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राहुल गांधी ‘फन मशीन’ हैं : शिवराज चौहान

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भोपाल, 25 सितंबर,मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार को कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ‘फन मशीन’ हैं। चौहान ने यह टिप्पणी राहुल द्वारा 17 सितंबर को यहां कांग्रेस रैली में उन्हें ‘घोषणावीर मशीन’ कहे जाने पर की है। चौहान ने यहां जंबूरी मैदान में भाजपा कार्यकर्ता महाकुंभ रैली को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘राहुल गांधी ने मुझे घोषणा मशीन कहा, लेकिन राहुल तुम तो ‘फन मशीन’ हो।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हां, मैं घोषणा मशीन हूं, लेकिन हम घोषणा के साथ उसे पूरा भी करते हैं। हमने सड़क, बिजली, किसान सबके लिए घोषणा की और उन्हें पूरा किया।’’ चौहान ने कहा, ‘‘घोषणा कौन करता है, जिसके दिल और दिमाग में जुनून हो, वह घोषणा करता है।’’ उन्होंने राहुल पर तंज कसते हुए कहा, ‘‘जिसको यही पता नहीं कि मूली जमीन के अंदर होती है या ऊपर, वे किसानों की बात कर रहे हैं।’’ चौहान ने कहा, ‘‘कुछ दिन पहले '‘बाबा' (राहुल गांधी) भी यहां आए थे। लेकिन उस समय भीड़ केवल सड़कों तक सीमित रह गई। कांग्रेस ने सभा के लिए हिम्मत भी की तो दशहरा मैदान की।’’ उन्होंने कहा कि हमें लगा कि ‘बाबा’ परिपक्व हो गए होंगे, लेकिन वे देश को मजाक और राजनीति को तमाशा समझते हैं। उन्होंने कहा कि मोदी को गले लगाने के बाद उन्होंने (राहुल) आंखों से जैसी हरकत की, उससे पूरा देश शर्मसार हुआ।

उन्होंने कहा, ‘‘मध्यप्रदेश में वो शिवभक्त बनकर आए। कैलाश गए तो वहां के फोटो, वीडियो वायरल करते हो, जब विदेश जाते हो तो वहां के फोटो क्यों नहीं वायरल करते।’’ मुख्यमंत्री ने कहा कि तत्कालीन संप्रग सरकार के समय प्रदेश को उसका हिस्सा 30,000 करोड़ रुपए मिलता था लेकिन मोदी सरकार आने के बाद अब प्रदेश को 61,000 करोड़ रुपए मिल रहे हैं। उन्होंने कहा कि पहले रेलवे और सड़क के मामले में मध्यप्रदेश उपेक्षित था लेकिन आज हजारों करोड़ रूपये की परियोजनाएं मध्यप्रदेश में शुरू हुई हैं। चौहान ने कहा कि मोदी सरकार ने आयुष्मान भारत योजना शुरू की जिससे अब गरीब लोगों को इलाज मिल रहा है। मोदी किसानों के लिए फसल बीमा योजना लेकर आए हैं जिसका फायदा किसानों को मिल रहा है। उन्होंने कहा कि ये नियति ने तय किया है कि भाजपा के नेतृत्व में ही देश विश्व गुरू बने। उन्होंने कार्यकर्ताओं से आग्रह किया कि 2018 के चुनावों में पार्टी को प्रचंड बहुमत से जितायें और चौथी बार प्रदेश में भाजपा की सरकार बनाएं। फिर उसके बाद 2019 में प्रदेश की सभी 29 सीटें जीतकर प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की झोली में डालेंगे।

दलित किशोरी से सामूहिक बलात्कार

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बदायूं (उप्र), 25 सितंबर, बंदायू जिले के थाना उसहैत क्षेत्र के एक गावँ में 14 वर्षीय किशोरी को अगवा करके तीन लोगों ने कथित रूप से उससे सामूहिक बलात्कार किया। पुलिस ने तीन लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। सभी आरोपी फरार हैं जिनकी पुलिस तलाश कर रही है। पुलिस अधीक्षक (नगर) जितेंद्र श्रीवास्तव ने पीडिता की मां द्वारा दी गयी तहरीर के आधार पर बताया कि 22 सितंबर की दोपहर में किशोरी को उसहैत थानाक्षेत्र के अटैना गावँ में खेत में बकरी चराते समय अगवा कर लिया गया था। उसके साथ गंगा किनारे मक्का के खेत में सामूहिक बलात्कार किया गया।  उन्होंने बताया कि रातभर लड़की घर नहीं पहुंची जबकि उसकी मां उसे तलाश करती रही। 23 सितंबर की दोपहर बाद किशोरी बदहवास हालत में अटैना में गंगा के पुल पर मिली।  पुलिस ने सोमवार की रात तहरीर के आधार पर मामा..भांजे सहित तीन के खिलाफ सामूहिक बलात्कार का मामला दर्ज कर लिया। गांव के शिशुपाल, सोमेंद्र और अतर सिंह के खिलाफ दर्ज रिपोर्ट में नामजद किया गया है। मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस अधिकारी पुलिस चौकी पहुंचे। पुलिस ने मामा..भांजे सहित तीन के खिलाफ सामूहिक बलात्कार सहित कई अन्य आपराधिक धाराओं में मामला दर्ज कर लिया है।

रुपया छह पैसे और टूटकर 72.69 प्रति डॉलर पर

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मुंबई, 25 सितंबर, अंतर बैंक विदेशी विनिमय बाजार में मंगलवार को रुपया डॉलर के मुकाबले छह पैसे और टूटकर 72.69 प्रति डॉलर पर आ गया। कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों के बीच डॉलर की मांग से रुपया कमजोर हुआ। फॉरेक्स बाजार में रुपया मंगलवार को काफी उतार चढ़ाव रहा। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम और बढ़ने तथा फेडरल रिजर्व की दो दिन की बैठक से पहले विदेशी बाजारों में डॉलर की मजबूती से यहां भी धारणा प्रभावित हुई।  शुरुआती कारोबार में रुपया 72.96 प्रति डॉलर के निचले स्तर तक चला गया था। यह इसके पिछले सप्ताह के सर्वकालिक निचले स्तर 72.99 प्रति डॉलर से मामूली कम है। कारोबार के दौरान इसने 72.57 प्रति डॉलर का उच्चस्तर भी छुआ। सोमवार को रुपया 49 पैसे टूटा था।  विदेशी बाजारों में कुछ मुद्राओं की तुलना में डॉलर की कमजोरी तथा बैंकों तथा निर्यातकों की डॉलर बिकवाली से रुपया शुरुआती गिरावट से उबरकर मामूली नुकसान में बंद हुआ। 

कोहली और मीराबाई को खेल रत्न, हिमा और नीरज बने अर्जुन

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नयी दिल्ली, 25 सितंबर, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंगलवार को यहां भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली और विश्व चैंपियन भारोत्तोलक मीराबाई चानू को प्रतिष्ठित राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार जबकि भाला फेंक के स्टार एथलीट नीरज चोपड़ा और धाविका हिमा दास सहित 18 खिलाड़ियों को अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया।  राष्ट्रपति भवन के अशोका हॉल में आयोजित समारोह में सभी की निगाहें कोहली पर टिकी थी जो सचिन तेंदुलकर (1997-98) और महेंद्र सिंह धोनी (2007) के बाद खेल रत्न हासिल करने वाले तीसरे क्रिकेटर बन गये हैं।  इससे पहले 2013 में अर्जुन पुरस्कार और पिछले साल पद्म श्री हासिल करने वाले कोहली अपनी पत्नी अनुष्का शर्मा, मां सरोज कोहली, भाई विकास और कोच राजकुमार शर्मा के साथ समारोह में पहुंचे थे। कोहली कार्यक्रम से पांच मिनट पहले पहुंचे और कार्यक्रम समाप्त होने के तुरंत बाद चले गये।  राष्ट्रपति ने इसके अलावा द्रोणाचार्य पुरस्कार और ध्यानचंद पुरस्कार भी प्रदान किये। द्रोणाचार्य पुरस्कारों को लेकर तब विवाद पैदा हो गया था जब तीरंदाजी कोच जीवनजोत सिंह का नाम पूर्व में अनुशासनहीनता के एक मामले के कारण इन पुरस्कारों की सूची से हटा दिया गया था। जीवनजोत ने विरोध में कोच पद से इस्तीफा भी दे दिया है।  इस अवसर पर खेल मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ भी उपस्थित थे।  विश्व के नंबर एक टेस्ट बल्लेबाज कोहली पिछले तीन साल से बेहतरीन फार्म में चल रहे हैं। उन्हें इससे पहले 2016 और 2017 में भी इस पुरस्कार के लिये नामित किया गया था। कोहली ने अब तक 71 टेस्ट मैचों में 6147 रन और 211 वनडे में 9779 रन बनाये हैं। 

