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वाराणसी : बाजारों में रौनक, फेंगशुई राखियों की ज्यादा डिमांड

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26 को है रक्षाबंधन, बहनें भाइयों की कलाई में रेशम की डोर बांध करेंगी लंबी उम्र और समृद्धि की कामना 

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वाराणसी (सुरेश गांधी)। भाई और बहन के अटूट प्रेम के त्योहार रक्षाबंधन के आते ही बाजारों में रौनक भी लौट आई है। भाई चाहे सात समंदर दूर ही क्यों न हो, लेकिन इस दिन बहन की राखी उस तक पहुंच ही जाती है। बहनें अपने भाई की कलाई में बांधने के लिए खूबसूरत राखियों को खरीदने के लिए बाजार पहुंच रही हैं। बाजार खूबसूरत राखियों से अटे पड़े हैं। इस बार फेंगशुई राखियों की डिमांड सबसे ज्यादा है। इसके अलावा इको फ्रेंडली राखियों की भी धूम है। इसके अलावा मोतियों, रूबी और रंग-बिरंगे पत्थरों को रेशमी धागे में पिरोकर बनाई गई राखियों की भी खूब बिक्री हो रही है। चंदन की लकड़ी से बने गणेश हों या रूबी जैसे महंगे पत्थर से बने फूलों के आकार की राखी....सभी अपने आप में बेहद खूबसूरत हैं। बहनें बाजार में जमकर खरीदारी का आनंद उठा रही हैं। बाजार में सस्ती राखियां भी हैं और डिजाइनदार महंगी राखियां भी। कारोबारियों के मुताबिक इस बार यहां इको फ्रेंडली राखी की धूम है। इस राखी की खासियत की बात करें, तो ये पूरी तरह से डिग्रेडेबल चीज़ों से बनी है। इसमें खूबसूरती से फूलों के बीजों को सजाया गया है। इसे बाद में गमले में लगाया जा सकता है, जिससे निकलने वाले खुशबूदार फूल भाई को हर पल अपनी बहन की याद दिलाते रहंगे। इस राखी का मकसद मौजूदा प्रदूषित माहौल में पौधारोपण को बढ़ावा देना है। बता दें, प्राचीन काल से चले आ रहे इस पर्व ने आज के दौर में आधुनिकता का चोगा भले ही धारण कर लिया हो, पर इस त्योहार का महत्व कम नहीं हुआ है। हर बहन और भाई को इस त्योहार का बेसब्री से इंतजार रहता है। धर्म एवं आस्था की नगरी काशी में भी बाज़ारों की रौनक देखते ही बनती है। काशी के तमाम छोटे-बड़े बाजार खूबसूरत राखियों से अटे पड़े हैं। लहुराबीर, हो अर्दलीबाजार, लंका हो सारनाथ सभी जगह इन दिनों ग्राहकों की भीड़ के चलते पैर रखने तक की जगह नहीं है। काशी का सबसे बड़ा होलसेल मार्केट है दालमंडी, कबीर चैरा, चैक मैदागिन यहां हर तरह की राखियां उपलब्ध हैं। यहीं से दुकानदार राखियां खरीदकर पूर्वांचल के बाज़ारों में ले जाकर बेचते हैं। हर बाजार में राखियों के दामों में फर्क भी है। हिन्‍दू धर्म में रक्षाबंधन का विशेष महत्‍व है। पुरातन काल से इस पर्व को मनाया जा रहा है। यह ऐसा पर्व है जिसमें संवेदनाएं और भावनाएं कूट-कूट कर भरी हुईं हैं। यह इस पर्व की महिमा ही है जो भाई-बहन को हमेशा-हमेशा के लिए स्‍नेह के धागे से बांध लेती है। रक्षाबंधन भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक है। मान्‍यता है कि इस दिन पवित्र नदी में स्‍नान करने के बाद सूर्य को अघ्र्य देने से सभी पापों का नाश हो जाता है। इस दिन पंडित और ब्राह्मण पुरानी जनेऊ का त्‍याग कर नई जनेऊ पहनते हैं। 

शुभ मुहूर्त 
मान्‍यताओं के अनुसार रक्षाबंधन के दिन अपराह्न यानी कि दोपहर में राखी बांधनी चाहिए। अगर अपराह्न का समय उपलब्‍ध न हो तो प्रदोष काल में राखी बांधना उचित रहता है। राखी बांधने का समय: सुबह 5 बजकर 59 मिनट से शाम 5 बजकर 25 मिनट तक है। अपराह्न मुहूर्त: दोपहर 01 बजकर 39 मिनट से शाम 4 बजकर 12 मिनट तक है। पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: दोपहर 03 बजकर 16 मिनट (25 अगस्‍त), पूर्णिमा तिथि समाप्‍त: शाम 05 बजकर 25 मिनट (26 अगस्‍त)

राखी बांधने की पूजा विधि
रक्षाबंधन के दिन अपने भाई को इस तरह राखी बांधें: सबसे पहले राखी की थाली सजाएं। इस थाली में रोली, कुमकुम, अक्षत, पीली सरसों के बीज, दीपक और राखी रखें। इसके बाद भाई को तिलक लगाकर उसके दाहिने हाथ में रक्षा सूत्र यानी राखी बांधें। राखी बांधने के बाद भाई की आरती उतारें। फिर भाई को मिठाई खिलाएं। अगर भाई आपसे बड़ा है तो चरण स्‍पर्श कर उसका आशीर्वाद लें। अगर बहन बड़ी हो तो भाई को चरण स्‍पर्श करना चाहिए। राखी बांधने के बाद भाइयों को इच्‍छा और सामथर््‍य के अनुसार बहनों को भेंट देनी चाहिए। ब्राह्मण या पंडित जी भी अपने यजमान की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधते हैं। ऐसा करते वक्‍त इस मंत्र का उच्‍चारण करना चाहिए: ॐ येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः। तेन त्वामपि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल।। 


मधुबनी : सीमा क्षेत्र विकास योजना की बैठक सम्पन्न

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मधुबनी (आर्यावर्त डेस्क), 24,अगस्त 18,, जिला पदाधिकारी मधुबनीए की अध्यक्षता में सीमा क्षेत्र विकाश योजना की बैठक सम्पन्न हुई। इस बैठक में जिला योजना पदाधिकारीए मधुबनी श्री रविशंकर के साथ साथ कार्यपालक अभियंताए स्थानीय क्षेत्र अभियंत्रण संगठन एक मधुबनी एवं दो झंझारपुर तथा कार्यपालक अभियंता लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण प्रमण्डलए मधुबनी भी उपस्थित थे। इस बैठक में जिलाधिकारी महोदय द्वारा कई आवश्यक निर्देश दिए गए। जिसमें असंतोषजनक व्यय प्रमुख मुद्दा रहा। उन्होंने लंबित कार्यों को शीघ्र अतिशीघ्र पूर्ण करवाने का निदेश दिया और जिस एजेंसीयों के द्वारा समय पर कार्य पूरा नहीं किया गया उनसे दस प्रतिशत की कटौती करने का भी आदेश दिया। उन्होंने कई लंबित योजनाओं में भूमि की अनुपलब्धता के लिए संबंधित अंचलाधिकारियों से स्पष्टीकरण पूछने का आदेश दिया जिसमें बासोपट्टीए मधवापुरए लौकही और लदनियां के मामले प्रमुख रहे। उन्होंने पच्चीस लाख से ऊपर की आवंटित राशि वाली योजनाओं की जाँच संबंधित प्रखंड विकास पदाधिकारी से करने को कहा साथ ही उनसे कार्य की गुणवत्ता तथा कार्य पूर्णता से संबंधित प्रतिवेदन भी समर्पित करने के निदेश जारी किए। जिलाधिकारी महोदय द्वारा यह स्पष्ट किया गया कि वर्ष 15.16 तथा 16.17 के दौरान अपूर्ण योजनाओं को पूरा किए बिना आगे की राशि हासिल नहीं कि जा सकतीए ऐसे में जल्द से जल्द शत प्रतिशत राशि व्यय कर अग्रिम कार्रवाई करना सुनिश्चित करें। जिससे आने वाली राशि प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त हो सके। बैठक के दौरान कई मामलों पर विस्तार से चर्चा हुई जिसमें पी0 एच0 ई0 डी0 की छह योजनाओं की समीक्षा के क्रम में तीन योजनाओं का निविदा निष्पादन तथा शेष तीन का निविदा प्रक्रियाधीन होने तथा लघु सिंचाई के अंतर्गत तीन योजनाओं की प्रशासनिक स्वीकृति प्रदान करने और इसपर शीघ्र कार्य प्रारंभ करने का निर्देश जिलापदाधिकारी महोदय द्वारा दिया गया।

बिहार : हाइकोर्ट के आदेश की गलत व्याख्या करके मीडिया पर सेंसरशिप लगा रही है बिहार सरकार: माले

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मीडिया व लोकतांत्रिक आवाम से लोकतंत्रविरोधी फैसले के खिलाफ मुखर विरोध करने का आह्वान 
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पटना 24 अगस्त 2018, भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल ने बिहार सरकार द्वारा हाइकोर्ट के निर्देश की गलत व्याख्या करते हुए मीडिया पर सेंसरशिप लगाने की कार्रवाई की कड़ी आलोचना की है और इसे अविलंब वापस लेने की मांग की है. हाइकोर्ट ने मुजफ्फरपुर की जांच प्रक्रिया अथवा जांच की प्रगति से संबंधित खबरों के लीक होने पर नाराजगी जाहिर की थी. इसी को आधार बनाकर बिहार सरकार के समाज कल्याण विभाग ने सूचना व जनसंपर्क विभाग को एक पत्र भेज दिया है, जिसमें बालिका गृह मुजफ्फरपुर व इससे संबंधित किसी भी प्रकार की जांच से संबंधित सूचना का प्रकाशन करने पर रोक लगा दी गई है. भाकपा-माले ने कहा है कि बिहार सरकार असली अपराधियों-बलात्कारियों को बचाने के लिए इस तरह का कदम उठा रही है. इसके पहले पटना उच्च न्यायालय के बिना सूचना के मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड जांच के सीबीआई एसपी को बदल दिया गया और अब उच्च न्यायालय की गलत व्याख्या की जा रही है. भाकपा-माले बिहार के मीडिया समूह व लोकतांत्रिक आवाम से इस लोकतंत्रविरोधी फैसले के खिलाफ मुखर विरोध करने का आह्वान करती है. आगामी 28 अगस्त को वाम दल पूरे बिहार में मानव शृंखला का आयोजन करेंगे और सरकार की बलात्कारी पक्षधरता के खिलाफ आंदोलन को जारी रखेंगे.

28 अगस्त के मानव शृंखला को लेकर बैठक हुई
मुजफ्फरपुर सहित सभी शेल्टर गृहों की जांच सीबीआई से कराने, नीतीश कुमार व सुशील कुमारी मोदी के इस्तीफे आदि मांगों पर वाम दलों के आह्वान आगामी 28 अगस्त को मानव शृंखला का आयोजन किया गया है. इसकी तैयारी को लेकर आज माले कार्यालय में एक बैठक हुई. बैठक में पार्टी के राज्य सचिव कुणाल, वरिष्ठ नेता केडी यादव, राजाराम, सरोज चैबे, संतोष सहर, अभ्युदय, नवीन कुमार, अनिता सिन्हा, समता राय, सुधीर कुमार, संजय यादव आदि नेता उपस्थित थे.

