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विदिशा (मध्यप्रदेश) की खबर 04 सितंबर

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मीडिया सेल का गठन

कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी श्री कौशलेन्द्र विक्रम सिंह के द्वारा जिला मुख्यालय पर मीडिया सेल गठन करने के आदेश जारी कर दिए गए है। मीडिया सेल सुव्यवस्थित रूप से कार्यो का सम्पादन करें इसके लिए अधिकारियों को दायित्व सौंपे गए है जिसमें जनसम्पर्क अधिकारी, जिला शिक्षा अधिकारी श्री एचएन नेमा को प्रकोष्ठ का प्रभारी अधिकारी बनाया गया है प्रकोष्ठ के कार्यो में सहायता हेतु जिला नाजिर श्री उदय हजारी और ईजीएस बदनपुरा टपरा की सहायक अध्यापिका श्रीमती नेहा खत्री को दायित्व सौेंपा गया है। 

जनसुनवाई में 130 आवेदन प्राप्त हुए

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कलेक्टर श्री कौशलेन्द्र विक्रम सिंह के द्वारा आज आहूत की गई जनसुनवाई कार्यक्रम में 130 आवेदकों ने अपने आवेदन प्रस्तुत कर व्यक्तिगत और सार्वजनिक समस्याओं की ओर ध्यान आकर्षित कराया। कलेक्टर द्वारा मौके पर 85 आवेदनों का निराकरण किया गया है शेष लंबित आवेदनों पर समय सीमा में कार्यवाही करने के निर्देश संबंधित विभागो के अधिकारियों को दिए गए है। आज प्राप्त अधिकांश आवेदन बीपीएल सूची में नाम दर्ज करने, शौचालय का निर्माण कराए जाने, नामांतरित भूमि का कम्प्यूटर में रिकार्ड दर्ज करने, सूखाराहत की राशि दिलाए जाने बावत, सड़क का निर्माण कराए जाने के अलावा स्वास्थ्य उपचार संबंधी प्राप्त आवेदनों पर नियमानुसार कार्यवाही कर आवेदकों को अवगत कराया गया। जिला पंचायत के सभागार कक्ष में हुई जनसुनवाई कार्यक्रम में कलेक्टर श्री सिंह, सीईओ जिला पंचायत डाॅ पंकज जैन, सहायक कलेक्टर श्री विवेक कुमार ने कुर्सियों में बैठे आवेदको से सीधे जाकर चर्चा की और संवाद के माध्यम से उनकी समस्याओं को जाना तथा प्राप्त आवेदनों पर कार्यवाही की गई है। जनसुनवाई कार्यक्रम में अपर कलेक्टर श्री एचपी वर्मा समेत अन्य विभागों के जिलाधिकारी भी मौजूद थे। 

सूखाराहत राशि के शेष कृषकों के प्रकरण निराकरण हेतु नवाचार

कलेक्टर श्री केव्ही सिंह ने सभी तहसीलदारों को आदेश जारी कर उन्हें आगामी पांच दिनों तक अपने कार्यालयों में लगातार उपस्थित रहकर सूखाराहत राशि से शेष कृषको के आवेदनों का निराकरण करेंगे। कलेक्टर श्री सिंह के द्वारा पांच सितम्बर से आगामी दस सितम्बर तक हर रोज  प्रातः 11 बजे से सायं साढे पांच बजे तक तहसील कार्यालय में उपस्थित रहकर सूखा राहत के भुगतान संबंधी प्रकरणों को निराकृत करेंगे। सूखा राहत राशि जिन कृृषकों को स्वीकृत की गई है और अब तक उनके बैंक खातों में जमा नही हुई है ऐसे सभी कृषकबंधु आगामी पांच दिवसों के भीतर संबंधित तहसील कार्यालय में अनिवार्यतः पहुंचकर आवश्यक दस्तावेंज प्रस्तुत करें ताकि सूखा राहत भुगतान संबंधी कार्यवाही त्वरित सम्पादित की जा सकें।

शांति समिति की बैठक आज

आगामी गणेश उत्सव एवं मोहर्रम के परिपेक्ष्य में शांति समिति की बैठक पांच सितम्बर बुधवार को आयोजित की गई है। कलेक्टर श्री केव्ही सिंह की अध्य्रक्षता में आहूत उक्त बैठक कलेक्टेªट के सभाकक्ष में बुधवार की सांय छह बजे से शुरू होगी। बैठक में समिति के सम्माननीय सदस्यों को उपस्थित होने का आग्रह किया गया है।

मुख,गला कैंसर एंव थायरायड रोगनिदान षिविर 9सितम्बर को

विदिषा सेवाभारती भवन श्रीकृध्ण कालोनी दुर्गानगर में 9 सितम्बर कोसुबह11  बजे से मुख,गला कैंसर एंव थायरायड रोग से पीड.ीत मरीजों की जांच एंव चिकित्सा परामर्ष एप्पल हाॅस्पिटल इंदौर के डा. नितिन तोमर एमएस ईएनटी दृारा की जायेगी। सेवा भारती के सचिव राजीव भार्गव ने इस षिविर में मुख, एंव गले के कैंसर के वो सभी मरीज लाभ ले सकते हैं जिनके जीभ,तालू , जबडे की हडडी,गाल एंव गले स्वर यंत्र में कैंसर की संभावना हो,जो तम्बाखू एंव गुटके का सेवन एंव धूम्रपान करते हें षिविर का लाभ अवषय लें।  गले में घंेघारोग से ग्रसित मरीज एंव थायरायड ग्रंथि की विभिन्न समस्याओं का निदान भी इस षिविर में किया जायेगा। मरीजों का पंजीयन 9 सितम्बर रविवार को सुबह 10बजे से 11 बजे तक सेवा भारती भवन श्रीकृध्ण कालोनी दुर्गानगर में करा सकते हैं। 

मधुबनी : निर्वाचक सूची का विषेष संक्षिप्त पुनरीक्षण कार्य प्रारंभ

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मधुबनी, (आर्यावर्त डेस्क) 04, सितंबर 18, , भारत निर्वाचन आयोग के निदेषानुसार अर्हत्ता तिथि 01.01.2019 के आधार पर निर्वाचक सूची का विषेष संक्षिप्त पुनरीक्षण कार्य प्रारंभ हो चुका है। इससे संबंधी प्रारूप निर्वाचक सूची का प्रकाषन दिनांक 01.09.18 को सभी निर्धारित स्थलों पर कर दिया गया है।  ज्ञातव्य है कि भारत निर्वाचन आयोग के निदेषानुसार 1400 निर्वाचकों के आधार पर जिले में कुल 3169 मतदान केन्द्र बनाये जा चुके है। प्रारूप सूची के आधार पर दावा/आपत्ति 31.10.18 तक प्राप्त किये जायेंगे। इस क्रम में फार्म सं. 06 में नये नाम जोड़ने हेतु,फार्म सं. 07 में मृत अथवा स्थानांतरित व्यक्तियों के नाम विलोपित किये जाने,फार्म सं. 08 में नाम तथा अन्य प्रवृष्टियों में सुधार हेतु सभी बी.एल.ओ तथा प्रखंडों में पर्याप्त संख्या में प्रपत्र उपलब्ध कराये गये है। जिसे संक्षिप्त पुनरीक्षण अवधि में दिव्यांग व्यक्तियों के नाम जोड़ने हेतु सभी बी.एल.ओ/ए.ई.आर.ओ./ई.आर.ओ को विषेष निदेष दिये गये है। जिला स्तर से 16 सितंबर को दिव्यांग व्यक्तियों के नाम जोड़ने हेतु विषेष अभियान दिवस निर्धारित किया गया है।  ज्ञातव्य है कि दावा/आपत्ति प्राप्त होने की अवधि में प्राप्त किये गये प्रपत्रों का नियमानुसार निष्पादन करते हुए 04 जनवरी 2019 को अंतिम प्रकाषन किया जायेगा। पुनरीक्षण अवधि में बी.एल.ओ./बी.डी.ओ. एवं अन्य पदाधिकारियों के कार्यो के अनुश्रवण हेतु निर्वाचक सूची प्रेक्षक-सह-आयुक्त,दरभंगा प्रमंडल,दरभंगा द्वारा तीन बार क्षेत्रभ्रमण किया जायेगा। इसके अतिरिक्त जिला निर्वाचन पदाधिकारी-सह-जिला पदाधिकारी एवं उप-निर्वाचन पदाधिकारी द्वारा भी क्षेत्रभ्रमण किया जायेगा। चूंकि इस पुनरीक्षण में तैयार की जा रही सूची के आधार पर ही लोकसभा निर्वाचन-2019 संपादित किया जायेगा। इसलिए इस पुनरीक्षण का महत्व और भी अधिक हो गया है। श्री विनोद कुमार,उप-निर्वाचन पदाधिकारी,मधुबनी ने बताया कि भारत निर्वाचन आयोग के निदेषानुसार जो नये निर्वाचक बनायें जायेंगे उन्हें जनवरी 2019 में पी.वी0सी ईपिक/स्मार्ट कार्ड मुफ्त में निर्गत किया जायेगा।

मधुबनी: DM ने ओ डी एफ कार्यक्रम का जायजा लिया

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मधुबनी,4 सितंबर 2018, आज श्री शीर्षत कपिल अशोक, जिलापदाधिकारी, मधुबनी ने राजनगर प्रखंड के सिमरी पंचायत में चल रहे ओ0 डी0 एफ0 कार्यक्रम का जायजा लिया । उन्होंने प्रत्येक वार्ड सदस्य से कार्य के प्रगति का प्रतिवेदन लिया । जहाँ संतोषजनक कार्य करने वालों को प्रोत्साहित किया वहीं ढ़ीले रवैये पर सख्त नाराजगी व्यक्त की और ऐसे कर्मियों के विरुद्ध कड़ी करवाई के निदेश दिए। पंचायत सरकार भवन, सिमरी में आयोजित इस बैठक में कार्यक्रम से जुड़े तमाम कर्मियों ने बारह सितंबर 2018 तक सिमरी को निश्चित रूप से खुले में शौचमुक्त करने का संकल्प व्यक्त किया। इस दौरान जिले के सात निश्चय योजनाओं से जुड़ी विभिन्न गतिविधियों की भी समीक्षा की गई। इस कड़ी में गली नाली और हर घर नल का जल योजना से संबंधित कार्य के बारे में पदाधिकारियों ने जिलापदाधिकारी महोदय को जानकारी दी। जिलापदाधिकारी ने निदेश दिया कि उप-विकास आयुक्त, मधुबनी फुलपरास अनुमंडल को और श्री दुर्गा नंद झा, अपर समाहर्ता, मधुबनी जयनगर  अनुमंडल को इसके अतिरिक्त सदर, बेनीपट्टी और झंझारपुर अनुमंडल में सात निश्चय योजना की गतिविधियों को वे स्वयं देखेंगे। साथ ही श्री बृज बिहारी भगत, निदेशक, जिला ग्रामीण विकास अभिकरण पंडौल प्रखंड के सात निश्चय योजना की विभिन्न गतिविधियों की निगरानी करेंगे। समीक्षा बैठक के बाद जिलापदाधिकारी ने सिमरी पंचायत के वार्ड चार में घर घर घूम कर शौचालय निर्माण का जायजा लिया। मौके पर श्री अजय कुमार सिंह, उप विकास आयुक्त, मधुबनी, बृज बिहारी भगत, निदेशक, डी0 आर0 डी0 ए0, श्री आशुतोष कुमार, बी0 डी0 ओ0 राजनगर के साथ साथ सिमरी के मुखिया, स्मार्ट सिमरी योजना से जुड़े दिनेश कुमार सिंह और वार्ड सदस्य तथा जीविका एवं कार्यक्रम से जुड़े अन्य कर्मी भी उपस्थित थे।

