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येदियुरप्पा को 5 वर्षों तक सत्ता में बने रहने का भरोसा

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बेंगलुरू, 17 मई, बी.एस. येदियुरप्पा ने गुरुवार को कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के कुछ घंटो बाद कहा कि वह बहुमत हासिल करने और पांच वर्ष तक सत्ता में रहने को लेकर आश्वस्त हैं। मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के कुछ घंटों बाद येदियुरप्पा ने मीडिया से कहा, "मैं राज्य के लोगों खासकर किसानों और गरीबों, जिन्होंने मुझे समर्थन दिया, के प्रति आभारी हूं। लोग मेरे साथ हैं और मैं आश्वस्त हूं कि मुझे बहुमत हासिल होगा और अगले पांच वर्षो तक सत्ता में रहूंगा।"राज्य के मुख्यमंत्री के तौर पर पद्भार संभालने के लिए प्रधानमंत्री मोदी और भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) अध्यक्ष अमित शाह का आभार जताते हुए उन्होंने कांग्रेस और जनता दल सेक्युलर (जेडीएस) पर गठबंधन बनाकर जनता के जनादेश को चुराने की कोशिश करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, "कांग्रेस और जेडीएस ने लेागों द्वारा भाजपा को चुनने के बावजूद गठबंधन बनाया।"उन्होंने कहा, "जेडीएस के और कांग्रेस के कई ऐसे विधायक हैं, जो जानते हैं कि भाजपा सरकार बनाएगी और मुझे भरोसा है कि वे लोग हमारी सरकार को वोट देंगे।"येदियुरप्पा ने हालांकि यह बताने से इनकार कर दिया कि भाजपा सदन में कैसे अपना बहुमत साबित करेगी। उन्होंने कहा कि मामले की सुनवाई सर्वोच्च अदालत में हो रही है। इससे पहले सर्वोच्च न्यायालय की तीन सदस्यीय पीठ ने येदियुरप्पा के शपथ ग्रहण पर रोक लगाने संबंधी कांग्रेस और जनता दल (सेकुलर) की संयुक्त रिट याचिका खारिज कर दी। शीर्ष अदालत ने कहा कि येदियुरप्पा का शपथ ग्रहण मामले के अंतिम नतीजे के अधीन है और इस मामले में अगली सुनवाई शुक्रवार को 10.30 बजे होगी। कर्नाटक में 12 मई को हुए विधानसभा चुनाव में 104 सीटों के साथ भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है लेकिन वह बहुमत के 112 के आंकड़े से आठ सीटे दूर रही। वहीं कांग्रेस ने 78 सीटे जीतीं जबकि जेडीएस ने 38 सीटें जीती। राज्यपाल वैजुभाई आर.वाला के आदेश के अनुसार, येदियुरप्पा को 15 दिन के अंदर सदन में बहुमत साबित करना होगा।

संविधान व लोकतंत्र खतरे में, नियम-कानून की उड़ रही हैं धज्जियां : रघुवंश प्रसाद सिंह

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पटना, 17 मई, कर्नाटक के राज्यपाल वजुभाई वाला द्वारा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता बी.एस. येदियुरप्पा को कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाने पर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। राजद उपाध्यक्ष ने कर्नाटक में बहुमत न होने के बावजूद भाजपा नेता को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाए जाने पर कहा कि भाजपा संविधान, लोकतंत्र और नियम कानून की धज्जियां उड़ा रही है। भाजपा लोकतंत्र की हत्या करने पर तुली है। पटना में रघुवंश प्रसाद सिंह ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि राज्यपाल ने बहुमत का अनादर किया है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र को बचाने के लिए पूरे विपक्ष को एकसाथ आना होगा। सिंह ने पिछले साल की याद कराते हुए कहा कि बिहार में राजद सबसे बड़ी पार्टी थी, लेकिन उसे सरकार बनाने का मौका नहीं दिया गया और बहुमत वाली पार्टियों के गठबंधन को सरकार बनाने का न्योता दे दिया गया और कहा गया कि गठबंधन के सदस्यों का संख्या बल बहुमत के आंकड़े से ज्यादा है। उन्होंने कहा कि आज इसके ठीक उलट कर्नाटक में कांग्रेस और जनता दल (एस) के गठबंधन के पास बहुमत से ज्यादा विधायक होने के बावजूद इन्हें सरकार बनाने का न्योता नहीं दिया गया। उन्होंने कहा कि आज सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को संवाददाता सम्मेलन करना पड़ रहा है। देश में लोकतंत्र की हत्या हो रही है। उन्होंने गैर भाजपा दलों को एकजुट होने की अपील करते हुए कहा कि अब सभी विपक्षी दलों को एकसाथ आना चाहिए। सिंह ने घोषणा करते हुए कहा कि 18 मई को राजद लोकतंत्र और संविधान बचाने को लेकर बिहार में राज्यव्यापी धरना देगी।

बौद्धिक संपदा सुरक्षा कानून को सख्ती से लागू किया जाना चाहिए : सुरेश प्रभु

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नई दिल्ली, 16 मई, केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने बुधवार को कहा कि बौद्धिक संपदा अधिकार की सुरक्षा के लिए केवल कानूनी प्रावधानों का होना ही पर्याप्त नहीं है बल्कि इन्हें सख्ती से लागू किया जाना चाहिए। प्रभु ने यहां राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा अधिकार कानून पर आयोजित सम्मेलन के दौरान यह बात कही। सुरेश प्रभु ने कहा, "ज्ञान आधारित समाज के निर्माण के लिए बौद्धिक संपदा अधिकार की सुरक्षा महत्वपूर्ण है। बौद्धिक संपदा अधिकार की सुरक्षा के लिए केवल कानूनी प्रावधान ही पर्याप्त नहीं है बल्कि इन्हें सख्ती से लागू किया जाना चाहिए।"प्रभु ने कहा, "पायरेसी एक गंभीर अपराध है और अपराधी को दंडित किया जाना चाहिए। बौद्धिक संपदा अधिकार के चोरी किए जाने के संदर्भ में जागरूकता फैलानी चाहिए और इस प्रयास में समाज की हिस्सेदारी सुनिश्चित की जानी चाहिए।"उन्होंने इस सम्मेलन के दौरान राष्ट्रीय संपदा के प्रतीक चिन्ह, आईपी नानी का शुभारंभ किया। समारोह के दौरान केंद्रीय मंत्री ने एंटी पायरेसी वीडियो भी लांच किया। इस वीडियो में अमिताभ बच्चन ने भूमिका निभाई है। मस्कट आईपी नानी तकनीक को समझने, उपयोग करने वाली एक नानी है जो अपने पोते 'छोटू'-आदित्य की सहायता से आईपी अपराधों से लड़ने में सरकार तथा एजेंसियों की मदद करती है। यह आईपी मस्कट सुरुचिपूर्ण ढंग से लोगों विशेषकर बच्चों में बौद्धिक संपदा अधिकार के प्रति जागरूकता फैलाएगा।

जम्मू एवं कश्मीर पर ओआईसी के बयान को भारत ने नकारा

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नई दिल्ली, 17 मई, भारत ने ढाका में इसी महीने आर्गनाइजेशन आफ इस्लॉमिक कांफ्रेंस (ओआईसी) के विदेश मंत्रियों (सीएफएम) की बैठक में जम्मू एवं कश्मीर पर पारित हुए प्रस्ताव को गुरुवार को नकार दिया है। विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, "बांग्लादेश के ढाका में 5-6 मई को हुए ओआईसी के विदेश मंत्रियों के 45वें सत्र में जम्मू एवं कश्मीर पर अपनाए गए प्रस्ताव को हमने पूरे खेद के साथ देखा है और हम इसे स्पष्ट रूप से अस्वीकार करते हैं।"विदेश मंत्रालय ने कहा, "हम एक बार फिर स्पष्ट कर रहे हैं कि जम्मू एवं कश्मीर भारत का अभिन्न भाग है और ओआईसी को भारत के आंतरिक मामलों में बोलने का कोई अधिकार नहीं है। हम ओआईसी को ऐसे प्रसंगों से दूर रहने का सुझाव देते हैं।"ओआईसी सीएफएम ने अपनी घोषणा में कहा कि वह अजरबैजान, सूडान, कोमोरस, यमन, लीबिया, सीरिया, माली, सोमालिया, कोट डी आइवरी, केंद्रीय अफ्रीकन गणराज्य, कोसोवो, जम्मू एवं कश्मीर और उत्तरी साइप्रस के साथ-साथ मुस्लिम समुदायों तथा गैर ओआईसी देशों में अल्पसंख्यक मुस्लिमों के साथ इन देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के दायरे में अंतर्राष्ट्रीय कानूनों और समझौतों के तहत अपना समर्थन जताते हैं।

