रायपुर 9 नवंबर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को सुबह राजधानी रायपुर पहुंचे। यहां हवाईअड्डे पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेताओं से मिलने के बाद हेलीकॉप्टर से जगदलपुर रवाना हो गए।जगदलपुर के लालबाग मैदान में आज प्रधानमंत्री की सभा होगी। प्रधानमंत्री मोदी का रायपुर हवाईअड्डे पर मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह, मंत्री बृजमोहन अग्रवाल सहित अन्य नेताओं ने स्वागत किया। सभा के बाद प्रधानमंत्री रायपुर लौटकर वहां से दिल्ली के लिए रवाना हो जाएंगे।
छग : प्रधानमंत्री मोदी रायपुर पहुंचे, रमन सिंह ने किया स्वागत
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लेह-श्रीनगर राजमार्ग पर एकतरफा यातायात बहाल
श्रीनगर 9 नवंबर, लेह-श्रीनगर राजमार्ग के श्रीनगर की ओर जाने वाले रास्ते को शुक्रवार को खोल दिया गया है। जोजिला दर्रे इलाके में भारी बर्फबारी के कारण लेह-श्रीनगर राजमार्ग के आठ दिनों तक बंद रहने के बाद राजमार्ग के श्रीनगर की तरफ जाने वाले रास्ते को एकतरफा यातायात के लिए खोला गया है।पुलिस के वरिष्ठ अधीक्षक (यातायात) मुजफ्फर अहमद शाह ने आईएएनएस को दिए बयान में कहा कि कारगिल और कश्मीर घाटी के बीच यातायात को हरी झंडी दे दी गई है।अहमद शाह ने कहा, "यातायात 10.30 बाद खोल दिया गया है। हम इस रास्ते से पहले सेना के काफिले को जाने की इजाजत दे रहे हैं क्योंकि इस रास्ते पर अन्य वाहनों के टायर खराब हो सकते हैं।" उन्होंने कहा, "सेना के काफिले के बाद नागरिकों के वाहन, ट्रक और अन्य भी इस रास्ते से जाएंगे।" नवंबर की शुरुआत में हुई बर्फबारी के कारण राजमार्ग बंद हो गया था, जिसके कारण कारगिल कस्बे में कई वाहन फंस गए थे। कस्बे के लोगों ने एक सप्ताह तक राजमार्ग पर फंसे यात्रियों को कंबल और खाना देकर उनकी मदद की।
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मप्र : शिवराज के खिलाफ अरुण यादव कांग्रेस के उम्मीदवार
भोपाल 9 नवंबर, मध्य प्रदेश में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रमुख नेताओं को घेरने के लिए कांग्रेस कारगर रणनीति बना रही है, और यही कारण है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ कांग्रेस ने अपने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव को बुधनी विधानसभा क्षेत्र से उम्मीदवार बनाया है। कांग्रेस की ओर से गुरुवार रात जारी सूची में अरुण यादव का नाम है। अरुण यादव ने शुक्रवार को अपने भाई सचिन यादव के साथ बुधनी पहुंचकर नामांकन दाखिल किया। अरुण यादव ने नामांकन भरने के बाद मुख्यमंत्री चौहान पर बड़ा हमला बोला। उन्होंने कहा, "बुधनी में व्याप्त भ्रष्टाचार का हिसाब लेने के लिए मुझे यहां बुलाया गया है। शिवराज को घेरने नहीं, बल्कि उन्हें यहां हराने आया हूं। कांग्रेस पार्टी मेरे साथ चट्टान की तरह खड़ी है।" यादव ने कहा, "बुधनी में लड़ाई असली और नकली किसान पुत्र के बीच है। शिवराज सरकार में 18 मंत्री खेती करने वाले हैं, जिनकी आय 144 फीसदी बढ़ी है। यह बात 11 उम्मीदवारों द्वारा भरे गए नामांकन से जाहिर हुई है।" उन्होंने कहा कि एक तरफ खेती करने वाले मंत्रियों की आय बढ़ी है, तो वहीं 14 सालों में 30 हजार से ज्यादा किसानों ने आत्महत्या की है। आखिर ऐसा क्यों हुआ? इसका शिवराज को हिसाब देना होगा।
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कश्मीर : आतंकियों और सुरक्षा बलों के बीच मुठभेड़
श्रीनगर 9 नवंबर, जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले के एक गांव में शुक्रवार को आतंकियों और सुरक्षा बलों के बीच मुठभेड़ हुई। पुलिस ने यह जानकारी दी। सुरक्षा बलों द्वारा त्राल इलाके के घेरने व तलाशी अभियान शुरू करने के दौरान आतंकवादियों द्वारा गोलीबारी करने पर शुरू हुई। पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि राष्ट्रीय राइफल्स और पुलिस के स्पेशल ऑपरेशंस ग्रुप (एसओजी) व केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) दरगानाई गुंड गांव में मुठभेड़ में शामिल हैं। अधिकारियों ने क्षेत्र में मोबाइल इंटरनेट सेवाओं को बंद कर दिया है।
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ओबामा के खिलाफ झूठे प्रचार के लिए ट्रंप को कभी माफ नहीं करूंगी : मिशेल ओबामा
वाशिंगटन 9 नवंबर, अमेरिका की पूर्व प्रथम महिला मिशेल ओबामा ने अपनी जीवनी में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा अपने पति बराक ओबामा के खिलाफ 'जन्मस्थान'को लेकर झूठी बातें फैलाने के लिए निशाना साधा। हिल पत्रिका की रिपोर्ट के मुताबिक, अपनी जीवनी 'बीकमिंग'के अंश में मिशेल ओबाना ने कहा कि वह ट्रंप को उनके 'जनोफोबिक'दावे के लिए कभी माफ नहीं करेंगी। ट्रंप ने दावा किया था कि उनके पति बराक ओबामा वास्तव में अमेरिका में नहीं पैदा हुए थे। पूर्व प्रथम महिला ने कहा, "यह पूरी चीज उन्मादी और मतलब की भावना से भरी हुई थीं। बेशक, इसमें कहीं न कहीं अंतर्निहित कट्टरता और जेनोफोबिया छुपा हुआ था।" उन्होंने कहा, "क्या होता अगर कोई पागल व्यक्ति बंदूक लेकर वाशिंगटन में घुस जाता? क्या होता अगर कोई व्यक्ति हमारी बच्चियों का पीछा करता? डोनाल्ड ट्रंप के तेज और लापरवाही भरे संकेतों ने मेरे परिवार की सुरक्षा को जोखिम में डाल दिया। और इसके लिए मैं उन्हें कभी माफ नहीं करूंगी।" इस पुस्तक का अनावरण 13 नवंबर को किया जाएगा।
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पटना : छठ घाट पर आयोजित 'जय छठी माई'में भोजपुरी दिग्गज पहुंचे
पटना 9 नवंबर, लोक आस्था के महापर्व छठ के पहले बिहार के पटना में छठ घाटों पर गुरुवार की रात 'जय छठी माई'कार्यक्रम पेश किया। इस कार्यक्रम में भोजपुरी सिनेमा जगत के दिग्गज कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति दी जिसे लोगों ने भी पसंद किया। 'बिग गंगा'द्वारा आयोजित तीन घंटे के 'ऑन-ग्राउंड म्यूजिक इवेंट'में भोजपुरी सिनेमा के अभिनेता व गायक पवन सिंह, अभिनेत्री रानी चटर्जी, केशरी लाल यादव, अभिनेत्री स्मृति सिन्हा, टेलीविजन अभिनेत्री निधि झा, श्यामली श्रीवास्तव, काजल राघवानी, यश कुमार सहित लोकगायक भरत शर्मा ने भागीदारी की। इस कार्यक्रम में छठ के महत्व को लोगों को दिखाया गया। बिग गंगा के प्रवक्ता नंदकिशोर ने कहा, "हम निरंतर ऐसे कार्यक्रमों को पेश करने का प्रयास करते रहे हैं, जो पूरे क्षेत्र को एकसाथ लेकर आए और हमें सीधे हमारे दर्शकों के साथ जोड़े। इस कार्यक्रम में शामिल लोगों का उत्साह वाकई में कमाल का था।" उन्होंने कहा कि धर्म और त्योहार दर्शकों के दिलों और धड़कनों में बसे हैं।इस कार्यक्रम का उद्घाटन राज्य के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने किया। इस मौके पर ऐसे कार्यक्रमों की जरूरत बताते हुए उन्होंने कहा कि ऐसे कार्यक्रम आने वाली पीढी को न केवल अपनी संस्कृति बल्कि अपनी परंपराओं को भी अवगत कराती है।
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मप्र : संपत्ति विरूपण के 16 लाख मामले दर्ज
भोपाल 9 नवंबर, मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद चुनाव हेतु सरकारी और निजी संपत्ति का दुरुपयोग करने (संपत्ति विरुपण) के 16 लाख मामले दर्ज किए गए हैं। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी वी़ एल़ कांता राव ने गुरुवार को कहा कि आदर्श आचार संहिता लगने के बाद छह अक्टूबर से छह नवंबर तक प्रदेश में कानून एवं सुरक्षा व्यवस्था के अंतर्गत 32 हजार 388 गैर जमानती वारंट तामील करवाए गए हैं। इसी दौरान 3050 अवैध हथियार जब्त किए गए हैं और 2,55202 शस्त्र थानों में जमा कराए गए हैं।आधिकारिक तौर पर दी गई जानकारी के अनुसार, सम्पत्ति विरूपण के अन्तर्गत 16 लाख 44 हजार 89 प्रकरण पंजीबद्ध किए गए हैं। इनमें से 15 लाख 91 हजार 301 प्रकरणों में कार्यवाही की गई है। शासकीय संपत्ति विरूपण में 12 लाख 55 हजार 882 प्रकरण पंजीबद्ध कर 12 लाख 22 हजार 890 प्रकरणों में कार्यवाही की गई है। साथ ही निजी संपत्ति विरूपण के अंतर्गत 3,88,207 प्रकरण पंजीबद्ध कर 3,68,411 प्रकरणों में कार्यवाही की गई है। इसी अवधि में वाहनों के दुरूपयोग पर 10,845 प्रकरण पंजीबद्ध किए गए हैं।
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नोटबंदी की वार्षिकी पर जश्न क्यों ?