मधुबनी : जिलापदधिकारी ने कार्य प्रगति की समीक्षात्मक बैठक की।

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मधुबनी, 4 सितंबर 2018, आज श्री शीर्षत कपिल आशोक, जिलापदाधिकारी, मधुबनी ने राजनगर प्रखंड के अंतर्गत सिमरी पंचायत में ओ0 डी0 एफ0 के कार्य प्रगति की समीक्षात्मक बैठक की। कार्यक्रम के बाद वापसी में वे हरिपुर अमादा तथा लहेरियागंज गैस गोदाम के पास मुख्य सड़क की क्षतिग्रत अवस्था का भी अवलोकन किया। इस दौरान जिलाधिकारी ने बीच सड़क बन गए बड़े बड़े गड्ढ़े से गुजरते लोगों की पीड़ा को देखा और संबंधित पदाधिकारियों से त्वरित स्पष्टीकरण पूछने एवं वेतन बंद करने का निदेश दिया। बताते चलें कि इस कड़ी में कार्यपालक अभियंता पथ निर्माण विभाग, मधुबनी से स्पष्टीकरण पूछने एवं मरम्मती सम्पन्न होने तक तत्काल प्रभाव से वेतन स्थगित रखने का निदेश दिया। जिलापदाधिकारी ने मधुबनी के सड़कों की बदहाल अवस्था को देखते हुए और भी कड़े कदम उठाने का निदेश दिया। इस कड़ी में कार्यपालक अभियंता, आर0 डब्लू0 डी0 को मधुबनी के सप्ता चौक से स्टेडियम चौक तक, जलधारी चौक से रांटी चौक होते हुए राजनगर तक मरम्मती नहीं कराने एवं सरकारी फोन नहीं उठाकर सरकारी जबाबदेही की अवहेलना करने के कारण इनके विरुद्ध करवाई का प्रस्ताव सरकार को भेजने एवं इनका वेतन तत्काल प्रभाव से स्थगित करने का निदेश दिया।

बिहार : महादलित झपटलाल ऋषि और जहरू ऋषि का आवेदन डीसीएलआर को पेश

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डूमर: समेली प्रखंड में है डूमर ग्राम पंचायत.इस पंचायत में है बकिया पश्चिमी टोला मुसहरी.यहां के झपटलाल ऋषि और जहरू ऋषि को बिहार भूदान यज्ञ कमिटी के द्वारा जमीन मिली थी,परंतु दाखिल खारिज नहीं किया गया. 29.06. 1960 में झपटलाल ऋषि को 40 डिसमिल और जहरू ऋषि को 20 डिसमिल जमीन मिली है. बताते चले कि झपटलाल ऋषि और जहरू ऋषि ने अलग-अलग लोक सेवाओं का अधिकार का आवेदन 08.06.2018 को समेली प्रखंड में दाखिल खारिज करने के लिए जमा किए.झपटलाल ऋषि का आवेदन संख्या- 0501131021 31800 695 है.इसका वाद संख्या-एम/00 283/2018 है.वहीं जहरू ऋषि का आवेदनसंख्या-05011310 2131 800694 है.वाद संख्या-एम/ 00282/2018 है.नियमानुसार सेवा प्रदान करने की समय सीमा 18 कार्य दिवस ( आपत्तिरहित) / 60 ( आपत्ति प्राप्त होने पर है.सेवा प्रदान करने की प्रस्तावित तिथि 30.06.2018 / 18.08.2018 है.समय सीमा के बाद भी समेली अंचल के अंचल पदाधिकारी ने आवेदक को सेवा प्रदान नहीं किए. बता दें कि लोक सेवाओं के अधिकार के तहत प्रावधान है कि प्रस्तावित तिथि के अंदर सेवा प्रदान नहीं करने की स्थिति में 30 दिनों के अंदर उप समाहर्ता भूमि सुधार के समक्ष अपील की जा सकती है. इंडो ग्लोबल सोशल सर्विस सोसायटी के सहयोग से समेली और कुर्सेला प्रखंड के दस-दस गाँवों में कार्यशील गैर सरकारी संस्था प्रगति ग्रामीण विकास समिति के कार्यकर्ता ने सरकारी कार्यक्रम के तहत दाखिल खारिज का आवेदन दिलवाया और आज उप समाहर्ता भूमि सुधार राजीव कुमार के समक्ष अपील पत्र दाखिल किया.6 सितंबर को आवेदकों को सशरीर उपस्थित रहने का आदेश दिया.

बेगूसराय : संत महावीर किंडंगार्टन शिक्षण संस्थान में बच्चों के द्वारा मनाया गया शिक्षक दिवस।

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बेगूसराय (अरुण कुमार) , आज 5 सितम्बर को लगभग भारत के सभी छोटे बड़े विद्यालयों,महाविद्यालयों में भी बड़े ही धूम-धाम से सन 1962 से ही मनाया जाता आ रहा है शिक्षक दिवस।और ये शिक्षक दिवस सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी शिक्षक दिवस मनाया जाता है।क्या सभी शिक्षकों का जन्म 5 सितम्बर ही हिता है? यह एक सवाल बनकर चतुर्थ और पञ्चम वर्ग के मन मे उभारता है।उनके लिये यह जानकारी के रूप में प्रस्तूत है।यह शिक्षक दिवस उन महान व्यक्तित्व के धनी व्यक्तियों के याद में मनाया जाता है,जिन्हें मात्र याद करने भर से मन मातिषक ओजमय हो जाता है।ऐसे थे हमारे सर राधाकृष्णन।जिनका जन्म 5 सितम्बर 1888 ईस्वी को तिरुमनी गाँव जो कि मद्रास से लगभग 60 किलोमीटर की दुरी पर है,ये एक मामूली परिवार से थे फिर भी शिक्षा के काहेतर में इनका योगदान अनुकरणीय है।इनके पिता का नाम सर्वपल्ली वीरास्वामी और माता का नाम सिताम्मा था।इनका विवाह सिवाकामु से 1904 ईस्वी में हुआ, इन्हें 5 पुत्रियों सहित एक पुत्र का भी सुख प्राप्त हुआ था।इन्होंने दर्शन शास्त्र में M A किया था इन्हें अपने पूरे जीवन काल में पढ़ाई के दौरान छात्रवृत्ति मिलती रही।1909 में इन्हें मद्रास प्रेसिडेंसी कॉलेज में दर्शन शास्त्र का प्रोफेसर पद पर नियुक्ति मिली,आगे सन 1916 ईस्वी में मद्रास रेजिडेंसी कॉलेज में दर्शन शास्त्र के सहायक प्राध्यापक बने कालान्तर मे ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में भारतीय दर्शन शास्त्र के प्रोफेसर बने।राधाकृष्णन सभी जगहों पर शिक्षा की ही प्राथमिकता देते थे।फिर जिस कॉलेज से इनका शिक्षण हुआ था बाद में इन्हें ूाि कॉलेज का कुलपति बना दिया गया।कुलपति बनैने के बाद इन्होंने दर्शन शास्त्र पर कई पुस्तकें लिखी जो आज भी दर्शन शास्त्र के विद्यार्थियों के लिये एक वरदान स्वरुप है।आजादी के बाद इन्होंने राजनीति में पंडित जवाहरलाल नेहरू के विशेष आग्रह पर राजदूतों के रूप में कार्यभार संभालने को कहा।फिर प्रथम उपराष्ट्रपति के रूप में 13 मई 1952 से 13 मई 1962 तक देश के उपराष्ट्रपति फिर उसी दिन यानी 13 मई 1962 को ही राष्ट्रपति निर्वाचित हुए।उस वक्त देश की स्तिथि कुछ ज्यादा अच्छी नही थी।सन सर राधाकृष्णन 1954 में सर्वोच्च अलंकरण "भारत रत्न"से सम्मानित हुए।सन 1962 में ही उन्हें ब्रिटिश एकेडमी का सदस्य बनाया गया।पॉप जॉन ने इन्हें "गोल्डन स्पर"भेंट किया।इंग्लैंड सरकार द्वारा इन्हें "आर्डर ऑफ मेरिट"का सम्मान प्राप्त हुआ।सन 1975 में लंबी बीमारी के बाद उनका निधन ही गया।निधनोपरान्त अमेरिकी सरकार द्वारा टेम्पलटन पुरस्कार से सम्मानित किया गया,जो कि धर्म के क्षेत्र में उत्थान के लिये प्रदान किया जाता है।इस पुरस्कार को पाने वाले ये प्रथम गायर ईसाई साम्प्रदाय के व्यक्ति थे।ये बच्चों के लिये सहज गुरु कर रूप में भी जाने जाते हैं।इन्होंने बच्चों में ज्ञान ठूँसने नही बल्कि ज्ञानवान बनाने पर जोड़ दिया है।तो इस रूप में इन्होंने सम्पूर्ण जगत के शिक्षकों को सम्मानित किया है फिर इनका सम्मान तो अति आवश्यक है।ऐसे गुरुदेव को शत शत नमन।

विशेष : गाड़ियों के अतिक्रमण से कब मिलेगी सड़कों को मुक्ति ?/

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हम बात सुव्यवस्थित शासन प्रणाली की बात करते हैं तो उसमें बहुत सारी बातें देखने को आती हैं जिसमें केवल सुधार शासन के स्तर पर नहीं की जा सकती, उनमें जनभागीदारी का बहुत बड़ा योगदान है। लेकिन सारी कुछ नियम कानून होने के बावजूद भी उसका परिणाम सतह पर नहीं दिखाई देता। चाहे हम कोई-सा भी क्षेत्र ले लें। हम यहां बात कर रहे हैं सड़कों के अतिक्रमण की। जिसकी जैसी क्षमता है वह अपने हिसाब से सड़क को अतिक्रमित किये हुए हैं। दिल्ली के कुछ इलाकों को छोड़ दिया जाए तो लगभग पूरी दिल्ली का यही हाल है। लोगों के पास गाड़ी खड़ी करने के लिए जगह नहीं है लेकिन वे टू-व्हीलर एवं कार रखे हुए हैं। और ये गाड़ी कहां खड़ी होगी, स्वाभाविक ही है कि कहीं-न-कहीं सड़क पर ही खड़ी होगी, जहां टू-व्हीलर एवं कार खड़ी होगी वहां की सड़कें भी अतिक्रमित होगी।  एक तरह विकास का नारा अब धूमिल पड़ता दिखाई दे रहा है, अब विकास नहीं होगा बल्कि तेज विकास होगा, एक नया नारा गढ़ा गया है सरकार के द्वारा। जबकि साधारण सा सवाल है बिना रफ्तार के क्या उसे  और तेज रफ्तार दिया जा सकता है? देश की राजधानी की सड़के गाड़ियों के दबाव के आगे हांफ रही हैं, सड़कों की सांसंे अवरुद्ध हो गई हैं और जबर्दस्ती सड़कों पर बेवजह वजन बढ़ गई है। जब सारी नियामक एजेंसी सक्रिय हैं तो आखिर ऐसी हालात कैसे बन गई। स्वाभाविक है कि हमारी एजेंसी तो है लेकिन वह क्रियाशील नहीं है, वह शिथिल पड़ी हुई है। उसी का यह नतीजा है कि आज यह एक विकराल समस्या के रूप में उभरकर सामने आई है। आज बाइक एवं कार से सुविधा तो है लेकिन जब जाम में फंसते हैं तो सभी एक-दूसरे को कोसने लगते हैं।     

