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पुलवामा हमले पर भारत पाकिस्तान को नहीं देगा सबूत

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मित्र देशों के सामने खोलेगा पोल : अधिकारी
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नयी दिल्ली, 20 फरवरी, पुलवामा आतंकी हमले में जैश-ए-मोहम्मद की संलिप्तता के संबंध में पाकिस्तान के साथ भारत कोई सबूत साझा नहीं करेगा, बल्कि वह सारे सबूत मित्र देशों को दिखाकर हमले में पड़ोसी देश की भूमिका की पोल खोलेगा। सरकार के विचार साझा करते हुए एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह बात कही। अतीत के अनुभवों को देखते हुए भारत पुलवामा हमले के संबंध में पाकिस्तान के साथ कोई सबूत साझा नहीं करना चाहता है। इससे पहले 26/11 मुंबई आतंकवादी हमले और पठानकोट एयरबेस हमले के संबंध में भारत ने पाकिस्तान के साथ डोजियर पर डोजियर साझा किए हैं लेकिन पड़ोसी देश ने किसी पर कोई कार्रवाई नहीं की है। अधिकारी ने कहा, ‘‘पाकिस्तान को कोई भी सबूत देने का सावाल ही नहीं उठता। इसकी जगह हम उन्हें मित्र देशों के साथ साझा करेंगे ताकि पुलवामा और भारत में हुए अन्य आतंकवादी हमलों में उसकी भूमिका की पोल खोली जा सके।’’  पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने मंगलवार को कहा था कि वह पुलवामा हमले के सरगना के खिलाफ कार्रवाई करेंगे, यदि भारत उनके साथ ‘‘कार्रवाई योग्य’’ सबूत साझा करता है। जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले में 14 फरवरी को जैश-ए-मोहम्म्द के एक आत्मघाती हमलावर ने विस्फोटक भरे वाहन से सीआरपीएफ के काफिले की एक बस को टक्कर मार दी थी। इस हमले में हुए विस्फोट में बल के 40 जवान शहीद हो गए जबकि कई अन्य घायल हो गए। वहीं 2008 मुंबई हमले के संबंध में पाकिस्तान को तमाम सबूत मुहैया कराए गए लेकिन, लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद, समूह के शीर्ष नेता जकी-उर-रहमान लखवी और आईएसआई के कुछ अधिकारियों के खिलाफ 11 साल बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई है। पठानकोट एयरबेस हमले के सिलसिले में पाकिस्तानी जांचकर्ताओं की पांच सदस्यीय टीम को मौके पर जाने और साक्ष्य जुटाने की अनुमति दी गई। लेकिन, इस संवेदनशील एयरबेस का दौरा करने के बाद जब टीम पाकिस्तान लौटी तो उन्होंने दावा किया कि भारत उन्हें ऐसा कोई भी साक्ष्य मुहैया कराने में असफल रहा है, जिससे साबित हो कि पाकिस्तानी आतंकवादियों ने भारतीय वायुसेना बेस पर हमला किया था। अधिकारी ने कहा, ‘‘जब हमें पाकिस्तान से ऐसी प्रतिक्रिया मिल रही है तो, उनके साथ सबूत साझा करने का कोई मतलब नहीं है। अब हमारा पहला काम आतंक को मदद और उसे बढ़ावा देने में पाकिस्तान की भूमिका को लेकर दुनिया के सामने उसे बेनकाब करना है।’’ 

सकारात्मक बदलाव के लिये खुद से शुरूआत करें : मोहन भागवत

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इंदौर, 20 फरवरी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने बुधवार को कहा कि समाज में किसी भी सकारात्मक परिवर्तन के लिये सबसे पहले खुद को बदलने की आवश्यकता होती है।  भागवत यहां संघ के करीब 2,000 गठनायकों (मोहल्ला स्तर के स्थानीय संघ कार्यकर्ताओं) को संबोधित कर रहे थे।  इस कार्यक्रम को लेकर संघ की ओर से जारी विज्ञप्ति में भागवत के हवाले से कहा गया, "समाज में किसी भी सकारात्मक परिवर्तन के लिये सर्वप्रथम हमें अपने आप को बदलना होता है। अगर हमारा आचरण समाज के लिये प्रेरणा बनता है, तो समाज के अन्य लोग भी इस परिवर्तन को स्वीकार करते हैं।"  उन्होंने संघ के स्वयंसेवकों से समाज को जगाने की अपील करते हुए कहा कि इस जागरण से सामाजिक क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव आयेंगे।  संघ सूत्रों ने बताया कि पश्चिमी मध्यप्रदेश के मालवा क्षेत्र (इंदौर-उज्जैन संभाग) में संगठन की गतिविधियों का जायजा लेने के लिये भागवत कल मंगलवार को तीन दिवसीय दौरे पर यहां पहुंचे थे।  अप्रैल-मई में प्रस्तावित लोकसभा चुनावों की उल्टी गिनती शुरू होने के मद्देनजर संघ प्रमुख के मालवा दौरे पर सियासी विश्लेषकों की निगाहें भी टिकी हैं। हालांकि, संघ के सूत्रों का कहना है कि भागवत "पहले से तय नियमित कार्यक्रम"के तहत इस क्षेत्र के दौरे पर पहुंचे हैं।  "मध्यप्रदेश की सत्ता की चाबी"के रूप में मशहूर मालवा क्षेत्र संघ का मजबूत गढ़ माना जाता है। हालांकि, गत नवंबर में संपन्न विधानसभा चुनावों के दौरान इस इलाके में कांग्रेस ने भाजपा के कब्जे वाली कई सीटें छीनते हुए शिवराज सिंह चौहान नीत दल को सूबे की सत्ता से बाहर कर दिया था।

मसूद अजहर पर प्रतिबंध का विरोध नहीं : सऊदी

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आतंक में शामिल आतंकवादी घोषित हो
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नयी दिल्ली, 20 फरवरी, सऊदी अरब के विदेश मंत्री आदिल बिन अहमद अल-जुबैर ने बुधवार को इस बात से इंकार किया कि रियाद जैश ए मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित कराने के भारत के प्रयासों का विरोध करता है। उन्होंने कहा कि कोई भी आतंकवादी या अन्य व्यक्ति जो आतंकवाद का समर्थन या उसे वित्तपोषित करता है, उसे संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित किया जाना चाहिए। अल-जुबैर ने कहा कि सऊदी अरब के युवराज मोहम्मद बिन सलमान की सोमवार को इस्लामाबाद की यात्रा के दौरान पाकिस्तान-सऊदी अरब संयुक्त बयान में संयुक्त राष्ट्र की सूची के ‘‘राजनीतिकरण’’ से बचने के आह्वान का उद्देश्य अजहर को ‘‘वैश्विक आतंकवादी’’ घोषित करवाने के भारत के प्रयासों पर निशाना साधना नहीं था। संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित जैश ए मोहम्मद ने कश्मीर के पुलवामा जिले में 14 फरवरी को हुए आतंकी हमले की जिम्मेदारी ली थी। इस हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हुए थे। अल-जुबैर ने एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘कोई भी व्यक्ति जो आतंकवादी है उसे चिन्हित किया जाना चाहिए। विचार यह सुनिश्चित करने का था कि कोई राजनीतिकरण नहीं हो ताकि लोग अपने राजनीतिक विरोधी का नाम लेकर उसे आतंकवादी के रूप में चिन्हित नहीं करा दें।’’  सऊदी विदेश मंत्री ने कहा कि उनके देश की आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं करने की नीति है और ‘‘जो आतंकवाद का समर्थन करता है और इसे वित्तपोषित करता है उसे चिन्हित किया जाना चाहिए तथा सजा दी जानी चाहिए।’’ 

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि लोग यहां मानते हैं कि संयुक्त बयान एक व्यक्ति विशेष (अजहर) पर होना चाहिए था। ऐसा नहीं हुआ। मंशा यह थी कि (आतंकवाद के रूप में) चिन्हित करने की प्रक्रिया स्पष्ट हो, राजनीतिक नहीं।’’  पुलवामा हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि सऊदी अरब का मानना है कि दोनों देश तनाव कम कर सकते हैं और शांतिपूर्ण ढंग से मुद्दों को सुलझा सकते हैं। सऊदी के विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘हमें आशा है कि भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव नहीं बढेगा। दोनों देशों में समझदार नेतृत्व है जिसका प्रतिनिधित्व दोनों देशों के प्रधानमंत्री कर रहे हैं। मुझे लगता है कि वे तनाव कम करने का तरीका खोज लेंगे।’’  यह पूछे जाने पर कि क्या सऊदी अरब दोनों देशों के बीच मध्यस्थता करने का प्रयास करेगा, उन्होंने कहा, ‘‘हम भारत और पाकिस्तान द्वारा बुलाए बिना दोनों देशों के बीच तनाव में खुद शामिल नहीं होंगे।’’  उन्होंने कहा, ‘‘हमारे दोनों देशों के साथ अच्छे संबंध हैं और अगर दोनों चाहते हैं कि हम कोई भूमिका निभाएं, तो हम इस पर विचार करेंगे।’’  विदेश मंत्री ने कहा कि कोई भी दो परमाणु शक्तियों के बीच सशस्त्र संघर्ष देखना नहीं चाहता क्योंकि इस तरह के गतिरोध से केवल आतंकवादियों को फायदा होगा।

