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बेगूसराय : शुभम भारद्वाज बैने बजरंगदल के प्रमुख।

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बेगूसराय (अरुण शाण्डिल्य)शुभम भारद्वाज बने बजरंगदल के प्रमुख।मिला प्रान्त सह संयोजक का दायित्व। विश्व हिंदू परिषद के प्रान्त बैठक मधुबनी में युवकों के आयाम बजरंगदल का प्रांत सह संयोजक बेगूसराय के शुभम भारद्वाज को बनाया गया।ज्ञात हो कि बजरंगदल में प्रांत में कोई संयोजक नहीं है,शुभम भारद्वाज को एक मात्र सह संयोजक बनाकर बजरंगदल का प्रमुख बनाया गया है।इनके कार्यक्षेत्र में मुजफ्फरपुर, मोतिहारी,बेगुसराय, खगड़िया,कटिहार,पूर्णिया,अररिया समेत उत्तर बिहार के 31 जिले होंगे। आज दोपहर 11 बजे मधुबनी प्रांत बैठक में अंतरराष्ट्रीय महामंत्री मिलिन्द परांडे,आरएसएस के प्रांत प्रचारक राम कुमार, प्रांत अध्यक्ष कृष्णदेव झा,धर्मप्रसार क्षेत्र प्रमुख जवाहर झा,प्रांत मंत्री अशोक श्रीवास्तव,केशव राजू,वीरेंद्र विमल ने शुभम भारद्वाज की जैसे ही घोषणा की,31 जिलों के कार्यकर्ताओं में हर्ष का माहौल बन गया। और सबों ने एक साथ तालीयों से स्वागत और अपना अपना समर्थन दिया। विहिप जिलाध्यक्ष राज किशोर प्रसाद सिंह ने कहा कि बजरंगदल प्रांत में सिर्फ एक व्यक्ति को दायित्व दिया गया वो भी बेगूसराय के मिट्टी के लाल को यह पद और पदभार मिला इसके लिये गर्व का विषय है।डॉ धीरज शांडिल्य ने बधाई देते हुए कहा कि शुभम भारद्वाज के नेत्रीत्व में उत्तर बिहार में काफी बढ़िया काम होगा,ऐसा विश्वास है। बधाई देने वालों में जिला मंत्री विकास भारती,ज़िला संयोजक राज साह,मनीष, प्रान्त कार्यसमिति सदस्य मनहर देव,रामनरेश,ज़िला कोशाध्यक्ष सुमित,सुधीर, प्रिंस राय, इत्यादि उपस्थित रहे।

बिहार : ग्रोटो.माता मरियम का पर्व

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दुसैया। पश्चिम चम्पारण में है दुसैया पल्ली.इस पल्ली में है ग्वादालुपे की माता मरिया की ग्रोटो.माता मरियम का पर्व हरेक साल मनाया जाता है.यहां पर नौ दिवसीय धार्मिक कार्यक्रम किया जाता है जिसे नोवैना कहा जाता है.  

एक महान मिशनरी के रूप में स्मरण
ग्वादालुपे की माता मरिया के पर्व दिवस है.उन्हें एक महान मिशनरी कहा जाता है. जिन्होंने विश्वास को लैटिन अमरीका में फैलाया है.पल्ली पुरोहित ने कहा कि  ″उनकी मध्यस्थता द्वारा ख्रीस्तीय विश्वास लैटिन अमरीका के लोगों के लिए एक समृद्ध ख़जाना बन गया है जिनके महुमूल्य मोती है येसु ख्रीस्त. यह एक ऐसा खजाना है जो हस्तांतरित होकर आज बपतिस्मा द्वारा लोगों में प्रकट होता है."इस पावन दिवस पर ख्रीस्तयाग अर्पित करते हुए ईश्वर के महान कार्यों के लिए कृतज्ञता व्यक्त की. ″कृतज्ञता और आनन्द के साथ आज लैटिन अमरीका अपनी संरक्षिका ग्वादालुपे की माता मरिया का पर्व मनाती है जिसकी भक्ति अलास्का से पेटागोनिया तक फैली हुई है।″अब भारत में फैल गयी है.

पर्व के अवसर पर भक्तों की उपस्थिति 
महापर्व के अवसर पर ग्वादालुपे में माता मरिया के दर्शन तथा उनकी ममतामय स्नेह प्रदर्शित करने की घटना की याद की.तेपेयाक में संत जुआन डीएगो को दर्शन देकर सदा निष्कलंक कुँवारी मरिया तथा सच्चे ईश्वर की माता के रूप में अपना परिचय दिया तब उन्होंने उस दिव्य दर्शन के लिए प्रेरित किया जो प्रकाशना ग्रंथ में वर्णित है ″आकाश में एक महान् चिन्ह दिखाई दिया: सूर्य का वस्त्र ओढ़े एक महिला दिखाई पड़ी। उसके पैरों तले चन्द्रमा था और उसके सिर पर बारह नक्षत्रों का मुकुट।″ (प्रका. 12.1).इस दिव्य दर्शन द्वारा उन्होंने अपने पुत्र को नये ख्रीस्तीयों तथा मिश्रित जाति के पीड़ित लोगों के लिए अर्पित करने की घोषणा की जिसके कारण बहुत से लोगों में आनन्द एवं आशा का संचार हुआ.माता मरिया ने अपने को सच्चे ईश्वर जो हमारे सृष्टिकर्ता हैं की माता रूप में प्रकट कर अमरीका वासियों को उनकी संतान होने की गरिमा प्रदान की है.

कोई दास या दासी नहीं है
किन्तु सभी एक ही पिता की संतान हैं और आपस में भाई-बहन हैं। माता मरिया ने न केवल उन्हें दर्शन दिया किन्तु उनके साथ निवास करना चाहा.उनकी मध्यस्थता द्वारा अमरीका में ख्रीस्तीय विश्वास का विस्तार हुआ.माता मरियम के प्रिय पुत्र येसु द्वारा प्राप्त विश्वास, आशा तथा प्रेम लोगों के बीच अधिक लोकप्रिय होने लगा जिसके कारण ग़रीबों एवं पीड़ित लोगों के प्रति न्याय तथा सद्भावना जैसे मानव गरिमा की चेतना जागृत हुई.लैटिन अमरीका के लोगों के जीवन में माता मरियम की मध्यस्थता द्वारा सम्पन्न ईश्वर के महान कार्यों की याद करते हैं. 

आलेख : राफेल की झूठ पर अगस्ता वेस्टलैंड भारी

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पांच राज्यों के चुनावों में झूठ की बुनियाद पर मुद्दा रहे राफेल की दलाली पर अब अगस्ता वेस्टलैंड स्कैम एवं बाड्रा के घर ईडी की छापेमारी भारी पड़ती दिखने लगती है। हाल यह है कि एक्जिट पोल के नतीजों से गदगद कांग्रेस प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को माफियाडान भी कहने लगी है। लेकिन सच तो यही है कि धमाचैकड़ी की इस सियासत में कांग्रेस की गले की फांस  बन सकता है अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकाॅप्टर घोटाला 

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फिरहाल, कांग्रेस पार्टी जहां राफेल डील को केंद्र सरकार के खिलाफ हथियार के तौर पर इस्तेमाल करती रही है वहीं अब अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर मामले ने उसकी हवा निकाल दी है। खासकर कांग्रेस मुखिया राहुल गांधी के जीजा राबर्ट बढ़ेरा के घर ईडी की छापेमारी ने तो जले पर नमक छिड़कने जैसा है। बता दें, अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर सौदे मामले के मुख्य बिचैलिये क्रिश्चयन मिशेल के प्रत्यर्पण के बाद से ही केंद्र सरकार और खुद पीएम मोदी इस डील में कांग्रेस के शामिल होने को लेकर कई बड़े खुलासे होने का दावा कर रहे हैं। दावा किया जा रहा है कि भारतीय जांच एजेंसियों की पूछताछ में मिशेल उन नेताओं और नौकरशाहों के नाम उगल सकता है जिन्हें 3600 करोड़ रुपए के वीवीआईपी हेलीकॉप्टर सौदे के लिए कथित रूप से रिश्वत दी गई थी। अगर ऐसा होता है तो केंद्र सरकार कांग्रेस पर नए सिरे से आक्रामक हो सकती है। या यूं कहे अगस्तावेस्टलैंड सौदा अब कांग्रेस की गले की फांस बन सकता है। 

जबकि राफेल सौदे के बहाने राहुल मोदी को चोर तक कह डाला। वह ढिंढोरा पीटने में लगे है कि मोदी सरकार ने राफेल सौदे के जरिये अनिल अंबानी को उपकृत किया, लेकिन यह बताने की जरूरत नहीं समझ रहे कि रिलायंस डिफेंस इकलौती कंपनी नहीं जिसे राफेल बनाने वाली फ्रांसीसी कंपनी दासौ ने अपना साझीदार बनाया है। दो दर्जन से अधिक और कंपनियां हैं जिसे दासौ ने साझीदार बनाया है। समझना कठिन है कि आखिर राहुल गांधी केवल रिलायंस डिफेंस को ही अपनी काली सूची में क्यों रखे हुए हैं? इस मामले में इसकी अनदेखी नहीं कर सकते कि मनमोहन सिंह सरकार के समय भी दासौ रिलायंस डिफेंस को साझीदार बनाने के लिए तैयार थी। यह राहुल ही बता सकते हैं कि उस समय उन्हें इस पर आपत्ति थी या नहीं? सवाल यह भी है कि अगर अनिल अंबानी इतने ही अवांछित हैं तो फिर संप्रग सरकार के समय उन्हें करीब एक लाख करोड़ रुपये की परियोजनाएं शुरू करने की अनुमति क्यों दी गई? राहुल देश में घूम-घूम कर यह भी कह रहे हैं कि प्रधानमंत्री मोदी ने राफेल सौदे के जरिये अपने मित्र अनिल अंबानी की जेब में 30 हजार करोड़ रुपये डाल दिए। इस पर दासौ कंपनी को यह बयान जारी करना पड़ा कि रिलायंस डिफेंस से उसकी साझीदारी तो उस निवेश का महज दस फीसद ही है जो उसे पहले चरण में करना है। इसका मतलब है कि अनिल अंबानी की कंपनी को 30 हजार करोड़ रुपये का ठेका मिलने की बातें सिर्फ और सिर्फ झूठ हैं। 

भारत और फ्रांस के बीच फाइटर प्लेन राफेल को लेकर हुई डील में दलाली की बात को लेकर राहुल गांधी के आरोपों को अब सुप्रीम कोर्ट ने भी नकार दिया है। मतलब साफ है तीस बरस पहले जिस तरह बीपी सिंह ने बोफोर्स सौदे के कथित घोटाले को चुनावी मुद्दा बनाकर राजीव गांधी की सत्ता छीन ली, अब राहुल गांधी उसी तरह राफेल सौदे के कथित घोटाले को मुद्दा बनाकर पीएम मोदी को चोर बनाने में जुटे हैं। लेकिन कांग्रेस भूल गयी है कि स्विस से पिलाटस विमान खरीद में घोटाले में पकड़े गए हथियार दलाल संजय भंडारी के रॉबर्ट वाड्रा से करीबी संबंध है और रॉबर्ट वाड्रा के लिए संजय भंडारी ने लंदन में 19 करोड़ का मकान भी खरीद कर दिया है। ये मकान संजय भंडारी के जीजा चड्ढा ने खरीदा। इस मामले में सीबीआई जांच के बाद ईडी की छापामारी भी तेज हो गई है। अब सवाल तो कांग्रेस के दामन में दाग को लेकर भी उठने लगे हैं। बताया तो ये भी जा रहा है कि यूपीए सरकार के समय संजय भंडारी की कंपनी ओआईएस को राफेल विमानों की खरीद में शामिल करने का दवाब भी दसो कंपनी पर था, दसो ही राफेल विमान बनाती है। 