सरकार के तरफ से या परिवहन विभाग की तरफ से ऐसा कोई नियम नहीं है कि जब तक इनके पास वाहन खड़ी करने की जगह नहीं हो, इन्हें गाड़ी खरीदने की अनुमति नहीं दी जाएगी। विडम्बना यह है कि जिसको गाड़ी क्रय करने की शक्ति नहीं है, उसे आॅटो लोन एवं ईएमआई के नाम पर बेधड़क धड़ल्ले से कोई भी गाड़ी खरीदने चाहे वह टू-व्हीलर हो या कार बेची जा रही है। इससे भी बेवजह सड़कों पर गाड़ियों का दबाव बना हुआ है। जबकि ऐसा नियम होना चाहिए कि आपके पास पार्किंग की जगह नहीं हो तो उसे नई गाड़ी खरीदने की अनुमति ही नहीं दी जानी चाहिए। सरकार के जो भी नियम हंै उसमें संशोधन करके नया नियम बनाना चाहिए, सड़कों को इन गाड़ियों से अतिक्रमण मुक्त करने के लिए कोई पारदर्शी एवं दूरगामी नीति अपनानी चाहिए, जिससे कि सड़क पर बेवजह दबाव न हो। जिनके पास पहले से ही टू-व्हीलर या कार हैं, अगर उनके पास इसके लिए पर्याप्त पार्किंग की जगह नहीं है तो इन पर भारी-भरकम पैनल्टी लगानी चाहिए। टू-व्हीलर के लिए 4 से 5 हजार प्रति माह की राशि एवं कार के लिए 8 से 10 हजार प्रति माह होना चाहिए। पैनल्टी ऐसी होनी चाहिए कि टू-व्हीलर के लिए न्यूनतम सालाना 50,000/- (पचास हजार रुपए) एवं कार के लिए न्यूनतम 1,00,000/- से लेकर 5,00,000/- (एक लाख से लेकर पांच लाख रुपये तक, कारों की दाम के अनुसार) तक होनी चाहिए। अगर ऐसी ही या चाहे सरकार जो अपेक्षित समझे उसे लागू करें तो दिल्ली की सड़कांे पर टू-व्हीलर हो या कार उन गाड़ियों की बोझ काफी हद तक कम हो जाएगी और बेवजह जाम से भी छुटकारा भी मिलेगा। समाचार एवं अखबारों में तो कई बार सुनने में आया कि एम्बुलेंस जाम में फंसी रह गई और निकटस्थ हाॅस्पिटल तक नहीं पहुंच पाई और जाम ने उसकी जान ले ली। 

एक समस्या से दूसरे समस्या किस प्रकार जुड़ जाती हैं, सड़कों पर जाम लगने से बेवजह आयातित पेट्रोल एवं डीजल की खपत अनावश्यक बढ़ जाती है इससे कार्बन उत्सर्जन भी बढ़ जाता है और अंततः पर्यावरण प्रदूषित होता है और इससे लोगों के स्वास्थ्य पर भी इसका दूरगामी असर पड़ता है जिसके कारण वे कई बीमारियों के शिकार हो जाते हैं।  सुविधा जब असुविधा का कारण बनने लगे तो समझिए की अब इसमें आमूलचूल परिवर्तन का समय आ गया है। पहले जब परिवहन की सुविधा अपेक्षाकृत अच्छी नहीं थी तो लोग यूं ही घंटों तक इंतजार करते रहते थे और अब जब परिवहन की इतनी सुविधा हो गई है तो लोगों को चलने के लिए सड़क पर रास्ता ही नहीं मिल रहा है। सड़क है तो जरूर लेकिन यदि मुख्य सड़कों को छोड़ दी जाए तो  मुख्य सड़कों को जोड़ने वाली सड़कों की हालत बड़ी भयावह है। सड़कांे पर चलने से ज्यादा तो सड़क अतिक्रमित हुआ पड़ा है। टू-व्हीलर एवं कार से लोगों को आने-जाने में सुविधा तो होती है लेकिन इस सुविधा का आलम यह है कि जितना समय उन्हें आने-जाने का लगना चाहिए उससे ज्यादा समय जाम में फंसे रहने के कारण बर्बाद हो जाता है। जब तक इस मामलें में डंडे के बल पर कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी, तब तक दिल्ली के सड़कों को इन अतिक्रमण करने वालांे गाड़ियों से मुक्ति नहीं मिलेगी। इससे कार्बन उत्सर्जन भी कुछ कम होगा, पर्यावरण भी शुद्ध एवं स्वच्छ होगा।  यह सड़क से ही जुड़ा हुआ दूसरा महत्वपूर्ण अतिक्रमण है। यहां मकान नीचे 50 गज की रहती है, वह ऊपर जाकर 75 गज की हो जाती है। लोगों के अपने मकान के सीढ़ी एवं बालकोनी का हिस्सा सड़क की ओर निकला हुआ है, यह बहुत ही साधारण-सा उदाहरण है। कमोवेश यही हाल जिसकी मुख्य सड़क से लगी हुई दुकान है वह अपना सीढ़ी एवं नाली का हिस्सा तक पटरी लगाकर छोटे स्तर पर व्यापार करने वाले लोगों को किराये पर दे दिया करते हैं। 

दुकान के बाहरी हिस्सों पर यह अतिक्रमण दिल्ली के लगभग सभी क्षेत्रों में हैं और इस तरह की छोटे-मोटे सड़क पर दुकान चलाने वाले एक निश्चित धन राशि बंधी-बधाई नगरनिगम के कर्मचारी एवं पुलिस को भी देते हैं। ऐसा नहीं है कि इनका यह एक दिन का कारोबार है या सिर्फ त्योहार के समय किया जाता है, ये कारोबार तो इनके जीवन-यापन का हिस्सा है। बावजूद इसके सरकार इनके लिए कोई दूरगामी उपाय करने में विफल है। पूरे देश में इस तरह के व्यापार करने वालों से कर्मचारी एवं पुलिस हर महीने करोड़ों रुपये वसूल करती है और अगर सालाना इनका लेखा-जोखा किया जाए तो कई अरबों में पहुंच जाएगा। इतनी बड़ी धनराशि इन छोटे तबकों के लोगों द्वारा व्यय किया जाता है और इसको उसूलने वाले अधिकारी मौजमस्ती किया करते हैं। और सबसे बड़ी विडम्बना यह है कि यह राशि सरकार के बही खाते मंे भी नहीं जाती है, न इसका कोई लेखा-जोखा है। आखिर इसका उपाय क्या है? क्या इसका उपाय सरकार कर पायेगी? या इस तरह की कुव्यवस्था ऐसी चलती रहेगी, सरकार तक इनकी पहुंच नहीं है तो इनसे जुड़े मामलों को नहीं सुना जाएगा। आखिर इन लोगों की सुनवाई कहां होगी? इनके मामलों को कौन सुनेगा? सड़कों पर अतिक्रमण का यह भी एक गंभीर मामला है। इसके लिए भी कोई दूरगामी नीति बनानी चाहिए, जिससे पटरी वाले अपना व्यापार भी चला सके, सड़कें सिर्फ चलने के लिए हो, न कि वह गाड़ियों की पार्किंग का अड्डा बने और सड़कों का अतिक्रमण भी न हो। इस समस्या से निजात पाने के लिए माननीय प्रधानमंत्रीजी को पत्र लिखा था, पत्र के प्रत्युत्तर में पीएमओ द्वारा मुझसे सुझाव मांगा गया था। पत्र को आलेख के रूप में रखकर आपके समक्ष रखने का प्रयास है जिसे इस विकराल समस्या पर ज्यादा से ज्यादा चर्चा हो सके और इसका कोई हल निकाला जा सके। देखिए! आपको कब तक इस समस्या से निजात मिलती है या फिर यह भी फाइलों में उलझकर ही रह जाती है। आशा रखिए, उम्मीद पर भी दुनिया कायम है, आज नहीं तो कल कोई न कोई अवश्य इस भयावह समस्या से मुक्ति दिलाएगा। बस! पहल करने की देर है देखिए यह पहल सरकार के स्तर पर होता है या न्यायालय के हथौड़े के बल पर। 




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(बरुण कुमार सिंह)

बिहार : जाने-माने ईसाई पत्रकार फादर फिलिप कट्टाकयाम मदर टेरेसा से 1992 में मिले थे

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आज संत मदर टेरेसा की 21 वीं पुण्य तिथि है, चारों तरफ से स्मरण कर श्रद्धांजलि दी जा रही है और आशीष देने का आग्रह किया जा रहा है
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पटना: पटना सिटी में है मदर संत टेरेसा का अनाथालय.यहां कल  हर्ष का माहौल था और आज गम का है.खुशी 4 सितंबर, 2016 की थी 'संत'घोषित की गई थीं.दु:ख 5 सितंबर,1997 को 'देहावसान'हो गया.जीवन की लीला के बीच बहुत सारे कार्य किए.स्वर्ग से दुआ भेजती रहती हैं. कोलकाता के कैथोलिक चर्च में संत टेरेसा के नाम से पहचानी जाने वाली मदर टेरेसा का जन्म 27 अगस्त 1910 को मेसेडोनिया के स्कॉप्जे में आग्नेस गोंझा बोयाजिजू के रूप में हुआ था और 5 सितंबर 1997  को मदर टेरेसा का स्वर्गवास हो गया. प्रारंभ में मदर टेरेसा अल्बानियाई भारतीय रोमन कैथोलिक नन के रूप में, मैसेडोनिया में अट्ठारह साल तक रही,  बाद में वह आयरलैंड चली गईं और अंततः भारत आकर रहने लगीं जहाँ मदर टेरेसा ने अपने जीवन का सबसे अधिक समय बिताया. निकोला और द्रना बोयाजिजू (एक अल्बेनियाई राजनेता) की सबसे छोटी बेटी, मदर टेरेसा मिशनरियों के जीवन, जिस तरह से वे पश्चिम बंगाल में मानव जाति की सेवा कर रहे थे, की कहानियों से अत्यधिक प्रभावित हुई। 12 साल की कम उम्र में, अाग्नेस उर्फ मदर टेरेसा ने अपने जीवन को धार्मिक कार्यों में समर्पित करने का फैसला कर लिया था.मदर टेरेसा ने 18 साल की उम्र में ही स्कॉप्जे (अपने माता-पिता का घर) को छोड़ दिया था और सिस्टर्स आफ लॉरेटो पूरे भारत में परिचालन मिशन में आयरिश समुदाय में नन के रूप में शामिल हो गईं.मदर टेरेसा पहली बार 1992 में भारत आईं थी. वर्ष 1931 से 1948 तक मदर टेरेसा ने शिक्षण के प्रति अपनी रुचि को कायम रखा. मदर टेरेसा ने दार्जिलिंग के सेंट टेरेसा स्कूल में शिक्षण कार्य किया.

