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मोदी सरकार किसानों के हित सुरक्षित करने में असमर्थ : शरद यादव

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नयी दिल्ली, 31 मई, वरिष्ठ समाजवादी नेता शरद यादव ने कहा है कि केन्द्र की मोदी सरकार किसानों के हितों की सुरक्षा के लिये किये गये अपने वादों को पूरा करने में पूरी तरह नाकाम रही है।  यादव ने आज कहा कि सरकार दाल और अन्य सभी कृषि उत्पादों के किसानों के हित सुरक्षित करने में असमर्थ साबित हुयी है। कृषि उत्पादों खासकर दाल उत्पादक किसानों की समस्या का हवाला देते हुये उन्होंने कहा कि कृषि उपज का उचित मूल्य दिलाने के सरकार के वादे को देखते हुये किसानों ने चालू वित्त वर्ष 2017-18 में दालों की उपज साल 2000-01 में 11.06 मीट्रिक टन की तुलना में बढ़ाकर 24.51 मीट्रिक टन कर दी। उन्होंने कहा कि सरकार की वादा खिलाफी के कारण दाल उत्पादक किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम कीमत पर अपनी फसल बेचनी पड़ रही है। इसकी वजह से किसान और उपभोक्ता, दोनों परेशान हैं। यादव ने कहा कि सरकार ने पिछले चार साल में पेट्रोल डीजल पर उत्पाद शुल्क के रूप में 19.58 लाख करोड़ रुपये देश की जनता से वसूले हैं। सरकार ने यह वसूली तेल की अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतों में कमी के बावजूद की है। पेट्रोल डीजल की लगातार बढ़ती कीमत के कारण सभी उपभोक्ता वस्तुओं की कीमत बढ़ रही है। उन्होंने कहा ‘‘इस सरकार से किसी को राहत की कोई उम्मीद नहीं है।’’ 

लोगों को मनमोहन जैसे ‘शिक्षित प्रधानमंत्री’ की कमी खल रही है : केजरीवाल

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नयी दिल्ली , 31 मई, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तंज कसते हुए आज कहा कि लोगों को मनमोहन सिंह जैसे ‘‘ शिक्षित प्रधानमंत्री ’’ की कमी खल रही है। केजरीवाल हालांकि अब पूर्व प्रधानमंत्री की तारीफ कर रहे हैं लेकिन मनमोहन 2013 के दिल्ली विधानसभा चुनाव और उसके अगले साल लोकसभा चुनाव के दौरान केजरीवाल के भ्रष्टाचार विरोधी अभियान के निशाने पर रहे थे। केजरीवाल ने गिरते रुपये पर वॉल स्ट्रीट पत्रिका का एक लेख डालते हुए ट्विटर पर लिखा , ‘‘ लोगों को डॉ मनमोहन सिंह जैसे शिक्षित प्रधानमंत्री की कमी खल रही है। लोगों को लग रहा है कि प्रधानमंत्री तो पढ़ा लिखा ही होना चाहिए। ’’ केजरीवाल और उनकी आम आदमी पार्टी (आप) के सदस्य पूर्व में भी मोदी की शैक्षणिक योग्यताओं एवं उनकी डिग्री की प्रमाणिकता पर सवाल उठा चुके हैं। मुख्यमंत्री ने राष्ट्रीय राजधानी में जारी जल संकट को लेकर ‘‘ गंदी राजनीति ’’ करने का भी आरोप लगाया। उन्होंने ट्विटर पर लिखा , ‘‘ भाजपा दिल्लीवासियों के पानी के साथ गंदी राजनीति कर रही है। दिल्ली को 22 सालों से यह पानी मिल रहा था। अचानक हरियाणा की भाजपा सरकार ने इस आपूर्ति में भारी कमी कर दी। ऐसा क्यों ? कृपया अपनी गंदी राजनीति से लोगों को परेशान ना करें। ’’ 

चीन ने हिन्द महासागर में 10 भूकंप मापी यंत्र लगाए

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बीजिंग , 31 मई, चीन ने हिंद महासागर में दस समुद्री भूकंप माप यंत्र सफलतापूर्वक स्थापित किये हैं जिनका प्रयोग भूकंप मापने , ज्वालामुखी के फटने का पता करने या विस्फोटक के उपयोग के संबंध में होगा।  चीन के 49 वें समुद्री अभियान दल ने रविवार को दक्षिणपश्चिम हिन्द महासागर में समुद्री तल पर भूकंप माप यंत्र स्थापित किये तथा ऐसे पांच और उपकरणों की स्थापना की योजना बनाई गई है। ‘ साइंस एंड टेक्नोलाजी डेली ’ ने सोमवार को खबर दी कि समुद्र तल पर लगे 15 भूकंप माप यंत्रों को अगले साल हटाया जाएगा। भूकंप माप यंत्र (सीस्मोमीटर) का जीवनकाल सात महीने से एक साल का होता है और इसके बाद उसे आगे के अनुसंधान के लिए हटा लिया जाता है। खबर में कहा गया कि टीम के पृथ्वी भौतिकी विभाग के प्रमुख किउ लेइ के अनुसार , यह पहली बार है जब चीन ने दक्षिणपश्चिम हिन्द महासागर के जुनहुई हाइड्रोथर्मल फील्ड में भूकंप माप उपकरण लगाए हैं। 

हैंडवॉश और टूथपेस्ट में पाए जाने ट्राइक्लोजन से बढ़ सकता है मलाशय के कैंसर का खतरा

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वाशिंगटन , 31 मई, हैंड वॉश और टूथपेस्ट में पाए जाने वाले जीवाणुरोधी संघटक ट्राइक्लोजन से गट बैक्टीरिया (अंतड़ियों में पाए जाने वाले सूक्ष्मजीव) बदल सकते हैं जिनसे मलाशय के कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।  ‘ साइंस ट्रांसलेशनल मेडिसिन ’ पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया कि चूहों पर किए गए प्रयोग में उनमें ट्राइक्लोजन से मलाशय में जलन हुई और उससे जुड़े कैंसर की रफ्तार बढ़ गयी।  अमेरिका के यूनिवर्सिटी ऑफ मेसाचुसेट्स अम्हर्स्ट के गुओदांग झांग ने कहा , ‘‘ इन नतीजों से पहली बार पता चला कि ट्राइक्लोजन से हमारी अंतड़ियों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है।  शोधकर्ताओं ने कहा कि जीवाणुरोधी संघटक के रूप में ट्राइक्लोजन का व्यापक इस्तेमाल हो रहा है और यह 2,000 से ज्यादा उपभोक्ता उत्पादों में पाया जाता है। 

चैंपियन्स ट्राफी के लिये सरदार, लाकड़ा की भारतीय टीम में वापसी

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नयी दिल्ली, 31 मई पूर्व कप्तान सरदार सिंह और बीरेंद्र लाकड़ा की नीदरलैंड में 23 जून से होने वाली चैंपियन्स ट्राफी के लिये भारतीय हाकी टीम में वापसी हुई है।  हाकी इंडिया ने पीआर श्रीजेश की अगुवाई में 18 सदस्यीय टीम का चयन किया है जिसमें काफी बदलाव किये गये हैं। सरदार गोल्डकोस्ट राष्ट्रमंडल खेलों में निराशाजनक प्रदर्शन करने वाली भारतीय टीम का हिस्सा नहीं थे। उन्हें बेंगलुरू में राष्ट्रीय शिविर में बुलाया गया था जिसके बाद उनके टीम में वापसी की संभावना बन गयी थी। बीरेंद्र लाकड़ा की भी टीम में वापसी हुई है। यह डिफेंडर भी राष्ट्रमंडल खेलों में टीम का हिस्सा नहीं था। चयनकर्ताओं ने डिफेंडर रूपिंदर, कोठाजीत सिंह और गुरिंदर सिंह को बाहर किया है जबकि जर्मनप्रीत सिंह और सुरेंद्र कुमार को टीम में रखा गया है। स्ट्राइकरों में ललित उपाध्याय और गुरजंत सिंह को टीम से हटा दिया गया है जबकि रमनदीप सिंह की वापसी हुई है। चयनकर्ताओं ने गोलकीपर सूरज करकेरा की जगह कृष्ण बहादुर पाठक को रखा है। श्रीजेश ने कहा कि टीम अच्छा प्रदर्शन करने को प्रतिबद्ध है। उनकी अगुवाई में भारत ने पिछली बार रजत पदक जीता था। भारत फाइनल में आस्ट्रेलिया से हार गया था और यह 34 वर्षों में पहला अवसर था जबकि भारत पोडियम तक पहुंचा था। श्रीजेश ने कहा, ‘‘यह पहला अवसर था जबकि हम स्वर्ण पदक जीतने के करीब पहुंचे थे। हालांकि हमें दूसरे स्थान से संतोष करना पड़ा था लेकिन यह हमारे लिये यादगार टूर्नामेंट था। इस बार भी हम इसे यादगार बनाना चाहते हैं क्योंकि यह इस प्रतिष्ठित प्रतियोगिता का आखिरी संस्करण है।’’ मुख्य कोच हरेंद्र सिंह ने स्पष्ट किया कि खिलाड़ियों को एशियाई खेलों के लिये टीम में जगह पक्की करने के लिये अच्छा प्रदर्शन करना होगा। उन्होंने कहा, ‘‘यह जकार्ता में होने वाले एशियाई खेलों के मद्देनजर खिलाड़ियों के लिये बेहद महत्वपूर्ण टूर्नामेंट है। एशियाई खेलों के लिये टीम का चयन राष्ट्रमंडल खेलों और एशियाई खेलों के प्रदर्शन के आधार पर किया जाएगा।’’ भारत चैंपियन्स ट्राफी में अपने अभियान की शुरुआत 23 जून को चिर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान के खिलाफ करेगा। 