कहा जा सकता है कि राफेल सौदे को लेकर राहुल गांधी झूठी सूचनाओं के आधार पर जिस तरह प्रोपोगांडा फैला रहे है, देर-सबेर वो टाॅय-टाॅय फुस्स हो जायेगा। क्योंकि उनका मकसद सिर्फ और सिर्फ मोदी को हटाना है, इसके लिए कुछ भी कर गुजरने की उनकी फंडा को जनता समझ रही है। माना राफेल में घोटाला हुआ है तो राहुल गांधी उन सबूतों को जनता के समक्ष क्यों नहीं रख पा रहे है। क्या राहुल गांधी चाहते है कि यह कांट्रैक्ट दामाद रॉबर्ट वाड्रा के करीबी संजय भंडारी की कंपनी को मिले, जो दागी है। दुसरा बड़ा सवाल यह है कि अगर वाकई राफेल डील में घोटाला हुआ है तो पैसे के लेन-देन से लेकर उन सभी दस्तावेजों को सामने लाना चाहिए जो साबित करता हो कि घाटाला हुआ है। जहां तक अगस्ताका सवाल है तो तत्कालीन सरकार ने नए हेलिकॉप्टर खरीदने के लिए मार्च 2005 में अपनी कवाजद शुरू की। इस दौरान ज्यादा दावेदारों द्वारा बोली लगवाने के लिए नए हेलिकॉप्टर्स की तकनीकी शर्तों में बदलाव किया गया। बता दें कि 2005 में ही मनमोहन सरकार ने इस डील में इंटीग्रिटी क्लॉज डाला, जिसके मुताबिक अगर किसी डिफेंड डील में कोई दलाल शामिल पाया गया, तो डील रद्द कर दी जाएगी। इसी शर्त की वजह से बाद में अगुस्टा-वेस्टलैंड डील विवाद की वजह बन गई थी। इस दौरान ही प्रणब मुखर्जी देश के रक्षामंत्री और एसपी त्यागी वायुसेना प्रमुख थे। सरकार ने सितंबर 2006 में 12 नए और वीवीआईपी हेलीकॉप्टर खरीदने के लिए एक नया टेंडर जारी किया। इसके लिए ब्रिटेन, अमेरिका व रूस की कंपनियों ने आवेदन किया। रूसी कंपनी का आवेदन शुरुआती दौर में ही खारिज हो गया। 2010 में मनमोहन कैबिनेट कमेटी ने इसकी मंजूरी दी। इसका ठेका तब 556 मिलियन यूरो यानी करीब 3,546 करोड़ रुपए में अगुस्टा वेस्टलैंड को दिया गया। अगुस्टा वेस्टलैंड का हेडक्वॉर्टर ब्रिटेन में है, जबकि इसकी पैरंट कंपनी फिनमैकेनिका का हेडक्वॉर्टर इटली में है। इस डील को लेकर पहली बार इटली की जांच एजेंसियों ने फरवरी 2012 में दलाली की बात कही। इटली की एजेंसियों के मुताबिक फिनमैकेनिका ने यह ठेका हासिल करने के लिए भारत के कुछ नेताओं और वायुसेना के कुछ अधिकारियों को 360 करोड़ रुपए की रिश्वत दी। 

इटली की एजेंसियों ने इस डील में तीन दलालों- क्रिश्चियन मिशेल, गुइदो हाश्के और कार्लो गेरोसा के शामिल होने की बात कही। मार्च 2013 में भारत में इस डील की जांच सीबीआई को सौंपी। इसमें पूर्व वायुसेना प्रमुख एसपी त्यागी, उनके तीन भाइयों, ओरसी और स्पैग्नोलिनी समेत नौ लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया। इसके बाद यह डील जनवरी 2014 में रद्द कर दी गयी। इस डील में रिश्वत के आरोप की जांच के सिलसिले में जून 2014 में पश्चिम बंगाल के तत्कालीन गवर्नर एमके नारायणन से बतौर गवाह पूछताछ की। नारायणन उस ग्रुप में शामिल थे, जिसने हेलिकॉप्टर खरीदने से पहले टेंडर प्रॉसेस देखा था। अक्टूबर 2014 में इटली की निचली अदालत ने ओरसी और स्पैग्नोलिनी को हेराफेरी के लिए दो साल की सजा सुनाई और उन पर भ्रष्टाचार के आरोप माफ कर दिए। लेकिन इटली की मिलान कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को अप्रैल 2016 में पलट दिया और अगुस्टा-वेस्टलैंड और फिनमैकेनिका के प्रमुखों को भ्रष्टाचार का दोषी मानती है। मिलान कोर्ट ने ओरसी को साढ़े चार साल और स्पैग्नोलिनी को चार साल का सजा सुनाती है। वहीं, भारत की पिछली सरकार ने इटली के प्रॉसिक्यूटर्स को पर्याप्त सबूत और अहम दस्तावेज नहीं दिए। इस मामले में पूर्व वायुसेना प्रमुख एसपी त्यागी को भी भ्रष्टाचार का दोषी पाया गया। अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर डील मामले के मुख्य बिचैलियों में से एक क्रिश्चयन मिशेल को फरवरी 2017 में गिरफ्तार कर लिया गया। अब मिशेल के प्रत्यर्पण के तहत भारत लाया गया है। मिशेल के मुताबिक वह फ्रांस के मिराज जेट की खरीदारी में कमीशन एजेंट था और इटली की कंपनियों ने उसे भारत में कामकाज कराने के लिए 4.86 करोड़ डॉलर का भुगतान किया था। माना जा रहा है कि सीबीआई पूछताछ में वह कई कांग्रेस नेताओं का राज खोलेगा। ओर्सी और स्पागनोलीनी दोनों पर अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार और भारत के साथ अनुबंध में करीब 4,250 करोड़ रुपये के रिश्वत के लेने-देन के सिलसिले में फर्जी बिल बनाने का आरोप है। भारत को उम्मीद है कि इटली की कोर्ट में अगर सफलता मिलती है तो यह मामला पूरी दुनिया की नजर में आ जाएगा और बाकी बचे दो बिचैलियों को भारत लाने में मदद मिल जाएगी। 



--सुरेश गांधी--

देश में 13 साल से लागू है वनाधिकार कानून-2005

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कटनी. यू.पी.ए.सरकार के कार्यकाल में बना है वनाधिकार कानून- 2005. भले ही देश में 13 साल से लागू है पर लोगों को वनाधिकार कानून-2005 के तहत लाभ नहीं पहुंचाया जा रहा है. वनाधिकार कानून द्वारा वनवासी आदिवासी को अधिकार मिला है. इसमें आदिम जाति भाइयो-बहनों को स्थाई आजीविका का साधन निहित है. इसमें कृषि आधारित/गैर कृषि आधारित आजीविका खड़ी  हो रही है. गांव में भूमि अधिकार के बिना लोग हैं. बिन माता- पिता जैसे गांव का रूका साठ प्रतिशत पलायन. ग्राम के लोग करते थे 2007 तक पलायन. वनाधिकार कानून 13 दिसम्बर, 2005 को 01 जनवरी 2008 से सम्पूर्ण देश मै लागू किया गया. सिर्फ( जम्मू- कश्मीर ) को छोड़ कर मध्यप्रदेश में 26 जनवरी 2008 से 04 फरवरी 2008 तक ग्राम, टोला, कस्बा, ग्राम पंचायत में विशेष ग्राम सभाओं का आयोजन कर ग्राम वनाधिकार समितियों का गठन किया गया. गठित की गई समितियों को कानूनी कार्यवाही करने के लिऐ, समस्त कानूनी  अधिकार दिये गये, समितियों के समस्त पदाधिकारियो को नियमानुसार ग्राम मेंं निवास कर रहे लोगो को अपने अधिकारो व आजीविका कृषि आधारित /गैर कृषि आधारित आजीविका के लिए स्थाई आजीविका खड़ी हो  रही है. गांव में  लोग, रबी, खरीफ, ग्रीष्म कालीन कृषि करके ,,वन उपज, तेदूपत्ता, चार चिरोंजी, महुआ, वेल, आंवला,जामुन, मुन्गा, अमरूद, सीताफल, हर्र, बहेडा, गोंद,मूसली सफेद ,खेर,धवागोंद,कंद मूलफल, मछली आखेट,  कानूनी अधिकार,तथा सामुदायिक अधिकार,जैसे निस्तार /कृषि के लिए है.

बिहार : हार्टमन गर्ल्स हाई स्कूल को वित सहित स्कूल घोषित करने की मांग

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सरकारी स्कूलों की तरह विघार्थियों को सारी सुविधाएं बरकरारमगर सरकारी गुरूओं की तरह वेतनादि सें वंचित हैं यहां के गुरूजन
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पटना. पटना धर्मप्रांत के बिशप द्वारा संत इग्नासियुस स्कूल खोला गया.संत इग्नासियुस स्कूल को बंद होने के बाद हार्टमन स्कूल खोला गया.सिस्टर ऑफ नोट्रडेम के द्वारा संचालित है.प्रारंभ में वर्तमान समय में स्थित सेवा केंद्र, कुर्जी में संचालित रहा.यहां बालकों को पांचवीं कक्षा तक और बालिकाओं को मैट्रिक स्तर तक की पढ़ाई होती थी.अब प्रथम कक्षा से बारहवीं कक्षा तक की पढ़ाई होती है.

बिशप हार्टमन के नाम से हार्टमन स्कूल 
पटना धर्मप्रांत के बिशप अनास्तासियुस हार्टमन के नाम से हार्टमन स्कूल संचालित है.फिलवक्त संत माइकल हाई स्कूल के सामने हार्टमन बालिका हाई स्कूल है.इसमें स्कूल में पहली से बाहरवीं कक्षा तक की पढ़ाई होती है.इस समय 1500 कन्याएं अध्ययनरत हैं.40 टीचर और 10 गैर टीचर हैं.बिहार विघालय  परीक्षा समिति द्वारा मान्यता प्राप्त है.

8 जनवरी,1959 को स्थापित 
अल्पसंख्यक विघालय है हार्टमन हाई स्कूल.सरकार के द्वारा मान्यता प्राप्त है.हार्टमन स्कूल दीघा घाट में रहने वालों के लिए वरदान साबित हो रहा है.हार्टमन स्कूल की स्थापना काल से ही स्कूल उच्च से उच्चतर परिणाम देने को विख्यात हो गया है
           
59 साल से स्कूली बच्चो को फायदा 
वितरहित हार्टमन हाई स्कूल है.माध्यमिक और उच्चतर स्तर की छात्राओं को सरकारी स्कूल की सुविधा प्राप्त है.मगर सरकारी स्कूल के गुरूजनों की तरह वेतनादि से वंचित हैं.इस स्कूल के टीचर व नन टीचर ने सीएम नीतीश कुमार से आग्रह किए हैं कि इस स्कूल को वित पोषित स्कूल घोषित कर दें.संपूर्ण सुविधाएं व आवश्यक माहौल उपलब्ध है.

एकता परिषद ने मानवाधिकार दिवस मनाया

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आदिवासी ग्राम पंचायत के लिए भरी हुंकार
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हिंडोरिया।जन संगठन एकता परिषद के बैनर तले आज ग्राम किला में अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस मनाया गया. बैठक में नगर परिषद से अलग कर ग्राम किला, चिरईपानी, कंचनपुरा को मिलाकर आदिवासी ग्राम पंचायत बनाए जाने की आपसी विमर्श पश्चात हुंकार भरी गई एवं भविष्य में आंदोलन करने का निर्णय भी लिया गया. इस संबंध मे एकता परिषद के जिला अध्यक्ष सुजात खान ने बताया कि बैठक में ग्राम किला ,कंचनपुरा , चिरईपानी ,करके ,धसरा , पंडा आदि ग्रामों के लगभग 80  महिला- मुखियाओं ने भाग लिया. बैठक में विश्वरत्न बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर , राष्ट्रपिता महात्मा गांधी एवं मानव अधिकार के लिए संघर्ष करने वाले अनेक आदर्श पुरुषों के जीवन , संघर्ष पर प्रकाश डालकर उन्हें याद किया गया. साथ ही बैठक में  वंचित दलित आदिवासियों की वर्तमान आर्थिक , राजनीतिक , सामाजिक एवं शैक्षणिक परिस्थितियों पर विस्तार से चर्चा के अलावा जल, जंगल जमीन एवं आजीविका के मुद्दों पर सूक्ष्मता से विमर्श किया गया. इस मौके पर देवी आदिवासी ,राम बाई आदिवासी , शिवलाल मुड़ा , सोनेलाल आदिवासी ,अर्जुन आदिवासी , अर्जुन आदिवासी ,शिवराज बाबा , सोना बाई , आनंद रानी ने कहा कि जब तक हिंडोरिया नगर परिषद से अलग करके किला ,चिरईपानी , कंचनपुरा को अलग पंचायत नहीं बनाया जाएगा. तब तक हम लोगों का जीवन नारकीय रहेगा. इस मौके पर  संकल्प लिया गया  कि यदि लोकसभा चुनाव के पहले पृथक आदिवासी ग्राम पंचायत का दर्जा नहीं दिया जाएगा , तो चुनाव का बहिष्कार करेंगे? साथ ही इस दिशा में शीघ्र अहिंसात्मक आंदोलन भी किया जाएगा. बैठक में भोले सिंह , बाबू सिंह , गुलाब सिंह ,  हल्के भाई सिंह ,सोनेलाल यादव , रतन सिंह , सीता रानी ,नन्ही बाई , संताबाई , ममता रानी , कुसुम बाई ,हरि बाई , आनंद रानी , नारायण आदिवासी ,भगवान सिंह ,पंचम सिंह आदिवासी , सहित बड़ी संख्या में सक्रिय महिला व पुरुष साथी मौजूद रहे.

आलेख : कब होगा एड्स उन्मूलन?

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जब सभी एचआईवी पॉजिटिव लोग सामान्य ज़िन्दगी जी सकें और नया-संक्रमण दर शून्य हो
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जैसे कि चेन की सबसे कमज़ोर कड़ी ही उसकी ताकत का मापक होती है, वैसे ही, जन स्वास्थ्य का मापक भी उसके सबसे कमज़ोर अंश होते हैं. स्वास्थ्य सुरक्षा का सपना तभी पूरा होगा जब सबसे पिछड़े और समाज के हाशिये पर रह रहे लोग स्वस्थ रहेंगे. यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज (यूएचसी) दिवस पर यह सत्य दोहराना ज़रूरी है क्योंकि हर इंसान के लिए यूएचसी की सुरक्षा देने का वादा पूरा करने के लिए अब सिर्फ 12 साल शेष हैं. भारत सरकार समेत 193 देशों की सरकारों ने 2030 तक सतत विकास लक्ष्य पूरे करने का वादा किया है जिनमें यूएचसी शामिल है. यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज (यूएचसी) दिवस पर एड्स सोसाइटी ऑफ़ इंडिया ने भारत सरकार से अपील की कि स्वास्थ्य कार्यक्रम में रोगों की जांच और इलाज पर ध्यान देना जितना ज़रूरी है उतना ही महत्वपूर्ण है रोग नियंत्रण. एड्स सोसाइटी ऑफ़ इंडिया के अध्यक्ष डॉ ईश्वर गिलाडा, जो हाल ही में इंटरनेशनल एड्स सोसाइटी की संचालन समिति में नव-निर्वाचित हुए हैं, ने बताया कि दशकों से सुरक्षित यौन सम्बन्ध के प्रचार के बावजूद, पिछले सप्ताह के समाचार के अनुसार, मुंबई में अब भी असुरक्षित यौन सम्बन्ध, 90% से अधिक नए एचआईवी संक्रमण का कारक है. हम लोगों को यह सुनिश्चित करना होगा कि एचआईवी संक्रमण रोकने के अभियान अधिक प्रभावकारी बने जिससे नतीज़तन नए एचआईवी संक्रमण दर में गिरावट आये, और वह शून्य हो सके.

