Quantcast
Channel: Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)
Viewing all 73727 articles
Browse latest View live

असम में सिर्फ भारतीय को ही वोट देने का अधिकार : रावत

0
0
only-indian-will-vote-in-assam-rawat
नई दिल्ली, 10 अगस्त, असम में राष्ट्रीय नागरिक पंजिका (एनआरसी) का दूसरा मसौदा जारी हो गया और जैसा कि अनुमान लगाया जा रहा था, इसमें 40 लाख लोगों के नाम नहीं हैं। इस मसले पर मुख्य चुनाव आयुक्त ओ. पी. रावत ने कहा कि असम में सिर्फ भारतीय को ही वोट देने के अधिकार होंगे। असम के मुख्य चुनाव अधिकारी से 10 दिनों के अंदर रपट मांगी गई है। असम में एनआरसी मसौदे के मुद्दे पर मुख्य चुनाव आयुक्त रावत ने एक टीवी चैनल से बातचीत में कहा, "एनआरसी मसौदे के अनुसार 40 लाख लोग भारतीय नागरिक नहीं हैं, लेकिन इसमें बहुत लोग 18 साल से कम के भी होंगे। अंतिम तौर पर जब एनआरसी आएगा, उसमें जो भारतीय नागरिक नहीं होगा, वह कानून के मुताबिक मतदाता नहीं हो सकता। साथ ही कानून के मुताबिक जो भारतीय नागरिक होगा, वही मतदाता हो सकता है।"उन्होंने कहा, "यह एनआरसी का अभी प्रारंभिक प्रकाशन है। इसके बाद दावे और आपत्तियां होंगी। उन पर निर्णय होने के बाद, उसके आधार पर तय होगा कि कौन एनआरसी के अंदर आएगा कौन नहीं। इसके बाद भी अंतर्राष्ट्रीय न्यायाधिकरण का मसला रहता है। अगर उनका मामला न्यायाधिकरण में चल रहा है और कोई स्पष्टता नहीं आती तो भी उनकी स्थिति फ्लूईड रहेगा। अंतिम तौर पर प्रकाशित होने के बाद जो भी भारतीय नागरिक होगा, वही मतदाता होगा।"

रावत ने बताया कि उन्होंने असम से रपट मांगी है पूरे मसले पर, ताकि किसी मतदाता को तकलीफ न हो और न किसी तरह की भ्रांति पैदा हो। उन्होंने कहा, "मतदाता सूची की समीक्षा हो रही है, चार जनवरी को प्रकाशन होगा और जब तक नागरिकता का मसला पूरा होगा तब तक पर्याप्त समय है। अभी कुछ भी कहने से इसमें भ्रांति पैदा होती है और लोगों के मन में अनावश्यक रूप से तनाव पैदा होता है।"एनआरसी प्रशासन ने व्यक्तिगत निजता का हवाला देते हुए लोगों के नाम निकाले जाने की वजह नहीं बताई है। एनआरसी को लेकर राजनीतिक पार्टियों में बहस जारी है।

राज्यसभा में मोदी सरकार की हुई फजीहत

0
0
modi-government-setback-in-parliament
नई दिल्ली, 10 अगस्त, राज्यसभा में शुक्रवार को एक निजी सदस्य के प्रस्ताव पर विपक्ष की ओर से वोटिंग करवाने पर जोर देने पर नरेंद्र मोदी सरकार को फजीहत झेलनी पड़ी। निजी सदस्य के प्रस्ताव में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के लोगों के आरक्षण को किसी भी राज्य में अस्वीकार नहीं करने की बात सुनिश्चित करने के लिए संविधान के अनुच्छे 341 और 342 में संशोधन की मांग की गई थी। प्रस्ताव में कहा गया था कि इन जातियों के लोग जब रोजगार की तलाश में एक राज्य से दूसरे राज्य में जाते हैं और वहां स्थाई रूप से बस जाते हैं तो उन्हें आरक्षण के लाभ के लिए अपात्र समझा जाता है। प्रस्ताव समाजवादी पार्टी के सांसद विश्वंभर प्रसाद निषाद ने लाया था। सरकार को फजीहत झेलनी पड़ी, क्योंकि सदन में प्रस्ताव को खारिज करने के लिए सरकार को प्रस्ताव के विरोध में वोट करना पड़ा। विपक्ष ने इसपर सरकार को दलित विरोधी और मनुवादी होने का आरोप लगाया। प्रस्ताव के पक्ष में 32 वोट पड़े, जबकि विपक्ष में 66 वोट पड़े। अगर यह प्रस्ताव पारित होता तो सरकार को अगले ही सत्र में इसे कानूनी जामा पहनाने के लिए संसद में विधेयक लाना पड़ता। विपक्ष द्वारा असाधारण तरीके से मत विभाजन पर जोर डालने पर उपसभापति हरिवंश ने प्रस्ताव पर मतविभाजन का आदेश दिया, हालांकि वरिष्ठ मंत्री ने इस प्रस्ताव का विरोध किया। कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सदन में एक नया दृष्टांत पेश किया जा रहा है। सांसद आमतौर पर निजी सदस्यों के प्रस्तावों पर चर्चा करने और सरकार की ओर से आश्वासन मिलने पर उन्हें वापस ले लेते हैं। हालांकि शुक्रवार को केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत ने बहस के दौरान जवाब देते हुए कहा कि मोदी सरकार दलित और अनुसूचित जनजाति के कल्याण को लेकर प्रतिबद्ध है, लेकिन वह तुरंत वैसा बदलाव नहीं ला सकती है, जिसकी प्रस्ताव में अपेक्षा की गई है। निषाद ने कहा कि वह सदन में इस मसले पर वोट करवाना चाहते हैं। सत्ता पक्ष के विरोध के बीच, पीठासीन अधिकारी ने कहा कि वोटिंग किए बगैर इसे स्थगित नहीं किया जा सकता है। विपक्षी सांसदों ने मेज थपथपा कर इसका स्वागत किया।

देशभर के 48 चित्रकारों, कलाकारों का होगा जुटान

0
0
48-artist-come-togather-in-delhi
नई दिल्ली, 10 अगस्त, चित्रकला, फोटोग्राफी, डिजिटल आर्ट, ड्रॉइंग, प्रिंट-मेकिंग, सिरामिक्स और स्कल्पचर, इन सभी विधाओं में सिद्धहस्त देशभर के 48 कलाकार 10 अगस्त से 16 अगस्त तक लगने वाली प्रदर्शनी 'ये है दिल्ली मेरी जान'में जुटने वाले हैं। कूची, कैनवस और रंग के साथ किए जाने वाले प्रयोगों और क्राफ्ट के अगर आप मुरीद हैं या फिर इसकी समझ रखते हैं, तो आपके लिए प्रदर्शनी बेहतरीन मौका है, क्योंकि एक साथ इतने कलाकारों की कृतियों को देखने का मौका बिरले ही नसीब होता है। 'ये है दिल्ली मेरी जान'प्रदर्शनी का उद्घाटन 10 अगस्त की शाम होगा। रफी मार्ग स्थित ऑल इंडिया फाइन आर्ट्स एंड क्राफ्ट सोसाइटी में लगने वाली इस प्रदर्शनी का समय सुबह 10 बजे से शाम 7 बजे तक रहेगा। यानी आप अगले 7 दिनों तक देश के युवा चित्रकारों, स्कल्पचर आर्टिस्ट, फोटोग्राफर, सिरामिक कलाकारों की कृतियों को देख सकते हैं। प्रदर्शनी में देश के अलग-अलग राज्यों के 48 कला-सेवक अपनी कलाकृतियां लेकर पहुंचे हैं। इनमें आनंद कर्माकर, रमाशंकर मिश्र, अंजली कुमार, डॉ. अपर्णा लाड, भोला कुमार, दीपा सिंह, मो. मजीद मंसूर, हरलीन संधू, ज्योति सतीजा, मेरी डेजी जैकब, मृगांको मौली मुखर्जी, प्रीति अग्रवाल, प्रियेश दत्त मालवीय, रेखा कुमारी, संजय सरकार, शैली लाल, शंकर तायडे, शंकरी कुंडू, सौमेन बसुए वत्स्ला खेरा, विशाल गोस्वामी, अंजना पेठिया, डॉ. अर्चना सिंह, नैमिष सागठिया, पूनम नाग चतुर्वेदी आदि शामिल हैं।

द्रमुक ने करुणानिधि के लिए भारत रत्न मांगा

0
0
dmk-demand-bharat-ratna-for-karunanidhi
नई दिल्ली, 10 अगस्त, द्रविड़ मुनेत्र कड़गम(द्रमुक) ने शुक्रवार को पार्टी के पितामह एम. करुणानिधि के लिए देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, भारत रत्न की मांग की है। करुणानिधि का चेन्नई में सात अगस्त को निधन हो गया। पार्टी ने कहा है कि यह सम्मान तमिलनाडु के दिवंगत नेता के उत्कृष्ट और अनुकरणीय काम, जिसने इतिहास में अपनी छाप छोड़ी है, को वास्तविक श्रद्धांजलि होगी। पांच दशकों तक द्रमुक की अगुवाई करने वाले करुणानिधि अपने पांच कार्यकाल के दौरान 19 वर्षो तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे। राज्यसभा में शून्य काल के दौरान मामले को उठाते हुए द्रमुक के तिरुचि शिवा ने कहा कि करुणानिधि 'देश के बड़े नेता और द्रविड़ योद्धा थे।'उन्होंने कहा, "वह 100 साल से केवल पांच वर्ष कम जीए, जिसमें से उन्होंने 80 वर्ष सार्वजनिक जीवन को दिए। वंचितों के कल्याण के लिए काम किया, पिछड़े और वंचित लोगों के लिए काम किया।"शिवा ने कहा, "वह बेहतरीन वक्ता, एक ऊर्जावान लेखक, एक दार्शनिक, मानवतावादी और नाटककार थे। वह एक अभिनेता भी थे और उन्होंने लगभग 80 फिल्मों के लिए पटकथा भी लिखी।"उन्होंने कहा कि करुणानिधि 'बेजोड़'थे और उन्होंने जीवन के हर क्षेत्र में अपनी छाप छोड़ी। द्रमुक सांसद ने कहा, "उनके जीवन को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। वह एक निष्ठावान और बिना थके काम करने वाले योद्धा थे। वह सामाजिक न्याय, धर्मनिरपेक्षता, राज्य स्वायत्तता और आत्मसम्मान के लिए अपनी अंतिम सांस तक लड़ते रहे।"उन्होंने कहा, "मैं सरकार से आग्रह करूंगा कि उन्हें मरणोपरांत भारत रत्न दिया जाए, जोकि उनके उत्कृष्ट और अनुकरणीय काम, जिसने इतिहास में अपनी छाप छोड़ी है, को वास्तविक श्रद्धांजलि होगी।"

