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उत्तराखंड की विस्तृत खबर (08 अगस्त)

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अब होगी उत्तराखंड भाजपा की पूरी ओवरहालिंग, कोश्यारी और निशंक पर दांव खेलेगा केन्द्रीय नेतृत्व
  • दूसरे पांत के नेता हरीश रावत से लड़ने में अक्षम

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देहरादून,8 अगस्त (राजेन्द्र जोशी)।उत्तराखंड भाजपा की सेकेंड लाइन के कमजोर प्रदर्शन से नाखुश पार्टी हाईकमान एक बार फिर प्रथम पंक्ति के नेताओं की ओर देखने लगा है। अगर बहुत कुछ उलट फेर नहीं हुआ तो शीघ्र ही प्रदेश भाजपा संगठन की ओवरहालिंग कर दी जाएगी। ऊपर से नीचे तक सभी बदल दिए जाएंगे। मुख्यमंत्री हरीश रावत से दो-दो हाथ करने के लिए कोश्यारी या निशंक को प्रदेश के पटल पर लाया जाएगा। यह सारी कवायद मिशन 2017 के विधानसभा  चुनाव को केन्द्र में रखकर की जा रही है। हालिया दो चुनावों में पार्टी को मिली शिकस्त के बाद प्रदेश अध्यक्ष तीरथ सिंह रावत और नेता प्रतिपक्ष अजय भट्ट की परफार्मेंस का नए सिरे से आंकलन शुरू हो गया है। पंचायत चुनाव में उत्तरकाशी, पौड़ी समेत कुछ अन्य जिलों में उम्मीदवारों के ‘चयन’ और लचर चुनावी रणनीति ने कई सवाल खड़े कर दिए है। पौड़ी में सुमन कोटनाला और उत्तरकाशी में यशोदा राणा की उपेक्षा भाजपा को भारी पड़ गयी।  पार्टी नेतृत्व को लगने लगा है कि मौजूदा प्रदेश नेतृत्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के कद के आगे बौना साबित हो रहा है। कई मुद्दों पर बड़े नेता सरकार की घेराबंदी नहीं कर पा रहे है। दोनों चुनावों में इन नेताओं की रही सही पोल भी खुल गयी। और जनता ने भाजपा को ही कडुवी दवा चखा दी। हालांकि, भाजपा का केन्द्रीय नेतृत्व त्रिवेन्द्र रावत, धन सिंह रावत और प्रकाश पंत के नाम पर भी सोच विचार कर रहा है। भाजपा की द्वितीय पंक्ति के यह तीनों नेता सभी को साथ लेकर चल पाएंगे इसमे भी संशय बना हुआ है। साथ ही यह बात सामने आ रही है कि ये तीनों नेता भी हरीश रावत और किशोर उपाध्याय के राजनीतिक कौशल से पार भी नहीं पा पाएंगे! हालांकि, भाजपा नेतृत्व ने बड़े नेताओं को लोकसभा का टिकट देकर प्रदेश में दृूसरी और तीसरी पांत के नेताओं को आगे बढ़ाने की सार्थक पहल की थी। लेकिन ये नेता फिलवक्त अमित शाह की कसौटी पर खरे नहीं उतरे है। अब तो नेता प्रतिपक्ष अजय भट्ट को चुनाव जीत गए मुख्यमंत्री हरीश रावत से विधानसभा के अंदर भी निपटना होगा। मुख्यमंत्री अब दोगुने जोश के साथ अपनी सरकार को बचाते नजर आएंगे। वैसे भी अंदरूनी राजनीति के चलते कई बार अजय भटट् को सदन के अंदर अपने ही विधायकों से जूझना पड़ जाता है। बहरहाल, 9 अगस्त की दिल्ली में हो रही भाजपा राष्ट्रीय कार्यपरिषद के बाद उत्तराखंड के मुद्दे पर गंभीर चर्चा होने की उम्मीद है। सूत्रों के मुताबिक कोश्यारी और निशंक ही मुख्यमंत्री हरीश रावत की काट के तौर पर देखे जा रहे हैं। दोनों नेता संगठन क्षमता में काफी दक्ष भी माने जाते हैं। उधर, बी सी खंडूड़ी की बढ़ती उम्र को देखते हुए उन्हें किसी आयोग और बोर्ड की कुर्सी पर बैठाया जा सकता है। हालांकि, तीरथ सिंह रावत के विकल्प के तौर पर धन सिंह रावत के लिए पार्टी व संघ के कुछ बड़े नेता भी जोर लगाए हुए है।

प्रभारी मंत्री के 162 किमी दूर बैठक बुलाने पर आपत्ति, जनता की गाढ़ी कमाई को लूटाने का आरोप
  • जनमार्चा ने सीएम से मांगा जबाब

देहरादून/पिथौरागढ 8 अगस्त(निस)। उत्तराखण्ड जनमोर्चा ने जिले के प्रभारी मंत्री दिनेश अग्रवाल द्वारा बनबसा में जिला योजना की बैठक बुलाने पर कड़ी प्रतिक्रिया की।कहा कि सीएम हरीश रावत कड़े फैसले के नाम पर जनता को इस बीच डरा रहे हैं। वहीं रावत सरकार के मंत्री पिथौरागढ से 162 किमी दूर बनबसा में बैठक कर सरकारी धन की बरबादी कर रहे है। जनमोर्चा के संयोजक जगत मर्तोलिया ने सीएम को पत्र भेजकर कहा कि एक ओर सीएम जनता को कड़े फैसलों की बात कहकर राज्य की आर्थिक हालात ठीक नहीं होने का संदेश दे रहे है। वहीं प्रभारी मंत्री ने जिले में होने वाली बैठक को बनबसा बुलाकर सरकारी धन को फिजूल खर्च करने का संदेश दे दिया है। उन्होंने कहा कि अच्छी सरकार के नाम पर तीन उपचुनाव जीतने वाली सरकार के मंत्री जिले में आना ही नहीं चाहते है। प्रभारी मंत्री रहते हुए दिनेश अग्रवाल हमेशा हैलीकाप्टर से ही यहां आते रहे है। मुख्यमंत्री की विधानसभा का वीआईपी जिला होने के बाद भी आखिर सरकार के मंत्री यहां आने से क्यों कतरा रहे है। इसका जबाब सीएम को देना होगा। उन्होंने कहा कि कड़े फैसले की आड़ में कर ़बढ़त्तरी और सब्सीडी कम करने की तैयारी की जा रही है। लेकिन मंत्रियों के इस तरह की गलत खर्चे की आदतों पर अंकुश नहीं लगाया जा रहा हैं। मर्तोलिया ने कहा कि पहली बार जिला योजना की बैठक जिले से बाहर हो रही है। इस बैठक में भाग लेने के लिए जिले के अधिकारी आज ही चले गये। जिस कारण अपने कार्यो से जिला मुख्यालय पहुॅचे जनता और जनप्रतिनिधियों को निराश होना पड़ा। बैठक बनबसा होने के कारण अफसरों के आने जाने और डीए में हजारों रुपये का अतिक्ति खर्च होगा। प्रभारी मंत्री के जिले में आने से जनता और जनप्रतिनिधियों को सरकार तक अपनी बात पहुॅचाने का मौका मिलता है। काग्रेस सरकार जनता से डरकर यह मौका भी छीन रही है। उन्होंने सीएम से प्रभारी मंत्री के इस हठधर्मिता का जबाब जनता को देने की मांग की।