भारतीय टीम इस प्रकार है : 
गोलकीपर :पी आर श्रीजेश (कप्तान), कृष्ण बहादुर पाठक 
रक्षापंक्ति : हरमनप्रीत सिंह, वरुण कुमार, सुरेंद्र कुमार, जर्मनप्रीत सिंह, बीरेंद्र लाकड़ा और अमित रोहिदास।
मध्यपंक्ति :मनप्रीत सिंह, चिंगलेन्साना सिंह कंगंजम (उप कप्तान) सरदार सिंह और विवेक सागर प्रसाद।
अग्रिम पंक्ति :सुनील सोवरपेट विटालचार्य, रमनदीप सिंह मनदीप सिंह, सुमित कुमार (जूनियर) आकाशदीप सिंह और दिलप्रीत सिंह।

साइबर हमले भारत की प्रमुख सुरक्षा चुनौतियों में शामिल : गृह सचिव

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नयी दिल्ली , 31 मई, गृह सचिव राजीव गौ बा ने आज कहा कि वर्तमान में साइबर हमले भारत की प्रमुख सुरक्षा संबंधी चुनौतियों में से एक है और यह महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों और वित्तीय संस्थानों के लिए गंभीर खतरे पैदा कर सकता है। फिक्की द्वारा देश की आंतरिक सुरक्षा पर आयोजित एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए गौबा ने आज कहा कि साइबर हमलों का जवाब देने के लिए सुरक्षा एजेंसियों को साइबर हमलावरों से आगे रहना होगा और अपनी क्षमताओं एवं प्रौद्योगिकी में सुधार लाना होगा ।  उन्होंने कहा , "साइबर हमले महत्वपूर्ण सुरक्षा चुनौतियों में से एक है , जिनका देश और दुनिया आज सामना कर रही है। ये हमारे पावर ग्रिड के लिए बड़ा खतरा बन सकते हैं , वित्तीय संस्थानों को प्रभावित और पंगु बना सकते हैं। जिसके परिणामस्वरूप संवेदनशील जानकारियां लीक हो सकती हैं। "गौबा ने कहा कि संगठनों और सरकार को अपनी क्षमताओं को बढ़ाना होगा और इसके लिए खतरों का नियमित आकलन और प्रतिक्रिया देने की क्षमता बढ़ाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि सामान्य तौर पर हम आकलन में अच्छा काम करते हैं लेकिन इसे धरातल पर उतारने में मुस्तैदी नहीं दिखाते हैं क्योंकि इसके लिए निवेश और विशेषज्ञता की जरूरत है। गृह सचिव ने कहा कि साइबर हमलों का मुकाबला करने के लिए तेजी और चुस्ती की जरूरत है और हमलावरों से दो कदम आगे रहने के लिए उचित समायोजन और सुधार की जरूरत है। गौबा ने कहा कि साइबर हमले उचित वित्तपोषण और जुनून के साथ पहले से ज्यादा सुसंगठित और परिष्कृत हो गए हैं। हमलावर हमले के लिए सही समय और पसंद के समय का इंतजार करते हैं। उन्होंने कहा कि गृह मंत्रालय नियमित सुरक्षा और जोखिम मूल्यांकन करता है। गृह सचिव ने कहा कि देश के कई साइबर हमलों के तार झारखंड के जामताड़ा से जुड़े पाए गए हैं , जहां से कई हमलावर अपना नेटवर्क चलाते हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के मुताबिक , 2014, 2015 और 2016 में क्रमश : 9,622, 11,592 and 12,317 साइबर हमलों के मामले दर्ज किए गए हैं।

दरभंगा : तूफान और बारिश से दरभंगा में भारी क्षति

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दरभंगा (आर्यावर्त डेस्क)  31 मई :भीषण तूफान के बीच भारी बारिश से यहां जन-जीवन प्रभावित हुआ है. कई जगहों पर पेड़ गिर गये हैं. दिवाले ढ़ही है और बिजली के तार टूट कर गिर गये. जिसका असर यातायात पर पड़ा. तूफान के कारण बड़ी संख्या में आम फसल की बर्बादी हुई है. आज दिन के 3 बजे पश्चिम और उत्तर की दिशा से काला बादल आकाश में छाने लगा. महज आधे घंटे के अंदर पूरे क्षेत्र में अंधेरा छा गया. यहां तक कि वाहन के चालकों को हेड लाईट जलानी मजबूरी हो गई. इतना ही नहीं अंधकार इतनी अधिक हो गई कि सोलर लाईट अपने आप जल गया. विश्वविद्यालय परिसर में कई वृक्ष धराशायी हो गये. वहीं माधवेश्वर प्रांगण की चाहरदीवारी भी गिर गई. दरभंगा-सकरी पथ में एकभिन्डा गुमती से लेकर बेला गुमती तक कई जगहों पर पेड़ के डाली और बिजली के तार टूट कर गिरने से तूफान के समय यात्रा कर रहे लोगों को भारी कठिनाई हुई. भीषण तूफान में सड़क पर लोग फसे रहे. वैसे भालपट्टी गांव के आम कृषक बटोही मिश्र ने बताया कि तेज तूफान के कारण बड़ी मात्रा में आम के फल गिर गये. इतना ही नहीं कई पेड़ों की डालियां भी टूट कर गिर गई. क्योंकि आम का फल अभी पकने लायक नहीं हुआ था. जिसके चलते बहुत घाटा उठाना पडेÞगा. बगीचा के मालिक को भुगतान करना ही है. सनद रहे कि इस क्षेत्र में बहुत दिनों से एलर्ट के बाद भी तूफान नहीं आया था. जिसके चलते आज के एलर्ट को लोगों ने हल्के ढंग से लिया, लेकिन आज तूफान के साथ भारी बारिश ने चेतावनी को सत्य करार दिया. वैसे जगह-जगह से मिल रही सूचना के अनुसार पेड़ और घर गिरने की सूचना मिल रही है. कुल मिलाकर कहें, तो तूफान के कारण दरभंगा में काफी क्षति हुई है.

दरभंगा : शोध प्रबंधन परीक्षण की प्रक्रिया में संशोधन होगा

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दरभंगा (आर्यावर्त डेस्क) 31 मई  : कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय में कुलपति प्रो. सर्व नारायण झा की अध्यक्षता में गुरुवार को आयोजित शोध परिषद की बैठक में विद्वानों ने गवेषकों के व्यापक हितों का ख्याल रखते हुए कई अहम फैसले लिये. अब न सिर्फ शोध प्रबंध परीक्षण की प्रक्रिया में संशोधन किया जायेगा बल्कि रिसर्च माइथोलोजी को भी मानक पर कस कर देखा जायेगा. दरबार हॉल में आयोजित बैठक में कुलपति प्रो. झा की पहल पर आम सहमति हुई कि पुराने ढर्रे को त्यागकर विभागाध्यक्ष शोध प्रबंध को तीन दिनों के भीतर शोध विभाग में भेज देंगे और यहां से भी तीन दिनों के बाद उसे परीक्षा विभाग भेजा जाएगा. परीक्षा विभाग भी इसी अवधि को मेंटेन करते हुए शोध प्रबंध को वाह्य परीक्षकों को यहां भेज देगा. कुलपति का साफ मानना था कि इससे शोध कार्यों में पारदर्शिता के साथ तेजी आएगी और इसका लाभ अंतोगत्वा गवेषकों को ही मिलेगा. उक्त जानकारी जनसम्पर्क पदाधिकारी निशिकांत प्रसाद सिंह ने दी. बैठक में प्रतिकुलपति, कुलसचिव कर्नल नवीन कुमार के अलावा पूर्व कुलपति प्रो. रामचन्द्र झा व प्रो. उपेंद्र झा वैदिक, प्रो. वाचस्पति शर्मा त्रिपाठी, डीन प्रो. शिवाकांत झा, प्रो. उमेश शर्मा, प्रो. सुरेश्वर झा, प्रो. मोहन मिश्र, प्रो. शशिनाथ झा, प्रो. शक्तिनाथ झा, डॉ. प्रजापति त्रिपाठी, प्रो. श्रीपति त्रिपाठी, डॉ. विश्राम तिवारी, डॉ. विनय कुमार मिश्र,डॉ. मीना कुमारी, डॉ. हरेन्द्रकिशोर झा, डॉ. सत्यवान कुमार, डॉ. भगीरथ मिश्र, डॉ. दयानाथ झा, डॉ. शैलेन्द्र मोहन झा, डॉ. पुरेन्द्र वारिक समेत कई विद्वान उपस्थित थे.