1948 में, मदर टेरेसा ने पश्चिम बंगाल, कलकत्ता (कोलकाता) के झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले गरीबों में से सबसे गरीब लोगों की सेवा करना शुरू कर दिया था। बाद में, इन्होंने झुग्गी में रहने वाले बच्चों के लिए ओपन-एयर स्कूल का संचालन किया और अंततः वेलीन्टर से अनुमति प्राप्त करने के बाद 7 अक्टूबर, 1950 को “मिशनरी ऑफ चैरिटी समूह” की स्थापना की. इस समूह का उद्देश्य शराबियों, एड्स पीड़ितों, भूखें, नंगे, बेघर, अपंग, अंधे, कुष्ठरोग से पीड़ित और कई अन्य, सभी व्यक्ति जिन्हें सहायता की आवश्यकता थी, को सहायता प्रदान करना था. प्रारंभ में, इस मिशनरी ऑफ चैरिटी समूह में कलकत्ता में सिर्फ 13 सदस्यों का समूह था और वर्ष 1997 तक 4000 से ज्यादा नन शामिल हो गई, जो दुनिया के विभिन्न हिस्सों में एड्स होस्पेस, अनाथाश्रम और चैरिटी केंद्र को चलाने में लगी हुई हैं. मदर टेरेसा के कार्यों ने व्यक्तियों के साथ-साथ दुनिया भर के संगठनों से भी प्रशंसा प्राप्त की। जिनकी यहाँ पर सूची दी गई हैः

1962 में, मदर टेरेसा को भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से सम्मानित किया गया.
1969 में, मदर टेरेसा को अंतर्राष्ट्रीय समझ के लिए जवाहरलाल नेहरू पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.
1979 में, नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
1980 में, भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार ‘भारत रत्न पुरूस्कार’ से सम्मानित किया गया था.
उपरोक्त सूचीबद्ध पुरस्कारों के अतिरिक्त मदर टेरेसा को टेंपलटन, रमन मैगसेसे पुरस्कार और अंतर्राष्ट्रीय समझ एवं पोप जॉन XXIII शांति पुरस्कार (1971) के लिए भी पुरस्कार मिले हैं.

4 सितंबर, 2016 को, मदर टेरेसा को इटली के विभिन्न हिस्सों के 15 आधिकारिक प्रतिनिधि मंडलों और 1500 बेघर लोगों के साथ हजारों लोगों की एक सभा में वेटिकन सिटी के सेंट पीटर स्क्वायर में पोप फ्रांसिस द्वारा संत की उपाधि प्रदान की गई थी. वेटिकन ने इस पुष्टि के बाद ही (17 दिसंबर, 2015) को एक दूसरे चमत्कार, पोप फ्रांसिस की मान्यता प्रदान की, जिसका श्रेय भी मदर टेरेसा को दिया गया, इसमें मस्तिष्क के ट्यूमर से पीड़ित ब्राजील के व्यक्तियों को राहत दिलाने का कार्य किया गया। इनके कैनोनाइजेशन (संत की उपाधि) समारोह को वेटिकन टेलीविजन चैनल पर लाइव प्रसारण किया गया था और इंटरनेट पर भी दिया गया था. इन समारोहों में मदर टेरेसा के कैनननाइजेशन (संत की उपाधि) के विशेष सार्वजनिक जश्न को कोलकाता और भारत के मिशनरी ऑफ चैरिटी के अलावा, इनके गृहनगर स्कोप्जे में भी 7 दिवसीय लंबे उत्सव के रूप में मनाया गया था. ईसाई पत्रकार हैं फादर फिलिप कट्टाकयाम.येसु समाजी फादर 1992 में मदर टेरेसा से मिले थे.उसी समय का दुलर्भ चित्र है.उन्होंने भावभीनी श्रद्धांजलि  संत मदर टेरेसा को दी है.अल्पसंख्यक विभाग कांग्रेस के उपाध्यक्ष सिसिल साह,सामाजिक कार्यकर्ता सुशील लोबो ने भी श्रद्धापुष्प अर्पित किया है.

बेगूसराय : कबड्डी चैम्पियनशिप बेगूसराय से दिल्ली के लिये आज भरेंगे उड़ान।

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बेगूसराय (अरुण कुमार) बड़े ही हर्ष और गौरव की बात होती है जब कहीं से भी मतलब भारत के किसी भी प्रदेश और नगर से जब भी कोई प्रतिभावानों का चयन राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय क्षितिज पर  होता है तो यूँ ही मन प्रफुल्लित हो जाता है।उसमें भी जब बेगूसराय के किसी भी प्रखण्डों से कोई भी किसी भी क्षेत्र में जब अपना परचम लहराता है तो फिर खुशियों का मानो अम्बार ही लग जाता है।मन हर्षित और आँखे नम हो जाते हैं अनायास ही।बेगूसराय नाटकों के क्षेत्रों में भी कई कीर्तिमान स्थापित कर चुका है,क्रिकेट में भी,कबड्डी और कुश्ती में भी इसके साथ साथ फ़िल्म जगत में भी बेगूसराय बिहार अग्रणी है।और आज राष्ट्रीय कबड्डी प्रतिस्पर्धा में शामिल होने जा रहे युवा वाकई आगे खुद के साथ जिला,प्रदेश और देश का नाम रौशन करेंगे। और इनके लिए यश के भागी बनेंगे श्यामनन्दन सिंह उर्फ पन्नालाल जिनके मिहनत और कर्तव्यनिष्ठा का परिणाम आज आपके समक्ष है। प्रो कबड्डी की पटना पाइरेट्स टीम के द्वारा बिहार के खिलाड़ियों के लिए आयोजित प्रतिभा खोज अभियान के अंतर्गत ट्रायल में तीन खिलाड़ियों का चयन पाइरेट्स द्वारा किया जाना था,ट्रायल में बेहतर प्रदर्शन के आधार पर बेगूसराय जिला कबड्डी संघ से सम्बद्ध स्पोर्टिंग क्लब बीहट के प्रेमजीत कुमार,मटिहानी से रबिन्द्र कुमार बिट्टू,शोकहारा से अमन कुमार का चयन किया गया,तीनों खिलाड़ी आज पटना से दिल्ली के लिए उड़ान भरेंगें।जहाँ पटना पाइरेट्स की टीम के खिलाड़ियों के साथ अभ्यास सत्र में भाग लेगें।खिलाड़ियों के जिले एवं राज्य के लिए शानदार उपलब्धि हासिल करने पर बेगूसराय जिला कबड्डी संघ और बिहार राज्य कबड्डी संघ की ओर से मैं पन्नालाल इनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूँ।

जमशेदपुर : अभिव्यक्ति और आज़ादी का समन्वय उन्नत समाज बनाता है : सी.भास्कर राव

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आर्यावर्त डेस्क, जमशेदपुर , 5  सितम्बर , 2018,  अभिव्यक्ति और आज़ादी एक दूसरे के पूरक है. आज़ादी होगी तभी अभिव्यक्ति होगी और अभिव्यक्ति तभी सही तरीके से संचारित होगी जब आज़ादी होगी. अभिव्यक्ति और आज़ादी के सकारात्मक समन्वय से ही उन्नत समाज की रचना होती है.उक्त विचार वेब न्यूज़ पोर्टल "लाइव आर्यावर्त"द्वारा सेण्टर फॉर इंटरनेट एंड मीडिया एथिक्स और झारखंड श्रमजीवी पत्रकार यूनियन की सहभागिता से जमशेदपुर के होटल बुलेवर्ड में आयोजित "अभिव्यक्ति की आज़ादी और फेक न्यूज़ "विषय पर एक सेमिनार के दौरान विश्व हिंदी सम्मान से नवाजे गए झारखण्ड के वरिष्ठ साहित्यकार डॉ.सी.भास्कर राव ने व्यक्त किये. डॉ.राव ने कहा कि पत्रकारिता में अभिव्यक्ति का रचनात्मक उपयोग देश और समाज में गंगा जमुनी संस्कृति को और भी मजबूती प्रदान करने में सहायक होगा. वरिष्ठ कांग्रेसी नेता एस.आर.ए.रिज़वी छब्बन ने अपने उद्बोधन में कहा कि पत्रकार समाज का आईना होता है,अभिव्यक्ति की आज़ादी जरुरी है पर कभी कभी फेक न्यूज़ की वजह से सामाजिक सौहार्द बिगड़ता है ,ऐसे में मीडिया की जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है. छब्बन ने कहा कि भारत एक महान देश है और इंसानियत ही सर्वोपरि धर्म है. जे.के.एम् कॉलेज की प्राचार्या और साहित्यकार डॉ.कल्याणी कबीर ने कहा कि व्यावसायिकता की दौर में सबसे तेज चलने का प्रचलन है परन्तु इस बात का ख्याल मीडिया को रखना होगा कि तेजी के कारण समाचारों की वास्तविकता न प्रभावित हो. समाजसेवी राम भगवान राय ने कहा कि समाचारों की आपाधापी में अभिव्यक्ति और आज़ादी का ख्याल रखते हुए फेक न्यूज़ से सावधानी बरतना जरुरी है ताकि मीडिया की विश्वसनीयता और प्रतिष्ठा के साथ जनमानस सही तथ्यों से रूबरू रह सके.

समारोह के प्रारम्भ में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी और पत्रकार कुलदीप नैयर के निधन पर उनकी आत्मा की शांति के लिए दो मिनट का मौन रख कर श्रद्धांजलि दी गयी.स्वागत भाषण के उपरांत विगत दिनों मॉरीसस में विश्व हिंदी सम्मान से अलंकृत किये जाने पर "लाइव आर्यावर्त"की तरफ से प्रधान संपादक कुसुम ठाकुर ने डॉ.सी.भास्कर राव को पुष्प गुच्छ देकर समारोह में सम्मानित किया.संपादक रजनीश के झा ने अपने वक्तव्य में आर्यावर्त की नीव और भावी रूप रेखा की जानकारी दी. सेमिनार का सञ्चालन लाइव आर्यावर्त के प्रबंध संपादक विजय सिंह ने किया जबकि धन्यवाद् ज्ञापन झारखंड श्रमजीवी पत्रकार यूनियन के महासचिव प्रमोद झा ने किया.

बेगूसराय : सामाजिक सद्भाव एवं राष्ट्र निर्माण के लिये सर्वपल्ली राधाकृष्णन जयंती पर आयोजित सेमिनार।