व्यापम घोटाल के व्हिसिलब्लोअर को 15 दिन की जेल

0
0
vyapam-whistleblower-arrested-in-mp
ग्वालियर, 10 अगस्त, मध्य प्रदेश के बहुचर्चित व्यावसायिक परीक्षा मडल (व्यापम) घोटाले के व्हिसिलब्लोअर आशीष चतुर्वेदी को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की ग्वालियर इकाई के न्यायाधीश अभय कांत पांडे की अदालत ने 15 दिनों के लिए जेल भेज दिया है। अदालत ने यह सजा चतुर्वेदी द्वारा जुर्माने की राशि 200 रुपये जमा न करने पर सुनाई। बताया गया है कि आशीष चतुर्वेदी ने गुरुवार को व्यापम के सरगना राहुल यादव के मामले में गवाही देने से इनकार कर दिया था, जिस पर न्यायालय ने आशीष पर जुर्माना लगा दिया। सीबीआई के अधिवक्ता गिरीश शर्मा ने बताया कि राहुल यादव मामले में आशीष चतुर्वेदी और जांच अधिकारी के बयान सीबीआई अदालत में दर्ज होने थे, लेकिन आशीष ने अदालत में बयान देने से इनकार कर दिया। इस मामले में उसके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट पहले ही जारी हो चुका था। आशीष का कहना था कि इस मामले में बाकी लोगों का ट्रायल चल रहा है, लेकिन कुछ रसूखदार लोगों को जांच के नाम पर चार साल से राहत दी जा रही है। सीबीआई के अधिवक्ता शर्मा के अनुसार, अदालत ने आशीष को गवाही देने के लिए कई बार बुलावा भेजा, मगर वह नहीं आया। गुरुवार को जब उसने गवाही से इनकार किया तो अदालत ने उस पर जुर्माना लगाया। आशीष फिर भी अपनी जिद पर अड़ा रहा और जुर्माने की रकम 200 रुपये देने से इनकार कर दिया। अदालत ने आशीष को जेल भेज दिया है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 20 अगस्त को होनी है।

तिब्बती चीन का हिस्सा बनने को तैयार : दलाई लामा

0
0
tibet-ready-to-be-part-of-china-dalai-lama
बेंगलुरू, 10 अगस्त, तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा ने शुक्रवार को कहा कि अगर तिब्बतियों की संस्कृति को सुरक्षित रखने की पूरी गारंटी दी जाती है तो तिब्बती चीन का हिस्सा बनने के लिए तैयार हैं। आध्यात्मिक नेता दलाई लामा ने यहां आयोजित 'धन्यवाद कर्नाटक'कार्यक्रम में कहा, "तिब्बती अपनी स्वतंत्रता नहीं मांग रहे हैं। हम चीनी जनवादी गणराज्य के साथ बने रहने के लिए तैयार हैं, लेकिन हमें अपनी संस्कृति को सुरक्षित रखने लिए पूरा अधिकार दिया जाए।"इस कार्यक्रम का आयोजन केंद्रीय तिब्बती प्रशासन (सीटीए) ने किया। यह कार्यक्रम 'धन्यवाद भारत-2018'का एक हिस्सा है, जिसका आयोजन भारत में रह रहे तिब्बती समुदाय ने देश में अपने 60 वर्षो के निर्वासन को चिन्हित करने के लिए किया है। नोबेल पुरस्कार विजेता ने कहा, "बौद्ध धर्म का पालन करने वाले कई चीनी नागरिक तिब्बती बौद्ध धर्म को लेकर उत्सुक है, क्योंकि इसे वैज्ञानिक पद्धति माना जाता है।"पूर्वोत्तर तिब्बत के तक्तसेर गांव में पैदा हुए दलाई लामा को दो साल की उम्र में ही धर्मगुरु की मान्यता दी गई। माना गया कि उनका 13वें दलाई लामा थुबतेन ग्यातो के रूप में पुनर्जन्म हुआ है। वह वर्ष 1959 में चीनी शासन के खिलाफ असफल विद्रोह के बाद भारत चले आए। चीन ने वर्ष 1950 में तिब्बत पर कब्जा कर लिया और हजारों तिब्बतियों को अपना पहाड़ी देश छोड़कर भारत के हिमाचल प्रदेश में शरणार्थी के रूप में बसने को मजबूर होना पड़ा।

झारखंड उच्च न्यायालय ने लालू की अस्थायी जमानत 20 अगस्त तक बढ़ाई

0
0
jharkhand-high-court-extend-lalu-bail
रांची, 10 अगस्त, झारखंड उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख लालू प्रसाद यादव की अस्थायी जमानत को 20 अगस्त तक के लिए बढ़ा दिया। एक वकील के अनुसार, अस्थायी जमानत की अवधि 17 अगस्त को खत्म हो रही थी, लेकिन लालू यादव के वकीलों ने उच्च न्यायालय से इसे तीन महीने और विस्तार दिए जाने की मांग की। मामले की अलगी सुनवाई 17 अगस्त को होगी। लालू यादव को मई में इलाज के लिए छह हफ्ते की अस्थायी जमानत दी गई थी, जिसे बाद में उच्च न्यायालय ने बढ़ा दिया था। चारा घोटाले के एक मामले में दिसंबर 2017 को दोषी करार दिए जाने के बाद लालू रांची की बिरसा मुंडा सेंट्रल जेल में रखे गए थे। उन्हें जनवरी व मार्च 2018 में दो अन्य मामलों में दोषी करार दिया गया और 14 साल की जेल की सजा दी गई। वह साल 2013 में चारा घोटाला मामले में पहली बार दोषी करार दिए गए और उन्हें पांच साल की जेल की सजा सुनाई गई। करोड़ों रुपये का चारा घोटाला लालू यादव के बिहार के मुख्यमंत्री रहने के दौरान 1990 में सामने आया था। पटना उच्च न्यायालय के निर्देश पर जांच को केंद्रीय जांच ब्यूरो को सौंपा गया था।

उत्तर प्रदेश में गधी से दुष्कर्म का आरोपी पुलिस हिरासत से गायब!

0
0
female-donkey-rapist-flew
बांदा, 10 अगस्त, उत्तर प्रदेश के बांदा जिले की अलीगंज पुलिस चौकी में दो दिन से हिरासत में रहा एक दुष्कर्म का आरोपी गुरुवार रात गायब हो गया। इस शख्स पर एक गधी के साथ कथित रूप से दुष्कर्म करने का आरोप है। पुलिस अधीक्षक ने मामले में जांच के आदेश दिए हैं। सूत्रों के अनुसार, मंगलवार और बुधवार की दरम्यानी रात बिसंड़ा कस्बे के निवासी एक 45 साल के व्यक्ति को नशे की हालत में गश्त के दौरान अलीगंज चौकी की पुलिस ने सड़क किनारे एक गधी के साथ दुष्कर्म करते रंगे हाथ पकड़ लिया। पुलिस ने आरोपी को दो दिन तक अपनी हिरासत में रखा, लेकिन गुरुवार रात वह चौकी से रहस्यमय तरीके से गायब हो गया। पुलिस ने हिरासत में रखे जाने की सूचना अपने उच्चाधिकारियों नहीं दी थी, लेकिन हिरासत के दौरान कुछ मीडियाकर्मियों ने उसकी फोटो अपने कैमरे में कैद कर ली थी। आरोपी के पुलिस हिरासत से अचानक गायब हो जाने के बाद जब मीडिया से जुड़े लोगों ने जिले के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों से सवाल किया तो पुलिस अधीक्षक शालिनी ने शुक्रवार को कहा, "पुलिस हिरासत से किसी भी व्यक्ति का गायब होना गंभीर मसला है, जिसमें जांच के आदेश दे दिए गए हैं।"अपर पुलिस अधीक्षक लाल भरत कुमार पाल ने कहा, "यह घटना मीडिया के जरिए संज्ञान में आई है। सीओ सिटी से पूरी जानकारी देने को कहा गया है।"अलीगंज चौकी प्रभारी अनूप पांडेय का कहना है, "हिरासत में रखे जाने की मुझे कोई सूचना नहीं है, लेकिन उसे गुरुवार को शांति भंग के आरोप में चालान किया गया है।"

राफेल सौदे के खिलाफ सोनिया के नेतृत्व में कांग्रेस का प्रदर्शन

0
0
congress-protest-against-rafel
नई दिल्ली, 10 अगस्त, संसद के मॉनसून सत्र के अंतिम दिन संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) की अध्यक्ष व कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने शुक्रवार को विवादास्पद राफेल सौदे को लेकर मोदी सरकार के खिलाफ अपनी पार्टी के सांसदों के विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व किया। भारत ने फ्रांस के साथ राफेल लड़ाकू विमान खरीदने के लिए समझौता किया है। कांग्रेस नेताओं हाथों में तख्तियां लिए कथित घोटाले की एक संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच कराने की मांग करते हुए संसद भवन परिसर में स्थित गांधी प्रतिमा के पास जमा हुए और उन्होंने सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। कांग्रेस सांसदों की तख्तियों पर 'मोदी का भ्रष्टाचार बेनकाब', 'राफेल घोटाला : हमारी मांग जेपीसी जांच' , 'किसानों का कर्ज माफ नहीं किया - 130,000 करोड़ रुपये का राफेल घोटाला'आदि लिखा था। राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद, पूर्व रक्षामंत्री ए.के.एंटनी, अंबिका सोनी व पार्टी के वरिष्ठ सांसदों ने प्रदर्शन में भाग लिया। कांग्रेस सदस्यों ने बाद में राज्यसभा में विरोध प्रदर्शन किया, और कुछ समय के लिए सदन को बाधित किया। गुलाम नबी आजाद ने राज्यसभा में कहा, "यह दुनिया का सबसे बड़ा घोटाला है। हम राफेल सौदे की एक संयुक्त संसदीय समिति से जांच की मांग करते हैं।"संसदीय कार्य राज्य मंत्री विजय गोयल ने आरोपों को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि विपक्षी सांसदों को प्रधानमंत्री पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाने के लिए पर्याप्त साक्ष्य की जरूरत है। इससे पहले कांग्रेस सांसदों ने सरकार के सदन में बिना किसी चर्चा के तीन विधेयकों को पारित करने के कदम के विरोध में राज्यसभा के सभापति एम.वेंकैया नायडू के साथ नाश्ते पर होने वाली बैठक का बहिष्कार कर दिया।

