Quantcast
Channel: Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)
Viewing all 74180 articles
Browse latest View live

बिहार में बड़ा प्रशासनिक फेरबदल, 45 अधिकारी इधर से उधर

$
0
0
administrative-chqange-in-bihar
पटना 28 अप्रैल, बिहार सरकार ने बड़े पैमाने पर प्रशासनिक फेरबदल करते हुए भारतीय प्रशासनिक सेवा के 45 अधिकारियों का स्थानांतरण एवं पदस्थापन कर दिया है। सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से देर रात जारी अधिसूचना के अनुसार, राज्य के 21 जिलों के जिलाधिकारियों का तबादला कर दिया गया है। भारतीय प्रशासनिक सेवा के 45 पदाधिकारी इधर से उधर किए गए हैं।  भारतीय प्रशासनिक सेवा के 1992 बैच के अधिकारी रवि मनुभाई परमार सामान्य प्रशासन से प्रधान सचिव (पर्यटन विभाग), मयंक वरवड़े (2001 बैच) सामान्य प्रशासन से अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक (बिहार राज्य पुल निर्माण निगम लिमिटेड), डॉ. प्रतिमा सतीश कुमार (2002 बैच) वाणिज्य कर आयुक्त से सचिव (वाणिज्य कर विभाग) , अनुपम कुमार (2003 बैच ) राज्य परिवहन आयुक्त से निदेशक (सूचना एवं जनसंपर्क विभाग), राधेश्याम साह (2005 बैच ) पशुपालन निदेशक को अगले आदेश तक स्वास्थ्य विभाग का अपर सचिव बनाया गया है। अधिसूचना के अनुसार, आदेश तितरमारे (2006 बैच ) समाहर्ता एवं जिला पदाधिकारी भागलपुर से राज्य परिवहन आयुक्त, धर्मेन्द्र सिंह (2006 बैच ) समाहर्ता एव जिला पदाधिकारी मुजफ्फरपुर से निदेशक ( नियोजन एवं प्रशिक्षण श्रम संसाधन विभाग), प्रदीप कुमार (2006 बैच ) निबंधक सहयोग समितियां सहकारिता से संयुक्त सचिव (अभियोजन निदेशालय, गृह विभाग), ईश्वर चंद्र सिन्हा (2006 बैच ) संयुक्त सचिव अभियोजन निदेशालय गृह विभाग से संयुक्त सचिव (गृह विभाग), जय सिंह (2007 बैच ) समाहर्ता एवं जिला पदाधिकारी खगड़िया से निदेशक (भू-अभिलेख एवं परिमाप, राजस्व एवं भूमि सुधार), विनोद सिंह गुंजियाल (2007 बैच ) जिला पदाधिकारी सहरसा से निदेशक पशुपालन, पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग, दिनेश कुमार (2007 बैच ) जिला पदाधिकारी, शेखपुरा को उपभोक्ता संरक्षण खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग का निदेशक बनाया गया है। इसी तरह राजेश्वर प्रसाद सिंह (2007 बैच ) जिला पदाधिकारी कैमूर से निदेशक अर्थ एवं सांख्यिकी, उदय कुमार सिंह (2007 बैच ) जिला पदाधिकारी मुंगेर से अपर सचिव (पर्यटन विभाग), संजय कुमार सिंह (2007 बैच ) अपर सचिव स्वास्थ्य विभाग से प्रबंध निदेशक (बिहार चिकित्सा सेवाएं आधारभूत संरचना विकास निगम), एम रामचन्द्रुडु (2009 बैच ) निदेशक प्राथमिक शिक्षा से अपर सचिव (आपदा प्रबंधन), कौशल किशोर (2010 बैच ) समाहर्ता एवं जिला पदाधिकारी जमुई से संयुक्त सचिव (स्वास्थ्य विभाग), रचना पाटिल (2010 बैच ) जिला पदाधिकारी वैशाली से निबंधक (सहयोग समितियां), राजकुमार (2010 बैच ) जिला पदाधिकारी शिवहर से निदेशक (सामाजिक सुरक्षा समाज कल्याण विभाग), डॉ करुणा कुमारी (2010 बैच ) संयुक्त सचिव स्वास्थ्य विभाग से अपर कार्यपालक निदेशक (राज्य स्वास्थ्य समिति), मिथिलेश मिश्र जिला पदाधिकारी (2011 बैच ) कटिहार को कारा महानिरीक्षक गृह विभाग पटना बनाया गया है। अधिसूचना के अनुसार, अरविंद कुमार वर्मा (2012 बैच ) जिला पदाधिकारी बक्सर से निदेशक प्राथमिक शिक्षा, अमित कुमार (2012 बैच ) जिला पदाधिकारी लखीसराय से संयुक्त सचिव सामान्य प्रशासन, श्रीमती पूनम विशेष सचिव योजना एवं विकास विभाग से जिला पदाधिकारी कटिहार, अनिरुद्ध कुमार अपर सचिव आपदा प्रबंधन विभाग से जिला पदाधिकारी खगड़िया, चंद्रशेखर सिंह अपर सचिव गृह विभाग से जिला पदाधिकारी समस्तीपुर, अरशद अजीज प्रबंध निदेशक बिहार राज्य अल्पसंख्यक वित्तीय निगम से जिला पदाधिकारी शिवहर, शोभेन्द्र कुमार अपर समाहर्ता सहरसा से जिला पदाधिकारी लखीसराय के पद पर भेजा गया है।

इसी तरह मोहम्मद सोहेल जिला पदाधिकारी मधेपुरा से जिला पदाधिकारी मुजफ्फरपुर, प्रणव कुमार जिला पदाधिकारी समस्तीपुर से जिला पदाधिकारी भागलपुर, डॉ रंजीत कुमार अपर सचिव सामान्य प्रशासन विभाग से जिला पदाधिकारी सीतामढ़ी, राजीव रोशन जिला पदाधिकारी सीतामढ़ी से जिला पदाधिकारी वैशाली , अनिमेष कुमार जिला पदाधिकारी रोहतास से जिला पदाधिकारी गोपालगंज, महेंद्र कुमार जिला पदाधिकारी सिवान से जिला पदाधिकारी किशनगंज, राहुल कुमार जिला पदाधिकारी गोपालगंज से जिला पदाधिकारी बेगूसराय, पंकज दीक्षित जिला पदाधिकारी किशनगंज से जिला पदाधिकारी रोहतास बनाया गया है।  अधिसूचना के अनुसार, राघवेंद्र सिंह उप विकास आयुक्त सह मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी जिला परिषद गया से जिला पदाधिकारी बक्सर, योगेंद्र सिंह उप विकास आयुक्त सह मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी जिला परिषद पश्चिम चंपारण बेतिया से जिला पदाधिकारी शेखपुरा, नवल किशोर चौधरी उप विकास आयुक्त सह मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी जिला परिषद सुपौल से जिला पदाधिकारी कैमूर, सुब्रत कुमार सेन उप विकास आयुक्त सह मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी जिला परिषद बिहारशरीफ से जिला पदाधिकारी सारण के पद पर भेजा गया है। इसी तरह, श्रीमती शैलजा शर्मा उप विकास आयुक्त सह मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी जिला परिषद मुजफ्फरपुर से जिला पदाधिकारी सहरसा, धर्मेंद्र कुमार उप विकास आयुक्त मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी जिला परिषद मधुबनी से जिला पदाधिकारी जमुई, नवदीप शुक्ला उप विकास आयुक्त मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी जिला परिषद सहरसा से जिला पदाधिकारी मधेपुरा, आनंद शर्मा उप विकास आयुक्त मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी जिला परिषद भागलपुर से जिला पदाधिकारी मुंगेर जबकि सुहर्ष भगत अनुमंडल पदाधिकारी भागलपुर को पटना सदर का अनुमंडल पदाधिकारी बनाया गया है।

पंचायती राज : संदिग्ध है अविश्वास प्रस्ताव की विश्वसनीयता

$
0
0
panchayti-raaj
हर साल देश भर में 24 अप्रैल को पंचायती राज दिवस मनाया जाता है। यह दिन भारतीय संविधान के 73 वें संशोधन अधिनियम, 1992 के पारित होने का प्रतीक है, जो 24 अप्रैल 1993 से लागू हुआ था। राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस को मनाने की शुरूआत 2010 में हुई थी। महत्वपूर्ण यह है कि यह वर्ष 73 वें संविधान संशोधन की 25 वीं वर्षगांठ भी है। भारत सरकार ने पुनर्गठित राष्‍ट्रीय ग्राम स्‍वराज अभियान को मंजूरी दे दी है और इसका शुभारंभ स्‍वयं माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी राष्‍ट्रीय पंचायती राज दिवस के मौके पर करेंगे। इस योजना की कुल लागत 7255.50 करोड़ रुपए है जिसमें केंद्र का हिस्सा 4500 करोड़ रुपए और राज्य का हिस्सा 2755.50 करोड़ रुपए है। मुख्य कार्यक्रम 24 अप्रैल 2018 को रामनगर जिला मंडला, मध्य प्रदेश में आयोजित किया जाएगा, जहां माननीय प्रधान मंत्री देश के सभी ग्राम सभाओं को सीधे संबोधित करेंगे। पंचायतों को विभिन्न राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार प्रदान किए जाएंगे।
        
इस वर्ष ग्राम पंचायत विकास योजना पुरस्‍कार की शुरुआत की गई है। यह पुरस्‍कार देश भर की सर्वश्रेष्‍ठ योजना बनाने वाली तीन ग्राम पंचायतों को दिया जाएगा। इस वर्ष ग्राम पंचायत विकास योजना पुरस्‍कार की शुरुआत की गई है। यह पुरस्‍कार देश भर की सर्वश्रेष्‍ठ योजना बनाने वाली तीन ग्राम पंचायतों को दिया जाएगा। ई-सक्षमता का पंचायतों द्वारा प्रभावी ढंग से अपनाने और पंचायतों की कार्यवाहियों को पारदर्शी और दक्ष बनाने हेतु विभिन्‍न ई-एप्‍लीकेशनों के प्रयोग करने और प्रोत्साहन के लिए 6 राज्यों को ई-पंचायत पुरस्कार प्रदान किया जा रहा है। राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान का प्रतिपादन सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए किया गया है। 
         
एक ओर तो केंद्र सरकार पंचायतों के विकास के लिए हर संभव कदम उठा रही है। इसके लिए महिलाओं को पंचायत चुनाव में आरक्षण देकर स्थानीय शासन में महिलाओं की भागीदारी को सुनिश्चित किया जा रहा है। वहीं दूसरी ओर पंचायत पंचायत चुनाव में हिस्सा लेने के लिए अलग-अलग राज्या के ज़रिए अलग-अलग नियमावली बनाई गई है जो स्थानीय शासन में महिलाओं की भागीदारी को प्रभावित कर रही है। पंचायत में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए आरक्षण काफी हद तक सफल हुआ है लेकिन किसी-किसी राज्य में इस नियमावली का दुरूपयोग कर महिलाओं की स्थानीय शासन में भागीदारी को प्रभावित भी किया जा रहा है। एक ऐसी ही कहानी है गीता देवी की। 
         
गीता गुजरात के भावनगर ज़िले के सिहोर तालुका के पिपराला ग्राम पंचायत में रहती हैं। गीता के परिवार में कुल सात सदस्य हैं जिसमें उनकी तीन बेटियां व दो बेटे शमिल हैं। तीनों बेटियों की शादी हो चुकी है। गीता आशा वर्कर हैं और उनके पति ड्राइवर हैं। गीता के परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है। गीता के परिवार की आय 9-10 रूपये है। गीता कोली समुदाय से है जो गुजरात में अन्य पिछड़ा वर्ग में आता हैं। गीता ने 2010 में सरपंच का चुनाव लड़ा था किंतु उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। मगर 2016 उन्होंने सरपंच का चुनाव लड़ा व जीत हासिल की। पिपरला ग्राम पंचायत की सीट 2016 में महिला सीट हो गई। 2016 में गीता ने सरपंच के पद पर चुनाव लड़ा व पांच सौ वोटों के भारी अंतर से जीता हासिल की। यह केवल चुनावी जीत नहीं थी बल्कि एक एतिहासिक बदलाव था क्योंकि गीता पिपरला पंचायत की पहली महिला सरपंच बनीं थीं। इससे पहले पिपरला पंचायत में समरस का प्रचलन था। गीता से पहले पंचायत के सरपंच चंदू भाई थे जो समरस के तहत सरपंच चुने गए थे। इस तरह गीता के चयन से पिपरला में समरस परंपरा का अंत हुआ।
      
सरपंच बनने के बाद सबसे पहले गीता ने अपनी पंचायत में राशन डिपो में चल रही धान्धलेबाजी को रुकवाया । उनके गाँव का राशन डिपो वाला गाँव वालों को राशन देने के एवज में दस रूपए की मांग करता करता था। जिसकी वजह से गाँव वाले काफी परेशान थे। गीता ने तालुका पंचायत दफ्तर से लेकर जिला दफ्तर तक सभी से इस बात की शिकायत की मगर कहीं से कोई मदद नहीं मिली। हर जगह से गीता को यही सुनने को मिलता था कि यह काम उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता। अंत में आकर गीता ने ब्लाक विकास अधिकारी से शिकायत की तब जाकर उस भ्रष्ट राशन डिपो वाले को हटा कर किसी अन्य को राशन डिपो का  कार्यभार सौंपा गया। अपने छह महीने के छोटे से कार्यकाल के दौरान ही गीता ने  पंचायत में पानी और सड़क निर्माण के लिए सरकार से ग्रांट पास कराया और उसका काम भी शुरू करा दिया था। गीता ने पिपरला में एक बस स्टैंड का निर्माण के अलावा पानी की निकासी के लिए नालियों का निर्माण कराया। 

गीता के बारे में गाँव वालों का कहना है कि विकास के हर काम में गीता उनसे मशवरा ज़रूर करती हैं। गीता की इसी बात को उनकी पंचायत के सदस्य पसंद नहीं करते थे। इस बारे में गीता कहती हैं कि उनके साथी पंचों को यह बात अच्छी नहीं लगती थी कि कैसे कोई महिला अकेले अपनी हिम्मत और विवेक से पंचायत का कार्यभार संभाल रही है। 

गीता के मुताबिक गाँव के संभ्रांत जाति के लोग भी उससे खफा थे क्योंकि उनके गाँव में पिछले कई वर्षों से समरस पंचायत होती आ रही थी, मगर कभी किसी महिला को समरस पंचायत के तहत सरपंच नहीं चुना गया । गीता ने समरस की परम्परा को खत्म करने के लिए ही 2010 में पहली बार चुनाव में हिस्सा लिया, मगर वह हार गयी किन्तु वह अपने प्रयास से समरस की प्रथा को तोड़ने में सफल रही । इसके बाद गीता एक आशा वर्कर के तौर पर गाँव में काम करने लगी। इस दौरान गीता ने गाँव की महिलाओं के उत्थान के लिए कई काम भी किए। गीता चुनाव जीतने से पहले महिलाओं को स्वास्थ्य केंद्र लेकर जाती थी और उनको अच्छी सेहत रखने के लिए उनसे लगातार मिलती भी रहती थी । गीता ने अपने कामों के दम पर ही अपने गाँव के लोगों का मन भी जीता । गीता कहती हैं कि वह एक राजनीतिक पार्टी से सम्बन्ध रखती हैं लेकिन महिला होने के नाते उनके साथ भेदभाव किया जाता था। उनके मुताबिक वह जब कभी भी ग्राम पंचायत के काम से ताल्लुका के दफ्तर जाती थीं तो उनको सही से जानकारी नहीं मिलती थी । उनको एक छोटे से काम के लिए भी कई चक्कर लगाने पड़ते थे । 

गीता को अविश्वास प्रस्ताव लाकर सात महीनों में ही सरपंच के पद से हटा दिया गया। गीता के सरपंच पद से हटने के बाद पिपरला  में छह महीनों तक सरपंच का पद खाली पड़ा रहा । इस दौरान उप सरपंच हंसा बहन ने सरपंच का कार्यभार संभाला। सरपंच का पद खाली रहने से पंचायत में विकास कार्य रूके रहे और हंसा बहन ने केवल गीता के ज़रिए कराए जा रहे कामों को आगे बढ़ाया। 

गीता के 2016 के पहले कार्यकाल में 7 महीनों के अंतराल में ही उनके साथी पंचों की तरफ से अविश्वास प्रस्ताव पत्र आ गया। गीता के खिलाफ सात में से सात वोट उनके खिलाफ गए। गीता कहती है कि ‘‘उनके खिलाफ यह अविश्वास पत्र इसलिए आया क्योंकि वह लगातार अपने विवेक से काम कर रही थी  जबकि उनके पंच पुरूष साथी चाहते थे कि गीता उनके मुताबिक काम करे । गीता बताती हैं कि 2016 के पंचायत चुनाव में उनकी तीन साथियों को विरोधी पार्टी ने नामांकन भरने से रोक दिया था जिसमें दो महिलाएं थी। गीता को भी नामांकन भरने से रोका गया था मगर वह किसी की भी धमकी से नहीं डरी। विरोधी पार्टी की ओर से चार लोगों को पंचायत सदस्य के लिए खड़ा किया गया था जिसमें सभी ने जीत हासिल की। इन सभी सदस्या ने मेरे खिलाफ मुझे सरपंच के पद से हटाने के लिए वोंटिग की थी। इस तरह अविश्वास प्रस्ताव लाकर सभी ने मिलीभगत से मुझे हटा दिया। 