विजय सिंह, लाइव आर्यावर्त,८ नवंबर,२०१८
८ नवंबर २०१६ की शाम तो हम सब को याद है.रात लगभग ८ बजे अचानक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ५०० और १००० रुपये के नोटों को प्रचलन से बाहर कर दिया था. सामान्य भाषा में इसे नोटबंदी कहा गया. दिन भर की ऊर्जा खर्च करके शाम को जब आदमी घर की ओर चलायमान था तो बहुतों को नहीं पता था कि अब उन्हें दिन भर की ऊर्जा से कहीं ज्यादा जोश की जरुरत होगी ,रात बारह बजे के पहले स्वचालित मशीनों से रुपये निकालने के लिए,क्योंकि अगले ५/६ दिनों तक बैंक से रुपये नहीं निकाल सकेंगे. एटीएम् की जद्धोजहद में कुछ तो रुपये पाने में सफल रहे बाकी लोग मुहं लटका कर घर लौट आये. उसके बाद दूसरे दिन से पूरे देश में जो हुआ,वह किसी से छुपा नहीं है. धनाढ्यों ने काला धन छुपाने के लिए न सिर्फ नोटों को जलाया बल्कि कूड़े कचड़े में फेंकने से भी नहीं हिचकिचाए. दूसरी तरफ आम जन विशेषतः मध्यमवर्गीय और निचले तबके के लोगों में अफरा तफरी का माहौल बना.कईयों के इलाज रुके, सफर रुका,व्यवसाय रुका,शादियां रुकीं,रोज कमाने वाले नकद लेनदेन वाले कईयों के तात्कालिक मुसीबत झेलने की सूचनाएं मिलीं.जब बैंक खुला तो नोट बदलने और नया नोट पाने के लिए लम्बी लाईने, होश खोते लोग, बदहवास जनता का भी रूप देखने को मिला. कईयों की बदहवासी या गलत सूचना पर भावनाओं को काबू नहीं कर पाने के कारण जाने भी गयीं.यह सब हुआ, लगभग हर नागरिक यह जानता है,देखा है ,सुना है,पढ़ा है. काला धन निकलवाने, देश में कर दाताओं की संख्या बढ़ाने, नकली नोटों का प्रचलन रोकने,आतंकी गतिविधियों पर लगाम लगाने, गैर कानूनी कामों पर अंकुश लगाने,नकद प्रचलन कम कर डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने जैसी सरकारी निर्णयों से हमें कोई गुरेज नहीं है पर सच तो यह भी है कि इसी नोटबंदी ने कईयों की जाने भी ली हैं,रोजी रोटी भी छीनी है, तात्कालिक कार्यों का नुकसान भी किया है और वो भी आम आदमी के. तो फिर आम आदमी की परेशानी का जश्न क्यों? सरकार अब तक नोटबंदी की वजह से निकले न तो कालाधन का हिसाब दे पायी है न ही कितने रुपये वापस आये,यह बता पायी है.हाँ यह जरूर उल्लेखनीय है कि परेशानियों के बावजूद आम जनों को प्रधानमंत्री की मंशा पर कभी शक नहीं दिखा और लोगों ने "अच्छे दिनों"के लिए उनकी अपील को आत्मसात भी किया. नोटबंदी हमारे ख्याल से सरकार की और विशेषतः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का "विशेष कारणों"से लिया गया तात्कालिक फैसला था,उसे देश के नेतृत्व का निर्णय तक ही मानना या मनाना उचित होगा ,जश्न तो कतई तर्कसंगत नहीं.
-विजय सिंह-
-विजय सिंह-
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सीबीआई के नंबर 1, 2 ने सीवीसी के समक्ष एक-दूसरे पर लगाए आरोप
नई दिल्ली 9 नवंबर, सीबीआई (केंद्रीय जांच ब्यूरो) के निदेशक आलोक वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना ने केंद्रीय सतर्कता आयुक्त के. वी. चौधरी की अगुवाई में बनी समिति के समक्ष एक-दूसरे पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए, तथा खुद का बचाव किया। जांच समिति में चौधरी के अलावा सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश ए. के. पटनायक और सतर्कता आयुक्त तेजेंद्र मोहन भसीन और शरद कुमार शामिल हैं। जानकार सूत्रों ने बताया कि समिति के समक्ष एक घंटे तक चली जिरह में वर्मा ने खुद के ऊपर अस्थाना द्वारा लगाए गए आरोपों से इन्कार किया। वर्मा केंद्रीय सर्तकता आयोग के मुख्याल में समिति के समक्ष पेश हुए। उन्होंने समिति को बताया कि अस्थाना ने उनके खिलाफ तुच्छ शिकायतें की, क्योंकि उसके (अस्थाना के) खिलाफ एफआईआर लंबित था, और उसे गिरफ्तारी का डर था। अपने खिलाफ लगे भ्रष्टाचार के आरोपों से इन्कार करते हुए वर्मा ने कहा यह आरोप इसलिए लगाए गए, क्योंकि वे अस्थाना के खिलाफ जांच की कार्रवाई कर रहे थे। भ्रष्टाचार मामले में नाम सामने आने पर 1979 बैच के आईपीएस अधिकारी वर्मा को 23 अक्टूबर को जबरन छुट्टी पर भेज दिया गया और उनकी सभी शक्तियां छीन ली गई। तीन दिन के बाद सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले की सुनवाई में सीवीसी को वर्मा के खिलाफ दो हफ्तों में जांच खत्म करने को कहा। अस्थाना के सीवीसी मुख्यालय से निकलने के बाद जांच समिति के समक्ष पेश होने के लिए अस्थाना पहुंचे। उनके 40 मिनट तक पूछताछ की गई, जिसमें उन्होंने किसी भी घूसखोरी के मामले में संलिप्तता से इनकार किया। सूत्रों ने बताया कि अस्थाना ने समिति के समक्ष वर्मा के ऊपर लगाए गए आरोपों का सबूत भी पेश किया। जांच समिति ने इसके अलावा कई सीबीआई अधिकारियों से इस मामले में पूछताछ की है।
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विशेष : सिग्नेचर ब्रिज के नाम पर राजनीतिक बवाल क्यों?
