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राष्ट्र मंच के प्रतिनिधि के तौर पर ममता की रैली में जाऊंगा : शत्रुघ्न सिन्हा

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कोलकाता, 17 जनवरी, भाजपा नेता शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा कि उन्हें अपनी पार्टी में ‘‘सम्मान’’ नहीं मिला और तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी की कोलकाता में शनिवार को होने वाली रैली में हिस्सा लेंगे। सिन्हा ने बृहस्पतिवार को बताया कि वह ‘‘राष्ट्र मंच’’ के प्रतिनिधि के तौर पर रैली में हिस्सा लेंगे। इस राजनीतिक समूह की शुरुआत भाजपा के पूर्व नेता यशवंत सिन्हा ने की थी जिसका समर्थन शत्रुघ्न सिन्हा भी करते हैं। अभिनेता और नेता सिन्हा केंद्र की भाजपा सरकार के कई निर्णयों को लेकर उसका विरोध करते रहे हैं जिसमें नोटबंदी भी शामिल है। वह इन निर्णयों को ‘‘वन मैन शो’’ बताते रहे हैं। शत्रुघ्न सिन्हा ने मुंबई से फोन पर बताया, ‘‘राष्ट्र मंच की तरफ से मैं कार्यक्रम में हिस्सा लूंगा...।’’ उन्होंने रैली में शामिल होने को उचित ठहराते हुए कहा, ‘‘भाजपा के कुछ नेता भी आरएसएस के कार्यक्रम में शिरकत करते हैं।’’  उन्होंने कहा, ‘‘अभी तक पार्टी के प्रति मेरी वफादारी पर सवाल नहीं किए जा सकते हैं। मैं भाजपा में तब शामिल हुआ जब यह दो सांसदों की पार्टी थी और मैंने हमेशा इसे मजबूत करने के लिए काम किया है।’’  पटना साहिब से भाजपा के लोकसभा सांसद रैली में ‘‘स्टार वक्ता’’ होंगे।

विशेष आलेख : मांद में मात

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16 मई 2014 के बाद 11 दिसबंर 2018 की तारीख देश की राजनीति में एक ऐसा पड़ाव है जिसे लम्बे समय तक याद रखा जायेगा. ऐसा माना जा रहा था कि इस बार पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के नतीजे आने के बाद देश के राजनीति की दिशा बदलने वाले साबित होंगें और अब ठीक ऐसा होता दिखाई भी पड़ रहा है. 2014 के लोकसभा चुनावों में उठे मोदी लहर के बाद भाजपा को उसकी उम्मीदों से बढ़ कर अकेले ही 280 से अधिक सीटें मिलीं थीं और इसके बाद भाजपा हर चुनाव 2019 के तैयारी की तरह लड़ती रही है और कई नये राज्यों में लगातार अपना विस्तार करती गयी. इन सब से विपक्ष के खेमे में सन्नाटा पसरा था और वह पूरी तरह से पस्त था. लेकिन अब  कहानी बिलकुल ही अलग है. एक के बाद एक नया किला फतह करने के बाद आखिरकार भाजपा का बेलगाम विजय रथ अपने ही गढ़ में आकर थम गया है. तीन राज्यों मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ में कांग्रेस और भाजपा सीधे तौर पर आपने-सामने थीं. भाजपा के सामने चुनौती इन तीन राज्यों में अपनी सरकारों को बचाने की थी. पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने इन तीनों राज्यों की कुल 65 लोकसभा सीटों में से 62 सीटों पर चुनाव जीता था. कांग्रेस के लिये तो यह एक तरह से अस्तित्व से जुड़ा हुआ चुनाव था इसलिये कांग्रेस और भाजपा दोनों के लिये यह राज्य बहुत अहमियत वाले थे.
 2019 के फाइनल से ठीक पहले सेमी-फाइनल माने जा रहे पांच राज्यों के चुनावी नतीजों के हार-जीत के अलावा और भी कई राजनीतिक मायने हैं.पिछले करीब साढ़े चार साल में ये पहली बार है जब विलुप्त मानी जा रही कांग्रेस पार्टी ने सीधे मुकाबले में भाजपा को मात दिया है. यह मोदी-शाह के कांग्रेस मुक्त भारतके उस नारे पर भी अघात है जो सिर्फ एक पार्टी के लिये नहीं बल्कि उस विचारधारा के लिये भी थी जिसकी जड़ें भारत के बहुलतावादी परंपरा और स्वाधीनता संग्राम से उपजे मूल्यों में है. चुनाव परिणामों ने इस मिथ को तोड़ दिया है कि मोदी को हराया नहीं जा सकता है और राहुल गांधी हमेशा ही एक विफल नेता बने रहेंगें. इस जीत के बाद राहुल गांधी को एक नेता के तौर पर स्थापित कर दिया है. उन्होंने मृतशैया पर पड़ी कांग्रेस में जान फूंकने का काम किया है और सबसे बड़ी बात ये है कि उन्होंने कभी चुनौतीविहीन माने जा रहे नरेंद्र मोदी के मुकाबले खुद को खड़ा कर दिया है. राहुल ने ये साबितकरके दिखा दिया है कि अगर नरेंद्र मोदी को चुनौती पेश की जाये तो मुकाबले में उन्हें हराया भी जा सकता है.अब 2019 में नरेंद्र मोदी हार सकते हैं जैसी बात असंभव या अजूबा नहीं लगती है. बहरहाल 2019 का चुनाव दिलचस्प हो गया है. अब यह एकतरफा नहीं होने वाला और ऊंट किसी भी करवट बैठ सकता है. इन तीनों राज्यों में मध्यप्रदेश की जीत कांग्रेस के लिये बहुत खास है. यह भाजपा का सबसे मजबूत किला माना जाता था और यहां शिवराजसिंह चौहान जैसे मजबूत व लोकप्रिय मुख्यमंत्री थे.गुजरात के बाद मध्यप्रदेश को भाजपा व संघ की दूसरी प्रयोगशाला कहा जाता है,दरअसल यहां जनसंघ के जमाने से ही उनका अच्छा-खासा प्रभाव है. भाजपा इसे विकास के एक माडल के तौर पर प्रस्तुत करती रही है इसलिये मध्यप्रदेश के नतीजे का विशेष महत्त्व है. इससे वहां लगातार हार की हैट्रिक बना चुकी कांग्रेस को भाजपा पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने में मदद मिली है. मध्यप्रदेश में कांग्रेस ने बहुत ही थोड़े समय में अपना कायाकल्प करने का चमत्कार किया है  और इसका श्रेय निश्चित रूप से राहुल गांधी को दिया जायेगा जिन्होंने कमलनाथ, सिंधिया और दिग्विजय सिंह की जिम्मेदारी तय करते हुये इन्हें एक साथ काम करने को प्रेरित किया.
एक मई 2018 को कमलनाथ को मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गयी थी जिन्होंने सबसे पहले म.प्र. में पंद्रह साल से सुस्त पड़ चुके संगठन को सक्रिय करने पर जोर लगाया जिससे पार्टी बूथ स्तर तक खड़ी दिखाई पड़ने लगी. इसी तरह से सिंधिया को चुनाव प्रचार अभियान और दिग्विजय सिंह को परदे के पीछे रहकर कार्यकर्ताओं को एकजुट व सक्रिय करने की जिम्मेदारी दी गयी थी जिसे उन्होंने बखूबी अंजाम दिया. लेकिन मध्यप्रदेश में असली कमान राहुल गांधी के हाथों में रही जो कमलनाथ और सिंधिया को साथ में रखते हुये खुद फ्रंट पर दिखाई दिये राहुल के बरक्स नरेंद्र मोदी मध्यप्रदेश के चुनाव अभियान से सेफ दूरी बना कर चलते नजर आये. जहां एक तरफ राहुल गांधी ने मध्यप्रदेश को सबसे ज्यादा समय दिया, वहीँ नरेंद्र मोदी प्रदेश के चुनाव में खुद को सीमित किये रहे. राज्य में भाजपा के चुनाव प्रचार अभियान में भी केंद्र की उपलब्धियों पर ना के बराबर फोकस किया गया, ऐसा शायद इसलिये किया गया कि अगर इन राज्यों में भाजपा की हार होती है तो इसके जिम्मेदारी मौजूदा मुख्यमंत्रियों पर टाली जा सके और 2019 लोकसभा चुनाव के लिये मोदी ब्रांड को बचाये रखा जा सके. लेकिन इन तमाम तजवीजों के बावजूद ऐसा लगता नहीं है कि मोदी ब्रांड बचा है अब कोई भी मोदी लहर और अच्छे दिनों की बात नहीं करता है, उम्मीदों की जगह उपहास ने ले लिया है और बड़े से बड़े मोदी समर्थक अपने विकास के देवता का बचाव करने में असमर्थ है. उनमें से कईयों ने तो पाला ही बदल लिया है लॉर्ड मेघनाद देसाई जैसे बड़े मोदी समर्थक आज नरेंद्र मोदी को लेकर निराशा जताते हुये कह रहे हैं कि प्रधानमंत्री मोदी टीम लीडर नहीं हैं और अब लोग उन्हें दोबारा वोट नहीं देंगे.
2014 में नरेंद्र मोदी की आसमानी जीत ने सभी को अचंभित कर दिया था. यह कोई मामूली जीत नहीं थी. ऐसी मिसालें भारतीय राजनीति के इतिहास में बहुत कम मिलती हैं. इसके बाद अगले तीन सालों तक भाजपा ने अपना अभूतपूर्व विस्तार किया, कई नये राज्यों में उनकी सरकारें बनी. लोकसभा चुनाव के बाद उतरप्रदेश में भाजपा की प्रचंड जीत ने एक बार फिर पूरे विपक्ष को स्तब्ध कर दिया था और फिर 2019 में विपक्ष की तरफ से सबसे बड़ा चेहरा माने जाने वाले नीतीश कुमार की एनडीए वापसी ने विरोधियों की रही सही उम्मीदों पर पानी फेर दिया था. लेकिन जीवन की तरह अनिश्चिताओं से भरे राजनीति के इस खेल में आज हालात बदले हुए नजर आ रहे हैं. अमित शाह और नरेंद्र मोदी का अश्वमेघ रथ अपने ही गढ़ में रुक गया है. आज स्थिति ये है कि अच्छे दिनों के सपने जमीनी सच्चाईयों का मुकाबला नहीं कर पा रहे है. पहली बार प्रधानमंत्री बैकफुट पर हैं और उनके सिपहसालार घिरे हुए नजर आ रहे हैं. पहले मोदी की आंधी के सामने विपक्ष टिक नहीं पा रहा था लेकिन आज हालत नाटकीय रूप से बदले हुए नजर आ रहे हैं. सत्ता गंवाने के बाद पहली बार कांग्रेस खुद को एक मजबूत विपक्ष के रूप में पेश करने में कामयाब रही है और वो अब धीरे-धीरे एजेंडा सेट करने की स्थिति में आने लगी है. दरअसल अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर मोदी सरकार की विफलता और उस पर रोमांचकारी प्रयोगों ने विपक्ष को संभालने का मौका दे दिया है. भारत की चमकदार इकॉनामी आज पूरी तरह से लड़खड़ाई हुई है. बेहद खराब तरीके से लागू किए गए नोटबंदी और जीएसटी ने इसकी कमर तोड़ दी है, बेरोजगारी बढ़ रही है और कारोबारी तबका हतप्रभ है. ऐसा महसूस होता है कि आर्थिक मोर्च पर यह सरकार स्थितियों को नियंत्रित करने में सक्षम ही नहीं है. तीनों राज्यों में शिवराजसिंह चौहान, रमनसिंह या वसुंधरा राजे की हार से ज्यादा मोदी के हार की चर्चा है इसे इन तीनों से ज्यादा मोद-शाह के अहंकार की हार बताया जा रहा है.  



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जावेद अनीस 
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विशेष : कश्मीरी पंडितों की जलावतनी:समस्या जस की तस है

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19 जनवरी 1990 का दिन कश्मीरी पंडितों के वर्तमान इतिहास-खंड में काले अक्षरों में लिखा जायेगा। यह वह दिन है जब पाक समर्थित जिहादियों द्वारा कश्यप-भूमि की संतानों (कश्मीरी पंडितों) को अपनी धरती से बड़ी बेरहमी से बेदखल कर दिया गया था और धरती के स्वर्ग में रहने वाला यह शांतिप्रिय समुदाय दर-दर की ठोकरें खाने पर मजबूर हुआ था। यह वही काली तारीख है जब लाखों कश्मीरी पंडितों को अपनी जन्मभूमि, कर्मभूमि, अपने घर आदि हमेशा के लिए छोड़ कर अपने ही देश में शरणार्थी बनना पड़ा था। पंडितों के विस्थापन का यह सिलसिला कब से और कैसे प्रारंभ हुआ? इस पर तनिक एक नजर डालने की ज़रूरत है। खूब मिलजुलकर रहने वाली दोनों कौमों यानी हिन्दुओं (पंडितों) और मुसलमानों के बीच नफरत के बीज किसने और क्यों बोये? इसका उत्तर सीधा-सा है : विश्व में बढ़ते इस्लामीकरण की फैलती आग का मुस्लिम-बहुल कश्मीर पहुँच जाना और इस खूबसूरत वादी का इसकी चपेट में आ जाना। कौन नहीं जानता कि कश्मीर से पंडितों के पलायन के पीछे पृथकतावादी (जिहादी संगठन) हिजबुल मुजाहिदीन की कुत्सित और भडकाऊ नीति ज़िम्मेदार रही है।

कहा जाता है कि 4 जनवरी 1990 को इस संगठन ने एक प्रेस नोट जारी किया जिसे कश्मीर के उर्दू समाचारपत्रों ‘आफताब’ और ‘अल सफा’ ने प्रमुखता के साथ छापा। प्रेस नोट में हिंदुओं को कश्मीर छोड़ कर घाटी से चले जाने का आदेश दिया गया था। कश्मीरी पंडितों की चुन-चुन कर खुले आम हत्याएँ की गयीं। कश्मीर दूरदर्शन के निदेशक (मेरे मित्र एवं सहपाठी)लस्सा कौल, राजनीतिक कार्यकर्त्ता टीकालाल टप्लू, नर्स सरला भट्ट, जज नीलकंठ गुर्टू, साहित्यकार सर्वानन्द प्रेमी, केन्द्रीय कर्मचारी (मेरे रिश्तेदार) बालकृष्ण गंजू आदि दर्जनों बेकसूर कश्मीरी पंडितों को मौत के घाट उतारा गया। कश्मीर की प्रमुख मस्जिदों के लाउडस्पीकर जिनसे अब तक केवल अल्लाह-ओ-अकबर की आवाजें आती थीं, अब भारत की ही धरती पर हिंदुओं से चीख-चीख कर कहने लगे कि कश्मीर छोड़ कर चले जाओ और अपनी बहू-बेटियाँ हमारे लिए छोड़ जाओ। कश्मीर में रहना है तो अल्लाह-अकबर कहना है, “असि गछि पाकिस्तान, बटव रोअस त बटनेव सान” (हमें पाकिस्तान चाहिए. पंडितों के बगैर किन्तु पंडित-महिलाओं समेत।) और तो और जगह-जगह दीवारों पर पोस्टर चिपकाये गये कि सभी लोग कश्मीर में इस्लामी वेश-भूषा पहनें, कश्मीरी पंडित-महिलाएं बिंदी का प्रयोग न करें, सिनेमाघरों पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया, कश्मीरी हिंदुओं की दुकानें, मकान और व्यापारिक प्रतिष्ठान चिन्हित कर दिए गए ताकि इन्हें बाद में लूटा जा सके या इनपर कब्जा किया जा सके आदि-आदि। यहाँ तक कि घड़ियों का समय भी भारतीय समय से बदल कर पाकिस्तानी समय के अनुरूप करने का फतवा जारी किया गया। 24 घंटे में कश्मीर छोड़ दो या फिर मरने के लिए तैयार हो जाओ, काफिरों को क़त्ल करो आदि नारे और सन्देश कश्मीर की फिजाओं में गूँजने लगे। इस्लामिक दमन का घिनौना रूप जिसे भारत सदियों तक झेलने के बाद भी मिल-जुल कर रहने के लिए भुला चुका था, एक बार फिर अपना विकराल रूप धारण करने लगा था। प्रशासन ठप्प पड़ा था या मूक दर्शक बनकर अपनी लाचारी का मातम मना रहा था। हुकुमरान सुरक्षा कवच में थे या फिर घाटी छोड़ कर भाग खड़े हुए थे। चारों तरफ अराजकता और बद-अमनी का माहौल व्याप्त था।

