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जीएसटी दरों को और तार्किक बनाने की जरूरत : एआईटीएएफ

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नयी दिल्ली, 19 जुलाई, ऑल इंडिया टैक्स एडवोकेट्स फोरम (एआईटीएएफ) ने कीमतों का स्तर कम करने तथा वैश्विक बाजार में घरेलू सामान एवं सेवाओं की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने के लिए माल एवं सेवा कर (जीएसटी) की दरों को तार्किक बनाने का सरकार से अनुरोध किया है। एआईटीएएफ के अध्यक्ष एम.के.गांधी ने आज जारी बयान में कहा, ‘‘जहां सरकार का 28 प्रतिशत की श्रेणी में शामिल वस्तुओं की संख्या कम करने का प्रयास सराहनीय है वहीं कर की दरों को और तार्किक बनाये जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि रंगीन टेलीविजन और एयर कंडिशनर जैसे घरेलू उपयोग के सामान अभी भी सबसे ऊंची कर श्रेणी में हैं।’’  गांधी ने कहा, ‘‘भारत में जनसंख्या की विविधता को देखते हुए जीएसटी के तहत एकल दर को पूरी तरह से लागू करा पाना वहनीय नहीं है लेकिन सिगरेट, तंबाकू और लग्जरी कारों को छोड़कर अन्य उत्पादों पर 28 प्रतिशत की दर नहीं होनी चाहिये।’’  उत्पादों पर ऊंची दर से कर लगने से घरेलू सामान की प्रतिस्पर्धात्मकता प्रभावित होगी।

फर्जी खबरों, भ्रामक सूचनाओं को प्रतिबंधित करेगी फेसबुक

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न्यूयॉर्क , 19 जुलाई, सोशल मीडिया साइट फेसबुक ने कहा है कि वह फर्जी खबरों एवं झूठी सूचनाओं को हटाने की शुरुआत करेगा। भारत समेत दुनिया के कई देशों में फेसबुक पर प्रसारित झूठी और भ्रामक सामग्री के कारण हिंसा फैलने के बाद हो रही आलोचना ओं को देखते हुये सोशल साइट ने यह कदम उठाने का फैसला किया है। फेसबुक अभी सिर्फ उन सामग्रियों को प्रतिबंधित करता है जिनमें प्रत्यक्ष तौर पर हिंसा की अपील होती है। नये नियमों के तहत उन फर्जी खबरों एवं तस्वीरों को भी प्रतिबंधित किया जाएगा जो हिंसा भड़का सकते हैं।  फेसबुक के ऊपर आरोप है कि वह भारत समेत श्रीलंका एवं म्यामां में हिंसा भड़काने में मददगार रहा है। इसके बाद फेसबुक को भारी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है।  कंपनी ने रिपोर्ट में कहा कि वह स्थानीय संगठनों के साथ मिलकर इस तरह की श्रेणी में आने वाले पोस्टों की पहचान कर रहा है। यदि किसी संगठन् के साथ काम कर उचित परिणाम नहीं मिला तो किसी अन्य संगठन की मदद लेगी।  कंपनी के एक प्रवक्ता ने कहा , ‘‘ गलत सूचनाओं की कई श्रेणियां हैं जो हिंसा भड़का रही हैं और हम नियमों में बदलाव कर रहे हैं जिससे हम ऐसी सामग्रियों को हटाने में सक्षम हो सकेंगे। ’’  उसने कहा , ‘‘ हम आने वाले महीनों में नीति का क्रियान्वयन शुरू कर देंगे। ’’ 

सोशल मीडिया दुरुपयोग रोकने को राष्ट्रीय नीति बने : वेंकैया नायडू

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नई दिल्ली, 19 जुलाई, सोशल मीडिया के दुरुपयोग पर चिंता व्यक्त करते हुए राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू ने गुरुवार को सरकार से राजनीतिक दलों समेत सभी हितधारकों के साथ चर्चा करने के बाद एक राष्ट्रीय नीति बनाने को कहा ताकि इस खतरे से मुकाबला किया जा सके। नायडू ने कहा, "मैं सरकार को केवल यह सुझाव दे सकता हूं कि राजनीतिक दलों समेत सभी हितधारकों के साथ चर्चा करे और उसके बाद एक राष्ट्रीय नीति बनाने का प्रयास करे क्योंकि इसकी अंतर्राष्ट्रीय जटिलताएं भी हैं।"उच्च सदन में कई सदस्यों द्वारा मुद्दे पर चिंता व्यक्त किए जाने के बाद प्रश्नकाल के दौरान उन्होंने यह प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, "सोशल मीडिया का दुरुपयोग व्यापक, संवेदनशील और गंभीर मुद्दा है। हम एक तरफा निष्कर्ष नहीं निकाल सकते हैं और साथ ही हम एकतरफा कार्रवाई भी नहीं कर सकते। इस क्षण सरकार को कुछ करने की जरूरत है, इसकी आलोचना होगी और विरोध भी और उसके बाद उसी समय क्या आप जो चल रहा है उसे वैसे ही चलने की इजाजत देंगे?"उन्होंने सदन को मुद्दे पर एक अलग चर्चा करने का सुझाव दिया। सभापति ने केंद्रीय कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद से राजनीतिक दलों समेत सभी हितधारकों के साथ चर्चा करने को कहा। प्रसाद ने सभापति की प्रतिक्रिया के जवाब में कहा, "मैं आपका सुझाव मानता हूं और चर्चा की जाएगी।"

अप्राकृतिक यौनकर्मके कारण पति के खिलाफ पत्नी पहुंची सुप्रीम कोर्ट

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नई दिल्ली, 19 जुलाई, पत्नी पर अप्राकृतिक यौनकर्म करने के लिए दबाव डालने वाले पति के खिलाफ दायर याचिका पर शीर्ष अदालत करेगी सुनवाई। याचिका में महिला ने कहा है कि विवाह के चार साल के दौरान पति ने उनपर ओरल सेक्स करने का दबाव डाला। न्यायमूर्ति एन. वी. रमना और न्यायमूर्ति एम. एम. शांतनगौदार ने महिला के पति को नोटिस जारी कर मामले की सुनवाई के दौरान जवाब देने को कहा है। महिला का आरोप है कि उनकी सहमति के बगैर पति-पत्नी के बीच यौन संबंध की फिल्में भी बनाईं। महिला ने कहा कि उनके पति ने उनपर ओरल सेक्स करने का दबाव डाला जोकि प्रकृति के विरुद्ध है और भारतीय दंड संहिता की धारा 377 के तहत अपराध की श्रेणी में आता है। याचिका के अनुसार महिला की शादी गुजरात के साबरकांठा में 2014 में एक डॉक्टर के साथ हुई थी। वह जब 15 साल की थी तभी 2002 में उनकी सगाई हुई थी। महिला ने बताया कि पति ने उनकी मर्जी के खिलाफ उनपर ओरल सेक्स करने का दबाव बनाया और वह उन्हें समझाने में असमर्थ रहीं। याचिका में आगे कहा गया कि पति ने महिला को उनकी मर्जी के खिलाफ वीडियो बनाने के लिए भी दबाव डाला। उनको अनैतिक मांग को मानने के लिए मजबूर किया गया। इसके लिए उनको अक्सर धमकी दी जाती थी और उनका शारीरिक उत्पीड़न किया जाता था। महिला ने पति के खिलाफ साबरकांठा में दुष्कर्म और अप्राकृतिक यौनकर्म के आरोप में मामला दर्ज करवाया। इसके बाद पति गुजरात उच्च न्यायालय पहुंच गए जहां पत्नी की दलील में धारा 375 के तहत पर्याप्त आधार नहीं माना गया क्योंकि वैवाहिक दुष्कर्म के लिए कोई प्रावधान नहीं है। उच्च न्यायालय ने धारा 377 के तहत आरोप को खारिज कर दिया। उच्च न्यायालय के फैसले को महिला ने शीर्ष अदालत में चुनौती दी है। मंगलवार को पांच न्यायाधीशों की पीठ ने याचिका पर आदेश सुरक्षित रख लिया था।

भारत की आर्थिक विकास दर इस साल 7.5 फीसदी ररेगी : फिक्की

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नई दिल्ली, 19 जुलाई, भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (फिक्की) ने गुरुवार को कहा कि अल्पकालीन चुनौतियों के बावजूद भारत की आर्थिक विकास दर चालू वित्त वर्ष में 7.5 फीसदी रहने की उम्मीद है। उद्योग संगठन के अनुसार, मई में औद्योगिक उत्पादन में सुस्ती और जून में उच्च महंगाई दर अल्पकालीन चुनौतियां हैं जिनको लेकर सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अपनी सक्रियता दिखाई हैं और इनसे आर्थिक सुधार के संकेतों में कोई कमी नहीं आएगी। फिक्की के अध्यक्ष राशेश शाह ने कहा, "अगले कुछ महीनों में औद्योगिक विकास दर दोबारा पटरी पर आ सकती है। महंगाई वृद्धि पर आरबीआई की नजर बनी हुई है। शीर्ष बैंक और सरकार निश्चित रूप से इसपर नियंत्रण के मद्देनजर जरूरी उपाय करेंगे।"उन्होंने कहा, "वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की इसमें प्रेरक भूमिका होगी। जीएसटी संग्रह की प्रवृत्ति से स्पष्ट संकेत मिल रहे हैं कि अर्थव्यवस्था में सकारात्मक रुझान पैदा हो रहा है। राष्ट्रीय एकीकृत अप्रत्यक्ष व्यवस्था से भी आगे महंगाई कम होगी।"उन्होंने कहा कि जीएसटी परिषद और केंद्र सरकार ने जीएसटी की दरों को तर्कसंगत बनाने की मंशा जाहिर की है। उन्होंने कहा कि जीएसटी के साथ-साथ आईबीसी (ऋणशोधन अक्षमता और दिवाला संहिता) और रेरा (रियल स्टेट विनियामक प्राधिकरण) जैसे सुधार के उपायों के परिणाम पहले से ही देखने को मिल रहे हैं और इनसे आठ फीसदी से ऊपर की आर्थिक विकास (जीडीपी) दर हासिल करने में मदद मिलेगी।

चांदनी सिंह 'मेरी जंग, मेरा फैसला'में करेंगी आइटम डांस

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पटना, 19 जुलाई, 'पलंग करे चोए-चोए'गाने से यूट्यूब की चर्चित अभिनेत्री चांदनी सिंह मिथिला टॉकिज की आने वाली फिल्म 'मेरी जंग मेरा फैसला'में स्पेशल आइटम नंबर करती नजर आएंगी। राजू के निर्देशन में बन रही निर्माता मनोज कुमार चौधरी की नई भोजपुरी फिल्म 'मेरी जंग मेरा फैसला'में चांदनी सिंह भोजपुरी सुपरस्टार खेसारीलाल यादव के साथ एक स्पेशल आइटम नंबर करती नजर आएंगी। इस गाने की शूटिंग सिलवासा में भव्य तरीके से की गई है। इस आइटम नंबर की कोरियोग्राफी कानु मुखर्जी ने की है। इस गाने को लेकर उत्साहित चांदनी सिंह ने कहा , "मैं पहली बार किसी फिल्म में स्पेशल आइटम नंबर कर रही हूं, वह भी मिथिला टाकिज जैसे बैनर के साथ जिसने कई हिट फिल्में बनाई हैं।"हिंदी नाम वाली भोजपुरी फिल्म 'मेरी जंग मेरा फैसला'में भोजपुरी सुपरस्टार खेसारीलाल के अपोजिट बंगाली बाला मुनमुन घोष को लांच किया जा रहा है। इसके अलावा इस फिल्म में अवधेश मिश्रा, सुबोध सेठ, देव सिंह, संजय वर्मा, मनीष चतुर्वेदी, दिलीप सिन्हा, माया यादव, पलक तिवारी, आकांक्षा दूबे, अनिता रावत, पप्पू यादव और रोहित सिंह मटरू भी लोगों को नजर आएंगे। इस फिल्म की कथा, पटकथा और संवाद एस़ क़े चौहान ने तैयार किया है, जबकि संगीत मधुकर आनंद का है। इस फिल्म के निर्माता मनोज कुमार चौधरी हैं, जबकि जानेमाने निर्देशक राजू फिल्म को निर्देशित कर रहे हैं । आदिशक्ति एंटरटेनमेंट की प्रस्तुति 'मेरी जंग मेरा फैसला'के निर्माता मनोज कुमार चौधरी भी चांदनी सिंह की तारीफ करते हुए कहा, "चांदनी कमाल की अदाकारा और डांसर हैं। मुझे खुशी है कि वह मेरी फिल्म में स्पेशल आइटम नंबर कर रही हैं। चांदनी काफी मेहनती हैं और काफी दूर तक जाएंगी।"