राजधानी दिल्ली के बहुप्रतीक्षित सिग्नेचर ब्रिज का करीब 14 वर्षों के लंबे इंतजार के बाद उद्घाटन होना भी दिल्ली की जनता को एक सुकून दे रहा है। यमुना नदी के ऊपर बने इस ब्रिज से उत्तर और उत्तर-पूर्वी दिल्ली के बीच सफर करनेवाले लोगों को न केवल सुविधा होगी बल्कि समय की भी काफी बचत होगी। इसके साथ ही वजीराबाद पुल के ऊपर ट्रैफिक का बोझ भी कम होगा। यह ब्रिज दिल्ली की शान को बढ़ाने वाला एक खूबसूरत आयाम है, जो दिल्ली की संस्कृति में चार चांद लगायेगा। इसके माध्यम से पर्यटन को भी बढ़ावा मिल सकेगा। पेरिस के एफिल टावर की तर्ज पर बने इस ब्रिज के टॉप से शहर के विशाल दृश्य को देखकर आनन्दित हुआ जा सकेगा। चार एलिवेटर्स के जरिए विजिटर्स को ब्रिज के टॉप पर ले जाया जा सकेगा, जिसकी कुल क्षमता 50 लोगों की होगी। यह एक अनूठा, विलक्षण एवं दर्शनीय ब्रिज है।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सिग्नेचर ब्रिज का उद्घाटन करके इसे दिल्ली की आप सरकार की उपलब्धियों में शामिल कर लिया है, भले ही इसका पूरा श्रेय उनको नहीं दिया जा सकता, पर उन्होंने इस ब्रिज को पूरी तत्परता से बनाने में पूरा जोर लगाया, जिसके लिये वे बधाई के पात्र है। पर विडंबना यह है कि इसके पूरा होने के बाद कई राजनीतिक दलों के बीच इसे जनता को सौंपने का श्रेय लेने की होड़ मच गई, और इसका श्रेय लेने के लिये सभी दौड़ पड़े। क्योंकि यह ब्रिज दिल्ली के वोट बैंक को हथियाने का एक सशक्त माध्यम है। लेकिन चिन्तनीय प्रश्न यह है कि आखिर ऐसे विकास कार्यों का श्रेय किसी एक व्यक्ति या दल क्यों मिले? हाल ही प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने तीन हजार करोड़ की लागत से राष्ट्रीयता के महानायक, प्रथम उपप्रधानमन्त्री तथा प्रथम गृहमन्त्री सरदार वल्लभ भाई पटेल की स्मृति में बने स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का उद्घाटन किया और उसका सारा श्रेय लिया। मगर यह ध्यान रखने की बात है कि अगर कहीं विकास से संबंधित कोई भी काम होता है, तो वह किसी भी रूप में किसी भी शासक की जनता पर कृपा नहीं होती है। यह लोगों का अधिकार होता है और उसे पूरा करना सरकारों की जिम्मेदारी है। अक्सर चुनाव की आहट के साथ ऐसी योजनाओं को तीव्र गति दी जाती है और उसका राजनीतिक लाभ लिया जाता है। सिग्नेचर ब्रिज को वोट बैंक हथियाने का हथियान बनाना दुर्भाग्यपूर्ण ही कहा जायेगा। विडम्बनापूर्ण स्थितियां तो तब भी बनी जब सिग्नेचर ब्रिज के उद्घाटन के मौके पर राजनीतिक हंगामा देखा गया और सत्ताधारी आप सहित विपक्षी पार्टी भाजपा के नेताओं के बीच टकराव तक के हालात पैदा हो गए, जिनका इस तरह के राष्ट्रीय विकास के कार्यक्रमों के साथ जुड़ना एक त्रासदी ही कही जायेगी। यह राजनीति की विसंगति ही है कि दलों को किसी क्षेत्र के विकास से कोई मतलब हो या नहीं, उसका श्रेय लेने की होड़ मच जाती है।
दूर से ‘नमस्ते’ की मुद्रा में दिखने वाला यह ब्रिज उपयोगिता के लिहाज से तो बेहद अहम है ही, इसकी डिजाइनिंग भी खूबसूरत है। यानी एक तरह से दिल्ली के लिए यह एक शानदारी उपलब्धि है। देश का पहला केबल स्टाइल ब्रिज है। दूसरे चरण में इस ब्रिज को पर्यटन स्थल के तौर पर विकसित किया जाएगा। ब्रिज के ऊपर प्रभावी ग्राफिक्स के माध्यम से आधुनिक और प्रगतिशील भारत को प्रदर्शित किया गया है। ब्रिज पर 154 मीटर हाई ग्लास व्यूइंग बॉक्स है जो कुतुब मीनार की ऊंचाई से करीब दोगुनी है। 575 मीटर लंबा यह ब्रिज सेल्फी स्पॉट भी होगा। आठ लेन की यह सिग्नेचर ब्रिज वजीराबाद रोड को आउटर रिंग रोड से जोड़ता है। जिससे गाजियाबाद की तरफ जानेवालों को कम से कम 30 मिनट का समय बचेगा। ब्रिज के मुख्य पिलर की ऊंचाई 154 मीटर है। ब्रिज पर 19 स्टे केबल्स हैं, जिन पर ब्रिज का 350 मीटर भाग बगैर किसी पिलर के रोका गया है। पिलर के ऊपरी भाग में चारों तरफ शीशे लगाए गए हैं। यह ब्रिज यहां के आसपास की अर्थव्यवस्था को रफ्तार देगा क्योंकि इसे देखने के लिये न सिर्फ एनसीआर और देशभर से बल्कि दुनियाभर के लोग आएंगे। इसका निश्चित तौर पर सामाजिक-सांस्कृतिक एवं राष्ट्रीय असर होगा। निस्संदेह यह ब्रिज दिल्ली की जनता के लिए बेहद उपयोगी है।
सिग्नेचर ब्रिज भले ही आज बनकर तैयार हुआ है लेकिन इसके पीछे आप सहित पूर्व की सरकारों की सालों की अथक मेहनत, सूझबूझ एवं दूरदृष्टिता है। एक से ज्यादा पार्टियों ने दिल्ली पर शासन करते हुए इसकी परिकल्पना से लेकर इसे तैयार करने तक में हर स्तर पर अपनी भूमिका निभाई है और इसे वह शक्ल दी है जिसे उपयोगिता और सौंदर्य की कसौटी पर बेहतरीन कलाकृति की तरह देखा जा रहा है। सिग्नेचर ब्रिज की परिकल्पना को साकार करने में जो भी लोग लगे हुए थे, भले ही वे किसी भी राज्य या देश में शासन की व्यवस्था का हिस्सा हो, लेकिन ऐसे कार्यों का श्रेय किसी एक दल या व्यक्ति को नहीं दिया जा सकता। एक आदर्श शासन व्यवस्था में इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि कौन-सी योजना किस खास पार्टी की सरकार ने बनाई है। उसे योजना पर अमल करके उसे अंजाम तक पहुंचाना ही सरकारों का दायित्व होता है। जनता ने इसी दायित्व के निर्वाह के लिये उन्हें चुना है। किसी भी शहर एवं देश की संस्कृति एवं खूबसूरती को बढ़ाने में ऐसे विकास कार्यो एवं स्थलों की ऐतिहासिक भूमिका होती है। लेकिन हम इन राष्ट्रीय प्रतीकों एवं स्मारकों को संकीर्ण राजनीतिक लाभ के नाम पर धुंधला देते हैं और संकीर्ण स्वार्थ की दीवारें खड़ी कर देते हैं। हम आज कई और दीवारें बना रहे हैं-राजनीतिक स्वार्थों की, मजहबों की। यहां तक कि दीवारें खड़ी करके ”नेम-प्लेट“ लगाकर ईंट-चूने की अलग दुनिया बना रहे हैं। हम जोड़ने की बजाय तोड़ने की कोशिश ही करते हैं और यह कोशिश करते हुए हम ऐसी स्थिति पैदा कर रहे हैं कि इन स्थलों एवं स्मारकों के दरवाजे भी खुले नहीं रख सकते। तब दिमाग कैसे खुले रख सकते हैं। नई व्यवस्था की मांग के नाम पर पुरानी व्यवस्था के खिलाफ जंग की- एक नई संस्कृति पनपा रहे हैं। व्यवस्था अव्यवस्था से श्रेष्ठ होती है, पर व्यवस्था कभी आदर्श नहीं होती। आदर्श स्थिति वह है जहां व्यवस्था की आवश्यकता ही न पड़े।
एक नई किस्म की वाग्मिता पनपी है जो किन्हीं शाश्वत मूल्यों पर नहीं बल्कि भटकाव के कल्पित आदर्शों के आधार पर है। जिसमें सभी नायक बनना चाहते हैं, पात्र कोई नहीं। भला ऐसी शासन व्यवस्था किस के हित में होगी? सब अपना बना रहे हैं, सबका कुछ नहीं। और उन्माद की इस प्रक्रिया में एकता की संस्कृति का नाम सुनते ही सब संघर्ष करने को मचल उठते हैं। राजनीति क्रूर, अमानवीय और जहरीले मार्गों पर पहुंच गई है। बहस वे नहीं कर सकते, इसलिए हाथ और हथियार उठाते हैं। संवाद की संस्कृति के प्रति असहिष्णुता की यह चरम सीमा है। विरोध की संस्कृति की जगह संवाद की संस्कृति बने तो समाधान के दरवाजे खुल सकते हैं। दिल भी खुल सकते हैं। बुझा दीया जले दीये के करीब आ जाये तो जले दीये की रोशनी कभी भी छलांग लगा सकती है। तभी सिग्नेचर ब्रिज जैसे एक नहीं, अनेक रोशनी के झरोखे राष्ट्रीयता को गौरवान्वित कर सकेंगे। सिग्नेचर ब्रिज जैसे कामों को किसी खास पार्टी के नाम से जानने के बजाय राष्ट्रीयता के विकास के रूप मानना चाहिए और इसे सामूहिक उपलब्धि के रूप में देखा जाना चाहिए। अन्यथा हमारा प्रयास अंधेरे में काली बिल्ली खोजने जैसा होगा, जो वहां है ही नहीं।
(ललित गर्ग)
बी-380, प्रथम तल,
निर्माण विहार, दिल्ली-110092
ः 22727486, 9811051133
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बेगूसराय : सिमरिया जाम में फँसे तो व्यक्त की अपनी अभिव्यक्ति
शिव प्रकाश भारद्वाज ने किस तरह दुहाई देने को वाद्य हो गये इस विज्ञान के युग मे भी अध्यात्म के लिये।
बेगूसराय (अरुण शाण्डिल्य)यात्रा के दरम्यान आपका सारा program और plan धरा का धरा रह जाता है।बेगूसराय के सिमरिया पुल पर लगे जाम को लगता है हम और आप मानव जीवन के अंग के रूप में आत्मसात कर चुके हैं।इस पुल पर जाम का हिस्सा सबों को बनना पड़ता है।हो भी क्यों न सिमरिया घाट पर विश्वविख्यात श्मशान जो है।भारी भरकम प्रशासन पर भूत और प्रेत हावी हो जाते हैं।दर्जनों मानव का अंतिम संस्कार इस गंगा जी के घाट पर हर रोज़ होता है।इसमें अकाल मृत्यु वाले भी कई होते हैं।लगता है यही दिवंगत आत्मा traffic को disturb करते हैं। अब आप मुझे यह मत कहना कि पढ़ने लिखने के बाद कैसी बातें करते हैं।बचपन से सुनता आया हूँ कि जब विज्ञान समस्या का समाधान नहीं कर पाता है तो कुछ न कुछ अज्ञात शक्ति बना या बिगाड़ रहा होता है।IIT के इंजीनियर,IIM के मैनेजमेंट गुरु और so called करोड़ों के प्रतिनिधि नेताओं से समस्या का हल नहीं हो पा रहा है।यह तो पक्का है यहाँ का भूत और प्रेत सबों पर भारी है। हे, प्रेतात्मा गाड़ी में बैठे बैठे यात्री के plan को चौपट न करें।मज़बूरी में पैदल पुल पार कर रहे बच्चों एवं महिलाओं पर रहम करें।भारी भरकम बैग लेकर इन्हें चलने में परेशानी होती है।रोगियों को वैसे भी आपने warning bell दे दिया है।क्यों इन्हें direct श्मशान बुलाना चाहते हैं।आपके आशीर्वाद की आशा में,एक बेचारा जकाम का मारा।
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बिहार : रामपुर पल्ली के जर्जर स्कूल में सुधार करने की मांग लोगों ने की है
रामपुर के वासी है लक्ष्मण मेरा नाम...
