Quantcast
Channel: Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)
Viewing all 74203 articles
Browse latest View live

बिहार : जमीयता उलमा-ए-बिहार में दसवी विशाल आम सभा का आयोजित

$
0
0
  • *स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने मुख्य अतिथि एवं प्रमुख वक्ता के रूप में कि शिरकत 
  • *राष्ट्रीय एकता एवं धर्म रक्षा विषय पर आधारित है सम्मेलन
  • *सम्मेलन में दो लाख से अधिक मौलाना और मुस्लिम भाईयों ने किया सहभाग
  • *तलाक को नहीं तालीम को दे तवज्जो, शरीयत और शराफत को सम्भालें
  • *विघटन की नहीं बल्कि संगठन की संस्कृति को अपनायें
  • *साम्प्रदायिक तनाव नहीं बल्कि साम्प्रदायिक      सद्भाव के लिये करें मिलकर कार्य
  • *आंतकवाद और अतिवाद की नहीं बल्कि अध्यात्मवाद और आत्मवाद की नितांत आवश्यकता: स्वामी चिदानन्द सरस्वती

jamaayte-ulma-e-bihar-meeting
किशनगंज । फिदाए मिल्लम नगर, लहरा चौक किशनगंज में जीमयता उलमा ए बिहार में दसवीं विशाल आम सभा का आयोजन किया गया जिसमें भारत के विभिन्न प्रांतों के दो लाख से अधिक मौलाना एवं मुस्लिम भाईयों ने सहभाग किया।  इस विशाल आम सभा को सम्बोधित करने हेतु मुख्य अतिथि एवं प्रमुख वक्ता के रूप में परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष, गंगा एक्शन परिवार के प्रणेता और ग्लोबल इण्टरफेथ वाश एलायंस के संस्थापक स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज को विशेष रूप से आमंत्रित किया गया।  जमीयत उलमा ए बिहार के मंच से हिन्दू आध्यात्मिक धर्मगुरू स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज का दो लाख मुस्लिम भाईयों को सम्बोधित करना तथा उन्हें  राष्ट्रीय एकता, धर्म रक्षा, अमन, एकता, सद्भाव, स्वच्छता और समरसता हेतु प्रेरित करना राष्ट्रीय एकता का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करता है।  इस विशाल आम सभा को सम्बोधित करने हेतु मुख्य अतिथि के रूप में अमींरूल हिन्द हजरत मौलाना कारी सैय्यद मुहम्मद उस्मान साहब मनसूरपूरी सदर जींमयत ए उलमा ए हिन्द, कायद जमींयत ए हजरत मौलाना सैय्यद महमुद असअद मदनी साहब नाजिम उमुमीं जमींयत उलमा ए हिन्द, जनाब अलहाज वाहिद हुसैन साहब चिश्ती अंगारा गद्दी नशीन आस्ताना ए आलिया व सैक्रेट्री अनजुमन खुद्दाम ख्वाजा साहब अजमेर शरीफ और अन्य विशिष्ट अतिथियों ने शिरकत की।

 इस सम्मेलन का उद्देश्य मनुष्य के हृदय में प्रेम एवं मानवता के बीज डालना ताकि कौमी नारा ’हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई आपस में सब भाई-भाई’ को चरितार्थ किया जा सके। साथ ही जो साम्प्रदायिक ताकतें देश भर में नफरत का जहर घोल कर हमारी एकता को कमजोर कर रही है और हमारी गंगा जमनीं तहजींब को नष्ट करना चाहती है ऐसे तत्वों के इरादों को मिट्टी में मिलाया जा सके। साथ ही हमारे मुल्क की मुल्यवान धन-सम्पत्ति, हमारा भविष्य, देश की यह युवा पीढ़ी आज नशा और शराब की दलदल में फंसती जा रही है, उन्हें इस दलदल से निकालना इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य है। आज के इस दिव्य कार्यक्रम की अध्यक्षता हजरत मौलाना मो. कासिम साहब, अध्यक्ष जमींयत उलमा ए बिहार, संयोजक हजरत मौलाना व मुफ्ती जावेद इकबाल साहब कास्मी, अध्यक्ष सह-जमींयत उलमा ए बिहार एवं इस कार्यक्रम का कुशल संचालन हजरत मौलाना मो. नाजिम साहब जनरल सेक्रेट्री जमींयत उलमा ए बिहार, हजरत मौलाना व मुफ्ती मो.मुनाजिर नौमानी कास्मी साहब सेक्रेट्री जमींयत उलमा ए किशनगंज व उस्ताद जामिया हुसैनिया मदनी नगर फर्रिगोला, किशनगंज द्वारा किया गया।

 इस कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुये स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा, ’आज आतंकवाद की नहीं बल्कि अध्यात्मवाद की जरूरत है और अतिवाद की नहीं बल्कि आत्मवाद की आवश्यकता है इसलिये हमारे ऋषियों ने ’वसुधैव कुटुम्बकम’ अर्थात हम सब एक परिवार है; एक कुनबा है का संदेश दिया और कहा कि एक दूसरे के दर्द को समझे ।  हम सभी छोटी-छोटी दीवारों को तोडे़ और दरारों को भरे; दरकतों को लगाये; पेड़ों को लगाकर बाहर और भीतर भी हरियाली लायें। बिहार से पूरे वतन के लिये बहार लायी जा सकती है। बिहार से बहार का संदेश बाहर भी जाना चाहिये कि भारत एक है, एक था और एक रहेगा, कोई इसे न तो बाँट सकता है और न बेच सकता है। अपने वतन पर अपनी जान कुर्बान कर देंगे और उसे एक रखेंगे।’ स्वामी जी ने कहा, हमारा आदर्श कसाब नहीं, कलाम है, एपीजे अब्दुल कलाम इस देश के आदर्श है हमें उनका अनुकरण करना चाहिये। किसी भी राष्ट्र का अस्तित्व वहां के निवासियों की एकता पर निर्भर करता है। मजहबी रूप से भले ही हमारे मध्य भिन्नता हो परन्तु हमारी राष्ट्रीयता एक है। स्वामी जी ने सभी से आह्वान किया कि जीवन में ऐसे कर्म करे जिससे साम्प्रदायिक तनाव नहीं बल्कि साम्प्रदायिक सद्भाव को बढ़ावा मिले। भारत के पास बाहरी मसलों को निपटाने की ताकत है; हमारी सेना बाहरी ताकतों को निपटाने में पूर्णरूप से सक्षम है। अब हमें आन्तरिक एकता को बनाये रखने के लिये एकजुट होना होगा। धर्म, जाति, सम्प्रदाय से उपर उठकर मनुष्यता की रक्षा और राष्ट्रीय एकता के लिये अपने आप को समर्पित करना होगा। हम संगठित होंगे तो देश मजबूत बनेगा, हमारे पास विविधता में एकता की संस्कृति है अतः हमारे शब्द; हमारे उद्बोघन ऐेसे हो जो विघटन को नहीं बल्कि संगठन जन्म दें। उन्होने कहा कि हमारा मजहब अलग हो; मजहबी रंग भिन्न हो परन्तु हमारा तिरंगा एक है, उस तिरंगे की शान को बनाये रखने के लिये हमे एकता से मजबूत सूत्र में बधंना होगा। हमारी संस्कृति ईद पर सभी को गले लगाने और होली के अवसर पर विविध रंगों में रंगने की है यही विविधता में एकता हमारी पहचान है। स्वामी जी ने कौमी एकता जिंदाबाद के नारे के साथ अपना उद्बोधन समाप्त किया।’ स्वामी जी महाराज के उद्बोधन के पश्चात पूरा प्रांगण तालियों की गड़गडाहट से गूंजने लगा।

इस कार्यक्रम में मुख्य वक्तागण हजरत मौलाना मो. हकीमुद्दीन साहब कास्मीं सेक्रेट्री जमींयत उलमा ए हिन्द, हजरत मौलाना अनवार आलम साहब, नाजीम ए उमुमीं दारूल उलूम बहादुरगंज, हजरत मौलाना मुफ्ती इफ्तिखार आलम साहब, अध्यक्ष जमींयत उलमा ए कर्नाटक, हजरत मौलाना मो. असरारूल हक साहब कास्मी, सदर आॅल इंडिया तालिमी व मिल्ली फाउन्डेशन दिल्ली, हजरत मौलाना मुतीउर्ररहमान साहब सल्फी चेयरमेन तौहीद एजुकेश्नल ट्रस्ट, किशनगंज, हजरत मौलाना सिद्दीकुल्लाह साहब चौधरी राज्य मंत्री एवं अध्यक्ष जमींयत उलमा ए पश्चिम बंगाल, हजरत मौलाना मुफ्ती सोहराब आलम साहब नदवी कास्मी नायब नाजींम इमारत ए शरइया पटना, हजरत मौलाना अब्दुल अमींम साहब रिज्वी मदरसा गौसिया, नटवापारा किशनगंज। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने इस विशाल जन सभा को जल संरक्षण और पौधा रोपण का संदेश दिया। साथ ही सभी विशिष्ट  अतिथियों को पर्यावरण संरक्षण का प्रतीक रूद्राक्ष का पौधा भेंट किया और कहा कि जिस प्रकार पेड़ सभी को समान रूप से छाया और फल देते है उसी प्रकार हम किसी भी धर्म और मजहब के हो परन्तु सबके लिये जियें सब के लिये मरे और सब के लिये करे। हमारे लिये वतन पहले हो बाकी सब बाद में हो, यह भावना हमारी राष्ट्रीय एकता को और मजबूती प्रदान करेंगी।