डीएवी पीजी काॅलेज देहरादून में छात्रों का प्रदर्शन

देहरादून, 8 जुलाई,(निस)। शुक्रवार को डीएवी पीजी काॅलेज में सभी छात्र संगठनों एबीवीपी, आर्यन, साकेत ग्रुप, एसएफआई ने एक होकर काॅलेज के प्राचार्य देवन्द्र भसीन केे इस्तीफे  की मांग को लेकर प्रदर्शन किया। छात्रों का कहना है कि काॅलेज प्राचार्य द्वारा काॅलेज मेें भ्रष्टाचार व्याप्त है और काॅलेज की बिल्डिंग की हालात जर्जर हो चुकी है। प्रदर्शन में सभी छात्र नेताओं ने संगठन के छात्रों के साथ मिलकर काॅलेज गेट से लेकर प्राचार्य के आॅफिस तथा काॅलेज प्रांगण में प्राचार्य के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। छात्रों ने बताया कि काॅलेज में पीने के पानी से लेकर कक्षाओं तक का बुरा हाल है। पानी की टंकी को सालों से साफ नहीं कराया गया जिससे छात्रों को दूषित पानी पीना पड़ रहा है। काॅलेज की बिल्डिंग की हालत तो बेहद ही खराब है तथा कक्षाओं मंे फर्नीचर टूटा पड़ा है। अभी एक सप्ताह पहले की ही बात है कक्षा में प्लास्टर गिरा और वहां मौजूद  शिक्षक घायल होते बचा। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि काॅलेज में पढ़ रहे छात्रों का जीवन सुरक्षित नहीं है। प्राचार्य के खिलाफ मामला कोर्ट में दर्ज है और जल्द ही सुनवाई होने की संभावना है।

देहरादून बार एसोसिएशन हड़ताल

देहरादून, 8 जुलाई,(निस)। देहरादून बार एसोसिएशन ने तीन मुद्दांे को लेकर शुक्रवार से हड़ताल शुरू कर दी, बार एसोसिएशन ने मांग की कि सब-रजिस्ट्रार आॅफिस में आॅनलाइन रजिस्ट्ररी की जो नई व्यवस्था आरम्भ की गई है उसे बंद किया जाए तथा सब-रजिस्ट्रार आॅफिस में रजिस्ट्रीयों को सुबह 8 से रात 9 बजे तक कार्य करने के खिलाफ व न्यायिक अधिकारी की असंतोषजनक कार्यशैली के विरोध में कार्य बहिष्कार रहा। एसोसिएशन के अध्यक्ष राजीव शर्मा उर्फ बन्टू ने बताया कि 11 अगस्त से हड़ताल रहेगी और 12,13 अगस्त को जिला न्यायालय प्रांगण मेें प्रदर्शन किया जाएगा। एडवोकेट राजीव शर्मा ने हड़ताल के मुद्दो को लेकर कहा कि आॅनलाइन रजिस्ट्ररी की प्रक्रिया से जनता को समस्याओं का सामना करना पड़ेगा और कई सार्थक कार्य संभव नहीं हो पाएगें। उन्होने कहा इससे रजिस्ट्रार आॅफिस रात 9 बजे तक खुलेगा तो आपराधिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने ये भी बताया कि न्यायिक अधिकारी, बार एसोसिएशन के साथ सामंजस्य नहीं बना पा रहे हैं जो न्याय संगत नही है। इस दौरान एसोसिएशन ने न्यायलय से संबधी सभी कार्य बंद रखे। वहीं बीती बुधवार को ऋषिकेश बार एसोसिएशन ने भी आॅनलाइन रजिस्ट्ररी के मुद्दे पर कार्य बहिष्कार कर उप निबंधक कार्यालय पर तालाबंदी रखी। ऋषिकेश बार एसोसिएशन के सचिव राकेश सिंह मियां ने कहा कि शासन के इस निर्णय का बार एसोसिएशन कड़ा विरोध करता है। इसके विरोध में दो दिन का कार्य बहिष्कार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि निर्णय वापस नहीं लिया गया तो अधिवक्ता आंदोलन को बाध्य होंगे।

फूलन के हत्यारे को सजा, समर्थकों में है खुशी की लहर, कहा, जुर्म का डटकर किया मुकाबला

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  • शेर सिंह राणा दोषी करार, बाकी 10 बरी
  • 25 जुलाई 2001 को उनकी हत्या उनके घर के गेट पर ही कर दी गई थी 
  • वर्ष 1996 व 1999 में भदोही सांसद रही 

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बीहड़ की पूर्व दस्यु सुंदरी फूलन देवी की हत्या के मामले में दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने मुख्य आरोपी शेर सिंह राणा को दोषी करार दिया है, जबकि बाकी 10 आरोपियों को बरी कर दिया गया है। शेर सिंह राणा की सजा का ऐलान 12 अगस्त को होगा। 13 साल पहले जुर्म व ज्यादती के खिलाफ संघर्ष करने वाली भदोही की सांसद रही फूलन देवी की 25 जुलाई 2001 को हत्या उनके घर के गेट पर कर दी गई थी। 

इस हत्याकांड में शेर सिंह राणा समेत 12 आरोपी थे, जिसमें से एक की मौत हो गई है। अदालत ने राणा को 307 और 302 धाराओं में दोषी करार दिया, जबकि फर्जीवाड़े, ऑर्म्स ऐक्ट और 120 बी (साजिश) के आरोपों से बरी कर दिया। वर्ष 1996 व में पहली बार भदोही के मतदाताओं ने महिला सांसद फूलन को जीताया था। उन्हें दो बार प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला, तो दो बार हार का भी स्वाद चखना पड़ा। 10 अगस्त 1963 को जालौन के बेहमई में मल्लाह परिवार में जन्मी फूलन 12 साल के उम्र में ही किडनैप व सामूहिक बलात्कार की शिकार होने के बाद बीहड़ की दस्यु सुंदरी बन गयी। इस दौरान तमाम झंझावतों के बीच बदला लेने की गरज से उन्होंने अपनी प्रताड़ना में शामिल 22 क्षत्रियों की सामूहिक हत्या कर देश ही नहीं विश्वभर में मसहूर हो गयी। यूपी और मध्य प्रदेश सरकार ने लंबे समय तक फूलन को पकड़ने में नाकाम रहीं तो साल 1983 में इंदिरा गांधी सरकार ने उनके सामने आत्मसमर्पण करने का प्रस्ताव रखा। फांसी की सजा न दिए जाने की शर्त पर फूलन ने आत्मसमर्पण कर दिया था। 

