लिए तिथि बढाई गई है जिसके अनुसार अब 16 अपै्रल तक आवेदन किए जा सकते है। जिला आपूर्ति अधिकारी श्री मोहन मारू ने बताया कि दुकानविहिन 171 ग्राम पंचायतों में तथा 84 पृथक विक्रेताविहिन दुकाने संचालन हेतु आॅन लाइन आवेदन पात्रताधारियों से पूर्व में 15 मार्च तक आॅन लाइन आवेदन आमंत्रित किए गए थे। अंतिम तिथि तक पर्याप्त आवेदन प्राप्त ना होने के कारण तिथि में वृद्वि की गई हैै अब 16 अपै्रल तक बेवसाइट ूूूण्विवकण्उचण्हवअण्पद पर प्रदर्शित की गई है इसके अलावा आवेदन  प्रारूप की जानकारी जिले के समस्त अनुविभागीय राजस्व अधिकारियों के कार्यालयोे में चस्पा की गई है। उचित मूल्य दुकान आवंटन के लिए संस्था, समूह समिति पात्र होगे उनमें मध्यप्रदेश सहकारी सोसायटी अधिनियम 1960 की धारा 1 की उपधारा (1) के अंतर्गत बर्गीकृत उपभोक्ता सोसायटी, विपणन सोसायटी, उत्पादक सोसायटी, संशोधित सोसायटी, बहुप्रयोजन सोसायटी, महिला स्व-सहायता समूह, संयुक्त वन प्रबंधक समिति शामिल है। 

किसानों की शिकायतो के निदान हेतु दायित्व सौंपे गए, नियंत्रण कक्ष स्थापित

कलेक्टर श्री अनिल सुचारी ने जिले में रबी विपणन के तहत पंजीकृत किसानों से गेहूं उपार्जन के सुचारू संचालन एवं किसानों की प्राप्त शिकायतों के त्वरित निराकरण हेतु अधिकारियों को दायित्व सौंपे गए है। कलेक्टर श्री सुचारी के द्वारा जिला मुख्यालय पर कंट्रोल रूम स्थापित कराया गया है जिसका दूरभाष क्रमांक 07592-232954 है जो कार्यालयीन दिवसों अवधि में क्रियाशील रहेगा। जिला आपूर्ति कार्यालय में संचालित होने वाले कंट्रोल रूम का प्रभारी सहायक आपूर्ति अधिकारी श्री विजय कुमार सलोदे होंगे। उनकी सहायता के लिए अन्य अधिकारी भी तैनात किए गए है। दूरभाष पर प्राप्त होने वाली शिकायतों के त्वरित निराकरण हेतु जिले में विशेष पहल की जा रही है। प्राप्त शिकायत और उसके निराकरण की जानकारी हर रोज जिला कार्यालय को उपलब्ध कराई जाएगी।

सजगता के साथ मतदाता सूची का अध्ययन करें कार्यकर्ता : भार्गव

vidisha news
विदिषाः मेरा बूथ मेरा गौरव कार्यक्रम के तहत आज रामलीला मण्डलम कमेटी की बैठक बंधन गार्डन में आयोजित हुई। बैठक में मंडलम के 2 सेक्टरों के 14 मतदान केन्द्र के कार्यकर्ताओं को आमंत्रित किया गया था। बैठक को संबोधित करते हुए वरिष्ठ कांग्रेस नेता शषांक भार्गव ने कहा कि चुनाव में सिर्फ 6 माह का समय शेष है इसलिए कार्यकर्ता सजगता के साथ अपने-अपने मतदान केन्द्र की मतदाता सूची का अध्ययन करें। जिससे मतदाता सूची में केवल वास्तविक मतदाता ही शामिल रहें शेष नाम सूची में पृथक करवाएं।  नगर कांग्रेस अध्यक्ष वीरेन्द्र पीतलिया ने कहा कि मेरा बूथ मेरा गौरव कार्यक्रम के तहत प्रत्येक मतदान केन्द्र पर अध्यक्ष एवं मतदान केन्द्र कमेटियों का गठन कर सूची प्रदेष कांग्रेस कमेटी को सौंपी जायेगी। इस बैठक में धन्नालाल कुषवाह, अजय कटारे, दीवान किरार, अनुज लोधी, नवनीत कुषवाह, धर्मेन्द्र यादव, जबाहर कुषवाह, नूर भाई, रवि रघुवंषी, विनोद राजपूत, राजकुमार डिडोत, दषन सक्सैना, अमितेष दुबे, गणेषराम कुषवाह, प्रकाष मैथिल, दीपक दुबे, सतीष बैरागी, हुकुम कुषवाह सहित अनेकों कार्यकर्ता शामिल रहें। इसी क्रम में कल शाम 5 बजे तोपपुरा में रामलीला मंडलम के मतदान केन्द्रों की बैठक आयोजित की जायेगी। 