बेगूसराय : हाजीपुर जोनल रेल उपयोगकर्ता परामर्शदात्री समिति के सदस्य चुने गए,दिलीप कुमार सिन्हा।

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बेगूसराय (अरुण कुमार) दिलीप कुमार सिन्हा के चयनोपरान्त नगर के युवाओं में उत्साह और खुशी की लहर। आज सोनपुर मंडल रेल उपयोगकर्ता परामर्शदात्री समिति का बैठक डी आर एम  अतुल कुमार सिन्हा के अध्यक्षता में हुई।मंडल डी आर यू सी सी सदस्यों में एक सदस्य को जोनल कमिटी के लिए चुनाव कर भेजे जाने का नियम है।जो महाप्रबंधक के साथ बैठक में भाग लेंगे।मंडल स्तर के रेल सुबिधा के लिए कार्य करेंगे,तथा यात्री सुबिधा का निर्णय में सहयोग देंगे।ज्ञातब्य हो कि हाजीपुर जोनल कमिटी में में कुल पांच मंडल है,सोनपुर,दानापुर ,धनबाद, समस्तीपुर,एवं मुगल सराय।इस पद के लिए सर्वसमिति नही होने पर चुनाव कराया गया ।मुजफ्फरपुर से मनोज अग्रवाल का नाम का प्रस्ताव रंजीत कुमार ने दिया ,वहीं  समाजसेवी दिलीप कुमार सिन्हा के नाम का प्रस्ताव चंद्रकांत इंगले,मुख्य प्रबंधक बरौनी रिफाइनरी ने दिया । गुप्त मतदान में दिलीप कुमार सिन्हा को कुल 06 मत प्राप्त हुए,वहीं मनोज अग्रवाल को 04 मत प्राप्त हुए । इस तरह दिलीप कुमार सिन्हा जोनल कमिटी के सदस्य चुन लिए गए । चुने जानेपर डी आर एम अतुल कुमार सिन्हा, ए डी आर एम पी के सिन्हा,सिनियर डी सी एम अखिलेश पांडेय,कोडिनेशन अभियंता जावेद अख्तर,सीनियार इलेक्ट्रिकल अभियंता किशोरी लाल,आर पी एफ कमाण्डेन्ट रमन  कुमार सिंह, वरिष्ठ मंडल यांत्रिकी सुमंत लाल सहित दर्जनों अधिकारी थे । मौके पर डी आर यू सी सी सदस्य में प्रमुख चंद्रकांत इंगले,सत्यम प्रियदर्शी,केशव शांडिल्य,विजय कुमार,देवांशु किशोर,रणजीत कुमार,जय प्रकाश अग्रवाल,अरुण कुमार हिसारिया आदि ने श्री सिन्हा को बधाई दिया।बेगूसराय स्टेशन से पटना 10.30 बजे तक पहुचने के लिए व्यवस्था तथा पटना से  7 बजे वापस नया रेल,तिलरथ  मुंगेर समय मे परिवर्तन पूर्व की तरह करने का मांग उठाया गया । बेगूसराय स्टेशन पर सी सी टी वी कैमरा,स्वच्छ पेय जल,मुख्य द्वार निर्माण,साइकिल,मोटर साइकिल स्टैंड को,पी आर एस के पीछे ब्यबस्थित करने एवं दर्जनों ट्रैन ठहराव का मांग उठाया गया । प्लेटफॉर्म न.03 को जल्द खाली कर यात्री हित में प्लेटफॉर्म चालू करने,04,05 नया प्लेटफोर्म निर्माण करने का मांग उठाया गया।आगे कार्यक्रम को कितना सक्रियता और शीघ्रता से कार्यान्वित किया जाएगा इसका इन्तजार लाभार्थियों को बेसब्री से रहेगा।

दुमका : आईजी मानवाधिकार ने किया फौजदारी नाथ महादेव पर जलार्पण’

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दुमका (अमरेन्द्र सुमन) फौजदारी नाथ महादेव के दरबार पहंुचे आईजी मानवाधिकार नवीन कुमार सिंह। बासुकीनाथ पहुँचकर आईजी श्री सिंह ने दर्शन-पूजन व जलार्पण कर प्रदेश की खुशहाली की कामना की। आईजी मानवाधिकार ने विधि व्यवस्था का भी अवलोकन किया। श्रद्धालुओं के लिए उपलब्ध करायी जा रही व्यवस्था पर उन्होंने खुशी जाहिर की। श्री सिंह ने कहा कि श्रावणी मेला की पहचान व बाबा की महिमा ही है जो उन्हें बासुकीनाथ खींच लाया। श्रद्धालुओं से श्री सिंह ने बातें की व उनकी यात्रा के बारे में जानकारी प्राप्त की। श्रद्धालुओं ने बाबा तक पहुंचने की यात्रा से उन्हें अवगत कराया। संपप्र, दुमका के डीआईजी राज कुमार लकड़ा, पुलिस अधीक्षक किशोर कौशल व जिला प्रशासन के वरीय पदाधिकारी इस अवसर पर उपस्थित थे। दुमका के पुलिस अधीक्षक किशोर कौशल ने श्रावणी मेला के दौरान जिला प्रशासन द्वारा श्रद्धालुओं के लिए की गई व्यवस्था के बारे में आईजी मानवाधिकार को विस्तृत जानकारी दी।

दुमका : श्रद्धालुओें ने बासुकीनाथ में बाबा बर्फानी के प्रतिरुप के दर्शन किये

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दुमका (आर्यावर्त डेस्क) बाबा फौजदारी नाथ के दरबार में श्रद्धालुओं ने जलार्पण के बाद दिन गुरुवार को जम्मू-कश्मीर के अमरनाथ में स्थित बाबा बर्फानी के प्रतिरुप का दर्शन किया। बाबा बर्फानी के दर्शन के प्रति लोग काफी हर्षित व उल्लासित दिखे। बर्फानी स्वरुप में बाबा के दर्शन-पूजन को लेकर मंदिर परिसर में दर्शनार्थियों का तांता लगा रहा। हिमालय की कन्दरा से प्रस्फुटित श्रोतों से निकले शुद्ध जल को प्रकृृत कर -60 डिग्री तापमान पर संकुचित किया गया और इसी से बाबा बर्फानी के प्रतिरुप को मुख्य मंदिर परिसर में स्थापित कर दिया गया था। शोभा सत्यार्थ प्रोडक्शन के आकाश सिन्हा ने दिल्ली स्थित फैक्टरी में इस बर्फानी शिवलिंग का निर्माण करवाया। शोभा सत्यार्थ प्रोडक्शन के इस कार्य में अपूर्व रोशन सिंह, निर्मल मिश्रा व मिथिलेश कुमार ने अपना पूर्ण सहयोग प्रदान किया।

दुमका : अवैध पत्थर उत्खनन करने वाले 5 संचालकों के विरुद्ध हुआ मुकदमा दर्ज

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अवैध उत्खनन करने वाले 5 संचालकों आदित्य गोस्वामी, मृत्यूंजय सिंह, अकाल मियां, रूदराय हांसदा व सुरेश भगत के विरुद्ध हुआ एफआईआर दर्ज। किसी को बख्शा नहीं जाएगा-डीसी  
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दुमका (अमरेन्द्र सुमन) डीसी दुमका मुकेश कुमार के निदेश पर अवैध उत्खनन परिवहन पर लगाम कसने के लिए 23 व 24 अगस्त 18 को सघन जाँच अभियान चलाया गया। जिला परिवहन पदाधिकारी के नेतृत्व में चले इस अभियान में 7 वाहनों को जब्त किया गया। अवैध उत्खनन करने वाले 5 संचालकों यथा-आदित्य गोस्वामी, मृत्यूंजय सिंह, अकाल मियां, रूदराय हांसदा व सुरेश भगत को नामजद अभियुक्त बनाकर एफआईआर दर्ज किया गया है। जिला खनन पदाधिकारी, शिकारीपाड़ा, प्रखंड विकास पदाधिकारी व अंचल अधिकारी तथा बड़ी संख्या में पुलिस बल इस अभियान में शामिल थे। डीसी दुमका ने कहा कि किसी भी कीमत पर अवैध उत्खनन वर्दाश्त नहीं किया जायेगा। उन्होंने कहा कि अवैध खनन करने वालों पर कार्रवाई तो होगी ही, साथ ही साथ वैध खनन करने वालों की खनन की मैपिंग व उनके द्वारा निर्गत चालान का भी मिलान किया जायेगा। मापी में गड़बड़ी पाये जाने पर वैध खनन लाइसेंस होल्डर के विरूद्ध भी कार्रवाई की जायेगी। स्थानीय पदाधिकारियों की संलिप्तता पाई गई या उनकी भूमिका संदिग्ध पायी गई तो उनके विरूद्ध न सिर्फ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी बल्कि उन्हें निष्कासित करने से भी परहेज नहीं किया जाएगा। जिला प्रशासन सूचना एकतृत कर रही है। एक सप्ताह के अन्दर सभी खदानों में उत्खनन की स्थिति एवं निर्गत चालान की मापी कर ली जायेगी। डीसी मुकेश कुमार ने कहा कि अवैध उत्खनन या अवैध विस्फोटक की सूचना किसी के पास है तो उसे जिला प्रशासन को उपलब्ध करायें। जिला प्रशासन उनकी पहचान को गोपनीय रखेगा। डीसी श्री कुमार ने कहा कि यह अभियान आगे भी जारी रहेगा और बहुत जल्द उनके नेतृत्व में टीम शिकारीपाड़ा क्षेत्र के सभी खदानों का भ्रमण करेगी। 

रक्षाबंधन: डोर से बंधी है... खुशियां जिंदगी की

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भारत एक खुबसूरत देश है। खुबसूरत इसलिए, क्योंकि हर त्योहार की रौनक यहां दिखाई देती है। त्योहार कोई भी हो उसका जश्न धर्म, सम्प्रदाय, जाति और सामाजिक स्तर के भेदभाव से उपर उठकर दिखाई देता है। राखी भी एक ऐसा ही पर्व है, जिसमें रिश्ते खून से बढ़कर भरोसे, प्रेम, स्नेह और आत्मीयता के डोर से बंधे होते है। इस बार 26 अगस्त को श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन रक्षाबंधन मनाया जाएगा। खास यह है कि इस बार रक्षाबंधन के दिन भद्रा सूर्योदय से पूर्व ही समाप्त हो जाएगी। इसलिए लोगों के पास रक्षाबंधन का त्योहार मनाने का भरपूर समय होगा। नहीं रहेगा भद्रा का साया। सावन माह की पूर्णिमा तिथि 25 अगस्त, शनिवार को शाम 03ः16 से शुरू हो जाएगी। जिसका समापन 26 अगस्त, रविवार को शाम 05ः25 पर होगा। राखी बांधने का शुभ मुहूर्त: सुबह 05ः59 से शाम 17ः25 तक है 

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रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहन का पार्व है। बहन भाई की कलाई पर रक्षासूत्र बांधती है। उसके लंबे उम्र की कामना करती है। भाई अपनी बहन को वचन देता है कि वह ताउम्र उसकी रक्षा करेगा। इसे सिर्फ हिन्दू ही नहीं, बल्कि अन्य धर्म के लोग जैसे कि सिख, जैन और ईसाई भी हर्षोल्लास के साथ इसे मनाते हैं। रक्षा के नजरिये से देखें तो, राखी का ये त्योहार देश की रक्षा, पर्यावरण की रक्षा तथा लोगों के हितों की रक्षा के लिए बाँधा जाने वाला महापर्व है। जिसे धार्मिक भावना से बढकर राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाने में किसी को आपत्ति नही होनी चाहिए। भारत जैसे विशाल देश में बहने सीमा पर तैनात सैनिकों को रक्षासूत्र भेजती हैं एवं स्वंय की सुरक्षा के साथ उनकी लम्बी आयु और सफलता की कामना करती हैं। हमारे देश में राष्ट्रपति भवन में तथा प्रधानमंत्री कार्यालय में भी रक्षाबंधन का आयोजन बहुत उल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन भाई-बहन के बीच प्रेम का ऐसा झरना बहता है, जो आपकी जिंदगी को खुशियों से भर देता है। इस रिश्ते का डीएनए ही कुछ ऐसा है कि मुसीबत के वक्त जब कहीं से मदद की उम्मींद नहीं होती है, तब भी कलाई पर बंधा स्नेह जिन्दगी की डोर थामने के लिए खड़ा हो जाता है। अर्थात रक्षाबंधन भाई-बहन के बीच वह रिश्ता है जिसमें गंगाजल की तरह बहनें धारा तो भाई कल-कल। बहनें टहनी तो भाई श्रीफल, बहने स्नेहिल तो भाई वत्सल या यूं कहें भाई-बहनों के सभी सवालों का जवाब है रक्षाबंधन। या यूं कहें भाई-बहन का नाता स्नेह, ममता, वात्सल्य, करुणा और रक्षा के भावों के ताने-बाने में बुना होने से अनूठा ही है। यह नाता जितना स्नेहमय है उतना ही शालीन और पावन भी। क्योंकि इसमें जुड़ी होती है बचपन की यादें। साथ खेलना, झगड़ना, शरारतें और भी बहुत कुछ। जन्म से जुड़ा ये रिश्ता वक्त के साथ मजबूत होता जाता है। 