मधुबनी : रक्तदाता ग्रुप ने वार्षिक रक्तदाता सम्मान समारोह की बैठक की

$
0
0
raktdata-group-meeting
मधुबनी (आर्यावर्त डेस्क) 04 अप्रैल, आज रक्तदाता ग्रुप के कोर टीम का एक आवश्यक बैठक आयोजित हुआ। इस बैठक की अध्यक्षता सप्पू बैरोलिया जी ने किया।  बैठक का प्रयोजन दिनांक 15 अप्रैल को आयोजित होने वाले रक्तदाता सम्मान समारोह को भव्य बनाने को लेकर था।  बैठक में सभी दायित्वधारी के कार्य प्रगति की समीक्षा की गई। साथ ही आगे का कार्य भी निर्धारित किया गया।  ज्ञात हो कि रक्तदाता ग्रुप के द्वारा तृतीय वार्षिक रक्तदाता सम्मान समारोह आयोजित किया जा रहा है। जिसमें रक्तदाता ग्रुप के बैनर तले रक्तदान करने वाले सभी सम्मानित सदस्यगण के साथ साथ बिहार के अन्य जिलों में संचालित संस्था को भी उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए सम्मानित किया जाएगा।  बैठक में रवि राउत, विवेक चौधरी, राकेश रौशन, अजय प्रसाद, गजेन्द्र प्रसाद, विजय रमन, आदित्य सिंह, लोकेश ठाकुर, रजनीश के झा, अजयधारी सिंह, सन्नी कुमार एवं मुकेश पंजियार ने हिस्सा लिया।

प्रधानमंत्री जनऔषधि परियोजना को सफल बनाने में स्वस्थ भारत करेगा सहयोग

$
0
0

  • बीपीपीआई के सीईओ से विप्लव चटर्जी से आशुतोष कुमार सिंह ने की मुलाकात 

swasthy-bharat-will-help-jan-aushdhi-programe
नई दिल्ली (आर्यावर्त डेस्क) 04 अप्रैल, आम जनता को सस्ती, सुलभ एवं गुरवत्तायुक्त दवा उपलब्ध कराने के लिए भारत सरकार के प्रयास को स्वस्थ भारत भी सहयोग करेगा। प्रधानमंत्री जन औषधि परियोजना के अंतर्गत 3000 से ज्यादा जनऔषधि केंद्र खोलवा चुके बीबीपीआई के सीईओ  विप्लव चटर्जी से आज स्वस्थ भारत (न्यास) के चैयरमैन व स्वस्थ भारत अभियान के राष्ट्रीय संयोजक आशुतोष कुमार सिंह ने मुलाकात की। इस मुलाकात में उन्होंने इस परियोजना को जन-जन तक ले जाने में सहयोग करने की बात कही। अपने ट्वीट में श्री आशुतोष ने कहा कि बीपीपीआई का प्रयास अनुकरणीय है। इस प्रयास को और मजबूत बनाने में स्वस्थ भारत पूरा सहयोग करेगा।  गौरतलब है की श्री आशुतोष विगत 6 वर्षों से   जेनरिक लाइये पैसा बचाइए कैम्पेन, नो योर मेडिसिन कैम्पेन, स्वस्थ बालिका स्वस्थ समाज  जैसे कैम्पेनों के माध्यम से समाज को  जागरूक कर रहे हैं। इसी आलोक में उन्होंने 21000 किमी की स्वस्थ भारत यात्रा भी की है। 

बिहार : 8 अप्रैल को गांधी मैदान में हम का महासम्मेलन

$
0
0
ham-meeting-patna
पटना (आर्यावर्त डेस्क) 04 अप्रैल, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा ( से.) 'हम'के द्वारा 8 अप्रैल को गांधी मैदान में 11 बजे से बिहार गरीब महासम्मेलन है. इसको लेकर हम के अध्यक्ष जीतन राम मांझी गंभीर हैं. श्री मांझी     राजधानी में जोरदार दौड़ा करने लगे हैं.इसी क्रम में कुर्जी मोड़ पहुंचे. मैनपुरा ग्राम पंचायत के पूर्व मुखिया भाई धर्मेंद्र के कार्यालय में हम के अध्यक्ष जीतन राम मांझी आ धमके. मौके पर हम के प्रदेश महासचिव पप्पू साह, वार्ड न.22 सी की वार्ड काउंसिलर रजनी देवी के भवे व विख्यात सामाजिक कार्यकर्ता पप्पू राय,पूर्व मुखिया भाई धर्मेंद्र आदि से महासम्मेलन में आने व अपने समर्थकों के साथ आने का न्योता दिया.  पूर्व मुखिया भाई धर्मेंद्र और विख्यात       सामाजिक कार्यकर्ता पप्पू राय ने कहा कि मांझी एनडीए से कूचकर महागठबंधन में आ गये हैं. महागठबंधन में आ जाने के बाद कर्तव्य बन गया है कि महासम्मेलन को शानदार ढंग से संपन्न करा सकें.कोई दस हजार लोगों को महासम्मेलन में ले जाना है. घोड़ा और गाड़ी पर चढ़ाकर लोगों को ले जाएंगे.वहीं मांझी के निकट के रिश्तेदार पप्पू साह बोले कि ढाई हजार लोगों को ले जाएंगे.

दरभंगा : LNMU का विजन 2030 विश्वविद्यालयों के लिए होगा रौल मॉडल

$
0
0
lnmu-vision-for-2030
दरभंगा (आर्यावर्त डेस्क) 04 अप्रैल :ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के वाणिज्य एवं व्यावसायिक प्रबंधन विभाग के सभागार में बुधवार को विजन 2030 को लेकर बैठक कुलपति प्रो. सुरेन्द्र कुमार सिंह की अध्यक्षता में हुई. इसमें विज्ञान संकाय के विभिन्न विषयों के विभागाध्यक्षों की ओर से अपने-अपने विभागों के स्थापना काल से आधारभूत संरचनाओं का जिक्र करते हुए विजन 2030 के अंतर्गत भविष्य की योजनाओं पर पॉवर पॉइंट के माध्यम से विस्तृत प्रकाश डाला गया. इस क्रम में विभागाध्यक्षों की ओर से सत्र 2013-14 से 2018-19 तक के विभागीय उपलब्धियों की भी चर्चा करते हुए 2020 से 2030 के बीच विश्वविद्यालय द्वारा निर्धारित कुल ग्यारह बिन्दुओं यथा नये कोर्स शुरू करने का प्रस्ताव, रिसर्च प्रोजेक्ट, सेमिनार-सिम्पोजियम, छात्रों की प्लेसमेंट योजना, नेशनल व इंटर नेशनल कोलैबोरेशन सहित अपनी योजनाओं पर प्रकाश डाला. वनस्पति विज्ञान के अधीन मॉलिक्यूलर बायोलॉजी एवं बायोइन्फरमेटिक्स में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम के साथ हर्बल मेडिसीन एवं सीड पैथोलॉजी में पीजी डिप्लोमा कोर्स आरम्भ करने की योजना बनाई है. रसायनशास्त्र विभाग ने पर्यावरण एवं विश्लेषण विज्ञान को स्पेशल पेपर में जोड़ने के साथ बायोकेमिस्ट्री एवं हर्बल केमिस्ट्री में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम और मेडिसिनल केमिस्ट्री, ग्रीन केमिस्ट्री व फोरेंसिक साइंस में सर्टिफिकेट कोर्स शुरू करने की योजना बनाई है. गणित विभाग एमसीए पाठ्यक्रम आरम्भ करेगी. वहीं फिजिक्स विभाग ने एस्ट्रो फिजिक्स, स्पेस साइंस में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम शुरू करने के साथ मैटर भौतिकी एवम क्वांटम भौतिकी को स्पेशल पेपर में जोड़ने की योजना बनाई है. जंतु विज्ञानं विभाग की ओर से दिए गये प्रेजेंटेशन में एक्वा कल्चर एवम ह्यूमन हेल्थ एंड न्यूट्रिशन में पीजी डिप्लोमा कोर्स के साथ मॉलिक्यूलर बायोलॉजी एवम बायो केमिस्ट्री में स्नातकोत्तर कोर्स शुरू करने की योजना बनाई है. कुलपति प्रो. सुरेन्द्र कुमार सिंह ने अपने संबोधन में प्रतिकुलपति प्रो. जय गोपाल द्वारा इस दिशा में किये गये. पहल की सराहना करते हुए कहा कि किसी संस्था को शैक्षिक शिखर पर पहुंचने के लिए रोड मैप बनाना पड़ता है. इसी दिशा में पांच वर्षों के अन्तराल पर प्लानिंग करने का प्रयास जारी है. इस प्रकार सभी विभागों से उपलब्ध विजन 2030 के अभिलेखों को एकत्रित कर पुस्तक के रूप में बनाया जाएगा और इसके लिए एक टीम का गठन किया जाएगा. इसके साथ ही योजनाओं को मूर्तरूप देने के लिए विवि की ओर से हर संभव उपाय किए जायेंगे. यह इस विश्वविद्यालय के साथ ही सूबे के अन्य विश्वविद्यालयों के लिए भी रोल मॉडल का काम करेगा. विभागों की ओर से दिए गये प्रेजेंटेशन की सराहना करते हुए कुलपति प्रो. सिंह ने कहा कि इन प्रेजेंटेशनों में शिक्षकों की मेहनत, उनका विकासत्मक सोच व कार्य के प्रति समर्पण झलकता है. प्रेजेंटेशन के दौरान सामने आई कमियों को दूर करने के लिए विकास पदाधिकारी डॉ. केके साहू व प्रतिकुलपति ने कई आवश्यक सुझाव दिए. कार्यक्रम का संचालन विकास पदाधिकारी डॉ. साहु ने किया. मौके पर प्रो. उपेन्द्र कुमार, प्रो. एके गुप्ता, प्रो. ब्रज मोहन झा, प्रो. योगानंद मिश्रा, प्रो. धीरेन्द्र नाथ मिश्र, प्रो. रतन कुमार चौधरी सहित विज्ञान विभाग के शिक्षक मौजूद थे.