प्रधानमंत्री आवास पर धरना दूंगा : केजरीवाल

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नयी दिल्ली, 20 फरवरी, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बुधवार को संकेत दिया कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने के लिए वह प्रधानमंत्री निवास पर ‘धरना’ भी दे सकते हैं।  उन्होंने तीस हजारी अदालत के परिसर में बार काउंसिल ऑफ दिल्ली द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, “यह (लोक सभा) चुनाव बेहद रोचक है। दिल्ली की सात सीटें सरकार बना सकती हैं या सरकार गठन की उम्मीदों पर पानी फेर सकती हैं। अगर हमें यह सीटें मिल जाती हैं तो हम सुनिश्चित करेंगे कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा मिले।”  केजरीवाल ने कहा, ‘‘पिछली बार हमने अपनी मांगों को लेकर उप-राज्यपाल आवास पर ‘धरना’ दिया था। अगर जरूरत हुई, तो इस मांग के लिए हम प्रधानमंत्री आवास में जाएंगे और धरना देंगे।”  केजरीवाल और उनके मंत्रिमंडल के सहयोगियों ने जून 2018 में अपनी मांगों को लेकर दिल्ली के उप राज्यपाल के सरकारी आवास पर नौ दिनों तक धरना दिया था। केजरीवाल दिल्ली के लिए पूर्ण राज्य के दर्जे की मांग कर रहे हैं और उनका कहना है कि यह दर्जा न होने पर उनकी सरकार को दिल्ली के लोगों के लिए पूरी तरह काम करने में मुश्किलें पेश आ रही हैं। 

भारत-पाक विश्व कप मैच के टिकट के लिए चार लाख आवेदन

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नयी दिल्ली, 20 फरवरी, भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट विश्व कप में होने वाले मैच के बहिष्कार की मांग के बीच मैनचेस्टर में 16 जून को होने वाले इस मैच का जलवा प्रशंसकों के बीच बरकरार है। ओल्ड ट्रैफर्ड में 25000 दर्शकों की क्षमता के बावजूद टिकटों के लिए 400000 से अधिक लोगों ने आवेदन किया है। हरभजन सिंह जैसे शीर्ष भारतीय क्रिकेटरों ने पाकिस्तान के खिलाफ राउंड रोबिन मुकाबले के बहिष्कार की मांग की है जबकि चेतन चौहान जैसे अनुभवी चाहते हैं कि भारत पूरे टूर्नामेंट के बहिष्कार की धमकी देकर आईसीसी पर दबाव बनाए। आईसीसी विश्व कप के टूर्नामेंट निदेशक स्टीव एलवर्थी ने लंदन में प्रचार कार्यक्रम के दौरान बताया कि भारत और पाकिस्तान के बीच ग्रुप चरण में होने वाले मैच के टिकटों की मांग इंग्लैंड और आस्ट्रेलिया के बीच होने वाले मैच और लार्ड्स में होने वाले फाइनल से भी अधिक है। ईएसपीएन क्रिकइंफो ने एलवर्थी के हवाले से कहा, ‘‘इस मैच (भारत बनाम पाकिस्तान) के टिकटों के आवेदकों की संख्या 400000 से अधिक है जो काफी बड़ी संख्या है। स्टेडियम में सिर्फ 25000 दर्शक आ सकते हैं। इसलिए काफी लोग निराश होंगे।’’  एलवर्थी ने बताया कि इंग्लैंड और आस्ट्रेलिया के बीच होने वाले मुकाबले के लिए 230000 से 240000 लोगों ने आवेदन किया है जबकि फाइनल के लिए आवेदन करने वालों की संख्या 260000 से 270000 के बीच है।

बेगूसराय : गढ़े में मिली 12 दिन से लापता बच्ची की लाश

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अरुण कुमार (आर्यावर्त) बेगूसराय जिला के सिंघौल सहायक थाना क्षेत्र स्थित लड़ुआरा गांव से बीते आठ फरवरी से लापता दो वर्षीय सादिया की लाश घर के कुछ ही दूर स्थित एक गढ्ढा में मिला है। जानकारी के मुताबिक मोहम्मद इरफान की दो वर्षीय पोती सादिया आठ फरवरी को घर के आगे से खेलते-खेलते गुम हो गई थी। काफी खोजबीन के बाद परिवार वालों ने 12 फरवरी को सिंघौल सहायक थाना में आवेदन देकर लापता होने की रिपोर्ट लिखवाई थी। बुधवार की दोपहर कुछ बच्चे बगल के खेत में क्रिकेट खेल रहे थे। जिसमें गेंद गड्ढा में चले जाने के कारण बच्चों की नजर लाश पर पड़ी। इसके बाद बच्चों ने हल्ला सुनकर दौड़े ग्रामीणों ने लाश बाहर निकाला। वर्तमान मुखिया पति सह पूर्व मुखिया मो गालिब ने उक्त गड्ढा मनरेगा से करवाया था। हालात यह है कि पानी के ऊपर जंगली घास  होने की वजह से गड्ढा समझ में नहीं आता है। लाश देखने से प्रतीत होता है कि किसी ने हत्या कर लाश को बीचोबीच गड्ढे के बीच में फेक दिया है। मौके पर पूर्व मुखिया मोहम्मद गालिब और सरपंच पति मोहम्मद अलीम ने पुलिस से पंचनामा बनावा कर लाश परिजनों को सौंप दिया। इधर, लाश मिलने की खबर सुनकर सैकड़ों मर्द, औरत और बच्चे जमा हो गए। लोग तरह-तरह की हत्या एवं डूब कर मर जाने की बातें कर रहे हैं।

बिहार : राज्य में वासभूमि स्वामित्व अधिकार कानून बनाने पर जोर

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जन संगठनों द्वारा सामूहिक आवेदन तैयार करवाया जा रहा हैदलित अधिकार मंच के प्रांतीय संयोजक कपिलेश्वर राम का स्पष्ट कहना है कि हर तीन घर के बाद चैाथाघर भूमिहीनों का
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पटना,20 फरवरी।बिहार में कितने आवासीय भूमिहीन हैं! वह न सरकार को और न गैर सरकारी जन संगठनों को है। इनलोगों के द्वारा कहा जाता है कि सूबे में 30 से 35 लाख में आवासीय भूमिहीन हैं। इसमें महादलित मुसहर समुदाय की संख्या अधिक है। आवासीय भूमिहीनों के बारे में दलित अधिकार मंच के प्रांतीय संयोजक कपिलेश्वर राम का स्पष्ट कहना है कि हर तीन घर के बाद चैाथा घर भूमिहीनों का हैं। यह वास्तव में सत्य है कि आवासीय भूमिहीनों की संख्या में विराम नहीं लग सकता है। भूमि की असमान वितरण के कारण भूमिहीनता चुनौती बन गयी है। सूबे के मुख्यमंत्री हैं नीतीश कुमार। राज्य के अनुसूचित जाति, अनुसूचित जन जाति,अति पिछड़ी जाति,पिछड़ी जाति का खेतिहर मजदूर हैं। अत्यंत ही कमजोर वर्ग के परिवार के सदस्य हैं। कई दशक से मजदूरी करते हैं और परिवार के दो जून का आहार संभव कर पाते हैं। हमलोगों के पूर्वज इसी तरह से कई पुश्तों से करते आ रहे हैं। उस लायक नहीं बन सके कि सिर और इज्जत बचाने के लिए जमीन का टुकड़ा ले सकें। हम मानव को जीवन जीने हेतु आज भी भूमि के एक टुकड़े पर मालिकाना अधिकार नहीं है। आवास भूमि पर मालिकाना अधिकार के अभाव में हमलोग सरकारी योजनाओं से वंचित रह जाते हैं।सरकार ने वासभूमिहीनों के लिए अभियान बसेरा के नाम से योजना चलाइ्र्र है, परन्तु उक्त अभियान बसेरा वासभूमिहीनों तक धरती पर नहीं उतर पा रही है। हमलोग आज भी आवास हेतु वासभूमि के एक टुकड़े से वंचित हैं।