बेशक, कहने को राखी सिर्फ एक पतले से धागे को कलाई पर बांधने का त्योहार है। लेकिन, इस महीन सी डोर में जीवन को संबल व दिशा देने वाली कितनी शक्ति है, ये तो वे ही बता सकते हैं जिनके मन में बहन के प्रति प्यार बसा है। भाई-बहन का यह भाव प्राचीन काल से हमारे यहां रहा हैं। इस संबंद्ध को लेकर सबसे प्राचीन विमर्श ऋुग्वेद के यम-यमी सुक्त मिलता है। यम और यमी दोनों विवस्वान यानी सूर्य की संतानें है, दोनों जुड़वा भाई-बहन है। यम अपनी बहन को इस संबंध की मर्यादा का बोध कराते हैं। भाई-बहन के बीच परस्पर रक्षा का संबंध भी एकतरफा नहीं है, केवल भाई ही बहन की रक्षा नहीं करता, बहन भी आड़े वक्त में भाई को बचाती है। रक्षाबंधन का पर्व और राखी के धागे इस पारस्परिक रक्ष्य-रक्षक संबंध के प्रतीक हैं। यूं तो नारी, मां, बेटी या पत्नी के विभिन्न रुपों में पुरुषों से जुड़ती है पर उन सब में अपनत्व और अधिकार के साथ-साथ, कहीं न कहीं कुछ पाने की लालसा रहती है। नारी का सबसे सच्चा स्वरुप बहन के रिश्ते में ही प्रकट होता है। मां-बाप भले ही लड़के-लड़कियों में भेद करें पर बहन के मन में ऐसा करने का चाव होता है जिससे भाई के जीवन में खुशहाली रहे। यही वजह है कि भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक रक्षाबंधन यानी रक्षा की कामना लिए कच्चे धागों का ऐसा बंधन जो पुरातन काल से इस सृष्टि में रक्षा के आग्रह और संकल्प के साथ बांधा और बंधवाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और उनके लिए मंगल कामना करती हैं। तो वहीं, भाई भी अपनी बहनों को इस पवित्र बंधन के बदले उपहार देने के साथ ही उसकी रक्षा करने का वचन देते हैं। कहा जा सकता है रक्षाबंधन के पर्व का संबंध रक्षा से है। देखा जाए तो रक्षाबंधन सिर्फ भाई-बहन का त्योहार नहीं है बल्कि ये इंसानियत का पर्व है। यह अनेकता में एकता का पर्व है, जहां जाति और धर्म के भेद-भाव को भूलकर एक इंसान दूसरे इंसान को रक्षा का वचन देता है और रक्षा सूत्र में बंध जाता है। रक्षा सूत्र के विषय में श्रीकृष्ण ने कहा था कि रक्षा सूत्र में अद्भुत शक्ति होती है। रक्षा बंधन भाई-बहन के प्यार का त्योहार है, एक मामूली सा धागा जब भाई की कलाई पर बंधता है, तो भाई भी अपनी बहन की रक्षा के लिए अपनी जान न्योछावर करने को तैयार हो जाता है। बहनों का स्नेह, प्यार और दुलार भाइयों के लिए उनके सुरक्षा कवच का काम करता है। वहीं बहनों का मान-सम्मान भाइयों की प्राथमिकता होती है। आजकल बहनें ज्यादा सजग हो गई हैं। अब वे भाइयों के पीछे नहीं, उनके बचाव में सबके सामने खड़ी होने लगी हैं। शायद इसी सेवा भाव के रिश्ते को नमन करते हुए चिकित्सा परिचर्या में लगी महिलाओं को सिस्टर कहा जाता है। वो लोग बड़े खुशकिस्मत होते हैं जिनके बहनें होती हैं क्योंकि जीवन में यह एक ऐसा पवित्र रिश्ता है जिससे आप बहुत कुछ सिखते हैं। पुरुषों के चारित्रिक विकास में मां-बाप से भी ज्यादा एक बहन का संवाद ज्यादा असर करता है। बहन से संवाद से ना केवल पुरुष के नकारात्मक विचारों में कमी आती है बल्कि उसके अंदर नारी जाति के लिए आदर भ्ज्ञी पनपता है।  रक्षाबंधन पर्व की भारतीय समाज में इतनी व्यापकता और गहराई से समाया हुआ है कि इसका सामाजिक महत्व तो है ही, धर्म, पुराण, इतिहास, साहित्य और फिल्में भी इससे अछूते नहीं हैं। गुरुकुल परंपरा के अंतर्गत शिक्षा पाने वाला युवा जब शिक्षा पूरी करने के पश्चात गुरुकुल से विदा लेता था, तो वह आचार्य का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए उसे रक्षा सूत्र बांधता था, जबकि आचार्य अपने विद्यार्थी को इस कामना के साथ रक्षासूत्र बांधता था कि वह भावी जीवन में अपने ज्ञान कासमुचित ढंग से प्रयोग करे। मौजूदा समय में पूजा आदि के अवसर पर बांधा जाने वाला कलावा भी रक्षा-सूत्र का ही प्रतीक होता है, जिसमें पुरोहित और यजमान एक-दूसरे के सम्मान की रक्षा करने के लिए एक-दूसरे को अपने बंधन में बांधते हैं। रक्षा-बंधन का पर्व हमारे सामाजिक ताने-बाने में इस प्रकार रचा-बसा हुआ है कि विवाह के बाद भी बहनें भाई को राखी अवश्य बांधती हैं, फिर चाहे उनका ससुराल मायके से कितनी ही दूर क्यों न हो। या तो वे भाई के घर इसी विशेष प्रयोजन से स्वयं पहुंचती हैं अथवा भाई उनके घर आ जाते हैं। अगर आना-जाना संभव न हो, तो डाक से राखी अवश्य भेज दी जाती है। आज के दौर में महिलाओं पर जो अत्याचार बढ़ रहे हैं, उसका मूल कारण यही है कि लोग बहन की अहमियत भूलते जा रहे हैं। बेटों का वर्चस्व बढ़ने और बेटियों को उपेक्षित करने से समाज खोखला होता जा रहा है। गौर कीजिए एक समय, बहन जी शब्द में अपार आदर छलकता था और लोग किसी भी बहन के लिए न्योछावर होने के लिए तत्पर रहते थे। आज इन रिश्तों की सामाजिक अहमियत कम होने के कारण ही महिला उत्पीड़न के मामले बढ़ रहे हैं। जबकि सच यह है कि बेटियों में छिपा बहन का प्यार ही स्वस्थ समाज की बुनियाद गढ़ पायेगा। 

शुभ मुहूर्त 
इस बार रक्षाबंधन पर भद्रा का साया नही रहेगा जिसके चलते सुबह से लेकर शाम तक राखी बांधने के लिए काफी समय मिलेगा। लेकिन रक्षाबंधन के दिन कुछ समय जैसे अशुभ चैघड़िया, राहुकाल और यम घंटा पर ध्यान देना होगा। ज्योतिष गणना के अनुसार  25 अगस्त को दोपहर 3 बजकर 16 मिनट से पूर्णिमा तिथि शुरू हो जाएगी जो 26 अगस्त की शाम 5 बजकर 25 मिनट तक रहेगी। इस बार रक्षाबंधन पर धनिष्ठा नक्षत्र रहेगा और पंचक प्रारम्भ हो जाएगा लेकिन इसका असर राखी बांधने में कोई नहीं रहेगा। पंचक में शुभ कार्य किया जा सकता है। 

राखी बांधने का ये समय अशुभ रहेगा
राहुकाल- सुबह 5.13 से 6.48 बजे
यम घंटा -दोपहर 3.38 से 5.13 बजे
काल चैघड़िया दोप-दोपहर 12.28 से 2.03 

पौराणिक मान्यताएं 
रक्षाबंधन का इतिहास काफी पुराना है, जो सिंधु घाटी की सभ्यता से जुड़ा हुआ है। असल में रक्षाबंधन की परंपरा उन बहनों ने डाली थी जो सगी नहीं थीं, भले ही उन बहनों ने अपने संरक्षण के लिए ही इस पर्व की शुरुआत क्यों न की हो, लेकिन उसकी बदौलत आज भी इस त्योहार की मान्यता बरकरार है। इतिहास के पन्नों को देखें तो इस त्योहार की शुरुआत 6 हजार साल पहले माना जाता है। इसके कई साक्ष्य भी इतिहास के पन्नों में दर्ज हैं। रक्षाबंधन की शुरुआत का सबसे पहला साक्ष्य रानी कर्णावती और सम्राट हुमायूं का है। मध्यकालीन युग में राजपूत और मुस्लिमों के बीच संघर्ष चल रहा था, तब चित्तौड़ के राजा की विधवा रानी कर्णावती ने गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह से अपनी और अपनी प्रजा की सुरक्षा का कोई रास्ता न निकलता देख हुमायूं को राखी भेजी थी। तब हुमायू ने उनकी रक्षा कर उन्हें बहन का दर्जा दिया था। इतिहास का एक दूसरा उदाहरण कृष्ण और द्रोपदी को माना जाता है। कृष्ण भगवान ने  राजा शिशुपाल को मारा था। युद्ध के दौरान कृष्ण के बाएं हाथ की उंगली से खून बह रहा था, इसे देखकर द्रोपदी बेहद दुखी हुईं और उन्होंने अपनी साड़ी का टुकड़ा चीरकर कृष्ण की उंगली में बांध दी, जिससे उनका खून बहना बंद हो गया। कहा जाता है तभी से कृष्ण ने द्रोपदी को अपनी बहन स्वीकार कर लिया था। सालों के बाद जब पांडव द्रोपदी को जुए में हार गए थे और भरी सभा में उनका चीरहरण हो रहा था, तब कृष्ण ने द्रोपदी की लाज बचाई थी। 

बढ़ती है साझेदारी 
हर रिश्ते में अब बदलाव आ रहा है। भाई बहन का रिश्ता भी और सहज और सजग हुआ है। इस बात की प्रमाणिकता पर तो मनोवैज्ञानिकों ने भी अपनी मुहर लगा दी है। आजकल आपसी रिश्तों में बिखराव तो आ रहा है पर उनमें लगाव कम भी नहीं हुआ है। कामकाजी माता-पिता हर घर की जरूरत बन चुके हैं और इसके चलते बच्चों में साझेदारी बढ़ी है। घर में बच्चों को मिल रहे खुलेपन से उनमें अपनी बात रखने का हौसला भी बढ़ा है। आपसी बातचीत से बच्चों में विकास जल्दी होता है।

जिम्मेदारी का अहसास होना है जरूरी
आजकल के बच्चे ज्यादा समझदार और परिपक्व हो रहे हैं। इसका एक फायदा ये भी हुआ है कि वो आपस की जिम्मेदारियों को भी पहले से कहीं अधिक समझने लगे हैं। बहनों ने भाईयों के साथ रिश्तों की इन जिम्मेदारियों को बांटना शुरू किया है। प्यार और सुरक्षा का भाव मैच्योरिटी लाने में सहायक हुआ है। इसी से रिश्ता मजबूत होता है।

फ्रंट नहीं बैक सपोर्ट बनें
हमेशा हर बात का बचाव करना भी सही नहीं होता। कई बार बहनों का सपोर्ट और प्यार भाईयों के लिए नुकसानदेह हो सकता है। इसलिए जब भी घर में ऐसा माहौल बने तो भाई को समझाएं कि वह घर के बड़ों की बात को समझे और उसे फॉलो करे। इससे उनके मन में खुलकर मनमर्जी करने का भाव नहीं आएगा और आपकी इज्जत और प्यार में इजाफा होगा।

रिश्तों में न आ जाए खटास
बहनों का प्यार एक तरफ तो भाईयों का सहारा बन जाता है, वहीं दूसरी तरफ घर के लोगों के बीच बातचीत का विषय भी। वैसे ऐसी आशंका कम ही होती है कि माता-पिता अपने ही बच्चों से बैर करें। पर हर समय का बीच-बचाव मां-बाप से अनबन जरूर करा सकता है। इसलिए हमेशा उनकी जगह और सम्मान का भी ध्यान रखें। हर चीज की अति खतरनाक साबित होती है। फिर चाहे वह प्यार ही क्यों न हो।

भाई भी दें इन बातों पर ध्यान
मम्मी-पापा के अलावा घर में बहन का सपोर्ट मिल जाना, किसी वरदान से कम नहीं होता। पर इस सपोर्ट का नाजायज फायदा न उठाएं। बहन को कभी-कभी स्पेशल फील कराएं और अपना कुछ समय उनके साथ बिताएं। सिर्फ अपना फायदा न देखें। अपनी बहन की जरूरतों का भी ध्यान रखें। अपनी बहन की उपलब्धियों को सराहें और उसे आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित भी करें। अपनी हर बात को बहन से शेयर करें और उसे भाई-बहन की दोस्ती का अहसास कराएं। 