गीता अविश्वास प्रस्ताव आने के बाद चुप नहीं बैठीं। उन्होंने तहसील, तालुका से लेकर जिला स्तर पर सभी से गुहार लगाई है कि वह ग्राम पंचायत के पुरुषों द्वारा षड्यंत्र और राजनीति का शिकार हुई हैं। गीता बताती हैं कि उनको कई बार पद छोड़ने के लिए धमकी मिली और साथ ही बात को आगे न लेकर  लेकर जाने के लिए दो लाख रूपए की पेशकश भी की गयी थी। मगर गीता किसी से घबराई नहीं और लगातार अपने प्रयासों में लगी रहीं। लेकिन अन्ततः वह हार गईं ।

हालांकि गीता को अविश्वास प्रस्ताव पत्र के माध्यम से सरपंच पद से हटा दिया गया परन्तु उनके गांव वालों ने उनको वापस उनके पद पर लाने के लिए उनका पूरा साथ दिया था। वह चाहतेे थे कि सबके सब मिलकर जिला पंचायत दफ्तर जाकर उनके समर्थन में जिला अध्यक्ष को पत्र दें मगर गीता ने उनको ऐसा कुछ भी करने से मना कर दिया। गीता जानती थी कि अविश्वास प्रस्ताव आने के बाद गाँव वालों कि जिला पंचायत में कोई सुनवाई नहीं होगी । 

सरपंच पद से हटने के बाद 2018 में फरवरी महीने में होने वाले सरपंच पद के चुनावों में गीता ने फिर भाग लिया मगर वह 81 वोटों से हार गयी । 2018 में हंसा कोली को सरपंच पद के लिए चुना गया जो उप-सरपंच थी । इस समय हंसा कोली सरपंच तो है मगर असली सरपंची उनका बेटा करता है । गीता शायद इसीलिए उन्हें स्वीकार्य नहीं थीं क्योंकि वह किसी की अनावश्यक दखलंदाजी को स्वीकार नहीं करती थी ।

गीता कहती हैं कि यह कानून ही गलत है। चुनाव में जनता अपना वोट देकर हमें पंचायत में लाती है और अविश्वास प्रस्ताव में गांव वालों की कोई भागीदारी ही नहीं होती। इसका निर्णय पंचायत के स्तर पर ही ले लिया जाता है और इसकी सबसे अधिक शिकार महिलाएं ही होती हैं। जातीय राजनीतिक समीकरण इसमें सबसे अहम भूमिका निभाते हैं। इसलिए इस प्रक्रिया में गाँव वालों का भी हिस्सा होना चाहिए। गीता कहती है कि यह सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि महिलाओं को पंचायत में काम करने के लिए एक ऐसा माहौल दिया जाए जिसमें वह अपने को सहज महसूस करंे और साथ ही उन्हें काम करने में सरकारी तंत्र से भी मदद मिलनी चाहिए। 





(बसंती)

विशेष : शुभ सुकून का अहसास कराती टीसीएस

$
0
0
tcs-feelings
भारत और यहां की संस्कृति, समाज, तकनीक, शिक्षा एवं व्यवसाय एक नये मोड़ पर खड़े हैं। सूचना, ज्ञान, तकनीक एवं शक्ति का एक नया तालमेल, एक नया संतुलन, एक नया समीकरण पूरी दुनिया को आश्चर्य में डाल रहा है। व्यवसाय एवं तकनीक के तालमेल से टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेस (टीसीएस) ने एक नया इतिहास रचा है, जो भारत के लिये गर्व और गौरव का विषय है। टीसीएस न सिर्फ देश की सबसे बड़ी कंपनी हो गयी है, बल्कि दुनिया के सौ अरब डॉलर वाले एक्सक्लूसिव कंपनी क्लब में भी जगह बना ली है। पिछले ही साल टीसीएस को दुनिया के तीन सबसे बड़े आईटी सर्विस ब्रांड में शामिल किया गया था। उसे तीसरे साल भी टॉप एम्प्लॉयर इंस्टीट्यूट द्वारा दुनिया के एक सर्वश्रेष्ठ नियोक्ता के रूप में मान्यता प्रदान की गई। इस स्वतंत्र निकाय द्वारा टीसीएस को अपने विशिष्ट कर्मचारी प्रदायनों के लिए दुनिया के 113 देशों की 1300 से अधिक कंपनियों के समूह में से चुनकर यह प्रमाणन प्रदान किया गया। टीसीएस ने एक शुभ सुकून का अहसास कराया है। उसने 6827 अरब रुपए के कुल कारोबार के साथ रिलायंस, एचडीएफसी और आईटीसी जैसे बड़े खिलाड़ियों को पछाड़कर अपने लिए वह मुकाम सुनिश्चित कर लिया है, जो फेसबुक, गूगल और ऐपल जैसी कंपनियों के लिए सुरक्षित माना जाता है। टाटा ग्रुप की कुल आमदनी में 85 फीसद हिस्सा रखने वाली टीसीएस पूरी दुनिया के लिए सॉफ्टवेयर समाधान पेश करती है। 50 से ज्यादा अवॉर्ड जीत चुकी इस 50 वर्षीय कंपनी में अभी तकरीबन 3 लाख 90 हजार लोग काम करते हैं और यह पिछले दो साल से आईटी सर्विस देने वाली दुनिया की तीसरी सबसे अच्छी कंपनी मानी जा रही है। पहले नंबर पर अमेरिका की आईबीएम और दूसरे पर आयरलैंड की एक्सेंचर है। 

raataan tata
अब जबकि वैश्विक व्यवसाय ‘पोस्ट-डिजिटल’ युग में प्रवेश कर चुका है- जहां काम की प्रकृति भी बदल रही है। इन चुनौतीपूर्ण स्थितियों के बीच इस बदलाव के साथ यह महत्वपूर्ण हो जाता है कि भारतीय कर्मचारियों को अगली पीढ़ी के कार्यस्थल में जीवनभर के लिए तैयार करें और उन्हें नए, अत्याधुनिक कौशलों से लैस करें जिनका इस्तेमाल वे आने वाले सालों में कर पाएं। इस दृष्टि से टीसीएस की डिजिटल तकनीक और व्यवसाय दक्षता कार्यक्रमों के जरिए उसकी टीम ने रोमांचक और नवाचारी अनुभव विकसित किए है जिन्हें वे अपने ग्राहकों के प्रासंगिक ज्ञान के साथ उन्हें बेहतर मूल्य प्रदान करने और अंततोगत्वा उन्हें उनके व्यावसायिक चुनौतियों से निबटने में मदद करते हेतु संयोजित कर सकते हैं। इसी के बल पर इस साल टीसीएस को पुनः टॉप एम्प्लॉयर्स ग्लोबल सर्टिफिकेशन से सम्मानित किया गया जिससे यह दुनिया भर में इस प्रमाणन को हासिल करने वाले गिने-चुने संगठनों में शामिल हो गया है। टीसीएस को यूरोप, एशिया प्रशांत, उत्तर अमेरिका, लैटिन अमेरिका और मध्य पूर्व में अपने 27 एकल देशी टीमों के लिए यह नवीनतम टॉप एम्प्लॉयर सम्मान हासिल हुआ है। टॉप एम्प्लॉयर रैंकिंग नौ प्रमुख मानदंडों- प्रतिभा रणनीति, कार्यबल नियोजन, ऑन-बोर्डिंग, शिक्षण और विकास, निष्पादन प्रबंधन, लीडरशिप विकास, करियर और उत्तराधिकार प्रबंधन, मुआवजा तथा लाभ और कंपनी संस्कृति के 600 एचआर कार्यव्यवहारों में गहन अनुसंधान के बाद निर्धारित किया जाता है। प्रमाणन हासिल करने के लिए सभी कंपनियों को एक कठोर अनुसंधान प्रक्रिया भी पूरी करनी पड़ती है और वांछित उच्च मानक को पूरा करना पड़ता है।

टीसीएस के साथ ही दो और भारतीय कंपनियां इन्फोसिस और एचसीएल भी आईटी सर्विस देने वाली दुनिया की टॉप 10 कंपनियों में शामिल हैं, लेकिन उनकी मार्केट वैल्यू टीसीएस के मुकाबले अभी आधी ही है। इसमें कोई दो राय नहीं कि आईटी सर्विस के मामले में भारतीय कंपनियां दुनिया के शीर्ष पर हैं, लेकिन इसका दूसरा निराशाजनक पहलू यह है कि सॉफ्टवेयर प्रॉडक्ट बनाने के मामले में उनकी गिनती दुनिया की टॉप सौ कंपनियों में भी नहीं होती। ऐसा एक भी भारतीय सॉफ्टवेयर नहीं है, जिसका नाम विंडोज, आईओएस, एंड्रॉयड आदि की सूची में रखा जा सके। देसी बाजार में चलने वाले कुछेक एकाउंटिंग, एंटी वायरस और जन्मकुंडली जैसे सॉफ्टवेयर जरूर हैं, पर उनकी कोई बड़ी पहचान नहीं है। वक्त आ गया है कि टीसीएस और बाकी प्रसिद्ध भारतीय सर्विस कंपनियां प्रॉडक्ट और प्लैटफॉर्म के क्षेत्र में भी हाथ-पैर फैलाएं। आने वाले वर्षों में कुछ नये सॉफ्टवेयर विकसित करके एक और नयी क्रांति का सूत्रपात करें। भारत की युवा प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करने की दृष्टि से टीसीएस को प्रयास करने हैं, हम अपने सामने जो युवा पीढ़ी देख रहे हैं, उस पीढ़ी के सपनों का रंग काफी अलग है। दरअसल जब से आर्थिक उदारीकरण के नतीजे आने लगे तब से हम एक नई तरह की युवा पौध देख रहे हैं। यह पौध आत्मविश्वास में भी आगे है, लेकिन उससे कई गुना ज्यादा महत्वाकांक्षी भी है। खास बात यह है कि आज की युवा पीढ़ी को सपने देखना भी आता है और उसके पास वह जिद है जो सपनों को शाश्वत बनाती है। टीसीएस को ऐसा धरातल देना होगा जहां भारत की युवापीढ़ी अपने सपनों को आकार दे सके।

एथेंस के शासकों को सुकरात का इसलिए भय था कि वह नवयुवकों के दिमाग में अच्छे विचारों के बीज बानेे की क्षमता रखता था। लेकिन आज हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तो ऐसे शासक हैं जो सुकरात की तरह अपने देश की नयी पीढ़ी में नित-नये विचार रौप रहे हैं। नयी पीढ़ी में उर्वर दिमागों की कमी नहीं है मगर उनके दिलो दिमाग में विचारों के बीज पल्लवित कराने वालेे ‘सुकरात’ की ही तरह के मोदी जैसे लोग भी हमारे पास हैं। व्यवसाय एवं तकनीक के क्षेत्र में भी ऐसे कितने लोग हैं, जो नई प्रतिभाओं को उभारने के लिए ईमानदारी से प्रयास करते हैं? नयी प्रतिभाओं एवं नयी पीढ़ी को संभावनाओं भरे अवसर मिले तो देश का कायाकल्प हो सकता है। हेनरी मिलर ने एक बार कहा था- ‘‘मैं जमीन से उगने वाले हर तिनके को नमन करता हूं। इसी प्रकार मुझे हर नवयुवक में वटवृक्ष बनने की क्षमता नजर आती है।’’ आज टीसीएस को मिली सफलता और उसके वटवृक्ष बनने में नवयुवकों की क्षमता एवं योग्यता का सर्वाधिक योगदान है। यही पीढ़ी भारत का गौरव बढ़ा सकेंगी, अपेक्षा है उनको खुला आसमान दिया जाये। संसार की सबसे बड़ी आबादी हमारे यहां युवाओं की है। पचपन करोड़ के आसपास है। भारत के अलावा इस वक्त किसी अन्य देश के पास इतनी ऊर्जावान उत्पादक शक्ति नहीं है। इसका यथार्थ अलग-अलग है। इसके सपने अलग हैं। इसके कर्म विविध हैं। और इसके संकट भी विविध हैं। एक बात सबमें काॅमन है- उनमें हिम्मत है। निराशा नहीं है। ग्लोबल कामनाएं हैं। उन्हें पाने की जिद है। जबर्दस्ती है। उनके लिए कुछ भी कर गुजरने का माद्दा है। वह भविष्यवादी हैं। भारतीय युवा नया नायक है जो आईएएस, आईआईटी, एमबीए, एमबीबीएस, केट, जीमैट की कंपटीटिव तैयारी करता रहता है। वह भी है जो पत्रकार है और टीवी में खबर पढ़ने से लेकर रिएलिटी शो करता है। एक वह भी है जो राजनीति में है एक वह भी है जो राजनीति से परे अ-राजनीतिक है। वह ऐसा युवा है जो उदारीकरण, ग्लोबलाइजेशन और मीडिया मार्केट की बढ़ती ताकत के साथ पैदा हुआ है और आज बीस-पच्चीस साल का है। भारत जिस तरह से विविध है उसी तरह से युवा के चेहरे भी विविध हैं। भारत को एक सक्षम देश बनाने का स्वप्न इस पीढ़ी के बल पर संभव है और किसी भी भारतीय कम्पनी को दुनिया में अव्वल बनाने का माद्दा भी उसी के पास है। 



liveaaryaavart dot com

(ललित गर्ग)
60, मौसम विहार, तीसरा माला, 
डीएवी स्कूल के पास, दिल्ली-110051
फोनः 22727486, 9811051133

विशेष आलेख : पंचायतों के सरपंच पति

$
0
0
sarpanch-pati-and-panchyat
जब से पंचायती राज व्यवस्था में महिलाओं के लिए आरक्षण हुआ है, तब से महिलाओं की स्थानीय शासन में भागीदारी काफी बढ़ी है। वहीं दूसरी ओर   ‘सरपंच पति’ गांव के लिए पंचायत का एक नया पद हो गया है। पूरे भारत में यह पद सरपंच से अधिक प्रभावी है। महिला आरक्षित सीट होने पर परिवार के पुरूष सदस्यों द्वारा अपनी पत्नी, बेटी व बहू को चुनाव में खड़ा कर दिया जाता है और उनके जीतने के बाद पंचायत का काम घर के पुरूष सदस्यों द्वारा किया जाता है। अनुभवहीन महिला सरपंचों की मदद की आड़ में वास्तव में पुरूष वर्ग के लोग उनसे उनका अधिकार छीनने में लगे हुए हैं। यह पुरूष वर्ग महिलाओं की स्थानीय शासन में भागीदारी में सबसे बड़ा बाधक है। पंचायत चुनावों की संशोधित नीतियों की दृष्टि से प्रगतिशील कहे जाने वाला कर्नाटक राज्य भी इन कहानियों से अछूता नहीं है।   
          
एक ऐसी ही कहानी महादेवी चौगुले की है। महादेवी चौगुले उम्र के 47 पड़ाव पार कर चुकी हैं और केवल दूसरी कक्षा तक उन्होंने शिक्षा हासिल की है।  महादेवी चौगुले वनटामुरी पंचायत की उपाध्यक्ष हैं। वनमुटारी पंचायत कर्नाटक के बेलगाम जिले के बेलगाम ब्लॉक में आती हैं। महादेवी 2015-16 के पंचायत चुनाव में महिला सीट पर चुनकर आई थीं। वनटामुरी पंचायत में कुल नौ गांव हैं। महादेवी के परिवार में तीन बच्चों को मिलाकर कुल पांच सदस्य हैं। ओ.बी.सी जाति की महादेवी के पति भी 2010 में इसी पंचायत के सदस्य रह चुके हैं। वनटामुरी पंचायत की जनसंख्या 9730 है जिसमें 5092 पुरूष व 4638 महिलाएं हैं। 
            
महादेवी के पति चौगुले सरपंच पति के एक सटीक उदाहरण हैं। उनका कहना है कि महादेवी ज्यादा पढ़ी लिखी नहीं हैं, पंचायत सम्बंधित कागजातों को पढ़ नहीं पाती, इसीलिए वह उनके सभी काम करते हैं फिर चाहे वह प्रशासन के काम हों या विकास के, महादेवी की भूमिका केवल हस्ताक्षर करने भर की है।  महादेवी का पंचायत चुनाव में प्रतिभाग करने का कोई मन नहीं था लेकिन उनके पति ने उन्हें चुनाव में जाने के लिए राज़ी किया और उनका नामांकन फार्म भरा। महादेवी के पति ने उपाध्यक्ष पद के लिए मांगे गए सभी दस्तावेज एकत्रित किये। उपाध्यक्ष के पद पर महादेवी जीत भी गयीं। महादेवी को पंचायत के काम काज के लिए सशक्त बनाने के बजाय पंचायत का सारा काम-काज उनके पति करते हैं। महादेवी सिर्फ दस्तावेज़ों पर हस्ताक्षर करती है।
          
महादेवी से जब पंचायत के काम-काज के बारे में पूछा गया तो महादेवी पंचायत के कुछ ही कामों जैसे पीने के पानी का इंतेज़ाम, शौचालय व सड़क निर्माण आदि कार्यों की ही जानकारी दे पायीं बाकी योजनाओं का विवरण उनके पति के ज़रिए दिया गया। पंचायत में विकास कामों के कार्यान्वयन की पूरी ज़िम्मेदारी महादेवी के पति ही देखते हैं। पंचायत के काम-काज के सिलसिले में उनके पति ही अधिकारियों से मिलने जाते हैं। महादेवी अधिकारियों से मिलने में असहज महसूस करती हैं इसलिए यह ज़िम्मेदारी उनके पति ही देखते हैं।
        