राजस्व कार्यो की बैठक सात को

कलेक्टर श्री अनिल सुचारी के द्वारा राजस्व कार्यो की समीक्षा बैठक सात अपै्रल को आयोजित की गई है यह बैठक कलेक्टेªट के सभाकक्ष मंे पूर्वान्ह 11 बजे से शुरू होगी। संयुक्त कलेक्टर श्री आरडीएस अग्निवंशी ने बताया कि राजस्व अधिकारियों की मासिक समीक्षा बैठक के एजेण्डे से संबंधितों को अवगत कराया जा चुका है और ऐजेण्डा बिन्दुओं की जानकारी पांच अपै्रल तक जमा करने के निर्देश प्रसारित किए गए है। 

स्वास्थ्य कार्यो की समीक्षा आज

कलेक्टर श्री अनिल सुचारी की अध्यक्षता में जिला टाॅस्क फोर्स की बैठक चार अपै्रल को पूर्वान्ह 11 बजे से कलेक्टेªट के सभाकक्ष में आयोजित की गई है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डाॅ बीएल आर्य ने बताया कि पीसीव्ही वैक्सीन जिला टाॅस्क फोर्स समिति की बैठक तथा परिवार कल्याण कार्यक्रम के अंतर्गत क्रियान्वित मिशन परिवार विकास अभियान के कार्यो की समीक्षा की जाएगी।  ज्ञातव्य हो कि जिले में पीसीव्ही वैक्सीन का शुभारंभ सात अपै्रल से जिले में किया जा रहा है इसके लिए पूर्व में किए जाने वाले तमाम प्रबंधों को अंतिम रूप उक्त समीक्षा बैठक में दिया जाएगा। बैठक में संबंधित विभागों के अधिकारियों को नियत समय पर उपस्थिति सुनिश्चित कराने हेतु पूर्व में ही पत्र प्रेषित किए जा चुके है।