चानू को पिछले साल विश्व चैंपियनशिप में 48 किग्रा में स्वर्ण पदक जीतने के कारण इस प्रतिष्ठित पुरस्कार के लिये चुना गया। उन्होंने इस साल राष्ट्रमंडल खेलों में भी सोने का तमगा जीता था लेकिन चोट के कारण एशियाई खेलों में भाग नहीं ले पायी थी।  चानू ने बाद में कहा कि अपने करियर के शुरुआती दौर में ही देश का सर्वोच्च खेल पुरस्कार मिलने से वह हैरान थी।  उन्होंने ‘भाषा’ से कहा, ‘‘मैंने कभी नहीं सोचा था कि करियर के शुरुआती दौर में ही मुझे खेल रत्न मिल जाएगा। यह मेरी जिंदगी का सबसे सुखद पल है। इससे मुझे कोहली जैसे खिलाड़ी के पास बैठने का मौका मिला। मैं अब फिट हूं और मैंने अभ्यास शुरू कर दिया है।’’  राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार प्राप्त करने वाले खिलाड़ी को पदक और प्रशस्ति पत्र के अलावा 7.5 लाख रुपये का नकद पुरस्कार दिया जाता है। अर्जुन, द्रोणाचार्य तथा ध्यानचंद पुरस्कार विजेता को लघुप्रतिमाएं, प्रमाण पत्र और पांच लाख रुपये का नकद पुरस्कार दिया जाता है। अर्जुन पुरस्कार हासिल करने वाले खिलाड़ियों में एथलीट नीरज चोपड़ा और हिमा दास आकर्षण का केंद्र रहे। विश्व जूनियर रिकार्डधारक चोपड़ा ने इस साल राष्ट्रमंडल और एशियाई खेलों में सोने के तमगे जीते जबकि हिमा फिनलैंड में विश्व अंडर-20 चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला एथलीट बनी थी। उन्होंने 400 मीटर में यह उपलब्धि हासिल की। 

हिमा दास ने कहा, ‘‘मुझे बहुत अच्छा लग रहा है। जब आपके प्रदर्शन को मान्यता मिलती है तो अच्छा लगता है। मैं बहुत खुश हूं।’’  अर्जुन पुरस्कार पाने वाले एक अन्य एथलीट जिन्सन जानसन ने कहा, ‘‘‘इस पुरस्कार से मुझे आगामी प्रतियोगिताओं विशेषकर ओलंपिक 2020 में अच्छा प्रदर्शन करने की प्रेरणा मिलेगी। ’’  निशानेबाजों का अर्जुन पुरस्कार हासिल करने वालों में फिर से दबदबा रहा। इस बार श्रेयसी सिंह, राही सरनोबत और अंकुर मित्तल को यह पुरस्कार मिला। गोल्फर शुभंकर शर्मा और युवा टेबल टेनिस खिलाड़ी मनिका बत्रा को भी राष्ट्रपति ने अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया।  श्रेयसी ने कहा कि यह पुरस्कार उन्हें ओलंपिक में पदक जीतकर खेल रत्न हासिल करने के लिये प्रेरित करेगा। उन्होंने कहा, ‘‘इस अनुभव को बयां नहीं किया जा सकता। मैं ओलंपिक क्वालीफिकेशन की तैयारियों में लगी हुई हूं। इस पुरस्कार के बाद निश्चित तौर पर मेरा लक्ष्य खेल रत्न हासिल करना है जिसके लिये मुझे ओलंपिक पदक जीतना होगा। अर्जुन पुरस्कार से लक्ष्य हासिल करने के लिये प्रोत्साहन मिला है।’’  महिला क्रिकेटर स्मृति मंदाना भारतीय टीम के साथ श्रीलंका दौरे पर होने के कारण समारोह में भाग नहीं ले पायी। टेनिस खिलाड़ी रोहन बोपन्ना भी चीन में एटीपी टूर्नामेंट में खेलने के कारण पुरस्कार समारोह में नहीं पहुंच सके। 

पुरस्कार विजेताओं की सूची इस प्रकार है : 
राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार:विराट कोहली और मीराबाई चानू।
अर्जुन पुरस्कार:नीरज चोपड़ा, जिन्सन जॉनसन और हिमा दास (एथलेटिक्स); एन सिक्की रेड्डी (बैडमिंटन); सतीश कुमार (मुक्केबाजी); स्मृति मंदाना (क्रिकेट); शुभंकर शर्मा (गोल्फ); मनप्रीत सिंह, सविता (हॉकी); रवि राठौड़ (पोलो); राही सरनोबत, अंकुर मित्तल, श्रेयसी सिंह (निशानेबाजी); मनिका बत्रा, जी सथियान (टेबल टेनिस); रोहन बोपन्ना (टेनिस); सुमित (कुश्ती); पूजा काडिया (वुशु); अंकुर धामा (पैरा-एथलेटिक्स); मनोज सरकार (पैरा-बैडमिंटन)।
द्रोणाचार्य पुरस्कार: सी ए कुट्टप्पा (मुक्केबाजी); विजय शर्मा (भारोत्तोलन); ए श्रीनिवास राव (टेबल टेनिस); सुखदेव सिंह पन्नू (एथलेटिक्स); क्लेरेंस लोबो (हॉकी, आजीवन); तारक सिन्हा (क्रिकेट, आजीवन); जीवन कुमार शर्मा (जूडो, आजीवन); वी आर बीडु (एथलेटिक्स, आजीवन)।
ध्यान चंद पुरस्कार:सत्यदेव प्रसाद (तीरंदाजी); भरत कुमार छेत्री (हॉकी); बॉबी अलॉयसियस (एथलेटिक्स); चौगले दादू दत्तात्रेय (कुश्ती)।

राष्ट्रीय खेल प्रोत्साहन पुरस्कार : 
उदीयमान और युवा प्रतिभा पहचान और प्रोत्साहन - राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड 
कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व के माध्यम से खेल प्रोत्साहन - जेएसडब्ल्यू स्पोर्ट्स 
विकास के लिए खेल - ईशा आउटरीच 
मौलाना अबुल कलाम आजाद (एमएकेए) ट्रॉफी 2017-18 : गुरुनानक देव विश्वविद्यालय, अमृतसर।  

राष्ट्रीय खेल प्रोत्साहन पुरस्कार, 2018 में कंपनियों को ट्रॉफी और प्रशस्ति पत्र दिया गया जबकि अंतर-विश्वविद्यालय टूर्नामेंट में शीर्ष प्रदर्शन करने वाले विश्वविद्यालय को एमएकेए ट्रॉफी, 10 लाख रुपये का पुरस्कार और प्रमाण पत्र प्रदान किया गया। 