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बेगूसराय (अरुण कुमार) पूर्व राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जयंती व शिक्षक दिवस के अत्यंत पावन अवसर पर शहर के बहुप्रतिष्ठित एस.बी.एस.एस. महाविद्यालय बेगूसराय में "सामाजिक सदभाव एवं राष्ट्र निर्माण में शिक्षकों की भूमिका"विषय पर सेमिनार का आयोजन किया गया.।विचार सेमिनार मंच का उद्घाटन कॉलेज के प्राचार्य श्री लक्षमण झा ने दीप प्रज्वलित कर किया।और आयोजित सेमिनार में  अपना विचार रखते हुए प्राचार्य लक्ष्मण झा ने कहा कि राष्ट्र निर्माण में शिक्षकों का योगदान अत्यंत अहम है,राष्ट्र का निर्माण छात्रों से होता है एवं छात्र को सामाजिक सदभाव की अनुभूति कराना शिक्षकों का कर्तव्य है।आज की दौर की अगर हम बात करें तो खुले शब्दों में ये कहने में हमे तनिक भी कुरेज नहीं कि आज की शिक्षा प्रणाली इतना विभत्स रुप ले लिया है की इसके बारे में कहना मुश्किल है।आज न तो शिक्षक हैं और ना ही विद्यार्थी, दोनो का आभाव आज सबके सामने है।ये अलग बात है कि आज अर्थ का जमाना आ गया है,तो इसका मतलब ये तो नहीं कि अर्थ के पीछे ही दौर लगाने पैसे कमाने की होड़ में अन्यों की तरह हम भी शामिल हो जाएं।मैं मानता हूँ कि पैसे की शक्त आवश्यकता है तो आवश्यकतानुसार खर्च के लिये तो हमें सरकारी अनुदान तो मिल ही रही है फिर भी हमें संतोष नहीं और जिसमें संतोष नहीं वह पूर्ण शिक्षक ही नहीं।याद करें वो जमाना जब गुरुकुल आश्रम में विद्यार्थी पढ़ने आते थे तो विद्यार्थियों के माता-पिता स्वयं गुरु के लिये आँटा,दाल,चावल,शाक सब्जी आदि भिजवा दिया करते थे और गुरु उसी में वसर किया करते थे और ऐसा अपने शिष्यों का निर्माण पूर्ण कर्तव्यनिष्ठा के साथ किया करते थे कि आज स्वयं सर्वपल्ली राधाकृष्णन,आर्यभट्ट आदि कितने ही ऐसे शिष्य हुए जो आज गुरुओं में भी सम्मानित और पूजनीय हो गए हैं।उनके भी तो कोई न कोई गुरु होंगे ही न।आज भी आवश्यकता है ऐसे ही शिक्षकों की,शिष्य कोई भी वैसा होता नहीं उसे बनाना पड़ता है।और एक शिष्य निर्माण के लिये सफल,सधी और सुधि गुरु की आवश्यकता है।ऐसे ही गुरु निर्माणकर्ता हो सकते हैं जिनका आज आभाव है।सभी खनकती चमचमाती सिक्कों के प्रभाव में आ गए हैं।जिनके लिये अन्य और भी कई मार्ग हैं पैसे इकट्ठे करने के लिये जब पैसा ही कमाना है तो गुरु मत बनिये,गुरु बनना है तो एक आदर्श और आदरणीय गुरु बनें।शिष्य खुद व खुद मिल जाएंगे पहले हम गुरु तो बनें। मौके पर छात्र संघ के अध्यक्ष आयुष ईश्वर ने कहा कि राष्ट्र के बेहतर निर्माण के लिये समाज के प्रति भाव का जागृत होने अत्यंत आवश्यक है।कार्यक्रम में प्रोफेसर दामिनी सिंह,रमेश सिंह,श्याम सिंह, छात्र संघ कॉलेज प्रतिनिधि आजाद कुमार, राजा कुमार,अभाविप एस.एफ.डी.जिला प्रमुख आर्यन सिन्हा, अतुल कश्यप, सोनू, अभिनव, अभिषेक, समेत सैकडों छात्र उपस्थित थे।

दुमका : मुकेश अग्रवाल बने लायन्स क्लब के अध्यक्ष

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अमरेन्द्र सुमन (दुमका), लायंस क्लब दुमका संपप्र के  सत्र  2018 - 2019 के लिए नव निर्वाचित पदाधिकारियों  का चुनाव सम्पन्न    हुआ।  चुनाव पर्यवेक्षक  बिष्णु मेहरिया की  देखरेख में सम्पन हुए चुुना में व जिसमेें  मुकेश कुमार अग्रवाल  को सर्वसम्मति से अध्यक्ष चुना गया।   प्रदिप्तो मुखर्जी  को सचिव,  राकेश सिंघानिया कोो कोषाध्यक्ष, अमिता रक्षित को  उपाध्यक्ष,  उप सचिव - डॉ बबिता कुमारी अग्रवाल को उप सचिव, सुमिता मुखर्जी को उप कोषाध्यक्ष,  रमण कुमार वर्मा को जन सम्पर्क पदाधिकारी, मनोज कुमार घोष को एमडीसी चेयरमेन,  राजेन्द्र प्रसाद गुप्ता को टेल ट्विस्टर व   अखिलेश कुमार सिन्हा को लायन टेमर बनाया गया। इस अवसर पर  नव निर्वाचित अध्यक्ष मुकेश कुमार अग्रवाल ने कहा कि नये सत्र में लायंस नेत्र अस्पताल का उद्धघाटन कर नियमित रूप से गरीब व असहाय लोगों का निःशुल्क मोतियाबिन्द ऑपरेशन व अन्य उपचार किया जाएगा। सर्वसम्मति से अध्य्क्ष पद पर     उन्हें चुनने के लिये क्लब के सदस्यों को उन्होंने  धन्यवाद ज्ञापित किया। चुनाव में मुख्य रूप से संजीव कुमार, अंजनी शरण, स्वेत किरण एवं क्लब के अन्य सभी सदस्य मौजूद थे । लायन्स क्स्ल दुमका संपप्र के जन संपर्क पदााधिकारी रमण  कुमार  वर्मा ने उपरोक्त आशय की जानकारी दी।

सीहोर (मध्यप्रदेश) की खबर 05 सितंबर

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प्रधान मंत्री आवास योजना के हितग्राहियों को प्रेरित करने कलेक्टर ने किया श्रमदान

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प्रधानमंत्री आवास योजना अन्तर्गत आवास निर्माण हेतु द्वितिय किस्त की राशि प्राप्त करने के बाद भी आवास निर्माण नहीं कर रहे। ग्राम पंचायंत आमाझिर के ग्राम डाकपुलिया निवासी मांगीलाल और हितग्राही चरनसिंह उस समय भौंचक्के रह गए जब स्वयं कलेक्टर श्री तरूण पिथोड़े उनके निर्माणाधीन आवासों में श्रमदान करने पहुंच गये। इस अवसर पर जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री अरूण कुमार विश्वकर्मा, अनुविभागीय अधिकारी श्री वरूण अवस्थी, मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत श्री दिलीप जैन तहसीलदार श्री सुधीर कुशवाह, कार्यपालन यंत्री ग्रामीण यांत्रिकी सेवा श्री यू एन रामटेके, कार्यपालन यंत्री पीडब्लयु.डी श्री सतीश शर्मा तथा प्रधान मंत्री आवास योजना के ब्लाक समन्वयक श्री ओम पटेल सहित बड़ी संख्या में ग्राम वासी उनका साथ देने उपस्थित थे। प्रधान मंत्री आवास योजना एक लक्ष्य आधारित योजना है और जो जिले अपने लक्ष्य अनुसार आवास तय समय सीमा में पूर्ण कर लेतें हैं उन जिलों को उसी वित्तिय वर्ष में अतिरिक्त आवास निर्माण का  का नया लक्ष्य मिल जाता है।  योजना में आवास स्वीकृत होने के बाद हितग्राही को एक तय समय सीमा में आवास निर्माण करना होता है परंतु कई हितग्राही कई बार शासकीय राशि का उपयोग अन्य कार्यो मे कर लेते हैं जिस कारण आवास अधूरा रह जाता हैं ऐसे हितग्राहियों आवास निर्माण न कर अपना स्वयं का तो नुक्सान करते ही हैं अपितु उन हितग्राहियों का भी नुक्सान करते हैं जिन्है जिले का लक्ष्य पूर्ण होने पर अतिरिक्त लक्ष्य मे से आवास स्वीकृत हो सकता था। अतः ऐसे हितग्राहियों को समझाइश देने कलेक्टर श्री पिथोड़े ने यह अनोखा तरीका अपनाया। मौके पर उपस्थित शासकीय अमले और ग्राम वासियों के सहयोग से मांगीलाल और चरनसिंह के आवासों की 3-4 फिट दीवाल का निर्माण किया गया। कलेक्टर श्री पिथोडे ने मौके पर एक़ि़त्रत आवास योजना के हितग्राहियों से अपील की कि वह इसी प्रकार एक दूसरे की मदद से अपने आवासों का निर्माण करें ताकि अन्य पात्र हितग्राहि जो योजना का लाभ लेने से वंचित रह गये है उनको भी आवास निर्माण की स्वीकृति जल्द से जल्द मिल सके।

अनुविभागीय अधिकारी बुदनी ने संभाला पदभार 

कलेक्‍टर श्री तरुण कुमार पिथोड़े के आदेश अनुसार अपर कलेक्टर श्री विनोद कुमार चतुर्वेदी द्वारा अनुविभागीय अधिकारी बुदनी श्री शैलेन्द्र हिनौतिया को कलेक्ट्रेट सीहोर में पदस्थ किया गया है। तथा संयुक्त कलेक्टर जिला छिंदवाड़ा से स्थानांतरित श्री राजेश शाही को अनुविभागीय अधिकारी बुदनी का पद अस्थाई रूप से सौंपा गया है। 

जिले में अब तक 836.9 मि.मी. औसत वर्षा 

जिले में आज 05 सितम्बर 2018  की प्रात: 8 बजे तक पिछले चौबीस घन्टों में 11.3 मिमी औसत वर्षा दर्ज की गई है। इसे मिलाकर 1 जून से अभी तक जिले में 836.9 मिलीमीटर औसत बारिश रिकार्ड की जा चुकी है। जबकि गत वर्ष इस अवधि में 678.5 मिमी औसत वर्षा आंकी गई थी। अधीक्षक, भू-अभिलेख से मिली जानकारी के अनुसार पिछले चौबीस घन्टों में आष्टा में 12, इछावर में 12, बुधनी में 52, रेहटी में 14 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई। आंकड़ों के मुताबिक जिले में अभी तक सीहोर में 1185, श्यामपुर में 863, आष्टा में 788 जावर में 662.3, इछावर में 851, नसरूल्लागंज में 552.2, बुधनी में 854 तथा रेहटी में 940 मिलीमीटर वर्षा रिकार्ड की गई है। इस अवधि में गत वर्ष सीहोर में 616, श्यामपुर में 654.8, आष्टा में 452, जावर में 502, इछावर में 729.2, नसरूल्लागंज में 744, बुधनी में 1017 तथा रेहटी में 713 मिलीमीटर वर्षा रिकार्ड की गई थी।

पी.जी. कालेज में युवा उत्सव का आयोजन

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चन्द्रशेखर आजाद शासकीय स्नातकोत्तर अग्रणी महाविद्यालय में  5 सितम्बर से महाविद्यालय स्तरीय युवा उत्सव का शुभारंभ हुआ। प्राचार्य, डॉ. एम.एस. राठौर ने दीप प्रज्ज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। अपने उद्बोधन में उन्होंने कहा कि युवा उत्सव जैसे आयोजन प्रतिभाओं को आगे लाने का महत्वपूर्ण मंच है। कला प्रतिभाओं को समाज में पहचान दिलाते हैं। उन्होंने शिक्षक दिवस पर विद्यार्थियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि अच्छे शिक्षक का मार्गदर्शन शिष्य का जीवन बदल सकता है। गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ एवं यूजीसी प्रभारी डॉ. अनिल राजपूत ने कहा कि सांस्कृतिक गतिविधियां युवाओं में उत्साह और ऊर्जा का संचार करती हैं। जिला सांस्कृतिक समन्वयक डॉ. राजकुमारी शर्मा ने कहा कि कला के क्षेत्र में आज भी गुरु शिष्य परंपरा अध्यापन की पद्धति के रूप में कायम है। कला जीवन में मूल्यों और संस्कारों की शिक्षा देती है। कार्यक्रम का संचालन युवा उत्सव महाविद्यालय स्तर की प्रभारी डॉ. भुवनेश्वरी स्वामी एवं आभार डॉ. ईला जैन ने किया। इस अवसर पर डॉ. फरजाना रिजवी, डॉ. दीपा श्रोती, डॉ. सरला, डॉ. ज्योती नेताम, डॉ. अर्पणा कडू, डॉ. वन्दना मगरदे, रजिस्ट्रार बी.एल बकोरिया एवं श्रीमती दीपिका शर्मा उपस्थित थे। विजेताओं में रंगोली में, सोनाली धनक, प्रथम, पलक अवलोशिया, द्वितीय, गुडिया चैहान, तृतीय एकल गायन शास्त्रीय, अनूपसिंह, प्रथम, निहारिका गुप्ता, द्वितीय, उमा वर्मा, तृतीय, एकल गायन सुगम, कुंदन सिंह, प्रथम, निहारिका गुप्ता, द्वितीय, उमा वर्मा, तृतीय, एकल नृत्य शास्त्रीय, प्रीति बाला मालवीय, प्रथम, समूह नृत्य, अभिलाषा जोशी एवं समूह, प्रथम, पाश्चात्य समूह गायन, निहारिका गुप्ता एवं समूह, प्रथम, पाश्चात्य एकल गायन, सुधांशु तोमर प्रथम, भारतीय समूह गायन, निहारिका गुप्ता एवं समूह, प्रथम स्पाट पेन्टिग, प्रदीप कुशवाह, प्रथम, दिव्यानी छोकर, द्वितीय 6 सितंबर 2018 को महाविद्यालय के अंतर्गत मूर्ति कला कोलाज, कार्टूनिंग, प्रश्नमंच मिमिक्री, माइम, स्किट, एकांकी एवं पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाएगा। 