रामपुर:पश्चिम चम्पारण में है बेतिया.बेतिया पल्ली से तीन घंटे तय करके पहुंचा जा है रामपुर मिशन.रामपुर गांव (पल्ली) से लोग आए थे. बेतिया हादसा से सहमे लोगों ने पटना में आकर कहा कि स्कूल भवन जर्जर है.छत ऊपर से नीचे आने को उतारू है.इसके आलोक में बच्चों को स्कूल भेजने से डर रहे हैं. बताते चले कि बेतिया धर्मप्रांत के रामपुर मिशन के ग्रमीण लोग परेशान हैं.मिशन के स्कूल भवन जर्जर हो गया है. रख रखाव के अभाव में स्कूल की बिल्डिंग की स्थिति ठीक नहीं है.यहां ग्रामीण अपने बच्चों को स्कूल भेजना नहीं चाहते हैं.सोचते है कि कही ऐसा न हो जाए जैसे बेतिया पल्ली के स्कूल की तरह हादसा न हो जाएं.
क्या है मामला ?
रामपुर पल्ली में संचालित स्कूल के फादप प्रिंसिपल को जर्जर भवन के बारे में जानकारी दी गयी है.मगर फादर प्रिंसिपल ने कोई कदम नहीं उठा रहे हैं. पटना महाधर्मप्रांत के महाधर्माध्यक्ष विलियम डिसुजा और बेतिया धर्मप्रांत के धर्माध्यक्ष पीटर सेवास्टियन गोबिएस से ग्रामीणों का निवेदन है कि इस ओर कारगर कदम उठाएं.जो ग्रामीणों में खौफ बरकरार है खत्म करवाएं.ऐसा करने से बच्चे बेखौफ होकर पढ़ाई कर सकेंगे.
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मधुबनी : कल गुजरात के मुख्य सचिव पहुंचेंगे सुंदरवन, करेंगे गरबा उत्सव का उद्घाटन
मधुबनी (आर्यावर्त डेस्क) गुजरात के मुख्य सचिव डॉ जगदीप नारायण सिंह रविवार को राजनगर में होंगे। प्रखंड क्षेत्रान्तर्गत सिमरी निवासी मुख्य सचिव डॉ सिंह रविवार की शाम स्थानीय लोक आस्था के केंद्र सुंदरवन श्मशान भूमि में चल रहे काली पूजा महोत्सव सह सांस्कृतिक उत्सव के अवसर गुजरात के युवा व सांस्कृतिक गतिविधि विभाग के द्वारा आयोजित गरबा, डांडिया व रास उत्सव का उद्घाटन करेंगे। उद्घाटन समारोह में उनके संग जिला पदाधिकारी शीर्षत, अनुमंडल पदाधिकारी सदर सुनील कुमार सिंह, बीडीओ आशुतोष कुमार, सीओ शुभेन्द्र कुमार झा भी मौजूद रहेंगे। उक्त जानकारी आयोजन समिति के अध्यक्ष प्रमोद कुमार सर्राफ़ एवं सचिव अनिल नायक ने दी।
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बिहार : उपेन्द्र कुशवाहा से माफ़ी माँगे नीतीश : हम
पटना 10 नवंबर 2018 (शनिवार) हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ दानिश रिजवान ने राष्ट्रीय लोक समता पार्टी प्रमुख उपेन्द्र कुशवाहा को नीच कहे जाने को लेकर कड़ा एतराज़ ज़ाहिर किया है। डा0 दानिश ने कहा कि बिहार की सत्ता को हाथ से जाते हुए देख बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के मुँह केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा को नीच कह जाने की बात शोभा नहीं देती । इसके लिए तुरंत मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को माफ़ी माँगनी चाहिए। दानिश ने कहा कि जब से केंद्र में मोदी जी की सरकार आयी है तब से राजनीतिक मर्यादाएं तार तार हो रही है | विवादित बोल के कारण जिस तरीक़े से नेताओं को ऊँची जगह मिल रही है | उससे एक पर एक गंदी बयानबाजी की शुरुआत हुई | जिसका नतीजा है कि केंद्रीय मंत्रियों तक को नीच जैसे शब्द सुनने पड़ रहे हैं | इस तरह की परंपरा की शुरुआत मोदी सरकार में बोली जा रही है | जो भारत की स्वस्थ राजनीति में गंदगी फैला रही है | इस तरह की भाषाओं पर रोक लगनी चाहिए | दानिश ने कहा कि जब कुशवाहा समाज के लोगों ने उपेंद्र कुशवाहा को नीच कहे जाने को लेकर पटना की सड़कों पर प्रदर्शन किया | तो नीतीश कुमार की पुलिस ने उनकी जमकर पिटाई की | इस पिटाई का हिसाब आने वाले चुनाव में कुशवाहा समाज के लोग नीतीश कुमार से जरूर लेंगे | दानिश ने कहा कि माननीय मुख्यमंत्री तानाशाह हो गए हैं | अपने ख़िलाफ़ किसी भी तरह की बात को सुनना नहीं चाहते | जब भी कोई उनके ख़िलाफ़ बोलता है | उसके ऊपर में लाठी चलाकर दमन करते हैं | जो लोकतंत्र के लिए कहीं से ठीक नहीं | डॉ दानिश ने कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इस तरह की बयान से यह साफ है कि केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा को भाजपा के इशारे पर बयान दे रहे हैं | इससे साफ जाहिर होता है कि उपेंद्र कुशवाहा के कद को छोटा करने का यह खेल खेला जा रहा है | जो आगामी चुनाव में उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी को सीट शेयरिंग में कम से कम सीट कैसे दी जाए इसी का सब खेल खेला जा रहा है | डॉ दानिश ने कहा कि केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा न समय रहते कोई ठोस निर्णय लेते हुए अपना सही कदम नहीं उठाए तो भाजपा और नीतीश कुमार मिलकर इनकी राजनीति को ब्रेक लगा देंगे |
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बिहार : 11 नवम्बर से शुरू होगा चार दिवसीय महापर्व छठ
बहुसंख्यकों का लोकआस्था का पर्व की तैयारी जोरों परराज्यकर्मियों को वेतन न मिलने पर भी पर्व पर कोई असर नहीं
पटना: इस बार लोकआस्था का महापर्व छठ 11नवम्बर से है.11 नवम्बर को नहाय खाय का दिन है.12 नवम्बर को खरना का दिन है.13 नवम्बर को अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को अर्घ्यदान दिया जाएगा.14 नवम्बर को उदयीमान भगवान दिवाकर को अर्घ्यदान दिया जाएगा.इसके साथ ही चार दिवसीय महापर्व छठ का समापन हो जाएगा.
महापर्व छठ के अवसर पर भी राज्यकर्मियों को वेतन न मिलने का आसार
राज्यकर्मी आसरा में थे कि सीएम नीतीश कुमार और वित मंत्री सुशील कुमार मोदी दशहरा और दीपावली में वेतनादि देंगे.कई माह से वेतन न मिलने से परेशान राज्यकर्मियों को भरोसा चूर-चूर हो गया.स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत कर्मियों को 8 से 12 माह का वेतन नहीं मिला है. फिर उम्मीद किए कि वेतन महापर्व छठ पर मिलेगा.पर वेतन मिलने का कोई असर नहीं दिख रहा है.फिर भी राज्यकर्मी छठ पूजा करने को दृढ़संकल्प हैं.