बिहार में सूखे से किसान हताश, डीजल अनुदान मिलेगा

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पटना, 19 जुलाई, बिहार में अच्छी बारिश नहीं होने के कारण सूखे की आशंका प्रबल हो गई है। रूठे मानसून के कारण किसान मायूस हो गए हैं। कृषि मंत्री प्रेम कुमार के मुताबिक, अधिकारियों को किसानों को डीजल अनुदान तुरंत बांटने के निर्देश दिए गए हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, राज्य में 42 प्रतिशत कम बारिश होने के कारण राज्यभर में करीब 15 फीसदी ही धान की रोपनी हो पाई है। कई जिलों में तो धान की बीज (बिचड़े) डालने तक की बारिश नहीं हुई है। आंकड़ों के मुताबिक, राज्य में अब तक जितनी बारिश होनी चाहिए थी, उससे 42 फीसदी कम बारिश हुई है। बिहार राज्य कृषि विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि बिहार में एक जून से 16 जुलाई के बीच सामान्य से 42 प्रतिशत बारिश कम हुई है। इस दौरान करीब 353 मिलीमीटर बारिश होनी चाहिए थी, लेकिन अब तक करीब 200 मिलीमीटर ही बारिश हुई है। कहा जा रहा है कि राज्य के 38 जिलों में किसी में भी इस वर्ष सामान्य बारिश नहीं हुई है। कृषि विभाग के अनुसार, राज्य में बारिश नहीं होने के कारण धान और मक्का की खेती पर असर पड़ना अब तय माना जा रहा है। कहा जाता है कि आद्र्रा नक्षत्र में झमाझम बारिश होने के बाद धान की रोपनी होने के बाद धान की उपज अच्छी होती है, लेकिन राज्य में आद्र्रा नक्षत्र गुजर जाने के बाद भी कहीं भी झमाझम बारिश नहीं हुई है। राज्य के भोजपुर, रोहतास, कैमूर, भागलपुर सहित कई ऐसे जिले हैं, जिनकी पहचान धान की अच्छी उपज के रूप में की जाती है, लेकिन इन जिलों में भी जरूरत से कम बारिश होने के कारण किसान मायूस हो गए हैं।

पूसा स्थित राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिक डॉ. मृत्युंजय कुमार कहते हैं कि लंबी अवधि की धान की खेती के लिए मई, जून से 10 जुलाई तक बिचड़ा डालना होता है। मध्यम अवधि की धान की खेती के बिचड़ा डालने का समय 25 जून तक है। उन्होंने कहा कि बिचड़ा डालने के लिए किसानों को अब बारिश का इंतजार नहीं करना चाहिए, नहीं तो उन्हें अच्छी उपज नहीं मिल सकेगी। कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि धान की अच्छी उपज के लिए रोपनी 15 से 20 जुलाई तक समाप्त हो जानी चाहिए। भागलपुर कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक डॉ. राजेश हालांकि इससे इत्तेफाक नहीं रखते। उन्होंने कहा कि धान की फसल के लिए कई तरह के आधुनिक तकनीक के बीज आ गए हैं। कुछ बीज कम पानी में तो कई बाढ़ में भी लगाए जाते हैं, जिससे अच्छी फसल पाए जा सकते हैं। वे हालांकि, ये भी मानते हैं कि ये बीज छोटे और मध्यम किसान की पहुंच से अभी दूर हैं। कृषि विभाग के अनुसार, चालू खरीफ मौसम में 34 लाख हेक्टेयर में धान व 4़75 लाख हेक्टेयर में मक्के की खेती का लक्ष्य विभाग ने तय किए हैं। 16 जुलाई तक करीब पांच लाख हेक्टेयर में ही धान की रोपनी हुई है, जबकि 2़ 64 लाख हेक्टेयर में ही मक्के की बुआई हुई है।

मौसम वैज्ञानिकों की मानें तो राज्य में मानसून पहुंचने के बाद कमजोर पड़ गया, जिस कारण अच्छी बारिश नहीं हुई। इधर, किसान भी सूखे को देखकर हताश हैं। बक्सर जिले के एक किसान मनोरंजन प्रसाद बताते हैं कि अब तक धान की रोपाई की कौन कहे, धान के बिचड़े (पौध) को बचाने में ही किसान जुटे हैं। उपज की बात छोड़ दीजिए, इस वर्ष अगले वर्ष के लिए बिचड़े ही हो जाए वही किसानों के लिए बड़ी बात होगी। राज्य के कृषि मंत्री प्रेम कुमार ने आईएएनएस को बताया कि सरकार किसी भी आपदा से निपटने को तैयार है। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी सूखे की आशंका को लेकर अधिकारियों के साथ बैठक कर स्थिति की समीक्षा की है। सरकार और कृषि विभाग किसानों के साथ है तथा आकस्मिक फसल योजना बनाई जा रही है। उन्होंने बताया कि अधिकारियों को किसानों को डीजल अनुदान तुरंत बांटने के निर्देश दिए गए हैं। बिहार के एक वरिष्ठ अधिकारी कहते हैं, "सूखा से निपटने के लिए विभागीय स्तर पर तैयारियां पूरी करने को कहा गया है। चारा की पर्याप्त व्यवस्था कर लेने के निर्देश दिए गए हैं। जल संसाधन विभाग को भी नहरों से पानी छोड़ने को लेकर पूरी योजना बनाकर वेबसाइट पर अपलोड कर देने के निर्देश दिए गए हैं, जिससे आम जनता भी देख सके कि कहां तक पानी पहुंचा है।"इधर, विपक्ष भी बारिश कम होने के कारण किसानों की परेशानी को लेकर सरकार पर निशाना साध रही है। राजद के रघुवंश प्रसाद सिंह ने बिहार को सूखाग्रस्त क्षेत्र घोषित करने की मांग की है।

बिहार : पॉक्सो कोर्ट के द्वारा नूतन को 10 साल और इंदु पर 7 साल की सजा सुनायी

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  • नूतन को 30 हजार और इंदु को 20 हजार रूपये जुर्माना
  • अभिभावकों ने कहा कि सजा के विरूद्ध पटना उच्च न्यायालय जाएंगे

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पटना (आर्यावर्त डेस्क) संत जेबियर स्कूल की शिक्षिका हैं नूतन जोसेफ और इंदु आनंद.कुर्जी क्रिश्चियन कॉलोनी में रहती हैं नूतन. श्रीकृष्ण नगर में रहती हैं इंदु.इन दोनों शिक्षिकाओं पर आरोप है कि अपने एल.के.जी. की छात्रा से यौन शोषण करना.इस मामले में 12 जुलाई 2018 को दोषी करार दी गई.आज शुक्रवार को दोनों शिक्षिकाओं पर सजा का एलान कर दिया गया है. पॉक्सो कोर्ट ने दोषी नूतन जोसेफ और इंदु आनंद को सजा सुना दी गई है.नूतन जोसेफ को 10 साल और इंदु आनंद को 7 साल की सजा सुनाई गई है. वहीं नूतन पर 30 हजार इंदू को 20 हजार रू.जुर्माना देना होगा. यौन शौषण का मामला 3 नवंबर 2016 को महिला थाना में दर्ज हुआ था. बता दें कि 13 जुलाई को अपने ही स्कूल की एल.के.जी. की छात्रा से यौन उत्पीड़न के मामले में आरोपित दो शिक्षिकाओं को विशेष अदालत के विशेष जज रविंद्र नाथ त्रिपाठी ने पॉक्सो एक्ट के तहत दोषी करार दिया था. साथ ही सजा के बिंदु पर सुनवाई के लिए 20 जुलाई की तिथि निर्धारित की थी. मामला गांधी मैदान के निकटस्थ संत जेबियर स्कूल से जुड़ा है. पीड़िता के अभिभावकों ने वर्ष 2016 में महिला थाने में दोनों शिक्षिकाओं के खिलाफ मामला दर्ज कराया था.

उल्लेखनीय है कि घटना के वक्त छात्रा (पीड़िता ) की उम्र करीब 4.5 साल होगी. उसने स्कूल की शिक्षिका नूतन जोसेफ एवं इंदु आनंद के खिलाफ अपने गुप्तांग के साथ गंदी हरकत करने की शिकायत अपने माता-पिता से की थी. इसे गंभीरता से लेते हुए पीड़िता के माता-पिता ने स्कूल प्रबंधन से बातचीत की. स्कूल प्रबंधन ने बात को रफा-दफा करने के लिए उन पर यथासंभव दबाव बनाया था. स्कूल प्रबंधन से सकारात्मक सहयोग नहीं मिलने व किसी तरह का ठोस कदम नहीं उठाये जाने के बाद पीड़िता के माता-पिता ने गांधी मैदान स्थित महिला थाने में नवंबर 2016 में दोनों शिक्षिकाओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी. प्राथमिकी दर्ज होने के बाद अनुसंधानकर्ता ने अनुसंधान के क्रम में दोनों शिक्षिकाओं पर लगे आरोप को सत्य पाते हुए पॉस्को के न्यायालय में चार्जशीट से समर्पित किया. उसके बाद पॉस्को की विशेष अदालत ने मामले की सुनवाई शुरू की. विचारण के दौरान गवाही के बाद दोनों शिक्षिकाओं पर लगे आरोप सत्य साबित हुए. इसके बाद विशेष जज रविंद्र नाथ त्रिपाठी ने दोनों आरोपित शिक्षिकाओं को दोषी करार दिया एवं सजा के बिंदु पर सुनवाई की तिथि 20 जुलाई निर्धारित की थी.

विशेष : मुंगेर जहां से फैला योग पूरी दुनिया में

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जब देश गुलाम था तो महात्मा गांधी सहित अनेक लोग आजादी की लड़ाई में हिस्सा ले रहे थे। इसी दौर में ने स्वामी शिवानन्द  सन् 1924 में चिकित्सा सेवा का त्याग करने के पश्चात संन्यास के लेने के बाद ऋषिकेष में कठिन आध्यात्मिक साधना की। वे वेदान्त के महान आचार्य और सनातन धर्म के विख्यात प्रणेता हुए। सन् 1932 में उन्होने शिवानन्दाश्रम और 1936 में दिव्य जीवन संघ की स्थापना की। आजाद भारत की तस्वीर को उन्होंने योग पर केन्द्रित किया। उनका मानना था कि सांसारिक,तनावग्रस्त जीवन भी स्पष्टता,सहजता,मर्यादा,रचनात्मकता और अपनी आंतरिक प्रकृति का निरंतर सजगता के साथ जिया जा सकता है। जो व्यक्ति इस उच्च आध्यात्मिक प्रकृति का विकास कर,एक रचनात्मक और अनुशासित जीवन जी सकता है,वही दिव्य जीवन है।इसके लिए उन्होंने दो मार्ग अपनाए— योग और वेदांत का। वे मानते थे कि योग को साधना के रूप में अपना कर, मनुष्य के निम्न स्वभाव का रूपांतरण कर शारीरिक मानसिक,भावनात्मक और आध्यात्मिक संतुलन एवं सामांज्य प्राप्त होता है। वहीं वेदांत द्वारा इस भौतिक जीवन में एक आदर्श को जीते हुए स्वयं को परमतत्व से जोड़ने का प्रयास होता है। अपने शिष्यों से भी कहते थे कि—'निजी जीवन में तुम एक सन्यासी हो, इसलिए सन्यासी की तरह जियो,तुम्हारी आध्यात्मिक परंपरा वेदांत की है। लेकिन वाह्य, सामाजिक जीवन में योग का प्रचारक बनना है। उन्होंने आधुनिक समाज की समस्याओं और परेशानियों के निवारण में योग की अहम् भूमिका को पहचाना और योग को शुष्क दर्शन के दायरे से बाहर निकाला। अपने शिष्य स्वामी सत्यानंद से कहा—ऋषिकेश तुम्हारे लिए छोटा पड़ेगा।तुम बाहर जाओ,संसार तुम्हारी राह देख रहा है। योग का प्रचार द्वारे—द्वारे तीरे—तीरे करो। इसी के साथ चंद मिनटों में अपना सारा योग संबधी ज्ञान और अनुभव उन्हें हस्तांतरित किया। स्वामी शिवानंद जी की सेवा,प्रेम,दान,शुद्धि,ध्यान,साक्षात्कार,भला बनने और भला करने का आष्टांगीय योग मार्ग आज आध्यात्मिक राजमार्ग है।