विशेष : मृत्यु को महोत्सव बनाने का विलक्षण उपक्रम है संथारा

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जैन धर्म में संथारा अर्थात संलेखना- ’संन्यास मरण’ या ’वीर मरण’ कहलाता है। यह आत्महत्या नहीं है और यह किसी प्रकार का अपराध भी नहीं है बल्कि यह आत्मशुद्धि का एक धार्मिक कृत्य एवं आत्म समाधि की मिसाल है और मृत्यु को महोत्सव बनाने का अद्भुत एवं विलक्षण उपक्रम है। तेरापंथ धर्मसंघ के वरिष्ठ सन्त ‘शासनश्री’ मुनिश्री सुमेरमलजी ‘सुदर्शन’ ने इसी मृत्यु की कला को स्वीकार करके संथारे के 10वें दिन चैविहार संथारे में दिनांक 4 अगस्त 2018 को सुबह 05.50 बजे देवलोकगमन किया। मुनिश्री ने गत दिनांक 26 अगस्त को सायं 07.43 पर तिविहार संथारे का प्रत्याख्यान किया था। उनको 3 मिनट का चैविहार संथारा आया। मुनिश्री की पार्थिव देह अंतिम दर्शनों हेतु अणुव्रत भवन, 210, दीनदयाल उपाध्याय मार्ग में रखा गया, जहां से उनकी समाधि यात्रा दरियागंज, लालकिला होते हुए निगम बोध घाट पहुंची। हजारों श्रद्धालुजनों सहित अनेक राजनेताओं, साहित्यकारों, धर्मगुरुओं, समाजसेवियों एवं रचनाकारों ने उनके अन्तिम दर्शन किये। 

मुनि सुमेरमलजी सुदर्शन ने नब्बे वर्ष की आयु में अपने जीवन ही नहीं, बल्कि अपनी मृत्यु को भी सार्थक करने के लिये संथारा की कामना की, उनकी उत्कृष्ट भावना को देखते हुए उनके गुरु आचार्य श्री महाश्रमण ने इसकी स्वीकृति प्रदत्त की और उन्हें 26 अगस्त 2018 को सांय संथारा दिला दिया गया। मुनिश्री का सम्पूर्ण जीवन भगवान महावीर के आदर्शों पर गतिमान रहा है। आप एक प्रतिष्ठित जैन संत हैं। जिन्होंने अपने त्याग, तपस्या, साहित्य-सृजन, संस्कृति-उद्धार के उपक्रमों से एक नया इतिहास बनाया है। एक सफल साहित्यकार, प्रवक्ता, साधक एवं प्रवचनकार के रूप में न केवल जैन समाज बल्कि सम्पूर्ण अध्यात्म-जगत में सुनाम अर्जित किया है। विशाल आगम साहित्य आलेखन कर उन्होंने साहित्य जगत में एक नई पहचान बनाई है। ग्यारह हजार से अधिक ऐतिहासिक एवं दुर्लभ पांडुलिपियों, कलाकृतियों को सुरक्षित, संरक्षित और व्यवस्थित करने में आपकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। जैन आगमों के सम्पादन-लेखन-संरक्षण के ऐतिहासिक कार्य में आपका सम्पूर्ण जीवन, श्रम, शक्ति नियोजित रही है। अनेक विशेषताओं एवं विलक्षणओं के धनी मुनिश्री को ही आचार्य श्री महाश्रमण के आचार्य पदाभिषेक के अवसर पर सम्पूर्ण समाज की ओर से पछेवड़ी यानी आचार्य आदर ओढ़ाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। सुप्रतिष्ठित जैन विद्या पाठ्यक्रम को तैयार कर भावीपीढ़ी के संस्कार निर्माण के महान् कार्य को भी आपने अंजाम दिया है। ऐसे महान् साधक, तपस्वी एवं कर्मयौद्धा संत का संथारा भी एक नया इतिहास निर्मित कर रहा है।  एक बार संत विनोबा भावे ने कहा था कि गीता को छोड़कर और महावीर से बढ़कर इस संसार में कोई नहीं है। यह बात मैं गर्व से नहीं, बल्कि स्वाभिमान से कह सकता हूं। विनोबा भावे ने जैन संतों का भी अनुकरण किया है। उन्होंने जैन परम्परा में मृत्यु की कला को भी आत्मसात करते हुए संलेखना-संथारा को स्वीकार कर मृत्यु का वरण किया। संलेखना के दौरान वर्धा में गांधी आश्रम में भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने उनसे कहा था कि देश को उनकी जरूरत है। उन्हें आहार नहीं छोड़ना चाहिए। तो संत विनोबा भावे ने कहा था कि मेरे और परमात्मा के बीच में अब किसी को नहीं आना है, क्योंकि अब मेरी यात्रा पूर्ण हो रही है। न केवल विनोबा भावे बल्कि अनेक जैनेत्तर लोगों ने भी समाधिपूर्वक मृत्यु का वरण करके संथारे को गौरवान्वित किया है। मुनि सुदर्शन ने अपनी मृत्यु को इसी प्रकार धन्य करके अमरत्व की ओर गति की है। 

जैन धर्म की सबसे प्राचीन आत्म उन्नयन की परम्परा है संथारा (संलेखना)। संथारा एक अहिंसक और आध्यात्मिक साधना पद्धति है इसलिए इसके समर्थन में होने वाले उपक्रम भी अहिंसक एवं आध्यात्मिक होते हैं। संथारा को श्रावकीय मनोरथों की शृंखला में तीसरा और आखिरी मनोरथ माना गया है। साधारणतः जीवन को प्रिय एवं मृत्यु को अप्रिय माना जाता है। लेकिन जैन दर्शन जीवन में मृत्यु और मृत्यु में जीवन का दर्शन प्रस्तुत करता है। भगवान महावीर ने कहा था कि मृत्यु से मत डरो, यह अभय का सूत्र व्यक्ति को निरंतर तद्नुरूप साधना से प्राप्त हो सकता है और इससे व्यक्ति का मृत्यु के प्रति भय भी क्षीण हो जाता है। जब व्यक्ति को लगे कि यह शरीर अब कम काम करने लगा है तब इस पर संलेखना का प्रयोग शुरू करें। इससे बाह्य दृष्टि से भले ही शरीर-बल क्षीण होगा पर आत्मबल प्रकट होता रहेगा। निरंतर संलेखना तप से जब मृत्यु निकट भी आयेगी तब व्यक्ति के लिए शरीर त्याग करने का मोह नहीं रहेगा। वह अभय बनकर अनशनपूर्वक अपनी जीवन यात्रा को समाप्त कर सकेगा। यह न केवल श्रावक बल्कि मुनि के लिए भी जीवन की सुखद अंतिम परिणति है। मृत्यु की इस अद्भुत कला संथारा को लेकर वर्तमान समय में अनेक भ्रांतियां एवं ऊंहापोह की स्थितियां परिव्याप्त हैं। एक आदर्श परंपरा पर छाये कुहासे एवं धुंधलकों को छांटने की जरूरत है। मुनि सुदर्शन ने एक साहसिक कदम उठाते हुए जैन धर्म की आध्यात्मिक विरासत को सुरक्षित रखने का उपक्रम किया एवं इसकी प्रेरणा दी है। जन-जन के घट-घट में मृत्यु की विलक्षण परम्परा का दीप प्रज्ज्वलित कर अंतर के पट खोलने का संदेश दिया हैं। जन्म और मृत्यु एक चक्र है, आदमी आता है, गुजर जाता है, आखिर क्यों? क्या मकसद है उसके आने-जाने और होने का। वह आकर जाता क्यों है? पुख्ता जमीन क्यों नहीं पकड़ लेता? क्या उसके इस तरह होने के पीछे कोई राज है? कुल मिलाकर मुनि सुदर्शन ने संथारा स्वीकार करके एक नया इतिहास रचा है।

मृत्यु को लेकर जो अज्ञान है। यदि उस अज्ञान के दुर्ग की प्राचीरों को जमींदोज कर दिया जाये तो कोई उलझन शेष नहीं रहेगी। अज्ञान भय को जन्म देता है और भय जिंदगी को नर्क बना देता है। असल में आसक्ति या राग तमाम विपत्तियों की जड़ है और अनासक्ति जननी है मुक्ति की, शांति की, समता की। अनादि संसार में कोई भी ऐसा जीव नहीं है जो जन्म लेकर मरण को प्राप्त न हुआ हो। देवेन्द्र, नरेन्द्र, मुनि, वैद्य, डाॅक्टर सभी का अपने-अपने सुनिश्चित समय में मरण अवश्य हुआ है। कोई भी विद्या, मणि, मंत्र, तंत्र, दिव्यशक्ति, औषध आदि मरण से बचा नहीं सकते। अपनी आयु के क्षय होने पर मरण होता ही है। कोई भी जीव यहां तक कि तीर्थंकर परमात्मा भी, अपनी आयु अन्य जीव को दे नहीं सकते और न उसकी आयु बढ़ा सकते हैं और न हर सकते हैं। अज्ञानी मरण को सुनिश्चित जानते हुए भी आत्महित के लिए किंकर्तव्यविमूढ़ रहता है। जबकि ज्ञानी मरण को सुनिश्चित मानता है। वह जानता है कि जिस प्रकार वस्त्र और शरीर भिन्न हैं, उसी प्रकार शरीर और जीव भिन्न-भिन्न हैं। इसलिए छूटते हुए शरीर को छोड़ने में ज्ञानी को न भय होता है और न ममत्व, अपितु उत्साह होता है। यही उत्साह संथारा की आधारभित्ति है और पुनर्जन्म या जन्म-जन्मांतर या उसकी शंृखला को मेटने या काटने की कला है, उस कला से साक्षात्कार करके मुनि सुदर्शन ने मृत्यु को महोत्सव का स्वरूप प्रदान किया है।  