बहनों के लिए कुछ सुझाव
जब भी भाई कुछ गलत करे तो उसकी गलती पर पर्दा न डालें। बल्कि उसे सही-गलत का फर्क करना सिखाएं। बड़ों के बीच में कभी न बोलें और न ही अपने भाई को ऐसा करने दें। प्यार को कमजोरी न बनने दें। कभी-कभी हम अति लगाव की वजह से अपने ही लोगों की आदतें खराब कर देते हैं। ऐसा करने से बचें। अपने भाई को हमेशा एहसास दिलाती रहें कि आप सब कुछ नहीं संभाल सकती हैं ताकि उसके मन में मम्मी-पापा का भय बना रहे। भावनात्मक और सामाजिक तौर पर अपने भाई को मजबूत बनाने में उसका साथ दें ताकि वो अपनी बात कहना खुद सीखे। 

दुनिया के सारे संबंध ‘मोह के धागे‘ से हैं जुड़े
यशराज बैनर की फिल्म ‘दम लगा के हईशा‘ का एक गीत है, ‘ये मोह-मोह के धागे।‘ बड़ा प्यारा गीत है। इसे नायक-नायिका नहीं गाते, यह नेपथ्य में बजता है। पर है यह रुमानियत से संबंधित गीत। मगर मोह शब्द सिर्फ इतने में ही सीमित नहीं है। दुनिया के सारे संबंध मोह के धागे से ही जुड़े हैं। मोह के अर्थ भी तो कई हैं और प्रकार भी कई। मोह के कुछ प्रकारों को निरर्थक मोह में गिना जाता है तो कुछ प्रकारों को सार्थक मोह में। मसलन किसी भी वस्तु, व्यक्ति या स्थिति से मोह की अति, मोह में उससे चिपके रहना, उसे सांस लेने का अवसर न देना, अनुपयोगी वस्तुओं का संग्रह इत्यादि नकारात्मक व निरर्थक मोह की श्रेणी में आते हैं। दूसरी ओर सार्थक और जरूरी किस्म का मोह तो जीने का आकर्षण होता है, यह न हो तो व्यक्ति निर्जीव दीवार के समान हो जाए। इस प्रकार के मोह में हर प्रकार का लगाव, प्यार, स्नेह, ममता और अपनापन आता है। मोह का यह धागा दिखाई नहीं देता, बस महसूस होता है। इसकी सुगंध स्वार्गिक होती है। वह मोह जिसे अपनापन कहते हैं, इंसान के भावनात्मक जीवन के लिए ऑक्सीजन होता है, यह कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। मोह में जाने क्या होता है कि वो आपमें जीने की ललक बनाए रखता है। मोह न हो तो जीवन रेगिस्तान हो जाए। यह वह मोह है जो गोंद नहीं, रुई का शुभ्र-श्वेत फाहा होता है जिस पर, जिससे आप प्यार करते हैं उसी का रंग चढ़ता जाता है। 



--सुरेश गांधी --

मधुबनी : बिहार प्रदेश अनौपचारिक सह विशेष शिक्षा अनुदेशकों का आंदोलन

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मधुबनी, 24,अगस्त 18, ,बिहार प्रदेश अनौपचारिक सह विशेष शिक्षा अनुदेशकों के संघ की जिला शाखा मधुबनी के अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठे अनुदेशकों ने उग्र रूप धारण कर लिया और समाहरणालय के समक्ष सड़क को पूरी तरह बाधित कर दिया। जिला प्रशासन द्वारा त्वरित कार्रवाई करते हुए अनशनकारियों को अपनी बात रखने को कहा गया। तदुपरान्त अनशनकारियों के प्रतिनिधिमंडल जिसमें  मोहन रायए सचिवए अनुदेशक संघए राम भरोस सिंहए अध्यक्षए अनुदेशक संघए शिव नारायण यादवए प्रखंड अध्यक्षए फुलपरासए राम सुदिष्ट झा ए जिला मंत्रीए महासंघ गोपगुट शामिल थे अपर समाहर्ता श्री दुर्गा नंद झा से मिले। सभी अनशनकारियों की बातों को गंभीरता से सुनने के बाद अपर समाहर्ता ने कहा कि जो सभी आवश्यक कानूनी अहर्ता रखते हैं उनके प्रति उच्च न्यायालय तथा सर्वोच्च न्यायालय एवं पूर्व के विभागीय निर्देशों के आलोक में सभी मांगों को शीघ्र ही नियमानुसार पूरा किया  जाएगा। उन्होंने इससे संबंधित सभी फोल्डर को गठित समिति के समक्ष उपस्थापित करने के निदेश दिए। मौके पर  प्रशिक्षु आई0 ए0 एस0 सह सहायक समाहर्ता श्री कुमार गौरवए अनुमंडल पदाधिकारीए सदरए श्री सुनील कुमार सिंहए अनुमंडल पुलिस पदाधिकारीए सुश्री कामिनी बालाए जिला शिक्षा पदाधिकारी श्री श्रीराम कुमार तथा प्रखंड शिक्षा पदाधिकारीए रहिका श्री कृष्णमोहन ठाकुर उपस्थित थे।

बेगूसराय : शानिचरास्थान में पंचदेवों की स्थापना।

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बेगूसराय (अरुण कुमार) कल श्रावण शुक्ल द्वादशी दिनांक 23 अगस्त 2018 रोज गुरुवार के दिन शुभ मुहूर्त में पञ्चदेव यानी शिव,पार्वती,गणेश,दुर्गा और विष्णु भगवान के प्रतिमाओं को स्थापित किया गया।स्थापित करने के पाँच दिन पूर्व से ही सभी मूर्तियों को पंचावास कराया गया।पंचावास यानी कि एक दिन जलावस एक दिन पुष्पावास,एक दिन फलावास,एक दिन अन्नावास और फिर एक दिन शैय्यावास के बाद 108 कन्याओं के माथेपर एक एक यानी 108 कलश लेकर हाथी, घोड़ा, ऊँट और पैदल श्रद्धालुओं के साथ नगर भ्रमण के उपरान्त वेदपाठी दर्जनों ब्राम्हणों द्वारा पञ्चदेवों की पूजा,प्राण प्रतिष्ठा सहित,स्थापना प्राचिन कालिक शनिदेव मंदिर के प्रांगण में  किया गया।यहाँ स्थापित शनिदेव की बड़ी ही अजीबो गरीब कहानी है।बुजुर्गों से सुनी सुनाई कहानी के अनुसार अभी के निहायत ही बुजुर्गों का कहना है कि कभी,कहीं हमारे तुरहा समाज (सब्जी की खेती)करनेवालों पर,राजा बब्बर सिंह ने हमला बोल दिया था।कारण कभी हमारे विरादारों की भी सियासत हुआ करती थी।अचानक इस हमले के कारण हमारे पूर्वजों को भागना पड़ा था भागते भागते कहीं किसी जंगल में वे लोग भटक गए अन्न,पानी के बिना कई दिन बीत जाने से बुरा हाल हो गया था,तो उन हमारे पूर्वजों ने यूँ ही मिट्टी का दो पिण्डी बनाकर और उन्हें भगवान मानकर कल्याण हेतु प्रार्थना करने लगे।तभी एक स्त्री और एक पुरुष वहाँ आये और उनसे बोले कि तुम्हारा अवश्य ही कल्याण होगा,तुम इस दोनो पिण्डियों को लेकर पूर्व दिशा की ओर प्रश्थान करो जहाँ पर तुम्हें यह पिण्डी भारी लगाने लगे तुम जब इसे लेकर चलने में असमर्थ हो जाओ तो वहीं पर इस पिण्डियों को रखकर पूजा अर्चना करना शुरु कर देना वही तुम्हारा नगर होगा और वहीं तुम्हारा कल्याण भी होगा।इतना सुनते ही विपत्तियों से घिरे व्यक्तियों ने उन नर-नारी से परिचय का निवेदन किया कि आप इस घने जंगलों में कैसे?आप कौन हैं जो हमारे इस आपत्ति के घड़ियों में आ पधारे हैं।कृपया अपना परिचय दें इसकव लिये सभी हठ कर बैठे।इस पर दोनो ने कहा कि आज शनिवार है तुम सबों ने हमारी ही पूजा की है,इसलिये हम तुमपर प्रसन्न हैं।अपना परिचय और अपने स्वरूपों का दर्शन देते हुए कहा कि जहाँ कहीं भी इस पण्डियों कि स्थापना तुमसे होगा हम दोनों ही उस स्थान पर प्रत्येक शनिवार के दिन पूजा स्वीकारने स्वयं वहाँ रहेंगे।तुम इस बात को किसी और से नहीं कहना ये बात अपने मन में ही रखना।इतना कहते ही वे दोनों अंतर्ध्यान हो गये।वे दोनों पिण्डी लेकर चले तो इसी नगर में रखने को विवश होने के कारण पिण्डी को यहीं रखकर पूजा करने लगे।समय बीतता गया आगे चलकर उस पिण्डियों पर पीतल का कवर चढ़ा दिया गया,फिर दो आदमकद मूर्तियों की स्थापना की गई जिसमें एक शनि देव और दूसरा उनकी पत्नी संचला की और ये जगह शानिचरास्थान के नाम से प्रसिद्ध हो गया।आज उन्ही शनि देव के कृपा से पञ्चदेवों की भी स्थापना बड़े ही धूम-धाम,ढोल,बाजे,नगाड़े बजाते हुए हाथी, घोड़ा,ऊँट पालकी आदि सहित नगर भ्रमणोंपरान्त पञ्चदेवों की स्थापना का कार्य सम्पन्न हुआ।इस शानिचरास्थान के महन्थ शिव रतन साह हैं इसकी अपनी एक कमिटी है।जिसका संरक्षक अर्जुन साह हैं और बाकी के सदस्य भी इस प्रकार हैं।कारी साह,दीना साह,कन्हैया साह,मुन्ना साह,विनोद साह,मोहन साह,प्रदीप साह,विजय साह,रोहित साह, ओम प्रकाश साह एवं मनीष कुमार ठठेरी गली निवासी का सहयोग सराहनिय रहा।उपर्युक्त कार्यक्रम का आयोजन सभी तुरहा समाज के साथ साथ स्थानीय लोगों का भी सराहनिय योगदान रहा।

दुमका : बड़ी संख्या में माँ मौलिक्षा के दरबार पहुँच रहे श्रद्धालु

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अमरेन्द्र सुमन (दुमका)  बड़ी संख्या में श्रद्धाल इस पवित्र महीनेें में मलूटी स्थित माँ मौलिक्षा के दरबार पहुँच रहे हैं। 108 मंदिरों व उतने ही सरोवरों के गाँव से विख्यात मां मौलिक्षा की नगरी मलूटी श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। बड़ी संख्या में श्रद्धालु बासुकिनाथ धाम महादेव के बाद जलार्पण के लिये मलूटी का रुख करते हैं। मलूटी पहुँचने वाले श्रद्धालुओं के लिए आवासन केंद्र से लेकर सभी जरूरी सुविधाओं का ख्याल रखा जा रहा है। सूचना सहायता कर्मी श्रद्धालुओं को मलूटी की पूरी जानकारी तो उपलब्ध कराते ही हैं कोई परेशानी न हो इसका भी ध्यान रखा जाता है।  प्रत्येक दिन श्रद्धालु बड़ी संख्या में  मलूटी  पहुंच रहे हैं।  ग्रामीण वातावरण में पूजा से निवृत्त हो वे काफी खुश दिख रहे है। श्रद्धालुओं के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन आयोजित किया गया है।  बाबा भोलेनाथ की भक्ति में डूबे श्रद्धालु मलूटी में भक्तिमय प्रस्तुति का जमकर लुत्फ उठा रहे है। श्रद्धालुओं ने इस वर्ष बासुकिनाथ धाम व मलूटी में जिला प्रशासन द्वारा उपलब्ध करायी गई व्यवस्थाओं पर अपनी-अपनी प्रसन्नता जाहिर की है। 