बिहार में दर्जनों मरीजों की मौत के बाद डॉक्टरों की हड़ताल खत्म

0
0
doctor-strike-ends-in-bihar
पटना, 10 अगस्त, )| बिहार में डॉक्टरों की हड़ताल से लगभग दर्जनभर मरीजों की मौत हो गई। राज्य सरकार द्वारा डॉक्टरों की मांगों को लेकर दिए गए आश्वासन के बाद यह हड़ताल शुक्रवार को समाप्त हो गई। पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (पीएमसीएच), नालंदा मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (एनएमसीएच) और दरभंगा मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (डीएमसीएच) के जूनियर डॉक्टरों ने बिहार के मुख्य सचिव दीपक कुमार के गुरुवार रात मांगे पूरी होने के आश्वासन के बाद हड़ताल खत्म की। स्वास्थ्य सचिव संजय कुमार ने कहा, "सरकार के आश्वासन के बाद सभी हड़ताली डॉक्टर काम पर लौट आए हैं।"एनएमसीएच के जूनियर डॉक्टर मंगलवार को एक मरीज के परिवार के हमले के बाद हड़ताल पर चले गए थे। पीएमसीएच और डीएमसीएच के डॉक्टर भी गुरुवार सुबह समर्थन दिखाते हुए हड़ताल में शामिल हो गए। वे ड्यूटी के दौरान जूनियर डॉक्टरों की सुरक्षा की मांग कर रहे हैं और मरीजों के दुर्व्यवहार करने वालों परिजनों के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।

रेलवे के स्टेशन मास्टर करेंगे कल भूख हड़ताल

0
0
railway-station-master-hunger-strike-tomorow
नयी दिल्ली, 10 अगस्त, रेलवे ने आज बताया कि ऑल इंडिया स्टेशन मास्टर संगठन ने देशभर में कल 24 घंटे की भूख हड़ताल का आह्वान किया है। रेलवे ने कहा कि संगठन ने तीसरे एमएसीपीएस और तनाव एवं सुरक्षा भत्ता के प्रावधान सहित अन्य चीजों का लाभ स्टेशन मास्टरों को दिए जाने की मांग की है।  रेलवे के सुरक्षा निदेशालय ने रेलवे सुरक्षाबल (आरपीएफ) के कर्मियों को एक परामर्श जारी करते हुए कहा है कि वह स्थानीय अधिकारियों और राज्य प्रशासन के साथ मिलकर किसी भी अप्रिय स्थिति से बचने के लिए एहतियाती कदम उठाएं और ट्रेनों का सुगम परिचालन को सुनिश्चित करें। 

विशेष आलेख : जाति बंधन मे फंसी राजनीति

0
0
देश के राजनीतिक दलों ने वोट-बैंक की खातिर जनता को जातिगत आधार पर विभाजित करने का काम किया है। सन् 1947 मे मजहबी कसोटी पर भारत विभाजन के बाद महात्मा गान्धी, सरदार पटैल, जवाहरलाल नेहरू, समाजवादी बिचारक राम मनोहर लोहिया, जय प्रकाश नारायण, एकात्ममानववाद के प्रणेता दीन दयाल उपाध्याय, अटल बिहारी वाजपेई आदि नेताओं को तत्समय यह अनुमान नहीं था कि भारत के शासकीय-अशासकीय कार्यालयों मे, प्रत्येक गली मुहल्लों मे, शैक्षणिक संस्थाओं मे, राजनीतिक पटल के प्रत्येक स्तर पर, चुनाव के समय टिकिट निर्धारण से लेकर चुनाव प्रचार मे, समाज के प्रत्येक स्तर पर जातिगत भेद-भाव की कैंसर रूपी बीमारी से देश की जनता ग्रसित होने लगेगी। अनुमान यह भी नहीं था कि स्वतंत्रता के छः दशक व्यतीत होने के बाद जाति-भेद मे द्वेष एवं ईष्र्या के साथ-साथ जाति-गत वैमनस्यता का बिकराल स्वरूप प्रकट होने लगेगा। देश की भोगोलिक सीमाओं की समस्या की तरह चिन्ताजनक अब यह भी है कि आम-जनता राष्ट्रहित एवं अपने क्षेत्र के विकास की भावना से परे हो कर जातिगत आधार पर निर्णय लेने लगी है। विषय बहुत गम्भीर है और इस पर यदि ध्यान नहीं दिया गया तो देश मे जातिगत आधार पर झगड़े-फसाद होने की संभावना से भी इन्कार नही किया जा सकता, बल्कि सच तो यह है कि अनेंकों प्रान्तों मे जातिगत झगड़े होने लगे हैं। डर यह है कि आने वाले समय मे जातिगत आधार पर क्षेत्र, गांव, मोहल्लों का विभाजन होने लगेगा और गृह-युद्ध जैसी स्थिति भी पनप सकती है। इसका प्रमुख कारण एक यह है कि देश के राजनेता जातिगत कट्टरता के साथ जनता को चिन्हित करते हुये ’’फूट डालो और राज्य करो’’ की नीति पर सियासती चालें चल रहे हैं। मई 2014 मे यू.पी. ने अपराध करने की बीभत्स घटनाओं की सारी हदें पार कर दी हैं। बंदायू मे दो नावालिग लड़कियों के साथ बलात्कार और उनकी हत्या के पीछे दबंगियों की जातिगत दबंगी से इन्कार नही किया जा सकता है। प्रशासनिक स्तर पर यह एक अनकहा सत्य है कि उत्तर प्रदेश मे प्रशासन पर जातिगत भावना भारी पड़ रही है। 

जाति-भेद को कट्टरता के साथ चिन्हित करते हुए जनसामान्य का विभाजन करने का कार्य और चुनाव के समय उसका लाभ लेने का उद्देश्य विश्वनाथ प्रताप सिंह के समय से प्रारम्भ हुआ था। उन्होंने मण्डल कमीशन के नाम पर अगड़े और पिछड़ों को विभाजित किया था। यद्यपि पिछड़े वर्ग को अपग्रेड किया जाना चाहिये, लेकिन प्रश्न तो यह है, पिछड़ा कौन है ? पिछड़ेपन की परिभाषा क्या है ? पिछड़ा होने की कसौटी क्या है ? लेकिन बिडम्बना तो यह है कि आर्थिक रूप से पीड़ित होना, सामाजिक स्तर पर तिरस्कृत होना, अशिक्षित होना, आदि अयोग्यताएं पिछड़ेपन की परिभाषा मे समाहित नहीं हैं और ऐसी ही अयोग्यताओं से सामान्य जाति के भी जो लोग पीड़ित हैं, वे दुखी हो रहे हैं। देश के समक्ष समाज की एक तस्वीर यह भी है कि पिछड़ी व अनुसूचित जाति के अनेकों चिन्हित व्यक्ति आर्थिक रूप से सम्पन्न भी हैं, पढ़े-लिखे हैं, सामाजिक स्तर पर प्रतिष्ठित भी हैं और राजनीतिक स्तर पर स्थापित हैं, फिर भी उन्हें पिछड़े व दलित कहा जा रहा है। यह कसौटी भले ही लाभ प्राप्त करने के लिये स्वपेक्षी होकर सही मानी जाने लगे लेकिन प्रश्न तो यह है कि क्या यह उचित है ? जातिगत आधार पर चिन्हित ऐसे दलित एवं पिछड़ों को स्वाभिमानी होकर क्या यह आवाज उन्हें स्वयं नहीं उठाना चाहिए कि दलित एवं पिछड़े जैसे विशेषण से उन्हें सम्बोधित नहीं किया जाए ? यदि वे ऐसा करेंगे तो उनके स्थान पर अंतिम पंक्ति मे बैठे जरूरतमन्द को ही लाभ मिलेगा। ऐसे पिछड़े व दलित भी तो अपने भाईयों के लिये कुछ त्याग करें। आरक्षंण का यही उद्देश्य है। परन्तु हो यह रहा है, सड़क किनारे फुटपाथ पर बैठे उस दलित व पिछड़े को, जो आर्थिक, सामाजिक रूप से तिरस्कृत है, उसे कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है और उसके लिए जाति के आधार पर लाभ समेटने वाले भी कोई प्रयास नही कर रहे हैं। वस्तुतः हो यह भी रहा है कि जातिगत संगठन के तथाकथित नेता अपने दबाव और प्रभाव के परिणाम स्वरूप निजी स्वार्थपूर्ति मे मग्न हैं।
देश मे जाति के आधार पर वोट बटोरने का कार्य बड़ी कट्टरता तथा बिना किसी हया और शर्म के साथ मायावती, मुलायम सिंह यादव, लालू यादव आदि अनेकों राजलेताओं ने एक मुहिम चलाते हुये प्रारम्भ किया है। जब से राजनीति मे इन धारणांओं का उद्भव हुआ है, तभी से अपनी-अपनी राजनीतिक चालों को चलते हुये जाति विशेष तक सीमित होकर रह गये हैं। ऐसे राजनेता, जो जातिभेद का विभाजन और उससे लाभ लेने और देने का व्यवसाय सियासत के गलियारों मे करने लगे हैं, उससे ऐसा प्रकट हो रहा है कि इन्होंने ऐसी नीति बना ली हो कि, ‘‘जाति-लाभ की लूट है लूट सके तो लूट, अंत काल पछतायेंगे जब चुनाव जायेंगे छूट।’’ परन्तु इन्हें यह ध्यान नहीं है कि इतने विशाल देश मे किसी एक जाति के वोट बैंक के आधार पर सर्व मान्य राजनेता की स्थापना कभी नहीं हो सकती है। इन्हें सबको साथ लेकर चलने की नीति बनाना होगी तभी देश मे समरसता व एकता रह पायेगी। राजनीतिक स्वार्थ को देखते हुये यह बात मायावती को कुछ-कुछ समझ मे भी आई थी कि ‘‘तिलक तराजू और तलवार...........’’ का नारा अब नहीं चलने वाला है तथा कांशीराम और मायावती के जातिगत विष-वमन के भाषणों को जनता स्वीकार नहीं करने वाली थी। तभी तो उन्होंने उ.प्र. मे सतीश चन्द्र मिश्रा को आगे करके ब्राह्मण सम्मेलन मे ब्राह्मणों का टींका-माहुर करने का आयोजन कराया था। परन्तु एक बार सफलता प्राप्त कर सत्ता मे आने के पश्चात मायावती भी अपने राजनीतिक लाभ तक सीमित रहीं और कट्टरता के साथ जातिभेद पनपातीं रहीं, परिणामतः उस टींकाकरण के बाद वह सफल नहीं हो सकीे। कारण यही है कि उनके उद्देश्य मे सामाजिक समरसता की भावना नहीं थी। बल्कि जाति-भेद के आधार पर राजनीतिक स्वार्थ से पे्ररित रही है। परन्तु भारत का आम नागरिक जातिगत बन्धन के भ्रमजाल से मुक्त होकर भारत के विकास और सुशासन की ओर उन्मुख होते हुये भृष्टाचार और मंहगाई से निजात पाना चाहता है। 