भारत-सिंगापुर के बीच निकटतम संबंध : प्रधानमंत्री

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सिंगापुर, 31 मई, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को कहा कि भारत और सिंगापुर के बीच बिना किसी संघर्ष और दावों के हार्दिक और निकटतम संबंध है। मोदी ने यहां व्यापारिक और सामुदायिक समारोह को संबोधित करते हुए कहा, "जब भारत ने दरवाजे खोलकर पूर्व की ओर देखा, तब सिंगापुर हमारा सहयोगी बना और भारत और आसियान (दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों के संगठन) के बीच पुल बना।"उन्होंने कहा, "भारत और सिंगापुर के बीच हार्दिक और निकटतम राजनीतिक संबंध है।"मोदी ने कहा, "हमारे बीच कोई संघर्ष या दावा नहीं है, न हि कोई रोष या संदेह है।"उन्होंने कहा कि हमारे बीच साझा दृष्टिकोण के साथ एक स्वाभाविक दोस्ती है और दोनों देशों के बीच रक्षा संबंध काफी मजबूत है। मोदी तीन दक्षिण एशियाई देशों के पांच दिवसीय यात्रा के तीसरे और अंतिम चरण के अंतर्गत यहां आए हैं। उन्होंने यहां आने से पहले मलेशिया में मलेशिया के नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद से मुलाकात की। यहां व्यापारिक और सामुदायिक समारोह में शामिल होने से पहले, मोदी ने सिंगापुर के प्रधानमंत्री ली सीन लूंग के साथ मरीना बे सैंड्स कन्वेंशन सेंटर में भारत-सिंगापुर इंटरप्राइज और इन्नोवेशन एक्सिबेशन का दौरा किया। इस प्रदर्शनी का आयोजन सिंगापुर में भारतीय उच्चायोग ने सिंगापुर व्यापारिक संघ व सिंगापुर विनिर्माण संघ के साथ मिलकर किया था। प्रधानमंत्री यहां शुक्रवार शाम को शांगरी-ला वार्ता को संबोधित करेंगे। मोदी ट्रेक 1 वार्षिक अंतर-सरकारी सुरक्षा फॉरम में ऐसा करने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री होंगे।

चुनाव आयोग भ्रष्ट संस्था : उद्धव ठाकरे

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मुंबई, 31 मई, शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे गुरुवार को चुनाव आयोग (ईसी) पर जमकर बरसे। उन्होंने चुनाव आयोग को एक 'भ्रष्ट संस्था'बताते हुए देश में चुनाव कराने में 'अव्यवस्था'के लिए जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि शिवसेना भविष्य के सभी चुनाव बिना किसी गठबंधन के अकेले लड़ेगी।  उद्धव ठाकरे ने मीडिया से बातचीत में आरोप लगाया कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) में ईसी अधिकारियों की जानकारी में बड़े स्तर पर गड़बड़ी की जा रही है। उद्धव ठाकरे ने कहा, "पालघर में चुनाव और मतगणना पूरी तरह से मजाक थी। चुनावों के बाद, रातोरात लगभग 100,000 मत कैसे बढ़ गए? हमें इसका सबूत चाहिए .. इसमें धोखा है।"उन्होंने कहा कि शिवसेना ने अपने उम्मीदवार श्रीनिवास वंगा के करीब 29,000 वोटों के अंतर से हारने के बाद फिर से मतगणना की मांग की है। उद्धव ठाकरे ने कहा, "बाद के चरणों की गिनती में शिवसेना के मत अचानक से कई हजार पीछे हो गए..यह कैसे संभव है? हमने फिर से मतगणना की मांग की है , लेकिन हमें नहीं उम्मीद है कि ईसी इस पर ध्यान देगा।"उन्होंने कहा कि शिवसेना की पालघर में हार मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस द्वारा चुनाव की संध्या पर दिया गया 'साम, दाम, दंड व भेद'का बयान है, जो हमें स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने कहा, "हमने पहली बार पालघर में चुनाव लड़ा, हमारे पास खास तौर से दूरदराज के जनजातीय क्षेत्रों में एक उचित पार्टी का ढांचा नहीं था। फिर भी हमने भाजपा को कड़ी टक्कर दी।" 

चुनाव आयोग पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि अब सभी राजनीतिक दलों को चुनाव आयोग व उसके कामकाज के खिलाफ अदालत में चलना चाहिए। इसके काम से लोगों के दिमाग में संदेह पैदा हुआ है। उन्होंने सवाल किया कि क्या मुख्य निर्वाचन आयुक्त का देश में चुनाव तंत्र पर नियंत्रण है या नहीं और उन्होंने जिक्र किया कि कैसे ईवीएम अचानक से चुनाव प्रक्रिया के दौरान बीच में खराब हो गईं, मतगणना व दूसरे मामलों में विसंगतियां क्यों हैं।  उन्होंने कहा, "मेरा मानना है कि यह निर्वाचन आयोग के अधिकारियों को महज नियुक्त करने का नहीं, 'चुनने'का भी समय है, क्योंकि वह अब सत्तारूढ़ दल की कठपुलती बन गए हैं।"उन्होंने सवाल उठाया कि क्या इस बात की कहीं जरूरत तो नहीं आ पड़ी है कि देश में चुनाव प्रक्रिया की निगरानी के लिए अंतर्राष्ट्रीय पर्यवेक्षकों को नियुक्त किया जाए? उन्होंने दोहराया कि शिवसेना भविष्य में सभी चुनाव बिना किसी राजनीतिक दल के साथ गठजोड़ के स्वतंत्र रूप से लड़ेगी। उन्होंने कहा, "भाजपा को अब दोस्तों की जरूरत नहीं है..हम भविष्य में अकेले चुनाव लड़ेंगे।"राजनीतिक अटकलों के विपरीत शिवसेना प्रमुख ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन या महाराष्ट्र सरकार से बाहर जाने की संभावना पर कोई टिप्पणी नहीं की।

भाजपा की लोकसभा में संख्या 282 से घटकर 273 हुई

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नई दिल्ली, 31 मई, भारतीय जनता पार्टी ने 282 सीटों के साथ 2014 के आम चुनावों में अपने बूते पूर्ण बहुमत जीता था, लेकिन पिछले चार सालों में अब तक हुए उपचुनावों में पार्टी 9 सीट हार चुकी है।  गुरुवार को पार्टी दो लोकसभा सीटें हारी जबकि एक पर जीत हासिल की। इस तरह अब कुल मिलाकर पार्टी के पास लोकसभा में 273 की संख्या है। भाजपा ने लोकसभा सीटों के उप चुनाव में गुरुवार को उत्तर प्रदेश में महत्वपूर्ण कैराना सीट और महाराष्ट्र में भंडारा-गोंडिया सीट को खो दिया। पार्टी ने पालघर संसदीय सीट को बरकरार रखा, जबकि इसकी सहयोगी नागालैंड डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) नागालैंड सीट जीतने में सफल रही। भाजपा ने इससे पहले इस साल उत्तर प्रदेश की प्रतिष्ठित गोरखपुर और फूलपुर संसदीय सीटों और राजस्थान में अजमेर और अलवर संसदीय सीटों को खो दिया। नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद से उपचुनाव में भाजपा चार सीटों पर हारी जो कांग्रेस की झोली में गईं। भाजपा की दो सीटें समाजवादी पार्टी के पास गईं और एक-एक सीट राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के खाते में गईं। आरएलडी ने लोकसभा में अपना खाता विपक्षी पार्टियों द्वारा समर्थित अपनी उम्मीदवार तबस्सुम हसन की जीत से खोला जिन्होंने कैराना में भाजपा उम्मीदवार मृगांका सिंह को हराया। भाजपा के सांसद हुकम सिंह (मृगांका सिंह के पिता) की मौत के कारण यहां उपचुनाव कराना पड़ा। भाजपा ने पालघर लोकसभा सीट को बरकरार रखा जहां इसके उम्मीदवार राजेंद्र गावित ने शिवसेना के श्रीनिवास वंगा को हराया। वंगा दिवंगत सांसद चिंतमान वंगा के बेटे हैं। उनकी मौत जनवरी में हुई थी, इसके कारण इस सीट पर उपचुनाव कराया गया। नागालैंड की एकमात्र संसदीय सीट पर उपचुनाव सांसद नेफ्यू रियो के राज्य के मुख्यमंत्री बनने के कारण कराया गया। मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने सांसद सीट से इस्तीफा दे दिया था। भंडारा-गोंडिया सीट जीतने वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की ताकत अब लोकसभा में सात हो गई है। भंडारा-गोंडिया सीट पर उपचुनाव भाजपा के सांसद नाना पटोले के इस्तीफे के बाद कराया गया, जो कांग्रेस में शामिल हो गए हैं।