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बिहार : पटना नगर निगम के द्वारा चौक-चौराहों के बगल में शौचालय निर्माण हो रहा है
पटना:स्वच्छ भारत अभियान भारत सरकार द्वारा आरंभ किया गया है।यह राष्ट्रीय स्तर का अभियान है, जिसका उद्देश्य गलियों, सड़कों तथा अधोसंरचना को साफ-सुथरा करना है। यह अभियान [महात्मा गाँधी] के जन्मदिवस 02 अक्टूबर 2014 को आरंभ किया गया। राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने देश को गुलामी से मुक्त कराया, परन्तु 'स्वच्छ भारत'का उनका सपना पूरा नहीं हुआ। महात्मा गांधी ने अपने आसपास के लोगों को स्वच्छता बनाए रखने संबंधी शिक्षा प्रदान कर राष्ट्र को एक उत्कृष्ट संदेश दिया था। स्वच्छ भारत का उद्देश्य व्यक्ति, क्लस्टर और सामुदायिक शौचालयों के निर्माण के माध्यम से खुले में शौच की समस्या को कम करना या समाप्त करना है। स्वच्छ भारत मिशन लैट्रिन उपयोग की निगरानी के जवाबदेह तंत्र को स्थापित करने की भी एक पहल करेगा। सरकार ने 2 अक्टूबर 2019, महात्मा गांधी के जन्म की 150 वीं वर्षगांठ तक ग्रामीण भारत में 1.96 लाख करोड़ रुपये की अनुमानित लागत के 1.2 करोड़ शौचालयों का निर्माण करके खुले में शौंच मुक्त भारत (ओडीएफ) को हासिल करने का लक्ष्य रखा है।
पटना नगर निगम का प्रयास
अपने क्षेत्र में पटना नगर निगन के द्वारा चौक-चौराहों के बगल में शौचालय बनाया जा रहा है। यह शौचालय देखने में अच्छा लग रहा है। एक व्यक्ति ने सवाल उछाला कि यह शौचालय कबतक सही सलामत रहेगा? यह वाजिब सवाल है। खुद पटना नगर निगम ने चौक-चौराहों के बगल में शौचालय बनाकर टेस्ट लेना शुरू कर दिया है। पहला टेस्ट आम जन से है जो शौचालय का उपयोग करेंगे। द्वितीय टेस्ट जलापूर्ति विभाग से है जो दस फीट की ऊंचाई तक पानी पहुंचा पाएगा?
चौक-चौराहों के बगल में एक निर्मित शौचालय महिला और पुरूष के लिए
एक जगह दो खंड में एक साथ नर-नारी बैठकर शौचालय कर सकते हैं।यह व्यवस्था चौक-चौराहों पर किया जा रहा है। जलापूर्ति केंद्र के पाइप से शौचालय की टंकी में संयोजन किया गया है। शौचालय के अंदर और बाहर नल लगा है। बाहर में आकर नल पर हाथ धोएंगे। साबुन की व्यवस्था नहीं है।तो लोग मिट्टी से हाथ साफ करेंगे।एक उपाय है कि घर में जाकर साबुन से हाथ साफ करें।
पटना नगर निगम के अधिकारियों से आग्रह
वार्ड नम्बर-22 A में मुसहरी है। मुसहरी का नाम लालू नगर,बालूपर मुसहरी है। यहां पर एक दर्जन शौचालय बनाकर महादलितों को शौचालय की चाबी सौंपनी थी।शौचालय निर्माण करने वाले ठेकेदार ने अधूरा शौचालय निर्माण कर भाग गया है।जिसके कारण महादलित खुले में जाकर शौचक्रिया करने को बाध्य हैं। कई बार महादलितों ने वार्ड नम्बर-22 A के वार्ड पार्षद दिनेश चौधरी के समक्ष गुहार लगाएं पर वे सकारात्मक कदम नहीं उठाएं।
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नोटबंदी ने देश की अर्थव्यवस्था को किया तहस-नहस, मजदूरों-किसानों पर सर्वाधिक मार : कुणाल
2019 में देश की जनता मोदी सराकर को सिखाएगी सबक.
भाकपा-माले के बिहार राज्य सचिव कुणाल ने कहा है आज से दो साल पहले मोदी सरकार ने पूरे तामझाम के साथ नोटबंदी का ऐलान किया था और उसे काले धन के खिलाफ एक मास्टरस्ट्रोक बताया था. परंतु आज इस बारे में सरकार में बैठे लोगों ने अप्रत्याशित खामोशी अख़्तियार कर ली है और उसकी चर्चा तक नहीं कर रहे हैं क्योंकि यह नोटबंदी देश और खासकर ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए एक हादसा साबित हुई है. इसकी सर्वाधिक मार मजदूर व किसानों पर पड़ी है. कृषि मजदूरी में लगातार गिरावट है और किसानों के भी सामने कई संकट खड़े हो गए हैं. विगत दो वर्षों में देश के अंदर बेरोजगारी की दर काफी बढ़ गई है. इस प्रकार नोटबदी ने अर्थव्यवस्था और समाज के हर क्षेत्र में कई गंभीर समस्याओं को खड़ा कर दिया है. उन्होंने आगे कहा कि सरकार को यह बताना चाहिए था कि नोटबंदी से काले धन का खात्मा क्यों नहीं हुआ़़. नोटबन्दी देश के अंदर मौजूद कालेधन से लड़ने के नाम पर की गयी थी. लेकिन आज के दिन तक मोदी सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक देश में काले धन संबंधी आंकड़े तक जारी करने में भी विफल रही है. हालिया एक रिपोर्ट के मुताबिक आज 2016 से भी ज्यादा मुद्रा प्रचलन में हैं. जाहिर है कि यह पूरा मामला देश की गरीब जनता का पैसा पूंजीपतियों के हवाले कर देने की कवायद मात्र था हमारी पार्टी मानती है कि 8 नवबंर 2016 की नोटबंदी ने हमारे देश की अर्थव्यवस्था के लिए ठीक वही संदेश दिया है जो संदेश 6 दिसंबर 1992 की घटना ने देश के सेकुलर राजनीति के संबंध में दी थी. ये दोनों घटनाएं देश की जनता के लिए गंभीर हादसे साबित हुए हैं. आने वाले दिनों और आगामी लोकसभा चुनाव में देश की अर्थव्यवस्था को बर्बाद व पीछे धकेलने के अपराध में देश की जनता मोदी सरकार को निश्चित तौर पर सबक सिखाएगी और उसे गद्दी से उखाड फेकेंगी. इस प्रकार नोटबंदी मोदी सरकार द्वारा की गई भूल नहीं बल्कि जानबूझकर व सुनियोजित तरीके से किया गया अपराध था.
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बिहार : राजधानी पटना में कारगिल चैक पर हुई प्रतिवाद सभा, माले विधायक महबूब आलम हुए शामिल.
- महिला पुलिसकर्मियों के यौन शोषण व बर्खास्तगी के तुगलकी फरमान के खिलाफ माले का राज्यव्यापी प्रतिवाद.
- भाजपा-जदयू राज में बिहार में महिलाएं कहीं भी सुरक्षित नहीं, महिला पुलिसकर्मियांे का सांस्थानिक यौन शोषण इसकी चरम अभिव्यक्ति.
- महिला पुलिसकर्मियों सहित सभी पुलिसकर्मियों की बरखास्तगी अविलंब रद्द करे सरकार, दोषी अधिकारियो पर कार्रवाई करो.
पटना 9 नवंबर 2018 पटना में महिला पुलिस सविता पाठक की डेंगू से मौत के बाद पुलिसकर्मियों के उपजे आक्रोश को सरकार द्वारा गंभीरता से लेने व दोषी पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई की बजाए 77 महिला पुलिस सहित कुल 175 पुलिसवालों की बरखास्तगी को तत्काल रद्द करने और महिला पुलिसकर्मियों द्वारा उच्च पदाधिकारियों पर लगाए गए यौन शोषण के गंभीर आरोपों के आलोक में उन अधिकारियों पर तत्काल कार्रवाई करने की मांग पर आज राजधानी पटना सहित राज्य के विभिन्न जिला मुख्यालयों पर भाकपा-माले ने प्रतिवाद मार्च-सभा का आयोजन किया.
पटना में कारगिल चैक पर यह सभा आयोजित की गई, जिसमें पाटी के विधायक दल के नेता महबूब आलम, ऐपवा की बिहार राज्य सचिव शशि यादव, राज्य अध्यक्ष सरोज चैबे, केंद्रीय कमिटी के सदस्य अभ्युदय, राज्य कमिटी के सदस्य नवीन कुमार, अनिता सिन्हा, जितेन्द्र कुमार, राजेन्द्र पटेल, विभा गुप्ता, मुर्तजा अली आदि नेताओं ने भाग लिया. कारगिल चैक पर प्रतिवाद सभा को संबोधित करते हुए माले विधायक दल के नेता महबूब आलम ने कहा कि आज भाजपा-जदयू राज में महिलाएं कहीं भी सुरक्षित नहीं हैं. कस्तूरबा विद्यालय हो, बालिका शेल्टर हाउस इन सभी संस्थानों में हमने देखा कि सत्ता के संरक्षण में किस प्रकार लड़कियों का घृणित यौन उत्पीड़न हो रहा है. अब पटना पुलिस लाइन्स की घटना ने यह उजागर कर दिया कि पुलिस विभाग में भी महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं और पुलिस के बड़े अधिकारी उनका यौन शोषण कर रहे हैं. यह सब कुछ सत्ता की नाक के ठीक नीचे हो रहा है. पुलिस लाइन्स में महिला पुलिस कर्मियों का आक्रोश अचानक नहीं फूट पड़ा बल्कि लंबे समय से वह भीतर ही भीतर सुलग रहा था. इतनी बड़ी घटना के घट जाने के बाद भी भाजपा-जदयू की सरकार तनिक भी सीख नहीं लेना चाहती उलटे उसने तुगलकी फरमान जारी करते हुए 175 पुलिसकर्मियों को बरखास्त कर दिया है. हम इसके खिलाफ आज सड़कों पर है. आंदोलनकारी पुलिसकर्मियों से हमारी पार्टी पूरी एकजुटता प्रकट करती है.