जनसुनवाई में 158 आवेदन प्राप्त हुए, मौके पर 96 आवेदनों का निराकरण

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कलेक्टर श्री अनिल सुचारी के मार्गदर्शन में आहूत जनसुनवाई कार्यक्रम में 158 आवेदकों ने आवेदन प्रस्तुत कर अपनी व्यक्तिगत और सार्वजनिक समस्याओं की ओर ध्यान आकर्षित कराया। अपर कलेक्टर श्री एचपी वर्मा समेत अन्य के द्वारा मौके पर 96 आवेदनों का निराकरण किया गया है। शेष लंबित आवेदनों पर समय सीमा मंे कार्यवाही कर निराकरण की जानकारी बेवपोर्टल पर अंकित करने के भी निर्देश श्री वर्मा के द्वारा संबंधित विभागोें के अधिकारियों को दिए गए है। जिला पंचायत के सभागार कक्ष में हुई जनसुनवाई कार्यक्रम के तहत पंक्तिबद्व रो में बैठकर अपर कलेक्टर श्री एचपी वर्मा, डिप्टी कलेक्टर श्री लोकेन्द्र सरल, तहसीलदार श्री राजीव कहार समेत अन्य विभागोें के अधिकारियों के द्वारा आवेदकों के आवेदनों को प्राप्त कर उनका निराकरण करने की कार्यवाही की गई है।  बासौदा रामनगर की आवेदिका शांतिबाई ने ऋण पुस्तिका पुनः बनवाने हेतु आवेदन प्रस्तुत किया। अपर कलेक्टर द्वारा क्षेत्र के राजस्व अधिकारी को निर्देश दिए गए है कि दो दिवस के भीतर ऋण पुस्तिका (बही) तैयार कर प्रदाय कराना सुनिश्चित करें और की गई कार्यवाही से जिला कार्यालय केा अवगत कराएं। ग्यारसपुर जनपद पंचायत की ग्राम बजरिया के आवेदक श्री रमेश मालवीय ने मनरेगा के तहत कुंआ खनन कराने हेतु आवेदन प्रस्तुत किया। आवेदक को अवगत कराया गया कि परीक्षण उपरांत स्वीकृति की कार्यवाही की जाएगी। विदिशा किले अन्दर की निवासी श्रीमती लक्ष्मीबाई रैकवार ने बताया कि विगत पांच माह पूर्व विद्युत लाइन कट जाने के बावजूद हर माह बिजली बिल आ रहा है आवेदिका के द्वारा बिल माफी कराए जाने का आग्रह किया गया। मौके पर ऊर्जा विभाग के माध्यम से क्रियान्वित सहूलियत योजना के तहत दी जाने वाली सुविधा से अवगत कराया गया। करैयाखेडा आवेदक श्री हरप्रसाद ने वृद्वावस्था पेंशन की राशि दिलाए जाने का आवेदन प्र्रस्तुत किया। परीक्षण कर राशि खाते में जमा कराने का आश्वासन आवेदक को दिया गया है। सिरोंज तहसील के ग्राम तरवरिया के कमरून्तवी ने बताया कि उनके पति की मृत्यु करंट लगने से हो गई है आवेदिका एवं उनके पति मुख्यमंत्री मजदूर सुरक्षा योजना के दायरे में आते है कि जानकारी कार्ड प्रस्तुत कर की गई। अपर कलेक्टर ने श्रम विभाग के अधिकारी को आवश्यक कार्यवाही करने के निर्देश शीघ्र दिए गए है। विदिशा तहसील वक्फ बोर्ड कमेटी के अध्यक्ष श्री मोहम्मद हनीफ ने आवेदन प्रस्तुत करते हुए कहा कि वक्फ बोर्ड की कृषि भूमि का सूखा राहत का मुआवजा कमेटी को दिया जाए। उक्त प्रकरण की जांच कर नियमानुसार कार्यवाही करने हेतु तहसीलदार को अधिकृत किया गया है।

सीएम हेल्पलाइन के आवेदन निराकरण हेतु शिविर का आयोजन

मुख्यमंत्री हेल्पलाइन के तहत तीन सौ दिनों से अधिक के लंबित शिकायतों की सूची जो पोर्टल पर प्रदर्शित हो रही है का निराकरण  विशेष शिविर आयोजित कर किया जाएगा। भोपाल संभागायुक्त श्री अजातशत्रु के द्वारा ततसंबंध में दिए गए निर्देशों का हवाला देते हुए अपर कलेक्टर श्री एचपी वर्मा ने बताया कि समाधान आॅन लाइन के लंबित पत्रों का भी निराकरण शिविर के माध्यम से किया जाएगा। शिविर में संबंधित विभागो के समस्त प्रकरणो को रखा जाएगा संतुष्टिपूर्ण निराकरण की कार्यवाही की जाएगी। शिविर आयोजन की तिथि पृथक से जारी की जाएगी।

