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बेगूसराय : 21वीं सदी का बिहार नीतीश दलित महादलित के साथ बनाएंगे

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बेगूसराय (अरुण शाण्डिल्य) 3 अक्टूबर 2018 राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के बाद दलित और महादलित को किसी ने सम्मान दिया है तो उसका एकल नाम है नीतीश कुमार। महात्मा गांधी के बाद अगर दलित महादलित व अति पिछड़ा समुदाय के जातियों के लिए अगर किसी नेता ने चिंता किया है,तो उसका एकमात्र नाम है,बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का। उन्होंने दलित महादलित समुदाय के जातियों को आर्थिक,सामाजिक एवं राजनीतिक रूप से सबल बनाने के लिए बिहार की सत्ता 2005 में संभालने के बाद वो दिन रात उनके लिए काम कर रहे हैं। ये बातें बिहार सरकार के पूर्व मंत्री व जदयू के वरिष्ठ नेता अशोक कुमार चौधरी ने बुधवार को दिनकर कला भवन में दलित महादलित जदयू के जिला सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहीं। उन्होंने कहा 21वीं सदी का बिहार नीतीश कुमार के हाथों को मजबूत कर आप लोग उन्हें बनाने का काम करें।अगर कोई दूसरे दलों के नेता आपके घर पर पहुंच कर आपको अगर वरगलाने का काम करते हैं,तो आप उनसे तुरंत पूछिए कि महादलित समुदाय जाति के उत्थान के लिए आप ने क्या काम किया है।नीतीश कुमार की सरकार ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में महिलाओं को 50% आरक्षण देकर दलित परिवार के बेटी को जिला परिषद के चेयरमैन,प्रखंड के प्रमुख ,पंचायत के मुखिया,सरपंच,गाँव में वार्ड और पंच बनाने का काम किया है।उन्होंने इस मौके पर दलित महादलित के लोगों को सचेत करते हुए आह्वान किया कि आने वाले बिहार के 21वीं सदी को खुशहाल अगर आपलोग मिलकर बनाना चाहते हैं,तो ऐसे ही नेतृत्व करने वाले नीतीश कुमार के हाथों को मजबूत कर उन्हें बनाने का काम करे।

उन्होंने कहा कि जिस तरह से हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने दलित,महादलित जाति के उत्थान के लिए लड़ाई लड़ी थी।आज नीतीश कुमार ने भी उनके उत्थान के लिए हमेशा लड़ाई बिहार में लड़ रही हैं । कहां,पहले बिहार में दलित महादलित के विकास के लिए मात्र 48 करोड़ का बजट बनता था।जिसे नीतीश कुमार ने 50 लाख करोड़ का बजट बना कर दलित महादलित के उत्थान करने में लगे हैं। जदयू के राष्ट्रीय सचिव रविंद्र सिंह ने कहा नीतीश कुमार 2005 में बनने के बाद दलित महादलित के लिए जो काम किया है।उस काम को जन-जन तक पहुंचाया जाए।सामाजिक उत्थान,राजनीतिक उत्थान को सशक्त बनाने का सवाल उन्होंने दलित महादलित समुदाय के लोगों के लिए पार्टी के कार्यकर्ताओं के बीच रखा।कहा की आज नीतीश कुमार ने 15 अगस्त और 26 जनवरी को होने वाले दोनो राष्ट्रीय पर्व को महादलित टोला में जाकर प्रत्येक जिला के डीएम एसपी को निर्देश दिया है झंडोत्तोलन करने के लिए। जिला प्रशासन के अधिकारी महादलित समुदाय के लोगों के बीच जाकर सरकार के विकास के योजनाओं की जानकारी उन लोगों तक अब पहुंचाने का काम आप करेंगे।ये काम नीतीश कुमार ने दलित महादलित के लिए किया है।

पार्टी के जिला अध्यक्ष भूमि पाल राय ने कहा वर्ष 1990 में बिहार कैसा था ये तो आप सभी जानते ही हैं,उस समय दलित और महादलित पर किस तरह से अत्याचार होता था।वह आप लोगों से छुपा हुआ नहीं है।नीतीश कुमार ने दलित महादलित और अति पिछड़ा जाति को मजबूत बनाने के साथ ही उनको मुख्यधारा से जोड़ने का काम पिछले 13 वर्षों से कर रहे हैं।उन्होंने इस मौके पर दलित महादलित व अति पिछड़ा समुदाय के लोगों सेआह्वान किया कि नीतीश कुमार की सरकार के लिए जरूरत पड़ने पर हम लोग उनके लिए कलम से भी लड़ेंगे, और जरुरत पड़ा तो हम लाठी से भी लड़ने के लिए हमेशा तैयार रहेगें।उन्होंने इस अवसर पर दलित महादलित जिला सम्मेलन के कार्यकर्ताओं की ओर से प्रदेश के नेताओं के समक्ष आने वाले लोकसभा चुनाव में अपने दल से बेगूसराय के बेटे को टिकट देकर लोकसभा का लड़ाने की बाते रखी।जिसका समर्थन सभागार में अपने दोनो करतल ध्वनि से सैकड़ो लोगों ने किया।इस कार्यक्रम की अध्यक्षता और मंच का संचालन जदयू के जिला अध्यक्ष भूमि पाल राय ने किया। इस सम्मेलन को पूर्व सदस्य महादलित आयोग के तूफानी राम, प्रदेश उपाध्यक्ष महादलित के हेमराज राम ,प्रदेश के नेता गरीब दास तांती, प्रदेश महासचिव रुदल राय, बेगूसराय जिला के संगठन प्रभारी दुर्गेश राय ,सम्मेलन केप्रभारी नवीश नवेन्दु,  उपेंद्र पासवान, जिला महादलित के अध्यक्ष उमेश सदा, दलित के अध्यक्ष अरविंद पासवान ,राष्ट्रीय सचिव सह राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी युवा जदयू के रंजीत कुमार झा ,पूर्व मुखिया विनोद मल्लिक, मनोज, राम नंदन पासवान, प्रवक्ता अरुण महतो समेत दर्जनों लोगों ने संबोधित किया। धन्यवाद ज्ञापन जदयू नेता पंकज कुमार ने किया। इसके पूर्व सम्मेलन का उद्घाटन सम्मेलन के मुख्य अतिथि व पूर्व मंत्री अशोक कुमार चौधरी, राष्ट्रीय सचिव रविंद्र सिंह, समेत अन्य प्रदेश के नेताओं ने दीप प्रज्वलित कर किया ।इस मौके पर मंच पर सभी उपस्थित प्रदेश के नेताओं का स्वागत पुष्पगुच्छ देकर पार्टी के कार्यकर्ता व अन्य लोगों ने मिलकर किया ।

देश में आज कोई मोदी लहर नहीं : थरूर

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हैदराबाद, तीन अक्टूबर, पूर्व केन्द्रीय मंत्री शशि थरूर ने बुधवार को दावा किया कि देश में ‘‘आज कोई मोदी लहर नहीं है।’’  उन्होंने कहा कि अगर 2019 लोकसभा चुनावों के लिए कांग्रेस, सपा और बसपा एकसाथ आ गये तो भाजपा इस राज्य में ‘‘दस सीटें भी जीत ले तो वह भाग्यशाली होगी।’’  तिरुवनंतपुरम से कांग्रेसी सांसद थरूर ने 2019 चुनावों को ‘‘भारत की लोकतांत्रिक आत्मा के लिए जंग’’ बताया। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी विपक्षी दलों को एक मंच पर निश्चित रूप से लाएगी, ‘‘हालांकि यह आसान एवं सरल नहीं है।’’  थरूर ने यहां नल्सार में संवाददाताओं से कहा, ‘‘2014 में, मोदी की पार्टी (गठबंधन सहयोगियों सहित) ने उत्तर प्रदेश में 80 में से 73 (लोकसभा) सीटें जीती थीं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन अगर आप प्रमुख विपक्षी दलों समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस के वोट जोड़ दें तो भाजपा मोदी की लहर के चरम पर भी इनमें से 49 सीटें गंवा देती।’’ उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन देश में आज कोई मोदी लहर नहीं है। अगर ये तीनों दल एकसाथ प्रचार करते हैं, वोटों को बंटने नहीं देते हैं और उत्तर प्रदेश में संयुक्त उम्मीदवार उतारते हैं तो वे (भाजपा) अगर 2019 में दस सीटें भी जीत लें तो भाग्यशाली होंगे।’’ 