11 सालों तक जेल में रहने के बाद वह सियासत में अपना कदम रखी। वर्ष 1996 के लोकसभा चुनाव में सपा के टिकट पर मिर्जापुर-भदोही संसदीय सीट पर चुनाव लड़ी। उनका मुकाबला वर्ष 1991 में जीते भाजपा सांसद वीरेन्द्र सिंह मस्त से हुआ। फूलन के यहां से चुनाव लड़ने से यह क्षेत्र सुर्खियों में आ गया। देशभर के मीडिया व राजनीतिक गलियारों में प्रतिष्ठा का सीट बन गया था। काफी घमासान के बाद अंततः फूलन देवी मस्त को हराकर संसद पहुंच गई। दो साल बाद फिर 1998 में हुए चुनाव में मस्त जीत गए, फूलन हार गयी। लेकिन सालभर बाद 1999 के चुनाव में पुनः बाजी फूलन के हाथ लगी। हार-जीत का अंतर काफी कम था। प्रत्याशी एक-दुसरे पर भारी पड़ रहे थे। 

ई-रिक्शा पर रोक नहीं हटेगी : दिल्ली उच्च न्यायालय

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दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को स्पष्ट किया कि राजधानी में पंजीकरण, बीमा और ड्राइविंग लाइसेंस के बिना ई-रिक्शा के परिचालन को अनुमति नहीं दी जाएगी। न्यायाधीश बी.डी.अहमद और न्यायाधीश सिद्धार्थ मृदुल की खंडपीठ ने कहा कि बिना ड्राइविंग लाइसेंस के ई-रिक्शा चालकों को परिचालन की अनुमति नहीं दी जाएगी। अदालत ने परिचालन पर लगी रोक हटाने से इंकार कर दिया। पीठ ने कहा, "हम ई-रिक्शा चालकों की आजीविका को लेकर चिंतित हैं, लेकिन हमें भारत के नागरिकों की भी चिंता है।"

अदालत ने कहा, "एक बात तो स्पष्ट है कि सड़क पर वाहन चलाने वाले लोगों के पास ड्राइविंग लाइसेंस होना चाहिए और उन्हें ड्राइविंग भी आनी चाहिए। ई-रिक्शों को नियंत्रित करना जरूरी है। उन्हें यातायात के नियमों की भी जानकारी होनी चाहिए।"केंद्र सरकार ने बैट्री चालित रिक्शा पर नियंत्रण के लिए उन्हें मोटर वाहन अधिनियम के तहत लाने के दिशा निर्देश के मसौदे को अदालत में पेश किया। 

इस दौरान सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने दलील दी कि ई-रिक्शा पर नियंत्रण संबंधी दिशा-निर्देश को लगभग दो महीने में तैयार कर लिया जाएगा, इसलिए तबतक प्रतिबंध को हटा लिया जाए। प्रतिबंध हटाने से इंकार करते हुए पीठ ने कहा, "चिंता की बात यह है कि इन बैट्री चालित रिक्शा चालकों के पास न तो लाइसेंस है, न पंजीकरण और न ही बीमा। जबतक इसकी व्यवस्था नहीं होती, उन्हें परिचालन की अनुमति नहीं दी जाएगी।" 

अदालत ने सरकार को सुझाव दिया कि वह इनके पंजीकरण के लिए शिविर लगाए और किसी बीमा कंपनी से उनका बीमा करवाए। अदालत ने कहा, "तिपहिया वाहन ऑटो के लिए कुछ नियम हैं, जैसे उनका रंग और यूनिफॉर्म। सरकार को यही व्यवस्था ई-रिक्शों के लिए भी करनी चाहिए।"केंद्र के दिशानिर्देश के मसौदे के मुताबिक, ई-रिक्शा की अधिकतम गति 25 किलोमीटर प्रति घंटा से ज्यादा नहीं होगी। इसपर चार सवारियों को बैठाया जाएगा और 50 किलोग्राम तक भार ढोया जा सकेगा।

जांगड़े का सर्वश्रेष्ठ इलाज होगा : रमन सिंह

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raman singh
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने शुक्रवार को यहां एक निजी अस्पताल में इलाज करवा रहे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और पूर्व लोकसभा सांसद रेशम लाल जांगड़े से मुलाकात की और डॉक्टरों से उनके स्वास्थ्य की जानकारी ली। उन्होंने जांगड़े के जल्द स्वास्थ्य लाभ की कामना की और डॉक्टरों को उनका बेहतर से बेहतर इलाज करने के निर्देश दिए। 

रेशम लाल जांगड़े देश की पहली लोकसभा में छत्तीसगढ़ के सांसद रह चुके हैं। वे तत्कालीन मध्यप्रदेश की विधानसभा में विधायक और मध्य प्रदेश सरकार के विभिन्न विभागों के मंत्री तथा बाद में भी कई बार छत्तीसगढ़ से लोकसभा के सांसद रहे हैं। मुख्यमंत्री ने आज अस्पताल में उनके परिवार के सदस्यों से भी मुलाकात की और उन्हें विश्वास दिलाया कि जांगड़े का सर्वश्रेष्ठ इलाज होगा। 

इबोला ने पांव पसारे, हज का वीजा नहीं देगा सऊदी

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Haj pilgrims
पश्चिम अफ्रीकी देशों को अपनी जद में ले चुके खतरनाक इबोला विषाणु प्रकोप ने सऊदी अरब तक पांव पसार लिया है। इस बीमारी से एक सऊदी की मौत होने के बाद सऊदी सरकार ने खतरनाक इबोला विषाणु से प्रभावित देशों के लोगों को हज और उमरा के लिए वीजा जारी करने पर रोक लगा दी है। सऊदी सरकार ने मीडिया में एक और मामला पाए जाने की खबरों का खंडन किया है। डब्ल्यूएचओ ने भी इस बीमारी को अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य आपात घोषित कर दिया है। समाचार पत्र 'द पेनिंसुला'के मुताबिक, सऊदी स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह भी कहा है कि उसने गुरुवार को इबोला से मारे गए सऊदी नागरिक के संपर्क में आने वालों का संगरोधन शुरू कर दिया है।


इन सभी लोगों को 21 दिनों तक निगरानी में रखा जाएगा। मंत्रालय ने कहा है कि यह अवधि विषाणु के पांव पसारने की होती है। मंत्रालय ने कहा है कि देश में इबोला का कोई नया संदिग्ध मामला नहीं है। मंत्रालय ने जेद्दा में एक नया मामला सामने आने की खबरों का खंडन किया। उधर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने पश्चिमी अफ्रीकी देशों में इबोला विषाणु बीमारी (ईवीडी) प्रकोप को अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य आपात घोषित कर दिया है। इस बीमारी से अब तक 1,711 लोग प्रभावित हुए हैं। 



आपात समिति की दो दिनों तक चली बैठक के बाद डब्ल्यूएचओ ने एक बयान जारी कर कहा है, "इबोला के अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रसार रोकने के लिए एक समन्वित अंतर्राष्ट्रीय प्रतिसाद की आवश्यकता प्रतीत होती है।"बयान में कहा गया है, "समिति में इस बात को लेकर आम राय है कि इबोला बीमारी के सामने आने के बाद की स्थिति हेल्थ इमरजेंसी ऑफ इंटरनेशनल कंसर्न (पीएचईआईसी) जैसी है।"इसमें उल्लेख किया गया है कि पश्चिम अफ्रीका में इबोला प्रकोप एक अत्यंत 'असाधारण घटना'पैदा करती है और दूसरे देशों के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा करती है।