जाति के आधार पर राजनीतिक लाभ लेने की होड़ हैं, इस दौड़ मे राष्ट्रीय स्तर के प्रमुख दल के नेता भी पीछे नहीं हैं। गत 02 मई 2014 को म.प्र. के एक मन्त्री सामूहिक विवाह सम्मेलन के अवसर पर कैलारस के बैहरारा स्थान पर पहुंचे, उन्होंने सम्वोधित किया था कि ‘‘प्रदेश मे यादवों की संख्या 80 लाख है, तो विधायक सिर्फ 7-8 ही क्यों बनते हैं, जिसकी जितनी संख्या उसके हिसाब से एम.एल.ए. होना चाहिये, यादव समाज का मुख्यमन्त्री क्यों नहीं हो सकता ?’’ ऐसा वक्तव्य पढ़कर मुझे प्रथम बार पता चला कि मन्त्री जी ‘‘यादव’’ हैं। मैं तो उन्हें सिर्फ एक सफल इन्सान और राजनेता ही समझता था। उन्होंने भी अपने आप को जातिगत चिन्हित करते हुये मुख्यमन्त्री नहीं बन पाने की पीढ़ा जाहिर कर दी। अप्रत्यक्ष रूप से उन्होंने यह भी कह दिया कि यादव एम.एल.ए. अधिक से अधिक होते तो जाति के आधार पर मुलायम सिंह की तरह वह भी मुख्य मन्त्री बनने का दावा ठोकते। ऐसे राजनेता संभवतः यह बिचार नहीं करते कि जातिगत अलंकार से विभूषित होने पर उनका कार्य-क्षेत्र संकुचित होता है या विस्तृत ? इन्हें यह भी नहीं पता कि जातिगत भावना का प्रसार करने पर उसकी सापेक्षता मे जितना लाभ नहीं होता, उतना संकुचित दायरे मे रहते हुये नुकसान अवश्य हो सकता है। मध्य प्रदेश मे एक राजनेता मेरे अच्छे परिचित हैं, उन्हें मेरे लेख और पत्र बहुत पसन्द आते हैं, वह अपनी ही जाति के प्रदेश-अध्यक्ष हैं, उनका एक कार्यक्रम अखबार मे इस प्रकार प्रकाशित हुआ कि (’फंला’ जाति) के प्रदेश अध्यक्ष पधार रहे हैं। यह समाचार भी उन्हीं की जाति के जिला अध्यक्ष द्वारा प्रसारित कराया गया और यह जानकर मुझमे प्रतिक्रिया हुई कि इनकी पहचान इनके कार्य और पद से नहीं है बल्कि जातिगत है, मुझे अनुभव हुआ कि मै परिचित होते हुये भी दूर हो गया हूं और वे लोग जो उनसे अपरिचित हैं और राजनीतिक क्षेत्र मे भिन्न बिचारधारा के हैं, लेकिन स्वजातीय हैं, वे निकट हो गये हैं। न्यूटन ने एक सिद्धान्त स्थापित किया था ‘‘प्रत्येक क्रिया की बिपरीत और बराबर प्रतिक्रिया होती है।’’ शायद इन्हें नहीं पता कि समाज मे जातिगत रहने पर इन्हें कितना संकुचित माना जाने लगता है। कुछ वर्ष पूर्व ग्वालियर-चम्बल संभाग मे एक जाति-विशेष के समाज का सम्मेलन सम्पन्न हुआ था, उसमे समस्त राजनीतिक दलों के राष्ट्रीय स्तर से लेकर जिला व तहसील स्तर के राजनेताओं ने भाग लिया था। अन्य स्थानीय नेताओं को उसमे इस कारण से शामिल नही किया गया था क्यों कि वे उस जाति-विशेष के नही थे। सम्मेलन मे एक साझा मंच पर इकट्ठे बिभिन्न राजनीतिक दलों एवं भिन्न बिचारधारा के उन नेताओं के सम्बोधनों मे यह भी उभरकर आया था कि वे, चाहे किसी भी दलं मे कार्य कर रहें हों लेकिन अपनी जाति को वे हमेंशा सहयोग करेंगे और तत्समय चर्चा यह भी थी कि इस संदर्भ मे शपथ भी ली गई थी। यहां प्रश्न यह है कि ऐसे सम्मेलनों के आयोजन मे विभिन्न राजनीतिक दलों के आपस मे बिरोधी विचारधारा के राजनेता एक मंच पर क्या अपनी ही पार्टी के साथ बेईमानी नहीं कर रहे हैं ? हमे वह समय भी याद है जब तत्कालीन प्रधानमन्त्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल मे कानपुर से ब्राह्मण समाज के प्रतिनिधि पंडितों ने अटल जी से निवेदन किया था कि कानपुर मे ब्राह्मण सम्मेलन का आयोजन करते हुये वे अटल जी का अभिनन्दन करना चाहते है,ं तो इस पर अटल जी ने साफ इन्कार करते हुये उन्हें जवाब दिया था कि वह अपनी जाति मे संकुचित होकर नहीं रहना चाहते, वह एक हिन्दू हैं और जाति-भेद की भावना से परे हैं। अटल जी जैसे अनेकों विचारक इस देश मे हैं और विषय पर सुसंगत रहते हुये ग्वालियर संभाग के आर.एस.एस. के तत्कालीन संघ चालक श्री रामरतन तिवारी को भी ब्राह्मण समाज के सम्मेलन मे अभिनन्दन हेतु आहूत किया गया था, तो उन्होंने भी जाति-भेद से ऊपर उठकर कार्य करने की प्रेरणा देते हुये आदर के साथ अस्वीकार कर दिया था। 
भारत की स्वतंत्रता के पश्चात देश के समस्त राजनेता अंग्रेजों के सिद्धान्त ‘‘डिवाईड एण्ड रूल’’ की नीति पर कार्य कर रहे हैं। इसी कारण बड़ी कट्टरता के साथ हिन्दू और मुस्लिम मे बटवारा, हिन्दू की जातियों मे बटवारा कराने का कार्य कर रहे हैं। मुसलमान की हालत तो ऐसी कर दी है कि कांग्रेस, मुलायम सिंह, मायावती, लालू यादव, ममता बेनर्जी आदि विभिन्न प्रकार के नकारात्मक वक्तव्यों को प्रसारित करते हुये, उन्हें हिन्दू से डराते हुये वोट बटोरने का कार्य करते रहे हैं। मुस्लिम वर्ग भी बिचलित हो जाता है कि ‘मैं इधर जाऊं या उधर जाऊं या मोदी जी से डर जाऊं।’ अब यही नीति अनुसूचित जाति व पिछड़े वर्ग के साथ अपनाई जा रही है। अर्थात हिन्दू की एकता और समरसता मे जहर घोलने का कार्य किया जा रहा है। देश के समक्ष जाति-भेद एक गम्भीर समस्या है। सन् 1947 की स्वतंत्रता के पूर्व जातिगत ईष्र्या एवं द्वेष की राजनीति नहीं थी और राजनीति मे जाति-भेद भी नहीं था। देश की इस बर्तमान दुर्दशा के लिये राजनीतिक दल अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकते हैं। अब यह अनुभव किया जा रहा है कि जाति-भेद की भावना मे दूसरी भिन्न जाति के प्रति वैमनस्यता, ईष्र्या, दुर्भावना रूपी बीमारी फैल रही है। जातिगत सम्मेलनों मे अपने स्वयं के सजातीय उत्थान और विकास पर चर्चायें कम होती हैं और दूसरी भिन्न जाति के प्रति विष-वमन अधिक होता दिख रहा है। सिर्फ अपनी ही जाति को फायदा पहुुंचाने की नीति मे अप्रत्यक्ष रूप से दूसरी जाति को नुकसान पहुंचाने का भाव भी समाहित है। इसका सर्वाधिक लाभ राजनीतिक दल उठा रहे हैं और जाति-भेद को समाप्त करने हेतु सामाजिक व स्वयंसेवी संस्थायें निष्क्रिय हो चुकी हैं। जो जातिगत सम्मेलनों मे भाग लेकर जातिगत भावना पर कार्य करने को उकसाते हैं, राजनीतिक दलों के आला-कमान अपने ऐसे नेताओं के बिरूद्ध क्यों कोई कार्यवाही नहीं करते हैं ? अथवा यह कहना भी संभवतः गलत नही होगा कि उनके आला-कमान की भी मौन स्वीकृति रहती है। इस दिशा मे सख्ती के साथ यदि अंकुश लगाना है तो शासकीय स्तर पर, कानून के स्तर पर, सामाजिक स्तर पर कुछ ठोस एवं कठोर कदम उठाना होंगे। 