आज कश्मीर घाटी में कश्मीरी पंडित बिलकुल भी नहीं। अगर हैं भी तो वे किसी मजबूरी के मारे वहां पर रह रहे हैं और उनकी संख्या नगण्य है। वादी से खदेड़े जाने के बाद ये लोग शरणार्थी शिविरों (जम्मू और दिल्ली में) या फिर देश के दूसरे स्थानों पर रह रहे हैं। माना जाता है कि 3 लाख के करीब कश्मीरी पंडित जिहादियों के जोर-जब्र की वजह से घाटी से भागने पर विवश हुए। कभी साधन-सम्पन्न रहे ये हिंदू/पंडित आज सामान्य आवश्यकताओं के मोहताज हैं। उन्हें उस दिन का इंतज़ार है जब वे ससम्मान अपने घर वापस जा सकें। केंद्र और राज्य सरकारें पंडितों को कश्मीर में बसाने और कश्मीर समस्या को सुलझाने के लिए भरसक प्रयत्न कर रही हैं। कोशिश यह की जा रही है कि विभिन्न पक्षों के बीच वार्ता-संवाद से कोई समाधान निकाला जाए। जैसा कि होता है, ऐसे उलझे हुए मामलों में प्राय: सत्तारूढ़ दल अपनी पूर्ववर्ती सरकार पर दोषारोपण करते हुए कहता है कि समस्या हम पर थोपी गई है। समय रहते अगर पूर्ववर्ती सरकारों ने कड़े कदम उठाए होते और जिहादी-अलगाववादी गतिविधियों पर लगाम कसी होती तो आज कश्मीर में हालात इतने बिगड़े हुए न होते। कहने की आवश्यकता नहीं कि कश्मीर में जब-जब सरकार बदलती है, लगभग यही आरोप सरकारें एक-दूसरे पर लगाती आई हैं। सत्ता में रहने या सत्ता हासिल करने के लिए ये आरोप-प्रत्यारोप कश्मीर की राजनीति का हिस्सा बन चुके हैं।

इसी तरह का एक आरोप 1990 में कश्मीर के हुक्मरानों ने गवर्नर जगमोहन पर लगाया था कि कश्मीर से पंडितों के विस्थापन में उनकी विशेष भूमिका रही है। हालांकि इस आक्षेप का न तो कोई प्रमाण था और न कोई दस्तावेज, मगर फिर भी इस आरोप को तब मीडिया ने खूब उछाला था। कहने का तात्पर्य यह है कि राजनीति में रहने के लिए, अपनी राजनीति चमकाने के लिए या फिर जैसे-तैसे खबरों में छाए रहने के लिए आरोप गढ़ना-मढ़ना अब हमारी राजनीति का चलन हो गया है। जिन्होंने जगमोहन की पुस्तक ‘माय फ्रोजेन टरबुलंस इन कश्मीर’ पढ़ी हो, वे बता सकते हैं कि कश्मीरी पंडित वादी से पलायन करने को क्यों मजबूर हुए थे। जगमोहन ने तो सीमित साधनों और विपरीत परिस्थितियों के चलते घाटी में विकराल रूप लेती आतंककारी घटनाओं को खूब रोकना चाहा था, मगर उस समय के स्थानीय प्रशासन और केंद्र की उदासीनता की वजह से स्थिति बिगड़ती चली गई थी। जब आतंकियों द्वारा निर्दोष पंडितों को मौत के घाट उतारने का सिलसिला बढ़ता चला गया तो जान बचाने का एक ही रास्ता रह गया था उनके पास और वह था घरबार छोड़कर भाग जाना।

लगभग तीस साल हो गए हैं पंडितों को बेघर हुए। इनके बेघर होने पर आज तक न तो कोई जांच-आयोग बैठा, न कोई स्टिंग आपरेशन हुआ और न संसद या संसद के बाहर इनकी त्रासद-स्थिति पर कोई बहसबाजी ही हुई। इसके विपरीत ‘आजादी चाहने’ वाले अलगाववादियों और जिहादियों/जुनूनियों को सत्ता-पक्ष और मानवाधिकार के सरपरस्तों ने हमेशा सहानुभूति की नजर से देखा है। पहले भी यही हो रहा था और आज भी यही हो रहा है। उच्च न्यायलय ने भी पंडितों की उस याचिका पर विचार करने से मना कर दिया जिस में पंडितों पर हुए अत्याचारों की जांच करने के लिए गुहार लगाई गयी थी। काश, अन्य अल्पसंख्यक समुदायों की तरह कश्मीरी पंडितों का भी अपना कोई वोट-बैंक होता तो आज स्थिति दूसरी होती! तीस सालों के विस्थापन की पीड़ा से आक्रांत/बदहाल यह जाति धीरे-धीरे अपनी पहचान और अस्मिता खो रही है। एक समय वह भी आएगा जब उपनामों को छोड़ इस जाति की कोई पहचान बाकी नहीं रहेगी। दरअसल, किसी भी जाति के अस्तित्व के लिए तीन शर्तों का होना परमावश्यक है। पहली, उसका भौगोलिक आधार अर्थात उसकी अपनी सीमाएं, क्षेत्र या भूमि। दूसरी, उसकी सांस्कृतिक पहचान और तीसरी, अपनी भाषा और साहित्य। ये तीनों किसी भी ‘जाति’ के मूलभूत तत्त्व होते हैं। अमेरिका या इंग्लैंड में रह कर आप अपनी संस्कृति का गुणगान या संरक्षण तो कर सकते हैं, मगर वहां अपना भौगोलिक आधार तैयार नहीं कर सकते। यह आधार तैयार हो सकता है अपने ही देश में और ‘पनुन कश्मीर’ (अपना कश्मीर) की अवधारणा इस दिशा में उठाया गया सही कदम है। सारे विस्थापित/गैर-विस्थापित कश्मीरी पंडित जब एक ही जगह रहने लगेंगे तो भाषा की समस्या तो सुलझेगी ही, सदियों से चली आ रही कश्मीर की समृद्ध सांस्कृतिक परंपरा की भी रक्षा होगी। लगता तो यह एक दूर का सपना है, मगर क्या मालूम यह सपना कभी सच भी हो जाए। यहाँ पर इस बात को रेकांकित करना लाजिमी है कि जब तक कश्मीरी पंडितों की व्यथा-कथा को राष्ट्रीय स्तर पर उजागर नहीं किया जाता तब तक इस धर्म-परायण और राष्टभक्त कौम की फरियाद को व्यापक समर्थन प्राप्त नहीं हो सकता।इस के लिए परमावश्यक है कि सरकार इस समुदाय के किसी जुझारू,कर्मनिष्ठ और सेवाभावी नेता को राज्यसभा में मनोनीत करे ताकि पंडितों के दुःखदर्द को देश तक पहुँचाने का उचित और प्रभावी माध्यम इस समुदाय को मिले।अन्य मंचों की तुलना में देश के सर्वोच्च मंच से उठाई गयी समस्याओं की तरफ जनता और सरकार का ध्यान तुरंत जाता है। 





डा० शिबन कृष्ण रैणा 

आलेख : सैकड़ों वर्षों में भी मिटा न सके इस वट वृक्ष को

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धर्माधर्मपरिचर्चा इसके सम्बन्ध में मुम्बई से मुकेश सेठ बताते हैं कि किस तरह इस वट वृक्ष पर अन्याय हुआ फिरभी सीना ताने आज भी खड़ा है यह "वट वृक्ष"कहानी कुम्भ स्थली प्रयाग राज की है। मुगल शासक अक़बर, जहाँगीर समेत कई बादशाहों ने अक्षय वट वृक्ष को सनातन धर्म, संस्कृति,परम्परा व सभ्यता का प्रकाशपुंज मान नष्ट करने का करते रहे अथक प्रयास। [मुग़लों से लेकर अंग्रेजो तक ने सैकड़ो सालो तक सनातन धर्मी हिन्दुओ को अक्षय वट वृक्ष के दर्शनों पर लगाये रहे कठोरता पूर्वक बंदिशें] (10 जनवरी को यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शासनादेश जारी कर आम जनता के दर्शनार्थ खुलवा कर दर्ज कराया इतिहास में अपना नाम) प्रयागराज(इलाहाबाद) कुम्भ स्थल में अक़बर के द्वारा निर्मित क़िले में अवस्थित अक्षय वट वृक्ष का मतस्य पुराण मे वर्णन है कि जब प्रलय आता है, युग का अंत होता है, पृथ्वी जलमग्न हो जाती है, और सबकुछ डूब जाता है ! उस समय भी चार वटवृक्ष नही डुबते, उनमे सबसे महत्वपूर्ण वटवृक्ष जो प्रयागराज नगरी के तट पर अवस्थित है। मान्यता है कि इश्वर इस वृक्ष पर बालरुप में विराजमान हैं,और बारम्बार होनेवाले प्रलय के बाद नई सृष्टि की संरचना करते हैं।अपनी इसी विशिष्टता के कारण यह वटवृक्ष अक्षयवट के नाम से जाना जाता है,ऐसा वट जिसका कभी भी क्षय नही होता।

बीते 10 जनवरी 2019 को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस वटवृक्ष को हिन्दु श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया है, इसके साथ ही सरस्वती कूप मे देवी सरस्वती की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा भी की गई,जैन मत में यह मान्यता है कि प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव जी ने इसी वटवृक्ष के नीचे तपस्या की थी, बौद्घ मत मे भी इस वृक्ष को पवित्र माना गया है।
वाल्मिकी रामायण और कालिदास रचित रघुवंश मे भी इस वृक्ष की चर्चा है,आशा और जीवन का संदेश देता है यह वटवृक्ष भारतीय संस्कृति का एक प्रतिक है,किन्तु प्रश्न यह उठता है की इतने महत्वपूर्ण वटवृक्ष से हिन्दुओं को 425 वर्षो से दूर क्यों रखा गया था ? वास्तव मे यह वृक्ष जिस तरह सनातनता का विचार देता है, वह अत्यंत विपरीत समयकाल मे भी हिन्दुओं को भविष्य के लिए आशा का प्रतिक था। अकबर इसे एक चुनौती मानता था, इसलिए उसके आदेश पर वर्षो तक गर्म तेल इस वृक्ष के जड़ों मे डाला गया,लेकिन यह वृक्ष फिर भी नष्ट नही हुआ,अकबर के बेटे जहांगीर के शासनकाल मे पहले अक्षयवट वृक्ष को जलाया गया, फिर भी वृक्ष नष्ट नही हुआ, इसके बाद जहाँगीर के आदेश पर इस वृक्ष को काट दिया गया, लेकिन जड़ों से फिर से शाखाऐं निकल आई, जहांगीर के शासन काल के बाद भी मुगल शासन में अनेको बार वृक्ष को नष्ट करने का प्रयास किया गया था। लेकिन यह वृक्ष हर बार पुनर्जीवित होता रहा। मुगलों के बाद यह किला अंग्रेजो के पास रहा, और उन्होंने भी मुगलो के द्वारा लगाए गए प्रतिबंध को जारी रखा,स्वतंत्रता के बाद यह किला भारतीय सेना के नियत्रंण मे है,यहाँ आम श्रद्धालुओं का आना संभव नही था, श्रद्धालुओं और संतो के लगातार मांग के बाद भी किसी सरकार ने इस वृक्ष के दर्शन के लिए सुलभ बनाने मे रुची नही दिखाई, किन्तु उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रयासो से यह संभव हो सका है।जिसका दर्शन करने के लिए आमजनों के साथ साथ कई राजनीति दल और स्वयं माननीय प्रधानमंत्री सर मोदी जी भी दर्शन लाभ से आनन्दित हुए।

आलेख : शीला दीक्षित की नयी जिम्मेदारी की चुनौतियां

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दिल्ली मंे पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित की प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में ताजपोशी से दिल्ली की जनता में उत्साह बना है वहीं लम्बे समय बाद दिल्ली कांग्रेस एकजुट भी नजर आई। वे कांग्रेस की कद्दावर की नेता हैं। उनका दिल्ली प्रदेश के मुख्यमंत्री का कार्यकाल प्रभावी रहा है, दिल्ली में 15 सालों तक चली कांग्रेस सरकार ने जो काम किए, उसकी कोई मिसाल नहीं है। विकास के साथ उनका नाम जोड़कर देखा जाता है। अब उनकी इस नयी जिम्मेदारी एवं प्रदेश कांग्रेस में सक्रियता से निश्चित ही भाजपा एवं आम आदमी पार्टी के पसीने छूट गये थे। इस नई जिम्मेदारी ने साफ कर दिया कि वह पुराने दौर के उन कुछेक चेहरों में शामिल हैं जिन्हें नए नेतृत्व का पूरा भरोसा हासिल है। दीक्षित की नयी पारी एवं जिम्मेदारी के भी सुखद परिणाम आये तो कोई आश्चर्य नहीं है।

शीला दीक्षित का दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष का दायित्व ग्रहण करना कांटोभरा ताज है, अनेक चुनौतियों के बीच उन्हें अपने-आपको साबित करने का मौका मिला है। इसमें संदेह नहीं कि शीला दीक्षित दिल्ली के मिजाज को बेहतर समझती है, लेकिन इस बार हालात थोड़े अलग हैं। आप ने न सिर्फ दिल्ली के राजनीति को त्रिकोणीय बना दिया है, बल्कि पिछले विधानसभा चुनावों में एकतरफा जीत हासिल कर वह सरकार भी चला रही है। उन चुनावों में कांग्रेस की दुर्गति किसी से छिपी नहीं है। ऐसे में परम्परागत प्रतिद्वंद्वी भाजपा के साथ ही आप से पार पाना कांग्रेस के लिए आसान नहीं होगा। कांग्रेस एवं आप दोनों ही दलों का मुख्य लक्ष्य दिल्ली में सत्ता से भाजपा को दूर रखना है। लेकिन आप से गठबंधन की बात शीला दीक्षित लगातार नकार रही है। यदि कांग्रेस अपने बल पर आगामी लोकसभा चुनाव में उतरती है तो आप की ओर खिसक गए जनाधार को फिर से हासिल करना पार्टी के लिए किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं। संभव है कांग्रेस की सशक्त होने की स्थिति का नुकसान आप के खाते में जाये। ऐसी स्थिति में भाजपा के लिये जीत की संभावनाएं अधिक बन सकती है। इन जटिल हालातों से शीला दीक्षित को पार पाना सबसे बड़ी चुनौती है और इसमें उनकी क्षमता पर अधिक कुहासा नहीं हैं।  शीला दीक्षित के पद ग्रहण के मौके पर दिल्ली कांग्रेस इकाई का भीड़ जुटाना पार्टी के लिए सुखद अवश्य हो सकता है, लेकिन प्रदेश कार्यालय पर उमड़ी भीड़ जमीनी स्तर पर पार्टी के लिए कितनी फायदेमंद होगी, यह कहना अभी मुश्किल ही है। लेकिन बहुत अर्से बाद दिल्ली में कांग्रेस की एकजुटता की तस्वीर उभरना कार्यकर्ताओं में उत्साह का संचार करेंगी। काफी समय से अपने-अपने इलाकों में सीमित रहें नेताओं ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराकर यह दर्शाने की कोशिश की कि वे शीला के साथ है और पार्टी को फिर से खड़ा करने को तत्पर हैं। लेकिन, इस बीच जगदीश टाइटलर की उपस्थिति ने कांग्रेस के लिए असहज स्थिति भी पैदा कर दी, जो भविष्य में मुश्किल का सबब भी साबित हो सकती है। टाइटलर के बहाने सिख संगठनों के साथ ही विपक्षी दल भी कांग्रेस पर निशाना साधते रहे हैं।