1986 में जब भारत में पहला एचआईवी संक्रमण पाया गया था तो जिन चिकित्सकों ने आगे बढ़ कर सर्वप्रथम एड्स सम्बंधित चिकित्सकीय सेवा देना आरम्भ किया उनमें डॉ ईश्वर गिलाडा प्रमुख थे. डॉ गिलाडा ने बताया कि 193 देशों ने संयुक्त राष्ट्र में 2030 तक एड्स को समाप्त करने का वादा किया है (सतत विकास लक्ष्य) जिसका अर्थ है कि नए एचआईवी संक्रमण दर शून्य हो, और हर एचआईवी पॉजिटिव व्यक्ति स्वस्थ रहते हुए सामान्य जीवनयापन कर रहा हो. इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए ज़रूरी है कि भारत सरकार की राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 और संयुक्त राष्ट्र के एड्स कार्यक्रम (UNAIDS) दोनों के अनुसार, 2020 तक एचआईवी का 90:90:90 का लक्ष्य पूरा करना है: 2020 तक 90% एचआईवी पॉजिटिव लोगों को यह पता हो कि वे एचआईवी पॉजिटिव हैं; जो लोग एचआईवी पॉजिटिव चिन्हित हुए हैं उनमें से कम-से-कम 90% को एंटीरेट्रोवायरल दवा (एआरटी) मिल रही हो; और जिन लोगों को एआरटी दवा मिल रही है उनमें से कम-से-कम 90% लोगों में ‘वायरल लोड’ नगण्य हो.

यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि जिन लोगों को एचआईवी संक्रमित होने का खतरा अधिक है जैसे कि इंजेक्शन से नशीली दवा लेने वाले लोग, यौन कर्मी, समलैंगिक लोग और ट्रांसजेंडर/ हिजरा समुदाय, आदि, उनमें 90-90-90 के लक्ष्य की ओर ठोस प्रगति हो रही हो. अमृता सोनी एक सफल एमबीए डिग्री धारक हैं जो एचआईवी पॉजिटिव ट्रांसजेंडर व्यक्ति के रूप में मौलिक अधिकारों पर कार्य कर रही हैं. उन्होंने सीएनएस (सिटिज़न न्यूज़ सर्विस) द्वारा आयोजित विश्व एड्स दिवस पर आयोजित वेबिनार में कहा कि एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी दवा मिलने का समय अक्सर एक चुनौती उत्पन्न करता है क्योंकि ट्रांसजेंडर समुदाय के लोग दैनिक आय कमाने गए होते हैं, और जब तक वह वापिस आते हैं तब तक दवा वितरण केंद्र बंद हो जाते हैं. अमृता सोनी ने कहा कि ट्रांसजेंडर लोगों को जो ज़रूरी एचआईवी सम्बंधित एवं अन्य स्वास्थ्य सेवा चाहिए वह सब एक ही केंद्र में उपलब्ध हों. ट्रांसजेंडर समुदाय को जो समस्याएँ आ रही हैं वह अक्सर स्वास्थ्यकर्मी समझ नहीं पाते इसलिए मददगार होगा यदि ट्रांसजेंडर लोगों को ही वहां रोज़गार मिले. ट्रांसजेंडर वेलफेयर इक्विटी एंड एमपावरमेंट ट्रस्ट से जुड़ी सौम्या गुप्ता, हिजरा और ट्रांसजेंडर अधिकारों के लिए समर्पित रही हैं. उन्होंने कहा कि आजीविका कमाने के सम्मानजनक विकल्प ज़रूरी हैं यदि ट्रांसजेंडर सामुदाय के लिए स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा में सुधार लाना है.

नए एचआईवी संक्रमण दर में गिरावट
'एवाक'के अध्यक्ष और वरिष्ठ एचआईवी संक्रमण रोकधाम विशेषज्ञ डॉ मिचेल वारेन ने कहा कि 90-90-90 के लक्ष्यों को अक्सर सिर्फ एचआईवी पॉजिटिव लोगों के लिए एंटीरेट्रोवायरल दवा के परिप्रेक्ष्य में ही समझा जा रहा है जबकि संक्रमण नियंत्रण के लिए 90-90-90 पर प्रगति करना तो ज़रूरी है ही पर उतना ही आवश्यक है कि संक्रमण से बचाव के सभी कारगर साधन भरपूर तरीके से उपयोग हो रहे हों. उन्होंने कहा कि विज्ञान की देन है कि अनेक नए एचआईवी बचाव साधन पिछले वर्षों में उभर कर आये. पर क्या इन नए साधनों से एचआईवी दर में अपेक्षित गिरावट आई है? 1993 में फीमेल कंडोम (महिला कंडोम) आया पर क्या वह अवांछित गर्भ, यौन रोग और एचआईवी से बचने में महिलाओं की मदद कर सका? 2012 में प्री-एक्सपोज़र प्रोफाईलाक्सिस (प्रेप) आया पर भारत में अभी तक वह उपलब्ध नहीं है. हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित एचआईवी रोकधाम साधान पूरी तरह इस्तेमाल हो रहे हों, विशेषकर कि उन समुदायों द्वारा जिनके संक्रमित होने का खतरा अधिक है. जितना ज़रूरी इन 90-90-90 लक्ष्यों को पूरा करना है उतना ही आवश्यक है कि नए एचआईवी संक्रमण दर में गिरावट तेज़ी से आये और वह शून्य हो सके. पिछले हफ्ते प्रकाशित समाचार के अनुसार मुंबई में 2017 में हुए नए एचआईवी से संक्रमित लोगों में से 3.7% बच्चे थे. थाईलैंड जैसे देशों ने माता-पिता से बच्चे को संक्रमित होने वाले एचआईवी को पूरी तरह समाप्त कर दिया है और भारत को भी उसी दिशा में तेज़ी से अग्रसर है.

जिन लोगों को एचआईवी से संक्रमित होने का खतरा अत्याधिक है, उनके लिए यह विशेषरूप से सुनिश्चित हो कि सभी वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित एचआईवी संक्रमण रोकने के तरीके उन तक पहुँच रहे हों. दशकों के प्रचार के बावजूद भी एचआईवी, अन्य यौन रोग और अनवांछित गर्भ से बचने के लिए, पुरुष कंडोम का उपयोग दर बहुत कम है. अमरीका के ऍफ़डीए ने 1993 में महिला कंडोम को संस्तुति दी थी पर क्या वह एचआईवी, यौन रोग और अनवांछित गर्भ से बचने में इच्छुक महिलाओं के लिए उपलब्ध हो पाया है? अमरीका के ऍफ़डीए ने 2012 में ‘प्रेप’ (प्री-एक्सपोज़र प्रोफाईलेक्सिस) को एचआईवी संक्रमण से बचने के लिए संस्तुति दी थी परन्तु अभी वह भारत में लाइसेंस तक नहीं हुआ है. वैज्ञानिक शोध से नयी दवाएं, जांच और रोग से बचने के नए साधनों को हम जन-स्वास्थ्य परिणामों में परिवर्तित करने में क्यों असफल हो रहे हैं या क्यों अनावश्यक स्थगित कर रहे हैं? वैज्ञानिक रूप से यह सत्य है कि टीबी (ट्यूबरक्लोसिस या तपेदिक) से बचाव मुमकिन है, और पक्की जांच और इलाज मुमकिन है. परन्तु 2017 में भी एचआईवी पॉजिटिव लोगों में मृत्यु का सबसे बड़ा कारण टीबी थी. सालों से टीबी और एचआईवी के संयुक्त कार्यक्रम सक्रीय हैं पर इनके बावजूद, 2017 में 9 लाख एचआईवी पॉजिटिव लोग टीबी से रोग ग्रस्त हुए, और 3 लाख एचआईवी पॉजिटिव लोग टीबी से मृत हुए. डॉ ईश्वर गिलाडा ने बताया कि भारत सरकार ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति और सतत विकास लक्ष्य दोनों में यह वादा दोहराया है कि 2030 तक हर नागरिक तक स्वास्थ्य सेवा पहुंचेगी (यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज) – जो न केवल एड्स को समाप्त करने में सहायक होगी बल्कि स्वास्थ्य सुरक्षा का सपना भी पूरा करेगी. उन्होंने अपील की कि हर व्यक्ति तक स्वास्थ्य सेवा पहुँचाने के साथ-साथ रोग नियंत्रण भी प्राथमिकता बने.




--बॉबी रमाकांत--
सीएनएस (सिटिज़न न्यूज़ सर्विस)

विचार : सवर्णों और दलितों का ढोंग से मोहभंग होना लोकतंत्र के लिये सुखद संकेत

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हिंदी भाषी तीन राज्यों की विधानसभाओं के चुनावी परिणामों का विशेषज्ञों द्वारा बारीकी से सांख्यिकी विश्लेषण तो जब होगा, तब होगा, लेकिन यदि तत्काल कोई निष्कर्ष निकालना हो तो मुझे यह कहने में कोई हिचक नहीं कि मोदी के नेतृत्व में भाजपा, संघ के कथित 'सबका साथ -सबका विकास'की ओट में जारी पूंजीवाद समर्थक, कट्टर हिंदुत्वादी एवं आरक्षण विरोधी ऐजेंडे को तो इन राज्यों की जनता ने सीधे तौर पर निरस्त कर दिया है। इसके साथ-साथ ही साथ काल्पनिक अहंकार में आकंठ डूबकर कांग्रेस जैसी बड़ी पार्टी को अपनी शर्तों पर नचाने को आतुर मायावती द्वारा 'सवर्ण आरक्षण का समर्थन'करते हुए दिखावटी 'अम्बेड़करवादी ढोंग'को भी से दलित मतदाताओं तक ने स्वीकार करने साफ तौर पर इनकार कर दिया है? यही वजह है कि अपनी सुनिश्चित पराजय को जानते-समझते हुए भी जो दर्जनों वोट-काटू बसपाई उम्मीदवार, जिन विरोधी उम्मीदवारों को हराना चाहते थे, उन्हें हराने में भी पूरी तरह नाकामयाब रहे हैं!

इस प्रकार तीन राज्यों की विधानसभाओं के चुनावी परिणामों को देखा जाये तो मोदी, संघ, भाजपा के हिंदूवादी ढोंग और माया-बसपा के अम्बेड़करवादी ढोंग को निरस्त करने के लिये इन राज्यों के परिपक्व मतदाताओं को बधाई, मुबारकबाद और शुभकामनाएं देना बनता है। विशेष रूप से सवर्णों का संघ-भाजपा से और दलितों का अम्बेड़करी-बसपा से मोहभंग होना लोकतंत्र के भविषय लिये सुखद संकेत है। इन चुनावी नतीजों से अब संघ-भाजपा को समझ में आ जाना चाहिये कि लोकतंत्र में आमजन को गुमराह करके बार-बार ईमानदारी से चुनाव नहीं जीते जा सकते! इसी प्रकार माया-बसपा और इनके अंधभक्त दलितों को भी समय रहे यह बात समझ में आ जानी चाहिये कि अम्बेड़कर तथा संविधान के नाम से लगातार फैलाये जा रहे झूठ के सहारे, भोले-भाले दलितों को हिंदुओं के विरुद्ध खड़ा करके, अंदरखाने हिंदुओं से समझौता करके सवर्णों को आर्थिक आधार पर आरक्षण की मांग करने का असली मकसद दलित मतदाता को भी ठीक से समझ में आने लगा है। यही नहीं अब अम्बेड़करवाद के नाम से 70 सालों से गुमराह किये जा रहे ओबीसी, अल्पसंख्यकों, आदिवासियों आदि शेष सभी वंचित समुदायों को भी अम्बेड़कर के कथित संविधान निर्माण में योगदान तथा माया के बहुजन समाज का असली मतलब ठीक से समझ में आने लगा है!