डब्ल्यूएचओ ने बयान में कहा है, "इस बीमारी के विषाणु की उग्रता, सघन सामुदायिक और स्वास्थ्य सुविधा संक्रमण प्रारूप और वर्तमान में जहां यह प्रकोप फैला है वहां और जिन देशों पर खतरा है वहां की कमजोर स्वास्थ्य प्रणाली को देखते हुए इसके अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रसार होने की आशंका है।"इबोला प्रकोप की शुरुआत दिसंबर 2013 में गिनी में हुई थी। अभी तक इसने लाइबेरिया, नाइजीरिया और गिनी के अलावा सिएरा लियोन को अपनी चपेट में ले लिया है। इस बीमारी का विषाणु संक्रमित व्यक्ति के शरीर से निकलने वाले तरल पदार्थ के सीधे संपर्क में आने से फैलता है।

आलेख : कूए सँवार रहे हैं आदिवासियों की किस्मत

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जनजाति क्षेत्रों में कृषि और पशुपालन ग्राम्य आजीविका के मुख्य स्रोत हैं। खेती-बाड़ी और इससे जुड़ी परंपरागत ग्राम्य गतिविधियों का सीधा रिश्ता पानी से है। जिन इलाकों में नदी-नाले और नहरे हैं वहाँ साल में अनेक फसलें ली जाने लगी हैं लेकिन कई क्षेत्र ऎसे हैं जहाँ पीने के पानी से लेकर सिंचाई तक के लिए कूओं और बावड़ियों का ही सहारा लेना पड़ता है।

आदिवासी बहुत प्रतापगढ़ जिले में कई स्थान ऎसे हैं जहाँ काश्तकारों के लिए सिंचाई की माकूल सुविधा का अभाव महसूस किया जाता रहा है। इन इलाकों में सरकार की विभिन्न योजनाओं के माध्यम से जलसंरचनाओं के निर्माण, कूओं और एनिकटों को गहरा कराने सहित विभिन्न उपायों को अपनाया जा रहा है। 

जिले की पीपलखूंट पंचायत समिति के कुछ क्षेत्रों में खेती-बाड़ी के लिए पानी की जरूरतों को पूरा करने के लिए पंचायत समिति की ओर से ग्रामीणों के अपने खेत पर कूओं की योजना को आकार दिया गया। इसके अन्तर्गत विभिन्न ग्राम पंचायतों में आदिवासियों के खेतों पर कूप निर्माण कराया गया।

स्वयं के खेतों में सिंचाई एवं पेयजल की दीर्घकालीन उपयोग भरी इस योजना को ग्रामीणों ने आत्मीयता से अपनाया और कूए खोदे। आज इन ग्रामीणों के खेत में हरियाली भी है, और पानी का भण्डार भी। इस वर्ष बने कई सारे कूए हाल ही हुई बारिश के उपरान्त लबालब हो चले हैं।

अपने खेत में कूओं के होने की वजह से आदिवासी किसानों की ढेरों समस्याओं का अपने आप समाधान हो गया है। पीने के लिए पानी अब दूर से नहीं लाना पड़ता और न ही पशुओं को पानी पिलाने के लिए दूर ले जाने की विवशता।

पहले पूरी खेती बरसात पर निर्भर हुआ करती थी लेकिन अब साल भर ये किसान कोई न कोई फसल लेने लगे हैं। इनमें फल-फूल और सब्जियों के साथ ही नगदी फसलों का चलन भी शुरू हो चुका है।  मवेशियों के लिए साल भर हरे चारे की उपलब्धता के चलते दुग्ध व्यवसाय भी फलने-फूलने लगा है।

कचोटिया ग्राम पंचायत अन्तर्गत पाड़लिया गांव में दो आदिवासी परिवारों के लिए अपने-अपने खेत में डेढ़-डेढ़ लाख रुपए की सरकारी मदद से बने कूए वरदान ही बन गए हैं।  गांव में रामचन्द्र एवं रावजी के खेत में बने हुए कूप हरियाली बनाए रखने और जीवन को हरा-भरा करने का सशक्त माध्यम बने हुए हैं।

पीपलखूंट पंचायत समिति क्षेत्र में ऎसे कई गांव हैं जिनमें आदिवासियों के खेतों में कूआ का निर्माण हुआ है और अब इन कूओं की वजह से ग्रामीणों की हैसियत सुधरी है। ग्रामीणों का मानना है कि कूओं के निर्माण से खेती-बाड़ी से खुशहाली लाने के स्वप्नों को अच्छी तरह साकार किया जा सकता है।





---डॉ. दीपक आचार्य---
जिला सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी
प्रतापगढ़

आलेख : नाबालिग की आड़ में यौन अपराधी को छूट नाइंसाफी होगी

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हालांकि ऐेसे मामलों में सजा से पहलेे प्रकरण की गंभीरत व आरोपों को बिकाउ तंत्र की जगह न्यायालय के सुपरविजन में आएं जांच रिर्पोटों व तथ्यों की पड़ताल व बारीकियां जानने के बाद ही कोई फैसला लेनी होगी, वरना किसी निर्दोश को सजा मिल गयी तो उससे भी बड़ा पाप होगा 

अपराध कई श्रेणी के होते है। एक तो अनजाने  में घटित हो जाता है, दुसरा अपराध या कुकर्म करने के बाद टूकड़ों में बांटना या विभत्स रुप देना बिल्कुल सोची-समझी रणनीति का हिस्सा होता है। ऐसे में यौन अपराधों सहित जघन्य वारदातों में शामिल किसी भी अपराधी को इस आधार पर कत्तई छोड़ा नहीं जा सकता कि वह नाबालिग है। उसकी उम्र 18 वर्ष से कम है। समाज को शर्मसार करने वाले ऐसे अपराध में शामिल युवक चाहे वह नाबालिग ही क्यों न हो किसी भी तरह की सहानभूति का हकदार नहीं है। अगर भविष्य अंधकारमय होने की दलील पर आरोपी को छोड़ा जाता है तो पीड़ितों के साथ अन्याय होगा। सुधार गृह या स्पेशल होम भेजने का मुख्य मकसद ऐसे युवकों को सुधरने का मौका देना है। ध्यान देने योग्य बातें यह होनी चाहिए कि ऐेसे मामलों में सजा से पहलेे प्रकरण की गंभीरता व आरोपों को बिकाउ तंत्र की जगह न्यायालय के सुपरविजन में आएं जांच रिर्पोटों व तथ्यों की पड़ताल व बारीकियां जानने के बाद ही कोई ठोस फैसला लेना उचित होगा, वरना अगर गलती से किसी निर्दोश को सजा मिल गयी तोे उससे भी बड़ा पाप होगा। इन मामलों में यह भी समझना होगा कि क्या सिर्फ उम्र घटा देने से बलात्कारों पर अंकुश लग जाएगा? समाज के जिस विकृत माहौल के चलते बलात्कार की वारदातें बढ़ रही हैं, उसे भी सुधारने के लिए कारगर पहल होनी चाहिए। 