शीला दीक्षित ने पहली बार दिल्ली कांग्रेस की कमान 1998 में तब संभाली थी, जब हालात ऐसे बन गए थे कि पार्टी को कई चुनावों में लगातार हार का मुंह देखना पड़ा था। पार्टी 1991, 1996, 1998 के लोकसभा और 1993 विधानसभा और 1997 के निकाय चुनाव हार चुकी थी। ऐसे में शीला दीक्षित ने फर्श पर पड़ी पार्टी को अर्श तक पहुंचाया और लगातार तीन बार दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं। इन्हें राजनीति में प्रशासन व संसदीय कार्यों का अच्छा अनुभव है। इन्होंने केन्द्रीय सरकार में 1986 से 1989 तक मंत्री पद भी ग्रहण किया था। पहले वे संसदीय कार्यों की राज्य मंत्री रहीं, तथा बाद में प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री रहीं। 1984 - 89 में इन्होंने उत्तर प्रदेश की कन्नौज लोकसभा संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया था। संसद सदस्य के कार्यकाल में, इन्होंने लोकसभा की एस्टीमेट्स समिति के साथ कार्य किया। इन्होंने भारतीय स्वतंत्रता की चालीसवीं वर्षगांठ की कार्यान्वयन समिति की अध्यक्षता भी की थी। दिल्ली प्रदेश कांग्रेस समिति की अध्यक्ष के पद पर, 1998 में कांग्रेस को दिल्ली में, अभूतपूर्व विजय दिलायी। 2008 में हुये विधानसभा चुनावों में शीला दीक्षित के नेतृत्व में कांग्रेस ने 70 में से 43 सीटें जीतीं। वे प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी, पूर्व राज्यपाल व केन्द्रीय मंत्रिमंडल में मंत्री रहे, श्री उमा शंकर दीक्षित के परिवार से जुड़ी हुई हैं। इनके पति स्व. श्री विनोद दीक्षित भारतीय प्रशासनिक सेवा के सदस्य रहे थे। उनके पास सुदीर्घ राजनीतिक अनुभव हैं। तड़क-भड़क से दूर मगर राजनीतिक समर्थकों की फौज से घिरे रहने वाली श्रीमती दीक्षित के बारे में कहा जाता है कि वे हर समय अपने कार्यकर्ताओं के लिए उपलब्ध रहती हैं। वे सरल एवं सादगी पसंद भी हैं। मौलिक सोच एवं राजनीतिक जिजीविषा के कारण उन्होंने पार्टी के लिये संकटमोचन की भूमिका भी निभाई हैं। वे राजनीति में कई दफा राजनीतिक जादू दिखाती रही हैं। उनकी जादुई चालों की ही देन है कि वे अनेक महत्वपूर्ण पदों पर आसीन रही हैं। 

यही कारण है कि राहुल गांधी ने पार्टी की पुरानी और अनुभवी नेता शीला दीक्षित को दिल्ली प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाकर पार्टी के भीतर ऐसी परिवर्तन की बड़ी प्रतिध्वनि की है, जिसके दूरगामी परिणाम प्रदेश पार्टी को नया जीवन एवं नई ऊर्जा देंगे। जिसने न सिर्फ कांग्रेस पार्टी के वातावरण की फिजां को बदला है, अपितु राहुल गांधी के प्रति आमजनता के चिन्तन के फलसफे को भी बदल दिया है। भाजपा के कांग्रेस मुक्त भारत के नारे बीच कांग्रेस की दिनोंदिन जनमत पर ढ़ीली होती पकड़ एवं पार्टी के भीतर भी निराशा के कोहरे को हटाने के लिये ऐसे ही बड़े परिवर्तनों की आवश्यकता महसूस की जाती रही है। पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में जीत हासिल करने के बाद देशव्यापी स्तर पर संगठन को मजबूत करने की दृष्टि से लिये जा रहे निर्णय एवं परिवर्तन सराहनीय है। राहुल गांधी के द्वारा किये जा रहे परिवर्तन दूरदर्शितापूर्ण होने के साथ-साथ पार्टी की बिखरी शक्तियों को संगठित करने एवं आम जनता में इस सबसे पूरानी पार्टी के लिये विश्वास अर्जित करने में प्रभावी भूमिका का निर्वाह करेंगे। सर्वविदित है कि नरेन्द्र मोदी ने कांग्रेस के एकछत्र साम्राज्य को ध्वस्त किया है। इस साम्राज्य का पुनर्निर्माण राहुल गांधी के सम्मुख सबसे बड़ी चुनौती है। शीला दीक्षित को दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप नियुक्ति देकर उन्होंने इस चुनौती की धार को कम करने की दिशा में चरणन्यास किया है। शीला दीक्षित पार्टी की सीनियर लीडर हैं, उनका लम्बा राजनीतिक अनुभव है। वे एक ऊर्जावान, युवाओं को प्रेरित करने वाली, कुशल नेतृत्व देने वाली और कुशल प्रशासक के रूप में प्रदेश कांग्रेस की जननायिका हंै। वे प्रभावी राजनायिका भी हैं। लम्बी राजनैतिक यात्रा में तपी हुई दीक्षित अपनी सादगी एवं राजनीतिक जिजीविषा के कारण चर्चित रही हैं और उन्होंने सफलता के नये-नये कीर्तिमान स्थापित किये हैं। सचमुच वे कार्यकर्ताओं की नेता हैं और नेताओं में कार्यकर्ता। उनकी सादगी, विनम्रता, दीन दुखियारों की रहनुमाई और पार्टी के प्रति वफादारी ही उनकी पूंजी है।  पिछले लम्बे दौर से पार्टी सबसे गंभीर चुनौतियों का सामना कर रही है, इसलिए इसका जवाब भी उतने ही मजबूत संकल्प के साथ दिया जाना चाहिए। राहुल गांधी को या विभिन्न राज्यों की नई टीम को यह ध्यान में रखना होगा कि उनके सामने चुनौती बड़ी है और अत्यधिक कठिन है। कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी चुनौती अपनी खोयी प्रतिष्ठा का प्राप्त करना भी है। 




(ललित गर्ग)
बी-380, निर्माण विहार, 
दूसरा माला दिल्ली-110092
मो, 9811051133

विशेष : मौत के मुंह में जाएंगे लेकिन स्वास्थ्य शिविर नहीं जाएंगे...

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छत्तीसगढ़ के गरियाबंद में किड़नी प्रभावित सुपेबेड़ा के लोगो को मौत के मुंह से निकालने के लिए नयी सरकार ने पहल करते हुए गांव में स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया लेकिन ग्रामीणों का रवैया स्वास्थ्य शिविर को लेकर नकारात्मक ही रहा। वह कहते है न कि जब एक बार भरोसा उठता है तो दोबारा भरोसा करना थोड़ा सा मुश्किल हो जाता है ऐसा ही सुपेबेड़ावासियों के साथ हुआ। पहले तो सरकार ने स्वाथ्य सुविधा मुहैया कराने का वादा किया और फिर पुरानी सरकार ने कर दी वादाखिलाफी, जी हां पुरानी सरकार ने सुपेबेड़ा के लोगों को जब स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर ठेंगा दिखाया तो लोगों ने भी सरकार पर से भरोसे की चादर उठा ली और इसका सिला  नई सरकार को मिला।  ऐसा इसीलिए क्योंकि 3 साल में 68 मौते, 200 से ज्यादा प्रभावित, 900 की आबादी वाले सुपेबेड़ा गांव की आजकल यही पहचान बन चुकी है, किडनी की बीमारी से लगातार मौतों और बढ़ते मरीजों से गांव में दहशत बनी हुई है, पिछली सरकार ने भी ग्रामीणों को हर संभव मदद का भरोसा दिलाया लेकिन ग्रामीणों को कोई राहत नही मिली। लेकिन जब ग्रामीणों ने नयी सरकार से यानि कांग्रेस से गुहार लगायी तो मुख्यमंत्री के निर्देश पर रायपुर के विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम ने आज गांव में पहुंचकर हालात का जायजा लिया। वहीं नफ्रोलॉजिस्ट डॉ. पुनीत गुप्ता ने इस दौरान 16 मरीजों को देखा और 4 मरीजों को रायपुर रेफर करने की सलाह दी। 

अब बात की जाए जांच की तो जांच करवाने में नई सरकार ने किसी प्रकार की कोई कोर कसर नहीं छोड़ी लेकिन उस जांच के बाद जो क्रियान्वयन होना चाहिए था वह एस प्रकार का नहीं हो पाया। जैसे पीएचई विभाग पानी की जांच कर चुका है, इंदिरा गॉधी कृषि विश्वविद्यालय मिट्टी का परीक्षण कर चुका है, मुम्बई के टाटा इंस्टीटयूट और दिल्ली के डॉक्टर भी अपने स्तर पर जांच कर चुके है। बता दें कि पीएचई विभाग ने पानी की जो जांच की थी उसमें उन्हें फ्लोराइड और आरसेनिक की मात्रा ज्यादा होना पाया गया था उसके समाधान के लिए गांव में फ्लोराइड रिमुवल प्लांट लगा दिया गया था। लेकिन इंदिरा गॉधी कृषि विश्वविद्यालय द्वारा की गयी मिट्टी की जांच में हैवी मैटल पाये गये थे, जिसमें कैडमियम और क्रोमियम की भी ज्यादा मात्रा होना शामिल था, उसकी रिपोर्ट ना तो पीएचई विभाग के पास उपलब्ध है और ना ही इन हैवी मैटल से बचने के लिए कोई रोकथाम की गयी है और सरकार के इसी रवैये से जनता सरकार से असंतुष्ट हो चुकी है।
उसी का परिणाम शिविरों में भी देखने को मिला, गिने चुने मरीज ही शिविर में पहुंचे, यहां तक की स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों द्वारा घर घर जाकर मरीजों को स्वास्थ्य शिविर में जाने के लिए आग्रह किया मगर उसके बाद भी मरीजो ने कोई रुचि नही दिखाई, कारण साफ है कि मरीजो को शिविर भी अब केवल फोटोसेशन का एक हिस्सा लगने लगा है, अब तक ना जाने कितने शिविरों और आश्वासनों के बाद भी ग्रामीण वही पुरानी समस्याओं से जूझ रहे है। तीन साल में सुपेबेडा के लिए दावे तो बड़े बड़े हुए मगर गांव के हालात नहीं बदले ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि नयी सरकार सुपेबेड़ावासियों की उम्मीदों पर कितनी खरी उतरती है।





ज्योति मिश्रा
फ्रीलांस जर्नलिस्ट 
ग्वालियर (म.प्र.)
mishra231@gmail.com

स्लम प्वांइट को सेल्फी प्वाइंट बनायें-स्वामी चिदानन्द सरस्वती

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भारत के राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद जी पधारे परमार्थ निकेतन शिविर प्रयागराज  महामहिम श्री रामनाथ कोविंद जी ने ’’गांधीवाद पुनरूत्थान शिखर सम्मेलन’’ का किया उद्घाटनगाँधी फाॅर नाउ, गाँधी फाॅर यूथ, गाँधी फार ऑल गांधीवाद पुनरूत्थान शिखर सम्मेलन’’ हरिजन सेवक संघ, परमार्थ निकेतन और ग्लोबल इण्टरफेथ वाश एलायंस के संयुक्त तत्वावधान में कुम्भ मेला, प्रयागराज, में आयोजिततीन दिवसीय शिखर सम्मेलन का उद्घाटन महामहिम श्री रामनाथ कोविंद जी, श्रीमती सविता कोविंद जी, उत्तरप्रदेश के राज्यपाल श्री राम नायक जी, मुख्यमंत्री उत्तरप्रदेश श्री योगी आदित्यनाथ जी, परमाध्यक्ष परमार्थ निकेतन, स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज, आचार्य महामण्डलेश्वर जूना अखाड़ा स्वामी अवधेशानन्द गिरि जी महाराज, अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष, महंत नरेन्द्र गिरि जी महाराज, अध्यक्ष हरिजन सेवक संघ श्री शंकर सान्याल जी, जीवा की अन्तर्राष्ट्रीय महासचिव साध्वी भगवती सरस्वती जी और अन्य विशिष्ट अतिथियों ने कियायुवा प्रशिक्षण सत्र, श्रेष्ठ भारत के निर्माण में युवाओे का योगदान, गांधी जी के विचारों के साथ-साथ युवा नेचर एंड केयर हेतु यूनिसेफ, जीवा और वाटर सप्लाय एंड सेनिटेशन सहयोगात्मक परिषद द्वारा प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा हैकुम्भ, आस्था का चुम्बक - श्री रामनाथ कोविंदस्वच्छ भारत मिशन ने लोगों के जीवन में व्यापक स्तर पर परिवर्तन लाने का कार्य किया-योगी आदित्यनाथ
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प्रयागराज/ ऋषिकेश, 17 जनवरी।परमार्थ निकेतन शिविर, प्रयागराज में भारत के राष्ट्रपति महामहिम श्री रामनाथ कोविंद जी पधारे उन्होने ’’गांधीवाद पुनरूत्थान शिखर सम्मेलन’’ का दीप प्रज्जवलित कर उद्घाटन किया इस अवसर पर श्रीमती सविता कोविंद जी, उत्तरप्रदेश के राज्यपाल श्री राम नायक जी, मुख्यमंत्री उत्तरप्रदेश श्री योगी आदित्यनाथ जी, परमाध्यक्ष परमार्थ निकेतन, स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज, आचार्य महामण्डलेश्वर जूना अखाड़ा स्वामी अवधेशानन्द गिरि जी महाराज, अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरि जी महाराज, अध्यक्ष हरिजन सेवक संघ श्री शंकर सान्याल जी, जीवा की अन्तर्राष्ट्रीय महासचिव साध्वी भगवती सरस्वती जी और अन्य विशिष्ट अतिथियों ने सहभाग किया।
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स पावन अवसर पर कुमारी स्वाती जी, नगर विकास मंत्री उत्तरप्रदेश सरकार श्री सुरेश खन्ना जी, स्वास्थ्य मंत्री उत्तरप्रदेश सरकार श्री सिद्धार्थ सिंह जी, पर्यटन मंत्री उत्तरप्रदेश सरकार श्रीमती रीता जोशी बहुगुणा जी, उड्डयन मंत्री उत्तरप्रदेश सरकार श्री नन्दगोपाल नंदी जी, मेयर प्रयागराज अभिलाषा गुप्ता जी, जस्टिस श्री अरूण टण्डन जी, जस्टिस श्री गिरधर मालवीय जी एवं अनेक विशिष्ट अतिथियों ने सहभाग किया। ’’गांधीवाद पुनरूत्थान शिखर सम्मेलन’’ का शुभारम्भ एवं समापन राष्ट्र गान से हुआ। तत्पश्चात माननीय श्रीमती सविता कोविंद जी के कर कमलों से नारी शक्ति निषादराज समुदाय का सम्मान और सत्कार हुआ तथा उन्हें भेंट स्वरूप 50 महिलाओं को साड़ियाँ प्रदान की गयी। परमार्थ निकेतन शिविर में लगायी गयी ’महात्मा गांधी जी एवं कस्तुरबा गांधी जी’ के चित्रों की प्रदर्शनी का अवलोकन किया गया। स्वामी जी महाराज ने कहा कि श्रेष्ठ चित्रों से ही चरित्र का निर्माण होता है। साथ ही प्रयागराज कुम्भ मेला को प्लास्टिक मुक्त कुम्भ बनाये रखने हेतु तथा शुद्ध जल निरन्तर मिलता रहे इसलिये ’’परमार्थ पीलो मशीन’’ लगायी गयी जिसका विशिष्ट अतिथियो ने अवलोकन किया। साथ ही साबरमती आश्रम, अहमदाबाद एवं सफाई विद्यालय के तकनीकी सहयोग से परमार्थ निकेतन, जीवा ने ’’टायलेट कैफे’’ का निर्माण कराया है उसका भी अवलोकन किया गया। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने बताया कि ’’गांधीवाद पुनरूत्थान शिखर सम्मेलन’’ का आयोजन महात्मा गांधी जी की 150 वीं जन्म जयंती के अवसर पर देश में एकता, सद्भाव, समरसता, शान्ति, भाईचारा और स्वच्छता का संदेश देश के सभी व्यक्तियों तक पहुंचाने के उद्देश्य से किया गया है ताकि देश के प्रत्येक स्लम प्वाइंट को सेल्फी प्वाइंट बनाया जा सके। महामहिम राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद जी ने अपने संदेश में कहा, ’’यह मेरा सौभाग्य है कि भारत के प्रथम राष्ट्रपति डाॅ राजेन्द्र प्रसाद जी के बाद मुझे मोक्षदायनी गंगा के पावन तट पर कुम्भ मेले में आने का अवसर प्राप्त हुआ। यह एक सुखद संयोग है कि कुम्भ के आयोजन के साथ हम महात्मा गांधी जी की 150 वीं जन्म जयंती मना रहे है। कुम्भ की कल्पना मिलन की है। यह एक बहुत बड़े पैमाने पर लोगों के मिलन का महोत्सव है। कुम्भ, आस्था का चुम्बक है जो लोगों को खींच लाता। कुम्भ एक अनूठा आयोजन है और विश्व के लिये आकर्षण का केन्द्र है। उन्होने कहा कि कुम्भ में जन समुदाय ही नहीं बल्कि करोड़ोें की संख्या में साइबेरियन पक्षी भी आते है कहीं न कहीं यह हमारा और उनका एक प्रगाढ़ सम्बंध है।
  
मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी ने अपना संदेश में कहा कि ’’प्रयागराज कुम्भ में राष्ट्रपति महोदय का आगमन हम सभी को प्रसन्नता प्रदान कर रहा है। कुम्भ के अवसर पर गांधी दर्शन शिखर सम्मेलन के आयोजन हेतु स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी का अभिनन्दन करते हुये कहा कि 2 अक्टूबर 2018 से 2 अक्टूबर 2020 तक गांधी जी की 150 वीं जयंती के अवसर पर अखिल भारतीय स्तर पर और प्रदेश स्तर पर अनेक कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। कुम्भ गांधी जी की 150 वीं जयंती के कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण अभियान है। उन्होने कहा कि कुम्भ में पहली बार 1 लाख 22 हजार 500 इकोफ्रेंडली टाॅयलेट बनाकर हमने गांधी जी के स्वच्छता अभियान को आगे बढ़ाने में योगदान प्रदान किया है। स्वच्छ भारत मिशन ने लोगों के जीवन में व्यापक स्तर पर परिवर्तन लाने का कार्य किया है। गांधी जी को इससे बड़ी श्रद्धाजंलि दूसरी नहीं हो सकती जब हम उनके दर्शन को व्यवहारिक रूप में जमीन पर उतार दें। मुख्यमंत्री जी ने बताया कि हम जल को परिशोधित करके ही गंगा जी में डाल रहे है। आजादी के बाद यह पहला अवसर है जब संगम के पर्याप्त जल स्तर है। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने भावपूर्ण शब्दों में कहा, ’’आज एक ऐतिहासिक अवसर है, 1953 में भारत के राष्ट्रपति महामहिम डाॅ राजेन्द्र प्रसाद जी आये थे और आज वही ऐतिहासिक अवसर है जब हमारे महामहिम हमारे बीच है आज संगम के तट पर संगम चल कर आया है। संगम के तट से संगम का संदेश पूरे विश्व में प्रसारित होे, संगम के तट से स्वच्छता, समरसता और सद्भाव का संदेश जाये; संगम के तट से ’’मानव-मानव एक समान, सब के भीतर है भगवान’’, साथ रहे है, साथ रहेंगे, संगम का संदेश प्रसारित हो। यह सच्चा कुम्भ मन्थन है। यह अमृत ही हमारे प्यारे भारत को सफलता और समृद्धि के शिखर पर ले जायेगा। महामहिम जी ने कुम्भ से दिशा और कुम्भ को दिशा प्रदान की है और इसकी प्रेरणा हमें प्रदान की है। स्वामी जी महाराज ने स्वच्छता ही हम सभी के जीवन का अंग बने का संदेश प्रदान किया। साध्वी भगवती सरस्वती जी ने कहा, ’’महामहिम राष्ट्रपति जी स्वयं कल्चर, नेचर और फ्यूचर का एक अद्भुत संगम है। वे अपनी संस्कृति और संस्कारों के प्रति सजग और सहज है उनका यहां परिवार के साथ पधारना उनकी आध्यात्मिक जीवन शैली का उत्कृष्ट उदाहरण है।

प्रोफेसर शंकर सान्याल जी ने ’’महामहिम राष्ट्रपति महोदय जी और सभी का आभार व्यक्त करते हुये कहा कि कुम्भ के आध्यात्मिक आयोजन में महात्मा गांधी जी के विचारों को लाने के लिये स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी का बहुत आभारी हूँ। महात्मा गांधी जी प्रेम, अहिंसा और स्वच्छता के प्रतीक है उन्होने भारत वर्ष ही नहीं पूरे विश्व में स्वच्छता का संदेश दिया। तकनीक विशेषज्ञ वाटर सप्लाय एंड सेनिटेशन सहयोगात्मक परिषद के श्री विनोद मिश्रा, श्री रवि भटनागर डायरेक्टर ऑफ एक्सटर्नल अफेयर्स आर. बी., यूनिसेफ से शालिनी प्रसाद, स्वाती, पवित्रा, रंगन, अमृता, पी के बाजपेयी, निसार अहमद, वर्षा चन्दा, पीलो पानी शुद्ध फाउण्डेशन के श्री जतिन, श्री कुवंर शेखर विजेन्द्र, चांसलर शोभित विश्वविद्यालय, सुश्री कुसुम जौहरी प्रेसिंडेट हरिजन सेवक संघ उत्तरप्रदेश, सुश्री नन्दिनी त्रिपाठी प्रोग्राम डायरेक्टर, इम्पलीटेशन जीवा, परमार्थ निकेतन, स्वामिनी आदित्यनन्दा डायरेक्टर प्रोजेक्ट, पार्टनरशिप, जीवा, श्री पी मारूती प्रेसिडेंट हरिजन सेवक संघ तमिलनाडु, श्री संदीप मांझी, उपाध्यक्ष हरिजन सेवक संघ उत्तरप्रदेश, श्री रूपेश कुमार, श्री आर्यी भट्ट मोहन्त जी, सेक्रेटरी हरिजन सेवक संघ, उडिसा, श्री देवेन्द्र भाई गुजरात, श्री डेनियल शास्त्री, असम, श्री सत्यप्रकाश कुमार, बिहार, श्री रमेशचन्द्र पटेल, श्री सूर्यनाथ प्रजापति, श्री नविन सिंह, श्री संजय सिंह, डाॅ सुमित पटेल, एवं अन्य तकनीक विशेषज्ञों ने सहभाग किया।   ’’गांधीवाद पुनरूत्थान शिखर सम्मेलन’’ में भारत के विभिन्न प्रांतों यथा कर्नाटक, आन्धप्रदेश, दिल्ली, गोवा, उत्तराखण्ड, राजस्थान, बैंगलोर, हैदराबाद, दार्जीलिंग, लेह, पंजाब, पुदुचेरी, हरियाणा, पश्चिम बंगाल, बिहार, असम, उड़िसा, तमिलनाडु,  छत्तीसगढ़, गुजरात, झारखण्ड, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश एवं विश्व के विभिन्न देश यथा अमेरीका, ब्राजील, मलेशिया, साइबेरिया, आस्ट्रेलिया, सिंगापुर, मैक्सिको, अर्जेन्टीना एवं अन्य देशों के कार्यक्रम निर्माताओं ने सहभाग किया। इस आयोजन में भारत के लगभग 17 राज्यों से 350 से अधिक हरिजन सेवक संघ के कार्यकर्ताओं ने भाग लिया।

बेगूसराय : 3 साल बाद कन्हैया कुमार पर चार्ज शीट राजनीति हथकंडा

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अरुण कुमार (बेगूसराय) स्थानीय जिला कार्यालय में :-ए०आई०एस०एफ० के सदस्यों ने मनाया प्रतिरोध दिवस सह रोहित वेमुला डे।अपने संबोधन में आमीन हमजा,सजग सिंह आदि ने कहा कि चुनाव के ठीक पहले दिल्ली पुलिस के द्वारा मोदी सरकार के दबाव में कन्हैया के खिलाफ जो फर्जी चार्जशीट दायर किया गया यह चार्जशीट नहीं बल्कि सरकार की सुनियोजित एक शगुफा है, जिससे कि देश की जनता के जो मूलभूत सवाल है, पिछले चुनाव से पहले मोदी जी द्वारा किए गए वादे पूरा नहीं होने पर जनता के आक्रोश और अपनी नाकामी के मुद्दों से भटकाने के लिए एक राजनीतिक हथकंडा है। उपर्युक्त बातें अपने *राष्ट्रव्यापी प्रतिरोध दिवस* सह *रोहित वेमुला डे* के मौके पर अपने जिला कार्यालय में रोहित वेमुला के चित्र पर माल्यार्पण करने के बाद प्रतिरोध सभा को संबोधित करते हुए ए०आई०एस०एफ० के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य आमीन हमजा ने कहीं। उन्होंने कहा कि 2016 में रोहित वेमुला की संस्थानिक हत्या से देश की उबाल को भटकाने के लिए सरकार ने कन्हैया को झूठे मुकदमों में फंसाया। रोहित वेमुला इस देश के अंदर एक विचार है, जो देश के संविधान और न्यायिक प्रक्रिया पर भरोसा रखते हैं उनके लिये  इसे भुलाया नहीं जा सकता है।

अपने अध्यक्षीय भाषण में जिला अध्यक्ष सजग सिंह ने कहा कि कन्हैया पर फर्जी चार्जशीट तीन साल में दायर करने का मतलब है कि दिल्ली पुलिस सरकार के इशारे पर देश को देशभक्त बनाम देश द्रोही के नाम पर बांटने की कोशिश कर रहा है। कन्हैया ही नहीं बल्कि ए०आई०एस०एफ० का कोई भी सदस्य देश विरोधी जैसी कोई कार्यशैली नहीं कर सकता, क्योंकि हमारा संगठन 23 साल की उम्र में हंसते हुए फांसी पर झूल जाने वाले सरदार भगत सिंह के विचारों और आदर्शों पर चलने वाला है। रोहित वेमुला ने आत्महत्या नहीं किया बल्कि सरकार के इशारे पर सरकार का छात्र संगठन ए०बी०वी०पी० ने उसे आत्महत्या करने पर मजबूर किया। हमारा संगठन रोहित वेमुला डे के मौके पर यह संकल्प लेता है कि इस देश की न्यायिक प्रक्रिया और संविधान को बचाने की लड़ाई हमेशा लड़ेगा। जिला मंत्री किशोर कुमार एवं उपाध्यक्ष शमा परवीन ने कहा कि रोहित वेमुला बाबासाहेब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के विचारों आदर्शों पर चल कर संविधान को बचाने के लिए लड़ाई शुरू किया था। एक साजिश के तहत सरकार के इशारे पर हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी प्रशासन द्वारा उसका सब कुछ रोका एवं एबीवीपी द्वारा लगातार उसे प्रताड़ित किया गया, उनके विचारों को भुलाया नहीं जा सकता। हमारा संगठन संविधान को बचाने के लिए अपनी लड़ाई जारी रखेगा। जिला उपाध्यक्ष शंभू देवा, राज्य परिषद सदस्य राकेश कुमार, महिला कॉलेज छात्रसंघ अध्यक्ष आकांक्षा भारद्वाज, सचिव सोनी कुमारी, संयुक्त सचिव काजल कुमारी ने भी आक्रोश व्यक्त करते हुए मोदी सरकार को महिला एवं छात्रा विरोधी बताया। ज्ञात हो कि ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन ने अपने राष्ट्रव्यापी प्रतिरोध दिवस रोहित वेमुला डे के मौके पर पूर्व नियोजित कार्यक्रम के तहत पटेल चौक स्थित जिला कार्यालय में रोहित वेमुला के तैल्य चित्र पर माल्यार्पण करते हुए प्रतिरोध सभा के रूप में मनाया। प्रतिरोध सभा के मौके पर विवेक कुमार, आरती कुमारी, तायबा प्रवीण, राजेश कुमार, नाजनी परवीन, तरन्नुम परवीन, बेगूसराय अंचल अध्यक्ष पिंटू कुमार, मोहम्मद अमान,आजाद कुमार,देवेंदू कुमार, राहुल कुमार, कुंदन कुमार, इत्यादि सभी अधिकारी और सदस्यगण इस सभा में उपस्थित थे।

