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बिहार : जरलाही पंचायत के लोगों को 18 सालों के बाद भी भूमि पर कब्जा नहीं

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  • सी.एम.नीतीश कुमार से भूमि संबंधी विवादों के शीघ्र समाधान के लिए त्वरित न्यायालय गठित करने की मांग की गई है

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कुर्सेला। इस प्रखंड में है जरलाही पंचायत. सड़क के किनारे 60  परिवार रहते हैं.यहां पर दो वार्ड है वार्ड नम्बर -4 और वार्ड नम्बर -5 . वार्ड नम्बर- 4 का वार्ड सदस्य दिलीप कुमार और वार्ड नम्बर-5 की वार्ड सदस्या अनिता देवी हैं. सभी परिवार महादलित हैं. बिहार सरकार ने 60 परिवारों की पहचान कर 2004 में 15 परिवारों को आवासीय भूमि दी.इन लोगों को तीन डिसमिल जमीन दी गयी.वहीं 20 अन्य परिवारों को एक एकड़ जमीन दी गई.इस जमीन पर घर व खेती करना है.बेचन राम व अवधेश राम को मुरादपुर मौजा में एक-एक एकड़ जमीन दी गयी.खाता सं.3786 और खेसरा सं.6113 है. सुरीता देवी, पुनम देवी, मनोरमा देवी,सेवरी देवी,सूरती देवी,फुलो देवी,मो.करोरवा देवी,जयमाल देवी,राधा देवी,बिजली देवी,रीना देवी,मखड़ी देवी, अनीता देवी,रानी देवी,मो.कुसमी देवी और तारा देवी को जरलाही मौजा में जमीन दी गई. खाता सं.1341 और खेसरा सं.2478/2507 है.सुबोध राम व प्रमोद राम को गोबराही मौजा में जमीन मिली है. खाता सं.708  और खेसरा संख्या 121/410 है. यह दुर्भाग्य है कि  सरकार ने भूमिहीनों को जमीन का पर्चा देकर जमीन का मालिक बना दिया. इन लोगों ने जमीन का दाखिल खारिज भी कराकर मालगुजारी का रसीद भी कटवा लिए. मगर जमीन पर कब्जा नहीं हो सका है.यह जमीन सिलिंग की है.जमीन मालिक कैलाशपति महतो का ही जमीन पर कब्जा बरकरार है.

जागरूकता बैठक में शामिल होने वालों ने कहा कि 2005 से ही पर्चा मेरे साथ और जमीन किसी और के हाथ से भूमि की लड़ाई लड़ रहे हैं.हाफ सेंचुरी बार कुर्सेला प्रखंड का द्येराव किया गया.कटिहार से पटना तक केस किया गया है.पटना हाई कोर्ट में कैलाशपति महतो ने बिहार सरकार पर मुकदमा ठोंक दिया है. पर्चाधारियों ने कटिहार में कटिहार कोर्ट में कैलाशपति महतो पर केस कर रखा है.गरीब लोग चंदा करके केस लड़ रहे हैं. बताते चले कि 18 सालों से कोर्ट का चक्कर लगाकर लोग थक गए हैं. आज एकता परिषद भारत के 17 राज्यों के 124 जिलों तक फैल चुका है. आज लगभग 1000 स्वैच्छिक  संगठनों का व्यापक गठबंधन है जिसका उद्देश्य वंचितों ,आदिवासियों,दलितों,खेतिहर मजदूरों, मछुआरों,चरवाहों, घुमंतु जातियों,शहरी गरीबों तथा किसानों को उनके जल,जंगल व जमीन पर अधिकारों के लिए अहिंसात्मक संघर्ष में शामिल हो गए हैं.  

बेगुसराय : प्रो•चन्द्रभानु देवी की पुण्यतिथि के अवसर पर आयोजित रक्तदान शिविर।

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बेगूसराय (अरुण कुमार), आज चंद्रभानु रमाकांत चौधरी फाउंडेशन के तत्वाधान में सी बी आर के सी फाउंडेशन कार्यालय पर ब्लड कैंप लगाया गया जिसमें दर्जनों लड़का लड़कियों ने ब्लड डोनेट किया। वहीं दिव्यागों को ट्राई साइकिल भी दिया गया। आज लगभग 10 वर्षों से लगातार सी बी आर के सी फाउंडेशन के बैनर तले विभिन्न क्षेत्रों में सामाजिक कार्यक्रम कर अपनी उपस्थिति दर्ज करते आ रही है।6 सितंबर को पूर्व सांसद प्रो0 चन्द्रभानु देवी की पुण्यतिथि मनाई गई थी। उन्हीं की स्मृती में चंद्रभानु रमाकांत चौधरी फाउंडेशन के द्वारा हर साल मोतियाबिंद का कैम्प, ब्लड कैम्प, वॉलीबॉल टूर्नामेंट, कबड्डी टूर्नामेंट, क्रिकेट टूर्नामेंट, जिले के प्रतिभागी छात्र-छात्राओं को भी प्रोत्साहित किया जाता है। जैसे मैट्रिक ,इंटर  में अव्वल अंक प्राप्त करने वाले छात्र छात्राओं को चंद्रभानु रमाकांत चौधरी फाउंडेशन की ओर से प्रोत्साहित किया जाता है उसी तरह हमारे जिले के खिलाड़ियों को कहीं चयनित होने पर उन्हें उचित प्रोत्साहन राशि देकर आगे राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय खेलों में भाग लेने के लिए भेजा जाता है। आज इस कार्यक्रम में उनके तैलीय चित्र पर माल्यार्पण कर ब्लड कैम्प की शुरुआत की गई।  कार्यक्रम की अध्यक्षता फाउडेशन प्रो0 विश्वनाथ सिंह ने की।अमित शाह,अमन कुमार, रोहित कुमार,विकास कुमार,सल्लू कुमारी,सौरव कुमार,रूपेश कुमार,नागेश्वर कुमार आदि ने ब्लड डोनेट किया। इस कार्यक्रम को रोटरी ब्लड बैंक ने आयोजित किया। इस कार्यक्रम में फाउंडेशन के ब्रजकिशोर सिंह,चन्द्रसेन सिंह,मणिभूषण सिंह,रोटरी ब्लड बैंक के दिनेश टेकरीवाल,जयंत कुमार अग्रवाल,बॉबी अग्रवाल,अभिनव कुमार,मधु कुमारी,डॉ कन्हैया कुमार,कुमार रत्नेश टुल्लू,रामनुग्रह शर्मा,राजेश कुमार मुन्ना,विजय सिंह,सज्जन कुमार,रवि कुमार,आलोक कुमार,चंदन कुमार,राजीव कुमार, आदि लोग मौजूद हुए।

दुमका : पंचायत समिति सदस्य बी बी सारस्वत ने दी बच्चों को स्वच्छता अभियान से संबंधित जानकारी

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दुमका (अमरेन्द्र सुमन) स्वच्छता  अभियान के तहत दुधानी पंचायत के पिछड़ी टोला आंगनबाड़ी केंद्र संख्या 804 में  दिन गुरूवार को दुधानी पंचायत के पंचायत समिति सदस्य बिनोद बिहारी सारस्वत के द्वारा सभी 34 बच्चों को साबुन  व सैंपू का वितरण किया गया। पिछड़ी टोला के  बच्चों को स्वच्छता  के बारे में जानकारी दी गई। उन्होंने सभी बच्चों को प्रतिदिन , सुबह-सुबह उठ कर नहा कर साफ-सुथरा कपड़े पहन कर आंगनबाड़ी केंद्र में पहुंचने का संदेश देते हुए इसे अनिवार्य रुप में अपनाने को कहा।  अपने-अपने  घरों में व घर के अगल-बगल  गंदा नहीं करने की सलाह देते हुए कहा कि आप खुद स्वच्छ रहेंगे तो आपके पड़ोसियों पर भी इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और लोग स्वच्छता के प्रति जागरूक होंगे। इस अवसर पर बड़े-बुजुर्गो सहित अन्य लोग भी उपस्थित थे।

बेगुसराय : गंगा डूबने से एक कि मौत दूसरे की जान ग्रामीणों ने बचाने में पाई सफालता।