दक्षिण कोरिया का उत्तर कोरिया से वार्ता बहाली का आग्रह

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सियोल, 17 मई, दक्षिण कोरिया ने गुरुवार को उत्तर कोरिया से अंतर-कोरियाई शिखर सम्मेलन के दौरान दोनों देशों के बीच किए गए समझौतों को पूरा करने व वार्ता फिर से बहाल करने का आग्रह किया। समाचार एजेंसी एफे के मुताबिक, 27 अप्रैल को किम जोंग और मून जे इन के बीच हुई बैठक के दौरान पनमुनजोम घोषणापत्र के क्रियान्वयन के लिए बुधवार की वार्ता उत्तर कोरिया द्वारा रद्द किए जाने के बाद दक्षिण कोरिया के राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (एनएससी) की स्थाई समिति ने यह संदेश दिया। समिति ने एक बयान में कहा, "अपने रुख की पुष्टि करते हुए कि घोषणापत्र किसी भी बाधा के बिना पूरा किया जाना चाहिए, सदस्यों ने उत्तर कोरिया से परामर्श जारी रखने के लिए उत्तर कोरिया के साथ उच्चस्तरीय वार्ता आयोजित करने पर भी सहमति जताई।"इस घोषणापत्र में कोरियाई प्रायद्वीप में शांति स्थापित करने व परमाणु मुक्त करने लिए कार्य करने पर सहमति जताई थी। शीर्ष सुरक्षा सलाहकार चुंग यूई-योंग की अध्यक्षता में परिषद ने 12 जून को सिंगापुर में किम और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के बीच शिखर सम्मेलन का समर्थन किया। 

मनोहर पोथी पढ़कर गणित मजबूत करें तेजस्वी : जद (यू)

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पटना, 17 मई, बिहार में सत्ताधारी जनता दल (युनाइटेड) ने बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव द्वारा बिहार में राजद के सबसे बड़े दल (80 सीटें) होने के बावजूद सत्ता से बेदखल कर भाजपा को सत्ता में लाने पर सवाल उठाए जाने पर जमकर निशाना साधा है। जद (यू) ने तेजस्वी को अंकगणित का ज्ञान बढ़ाने के लिए 'मनोहर पोथी' (बच्चों को पढ़ने वाली एक किताब) पढ़ने की सलाह दी है। जद (यू) के प्रवक्ता और विधान पार्षद नीरज कुमार ने यहां गुरुवार को तेजस्वी पर तंज कसते हुए कहा, "वे (तेजस्वी) 'गरीब'के पुत्र होने के कारण डीपीएस स्कूल, दिल्ली में पढ़े हैं, इस कारण उनका अंकगणित कमजोर है। उन्हें मनोहर पोथी पढ़नी चाहिए।"उन्होंने पिछले साल के घटनाक्रम को याद दिलाते हुए कहा कि धर्मनिरपेक्षता के लिए भ्रष्टाचार से समझौता नहीं करने के कारण 26 जुलाई, 2017 को जद (यू) महागठबंधन से अलग हुई और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिना सत्ता के मोह के राजभवन जाकर त्यागपत्र दे दिया। इसके तुरंत बाद राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) का बिना शर्त सरकार को समर्थन पत्र मिल गया और इसी के आधार तत्कालीन राज्यपाल ने स्वविवेक से फैसला लेते हुए 27 जुलाई को नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई और 48 घंटे के अंदर सरकार ने विधानसभा में बहुमत साबित कर दिखा दिया। 

उल्लेखनीय है कि राजद के वरिष्ठ नेता तेजस्वी ने तंज कसते हुए ट्वीट किया है, "हम राज्यपाल महोदय से मांग करते हैं कि वो वर्तमान बिहार सरकार को भंग कर कर्नाटक की तर्ज पर राज्य की सबसे बड़ी पार्टी राजद को सरकार बनाने का मौका दें। मैं भाजपा के तर्क पर यह दावा ठोंक रहा हूं।"जद (यू) नेता नीरज ने तेजस्वी पर राजनीति में अनुकम्पा के आधार पर विधायक बनने का आरोप लगाते हुए कहा कि उनमें राजनीति में सरकार के गठन की प्रक्रिया के ज्ञान का अभाव है। उन्होंने तेजस्वी को सलाह देते हुए कहा, "मेरी सलाह है कि राजनीतिक जीवन में लंबा सफर तय करने के लिए कम से कम राज्यपाल की शक्तियों, बहुमत साबित करने की प्रक्रिया और विधानसभा की कार्यसंचालन नियमावली का अध्ययन कर लें।"जद (यू) नेता ने हालांकि यह भी कहा कि बिहार में गठबंधन का स्वरूप बदला है, लेकिन नीतीश कुमार ने जिस मुद्दे को लेकर जनादेश प्राप्त कर सत्ता में आए, वे मुद्दे नहीं बदले हैं। राजद नेता तेजस्वी ने एक अन्य ट्वीट में लिखा, "अगर कर्नाटक में सबसे बड़ी पार्टी को सरकार बनाने का निमंत्रण दिया गया है, तो महामहिम राष्ट्रपति से मांग है कि वे राज्यपाल को बिहार के जनादेश का चीरहरण कर चोर दरवाजे से बनी सरकार को बर्खास्त करने का निर्देश देकर बिहार की सबसे बड़ी पार्टी को सरकार बनाने का निमंत्रण दिलवाएं। आप दोनों जगह ठीक नहीं हो सकते।"

अमित शाह ने किया राहुल गांधी पर पलटवार

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नई दिल्ली, 17 मई, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष अमित शाह ने गुरुवार को कर्नाटक में सरकार बनाने के अपनी पार्टी के निर्णय को सही बताते हुए कांग्रस अध्यक्ष राहुल गांधी पर इस राजनीतिक घटनाक्रम को 'संविधान का मजाक'कहने पर निशाना साधा। शाह ने अपने सिलसिलेवार ट्वीट में कहा, "लोकतंत्र की हत्या उस समय हुई थी जब व्याकुल कांग्रेस ने कर्नाटक के कल्याण के लिए नहीं बल्कि तुच्छ राजनीतिक फायदे के लिए जनता दल-सेकुलर को 'अवसरवादी'ऑफर दिया। शर्मनाक!"उन्होंने कहा कि कर्नाटक में लोगों का जनादेश भाजपा के पक्ष में था क्योंकि कांग्रेस पार्टी 122 सीट से सिमटकर 78 पर आ गई और भाजपा 40 से बढ़कर 104 पर पहुंच गई। उन्होंने कहा, "कर्नाटक में लोगों का जनादेश किसके पास है? भाजपा जिसने 104 सीटें जीती या कांग्रेस जो 78 सीटों पर सिमट गई, जिसके खुद के मुख्यमंत्री और मंत्रियों को बड़े अंतर से हार का सामना करना पड़ा। या फिर जेडीएस जिसने महज 37 सीट जीतीं और उसके कई उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई।"

सरकार बनाने के लिए भाजपा को आमंत्रित करने के राज्यपाल वजुभाई वाला के निर्णय पर कांग्रेस द्वारा सवाल उठाने की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि यह कांग्रेस थी जिसने आपातकाल लगाया था और धारा 356 का दुरुपयोग किया था। उन्होंने कहा, "कांग्रेस के अध्यक्ष को अपनी पार्टी के सवर्णमयी इतिहास की शायद जानकारी नहीं है। राहुल गांधी की पार्टी की विरासत भयानक आपातकाल, अनुच्छेद 356 का दुरुपयोग, अदालतों, मीडिया और सिविल सोसाइटी के कद को घटाने की रही है।"राहुल गांधी ने येदियुरप्पा के शपथ ग्रहण समारोह को 'संविधान का मजाक'करार दिया था क्योंकि उनका कहना है कि बहुमत कांग्रेस और जनता दल सेक्युलर के पास है लेकिन इन्हें न बुलाकर भाजपा नेता को सरकार बनाने का अवसर दे दिया गया। राहुल के बयान के बाद अमित शाह ने उनपर निशाना साधा। राहुल ने कहा था, "भाजपा की अतार्किक जिद कि वह पर्याप्त संख्याबल नहीं होने के बावजूद भी सरकार बनाएगी, हमारे संविधान का मजाक बनाना है।"उन्होंने कहा था, "आज सुबह, जब भाजपा अपनी खोखली जीत की खुशी मनाएगी, भारत लोकतंत्र के हारने का शोक मनाएगा।"राज्यपाल वजुभाई वाला ने कड़ी सुरक्षा-व्यवस्था के बीच गुरुवार सुबह नौ बजे येदियुरप्पा को पद एवं गोपनियता की शपथ दिलाई। सर्वोच्च न्यायालय ने इससे पहले शपथ ग्रहण समारोह पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था।