ऐसे में उम्मीद की जा सकती है कि इस स्थिति में आने वाले समय में लोकतंत्र अधिक परिपक्व होगा और जनहित तथा आम इंसान राजनीतिक दलों के लिये अधिक महत्वपूर्ण बनेगा। यही नहीं अब आने वाला समय कांग्रेस नेतृत्व के लिये भी अधिक चुनौतीभरा होगा। केवल तीन विधानसभाओं में अच्छा प्रदर्शन करने मात्र से कुछ नहीं होने वाला। मोदी, भाजपा और संघ की नीतियों से दु:खी मतदाता के बल पर 2019 का लोकसभा चुनाव जीतने के लिये, काबिल धर्मनिरपेक्ष एवं जनहितवादी राजनीतिक दलों से सम्मानजनक राजनीतिक समझौते भी करने होंगे। सोशल मीडिया के युग में ऐसी पारदर्शी सरकार चलाने वाली नीतियों का खुलासा करना होगा। जिनके बल पर देश के वंचित समुदायों, अल्पसंख्यकों, किसानों, सैनिकों, आरक्षित वर्गों और महिलाओं के हकों को संरक्षित किया जा सके और मोदी सरकार से विरासत में मिलने वाली आर्थिक बदहाली, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, साम्प्रदायिक उन्माद, असुरक्षा आदि से हर आम-ओ-खाश को निजात मिल सके। साथ-साथ ऐसी नीतियां निर्मित करनी होंगी जिनसे देश के संवैधानिक संस्थानों की विश्वसनीयता तथा साख को भी पुनर्जीवित करने का विश्वास जगाया जा सके। सबसे बड़ी बात जातिगत जनगणना के आंकड़े उजागर करके पिछड़े वर्गों के उत्थान के लिये दूरगामी संवैधानिक नीतियों का भी खुलासा करना होगा। अन्यथा तीन राज्यों की जीत का खुमार उतरने में समय नहीं लगेगा!


liveaaryaavart dot com

डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश'
राष्ट्रीय प्रमुख
हक रक्षक दल (HRD) सामाजिक संगठन
मोबाइल: 9875066111, जयपुर।

विशेष : विपक्षी एकता के नये परिदृश्य

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पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव परिणामों ने कांग्रेस को एक नयी ऊर्जा दे दी है। अब कांग्रेस और देशभर की विभिन्न क्षेत्रीय पार्टियों के गठबन्धन को संगठित होने का एक सकारात्मक परिवेश इन चुनावों ने दिया है। सोमवार को राजधानी में आयोजित अपनी बैठक में कांग्रेस एवं विपक्षी दलों ने संदेश दिया है कि वे 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के खिलाफ मिलकर लड़ने के लिए तैयार हैं। विपक्षी पार्टियों की इस एकजुटता को अपना राजनीतिक अस्तित्व बचाए रखने की जद्दोजहद के रूप में भी देखा जा सकता है, पहली बार देश में गैर-भाजपा की अवधारणा जोर पकड़ रही है। आखिर प्रश्न यह है कि भाजपा इतनी जल्दी इस स्थिति में कैसे पहुंची, इस पर उसे  आत्ममंथन करना होगा। 

1967 के आम चुनावों से पहले समाजवादी नेता डा. राम मनोहर लोहिया ने ‘कांग्रेस हराओ-देश बचाओ’ की हुंकार भरी थी और इसके लिए उन्होंने गैर-कांग्रेसवाद के साये के तले सभी शेष राजनीतिक दलों को लाने का सफल प्रयास किया था। नरेन्द्र मोदी एवं भाजपा को हटाने के लिये गैर भाजपावाद लाने के लिये वर्ष 2019 के चुनावों से पूर्व ऐसा ही वातावरण बनाया जा रहा है। लोगों में यह विश्वास जगाया जा रहा है कि भाजपा के विरोध में जितने भी दल हैं वे भी जनता के वोट की ताकत से सत्ता में आ सकते हैं। इस परिप्रेक्ष्य में विपक्षी महागठबंधन को सफल बनाने के लिये प्रयास किये जा रहे है। एक समय जिस तरह देश में गैर-कांग्रेसवाद का जोर दिखता था, उसी तरह अब गैर-बीजेपीवाद का खाका गढ़ा जा रहा है। विरोधी विचारों वाले भी इस विपक्षी महागठबंधन का हिस्सा बनने को तैयार दिखाई दे रहे हैं। लेकिन बिना नीति एवं नियमों के यह महागठबंधन कैसे सफल होगा? 

साल 2019 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर विपक्षी एकता की सफलता के लिये जरूरी है कि सशक्त राष्ट्र निर्माण के एजेंडे के साथ-साथ विपक्षी दलों की नीतियों की प्रभावी प्रस्तुति जरूरी होगी। दलों के दलदल वाले देश में दर्जनभर से भी ज्यादा विपक्षी दलों के पास कोई ठोस एवं बुनियादी मुद्दा नहीं है, देश को बनाने का संकल्प नहीं है, उनके बीच आपस में ही स्वीकार्य नेतृत्व का अभाव है जो विपक्षी महागठबंधन की विडम्बना एवं विसंगतियों को ही उजागर करता है। विपक्षी गठबंधन को सफल बनाने के लिये नारा दिया गया है कि ‘पहले मोदी को मात, फिर पीएम पर बात।’ निश्चय ही इस बात पर विपक्ष एक हो जायेगा, लेकिन विचारणाीय बात है कि विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में अब नेतृत्व के बजाय नीतियों प्रमुख मुद्दा बननी चाहिए, ऐसा होने से ही विपक्षी एकता की सार्थकता है और तभी वे वास्तविक रूप में भाजपा को मात देने में सक्षम होंगे। तभी 2019 का चुनाव भाजपा के लिए भारी पड़ सकता है और इसके संकेत पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों से मिल भी गये हैं। निश्चित तौर पर भाजपा को लेकर मतदाताओं का मानस बदला है, जो भाजपा की असली चुनौती है। 

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नरेन्द्र मोदी का अहंकार एवं स्वयं को सर्वेसर्वा मानने के कारण भाजपा की उभरती छवि धूमिल हो रही है।  कांग्रेस भी राहुल गांधी को आगे करने के कारण चुनौतियां झेलती रही है, भले ही ताजा चुनावों में कांग्रेस ने अच्छा प्रदर्शन किया है, लेकिन उसका श्रेय केवल राहुल गांधी को देना भी एक विसंगतिपूर्ण आग्रह ही है। ऐसे आग्रह एवं पूर्वाग्रह ही राजनीतिक दलों की हार-जीत का कारण बनते रहे हैं।  विपक्षी एकता की धुरी फिलहाल कांग्रेस ही है, लेकिन इसके अध्यक्ष राहुल गांधी को कई विपक्षी दल शायद ही अपना नेता मानने को तैयार हों। मगर पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव नतीजे कांग्रेस के पक्ष में जाने से राहुल का कद बढ़ा है और उनकी दावेदारी मजबूत हुई है। कुछ पार्टियों को डर है कि कांग्रेस के मजबूत होने पर कहीं उनका जनाधार न बिखरने लग जाए। कुल मिलाकर विपक्षी एकता गणितीय ज्यादा लगती है। इसका ढांचा किसी सिद्धांत से ज्यादा सीटों के तालमेल पर टिका नजर आता है।

कांग्रेस भी भाजपा सरकार की विफलता को तलाशने एवं उसे भुनाने का प्रयास करके ही जीत की ओर अग्रसर हुई है। कांग्रेस ने पिछले कुछ समय से राफेल और कर्ज घोटालों का मुद्दा उठाकर भ्रष्टाचार के सवाल पर सरकार को घेरा है और किसानों की उपेक्षा तथा देश में बढ़ती अराजकता, बेरोजगारी, व्यापारिक निराशाओं के लिए सरकार की तीखी आलोचना की है। सत्ताधारी की ऐसी आलोचना होना स्वाभाविक है। कांग्रेस और कई विपक्षी दलों की सरकारें आज विभिन्न राज्यों में हैं। वहां इन दलों का रवैया सत्तारूढ़ भाजपा से ज्यादा अलग नहीं दिखता। इन्होंने भी सत्ता में आने के लिए स्मार्टफोन और लैपटॉप देने जैसे लोकलुभावन वादे किए हैं। विपक्ष शासित कोई भी राज्य प्रशासनिक सुधार या कानून-व्यवस्था के स्तर पर कोई अलग मानक नहीं स्थापित कर पाया है, जिसे अच्छा मानकर लोग विपक्ष के साथ खड़े हो सकें। भाजपा को मात देने के लिये ठोस धरातल तो तलाशना कांग्रेस एवं विपक्षी दलों की प्राथमिकता होनी ही चाहिए। 

लम्बे समय से महसूस किया जा रहा था कि यदि विपक्षी एकता होती है तो उसमें कांग्रेस की सहभागिता होगी या नहीं? कुछ दल कांग्रेस से दूरी रखना चाहते है, लेकिन बिना कांग्रेस नए गठबंधन की ताकत अधूरी ही है। अब तो पांच राज्यों में कांग्रेस की प्रभावी एवं असरकारक स्थिति के कारण विपक्ष बिना कांग्रेस की अग्रणी भूमिका की बात सोच भी नहीं सकता। सोमवार की बैठक में तमाम क्षेत्रीय पार्टियां कांग्रेस की भूमिका पर एकमत दिखाई दी हैं। जो विपक्षी एकता का एक शुभ लक्षण है। इस बैठक में भी प्रधानमंत्री पद के प्रश्न को टालते हुए लोकतंत्र बचाओ और देश बचाओ, भाजपा एवं मोदीमुक्ति के एजेंडे को ज्यादा प्रमुखता दी है। इस बात का उल्लेख भी होता रहा है कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से लेकर सीबीआई तक सभी संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर किया जा रहा है, इसलिए भाजपा का विकल्प तैयार करना होगा। अब कांग्रेस एवं विपक्षी दल आर-पार की लड़ाई के मूड में आ गए है। इसलिये उनके विपक्षी एकता के प्रयास भी तीव्र एवं तीक्ष्ण होते दिखाई दे रहे हैं। जिसका प्रभाव उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, झारखंड, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में पड़ेगा। अगर इन सभी राज्यों में भाजपा के साथ उसकी सीधी चुनावी टक्कर होगी तो बाकी जगहों पर इन राज्यों के सकारात्मक परिदृश्यों का फायदा मिलेगा। अधिक प्रभावी भूमिका निर्मित करने के लिये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तरह का चमत्कारी चेहरा एवं प्रभावी नीतियों को सामने लाना होगा। यदि मोदी की इस प्रभावी छवि की काट निकालने में विपक्ष सफल हो गया तो भाजपा के लिये बड़ा संकट खड़ा हो सकता है। इस विपक्षी एकता को लेकर कई दल इसलिए भी उत्साहित हैं, क्योंकि 2014 के चुनाव में मात्र 31 फीसदी वोट लेकर भी भाजपा को इतनी सीटें मिली। इसका अर्थ है कि विपक्षी दलों के पास 69 फीसदी मत हैं। अगर इस मत को एक छतरी मिल जाये, तो भाजपा के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं। वैसे विपक्षी एकता के लिए राहत की बात यह है कि प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा की लोकप्रियता इन दिनों कम हुई है। सीबीआई, आरबीआई या राफेल जैसे मुद्दे लोगों को झकझोर रहे हैं, महंगाई, व्यापार की संकटग्रस्त स्थितियां, बेरोजगारी, आदि समस्याओं से आम आदमी परेशान हो चुका है, वह नये विकल्प को खोजने की मानसिकता बना चुका है, जो विपक्षी एकता के उद्देश्य को नया आयाम दे सकता है। 

इस बात पर ध्यान देना होगा कि बात केवल विपक्षी एकता की ही न हो, बात केवल मोदी को परास्त करने की भी न हो, बल्कि देश की भी हो। कुछ नयी संभावनाओं के द्वार भी खुलने चाहिए, देश-समाज की तमाम समस्याओं के समाधान का रास्ता भी दिखाई देना चाहिए, सुरसा की तरह मुंह फैलाती गरीबी, अशिक्षा, अस्वास्थ्य, बेरोजगारी और अपराधों पर अंकुश का रोडमेप भी बनना चाहिए। संप्रग शासन में शुरू हुईं कर्ज में डूबे किसानों की आत्महत्याएं राजग शासन में भी बदस्तूर जारी हैं। व्यापार ठप्प है, विषमताओं और विद्रूपताओं की यह फेहरिस्त बहुत लंबी बन सकती है, लेकिन ऐसा सूरज उगाना होगा कि ये सूरत बदले। जाहिर है, यह सूरत तब बदलेगी, जब सोच बदलेगी। इस सोच को बदलने के संकल्प के साथ यदि प्रस्तावित विपक्षी एकता आगे बढ़ती है तो ही मोदी को टक्कर देने की सार्थकता है। यह भी हमें देखना है कि टक्कर कीमत के लिए है या मूल्यों के लिए? लोकतंत्र का मूल स्तम्भ भी मूल्यों की जगह कीमत की लड़ाई लड़ रहा है, तब मूल्यों का संरक्षण कौन करेगा? एक खामोश किस्म का ”सत्ता युद्ध“ देश में जारी है। एक विशेष किस्म का मोड़ जो हमें गलत दिशा की ओर ले जा रहा है, यह मूल्यहीनता और कीमत की मनोवृत्ति, अपराध प्रवृत्ति को भी जन्म दे सकता है। हमने सभी विधाओं को बाजार समझ लिया। जहां कीमत कद्दावर होती है और मूल्य बौना। सिर्फ सत्ता को ही जब राजनीतिक दल एकमात्र उद्देश्य मान लेता है तब वह राष्ट्र दूसरे कोनों से नैतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक स्तरों पर बिखरने लगता है। क्या इन विषम एवं अंधकारमय स्थितियों में विपक्षी एकता कोई रोशनी बन सकती है? 





