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बिहार : भाकपा-माले से संबद्ध खेग्रामस का छठा राष्ट्रीय सम्मेलन 19-20 नवबंर को जहानाबाद में

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■ सम्मेलन के अवसर पर 19 नवंबर को जहानाबाद में भाजपा भगाओ-गरीब बचाओ रैली का होगा आयोजन.■ माले महासचिव काॅ. दीपंकर भट्टाचार्य रैली को करेंगे संबोधित■ 23 राज्यों के 1100 प्रतिनिधि सम्मेलन में हिस्सा लेंगे,ज्यां द्रेज,डीएम दिवाकर आदि अतिथि के बतौर आमंत्रित किये गए हैं!■ ‘मजदूर-किसानों ने ठाना है, लुटेरी मोदी सरकार को भगाना है’ के केंद्रीय नारे के साथ हो रहा है सम्मेलन.
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पटना 16 नवंबर 2018, भाकपा-माले से संबद्ध अखिल भारतीय खेत व ग्रामीण मजदूर सभा (खेग्रामस) का छठा राष्ट्रीय सम्मेलन आगामी 19-20 नवंबर को जहानाबाद में होगा. आज पटना में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधीत करते हुए खेग्रामस के राष्ट्रीय महासचिव का. धीरेन्द्र झा ने बयान जारी कहा कि यह सम्मेलन ‘मजदूर-किसानों ने ठाना है, लुटेरी मोदी सरकार को भगाना है’ के केंद्रीय नारे के साथ हो रहा है. सम्मेलन के अवसर पर जहानाबाद के गांधी मैदान में भाजपा भगाओ-गरीब बचाओ रैली भी आयोजित होगी, जिसे भाकपा-माले के महासचिव काॅ. दीपंकर भट्टाचार्य मुख्य वक्ता के बतौर संबोधित करेंगे. सम्मेलन में प्रख्यात अर्थशास्त्री ज्यां ड्रेज, एएन सिन्हा के पूर्व निदेशक डीएम दिवाकर, आशीष रंजन आदि अर्थशास्त्री भी शिरकत करेंगे. दलित और आदिवासी अधिकार आंदोलन के कई संगठनों को भी सम्मेलन में आमंत्रित किया गया है. राष्ट्रीय सम्मेलन जहानाबाद में हो रहा है जो खेतिहर मजदूरों व गरीब किसानों के क्रांतिकारी आंदोलन की धरती रही है. इस सम्मेलन से उस आंदोलन को और बल मिलेगा. का. धीरेन्द्र झा ने आगे कहा कि  मोदी राज में गांव व गरीबों की स्थिति बद से बदतर हुई है. नोटबंदी ने कृषि मजदूरों व गरीब किसानों और ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर काफी नकारात्मक असर डाला है. बेरोजगारी आज चरम पर है. एक बार फिर भूख से हो रही मौतों का भूगोल विस्तृत हुआ है. बगल के राज्य भाजपा शासित झारखंड में अब तक कई भूख से मौतों का उदाहरण हमारे सामने है. देश को लूटने वाले विदेश भाग जा रहे हैं और भगोड़ों को सरकारी संरक्षण देने का खेल चल रहा हे. इन संकटों का बोझ गांव, गरीबों और मजदूर-किसानों पर लाद दिया गया है. बिहार में आज गरीबों को वास-चास की जमीन देने की बजाए भाजपा-जदयू राज में हर जगह से उजाड़ा जा रहा है. जैसे कोई गरीब उजाड़ो अभियान चल रहा हो. ये सब हमारे राष्ट्रीय सम्मेलन के मुद्दे होंगे. सम्मेलन में इन मुद्दों के अलावा देश-परदेश में मजदूरों की सुरक्षा व सम्मान की गारंटी हेतु केंद्रीय कानून बनाने, सबों के लिए राशन-रोजगार व पेंशन की गारंटी करने, बच्चे-बच्चियों के लिए समान व गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की व्यवस्था करने आदि मांगों को भी प्रमुखता से उठाया जाएगा. कहा कि सम्मेलन व रैली से केंद्र की मोदी सरकार व बिहार की भाजपा-जदयू सरकार के खिलाफ निर्णायक संघर्ष का ऐलान होगा. सांप्रदायिक उन्माद के खिलाफ संविधान, लोकतंत्र व जनाधिकारों की रक्षा के लिए इस अभियान में बिहार की जनता से सहयोग व समर्थन अपेक्षित है. धीरेंद्र झा ने कहा कि खेग्रामस का 20 लाख सदस्यता के आधार पर यह 6ठा सम्मेलन हो रहा है। सम्मेलन में चम्पारण, दरभंगा, बेगूसराय, गया, पटना समेत पूरे देश में गरीबों-दलितों-आदिवासियों को चास-वास से उजाड़ने की मुहिम के खिलाफ आंदोलनात्मक रणनीति पर चर्चा होगी। संगठन द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में कहा गया है कि हदबंदी की सीमा कम करते हुए भूमिसुधार लागू हो, बेतिया राज़ की जमींदारी का सरकार अधिग्रहण करे, नया बटाईदारी कानून बने, आवास के अधिकार को संवैधानिक दर्जा मिले तथा काले धन-काली सम्पत्ति को जब्त करने को लेकर अधिकतम दो प्लाट-दो जगहों पर मकान की सीमा निर्धारित करने को लेकर कानून बने। इस मौके पर पूर्व सांसद और संगठन के राष्ट्रीय अध्य्क्ष रामेश्वर प्रसाद और पंकज सिंह भी उपस्थित थे.

निर्विक सिंह रेमंड अपैरल के नए चेयरमैन

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विजय सिंह,आर्यावर्त डेस्क,बैंगलोर ,16 नवंबर ,2018,  पिछले कुछ दिनों से पुरुष परिधानों की दुनिया के जाने माने ब्रांड रेमंड के संस्थापक विजयपत सिंघानिया और उनके बेटे व रेमंड लिमिटेड के वर्त्तमान चेयरमैन गौतम सिंघानिया के बीच चल रहे विवादों से सुर्ख़ियों में रहे रेमंड समूह ने अपनी सहभागी कंपनी रेमंड अपैरल लिमिटेड में निर्विक सिंह की ताजपोशी नए चेयरमैन के रूप में की है. पार्क एवेन्यू ,कलर प्लस ,पार्क्स और रेमंड रेडी टू वियर जैसे सशक्त प्रधान वाली ब्रांड कंपनी रेमंड अपैरल के नए गैर कार्यकारी अध्यक्ष निर्विक सिंह को २७ वर्षों का वैश्विक विपणन और संचार उद्योग का गहन अनुभव है . वर्त्तमान में निर्विक ग्रे ग्रुप एशिया पैसिफिक के चेयरमैन हैं. यूनिलीवर की अनुषंगी इकाई लिपटन इंडिया से कैरियर की शुरुआत करने वाले निर्विक को वर्ष २०११ में ही रेमंड अपैरल के बोर्ड में स्वतंत्र निदेशक के रूप में शामिल किया गया था. उद्योग जगत में बेहतर प्रदर्शन के लिए निर्विक को राष्ट्रीय एकता और आर्थिक परिषद् द्वारा भारत निर्माण रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है. निर्विक की रेमंड अपैरल लिमिटेड में गैर कार्यकारी चेयरमैन के रूप में नियुक्ति पर रेमंड लिमिटेड के चेयरमैन सह प्रबंध निदेशक गौतम सिंघानिया ने कहा कि वे हमेशा से कंपनी सञ्चालन में प्रोफेशनल्स को मौका दिए जाने के पक्षधर रहे हैं और उन्हें उम्मीद है कि निर्विक सिंह रेमंड अपैरल को अपने सक्षम नेतृत्व व लम्बे अनुभव से नयी उंचाईं तक ले जायेंगे.

विशेष आलेख : मीटू की तरह घरेलू हिंसा पर आन्दोलन हो

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स्वतंत्र भारत में यह कैसा समाज बन रहा है, जिसमें करीब एक-तिहाई शादीशुदा महिलाएं पतियों से पिटती हैं। वडोदरा के गैर सरकारी संगठन ‘सहज’ और इक्वल मेजर्स 2030 के एक सर्वे के अनुसार 15 से 49 साल के आयु वर्ग की महिलाओं में से करीब 27 फीसदी घरेलू हिंसा बर्दाश्त करती आ रही हैं। महिलाओं की आजादी छीनने की कोशिशें और उससे जुड़ी हिंसक एवं त्रासदीपूर्ण घटनाओं ने बार-बार हम सबको शर्मसार किया है। भारत के विकास की गाथा पर यह सर्वेक्षण किसी तमाचे से कम नहीं है। विडंबना यह है कि इनमें से ज्यादातर महिलाओं को इस तरह की घरेलू हिंसा से कोई खास शिकायत भी नहीं है। मतलब यह कि उन्होंने इसे अपनी नियति मानकर स्वीकार कर लिया है। लेकिन क्यों? 

एक टीस से मन में उठती है कि आखिर नारी का जीवन कब तक इस तरह की घरेलू हिंसा के खतरों से घिरा रहेगा। पतियों की हिंसा से बच भी जाये तो बलात्कार, छेड़खानी, भू्रण हत्या और दहेज की धधकती आग में वह कब तक भस्म होती रहेगी? कब तक उसके अस्तित्व एवं अस्मिता को नौचा जाता रहेगा? कब तक खाप पंचायतें नारी को दोयम दर्जा का मानते हुए तरह-तरह के फरमान जारी करती रहेगी? भरी राजसभा में द्रौपदी को बाल पकड़कर खींचते हुए अंधे सम्राट धृतराष्ट्र के समक्ष उसकी विद्वत मंडली के सामने निर्वस्त्र करने के प्रयास के संस्करण आखिर कब तक शक्ल बदल-बदल कर नारी चरित्र को धुंधलाते रहेंगे? ऐसी ही अनेक शक्लों में नारी के वजूद को धुंधलाने की घटनाएं- जिनमें नारी का दुरुपयोग, उसके साथ अश्लील हरकतें, उसका शोषण, उसकी इज्जत लूटना और हत्या कर देना- मानो आम बात हो गई हो।  विरोधाभासी सत्य तो ताजा सर्वेक्षण से उजागर हुआ है जिसमें पन्द्रह साल की उम्र से ही महिलाएं अपने पतियों की हिंसा का शिकार होती है। महिलाओं पर हो रहे इस तरह के अन्याय, अत्याचारों की एक लंबी सूची रोज बन सकती है। न मालूम कितनी महिलाएं, कब तक ऐसे जुल्मों का शिकार होती रहेंगी। कब तक अपनी मजबूरी का फायदा उठाने देती रहेंगी। दिन-प्रतिदिन देश के चेहरे पर लगती यह कालिख को कौन पोछेगा? कौन रोकेगा ऐसे लोगों को जो इस तरह के जघन्य अपराध करते हैं, नारी को अपमानित करते हैं। भारत में पिछले कुछ सालों से घर से लेकर सड़क और कार्यस्थल तक महिलाओं के उत्पीड़न एवं हिंसा का मुद्दा राष्ट्रीय विमर्श का हिस्सा बना है। हाल में मीटू आंदोलन ने इसे और ऊंचाई दी है और खासकर कामकाजी दायरे में यौन शोषण के मुद्दे को केंद्र में ला दिया है। लेकिन गौर करने की बात है कि अभी सारी बहस महिलाओं के सार्वजनिक जीवन को लेकर ही हो रही है। महिलाओं की घरेलू हिंसा के बारे में तो अभी बात शुरू भी नहीं हुई है कि घर के भीतर उन्हें कैसी त्रासद एवं हिंसक घटनाओं को झेलना पड़ रहा है। इस विषय पर चर्चा शायद इस लिए भी नहीं होती कि भारत में घर को एक पवित्र जगह के तौर पर देखा जाता है और इसके भीतरी माहौल को सार्वजनिक चर्चा के दायरे में लाना मर्यादा के खिलाफ समझा जाता है। पुरुष-प्रधान समाज को उन आदतों, वृत्तियों, महत्वाकांक्षाओं, वासनाओं एवं कट्टरताओं को अलविदा कहना ही होगा जिनका हाथ पकड़कर वे उस ढ़लान में उतर गये जहां रफ्तार तेज  है और विवेक अनियंत्रित हैं जिसका परिणाम है नारी पर हो रही घरेलू हिंसा, नित-नये अपराध और अत्याचार। पुरुष-प्रधान समाज के प्रदूषित एवं विकृत हो चुके तौर-तरीके ही नहीं बदलने हैं बल्कि उन कारणों की जड़ों को भी उखाड़ फेंकना है जिनके कारण से बार-बार नारी को जहर के घूंट पीने को विवश होना पड़ता है।