केंद्रीय कैबिनेट द्वारा मंजूर किए गए जुवेनाइल जस्टिस एक्ट संशोधन विधेयक के जरिए अब किशोर अपराधियों की वयस्क होने की उम्र 18 वर्ष से घटाकर 16 वर्ष कर दी गई है। मतलब साफ है जघन्य अपराधों के मामले में वयस्क अपराधियों की तरह आईपीसी की धाराओं के तहत मामला दर्ज होगा। यह बात दिगर है कि मुकदमा चलाने का निर्णय किशोर न्याय मंडल ही (जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड) लेगा। किशोर अपराधियों को उम्रकैद या फांसी की सजा देने का प्रावधान प्रस्तावित संशोधन विधेयक के मसौदे में नहीं है। बता दें यह कानून बहुचर्चित निर्भया गैंगरेप कांड के मद्देनजर लाया गया है। निर्भया प्रकरण मेंएक ऐसा नाबालिग जघन्य अभियुक्त भी शामिल था, जिसकी उम्र 17 वर्ष थी। उम्र कम होेने के चलते ही उसे इस जघन्य अपराध में शामिल होने के बावजूद अन्य आरोपियों की तरह अदालत मौत की सजा नहीं दे सकी। महिला व बाल विकास मंत्री मेनका गांधी के मुताबिक यौन उत्पीड़न के घटित 50 फीसदी मामलों के दोषी 16 वर्ष या इसी उम्र के आसपास के होते हैं। अधिकांश आरोपी किशोर न्याय कानून के प्रावधान के बारे में जानते हैं। लिहाजा उन्हें इसका रंचमात्र भी खौफ नहीं होता। ऐसे में उनके साथ ही वयस्क आरोपियों जेसी ही कार्रवाई होनी चाहिए। आंकड़ों के मुताबिक देशभर में अवयस्क अपराध के जो भी मुकदमें दर्ज होते हैं, उनमें से 64 फीसदी में आरोपी 16-18 वर्ष की उम्र के ही होते हैं। बीतें सालों में देश में किशोरों के विरुद्ध दर्ज मुकदमों में तकरीबन 34000 में से 22000 आरोपी अवयस्क ही पाएं गए है। 

केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा जुवेनाइल जस्टिस एक्ट में संशोधन को मंजूरी देना एक सराहनीय कदम है। इससे निर्भया सहित अन्य पीड़िताओं की की आत्मा को भी शांति मिली होगी। हाल ही में दिल्ली में दिनदहाड़े 5 नाबालिग लड़कों ने अपने ही एक दोस्त की चाकुओं से गोदकर हत्या कर दी। क्या ऐसे अपराधी रहम के लायक हैं? बदलते सामाजिक परिवेश में इन दिनोंयह भी देखने को मिलता है कि जहां कहीं भी दुष्कर्म के मामले आए, बचाव पक्ष की ओर से आरोपी को नाबालिग साबित करने की दलीलें देनी शुरु हो जाती होती है। इसके पीछे मकसद यह होता है कि आरोपी को सजा से बचाया जा सके। 

जहां तक बच्चों द्वारा इस तरह के कुकृत्य करने की जिज्ञासा उभरने की बात है तो बेशक इसके लिए काफी हद तक समाज एवं परिवार की भूमिका मायने रखती है। वर्तमान में पोर्न वीडियों की सहज उपलब्धता, आधुनिकता, शहरी व बाजारीकरण भी बच्चों को अपराध की ओर ले जाने में महती भूमिका निभा रहा है। कर्नाटक विधानसभा समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि छेड़खानी और दुष्कर्म की बढ़ती घटनाओं के लिए मोबाइल फोन व लैपटाप को जिम्मेदार है। इससे निजात पाने के लिए समिति ने स्कूल व कॉलेजों में इस डिवाइस पर पाबंदी लगाने की बात कहीं है। बात सरकारी आंकड़ों की जाएं तो कहा गया है कि तकरीबन 95 प्रतिशत बाल अपराधी गरीब व वंचित तबकों के होते हैं, परंतु यह गले नहीं उतरता। आर्थिक रूप से संपन्न या उच्च तबकों के ही बच्चे लेपटाप या मोबाइल आदि से लैस होते है। ऐसे में उच्च वर्ग के बाल अपराधी महज पांच फीसद ही होंगे, सही नहीं है। इस वर्ग में भी यौन अपराध बड़ी संख्या में कारित हो रहे हैं। आज का सामाजिक खुलापन और पश्चिमी संस्कृति का बढ़ता अंधानुकरण इस वर्ग की किशोर पीढ़ी को भी दिग्भ्रमित कर रहा है। ये बच्चे छोटी उम्र में ही अश्लील साहित्य पढ़ने और फिल्में देखने लग जाते हैं, क्योंकि इनके पास उच्च गुणवत्ता के मोबाइल फोन सहजता से सुलभ होते हैं। इसके चलते वे कई बार सहमति से या जबरन भी कच्ची उम्र में ही शारीरिक संबंध बनाने जैसी भूल भी कर बैठते हैं। ऐसे मामले कई बार इसलिए भी सामने नहीं आ पाते क्योंकि लोकलाज या रसूख के नाम पर इन्हें दबा दिया जाता है। बहरहाल, सरकार के बाद अब संसद इस कानून में संशोधन प्रस्ताव पारित करने से पहले इसके तमाम पहलुओं पर विचार करे। पीड़ित को न्याय मिले, यह तो सभी चाहते हैं, लेकिन हमें यह भी देखना होगा कि किशोर अपराधियों को सुधरने का मौका देने के बजाय दंडित करने से कहीं वे अपनी आगे की जिंदगी में गंभीर अपराधों की ओर उन्मुख न हो जाएं। आईपीसी की धारा 309 को हटाने का मोदी सरकार का फैसला भी सराहनीय है। मोदी सरकार ने दो दिन में दो अहम फैसले लिए हैं। साफ है कि केंद्र की नई सरकार कानूनी विसंगतियों को दूर करने की दिशा में गंभीरता से काम कर रही है। 

ताजा उदाहरण यह है कि एक मामले में अमृतसर के एक 16 वर्षीय युवक ने 29 जुलाई 2008 को पार्क में खेलते हुए छह साल के बच्चे के साथ कुकर्म किया था। मेडिकल जांच में सामने आया कि बच्चे के साथ निर्दयी ढंग से दुष्कर्म किया गया। फरवरी 2013 में अमृतसर के जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने इस युवक को दोषी मानते हुए तीन साल की कैद व दो हजार रुपये जुर्माना के सजा सुनाई। इसी साल मई में युवक ने सजा को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में अपील दायर की। अपील में उसने कहा कि वह युवा अवस्था में प्रवेश कर रहा है अगर उसको सुधार गृह भेजा गया तो भविष्य अंधकारमय हो जाएगा और उसका परिवार इससे प्रभावित होगा। हालांकि हाईकोर्ट ने युवक की मांग को दरकिनार कर कहा है कि अगर भविष्य अंधकारमय होने की दलील पर आरोपी को रिहा किया जाता है तो अन्याय होगा। सुधार गृह या स्पेशल होम भेजने का मुख्य मकसद ऐसे युवकों को सुधरने का मौका देना है। परिस्थितिजन्य अपराध में तो सावधानी बरतनी ही होगी, लेकिन कोई कानपुर, गाजीपुर, बलिया, दिल्ली व लखनउ जैसे घिनौने व विभत्स रुप देने वाले को कठोर से कठोर सजा दी जानी चाहिए।