फ्रीडा पिंटो ने भी किया तनुश्री का समर्थन

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मुंबई, तीन अक्टूबर, बॉलीवुड अभिनेता नाना पाटेकर पर 2008 में एक फिल्म के सेट पर उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली अभिनेत्री तनुश्री दत्ता के समर्थन में अब फ्रीडा पिंटो भी सामने आ गई हैं। उनका कहना है कि ऐसा आरोप लगाना दत्ता के लिए आसान नहीं था और इसने देश की आत्मा को हिला दिया है। इंस्टाग्राम पर किए गए पोस्ट में पिंटो ने कहा कि वह दत्ता को व्यक्तिगत तौर पर नहीं जानती हैं लेकिन वह उनके साथ खड़ी हैं। उन्होंने कहा कि तनुश्री की बहादरी के समर्थन में सामने आई आवाजों में वह भी अपनी आवाज मिला रहीं हैं क्योंकि प्रभु जानता है कि तनुश्री यह आपके लिए आसान नहीं है, लेकिन यह आपने जो किया है वो बहुत बड़ी एवं अहम बात है क्योंकि इसने राष्ट्र की आत्मा को हिला दिया है। उन्होंने कहा कि इसने उस विचारधारा को भी झकझोरा है जो महिलाओं के खिलाफ अपराध करके बच जाती थी तथा स्त्री द्वेष की कुरूपता अधिकारों पर भारी पड़ती थी और इसके खिलाफ उठने वाली किसी भी आवाज को दबा दिया जाता था।

पूर्वोत्तर के पहले व्यक्ति जो प्रधान न्यायाधीश बने ; रंजन गोगोई

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नई दिल्ली, तीन अक्टूबर,न्यायिक प्रक्रिया और कार्यवाही के संदर्भ में एक सख्त न्यायाधीश के तौर पर पहचान रखने वाले न्यायमूर्ति रंजन गोगोई ने बुधवार को देश के 46वें प्रधान न्यायाधीश का पदभार संभाल लिया और वह पूर्वोत्तर से न्यायपालिका के इस शीर्ष पद पर पहुंचने वाली पहली हस्ती हैं। तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की कार्यशैली और मुकदमों के आवंटन की प्रक्रिया पर सवाल उठाने वाले न्यायाधीशों में शामिल रहे न्यायमूर्ति रंजन गोगोई को राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द ने बुधवार तीन अक्टूबर को राष्ट्रपति भवन में प्रधान न्यायाधीश पद की शपथ दिलायी। उन्होंने न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा का स्थान लिया है, जिनका कार्यकाल दो अक्टूबर को समाप्त हो गया। असम के राष्ट्रीय नागरिक पंजी और लोकपाल कानून के तहत लोकपाल संस्था की स्थापना जैसे विषयों पर सख्त रूख अपनाने वाले न्यायमूर्ति गोगोई 17 नवंबर 2019 को सेवानिवृत्त होने तक करीब 13 महीने देश के प्रधान न्यायाधीश रहेंगे। न्यायमूर्ति गोगोई तब सुर्खियों में आए थे जब निवर्तमान प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की कार्यशैली को लेकर 12 जनवरी को न्यायमूर्ति जे चेलमेश्वर के नेतृत्व में चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों ने प्रेस कॉन्फ्रेन्स की थी। इन चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों में न्यायमूर्ति गोगोई भी शामिल थे। इस प्रेस कॉन्फ्रेन्स में न्यायाधीशों ने तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश पर कई आरोप लगाये थे। उन्होंने बाद में एक सार्वजनिक कार्यक्रम में कहा था, ‘‘स्वतंत्र न्यायाधीश और आवाज उठाने वाले पत्रकार लोकतंत्र की रक्षा की पहली पंक्ति हैं।’’  पिछले सप्ताह एक अन्य सार्वजनिक समरोह में उन्होंने कहा था कि देश के प्रधान न्यायाधीश के तौर पर उनकी प्राथमिकता मामलों के ‘‘बैकलॉग’’ से निपटना है।  केरल में फरवरी, 2011 में एक ट्रेन में हुये सनसनीखेज सौम्या बलात्कार और हत्या के मामले में शीर्ष अदालत के निर्णय से असहमति व्यक्त करते हुये पूर्व न्यायाधीश मार्कण्डेय काटजू ने तब सोशल मीडिया पर तल्ख़ टिप्पणियां कीं थीं। इसे लेकर न्यायमूर्ति गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने 11 नवंबर, 2016 को पूर्व सहयोगी न्यायमूर्ति मार्कण्डेय काटजू को अवमानना का नोटिस जारी करके सनसनी पैदा कर दी थी। यह पहला मौका था जब शीर्ष अदालत ने अपने ही पूर्व सदस्य के खिलाफ स्वत: अवमानना का नोटिस जारी किया था। न्यायमूर्ति काटजू ने बाद में अपनी टिप्पणियों के लिये न्यायालय से क्षमा मांग ली थी जिसे स्वीकार करते हुये न्यायमूर्ति गोगोई की पीठ ने मामला खत्म कर दिया था। इसी तरह, असम के राष्ट्रीय नागरिक पंजी के मसौदे के संबंध में मीडिया से बात करने पर इस काम से जुड़े अधिकारियों को आड़े हाथ लेते हुये न्यायमूर्ति गोगोई की पीठ ने उन्हें सख्त चेतावनी दी थी।  शीर्ष अदालत के फैसले के बावजूद लोकपाल संस्था की स्थापना और लोकपाल की नियुक्ति में हो रहे विलंब को लेकर दायर अवमानना याचिका पर भी न्यायमूर्ति गोगोई की पीठ ने सख्त रूख अपना रखा है। न्यायमूर्ति गोगोई की 23 अप्रैल, 2012 को उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के पद पर पदोन्नति हुई थी।  असम के डिब्रूगढ़ में 18 नवंबर, 1954 को जन्मे रंजन गोगोई ने 1978 में वकालत शुरू की और 28 फरवरी, 2001 को उन्हें गौहाटी उच्च न्यायालय का स्थाई न्यायाधीश बनाया गया। इसके बाद नौ सितंबर, 2010 का उनका तबादला पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में किया गया और 12 फरवरी, 2011 को उन्हें इसी उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया था।  असम के पूर्व मुख्यमंत्री केशव चंद्र गोगोई के पुत्र न्यायमूर्ति गोगोई ने असम के राष्ट्रीय नागरिक पंजी, सांसदों और विधायकों के खिलाफ मामलों की सुनवाई के लिए विशेष अदालतों के गठन, राजीव गांधी हत्याकांड मामले के दोषियों को उम्र कैद की सजा से छूट तथा लोकपाल जैसे महत्वपूर्ण फैसले दिए हैं।

न्यायालय का सात रोहिंग्याओं को वापस म्यामां भेजने के सरकार के निर्णय में हस्तक्षेप से इंकार