आखिर नारी हर घर एवं परिवार की धूरी होती है, आधारशिला होती है, उसे उसी परिवेश में ‘माँ’ का महत्त्वपूर्ण पद और संबोधन मिला। वह निर्मात्री है, सृष्टा है, संरक्षण देती है, पोषण करती है, बीज को विस्तार देती है, अनाम उत्सर्ग करती है, समर्पण का सितार बजाती है, आश्रय देती है, ममता के आँचल में सबको समेट लेती है और सब कुछ चुपचाप सह लेती है। इसीलिए उसे ‘माता’ का गौरवपूर्ण पद मिला। माँ की भूमिका यही है। घर के भीतर होने वाली घटनाएं घर के सदस्यों का निजी मामला मानी जाती हैं। पितृसत्ता के हाथों घर-आंगन में पिस रही औरतों के अधिकार का प्रश्न बीच में एक बार उठा, जिससे निपटने के लिए घरेलू हिंसा कानून बनाया गया। लेकिन उसका भी अनुपालन इसलिए नहीं हो पाता क्योंकि प्रायः स्वयं महिलाएं ही परिवार की मर्यादा पर आघात नहीं करना चाहतीं। फिर उन्हें यह भी लगता है कि पति के खिलाफ जाने से उनका जीवन संकट में पड़ सकता है। इसका एक कारण पति पर उनकी आर्थिक निर्भरता होती है लेकिन जो महिलाएं आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होती हैं, वे भी घरेलू हिंसा कानून का सहारा नहीं लेतीं क्योंकि उन्हें यह डर सताता है कि परिवार से अलग होते ही वे न सिर्फ लंपट पुरुषों के बल्कि पूरे समाज के निशाने पर आ जाएंगी। सचाई यह है कि कोई अकेली आत्मनिर्भर महिला भी चैन से अपना जीवन गुजार सके, ऐसा माहौल हमारे यहां अभी नहीं बन पाया है। कुछ महिलाएं अपने बच्चों के भविष्य के लिए घरेलू हिंसा बर्दाश्त करती हैं। एक कहावत है कि औरत जन्मती नहीं, बना दी जाती है और कई कट्ट्टर मान्यता वाले औरत को मर्द की खेती समझते हैं। कानून का संरक्षण नहीं मिलने से औरत संघर्ष के अंतिम छोर पर लड़ाई हारती रही है। इसीलिये आज की औरत को हाशिया नहीं, पूरा पृष्ठ चाहिए। पूरे पृष्ठ, जितने पुरुषों को प्राप्त हैं। नारी का दुनिया में सर्वाधिक गौरवपूर्ण सम्मानजनक स्थान है। नारी धरती की धुरा है। स्नेह का स्रोत है। मांगल्य का महामंदिर है। परिवार की पी़िढ़का है। पवित्रता का पैगाम है। उसके स्नेहिल साए में जिस सुरक्षा, शाीतलता और शांति की अनुभूति होती है वह हिमालय की हिमशिलाओं पर भी नहीं होती। सुप्रसिद्ध कवयित्रि महादेवी वर्मा ने ठीक कहा था-‘नारी सत्यं, शिवं और सुंदर का प्रतीक है। उसमें नारी का रूप ही सत्य, वात्सल्य ही शिव और ममता ही सुंदर है। इन विलक्षणताओं और आदर्श गुणों को धारण करने वाली नारी फिर क्यों बार-बार घरेलू हिंसा की शिकार होती है, क्यों छली जाती है, क्यों लूटी जाती है?

पिछले कुछ दिनों में इंडिया ने कुछ और ऐसे मौके दिए जब अहसास हुआ कि भू्रण में किसी तरह नारी अस्तित्व बच भी जाए तो दुनिया के पास उसके साथ और भी बहुत कुछ है बुरा करने के लिए। बहशी एवं दरिन्दे लोग ही नारी को नहीं नोचते, उसके जीवनसाथी, समाज के तथाकथित ठेकेदार कहे जाने वाले लोग और पंचायतंे भी नारी की स्वतंत्रता एवं अस्मिता को कुचलने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रही है, नारी के साथ नाइंसाफी की इन स्थितियों पर आत्म-मंथन जरूरी है, उस अहं का शोधन जरूरी है जिसमें पुरुष-समाज श्रेष्ठताओं को गुमनामी में धकेलकर अपना अस्तित्व स्थापित करना चाहता है।  समस्या के समाधान के लिए महिलाओं को शिक्षित, सशक्त और आत्मनिर्भर बनना चाहिए। सरकारी पहल पर नौकरी से लेकर कारोबार तक में उनकी भागीदारी बढ़ाई जानी चाहिए। लेकिन सबसे बढ़कर परिवार के प्रति हमारी धारणा बदलनी चाहिए। परिवार स्वतंत्र मनुष्यों का आपसी रिश्ता है। कोई पूज्य प्रतिमा नहीं, जिसके भीतर किसी के साथ कोई कुछ भी कर गुजरे। इसलिए जहां भी उत्पीड़न देखें, शिकायत करें। यह सोचकर चुप न बैठें कि कल कोई आपकी इज्जत भी चैराहे पर उछाल जाएगा। नारी को अपने आप से भी रूबरू होना होगा, जब तक ऐसा नहीं होता लक्ष्य की तलाश और तैयारी दोनों अधूरी रह जाती है। स्वयं की शक्ति और ईश्वर की भक्ति भी नाकाम सिद्ध होती है और यही कारण है कि जीने की हर दिशा में नारी औरों की मुहताज बनती हैं, औरों का हाथ थामती हैं, उनके पदचिन्ह खोजती हैं। कब तक नारी औरों से मांगकर उधार के सपने जीती रहेंगी। कब तक औरों के साथ स्वयं को तौलती रहेंगी और कब तक बैशाखियों के सहारे मिलों की दूरी तय करती रहेंगी यह जानते हुए भी कि बैशाखियां सिर्फ सहारा दे सकती है, गति नहीं? हम बदलना शुरू करें अपना चिंतन, विचार, व्यवहार, कर्म और भाव। मौलिकता को, स्वयं को एवं स्वतंत्र होकर जीने वालों को ही दुनिया सर-आंखों पर बिठाती है। घर-परिवार में महिलाओं पर होने वाली घरेलू हिंसा को रोकने के लिये जरूरी है कि एक ऐसे घर का निर्माण करे जिसमें प्यार की छत हो, विश्वास की दीवारें हों, सहयोग के दरवाजे हों, अनुशासन की खिड़कियाँ हों और समता की फुलवारी हो। 




(ललित गर्ग)
बी-380, निर्माण विहार, 
दूसरा माला दिल्ली-110092
मो, 9811051133

बिहार : 12 सूत्री मांग को लेकर 1 दिसम्बर से आशा कर्मियों की बेमियादी हड़ताल

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पटना: बिहार में कार्यरत लाखों आशा कर्मियों को सरकारी कर्मी का दर्जा देने ,मानदेय 18000 रुपये प्रतिमाह सुनिश्चित करने सहित अन्य 12 सूत्री मांगों  पर आशा कर्मियों से जुड़े राज्य के विभिन्न संगठनों ने मिलकर "आशा संयुक्त संघर्ष मंच"का गठन किया है तथा राज्य में 1 दिसंबर 18 से अनिश्चितकालीन हड़ताल की घोषणा की है । इस अनिश्चितकालीन हड़ताल की तैयारियों को लेकर कल दिनांक 16 नवंबर को 1 बजे से राजधानी पटना के आईएमए हॉल में "आशा  संयुक्त संघर्ष मंच"की ओर से एक राज्य स्तरीय कन्वेंशन* आहूत  है । राज्य के आशा कर्मियों के इस राज्य स्तरीय कन्वेंशन को विभिन्न आशा संघों के राज्य स्तरीय नेताओं/ केंद्रीय ट्रेड यूनियन के नेताओं तथा होने वाले हड़ताल के समर्थन में अन्य संविदा कर्मियों के संघों के राज्यस्तरीय नेतागण संबोधित करेंगे ।

बेगूसराय : अल्पसंख्यक जिला सम्मेलन समारोह दिनकर कला भवन में सम्पन्न।

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बेगूसराय (अरुण शाण्डिल्य) "बेगूसराय"  बिहार प्रदेश जनता दल यूनाइटेड द्वारा आहूत अल्पसंख्यक जिला सम्मेलन दिनकर भवन बेगूसराय में जिला अध्यक्ष भूमिपाल राय की अध्यक्षता में हुई ।मंच संचालन अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ जिला अध्यक्ष एहतेशाम उल हक अंसारी ने किया । सम्मेलन में उपस्थित मुख्य वक्ता गुलाम गौस पूर्व विधान परिषद ने कहा की अल्पसंख्यक समाज के विकास के लिए राज्य सरकार संकल्पित हैं इसके लिए शिक्षा और रोजगार की अनेक योजनाओं पर माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी काम कर रहे है।अल्पसंख्यक कल्याण की दिशा में राज्य सरकार ने अनेक उल्लेखनीय पहल की है। शासन-प्रशासन शिक्षा और रोजगार मदरसों का आधुनिकीकरण उर्दू भाषा के विकास के लिए बिहार उर्दू अकादमी को सक्षम बनाया गया है।अल्पसंख्यक संस्थानों को ज्ञान और कौशल से जोड़कर उन्हें आर्थिक दृष्टि से मजबूत बनाया जा रहा है।कब्रिस्तान की घेराबंदी किया जा रहा है ।2005 के पूर्व अल्पसंख्यक समाज और मुस्लिम समाज के लिए पूर्व के लोग सिर्फ एमवाई समीकरण बनाने का काम किए नीतीश जी के शासन में शैक्षणिक स्तर,सामाजिक स्तर शिक्षा और रोजगार अल्पसंख्यकों के विकास पर कार्य किया जा रहा है। नीतीश जी के शासन में किसी भी प्रकार की दंगा नहीं हुई,अल्पसंख्यकों के हितेषी है नीतीश कुमार।नीतीश कुमार जी के शासन में 12000 उर्दू शिक्षक की बहाली हुई 12000 तालिमी मरकज की बहाली बिहार के सभी जिलों में अल्पसंख्यक छात्रावास लगभग बन चुका है। इरशाद उल्लाह बफ बोर्ड चेयरमैन ने कहा की दीवानी मुकदमे का निष्पादन जल्द से जल्द निपटारा करने के लिए टिब्यूनलका प्रयास किया जा रहा है। कब्रिस्तान का घेरा बंदी योजना का क्रियान्वयन गृह विभाग के माध्यम से कराया जा रहा है अभी तक 5175 कब्रिस्तान की घेराबंदी पूर्ण की गई शेष चिन्हित है । अफजल अब्बास राष्ट्रीय अध्यक्ष अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ ने कहा की 2005 और उससे भी पूर्व कांग्रेस और राजद ने  मुसलमानों को ठगने का काम किया देश संविधान के हिसाब से चलता है सुप्रीम कोर्ट के आदेश का सम्मान सभी को करना है  बिधायक नरेंद्र सिंह ने कहा कि देश इंसानियत से चलता है समाज मे एकता और सदभाव के माहौल से चलता है ।अनेकता में ही एकता हमारी शान है । भूमिपाल राय ने कहा कि मुख्यमंत्री श्रम योजना का उद्देश्य अल्पसंख्यक युवाओ को कौशल विकास के माध्यम से नौकरी और रोजगार का अबसर उपलब्ध कराना है । रूदल राय ने कहा कि माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अल्पसंख्यक समुदाय के लिए योजनाबद्ध तरीके से काम कर रहे है यह अल्पसंख्यक के कल्याण के लिए बढ़ते कदम है ।सम्मेलन में उपस्थित संयोजक अब्दुल हलीम ,प्रदेश महासचिवनीलू चौधरी ,कमाल उद्दीन अंसारी , गिलमन अहमद महिला अध्यक्ष अस्मत खातून ,मो0 अब्दुल्ला ,मो0 अस्मातुला बुखारी ,मो0 आजाद ,डॉ0 मेराज ,मो0 नदीम , जदयू नेता पंकज सिंह ,राम विनयसिंह ,प्रवक्ता अरुण महतो ,मीडिया सेल संयोजककुन्दन पिंटू ,सेवादल अध्यक्ष संतोष सिंह सहित जदयू के नेतागण उपस्थित हुए ।

