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दरभंगा के पोलो मैदान से माले महासचिव के नेतृत्व में आरंभ हुई पदयात्रा.

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  • लड़के लेंगे जनअधिकार, होगा दंगामुक्त बिहार’ के संकल्प के साथ दरभंगा से जनअधिकार पदयात्रा आरंभ.
  • विक्रमगंज के जत्थे का नेतृत्व कर रहे काॅ. अरूण सिंह.

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दरभंगा 25 अप्रैल 2018, ‘लड़के लेंगे जनअधिकार, होगा दंगा मुक्त बिहार’ के संकल्प व ‘भाजपा भगाओ-बिहार बचाओ’ के आह्वान साथ आज लहेरियासराय (दरभंगा) के ऐतिहासिक पोलो मैदान से ‘भाजपा भगाओ-बिहार बचाओ’ जनअधिकार यात्रा आरंभ हुई. दरभंगा से चलकर माधोपुर, बोचहां, मुजफ्फरपुर, कुढ़नी, सराय और हाजीपुर होते हुए मजदूर दिवस 1 मई को पटना के गांधी मैदान में आयोजित ‘जनअधिकार महासम्मेलन’ में शामिल होने जा रहे हजारों पदयात्रियों को माले महासचिव काॅ. दीपंकर भट्टाचार्य ने विदा किया. मौके पर भाकपा-माले के राज्य सचिव कॉ. कुणाल, माले पोलित ब्यूरो के सचिव व मिथिलांचल प्रभारी कॉ. धीरेंद्र झा, केंद्रीय कमेटी के सदस्य कॉ. संतोष सहर, दरभंगा जिले के सचिव कॉ. बैद्यनाथ यादव तथा आर के साहनी, लक्ष्मी पासवान, सत्यनारायण मुखिया, जमालुद्दीन, सदीक भारती, शिवन यादव, नन्दलाल ठाकुर, रामाशीष साह आदि समेत जिले के वरिष्ठ माले भी इस अवसर पर मौजूद थ ‘पोलो मैदान से गांधी मैदान’ तक होनेवाली इस पदयात्रा में शामिल होने के लिए रविदास सेवा संघ के सचिव बलिराम राम व रणजीत राम, बेदारी कारवां के नेता नजरे आलम व प्रो.राहत अली, एआइपीएफ के नेता रि. कर्नल लक्ष्मेश्वर मिश्रा, इंसाफ मंच के राज्य उपाध्यक्ष नियाज अहमद व मोहम्मद इम्तेयाज भी स्थानीय पोलो मैदान पहुंचे. वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. अजित कुमार चैधरी, डॉ. शब्बीर अहमद, प्रो.हृषिकेश झा, प्रो. सुरेंद्र प्र. सुमन, प्रो. रामबाबू आर्य, सेवानिवृत अधिकारी धनेश्वर यादव, वरिष्ठ अधिवक्ता प्रेमचन्द सिन्हा, साहित्यकार शंकर प्रलामी, प्रो. अवधेश कुमार सिंह (प्राचार्य, कला महाविद्यालय) आदि ने भी इस मौके पर पोलो मैदान पहुंचकर फूल-मालाओं के साथ जनअधिकार यात्रा में शामिल होनेवाले पदयात्रियों का स्वागत गर्मजोशी भर स्वागत किया.

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अखिल भारतीय किसान महासभा, अखिल भारतीय ग्रामीण व खेत मजदूर सभा (खेग्रामस), ऐपवा, ऐक्टू, आइसा, इंकलाबी नौजवान सभा, बिहार राज्य रसोइया संघ के सैकड़ों कार्यकर्ता व नेता भी अपने झंडों-बैनरों के साथ जनअधिकार पदयात्रा में शामिल हुए. सुबह 9 बजे सैकड़ों पदयात्रियों, शहर के गणमान्य नागरिकों व पत्रकारों की मौजूदगी में यात्रा की शुरूआत व अगुवाई करते हुए काॅ. दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि भाजपा ने देश व बिहार केा जिस संकट में डाल दिया है, वहां अब उसको भगाने के सिवा कोई रास्ता नहीं बचा है. वह देश में उन्माद-उत्पात का पर्याय बन गई है और देश व उसकी जनता पर चैतरफा हमला कर रही है. आधार कार्ड के नाम पर गरीबों को राशन नहीं दिया जा रहा है और लोग भूखे मरने को विवश हैं. बेरोजगारी की दर लगातार बढ़ रही है, लेकिन प्रधानमंत्री बेरोजगारों को पकौड़ा बेचने की सलाह दे रहे हैं. बिहार से लेकर पंजाब तक आज किसान आत्महत्यांए कर रहे हैं. बैंकों की स्थिति नोटबंदी के दिनों से भी बुरी है. विजय माल्या और नीरव मोदी जैसे लोग आम जतना का पैसा लेकर विदेश भाग गए हैं. बैंक खाली पड़े हैं. लोगों को अपने ही पैसे के लिए लाइन में लगना पड़ रहा है. महिलाएं सुरक्षित नहीं है और बच्चियों के साथ बलात्कार करने वालों का भाजपा बचाव कर रही है. महिलाओं व दलितों पर हमले लगातार बढ़ रहे हैं.

उनहोंने कहा कि भाजपा एक तरफ देश को हिंदू-मुसलमान के नाम पर बांटने की कोशिश कर रही है, देश में दंगा-फसाद फैलाकर जनता के उठ रहे आक्रोश को दिगभ्रमित कर देना चाहती है, तो दूसरी ओर अमरीकी-ब्रिटिश आकाओं के निर्देश पर चल रही है. उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि इसके खिलाफ जनता सड़कों पर आए और बिहार व देश से भाजपा को भगाने के अभियान में एकजुट हो. देश जिस कठिन दौर से गुजर रहा है, उसमें बिहार नया रास्ता दिखलाएगा और चोर दरवाजे से बिहार की सत्ता हथियाने वाले डाकुओं को भगाना होगा तथा लोकतंत्र के लिए अमन-भाईचारा का राज कायम करने के लिए आगे आना होगा. विक्रमगंज से निकलने वाली यात्रा का नेतृत्व पूर्व विधायक अरूण सिंह कर रहे हैं. यात्रा में हजारों की संख्या में मजदूर-किसान, महिलायें शामिल हैं. हाथों में लाल झंडा, माथे पर कलेवा और मन में गजब उत्साह लिए यात्रियों का जत्था पटना की ओर कूच कर गया है.

जमशेदपुर : एम्.जी.एम् अस्पताल का लिफ्ट ख़राब,परेशानी में आई सी यू सी सी यू मरीज

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आर्यावर्त डेस्क,जमशेदपुर 25  अप्रैल,2018 , जमशेदपुर ,पूर्वी सिंहभूम ज़िले के सबसे बड़े अस्पताल की खामियां कम होने का नाम नहीं ले रही हैं.कुव्यवस्था का आलम यह कि विगत कई दिनों से आई सी यू ,सी सी यू  तक जाने वाली लिफ्ट ख़राब पड़ी हुई है परन्तु अस्पताल प्रबंधन मरीजों की परेशानी से अनजान बना हुआ है. गंभीर रूप से बीमार मरीजों को परिजन किसी तरह से आई सी यू या सी सी यू तक ले जा रहे हैं,इस दौरान न सिर्फ मरीज परेशानी झेलते हैं बल्कि परिजन भी काफी दिक्कतों का सामना कर रहे हैं. इस सन्दर्भ में अस्पताल अधीक्षक भारतेन्दु भूषण ने पूछने पर इस संवाददाता को बताया कि जल्दी ही लिफ्ट की समस्या दूर कर दी जाएगी हालाँकि उन्होंने इसे बड़ी परेशानी मानने से इंकार किया. हमारे संवाददाता ने पाया कि लिफ्ट के नीचे पानी का जमाव हो गया है, जिसे निकालने में वक़्त लग सकता है.अगर समय रहते स्वयं अस्पताल प्रबंधन संज्ञान लेता तो मरीजों को इतनी दिक्कतों का सामना नहीं करना होता.

बिहार : डेढ़ साल के बाद भी शुद्ध जल मयस्सर नहीं

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  • सफेद हाथी बना है जलापूर्ति केंद्र, कामास्थान, बाल्थी और तीनधरिया 

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कटिहार. जिले के अधिकारियों व ठेकेदारों के बीच में है मिलीभगत. इसके कारण नहीं देते हैं तवज्जों सीएम नीतीश कुमार के सात निश्चय को. खबर है कि समेली प्रखंड में 1 और कुर्सेला प्रखंड में 2 जलापूर्ति केंद्र निर्माण हो गया है.मगर डेढ़ साल के बाद भी स्टार्ट नहीं किया जा सका है.इसके कारण लोगों को शुद्ध पेयजल मयस्सर नहीं हो पा रहा है. इस क्षेत्र लोग आयरनयुक्त पानी पीने को बाध्य हैं. मजे की बात है सफेद हाथी बन गए इन जलापूर्ति केंद्रों की देखभाल सह ऑपरेटर के रूप में वंदे को बहाल कर लिया गया है.मगर शख्स को पगार के रूप में ठेंगा थमा दिया जा रहा है. इस संदर्भ में समेली प्रखंड के बकिया ग्राम पंचायत में रहने वाले व वार्ड नम्बर- 12 के वार्ड सदस्य बहादुर ऋषि कहते हैं कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सात निश्चय योजना को अधिकारी व ठेकेदार मिलकर मिट्टी में मिलाने का काम कर रहे हैं. इस योजना के तहत कामास्थान के पास जलापूर्ति केंद्र निर्माण किया गया है. बिजली नहीं रहने के कारण सौर उर्जा से जलापूर्ति केंद्र चलाने की व्यवस्था की गयी है.वहीं जल भंडारण करने के लिए दो जगहों पर सिमेंटेट जल भंडारण करने की पक्की व्यवस्था है. इस जल भंडारण का संयोजन हर घर नल का जल के पाइपों से कर दिया गया है. उन्होंने आगे कहा कि जलापूर्ति केंद्र की देखभाल सह ऑपरेटर के रूप में  बाजाप्ता सुनील कुमार मंडल को बहाल किया गया है.जलापूर्ति केंद्र की देखभाल सह ऑपरेटर के रहते गेट को तोड़ दिया है.एक गेट को ले भाग गया. मौके पर मौजूद सुनील कुमार मंडल कहते हैं कि पटना में जाकर ऑपरेटर पद का साक्षात्कार दे आया हूं. बहाल ऑपरेटर सुनील कुमार मंडल कहते हैं कि जलापूर्ति केंद्र का निर्माण कार्य संपन्र हो गया है.आजकल में स्टार्ट होगा,कहते-कहते डेढ़ साल गुजर गया.इस बीच केवल एक बार मशीन को स्टार्ट करके टेस्ट किया गया था. टेस्टिंग सफल रहा. इसके बाद डेढ़ साल से मशीन बंद है.अब मशीन के बारे में अल्लाह जाने क्या होगा? 

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इस पर वार्ड नम्बर-12 के पूर्व वार्ड सदस्य रामलाल ऋषि कहते हैं कि यह जलापूर्ति केंद्र तो सफेद हाथी बन गया है.इन लोगों ने मिलकर सीएम नीतीश कुमार के कुशल शासन -प्रशासन को दागदार करने का काम किया है. आगे कहते है कि बकिया मुसहरी  पश्चिमी टोला में शुरूआती दौर में डायरिया से 15 लोग मर गये. सभी दूषित पानी,दूषित भोजन व दूषित वातावरण की चपेट में आ गए थे. हां जानलेवा डायरिया बन गया. इसकी चपेट में ही आकर दम तोड़ दिये.किसी को भी कबीर अंत्येष्ठी योजना से लाभ नहीं मिला.फिलवक्त मुसहरी में 15 चापाकल है. 5 सरकारी है और 10 व्यक्तिगत है.पिछले 4 साल से डायरिया नहीं हो रहा है.यह वार्ड सदस्य बहादुर ऋषि का कहना है.साफ-सफाई पर खासा जानकारी दी गयी.स्वच्छ भोजन व पेयजल लेने पर बल दिया गया. कुर्सेला प्रखंड में है पंचायत उत्तरी मुरादपुर. इस पंचायत की वार्ड न.8 की वार्ड सदस्य हैं तेतरी देवी. वार्ड सदस्य तेतरी देवी कहती हैं गांव बल्थी, महेशपुर टोला में  स्थित है महादलित मुसहर टोला.इस समुदाय के टोला में 400 से अधिक घर है.इनको शुद्ध मुहैय्या करवाने के लिये जलापूर्ति केंद्र निर्माण किया गया है.इस केंद्र के ऊपर जल भंडारण की व्यवस्था है. 5 हजार लीटर पानी भंडारण करने वाली  सिंटेक टैक है. इसके बगल में सौर उर्जा प्लेट है.बिजली की व्यवस्था है.विशेष तौर ट्रॉसफार्मर भी लगाया है. मौके पर मौजूद हैं जलापूर्ति केंद्र की देखभाल व ऑपरेटर नितेश पासवान .वे केंद्र में ही बेड डाल रखे हैं.आराम फरमाते हैं. उपस्थिति बुक भी रखे हैं.  श्री पासवान कहते हैं कि 12 से जलापूर्ति केंद्र की निगरानी कर रहे हैं. यहां पर 2 अश्व शक्ति की 2 मशीन लगी है. स्टार्टर 21 दिसम्बर 2017. अभी तक मीटर के अनुसार 28.63 लीटर ही पानी सिंटेक में गया है.ऑपरेटर कहते हैं कि मुसहरी टोला के 110 घरों में हर घर नल का जल का पाइप का समायोजन कर दिया है. मगर पाइप में टॉटी नहीं लगायी है. पिछले दिनों टोला में निर्मित हवाई महल में बैठक की गयी.इसमें कम्युनिटी बेस ऑर्गनाइजेशन (सीबीओ) बनाकर सरकार के अधिकारियों पर दबाव बनाने निश्चय किया गया.इस बैठक की भनक मिलते ही पाइप में टॉटी लगाकर चालू करने की कवायद तेज है.बावजूद,इसके कार्यारंभ नहीं है. इसी तरह का हाल तीनधरिया में भी है.लोग शुद्ध पानी पीनेे को बेताब हैं.अभी तो आयरनयुक्त पानी पी रहे हैं.