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one-dead-in-gangaa-begusarayबेगूसराय (अरुण कुमार) :  सिहमा डीह गंगा घाट पर तीज पर्व का चौरा भसाने के बाद  स्नान करने के दौरान अपनी सगी दो बहने गंगा नदी में डूबी,एक को ग्रामीणों ने बचा लिया, दूसरी बहन की गंगा नदी में डूबने से मौत। घटना मटिहानी थाना क्षेत्र अंतर्गत गुरुवार की सुबह 6:30 बजे की 13 सितम्बर 2018।प्रातः 6:30 बजे। शहर के रतनपुर ओपी थाना क्षेत्र के वार्ड नंबर 21 मुहल्ला निवासी किसान संजीव कुमार की दो पुत्री के अलावे साथ में अन्य घर की महिलाएं  गुरुवार को सुबह 6:30 बजे के करीब एक टैंपू करके तीज का चौरा गंगा नदी में  विसर्जन करने के लिए गयी थी ।जहां तीज का चौरा गंगा नदी में विसर्जन करने के बाद दोनों सगी बहनें शबनम कुमारी उर्फ छोटी उम्र 21 वर्ष और उसकी छोटी बहन सुहानी कुमारी उम्र 15 वर्ष गंगा घाट के पास सड़क के बगल में बना भमड़ा के निकट दोनों बहन स्नान कर रही थी।इसी दौरान शबनम कुमारी उर्फ छोटी और सुहानी कुमारी दोनों बहन का पैर फिसल गया और गंगा नदी के गहरे धाराओं और तेज बहाव के कारण सड़क पर बने भंवड़ा के नीचे होकर दोनों बहन गंगा नदी के गहरे पानी में चली गई ।घाट पर स्नान कर रहे अन्य महिलाओं ने जोर-जोर से डूबने का शोर मचाने लगी। शोर मचाने की आवाजें सुनकर सिहमा गांव के तीन युवको में राजन कुमार,केशव कुमार और भोला कुमार ने अपनी जान की बाजी लगाकर गंगा नदी में छलांग लगा दिया,और एक डूबती हुई 10वीं की छात्रा सुहानी कुमारी को तीनों मिलकर उसे डूबने से बचा लिया। वहीं दूसरी बहन शबनम कुमारी उर्फ छोटी गंगा नदी की तेज धाराओं के कारण गहरे पानी में चली गयी और उसकी मौत पानी में डूबने से हो गई।घटना की सूचना मिलते ही मटिहानी थाना की पुलिस अपने दल बल के साथ घटनास्थल पर पहुंचकर शबनम कुमारी उर्फ छोटी के शव को स्थानीय गोताखोरों के द्वारा खोजवीन कराया ।लेकिन समाचार प्रेषण तक उसके शब का कोई अता पता नहीं चला है।

   सिहमा डीह गंगा घाट में  स्नान करने के दौरान डूब कर शबनम कुमारी उर्फ छोटी के मौत की खबर रतनपुर गांव के लोगों को मिलते ही पूरे गांव में शोक की लहर दौड़ गई।परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है ।शबनम कुमारी ने अपने पति की लंबी आयु के लिए 24 घंटे का निर्जला व्रत बुधवार को रखकर तीज का चौरा सुबह में भसाने के लिए गंगा घाट पर गयी थी। जहां स्नान करने के दौरान गहरे पानी में चले जाने के कारण घटनास्थल पर ही उसकी मौत डूबकर हो गई। शबनम कुमारी उर्फ छोटी का भाई राहुल कुमार ने पूछने पर बताया कि मेरी बहन की शादी 2 वर्ष पहले मुंगेर जिला के महेशपुर गांव निवासी प्रणव कुमार के साथ हुआ था।तीज पर्व को लेकर मेरे जीजा भी रतनपुर गांव ससुराल एक  दिन पहले आए थे।लेकिन अपनी पत्नी के गंगा नदी में डूबने की खबर मिलते ही उनका भी रो-रो कर हाल बुरा है।वहीं लड़की की माँ रुक्मणी देवी अपनी बेटी छोटी का नाम पुकार कर रोते रोते बेहोश हो जाती है।वह कहती है कि अब हमारा रुद्र 6 महीना केय नाती कय केय पोशतैय पालतैय गेय छोटी।घर के आस-पास के सैकड़ों लोग उनके घर पर पहुंचकर उन्हें ढ़ाढस बधाने का अथक प्रयाह कर रहे हैं लेकिन उनका दहाड़ मारकर रोना नही रुक रहा था।जिसके कारण सभी महिलाएं भी अपने आँसू को ढ़ाढस बंधाने के दौड़ान नहीं रोक पा रहे थे।अबिस अप्रत्याशित आपदाओं पर किसका वश चला है।होनी प्रबल है,कभी भी,कहीं भी,किसी के साथ कुछ भी हो सकताआ है।जिस पर किसी का जोड़ नहीं चलता है।तस्वीर जिस बचव्ही की है यही ग्रामीणों के युवकों द्वारा बचाई गई थी।गोद मे जो बच्चा है इसी की माँ की मौत गंगा में डूबने से हो गई।

विशेष आलेख : मध्यप्रदेश की राजनीति में आदिवासी चेतना का उभार

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इस साल के अंत तक मध्यप्रदेश में चुनाव होने हैं, लेकिन इधर पहली बार दोनों प्रमुख पार्टियों से इतर राज्य के आदिवासी समुदाय में स्वतन्त्र रूप से सियासी सुगबुगाहट चल रही है. गोंडवाना गणतंत्र पार्टी तो पहले से ही थी जिसका कांग्रेस को सत्ता से बाहर करने में अहम् रोल माना जाता है.अब “जयस” यानी  जय आदिवासी युवा शक्ति” जैसे संगठन भी मैदान में आ चुके हैं जो विचारधारा के स्तर पर ज्यादा शार्प है और जिसकी बागडोर युवाओं के हाथ में हैं. जयस की सक्रियता दोनों पार्टियों को बैचैन कर रही है. डेढ़ साल पहले आदिवासियों के अधिकारों की मांग के साथ शुरू हुआ यह संगठन आज ‘“अबकी बार आदिवासी सरकार”’ के नारे के साथ 80 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर  रहा है. जयस द्वारा निकाली जा रही “आदिवासी अधिकार संरक्षण यात्रा” में उमड़ रही भीड़ इस बात का इशारा है कि बहुत ही कम समय में यह संगठन प्रदेश के आदिवासी सामाज में अपनी छाप छोड़ने में कामयाब रहा है. जयस ने लम्बे समय से मध्यप्रदेश की राजनीति में अपना वजूद तलाश रहे आदिवासी समाज को स्वर देने का काम किया है. आज इस चुनौती को कांग्रेस और भाजपा दोनों ही पार्टियां महसूस कर पा रही हैं शायद इसीलिये जयस के राष्ट्रीय संरक्षक डॉ. हीरालाल अलावा कह रहे हैं कि “आज आदिवासियों को वोट बैंक समझने वालों के सपने में भी अब हम दिखने लगे हैं”. आदिवासी वोटरों को साधने के लिए आज दोनों ही पार्टियों को नए सिरे से रणनीति बनानी पड़ रही है. शिवराज अपने पुराने हथियार “घोषणाओं” को आजमा रहे हैं तो वहीँ कांग्रेस आदिवासी इलाकों में अपनी सक्रियता और गठबंधन के सहारे अपने पुराने वोटबैंक को वापस हासिल करना करना चाहती है. मध्यप्रदेश में आदिवासियों की आबादी 21 प्रतिशत से अधिक है. राज्य विधानसभा की कुल 230 सीटों में से 47 सीटें आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित हैं. इसके अलावा करीब 30 सीटें ऐसी मानी जाती हैं जहां पर्याप्त संख्या में आदिवासी आबादी है. 2013 के विधानसभा चुनाव में आदिवासियों के लिए आरक्षित 47 सीटों में भाजपा को 32 तथा कांग्रेस को 15 सीटों मिली थी. 