ऐपवा की बिहार राज्य सचिव शशि यादव ने कहा कि पुलिस लाइन्स में महिला पुलिसकर्मियों का यौन उत्पीड़न महिलाओं के यौन शोषण की चरम अभिव्यक्ति है. पुलिस विभाग घोर महिलाविरोधी है और वहां कार्यरत महिला पुलिसकर्मियों को तरह-तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. न तो उन्हें उचित वेतन मिलता है और न ही अन्य जरूरी सहायता. इसके बजाए बड़े अधिकारी इन महिला पुलिसकर्मियों का तरह-तरह से यौन उत्पीड़न कर रहे हैं. इसे हम बर्दाश्त नहीं करेंगे. 10 नवबंर को ऐपवा महिला पुलिसकर्मियों के आंदोलन के समर्थन में कैंडल मार्च का आयोजन करेगी. सरोज चैबे ने कहा कि पुलिसकर्मियों की जिस त्वरित गति से बरखास्तगी हुई है, उससे ऐसा लगता है कि देश में लोकतांत्रिक नहीं बल्कि कोई मध्ययुगीन सरकार चल रही है. सरकार ने लोकतांत्रिक व संवैधानिक मर्यादाओं की तनिक भी चिंता नहीं की है. साथ ही दलित व वंचित वर्ग से आने वाले पुलिसकर्मियों को खासकर निशाना बनाया गया है. इससे भाजपा-जदयू सरकार का घोर सांप्रदायिक, तानाशाही व जातिवादी चरित्र खुलकर सामने आया है. कहा कि भाजपा-जदयू सरकार द्वारा पुलिसकर्मियों की बरखास्तगी व उनकी गिरफ्तारी की कोशिशें बेहद अन्यायपूर्ण व तानाशाह कदम है.
अन्य नेताओं ने कहा कि आज के प्रतिवाद के जरिए हम मांग करने आए हैं कि आंदोलनकारी तमाम पुलिसकर्मियों की बर्खास्तगी अविलंब रद्द की जाए. आंदोलनकारी पुलिसकर्मियों पर से तमाम मुकदमें वापस लिए जाएं. अत्याचारी पुलिस अधिकारी पर सविता पाठक की हत्या का मुकदमा दर्ज किया जाए. सविता पाठक के हत्यारे पुलिस अधिकारी को गिरफ्तार किया जाए. पुलिस लाइन में महिला पुलिस के यौन उत्पीड़न पर रोक लगाई जाए व दोषी अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए तथा मृतक सविता पाठक के परिजन को सरकारी नौकरी और 20 लाख मुआवजा दिया जाए. पटना के अलावा आरा, सिवान, अरवल, जहानाबाद, दरभंगा, भागलपुर, पटना ग्रामीण के विभिन्न प्रखंड केंद्रों, समस्तीपुर, मुजफ्फरपुर, नवादा, गया, नालंदा आदि स्थानों पर भी प्रतिवाद मार्च निकाले गए. दरभंगा में जिला सचिव वैद्यनाथ यादव, वरिष्ठ नेता आर के सहनी, प्रो. कल्याण भारती, अवधेश सिंह, जंगी यादव आदि के नेतृत्व में मार्च निकला और पोलो मैदान में जिला कमिटी के सदस्य देवेन्द्र कुमार के नेतृत्व में सभा का आयोजन हुआ. आरा में आन्दोलनकारी पुलिसकर्मियों की बर्खास्तगी व महिला पुलिसकर्मियों के यौन उत्पीडन के खिलाफ भाकपा-माले के द्वारा राज्यव्यापी विरोध दिवस के तहत आज स्टेशन गोलंबर पर प्रतिवाद सभा आयोजित की गई जिसे पार्टी के नेताओं ने संबोधित किया. अरवल में भाकपा माले कार्यालय से चल कर ब्लॉक गेट पर नीतीश कुमार का पुतला जलाया गया. भाकपा माले के राज्य कमेटी सदस्य कामरेड रविंद्र यादव, जिला कमेटी सदस्य गणेश यादव, अरवल प्रखंड सचिव महेंद्र प्रसाद एवं अन्य पार्टी नेता उपस्थित थे.
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विशेष : ‘अहिंसा मीट’: एक भ्रामक नाम :- डाॅ. दिलीप धींग
बाजारवाद और उपभोक्तावाद ने जीवन, समाज और संस्कृति के अनेक क्षेत्रों को नकारात्मक तरीके से प्रभावित किया है। सच्चे-झूठे विज्ञापन और अंधाधुंध विपणन (मार्केटिंग) के जरिये बाजार में ऐसे भ्रम पैदा किये जाते हैं कि आम आदमी कुछ शातिर लोगों की चाल समझ ही नहीं पाता है, अपितु वह झाँसे में आ जाता है। नतीजतन आदमी अपनी स्वस्थ और किफायती जीवनशैली को छोड़कर बाजार की कई गलत चीजों या हानिकर विकल्पों को अपनी रोजमर्रा की जिन्दगी अपनाने लगता है। कुछ दशकों पूर्व भारत में पौल्ट्री जैसे खूनी धंधे का जाल बिछाने के लिए बाजारवाद के षड़यंत्रकारियों ने अण्डे को शाकाहार कहकर एक महाझूठ फैलाने की कुटिल कोशिश की। शाकाहार प्रधान भारत में मांस व्यापार और मांसाहार को बढ़ावा देने के लिए ऐसे अनेक कुत्सित प्रयास समय-समय पर होते रहे हैं। कभी पोषण के नाम पर तो कभी आदमी के भोजन चयन के अधिकार के नाम पर भारतीय अहिंसा संस्कृति को चोट पहुँचाने के प्रयास होते रहे हैं।
जाने-अनजाने ऐसे किसी प्रयास में यदि अहिंसा के अलम्बरदार ही लग जाए तो अधिक चिन्ताजनक है। ऐसी ही एक खबर 26 अगस्त 2018 को दैनिक भास्कर, उदयपुर में प्रकाशित हुई, जिसमें केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने ‘क्लीन मीट’ का जिक्र करते हुए कहा कि अब भारत ‘अहिंसा मीट’ के लिए तैयार है। अपने भ्रामक शब्दों के समर्थन में शाकाहार प्रचारिका मेनका ने कहा कि किसी जानवर की जान लिये बिना ही ऐसा मांस प्रयोगशाला में तैयार होगा। गौरतलब है कि इस तकनीक के द्वारा ‘अहिंसा मांस’ जानवरों की स्टेम सेल (मूल कोशिका) से तैयार किया जाएगा। मेनका ने यह बात 24 अगस्त को हैदराबाद में ‘फ्यूचर आॅफ प्रोटीन: फुड टेक रेवाॅल्यूशन’ (प्रोटीन का भविष्य: भोजन तकनीक क्रांति) विषय पर आयोजित कार्यक्रम में कही। अपने भाषण में उन्होंने यह भी कहा कि इससे गोहत्या तथा इसके कारण होने वाली लिंचिंग भी रुकेगी। उनके इस कथन पर सहमत नहीं हुआ जा सकता। कारण यह है कि मांसाहार का सम्बन्ध सिर्फ गोहत्या से ही नहीं है। मांसाहार के कारण अनेक प्रकार के लाखों प्राणियों की रोज ही हत्याएँ होती हैं। इसके अलावा शाकाहारिता और लिंचिंग (मारपीट) में कोई सम्बन्ध नहीं है। शाकाहारिता तो अनुशासन, सहअस्तित्व और सद्भावनाओं की विस्तारक श्रेष्ठ जीवन-पद्धति है।
केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि भारत की प्रयोगशालाओं में ऐसा ‘क्लीन मीट’ (साफ मांस) तैयार करने की तकनीक मौजूद है, जिसे पाँच वर्षों में बाजार में लाने का लक्ष्य होना चाहिये। उन्होंने एक निजी सर्वे का हवाला भी दिया और कहा कि 66 प्रतिशत लोग परम्परागत मांसाहार के साथ ‘अहिंसा मांस’ को शामिल करने के लिए तैयार है, वहीं 53 प्रतिशत लोग ‘अहिंसा मांस’ मिलने पर पारंपरिक मांसाहार छोड़ने को तैयार है। 46 प्रतिशत लोगों ने यह भी कहा कि ‘अहिंसा मांस’ बाजार में आने लगेगा तो वे रोज ऐसा मांस खाएँगे। स्पष्ट है कि मांसाहारी भी मांस के लिए दृश्यमान और प्रत्यक्ष क्रूरता को नापसन्द करते हैं। सवाल यह है कि उन्हें किसी लुभावने नाम के साथ ‘परोक्ष क्रूरता’ का भागीदार क्यों बनाया जाए? मांस के ऐसे नामकरण से हमारी आहार संस्कृति की शुद्धता को चुनौती मिल सकती है। उक्त कार्यक्रम में शामिल विशेषज्ञों ने कहा कि कुछ दिनों में ‘बीयर मेकिंग’ की तरह ही ‘मीट मेकिंग’ का भी बड़ा बाजार होगा। भारतीय आहार की शुद्धता और सात्विकता पर वैसे भी अनेक आक्रमण हुए और हो रहे हैं। ‘मीट-मेकिंग’ के बाजार से भी यह आक्रमण नए रूप में हो सकता है!