पम्पों पर प्रदूषण जांच केन्द्र की स्थापना होगी

जिले के समस्त पेट्रोल/डीजल पंपो संचालकों को जिला परिवहन अधिकारी के द्वारा पत्र प्रेषित कर उन्हंेे सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा दिए गए आदेश की जानकारी दी गई है और उन्हंे प्रदूषण जांच केन्द्र स्थापित कराने हेतु अनिवार्यतः का उल्लेख किया गया है। जिला परिवहन अधिकारी श्री वर्मा ने जिले में संचालित समस्त पेट्रोल/डीजल पम्पों पर प्रदूषण जांच केन्द्र स्थापित करने के लिए आवेदन पत्र आमंत्रित किए गए है। आवेदन का प्रारूप एवं गजट नोटिफिकेशन 2015 परिवहन विभाग की बेवसाइट ूूूण्उचजतंदेचवतजण्वतह  पर उपलब्ध है। आवेदन प्रारूप में दिए गए निर्देशों के अनुसार आवेदक द्वारा स्पष्ट अक्षरों में तमाम जानकारियां अंकित कर प्रमाण पत्रों एवं निर्धारित शुल्क एक हजार रूपए जमा कर जिला परिवहन कार्यालय में आवेदन प्रस्तुत करें।

आर्थिक मदद जारी

कलेक्टर श्री अनिल सुचारी ने दो प्रकरण में आर्थिक मदद के आदेश जारी कर दिए है। संयुक्त कलेक्टर श्री आरडीएस अग्निवंशी ने बताया कि सिरोंज में सतखनी मोहल्ला के केशव भारद्वाज पुत्र श्री रमेश चंद्र भारद्वाज की सड़क दुर्घटना मंे मृत्यु हो जाने पर 15 हजार रूपए की आर्थिक सहायता मृतक की पत्नी श्रीमती ज्योति भारद्वाज को प्रदाय की गई है। इसी प्रकार विदिशा में इमामबाडा निवासी श्री सैयद खां पुत्र भूरे खां सड़क दुर्घटना में घायल हो जाने पर उन्हें साढे सात हजार रूपए की आर्थिक मदद जारी की गई है। 

सीहोर (मध्यप्रदेश) की खबर 03 अप्रैल

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सफलता की कहानी : शासन की योजना मे लिया स्प्रिंकलर, खेती बनी लाभ का धंधा

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सीहोर जिले की बुधनी तहसील के ग्राम होलीपुरा मे लगभग तीन एकड़ भूमि के कृषक श्री जीवनसिंह बताते हैं कि मेरे पास सिंचाई के लिए एक पुराना कुंआ है जिसमें कम पानी रहता है। जिससे में पूरी फसल में सिंचाई नही कर पाता था तथा पानी अधिक बह जाता था। मुझे कृषि विभाग से विभिन्न योजनाओं की जानकारी प्राप्त हुई तथा सिंचाई हेतु स्प्रिंकलर अनुदान पर प्राप्त करने के लिए आवेदन कार्यालय में जमा किया जिस पर मुझे 12,000/- रुपयें अनुदान प्राप्त हुआ तथा मेरे द्वारा स्प्रिंकलर सेट क्रय किया गया। अब कम पानी में मेरे पूरे खेत की सिंचाई हो जाती है तथा बिल्कुल पानी व्यर्थ नही बहता है और कुछ क्षेत्र में मैं अब तीसरी फसल मूंग की लगाकर अतिरिक्त लाभ प्राप्त कर रहा हूँ, जिससे मेरी आर्थिक स्थिति सुधरी एवं मुझे भरपूर लाभ मिला। में जिले के अन्य कृषकों से भी आग्रह करता हूँ कि शासन की इस योजना का लाभ प्राप्त कर जल संरक्षण एवं वैज्ञानिक सिंचाई द्वारा अधिक उत्पादन प्राप्त कर खेती को लाभ का धंधा बनाएं।

जिला स्तरीय मीडिया कार्यशाला आज

सिविल सर्जन सह मुख्य अस्पताल अधीक्षक जिला चिकित्सालय सीहोर में 7 अप्रैल,2018 को न्यूमोकोकल कान्ज्यूगेट वेक्सीन का शुभारंभ किया जाएगा। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी सीहोर ने बताया कि 5 अप्रैल, 2018 को दोपहर 12 बजे से कार्यालय सिविल सर्जन सह मुख्य अस्पताल अधीक्षक जिला चिकित्सालय सीहोर में तैयारी एवं सफलता हेतु जिला स्तरीय मीडिया की एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस सिलसिले में सीहोर नगर के समस्त पत्रकारों से अनुरोध किया गया है वे कार्यशाला में नियत तिथि एवं समय पर उपस्थित रहकर तैयारी एवं सफलता हेतु सहयोग प्रदान करें।