(ललित गर्ग)
बी-380, निर्माण विहार,
दूसरा माला दिल्ली-110092
मो, 9811051133

बिहार : नवनियुक्त ANM स्टाफ को नवम्बर माह तक सेलरी अप टू डेट

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राशि के अभाव में पुराने ए.एन.एम.स्टाफ को सेलरी के नाम पर दिखा ठेंगाइसके कारण बैंक से मिलने लगी राज्यकर्मिंयों को धमकीपहले ऋण अदायगी करने के दिए नोटिस अब एफआईआर दर्ज करने पर उतारू 
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पटना,12 दिसम्बर। बिहार सरकार के 2211 हेड में राशि के अभाव में बड़ा बाबू नवनियुक्त ए.एन.एम. स्टाफ को सेलरी देने को हैं मजबूर. बड़ा बाबू अल्पराशि आवंटित होने के कारण केवल नवनियुक्त ए.एन.एम. स्टाफ को ही नवम्बर माह तक सेलरी अप टू डेट कर दिए.वहीं पुरानी ए.एन.एम.दीदी स्टाफ को ठेंगा दिखा रहे हैं. और बैंक वालों से मिलने लगी है धमकी: पहले बैंक अधिकारी ऋण अदायगी करने की नोटिस दिए.अब एफ.आई.आर. के संग घर पर धावा बोलने की धमकी दे रहे है.12 दिसम्बर की शाम को भारतीय स्टेट बैंक की दानापुर शाखा को लगातार अपमानित करने लगे.लाख मिन्नत करने के बावजूद कुछ सुनने को तैयार नहीं हो रहे हैं. यह यकीन दिलाया कि बिहार सरकार की सेवक हैं. यहां पर सरकारी कर्मिंयों को वेतन नहीं मिल है.तो अन्य कर्मिंयों को भी फोन लगाकर बात किए. स्वास्थ्यकर्मिंयों ने बैंक अधिकारी को बेहतर ढंग से समझा दिया पर बैंक अधिकारी मानने को तैयार नहीं और एफआईआर की धमकी देते रहे.

 पटना जिले के विभिन्न प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के हाल है बेहाल:
इस जिले में कार्यरत कर्मिंयों को नियमित वेतन नहीं मिल रहा है. 2211 हेड में सरकार के द्वारा अल्पराशि आवंटित होने से बड़ा बाबू नवनियुक्त ए.एन.एम.स्टाफ को सेलरी देने को मजबूर हैं.उन लोगों का कहना है कि यह परेशानी कम राशि विमुक्त होने के कारण हो रहा है.पटना जिले के किसी केंद्र की कर्मिंयों को 10 माह से तो किसी को 18 माह से वेतनादि नहीं मिल रहा है.

वेतनभोगी कर्मीं ऋण उतारने में बेहाल हैं:
वेतनभोगी कर्मिंयों को सरकारी नीतियों का जोर से झटका लगने लगा है. बैंक अधिकारी लॉन लेने वालों पर एफआईआर कर देने की धमकी देने लगे हैं.वहीं मकान किराया पर लेकर रहने वाले,बच्चों को फीस देने वाले,बिजली बिल देने वाले,दैनिक भोज्य आहार खरीदने वाले आदि बेहाल है.

सरकार के पास वेतन देने को राशि नहीं: 
सूबे के स्वास्थ्य विभाग में चर्चा है राज्यकर्मिंयों को वेतन देने तक की राशि नहीं है. वहीं असहाय है सिविल सर्जन.उनको मांग के अनुरूप स्वास्थ्य विभाग से  राशि विमुक्त नहीं होती है.इसके कारण   विकराल रूप धारण करते चला जा रहा है.

बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश मंत्री: 
अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश मंत्री राजन क्लेमेंट साह उर्फ नेताजी ने सीएम नीतीश कुमार व उप मुख्यमंत्री व वित्त मंत्री सुशील कुमार मोदी से निवेदन किया है कि कर्मचारी हित में कदम उठाकर  स्वास्थ्य विभाग के हेड  2211में राशि आवंटित करने की मांग की  है.इसमें पर्याप्त राशि वितरित हो ताकि एसीएमओ को राशि बंटवारा करने में दिक्कत न हो और कर्मिंयो की केडिट सालरी और आने वाले माह में नियमित वेतन भुगतान  होते रहे. स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय से हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है.

बिहार : कामरेड यू.एन. मिश्र का दाह संस्कार सम्पन

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पटना, 13 दिसम्बर। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के वरिष्ठ नेता, ख्याति प्राप्त माक्र्सवादी षिक्षक एवं चिंतक तथा दैनिक एवं साप्ताहिक जनषक्ति के वर्षों तक रहे सम्पादक कामरेड यू.एन. मिश्र का दाह संस्कार आज पटना के गुल्बी घाट पर संपन्न हो गया। मुखाग्नि मृतक के बड़े पुत्र वीरेन्द्र मिश्र ने दिया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में पटना एवं राज्य के विभिन्न जिलों से आए पार्टी के साथी शुभ चिंतक, डाक्टर, वकील, षिक्षक एवं बुद्धिजीवी मौजूद थे।  कामरेड यू.एन. मिश्र का देहान्त 12 दिसम्बर को ही विलासपुर में हो गया था। उनका पार्थिव शरीर कल ही रात्रि अदालतगंज, पटना स्थित जनषक्ति भवन में आ गया और आज 11 बजे दिन तक दर्षनार्थ जनषक्ति भवन में ही रखा गया। उनको श्रद्धांजलि देने वालों का तांता सुबह से ही लगा रहा। उनको श्रद्धांजलि देने वालों में राजनीतिक दलों में सी.पी.आई. के नेताओं सहित सी.पी.आई. (एम) के का॰ अरूण कुमार मिश्र, का॰ सर्वोदय शर्मा, का॰ गणेष शंकर सिंह, सी.पी.आई (एम.एल.) के का॰ के.डी. सिंह, एस.यू.सी.आई. के साधना मिश्रा, फारवर्ड ब्लाॅक के श्री नारायण सिंह एवं राजद के चन्देष्वरी प्रसाद सिंह शामिल थे। काॅलेज, माध्यमिक एवं प्राथमिक षिक्षक संघ के नेताओं में प्रो॰ अरूण कुमार, भोला पासवान, केदार पाण्डेय, एम.एल.सी., संजय कुमार सिंह, एम.एल.सी., शत्रुघ्न प्रसाद सिंह, पूर्व एमपी एवं एम.एल.सी. प्रो. वसी अहमद, पूर्व एमएलसी एवं एस.के. गांगुली थे। साहित्यकारों में ख्याति प्राप्त आलोचक एवं साहित्यकार डा॰ खगेन्द्र ठाकुर और प्रगतिषील लेखक संघ के राष्ट्रीय महासचिव राजेन्द्र राजन थे। डाक्टरों में डा॰ सत्यजीत कुमार सिंह, डा. ए.के. गौड़, डा. शकील, डा. श्रीराम साह एवं अधिवक्ताओं में लक्ष्मीकान्त तिवारी, चन्द्रषेखर सिंह, निषा शर्मा, उदय प्रताप सिंह, रामजीवन सिंह, अषोक कुमार एवं रवीन्द्र राय शामिल थेे। इसके साथ-साथ पटना के बुद्धिजीवियों एवं सामाजिक कार्यकत्र्ताओं में केदार दास श्रम एवं सामाजिक संस्थान के नवीन चन्द्र एवं अजय कुमार, दलित अधिकार मंच के कपिलेष्वर राम, लैन्डेसा के विनय ओहदार, एकता परिषद के प्रदीप प्रियदर्षी, श्री कैरितास  की श्रीमति कीार्ति, लोक जनतांत्रिक पहल के सत्य नारायण मदन एवं कचन माला, एक्षनऐड के सौरभ कुमार एवं शरद शामिल थी। श्रद्धांजलि देने वालों में बिहार राज्य श्रमजीवी पत्रकार संघ के वर्तमान एवं पूर्व महासचिव क्रमषः कमल कान्त एवं षिवेन्द्र नारायण सिंह सहित बड़ी संख्या में महिलाएं उपस्थित थी। अंत में सी.पी.आई. के राज्य सचिव का॰ सत्य नारायण ंिसंह, सचिवमंडल सदस्य राजेन्द्र प्रसाद सिंह, मो. जब्बार आलम, विजय नारायण मिश्र, कपिलदेव यादव, रामचन्द्र महतो, ओम प्रकाष नारायण एवं प्रमोद प्रभाकर ने जनषक्ति भवन में उनके पार्थिव शरीर में लाल झंडा देकर उन्हें ससम्मान जनषक्ति भवन से गुल्बी घाट के लिये विदा किया।  कामरेड यू.एन. मिश्र के सम्मान में 30 दिसम्बर, 2018 को 12.00 बजे दिन में जनषक्ति भवन के प्रागंण में एक शोक सभा का आयोजन किया गया है। 

सीहोर (मध्यप्रदेश) की खबर 13 दिसंबर

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विहीप बजरंग दल मनायेगा शौर्य दिवस  शहर मे निकाली जाऐगी भव्य वाहन रैली 
जिले में आयोजित की जा रही है प्रखण्ड बैठके 
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सीहोर । विश्व हिंदू परिषद बजरंग दल जिले मे शौर्य दिवस भव्य रूप से मनाने को लेकर सक्रिय बना हुआ है।   बिहीप बजरंग दल के प्रांत एवं जिला पद अधिकारियों के द्वारा प्रखण्ड स्तर पर कार्यकर्ताओं कि बैठके ली जा रही है । विहीप के द्वारा गूरूवार को  इछावर दशहरा मैदान स्थित माता मंदिर परिसर , आष्टा स्थित शगून गार्डन जावर स्थित श्रीराम मंदिर पारिसर और खांचरोद नगर में बैठक आयोजित कि गई । प्रखण्ड बैठको में प्रांत गौंरक्षा प्रमुख अजीत शूक्ला,प्रांत सहा समरता प्रमुख राजेन्द्र टांक ,जिला अध्यक्ष सुनिल कुमार शर्मा , उपाध्यक्ष जगदीश कुशवाह , जिला मंत्री राकेश विश्वकर्मा ,जिला कोसा अध्यक्ष मोहित राम पाठक , जिला संयोजक विवेक राठौर  ने कार्यकर्ताओं को बताया कि २३ दिसम्बर रविवार को दसों प्रखण्डों सहित जिला मुख्यालय शोर्य दिवस मनाया जाएगा। भोपाल नाका स्थित आवासीय खेल कूद मैदान से दोपहर 1 बजे भगवा ध्वजों के साथ भव्य वाहन रैली निकाली जाऐगी । इसके अलावा अन्य र्शार्य दिवस पर कार्यक्रम आयोजित किए जाऐंगे । प्रखण्ड बैठक में प्रमुख रूप से , मगलेश ,अजय पटैल , धनराज यादव , रवा शंकर जाट , गणेश जाट , राम सिंह ठाकुर , राम भरोस ठाकुर , धिरज ठाकुर , राकेश ठाकुर , हरेन्द्र ठाकुर , रतनेस जैन , गोपाल सोनी सहित बड़ी संख्या में बिहिप और बंजरंग  दायित्व वान कार्यकर्ता सम्मिलित हुए ।

सलमानउर्रहमान बने सीहोर जिला झुग्गी झोपड़ी कांग्रेस के महामंत्री

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सीहेार। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ,प्रदेश कोषाध्यक्ष गोविंद गोयल,झुग्गी झोपड़ी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष ईश्वर सिंह चौहान की अनुशंसा पर वरिष्ठ कांग्रेस नेता लतीफउर्रहमान के पुत्र सलमानउर्रहमान को सीहोर जिला कांग्रेस कमेटी झुग्गी झोपड़ी प्रकोष्ठ के जिलाध्यक्ष नरेंद्र खंगराले ने सीहोर जिला कांग्रेस कमेटी झुग्गी झोपड़ी प्रकोष्ठ का महामंत्री नियुक्त किया है। इस अवसर पर वरिष्ठ कांग्रेस नेता दर्शन सिंह वर्मा, जिला कांग्रेस कमेटी सीहेार के कार्यवाहक अध्यक्ष एडवोकेट सुरेश गुप्ता, जिला कांग्रेस उपाध्यक्ष डॉ अनीस खान द्वारा सलमानउर्रहमान का पुष्प मालाओं से स्वागत कर मिठाई खिलाकर नियुक्ति पत्र प्रदान किया। इस मौके पर जफर लाला, मोहम्मद शमीम, कुतुबुददीन शेख, हनीफ कुरैशी, भूरा कुरैशी, निजाम कुरैशी अरवाज कुरैशी अलताफ कुरैशी, चांद कुरैशी सददाम उर्रहमान, अरबाज खान, मुशेव राईन, शफीक राईन, जहीर अहमद, गुडडु भाई सहित अन्य लोग उपास्थित थे। 