वासभूमि स्वामित्व अधिकार कानून बनाने पर जोर
राज्य के अनुसूचित जाति, अनुसूचित जन जाति,अति पिछड़ी जाति,पिछड़ी जाति का खेतिहर मजदूरों का मानना है कि जबतक वासभूमि स्वामित्व अधिकार कानून नहीं बनाया जाएगा तबतक हमलोगों यानी वासभूमि खेतिहर मजदूरों को इज्जत के साथ जीवन यापन के लिए वासभूमि नहीं मिल पाएगी। इस बीच जन संगठनों द्वारा सामूहिक आवेदन तैयार करवाया जा रहा है। इस आवेदन में विस्तार से आपबीती बयान किया गया है। इस आवेदन को माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पास भेजकर निवेदन किया जाएगा कि हम कमजोर वर्गों को अपमानित जीवन से मुक्ति हेतु वासभूमि स्वामित्व अधिकार कानून को अविलम्ब बनाने की दिशा में कार्रवाई किया जाए।

राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग को प्रारूप प्रेषित है
भूमि अधिकार जन जुटान के संयोजक प्रदीप प्रियदर्शी का कहना है कि जन संगठन एकता परिषद के राष्ट्रीय जनांदोलन 2018 में सत्याग्रह पदयात्रा के दौरान प्रस्तुत मांगों में राष्ट्रीय आवासीय भूमि अधिकार कानून की घोषणा एवं क्रियान्वयन पर जोर दिया गया था। इधर प्रांत में राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग को वासभूमि स्वामित्व अधिकार कानून बनाने का प्रारूप प्रेषित है। उन्होंने कहा कि विभाग के अधिकारियों को चाहिए कि जनहित में जन संगठनों को बुलाकर वासभूमि स्वामित्व अधिकार कानून के प्रारूप को अधिनियम का रूप दें दे।

आतंकवाद पर भारत, सऊदी अरब ने पाकिस्तान को घेरा

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नयी दिल्ली, 20 फरवरी, भारत और सऊदी अरब ने आतंकवाद को भावी पीढ़ी के लिए सबसे बड़ा खतरा बताते हुए आज इस बात पर सहमति जतायी कि मानवता विरोधी इस खतरे को बढ़ावा देने वाले देशों पर दबाव बढ़ाने आतंकवाद का ढांचा ध्वस्त करने तथा आतंकियों एवं उनके समर्थकों को सजा दिलाना बहुत जरूरी है।  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और सऊदी अरब के शाहज़ादे मोहम्मद बिन सलमान बिन अब्दुल अजीज अल सऊद के बीच यहां हैदराबाद हाउस में हुई प्रतिनिधिमंडल स्तर की बैठक में सहमति जतायी गयी। दाेनों देशों ने निवेश, पर्यटन, आवास एवं सांस्कृतिक एवं मीडिया आदान प्रदान के पांच करारों पर हस्ताक्षर किये गये।  बैठक के बाद श्री मोदी ने अपने वक्तव्य में कहा कि अपने सामरिक वातावरण के संदर्भ में, हमने आपसी रक्षा सहयोग को मज़बूत करने और उसका विस्तार करने पर भी सफल चर्चा की है। पिछले हफ्ते पुलवामा में हुआ बर्बर आतंकवादी हमला, इस मानवता विरोधी खतरे से दुनिया पर छाए कहर की एक और क्रूर निशानी है।  उन्होंने कहा, “इस खतरे से प्रभावशाली ढंग से निपटने के लिए हम इस बात पर सहमत हैं कि आतंकवाद को किसी भी प्रकार का समर्थन दे रहे देशों पर सभी संभव दबाव बढ़ाने की आवश्यकता है। आतंकवाद का ढांचा नष्ट करना, इसको समर्थन समाप्त करना और आतंकवादियों एवं उनके समर्थकों को सजा दिलाना बहुत जरूरी है।”  प्रधानमंत्री ने कहा, “साथ ही अतिवाद के खिलाफ सहयोग और इसके लिए एक मज़बूत कार्ययोजना की भी ज़रूरत है, ताकि हिंसा और आतंक की ताकतें हमारे युवाओं को गुमराह न कर सकें। मुझे खुशी है कि सऊदी अरब और भारत इस बारे में साझा विचार रखते हैं।”  शाहजादा सलमान ने अपने वक्तव्य में कहा, “जहां तक आतंकवाद एवं उग्रवाद का सवाल है। ये हम दोनों देशों के लिए समान रूप से चिंता का कारण है। हम अपने मित्र भारत को बताना चाहेंगे कि हम इस दिशा में हर प्रकार से सहयोग करेंगे, चाहे वह खुफिया सूचनाओं का आदान प्रदान हो या अन्य कदम। हमारी अाने वाली पीढ़ी के भविष्य की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हम मिल कर काम करेंगे।” भारत एवं सऊदी अरब के नेताओं के इन बयानों को पाकिस्तान पर बड़े प्रहार के रूप में देखा जा रहा है। इससे पुलवामा हमले के बाद जैश ए मोहम्मद पर कार्रवाई किये जाने को लेकर पाकिस्तान पर दबाव बढ़ने की संभावना है। 

रक्षा उपकरण निर्माताओं के लिए भारत में अपार अवसर: सीतारमण

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बेंगलुरु, 20 फरवरी, रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने एयरो इंडिया शो-2019 के दौरान वैश्विक रक्षा कंपनियों से स्पष्ट रूप से कहा कि भारत में रक्षा उपकरणों के निर्माण में निवेश करने से उनके लिए अपने व्यवसाय को दुनिया भर में फैलाने के अपार अवसर होंगे। श्रीमती सीतारमण ने एशिया के सबसे बड़े एयर शो कार्यक्रम के उद्घाटन भाषण के दौरान कहा, “ नरेंद्र मोदी सरकार रक्षा उपकरण कंपनियों की ओर से किये जाने वाले निवेश का पुरजोर स्वागत करती है और उन्हें हर तरह की सहूलियतें देने को तैयार है। उन्होंने कहा कि पिछले एक वर्ष में ‘मेक इन इंडिया’ नीति के तहत केवल रक्षा क्षेत्र में देश ने 1.27 लाख करोड़ रुपये के 200 सहमति पत्रों पर हस्ताक्षर किये गये हैं।  उन्हाेंने कहा, “ अब हम रक्षा खरीद के लिए 164 अनुरोध प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करेंगे जो अगले एक साल में क्रियान्वित होंगे जिसके तहत 2. 80 लाख करोड़ रुपये का निवेश होगा। अत: वैश्विक कंपनियों के लिए सरकारी, सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की भारतीय कंपनियों के साथ गठजोड़ करने के बड़े अवसर हैं।” उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार का जोर व्यापार में सहूलियतें प्रदान करना है और देश के विकास में गति लाने के लिए इसके प्रावधानों, सुविधाओं और नीति काे बेहतर बनना है।  भारत में रक्षा निर्माण क्षेत्र में 100 प्रतिशत विदेशी निवेश की अनुमति से देश को बड़ी कामयाबी मिली है और देश रक्षा उत्पादन के अग्रणी राष्ट्रों की ओर अग्रसर हो गया है।  उन्होंने कहा कि एयरो इंडिया शो बेंगलुरु के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यहां रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन भी है।  मेक इन इंडिया के तहत एयरोस्पेस क्षेत्र के इस हिस्से में रक्षा संबंधी निर्माण को काफी बढ़ावा मिला है।  रक्षा मंत्री ने कहा, “इस द्विवार्षिक कार्यक्रम में 600 भारतीय और 200 विदेशी कंपनियां शामिल हो रही हैं। नागरिक उड्डयन मंत्रालय भी इसमें शिरकत कर रहा है।”