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परिव्राजक जीवन की दो धाराएं होती है- एक साधना का पुष्टिकरण और दूसरा ज्ञान का विवरण। ये कार्य अकेले ही करने पड़ते हैं। इस दौरान उन्होंने पूरे भारत की यात्रा के साथ—साथ पाकिस्तान,  अफगानिस्तान, वर्मा, बाग्लादेश, श्रीलंका जैसे पड़ोसी देशों की भी यात्रा की। परिव्राजक के रूप में बिहार यात्रा के क्रम में छपरा के बाद मुंगेर 1956 में पहली बार मुंगेर आए। यहां उन्हें रहने के लिए गंगा किनारे जहां पादुका दर्शन है,गोलकोठी में जो आज भी है,वहां वे साधना किया करते थे। यह साल मुंगेर योग अनुष्ठान बना। चातुर्मास भी व्यतीत किया। जब वे यहां रहते तो कर्णचौड़ा अवश्य जाते। कभी ध्यान करते तो कभी सो जाते। यहां उन्हें विशेष अनुभूति होती थी। यहीं उन्हें दिव्य दृष्टि से यह पता चला कि यह स्थान योग का अधिष्ठान बनेगा और योग विश्व की भावी संस्कृति बनेगी। आनंद भवन में रहकर उन्होंने सिद्ध भजन पुस्तिका तैयार की। 1961 में अंतर्राष्ट्रीय योग मित्र मंडल की स्थापना की तब तक योग निंद्रा और प्राणायाम विज्ञान, पुस्तक प्रकाशित हो चुकी थी। ‘लेशन आन योग’ का अनुवाद योग साधना भाग-एक, दो आ चुके थे।

1962 में इंटरनेशनल योग फलोशिप का रजिस्ट्रेशन कराया। साथ ही पुस्तकें सत्यानंद पब्लिकेशन सोसायटी नंदग्राम से प्रकाशित हुई। सत्यम स्पीक्स, वर्डस ऑफ सत्यम, प्रैक्टिस ऑफ त्राटक, योग चूड़ामणि उपनिषद, योगाशक्ति स्पीक्स, स्पेट्स टू योगा, योगा इनिसिएशन पेपर्स, पवनमुक्त आसन (अंग्रेजी)में, अमरसंगीत, सूर्य नमस्कार, योगासन मुद्रावंध प्रमुख है। जगह-जगह शिविर लगाते कार्य योजना को अंजाम देना शुरू किया। 1963 से अंग्रेजी में योगा और योगविद्या निकालना आरंभ किया। 14 जुलाई 1963 को स्वामी शिवानंद ने महासमाधि ली। इसके बाद मुंगेर में ही आश्रम बनाने का फैसला लिया। 1956 से 1963 तक वे योग के सिद्धांतों और विधियों का ज्ञान हासिल करते रहे और उन पर विविध परीक्षण करते रहे ताकि यह जाना जा सकते कि वर्तमान सामाजिक जीवन में योग किस तरह अधिक लाभदायक और उपयोगी हो। इसके बाद योग सिखाना आरंभ किया।

19 जनवरी 1964 को वसंत पंचमी, सरस्वती पूजा के शुभ मुहुर्त में आश्रम का उद्घाटन हुआ एवं स्वामी शिवानंद जी अखंड ज्योति प्रज्ज्वलित की गयी। इसके बाद नि:शुल्क प्रंद्रह —पंद्रह दिनों का सत्र प्रारंभ किया गया। स्वामी सत्यानंद स्वयं कक्षाएं लेते। चौथे दिन शंख प्रक्षालन,कुंजल क्रिया एवं नेती करायी जाती थी। इन अभ्यासों से पेट साफ हो जाता था और हर व्यक्ति् उर्जावान तथा प्रफुल्ल्ति महसूस करता। एक ओर जहां उन्होंने योग विद्यालय की स्थापना की,वहीं दूसरी ओर वे भविष्य में इसके रखरखाव की योजना पर भी काम कर रहे थे ताकि फूल खिलने से पहले कुम्हला न जाय। वे मानते थे कि पवित्र परंपरा के पुनर्जागरण में सिर्फ वर्तमान नहीं भविष्य भी होता है और उस भविष्य की अपनी एक दैवीय योजना होती है। चार साल के स्वामी निरंजन इस दैवीय योजना के तहत मुंगेर आए। उन्हें गुरु ने योगनिद्रा के माध्यम से योग और अध्यात्म का प्रशिक्षण दिया। कम उम्र में ही वे इतने योग्य हो चुके थे कि स्वामी सत्यानंद ने उन्हें दशनामी संन्यास परंपरा में दीक्षित करने के बाद काम पर लगा दिया। उन्हें विदेशों में योग केंद्रों की स्थापना करनी थी। योग को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठापित करने की परिकल्पना स्वामी सत्यानंद सरस्वती के मन में थी। वे कहते थे कि योग विश्व की भावी संस्कृति बनेगी। इसकी मकसद 1964 में मुंगेर प्रथम अंतर्राष्ट्रीय योग सम्मेलन हुए, जिसका उद्घाटन बिहार के तात्कालीन राज्यपाल अनंत शयनम् आयंगर ने किया। इसके उपरांत डेनमार्क,फ्रांस, अमेरिका और आस्ट्रेलिया के योग शिक्षकों को प्रशिक्षित किया। प्रशिक्षण के उपरांत इनलोगों ने अपने— अपने देशों में प्रथम विद्यालय और योग केन्द्रों की स्थापना की। इसके परिणामस्वरूप सत्तर के दशक में योग का कार्य पूरी दुनिया में फैलने लगा। इसी प्रकार 1966 में दूसरा और उसके बाद तीसरा योग सम्मेलन अंतर्राष्ट्रीय स्तर का हुआ। बिहार योग विद्यालय, मुंगेर की गुरू परंपरा आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित श्रृंगेरी मठ से सम्बद्ध है। 1967 में रायगढ़ में योग विद्यालय की स्थापना की। इसी वर्ष मुंगेर में नौ माह का योग प्रशिक्षण सत्र हुआ। इसकी यह खासियत थी कि इस अवधि में बाहर की दुनिया से सम्पर्क नहीं रहेगा। आज भी यहां के लोगों का बाहरी परिवेश से कोई ताल्लुक नहीं होता है। यहां से प्रशिक्षण प्राप्त कर अपने— अपने देशों में लौटे और प्रथम विद्यालयों और केन्द्रों की स्थापना की। गोंदिया में चतुर्थ अंतर्राष्ट्रीय योग सम्मेलन में शिक्षा के क्षेत्र में योग के समावेश पर गहन चर्चा हुई। बाद में आश्रम बनाकर समर्पित किया गया।

योग के प्रचार के लिए स्वामी सत्यानंद सरस्वती आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, जापान, चीन, फिलीपीन्स, हांगकांग,  मलेशिया, थाईलैंड, सिंगापुर, अमेरिका, इंगलैंड, आयरलैंड, फ्रांस, इटली, जर्मनी,  युगोस्लाविया, स्विजरलैंड, डेनमार्क स्वीडन, पोलैन्ड, हंगरी, बुल्गारिया, स्लोवेनिया, रूस, चेकोस्लोविया, ग्रीस, सउदी अरब, कुवैत,  बहरीन, दुबई, ईराक, ईरान, पाकिस्तान, अफगानिस्तान कोलम्बिया, ब्राजील, उरूग्वे, चिली, अर्जेन्टिना, सेंट डोमिंगो, प्युर्टि राको, सूडान, मिस्त्र, नैरोवी, घाना, मारीशस, अलास्का, आईसलैंड गए और पूरी दुनिया में  योग का शंख बजाया। वे मुंगेर के कर्णचौड़ा को वे भूल नहीं सके। अंग्रेजों के जमाने में मीर कासिम ने इस पर अधिकार जमाया, भवन उसने बनवाया। कालांतर में इस्ट इंडिया कम्पनी के गवर्नर जनरल वारेन हेस्टिंग्स अपने पत्नी के आरोग्य लाभ के लिए इसी भू-खण्ड पर हवा महल का निर्माण करवाया था।बाद में इस स्थान को अंग्रेजों ने विजय नगर के राजा के हाथों बेच दिया। उस राजा से मुर्शिदाबाद के राजा अन्नदा राय ने खरीद लिया उनके पुत्र यहां रहते थे। संगीत गोष्ठी होती थी। जमींदारी उन्मूलन के बाद राजा आशुतोष राय व उनके पुत्र कमला रंजन राय मुर्शिदाबाद में रहने लगे। लोगों ने सुझाव दिया कि इस स्थान को योग का स्थान बनाए। 1978 में कमला रंजन सरकार से उन्होंने यह स्थान प्राप्त कर लिया। प्रॉपर्टी टैक्स ज्यादा होने के कारण सरकार का अधिकार था वह इसे बेचकर टैक्स वसूलना चाहती थी। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के सहयोग से यह स्थान प्राप्त हो गया। इसके बाद जनवरी 1979 में कर्णचौरा में पदार्पण हुआ। स्वामी जी ने कहा यहां से राजा कर्ण सोना बांटते थे, मैं योग बांटूगां। इस तरह कर्णचौरा का पुनर्जन्म गंगादर्शन के रूप में हुआ।इस परिसर में गंगा-दर्शन एवं उसके बगल में साधना भवन का निर्माण करवाया गया जहां अखण्ड ज्योति जलती रहती है। छात्रावास, इमारत खण्डों, सन्यासी भवनों आदि का निर्माण करवाया गया। अनेक भाषाओं के दर्जनों ग्रन्थ यहां उपलब्ध हैं। योग अनुसंधान के लिए पर्याप्त सामग्रियां हैं और इस आधार पर शोध अनुसंधान के कार्य लगातार चलते रहते हैं।

सन् 1983 आते— आते बिहार योग विद्यालय पूरे विश्व में योग शिक्षा और आध्यात्मिक विज्ञान के प्रमाणिक केन्द्र के रूप में विख्यात हो गया। योग तपस्वियों और योगियों की गुफा से निकलकर समाज की मुख्य धारा में शामिल हो गया। स्वामी सत्यानंद ने सभी धर्मों, दर्शनों के स्त्रोत तंत्र के ज्ञान वेदांत,उपनिषदों,पुराणों,बौद्ध धर्म,जैन धर्म सिख धर्म, पारसी धर्म, इस्लाम धर्म और ईसाई धर्म के परम सत्य पर प्रकाश डाला और पदार्थ और सृष्टि के वैज्ञानिक विश्लेषण का समावेश कर तंत्र और योग की प्राचीन पद्धतियों की विवेचना और व्याख्या की। इसका नतीजा रहा कि बिहार योग विद्यालय दूसरे केंदों से विशिष्ट है। निरंजनानंद सरस्वती ने 1983 तक वह सब किया। सन् 1983 से 2008 तक बिहार योग विद्यालय का अध्यक्ष पद संभालते हुए स्वामी निरंजनानंद ने प्राचीन यौगिक संस्कृति तथा सन्यास परंपरा की निरंतरता को कायम रखा। सन् 1983 में गुरू की आज्ञा के अनुसार बिहार योग विद्यालय, स्वामी शिवानंद मठ तथा योग शोध संस्थान की गतिविधियों के संचालन में व्यस्त हो गए। सन् 1990 में सन्यास परंपरा में दीक्षित हुए। 1993 में सन्यास परंपरा की विभूतियों द्वारा स्वामी सत्यानंद के उत्तराधिकारी के रूप में अभिषिक्त हुए।