बेगूसराय : बरौनी तेलशोधक प्रबंधन की तानाशाही को लेकर हड़ताल पर जाएंगे मजदूर

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बेगूसराय (अरुण शाण्डिल्य) बरौनी तेलशोधक मजदूर यूनियन द्वारा 7 सूत्री मांगों को लेकर  16 नवबंर को आम हड़ताल का आह्वाहन किया है। बिगत 14 दिन से आहूत आम हड़ताल को लेकर लगातार प्रबंधन से बात किया गया लेकिन प्रबंधन के मनमानी,तानाशाही पूर्ण रबैया और हठधर्मिता के कारण लगातार बार्ता असफल होते रहा है। बरौनी रिफाइनरी प्रबंधन के द्वारा लगातार तानाशाही पूवर्क मजदूरों के सुबिधा में कटौती करने का काम लगातार किया जा रहा है जैसे चिकित्सा सुविधा को खत्म करने, BRDAV स्कूल को व्यवसायीकरण करने, बोनस जैसे मुद्दे पर लगातार कुठाराघात कर रहा है। जब यूनियन द्वारा इस पर प्रबंधन से बात किया गया तो प्रबंधन ने अपनी हिटलरशाही फरमान को वापस लेने को तैयार नही हुआ। साथ ही ठेकेदार और प्रबंधन के गठजोड़ के कारण लगातार ठेका मजदूर का भी शोषण  बदस्तूर जारी है। ठेका में आवंटित PF, ESI, holiday payment, ड्रेस,जूता, हैंड ग्लोव जैसे सुबिधा भी मुहैया नही कराया  जाता है। स्थाई और अस्थाई कर्मचारियों के साथ प्रबंधन के लगातर भेदभाव पूर्ण रबैया के कारण यूनियन जब बात करने की कोशिश किया तो प्रबंधन के तरफ से कोई सकारात्मक जबाब नही दिया गया। यूनियन जब 16 नवबंर को हड़ताल का नोटिस दिया उसके बाद भी प्रबंधन ने स्ट्राइक नही हो, इसके लिए कोई सकारात्मक पहल नही किया। इस हड़ताल को आम जनता, कर्मचारी और ठेका मजदूर का व्यपाक जन समर्थन मिल रहा है साथ ही बरौनी रिफाइनरी में कार्यरत श्रमिक विकाश परिषद ने भी इस हड़ताल को समर्थन किया है। बरौनी तेलशोधक मजदूर यूनियन के महासचिव राजेन्द्र प्रसाद सिंह ने कहा कि अगर इस हड़ताल के बाद भी अगर प्रबंधन ने मनमानीपूर्ण रबैया से बाज नही आएगा और हिटलरशाही फरमान वापस नही लिया तो इसके बाद अनिश्चितकालीन हड़ताल किया जाएगा।

भोपाल : संघ से जुड़े शासकीय सेवकों को विधानसभा से सम्बंधित जिमेदारी न दी जाये

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भोपाल , विधानसभा चुनाव में जनसंगठनों की मांग को लेकर भोपाल में पत्रकार वार्ता का आयोजन किया गया इस दौरान विधानसभा चुनाव के मद्देनजर राजनीतिक पार्टियों के लिये बनाये गये मांगपत्र को सांझा किया गया. इस मांगपत्र में प्रदेश में राज्य परिवहन निगम पुनः शुरू करने, सच्चर कमिटी के सिफारिशों पर अमल करने, शिक्षा और स्वास्थ्य के निजीकरण पर रोक लागने, अवैध धार्मिक स्थलों को हटाने के संबंध में कोर्ट के फैसले का सख्ती से पालन करने, मीसाबंदियों को मिलने वाली पेंशन समाप्त करने, स्मार्ट सिटी के नाम पर पेड़ काटने पर प्रतिबंध लगाने और पत्रकारों के लिए वेतन-भत्ते और पेंशन की एक निश्चित व्यवस्था करने जैसी मांगें शामिल हैं. पत्रकारवार्ता के दौरान बताया गया कि पिछले महीने जनसंगठनों द्वारा मध्यप्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को ज्ञापन देकर मांग की गयी थी कि चूंकि संघ का हस्तेक्षप राजनीतिक रूप से भी है और भाजपा को उसका अनुषांगिक संगठन बताया जाता है इसलिये चुनाव की निष्पक्षता को ध्यान में रखते हुये  संघ से जुड़े किसी भी सरकारी कर्मचारी को विधानसभा चुनाव से सम्बंधित जिमेदारी न दी जाये और मतदान केन्द्रों में तैनात किये जाने वाले प्रत्येक शासकीय सेवक से इस आशय का का शपथपत्र  लिया जाये कि उसका आरएसएस से किसी भी प्रकार का सम्बन्ध नहीं है. इस दौरान जनसंगठनों द्वारा केरल के मुख्यमंत्री को लिखे गये पत्र को भी पढ़ कर सुनाया गया जिसमें केरल सरकार द्वारा सबरीमाला मामले में सुप्रीमकोर्ट के फैसले को दृढ़ता से पालन करने को लेकर बधाई दी गयी है. चुनावी प्रक्रिया के दौरान बच्चों के इस्तेमाल की घटनाओं को रोकने के सम्बन्ध में संगठनों द्वारा मध्यप्रदेश निर्वाचन आयोग द्वारा दिए गये ज्ञापन पर आयोग द्वारा इस सम्बन्ध में प्रदेश के सभी कलेक्टर और जिला निर्वाचन अधिकारियों को भेजे गये पत्र को लेकर भी आयोग को आभार जताया गया है. पत्रकार वार्ता को आल इंडिया सेकुलर फोरम के लज्जाशंकर हरदेनिया और मध्यप्रदेश भारत ज्ञान विज्ञान समिति की सुश्री आशा मिश्रा द्वारा संबोधित किया गया. इस दौरान वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता राजेन्द्र कोठारी, नीलेश दुबे, जनवादी लेखक संघ के मनोज कुलकर्णी और नागरिक अधिकार मंच के जावेद अनीस उपस्थित थे.

विशेष : मध्यप्रदेश की राजनीति में तीसरी ताकत का उभार- संभावनायें और सीमायें

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परम्परागत रूप से मध्यप्रदेश की राजनीति दो ध्रुवीय रही है. अभी तक यहां की राजनीति में कोई तीसरी ताकत उभर नहीं सकी है.हमेशा की तरह आगामी विधानसभा चुनाव के दौरान भी मुख्य मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच ही है लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि इस बार यह मुकाबला बहुत करीबी हो सकता है. इसे क्षेत्रीय पार्टियां एक अवसर के तौर पर देख रही हैं. प्रदेश की राजनीति में बसपा, सपा और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी जैसे पुराने दल तो पहले से ही सक्रिय हैं लेकिन इस बार कुछ नये खिलाड़ी भी सामने आये हैं जो आगामी चुनाव के दौरान अपना प्रभाव छोड़ सकते हैं. आदिवासी संगठन “जयस” और मध्यप्रदेश में स्वर्ण आन्दोलन की अगुवाई कर रहे “सपाक्स”  ने आगामी विधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान किया है. मध्यप्रदेश में अपना पहला विधानसभा चुनाव लड़ने जा रही आम आदमी पार्टी भी मैदान में  है. जाहिर है इस बार मुकाबला बहुत दिलचस्प और अलग होने जा रहा है क्योंकि ऐसा मान जा रहा है कि किसी एक पार्टी के पक्ष में लहर ना होने के कारण हार जीत तय करने में छोटी पार्टियों की भूमिका अहम रहने वाली है. इसीलिए क्षेत्रीय पार्टियों पूरी आक्रमकता के साथ अपने तेवर दिखा रही हैं जिससे चुनावके बाद वे किंगमेकर की भूमिका में आ सकें.  कांग्रेस पिछले डेढ़ दशक से मध्यप्रदेश की सत्ता से बाहर है लेकिन इस बार वो पुरानी गलतियों को दोहराना नहीं चाहती है. कांग्रेस पार्टी पूरे जोर-शोर से तैयारियों में जुटी है.कमलनाथ के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद से पार्टी में कसावट आई है, गुटबाजी भी पहले के मुकाबले कम हुई है लेकिन गुटबाजी अभी भी पूरी तरह से खत्म नहीं हुई है, इसी तरह से मध्यप्रदेश में सत्ता के खिलाफ नाराजगी तो है लेकिन अभी तक कांग्रेस इसे अपने पक्ष में तब्दील करने में नाकाम रही है.

पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान बसपा और गोंडवाना गणतंत्र जैसी पार्टियों ने 80 से अधिक सीटों पर 10,000 से ज्यादा वोट हासिल किए. जो की हार-जीत तय करने के हिसाब से पर्याप्त हैं. कांग्रेस की अंदरूनी रिपोर्ट भी मानती है कि मध्यप्रदेश के करीब 70 सीटें ऐसी हैं जहां क्षेत्रीय दलों के मैदान में होने कि वजह से कांग्रेस को वोटों का नुकसान होता आया है जिसमें बसपा सबसे आगे है. इसीलिये कांग्रेस कि तरफ से बसपा के साथ गठबंधन को लेकर सबसे ज्यादा जोर दिया जा रहा था.  वहीं दूसरी तरफ सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी अच्छी तरह से जानती है कि कांग्रेस के हाथों मध्यप्रदेश की सत्ता गंवाना उसके लिये कितना भारी पड़ सकता है. भाजपा के लिये गुजरात के बाद मध्यप्रदेश सबसे बड़ा गढ़ है और कांग्रेस उसे यहां की सत्ता से बेदखल करने में कामयाब हो जाती है तो इसे इसका बड़ा मनोवैज्ञानिक लाभ मिलेगा. पिछले दो चुनाव की तरह मध्यप्रदेश में इस बार बीजेपी के लिए राह आसान दिखाई नहीं दे रही है. इस बार कांग्रेस कड़ी चुनौती पेश करती हुई नजर आ रही है.किसान आंदोलन, गंभीर भ्रष्टाचार के आरोप तो पहले से ही थे, इधर उसे  सवर्णों की नाराजगी को भी झेलना पड़ रहा है.  पिछले दिनों सवर्णों के गुस्से को देखते हुये शिवराज सिंह ने ऐलान किया था कि  ‘प्रदेश में बिना जांच के एट्रोसिटी एक्ट के तहत मामले दर्ज नहीं किए जाएंगे’ लेकिन इससे भी सवर्णों की नाराजगी कम नहीं हुई है उलटे सपाक्स ने सभी सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है. अगर चुनाव तक भाजपा  सवर्णों की नाराजगी को शांत नहीं कर पायी तो इसका खामियाजा उसे भुगतना पड़ सकता है.  मध्यप्रदेश में विधानसभा की कुल 230 सीटें हैं जिनमें से 82 सीटें अनुसूचित जाति, जनजाति के लिये आरक्षित हैं जबकि 148 सामान्य सीटें की है, भाजपा की चिंता इसी 148 सामान्य सीटों को लेकर है जिस पर सपाक्स के आन्दोलन का प्रभाव पड़ सकता है. 

मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड, विंध्य, ग्वालियर-चंबल और उत्तर प्रदेश से लगे जिलों  में बहुजन समाज पार्टी व समाजवादी का प्रभाव माना जाता है जबकि महाकौशल के जिलों में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का असर है. 2003 के विधानसभा चुनाव के दौरान गोंडवाणा गणतंत्र पार्टी ने 3 सीटें जीती थीं लेकिन इसके बाद से आपसी बिखराव के कारण उसका प्रभाव कम होता गया है. पिछले चुनाव के दौरान उसे करीब 1 प्रतिशत वोट मिले थे.ऐसा माना जाता है कि गोंडवाणा गणतंत्र पार्टी का अभी भी  शहडोल,अनूपपुर,  डिंडोरी, कटनी, बालाघाट और छिंदवाड़ा जिलों के करीब 10 सीटों पर प्रभाव है. 2003 के विधानसभा चुनाव के दौरान समाजवादी 8 सीटें जीतकर मध्यप्रदेश की तीसरी सबसे बड़ी ताकत के रूप में उभरी थी. प्रदेश में उसके एक भी विधायक नहीं हैं, पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान सपा को करीब सवा प्रतिशत वोट हासिल हुये थे. बहुजन समाज पार्टी के साथ कांग्रेस, सपा और गोंगपा से भी गठबंधन करना चाहती थी लेकिन इस पर भी अभी तक कोई फैसला नहीं हो सका है. इन सबके बीच सपा और गोंगपा के एक साथ मिलकर चुनाव लड़ने की संभावना बन रही है. 2013 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान बसपा तीसरी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी. उसके चार प्रत्याशी जीते थे.इस चुनाव में बसपा को करीब 6.29 प्रतिशत वोट मिले थे जबकि 11 अन्य सीटों पर उसके उम्मीदवार दूसरे नंबर पर रहे थे. इस पर बसपा 15 सीटें जीतकर सत्ता की मध्यप्रदेश में सत्ता की चाभी अपने हाथ में रखने का ख्वाब देख रही है. लेकिन ये आसान नहीं है. इस दौरान पार्टी के कई नेता पार्टी छोड़ चुके हैं जिसका असर आगामी चुनाव में पड़ सकता है. इसी तरह से कांग्रेस के साथ गठबंधन ना होने का नुकसान बसपा को भी उठाना पड़ेगा. बसपा अगर सभी सीटों पर चुनाव लड़ती है तो इसका सबसे ज्यादा फायदा भाजपा को होगा.   

इन तीनों पार्टियों के वोटबैंक भले ही कम हो लेकिन यह असरदार हैं, इनकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि इनका प्रभाव पूरे प्रदेश में बिखरा न होकर कुछ खास जिलों और इलाकों में केंद्रित है. जिसकी वजह से यह पार्टियां अपने प्रभाव क्षेत्र में हार-जीत को प्रभावित करने में सक्षम हैं. आम आदमी पार्टी पहली बार मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव में उतरने जा रही है. पार्टी काफी पहले ही प्रदेश सभी 230 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुकी है. पार्टी के प्रदेश संयोजक आलोक अग्रवाल को मुख्यमंत्री पद के दावेदार के रूप में पेश किया है. आलोक अग्रवाल लम्बे समय से नर्मदा बचाओ आंदोलन में सक्रिय रहे हैं. “सपाक्स” और “जयस” जैसे संगठनों ने भी  विधानसभा चुनाव में उतरने का ऐलान किया था  सपाक्स ने तो बाकायदा पार्टी बनाकर प्रदेश के सभी सीटों से राजनीति में उतरने का ऐलान कर दिया है जबकि “जयस” के हीरालाल अलावा को कांग्रेस प्रत्याशी घोषित किए जाने के बाद से अब इसके चुनाव लड़ने की संभावाना नहीं है . सपाक्स यानी सामान्य, पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक वर्ग अधिकारी कर्मचारी संस्था मध्य प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों, अधिकारियों का संगठन है जो प्रमोशन में आरक्षण और एट्रोसिटी एक्ट के ख़िलाफ आन्दोलन चला रहा है. सपाक्स ने 2 अक्टूबर 2018, गांधी जयंती के मौके पर अपनी नयी पार्टी लॉन्च करते हुए सभी 230 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया है. सपाक्स का सवर्णों और ओबीसी समुदाय के एक बड़े हिस्से पर प्रभाव माना जा रहा है. सपाक्स के नेता हीरालाल त्रिवेदी ने कहा है कि उनके संगठन ने राजनीतिक दल के पंजीयन के लिये चुनाव आयोग में आवेदन किया है. यदि चुनाव से पहले पंजीयन नहीं होता है तो भी सपाक्स पार्टी निर्दलीय उम्मीदवार खड़ा करके चुनाव लड़ेगी. जानकार मानते हैं कि अगर सपाक्स चुनाव लड़ती है तो इसका सबसे ज्यादा नुकसान भाजपा हो सकता है. दरअसल इन दिनों मध्यप्रदेश में सपाक्स को मजाक के तौर पर नोटा कहा जा रहा है. हालाकि सपाक्स को लेकर दिग्विजय सिंह का एक बयान भी काबिले गौर है जिसमें उन्होंने सपाक्स को भाजपा द्वारा प्रायोजित आंदोलन बताते हुये इसके नेता हीरालाल त्रिवेदी को भाजपा से मिला हुआ बताया था. सपाक्स को लेकर दिग्विजय सिंह की तरह ही कई विश्लेषक भी यह मान रहे हैं कि दरअसल सपाक्स की पूरी कवायद भाजपा पर दबाव डालने की है जिससे अपने लोगों के लिये ज्यादा-ज्यादा टिकट हासिल किया जा सके. मध्यप्रदेश का चुनावी इतिहास देखें तो समय-समय पर कई राजनीतिक ताकतें उभरी हैं लेकिन उनका उभार ना तो स्थायी रहा है और ना ही उनमें से कोई पार्टी निर्णायक भूमिका में आ सकी हैं. इसी तरह से मध्यप्रदेश में गठबंधन की राजनीति भी नहीं हुई है. मध्यप्रदेश में कांग्रेस और भाजपा के अलावा किसी भी तीसरे दल के लिये उभरना आसान नहीं है, इसके लिये सिर्फ पार्टी ही काफी नहीं है बल्कि ऐसे नेता और नीति की भी जरूरत है जो प्रदेश स्तर पर मतदाताओं का ध्यान खीच सके.


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---जावेद अनीस---
संपर्क : 9424401459
ईमेल : javed4media@gmail.com

बिहार : स्वास्थ्य सेवाओं की कमी के चलते बच्चों से लेकर बूढ़ों तक ने अपनी जान गंवाई है

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गाँव फाग को एक स्वास्थ्य केंद्र मिल जाए, हालात नहीं बदले तो हजारों और लोग प्रभावित होंगे
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औरंगाबाद।बिहार के औरंगाबाद जिले में है गाँव फाग। यहां से निकली कहानियाँ आपकी आँखों को नम कर देंगी। कहानियाँ, जो अखबार के पन्नों में जगह नहीं बना पाती हैं। गाँव में स्वास्थ्य सेवाओं की कमी के चलते बच्चों से लेकर बूढ़ों तक ने अपनी जान गंवाई है और हालात नहीं बदले तो हजारों और लोग प्रभावित होंगे। इस जिले के गांव और पंचायत फाग प्रखंड गोह है।यहां पर सामाजिक कार्यकर्ता शिवशंकर साव रहते हैं। इस गाँव की समस्या के बारे में शिवशंकर साव कहते हैं कि समस्या कितनी गभीर है इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि स्वास्थ्य केंद्र के ना होने से नवजात बच्चों की मौत भी इस गाँव ने देखी है। डिलीवरी के लिए महिलाओं को खाट इत्यादि पर लिटाकर 9 किलोमीटर दूर, प्रखंड गोह में बने स्वास्थ्य केंद्र पर ले जाना पड़ता है और एक नई जिंदगी को दुनिया में लाने के सफर में आधे रास्ते से एक मासूम की लाश के साथ लौटना पड़ता है। स्वास्थ्य केंद्र की कमी के चलते ग्रामीणों को इलाज के लिए या तो शहर जाना पड़ता है या 9 किलोमीटर दूर प्रखंड गोह में बने स्वास्थ्य केंद्र पर। वहाँ भी सुविधाओं का अभाव हीं होता है, एक अदद स्वास्थ्य केंद्र के ना होने से ग्रामीण या तो बीमारियों के साथ जीने के लिए विवश हैं या मौत का इंतजार करने के लिए। गाँव के लोगों खासकर महिलाओं और बच्चों पर स्वास्थ्य केंद्र की कमी का सबसे ज्यादा असर पड़ता है। कुपोषण, प्रसव और मौसमी बीमारियों के लिए प्राइवेट डॉक्टर ही एकमात्र सहारा होते हैं। पर ये तो आप भी जानते होंगे की प्राइवेट अस्पताल का खर्च कितना ज्यादा होता है। गाँव के लोग, जिनमें ज्यादातर किसान और मजदूर भी शामिल हैं--अपनी कमाई का अच्छा खासा हिस्सा लुटा देते हैं। बहुत से ग्रामीणों के पास इतने पैसे नहीं होते कि वो शहर तक का सफर कर सकें या प्राइवेट अस्पताल मे इलाज करवा सकें।  सामाजिक कार्यकर्ता कहते हैं कि मैं इस स्थिति को बदलना चाहता हूँ, अपने गाँव और गाँववासियों के लिए स्वास्थ्य केंद्र बनवाना चाहता हूँ और मुझे यकीन है कि सरकार हमारी बात को सुनेगी। मेरा साथ दें। आपको बताता चलूँ कि आजादी के बाद लगभग 1960 में, ग्रामीणों की पहल और सरकार के सहयोग से फाग गाँव में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र का निर्माण हुआ था। आज ये स्वास्थ्य केंद्र एक जरजर इमारत है, जहाँ लोग अपनी गाय-भैंस बाँधते हैं। अगर स्वास्थ्य केंद्र की अच्छे से देखभाल होती तो ये नौबत नहीं आती। स्वास्थ्य केंद्र की माँग के लिए पूरा गाँव एकजुट है--ग्रामीणों ने प्रखंड अधिकारी, जिला लोकसूचना अधिकारी, स्वास्थ्य सचिव, बिहार सरकार तक को इस गंभीर समस्या के बारे में अवगत कराया पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। मेरा मकसद बस यही है कि बिहार के इस दूर-दराज के गाँव में स्वास्थ्य केंद्र का निर्माण हो जाए। शायद शहर में रहने वाले हमारे भाइ-बहनों को स्वास्थ्य केंद्र के बारे में पता नहीं होगा पर मैं इतना जरूर कह सकता हूँ कि स्वास्थ्य केंद्र गाँव के लोगों का सहारा होते हैं, गरीबों का सहारा होते हैं। हमारे गाँव को एक स्वास्थ्य केंद्र मिल जाए और किसी माँ को उसके नवजात की लाश ना देखनी पड़े।

मधुबनी : कार्यपालक सहायकों के पैनल निर्माण हेतु टंकण जांच परीक्षा 22 नवंबर 18 से 02 दिसंबर 18 तक

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मधुबनी, 17,नवंबर,2018:कार्यपालक सहायक के पदों पर संविदा के आधार पर नियोजन हेतु पैनल निर्माण के लिए दिनांक 22.11.2018 को एवं दिनांक 24.11.18 से दिनांक 02.12.18 तक अभ्यर्थियों का कंप्यूटर टंकण/दक्षता जांच परीक्षा जिला के दो केन्द्रों पर आयोजित की गयी है। दिनांक 22.11.18 से 12 बजे अप. से 05 बजे अप. तक तथा दिनांक 24.11.18 से दिनांक 02.12.18 तक 09 बजे पूर्वा. से 06 बजे अप. तक टंकण जांच/परीक्षा ली जायेगी। दिनांक 24.11.18 से दिनांक 02.12.18 तक 01 बजे अप. से 02 बजे अप. तक भोजनावकाष रहेगा। परीक्षा का आयोजन संदीप युनिवर्सिटी,संदीप फाउंडेषन,सिजौल,मधुबनी तथा राजकीय पाॅलिटेक्निक काॅलेज,अरड़िया संग्राम,झंझारपुर में किया जा रहा है।

मधुबनी : बाल विकास परियोजना पदाधिकारियों के साथ मासिक समीक्षा बैठक का आयोजन

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मधुबनी, 17,नवंबर,2018 : श्री शीर्षत कपिल अषोक,जिला पदाधिकारी,मधुबनी की अध्यक्षता मंे षिनिवार को समाहरणालय स्थित कक्ष में बाल विकास परियोजना पदाधिकारी के साथ मासिक समीक्षा बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में जिला प्रोग्राम पदाधिकारी,मधुबनी, डाॅ. रष्मि वर्मा,बाल विकास परियोजना पदाधिकारी,बेनीपट्टी, श्रीमती सुषीला कुमारी, बाल विकास परियोजना पदाधिकारी,पंडौल श्रीमती शषिप्रभा अग्रवाल, बाल विकास परियोजना पदाधिकारी,राजनगर, श्रीमती मंजू कुमारी, सुश्री हिना चंदेल,स्वस्थ भारत प्रेरक समेत अन्य बाल विकास परियोजना पदाधिकारी,उपस्थित थे। बैठक में जिला प्रोग्राम पदाधिकारी,मधुबनी द्वारा बताया गया कि आंगनवाड़ी सेविका/सहायिका के चयन की प्रक्रिया में 529 आवेदन बिना आपत्ति का तथा 659 आवेदनों पर आपत्ति आया है।  जिला पदाधिकारी,मधुबनी द्वारा दिनांक 26.11.2018 से प्रथम चरण में अनापत्ति वाले केन्द्रों पर चयन करने का निदेष दिया गया है। साथ ही चयन की प्रक्रिया पूर्ण पारदर्षी रखने एवं आमसभा की विडियोग्राफी कराने का भी निदेष दिया गया है। साथ ही नवसृजित केन्द्रों को क्रियाषील बनाने हेतु उन्हें समीप के केन्द्र से टैग कर केन्द्र संचालन शुरू कराने का निदेष दिया गया है। उन्होंने चयन की प्रक्रिया से आम सभा में उपस्थित लोगों को संतुष्ट कराने का निदेष दिया।


