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विकास दर को दस प्रतिशत के पार पहुंचाना चुनौती, महत्वपूर्ण कदम उठाने होंगे : मोदी

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नयी दिल्ली , 17 जून, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि देश की अर्थव्यवस्था के सामने अब चुनौती वृद्धि दर को दहाई अंक तक पहुंचाने की है , जिसके लिए ‘ कई और महत्वपूर्ण कदम उठाने होंगे। ’ मोदी आज यहां राष्ट्रपति भवन के सांस्कृतिक केंद्र में नीति आयोग की संचालन परिषद की चौथी बैठक के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि बीते वित्त वर्ष 2017-18 की चौथी तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था ने मजबूत 7.7 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है और ‘‘ अब चुनौती इस वृद्धि दर को दहाई अंक में ले जाने की है। ’’  उन्होंने कहा कि 2022 तक न्यू इंडिया का सपना अब हमारे देश के लोगों के का एक संकल्प है। मोदी ने इसी संदर्भ में आज की बैठक के एजेंडा में शामिल मुद्दों का जिक्र किया। इसमें किसानों की आय को दोगुना करना , विकास की आस में बैठे (अपेक्षाकृत पीछे रह गए) जिलों का विकास , आयुष्मान भारत , मिशन इंद्रधनुष , पोषण मिशन और महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती का उल्लेख किया।  इससे पहले नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने मुख्यमंत्रियों और अन्य प्रतिनिधियों का स्वागत किया।  सत्र का संचालन गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने किया।  बैठक में मुख्यमंत्रियों तथा अन्य प्रतिनिधियों का स्वागत करते हुए मोदी ने जोर देकर कहा कि संचालन परिषद ऐसा मंच जो ‘ ऐतिहासिक बदलाव ’ ला सकता है। उन्होंने बाढ़ प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों को बाढ़ से उत्पन्न स्थित से निपटने में हरसंभव मदद का आश्वासन दिया।  उन्होंने कहा कि नीति आयोग की संचालन परिषद ने राजकाज से जुटे जटिल मुद्दों को ‘ टीम इंडिया ’ के रूप में ‘‘ सहयोगपूर्ण , प्रतिस्पर्धापूण संघवाद की भावना के साथ लिया है। ’’  प्रधानमंत्री ने कहा कि माल एवं सेवा कर (जीएसटी) का लागू होना टीम इंडिया की इस भावना का एक जीता जागता उदाहरण है। 

प्रधानमंत्री ने कहा कि राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने उप समूहों और समितियों में अपने कार्यों के जरिये स्वच्छ भारत मिशन , डिजिटल लेनदेन और कौशल विकास जैसे मुद्दों पर नीतियां बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।  मोदी ने कहा कि आयुष्मान भारत कार्यक्रम के तहत 1.5 लाख चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवा केंद्र बनाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत 10 करोड़ गरीब परिवारों को पांच लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा संरक्षण उपलब्ध कराया जाएगा।  मोदी ने कहा कि समग्र शिक्षा अभियान के तहत शिक्षा के लिए एक समग्र दृष्टिकोण अपनाया जा रहा है।  प्रधानमंत्री ने कहा कि मुद्रा योजना , जनधन योजना और स्टैंड अप इंडिया जैसी योजनाओं से वित्तीय समावेशन बढ़ाने में मदद मिल रही है। उन्होंने कहा कि प्राथमिकता के आधार पर आर्थिक असंतुलन को दूर करना बहुत जरूरी है।  मोदी ने जोर देकर कहा कि विकास का इंतजार कर रहे 115 पिछड़े जिलों में मानव विकास के सभी पहलुओं और मानदंडों सुधारने की जरूरत है।  उन्होंने कहा कि ग्राम स्वराज अभियान इन योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए एक नए मॉडल के रूप में उभरा है। इसका विस्तार पिछड़े जिलों के 45,000 गांवों में किया जा चुका है।  प्रधानमंत्री ने कहा कि क्षमता और संसाधनों की किसी तरह की कमी नहीं है और चालू वित्त वर्ष में राज्यों को केंद्र से 11 लाख करोड़ रुपये मिलेंगे , जो पूर्ववर्ती सरकार के कार्यकाल के आखिरी साल की तुलना में छह लाख करोड़ रुपये अधिक है। 


दुमका : जिलास्तरीय शतरंज टूर्नामेंट 23 से 25 जून तक

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  • 23 जून से आरंभ होने वाले जिलास्तरीय शतरंज प्रतियोगिता की तैयारियों को लेकर की गई  बैठक। 
  • जरमुंडी को शतरंज टूर्नामेंट की मेजबानी मिलना गर्व की बात। टूर्नामेंट के बेहतर संचालन के लिए गठित की गई उपसमितियाँ। 

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दुमका (अमरेन्द्र सुमन) जिलास्तरीय शतरंज टूर्नामेंट का आयोजन जरमुंडी में 23 से 25 जून तक होना है। टूर्नामेंट की तैयारियों को लेकर जरमुंडी में दिन रविवार को एक बैठक की गई। बैठक में शतरंज टूर्नामेंट के आयोजन समिति के सचिव डॉ सपन पत्रलेख ने कहा कि जिलास्तरीय टूर्नामेंट का प्रखंड में आयोजन होना गर्व की बात है । मेजवानी मिलने से जरमुंडी के लोग काफी गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं । कहा कि प्रखंड में प्रतिभा की कोई कमी नही है ।इस तरह के आयोजन से ग्रामीण क्षेत्र के  खिलाड़ियों को भी  आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है । अधिवक्ता  अशोक कुमार सिन्हा ने कहा कि जरमुंडी पर  जो  भार सौंपा गया है ,उसे अच्छी तरीके से निभाया जाएगा । अवसर पर स्वरूप सिन्हा ने कहा कि टूर्नामेंट को भव्य बनाने में कोई कमी नहीं रखी जाएगी । वार्ड कमिश्नर बीरेंद्र कुमार गण ने कहा कि शतरंज टूर्नामेंट जरमुंडी में बहुत ही अच्छी तरीके से किया जाएगा । टूर्नामेंट के बेहतर संचालन हेतु कई उपसमितयों का भी गठन किया गया । तैयारी की समीक्षा को लेकर 19 जून को एक बैठक रखी गई है। टूर्नामेंट में भाग लेने के लिए ₹100 का शुल्क रखा गया है।टूर्नामेंट में भाग लेने को इच्छुक किसी भी आयुवर्ग के कोई भी स्त्री या पुरुष  जरमुंडी में स्वरूप कुमार सिन्हा-9430167224 नावाडीह, जरमुंडी में बीरेंद्र कुमार गन  वार्ड कमिश्नर वार्ड नंबर 7 -7549912744,और डॉ सपन पत्रलेख -9431312778 ,दुमका के धनश्याम कुमार -75491807 17 तथा नोनीहाट के संजय साह उर्फ गुड्डू के मोबाइल नंबर 6202026270 के पास 21 जून तक रजिस्ट्रेशन करा सकते  है । बैठक में आयोजन समिति के सचिव डॉ सपन पत्रलेख , अशोक कुमार सिन्हा,  स्वरूप कुमार सिन्हा, जटा शंकर शर्मा , अरविंद मंडल, योगेंद्र पंडित, बीरेंद्र कुमार गन , श्याम पंडित, नवीन प्रसाद ,प्रेम मोदी ,पंकज कुमार विश्वास ,अशोक शर्मा, राज किशोर प्रसाद ,गणेश ईश्वर दीनबंधु चंद आदि मौजूद थे।

अब कैदी होना कर्ज लेने में बाधा नहीं

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मुम्बई , 17 जून, महाराष्ट्र सरकार की व्यापक कर्ज माफी योजना से जेल में बंद किसानों को भी लाभ हुआ है।  नागपुर के पूर्व जिलाधीश सचिन कुरवे ने पीटीआई - भाषा को बताया कि 88 कैदी जो पेशे से किसान हैं और नागपुर एवं नासिक की केंद्रीय जेलों में बंद हैं , उन्हें भी योजना के तहत कर्ज माफी के लिये आवेदन करने को प्रोत्साहित किया गया। सरकार ने पिछले साल जून में योजना की घोषणा की थी। इनमें से 56 को इसका लाभ भी प्राप्त हुआ। कुरवे मई 2015 से अप्रैल 2018 तक नागपुर जिला के जिलाधीश थे।  कुरवे फिलहाल मुम्बई उपनगर के जिलाधीश हैं। उन्होंने कहा कि 88 के अलावा अन्य किसान कैदियों का आवेदन इसलिए खारिज हुआ क्योंकि उनके पास या तो पर्याप्त दस्तावेज नहीं थे या उनके नाम आधार पर दर्ज उनके नामों से मेल नहीं खाये।  उन्होंने कहा कि कैदियों को इस योजना के लिये आवदेन करने को लेकर प्रोत्साहित किया गया। जिलाधीश कार्यालय और जेल के कैदियों के लिये गठित कल्याण समितियों से उन्हें आवश्यक मार्गदर्शन और सहयोग दिया गया।  कुरवे ने बताया , ‘‘ हमने उन्हें जेल के अंदर आधार कार्ड उपलब्ध कराने के लिये विशेष शिविरों का आयोजन किया ताकि वे योजना का लाभ प्राप्त करने के योग्य बनें। ’’  उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस के निर्देशों पर यह पहल शुरू की गयी। उन्होंने कहा है कि कोई भी योग्य किसान इस योजना से वंचित नहीं रहे। 