यह कहानी सिर्फ महादेवी की नहीं हैं। राज्य में महादेवी जैसी कहानियों की भरमार है जहां पर सरपंच पति मेन रोल में हैं। एक ऐसी ही कहानी बेलगाम ज़िले के हुक्केरी ब्लाक के शबंदर ग्राम पंचायत की 50 वर्षी फरज़ाना दस्तगीर मुल्ला की है जो पंचायत की मौजूदा अध्यक्ष हैं। शबंदर ग्राम पंचायत में कुल छह गांव हैं। पंचायत की कुल आबादी 3411 हैं जिसमें महिलाओं की आबादी लगभग 3479 है। शबंदर ग्राम पंचायत में कुल 21 सदस्य जिसमें 12 महिलाएं हैं। फरज़ाना का परिवार पुरूष प्रधान है और उनके परिवार में निर्णय पुरूष सदस्यों द्वारा लिया जाता है। तमाम मुश्किलों का सामना करते हुए फरज़ाना ने बड़ी मुश्किल से कक्षा 10 तक की शिक्षा हासिल की और मात्र 18 साल की उम्र में ही उनकी शादी दस्तगीर मुल्ला से हो गई। फरज़ामा के पांच बच्चे हैं। लिहाज़ा उनका सारा समय पारिवारिक ज़िम्मेदारियों के निर्वाह में ही चला जाता है। 
         
फरजाना पिछले 15 वर्षों से शबंदर पंचायत की अध्यक्ष चुनी जा रही हैं। उनका परिवार पिछली तीन पीढ़ियों से राजनीति की दुनिया में सक्रिय है। पिछले तीन सत्रों से शबंदर की सीट महिला सीट रही और फरजाना लगातार तीनों बार से अध्यक्ष हैं। हालांकि राजनैतिक पृष्ठभमि होने के कारण फरजाना को पंचायत के कामों के बारे में कुछ जानकारी तो है पर वह पंचायत के काम स्वयं नहीं करती हैं। पंचायत के काम काज उनके पति देखते हैं। चुनाव की प्रक्रिया, नामांकन में जरूरी सूचनाओं के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है। उनका नामांकन फार्म उनके पति ही भरते हैं। राजनीति में काफी लंबा जुड़ाव होने की वजह से उनको इसमें कोई दिक्कत भी नहीं होती है। तीन बार अध्यक्ष चुना जाने के बाद उन्हें पंचायत के कामों के बारे में जानकारी तो है ममगर पंचायत का काम-काज उनके पति ही देखते हैं। पंचायत की समस्याओं जैसे पेयजल, सड़क निर्माण व शौचालयों से जुड़े बुनियादी मुद्दों के बारे में वह जानती हैं। उन्होंन बताया कि उनके कार्यकाल में 150 शौचालयों का निर्माण हुआ है। इसके अलावा उन्होंने बताया कि पंचायत के विकास कामों से जुड़े निर्णय पंचायत सदस्यों और पंचायत डेवलपमेंट आफिसर की सलाह से ही लिए जाते हैं। 
         
फरजाना ने अपने 15 सालों में विभिन्न सामाजिक कार्यक्रमों में हिस्सा लिया है पर वह कार्यक्रमों में जाकर बोलती नहीं हैं। वह कहती हैं मेरी बोलने की इच्छा तो होती है मगर मैं डरती हूँ कि मैं बोल पाउंगी या नहीं। शायद यही वजह है कि सभी जगह उनके पति की भूमिका फरज़ाना के कार्यक्रमों में शामिल होने से ज़्यादा हो जाती है। इसी वजह से पंचायत के ज़्यादातर काम-काज फरज़ाना के पति ही संभालते हैं। फरज़ाना के बारे में पंचायत के लोगों की भी यही समझ बन गयी है कि पंचायत का काम तो उनके पति ही देखेंगे फरज़ाना तो बस नाम की अध्यक्ष हैं।
        
एक ऐसी ही कहानी बेलगाम ज़िले के इस्लामपुर पंचायत की उपाध्यक्ष दीपा शिवत्पा की है। इस्लामपुर पंचायत में तीन गांव हैं। 27 वर्षीय दीपा ने कक्षा दो तक शिक्षा हासिल की है। हाल ही के चुनाव पंचायतों में महिला सीट होने की वजह से दीपा को चुनाव में प्रतिभाग करने का मौका मिला। दीपा चुनाव में प्रतिभाग करने को तैयार नहीं थी मगर पति के दबाब के चलते उनको चुनाव के लिए राज़ी होना पड़ा। दिलचस्प बात यह रही कि उन्होंने चुनाव मे प्रतिभाग किया और विजयी हुईं। दीपा का परिवार कृषक पृष्ठभूमि से है और उन्हें राजनीति और पंचायत के बारे में कुछ भी नहीं पता है। इतना ही नहीं दीपा के पति भी अशिक्षित हैं। इसलिए गांव से जुड़ी मुख्य सूचनाओं और समस्याओं के बारे में उनको जानकारी नहीं है। दोनों को पंचायत प्रशासन के बारे में भी कुछ नहीं पता। पंचायत का काम करने के लिए वह अपने मित्र की मदद लेते हैं। 
                        
दीपा ने बताया कि शुरू में तो वह घर की चारदीवारी में ही बंद रहती थी। पर, राजनीति में आने के बाद उन्हें सामाजिक कार्यक्रमों में शामिल होने के अवसर मिलने लगे। घर की चार दीवारी में रहने वाली दीपा आत्मविश्वास की कमी के चलते इन कार्यक्रमों में बोल नहीं पाती हैं। वास्तव में दीपा को ग्राम पंचायत की योजनाओं, कार्यक्रमों और राजनैतिक मामलों की जानकारी और समझ नहीं है। ऐसे में दीपा व उनके पत्नी अपने मित्र के द्वारा सुझाए गए कामों को ही करते हैं। यहां तक कि पंचायत में आने वाली ग्रांट का इस्तेमाल कैसे किया जाए इसकी सलाह भी वह अपने मित्रों से ही लेते हैं। 
        
यह केवल कर्नाटक के बेलगाम की ही तस्वीर नहीं है देश के और भी राज्यों में ऐसी तमाम घटनाएं हैं। सरकार ने स्थानीय शासन में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाने के लिए आरक्षण तो दे दिया है लेकिन महिलाओं की सक्रिय भागीदारी के लिए अभी भी बहुत कुछ करने ज़रूरत है। इसके लिए महिलाओं के प्रशिक्षण पर ज़ोर देने की ज़रूरत है ताकि महिलाएं पंचायत का काम-काज समझकर उसे अंजाम तक पहुंचा सकें। अगर ऐसा नहीं हुआ तो कभी भी सरपंच पतियों का वर्चस्व खत्म नहीं होगा और महिलाएं स्थानीय शासन में शमिल नहीं हो सकेंगी।





(सुरेखा)

बिहार : इंसाफ मंच-भीम आर्मी सहित कई संगठनों द्वारा जगह-जगह पदयात्रा का किया स्वागत.

$
0
0
  • लाल किले और अन्य धरोहरों की नीलाम करने की इजाजत किसी को नहीं दी जा सकती.
  • 1 मई को पटना के गांधी मैदान में आयोजित जनअधिकार महासम्मेलन को लेकर जनउत्साह.
  • चिलचिलाती धूप में कई संकटों को झेलते पदयात्रियों के जत्थे पटना की ओर बढ़ रहे.
  • कल 30 अप्रैल की शाम तक जत्थे पटना के आस-पास डालेंगे पड़ाव.
  • महासम्मेलन को माले महासचिव काॅ. दीपंकर भट्टाचार्य मुख्य वक्ता के बतौर करेंगे संबोधित.
  • पदयात्रियों के लिए अभिनंदन के लिए वाम दलों को भी किया गया है आमंत्रित.
  • बिहार के न्यायपसंद, प्रगतिकामी व अमन-चैन पसंद जनता से महासम्मेलन को सफल बनाने की अपील.


people-welcoming-jan-adhikar-yatra
पटना 29 अप्रैल 2018, भाजपा को देश से भगाना कितना जरूरी हो गया है, यह इससे भी साबित हो रहा है कि इस सरकार ने लाल किला नीलाम कर दिया है. 15 अगस्त को जिस लाल किले पर प्रधानमंत्री झंडा फहराते हैं, उसे डालमिया ग्रुप के हवाले कर दिया गया है. यह वहीं डालमिया ग्रुप है जिसने बिहार को लूटकर बर्बादी की गर्त में धकेल दिया था. राष्ट्रीय धराहरों को नीलाम करने की इजाजत किसी को नहीं दी जा सकती है. इन धरोहरों और लाल किले को भाजपा से बचाना होगा. दरअसल, आज भाजपा पूरे देश के लिए ही खतरा बन गई है. संविधान, लोकतंत्र और हमारे अधिकार सब खतरे में हैं. इसलिए हमने बिहार में जनअधिकार पदयात्रा का आयोजन किया है और भाजपा को बिहार व देश से पूरी तरह खारिज करने का आह्वान किया है. विगत 23 अप्रैल से आरंभ भाजपा भगाओ-बिहार बचाओ, लोकतंत्र बचाओ-देश बचाओ जनअधिकार पदयात्रा कल 30 अप्रैल की शाम तक पटना पहुंच जाएगी और विभिन्न स्थानों पर रात्रि विश्राम के उपरांत 1 मई को एक बार फिर से पैदल मार्च करते हुए गांधी मैदान पहुंचेगी. जहां जनअधिकार महासम्मेलन का आयोजन किया गया है. इस महासम्मेलन को मुख्य वक्ता के बतौर हमारी पार्टी के महासचिव काॅ. दीपंकर भट्टाचार्य संबोधित करेंगे. पदयात्रियों के अभिनंदन के लिए वाम दलों को भी आमंत्रित किया गया है.

चिलचिलाती धूप और कई प्रकार के संकटों को झेलते हुए बिहार के पांच बिन्दुओं से यह पदयात्रा पटना पहुंच रही है. 25 अप्रैल की सुबह में रोहतास के बिक्रमगंज और दरभंगा से पदयात्रा शुरू हुई थी. दरभंगा से चली पदयात्रा गायघाट, बेनीबाद, मुजफ्फरपुुर शहर होते हुए वैशाली जिले में प्रवेश कर गई है. इसका नेतृत्व पार्टी की केंद्रीय कमिटी के सदस्य व खेग्रामस के महासचिव काॅ. धीरेन्द्र झा, ऐपवा की महासचिव काॅ. मीना तिवारी, खेग्रामस के बिहार राज्य सचिव वीरन्द्र प्रसाद गुप्ता, दरौली के विधायक सत्यदेव राम, वैद्यनाथ यादव, कृष्णमोहन आदि नेता कर रहे हैं. पार्टी महासचिव ने दरभंगा व मुजफ्फरपुर में इस जत्थे का स्वागत किया. रोहतास से निकली यात्रा पीरो, गड़हनी, चरपोखरी, आरा होते हुए कोईलवर पुल पार कर पटना जिला के बिहटा में प्रवेश कर गई, जहां पार्टी के पूर्व सांसद व वरिष्ठ नेता काॅ. रामेश्वर प्रसाद ने स्वागत किया. इस यात्रा का नेतृत्व हमारी पार्टी की केंद्रीय कमिटी के सदस्य जवाहर लाल सिंह, अरूण सिंह, मनोज मंजिल, राजू यादव, तरारी के विधायक सुदामा प्रसाद, पूर्व विधायक चंद्रदीप सिंह, अजीत कुशवाहा, मनोहर, विजय यादव, कयामुद्दीन अंसारी, इंदू सिंह आदि नेता कर रहे हैं. 

25 अप्रैल को गया और 26 अप्रैल को अरवल से चली यात्रा जहानाबाद के जत्थे से एकाकार होकर मसौढ़ी पार कर गई है. इस जत्थे का नेतृत्व पार्टी की राज्य स्थायी समिति के सदस्य महानंद, निरंजन कुमार, रामाधार सिंह, औरंगाबाद जिला के सचिव जनार्दन प्रसाद सिंह, रामबलि प्रसाद, रीता वर्णवाल, कंुती देवी, लीला वर्मा और मसौढ़ी से केंद्रीय कमिटी के सदस्य गोपाल रविदास, सत्यनारायण प्रसाद, कमलेश कुमार आदि नेता कर रहे हैं. बिहारशरीफ से आरंभ पदयात्रा का नेतृत्व पार्टी की केंद्रीय कमिटी की सदस्य शशि यादव, नालंदा जिला सचिव सुरेन्द्र राम, नवादा जिला सचिव नरेन्द्र सिंह, मनमोहन, भोला राम, सावित्री देवी आदि कर रहे हैं. खगड़िया के जत्थे का नेतृृत्व काॅमरेड सरोज चैबे, शिवसागर शर्मा, दिवाकर प्रसाद, नवल किशोर, अरूण दास आदि कर रहे हैं. यह जत्था बेगूसराय तक पैदल मार्च करेगी और फिर ट्रेन से पटना पहुंचेगी. पदयात्रियों का आम जनता के अलावा जगह-जगह इंसाफ मंच-भीम आर्मी जैसे संगठनों ने स्वागत किया. दरभंगा में भीम आर्मी के अध्यक्ष राजेश कुमार ने पदयात्रियों का स्वागत किया और अपनी एकजुटता जाहिर की. वे पदयात्रियों के साथ कुछ दूर तक साथ भी चले. मुजफ्फरपुर में इंसाफ मंच के जिला अध्यक्ष जफर आलम, आफताब आलम, मो. फहद जमां, मो. एहतेशाम आदि नेताओं ने पदयात्रा का स्वागत किया. कई स्थानों पर कुछेक दलित संगठनों का भी व्यापक सहयोग पदयात्रियों को मिला. जैमतुल राहन के डाॅ. राहत अली, आॅल इंडिया मुस्लिम बेदारी कारवां के नजरे आलम और कई बुद्धिजीवियों ने भी यात्रा का स्वागत किया. सीपीआई के विधानपार्षद संजय कुमार सिंह, मुजफ्फरपुर में कई बुद्धिजीवी प्रो. अरविंद डे, डाॅ. रेवती रमण, प्रो. नवल किशोर, प्रो. भवानी डे, बली अहमद, शायर मंजर आदि बुद्धिजीवियों ने यात्रा का स्वागत किया.

  दलित-गरीबों, मजदूर-किसानों, छात्र-नौजवानों के अलावा अपनी मांगों के साथ बड़ी संख्या में आशाकर्मी, रसोइया, निर्माण मजदूर, स्कीम वर्कर और अन्य कामकाजी हिस्से भी पदयात्रा में शामिल हुए. उन्होंने यथासंभव पदयात्रा का स्वागत किया और पदयात्रियों के साथ कुछ दूर तक चले. आइसा, इनौस, किसान महासभा, खेतमजदूर सभा, ऐपवा, ऐक्टू, जनसंस्कृति मंच आदि जनसंगठनों के भी नेता जनअधिकार पदयात्रा में पूरी तरह से सक्रिय रहे. 30 अप्रैल को पटना पहुंचने वाली पदयात्राएं विभिन्न स्थानों पर रात्रि विश्राम करेंगी. शाहाबाद की पदयात्रा फुलवारीशरीफ, गया वाली पदयात्रा अब्दुल्लाह चक परसा बाजार, बिहारशरीफ से चली यात्रा पटना साहिब और दरभंगा का जत्था गंगा किनारे तेरसिया में रात्रि विश्राम करेगी. महासम्मेलन की तैयारियां अपने अंतिम चरण में है. गांधी मैदान में धूप से बचने के लिए पंडाल लगाए जा रहे हैं. पटना में महासम्मेलन के प्रचार हेतु प्रचार गाड़ियां भी आज से निकली हुई हैं.   भाकपा-माले पटना की जनता और न्यायपसंद नागरिकों से लंबी यात्रा तय कर आ रहे पदयात्रियों का पटना शहर में स्वागत करने, उन्हें यथासंभव सहायता प्रदान करने तथा महासम्मेलन को सफल बनाने की अपील करती है. हमें विश्वास है कि भाजपा की उन्माद-उत्पात की राजनीति और फासीवादी विचारों को पूरी तरह नेस्तनाबूद कर देने के लिए आयोजित इस महासम्मेलन को हमें जनता के विभिन्न हिस्से का व्यापक सहयोग हासिल होगा. संवाददाता सम्मेलन को माले राज्य सचिव कुणाल ने संबोधित किया. इस मौके पर केंद्रीय कमिटी के सदस्य काॅ. अमर व संतोष सहर भी उपस्थित थे.