मधुबनी : स्पर्शाघात से हुई मृत्यु के फलस्वरूप परिजनों को मुआवजा की राशि स्वीकृत

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मधुबनी, 17,नवंबर,2018, श्री शीर्षत कपिल अषोक,जिला पदाधिकारी,मधुबनी की अनुषंसा के आलोक में नार्थ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूषन कंपनी लिमिटेड,पटना के द्वारा विद्युत आपूर्ति प्रमंडल,मधुबनी के अंतगत दिनांक 19.07.17 को वीरेन्द्र पांडेय पिता स्व. जज पांडेय ग्राम-विषे लडुगामा,थाना बेनीपट्टी, जिला मधुबनी की विद्युत स्पर्षाधात से हुई मौत के फलस्वरूप इस प्रयोजन हेतु गठित कमिटि के द्वारा मृतके के उत्तराधिकारी को 4,00,000/-(चार लाख रूपये) मात्र मुआवजा भुगतान की स्वीकृति प्रदान की गयी है। विद्युत आपूर्ति प्रमंडल,मधुबनी के अंतर्गत दिनांक 15.09.2017 को पंचा मुखिया,पिता-स्व. बेचन मुखिया ग्राम-मनोहरपुर,थाना-हरलाखी,जिला-मधुबनी की विद्युत स्पर्षाधात से हुई मौत के फलस्वरूप इस प्रयोजन हेतु गठित कमिटि के द्वारा मृतके के उत्तराधिकारी को 4,00,000/-(चार लाख रूपये) मात्र मुआवजा भुगतान की स्वीकृति प्रदान की गयी है।विद्युत आपूर्ति प्रमंडल,मधुबनी के अंतर्गत दिनांक 14.11..2017 को सुरज कुमार सहनी, पिता-श्री दिनेष सहनी,ग्राम-कटैया, थाना-बेनीपट्टी, जिला-मधुबनी की विद्युत स्पर्षाधात से हुई मौत के फलस्वरूप इस प्रयोजन हेतु गठित कमिटि के द्वारा मृतके के उत्तराधिकारी को 4,00,000/-(चार लाख रूपये) मात्र मुआवजा भुगतान की स्वीकृति प्रदान की गयी है। विद्युत आपूर्ति प्रमंडल,मधुबनी के अंतर्गत दिनांक 21.07.2018 को मनोज सदा, पिता-बहुरा सदा, ग्राम-बिटहर, प्रखंड-हरलाखी,जिला-मधुबनी की विद्युत स्पर्षाधात से हुई मौत के फलस्वरूप इस प्रयोजन हेतु गठित कमिटि के द्वारा मृतके के उत्तराधिकारी को 4,00,000/-(चार लाख रूपये) मात्र मुआवजा भुगतान की स्वीकृति प्रदान की गयी है। विद्युत आपूर्ति प्रमंडल,मधुबनी के अंतर्गत दिनांक 26.10..2018 को प्रेम कुमार साह, पिता-श्री अषोक कुमार साह, ग्राम-गिलेषन बाजार,थाना-मधुबनी, जिला-मधुबनी की विद्युत स्पर्षाधात से हुई मौत के फलस्वरूप इस प्रयोजन हेतु गठित कमिटि के द्वारा मृतके के उत्तराधिकारी को 4,00,000/-(चार लाख रूपये) मात्र मुआवजा भुगतान की स्वीकृति प्रदान की गयी है।

मुंबई : लिटिल हार्ट मैराथन 27 जनवरी को : डॉ.मिनी

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आर्यावर्त डेस्क,मुंबई, 17 नवंबर, 2018 बाई जेरबाई वाडिया बाल अस्पताल ,मुंबई की तरफ से प्रतिवर्ष आयोजित होने वाली लिटिल हार्ट मैराथन दौड़ नए वर्ष में 27 जनवरी 2019 को मुंबई में आयोजित की जाएगी. इस सन्दर्भ में अस्पताल की सीईओ डॉ.मिनी बोधनवाला ने बताया कि इस मैराथन दौड़ का मुख्य उद्देश्य बाल हृदय रोग समस्याओं के प्रति जनजागृति और जन सहभागिता से अस्पताल में  निम्न आय वर्ग और गरीब बच्चों को बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करवाने हेतु आर्थिक सहयोग जुटाना है.

मुंबई : वाडिया में 800 नवजातों के दिल का इलाज : डॉ.मिनी

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मुंबई, आर्यावर्त डेस्क, 17 नवंबर,2018 मुंबई स्थित बच्चों के बाई जेरबाई वाडिया अस्पताल के फरवरी 2017 में  बाल ह्रदय शल्य चिकित्सा विभाग की स्थापना से अब तक 800 से ज्यादा बाल हृदय रोगियों के ह्रदय सम्बन्धी रोगों का निदान किया जा चुका है ,जिसमें जटिल ह्रदय प्रक्रियाओं और शल्य (सर्जरी ) शामिल हैं. कुछ विशेष मामलों में जैसे एक किलोग्राम वजन के बच्चे की बलून एंजियोप्लास्टी, समय पूर्व जन्मे और  कम वजन के नवजात बच्चों की कृत्रिम ह्रदय फेफड़े समाधान के मार्फ़त भी सफलता पूर्वक इलाज संभव किया गया  है. इस बाबत जानकारी देते हुए अस्पताल की मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ.मिनी बोधनवाला ने बताया कि ज्यादातर  निम्न सामाजिक आर्थिक परिवेश के बाल मरीजों के सफलता पूर्वक इलाज का श्रेय अस्पताल के पेशेवर डॉक्टरों,नर्सों और कर्मचारियों का है.साथ ही विभिन्न  सामाजिक व चैरिटेबल संस्थाओं के सहयोग से बाल ह्रदय रोगियों के लिए बाई जेरबाई वाडिया अस्पताल में वैश्विक स्तर के चिकित्सा सुविधा का लाभ संभव हो पाया है.

मधुबनी : हस्तशिल्पी मुद्रा ऋण शिविर का दीप प्रज्वलित कर किया गया शुभारंभ

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मधुबनी, 17,नवंबर,2018 :श्री शीर्षत कपिल अषोक,जिला पदाधिकारी,मधुबनी की अध्यक्षता में शनिवार को नगर भवन,मधुबनी में सूक्ष्म,लघु और मध्यम उद्यम अभियान योजना के तहत ऋण षिविर का उद्घाटन दीप प्रज्वलित कर किया गया। इस अवसर पर उप विकास आयुक्त,मधुबनी श्री अजय कुमार सिंह,महाप्रबंधक,उद्योग केन्द्र,मधुबनी श्री सत्येन्द्र कुमार, अग्रणी बैंक प्रबंधक,मधुबनी, श्री अजय कुमार, सहायक निदेषक,हस्तषिल्प, श्री सुरेन्द्र मिश्रा, क्षेत्रीय प्रबंधक,स्टेट बैंक आॅफ इंडिया, श्री नीसिथ,मुख्य शाखा प्रबंधक,मधुबनी, श्री षिषिर कुमार, क्षेत्रीय प्रबंधक,सेन्ट्रल बैंक आॅफ इंडिया,उपस्थित थे। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जिला पदाधिकारी,मधुबनी ने कहा कि षिल्पियों को बैंक के साथ अपना क्रेडिट बनाकर रखना चाहिए। लोन लिए गये राषि का उपयोग अपने निजी कार्यो में नहीं कर अपने व्यवसाय में करना चाहिए। साथ ही लोन का किस्त निर्धारित समय पर चुकाते रहना चाहिए। जिससे कि बैंकों को भी उन्हें मदद करने में कोई परेषानी नहीं हो सकें। उन्होंने कहा कि यह जिले के लिए सौभाग्य कि बात है कि बिहार के तीन जिलों में मधुबनी का चयन एम.एस.एम.ई. योजना के तहत हस्तषिल्प के रूप में किया गया है। मधुबनी की कला का नाम देष-विदेष में हैं। इस क्षेत्र में हमें अत्याधुनिक तरीकों और मार्केटिंग एवं पैंकेजिंग आदि पर ध्यान देकर इसमें और निखार लाना है। इसकी गुणवत्ता में कोई कटौती नहीं करनी है। उन्होंने ऋण षिविर में आये सभी बैंकों को प्राप्त आवेदनों पर 5 दिनांे के अंदर अपना अंतिम निर्णय लेने का निदेष दिया। साथ ही सभी कलाकारों को लोन उपलब्ध कराने का निदेष दिया। ऋण षिविर में जिले में कार्यरत कुल 17 बैेंकों के द्वारा अपना-अपना स्टाॅल लगाया गया। जिसमें पंजाब नेषनल बैंक को 243, यूनियन बैंक-6, बैंक आॅफ महाराष्ट्र-1, आंध्रा बैंक-2, सिंडिंकेट बैंक-4, इंडियान ओभरसीज बैंक-33, इलाहाबाद बैंक-13, सेन्ट्रल बैंक आॅफ इंडिया-78, बैंक आॅफ इंडिया-79, केनरा बैंक-9, एच.डी.एफ.सी. बैंक-34, ओरिऐंटल बैंक आॅफ कामर्स-1, एक्सिस बैंक-2, उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक-81, आई.डी.बी.आई.-2, स्टेट बैंक आॅफ इंडिया-107, बंधन बैंक-2, बैंक आॅफ बड़ौदा-5 तथा काॅरपोरेषन बैंक को 3 कुल- 705 आवेदन सहायक निदेषक,हस्तषिल्प के द्वारा दिया गया।  षिविर में सेन्ट्रल बैंक आॅफ इंडिया द्वारा 10 आवेदनों पर तत्काल स्वीकृति दी गयी। 

विशेष : हादसों एवं लापरवाही की खूनी सड़कें

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‘दुर्घटना’ एक ऐसा शब्द है जिसे पढ़ते ही कुछ दृश्य आंखांे के सामने आ जाते हैं, जो भयावह होते हैं, त्रासद होते हैं, डरावने होते हैं। किस तरह लापरवाही एवं महंगी गाड़ियों को सड़कों पर तेज रफ्तार में चलाना एक फैशन बनता जा रहा है, उसकी ताजी एवं भयावह निष्पत्ति की दुर्घटना दिल्ली के मीराबाग इलाके में बुधवार को देखने को मिली, जब एक बेलगाम एसयूवी कार ने कई वाहनों को टक्कर मारी और नौ लोगों को कुचल दिया। इसमें एक लड़की की जान चली गई। यह घटना राजधानी में आए दिन होने वाले सड़क हादसों की एक कड़ी भर है। सच यह है कि ऐसे बेलगाम वाहनों की वजह से सड़कें अब पूरी तरह असुरक्षित हो चुकी हैं। सड़क पर तेज गति से चलते वाहन एक तरह से हत्या के हथियार होते जा रहे हैं। 