सीहोर (मध्यप्रदेश) की खबर 25 अप्रैल

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आंगनवाडी केन्द्रों के संचालन में समय परिवर्तन 

वर्तमान में प्रदेश में भीषण गर्मी को देखते हुए जिले के समस्त आंगनवाडी केन्द्रों में आने वाले बच्चों के स्वास्थ्य एवं उनकी सुविधा को देखते हुए आंगनवाडी केन्द्रों का संचालन का समय प्रात: 8 से दोपहर 12 बजे तक कर दिया गया है। कलेक्टर श्री तरूण कुमार पिथोडे के निर्देशानुसार आंगनवाडी केन्द्रों पर अब बच्चे प्रात: 8 से 12 बजे तक एवं दोपहर 12 बजे से दोपहर 2 बजे तक आंगनवाडी कार्यकर्ताओं व्दारा गृहभेंट / अभिलेखों का संधारण किया जाएगा। उक्त समय परिवर्तन 24 अप्रैल,2018 से तत्काल प्रभावशील होगा। इस सिलसिले में जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास सीहोर व्दारा जिले के समस्त परियोजना अधिकारी एकीकृत बाल विकास सेवा सीहोर को निर्देशित कर दिया गया हैं। 

मुख्यमंत्री कल्याणी सहायता योजना प्रारंभ

कलेक्टर श्री तरूण कुमार पिथोडे ने बताया कि मुख्यमंत्री  श्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के साथ मुख्यमंत्री विधवा योजना प्रारंभ की घोषणा के फलस्वरूप प्रदेश की विधवाओं के लिए सम्मान प्रदर्शित तथा शासन की योजना का लाभ आदेश जारी होने के दिनांक से विधवा की जगह कल्याणी कहा जाकर योजना का क्रियान्वयन मुख्यमंत्री कल्याणी सहायता योजना के नाम से आरंभ करने की स्वीकृति प्रदान की गई है। इस सिलसिले में कलेक्टर श्री तरूण कुमार पिथोडे व्दारा जिले के समस्त जनपद पंचायतों के मुख्य कार्यपालन अधिकारी एवं समस्त नगरपालिका / नगर परिषद के मुख्य नगरपालिका अधिकारियों को निर्देशित किया है कि वे राज्य शासन व्दारा जारी दिशा निर्देशानुसार मुख्यमंत्री कल्याणी सहायता योजना के तहत योजनांतर्गत प्राप्त आवेदनों में उल्लेखानुसार मापदण्डों के आधार पर परीक्षण कर पात्रता हेतु योग्य आवेदन दस्तावेज सहित स्वीकृति हेतु उप संचालक सामाजिक न्याय एवं नि:शक्तजन कल्याण सीहोर को भेजना सुनिश्चित करें।  

मदरसों का नवीनीकरण हेतु तिथियां निर्धारित

जिला शिक्षा अधिकारी सीहोर ने बताया कि म.प्र. मदरसा बोर्ड भोपाल व्दारा शिक्षा सत्र 2018-19 में मदरसा नवीनीकरण के ऑन लाईन आवेदन करने की सुविधा एम.पी. ऑनलाइन के पोर्टल के सेवा केन्द्र पर 19 मई,2018 तक उपलब्ध करायी जा रही है। कई वर्षो से नवीनीकरण नहीं कराने वाले मदरसों को भी बोर्ड व्दारा एक मौका दिया गया है। मदरसा संचालक इस समयावधि में निकटतम एम.पी. ऑन लाइन लिमिटेड के पोर्टल के सेवा केन्द्र कियोस्क पर नवीनीकरण हेतु आवेदन कर सकते हैं।

विश्व मलेरिया दिवस पर निकली जनजागरूकता रैली
  • सीएमएचओ ने किया हरी झंडी दिखाकर रवाना

आज विश्व मलेरिया दिवस पर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डाॅ.डी.आर.अहिरवार ने मलेरिया जनजागरूकता रैली को ट्रामा सेंटर से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इस अवसर पर पर सिविल सर्जन सह मुुख्य अस्पताल अधीक्षक डाॅ.ए.ए.कुरैशी,जिला मलेरिया अधिकारी श्रीमती क्षमा बर्वे,सहायक मलेरिया अधिकारी श्रीमती जिला मीडिया सलाहकार श्री शैलेश कुमार,अस्पताल प्रबंधक श्रीमती संजुलता भार्गव सहित मलेरिया विभाग के सुपरवाईजर्स,प्रशिक्षु एएनएम,आशा कार्यकर्ता,आशा सहयोगिनी एवं अन्य विभागीय  कर्मचारी उपस्थित थे। रैली को हरी झंडी दिखाकर रवाना करने के पूर्व हितग्राहियों को संबोधित करते हुए डा.अहिरवार ने कहा आज विश्व मलेरिया दिवस पर विशेष स्लाईड कैम्प का आयोजन किया गया है। डाॅ.अहिरवार ने कहा मलेरिया से बचने के लिए पर्याप्त सावधानी बरतना जरूरी है। घर के आसपास पानी जमा न होने दें। पानी से भरे गड्डों को मिट्टी भर दें। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य  अधिकारी डाॅ.डी.आर.अहिरवार ने बताया आज विश्व मलेरिया दिवस पर जिला मलेरिया अधिकारी के दिशा निर्देशन में जनजागरूता रैली रवाना की गई जो विभिन्न मार्गों,मुख्य मार्गोें, का भ्रमण करते जिला मलेरिया कार्यालय पहुंची जहां रैली का समापन किया गया। बाजार चैक चैराहा पर मलेरिया जनजागरूकता से संबंधित नुक्कड़ नाटक का प्रस्तुतीकरण मलेरिया विभाग के कर्मचारियों द्वारा प्रस्तुत किया  गया। रैली को संबोधित करते हुए सीएमएचओ ने कहा मलेरिया से बचने के लिए मच्छदानी या मच्छरनाशक के इस्तेमाल के बिना घर के बाहर न सोएं। घर के दरवाजों और खिड़कियों पर उपयुक्त जाली का इस्तेमाल करें। डीएमओ श्रीमती क्षमा बर्वे ने कहा घर में रखी पानी जैसे कुओं,तालाब व अन्य जलाशयों में गम्बुसिया मछली डाले यह मछली मलेरिया फैलाने वाले मच्छरों के लार्वा खा जाती है। उन्हांेंने कहा मलेरिया नियंत्रण समाज की सामुहिक जिम्मेदारी है इस पर नियंत्रण केवल सरकारी प्रयास से संभव नहीं है। उन्होंने कर्मचारियों और आशा व एएनएम कार्यकर्ताओं से कहा कि मलेरिया नियत्रण के लिए समाज को भी जागरूक किया जाना जरूरी है। 

सर्वांगीण विकास सभी की सामूहिक जवाबदारी- मुख्यमंत्री श्री चौहान
  • मुख्यमंत्री श्री चौहान द्वारा सीहोर जिले के ग्राम चकल्दी में तेन्दूपत्ता संग्राहकों को 2 करोड़ 72 लाख रूपये का बोनस वितरित

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मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने आज सीहोर जिले के ग्राम चकल्दी में लघु वनोपज संघ द्वारा आयोजित समारोह में दो करोड़ 72 लाख रूपये की राशि तेन्दूपत्ता संग्राहकों के खातों में ई-ट्रांसफर माध्यम से वितरित की । इस अवसर पर ग्राम खजूरी निवासी श्रीमती रामीबाई तथा बनियागांव निवासी श्रीमती केवलीबाई को चप्पल पहनाकर और साड़ी वितरित कर पूरे जिले के तेंदूपत्ता संग्राहकों को जूता-चप्पल वितरण की शुरूआत की । सीहोर जिले में पन्द्रह तेन्दूपत्ता संग्रहण समितियां हैं । तेन्दूपत्ता संग्राहकों की कुल संख्या अड़तालीस हजार से अधिक है । इस अवसर पर आयोजित तेन्दूपत्ता संग्राहकों तथा असंगठित श्रमिकों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि सर्वांगीण विकास तभी संभव है जब सभी सामूहिक जिम्मेदारी की भावना से अपने दायित्वों का निर्वहन करें । प्रकृति प्रदत्त संसाधनों पर सभी का अधिकार है । जो लोग इसका लाभ लेने से वंचित रहे हैं, ऐसे सभी वर्ग के लोगों को आगे आने में सरकार मदद कर रही है । श्री चौहान ने कहा कि सरकार ने असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले श्रमिकों के पंजीयन का कार्य अभियान स्तर पर कराया है । ढाई एकड़ तक की जोत वाले किसानों को भी असंगठित श्रमिक माना गया है । पंजीयन का काम पूरा होने पर पात्र श्रमिकों को सभी योजनाओं का लाभ मिलेगा । मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि अब श्रमिक परिवार की महिला को गर्भधारण करने के 6  माह से 9 माह के बीच चार हजार रूपये की राशि उसके बैंक खाते में डाली जायेगी । प्रसव के पश्चात बारह हजार रूपये की राशि और डाली जायेगी, ताकि जच्चा बच्चा स्वस्थ रहे । मुख्यमंत्री श्री चौहान ने बताया कि इस योजना पर लगभग 16 सौ करोड़ रूपये सालाना खर्च होने का अनुमान है । श्री चौहान ने इस अवसर पर अपील की कि प्रसव सरकारी अस्पताल में करायें तथा जच्चा बच्चा का संपूर्ण टीकाकरण भी आवश्यक रूप से कराया जाये । मुख्यमंत्री श्री चौहान ने स्व-सहायता समूहों को सुदृढ़ बनाने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि स्व-सहायता समूह की सदस्य महिलाएं अपने परिवार की आय बढ़ाने में उल्लेखनीय योगदान दे सकती हैं । शासन की ओर से स्व-सहायता समूहों को सुदृढ़ बनाने के लिये यथासंभव सभी प्रयास किये जा रहे हैं । मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि आगामी चार वर्षों में प्रदेश में सभी पात्र आवासहीनों को पक्के घर उपलब्ध कराये जायेंगे । राज्य सरकार गरीबों को मकान के लिये जमीन और पानी, बिजली जैसी मूलभूत जरूरतों को पूरा करने पर विशेष ध्यान दे रही है । उन्होंने कहा कि श्रमिकों को फ्लेट रेट पर बिजली देने का काम एक अप्रैल से आरंभ कर दिया गया है । इसके पूर्व मुख्यमंत्री श्री चौहान ने चार करोड़ रूपये लागत से बने आई.टी.आई. भवनख्‍ 95 लाख रूपये की लागत से प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र तथा 80 लाख रूपये की लागत के ग्रामीण खेल मैदान का लोकार्पण किया । इस अवसर पर सिलाई कला मंडल के अध्यक्ष श्री सुनील माहेश्वरी, अपेक्स बैंक के प्रशासक श्री रमाकांत भार्गव, वन विकास निगम के अध्यक्ष श्री गुरू प्रसाद शर्मा, वेयर हाउसिंग कारपोरेशन के अध्यक्ष श्री राजेन्द्र सिंह राजपूत, लघु वनोपज संघ के अध्यक्ष श्री महेश कोरी, उपाध्यक्ष श्री रामनारायण साहू, सी.सी.एफ. श्री बी.के.नीमा तथा वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी उपस्थित थे । 

झाबुआ (मध्यप्रदेश) की खबर 25 अप्रैल

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नपा अध्यक्ष एवं सीएमओ का दिल्ली में हुआ ऐतिहासिक सम्मान
  • हुड़को द्वारा आयोजित 48वें अधिवेषन में हुए दोनो सम्मानित

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झाबुआ। हाऊसिंग एंड अर्बन डेवलपमेंट कार्पोरेषन लिमिटेड (हुड़को) द्वारा बुधवार को सुबह साढ़े 10 बजे  भारत पर्यावास भवन, लोधी रोड़ नई दिल्ली में भव्य अधिवेषन का आयोजन किया गया। जिसमें अतिथियों द्वारा नगरपालिका झाबुआ की अध्यक्ष श्रीमती मन्नूबेन डोडियार एवं सीएमओ एमआर निगवाल को मंच पर आमंत्रित कर उनका ऐतिहासिक एवं गरिमामय सम्मान किया गया। इस अवसर पर उनके साथ सब इंजिनियर कमलकांत जोषी भी सम्मानित हुए। जिला कांग्रेस प्रवक्ता एवं नपा पार्षद साबिर फिटवेल ने बताया कि उक्त आयोजित अधिवेषन में अतिथि के रूप में हुड़को के चेयरमेन एवं मेनेजिंग डायरेक्टर तथा बोर्ड आॅफ डायरेक्टर डाॅ. एम रविकांत, होनेबल यूनियन मिनिस्टर हाऊसिंग एंड अरबन अफेयरस के हरदीप एस पुरी और भारत सरकार के सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा (आईएएस) उपस्थित थे। जिनके द्वारा मंच पर बुलाकर नगरपालिका टीम का सम्मान किया गया। ज्ञातव्य है कि यह सम्मान झाबुआ नगर में पेयजल योजना अंतर्गत पाईप लाईन कार्य का सुचारू रूप से संचालन करने के फलस्वरूप नपा को दिल्ली में प्रदान किया गया है, जो पूरे नगर के साथ संपूर्ण झाबुआ जिले के लिए भी गौरव का विषय है।

ऐतिहासिक सम्मान पर दी बधाईयां
उक्त सम्मान पर नपा टीम को सांसद कांतिलाल भूरिया, सांसद प्रतिनिधि एवं जिला कांग्रेस उपाध्यक्ष डाॅ. विक्रांत भूरिया, जिला पंचायत अध्यक्ष सुश्री कलावती भूरिया, जिला कांग्रेस अध्यक्ष निर्मल मेहता, वरिष्ठ कांग्रेस नेता प्रकाष रांका, रमेष डोषी, हेमचंद डामोर, विजय पांडे, नाथुभाई मिस्त्री, जितेन्द्रप्रसाद अग्निहोत्री, जिला युवक कांग्रेस अध्यक्ष आषीष भूरिया, सांसद प्रतिनिधि गौरव सक्सेना, एसएसयूआई जिलाध्यक्ष विनय भाबोर, आदिवासी विकास परिषद् जिलाध्यक्ष विजय भाबोर, नपा उपाध्यक्ष श्रीमती रोषनी डोडियार, अविनाष डोडियार, पार्षदों में पपीष पानेरी, नूरजहां अब्दुल इनायत शेख, शाहनवाज जाकिर कुरैषी, साबिर फिटवेल, नरेन्द्र संधवी, अजय सोनी, रषीद कुरैषी, जितेन्द्र पंचाल, उषा विवेक येवले, शषि धुमा डामोर, कु. आयुषी भाबर, हेमेन्द्र बबूल कटारा, जुवानसिंह गुंडिया, हेलन विवेक मेड़ा, मालू डोडियार, नरेन्द्र राठौरिया, ़ऋषि डोडियार, दीपू डोडियार, रवि डोडियार सहित नपा के समस्त स्टाॅफ द्वारा बधाई दी गई है। 