नामवर पंचतत्व में विलीन, साहित्य जगत में शोक की लहर

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नयी दिल्ली, 20 फरवरी, हिन्दी आलोचना के शिखर पुरुष एवं प्रख्यात मार्क्सवादी चिन्तक नामवर सिंह का कल रात यहाँ अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान(एम्स) में निधन हो गया, वह 92 वर्ष के थे और उनके परिवार में पुत्र तथा पुत्री है।  उन्हें गत माह सिर में चोट लगने के कारण एम्स में भर्ती थे। राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, गृह मंत्री राजनाथ सिंह, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल समेत अनेक राजनेताओं ने श्री सिंह के निधन पर गहरा दुःख व्यक्त किया और उनके अवसान को भारतीय साहित्य की दुनिया में अपूरणीय क्षति बताया है।  साहित्य अकादमी, भारतीय ज्ञानपीठ, हिन्दी अकादमी, जनवादी लेखक संघ, प्रगति शील लेखक संघ, जनसंस्कृति मंच भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने भी गहरा शोक व्यक्त किया है और साहित्य में एक युग का अवसान बताया है।  श्री सिंह का बुधवार की शाम साढ़े चार बजे लोदी रोड शव दाह गृह में अंतिम संस्कार कर दिया गया। उनके पार्थिव शरीर को मुखाग्नि उनके पुत्र विजय सिंह ने दी। उनके अंतिम संस्कार में बड़ी संख्या में लेखक पत्रकार और बुद्धिजीवी मौजूद थे। इनमें सर्वश्री विश्वनाथ त्रिपाठी, अशोक वाजपेयी, इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केंद्र के अध्यक्ष राम बहादुर राय, साहित्य अकादमी के सचिव के. श्रीनिवास राव, हिन्दी अकादमी के पूर्व उपाध्यक्ष अशोक चक्रधर, वर्तमान उपाध्यक्ष सुरेन्द्र शर्मा, भारतीय ज्ञानपीठ के निदेशक मधुसुदन आनंद, आल इंडिया रेडियो के अपर महानिदेशक राजशेखर व्यास एन.सी.आर. टी. के. पूर्व निदेशक जगमोहन राजपूत, महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति विभूति नारायण राय, जवाहर लाल नेहरु विश्विद्यालय के हिन्दी विभाग के अध्यक्ष डॉ ओम प्रकाश सिंह, प्रसिद्ध अंग्रेजी लेखक हरीश त्रिवेदी, नित्यानद तिवारी, निर्मला जैन, सुधीश पचौरी, पत्रकार संतोष भारतीय, पत्रकार आशुतोष, एनडीटीवी के पत्रकार रवीश कुमार आदि प्रमुख हैं। भाकपा माकपा, हिन्दी अकादमी साहित्य अकादमी भारतीय ज्ञानपीठ और आल इंडिया रेडियो की तरफ से उनके पार्थिव शरीर पर पुष्प चक्र भेंट किये गये। पंडित हजारी प्रसाद दिवेदी के शिष्य श्री सिंह गत माह अपने घर पर आधी रात बिस्तर से गिर गये थे जिससे उनके सिर में चोट लग गयी थी। उन्हें एम्स के ट्रामा सेंटर में भर्ती कराया गया था जहाँ वह कई दिन तक अचेतावस्था में रहे। बीच में वह थोडा ठीक भी हुए थे लेकिन कल रात 11 बजकर 51 मिनट पर उन्होंने अंतिम साँस ली। उनका जन्म 28 जुलाई 1927 को उत्तर प्रदेश के जीयनपुर में हुआ था।  श्री सिंह की आरंभिक शिक्षा वाराणसी के क्वींस कालेज में हुई थी और उन्होंने हिन्दी में एम. ए. काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से किया था। उन्होंने अपनी पीएचडी हिन्दी साहित्य में अपभ्रंश के योगदान पर किया था। 

झाबुआ (मध्यप्रदेश) की खबर 22 फ़रवरी

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भाजपा की अल्पकालीन विस्तारक अभियान वृहद बैठक हुई समपन्न

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झाबुआ । भारतीय जनता पार्टी की अल्पकलानी विस्तारक अभियान की वृद्ध बैठक झाबुआ भाजपा कार्यालय पर रखी गई थी। कार्यक्रम मैं स्वागत भाषण भाजपा जिला अध्यक्ष ओम प्रकाश शर्मा ने दिया। इसके बाद अभियान के प्रभारी शयामा ताहेड ने अभियान अभियान का विस्तृत विवरण किया इसके पश्चात श्री गेंदा लाल बामन का जीने सभीअल्पकालीन विस्तारक को को मार्गदर्शक किया इस वृहद बैठक का संचालन जिला महामंत्री प्रवीण सुराणा ने किया  प्रदेश से आये अतिथी भाजपा संभागीय संगठन मंत्री जयपाल जी चावड़ा ने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए बताया की पार्टी ने बहुत संघर्ष किया है फिर हम यहां पहुंचे हैं भाजपा की यात्रा में समय दानी कार्यकर्ता की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है माननीय प्रधानमंत्री जी ने देश की छवि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंचाई है मोदी जी देश को मजबूत कर रहे हैं हमें समय देकर उनके हाथ मजबूत करना है निस्वार्थ भावना से काम करने वाले कार्यकर्ता भाजपा के पास हैं उन्हीं के बल पर मोदी जी ने देश की जनता का विश्वास प्राप्त किया है हमें गर्व है कि मोदी जी हमारे संगठन के कार्यकर्ता हैं मोदी जी द्वारा कार्यरत सारी योजना आगे भी इसी प्रकार चलेगी और नई जनकल्याणकारी योजना आगे भी आती रहेगी हमें समाज के बुद्धिजीवी समाजजन प्रबुद्धजन के पास जाना है और देश की मौजूदा सरकार के बारे में चर्चा करना है मोदी जी से कोई नाराज नहीं है निश्चित ही 2019 में हमारी सरकार बन रही है बस हमें हमारे समर्थकों को कार्यकर्ता के रूप में काम में लेना है आज जनता में भी पिछले दिनों हुए विधानसभा चुनाव का दुख है के कास थोड़े प्रयास और रहे होते तो हमारे प्रदेश में फिर शिवराज जी के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बन जाती अल्पकालीन विस्तारक अभियान 22 फरवरी  से 2 मार्च तक चलेगा जिसमें 26 तारीख को कमल दिवाली 28 को संगठन संवाद जैसे महत्वपूर्ण कार्यक्रम आने वाले हैं आप सभी विस्तारक सारे कार्यक्रम को सफल बन श्री गौरसिंह जी वसुनिया ने अपने अपने संबोधन में कार्यकर्ता को हितग्राहियों तक केंद्र सरकार की योजन पहुंचाने की बात कहीं हमारे प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र जी मोदी ने देश के लिए इतने काम किए हैं कि हम गिनाने बैठे तो बहुत समय निकल जाए यह सारी जनकल्याणकारी योजनाएं हमें जन-जन तक पहुंचाने हैं कार्यकर्ता के आधार से संगठन के माध्यम से हमें सरकार के बात जन-जन तक पहुंचाने है  बैठक का आभार नगर मंडल अध्यक्ष झाबुआ बबलू जी सकलेचा ने व्यक्त करा बैठक में भाजपा जिला अध्यक्ष ओम प्रकाश शर्मा जिला महामंत्री प्रवीण सुराणा श्री शयामा ताहेड कल्याण जी डामोर कमलेश दत्तला हरू भूरिया भूपेश सिंह और भंवर बिलवाल राधेश्याम राठौर जितेन पंचाल कई कार्यकर्ता उपस्थित थे।

14 फरवरी को शहादत दिवस घोषित किया जाए एवं जम्मू कष्मीर में धारा 370 पूर्ण रूप से हटाई जाए
राष्ट्रीय मानवाधिकार एवं महिला बाल विकास आयोग, आॅल मीडिया जर्नलिस्ट सोष्यल वेलफेयर एसोसिएषन और पीएन वाईस इंडिया ने कलेक्टर को सौंपा ज्ञापनदेष के प्रधानमंत्री से की मांग
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झाबुआ। बीती 14 फरवरी को देष के जम्मू-कष्मीर के पुलवामा जिले में हुए आतंकी हमले में सीआरपीएफ के 44 जवान शहीद हो गए, इस घटना से पूरा देष शोक स्तब्ध है। जगह-जगह शहीदांे को मौन रखकर श्रद्धांजलि दी जा रहीं है एवं आतंकवादियो को नेस्तोनाबूत करने के साथ ही पकिस्तान को इस करारा जवाब देने की मांग की जा रहीं है। इसी क्रम में राष्ट्रीय मानवाधिकार एवं महिला बाल विकास आयोग, आॅल मीडिया जर्नलिस्ट सोष्यल वेलफेयर एसोसिएषन तथा पीएन वाईस इंडिया परिवार द्वारा मिलकर 20 फरवरी, बुधवार को दोपहर 2 बजे कलेक्टोरेट पहुंचकर देष के प्रधानमंत्री के नाम कलेक्टर प्रबल सिपाहा को ज्ञापन सौंपा गया। जिसमंे 9 सूत्रीय मांग में प्रमुख रूप से 14 फरवरी को जिस दिन आतंकी हमले में 44 जवान शहीद हुए, इस ह्रदय विदारक घटना के दिन को शहादव दिवस के रूप में घोषित करने एवं जम्मू कष्मीर में धारा 370 को पूर्ण रूप से हटाने की मांग की गई।

44 जाबांज हुए शहीद
ज्ञापन में कहा गया कि पुलवामा में हुए आतंकी से पूरा भारत आक्रोषित है। भारत देष के वीर सैनिकों को कायरता से निषाना बनाया गया। जिसमें 44 जाबांज शहीद हो गए। उक्त सभी संगठन एवं संस्थाएं इस घटना का विरोध करते हुए घोर निंदा करती है। भारत सरकार से आतंकवाद को जड़ से सफाये के लिए कठोर कदम उठाए जाने की मांग करती है। ज्ञापन में बताया कि देष के जवान सीमा पर नहीं अपितु देष के भीतर भी आतंकी हमलो का षिकार हो रहे है।