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 नई दिल्ली चार अक्टूबर, उच्चतम न्यायालय ने असम में अवैध रूप से आए सात रोहिंग्याओं को उनके मूल देश म्यामां भेजने के सरकार के फैसले में हस्तक्षेप करने से गुरुवार को इंकार कर दिया। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति के एम जोसेफ की पीठ ने सरकार के फैसले में हस्तक्षेप करने से इंकार करते हुये कहा कि उनके देश म्यामां ने उन्हें अपने देश के मूल नागरिक के रूप में स्वीकार कर लिया है। पीठ ने कहा, ‘‘अनुरोध पर विचार करने के बाद हम इस संबंध में किये गये फैसले में हस्तक्षेप नहीं करना चाहते। याचिका खारिज की जाती है।’’  इन रोहिंग्याओं की ओर से अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि यह जीवन का मामला है और इस न्यायालय की यह जिम्मेदारी है कि रोहिंग्याओं के जीवन की रक्षा हो। हालांकि, पीठ भूषण के तर्क से सहमत नहीं थी और उसने कहा, ‘‘आपको हमें हमारी जिम्मेदारी याद दिलाने की जरूरत नहीं है। हम अच्छी तरह से अपनी जिम्मेदारी समझते हैं।’’  पीठ ने कहा, ‘‘उनके मूल देश ने उन्हें अपने नागरिक के रूप में स्वीकार किया है।’’ पीठ ने म्यामां भेजे जाने के लिये असम के सिलचर में एक हिरासत शिविर में रखे गये सात रोहिंग्याओं में से एक की अर्जी अस्वीकार कर दी। इस रोहिंग्या ने केन्द्र सरकार को उन्हें म्यामां भेजने से रोकने का अनुरोध किया था। इस बीच, केन्द्र सरकार ने न्यायालय को बताया कि ये सात रोहिंग्या गैरकानूनी तरीके से 2012 में भारत में आये थे और उन्हें विदेशी नागरिक कानून के तहत सजा हुयी थी।



केन्द्र की ओर से अतिरिक्त सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने यह भी कहा कि म्यामां ने इन रोहिंग्याओं को वापस भेजने की सुविधा प्रदान करने के लिये उनकी पहचान का प्रमाण पत्र और एक महीने का वीजा भी दिया है। गृह मंत्रालय ने बुधवार को कहा था कि इन रोहिंग्याओं को गुरुवार को मणिपुर की मोरेह सीमा चौकी पर म्यामां के अधिकारियों को सौंप दिया जायेगा। जफरूल्लाह नाम के एक रोहिंग्या ने पहले से ही न्यायालय में लंबित जनहित याचिका में एक आवेदन दायर कर किसी भी तरह के दबाव में उन्हें म्यामां नहीं भेजने का अनुरोध किया था क्योंकि वे म्यामां में हुये ‘‘नरसंहार’’ की वजह से भी पलायन करके आये हैं। इस आवेदन में आवेदनकर्ता के अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि इससे पहले म्यामां सरकार ने इन रोहिंग्याओं को अपने नागरिकों के रूप में स्वीकार करने से इंकार कर दिया था। उन्होंने आरोप लगाया कि म्यामां में बहुत ही बदतर तरीके का नरसंहार हुआ है जिसमें दस हजार से ज्यादा लोग मारे गये थे। भूषण ने कहा, ‘‘ये गैरकानूनी आव्रजक नहीं बल्कि शरणार्थी हैं। न्यायालय को संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त या उनके प्रतिनिधि को इन रोहिंग्याओं से बातचीत के लिये भेजने का निर्देश देना चाहिए ताकि उन्हें किसी भी परिस्थिति में वापस नहीं भेजा जाये। पीठ ने कहा कि वह फैसले में हस्तक्षेप नहीं करना चाहेगी और आवेदन खारिज कर दिया।

पाक विदेश मंत्री ने भारत से बातचीत करने के लिए अमेरिका की मदद मांगी

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वाशिंगटन चार अक्टूबर, पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा कि उनका देश अमेरिका से भारत और पाकिस्तान के बीच वार्ता शुरू कराने में भूमिका अदा करने का अनुरोध करता है क्योंकि दोनों दक्षिण एशियाई पड़ोसी देशों के बीच द्विपक्षीय संवाद अभी बंद है। साथ ही उन्होंने आगाह किया कि बातचीत नहीं होने से तनाव और बढ़ सकता है। बहरहाल, कुरैशी ने बुधवार को वाशिंगटन में बताया कि अमेरिका ने इस संबंध में पाकिस्तान के हालिया अनुरोध को खारिज कर दिया है। इससे एक दिन पहले उन्होंने विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन से मुलाकात की थी। कुरैशी ने अमेरिकी कांग्रेस द्वारा मुहैया कराए जाने वाले धन से चलने वाले शीर्ष थिंक टैंक यूएस इंस्टीट्यूट ऑफ पीस में एक सवाल के जवाब में कहा, ‘‘जब हमने अमेरिका से वार्ता में भूमिका निभाने के लिए कहा--- तो हमने क्यों कहा? सिर्फ इसलिए कि हमारे बीच द्विपक्षीय वार्ता बंद है। हम सीमा के पश्चिमी ओर ध्यान लगाना, आगे बढ़ना चाहते हैं जो हम कर नहीं पा रहे हैं क्योंकि हमें पूर्वी ओर (भारत के साथ सीमा पर) मुड़कर देखना होता है। यह कोई अच्छी स्थिति नहीं है।’’  उन्होंने कहा, ‘‘अब क्या आप (अमेरिका) मदद कर सकते हैं? उनका जवाब ना था। वे द्विपक्षीय संवाद चाहते हैं लेकिन कोई द्विपक्षीय गतिविधि नहीं है।’’ उन्होंने आगाह किया कि इससे दोनों दक्षिण एशियाई देशों के बीच तनाव बढ़ सकता है।

रुपये की कीमत टूट नहीं रही, बल्कि टूट चुकी है: राहुल

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नई दिल्ली चार अक्टूबर, डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत अब तक के न्यूनतम स्तर पर चले जाने को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने गुरुवार को नरेंद्र मोदी सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि रुपये की कीमत टूट नहीं रही है, बल्कि टूट चुकी है। गांधी ने ट्वीट कर कहा, 'रुपया गिरकर 73.77 पर पहुंचा। यह टूट नहीं रहा है-टूट चुका है।'उन्होंने रुपये की कीमत में गिरावट को लेकर बुधवार को भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा था और सवाल किया था कि महंगाई को लेकर जनता के हाहाकार पर ‘56 इंच के सीने वाले’ खामोश क्यों हैं? गांधी ने ट्वीट कर कहा था, ‘रुपया गया 73 पार, महँगाई मचाए हाहाकार। तेल-गैस में लगी है आग, बाजार में मची भागम-भाग। वो 56 इंच के सीने वाले का कब तक चलेगा साइलेंट मोड, कहाँ है- अच्छे दिन का कोड?’ दरअसल, अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया गिरकर गुरुवार को 73.77 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया। बुधवार को रुपया 43 पैसे गिरकर 73.34 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर बंद हुआ था।

लाल निशान में खुले शेयर बाजार

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मुंबई 4 अक्टूबर, देश के शेयर बाजार गुरुवार को गिरावट के साथ खुले। प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स सुबह 9.38 बजे 513.36 अंकों की गिरावट के साथ 35,462.27 पर और निफ्टी भी लगभग इसी समय 150.15 अंकों की गिरावट के साथ 10,708.10 पर कारोबार करते देखे गए। बंबई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का 30 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक सेंसेक्स सुबह 155.1 अंकों की गिरावट के साथ 35,820.53 पर जबकि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का 50 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक निफ्टी 103.55 अंकों की गिरावट के साथ 10,754.70 पर खुला।


कश्मीर : कुपवाड़ा में हिजबुल मॉड्यूल का पर्दाफाश

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श्रीनगर 4 अक्टूबर, उत्तर कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में पुलिस ने कश्मीर में आतंकवादियों को मदद पहुंचाने और युवाओं को आतंकवाद के लिए लुभाने के आरोप में दो हिजबुल मुजाहिदीन सदस्यों को हिरासत में लिया है।पुलिस के एक अधिकारी ने गुरुवार को बताया कि दोनों हिजबुल मुजाहिदीन के एक ओवर-ग्राउंड मॉड्यूल का हिस्सा हैं। उनके पास से एक पिस्टल बरामद हुई है। उनसे पूछताछ की जा रही है।