और नैंसी का हार्ट 13 साल की बच्ची में प्रत्यारोपित, बच्ची का दिलवा धकधक करने लगा

$
0
0
nansi-hreart-transplanted
फरीदाबाद। रक्तदान की तरह ही अंगदान का भी क्रेज बढ़ने लगा हैं।फरीदाबाद की सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने अंगदान कर दीं। पटना में अर्जुन प्रसाद शर्मा ने नेत्रदान कर दिये। दोनों चिरात्मा को भगवान अनंत शांति प्रदान करें। जी हां ब्रेन डेड हो गयी 32 वर्षीय फरीदाबाद की सॉफ्टवेयर इंजीनियर नैंसी शर्मा की। नैंसी के ब्रेन डेड घोषित होने पर उनके पिता अशोक शर्मा ने अपनी बेटी के अंगदान करने का निर्णय लिया। नैंसी का हार्ट, किडनी, आंख, लीवर 9 लोगों को लगे। नैंसी के भाई डॉ. सौरभ शर्मा ने बताया कि 12 मार्च को उनकी बहन अम्बाला अपने पिता से मिलने गई थी। वहां कुछ तकलीफ हुई। नैंसी को एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। डॉक्टरों ने बताया कि नैंसी का ब्रेन डेड हो गया है। इसके बाद नैंसी को पीजीआई चंडीगढ़ ले जाया गया। कई दिन इलाज चला। डॉक्टरों ने कहा कि नैंसी की बचने की उम्मीद नहीं है, हालांकि ब्रेन डेड के बावजूद बाकी अंग काम कर रहे थे।  डॉक्टरों ने कहा अगर उनके बाकी अंगदान कर दिए जाते हैं तो कई लोगों को नई जिन्दगी मिल सकती है।पिता बोले-बेटी कहती थी, ऐसा काम करूंगी कि लोग याद रखेंगे... नैंसी अक्सर कहती थी-पापा देखना एक दिन में ऐसा काम करूंगी की दुनिया मुझे हमेशा याद रहेगी। वो ऐसा कर भी गई। बेटी का चले जाने का दुख हमेशा रहेगा, लेकिन सुकून है कि उसका दिल दुनिया में धड़क रहा है। उसकी आंखें आज दुनिया को देख रही हैं।

बता दें कि नैंसी पेशे से सॉफ्टेवयर इंजीनियर थी। पति अनुदीप शर्मा भी गुड़गांव में सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं। सात साल का बेटा है। बेटी ब्रेन डेड हुई तो दामाद से बात की।6 अप्रैल को परिवार की सहमति से बेटी के अंगदान करने के लिए निर्णय लिया, लेकिन जब पेपर पर सिग्नेचर करने का समय आया तो हाथ कांपने लगे। नैंसी का हार्ट 13 साल की बच्ची को प्रत्यारोपित किया गया। किडनी भी दो लोगों को दी गई। लीवर के चार पार्ट भी चार लोगों को डोनेट किए गए।आंखों से दो लोगों को रोशनी मिली। इससे पहले शायद ही किसी ने इतने अंग दान हुए हों। इसमें डॉक्टरों का योगदान भी सराहनीय रहा। मोहाली एयरपोर्ट तक ग्रीन कॉरिडोर बनाकर इन अंगों को हवाई जहाज से नोएडा, दिल्ली और चंडीगढ़ जरूरतमंद लोगों तक पहुंचाकर ट्रांसप्लांट कराया। बेटी जाते-जाते समाज को भी यह संदेश दे गई कि बेटियां वरदान हैं। नैंसी ने बेटी होने का वह फर्ज अदा किया है, जो शायद बेटे भी पूरा न कर सकें। परिजनों ने फरीदाबाद पहुंचकर नैंसी की तेरहवीं मनाई। इसमें हर शख्स ने नैंसी को सलाम किया।

नेत्रदान महादान
समाज को देने की परंपरा में आज एक और ऐतिहासिक दान सामने आया जब IGIMS, पटना में अंतिम सांस लेने वाले अनीसाबाद के श्री अर्जुन प्रसाद शर्मा जी ने पंचतत्व में विलीन होने से पहले अपनी दोनों आंखे समाज को समर्पित कर दी ! आने वाले दो दिनों में आईजीआईएमएस में क्रोनिया ट्रांसप्लांट का इंतजार कर रहे 200 लोगों में से दो लोग पहली बार अर्जुन जी के आंखों से देखेंगे ! इस दुख की घड़ी में इतना बड़ा निर्णय लेने वाले उनके पुत्र अंजनी जी ,उनके परिवार  के साथ IGIMS Eye Bank की पूरी टीम को नमन है ! इस नेत्रदान में IGIMS के श्री अमित सोनी जी की भूमिका भी काबिले तारीफ है! रक्तदान जीवनदान के बमबम कहते हैं कि मैं  निःशब्द हूं ...... अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि...

अमेज़न, फ्लिपकार्ट की तर्ज पर काम करेगी जनऔषधि योजना : विप्लव चटर्जी,

$
0
0
jan-aushdhi-will-work-like-flip-cart
नई दिल्ली (आर्यावर्त डेस्क) ।  प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि योजना के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) विप्लव चटर्जी ने आज यहां कहा कि सरकार सस्ती दवाओ की सहज उप्लब्धता के लिए ऐमज़ॉन एवं फ्लिपकार्ट की तर्ज पर जनौषधि आपूर्ति शृंखला जल्द ही तैयार करने वाली है। स्वास्थ्य एडवोकेसी के क्षेत्र में कार्यरत संस्था स्वस्थ भारत तीसरे स्थापना दिवस के अवसर अपने वक्तव्य में श्री चटर्जी ने कहा कि जनऔषधि नेटवर्क को वेब आधारित एप लाने के लिए सरकार ने तैयारी कर ली है और इसके सभी भंडारघर और विक्रय केंद्र इस एप से जोड़े जाएंगे। इससे उपभोक्ताओं की बिलिंग भी हो सकेगी और इस तरह खपत तथा जरूरत के आंकड़े स्वतः चलित रूप से उपलब्ध हो जाएंगे, जिससे विभाग इन सस्ती दवाओं की आपूर्ति यथाशीघ्र कर पाएगी।  जनऔषधि की अवधारणा विषय पर राष्ट्रीय परिसंवाद का आयोजन किया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि जन औषधि परियोजना के सीईओ विप्लव चटर्जी ने जन औषधि अभियान को सफल बनाने के लिए चिकित्सकों से सहयोग की अपील की। उन्होंने कहा कि बिना उनके सहयोग के जनऔषधि को जन तक नहीं पहुचाया जा सकता है। उन्होंने मीडिया से भी अपील की कि वो जनऔषधि अभियान को लोगो तक ले जाए।  

jan-aushdhi-will-work-like-flip-cart
जेनरिक दवाइयों के भ्रम को दूर करते हुए जनऔषधि परियोजना के सीईओ विप्लव चटर्जी ने कहा कि, 'सबसे पहले तो हमें यह समझने की जरूरत है कि दवा एक केमिकल होता है। रसायन होता है। दवा कंपनियां अपने मुनाफा एवं विपरण में सहुलियत के लिए इन रसायनों को अलग से अपना ब्रांड नाम देती है। जैसे पारासेटामल एक साल्ट अथवा रसायन का नाम है लेकिन कंपनिया इसे अपने हिसाब से ब्रांड का नाम देती हैं और फिर उसकी मार्केंटिंग करती है। ब्रांड का नाम ए हो अथवा बी अगर उसमें पारासेटामल साल्ट है तो इसका मतलब यह है कि दवा पारासेटामल ही है। अंतरराष्ट्रीय मानक के हिसाब से पेटेंट फ्री मेडिसिन को जेनरिक दवा कहा जाता है। लेकिन भारत में साल्ट के नाम से बिकने वाली दवा को सामान्यतया जेनरिक माना जाता रहा है। वैसे बाजार में जेनरिक दवाइयों को ‘ऐज अ ब्रांड’ बेचने का भी चलन है, जिसे आम बोलचाल में जेनरिक ब्रांडेड कहा जाता है। लेकिन ‘प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना’ के अंतर्गत खुलने वाली सभी दवा दुकानों पर हम लोग विशुद्ध जेनरिक दवा रखते हैं। यहां पर स्ट्रीप पर साल्ट अर्थात रसायन का ही नाम लिखा होता है'अपने लक्ष्य को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि,'बीपीपीआई का गठन 2008 में हुआ था। तब से लेकर 2014 तक उतनी सफलता नहीं मिली जितनी मिलनी चाहिए थी। लेकिन 2014 से सरकार ने इस दिशा में तेजी से काम किया है और आज हम 3350 से ज्यादा जनऔषधि केन्द्र खोलने में सफल रहे हैं। 2018-19 में जनऔषधि केन्द्रों की संख्या 4000 तक ले जाने का हमारा लक्ष्य है।'

देश के लोगों को आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि, 'जनऔषधि एक सामाजिक आंदोलन की अवधारणा है। इसमें चिकित्सकों एवं फार्मासिस्टो की भूमिका बहुत अहम हैं। इस आंदोलन को जन-जन तक पहुंचाने के लिए चिकित्सकों का सहयोग अपेक्षित है। यह सच है कि चिकित्सकों का सहयोग उस रूप में नहीं मिल पाया है, जिस रूप में मिलना चाहिए था। लेकिन हम आशान्वित हैं कि देश के चिकित्सक भी इस पुनीत अनुष्ठान में अपनी आहूति और तीव्रता के साथ देते रहेंगे। इस अवसर पर गांधी का स्वास्थ्य चिंतन की चर्चा करते हुए स्वस्थ भारत अभियान के सह संयोजक एवं गांधीवादी चिंतक प्रसून लतांत ने कहा कि गांधी अंतिम जन की बात करते थे लेकिन स्वास्थ्य को लेकर डॉक्टरों के पास जाने की बजाय स्वयं संयम रखकर रोगमुक्त होने की बात करते थे।   न्यूरो सर्जन डॉ मनीष ने कहा कि देश की जनता के लिए जनऔषधि कारगर तो है ही साथ ही साथ देश की अर्थव्यवस्था के लिए भी जरूरी है। गांधी अंतिम जन की बात करते थे, अब हम सब की जिम्मेदारी है की हम जनऔषधि को जन-जन तक पहुचाएं।

jan-aushdhi-will-work-like-flip-cart
स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ ममता ठाकुर ने कहा कि आज महिलाओं को अपने स्वास्थ्य के प्रति ज्यादा जागरूक रहने की जरूरत है।  फर्मासिस्ट का पक्ष फर्मासिस्ट फाउंडेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष विनय कुमार भारती ने रखा। वहीं वरिष्ठ पत्रकार उमेश चतुर्वेदी एवं सामाजिक कार्यकार्यकर्ता अमरनाथ झा ने स्वस्थ भारत की गतिविधियों की सराहना की।  एवरेएस्टर दलजिन्दर सिंह ने लोगों को सेहत के प्रति सचेत रहने का संदेश दिया। इस अवसर पर 'स्वस्थ भारत : एक परिचय'पुस्तिका का लोकार्पण हुआ।  इसके अलावा स्वस्थ भारत ने अपने विचार के सहयोगी साथियों को सम्मानित भी किया।  स्वागत भाषण स्वस्थ भारत के चेयरमैन आशुतोष कुमार सिंह ने किया। स्वस्थ भारत का परिचय अनुतोष सिंह ने कराया वहीं धन्यवाद ज्ञापन धीप्रज्ञ द्विवेदी ने किया। मंच संचालन रंगकर्मी, कवि एवं लेखक मनोज भाउक ने किया।

बिहार : बहुत ही साहसिक कार्य का अंजाम है रक्तदान जीवनदान

$
0
0
donate-blood-patna
पटना, दिनांक 29 अप्रैल।  आज सुपर संडे को सुपर से भी ऊपर कार्य  प्रबोध जन सेवा संस्थान के बैनर के तले किया गया। रक्तदान जीवनदान की मुहिम के लिए पटना के पीएमसीएच में स्वैच्छिक रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया । इस शिविर में पटना शहर के अलावे ग्रामीण परिवेश से भी प्रत्येक 3 महीने पर नियमित रूप से जरूरतमंद के लिए रक्तदान करने वाले रक्तवीर स्वैच्छिक रक्तदान के लिए आए ।  शिविर में 6 ऐसे रक्तदाता भी स्वैच्छिक रक्तदान किए जिन्होंने इस रक्तदान जीवनदान मुहिम में जीवन के अपने पहले रक्तदान के साथ जीवन बचाने का संकल्प लिया । दिन भर के इस शिविर में शहर के जाने-माने शिक्षक गुरु रहमान सर, ब्लड मैन मुकेश हिसारिया और गुरमीत सिंह जी ने भी उपस्थित होकर सभी रक्तदाताओं का हौसला अफजाई किया । संस्था प्रबोध जन सेवा संस्थान विगत कई वर्षों से सामाजिक कार्यों को करती आ रही है और रक्तदान के लिए लोगों को सदेव प्रेरित करती रहती है । संस्था के सचिव सुमन सौरभ जी ने कहा कि रक्तदान करें, इससे आपको काफी खुशी मिलेगी  करके देखें अच्छा लगता है । सुमन सौरभ जी के साथ संस्था के सदस्यों में बमबम लाल जी ने भी अपना बहुमूल्य रक्तदान किया ।  साथ ही साथ इस शिविर में दर्जनों रक्त वीरों ने अपना बहुमूल्य रक्तदान किया ।  इस शिविर की सफलता के पीछे रक्त वीरों के बादशाह अमित कुमार जी व कौशल शर्मा जी,  प्रकाश जी, अरविंद जी, गोपीचंद जी, यशवंत जी, अरुणेश जी, नीरज जी, सोनू नाज जी, वैभव मिश्रा जी का पूर्ण सहयोग रहा । 

बिहार : आदर्श विवाह की तैयारी

$
0
0
aadarsh-marriage
बकिया. सीएम नीतीश कुमार की बात पर ही बकिया मुसहर टोला पश्चिमी के महादलितों ने चलना शुरू कर दिया है. बाल विवाह न करेंगे और न ही करने देंगे. उसी तरह न दहेज लेंगे और न दहेज लेने देंगे.  बकिया ग्राम पंचायत के वार्ड नम्बर- 12 के वार्ड सदस्य बहादुर ऋषि कहते हैं कि प्रारंभ में महादलित मुसहर समुदाय के लोग बच्चियों की माहवारी शुरू होने के पहले ही कर देते थे. इन अबोध बच्चियों को महादलित जांद्य पर बैठाकर शादी संपन्न कराकर कहते कि बेटी की शादी कर जांद्य पवित्र करा लिये. उन्होंने कहा कि अब महादलित बाल विवाह नहीं करने पर जोर दे रहें. इसका साक्ष्य प्रस्तुत है.आज अशोक ऋषि की सुपुत्री जया कुमारी की शादी है.उसके 6 संतान हैं. 2 लड़के और 4 लड़कियां.उनकी जया कुमारी चौथी हैं जिसकी शादी कर रहे हैं.बालकपन में है एक लड़का और एक लड़की. जया कुमारी की शादी हीरालाल ऋषि से हो रही है.होने वाली बकिया, कटिहार की हैं और दुल्हा बक्शाद्याट, पूर्णिया का. सीएम नीतीश कुमार से आग्रह है कि आदर्श पेश करने वाले को विशेष अनुदान राशि मिले.

हिंदी का मुमताज़ अफसानानिगार असग़र वजाहत

$
0
0
  • अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में असग़र वजाहत रचना संचयन का लोकार्पण

book-on-asgar-wasahat
अलीगढ़। अलीगढ ने मुझे बनाया है। इस संचयन का रस्मे इजरा अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में होना मेरे लिए बेहद ख़ास मौक़ा है। आज यहाँ मैं अनूठे शायर शहरयार, जावेद कमाल और कुंवरपाल सिंह को भी याद कर रहा हूँ। सुप्रसिध्द कथाकार-नाटककार असग़र वजाहत ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के केनेडी हॉल में आयोजित एक समारोह में कहा कि उर्दू के जो पाठक देवनागरी नहीं पढ़ पाते और हिंदी के वे पाठक जो उर्दू लिपि नहीं जानते -दोनों भारी नुकसान में हैं क्योंकि खड़ी बोली का साहित्य इन दोनों लिपियों में बिखरा हुआ है। वजाहत ने इस अवसर पर अपनी दो छोटी कहानियां 'नेताजी और औरंगज़ेब'तथा 'नया विज्ञान'का पाठ भी किया।  इससे पहले 'संचयन : असग़र वजाहत'के तीन खण्डों का लोकार्पण अतिथियों ने किया जिनका सम्पादन युवा आलोचक पल्लव ने किया है। नयी किताब प्रकाशन समूह के अनन्य प्रकाशन ने इन खण्डों का अल्पमोली संस्करण भी तैयार किया है। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के कल्चरल सेंटर की ओर से आयोजित समारोह की अध्यक्षता  कर रहे उर्दू विभाग के प्रोफ़ेसर तारिक छतारी ने वजाहत को हिंदी का मुमताज़ अफसानानिगार बताया ,उन्होंने कहा कि असग़र वजाहत के एक एक शब्द में खुलूस है और उनके लेखन की संजीदगी उन्हें बड़ा लेखक साबित करती है।  आयोजन में प्रोफ़ेसर आरिफ़ रिज़वी ने प्रोफ़ेसर असग़र वजाहत के साथ गुज़ारे बचपन के दिनों को याद किया और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में उनके साथ अपने छात्र जीवन के प्रसंग भी सुनाए। 

संचयन के सम्पादक डॉ पल्लव ने पुस्तक प्रकाशन योजना पर विस्तार से प्रकाश डाला और कहा कि असग़र वजाहत हमारी भाषा और संस्कृति के बहुत बड़े लेखक हैं जो अपने लेखन में असंभव का संधान करते हैं। अंग्रेज़ी विभाग के अध्यक्ष प्रोफ़ेसर आसिम सिद्दिकी ने असग़र वजाहत की कथा शैली की विशेषताएं बताते हुए कहा कि सच्चा अदब वह है जो आगे भी पढ़ा जाने की योग्यता रखता हो। हिंदी विभाग के प्रोफ़ेसर आशिक़ अली ने कहा कि 1947 का बंटवारा जमीन से ज्यादा दिलों का था और बंटवारे की यह आग अभी तक हमारे दिलों को जलाती है।  उन्होंने असग़र वजाहत की कहानी शाहआलम कैम्प की रूहें का उल्लेख करते हुए कहा कि असग़र वजाहत के लेखन में गहरा इतिहासबोध है वहीं 'लकड़ियां'कहानी में निहित सामाजिक पाखंड पर व्यंग्य को उन्होंने गहरी चोट की संज्ञा दी। प्रोफ़ेसर शम्भुनाथ तिवारी ने असग़र वजाहत के साथ अपने संबंधों का उल्लेख करते हुए उनके नाटकों पर बातचीत की और बताया कि किस तरह वजाहत अपने नाटकों में समसामयिक मुद्दों को बहुत जीवंत बनाकर प्रस्तुत करते हैं। उन्होंने “जिस लाहौर नई वेख्या”, “गोड्से@गांधी.कॉम”,“इन्ना की आवाज” तथा लिखे जा रहे अप्रकाशित नाटक “महाबली” के हवाले से प्रोफ़ेसर वजाहत के नाटकों का महत्त्व बताया। प्रो तिवारी ने कहा कि फैंटेसी यथार्थ का सृजन करती है इसका प्रमाण असग़र साहब के नाटक हैं।  समारोह में प्रोफ़ेसर आसिफ़ नक़वी की दो किताबों का भी लोकार्पण किया गया। इससे पहले सी ई सी सेंटर के कोआर्डिनेटर प्रोफ़ेसर शीरानी ने असग़र वजाहत का स्वागत किया।  

इस कार्यक्रम का कुशल संचालन उर्दू विभाग के प्रोफ़ेसर सीराज अजमली ने किया। आयोजन में सीईसी के अध्यक्ष डॉ. मुहिबुल हक़ के अलावा अनेक विभागों के प्रोफ़ेसर, बड़ी संख्या में शोध छात्र एवं अन्य विशिष्ट लोग उपस्थित थे। आयोजन स्थल पर असग़र वजाहत की अब तक प्रकाशित सभी पुस्तकों के साथ नयी किताब समूह द्वारा भी पुस्तक प्रदर्शनी लगायी गई जिसमें संचयन के साथ असग़र वजाहत पर केंद्रित बनास जन के अंक उपलब्ध थे। 

बिहार : पटना में पदयात्रियों के स्वागत की तैयारी पूरी.