पिछले तीन विधानसभा चुनाव के दौरान आदिवासियों के लिए आरक्षित सीटों की स्थिति 
वर्ष    कुल सीटें   भाजपा   कांग्रेस
2003    41           34           2
2008    47           29         17
2013    47           32          15

दरअसल मध्यप्रदेश में आदिवासियों को कांग्रेस का परंपरागत वोटर माना जाता है लेकिन 2003 के बाद से इस स्थिति में बदलाव आना शुरू हो गया जब आदिवासियों के लिये आरक्षित 41 सीटों में कांग्रेस को महज 2 सीटें ही हासिल हुई थीं जबकि भाजपा के 34 सीटों पर कब्ज़ा जमा लिया था. 2003 के चुनाव में पहली बार गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने भी अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई थी जो कांग्रेस के सत्ता से बाहर होने में एक प्रमुख कारण बना.  वर्तमान में दोनों ही पार्टियों के पास कोई ऐसा आदिवासी नेता नहीं है जिसका पूरे प्रदेश में जनाधार हो, जमुना देवी के जाने के बाद से कांग्रेस में प्रभावी आदिवासी नेतृत्व नहीं उभर पाया है पिछले चुनाव में कांग्रेस ने कांतिलाल भूरिया को प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाया था लेकिन वे अपना असर दिखाने में नाकाम रहे, खुद कांतिलाल भूरिया के संसदीय क्षेत्र झाबुआ में ही कांग्रेस सभी आरक्षित सीटें हार गईं थी. वैसे भाजपा में फग्‍गन सिंह कुलस्‍ते, विजय शाह, ओमप्रकाश धुर्वे और रंजना बघेल जैसे नेता जरूर हैं लेकिन उनका व्यापक प्रभाव देखने को नहीं मिलता है, इधर आदिवासी इलाकों में भाजपा नेताओं के लगातार विरोध की खबरें भी सामने आ रही हैं जिसमें मोदी सरकार के पूर्व मंत्री फग्गनसिंह कुलस्ते और शिवराज सरकार में मंत्री ओमप्रकाश धुर्वे शामिल हैं. ऐसे में 'जयस'की चुनौती ने भाजपा की बैचैनी को बढ़ा दिया है और कांग्रेस भी सतर्क नजर आ रही है. 2013 में डॉ हीरा लाल अलावा द्वारा जय आदिवासी युवा शक्ति’ (जयस) का गठन किया गया था जिसके बाद इसने बहुत तेजी से अपने प्रभाव को कायम किया है. पिछले साल हुये छात्रसंघ चुनावों में जयस ने एबीवीपी और एनएसयूआई को बहुत पीछे छोड़ते हुये झाबुआ, बड़वानी और अलीराजपुर जैसे आदिवासी बहुल ज़िलों में 162 सीटों पर जीत दर्ज की थी. आज पश्चिमी मध्यप्रदेश के आदिवासी बहुल जिलों अलीराजपुर, धार, बड़वानी और रतलाम में “जयस” की प्रभावी उपस्थिति लगातार है यह क्षेत्र यहां भाजपा और संघ परिवार का गढ़ माना जाता था.  दरअसल “जयस” की विचारधारा आरएसएस के सोच के खिलाफ है, ये खुद को हिन्दू नहीं मानते है और इन्हें आदिवासियों को वनवासी कहने पर भी ऐतराज है. खुद को हिंदुओं से अलग मानने वाला यह संगठन आदिवासियों की परम्परागत संस्कृति के संरक्षण और उनके अधिकारों के नाम पर आदिवासियों को अपने साथ जोड़ने में लगा है. यह संगठन आदिवासियों की परम्परागत पहचान, संस्कृति के संरक्षण व उनके अधिकारों के मुद्दों को प्रमुखता उठता है.

“जयस” की प्रमुख मांगें 
5वीं अनुसूचि के सभी प्रावधानों को पूरी तरह से लागू किया जाए.
वन अधिकार कानून 2006 के सभी प्रावधानों को सख्ती से लागू किया जाए. 
जंगल में रहने वाले आदिवासियों को स्थायी पट्टा दिया जाए.
ट्राइबल सब प्लान के पैसे अनुसूचित क्षेत्रों की समस्याओं को दूर करने में खर्च हों.

“जयस” का मुख्य जोर 5वीं अनुसूचि के सभी प्रावधानों को लागू कराने में हैं, दरअसल भारतीय पांचवी अनुसूचि की धारा 244(1) के तहत आदिवासियों को विशेषाधिकार दिए गये हैं जिन्हें सरकारों ने लागू नहीं किया है. मध्यप्रदेश में आदिवासी की स्थिति खराब है, शिशु मृत्यु और कुपोषण सबसे ज्यादा आदिवासी बाहुल्य जिलों में देखने को मिलता है, इसकी वजह यह है कि सरकार के नीतियों के कारण आदिवासी समाज अपने परम्परागत संसाधनों से लगातार दूर होता गया है, विकास परियोजनाओं की वजह से वे व्यापक रूप से विस्थापन का दंश झेलने को मजबूर हुए हैं और इसके बदले में उन्हें विकास का लाभ भी नहीं मिला, वे लगातार गरीबी व भूख के दलदल में फंसते गये हैं. भारत सरकार द्वारा जारी ‘‘रिर्पोट आफ द हाई लेबल कमेटी आन सोशियो इकोनामिक, हैल्थ एंड एजुकेशनल स्टेटस आफ ट्राइबल कम्यूनिटी 2014” के अनुसार राष्ट्रीय स्तर पर आदिवसी समुदाय में शिशु मृत्यु दर 88 है जबकि मध्यप्रदेश में यह दर 113 है, इसी तरह से राष्ट्रीय स्तर पर 5 साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर 129 है वही प्रदेश में यह दर 175 है, आदिवासी समुदाय में टीकाकरण की स्थिति चिंताजनक है. रिर्पोट के अनुसार देश में 12 से 23 माह के बच्चों के टीकाकरण की दर 45.5 है जबकि मध्यप्रदेश में यह दर 24.6 है. इसी तरह से एक गैर सरकारी संगठन बिंदास बोल संस्था द्वारा जारी किये गये अध्यन रिपोर्ट के अनुसार मध्य प्रदेश के आदिवासी जिलों के करीब 40 प्रतिशत बच्चे अभी से स्कूल नहीं जा रहे हैं इसका प्रमुख कारण यह है कि पिछले कुछ सालों  आदिवासी क्षेत्रों में स्कूलों की संख्या में करीब 18 प्रतिशत की बढ़ोतरी तो हुयी है लेकिन मानकों के आधार पर यहां अभी भी करीब 60 प्रतिशत टीचरों की कमी है. जाहिर है सरकार चाहे कांग्रेस की हो या भाजपा कीलगातार की गयी अवहेलना के कारण ही आज आदिवासी समाज गरीबी कुपोषण और अशिक्षा की जकड़ में बंधा हुआ है.  दूसरी तरफ स्थिति ये है कि पिछले चार सालों के दौरान मध्य प्रदेश सरकार आदिवासियों के कल्याण के लिए आवंटित बजट में से 4800 करोड़ रुपए खर्च ही नहीं कर पायी है.2015 में कैग द्वारा जारी रिपोर्ट में भी आदिवासी बाहुल्य राज्यों की योजनाओं के क्रियान्वयन को लेकर सवाल उठाये गये थे.  उपरोक्त परिस्थितियों ने ‘जयस'जैसे संगठनों के लिये जमीन तैयार करने का काम किया है. इसी परिस्थिति का फायदा उठाते हुये 'जयस'अब आदिवासी बाहुल्य विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े करने की तैयारी में है. इसके लिये वे आदिवासी समूहों के बीच एकता की बात कर रहे हैं जिससे राजनीतिक दबाव समूह के रूप में चुनौती पेश की जा सके. डा. अलावा कहते है कि “जयस एक्सप्रेस का तूफानी कारवां  अब नही रुकने वाला है. हमने बदलाव के लिए बगावत की है और किसी भी कीमत पर बदलाव लाकर रहेगे.” 'जयस'  ने 29 जुलाई से आदिवासी अधिकार यात्रा शुरू की है जिसमें बड़ी संख्या में आदिवासी समुदाय के लोग जुड़ भी रहे हैं. जाहिर है अब 'जयस'को हलके में नहीं लिया जा सकता है, आने वाले समय में अगर वे अपने इस गति को बनाये रखने में कामयाब रहे तो मध्यप्रदेश की राजनीति में एक बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है.