दशा माता की प्रतिमा का प्राण प्रतिष्ठा समारोह सम्पन्न

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झाबुआ । पुरानी हाउसिंग बोर्ड कालोनी हटीला परिवार के निवास पर विधि विधान से दशा माता देवी की प्राण प्रतिष्ठा समारोह सम्पन्न हुआ इस अवसर पर पांच दिवसीय कार्यक्रम के दौरान दि0 18.4.18 को सुदंरकांड दिनांक 19.04.18 को हेमाद्रि स्नान गणेश स्थापना कलश यात्रा मंडप प्रवेश देव आव्हान अग्निस्थापना दिनांक 20.4.18 को देव पुजन हवन जलाधिवास व दिनांक 21.4.18 को दुर्गापाठ स्थापित देवता हवन  दिनांक 22.4.18 को हवन रथयात्रा 23.4.18 को ध्वजारोहण मुर्ति प्रतिष्ठान माताजी का मायरा पूर्णाहुति भंडारा का आयोजन किया गया। इस अवसर पर बडी संख्या मे श्रदालुजन कार्यक्रम मे उपस्थित हुए। भंडारे के अवसर पर भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष दौलत भावसार भाजपा जिलाध्यक्ष मनोहर सेठिया विधायक शांतीलाल बिलवाल सुनीता फरकुन, लक्ष्मी वर्मा, रंजना साक्यवार, साधना कुमावत,नीना चैहान, महिला मोर्चा नगरअध्यक्ष श्रीमती मयुरी चैहान महामंत्री श्रीमती लीला ब्रजवासी राजाठाकुर विनोद शर्मा एवं श्रीमती संगीता शर्मा अध्यक्ष सहित बडी संख्या मे भाजपा पदाधिकारी भी दर्शनार्थ एवं भंडारे मे सम्मिलित हुए।

किसान खरीफ के लिए खेत तैयार करे, मिट्टी का परीक्षण करवाये

झाबुआ । कृषि विज्ञान केन्द्र झाबुआ द्वारा किसानो को सलाह दी गई है कि आगामी 5 दिवसों में वर्षा नहीं होने एवं मोैसम सामान्य रहने की संभावना है। इस देखते हुए फसल कटाई के बाद खेत की मिट्टी का परीक्षण करवाये एवं खरीफ की फसल के लिए खेत तैयार करे। ग्रीष्मकालीन मूंग, भिण्डी व कददूवर्गीय सब्जियों की खेती की समय पर तुडाई करे। आम में फुदका माहो तथा भभूतिया रोग के नियंत्रण हेतु कार्बोरिल चूर्ण 2 ग्राम तथा 3 ग्राम सल्फेक्स प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिडकाव करे। नीबू की गमोसिस एवं एन्थेकनोज बीमारी की रोकथाम हेतु ब्लाइटाॅक्स या फाइटोलाॅन दवा 2.5 ग्राम/ली का छिडकाव करे।  रसचूसक कीट के नियंत्रण के लिये इमिडाक्लोप्रिड या थायोमिथाक्सिम दवा 0.35-0.45 ग्राम/ली. की दर से छिडकाव करे। टमाटर, भिण्डी,मिर्च, बैगन आदि में प्ररोह एवं फलछेदक इल्ली की रोकथाम के लिए ट्रायजोफास दवा 2.0 मिली/ली का छिडकाव करे। भिण्डी, बैगन एवं हरी मटर, मेथी, पालक, मूली एवं हरी मिर्च की समय पर तुडाई कर ग्रेडिंग कर बाजार में बेचे। ग्रीष्मकालीन सब्जियों एवं टमाटर, रोपित पौध की समय पर की सिंचाई करे। अदरक की परिपक्व फसल की सिंचाई रोक दे व समय पर प्रकंद की खुदाई करे। पशु को कृमिनाशक दवा खिलाए। पशुओं को एच.एस.एफ.एम.डी, व बी क्यू बीमारी से बचाव हेतु टीकाकरण कराए।

विश्व मलेरिया दिवस पर जागरूकता रैली आयोजित

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झाबुआ । आज विश्व मलेरिया दिवस पर कलेक्टर कार्यालय से जागरूकता रैली निकाली गई जिसमें एडीएम पी.एस. चैहान, डिप्टी कलेक्टर प्रिती संघवी एवं सी.एम. एण्ड एच.ओ डीएस चैहान द्वारा हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया। रैली में जिला टीकाकरण अधिकारी डाॅ. राहुल गणावा, जिला मलेरिया अधिकारी श्री दिनेश सिसोेैदिया, जिला विस्तार एवं माध्यम अधिकारी श्रीमती कोमल राठौर, जिला कार्यक्रम अधिकारी श्री आर आर. खन्न आदि मोजूद थे। रैली शहर के मुख्य मार्गो से होती हुई जिला चिकित्सालय पहुॅची।

कैरियर काउंसलिंग के लिए विशेषज्ञो से आवेदन आमंत्रित

झाबुआ । जिला रोजगार कार्यालय झाबुआ/अलीराजपुर में कैरियर काउंसिलिंग योजना अंतर्गत मार्गदर्शन देने हेतु अनुभवी काउंसलर एवं विषय विशेषज्ञो के गेस्ट पेनल के गठन हेतु आवेदन 10 मई तक आमंत्रित किये गये है। इच्छुक आवेदक 10 मई 2018 तक अपने आवेदन पत्र भरकर जिला रोजगार कार्यालय झाबुआ में प्रातः 11.00 से दोपहर 2.00 बजे तक जमा कर सकते है। नामांकित काउंसलरों को निर्धारित दिवसों में काउसिंलिग में आमंत्रित किए जावेगे एवं निर्धारित मानदेय शासन द्वारा दिया जावेगा। आवेदन रोजगार कार्यालय में कार्यरत कर्मचारी, श्री बी.के.सिटोले/ श्री नाथू सिंगाड, सहायक ग्रेड-3 को आवेदन पत्र जमा कर पावती प्राप्त करे। मनोवैज्ञानिक काउंसलर हेतु अनिवार्य योग्यता मनौविज्ञान साइकोलाॅजी में स्नातकोत्तर या पी.जी डिप्लोमा होना अनिवार्य है इनफारमेशन काउंन्सलर हेतु योग्यता मार्गदर्शन के क्षैत्र में अनुभव सहित किसी भी स्टीम में डिग्री/पीजीडिग्री होना आवश्यक है। इच्छुक आवेदक अथ्यर्थी अधिक जानकारी के लिये जिला रोजगार कार्यालय झाबुआ में संपर्क कर सकते है।

टेन्ट,माईक,विद्युत साउण्ड, फ्लेक्स बेनर के लिए निविदा आमंत्रित

झाबुआ । झाबुआ जिले में मुख्यमंत्रीजी के 3 मई को संभावित असंगठित श्रमिकों के सम्मेलन में टेन्ट, माईक, विद्युत साउण्ड व्यवस्था एवं फ्लेक्स बेनर की प्रिंटिग के लिए जिला पचंायत झाबुआ द्वारा 28 अप्रैल 18 को दोपहर 1 बजे तक निविदा आमंत्रित की गई है। अधिक जानकारी के लिए जिला पंचायत कार्यालय में संपर्क करे।

सोनल को मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना में मिला 8 लाख ऋण
  • दुकान खोल 3 अन्य महिलाओं को भी दिया रोजगार

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झाबुआ । प्रदेश सरकार की मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना अपने उददेश्य के अनुरूप गरीब व बेरोजगार महिलाओं को विकास की मुख्यधारा से जोडने का काम कर रही है। आर्थिक तंगी की वजह से जैसे-तैसे घर का गुजारा करने वाली आदिवासी बाहुल्य झाबुआ जिले के पारा की सोनल कोठारी को मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना ने कपडे की दुकान का मालिक बना दिया। सोनल कोठारी को स्वयं का रोजगार स्थापित करने के लिए 8 लाख रूपये ऋण मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजनांतर्गत स्वीकृत हुआ। जिससे उन्होने स्वयं की रेडीमेट कपडे एवं सिलाई की दुकान पारा में डाली और विकास की रफतार पकड ली। चर्चा के दौरान सोनल ने बताया कि उन्हेे मंुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना में 8 लाख रूपये ऋण स्वीक््रत हुआ जिससे उन्होने स्वयं की दुकान डाली, जिससे औसत 1-2 हजार रूपये प्रतिदिन आय हो जाती है । स्वयं का रोजगार स्थापित कर दुकान का मालिक बनाने मे सहयोग करने के लिए शासन एवं मुख्यमंत्रीजी का बहुत बहुत धन्यवाद। सोनल ने बताया कि कपडे की दुकान पर तीन अन्य महिलाओं को भी रोजगार मिला।

साढे पांच लाख से ज्यादा की अवेघ शराब जब्त

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झाबुआ । अवैध शराब के विरूद्ध चलाये जा रहे विशेष अभियान के तहत पुलिस अधीक्षक  झाबुआ, महेश चन्द जैन के निर्देश पर दिनांक 12 अप्रेल 18 को थाना रायपुरिया की टीम द्वारा मुखबिर सूचना पर तूफान जीप क्रमांक एमपी-45, बीबी-1454 से अवैध शराब परिवहन की सूचना पर पुलिस टीम द्वारा नाकाबंदी की जाकर वाहन को रोकने पर वाहन चलाक वाहन को छोड़कर भाग गया। टीम द्वारा वाहन को चेक करते वाहन में ब्लैक फोर्ट बीयर कुल 75 पेटी कुल किमती 1,08,000/-रूपये की अवैध शराब होना पाया गया। अवैध होने पर एवं तूफान जीप क्रमांक एमपी-45, बीबी-1454 को जप्त किया जाकर थाना रायपुरिया में अपराध क्रमांक 96/2018, धारा 34(2) 36,46 आबकारी एक्ट का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया। अन्य प्रकरण में बिना नम्बर की तुफान जीप से 80 पेटी ब्लेक फोर्ट बियर शराब किमती 1,15,200/-रू. व तुफान जीप को जप्त किया गया। थाना रायपुरिया में अपराध क्रं. 97/18, धारा 34(2) 36,46 आबकारी एक्ट का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया। दिनांक 22 अप्रेल 18 को थाना रानापुर की पुलिस टीम द्वारा मुखबिर की सूचना पर अवैध रूप से परिवहन कर आयसर क्रं. जीजे-17 यूयू-4092 से 132 पेटी बियर शराब किमती 1,32,000/-रू. व आयसर वाहन को जप्त कर आरोपी कमलेश, निलेश एवं पवन को गिरफ्तार किया गया। थाना रानापुर में अपराध क्रं. 163/18, धारा 34(2) 36,46 आबकारी एक्ट का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया। दिनांक 25 अप्रेल 18 को मुखबिर की सूचना पर ग्राम धामनी चमना, थाना रानापुर में वाहन क्रं. एमपी-11/जी-2735 से 140 पेटी ब्लेक फोर्ट बीयर किमती 2,10,000/-रू. की जप्त कर दो आरोपी कमलेश पिता दशरथ जायसवाल, निवासी रामखेड़ा एवं पवन पिता जगदीश रावल, निवासी रामखेड़ा को गिरफ्तार किया गया। अवैध होने पर एवं बोलेरो मेक्स वाहन क्रं. एमपी-11/जी-2735 को जप्त किया जाकर थाना राणापुर में अपराध क्रमांक 168/2018, धारा 34(2), 36, 46 आबकारी एक्ट का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया। विगत 15 दिवस में अवैध शराब परिवहन करते 04 वाहनों सहित 5,65,200/-रू. की अवैध शराब जप्त की गई। अभियान लगातार जारी है।

विदिशा (मध्यप्रदेश) की खबर 25 अप्रैल

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कहानी सच्ची है : स्वच्छता का असर दिखा गांव में

मध्यप्रदेश जन अभियान परिषद के माध्यम से संचालित पाठ्यक्रमों के माध्यम से सामुदायिक नेतृत्व का छात्रों में विकसित करने हेतु अध्यापन के साथ-साथ प्रायोगिक जानकारी के लिए क्षेत्र कार्य सौंपे जा रहे है।कुरवाई विकासखण्ड के ग्राम मथुरापुर जारोली के छात्र जीवन अहिरवार के द्वारा अपने गांव में जन सहभागिता से किए गए कार्यो का असर अभी भी गांव में देखा जा सकता है। नेतृत्व क्षमता के तहत जीवन अहिरवार ने सबसे पहले ग्रामवासियों को जोड़ा और उन्हें साफ-सफाई के महत्व से अवगत कराया और होने वाले फायदो के साथ-साथ जल संरक्षण के कार्यो का नेतृत्व करते हुए ग्रामवासियों के सहयोग से कराए जिसका असर गांव में स्पष्ट परलिक्षित हो रहा है। ग्रामवासियों का कहना है कि जन अभियान परिषद की प्रस्फुटन समिति ने गांव के हेण्डपंपों को जीवनदान दिया है जहां पहले फरवरी, मार्च मंे हैण्ड पंपों का जल स्तर गिरने से बंद हो जाते थे वे अब अपै्रल में भी चल रहे है। गांव का कचरा इधर-उधर पडा रहता था। अब गांव में घूरे देखने नही मिल रहे है। सभी के द्वारा खाद के लिए नाडेप टांका का उपयोग किया जा रहा है। 

शासकीय दायित्व के साथ-साथ मददगार बनी ई-गवर्नेंस

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जिला ई-गवर्नेंस के द्वारा आॅन लाइन शासकीय कार्याे पर नजर रखी जा रही है विभागांे केा आॅन लाइन कार्यो के सम्पादन में होने वाली दिक्कतों का भी त्वरित निदान किया जा रहा है विदिशा जिला ई-गवर्नेंस में पदस्थ सहायक ई-गवर्नेंस प्रबंधक श्री जीशान अली खाॅन ने शासकीय दायित्वों के साथ-साथ सामाजिक सरोकार का निर्वहन करते हुए बिछडी वायोवृद्व श्रीमती सुकी बेवा को अपने परिजनों से मिलाने मंे सफलता हासिल की है। श्रीमती सुकी बेवा अपने गांव वालो के साथ विगत एक माह पूर्व अजमेर घूमने के उद्वेश्य से गई थी जहां वे अपने गांव वालो से बिछड गई। भटकते हुए कुछ दिन पूर्व विदिशा जिले के बासौदा बस स्टेण्ड, सड़क पर बेसुध होकर भटक रही थी ऐेसी स्थिति में महिला एवं बाल विकास विभाग को सूचना दी गई और विभाग के अधिकारी ने कलेक्टर के संज्ञान मंे लाया। कलेक्टर द्वारा श्री हरिवृद्वाश्रम में रखवाने का कार्य किया। सुकी बेवा की पहचान जानने के लिए बाॅयोमीट्रिक्स के आधार पर पता लगाने के लिए जिला ई-गवर्नेंस कार्यालय लाया गया। किन्तु वृद्व महिला अपने बारे में कुछ भी नही बता पाई। ऐेसे समय जीशान अली की जागरूकता ने बिछड़ी वृद्वा को अपने परिजनों से मिलाने का कार्य किया। जीशान अली बताते है कि सोशल साइट के माध्यम से महिला के जिला गोलपारा असम के शासकीय फेसबुक पेज पर पोस्ट की गई जो असम राज्य के विभिन्न जिलो मंे वायरल होने पर तुरंत असम के गोलपारा जिला प्रशासन एवं महिला के परिजनों द्वारा जीशान अली से सम्पर्क किया गया। तत्पश्चात जीशान अली द्वारा वीडीयो काॅलिंग के माध्यम से संबंधित वृद्वा की पहचान उनके परिजनों से कराई गई। वायोवृद्व सुकी बेवा के पुत्र श्री अब्दुल कलाम अपनी मां को लेने के लिए गोलपारा से प्रस्थान कर चुके है। ई-गवर्नेंस के सहायक प्रबंधक के द्वारा किए गए सामाजिक सरोकार के कार्य की चहुंओर चर्चा है। वृद्वा को अपने परिवारजनों से मिलाने की आत्म संतुष्टि जीशान के चेहरे पर दिख रही है। 