चुनिंदा हवाईअड्डों में प्रवेश के लिए जल्द ही चेहरा आधारित पहचान प्रणाली

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नई दिल्ली 4 अक्टूबर, सरकार ने अगले वर्ष फरवरी से चुनिंदा हवाईअड्डों पर चेहरे की पहचान आधारित प्रवेश प्रणाली शुरू करने की योजना बनाई है। नागरिक विमानन मंत्रालय ने अपनी 'डिजी यात्रा'नीति के तहत एक मसौदा पेश किया है। इस प्रणाली से हवाईअड्डे पर लोगों को लंबी कतारों से छुटकारा मिलेगा और सुरक्षाकर्मियों की संख्या में भी कमी लाई जाएगी, जिससे हवाई किरायों में भी कमी आ सकती है।

15वां वित्त आयोग व्यवहारिकता के आधार पर बिहार के लिए निर्णय करे : नीतीश

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पटना, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने यहां बुधवार को 15वें वित्त आयोग की बैठक में कहा कि आयोग व्यवहारिकता के आधार पर बिहार के लिए निर्णय करे। मुख्यमंत्री ने बैठक में कहा, "वित्त आयोग संविधान के दायरे में रहकर काम करता है और पूरे देश के लिए सोचता है। राजस्व का संग्रह और संसाधनों के उचित वितरण के बीच संतुलन स्थापित करता है। देश के हाशिए पर रह रहे व्यक्ति को मुख्यधारा में लाना गांधीजी की भी अवधारणा थी। आर्थिक विकेंद्रीकरण के द्वारा इसे और आसान बनाया जा सकता है।" बैठक में वित्त आयोग के अध्यक्ष एऩ क़े सिंह, आयोग के सदस्य शक्तिकांत दास, डॉ. अनूप सिंह, डॉ. अशोक लाहिड़ी, सचिव अरविंद मेहता एवं संयुक्त सचिव मुखमित सिंह भाटिया, डॉ़ रवि कोटा एवं आयोग के अन्य प्रतिनिधि शामिल हुए। मुख्यमंत्री ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग दोहराते हुए कहा, "यहां की समस्या का समाधान विशेष दर्जा मिलने से ही संभव है। अन्य राज्यों की तुलना में यहां प्रति व्यक्ति आय कम है, लेकिन यहां व्यक्तिगत काम के द्वारा लोगों की आमदनी बढ़ी है, जो आंकड़ों में प्रतीत नहीं होता है।" उन्होंने कहा, "जो राज्य पिछड़े हैं, वहां संसाधनों की कमी है। वहां पर अन्य राज्यों की तरह समानता और समानीकरण के आधार पर संसाधनों का वितरण करना उचित नहीं है। इसके कारण जो राज्य पिछड़े हैं, पिछड़ते ही चले जाएंगे। बिहार राज्य की आबादी अधिक है, इसकी वजह ऐतिहासिक भी है, क्योंकि यह क्षेत्र उपजाऊ था, वातावरण बढ़िया था और अन्य भी कई कारण थे।"


मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार आपदा पीड़ित राज्य है, जहां बाढ़ नेपाल, उत्तराखंड एवं मध्यप्रदेश की नदियों से आती है, जिससे 70 प्रतिशत क्षेत्र बाढ़ से प्रभावित रहता है। उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र भूकंप जोन में भी आता है और इसका असर भविष्य में दिख सकता है। आपदा के लिए केंद्र सरकार से मिलने वाली 500 करोड़ रुपये की राशि बढ़ाने की जरूरत बताते हुए उन्होंने कहा कि "वर्ष 2017 में आई भयानक बाढ़ में 18 लाख पीड़ित परिवारों को छह हजार रुपये प्रति परिवार सहायता राशि उनके खाते में भेजी गई। इस मद में 2400 करोड़ रुपये राज्य सरकार ने अपनी तरफ से व्यय किए थे।" उन्होंने कहा कि बिहार आपदा पीड़ित राज्य है, इसपर भी विचार किया जाना चाहिए। मुख्यमंत्री ने केंद्र प्रायोजित योजनाओं में राज्य सरकार की राशि खर्च करने पर भी चिंता प्रकट की।

मप्र : सत्याग्रहियों का ग्वालियर से दिल्ली कूच

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ग्वालियर 4 अक्टूबर, भूमि अधिकार की मांग को लेकर 25 हजार से ज्यादा सत्याग्रही मध्य प्रदेश के ग्वालियर से दिल्ली की ओर कूच कर गए हैं। आगरा-मुंबई मार्ग पर बढ़ते लोग केंद्र और राज्य सरकार के लिए आने वाले दिनों में मुसीबत खड़ी कर सकते हैं। यह सत्याग्रही दो दिनों से ग्वालियर के मेला मैदान में डेरा डाले हुए थे। विचार-मंथन के बाद वे दिल्ली के रास्ते पर पैदल चल पड़े हैं। एकता परिषद और सहयोगी संगठनों के आह्रान पर हजारों भूमिहीनों ने जनांदोलन-2018 पांच सूत्रीय मांगों को लेकर शुरू किया है। उनकी मांग है कि आवासीय कृषि भूमि अधिकार कानून, महिला कृषक हकदारी कानून (वुमन फार्मर राइट एक्ट), जमीन के लंबित प्रकरणों के निराकरण के लिए न्यायालयों का गठन किया जाए। राष्ट्रीय भूमि सुधार नीति की घोषणा और उसका क्रियान्वयन, वनाधिकार कानून 2005 व पंचायत अधिनियम 1996 के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर निगरानी समिति बनाई जाए। राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बुधवार को इन सत्याग्रहियों के बीच पहुंचकर उनकी बात केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक पहुंचाने का वादा कर चुके हैं। वहीं, केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने पत्र लिखकर सरकार की ओर से की जा रही पहल का ब्यौरा दिया। केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र खटीक भी इन लोगों के बीच पहुंचे। उसके बाद भी सत्याग्रही दिल्ली कूच के रास्ते को त्यागने तैयार नहीं हुए और गुरुवार को पैदल चल पड़े हैं। इन सत्याग्रहियों को पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा का भी साथ मिल गया है। सिन्हा सरकार की नीतियों पर हमलावर हैं। उन्होंने गुरुवार को भी सरकार की कार्यशैली और उसके उद्योगपति परस्त होने को लेकर हमला बोला। इस आंदोलन की अगुवाई पी वी राजगोपाल, जलपुरुष राजेंद्र सिंह, गांधीवादी सुब्बाराव आदि कर रहे हैं। मेला मैदान में जमा हुए सामाजिक कार्यकर्ता और समाज का वंचित तबका जल, जंगल और जमीन की लड़ाई को लेकर सड़क पर उतरा है। इन सामाजिक कार्यकर्ताओं के आंदोलन से आने वाले दिनों में राज्य और केंद्र सरकार की मुसीबतें बढ़ सकती हैं। वहीं, इस सत्याग्रह का समर्थन करने छह अक्टूबर को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी मुरैना पहुंचने वाले हैं। एक तरफ भाजपा के खिलाफ समाजसेवियों की लामबंदी तो दूसरी ओर कांग्रेस का साथ नए राजनीतिक समीकरणों को जन्म देने वाला है।