झाबुआ (मध्यप्रदेश) की खबर 18 जनवरी

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कर्जमाफी की तो प्रदेष में शुरूआत है झाबुआ अलिराजपुर विकास में मै कटिबद्ध रहुगा- प्रभारी मंत्री श्री बघेल
कांग्रेस की विषाल आभार सभा का हुआ आयोजन
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झाबुआ । जिला कांग्रेस कमेटी का झाबुआ द्वारा गुरूवार को स्थानिय उत्कृष्ट मैदान पर प्रभारी मंत्री सुरेन्द्र सिंह बघेल( हनी ) के प्रभारी मंत्री के रूप में प्रथम बार नगर आगमन पर विधायक वालसिंह मेडा, वीरसिंह भूरिया , सुश्री कलावती भूरिया के विधायक निर्वाचित होने के पश्चात् विशाल आभार सभा का आयोजन किया गया। सभा में मुख्य अतिथि के रूप में प्रभारी मंत्री हनी बघेल तथा कार्यक्रम की अध्यक्षता सांसद कांतिलाल भूरिया ने की। इस अवसर पर अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिव एवं प्रदेश कांग्रेस सहप्रभारी संजय कपूर विशेष रूप से उपस्थित रहे। सर्वप्रथम कांग्रेस कार्यकत्र्ता एवं पदाधिकारीगणो ने स्थानीय बस स्टैण्ड पर एकत्रित होकर नगर में मुख्य मार्ग होते हुए विशाल रैली का आयोजन कर उत्कृष्ट मैदान पहुचे। नगर में जगह जगह पर रैली का पुष्पवर्षा कर एवं अतिथियो का पुष्पहारो से भव्य स्वागत किया गया। सभा स्थल पर अपने प्रभावी संबोधन में प्रभारी मंत्री सुरेन्द्र सिंह बघेल ने कहा कि मप्र में सत्ता परिवर्तन के साथ ही मुख्यमंत्री कमलनाथ के नेतृत्व में आमूलचुल बदलाव हुआ है। वही झाबुआ जिले में भी आपको बदलाव एवं परिवर्तन दिखाई देगा। उन्होने कहा कि देश में राहुल गांधी के नेतृत्व में बदलाव की बयार चल पडी है। मप्र में कांग्रेस की सरकार बनने के साथ ही उन्होने युवा विधायको को मंत्री बनाकर जिम्मेवारिया सौपी है। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी कहा है कि प्रदेश में अब जनता की सरकार है तथा आपको लेकर ही सर्वागिण विकास होगा। प्रभारी मंत्री ने कहा कि झााबुआ जिले के संदर्भ में जब चर्चा होती हे तब जिला प्रदेश एवं दिल्ली में जब जब कांग्रेस की सरकारे रही आपके व गा्रम के विकास के बारे में हमेशा सोचा गया है। स्वर्गीय इंदिरा जी ने कहा था कि मै जब तक जीवित हूॅ आपकी सेवा करती रहूगी ओर मेरे खून का एक एक कतरा आपके विकास के काम में सलग्न रहेगा। स्वर्गीय राजीव गांधी ने भी जनप्रतिनिधियो के सम्मान के साथ ही जिला पंचायत, जनपद पंचायत एवं ग्राम पंचायत में जनप्रतिनिधियो को सम्मान मिले इसके लिये त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था लागू की थी। ओर देश मे सबसे पहले मप्र में पंचायती राज लागू किया गया था। जिससे लोगो के काम सहजता से हो रहे थे। पिछले 15 सालो में प्रदेश ने भाजपा की सरकार ने आकर त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था के अधिकारो को छिन लिया ओर आज स्थिती यह है कि पंचायती राज केवल दिखावा मात्र रह गया है। उन्होने विश्वास दिलाया कि अब हमारी कांग्रेस सरकार आने पर पंचायतो ,जनपदो एवं जिला पंचायतो को मजबूत किया जाऐगा सभी को अधिकार दिये जायेगे तथा महिलाओ के लिये भी विशेष अधिकार लागू होगे। श्री हनी ने कहा कि हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी जब मंदसौर आये थे तथा पूरे प्रदेश के किसान वहा एकत्रित हुए थे। तो उन्होने आव्हान किया था कि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार लाईये 10 दिन के अंदर किसानो का सभी कर्जा माफ होगां ओर कांग्रेस जो कहती है कि तर्ज पर कमलनाथ  ने मुख्यमंत्री पद ग्रहण करने के कुछ ही घंटो में सबसे पहले किसानो का कर्जा माफ करने का काम कर अपना पहला वादा पुरा किया। 15 जनवरी से पूरे प्रदेश ने मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कर्ज माफी के निर्देशो का क्रियान्वन प्रारंभ करवा दिया हैं। गांव गांव में कोई भी किसान बाकी नही रहेगा जिसका कर्जा माफ ना हो इसके लिये पंचायत सचिवो एवं रोजगार सहायको को जिम्मेवारी सौंपी है कि कोई भी किसान कर्ज माफी से वंछित नही रहे। यदि कोई किसान छुट गया तो उसकी पुरी जवाबदारी जिम्मेवारो की रहेगी। बिजली मुद्दे पर बोलते हुए उन्होने कहा कि मुख्यमंत्री कमलनाथ ने जो जो गा्रम एवं फलिये बिजली से वंछित है वहा सिंगल फेस कनेक्शन हर फलिया मे देना विद्युत मंडल की जिम्मेवारी है। यदि डीपी आदि जल जाती है तो उसे तुरंत ठीक करवाना है। ओर इसके परिवहन की भी व्यवस्था भी सरकारी तौर पर की जायेगी। यदि कोई इसके लिये पैसा लेता है तो विधायको एवं जनप्रतिनिधियो को इसकी सुचना देवे ताकि त्वरित कार्यवाही हो सके। प्रभारी मंत्री ने सांसल कांतिलाल भूरिया की प्रशंसा करते हुए कहा कि आप सभी बधाई के पात्र है जिन्होने सांसद के उपचुनाव में कांतिलाल भूरिया पर ऐसे समय में विश्वास व्यक्त किया जब पुरा देश अलग ही रंग मे ंरंगाा था। उस समय भूरियाजी संसद में जीत कर गये ओर उस समय से वे आपके अधिकारो के लिये सतत् आवाज उठाते रहे है। कांतिलाल भूरिया के नेतृत्व में ही जिले का विकास हुआ है ओर उन्हे एक बार फिर सांसद बनाना है। लोकसभा चुनाव आने वाले है। किसी की चिकनी चुपडी बातो में ना आकर कांग्रेस को अपना समर्थन देना है। विधानसभा चुनाव में विधानसभा सीट पर हारने के बाद भी डाॅ विका्रंत भूरिया एक सच्चे सेवक के रूप में पाॅच साल तक आपकी सेवा करते रहेगे। डाॅ विका्रंत भूरिया मेरे छोटे भाई के समान हैं ओर बडे भाई होने के नाते मेै झाबुआ विधानसभा को गांेद लेने की बात करता हॅू। मुझे विश्वास है कि डाॅ विक्रंात भूरिया आपके सुख दुख में हमेशा आपके साथी रहेगे। श्री हनी बघेल चुटकी लेते हुए कहा कि पहले भाजपा के प्रभारी मंत्री विगत 6 माह में एक या दो बार ही झाबुआ आते थे तथा उन्हे केवल अपने काम से मतलब था जनता की परेशानियो से कोई मतलब नही था। आप को मेरी जब भी आवश्यकता होगी मुझे याद करना मै सिर्फ 1 घंटे में ही आपके पास पहुच जाउगा। कांग्रेस का एक ही नारा है आप सबका विकास । जिस तरह आपने कांग्रेस पार्टी पर विश्वास कर मप्र में कांग्रेस की सरकार बनाई है उसी तरह आने वाले लोकसभा चुनाव में भी केन्द्र सरकार में भी जो फेंकु के नेतृत्व में चल रही है उसे उखाड फेंके तथा जो विकास की गंगा केन्द्र ओर राज्य सरकार में उसे पुनः बनाने मे आप लोग आज से ही जूट जाये। सांसद कांतिलाल भूरिया ने कहा कि अखिल भारतीय कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष राहुल गांधी जब झाबुआ आये थे तो उन्होने आपसे जो वादे किये थे उन्हे पुरा करने के लिये राज्य सरकार संकल्पित है। श्री भूरिया ने आगे कहा कि हमे लोकसभा चुनाव में जितकर कांग्रेस पार्टी को भारी मतो से जीतकर राहुल गांधी को देश का प्रधानमंत्री बनाना है। तथा उनके नेतृत्व में देश में एक नया बदलाव का रास्ता बनाना है। प्रदेश कांग्रेस अखिल भारतीय राष्ट्रीय कमेटी के सचिव एवं प्रदेश कांग्रस सहप्रभारी संजय कपूर ने कहा कि पिछले लोकसभा उप चुनाव ओर तथा विधानसभा के चुनाव में संसदीय क्षेत्र. में कांग्रेस के आम कार्यकर्ताओ ने जो भागीदारी दर्शाकर कांग्रेस को सशक्त मंच दिया है ओर आज प्रदेश में काग्रेस सत्ता में काबिज है उसके लिये क्षेत्र के किसानो , जनसामान्य तथा सभी धर्म वर्ग के लोग साधुवाद के पात्र है। कांग्रेस विकास के क्षेत्र में आम जनताओ को सुविधाएं मुहैया करवाने के लिये ढृढ संकल्प है। इस अवसर पर विधायक सुश्री कलावती भ्ूारिया जोबट, थांदला विधायक वीरसिंह भूरिया, पेटलावद विधायक वालसिंह भूरिया युवा नेता डाॅ. विका्रंत भूरिया एवं पूर्व जिला कांग्रेस अध्यक्ष सुरेशचन्द्र जैन (पप्पू सैठ) ने भी अपने विचाार रखकर क्षेत्रिय विचाारो से प्रभारी मं.त्री को अवगत कराया। स्वागत भाषण श्री रांका ने दिया। कार्यक्रम का संचालन जिला अध्यक्ष निर्मल मेहता एवं जिला प्रवक्ता आचार्य नामदेव ने किया। आभार प्रदर्शन हेमचंद डामोर ने व्यक्त किया। इस अवसर पर वरिष्ठ कांग्रेस नेता रमेश डोशी, हनुमंत सिंह डाबडी, चंदू पडियार, रूपसिंह डामोर, श्रीमती मन्नूबेन डोडियार, श्रीमती रोशनी डोडियार, विजय पांडे, कांग्रेस पदाधिकारी आशीष भूरिया,गेंदाल डामोर, कैलाश डामोर, गुरू प्रसाद अरोरा, नरेन्द्र सलोनिया, सुरेश मुथा, प्रवक्ता हर्ष भट्ट, साबिर फिटवेल, भूरसिंह, राजेश भट्ट, नंदलाल मेड, कलावती मेडा, विनय भाबर, विजय भाबर, बंटू अग्निहोत्री, गौरव सक्सेना, शंकर सिंह भूरिया, कालूसिह नलवाया, पारंिसह डिंडोर, फतेंिसंह , मन्नालाल गामड, सलेल पठान, कमलेश पटेल, निलेश कटारा, आनंदी पडियार, पार्षद रशिद कुरैशी, हेमेन्द्र कटारा, पूर्व पार्षद सायरा बानो, गोपाल शर्मा , दिव्येश अमलीयार, प्रशंात बामनिया, युवा कांग्रेस मनीष बघेल आदि उपस्थित थे।

बंटू अग्निहोत्री को ब्लाॅक कांग्रेस कमेटी का कार्यवाहक नियुक्त किया।

झाबुआ। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के निदेशानुसार एवं क्षे.ित्रय सांसद की सहमति पर जिला कांग्रेस अध्यक्ष निर्मल मेहता ने देवेन्द्र प्रसाद अग्निहोत्री को ब्लाॅक कांग्रेस कमेटी का कार्यवाहक नियुक्त किया गया। आज मंच पर कांग्रेस प्रभारी एंव राष्ट्रीय सचिव संजय कपूर ने आज बंटू अग्निहोत्री को नियुक्ति पत्र सौंपा।

मीजल्स, खसरा एवं रूबेला मिशन अंतर्गत स्कूली छात्र-छात्राओं को लगाएं गएं टीके

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झाबुआ। जिले में शासन द्वारा चलाए जा रहे मीजल्स, खसरा एवं रूबेला अभियान को निरंतर पूरे मप्र में तेजी से चलाया जा रहा है। इसी क्रम में कन्या प्राथमिक विद्यालय झकनावदा सहित अन्य शालाओं में भी मीजल्स खसरा एवं रूबेला टीकाकरण का कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें 9 माह से 15 वर्ष तक के बालक-बालिकाओं को टीका लगाया गया। इसके साथ ही समस्त छात्र-छात्राओं को टीकाकरण का कार्ड भी प्रदान किया गया। इस अवसर पर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र झकनावदा के डॉ. एमएल चोपड़ा, एएनएम चंपा निनामा, मीना सिंगार, आशा कार्यकर्ता मीना भूरिया, अध्यापिका पुष्पा भूरिया, रंजना बर्फा, सुनीता वास्केल आदि उपस्थित थी।

ग्राम पंचायत कंजावनी में आनंद उत्सव आयोजित, 28 जनवरी तक होगा ’आनन्द उत्सव’ का आयोजन    

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झाबुआ । राज्य शासन के निर्देशानुसार आनन्द विभाग द्वारा प्रत्येक जिले में 14 से 28 जनवरी तक ’’आनन्द उत्सव-2019’’ का आयोजन किया जा रहा है। इस दौरान विभिन्न स्तरों पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे है। इसी तारतम्य में जिले के राणापुर ब्लाॅक के ग्राम कंजावनी में आनंद उत्सव आयोजित किया गया। इसके तहत लंबी दौड़, रस्साकसी, कबड्डी तथा स्थानीय खेल आयोजित किये गये। कार्यक्रम आयोजन के बाद सहभोज का आयोजन भी किया गया। आनन्द उत्सव-2019 के तहत 14 जनवरी से 21 जनवरी तक ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों मे कार्यक्रम होंगे। विकासखण्ड स्तर पर 22 से 24 जनवरी और जिलास्तर पर 25 से 28 जनवरी 2019 तक विविध कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे।

ग्राम बेडवा मे किसानों को वितरित किये फसल ऋण माफी के आवेदन पत्र
       
झाबुआ । मध्यप्रदेश शासन द्वारा जारी जय किसान फसल ऋण माफी योजना अंतर्गत ग्राम बेडवा मे किसानो को फसल ऋण माफी आवेदन पत्र वितरित किये गये। इस अवसर पर किसान एवं नागरिक उपस्थित थे।

स्वरोजगार एवं फसल ऋण माफी योजना के संबंध मे बैंकर्स मीटिंग संपन्न 
       
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झाबुआ । जिलेे के पेटलावद ब्लाक मे स्वरोजगार एवं जय किसान फसल ऋण माफी योजना के संबंध मे बैंकर्स एवं प्रशासनिक अधिकारियो की बैठक संपन्न हुई एवं अधिकारियो को आवश्यक निर्देश दिये गये। बैठक मे एसडीएम पेटलावद श्री हर्षल पंचोली, एलडीएम श्री नरेंद्र गोठवाल, महाप्रबंधक उद्योग श्री इश्किया सहित ब्लाॅक स्तरीय अधिकारी उपस्थित थे। बैठक मे अधिकारियो को पावर पाईंट के माध्यम से ऋण माफी योजना की विस्तृत जानकारी दी गई। बैठक मे एसडीएम श्री पंचोली ने बैंकर्स को कहा कि आरआरसी वसूली संबंधी जानकारी हमे उपलब्ध करवा दे, ताकि संबंधित तहसीलदार से वसूली का कार्य त्वरित गति से करवाया जा सके। बैठक मे बैंकवार स्वरोजगार के लिये स्वीकृत प्रकरणो की समीक्षा की गई एवं ऋण स्वीकृत करने हेतु बैंकर्स को समय सीमा दी गई। 

जिले मे फसल ऋण माफी योजना के 4639 हरे सफेद एवं गुलाबी आवेदन पत्र भरे गये
        
झाबुआ । जय किसान फसल ऋण माफी योजना के जिले मे दिनंाक 15 एवं 16 जनवरी 2019 को भरे गये हरे सफेद एवं गुलाबी आवेदन पत्रो की जानकारी निर्धारित प्रपत्र के अनुसार प्रस्तुत की गई है। जिसके अनुसार झाबुआ जिले मे भरे हरे आवेदन पत्रो की संख्या 4349, भरे सफेद आवेदन पत्रो की संख्या 270, भरे गुलाबी आवेदन पत्रो की संख्या 20 एवं कुल भरे आवेदन पत्रो की संख्या 4639 है।

फसल ऋण माफी योजना के संबंध मे कलेक्टर श्री सिपाहा ने करडावद के किसानो से की चर्चा
      
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झाबुआ । जय किसान फसल ऋण माफी योजना के संबंध मे कलेक्टर श्री प्रबल सिपाहा ने झाबुआ ब्लाक के ग्राम करडावद पहुंचकर किसानो से चर्चा की। उन्होने चर्चा के दौरान किसानो को बताया कि आपको कर्ज माफी की राशि मिलने के बाद भी यदि आप किसी कारण से असहमत हो तो आप दावे अथवा अपत्ति दर्ज करा सकते है। इन सब के बारे मे और भी लोगो को बताये। उन्होने किसानो से कहा कि आपके पास अभी पर्याप्त समय है, इसलिये बिल्कुल घबराये नही। कलेक्टर श्री सिपाहा ने संबंधित अधिकारियो को भी किसानो को योजना की विस्तृत जानकारी देने के लिये निर्देशित किया।

जिले मे मिजल्स रूबेला टीकाकरण अभियान के तहत बच्चो का टीकाकरण सतत जारी

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झाबुआ ।मिजल्स रूबेला टीकाकरण अभियान के तहत झाबुआ जिले में अभियान 15 जनवरी से चलाया जा रहा है। जिले के अन्य स्कूलो के साथ ही आज सेंट एरनाल्ड स्कूल मेघनगर एवं केशव इंटरनेशनल स्कूल बच्चो को टीकाकृत किया गया। खसरा रूबेला रक्षक अभियान अंतर्गत पूरे जिले में 9 माह से 15 वर्ष तक के सभी बच्चों को टीकाकृत किया जा रहा है। सुक्ष्मकार्ययोजना के अनुसार सभी शासकीय व अशासकीय स्कूलों में अध्ययनरत कक्षा नसर्री से कक्षा 10 वी तक के बच्चों को दाहिनी बाजू में चमडी के भीतर दर्दरहित एवं सुरक्षित टीका प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मचारियों के माध्यम से समस्त स्कूलों में लगाया जा रहा है। अपर कलेक्टर श्री एसपीएस चैहान एवं डिप्टी कलेक्टर श्रीमती प्रीति संघवी ने भी ग्राम आमलीपठार मे विद्यालय मे पहंुचकर निरीक्षण किया एवं बच्चो से चर्चा की।

जल अभाव को देखते हुए नलकूप खनन पर कलेक्टर ने लगाया प्रतिबंध
उल्लंघन करने पर 2 वर्ष के कारावास एवं 2 हजार रूपये लगेगा अर्थदंडजिले मे भूमिगत जलस्तर मे कमी एवं आगामी ग्रीष्म ऋतु और अधिकपेयजल की कमी को दृष्टिगत रखते जिला जल अभाव ग्रस्त घोषित
झाबुआ । जिले मे भूमिगत जलस्तर मे लगातार कमी होने एवं आगामी ग्रीष्म ऋतु और अधिक पेयजल की कमी व लोकहित को दृष्टिगत रखते हुए म.प्र. पेयजल परीरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 3 के तहत संपूर्ण झाबुआ जिले को कलेक्टर श्री प्रबल सिपाहा द्वारा जल अभाव ग्रस्त घोषित किया गया है। उक्त अधिनियम की धारा 6 के अंतर्गत नलकूप खनन को प्रतिबंधित किया गया है। यह आदेश जून 2019 तक अथवा वर्षा मे विलंब हुआ तो वर्षा प्रारंभ होने तक लागू रहेगा। जल अभाव ग्रस्त क्षेत्र घोषित होने के कारण जिले के समस्त सार्वजनिक पेयजल स्त्रोतो से कोई भी व्यक्ति सिंचाई, औद्योगिक प्रयोजन, किसी अन्य प्रयोजन के लिये जल का उपयोग बिना अनुमति करने, नलकूप खनन एवं निजी नल कनेक्शन का कार्य बिना अनुमति करने पर प्रतिबंध रहेगा। विशेष परिस्थितियो मे निजी नलकूप खनन एवं निजी नल कनेक्शन की विधिवत अनुमति हेतु आवेदन पत्र संबंधित अनुविभागीय अधिकारी को को निर्धारित प्रारूप मे (मय चालान फीस 50 रूपये बैंक मे जमा कर) प्रस्तुत करना होगे, जो पेयजल परीरक्षण अधिनियम 1986 मे अंकित शर्तो के अधीन परीक्षण पश्चात अनुमति दे सकेगा। किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग अंतर्गत संचालित राज्य पोषित नलकूप योजनांतर्गत खनित किये जाने वाले नलकूप उक्त प्रतिबंध से मुक्त रहेंगे। उपरोक्तानुसार आदेश का उल्लंघन करने पर उल्लंघनकर्ता को 02 वर्ष का कारावास या 2 हजार रूपये के अर्थदंड या दोनो से दंडनीय होगा।