लक्ष्य प्राप्त हुआ

मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत पिछडा वर्ग के 32 का भौतिक लक्ष्य जिले को प्राप्त हुआ है कि जानकारी देते हुए पिछडा वर्ग तथा अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के सहायक संचालक श्री एएस कुरैशी ने बताया कि लक्ष्य प्राप्ति हेतु अभी से संबंधितों से आवेदन एवं दस्तावेंज प्राप्त किए जा रहे है। पिछडा वर्ग तथा अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के द्वारा संचालित मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के लिए वित्तीय वर्ष 2018-19 अंतर्गत पिछडा वर्ग के 32 हितग्राहियों को लाभांवित करने का लक्ष्य प्राप्त हुआ है इन वर्गो के बेरोजगार युवक-युवतियां जो अपने स्वंय का रोजगार स्थापित करने के इच्छुक है वे निर्धारित प्रपत्र में आवश्यक दस्तावेंजो सहित अपने आवेदन दो प्रतियों में तीस जून तक कलेक्टेªट परिसर में संचालित पिछडा वर्ग तथा अल्पसंख्यक कल्याण कार्यालय में कार्यालयीन दिवसों अवधि में जमा कर सकते है। 

वार्षिकोत्सव 27 को

जवाहर नवोदय विद्यालय का वार्षिकोत्सव समारोह कार्यक्रम 27 अपै्रल की सायं सात बजे से आयोजित किया गया है। उक्त कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कलेक्टर श्री अनिल सुचारी होंगे। इसके अलावा कार्यक्रम में पुलिस अधीक्षक श्री सम्पत उपाध्याय, जिला पंचायत सीईओ श्री दीपक आर्य तथा जवाहर नवोदय विद्यालय भोपाल इकाई के डिप्टी कमिश्नर श्री सीपी राव विशिष्ट अतिथि होंगे।

केन्द्रीय विदेश राज्यमंत्री का दौरा कार्यक्रम

केन्द्रीय विदेश राज्यमंत्री श्री एमजे अकबर 29 अपै्रल को विदिशा आएंगे। प्राप्त दौरा कार्यक्रम अनुसार 29 अपै्रल रविवार की पूर्वान्ह दस बजे विदिशा आएंगे और पूर्वान्ह 11 बजे आयोजित कार्यक्रमों में शामिल होंगे। केेन्द्रीय विदेश राज्यमंत्री श्री एमजे अकबर सायं छह बजे विदिशा से भोपाल के लिए प्रस्थान करेंगे। 

241094.18 मैट्रिक टन गेहूं की खरीदी हुई

विदिशा जिले के 136 उपार्जन केन्द्रों पर अब तक 25959 किसानों से 241094.18 मैट्रिक टन गेहंू की खरीदी समर्थन मूल्य पर की जा चुकी है।जिला आपूर्ति अधिकारी श्री मोहन मारू ने उक्त जानकारी देते हुए बताया कि समर्थन मूल्य पर चना उपार्जन का कार्य 47 केन्द्रों पर किया जा रहा है। अब तक 7808 किसानों से 12431.46 मैट्रिक टन तथा 2578 किसानोें से 2694.45 मैट्रिक टन मसूर की खरीदी की गई है। 

आर्थिक मदद जारी

कलेक्टर श्री अनिल सुचारी ने हिट एण्ड रन के दो प्रकरणों में आर्थिक मदद के आदेश जारी कर दिए है। जारी आदेशानुसार सड़क दुर्घटना में ग्राम खमतला विदिशा के गंगाराम की मृत्यु हो जाने पर मृतक की पत्नी श्रीमती जमनाबाई को तथा त्योंदा तहसील के ग्राम बागरोद के प्रकाश की भी सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो जाने पर मृतक की पत्नी श्रीमती गिरिजाबाई लोधी सहित दोनो हितग्राहियों को क्रमशः 15-15 हजार रूपए की आर्थिक मदद जारी की गई है।

बिहार में अमन कायम रहे,मुलाकात कर दुअा की मांग

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पटना। काँग्रेस के बिहार प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल, बिहार प्रदेश काँग्रेस कमिटी अध्यक्ष जनाब कौकब कादरी  एवं विधान पार्षद   प्रेम चंद्र मिश्रा सहित काँग्रेस के वरिष्ठ नेता आज फुलवारी शरीफ खानकाह मुजिबिया पहुँचे जहाँ खानकाह के सचिव हजरत मौलाना मोहम्मद मिन्हाजूद्दीन कादरी मुजीबी ने सबका स्वागत किया साथ ही हुजूर के कमरे में ले गए जहाँ ""मौलाना सैयद शाह मोहम्मद आयतुल्ला कादरी मुजिदी""सज्जादा नशीं खानकाह मुजिबिया फुलवारी शरीफ से मुलाकात कर दुआएं ली गयी।  बिहार सहित पूरे देश मे अमन शांति का माहौल हो, सभी का आपसी भाईचारा बना रहे, सबकी तरक्की हो इसकी दुआ की। इसके पूर्व फुलवारी शरीफ के काँग्रेस जनों ने इमारत-ए-शरीफ पहुँचते ही श्री कादरी, श्री गोहिल, एवं श्री प्रेमचन्द्र मिश्रा सहित काँग्रेसी दल का भव्य स्वागत किया। काँग्रेस के प्रमुख नेताओं में नजमुल हसन नजमी, अजय चौधरी, सरोज तिवारी, मोहम्मद इदरीस, मोहम्मद शहाबुद्दीन, शरीफ अहमद रंगरेज,  उदय शंकर पटेल, सुनील सिंह, श्री अजातशत्रु,  सत्येंद्र बहादुर,  मुकेश दिनकर, राशिद हुसैन ने भी मुलाकात कर दुआयें की।।

दुमका : राष्ट्र कवि दिनकर की पुण्यतिथि पर कवि गोष्ठी का आयोजन

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दुमका (अमरेन्द्र सुमन)  राष्ट्र कवि रामधारी   सिंह दिनकर की पुण्यतिथि के अवसर  पर दिन मंगलवार को  राष्ट्रीय कवि संगम के बैनर तले  कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया।  कार्यक्रम की अध्यक्षता अरुण कुमार सिन्हा ने किया।   उपस्थित कवियों ने  राष्ट्र कवि  दिनकर को श्रद्धा सुमन अर्पित किया। बाद में  काव्य पाठ किया।  अध्यक्ष ने दिनकर जी के काव्य का पाठ किया।  युवा कवि अभिषेक ने बाल उत्पीडन एवं बलात्कार पर मार्मिक कविता प्रस्तुत किया। , विष्णुदेव महतो  ने "कैसे कहूँ की"राष्ट्रभाव की कविता का पाठ किया। गोष्ठी  का संचालन  सौरभ सिन्हा ने किया। माँ एवं दोस्ती पर अपनी भावुक रचना का पाठ किया।  उत्तम  कुमार डे ने "सरहद की मिट्टी से माँ की मूरत"शीर्षक कविता सुनाकर गोष्टि में ऊर्जा का संचार किया, मनोज कुमार घोष ने "दुमका की धरती"कविता का पाठ किया।दुमका इकाई के महासचिव पियूष राज ने आग शीर्षक कविता को सभी ने बहुत ही पसंद किया।अंजनी शरण ने "लड़ता रहूँगा अंत तक"कविता का पाठ किया वहीँ अंजनी सिन्हा जी ने "जिल्दसाज हूँ बेवफा"प्रस्तुत किया और तारीफ बटोरी।केशव सिन्हा ने दिनकर जी के जीवन पर विस्तार से चर्चा की और काव्य पाठ किया।तत्पश्चात संगम के इकाई अध्यक्ष रोहित सिन्हा ने श्रृंगार रस की कविता पाठ कर और कार्यक्रम के अंत में कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे अरुण सिन्हा जी ने अध्यक्षीय संबोधन से कार्यक्रम की समाप्ति हुईं।इस गोष्टि के मासिक आयोजन की प्रतिबद्धता के साथ कविगणों एवं कई श्रोताओं की उपस्थिति थी। गोष्ठी में अरुण कुमार सिन्हा, मनोज घोष,अंजनी सिन्हा, केशव सिन्हा, अंजनी शरण, उत्तम कुमार डे, सौरभ सिन्हा, अभषेक कुमार दुबे, पियूष राज, रोहित अम्बष्ठ,विष्णु देव महतो, एवं अन्य श्रोता उपस्थित थे।

बिहार : समीना खातून ने कहा- मैं खुद घर से भागी थी, रंधीर तो निर्दोष है

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सुपौल।  जीआरपी ने दरभंगा रेलवे स्टेशन से एक महिला को दो साल के बेटा के साथ बरामद किया। जब जीआरपी ने युवती से पूछताछ की तो युवती ने एक बड़ा खुलासा करते हुए कहा कि उसका नाम समीना खातून है।समीना ने बताया कि वह सुपौल जिला के नरपतपट्टी गांव के मो. ताहिर की पुत्री है। जिसके अपहरण की शिकायत रतनपुरा थाना में उनके पिता ने दर्ज करवाया है। अपहरण का आरोप गांव के ही एक पहचान के युवक रंधीर राय पर लगाया है। समीना ने बताया कि उसकी शादी तीन वर्ष पूर्व हुई, लेकिन पति ने उसे छोड़ दिया। जिसके बाद वह अपने मायके आकर अपने माता-पिता के साथ रहने लगी। समीना का कहना है कि उसके मायके वाले हमेशा मारपीट के साथ तरह-तरह के प्रताड़ना करने लगे। उसी क्रम में 10 अप्रैल को फिर से मारपीट करते हुए घर से बाहर निकाल दिया। उसने कहा कि मैं भी रोज-रोज के इस के तरह प्रताड़ना से तंग होकर घर से निकली थी कि रास्ते में मुझे रंधीर मिल गया। मुझे रोता देख, उसने मुझे रोककर सारी बातों की जानकारी ली और मुझे काफी समझाकर घर वापस लौट जाने की बात कहने लगा। काफी देर समझाने के बाद रंधीर, मुझे मेरे घर पर ले जाकर मेरे पिता से कहा कि समीना के साथ आपलोग मारपीट नहीं करे। 

इसपर हमारे मायके वालों के साथ उसकी बहस भी हो गयी और हमारे मायके वाले अंजाम बुरा होने की बात कहकर उसे जाने को कह दिया। जिसके बाद हमारे मायके वाले ने फिर से गाली-गलौज करते हुए मुझे घर से बाहर निकाल दिया। इसके बाद मैं 10 तारीख को ही घर से निकल गई और ये प्रण कर ली की जैसे भी हो मैं जी लुंगी, लेकिन घर लौटकर वापस नहीं जाउंगी और दरभंगा होते हुए मैं मुजफ्फरपुर चली गई। लेकिन जब मैंने आज अपनी चाची से मोबाइल पर बात की तो पता चला कि मेरे अपहरण का केश मेरे पिता ने रंधीर पर कर दिया है। जिसके बाद मैं घर लौट रही थी और पुलिस ने मुझे पकड़ लिया। मेरा अपहरण नहीं हुआ है मैं खुद से प्रताड़ित होकर घर से निकली थी। इधर दरभंगा जीआरपी के सूचना पर देर रात सुपौल जिला की पुलिस पहुंची और समीना को अपने साथ सुपौल ले कर चली गई।  वहीं सुपौल पुलिस के अधिकारी ने बताया कि इसके अपहरण का मामला इसके पिता के द्वारा 15 अप्रैल को दर्ज करवाया गया था। जिस पर अपहरण का आरोप लगाया था वह लड़का भाजपा के सुपौल जिलाध्यक्ष राम कुमार राय का भतीजा रंधीर राय है।

नाबालिग से बलात्कार मामले में आसाराम को उम्रकैद

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जोधपुर, 25 अप्रैल, स्वयंभू बाबा आसाराम को एक नाबालिग लड़की से बलात्कार के मामले में दोषी करार देते हुए अदालत ने आज उसे उम्रकैद की सजा सुनायी। एक साल के भीतर यह दूसरा मामला है जब किसी स्वयंभू बाबा को बलात्कार के मामले में दोषी करार दिया गया है। पिछले साल अगस्त में गुरमीत राम रहीम को भी यौन उत्पीड़न के मामले में दोषी करार दिया गया था। यौन उत्पीड़न, मुख्य तौर पर नाबालिग से बलात्कार करने के बिंदुओं पर जिरह के बाद विशेष न्यायाधीश मधुसूदन शर्मा ने जोधपुर सेंट्रल जेल परिसर में अपना फैसला सुनाया। 77 वर्षीय आसाराम यहां चार साल से अधिक समय से बंद हैं। अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति मामलों की विशेष अदालत ने दो अन्य आरोपियों शिल्पी और शरद को भी दोषी करार दिया और अन्य दो प्रकाश और शिव को रिहा कर दिया। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘अदालत ने आसाराम को उम्रकैद और अन्य दो आरोपियों को 20-20 साल की सजा सुनायी है।’’  इससे पूर्व कड़ी सुरक्षा के बीच जेल परिसर में सजा की अवधि पर जिरह की गई । राजस्थान उच्च न्यायालय ने निचली अदालत को जोधपुर सेंट्रल जेल परिसर में फैसला सुनाने का आदेश दिया था। साबरमती नदी के किनारे एक झोंपड़ी से शुरुआत करने से लेकर देश और दुनियाभर में 400 से अधिक आश्रम बनाने वाले आसाराम ने चार दशक में 10,000 करोड़ रुपये का साम्राज्य खड़ा कर लिया था। आसाराम और शिव, शिल्पी, शरद और प्रकाश के खिलाफ पॉक्सो अधिनियम, किशोर न्याय अधिनियम और भादंवि की विभिन्न धाराओं के तहत छह नवंबर 2013 को पुलिस ने आरोपपत्र दायर किया था। पीड़िता ने आसाराम पर उसे जोधपुर के नजदीक मनाई इलाके में आश्रम में बुलाने और 15 अगस्त 2013 की रात उसके साथ बलात्कार करने का आरोप लगाया था।

उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर की रहने वाली पीड़िता मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा स्थित आसाराम के आश्रम में पढ़ाई कर रही थी। फैसले के बाद पीड़िता के पिता ने कहा, ‘‘हमें न्यायपालिका पर पूरा भरोसा था और हमें खुशी है कि न्याय मिला।’’ उन्होंने कहा कि परिवार लगातार दहशत में जी रहा था और इसका उनके व्यापार पर भी काफी असर पड़ा। फैसले के मद्देनजर जोधपुर जेल के आसपास सुरक्षा कड़ी कर दी गई थी जहां पहले से निषेधाज्ञा लागू है। कानून एवं व्यवस्था बनाए रखने के मद्देनजर केन्द्र ने राजस्थान, गुजरात और हरियाणा सरकारों से सुरक्षा कड़ी करने और अतिरिक्त बल तैनात करने को कहा था। तीनों राज्यों में आसाराम के बड़ी संख्या में अनुयायी हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय का यह परामर्श डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम को पिछले साल अगस्त में बलात्कार के मामले में सजा सुनाए जाने के बाद हरियाणा, पंजाब तथा चंडीगढ़ में बड़े पैमाने पर हुई हिंसा के मद्देनजर भेजा गया था। उस समय हुई हिंसा में 13 लोग मारे गए थे। अदालत ने वर्ष 2002 के बलात्कार के एक मामले में रहीम को 20 साल की सजा सुनाई थी। आसाराम मामले में अंतिम सुनवाई अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति मामलों की विशेष अदालत में सात अप्रैल को पूरी हो गई थी और फैसला 25 अप्रैल तक के लिए सुरक्षित रखा गया था। आसाराम को इंदौर से गिरफ्तार कर एक सितंबर 2013 को जोधपुर लाया गया था और दो सितंबर 2013 से वह न्यायिक हिरासत में है। आसाराम पर गुजरात के सूरत में भी बलात्कार का एक मामला चल रहा है जिसमें उच्चतम न्यायालय ने अभियोजन पक्ष को पांच सप्ताह के भीतर सुनवायी पूरी करने का निर्देश दिया था। आसाराम ने 12 बार जमानत याचिका दायर की, जिसे छह बार निचली अदालत ने, तीन बार राजस्थान उच्च न्यायालय और तीन बार उच्चतम न्यायालय ने खारिज किया।

विशेष : नीतियों की राजनीति में बहिष्कृत हुईं वैशाली

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सतारा जिले के मान ब्लाक के पलशी ग्राम पंचायत की पूर्व सरपंच हैं वैशाली करे । वैशाली करे की उम्र पैंतीस साल है और उन्होंने स्नातक तक की शिक्षा हासिल की है। परिवार में पति, सास के अलावा एक 18 वर्षीय पुत्र को मिलाकर कुल चार सदस्य हैं। परिवार की आय का मुख्य साधन खेती बाड़ी है। वैशाली के परिवार के पास दो हेक्टेयर कृषि जमीन है। वैशाली की खुद की एक छोटी सी कपड़े व आर्टिफिशल ज्वैलरी की दुकान है। खेती व दुकान से होने वाली थोड़ी बहुत आमदनी से उनके परिवार का खर्च चलता है। 2011 की जनसंख्या के अनुसार  पलशी गांव की आबादी 7151 है जिनमें महिलाओं की कुल आबादी 3498 है। 2011 में गांव का साक्षरता दर 61.6 प्रतिशत था जबकि महिला साक्षरता दर 26.6 प्रतिशत था। वैशाली मूलतः सतारा जिले के वदुज कस्बे की रहने वाली हैं। 1999 में जब उनका विवाह इस गांव में हुआ तो उस समय यहां का माहौल बहुत ही संवेदनशील था और लोग यहां आने से डरते थे। यह गांव मारपीट के लिए जाना जाता था। वैशाली खुद भी बेहद सशंकित थीं। इस बारे में वह कहती हैं कि-‘‘जब वह इस गांव में आयीं तो उन्हें हमेशा महसूस होता था कि वह कहां आ गयीं? इस गांव में आपस में मार पीट एक आम बात थी जबकि वह एक बेहद शांत माहौल से आयी थीं। लोगों के विचार व रहन सहन सब कुछ अलग था। वह मानसिक रूप से काफी अशांत और असहज रहीं और इसीलिए विवाह के शुरूआती वर्षों में वह पूना चली गयीं और फिर वहीं से उन्होंने पलशी गांव आना जाना प्रारंभ किया।’’

हालांकि वैशाली के पिता राजनीति में रहे हैं किन्तु वैशाली की राजनीति में कोई खास दिलचस्पी नहीं थी। राजनीति के बारे में उनकी धारणाएं बहुत अच्छी नहीं थीं और इसीलिए इस क्षेत्र में आने का उनका कोई मन नहीं था और न ही कोई इरादा था पर विवाह के बाद जब वह पूना से आकर पलशी रहने लगीं तो उन्हें लगा कि गांव के लिए कुछ करने की जरूरत है। गांव में आते जाते लोगों से मिलते उनको एहसास हुआ कि गांव में कुछ बेहतर लोग भी हैं। केवल कुछ लोगों की वजह से गांव बदनाम था। 2012 के पंचायती राज चुनाव में जब पलशी पंचायत की सीट महिला आरक्षित हुई तो उस समय वैशाली गांव में शहर से आयी सुशिक्षित और एक अलग तरह की महिला के तौर पर जानी जाती थीं। लोग उनसे और उनके विचारों से बहुत अंिधक प्रभावित थे। इसलिए चुनाव का यह मौका आने पर गांव की महिलाओं ने ही उनको प्रेरित किया कि वह चुनाव मंे प्रतिभाग करके पंचायत के स्तर पर गांव के लिए कुछ बेहतर कर सकती हैं। थोड़ी आनाकानी के बाद वैशाली भी राजी हो गयीं। उन्हें भी लगा कि यह सही मौका है गांव में बदलाव और विकास करने का। उन्होंने चुनाव में प्रतिभाग किया। गांव की महिलाओं का उन्हें समर्थन मिला। परिवार वाले शुरूआत में उनके इस फैसले से राजी नहीं थे और वह खुद भी इस बात से सशंकित रहीं कि वो इस जिम्मेदारी को निभा पाएंगी या नहीं पर यहां उनके पति ने उनका साथ दिया और उन्हें प्रेरित किया कि वह जो करना चाहती हैं करें पर इस मौके को हाथ से न निकलने दें। अंत में वैशाली ने चुनाव लड़ने का मन बना लिया।   
            
वैशाली बताती हैं कि चुनाव की सारी प्रक्रियाएं उन्होंने खुद कीं। चुनाव लड़ने के लिए जो भी पेपर्स मांग गए थे वह उनके पास थे और जो नहीं थे वह उन्होंने तहसीलदार आॅफिस से ले लिए थे। वैशाली ने चुनाव प्रचार अपने गांव की कुछ महिलाओं के साथ ही किया और उस दौरान ही वैशाली को यह पता चली कि गांव में पानी और शौचालय दो मुख्य बड़ी समस्याएं हैं। तीसरी समस्या थी कि महिलाएं घर या खेतों में काम करने के सिवाय कभी बाहर नहीं निकलती थीं। वैशाली ने महिलाओं से मिलकर उनकी समस्याओं को सुनकर, हो सके तो उनका हल निकालना शुरू किया। गांव में पानी की बड़ी समस्या थी। मान ब्लॉक में गर्मियों के दिनों में पानी की काफी किल्लत हो जाती है। फरवरी महीने में ही कुओं का पानी सूख जाता हैं। गाँव में टेंकर से पानी भरने को लेकर लोगों के बीच कई बार लड़ाई झगड़ा तक हो जाता है। इस समस्यां से निजात दिलाने के लिए वैशाली ने गाँव के कुओं में टेंकर से पानी भरवाना शुरू किया। कुँए में पानी भरने के बाद गाँव के लोगों के बीच लड़ाई झगड़ा होना बंद हो गया। दूसरी तरफ उन्होंने मान ब्लॉक में चल रहे जल सरंक्षण मुहीम में अपने गाँव को जोड़ा और आज उसकी बदौलत उनके गाँव में दो छोटे चेक डैम बन गए हंै और अभी ऐसे ही 4 और छोटे चेक डैम बनने का काम चल रहा हैं। इन सभी चेक डैम का काम पूरा होने के बाद इसमें बारिश के पानी को सुरक्षित रखा जा सकेगा और जरुरत पड़ने पर किसान इस पानी को खेत में और अपने मवेशियों को पानी पिलाने के काम में इस्तेमाल कर सकते हैं। इस तरह वैशाली ने गांव में पानी की समस्या का समाधान करके गांव का विश्वास जीता मगर खासतौर पर उन्होंने इस काम के माध्यम से महिलाओं का विश्वास जीता। इस तरह उनके प्रयासों व लगातार बातचीत के परिणामस्वरूप धीरे धीरे महिलाएं पंचायत की बैठकों में हिस्सा लेने लगीं। लेकिन यह राह इतनी आसान नहीं थी। भले ही वैशाली ने चुनाव की सभी शत्र्तों को पूरा किया और परिवार ने उनका साथ दिया पर पितृसत्ता के लिए एक स्त्री का नेतृत्व स्वीकार करना मुश्किल था और यहां उनके लिए संघर्ष इंतजार कर रहा था। पलशी गांव में वंजारी समुदाय के लोगों का काफी वर्चस्व है और वह बिल्कुल नहीं चाहते थे कि किसी महिला के हाथ में स्थानीय शासन की बागडोर जाए। गांव के पुरूषों को उनका सरपंच बनना बिल्कुल स्वीकार नहीं था। चुनाव के दौरान ही उन्हें इसके लिए ताने सुनने को मिले कि ‘‘यह कभी गांव में नहीं रही, कभी ग्राम पंचायत का मुंह भी नहीं देखा। ऐसे में यह महिला, सरपंच बनकर क्या करेगी?’’ वैशाली बताती हैं कि उनके सामने तो नहीं पर उनके पीछे लोग ऐसी बातें बोलते थे। अपने तमाम विरोधों के विरोध में वैशाली ने मौन की रणनीति बनाई और काम पर लग गयीं। वैशाली के दौर में पलाशी पंचायत में सात महिला व पांच पुरूष सदस्य थे। महिलाओं की भागीदारी गांव की एक समस्या थी ही। एक सरपंच के तौर पर जब भी वो बैठकों का आयोजन करतीं महिला पंचों की प्रतिभागिता नहीं होती, उसके स्थान पर उनके पति बैठकों में आते। वैशाली ने इसके समाधान स्वरूप महिला पंचों से दोस्ती की और उनके साथ अधिक समय बिताना शुरू किया। क्रमशः पंचायत की बैठकों में महिला पंचों की भागीदारी भी बढ़ी। 

शुरू में वैशाली को और भी विरोध झेलने पड़े। विभाग में काम करने वाले लोगों का कहना था कि आप तो बस हस्ताक्षर करो, बाकी काम हम देख लेंगे। वैशाली को यह स्वीकार नहीं था। उन्होंने ंपंचायत का काम काज देखने वाले ग्राम सेवकों से उनके काम काज के बारे में जानकारी लेना शुरू किया और इस तरह पंचायत के काम काज को समझने लगीं फिर स्वयं निर्णय लेना शुरू किया। हालंाकि उन्होंने सब कुछ सीखा पर पुरुषों का वर्चस्व और दबाव इतना ज्यादा था कि कभी वैशाली रो देती थीं। पर धीरे धीरे उन्होंने इससे भी पार पा लिया। हालांकि सरकारी दफ्तरों में काम करवाने में उन्हें ज्यादा दिक्कतें नहीं आयीं क्योंकि उनके कार्यकाल में उनके विभाग में वरिष्ठ अधिकारी कोई महिला ही थीं इसलिए वहां उन्हें किसी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा। पर गांव पंचायत के स्तर पर वैशाली को पुरुषों के विरोधा का काफी सामना करना पड़ा। पलशी की सीट जो 2012 में ही महिला सीट घोषित हो गयी थी उसमें वैशाली अगला कार्यकाल नहीं ले सकीं। महाराष्ट्र की बिन विरोध पंचायत का सहारा लेकर प्रतिपक्षियों ने स्थानीय राजनैतिक व जातीय समीकरणों के जाल फैलाकर चुनाव की प्रक्रिया को ही नहीं होने दिया और वैशाली के स्थान पर अपने अनुसार काम करने को तैयार किसी दूसरी महिला को सरपंच चुन लिया। वैशाली क्योंकि अपने निर्णय स्वयं लेती थीं और अपने काम खुद करती थीं, इसलिए वह गांव के प्रभुत्वशाली समुदायों की नजर में खटकने लगी थीं और उन्हें हटाने का कोई बहुत साॅलिड कारण भी नहीं था इसलिए पांच वर्षों के बाद पलशी में चुनाव कराये ही नहीं गए और बिन विरोध पंचायत की नीति के तहत वैशाली से चुनावों में प्रतिभाग करने का अवसर छीन लिया गया।





(शिवाजी यादव)

विशेष आलेख : कानून से ज्यादा जरूरी है सोच का बदलना

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बाल यौन उत्पीड़न संरक्षण कानून यानी पॉक्सो में संशोधन संबंधी अध्यादेश को केंद्रीय मंत्रिमंडल और फिर राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई। अब बारह साल से कम उम्र की बच्चियों के साथ बलात्कार करने वालों को मौत की सजा का प्रावधान किया जा सकेगा। प्रश्न है कि अभी तक पाॅक्सो कानून ही पूरी तरह से सख्ती से जमीन पर नहीं उतरा है तो उसे और कड़ा करना क्यों जरूरी है? हमारे देश में कानून बनाना आसान है लेकिन उन कानूनों की क्रियान्विति समुचित ढं़ग से न होना, एक बड़ी विसंगति है। क्या कारण है कि पाॅक्सों कानून बनने के बावजूद एवं उसकी कठोर कानूनी स्थितियों के होने पर भी नाबालिग बच्चियों से बलात्कार की घटनाएं बढ़ रही है। पिछले दिनों उन्नाव, कठुआ और सूरत आदि में नाबालिग बच्चियों के साथ सामूहिक बलात्कार की घटनाएं सामने आईं, तो देश भर से मांग उठी कि पॉक्सो कानून में बदलाव कर नाबालिगों के साथ बलात्कार मामले में फांसी का प्रावधान किया जाना चाहिए। क्या फांसी की सजा का प्रावधान कर देने से इस अपराध को समाप्त किया जा सकेगा? सोच एवं व्यवस्था में बदलाव लाये बिना फांसी की सजा का प्रावधान कारगर नहीं होगा। बाल यौन उत्पीड़न एवं शोषण पर प्रभावी नियंत्रण के लिये जरूरत इस बात की भी है कि ऐसे मामलों की जांच और निपटारा शीघ्र होना चाहिए। इसके लिये सरकार ने पॉक्सो कानून में बदलाव संबंधी अध्यादेश तैयार किया, जिसमें पहले से तय न्यूनतम सजाओं को बढ़ा कर मौत की सजा तक कर दिया गया है। ऐसे मामलों के निपटारे के लिए त्वरित अदालतों का गठन होगा और जांच को अनिवार्य रूप से दो महीने और अपील को छह महीने में निपटाना होगा। निश्चित ही ऐसे और इससे भी सख्त प्रावधान नाबालिगों के बलात्कार एवं पीड़िता के हत्या के मामलों में किये जाने चाहिए, इस दिशा में सरकार की सक्रियता स्वागतयोग्य है।