9 सूत्रीय बिंदुओं का किया गया जिक्र
ज्ञापन में 9 सूत्रीय मांगों में 14 फरवरी को देष ने कोहीनूर हीरों को खोया है, उनकी याद हमेषा हर भारतीय के बीच बनी रहे, इसके लिए इस दिन को शहादत दिवस घोषित करने, इसके साथ ही समस्त शासकीय एवं अन्य संस्थाओं में सेनिक सम्मान कार्यक्रम आयोजित करने के आदेष प्रदान करने, सैनिकों की नियुक्ति के साथ उनके परिवार को सभी प्रकार की शासकीय सुविधाओं का लाभ दिए जाने, उन्हें पेंषन देने का प्रावधान करने, शहीद ृसैनिकों के परिवार से एक व्यक्ति को शासकीय विभाग में स्थायी नौकरी का प्रावधान किए जाने, सैनिकों के लिए अलग से फंड बनाए जाने के लिए स्थायी सेना राहत कोष की स्थापना करते हुए उसका बैंक खाता क्रमांक सार्वजनिक किया जाने, ताकि देष की जनता सैनिक परिवार के लिए अपनी निधि सीधे उन तक पहुंचा सके, जिसका संचालन सभी सेना के प्रमुख के हाथ में हो। देष में सेना में जाने के लिए नौजवान तैयार हो, इसके लिए हर जिलों में सैनिक केंप आयोजित किए जाने, जम्मू कष्मीर में धारा 370 को पूर्ण रूप से हटाया जाए, यहीं आतंकवाद समाप्ति का मार्ग है। आतंकवाद से निपटने के लिए देष की सुरक्षा व्यवस्था मजबूत की जाने, पाकिस्तान से आए हर व्यक्ति को वापस पाकिस्तान भेज दिया जाने, अन्य स्थानों से आए संदिग्ध व्यक्तियों पर भी यहीं नियम लागू किए जाने, अंतिम मांग में आतंकवादियों को संरक्षण देने वालों पर भी सख्त कार्रवाई किए जाने एवं उन्हें आजीवन कारावास में डालकर उनकी संपत्ति अधिगृहित किए जाने की मांग की गई।

ये थे विषेष रूप से उपस्थित
ज्ञापन सौंपते समय जिले के वरिष्ठ समाजसेवी एवं आॅल इंडिया जर्नलिस्ट सोष्यल वेलफेयर एसोसिएषन के जिला संरक्षक यषवंत भंडारी, राष्ट्रीय मानवाधिकार एवं महिला बाल विकास आयोग के प्रतिनिधि प्रदेष अध्यक्ष मनीष कुमट, पीएन वाईस परिार से पवन नाहर, आॅल मीडया जर्नलिस्ट सोष्यल वेलफेयर एसोसिएषन के प्रदेष उपाध्यक्ष अली असगर बोहरा, जिलाध्यक्ष दौलत गोलानी, साबिर मंसूरी, तहसील अध्यक्ष चन्द्रषेखर राठौर, गौरव अरोड़ा, जमनालाल चैधरी, राकेष पोतदार, विजय पटेल आदि उपस्थित थे।

बिहार : युद्धस्तर पर सरकारी योजना चलाने की जरूरत

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एक भी महादलित मुसहर मैट्रिक पास नहींधमना मुसहरी टोला है सिकन्दरा प्रखंड के ईटा सागर पंचायत में
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जमुई। समाज के हाशिए पर रहने वाले मुसहर समुदाय को केन्द्र में रखकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने महादलित आयोग बनाया था। महादलित आयोग के रहते धमना मुसहरी टोला में विकास नहीं हो पा रहा है। यहां पर 120 घर है। 120 घरों में केवल 10 लोगों को वासगीत पर्चा मिला है। वहीं केवल 15 लोगों का ही इंदिरा आवास योजना से मकान बना है। जबतक मुसहरी में गैर सरकारी संस्थाओं का आवाजाही रहा था तबतक महादलितों की समस्याओं को लेकर चिंतित रहे। प्रशासन से संवाद और लोक संघर्ष करते रहे। 

धमना मुसहरी टोला है सिकन्दरा प्रखंड के ईटा सागर पंचायत में
जमुई जिले के सिकन्दरा प्रखंड में है ईटा सागर पंचायत। इसी पंचायत में है धमना मुसहरी टोला। यहां पर करीब 120 घर है। इनकी जनसंख्या है 586। इन महादलित मुसहर समुदाय की सरकार के समक्ष फरियाद करने से सिर्फ 15 महादलितों की ही सुधि ली गयी । इन 15 महादलितों का इंदिरा आवास योजना के तहत मकान निर्माण किया गया। कई दशकों से मालिक गैर मजरूआ भूमि पर रहने वालों को सिर्फ 10 ही लोगों को वासगीत पर्चा मिल पाया है।

धमना मुसहरी में एक भी महादलित मुसहर मैट्रिक पास नहीं
सामाजिक कार्यकर्ता मंजू डुंगडुंग ने कहा इन महादलितों के पूर्वजों ने धमना मुसहरी में मालिक गैर मजरूआ भूमि पर कब्जा कर रखा है। परन्तु सरकार के द्वारा पर्चा निर्गत नहीं किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से एक भी महादलित मुसहर मैट्रिक पास नहीं हो सका है। यहां पर कुष्ठ रोगियों की संख्या अधिक है। गर्भवर्ती महिलाओं को पौष्टिक आहार नहीं मिलता है। इसका असर गर्भस्थ शिशु पर पड़ता है। शिशु जन्मजात कुपोषित हैं। इस क्षेत्र में है आंगनबाड़ी केन्द्र। मगर उक्त केन्द्र के माध्यम से कुपोषण के दलदल में फंसे बच्चों को कुपोषण से बाहर निकालने में अक्षम साबित हो रहा है। वहीं भारी संख्या में पलायन जारी है। मनरेगा भी तेज पलायन को रोकने में नाकामयाब है। ईंट भट्टों के अलावे अन्य प्रदेषों में लोग कार्य करने चले जाते हैं। पीओ द्वारा मनमाना करने से लोग मनरेगा से मोहभंग कर लिए है।

युद्धस्तर पर सरकारी योजना चलाने की जरूरत
सामाजिक कार्यकर्ता मंजू डुंगडुंग ने कहा कि यहां पर युद्धस्तर पर सरकारी योजना चलाने की जरूरत है। कुछ साल पहले श्रमदान करके युवा और युवतियों के द्वारा तालाब निर्माण किया गया था। इससे सिंचाई और मवेशियों को पानी पिलाने में सहुलियत मिलती। यहां के लोग गांव में रचनात्मक कार्य करने को तैयार रहते हैं। बुनियाद समस्याओं को दूर करने को लेकर युवा-युवतियों को जागरूक किया गया।

बिहार : "लव यू दुल्हिन"से ही बिहार में होगी "मैथिली सिनेमा इंडस्ट्री"छैला बिहारी

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अरुण कुमार (आर्यावर्त) सम्पूर्ण रूप से बिहार में बनने वाली मैथिली फीचर फिल्म "लव यू दुल्हिन"से ही सूबे में "मैथिली सिनेमा इंडस्ट्री"के स्थापित होने की संभावना बन गई है।इसके निर्माण में जो उच्च मानकों का ख्याल रखा गया है मैथिली सिनेमा से जुड़े फिल्मकारों को उससे प्रेरित होने की आवश्यकता है।ये बातें ज़िला खगड़िया से जुड़े बिहार के सुप्रसिद्ध लोकगायक सुनील छैला बिहारी ने आगामी 15मार्च को प्रदर्शन को तैयार मैथिली फ़िल्म "लव यू दुल्हिन"के  प्रमोशन के दौरान कही।उन्होंने कहा कि "भोजपुरी"भाषा को संविधान के आठवें अनुसूची में शामिल होने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है किन्तु "मैथिली"पहले से ही ये गौरव प्राप्त कर चुका है किंतु फिर भी सारे गुणों के बावजूद इस भाषा की सिनेमा इंडस्ट्री स्थापित होने के लिए संघर्ष के दौर से गुज़र रही है।उन्होनें उम्दा फ़िल्म के निर्माण के लिए "लव यू दुल्हिन"के निर्माता बिष्णु पाठक और रजनीकांत पाठक एवम निर्देशक मनोज श्रीपति की जमकर प्रशंसा की एवम फ़िल्म के सुपरहिट होने की शुभकामनाएं दी।"लव यू दुल्हिन"के अभिनेता अमित कश्यप को सम्मानित भी किया गया। उक्त अवसर पर सुनील छैला बिहारी, तेघड़ा के अनुमंडल पदाधिकारी डॉ. निशांत,मिथिलांचल के वरिष्ठ पत्रकार व साहित्यकार चाँद मुसाफ़िर, बॉलीवुड एक्टर सह "लव यू दुल्हिन"के अभिनेता अमित कश्यप, मंसुरचक के प्रखंड विकास पदाधिकारी प्रभात दत्त,थानाध्यक्ष अरविंद कुमार, भाजपा के प्रांतीय पदाधिकारी सह गोविंदपुर-2 के मुखिया सुधीर कुमार मुन्ना आदि के द्वारा पोस्टर जारी कर फ़िल्म का प्रमोशन किया गया।मौके पर फ़िल्म से जुड़े कलाकारों राकेश महंथ, रंजीत गुप्त,अजय अनंत के अलावा मंसुरचक की प्रमुख जलस देवी,ज़िला पार्षद ललिता देवी,"उड़ान प्ले स्कूल"के संस्थापक राजेश कुमार,संदेश कुमार,बहरामपुर के मुखिया निरंजन ईश्वर, गोविंदपुर-1 के मुखिया राजीव पासवान,उच्च विद्यालय बागवाड़ा के पूर्व प्रधानाध्यापक बासुकी नाथ सिंह,अजीत झा,युवा कवि कुमार अमरेश आदि थे।