कमाई और भलाई के नाम पर बाजार में अनेक लुभावने शब्द फेंके और इस्तेमाल किये जाते हैं, जिनसे आम आदमी भ्रमित होता है। इस समाचार के शब्द और वाक्य भी अनेक भ्रम पैदा करते हैं और भारत की शुद्ध, सात्विक व शाकाहारी जीवनशैली के साथ खिलवाड़ करते हैं। जब हम शाकाहारी जीवनशैली के सन्दर्भ में समाचार के भ्रांतिपूर्ण शब्दों पर विचार करते हैं तो अनेक सवाल खड़े होते हैं। ‘अहिंसा मीट’ शब्द, किसी भी प्रकार के मांस के लिए पूरी तरह से अस्वीकार्य है। यह एक ऐसा ही कुटिल नामकरण है, जैसा अण्डे के साथ शाकाहार शब्द लगाकर किया गया था। अनेक परम्परागत शाकाहारी लोग भी उस नाम के झाँसे में आकर अण्डे को भक्ष्य समझने की भूल कर बैठे थे। ‘शाकाहारी अण्डा’ जैसे सर्वथा गलत नाम से भारत की निरामिष थाली को अपवित्र करने की साजिश रची गई। अब ‘अहिंसा मीट’ के नाम पर कुछ ऐसी ही गैर-जरूरी कोशिश नजर आती है।
समाचार में यह स्पष्ट कहा गया है कि ‘अहिंसा मीट’ का निर्माण जानवरों की मूल कोशिकाओं (स्टेम सेल्स) से किया जाएगा। जैव प्रौद्योगिकी (बायो टेक्नोलाजी) के अन्तर्गत स्टेम सेल तकनीक चिकित्सा-विज्ञान में हितकारी सिद्ध हो रही है। लेकिन यहाँ स्टेम सेल तकनीक से मानव के भोजन हेतु मांस तैयार करने का विचार है। यह विचार भोजन के साथ जुड़ी व्यक्ति की धार्मिक आस्थाओं और सामाजिक मान्यताओं को तोड़-मरोड़ सकता है। कोई भी तथ्य या ज्ञान वैज्ञानिक दृष्टि से सत्य हो सकता है, लेकिन यदि वह मानवीय, नैतिक और सामाजिक दृष्टि से स्वीकार्य नहीं है तो उसके प्रयोग और व्यवहार को धर्म, नीति, समाज या शासन के द्वारा अनुशासित या निषिद्ध किया जाता है। वैज्ञानिक जगत में भी अनेक प्रकार की मानवीय और नैतिक मर्यादाओं पर विचार किया जाता है। अतः मानवीय सम्बन्ध और भोजन के बारे में भी नैतिक मर्यादाओं का खयाल रखा जाना चाहिये। विज्ञान का उपयोग इस प्रकार नहीं होना चाहिये कि कोई ‘सामाजिक क्षोभ’ या ‘जैविक अराजकता’ फैल जाए।
इस सम्बन्ध में क्लोनिंग का उदाहरण लिया जा सकता है। आधुनिक जीव-विज्ञान में क्लोनिंग, स्टेम सेल जैसी ही एक तकनीक है। विज्ञान जगत में इसे अलैंगिक प्रजनन भी कहते हैं। वैज्ञानिकों ने यह पता लगाया कि पशुओं की कुछ प्रजातियों में नर-मादा संयोग के बिना ही प्राणियों की प्रतिरूपकीय उत्पŸिा संभव है। इसी शोध के आधार पर एक भेड़ का जन्माया गया था। जिसका नाम डाॅली रखा गया। डाॅली भेड़ छह वर्ष तक जीवित रही। वैज्ञानिकों ने गाय, भैंस, ऊँट, मछली, बन्दर, घोड़ा अनेक पंचेन्द्रिय प्राणियों पर क्लोनिंग तकनीक का प्रयोग किये। ऐसे प्रयोग प्राणी विज्ञान शाखा के चर्चित समाचार बने। लेकिन जब मानव प्रतिरूपण (ह्यूमन क्लोनिंग) की बात आई तो दुनियाभर के धार्मिक, सामाजिक और शासकीय संस्थानों ने इसका विरोध किया। स्वयं वैज्ञानिक समुदाय ने भी ऐसे प्रयोग पर सवाल खड़े किये। बड़ा सत्य यह है कि विज्ञान और वैज्ञानिकों के कार्यों का मूल उद्देश्य भी मानव और मानवता का व्यापक कल्याण ही है, होना चाहिये।
स्टेम सेल एक ऐसी तकनीक है, जिसमें किसी भी प्राणी की मूल कोशिका से उसी प्राणी के किसी भी घटक और अंग को विकसित किया जा सकता है। इस तकनीक से उस जानवर का मांस तैयार किया जाएगा, जिसकी मूल कोशिका बीज रूप में प्रयुक्त की जाएगी। स्पष्ट है कि जिसे ‘अहिंसा मीट’ नाम दिया जा रहा है, वह कतई अहिंसक नहीं होगा। ठीक है, ऐसे मांस को तैयार करने में बूचड़खानों जैसा खून-खच्चर नहीं होगा तथा बाहर में कोई क्रूरता भी नहीं दिखाई पड़ेगी। लेकिन मांस तो मांस ही है। वह शाकाहारियों के लिए तो सर्वदा और सर्वथा अस्वीकार्य ही है और रहेगा।
क्लोनिंग की तरह स्टेम सेल से जीवोत्पŸिा को भी अलैंगिक प्रजजन कहा जा सकता है। जैन शास्त्रों में इस प्रकार से उत्पन्न जीवों को अगर्भज प्राणी और सम्मूच्र्छिम जीव कहा जाता है। प्राणियों के जीवित या मृत शरीर में, उनके अंश या उससे निसृत या प्राप्त पदार्थ में सम्मूच्र्छिम जीव उत्पन्न हो सकते हैं। ऐसे अगर्भज प्राणियों में मनुष्य भी होता है। जैन ग्रंथों में ऐसे स्थल या पदार्थ भी गिनाए गए हैं, जिनसे सम्मूच्र्छिम जीव पैदा हो सकते हैं। ऐसे पदार्थों में मल, मूत्र, शुक्र, रक्त, श्लेष्म, मृत कलेवर आदि 14 नाम गिनाए गए हैं।
इसके अतिरिक्त जैन ग्रंथों में नौ प्रकार की योनियाँ भी बताई गई हैं, जहाँ जीवों की उत्पŸिा हो सकती है। ये जीवोत्पŸिा स्थान हैं- सचिŸा, अचिŸा, मिश्र, उष्ण, शीत, शीतोष्ण, संवृŸा (ढँके), विवृŸा और संवृŸा-विवृŸा। स्पष्ट है कि जीवों के स्वभाव और वर्ग के अनुसार जीवोत्पŸिा विभिन्न प्रकार के स्थानों पर होती है। प्रयोगशाला में भी सम्बन्धित प्राणी के लिए अनुकूल वातावरण बनाकर जीव उत्पन्न किये जा सकते हैं। जीवोत्पŸिा के ये स्थान गर्भज और अगर्भज, दोनों प्रकार के जीवों के लिए हैं। वैसे जैन दर्शन और अन्य भारतीय दर्शनों में चैरासी लाख प्रकार की जीवयोनियाँ बताई गई हैं, जिनमें जीवों के उत्पŸिास्थान के प्रचुर विकल्पों पर विचार किया गया है। लेकिन समझने के लिए उन्हें विभिन्न श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है।
जैन दर्शन और आधुनिक विज्ञान, दोनों अपनी-अपनी शब्दावली में यह स्वीकार करते हैं कि अनेक प्रकार से प्राणियों की उत्पŸिा संभव है। नर-मादा संयोग के बिना एवं गर्भ के बिना भी प्राणियों की उत्पŸिा होती है। प्रसंगवश यहाँ उन लोगों का यह पोचा तर्क भी खारिज हो जाता है कि पौल्ट्री फाॅर्म में अण्डे उत्पन्न करने वाली मुर्गियों को मुर्गों का संसर्ग नहीं मिलता है, इसलिए अनिषेचित अण्डा शाकाहार है! सामान्य बोध (काॅमन सेंस) से भी अण्डे को शाकाहार कहना सर्वथा मिथ्या है। वस्तुतः ‘शाकाहारी अण्डा’ एक गलत और अवैज्ञानिक शब्द-प्रयोग भी है। कुछ शिक्षित लोग भी ऐसे शब्द-जाल में उलझ जाते हैं। ‘अहिंसा मीट’ भी एक ऐसा ही भ्रामक नामकरण है।
जहाँ तक स्टेम सेल तकनीक की बात है, वह प्राणी जगत के अलावा वनस्पति जगत में भी किसी न किसी रूप में खेती-बाड़ी और बागवानी में प्रयुक्त होती है। वनस्पति की कलम (टहनी) से नया पौधा उगाने को ‘पारम्परिक स्टेम सेल विधि’ कहा जा सकता है। आधुनिक जीव-विज्ञान की दो मुख्य शाखाएँ हैं- वनस्पति विज्ञान और प्राणी विज्ञान। वनस्पति विज्ञान में सभी प्रकार की वनस्पतियों का अध्ययन-अनुसंधान किया जाता है। उसमें कृषि और उद्यानिकी भी आ जाते हैं। वनस्पति विज्ञान की तुलना में प्राणी विज्ञान अधिक विस्तृत विषय है। जैन दर्शन की भाषा में प्राणी विज्ञान में बेइन्द्रिय प्राणियों से लेकर पंचेन्द्रिय प्राणियों तक का अध्ययन व अनुसंधान सम्मिलित है।