दुमका : 3: 44 पूर्वाहन से शुरु हुआ जलार्पण

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दुमका (अमरेन्द्र सुमन) श्रावणी मेला महोत्सव का 28 दिन समाप्त हो चुका। देश के विभिन्न राज्यों से हजारों की संख्या में बासुकीधाम पहुँचने वाले श्रद्धालु जलार्पण कर अपने-अपने घर को वापस लौट रहे हैं। अंतिम पड़ाव पर अब श्रावणी मेला आ चुका है। श्रद्धालुओं की संख्या भी धीरे-धीरे घटती जा रही है। बावजूद दिन शुक्रवार की संध्या 4 बजे तक तकरीबन 48 हजार श्रद्धालुओं ने बाबा फौजदारी नाथ महादेव पर जलार्पण किया। पुरोहित पूजा के बाद प्रातः 3: 44 से ही श्रद्धालु हर-हर महादेव के नारे के साथ बाबा पर जलार्पण के लिये कतारबद्ध थे। विधि व्यवस्था व श्रद्धालुओं की परेशानी को ध्यान में रखते हुए सुरक्षा कर्मी, सूचना सहायता कर्मी, स्वास्थ्य कर्मी, सफाई कर्मी व  विभिन्न विभागों के लोग पूरी आस्था के साथ अपनी-अपनी सेवाएँ बाबा के दरबार में दे रहे हैं। जलार्पण के वक्त  घुसपैठ की सारी संभावनाओं पर अंकुश लगाते हुए सुरक्षा र्किमयों को सतत देखा जा रहा है।  मेले के दौरान मेला क्षेत्र में गंदगी न फैले, इसके लिए रात-रात भर सफाई कर्मी अपनी ड्यूटी पर तैनात देखे जा रहे हैं। मंदिर परिसर से बासुकीनाथ मेला क्षेत्र के चारों ओर सफाई कर्मी अपने-अपने कर्तव्यों का निर्वहन ईमानदारी पूर्वक करते देखे जा रहे हैं।
        