पदाधिकारियों का प्रशिक्षण सह कार्यशाला का आयोजन

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बेगूसराय , बड़े ही सूझ बूझ के साथ कार्य कर रहे हैं बेगूसराय जिले के जिलाधिकार श्री राहुल कुमार एक ऐसे अधिकारी हैं जो औचक की किसी भी कार्यालय,किसी भी सरकारी या गैरर सरकारी कार्यालयों में बिना किसी सूचना के ही स्वयं निरीक्षण के लिये पहुँच जाते हैं।पिछले दिनों इस तरह के कई ऑपरेशनों को अंजाम देते हुए कइ एक पदाधिकारी से बड़े ही तीखे स्वर में जवाब तलब भी कर चुके हैं,इस क्रमवार में एक ऑपरेशन यह भी शामिल है।आज गुरुवार को जिलाधिकारी राहुल कुमार की अध्य्क्षता में कारगिल विजय भवन में बिहार माल एवं सेवा कर अधिनियम 2017 के अंतर्गत स्रोतों पर कटौती ( TDS ) पर जिलास्तरीय पदाधिकारियों का प्रशिक्षण सह कार्यशाला आयोजित किया गया।मौके पर पुलिस अधीक्षक अवकाश कुमार,ए डी एम ओमप्रकाश प्रसाद,डी डी सी कंचन कपूर,सदर अनुमंडलाधिकारी संजीव कुमार चौधरी,सिविल सर्जन ब्रजनंदन शर्मा,ओ एस डी सचितानंद सुमन,वाणिज्य कर उपायुक्त रिपुंजय झा,संजय कुमार सहित अन्य उपस्थित थे।

वी पी एस कॉम्प्यूटर वहां करेगा अनिल कुमार की बेटी के शिक्षा का खर्च

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बेगूसराय 04 अक्तूबर, वी पी एस कंप्यूटर के निदेशक श्री वी एन ठाकुर ने घोषणा किया की दिवंगत प्राइवेट शिक्षक श्री अनिल कुमार की बेटी जो BCA की पढ़ाई कर रही है उसके आगे की पढ़ाई मे आने वाले  खर्च का वहन  वीपीएस कंप्यूटर करेगा। साथ ही संस्थान ने अपने समाजिक दायितव का निर्वहन करते हुए उनके परिवार को मदद स्वरूप एक छोटा सा आर्थिक सहयोग  रु 11000 का चेक कोचिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष श्री नीरज देव के हाथों सौंपा। बरौनी रिफाइनरी के टाउनशिप कॉलोनी स्थित कल्याण केन्द्र परिसर में वी पी एस कॉम्प्यूटर शिक्षण संस्थान के संस्थापक श्री वी एन ठाकुर कॉम्प्यूटर प्रशिक्षण के जरिये अपने संस्थान से बहुत से ऐसे छात्र/छात्राओं,युवा युवती को प्रशिक्षित कर अपने पैरों पर खड़ा होने के योग्य बनाया है।साथ ही कई योग्य प्रशिक्षु यहाँ से।प्रशिक्षित होकर सरकारी महकमों में भी कार्यरत हैं।वी एन ठाकुर बड़े ही ही उदार और भावुक इंसान हैं,इनसे किसी का दुःख दर्द सहन नही होता है। 

पुलिस कप्तान अवकाश कुमार ने संभाला बेगूसराय जिले का कार्यभार

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बेगूसराय चार अक्टूबर, कार्यभार संभालते ही पुलिस कप्तान अवकाश कुमार ने कहा बेगूसराय जिला ओपन माइंड के साथ आया हूँ,शराब माफिया और अपराधी चाहे जो कोई भी हो कभी बख्शे नहीं जाएंगे। जिले के नए एसपी अवकाश कुमार ने गुरुवार को अपना कार्यभार संभालने के बाद एक खास मुलाकात में हुई एक भेंटवार्ता में बताया कि आज तो मैं ज्वाइन ही किया हूँ। लेकिन मैं इस जिला में पूरे ओपन माइंड के साथ यहाँ आया हूँ। अपराध करने वाले अपराधी और शराब माफियाओं को कभी बख्शा नहीं जाएगा। वह पाताल में भी रहेंगे तो उसे पुलिस उसे ढूंढ निकालेगी। जिले में दिखेगी स्मार्ट पुलिसिंग कार्य कैसे होता है । शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों में भी स्मार्ट पुलिसिंग कारनामे दिखेगी।थानों के संसाधनों को बढ़ाया जाएगा।पुलिस अधिकारी व जवानों की वर्दी से लेकर कार्यशैली भी साफ-सुथरी होगी।मोबाइल व टेलीफोन हर समय चालू रहेगी।किसी घटना के बाद पुलिस वहाँ कम से कम समय में पहुँचेंगी पुलिस।अपराध नियंत्रण के लिए आधुनिक तकनीकों के अलावा व्यवहारिक कदम उठाए जायेंगे।सूचना के आधार पर त्वरित कार्रवाई करेगी पुलिस प्रशासन। कोर्ट से सजा उन सभी मुजरिमों को दिलाई जाएगी जो किसी भी तरह के गैरकानूनी क्रिया कलापों में संलिप्त पाए जायेंगे।शराब का धन्धा कर अकूत धन-संपत्ति बनाने वाले जिले के सभी सफेदपोशों को बेनकाब किया जाएगा।उन्हें कानून के शिकंजे में लाकर कोर्ट से सजा दिलाई जाएगी।बाइक पर ट्रिपल लोडिंग व बिना हेलमेट वाले सवारों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा ।  ऐसे लोगों को कड़े सत्यापन के बाद सही पाए जाने के बाद ही छोड़ा जाएगा।ट्रैफिक व्यवस्था में लगे पुलिस के जवानों को सशक्त बनाया जाएगा।रात में अनावश्यक रूप से शहर में घूमने वालों पर भी पुलिस कड़ी नजर रखेगी।पुलिस गश्त को तेज की जाएगी।भूमि विवाद का मामला आने पर सीओ व थानाध्यक्ष मिलकर इसकी सुनवाई कर निदान खोजेंगे,हर 15 दिनों पर डीएम साहब और उनके साथ मैं स्वयं भी उनके साथ मिलकर मामले की समीक्षा करेंगे।जबरन जमीन पर कब्जा करने वालों के विरुद्ध कठोर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।फेसबुक और व्हाट्सएप पर पोस्ट वायरल करने वालों पर भी रहेगी कड़ी नजर। सोशल साइटों पर अफवाह व फर्जी पोस्ट वायरल करने वालों पर खास नजर रखी जाएगी।ऐसे लोगों के खिलाफ विशेष साइबर सेल काम करेगा।ऐसे लोगों को गिरफ्तार कर उनपर कानूनी कार्रवाई की जाएगी । कानून व्यवस्था को लेकर जिले के सभी लोगो से पुलिस को सहयोग करने की अपील की. उन्होंने अपराधियों पर कानून व्यवस्था कायम रखने के लिए जिले के सभी लोगो से पुलिस को सहयोग करने की अपील की है।इसके लिए वे समाज के सभी संगठनों के प्रतिनिधियों से जल्द मिलकर बातचीत करेंगे।





म्यामां की ‘पूर्ण सहमति’ से सात रोहिंग्या शरणार्थियों को वापस भेजा गया : एमईए

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नई दिल्ली चार अक्टूबर, असम में अवैध रूप से रह रहे सात रोहिंग्या प्रवासियों को वापस लौटने की इच्छा की ‘‘पुष्टि’’ किए जाने और म्यामां की सरकार की ‘‘पूर्ण सहमति’’ से उन्हें वापस भेजा गया। यह जानकारी विदेश मंत्रालय ने वृहस्पतिवार को दी। उच्चतम न्यायालय द्वारा सात अवैध प्रवासी रोहिंग्या को म्यामां पहली बार वापस भेजे जाने की अनुमति दिए जाने के बाद एमईए ने बयान जारी किया। उच्चतम न्यायालय ने एक रोहिंग्या की याचिका खारिज कर दी जिसमें उसने केंद्र द्वारा वापस भेजे जाने पर रोक लगाने की मांग की थी। अदालत के आदेश के तुरंत बाद संबंधित अधिकारियों ने सात अवैध प्रवासियों को वापस भेज दिया जो 2012 में भारत में घुसे थे। इस मुद्दे पर सवालों का जवाब देते हुए एमईए के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा, ‘‘वापस भेजे जाने की उनकी इच्छा की पुष्टि करने (तीन अक्टूबर 2018 को) और म्यामां सरकार की पूरी सहमति से... असम की सरकार ने इन सात लोगों को म्यामां वापस भेजने का प्रबंध किया।’’ उन्होंने कहा कि यहां म्यामां के दूतावास ने एमईए के सहयोग से उस देश में इन लोगों की पहचान स्थापित की। कुमार ने बताया कि म्यामां की सरकार ने इन लोगों को रखाइन प्रांत में उनके घर तक यात्रा सुविधा के लिए पहचान का प्रमाण पत्र भी जारी किया है। कुमार ने कहा, ‘‘लोगों ने 2016 में आग्रह किया था कि म्यामां के दूतावास को उन्हें संबंधित यात्रा दस्तावेज जारी करना चाहिए ताकि वे अपने देश लौट सकें।’’ म्यामां के रखाइन प्रांत के सात लोगों को 2012 में विदेशी कानून उल्लंघन मामले में हिरासत में लिया गया था।