कलेक्टर के निर्देश के बाद पंजीयन कार्य में आई तेजी

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मंगलवार 3 अप्रैल को कलेक्टर श्री तरूण कुमार पिथोडे के निर्देशानुसार असंगठित मजदूरों के पंजीयन के कार्य में काफी तेजी आई है। नगरपालिका द्वारा इस हेतु नगर के विभिन्न वार्डों में लगभग एक दर्जन शिविर लगाएं गए है। लोगों को इस हेतु जागृत करने जहां ध्वनि विस्तारक यंत्रों से जानकारी दी जा रही है वहीं नपाध्यक्ष सहित अन्य पार्षदगण, जन प्रतिनिधि व एसडीएम, सीएमओ नगरपालिका भी सतत् भ्रमण कर लोगों को इस हेतु जागृत करने में लगे हुए है। मंगलवार को लगभग 4 हजार लोगों के पंजीयन किए गए।

कलेक्टर ने कोटवारों से चर्चाकर उनकी समस्याएं सुनी

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मंगलवार 3 अप्रैल को कलेक्टर श्री तरूण कुमार पिथोडे ने कलेक्ट्रेट पहुंचे कोटवारों से चर्चा की एवं उनकी समस्याएं सुनी। चर्चा के दौरान कलेक्टर ने कहा कि आप सभी शासन के महत्वपूर्ण अंग है। आपके द्वारा किए जाने वाले कार्य सराहनीय है, आप लोग शासन की आँखें हो। उन्होंने कहा कि आप लोग जिस तरह अपने दायित्व का निर्वहन कर रहे हैं उसके अलावा आप लोग ग्रामवासियों की समस्याएं प्रशासन तक पहुंचाने में भी उनका सहयोग करे साथ ही उन्हें शासन द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का लाभ लेने के लिए भी प्रेरित करें। इस अवसर पर उपस्थित कोटवारों ने कलेक्टर को अपनी कुछ समस्याओं से अवगत कराते हुए उनके निराकरण की मांग की। इन समस्याओं में मुख्य थी कोटवारों को शासन द्वारा दी गई जमीनों से अन्य लोगों के कब्जे हटवाने की। श्री पिथोडे ने कहा कि ऐसे सभी लोग जिनकी जमीनों पर अन्य के कब्जे है उनकी सूची तैयार कर तहसील में देवें साथ ही एक कापी मुझे भी दें। तत्काल कार्यवाही कर कब्जे हटवाने का आश्वासन दिया। मौके पर उपस्थित एक कालकलवित कोटवार की पत्नी ने कलेक्टर से गुहार लगाई कि सन् 2013 में मेरे पति की मृत्यु हो गई थी और मुझे आजतक बीमे की राशि नहीं मिल पाई है। कलेक्टर ने उन्हें सुझाव दिया कि आप उपभोक्ता फोरम में इसके लिए आवेदन करें वहां नि:शुल्क सुनवाई की जाएगी और बीमा कंपनी से आपको संपूर्ण राशि दिलवाई जाएगी। कुछ कोटवारों ने वेतन बढाये जाने की मांग की इस पर कलेक्टर ने कहा कि शासन ने आप लोगों को उदरपूर्ति हेतु जमीन दी हुई है। आप लोगों का वेतन शासन के नियमानुसार ही तय किया गया है।