सुप्रीम कोर्ट का वापसी पर मुशर्रफ को उच्चस्तरीय सुरक्षा देने का वादा

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इस्लामाबाद, 25 सितम्बर, पाकिस्तान के उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को पूर्व तानाशाह जनरल परवेज मुशर्रफ को आश्वासन दिया कि हाईप्रोफाइल देशद्रोह के मामले में सुनवाई के लिए अगर वह देश लौटते हैं तो उन्हें उच्चस्तरीय सुरक्षा मुहैया कराई जाएगी। मुशर्रफ वर्ष 2016 से ही दुबई में रह रहे हैं। सेना प्रमुख हाईप्रोफाइल देशद्रोह के मामले का सामना कर रहे हैं और मामले में सुनवाई के लिए गठित विशेष अदालत के समक्ष पेशी में लगातार विफल रहने के कारण उन्हें भगोड़ा घोषित किया जा चुका है। प्रधान न्यायाधीश साकिब निसार की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय पीठ मंगलवार को 2007 में नेशनल रिकांसिलेशन ऑर्डिनेंस (एनआरओ) लागू होने के बाद से देश को हुए नुकसान के बारे में सुनवाई कर रही थी। डॉन अखबार ने खबर दी है कि निसार ने मुशर्रफ के वकील अख्तर शाह से पूछा कि वह पाकिस्तान क्यों नहीं लौटते। निसार ने कहा, ‘‘पीठ में दर्द के बहाने वह देश छोड़कर चले गए लेकिन उन्हें विदेशों में नाचते देखा जा सकता है।’’  वकील ने जवाब दिया कि पूर्व सैन्य तानाशाह अदालतों का सम्मान करते हैं लेकिन सुरक्षा कारणों से नहीं लौट सकते। खबर में बताया गया है कि मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि मुशर्रफ के देश लौटने पर संबंधित प्रांत के रेंजर्स बल के प्रमुख उनकी सुरक्षा के लिए जिम्मेदार होंगे। निसार ने कहा कि मुशर्रफ के वापस लौटने पर देश में मौजूद बेहतर चिकित्सकों की सेवा उन्हें मुहैया कराई जाएगी। अदालत ने मुशर्रफ के फार्महाउस से सील हटाने के भी आदेश दिए ताकि लौटने पर वह वहां रह सकें। मामला 2007 में एनआरओ लागू होने के परिप्रेक्ष्य में पूर्व राष्ट्रपति मुशर्रफ, आसिफ अली जरदारी और पूर्व अटॉर्नी जनरल मलिक कय्यूम द्वारा बड़े पैमाने पर सरकारी धन की बर्बादी की वसूली से जुड़ा हुआ है।

भारत ने लाखों लोगों को गरीबी रेखा से बाहर निकाला : ट्रम्प

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संयुक्त राष्ट्र, 25 सितम्बर, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 73वें सत्र में विश्व के नेताओं को संबोधित करते हुए भारत को एक ‘‘मुक्त समाज’’ बताया और अपने लाखों लोगों को गरीबी से बाहर निकालने के लिए मंगलवार को भारत के प्रयासों की सराहना की। संयुक्त राष्ट्र महासभा के मंगलवार को शुरू हुए जनरल डिबेट को दूसरी बार संबोधित करते हुए ट्रम्प ने कहा, ‘‘भारत है, जहां का समाज मुक्त है और एक अरब से अधिक आबादी में लाखों लोगों को सफलतापूर्वक गरीबी से ऊपर उठाते हुए मध्यम वर्ग में पहुंचा दिया।’’ करीब 35 मिनट के संबोधन में उन्होंने कहा कि वर्षों से संयुक्त राष्ट्र महासभा के हॉल में इतिहास देखा गया। उन्होंने कहा कि हमारे समक्ष अपने देशों की चुनौतियों, अपने समय के बारे में चर्चा करने आए आए लोगों के भाषणों, संकल्पों और हर शब्दों एवं उम्मीदों में वहीं सवाल कौंधते हैं जो हमारे जेहन में उठते हैं। ट्रम्प ने कहा, ‘‘यह सवाल है कि हम अपने बच्चों के लिए किस तरह की दुनिया छोड़कर जाएंगे और किस तरह का देश उन्हें उत्तराधिकार में मिलेगा।’’ उन्होंने कहा कि जो सपने यूएनजीए के हॉल में आज दिखे वे उतने ही विविध हैं जितने इस पोडियम पर खड़े लोग और उतने ही विविध हैं जितना संयुक्त राष्ट्र में दुनिया के देशों का प्रतिनिधित्व है। उन्होंने कहा, ‘‘यह वास्तव में कुछ है। वास्तव में यह काफी महान इतिहास है।’ ट्रम्प ने सऊदी अरब के साहसिक नये सुधारों और इस्राइली गणतंत्र की 70वीं जयंती का उदाहरण दिया।

रंजन गोगोई की नियुक्ति के खिलाफ याचिका पर न्यायालय करेगा सुनवाई

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नयी दिल्ली, 25 सितंबर, न्यायमूर्ति रंजन गोगोई को देश का नया प्रधान न्यायाधीश नियुक्त किए जाने को चुनौती देने वाली एक याचिका पर उच्चतम न्यायालय बुधवार को सुनवाई करेगा।  प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ की पीठ ने याचिकाकर्ता आर पी लूथरा से कहा कि वह इस मामले में कोर्ट मास्टर के समक्ष मेमो दाखिल करें। लूथरा ने इस याचिका का पीठ के समक्ष उल्लेख किया था। उन्होंने कहा कि न्यायालय को इस पर तत्काल सुनवाई की तारीख निर्धारित करनी चाहिए। पीठ ने कहा, ‘‘आप इंतजार कीजिये और देखिये। आप उल्लेख करने संबंधी मेमो दीजिये। हम इसे देखेंगे।’’  लूथरा ने अधिवक्ता सत्यवीर शर्मा के साथ दायर याचिका में कहा है कि वे 12 जनवरी को शीर्ष अदालत के चार वरिष्ठ न्यायाधीशों की प्रेस कांफ्रेस के विवरण को आधार बना रहे हैं और एक कानूनी सवाल पर फैसला चाहते हैं। यह प्रेस कांफ्रेंस न्यायमूर्ति जे चेलामेश्वर (अब सेवानिवृत्त) , न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर और न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ ने की थी। याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता प्रधान न्यायाधीश को लिखे गये बिना तारीख वाले पत्र और उसे शीर्ष अदालत के चार न्यायाधीशों द्वारा वितरित किये जाने को अपना आधार बना रहे हैं। याचिका के अनुसार चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों का यह कृत्य देश की न्याय प्रणाली को नुकसान पहुंचाने से कहीं भी कम नहीं था। याचिका में कहा गया है कि उन्होंने देश में इस न्यायालय के चुनिन्दा आंतरिक मतभेदों के नाम पर जनता में आक्रोश पैदा करने का प्रयास किया। याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता प्रतिवादी भारत सरकार और प्रधान न्यायाधीश की उस कार्रवाई से आहत है , जिसकी परिणति न्यायमूर्ति रंजन गोगोई को उनके गैरकानूनी और संस्था विरोधी कृत्य के लिये प्रताड़ित करने की बजाय देश के प्रधान न्यायाधीश के पद पर नियुक्ति के रूप में हुई है । याचिका में कहा गया है कि भारत सरकार और प्रधान न्यायाधीश का यह कृत्यु गैरकानूनी और असंवैधानिक है क्योंकि न्यायपालिका का सर्वोच्च पद ऐसे व्यक्ति को सौंपा जा रहा है जो न्यायिक कदाचार और न्यायिक रूप से अयोग्यता का दोषी है। याचिका में न्यायमूर्ति रंजन गोगोई को तीन अक्तूबर से देश का नया प्रधान न्यायाधीश नियुक्त करने का आदेश निरस्त करने का अनुरोध किया गया है।