$
0
0
  • जनअधिकार महासम्मेलन की सफलता को लेकर चला प्रचार अभियान, नुक्कड़ सभाओं का आयोजन.

jan-adhikar-pad-yatra-patnaपटना 29 अप्रैल 2018, भाकपा-माले द्वारा आयोजित भाजपा भगाओ-बिहार बचाओ, लोकतंत्र बचाओ-देश बचाओ जनअधिकार पदयात्रा की तैयारी अपने अंतिम चरण में पहुंच गई है. भाकपा-माले की केंद्रीय कमिटी के सदस्य व पटना नगर के सचिव अभ्युदय ने कहा है कि 30 अप्रैल की शाम तक पदयात्रियों के सभी जत्थे पटना पहंुच जाएंगे. उनके स्वागत के लिए पटना शहर तैयार है. शाहाबाद से चलने वाली यात्रा का स्वागत कल 30 अप्रैल को दोपहर में दानापुर स्टेशन परसिर में किया जाएगा. उसके बाद वहां एक सभा भी आयोजित की जाएगी. नालंदा-नवादा से चलने वाले जत्थे का स्वागत पटना सिटी के मालसलामी बाजार में शाम 5 बजे होगी. यह स्वागत पटना सिटी के स्थानीय नागरिकों द्वारा होगी. 1 मई को 9 बजे आशियाना लोकल कमिटी, अंबेदकर मुसहर विकास समिति और मुसहर विकास मंच जैसे दलित संगठनों के बैनर से आशियाना मोड़ पर शाहाबाद के जत्थे में शामिल पदयात्रियों का स्वागत होगा. 10 बजे हड़ताली मोड़़ पर ऐक्टू, महासंघ गोप गुट, महिलाएं व आम नागरिकों द्वारा पदयात्रियों का स्वागत होगा. रेडियो स्टेशन पर संस्कृतिर्मी, लेखक, बुद्धिजीवी व पटना के नागरिक पदयात्रियों का स्वागत करेंगे.

 दरभंगा से चलने वाली यात्रा का स्वागत 1 मई की सुबह गायघाट पर भाकपा-माले की पटना सिटी एरिया कमिटी द्वारा होगा. उसी जत्थे का स्वागत महेन्द्रू में भीम आर्मी व विभिन्न दलित छात्र संगठनों द्वारा तथा पटना विश्वविद्यालय में आइसा द्वारा होगा. पटना सिटी से एक साथ चलने वाली यात्रा का स्वागत 1 मई को चिरैयाटांड़ पुल पर इंकलाबी नौजवान सभा के साथियों द्वारा किया जाएगा. 1 मई को गांधी मैदान में आयोजित जनअधिकार महासम्मेलन को लेकर आज शहर के मुख्य इलाके और पटना सिटी, कंकड़बाग, आशियाना, चितकोहरा, गुलजारबाग, फुलवारीशरीफ आदि इलाकों में प्रचार अभियान चलाया गया तथा नुक्कड़ सभाओं के जरिए महासम्मेलन को सफल बनाने की अपील की गई. नुक्कड़ सभाओं को पटना नगर कमिटी के वरिष्ठ पार्टी  नेता पन्नालाल, अशोक कुमार, आइसा नेता निशंात कुमार आदि ने किया. कल 30 अप्रैल को भी पूरे पटना शहर में प्रचार अभियान चलेगा तथा नुक्कड़ सभाओं का आयोजन होगा.

बिहार : आयुष्मान कार्ड वितरण सोमवार को

$
0
0
ayusman-card-distribution-patna
धनरूआ (पटना).  धनरूआ प्रखंड में है नदवा ग्राम पंचायत. इस पंचायत में है उच्च विद्यालय.इसके परिसर में सोमवार की सुबह 8 बजे से ग्राम सभा का आयोजन किया गया है.इस बात की जानकारी पंचायत के मुखिया शंकर कुमार ने दी है.  उन्होंने कहा कि आयोजन का मुख्य उद्देश्य है प्रधानमंत्री राष्ट्रीय स्वास्थ सुरक्षा मिशन के तहत जिन्हें राशन कार्ड है वे अपना कार्ड और मोबाईल नंबर के साथ अपना फार्म भरेंगे और इस योजना का लाभ उठाएंगे. आयुष्मान योजना में 5 लाख तक के डेविड कार्ड बनेंगे जो कोई भी सरकारी या कुछ चुने हुए प्रायवेट हॉस्पिटल में लोगों का इलाज 5 लाख तक फ्री होगा.इस लाभ से नहीं चुकने का आग्रह है.इस योजना का लाभ जरूर उठाएं. इसके पूर्व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, धनरूआ की ए.एन.एम.स्टाफ को प्रशिक्षण दिया गया.इनका सहयोग लिया जाएगा.

हिन्दू कालेज में आषाढ़ का एक दिन का मंचन

$
0
0
play-ashadh-in-hindu-college-delhi
नई दिल्ली (आर्यावर्त डेस्क)।देश के अग्रणी शिक्षण संस्थान हिन्दू कालेज की हिंदी नाट्य संस्था 'अभिरंग'द्वारा रंग महोत्सव के अंतर्गत रंगसमूह 'शून्य'द्वारा अभिनीत 'आषाढ़ का एक दिन'का मंचन हुआ।  मोहन राकेश द्वारा लिखे गए इस अत्यंत चर्चित नाटक की कथावस्तु संस्कृत कवि कालिदास के जीवन पर आधारित है। कालिदास और मल्लिका की दुखांत प्रेम कथा के साथ सत्ता और कलाकार के द्वंद्व  का भी इस नाटक में चित्रण किया गया है। नाटक का निर्देशन कर रही डॉ रमा यादव ने मल्लिका का भावप्रवण अभिनय भी किया। वहीं मल्लिका की माता अम्बिका की भूमिका में मनीषा स्वामी  ने अपने संवाद 'तुम जिसे भावना कहती हो वह केवल छलना और आत्म प्रवंचना है।..... भावना में भावना का वरण किया है।..... मैं पूछती हूँ भावना में भावना का वरण क्या होता है? उससे जीवन की आवश्यकताएँ किस तरह पूरी होती हैं ?'से दर्शकों से भरपूर सराहना प्राप्त की। नाटक में कालिदास के प्रतिनायक विलोम का सशक्त अभिनय विनीत खन्ना ने किया। उनके मंच पर आगमन के साथ नेपथ्य से आती विशेष ध्वनियाँ दर्शकों को बरबस आकृष्ट कर देती थीं। वहीं मातुल के अभिनय में  राहुल सिंह ने भी दर्शकों की सराहना प्राप्त की। अंत में कालिदास का मल्लिका से कहना 'तुम्हारे सामने जो आदमी खड़ा है यह वह कालिदास नहीं जिसे तुम जानती थी।'दर्शकों को मर्मस्पर्शी लगा। कालिदास का अभिनय मयंक गुप्ता ने किया। वहीं प्रियंगुमंजरी  का अभिनय शुभांगी तथा विक्षेप व दंतुल के अभिनय में अंकुर देव थे। हिन्दू कालेज के खचाखच भरे प्रेक्षागृह में आसपास के कॉलेजों के विद्यार्थी भी बड़ी संख्या में आए थे। इससे पहले अभिरंग के परामर्शदाता डॉ पल्लव ने शून्य के सभी अभिनेताओं का स्वागत किया। अंत में अभिरंग के छात्र संयोजक पीयूष पुष्पम ने आगामी सत्र की कार्यकारिणी की घोषणा की।  

सीहोर (मध्यप्रदेश) की खबर 29 अप्रैल

$
0
0
मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना मे 237 आदिवासी युवतियों का विवाह सम्पन्न, मुख्यमंत्री ने दिया आशीर्वाद

sehore news
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान रविवार 29 अप्रैल को नसरूल्लागंज के ग्राम पिपलानी पहुंचे और यहाँ आयोजित सामुहिक विवाह सम्मेलन मे परिणयसूत्र मे बंधे नवयुगलों को सुखद वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद दिया। इस आयोजन मे गौंड समाज की 207 कन्या तथा कोरकू समाज की 30 कन्याओं का विवाह सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर वन विकास निगम के अध्यक्ष श्री गुरूप्रसाद शर्मा, जनपद अध्यक्ष श्रीमती दुलारी देवी धुर्वे, श्री देवी सिंह धुर्वे,   श्री रवि मालवीय सहित अन्य जनप्रतिनिधि, कलेक्टर श्री तरूण कुमार पिथोडे, एसपी श्री सिध्दार्थ बहुगुणा सहित अन्य शासकीय सेवक तथा बड़ी संख्या मे घराती-बराती उपस्थित थे। 

विदिशा (मध्यप्रदेश) की खबर 29 अप्रैल

$
0
0
गरीबांे की जिन्दगी मंे बदलाव हेतु हर संभव प्रयास-विदेश राज्यमंत्री 
  • एक करोड़ 24 लाख की लागत के निर्माण कार्यो का शिलान्यास
  • सैकडों हितग्राही योजनाओं से लाभांवित हुए 

vidishaa news
विदेश राज्यमंत्री श्री एमजे अकबर ने रविवार को विदिशा जिले की सांसद आदर्श ग्राम त्यांेदा में पहुंचकर एक करोड़ 24 लाख की लागत के निर्माण कार्यो का शिलान्यास किया। त्योंदा और राजौदा में कार्यक्रम के दौरान सैकडौ हितग्राहियों को मौके पर योजनाओं से लाभांवित भी किया गया है। त्योंदा के कन्या हाई स्कूल प्रागंण में आयोजित कार्यक्रम में विदेश राज्यमंत्री श्री एमजे अकबर ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी सदैव गरीबों की जिदंगी में बदलाव कैसे आए और गरीबों का जीवन खुशहाल बने इसके लिए अनेक योजनाओं का क्रियान्वयन किया जा रहा है उन्होंने प्रधानमंत्री उज्जवला योजना की महत्वता को प्रतिपादित करते हुए प्रधानमंत्री जन-धन योजना के माध्यम से बैंको में सभी के खाते खोेले जाने को अति महत्वपूर्ण बताते हुए उन्होंने कहा कि अब हितग्राहियों के खातों में सीधे राशि जमा हो रही है जिससे बिचैलियों पर नियंत्रण पाया जा सकता है। बीमा के प्रावधानों की सार्थकता पर भी प्रकाश डाला। विदेश राज्यमंत्री श्री एमजे अकबर ने प्रधानमंत्री आवास योजना गरीबों को स्वंय का आवास कैसे दिला रही है। स्वच्छ भारत, घर-घर में शौचालय बनें, रोजगार के लिए प्रधानमंत्री मुद्रा योजना तथा उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार शीघ्र ही गरीबों के लिए पांच लाख रूपए का हेल्थ इंश्योरेंस बीमा संचालित करने वाली है ताकि बीमारी के दौरान गरीब किसी भी प्रकार से अपने आप को इलाज कराने से वंचित ना रह सकें। उन्होंने पूर्व की सरकारों और वर्तमान सरकार के द्वारा किए जा रहे गरीबों के उत्थान कार्यो के संबंध में कहा कि वर्तमान सरकार उत्थान के संबंध में कोटेशन का कथन ना कर बल्कि कार्य कर बता रही है। कार्यक्रम को जिला पंचायत अध्यक्ष श्री तोरण सिंह दांगी, भाजपा जिलाध्यक्ष श्री दिनेश सोनी के अलावा कलेक्टर श्री अनिल सुचारी ने सम्बोधित किया। इससे पहले बासौदा के पूर्व विधायक श्री हरिसिंह रघुवंशी ने सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत त्योंदा क्षेत्र में कराए जाने वाले विकास कार्यो के शिलान्यासोें तथा आयोजन की प्रस्तावना पर प्रकाश डाला। केन्द्रीय विदेश राज्यमंत्री श्री एमजे अकबर और अन्य अतिथियों ने त्योंदा एवं रजौदा में आयोजित कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री उज्जवला योजना, मुख्यमंत्री लाड़ली लक्ष्मी योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना, सौभाग्य योजना के हितग्राहियों के अलावा दिव्यांगजनों को ट्रायसाइकिल, श्रवण यंत्र, स्टीक के अलावा किसानों को स्वाइल हेल्थ कार्ड, भू-अधिकार पत्र तथा स्कूली विद्यार्थियों को साइकिले प्रदाय की। विदेश राज्यमंत्री श्री एमजे अकबर समेत अन्य अतिथियों ने त्योंदा में श्री राम अहिरवार के घर पहुंचकर भोजन प्रसादी ग्रहण की। कार्यक्रम स्थलों पर बासौदा जनपद पंचायत की अध्यक्ष श्रीमती अंजली यादव समेत अन्य जनप्रतिनिधिगण एवं विभिन्न विभागोें के अधिकारी एवं ग्रामीणजन मौजूद थे। 

जल संसद कार्यक्रम आज

जल का कोई विकल्प नही है अधिक से अधिक संरक्षण के कार्य किए जाए ताकि आने वाले पीढी को हम प्रचुर मात्रा में जल की उपलब्धता सुनिश्चित करा सकें इसी उद्वेश्य से जल संसद कार्यक्रम का आयोजन प्रदेश के सभी जिलो में एक साथ तीस अपै्रल को किया गया है। जिला मुख्यालय पर जल संसद कार्यक्रम रंगई मंदिर परिसर में आयोजित किया गया है कि जानकारी देते हुए जन अभियान परिषद की जिला समन्वयक ने बताया कि प्रातः सात से नौ बजे तक श्रमदान, दस बजे से मंचीय कार्यक्रम और पूर्वान्ह 11 बजे से मुख्यमंत्री जी के उद्बोधन का लाइव प्रसारण किया जाएगा। जल संसद संबंधी कार्य जिले के सभी विकासखण्डों में एक साथ आयोजित किए गए है जो मुख्यतः नदियों के किनारे सम्पन्न होंगे।

झाबुआ (मध्यप्रदेश) की खबर 29 अप्रैल

$
0
0
राष्ट्र के गौरव महाराणा प्रतापजी के जीवन पर हुए व्याख्यान
  • आरोग्य भारती शाखा झाबुआ द्वारा किया गया आयोजन

jhabua news
झाबुआ। आरोग्य भारती शाखा झाबुआ द्वारा स्थानीय केषव इंटरनेषनल स्कूल के प्रांगण में रात्रि 8 से 10 बजे तक ‘महाराणा प्रतापतजी की गौरव गाथा’ विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य वक्ता के रूप में विष्व हिन्दू परिषद् के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हुकुमचंद सावला उपस्थित थे। वहीं मुख्य अतिथि के रूप में थांदला विद्यालय के वरिष्ठ प्राध्यापक डाॅ. बंसीलाल डावर मौजूद थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता डाॅ. चारूलता दवे ने की। कार्यक्रम का शुभारंभ भारत माता एवं महाराणा प्रतापजी के चित्र पर माल्र्यापण एवं दीप प्रज्जवलन कर मुख्य वक्ता एवं अन्य अतिथियों द्वारा किया गया। पश्चात् मुख्य वक्ता श्री सावला का पुष्पामाला पहनाकर स्वागत आरोग्य भारती शाखा के सदस्यों द्वारा किया गया। डाॅ. बंसीलाल डावर का स्वागत रोटरी क्लब आजाद एवं हनुमान टेकरी सेवा समिति के सदस्यों ने किया। डाॅ. चारूलता दवे का स्वागत पुष्प गुच्छ भेंटकर नारी स्त्री संगठन की प्रदेष उपाध्यक्ष श्रीमती किरण शर्मा एवं सांत्वना ग्रुप की प्रमुख श्रीमती सुषमा दुबे द्वारा किया गया।