सदाबहार होते हैं एक्शन हीरो : जॉन अब्राहम

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मुंबई , 17 जून, अभिनेता जॉन अब्राहम का मानना है कि एक्शन हीरो सबसे बड़े फिल्म स्टार हैं तथा बॉलीवुड में ऐसे और हीरो होने चाहिए।  45 वर्षीय अभिनेता हाल में आयी एक्शन थ्रिलर फिल्म ‘‘ परमाणु : द स्टोरी आफ पोखरण ’’ में नजर आये थे। उन्होंने एक्शन के क्षेत्र में योगदान के लिए टाइगर श्राफ की भी प्रशंसा की। उन्होंने कहा , ‘‘ मेरा मानना है कि सबसे बड़े स्टार एक्शन हीरो होते हैं। ब्रूस विलिस , अर्नाल्ड श्वार्जनेगर और ड्वेन जॉनसन को देखिये। एक्शन स्टार हमेशा सदाबहार होते हैं। ’’  उन्होंने कहा , ‘‘ मेरे अलावा मेरे देश में टाइगर श्रॉफ हैं जो कि अच्छा एक्शन कर रहे हैं। वर्तमान में हम दोनों एक्शन फिल्में कर रहे हैं। हम दोनों की शैली अलग है। और एक्शन हीरो के लिए जगह है कि लेकिन अभी हम दोनों ही हैं। ’’  जॉन अब्राहम ने ‘‘ धूम ’’, ‘‘ फोर्स ’’ और ‘‘ ढिशूम ’’ जैसी फिल्में की हैं।  जॉन अब्राहम ने कहा कि उन्होंने हाल में निर्देशक रोबी ग्रेवाल की ‘‘ रोमियो अकबर वाल्टर ’’ के लिए शूटिंग शुरू की और इसका फिल्मांकन अगस्त के अंत तक पूरा होने की उम्मीद है।  जॉन उसके बाद फिल्म ‘‘ बटला हाउस ’’ पर काम शुरू करेंगे। यह फिल्म सितम्बर 2008 में दिल्ली के जामिया नगर क्षेत्र स्थित बटला हाउस के एक फ्लैट में आतंकवादियों के एक समूह और पुलिस के बीच हुई जबर्दस्त मुठभेड़ पर आधारित है।  जॉन ‘‘ बटला हाउस ’’ में पुलिस अधिकारी संजीव कुमार यादव की भूमिका निभाएंगे। उन्होंने कहा कि वह अपनी भूमिका की तैयारी करने के लिए यादव से मुलाकात करेंगे। 

देश की सभी दवा दुकानों पर मिलेंगी उच्च गुणवत्ता वाली जेनरिक दवाइयां

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नई दिल्ली , देश के लोगों को सस्ती दवाइयां मिल सके इसके लिए सरकार हर वह कदम उठाने के लिए तैयार दिख रही है, जो वह उठा सकती है। इसी दिशा में सरकार अब सभी दवा दुकानों पर  जेनरिक दवा उपलब्ध करवाने के लिए कानून बनाने की तैयारी कर रही है। देश के प्रतिष्ठित अखबार अमर ऊजाला में प्रकाशित खबर में बताया गया है कि डीसीजीआई ने राज्यों को इस संबंध में सर्कुलर जारी कर दिया है। अगले 2 महीने में इसे लागू करने की तैयारी चल रही है। गौरतलब है कि स्वस्थ भारत ने प्रधानमंत्री को पत्र लिख कर यह मांग किया था कि देश के सभी दवा दुकानों को जनऔषधि केन्द्र में बदल दिया जाना चाहिए। सरकार ने इस सुझाव को आंशिक रूप से मानते हुए सभी दुकानों पर अनिवार्य रुप से जेनरिक दवा उपलब्ध कराने का फैसला किया है। पिछले दिनों हुई बैठक में स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने स्पष्ट कर दिया था कि वो हर हाल में लोगों को सस्ती दवा उपलब्ध करवाना चाहते हैं।

सरकार के इस फैसले का का स्वागत करते हुए स्वस्थ भारत अभियान के सह संयोजक धीप्रज्ञ द्विवेदी ने कहा कि, सरकार का यह फैसला बहुत ही सराहनीय है। स्वस्थीभारत शुरू से ही स्वस्थ भारत अभियान के अंतर्गत जेनरिक लाइए पैसा बचाइए कैंपेन चला रहा है। इसके तहत देश के लोगों को जेनरिक दवाइयों के बारे में जागरुक करने का काम हम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि स्वस्थ भारत यात्रा के दौरान स्वस्थ भारत के चेयरमैन आशुतोष कुमार सिंह ने तकरीबन डेढ लाख से ज्यादा स्कूली छात्राओं को जेनरिक दवाइयों के बारे में जागरुक किया था। स्वस्थ भारत जेनरिक के भ्रम को दूर करने के लिए जगह-जगह टॉक शो करते रहता है। वही दूसरी तरफ सरकार के इस फैसले पर सोशल मीडिया में भी खूब चर्चा हो रही है। फार्मासिस्टों का एक वर्ग चाहता है कि सरकार पहले उन्हें  दवाइयों को सब्टीच्यूट करने का अधिकार दे। उनका तर्क है कि अगर डॉक्टर ब्रांडेड दवा लिखेगा और फार्मासिस्ट सब्टीच्यूट कर के मरीज को सस्ती जेनरिक दवा देना चाहेगा तो भी वह कानूनन ऐसा नहीं कर सकता है। सूत्रो की माने तो सरकार इस मसले पर भी विचार कर रही है। संभव है कि नए कानून में यह भी बदलाव हो जाए।

सोशल मीडिया पर इस संदर्भ में एक और चर्चा चल रही है। देश के फार्मा एक्टिविस्ट एवं पत्रकार यह मान रहे हैं कि जबतक सरकार सभी जेनरिक दवाइयों को डीपीसीओ में नहीं लायेगी, दवाइयों कीमतें आसमान ही छूती रहेंगी। स्वस्थ भारत डॉट इन द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में प्रवेज आल़म  का कहना है कि, सबसे पहले सरकार को सभी जेनेरिक दवाइयों को डीपीसीओ 2013 की श्रेणी में लाना चाहिए। नहीं तो इस तरह से जेनरिक दवाइयों की उपलब्धता के बावजूद लोगों को फायदा नहीं होगा।वहीं मोहम्मद वसीम का कहना हैं कि    जेनरिक दवाइयों को सभी दवा दुकानों पर उपलब्ध कराना कोई  उपलब्धि नही है  क्योंकि दवा रख भी लेंगे तो डॉक्टर नही लिखेंगे। डॉक्टर लिख भी दिए तो रिटेलर दवा को एमआरपी में बेचेगा और जेनेरिक की एमआरपी  भी बहुत अधिक होती है जो कि ब्रांडेड से भी 4 गुना महंगा पड़ेगा। वहीं रजत राज  का मत  है   कि दवा दुकान पर जेनेरिक दवाओं के लिए अलग काउंटर बनाना सरकार की बेहद अच्छे और उपयोगी पहल है । इससे सबसे अधिक फायदा मरीजों को होगा ब्रांडेड दवाओं के नाम पर चल रही लूट पर लगाम लग सकेगी। जैसा कि हम जानते हैं कि भारत में बहुत सारे लोग ऐसे हैं जिन को दो वक्त का खाना नसीब नहीं होता वैसे में उन्हें दवाइयां उपलब्ध कराना सरकार के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती है। जेनेरिक दवाइयों की गुणवत्ता भी ब्रांडेड दवा के समान ही होती है दवाइयों के बारे में जानकारी केवल और केवल फार्मासिस्ट को होती है इसलिए जनता को फार्मासिस्ट के हाथों सुरक्षित दवा मिल पाएगी।