अम्बेडकर का जितना सम्मान हमने किया, उतना किसी अन्य सरकार ने नहीं किया : प्रधानमंत्री

$
0
0
bjp-honour-most-ambedkar-said-modi
नयी दिल्ली, चार अप्रैल,  भीमराव अम्बेडकर की विरासत का राजनीतिकरण करने को लेकर राजनीतिक दलों पर हमला बोलते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कहा कि दलितों के मसीहा का जितना सम्मान हमारी सरकार ने किया, उतना किसी अन्य सरकार ने नहीं किया।  प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने अम्बेडकर की याद में शुरू की गई परियोजनाओं को पूरा कर उन्हें उनका यथोचित स्थान दिया है। मोदी ने कहा कि 26, अलीपुर रोड हाउस को अम्बेडकर जयंती की पूर्व संध्या पर 13 अप्रैल को राष्ट्र को समिर्पत किया जाएगा जहां दलित मसीहा का निधन हुआ था। वह सांसदों के आवास से संबंधित वेस्टर्न कोर्ट एनेक्सी भवन के उद्घाटन अवसर पर एक सभा को संबोधित कर रहे थे। यह उल्लेख करते हुए कि राजनीतिक लाभ के लिए हर किसी ने अम्बेडकर के नाम का इस्तेमाल किया, मोदी ने कहा कि यह उनकी सरकार है जिसने अम्बेडकर अंतरराष्ट्रीय केंद्र को पूरा किया जिसका विचार तब शुरू हुआ था जब अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे। मोदी ने कहा कि पूर्ववर्ती संप्रग सरकार वर्षों तक इससे पीछे हटती रही। प्रधानमंत्री की टिप्पणी ऐसे समय आई है जब अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण कानून का दुरुपयोग रोकने के लिए सुरक्षा मानक तय किए जाने के उच्चतम न्यायालय के फैसले के खिलाफ दलित संगठनों ने सोमवार को देशभर में व्यापक विरोध प्रदर्शन किए थे। 

केरल : ओबीसी के लिए क्रीमी लेयर की सीमा बढ़ाई गई

$
0
0
obc-creamy-layer-increase-kerala
तिरुवनंतपुरम, चार अप्रैल, माकपा नेतृत्व वाली केरल की एलडीएफ सरकार ने अन्य पीछड़ा वर्ग( ओबीसी) के क्रीमी लेयर की सीमा को छह लाख से बढ़ाकर आठ लाखरूपये करने का फैसला किया है। एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया है कि यह फैसला तब से लागू हो गया है जब से इस आदेश को जारी किया गया है। ओबीसी के लिए क्रीमी लेयर बढ़ाने का फैसला मुख्यमंत्री पिनराई विजयन की अध्यक्षता वाली मंत्रिमंडल की एक बैठक में लिया गया।

बिहार : नीतीश ने शिक्षा वित्त निगम का उद्घाटन किया

$
0
0
nitish-ianugrate-vit-nigam
पटना, चार अप्रैल, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज कहा कि स्टुडेंट क्रेडिट कार्ड योजना को गति प्रदान करने के लिए राज्य सरकार ने बैंकों के बजाय बिहार राज्य शिक्षा वित्त निगम की शुरूआत की है। मुख्यमंत्री सचिवालय के संवाद कक्ष में बिहार राज्य शिक्षा वित्त निगम का उद्घाटन करते हुए नीतीश ने आज कहा कि स्टुडेंट क्रेडिट कार्ड योजना को गति प्रदान करने के लिए राज्य सरकार ने बैंकों के बजाय इस निगम की शुरूआत की है। उन्होंने कहा कि स्टुडेंट क्रेडिट कार्ड योजना उच्च शिक्षा प्राप्त करने में महत्वपूर्ण साबित होगी। बैंकों से मिलने वाले शिक्षा ऋण योजना में तकनीकी शिक्षा प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को ही लाभ होता है। स्टुडेंट क्रेडिट कार्ड योजना में 12वीं पास विद्यार्थियों को तकनीकी शिक्षा के साथ-साथ अन्य विद्यार्थियों को ऋण उपलब्ध होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस योजना में मैट्रिक पास करने के बाद पॉलिटेक्निक पढ़ने वाले विद्यार्थियों को भी लाभ मिलेगा। बैंकों की जरूरी शर्तों को मानने के बावजूद बैंकों द्वारा इस योजना के अंतर्गत स्वीकृत की जाने वाली ऋण में काफी बिलम्ब होता था। 18 हजार 242 आवेदन स्वीकृत किये गये, जिसमें से 12,050 आवेदकों का ऋण स्वीकृत किया गया। उन्होंने कहा कि इस योजना को गति देने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था के तहत अपना वित्त निगम बनाने का फैसला लिया। इसके माध्यम से मिलने वाले ऋण पर ब्याज की दर मात्र 4 प्रतिशत है। दिव्यांग, छात्राओं एवं ट्रांसजेंडर को सिर्फ 1 प्रतिशत ब्याज पर ऋण मुहैया कराया जाएगा।

भारत बंद का समर्थन : मायावती की राजनीतिक विवशता या दलितों के लिए चिन्ता

$
0
0
bharat-band-and-mayawati
लखनऊ, चार अप्रैल, इसे राजनीतिक विवशता कहें या फिर दलितों के लिए चिन्ता, बसपा सुप्रीमो मायावती ने दलित संगठनों के आह्वान पर सोमवार को हुए भारत बंद का समर्थन किया। हालांकि, उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने इस कानून के दुरूपयोग को रोकने की पहल की थी। उच्चतम न्यायालय के एक आदेश के जरिए एससी—एसटी कानून को कथित तौर पर कमजोर किये जाने के विरोध में यह बंद आहूत हुआ। मायावती जब उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री थीं तब उन्होंने खुद ही इस कानून के दुरूपयोग या निर्दोषों को झूठा फंसाने से बचाव की पहल की थी। बसपा सुप्रीमो ने कहा कि वह बंद का समर्थन करती हैं। हालांकि, उन्होंने हिंसा की निन्दा की और इसके लिए असामाजिक तत्वों को दोषी ठहराया। विभिन्न दलित संगठनों ने शीर्ष अदालत के आदेश के खिलाफ विरोध प्रकट करने के लिए बंद का आह्वान किया था। उच्चतम न्यायालय ने 20 मार्च को कानून में अग्रिम जमानत का प्रावधान जोडा और निर्देश दिया कि एससी—एसटी कानून के तहत दायर किसी शिकायत पर स्वत: ही गिरफ्तारी नहीं होगी। मायावती ने 2007 में मुख्यमंत्री रहते हालांकि दो आदेश जारी किये थे जो इस कानून के दुरूपयोग या किसी निर्दोष को झूठा फंसाने के खिलाफ बचाव से संबंधित थे।

उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्य सचिव प्रशांत कुमार की ओर से 29 अक्तूबर 2007 को जारी दूसरे आदेश में कहा गया था कि वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक और पुलिस अधीक्षक हत्या और बलात्कार जैसे गंभीर अपराधों पर संज्ञान लें और प्राथमिकता के आधार पर जांच करायें। वह सुनिश्चित करें कि अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लोगों पर अत्याचार के मामलों में त्वरित न्याय मिले। साथ ही यह भी सुनिश्चित करें कि किसी निर्दोष का उत्पीडन ना होने पाये। आदेश में कहा गया कि अगर जांच में पाया गया कि कोई फर्जी मामला बनाया गया है तो भारतीय दंड संहिता की धारा 182 के तहत कार्रवाई होनी चाहिए। तत्कालीन मुख्य सचिव की ओर से जारी दोनों आदेशों में स्पष्ट कहा गया था कि केवल शिकायत के आधार पर कार्रवाई नहीं होनी चाहिए लेकिन जब आरंभिक जांच में आरोपी प्रथम दृष्टया दोषी नजर आये तो ही गिरफ्तारी की जानी चाहिए।

पूर्व मुख्य सचिव शंभू नाथ ने 20 मई 2007 को एक आदेश जारी किया था जिसमें 18वें बिन्दु में उक्त कानून के तहत पुलिस शिकायतों के मुद्दे पर विस्तार से विवरण था। यह आदेश मायावती के उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के कुछ समय बाद ही जारी किया गया था। आदेश में साफ कहा गया था कि हत्या और बलात्कार जैसे गंभीर अपराध ही उक्त कानून के तहत दर्ज किये जायें। अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लोगों से संबद्ध कम गंभीर अपराध आईपीसी की संबद्ध धाराओं के तहत लिये जायें। आदेश के मुताबिक एससी—एसटी एक्ट में बलात्कार की शिकायत पर आरोपी के खिलाफ कार्रवाई तभी शुरू करनी चाहिए जब मेडिकल जांच में इसकी पुष्टि हो जाए और प्रथम दृष्टया आरोप सही लगें।