तहसीलदार के अमले ने हटाया अतिक्रमण
       
झाबुआ ।जिले के ग्राम गेहलरबडी मे गेल कंपनी के कम्प्रेसर स्टेशन मेन रोड झाबुआ दाहोद मार्ग पर तहसीलदार के अमले ने धूमा पिता मोती द्वारा किये गये अतिक्रमण को तत्काल हटाया गया।

मतदाता सूची में नाम जुड़वाने संबंधी कार्य हेतु सेक्टर अधिकारियो की बैठक संपन्न
 
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झाबुआ ।भारत निर्वाचन आयोग ने आगामी वर्ष में सम्पन्न होने वाले लोकसभा चुनाव के लिये फोटो निर्वाचक नामावली के पुनरीक्षण का कार्य प्रारम्भ कर दिया है। लोकसभा निर्वाचन के लिये 1 जनवरी 2019 को 18 वर्ष की आयु पूर्ण करने वाले सभी पात्र नागरिकों का नाम निर्वाचक नामावली में शामिल किया जायेगा। मतदाता सूची के पुनरीक्षण कार्य के निरीक्षण हेतु कलेक्टर कार्यालय के सभाकक्ष मे सेक्टर आॅफिसर की बैठक उप जिला निर्वाचन अधिकारी श्री के सी परते ने ली। बैठक मे डिप्टी कलेक्टर श्री पराग जैन, मास्टर ट्रेनर श्री हरीश कुंडल एवं श्री लोकेंद्र चैहान सहित एसडीएम एवं सेक्टर अधिकारी उपस्थित थे। मतदाताओ के नाम निर्वाचन नामावली में जोडने की प्रक्रिया के संबंध मे सेक्टर आॅफिसर को आवश्यक जानकारी एवं प्रशिक्षण दिया गया। बैठक मे मास्टर ट्रेनर द्वारा सेक्टर आॅफिसर को बताया गया कि जिले के सभी मतदान केन्द्रों पर 25 जनवरी तक बीएलओ द्वारा मतदाता सूची के संबंध में दावे आपत्ति प्राप्त किये जा रहे है एवं नाम जोडने की कार्यवाही की जा रही है। साथ ही 01 जनवरी को 18 वर्ष की आयु पूर्ण करने वाले सभी युवाओं से अपील की है कि वे अपने नाम मतदाता सूची में जुड़वाने के लिए जन्म प्रमाण पत्र, पासपोर्ट आकार के फोटो सहित अपने निकटतम मतदान केन्द्र जाकर बीएलओ से सम्पर्क करे, ताकि उनके नाम मतदाता सूची में जोड़े जा सके और वे लोकसभा निर्वाचन के लिए अपने मताधिकार का उपयोग कर सके।

शासन की मदद से संजय सुनने लगा, जल्द बोलने भी लगेगा, निःशुल्क हुई संजय की कोकलियर इम्पलांट सर्जरी

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झाबुआ । जिले के रामा विकासखंड के ग्राम ढोचका निवासी संजय पिता राघू उम्र 5 वर्ष जन्म से ही सुन नही सकता था। संजय सुन नही पाता था, इसलिये बोलना भी नही सीख सका। आर्थिक तंगी के चलते पिता राघू इलाज के भारी खर्च के कारण अपने बेटे का इलाज कराने में सक्षम नहीं थे। इस दौरान राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम की रामा टीम के चिकित्सक डाॅ अल्केश मालवीय द्वारा संजय को चिन्हित किया गया एवं संजय के माता पिता को निःशुल्क कोकलियर इम्पलांट सर्जरी की समझाईश दी गई। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने संजय के माता-पिता को निःशुल्क उपचार की विस्तृत जानकारी दी एवं बताया कि सर्जरी के बाद संजय के बोलने और सुनने की क्षमता लौट आएगी। इंदौर के निजी अस्पताल में संजय का सफल निःशुल्क ऑपरेशन किया गया। कोकलियर इम्पलांट सर्जरी के उपरांत अब संजय सुन सकता है। अब वह इंदौर के निजी चिकित्सालय मे स्पीप थेरेपी के सेशंस ले रहा है। जल्द ही वह बोलना भी प्रारंभ कर देगा। संजय के पिता ने बताया कि पहले उन्हें लगता था कि उनका बेटा कभी सुन-बोल नही पायेगा। सर्जरी के बाद वह बेटे के लिए अपने आप में एक नया आत्मविश्वास महसूस करते हैं। संजय के माता पिता ने स्वास्थ्य विभाग द्वारा कराई गई निःशुल्क कोकलियर इम्पलांट सर्जरी एवं इस योजना का लाभ प्राप्त करने से संजय के सुनने लग जाने पर शासन का आभार व्यक्त किया हैं।  

जय किसान फसल ऋण माफी योजना मे ऋण चुका चुके किसानो को भी लाभांवित करे-प्रभारी मंत्री
जिले के भ्रमण पर आये प्रभारी मंत्री श्री बघेल ने विभागीय योजनाओ की समीक्षा की
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झाबुआ । जिले के भ्रमण पर आये जिले के प्रभारी मंत्री एवं मंत्री नर्मदा घाटी विकास एवं पर्यटन विभाग मध्यप्रदेश शासन श्री सुरेंद्र सिंह बघेल ने कलेक्टर कार्यालय के सभाकक्ष मे आयोजित विभागीय अधिकारियो की समीक्षा बैठक मे शासन द्वारा संचालित योजनाओ की समीक्षा की एवं आवश्यक निर्देश दिये। बैठक की अध्यक्षता प्रभारी मंत्री श्री बघेल ने की। बैठक मे सांसद श्री कांतिलाल भूरिया, विधायक थांदला श्री वीरसिंह भूरिया, विधायक पेटलावद श्री वालसिंह मेडा, विधायक जोबट सुश्री कलावती भूरिया, नगर पालिका अध्यक्ष श्रीमती मन्नू डोडियार, कलेक्टर श्री प्रबल सिपाहा, पुलिस अधीक्षक श्री विनीत जैन, डीएफओ श्री शुक्ला, सीईओ जिला पंचायत श्रीमती जमुना भिडे सहित जनप्रतिनिधि एवं विभागीय अधिकारी उपस्थित थे। बैठक मे प्रभारी मंत्री श्री बघेल ने ऋणमाफी योजना की समीक्षा के दौरान उप संचालक कृषि को निर्देशित किया कि योजना मे 31 मार्च 2018 की स्थिति मे किसानो को नियमित फसल ऋण की बकाया राशि एवं 31 मार्च 2018 की स्थिति मे रेगूलर आउटस्टैंण्डिंग लोन तथा 12 दिसंबर 2018 तक पूर्णतः तथा आंशिक रूप से पटा दिया है, ऐसे किसानो को भी योजना का लाभ दिया जाये। ऐसे किसान जो फार्म भरने मे सक्षम नही है उनके फार्म भरने के लिये शासकीय सेवको को दायित्व सौंपा जाये। प्रतिदिन प्रगति की समीक्षा की जाये एवं जो समस्या आये उन्हे तत्काल निराकृत किया जाये। लोनी कृषक की मौत हो जाने की स्थिति मे भी वैध वारिस को योजना का लाभ दिया जाये। बैठक मे प्रभारी मंत्री श्री बघेल ने निर्देश दिये कि किसान ऋण माफी योजना के लिये जिले मे आधार कार्ड बनाने एवं संशोधन करने के लिये तय दर से अधिक राशि संचालक द्वारा ली जाये तो उसके विरूद्ध कार्यवाही करे। प्रभारी मंत्री श्री बघेल ने बैठक मे निर्देश दिये कि योजना का ग्राम स्तर तक व्यापक प्रचार-प्रसार करवाये। लाउडस्पीकर से योजना की जानकारी के संबंध मे एनाउंस करवाये। ऐसे सार्वजनिक स्थल जहंा पर लोगो का जाना आना अधिक रहता है, वहां पर फ्लेक्स/पेम्पलेट्स लगवाये। बैनर एवं फ्लेक्स पर योजनाओ की जानकारी के साथ संबंधित अधिकारियो की जानकारी भी प्रदर्शित रहे। पात्र सभी किसानो का कर्जा माफ हो यह सुनिश्चित करे। कलेक्टर श्री प्रबल सिपाहा ने भी सभी जनप्रतिनिधियो से अनुरोध किया कि वे भी योजना के क्रियान्वयन मे सहयोग करे एवं किसानो को पात्रता अनुसार ऋणमाफी का लाभ दिलवाये। क्रियान्वयन मे कोई कमी हो, तो वह भी बताये, ताकि समय पर सुधार किया जा सके। बैठक मे जय किसान फसल ऋण माफी योजना एवं अन्य विभागीय अधिकारियो ने विभागीय योजनाओ की जानकारी पावर र्पाइंट के माध्यम से दी।

फसल ऋण माफी के लिये हेल्प लाईन नंबर जारी
जय किसान फसल ऋण माफी योजना के संबंध मे जिले मे हेल्पलाईन नंबर जारी किया गया है। हेल्पलाइन नंबर 07392-243419 पर प्रभारी मंत्री श्री बघेल ने काॅल करवाकर चेक किया। काॅल सेंटर पर काॅल रिसीव हुआ एवं संबंधित शासकीय सेवक से चर्चा हुई। काॅल सेंटर एक्टिवेट होने पर प्रशंसा जाहिर की एवं काॅल सेंटर की सेवाएं 1-2 दिन मे सुचारू करने हेतु उप संचालक कृषि को निर्देश दिये। इस बार कम वर्षा को देखते हुए जहां भी बोरिंग, पंप, पाइप की आवश्यकता हो, उसके लिये मांग लिखित मे देने के लिये ईईपीएचई को निर्देश दिये। डिमांड भेजने से पहले संबंधित क्षेत्र के विधायक से चर्चा करने हेतु निर्देश दिये तथा जहां भी हेंडपंप लगे है या नही, वहां की लिस्ट बताने के लिये ईईपीचई को निर्देशित किया। देवझिरी से झाबुआ तक मार्ग का निर्माण कार्य लेकर पूरा नही करने वाले ठेकेदार को ब्लेक लिस्ट करने के निर्देश ईईपीडब्ल्यूडी को दिये। निर्माण एजेंसियां पीआईयू, पीडब्ल्यूडी, पीएम सडक संबंधित विधायक के साथ समन्वय कर के निर्माण कार्य करवाये। झाबुआ महाविद्यालय के खेल मैदान का कार्य जल्द से जल्द पूर्ण करवाये। सहायक आयुक्त आदिवासी विकास को निर्देश दिये कि जिले मे संचालित छात्रावास/आश्रमो के अधीक्षको की सूची उपलब्ध करवाये। फूड विभाग की समीक्षा के दौरान खाद्यान्न पर्ची वितरण के संबंध मे फूड अधिकारी एवं सीएमओ नगरीय निकाय को निर्देश दिये कि कोई भी परेशानी हो, तो तुरंत कलेक्टर एवं संबंधित विभागीय अधिकारियो को बताएं। जिला आपूर्ति अधिकारी को निर्देश दिये कि जिले की हर दुकान पर उसके खुलने का दिन एवं समय स्पष्ट अंकित करवाया जाये और नई दुकाने आवंटन की प्रक्रिया के समय क्षेत्र के विधायक से समन्वय अवश्य करे। मध्यान्ह भोजन योजना की समीक्षा के दौरान स्कूलो मे बच्चो को मीनू अनुसार नियमित भोजन की उपलब्धता सुनिश्चित करे। जो समूह नियमानुसार नियमित भोजन उपलब्ध नही करवा रहे है, उन्हे तत्काल बदलने हेतु सीईओ जिला पंचायत को निर्देश दिये। स्वास्थ्य विभाग की समीक्षा के दौरान मच्छरदानियो का वितरण नियमित रखने हेतु प्रभारी मंत्री श्री बघेल ने सीएमएचओ को निर्देशित किया। राज्य बीमारी सहायता निधि, बाल श्रवण, ह्दय रोग योजना मे प्रकरण मे त्वरित कार्यवाही करे। जन्मजात बीमारी से पीडित बच्चे का तत्काल ईलाज करवाये। बैठक मे सीएमएचओ ने मीजल्स रूबेला अभियान की जानकारी देते हुए बताया कि जिले मे 4 लाख से अधिक बच्चो का टीकाकरण होना है। 15 जनवरी से आज तक 33 हजार बच्चो का टीकाकरण हो चुका है। सभी जिला प्रमुख यह सुनिश्चित करे कि जितने भी शासकीय कार्यक्रम हो उनकी सूचना जनप्रतिनिधियो को समय पर अवश्य दे। पुरानी सभी समितियां भंग हो चुकी है, इसलिये नही रोगी कल्याण समितियो का गठन करने के लिये प्रभारी मंत्री श्री बघेल ने सीएमएचओ श्री चैहान को निर्देशित किया।

जस्टिस माहेश्वरी, जस्टिस खन्ना ने ली सुप्रीम कोर्ट जज की शपथ

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नयी दिल्ली, 18 जनवरी, न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश पद की शपथ ली। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने अदालत कक्ष संख्या एक में दोनों न्यायाधीशों को शपथ दिलाई। इसके साथ ही शीर्ष अदालत में न्यायाधीशों की कुल संख्या 28 हो गयी, जबकि तीन पद अब भी खाली हैं। उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के तौर पर पदोन्नत होने से पहले न्यायमूर्ति माहेश्वरी कर्नाटक उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और न्यायमूर्ति खन्ना दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश थे। इन दोनों न्यायाधीशों को पदोन्नत किये जाने के कॉलेजियम के फैसले का कड़ा विरोध भी हुआ था। इसे लेकर कुछ कानूनविदों और न्यायविदों ने आपत्तियां दर्ज कराते हुए कहा था कि न्यायमूर्ति गोगोई की अध्यक्षता वाले पांच-सदस्यीय कॉलेजियम ने दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश राजेन्द्र मेनन और राजस्थान उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश प्रदीप नंदराजोग की अनदेखी की है।  इसे लेकर अधिवक्ताओं की सर्वोच्च संस्था भारतीय विधिज्ञ परिषद और विभिन्न अधिवक्ता संगठनों ने भी कॉलेजियम के इस बाबत गत 10 जनवरी के फैसले पर सवाल खड़े किये थे। इसी बीच विधि एवं न्याय मंत्रालय ने कॉलेजियम की सिफरिश राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद के पास भेजी थी, जिन्होंने गत 16 जनवरी को उस पर हस्ताक्षर कर दिये।  पंद्रह मई 1958 को जन्मे न्यायमूर्ति माहेश्वरी ने राजस्थान विश्वविद्यालय से भौतिकी में स्नातक (प्रतिष्ठा) की डिग्री हासिल की। वह 1980 में जोधपुर विश्वविद्यालय से विधि स्नातक बने तथा आठ मार्च 1981 को वकील के तौर पर पंजीकृत हुए। न्यायमूर्ति माहेश्वरी 13 फरवरी 2018 को कर्नाटक उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश बनने से पहले 24 फरवरी 2016 से 12 फरवरी 2018 तक मेघालय उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रहे।  न्यायमूर्ति खन्ना का जन्म 14 मई 1960 को नयी दिल्ली में हुआ था। वह 24 जनवरी 2005 से 17 जनवरी 2019 तक दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश रहे। 