आशुतोष कुमार सिंह
स्वस्थ भारत डॉट इन 

पूर्वोत्तर में बाढ़ में 23 लोगों की मौत

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गुवाहाटी / इंफाल , 17 जून, पूर्वोत्तर में विनाशकारी बाढ़ ने पिछले 24 घंटों में और छह लोगों की जान ले ली है। इस तरह मृतकों की संख्या बढ़ कर 23 हो गई। हालांकि , क्षेत्र में बाढ़ की स्थिति में थोड़ा सुधार देखने को मिला है। असम में कल से पांच और लोगों की मौत हो चुकी है जबकि मणिपुर में एक व्यक्ति की जान चली गई।  असम के छह जिलों में बाढ़ से लगभग 4. 5 लाख प्रभावित हुए हैं। असम राज्य आपदा प्रबंध प्राधिकरण के मुताबिक होजई , कर्बी आंगलांग पश्चिम , गोलाघाट , करीमगंज , हेलकांडी और कचरा जिलों में 4. 48 लाख लोग प्रभावित हुए हैं।  ब्रह्मपुत्र नदी अभी जोरहाट में निमातीघाट और कचार में एपी घाट में खतरे के निशान से ऊपर बढ़ रही है।  धनसीरी जैसी अन्य नदियां भी कुछ स्थानों पर खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं।  मणिपुर की इंफाल घाटी में बड़ी नदियों का जलस्तर घटना शुरू हो गया है। सिर्फ लिलोंग नदी चेतावनी के स्तर से कुछ ऊपर बह रही है। 

दिल्ली का प्रदूषण स्तर अब भी बना हुआ है ‘खतरनाक’

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नयी दिल्ली , 17 जून, दिल्ली के प्रदूषण स्तर में तेजी से गिरावट आ रही है , लेकिन आज छठे दिन भी राष्ट्रीय राजधानी का प्रदूषण स्तर ‘ खतरनाक ’ बना हुआ है।  प्रदूषण की निगरानी करने वाली एजेंसियों ने यह जानकारी दी। केंद्र द्वारा संचालित सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट (एसएएफएआर) ने बताया कि प्रदूषकों के तेजी से प्रसार के चलते राज्य में प्रदूषण ‘ खतरनाक ’ स्तर तक पहुंच गया है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के अनुसार आज दिल्ली - एनसीआर में पीएम 10 (10 मिमी से कम व्यास वाले हवा में घुले खतरनाक सूक्ष्म कण) का स्तर 424 और दिल्ली में 420 दर्ज किया गया। एसएएफएआर में वैज्ञानिक गुफरान बेग ने बताया कि स्थानीय हवाओं के गति पकड़ने से प्रदूषकों के छंटने में तेजी आयी । इससे प्रदूषण के स्तर में गिरावट आयी और हवा की गुणवत्ता में सुधार हुआ। उन्होंने बताया कि हवा की गुणवत्ता में आगे और सुधार होने की आवश्यकता है। शहर में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 402 है , जो अब भी खतरनाक बना हुआ है। 0-50 के बीच एक्यूआई को ‘‘ अच्छा ’’ माना जाता है , 51-100 ‘‘ संतोषजनक ’’, 101-200 ‘‘ नियंत्रित ’’, 201-300 ‘‘ खराब ’’, 301-400 ‘‘ बेहद खराब ’’ और 401-500 ‘‘ खतरनाक ’’ माना जाता है।  बुधवार को दिल्ली - एनसीआर में पीएम 10 का स्तर 778 और दिल्ली में 824 पहुंच गया था , जो इस बात का संकेत है कि प्रदूषण ‘ गर्मी के मौसम की समस्या ’ भी हो सकती है। 

मध्य प्रदेश में 150 मेडिकल छात्रों का भविष्य अधर में

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  • न्यायालय ने एमसीआई से हल निकालने को कहा

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नयी दिल्ली , 17 जून, भोपाल के एक कॉलेज पर शैक्षणिक सत्र 2017-2018 के लिए छात्रों के दाखिले पर मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) की तरफ से लगाई गई रोक के बाद 150 छात्रों के भविष्य पर मंडरा रहे संकट के मामलों को उच्चतम न्यायालय ने गंभीरता से लिया है।  उच्चतम न्यायालय ने इस संकट से निपटने के लिए एमसीआई से कोई हल निकालने तथा मध्यप्रदेश और पड़ोसी राज्यों में शिक्षण सत्र 2017-2018 के लिए रिक्त पड़ी सीटों का ब्योरा देने को कहा है।  न्यायमूर्ति यूयू ललित और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की अवकाशकालीन पीठ ने स्थिति पर चिंता जताई और यह जानना चाहा कि इस मामले से निपटने का क्या तरीका हो सकता है जहां केन्द्रीय काउंसलिंग एजेंसी ने छात्रों को एक कालेज में सीट आवंटित की और वह कॉलेज बाद में संकट में आ गया।  पीठ ने कहा , ‘‘ ऐसा नहीं है कि कॉलेज ने दाखिला परदर्शी तरीके से नहीं दिया। बल्कि राज्य प्रशासन ने छात्रों को इस कॉलेज में भेजा या जाने का निर्देश दिया। क्या छात्रों को अब संकट में छोड़ा जा सकता है। ’’  सुनवाई के दौरान मध्य प्रदेश सरकार की पैरवी कर रहे वकील अर्जुन गर्ग ने कहा राज्य के किसी भी मेडिकल कॉलेज में शैक्षणिक सत्र 2017-2018 के लिए कोई भी सीट रिक्त नहीं है।  इस पर बेंच ने कहा कि किसके निर्देश पर वह इस तरह के बयान देते आ रहे हैं साथ ही उन्हें आगाह किया कि बाद में अगर ये तथ्य गलत पाए गए तो वह संबंधित अधिकारी को फंसा सकते हैं। 

पीठ की टिप्पणी पर गर्ग ने कहा कि उन्हें राज्य में चिकित्सा शिक्षा के अतिरिक्त मुख्य सचिव से निर्देश मिले हैं साथ ही उन्होंने अधिकारी का नाम आर एस जुलानी बताया।  पीठ ने कहा कि एमसीआई को इस मामले में अपनी राय रखनी चाहिए और अगर उसके पास कोई सुझाव हो तो वह भी बताना चाहिए।  दरअसल मामला आरकेडीएफ मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर से जुड़ा हुआ है जिसे केन्द्र और एमसीआई ने शिक्षण सत्र 2014-2015 के लिए एमबीबीएस कोर्स के लिए छात्रों के दाखिले की अनुमति दी थी। हालांकि बाद में अगले सत्र 2015-2016 में एमसीआई ने कॉलेज का निरीक्षण किया और उसे नवीकरण अनुमति नहीं दी साथ ही उसे छात्रों की भर्ती करने पर रोक लगा दी।  कॉलेज को शिक्षण सत्र 2016-2017 के लिए फिर से छात्रों को दाखिला देने की अनुमति दी गई लेकिन 2017-2018 के लिए फिर से रोक लगा दी गई।  हालांकि बाद में उच्चतम न्यायालय ने एक अंतरिम आदेश में कॉलेज को शिक्षण सत्र 2017-2018 के लिए 150 छात्रों को दाखिला देने की अनुमति दी थी।  सभी 150 छात्रों को कॉलेज में दाखिला दिया गया और इसके लिए पूरी प्रक्रिया का पालन किया गया।  पीठ ने कहा , ‘‘ दर्ज तथ्य इस ओर इशारा करते हैं कि शिक्षण सत्र 2017-2018 के लिए नवीकरण अनुमति नहीं दी गई थी जिसके बाद उन छात्रों की स्थिति और उनके अधिकारों पर विचार करना होगा जिन्हें अंतरिम आदेश के जरिए दाखिला दिया गया था। ’’ 