यह विडम्बनापूर्ण है कि हर रोज ऐसी दुर्घटनाओं और उनके भयावह नतीजों की खबरें आम होने के बावजूद बाकी वाहनों के मालिक या चालक कोई सबक नहीं लेते। सड़क पर दौड़ती गाड़ी मामूली गलती से भी न केवल दूसरों की जान ले सकती है, बल्कि खुद चालक और उसमें बैठे लोगों की जिंदगी भी खत्म हो सकती है। पर लगता है कि सड़कों पर बेलगाम गाड़ी चलाना कुछ लोगों के लिए मौज-मस्ती एवं शौक का मामला होता है लेकिन यह कैसी मौज-मस्ती है जो कई जिन्दगियां तबाह कर देती है। ऐसी दुर्घटनाओं को लेकर आम आदमी में संवेदनहीनता की काली छाया का पसरना त्रासद है और इससे भी बड़ी त्रासदी सरकार की आंखों पर काली पट्टी का बंधना है। हर स्थिति में मनुष्य जीवन ही दांव पर लग रहा है। इन बढ़ती दुर्घटनाओं की नृशंस चुनौतियों का क्या अंत है? बहुत कठिन है दुर्घटनाओं की उफनती नदी में जीवनरूपी नौका को सही दिशा में ले चलना और मुकाम तक पहुंचाना, यह चुनौती सरकार के सम्मुख तो है ही, आम जनता भी इससे बच नहीं सकती। 

लोगों की समृद्धि एवं सम्पन्नता ने जीवन को एक मजाक बना दिया है, मगर ऐसा लगता है कि यातायात नियमों का पालन करना तथाकथित धनाढ्य लोगों के लिये दोयम दर्जे का काम हैं। इस मानसिकता वाले लोग दुर्घटनाएं करना अपनी शान समझते हैं। तभी सुप्रीम कोर्ट भी तल्ख टिप्पणी कर चुका है कि ड्राइविंग लाइसेंस किसी को मार डालने के लिए नहीं दिए जाते। सचाई यह भी हैं कि नियमों के उल्लंघन की एवज में पुलिस की पकड़ में आने वाले लोग बिना झिझक जुर्माना चुकाकर अपनी गलती के असर को खत्म हुआ मान लेते हैं। बेलगाम वाहन चलाने के पीछे एक बड़ी वजह यह भी है कि हादसों से संबंधित कानूनी प्रावधान अभी इस कदर कमजोर हैं कि किसी की लापरवाही की वजह से दो-चार या ज्यादा लोगों की जान चली जाती है और आरोपी को कई बार थाने से ही छोड़ दिया जाता है। जाहिर है, जब तक सड़क पर वाहन चलाने को लेकर नियम-कायदों पर अमल के मामले में सख्त और असर डालने वाले कानूनी प्रावधान तय नहीं किए जायेंगे, तब तक सड़क पर बेलगाम होकर गाड़ी चलाने वाले लोगों के भीतर जिम्मेदारी नहीं पैदा की जा सकेगी।

सड़क दुर्घटनाओं ने कहर बरपा रखा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने 2009 में सड़क सुरक्षा पर अपनी पहली वैश्विक स्थिति रिपोर्ट में सड़क दुर्घटनाओं की दुनिया भर में ‘सबसे बड़े कातिल’ के रूप में पहचान की थी। भारत में होने वाली सड़क दुर्घटनाओं में 78.7 प्रतिशत हादसे चालकों की लापरवाही के कारण होते हैं। जिनमें इन नव धनाढ्य लोगों के कारण होने वाली दुर्घटनाओं की संख्या भी खतरनाक स्तर तक बढ़ रही है। वैसे एक प्रमुख वजह शराब व अन्य मादक पदार्थों का सेवन कर वाहन चलाना है। ‘कम्यूनिटी अगेन्स्ट ड्रंकन ड्राइव’ (कैड) द्वारा सितंबर से दिसंबर 2017 के बीच कराए गए ताजा सर्वे में यह बात सामने आई है कि दिल्ली-एनसीआर के लगभग 55.6 प्रतिशत ड्राइवर शराब पीकर गाड़ी चलाते हैं। राजमार्गों को तेज रफ्तार वाले वाहनों के अनुकूल बनाने पर जितना जोर दिया जाता है उतना जोर फौरन आपातकालीन सेवाएं उपलब्ध कराने पर दिया जाता तो स्थिति कुछ और होती।

विडंबना यह है कि जहां हमें पश्चिमी देशों से कुछ सीखना चाहिए वहां हम आंखें मूंद लेते हैं और पश्चिम की जिन चीजों की हमें जरूरत नहीं है उन्हें सिर्फ इसलिए अपना रहे हैं कि हम भी आधुनिक कहला सकें। एक आकलन के मुताबिक आपराधिक घटनाओं की तुलना में पांच गुना अधिक लोगों की मौत सड़क हादसों में होती है। कहीं बदहाल सड़कों के कारण तो कहीं अधिक सुविधापूर्ण अत्याधुनिक चिकनी सड़कों पर तेज रफ्तार अनियंत्रित वाहनों के कारण ये हादसे होते हैं। दुनिया भर में सड़क हादसों में बारह लाख लोगों की प्रतिवर्ष मौत हो जाती है। इन हादसों से करीब पांच करोड़ लोग प्रभावित होते हैं। बात केवल राजमार्गों की ही नहीं है, गांवों, शहरों एवं महानगरों में सड़क हादसों पर कई बड़े सवाल खड़े कर दिये हैं। सरकार की नाकामी इसमें प्रमुख है। हाल ही में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल देश भर में होने वाली सड़क दुर्घटनाओं में रोजाना चार सौ से ज्यादा लोगों की जान चली गई। इन हादसों में मारे जाने वाले लोग आमतौर पर गाड़ियों में बैठे चालकों की बेहद मामूली लापरवाही के शिकार हो जाते हैं।। सड़क पर वाहन चलाने से संबंधित नियम कायदों का सख्ती और सावधानी से पालन करके गाड़ी चलाने वाला न केवल दूसरे बहुत सारे लोगों का सफर सुरक्षित बना सकता है, बल्कि अपने जिंदा रहने को लेकर भी निश्चिंत रह सकता है। 

ट्रैफिक व्यवस्था कुछ अंशों मंे महानगरों को छोड़कर कहीं पर भी पर्याप्त व प्रभावी नहीं है। पुलिस ”व्यक्ति“ की सुरक्षा में तैनात रहती है ”जनता“ की सुरक्षा में नहीं। हजारों वाहन प्रतिमास सड़कों पर नए आ रहे हैं, भीड़ बढ़ रही है, रोज किसी न किसी को निगलनेवाली ”रेड लाइनें“ बढ़ रही हंै। दुर्घटना में मरने वालांे की तो गिनती हो जाती है पर वाहनों से निकलने वाले जहरीले धुएँ से प्रतिदिन मौत की ओर बढ़ने वालों की गिनती असंख्य है। वाहनों में सुधार हो रहा है पर सड़कों और चालकों में कोई सुधार नहीं। सन् 2020 तक वाहनों का उत्पादन और मांग दोगुने हो जाएंगे। सड़कें दुगुनी नहीं होंगी। रेलों की पटरियां दुगुनी नहीं होंगी। अतः यातायात-अनुशासन बहुत जरूरी है।

नया भारत निर्मित करने, औद्योगिक विकास और पूंजी निवेश के लिए सरकार सभी प्रकार के गति-अवरोधक हटा रही है। लगता है सड़कों पर भी गति अवरोध हटा रही है। कोई चाहिए जो नियमों की सख्ती से पालना करवा के निर्दोषों को मौत के मुंह से बचा सके। सड़क दुर्घटनाओं  पर नियंत्रण के लिये जरूरी है कि सड़क सुरक्षा के लिये व्यापक कानूनी ढांचे को बनाना। 1988 में बने मोटर वाहन अधिनियम का व्यावहारिकता से परे होना भी दुर्घटनाओं का बड़ा कारण है। पिछले तीन दशकों में सड़क परिवहन में आए बदलाव के अनुरूप मोटर अधिनियम में व्यापक बदलाव की दरकार है। न मौजूदा न पूर्ववर्ती सरकारें सड़क दुर्घटनाओं को नियंत्रित करने की दिशा में गंभीर नजर्र आइं। इसी का नतीजा है कि कोई सुस्पष्ट प्रणाली हमारे सामने नहीं है। अगर सरकार नए वाहनों को लाइसेंस देना बंद नहीं कर सकती तो कम से कम राजमार्गों पर हर चालीस-पचास किलोमीटर की दूरी पर एक ट्रॉमा सेंटर तो खोल ही सकती है ताकि इन हादसों के शिकार लोगों को समय पर प्राथमिक उपचार मिल सके। 

सड़क हादसों में मरने वालों की बढ़ती संख्या ने आज मानो एक महामारी का रूप ले लिया है। इस बारे में राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकडे दिल दहलाने वाले हैं। पिछले साल सड़क दुर्घटनाओं में औसतन हर घंटे सोलह लोग मारे गए। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, दुनिया के अट्ठाईस देशों में ही सड़क हादसों पर नियंत्रण की दृष्टि से बनाए गए कानूनों का कड़ाई से पालन होता है। बात चाहे पब की हो या रेल की, प्रदूषण की हो या खाद्य पदार्थों में मिलावट की-हमें हादसों की स्थितियों पर नियंत्रण के ठोस उपाय करने ही होंगे। तेजी से बढ़ता हादसों एवं लापरवाही का हिंसक एवं डरावना दौर किसी एक प्रान्त या व्यक्ति का दर्द नहीं रहा। इसने हर भारतीय दिल को जख्मी किया है। इंसानों के जीवन पर मंडरा रहे मौत के तरह-तरह की डरावने हादसों एवं दुर्घटनाओं पर काबू पाने के लिये प्रतीक्षा नहीं, प्रक्रिया आवश्यक है।  तेज रफ्तार से वाहन दौड़ाते वाले लोग सड़क के किनारे लगे बोर्ड़ पर लिखे वाक्य ‘दुर्घटना से देर भली’ पढ़ते जरूर हैं, किन्तु देर उन्हें मान्य नहीं है, दुर्घटना भले ही हो जाए।



(ललित गर्ग)
बी-380, निर्माण विहार, 
दूसरा माला दिल्ली-110092
मो, 9811051133

सीहोर (मध्यप्रदेश) की खबर 17 नवंबर

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नेताओं ने नहीं किया विकास जनता को दिया धोका- महाजन 
शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में जारी है चाबी का प्रचार
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सीहोर। कई सालों में कितने नेता आए ओर गए, उन्होंने राजनीति को अपना व्यापार बनाकर क्षेत्र की जनता को धोखा दिया है, लेकिन मैं क्षेत्र की जनशक्ति के आह्वान पर क्षेत्र के विकास के संकल्प के साथ मैदान में हूं और आपके आशीर्वाद से क्षेत्र का ऐतिहासिक विकास होगा। उक्त विचार शनिवार को ग्रामीण क्षेत्र में अपने जनसंपर्क के दौरान निर्दलीय प्रत्याशी सन्नी गौरव महाजन ने व्यक्त किए।  दोपहर साढ़े 12 बजे ग्राम सीहोर विधानसभा गढ़ीबगराज से अपने जनसंपर्क का श्रीगणेश किया और एक दर्जन से अधिक गांवों में पहुंचकर मतदाताओं का आशीर्वाद ग्रहण किया। अलावा उनके समर्थन में शनिवार को महिलाओं और पुरुषों के साथ कार्यकर्ताओ ने शहर के श्रीराम कालोनी सहित अन्य स्थानों पर जनसंपर्क किया।  शनिवार को निर्दलीय प्रत्याशी सन्नी महाजन के नेतृत्व में बड़ी संख्या में क्षेत्रवासियों ने हाथों में चाबी चुनाव चिंह का निशान के बैनर-पोस्टर लेकर ग्राम पथरिया, मगरदा, जेतला, मडोरा, सातनबाड़ी, लोधीपुरा, मुगवाली, सीलखेड़ा, बाजार गांव पाडियाला और हीरापुर आदि में प्रचार-प्रसार किया।

शहरी क्षेत्र में किया जाएगा प्रचार
विधानसभा के मीडिया प्रभारी श्री सोनी ने बताया कि रविवार को सुबह निर्दलीय प्रत्याशी श्री महाजन द्वारा घर पर कार्यकतार्ओ और समर्थकों से भेंट करने के बाद सुबह साढ़े ग्यारह बजे शहर के अवधपुरी से अपने जनसंपर्क का शुभारंभ किया जाएगा । शहर के भोपाल नाका, मुरली, इंग्लिशपुरा और जयंति कालोनी में जनसंपर्क किया जाएगा।