दिल्ली के लिए पहली बार 600 रन बनाने वाले बल्लेबाज बन सकते हैं पंत

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नई दिल्ली , 17 मई, दिल्ली डेयरडेविल्स के विस्फोटक बल्लेबाज ऋषभ पंत की नजरें इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के एक सीजन में दिल्ली के लिए 600 रन बनाने वाला पहल बल्लेबाज बनने पर लगी हुई हैं। दिल्ली के लिए एक सीजन में सर्वाधिक में रन बनाने का रिकॉर्ड अपने नाम करने वाले पंत ने इस सीजन में अब तक खेले गए 12 मैचों में 52.90 के औसत से 582 रन बनाए हैं। इसमें एक शतक और चार अर्धशतक शामिल हैं। युवा बल्लेबाज पंत अब शुक्रवार को फिरोजशाह कोटला मैदान पर चेन्नई सुपर किंग्स के खिलाफ उतरेंगे तो वह एक सीजन में दिल्ली के लिए 600 या उससे अधिक रन बनाने वाले पहले खिलाड़ी बन सकते हैं।पंत आइपीएल के 11वें संस्करण में अब तक 31 छक्के लगा चुके हैं। पंत इस इस सीजन में 28, 47, 43, 85, 04, 04, 00, 79, 69,, 18, 128, 61 रनों की पारियां खेली हैं। वैसे उनकी इन तमाम पारियों के बावजूद दिल्ली की टीम प्लेऑफ की दौड़ से बाहर हो चुकी है। विकेटकीपर बल्लेबाज पंत ने 10 मई को अपने घरेलू फिरोजशाह कोटला मैदान पर सनराइजर्स हैदराबाद के खिलाफ 63 गेंदों पर 15 चौकों और सात छक्कों की मदद से 128 रन की नाबाद पारी खेली थी जो कि टी-20 प्रारूप में किसी भी भारतीय द्वारा गया सबसे तेज शतक है। 20 साल के पंत ने आईपीएल में अब तक कुल 36 मैच खेले हैं जिसमें उन्होंने 34.72 के औसत से 1146 रन बनाए हैं इसमें एक शतक और सात अर्धशतक शामिल हैं। दिल्ली के लिए एक सीजन में सर्वाधिक रन बनाने का रिकॉर्ड इससे पहले गौतम गंभीर के नाम था, जिन्होंने 2008 में 14 मैचों में 41.07 के औसत से 534 रन बनाए थे। इसमें पांच अर्धशतक शामिल थे। पहले संस्करण में दिल्ली चौथे स्थान पर रही थी। इस सूची में पूर्व सलामी बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग तीसरे नंबर पर हैं। सहवाग ने 2012 में दिल्ली के लिए 16 मैचों में 33.00 के औसत से कुल 495 रन बनाए थे, जिसमें पांच अर्धशतक शामिल हैं।

पूरे देश में डर का माहौल, सुप्रीम कोर्ट के जजों व प्रेस में भी डर : राहुल गांधी

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रायपुर, 17 मई, छत्तीसगढ़ के दो दिनी दौरे पर गुरुवार को रायपुर पहुंचे कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने केंद्र की भाजपा सरकार और उसके मार्गदर्शक संगठन आरएसएस पर प्रहार करते हुए कहा कि आज लोकतंत्र की हालत यह हो गई है कि पूरे देश में डर का माहौल है। सुप्रीम कोर्ट के जजों से लेकर प्रेस तक डरे हुए हैं। यहां के इनडोर स्टेडियम में पंचायत प्रतिनिधियों के जनस्वराज सम्मेलन को संबोधित करते हुए राहुल ने कहा, "हालत यह है कि भाजपा का कोई सांसद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने मुंह तक नहीं खोल सकता। आज पूरे देश में डर का माहौल है। सुप्रीम कोर्ट के जज से लेकर प्रेस तक डरे हुए हैं।"उन्होंने कहा, "ये डर कौन फैला रहा है? और कौन सी शक्तियां इसका फायदा उठा रही हैं? लोकसभा में भाजपा के कई सांसदों ने स्वयं मुझसे कहा कि वे प्रधानमंत्री के सामने मुंह तक नहीं खोल सकते!"राहुल ने कहा कि देश के किसान कर्जा माफ करने की फरियाद भाजपा सरकार से करते हैं तो अरुण जेटली कहते हैं कि 'किसानों का कर्ज माफ करना हमारी सरकार की पॉलिसी नहीं है।'वहीं दूसरी ओर एक साल के अंदर देश के 15 सबसे अमीर लोगों का कर्ज माफ हो गया। इस बारे में जेटली कुछ नहीं बोलते, क्योंकि यह उनकी पॉलिसी है। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पूरे देश के संस्थानों के उच्च पदों को अपने लोगों से भर रहा है। कांग्रेस ने आजादी की लड़ाई लड़ी, आजादी के बाद देश को चलाने के लिए व्यवस्थाएं बनाईं, लंबे समय तक सत्ता में रही, लेकिन देश के संस्थानों को कभी पार्टी के लोगों से नहीं भरा।

राहुल ने कहा, "देश में गलत के खिलाफ जो भी आवाज उठती है, उसे दबा दी जाती है। आरएसएस और भाजपा के लोग नहीं चाहते कि देश की गरीब जनता आवाज उठाए। एक दलित युवा सपना देख सके। वे नहीं चाहते कि रोहित वेमुला जैसे छात्र सपना देखें। उनका कहना है किए महिलाएं पुरुषों के सामने खड़े न हों। महिलाएं खुलकर न बोलें। वे मानते हैं कि महिलाओं का काम खाना पकाना है।"राहुल ने कहा कि अमेरिका के राष्ट्रपति कहते हैं कि 'हमारा मुकाबला आज भारत के साथ है, क्योंकि उन्हें देश की जनता की आवाज सुनाई देती है। लेकिन यहां तो हिंदुस्तान की आवाज दबाई जा रही है। कांग्रेस प्रमुख ने कहा, "आज छत्तीसगढ़ के पास सब कुछ है। खनिज संपदा है, पानी है, जमीन, जंगल और सभी संसाधन हैं, लेकिन यहां की जनता के पास कुछ नहीं है। गरीब किसानों की जमीन अमीरों के हाथों में दी जा रही है। आप गरीब इसलिए हैं, क्योंकि यहां की सरकार आपको गरीब रखना चाहती है।"राहुल ने कहा, "भारत की पंचायतों के पास सबसे ज्यादा शक्ति है। देश में लोकतंत्र इन्हीं पंचायतों के कारण बचा हुआ है, लेकिन आरएसएस और भाजपा के लोग इन्हें कमजोर करना चाहते हैं। आपको अपने हक के लिए लड़ना होगा, 21वीं सदी में संविधान की रक्षा कोई करेगा तो वह प्रधानमंत्री मोदी नहीं, बल्कि पंचायती राज के प्रधान सरपंच करेंगे।"

उन्होंने कहा, "कांग्रेस की सरकार आएगी तो सबसे ज्यादा अधिकार पंचायतों को मिलेगा। सरकार के निर्णय में पंचायती राज के लोगों से सलाह कर ही कोई भी फैसला लिया जाएगा। ऐसा नहीं हुआ तो हम मुख्यमंत्री बदल देंगे। धारा 40 जब पंचायती राज प्रतिनिधियों पर लग सकती है तो इसे विधायकों, सांसदों और प्रधानमंत्री पर भी लगाओ।"राहुल ने कहा, "अभी आप कर्नाटक में क्या देख रहे हैं, विधायक एक तरफ हैं और राज्यपाल दूसरी तरफ हैं। जेडी-एस के विधायकों ने कहा किए उन्हें 100 करोड़ रुपये का ऑफर दिया गया है। राज्यपाल पर संविधान को बचाने की जिम्मेदारी होती है, लेकिन वे खरीद-फरोख्त का मौका दिल खोलकर दे रहे हैं।"उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री सदन में मनरेगा का उपहास करते हैं। मनरेगा को चलाने का अधिकार पंचायती राज को था। मगर आज इसे अधिकारी चला रहे हैं। रोजगार की गारंटी वाली इस योजना की चार साल में क्या हालत कर दी गई है, किसी से छुपा नहीं है। राहुल ने पंचायतीराज के प्रतिनिधियों से कहा, "जो काम भारत की सेना बॉर्डर पर रहकर करती है, वही काम आप देश के अंदर रहकर करते हैं। आप अंबेडकर, गांधी के विचारों के लिए लड़ते हैं तो आपको मारा जाता है, दबाया जाता है..फिर भी आप पीछे नहीं हटते हैं। आपको मेडल नहीं मिलता, फिर भी लड़ते हैं। आप सही मायने में लोकतंत्र के लिए लड़ते हैं।"