ऑक्सफोर्ड स्कूल में विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन 


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सीहोर, 13 दिसम्‍बर, 2018, राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के तहत जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के मार्गदर्शन में ऑक्सफोर्ड स्कूल में विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन किया गया। शिविर में अपर जिला एवं सत्र न्यायधीश/सचिव जिला विधिक प्राधिकरण श्री एस.के. नागौत्रा एवं पैनल अधिवक्ता श्रीमती बरखा वर्मा व संस्था अध्यक्ष जॉली कुरियन एवं प्राचार्या डॉ. बीना जे. कुरियन तथा स्कूल की शिक्षक/शिक्षिकाएं एवं विद्यार्थी उपस्थित थे। शिविर में श्री एस.के. नागौत्रा ने विद्यार्थियों को कानून की विभिन्न धाराओं की जानकारी देने के साथ उनको पाक्सो एक्ट, घरेलु हिंसा, मोटर व्हीकल एक्ट, सायबर क्राईम एवं भारतीय दण्ड विधान के साथ विद्यार्थियों से मैत्रीपूर्ण व्यवहार तथा उनके अधिकार जैसे विभिन्न पहलुओं पर जानकारी दी। 7 से 14 वर्ष के बच्चों में अपराध करने की प्रवृत्ति को जन्म देने वाले तथ्यों को समझाया एवं उनकी रोकथाम के लिए विभिन्न एक्टों की जानकारी दी। इसके अतिरिक्त गुडटच-बेडटच की जानकारी के साथ समाज में फैल रही कुरीतियों को विरोध करने का रास्ता बताया। वहीं दूसरी ओर यातायात के नियमों के बारे में विस्तार से बताते हुए हेलमेट के लाभ को समझाया। पैनल अधिवक्ता बरखा वर्मा द्वारा नारी शक्ति की पहचान बताते हुए, नारियों के लिए निःशुल्क विधिक सहायता, लोक अदालत तथा मध्यस्था के बारे में समझाया व छात्र-छात्राओं द्वारा पूछे गए विभिन्न प्रश्नों के उत्तर दिए। कार्यक्रम का संचालन शिक्षिका आफरीन बानो व सपना शर्मा ने किया तथा स्कूल प्राचार्या डॉ. बीना जे. कुरियन द्वारा आभार व्यक्त किया गया। 

पी.जी. कालेज सीहोर में पूर्व छात्र सम्मेलन 

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सीहोर, 13 दिसम्‍बर, 2018चंन्द्रशेखर आजाद शासकीय स्नातकोत्तर अग्रणी महाविद्यालय में गुरुवार को विश्‍वैंक परियोजना के अंतर्गत स्टूडेंट ट्रेकिंग हेतु पूर्व छात्र सम्मेलन किया गया जिसमें सत्र 2017-18 के पास आउट अधिकांश विद्यार्थी उपस्थित थे। कार्यक्रम में डॉ.अनिल राजपूत ने इस योजना के उददेश्य तथा महत्व पर प्रकाश डाला । प्राचार्य डॉ.पुष्पा दुबे ने विभिन्न उदाहरण देते हुये विद्यार्थियों को अपनी शिक्षा रुचि और उपलब्ध संसाधनों के अनुसार चिंतन कर स्वरोजगार हेतु लक्ष्य निर्धारित कर प्रयास करने के लिये प्रेरित किया साथ ही पुष्तैनी व्यापार उधोग एवं कौषल को तराशने और उन्हें बड़े उधोगों के रुप में विकसित करने हेतु सुझाव भी दिये डॉ.आशा गुप्ता ने नौकरी के अतिरिक्त स्वरोजगार के माध्यम से आय अर्जित करने तथा कुटीर तथा लघु उधोगों को विकसित करने की बात कही। डॉ. सुमन रोहिला ने परिवार के पारंपरिक व्यवसाय को नई सोच के साथ विकसित करने की बात करते हुए स्वरोजगार को विभिन्न स्कीमों से अवगत कराया । डॉ. निभा जैकब ने विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि अवसर का मैदान कुशल-अकुशल,शिक्षित-अशिक्षित सभी के लिये खुला है । अवाश्‍कता है कि हम अघतन जानकारी लेते रहें । विद्यार्थियों द्वारा अपनी जिज्ञासाओं से संबंधित प्रश्न किए गए जिनका समुचित समाधान प्राचार्य द्वारा किया गया 

विदिशा (मध्यप्रदेश) की खबर 13 दिसंबर

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दिव्यांग नेत्रहीनो ने किया साची भ्रमण... 

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पत्थरों पर उभरी हुई कलाकृतियों से जाना भारत का इतिहास ...आज चलो आज कुछ अच्छा करते हैं ग्रुप द्वारा नगर के समाजसेवी स्वर्गीय प्रफुल्ल शाह  की  पुण्यतिथि पर नंदवाना स्थित. वायु विद्यालय के सभी नेत्रहीन छात्रों को . कार से साची भ्रमण पर ले जाया गया . स्तूप के पार्क में बैठकर ग्रुप के सदस्यों एवं सभी बच्चों एवं उनके अध्यापकों ने भोजन किया.. तत्पश्चात गाइड के साथ सभी बच्चों ने सांची स्तूप पर निर्मित भारत के इतिहास को दर्शाती पत्थर की कलाकृतियों को स्पर्श कर और गाइड के द्वारा दी गई जानकारी से भारत के स्वर्णिम इतिहास को अच्छे से जाना... पत्थरों पर अंकित जातक कथाओं को सुनकर बच्चों  मैं काफी उत्साह रहा.. बच्चों ने कहा यह उनके लिए बहुत ही अच्छा दिन रहा .. चिड़ियाघर में अलग-अलग पक्षियों की आवाज से उन पक्षी के नाम याद किए...चलो आज कुछ अच्छा करते हैं ग्रुप द्वारा उन सभी बच्चों को एक एक आईपॉड भी उपहार स्वरूप दिया गया जिसमें वह भजन गीत सुन सकते हैं ..चलो आज कुच अच्छा करते हैं ग्रुप द्वारा आज सुबह से ही . पुण्यतिथि पर कई कार्यक्रम आयोजित किए जिसमें श्री कृष्ण गौशाला जाकर गायों को घास खिलाने से लेकर सार्वजनिक भोजनालय सेवा समिति में मरीजों के परिजनों को भोजन कराना एवं स्टेशन पर ठंड से ठिठुर रहे जरूरतमंद मुसाफिरों को कंबल बांटना आदि शामिल थे..

शैक्षणिक संस्थाओं के नवीनीकरण एवं मान्यता हेतु आवेदन आॅन लाइन आमंत्रित
        
लोक शिक्षण संचालनालय के द्वारा जिले की अशासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, हाई स्कूल सत्र 2019-20 की नवीन मान्यता एवं नवीनीकरण के लिए आॅन लाइन पोर्टल पर आवेदन आमंत्रित किए गए है। जिला शिक्षा अधिकारी श्री एचएन नेमा ने बताया कि पूरी तरह भरे हुए आवेदन पांच जनवरी 2019 तक अपलोड हो जाना चाहिए। आॅन लाइन पोर्टल पर उच्चतर माध्यमिक विद्यालय एवं हाई स्कूल के नवीन एवं नवीनीकरण हेतु आवेदन समय सीमा में करने के पश्चात् अभिलेखों सहित नस्ती दो प्रतियों में छह जनवरी तक अनिवार्य रूप से जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय विदिशा में जमा की जा सकती है। विलम्ब शुल्क सहत 31 जनवरी तक अपलोड किए जा सकेते है इस प्रकार के आवेदनों पर शुल्क बीस हजार रूपए देय होगी। आवेदनकर्ताओं के द्वारा दस्तावेंजो में किसी भी प्रकार की भूल अथवा कमी रह जाती है तो इस प्रकार की सूचनाएं संबंधितों को दस जनवरी तक जिला शिक्षा अधिकारी के माध्यम से ई-मेल द्वारा संबंधितों को उपलब्ध कराई जाएगी। सूचना प्राप्ति के सात दिवस के भीतर कमियों को दूर करने हेतु अंतिम तिथि 17 जनवरी नियत की गई है। भौतिक सत्यापन एवं परीक्षण हेतु मान्यता नियमों के तहत निरीक्षण दलों की अनुशंसा सहित प्रतिवेदन संभागीय संयुक्त संचालक को भेजने के लिए अंतिम तिथि पांच फरवरी नियत की गई है। संयुक्त संचालक द्वारा प्राप्त नवीन मान्यता एवं नवीनीकरण के प्रकरणों में निर्णय लेने की मियांद बीस फरवरी तक नियत की गई है।  ऐसे संस्थाओं के आवेदन निरस्त हुए है उनके द्वारा आॅन लाइन प्रथम अपील की अवधि आवेदन निरस्त होेने से तीस दिवस तक अधिकतम 22 मार्च तक नियत की गई है। आयोग लोक शिक्षण द्वारा नवीन मान्यता प्रकरणों मेें आॅन लाइन प्राप्त प्रथम अपील की निराकरणो की अवधि दस अपै्रल नियत की गई है। ऐसी संस्थाएं जिनकी प्रथम अपील आयुक्त लोक शिक्षण संस्था द्वारा निरस्त की गई है। द्वितीय अपील हेतु अपने निरस्त तिथि से तीस दिवस के भीतर अथवा दस मई तक मान्य किए जाएंगे। द्वितीय अपील के निराकरण की अवधि बीस मई नियत की गई है। पुनर्विलोकन केवल नवीन प्रकरणों में किया जाएगा इसके लिए मान्यता प्राप्त समिति द्वारा द्वितीय अपील के निराकरण के तीस दिवस अधिकतम 19 जून तक आवेदन कर सकते है। पुनर्विलोकन के प्रकरणों में समिति द्वारा अधिकतम तीस जून तक निराकरण किए जा सकते है। 

मधुमक्खी पालन से प्रशिक्षित हुए कृषकबंधु

कृषि कल्याण अभियान के अंतर्गत जिले के कृषकों को मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण आत्मा परियोजना के तहत आयोजित किया जा रहा है। इस प्रशिक्षण में विदिशा, गंजबासौदा, कुरवाई, नटेरन एवं लटेरी विकासखण्ड के कृषकों ने उपस्थित होकर जानकारियां प्राप्त की है। वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक एवं कृषि विज्ञान केन्द्र रायसेन के प्रमुख डाॅ स्वप्निल दुबे ने बताया कि प्रशिक्षणार्थियों को मधुमक्खी पालन हेतु उपयुक्त स्थान, प्रजाति, भोजन स्त्रोत, रानी मक्खी, शहद निर्माण व उससे बनने वाले विभिन्न उत्पाद शहद, पराग, मोम, गोंद संबंधी तकनीकियों की जानकारियां पावर पाइंट प्रेजेन्टेशन के माध्यम से कृषकों को दी गई है। इस दौरान शहद की उत्पादन फसल लेने में दिए जाने वाले अनुदान के संबंध में भी कृषकों को अवगत कराया गया है। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में डाॅ अंशुमन गुप्ता, किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग के उप संचालक श्री पीके चैकसे, पशु चिकित्सक डाॅ बीके जैन, उद्यानिकी विभाग के सहायक संचालक श्री पीके मिश्रा, कृषि वैज्ञानिक श्री प्रदीप कुमार द्विवेदी, डाॅ मुकुल एवं आत्मा परियोजना के श्री एमएस सिद्विकी ने किसानों को सारगर्भित जानकारी दी।

राजस्व मामलों के निराकरण हेतु अभियान एक जनवरी से 

राजस्व मामलो के निराकरण हेतु जिले में विशेष अभियान एक जनवरी से शुरू होगा जो 31 जनवरी तक क्रियान्वित किया जाएगा। उक्त अवधि में प्रत्येक ग्राम पंचायत में ग्राम चैपाल का आयोजन कर बी-1 का वाचन किया जाएगा। आविवादित नामांतरण, बंटवारा एवं सीमांकन के प्रकरणों का चिन्हांकन कर उन्हें राजस्व अभिलेखिकृत करते हुए समय सीमा में निराकरण कराया जाएगा। अविवादित नामांतरण बंटवारा सीमांकन के पूर्व से दर्ज प्रकरणों का शत प्रतिशत निराकरण अभियान अवधि में किया जाएगा। रबी फसलों की शत प्रतिशत गिरदावरी उसकी राजस्व अभिलेखों में प्रविष्टियंा सुनिश्चित की जायेगी। क्रमांक 47/अहरवाल

विशेष : ये रहा सत्ता का सेमीफाइनल।

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मैथिली फ़िल्म के निर्माता रजनीकान्त पाठक जी कहते हैं अब तो पप्पू पास हुआ :-
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बेगूसराय (अरुण शाण्डिल्य) याद कीजिये नवेम्बर 2013 का आखरी सप्ताह।दिल्ली,मध्यप्रदेश,राजस्थान,छथिसगढ़ और मिजोरम का चुनाव परिणाम आया था।यह परिणाम बीजेपी के पक्ष में था।दिल्ली में 22 से 32 सीट और मध्यप्रदेश,राजस्थान और छतीसगढ़ में बीजेपी की जबरदस्त वापसी हुई थी।इसी जीत से नरेंद्र मोदी की हवा बनी थी और  2014 आते-आते लोकसभा चुनाव में "मोदीआंधी"के रूप में प्रकट हुआ।

क्यों धाराशाही हो रही है बीजेपी?
-सिर्फ टीवी बहस और बेमतलब के मुद्दों को याद कीजिये।देशभक्ति,हिन्दू मुस्लिम,हनुमान जी का जातीय नामांकरण आदि ऐसे बेफजूल बाते के अलावा रही सही कसर संबित पात्रा जैसे अकरु प्रवक्ता की कुश्ती भी आम लोगो को नागवार गुजरा है।यहां एक बात और कहु कि- जब आप एग्रेसिव होते हैं तो आम लोगो का परसेप्सन बदलता है।और यही हुआ भी है।शोशल मीडिया पर आप ऐसे व्यक्ति को पप्पू,मंद बुद्धि साबित  करने में लगे रहे जिसके जन्मकाल के पूर्व से ही प्रधानमंत्री नेहरू रहे।जो प्रधानमंत्री के गोद (इंदिरा गांधी) में पला हो।जिसके पिता स्वयं प्रधानमंत्री रहा हो।क्या वह पप्पू हो सकता है?