 23 साल की उम्र तक जब तक कोई नौजवान काम करने के लिए घर से बाहर कदम रखता है, तब तक स्वामी निरंजन अपने हिस्से का एक बड़ा काम पूरा करके वापस लौट आये थे। जहां योग केंद्र स्थापित हो चुके थे, उनके संचालन को भी सुनिश्चित करना था। उन्हें न सिर्फ योग समझाना था, बल्कि दुनिया की विविध संस्कृतियों को समझना भी था। सांस्कृतिक एकता के यौगिक सूत्रों की खोज करनी थी। अमेरिका से लेकर ऑस्ट्लिया तक। वहां उन्होंने विशेष तौर पर घ्यान और प्राणायाम के क्षेत्र में अनुसंधान का काम अल्फा रिसर्च के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित डॉ जो कामिया के साथ काम किया।सैन फ्रांसिस्को, कैलिफोर्निया के ग्लैडमैन मेमोरियल सेंटर के जापानी डॉ टॉड मिकुरिया ने उन पर ध्यान संबधी शोध किये। जिस समय स्वामी निरंजनानंद विदेश के लिए निकले, तो उस समय स्वामी सत्यानंद के योग आंदोलन के परिणामस्वरूप केवल फ्रांस में 77 हजार पंजीकृत येाग शिक्षक थे।उस समय के लिए यह बहुत बड़ी संख्या थी. उन दिनों वे सिर्फ इन योग शिक्षकों को प्रशिक्षित करते थे, ताकि वे अपने स्कूलों मे लौट कर विद्यार्थियों को प्रशिक्षित कर सकें। बाद में यह आंदोलन 'रिसर्च आॅन योगा इन एड्यूकेशन के नाम से पूरी दुनिया में फैल गया। अब उनके हिस्से आगे की जिम्मेदारियां आनेवाली थीं।भारत लौटने के बाद उन्होंने बिहार योग विद्यालय को विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा तक ले गये, लेकिन साथ ही साथ वे समूचे विश्व में स्वामी सत्यानंद के बीजारोपण की माली की तरह रखवाली भी करते रहे। वर्ष 1993 के विश्वयोग सम्मेलन के बाद गंगा दर्शन में बाल योग मित्र मंडल की स्थापना की गयी।इसका आरंभ मुंगेर के सात छोटे बच्चों से किया गया और आज मुंगेर शहर में ही बाल योग मित्र मंडल 5000 से अधिक प्रशिक्षित बच्चे योग शिक्षक हैं। मुंगेर में यह संख्या 35 हजार और पूरे भारत में 1,50000 हैं। इन बच्चों ने तीन आसनों, दो प्रणायामों,शिथिलीकरण एंव धारणा के एक-एक अभ्यास का चयन किया।यह प्रयोग सात सौ बच्चों पर किया गया और उसकी रचनात्मकता, व्यवहार और व्यक्तिगत अनुशासन पर हुए असर की जांच की गयी तो इसमें गुणात्मक परिवर्तन पाया गया। दरअसल स्वामी सत्यानंद सरस्वती का स्पष्ट दृष्टिकोण था कि यदि हम बच्चों तक पहुंच पाते हैं और उनके जीवन की गुणवत्ता और प्रतिभा में सुधार ला पाते हैं, तो वे अपनी रचनात्मकता का अधिकतम उपयोग कर अपने भावी जीवन के तनावों और संघर्षों का सामना बेहतर ढंग से कर पायेंगे। तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम दो बार मुंगेर बच्चों के कार्यक्रम में आये. उन्होंने मुंगेर को योगनगरी की संज्ञा दी।स्वामी निरंजनानंद ने वर्ष 1994 में विश्व के प्रथम योग विश्वविद्यालय, बिहार योग भारती की तथा वर्ष 2000 में योग पब्लिकेशन ट्रस्ट की स्थापना की। मुंगेर में विभिन्न गतिविधियों के संचालन के साथ उन्होंने दुनिया भर के साधकों का मार्गदर्शन करने हेतु व्यापक रूप से यात्राएं की।2009 में सन्यास पीठ की स्थापना की।स्वामी शिवध्यानम् कहते हैं कि अपनी विशेषताओं के कारण यह संस्थान की ख्याति योग के आक्सफोर्ड रूप में है। योग सम्मेलन  को जन-जन तक पहुंचाने के लिए  बिहार योग विद्यालय तथा विश्व योगपीठ के परमाचार्य परमहंस स्वामी निरंजनानंद सरस्वती ने, जिन्हें गत वर्ष पद्मभूषण से सम्मानित किया गया है, अपनी भारत यात्रा के क्रम में देश के विभिन्न हिस्सों में आयोजित स्वयं को जानो दिव्यता को पाओ कार्यक्रम के तहत मुंबई, काठमांडू, कोलकाता, दिल्ली, गुवाहाटी, लुधियाना, चंडीगढ़, कानपुर सहित दर्ज भर शहरों में योगोत्सवों का आयोजन हो चुका है। इस आयोजन में देश के प्रबुद्ध वैज्ञानिकों, मनोवैज्ञानिकों, योग चिकित्सकों, योग शोधकर्त्ताओं, संन्यासियों और योगियों के साथ ही समाज के विभिन्न तबकों के लोगों का इसमें अनूठा समागम होता है।इस कार्यक्रम का नाम ‘स्वयं को जानो योगोत्सव भारत यात्रा’ दिया गया है, जहां लोग जीवन के उद्देश्य को नए रूप में देखते हैं। ‘स्वयं को जानो योगोत्सव भारत यात्रा’ संयोजक स्वामी शिवराजानंद सरस्वती कहते हैं – ‘योग साधना के बारे में अधिकांश लोगों ने सुना है। पर कम ही लोगों ने इसका अनुभव पाया है। अनुभव कहता है कि आत्म-विकास या आत्म-साक्षात्कार का मार्ग बाहरी जगत में नहीं है। वह हमारे भीतर ही है। इसलिए इस योगोत्सव में योग साधना के प्राचीन, परंपरागत ज्ञान का आधुनिक विज्ञान के दृष्टिकोण से विश्लेषण किया जाएगा। साथ ही लोगों को योग साधना के व्यावहारिक पक्ष के बारे में बताया जाता है, ताकि वे इस ज्ञान का अधिक से अधिक लाभ उठाकर आधुनिक जीवन के नकारात्मक प्रभावों को हटा सकें।’ इस तरह कहा जा सकता है कि सत्यानंद परंपरा के परमहंस स्वामी निरंजनानंद सरस्वती का अभियान शुद्ध और लीक से हटकर है।

‘योग निद्रा’ योग परमहंस स्वामी सत्यानंद सरस्वती की ओर से दुनिया को दिया गया ऐसा अमूल्य उपहार है, जिसके चमत्कारिक प्रभाव से लोगों को अनेक असाध्य रोगों से छुटकारा मिल रहा है। कैंसर जैसी असाध्य बीमारी पर काबू रखने में सफलता मिल रही है। उन्होंने अपने अध्ययनों और अनुसंधानों से साबित कर दिया कि ‘योग निद्रा’ के अभ्यास से संकल्प-शक्ति को जगाकर कर आचार-विचार, दृष्टिकोण, भावनाओं और सम्पूर्ण जीवन की दिशा को बदला जा सकता हैं।मनोवैज्ञानिक रोग, अनिद्रा, तनाव, नशीली दवाओं के प्रभाव से मुक्ति, दर्द का निवारण, दमा, पेप्टिक अल्सर, कैंसर, हृदय रोग आदि बीमारियों पर किए गए अनुसंधानों से योग निद्रा के सकारात्मक प्रभावों का पता चल चुका है। अमेरिका के स्टैनफर्ड यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन में किए गए एक अध्ययन में देखा गया कि योग निद्रा के नियमित अभ्यास से रक्तचाप की समस्या का निवारण होता है। अमेरिका के शोधकर्ताओं ने योग निद्रा को कैंसर की एक सफल चिकित्सा पद्धति के रूप में स्वीकार किया है। टेक्सस के रिडियोथेरपिस्ट डॉ. ओसी सीमोनटन ने एक प्रयोग में पाया कि रेडियोथेरपी से गुजर रहे कैंसर के रोगी को योग निद्रा के अभ्यास से उसका जीवन-काल काफी बढ़ गया था।आधुनिक शिक्षा पद्धति में भी योग निद्रा का प्रयोग किया जाने लगा है। वैज्ञानिकों के मुताबिक जहां कहीं भी इस विद्या का प्रयोग किया गया है, उसके बेहतर नतीजे देखने को मिले हैं। बल्गेरियन मनोवैज्ञानिक व इंस्टिट्यूट ऑफ सजेस्टोपेडी इन सोफिया के संस्थापक डॉ. जॉर्जी लोजानोव योग निद्रा का प्रयोग शिक्षा के क्षेत्र में एक नया वातावरण तैयार करने के लिए कर रहे हैं ताकि बिना प्रयास के ज्ञान अर्जन किया जा सके। उन्हें इसमें सफलता भी मिल रही है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बिहार योग कितना असरदार है, इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि स्वामी निरंजनानंद सरस्वती मंगल मिशन के पांच सौ वैज्ञानिकों के समूह में शामिल हैं, जो ऐसी तरकीब निकालने में जुटे हुए हैं कि मंगल ग्रह पर यदि मानव का वास होगा और वह बीमार पड़ेगा तो उसका इलाज धरती से ही कैसे किया जा सकेगा? वह इकलौते संत हैं जो मंगल मिशन से जुड़े पांच सौ वैज्ञानिकों के समूह में शामिल है।

वैज्ञानिक कसौटी का बिहार योग 
1968 में पटना के एक चिकित्सक डॉ श्रीनिवास ने हृदय रोग पर अनुसंधान करके यह सावित किया कि हृदय रोग का उपचार योग से संभव है। भारत सरकार के  प्रतिष्ठानों बी.एच.ई.एल, एस.ए.आई.एल, ओ.एन.जी.सी, आई.ओ.सी और कोल इंडिया में योग केन्द्र की स्थापना कर पाया कि कार्यक्षमता में 37 फीसदी बृद्धि हुई। तात्कालीन सेनाध्यक्ष जनरल बी.सी.जोशी के कार्यकाल में उंचे पवर्तीय क्षेत्रों, रेगिस्तानी इलाकों और सियचीन के बेसकैंप के सैनिकों के बीच योग का प्रयोग किया गया। भारत के प्रथम एस्ट्रानाट राकेश शर्मा को योग प्रशिक्षण दिया गया। बिना आक्सीजन के माउंट एवरेस्ट पर जाने का योगिक प्रशिक्षण बिहार योग विद्यालय द्वारा दिया गया। बिहार के नौ मेडिकल कालेजों में प्रतिवर्ष एक माह के संचालित सत्र में योग थेरेपी,योग फीजियोलाजी और योग एनाटामी की जानकारी दी गयी।



--कुमार कृष्णन--

मधुबनी : पत्रकार पर हुआ जानलेवा हमला

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खजौली /मधुबनी (आर्यावर्त डेस्क) 21 जुलाई,एक दैनिक अखबार के प्रखंड संवाददाता आमोद श्रीवास्तव पर उस समय जानलेवा हमला हुआ जब पत्रकार समाचार संकलन कर घर लौट रहे थे. दो मोटर साइकल पर सवार छः अपराधियों ने अचानक उनपर हमला कर दिया जिसमें उनका सर फट गया । स्थानीय लोग जब तक उनको बचाने आते अपराधी अपने दोनो मोटर साइकल पर सवार हो भाग खड़े हुए । स्थानीय लोगों ने घायल पत्रकार को अस्पताल पहुंचाया. डॉक्टर के अनुसार घायल  पत्रकार के शरीर के साथ साथ सर में भी काफी चोट लगी है । वहीं पुलिस को सूचना मिलते ही घटना की जांच शुरू की जा चुकी है. 