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(सुरेश गांधी)

विशेष आलेख : नशे की लत में डूबती जिंदगियां

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आधुनिक समाज जितना विज्ञान अ©र तरक्की का परिचायक है उतना ही व्यक्तिय¨ं के बीच अलगाव, समाज में आर्थिक असमानता की गहराती खाई, मानसिक द्वेष का भी प्रतीक है। समाज जितना आधुनिक ह¨ता जा रहा है मनुष्य की जीवन परिस्थितियां उतनी ही जटिल ह¨ती जा रही है। अ©र ऐसी विपरीत परिस्थितिय¨ं में खुद क¨ न संभाल पाने वाले ल¨ग अलग-अलग चीज¨ं में सहारा ढूंढते हैं अ©र ज्यादातर क¨ ऐसा सहारा मिलता है नशे की लत में। अनुसंधान बताते हैं कि हालांकि विकसित देश¨ं में 1980 के बाद से ही प्रति व्यक्ति शराबख¨री में कमी आई है, किंतु विकसाशील देश¨ं में ये तेजी से बढ़ी है। भारत में त¨ शराबख¨री में वृद्धि का दर खतरे के संकेत तक पहुंच चुका है।  राजेन्द्रन एसडी द्वारा संपादित एक पुस्तक ग्ल¨बलाइजेशन एंड इन्क्रीसिंग ट्रेंड आॅफ एल्क¨हलिज्म के अनुसार 1970-72 से लेकर 1994-96 के बीच भारत में शराबख¨री में 106.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। अ©र इसी तथ्य की एक झलक हमक¨ मिलती है जम्मू कश्मीर की शरदकालीन राजधानी से 20 किल¨मीटर दूर स्थित बिशनाह तहसील के गांव¨ं में रह रहे परिवार¨ं की जिंदगिय¨ं में।

बिशनाह तहसील के पंड¨री गांव के एक पुराने से कमरे के घर में रहने वाली विधवा नीना कुमारी (38), ज¨ चार बेट¨ं अ©र द¨ बेटिय¨ं की मां हैं, के पास समान के नाम पर एक टीवी अ©र एक टूटा हुआ पंखा है। नीना कुमारी ने अपने पति बलदेव राज के इलाज के लिए संपŸिा के नाम पर बची चार कनाल जमीन  बेच दी। लेकिन उनके इन प्रयास¨ं के बावजूद एक साल पहले भाग्य ने उनके पति क¨ उनसे छीन लिया। अ©र पीछे रह गईं व¨ अ©र चार बेटिय¨ं की शादी अ©र घर चलाने की चिंता। एक चार मरला प्लाॅट पर बने एक कमरे के मकान में नीना के पास संपŸिा के नाम पर तीन चारपाइयां, कुछ बर्तन, द¨ प्लास्टिक के भाण्डे, द¨ रजाइयां, द¨ बिस्तर, द¨ स्टील के बक्से, कुछ कपड़े अ©र अ©र अपने स्वर्गवासी पति की एक साइकिल है। घर¨ं में बर्तन मांजने वाली नीना कुमारी अपने परिवार की र¨जमर्रा की जरूरत¨ंे के पूरा करने के लिए किसी भी हद तक जा सकती हैं, लेकिन कई बार पैसे न ह¨ने की वजह से उन्हें राशन के लिए पड़¨सिय¨ं के आगे हाथ फैलाना पड़ता है तब जाकर कहीं घर में खाना बनता है। नीना कुमारी के 13 वर्षीय बेटे दीपक कुमार ने भरे हुए गले से बताया, ‘‘जब भी मेरी बड़ी बहन अ©र उनके पति हमसे मिलने आते हैं त¨ पड़¨सिय¨ं से अतिरिक्त रजाई मांगनी पड़ती है जिसमें बहुत शर्मिदंगी महसूस ह¨ती है।’’ जब दीपक से उसके पिता की मृत्यु के बारे में पूछा गया त¨ उसने बहुत ही सहजता से बताया,‘‘शराब पींदा हा, बमार ह¨या ते मरी गया (शराब पीते थे, बीमार हुए त¨ मर गए) ।
          
अत्यधिक शराब पीने की वजह से ह¨ने वाली मृत्यु का बलदेव राज का मामला तहसील बिशनाह का अकेला मामला नहीं है। बल्कि इस तहसील का हर गांव इस तरह के मामल¨ं से भरा पड़ा है। यह तहसील अवैध शराब बनाने के मामले में बदनाम है। चक हसल गांव की सŸार वर्षीय कुशाला देवी ने एक साल पहले अपना 42 वर्षीय बेटा श्री निवास ख¨या था। अपने बेटे की म©त के दुख से व्याकुल कुशाला देवी बताती हैं कि उन्ह¨ंने श्री निवास क¨ समझाने की बहुत क¨शिश की थी लेकिन वह नहीं माना अ©र अंत में शराब ही उसे खा गई। उन्ह¨ंने आगे बताया कि श्री निवास की म©त ने उनके मंझले बेटे प्रेम नाथ (38) पर क¨ई असर नहीं डाला। व¨ भी शराबी है अ©र शायद एक दिन उसका भी अंजाम वही ह¨ ज¨ श्री निवास का हुआ। युवाअ¨ं में बढ़ती शराबख¨ली के चलन के लिए समाज क¨ जिम्मेदार ठहराती कुशाला देवी रुंधे हुए स्वर में कहती हैं,‘‘मैं त¨ बड़ा समझाती हूं पर नहीं मानते, जब भी समझाअ¨ त¨ लड़ता है, खुद त¨ चले जाते हैं, मां रह जाती है।
         