उपचुनाव स्थानीय मुद्दों पर, 2019 में मोदी फिर से बनेंगे प्रधानमंत्री : भाजपा

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नई दिल्ली, 31 मई, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने उपचुनावों में अपनी बड़ी हार को खारिज करते हुए कहा कि ये नतीजे आने वाली चीजों की आहट नहीं हैं और जब प्रधानमंत्री चुनना होगा तो नरेंद्र मोदी दोबारा प्रधानमंत्री चुनकर आएंगे। पार्टी के प्रवक्ता संबित पात्रा ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, "जब 2019 में चुनाव होंगे और प्रधानमंत्री चुनना होगा, तो भारत के लोग जानते हैं कि प्रधानमंत्री का क्या मतलब होता है। पी मतलब 'परफार्मेस'और एम मतलब 'मेहनत'...और इस मापदंड पर मोदीजी ही देश के प्रधानमंत्री होंगे।"उन्होंने कहा, "जिस तरह से मोदी सरकार ने बीते चार वर्षो के दौरान बिना बिजली के गांवों में बिजली पहुंचाई, किसानों को फसलों की लागत का डेढ़ गुणा मूल्य दिया, सिचाईं कार्यक्रम के जरिए जल उपलब्ध कराया और घरों में चार करोड़ एलपीजी गैस मुहैया कराया, तो ऐसे में 'स्वभाविक'प्रदर्शन हमारे साथ है और 'मेहनत'भी हमारे साथ है।"पात्रा ने कहा, "इसलिए जब 'परफार्मेस' (प्रदर्शन) और 'मेहनत'के आधार पर 2019 लोकसभा चुनाव होंगे तो मोदीजी ही देश के प्रधानमंत्री होंगे। भाजपा मोदीजी के नेतृत्व और अमित शाह के कठिन परिश्रम की बदौलत 2019 में 2014 से भी ज्यादा सीट हासिल करेगी।"पात्रा ने कहा कि भाजपा को 2014 के आम चुनावों में विशाल जीत हासिल करने के तुरंत बाद उपचुनावों में हार मिली थी लेकिन 2017 में पार्टी ने उत्तर प्रदेश में 325 सीट जीती और सरकार का गठन किया। उन्होंने कहा, "ऐसा क्यों हुआ? ऐसा इसलिए हुआ कि उपचुनाव स्थानीय मुद्दों पर लड़े जाते हैं और इसमें मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री को नहीं चुनना होता है। जब उत्तर प्रदेश में 2017 में मुख्यमंत्री चुनना था, भाजपा ने यहां 325 सीटें जीतीं।"उन्होंने कहा कि हार के कारणों का पता लगाने के लिए यह भाजपा के लिए आत्म अवलोकन का दिन है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि यह कांग्रेस के लिए भी ज्यादा आत्म अवलोकन करने का दिन है जो दूसरी क्षेत्रीय पार्टियों के प्रदर्शन पर दर्शक दीर्घा में बैठकर ताली पीट रही है। पश्चिम बंगाल के महेशतला उप चुनाव में दूसरे नंबर पर भाजपा के रहने पर पात्रा ने कहा, "भाजपा जिस तरह की प्रगति बंगाल में कर रही है, वह ऐतिहासिक है।"

रिलायंस जियो के 399 रुपये की प्रीपेड प्लान पर 100 रुपये की छूट

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नई दिल्ली, 31 मई, रिलायंस जियो ने प्रीपेड प्लान में ग्राहकों को छूट देने का ऐलान किया है। जियो का 399 रुपये का प्रीपेड प्लान अब 100 रुपये की छूट के साथ 299 रुपये उपलब्ध होगा। सूत्रों के अनुसार, यह छूट 50 रुपये का तत्काल रिचार्ज करने पर मिल सकता है और इसका दावा माई जियो एप के भीतर फोन पे के माध्यम से 50 रुपये के रिचार्ज वॉउचर के कैशबैक के जरिए किया जा सकता है। जियो के 299 रुपये के रिचार्ज पर 126 जीबी डाटा 84 दिनों के लिए वैध होगा। रिलायंस जियो की इस पेशकश का मकसद यह है कि लोग छुट्टियों में अपनी यात्रा के दौरान आसानी से रिचार्ज करवा सकें। यह ऑफर सीमित समय के लिए है, क्योंकि यह एक जून से 15 जून तक ही उपलब्ध रहेगा।

केरल में निपाह वायरस ने ली तीन और लोगों की जान

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कोझिकोड 31 मई, केरल में जानलेवा निपाह वायरस के संक्रमण की वजह से तीन और लोगों की मौत हो गयी है और इसके साथ ही राज्य के उत्तरी इलाके में इसके संक्रमण की वजह से मरने वालों की संख्या बढ़कर 17 हो गयी है। सूत्रों के अनुसार केरल के करासेरी के अखिल (28), पलाझी के मधुसूदनन और नदुवन्नूर के रासिन (25) को तेज बुखार की शिकायत के बाद अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती कराया गया था जहां उन्होंने दम तोड़ दिया। उनके रक्त की जांच में निपाह वायरस से ग्रस्त होने की पुष्टि हुई थी।  केरल के कोझिकोड और मल्लापुरम जिले में निपाह वायरस की वजह से पांच मई तक 14 लोगों की मौत हो चुकी है। इसके अलावा कोझिकोड मेडिकल कॉलेज अस्पताल में निपाह की चपेट में आये 11 अन्य मरीजों को गहन निरीक्षण में रखा गया हैं।  राज्य के विभिन्न अस्पतालों में 1353 लोगों के स्वास्थ्य की स्थिति पर नजर रखी जा रही है।  स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों के अनुसार निपाह के इलाज के लिए प्रभावी दवाइयों को ऑस्ट्रेलिया से मंगाया जा रहा है।  सूत्रों ने बताया कि निपाह के प्रभावी इलाज के लिए ह्यूमन मोनोक्लोरिन के दो दिनों में आने की संभावना हैं जिसके लिए जरुरी औपचारिकताआें को पूरा कर लिया गया है।

चुनाव परिणामों से सबक लें सभी दल: राहुल गांधी

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नयी दिल्ली 31 मई, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने गुरुवार को देश में लोकसभा की चार और विधानसभा की 11 सीट पर हुए उपचुनाव में सभी विजयी प्रत्याशियों को बधाई दी और कहा कि परिणामों से सभी दलों को सबक लेने की जरूरत है। श्री गांधी ने ट्वीट कर कहा कि परिणामों से सभी पार्टियों को सबक लेने की आवश्यकता है। उन्होंने कांग्रेस कार्यकर्ताओं और नेताओं को उनके कठिन परिश्रम और समर्पण के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा “देश में लोकसभा और विधानसभा सीटों पर उपचुनाव में जीत हासिल करने वाले सभी उम्मीदवारों को बधाई। सभी पार्टियों को जीत और हार से सबक लेने की आवश्यकता है। मैं इन चुनावों में कांग्रेस पार्टी के सभी नेताओं और कार्यकर्ताअों को उनके कठिन परिश्रम और समर्पण के लिए धन्यवाद करना चाहता हूं। भगवान आप सबका भला करे।” लोकसभा की चार सीटों पर उपचुनाव आैर विधानसभा की 11 सीटों पर हुए उपचुनाव नतीजों में भाजपा ने महाराष्ट्र में पालघर लोकसभा सीट समेत दो सीटों पर जीत दर्ज की है। पार्टी को उत्तर प्रदेश में कैराना लोकसभा सीट और नूरपुर विधान सभा सीट पर हार का मुंह देखना पड़ा। 