शराबबंदी के बाद महंगे कपड़ों, शहद, चीज़ पर अधिक खर्च कर रहे हैं बिहारवासी

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पटना , 17 जून, बिहार में शराबबंदी की वजह से, साल के शुरूआती छह महीने में ही महंगी साड़ियों , शहद और चीज़ की बिक्री गढ़ गई है।  नए अध्ययनों में पाया गया है कि मंहगी साड़ियों की बिक्री में 1751 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई हैं जबकि शहद की खपत 380 प्रतिशत और चीज़ की 200 प्रतिशत तक बढ़ी है।  ‘ एशियाई विकास अनुसंधान संस्थान ’ (एडीआरआई) और सरकारी वित्त पोषित ‘ ज्ञान संस्थान विकास प्रबंधन संस्थान ’ (डीएमआई) द्वारा किए इन अध्ययनों में यह भी पाया गया कि 19 प्रतिशत परिवारों ने उन पैसों से नई संपत्ति ली जिसे वे पहले शराब पर खर्च किया करते थे।  दोनों अध्ययन शराबबंदी के परिणामों का मूल्यांकन करने के लिए राज्य द्वारा कराए गए थे।  अप्रैल 2016 में शराबबंदी लागू की गई थी।  अध्ययन को आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट के साथ इस साल विधानसभा के पटल पर रखा गया था।  ‘ एडीआरआई ’ ने कॉम्फेड (बिहार स्टेट मिल्क को-ऑपरेटिव फेडरेशन) की दुकानों पर हुई खरीदारी का विश्लेषण किया। कॉम्फेड को ‘सुधा’ के नाम से जाना जाता है। इसमें पाया गया कि शहद की खपत में 380 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी और चीज़ की खपत में 200 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी दर्ज की गई।  रिपोर्ट के अनुसार, दूध की बिक्री में 40 प्रतिशत , फ्लेवर्ड मिल्क की बिक्री में 28.4 प्रतिशत और लस्सी की बिक्री में 19.7 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। 

‘ एडीआरआई ’ ने बिक्री कर राजस्व के आधार पर कुछ अन्य उत्पादकों के बिक्री संबंधी आकंड़े भी एकत्रित किए , जिसके अनुसार महंगी साड़ियों की बिक्री में 1751 प्रतिशत , महंगे कपड़े में 910 प्रतिशत , प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ में 46 प्रतिशत , फर्नीचर में 20 प्रतिशत और खेल संबंधी सामान की बिक्री में 18 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।  ‘ डीएमआई ’ द्वारा किए गए एक अन्य अध्ययन में शराबबंदी के ‘‘ अर्थव्यवस्था पर पड़े ठोस प्रभाव ’’ को भी रेखांकित किया गया।  ‘ डीएमआई ’ अध्ययन पांच जिलों नवादा , पूर्णिया , समस्तीपुर , पश्चिम चम्पारण और कैमूर के 2,368 परिवारों से एकत्रित प्राथमिक आंकड़े पर आधारित है। इसमें कहा गया है कि शराबबंदी के बाद परिवारों द्वारा प्रति सप्ताह 1331 रुपए खर्च किए जाने की खबर है जबकि शराबबंदी से पहले हर सप्ताह खर्च की जाने वाली औसतन राशि 1005 रुपए थी। 

अध्ययन के अनुसार , ‘‘ शराबबंदी के बाद , 19 प्रतिशत परिवारों ने नई संपत्ति खरीदी और पांच प्रतिशत ने अपने घरों की मरम्मत कराई। ’’  इसके अनुसार, 58 प्रतिशत महिलाओं ने पाया कि उन्हें अधिक सम्मान दिया गया और परिवार संबंधी निर्णय लेने में भी उनकी भूमिका बेहतर रही। वहीं 22 प्रतिशत महिलाओं का कहना है कि केवल परिवार के मामलों में ही नहीं बल्कि गांव से जुडे़ मामलों में भी उनकी राय ली जा रही है।  अपराध के मामलों में ‘ एडीआरआई ’ ने पाया कि अपहरण के मामलों में 66.6 प्रतिशत की गिरावट आई , जबकि हत्या के मामलों में 28.3 प्रतिशत और डकैती के मामलों में 2.3 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई।  वर्ष 2011 के आंकड़ों के आधार पर अप्रैल 2016 में जब शराबबंदी लागू हुई तब राज्य में कम से कम 44 लाख लोग शराब पीते थे।  एडीआरआई ’ के अध्ययन के अनुसार इनमें से प्रत्येक व्यक्ति शराब पर प्रति माह कम से कम 1000 रुपए जरूर खर्च करता था।  अध्ययन के अनुसार , इस अनुमान के आधार पर प्रत्येक महीने 440 करोड़ रुपए बचाए जा रहे हैं। 

नयी वाहन नीति को तीन महीने में दिया जा सकता है अंतिम रूप

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नयी दिल्ली , 17 जून, नयी राष्ट्रीय वाहन नीति को अगले तीन महीने में अंतिम रूप दे दिये जाने का अनुमान है। आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि इसमें उत्सर्जन पर आधारित कर तथा प्रौद्योगिकी निरपेक्ष स्वच्छ परिवहन प्रणाली पर बल दिया जा सकता है। भारी उद्योग मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि नयी नीति को तय करने के लिए विभिन्न हितधारकों से पिछले छह महीने से बातचीत जारी है। इसमें वाहन उद्योग के लिए एकल नियामकीय निकाय की व्यवस्था होगी। उन्होंने खुलासा किया कि नीति के बाबत एक मंत्रिमंडलीय मसौदा तैयार किया जा रहा है। इसे संबंधित विभागों के पास जल्दी ही भेज दिया जाएगा। एक सूत्र ने कहा , ‘‘ फेम इंडिया योजना को मजबूत बनाये जाने पर भी चर्चा हुई है ताकि पर्यावरण के अनुकूल वाहन प्रौद्योगिकी को तेजी से अपनाया जा सके। ’’ सूत्र ने कहा कि उत्सर्जन के बारे में नयी नीति के तहत तय समयसीमा के साथ विस्तृत दीर्घावधि योजना का सुझाव दिया गया है। 

माउंट एवरेस्ट कचरे के ढेर में हो रहा तब्दील

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काठमांडो , 17 जून, दशकों के व्यावसायिक पर्वतारोहण से दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर जाने वाले धनी पर्वतारोहियों की संख्या में इजाफा हो रहा है जो वहां के पर्यावरण का कोई लिहाज नहीं रख रहे हैं। लिहाजा माउंट एवरेस्ट कचरे के ढेर में तब्दील होता जा रहा है। माउंट एवरेस्ट के 8,848 मीटर लंबे मार्ग में पर्वतारोही अपने टेंट , बेकार हो चुके उपकरण , खाली गैस सिलिंडर और यहां तक कि मानवीय अपशिष्ट भी छोड़ आते हैं।  18 बार एवरेस्ट की चढ़ाई करनेवाले पेम्बा दोरजे शेरपा ने कहा , “ यह बहुत बुरा है। आंखों में चुभता है। ” पहाड़ पर टनों की मात्रा में कचरे पड़े हैं। एवरेस्ट पर चढ़नेवालों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। इस साल कम से कम 600 लोग अब तक चोटी तक पहुंच चुके हैं। इससे समस्या और भी बिगड़ रही है। इसके साथ ही वैश्विक तापमान में बढ़ोतरी से पिघल रहे हिमनदों के साथ - साथ ये कचरे भी उभर का आ रहे हैं। बेशक, कचरे कम करने के प्रयास किए गए हैं। पांच साल पहले नेपाल ने नियम बनाया था कि पर्वत पर चढ़ने वाली प्रत्येक टीम को करीब ढाई लाख रुपये जमा करने होंगे। जो पर्वतारोही अपने साल कम से कम आठ किलोग्राम कचरा लाएगा, उसे यह राशि वापस कर दी जाएगी।  सागरमाथा प्रदूषण नियंत्रण समिति के अनुसार साल 2017 में नेपाल के पर्वतारोही ने करीब 25 टन कचरा और 15 टन मानवीय अपशिष्ट नीचे लेकर आए। इस मौसम में इससे भी ज्यादा कचरा नीचे लाया लेकिन यह तो प्रत्येक साल वहां जमा होने वाले कचरे का हिस्सा भर है। 

सरकार ने कश्मीर में संघर्षविराम को दिया विराम, घाटी में तनाव

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नई दिल्ली, 17 जून, केंद्र सरकार ने आतंकियों द्वारा जारी हिंसा के बीच रविवार को जम्मू एवं कश्मीर में घोषित एकतरफा संघर्षविराम को विस्तार न देने का फैसला किया है। यह संघर्षविराम रमजान के पाक महीने के दौरान राज्य में 16 मई को घोषित किया गया था। गृह मंत्रालय ने कहा कि आतंकियों के खिलाफ फिर से अभियान शुरू किया जाएगा। यह घोषणा ईद के एक दिन बाद की गई है। मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा, "भारत सरकार ने रमजान की शुरुआत में जम्मू एवं कश्मीर में घोषित अभियान निलंबन को विस्तार नहीं देने का फैसला किया है।"बयान में कहा गया है, "सुरक्षा बलों को निर्देश दिया गया है कि वे हमलों और हिंसा व हत्याओं में शामिल आतंकवादियों को रोकने के लिए तत्काल सभी जरूरी कदम उठाएं।"बयान के मुताबिक, "सरकार जम्मू एवं कश्मीर में हिंसा व आतंक मुक्त माहौल बनाने के लिए कार्य करने को प्रतिबद्ध है। राज्य के लोगों विशेषकर युवाओं का भला चाहने वाले लोगों के लिए यह महत्वपूर्ण है कि आतंकवादियों को अकेला कर भटके हुए नौजवानों को सही रास्ता दिखाया जाए।"गृह मंत्रालय ने जम्मू एवं कश्मीर में रमजान के दौरान आतंकवादियों के उकसावे के बावजूद संयम बरतने के लिए सुरक्षा बलों की सराहना की।