देश की आम जनता की यह अपेक्षा है कि भारत के प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र भाई मोदी न केवल जातिगत राजनीति के बिरोधी हैं, बल्कि भारत की आम जनता मे जाति-भेद के वर्गीकरण को पनपने नहीं देंगे। देश के समक्ष इस गम्भीर समस्या के निदान के लिये श्री नरेन्द्र भाई मोदी को देश-हित मे तथा देश की एकता एवं अखण्ड़ता को स्थापित करने के लिये कुछ कठोर निर्णय लेने होंगे। मेरा सुझाव है कि प्रथमतः यह कार्य करना होगा कि जितने भी जातिगत संगठन इस देश मे संचालित हैं अथवा पंजीकृत हैं, उन पर प्रतिबन्ध लगाना होगा। जातिगत संगठनों का पंजीकरण पूर्णतः बन्द करना होगा। प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप मे आयोजित जातिगत सम्मेलन इस सीमा तक प्रतिबंधित करना होंगे कि जो भी जातिगत सम्मेलन का आयोजन करेगा अथवा ऐसे आयोजनों मे जो भी शामिल होगा, उसे अपराध की श्रेणी माना जावे और इस हेतु दण्ड विधान मे संशोधन करना होंगे। सख्ती के साथ नियम बनाना होगा कि केन्द्र अथवा राज्य सरकार का कोई भी मन्त्री अथवा शासकीय अधिकारी अथवा शासकीय सेवक अपनी अथवा किसी भी जातिगत संगठन का पदाधिकारी एवं सदस्य नहीं होगा और न ही ऐसे जातिगत कार्यक्रमों मे भाग लेगा। राजनीतिक दलों के सन्दर्भ मे भी नियम बनाना होंगे कि जातिगत समीकरण के आधार पर इनके कार्य एवं उद्बोधन होने पर इनकी मान्यताएं समाप्त करना होंगी।  किसी भी प्रकार के ऐसे जातिगत कार्य, जिनमे किसी अन्य दूसरी जाति के प्रति द्वेषात्मक उद्बोधन हों अथवा राजनेताओं के जातिगत वक्तव्य, पूर्णतः प्रतिबंधित करना चाहिये। इस कार्य मे उच्च-जाति, निम्न-जाति, अगड़े, पिछड़े के भेदभाव से परे हो कर कार्य करना होगा।





liveaaryaavart dot com

---राजेन्द्र तिवारी---
छोटा बाजार दतिया
फोन- 07522-238333, 9425116738
ईमेल : rajendra.rt.tiwari@gmail.com 
नोट:- लेखक पूर्व शासकीय एवं वरिष्ठ अभिभाषक, राजनीतिक, सामाजिक, प्रशासनिक आध्यात्मिक विषयों 
के समालोचक हैं।

आलेख : निजता के किले का ध्वस्त होना

0
0
privacy-and-people
व्यक्तिगत स्वतंत्रता संविधान द्वारा नागरिकों को प्रदत्त सबसे अनमोल और महत्वपूर्ण अधिकार है। निजता वह अधिकार है जो किसी व्यक्ति की स्वायतता और गरिमा की रक्षा के लिये जरूरी है। वास्तव में यह कई अन्य महत्त्वपूर्ण अधिकारों की आधारशिला है। लेकिन इनदिनों व्यक्तिगत स्वतंत्रता के हनन की घटनाओं से आम आदमी डरा हुआ है। बात चाहे आधार की हो या स्मार्टफोन की या फिर फेसबुक की। एंड्राॅयड फोनों में सेंध लगाने के मामलों ने बहुत डरा दिया है। मूल प्रश्न है कि अपने मोबाइल को कैसे सुरक्षित बनाएं एवं आधार में दर्ज व्यक्तिगत सूचनाओं का दुरुपयोग नहीं होगा, इसकी क्या गारंटी है? इस तरह की आक्रामक दखलंदाजी की वजह से निजी जीवन की पवित्रता एवं निजता को बहुत नुकसान पहुंच सकता है। अंग्रेजी की एक पुरानी कहावत के अनुसार- घर एक किला हुआ करता था। आज के इन प्रयासों ने इसे ध्वस्त कर दिया है। सबसे बड़ा खतरा तो यह खड़ा हो गया है कि फोन आपके हाथ में है और कोई भी उस तक पहुंच बनाकर इस्तेमाल कर ले, जिसका आपको पता नहीं चलेगा। देश में लंबे समय से डाटा सुरक्षा को लेकर बहस चल रही, खासकर मोबाइल एवं आधार की सुरक्षा को लेकर। कुछ महीने पहले फेसबुक के करोड़ों ग्राहकों के डाटा लीक हो गए थे। हाल में ट्राई के अध्यक्ष ने अपना आधार नंबर सार्वजनिक कर उसकी सुरक्षा को चुनौती दी थी और हैक करने वाले ने उनके बैंक खाते तक पहुंच बनाकर दिखा दी थी। तो फिर कैसे माना जाए कि हमारे आधार के डाटा या मोबाइल पूरी तरह सुरक्षित है। हमारे स्मार्टफोन, आधार एवं फेसबुक पर हमसे जुड़ी व्यक्तिगत जानकारियां और आंकड़े यानी डाटा लगता है अब वाकई सुरक्षित नहीं रह गए हैं। इसकी पोल हाल ही एक बार फिर उस वक्त खुल गई जब एंड्राॅयड फोन इस्तेमाल करने वालों को नई समस्या का सामना करना पड़ा। कई लोगों के मोबाइल फोन में आधार कार्ड बनाने वाले प्राधिकरण-यूआईडीएआई का हेल्पलाइन नंबर अपने आप सेव हो गया। इससे लोगों में सनसनी फैल गई। सवाल था कि जब फोन में कोई नंबर सेव नहीं कर रहा, तो वह अपने आप संपर्क सूची में कैसे सुरक्षित हो गया। सोशल मीडिया के जरिए यह खबर आग की तरह फैल गई और तमाम एजेंसियां और मोबाइल आॅपरेटर कंपनियां हरकत में आ गई। मामला तूल पकड़ते देख यूआईडीएआई को सफाई देते हुए स्पष्ट करना पड़ा कि इस तरह का कोई भी नंबर सेव करने के बारे में उसने किसी आॅपरेटर या संस्था को निर्देश नहीं दिया है। उसने साफ किया कि उसका एक ही हेल्पलाइन नंबर है, जो पिछले दो साल से काम कर रहा है। जो पुराना नंबर लोगों के मोबाइल में अपने आप सेव हुआ वह पुराना था और अब बंद हो चुका है। यह घटना निजता की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरे की आहट है।

सर्वोच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि दरअसल निजता का अधिकार हमारे लिये एक आवरण की तरह है, जो हमारे जीवन में होने वाले अनावश्यक और अनुचित हस्तक्षेप से हमें बचाता है। यह हमें अवगत कराता है कि हमारी व्यक्तिगत, सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक हैसियत क्या है और हम स्वयं को दुनिया से किस हद तक बाँटना चाहते हैं। वह निजता ही है जो हमें यह निर्णित करने का अधिकार देती है कि हमारे शरीर पर किसका अधिकार है? आधुनिक समाज में निजता का महत्त्व और भी बढ़ जाता है। फ्रांस की क्रांति के बाद समूची दुनिया से निरंकुश राजतंत्र की विदाई शुरू हो गई और समानता, मानवता और आधुनिकता के सार्वभौमिक सिद्धांतों पर आधारित लोकतंत्र ने पैर पसारना शुरू कर दिया। अगर निजता के अधिकारों के साथ समझौता होता है, तो जीने और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकारों पर संकट उत्पन्न होना स्वाभाविक ही है। दशकों से जारी बहस और एक के बाद एक मामलों की परिणति से ये तथ्य स्पष्ट हो चुके हैं। सर्वोच्च न्यायालय की संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से निजता के अधिकार को मौलिक अधिकारों का हिस्सा बता कर निजता की बहस को ऐतिहासिक मोड़ दिया है। हालांकि पहले से ही व्यक्तिगत मामलों में सरकार की दखल को निजता के हनन के रूप में देखा जाता है। भले ही सरकार इस तरह के दखल को नकार रही हो। निजता के हनन की बढ़ रही स्थितियों एवं उनको लेकर आम जनता में व्याप्त होते आक्रोश को देखते हुए सरकार भी हरकत में आयी है। यही कारण है कि देश के मोबाइल फोन यूजर्स की सिक्योरिटी को ध्यान में रखते हुए सरकार ने कड़ा कदम उठाया है। सूचना एवं प्रद्यौगिकी मंत्रालय (आईटी मिनिस्ट्री) ने स्मार्टफोन कंपनियों के लिए नोटिस जारी किया है। इस नोटिस में सरकार ने कंपनियों से पूछा है कि आखिर उनके स्मार्टफोन में यूजर्स के डेटा को लेकर क्या सुरक्षा इंतजाम हैं।

खबर है कि मोबाइल हैंडसेट से डेटा चोरी करके तीसरे देश को भेजा जा रहा है। भारत में ज्यादातर चीन की मोबाइल फोन कंपनियां हैंडसेट बेंचती हैं और इन ब्रांड के सर्वर तीसरे देश में होते हैं। ऐसे में अगर डेटा चोरी होता है तो ये यूजर्स के लिए बड़ा नुकसान साबित होगा। सभी कंपनियों को सुरक्षा उपायों की जानकारी सरकार को देनी होगी। देश की शीर्ष अदालत तक इस बारे में सवाल खड़े कर चुकी है और हर बार संबंधित प्राधिकरण ने इसे सुरक्षित ही करार दिया है। लेकिन यूआईडीएआई का हेल्पलाइन नंबर अपने आप सेव होने की घटना ने कई ऐसे सवाल खड़े कर दिए हैं, जिनका जवाब आसान नहीं है। इससे स्मार्ट डिवाइसों की सुरक्षा आशंकाओं के घेरे में आ गई है। पहला सवाल तो यही उठ रहा है कि कहीं आधार नंबर लीक हो गया और किसी के हाथ लग गया तो क्या होगा? आज पैन नंबर, मोबाइल नंबर, बैंक खाते सब आधार से जुड़ रहे हैं। यानी सारी संवेदनशील जानकारियां आधार से जुड़ी हैं। अगर फोन में नंबर अपने आप सेव हो जाता है तो समझिए कि आपके फोन में रखे फोटो, वीडियो या चैटिंग तक कोई भी पहुंच बना लेगा। एंड्रॉयड स्मार्टफोन का इस्तेमाल जितना अधिक किया जाता है उतने ही उसकी सुरक्षा पर सवाल खड़े होते रहे हैं। डिवाइस को सुरक्षित रखने का सबसे अच्छा तरीका खुद अपने गैजेट्स को लेकर अलर्ट रहना होता है। लेकिन कभी-कभी हमें पता नहीं चलता की कोई हमारी निजी जानकारी में सेंध लगाए बैठा है।