बिहार : साक्षरताकर्मियों ने पदयात्रा शुरू कर पहुंचेंगे आज नगरनौसा

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  • 20 जुलाई को राजगीर से चलकर 24 जुलाई को पटना पहुंचकर राज्यपाल महोदय को सौंपेगे स्मार पत्र 
  • शनिवार को राणा बिगहा से चलकर नगरनौसा में रात्रि विश्राम

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नालंदा। अपनी विभिन्न मांगों के समर्थन में बिहार राज्य साक्षरता संघर्ष संयुक्त मोर्चा के बैनर तले कार्यकर्ताओं द्वारा शुक्रवार को राजगीर रोपवे परिसर से राजभवन पटना तक ‘साक्षरता बचाओ पदयात्रा की शुरुआत की गयी। पदयात्रा राजगीर से शुरू होकर राणा बिगहा, नगरनौसा, चंडी, दनियावां सहित विभिन्न रास्ते को होते हुए 24 जुलाई को राजभवन पटना पहुंचेगी। पदयात्रा में सूबे के विभिन्न जिलों से पहुंचे सैकड़ों कार्यकर्ता शामिल हैं। धूप की तपिश के बावजूद पदयात्रा में शामिल कार्यकर्ताओं में उत्साह दिखा। इससे पहले मोर्चा के कार्यकर्ता रोपवे परिसर से इकट्ठा होकर हाथ में तख्तियां लिए सड़क मार्ग होते हुए पैदल निकले और धीरे-धीरे इनका कारवां आगे की ओर बढ़ता गया। मोर्चा के कार्यकर्ता एसएन आजाद ने बताया कि जैसे-जैसे यह पदयात्रा बढ़ती जाएगी, वैसे-वैसे इसमें हजारों की संख्या में लोग जुटते जाएंगे। उन्होंने कहा कि मोर्चा की मांगों में बिहार को साक्षर एवं शिक्षित बिहार बनाना है। इसमें सरकार अपनी जिम्मेवारी से भाग रही है। इस कारण ही सारी समस्याएं आ रही हैं। सूबे में बहाल 20 संविदा कर्मियों को नियमित किया जाए और कर्मियों का दो साल से बकाया राशि का भुगतान किया जाय। साक्षरता से जुड़े कलाकारों को नियमित किया जाय। श्री आजाद ने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा किसी तरह का आदेश नहीं आया है, उसके बाद भी विभाग के निदेशक ने बिना किसी सूचना के संविदा पर बहाल कर्मियों को हटा दिया है। उन्होंने कहा कि इस तरह के कदम उठाने से संविदा पर बहाल कर्मी सड़क पर आ गए हैं। उनके सामने भूखमरी की स्थिति बन गयी है। इससे सामाजिक न्याय की बात प्रभावित हो रही है। उन्होंने कहा कि बिना किसी देरी के साक्षरता कार्यक्रमों को संचालित किया जाय। राज्य सरकार द्वारा संचालित सभी साक्षरता कार्यक्रमों में प्रेरक, समन्वयक की भागीदारी सुनिश्चित करते हुए नियमितिकरण किया जाए। कार्यकर्ता इन्हीं सब मांगों को लेकर इस कड़ी धूप में भी राजगीर से पटना तक पदयात्रा कर जाने का निश्चय किया और इसे सफल बनाना है।

प्रेरकों को हटाना उचित नहीं: -
कार्यकर्ता कौशलेन्द्र कुमार ने कहा कि प्रेरकों ने सरकार की योजनाओं को पूरा करने में काफी अहम रोल अदा की थी। गांव-गांव में लोगों को जागरुक करने का काम किया था। इसके बाद भी इन्हें हटाना उचित नहीं है।

तीन दिन रास्ते में रात्रि विश्राम:
उन्होंने बताया कि पदयात्रा शुक्रवार को राजगीर से शुरू होकर राणा बिगहा में जाकर रात्रि विश्राम करेगी। शनिवार को यह राणा बिगहा से चलकर नगरनौसा तक जायेगी और चंडी में रात्रि विश्राम करेगी। रविवार को वहां से चलकर दनियावां और उसके बाद पटना क्षेत्र होते हुए 24 जुलाई को पटना के राजभवन तक पहुंचेगी। राज्यपाल को अपनी मांगों से अवगत करायेगी। पदयात्रा में मोर्चा के शैलेन्द्र कुमार, रंजीत कुमार, राकेश कुमार, कौशलेन्द्र कुमार, सुष्मिता कुमारी, राजकुमार पासवान, उमेश प्रसाद, शशि कुमार सहित अन्य मौजूद थे।

संपूर्ण व्यथा :  देश  के  सभी  पंचायत मुख्यालय में साक्षर भारत मिशन 2011 से लागू है। बिहार में साक्षर भारत मिशन में जुड़े 18104 कर्मियों  को 31मार्च 2018 से दूध में पड़ी मक्खी की तरह बाहर कर दिया गया।सीएम नीतीश कुमार ने 21 जून के बाद केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावेडकर को खत लिखकर साक्षर भारत मिशन को चलाने और अवरूद्ध मानदेय देने का आग्रह किया है। सीएम नीतीश कुमार के गृह जिला नालंदा के परवलपुर प्रखंड के प्रखंड कार्यक्रम समन्वयक आचार्य सरोज ठाकुर ने कहा कि प्रखंड मुख्यालय के मध्य विघालय में प्रखंड लोक शिक्षा समिति का कार्यालय है।इसी तरह पंचायत में भी लोक शिक्षा केंद्र अवस्थित है।यहां पर दो प्रेरक कार्यरत हैं। उन्होंने कहा कि केंद्रीय मानव संसाधन विकास विभाग राष्ट्रीय साक्षरता मिशन प्राधिकरण द्वारा देश के किसी भी राज्य को समयावधि विस्तार व बंद का पत्र जन शिक्षा निदेशालय को प्राप्त नहीं है।जबकि राज्य साक्षरता मिशन प्राधिकरण जन शिक्षा निदेशालय के निदेशक विनोदा नन्द झा के मनमानी रवैये के कारण 18104 लोगों को 31 मार्च 2018 से बेकार कर दिया गया।इससे राज्य संपोषित महादलित, दलित, अल्पसंख्यक एवं अति पिछड़ा वर्ग के वंचित समुदाय के लोगों के समक्ष भुखमरी का आलम है। इस समय राज्य के 38 मुख्य कार्यक्रम समन्वयक को 7500रू.मानदेय मिलता है।वहीं  38 जिला कार्यक्रम समन्वयक, 38 जिला लेखा समन्वयक और 38 जिला आईटी समन्वयकों को 5500 रु. मानदेय मिलता है। मगर इनको 18 माह से मानदेय नहीं मिला। वहीं 534 प्रखंड कार्यक्रम समन्वयक एवं प्रखंड लेखा समन्वयक को मानदेय 3000 रू. है। इनको 21माह से मानदेय नहीं मिला। 16884 प्रेरकों को 18 माह से मानदेय नहीं मिला। उन्होंने कहा कि टोला सेवक, तालिमी मरकज व शिक्षा स्वंमसेवकों के द्वारा संचालित उपचरात्मक शिक्षा केंद्रों के अनुश्वण करने वाले जिला मुख्य कार्यक्रम समन्वयक, जिला कार्यक्रम समन्वयक व प्रखंड कार्यक्रम समन्वयक को कार्य मुक्त  जन शिक्षा निदेशालय के निदेशक विनोदा नंद झा ने कर दिया है। जबकि बिना विज्ञापन रोस्टर बिंदु के चयनित एसआरजी एवं केआरपी को इस कार्यक्रम का सिरमौर बना दिया।यह निदेशक की मनमानी का पराकाष्ठा ही है। जो 2011 से कार्यशील हैं उनको दरकिनार कर नियम-कानून को बौना बनाकर अन्य को सिरमौर बना डाले।

दूसरी ओर गौरतलब है कि केंद्र प्रायोजित साक्षर भारत कार्यक्रम में कार्यरत राज्य के 38  जिला मुख्य कार्यक्रम समन्वयक ,38 जिला कार्यक्रम समन्वयक ,38 जिला लेखा समन्वयक,38 जिला आईटी समन्वयक ,534 प्रखंड कार्यक्रम समन्वयक, 534 प्रखंड लेखा समन्वयक, 16884 प्रेरकों की नियुक्ति शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव के विज्ञापन संख्या -402 प्रेरकों की नियुक्ति में पचास फीसदी महिलाओं के आरक्षण के साथ-साथ पंचायत शिक्षक नियोजन ईकाई की तर्ज पर रोस्टर बिंदु के अनुरूप संविदा आधारित बहाली की गयी है। प्रदेश में बहाल 16884 प्रेरक असाक्षर को साक्षर बनाते है.इसके अलावे विकासात्मक कार्य से नवसाक्षरों को जोड़ते हैं।रोजगार करने के लिए प्रशिक्षण की व्यवस्था करवाते। वहीं सामाजिक आंदोलनों का नेतृत्व भी करते हैं। सभी को 31 मार्च 2018 से साक्षरता कार्यक्रम से वंचित कर दिया गया।

सीहोर (मध्यप्रदेश) की खबर 21 जुलाई

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वेतन १८ हजार और सरकारी कर्मचारी घोषित करने के लिए 
  • आशा उषा एवं आशा सहयोगिनी करेंगी भूख हड़ताल 

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सीहेार। आशा उषा एवं आशा सहयोगिनी एकता यूनियन सीटू के प्रदेश स्तरीय आहवान पर आशा उषा भूख हड़ताल करेंगी। रविवार सुबह ११ बजे से आशा उषाओं सहित सहयोगिनियों की भूख हड़ताल टाउन हाल के सामने शुरू होगी। अपनी लंबित मांगों के लिए जिले भर की आशा उषा दो दिनों तक भूखा रह कर सरकार की नीतियों का विरोध करेंगी। यूनियन जिला महासचिव ममता राठौर ने बताया कि प्रदेश सरकार आशाओं के अनगिनत आंदोलनों धरना एवं प्रदर्शनों के बावजूद पूरी तरह जायज मांगों न्यूनतम वेतन, सरकारी कर्मचारी घोषित करने, व १८ हजार रूपए वेतन स्वीकृत करने की मांग को पूरा करने के प्रति कोई गंभीर पहल नहीं कर रहीं है।  यूनियन ने पूरे प्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के हाथों में भी ज्ञापन सौपे, लेकिन मामा भंाजियों को उनका हक देने के लिए तैयार नहीं है। हम प्रदेश की आशाओं ने भी ठाना है कि जैसे दूसरे प्रदेशों की आशाओं ने लड़कर अपना हक हासिल कर लिया है हम भी हार मानने वाली नहीं है। जबतक मामा हमारी मांगे मानेंगे नहीं हम संघर्ष करना छोड़ेंगी नहीं। श्रीमति राठौर ने कहा कि जिले की समस्त आशा सहयोगिनी उषा एवं आशाएं दो दिवसीय भूख हड़ताल में भारी से भारी संख्या में  पहुंचे और हड़ताल को सफल बनाए।  जिलाध्यक्ष अंङ्क्षतम पंवार, कार्यवाहक अध्यक्ष सोना दुबे,उपाध्यक्ष मनीषा, अनिता राठोर संतोषी कटारिया, भूरिया बाई,सहायक महासचिव गोमती बैरागी, जिला सचिव भारती राठौर, सीमा माहेश्वरी, सोनम, सुधा ठाकुर, कोषाध्यक्ष सरीता विश्वकर्मा, कार्यकारिणी सदस्य शकुन पैठारी, सुखवती वर्मा, चिंता मालवीय, मीना मालवीय, निशा व्यास, अर्चना धाकड़, लता धुर्वे, तनबीर, ममता, रजनी राठौर, ममता चौहान ने भूख हड़ताल में शामिल होने की अपील आशा उषा और सहयोगिनियों से की है। 

विदिशा (मध्यप्रदेश) की खबर 21 जुलाई

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मुख्यमंत्री जी 24 को विदिशा आएंगे, तैयारियों का जायजा