अंतरिक्ष में हम चीन से कम नहीं : डॉ. शिवन

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नयी दिल्ली 18 जनवरी, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के प्रमुख डॉ. के. शिवन ने आज कहा कि अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत चीन से कम नहीं है।  डॉ. शिवन ने यहाँ एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान भारत और चीन की अंतरिक्ष क्षमता में तुलना के बारे में पूछे जाने पर कहा “हम किसी भी तरह चीन से कम नहीं हैं। यदि हम उनसे बीस नहीं हैं तो हम उनसे उन्नीस भी नहीं हैं। मानव मिशन के मामले में चीन हमसे आगे जरूर है, लेकिन गगनयान मिशन के साथ ही हम उस आयाम पर भी चीन की बराबरी कर लेंगे।” उल्लेखनीय है कि भारत अंतरिक्ष के क्षेत्र में दुनिया के अग्रणी देशों में है। रूसी, अमेरिकी और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसियों के बाद मंगल पर मिशन भेजने वाली इसरो चौथी एजेंसी है। अपने पहले मानव मिशन के साथ वह अमेरिका, रूस और चीन के बाद इस मामले में भी चौथा देश होगा। हम चंद्रमा पर अगस्त 2009 में ही मिशन भेज चुके हैं और इस साल अप्रैल में ‘चंद्रयान-2’ के नाम से दूसरा मिशन चंद्रमा पर भेजा जायेगा। इसरो 100 से ज्यादा उपग्रहों का एक साथ प्रक्षेपण करने वाली दुनिया की इकलौती एजेंसी है।  इसरो प्रमुख ने बताया कि देश के पहले मानव-अंतरिक्ष मिशन ‘गगनयान’ के लिए अंतरिक्षयात्रियों की चयन की प्रक्रिया इसी साल शुरू हो जायेगी। दिसंबर 2021 तक तीन अंतरिक्ष यात्रियों को 400 किलोमीटर की ऊँचाई पर स्थित कक्षा में भेजने की योजना है। अंतरिक्ष यात्रियों के चयन की प्रक्रिया इसी साल शुरू कर दी जायेगी। यह एक सतत चयन प्रक्रिया होगी जिसमें प्रशिक्षण और चयन साथ-साथ चलेगा। प्रशिक्षण के हर चरण में अच्छा प्रदर्शन करने वाले अंतरिक्ष यात्री ही अगले चरण में जा पायेंगे। उन्होंने बताया कि अंतरिक्ष यात्रियों के चयन और प्रशिक्षण के लिए दूसरे देशों की अंतरिक्ष एजेंसियों की भी मदद ली जायेगी, क्योंकि भारत के पास इस क्षेत्र में अनुभव नहीं है। उनके इस बयान से स्पष्ट है कि इसमें अमेरिका, रूस या चीन की मदद ली जा सकती है, क्योंकि अब तक इन्हीं तीन देशों ने अंतरिक्ष में मानव को भेजने की उपलब्धि हासिल की है।  इसरो के वैज्ञानिक सचिव उमामहेश्वरन आर. ने बताया कि पहले चरण के लिए करीब 15 अंतरिक्ष यात्रियों का चयन होगा। इनमें से प्रशिक्षण के हर चरण में छँटते-छँटते अंत में तीन अंतरिक्ष यात्रियों का चयन किया जायेगा।

सरकार ने किया राष्ट्रीय सुरक्षा से खिलवाड़, जेपीसी जरूरी : कांग्रेस

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नयी दिल्ली, 18 जनवरी, कांग्रेस ने राफेल लड़ाकू विमान सौदे को लेकर शुक्रवार को मोदी सरकार पर तीव्र हमला बोला और आरोप लगाया कि इस करार में राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ खिलवाड़ किया गया है, इसलिए पूरे मामले की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) का गठन बहुत जरूरी है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम ने यहां पार्टी मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि अगर सरकार को यह लगता है कि राफेल सौदे के विवाद को चुपचाप दफना दिया जायेगा, तो यह उसकी भूल है। इस सौदे में वायुसेना की आवश्यकता को ध्यान में नहीं रखा गया है और इस प्रकार राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ खिलवाड़ किया गया है। उन्होंने राफेल सौदे को लेकर मीडिया के एक वर्ग में आयी खबरों का उल्लेख करते हुए कहा कि इस सौदे को लेकर कुछ नयी परतें खुली हैं। सौदे पर उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद भी कांग्रेस ने इस मामले की पूरी जांच के लिए जेपीसी के गठन की मांग की थी और अब इसे फिर दोहरा रही है। उन्होेंने कहा, “इसमें कोई शक नहीं है कि राफेल विमान सौदे की जांच जेपीसी द्वारा कराने लायक है। कांग्रेस इस मामले पर जेपीसी गठित करने की मांग दोहराती है।”

सबरीमला मंदिर में 51 महिलाओं ने किया प्रवेश : केरल सरकार

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नयी दिल्ली, 18 जनवरी, केरल में सबरीमला स्थित अयप्पा मंदिर में 10 से 50 साल आयुवर्ग के बीच की 50 से अधिक महिलाओं के प्रवेश के राज्य सरकार के दावे के बीच उच्चतम न्यायालय ने गत दो जनवरी को मंदिर में प्रवेश करने वाली महिलाओं को सुरक्षा प्रदान करने का पुलिस को आज निर्देश दिया। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली तीन-सदस्यीय खंडपीठ ने दोनों महिलाओं-कनकदुर्गा (44) और बिंदु (40) को चौबीस घंटे सुरक्षा मुहैया कराने का यह कहते हुए निर्देश दिया कि इन महिलाओं की सुरक्षा की जिम्मेदारी राज्य पुलिस की होगी। किसी भी अप्रिय घटना के लिये केरल पुलिस जिम्मेदार होगी। दोनों महिलाओं ने गत गुरुवार को याचिका दायर करके सुरक्षा उपलब्ध कराने की गुहार लगायी थी। न्यायालय ने आज सुनवाई के वक्त स्पष्ट कर दिया कि वह इस मामले में केवल दोनों महिलाओं की सुरक्षा के पहलुओं पर ही विचार करेगा, अन्य किसी पहलुओं पर नहीं। पीठ ने इस मामले को सबरीमला मामले की लंबित याचिकाओं के साथ नत्थी करने से भी इन्कार कर दिया। गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने 10-50 आयु वर्ग की महिलाओं के अयप्पा मंदिर में प्रवेश करने पर लगी रोक हटाने का ऐतिहासिक फैसला दिया था, इसके बावजूद कुछ संगठनों द्वारा न्यायालय के इस फैसले का विरोध किया जा रहा है। आज की सुनवाई के दौरान केरल सरकार के वकील विजय हंसारिया ने खंडपीठ को अवगत कराया कि सभी उम्र की महलाओं के लिए मंदिर के दरवाजे खोलने के न्यायालय के ऐतिहासिक आदेश के बाद से 10 से 50 साल आयुवर्ग की कम से कम 51 महिलाओं ने मंदिर में प्रवेश किया है। उन्होंने बताया कि 10 से 50 वर्ष आयु वर्ग की करीब साढे सात हजार महिलाओं ने अपने आधार के जरिये सबरीमला में प्रवेश के लिए पंजीकरण कराया है।

चहल-धोनी ने भारत को दिलाई ऐतिहासिक जीत

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मेलबोर्न, 18 जनवरी, लेग स्पिनर युजवेंद्र चहल (42 रन पर छह विकेट) के सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन और विकेटकीपर महेंद्र सिंह धोनी की नाबाद 87 रन तथा केदार जाधव की 61 रन की जबरदस्त अर्धशतकीय पारियों की बदौलत भारत ने ऑस्ट्रेलिया को शुक्रवार तीसरे और निर्णायक एकदिवसीय क्रिकेट मैच में सात विकेट से हराकर तीन मैचों की सीरीज में 2-1 से ऐतिहासिक जीत दर्ज कर ली। भारत ने सीरीज का पहला मैच हारने के बाद शानदार वापसी करते हुए अगले दो मैच जीतकर सीरीज अपने नाम की। भारत ने इस तरह पहली बार ऑस्ट्रेलिया की जमीन पर द्विपक्षीय वनडे सीरीज में जीत हासिल की। भारत ने इससे पहले ऑस्ट्रेलिया में पहली बार टेस्ट सीरीज में 2-1 से जीत दर्ज की थी। कप्तान विराट कोहली की सेना ने इस तरह ऑस्ट्रेलिया में दोहरी ऐतिहासिक जीत अपने नाम कर इस दौरे को भारतीय क्रिकेट इतिहास में स्वर्णाक्षरों में दर्ज करा दिया।

कुम्भ में विभिन्न संस्कृतियां अनेकता में एकता को करती परिभाषित

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कुम्भ नगर,18 जनवरी, संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक तथा सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) द्वारा  ''मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर''मान्यता प्राप्त कुम्भ मेला जहां बाबाओं के अलग -अलग वेष भूषा लोगों को बरबस अपनी ओर  आकर्षित कर रही है वहीं नागा सन्यासियों की मढ़ियों पर “सुट्टा” के लिए बैठे देशी-विदेशी लोगों का मिलाप “ अनेकता मे एकता के साथ विश्व बन्धुत्व” को चरितार्थ कर रहा है। कोई बाबा यहां अपनी आध्यात्म साधना को बल दे रहा है, कोई “सुट्टा” से दम ले रहा है ताे कोई शरीर पर भस्म लपेटे और कोई कांटो पर लेट कर लोगो का आश्चर्यचकित कर आनंद ले रह। कोई अपनी सनातनी परंपरा का निर्वाह कर रहा है कोई अपनी अन्य संस्कृति को लोगों में परोस रहा है। सभी को परमानंद की अनुभूति हो रही है। यहां विभिन्न संस्कृतियां एक ही प्लेटफार्म पर संगम करती हैं। वह प्लेटफार्म पतित पावनी गंगा, श्यामल यमुना और अदृश्य सरस्वती का विस्तीर्ण त्रिवेणी की रेती है। इस प्लेटफार्म की विशेषता है भले ही लोग एक दूसरे की भाषा नहीं समझे पर उनकी भावनाओं को आसानी से समझते हैं। कई बार त्रिवेणी मार्ग पर ऐसे रोमांचारी दृश्य परिलक्षित होते हैं जब कोई विदेशी किसी साधारण व्यक्ति से कोई जानकारी मांगता है। वह कुछ समझ नहीं पाता पर अपने भाव को उसके भाव से जोड़कर हाथ के इशारे से संगम नोज की तरफ इशारा करता है। विदेशी धन्य होकर “ थैंक्यू” कह आगे बढ़ जाता है। यह व्यवहारिकता की संस्कृति को प्रकट करता है।

मेले में अलग-अलग वेष भूषा वाले बाबाओं की कमी नहीं है। दुनिया के कोने कोने से पतित पावनी गंगा, श्यामल यमुना और अदृश्य सरस्वती के त्रिवेणी में आस्था की डुबकी लगाने पहुंचे श्रद्धालुओं में किसी बाबा का 70 किलो के रूद्राक्ष  की टोपी और उसी का वस्त्र रूप में धारण, किसी के गले में मुंड़ माला तो किसी के बड़ी जटाओं का आकर्षण अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। तीर्थराज प्रयाग के विस्तीर्ण रेती पर बसे विहंगम कुम्भ में जहां विभिन्न वेष भूषा वाले बाबा लोगों को आकर्षण का केन्द्र बन रहे है वहीं छोटे-छोटे बच्चे भी उनसे पीछे नहीं हैं। संगम का किनारा हो या मेला को वृहत क्षेत्र, अलग अलग देवी देवताओं का मुखौटा लगाए बच्चे नजर आते हैं। किसी ने मृगक्षाला धारण किया है तो कोई काली का मुखौटा पहन, हाथ में खड्ग और खप्पर लेकर लोगों को आकर्षित कर रहा है। मेले में कुछ बाबा ऐसे मिलेगें जो कुटिया में मोटी लकड़ी लगाकर धूनी रमाये बैठे हैं। उनके अगल बगल कुछ विदेशी पर्यटक और अन्य लोगों को घेरा बैठा रहता है। यहां लगातार “सुट्टा” चिलम का दौर चलता रहता है। एक छोटी सी मिट्टी की चिलम होती है जिसमें गांजा भरा होता है। एक किनारे से शुरू होता है सुट्टा मारने का क्रम तो दूसरे किनारे जाकर ही रूकता है। मेले में कोई अकेला नहीें। यहां हर किसी के साथ कोई न/न कोई जुडा है। अनेकता में एकता का प्रतीक और विश्व बन्धुत्व की भावना लिए हुए है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण गंगा में एक साथ राजा-रंक, अमीर-गरीब, महिला-पुरूष, विकलांग जहां एक साथ त्रिवेणी में आस्था की डुबकी लगाकर अनेकता में एकता को दर्शाता है वहीं बाबाओं की मढ़ी में गोला आकार में बैठे देश-विदेश के अलग-अलग स्थानों से आए पर्यटक और स्थानीय जिसमें शामिल पास में काम करने वाले मजदूर सुट्टा मारने के साथ  “विश्व बंधुत्व” को दर्शाता है। सेक्टर 16 में जूना अखाड़े के बाहर कई नागा सन्यांसी और झूंसी में गंगा तीरे कुटिया में धूनी रमाये बैठे हैं। इनके अगल बगल विदेशी और स्थानीय लोग भी अपनी बारी आने का इंतजार करते शांत चित्त बैठे रहते हैं। एक व्यक्ति दम मारने के बाद दूसरे की तरफ चिलम बढ़ा देता है। यह क्रम बारी-बारी से आगे बढ़ता रहता है। सुट्टा मारने के बाद सभी अपनी-अपनी अलग दिशाओं में बढ़ जाते हैं। खूबी यह कि यहां अधिकांश एक दूसरे को जानते-पहचानते नहीं लेकिन सम्मान सब को एक बराबर। यहां “नसेड़ी यार किसके, दम लगाये खिसके” को चरितार्थ करती है।” “मढ़ी में बैठे यूएसए के टूटी-फूटी हिन्दी बोलने वाला विलियम ने बताया,“उसे चिलम का ‘सुट्टा” बहुत अच्छा लगता है। कुछ समय के लिए वह सब कुछ भूल जाता है। उसने कहा हम जानटा है नशा खराब होता है लेकिन जीने का कोई सहारा तो चाहिए। उसने बताया वह एक अच्छा स्कालर था। लेकिन कुछ ऐसी परिस्थितयां उसके सामने आयीं कि उसका सारा क्रेज खत्म हो गया। उसने बताया,“ लोग हिन्दुस्तान के बारे में बोलटा ही वहां बहुत धोका होता है, लेकिन यहां बहुट अच्छा लोग है। हम कभी कभी इधर आटा है।” हमको यहां बहुट अच्छा लगता है।

विदेशी मुद्रा भंडार 14 सप्ताह के उच्चतम स्तर पर

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मुंबई, 18 जनवरी, देश का विदेशी मुद्रा भंडार लगातार चौथे सप्ताह बढ़ते हुये 11 जनवरी को समाप्त सप्ताह में 1.27 अरब डॉलर की वृद्धि के साथ 397.35 अरब डॉलर पर पहुँच गया जो 14 सप्ताह का इसका उच्चतम स्तर है। इससे पहले 04 जनवरी को समाप्त सप्ताह में यह 2.68 अरब डॉलर बढ़कर 396.08 अरब डॉलर पर रहा था। रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा आज जारी आँकड़ों के अनुसार, 11 जनवरी को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार का सबसे बड़ा घटक विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति 1.09 अरब डॉलर की बढ़त के साथ 371.38 अरब डॉलर पर पहुँच गया।

इक्कीस बच्चों को राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार

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नयी दिल्ली, 18 जनवरी,वीरता एवं अदम्य साहस का परिचय देने तथा अपने प्राण जोखिम में डालकर औरों की जान बचाने वाले 21 बच्चों को इस वर्ष राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया जायेगा। राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार-2018 के लिए 13 बालकों एवं आठ बालिकाओं को चुना गया है। इनमें एक बालिका को मरणोपरांत पुरस्कार प्रदान किया जायेगा। ये बहादुर बच्चे आगामी 26 जनवरी गणतंत्र दिवस परेड में शामिल होंगे। पुरस्कारों की श्रेणी में इस बार भारत पुरस्कार के लिए की गुरुगा हिमा प्रिया (09)और सौम्यदीप जाना (14) को चुना गया है। प्रतिष्ठित गीता चोपड़ा पुरस्कार (मरणोपरांत) दिल्ली की निशीता नेगी (15)को दिया जायेगा। इसी प्रकार गुजरात के गोहिल जयराज सिंह (07)को संजय चोपड़ा पुरस्कार से सम्मानित किया जायेगा। राजस्थान की साढ़े नौ वर्षीय अनिका जैमिनी, मेघालय की कैमिलिया केथी खरबानार और ओडिशा के 14 वर्षीय सीतू मलिक को बापू गैधानी पुरस्कार दिया जायेगा। वीरता पुरस्कार पाने वाले अन्य बच्चों में झीली बाग, रंजीता माझी और विश्वजीत पुहान (सभी ओडिशा़) , सी डी कृष्णा नायक(कर्नाटक), के मुस्कान और सीमा( दोनों हिमाचल प्रदेश), रितिक साहू , झगेन्द्र साहू और श्रीकांत गंजीर( सभी छत्तीसगढ़), कुंवर दिव्यांश सिंह(उत्तर प्रदेश), वाहेंगबम लमगांबा सिंह(मणिपुर), मंदीप कुमार पाठक(दिल्ली) तथा शिगिल के और अश्विन सजीव(दोनों केरल) शामिल हैं। वीरता पुरस्कार के लिए चयनित बच्चों को पदक, प्रमाणपत्र और नकदराशि प्रदान की जायेगी।