जब रमजान संघर्षविराम घोषित किया गया था तो ऐसा माना जा रहा था कि आगामी अमरनाथ यात्रा के मद्देनजर इसमें विस्तार किया जा सकता है। लेकिन आतंकियों द्वारा जारी हिंसा के कारण सरकार को हाथ खोलने के लिए मजबूर होना पड़ा। आतंकियों ने सुरक्षाकर्मियों को निशाना बनाना और उनकी हत्या करना जारी रखा है। केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कई सारे ट्वीट में कहा कि राज्य में आतंक रोधी अभियान स्थगित करने का निर्णय जम्मू-कश्मीर के शांतिप्रिय लोगों के हित में लिया गया था, ताकि उन्हें रमजान के पाक महीने के लिए एक अनुकूल माहौल प्रदान किया जा सके। उन्होंने कहा कि सुरक्षा बलों ने संघर्षविराम के दौरान संयम का परिचय दिया, जो आम लोगों के लिए राहत लेकर आया। इस कदम की जम्मू एवं कश्मीर समेत पूरे देश में प्रशंसा हो रही है। लेकिन आतंकियों ने नागरिकों और सुरक्षा बलों पर हमले जारी रखे, जिसके परिणामस्वरूप लोगों की मौतें हुईं और कई लोग घायल हुए। उन्होंने कहा, "आतंकियों के खिलाफ अभियान फिर से शुरू हो गया है।"जम्मू एवं कश्मीर में सत्तारूढ़ पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के प्रवक्ता रफी अहमद मीर ने केंद्र सरकार के संघर्ष विराम को आगे नहीं बढ़ाने के फैसले पर दुख जताते हुए कहा, "रमजान में हिंसा नहीं रुकने के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा लिए गए फैसले से पार्टी खुश नहीं है। रमजान के दौरान हमले ज्यादातर आतंकवादियों ने किए।"

पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा, "संघर्ष विराम केंद्र सरकार की पहल पर हुआ था. इसकी असफलता शांति को मौका देने का समर्थन करने वाले हर व्यक्ति की असफलता है।"संघर्ष विराम को खत्म करने को शांति प्रयासों की असफलता मामने से इंकार करते हुए उप मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता कविंद्र गुप्ता ने कहा, "यह सिर्फ आभियानों का स्थगन था। हिंसक गतिविधियों में शामिल सभी को उचित जवाब दिया जाएगा।"प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि सरकार की प्राथमिकता आगामी अमरनाथ यात्रा को संपन्न कराने की थी और सुरक्षा बलों और खुफिया एजेंसियों से मिली जानकारी के आधार पर संघर्ष विराम को आगे नहीं बढ़ाने का फैसला लिया गया। मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) नेता यूसुफ तरिगामी ने कहा, "यह फैसला मजबूरी या उत्तेजना में जैसे भी लिया गया, लेकिन संघर्ष विराम को आगे नहीं बढ़ाने का फैसला खेदजनक है।"मुस्लिमों के पवित्र महीने रमजान में शांत वातावरण बनाने के लिए संघर्ष विराम का फैसला 16 मई को लिया गया था। लेकिन अलगाववादियों ने शुरू से ही आशाजनक प्रतिक्रिया नहीं दी।

नाम गोपनीय रखने की शर्त पर एक अलगाववादी नेता ने कहा, "यह भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा कश्मीरियों की शांति को खत्म करने का अस्थाई आदेश से बढ़कर कुछ नहीं था।"श्रीनगर निवासी जावेद अहमद (48) ने कहा, "संघर्ष विराम ने हमें उम्मीद की एक किरण दिखी थई कि आम आदमी बेखौफ होकर जी सकेगा।"सरकार का यह फैसला शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली उच्चस्तरीय बैठक के बाद सामने आया है। इस बैठक में गृहमंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और अन्य अधिकारी शामिल हुए थे। यह बैठक गुरुवार को जम्मू एवं कश्मीर में रमजान के दौरान जारी आतंकी गतिविधियों के मद्देनजर हुई थी। गुरुवार शाम को 'राइजिंग कश्मीर'के संपादक और वरिष्ठ पत्रकार शुजात बुखारी और उनके दो सुरक्षा अधिकारियों की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।

चार मुख्यमंत्रियों ने मोदी से कहा, दिल्ली सरकार की समस्याएं हल करें

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नई दिल्ली, 17 जून, नीति आयोग की यहां रविवार को हुई चौथी जेनरल काउंसिल की बैठक में पहुंचे चार राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अलग से मुलाकात की और उनसे दिल्ली सरकार की समस्याएं तुरंत हल करने का आग्रह किया। मोदी से विशेष आग्रह करने वाले चार मुख्यमंत्रियों में पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी, केरल के पिनरायी विजयन, कर्नाटक के एच.डी. कुमारस्वामी और आंध्र प्रदेश के एन. चंद्रबाबू नायडू शामिल थे। इन मुख्यमंत्रियों ने दिल्ली के उपराज्यपाल कार्यालय में सात दिन से धरना दे रहे मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का समर्थन किया। नीति आयोग की बैठक में भाग लेने के लिए दिल्ली में मौजूद ममता बनर्जी ने ट्वीट कर कहा, "मैंने आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और केरल के मुख्यमंत्रियों के साथ प्रधानमंत्री से मिलकर दिल्ली सरकार की समस्याओं को तुरंत हल करने का अनुरोध किया है।"मोदी की अध्यक्षता में हुई नीति आयोग की बैठक में अरविंद केजरीवाल शामिल नहीं हुए। केजरीवाल के साथ अपनी एकजुटता दिखाने के मकसद से चारों मुख्यमंत्रियों ने शनिवार को बैठक की थी और आम आदमी पार्टी (आप) के नेता को समर्थन देने की रणनीति पर चर्चा की थी। आप नेता चाहते हैं कि दिल्ली के प्रशासनिक (आईएएस) अधिकारी सरकार के साथ असहयोग खत्म करें और सुचारु ढंग से काम करें, क्योंकि काम न होने से जनता परेशान होती है।

चारों मुख्यमंत्रियों ने शनिवार को केजरीवाल से मिलने के लिए राजनिवास जाने की अनुमति उपराज्यपाल से मांगी थी, लेकिन अनुमति नहीं दी गई। इसके बाद चारों मुख्यमंत्री केजरीवाल के आवास पर पहुंचे और उनकी पत्नी व परिवार के अन्य सदस्यों से मिलकर गतिरोध के बारे में जानकारी ली। चारों मुख्यमंत्रियों ने केजरीवाल के आवास पर ही रात में संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई। उन्होंने दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल द्वारा केजरीवाल से मुलाकात की अनुमति न दिए जाने पर आश्चर्य प्रकट किया और कहा क्या यह लोकतंत्र में संभव है? क्या यह लोकतंत्र? उन्होंने केंद्र सरकार पर 'संघीय व्यवस्था को प्रतिबंधित करने'का आरोप लगाया और इसे राष्ट्र के लिए खतरा करार दिया। ममता ने शनिवार की रात 10 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "हम प्रधानमंत्री से इस मामले में हस्तक्षेप करने और इसे हल करने के बारे में कहेंगे। राष्ट्रपति यहां हैं तो हम उनसे भी इस बारे में बात करेंगे। यह एक लोकतंत्र है और यहां लोकतंत्र के मुताबिक कार्य नहीं हो रहा है। राष्ट्रीय राजधानी में यह हालत कर दी गई है तो अन्य राज्यों में ये लोग क्या करेंगे, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि एक चुनी हुई सरकार को केंद्र और उपराज्यपाल काम नहीं करने दे रहे हैं। यह दिल्ली के दो करोड़ लोगों के जनादेश का अपमान है।"केजरीवाल, उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और कैबिनेट मंत्री सत्येंद्र जैन व गोपाल राय के साथ बीते सोमवार से ही राजनिवास में लगातार धरना पर बैठे हैं। वह उपराज्यपाल से मांग कर रहे हैं कि वह दिल्ली प्रशासन में कार्यरत आईएएस अधिकारियों को 'अघोषित हड़ताल'खत्म करने का आदेश दें। केजरीवाल का आरोप है आईएएस अधिकारियों ने भाजपा के दबाव में अघोषित हड़ताल कर रखी है और उपराज्यपाल उन पर कार्रवाई करने के बजाय मौन धारण किए हुए हैं। उपराज्यपाल पर केंद्र सरकार का दबाव है कि वह हर हाल में दिल्ली सरकार को विफल साबित करें, क्योंकि अगले साल आम चुनाव है। दिल्ली के मुख्यमंत्री की केंद्र सरकार से मांग है कि दिल्ली में गरीबों को उनके घरों पर राशन पहुंचाने के उनकी सरकार के प्रस्ताव को मंजूरी दी जाए, जिसे उपराज्यपाल ने रोक रखा है।