‘अहिंसा मीट’ शब्द को लेकर जिस तकनीक की चर्चा की गई है, वह प्राणी विज्ञान से जुड़ी है। उसमें जानवरों की मूल कोशिका से मांस विकसित करने की बात कही गई है। निश्चित ही, प्रयोगशालाओं में उस जानवर का मांस बनेगा, जिस जानवर की मूल कोशिका (स्टेम सेल) से वह बनाया जाएगा। ऐसे मांस को ‘लैब-मीट’ या कुछ और नाम दिया जा सकता है, लेकिन ‘अहिंसा-मीट’ नाम किसी भी तरह से उपयुक्त, तर्कसंगत और स्वीकार्य नहीं है। ‘अहिंसा’ और ‘मीट’ (मांस), ये दो विरोधी शब्द हैं। ‘क्लीन मीट’ शब्द भी भ्रामक है। भारत या दुनिया के किसी भी निष्ठावान शाकाहारी परिवार में किसी भी प्रकार के मांस को कभी क्लीन, साफ, शुद्ध या पवित्र नहीं माना जाता है। प्रयोगशाला के मांस को भी ‘क्लीन’ कहना अनुचित है।
देश-दुनिया में अहिंसक और शाकाहारी जीवनशैली जीने वाले करोड़ों व्यक्ति और परिवार हैं। उन्हें अपने जीवन के संवेदनशील और महत्वपूर्ण विषयों में भ्रांतियाँ पैदा करने वाले शब्दों और विचारों के बारे में चैकन्ना रहना चाहिये। कहीं ऐसा न हो कि ऐसे शब्दों के चक्कर में वे अपने सुविचारित, शुद्ध व सात्विक आहार को दूषित कर बैठें। ऐसे विषय में प्राणी विज्ञान, आहार विज्ञान और समाज विज्ञान के विशेषज्ञों एवं शास्त्रों के विद्वानों से आशा की जाती है कि वे अपनी उपयोगी राय से समाज को सावधान करें। आज का प्रयोगधर्मी विज्ञान छोटे से छोटे तथ्य को भी शोध, खोज, अनुसंधान और सर्वेक्षण का विषय बनाता है। वैसी प्रयोगधर्मी चेतना धर्म, दर्शन और अहिंसा के क्षेत्र में भी जागनी या जगानी चाहिये। ऐसा होने से वैज्ञानिक और व्यावसायिक उन्नतियों पर मूल्यात्मक चेतना का अंकुश लग सकेगा।
सुगन हाउस,
18, रामानुज अय्यर स्ट्रीट,
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विशेष : कटिहार: बर्खास्त राज्यपाल बन गये थे सांसद
सांसद --- कटिहार --- तारिक अनवर --- मुसलमान (इस्तीफा)विधान सभा क्षेत्र --- विधायक --- पार्टी --- जातिकटिहार --- तारकिशोर प्रसाद --- भाजपा --- बनियाकदवा --- शकील अहमद खान --- कांग्रेस --- मुसलमानबलरामपुर --- महबूब आलम --- माले --- मुसलमानप्राणपुर --- विनोद सिंह --- भाजपा --- कुशवाहामनिहारी --- मनोहर सिंह --- कांग्रेस --- आदिवासीबरारी --- नीरज कुमार --- राजद --- यादव
2014 में वोट का गणित
तारिक अनवर --- एनसीपी --- मुसलमान --- 431292 (44 प्रतिशत)
निखिल चौधरी --- भाजपा --- भूमिहार --- 316552 (32 प्रतिशत)
रामप्रकाश महतो --- जदयू --- सूड़ी --- 100765 (10 प्रतिशत)
2014 में एनसीपी के टिकट पर निर्वाचित हुए तारिक अनवर ने लोकसभा से इस्तीफा दे दिया है। वे बाद में कांग्रेस में शामिल हो गये। इससे पहले वे चार बार कांग्रेस के टिकट निर्वाचित हो चुके थे। वे लंबे तक कांग्रेस से जुड़े रहे थे। बाद में शरद पवार के साथ मिलकर एनसीपी बनायी थी और महाराष्ट्र से दो बार राज्यसभा के लिए निर्वाचित हुए थे, लेकिन पिछले दिनों राफेल विवाद पर शरद पवार के बयान से नाराज होकर उन्होंने लोकसभा से इस्तीफा दे दिया था। कटिहार लोकसभा का अस्तित्व 1957 में पहली बार अस्तित्व में आया था। इसके बाद विभिन्न पार्टियों के उम्मीदवार जीतते रहे। विभिन्न जातियों के लोग भी जीतते रहे हैं।
सामाजिक बनावट
कटिहार की राजनीति में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण एक बडा फैक्टर रहा है। इस क्षेत्र में सवर्ण जातियों की आबादी काफी कम है। इसके बाद भी भूमिहार जाति के निखिल चौधरी तीन पर तारिक अनवर को पराजित कर जीतते रहे तो उसमें धार्मिक गोलबंदी की बड़ी भूमिका थी। संसदीय क्षेत्र में मुसलमानों की बड़ी आबादी है। सूरजापुरी और शेरशाहबादी मुसलमानों की भी बड़ी आबादी है। सवर्ण मुलसलान भी बड़ी संख्या में हैं। यादव की आबादी डेढ़-दो लाख होगी। वैश्यों की भी बड़ी आबादी है। व्यावसायिक केंद्र होने के कारण संसदीय क्षेत्र में बनियों का वर्चस्व है। अतिपिछड़ों की भी काफी आबादी है।
एक राज्यपाल ऐसा भी
विश्वनाथ प्रसाद सिंह के प्रधानमंत्रित्व काल में 1990 में मो. युनूस सलीम बिहार के राज्यपाल थे। लालू यादव मुख्यमंत्री हुआ करते थे। इसी दौरान केंद्र में विश्वनाथ प्रताप सिंह के इस्तीफे के बाद चंद्रशेखर सिंह प्रधानमंत्री बने थे। प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ने राज्यपाल युनूस सलीम को इस्तीफा देने को कहा। युनूस सलीम ने राज्यपाल के पद से इस्तीफा देने से मना कर दिया। इसके बाद राष्ट्रपति ने युनूस सलीम को बर्खास्त कर दिया। उसी समय 1991 में लोकसभा चुनाव होने वाला था। लालू यादव ने बर्खास्त राज्यपाल को कटिहार से जनता दल का टिकट थमा दिया। इस संबंध में राजद के एक कार्यकर्ता कहते हैं कि साहब (लालू यादव) ने कहा कि इन्हें ट्रेन में बैठाकर कटिहार ले जाओ और हमलोगों ने युनूस सलीम को लोकसभा भेज दिया। युनूस सलीम चुनाव लड़ने को तैयार नहीं थे, लेकिन लालू यादव की हवा में जीत गये।
कौन-कौन हैं दावेदार
कटिहार लोकसभा क्षेत्र से महागठबंधन के स्वाभाविक दावेदार तारिक अनवर माने जा रहे हैं। पिछले चुनाव में एनसीपी के उम्मीदवार थे, अब कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ेंगे। हालांकि राजद कार्यकर्ताओं का मानना है कि कटिहार समाजवाद की जमीन है और वैसे में यह सीट राजद को मिलना चाहिए। बरारी से राजद विधायक नीरज कुमार कहते हैं कि राजद कार्यकर्ताओं की भावनाओं का सम्मान किया जाना चाहिए। उधर एनडीए खेमे में माना जा रहा है कि भाजपा के निखिल कुमार चौधरी को फिर टिकट मिल सकता है। लेकिन यह तय नहीं है। कई दावेदार अब सामने आने लगे हैं और निखिल चौधरी की उम्र का हवाला देकर उनकी दावेदारी पर सवाल उठा रहे हैं। नये दावेदारों में कटिहार के भाजपा विधायक तारकिशोर प्रसाद को प्रमुख दावेदार माना जा रहा है। वे तीसरी बार विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए हैं। पूर्व विधायक विभाषचंद्र चौधरी भी दावेदार हो सकते हैं। विधान पार्षद अशोक अग्रवाल भी दावेदारों के दौर में शामिल हैं। यदि यह सीट जदयू के खाते में जाती है तो इस सीट से पूर्व विधायक दुलालचंद गोस्वामी उम्मीदवार हो सकते हैं। इसके अलावा पिछले चुनाव में जदयू के उम्मीदवार रहे रामप्रकाश महतो भी दावेदार हो सकते हैं।
---साभार : बीरेंद्र यादव---
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