सिनेमाघरों में सामान्य दरों पर बेची जानी चाहिए खाने-पीने की चीजें : उच्च न्यायालय

$
0
0
food-rate-should-be-normaal-in-0cinema-hall-mumbai-high-court
मुंबई, चार अप्रैल, मल्टीप्लेक्सों के भीतर खाने- पीने की चीजों की कीमतें बहुत ज्यादा होने का जिक्र करते हुए बंबई उच्च न्यायालय ने आज राय जाहिर की कि इन्हें सामान्य कीमतों पर बेचा जाना चाहिए। महाराष्ट्र सरकार ने न्यायालय को बताया कि वह जल्द ही इस मुद्दे पर एक नीति बनाएगी। न्यायमूर्ति एस एम केमकर और न्यायमूर्ति एम एस कार्णिक की खंडपीठ मुंबई निवासी जैनेंद्र बक्शी की ओर से दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। बक्शी ने महाराष्ट्र के सिनेमाघरों और मल्टीप्लेक्सों के भीतर बाहर से लाई गई खाने- पीने की चीजें ले जाने पर लगी पाबंदी को चुनौती दी है। बक्शी के वकील आदित्य प्रताप सिंह ने अदालत को बताया कि ऐसा कोई कानूनी प्रावधान नहीं है जो किसी व्यक्ति को सिनेमाघरों के भीतर खाने- पीने का निजी सामान ले जाने से रोकते हो। उन्होंने कहा कि मल्टीप्लेक्सों के भीतर खाने- पीने की चीजें बिकती तो हैं, लेकिन उनकी कीमतें बहुत ज्यादा होती हैं। इस पर सहमति जताते हुए न्यायमूर्ति केमकर ने कहा, ‘‘ सिनेमाघरों के भीतर बिकने वाले खाने के सामान और पानी की बोतलों की कीमत वास्तव में बहुत ज्यादा होती है। हमने खुद ही यह अनुभव किया है। आपको( मल्टीप्लेक्सों को) इन्हें सामान्य कीमतों पर बेचना चाहिए।’’  न्यायालय ने कहा कि यदि मल्टीप्लेक्सों में लोगों को बाहर से लाई गई खाने- पीने की चीजें अंदर नहीं ले जाने दिया जाता तो वहां खाने- पीने के सामान पर पूरी मनाही होनी चाहिए। न्यायमूर्ति केमकर ने कहा, ‘‘ फिर आपके( मल्टीप्लेक्सों के) अपने वेंडर भी नहीं होने चाहिए जो भीतर खाने- पीने की चीजें बेचते हैं।’’  सरकारी वकील पूर्णिमा कंथारिया ने आज न्यायालय को बताया कि याचिकाकर्ता एवं मल्टीप्लेक्स मालिक संगठन( एमओए) के सुझावों पर विचार करने के बाद राज्य सरकार जल्द ही इस मुद्दे पर नीति तैयार करेगी।  एमओए सिनेमाघर मालिकों का राष्ट्रव्यापी संगठन है। पीठ इस मामले में अगली सुनवाई12 जून को करेगी।

श्रीलंका के प्रधानमंत्री के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया संयुक्त विपक्ष

$
0
0
no-confidance-motion-in-srilanka
कोलंबो, चार अप्रैल, श्रीलंका के संयुक्त विपक्षने प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे के खिलाफ आज अविश्वास प्रस्ताव पेश किया जिससे देश की एका सरकार को खतरा हो सकता है। संयुक्त विपक्ष ने यह प्रस्ताव स्पीकर कारू जयसूर्या को सौंपा और संसद में आज इस पर चर्चा हुई। संयुक्त विपक्ष का आरोप है कि68 वर्षीय विक्रमसिंघे ने वित्तीय अव्यवस्था फैलाई और वह पिछले महीने मध्य कांडी जिले में मुस्लिम विरोधी दंगों से निबटने में असफल रहे। इस प्रस्ताव को गिराने के लिए विक्रमसिंघे को225 सदस्यीय संसद में113 मतों की जरूरत है। तमिल नेशनल अलायंस के नेता आर संपतन ने देश में जातीय विवाद के समाधान की जरूरत पर बल दिया। पार्टी के विक्रमसिंघे के पक्ष में मतदान करने की संभावना है।

रूस के प्रति मुझसे ज्यादा सख्ती किसी ने नहीं बरती : ट्रंप

$
0
0
i-oppose-most-russia-trump
वाशिंगटन, चार अप्रैल, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का कहना है कि किसी ने रूस के खिलाफ इतना सख्त रवैया नहीं अपनाया है, जितना की वह दिखा रहे हैं। साथ ही उन्होंने उम्मीद जताई कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ अच्छे संबंध‘‘ बहुत ही अच्छी बात’’ होगी। ट्रंप ने बाल्टिक देशों एस्तोनिया, लातविया और लिथुआनिया के नेताओं के साथ कल हुई बैठक के दौरान यह टिप्पणी की। इससे एक दिन पहले व्हाइट हाउस ने इस बात की पुष्टि की कि राष्ट्रपति ने पुतिन को संभावित बैठक के लिए ओवल ऑफिस में आमंत्रित किया है। उन्होंने कहा, ‘‘ मुझे उम्मीद है कि हम अच्छी बातचीत कर सकते हैं। अगर हम नहीं कर सकते तो इसके बारे में आप सबसे पहले जानेंगे। मेरे अलावा किसी ने भी रूस के खिलाफ इतना सख्त रवैया नहीं अपनाया।’’  ट्रंप से यह पूछा गया था कि वह पुतिन को दोस्त या दुश्मन क्या मानते हैं। ट्रंप ने बाल्टिक नेताओं के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में व्हाइट हाउस में कहा, ‘‘ इस बात की सच में संभावना है कि मेरे अच्छे संबंध हो सकते हैं। रूस से बेहतर संबंध होना अच्छी बात है। चीन से अच्छे संबंध होना अच्छी बात है। इसी तरह आप तीनों देशों समेत अन्य देशों से अच्छे संबंध होना अच्छी बात है ना कि बुरी बात है।’’  उन्होंने कहा कि ऊर्जा के क्षेत्र में अमेरिका‘‘ बहुत मजबूत’’ है जो रूस के लिए अच्छा नहीं है। ट्रंप ने कहा कि उनके प्रशासन ने हाल ही में700 अरब डॉलर का सैन्य बजट पारित किया है। इसके साथ ही अमेरिकी राष्ट्रपति ने कुछ नाटो सदस्यों द्वारा बिल का भुगतान ना करने की बात दोहराई। ब्रिटेन में रूस के पूर्व जासूस पर रासायनिक हमले के जवाब में रूस के60 राजनयिकों को निष्कासित करने पर ट्रंप ने कहा, ‘‘ मैंने बहुत सारी चीजें की ना केवल60 राजनयिकों को निष्कासित करना। जर्मनी ने चार, फ्रांस ने चार हमने60 राजनयिक निकाले। कोई भी रूस पर इतना सख्त नहीं रहा है।’’  

संयुक्त राष्ट्र के आतंकवादियों की सूची में 139 पाकिस्तानी नागरिक

$
0
0
139-pakistani-terrorist-in-un-list
इस्लामाबाद, चार अप्रैल, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आतंकवादियों और चरमपंथियों की ताजा सूची में पाकिस्तान से ही139 नाम शामिल हैं। मीडिया में आयी खबरों के मुताबिक, इस सूची में मुंबई हमले के सरगना हाफिज सईद के संगठन लश्कर- ए- तैयबा का भी नाम है। डॉन न्यूज की खबर के अनुसार, सूची में शीर्ष पर ओसामा बिन- लादेन के उत्तराधिकारी ऐमन अल- जवाहिरी का नाम है। इस सूची में उन सभी को चिह्नित किया गया है जो पाकिस्तान में निवास कर चुके हैं, वहां से अपनी गतिविधियां चलायी हैं या फिर अपनी गतिविधियां चलाने के लिए पाकिस्तानी जमीन का इस्तेमाल करने वाले संगठनों से जुड़े रहे हैं। लश्कर- ए- तैयबा प्रमुख हाफिज सईद को एक ऐसे व्यक्ति के रूप में शामिल किया गया है जो इंटरपोल का वांछित है और आतंकवादी गतिविधियों में शामिल है। लश्कर- ए- तैयबा ने मुंबई में कई जगहों पर आतंकवादी हमले किये थे जिसमें छह अमेरिकी नागरिकों सहित166 लोग मारे गये थे। खबर के अनुसार, संयुक्त राष्ट्र की इस सूची में भारतीय नागरिक दाऊद इब्राहीम कासकर का नाम भी शामिल है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् के अनुसार, दाऊद के पास कई पासपोर्ट हैं जो रावलपिंडी और कराची से जारी हुए हैं। संयुक्त राष्ट्र का दावा है कि कराची के नूराबाद में दाऊद का एक बड़ा बंगला है। वह1993 के मुंबई बम विस्फोटों का मास्टरमाइंड है।