कांग्रेस अध्यक्ष ने भाजपा के एक नेता का नाम न लेते हुए कहा, "उन्होंने मुझसे कि मैं 40 साल से कांग्रेस पार्टी के खिलाफ लड़ रहा हूं। कांग्रेस पार्टी क्या है ये 40 साल बाद समझ में आया। उन्होंने कहा कि मैं 40 साल कांग्रेस के खिलाफ लड़ा, लेकिन कांग्रेस ने मेरे ऊपर कोई आक्रमण नहीं किया। ये केवल कांग्रेस ही कर सकती है, क्योंकि इसमें सहनशीलता है। कांग्रेस का दिल बड़ा है, इसकी सहनशीलता को कोई कमजोरी न समझे।"राहुल ने कहा कि कांग्रेस और भाजपा में केवल विचारधारा की लड़ाई है। यह ऐसी लड़ाई है, जो हम सबको मिलकर लड़ना है। संविधान की रक्षा करनी है। संविधान बचेगा तभी गरीबों, किसानों और आदिवासियों का अधिकार बचेगा। कांग्रेस अध्यक्ष ने पंचायतीराज सम्मेलन में अपने संबोधन के बाद यहां उपस्थित पंचायत के प्रतिनिधियों के सवालों के जवाब दिए। सम्मेलन में कांग्रेस के छत्तीसगढ़ प्रभारी पी.एल. पुनिया, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल, सांसद छाया वर्मा, पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम सहित कई पार्टी के पदाधिकारी और हजारों कार्यकर्ता उपस्थित थे। छत्तीसगढ़ के दिग्गज आदिवासी नेता अरविंद नेताम ने पूर्व भाजपा सांसद सोहन पोटोई के साथ मिलकर नई पार्टी बनाई थी, लेकिन गुरुवार को उन्होंने राहुल गांधी के सामने कांग्रेस का हाथ थामा लिया।

सोहराबुद्दीन मामला में अब तक 61 गवाह मुकरे

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मुम्बई , 17 मई, सोहराबुद्दीन शेख और तुलसीराम प्रजापति के कथित फर्जी मुठभेड़ मामलों में अभियोजन पक्ष के दो और गवाह आज यहां सीबीआई की एक विशेष अदालत के समक्ष अपने बयान से मुकर गये। इस तरह ऐसे गवाहों की संख्या अब 61 हो गई है।  उदयपुर पुलिस के पूर्व सब - इंस्पेक्टर हजारी लाल मीणा सीबीआई के न्यायाधीश एस जे शर्मा के समक्ष अपने बयान से पलट गये।  एजेंसी के अनुसार सेवानिवृत्त मीणा ने अपने बयान में कहा था कि 24 दिसम्बर , 2006 की शाम को पुलिस अधीक्षक दिनेश एम एन ( मामले में एक पूर्व आरोपी ) ने उससे कैदियों प्रजापति और आजम खान की सुरक्षा के लिए पुलिस दल उपलब्ध कराने के लिए कहा था। इन कैदियों को अगले दिन उदयपुर जेल से अहमदाबाद की अदालत ले जाया जाना था।  मीणा के बयान के अनुसार पुलिस के पास सूचना थी कि प्रजापति फरार होने का प्रयास कर सकता है इसलिए दिनेश ने उससे कहा कि एक विशेष टीम उनकी सुरक्षा करेगी।  हालांकि आज अदालत में मीणा ने इस तरह का कोई आदेश मिलने से इनकार किया। उन्होंने कहा कि वह नहीं जानता कि प्रजापति की सुरक्षा किसने की या इसके लिए एक विशेष टीम गठित की गई थी।  पुलिस के अनुसार प्रजापति उस समय फरार हो गया था जब उसे अहमदाबाद ले जाया जा रहा था और वह 28 दिसम्बर , 2006 को एक मुठभेड़ में मारा गया था।  सीबीआई के अनुसार वह एक फर्जी मुठभेड़ में मारा गया क्योंकि वह इससे पहले एक फर्जी मुठभेड़ में शेख की मौत का चश्मदीद था। 

आज अपने बयान से पलटने वाला एक अन्य गवाह गोविंद सिंह है जो उदयपुर के सूर्जापुल पुलिस स्टेशन में एक इंस्पेक्टर के पद पर तैनात थे।  सिंह ने सीबीआई को बताया था कि उन्होंने पुलिस स्टेशन के ‘ रोजनामा ’ ( डायरी ) में चार पुलिस अधिकरियों के प्रस्थान के बारे में प्रविष्टि की थी। ये चार पुलिस अधिकारी दिनेश एम एन के निर्देश पर काम कर रहे एक विशेष कार्यबल का हिस्सा थे।  सीबीआई के अनुसार ये चार पुलिसकर्मी उस टीम का हिस्सा थे जो प्रजापति को अहमदाबाद लेकर गई थी।  हालांकि सिंह ने आज अपने बयान से मुकरते हुए कहा कि उन्होंने रोजनामा में प्रविष्टि नहीं की थी।  अदालत अब तक अभियोजन पक्ष के 88 से अधिक गवाहों के बयान ले चुकी है जिनमें से 61 गवाह अपने बयान से मुकर चुके हैं।  उल्लेखनीय है कि एक संदिग्ध गैंगस्टर शेख और उसकी पत्नी नवम्बर , 2005 में गुजरात पुलिस के साथ हुई कथित फर्जी मुठभेड़ में मारे गये थे। उनका सहयोगी प्रजापति भी दिसम्बर , 2006 में गुजरात और राजस्थान पुलिस के साथ हुई कथित फर्जी मुठभेड़ में मारा गया था। सीबीआई द्वारा आरोपित 38 लोगों में से 15 को बम्बई की अदालत बरी कर चुकी है जिनमें वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी डी जी वंजारा , राजकुमार पांडियन , दिनेश एम एन और भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह ( गुजरात के तत्कालीन गृह मंत्री ) शामिल हैं। 

बिहार के हाजीपुर में महिलाओं ने की बीडीओ की पिटाई

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हाजीपुर ( बिहार ), 17 मई, वैशाली जिले में महिलाओं के एक समूह ने पंचायत के एक प्रमुख के साथ मिली भगत करके वित्तीय अनियमितताओं में शामिल रहने के आरोप को लेकर एक प्रखंड विकास पदाधिकारी ( बीडीओ ) की पिटाई कर दी और उसे बंधक बना लिया।  बेलसर के स्टेशन हाउस ऑफिसर विष्णुदेव दुबे ने बीडीओ अशोक कुमार के हवाले से बताया कि पुलिस की एक टीम के पहुंचने तक एक दर्जन से अधिक महिलाओं ने उन्हें बंधक बनाए रखा। महिलाओं ने बीडीओ की पिटाई भी की। क्षेत्रीय समाचार चैनलों ने घटना की वीडियो फुटेज भी दिखायी जिसमें महिलाएं बीडीओ की पिटाई करती हुयी नजर आ रही हैं। एसएचओ ने बताया कि महिलाएं बेलसर के पंचायत प्रमुख रवि किशन के खिलाफ कई शिकायतों के बाद कार्रवाई नहीं करने को लेकर आक्रोशित थीं। 

हमें मन की बात कहना नहीं, सुनना है : राहुल गांधी

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कोटमी (बिलासपुर), 17 मई, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘मन की बात’ रेडियो कार्यक्रम पर कटाक्ष करते हुए आज लोगों से कहा कि हमें अपने मन की बात नहीं कहना है, बल्कि आपके मन की बात सुनना है। राहुल ने आज बिलासपुर जिला मुख्यालय से 90 किलोमीटर दूर कोटमी में जंगल सत्याग्रह रैली को संबोधित किया।  उन्होंने वहां मौजूद जनसमूह से कहा कि आप प्रधानमंत्री का भाषण सुनते हैं। वह मन की बात कहते हैं। लेकिन हमें आपको अपने मन की बात नहीं कहनी है। हम आपके मन की बात सुनना चाहते हैं और आपके मन की बात के बल पर काम करना चाहते हैं। राहुल गांधी ने लोगों से कहा, ‘‘आप हमें बताओ कि आपके सामने क्या कठिनाई है। हमारा काम आपकी मदद करने का है। हमारा काम आपको अपने मन की बात बताने का नहीं है, वह आपका का काम है।’’ कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि आपकी शक्ति, आपका धन आपको वापस देना है। अगर हम राजनीति में खड़े हैं तो आपके लिए खड़े हैं। आपके लिए लड़ रहे हैं क्योंकि आपने इस देश को बनाया है। उन्होंने कहा कि जब इस देश के पास पैसा आया तब आपसे पैसे छीन कर 10-15 अमीरों को दिया जाता है। यह अन्याय है और इसके खिलाफ हम यहां एक साथ खड़े हुए हैं और एक साथ लड़ेंगे। राहुल गांधी ने कहा कि पूरे देश में आतंक का माहौल है और इसे बदलना है। क्योंकि इससे देश का फायदा नहीं हो रहा है। इससे सिर्फ चुने हुए लोगों का फायदा हो रहा है और करोड़ों लोगों का नुकसान हो रहा है।

ट्रंप ने दिया आपत्तिजनक बयान, कुछ प्रवासियों को बताया ‘जानवर’