विशेष आलेख : शिवराज सरकार की हिटलरशाही

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मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान को आम तौर पर भाजपा का नरम चेहरा माना जाता रहा है लेकिन उनकी सरकार द्वारा लगातार ऐसे कदम उठाये गये हैं जो कुछ अलग ही तस्वीर पेश करते हैं. इस दौरान कई ऐसे कानून लाने और पाबंदियां लगाने की कोशिशें की गयी  हैं जो नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों का हनन तो करते ही हैं साथ ही लोकतंत्र का गला घोंटने वाले हैं. पूरी कोशिश की गयी है कि सरकार की जवाबदेही कम हो, नागरिकों के अधिकारों में कटौती की जा सके. कुछ ऐसे कानून लाने के प्रयास भी किये गये हैं जो पुलिस प्रशासन को निरंकुश बनाने वाले हैं और इससे उनकी जवाबदेहिता कम होती है. इन सबके बीच मध्यप्रदेश में लोकतान्त्रिक ढंग से होने वाले धरने, प्रदर्शनों पर भी रोक लगाया जा रहा है. राजधानी भोपाल में धरनास्थल के लिये कुछ चुनिन्दा स्थानों का निर्धारण कर दिया गया है जो बंद पार्क या शहर से कटे हुये इलाके है. इसी तरह से पूरे प्रदेश में जलूस निकालने, धरना देने, प्रदर्शन,आमसभाएं करने में भांति भांति की अड़चने पैदा की जा रही हैं.  
भाजपा शासन के दौरान मध्यप्रदेश में विधानसभा की महत्ता और प्रासंगिकता कम होती गयी है, विधानसभा सत्रों की अवधि लगातार कम हुई है,सरकार द्वारा मनमाने तरीके से बीच में ही सत्र को खत्म कर दिया जाता रहा है और विधानसभा में पूछे गये मुश्किल सवालों को “जानकारी एकत्रित की जा रही है” जैसे जुमलों से टाले जाने का चलन बढ़ा है. पिछले दिनों मौजूदा विधानसभा का आखिरी सत्र मात्र पांच दिन के लिए तय किया गया था और इसे मात्र दो दिन में ही स्थगित कर दिया गया.
ऐसा लगता है शिवराज सिंह की सरकार विधायिका के इस बुनियादी विकल्प को ही खत्म कर देना चाहती है कि कोई उससे सवाल पूछे और उसे इसका जवाब देना पड़े. विपक्ष द्वारा सदन में सवाल पूछने,अविश्वास प्रस्ताव रखने जैसे प्रावधान हमारे लोकतंत्र के आधार है लेकिन मध्यप्रदेश में विधानसभा की ताकत को कम करने और जन-प्रतिनिधियों के विशेषाधिकारों को सीमित  करने के दो बड़े प्रयास हो चुके हैं जो लोकतंत्र की मूलभावना के खिलाफ है.
पहला मामला बीते 21 मार्च 2018 विधानसभा सत्र खत्म होने के दिन का है जिसमें प्रदेश के संसदीय कार्य विभाग द्वारा सभी विभागों को एक परिपत्र जारी किया गया था जिसमें साफ निर्देश दिया गया था कि सम्बंधित विभाग मंत्रियों से विधानसभा में पूछे गये ऐसे किसी प्रश्न का कोई उत्तर न दिलवायें जिससे उनकी जवाबदेही तय होती हो. परिपत्र का मजमून कुछ इस तरह से है “विभागीय अधिकारी प्रश्नों के उत्तरों की संरचना, प्रश्नों की अंतर्वस्तु की गहराई से विवेचना करें तो आश्वासनों की व्यापक संख्या में काफी कमी आ सकती है. मंत्रियों को प्रत्येक विषय पर आश्वासन देने में बड़ी सतर्कता बरतना होती है, यदि किसी विषय पर आश्वासन दे दिया जाए तो यथाशीघ्र उसका परिपालन भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए अतः अपेक्षा की जाती है कि नियमावली के अनुबंध डी में आश्वासनों के वाक्य तथा रूप की सूची दी गई है, यह शब्दावली उदाहरण स्वरूप है, विधानसभा सचिवालय सदन की दैनिक कार्यवाही में से इसके आधार पर आश्वासनों का निःस्सारण करता है अतः विधानसभा सचिवालय को भेजे जाने वाले उत्तर/जानकारी को तैयार करते समय इस शब्दावली को ध्यान में रखा जाए तो अनावश्यक आश्वासन नहीं बनेंगे.” जवाब देते समय जिन 34 शब्दावलियों से बचने की हिदायत दी गयी है उनमें “मैं उसकी छानबीन करूंगा”, “मैं इस पर विचार करूंगा”, “सुझाव पर विचार किया जाएगा”, “रियायतें दे दी जायेंगी”, “विधिवत कार्यवाही की जाएगी” आदि शब्दावली शामिल हैं. नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने इसे सरकार द्वारा लोकतंत्र का गला घोंटने, विपक्ष की आवाज दबाने और विधानसभा का महत्व खत्म करने की साजिश बताया है और मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान से इस परिपत्र को वापस लेने की मांग की है.   
इससे पहले मध्यप्रदेश विधानसभा का 2018 के बजट सत्र में ही शिवराज सरकार द्वारा विधानसभा की प्रक्रिया तथा कार्य संचालन संबंधी नियमावली में संशोधन किया गया था जो सीधे तौर पर सदन में विधायको के सवाल पूछने के अधिकार को सीमित करने की कोशिश तो थी ही साथ ही इसमें पहली बार सत्तापक्ष को सदन में “विश्वास प्रस्ताव” लाने का प्रावधान किया गया था  जिसके अनुसार अगर सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ही प्रस्ताव लाते हैं तो इसमें वरीयता सत्तापक्ष द्वारा लाए जाने वाले “विश्वास प्रस्ताव” को ही दी जाएगी और उसके बाद में विपक्ष के “अविश्वास प्रस्ताव” पर विचार किया जाएगा. इसी तरह किये गये संशोधनों के तहत ये प्रावधान किया गया था कि विधयाक किसी अति विशिष्ट और संवैधानिक पदों पर बैठे व्यक्तियों की सुरक्षा के संबंध में हुये खर्च और ऐसे किसी भी मसले पर जिसकी जांच किसी समिति में चल रही हो और प्रतिवेदन पटल पर नही रखा गया हो, के बारे में सवाल नही पूछ सकते हैं. प्रदेश में विघटनकारी, अलगाववादी संगठनों की गतिविधियों के संबंध में भी विधायकों द्वारा जानकारियां मांगने पर पाबंदी लगायी गयी थी. कुल मिलाकर यह एक ऐसा काला कानून था जिससे विपक्ष की भूमिका बहुत सीमित हो जाती. इन नियमों को विपक्ष, मीडिया और सिविल सोसाइटी के दबाव में अंततः शिवराज सरकार को स्थगित करने को मजबूर होना पड़ा है.
मध्यप्रदेश में लम्बे समय से पुलिस कमिश्नर प्रणाली को लागू करने की बात की जाती रही है और अब इसी क्रम में शिवराज सरकार एकबार फिर भोपाल और इंदौर में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लाने का कवायद कर रही है. बीते मार्च महीने में राज्य के गृहमंत्री भूपेंद्र सिंह ने बयान दिया था कि उनकी सरकार पुलिस कमिश्नर सिस्टम को लागू करने पर विचार कर रही है. इसके पीछे दलील दी जा रही है कि इस व्यवस्था के लागू होने से अपराध में कमी आयेगी और अपराधियों को सजा मिलने में जो देरी होती है उससे निजात मिल सकेगी. खुद मुख्यमंत्री भी कह चुके हैं कि “जो हालात हैं उस पर अंकुश लगाने के लिए पुलिस को और अधिकार देना जरूरी दिख रहा है”. अगर यह व्यवस्था लागू होती है तो कलेक्टर की जगह पुलिस को मजिस्ट्रियल पावर मिल जाएगा और उसे धारा 144 लागू करने या लाठीचार्ज जैसे कामों के लिए कलेक्टर के आदेश की जरूरत नहीं रह जाएगा.
शिवराज सरकार द्वारा पुलिस कमिश्रर सिस्टम को लागू कराने के लिए भी काफी जोर लगाया गया  है. इस व्यवस्था के तहत धरना, प्रदर्शन की अनुमति देने का अधिकार कलेक्टर की बजाय पुलिस कमिश्नर के पास आ जायेगा और इससे सरकार को अपने खिलाफ होने वाले धरना-प्रदर्शन और आंदोलनों को काबू करने में भी आसानी हो जायेगी. वरिष्ठ भाजपा नेता और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर ने 2014 में बतौर गृहमंत्री इस व्यवस्था की मुखालफत करते हुये कहा था कि यह अंग्रेजों का बनाया कानून है यह ठीक नहीं होगा कि जो आरोपी को पकड़ रहा है वही उसे सजा भी सुनाए, इससे स्थितियां सुधरने के बजाय और बिगड़ जाएंगी. मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यसचिवकेएस शर्मा का भी कहना है कि ‘पुलिस कमिश्रर प्रणाली लोगों का ध्यान बांटने का एक तरीका है और इससे अपराधों पर नियंत्रिण नहीं होगा.’
पुलिस कमिश्नर प्रणाली के साथ ही मध्यप्रदेश सरकार “जन सुरक्षा एवं संरक्षा विनियमन विधेयक” लाने की तैयारी में है. मध्यप्रदेश पुलिस के वेबसाईट पर प्रस्तावित मध्यप्रदेश जन सुरक्षा एवं संरक्षा विनियमन विधेयक का प्रारूप अपलोड करते हुये इसके बारे में बताया गया है कि, “इस विधेयक का उद्देश्य यह है कि आम जन की सुरक्षा में उन सार्वजनिक स्थलों पर सुरक्षा के मौजूदा प्रबंध के स्तर में वृद्धि हो जहां कि आम जनता का आवागमन होता है. सामान्य जीवन में ऐसी अनेक परिस्थितियां एवं हरकतें प्राय: होती हैं जो कि जन सामान्य विशेषकर महिलाओं, बच्चों एवं बुजुर्गों को अनहोनी के लिये सशंकित करती हैं. उन व्यक्तियों जिनकी हरकतों से जन सामान्य संशकित हो, के विरूद्ध पुलिस विधि मान्य तरीके से हस्तक्षेप कर सके वह तभी संभव हो पाता है जबकि संज्ञेय अपराध हो गया हो, प्रस्तावित अधिनियम में ऐसे प्रावधान हैं जहां कि जनता विशेषकर महिलाओं, बच्चों एवं बुजुर्गों को सशंकित कर रहे ऐसे व्यक्तियों की हरकतों अथवा उनके द्वारा उत्पन्न परिस्थितियों में पुलिस हस्तक्षेप कर सके.” जाहिर है इस विधयेक को लाने के पीछे महिलाओं, बच्चों एवं बुजुर्गों की सुरक्षा का आड़ लिया जा रहा है और अपराध होने के पहले ही शंका के आधार पुलिस के हस्तक्षेप की बात की जा रही है.
जन सुरक्षा एवं संरक्षा विनियमन विधेयक पुलिस को असीमित अधिकार देता है. इसमें कई ऐसे प्रावधान हैं जो एक नागरिक के तौर पर किसी भी व्यक्ति और समाज की निजता व गरीमा पर प्रहार करते हैं. अगर यह कानून के रूप में अस्तित्व में आ जाता है तो एक तरह से पुलिसिया राज कायम हो जायेगा. इससे पुलिस को आम लोगों की जिंदगी में दखल देने का बेहिसाब अधिकार मिल जाएगा और किसी व्यक्ति पर पुलिस द्वारा की गयी कारवाई को अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकेगी. जानकार बताते हैं कि इस नये कानून की तो जरुरत ही नहीं है इससे तो पुलिस को दुरुपयोग के लिए एक और नया हथियार मिलेगा. ये भी जगजाहिर है कि पुलिस को राजनीतिक दबाव में काम करना पड़ता है ऐसे में इस बात की पूरी सम्भावना है कि सरकारें अपने विरोधियों को निशाना बनाने के लिए इसका दुरुपयोग कर सकती हैं. फिलहाल इस विधयेक का मसौदा समीक्षा के लिये विधि विभाग के पास है जहाँ इसे मंजूरी मिलने के बाद इसे अध्यादेश के रूप में लाया जा सकता है.
साल 2015 में शिवराज सरकार द्वारा एक ऐसा विधेयक पास कराया गया था जो कोर्ट में याचिका लगाने पर बंदिशें लगाती है, इस विधयेक का नाम है “‘तंग करने वाला मुकदमेबाजी (निवारण) विधेयक 2015”( Madhya Pradesh Vexatious Litigation (Prevention) Bill, 2015). मध्यप्रदेश सरकार ने इस विधेयक को विधानसभा में बिना किसी बहस के ही पारित करवाया लिया था और फिर राज्यपाल से अनुमति प्राप्त होने के बाद इसे राजपत्र में प्रकाशित किया जा चूका है. अदालत का समय बचाने और फिजूल की याचिकाएं दायर होने के नाम पर लाया गया यह एक ऐसा कानून है जो नागरिकों के जनहित याचिका लगाने के अधिकार को नियंत्रित करता है और ऐसा लगता है कि इसका मकसद सत्ताधारी नेताओं और अन्य प्रभावशाली लोगों के भ्रष्टाचार और गैरकानूनी कार्यों के खिलाफ नागरिकों को कोर्ट जाने से रोकना है. इस कानून के अनुसार न्यायपालिका राज्य सरकार के महाधिवक्ता के द्वारा दी गई राय के आधार पर तय करेगी कि किसी व्यक्ति को जनहित याचिका या अन्य मामले लगाने का अधिकार है या नहीं. यदि यह पाया जाता है कि कोई व्यक्ति बार-बार इस तरह की जनहित याचिका लगाता है तो उसकी इस प्रवृत्ति पर प्रतिबंध लगाया जा सकेगा. एक बार न्यायपालिका ने ऐसा प्रतिबंध लगा दिया तो उसे उस निर्णय के विरूद्ध अपील करने का अधिकार भी नहीं होगा. न्यायालय में मामला दायर करने के लिए पक्षकार को यह साबित करना अनिवार्य होगा कि उसने यह प्रकरण तंग या परेशान करने की भावना से नहीं लगाया है और उसके पास इस मामले से संबंधित पुख्ता दस्तावेज मौजूद हैं. 2015 में कानून लाते समय प्रदेश के वकीलों, सामाजिक कार्यकर्ताओं  और संविधान के जानकारों ने शिवराज सरकार के इस कदम को तानाशाही करार दिया था. वरिष्ठ पत्रकार एल.एस. हरदेनिया कहते हैं कि “इस कानून के माध्यम से सरकार को यह अधिकार मिल गया है कि वह ऐसे लोगों को नियंत्रित करे जो जनहित में न्यायपालिका के सामने बार-बार याचिका लगाते हैं.”
प्रशासन व कानून व्यवस्था चलाने वाली मशीनरी पर राजनीतिक हस्तेक्षप बहुत घातक हो सकती है लेकिन दुर्भाग्य से इधर मध्यप्रदेश में पुलिस और प्रशासन के कामों में राजनेताओं, उनसे जुड़े लोगों, संगठनों का दखल का नया चलन बढ़ा है. पिछले साल मध्यप्रदेश में कटनी जिले के तत्कालीन एसपी गौरव तिवारी के साथ भी यही दोहराया गया जिन्होंने 500 करोड़ रुपए के बहुचर्चित हवाला कारोबार का पर्दाफाश किया था जिसमें शिवराज सरकार के सबसे अमीर मंत्री संजय पाठक और आरएसएस के एक वरिष्ठ नेता की संलिप्तता सामने आ रही थी. लेकिन इससे पहले कि गौरव तिवारी किसी निष्कर्ष पर पहुँचते उनका तबादला कर दिया गया. इस पूरे घटनाक्रम की सबसे खास बात यह रही है कि अपने चहेते एसपी के तबादले के विरोध में बड़ी संख्या में कटनी की जनता सड़कों पर उतर आयी थी. मध्यप्रदेश के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ जब किसी पुलिस अधिकारी के तबादले के विरोध में इतना बड़ा जनाक्रोश देखने को मिला हो. इन सबके बीच मुख्यमंत्री शिवराज सिंह पूरी तरह से संजय पाठक के पक्ष में खड़े नजर आये. उन्होंने एसपी गौरव तिवारी को कटनी वापस बुलाने की मांग को खारिज करते हुए कहा था कि महज आरोपों के आधार पर किसी के भी खिलाफ कार्रवाई नहीं की जाएगी.
इसी तरह से 2016 की एक घटना है जिसमें बालाघाट जिले के बैहर में आरएसएस प्रचारक सुरेश यादव के साथ पुलिस की तथाकथित मारपीट के मामले में भी शिवराज सरकार द्वारा की गयी कारवाही पर यह सवाल उठे थे कि राज्य सरकार ने संघ के दबाव में बिना जाँच किये ही पुलिस अधिकारियों के खिलाफ ही मामला दर्ज करा दिया. दरअसल भड़काऊ सन्देश फैलाने के आरोप में सुरेश यादव को गिरफ्तार करने के लिए जब पुलिसकर्मी स्थानीय संघ कार्यालय गए तो उन्हें धमकी दी गयी थी कि “आप नहीं जानते कि आपने किसे छूने की हिम्मत की है, हम मुख्यमंत्री और यहाँ तक की प्रधानमंत्री को हटा सकते हैं, हम सरकारें बना और गिरा सकते हैं, तुम्हारी कोई हैसीयत नहीं, थोड़ा इंतजार करो अगर हम तुम्हारी वर्दी नहीं उतरवा सके तो संघ छोड़ देंगे.” भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय का भी एक धमकी भरा ट्वीट सामने आया था जिसमें उन्होंने इसे ‘अक्षम्य अपराध’ करार देते हुए सवाल पूछा था कि ‘क्या हमारी सरकार में नौकरशाही की इतनी हिम्मत भी हो सकती है?बाद में धमकियां सच भी साबित हुईं और शिवराज सरकार ने संघ प्रचारक को गिरफ्तार करने गये पुलिसकर्मीयों पर ही हत्या के प्रयास,लूटपाट जैसे गंभीर चार्ज लगा दिए थे जिसकी वजह से उन्हें खुद की गिरफ्तारी से बचने के लिए फरार होना पड़ा. इस पूरे मामला में संघ प्रचारक पर सोशल मीडिया में भड़काने वाले मेसेज पोस्ट करने का आरोप था जिसके बाद स्थानीय स्तर पर माहौल गर्माने लगा था और इसकी शिकायत थाने में की गयी जिसके बाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया गया. इस दौरान संघ ने आरोप लगाया कि हिरासत के दौरान पुलिस ने संघ प्रचारक के साथ मारपीट की है जिसमें उसे गंभीर चोट आयीं हैं. संघ द्वारा इस पूरे मामले को कुछ इस तरह पेश किया गया कि मानो टीआई ने मुसलमान होने के कारण संघ कार्यालय पर हमला किया था. इस मामले को लेकर संघ ने पूरे प्रदेश में विरोध प्रदर्शन किया था जिसके बाद सरकार ने बिना किसी जांच के बालाघाट के एडिशनल एसपी, बैहर के थाना प्रभारी तथा 6 अन्य पुलिस कर्मियों के ऊपर धारा 307 सहित कई मामलों में केस दर्ज करते हुये उन्हें सस्पेंड कर दिया था. इस दौरान जिन पुलिसकर्मीयों पर कार्यवाही की गयी थी उनके परिजनों का कहना था कि बालाघाट में पुलिस वालों को नक्सलियों से ज्यादा आरएसएस,बजरंग दल,गोरक्षा समिति और भाजपा कार्यकर्ताओं से डर लगता है अब ऐसी परिस्थिति में कानून व्यवस्था कैसे लागू की जाएगी.
2016 में ही झाबुआ जिले के पेटलाबाद में मोहर्रम जुलूस रोके जाने को लेकर हुए झड़प के मामले में वहाँ के प्रशासन पर भाजपा सांसदों और संघ के नेताओं द्वारा दबाव डालने का मामला सामने आया था. यहां पुलिस ने कारवाई करते हुये आरएसएस के करीब आधा दर्जन स्थानीय पदाधिकारियों पर मुकदमा दर्ज करते हुये उन्हें गिरिफ्तार कर लिया था जिसके बाद पुलिस द्वारा की गयी इस कारवाई पर आरएसएस की नाराजगी सामने आई थी जिसे देखते हुये तत्कालीन पुलिस अधीक्षक को हटा दिया गया था और तत्कालीन उप पुलिस अधीक्षक व थाना प्रभारी को निलंबित कर दिया गया था क्योंकि इन लोगों ने दंगा और आगजनी करने के आरोप में संघ परिवार से जुड़े संगठनों के कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार करने की गुस्ताखी की थी. इस मामले में संघ की नाराजगी को दूर करने के लिये शिवराज सरकार ने सेवानिवृत्त जज आरके पांडे की अध्यक्षता में जांच आयोग गठित किया था. आयोग ने अक्टूबर 2017 में अपनी जो रिपोर्ट मध्यप्रदेश सरकार को सौंपी है उसमें आरएसएस पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को क्लीनचिट देते हुये आरएसएस कार्यकर्ताओं पर पुलिस द्वारा की गयी कार्रवाई को द्वेषपूर्ण और बदला लेने वाला बताया गया है.
उपरोक्त घटनायें बताती हैं कि मध्यप्रदेश में प्रतिरोध की आवाज दबाने और विरोध एवं असहमति दर्ज कराने के रास्ते बंद करने की हर मुमकिन कोशिश की गयी है, विधानसभा जैसे लोकतंत्र की बुनियादी संस्थाओं को लगातार कमजोर किया गया है और जन-प्रतिनिधियों के विशेषाधिकारों को सीमित करने और नागरिकों से उन्हें संविधान द्वारा प्राप्त बुनियादी अधिकारों को कानून व प्रशासनिक आदेशों के जरिये छीनने को कोशिशें की गयी हैं. इन्हें हल्के में नहीं लिया जा सकता है इससे लोकतंत्र कमजोर होगा और सरकारी निरंकुशता बढ़ेगी. इसलिये शिवराज सरकार को चाहिए कि वो हिटलरशाही का रास्ता छोड़े और प्रदेश में लोकतांत्रिक वातावरण का बहल करें और संवैधानिक भावना के अनुसार काम करे.  