जो जीता वही सिकन्दर-
इस फार्मूले पर बीजेपी 2014 से चली आ रही है।ताज्जुब तो तब हुआ जब देश के प्रधानमंत्री राजनीतिक रूप से एक प्रान्त(गुजरात) से आगे अपने सोच को नही ले जा सके।सबसे बड़ा आश्चर्य तब हुआ जब सत्ताधारी बीजेपी का प्रधानमंत्री और दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष एक ही प्रान्त (गुजरात) से बने।नाम का उल्लेख करने की जरूरत नही समझा।आप खुद समझ जाएं।मोदी जी की सबसे बड़ी भूल यह हुआ कि वे किसी हिंदी पट्टी के नेता को सत्ताधारी दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने में चूक गए।।   याद कीजिये जब अटल बिहारी प्रधानमंत्री बने तब अध्यक्ष किसे बनाये थे।सबसे बड़ा आश्चर्य तो नोटबन्दी की हुई।नोटबन्दी की घोषणा करने स्वयं प्रधानमंत्री आ गए। इस देश में मोदी पहले प्रधानमंत्री हुए जो विभागीय काम मे भी दिलचस्पी लेने लगे और जहां आर बी आई गवर्नर को नोटबन्दी की घोषणा करने आना था वहां स्वयं आ गए।जीएसटी तो अभी और कमाल करेगा।आगे-आगे देखिए होता है क्या?

शासन कम चिढाना ज्यादा हुआ-
प्रधानमंत्री ऊर्जावान है।इसमें कोई शक नही।व्यस्तता के वावजूद उनके चेहरे पर कभी थकान नही दिखता है।यह सुखद संकेत है।दुर्भाग्य यह है कि सत्ताधारी दल के प्रवक्ता को सरकार के कार्यक्रम को प्रचारित करना चाहिये जो इन साढ़े 4 वर्षो से भी ज्यादा कार्यकाल में हो नही सका।सुझाव है कि मोदी जी को संबित पात्रा के सभी टीवी बहस के विडीओ फुटेज मंगवा का रिव्यू करना चाहिये और पूछना चाहिए कि देहाती औरत की तरह लड़ना और ऊलजलूल बात करने के लिये प्रवक्ता नही बनाया गया है।

बड़ी देर भयो रे बड़ी देर भयो-
5 राज्यों के चुनाव परिणाम को सेमीफाइनल ही समझिए।वर्ष 2013 में आपके साथ भी यही हुआ था।आपने भी सेमीफाइनल जीता तो आज राहुल गांधी ने जीता।वो भी तब जब सांगठनिक रूप से बीजेपी ऐतिहासिक बुलन्दी पर है।जर्रे जर्रे पर कार्यकर्ता और संग़ठन।इसलिय यह बीजेपी की बड़ी हार है।इसे क्रमशः ही समझिये क्योंकि 4 महीना में कोई चमत्कार नही होने वाला है।

दुष्यंत की पंगति ---

तुम्हारे  पांव के  नीचे  कोई  जमीन नही,
कमाल यह कि फिर भी तुम्हें यकीन नही।

मधुबनी : प्रभारी जिला पदाधिकारी द्वारा दंपति को बच्ची दिया गया गोद

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मधुबनी (आर्यावर्त डेस्क)  : प्रभारी,जिला पदाधिकारी, मधुबनी श्री दुर्गानंद झा के द्वारा गुरुवार को समाहरणालय स्थित कक्ष में कोलकाता निवासी दंपति को बच्ची को गोद दिया गया। विशिष्ट दत्तक ग्रहण संस्थान,मधुबनी में पल रही बच्ची प्रीति(काल्पनिक नाम) को कोलकाता के श्री आदित्य नारायण साहा तथा उनकी पत्नी श्रीमती परना मजूमदार  को गोद दिया गया। इस अवसर पर डॉ रश्मि वर्मा,जिला प्रोग्राम पदाधिकारी,मधुबनी, श्री प्रेम कुमार,समन्यवयक, विशिष्ट दत्तक ग्रहण संस्थान,मधुबनी समेत अन्य लोग उपस्थित थे।

आमिर खान की "पीके"के बाद अब फिल्म "पीके लेले - ए सेल्स मैन"रिलीज़ के लिए तैयार

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निर्देशक मानव सोहल की इस कॉमेडी फिल्म में ब्रजेन्द्र काला की अहम भूमिका है
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आमिर खान के अभिनय से सजी निर्देशक राजकुमार हिरानी की फ़िल्म पीके ने बॉक्स ऑफिस के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए थे. अब इसी से मिलते जुलते एक टाइटल वाली फिल्म "पीके लेले - ए सेल्स मैन" 14 दिसम्बर को रिलीज होने जा रही है. निर्देशक मानव सोहल की इस कॉमेडी फिल्म में ब्रजेन्द्र काला की भी अहम भूमिका है, जो आमिर ख़ान की पीके में भी थे.  इस फ़िल्म में मानव और बृजेन्द्र काला ने पीके और लेले नाम के ऐसे सेल्समैन का रोल किया है जो अंडर गारमेंट्स बेचते हैं. फ़िल्म में श्रावणी गोस्वामी मिसेज मोनिका मार्लो के रूप में हैं, जो इस फ़िल्म की हिरोइन की माँ के रोल में हैं. जबकि वैष्णवी धनराज मिस मेरी मार्लो के किरदार में हैं. आपको बता दें कि श्रावणी गोस्वामी फ़िल्म "द जर्नी ऑफ कर्मा"में पूनम पांडेय की माँ के रोल में दिखी थीं. उल्लेखनीय है कि बॉलीवुड के महान निर्माता निर्देशक मेहुल कुमार ने मुम्बई टाकीज़ कंपनी की हिंदी फिल्म "पीके लेले - ए सेल्स मैन"का म्यूजिक अपने हाथों से लांच किया था। आपको बता दें कि इस फ़िल्म में बृजेंद्र काला, मानव सोहल, श्रावणी गोस्वामी, वैष्णवी धनराज, फाल्गुनी रजनी, जतिन मुखी, जय शंकर त्रिपाठी और साहिबा खुराना ने काम किया है. इस फ़िल्म के लेखक और निर्दशक मानव सोहल हैं. इसके प्रोड्यूसर शैलेश गोसरानी और मानव सोहल हैं. जबकि इसके संगीतकार और गायक नायाब अली हैं. फ़िल्म का बैकग्राउण्ड म्यूजिक राजा अली ने दिया है. इस फ़िल्म में मानव सोहल पीके का रोल कर रहे है, जबकि बृजेंद्र काला इसमे लेले की भूमिका में हैं. फ़िल्म की हिरोइन वैष्णवी धनराज टीवी पर "मधुबाला"जैसे कई शोज़ कर चुकी है, उन्होंने "वोडका डायरीज़"में भी काम किया था.  टीवी धारावाहिकों और फिल्मो में वर्षों से अभिनय करते आ रहे मानव इस फ़िल्म के ज़रिए फ़िल्म निर्देशन के क्षेत्र में कदम रख रहे हैं. उन्होंने अपने वर्षों के अनुभव को इस फ़िल्म में इस्तेमाल किया है. उनका मानना है कि यह फ़िल्म छोटी या बड़ी नहीं होती अच्छी या बुरी होती है और उन्होंने एक अच्छी फिल्म बनाने का प्रयास किया जो दर्शको का मनोरंजन करने में सफल होगी.

स्वस्थ भारत के तीन आयामः जनऔषधि पोषण और आयुष्मान विषय पर हुआ राष्ट्रीय परिसंवाद

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इस अवसर पर स्वास्थ्य पत्रकार हुए सम्मानितस्वास्थ्य कार्यकर्ता एवं पत्रकार आशुतोष कुमार सिंह की पुस्तक 'जेनरिकोनॉमिक्स'का हुआ लोकार्पणपीएमबीजेपी के सीइओ सचिन कुमार सिंह एवं आयुष्मान भारत (एनएचए) के इडी अरुण गुप्ता ने क्रमशः जनऔषधि एवं आयुष्मान भारत योजना के बारे में की आमलोगों से चर्चास्वस्थ भारत (न्यास) ने पीएमबीजेपी के साथ मिलकर किया आयोजन

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नई दिल्ली/  जिस समय दिल्ली के रामलीला मैदान में राम मंदिर की चर्चा जोर-शोर से चल रही थी, ठीक उसी समय दिल्ली के गांधी-शांति प्रतिष्ठान में स्वस्थ भारत की अगुवाई में स्वास्थ्य पत्रकारों की एक टोली स्वस्थ भारत की चर्चा में कर रही थी। स्वस्थ भारत एवं प्रधानमंत्री जनऔषधि परियोजना के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित इस परिसंवाद का मुख्य विषय था 'स्वस्थ भारत के तीन आयामः जनऔषधि पोषण और आयुष्मान'। स्वास्थ्य कार्यकर्ता एवं स्वस्थ भारत के चेयरमैन एवं सीनीयर स्वास्थ्य पत्रकार आशुतोष कुमार सिंह की पुस्तक 'जेनरिकोनॉमिक्स'का लोकार्पण किया जा रहा था तो दूसरी तरफ स्वास्थ्य के क्षेत्र में अपनी लेखनी के माध्यम से आम लोगों को जागरूक कर रहे स्वास्थ्य पत्रकारों एवं मीडियाकर्मियों को सम्मानित जा रहा था। जनऔषधि परियोजना के सीइओ सचिन कुमार सिंह, नेशनल हेल्थ एजेंसी के इडी अरूण गुप्ता, वरिष्ठ पत्रकार उमेश चतुर्वेदी, प्रसिद्ध गांधीवादी पत्रकार प्रसून लतांत, प्रसिद्ध न्यूरो सर्जन डॉ. मनीष कुमार, स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. ममता ठाकुर, इंटरनेशनल हिलर एवं लाइफ कोच डॉ. अभिलाषा द्विवेदी एवं मेवाड़ विश्वविद्यालय के निदेशक (प्रकाशन) शशांक द्विवेदी के मंचीय उपस्थिति ने स्वास्थ के इस आयोजन जनमानस तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई।  जेनरिक दवाइयों की जरूरत पर बोलते हुए प्रधानमंत्री जनऔषधि परियोजना के सीइओ सचिन कुमार सिंह ने कहा कि भारत जैसे देश में जहां पर गरीबी के कारण महंगी दवाइयों को आम लोगो वहन नहीं कर पा रहे हैं वहां पर जेनरिक दवाइयों की बहुत जरूरत है। सचिन कुमार सिंह ने आगे कहा कि आयुष्मान भारत योजना एवं जनऔषधि के एक दूसरे के पूरक हैं। उनके इस बात को आगे बढ़ाते हुए आयुष्मान भारत योजना के कार्यकारी निदेशक अरूण गुप्ता ने कहा कि भारत में जहां हर साल 6 करोड़ लोग बीमारी पर ईलाज के खर्च के चलते गरीबी रेखा से नीचे चले जाते हैं, उनके लिए आयुष्मान भारत एक वरदान है। उन्होंने आगे कहा कि समाज का वह वर्ग जो सबसे कमजोर है उसके अपने ईलाज के खर्चे की चिंता करने की आवश्यकता अब नहीं है। वह वर्ग देश भर में कहीं भी चिन्हित अस्पताल में गुणवत्तायुक्त चिकित्सकीय सेवाओं का लाभ उठा सकता है। इस योजना के अंतर्गत १३९३ तरह की बीमरियों का ईलाज किया जा रहा है।
अपने अध्यक्षीय संबोधन में आयुष्मान एवं जनऔषधि योजना के क्रियान्वयन को और मजबूत किए जाने पर बल देत हुए वरिष्ठ पत्रकार उमेश चतुर्वेदी ने कहा कि इस तरह की योजनाएं स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी कदम है लेकिन इनका क्रियान्वयन उस स्तर पर नहीं हो पा रहा है, जिस स्तर पर किया जाना चाहिए। उन्होंने इसके लिए जनजागरूकता पर विशेष ध्यान दिए जाने की जरूरत पर बल दिया। इस आयोजन में सम्मानित हुए स्वास्थ्य पत्रकारों को शुभकामनाएं देते हुए उन्होंने कहा कि अस्पताल एवं कॉर्पोरेट कंपनियों रिपोर्टिंग से ज्यादा जरूरी है कि आम जन की सेहत को रिपोर्ट किया जाए साथ ही सरकार की स्वास्थ्य संबंधी योजनाओं को आम जनतक पहुंचाने का काम किया जाए, जिससे आम लोगों को फायदा हो।  