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वाशिंगटन , 17 मई, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कुछ अवैध प्रवासियों की तुलना आज ‘‘ जानवर ’’ से की। उन्होंने अमेरिका के प्रवासी कानूनों को ‘‘ बेकार ’’ बताते हुए उनकी आलोचना की और कहा कि केवल योग्यता के आधार पर लोगों को अमेरिका में शरण देनी चाहिए।  मैक्सिको और कैलिफोर्निया के अधिकारियों पर नाराजगी जाहिर करते हुए ट्रंप ने अमेरिका के ‘‘ कमजोर ’’ प्रवासी कानूनों को मजबूत करने का आह्वान किया।  ट्रंप ने व्हाइट हाउस में कैलिफोर्निया सैंक्चुरी स्टेट राउंडटेबल के दौरान कहा , ‘‘ हमारे देश में लोग आ रहे हैं या आने की कोशिश कर रहे हैं। हम उनमें से बहुतों को रोक रहे हैं । आप यकीन नहीं करेंगे कि ये लोग कितने बुरे हैं , ये आदमी नहीं बल्कि जानवर हैं। ’’  उन्होंने कहा , ‘‘ हम उन लोगों को एक स्तर तक देश से बाहर ले जा रहे हैं और इतनी संख्या में बाहर ले जा रहे हैं जो पहले कभी नहीं हुआ। इन कमजोर कानूनों के कारण वे तेजी से देश के अंदर आ रहे हैं , हम उन्हें छोड़ रहे हैं और वे दोबारा आ रहे हैं। यह बेवकूफाना है। ’’  ट्रंप ने देश में बड़ी संख्या में अवैध प्रवासियों के आने के लिए देश के ‘‘ बेकार कानूनों ’’ को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने हाल के महीनों में कांग्रेस से बार - बार अपील की है कि वह मैक्सिको सीमा पार करके अमेरिका आने वाले प्रवासियों की संख्या रोकने के लिए कड़े कानून लागू करें। उन्होंने कहा कि कैलिफोर्निया के कानून अवैध प्रवासी अपराधियों , ड्रग डीलरों , गिरोह सदस्यों और हिंसक लुटेरों को समुदायों में छोड़ देने के लिए मजबूर करते हैं। ट्रंप ने कहा , ‘‘ कैलिफोर्निया के कानून धरती पर सबसे कुख्यात और हिंसक अपराधियों जैसे कि एमएस -13 आपराधिक गिरोह के सदस्यों को पनाहगाह देते हैं जिससे निर्दोष पुरुष , महिलाओं और बच्चों को इन निर्दयी अपराधियों के रहमो करम पर छोड़ दिया जाता है। ’’  ट्रंप ने कहा कि वह चाहते हैं कि लोगों को योग्यता के आधार पर कानूनी तरीके से अमेरिका में प्रवेश दिया जाए। 

तृणमूल पंचायत चुनाव में शानदार जीत की ओर अग्रसर

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कोलकाता 17 मई, पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस शानदार जीत की ओर बढ़ रही है जबकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ज्यादातर जिलों में सत्ताधारी पार्टी की मुख्य प्रतिद्वंद्वी के रूप में उभर कर सामने आयी है। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में वाम दलों और कांग्रेस को बहुत कम सीटें मिली हैं और उनकी भागीदारी लगभग नगण्य रह गयी है। रात आठ बजे तक के चुनाव परिणाम में तृणमूल कांग्रेस ने 28456 ग्राम पंचायत सीटों में से 19394 पर विजय हासिल की है। पंचायत समिति की 2085 सीटों में से 1842 सीटों पर और जिला परिषद् की 63 सीटों में 62 सीटों पर जीत हासिल की है। बंगाल में एक समय माओवादी क्षेत्र रहे पुरुलिया, झारग्राम, पश्चिम मिदनापुर ओर बांकुरा में भाजपा ने अपनी मजबूत पकड़ बनाते हुए कुल सीटों में से 40 प्रतिशत सीटें जीत ली हैं।  झारग्राम में ग्राम पंचायत की 780 सीटों में से भाजपा ने 321 सीटों पर जीत का परचम लहराया है।  वीरभूम पंचायत समिति चुनाव में तृणमूल ने 57 सीटें जीती है और शेष सीटों पर मतगणना चल रही है।  बर्दवान की 31 सीटों में से तृणमूल ने 18, भाजपा ने आठ, माकपा ने चार और एआईएफबी ने एक सीट जीती है।  बांकुरा में आंचीपुरी की कुल 38 सीटों में से तृणमूल ने 17, भाजपा ने नौ और निर्दलीय उम्मीदवार ने 11 सीटों पर विजयी हासिल की।  जलपाईगुड़ी में अधिकतर सीटों पर तृणमूल कांग्रेस आगे है और माटीहाली हाट ग्राम पंचायत में 42 सीटों में से तृणमूल 15, भाजपा 12, माकपा सात, कांग्रेस चार और निर्दलीय उम्मीदवार चार सीटों पर आगे चल रहे हैं। त्रिस्तरीय चुनाव में 3358 ग्राम पंचायतों की 48650 सीटों में से 16814 सीटों पर और 341 पंचायत समिति की 9217 सीटों में से 3059 सीटों पर तथा 20 जिला परिषदों की 825 सीटों में से 203 सीटों पर उम्मीदवारों को निर्विरोध चुन लिया गया। 

भाजपा बंगाल पंचायत चुनाव में दूसरे स्थान पर

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कोलकाता 17 मई,  भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) 2014 के लोक सभा चुनाव से पश्चिम बंगाल में हर चुनाव में धीरे-धीरे अपनी पकड़ मजबूत बना रही है। पंचायत चुनाव में सत्तारूढ तृणमूल कांग्रेस के बाद भाजपा दूसरी बड़ी पार्टी के रूप में उभर कर सामने आयी है। रात आठ बजे तक मिले चुनाव परिणाम के अनुसार तृणमूल ने 16166 सीटों पर जीत हासिल की है और भाजपा ने 4020, वाम दलों ने 1042 और निर्दलीय उम्मीदवारों ने 1284 सीटों पर जीत हासिल की है। भाजपा को झारग्राम जिले के सकराइल में प्रभावशाली परिणाम मिले हैं जहां भगवा ब्रिगेड ने सत्तारूढ़ तृणमूल से पंचायत समिति की सीट छीन ली, गोविबल्लवपुर में भी भाजपा ने सत्तारूढ पार्टी से पंचायत समिति छीन ली है, हालांकि जिला परिषद में तृणमूल ने स्थिति बरकरार रखी हुई है। भाजपा को पुरुलिया में 36 ग्राम पंचायत सीटें मिली जिन पर पहले तृणमूल का कब्जा था। झारग्राम जिले के जंगलमहल क्षेत्र में टीएमसी को 42 पंचायत सीटें मिले और भाजपा के हिस्से में 25 सीटें आयी। नौ पंचायतों में त्रिशंकु परिणाम रहे वहीं निर्दलीय उम्मीदवारों को तीन पंचायतें मिली।  भाजपा को लालगढ में अच्छे परिणाम मिले जहां तृणमूल को पांच और भाजपा को चार पंचायत सीटें मिली है आैर एक पंचायत में त्रिशंकु परिणाम मिला। 

बिहार : तेजस्वी कल राज्यपाल से नीतीश सरकार को बर्खास्त करने की मांग करेंगे

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पटना 17 मई, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के वरिष्ठ नेता और पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव कल राज्यपाल सत्यपाल मलिक से मिलकर नीतीश सरकार को बर्खास्त करने और कर्नाटक की तरह सबसे बड़े दल के नाते उनकी पार्टी को सरकार बनाने का मौका देने की मांग करेंगे । श्री यादव ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि कर्नाटक के राज्यपाल ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को चुनाव के बाद सबसे बड़े दल के रूप में आने पर सरकार बनाने का मौका दिया है लेकिन पिछले वर्ष मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इस्तीफा देने के बाद सबसे बड़े दल के नाते राजद को राज्यपाल ने सरकार बनाने का मौका नहीं दिया । वर्ष 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में सर्वाधिक 80 सीटें जीतकर राजद सबसे बड़े दल के रूप में उभरा था । उन्होंने कहा कि कल वह अपनी पार्टी के सभी विधायकों के साथ राज्यपाल से मिलेंगे और उनसे पिछले दरवाजे से बनी नीतीश सरकार को बर्खास्त कर कर्नाटक की तर्ज पर राज्य की सबसे बड़ी पार्टी राजद को सरकार बनाने का मौका देने की मांग करेंगे । राजद नेता ने कहा कि श्री नीतीश कुमार के इस्तीफे के बाद बिहार में राजद सबसे बड़ी पार्टी थी, लेकिन उसे सरकार बनाने का मौका नहीं दिया गया और उस समय यह दलील दी गयी कि बहुमत वाले गठबंधन को सरकार बनाने का न्योता दिया गया है लेकिन अब भाजपा के लोग कर्नाटक में दलील दे रहे हैं कि वहां बहुमत वाले गठबंधन को नहीं बल्कि सबसे बड़े दल को न्योता दिया गया है । उन्होंने कहा कि भाजपा की दलील हास्यास्पद है । भाजपा हर मामले में अपना चलाना चाहती है। चित भी उनकी, पट भी उनकी।