आदिवासी बहुल जिलों में ‘जयस’ की लगातार बढ़ रहे प्रभाव को देखते हुये कांग्रेस और भाजपा दोनों के रणनीतिकार उलझन में हैं. स्थिति सुधारने के लिये भाजपा पूरा जोर लगा रही है, इसके लिये शिवराज सरकार ने 9 अगस्त आदिवासी दिवस को आदिवासी सम्मान दिवस के रूप में मनाया है जिसके तहत  आदिवासी क्षेत्रों में व्यापक स्तर पर कार्यक्रम हुये हैं. इस मौके पर धार में आयोजित एक कार्यक्रम में खुद मुख्यमंत्री ने कई सारी घोषणायें की हैं जिसमें राज्य के कुल बजट का 24 फीसद आदिवासियों पर ही खर्च करने,आदिवासी समाज के लोगों पर छोटे-मोटे मामलों के जो केस हैं उन्हें वापस लेने, जिन आदिवासियों का दिसंबर 2006 से पहले तक वनभूमि पर कब्जा है उन्हें सरकार ने वनाधिकार पट्टा देने, जनजातीय अधिकार सभा का गठन करने जैसी घोषणायें की हैं. इस दौरान उन्होंने “जयस” पर निशाना साधते हुये कहा कि “कुछ लोग भोले-भाले आदिवासियों को बहका रहे हैं, पर उनके बहकावे में आने की जरूरत नहीं है”.”  भाजपा द्वारा जयस के पदाधिकारियों को पार्टी में शामिल होने का ऑफर भी दिया जा चूका है जिसे  उन्होंने ठुकरा दिया गया है. डॉ हीराराल अलावा ने साफ़ तौर पर कहा है कि “भाजपा में किसी भी कीमत पर शामिल नहीं होंगे क्योंकि भाजपा धर्म-कर्म की राजनीति करती है, उनकी विचारधारा ही अलग है वे आदिवासियों को उजाडऩे में लगे हैं.”

वहीँ कांग्रेस भी आदिवासियों को अपने खेमे में वापस लाने के लिये रणनीति बना रही है इस बारे में कार्यकारी अध्यक्ष बाला बच्चन ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ को एक रिपोर्ट सौंपी है, जिसमें पार्टी से बीते चुनावों से दूर हुए इस वोट बैंक को वापस लाने के बारे में सुझाव दिए हैं. कांग्रेस का जोर आदिवासी सीटों पर वोटों के बंटवारे को रोकने की है इसके लिये वो छोटे-छोटे दलों के साथ मिलकर चुनाव लड़ना चाहती है. अगर कांग्रेस ‘गोंडवाना पार्टी’ और ‘जयस” को अपने साथ जोड़ने में कामयाब रही तो इससे भाजपा की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. हालांकि ये आसन भी नहीं है, कांग्रेस लम्बे समय से गोंडवाना गणतंत्र पार्टी से समझौता करना चाहती है लेकिन अभी तक बात बन नहीं पायी है उलटे गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने शर्त रख दी है कि ‘उनका समर्थन कांग्रेस को तभी मिलेगा जब उसका सीएम कैंडिडेट आदिवासी हो.’ कुल मिलाकर कांग्रेस के लिए गठबंधन की राहें उतनी आसान भी नहीं है जितना वो मानकर चल रही थी. आने वाले समय में मध्यप्रदेश की राजनीति में आदिवासी चेतना का यह उभार नये समीकरणों को जन्म दे सकता है और इसका असर आगामी विधानसभा चुनाव पर पड़ना तय है. बस देखना बाकी है कि भाजपा व कांग्रेस में से इसका फायदा कौन उठता है या फिर इन दोनों को पीछे छोड़ते हुये सूबे की सियासत में कोई तीसरी धारा उभरती है. 




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जावेद अनीस 
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जेटली ने भागने में माल्या की मदद की : राहुल गांधी

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नई दिल्ली, 13 सितंबर, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने गुरुवार को केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली पर भगोड़े कारोबारी विजय माल्या से सांठगांठ करने व उसे देश से भागने के लिए खुला रास्ता देने का आरोप लगाया और जेटली के इस्तीफे की मांग की। कांग्रेस मुख्यालय पर मीडिया से बातचीत में राहुल ने कहा कि वित्तमंत्री को जब पता था, तब उन्होंने माल्या के देश छोड़ने की योजना की जानकारी जांच एजेंसियों को क्यों नहीं दी? उन्होंने पुलिस, सीबीआई या प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को सूचित क्यों नहीं किया? कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, "इससे पता चलता है कि साफ तौर पर सांठगांठ थी। जेटली को माल्या से मुलाकात की बात कबूल करनी चाहिए और माल्या के खुलासे के बाद उन्हें अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।"राहुल गांधी ने कहा, "वित्तमंत्री एक भगोड़े (माल्या) से बात करते हैं और भगोड़ा वित्तमंत्री से कहता है कि 'मैं लंदन जा रहा हूं।'फिर भी वित्तमंत्री सीबीआई, ईडी या पुलिस को नहीं बताते हैं। क्यों? क्या ऐसा करने के लिए उन पर ऊपर से दबाव था?"उन्होंने कहा, "वित्तमंत्री ने माल्या को देश छोड़ने के लिए खुला रास्ता दे दिया। अब सच्चाई देश के सामने आ जाने के बाद जेटली तुरंत इस्तीफा दें।"राहुल ने आरोप लगाया कि माल्या के देश से बाहर जाने के लॉजिस्टिक्स पर बैठक में चर्चा की गई थी। वहीं, कांग्रेस नेता पी.एल.पुनिया ने दावा किया कि जेटली व माल्या के बीच बैठक 15 से 20 मिनट चली। उन्होंने आरोप लगाया कि माल्या ने विदेश जाने की अपनी योजना के बारे में सलाह के बाद जेटली से देश छोड़ने की अनुमति ली। जेटली ने यह बात छुपा ली। देश को पता तब चला, जब अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने सर्वोच्च न्यायालय को बताया कि माल्या तो भाग गया। पुनिया ने कहा, "केंद्रीय बजट पेश किए जाने के एक दिन बाद बैठक एक मार्च, 2016 को हुई। सेंट्रल हॉल में माल्या व जेटली खड़े थे और इसी इरादे से बात कर रहे थे। फिर वे सेंट्रल हॉल की बेंच की तरफ चले गए और बैठकर बात करने लगे।"पुनिया ने कहा, "इसके बाद 3 मार्च को खबर आई कि माल्या 2 मार्च को देश छोड़कर भाग गया। मेरी पहली प्रतिक्रिया थी कि मैंने दोनों को एक दिन पहले सेंट्रल हॉल में एक साथ बैठे देखा था।"सांसद ने कहा कि उन्होंने मीडिया से बातचीत में उस बैठक के बारे में जिक्र किया था। उन्होंने कहा, "मुझे आश्चर्य है कि बीते ढाई साल से वित्तमंत्री ने माल्या के साथ उस बैठक के बारे में कभी जिक्र नहीं किया। वह कोई अनौपचारिक नहीं, बल्कि औपचारिक बैठक थी। संसद में सीसीटीवी की सुविधा है और उनकी बैठक को फुटेज से सत्यापित किया जा सकता है।"उन्होंने कहा, "यह बहुत साफ है कि माल्या ने जेटली से परामर्श करने के बाद उनसे अनुमति ली। हमारा आरोप व निष्कर्ष है कि माल्या जेटली की सहमति से देश छोड़कर भागा।"पुनिया ने कहा, "यह एक गंभीर मुद्दा है। अगर इस बात में सच्चाई नहीं है तो या तो वह (जेटली) राजनीति छोड़ दें या मैं छोड़ दूंगा।"जेटली पर तंज कसते हुए राहुल गांधी ने कहा, "बीते रोज जेटली ने कहा था कि माल्या ने उनसे अनौपचारिक रूप से संपर्क किया था। वह लंबे ब्लॉग लिखते हैं, लेकिन अपने किसी भी ब्लॉग में इस वाकये को लिखना भूल जाते हैं।"उन्होंने कहा, "हमारा पहला सवाल है कि भगोड़ा, वित्तमंत्री से कहता है कि मैं लंदन जा रहा हूं और वित्तमंत्री इसका जिक्र सीबीआई, ईडी या पुलिस से नहीं करते हैं। मेरा दूसरा सवाल है कि माल्या के खिलाफ जारी लुकआउट नोटिस को किसने कमजोर किया। किसने इसमें बदलाव किया? यह सिर्फ एक ही व्यक्ति द्वारा किया जा सकता है, जो सीबीआई को नियंत्रित करता हो।"उन्होंने कहा कि वह यह भी जानना चाहते हैं कि क्या माल्या को भगाने का फैसला जेटली ने स्वयं लिया या उन्हें यह आदेश ऊपर से आया था। उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री फैसले लेते हैं और जेटली उन्हें सुनते हैं। क्या उन्होंने (जेटली) उसे जाने दिया या आदेश ऊपर से आया था।"यह पूछे जाने पर कि क्या माल्या से जेटली की मुलाकात महज एक संयोग था? राहुल ने कहा, "यह एक संयोग कैसे हो सकता है? वित्तमंत्री पर आर्थिक अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई करने की जिम्मेदारी है, उसे बचाने की नहीं।"कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, "यह स्पष्ट रूप से मिलीभगत है, देश छोड़कर भागने वाले अपराधी के साथ वित्तमंत्री की सांठगांठ थी।"राहुल ने कहा, "सरकार राफेल पर तो झूठ बोल ही रही है, अब माल्या पर भी झूठ बोल रही है। इस मामले में हम जो भी कर सकते हैं, करेंगे।"