मोदी के साथ शिखर बैठक के लिए पुतिन भारत पहुंचे

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यी दिल्ली चार अक्टूबर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ वार्षिक द्विपक्षीय शिखर बैठक के लिए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन दो दिवसीय भारत यात्रा पर गुरुवार को यहां पहुंचे। पुतिन के साथ एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल भी आया है। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने उनकी अगवानी की। 19वां भारत-रूस वार्षिक द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन यहां शुक्रवार को होगा। रूसी रक्षा कंपनियों के खिलाफ अमेरिकी प्रतिबंधों के मद्देनजर मोदी और पुतिन के इसमें द्विपक्षीय रक्षा सहयोग की समीक्षा करने की उम्मीद है। दोनों नेताओं के ईरानी कच्चे तेल के आयात पर अमेरिकी प्रतिबंधों सहित प्रमुख क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर भी विचार-विमर्श करने की संभावना है। यात्रा के दौरान जोर ‘‘एस-400 ट्राइअम्फ ’’ मिसाइल प्रणाली समझौते पर होगा। क्रेमलिन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को कहा था कि इस यात्रा की खास बात एस-400 वायु रक्षा प्रणाली की आपूर्ति के लिए समझौते पर दस्तखत है और यह करार पांच अरब डॉलर का होगा।

विशेष आलेख : विवादित बयानों की राजनीति बन्द हो

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दिल्ली के मुख्यमंत्री का गाय को लेकर दिया गया विवादित बयान अत्यन्त निराशाजनक, अमर्यादित एवं भड़काऊ है। दो दिन पूर्व उनकी ओर से लखनऊ में शुक्रवार को देर रात हुए विवेक तिवारी हत्याकांड को मजहबी रंग देने वाले बयान को भी उचित नहीं माना जा सकता, इस बयान में पुलिसकर्मियों की गोली के शिकार हुए एप्पल के एरिया मैंनेजर को हिन्दू बताते हुए उन्होंने धार्मिक बयानबाजी कर उसे राजनीतिक रंग देने की कोशिश की है। इस तरह आक्रामक भाषा का प्रयोग उनके लिये कोई नई बात नहीं हैं। लेकिन ऐसे भड़काऊ एवं अशिष्ट बयानों से देश में अराजकता का माहौल निर्मित होता है। धार्मिक भावनाएं भड़काकर किसी धर्म विशेष के लोगों को अपने पक्ष में करने की कोशिश की तीव्र भत्र्सना होनी चाहिए। बात केवल दिल्ली के मुख्यमंत्री की ही नहीं है, बल्कि जो भी ऐसे बयान देकर देश की एकता एवं अखण्डता को खण्डित करते हैं, उनकी आलोचना एवं निन्दा होना जरूरी है।  दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के गाय माफिया के खिलाफ कार्रवाई किये जाने की आवश्यकता व्यक्त करने वाले ट्वीट पर मुख्यमंत्री दिल्ली ने बयान दिया कि क्या पुलिस और निगम के कर्मी सुरक्षा एवं सफाई का काम छोड़कर गाय की देखभाल में लग जाएं। लगातार आए उनके ये दोनों बयान धार्मिक आधार पर राजनीतिक रोटियां सेंकने की कुचेष्टा ही कहीं जायेगी। अरविन्द केजरीवाल अपने बड़बोलेपन, अशिष्ट एवं अशालीन भाषा के लिये चर्चित है। इस तरह के लोग राजनीति में जबरन जगह बनाने के लिये ऐसी अनुशासनहीनता एवं अशिष्टता करते हैं। यह पहला अवसर नहीं है जब उन्होंने इस तरह से धार्मिक बयानबाजी की हो। सत्ता के शीर्ष पर बैठकर यदि इस तरह जनतंत्र के आदर्शों को भुला दिया जाता है तो वहां लोकतंत्र के आदर्शों की रक्षा नहीं हो सकती। राजनैतिक लोगों से महात्मा बनने की आशा नहीं की जा सकती, पर वे अशालीनता एवं अमर्यादा पर उतर आये, यह ठीक नहीं है।
प्रश्न यह है कि यदि गाय-माफिया से गायों की सुरक्षा मुहैया कराने की नेता प्रतिपक्ष मांग करते हैं तो इसमें क्या गलत हैं। गाय की सुरक्षा हिन्दुओं की भावनाओं से जुड़ा मामला है, एक धर्म-विशेष के लोगों की आस्था से जुड़ा मामला भी है। इसलिये ऐसे संवेदनशील मामलों को और उनकी धार्मिक भावनाओं को गंभीरता से लिया जाना चाहिए। लेकिन इस तरह की मांग का अर्थ यह कदापि नहीं है कि दैनंदिन सुरक्षा व्यवस्था को छोड़़कर सारे पुलिसकर्मी गायों की रक्षा में लग जाये या निगमकर्मी सफाई के काम से मुंह मोड़कर केवल गायों पर केन्द्रित हो जाये। पूरा भरोसा है कि दिल्ली की जनता ऐसे लोगों को मंजूर नहीं करेंगी जो इस तरह जहर का बीज बोते हैं, धार्मिकता भड़काते हैं। बात केवल दिल्ली के मुख्यमंत्री की नहीं है, भाजपा में भी अनेक नेता हैं और अन्य दल के नेताओं ने भी ऐसे बयानों से लोगोें को गुमराह करने की कोशिशें की हैं। आज यदि नेताओं से यही प्रश्न पूछा जाये कि वे ऐसे बिखरावमूलक बयान क्यों देते हैं तो संभवतः उनका उत्तर मिलेगा कि हमारा ईश्वर कुर्सी में रहता है, सत्ता में रहता है। तभी उनमें अच्छाई-बुराई न दिखाई देकर केवल सत्तालोलुपता दिखती है। ऐसे बयानों से इन नेताओें की न केवल फजीहत हो रही है, बल्कि उसकी बौखलाहट भी सामने आ रही है। जनता को बेवकूफ एवं नासमझ समझने की भूल ये तथाकथित नेता बार-बार करते रहे हंै और बार-बार मात भी खाते रहे हैं। फिर भी उनमें अक्ल नहीं आती। 
बात केवल गाय या किसी एप्पलकर्मी की नहीं है, दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति तो यह है कि देश के प्रधानमंत्री को ऐसे ही बयानों से तार-तार करने की नाकाम कोशिश होती है। स्वस्थ एवं आदर्श लोकतंत्र के लिये देश के प्रधानमंत्री के लिये निम्न, स्तरहीन एवं अमर्यादित शब्दों का प्रयोग होना, एक विडम्बना है, एक त्रासदी है, एक शर्मनाक स्थिति है। केवल आम आदमी पार्टी ही नहीं, कांग्रेस ही नहीं, अन्य राजनीतिक दल के नेता भी ऐसी अपरिपक्वता एवं अशालीनता का परिचय देते रहे हैं। बात 6 अक्टूबर, 2016 की है जब देश सर्जिकल स्ट्राइक पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की जय-जयकार कर रहा था। विरोधी भी चुप रहने को मजबूर थे। हां, केजरीवालजी जरूर सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत मांग रहे थे। तभी यूपी चुनाव की तैयारी कर रहे राहुल गांधी किसान यात्रा से लौटने के बाद आत्मघाती हमला कर बैठे उस सर्जिकल स्ट्राइक पर, जिसमें पहली बार पाकिस्तान में घुसकर हिन्दुस्तान ने आतंकी ठिकानों को नष्ट किया था, जिसकी दुनिया में सबने सराहना की, पाकिस्तान उफ तक नहीं कर पाया। राहुल ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर ‘खून की दलाली’ करने का आरोप लगा डाला। असमय दिये गये इस तरह के बयानों के कारण ही लोगों ने राहुल को पप्पू कहना शुरु कर दिया। ये तथाकथित नेता गाली ही नहीं देते रहे, बल्कि गोली तक की भाषा का इस्तेमाल करते रहे हैं। कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने एक निजी समाचार चैनल इंडिया टीवी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर अपमानजनक बात कह दी थी। 16 मई, 2016 को टीवी कार्यक्रम में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मोस्ट स्टूपिड प्राइम मिनिस्टर बता दिया। अल्वी के इस विवादित कमेंट के बाद वहां मौजूद लोग बुरी तरह भड़क गए। कांग्रेस नेता के खिलाफ लोगों ने ‘शर्म करो’, ‘शर्म करो’ के नारे लगाए। किसी ने मोदी को रैबिज से पीड़ित बताया तो किसी ने उन्हें केवल चूहे मात्र माना। चायवाले से तो वे चर्चित हैं। लेकिन मोदी के व्यक्तित्व की ऊंचाई एवं गहराई है कि उन्होंने अपने विरोध को सदैव विनोद माना।