उपचुनावों के नतीजे भाजपा के लिए बड़ा झटका

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नयी दिल्ली 31 मई, चार लोकसभा सीटों तथा 11 विधानसभा सीटों के आज घोषित उप चुनावों के परिणाम भारतीय जनता पार्टी के लिए 2019 के आम चुनाव से पूर्व बड़ा झटका है जबकि विपक्षी एकता के लिए संबल है। भाजपा को दो लोकसभा सीट गंवानी पड़ी हैं और एक सीट बचा पाने में वह सफल रही है। भाजपा के लिए उत्तर प्रदेश में कैराना लोकसभा सीट और नूरपुर विधानसभा के परिणाम सबसे बड़ा आघात है। ये दोनों ही सीटें पहले उसके पास थीं। इन सीटों पर विपक्ष की एकजुटता ने उसकी हार सुनिश्चित की। इससे पहले वह राज्य में विपक्ष की एकता के कारण गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा सीटों के उपचुनाव हार चुकी है।  भाजपा महाराष्ट्र की पालघर सीट बचाने में सफल रही जहां उसने शिवसेना को परास्त किया। राज्य की भंडारा गोंदिया सीट राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने जीत ली। उत्तर प्रदेश की कैराना लोकसभा सीट पर राष्ट्रीय लोकदल प्रत्याशी तबस्सुम हसन ने भाजपा की मृगांका सिंह को 46,618 मतों से हराया। नूरपुर विधानसभा सीट पर समाजवादी पार्टी(सपा) के नईम उल हसन ने भाजपा की अवनी सिंह को 5678 मतों से पराजित किया। कैराना से भाजपा ने पूर्व सांसद हुकुम सिंह की बेटी मृगांका सिंह को चुनाव मैदान में उतारा था, वहीं एकजुट विपक्ष की तरफ से राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) की तबस्सुम मुनव्वर हसन मैदान में थीं। नूरपुर सीट भाजपा विधायक लोकेन्द्र सिंह चौहान की सडक दुर्घटना में मौत के कारण रिक्त हुई थी। उपचुनाव में भाजपा ने इस सीट पर उनकी पत्नी अवनी सिंह काे चुनाव मैदान में उतारा था।

पालघर लोकसभा सीट भाजपा सदस्य चिंतामन वनगा के निधन के कारण रिक्त हुई थी। श्री वनगा के पुत्र श्रीनिवास वनगा को भाजपा ने टिकट नहीं दिया जिसके कारण वह शिवसेना में शामिल हो गये थे और शिवसेना ने उन्हें अपना उम्मीदवार बनाया था। शिवसेना भाजपा के साथ केन्द्र और राज्य दोनों जगह सरकार में है। भाजपा के उम्मीदवार राजेन्द्र गावित ने शिवसेना के उम्मीदवार को 29574 मतों से पराजित किया। प्राप्त जानकारी के अनुसार नागालैंड लोकसभा सीट पर नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी के उम्मीदवार टी येपथोमी ने नागा पीपुल्स फ्रंट के सी अपोक जमीर को हराकर कब्जा कर लिया है। भाजपा उत्तराखंड में अपनी सीट बचाये रखने में कामयाब रही। राज्य की थराली विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में भाजपा की मुन्नी देवी शाह ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी कांग्रेस के जीत राम को 1981 मतों से पराजित कर दिया। चुनाव आयोग के अनुसार थराली उपचुनाव में भाजपा उम्मीदवार मुन्नी देवी को 25737 मत मिले जबकि कांग्रेस प्रत्याशी जीत राम ने 23756 वोट हासिल किये। यह सीट भाजपा विधायक मगनलाल शाह के निधन से रिक्त हुई थी और इस सीट पर 28 मई को मतदान हुआ था। श्रीमती मुन्नी देवी दिवंगत भाजपा विधायक मगनलाल शाह की पत्नी हैं। पंजाब में कांग्रेस के हरदेव सिंह लाडी शेरोवालिया ने जालंधर जिले की शाहकोट विधानसभा सीट उपचुनाव में अपने निकटतम प्रतिद्धंदी शिरोमणि अकाली दल(शिअद) के उम्मीदवार नायब सिंह कोहाड़ को 38802 मतों के अंतर से पराजित किया। यह सीट शिअद विधायक अजीत सिंह कोहाड़ के निधन के कारण रिक्त हुई थी। वह इस सीट से पांच बार जीत कर विधानसभा में पहुंचे और उनके रहते हुये शाहकोट विधानसभा क्षेत्र अकालियों का गढ़ माना जाता था।

कर्नाटक में राजराजेश्वरी नगर विधानसभा सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार मुनिरत्ना ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा के थुलासी मुनिराजू गौडा को 25492 मतों से हरा दिया। कांग्रेस ने यह सीट बरकरार रखी। राज्य में गत 12 मई को हुए विधानसभा चुनाव के दौरान ही चुनाव आयोग ने इस सीट पर मतदान 28 मई तक के लिए स्थगित कर दिया था। आयोग को इस निर्वाचन क्षेत्र में मतदाताओं को नगद और उपहारों से लुभाने की शिकायतें मिली थीं और जलाहल्ली क्षेत्र में हुई छापेमारी में नौ हजार से अधिक मतदाता पहचान पत्र बरामद किये गये थे। इस संबंध में श्री मुनिरत्ना समेत 13 लोगों के विरुद्ध मामला दर्ज किया गया था। मेघालय में भी कांग्रेस ने जीत का परचम लहराया है और प्रतिष्ठित अम्पाती विधानसभा सीट के उपचुनाव में पार्टी उम्मीदवार एवं राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री मुकुल संगमा की बड़ी बेटी मियानी डी शिरा ने सत्तारूढ़ नेशनल पीपुल्स पार्टी प्रत्याशी क्लेमेंट मोमिन को 3191 मतों से हराकर जीत हासिल की। श्री संगमा फिलहाल विधानसभा में विपक्ष के नेता हैं। श्री संगमा के इस सीट को खाली करने के बाद यहां उपचुनाव कराया गया। वह इस सीट के अलावा सोंगसाक विधानसभा सीट से चुनाव जीते थे। श्री संगमा ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा उम्मीदवार बकुल सी हजोंग को 6,000 से ज्यादा वोटों से हराकर अम्पाति सीट बरकरार रखी थी जबकि सोंगसाक सीट उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी एनपीपी उम्मीदवार एन डी शिरा को 1300 से ज्यादा वोटों से हराया था।

महाराष्ट्र के पलूस कादेगांव विधानसभा सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी विश्वजीत कदम ने निर्विरोध जीत दर्ज की है। यह सीट कांग्रेस विधायक एवं पूर्व मंत्री पटंगराव कदम के निधन के बाद रिक्त हुई थी। पार्टी ने उनके बेटे विश्वजीत कदम को मैदान में उतारा। केरल में चेंगानूर विधानसभा सीट मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी नीत वाम लोकतांत्रिक मोर्चा ने जीत ली है। इस सीट पर एलडीएफ उम्मीदवार साजी चेरियन ने अपने निकटम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस नीत यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट प्रत्याशी डी विजयकुमार को 20956 मतों से पराजित किया। श्री चेरियन को कुल 67303 मत मिले जबकि श्री विजयकुमार ने 46347 वोट हासिल किये। बिहार में अररिया जिले की जोकीहाट विधानसभा सीट के लिए हुये उपचुनाव में राष्ट्रीय जनता दल के प्रत्याशी शाहनवाज आलम निर्वाचित घोषित किये गये। वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव में जोकीहाट सीट जदयू प्रत्याशी एवं शाहनवाज आलम के बड़े भाई सरफराज आलम ने जीती थी लेकिन उनके पिता एवं सांसद मोहम्मद तस्लीमुद्दीन के निधन से अररिया लोकसभा सीट रिक्त होने के बाद सरफराज आलम ने जदयू विधायक पद से इस्तीफा देकर राजद के टिकट पर उपचुनाव लड़ा और विजयी हुये। सरफराज आलम के इस्तीफे के कारण जोकीहाट विधानसभा सीट रिक्त हुई थी, जिस पर 28 मई को उपचुनाव कराया गया था।