जो मरण ज्ञानपूर्वक होता है वह सुखद एवं भव भ्रमण विनाशक होता है। प्रत्येक जीव मरण समय में होने वाले दुःखों से भयभीत है, मरण से नहीं। अपने मरण को सुखद और स्वाधीन करने के लिए मरण संबंधी ज्ञान होना आवश्यक है। मरण का ज्ञान अर्थात् संलेखना मरण/समाधिमरण करने का ज्ञान होना आवश्यक है। मनुष्य जीवन का सर्वोत्कृष्ट महोत्सव मृत्यु है। आत्मकल्याण करने के लिए संलेखना धारण कर अपनी मृत्यु का महोत्सव मनाना जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि हो सकती है। मनुष्य को जीवन में राजनैतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, धार्मिक आदि विविध प्रकार के उत्सव मनाने का अवसर प्राप्त होता है। प्रत्येक उत्सव का अपनी-अपनी जगह महत्व है। उनके महत्व का कारण उनमें अनेक विशेषताएं हैं। विशेष समय पर आते हैं, अनेक बार मनाने का अवसर प्राप्त होता है किन्तु मृत्यु महोत्सव जीवन के अंत में एक बार ही मनाने का अवसर प्राप्त होता है। संसार में जीवों को जन्म-जरा-मृत्यु से मुक्त कराने वाला उत्सव ही सर्वोत्कृष्ट उत्सव है। इसलिए जैनाचार्यों ने मृत्यु को महोत्सव कहा है। जैन धर्म के मृत्यु महोत्सव एवं कलात्मक मृत्यु को समझना न केवल जैन धर्मावलम्बियों के लिये बल्कि आम जनता के लिये उपयोगी है। यह समझना भूल है कि संथारा लेने वाले व्यक्ति का अन्न-जल जानबूझकर या जबरदस्ती बंद करा दिया जाता है। संथारा स्व-प्रेरणा से लिया गया निर्णय है। जैन धर्म-दर्शन-शास्त्रों के विद्वानों का मानना है कि आज के दौर की तरह वेंटिलेटर पर दुनिया से दूर रहकर और मुंह मोड़कर मौत का इंतजार करने से बेहतर है संथारा प्रथा। यहाँ धैर्यपूर्वक अंतिम समय तक जीवन को पूरे आदर और समझदारी के साथ जीने की कला को आत्मसात किया जाता है। मुनिश्री सुमेरमलजी सुदर्शन का संथारा निश्चित ही सम्पूर्ण मानवता के कल्याण का निमित्त बनेगा एवं उन्हें भी अमरत्व प्राप्त होगा, यही विश्वास है। प्रेषक



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(ललित गर्ग)
बी-380, प्रथम तल, 
निर्माण विहार, दिल्ली-110092
फोनः 22727486, 9811051133

माओवादियों से संपर्को के आधार पर गिरफ्तार किया गया : महाराष्ट्र पुलिस

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नयी दिल्ली, पांच सितंबर, महाराष्ट्र पुलिस ने बुधवार को उच्चतम न्यायालय में दावा किया कि पांच कार्यकर्ताओं को असहमति के उनके दृष्टिकोण की वजह से नहीं बल्कि प्रतिबंधित भाकपा (माओवादी) से उनके संपर्को के बारे में ठोस सबूत के आधार पर गिरफ्तार किया गया है। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने 29 अगस्त को इन कार्यकर्ताओं को छह सितंबर को घरों में ही नजरबंद रखने का आदेश देते वक्त स्पष्ट शब्दों में कहा था कि ‘‘असहमति लोकतंत्र का सेफ्टी वाल्व’’ है। यह पीठ गुरूवार को इस मामले में आगे सुनवाई करेगी। न्यायालय ने इतिहासकार रोमिला थापर तथा अन्य की यचिका पर महाराष्ट्र पुलिस को नोटिस जारी किया था। इस याचिका में भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में इन कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी को चुनौती दी गयी थी। राज्य पुलिस ने इस नोटिस के जवाब में ही अपना हलफनामा न्यायालय में दाखिल किया है। पुलिस ने दावा किया है कि ये कार्यकर्ता देश में हिंसा फैलाने और सुरक्षा बलों पर घात लगाकर हमला करने की योजना बना रहे थे।  राज्य पुलिस का कहना है कि असहमति वाले दृष्टिकोण की वजह से इन्हें गिरफ्तार करने की धारणा को दूर करने के लिये उसके पास पर्याप्त साक्ष्य हैं। महाराष्ट्र पुलिस ने इसके साथ ही यह भी सवाल उठाया है कि याचिकाकर्ता रोमिला थापर, और अर्थशास्त्री प्रभात पटनायक तथा देविका जैन, समाजशास्त्री सतीश देशपाण्डे और कानून विशेषज्ञ माजा दारूवाला ने किस हैसियत से याचिका दायर की है और कहा कि वे इस मामले की जांच से अजनबी हैं।  महाराष्ट्र पुलिस ने 28 अगस्त को कई राज्यों में प्रमुख वामपंथी कार्यकर्ताओं के घरों पर छापे मारे थे और माओवादियों से संपर्क होने के संदेह में कम से कम पाचं कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया था। इन गिरफ्तारियों को लेकर मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने जबर्दस्त विरोध किया था। पुलिस ने इस छापेमारी के दौरान प्रमुख तेलुगू कवि वरवरा राव को हैदराबाद और वेरनॉन गोन्साल्विज और अरूण फरेरा को मुंबई से गिरफ्तार किया गया था जबकि ट्रेड यूनियन कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज को फरीदाबाद और नागिरक अधिकारों के कार्यकर्ता गौतम नवलखा को दिल्ली से गिरफ्तार किया गया था। पुलिस ने पिछले साल 31 दिसंबर को पुणे के निकट आयोजित एलगार परिषद कार्यक्रम के बाद भीमा-कोरेगांव गांव में भड़की हिंसा की जांच के सिलसिले में ये छापेमारी की थी।

देश ‘बनाना रिपब्लिक’ बनने की राह में : शिवसेना

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मुंबई, पांच सितंबर, शिवसेना ने रूपए की गिरती कीमत और ईंधन की कीमत सर्वाधिक होने पर अपनी सहयोगी पार्टी भाजपा की तीखी आलोचना की और कहा कि देश ‘बनाना रिपब्लिक’ बनने की राह पर है। पार्टी ने कटाक्ष करते हुए कहा कि डॉलर के मुकाबले रूपया निम्नतम स्तर पर पहुंच गया है वहीं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देश की अर्थव्यवस्था के तबाह होने की तोहमत कांग्रेस पर लगा रहे हैं और यह भूल रहे हैं कि पिछले चार वर्ष से वह सत्ता में हैं। शिवसेना ने कहा, ‘‘पेट्रोल, डीजल की कीमतें आसमान छू रही हैं। पेट्रोल शीघ्र ही 100 रूपए पर पहुंच जाएगा। बड़ी संख्या में बेरोजगार युवक सड़कों पर उतरेंगे और अराजकता फैलाएंगे। किसान खुश नहीं हैं। खाद्य पदार्थों, रसोई गैस और सीएनजी की कीमतों में वृद्धि हुई है। नए निवेशों में गिरावट आई है।’’  पार्टी ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में कहा, ‘‘ देश की तस्वीर दिल दहलाने वाली है और हम ‘बनाना रिपब्लिक’ बनने की राह पर चल रहे हैं।’’ राजनीति शास्त्र में ‘बनाना रिपब्लिक’ राजनीतिक रूप से ऐसे अस्थिर देश को कहते हैं जिसकी अर्थव्यवस्था कुछेक उत्पादों मसलन केला, खनिज इत्यादि के निर्यात पर टिकी होती है।  संपादकीय में कहा गया है कि अगर रूपए की कीमत इसी तरह गिरती रही तो यह जल्दी ही 100 रूपए प्रति अमेरिकी डॉलर के स्तर को पार कर जाएगा।  संपादकीय में कहा गया है जब भाजपा विपक्ष में थी तो कहा करती थी कि रूपए की कीमत गिरने से देश की साख भी गिरती है। पार्टी ने तंज किया, ‘‘अब अगर रूपया 100 रूपए प्रति अमेरिकी डॉलर के नजदीक पहुंच रहा है तो क्या यह कहा जा सकता है कि हमारे देश की छवि सुधर रही है?’’  इसने विश्वबैंक की एक हालिया रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा ऐसे वक्त में जब भारतीय मुद्रा ‘मृत्यु शैया पर है’ ऐसे में यह दावा करना ‘‘हास्यास्पद’’ है कि देश विश्व की छठी सबये बड़ी अर्थव्यवस्था है। संपादकीय में कहा गया कि नीति आयोग देश की अर्थव्यवस्था को तबाह करने का आरोप डूबे कर्ज वसूलने के लिए उठाए गए कदमों के लिए आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन पर मढ़ रहा है लेकिन रूपए की कीमत उससे बहुत नीचे पहुंच गई है जो राजन के कार्यकाल के दौरान थी। शिवसेना ने दावा किया है कि राजन ने सरकार के नोटबंदी के निर्णय का विरोध किया था। वह इसके प्रचार प्रचार के लिए हजारों करोड़ रूपए खर्च करने पर केन्द्र के खिलाफ थे। इसमें आगे कहा गया, ‘‘यह विश्व की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के लक्षण नहीं हैं। देश की लड़खड़ाती अर्थव्यवस्था के लिए कांग्रेस और रघुराम राजन को जिम्मेदार ठहराना एक मजाक है। हमें बताइए कि आपने क्या किया? लेकिन सरकार के पास कहने के लिए कुछ भी नहीं है।

दिलीप कुमार अस्पताल में भर्ती

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मुंबई, पांच सितंबर, मशहूर अभिनेता दिलीप कुमार को सीने में संक्रमण के बाद मुंबई के लीलावती अस्पताल में भर्ती कराया गया है। उनकी पत्नी सायरा बानू ने बुधवार को यह जानकारी दी। लीलावती अस्पताल के अधिकारियों ने कहा कि यह बताना कठिन है कि 95 वर्षीय दिलीप कुमार अस्पताल में कब तक रहेंगे। उन्होंने कहा कि चिंता करने की कोई बात नहीं है। सायरा बानू ने  कहा, "हम यहां लीलावती में हैं और हम नियमित जांच के लिए यहां आते हैं। वह कुछ दिनों तक यहां रहेंगे, जब तक डॉक्टर टेस्ट करना चाहते हैं। सभी प्रकार की जांच की जाएगी। यहां डॉक्टरों की एक टीम है, चेस्ट स्पेशलिस्ट, न्यूरोलॉजिस्ट... ।"  उन्होंने कहा, "डॉ नितिन गोखले के निरीक्षण में जांच की जा रही हैं। हमें आपकी दुआओं की आवश्यकता है ताकि हम जल्दी घर जा सकें।"यह खबर सबसे पहले अभिनेता के आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर उनके भतीजे फैसल फारूकी द्वारा साझा किया गया।  उन्होंने कहा कि दिलीप कुमार को मुंबई के लीलावती अस्पताल में भर्ती कराया गया है क्योंकि वह सीने के संक्रमण से प्रभावित हैं। वह ठीक हो रहे हैं। लीलावती अस्पताल के उपाध्यक्ष अजय कुमार पांडे ने कहा कि अभिनेता को बुधवार की दोपहर अस्पताल में भर्ती कराया गया। उन्होंने कहा, "वह सिर्फ नियमित जांच के लिए आए हैं और चिंता की कोई बात नहीं है। वह ठीक हैं। यह कहना मुश्किल है कि वह अस्पताल में कब तक रहेंगे।" 

बिहार : बीजेपी को रोकने के लिए नई राजनीतिक समझदारी की आवश्यकता: दीपंकर भट्टाचार्य