श्री यादव ने कहा कि सबसे पहले भाजपा ने श्री नीतीश कुमार के साथ मिलकर बिहार में जनादेश का अपमान किया था और अब वह कर्नाटक में फिर से यही कर रही है। उन्होंने कहा कि कर्नाटक में भाजपा सरकार का गठन लोकतंत्र में ‘काला दिवस’ के रूप में जाना जायेगा । यह भाजपा की तानाशाही और गुंडागर्दी को भी दर्शाता है । राजद नेता ने कहा कि उन्हें आश्चर्य हो रहा है कि भाजपा किस तरह से बहुमत के लिए जरूरी आंकड़े को जुटायेगी जबकि उसके पास यह संख्या है ही नहीं । उन्होंने कहा कि भाजपा बहुमत जुटाने के लिए दो फार्मूले पर काम कर रही है पहला खरीद फरोख्त और दूसरा अपने राजनीतिक विरोधियों को परेशान करने के लिए केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई), प्रवर्तन निदेशालय और आयकर जैसी केन्द्रीय एजेंसियों का उपयोग । श्री यादव ने सभी विपक्षी राजनीतिक पार्टियों से लोकतंत्र और संविधान को बचाने के लिए राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव में एकजुट होने की अपील करते हुए कहा कि तेलगुदेशम ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का साथ छोड़ दिया है और शिव सेना भी उसी राह पर है । उन्होंने कहा कि राजग के सभी घटक दलों को भाजपा के साथ गठबंधन पर पुनर्विचार करना चाहिए क्योंकि भाजपा लोकतंत्र के लिए खतरा है।

विशेष आलेख : बचपन को लीलता होमवर्क का बोझ

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छुट्टियां यानी बच्चों के मौज-मस्ती और सीखने का मौसम होता है, जो अब स्कूलों से मिलने वाले होमवर्क के बोझ तले मुरझा रहा है। बेहतर व आधुनिक शिक्षा के नाम पर बच्चों पर आवश्यकता से अधिक होकवर्क का बोझ उनके कोमल मन मस्तिष्क के लिए हानिकारक एवं विडम्बनापूर्ण साबित होता जा रहा है। खिलता बचपन होमवर्क के बोझ से परेशान रहने लगा हैं। इसके दबाव से बचपन घुटता जा रहा है। उनका हंसना, खिलखिलाना बंद होने लगा है और वे अवसाद, तनाव एवं कुंठा से ग्रसित होते जा रहे हैं। उनके स्वभाव में परिवर्तन आने लगा है। अब तो इसका दबाव अभिभावकों को भी महसूस होने लगा है और वे शिक्षा व्यवस्था को कोस रहे हैं।

स्कूली बच्चों का होमवर्क आज की पीढ़ी के मां-बाप के लिए एक बड़ी समस्या बनता जा रहा है। हाल में हुए एक अध्ययन से यह साफ हुआ है यह प्रचलन वैसे तो दुनियाभर में है, लेकिन भारत इसमें सबसे आगे है। शिक्षा के क्षेत्र में सक्रिय एक चैरिटेबल संगठन वर्की फाउंडेशन की ओर से जारी एक शोध रिपोर्ट के अनुसार भारत में अभिभावक हर सप्ताह औसतन 12 घंटा बच्चों का होमवर्क कराने में लगाते हैं। दूसरे नंबर पर तुर्की है, जहां यह समय करीब नौ घंटे होता है। चीन में यह समय करीब सात घंटे है तो अमेरिका में करीब छह घंटे। प्रश्न किस देश में कितने समय के होमवर्क का नहीं है, प्रश्न है भारत में बच्चों पर बढ़ते होमवर्क के बोझ का एक गंभीर समस्या के रूप में उभरकर सामने आना। बच्चे हमारे जीवन की खुशियों की बगिया है, लेकिन हम उसे उजाड़ रहे हैं। आॅस्कर वाइल्ड ने सही कहा है कि ‘‘मेरे पास बहुत से फूल हैं लेकिन बच्चे सबसे सुंदर फूल हैं।’ होमवर्क के बोझ से हम इन सुन्दर फूलों रूपी बच्चों के जीवन को नरक न बनाये। 

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होमवर्क घर-घर की बढ़ी समस्या है, हर अभिभावकों की बच्चों को हिदायतें मिलती है कि पहले होमवर्क करके फिर टीवी देखना। होमवर्क कर लो, फिर खेलने जाना। बच्चों पर इन हिदायतों का इतना घातक असर होता है कि बच्चा कुछ ऐसा कदम उठा लेता है, जिससे सदमा-सा लगे। 10वीं की छात्रा ने मानसिक रूप से परेशान होने पर खुदकुशी कर ली। उसके अभिभावकों का मानना था कि वह पढ़ाई के लिए गंभीर थी और इसका असर उसके दिमाग पर पड़ा। यह इकलौती घटना नहीं है, जिसमें पढ़ाई के दबाव के कारण बच्चों ने खुदकुशी जैसा कदम उठाया। कैलिफोर्निया में शोधकर्ताओं ने 4300 बच्चों में सर्वे किया। सभी बच्चे वहां के टॉप-10 स्कूलों के थे। शोधकर्ताओं ने पाया कि ज्यादा होमवर्क से बच्चों में तनाव बढ़ रहा है और वे बीमारियों के शिकार हो रहे हंै। 

हमारे देश की बात करें तो यह होमवर्क का चलन हाल के वर्षों में बढ़ा है। जैसे-जैसे प्राइवेट स्कूलों का दखल बढ़ा, अभिभावकों में अपने बच्चों का रिजल्ट अच्छे से अच्छा कराने की होड़ बढ़ी और साथ में यह प्रवृत्ति भी मजबूत होती गई। स्कूल चाहते हैं, पैरंट्स को ऐसा लगता रहे कि उनके बच्चों को स्तरीय पढ़ाई मिल रही है। पैरंट्स को यह तभी लगेगा जब वे बच्चों के होमवर्क का दबाव महसूस करेंगे। स्कूलों में होमवर्क की मार से बच्चे बेहाल हैं। शिक्षक कक्षा में पढ़ाने की बजाए बच्चों पर होमवर्क का पुलिंदा लाद रहे हैं। सात घंटे तक स्कूल में पढ़ाई करने वाले बच्चे होमवर्क मिलने से मानसिक तनाव में आ रहे है। इसके चलते बच्चे सिरदर्द, अल्सर पेट की बीमारियों के साथ-साथ कम वजन और नींद की समस्या से ग्रसित हो जाते हैं। सर्वे में शामिल बच्चों ने स्वीकार किया किया कि होमवर्क से उनके जीवन में अत्यधिक दबाव आया था, वे असंतुलित हुए हैं। एनसीएफ एक्ट 2005 लागू है, जिसमें प्राइमरी से लेकर सीनियर कक्षाओं के बच्चों को कितना होमवर्क दिया जाना चाहिए यह मानक तय है लेकिन स्कूलों में इन मानकों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। कक्षा दो तक एनसीएफ एक्ट 2005 के तहत होमवर्क फ्री रखा गया है, इन बच्चों को खेल खेल में पढ़ाना चाहिए लेकिन छोटे बच्चों को भी कापियों में इतना होमवर्क मिलता है कि घर पर उनकी माताएं पूरा करतीं हैं।

केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने हाल ही में स्कूलों को परामर्श जारी करते हुए बच्चों पर बस्ते के बोझ को कम करने के साथ उन पर होमवर्क के भार को कम करने का सुझाव दिया गया था। लेकिन इस तरह के परामर्श का स्कूलों पर कोई असर नहीं हो रहा है। बच्चों को न केवल होमवर्क बल्कि ऐसे-ऐसे प्रॉजेक्ट दिए जाते हैं जो उनकी उम्र के लिहाज से अत्यधिक कठिन होते हैं, हास्यास्पद होते हैं। नतीजतन आज के मॉडर्न और हाई-फाई स्कूलों के आसपास ‘होमवर्क बिजनस’ फलने-फूलने लगा है। मोटी रकम लेकर इन बच्चों के होमवर्क को पूरा करने की जिम्मेदारी इस तरह नया पनप रहा व्यवसाय उठा रहा है। कुछ ही दिन पहले एक रिपोर्ट आई थी कि ब्रिटेन के एक स्कूल के छात्र को बेहद अजीबोगरीब होमवर्क दिया गया। शेक्सपियर के दुखांत नाटक ‘मैकबेथ’ पर एक माॅडयूल के तहत 60 से अधिक स्टूडेंट से होमवर्क के रूप में सुसाइड नोट लिखने को कहा गया। इससे अभिभावकों में भड़के रोष के बाद स्कूल को माफी मांगनी पड़ी। बच्चों को मिलने वाली अजीबोगरीब होमवर्क की श्रंृखला में छठी कक्षा में पढ़नेवाली एक छात्रा से गणित के फार्मूला का शब्दकोष बनाने को कहा गया है तो दसवीं की छात्रा को 20 पेज की साइंस मैगजीन डिजाइन करने को दिया गया। आठवीं कक्षा की एक छात्रा को थर्माकोल का एफिल टाॅवर बनाने को कहा गया। चैथी कक्षा की एक बच्ची को घड़ी का वर्किंग मॉडल बनाकर लाने को कहा गया जबकि तीसरी कक्षा के एक बच्चे को एमएस वर्ड पर स्वच्छ भारत अभियान का प्रारूप बनाकर लाने को कहा गया। 