बिहार : आज से कड़ी सुरक्षा और जाँच के तहत मैट्रिक परीक्षा की हुई शुरुआत

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अरुण कुमार (आर्यावर्त) बिहार में आज यानी गुरुवार से बिहार विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा आयोजित मैट्रिक परीक्षा शुरू होने जा रही है।इस बार मैट्रिक परीक्षा में लड़कों की तुलना में  13541 लड़कियाँ अधिक शामिल हो रही हैं।जबकि पूरे प्रदेश में 16 लाख 60 हजार 609 परीक्षार्थी शामिल होंगे।इनमें छात्राओं की संख्या 8 लाख 37 हजार 75 है। जबकि, छात्रों की संख्या 8 लाख 23 हजार 534 है।राज्य भर में 1,418 परीक्षा केंद्र बनाए गए हैं मैट्रिक परीक्षा के लिए 8 लाख 42 हजार 888 परीक्षार्थी प्रथम सत्र में और 8 लाख 17 हजार 721 द्वितीय सत्र में शामिल होंगे। परीक्षा को लेकर बिहार बोर्ड ने कई नियम बनाए हैं और परीक्षार्थियों के लिए गाइड लाइन भी जारी की है।इसके तहत परीक्षार्थी सेंटर पर जूता-मोजा पहनकर नहीं जा सकेंगे।इसी तरह के और भी कई निर्देश जारी किए गए हैं,जिन्हें परीक्षा​र्थियों के लिए जानना और पालन करना अतिआवश्यक होगा।

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परीक्षा केंद्र में जूता-मोजा पहनकर प्रवेश करने की इजाजत नहीं दी गई है।परीक्षार्थियों को एडमिट कार्ड की मूल प्रति और पेन के सिवा कुछ भी नहीं ले जाना है।केंद्राधीक्षक के अलावा किसी भी पदाधिकारी, कर्मचारी और वीक्षक को मोबाइल के साथ प्रवेश वर्जित रहेगा।परीक्षार्थियों को परीक्षा आरंभ होने से कम से कम 10 मिनट पहले केंद्र में प्रवेश करना अनिवार्य होगा। इंटरमीडिएट परीक्षा की तरह ही इस बार मैट्रिक की उत्तर पुस्तिका और ओएमआर शीट पर परीक्षार्थियों का नाम,रौल नंबर,रोल कोड और विषय कोड प्रिंटेड मिलेगा।उत्तर पुस्तिका यानी ऐंसर शीट और ओएमआर पर व्हाइटनर, इरेजर, नाखून, ब्लेड का इस्तेमाल नहीं करना होगा।किसी प्रकार की इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस लेकर परीक्षा केंद्र में प्रवेश पर बैन है।वीडियो कैमरे के समक्ष जाँच में कैलकुलेटर, मोबाइल फोन एवं अन्य इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स जैसे-ब्लूटूथ, इयरफोन मिलने पर परीक्षा से परीक्षार्थियों को वंचित कर दिया जाएगा।

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आगे आपको बताते चलें कि बेगूसराय में कड़ी सुरक्षा के बीच 34 केंद्रों पर मैट्रिक की परीक्षा शुरू हो गई है। यह परीक्षा 21 फरवरी से लेकर 28 फरवरी तक चलेगी। शहर के बीपी हाई स्कूल परीक्षा केंद्र पर छात्रों की सघन जाँच और तलाशी के बाद परीक्षार्थी को परीक्षा केंद्र के अंदर जाने दिया जा रहा है। 08 बजे के बाद से ही छात्र परीक्षा केंद्र पर पहुँचने लगे और पंक्तिबद्ध होकर केंद्र के अंदर जा रहे थे। केंद्र पर मौजूद जांच अधिकारी सभी परीक्षार्थियों का तलाशी ली। जूता पहने छात्रों को जूता खुलवाया गया और उसके बाद परीक्षा केंद्र के अंदर जाने दिया गया कई छात्र खाली पैर ही परीक्षा केंद्र के अंदर जाते दिखे। इस बार बेगूसराय में 52507 परीक्षार्थी परीक्षा में शामिल हो रहे हैं। जिसमें 27 हजार 782 छात्राएं जबकि 24 हजार 725 छात्र परीक्षा में शामिल होंगे कदाचार मुक्त परीक्षा को लेकर हर केंद्र पर पुलिस बल के साथ महिला पुलिस को भी लगया गया है।बलिया के तीन परीक्षा केंद्रों पर मैट्रिक परीक्षा को लेकर परीक्षार्थियों की भीड़ उमर पड़ी।मैट्रिक परीक्षा को लेकर पहले दिन छात्र-छात्राओं में उत्साह देखा गया।ज्ञातव्य हो कि बलिया के एसएएस उच्च विद्यालय, पीडीएसके काॅलेज सदानंदपुर एवं बङी बलिया उच्च विद्यालय में मैट्रिक परीक्षा का परीक्षा केन्द्र बनाया गया है।शहर में जाम नहीं लगें इसको लेकर जगह जगह पुलिस की व्यवस्था की गई है।पिछले साल से तीन हजार परीक्षार्थी कम है इस बार। सभी केंद्रों पर सूरक्षा की व्यवस्था की गई है। सभी परीक्षा केंद्रों पर धारा 144 लागू कर दी गई है। शहर में जाम नहीं लगे इसको लेकर जगह-जगह पुलिस की तैनाती भी की गई है।

बिहार : वनाधिकार कानून -2006 के प्रति केंद्र सरकार उदासीन, आम चुनाव में दिखेगा असर

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देश में इससे पहले इतने बड़े पैमाने पर जनजाति समुदायों को बेदखल करने का मामला16 राज्यों के करीब 10 लाख आदिवासियों और जंगल में रहने वाले 27 जुलाई तक हो जाएंगे बेदखलदेश में इससे पहले इतने बड़े पैमाने पर जनजाति समुदायों को बेदखल करने का मामला कभी सामने नहीं आया था। एन.डी.ए.सरकार ने लाखों आदिवासियों और गरीब किसानों को जंगलों से बाहर निकालने के अपने इरादे का संकेत दे रही है। 
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पटना,21 फरवरी।केंद्र में एनडीए की सरकार है। भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री हैं। कांग्रेस के शासनकाल में निर्मित है वनाधिकार कानून-2006। कुछ गैर-सरकारी संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट में मामला दायर कर रखा है। 13 फरवरी की सुनवाई थी। सुनवाई के दिन केंद्र सरकार ने अपने वकीलों को ही नहीं भेजा। इसके बाद कोर्ट ने राज्यों को आदेश दे दिया कि वे 27 जुलाई तक उन सभी आदिवासियों को बेदखल कर दें जिनके दावे खारिज हो गए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने देश के करीब 16 राज्यों के करीब 10 लाख आदिवासियों और जंगल में रहने वाले अन्य लोगों को जंगल की जमीन से बेदखल करने का आदेश दिया है। बताते चले कि आदिवासियों और जंगल में रहने वाले अन्य लोगों के अधिकारों की रक्षा के लिए बने एक कानून का केंद्र सरकार बचाव नहीं कर सकी, जिसकी वजह से सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश दिया है। अब अन्य राज्यों को भी अदालत का आदेश लागू करने के लिए बाध्य होना होगा जिसकी वजह से देशभर में अपनी जमीन से जबरदस्ती बेदखल किए जाने वालों की संख्या में बढ़ोतरी देखी जाएगी। अदालत का यह आदेश एक वन्यजीव समूह द्वारा दायर की गई याचिका के संबंध में आया है जिसमें उसने वन अधिकार अधिनियम की वैधता पर सवाल उठा था। याचिकाकर्ता ने यह भी मांग की थी कि वे सभी जिनके पारंपरिक वनभूमि पर दावे कानून के तहत खारिज हो जाते हैं, उन्हें राज्य सरकारों द्वारा निष्कासित कर दिया जाना चाहिए । साल 2002-04 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जब आखिरी बार देशभर में जनजाति समुदायों को बेदखल करने का काम हुआ था तब मध्य भारतीय जनजाति वन इलाकों में हिंसा, हत्याओं और विरोध प्रदर्शनों की अनेक घटनाएं सामने आई थीं और लगभग तीन लाख निवासियों को अपना स्थान छोड़ना पड़ा था। सुप्रीम कोर्ट ने 10 लाख से अधिक आदिवासियों को जमीन से बेदखल करने का आदेश दिया।