दिल्ली में आम आदमी पार्टी का बड़ा प्रदर्शन, माकपा ने दिया साथ

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नई दिल्ली, 17 जून, दिल्ली में भारतीय प्रशासनिक अधिकारियों (आईएएस) की अघोषित हड़ताल के के कारण सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) और उपराज्यपाल के बीच छिड़ी जंग के बीच रविवार को आप ने राजधानी में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया।  मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को उपराज्यपाल के आवास पर धरना देते हुए रविवार को एक सप्ताह हो गया। उपराज्यपाल ने अभी तक मुख्यमंत्री से बात करना जरूरी नहीं समझा है। आप सदस्यों ने मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) कार्यकर्ताओं के साथ हजारों की संख्या में रविवार शाम चार बजे नई दिल्ली के मंडी हाउस मेट्रो स्टेशन से प्रधानमंत्री आवास की तरफ पार्टी के झंडे और तिरंगे लहराते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कथित 'तानाशाही व्यवहार'के विरोध में नारे लगाते हुए जुलूस शुरू निकाला, लेकिन पार्लियामेंट स्ट्रीट पुलिस स्टेशन पर पुलिस ने उन्हें रोक दिया। पुलिस ने बल प्रयोग कर जुलूस को जंतर मंतर की ओर मोड़ दिया। विरोध प्रदर्शन उपराज्यपाल अनिल बैजल के योजनाओं की फइलें रोकने को लेकर विवाद, नौकरशाहों के असहयोग और दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने जैसे कई मुद्दों को लेकर किया गया। दिल्ली सरकार के अनुसार, आईएएस अधिकारी कई महीनों से काम नहीं कर रहे हैं, जिस कारण अव्यवस्था फैल रही है। दिल्ली में ही बैठी केंद्र सरकार सब देख रही है और नौकरशाहों की पीठ थपथपा रही है। 

माकपा मासचिव सीताराम येचुरी भी आप और केजरीवाल के प्रति समर्थन दिखाते हुए विरोध प्रदर्शन में शामिल हो गए। लगभग दो घंटों से ज्यादा चले जुलूस में आप के राज्यसभा सांसद संजय सिंह, पार्टी प्रवक्ता राघव चड्ढा, अतिशी मारलेना जैसे वरिष्ठ नेताओं सहित, दिल्ली सरकार में मंत्री कैलाश गहलोत, राजेंद्र पाल गौतम, दिलीप पांडे, कई आप विधायक और बड़ी संख्या में पार्टी कार्यकर्ता शामिल रहे।  आप प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने प्रदर्शन में 4,500 लोगों के शामिल होने का दावा करते हुए कहा कि पुलिस द्वारा प्रदर्शनकारियों को मंडी हाउस पहुंचने से रोकने की कोशिश के बावजूद विरोध प्रदर्शन में बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी शामिल हुए। भारद्वाज ने कहा, "पांच मेट्रो स्टेशन बंद करने, बसें बंद करने, जगह-जगह बाड़ लगाने और दिल्ली पुलिस के संयुक्त प्रयासों के बावजूद कार्याकर्ताओं की 538 बसें मौके पर पहुंच गईं। 4,500 से ज्यादा की भीड़ ने मुझे 2011-12 के आंदोलन की याद दिला दी।"इससे पहले पुलिस ने कहा कि प्रदर्शन के लिए कोई अनुमति नहीं मांगी गई थी और आंदोलनकारियों को चेतावनी दी गई थी। प्रधानमंत्री के आवास के पास एहतियातन बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिया गया था।

नई दिल्ली के पुलिस उपायुक्त मधु वर्मा ने कहा, "प्रदर्शनकारियों को आगे नहीं बढ़ने के लिए कहा गया था। वे हमें सुन रहे थे।"शाम लगभग छह बजे आप कार्यकर्ताओं और वाम दलों ने जुलूस के पार्लियामेंट स्ट्रीट पुलिस स्टेशन पर पहुंचते ही शांतिपूर्वक प्रदर्शन खत्म कर दिया। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि वे 10 लाख लोगों के समर्थन के लक्ष्य के साथ एक हस्ताक्षर अभियान शुरू करेंगे। इसके बाद उनके हस्ताक्षरों वाली याचिका मोदी को भेजेंगे। प्रदर्शनकारियों द्वारा मेट्रो स्टेशनों और गलियों में जुलूस निकालने के कारण मध्य दिल्ली में जाम की स्थिति बन गई। इसके बाद केजरीवाल ने एक ट्वीट में कहा कि दिल्ली की जनता दुखी और अपमानित महसूस कर रही है। उन्होंने मोदी से दिल्ली सरकार को काम करने देने का अनुरोध किया।

बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिले : नीतीश कुमार

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नई दिल्ली, 17 जून, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रविवार को यहां कहा कि राज्य को विशेष राज्य का दर्जा मिलना चाहिए।  उन्होंने कहा कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त होने से जहां एक ओर केन्द्र प्रायोजित योजनाओं के केन्द्रांश में वृद्धि होगी, वहीं दूसरी ओर विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त राज्यों के अनुरूप केन्द्रीय जीएसटी में अनुमान्य प्रतिपूर्ति मिलने से निजी निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा, कारखाने लगेंगे, रोजगार के नये अवसर सृजित होंगे तथा लोगों के जीवन स्तर में सुधार आएगा। नीति आयोग की शासी परिषद की चौथी बैठक में नीतीश कुमार ने कहा कि यदि अंतर-क्षेत्रीय एवं अंतर्राज्यीय विकास के स्तर में भिन्नता से संबंधित आंकड़ों की समीक्षा की जाए तो पाया जाएगा कि कई राज्य विकास के विभिन्न मापदंडों यथा- प्रति व्यक्ति आय, शिक्षा, स्वास्थ्य, ऊर्जा, वित्त एवं मानव विकास के सूचकांकों पर राष्ट्रीय औसत से काफी नीचे हैं। उन्होंने कहा कि तर्कसंगत आर्थिक रणनीति वही होगी जो ऐसे निवेश और अन्तरण पद्धति को प्रोत्साहित करे, जिससे पिछड़े राज्यों को एक निर्धारित समय सीमा में विकास के राष्ट्रीय औसत तक पहुंचाने में मदद मिले। हमारी विशेष राज्य के दर्जे की मांग इसी अवधारणा पर आधारित है।

नीतीश ने नीति आयोग से आग्रह किया कि पिछड़ा क्षेत्र अनुदान निधि के माध्यम से विशेष योजना के तहत लंबित योजनाओं को पूरा करने के लिए अवशेष राशि 1651.29 करोड़ रुपये शीघ्र उपलब्ध कराई जाए, ताकि योजनाओं का काम समय पर पूरा किया जा सके। उन्होंने कहा कि 12वीं पंचवर्षीय योजना के लिए स्वीकृत राशि में से अवशेष 902.08 करोड़ रुपये के मुकाबले पूर्व में भेजे गए दो प्रस्तावों की स्वीकृति प्राथमिकता के आधार पर दी जाए। उन्होंने कहा, "पिछले चार वित्त आयोगों की अनुसंशाओं में कुल देय कर राजस्व में बिहार की हिस्सेदारी लगातार कम हुई है- 11वें वित्त आयोग में 11.589 प्रतिशत से घटकर 12वें वित्त आयोग में 11.028 प्रतिशत, 13वें वित्त आयोग में 10.917 प्रतिशत और 14वें वित्त आयोग में 9.665 प्रतिशत हुई। अत: नीति आयोग द्वारा बिहार जैसे पिछड़े राज्यों की विशेष एवं विशिष्ट समस्याओं को देखा जाना चाहिए।"नीतीश ने कहा, "14वें वित्त आयोग ने जहां कुल क्षेत्रफल और कुल वनाच्छादित क्षेत्रफल को ज्यादा महत्व दिया, वहीं जनसंख्या घनत्व एवं प्राकृतिक संसाधनों की अनुपलब्धता के साथ-साथ बिहार जैसे थलरूद्ध राज्यों की विशिष्ट समस्याओं की अनदेखी की। यहां तक कि हरित आवरण को बढ़ाने हेतु राज्य सरकार के प्रयासों को प्रोत्साहित करने की जगह उसकी उपेक्षा की गई।"