कांग्रेस आईसीयू में, महागठबंधन सपोर्ट सिस्टम : मोदी

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नई दिल्ली, 13 सितम्बर,  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को विपक्षी पार्टियों पर निशाना साधा और कहा कि 2019 लोकसभा चुनावों के लिए महागठबंधन बनाने की कोशिश कर रही कांग्रेस आईसीयू में है और महागठबंधन की पार्टियां उसके लिए 'सपोर्ट सिस्टम'हैं। मोदी ने कांग्रेस पर यह हमला जयपुर (ग्रामीण), नवादा, गाजियाबाद, हजारीबाग और अरुणाचल पश्चिम संसदीय क्षेत्र के बूथ स्तरीय भाजपा कार्यकर्ताओं से वीडियो संवाद में किया। महागठबंधन बनाने के विपक्ष के प्रयास के बारे में अरुणाचल प्रदेश के एक भाजपा कार्यकर्ता के सवाल का जवाब देते हुए मोदी ने कहा कि यह विपक्षी एकता का मामला नहीं है, बल्कि 'महागठबंधन'के नाम पर कुछ राजनीतिक पार्टियों द्वारा ब्रांडिंग का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा, "महागठबंधन कोई रिश्तों का बंधन नहीं है बल्कि यह कुछ अवसरवादी राजनीतिक पार्टियों द्वारा अपनी कमजोरियों को छुपाने का प्रयास है।"प्रधानमंत्री ने कहा कि महागठबंधन में नेतृत्व और नीति को लेकर भ्रम की स्थिति है। उनका इरादा भ्रष्ट है। मोदी ने कहा, "उनका उद्देश्य केवल मोदी हटाओ, मोदी हटाओ, मोदी हटाओ है, जबकि हमारी प्रतिबद्धता विकास को आगे बढ़ाना है।"उन्होंने कहा, "कुछ वर्ष पहले, कांग्रेस ने मध्य प्रदेश में एक प्रस्ताव पारित कर कहा था कि पार्टी कभी गठबंधन नहीं करेगी। अब आज इसकी क्या वजह है कि वह किसी भी राजनीतिक पार्टी के साथ गठबंधन करने के लिए तैयार है। आज वे कह रहे हैं..मुझे बचाओ।"मोदी ने कहा, "जब एक रोगी आईसीयू में रहता है, उसे अलग तरह का सपोर्ट सिस्टम दिया जाता है ताकि वह जीवित रहे। कांग्रेस खुद को बचाने के लिए राजनीतिक पार्टियों का एक सपोर्ट सिस्टम तैयार कर रही है। कांग्रेस के लिए महागठबंधन में शामिल पार्टियां केवल एक सपोर्ट सिस्टम है, ताकि वे कांग्रेस को आईसीयू से निकाल सकें।"प्रधानमंत्री ने कहा कि कांग्रेस द्वारा महागठबंधन बनाने के प्रयास से 2019 लोकसभा चुनाव में भाजपा को कोई फर्क नहीं पड़ेगा। विपक्षी पार्टियां भाजपा से इतना डरी हुई हैं कि उन्हें लगता है कि वे अकेले-अकेले भाजपा को नहीं हरा पाएंगी। इसीलिए यह मेल मिलाप हो रहा है। उन्होंने कहा, "वे लोग नामदार हैं और हमलोग कामदार हैं। उनका उद्देश्य एक परिवार का कल्याण है और हमारा उद्देश्य देश का कल्याण है। देश इन मुद्दों पर उनका आंकलन करने जा रहा है..भाजपा कार्यकर्ता होने के नाते इससे हमें कोई फर्क नहीं पड़ता की विपक्षी क्या कर रहे हैं।"

किंगफिशर पर आंशिक मालिकाना हक गांधी परिवार का था : भाजपा

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नई दिल्ली, 13 सितंबर,  विजय माल्या के देश छोड़कर भागने में मदद करने का वित्तमंत्री पर आरोप लगने पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने गुरुवार को इसका जवाब तैयार किया। पार्टी ने कहा कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) ने भगोड़े व्यापारी के साथ 'फायदा पहुंचाने वाला सौदा'किया था। इसके साथ ही पार्टी ने दावा किया कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के परिवार का 'प्रॉक्सी के जरिए किंगफिशर एयरलाइन पर मालिकाना हक था।'इसमें हालांकि इस सवाल का जवाब नहीं है कि माल्या को भागने क्यों दिया गया। 'सवाल कुछ और जवाब कुछ'को चारितार्थ करते हुए भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने मीडिया से कहा, "कुछ दस्तावेज हैं, जो दिखाते हैं कि कैसे रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) और सोनिया गांधी व मनमोहन सिंह के नेतृत्व में संप्रग ने किंगफिशर एयरलाइन के साथ कई फायदे दिलाने वाले सौदे किए।"उन्होंने कहा, "इन दस्तावेजों की श्रृंखला से साथ यह पता चलता है कि किंगफिशर एयरलाइन का मालिकाना हक माल्या के पास नहीं, बल्कि प्रॉक्सी के जरिए गांधी परिवार के पास था।"उन्होंने आरबीआई द्वारा स्टेट बैंक ऑफ इंडिया को लिखे गए पत्र दिखाते हुए यह आरोप लगाया, जिसमें किंगफिशर एयरलाइन के लिए ऋण के नवीनीकरण का आग्रह किया गया था। कांग्रेस अध्यक्ष पर छींटाकशी कर अपनी पार्टी पर लगे दाग धोने का प्रयास करते हुए पात्रा ने यह भी आरोप लगाया कि पार्टी के पास काफी सबूत हैं जो दिखाते हैं कि राहुल गांधी 'कालेधन'का प्रयोग करते थे और गांधी परिवार फायदा पहुंचाने वाले सौदे के साथ माल्या की मदद करता था। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी किंगफिशर एयरलाइन में मुफ्त में यात्रा करते थे, जो कभी माल्या की स्वामित्व वाली कंपनी थी। पात्रा ने कहा, "राहुल गांधी ने शैल कंपनी से एक करोड़ रुपये का ऋण लिया था, हमारे पास कंपनी के निदेशक उमाशंकर गुप्ता का कबूलनामा है।"भाजपा नेता ने कांग्रेस अध्यक्ष से माल्या के साथ अपने परिवार के संबंध से पर्दा उठाने की मांग की।