इनदिनों कुछ शरारती तत्व एवं हैंकर भी सक्रिय हंै जो इस तरह की नितांत व्यक्तिगत जानकारियों तक अपनी पहुंच बनाने एवं उनको सार्वजनिक करने की धमकी देते हुए मोटी रकम देने की शर्त रखने लगे हैं। इस तरह व्यक्तिगत सूचनाओं को सार्वजनिक करने की कुचेष्टा किसी की चरित्र हत्या के लिये काफी है तो इस समाज में कोई भी आदमी सुरक्षित नहीं है। डरे हुए लोगों को और अधिक डराकर उनके जीवन को आतंकित करने का षडयंत्र चल रहा है। इन स्थितियों पर समय रहते यदि नियंत्रित नहीं किया गया तो एक विस्फोटक एवं अराजक स्थिति बनने की संभावना है। भले ही गूगल ने किसी भी तरह के खतरे की आशंका से इनकार किया है। लेकिन सवाल घूम-फिर कर वहीं आ जाता है कि गूगल, फेसबुक आदि में हमारे निजी डाटा कितने सुरक्षित है? डेटाबेस में किसी भी प्रकार की सेंधमारी भयावह तबाही खड़ी कर सकती है। तमाम आश्वासनों के बावजूद ऐसी स्थिति में नागरिकों को किसी भी प्रकार के क्षतिपूर्ति की कोई गारंटी नहीं मिलती। सरकार निजता व गोपनीयता के अधिकारों के लिए ठोस सुरक्षा का भरोसा नहीं दिला सकी है। जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने मजबूत डेटा संरक्षण तंत्र के गठन के मुद्दे पर सरकार से कई बार सवाल किया है। आवश्यकता है कि निजता और डेटा संरक्षण के लिए स्पष्ट दृष्टिकोण के साथ सुरक्षा के मानक तय करने होंगे, जिससे करोड़ों नागरिकों की गोपनीयता और व्यक्तिगत जानकारियांे की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके। इसके लिए सरकार को अनेक स्तरों पर ठोस और त्वरित कदम उठाने की जरूरत है। देश डिजिटल अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है, ऐसे में जन निगरानी प्रौद्योगिकी पर आधारित ‘आधार’ की भूमिका निश्चित ही महत्वपूर्ण है। प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण, विभिन्न सेवाओं का प्रभावी वितरण और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने में इस तकनीक में बड़ी संभावनाएं नजर आती हैं, लेकिन निजता और राष्ट्रीय सुरक्षा के मोर्चे पर इस योजना के समक्ष अनेक अनसुलझे सवाल हैं। देश में हर साल 20-22 करोड़ हैंडसेट बिकते हैं जिसकी कीमत करीब नब्बे हजार करोड़ रुपये होती है। देश की बड़ी आबादी इन दिनों चीनी स्मार्टफोन का इस्तेमाल करती है। हाल ही में बढ़ते साइबर हमले और हैकिंग ने दुनियाभर के सामने साइबर क्राइम को एक बड़ा मुद्दा बना दिया है। ऐसे में सरकार का देशभर के यूजर्स की सिक्योरिटी लिये जागरूक होना एवं कड़े कदम उठाना काबिलेतारीफ है।





liveaaryaavart dot com(ललित गर्ग)
बी-380, निर्माण विहार, 
प्रथम माला दिल्ली-110092
मो, 9811051133

सीहोर (मध्यप्रदेश) की खबर 11 अगस्त

0
0
सहकारिता के माध्यम से आर्थिक विकास में महिलाओं की भूमिका

sehore-news-11-august
सीहोर । दिनांक 10.08.2018 को जिला सहकारी संघ मर्यादित सीहोर द्वारा प्राथमिक दुग्ध सहकारी संस्था एवं प्राथमिक कृषि साख सहकारी समिति के सहयोग से मुहाली, मुंगावली बड़ी व सेमरादांगी में महिला सहकारी संगोष्ठी का आयोजन किया गया । कार्यक्रम की मुख्य अतिथि माननीय श्रीमती उषा सक्सेना अध्यक्ष जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक मर्यादित सीहोर विशेष अतिथि श्रीमती सरोज ठाकुर पूर्व पाषर्द एवं भाजपा महिला मोर्चा महामंत्री सीहोर, श्रीमती अरूणा हर्षे सेवानिवृत्त व्याख्याता एवं श्री धरमसिंह वर्मा अध्यक्ष जिला सहकारी संघ मर्यादित सीहोर द्वारा कार्यक्रम अध्यक्षता की गई । मुख्य अतिथि द्वारा कहाकि सहकारिता एक जन आन्दोलन है अर्थात जनता का जनता के लिए जनता द्वारा चलाया गया एक आन्दोलन है, आज सम्पूर्ण देश में सहकारी संस्थाओं का जाल बिछा हुआ है। सहकारिता के माध्यम से श्वेत क्रांति ने उल्लेखनीय सफलता हासिल करने का गौरव पाया तथा ग्राम के आर्थिक विकास में चार चांद लगा दिए हैं । एसमें महिलाओं की विशेष भूमिका है। महिलाऐं पुरूषों के बराबर कार्य कर रही है, छोटी—छोटी बचत भी आर्थिक विकास में सहायक होती है । महिलाओं को हमेशा बचत करते रहना चाहिए साथ ही स्वास्थ्य पर ध्यान दें, बच्चों में अच्छे संस्कार दें और अन्त में वृक्ष लगाने पर जोर दिया । श्री धरमसिंह वर्मा द्वारा अध्यक्षता करते हुए कहाकि ग्रामों में दुग्ध सहकारी समिति के अतिरिक्त औद्योगिक, व्यवसायिक, सिलाई—कड़ाई आदि कई प्रकार की महिला समिति बनाई जा सकती हैं । सहकारिता न तो दानशील संस्था हैख् न ही मुनाफा खोर संगठन है। यह दोनों के बीच का संगठन है जिसमें सदस्यों के आर्थिक, सामाजिक हित को ध्यान में रखा गया है, यह संगठन विधि अनुरूप है । सहकारिता के माध्यम से शासन द्वारा महिलाओं के लिए भी कई योजनाऐं संचालित की जा रही है। बेटी—बचाओ, बेटी है तो कल है के बारे में उपस्थित महिलाओं को समझाया गया । श्रीमती सरोज ठाकुर विशेष अतिथि द्वारा बच्चयिों के साथ भेदभाव नहीं करने तथा बच्चों के बराबर समान अधिकार देने पर जोर दिया, श्रीमती अरूणा हर्षे विशेष अतिथि द्वारा ग्राम विकास में बालक'बालिकओं को अच्छी शिक्षा संस्कार पर जोर दिया गया । श्री तेजसिंह ठाकुर मुख्य कार्यपालन अधिकारी द्वारा सहकारिता के जन्म, सिद्धांत बताये गये तथा सहकारिता के द्वारा शिक्षा प्रशिक्षण के माध्यम से संस्थाओं को क्या लाभ है उस पर प्रकाश डाला । कार्यक्रम का शुभारम्भ अतिथियों द्वारा माँ सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्जवलित कर किया तथा अतिथियों का स्वागत मुहाली में श्री जगदीशचन्द्र चन्द्रवंशी दुग्ध संस्था सचिव, श्री कैलाशचन्द्र चन्द्रवंशी सेवा संस्था अध्यक्ष, श्री महेशचन्द्र, श्री सुरेशचन्द्र उप सरपंच, श्री लक्ष्मीनारायण चन्द्रवंशी सेवा संस्था प्रबंधक, श्रीमती मानकुवंरबाई, श्रीमती राजकुवंर बाई, श्रीमती रामप्यारीबाई, ग्राम मुंगावली बड़ी में श्री दौलतराम निगोदिया, श्री नरेश कुमार पाटीदार सचिव दुग्ध संस्था, श्रीमती उषा पाटीदार, श्री मनोहर पाटीदार, श्री भैयालाल पाटीदार,श्री सुनील कुमार विश्वकर्मा सरपंच, श्री अभिषेक निगोदिया, श्री सुभाष पाटीदार, ग्राम सेमरादांगी में श्रीमती सुन्दरबाई, श्रीमती रज्जोबाई, श्रीमती गोकलबाई, श्रीमती जमनाबाई, श्रीमती दोलतीबाई, श्री बाबूलाल पटेल, श्री रघुवर सिंह पूर्व सरपंच, श्री गिरवर सिंह जनपद सदस्य, श्री दौलतराम वर्मा, श्री कुवंरजी धनगर, श्री बादामी लाल, श्री जगदीश मेवाड़ा प्रबंधक सेवा संस्था, श्री जसवंतसिंह राणा द्वारा पुष्पगुच्छ एवं पुष्पमालाओं से किया तथा सभी जगह प्रतिभाशाली बालक—बालिकाओं को दुग्ध समिति के सहयोग से पुरूस्कार वितरण किए इस अवसर पर सभी जगह वृक्षारोपण किया गया । अन्त में आभार श्री तेजसिंह ठाकुर मुख्य कार्यपालन अधिकारी द्वारा प्रकट किया गया ।

विद्यार्थियों के हित में एनएसयूआई ने सौंपा ज्ञापन, 10 प्रतिशत सीटें बढ़ाई जाए और प्रवेश से वंचित विद्यार्थियों को मौका दिया जाए

sehore news
सीहोर। भारतीय छात्र संगठन की जिला इकाई के द्वारा विद्यार्थियों के हित में एक ज्ञापन कालेज प्राचार्य को सौंपा गया। इस संबंध में जानकारी देते हुए एनएसयूआई जिलाध्यक्ष आनंद कटारिया ने बताया कि नवीन सत्र में एडमीशन की प्रक्रिया पूर्ण होने के पश्चात भी कई विद्यार्थी प्रवेश से वंचित रहे गए है एवं पूरक परीक्ष में उत्तीर्ण विद्यार्थियों को प्रवेश का मौका नहीं मिल रहा है। जिसके कारण विद्यार्थी प्रवेश के लिए इधर-उधर भटकने को विवश है। उन्होंने बताया कि शासन के नियमानुसार महाविद्यालय स्तर पर प्राचार्य द्वारा 10 प्रतिशत सीटें बढ़ाने का प्रावधान है, इस नियम को कालेज लेवल पर रखते हुए तत्काल 10 प्रतिशत सीटें बढ़ाई जाए और प्रवेश से वंचित रह गए विद्यार्थियों को भी महाविद्यालय में प्रवेश का मौका दिया जाएगा। मांग करने वालों में एनएसयूआई जिलाध्यक्ष आनंद कटारिया, प्रदेश सचिव देवेंद्र ठाकुर, अनुराग परिहार, कमलेश यादव, दीपक सिसोदिया, मनीष मेवाड़ा, सूरज यादव, अनुभव सेन, यश यादव, मयंक जाट, अमित पटेल मोहित सिंह आदि शामिल है। 