भारतीय क्रिकेट के मीडिया अधिकारों की बोली एक अरब डालर के करीब पहुंची

$
0
0
bcci-media-rights-reaches-one-crores
नयी दिल्ली/ मुंबई, चार अप्रैल, भारत की अगले पांच साल(2018-2023) में होने वाली घरेलू द्विपक्षीय श्रृंखलाओं के मीडिया अधिकारों की बोली धीरे- धीरे एक अरब डालर के आंकड़े के करीब पहुंच गई है। बड़ी प्रसारण कंपनियों स्टार और सोनी के अलावा जियो के बीच हो रही इस ई- नीलामी के दूसरे दिन मीडिया अधिकारों के लिए अब तक6032.5 करोड़ रुपये की बोली लगाई जा चुकी है। वैश्विक समग्र अधिकार( जिसमें भारत और शेष विश्व के प्रसारण के अलावा डिजिटल अधिकार भी शामिल हैं) की बोली में पहले ही बड़ा इजाफा हो चुका है। पिछली बार2012 में स्टार टीवी ने3851 करोड़ रुपये की बोली लगाकर अधिकार हासिल किए थे। दूसरे दिन के बाद बीसीसीआई के मीडिया अधिकार की कीमत में56 प्रतिशत इजाफा हो चुका है जिसमें प्रत्येक मैच के लिए बोली लगभग60 करोड़ रुपये(59 .16 करोड़) तक पहुंच चुकी है। भारत पांच साल के दौरान तीनों प्रारूपों में102 मैच खेलेगा। यह पहले ही2012-2018 के समय के43 करोड़ रुपये( प्रति मैच) की बोली से17 करोड़ अधिक है। नीलामी पर नजर रख रहे बीसीसीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने आज पीटीआई से कहा, ‘‘ यह भारतीय क्रिकेट की ताकत है। यह किसी भी प्रकार की नकारात्मकता, प्रशासनिक गड़बड़ और इससे भी बड़े विवादों का सामना कर सकता है। संभावित बोली लगाने वालों को पता है कि भारत में सिर्फ एक खेल में निवेश करने पर फायदा मिल सकता है। हमें नहीं पता कि सबसे बड़ी बोली किसने लगाई है लेकिन पैटर्न से संकेत मिलते हैं कि सभी तीन अब भी दौड़ में बने हुए हैं, अगर आप बोली की राशि को देखें तो।’’  बीसीसीआई अधिकारियों को उम्मीद है कि कल दोपहर तक विजेता का फैसला हो जाएगा। अधिकारी ने कहा, ‘‘ सभी बोली लगाने वालों की अपनी सीमाएं हैं। वे धीरे धीरे इस सीमा तक पहुंच रहे हैं। अगर यह7000 करोड़ तक पहुंचती है तो भारतीय क्रिकेट के लिए एक और ऐसा वित्तीय करार होगा जो मील का पत्थर साबित होगा।’’  दिन की शुरुआत4442 करोड़ रुपये की शीर्ष बोली के साथ हुई। इसके बाद की शीर्ष बोलियां4565.20 करोड़, 5488.30 करोड़, 5748 करोड़ रुपये रही। लगभग शाम साढ़े चार बजे बोली6000 करोड़ के आंकड़े को पार कर गई और छह बजे की आज की समय सीमा से पहले तक शीर्ष बोली6032 .5 करोड़ रुपये थी।

अडाणी समूह का सड़क निर्माण क्षेत्र में प्रवेश, छत्तीसगढ़ में मिला 1,140 करोड़ रुपये का ठेका

$
0
0
adani-in-road-construction
नयी दिल्ली, चार अप्रैल, अडाणी समूह ने आज सड़क निर्माण क्षेत्र में उतरने की घोषणा की। साथ ही बताया कि उसकी होल्डिंग कंपनी के नेतृत्व वाले एक कंपनी समूह को छत्तीसगढ़ में1,140 करोड़ रुपये की राजमार्ग परियोजना का ठेका मिला है। उसे यह ठेका भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण( एनएचएआई) से मिला है। समूह ने एक बयान में बताया कि उसकी प्रमुख कंपनी अडाणी एंटरप्राइजेज लिमिटेड इस क्षेत्र में संभावनाएं तलाशेगी। कंपनी के अनुसार, ‘‘ अडाणी समूह सार्वजनिक परिवहन निर्माण क्षेत्र( सड़क निर्माण) में प्रवेश करने की घोषणा करते हुए काफी खुश है। उसे एनएचएआई से अपना पहला हाइब्रिड एन्युनिटीर सड़क परियोजना का ठेका मिला है।’’  इस1,140 करोड़ रुपये की परियोजना के तहत राष्ट्रीय राजमार्ग-111 ( नया राष्ट्रीय राजमार्ग-130) के53.3 किलोमीटर लंबे बिलासपुर- पथरापल्ली खंड का चौड़ीकरण कर चार लेन का राजमार्ग बनाना है। यह सरकार की महत्वाकांक्षी भारतमाला योजना का हिस्सा है।

विशेष आलेख : विकास के नाम पर पर्यावरण की उपेक्षा क्यों?

$
0
0
development-and-enviroment
सबका साथ, सबका विकास’ वर्तमान सरकार का नारा है, यह नारा जितना लुभावना है उतना ही भ्रामक एवं विडम्बनापूर्ण भी है। यह सही है कि आम आदमी की जरूरतें चरम अवस्था में पहुंच चुकी हैं। हम उन जरूरतों को पूरा करने के लिए विकास की कीमत पर्यावरण के विनाश से चुकाने जा रहे हैं। पर्यावरण का बढ़ता संकट कितना गंभीर हो सकता है, इसको नजरअंदाज करते हुए सरकार राजनीतिक लाभ के लिये कोरे विकास की बात कर रही है, जिसमें विनाश की आशंकाएं ज्यादा हंै। विकास और पर्यावरण साथ-साथ चलने चाहिएं लेकिन यह चल ही नहीं रहे हैं, इसमें सरकारों के नकारापन के ही संकेत दिखाई देते हैं। विकास के वैसे तो अलग-अलग पैमाने हो सकते हैं, लेकिन जब विकास का रास्ता आगे चलकर विनाश पैदा करे तो ऐसे विकास की कितनी जरूरत सरकार को होनी चाहिए? खासकर तब, जब मामला लोगों की जिंदगियों से जुड़ा हुआ हो। ऐसे में लोगों की जिंदगी पर कितना असर पड़ता है, यह बात सोचने पर जेहन में कई सवाल खड़े हो जाते हैं। औद्योगिक विकास की दिशा में फिलहाल अभी जो प्रयास सरकार कर रही है, उससे आर्थिक विकास होना लाजिमी है, किंतु सामाजिक विकास किस तरह ठहर सकता है, पर्यावरण असंतुलित हो सकता है, इस बारे में अब तक किसी ने सोचा नहीं है। जिस तरीके से देश को विकास की ऊंचाई पर खड़ा करने की बात कही जा रही है और इसके लिए औद्योगीकरण को बढ़ावा दिया जा रहा है, उससे तो लगता है कि प्रकृति, प्राकृतिक संसाधनों एवं विविधतापूर्ण जीवन का अक्षयकोष कहलाने वाला देश भविष्य में राख का कटोरा बन जाएगा। हरियाली उजड़ती जा रही है और पहाड़ नग्न हो चुके हैं। नदियों का जल सूख रहा है, कृषि भूमि लोहे एवं सीमेन्ट, कंकरीट का जंगल बनता जा रहा है। महानगरों के इर्द-गिर्द बहुमंजिले इमारतों एवं शॉपिंग मॉल के अम्बार लग रहे हैं। उद्योगों को जमीन देने से कृषि भूमि लगातार घटती जा रही है। नये-नये उद्योगों की स्थापना से नदियों का जल दूषित हो रहा है, निर्धारित सीमा-रेखाओं का अतिक्रमण धरती पर जीवन के लिये घातक साबित हो रहा है। महानगरों का हश्र आप देख चुके हैं। अगर अनियोजित विकास ऐसे ही होता रहा तो दिल्ली, मुम्बई, कोलकता में सांस लेना जटिल हो जायेगा। 

development-and-enviroment
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम द्वारा जारी होने वाली नवीनतम रिपोर्ट जीईओ-5 में कहा गया है कि ऐसे विभिन्न तरह के बदलावों के सबसे खतरनाक स्तर से बचना बहुत जरूरी है क्योंकि इस सीमा के बाद धरती पर विविधतापूर्ण जीवन को पनपाने वाली स्थितियां सदा के लिये बदल सकती है। समुद्र के जीवन विहीन क्षेत्रों में हाल के वर्षों में चैकाने वाली वृद्धि  हुई है। पर्यावरण का संकट भी गहरा रहा है। बहुत दिन नहीं हुए जब कलकल बहती स्वच्छ नदियां, हरे-भरे जंगल, उपजाऊ मिट्टी और मत्स्य संसाधनों से भरपूर तटीय इलाके भारत की शान थे। सदियों पहले भारतीय उपमहाद्वीप पर रहने वालों के लिए ये प्रकृति के उपहार थे। पिछली सदी की शुरुआत तक लगभग आधा उपमहाद्वीप घने वनों से आच्छादित था। उस समय अगर आप जमीन पर सौ बीज बिखेरते तो संभव है कि आधे से अधिक बीज जड़ पकड़ लेते, क्योंकि उस समय देश की मिट्टी उपजाऊ, जलवायु बढ़िया और जल संसाधन प्रचुर थे। उस समय हमारा सुंदर भारत चमगादड़ों, हाथियों और तरह-तरह के पशु-पक्षियों का साझा बसेरा था और वे ही यहां के बागबान भी थे। इसके तहत देश में यह परवाह किये बिना हजारों बांध बना डाले गये कि उनसे देश को वास्तव में कोई फायदा मिल भी रहा है या नहीं। अंधाधुंध खानें खोदी गयी। डीडीटी जैसे कीटनाशकों का इतना ज्यादा छिड़काव किया गया कि कीड़े-मकोड़े के साथ मनुष्य भी दम तोड़ने लगा। कई परमाणु बिजलीघर भी यह सोचे बगैर बना दिये गये कि इनसे निकलने वाला घातक अपशिष्ट कैसे ठिकाने लगाया जायेगा।