बिहार : रामविलास के दामाद ने कहा राजद टिकट देगा तो ससुर के खिलाफ लड़ूंगा

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पटना, 13 सितंबर, केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के प्रमुख रामविलास पासवान को अब अपने घर में ही चुनौती मिलने लगी है। अगले लोकसभा चुनाव में पासवान के दामाद या बेटी उनके खिलाफ ही खम ठोंकते नजर आ सकते हैं। रामविलास के दामाद और राजद नेता अनिल साधु ने यहां गुरुवार को कहा, "पार्टी अगर मुझे या मेरी पत्नी को टिकट देती है तो हम निश्चित रूप से रामविलास के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे।"पिछले चुनाव में लोजपा छोड़ राजद में शामिल हुए साधु ने पासवान पर दलितों को 'बंधुआ मजदूर'समझने का आरोप लगाते हुए कहा, "पासवान ने सभी अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के लोगों का अपमान किया है। दलित उनके बंधुआ मजदूर नहीं हैं।"उन्होंने कहा, "हम पति-पत्नी पूरी तरह से लोजपा प्रमुख से टकराने को तैयार हैं। राजद हम पति-पत्नी को पार्टी में जहां कहीं भी प्रयोग करना चाहे, हम उसके लिए तैयार हैं।"रामविलास पासवान को दलितों के नहीं, बल्कि सवर्णो का नेता बताते हुए साधु ने कहा, "अगर राजद मुझे या मेरी पत्नी आशा पासवान को हाजीपुर से टिकट देती है तो हमलोग निश्चित रूप से पासवान के खिलाफ चुनाव लड़ने को तैयार हैं।"रामविलास पासवान की दो शादियां हैं। उन्होंने पहली शादी वर्ष 1981 में राजकुमारी देवी से की थी, जिनसे दो बेटियां-आशा व उषा हैं। वर्ष 1983 में उन्होंने रीना से विवाह किया था, जिसने बेटा चिराग पासवान हैं। रामविलास राजनीति में 'जब जैसी बहे बयार पीठ तब तैसी कीजे'को चरितार्थ करने के लिए चर्चित रहे हैं।

न्यायमूर्ति रंजन गोगोई अगले प्रधान न्यायाधीश नियुक्त

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नई दिल्ली, 13 सितम्बर,  न्यायमूर्ति रंजन गोगोई को गुरुवार को देश का प्रधान न्यायाधीश नियुक्त किया गया। न्यायमूर्ति रंजन गोगोई उन चार न्यायाधीशों में शामिल हैं, जिन्होंने इस साल की शुरुआत में प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की कार्यप्रणाली पर प्रेस कांफ्रेंस कर सवाल उठाया था। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा के सेवानिवृत्त होने के बाद न्यायमूर्ति गोगोई 3 अक्टूबर को पदभार ग्रहण करेंगे। सेवानिवृत्ति से पहले वह इस पद पर एक साल से कुछ अधिक दिन तक रहेंगे। रंजन गोगोई को 23 अप्रैल 2012 को सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किया गया था। शीर्ष अदालत के वरिष्ठतम तीन न्यायाधीशों न्यायमूर्ति जे.चेलमेश्वर, मदन बी.लोकुर व कुरियन जोसेफ के साथ न्यायमूर्ति गोगोई ने जनवरी में अप्रत्याशित रूप से प्रेस कांफ्रेंस कर प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा द्वारा न्यायाधीशों को मामलों के आवंटन पर सवाल उठाया था। न्यायमूर्ति रंजन गोगोई का जन्म 18 नवंबर 1954 को हुआ। वह एक वकील के रूप में 1978 में पंजीकृत हुए। उन्होंने गुवाहाटी उच्च न्यायालय में संवैधानिक, कर व कंपनी मामलों में वकील की भूमिका निभाई। उन्हें 28 फरवरी 2001 को गुवाहाटी उच्च न्यायालय का स्थाई न्यायाधीश नियुक्त किया गया। उन्हें 12 फरवरी 2011 को पंजाब व हरियाणा उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया।

सैन्य कर्मियों के परिवार के लोग ही असली हीरो : सोनल चौहान

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नई दिल्ली, 13 सितम्बर,  अभिनेत्री सोनल चौहान ने कहा कि वह सेना में शामिल लोगों के परिवार को असली हीरो मानती हैं। सोनल ने जे.पी.दत्ता की फिल्म 'पलटन'के जरिए लंबे समय के बाद बॉलीवुड में वापसी की है।सोनल ने बताया, "हम अक्सर हमारे बहादुर सैनिकों की प्रशंसा और सम्मान करते हैं लेकिन हमें उनके परिवारों की महत्वपूर्ण भूमिका को नहीं भूलना चाहिए। सैनिकों के परिवारों को भी याद किया जाना चाहिए और सम्मानित किया जाना चाहिए।"उन्होंने कहा, "किसी ऐसे व्यक्ति को सीमा पर भेजना और देश के लिए अपनी जान खतरे में डालने देना. जिससे आप बहुत प्यार करते हैं, इसके लिए बहुत ही हिम्मत की जरूरत होती है। सैन्य कर्मियों के जीवनसाथी भी मजबूती से सभी समस्याओं का सामना करती हैं और उनका समर्थन करती हैं। वास्तव में सैन्य कर्मियों का परिवार और प्रियजन असली नायक हैं।"युद्ध पर आधारित 'पलटन'सात सितंबर को रिलीज हुई थी।

पेट्रोल-डीजल की कीमत में वृद्धि जारी

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नई दिल्ली, 13 सितम्बर,  पेट्रोल-डीजल की कीमतों में लगातार जारी बढ़ोतरी बुधवार को एक दिन के लिए थमने के बाद गुरुवार को फिर जारी रही और चार महानगरों में से तीन में इसने नई ऊंचाइयों को छू लिया। इंडियन ऑयल कॉर्प की वेबसाइट के मुताबिक, राष्ट्रीय राजधानी में पेट्रोल की कीमत 81 रुपये प्रति लीटर हो गई, जबकि बुधवार को यह 80.87 रुपये लीटर थी। परिवहन ईंधन की कीमतों में पिछले एक महीने से लगातार बढ़ोतरी हो रही है, जिसका कारण कच्चे तेल की उच्च कीमतें और भारतीय मुद्रा रुपये में डॉलर की तुलना में आई गिरावट है। डॉलर की तुलना में रुपया के गिरने से तेल का आयात महंगा होता है, जो डॉलर में किया जाता है। कच्चे तेल की कीमत फिलहाल 79 डॉलर प्रति बैरल (1 बैरल में 159 लीटर) है। वहीं, रुपये की कीमत में बुधवार को रिकार्ड गिरावट दर्ज की गई, जोकि 72.91 रुपये प्रति डॉलर रही, हालांकि कारोबारी अवधि की समाप्ति तक यह हल्का सुधर कर 72.19 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ। मुंबई और चेन्नई में पेट्रोल अब तक की सबसे ऊंची कीमत पर बेची गई, जोकि 88.39 रुपये प्रति लीटर तथा 84.19 रुपये प्रति लीटर रही, जबकि एक दिन पहले इनकी कीमत क्रमश: 88.26 रुपये प्रति लीटर और 84.19 रुपये थी। कोलकाता में भी पेट्रोल-डीजल की कीमत बढ़ी, लेकिन यह सर्वकालिक ऊंचाई पर नहीं पहुंची। गुरुवार को पेट्रोल की कीमत 82.87 रुपये रही, जबकि बुधवार को 82.74 रुपये प्रति लीटर थी। वहीं, कोलकाता में पेट्रोल की सर्वाधिक ऊंची कीमत मंगलवार को 83.75 रुपये थी। पेट्रोल की तरह डीजल की कीमतों में भी लगातार बढ़ोतरी हो रही है और यह अब तक की सर्वकालिक ऊंचाई पर पहुंच चुकी है। दिल्ली, मुंबई और चेन्नई में डीजल की कीमत गुरुवार को रिकार्ड ऊंचे स्तर क्रमश: 73.08 रुपये, 77.58 रुपये और 77.25 रुपये रही, जोकि एक दिन पहले 72.98 रुपये, 77.47 रुपये और 77.13 रुपये रही। कोलकाता में डीजल की कीमत बढ़कर गुरुवार को 74.93 रुपये प्रति लीटर रही, जबकि बुधवार को यह 74.82 रुपये प्रति लीटर थी।