27 वर्षीय केवल कृष्ण जिसके पिता भी शराबख¨री के शिकार हैं, ने बताया कि गांव के 300 युवाअ¨ं में से 200 बड़ी ब्रह्मा अ©द्य¨गिक क्षेत्र में काम करते हैं। ‘‘ज्यादातर परिवार निचली जाति के हैं अ©र गरीब भी हैं। गांव के स्कूल¨ं में पढ़ाई छ¨ड़ने वाले बच्च¨ं की संख्या बहुत ज्यादा है। पढ़ाई छ¨ड़ने के बाद यह युवा कमाई करने के लिए फैक्ट्रिय¨ं में काम शुरु कर देते हैं। जैसे ही थ¨ड़़ी बहुत कमाई शुरु ह¨ती है वह शराब पीना शुरु कर देते हैं।’’ उन्ह¨ंने आगे कहा, ‘‘शुरु में त¨ शराब सिर्फ मजे के लिए या फिर प्रय¨ग के लिए पी जाती है, लेकिन यह मजा अ©र प्रय¨ग कब लत में बदल जाए किसी क¨ नहीं पता।’’ उन्ह¨ंने आगे बताया कि इस क्षेत्र में शराब बहुत आसानी से मिल जाती है, क्य¨ंकि इस तहसील के बहुत से गांव¨ं में अवैध शराब बनाई जाती है अ©र खुले में बेची जाती है। शराब बेचने के लिए बदनाम गांव¨ं में माखनपुर, देवली, लसवाड़ा, चक अवतरा, खेड़ी, क्रेल ब्रह्मना, चक हसल, शेखपुर, अला, नंदपुर टिब्बा, बुलंद क¨ठे शामिल हैं। एक स्थानीय पत्रकार अविनाश भगत ने बताया कि कुल एक लाख छह हजार मतदाताअ¨ं में से 76 हजार मतदाता अनुसूचित जाति के हैं अ©र उनके पास बहुत थ¨ड़ी सी संपŸिा या जमीन ह¨ती है। गरीबी की वजह से इन तथाकथित नीची जातिय¨ं के युवा अपनी किश¨रावस्था में ही काम की ख¨ज में लग जाते हैं। उन्ह¨ंने बताया कि गांव के युवक¨ं का एक बड़ा हिस्सा फैक्ट्रिय¨ं में काम करता है अ©र शराबख¨री की लत रखता है। बिशनाह के हर गांव में कम से कम 10-20 ल¨ग ऐसे हैं ज¨ अत्यधिक शराब पीने की वजह से अकाल मृत्यु के शिकार हुए हैं। एक शराबी मुश्किल से 50 साल की उम्र पार कर पाता है। 
         
पूर्व पुलिस अधीक्षक शैलेन्द्र सिंह जिन्ह¨ंने इस व्यसन क¨ खत्म करने के लिए बहुत मेहनत की अ©र अपने तीन साल के कार्य काल में काफी सफलताएं हासिल कीं, ने बताया कि यहां का एक विशेष समुदाय संसिआं अवैध शराब का मुख्य उत्पादक है। इस समुदाय का एक बड़ा हिस्सा बिशनाह तहसील में रहता है। संसिआं जाति समाज से बहिष्कृत है क्य¨ंकि इस जाति क¨ अछूत माना जाता है। इनके पास न जमीन है, न बीपीएल कार्ड। ये बहुत गरीब हैं। तीन साल तक इस व्यसन क¨ समाप्त करने का काम करते हुए यह बात समझ में आई कि इन परिवार¨ं का सामाजिक आर्थिक स्तर वह कारक है ज¨ इन्हें अवैध शराब उत्पादन के काम में ढकेलता है।उन्ह¨ंने आगे बताया कि शराब उत्पादन इन परिवार¨ं की आय का मुख्य स्र¨त है। उन्ह¨ंने अपनी राय रखते हुए कहा,‘‘अवैध शराब के निर्माण क¨ र¨कने के लिए हमें इन परिवार¨ं क¨ समाज की मुख्यधारा में शामिल करना ह¨गा अ©र उनके उचित पुनर्वास का प्रबंध करना ह¨गा। जिससे कि वह फिर से अपनी जीविका चलाने के लिए शराब निर्माण के काम की तरफ न ल©ट पाएं।’’ इन्ह¨ंने आगे कहा कि एक बार अवैध शराब का निर्माण रुक जाए त¨ शराबख¨री खुद-ब-खुद कम ह¨ जाएगी।
          
निश्चित ही इस बढ़ती शराबख¨री की जड़ें हमारे समाज में ही निहित है। चूंकि बिमारी सामाजिक है त¨ इसका इलाज भी सामाजिक ही ह¨ सकता है। इसलिए हम व्यक्तिगत त©र पर चाहे कितना भी प्रयास कर लें लेकिन जब तक सामाजिक स्तर पर इस व्यसन क¨ र¨कने के लिए एकजुटता नहीं बनेगी तब तक इस र¨ग जड़ से मिटा पाना असंभव है। 






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अक्षय आज़ाद
(चरखा फीचर्स)

आस्था: कर्मवती ने मुगल बादशाह हुमायूं को बांधी थी राखी

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  • देवासुर-संग्राम में शची ने बांधी थी इंद्र को रक्षाबंधन 
  • द्रौपदी ने अपनी साड़ी फाड़ कर श्रीकृष्ण की चोट पर बांधी, तो चीरहरण के वक्त उसकी रक्षा की 

raksha bandhan
रक्षाबंधन शुभकामना और आशीर्वाद का प्रतीक है। शायद यही वजह है कि रक्षा कवच के नाम से जाना जाने वाला रक्षाबंधन कोई किसी को भी बांधता दिखाई पड़ जाता है। देवों व असुरों के युद्ध के दौरान जब देवताओं पर असुर भारी पड़ने लगे, तो महिलाओं का एक समूह इंद्र की पत्नी इंद्राणी अर्थात शची ने भी देवराज इंद्र को रक्षाबंधन बांध दिया। इससे देवताओं का हौसला बढ़ा और असुरों का नरसंहार कर विजय प्राप्त की। वामनावतार में माता लक्ष्मी ने राजा बलि की कलाई पर रक्षासूत्र बांध उन्हें अपना भाई बनाया था। उपहार स्वरूप राजा बलि ने भगवान विष्णु को द्वारपाल पद की वचनबद्धता से मुक्त कर दिया। माना जाता है कि रक्षा के लिए रक्षाबंधन बांधने की प्रथा शुरु हुई, जो आज भी कायम है। चित्तौड़ की राज माता कर्मवती ने मुगल बादशाह हुमायूं को राखी भेजकर अपना भाई बनाया था और वह भी संकट के वक्त बहन कर्मवती की रक्षा के लिए चितौड आ पहुंचा था। रक्षा बंधन हमें मानवीय मूल्यों की रक्षा का सीख देता है। 