इसरो की प्रयोगशाला में छात्र बनायेंगे उपग्रह

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नयी दिल्ली, 18 जनवरी, अंतरिक्ष क्षेत्र में छात्रों की रुचि पैदा करने और देश के अंतरिक्ष कार्यक्रम में उन्हें शामिल करने के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने छात्रों के लिए अपने दरवाजे खोलने के साथ ही देश भर में 12 अनुसंधान एवं इन्क्यूबेशन केंद्र खोलने की घोषणा की है। इसरो के अध्यक्ष के. शिवन ने आज यहाँ संवाददाताओं को बताया कि सभी 36 राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों से तीन-तीन छात्रों का चयन कर उन्हें एक महीने के लिए एजेंसी की प्रयोगशालाओं में काम करने का मौका दिया जायेगा। उनके आने-जाने, ठहरने, खाने का सारा खर्च इसरो वहन करेगा।  उन्होंने बताया कि इन छात्रों को वहाँ उपग्रह बनाने का मौका मिलेगा और यदि उपग्रह अच्छे हुये तो इसरो उन्हें अंतरिक्ष में भी भेजेगा। यह अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के एक कार्यक्रम जैसा ही होगा। इसके लिए राज्य सरकारों से बात चल रही है। इसरो प्रमुख ने बताया कि देश के छह हिस्सों उत्तर, दक्षिण, पूरब, पश्चिम, पूर्वोत्तर और मध्य में एक-एक इन्क्यूबेशन केंद्र तथा एक-एक अनुसंधान केंद्र खोलने की भी योजना है। इससे इसरो का विस्तार पूरे देश में हो सकेगा। उन्होंने बताया कि एनआईटी त्रिपुरा और एनआईटी जालंधर में इन्क्यूबेशन केंद्र खोले जा चुके हैं। अन्य इन्क्यूबेशन केंद्र तिरुचि, नागपुर, इंदौर और राउरकेला में शुरू किये जायेंगे। छह इसरो अनुसंधान केंद्र जयपुर, गुवाहाटी, पटना, कन्याकुमारी, आईआईटी वाराणसी और एनआईटी कुरुक्षेत्र में खोलने की योजना है। 

भारत में निवेश का सर्वश्रेष्ठ समय : मोदी

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गांधीनगर, 18 जनवरी,प्रधानमत्री नरेन्द्र मोदी ने आज विश्व भर से भारत में निवेश करने का आहवान करते हुए कहा कि अभी ऐसा करने का सर्वश्रेष्ठ समय है। अपने गृहराज्य गुजरात की राजधानी गांधीनगर के महात्मा मंदिर में आज से 20 दिसंबर तक आयोजित द्विवार्षिक निवेश सम्मेलन वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल समिट के नौंवे संस्करण के उद्घाटन सत्र में पांच देशों के राष्ट्राध्यक्षों समेत 115 देशों के 30 हजार से अधिक प्रतिनिधियों और भारत तथा विश्व के कई बड़े औद्योगिक समूहों के प्रमुखों की मौजूदगी में श्री मोदी ने अपने संबोधन में पिछले चार साल में उनके सरकार की ओर से देश में कारोबारी सुगमता और आधारभूत संरचना के विकास आदि के लिए किये गये कार्यों का विस्तृत ब्यौरा देते हुए यह आहवान किया।  उन्होंने यह भी कहा कि मात्र चार साल में विश्व बैंक की कारोबारी सुगमता यानी इज ऑफ डूइंग बिजनेस संबंधित रिपोर्ट में भारत ने 65 स्थान की छलांग (142 से 77) लगायी है पर वह इतने से ही संतुष्ट नहीं है और उन्होंने अगले साल तक देश को इस मामले में शीर्ष 50 देशों की सूची में शामिल करने का लक्ष्य तय किया है। जापान के सुजुकी समूह समेत कई वैश्विक उद्योेग समूहों के प्रमुखों और मुकेश अंबानी, गौतम अडानी, कुमार मंगलम बिरला, एन चंद्रशेखरन समेत कई शीर्ष भारतीय उद्योगपतियों की उपस्थिति में श्री मोदी ने यह भी कहा कि उनकी सरकार के दौरान पिछले चार साल में 7.3 प्रतिशत के औसत सालाना दर से सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी की वृद्धि हुई है जो 1991 में देश में उदारीकरण की शुरूआत के बाद से अब तक किसी भी सरकार के लिए इस मामले में सर्वश्रेष्ठ आंकड़ा है। इसी तरह उनकी सरकार के दौरान औसत मुद्रास्फीति दर 4.6 रही है जो 1991 से अब तक की निम्नतम है। 

विदिशा (मध्यप्रदेश) की खबर 18 जनवरी

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जिले के प्रत्येक किसान को मिलेगा कर्जमाफी का लाभ : भार्गव

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विदिषा - जय किसान ऋण मुक्ति योजना के तहत किसानों का फार्म वितरित करने एवं योजना की जानकारी देने प्रषाषनिक अधिकारियों के साथ विदिषा विधायक शषांक भार्गव आज ग्राम वन, सुआखेड़ी, अम्बार, अटारीखेड़ा पीपरहूंठा सोसायटी मुख्यालय पर पहूंचे। इस दौरान किसानों को सबोधित करते हुए विधायक श्री भार्गव ने कहा की ’’जय किसान ऋण मुक्ति योजना का लाभ प्रत्येक किसान को मिले इसके लिए हम हर सोसायटी मुख्यालय पर जाकर फार्म वितरण कर रहे हैं। किसान भाई भी जल्द से जल्द पूर्ण जानकारी के साथ अपने आवेदन जमा कर दे। मुख्यमंत्री कमलनाथ जी ने किसानों को आर्थिक मजबूती देने के उद्देष्य में इस योजना की शुरूआत की हैं। इस योजना में सिर्फ किसानों को, बल्कि मध्यप्रदेष के व्यावसायियों को भी लाभ मिलेगा। कर्जमाफी के रूप में जो राषि किसानों को मिलेगी वही राषि लौटकर बाजार में पंहुचेगी जिममें मदी के दौर से गुजर रहे बाजार भी लाभांबित होगे। विपक्षीदल इस योजना की आलोचना कर रहें हैं लेकिन मुख्यमंत्री कमलनाथ जी की दूरगामी सोच से इस योजना से मध्यप्रदेष में आर्थिक मंदी का दौर काफी हद तक कम होगा। इस अवसर पर ग्यारसपुर जनपद पंचायत अध्यक्ष प्रतिनिधि श्री राकेष कटारे, गुलाबगंज तहसीलदार मनीराम गादरे, ग्यारसपुर जनपद पंचायत सी.ई.ओ. के.के. ओझा, ब्लाॅक कांग्रेस अध्यक्ष श्री अनुज लोधी, दीवान किरार, देवेन्द्र दांगी, नबलसिंह रघुवंषी, सुरेन्द्र लोधी सहित एवं काफी बड़ी संख्या में किसान भाई एवं ग्रामीण जन उपस्थित रहें। भ्रमण के दौरान ग्रामीण क्षेत्र की जानता से प्राप्त षिकायती आवेदनों को जल्द से जल्द निराकरण किये जाने का आष्वासन विधायक श्री भार्गव जी ने दिया।

जिला बदर का आदेश जारी

कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी श्री कौशलेन्द्र विक्रम सिंह ने पुलिस अधीक्षक के पालन प्रतिवेदन पर एक प्रकरण मंे जिला बदर के आदेश जारी कर दिए है।  जारी आदेश मंे उल्लेख है कि थाना कोतवाली अंतर्गत विभिन्न अपराधों में लिप्त अनावेदक अफजल खां पुत्र अजीज खाॅन निवासी रंगियापुरा थाना कोतवाली विदिशा के विरूद्व मध्यप्रदेश राज्य सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत जिला बदर की कार्यवाही एक वर्ष के लिए की गई है। उक्त अवधि में विदिशा जिला एवं सीमावर्ती जिला रायसेन, भोपाल, गुना, अशोेकनगर, सागर, राजगढ़ की राजस्व सीमा से एक वर्ष की कालावधि के लिए उसे निष्कासित किया गया है।   

प्रभारी मंत्री एडवोकेट श्री हर्ष यादव ध्वजारोहण कर परेड की सलामी लेंगे

गणतंत्र दिवस 26 जनवरी के मुख्य समारोह कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रदेश के कुटीर एवं ग्रामोद्योग, नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा मंत्री और जिले के प्रभारी मंत्री एडवोकेट श्री हर्ष यादव ध्वजारोहण कर परेड़ की सलामी लेंगे। जिला मुख्यालय पर उक्त कार्यक्रम पुलिस परेड ग्राउण्ड पर आयोजित किया जाएगा। 

जिला स्तरीय गोपाल पुरस्कार का वितरण

पशुपालन विभाग द्वारा प्रतिवर्ष भारतीय नस्ल की उन्नत गोवंशीय पशुओं के पालन को बढावा देने एवं अधिक दुग्ध उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए गोपाल पुरस्कार योजना प्रारंभ की गई है।  विकासखण्ड स्तर की प्रतियोगिताओं को विजेताओें हेतु जिला मुख्यालय पर 16 एवं 17 जनवरी को प्रतियोगिता आयोजित की गई थी। प्रतियोगिता के विजेताओं को विधायक श्री शशांक भार्गव ने पुरस्कृत किया है। पशु चिकित्सा सेवाएं विभाग के उप संचालक डाॅ एससीएल वर्मा ने बताया कि जिला स्तर पर सम्पन्न हुई प्रतियोगिता के संबंध में बताया कि गाय और भैंस पशु पालन के क्षेत्र में क्रमशः तीन-तीन पुरस्कार सर्वाधिक दूध देेने वाले पशुओं के पालकों को प्रदाय किया गया है। गायोें में प्रथम पुरस्कार बासौदा के श्री निक्की यादव को पचास हजार रूपए, द्वितीय पुरस्कार भी बासौदा के श्री दिवाकर समैया को 25 हजार रूपए तथा तृतीय पुरस्कार विदिशा के श्री जितेन्द्र कुमार बलोटिया को 15 हजार रूपए का नगद प्रदाय किया गया है। इसी प्रकार भैसवंशीय में प्रथम पुरस्कार विदिशा तहसील के ग्राम धारूखेडी के श्री संतोष दांगी को पचास हजार रूपए, द्वितीय पुरस्कार लटेरी के ग्राम अलीगढ़ कोटरा निवासी श्री भगवत सिंह गुर्जर को 25 हजार रूपए तथा तृतीय पुरस्कार विदिशा के श्री मोहन सिंह कुशवाह को 15 हजार रूपए प्रदाय किए गए है। 

जय किसान फसल ऋण माफी योजना का लाभ लेने हेतु कृषक, अपनी ग्राम पंचायत में सम्पर्क करें

जय किसान फसल ऋण माफी योजना अंतर्गत सहकारी बैंक क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक तथा राष्ट्रीयकृत बैंक से फसल ऋण प्राप्त करने वाले किसानों को अधिकतम रूपए दो लाख की सीमा तक पात्रतानुसार लाभ दिया जाना है। इस हेतु आधार कार्ड सीडेड ऋण खातों की हरी सूचिया तथा गैर आधार कार्ड सीडेड ऋण खातों की सफेद सूचियां प्रत्येक ग्राम पंचायत में तथा संबंधित बैंक शाखा में चस्पा की जा चुकी है। हरी सूची वाले कृषकों से हरे रंग के आवेदन लिए जा रहे है तथा सफेद रंग की सूची वाले किसानों से सफेद रंग के आवेदन लिए जा रहे है। हरी अथवा सफेद सूची में नाम ना होने पर एवं जानकारी पर आपत्ति, दावा प्रस्तुत करने हेतु गुलाबी रंग का आवेदन पत्र लिए जा रहे है किसानों द्वारा भरे गए तीन प्रकार (हरे, सफेद, गुलाबी) की जानकारी 26 जनवरी को ग्राम सभा में दी जायेगी। सफेद सूची वाले किसानों को 15 जनवरी से पांच फरवरी के बीच संबंधित बैंक शाखा, समिति में जाकर आधार कार्ड सीडिंग भी करानी होगी। अतः कृषकों से अपील की जाती है कि मुख्यमंत्री फसल ऋण माफी योजना का लाभ लेने हेतु कृषक 15 जनवरी से पांच फरवरी के बीच संबंधित बैंक शाखा, समिति में जाकर अपने बैंक खातों को आधार से लिंक कराएं। आवेदन के साथ आधार कार्ड की छाया प्रति संलग्न करेें। आधार कार्ड की छाया प्रति न होने पर योजना का लाभ नहीं मिल सकेगा।

शुष्क दिवस 

गणतंत्र दिवस 26 जनवरी शनिवार को जिले में शुष्क दिवस घोषित करने के आदेश कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी श्री कौशलेन्द्र विक्रम सिंह के द्वारा जारी किए गए है। जारी आदेश में उल्लेख है कि गणतंत्र दिवस 26 जनवरी शनिवार को विदिशा जिले की समस्त देशी, विदेशी मदिरा दुकानो से मदिरा विक्रय एवं मद्य भण्डागारो से मदिरा परिवहन पूर्णतः प्रतिबंधित रहेगा। संबंधितों को जारी आदेश का कढाई से पालन सुनिश्चित करने की हिदायत दी गई है।

रोशनी के निर्देश

गणतंत्र दिवस 26 जनवरी शनिवार की सायंकाल को जिले के सभी सार्वजनिक भवनों एवं राष्ट्रीय महत्व की इमारतों पर प्रकाश की व्यवस्था करने के निर्देश सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी किए गए है। ततसंबंध में कलेक्टर श्री कौशलेन्द्र विक्रम सिंह ने समस्त विभागों के जिलाधिकारियों, निकायों, जनपदो के अधिकारियों को भी आवश्यक निर्देश जारी कर दिए है। 

फायनल रिहर्सल 24 को

गणतंत्र दिवस 26 जनवरी  के पावन पर्व पर जिला मुख्यालय पर आयोजित होने वाले मुख्य समारोह में शामिल कार्यक्रमों का जारी पूर्वाभ्यास का फायनल रिहर्सल 24 जनवरी की प्रातः नौ बजे से पुलिस परेड ग्राउण्ड पर आयोजित किया गया है।  कलेक्टर श्री कौशलेन्द्र विक्रम सिंह और पुलिस अधीक्षक श्री विनायक वर्मा के द्वारा संयुक्त रूप से फायनल रिहर्सल का जायजा लिया जाएगा। 

विधायक इन ग्रामों का भ्रमण करंेगे आज

‘‘जय किसान फसल ऋण माफी योजना’’ की जानकारी देेने के उद्वेश्य से विदिशा विधायक श्री शशांक भार्गव शनिवार 19 जनवरी को जिन ग्रामोें का भ्रमण कर किसानो से संवाद स्थापित करेंगे और योजना की जानकारी देंगे।  विधायक प्रतिनिधि श्री दीवान किरार ने भ्रमण कार्यक्रम के संबंध में बताया कि विधायक श्री भार्गव शनिवार को जिन सोसायटी क्षेत्रों का भ्रमण करेंगे उनमें प्रातः दस बजे खमतला, सुबह 11 बजे पैरवारा, दोपहर 12 बजे लश्कपुर, दोपहर एक बजे खेरूआ, दोपहर 3.30 बजे करारिया और शाम पांच बजे इमलिया सोसायटी के कार्यक्रम में शामिल होंगे।
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