तीन फरार आरोपियों पर नगद पुरस्कार की उद्घोषणा

पुलिस अधीक्षक श्री सिद्वार्थ बहुगुणा ने उद्घोषणा जारी की है कि जो व्यक्ति थाना गोपालपुर के एक तथा थाना जावर के दो फरार आरोपियों की गिरफ्तारी में सहायक होगा, या गिरफ्तार करायेगा अथवा ऐसी उर्पयुक्त सूचना देगा जिससे आरोपी को गिरफ्तारी संभव हो सकेगी उसे प्रति आरोपी नगद पुरस्कार से पुरूस्कृत किया जाएगा। सूचना देने वाले का नाम सर्वथा गोपनीय रखा जाएगा। उक्त पुरस्कार वितरण के संबंध में पुलिस अधीक्षक जिला सीहोर का निर्णय अंतिम होगा। अभी तक आरोपियों का कोई पता नहीं चल सका है। आरोपियों की गिरफ्तारी हेतु जनसहयोग की आवश्यकता है।  पुलिस अधीक्षक श्री बहुगुणा द्वारा जारी उद्घोषणा अनुसार थाना गोपालपुर का फरार आरोपी राजेश कुमार लोहानी निवासी 190 ग्राम 7 मील असरावद बजरंग दुधिया थाना खुडेल जिला इंदौर पर 4 हजार रूपये तथा थाना जावर का संदेही आरोपी धर्मेन्द्र निवासी बिलपान थाना जावर पर तीन हजार रूपये और संदेही आरोपी राकेश वल्द कमलसिंह बलाई निवासी रेलवे फाटक के पास सीहोर पर 5 हजार रूपये का इनाम घोषित किया गया है। इन फरार आरोपियों पर 420, 467, 468, 471, 363, 366 अधिनियम के तहत मामले दर्ज हैं।

नेशनल लोक अदालत में प्रकरणों का निराकण कराने हेतु निर्देश जारी 

कलेक्टर श्री तरूण कुमार पिथोडे द्वारा जिले के समस्त कार्यालय प्रमुखों को निर्देशित किया गया है कि वे 14 अप्रैल,2018 को आयोजित नेशलन लोक अदालत में जिला न्यायालयों / तालुक न्यायालय, श्रम न्यायालयों, कुटुम्ब न्यायालयों में अधिक से अधिक संख्या में लंबित प्रकरणों का निराकरण कराया जाना सुनिश्चित करे तथा की गई कार्यवाही उपरांत जिला कार्यालय को अवगत करावें।

कलेक्टर का सख्त रवैया,  महिला पोलीटेक्निक महाविद्यालय के  प्राचार्य और मेस प्रभारी को शोकाज नोटिस जारी 

कलेक्टर श्री तरूण कुमार पिथोडे द्वारा श्री देवराज वर्मा प्राचार्य महिला पॉलीटेक्निक महाविद्यालय सीहोर एवं श्रीमती सीमा कीर मैस प्रभारी (हॉस्टल वार्डन) महिला पॉलीटेक्निक महाविद्यालय सीहोर को कारण बताओ नोटिस जारी कर निर्देश दिए गए है कि वे 9 अप्रैल को आयोजित टीएल बैठक में स्वयं उपस्थित होकर अपना स्पष्टीकरण प्रस्तुत करें। गौरतलब हैं कि कलेक्टर के प्रतिनिधि द्वारा महिला पॉलीटेक्निक महाविद्यालय हॉस्टल वार्डन प्रभारी के साथ मेस का निरीक्षण विगत 13 मार्च,2018 को किया गया। निरीक्षण के दौरान भोजन कर रही छात्राओं से भी भोजन की गुणवत्ता के संदर्भ में फीडबैंक लिया गया। फीडबैक में पाया गया कि चावल बासमती के बेग में रखा हुआ था परंतु वह चावल बासमती नही था। खाद्य मसाले प्लास्टिक के जार में रखे हुए थे तथा ढक्कन नहीं लगे थे। जिन बर्तनों में भोजन पकाया गया था वह अत्यधिक गंदे थे। भोजन पकाने वाले स्थान पर भी साफ सफाई नहीं थी वहां पर काफी गंदगी थी। इसी तरह स्टोर रूम भी बहुत गंदा पाया गया। भोजन कर रही छात्राओं ने बताया कि मीनू के अनुसार भोजन व्यवस्था नहीं होती है तथा प्रत्येक छात्रा ने भोजन की गुणवत्ता पर असंतोष व्यक्त किया।