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मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चैहान मंगलवार 24 जुलाई को विदिशा आएंगे और नवीन कृषि उपज मंडी मिर्जापुर में आयोजित कार्यक्रम में शामिल होंगे। यहां मुख्यमंत्री जी द्वारा प्रधानमंत्री फसल बीमा की राशि बीमितधारी किसानों के खातों में वन क्लिक के माध्यम से जमा करने की शुरूआत की जाएगी। मुख्यमंत्री जी के प्रवास को ध्यानगत रखते हुए की जाने वाली तैयारियों की समीक्षा आज कलेक्टर श्री कौशलेन्द्र विक्रम सिंह के द्वारा कलेक्टेªट के सभाकक्ष में की गई। इस अवसर पर पुलिस अधीक्षक श्री विनीत कपूर, अपर कलेक्टर श्री एचपी वर्मा, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक श्री विनोद कुमार सिंह चैहान के अलावा विभिन्न विभागों के जिलाधिकारी मौजूद थे। कलेक्टर श्री सिंह ने कार्यक्रम की प्रस्तावित रूपरेखा की बिन्दुवार चर्चा की। इस दौरान बतलाया गया कि कार्यक्रम नवीन कृषि उपज मंडी मिर्जापुर मेें दोपहर 12 बजे मुख्यमंत्री जी आएंगे इससे पहले अर्थात 10-11 बजे के दरम्यिान सभी लाभांवित होने वाले हितग्राही आयोजन स्थल पर उपस्थित हो सकें। इसके लिए पूर्व में किए जा रहे एक्सरसाइज को अंतिम रूप दिया जाए। उन्होंने दूरदराज से आने वाले किसानों के आने जाने और भोजन के संबंध में भी विस्तारपूर्वक जानकारी प्राप्त की।  कलेक्टर श्री सिंह ने कहा कि बसों के माध्यम से जिन स्थलों से किसानबंधु आएंगे उन स्थलों का चिन्हांकन किया जा चुका है। टाईम लाइन पर सभी कार्य पूर्ण हो इसका विशेष ध्यान रखा जाए। मुख्यमंत्री जी आयोजन स्थल पर जिन हितग्राहियों को लाभांवित करेंगे उन्हें क्रमानुसार बैठने की व्यवस्था की जाए ताकि किसी भी प्रकार का अवरोध उत्पन्न ना हो सकें। 

ई लोकार्पण
मुख्यमंत्री जी द्वारा निर्माण कार्यो का ई लोकार्पण किया जाएगा के संबंध में कलेक्टर श्री सिंह  प्रायोगिक जानकारी से अवगत हुए। 

वन क्लिक
मुख्यमंत्री जी द्वारा प्रधानमंत्री फसल बीमा से लाभांवित होने वाले किसानों के खातों में बीमा राशि वन क्लिक के माध्यम से कार्यक्रम स्थल पर ई मैथर्ड से की जाएगी के संबंध में भी प्रायोगिक जानकारी काॅ-आपरेटिव बैंक के सीईओ श्री विनय प्रकाश सिंह के द्वारा प्रस्तुत की गई। 

स्टाॅल
कार्यक्रम स्थल नवीन कृषि उपज मंडी मिर्जापुर में विभिन्न विभागों के द्वारा हितग्राहीमूलक योजनाआंें एवं कार्यक्रमों पर आधारित प्रदर्शनी का आयोजन किया जाएगा। इसके अलावा स्वास्थ्य उपचार शिविर भी आयोजित किया गया है। जिले में पहली बार मिट्टी परीक्षण की प्रायोगिक शाला का डेमो आयोजन स्थल पर संचालित किया जाएगा। 

कंट्रोल रूम
कलेक्टर श्री सिंह ने कहा कि जिला मुख्यालय पर संचालित कंट्रोल रूम सभी वाहन प्रभारियों से सतर्क सम्पर्क बनाए रखेंगे ताकि समय पर वाहन आयोजन स्थल पर पहुंच सकें। इस हेतु उन्होंने प्रत्येक वाहन प्रभारियों के नम्बरों का अपडेशन शीघ्र उपलब्ध कराने के निर्देश दिए है।

आयोजन स्थल का जायजा

कलेक्टर श्री कौशलेन्द्र विक्रम सिंह, पुलिस अधीक्षक श्री विनीत कपूर ने संयुक्त रूप से नवीन कृषि उपज मंडी प्रागंण में आयोजित होने वाले कार्यक्रम के मद्देनजर की जा रही तैयारियों का मौके पर अवलोकन किया एवं आवश्यक निर्देश दिए। कलेक्टर श्री सिंह ने टेन्ट, मंच सज्जा, मंच पर आने जाने की व्यवस्था, पत्रकारों और गणमान्य नागरिकों के बैठने हेतु नियत किए गए स्थलों के संबंध में जानकारी प्राप्त की। कार्यक्रम के दौरान किसी भी प्रकार की अव्यवस्था ना हो का विशेष ध्यान रखने के निर्देश कलेक्टर द्वारा संबंधितों को दिए गए है। इस दौरान बताया गया कि मुख्य अतिथिगण  एवं पत्रकारों को कृषि उपज मंडी के मुख्य प्रवेश द्वार से इन्ट्री दी जाएगी शेष अन्य मंडी के पीछे वाले गेट से कार्यक्रम हेतु प्रवेश करेंगे। कलेक्टर श्री सिंह के द्वारा आयोजन स्थल का जायजा लिए जाने के दौरान अपर कलेक्टर श्री एचपी वर्मा, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक श्री विनोद कुमार चैहान, एसडीएम श्री चंद्रप्रताप गोहल, सीएसपी श्री भारतभूषण शर्मा के अलावा विभिन्न विभागों के अधिकारी, कर्मचारी मौज्ूाद थे।

खरीफ फसलवार ई पंजीयन 28 से

खरीफ 2018 मंें बोई जाने वाली फसलों के ई पंजीयन के संबंध में किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग के अवर सचिव द्वारा कृषि उत्पादन आयोग की बैठक में लिए गए निर्णय के परिपालन में आदेश जारी किए गए है। किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग के अवर सचिव श्री पीके माखीजा के द्वारा जारी आदेश मंे उल्लेख है कि विदिशा जिले में ई उपार्जन पोर्टल पर धान, ज्वार, बाजरा, सोयाबीन, अरहर, उड़द, मक्का, मूंग फसल हेतु पंजीयन कार्य 28 जुलाई से शुरू हो जाएगा जो 31 अगस्त तक क्रियान्वित किया जाएगा।  खरीफ 2018 हेतु भारत सरकार द्वारा जिन फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित किए गए है तथा जिनका उपार्जन यथा धान, ज्वार एवं बाजरा तथा कपास का पंजीयन ई उपार्जन पोर्टल पर किया जाएगा। इसी प्रकार खरीफ 2018 में उपरोक्त अंकित अन्य फसलों का ई उपार्जन पोर्टल का पंजीयन किया जाएगा। इन फसलों के उपार्जन/भावांतर प्रोत्साहन राशि भुगतान के संबंध मंे निर्णय राज्य शासन द्वारा लिया जाकर पृथक से ततसंबंध में विस्तृत दिशा निर्देश जारी किए जाएंगे। पंजीकृत किसानों के बोनी के रकवे का सत्यापन कार्य राजस्व विभाग द्वारा इस क्रम में खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग तथा किसान कल्याण एवं कृषि विकास विभाग द्वारा जारी किए जाने वाले दिशा अनुरूप किया जाएगा।

भोपाल में सोमवार को कार्यशाला का आयोजन

बालिकाओं के विरूद्व हो रही हिंसा के विरूद्व सामुदायिक सहभागिता से जनजागरण पर आधारित एक दिवसीय संभाग स्तरीय कार्यशाला का आयोजन 23 जुलाई को किया गया है। भोपाल संभाग के आयुक्त कार्यालय सभाकक्ष में उक्त कार्यशाला प्रातः 11 बजे से शुरू होगी। संयुक्त आयुक्त (विकास) श्री संजीव कुमार सिन्हा के द्वारा जारी पत्र में उल्लेख है कि संभाग स्तरीय कार्यशाला में नियत समय पर संबंधित उपस्थित होना सुनिश्चित करंे।

जिले में अब तक 389.1 मिमी औसत वर्षा दर्ज

जिले की तहसीलों में स्थापित वर्षामापी यंत्रों पर शनिवार को दर्ज की गई वर्षा की जानकारी देते हुए अधीक्षक भू-अभिलेख श्रीमती सविता पटेल ने बताया कि आज शनिवार को जिले में 2.5 मिमी औसत वर्षा दर्ज की गई है। इस प्रकार जिले में अब तक कुल 389.1 मिमी औसत वर्षा हो चुकी है। वही इस अवधि में पिछले वर्ष 399.2 मिमी औसत वर्षा हुई थी। शनिवार को तहसीलवार दर्ज की गई वर्षा की जानकारी तदानुसार कुरवाई में 5.8 मिमी, सिरोंज, गुलाबगंज एवं नटेरन में क्रमशः एक-एक मिमी, लटेरी में छह मिमी, ग्यारसपुर में पांच मिमी वर्षा दर्ज की गई है। इसके अलावा विदिशा और बासौदा तहसील में वर्षा नगण्य रही।

नाक,कान,गला रोगनिदान एंव मषीनों से सुननेकीजांच22जुलाई को

सेवाभारती भवन श्रीकृध्ण कालोनी दुर्गानगर में 22 जुलाई रविवार को सुबह11बजे से पूर्व पंजीकृत नाक,कान,गला,रोग से पीड.ीत मरीजों की जांच एंव चिकित्सा परामर्ष राकलैंड अस्पताल दिल्ली की डाॅ.मीना अग्रवाल डीएनवी द्वृारा की जायेगी। इस षिविर का लाभ लेने के लिये अपना पंजीयन डाॅ जी के माहेष्वरी मोबाइ्रल नं.9425483315किरी मौहल्ला सिटी कोतवाली एंव डाॅ हेमंत बिसवास मोबाइ्रल नं 9827013237 के पास करा सकते हैं। माई ईयर हियरिंग एंड स्पीच क्लीनिक भोपाल के डा ईषा जैन एंव उनकी टीम दृारा सुनने की जांच की जायेगी। सेवाभारती के सचिव राजीव भार्गव सेवा भारती के सचिव राजीव भार्गव ने इस  षिविर का लाभ लेने के लिए अपना पंजीयन 22 जुलाई रविवार को सुबह 10बजे से 11 बजे तक सेवा भारती भवन श्रीकृध्ण कालोनी दुर्गानगर में करा सकते हैं। 