13 फरवरी को अपने वकीलों को ही नहीं भेजा
इस कानून के बचाव के लिए केंद्र सरकार ने जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस नवीन सिन्हा और जस्टिस इंदिरा की पीठ के समक्ष 13 फरवरी को अपने वकीलों को ही नहीं भेजा। इसी वजह से पीठ ने राज्यों को आदेश दे दिया कि वे 27 जुलाई तक उन सभी आदिवासियों को बेदखल कर दें जिनके दावे खारिज हो गए हैं। इसके साथ ही पीठ ने इसकी एक रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में जमा करने को भी कहा। यह लिखित आदेश 20 जनवरी को जारी हुआ है। अदालत ने कहा, ‘राज्य सरकारें यह सुनिश्चित करेंगी कि जहां दावे खारिज करने के आदेश पारित कर दिए गए हैं, वहां सुनवाई की अगली तारीख को या उससे पहले निष्कासन शुरू कर दिया जाएगा। अगर उनका निष्कासन शुरू नहीं होता है तो अदालत उस मामले को गंभीरता से लेगी। 

मामले की अगली सुनवाई की तारीख 27 जुलाई 
इस तारीख तक राज्य सरकारों को अदालत के आदेश से आदिवासियों को उनकी जमीन से बेदखल करने का काम शुरू कर देना होगा। अदालत के आदेश के विश्लेषण से पता चलता है कि शीर्ष अदालत को अब तक अस्वीकृति की दर बताने वाले 16 राज्यों से खारिज किए गए दावों की कुल संख्या 1,127,446 है जिसमें आदिवासी और अन्य वन-निवास घर शामिल हैं।  वहीं जिन राज्यों ने अदालत को अभी तक ऐसी जानकारी उपलब्ध नहीं कराई है उन्हें उपलब्ध कराने को कहा गया है।  उनके द्वारा जानकारी उपलब्ध कराए जाने के बाद यह संख्या बढ़ भी सकती है। 

कांग्रेस नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के पहले कार्यकाल में पास
कांग्रेस नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के पहले कार्यकाल में पास होने वाले वन अधिकार अधिनियम के तहत सरकार को निर्धारित मानदंडों के विरुद्ध आदिवासियों और अन्य वनवासियों को पारंपरिक वनभूमि वापस सौंपना होता है. साल 2006 में पास होने वाले इस अधिनियम का वन अधिकारियों के साथ वन्यजीव समूहों और नेचुरलिस्टों ने विरोध किया था। जनजातीय समूह मानते हैं कि उनके दावों को कुछ राज्यों में व्यवस्थित रूप से अस्वीकार कर दिया गया है और उनकी समीक्षा किए जाने की आवश्यकता है। वहीं कई राज्यों से ऐसी रिपोर्टें आई हैं जहां समुदायिक-स्तर के दावों को स्वीकार करने को लेकर भी गति बहुत धीमी है।

याचिकाकर्ता बेंगलुरु स्थित वाइल्डलाइफ फर्स्ट
याचिकाकर्ता बेंगलुरु स्थित वाइल्डलाइफ फर्स्ट जैसे कुछ गैर-सरकारी संगठनों का मानना है कि यह कानून संविधान के खिलाफ है और इसकी वजह से जंगलों की कटाई में तेजी आ रही है। उनका कहना है कि अगर यह कानून बचा भी रह जाता है तब भी दावों के खारिज होने के कारण राज्य सरकारें अपने आप जनजाति परिवारों को बाहर कर देंगी। जनजाति समूहों का कहना है कि कई मामलों में दावों को गलत तरीके से खारिज कर दिया गया। उनका कहना है कि इसकी नए अधिनियम के तहत समीक्षा होनी चाहिए जिसे जनजाति मामलों के मंत्रालय ने सुधार प्रक्रिया के रूप में लाया था। कानून के तहत उन्हें अपने आप बाहर नहीं निकाला जा सकता है और कुछ मामलों में तो जमीनें उनके नाम पर नहीं हैं क्योंकि वे उन्हें पैतृक वन संपदा के रूप में मिली हैं। अदालत ने जब आखिरी बार इस मामले की सुनवाई की थी तब कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भाजपा नेतृत्व वाली एनडीए सरकार पर इस मामले में मूक-दर्शक बने रहने का आरोप लगाया था।  उन्होंने कहा, ‘भाजपा सुप्रीम कोर्ट में मूक दर्शक बनी हुई है, जहां वन अधिकार कानून को चुनौती दी जा रही है। वह लाखों आदिवासियों और गरीब किसानों को जंगलों से बाहर निकालने के अपने इरादे का संकेत दे रही है। कांग्रेस वंचित भाई-बहनों के साथ खड़ी है और इस अन्याय के खिलाफ पूरे दम से लड़ाई लड़ेगी‘।

बेगुसराय : गायिका नीलम को किया गया सम्मानित

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अरुण कुमार (आर्यावर्त)अभी अभी देवरिया से प्राप्त सूचना से ज्ञात हुआ कि,आचार्य व्यास मिश्र स्मृति देवरिया महोत्सव समिति द्वारा आयोजित देवरिया महोत्सव 2018 में भोजपुरी गायन (जूनियर वर्ग) में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाली सुरौली पैकौली की निवासी नीलम चौरसिया पुत्री श्री रामाधार चौरसिया अपने व्यक्तिगत कारण से अपना पुरस्कार मुख्य मंच से नही प्राप्त कर पाई थी, परिवारजनों के साथ आज दिनांक- 21 फरवरी को देवरिया महोत्सव कार्यालय भीखमपुर रोड पहुँचने पर समिति द्वारा प्रमाण पत्र और शील्ड देकर सम्मानित किया गया। सुरौली पैकौली निवासी नीलम चौहान बब्बन सिंह इंटर कालेज हरैया में कक्षा 10 की छात्रा है, नीलम पिछले वर्ष आयोजित देवरिया महोत्सव 2018 में भोजपुरी गायन प्रतियोगिता  (जूनियर वर्ग)  में प्रथम स्थान प्राप्त किया था। आचार्य व्यास मिश्र स्मृति देवरिया महोत्सव समिति के अध्यक्ष पवन कुमार मिश्र ने नीलम को शुभकामना देते हुए कहा कि समिति जिले के ग्रामीण क्षेत्र की नवोदित प्रतिभाओ को मंच प्रदान कर उनकी प्रतिभा को निखारने के लिए हमेशा कार्य करती रहेगी उन्होंने बताया कि शीघ्र ही आचार्य व्यास मिश्र स्मृति देवरिया महोत्सव समिति द्वारा आयोजित होने वाली वार्षिक प्रतियोगिताओ के आवेदन फार्म वितरित किये जायेंगे, इस अवसर पर उपस्थित गायिका नीलम के भाई बृजेश चौहान ने प्रसन्नता जाहिर करते हुए समिति को धन्यवाद दिया। इस मौके पर मुख्य रूप से पवन कुमार मिश्र , फडीन्द्र मणि , राजू मिश्र , बृजेश चौहान , सुशील पाठक, अमित मिश्र, बंशीधर मिश्र उपस्थित रहे।

बिहार : भाकपा ने नामवर सिंह के निधन पर संवेदना व्यक्त की

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पटना, 21 फरवरी 2019। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध आलोचक,साहित्यकार, माक्र्सवादी साहित्यिक  एवं राजनितिक चिंतक तथा ख्याति प्राप्त शिक्षक डा० नामवर सिंह के निधन पर गहरी संवेदना व्यक्त की है। और  उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की है। आज यहाँ जारी प्रेस वक्तव्य में भातरीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव सत्यनारायण सिंह ने कहा है की डा० नामवर सिंह का निधन 93 वर्ष की अवस्था में 19 फरवरी को अर्ध रात्रि में हो गया। वे पिछले पांच दशकों से आधुनिक हिंदी साहित्य में आलोचना के शीर्ष पुरुष के रूप में एक अतुलनीय मेधा एवं विद्धता  के स्तम्भ बने रहे। आलोचना और वैचारिक संघर्षो में एक ओजस्वी एवं प्रखर वक्त्ता के रूप में सदैव ही उन्होंने समाज के शैक्षिक एवं वैचारिक राजनितिक चिंतक जगत को आंदोलित रखा। उनके निधन से देश की संस्कृति, साहित्य एवं विचार की प्रगतिशील जनवादी धारा को भारी नुकसान हुआ है।