इस अवसर पर देश-दुनिया के जाने माने न्यूरो सर्जन डॉ. मनीष कुमार ने कहा कि भारत के  स्वस्थ भविष्य के लिए यह जरूरी है कि स्वास्थ्य एक सामाजिक आंदोलन के रूप में उभरे। जनऔषधि एवं आयुष्मान योजना इस आंदोलन में एक मजबूत धूरी के रूप में सामने आ रही है। उन्होंने कहा कि जबतक देश का प्रत्येक नागरिक स्वास्थ्य के प्रति सजग एवं जागरूक नहीं हो जाता आर्थिक अथवा किसी भी तरह के विकास की परिकल्पना नहीं कर सकते हैं। इस अवसर पर स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. ममता ठाकुर ने कहा कि जनऔषधि एवं आयुष्मान जैसी योजनाएं घर-घर तक  पहुंचाने की जरूरत है। साथ ही उन्होंने सर्वाइकल कैंसर को लेकर जागरूकता फैलाने की जरूरत पर भी बल दिया। उन्होंने कहा कि इस कैंसर का टीका आज उपलब्ध है, वह भी निःशुल्क। दिल्ली सरकार निःशुल्क सर्वाइकल कैंसर के टीके को लगवा रही है। उन्होंने सभी से अपील की कि वे अपने बच्चियों को यह टीका जरूर लगवाएं। लाइफ कोच एवं इंटरनेशनल हिलर डॉ. अभिलाषा द्विवेदी ने कहा कि भारत में कुपोषण की वजह से जीडीपी में 13 फीसद का नुक्सान हर साल होता है। भारत अभी भी ग्लोबल हंगर इंडेक्स में साउथ एशिया प्रोग्रेस रपट के हिसाब से ९० देशों से भी पीछे है। उन्होंने आगे कहा कि, एक ओर हम कुपोषण की पारंपरिक चुनौति को समाप्त नहीं कर पाएं हैं वही दूसरी ओर अतिपोषण की समस्या आकर जुड़ गई है। जिसके ऑटो इम्यून बीमारियां हो रही है। उन्होंने कहा कि पोषण संबंधित राष्ट्रीय औसत आंकड़ों को देखेंगे तो पूरी तस्वीर समझ में नहीं आ पाएगी, क्योंकि राज्यों एवं जिलों के स्तर पर पोषण की प्रगति की दर में बहुत भारी अंतर है। 
मेवाड़ विश्वविद्याल के निदेशक (प्रकाशन) शशांक द्विवेदी ने जेनरिकोनॉमिक्स पुस्तक की जरूरत पर अपनी बात रखते हुए कहा कि इस तरह की पुस्तकों की आज जरूरत है। सेहत के क्षेत्र में स्वस्थ भारत द्वारा किए जा रहे कार्य को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि सेहत के क्षेत्र में बहुत जागरूकता फैलाए जाने की जरूरत है। मेवाड़ विश्वविद्यालय के चेयरमैन अशोक कुमार गदिया भेजे संदेश को पढ़ते हुए श्री द्विवेदी ने कहा कि जेनरिक दवाइयों की चर्चा अकादमिक स्तर पर होनी चाहिए। इसके लिए मेवाड़ विश्वविद्यालय हर संभव सहयोग करेगा। कार्यक्रम की शुरूआत दीप्रज्वलन एवं राष्ट्रगान के साथ हुआ। मंच संचालन स्वस्थ भारत अभियान के सहसंयोजक धीप्रज्ञ द्विवेदी ने किया। इस अवसर पर प्रसून लतांत, डॉ. सोम, अनुज अग्रवाल, ऐश्वर्या सिंह, प्रियंका सिंह, अनिता सिंह, संतोष कुमार सिंह, वंदन कुमार, श्री राजेश सहित सैकड़ों स्वास्थ्य पत्रकार एवं सामाजिक कार्यकर्ता उपस्थित रहे।

जेनरिकोनॉमिक्स पुस्तक का हुआ लोकार्पण
जेनरिक दवाइयों को लेकर पिछले ७ वर्षों से देश में अलख जगा रहे स्वास्थ्य पत्रकार आशुतोष कुमार सिंह की पुस्तक जेनरिकोनॉमिक्स का लोकार्पण गांधी शांति प्रतिष्ठान स्थित सभागार में किया गया। इस पुस्तक में जेनरिक दवाइयों के अर्थशास्त्र को समझाने का प्रयास लेखक ने किया  है। इस किताब के बारे में बात करते हुए श्री आशुतोष ने कहा कि जेनरिक दवाइयों को लेकर प्राथमिक समझ विकसित करने में यह पुस्तक सहायक सिद्ध होगी। उन्होंने कहा कि अगर देश के लोग जेनरिक दवाइयों का सेवन करना शुरू कर दें और चिकित्सकों पर यह दबाव रहे कि उन्हें जेनरिक दवा ही लिखनी है, साथ ही सरकार पर यह दबाव रहे कि जेनरिक दवाइयों की गुणवत्ता को सुनिश्चित करती रहे तो वह दिन दूर नहीं जब इस देश को ९० हजार करोड़ रुपये की बचत होगी। इतना ही नहीं महंगी दवाइयों से गरीब हो रहे लोगों के लिए दवाइयां महंगी नहीं रह जाएंगी। भारत के स्वास्थ्य की तस्वीर बदल जाएगी।

स्वास्थ्य पत्रकार हुए सम्मानित
पीएमबीजेपी के सहयोग से स्वस्थ भारत (न्यास)  द्वारा आयोजित इस परिसंवाद में स्वास्थ्य के क्षेत्र में बेहतर काम करने वाले पत्रकारों को सम्मानित किया गया। वरिष्ठ स्वास्थ्य पत्रकार धनंजय, डीडी न्यूज से जुड़े नितेन्द्र सिंह, युगवार्ता के संपादक संजीव कुमार, अमर उजाला के संवाददाता परीक्षित निर्भय, दैनिक जागरण से सबद्ध रणविजय सिंह, दैनिक हिन्दुस्तान से सबद्ध हेमवति नंदर राजौरा, संडे गार्डियन से नवतन कुमार, सूर्या टीवी से अमिताभ भूषण, सेहत३६५ से निशि भाट, राज एक्सप्रेस से सुशील देव एवं इंडिया टूडे से जुड़ी वरिष्ठ पत्रकार संध्या द्विवेदी को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर  नई उम्मीद पत्रका के संपादक निर्भय कुमार कर्ण, इंडिया न्यूज के सीनियर प्रोड्यूसर कुलभाष्कर ओझा एवं नमामि भारत अखबार के संपादक दिग्विजय चतुर्वेदी को विशेष तौर से सम्मानित किया गया।

श्रीलंका में संसद को भंग करने का निर्णय असंवैधानिक : उच्चतम न्यायालय

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कोलंबो 13 दिसंबर, श्रीलंका के उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को राष्ट्रपति मैत्रिपाल सिरीसेना के संसद भंग करने के निर्णय को असंवैधानिक करार दे दिया। मुख्य न्यायाधीश नलीन परेरा की अध्यक्षता में उच्चतम न्यायालय की सात सदस्यीय पीठ ने एकमत से अपना निर्णय देते हुए कहा कि राष्ट्रपति का संसद को भंग करने का निर्णय अवैध है। संसद भंग करने के जारी राजपत्रित अधिसूचना संविधान सम्मत नहीं है।  उच्चतम न्यायालय ने अंतरिम आदेश जारी करके संसद भंग की राजपत्रित अधिसूचना का स्थगित कर दिया था और इस मामले में अंतिम आदेश आने तक संसद का कार्यकाल बढ़ा दिया गया है। उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रपति के संसद भंग करने की राजपत्रित अधिसूचना को चुनौती देने के लिए दायर याचिका की लगातार चार दिनों तक चली सुनवायी सात दिसंबर को पूरी कर ली थी। राष्ट्रपति के आदेश के खिलाफ कुल 13 याचिकाएं दायर की गयी थी। राष्ट्रपति सिरीसेना ने नौ नवंबर को 225 सदस्यीय संसद को कार्यकाल समाप्त होने से पहले ही भंग करके पांच जनवरी को चुनाव करवाने का आदेश दिया था। इससे पहले उच्चतम न्यायालय ने 13 नवंबर को आदेश जारी करके राष्ट्रपति के अधिसूचना को अस्थायी रूप से अवैध घोषित कर दिया था और चुनाव तैयारियों पर रोक लगा दी थी। उच्चतम न्यायालय ने मामले की सुनवायी पिछले सप्ताह पूरी करते हुए अपने आदेश को सुुरक्षित रख लिया था। श्रीलंका के पूर्व प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने उच्चतम न्यायालय के आदेश का स्वागत किया है। श्री विक्रमसिंघे ने ट्वीट किया , “हमें विश्वास है कि राष्ट्रपति न्यायालय के आदेश का सम्मान करेंगे। विधानपालिका, न्यायपालिका और कार्यपालिका समान रूप से लोकतंत्र के महत्वपूर्ण स्तंभ हैं। नागरिकों की सत्ता सुनिश्चित करने के लिए ये तीनों स्तंभ एक दूसरे की शक्तियों पर अंकुश लगाने का काम करते हैं।”  राष्ट्रपति सिरिसेना ने रविवार को ट्वीट किया था कि वह उच्चतम न्यायालय के निर्णय को स्वीकार करेंगे। उन्होंने ट्वीट किया, “मुझे उच्चतम न्यायालय की संवैधानिक व्याख्या का इंतजार है। मातृभूमि के हित में मैं इसी व्याख्या के अनुसार ही मैं भविष्य के राजनीतिक निर्णय लूंगा न कि किसी व्यक्ति, समूह या पार्टी को हितों को देखते हुए।”

‘मेक इन इंडिया’ के तहत बनेंगे रूसी विमानों, हेलिकॉप्टरों तथा पनडुब्बियों के कलपुर्जे

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नयी दिल्ली 13 दिसम्बर, भारत और रूस ने आज इस बात पर सहमति व्यक्त की कि रूस से खरीदे गये विमानों, हेलिकॉप्टरों और पनडुब्बी तथा अन्य प्लेटफार्म के कलपुर्जे मेक इन इंडिया के तहत संयुक्त रूप से भारत में ही बनाये जायेंगे।  रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण और रूस के रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगु की सह अध्यक्षता में सैन्य तकनीकी सहयोग पर भारत-रूस अंतर सरकारी आयोग की आज यहां हुई 18 वीं बैठक में यह सहमति बनी। दोनों पक्षों ने कामोव 226 हेलिकॉप्टरों और युद्धपोतों और सेना की हथियार प्रणालियों से संबंधी संयुक्त विनिर्माण परियोजनाओं पर गहन विचार विमर्श किया। दोनों इस बात पर राजी हुए कि भारतीय सेनाओं द्वारा इस्तेमाल किये जा रहे विभिन्न रूसी मूल के प्लेटफार्म के कलपुर्जे मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी मेक इन इंडिया योजना के तहत भारत में ही बनाये जायेंगे।  दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय सामरिक भागीदारी के तहत रक्षा उपकरणों, उद्योग और तकनीकी सहयोग से संबंधित मुद्दों पर व्यापक चर्चा की । दोनों रक्षा मंत्रियों ने द्विपक्षीय रक्षा सहयोग में प्रगति और गतिशीलता पर संतोष व्यक्त किया।  सैन्य तकनीकी सहयोग पर सरकारी आयोग के कामकाज को तर्कसंगत बनाने तथा अंतर सरकारी सहयोग व्यवस्था में बदलाव के समझौते पर भी हस्ताक्षर किये गये। इसके तहत एकीकृत रक्षा स्टाफ चेयरमेन तथा रूस के जनरल स्टाफ संचालन निदेशालय के उप प्रमुख की सह अध्यक्षता में एक अतिरिक्त कार्य दल का गठन किया जायेगा।  अंतर सरकारी आयोग की अगली बैठक रूस में अगले वर्ष होगी। 

केसीआर ने ली तेलंगाना के मुख्यमंत्री पद की शपथ

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हैदराबाद, 13 दिसंबर, तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के प्रमुख के. चंद्रशेखर राव ने गुरुवार को तेलंगाना के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। विधानसभा चुनाव परिणामों में टीआरएस की 88 सीटों पर शानदार जीत के बाद श्री राव ने लगातार दूसरी बार देश के 29वें राज्य के मुख्यमंत्री के पद की शपथ ली। राज्यपाल ई. एस. एल. नरसिम्हन ने राजभवन में दोपहर बाद एक बजकर 34 मिनट पर श्री राव को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। पूर्व उप-मुख्यमंत्री एवं राज्य विधान परिषद के सदस्य महमूद अली ने भी मंत्री पद की शपथ ली। शपथ ग्रहण समारोह का मुहूर्त यदादरी मंदिर के मुख्य पुजारी ने निर्धारित किया था। एक सौ उन्नीस सदस्यीय विधानसभा के लिए गत सात दिसंबर को हुए चुनाव की मतगणना के मंगलवार को सभी सीटों के घोषित परिणामों में तेलंगाना राष्ट्र समिति ने 88 सीटें जीतकर विशाल बहुमत हासिल किया है। कांग्रेस को 19, तेलुगु देशम को दो, भारतीय जनता पार्टी को एक और आॅल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन को सात तथा ऑल इंडिया फारवर्ड ब्लाॅक को एक और एक सीट निर्दलीय को मिली है। सूत्रों के मुताबिक आने वाले कुछ दिनों में श्री राव की सरकार में 18 और मंत्री शामिल हो सकते हैं। इससे पहले केसीआर के नाम से विख्यात श्री राव को बुधवार को सर्वसम्मति से टीआरएस विधायक दल का नेता चुना गया।  इस अवसर पर नवनिर्वाचित विधायक, सांसद, विधान पार्षद, शीर्ष नौकरशाह अौर अन्य गणमान्य लोग भी मौजूद थे। पुलिस ने राजभवन के आस-पास सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए थे।
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