महाराणा प्रतापजी का इतिहास पूरे देष के लिए गौरवषाली है
पश्चात् अपने व्यख्यान देते हुए विहिप के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री सावला ने कहा कि महाराणा प्रतापजी का इतिहास पूरे देष के लिए गौरवषाली है। इस दौरान उन्होंने चित्तौड़गढ़ में हुए हल्दी घाटी वाले युद्ध का वर्णन किया एवं कहा कि महाराणा प्रतातजी ने अपने शोर्य एवं साहस के बल पर युद्ध जीता, वे शूरवीर थे। व्याख्यान करीब 2 घंटे तक चले। कार्यक्रम का संचालन आयोजन के सूत्रधार डाॅ. वैभव सुराना ने किया एवं अंत में आभार सकल व्यापारी संघ के सह-सचिव पंकज जैन मोगरा ने माना। इस अवसर पर केषव इंटरनेषनल स्कूल के संचालक ओम शर्मा, मयंक रूनवाल, प्रवीण सुराना, राजेन्द्र यादव सहित बड़ी संख्या में शहर के गणमान्य महिला-पुरूष उपस्थित थे।

युवा नौकरी करने वाले नही, नौकरी देने वाले बने- भुजबलसिंह अहिरवाल
  • अजा एवं वित विकास निगम के उपाध्यक्ष का भाजपा ने किया आत्मीय स्वागत
  • विभाग की अजा वर्ग हितैषी योजनाओं की विस्तार से जानकारी दी

jhabua news
झाबुआ । मध्यप्रदेश राज्य सहकारी अनुसूचित जाति एवं वित विकास विकास निगम के राज्यमंत्री दर्जा प्राप्त उपाध्यक्ष भुजबलसिंह अहिरवाल दो दिवसीय प्रवास पर झाबुआ  आने पर स्थानीय सर्कीट हाउस पर रविवार को भारतीय जनता पार्टी की ओर से भाजपा नेता प्रवीण सुराणा के नेतृत्व में प्रदेश स्वच्छता प्रभारी कल्याणसिंह डामोर, जिला मीडिया प्रभारी राजेन्द्रकुमार सोनी, नाना राठौर , बबलु सकलेचा, इरशादकुर्रेशी सहित बडी संख्या में भाजपाई कार्यकर्ताओं ने उनका पुष्पमाला पहिना कर स्वागत किया । इस अवसर पर विभागीय अधिकारी अजय रामावत विशेष रूप  से उपस्थित थे । कार्यकर्ताओं से चर्चा के दौरान श्री अहिरवाल ने बताया कि प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चैहान अजा वर्ग के युवाओ ं के साथ ही समग्र समाज के आर्थिक उत्थान के लिये मध्यप्रदेश राज्य सहकारी अनुसूचित जाति वित एवं विकास निगम द्वारा  मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना के तहत इस वर्ग के 10 वी कक्षा उत्तीर्ण 40 वर्ष आयुतक के  युवाओं को 10 लाख से अधिकतम 1 करोड तक की राशि ऋण के रूप् में बेंको के माध्यम से दी जारही है इस रकम का 15 प्रतिशत अधिकतम रूपये 12 लाख मार्जिन मनी देय होकर ऋण के ब्याज पर 5 प्रतिशत की दर से 7 साल के ब्याज अनुदान दिया जावेगा  वही मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना में 5 वी कक्षा उत्तीर्ण 45 साल तक के युवाओं को 50 हजार से 10 लाख रूपये तक का लोन 30 प्रतिशत अधिकतम 2 लाख मार्जिन मनी देय है तथा 5 प्रतिशत की दर से 7 वर्शो तक ब्याज अनुदान दिया जारहा है वही मुख्यमंत्री आर्थिक कल्याण योजना में 55 वर्ष तक के बेरोजगारों को 50 हजारा तक बैंकों के माध्यम से ऋण दिया जाकर 15 हजार का अनुदान प्रदेश सरकार दे रही है, वही इस वर्ग की महिलाओं के लिये सावित्रीबाई फुले स्वसहायता समूह योजना के अजा वर्ग की गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाली महिलाओं के समुह जिनकी आयु 55 वर्ष होकर बेरोजगार है को प्रति सदस्य 2 लाख तक का बैंकों से ऋण तथा 15 हजार तक प्रति सदस्य अनुदान लघु उद्या ेग एवं फुटकर व्यवसाय के लिये दिया जारहा है । वही मुख्यमंत्री कौशल उन्नयन प्रशिक्षण योजना में भी अजा वर्ग के बेरोजगार युवाओ ं जिनकी अधिकतम आयु 35 साल हो को प्रतिमाह 1 हजार की छात्रवृति देय है तथा हास्पीटिलीटी, नर्सिग असिस्टेंट, गारमेंट , टीवी रिपेरिंग, मैकेनिक, विडियोग्राफी, एम्बा्रयडरी फैशन डिजायनिंग सहित कई प्रशिक्षण ट्रेड जिसमें प्लेसमेंट की संभावना हो दिये जाने की व्यवस्था की है । श्री अहिरवाल ने बताया कि शिवराजसरकार ने गत वित्तिय वर्ष में 200 करोड की राशि के लक्ष्य के विरूद्ध एक करोड प्रति के मान से 164 लोगों को करोडपति बनाया गया है । इसमे झाबुआ जिले के उद्यमी सोहनलाल जाटव भी शामील है जिन्हे लेदर बेग व्यवसाय के लिये 25 लाख की सहायता उद्यमी विकास के लिये दी गई है । चालू वित्तिय वर्ष के लिये प्रदेश सरकार ने इस बजट को दुगुना कर 400 रूपये का वित्तिय प्रावधान किया गया है और हमारा प्रयास है कि दिसम्बर अंत तक इस लक्ष्य को पूरा करने के निर्देश विभागीय अधिकारियों को दिये गये हे । भुजबलसिंह ने आगे बताया कि शिक्षित एवं अशिक्षित अजा वर्ग की महिलाओं की सुविधा के लिये ऐसी व्यवस्था की गई ह ै कि अब इन्हे बैंकों एवं कार्यालयों के चक्कर नही काटना पडेगें और उनके आवेदन जिला अन्त्योदय कार्यालयों मे आन लाईन दर्ज होकर पात्रताधारी महिलाओं को मोबाईल से सूचना देकर तत्काल 50 हजार की रकम घरू उद्योगों के लिये दी जावेगी । श्री अहिरवाल ने बतराया कि पिछले वर्ष 200 करोड के लक्ष्य की जगह इस वर्ष शिवराजसिंह चैहान सरकार ने अन्तिम व्यक्ति तक के विकास के लिये बजट को बढा कर 400 करोड कर दिया जिससे बेरोजगारी से मुक्त होकर युवा नौकरी करने वाले नही नौकरी देने वाले बन सकेगें । उन्होने कहा कि सभी योजनाओं को 3 माह में लक्ष्य पूर्ण करने की निर्देश जारी कर दिये गये है।

साज रंग झाबुआ का रंग संस्कार षिविर 7 मई से आयोजन को लेकर महत्वपूर्ण बैठक हुइ्र्र

jhabua news
झाबुआ। झाबुआ जिले की एकमात्र पंजीकृत संस्था साज रंग झाबुआ द्वारा 7 मई से शहर एवं उसके आसपास के क्षेत्रों के बाल प्रतिभावान बच्चों के लिए रंग संस्कार षिविर का आयोजन किया जाएगा। उक्त षिविर को भव्य स्तर पर किए जाने हेतु संस्था के थांदला स्थित एकलव्य संस्कृति भवन में महत्वपूर्ण बैठक आयोजित हुई। जिसमें संस्था के समस्त पदाधिकारी, वरिष्ठ रंगकर्मी एवं सदस्यगण उपस्थित थे। बैठक में संस्था के कार्यकारी अध्यक्ष कमलेष पटेल एवं सचिव दर्षन शुक्ला ने बताया कि संस्था विगत 20-22 वर्षों से रंग षिविर का आयोजन कर ‘रंग संस्कार’ की परंपरा को सत्त बढ़ाती चली आ रहीं है। इस संस्था ने निरंतर बाल कलाकारों में उनकी प्रतिभाओं को निखारने का कार्य किया है। संस्था का मुख्य उद्देष्य है कि ऐस प्रतिभाओं को मंच प्रदान करना, जो छुपी हुई है, जिन्हें किसी कारणवष अपने घर एवं स्कूलों में उचित मंच नहीं मिल पाता है। संस्था के वरिष्ठ रंगकर्मी शैलेन्द्रसिंह राठौर एवं भरत व्यास ने जानकारी दी कि रंग षिविर में नाटक, संगीत, लोक संस्कृति से जुड़े नृत्य और चित्रकला जैसी विधाएं आयोजित की जाएगी।

अनुभवी कलाकार देंगे प्रषिक्षण
संस्था अध्यक्ष धर्मेन्द्र मालवीय ने कहा कि षिविर में अलग-अलग विद्याओं से जुड़े अनुभवी, पुरस्कृत कलाकार उन विधााओं का बाल कलाकारों को प्रषिक्षण देंगे, इसके लिए संस्था के समस्त कलाकार कटिबद्ध है। षिविर में हिस्सा लेने के लिए फार्म मयंक हेंडीक्राफट पर कमलेष पटेल, पटेल गिफट हाऊस पर पियूष पटेल के साथ साज रंग संस्था पर भी शाम 7 बजे बाद मुकेष बुंदेला एवं यग्नेष मालवीय से प्राप्त किए जा सकते है।

ये थे उपस्थित
बैठक में संस्था के संरक्षक यषवंत भंडारी, मनीष व्यास, के साथ पदाधिकारियो में राजेष मिश्रा, पियूष पटेल, रघुवीरसिंह चैहान, अनिल मकवाना, शाकिर कुरैषी, मुकेष बुदंेला, यग्नेष मालवीय, अभिषेक निनामा आदि विषेष रूप से उपस्थित थे। बैठक के अंत में आभार सचिव दर्षन शुक्ला ने माना।

लोकरंग की मस्ती की पाठशाला 1 मई से, कलाविधाओं के साथ कई रचनात्मक गतिविधियां होंगी संचालित 

झाबुआ । संस्था लोकरंग की  मस्ती की पाठशाला 1 मई से शुरू होने जा रही है । जिसमें आप अपनी रूचि को थोड़ा और निखार कर नई पहचान पा सकते हैं । आपका लगाव संगीत से है, नाटक में आपकी रूचि है, डांस आपके मन को भाता है, किस्से कहानियां आपको प्रेरित करती है, लेकिन आपने अपने शौक स्वयं तक सीमित कर रखा है तो आपके पास मौका है इस छुपी हुई प्रतिभा को विस्तार देने और कुछ नया सीखने का । अपनी प्रतिभा को दुनिया के सामने लाने का । जिले की सांस्कृतिक, साहित्यिक, सामाजिक संस्था लोकरंग 20 दिवसीय समर कैंप का आयोजन 1 मई से कर रही है । जिसमें आप अपनी रूचि को एक नई उड़ान दे सकते हैं । आपके शौक को नई परवाज मिल सकती है ।  20 मई तक चलने वाली इस कला और रचनात्मक गतिविधियों की वर्कशॉप में संगीत, नृत्य,चित्रकला, हस्तशिल्पकला,नाटक, कलाविधाओं के साथ-साथ व्यक्ति विकास की कक्षाओं का भी संचालन किया जाएगा । शहर के जाने-माने कलाकार इस वर्कशॉप में प्रशिक्षुओं को अलग-अलग विधाओं का प्रशिक्षण देंगे । समर कैंप का संचालन बाबेल कपाउंड स्थित लोकरंग के कार्यालय पर होगा । समर कैंप का समय सुबह 7.30 से सुबह 10 बजे तक रहेगा । संस्था के आशीष पांडे ने बताया कि पिछले कुछ सालों में नृत्य को लेकर काफी उत्साह का माहौल है, काफी  युवाओं की रूचि इसमें रहती है । समर कैंप में  वेस्टर्न डांस के साथ-साथ लोकनृत्य, भारतीय नृत्य और बॉलीवुड नृत्य का प्रशिक्षण दिया जाएगा ।  वहीं संगीत कक्षाओं में गायन और वादन का प्रशिक्षण दिया जाएगा । वादन का प्रशिक्षण जिले के  ख्यातिनाम गिटारिस्ट विकास पांडे देंगे जबिक गायन का प्रशिक्षण देश-प्रदेश कई मंचों पर अपनी कामयाबी का परचम लहरा चुकी और  प्रदेश स्तर पर कई सिंगिग प्रतियोगिता अपने नाम कर चुकी निधि सारोलकर देंगी । हस्तशिल्प कला और चित्रकला का प्रशिक्षण जिले की उभरती हुई कलाकारा भूमिका माहेश्वरी देंगी ।  भूमिका समर कैंप में भाग लेने वाली प्रशिक्षुओं को लोककला और समकालीन कला से भी रूबरू करवाएंगी । समर कैंप में अभिनय और नाटक की बारिकियों भी सीखाया जाएगा ।  समर कैंप में व्यक्तित्व विकास और सम-सामायिक विषयों की कक्षा भी होगी । संस्था के वैभव परमार प्रशिक्षुओं के साथ रोचक विषयों पर जानकारी साझा करेंगे ।  इसके साथ ही समर कैंप के दौरान कम्यूनिकेशन और मॉस मीडिया को लेकर विशेष तौर कक्षाएं संचालिक की जाएंगी । जिसमें शार्ट फिल्म, नाटक , स्ट्रीट प्ले, फिल्म, वृत्त चित्र, स्क्रिप्ट राइटिंग, आदि से प्रशिक्षुओं को रूबरू करवाया जाएगा । साथ ही प्रशिक्षण के प्रशिक्षुओं के साथ मिलकर  उपरांत शार्ट फिल्म का निर्माण भी किया जाएगा । संस्था के प्रवेश उपाध्याय के मुताबिक 1 मई से शुरू होने वाले समर कैंप के लिए सारी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं । कला और रचनात्मकता की इस पाठशाला से शहर में  कई प्रतिभाएं उभर कर सामने आएंगी । जिन्हें संस्था के माध्यम से समय-समय पर मंच उपलब्ध करवाया जाएगा । लोकरंग के दीपक दोहरे ने बताया कि 20 दिनों में किसी को संपूर्ण कलाकार नहीं बनाया जा सकता है, लेकिन इन 20  दिनों में प्रशिक्षु की रूचि और प्रतिभा को पहचानकर सही दिशा दी जा सकती है । समर कैंप के बाद इन्हीं नवोदित प्रतिभाओं को तराशने के लिए सालभर नियमित कक्षाएं आयोजित की जाती है । सालभर प्रदेश भर में होने वाली अलग-अलग प्रतियोगिताओं में संस्था के कलाकारों ने भाग लेकर कामयाबी हासिल की है । समर कैंप की अधिक जानकारी के लिए संस्था कार्यालय बाबेल कम्पाउंड, आरएसएस कार्यालय के पास  संपर्क किया जा सकता है ।

न्यूयाॅर्क अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेला 30 जून से 2 जुलाई तक

झाबुआ । सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम इकाईयों एवं मुख्यमंत्री युवा उघमी योजना तथा मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत लाभांवित इकाईयों एवं अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वर्ग की इकाईयों उत्पादों के अंतर्राष्ट्रीय चयन मेले में भाग लेने हेतु आवेदन करें। मध्यप्रदेश की सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम इकाईयों एवं मुख्यमंत्री युवा उघमी योजना तथा मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत लाभांवित इकाईयों एवं अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वर्ग की इकाईयों को सूचित किया जाता हैं कि मध्यप्रदेश लघु उघोग निगम द्वारा भारत सरकार एवं मध्यप्रदेश स्टेट फेयर अथाॅरिटी के सहयोग से समर फेन्सी फूड शो न्यूयाॅर्क अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेला 30 जून से 2 जुलाई तक प्रस्तावित है। चयनित मध्यप्रदेश की एमएसएमई, मुख्यमंत्री युवा उघमी तथा मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत लाभांवित इकाईयों एवं अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वर्ग की इकाईयों को नियमानुसार स्पेस रेंट एवं हवाई यात्रा किराया दिया जाएगा। प्रदेश में पंजीकृत ऐसी इकाइयां जो विगत 3 वर्षों से व्यवसाय कर रही है तथा जिनके पास कोड हैं  वे उपरोक्त मेले हेतु आवेदन कर सकती हैं। इकाइयों का चयन उनके उत्पादों के लिए मेले की उपयोगिता तथा उपर्युक्तता के आधार पर किया जाएगा। आवेदन हेतु प्रोसेसिंग फीस के रुप मे रु. 15000/- का भोपाल में देय डिमाण्ड-ड्राफ्ट “मध्यप्रदेश टेªड फेयर अथाॅरिटी“ के नाम से तैयार कर उपरोक्त पते पर प्रेषित करें। मुख्यमंत्री युवा उघमी योजना तथा मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत लाभांवित इकाईयों एवं अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वर्ग की इकाईयों, जो उघोगों आधार मेमोरेण्डम, के रुप में पंजीकृत हैं तथा जिनके उत्पाद निर्यात योग्य है एवं जिनके पास प्म्ब् कोड हैं  वे उपरोक्त मेले हेतु आवेदन कर सकती हैं। इकाइयों का चयन उनके उत्पादों के लिए मेले की उपयोगिता तथा उपर्युक्तता के आधार पर किया जाएगा। आवेदन हेतु प्रोसेसिंग फीस के रुप मे रु. 1000/- का भोपाल में देय डिमाण्ड-ड्राफ्ट “मध्यप्रदेश टेªड फेयर अथाॅरिटी“ के नाम से तैयार कर उपरोक्त पते पर प्रेषित करें। अचयनित इकाइयों की राशि वापस कर दी जायेगी।