झारखंड में रांची जिले के सिल्ली विधानसभा सीट के लिए हुये उपचुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) प्रत्याशी सीमा देवी ने ऑल झारखंड स्टूडेंट यूनियन के अध्यक्ष एवं उम्मीदवार सुदेश महतो को 13510 मतों से पराजित कर दिया। यह सीट तत्कालीन झामुमो विधायक अमित कुमार महतो को एक मामले में न्यायालय द्वारा दोषी करार दिये जाने के बाद उनके पद से इस्तीफा देने के कारण रिक्त हुई थी। राज्य की ही गोमिया विधानसभा सीट के लिए हुये उपचुनाव में झामुमो प्रत्याशी बबीता देवी ने ऑल झारखंड स्टूडेंट यूनियन के उम्मीदवार लंबोदर महतो को 1344 मतों के अंतर से पराजित किया। यह सीट तत्कालीन झामुमो विधायक योगेंद्र महतो को एक मामले में न्यायालय द्वारा दोषी करार दिये जाने के बाद उनके पद से इस्तीफा देने के कारण रिक्त हुई थी। पश्चिम बंगाल में महेशतला विधानसभा सीट के लिए उपचुनाव में तृणमूल कांग्रेस ने अपनी सीट बचाने में सफलता हासिल की है। पार्टी उम्मीदवार दुलाल दास ने भाजपा के सुजीत घोष को 62324 मतों के अंतर से हरा दिया। पार्टी विधायक कस्तूरी दास के निधन के बाद यहां उपचुनाव कराया गया। पार्टी ने दिवंगत विधायक के पति दुलाल दास को यहां से अपना उम्मीदवार बनाया।

एयर इंडिया का विनिवेश विफल, मंत्रियों का समूह तय करेगा आगे की प्रक्रिया

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नयी दिल्ली 31 मई, पचास हजार करोड़ रुपये से ज्यादा के कर्ज में डूबी सार्वजनिक विमान सेवा कंपनी एयर इंडिया के रणनीतिक विनिवेश की सरकार की योजना को आज उस समय गहरा झटका लगा जब अभिरुचि पत्र दाखिल करने की अंतिम तिथि बीत जाने के बाद भी कोई खरीददार सामने नहीं आया। आगे की प्रक्रिया अब एयरलाइन के विनिवेश के लिए बना मंत्रियों का समूह तय करेगा। नागरिक उड्डयन सचिव राजीव नयन चौबे ने बताया कि एयर इंडिया के लिए कोई बोली नहीं लगायी गयी। आज शाम पाँच बजे अभिरुचि पत्र दाखिल करने की समय सीमा समाप्त हो गयी। उन्होंने कहा “हम इससे बेहतर नतीजों की उम्मीद कर रहे थे।”
उन्होंने बताया कि निवेश एवं लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) की प्रक्रिया के तहत विभाग के अतिरिक्त सचिव तथा वित्तीय सलाहकार वाली आँकलन समिति स्थिति की समीक्षा करेगी। इसके बाद मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाले विनिवेश का कोर समूह इस पर विचार करेगा और अंतत: मामला एयर इंडिया में विनिवेश के लिए बने मंत्रियों के समूह के समक्ष इसे रखा जायेगा। मंत्रियों के समूह को आगे की प्रक्रिया पर अंतिम फैसला करना है। दो सप्ताह के भीतर मामला मंत्रियों के समूह के पास पहुँच जाने की उम्मीद है। इस बीच विनिवेश प्रक्रिया के नियुक्त सौदा सलाहकार ईवाई से भी प्रक्रिया के विफल रहने के कारणों के बारे में जानकारी माँगी जायेगी।

सरकार ने चालू वित्त वर्ष में 80 हजार करोड़ रुपये के विनिवेश का लक्ष्य रखा है। एयर इंडिया का विनिवेश पहले प्रयास में विफल रहने से इस गहरा झटका लगा है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पिछले साल एयर इंडिया में रणनीतिक विनिवेश को सैद्धांतिक मंजूरी दी थी। इसके लिए इस साल 28 मार्च को आरंभिक सूचना पत्र जारी किया गया था। एयरलाइन की 76 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने के लिए निविदा जारी की थी। अभिरुचि पत्र दायर करने की अवधि पहले 14 मई थी जिसे बढ़ाकर 31 मई किया गया था। नागरिक उड्डयन सचिव ने कहा कि मंत्रियों का समूह ही आगे की दिशा तय करेगा। यदि समूह दुबारा विनिवेश प्रक्रिया शुरू करने का फैसला करता है तो शर्तों के साथ विनिवेश की रणनीति में बदलाव का विकल्प भी खुला है। पहले सरकार ने एयर इंडिया की विनिवेश प्रक्रिया इस साल के अंत तक पूरा करने का लक्ष्य रखा था। यह पूछे जाने पर कि यह प्रक्रिया कब तक पूरी हो जायेगी श्री चौबे ने कोई समय सीमा बताने से इन्कार कर दिया। बोली लगाने वाली संभावित विमान सेवा कंपनियों की चिंताओं के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि सरकार ने शुरू से ही बाजार को अवगत करा दिया था कि एयर इंडिया के परिचालन पर हिस्सेदारी खरीदने वाली कंपनी का पूरा नियंत्रण होगा। इसलिए सरकार ने 76 प्रतिशत हिस्सेदारी विनिवेश के लिए रखी थी। 

श्री चौबे ने कहा कि सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि विनिवेश प्रक्रिया के लंबा खिंचने से एयर इंडिया वित्तीय अनिश्चितता की स्थिति में न पहुंच जाये। उसके नये विमान खरीदने तथा विस्तार पर लगी आंशिक रोक पर मंत्रालय जल्द ही विचार करेगा। उन्होंने कहा, “हम नहीं चाहते कि एयर इंडिया की बाजार हिस्सेदारी प्रभावित हो।” एयर इंडिया पर इस समय करीब 58 हजार करोड़ रुपये का कर्ज है। इसमें 25 हजार करोड़ रुपये एक विशेष कंपनी बनाकर उसे स्थानांतरित किया जाना था, जबकि शेष 33 हजार करोड़ रुपये का कर्ज एयर इंडिया के पास ही रहना था।  विनिवेश की घोषणा के तुरंत बाद देश की सबसे बड़ी विमान सेवा कंपनी इंडिगो ने इसे खरीदने में रुचि दिखाई थी। लेकिन, आरंभिक सूचना पत्र जारी होने के बाद विनिवेश की शर्तें मनमाफिक न होने के कारण उसने हाथ खींच लिये। इंडिगो के अलावा एक विदेशी कंपनी ने भी रुचि दिखाई थी, लेकिन विनिवेश प्रक्रिया शुरू होने के बाद कोई खरीददार सामने नहीं आया। 

चातुर्मास : जिज्ञासाओ को शांत करने का सुअवसर है: चातुर्मास : श्रमण डाॅ. पुष्पेन्द्र