इस देश में विकास के नाम पर वनवासियों, आदिवासियों के हितों की बलि देकर व्यावसायिक हितों को बढ़ावा दिया गया। खनन के नाम पर जगह-जगह आदिवासियों से जल, जंगल और जमीन को छीना गया। कौन नहीं जानता कि ओडिशा का नियमागिरी पर्वत उजाड़ने का प्रयास किया गया। आदिवासियों के प्रति सरकार तथा मुख्यधारा के समाज के लोगों का नजरिया कभी संतोषजनक नहीं रहा। आदिवासियों को सरकार द्वारा पुनर्वासित करने का प्रयास भी पूर्ण रूप से सार्थक नहीं रहा। आदिवासियों की स्थिति में बदलाव के लिए जरूरत है उनकी कुछ मूल समस्याओं के हल ढूंढना। भारत के जंगल समृद्ध हैं, आर्थिक रूप से और पर्यावरण की दृष्टि से भी। देश के जंगलों की कीमत खरबों रुपये आंकी गई है। ये भारत के सकल राष्ट्रीय उत्पाद से तो कम है लेकिन कनाडा, मेक्सिको और रूस जैसे देशों के सकल उत्पाद से ज्यादा है। इसके बावजूद यहां रहने वाले आदिवासियों के जीवन में आर्थिक दुश्वारियां मुंह बाये खड़ी रहती हैं। आदिवासियों की विडंबना यह है कि जंगलों के औद्योगिक इस्तेमाल से सरकार का खजाना तो भरता है लेकिन इस आमदनी के इस्तेमाल में स्थानीय आदिवासी समुदायों की भागीदारी को लेकर कोई प्रावधान नहीं है। जंगलों के बढ़ते औद्योगिक उपयोग ने आदिवासियों को जंगलों से दूर किया है। आर्थिक जरूरतों की वजह से आदिवासी जनजातियों के एक वर्ग को शहरों का रुख करना पड़ा है। विस्थापन और पलायन ने आदिवासी संस्कृति, रहन-सहन, खान-पान, रीति-रिवाज और संस्कार को बहुत हद तक प्रभावित किया है, इससे पर्यावरण एवं प्रकृति भी खतरे में जा रही है। गरीबी, अशिक्षा और बेरोजगारी के चलते आज का विस्थापित आदिवासी समाज, खासतौर पर उसकी नई पीढ़ी, अपनी संस्कृति से लगातार दूर होती जा रही है। आधुनिक शहरी संस्कृति के संपर्क ने आदिवासी युवाओं को एक ऐसे दोराहे पर खड़ा कर दिया है, जहां वे न तो अपनी संस्कृति बचा पा रहे हैं और न ही पूरी तरह मुख्यधारा में ही शामिल हो पा रहे हैं। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी अक्सर आदिवासी उत्थान और उन्नयन की चर्चाएं करते हैं और वे इस समुदाय के विकास के लिए तत्पर भी हैं। क्योंकि वे समझते हैं कि आदिवासियों का हित केवल आदिवासी समुदाय का हित नहीं है प्रत्युतः सम्पूर्ण देश, पर्यावरण व समाज के कल्याण का मुद्दा है जिस पर व्यवस्था से जुड़े तथा स्वतन्त्र नागरिकों को बहुत गम्भीरता से सोचना चाहिए। 

विकास के नाम पर कैसा विनाश का खेल खेला जा रहा है, उसका ज्वलंत उदाहरण है मुम्बई की आरे कालोनी। मुम्बई जिस क्षेत्र के कारण सांस लेती है, उसे ही तबाह किया जा रहा है। आरे कालोनी में कार शेड निर्माण क्षेत्र जैव विविधता के लिए खतरा उत्पन्न कर देगा। शिवसेना, कांग्रेस और अन्य दलों का आरोप है कि अधिकारियों ने मुख्यमंत्री को गुमराह किया है कि मिल्क कालोनी के क्षेत्र में केवल चूहे पाए जाते हैं। अक्सर पर्यावरण एवं प्रकृति के प्रश्नों पर सरकार को स्वार्थी लोग इसी तरह गुमराह करते हैं। विकास के लिये पर्यावरण की उपेक्षा गंभीर स्थिति है। सरकार की नीतियां एवं मनुष्य की वर्तमान जीवन-पद्धति के अनेक तौर-तरीके भविष्य में सुरक्षित जीवन की संभावनाओं को नष्ट कर रहे हैं और इस जीती-जागती दुनिया को इतना बदल रहे हैं कि वहां जीवन का अस्तित्व ही कठिन हो जायेगा। प्रकृति एवं पर्यावरण की तबाही को रोकने के लिये बुनियादी बदलाव जरूरी है और वह बदलाव सरकार की नीतियों के साथ जीवनशैली में भी आना जरूरी है।  




liveaaryaavart dot com

(ललित गर्ग)
60, मौसम विहार, तीसरा माला, 
डीएवी स्कूल के पास, दिल्ली-110051
फोनः 22727486, 9811051133

आलेख : पंच तो बनीं सरपंच न बन सकेंगी गैलीबाई

$
0
0
geli-baai-wont-be-sarpanch
यह कहानी है वार्ड पंच गेली बाई की है। गेली बाई राजस्थान के सिरोही ज़िले के रेवदर ब्लाक की पादर पंचायत की वार्ड पंच हैं। गेली का ताल्लुक आदिवासी समुदाय से है और वह मेथीपुरा गांव की रहने वाली हैं। गेली की उम्र 55 वर्ष व उन्होंने तीसरी कक्षा तक शिक्षा हासिल की है। गेली के परिवार में कुल छह सदस्य है व आय का मुख्य साधन खेती है। अपने छोटे से ज़मीन के टुकड़े पर अनाज उपजाने के साथ ही वो खेत मजदूर के तौर पर भी काम करती हैं और महीने के 4000-5000 तक की आमदनी कर लेती हैं जिससे उनके परिवार का जीवन यापन होता है। पादर पंचायत में 7 महिला पंच हैं और महेन्द्र कोली इस पंचायत के सरपंच हैं। 2015 के चुनावों में पंचों की सीटों में से 7 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित थीं। राजस्थान का समाज एक सामन्ती समाज है। इसका असर गेली के गांव समाज में भी उतनी ही तीव्रता से दिखाई पड़ता है। गेली को पंच पद के लिए उम्मीदवारी में शामिल होने के लिए सरपंच ने उसके पति से अनुमति मांगी। गेली बताती हैं कि ‘‘उनके पति और बेेटे ने सोचा कि गेली तो बस नाम भर के लिए ही पंच बनेंगी, काम तो पिता पुत्र ही करेंगे।’’ पंच बनने के चार छह महीने तक तो सरपंच और गांव के लोग उनके पति और पुत्र को ही सूचनाएं भेजते थे, बैठकों में बुलाते थे। किन्तु समय के साथ गेली अपने काम को बहुत अच्छी तरह से समझ गयीं और पंचायत के काम-काज की कमान अपने हाथ में ले ली ।

गेली एक स्थानीय संस्था से जुड़ी हुई हैं। संस्था की कोआॅर्डिनेटर बताती हैं कि  बैठकों में गेली का नाम बुलाया जाता था तो वह जवाब ही नहीं देती थी। जब उन्होंने उनसे इसकी वजह पूछी तो गेली ने बताया कि ‘‘वह तो अपना नाम ही भूल गयी थीं। गांव में तो लोग उन्हें उनके पति की दुल्हन या बेटे की मां के नाम से बुलाते हैं। इस कारण उन्हें उनका नाम ही भूल गया था इसलिए वह पहचान ही नहीं पाती थीं कि यह उनका ही नाम है।’’ गेली बाई पिछले एक दशक से सामाजिक कार्यों में रूचि लेकर काफी अच्छा काम कर रही हैं। न सिर्फ बाल विवाह, बालिका शिक्षा जैसे सामाजिक मुद्दों पर अपने समुदाय के लोगों की समझ को साफ करने में वह सक्रिय हैं, बल्कि अपने वार्ड की समस्याओं पर भी उनकी लगातार नज़र रहती है। गेली ने अपने वार्ड की सड़क को ठीक कराया और अपने यहां पानी की समस्या को भी सुलझाया। गांव के लिए फंड लाने का काम करना हो तो गेली उसमें भी आगे रहती है।ं गेली बाई की गिनती ब्लाॅक के सक्रिय पंचायत सदस्यों में होती है जिन्होंने हमेशा से महिलाओं व बालिकाओं के हित के लिए कार्य किया है। इस बार गेली बाई ने साहस के साथ काम लेते हुए पादर और भटाणा पंचायत की सात अवैध शराब की दुकानों को बंद करा दिया। गांव में पिछले कई वर्षो से शराब की लत पुरूषों को जकड़े हुए थी जिसकी वजह से महिलाएं शारीरिक हिंसा व मानसिक प्रताड़ना का शिकार हो रही थीं। पिछले कुछ वर्षोें में इसकी वजह से कई लोग मौत का शिकार हुए। धीरे धीरे गांव के छोटे बच्चे भी इसकी गिरफ्त में आने लगे। 