जनता की अदालत में होगा राफेल मामले का फैसला : कांग्रेस

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नयी दिल्ली, 25 सितंबर, कांग्रेस ने राफेल मामले में अदालत का रुख करने की संभावना से इनकार करते हुए आज कहा कि ‘इस घोटाले’ को जनता की अदालत में उठाया जाएगा और वहीं तय होगा कि इस मामले में ‘चोर कौन है।’  पार्टी के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने यह भी दावा किया कि राफेल मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वो किया जो आज तक किसी भारतीय प्रधानमंत्री ने नहीं किया था और उनके इस कदम से राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता हुआ है। सिब्बल ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘जब लोगों के पास तथ्य नहीं होते तो लोग शोर करते हैं। मैं कुछ तथ्य रखना चाहता हूं जिनको लेकर किसी तरह का विवाद नहीं है। 28 मार्च, 2015 को रिलायंस डिफेंस का गठन हुआ। 25 मार्च को दसाल्ट के सीईओ एरिक ट्रैपर ने कहा कि एचएएल के साथ 95 फीसदी समझौता हो गया है।’’  उन्होंने कहा, ‘‘10 अप्रैल, 2015 को प्रधानमंत्री ने पेरिस में 36 राफेल विमानों के समझौते का एलान किया। इसका मतलब यह कि कुछ दिनों पहले तक दसाल्ट को नहीं मालूम था कि क्या होने वाला है। इसी तरह दो दिन पहले तक तत्कालीन विदेश सचिव एस जयशंकर को इस बारे में नहीं पता था।’’  सिब्बल ने कहा, ‘‘पेरिस में प्रधानमंत्री के साथ न अरूण जेटली थे, न निर्मला सीतारमण थीं और न ही उस वक्त के रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर थे। ऐसे में इनको कैसे पता कि प्रधानमंत्री ने ओलांद से क्या कहा था? अदालत की भाषा में बोले तो ओलांद ने जो कहा है कि उसी को सही माना जाएगा।’’  उन्होंने कहा, ‘‘भोपाल की रैली में प्रधानमंत्री इस बारे में कुछ नहीं बोले। लेकिन हम आशा करते हैं कि आने वाले समय में वह अपनी रैलियों में इस बारे में बोलेंगे।’’  इस मामले में अदालत का रुख करने से जुड़े सवाल पर सिब्बल ने कहा, ‘‘ हम जनता की अदालत में जाएंगे। वहीं तय होगा इस मामले में चोर कौन है?’’  उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री ने जो किया वो अब तक किसी प्रधानमंत्री ने नहीं किया। पता नहीं कि इससे उनको लाभ मिला या किसी और को लाभ मिला।...इस मामले में राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता हुआ है।’’

संविधान की धर्मनिरपेक्षता संरक्षण करना न्यायपालिका की प्राथमिक जिम्मेदारी : मनमोहन

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नयी दिल्ली, 25 सितंबर, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने धर्मनिरपेक्षता को संविधान का मौलिक स्वरूप बताते हुये कहा है ‘‘सर्वप्रथम, एक संस्था के रूप में न्यायपालिका के लिये यह बेहद जरूरी है कि वह संविधान में निहित धर्मनिरपेक्षता के स्वरूप का संरक्षण करने की अपनी प्राथमिक जिम्मेदारी को नजरंदाज न करे।’’ डा. सिंह ने मंगलवार को कॉमरेड एबी वर्धन स्मृति व्याखान को संबोधित करते हुये कहा ‘‘संविधान के धर्मनिरपेक्ष स्वरूप का संरक्षण करने के मकसद को पूरा करने की मांग पहले के मुकाबले मौजूदा दौर में और भी अधिक जरूरी हो गयी है। राजनीतिक विरोध और चुनावी मुकाबलों में धर्मिक तत्वों, प्रतीकों, मिथकों और पूर्वाग्रहों की मौजूदगी भी काफी अधिक बढ़ गयी है।’’ डा. सिंह ने कहा कि सैन्य बलों को भी धार्मिक अपीलों से खुद को अछूता रखने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि भारतीय सशस्त्र बल देश के शानदार धर्मनिरपेक्ष स्वरूप का अभिन्न हिस्सा हैं। इसलिये यह बेहद जरूरी है कि सशस्त्र बल स्वयं को सांप्रदायिक अपीलों से अछूता रखें। डा. सिंह ने भाकपा द्वारा ‘‘धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र की रक्षा’’ विषय पर आयोजित दूसरे एबी बर्धन व्याख्यान को संबोधित करते हुये कहा ‘‘हमें निसंदेह यह समझना चाहिये कि अपने गणतंत्र के धर्मनिरपेक्ष स्वरूप को कमजोर करने कोई भी कोशिश व्यापक रूप से समान अधिकारवादी सोच को बहाल के प्रयासों को नष्ट करेगी।’’ उन्होंने कहा कि इन प्रयासों की कामयाबी सभी संवैधानिक संस्थाओं में निहित है। पूर्व प्रधानमंत्री ने बाबरी मस्जिद मामले का जिक्र करते हुये कहा कि 1990 के दशक के शुरुआती दौर में राजनीतिक दलों और राजनेताओं के बीच बहुसंख्यक और अल्पसंख्यकों के सह अस्तित्व को लेकर शुरु हुआ झगड़ा असंयत स्तर पर पहुंच गया। उन्होंने कहा ‘‘बाबरी मस्जिद पर राजनेताओं का झगड़े का अंत उच्चतम न्यायालय में हुआ और न्यायाधीशों को संविधान के धर्मनिरपेक्ष स्वरूप को पुन: परिभाषित कर बहाल करना पड़ा।’’ डा. सिंह ने बाबरी मस्जिद ध्वंस को दर्दनाक घटना बताते हुये कहा ‘‘छह दिसंबर 1992 का दिन हमारे धर्मनिरपेक्ष गणतंत्र के लिये दुखदायी दिन था और इससे हमारी धर्मनिरपेक्ष प्रतिबद्धताओं को आघात पहुंचा।’’ उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने एस आर बोम्मई मामले में धर्मनिरपेक्षता को संविधान के मौलिक स्वरूप का हिस्सा बताया। उन्होंने कहा कि दुर्भाग्यवश यह संतोषजनक स्थिति कम समय के लिये ही कायम रही, क्योंकि बोम्मई मामले के कुछ समय बाद ही ‘हिंदुत्व को जीवनशैली’ बताते वाला न्यायमूर्ति जे एस वर्मा का मशहूर किंतु विवादित फैसला आ गया। इससे गणतांत्रिक व्यवस्था में धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों के बारे में राजनीतिक दलों के बीच चल रही बहस पर निर्णायक असर हुआ।  उन्होंने कहा कि न्यायाधीशों की सजगता और बौद्धिक क्षमताओं के बावजूद कोई भी संवैधानिक व्यवस्था सिर्फ न्यायपालिका द्वारा संरक्षित नहीं की जा सकती है। अंतिम तौर पर संविधान और इसकी धर्मनिरपेक्ष प्रतिबद्धताओं के संरक्षण की जिम्मेदारी राजनीतिक नेतृत्व, नागरिक समाज, धार्मिक नेताओं और प्रबुद्ध वर्ग की है। डा. सिंह ने आगाह किया कि असमानता और भेदभाव की सदियों पुरानी रूढ़ियों वाले इस देश में धर्मनिरपेक्षता के संरक्षण का लक्ष्य हासिल करना आसान नहीं है। उन्होंने कहा कि आखिरकार, सामाजिक भेदभाव का एकमात्र आधार धर्म नहीं है। कभी कभी जाति, भाषा और लिंग के आधार पर हाशिये पर पहुंचे असहाय लोग हिंसा, भेदभाव और अन्याय का शिकार हो जाते हैं।