बिहार : पप्पू यादव की पार्टी लड़ेगी अगला लोकसभा चुनाव

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पटना, 13 सितंबर अगस्त,  बिहार के मधेपुरा से सांसद और जन अधिकार पार्टी के संरक्षक राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने गुरूवार को कहा कि उनकी पार्टी समान विचार रखने वाले दलों के मिलकर 2019 का लोकसभा चुनाव लडे़गी । पटना में आज पत्रकारों को संबोधित करते हुए पप्पू ने कहा कि वह आगामी लोकसभा चुनाव में बिहार में वैचारिक सहमति वालों के साथ तीन सीटों पर चुनाव लड़ेंगे। हालांकि पप्पू यादव ने बिहार की इन तीन लोकसभा सीटों के नाम नहीं बताये। पप्पू ने यह भी कहा कि 2020 का बिहार विधानसभा चुनाव वह तीसरे मोर्चे के रूप में लड़ेंगे। उन्होंने लालू प्रसाद की पार्टी राजद के साथ भविष्य में किसी भी तरह के गठजोड़ की संभावना से इंकार किया। पप्पू पिछली बार राजद के टिकट पर मधेपुरा से सांसद चुने गए थे, पर बाद में पार्टी आलाकमान के उत्तराधिकारी को लेकर बिगुल फूंकने पर उन्हें राजद से निष्कासित कर दिया गया था । उन्होंने कांग्रेस जिसके टिकट पर उनकी पत्नी रंजीत रंजन सुपौल से सांसद हैं, के साथ "वैचारिक संबंध"होने की बात स्वीकारी । हाल के दिनों में मीडिया आयी रिपोर्ट में भाजपा नीत राजग में शामिल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जदयू के साथ जन अधिकार पार्टी जो कि राजद के यादव वोट बैंक में कटौती कर सकती है, के साथ गठबंधन की संभावना की भी चर्चा की गयी थी । बिहार विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता और लालू के छोटे पुत्र तथा पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव द्वारा उन्हें 'भाजपा का एजेंट'कहे जाने के बारे में पप्पू ने कहा कि इसको लेकर उन्होंने तेजस्वी को कानूनी नोटिस भेजा है। उन्होंने कहा कि वह लालू जी का सम्मान करते हैं, लेकिन उनके पुत्र अपनी महत्वाकांक्षा को पूरा करने में लगे हुए हैं और लालू के परिवार के सदस्य नहीं चाहते हैं कि राजद प्रमुख जेल से बाहर आएं । पप्पू ने आरोप लगाया कि राजद और जदयू सत्ता के 'दलालों'से भरे हुए हैं जो लालू प्रसाद और नीतीश कुमार को कमजोर कर रहे हैं । उन्होंने पिछड़े वर्गों का शोषण किया और अल्पसंख्यकों को भाजपा का डर दिखाकर उन्हें ब्लैकमेल किया। उन्होंने कहा कि कल यानी शुक्रवार को वह मुजफ्फरपुर से ‘नारी बचाओ’ पदयात्रा का दूसरा चरण शुरू करेंगे और आगामी 16 तारीख को पटना में शहीद स्मारक पर यह पदयात्रा समाप्त होगी तथा 20 सितंबर से मेडिकल माफिया के खिलाफ लड़ाई की शुरूआत करेंगे।

हरियाणा में युवती का अपहरण करके गैंगरेप

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रेवाड़ी, 13 सितम्बर, हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले के कनिना में चार से पांच व्यक्तियों ने 19 वर्षीय युवती का कथित रूप से अपहरण करके उसके साथ बलात्कार किया। यह जानकारी पुलिस ने गुरूवार को दी। पुलिस ने बताया कि युवती का आरोपियों ने बुधवार को कथित रूप से अपहरण किया। आरोपी एक कार में आये थे और वे युवती को एक सुनसान स्थान पर ले गए जहां उसे नशीला पेयपदार्थ पिलाकर उससे सामूहिक बलात्कार किया गया।  आरोपी उसे बाद में कनिना में एक बस स्टॉप पर छोड़कर भाग गए। रेवाड़ी स्थित महिला पुलिस थाने के एक अधिकारी के अनुसार युवती की शिकायत पर एक ‘जीरो प्राथमिकी’ दर्ज कर ली गई है। महेंद्रगढ़ पुलिस अपने क्षेत्र में घटित घटना की जांच कर रही है।  युवती यहां के एक गांव की रहने वाली है और वह पढ़ाई में मेधावी बतायी जाती है। 

जेटली बताएं कि क्या माल्या को भगाने का ‘ऑर्डर’ प्रधानमंत्री ने दिया: राहुल

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नयी दिल्ली, 13 सितंबर,  भगोड़े कारोबारी विजय माल्या के वित्त मंत्री अरुण जेटली से मिलने के दावे को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने गुरुवार को जेटली पर माल्या के साथ ‘मिलीभगत'का आरोप लगाया और कहा कि जेटली को यह बताना चाहिए कि यह सब उन्होंने खुद से किया या इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ‘ऑर्डर’ आया था। जेटली के इस्तीफे की मांग दोहराते हुए गांधी ने यह भी दावा किया कि इस मामले में वित्त मंत्री और सरकार झूठ बोल रही है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पीएल पुनिया संसद के केंद्रीय कक्ष में हुई जेटली माल्या की ‘15-20 मिनट’ की मुलाकात के साक्षी हैं और जेटली को देश को बताना चाहिए कि माल्या को भगाने के लिए क्या ‘डील’ हुई थी।  गांधी ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘कल जेटली जी ने कहा कि विजय माल्या ने उनसे संसद में अनौपचारिक मुलाकात कर ली थी। वह लंबे-लंबे ब्लॉग लिखते हैं, लेकिन किसी ब्लॉग में इस मुलाकात का जिक्र नहीं किया। जेटली जी ने जो कहा वो झूठ कहा। हमारी पार्टी के नेता पीएल पुनिया जी ने देखा कि दोनों के बीच संसद के केंद्रीय कक्ष में मुलाकात् हुई थी।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इसमें दो सवाल उठते हैं। पहला सवाल कि वित्त मंत्री भगोड़े से बात करते हैं और वह उनसे लंदन जाने के बारे में बताता है, लेकिन फिर भी वित्त मंत्री ने सीबीआई, ईडी या पुलिस को क्यों सूचित नहीं किया ?'गांधी ने यह भी पूछा, ‘‘ डिटेन नोटिस'को ‘इन्फॉर्म नोटिस’ में किसने बदलवाया? यह काम वही कर सकता है जो सीबीआई को नियंत्रित करता है। अगर जेटली जी ने अपने आप किया तो बताएं। अगर उनको ऊपर से आदेश मिला तो भी वह भी बताएं।’’ उन्होंने आरोप लगाया, 'यह बिल्कुल स्पष्ट मामला है। लंदन भागने से पहले माल्या संसद में वित्त मंत्री से मिलता है और वित्त मंत्री झूठ बोलते हैं। यह पूरी तरह से मिलीभगत है। कोई न कोई डील हुई है। वित्त मंत्री को देश को कारण बताना चाहिए और उनको इस्तीफा देना चाहिए।’’  यह पूछे जाने पर कि क्या वह प्रधानमंत्री की भूमिका पर सवाल कर रहे हैं तो गांधी ने कहा, ‘‘बिल्कुल। प्रधानमंत्री जी इस सरकार में सारे फैसले करते हैं। जेटली जी बताएं कि क्या उन्होंने खुद एक अपराधी को देश से भागने दिया या फिर मोदी जी का ऑर्डर आया था?’’  दरअसल, माल्या ने बुधवार को कहा कि वह भारत से रवाना होने से पहले वित्त मंत्री से मिला था। लंदन में वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट की अदालत में पेश होने के लिए पहुंचे माल्या ने संवाददाताओं को बताया कि उसने मंत्री से मुलाकात की थी और बैंकों के साथ मामले का निपटारा करने की पेशकश की थी। उधर, वित्त मंत्री ने माल्या के बयान को झूठा करार देते हुए कहा कि उन्होंने 2014 के बाद उसे कभी मिलने का समय नहीं दिया। जेटली ने कहा कि माल्या राज्यसभा सदस्य के तौर पर हासिल विशेषाधिकार का ‘दुरुपयोग’ करते हुए संसद-भवन के गलियारे में उनके पास आ गया था। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कल माल्या के दावे को 'अति गंभीर आरोप'करार दिया था और कहा कि प्रधानमंत्री मोदी को जांच का आदेश देना चाहिए और जांच पूरी होने तक जेटली को इस्तीफा दे देना चाहिए।

डूसू चुनाव में अध्यक्ष समेत तीन पद एबीवीपी के खाते में, एनएसयूआई को मिला सचिव पद

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नयी दिल्ली, 14 सितंबर, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संबद्ध छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने गुरूवार को दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) के चुनाव परिणाम में अध्यक्ष समेत तीन पदों पर कब्जा कर लिया। कांग्रेस की छात्र इकाई एनएसयूआई को केवल एक पद से संतोष करना पड़ा है। एबीवीपी की अंकिव बसोया ने 1744 मतों के अंतर से अध्यक्ष पद पर जीत हासिल की है। इसी संगठन के शक्ति सिंह को उपाध्यक्ष घोषित किया गया है। उन्होंने 7673 मतों के अंतर से जीत हासिल की है। एनएसयूआई के आकाश चौधरी सचिव पद पर जीतने में कामयाब रहे वहीं संयुक्त सचिव पद एबीवीपी की ज्योति को मिला है। 