पर्वत आंजना को मुख्यमंत्री कृषक समृद्धि योजना मे 30 हजार मिले
     
jhabua news
झाबुआ । राज्य शासन द्वारा की पहल पर लागू की गयी मुख्यमंत्री कृषक समृद्धि योजना का झाबुआ जिले में प्रभावी क्रियान्वयन किया जा रहा है। यह योजना किसानों के लिये अपार खुशियां लायी है। जिले के किसान पर्वत आंजना निवासी करडावद ब्लांक पेटलावद जिला झाबुआ को प्रोत्साहन राशि मिलने से बेहद खुशी मिली है। हॉल ही में राज्य शासन द्वारा लागू की गई मुख्यमंत्री कृषक समृद्धि योजना के तहत झाबुआ जिले में 4 हजार 444 किसानों को जिन्होंने गत रबी में समर्थन मूल्य पर गेहूं बेचा था, उन्हें 200 प्रति क्विंटल के मान से 5 करोड 28 लाख रूपये से अधिक की राशि प्रोत्साहन स्वरूप दी गयी है। यह राशि उनके बैंक खाते में जमा करायी गई। इन्हीं लाभान्वित किसानों में से एक है झाबुआ जिले केे ग्राम करडावद में रहने वाले पर्वत आंजना जिनको 30 हजार रूपये प्रोत्साहन राशि मिली प्रोत्साहन राशि मिलने से वे बेहद खुश है। उनहोने मुख्यमंत्रीजी के प्रति आभार व्यक्त किया है। पर्वत आंजना ने बताया कि प्रोत्साहन राशि मिलने से हमें खेती में बेहद लाभ होगा। प्रोत्साहन राशि का उपयोग हम अपने खेती व्यवसाय को उन्नत बनाने में करेंगे। राशि का उपयोग खाद, बीज सहित अन्य कृषि आदानों को खरीदने में करेंगे। खेत में सिंचाई के साधन बढायेगे अच्छे खाद-बीज खरीदेंगे तो हमें अच्छा उत्पादन और बेहतर उत्पादकता मिलेगी। इससे हमारी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।

विशेष : नीतियों से मुक्ति ने दिया खुद को साबित करने का मौका

$
0
0
women-sarpanch-sushila-shetti
सुशीला शेट्टी पाटिल कर्नाटक के धारवाड़ जिले के धारवाड़ तालुका के नरेन्द्र पंचायत में अध्यक्ष के तौर पर काम काज संभाल रही हैं। सुशीला एस.एस.एल.सी. (दसवीं के बराबर) तक पढ़ी हैं। इनकी उम्र 47 वर्ष है व परिवार में पति व तीन बच्चों को मिलाकर कुल पांच सदस्य हैं। परिवार में आमदनी का मुख्य खेती है। सुशीला का एक बेटा भारतीय फौज में नौकरी करता है।  शिक्षा व स्वच्छता अभियान के मामले में धारवाड़ एक प्रगतिशील जिला है। 2011 की जनगणना के अनुसार जिले के धारवाड़ तालुका में शिक्षा का दर 72.13 प्रतिशत था जिसमें महिलाओं का शिक्षा दर 55.12 प्रतिशत था। नरेन्द्र पंचायत की कुल जनसंख्या तकरीबन 14000 है जिसमें महिलाओं की जनसंख्या तकरीबन 48 प्रतिशत है। 
                      
सुशीला लगातार 2010 से नरेन्द्र ग्राम पंचायत की अध्यक्ष हैं। पहले सुशीला के पिता नरेन्द्र ग्राम पंचायत के अध्यक्ष थे। 2010 में भी सुशीला ने ग्राम पंचायत के अध्यक्ष का चुनाव जीता था। 2010 और 2015 के चुनाव में नरेन्द्र ग्राम पंचायत की सीट सामान्य महिला के लिए आरक्षित थी। चुनाव में भाग लेने के लिए सुशीला को उनके पति के अलावा, गाँव के कई बड़े बुजुर्गों और उनके माता-पिता ने प्रोत्साहित किया था। गाँव की बेटी होने का फायदा भी सुशीला को मिला। चुनाव प्रचार के दौरान सुशीला के पति ने उनका साथ दिया, उनके लिए चुनाव प्रचार किया और लोगों से वोट देने की अपील की। 
          
ऐसा नहीं है कि नरेन्द्र गाँव पंचायत की अध्यक्ष बनने से पहले सुशीला की जिन्दगी काफी सुखमय और आरामदायक बीती हो। सुशीला ने भी अन्य महिलाओं की ही तरह काफी दिक्कतें और मुश्किलों का सामना किया है। सुशीला अपने पति के साथ अपने ससुराल में रहती थी, मगर पति के दारू पीने की लत और अपने साथ मारपीट होने के कारण सुशीला ने पति का घर छोड़ दिया। अपना ससुराल छोड़ने के बाद सुशीला नरेन्द्र पंचायत में ही रहने लगी और दो साल बाद सुशीला के पति भी उनके साथ इधर ही आ कर बस गए।
       
2010 से पहले नरेन्द्र ग्राम पंचायत में कस्तूरी गंटे, चंद्रन गोवडा, प्रेमा कुमारी देसाई, गंगाम्मा डालेगारा, रायना गोवडा एवं बालना गोवडा ने सदस्य के रूप में काम किया। सुशीला शुरू से ही सामाजिक कार्यों में सक्रिय थीं। 2003 में उन्होंने ‘स्त्री शक्ति कमेटी’ बनाई। इस कमेटी के माध्यम से सुशीला ने लोगों को आपस में जोड़ना शुरू किया और इस कमेटी में जुड़ने से लोगों को काफी फायदा पहुचने लगा। इस कमेटी के माध्यम से सुशीला ने गाँव की महिलाओं को कम दर पर गैस सिलेंडर दिलवाए। कमेटी के द्वारा उन्होंने जरुरतमंद महिलाओं को बिना ब्याज दर के ज़रूरत पड़ने पर कर्ज भी दिलवाया जिसकी वजह से लोगों के बीच और खासतौर पर महिलाओं के बीच वह काफी लोकप्रिय हुईं। आज इस कमेटी से 150 महिलाएं जुडी हुई हैं। 
                  
सुशीला बताती हैं कि वह गांव की बेटी हैं और अभी तक उन्हें अपने कार्यकाल में किसी भारी विरोध का सामना नहीं करना पड़ा। एक महिला होने के नाते भी नहीं। शायद यह वजह है कि वह पिछले दो सत्रों से लगातार अध्यक्ष चुनी जा रही हैं। सुशीला एक सकारात्मकता और जोश के साथ अपनी पंचायत के लिए काम करती हैं। सुशीला बताती हैं कि इस पंचायत के लोग बहुत जागरूक हैं । यदि वह सरकार से केवल फण्ड लेकर बैठी रहें और कोई विकास का काम न करें तो उनकी पंचायत के लोग उनसे सवाल करना शुरू कर देतें है कि अभी तक फण्ड का इस्तेमाल क्यों नहीं किया गया?
          
हालांकि पहली बार जब वह अध्यक्ष बनीं थी तो उनको भी दिक्कत हुई थी क्योंकि उनके लिए यह काम नया था। पंचायत के काम को समझने में उन्हें काफी मेहनत करनी पडी थी। समस्या तब और बढ़ गयी थी जब उनकी पंचायत क्षेत्र के चार पंचायत विकास अधिकारी अचानक बदल दिए गए थे । जिसकी वजह से उनको शुरूआती दिनों में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। किन्तु उस मुश्किल घड़ी में उनकी पंचायत के अन्य सदस्यों ने उनको काम समझाने में काफी मदद की। उनकी पंचायत में जब नये पंचायत विकास अधिकारी ने कार्यभार संभाला तो उनके साथ सुशीला ने गाँव के विकास के लिए कई काम किए जिसमें सड़कों को ठीक करवाना, पीने के पानी की सुविधा, पानी की निकासी के लिए नालियों का निर्माण व गाँव में स्कूल की सुविधा को और बेहतर बनाना आदि काम शामिल हैं। 
          
सुशीला गाँव के विकास के लिए नियमित रूप से बैठकों का आयोजन करती हैं। इसमें पंचायत के सभी सदस्य मौजूद रहते हैं। बैठक का मुद्दा होता है कि गाँव में सबसे पहले किस वार्ड में और क्या काम कराया जाना चाहिए? इसके साथ ही कई अन्य मुद्दों पर भी चर्चा होती हैं। सभी निर्णय लेने के बाद ही निर्धारित कामों के बदले कार्य कराने के लिए फण्ड दिया जाता है।
           
लोगों की समस्याओं को सुलझाने के लिए सुशीला आपातकालीन बैठकों के अलावा आम बैठकें और ग्राम सभा का आयोजन भी करती हैं। नरेन्द्र ग्राम पंचायत में हर छठे महीने आम बैठक में गाँव के सभी लोग हिस्सा लेते हैं और अपनी समस्याएं रखते है। इन बैठकों में राजस्व व पुलिस महकमे के अलावा अन्य विभागों से भी लोग मौजूद होते हैं। ज़्यादातर समस्याओं का समाधान इन बैठकों में ही किया जाता है। ग्राम पंचायत में अध्यक्ष ही बैठक में आयी सभी समस्याओं के समाधान के लिए सभी के साथ बातचीत करता है और साथ ही आर्थिक मामलों को भी उसी बैठक में अध्यक्ष के माध्यम से निपटाया जाता है। सुशीला के पंचायत में नियुक्त होने के बाद गाँव को टैक्स वसूलने के लिए एक अधिकारी नियुक्त हुआ था और सुशीला जमा किए गए टैक्स से ही गाँव में विकास कार्यों को अंजाम देती हैं। 
          
कर्नाटक की राज्य स्तरीय पंचायती राज नीतियों में पंचायत चुनावों में प्रतिभागिता के लिए शिक्षा, शौचालय, दो बच्चों की अनिवार्यता तथा समरस जैसी नीतियों में से कुछ भी अभी तक ज़मीनी स्तर पर दिखाई नहीं दिया है जो पंचायत में प्रतिभाग करने की इच्छुक एक निश्चित आयुवर्ग की महिलाओं के लिए बाधा बना हो। कर्नाटक में पंचायती राज चुनावों में महिलाओं का आरक्षण भी 50 प्रतिशत है जो महिलाओं को शासन की मुख्यधारा में आने में मदद करता है। कर्नाटक के कुछ भागों में शिक्षा का स्तर अन्य उत्तर भारतीय राज्यों की अपेक्षा बेहतर है और यहां महिलाओं को चारदीवारी में बंद करने की परंपरा भी नहीं दिखाई पड़ती है। शायद यही वजह है कि सुशीला पाटिल की राह इतनी आसान रही है। सुशीला कहती हैं कि यदि सच में उनके राज्य में दो बच्चों की सीमा वाला कानून होता तो शायद वह चुनाव में प्रतिभाग नहीं कर सकती थीं। कर्नाटक में पंचायत चुनाव लड़ने के लिए कोई बाध्यता नियम नहीं है जो स्थानीय शासन में महिलाओं की भागीदारी को प्रभावित करता हो। महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण शासन में महिलाओं की सक्रिय भागीदारी में एक अहम रोल अदा कर रहा है और महिलाएं भी पंचायत चुनाव में बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रही हैं। सुशीला को उम्मीद है कि राज्य सरकार यहां दूसरों राज्यों की तरह पंचायत चुनाव में खड़ा होने के लिए कोई योग्यता नियम नहीं लाएगी जिससे स्थानीय शासन में महिलाओं की भागीदारी प्रभावित हो।





(अन्नापूर्णा)

आलेख : काम के लिए शिक्षा नहीं लगन और नीयत चाहिए

$
0
0
women-sarpanch
यह कहानी सीता काम्बले की है। सीता कांबले कर्नाटक के धारवाड़ ज़िले के धारवाड़ तालुका के मंडीहाल ग्राम पंचायत की अध्यक्ष हैं। मंडीहाल पंचायत में कुल चार गांव नागलावी, मंडीहाल, वर्वनागल्वी व दड्डीकमलापुर आते हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार कर्नाटक में शिक्षा का प्रतिशत 75.36 प्रतिशत था जिसमें 82.47 प्रतिशत पुरूष व 68.08 प्रतिशत महिलाएं शिक्षित थीं। 2011 के बाद यकीनन इस अनुपात में फर्क आया होगा। लेकिन पुरानी पीढ़ी की महिलाएं शायद अभी भी अशिक्षित हैं। कर्नाटक में पंचायत चुनाव में शैक्षिक योग्यता की बाध्यता नहीं है। इसलिए राज्य में शिक्षा दूसरे राज्यों की तरह पंचायत चुनाव लड़ने के लिए बाधा नहीं हैं। सीता काम्बले एक सामाजिक महिला रही हैं। सीता काम्बले का गांव के लोगों के साथ उठना बैठना काफी रहा है। वह गांव के लोगों की समस्याएं सुनती थीं और बांटती थीं। इसी वजह से 2015 के चुनाव में वह मंडीहाल ग्राम पंचायत की अध्यक्ष चुनकर आयीं।
         
सीता 2015-16 में पहली बार पंचायत की अध्यक्ष बन कर आई। सीता 2010 के पंचायत चुनाव में अध्यक्ष पद के लिए खड़ी हुई थीं मगर हार गयी थीं। इसके बाद वह सामाजिक कार्यों में ज़्यादा व्यस्त हो गईं थीं। उन्होंने गांव में सड़क व पटरी निर्माण के लिए पंचायत भवन में धरना दिया था। सीता काम्बले ने पुराने स्कूल की मरम्मत कराने के लिए ज़िला न्यायालय में शिकायत की थी। इसके बाद सीता काम्बले की कोशिशों से गांव के स्कूलों मेें मरम्मत का काम संभव हो पाया। मंडीहाल ग्राम पंचायत के तीनों गांव में जंगल जैसी भौगोलिक स्थिति है और इस पंचायत के सभी गांव जंगल से सटे हुए हैं। पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए गांव वालों को काफी मशक्कत करनी पड़ती थी और कभी-कभी तो पानी के लिए लोग एक किलोमीटर चलकर जाते हैं। अध्यक्ष बनने के बाद गीता ने प्रयास करके पंचायत के तीनो गांव में एक-एक बोरिंग कराकर गांव वालों को पानी की समस्या से निजात दिला दी। स्त्री शक्ति संगठन के माध्यम से सीता ने लगभग 100 महिलाओं को सब्सिडी रेट पर गैस सिलेंडर दिलवाए। इस प्रयास से इन सभी को शुरूआत में गैस सिलंेडर लेने के लिए केवल 100 रूपये देने पड़ते थे बाकी पैसे धीरे-धीरे उनके खाते से कट जाते थे।
       
अपने प्रयासों से सीता कांबले इतनी लोकप्रिय हुईं कि गांव के हर विकास कार्य में उन्हें बुलाया जाने लगा। काम के प्रति उनकी लगन और मेहनत को देख कर गांव के लोगों ने उन्हें फिर से चुनाव लड़ने की सलाह दी। 50 प्रतिशत महिला आरक्षण की वजह से सीता कांबले को सरपंच के पद पर चुनाव लड़ने का मौका मिला। सीता से पहले गांव के अध्यक्ष हसन थे। अध्यक्ष पद पर रहते हुए हसन ने गांव के विकास के लिए कोई खास काम नहीं करवाया था और सारा फंड यूं ही गंवा दिया था। 
    
चुनाव के समय हसन ने सीता के खिलाफ दुष्प्रचार भी किया था कि सीता एक महिला है, क्या वह काम कर पाएंगी? पर सीता अपनी मेहनत और लगन से पहले ही इस बात को झूठ साबित कर चुकीं थीं। सीता के मुताबिक हसन के कार्यकाल में सरकार से मिलने वाले पंचायत विकास फण्ड का इस्तेमाल भी ठीक से नहीं होता था। कई बार तो फंड का इस्तेमाल न होने की वजह से यह वापस भी चला जाता था। सीता ने एक बार हसन के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी क्योंकि हसन 2015-16 के चुनाव में पोलिंग बैलेट के साथ ही बैठ गए थे। जिसके लिए हसन को पुलिस ने गिरफ्तार भी किया था। इस तरह सीता हसन के सारे ताने बानों को तोड़कर पंचायत की अध्यक्ष चुनीं गईं थीं। 

हालांकि सीता का चुनाव लड़ने का कोई उद्देश्य नहीं था परन्तु पंचायत की जनता उन्हें अध्यक्ष देखना चाहती थी। इसलिए उन्होंने चुनाव में प्रतिभागिता की और जीत दर्ज की। शुरुआत के दिनों में परिवार ने उनका सहयोग नहीं किया था, परन्तु कुछ समय बाद उनके परिवार से भी उनको काफी सहयोग मिलने लगा। परन्तु गांव के कुछ समुदाय ऐसे थे जो अध्यक्ष के तौर पर सीता को पसंद नहीं करते थे। हालांकि सीता अपनी जिम्मेदारी अच्छी तरह से समझती थीं परन्तु एक महिला अध्यक्ष होने के कारण पंचायत में उनसे भेदभाव होता था। सीता अशिक्षित हैं और इसीलिए उन्होंने अपनी मदद के लिए एक सहायक नियुक्त किया है। वह अपने निजी फंड से उसको तनख्वाह देती हैं। यह सहायक उनको पंचायत के काम काज सीखने समझने में मदद करता है। साथ ही वह उन्हें कागजातों की समझ भी देता है कि किस पर हस्ताक्षर करें और किस पर नहीं। इस तरह वह सीता को हर प्रकार की धोखाधड़ी से भी बचाता है। शुरुआत में वह अधिकारियों से बात करने में डरती थी, लेकिन अब अपने काम को लेकर उनमें काफी आत्मविश्वास है और वह अब अधिकारियों से आराम से बात कर पाती हैं।
          