बैंगलोर : तिरंगे में ढंकी कार

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आर्यावर्त डेस्क,26  सितम्बर ,2018 ,बैंगलोर बैंगलोर के केम्पेगौडा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर कार पार्किंग क्षेत्र में खड़ी कार को ढंकने के लिए राष्ट्रीय झंडे के रंग के कपड़े का उपयोग किया गया है. प्रथम दृष्टया ऐसा लगता है जैसे कार को ढंकने के लिए बनाये गए कवर के लिए बड़े आकार के तिरंगे का ही उपयोग किया गया है . कार पूरी तरह से ढँक जाये इसके लिए झंडे के दोनों तरफ नीले रंग के कपडे को जोड़ा गया है. अत्यधिक व्यस्त अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा होने के बावजूद अभी तक एयरपोर्ट के किसी अधिकारी की नजर इस कार कवर पर क्यों नहीं पड़ी,यह भी आश्चर्यजनक है

बलात्कार के मामले में मुंबई से आरोपी गिरफ्तार

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नयी दिल्ली, 25 सितंबर,दिल्ली पुलिस ने केरल के एक शख्स को बलात्कार के मामले में गिरफ्तार किया है। उसपर विवादस्पद इस्लामी उपदेशक डॉ जाकिर नाइक का अनुयायी होने का शक है। पुलिस ने मंगलवार को बताया कि आरोपी को सोमवार को मुंबई से गिरफ्तार किया गया। उसकी पहचान अमल उर्फ सालसा के तौर पर हुई है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में नर्स के तौर पर काम कर रही पीड़िता ने तीन महीने पहले शिकायत दर्ज कराई थी जिसके बाद मामला दर्ज किया गया था। दक्षिण दिल्ली के पुलिस उपायुक्त विजय कुमार ने बताया कि आरोपी को सोमवार को मुंबई से गिरफ्तार किया गया और चार दिन की हिरासत में लिया गया है। पीड़िता ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया था कि वह आरोपी से ‘‘मैट्रिमोनियल’’ साइट के जरिए मिली थी और वे दोस्त बन गए थे। अधिकारी ने कहा कि महिला ने आरोप लगाया था कि आरोपी जाकिर नाइक का अनुयायी है । अधिकारी ने कहा कि जांच में पुलिस को ऐसा कुछ नहीं मिला जो नाइक के साथ उसका संपर्क स्थापित करता हो।

धोनी 200 वनडे में कप्तानी करने वाले पहले भारतीय

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दुबई, 25 सितम्बर, लगभग दो साल बाद टीम की कमान सम्भाल रहे महेंद्र सिंह धोनी ने मंगलवार को मैदान पर उतरते ही इतिहास रच दिया। वह 200 मैचों में कप्तानी करने वाले पहले भारतीय बन गए हैं। धोनी ने यह मुकाम एशिया कप-2018 में सुपर-4 के मैच में अफगानिस्तान के खिलाफ हासिल किया। दरअसल, इस टूर्नामेंट में भारत की कप्तानी कर रहे रोहित शर्मा और उप-कप्तान शिखर धवन दोनों को ही इस मैच में टीम प्रबंधन ने आराम देने के फैसला किया। ऐसे में कप्तानी की जिम्मेदारी 696 दिनों बाद एक बार फिर धोनी के कंधों पर आ गई और धोनी के नाम जो रिकार्ड आने से रह गया वो आखिरकार उनकी रिकार्डबुक में आ गया। धोनी वनडे प्रारुप में यह रिकार्ड बनाने वाले भारत के पहले और विश्व के तीसरे कप्तान बन गए। धोनी से पहले इस सूची में ऑस्ट्रेलिया के रिकी पॉन्टिंग (230) और न्यूजीलैंड के स्टीफन फ्लेमिंग (218) के नाम आते हैं। अपनी कप्तानी में भारत को 2007 में टी-20 विश्व कप, 2011 में विश्वकप और 2013 में चैम्पियंस ट्राफी खिताब दिला चुके धोनी ने अक्टूबर 2016 में टी-20 और वनडे से कप्तानी छोड़ दी थी। इसके बाद से विराट कोहली तीनों प्रारूपों में भारतीय टीम की कप्तानी कर रहे हैं। विराट को हालांकि इस टूर्नामेंट में आराम दिया गया और इसी कारण रोहित के जिम्मे कप्तानी का भार आया, जो इस मैच में बेंच पर बैठे। धोनी ने बतौर कप्तान अभी तक 199 वनडे मैचों में 110 जीते हैं और 74 हारे हैं। वहीं चार मैच टाई रहे जबकि 11 मैचों का कोई परिणाम नहीं निकला है। धोनी के बाद मोहम्मद अजहरुद्ीन ने 174 और सौरभ गांगुली ने 147 मैचों में भारत की कप्तानी की है।

बिहार : पीएमसीएच में जूनियर चिकित्सकों की हड़ताल जारी, मरीज परेशान

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पटना, 25 सितंबर, बिहार के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल (पीएमसीएच) में सोमवार से शुरू जूनियर चिकित्सकों की हड़ताल दूसरे दिन मंगलवार को भी जारी है। हड़ताल के कारण अब तक 13 मरीजों की जान जा चुकी है। हालांकि, पीएमसीएच प्रशासन का दावा है कि वैकल्पिक व्यवस्था के जरिए मरीजों का इलाज कराया जा रहा है। पीएमसीएच जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन (जेडीए) के अध्यक्ष डॉ़ शंकर भारतीय ने मंगलवार को आईएएनएस से कहा, "दोषियों को जब तक गिरफ्तार नहीं किया जाता और चिकित्सकों को जब तक सुरक्षा मुहैया नहीं कराई जाती, तब तक हड़ताल समाप्त करने का प्रश्न ही नहीं उठता।"इधर, जूनियर चिकित्सकों के हड़ताल पर जाने के कारण मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। भर्ती मरीजों का सही ढंग से इलाज नहीं हो पा रहा है जिस कारण अब मरीजों का पलायन शुरू हो गया है। उल्लेखनीय है कि पीएमसीएच में सोमवार सुबह मरीज की मौत से गुस्साए परिजनों ने जूनियर चिकित्सकों के साथ मारपीट कर दी थी, जिससे नाराज जूनियर चिकित्सकों ने कामकाज ठप कर दिए और हड़ताल पर चले गए। हड़ताल से अब तक 13 मरीजों की मौत हो चुकी है। इधर, पीएमसीएच प्रशासन द्वारा जूनियर चिकित्सकों से हड़ताल खत्म कराने को लेकर कई बार प्रयास किए गए लेकिन अभी तक सफलता नहीं मिली है। पीएमसीएच के अधीक्षक डॉ. राजीव रंजन प्रसाद के अनुसार, मरीजों के इलाज के लिए अस्पताल की ओर से सीनियर चिकित्सकों को लगाया गया है। इसके अलावा सिविल सर्जन से भी चिकित्सकों की मांग की गई है। उन्होंने कहा कि जरूरत पड़ने पर बाहर से भी चिकित्सक बुलाए जाएंगे।