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चातुर्मास: जैन धर्म में इसे सामूहिक वर्षायोग तथा चातुर्मास के रूप में जाना जाता है.मान्यता है कि बारिश के मौसम के दौरान, अनगिनत कीड़े, कीड़े और छोटे जीव को इन आंखों से नहीं देखा जा सकता है तथा वर्षा के मौसम के दौरान जीवो की उत्त्पति भी सर्वाधिक होती है.चलन-हिलन की ज्यादा क्रियाये इन मासूम जीवो को ज्यादा परेशान करेगी . अन्य प्राणियों को साधुओ के निमित से कम हिंसा हो तथा उन जीवो को ज्यादा अभयदान मिले उसके द्रष्टिगोचर कम से कम तो वे चार महीने के लिए एक गांव या एक ठिकाने में रहने के लिए अर्थात विशेष परिस्थितिओं के अलावा एक ही जगह पर रह कर स्वकल्याण के उद्वेश्य से ज्यादा से ज्यादा स्वाध्याय, संवर, पोषद, प्रतिक्रमण, तप, प्रवचन तथा जिनवाणी के प्रचार-प्रसार को महत्व देते है। यह सर्व विदित ही कि जैन साधुओ का कोई स्थायी ठोर-ठिकाना नहीं होता तथा जन कल्याण की भावना संजोये वे वर्ष भर एक स्थल से दुसरे स्थल तक पैदल चल चल कर श्रावक-श्राविकाओ को अहिंसा, सत्य, ब्रम्हचर्य का विशेष ज्ञान बांटते रहते है तथा पुरे चातुर्मास अर्थात 4 महीने तक एक क्षेत्र की मर्यादा में स्थाई रूप से निवासित रहते हुए जैन दर्शन के अनुसार मौन-साधना, ध्यान, उपवास, स्व अवलोकन की प्रक्रिया, सामयिक ओर प्रतिक्रमण की विशेष साधना, धार्मिक उदबोधन, संस्कार शिविरों से हर शक्श के मन मंदिर में जन-कल्याण की भावना जाग्रत करने का सुप्रयास जारी रहता है.. तीर्थंकरो ओर सिद्ध पुरुषों की जीवनियो से अवगत कराने की प्रक्रिया इस पुरे वर्षावास के दरम्यान निरंतर गतिमान रहती है तथा परिणिति सुश्रवाको तथा सुश्रविकाओ के द्वारा अनगिनत उपकार कार्यो के रूप में होती है। एक सबसे महत्वपूर्ण त्यौहार पर्युषण पर्व की आराधना भी इसी दौरान होती है..पर्युषण के दिनों में जैनी की गतिविधि विशेष रहती है तथा जो जैनी वर्ष भर या पुरे चार माह तक कतिपय कारणों से जैन दर्शन में ज्यादा समय नहीं प्रदान कर पाते वे इन पर्युषण के 8 दिनों में अवश्य ही रात्रि भोजन का त्याग, ब्रम्हचर्य, ज्यादा स्वाध्याय, मांगलिक प्रवचनों का लाभ तथा साधू-संतो की सेवा में संलिप्त रह कर जीवन सफल करने की मंगल भावना दर्शाते है। चातुर्मास का सही मूल्यांकन श्रावको ओर श्राविकाओ के द्वारा लिए गए स्थायी संकल्पों एवं व्रत प्रत्याखानो से होता है। यह समय आध्यात्मिक क्षेत्र में लगात्तर नई ऊँचाइयों को छुने हेतु प्रेरित करने के लिए है। अध्यात्म जीवन विकास की वह पगडण्डी है जिस पर अग्रसर होकर हम अपने आत्स्वरूप को पहचानने की चेष्टा कर सकते है। साधू-साध्वियो के भरसक सकारात्मक प्रयांसो की बदोलत कई युवा धर्म की ओर उन्मुख होकर नया ज्ञान-ध्यान सीखकर स्वयं के साथ दूसरों के कल्याण की सोच हासिल करते है। कई सुश्रावक-सुश्रविका पारंगत होकर स्वाध्यायी बनकर जिन क्षेत्रो में साधू-साध्वी विचरण नहीं कर रहे है, वहां जाकर स्वाध्याय तथा जन कल्याण की भावना का प्रचार प्रसार कर अपना जीवन संवार लेते है। सेकंडो जिज्ञासाओ को शांत करने का सुअवसर है ,चातुर्मास। स्वधर्मी के कल्याण की अलख जगाता है,चातुर्मास। जीवदया की ओर उन्मुख करता है चातुर्मास। तपस्वी तथा आचार्या भगवन्तो के पावन दर्शन से लाभान्वित होने का मार्ग है चातुर्मास। साहित्य की पुस्तकों से रूबरू होने का जरिया है,चातुर्मास। उपवास से कर्म निर्जरा का सन्मार्ग दिखाता है चातुर्मास। सम्यग ज्ञान ,दर्शन ओर चरित्र की पाटी पढ़ाता है,चातुर्मास। कई धार्मिक शेक्षणिक शिविरों की जन्मदात्री है चातुर्मास। कई राहत कार्यों के आयोजनों का निर्माता है चातुर्मास। जन से जैन बने ,प्रेरणा दाई है चातुर्मास।

विशेष आलेख : उपचुनाव में एक बार फिर मतदाता मुखर हुआ

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भारत के लोकतन्त्र की सबसे बड़ी विशेषता यह रही है कि चुनाव के समय मतदाता ही बादशाह होता है। इस समय राजनेताओं के भाग्य का फैसला करने का अधिकार उसी को होता है। हमने यह बात सत्तर वर्षीय लोकतंत्र के जीवन में एक बार नहीं, बल्कि अनेक बार देखी है। जब-जब इन मतदाताओं को नजरअंदाज किया गया, राजनैतिक दलों को मुंह की खानी पड़ी है। हाल में सम्पन्न हुए कई राज्यों के विधानसभा व लोकसभा उपचुनावों के नतीजों से जो सन्देश निकला है वह यही है कि भारत के लोकतन्त्र को जीवन्त और ऊर्जावान बनाये रखने में मतदाताओं ने एक बार फिर अपने अधिकार का बहुत सूझबूझ एवं विवेक से उपयोग किया हैं। उसने जो निर्णय दिया है उससे कुछ राजनैतिक नेतृत्व जीत की खुशफहमी और हारने के खतरे की फोबिया से ग्रस्त दिखाई दे रहे हैं। इन उपचुनाव, खासकर उत्तर प्रदेश के कैराना लोकसभा एवं नूरपुर विधानसभा के नतीजों को देखकर सभी चैंकन्ने हैं कि ये भाजपा के लिये नाक का सवाल थी, जिनकी हार नए अर्थ दे रही है। इन चुनाव परिणामों ने 2019 के इंतजार को न केवल रोचक बनाया बल्कि एक बार फिर इन परिणामों से लोकतंत्र मजबूत होता हुआ प्रतीत हुआ है। सक्षम एवं सफल लोकतंत्र के लिये सशक्त विपक्ष प्रथम प्राथमिकता है, जिसके लगातार कमजोर एवं बेबस होने से लोकतंत्र के मायने ही सिमटते जा रहे थे। ऐसे हालात में ताजा नतीजे बता रहे हैं कि सोता हुआ विपक्ष भी सक्रिय हुआ है और नई करवट ले रहा है। लेकिन इन उपचुनाव परिणामों का एक सन्देश और है कि नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में जितने भी उपचुनाव हुए हैं, उनमें उसे हार का मुंह ही देखना पड़ा, लेकिन इसके बाद हुए सभी आम चुनावों में उसने शानदार जीत हासिल की है। कहीं ये चुनाव परिणाम एक बार फिर 2019 के भाजपा के एक तरफा जीत को तो सुनिश्चित नहीं कर रहे हैं? 

इन उप-चुनावों के नतीजे उम्मीदवारों या पार्टियों की ताकत के बारे में कम और माहौल के बारे में ज्यादा बताते हैं। इनसे किसी राजनीतिक दल के भविष्य को सुनिश्चित नहीं किया जा सकता, इनसे केन्द्रीय राजनीति की दिशा की थाह भी नहीं नापी जा सकती। क्योंकि इनमें किसी राजनीतिक दल की लहर नहीं, स्थानीय समीकरण ज्यादा बड़ी भूमिका निभाते हुए दिखाई दिये हैं। इन उप-चुनाव के परिणामों से हम आम-चुनाव की दशा और दिशा का स्पंदन भी महसूस नहीं कर सकते। दस विधानसभा और चार लोकसभा सीटों के ताजा नतीजों को आम चुनाव की तस्वीर से जोड़ कर देखना हमारी भूल होगी। जिन चार लोकसभा सीटों पर ये उप-चुनाव हुए, वे देश के चार कोनों पर हैं। चारों का राजनीतिक यथार्थ एक-दूसरे से एकदम जुदा है। यही हाल अलग-अलग राज्यों की विधानसभा सीटों का भी है। हर सीट एक अलग ही कहानी कहती है। इन उपचुनावों में टक्कर सरकार और विपक्ष के बीच रही। पर हमें यह देखना है कि असली टक्कर वोट हासिल करने के लिए है या मूल्यों के लिए? राजनेताओं को मजबूत करने के लिये है या राष्ट्र को? लोकतंत्र का यह पहला सशक्त स्तम्भ भी मूल्यों की जगह वोट की लड़ाई लड़ रहा है, तब मूल्यों का संरक्षण कौन करेगा? एक खामोश किस्म का ”वोट युद्ध“ देश में जारी है। एक विशेष किस्म का मोड़ जो हमें गलत दिशा की ओर ले जा रहा है, यह मूल्यहीनता और वोट हासिल करने की मनोवृत्ति अपराध प्रवृत्ति को भी जन्म दे रही है। हमने सभी विधाओं को येन-केन-प्रकारेण सत्ता हासिल करने का हथियार समझ लिया है। जहां सत्ता कद्दावर होती जा रही है और मूल्य बौना। क्या हो रहा है हमारे देश में? सिर्फ सत्ता ही जब राजनीति का एकमात्र उद्देश्य बन जाता है तब वह सत्ता दूसरे कोनों से नैतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक स्तरों पर बिखरने लगती है। सत्ता बहुत कुछ है, पर सब कुछ नहीं। सब कुछ मान लेने का ही परिणाम है कि राष्ट्र कमजोर हो रहा है और राजनेता मजबूत। लेकिन मतदाता जागरूक है और अपने अधिकार का सम्यक् उपयोग करके उसने मूल्यों को बिखरने नहीं दिया।