क्या नेताओं की जुबान अनजाने में फिसलती है या फिर जानबूझ कर जुबान फिसलाई जाती है। मानना है नेताओं की जुबान फिसलना जिसे हम लोग विवादित बयान भी कहते हैं, वह जुबान जानबूझ कर चर्चा में रहने और लोगों का ध्यान आकर्षित कर खुद की टीआरपी बढ़ाने का खेल होता है। यहां यह भी देखना जरूरी है कि वह जुबान किस नेता की फिसली है और किस नेता के लिए फिसली है। इस फिसली जुबान का परिणाम चैतरफा विरोध प्रदर्शन के रूप में देखने को मिलता है। लेकिन राजनीति की यह एक बड़ी विसंगति एवं विडम्बना है कि इस तरह की बयानवाजी से देश टूटता है तो भले ही टूटे, लेकिन नेताजी देशभर में मशहूर हो जाते हैं अपनी उसी फिसलाई हुई जुबान के कारण। बयान को ब्रेकिंग न्यूज बना कर पेश कर रातों रात उस अनजाने से नेता को भी देश की जनता जान जाती है। या जाने-पहचाने नेता का कद और बढ़ जाता है। लंबे समय से देखा जाता रहा है नेताओं और पार्टियों के नारे भी कम विवादित नहीं रहे हैं अब वे चाहें तिलक तराजू हो या फिर मंदिर वहीं बनाएंगे या फिर हवा हवाई अच्छे दिन के नारे या जुमले हों। पूर्व के हमारे नेताओं या आजादी के मतवाले हमारे क्रांतिकारियों के नारे युवाओं में एक जोश और उनके बाजुओं को फड़काने का काम करते थे जैसे ‘तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा’ ‘अंग्रेजों भारत छोड़ो’ ‘सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है’ ‘जय जवान जय किसान’ आदि जो देश की जनता को एक प्रेरणा देने का कार्य करते थे, समाज और देश को जोड़ने का काम करते थे। अब बात श्मशाम से लेकर कब्रिस्तान पर आ गई है। हिंदुस्तान की बात की बात नहीं होती, राष्ट्रीयता की बात नहीं होती, ईमान, इंसानियत और इंसान की बात नहीं होती। चाहे गाय हो या राष्ट्रध्वज, राष्ट्रगान हो या राष्ट्र-चरित्र-ये देश को जोड़ने के माध्यम हैं, इन्हें हिन्दुस्तान को बाँटने का जरिया न बनाये। 
ये अरविन्द केजरीवाल, मणिशंकर, राहुल गांधी, सोनिया गांधी, राशिद अल्वी, दिग्विजय सिंह, इमरान मसूद, प्रमोद तिवारी सभी राजनीति कर सकते हैं और उसके लिए वे किसी भी सीमा तक जा सकते हैं। उनका लक्ष्य ”वोट“ है। सस्ती लोकप्रियता है। मोदी को गाली देने की जो परिपार्टी बड़े नेताओं ने शुरू की है, उसका असर यह है कि छोटे स्तर पर भी मर्यादा टूट रही है। केजरीवाल अंतिम नहीं है। यह चलता रहेगा। चलना चाहिए भी। कभी-कभी प्रशंसा नहीं गालियां मोदी को ज्यादा प्रतिष्ठा देती हैं, ज्यादा जनप्रिय बनाती है, जनता का समर्थन देती है। पर केजरीवाल भी जाने कि बिना श्रद्धा, प्रेम, सत्य, त्याग, राष्ट्रीयता के कोई विचार, आन्दोलन या पार्टी नहीं चल सकती। चुनावी बिसात बिछते ही या फिर वर्तमान राजनीति में जिस प्रकार से भाषा की मर्यादाएं टूट रही हैं और हमारे राजनेताओं का जो आचरण सामने आ रहा है, उसे कहीं से भी हमारे सभ्य समाज या हमारी युवा पीढ़ी के लिए आदर्श स्थिति नहीं कहा जा सकता ।




(ललित गर्ग)
बी-380, प्रथम तल, 
निर्माण विहार, दिल्ली-110092
 संपर्क : 9811051133

सीहेार (मध्यप्रदेश) की खबर 04 अक्टूबर

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संबल योजना से गरीबों को मिली आर्थिक सुरक्षा और सम्मान-मुख्यमंत्री श्री चौहान
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने छात्राओं को की साईकिल वितरित 
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जिले के रेहटी में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने 33.48 लाख रुपये की लागत से बनने वाले यूनानी औषधालय का शीलान्यास किया। मुख्यमंत्री श्री चौहान द्वारा गरीबों के कल्याण और विकास के लिए प्रारंभ की गई मुख्यमंत्री जनकल्याण (संबल) योजना से गरीबों को आर्थिक सुरक्षा और सम्मान दिया जा रहा है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने इस अवसर पर छात्राओं को साईकिल वितरित की। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि संबल योजना के तहत गरीबों के लिए निःशुल्क इलाज की व्यवस्था की गई है। प्रदेश सरकार की राज्य बीमार सहायता योजना तथा प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा प्रारंभ की गई आयुष्मान योजना सहित अन्य योजनाओं के माध्यम से गरीबों के लिए गंभीर बीमारी के निःशुल्क ईलाज की भी व्यवस्था की गई है। संबल योजना के तहत दुर्घटना में मृत्यु हो जाने पर श्रमिक परिवार को चार लाख रूपए की सहायता प्रदान की जाती है और 60 साल से कम आयु में मृत्यु होने पर दो लाख रूपए की सहायता प्रदान की जाती है। इसके अतिरिक्त मृत्यु होने पर तुरंत पांच हजार रूपए की अंत्येष्टि सहायता राशि प्रदान की जाती है। मुख्यमंत्री बकाया बिजली बिल माफी योजना के तहत गरीबों के बकाया बिजली बिल माफ किए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री बकाया बिजली बिल माफी योजना के बाद अब गरीबों के घर भी बिजली से रौषन हो रहे हैं। इसके अलावा मुख्यमंत्री सरल बिजली बिल योजना के तहत 200 रूपए प्रतिमाह के फ्लेट दर पर बिजली उपलब्ध कराई जा रही है। प्रदेश में जितने भी गरीब लोग है जिनके पास रहने के लिए स्वयं की जमीन नहीं है उन्हें पट्टे वितरित किए जा रहे हैं। इसके साथ ही कच्चे मकानों, झोपड़ियों में रहने वाले गरीबों को प्रधानमंत्री आवास योजना तथा मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत पक्के मकान देने का काम किया जा रहा है। 