स्कूलों की ओर से बच्चों को इस तरह के प्रोजेक्ट्स से जहां अभिभावकों पर आर्थिक बोझ़ बढ़ता है, वहीं इसका छात्रों को कोई फायदा नहीं होता। शिक्षाविद् के. श्रीनिवास का कहना है कि प्रोजेक्ट्स देने का मतलब होता है कि छात्रों को विभिन्न विषयों को लेकर ज्ञान और समझ बढ़े लेकिन जिस तरह के प्रोजेक्ट्स दिए जाते हैं, उससे बच्चों को कोई फायदा नहीं होता। अभिभावकों का कहना कि आम दिनों में भी जब बच्चे जब स्कूल से घर पहुंचते हैं तो दिन भर भारी भरकम बस्ते को उठाकर थकान से बेहाल होते हैं। इसके बावजूद स्कूल में उन्हें काफी होमवर्क दिया होता है जिसे करवाना भी आसान नहीं होता है। ऐसे में शारीरिक एवं मानसिक परेशानी से जूझ रहे बच्चों का विकास कैसे हो पाएगा? यह एक ऐसा सवाल है जो हमारी शिक्षाप्रणाली पर अभिशाप की तरह टंका है। स्कूलंे बच्चों के नैसर्गिक विकास के केंद्र के रूप में विकसित नहीं हो पा रहे हैं। बच्चों में रचनात्मकता के विकास की बजाए कृत्रिमता थोपी जा रही है। इस प्रवृति में बदलाव लाना सबसे जरूरी है। पिछले कई वर्षों में मई-जून की छुट्टियां बच्चों और उनके अभिभावकों के लिए भयावह एवं खैफनाक अनुभव बनता जा रहा है। इसे रचनात्मक बनाने की जरूरत है। आज जरूरत इस बात की भी है कि हम अपनी बच्चों के रूप में पनपती आकांक्षाओं के उगते पौधों को उतना ही पानी दें जितना विकास के लिये हवा और धूप जरूरी है।




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(ललित गर्ग)
60, मौसम विहार, तीसरा माला, 
डीएवी स्कूल के पास, दिल्ली-110051
फोनः 22727486, 9811051133

विशेष आलेख : कर नाटक तो हो भला

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एक बार फिर मई की गर्मियों ने देश के राजनीति में उबाल आया है 2014 में ये 16 मई का दिन था जब देश की जनता ने “अबकी बार मोदी सरकार” के नारे पर मुहर लगा दिया था और अब इसके चार साल बाद 15 मई के दिन भाजपा दक्षिण के राज्य कर्नाटक में सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी है. इस बार भी खेल और खिलाड़ी लगभग वही थे लेकिन यह एक राज्य का विधानसभा चुनाव था जिसे राष्ट्रीय चुनाव की तरह लड़ा गया. हालांकि इधर हर चुनाव असाधारण होता गया है. 2014 के बाद से होने वाले लगभग हर चुनाव को 2019 के सेमीफाईनल के तौर पर पेश किया जाता है लेकिन कर्नाटक का चुनाव वाकई में अभूतपूर्व था, यह भव्य, भड़काऊ, नाटकीय और अभी तक का सबसे खर्चीला विधानसभा चुनाव था, यह एक ऐसा चुनाव था जिसे दोनों प्रमुख पार्टियों ने निर्णायक मानकर लड़ा कांग्रेस ने इसे संसदीय व्यवस्था में अपने पैर रखने की जगह को बचाए रहने के लिए तो भाजपा ने अपने सम्पूर्ण वर्चस्व के लिए. कांग्रेस के लिये इसे जीतना अपने अस्तित्व को बचने की तरह था वहीं भाजपा किसी भी कीमत पर कर्नाटक को एक बार फिर दक्षिण भारत में अपना पैर ज़माने के लिये एंट्री पॉइंट बनना चाहती थी जिससे वो सही मायनों में खुद को सही अखिल पार्टी होने का दावा जता सके. यह चुनाव राहुल गांधी और नरेंद्र मोदी के लिए निजी तौर पर भी अहम था कर्नाटक जीतकर नरेंद्र मोदी को यह साबित करना था कि ब्रांड मोदी का असर ख़त्म नहीं हुआ है और उनकी लहर बरकार है जबकि अध्यक्ष के रूप में राहुल का यह पहला चुनाव था जिसमें उन्हें अपने हार के सिलसिले को तोड़ते हुये खुद को विपक्ष की तरफ से विकल्प के रूप में स्थापित करना था.

लेकिन त्रिशंकु विधानसभा के नतीजे दोनों ही खेमों निराश करने वाले थे जिसके तहत भाजपा को 104 सीटें, कांग्रेस को 78 सीटें और जेडीएस को 38 सीटें हासिल हुई जबकि बहुत के लिये 112 सीटों की जरूरत थी. पुराने अनुभवों को देखते हुये कांग्रेस एक्शन में आ गयी और भाजपा को रोकने लिये उसने जेडीएस की नेतृत्व में सरकार बनाने का आफर दे दिया जिसे तुरंत स्वीकार कर लिया गया और इस तरह से परिस्थितयां किंग मेकर के ही किंग बनने की तरफ निर्मित होने लगीं.  दरअसल कर्नाटक का चुनाव दो भागों में लड़ा गया एक मतदान और उससे पहले और दूसरा नतीजे आने के बाद इसमें दिलचस्प बात यह है कि खेल के इन दोनों भागों को किसी नाटक की तरह खेला व परफॉर्म किया गया जिसमें जनता नामक शय की भूमिका वोट डालने वाली मशीन या सिर्फ दर्शक के तौर पर ही रही. बहरहाल दोनों खेमे की तरफ से सरकार बनना का दावा पेश किया जाता है. इसके बाद जो खेल शुरू हुआ उसकी सबसे दिलचस्प व्याख्या चेतन भगत ने की उन्होंने ट्वीटर पर लिखा कि, “त्रिशंकु विधानसभा की सूरत में कोई नैतिक रास्ता नहीं बचता, अब दोनों ही पक्ष नैतिकता सिखाना बंद करें  यह बेकार की कवायद है. हॉर्स ट्रेडिंग (विधायकों की खरीद-फरोख्त) भी एक कला है बीजेपी और कांग्रेस के लिए एक और परीक्षा देखते हैं, इसमें कौन बेहतर निकलता है.” दुर्भाग्य से चेतन भगत सही हैं दरअसल हमारा लोकतंत्र इस खेल का इतना अभ्यस्त हो चूका है कि जेडीएस नेता कुमारस्वामी द्वारा भाजपा पर अपने विधयाकों को 100 करोड़ रुपये की पेशकश का आरोप सनसनी से ज्यादा हास्य का बोध पैदा करती है. इस बीच हॉर्स ट्रेडिंग के डर से कांग्रेस और जेडीएस अपने विधयाकों को विरोधी खेमे से बचाने के लिये रिसोर्ट में ले जाने का फार्मूला अपनाते हैं. 