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जावेद अनीस
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सीहोर (मध्यप्रदेश) की खबर 25 अगस्त

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अस्थि कलश को बुदनी वासियों ने अर्पित की श्रंद्धांजलि
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शनिवार 25 अगस्त को पूर्व प्रधानमंत्री स्व.श्री अटल बिहारी वाजपेयी  का अस्थि कलश नर्मदा नदी के होशंगाबाद के सेठानी घाट पर विसर्जन हेतु ले जाते हुए सीहोर जिले के बुदनी  नगर पहुँचने पर नगरवासियों ने हजारों की संख्या में उपस्थित होकर श्रद्धा सुमन अर्पित कर भावभीनी श्रद्धांजलि दी। अस्थिकलश के साथ मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष श्री राकेश सिंह, प्रदेश भाजपा संगठन महामंत्री श्री सुभाष भगत सहित अन्य जनप्रतिनिधि थे।  श्रद्धासुमन अर्पित करने वालों में अपैक्स बैंक प्रशासक श्री रमाकांत भार्गव, वेयर हाउसिंग कारपोरेशन के अध्यक्ष श्री राजेन्द्र सिंह राजपूत, वन विकास निगामाध्यक्ष श्री गुरुप्रसाद शर्मा सहित जनप्रतिनिधि शामिल थे।

जिला स्तरीय मीडिया प्रमाणिकरण एवं अनुवीक्षण समिति की बैठक संपन्न

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आगामी विधानसभा निर्वाचन को दृष्टिगत् रखते हुए जिला स्तरीय मीडिया प्रमाणिकरण एवं अनुवीक्षण समिति (एमसीएमसी) की बैठक कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी तथा एमसीएमसी अध्यक्ष श्री तरुण कुमार पिथोड़े की अध्यक्षता में कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में आयोजित की गई। बैठक में कलेक्टर श्री पिथोड़े ने समिति के उद्देश्य एवं कार्यों पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए निष्पक्ष, तटस्थ तथा पारदर्शी निर्वाचन संपन्नता को सर्वोच्च प्राथमिकता देने हेतु निर्देशित किया। बैठक में उप जिला निर्वाचन अधिकारी श्री मेहताब सिंह गुर्जर, सदस्य सचिव श्री अशीष शर्मा तथा सदस्य श्री शैलेष तिवारी, रिटर्निंग ऑफीसर श्री वरुण अवस्थी, श्री राजीव रंजन पाण्डेय, सहायक रिटर्निंग ऑफीसर श्री मोतीलाल अहिरवार, श्री ए.एल.मरावी, निर्वाचन पर्यवेक्षक श्री आदित्य कर्वे सहित अन्य शासकीय सेवक उपस्थित थे।

सभी अधिकारी मुख्यालय पर ही निवास करें - कलेक्टर
कलेक्टर श्री तरुण कुमार पिथोड़े ने समस्त जिला प्रमुखों को निर्देश देते हुए कहा कि है कि बार-बार निर्देशित करने के बावजूद भी कई अधिकारी मुख्यालय पर निवासरत् नहीं है तथा भोपाल से आना-जाना करते हैं, इस कारण न केवल विभागीय कार्यों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है बल्कि अधीनस्थ अमले पर भी विपरीत असर पड़ता है। वर्तमान में निर्वाचन संबंधी कार्य भी प्रारंभ हो चुके है। समस्त जिला प्रमुख मुख्यालय में तत्काल निवास करना प्रारंभ करें व सात दिवस के भीतर अपने निवास का पता भी उपलब्ध कराएं। 

मॉकपोल के दौरान कलेक्टर की उपस्थिति में राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों ने डाले वोट

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स्थानीय महिला पॉलीटेक्निक कॉलेज में शनिवार को जिला निर्वाचन कार्यालय द्वारा मॉकपोल का आयोजन कर राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों को ईव्हीएम मशीन और व्ही.व्ही.पीएटी की संपूर्ण जानकारी दी गई और उनसे डमी वोटिंग भी करवाई गई। इस कार्यालय में भाजपा से हृदेश राठौर, कांग्रेस से दामोदर राय, समाजवादी पार्टी से इंद्रा भील सहित अन्य राजनैतिक दल के प्रतिनिधियों ने वोट डालने की समस्त प्रक्रिया को बारीकी से समझा। प्रतिनिधियों द्वारा पूछे गए प्रश्नों का उपस्थित विशेषज्ञों द्वारा उचित जबाव देकर उनकी शंकाओं का समाधान किया गया।  इस अवसर पर कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी श्री तरुण कुमार पिथोड़े, उप जिला निर्वाचन अधिकारी श्री मेहताब सिंह गुर्जर, एसडीएम श्री वरुण अवस्थी एवं तहसीलदार श्री सुधीरसिंह सहित अन्य शासकीय सेवक उपस्थित थे।

अधिवक्ताओं हेतु एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन सम्पन्न

म0प्र0 राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण जबलपुर के निर्देशानुसार माननीय जिला न्यायाधीश/अध्यक्ष श्री ऋषभ कुमार सिंघई जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के मार्गदर्शन में 25 अगस्त 2018 को जिला न्यायालय परिसर स्थित एडीआर सेंटर भवन में जिला सीहोर, तहसील नसरूल्लागंज, आष्टा, इछावर एवं बुदनी के विधिक सेवा पैनल अधिवक्ताओं हेतु एक दिवसीय प्रषिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया।  प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वारा मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्र्यापण एवं दीप प्रज्जवल कर किया गया, उक्त प्रशिक्षण कार्यक्रम में काफी संख्या में विधिक सेवा पैनल अधिवक्ताओं द्वारा विषेष रूचि लेकर भाग लिया गया। प्रशिक्षण कार्यक्रम में जिला एवं सत्र न्यायाधीश, माननीय विशेष न्यायाधीश श्री अफसर जावेद खान, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सचिव, अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री एसके नागोत्रा, श्रीमती स्मृतासिंह ठाकुर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एवं श्री केयू कुरैशी, श्री राजेश काशिव, अधिवक्ता, श्रीमती सुनीता गोयल जिला रजिस्ट्रार, न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी, श्री जफर इकबाल, श्रीमती ज्योत्सना आर्य एवं सुश्री रिनी खान न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी जिला न्यायालय सीहोर एवं जिला सीहोर अभिभाषक संघ के अन्य सभी सम्मानीय पेनल अधिवक्ता भी उक्त प्रषिक्षण कार्यक्रम में उपस्थित थे। कार्यक्रम रूपरेखा अनुसार प्रशिक्षित ट्रेनर श्री अफसर जावेद खान विषेष न्यायाधीश,  सचिव/अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री एस.के. नागौत्रा, श्रीमति स्मिता सिंह ठाकुर सी.जे.एम., श्री राजेश काशिव अधिवक्ता, श्री केयू कुरैशी अधिवक्ता द्वारा पेनल अधिवक्ताओं को प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण के अंत में उपस्थित पेनल अधिवक्ताओं को प्रमाण-पत्र वितरण कर कार्यक्रम का सफलतापूर्वक समापन किया गया। 

संबल एवं जनहितैशी कल्याणकारी योतनाओं के हितग्राहियों को लाभ वितरण कार्यक्रम संपन्न
226 हितगग्राहियों को मिला विभिन्न योजनाओं का लाभ

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मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा प्रदेश में संचालित विभिन्न जनहितैशी योजनाओं के हितग्राहियों को लाभ दिए जाने के संबंध में संबल योजना के अन्तर्गत शनिवार को नगरपालिका द्वारा टाउनहाल परिसर में नपाध्यक्ष श्रीमती अमिता जसपाल अरोरा के मुख्य आतिथ्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें 226 हितग्राहियों ने विभिन्न योजनाओं में लाभ प्राप्त किया। जिसमें मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना में 2 हितग्राहियों को ई-रिक्शा राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन नपा सीहोर द्वारा प्रदान किए गए एवं प्रधानमंत्री आवास योजना अन्तर्गत सौ हितग्राहियों को गृह प्रवेश कराया गया। निराश्रित पेंशन योजना अन्तर्गत दस पेंशनधारियों को स्वीकृति पत्र, केश शिल्पी योजना अन्तर्गत पांच हितग्राहियों को व्यवसाय परिचय पत्र, स्व सहायता समूह में पांच लोन ऋण स्वीकृत पत्रों, मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के चालीस हितग्राहियों को स्वीकृति पत्र, आर्थिक कल्याण योजना अन्तर्गत चालीस हितग्रहियों को स्वीकृति लोन पत्रक, कौशल प्रशिक्षण के नौ लोगों को स्वीकृति पत्र, पथ विक्रेता पंजीयन पांच हितग्रहियों को वितरित किए गए। इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा भोपाल से सीधे प्रसारण की भी व्यवस्था की गई जिसमें मुख्यमंत्री द्वारा अपने संबोधन में शासन की योजनाओं का लाभ गरीब, मजदूर, छोटे व्यवसाय करने वालों को लाभ मिले इसके संबंध में अपना संबोधन दिया। इस अवसर पर नगर के सैकड़ों की तादात मे विभिन्न योजनाओं के हितग्राही एवं शेष रहे हितग्राहियों ने पंजीयन के लिए निकाय द्वारा पृथक से स्टाल लगाकर नवीन पंजीयन का कार्य भी किया। कार्यक्रम में शहर के गणमान्य नागरिक एवं मुख्य नगरपालिका अधिकारी सहित बड़ी संख्या में अधिकारी, कर्मचारी उपस्थित थे।

संबिधान को रक्षा सूत्र बंदवाकर ली रक्षा की शपथ।

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सीहोर/ भारतीय संस्कृति के पावन पर्व रक्षा बंधन पर बहन अपने भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती है तो भाई अपनी बहन की रक्षा का बचन देते है, इस तर्ज पर युवा कांग्रेस के कार्यकर्ता देश भर में रक्षा बंधन को संबिधान बचाओ पर्व के रूप में मना रहे है। इस तारतम्भ मे रक्षा बंधन पर्व की पूर्व संध्या जिला युवा कांग्रेस के अध्यक्ष राजीव गुजराती द्वारा सीहोर विधानसभा के ग्राम खंडवा पहुचे जहाँ नन्ही बालिका निहारिका द्वारा संबिधान की किताब को रक्षा सूत्र बांधा गया और वरिष्ठ कांग्रेसजनों ओर युवा कांग्रेस कार्यकर्ताओं द्वारा भारतीय संविधान की रक्षा करने का संकल्प लिया गया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए युवा कांग्रेस जिलाध्यक्ष राजीव गुजराती ने कहा कि भारतीय संविधान से बढ़कर देश के नागरिकों के लिए कुछ भी नही है, भारत देश मे सभी लोगो को समान आधिकार प्राप्त है। हमारे देश मे संबिधान की प्रति को जलाने का प्रयास किया गया वही मोव लींचिंग जैसी घटनाएं आम बात हो गई है ओर देश मे न्यायपालिका पत्रकारिता और अन्य न्यायिक संस्थाओं में दखल दिए जाने की कोशिश की जा रही है । कार्यक्रम में वरिष्ठ नेता मांगीलाल जाट, अध्यक्ष राम गोपाल मंडलोई,  जयराम जाट, अरविंद जाट, हामिद अली उपसरपंच, लक्ष्मी नारायण संगोई, राहुल गोस्वामी,बलराम धनगर, हरि जाट,जितेंद्र मालवीय, हरीश विश्वकर्मा, अशोक माहेश्वरी, मनोज मंडलोई, विक्रम सूर्यवंशी, जुगल किशोर जाट, रोहित मालवीय, रवि जाट आदि कांग्रेसजन उपस्थित थे। 

बेगूसराय : अटल स्मृतिशेष की बहते गंगाजल में सिमरिया में विसर्जित अस्थि कलश।

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बेगूसराय (अरुण कुमार) अटल बिहारी वाजपेई जी का अस्थि कलश विसर्जन यात्रा बेगूसराय बछवारा के रसीदपुर से प्रारंभ होकर बछवारा तेघरा बरौनी जीरो माइल बीहट मलीहपुर थर्मल होते हुए सिमरिया गंगा घाट पर बिहार भाजपा के अध्यक्ष नित्यानंद राय जी ने वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ गंगा में अटल बिहारी वाजपेई जी का अस्थि कलश का विसर्जन किया इस मौके पर भारी संख्या में लोग मौजूद थे जो लगातार नारा लगा रहे थे जब तक सूरज चांद रहेगा अटल बिहारी बाजपेयी तेरा नाम रहेगा अटल बिहारी वाजपेयी अमर रहे अमर रहे नारे से सिमरिया घाट गूंज रहा था,इस अवसर पर प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय के अलावा प्रदेश महामंत्री सुशील चौधरी,विधान पार्षद रजनीश कुमार,प्रदेश मंत्री राम लखन सिंह,जगन्नाथ ठाकुर पूर्व विधायक सुरेंद्र मेहता,रामानंद राय,जिला अध्यक्ष संजय सिंह,पूर्व जिला अध्यक्ष संजय सिंह,प्रदेश उपाध्यक्ष गोपाल ठाकुर,लोकसभा प्रभारी राम सागर सिंह,भाजयुमो बिहार प्रदेश के मीडिया प्रभारी मृत्युंजय कुमार विरेश भाजपा के महामंत्री कृष्ण मोहन पप्पू,अमरेश कुमार बीहट नगर मंडल अध्यक्ष कृष्ण मोहन सिंह बीहट नगर परिषद के मुख्य पार्षद अशोक सिंह,प्रेम शंकर राय,राजकिशोर सिंह जदयू जिलाध्यक्ष भूमिपाल राय,वॉलीवुड अभिनेता अमिय कश्यप,बिहार सीने एशोसिएशन के संयोजक राकेश कुमार (महन्थ जी)और वही प्रशासनिक स्तर पर सुरक्षा की देखरेख कर रहे बेगूसराय के ए एसपी मिथिलेश कुमार,सदर एसडीओ संजीव चौधरी,प्रखंड विकास पदाधिकारी सुनील कुमार,अंचलाधिकारी अजय राज समेत सैकड़ों पुलिसकर्मी मौजूद थे।