योजनाएँ तभी सार्थक होंगी जब जरुरतमंदों को उसका लाभ मिलेगा : डी एन पटेल

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दुमका (अमरेन्द्र सुमन) राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के तत्वावधान में झारखण्ड राज्य विधिक सेवा प्राधिकार द्वारा आउटडोर स्टेडियम दुमका में चतुर्थ राज्य स्तरीय विधिक सेवा सह सशक्तिकरण शिविर का आयोजन किया गया। इस शिविर में मुख्य अतिथि कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश, झारखण्ड उच्च न्यायालय डी0एन0 पटेल, विशिष्ट अतिथि न्यायाधीश, झारखण्ड उच्च न्यायालय एच सी मिश्रा सह अध्यक्ष, विशिष्ट अतिथि न्यायाधीश, झारखण्ड उच्च न्यायालय सह प्रशासनिक न्यायाधीश, दुमका न्यायमंडल अनिल कुमार चैधरी उपस्थित थे। इस अवसर पर कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश, झारखण्ड उच्च न्यायालय डी एन पटेल ने सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि सरकार द्वारा समाज के हर व्यक्ति को सशक्त बनाने के लिए कई सारी योजनायें चलाई जा रही हैं। केन्द्र व राज्य सरकार की सभी योजनायें तभी सफल होंगी जब जरूरतमंद को योजनाओं का लाभ मिलेगा। वर्तमान समय में लोगों में सरकार की योजनाओं की जानकारी का अभाव है। सरकार स्वास्थ्य, शिक्षा, आवास जैसी कई कल्याणकारी योजनायें चला रही है। ऐसी योजनाओं का लाभ हर जरूरतमंद को मिले तो उसे किसी के पास हाथ फैलाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। सरकार के पैसों को सही कार्य में खर्च कर हम समाज में खुशहाली लाने का कार्य कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि आज का दिन दुमका जिले के लिए ऐतिहासिक दिन है। 75.76 करोड़ रु0 की योजनाओं की राशि लोगों के बीच वितरित की जा रही है। लीगल सर्विस आॅथरिटी के द्वारा एक बुकलेट प्रिंट कराया गया है, जिसमें केन्द्र व राज्य सरकार की सभी योजनायों का लाभ तथा उनसे लाभ लेने की प्रक्रिया के बारे में विस्तृत रूप से जानकारी दी गई है। यह लोगों के लिए लाभकारी होगी। लोगों में जागरूकता फैलाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि सरकार की योजनाओं का लाभ लेने के लिए अधिक से अधिक आवेदन दें। निश्चित रूप से प्रक्रिया के तहत आपको लाभ मिलेगा। हम सभी का दायित्व है कि हमें मिलकर वंचितों को ऊपर उठाना है। उनके जीवन स्तर को एक ऊचाई देने के लिए उन्हें लाभ पहंुचाना है। उन्होंने कहा कि लिगल अवेयरनेस सभी के लिए आवश्यक है। सभी को कानून की जरूरी जानकारियाँ एवं उनका हक उन्हें पता होना चाहिये। इस अवसर पर विभिन्न लाभुकों के बीच समाज कल्याण द्वारा ट्राई साईकिल, बैसाखी वितरित किया गया। लक्ष्मी लाडली योजना के तहत छः हजार रुपये का नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट का वितरण किया गया। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर बनाने के लिए परिसम्पत्ति, जिला मत्स्य कार्यालय के द्वारा वेद व्यास आवास निर्माण के लाभुकों के बीच परिसम्पत्ति, मत्सय बीज के पूरक आहार, जिला शिक्षा कार्यालय दुमका के द्वारा छात्राओं के बीच स्कूली किट, श्रम विभाग द्वारा पारिवारिक पेंशन योजना, साईकिल योजना के तहत प्रमाण पत्र का वितरण, सामाजिक सुरक्षा विभाग द्वारा पेंशन योजना के तहत लाभुकों को प्रमाण पत्र, जेएसएलपीएस की तरफ से एक करोड़ एक लाख रूपये सखी मंडल की महिलाओं को स्वरोजगार के लिए, गव्य विकास की तरफ से दस हजार रूपये के अनुदान की राशि लाभुकों के बीच वितरित की गई। लाभुकों को मेडिकेटेड नेट दिया गया। इस दौरान उन्होंने लाभुकों से बात की एवं उनकी परेशानियों को जाना।  कार्यक्रम स्थल पर विभिन्न विभागों द्वारा स्टाॅल भी लगाये गये थे, जहां विभाग द्वारा चलायी जा रही योजनाओं की जानकारी उपलब्ध करायी जा रही थी। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश, डी एन  पटेल ने सभी से कहा कि स्टाॅलों पर अवश्य जायें एवं सरकार की योजनाओं की जानकारी प्राप्त करें। योजनाओं का लाभ लें। इस दौरान सरकार के विभिन्न योजनाओं के लाभुकों ने अपने अनुभव को साझा किया। दुमका के उपायुक्त मुकेष कुमार, उप विकास आयुक्त वरूण रंजन, प्रशिक्षु आईएएस शशि प्रकाश ने सभी अतिथियों एवं विशिष्ठ अतिथियों को स्मृति चिन्ह दिया। कार्यक्रम स्थल पर लोटा पानी, पारम्परिक रीति रिवाज से उनका स्वागत किया गया। दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम की विधिवत शुरूआत की गई, पुष्पगुच्छ देकर अतिथियों का स्वागत किया गया। धन्यवाद ज्ञापन उपायुक्त मुकेष कुमार ने दिया। इससे पूर्व उन्होंने नवनिर्मित न्याय सदन (एडीआर) का नारीयल फोड़कर एवं फीता काटकर विधिवत उद्घाटन किया तथा पैनल लाॅयर से बातचीत की। कार्यक्रम में रजिस्ट्रार जनर्रल अंबूज नाथ भी उपस्थित थे। 

बिहार : अब पूर्व की तरह पूर्ण तेवर में कार्य करूंगी : कुमारी सरीता

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  • आखिर क्यों रोते हैं खोटा मुसहरी में रहने वाले?

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समेली: इस प्रखंड में है मलोरिया ग्राम पंचायत। इस पंचायत की मुखिया करूणा कुमारी है। वार्ड नम्बर -9 में के वार्ड सदस्य हैं मनोज कुमार यादव। इन प्रतिनिधियों के क्षेत्र में है खोटा मुसहरी। महादलित मुसहर समुदाय के लोगों का कहना है कि इन जन प्रतिनिधियों के कारण विकास और कल्याण का बयार मुसहरी में बह नहीं रही हैं। ऐसा प्रतीक हो रहा है इन जन प्रतिनिधियों के रहते सात निश्चय योजना लागू नहीं हो सकती है। तिलिया देवी कहती हैं कि पहले हम   लोग मजे से रहते थे। जनसंख्या वृद्धि होने के कारण घर-जमीन की समस्या बढ़ गयी है। गैर सरकारी संस्था प्रगति ग्रामीण विकास समिति के तत्वावधान में और इंडो ग्लोबल सोशल सर्विस सोसायटी के सहयोग से सामुदायिक आधारित  दो दिवसीय कैडर प्रशिक्षण यूथ पावर कार्यालय परिसर में किया गया। मुख्य अतिथि के रूप में जिला पार्षद (समेली) कुमारी सरीता आयी थीं। खुद को रोक नहीं पायी। प्रोटोकोल तोड़ प्रशिक्षुओं तक पहुंच गयी। हालचाल पूछने लगीं। उनको यह बताया गया कि खोटा मुसहरी में साठ साल से रहते हैं।पहले कम घर था। अब साठ घरों में पाँच सौ से अधिक लोग रहते हैं। सैकड़ों मुसहर आवासीय भूमिहीन हैं। यहां के लालू ऋषि और मुंगिया देवी के पुत्र अजित कुमार मैट्रिक उर्त्तीण हैं। वहीं रविता कुमारी मैट्रिक भी उर्त्तीण हैं।मुसहरी में सात निश्चय योजना के तहत कार्य नहीं हो रहा है। हर घर नल का जल, नाला, नाली,शौचालय,बिजली,कुशल युवा और समृद्ध युवा शून्य स्तर पर है। मुसहरी के लोग ढीबड़ी युग में रहते हैं। कई लोग टी.बी.रोग से बेहाल हैं।नीतू कुमारी,प्रयाग ऋषि,लक्ष्मण ऋषि,चीलिप कुमार,गौतम कुमार व हरकरण ऋषि।स्वर्गीय विलक्ष्ण ऋषि की विधवा पचिया देवी को परिवार लाभ व लक्ष्मीबाई सामाजिक सुरक्षा पेंशन नहीं मिलता है।6 साल से परेशान हैं।  60 साल के बैजू ऋषि को पेंशन नहीं मिलता है। यह सुनकर जिला पार्षद कुमारी सरीता ने कहा कि जन कल्याण करने के कारण विरोधियों के निशाने पर थीं। अब चुनाव का समय निकट है,इसके आलोक में विरोधी शिथिल पड़ गये हैं।अब पहले की ही तेवर में कार्य करना शुरू कर दी है।आपकी समस्या को अधिकारियों तक पहुंचाने का कार्य करूंगी। 

मधुबनी : मधुबनी स्टेशन को रंगने वाले कलाकारों ने रोका रेल, मांगा हक़

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मधुबनी  (आर्यावर्त डेस्क) 21 जुलाई, 13 जुलाई को मधुबनी स्टेशन पर मिथिला चित्रकला के कलाकारों द्वारा जयनगर-दिल्ली स्वतंत्रता सेनानी सुपरफास्ट एक्सप्रेस रोके जाने के बाद रेलवे अधिकारियों द्वारा आंदोलन को तत्काल कुछ दिनों के लिए स्थगित करने के आग्रह को मानते हुवे एक ज्ञापन जिसमे कलाकारों ने 7 दिन के अंदर पूरे मधुबनी स्टेशन प्रकरण की जांच हेतू एक निष्पक्ष कमिटी का गठन एवं कमिटी द्वारा इस प्रकरण की जांच करवाने की मांग की गई थी । 7 दिन की वो अवधि पूरी हो जाने के पर कलाकारों ने पुनः ज्ञापन और ईमेल के माध्यम से रेलमंत्री भारत सरकार, जी एम हाजीपुर, डी आर एम / ए डी आर एम समस्तीपुर को 24 घण्टे की और मौहलत दी गई । आज इस 24 घण्टे पूरा हो जाने के बाद दिन के 12 बजे सैकड़ो कलाकारों ने मधुबनी स्टेशन पहुंच ट्रेन परिचालन को रोका । कलाकारों ने रेलवे पर आरोप लगाते हुवे निम्न बाते कहीं हैं

1. रेलवे इस पूरे आयोजन के आय व्यय का लेखा जोखा सार्वजनिक करे ।
2. कार्यक्रम समाप्ति के कई महीनों के बाद किस आधार पर करोड़ों के टर्नओवर वाली पब्लिक सेक्टर की कंपनियों को इस पूरे आयोजन का आयोजक दिखाया गया । इस मामले की जांच हो ।
3. कलाकारों के संग्रह में मुख्य भूमिका निभाने वाले क्राफ्टवाला और ग्राम विकास परिषद को इस आयोजन में मदद के लिए प्रशस्ति पत्र जारी करें ।
4. किस आधार पर 200 से अधिक कलाकारों में से मात्र 5 कलाकारों को मधुबनी स्टेशन पर काम किये कलाकारों का प्रतिनिधि बना रेलमंत्री से सम्मानित किया गया । इसके पीछे किस अधिकारी और कलाकारों की मिलीभगत है उसकी जांच हो ।
5.यदि ये 5 कलाकार मधुबनी स्टेशन पर काम किये कलाकारों के प्रतिनिधि बनके रेलमंत्री से मधुबनी स्टेशन को स्वच्छता और सुंदरता में द्वितीय स्थान आने का पुरस्कार लेने गए थे । तो रेलवे द्वारा किस आधार पर उन 5 कलाकारों के व्यक्तिगत नामों से सर्टिफिकेट जारी किया गया । इस तरह की लापरवाही क्यों ?
6. पूरे मधुबनी स्टेशन पर हुवा पेंटिंग कार्य जब श्रमदान था तो कलाकारों को दिए गए प्रशस्ति पत्र में श्रमदान शब्द का उल्लेख ना होना और करोड़ो के टर्न ओवर वाली पब्लिक सेक्टर की कंपनियाँ (पावर ग्रिड कॉरपोरेसहन, कोल इंडिया लिमिटेड आदी) को अंदर ही अंदर प्रायोजक बना इस पूरे आयोजन को कलाकारों के श्रमदान से बदल कर कम्पनियों के सौजन्य से कर देना । किसी घोटाले की ओर संकेत करता है।

 क्राफ्टवाला राकेश झा का कहना है कि सम्पूर्ण मधुबनी स्टेशन मिथिला पेंटिंग से सजाने के प्रस्ताव का उल्लेख खुद DRM समस्तीपुर रवींद्र कुमार जैन ने 2 ओकटुबर को मधुबनी स्टेशन पर हुवे कार्यक्रम में अपने सम्बोधन में मानते हुवे राकेश झा के प्रयासों की सराहना की थी । पर जैसे जैसे ये कार्य आगे बढ़ा रेलवे के अधिकारी गणनाथ झा ने इस पूरे प्रोजेक्ट के उद्दश्यों को अपने अहंकार की भेंट चढ़ा दी । परिणामस्वरूप जो मधुबनी और मिथिला चित्रकला का नाम गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड में शामिल होना था वो तो नही ही हुवा साथ ही साथ गणनाथ झा की एक से बढ़कर एक बचकानी हरकतों ने इस पूरे आयोजन को ही विवादित बना दिया । कलाकार सोनू निशांत ने कहा है कि इस सारे प्रकरण में आज कलाकार खुद को ठगे महसूस कर रहे हैं । ऐसे में सबसे बड़ा प्रश्न ये उठता है कि इन सबके लिए कौन जिम्मेवार है ? क्राफ्टवाला, ग्राम विकास परिषद या रेलवे के कुछ ऑफिसर । अतः हम कलाकरों की ये मांग है कि एक जांच कमिटी का गठन हो और जो भी दोषी है उनपर कड़ी से कड़ी करवाई हो ।