विदिशा (मध्यप्रदेश) की खबर 11 अगस्त

0
0
राज्यमंत्री श्री सूर्यप्रकाश मीणा कार्यक्रम के मुख्य अतिथि होंगे, ध्वजारोहण कर परेड़ की सलामी लेंगे

स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त के पावन पर्व पर जिला मुख्यालय पर आयोजित होने वाले मुख्य समारोह के मुख्य अतिथि उद्यानिकी राज्यमंत्री श्री सूर्यप्रकाश मीणा होंगे। उक्त आश्य की जानकारी सामान्य प्रशासन विभाग के द्वारा जारी की गई है। 

मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना तहत आवेदन आमंत्रित

मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना के अंतर्गत जिले के तीर्थ यात्री 27 अगस्त को श्रवणबेलगोला को तथा सितम्बर माह की छह तारीख को रामेश्वरम मदुरई, 20 सितम्बर को कामाख्या देवी तीर्थ दर्शन के लिए जबकि 21 सितम्बर को शिर्डी और हरिद्वार ऋषिकेश अमृतसर के लिए तथा 27 सितम्बर को तिरूपति तीर्थ दर्शन के लिए तीर्थ यात्री स्पेशल टेªन से रवाना होंगे। प्रत्येक तीर्थ यात्रा के लिए हितग्राहियों से आवेदन प्राप्ति की तिथियां निर्धारित की गई है जिसकेे अनुसार श्रवणबेलगोला के लिए 13 अगस्त तक, रामेश्वरम् मदुरई हेतु 21 अगस्त तक, कामाख्या देवी हेतु चार सितम्बर, शिर्डी और हरिद्वार ऋषिकेश अमृतसर के लिए आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि पांच सितम्बर है। जबकि तिरूपति तीर्थ दर्शन हेतु जाने के इच्छुक हितग्राही अपने आवेदन 11 सितम्बर तक जनपद एवं निकाय कार्यालय में जमा कर सकते है।  मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना के संचालक द्वारा जिले से जाने वाले हरेक तीर्थ यात्रा के लिए लक्ष्य निर्धारित किया गया है। जिसके अनुसार श्रवणबेलगोला के लिए 170 तीर्थ यात्री 27 अगस्त को रवाना होगे और एक सितम्बर को वापिस आएंगे। रामेश्वरम् मदुरई के लिए दो सौ तीर्थ यात्री छह सितम्बर को रवाना होंगे और 12 सितम्बर को वापिस आएंगे। कामाख्या तीर्थ दर्शन के लिए 175 तीर्थ यात्री 20 सितम्बर को रवाना होगे और 25 सितम्बर को वापिस आएंगे। शिर्डी के लिए जिले के 250 तीर्थ यात्री 21 सितम्बर को रवाना होगे और 24 सितम्बर को वापिस आएंगे। हरिद्वारा ऋषिकेश अमृतसर तीर्थ दर्शन हेतु जिले के 125 तीर्थ यात्री 21 सितम्बर को रवाना होगे और 26 सितम्बर को वापिस आएंगे। तिरूपति तीर्थ दर्शन के लिए विदिशा जिले से दो सौ तीर्थ यात्री 27 सितम्बर को स्पेशल टेªन से रवाना होंगे और दर्शन उपरांत दो अक्टूबर को वापिस विदिशा आएंगे। मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना के अंतर्गत किसी भी एक यात्रा का लाभ उठा चुके वे तीर्थ यात्री पुनः आवेदन प्रस्तुत ना करें। संबंधित तीर्थ दर्शन के लिए निर्धारित लक्ष्य से अधिक आवेदन प्राप्त होते है तो तीर्थ यात्रियों का चयन कम्प्यूटर रेण्डमाइजेशन प्रणाली से किया जाएगा।

फायनल रिहर्सल 13 को

स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त के पावन पर्व पर जिला मुख्यालय पर आयोजित होने वाले मुख्य समारोह में शामिल कार्यक्रमों का जारी पूर्वाभ्यास का फायनल रिहर्सल 13 अगस्त की प्रातः नौ बजे से पुलिस परेड ग्राउण्ड पर आयोजित किया गया है। कलेक्टर श्री कौशलेन्द्र विक्रम सिंह और पुलिस अधीक्षक श्री विनीत कपूर के द्वारा संयुक्त रूप से फायनल रिहर्सल का जायजा लिया जाएगा।

सफलता की कहानी : संकट में सहारा बनी योजना

vidisha news
मुख्यमंत्री जनकल्याण संबल योजना पीड़ितांे के संकटो में सहारा बनकर उन्हें आर्थिक मदद कर रही है। विदिशा जिले के ग्राम खेजडाताल के योजना तहत पंजीकृत हितग्राही विक्रम ंिसंह की आकस्मिक मृत्यु हो जाने पर उद्यानिकी राज्यमंत्री श्री सूर्यप्रकाश मीणा ने अपने हाथो से हितग्राही अंजू बाई आदिवासी को दो लाख रूपए की सहायता राशि का चेक प्रदाय किया।  हितग्राही श्रीमती अंजू बाई आदिवासी का कहना है कि संकट में सहारा बनकर मुख्यमंत्री जी ने जो राशि दी है उसका मैं बच्चों के पालन पोषण पर खर्च कर उनके पिता की महत्वकांक्षा के अनुरूप शिक्षा दिलाने का कार्य करूंगी। ज्ञातव्य हो कि नटेरन तहसील के ग्राम खेजडाताल के विक्रम आदिवासी की विगत दिनों आकस्मिक रूप से मृत्यु हो जाने पर अपने पीछे दो वर्ष की कुमारी साक्षी और डेढ माह की मास्टर रक्षा का पालन पोषण दादा श्री खूब सिंह की देखरेख में किया जा रहा है। अंजू स्वंय पांचवी पास है और अपने दोनो बेटियांे को पढा लिखाकर अधिकारी बनाना चाह रही हूं। 

गत दिवस चार तहसीलों में वर्षा दर्ज 

जिले की तहसीलों में स्थापित वर्षामापी यंत्रों पर शनिवार को दर्ज की गई वर्षा की जानकारी देते हुए अधीक्षक भू-अभिलेख श्रीमती सविता पटेल ने बताया कि 11 अगस्त को जिले में 13.2 मिमी औसत वर्षा दर्ज की गई है। जबकि जिले में अब तक 537.3 मिमी औसत वर्षा हो चुकी है। वही इस अवधि में पिछले वर्ष 543.5 मिमी औसत वर्षा हुई थी। जिले की सामान्य वर्षा 1075 मिमी है।शनिवार को तहसीलवार दर्ज की गई वर्षा तदानुसार बासौदा में सात मिमी, कुरवाई में 51.2 मिमी, सिरोंज में दो मिमी एवं लटेरी मंे 45 मिमी वर्षा दर्ज की गई है। बाकी अन्य तहसीलों में वर्षा नगण्य रही।

प्रकृति से सम्बंध और आत्मज्ञान से रुबरु हुये 21 देशों से आये युवा

0
0
  • पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने युवा छात्रों को दिया प्रकृति से जुड़ने का संदेश, नदियां मानव सभ्यता की लाईफ लाईन, आत्मविश्वास के साथ अपने नेचुरल टैलेंट की ओर बढ़े - पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वतीजी
swami-chidanand-sarswati-speech
ऋषिकेश, 11 अगस्त। परमार्थ निकेतन में आयोजित जीवन सम्मेलन के दुसरे दिन विश्व के 21 से अधिक देशों से आये युवा प्रतिनिधियों को स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने सम्बोधित किया। उन्होने युवा शक्ति का महत्व बताते हुये युवाओं को वैश्विक विकास का सुत्रधार बताया। टी गेल्फ, ग्लोबल इण्टरफेथ वाॅश एलायंस और परमार्थ निकेतन के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित जीवन सम्मेलन में आये युवाओं ने परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज के पावन सान्निध्य में महर्षि आश्रम चैरासी कुटिया का भ्रमण किया। जीवा की अन्र्राष्ट्रीय महासचिव साध्वी भगवती सरस्वती जी ने चैरासी कुटिया के दिव्य प्रांगण में सभी को ध्यान की विभिन्न विधाओं की जानकारी दि। सभी ने ओमकार की ध्वनी के साथ इस पवित्र क्षेत्र में ध्यान किया। आज के शौक्षणिक सत्र में युवाओं को टी गेल्फ संस्था के संस्थापक शिव खेमका एवं उर्वशी खेमका, डीआरडीओ के वैज्ञानिक तथा जीवा के विशेषज्ञों ने जल संरक्षण, जैव विविधता, नदियों की संस्कृति, पर्यावरण संरक्षण आदि की जानकारी प्रदान की।  कम खर्च में वॉटर रिचार्ज करने, नदियों को शुद्ध करने के विभिन्न तरीके तथा चन्दे्रश्वर नाले को स्वच्छ करने हेतु लगाये गये प्रोजेक्ट कि विषय में जानकारी दी। 
      
पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि युवा शक्ति अपने नैचुरल टैलंेट को पहचाने और आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़े। उन्होने कहा कि ईश्वर ने आपको जीवन रूपी सुन्दर कैनवास प्रदान किया है आप उस कैनवास को शान्ति, सेवा, मानवता, संस्कृति और श्रेष्ठ संस्कारों के सुन्दर रंग से रंगे तो जीवन एक खुबसुरत कलाकृति बन जायेंगा। स्वामी जी ने कहा कि पहले खुद को जाने, ध्यान के माध्यम से अपनी एकाग्रता को बढायें, अपनी क्षमताओं पर भरोसा रखे, अपने आत्मविश्वास के स्तर को ऊंचा रखे और पूरे विश्वास के साथ अपने सपनों की मंजिल को हासिल करने के लिये अग्रसर होते रहे।  स्वामी जी महाराज ने युवाओं से आह्वान किया कि वे प्लास्टिक की वस्तुओं का कम से कम प्रयोग करे अपने देश और आस-पास की नदियों, जलस्रोत्रों को स्वच्छ, निर्मल और अविरल बनाने में योगदान प्रदान करे, पर्व और त्योहारों को वृक्षारोपण अवश्य करे तथा प्रकृति सेवा को अपना प्रथम कर्तव्य समझे।  साध्वी भगवती सरस्वती जी ने युवाओं को सम्बोधित करते हुये कहा कि अपने भविष्य को सुखद और सुरक्षित बनाने के लिये प्रकृति से जुडना सबसे बेहतर माध्यम है। उन्होने कहा कि प्रकृति हमारी सच्ची शुभचितंक है अब हमें भी प्रकृति का शुभचिंतक बनना होगा। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने टी गेल्फ संस्था के संस्थापक शिव खेमका एवं उर्वशी खेमका को शिवत्व का प्रतीक रूद्राक्ष का पौधा भेंट किया तथा सभी विशिष्ट अतिथियों का रूद्राक्ष की माला पहनाकर अभिनन्दन किया।