इस मामले में गेली बाई ने महिलाओं से बात की और उन्हें समझाया कि हम शराबबंदी के खिलाफ आवाज़ उठाएंगे। ऐसे ही बैठे रहे तो हमारे पूरे परिवार उजड़ जाएंगे। हालांकि शुरूआत में इस अभियान के लिए महिलाओं को एकजुट करने में गेली बाई को खासी परेशानी हुई पर अंत में पंचायत की सारी महिलायें इस अभियान में गेली बाई के साथ आ गईं।  महिलाओं ने गेली बाई के नेतृत्व में एकजुट होकर शराब की दुकान के बाहर शंतिपूर्वक प्रदर्शन किया। गेली बाई के साथ इस प्रदर्शन में महिला वार्ड पंचों के अलावा तीन दर्जन से अधिक महिलाएं व स्कूली बच्चे शामिल थे। इन सभी ने मिलकर शराब की दुकान को खुलने नहीं दिया। इस पर भी प्रशासन ने कोई कदम नहीं उठाया बल्कि स्थानीय चैकी से पुलिस भेज दी। पुलिस ने महिलाओं के साथ दुव्र्यवहार किया। महिलाओं को जब कुछ होता नज़र नहीं आया तो सारी महिलाओं ने गेली बाई के नेतृत्व में ब्लाॅक के आबकारी विभाग व एसडीएम कार्यालय पहुंचकर शराबबंदी के खिलाफ नारेबाज़ी की और ज्ञापन सौंपे। इस पर आबकारी अधिकारी व एसडीएम ने एक सप्ताह की मोहलत मांगी और कहा कि एक सप्ताह में हम शराब की दुकान बंद करा देंगे। इस पर महिलाओं व गेली बाई ने कहा कि यदि एक सप्ताह के भीतर शराब की दुकानें बंद नहीं हुईं तो हम अनिश्चित कालीन धरना देंगे। एक सप्ताह बीतने के बाद भी प्रशासन के वादे का कुछ नहीं हुआ। अंत में महिलाओं ने परेशान होकर वापस एसडीएम कार्यालय के सामने धरना दिया और कहा कि अब हम तभी उठेंगे जब शराब की दुकानंे मैथीपुरा से हटा दी जाएंगी। महिलाओं की इस जिद को देख एसडीएम, आबकारी थानाधिकारी, एमएलए, तहसीलदार ,सांसद स्वयं धरना स्थल पर पहुंचे। महिलाआंे ने उनसे तीन मांगें रखीं जिसमें सबसे पहली मांग थी कि मैथीपुरा से शराब की दुकाने हटायी जाएं। दूसरी मांग थी कि भटाणा चैकी प्रभारी को हटाया जाए। आखिरी मांग थी कि  शराब की दुकान के पास बने होटलों को बंद किया जाए। धरना प्रदर्शन व इसके पीछे छिपे बड़े कारण के महत्व को देखते हुए सांसद ने तुरंत पादर और भटाणा की अवैध शराब की दुकान बन्द करवायीं। इसके अलावा मैथीपुरा शराब की दुकान के पास चल रहे होटल को बंद करवाया। मैथीपुरा की दुकान को बंद कराने के लिए 15 दिन का समय मांगा क्योंकि वह दुकान वैध थी। साथ ही साथ भटाणा चैकीप्रभारी को वहां से हटया दिया।

गेली बाई ने हिम्मत, रणनीति और नीतिगत तरीके से अपनी लडाई लड़ी व सफलता हासिल की। गेली बाई मैथीपुरा की दुकान को बंद कराने को लेकर सांसद के ज़रिए दिए गए 15 दिन पूरे होने का इंतजार कर रही हैं। अभी भी वह समय-समय पर जाकर शराब की दुकानों की जांच करती हंैं। गेली बाई और उनके साथ इस लड़ाई का हिस्सा बनी महिलाआंे को पंचायत के लोग धन्यवाद देते है कि उनके इस अथक प्रयास से आसपास की अवैध शराब की दुकानें बंद हो गयी। स्थानीय शासन में महिला सक्रियता का जीता जागता उदाहरण हैं, वार्ड पंच गेली देवी। गेलीबाई अब गांव में अपने नाम से जानी जाती हैं। साहस और सक्रियता में वह लोगों के लिए उदाहरण हैं। पंच के पद पर सारा काम समझने के बाद अब वह सरपंच पद के लिए चुनाव में भाग लेने की इच्छुक हैं। किन्तु ऐसे में एक पंच के तौर पर सफल होने के बाद भी शायद वह सरपंच पद की यात्रा न कर पायें। हालांकि पादर की सीट अभी महिला सीट नहीं है पर यदि 2020 के चुनावों में यह महिला सीट होती है तो भी गेली शायद इस चुनाव में भाग न ले पायें क्योंकि वह चुनावों में प्रतिभाग करने के लिए शिक्षा की आवश्यक शर्त को पूरा नहीं करती हैं। राज्य में सरपंच पद की उम्मीदवारी के लिए आठवीं पास शैक्षिक योग्यता अनिवार्य है। आठवीं पास न होने की वजह से पंचायत को एक अनुभवी और परिश्रमी उम्मीदवार से महरूम होना पड़ेगा और गेली को अपने अधिकार से। 





(अर्जुन राम)

विशेष : न्यायिक समीक्षा के बहाने एट्रोसिटी एक्ट की न्यायिक हत्या।

$
0
0
  •  HRD के राष्ट्रीय प्रमुख डॉ. पुरुषोत्तम मीणा ने राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजा


liveaaryaavart dot com
*हक रक्षक दल (HRD) सामाजिक संगठन की ओर से राष्ट्रपति के नाम 'न्यायिक समीक्षा के बहाने अजा एवं अजजा अत्याचार निवारण अधिनियम, 1989 की सुप्रीम कोर्ट द्वारा की गयी न्यायिक हत्या के विरुद्ध संज्ञान लेने के संबंध में ज्ञापन।'*
................
हक रक्षक दल (HRD) सामाजिक संगठन (भारत सरकार की विधि अधीन दिल्ली से रजिस्टर्ड राष्ट्रीय संगठन R. No.: ROS/North/452/2015), राष्ट्रीय प्रमुख का कार्यालय: 7 तंवर कॉलोनी, खातीपुरा रोड, जयपुर-302006, राजस्थान







ज्ञापन-पत्र , दिनांक: 31.03.2018





प्रतिष्ठा में,

राष्ट्रपति, भारत सरकार, राष्ट्रपति भवन, नयी दिल्ली-110001

विषय: न्यायिक समीक्षा के बहाने अजा एवं अजजा अत्याचार निवारण अधिनियम, 1989 की सुप्रीम कोर्ट द्वारा की गयी न्यायिक हत्या के विरुद्ध संज्ञान लेने के संबंध में ज्ञापन।

संदर्भ: अजा एवं अजजा अत्याचार निवारण अधिनियम, 1989 को निष्प्रभावी करने के मकसद से भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित निर्णय दिनांक: 20.03.2018

माननीय महोदय,

उपरोक्त विषय एवं संदर्भ में आपका ध्यान आकृष्ट करके आपको अवगत करवाया जाता है कि संसद द्वारा अधिनियमित कानूनों की न्यायिक समीक्षा करना और सभी कानूनों का सही से क्रियान्वयन करवाना न्यायपालिका का अधिकार और दायित्व दोनों है। यह भी सर्वविदित है कि भारत में जन्मजातीय आधार पर हजारों सालों से जारी दुराशय पूर्वक विभेद और उत्पीड़न को रोकने के लिये संसद द्वारा अधिनियमित अजा एवं अजजा अत्याचार निवारण अधिनियम, 1989 के सम्पूर्ण प्रावधान, आज तक भारत के किसी भी राज्य में अधिनियम के प्रावधान के अनुसार लागू नहीं किये गये।

          1. इसके बावजूद भारत की न्यायपालिका द्वारा स्वयं संज्ञान लेकर, इस विधिक अवज्ञा के लिये किसी भी सरकार को इसके लिये जिम्मेदार या दोषी नहीं ठहराया गया।
          2. इसके ठीक विपरीत बिना स्वतंत्र और आधिकारिक आंकड़ों के अजा एवं अजजा अत्याचार निवारण अधिनियम, 1989 के दुरुपयोग को आधार बनाकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा न्यायिक समीक्षा के नाम पर इस अधिनियम के प्रावधानों को इस प्रकार से बदल दिया गया, जिससे कि उत्पीड़ित को नहीं, बल्कि अत्याचार करने वालों को संरक्षण मिल सके।

          3. आपको ज्ञात है कि अजा एवं अजजा के हितों से सम्बद्ध संवैधानिक और कानूनी प्रावधानों की न्यायपालिका द्वारा 1950 से संकीर्ण और नकारात्मक व्याख्या की जाती रही हैं। जिन्हें निष्प्रभावी करने के लिये संसद को अनेकों बार संविधान में संशोधन करने पड़े हैं। जिससे वंचित वर्गों के प्रति न्यायपालिका के संकीर्ण और नकारात्मक न्यायिक दृष्टिकोण की हकीकत उजागर और प्रमाणित हो चुकी है।