बच्चियों के साथ बलात्कार एवं दुष्कर्म कोरे दंडनीय अपराध ही नहीं होते, वे समाज के लिए पीड़ादायक भी होते हैं। वे राष्ट्र के लिए लज्जा और गहन व्यथा का विषय भी होते हैं। कानून का कठोर होना अच्छी बात है। कानून का भय होना और भी अच्छी बात है, लेकिन समाज का उदासीन एवं मूकदर्शक हो जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। कोई भी समाज-व्यवस्था या राज्य व्यवस्था कानून के बल पर अपराधमुक्त नहीं हो सकती है। एक आदर्श समाज व्यवस्था के लिये हर व्यक्ति का जागरूक, संस्कारी एवं चेतनाशील होना जरूरी है। संस्कारी मनुष्य के निर्माण में राजव्यवस्था की भूमिका नगण्य होती है, यही कारण है कि कड़े कानूनों की आवश्यकता पड़ती है। जघन्य अपराधों की बढ़ोतरी कोई भी सरकार बर्दाश्त नहीं करती, लेकिन अपराधवृद्धि के तमाम कारणों पर नियंत्रण के लिये सरकार की जिम्मेदारी ज्यादा जरूरी है। इसलिए अपने नागरिकों को उच्चतर जीवन आदर्श देना सरकार की ही जिम्मेदारी है, लेकिन सरकारें अपनी इस जिम्मेदारी से भागती रही है। पॉक्सो कानून कोे सख्ती से लागू किये जाने की ज्यादा आवश्यकता है और उससे भी ज्यादा जरूरत इस बात की है कि इन कानूनों का दुरुपयोग करने वालों के खिलाफ और ज्यादा सख्त कार्यवाही की जाए। समाज के निर्दोष लोगों को अपने स्वार्थों की पूर्ति के लिये इस तरह के फर्जी मामले बनाकर उन पर ये सख्त कानून लागू किये जाने की घटनाएं भी बढ़ रही है। यह स्थिति ज्यादा त्रासद एवं भयावह है। कुल मिलाकर अब समय आ गया है कि हम अपनी सोच बदलें। ऐसे मामलों की शिकायत दर्ज करने और जांचों आदि में जब तक प्रशासन का रवैया जाति, धर्म, समुदाय आदि के पूर्वाग्रहों और रसूखदार लोगों के प्रभाव से मुक्त नहीं होगा, या इस तरह के कानूनों को आधार बनाकर अपने प्रतिद्वंद्वियों को दबाने, धन एठने एवं बदला लेने की भावना से ऐसे फर्जी मामले बनाने की घटनाएं बढ़ती रहेगी, तब तक बलात्कार जैसी प्रवृत्ति पर अंकुश लगाने के लिए मौत की सजा का प्रावधान पर्याप्त नहीं होगा।

निर्भया कांड के बाद बलात्कार मामलों में सजा के कड़े प्रावधान की मांग उठी थी। तब कड़ा पॉक्सो कानून बना। उसमें भी ताउम्र या मौत तक कारावास का प्रावधान है। पर उसका कोई असर नजर नहीं आया है। उसके बाद बलात्कार और पीड़िता की हत्या की दर लगातार बढ़ी है। कुछ लोगों की यह सोच है कि सख्त कानून के बन जाने से बलात्कार जैसे जघन्य अपराध करने वालों के मन में कुछ भय पैदा होगा और ऐसे अपराधों की दर में कमी आएगी, ऐसा नहीं हुआ, क्योंकि यह विसंगतिपूर्ण सोच है। कई विशेषज्ञ मौत की सजा को बलात्कार जैसी प्रवृत्ति पर काबू पाने के लिए पर्याप्त नहीं मानते। उनका मानना है कि चूंकि ऐसे ज्यादातर मामलों में दोषी आसपास के लोग होते हैं, इसलिए उनकी शिकायतों की दर कम हो सकती है। पहले ही ऐसे अपराधों में सजा की दर बहुत कम है। इसकी बड़ी वजह मामलों की निष्पक्ष जांच न हो पाना, गवाहों को डरा-धमका या बरगला कर बयान बदलने के लिए तैयार कर लिया जाना है। यह अकारण नहीं है कि जिन मामलों में रसूख वाले लोग आरोपी होते हैं, उनमें सजा की दर लगभग न के बराबर है। लेकिन दूसरी और यह भी तथ्य देखने में आ रहा है कि देश में इस कानून के अन्तर्गत फर्जी मामले अधिक दायर हो रहे हैं। कुछ मामलों में इस कानून को आधार बनाकर राजनीतिक लाभ भी उठाने की कोशिश हो रही है। उन्नाव और कठुआ मामले में भी इस तरह के स्वर सुनने को मिल रहे हैं। जब कभी हमारे अधिकारों का शोषण होता है, निर्धारित नीतियों के उल्लंघन से अन्याय होता है तो हम अदालत तक पहुंच जाते हैं। परन्तु यदि अदालत भी सही समय पर सही न्याय और अधिकार न दे सके तो फिर हम कहां जाएं? अनेक खौफनाक प्रश्न एवं आंकडे़ ऐसे पीड़ित लोगों से जुड़े हैं, इन हालातों में जिन्दगी इतनी सहम जाती है कि कानून पर से ही भरोसा डगमगाने लगता है।  

मूलभूत प्रश्न है कि समाज एवं शासन व्यवस्था को नियोजित करने के लिये कानून का सहारा ही क्यों लेना पड़ रहा हंै? कानूनमुक्त शासन व्यवस्था पर अधिक ध्यान दिया जाना चाहिए। भारत का मन कभी भी हिंसक नहीं रहा, लेकिन राजनीतिक स्वार्थों के लिये यहां हिंसा को जबरन रोपा जाता रहा है। हमें उन धारणाओं, मान्यताओं एवं स्वार्थी-संकीर्ण सोच को बदलना होगा ताकि इनको आधार बनाकर औरों के सन्दर्भ में गलतफहमियां, संदेह एवं आशंका की दीवारें इतनी ऊंची खड़ी कर दी हैं कि स्पष्टीकरण के साथ उन्हें मिटाकर सच तक पहुंचने के सारे रास्त ही बन्द हो गये हैं। ऐसी स्थितियों में कैसे कानून को प्रभावी ढंग से लागू किया जा सकता है? कानून से ज्यादा जरूरी है व्यक्ति एवं समाज चेतना को जगाने की। समाज के किसी भी हिस्से में कहीं कुछ जीवनमूल्यों के विरुद्ध होता है तो हमें यह सोचकर चुप नहीं रहना चाहिए कि हमें क्या? गलत देखकर चुप रह जाना भी अपराध है। इसलिये बुराइयों से पलायन नहीं, उनका परिष्कार करना जरूरी हैं। ऐसा कहकर अपने दायित्व और कत्र्तव्य को विराम न दें कि सत्ता, समाज और साधना में तो आजकल यूं ही चलता है। चिनगारी को छोटा समझ कर दावानल की संभावना को नकार देने वाला जीवन कभी सुरक्षा नहीं पा सकता। सर्वोच्च न्यायालय ने एक पहल की है कि हम अपनी सोच बदलें। यह जिम्मेदारी केवल अदालतों की नहीं है, पूरी सामाजिक व्यवस्था की है। तीन तलाक के बहुचर्चित प्रसंग के बाद यह बहुत संगत है कि हम अपनी उन प्रथाओं पर भी एक नजर डालें जो कालांतर में कानून बन गईं। समाज एवं राष्ट्र की व्यवस्थाओं में कानूनों के माध्यम से सुधार की बजाय व्यक्ति-सुधार एवं समाज-सुधार को बल दिया जाना चाहिए। व्यक्ति की सोच को बदले बिना अपराधों पर नियंत्रण संभव नहीं है। भारतीय समाज का सांस्कृतिक चैतन्य जागृत करें। सामाजिक मर्यादाओं का भय हो, तभी कानून का भय भी होगा।



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(ललित गर्ग)
60, मौसम विहार, तीसरा माला, 
डीएवी स्कूल के पास, दिल्ली-110051
फोनः 22727486, 9811051133

विशेष आलेख : नर्मदा रिटर्न दिग्गी राजा

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मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह की 6 महीने की निजी और धार्मिक यात्रा का समापन हो गया है इस दौरान उन्होंने मध्यप्रदेश की जीवनदायिनी कही जाने वाली नदी नर्मदा की परिकर्मा पूरी की है. अब वो एक बार फिर से मध्यप्रदेश की राजनीति में लौटने को आतुर नजर आ रहे हैं. यात्रा समापन के तुरंत बाद उनका बयान आया है कि वे राजनेता हैं और इस धार्मिक यात्रा के बाद वे कोई पकौड़ नहीं तलने वाले हैं. दिग्विजय सिंह की राजनीति में वापसी के एलान के बाद से मध्यप्रदेश में राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई है, जहाँ एकतरफ कांग्रेसी उनकी इस  यात्रा की सफलता होने से उत्साहित हैं और उन्हें दिग्विजय सिंह में अपना तारणहार नजर आने लगा है तो दूसरी सत्ताधारी भाजपा उनको साधने की रणनीति बनाने में लग गयी है. बहरहाल अपने  इस बहुचर्चित गैर-सियासी यात्रा से दिग्गी राजा ने अपनी राजनीतिक छवि तो बदला ही लिया है साथ ही इससे उनकी राजनीतिक प्रासंगिकता भी बढ़ गयी है. मध्यप्रदेश छोड़ने के बाद दिग्विजय सिंह केंद्र में सक्रिय थे और वहां उन्होंने अपना खासा दखल बना लिया था, राहुल गांधी के शुरूआती दिनों में एक समय ऐसा भी था का उन्हें राहुल का मार्गदर्शक और यहाँ तक कि राजनीतिक गुरु भी कहा जाने लगा था लेकिन फिर धीरे- धीरे पार्टी में उनका कद लगातार छोटा होता गया,पार्टी के बाहर भी उनकी छवि मुस्लिम परस्त और  बिना सोच समझ कर बोलने वाले नेता की बन गयी.  अपने इस यात्रा से ठीक पहले गोवा में कांग्रेस के सबसे बड़े दल के रूप में उभरने के बावजूद सरकार नहीं बना पाने के कारण वे निशाने पर थे और प्रभारी होने  के नाते सबसे ज्यादा किरकिरी उन्हीं की हुई थी. इसको लेकर पार्टी ही नहीं विपक्षी भी उन्हें निशाना बना रहे थे, मनोहर पर्रिकर ने उनपर तंज कसते हुए कहा था कि,”आप गोवा में आराम से घूमते रहे और हमने सरकार बना लिया”. 

पिछले साल 30 सितंबर को नरसिंहपुर जिले के बरमान घाट से शुरू हुयी नर्मदा परिक्रमा इस साल 9 अप्रैल को बरमान घाट पर ही संपन्न हुयी है जिसमें  वे करीब 3332 किलोमीटर पैदल चले हैं और इस दौरान उन्होंने लगभग सवा सौ से करीब डेढ़ सौ विधानसभा क्षेत्रों को कवर किया है. यात्रा शुरू करने से पहले उन्होंने संकल्प लिया था वे राजनीति से जुड़ी कोई बात नहीं करेंगे जिसे अपने स्तर पर उन्होंने इसे निभाया भी. यही वजह रही कि यात्रा को विशुद्ध रूप से धार्मिक बताने के उनके दावे पर कोई सवाल नहीं उठा पाया.  ऐसा विश्वाश है कि नर्मदा एक ऐसी नदी हैं जिनके दर्शन मात्र से पाप कट जाते हैं इस लिहाज से देखें तो  दिग्विजय सिंह ने तो पूरी ने तो नर्मदा की परिकर्मा ही पूरी कर ली है. इस यात्रा से  उन्होंने अपने अपनी हिन्दू विरोधी नेता की छवि सेपीछा छुड़ा लिया है. आज उनके घोर विरोधी भी उनका गुणगान कर रहे हैं. दिग्विजय सिंह को मध्यप्रदेश की सत्ता से बेदखल करने वाली उमा भारती ने एक चिठ्ठी भेजा है जिसमें उन्होंने नर्मदा यात्रा पूरी करने के लिये उन्हें बधाई देते हुये इससे अर्जित हुए पुण्य में से एक हिस्सा और आशीर्वाद मांगा है. 1993 में विधानसभा चुनाव से पहले बतौर मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दिग्विजय सिंह ने राज्य की यात्रा की थी और हिन्दुतत्व के रथ पर सवार भाजपा को पराजित कर दिया था आज एक बार फिर परिस्थितियां वैसी ही बन रही हैं हालांकि अभी मध्यप्रेश में उनकी कोई सीधी जिम्मेदारी नहीं है लेकिन इसके बावजूद प्रदेश कांग्रेस की राजनीति उन्हें की इर्दगिर्द सिमटती हुई नजर आ रही है. मध्य प्रदेश में इस साल के अंत तक चुनाव होने हैं और आज भी मध्यप्रदेश में दिग्विजय सिंह ही इकलौते  कांग्रेसी नेता हैं नेता हैं जिनकी  पहचान पूर मध्यप्रदेश में है . 2003 में सत्ता से बेदखल होने के बाद उन्होंने अगले दस साल तक  मध्यप्रदेश की राजनीति से दूर रहने की घोषणा किया था आज इस घोषणा के  करीब चौदह साल बीत चुके हैं. हालांकि उन्होंने कहा है कि इसबार वे मुख्यमंत्री  पद के उम्मीदवार नहीं हैं और कांग्रेस को जिताने के लिए पार्टी में फेविकोल का काम करना चाहते हैं, पर साफ दिख रहा है कि उनकी महत्वाकांक्षाएं कुलांचे मार रही है. फिलहाल सबकुछ उनके पक्ष में नजर आ रहा है पार्टी आलाकमान अभी तक यह तय  नहीं कर सका है कि मध्यप्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव किसके नेतृत्व में लड़ा जाएगा. बीच में कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम खूब उछला था लेकिन कुछ तय  नहीं हो पाया. दिग्विजय सिंह की यात्रा से पहले जो अनिश्चितता की स्थिति थी वो आज भी कायम है इसी वजह से यात्रा के समापन के तुरंत बाद ही उन्हें यह दावा जताने का मौका मिल गया कि “प्रदेश में चुनाव के लिहाज से मैं पार्टी का प्रतिनिधित्व करने को तैयार हूँ”. फिलहाल वो बहुत ही सधे हुये तरीके से आगे बढ़ रहे हैं और यह कहना नहीं भूल रहे हैं कि भविष्य में कांग्रेस में उनकी क्या भूमिका होगी यह अध्यक्ष राहुल गांधी ही तय करेंगे. 