विश्व के 21 देशों से आये युवा प्रतिनिधियों ने कहा कि परमार्थ निकेतन मंे हमें ज्ञान, अध्यात्म, योग, ध्यान के साथ पर्यावरण संरक्षण की विज्ञान परक जानकारी प्राप्त हो रही ही। हमें यहां पर स्वामी जी एवं साध्वी जी के सत्संग के माध्यम से भारतीय संस्कृति और दर्शन की जानकारी प्राप्त हो रही है। उन्होने आयोजक शिव खेमका जी ने निवेदन किया की प्रतिवर्ष इस तरह का आयोजन किया जाये जिसमें विश्वविद्यालयों के छात्र-छात्राओं की भागीदारी हो। यह सम्मेलन वास्तव में प्रेरणा का स्रोत्र है। उन्होने कहा कि सम्मेलन का सबसे विशेष अंग गंगा आरती है जो हमारी अन्र्तआत्मा को छू जाती है वास्तव में आरती के क्षण अद्भुत और अविस्मर्णीय है। स्वामी जी महाराज, साध्वी भगवती सरस्वती जी, श्री शिव खेमका, उर्वशी खेमका, डीआरडीओ से आये वैज्ञानिक और अन्य विशिष्ट अतिथियों ने विश्व शान्ति हेतु वाटर ब्लेंसिंग सेरेमनी सम्पन्न की तत्पश्चात सभी ने दिव्य गंगा आरती में सहभाग किया।

मधुबनी : भाई ने की चाकू घोंपकर भाई की हत्या

0
0
brother-killed-brother-in-madhubani
जयनगर/मधुबनी (आर्यावर्त डेस्क) 11 अगस्त,  : थाना क्षेत्र के बरही गांव के डीहटोल में शनिवार के अहले सुबह पानी बहाने के विवाद में हुयी. झड़प में सहोदर भाई ने चाकुमार कर छोटे भाई की हत्या कर दी. घटना 6 बजे सुबह की बतायी जाती है. मृतक राम भरोस चौधरी 40 वर्ष बताया गया है. जिसकी मौत घटनास्थल पर ही हो गयी. हमलावर भाई विष्णु देव चौधरी बताया गया है. सूचना मिलते पुलिस घटनास्थल पहुंची एवं लाश को अपने कब्जे मे लेकर मधुबनी पोस्टमार्टम के लिया भेज दिया. वहीं इस घटना को लेकर जांच की जा रही है.

बेगुसराय : गोपाल सिंह नेपाली की जन्मतिथि का आयोजन उत्साहपूर्वक मनाया गया।

0
0
gopaal-singh-nepali-anniviersry-in-begusaray
बेगुसराय (आर्यावर्त डेस्क) 11 अगस्त, पश्चिमी चम्पारण के बेतिया गाँव के एक सामान्य किसान के घर "गोपाल सिंह नेपापाली का जन्म 11 अगस्त 1911 को हुआ।इनका पूरा नाम गोपाल बहादुर सिंह "नेपाली"था।इन्होंने अपने नाम के साथ नेपाली इसलिये लगाया था कि ये भारत और नेपाल के समीपवर्ती क्षेत्र के रहनेवाले थे।नेपाली भाषा पर भी इनकी अच्छी पकड़ थी और इन्होंने हिन्दी के साथ साथ नेपाली भाषा में भी कइएक कविता और गीत लिखे।हिन्दी भाषा में इनकी प्रकाशित कृतियों में उमंग,पंछी,रागिनी,पंचमी,नवीन और हिमालय ने पुकारा प्रमुख है।इसके अतिरिक्त प्रभात,सुधा,रतलाम टाइम्ब व योगी साप्ताहिक का प्रकाशन भी किया।श्रृंगार,प्रणवआदि गीतों से श्रोताओं और पाठकों का दिल जीतने वाले "नेपाली"की कलम से कई ऐसी रचनायें प्रकाशित है।जो राष्ट्रप्रेम के गीतों से युवाओं में देश भक्ति के भावों का भरपूर संचार किया था।इनकी रचना लगभग नवो रसों में प्रकाशित है जिसमें से कुछ एक का नाम पाठकों के जानकारी के लिये प्रस्तुत है।जैसे:-श्रृंगार रस में-वसंत गीत,तारे चमके तुम भी चमको।करुण रस में:-कुछ ऐसा खेल रचो साथी,डीप जलता रहा रातभर आदि। शांत रस में:-मेरा देश बड़ा गर्वीला,भाई बहन,बाबुल तुम बगिया के तरुवर आदि।अद्भुत रस:-नवीन कल्पना करो आदि।वीर रस में:-यह दिया बुझे नहीं,तुम आग पर चलो,शासन चलता तलवार से,मेरा धन है स्वाधीन कलम आदि वीर रस की कविताओं में से एक है।

राजा बैठे सिंहासन पर,यह ताजों पर आसीन कलम।मेरा दहैँ है स्वाधीन कलम।
जिसने तलवार शिवा को दी,रोशनी उधार दीवा को दी। पतवार थमा दी लहरों को,खंजर की शेर हवा को दी। अग जग में उसी विधाता ने,कर दी मेरे आधीन कलम। मेरा धन है स्वाधीन कलम..................

इतना ही नहीं इनको हिन्दी के गीतकारों में भी मान्यता/स्थान प्राप्त है।इन्होंने फल्मों के लिये भी तकरीबन 400 गीत लिखे।फिर असमय ही 17 अप्रैल 1963 को भागलपुर रेलवे स्टेशन पर ही यात्रा के दौरान अपने जिन्दगी के 51वर्ष 6महीन 5दिन पूरा कर्तव्य हुए पंचतत्व में विलीन हो गये।इस आयोजन में शेर के लब्ध प्रतिष्ठित श्री भगवान प्रसाद सिंह,बहु चर्चित कवि उद्घोषक प्रफुल्ल चन्द्र मिश्र,भुवनःवार प्रसाद सिंह,अनुज झा,अभिषेक कुमार,आयोजन कर्ता जनकवि दीनानाथ सुमित्र और बेगूसराय,डुमरी स्थित विकास विद्यालय के संस्थापक राज किशोर सिंह आदि के साथ विद्यालय के छात्र भी उपस्थित थे।यह आयोजित कार्यक्रम का आयोजन स्थल भी विकास विद्यालय का प्रांगण ही था। आपको ये भी बताते चलूँ की गोपाल सिंह नेपाली के पुत्र नकुल सिंह नेपाली ने मुम्बई के उच्च न्यायालय में फ़िल्म स्लमडॉग मिलेनियर के निर्माताओं के खिलाफ एक याचिका दायर की है,जिसमें यह कहा गया है कि डैनी बॉयल ने "दर्शन दो घनश्याम"गाने के लिये सुर दास को उध्दृत किया है जो गलत है।ये गाना इनके पिता जी गोपाल सिंह नेपाली का है।इसके लिये 5 करोड़ रुपये का मुआवजा सूद के साथ मांग किया गया है जो कि जग विदित है।

मधुबनी : अभाविप झंझारपुर के द्वारा सदस्यता अभियान की शुरुआत

0
0
abvp-jhanjharpur-membership-campaign
झंझारपुर/मधुबनी (आर्यावर्त डेस्क) 11 अगस्त,अखिल भारतीय विधार्थी परिषद् अभाविप झंझारपुर के द्वारा सदस्यता अभियान की शुरुआत ललित नारायण जनता महाविद्यालय झंझारपुर  में हुई जिला संयोजक गीतेश झा ने सर्वप्रथम सदस्यता ग्रहण किया इस अवसर पर नगर सह मंत्री रंजन बर्णवाल ने कहा कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद विश्व का   सबसे बड़ा छात्र संगठन है। सदस्यता अभियान 1 अगस्त से लेकर 31 अगस्त तक होगी  छात्र छत्राओं को अधिक से अधिक राष्ट्रवाद की ओर जोड़ना ही लक्ष्य रखा गया है। मौके पर जिला संयोजक गीतेश झा, नगर सह मंत्री रंजन बर्णवाल, कॉलेज अध्यक्ष विष्णु विज्ञान झा,नितिन कुमार,सुरज कुमार बिपुल राजपूत,बिक्रम कुमार,मुन्ना साह, आनंद कुमार झा आदि उपस्थित थे

मधुबनी जेल में DM-SP के नेतृत्व में छापामारी, आपत्तिजनक सामग्री बरामद

0
0
raid-in-madhubani-jail
मधुबनी (आर्यावर्त डेस्क) 11 अगस्त, मधुबनी  के के मंडल कारा में डीएम ने की छापामारी करके दर्जनों मोबाइल,चार्जर,गांजा,खैनी सहित कई आपत्तिजनक सामान बरामद किया है.डीएम और एसपी मधुबनी ने संयुक्त रूप से की छापेमारी के बाद कहा की इस बारे में जेल महानिरीक्षक को अवगत कराया गया है। शनिवार को हुई इस कार्रवाई में जिस तरह से मोबाइल और नशे से जुड़ी चीजें बरामद हुई हैं उससे साफ है कि जेल में बंद कैदी मोबाइल से अपने रिस्तेदारों या अन्य लोगों से नियमित सम्पर्क में रहते थे. इस गंभीर मामले में डीएम ने बताया है कि इसकी तत्काल सूचना जेल आईजी को पटना मुख्यालय में भेज दी गयी है. गौरतलब है कि पिछले कई दिनों से डीएम को सूचना मिल रही थी कि जेल के कैदी मोबाइल का धड़ल्ले से इस्तेमाल करते हैं. इस सूचना के बाद छापेमारी की गयी. इस मामले में जेल के अधिकारियों से भी पूछताछ की जा रही है. माना जा रहा है कि दोषी अधिकारियों औऱ कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई जल्द ही की जायेगी.
Viewing all 73727 articles
Browse latest View live


Latest Images