शिवसेना प्रत्यातीर कमान लेकर जनसंपर्क कर रहे कार्यकर्ता शी के साथ है आम जनता 

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सीहोर। शनिवार को शिवसेना प्रत्याशी निलेश कुमार जैन ने शिवसेना कार्यकर्ताओं के साथ मंडी क्षेत्र में पहुंचकर जनसंपर्क किया। जनसंपर्क के दौरान कार्यकर्ता तीरकमान के प्रतीक चिंह लेकर घर दुकान पर पहुंचकर मतदान करने की अपील कर रहे है। शिव सेना प्रत्याशी के समर्थन में आम जनता दिखाई दे रहीं है। प्रत्याशी श्री जैन ने कहा की क्षेत्र में पानी के समस्या बनी हुई है जिस को दूर किया जाएगा। आमजनों को मिल रहे भारीभरम बिजली बिलों को भी माफ कराया जाएगा। उन्होने कहा की जनता का आशिर्वाद मिलता है तो जनता की सेवा करने में कोई कसर नहीं छोडेंगे। जनसंपर्क के दौरान बड़ीह संख्या में कार्यकर्तागण मौजूद थे। 

कांग्रेस भाजपा से परेशान है जनता- आप प्रत्याशी बघेल 

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सीहोर। कांग्रेस और भाजपा सरकारों से जनता परेशानी हो चुकी है जनता के सामने विकल्प के रूप में केवल आम आदमी पार्टी है यही कारण है की आप को जनता का शहर और गांव में भारी समर्थन मिल रहा है। हम जनता को ईमानदार सरकार देंगे उक्त बात शनिवार को विधानसभा सीहेार के आप प्रत्याशी कृष्णपाल सिंह बघेल ने ग्राम झरखेड़ा, तकिपुर, दौलतपुरा, बरखेड़ी, सिंकंदर गंज में ग्रामीणों के मध्य जनसंपर्क करते हुए कहीं। आप प्रत्याशी श्री बघेल की धर्म पत्नि पिंकी बघेल ने महिला आप कार्यकर्ताओं के साथ इंदिरा नगर, कस्बा बडिय़ाखेड़ी में जनसंपर्क कर मतदाताओं से झाडू का बटन दबाकर विकास के लिए आप की सरकार बनाने की अपील की। जनसंकर्प के दौरान बड़ी संख्या में आप कार्यकर्ता शामिल रहे। 

दो फरार आरोपियों पर दो हजार का इनाम घोषित

पुलिस अधीक्षक सीहोर श्री राजेश सिंह चंदेल ने दो फरार आरोपियों की गिरफ्तारी कराने अथवा गिरफ्तारी में सहायता करने वाले व्यक्ति को 2 हजार रुपये नगद पुरस्कार देने की घोषणा की है। पुलिस अधीक्षक ने बताया कि ‍फरार आरोपी धर्मेन्द्र राजपुत पिता देवीसिंह राजपूत निवासी ढाबला थाना बोड़ा जिला राजगढ़ एवं दुर्गाप्रसाद भिलाला पिता देवीलाल भिलाला निवासी ग्राम मोहम्मदपुर थाना कालापीपल जिला शाजापुर के गिरफ्तार करने के प्रयास किए जा रहे हैं। पुलिस अधीक्षक श्री चंदेल ने उद्घोषणा जारी की है कि जो भी व्यक्ति आरोपियों की गिरफ्तारी में सहयोग करेगा उसे 2 हजार रुपये की राशि के नगद पुरस्कार से पुरस्कृत किया जाएगा। सूचना देने वाले का नाम सर्वथा गोपनीय रखा जाएगा।

मतदान दलों का प्रशिक्षण 19 से 21 नवबंर तक

विधानसभा निर्वाचन 2018 के लिए मतदान दलों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। रिटर्निंग अधिकारी इछावर-158 ने बताया कि विधानसभा निर्वाचन 2018 के लिए विधानसभा क्षेत्र इछावर-158 के लिए मतदान दलों का प्रशिक्षण 19 से 21 नवबंर 2018 तक दो चरणों में प्रात:10 से सायं 5 बजे तक शासकीय स्नातक महाविद्यालय में आयोजित किया जाएगा। समस्त प्रशिक्षणार्थी अनिवार्य रूप से उपस्थित होना सुनिश्चत करें।  

विदिशा (मध्यप्रदेश) की खबर 17 नवंबर

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वोटर स्लिप का वितरण 20 से

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कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी श्री कौशलेन्द्र विक्रम सिंह ने बताया कि भारत निर्वाचन आयोग के दिशा निर्देशानुसार जिले की पंाचो विधानसभाओं के सभी नौ लाख 66 हजार 924 मतदाताआंे को बीएलओ के माध्यम से वोटर स्लिप का वितरण कार्य 20 नवम्बर से 25 नवम्बर के मध्य घर-घर सम्पर्क कर किया जाएगा।  उप जिला निर्वाचन अधिकारी श्री संदीप अस्थाना ने बताया कि वोटर स्लिप, संकल्प पत्र और मतदाता मार्गदर्शिका की प्रतियां उपलब्ध कराई जाएगी। प्रत्येक मतदाता से संकल्प पत्र में जानकारियां अंकित की जाएगी जिसे बीएलओ द्वारा वापिस लिया जाएगा। मतदाताओं को वोटर स्लिप और परिवार को एक प्रति मार्गदर्शिका भी उपलब्ध कराई जाएगी। वोटर स्लिप वितरण कार्य की मानिटरिंग सेक्टर आफीसर स्वंय करेंगे। वोटर स्लिप संबंधित मतदाता को ही प्रदाय की जाएगी अन्य किसी को नही। वोटर स्लिप वितरण के पश्चात जो वोटर स्लिप शेष बचती है उन्हेें बीएलओ कारण सहित संबंधित रिटर्निंग आफीसर को वापिस करेंगे। 

सुगम्य पोर्टल पर पांच हजार 778 दिव्यांग मतदाता पंजीकृत
मतदान के लिए दिव्यांग मतदाताओं को वाहन और सहायक की सुविधासुगम्य पोर्टल और मोबाइल एप से ले सकेंगे लाभ
भारत निर्वाचन आयोग द्वारा दिए गए निर्देशानुसार विधानसभा निर्वाचन 2018 में दिव्यांगजनों (पीडब्ल्यूडी) के लिए सुगम मतदान के लिए घर-घर तक सुविधा प्रदान की जाएगी। मतदान वाले दिन दिव्यांगजनों को जरूरत होनेे पर घर से मतदान केन्द्र तक लाने और वापिस छोड़ने के साथ मतदान सहायक भी उपलब्ध कराए जाएंगे। कलेक्टर श्री कौशलेन्द्र विक्रम सिंह ने बताया कि विदिशा जिले में सुगम्य पोर्टल पर अभी तक 5778 दिव्यांग मतदाता पंजीकृत हो चुके है मतदान के दिन आवश्यक मदद जैसे वाहन सुविधा मतदान सहायक, आवश्यक सामग्री की मांग कर सकेंगे। पोर्टल के माध्यम से पंजीयन होने पर दिव्यांगजन मतदान केन्द्र पर कतार में नही लगेगे। मतदान केन्द्र में पहुंचकर सीधे मतदान करेंगे। दिव्यांगजन वाहन चालक के रूप में अपने परिवार के किसी एक सदस्य अथवा स्वंयसेवी व्यक्ति का चयन कर सकते है। इसके साथ ही ऐसे स्वंयसेवी जो दिव्यांगजनों को मतदान में मदद करना चाहते है वे सभी अपना पंजीयन करा सकते है। ऐसे व्यक्ति किसी भी राजनैतिक गतिविधियों में सम्मिलित नही होंगे। दिव्यांगजनों को वाहन सुविधा उपलब्ध कराए जाने के लिए ऐसे आमजन जो जनसेवा में अपनी भागीदारी दर्ज कराना चाहते है वे अपने वाहन का पंजीयन करा सकते है। ऐसे व्यक्ति भी जो दिव्यांगजनों को सहायता उपलब्ध कराने के उद्वेश्य से सामग्री प्रदान करना चाहते है वे सामग्री का भी पंजीयन करा सकते है। सुगम्य पोर्टल एवं मोबाइल एप में पंजीयन होने पर दिव्यांगजन को बिना कतार में लगे मतदान की सुविधा होगी। दिव्यांगजन को वाहन मतदान केन्द्र के मुख्य द्वार तक ले जाने की सुविधा होगी। दिव्यांगजन की सहायता करने वाले सहायक एवं वाहन चालक का नाम यदि उस मतदान केन्द्र में है तो उन्हें भी उपरोक्त सुविधा प्रदान की जाएगी। एक सहायक केवल एक दिव्यांगजन की सहायता कर सकेगे। किन्तु एक वाहन से एक से अधिक दिव्यांगजन को मतदान केन्द्र तक पहुंचाया जा सकेगा। ऐसे दिव्यांगजन जिन्हें वाहन अथवा सहायकी आवश्यकता नही है तथा स्वंय से मतदान करना चाहते है उन्हें केवल पास प्राप्त करने की सुविधा होगी। 

खेलो के माध्यम से मतदाता जागरूकता के कार्य

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विधानसभा निर्वाचन 2018 के मतदान दिवस 28 नवम्बर को सभी मतदाता अपने मतो का प्रयोग निर्भीक होकर करें का संदेश देने तथा मतदाताओं को जागरूक करने हेतु स्वीप गतिविधियोे का क्रियान्वयन जिले में किया जा रहा है। कलेक्टर श्री कौशलेन्द्र विक्रम सिंह ने आज जिला स्तरीय खेल-कूद प्रतियोगिता की टीमों को मतदान करने की शपथ दिलाई। स्टेडियम में आयोजित कबडडी और रस्साकसी प्रतियोगिता के मेचो को उन्होंने देखा। इस अवसर पर जिला पंचायत सीईओ के अलावा विकासखण्ड स्तर की विेजता टीमे जो जिला स्तरीय प्रतियोगिता में शामिल होने आयी है के खिलाडी कोच और अन्य अधिकारी मौजूद थे। शुक्रवार को क्रिकेट प्रतियोगिता का आयोजन एसएसएल जैन काॅलेज प्रागंण में किया गया था यहां जिला पंचायत सीईओ के द्वारा खिलाडी और दर्शकगणों को संकल्प दिलाया कि हम मतदान करेंगे और दूसरों को मतदान हेतु प्रेरित करेंगे।

सेल्फी कार्नर

खेल स्टेडियम में जिला स्तरीय प्रतियोगिता में भाग लेने आए खिलाडियों और दर्शकों ने हम वोट डालेंगे निर्वाचन आयोग की मंशा को पूरा करेंगे पर आधारित सेल्फी कार्नर में फोटो खिचवाने का हुजुम लगा रहा। कलेक्टर श्री कौशलेन्द्र विक्रम सिंह भी अपने आपको सेल्फी कार्नर में फोटो खिचवाने से रोक नही सकें। उन्होंने पहले मतदान करें फिर दूसरे काम करें को दोहराते हुए अमिट स्याही लगने वाली ऊंगली को ऊपर उठाकर संकेत दिया। जिला पंचायत सीईओ ने भी सेल्फी कार्नर का उपयोग करते हुए स्वंय ने भी फोटो खिचवांई। 

एसएसटी और एफएसटी के कार्यो की समीक्षा

कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी श्री कौशलेन्द्र विक्रम सिंह ने आज कलेक्टेªट के सभाकक्ष में विदिशा विधानसभा के लिए गठित एसएसटी और एफएसटी टीम के सदस्यों द्वारा सम्पादित होने वाले कार्यो की समीक्षा की। 

कथा में धूमधाम से मना कृष्ण जन्मोत्सव, अत्याचारियों को मिटाने भगवान ने लिया जन्म : पं.अंकितकृष्ण