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मतदाता के लोकतान्त्रिक अधिकार पर सिर्फ उनका ही अधिकार है। इसके प्रयोग करने की उनकी सामथ्र्य को कोई भी चुनौती नहीं दे सकता। उपचुनाव का जो परिणाम निकल कर आया है उससे आश्चर्य में पड़ने की जरा भी जरूरत नहीं है क्योंकि अभी तक कोई भी ऐसा सूरमा पैदा नहीं हुआ है जो लोगों के दिमाग में उठने वाले सवालों को खत्म कर सके। कैराना लोकसभा सीट के उपचुनाव को कोरा राजनीति हार-जीत का मैदान बनाने वालों ने बहुत बड़ी चुक कर दी थी, क्योंकि यह चैधरी चरण सिंह की विरासत है जहां ग्रामीण विकास की अमर गाथाएं लिखी है, यह वही जमीन है जिसमें अब्दुल करीम खान साहब के स्वरों की मीठी गूंज भी शामिल है। यहां के मतदाताओं ने अपना फैसला दिया है उससे साबित हो रहा है कि हिन्दुस्तान का गन्ना उगाने वाला किसान जब अपने खेतों में काम करता है तो वह न हिन्दू होता है न मुसलमान बल्कि वह कोरा किसान होता है और उसकी समस्याओं को राजनीतिक नेतृत्व को इसी नजर से देखना होगा। यहां के लोगों ने मिलकर एक बार फिर अनूठी इबादत लिखी है और राजनीति को परे फेंक कर अपने मन की करने की हिम्मत दिखाई है। यह हार-जीत किसी पार्टी की नहीं बल्कि कैराना की महान विरासत की है। यह भविष्य की राजनीति का वह झरोखा है जिसे स्वयं मतदाताओं ने खोला है। जहां तक अन्य उपचुनावों के परिणामों का सवाल है तो स्पष्ट है कि प. बंगाल में ममता के नेतृत्व में लोगों का विश्वास कायम है। बिहार के जोकीहाट उपचुनाव से जो हवाएं उठी हैं वे जमीन से जेल तक लालू जी स्वीकृति को बयां कर रही हैं।

उप-चुनावों के नतीजे हमें भले ही अगले साल के आम चुनाव का कोई स्पष्ट संकेत न देते हों, लेकिन एक बात तो बता ही रहे हैं कि अगला चुनावी संग्राम ज्यादा दिलचस्प होने वाला है। हालांकि इस बीच मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान जैसे कई महत्वपूर्ण राज्यों के विधानसभा चुनाव भी होने हैं, जो शायद अगले आम चुनाव की तस्वीर को समझने में हमारी ज्यादा मदद करें। विपक्ष की यह जीत अगले लोकसभा चुनावों के लिहाज से उसकी एकजुटता की संभावना को तो मजबूती देगी ही, लेकिन बीजेपी के सामने असल खतरा अपने दिग्विजयी प्रचार के जाल में खुद ही फंस जाने का है। जब बदलाव शुरू होता है तब समय अच्छा या बुरा नहीं होता। अच्छा या बुरा होता है उस समय में जीया गया हमारा कर्म जो चरित्र की व्याख्या करता है। आज जरूरत है बदलते हुए पर्यायों को समझने की, क्योंकि जो युग के साथ चल न सके, उसकी भाषा में बोल न सके, उस शैली में जी न सके वह फिर जनप्रतिनिधि कैसा? और जो पुरातन संस्कृति, परम्परा, आदर्श, चिंतन के तजुर्बे का आदर न कर सके, वह फिर नेतृत्व कैसा? सत्ता और स्वार्थ ने अपनी आकांक्षी योजनाओं को पूर्णता देने में नैतिक कायरता दिखाई है। इसकी वजह से लोगों में विश्वास इस कदर उठ गया कि चैराहे पर खड़े आदमी को सही रास्ता दिखाने वाला भी झूठा-सा लगता है। आंखें उस चेहरे पर सचाई की साक्षी ढूंढती हैं। 

वर्ष 2019 के आम-चुनाव की ओर अग्रसर होते हुए हमें इस सचाई को समझना चाहिए कि हमने इस बार जीने का सही अर्थ ही खो दिया है। यद्यपि बहुत कुछ उपलब्ध हुआ है। कितने ही नए रास्ते बने हैं। फिर भी किन्हीं दृष्टियों से हम भटक रहे हैं। गांव-गांव तक बिजली पहुंचाने के लक्ष्य में हम लगे हैं फिर भी ना जाने कितने अंधेरों में स्वयं डूबे हैं। भौतिक समृद्धि बटोरकर भी न जाने कितनी रिक्ताओं को सहा है। गरीब अभाव से तड़पा है, अमीर अतृप्ति से। कहीं अतिभाव, कहीं अभाव। जीवन-वैषम्य कहां बांट पाया अपनों के बीच अपनापन। बस्तियां बस रही हैं मगर आदमी उजड़ता जा रहा है। ऐसी स्थितियों में भविष्य की सत्ता का चेहरा बनाने में मतदाता को मुखर होना ही होगा। वर्तमान राजनीतिक नेतृत्व को भी दोहरा दायित्व निभाना है। अतीत की भूलों को सुधारना और भविष्य के निर्माण में सावधानी से आगे कदमों को बढ़ाना। वर्तमान के हाथों में जीवन की संपूर्ण जिम्मेदारियां थमी हुई हैं। हो सकता है हम परिस्थितियों को न बदल सकें पर उनके प्रति अपना रूख बदलकर नया रास्ता तो अवश्य खोज सकते हैं।



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(ललित गर्ग)
60, मौसम विहार, तीसरा माला,
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फोनः 22727486, 9811051133

बिहार : त्रिपोलिया हॉस्पिटल के नियमानुसार महिलाएं रक्तदान नहीं कर सकती

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  • और इस तरह महिला चुनौती ही खत्म कर दी

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पटना.पटना सिटी में है विख्यात  त्रिपोलिया हॉस्पिटल.होली कॉस सिस्टरों द्वारा संचालित है.यहां पर जेनरल नर्सिंग और ए.एन.एम.का प्रशिक्षण केंद्र है.यहां पर अभी 15 दिनों के मासूम बच्चे को 50 एमएल रक्त चढ़ाने की जरूरत है.बच्चे का ग्रुप O+ है. एक महिला O+ ब्लड देने गयी थीं.महज महिला होने के नाते ब्लड देने से रोक देने की खबर है. प्राप्त जानकारी के अनुसार  मास्टर ऑफ सोशल वर्क (एमएसडब्ल्यू) की  सहपाठी अपराजिता जी ब्लड देना चाह रही थीं. वह त्रिपोलिया हॉस्पिटल में  रक्तदान करने पूर्वाह्ण 10:12 पहुँच गयी.उसके बाद हॉस्पिटल कर्मियों का कहना है आप महिला हैं इसके आलोक में  आपसे ब्लड नहीं लिया जा सकता हैं.यह लिंगभेदी बात सुनकर अपराजिता पराजित हो गयी. जबकि उनका हीमोग्लोबिन, वजन, उम्र आदि रक्तदान करने लिए   बिल्कुल उपयुक्त था.महज महिला होने के कारण अपराजिता को ब्लड  देने से वंचित कर दी गयी.तब वह सवाल उठाती हैं कि यह क्या उचित है?

 गौर तलब है कि अपराजिता ने अपने पूरे शरीर की जाँच 7 दिन पहले करायी थीं.अपराजिता ने अपनी सारी जाँच रिपोर्ट दिखायी. गॉड के लिए आप बच्चे की जिन्दगी बचाने के लिए मेरा रक्तदान होने दीजिए. यहां के जिद्दी कर्मी कहने लगे कि आपको जो भी दिखाना है वह दिखाते रहें परन्तु हमारे त्रिपोलिया हॉस्पिटल का रूल है कि किसी भी महिला का रक्तदान नहीं लिया जा सकता हैं.हां, आपके लिए हम रूल तोड़ नहीं सकते.अपराजिता उदास होकर द्यर वापस आ गयी. हॉस्पिटल रूल के कारण रक्तदान करने मे पराजित होने वाली अपराजिता समझ नहीं पा रही हैं कि एक महिला होना क्या बड़ा गुनाह है कि वह किसी भी नन्हें बच्चे की जान बचाने लायक भी नहीं ठहरी. इस आधुनिक युग में महिलाओं द्वारा हर क्षेत्र में चुनौती बनकर उभरी हैं.यहां पर रूल बनाकर महिला चुनौती को ही समाप्त कर दी गयी है. महिलाएं अपना रक्तदान नहीं कर सकती हैं.जबकि मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार रक्तदान करने के लिए वह पूरी तरह  दक्ष हैं. फेसबुक पर बमबम जुड़े हैं.वाट्स-अप पर'ह्मुमननाटी फोर'से जुड़े हैं बमबम.जरुरतमंद लोगों को रक्त उपलब्ध कराने का प्रयास करते हैं.इनके अनेक रक्तदाता हैं.इनमें महिला-पुरूष शामिल हैं. जब इस बाबत होली कॉस की सिस्टर जर्मिना केरकेट्टा से जानकारी चाही  तो उनका कहना है कि 'मैं विश्वास नहीं करती.'इतना ही जवाब दी हैं.

आलोक कुमार
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