केजरीवाल ने यमुना की सफाई पर कहा, समय लगेगा लेकिन हम सफल होंगे

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नयी दिल्ली, 14 सितम्बर,  दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने गुरूवार को विश्वास जताया कि उनकी सरकार यमुना नदी को साफ करने में सफल होगी, यद्यपि इसमें समय लगेगा। केजरीवाल वर्तमान समय में दक्षिण कोरिया की यात्रा पर हैं। उन्होंने यह बात एक ट्वीट के जवाब में कही जिसमें भारत में शहरी कायाकल्प परियोजनाओं और यमुना रिवर फ्रंट विकास की योजना के अवरूद्ध होने को लेकर सवाल किया गया था। केजरीवाल ने यमुना नदी को साफ नहीं करने और रिवर फ्रंट विकास परियोजना को लागू करने में विफलता के लिए पूर्ववर्ती सरकारों को भी जिम्मेदार ठहराया।  उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘क्योंकि तब आप सरकार नहीं थी। अब यह होगा। चूंकि आप सरकार के कार्यकाल के दौरान अन्य क्षेत्रों में ठोस सुधार हुए हैं, हम नालों और यमुना को साफ करने में कड़ी मेहनत करेंगे। इसमें समय लगेगा। कोरियाई लोगों ने यह 27 महीने में किया। यद्यपि मुझे भरोसा है कि हम सफल होंगे।’’ केजरीवाल ने दक्षिण कोरिया की राजधानी सोल की यात्रा के दौरान चियांगयेशियोन नदी का दौरा किया जिसे एक प्रदूषित जलस्रोत से एक लोकप्रिय पर्यटक स्थल में तब्दील कर दिया गया।

न्यायपालिका के शीर्ष पद पर पहुंचने के लिए लंबा सफर तय किया न्यायमूर्ति रंजन गोगोई ने

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नयी दिल्ली, 14 सितंबर, देश के अगले प्रधान न्यायाधीश बनने जा रहे न्यायमूर्ति रंजन गोगोई ने न्यायपालिका के शीर्ष पद तक पहुंचने के लिए एक लंबा सफर तय किया है और वह इस पद पर पहुंचने वाले पूर्वोत्तर के पहले शख्स हैं। अठारह नवंबर, 1954 को जन्मे न्यायमूर्ति रंजन गोगोई ने डिब्रूगढ़ के डॉन बोस्को स्कूल से अपनी स्कूली शिक्षा अर्जित की और दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से इतिहास की पढ़ाई की। असम के पूर्व मुख्यमंत्री केशव चंद्र गोगोई के बेटे न्यायमूर्ति रंजन गोगोई ने 1978 में वकालत के लिए पंजीकरण कराया था। उन्होंने संवैधानिक, कराधान और कंपनी मामलों में गुवाहाटी उच्च न्यायालय में वकालत की। उन्हें 28 फरवरी, 2001 को गुवाहाटी उच्च न्यायालय का स्थायी न्यायाधीश नियुक्त किया गया था।  उनका नौ सितंबर, 2010 को पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में तबादला किया गया था। उन्हें 12 फरवरी, 2011 को पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया था। वह 23 अप्रैल, 2012 को उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश नियुक्त किये गये। न्यायमूर्ति रंजन गोगोई (63) जनवरी में उच्चतम न्यायालय के तीन अन्य वरिष्ठतम न्यायाधीशों के साथ संवाददाता सम्मेलन कर तथा उसके चार महीने बाद अपने एक बयान से सुर्खियों में आए थे।  उन्होंने कहा था, ‘‘स्वतंत्र न्यायाधीश और शोर मचाने वाले पत्रकार लोकतंत्र की पहली रक्षा रेखा हैं। ’’ उनका यह भी कहना था कि न्यायपालिका के संस्थान को आम लोगों के लिए सेवायोग्य बनाए रखने के लिए सुधार नहीं क्रांति की जरुरत है। न्यायमूर्ति रंजन गोगोई तीन अक्टूबर को 46 वें प्रधान न्यायाधीश के तौर पर पदभार ग्रहण करेंगे।वह 17 नवंबर, 2019 को सेवानिवृत होंगे। उन्होंने असम की राष्ट्रीय नागरिक पंजी, सांसदों और विधायकों की विशेष तौर पर सुनवाई के लिए विशेष अदालतों के गठन, राजीव गांधी हत्याकांड के मुजरिमों की उम्रकैद की सजा में कमी, लोकपाल की नियुक्ति समेत विभिन्न विषयों पर अहम फैसले दिये हैं।

पत्नी की हत्या कर पुरूष ने आत्महत्या की

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मुजफ्फरनगर, 14 सितंबर,उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में 26 वर्षीय पुरूष ने शुक्रवार को पत्नी की हत्या करने के बाद आत्महत्या कर ली। पुलिस ने बताया कि जिम चलाने वाले वसीम (26) ने पत्नी रोशनआरा (23) की हत्या करने के बाद खुद को गोली मार ली। उन्होंने बताया कि घटना कोतवाली थाना क्षेत्र के अंबा विहार स्थित जिम की है। क्षेत्राधिकारी हरिश भदौरिया के अनुसार, सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और उसने जिम का दरवाजा तोड़कर दोनों शव और रोशनआरा की हत्या में प्रयुक्त धारादार हथियार बरामद किया। भदौरिया ने कहा कि शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है। मामले की जांच की जा रही है।

भारत के पास एनएसजी का सदस्य बनने की सभी योग्यताएं हैं : अमेरिका

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वाशिंगटन, 14 सितंबर,  ट्रंप प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने गुरुवार को कहा कि चीन के वीटो के कारण भारत परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) की सदस्यता हासिल नहीं कर पाया और अमेरिका इस समूह में भारत की सदस्यता की वकालत करता रहेगा क्योंकि भारत इसके सभी मानदंडों को पूरा करता है। भारत 48 सदस्यीय इस विशिष्ट परमाणु समूह में स्थान पाना चाहता है लेकिन चीन लगातार उसकी राह में रोड़े अटकाता रहा है। यह समूह परमाणु व्यापार को नियंत्रित करता है। भारत को अमेरिका और इस समूह के ज्यादातर पश्चिमी देशों का समर्थन प्राप्त है लेकिन चीन अपने इस रूख पर कायम है कि नए सदस्य को परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर हस्ताक्षर करने चाहिए जिससे इस समूह में भारत का प्रवेश मुश्किल हो गया है। भारत ने एनपीटी पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं वहीं आपसी सहमति से ही इस समूह में किसी सदस्य को शामिल करने का प्रावधान है  दक्षिण और मध्य एशिया के लिए उप विदेश मंत्री एलिस वेल्स ने कहा, ‘‘परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह आम सहमति पर आधारित संगठन है। चीन के विरोध के कारण भारत इसकी सदस्यता हासिल नहीं कर पा रहा है।’’  एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘‘हमारा विचार है कि चीन के वीटो के कारण हम भारत के साथ अपने सहयोग को सीमित नहीं करेंगे। निश्चित तौर पर हम एसटीए के दर्जे के साथ आगे बढ़े हैं और हम मानते हैं कि भारत एनएसजी की सभी योग्यताओं को पूरा करता है तथा हम भारत की सदस्यता की सक्रियता से वकालत करते रहेंगे।’’ उन्होंने कहा कि भारत को कूटनीतिक व्यापार प्राधिकार (एसटीए-1) का दर्जा देकर अमेरिका ने उसे अमेरिकी के निकटतम सहयोगियों की सूची में रख दिया है। विदेश विभाग की वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि भारत के साथ परमाणु समझौते की प्रक्रिया शुरू हुए दस साल पूरे होने वाले हैं। उन्होंने कहा, ‘‘वेस्टिंगहाउस दिवालियापन से बाहर निकल रही है अब हमारे पास इस समझौते को पूरा करने का अवसर है जिसके तहत हमारी बड़ी कंपनियों में से एक कंपनी करोड़ों भारतीय नागरिकों को सुरक्षित और स्वच्छ ईंधन मुहैया कराएगी।’’ 
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