नर्मदा परिक्रमा के बाद दिग्विजय सिंह अब मध्यप्रदेश की राजनीतिक परिकर्मा करने की तैयारी में हैं. “एकता यात्रा” के नाम से निकाले जाने वाली इस यात्रा में वे प्रदेश के हर जिले का दौरा करेंगें और अलग-अलग धड़ों में बिखरे कांग्रेसियों को जोड़ने का काम करेंगें. अगर दिग्विजय सिंह अपने कहे के प्रति गंभीर हैं और उनकी यह प्रस्तावित यात्रा वाकई में कांग्रेस को एकजुट  करने के लिये ही है तो फिर इससे मध्यप्रदेश में कांग्रेस की किस्मत बदल सकती है. लेकिन इन सबके बीच  असली पहेली यह है कि वे खुद के लिए क्या चाहते? हालांकि वे साफकर चुके हैं कि उनका इरादा तीसरी बार मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री बनने का नहीं है लेकिन इसके साथ ही आगामी चुनाव के लिये कांग्रेस का चेहरा कौन होगा इसके बारे में वो मौन भी है और साथ ही यह जोड़ना भी नहीं भूल रहे हैं कि “मैं इसका बारे में अपनी पसंद सिर्फ राहुल गांधी  को ही बताऊंगा”. चुनावी साल में दिग्गी राजा की वापसी के बाद प्रदेश कांग्रेस में समीकरण बदलना तय है, आने वाले महीनों में वे अघोषित रूप से ही सही विधानसभा चुनाव में पार्टी का कमान वो अपने हाथ में रखने की हर मुमकिन जतन करेंगें . दिग्विजय सिंह ने अपने परिकर्मा के दौरान पाया है कि कभी साल भर ना सूखने वाली नर्मदा का यह वरदान बहुत तेजी से ख़त्म हो रहा है. लेकिन इसी नर्मदा की परिकर्मा से दिग्विजय सिंह की राजनीतिक जमीन जरूर सिंचित हो गयी है .



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जावेद अनीस 
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javed4media@gmail.com

आलेख : नक्सलवाद को हराती सरकारी नीतियाँ

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24 अप्रैल 2017 को जब "नक्सली हमले में देश के 25 जवानों की शहादत को व्यर्थ नहीं जाने देंगे"यह वाक्य देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था, तो देशवासियों के जहन में सेना द्वारा 2016 में  की गई सर्जिकल स्ट्राइक की यादें ताजा हो गई थीं। लेकिन नक्सलियों का कोई एक ठिकाना नहीं होना, सुरक्षा कारणों से उनका लगातार अपनी जगह बदलते रहना और सुरक्षा बलों के मुकाबले उन्हें  स्थानीय नागरिकों का अधिक सहयोग मिलना, जैसी परिस्थितियों के बावजूद ठीक एक साल बाद 22 अप्रैल 2018,को जब महाराष्ट्र के गढ़चिरौली क्षेत्र में पुलिस के सी-60 कमांडो की कारवाई में 37 नक्सली मारे जाते हैं तो यह समझना आवश्यक है कि यह कोई छोटी घटना नहीं है, यह वाकई में एक बड़ी कामयाबी है। इन नक्सलियों में से एक श्रीकांत पर 20 लाख और एक नक्सली सांईनाथ पर 12 लाख रुपए का ईनाम था। आज सरकार और सुरक्षा बलों का नक्सलवाद के प्रति कितना गंभीर रुख़ है  इससे समझा जा सकता है कि 29 मार्च 2018 को सुकमा में 16 महिला नक्सली समेत 59 नक्सलियों ने पुलिस और सीआरपीएफ के समक्ष आत्मसमर्पण किया। इसी क्रम में पिछले दो सालों में सरकार द्वारा 1476 नक्सल विरोधी आपरेशन चलाए गए जिसमें  2017 में सबसे ज्यादा 300 नक्सली मारे गए  और 1994 गिरफ्तार किए गए। लेकिन इस सब के बीच नक्सलियों का आत्मसमर्पण वो उम्मीद की किरण लेकर आया है कि धीरे धीरे ही सही लेकिन अब इन नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में  सक्रिय नक्सलियों का नक्सलवाद से मोहभंग हो रहा है।

वर्तमान सरकार के गृह मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों में कहा गया है कि उसकी नीतियों के कारण 11 राज्यों के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों की संख्या 126 से घटकर 90 रह गई है और अत्यधिक प्रभावित जिलों की संख्या भी 36 से कम होकर 30 रह गई है। सरकार के अनुसार भौगोलिक दृष्टि से भी नक्सली हिंसा के क्षेत्र में कमी आई है, जहाँ 2013 में यह 76 जिलों में फैला था वहीं 2017 में यह केवल 58 जिलों तक सिमट कर रह गया है। देश में नक्सलवाद की समस्या और इसकी जड़ें कितनी गहरी थी यह समझने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जी का वो बयान महत्वपूर्ण है जिसमें उन्होंने इसे देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए "सबसे बड़ी चुनौती"की संज्ञा दी थी। उनका यह बयान व्यर्थ भी नहीं था। अगर पिछले दस सालों के घटनाक्रम पर नजर डालें तो 2007 में नक्सलियों ने छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में पुलिस कैंप को निशाना बनाया था जिसमें 55 जवान शहीद हो गए थे। 2008 में ओड़िशा के नयागढ़ में नक्सली हमले में 14 पुलिस वाले और एक नागरिक की मौत हो गई थी।2010 में इन्होंने त्रिवेणी एक्सप्रेस और कोलकाता मुम्बई मेल को निशाना बनाया था जिसमें कम से कम 150 यात्री मारे गये थे। 2010 में ही पश्चिम बंगाल के मिदनापुर जिले के सिल्दा कैंप पर हमले में पैरामिलिटरी फोर्स के 24 जवान शहीद हो गए थे। इसी साल छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में अब तक के सबसे बर्बर नक्सली हमले में 2 पुलिस वाले और सीआरपीएफ के 74 जवान शहीद हो गए थे। 2011 में छत्तीसगढ़ के गरियबंद जिले में एक बारूदी सुरंग विस्फोट में एक एसएसपी समेत नौ पुलिस कर्मी मारे गए थे। 2012 में झारखंड के गरवा जिले में नक्सलियों द्वारा किए गए ब्लास्ट में एक अफसर सहित 13 पुलिस वालों की मौत हुई थी। 2013 में छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले की दरभा घाटी में नक्सली हमले में काँग्रेस नेता महेंद्र कर्मा और छत्तीसगढ़ के काँग्रेस प्रमुख नंद कुमार पटेल सहित 27 लोगों की मौत हुई थी। सिलसिला काफी लंबा है।

लेकिन अप्रैल 2017 में जब सुकमा में नक्सलियों ने घात लगाकर खाना खाते हमारे सुरक्षा बलों को निशाना बनाया तो सरकार ने नक्सलियों को मुँहतोड़ जवाब देने का फैसला लिया और आरपार की लड़ाई की रणनीति बनाई जिसमें इस की जड़ पर प्रहार किया। इसके तहत न सिर्फ शीर्ष स्तर पर कमांडो फोर्स और उनके मुखबिर तंत्र को मजबूत किया गया बल्कि नक्सल प्रभावित इलाकों के जंगलों को खत्म करके वहाँ सड़क निर्माण स्कूल एवं अस्पताल, मोबाइल टावर्स, अलग अलग क्षेत्रों में पुलिस स्टेशनों का निर्माण, सभी सुरक्षा बलों का आपसी तालमेल सुनिश्चित किया गया और यह सब हुआ केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के समन्वय से। इसके अलावा मनरेगा द्वारा इन नक्सल प्रभावित आदिवासी इलाकों के नागरिकों को न सिर्फ आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने का अभियान चलाया गया बल्कि विकास कार्यों से उन्हें मुख्य धारा में जोड़ कर उन्हें नक्सलियों से दूर करने का कठिन लक्ष्य भी हासिल किया। जी हाँ, लक्ष्य वाकई कठिन था क्योंकि जब 1967 में पश्चिम बंगाल के नक्सलवाड़ी जिला दार्जिलिंग नामक स्थान से इसकी शुरुआत हुई थी तब चारू मजूमदार और कनु सान्याल जैसे मार्क्सवादियों ने भूस्वामियों की जमीन उन्हें जोतने वाले खेतिहर मजदूरों को सौंपने की मांग लोकर भूस्वामियों के विरुद्ध आंदोलन शुरु किए जिसे तत्कालीन सरकार ने 1500 पुलिस कर्मियों को नक्सलवाड़ी में  तैनात कर कुचलने का प्रयास किया। यही से वंचितों आदिवासियों खेतिहर मजदूरों के हक में सरकार के खिलाफ हथियार उठाने की शुरुआत हुई। धीरे धीरे यह आंदोलन देश के अन्य भागों जैसे ओड़िशा झारखंड मप्र छत्तीसगढ़ महाराष्ट्र समेत देश के लगभग 40% हिस्से में फैलता गया। तत्कालीन सरकारों सुरक्षा बलों और सरकारी अधिकारियों के रवैये से एक तरफ इन इलाकों के लोगों का आक्रोश सरकारी मशीनरी के खिलाफ बढ़ता जा रहा था तो दूसरी तरफ उनका यह क्रोध नक्सलियों के  लिए सहानुभूति भी पैदा करता जा रहा था। स्थानीय लोगों के समर्थन से यह समस्या लगातार गहराती ही जा रही थी। लेकिन यह मोदी सरकार की बहुत बड़ी सफलता है कि अपनी नीतियों और विकास कार्यों के प्रति वह आज इन नक्सल प्रभावित क्षेत्र के लोगों का न सिर्फ विश्वास एवं समर्थन हासिल कर पाई बल्कि उन्हें नक्सलवाद के खिलाफ सरकार के साथ खड़ा होकर देश की मुख्यधारा के साथ जुड़ने के लिए भी तैयार कर पाई। उम्मीद की जा सकती है कि अब वो दिन दूर नहीं जब जैसा कि देश के गृहमंत्री राजनाथ सिंह जी ने कहा कि 2022 तक कश्मीर, आतंकवाद, नक्सलवाद और नार्थ ईस्ट में जारी विद्रोह भारत से पूर्ण रूप से साफ हो जाएगा।




--डॉ नीलम महेंद्र--

भारत में गौ-हत्या पर केन्द्रीय कानून हेतु स्वामी रामदेव जी को ज्ञापन

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  • गौमाता को राष्ट्रमाता घोषित किया जावें

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बांसवाडा-प्रतापगढ ,  पशुकु्ररता निवारण समिति के कार्यकारी सचिव रमेशचन्द्र शर्मा एडवोकेट एवं पतंजली योग समिति के मण्डल प्रभारी लोक अभियोजक तरूणदास बैरागी एवं विश्व हिन्दू परिषद के प्रान्त गौरक्षा प्रमुख भूवन मुकन्द पण्ड्या, ललीत कुमार एवं सुरजभानसिंह आदि गौरक्षको ने पतंजली योग समिति के योग ऋषि स्वामी रामदेव जी को भारत मंे गौहत्या के केन्द्रीय कानून बनाये जाने व गौहत्यारों को फंासी की सजा दिये जाने के मामले में एवं गौमाता को राष्ट्र माता घोषित किये जाने हेतु ज्ञापन पेश किया। पशुकु्ररता निवारण समिति के सचिव रमेशचन्द्र शर्मा ने बताया कि देश में प्रतिदिन लाखों गौवंश की निर्मम हत्या हो रही हैं एवं कुछ राज्यों में धर्म के नाम पर भी गाय की कुर्बानी दी जा रही हैं। जिसके लिये भारत सरकार केन्द्रीय कानून बनाये एवं उसमंे गौहत्या करने वालों के विरूद्ध फंासी की सजा का प्रावधान भारत सरकार के कृषि मन्त्रालय के मांस निर्यात बोर्ड को भंग किया जाकर देश में गौ मंत्रालय की स्थापना हो एवं संविधान के अनुच्छेद 48 के अनुसार राज्यों को गौरक्षा के लिये कानून बनाने का प्रावधान हैं परन्तु अभी तक सशक्त कानून नहीं होने से लाखो गौवंश की निर्मम हत्या हो रही हैं देश में जैविक खेती को बढावा देकर किसानों की आय को दूगुना करने के लिये बैल आधारित जैविक खेती का प्रयोग शुरू किया जावें एवं प्रत्येक जिलें मंे गौरक्षा टास्क फाॅर्स का गठन हो ताकि गौवंश की तस्करी रूके।  देश में लगभग 4 करोड गौवंश बेसहारा सडको पर भूखा प्यासा भटक रहा हैं जिसके पालन हेतु पतंजली योग पीठ प्रत्येक जिले में गौ अभ्यारण्य बनाये जाने का स्वामी रामदेव जी से निवेदन किया हैं। 

विचार : सत्य की विजय हुयी पाप के घड़े का भंडाफोड़

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आसाराम-प्रकरण की टीवी चैनलों पर,अखबारों में,गली-मुहल्लों में,घर-घर में, इधर-उधर सब जगह चर्चा है।साधू-संतों का चूंकि हमारे समाज और हमारी संस्कृति में हमेशा से ही सम्मानीय स्थान रहा है,अतः ‘सन्त’ के आचरण से जुडी कोई भी अनहोनी बात जनता के लिए तुरंत चर्चा का विषय बन जाती है।पांच वर्ष पूर्व आसाराम ने जो दुष्कर्म किया था, उसकी उसको सज़ा मिल गई।सत्य की विजय हुयी और पाप के घड़े का भंडाफोड़ हुआ।दरअसल, आसाराम के अनुयायी अथवा भक्त दो तरह के लोग रहे हैं।एक वे जो सचमुच दीन-दुखी अथवा अभावग्रस्त थे। जिन्हें लगता था की ‘बाबा’ के आशीर्वाद से उनके दुःख दूर होंगे और उनके रुके हुए कारज सिद्ध होंगे।दूसरे वे लोग थे जो साधन-सम्पन्न और अच्छी हौसियत वाले थे, मगर महत्वाकांक्षाएं जिनकी अपार थीं।ऐसे समर्थ और ख्यातिवान भद्र जन भी ‘बाबा’ के पास और समर्थ, और ख्यातिवान बनने के लिए आशीर्वाद पाने के लिए जाते थे।

रिटायरमेंट के बाद मैंने जिस प्राइवेट कॉलेज में प्राचार्य के पद पर सालभर कार्य किया,वहां का एक संस्मरण याद आ रहा है।सटाफ में राजनीतिशास्त्र के एक व्यख्याता आसाराम के परम भक्त थे और आसाराम की तारीफ करते उनकी ज़ुबाँ नहीं थकती थी।आये दिन उनके कार्यक्रमों,सम्मेलनों और आयोजनों में भाग लेने के लिए अपने दस काम छोड़कर चले जाते।आसाराम के श्रद्धालुओं ने स्थानीय स्तर पर जो एक संस्था बनाई थी,उसके वे कुछ ओहदेदार भी थे।मैं उन्हें अक्सर समझाता,इन समागमों में भाग लेने से कुछ नहीं होगा।अपना समय बर्बाद मत करो।मेहनत करो और राजस्थान लोक सेवा आयोग की परीक्षा के लिए तैयारी करो।सरकारी नौकरी का अपना अलग महत्व है।मेरी बात को वे सुन तो लेते मगर यह कहकर वे मुझे संतुष्ट करते कि 'बाबा'चाहेंगे तो सब कुछ हो जाएगा।मेरा उद्धार तो वही करेंगे।उनका आशीर्वाद गलत नहीं हो सकता।यह बात 2004-6 के आसपास की होनी चाहिए।