अपने कार्यकाल में सीता गांव के विकास के लिए निरंतर काम में लगी हुई हैं। उन्होंने न केवल पंचायत में 175 शौचालय का निर्माण करवाया बल्कि स्कूल में पीने के पानी की सुविधा भी प्रदान की। सीता अपने ग्राम पंचायत में महिलाओं और उनकी समस्याओं पर चर्चा करने के लिए समय समय पर बैठकों का आयोजन करती हैं ताकि महिलाओं की समस्याओं का निपटारा किया जा सके। इसके अलावा गाँव वालों के मुताबिक सीता पूरे साल में 10-12 बैठकें आयोजित करती है । बैठकों के आयोजन के लिए वह गाँव में जगह जगह नोटिस चस्पां करवाती हैं। इसके अलावा सभी पंचायत सदस्य मीटिंग के बारे में अपने वार्ड में लोगों को सूचित करते हैं। सीता कांबले इन बैठकों के माध्यम से गाँव के विकासात्मक कार्यों का जायजा लेती हैं और सुनिश्चित करती हैं कि गांव के विकास कार्यों में बाधा नहीं आए, फिर चाहे वह पानी की दिक्कत हो या फिर सड़क निर्माण या राशन बंटवारे से सम्बंधित क्यों न हो, उनके कार्यकाल में सभी काम सुचारू रूप से निरंतर चलते रहते है।
सीता कांबले एक सफल अध्यक्ष के तौर तर तकरीबन गांव के सभी लोगों को स्वीकार्य हैं। उनमें काम करने और सीखने की इच्छा है और वह कड़ी मेहनत से अपने काम को अंजाम देती हैं। वह भविष्य में जिला पंचायत चुनाव लड़ना चाहती हैं, और वह ऐसा कर सकती हैं क्योंकि विभिन्न राज्यों में पंचायत चुनावों में प्रतिभाग करने के लिए लागू किये गये तमाम नियमों में से एक भी ऐसा कर्नाटक में नहीं है जो महिलाओं को शासन की मुख्यधारा में आने से रोक सके। सीता जैसे अशिक्षित प्रतिभागी, जो अपना नामांकन पत्र तक भर सकने में सक्षम नहीं हैं, पंचायत की जनता उनको उनके काम के कारण ही सर आंखों पर रखती है और अपना नेता चुनती है। सीता और उनके पति दोनों ही अशिक्षित हैं मगर यह सीता की गांव विकास की समझ में बाधा नहीं बनता और इसी विश्वास पर सीता नेतृत्व करती हैं। सीता कहतीं हैं कि यदि अन्य राज्यों की तरह यहां भी अनुसूचित जाति केे लिए एक निश्चित शिक्षा का स्तर अनिवार्य होता तो शायद वह यह अवसर नहीं पातीं और शायद कोई शिक्षित महिला यह स्थान प्राप्त करती। इस सबके बावजूद सीता राजनीति में आगे बढ़ना चाहती हैं। इस बारे में वह कहती हैं कि ग्राम पंचायत के चुनाव में महिलाओं की भागीदारी और अधिक बढ़नी चाहिए। सीता यहीं पर रूकना नहीं चाहती। वह जिला और तालुका पंचायत तक जाना चाहती हैं। उनको खुद पर यकीन है कि वह वहां भी बेहतर काम कर पायेंगी और लोग उनका साथ देंगे।





(मल्लिकार्जुन)

विशेष आलेख : राकेश सिंह की नियुक्ति और शिवराज की चुनौतियां

$
0
0
shivraj-and-appointment
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनावों में कुछ ही महीने शेष बचे हैं और इसी के साथ ही दोनों प्रमुख पार्टियों में मुकाबले से पहले अंदरूनी उठापटक का आखिरी दौर भी शुरू हो चूका है. लंबे समय से दोनों ही पार्टियों में सांगठनिक बदलाव की सुगबुगाहट चल रही थी. भाजपा की तरफ से शिवराजसिंह चौहान के रूप में मुख्यमंत्री पद का चेहरा तो पहले से ही मैदान में मौजूद है और अब निष्प्रभावी नंदकुमार सिंह चौहान की जगह उसे राकेश सिंह के रूप में नया अध्यक्ष तो मिला ही है साथ ही है केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के नेतृत्व में  प्रदेश चुनाव अभियान समिति का गठन भी कर दिया गया है. लेकिन राकेश सिंह की प्रदेश अध्यक्ष के रूप में नियुक्ति इतनी सहज भी नहीं है दरअसल यह एक तरह से राजनीतिक समझौता है जो राष्ट्रीय नेतृत्व यानी नरेंद्र मोदी, अमित शाह और शिवराज सिंह चौहान के बीच हुआ है. शिवराज सिंह चौहान लम्बे समय से राज्य में पार्टी का सबसे विश्वसनीय चेहरा बने हुये है वे एक तरह से मध्यप्रदेश में भाजपा का पर्याय बन चुके हैं लेकिन 2014 के बाद से पार्टी में शिवराज की पुरानी वाली स्थिति नहीं रह गयी है, इधर लगात्तर कई उपचुनाव में हुयी हार को सूबे में उनकी ढ़ीली पड़ती पकड़ के रूप में देखा जा रहा है, मुंगावली और कोलारस के उपचुनाव में हार से पहले उसे चित्रकूट और  अटेर विधानसभा के उपचुनाव में भी मात मिल चुकी है. जबकि पार्टी की तरफ से इन चुनावों में पूरी ताकत और तमाम तरह के संसाधनों को झोंक दिया गया था. चुनाव के मुहाने पर खड़े मुख्यमंत्री और लगातार अपनी तीसरी पारी पूरी करने जा रही सत्ताधारी पार्टी के लिये ये हारें खतरे की घंटी की तरह हैं जिसके  बाद से संगठन में बदलाव की आवाजें मुखर होने लगी थीं और अंत में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को अपने विश्वासपात्र अध्यक्ष को बदलने के लिए राजी होना पड़ा. 

लेकिन इस बदलाव के लिये राष्ट्रीय नेतृत्व और शिवराजसिंह के बीच लंबी खींचतान चली है, शिवराजसिंह चौहान चाहते थे कि उनके किसी विश्वस्त नेता को ही प्रदेश अध्यक्ष की ज़िम्मेदारी मिले और इस मामले में उनकी पसंद गृहमंत्री भूपेंद्र सिंह और थोड़ी हिचकिचाहट के साथ नरेंद्र सिंह तोमर थे जबकि राष्ट्रीय नेतृत्व नरोत्तम मिश्रा या कैलाश विजयवर्गीय को कमान देना चाहता था. चूंकि यह चुनावी साल है इसलिए दोनों तरफ से बीच का रास्ता निकालने की कोशिश की गयी और फिर राकेश सिंह के नाम पर सहमति बनी. इस तरह से मध्यप्रदेश भाजपा के दोनों चौहानों में से एक नंदकुमार सिंह चौहान की विदाई हो गयी लेकिन दुसरे चौहान शिवराज सिंह अपनी जगह पर डटे हुये हैं.इस पूरी परिघटना में राष्ट्रीय नेतृत्व ने सूबे में शिवराज के सियासी रकीबों को निराश किया और शिवराज एक बार फिर यह सन्देश देने में कामयाब हुये है कि अभी भी यह नौबत नहीं आई है कि मध्यप्रदेश भाजपा में कोई भी फैसला उनकी मर्जी के खिलाफ किया जा सके. महाकौशल से आने वाले राकेश सिंह तीन बार से सांसद रहे हैं, इसके अलावा लोकसभा में बीजेपी के मुख्य सचेतक ,महाराष्ट्र बीजेपी के प्रभारी और कईसंसदीय समितियों के सदस्य हैं. वे पिछड़े वर्ग से आते हैं और उनकी पहचान एक मजबूत संगठनकर्ता के रूप में है. उनके भाजपा संगठन से बहुत मजबूत रिश्ते है. हालांकि विपक्षी कांग्रेस उन्हें मजबूरी का सौदा मानती है कांग्रेस नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह का बयान है कि “भाजपा ने समझौते के तहत राकेश सिंह को प्रदेश अध्यक्ष पद की कमान दी है वे इस पद के हिसाब से हलके हैं.” 

राकेश सिंह को भले ही सूबे में पार्टी का कमान मिल गया हो लेकिन इसी के साथ ही नरेंद्र सिंह तोमर को चुनाव अभियान समिति की कमान भी सौंप दी गयी है इस समिति में नरोत्तम मिश्रा , कैलेश विजयवर्गीय, प्रह्लाद  पटेल और फग्गन सिंह कुलस्ते जैसे नेता सदस्य के तौर पर शामिल हैं. भाजपा में चुनाव अभियान समितियों का बड़ा महत्त्व होता है और जाहिर है राकेश सिंह को सिर्फ संगठन की जिम्मेदारी मिली है चुनाव अभियान की नहीं. इन सबके बीच अध्यक्ष के तौर उन्हें ख़ुद को साबित करने की चुनौती होगी. मुख्यमंत्री के साथ उन्हें चुनाव अभियान समिति से  तालमेल बिठाना होगा साथ ही उन्हें इस चुनावी साल में सत्ता विरोधी माहौल और पार्टी के अन्दर गुटबाजी जैसी चुनौतियों का भी सामना करना होगा. लेकिन असली चुनौती तो मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान की होगी मध्यप्रदेश में लगातार चौथी बार भाजपा की सरकार बनाने का असली दायित्व उन्हीं का होगा और उन्हीं के चेहरे और मुख्यमंत्री के तौर पर उनके परफॉरमेंस से साथ ही भाजपा चुनाव लड़ेगी. लेकिन राज्य में इस बार का विधानसभा चुनाव भाजपा के लिए उतना आसान नहीं माना जा रहा है. 

बहरहाल इधर लम्बे समय से चली आ रही विपक्षी कांग्रेस में भी असामंजस्यता की स्थिती भी समाप्त हो गयी है पार्टी ने कमलनाथ को सूबे में पार्टी का कमान और ज्योतिरादित्य सिंधिया को चुनाव प्रचार समिति का प्रमुख बना दिया है. इस धोषणा के साथ ही अब लम्बे समय बाद भाजपा को कांग्रेस से गंभीर चुनौती का सामना करना पड़ सकता है . कुल मिलाकर शिवराजसिंह चौहान का पार्टी संगठन और सरकार पर नियंत्रण बना हुआ है, भाजपा का मौजूदा शीर्ष नेतृत्व अपने अलावा किसी और को मजबूत शक्ति केंद्र के रूप में देखना पसंद नहीं करता है और ना ही समझौते में यकीन करता है लेकिन शिवराज उसे समझौते के स्तर पर लाने में कामयाब हुये हैं. राज्य इकाई आज भी उन्हें चुनौती देने की स्थिति में कोई  नहीं है आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प रहेगा कि कमलनाथ और सिंधिया के नेतृत्व में कांग्रेस की नयी टीम भाजपा को चौथी बार सत्ता में वापसी से रोकने में किस तरह की रणनीति अपनाती है . फिलहाल पार्टी के अंदर वे चुनौती-विहीन नजर आ रहे हैं लेकिन चुनाव के बाद अगर भाजपा जीतती है तो पक्के से नहीं कहा जा सकता कि यही स्थिति बनी रहेगी और फिर लगातार सत्ता में रहने अपने खतरे भी तो है जो खुली आँखों से तो नजर नहीं आते हैं लेकिन ऐन मौके पर पासा पलट सकते हैं .



liveaaryaavart dot com

जावेद अनीस 
Contact-9424401459
javed4media@gmail.com

बिहार : ‘सामाजिक न्‍याय का संकट’ विषय पर हुआ विमर्श

$
0
0
  • हमारी मुलाकात फिर किसी नये अंक के साथ अगले पड़ाव पर होगी
  • ‘वीरेंद्र यादव न्‍यूज’ के 30 अंकों के प्रकाशन के मौके पर सेमिनार

seminaar-for-social-justice
मासिक पत्रिका ‘वीरेंद्र यादव न्‍यूज’ के 30 अंकों की यात्रा पूरी करने के अवसर पर 29 अप्रैल को पटना के गांधी संग्रहालय में विचार गोष्‍ठी आयोजित की गयी थी। गोष्‍ठी के अंत में अति‍थियों के प्रति आभार व्‍यक्‍त करते हुए हमने कहा कि हमारी अगली मुलाकात ‘वीरेंद्र यादव न्‍यूज’ के किसी नये अंक के साथ अगले पड़ाव पर होगी। पत्रिका के निर्बाध 30 अंकों की यात्रा काफी रोमाचंक रही है। हर अंक के लिए चंदा एकत्र करना, सामग्री का संकलन और पाठकों तक पहुंचाना काफी श्रमसाध्‍य काम रहा है। इसके साथ प्रति अंक की कवर स्‍टोरी की विशेष तैयारी और उसके लिए आंकड़ों की तलाश भी चुनौतीपूर्ण रही है। लेकिन हर अंक के बाद पाठकों से मिलने वाली प्रतिक्रिया और शुभेच्‍छुओं का सहयोग हमें लगातार पत्रिका को बेहतर बनाने के लिए प्रेरित करता रहा है। दरअसल 30वें अंक के प्रकाशन के बाद आयोजित विचार गोष्‍ठी पाठकों और शुभेच्‍छुओं के प्रति हमारा आभार ही था। विचार गोष्‍ठी का विषय था- सामाजिक न्‍याय का संकट।

गोष्‍ठी को संबोधित करते हुए हमने कहा कि अपने अन्‍य कार्यों के अलावा पत्रिका के लिए समय निकालना चुनौती भरा रहा है। इसके बावजूद पत्रिका नियमित रूप से छपती रही तो इसमें एक बड़ी वजह सामाजिक जिम्‍मेवारियों के प्रति हमारी प्रतिबद्धता भी रही है। सामाजिक सरोकारों को लेकर हमारी निष्‍ठा भी रही। यही प्रतिबद्धता और निष्‍ठा विषम परिस्थितियों में भी पत्रिका प्रकाशित करने के लिए विवश करती रही है, प्रेरित भी करती रही है। इसी का परिणाम है कि हम 30 अंकों की गौरवपूर्ण निर्बाध यात्रा पूरी कर सके हैं। हमने कहा कि पत्रिका का हर अंक काफी तथ्‍यपूर्ण और संग्रहणीय रहता है। 2015 के विधान सभा चुनाव के बाद बिहार को समझने के लिए इस पत्रिका से बेहतर कोई सामग्री उपलब्‍ध नहीं है। पत्रिका हर महीने की महत्‍वपूर्ण राजनीतिक घटनाओं का दस्‍तावेज भी है। हमारी कोशिश भी यही रही है कि हम जिस विषय को उठाएं, उसे पूरी समग्रता के साथ पाठकों के समक्ष रखें। हम पत्रिका के निष्‍पक्ष होने का दावा भी नहीं करते हैं। क्‍योंकि पाठकों पर निर्भर करता है कि किसी खबर को वे किस परिप्रेक्ष्‍य में देखते हैं। हम अपनी बातों को तथ्‍यों के साथ रखते हैं। उन बातों से सहमति या असहमति पाठकीय स्‍वतंत्रता है और हम उसका सम्‍मान करते हैं।

विचार गोष्‍ठी को संबोधित करते हुए न्‍यूज पोर्टल मीडियामोरचा की संपादक डॉ लीना ने कहा कि ‘सामाजिक न्‍याय का संकट’ गंभीर होता जा रहा है। कुछ सवर्ण जातियों के लिए 50 प्रतिशत सीटों का आरक्षण तय कर दिया है। अकेले 3 प्रतिशत ब्राह्मणों का ही 45 फीसदी सीटों पर कब्‍जा है। बेहतर शिक्षा और शैक्षणिक माहौल बनाकर ही इस संकट से निपटा जा सकता है। विधान सभा के सेवानिवृत्‍त अवर सचिव रामेश्‍वर चौधरी ने कहा कि समाज को बांटने और बांटते रहने की परंपरा सदियों चली आ रही है। यह बंटवारा ही शोषण का मुख्‍य आधार रहा है। समाज में नकारात्‍मक स्‍पर्धा की प्रवृत्ति बढ़ी है। इससे उबरने की जरूरत है। सामाजिक कार्यकर्ता रौशन यादव ने कहा कि सामाजिक न्‍याय के अपने पक्ष हैं। आरक्षण सामाजिक न्‍याय का जरिया है, आर्थिक न्‍याय का नहीं। इलाहाबाद बैंक से सेवानिवृत्‍त बैंक मैनेजर केके कर्ण ने कहा कि सामाजिक न्‍याय का लक्ष्‍य हासिल करने के लिए सत्‍ता जरूरी है। उन्‍होंने कहा कि ओबीसी समाज मरा हुआ है। वह अपने अधिकारों के प्रति सचेत नहीं है और जागरूक भी नहीं है। श्री कर्ण ने गावं की ओर चलने की अपील की। पटना हाईकोर्ट के वरीय अधिवक्‍ता केपी यादव ने कहा कि शिक्षा की दिशा और गुणवत्‍ता तय होनी चाहिए। गुणवत्‍ता के बिना शिक्षा निरर्थक साबित होगी। कार्यक्रम में प्रमोद यादव, रामईश्‍वर पंडित, अमरेंद्र पटेल, गौतम आनंद, मनीष कुमार, प्रभात कुमार, अमरज्‍योति कुमार ने आदि ने भी अपने विचार व्‍यक्‍त किये।
Viewing all 74180 articles
Browse latest View live




Latest Images