उन्होंने कहा, "नेपाल एवं अन्य राज्यों से निकलने वाली नदियों से प्रत्येक वर्ष आने वाली बाढ़ के कारण भौतिक एवं सामाजिक आधारभूत संरचना में हुए नुकसान की भरपाई हेतु बिहार को अतिरिक्त वित्तीय भार उठाना पड़ता है। राज्य को प्रत्येक वर्ष बाढ़ का दंश झेलना पड़ता है और बाढ़-राहत, पुनर्वास एवं पुनर्निर्माण कार्यो पर काफी राशि व्यय होती है। गंगा बेसिन के उपरी राज्यों में निर्मित बांधों, बराजों एवं अन्य संरचनाओं के चलते नदी के प्रवाह में कमी आई है। ऐसे में राज्यों की हिस्सेदारी से संबंधित मानदंडों के निर्धारण के दौरान इन बाह्य कारणों का समावेशन किया जाना चाहिए।"उन्होंने कहा, "13वें वित्त आयोग ने राज्य की विशिष्ट आवश्यकताओं के लिए सहायता अनुदान की सिफारिश की थी, जिस पर 15वें वित्त आयोग को भी विचार करना चाहिए। 14वें वित्त आयोग ने अपनी सिफारिशों में सुझाव दिया था कि यदि सूत्र आधारित अंतरण राज्य विशेष की विशिष्ट आवश्यकताओं की पूर्ति न कर सकें तो उसे निष्पक्ष ढंग से एवं सुनिश्चित रूप से विशेष सहायता अनुदान से पूरा किया जाना चाहिए। इस सुझाव को लागू नहीं किया गया है।"

केजरीवाल ने आईएएस अधिकारियों को सुरक्षा की गारंटी दी

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नई दिल्ली, 17 जून, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने रविवार को आईएएस अधिकारियों को उनकी सुरक्षा का आश्वासन दिया और उनसे काम पर लौटने तथा मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेने का आग्रह किया।  केजरीवाल ने अपने ट्विटर खाते पर जारी एक पत्र में कहा है, "मैं उन्हें आश्वस्त करना चाहता हूं कि मैं अपनी पूरी शक्ति और उपलब्ध संसाधनों से उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करूंगा। मैं पहले भी कई अधिकारियों को इस तरह का आश्वासन दे चुका हूं, जिन्होंने मुझसे अकेले में मुलाकात की थी। मैं आज फिर इसे दोहराता हूं।"आईएएस आफिसर्स एसोसिएशन ने रविवार को आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि उन्हें इस सरकार में अपनी सुरक्षा को लेकर भय है और उन्होंने आरोप लगाया कि नौकरशाहों पर हमलों के मामलों के बावजूद मुख्यमंत्री की तरफ से कोई आश्वासन नहीं मिला है। अधिकारियों ने कहा, "हम सभी के हमले के कई अनुभव हैं। यदि हम सुरक्षित महसूस नहीं करेंगे तो हम बैठक में हिस्सा नहीं लेंगे। हमने नियम से आगे जाकर काम किया है, ताकि जनता को तकलीफ न हो, उनके काम न रुके, लेकिन हम अपनी जिंदगी की कीमत पर काम नहीं करेंगे।"

आईएसएस एसोसिएशन की सचिव मनीषा सक्सेना ने रविवार अपराह्न् संवाददाताओं से कहा, "हम वहां नहीं जाते, जहां हम असुरक्षित महसूस करते हैं। काम करने के लिए हमें विश्वास की एक संस्कृति की जरूरत है।"सक्सेना एक डिविजनल कमिश्नर हैं और कला, संस्कृति, भाषा की सचिव भी हैं। उन्होंने आम आदमी पार्टी (आप) के नेताओं के उन आरोपों को खारिज कर दिया, जिनमें कहा जा रहा है कि आईएएस अधिकारी हड़ताल पर हैं। उन्होंने कहा कि अधिकारी सभी वैधानिक बैठकों में हिस्सा ले रहे हैं और काम कर रहे हैं। केजरीवाल ने अधिकारियों को सुरक्षा का भरोसा दिलाते हुए उनसे आग्रह किया है कि वे सरकार का बहिष्कार करना बंद करें और मंत्रियों के साथ बैठकें शुरू करें और उनके फोन काल उठाएं। उन्होंने कहा, "उन्हें बगैर भय और दबाव के काम करना चाहिए। उन्हें किसी दबाव में नहीं आना चाहिए, चाहे वह राज्य सरकार की तरफ से हो या केंद्र सरकार की तरफ से, या किसी राजनीतिक दल की तरफ से।"गौरतलब है कि आप ने इस मामले में प्रधानमंत्री से हस्तक्षेप की मांग को लेकर रविवार को एक विशाल विरोध रैली आयोजित की।

विश्वकप : मैक्सिको ने गत चैंपियन जर्मनी को 1-0 से हराया

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मॉस्को,17 जून, गत चैंपियन जर्मनी को फीफा विश्वकप के ग्रुप एफ मुकाबले में रविवार को अपने खिताब बचाओ अभियान की शुरूआत में ही मैक्सिको के दृढ़ निश्चय के सामने नत मस्तक होना पड़ा जिसने 1-0 की रोमांचक जीत अपने नाम कर सभी को चौंका दिया। ब्राजील में 2014 में फीफा विश्वकप की चैंपियन टीम जर्मनी को मैक्सिको ने एकमात्र गोल से पराजित किया जो हायरविंग लोजानो ने मैच के 34वें मिनट में दागा। लुजनिकी स्टेडियम में मैक्सिकन टीम के इस गोल के बाद दर्शक भी इस कदर झूम उठे की पूरा स्टेडियम कान फाड़ देने वाली आवाज़ से गुंजायमान हो गया। क्वालिफाइंग में कमाल का प्रदर्शन कर एक बार फिर खिताब की बड़ी दावेदार के रूप में उतरी चार बार की चैंपियन जर्मन टीम विश्वकप के ओपनिंग मैच ही में उतनी मजबूत दिखाई नहीं दी जिसकी उम्मीद की जा रही थी जबकि मैक्सिको के खिलाड़ियों ने कहीं बेहतर खेल दिखाया। मैच में पहले हाफ में हालांकि 34वें मिनट में ही पिछड़ जाने के बाद जर्मन टीम ने बराबरी के गोल के लिये हमले तेज़ कर दिये और टोनी क्रूस एक समय इसमें सफल भी दिखे लेकिन फ्री किक पर उनका शॉट गोलकीपर गुइलेर्माे ओचाओ के बार को छूकर निकल गया।

पहले हाफ में बढ़त के बाद और आक्रामक खेल रही मैक्सिको की टीम ने दूसरे हाफ में काफी रक्षात्मक खेल दिखाया और जर्मन टीम के कई मौकों को बेकार भी किया। जर्मन टीम का डिफेंस मैच के पहले आधे घंटे में बिल्कुल लचर साबित हुआ और मैक्सिको के जेवियर हेर्नांडिज़ के पास पर लोजानो ने जर्मन फुटबालर मेसुत ओजिल को छकाते हुये गेंद को गोल में पहुंचा दिया। इस गोल की शायद मैक्सिको के प्रशंसकों को भी उम्मीद नहीं थी जो स्टेडियम में खुशी में चिल्ला और बुरी तरह से रो रहे थे। जर्मन टीम को क्रूस की फ्री किक पर फिर बराबरी का मौका मिला जो बेकार रहा। एक घंटे के खेल के बाद मार्काे रियूस के मैदान पर आने के बाद जर्मन टीम ने दोबारा हमले तेज़ किये और वह मैच को नियंत्रित करती दिख रही थी। लेकिन लगातार मैक्सिको टीम पर दबाव के बावजूद ओचाओ ने जर्मन टीम के सभी प्रयास बेकार किये और आखिर तक मैक्सिको ने अपनी इस बढ़त को बरकरार रखा। मैक्सिको ने रूस विश्वकप में न सिर्फ इस जीत के साथ ग्रुप एफ में विजयी शुरूआत की बल्कि यह 12 मैचों में जर्मन टीम के खिलाफ मात्र उसकी दूसरी ही जीत है। 

दुष्कर्म पीड़िता को मीडिया के समक्ष लाने वाले नेताओं पर तेजस्वी करे कार्रवाई : जदयू