कलाकार रमेश मंडल के अनुसार आज के इस आंदोलन में सैकड़ो कलाकरों की सक्रिय भागीदारी से एक बात तो स्पष्ठ होती है कि कलाकारों में आक्रोश है और वो इस लड़ाई को अंजाम तक पहुचाने के लिए प्रतिबद्ध हैं । अतः रेल प्रशासन को चाहिए कि ऐसे हालात को पैदा करने वाले अधिकारियों को जब तक इस पूरे मामले की जांच ना हो उन्हें सस्पेंड किया जाय । पूरे 2 घन्टे जब स्वतंत्रता सेनानी एक्सप्रेस ट्रेन मधुबनी स्टेशन पर खड़ी रही तो कलाकारों की माँग को स्थानीय जिलाधिकारी शीर्षत कपिल अशोक ने अपने प्रतिनिधी sdo सुनील कुमार और dsp कमिनिबाला को स्थल पर भेज माना और खुद जिला प्रशासन के तरफ से रेलवे बोर्ड को इस सारे प्रकरण पर जाँच कमिटी गठित करने का आग्रह करने की बात कही । तब जा कर कलाकारों ने अपने आंदोलन को बंद कर ट्रेन को जाने दिया ।

आज के इस आंदोलन में सीमा कुमारी , चतुरानंद झा, रत्नेश झा, रमेश मंडल, रानी कुमारी, हेमा कुमारी, चंद्रकांत बारी, आनन्द लाल, विजय कुमार, अमरेंद्र कुमार, सत्यजीत झा क्राफ्टवाला और ग्राम विकास परिषद आदि के कलाकारों ने अपनी सक्रिय भागीदारी दी ।

दरभंगा : LNMU में सिकी और शास्त्रीय नृत्य की इसी सत्र से पढ़ाई होगी

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दरभंगा (आर्यावर्त डेस्क) 21 जुलाई,  : ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के स्रातकोत्तर संगीत एवं नाट्य विभाग ने शास्त्रीय नृत्य, फोटोग्राफी और सिकी कला विषय में शर्टिफिकेट कोर्स चलाने का निर्णय लिया गया. कुलपति प्रो. सुरेन्द्र कुमार सिंह की अध्यक्षता में आयोजित परामर्श दात्री समिति की बैठक में इसी सत्र से इन विषयों में नामांकन प्रारंभ करने का निर्णय लिया गया. निर्णय के अनुसार 25 जुलाई से 5 अगस्त तक आवेदन पत्र जमा किये जाएंगे. शास्त्रीय नृत्य में दो वर्षों के डिप्लोमा के साथ 10वीं कक्षा के उत्तीर्ण छात्र भी आवेदन कर सकते हैं. इन कोर्सों में कक्षाएं 16 अगस्त से शुरू करने का निर्णय लिया गया. बैठक में प्रति कुलपति प्रो. जयगोपाल, कुलसचिव एन.के राय, वित्त पदाधिकारी विनोद कुमार राय, प्रधानाचार्य डॉ. अरविंद कुमार झा, संस्कृत विभागाध्यक्ष डॉ. कृष्णचंद्र सिंह, पाठ्यक्रम की संयोजिका डॉ. लावण्य कीर्ति सिंह काव्या ने धन्यावाद ज्ञापित किया.

कई और सामानों पर जीएसटी में कटौती:

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  • सैनेटरी नैपकिन,राखी, टीवी-फ्रिज, बिजली के घरेलू सामान, एथनाल, जूते-चप्पल होंगे सस्ते

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नयी दिल्ली , 21 जुलाई, जीएसटी परिषद ने सैनिटरी नैपकिन को माल एवं सेवा कर (जीएसटी) से छूट देने की एक साल से चल रही मांग को आज पूरा किया। जीएसटी के बारे में निर्णय करने वाले इस सर्वोच्च निकाय ने इसके अलावा टीवी , फ्रिज वॉशिंग मशीन तथा बिजली से चलने वाले कुछ घरेलू उपकरणों और अन्य उत्पादों पर भी कर की दरें कम की हैं। वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने यहां जीएसटी परिषद की 28वीं बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा कि सैनिटरी पैड से जीएसटी कर की दर को 12 प्रतिशत से कम करके शून्य कर दिया गया है। राखी को भी जीएसटी से छूट दे दी गयी है।  जिन अन्य उत्पादों पर जीएसटी की दर कम की गयी हैं , उनमें जूते - चप्पल (फुटवियर), छोटे टीवी , पानी गर्म करने वाला हीटर , बिजली से चलने वाली इस्त्री (आयरनिंग) मशीन , रेफ्रिजरेटर , लीथियम आयन बैटरी , बाल सुखाने वाले उपकरण (हेयर ड्रायर), वैक्यूम क्लीनर , खाद्य उपकरण और एथनॉल शामिल हैं।  गोयल ने कहा ,"जीएसटी परिषद ने कई उत्पादों पर कर में कटौती की है। राखी को जीएसटी से छूट दी गयी है , एथनॉल पर कर को कम करके 5 प्रतिशत किया गया और दस्तकारी के छोटे सामानों को कर से छूट दी गयी है।"  निर्माण क्षेत्र के काम आने वाले तराशे हुये कोटा पत्थर, सैंड स्टोन और इसी गुणवत्ता के अन्य स्थानीय पत्थरों पर जीएसटी की दर को 18 से घटाकर 12 प्रतिशत किया गया है।  एक हजार रुपये मूल्य तक के जूते-चप्पल पर अब 5 प्रतिशत का कर लगेगा। पहले यह रियायती दर केवल 500 रुपये मूल्य के जूते-चप्पल पर लागू थी।  मध्यम वर्ग द्वारा इस्तेमाल किये जाने वाले 17 उत्पादों जैसे पेंट्स, फ्रिज, वॉशिंग मशीन, वैक्यूम क्लीनर, पानी गर्म करने वाला हीटर, 68 सेमी तक के टीवी पर कर की दर को 28 प्रतिशत से कम करके 18 प्रतिशत किया गया है।  जीएसटी परिषद की अगली बैठक 4 अगस्त को होनी है। 

गोपाल दास नीरज पंचतत्व में विलीन

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अलीगढ़ / आगरा (उ . प्र .), 21 जुलाई, मशहूर कवि , गीतकार पद्मभूषण गोपाल दास नीरज का अंतिम संस्कार आज अलीगढ़ में पूर्ण राजकीय सम्मान के साथ किया गया।  प्रदर्शनी मैदान के पास स्थित श्मशान घाट पर उन्हें प्रदेश के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी समेत कई वरिष्ठ अधिकारियों ने उन्हें अंतिम विदाई दी।  पूर्व में नीरज की इच्छा के मुताबिक उनके पार्थिव शरीर को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज को दान किया जाना था। लेकिन लगातार खराब स्वास्थ्य के कारण उनके विभिन्न अंग इस स्थिति में नहीं रह गये थे कि उन्हें चिकित्सा शोध कार्य में इस्तेमाल किया जाता। लिहाजा , परिजन ने ऐन वक्त पर अंतिम संस्कार का फैसला किया।  गौरतलब है कि गोपाल दास नीरज का 19 जुलाई को दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में निधन हो गया था। उन्हें तबियत खराब होने के बाद आगरा से दिल्ली रेफर किया गया था।  गोपाल दास नीरज के पार्थिव शरीर को सुबह दिल्ली से आगरा ले जाया गया। यहां सुबह आठ बजे सरस्वती नगर बल्केश्वर मे उनके पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शनों के लिए रखा गया।  उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव समेत कई नेताओं ने उन्हें यहां श्रद्धांजलि दी। अखिलेश यादव ने कहा कि अपने गीतों के माध्यम से नीरज हमेशा अमर रहेंगे। समाजवादी पार्टी के प्रदेश की सत्ता में आने के बाद नीरज की स्मृति में इटावा स्थित उनके गांव को यादगार बनाया जाएगा।  अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) में भी नीरज को भावभीनी श्रद्धांजलि दी गयी। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर तारिक मंसूर ने इस महान कवि को हिन्दुस्तान के साम्प्रदायिक सौहार्द , सहिष्णुता और बहुलतावाद की समृद्ध धरोहर का प्रतीक करार दिया। उन्होंने कहा कि नीरज ने जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज को अपना शरीर दान करने की वसीयत करके भी यह साबित किया कि मृत्यु के बाद भी वह मानवता के काम आने की तीव्र इच्छा रखते थे। उनके निधन से अपूरणीय क्षति हुई है। उर्दू के लेखक प्रोफेसर शैफी किदवई ने कहा कि नीरज का इस संस्थान के साथ भावनात्मक संबंध था। कवि कुमार विश्वास और हास्य कवि सुरेंद्र शर्मा समेत तमाम गणमान्य लोग नीरज के दर्शनों के लिए पहुंचे। आगरा में नीरज की अंतिम यात्रा मे भी सैकड़ों लोग शामिल हुए। कवि सम्मेलन समिति द्वारा तैयार रथ में उनका पार्थिव शरीर रखा गया। इस दौरान उनके लिखे गीत ... ऐ भई जरा देखकर चलो .. गूंजते रहे। करीब एक किलोमीटर तक अंतिम यात्रा के बाद एंबुलेंस से नीरज की पार्थिव देह को अलीगढ़ ले जाया गया। हालांकि रथ पर अंतिम यात्रा को लेकर थोड़ा विवाद भी हुआ। नीरज के पुत्र मिलन प्रभात और नाती ने एंबुलेंस से पार्थिव देह को अलीगढ़ ले जाने को कहा ताकि वहां राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार हो सके।

नायडू विशेष दर्जे के विषय पर पलट गये : भाजपा

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नयी दिल्ली, 21 जुलाई, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने आज आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री और तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) के प्रमुख चंद्रबाबू नायडू पर विशेष दर्जे के मुद्दे पर पलटने और अपने राजनीतिक उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए लोगों को गुमराह करने का आरोप लगाया। नरेंद्र मोदी सरकार के विरुद्ध तेदेपा द्वारा लाये गये अविश्वास प्रस्ताव के कल संसद में गिर जाने के बाद आज भाजपा प्रवक्ता जी वी एल नरसिम्हा राव ने कहा कि नायडू ने तेलुगु लोगों के बीच एकता एवं भाईचारे को बड़ा नुकसान पहुंचाया है जो कल अविश्वास प्रस्ताव पर बहस के दौरान आंध्रप्रदेश और तेलंगाना के सांसदों की दलीलों से जाहिर होता है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अविश्वास प्रस्ताव पर बहस के दौरान अपने भाषण में विशेष दर्जे के मुद्दे पर नायडू के रुख में बदलाव का उल्लेख किया। राव ने पत्रकारों से कहा,‘‘आप एक रुख अपनाते हैं और उसे बेझिझक उसे बदल देते हैं। यदि आप पलटने वाले मुख्यमंत्री नहीं कहलाना चाहते हैं तो क्या आप ढुल-मुल मुख्यमंत्री कहलाना चाहेंगे।’’  उन्होंने कहा कि नायडू ने विशेष दर्जे के स्थान पर विशेष सहायता पैकेज की घोषणा पर प्रधानमंत्री और अन्य नेताओं को धन्यवाद देते हुए आंध्रप्रदेश विधानपरिषद से पारित कराया था।  उन्होंने कहा कि नायडू ने पत्र में कहा था कि उनके राज्य को विशेष सहायता पैकेज के तहत पांच साल की अवधि के दौरान 16,447 करोड़ रुपये मिलेंगे लेकिन अब आप पलट गये हैं और शायद ऐसा आपने राज्य में राजनीतिक विरोधियों से लड़ने के लिए किया हो। तेदेपा इस साल भाजपा नीत राजग सरकार से अलग हो गयी थी। राव ने कल अविश्वास प्रस्ताव पर बहस के दौरान मोदी के भाषण के दौरान तेदेपा सांसदों के आचरण की निंदा की।
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