2014 में वे मुझे कहीं मिले।हताश-मायूस से।तब तक आसाराम भी लांछित हो चुके थे और उनपर मुकदमे चल रहे थे।हमारे इन राजनीतिशास्त्र के व्यख्याता साहब का भी मोह भंग हो चुका था और वे अब मुझ से नज़रे चुरा रहे थे।आखिर वे बोल ही पड़े: 'आप ने मुझे सही राय दी थी।मगर गलती मेरी थी।अंधभक्ति के मारे मेरा विवेक दब गया था।अब कहीं पक्की नौकरी भी नहीं मिल रही।'कहने का आशय यह है कि आसाराम या फिर किसी भी तथाकथित बाबा के यहां जो मजमा देखने को मिलता है,उसके पीछे की प्रमुख वजह अंधभक्तों की मनोकामना-पूर्ति का भाव रहता है।साधू-सन्तों के चक्कर व्यक्ति इसी लिए लगाता है कि शायद उसकी मुराद पूरी हो जाय।बाबा लोग भी व्यक्ति की इस कमज़ोरी का जमकर दोहन करते हैं।



शिबन कृष्ण रैणा
अलवर 

जमशेदपुर : ट्रैफिक नियम तोड़ा तो देखनी होगी 3 घंटे की फिल्म

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आर्यावर्त डेस्क,जमशेदपुर,26  अप्रैल,2018, अब अगर आपने जमशेदपुर में ट्रैफिक नियम का उल्लंघन किया तो आपको फाइन भरने के साथ ही तीन घंटे की फिल्म भी देखनी होगी. जमशेदपुर ट्रैफिक पुलिस उपाधीक्षक विवेकानंद ठाकुर की अगुवाई में यातयात पुलिस ने सड़क यातयात नियमों का उललंघन करने वालों के लिए गांधीगिरी व जुर्माना के अतिरिक्त अब ट्रैफिक नियमों के पालन का सन्देश देती ३ घंटे की फिल्म दखने की पहल की है. पुलिस अधिकारी का मानना है कि पूर्व की अपेक्षा अब लोगों में काफी जागरूकता आयी है और लोग स्वविवेक से नियमों का पालन कर रहे हैं,विशेषकर हेलमेट पहनने वालों की संख्या में इजाफा हुआ है. जमशेदपुर यातायात पुलिस  ने स्कूल कॉलेजों में भी यातयात नियमों की प्रेरणा देती फिल्म दिखाने की पहल की  है. पुलिस का यह अभियान शहर को दुर्घटना रहित बनाने के प्रयास का अंग है.

मधुबनी : सांसद एवम विधायक ने किया तीन सड़क का शिलान्यास

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अंधराठाढ़ी/मधुबनी (आर्यावर्त डेस्क)।गुरुवार का दिन प्रखंड वासीयो के लिए खुशी का दिन था। खुशी का दिन इसलिए महत्वपूर्ण था सांसद और विधायक ने एक साथ तीन सड़कों का शिलान्यास किया। सांसद वीरेंद्र कुमार चौधरी एवं विधायक रामप्रीत पासवान ने  रजनपूरा गाँव में एक करोड़ की लागत से बनने वाली दो किलो मीटर लंबी सड़क का शिलान्यास किया।  दूसरा एक करोड़ 47 लाख रुपए की लागत से बनने वाली  पस्टन से कसमागौड़ तक दो किलो मीटर सड़क का शिलान्यास किया। वही  तीसरी सड़क का शिलान्यास तीन करोड़ 80 लाख रुपये की राशि से बनने वाली सड़क जलसैन नवटोलिया से मैंनी गाँव तक  का किया। इस खास मौके पर रंजन झा ने सांसद बीरेंद्र कुमार चौधरी एवं विधायक रामप्रीत पासवान और स्थानीय मुखिया राजेश कुमार मिश्रा , जिला महामंत्री  महेंद्र पासवान को पाग  दुपट्टे से स्वागत किया। प्रधानमंत्री सड़क योजना के तहत करीब 5 करोड़ 80 लाख रूपये  के लागत से बनने वाली तीन सड़क के शिलान्यास के बाद लोगों को संबोधित करते हुए सांसद वीरेंद्र कुमार चौधरी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी जी विकास को समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाना चाहते हैं। विकास के लिए सुखद और सुरक्षित यातायात जरूरी है। ग्रामीण इलाके में सड़क आदि सुबिधाओं से क्षेत्र के विकास को गति मिलेगी।  सांसद ने बताया कि उनके पहल पर और उनके द्वारा अनुशंसित जलसैन सड़क के बन जाने से इससे जुड़े दर्जनों गांव और लोग विकास की मुख्यधारा से जुड़ जायेंगे। उनके संसदीय क्षेत्र में अब तक का ये 153 वां शिलान्यास व लोकार्पण है।  इस मौके पर विधायक रामप्रीत पासवान ने कहा कि प्रधानमंत्री सड़क योजना और मुख्यमंत्री सड़क संपर्क योजना का अधिकाधिक लाभ इस क्षेत्र के लोगों को दिलाने के लिए प्रयासरत हैं। इस मौके पर स्थानीय मुखिया राजेश कुमार मिश्रा, भाजपा जिला महामंत्री महेन्द्र पासवान,रंजन झा,बौआ झा ,सांसद प्रतिनिधि पंकज चौधरी, उप प्रमुख मोतिउर्रहमान, मंडल महामंत्री रंजन झा, मीडया प्रभारी संजय सिंह, रामगुलाम भंडारी, रामचन्द्र यादव, महिंदर पंडित पंजाब, भोला झा, मनोज कुमार, सतो मंडल, चैतु सदाय, आदि ने शिलान्यास समारोह में शिरकत की।

बिहार : अब गेंद महाधर्माध्यक्ष के पाले में सभी लोगों को बुलाकर बैठक आयोजित करें

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  • हर साल की किचकिच दूर हो

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पटना। पटना महाधर्मप्रांत के  महाधर्माध्यक्ष, सभी पल्लियों के पल्ली पुरोहित , ईसाई मिशनरियों व ईसाई पब्लिक द्वारा संचालित सभी स्कूल के प्रिंसिपल, सभी मिशनरी संस्थाओं  के प्रोविंशियल, सभी धर्मप्रांतों के विकर जेनरल, ईसाई संगठन के प्रतिनिधि तथा ईसाई समुदाय के बुद्धिजीवी लोगों की आवश्यक संयुक्त बैठक हो तथा गंभीरता से शिक्षा तथा अन्य मसलों पर चर्चा कर समाज के हित में उचित निर्णय लिया जाए। अल्पसंख्यक ईसाई कल्याण संघ ने   अफ़सोस जाहिर किया है कि यह सब देखकर। आजतक कभी भी सभी लोगों को बुलाकर इस तरह की कोई बैठक नहीं करायी गयी है।शायद मिशनरियों को ईसाई समुदाय के हित से कोई सरोकार न हो। इस बाबत अल्पसंख्यक ईसाई कल्याण संघ ने सभी ख्याति प्राप्त ईसाई (मिशनरी) विद्यालयों के कर्ताधर्ताओं को मजबूती से यह बताना चाहता है कि हर वर्ष ईसाई बच्चों (विद्यार्थियों) का  मिशनरी स्कूलों में एडमिशन को लेकर परेशानी उत्पन्न होती है। सभी का एडमिशन नहीं हो पाता है। जबकि सर्वप्रथम ईसाई विद्यार्थियों को ही प्राथमिकता देनी चाहिए।जिनका एडमिशन नहीं हो पाता है।उनके लिए स्कूल द्वारा कुछ नकारात्मक कारण बताए जाते हैं। अगर अल्पसंख्यक के नाम पर मिशनरी स्कूल चलाने वाले अपने ईसाई विद्यार्थियों को सहयोग नहीं करेंगे,उन्हें प्रोत्साहित नहीं करेंगे,उनके कमियों को दूर करने में सहयोग नहीं करेंगे,साथ नहीं देंगे,तो फिर वे अल्पसंख्यकों के नाम पर स्कूल चलाने का उद्देश्य कहाँ पूरा कर रहे हैं।हर हाल में ईसाई विद्यार्थियों का नामांकन कर उन्हें प्रोत्साहित कर, कमजोर ईसाई विद्यार्थियों के लिए विशेष व्यवस्था कर योग्य विद्यार्थी बनाने का दायित्व निभाना चाहिए।तभी अल्पसंख्यक के नाम पर विद्यालय खोलने तथा चलाने का मकसद पूरा होगा।यह दलील देना कि ईसाई विद्यार्थी टेस्ट में पास नहीं कर पाए या उनका स्टैंडर्ड ठीक नहीं है या इससे स्कूल की प्रतिष्ठा पर असर पड़ेगा।इस तरह की दलील देना उचित नहीं है।बल्कि यह उनका कर्तव्य है कि हर परिस्थिति में अपने  स्कूल में ईसाई विद्यार्थियों का नामांकन करें ।अगर उनमें से किसी में कुछ कमी रहती है तो उसे दूर करने में सहयोग कर उनके उत्थान में सहयोगी बनें।न कि उनसे दूरी बनाकर उनका त्याग करें।आखिर हमारे मिशनरी स्कूलों में कितने प्रतिशत ईसाई विद्यार्थी पढ़ते हैं? हम उम्मीद करते हैं कि हमारे मिशनरी स्कूल, विशेषकर ख्याति प्राप्त मिशनरी स्कूल अविलम्ब इसपर ध्यान देंगे तथा तिरस्कार या उपेक्षा करने के बजाय अपने ईसाई विद्यार्थियों का शत प्रतिशत नामांकन कर उनके उत्थान पर विशेष ध्यान देंगे।अपने ईसाई विद्यार्थियों पर विशेष ध्यान नहीं देने की वजह से ही ईसाई विद्यार्थी उच्च श्रेणी के व्यक्ति(आई.पी. एस. आई.ए.एस , वकील,डॉक्टर ,प्रोफ़ेसर,इंजीनियर  वगैरह) न के बराबर बन पाते हैं।जबकि गैर ईसाई विद्यार्थी इन्हीं स्कूलों से शिक्षित होकर अच्छे तथा ऊँचे ओहदों पर पहुँच जाते हैं।अतः पुनः अपने मिशनरी स्कूलों से आग्रह है कि समय आ गया है कि अपने ईसाई विद्यार्थियों के शत प्रतिशत नामांकन एवं उनकी उचित शिक्षा पर ध्यान देते हुए उनके व्यक्तित्व को निखारने में सहयोग करें।नहीं तो कहीं ऐसा न हो जाए कि मजबूर होकर भुक्तभोगी लोग सड़क पर उतर कर अपनी आवाज बुलंद करने निकल पड़े।जयदीप का नामांकन संत माइकल हाई स्कूल, दीघा में नहीं होने पर उसके पिता दीपक कुमार ने बताया कि नामांकन नहीं होने पर प्रिंसिपल से मुलाक़ात करना चाहा।परंतु मेरे जैसे साधारण इंसान से  उन्होंने मुलाक़ात करना जरुरी नहीं समझा।क्या एक धर्मगुरु का अपने ईसाई समुदाय के प्रति इस तरह का नकारात्मक तथा उपेक्षित भावना रखना उचित है? अब यह जरुरी हो गया है कि पटना महाधर्मप्रांत के महाधर्माध्यक्ष गंभीर होकर गंभीरता से शिक्षा तथा अन्य मसलों पर चर्चा करने के लिये सामूहिक बैठक बुलाये व  समाज के हित में उचित निर्णय लें।

बिहार : किसान को 70 हजार दिये हैं बदले में 3 साल खेती करने लिये 12 कट्टा खेत मिला

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बकिया.किसान खुद से खेती नहीं करते हैं.किसी को किसान 'भरना'पद्धति से 70 हजार रू.में 3 साल खेती करने के लिये 12 कट्टा खेत दे देता हैं. मगर किसान फसलमारी का मुआवजा भी गटक जाता है.इस साल मक्का में बेहतर ढंग से दाना ही नहीं आया है. ये हाल है बकिया पंचायत के बकिया पश्चिमी मुसहरी टोला में रहने वाले चौकीदार लटकन ऋषि के पुत्र मंटु ऋषि.बताते हैं कि मुसहरी टोला में मंटु ऋषि ही सबसे पहले 2001 में मैट्रिक पास किये.इनका दो पुत्र हैं ज्येष्ठ पुत्र अमीत कुमार हैं मैट्रिक में असफल हो गये .दूसरा समीत कुमार हैं जो 2019 में मैट्रिक की परीक्षा देंगे. मंटु ऋषि कहते हैं कि बहुत कष्ट से मैट्रिक पास किए.पत्नी सुनीता देवी और 2 बच्चों की देखभाल व खर्चा जुटाने के साथ ही पढ़ाई जारी रखें.यह दुर्भाग्य रहा कि मैट्रिक पास होने के विकास मित्र का पद महिला आरक्षण में तब्दील हो गया.टोला सेवक मेरे अजीज मित्र संजीत मेहतर को मिल गया.विकास मित्र व टोला सेवक हाथ में नहीं आने से निराश नहीं हुआ.दो हाथों पर यकीन करके मजदूरी करने लगे.बुंदबुंद की तरह पैसा संग्रह करके 70 हजार रू.किसान को 'भरना'देकर  3 साल के लिये खेत लिये हैं. 'भरना'के बारे में मंटु बतलाते हैं कि मैंने किसान को 70 हजार रू. दिये.उसने 3 साल के लिये 12 कट्टा खेत दिया.अभी 12 कट्टा  में मक्का रोप दिया.अब 6 कट्टा में भदई मक्का और उतने में ही धान रोप देंगे.यह सिलसिला 3 साल तक जारी रहेगा.3 साल के बाद किसान को पेशगी 70 हजार रु.लौटाना है ,अगर किसान पेशगी नहीं लौटाता है तबतक मैं खेती करता रहुंगा.किसान उक्त राशि को व्याज पर ऋण देने में लगाता है.पंजाब व दिल्ली जाने से बेहतर है कि खेती में काम करों.मगर मंटु को अखड़ता है जब फसलमारी का मुअावजा किसान निगल जाता है. नीतीश सरकार ने भूमि सुधार आयोग के अध्यक्ष की अनुशंसा लागू ही नहीं की.खामियाजा भुगत रहे हैं.किसान पुरूषों को ढाई सौ और महिलाओं को डेढ़ सौ मजदूरी देते हैं.
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