ग्राम पंचायतों में 14 अप्रैल को होंगी ग्राम सभायें

  • प्रधानमंत्री आवास योजना की प्रतीक्षा सूची और प्रगति पर होगी चर्चा

प्रदेश की ग्राम पंचायतों में 14 अप्रैल 2018 को ग्राम-सभाओं का आयोजन किया जाएगा। ग्राम सभाओं में प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) की प्रतीक्षा सूची को अपग्रेड़ करने, निर्माणधीन आवासों को शीघ्र पूरा कराने तथा पंचायत में चलाए जा रहे निर्माण कार्यों की प्रगति की समीक्षा की जाएगी। अपर मुख्य सचिव, पंचायत एवं ग्रामीण विकास, श्री इकबाल सिंह बैंस ने जिला कलेक्टरों और जिला पंचायतों के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों को मध्यप्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम 1993 के प्रावधानों के तहत ग्राम सभाओं के आयोजन की आवश्यक व्यवस्थायें सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। ग्राम सभाओं में पंच परमेश्वर योजना अंतर्गत उपलब्ध राशि तथा प्रस्तावित कार्यों के नवीन दिशा-निर्देशों तथा एप से सदस्यों को अवगत कराया जायेगा। ग्राम को खुले में शौंच मुक्त घोषित करने की रणनीति तथा अवधि का निर्धारण किया जाएगा। खुले में शौच मुक्त घोषित हो चुके ग्रामों को 'कचड़ा मुक्त-कीचड़ मुक्त'ग्राम के रूप में विकसित करने के लिये रणनीति निर्धारित की जाएगी। ग्राम सभा में अनिवार्य करों के करा-रोपण एवं वसूली की जानकारी दी जाएगी। ग्राम पंचायत अंतर्गत विद्यालयों में मध्यान्ह भोजन वितरण और आंगनवाड़ियों में बच्चों के पोषण आहार की व्यवस्था पर भी चर्चा होगी। जिन ग्रामों में सभी पात्र महिलाएँ स्व-सहायता समूह की सदस्य बन चुकी हैं, उनकी पूर्ण जानकारी ग्राम सभा में रखी जाएगी। अपर मुख्य सचिव श्री बैंस ने कहा है कि 14 अप्रैल को आयोजित ग्राम सभाओं में स्व-सहायता समूहों की स्वच्छता मिशन के अंतर्गत खुला शौच मुक्त (ओडीएफ) तथा ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन (एसएलडब्‍ल्यूएम) में भागीदारी सुनिश्चित की जाए। ग्राम संगठन द्वारा किये गये कार्यों की जानकारी ग्राम सभा में साझा की जाए। विभिन्न पेंशन योजनाओं के तहत लाभ वितरण तथा मद्यपान, तम्बाकू, गुटखा, सिगरेट एवं अन्य नशीले मादक द्रव्यों तथा पदार्थों के दुष्परिणामों तथा 'मद्य निषेध'हेतु स्वस्थ्य वातावरण निर्माण जैसे विषयों पर ग्राम सभाओं में अनिवार्य रूप से चर्चा की जाए।

नाले में शेष बचे मलबे को निकालने का कार्य तेज

कलेक्टर श्री तरूण कुमार पिथोडे के निर्देशानुसार एसडीएम और सीएमओ नगरपालिका के निर्देशन में नाले की सफाई के कार्य में तेजी आई है। इसके तहत अतिक्रमण तोडने के बाद नाले में जमा हुआ मलबा हटाने और नाले के गहरीकरण का कार्य युद्ध स्तर पर किया जा रहा है। इस कार्य में चार पोकलेन मशीनें और दर्जनों डम्पर व ट्रक मलबा हटाने के कार्य में दिन रात जुटे हुए है। मलबा हटाने के साथ ही एसडीएम के निर्देश पर मकानों के शेष रह गए अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही भी की जा रही है। अतिक्रमण हटाने के बाद खाली हुई भूमि पर सडक निर्माण और सौंदर्यीकरण का कार्य किया जाएगा। इसकी पूरी रूपरेखा तैयार कर ली गई है।  
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