कलेक्टर ने की अवैध रेत भंडारण पर कार्यवाही, दो व्यापारियों की रेत भंडारण अनुज्ञप्ति निरस्त

कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी श्री तरुण कुमार पिथोड़े ने दो अलग-अलग स्थानों पर रेत भंडारण की व्यापारी अनुज्ञप्ति निरस्त कर दी है। वर्तमान में नर्मदा नदी से रेत उत्खनन का कार्य एन.जी.टी के आदेश के तहत प्रतिबंधित है। कलेक्टर श्री पिथोड़े ने बताया कि क्षेत्र के भ्रमण के दौरान पाया गया कि ग्राम चींच, अम्बाजदीद, नेहलाई एवं जहाजपुरा में शिवा कार्पोरेशन प्रा.लि. शास्त्री कॉलोनी नसरुल्लागंज तथा ग्राम बाबरी एवं छिदगांव में डिजियाना इण्डस्ट्रिज प्रा.लि. इंदौर द्वारा इस प्रतिबंध अवधि में नर्मदा नदी से रेत वाहनों में रेत भरवाई जाकर अपने स्टॉक की ई.टी.पी उन वाहनों की जारी की जा रही है, जो अवैध है। उक्त दोनों कपंनियों की रेत भंडारण की व्यापारी अनुज्ञप्ति तत्काल प्रभाव से निरस्त की जाती है। उन्हें आदेशित किया गया है कि वह अपना समाधानकारक जवाब शीघ्र न्यायालय में प्रस्तुत करें, अन्यथा नियमानुसार एक पक्षीय कार्यवाही की जायेगी। 

एक अपराधी जिला बदर

जिले में शांति एवं कानून व्यवस्था बनाए रखने के उद्देश्य से कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी श्री तरुण कुमार पिथोड़े द्वारा एक आदतन अपराधी को छह माह के लिए तत्काल प्रभाव से जिला बदर कर दिया है। कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी श्री तरुण कुमार पिथोड़े ने पुलिस अधीक्षक से प्राप्त प्रतिवेदन से पूर्णत: संतुष्ट होकर मध्यप्रदेश राज्य सुरक्षा अधिनियम 1990 की धारा 5 के अन्तर्गत सद्दाम शाह उर्फ शफीक पिता करीम खां उम्र 41 साल निवासी मारुपुरा थाना आष्टा जिला सीहोर को छह माह के लिए सीहोर एवं सीमावर्ती जिले भोपाल, रायसेन, होशंगाबाद, हरदा, देवास, शाजापुर एवं राजगढ़ जिलों की राजस्व सीमाओं से निष्कासित किया है। यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू हो चुका है।

फन फेयर एवं सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता का आयोजन 13 अक्टूबर को

मतदाता जागरूगकता अभियान अंतर्गत जिला पंचायत सभाकक्ष में नगर के समस्त महाविद्यालयों में, मतदाता जागरूकता के लिये नियुक्त केम्पस एम्बेसडर की बैठक जिला पंचायत सीईओ श्री अरूण कुमार विश्वकर्मा की अध्यक्षता में आयोजित की गई । श्री विश्वकर्मा के नेतृत्व में विभिन्न महाविद्यालयों के लगभग 80 प्रतिनिधी छात्र-छात्राओं ने आगामी विधानसभा चुनाव के दृष्टीगत मतदाता जागरूकता के लिये की जाने वाली विभिन्न गतिविधियों को अंतिम रूप दिया गया।  8 अक्टूबर को जिले के सभी महाविद्यालयों में सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता का आयोजन किया जायेगा। महाविद्यालय स्तर पर सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता में प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त विद्यार्थियों को 13 अक्टूबर को टाउन हॉल में आयोजित जिला स्तरीय सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता के लिये नामांकित किया जायेगा। इसके अतिरिक्त फन फेयर का आयोजन किया जायेगा। जिसमें स्लोगन प्रतियोगिता, एनिमेशन/विडियों क्लिपिंग/सोशल मीडिया ब्लाग, कविता पाठ प्रतियोगिताओं एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जावेगा। विभिन्न श्रेणियों के विजेताओं को पुरस्कार वितरण समारोह में सम्मानित किया जायेगा। जिला स्तरीय मतदाता जागरूकता अभियान के नोडल अधिकारी श्री गगन सक्सेना बताया कि मतदाता जागरूकता के लिये की जा रही सभी गतिविधियों का वित्तीय भार जिला निर्वाचन कार्यालय द्वारा वहन किया जावेगा।

शांति पूर्ण प्रदर्शन कर रहीं भांजियों पर पुलिस ने चलाई लाठियां 
आशाओं ने लाठीचार्ज की कड़ी निंदा कर राज्यपाल के नाम दिया ज्ञापन 
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सीहोर। गुरूवार को आशा उषा एवं आशा सहयोगिनी एकता यूनियन सीटू की प्रदेश महासचिव ममता राठौर के नेतृत्व में कलेक्ट्रेट पहुंचकर मुख्यमंत्री आवास के बाहर सरकारी कर्मचारी का दर्जा और जीने लायक वेतन देने की शांति पूर्वक मांग कर रहीं सैकड़ों आशा उषा और सहयोगिनियों पर पुलिस के द्वारा किए गए लाठीचार्ज के विरोध में कलेक्ट्रेट अधीक्षिका धर्मवति सिंह को राज्यपाल के नाम आशा उषा और सहयोगिनियों ने ज्ञापन दिया। प्रदेश महासचिव श्रीमति राठौर ने कहा कि आशा उषा और आशा सहयोगिनियों के द्वारा प्रदेश में मातृ और शिशु मृत्यु दर में कमी लाने नागरिकों को स्वास्थ्य सुविधाए दिलाने सहित केंद्र और राज्य सरकार की तमाम स्वास्थ्य संबंधी योजनाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जा रहीं है। इस के बाद भी नाम मात्र की प्रोत्साहन राशि देकर आगंनबाड़ी कर्मियों से भी अधिक काम आशा उषा और सहयोगिनियों से लिया जा रहा है। प्रदेश सरकार आशा उषाओं को अपनी तरफ से कुछ भी देने को तैयार नहीं है। उन्होने कहा कि राजधानी में अपना हक मांग रहीं आशा उषा और आशा सहयोगिनियां पुलिस बर्बरतापूर्ण मारपीट की शिकार होकर बुरी तरह घायल हुई है। लाठीचार्ज घटना के पीछे  सरकार की उपेक्षा का हीं परिणाम है। मुख्यमंत्री के इशारे पर हीं आशा उषाओं पर लाठीचार्ज किया गया है। आशा उषा एवं आशा सहयोगी एकता यूनियन सीटू ने दोषी अधिकारियों कर्मचारियों पर सख्त कार्रवाई करने और आशा उषा सहयोगिनियों को सरकारी कर्मचारी का दर्जा देने, आंगनबाड़ी कर्मियों के बराबर वेतन देने की मांग यूनियन की सीमा, सुनीता,बिनिता, माया, पदमा, सरीता कुशवाहा, रेखा परमार, रितु अनिता, लता, माधूरी, अयोध्या, रेशम, सुनीता सहित अन्य आशा उषा एवं आशा सहयोगिनियों ने की है। 

मधुबनी : 08 अक्टूबर को मधुबनी जिला युवा उत्सव समारोह का आयोजन

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मधुबनी (आर्यावर्त डेस्क) 04,अक्टूबर,:कला,संस्कृति एवं युवा विभाग,बिहार तथा जिला प्रषासन,मधुबनी के संयुक्त तत्वावधान में जिला स्तरीय युवा उत्सव 2018 का आयोजन दिनांक 08 अक्टूबर (सोमवार) को नगर भवन,मधुबनी में आयोजन किया जायेगा। इस अवसर पर मधुबनी जिला के विभिन्न युवाओं के द्वारा अपने-अपने कला का प्रदर्षन किया जायेगा।


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