रांची : बेटे को आयुष्मान कार्ड मिलने में हुई देरी, मां का निधन

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जमशेदपुर , 25 सितम्बर, जमशेदपुर में सोमवार को चिकित्सकों ने बिना आयुष्मान कार्ड के, डायरिया से पीड़ित एक वृद्ध महिला का इलाज करने से मना कर दिया, और महिला की मौत हो गई। चिकित्सकों ने महिला के बेटे से हाल ही में लांच हुए आयुष्मान कार्ड को लाने के लिए कहा। स्थानीय मीडिया रपटों में मंगलवार को कहा गया है कि डायरिया से पीड़ित 80 वर्षीय रीता देवी को सोमवार को उसका बेटा भक्तु रबिदास एमजीएम अस्पताल जमशेदपुर लेकर गया, जहां चिकित्सकों ने उससे आयुष्मान कार्ड की मांग की। रबिदास को आयुष्मान कार्ड बनाने में छह घंटे का समय लग गया और जब वह कार्ड लेकर अस्पताल पहुंचा, तबतक उसकी मां की मृत्यु हो चुकी थी। रबिदास ने मंगलवार को स्थानीय मीडिया से कहा कि वह अपनी मां को सोमवार को इलाज के लिए अस्पताल गया था, लेकिन चिकित्सकों ने उससे केंद्र सरकार के एक स्वास्थ्य संबंधी योजना के तहत जारी आयुष्मान कार्ड की मांग की। स्थानीय मीडिया के अनुसार, रबिदास करीब छह घंटे के बाद कार्ड बनवाकर अस्पताल पहुंचा, लेकिन वहां पहुंचने पर उसे अपनी मां के निधन की खबर मिली। रबिदास ने कार्ड को फाड़कर फेंक दिया और अपनी मां के शव को गांव ले आया। उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आयुष्मान भारत जन अरोग्य योजना रविवार को रांची से लांच की थी। एमजीएम के उपाधीक्षक, डॉ. नकुल चौधरी ने स्थानीय मीडिया को दिए बयान में कहा, "मरीज का इलाज पहले करना चाहिए था। अगर महिला का निधन किसी की लापरवाही के कारण हुआ है, तो इस पर तुरंत कार्रवाई की जाएगी।"

बिहार : सभी सरकारी एवं गैर सरकारी विद्यालयों का गहनतापूर्वक जांच करने का निदेश

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मिशन मध्य विद्यालय में पठन-पाठन कार्य बंद रहेगा
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बेतिया:पश्चिम चम्पारण के  जिलाधिकारी हैं डाॅ0 निलेश रामचंद्र देवरे। उन्होंने बेतिया शहरी क्षेत्र में अवस्थित सभी सरकारी व  गैर सरकारी विद्यालयों का गहनतापूर्वक जांच करने हेतु पांच सदस्यीय टीम का गठन किया गया है। यह टीम बेतिया शहरी क्षेत्र में अवस्थित सभी विद्यालयों के भवनों की ठीक स्थिति की गहनापूर्वक जांच करेगी और जांच प्रतिवेदन जिलाधिकारी को समर्पित करेगी। जांच टीम द्वारा यह आकलन किया जायेगा कि वर्तमान में स्कूल भवनों में चल रहे क्लासेज कहीं कंडेम करने लायक तो नहीं हो गये है। यह टीम विद्यालय में बुनियादी सुविधाओं की स्थिति का भी आकलन करेगी।  इस जांच टीम में कार्यपालक पदाधिकारी, नगर परिषद, बेतिया को अध्यक्ष बनाया गया है। वहीं कार्यपालक अभियंता, भवन प्रमंडल, बेतिया/कार्यपालक अभियंता, ग्रामीण कार्य विभाग, कार्य प्रमंडल, बेतिया/कार्यपालक अभियंता, पथ प्रमंडल, बेतिया एवं सहायक अभियंता, भवन प्रमंडल, बेतिया को सदस्य नामित किया गया है। जिलाधिकारी डाॅ0 देवरे द्वारा जांच टीम को बेतिया नगर परिषद क्षेत्र अंतर्गत अवस्थित सभी सरकारी/गैरसरकारी विद्यालयों के भवनों की विशेषकर मिशन मध्य विद्यालय, बेतिया के भवन की तकनीकी पक्षों की दृष्टिगत जांच सुनिश्चित कराने का निदेश दिया गया है। उन्होंने कहा कि यदि किसी विद्यालय के भवन की स्थिति परित्यक्तता योग्य हो तो उसे तत्क्षण बंद करा दिया जाय। जिला प्रशासन, बेतिया द्वारा दिनांक-25.09.2018 को मिशन मध्य विद्यालय, बेतिया के भवन का छत गिरने से एक मासूम बच्चे की हुई मृत्यु पर शोक प्रकट करते हुए संवेदना व्यक्त किया गया एवं दुर्घटना में घायल बच्चों के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ हेतु कामना किया गया है। जिलाधिकारी द्वारा उक्त घटना के मद्देनजर जांच प्रतिवेदन प्राप्त होने तक मिशन मध्य विद्यालय, बेतिया में पठन-पाठन पूर्णतः बंद रखने का निदेश दिया गया है। आपदा प्रबंधन विभाग, बिहार सरकार के द्वारा स्कूल दुर्घटना में मृतक छात्र वैभव राज के पिता श्री संदीप कुमार, राजगुरू चौक, बेतिया को 4.00 लाख रू0 की राशि अनुग्रह अनुदान के रूप में सौंपने हेतु स्वीकृति प्रदान की गयी है। जिलाधिकारी, डाॅ0 देवरे द्वारा आज 4.00 लाख रू0 का चेक मृतक छात्र के घर जाकर उनके पिता श्री संदीप कुमार को सौंपा गया और शोक संतप्त परिवार को सांत्वना दिया गया। द्यायलों में एक छात्रा बिन्दिया कुमारी (7 साल) है.सन्नी जायसवाल (7 साल), आदित्य राज (7 साल), शिवम (7 साल),आदित्य कुमार (8 साल),गुफरान (7 साल) और राद्यव कुमार (6 साल) हैं.इनको आपदा प्रबंधन द्वारा मुअावजा नहीं दिया है.

राहुल ने दी मनमोहन सिंह को जन्मदिन की बधाई

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नयी दिल्ली, 26 सितंबर, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने बुधवार को पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को जन्मदिन की बधाई दी और कहा कि सिंह ने राष्ट्रनिर्माण के लिए निःस्वार्थ भाव से सेवा की है। गांधी ने ट्वीट किया, 'मनमोहन सिंह जी का जन्मदिन हमारे लिए एक अवसर है कि हम राष्ट्रनिर्माण के लिए की गई उनकी निःस्वार्थ सेवा एवं समर्पण की सराहना करें और उसे याद करें।' उन्होंने कहा, 'उनको जन्मदिन की बहुत बधाई। मैं उनकी अच्छी सेहत और खुशहाली की कामना करता हूं।' कांग्रेस के संगठन महासचिव अशोक गहलोत और पार्टी के कई दूसरे वरिष्ठ नेताओं ने भी पूर्व प्रधानमंत्री को जन्मदिन की बधाई दी। मनमोहन सिंह बुधवार को 86 वर्ष के हो गए। वह मई, 2004 से मई, 2014 तक देश के प्रधानमंत्री रहे। एक अर्थशास्त्री के तौर पर विख्यात सिंह नरसिंह राव की सरकार में वित्त मंत्री भी रहे।

सोमालिया : अल शबाब के 35 आतंकवादी ढेर

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मोगादिशू 25 सितंबर, सोमालिया के सुरक्षाबलों और अल शबाब के आतंकवादियों के बीच मुठभेड़ में अल शबाब के 35 आतंकवादी ढेर हो गए। सोमालिया सुरक्षाबलों को अफ्रीकी संघ (एयू) बलों का समर्थन प्राप्त है। कोरयोले के डिप्टी गवर्नर अब्दी अहमदी ने सोमवार को संवाददाताओं को बताया कि आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में सोमालिया के एक जवान की मौत हो गई और दो घायल हो गए। अली ने कहा, "हमारी सुरक्षाबलों ने अल शबाब के 35 आतंकवादियों को मार गिराया और कई अन्य घायल हो गए।" हालांकि, अभी तक अल शबाब ने इस पर कोई टिप्पणी नहीं की है।