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पटना 17 जून, बिहार में सत्तारूढ़ जनता दल यूनाइटेड (जदयू) ने विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी प्रसाद यादव से गया में पिछले दिनों हुये सामूहिक दुष्कर्म के मामले में नाबालिग पीड़िता को जबरन मीडिया के समक्ष लाने को मजबूर करने पर उनसे जांच टीम में शामिल राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेताओं पर कार्रवाई करने की मांग की है।  जदयू के प्रदेश मुख्य प्रवक्ता संजय सिंह, प्रवक्ता नीरज कुमार और निखिल मंडल ने यहां पार्टी के प्रदेश कार्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में आरोप लगाया कि प्रतिपक्ष के नेता श्री यादव राजद की जांच टीम में वैसे नेताओं को शामिल किया था जिनपर कई आपराधिक मामले हैं। नाबालिग पीड़िता को जबरन मीडिया के समक्ष राजद की जांच टीम ने पेश कर उसकी पहचान को उजागर किया ।  जदयू नेताओं ने कहा कि राजद नेताओं का यह आचरण उनकी पार्टी के चाल, चरित्र और चेहरा को उजागर करता है। इस तरह की घटना न केवल मानवता और राजनीति पर धब्बा है बल्कि उच्चतम न्यायालय के आदेश की भी अवहेलना है। उन्होंने कहा कि पीड़िता राजद नेताओं के समक्ष गिड़गिड़ाती रही लेकिन लोगों की मौजूदगी में उसे घटना का सिलसिलेवार बयान देने के लिए मजबूर किया जाता रहा।  नेताओं ने कहा कि राजद के निलंबित विधायक राजवल्लभ यादव पर जो दुष्कर्म का मामला दर्ज हैं उस पीड़िता से उनके पार्टी के नेता कभी भी मिलने नहीं गये। प्रतिपक्ष के नेता के विधानसभा क्षेत्र राघोपुर में दलितों के कई घर जलाये गये और उनसे भी मिलने राजद का कोई नेता आजतक नहीं गया। उन्होंने कहा कि सिर्फ गया की घटना में राजद का प्रतिनिधिमंडल भेजने के कारण को प्रतिपक्ष के नेता को स्पष्ट करना चाहिए। 

बिहार कृषि रोडमैप और इनपुट अनुदान योजना में वित्तीय मदद करे केंद्र : नीतीश

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नयी दिल्ली 17 जून, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने केंद्र सरकार से राज्य के कृषि रोडमैप की येाजनाओं के क्रियान्वयन और इनपुट अनुदान योजना के लिए वित्तीय मदद देने की मांग करते हुये आज कहा कि इससे प्रदेश के किसानों की वास्तविक आय बढ़ाने में मदद मिलेगी। श्री कुमार ने नीति आयोग की संचालन परिषद् की यहां राष्ट्रपति भवन में आयोजित चौथी बैठक में कहा कि बिहार एक कृषि प्रधान राज्य है, जहां की 89 प्रतिशत जनसंख्या गांवों में रहती है और 76 प्रतिशत आबादी जीविकोपार्जन के लिए कृषि एवं इससे जुड़े कार्यों पर निर्भर है। ऐसे में किसानों को इनपुट अनुदान के माध्यम से ही सहायता दी जानी चाहिए। इससे उत्पादन लागत में कमी आएगी और किसानों की वास्तविक आय अधिक हो सकेगी। उन्होंने कहा कि इसी सिद्धांत को मूर्त रूप देने के लिए वर्ष 2017-22 के कृषि रोडमैप में इनपुट अनुदान योजना का शुभारंभ किया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुये वर्ष 2006 से ही कृषि विकास के लिए गंभीर प्रयास शुरू कर दिया गया। राज्य में पहला कृषि रोडमैप (2008-12) एवं दूसरे कृषि रोडमैप (2012-17) के माध्यम से किसानों को गुणवत्तापूर्ण उपादान उपलब्ध कराये गये। उन्हें नयी तकनीक से अवगत और प्रशिक्षित कर उनकी क्षमता का संवर्द्धन किया गया। उन्होंने कहा कि पहले दो कृषि रोडमैप की सफलता से प्रेरित होकर सरकार ने वर्ष 2017-22 के लिए तीसरे कृषि रोडमैप को लागू किया गया। इस रोडमैप की योजनाओं एवं कार्यक्रमों के क्रयान्वयन के लिए इन पांच वर्ष में एक लाख 54 हजार करोड़ रुपये का व्यय किया जाएगा। उन्होंने कहा, “मेरा अनुरोध है कि बिहार के कृषि रोडमैप से संबंधित योजनाओं के लिए केंद्र सरकार समुचित वित्तीय सहयोग दे।”

श्री कुमार ने कहा कि कृषि एवं इससे जुड़े क्षेत्रों में उनकी उपज का उचित मूल्य नहीं मिलना एवं कृषि आय में वृद्धि नहीं हो पाना सरकार के लिए बड़ी चुनौती है। कृषि संकट से उबरने के लिए फसल ऋण माफी को एक साधन के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है लेकिन अनुभव यह बताता है कि दीर्घकाल के लिए यह एक प्रतिगामी कदम है। यह लाभ उन्हीं किसानों तक सीमित रहता है, जिन्होंने ऋण लिया है। इससे जिन्होंने ऋण नहीं लिया एवं गैर रैयत किसानों को कोई लाभ नहीं हो पाता। उन्होंने कहा कि ऐसे में उनका मानना है कि किसानों को इनपुट अनुदान के माध्यम से ही सहायता दी जानी चाहिए। इससे उत्पादन लागत में कमी आएगी और किसानों की वास्तविक आय में वृद्धि हो सकेगी। केंद्र सरकार को इनपुट अनुदान योजना को वित्त पोषित करने में राज्य की मदद करनी चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने किसानों को फसल उत्पादन की क्षति से बचाने के लिए बिहार राज्य फसल सहायता योजना लागू करने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत फसल कटनी के प्रयोगों के आधार पर उत्पादन दर में गिरावट आने की स्थिति में निर्धारित दर से प्रभावित किसानों को वित्तीय सहायता दी जाएगी। इस योजना में सरकारी राशि का पूर्ण उपयोग सीधे किसानों के हित में हो सकेगा। उन्होंने कहा कि इस योजना की सहायता राशि में 50 प्रतिशत केंद्र सरकार की भागीदारी पर भी विचार किया जाना चाहिए। श्री कुमार ने बताया कि सरकार ने तीसरे कृषि रोडमैप में सब्जियों के उत्पादन को बढ़ावा देने का निर्णय लिया है। इसके तहत सब्जियों के संग्रहण, प्रसंस्करण, मूल्य संवर्द्धन तथा विपणन व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए त्रिस्तरीय सहकारी सब्जी प्रसंस्करण एवं विपणन व्यवस्था स्थापित की जा रही है और सब्जी उत्पादकों की प्रखंड स्तरीय प्राथमिक समितियां गठित की गई हैं। उन्होंने बताया कि जिला स्तर पर प्रखंड स्तरीय प्राथमिक समितियों को मिलाकर सब्जी प्रसंस्करण एवं विपणन सहकारी संघ का गठन किया जायेगा। इसी तरह शीर्ष स्तर पर जिला स्तरीय संघों को मिलाकर सब्जी प्रसंस्करण एवं विपणन सहकारी फेडरेशन स्थापित होगा।

बिहार को विशेष राज्य का दर्जा की जरूरत नहीं : सी.पी. ठाकुर

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पटना 17 जून, पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं बिहार से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राज्यसभा सांसद डाक्टर सी.पी. ठाकुर ने आज कहा कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा की जरूरत नहीं है और प्रदेश पहले से ही विकसित राज्य रहा है।  श्री ठाकुर ने यहां पार्टी के प्रदेश कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि बिहार पहले से ही विकसित राज्य रहा है और प्रदेश का तेजी से विकास भी हो रहा है। बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिले, इसके वह पक्षधर नहीं हैं। उन्होंने कहा कि बिहार एक विकासशील राज्य रहा है ।  पूर्व केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि विशेष राज्य का दर्जा नये राज्यों के लिए है और यदि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिलता है तब कई ऐसे कई राज्यों को भी यह दर्जा देने की बाध्यता सामने आयेगी। बिहार के बाद दूसरे राज्यों को भी विशेष राज्य का दर्जा देना होगा। उन्होंने मुख्यमंत्री एवं जनता दल यूनाइटेड के अध्यक्ष नीतीश कुमार की ओर से नीति आयोग की बैठक में बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिये जाने की मांग पर कहा कि यह श्री कुमार का तर्क हो सकता है। 
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