बिहार : बिना वैकल्पिक व्यवस्था किए गरीबों के उजाड़ना पूरी तरह गरीब विरोधी कदम: माले

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पटना (आर्यावर्त डेस्क) 25 अगस्त 2018, भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल ने अतिक्रमण के नाम पर पटना शहर में गरीब उजाड़ो अभियान की कड़ी आलोचना की है और इस पर अविलंब रोक लगाने की मांग की है. उन्होंने कहा कि सरकार के इस कदम से आज पटना शहर के हजारों गरीब बेघर-बार हो गए हैं. बरसात के इस मौसम में वे खुले आसमान में रहने को मजबूर हैं. सरकार का यह कदम पूरी तरह गरीब विरोधी है. उन्होंने कहा कि पटना उच्च न्यायालय का सख्त निर्देश है कि बिना वैकल्पिक व्यवस्था किए गरीबों को नहीं उजाड़ा जा सकता, लेकिन सरकार न्यायालय के इस निर्देश का खुल्लम खुल्ला उल्लंघन कर रही है. सरकार गरीबों के लिए आवास का निर्माण तो नहीं ही करवा रही है, लेकिन गरीबों को उजाड़ने में सबसे आगे रहती है. हमारी पार्टी मांग करती है कि पटना उच्च न्यायालय इस मामले में स्वतः संज्ञान ले और सरकार को गरीबों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था करने का दवाब बनाए.

बेगूसराय : ऑल इंडिया तंजीम-ए-इंसाफ बेगूसराय की विस्तृत बैठक सम्पन्न।

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aaitei-meeting-and-seminar-begusarayबेगूसराय (अरुण कुमार) आज दिनांक 25 अगस्त 2018 को आॅल इंडिया तंजीम ए इंसाफ बेगूसराय की विस्तृत बैठक सह  *अल्पसंख्यक पर बढ़ते हमले* सेमिनार का आयोजन सूरज भवन टाउनशिप में जिला अध्यक्ष अमीन हमजा की अध्यक्षता में आयोजित की गई। बैठक को संबोधित करते हुए भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी राज्य सचिव मंडल सदस्य जब्बार आलम ने कहा कि हिंदुस्तान के अंदर दो तरह का व्यवहार संविधान इजाजत नहीं देता है। लगातार देश के अल्पसंख्यकों के सौतेला व्यवहार अपनाकर उनके अधिकार पर हमले किए जा रहे हैं। मोदी के द्वारा तीन तलाक के नाम पर अल्पसंख्यकों के अधिकार कुचले जा रहे हैं जो देश के मुस्लिम महिलाओं को पसंद नहीं। जिसके खिलाफ मुस्लिम बहनों ने पिछले दिनों देश के अंदर बड़ा आंदोलन खड़ा किया। अल्पसंख्यकों को एक साजिश के तहत घेर कर मारा जा रहा है। इस स्थिति से निपटने के लिए हिंदू मुसलमान एकता कायम करना पड़ेगा। हमारी पार्टी के द्वारा पिछले दिनों हिंदू मुसलमान एकता का विशाल भी पेश किया गया। पूर्व विधायक अवधेश राय ने कहा कि बेगूसराय के अल्पसंख्यकों का क्रांतिकारी इतिहास रहा है, उन्होंने हमेशा से हिंदू मुसलमान एकता का परिचय दिया। भारतीय कमुनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल सदस्य सर पूर्व विधायक राजेंद्र प्रसाद सिंह ने कहा कि बेगूसराय के अंदर हिंदू मुस्लिम एकता को तोड़ने नहीं दिया जाएगा ऐसे तत्वों को जो सांप्रदायिक उन्माद फैलाना चाहते हैं उनका मुंह तोड़ जवाब दिया जाएगा। सेमिनार को राज्य सचिव जावेद खान ,ऑल इंडिया यूथ फेडरेशन के राज्य उपाध्यक्ष अभिनव कुमार अकेला,एआईएसएफ जिला अध्यक्ष सजग, राजेंद्र चौधरी, अनिल कुमार अंजान, समाज सेवी मोहम्मद जहांगीर ने भी संबोधित किया। मौके पर ताइक्वांडो अंतर्राष्ट्रीय खेल में स्वर्ण पदक हासिल कर देश का नाम रोशन करने वाले कैसर रेहान को सम्मानित किया गया। सेमिनार के मौके पर शादाब खुर्शीद, साफिया परवीन, रौनक परवीन, तरन्नुम परवीन, उजाला परवीन, मोहम्मद शाहरुख, शहंशाह, प्रलेस के ललन कुमार, तालिमी मरकज के तारिक अनवर, इंजमाम, मोहम्मद गयास , मोहम्मद खालिद, उपस्थित थे। समापन भाषण एवं कार्य रिपोर्ट तंजीम इंसाफ के जिला मंत्री नूर आलम खान ने पेश किया। मौके इंसाफ के राज्य महासचिव इरफान अहमद फातमी ने तमाम सदस्यों से अपील किया 31 अगस्त को अल्पसंख्यकों के सवाल पर होने वाले समाहरणालय पर प्रदर्शन को सफल बनाने पर जोर दिया गया।

दुमका : श्री राम के वनवास से लौटने व रामराज्य वर्णन के साथ ही नौ दिवसीय कथा की समाप्ति।

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अमरेन्द्र सुमन, दुमका, नौ दिवसीय संगीतमय श्रीराम कथा के अंतिम दिन प्रभु श्री राम के लम्बावधि  वनवास की समाप्ति के बाद वापस अयोध्या लौटने का अलौकिक वर्णन व अयोध्या में रामराज्य की महिमा का बड़ा ही सुन्दर वर्णन किया गया।  श्री रामकथा समिति,  शिवपहाड़़,  दुमका  के तत्वावधान में दिन शनिवार को आयोजित  भक्तिमय कार्यक्रम में  प्रवचनकर्ता  राजकुमार हिम्मतसिंहका ने उत्तरकांड की संपूर्ण कथाा का  वर्णन किया। रामराज्य की महिमा का वर्णन करते हुए  प्रवचनकर्ता राज कुमार हिम्मतसिंहका ने कहा कि  जिस प्रकार श्री राम आदर्श महापुरुष थे उसी प्रकार उनका राज्य भी आदर्श था। उनके राज्य में न कोई दुखी, न दरिद्र , न कोई दीन और न ही  कोई पीड़ा होती थी। किसी को भी दैहिक, दैविक व भौतिक ताप नहीं सताता  था। सब मनुष्य परस्पर प्रेम से रहते थे और वेदों में बतलाएं तरीके से अपने-अपने धर्म का पालन किया करते थे । कथा में प्रवचनकर्ता  ने आगे कहा कि जीवात्मा के बड़े भाग्य जागते हैं तो उसे भगवान मनुष्य शरीर प्रदान करते हैं। मनुष्य शरीर प्रदान कर भगवान यह आशा करते हैं कि मनुष्य इस प्रकार अपना कर्म  करें,  भगवान की प्रेम पूर्वक भक्ति करें जिससे उसे मोक्ष प्राप्त हो और वह  जन्म्म-मरण के चक्र से छुटकारा प्राप्त कर सकें। कर्म व भक्ति के मामले में भगवान ने मनुष्य को स्वतंत्र कर दिया है।  भक्ति को तो इतना सरल कर दिया है कि हम यदि  कुछ ना भी कर सकें सिर्फ भगवान के गुण समूह एवं लीलाओं का प्रेम पूर्वक गायन  अथवा श्रवण करें,  बिना परिश्रम के ही वह  संसार रूपी समुद्र से तर जााएगा। 

    कलियुग सम जुग आन नहिं जौं नर कर विश्वास ।
     गायी रामगुन गन विमल, भव तर बिनही प्रयास ।।

सबों की मंगलकामना करते हुए अंत में आयोजन में सहयोग करने वाले तमाम लोगों  को धन्यवाद देते हुए नौ दिवसीय संपूर्ण श्री राम कथा को विराम दे दिया  गया।

बेगूसराय : पेड़ों को राखी बांध मनाया रक्षाबंधन सह वृक्षाबंधन।

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बेगूसराय (अरुण कुमार) भाई बहन के खूबसूरत रिश्ते में मिठास और उमंग लाने वाले त्योहार रक्षाबंधन के एक दिन पूर्व वर्षों से भारद्वाज गुरुकुल में मनाया जाने वाला उत्सव वृक्षाबंधन है।जान है तो जहान है।पर्यावरण के तत्वों के प्रति जब तक भावनात्मक लगाव नहीं होगा तब तक मानव असुरक्षित रहेगा।केरल में आये बाढ़ ने मानवों के कृत्रिम विकास को ठेंगा दिखा दिया है।सब कुछ धरा रह गया।हज़ारों करोड़ के नुकसान के बाद भी अगर हम नहीं संभले तो बर्बादी तय है।बचपन से ही बच्चों को पर्यावरण के प्रति सजग रहने के लिए किया गया छोटा छोटा प्रयास आज सुखद परिणाम दिया है।विद्यालय परिसर में दर्जनों बड़े पेड़ हैं और सैकड़ों छोटे छोटे पौधे हैं।भावनात्मक लगाव के कारण बच्चे इन पेड़ पौधों को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। लाखों लीटर का जल संरक्षण किया जा रहा है।पेड़ काटकर,उससे बने कागज़ पर पर्यावरण संरक्षण विषय पर लेख लिखने से लाख गुणा बेहतर है कि इन बच्चों को प्रेरित कर पौधा लगाने और संरक्षण की पढ़ाई कराई जाए।लेख लिखने पर कुछ बच्चों को अंक अच्छे आ जाएंगे परंतु जीवन में वो पिछड़ जाएंगे।बहुत सारे बच्चे लेख में व्याकरणीय गलती करते हैं,अच्छे शब्दों का प्रयोग नहीं कर पाते हैं लेकिन मेरे आंकलन में वो बेहतरीन हैं,क्योंकि उन्होनें ज़मीन पर काम किया है और उनका काम दिखता है।पेड़ पौधों में आज के दिन रक्षा सूत्र बांधकर हम सब प्रण लेते हैं कि हर हाल में हम इनकी रक्षा करेंगे।प्रकृति का सम्मान एवं पूजन भारतीय संस्कृति के मूल में है।जब तक इन तत्वों में हमें देवी और देवता दिखते थे तब तक पर्यावरण हमें सुरक्षित रखता था।आज पर्यावरण के तिरस्कार ने या तो मानव का असमय प्राण लिया है या फिर घुंट घुंट कर जीने को विवश किया है।विज्ञान की पढ़ाई का कतई ये मतलब नहीं है कि हम river को sewer बना दें।असली फूल की जगह नकली का फैलाव कर दें।मानव को अगर ज़िंदा रहना है तो प्रकृति के प्रति भावनात्मक लगाव,जुड़ाव तो रखना ही होगा अन्यथा मानव जाति का अंत कुछ वर्षों में तय है।इस तरह के शिक्षा का प्रचार-प्रसार करने वाले यूँ तो कितने ही होंगे,परन्तु बेगूसराय में एक मात्र भारद्वाज गुरुकुल के प्राचार्य शिव प्रकाश भारद्वाज ही ऐसे कार्यों में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते हैं।

दरभंगा : दरभंगा जिले का भविष्य का नेतृत्व कौन करेगा ??

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दरभंगा (आर्यावर्त डेस्क), आर्यावर्त ने एक पहल की है, दरभंगा जिला अपना भविष्य चुने और भविष्य में उसको देने वाला सक्षम नेतृत्वकर्ता का चयन करे, समूह ने पारदर्शिता के तहत फेसबुक पर सर्वे कर नाम मांगे और उस आधार पर चुने गए प्रतिभागी को इस पहल में शामिल किया है. आपका हर मत एक मजबूत नेतृत्व चुनेगा और जिले के भविष्य का निर्धारण भी करेगा। आइये इस पहल में सक्रीय साझेदारी निभाइये।
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