फिर कर्नाटक चुनाव तारीखों के ऐलान के तर्ज पर 16 मई की रात करीब आठ बजे भाजपा विधायक सुरेश कुमार ट्विट करते हैं कि “बीएस येदियुरप्पाम 17 मई की सुबह 9.30 बजे सीएम पद की शपथ लेंगे.” जबकि राजभवन द्वारा इसकी औपचारिक घोषणा इसके करीब डेढ़ घंटे बाद रात में 9 बजकर तीस मिनट पर की जाती है जिसमें येदियुरप्पा् को अपना बहुमत साबित करने के लिये 15 दिनों का पर्याप्त से भी अधिक समय दिया जाता है. राज्यपाल की तरफ से बहुमत के लिये 15 दिन का समय मिलने के बाद यह देखना दिलचस्प होगा है कि कांग्रेस और जेडीएस के लिये अपने विधयाकों को रिसोर्ट के सहारे एकजुट करने का फार्मूला कितना कारगर होता है.  इसके बाद 16 मई के रात में ही कांग्रेस और जेडीएस राज्यपाल के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करते हैं और फिर अभूतपूर्व तरीके से सुप्रीम कोर्ट में रात 1.45 बजे से लेकर करीब 4.30 बजे तक इस मामले की सुनवाई होती है जिसमें याचिकाकर्ताओं की तरफ से कर्नाटक राज्यपाल द्वारा देर रात को येदियुरप्पा को सरकार बनाने के लिये आमंत्रित करने और सुबह शपथ ग्रहण कार्यक्रम की टाइमिंग पर सवाल उठाए जाते हैं इस दौरान वे मेघालय, मणिपुर, गोवा, दिल्ली, झारखंड और जम्मू-कश्मीर का उदाहरण भी दिये जाते हैं जहाँ चुनाव के बाद बने गठबंधन की ही सरकारें बनाने का मौका दिया गया था. लेकिन शीर्ष अदालत द्वारा शपथग्रहण पर रोक लगाने से यह कहते हुये इनकार कर दिया जाता है कि वो राज्यापाल के संवैधानिक अधिकारों में दखल नहीं दे सकती. हालांकि अदालत ने ने 18 मई को होने वाली अगले सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों के अपने समर्थक विधायकों की सूची पेश करने को कहा है. लेकिन येदियुरप्पा चुनाव के दौरान की गयी अपनी घोषणा और राजपाल द्वारा तय कार्यक्रम के मुताबिक वे  17 मई की सुबह कर्नाटक के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेने में कामयाब हो गये हैं और इसी तरह से ऑपरेशन कमल पार्ट 2 का पहला चरण भी पूरा होता है. 

हर छोटे-बड़े चुनाव में जीत का जूनून नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी को खास बनती है जो कहीं और नजर नहीं आती है, हर बीते चुनाव के साथ वे अपने आपको चुनाव जीतने की कला में पुरस्कृत करते जा रहे हैं. ऐसा लगता है कि वे भाजपा को “कम्युनिस्ट पार्टी आफ चाईना” की तरह बना देना चाहते है जहां रास्ते में विपक्ष नाम का कोई खलल ना हो. उन्होंने खुद को चुनाव लड़ने की ऐसी मशीन बना लिया है जो जीतने पर तो सरकार बनाते ही है लेकिन हारने के बाद भी वे सरकार बनाने का कोई ना कोई रास्ता तलाश ही लेते हैं. वरिष्ठ पत्रकार हरि शंकर व्यास उनके इस प्रवृति को “जीतने की कबीलाई भूख” कहते हैं.  वैसे तो नरेंद्र मोदी और अमित शाह की भाजपा हर चुनाव पूरी ताकत और जीतने के इरादे से लड़ते हैं लेकिन कर्नाटक में कांग्रेस का किला ढहा कर उसे 2019 से पहले मनोवैज्ञानिक रूप के पस्त करने के धुन में वे यहाँ अपना पुरानी सीमाओं को भी तोड़ते हुये नजर आये.  कर्नाटक कांग्रेस के लिए जीवन मरण वाला चुनाव था और उसने भी यहां अपना पूरा जोर लगा दिया. कर्नाटक में कांग्रेस चुनाव और उसके बाद  हर वो दावं आजमाती हुई नजर आई जिससे वो अपने इस किले को बचाये रख सके. इसके लिये उन्होंने  मुख्यमंत्री सिद्धरमैया को प्रादेशिक क्षत्रप के तौर पर पेश किया, कन्नड़ अस्मिता को मुद्दा बनाया, लिंगायत समुदाय को अलग धर्म की मान्यता देने का दावं खेला, राहुल गांधी के नेतृत्व में नरम हिन्दुतत्व का कार्ड खेला गया, और अंत में राहुल गाँधी को मोदी के विकल्प तौर पर पेश करने की कोशिश भी की गयी. लेकिन अंत में वो दूसरी बड़ी पार्टी के तौर पर ही उभर पायी. 

दरअसल गुजरात चुनाव के की टक्कर और उत्तर प्रदेश की दो लोकसभा सीटों के उपचुनाव में भाजपा की हार ने कांग्रेस और विपक्ष को अंडर कांफिडेंस से ओवर कांफिडेंस की स्थिति में पंहुचा दिया था. उन्हें लगने लगा था कि मोदी और भाजपा कमजोर पड़ते जा रहे हैं. अगर कर्नाटक में भाजपा और जेडीएस यही समन्वय की राजनीति चुनाव से पहले कर लेते तो आज स्थिति दूसरी होती. कांग्रेस सहित पूरे विपक्ष को थ समझना होगा कि दौरान भारत में चुनाव लड़ने का पूरा गणित चेंज हो चूका है मोदी और अमित शाह हर छोटे-बड़े चुनाव को ऐसा पिच बना देते हैं जो पूरी तरह से उनका होता है और यहां उन्हीं के बनाये गये नियम- कायदे लागू होते हैं. विपक्ष साथ मिलकर और सामूहिक रणनीति से ही इस घेराबंदी का मुकाबला कर सकता है. भारत में चुनाव अब नाटक-नौटंकी की तरह हो गये हैं और मशीनों से होने वाला चुनाव भी अब मशीनी हो गया है जहां हार-जीत का फैसला जीवन के वास्तविक मुद्दों से नहीं बल्कि मैनेजमेंट, मनी और ध्रुवीकरण के सहारे होता है. इस दौरान मतदाताओं को या तो सम्मोहित के लिया जाता है या फिर उन्हें रोबोट मतदाता बनने को मजबूर कर दिया जाता है. कर्नाटक का नाटक तो चल ही रहा है भविष्य में होने वाले ऐसे कई और नाटकों के लिये तैयार रहिये यह तब तक चलेगा जब तक कि वोटों की तरह लोकतंत्र भी किसी ईवीएम जैसी किसी मशीन में कैद ना कर लिया जाये.




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जावेद अनीस 
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कर्नाटक में कल बहुमत साबित करें : उच्चतम न्यायालय

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नयी दिल्ली , 18 मई, उच्चतम न्यायालय ने आज आदेश दिया कि कर्नाटक विधानसभा में कल शाम चार बजे बहुमत साबित किया जाए ताकि यह पता लगाया जा सके कि भाजपा के नव नियुक्त मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा के पास राज्य में विधायकों का पर्याप्त संख्याबल है या नहीं। न्यायमूर्ति एके सीकरी की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने कहा , ‘‘ सदन को फैसला लेने दें , और सबसे अच्छा तरीका शक्ति परीक्षण होगा। ’’ न्यायमूर्ति एसए बोबडे और न्यायमूर्ति अशोक भूषण भी पीठ का हिस्सा थे।  मुख्यमंत्री की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने सोमवार तक का वक्त मांगा था लेकिन पीठ ने शक्ति परीक्षण कल करने का आदेश दिया। 

कांग्रेस ने राष्ट्रपति से मिलने का समय मांगा

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नयी दिल्ली, 18 मई, कांग्रेस ने कर्नाटक में भाजपा के पास सरकार बनाने के लिए बहुमत का आंकड़ा नहीं होने के बावजूद राज्यपाल वजुभाई वाला द्वारा भाजपा को आमंत्रित किये जाने के बारे में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को अवगत कराने के लिए समान विचार वाली पार्टियों की तरफ से उनसे मिलने का समय मांगा है। पार्टी के एक सूत्र ने बताया कि राष्ट्रपति से मिलने का समय मांगा गया है लेकिन कल कर्नाटक विधानसभा में शक्ति परीक्षण को देखते हुए उनसे अगले सप्ताह मुलाकात की संभावना है। सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस और समान विचार वाली दूसरी पार्टियां राष्ट्रपति को इस बारे में अवगत कराना चाहती है कि कर्नाटक के राज्यपाल ने भाजपा के पास बहुमत का आंकड़ा नहीं होने के बावजूद उसे सरकार गठन के लिए आमंत्रित किया। राजद सहित ये दल राष्ट्रपति के समक्ष यह बात रखना चाहते हैं कि हर राज्य में सरकार गठन के लिए अलग अलग नियमों का हवाला दिया जा रहा है। लालू प्रसाद की पार्टी का कहना है कि सबसे बड़ी पार्टी होने की वजह से भाजपा को सरकार गठन का न्योता दिया गया तो फिर यही आधार बिहार में भी लागू होना चाहिए था जहां वह सबसे बड़ी पार्टी है। दरअसल, शीर्ष अदालत ने आज कहा कि येदियुरप्पा कल शाम चार बजे विधानसभा में बहुमत साबित करें। इससे पहले राज्यपाल ने येदियुरप्पा को बहुमत साबित करने के लिए 15 दिन का समय दिया था। राज्यपाल ने बुधवार को येदियुरप्पा को सरकार बनाने का न्योता दिया था जिसके विरोध में कांग्रेस ने बुधवार रात ही शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था। गौरतलब है कि राज्य में किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला है। प्रदेश की 224 सदस्यीय विधानसभा में 222 सीटों पर हुए चुनाव में भाजपा को 104, कांग्रेस को 78 और जदएस+ को 38 सीटें मिली हैं। फिलहाल, बहुमत के लिए जादुई आंकड़ा 112 है।
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