          4. आपको ज्ञात है कि न्यायपालिका के उपरोक्त दृष्टिकोण की मूल वजह है-अनुच्छेद 16 (4) की अनदेखी करके सरकार द्वारा न्यायपालिका में अजा एवं अजजा वर्गों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित नहीं किया जाना है। 20 मार्च, 2018 को पारित उपरोक्त न्यायिक निर्णय भी इसी बात का प्रमाण है कि न्यायपालिका द्वारा वंचित वर्गों के हितों की नकारात्मक और संकीर्ण व्याख्या लगातार जारी है।

          5. आपको ज्ञात है कि 20 मार्च, 2018 को पारित उपरोक्त न्यायिक निर्णय के मार्फत वंचित वर्गों को कानून के संरक्षण से महरूम कर दिया गया है। साथ ही जातीय विभेद तथा उत्पीड़न करने की मानसिकता के लोगों को मनमाने अपराध करने की खुली छूट मिल गयी है।

          6. आपको ज्ञात है कि न्यायिक समीक्षा के आधार पर किसी कानून को बदलना न्यायपालिका के अधिकार से बाहर है। इसके बावजूद भी सुप्रीम कोर्ट ने न्यायिक समीक्षा के बहाने सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुनाया गया निर्णय अजा एवं अजजा अत्याचार निवारण अधिनियम, 1989 की न्यायिक हत्या के समान है।

          7. जिस देश में सामान्य अपराधियों के विरुद्ध रिपोर्ट नहीं लिखना आम बात है, वहां सदियों से उत्पीड़ित तथा विभेद के शिकार करोड़ों लोगों को, उन्हीं उत्पीड़कों के रहमो-करम पर छोड़ देना, जो हमेशा से अन्याय करते रहे हैं, यह न्यायशास्त्र के मौलिक सिद्धांतों और प्राकृतिक न्याय का मजाक है। इन हालातों में अजा एवं अजजा वर्गों में शामिल हजारों समुदायों के करोड़ों लोग संसार के सबसे बड़े लोकतंत्र में निसहाय, निरीह और अत्याचारियों के रहमो-करम पर जीने को विवश हो जायेंगे। जिससे उनका लोकतंत्र से विश्वास उठ सकता है।

आग्रह एवं अपेक्षा
उपरोक्तानुसार वंचित वर्गों से जुड़े तथ्यों और जमीनी हालातों से अवगत करवाते हुए, वंचित वर्गों के हितों के लिये सेवारत हक रक्षक दल (HRD) सामाजिक संगठन के देशभर में सेवारत लाखों समर्थकों, सहयोगियों तथा सदस्यों की ओर से आप से विशेष आग्रह और उम्मीद है कि आप भारत के राष्ट्रप्रमुख एवं संविधान के सर्वोच्च संरक्षक के रूप में आपकी सरकार को आदेश जारी करके अजा एवं अजजा अत्याचार निवारण अधिनियम, 1989 के बारे पारित न्यायिक निर्णय को उचित संवैधानिक प्रक्रिया के जरिये लागू होने से अविलम्ब रुकवाकर संविधान एवं इंसाफ की गरिमा को कायम रखकर वंचित वर्गों की लोकतंत्र में अटूट आस्था तथा संवैधानिक विश्वास को जिंदा रखेंगे।



भवदीय
(डॉ. पुरुषोत्तम मीणा)
राष्ट्रीय प्रमुख
हक रक्षक दल (HRD) सामाजिक संगठन

आचार्य दिव्यानंद सूरी के सानिध्य में मीडिया संगठन चलाएगा राष्ट्र स्तरीय गौ संरक्षण अभियान

$
0
0
  • गौ संरक्षण प्रकोष्ठ के नगर, जिला, संभाग, प्रदेश सहित राष्ट्र स्तरीय कार्यकारणी हो गठन एवं सदस्य्ता जारी

acharya-divyanand-suri
कोलकाता : मीडिया और समाज को एक दूसरे का पूरक मैंने वाले वरिष्ठ पत्रकार स्व. अशोक जी लुनिया द्वारा संस्थापित आल मीडिया जर्नलिस्ट सोशल वेलफेयर एसोसिएशन के संस्थापक द्वारा ४ दशक से प्रयासरत गौ संरक्षण मुद्दे को पुनः अस्तित्व में लेन हेतु मीडिया संगठन संस्थापक समिति द्वारा जीवदया प्रेमी जैन गुरु आचार्य शांति सूरीश्वर जी महाराज के सम्प्रदायवर्ती जैनाचार्य दिव्यानंद सूरीश्वर महाराज निराले बाबा के सानिध्य में गौ संरक्षण प्रकोष्ठ का गठन कर गौ वंश को राष्ट्रिय धरोहर बनाने की मांग को तेज गति प्रदान कर दिया है. संस्थापक सदस्य एवं भूतपूर्व राष्ट्रिय अध्यक्ष विनायक अशोक लुनिया ने बताया की वर्तमान राष्ट्रिय अध्यक्ष सचिन कासलीवाल, संस्थापक सदस्य एवं भूतपूर्व राष्ट्रिय उपाध्यक्ष आदित्य नारायण बैनर्जी के सहमति के साथ संगठन में नए प्रकोष्ठ का गठन देश की शान और मनुष्य को माँ के दूध के बाद जीवन देने वाली गौ माता को संरक्षण देने के लिए बनाया गया है. इस प्रकोष्ठ का नाम गौ संरक्षण प्रकोष्ठ रखा गया है जिसमे गौ वंश को राष्ट्रिय धरोहर का दर्जा प्रदान करने के लिए सरकार से मांग करना एवं गौ वंश के आवास हेतु गौ शालाओं को आर्थिक मजबूती प्रदान करने हेतु योजनाओं का संचालन करना मुख्य मुद्दा होगा. श्री लुनिया ने आगे बताया की इस पुरे कार्य को जैनाचार्य युवा संत जीवदया प्रेमी सरल स्वभावी आचार्य दिव्यानंद सूरीश्वर जी महाराज निराले बाबा के संरक्षण में किया जायेगा. और जल्द ही आचार्य श्री के सानिध्य में देश व्यापी आंदोलन शुरू किया जायेगा. 

लोकसभा दिनभर के लिए स्थगित, नहीं लाया जा सका अविश्वास प्रस्ताव

$
0
0
loksabha-adjourned-for-whole-day
नई दिल्ली 5 अप्रैल, लोकसभा में बजट सत्र के आखिरी दिन से एक दिन पहले भी हंगामे के कारण विपक्षी सांसदों द्वारा दिए गए अविश्वास प्रस्ताव के नोटिसों पर चर्चा शुरू नहीं हो सकी। ऐसे में बजट सत्र का दूसरा चरण हंगामे की भेट चढ़ता नजर आ रहा है। अब तक गतिरोध खत्म होने के संकेत नहीं दिख रहे हैं। इस बीच, संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने सदन को बाधित करने के लिए कांग्रेस को फिर दोषी ठहराया और घोषणा की कि सत्तारूढ़ पार्टी व सहयोगी पार्टियों के सांसद सदन में जिस दिन कामकाज नहीं हुआ, उन दिनों का वेतन नहीं लेंगे। सुबह 11 बजे सदन की बैठक शुरू होने के दो मिनट बाद ही हंगामे के चलते लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी। लोकसभा की कार्यवाही 12 बजे जब फिर शुरू हुई तो अन्नाद्रमुक (एआईएडीएमके) के सांसद व अन्य सांसद हाथों में तख्तियां लिए अध्यक्ष के आसन के सामने एकत्र हो गए और 'हमें न्याय चाहिए'के नारे लगाने लगे। कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि विपक्ष चर्चा चाहता है। खड़गे ने संसदीय कार्य मंत्री के बयान का जिक्र करते हुए कहा, "हम चर्चा करना चाहते थे..ऐसा मत कहिए कि कांग्रेस चर्चा करना नहीं चाहती।" विपक्ष के अन्य नेताओं ने खड़गे का समर्थन करते हुए कहा कि वे चर्चा में भाग लेना चाहते हैं।अनंत कुमार ने कांग्रेस को दोषी ठहराते हुए कहा, "यदि सदन में कामकाज नहीं हो रहा है..तो इसके लिए कांग्रेस, सोनिया गांधी व राहुल जिम्मेदार हैं।" उन्होंने कहा, "हम 23 दिनों का वेतन नहीं ले रहे है। यह जनसेवा है और यह जनता का पैसा है।" अनंत कुमार के बयान के दौरान कांग्रेस के सदस्यों ने खूब शोरगुल किया। इसके बाद लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने एक बार फिर अविश्वास प्रस्ताव लाने की कोशिश की। हंगामा जारी रहने के बीच अध्यक्ष ने कहा कि वह यह गणना करने में असमर्थ है कि कितने सांसद प्रस्ताव के समर्थन में हैं और सदन को दिन भर के लिए स्थगित कर दिया। यह बजट सत्र का अंतिम सप्ताह है। बजट सत्र 29 जनवरी को शुरू हुआ था और 9 फरवरी को अवकाश के बाद सत्र 5 मार्च को फिर शुरू हुआ था। यह छह अप्रैल (शुक्रवार) को समाप्त होगा।

Viewing all 74203 articles
Browse latest View live


Latest Images