 विदिशा :17.11.2018-- शहर में बाल बिहार के पास अग्रवाल धर्मशाला में चल रही भागवत कथा में शनिवार को श्री कृष्ण का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया गया। जन्म होते ही भक्त जमकर झूमे। महाराज बाल बटुकजी अंकितकृष्ण ने कहा कि मनुष्य के जीवन में अच्छे और बुरे दिन प्रभु की कृपा से ही आते हैं। इस मौके पर भगवान की कथा सुनकर श्रद्धालु भाव विभोर हो गए। उन्होंने कहा कि जिस समय भगवान कृष्ण का जन्म हुआ,  जेल के ताले टूट गये।  पहरेदार सो गये। महाराजश्री ने कहा कि कंश के अत्याचार से प्रजा बहुत दुखी थी इसलिए भगवान को धरा पर जन्म लेना पड़ा और प्रभु कि कृपा से ही वासुदेव और देवकीजी के अच्छे दिन आए । भगवान ने जब बाल अवतार लिया तो वासुदेव व देवकी बंधन मुक्त हो गए।  प्रभु की कृपा से कुछ भी असंभव नहीं है। कृपा न होने पर प्रभु मनुष्य को सभी सुखों से वंचित कर देते हैं।  भगवान का जन्म होने के बाद वासुदेव ने भरी जमुना पार करके उन्हें गोकुल पहुंचा दिया ।  वहां से वह यशोदा के यहां पैदा हुई शक्तिरूपा बेटी को लेकर चले आये। शक्तिरूपा को छीनकर जमीन पर पटकना चाहा तो वह कन्या राजा कंस के हाथ से छूटकर आसमान में चली गई। शक्ति रूप में प्रकट होकर आकाशवाणी करने लगी कि कंस, तेरा वध करने वाला पैदा हो चुका है। कृष्ण जन्मोत्सव पर नंद के घर आनंद भयो जय कन्हैया लाल की गीत पर भक्त जमकर झूमे और कथास्थल भक्तमय हो गया । इस अवसर पर भगवान की मनमोहक बाल रुपी झांकी के दर्शन भी हुए  और डलिया में वासुदेव के साथ जा रहे भगवान का दृश्य आकर्षण का केंद्र रहे । इस अवसर पर महाराज बटुकजी ने कथास्थल पर मौजूद भक्तों से अपील करते हुए कहा कि हमें भी अपने पुत्रों के नाम भगवान के नाम पर ही रखना चाहिए जिससे कि मुख पर भगवान का नाम हमेशा आता रहे क्योंकि इस भाग दौड़ भरे जीवन में भजन करना मुश्किल हो रहा है।  भक्तों ने  भगवान का जन्मोत्सव धूम-धाम के साथ मनाया व भजनों पर ठुमके लगाये। पं.कैलाश नारायण ढिमोले ने बताया कि  पांचवे दिन 18 नवंबर रविवार को भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाएं, श्री गोवर्धन पूजन की कथा का आयोजन होगा ।

विशेष : क्या इस कीमत पर विकास सोचा था आपने?

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pollution-problem
आज जब दिल्ली की हवा में प्रदूषण के स्तर ने विश्व के सभी रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिए तो इस बात को समझ लेने का समय आ गया है कि यह आज एक समस्या भर नहीं रह गई है। आज जब एयर प्यूरीफायर की मार्किट लगातार बढ़ती जा रही है तो यह संकेत है कि प्रदूषण किस कदर मानव जीवन के लिए ही एक चुनौती बन कर खड़ा है, खास तौर पर भारत में। आगर आप सोच रहे हैं कि ऐसा कुछ नहीं है तो आपके लिए डब्लूएचओ की रिपोर्ट के कुछ अंश जान लेने आवश्यक हैं। इस रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि वायु प्रदूषण की वजह से सम्पूर्ण विश्व में हर साल लगभग 70 लाख लोगों की मौत हो जाती है। विश्व की आबादी का 91% हिस्सा आज उस वायुमंडल में रहने के लिए विवश है जहाँ की वायु की गुणवत्ता डब्लूएचओ के मानकों के अनुसार बेहद निम्न स्तर की है। भारत में स्थिती की भयावहता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 2016 में हमारे देश में एक लाख दस हजार बच्चे वायु में मौजूद प्रदूषण के बेहद बारीक कण पीएम के कारण अकाल काल के ग्रास बन गए। लेकिन इससे अधिक विचारणीय विषय यह है कि जहाँ कुछ समय पहले तक चीन की राजधानी बीजिंग विश्व के सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में अव्वल थी अब इस सूची से गायब है। अब भारत के एक नहीं बल्कि 14 शहरों ने इसकी जगह ले ली है। और जिस दिल्ली के प्रदूषण ने सर्दियों की दस्तक से पहले ही देश के अखबारों की सुर्खियां बटोरनी शुरू कर दी हैं वो विश्व स्वस्थ संगठन की इस सूची में छठे नंबर पर है। डब्लूएचओ की विश्व के सबसे प्रदूषित शहरों की इस सूची में कुछ शहर क्रमानुसार इस प्रकार हैं, कानपुर फरीदाबाद, वाराणसी,गया,पटना दिल्ली,लखनऊ।  यह सूची जहाँ एक तरफ हमें चिंतित करती है वहीं एक उम्मीद की किरण भी दिखती है। चिंता की बात यह है कि भारत के लगभग14 शहर विश्व के सबसे प्रदूषित शहरों में अव्वल हैं। और उम्मीद का विषय यह है कि अगर चीन कुछ ही वर्षों में बीजिंग के माथे से प्रदूषण का दाग हटा सकता है तो यह काम हमारे लिए भी असंभव नहीं है। जरूरत है कुछ ठोस नीतियों और दृढ़ इच्छाशक्ति की। 

आज आवश्यकता इस बात की है कि हमारी सरकारें एक दूसरे पर दोषारोपण करने के बजाए देश हित में ठोस कदम उठाऐं। लेकिन अफसोस की बात है कि इस गंभीर विषय को भी इतने सालों में सरकार केवल कुछ तात्कालिक उपायों के सहारे ही हल करना चाहती है। दिल्ली सरकार तो प्रदूषण का सारा दोष पराली जलाने वाले किसानों को देकर ही इतिश्री कर लेती है। यह वाकई में हास्यास्पद है कि दिल्ली में पंजाब और हरियाणा से ज्यादा प्रदूषण है जबकि वहाँ जहाँ पराली जलाई जाती है यानी पंजाब और हरियाणा, वहां दिल्ली के मुकाबले हवा साफ है। कहने का मतलब यह नहीं है कि पराली जलाने से प्रदूषण नहीं होता बल्कि यह है कि पराली जलाना ही प्रदूषण का "एकमात्र कारण"नहीं है। दरअसल अगर हमारी सरकारें वाकई मे प्रदूषण से लड़ना चाहती है तो उन्हें इस समस्या के प्रति एक परिपक्व और ईमानदार नजरिया अपनाना होगा। समस्या की जड़ को समझ कर उस पर प्रहार करना होगा, एक नहीं अनेक उपाय करने होंगे,लोगों के सामने हल रखने होंगे, उन्हें विकल्प देने होंगे न कि तुगलकी फरमान। तात्कालिक उपायों के साथ साथ दीर्घकालिक लेकिन ठोस उपायों पर जोर देना होगा। जैसे ,

1,पराली के धुएं से हवा दूषित होती है तो सरकार को यह बात समझनी चाहिए कि एक गरीब किसान जो ज्यादा पढ़ा लिखा भी नहीं होता उससे यह अपेक्षा करना कि वो प्रदूषण के प्रति जागरूक हो जाए और पराली जलाने पर उससे जुर्माना वसूला जाए, ऐसी सोच ही बचकानी है। इसकी बजाय सरकार किसानों को विकल्प सुझाए। उन्हें पराली से छुटकारा पाने के जलाने से बेहतर तरीके बताए। जैसे उसे जैविक खाद में परिवर्तित करने के तरीके बताए। अगर किसानों के पास जगह और समय की समस्या हो,तो सरकार किसानों से पराली खरीद कर जैविक खाद बनाने का संयत्रों को प्रोत्साहित कर सकती है। इस प्रकार जब किसान पराली से कमाएंगे तो जलाएंगे क्यों ? 

2,इसी प्रकार देश की सड़कों पर हर साल वाहनों की बढ़ती संख्या भी प्रदूषण के बढ़ते स्तर के लिए जिम्मेदार है।परिवहन विभाग के नवीनतम डाटा के अनुसार राजधानी दिल्ली में रजिस्टर्ड वाहनों की संख्या एक करोड़ 5 लाख 67 हज़ार 712 हो गई है। आंकड़ों के मुताबिक राजधानी की सड़कों पर हर साल 4 लाख से अधिक नई कारें आ जाती हैं। प्रदूषण में इनका योगदान भी कम नहीं होता। इसके लिए सरकार तत्कालिक उपायों के अलावा दीर्घकालिक उपायों पर भी जोर दे। जैसे पब्लिक ट्रांसपोर्ट की संख्या, सुविधाजनक उपलब्धता और उसकी गुणवत्ता में सुधार करे ताकि लोग उनका अधिक से अधिक उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित हों।

3, इसके अलावा बैटरी अथवा बिजली से चलने वाले वाहनों के अनुसंधान और निर्माण की दिशा में शीघ्रता से ठोस कदम उठाए और धीरे धीरे पेट्रोल और डीज़ल से चलने वाले वाहनों के निर्माण को बंद करने के लिए कढ़े कदम उठाए।

4, इसी प्रकार पराली और वाहनों से निकलने वाले धुंए से भी खतरनाक होता है उद्योगों से निकलने वाला प्रदूषण। क्योंकि इनमें ईंधन के रूप में पेट कोक इस्तेमाल होता है जिससे डीज़ल के मुकाबले 65000 गुना अधिक प्रदूषण होता है इसलिए इसे दुनिया का डर्टी फ्यूल यानी सबसे गंदा ईंधन भी कहा जाता है और अमरीका से लेकर चीन तक में प्रतिबंधित है। लेकिन भारत में यह अगस्त 2018 तक ना सिर्फ विश्व के लगभग 45 देशों से आयात होता था, बल्कि इसे टैक्स में छूट के अलावा जीएसटी में रिफंड भी हासिल था। लेकिन अब सरकार जाग गई है और भारत के उद्योगों में ईंधन के रूप में इसके उपयोग को प्रतिबंधित कर दिया गया है। अब यह आवश्यक है कि इस आदेश का पालन कढ़ाई से हो और उद्योगों में इसका उपयोग पूर्ण रूप से बंद हो।

5, अब शायद हम यह समझ चुके हैं कि मानव ने विकास की राह में विज्ञान के सहारे जो तरक्की हासिल की है और प्रकृति की अनदेखी की है, उसकी कीमत वो अपने और अपने परिवार के स्वास्थ्य से चुका रहा है। इसलिए अब अगर वो अपनी आने वाली पीढ़ियों को एक खूबसूरत दुनिया और बेहतर जीवन देना चाहता है तो अब उसे उस प्रकृति की ओर ध्यान देना होगा। अब तक तो हमने प्रकृति का केवल दोहन किया है। अब समर्पण करना होगा। जितने जंगल कटे हैं उससे अधिक बनाने होंगे, जितने पेड़ काटे उससे अधिक लगाने होंगे, जितना प्रकृति से लिया, उससे अधिक लौटना होगा। प्रकृति तो माँ है, जीवनदायिनी है, दोनों हाथों से अपना प्यार लुटाएगी। इस धरती को हम जरा सा हरा भरा करेंगे, तो वो इस वातावरण को एक बार फिर से ताजगी के एहसास के साथ सांस लेने लायक बना देगी।



--डॉ नीलम महेंद्र--

आंध्र प्रदेश व बंगाल में भ्रष्टाचार की बू : जेटली

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भोपाल,आर्यावर्त डेस्क,17 नवंबर, 2018, आंध्र प्रदेश और बंगाल में सीबीआई को प्रवेश नहीं करने देने की दोनों राज्य सरकारों की धमकी के बाद आज भोपाल में केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पत्रकारों के सवालों के जवाब देते हुए कहा कि जिन राज्यों ने सीबीआई को नहीं घुसने देने की बात कही है जरूर वे अपने राज्यों में संदिग्ध भ्र्ष्टाचारियों का बचाव करना चाहते होंगे. उन्होंने कहा कि बंगाल में ममता बनर्जी की सरकार इस कदम से सारधा या अन्य घोटालेबाजों को बचा नहीं सकती है. इन दोनों राज्यों के सीबीआई के प्रति नकारात्मक भाव से वहां भ्रष्टाचार की बू आती है. मध्य प्रदेश विधान सभा चुनाव हेतु भाजपा का घोषणा पत्र जारी करते हुए जेटली ने कहा कि  सीबीआई का गठन संघीय व्यवस्था के तहत हुआ है और उसके कार्य करने के अपने तरीके हैं. अनायास ही वो किसी राज्य में जाकर जांच नहीं करने लगती है,फिर इन राज्यों को कौन सा डर सता रहा है. नोटबंदी को सही फैसला बताते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि आने वाले दिनों में नोटबंदी के बेहतर परिणाम देखने को मिलेंगे.
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