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वाम दलों व राजद की एकता से बिहार में राजनीति के बनेंगे नए समीकरण. फासीवाद के खिलाफ संघर्ष और वैकल्पिक राजनीति के सवाल पर आइएमए हाॅल में संगोष्ठी, सामाजिक कार्यकर्ता प्रेम कुमार मणि, अर्थशास्त्री डीएम दिवाकर सहित पटना शहर के कई बुद्धिजीवी हुए शामिल., गौरी लंकेश की शहादत की पहली बरसी पर दी गई श्रद्धांजलि
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पटना 5 सितंबर 2018, आॅल इंडिया पीपुल्स फोरम की ओर से आज पटना के आइएमए हाॅल में आयोजित ‘फासीवाद के खिलाफ संघर्ष और वैकल्पिक राजनीतिक के सवाल’ पर आयोजित संगोष्ठी को संबोधित करते हुए माले महासचिव काॅ. दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि भाजपा को रोकने के लिए नई राजनीतिक समझदारी की जरूरत है. पुराने तरीके से मोदी के नेतृत्व में चल रहे फासीवादी उभार को परास्त नहीं किया जा सकता है. 74 छात्र आंदोलन का दौर समाप्त हो चुका है. उसके आधे लोग तो आज भाजपा के ही साथ हैं. आज की तानाशाही का चरित्र व दायरा बिलकुल अलग है. इसलिए भाजपा को पीछे धकेलने और 2019 के चुनाव में शिकस्त देने के लिए हम सबको नए तरीके से सोचना होगा. उन्होंने कहा कि 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा के खिलाफ एक मोर्चा बना था, लेकिन उसका क्या हुआ? हमने देखा कि बीच रास्ते में ही नीतीश कुमार ने खेमा बदल लिया और चोर दरवाजे से भाजपा को बिहार की सत्ता में ले आए. एक बात तो उसी दिन स्पष्ट हो गई कि अवसरवादी गठबंधनों से तो भाजपा को कुछ भी नहीं बिगाड़ा जा सकता है. आज भी कुछ लोग इसी प्रकार का अवसरवादी गठबंधन बनाने की चाहत रखते हैं. समय देखकर दल-बदल में विश्वास रखते हैं. ऐसा अवसरवादी गठबंधन कभी विकल्प नहीं हो सकता है.

 भाजपा के खिलाफ कारगर तरीके से लड़ने वाली ताकतों को साथ लिए बिना उसेे पीछे धकेलना असंभव है. लाल झंडे के ही लोग भाजपा विरोधी अभियान के चैंपियन हैं. आज उन्हीं पर सबसे ज्यादा हमले भी हो रहे हैं. इसलिए आज एक नए समीकरण की आवश्यकता महसूस हो रही है. हम चाहते हैं कि भाजपा के खिलाफ एक बड़ी एकता हो. वाम दलों और राजद में एकता होती है तो निसंदेह वह बिहार की राजनीति में एक नया रंग लाएगा. लेकिन यह एकता केवल एक पक्ष की नहीं हो सकती है, दूसरे पक्ष को भी इसपर गंभीरता से सोचना चाहिए. एकता सम्मानजनक ही होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि आज मोदीशासन का फासीवादी चरित्र साफ तौर पर दिख रहा है. हम भगत सिंह और अंबेदकर के रास्ते चलकर ही इस देश में लोकतंत्र की हिफाजत कर सकते हैं. हमारे लिए संविधान एक औजार है और इसके जरिए हम फासीवाद की ताकतों को पीछे धकेल सकते हैं. संगोष्ठी को संबोधित करते हुए प्रेम कुमार मणि ने कहा कि देश आपातकाल के दौर से गुजर रहा है. यह सही है कि इसकी घोषणा नहीं हुई है लेकिन इंदिरा आपातकाल के दौर की तुलना मेें देश कहीं अधिक भयावह दौर से गुजर रहा है. संविधान व कानूनी प्रक्रियाओं को दरकिनार करके सरकारों ने भीड़ को ताकत प्रदान कर दी है. आज जगह-जगह आम लोगों की भीड़ द्वारा हत्या की जा रही है. तर्क व विरोध करने वाले लोगों की हत्या कर दी जा रही है. बोलने पर पाबंदी लगा दी गई है. अर्थशास्त्री डीएम दिवाकर ने कहा कि मोदी राज में एक पर एक संगठित घोटाले हुए. नोटबंदी इस सदी का सबसे बड़ा घोटाला है. यह एक प्रकार की तानाशाही है. लोगों के जीवन-जीविका को तहस-नहस कर दिया गया है. विरोधी विचारों को कुचलने की हर संभव कोशिश हो रही है. लेकिन फासीवाद की ताकतें जिस गति से लोगों पर हमला कर रही है, प्रतिरोध की आवाज भी उतनी ही प्रमुखता से उभरकर सामने आ रही है. यह अच्छी बात है. संगोष्ठी के आरंभ के पहले कन्नड़ की प्रख्यात लेखिका व पत्रकार गौरी लंकेश की शहादत पर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई. उनके हत्यारों को अविलंब गिरफ्तार करने की मांग की गई. साथ ही उम्मीद व्यक्त की गई कि 6 सितंबर को अपनी सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट सभी गिरफ्तार 5मानवाधिकार कार्यकर्ता, वकील व पत्रकारों को रिहा कर दिया जाएगा. संगोष्ठी की अध्यक्षता राजाराम ने की जबकि संचालन एआईपीएफ के संतोष सहर ने की. इस मौके पर अखिल भारतीय किसान महासभा के महासचिव राजाराम सिंह, साहित्यकार सुमंत शरण, भाकपा-माले के राज्य सचिव कुणाल, इसकस के संयोजक अशोक कुमार, नाट्यकर्मी रंजीव वर्मा, माले विधायक दल के नेता महबूब आलम, शिक्षाशास्त्री गालिब, अधिवक्ता विजय कुमार सिंह आदि उपस्थित थे.

बिहार : गौरी लंकेश की शहादत की पहली बरसी पर पटना में प्रतिवाद

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माले महासचिव का. दीपंकर भटटाचार्य सहित शामिल हुए पटना के नागरिक
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पटना 5 सितंबर 2018 कन्नड़ की प्रख्यात लेखिका व पत्रकार गौरी लंकेश की शहादत की पहली बरसी पर देशव्यापी आह्वान के तहत आज पटना में भी पटना के नागरिकों ने प्रतिवाद मार्च निकाला और कारगिल चैक पर प्रतिवाद सभा आयोजित की. प्रतिवाद सभा को भाकपा-माले के महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य, सीपीआईएम के केंद्रीय कमिटी के सदस्य अरूण मिश्र, नाट्यकर्मी रंजीत वर्मा, सामाजिक कार्यकर्ता प्रेम कुमार मणि आदि ने संबोधित किया. प्रतिवाद सभा का संचालन एआईपीएफ के संतोष सहर ने की. इसके पूर्व आइएमए सभागार से सैकड़ों नागरिकों ने प्रतिवाद मार्च निकाला. प्रतिवाद मार्च के दौरान संविधान पर हमला नहीं सहेंगे, देश में तानाशाही नहीं चलेगी, जो हिटलर की चाल चलेगा वह हिटलर की मौत मरेगा, कितना दम है दमन में तेरेे देख लिया है देखेंगे, हम सब शहरी नक्सल हैं आदि नारे लगाए जा रहे थे. प्रतिवाद सभा को संबोधित करते हुए कामरेड दीपंकर ने कहा कि आज से एक साल पहले गुंडों ने गौरी लंकेश की हत्या कर दी थी. उसके बाद हमले और बढ़े ही हैं. आज केवल पुलिस ही नहीं बल्कि भीड़ को आम लोगों की हत्या की छूट दे दी गई है. भाजपा के नेता हत्यारों का स्वागत करते हैं. इसके कारण ऐसी ताकतों का मनोबल काफी बढ़ा हुआ है. मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, वकीलों, पत्रकारों को ‘अर्बन नक्सल’ कहकर प्रताड़ित किया जा रहा है, जबकि भीमा कोरेगांव के असली दोषियों को बचाया जा रहा है. इस आपातकाल के खिलाफ आज पूरा देश बोल रहा है. हम इस सरकार से कहना चाहते हैं कि चाहे वह जितना भी दमन अभियान चला ले, इंसाफ का कारवंा रूकने वाला नहीं है. राजाराम सिंह ने संबोधित करते हुए कहा कि देश के मजदूर-किसान, छात्र-नौजवान आज सब मोदी सरकार के तानाशाही से परेशान हैं. देश मोदी आपातकाल के दौर से गुजर रहा है. इस आपातकाल का भी वही हश्र होगा जो इंदिरा गांधी के जमाने के आपातकाल का हुआ था. प्रतिवाद सभा में भाकपा-माले के राज्य सचिव कुणाल, तारकेश्वर ओझा, राजाराम, अभ्युदय, आइसा के मोख्तार, संस्कृतिकर्मी संतोष झा, प्रीति, समता राय, रंजीत वर्मा समेत इनौस के नवीन कुमार, रणविजय कुमार, रामबलि प्रसाद, विधायक महबूब आलम, उमेश सिंह, अशोक कुमार, सुमंत शरण, विधायक सुदामा प्रसाद, विकास यादव सहित सैकड़ो लोग शामिल थे

पुस्तक पर प्रतिबंध के लिये दायर याचिका खारिज, लेखक के कौशल का सम्मान होना चाहिए

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नयी दिल्ली, पांच सितंबर, उच्चतम न्यायालय ने उस पुस्तक पर प्रतिबंध लगाने के लिये दायर याचिका बुधवार को खारिज कर दी जिसमें एक हिन्दू महिला के मंदिर में जाने को कथित रूप से अपमानजनक तरीके से पेश किया गया था।  प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ की पीठ ने याचिका खारिज करते हुये कहा कि किसी लेखक के कार्य कौशल का सम्मान किया जाना चाहिए और पुस्तक को अंशों की बजाये संपूर्णता में पढ़ा जाना चाहिए।  पीठ ने दिल्ली निवासी एन राधाकृष्णन की याचिका पर अपने फैसले में कहा कि किसी पुस्तक के बारे में अपने दृष्टिकोण को सेन्सरशिप के लिये कानूनी दायरे में नहीं लाना चाहिए। पीठ ने कहा कि लेखक को अपने शब्दों का उसी तरह से खेलने की अनुमति दी जानी चाहिए जैसे एक चित्रकार रंगों से खेलता है। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में लेखकर एस. हरीश की मलयाली उपन्यास ‘मीशा’ (मूंछ) के कुछ अंश हटाने का अनुरोध किया था। शीर्ष अदालत ने दो अगस्त को पुस्तकों पर प्रतिबंध के चलन की आलोचना करते हुये कहा था कि इससे विचारों का स्वतंत्र प्रवाह बाधित होती है। न्यायालय ने यह भी कहा था कि साहित्यिक कार्य उसी समय प्रतिबंधित किया जा सकता है जब वह भारतीय दंड संहिता की धारा 292 जैसे किसी कानून का उल्लंघन करता हो।  राधाकृष्णन ने याचिका में आरोप लगाया था कि पुस्तक में मंदिरों में पूजा कराने वाले ब्राह्मणों के बारे में की गयी चुनिन्दा टिप्पणियां ‘जातीय आक्षेप’ जैसी हैं। इसमें यह भी आरोप लगाया गया था कि केरल सरकार ने इस पुस्तक का प्रकाशन, इसकी आन लाइन बिक्री और उपन्यास की उपलब्धता रोकने के लिये उचित कदम नहीं उठाये। केन्द्र और राज्य सरकार दोनों ने ही पुस्तक पर प्रतिबंध के लिये दायर याचिका का विरोध करते हुये कहा था कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बाधित नहीं किया जाना चाहिए। 
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