न्यायालय ने आधार योजना को संवैधानिक रूप से वैध करार दिया

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नयी दिल्ली 26 सितंबर, उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को अपने फैसले में केन्द्र की महत्वाकांक्षी योजना आधार को संवैधानिक रूप से वैध करार दिया। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने अपने फैसले में कहा कि आधार का लक्ष्य कल्याणकारी योजनाओं को समाज के वंचित तबके तक पहुंचाना है और वह ना सिर्फ व्यक्तिगत बल्कि समुदाय के दृष्टिकोण से भी लोगों के सम्मान का ख्याल रखती है। शीर्ष अदालत ने कहा कि आधार जनहित में बड़ा काम कर रहा है और आधार का मतलब है अनोखा और सर्वश्रेष्ठ होने के मुकाबले अनोखा होना बेहतर है। संविधान पीठ ने आधार योजना संबंधी कानून और इसे वित्त विधेयक के रूप में पारित कराने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई की थी। इस मामले में तीन अलग अलग फैसले सुनाये गये। पहला निर्णय संविधान पीठ के सदस्य न्यायमूर्ति ए के सीकरी ने न्यायमूर्ति सीकरी ने प्रधान न्यायाधीश, न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर और अपनी ओर से फैसला पढ़ा। न्यायमूर्ति सीकरी ने कहा कि जितनी जल्दी संभव हो आंकड़ों/सूचनाओं की सुरक्षा के लिए मजबूत रक्षा प्रणाली विकसित की जाए। उन्होंने कहा कि आधार के खिलाफ याचिकाकर्ताओं के आरोप संवैधानिक अधिकारों के उल्लंघन पर आधारित हैं, जिनके कारण राष्ट्र शासकीय निगरानी वाले राज्य में बदल जायेगा।


न्यायालय ने कहा कि आधार के लिए यूआईडीएआई ने न्यूनतम जनांकीकीय और बायोमिट्रिक आंकड़े एकत्र किये हैं। साथ ही आधार योजना के सत्यापन के लिए पर्याप्त रक्षा प्रणाली है। पीठ ने कहा कि आधार समाज के वंचित तबके को सशक्त बनाता है और उन्हें पहचान देता है।पीठ ने निजी कंपनियों को आधार के आंकड़े एकत्र करने की अनुमति देने वाले आधार कानून के प्रावधान 57 को रद्द कर दिया है।न्यायालय ने कहा कि सीबीएसई, नीट, यूजीसी आधार को अनिवार्य नहीं कर सकते हैं और स्कूलों में दाखिले के लिए भी यह अनिवार्य नहीं है। पीठ ने सरकार को निर्देश दिया कि वह अवैध आव्रजकों को आधार नंबर नहीं दे।


न्यायमूर्ति सीकरी ने कहा, किसी भी बच्चे को आधार नंबर नहीं होने के कारण लाभ/सुविधाओं से वंचित नहीं किया जा सकता है। न्यायालय ने लोकसभा में आधार विधेयक को धन वियेयक के रूप में पारित करने को बरकरार रखा और कहा कि आधार कानून में ऐसा कुछ भी नहीं है जो किसी व्यक्ति की निजता का उल्लंघन करता हो। इस निर्णय के अनुसार आधार कार्ड/नंबर को बैंक खाते से लिंक/जोड़ना अनिवार्य नहीं है। इसी तरह टेलीकॉम सेवा प्रदाता उपभोक्ताओं को अपने फोन से आधार नंबर को लिंक कराने के लिये नहीं कह सकते। पीठ ने कहा कि आयकर रिटर्न भरने और पैन कार्ड बनवाने के लिए आधार अनिवार्य है। संविधान पीठ के सदस्य न्यायमूर्ति धनन्जय चन्द्रचूड़ और न्यायमूर्ति अशोक भूषण भी शामिल थे और इस दोनों न्यायाधीशों ने अपने फैसले अलग-अलग लिखे हैं।

सर्वोच्च न्यायालय ने कार्यवाही के सीधे प्रसारण की इजाजत दी

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नई दिल्ली 26 सितम्बर, सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को अपनी कार्यवाही के सीधे प्रसारण की याचिका का समर्थन किया है। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ की पीठ ने इस सिलसिले में दायर याचिकाओं पर सहमति जताते हुए कार्यवाही के सीधे प्रसारण के लिए नियम तैयार करने का निर्देश दिया। इसकी शुरुआत प्रधान न्यायाधीश अदालत की कार्यवाही के प्रसारण से शुरू होगी। न्यायमूर्ति खानविलकर ने यह फैसला सुनाया। इसमें प्रधान न्यायाधीश का फैसला भी शामिल था। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने अलग फैसला सुनाया लेकिन वह भी प्रसारण के पक्ष में रहा। उन्होंने कहा कि इससे लोगों को दूसरे से मिली जानकारी पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। साथ ही इससे कानूनी शिक्षा को प्रोत्साहन और प्रणाली को लोगों के सामने लाया जा सकेगा।

विशेष आलेख : बेदाग राजनीति के लिये संसद जागें

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आज सबकी आंखें एवं काल सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्रतिदिन दिये जाने वाले निर्णयों पर लगे रहते हैं। उसकी सक्रियता यह अहसास कराती है कि वह राष्ट्र के अस्तित्व एवं अस्मिता के विपरीत जब भी और जहां भी कुछ होगा, वह उसे रोकेंगी। हमारे चुनाव एवं इन चुनावों में आपराधिक तत्वों का चुना जाना, देश का दुर्भाग्य है। राजनीति में आपराधिक तत्वों का वर्चस्व बढ़ना कैंसर की तरह है, जिसका इलाज होना जरूरी है। इस कैंसररूपी महामारी से मुक्ति मिलने पर ही हमारा लोकतंत्र पवित्र एवं सशक्त बन सकेगा। अपराधी एवं दागी नेताओं को लेकर सुप्रीम कोर्ट का ताजा फैसला भारतीय लोकतंत्र के रिसते हुए जख्मों पर मरहम लगाने जैसा है। कोर्ट ने कहा है कि दागी सांसद, विधायक और नेता आरोप तय होने के बाद भी चुनाव लड़ सकते हैं, लेकिन चुनाव प्रचार के दौरान उन्हें खुद पर निर्धारित आरोप भी प्रचारित करने होंगे। लम्बे समय से दागी नेताओं के चुनाव लड़ने पर पाबंदी की मांग उठती रही है, पिछले दिनों याचिका दायर कर मांग भी की गई थी कि गंभीर अपराधों में, यानी जिनमें 5 साल से अधिक की सजा संभावित हो, यदि व्यक्ति के खिलाफ आरोप तय होता है तो उसे चुनाव लड़ने से रोक दिया जाए। अदालत ने कहा कि केवल चार्जशीट के आधार पर जनप्रतिनिधियों पर कार्रवाई नहीं की जा सकती। लेकिन चुनाव लड़ने से पहले उम्मीदवारों को अपना आपराधिक रिकॉर्ड चुनाव आयोग के सामने घोषित करना होगा। कोर्ट ने सरकार और संसद के पाले में यह गेंद खिसका कर देश की राजनीति को बदलाव का अवसर भी दिया है, जिसे गंवाया नहीं जाना चाहिए।