केन्द्र की उदासीनता से आदिवासियों के अस्तित्व पर खतरा : रनसिंह परमार

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20 लाख आदिवासी परिवारों के समक्ष आवास और आजीविका का खतरा पैदा हो गयाकेन्द्र की उपेक्षा के कारण आदिवासियों के आवासीय और आजीविका के अधिकार पर प्रश्न
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ग्वालियर। केन्द्र सरकार की उपेक्षा के कारण 20 लाख आदिवासी परिवारों के समक्ष आवास और आजीविका का खतरा पैदा हो गया है। उक्त बात एकता परिषद के अध्यक्ष रन सिंह परमार ने ग्वालियर में आयोजित भूमि अधिकार की मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ की बैठक में कही। एकता परिषद के अध्यक्ष रन सिंह परमार ने कहा कि वन्यजीव समूह द्वारा दायर की गई याचिका में अदालत के आदेश के बेदखली के आदेश के बाद मूलनिवासियों के अधिकार पर खतरा और संकट पैदा हो गया है। इस मामले में केन्द्र सरकार की उदासीनता की निंदा करते हुए उन्हांेने कहा कि वन अधिकार मान्यता कानून के लागू हुए 10 साल पूरे हो रहे हैं जिसमें पूरे देश में 42 लाख से अधिक आदिवासियों के दाखिल दावे के सापेक्ष 38 लाख दावों पर कार्यवाही की गयी और उसमें से 18 लाख परिवारों को वनाधिकार मिला है। इस तरह से 20 लाख परिवार जो दूर दराज वन क्षेत्रों में रहते हैं और उनकी आजीविका का एक मात्र साधन खेती और वनभूमि है उनके अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है। मध्यप्रदेश के अनिल भाई ने कहा जिन परिवारों को अधिकार दिया गया वह उनके द्वारा काबिज वनभूमि से कम है और सबूतों के अभाव और प्रक्रियाओं की जानकारी के अभाव के कारण और वनविभाग द्वारा सबूत नहीं दिये जाने के कारण आदिवासियों ने अपनी पैरवी ठीक ढंग से नहीं कर पायी और उनके दावे निरस्त हो गये। उन पर पुनर्विचार किये जाने की आवष्यकता थी। छत्तीगसढ से आये अरूण भाई ने कहा कि जब उच्चतम न्यायालय में इस प्रकरण की सुनवाई हो रही थी उस समय केंद्र सरकार को आदिवासी और वनवासी समाज का पक्ष मजबूती के साथ रखना था लेकिन आदिवासी और वनवासी हितों के अधिकारों के लिए सरकार उदासीन रही जिसका परिणाम भी सामने है। प्रशांत पी.व्ही ने कहा कि सबसे बड़ा प्रष्न उन 20 लाख परिवारों के सामने होगा जो बेदखल होंगे क्या सरकार के पास इस तरह की कोई योजना है जिसमें उनको सम्मानपूर्वक जीवन जीने का हक दिया जा सके। राजनांद गांव जिले से आयी बिरोहित आदिवासी ने कहा कि आदिवासियों के साथ किये गये ऐतिहासिक अन्याय को दूर करते हुए यह कानून यूपीए सरकार के समय लाया गया था, एनडीए सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में पैरवी को कमजोर कर आदिवासी अस्मिता के साथ खिलवाड़ की है। छत्तीसगढ़ से आये सीताराम सोनवानी ने कहा कि सरकार ने जो दावा स्वीकृत किया है वह उंट के मुंह में जीरा समान है, इससे आदिवासी और वनवासियों का हित बड़े पैमाने पर प्रभावित होगा। मुरली भाई ने केन्द्र सरकार की उपेक्षा की भर्सत्ना की। भूमि अधिकार बैठक में शामिल सभी सदस्यों ने केन्द्र सरकार से मांग किया कि सरकार इस आदेश में रिव्यू पिटीशन दाखिल कर आदिवासी हितों को सर्वोच्च न्यायालय के सामने रखे जिससे आदिवासी समाज का स्वाभिमान और सम्मान की सुरक्षा की जा सके। बैठक में मध्यप्रदेश तथा छत्तीसगढ़ से शिवपुरी, ग्वालियर, रायसेन, उमरिया, डिंडौरी, राजनांद गांव, कोरिया, सरगुजा, रायपुर, गरियाबंद जिलों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया ।

बेगुसराय : उत्साह पूर्वक मनाया गया अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस

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अरुण कुमार (आर्यावर्त) गंगा ग्लोबल इंस्टिट्यूट ऑफ टीचर एडुकेशन ने यूनेस्को द्वारा 1999 में बनाये गये तथा विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के पत्र के आलोक में अपनी मातृभाषा के अतिरिक्त अन्य भाषाओं को सीखने के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाया।इस अवसर पर गंगा ग्लोबल बी0एड0 काॅलेज के सत्र 2018-20 के प्रशिक्षुओं ने कार्यक्रम आयोजित किया।बिहार में प्रचलित मातृभाषा का महत्व पर निबंध लेखन प्रतियोगिता के साथ अंगिका, मैथिली, ब्रज और अवधी भाषा में कहानी, गायन व संभाषण की प्रस्तुति की गयी।प्राचार्य डाॅ0 शैलेन्द्र प्रताप दुबे ने अवधी भाषा का प्रयोग किया वहीं सहप्राचार्य डाॅ0 राजेश सिंह ने भागलपूरी अंगिका में तथा प्रो0 रूपेश कुमार ने बेगूसराय की अंगिका में मातृभाषा के प्रभाव और उसका महत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला।प्रो0 सुधाकर पाण्डेय ने भी अपने विचार प्रकट किये।प्रशिक्षु रौशन कुमार, दीपक कुमार ने उद्देश्यपरक कहानी सुनाया वहीं कामिनी कुमारी, प्रियंका कुमारी, विकास कुमार तथा प्रो0 राजीव कुमार ने हिन्दी, मैथिली व अंगिका में गायन से मातृभाषा में अभिव्यक्ति का प्रभाव दिखाया।राजा कुमार ने इसके उद्देश्य और महत्व पर आलेख प्रस्तुत किया।कार्यक्रम का संयोजन व संचालन प्रो0 परवेज़ यूसुफ़ ने किया।इस अवसर पर प्रशिक्षुओं के साथ प्रो0 अनामिका, प्रो0 कामायिनी, प्रो0 विपिन कुमार, प्रो0 सूर्यप्रताप, प्रो0 बिनोद, डाॅ0 नीरज, प्रो0 अमर व प्रो0 रश्मि उपस्थित थी।

बेगूसराय : पलवामा में हुए शहीदों के प्रति श्रद्धाञ्जलि सभा का आयोजन

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अरुण कुमार (आर्यावर्त) आज दिनांक21 फ़रवरी दिन बृहस्पतिवार को राष्ट्रीय कवि संगम,बेगूसराय जिला इकाई के जिला अध्यक्ष श्री प्रभाकर कुमार राय जी के अध्यक्षता में जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए शहीद जवानों को तथा प्रखर आलोचक कविवर नामवर सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित करने हेतु  दिनकर फिल्‍म सिटी,बेगूसराय में शोकसभा आयोजित की गई,इस सभा में हिन्दी भोजपुरी एवं मैथिली फिल्मों के कलाकार और जिले के सम्मानित कवि एवं कवियत्री ने एक साथ दो मिनट का मौन धारण कर श्रद्धाञ्जलि अर्पित किए।इस मौके पर शिक्षक नेता अमरेंद्र कुमार,वॉलीवुड अभिनेता अमिय अमित कश्यप,रंजना जी,वरिष्ठ रंगकर्मी अरुण शाण्डिल्य और अध्यक्षता कर रहे प्रभाकर कुमार राय ने सभा को संबोधित किया।इस मौके पर अमिय कश्यप,राकेश कुमार महंथ, भूमिपाल राय,राणा कुमार सिंह,रंजना सिंह अंगवाणी,सुन्‍दरम्‌ गाँधी, सुप्रिया सिंहा,कुमार आर्यन,रंगकर्मी सह चरित्र अभिनेता अरूण शाण्‍डिल्‍य,अभिलाष मिश्रा,कई शार्ट एवं सैंया ई रिक्शावाला फीचर फिल्म के कथाकार निर्देशक अरविंद जी सहित कई गणमान्य साहित्‍यकार उपस्थित थे।
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