राजनीति का अपराधीकरण जटिज समस्या है। अपराधियों का राजनीति में महिमामंडन नई दूषित संस्कृति को प्रतिष्ठापित कर रहा है, वह सर्वाधिक गंभीर मसला है। राजनीति की इन दूषित हवाओं ने देश की चेतना को प्रदूषित कर दिया है, सत्ता के गलियारों में दागी, अपराधी एवं स्वार्थी तत्वों की धमाचैकड़ी एवं घूसपैठ लोकतंत्र के सर्वोच्च मंच को दमघोंटू बना दिया है। यह समस्या स्वयं राजनीतिज्ञों और राजनैतिक दलों ने पैदा की है। अतः इसका समाधान भी इसी स्तर पर ढूंढना होगा और जो भी हल इस स्तर से निकलेगा वही स्थायी रूप से राजनीति को अपराधीकरण से मुक्त कर पायेगा। अतः राजनीति की शुचिता यानी राजनेताओं के आचरण और चारित्रिक उत्थान-पतन की बहस अब किसी निर्णायक मोड़ पर पहुंचनी ही चाहिए। राजनेताओं या चुने हुए जन-प्रतिनिधियों को अपनी चारित्रिक शुचिता को प्राथमिकता देनी ही चाहिए। आपराधिक पृष्ठभूमि के जनप्रतिनिधियों को राष्ट्रहित में स्वयं ही चुनाव लड़ने से इंकार कर देना चाहिए। राजनीतिक दलों को भी चाहिए कि वे ऐसे लोगों को टिकट न दें।  इस ज्वलंत एवं महत्वपूर्ण मुद्दे पर मंगलवार को सुप्रीम कोेर्ट में खासी पुरानी बहस और ऐसे ही पुराने मामले में महत्वपूर्ण फैसला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने जो कुछ कहा, उसका यही निहितार्थ है। सुप्रीम कोर्ट ने दागी नेताओं के चुनावी भविष्य पर कोई सीधा फैसला भले न दिया हो, लेकिन यह कहकर कि इसके लिए संसद को खुद कानून बनाना चाहिए, राजनीति के शीर्ष लोगों को एक जिम्मेदारी का काम सौंप दिया है। अदालत ने माना कि महज चार्जशीट के आधार पर न तो जन-प्रतिनिधियों पर कोई कार्रवाई की जा सकती है, न उन्हें चुनाव लड़ने से रोका जा सकता है। यह तो संसद को कानून बनाकर तय करना होगा कि वह जन-प्रतिनिधियों के आपराधिक या भ्रष्टाचार के मामलों में क्या और कैसा रुख अपनाना चाहती है?

लोकतन्त्र में जब अपराधी प्रवृत्ति के लोग जनता का समर्थन पाने में सफल हो जाते हैं तो दोष मतदाताओं का नहीं बल्कि उस राजनैतिक माहौल का होता है जो राजनैतिक दल और अपराधी तत्व मिलकर विभिन्न आर्थिक-सामाजिक प्रभावों से पैदा करते हैं। एक जनप्रतिनिधि स्वयं में बहुत जिम्मेदार पद होता है एवं एक संस्था होता है, जो लाखों लोगों का प्रतिनिधित्व कर उनकी आवाज बनता हैं। हर राष्ट्र का सर्वाेच्च मंच उस राष्ट्र की पार्लियामेंट होती है, जो पूरे राष्ट्र के लोगों द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों द्वारा संचालित होती है, राष्ट्र-संचालन की रीति-नीति और नियम तय करती है, उनकी आवाज बनती है व उनके ही हित में कार्य करती है, इस सर्वोच्च मंच पर आपराधिक एवं दागी नेताओं का वर्चस्व होना विडम्बनापूर्ण है। राष्ट्र के व्यापक हितों के लिये गंभीर खतरा है। भ्रष्टाचार और राजनीति का अपराधीकरण भारतीय लोकतंत्र की नींव को खोखला कर रहा है। संसद को इस महामारी से निपटने के लिए तत्काल कदम उठाने की जरूरत है।

अब तो हमारे राष्ट्र की लोकसभा को ही निर्णायक भूमिका अदा करनी होगी। वह कानून बनाकर आपराधिक रिकॉर्ड वालों को जनप्रतिनिधि न बनने दे। उसका यही पवित्र दायित्व है तथा सभी प्रतिनिधि भगवान् और आत्मा की साक्षी से इस दायित्व को निष्ठा व ईमानदारी से निभाने की शपथ लें। सुप्रीम कोर्ट ने अपनी राय स्पष्ट कर दी है कि उसका यह तय करना कि कौन चुनाव लड़े? कौन नहीं? जनतंत्र के मूल्यों पर आघात होगा। सबसे आदर्श स्थिति यही होगी कि मतदाताओं को इतना जागरूक बनाया जाए कि वे खुद ही आपराधिक छवि वाले उम्मीदवारों को नकार दें। लेकिन जब तक ऐसा नहीं होता, तब तक ऐसे लोगों को जनप्रतिनिधि न बनने देने की जिम्मेदारी संसद की है। बहरहाल, सुप्रीम कोर्ट ने इस बार जो उपाय सुझाए हैं, उनकी सफल क्रियान्विति एवं उसका प्रभावी असर चुनाव आयोग ही सुनिश्चित कर सकता है। दरअसल भारत में चुनाव आयोग ऐसी स्वतन्त्र व संवैधानिक संस्था है जो इस देश की राजनैतिक संरचना के कानून सम्मत गठन की पूरी जिम्मेदारी लेती है और संसद द्वारा बनाये गये कानून ‘जन प्रतिनिधित्व अधिनियम-1951’ के तहत प्रत्याशियों की योग्यता व अयोग्यता तय करती है। चुनाव आयोग की भूमिका अधिक महत्वपूर्ण है, अतः उसे सशक्त, सक्रिय एवं जागरूक होने की जरूरत है। राजनीतिक दल चुनाव प्रचार में, अपनी साइटों पर और मीडिया में अपने उम्मीदवारों का आपराधिक रिकार्ड प्रस्तुत करने में कोताही बरतेंगे। इसलिये चुनाव आयोग को ही इन सभी कामों के लिए कुछ ठोस मानक तय करके उन पर अमल सुनिश्चित करना होगा। कई दागी नेता आज कानून-व्यवस्था के समूचे तंत्र को प्रभावित करने की स्थिति में हैं। उनके खिलाफ मामले थाने पर ही निपटा दिए जाते हैं। किसी तरह वे अदालत पहुंच भी जाएं तो उनकी रफ्तार इतनी धीमी रखी जाती है कि आरोप तय होने से पहले ही आरोपी की सियासी पारी निपट जाती है। इन त्रासद एवं विडम्बनापूर्ण स्थितियों पर नियंत्रण जरूरी है क्योंकि लम्बे समय से देख रहे हैं कि हमारे इस सर्वोच्च मंच की पवित्रता और गरिमा को अनदेखा किया जाता रहा है। आजादी के बाद सात दशकों में भी हम अपने आचरण, पवित्रता और चारित्रिक उज्ज्वलता को एक स्तर तक भी नहीं उठा सके। हमारी आबादी करीब चार गुना हो गई पर देश 500 सुयोग्य राजनेता भी आगे नहीं ला सका। नेता और नायक किसी कारखाने में पैदा करने की चीज नहीं हैं, इन्हें समाज में ही खोजना होता है। काबिलीयत और चरित्र वाले लोग बहुत हैं पर जातिवाद व कालाधन उन्हें आगे नहीं आने देता। राजनीतिक स्वार्थ, बाहुबल एवं वोटों की राजनीति बहुत बड़ी बाधा है। लोकसभा कुछ खम्भों पर टिकी एक सुन्दर ईमारत ही नहीं है, यह डेढ अरब जनता के दिलों की धड़कन है। उसमें नीति-निर्माता बनकर बैठने वाले हमारे प्रतिनिधि ईमानदार, चरित्रनिष्ठ एवं बेदाग छवि के नहीं होंगे तो समूचा राष्ट्र उनके दागों से प्रभावित होगा। इन स्थितियों में इस राष्ट्र की आम जनता सही और गलत, नैतिक और अनैतिक के बीच अन्तर करना ही छोड़ देगी। राष्ट्र में जब राष्ट्रीय, नैतिक एवं चारित्रिक मूल्य कमजोर हो जाते हैं और सिर्फ निजी हैसियत को ऊँचा करना ही महत्त्वपूर्ण हो जाता है तो वह राष्ट्र निश्चित रूप से कमजोर हो जाता है।




(ललित गर्ग)
बी-380, प्रथम तल, 
निर्माण विहार, दिल्ली-110092
ः 22727486, 9811051133
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