पौराणिक कथाओं के अनुसार वामनावतार में राजा बलि को दिए वचन के पालन के लिए भगवान विष्णु बलि के द्वारपाल रूप में पाताल लोक में रहने लगे। उनके वियोग में लक्ष्मी जी व्याकुल रहने लगीं। नारद जी के सुझाव पर लक्ष्मी जी ने राजा बलि की कलाई पर रक्षासूत्र बांध उन्हें अपना भाई बना लिया। उपहार स्वरूप राजा बलि ने भगवान विष्णु को द्वारपाल पद की वचनबद्धता से मुक्त कर दिया। जबकि जैन ग्रंथों के मुताबिक उजैनी में श्रीधर्म नाम राजा के यहां 4 मंत्री रहे, जिसमें बलि, वृहस्पति, प्रहलाद व नमुचि। शास्त्रार्थ में इन मंत्रियों हार पर श्रुतिसागर राजा पर तलवार से हमले का प्रयास करने पर राजा नेे इन्हें राज्य के बाहर निकाल दिया। चारों अपमानित होकर हस्तिनापुर राजा पद्म के दरबार पहुंचे। इसी दौरान हस्तिनापुर पहुंचे मुनि अंकपनाचार्य से बलि ने बदला लेने का ताना-बाना बुना। बलि ने राजा से सात दिन के लिए वरदान में राज्य मांग लिया। राज्य पाते ही बलि ने आचार्य के सिद्धिस्थल के चारों तरफ आग लगवा दी। धुंए व आंच से मुनियों की नींद हराम हो गई, लेकिन वह अपना धैर्य खोए बगैर ठान लिया कि जबतक इससे मुक्ति नहीं पा लेंगे जल-अन्न ग्रहण नहीं करेंगे। वह दिन श्रावण शुक्ल पूर्णिमा का दिन था। मुनियों का संकट देख भगवान विष्णु से रहा नहीं गया और वह वामन वेश में बलि से भिक्षा मांगने उसके दरबार पहुंच गए। उन्होंने बलि से तीन पग धरती मांगी, तो बलि ने कहा यह तो कुछ नहीं, हामी भर दी। फिर क्या भगवान विष्णु ने शरीर बड़ा कर एक पग सुमेरु पर्वत, दूसररा मानूसोत्तर पर्वत और अगला स्थान न होने से आकाश में पहुंच गया। इस रुप से सर्वत्र हाहाकार मच गया। बलि द्वारा अपने किए का माफी मांगे जाने भगवान वास्तविक रुप में आए और इस तरह मुनियों की रक्षा हुई और वह आपस में एक-दुसरे को रक्षा करने का बंधन बांधा। तभी से यह पर्व रक्षाबंधन के रुप में मनाया जानेे लगा। 

इसके अलावा मान्यता यह भी है कि एक बार श्रीकृष्ण की कलाई पर चोट लग गई। द्रौपदी ने अपनी साड़ी फाड़ कर चोट लगी कलाई पर बांध दिया। भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें अपनी बहन मान दुरूशासन द्वारा चीरहरण के समय उसकी रक्षा की। भविष्य पुराण में कहा गया है कि एक बार देवों एवं असुरों में बारह वर्षों तक भयंकर युद्ध चलता रहा। देवता श्रीहीन हो चुके थे। देवराज इन्द्र अपने विजय की आशा त्याग कर अपनी नगरी अमरावती चले गए और देव गुरु बृहस्पति से अपनी रक्षा का उपाय पूछा। देव गुरु बृहस्पति ने उन्हें रक्षाबंधन का विधान बताया। इन्द्राणि यह सब सुन रही थीं। उन्होंने कहा- कल श्रावण पूर्णिमा है। मैं रक्षासूत्र तैयार कर आपकी कलाई पर बांधूगी। श्रावण पूर्णिमा को उन्होंने स्वस्तिवाचन आदि मंत्रों से अभिमंत्रित कर रक्षासूत्र तैयार कराया तथा देवराज इंद्र की कलाई पर रक्षासूत्र की पोटली बांधी, जिसके परिणामस्वरूप इन्द्र विजयी हुए। कहा जाता है कि ऋषि-मुनियों की पूर्णाहूति इसी दिन होती थी। वे राजाओं के हाथों में रक्षा सूत्र बांधते थे। इसीलिए ब्राह्मण आज भी लोगों को रक्षा सूत्र बांधते है। रक्षा बंधन से मनुष्य दुख, प्रेत बाधा आदि से मुक्त होकर अपने पुत्र पौत्रादि के साथ वर्ष भर सुखी रहता है। 

प्राचीन काल में राज दरबारों में धूमधाम से इस त्योहार का आयोजन होता था, ब्राह्मण अपने आशीष स्वरूप रक्षा सूत्र बांधते और उपहारादि प्राप्त करते थे। कालक्रम में इसका स्वरूप सार्वजनिक हो गया। वर्तमान समय में यह मुख्य रूप से भाई -बहनों के त्योहार का रूप ले चुका है। इस दिन बहनें अपनी रक्षा की प्रतिबद्धता एवं भाइयों के दीर्घ जीवन की कामना स्वरूप उनकी कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती हैं। यह त्योहार श्रावण पूर्णिमा को मनाया जाता है। इसमें परान्ह व्यापिनी तिथि ली जाती है। यदि ऐसा दो दिन हो अथवा दोनों दिन हो तो पूर्वा ली जाती है। यदि उस दिन भद्रा हो तो उसका त्याग किया जाता है। शास्त्र मत से भद्रा में रक्षा बंधन से राजा का एवं होलिका दहन से प्रजा का अनिष्ट संभव है। 

पुरोहित राजा समाज कल्याण के लिए सरसों आदि लेकर रेशमी कपड़े की पोटली बनाकर राजा की कलाई में बांध करते थे स्वस्तिवाचन। हमारी भारतीय संस्कृति में पुरोहित का उच्च स्थान रहा है। उसे पुरोधा भी कहते हैं। यह वर्ग राष्ट्र, राजा एवं समाज के कल्यााण के लिए सदा समर्पित रहा और दान एवं सम्मान में प्राप्त जीवनोपयगी वस्तुओं से अपना निर्वाह करता रहा। शास्त्रानुसार काना, अपाहिज, निरूसंतान, अज्ञानी, अजितेंद्रिय, नाटा तथा रोगी ब्राह्मण को इस पद पर रखना निषिद्ध रहा। वेदों एवं वेदांगों का ज्ञाता, जय एवं होम में निपुण तथा आशीर्वाद देने वाला अर्थात अशुभ वाक्यों का प्रयोग करने वाला व्यक्ति ही पुरोहित होने लायक होता है। वेदवेदांग तत्वज्ञो जप-होम-परायणरू। आशीर्वाद वचोयुक्त एष राजपुरोहितरू।। पुरोहितवर्गसदाचारी, अध्ययनशील एवं अहंकार रहित होकर समाज को संमार्ग का निर्देश करता रहा, आध्यात्मिक बल प्रदान करता रहा। एक तरह से यह धार्मिक मंत्री रहा। चूंकि विद्या ही ब्राह्मणों की संपत्ति रही, इसलिए उनका जीवन यापन समाज राजा पर निर्भर रहा। 

रक्षाबंधन उपाकर्म का अंग है। उपाकर्म का आशय है, संस्कार-पूर्वक वेदों का ग्रहण। वास्तव में आर्ष परंपरा के अनुसार यह वेद-पारायण या स्वाध्याय का शुभारंभ है। प्राचीन काल में यह अध्ययन सत्र श्रावण पूर्णिमा से माघ शुक्ल प्रतिपदा तक चलता था। आज वैदिक परंपरा शिथिल है, तो भी कुछ लोग नदी स्नान कर अरुंधती-सहित सप्तर्षियों की पूजा, सूर्योपास्थान, ऋषितर्पण एवं जनेऊ की पूजा करते हैं। इसी क्रम में पुरोहित राजा एवं समाज के कल्याण के लिए सरसों, केसर, चंदन, अक्षत, दूब (संभव होने पर सोना भी) लेकर ऊनी, सूती या रेशमी कपड़े की पोटली बनाकर विधिवत अभिमंत्रित कर राजा आदि की कलाई में बांधकर स्वस्तिवाचन करते थे। शास्त्रानुसार यह रक्षा विधान सभी लोगों के लिए उपयोगी था। कारण यह था कि इससे लोग एक साल तक सर्वदोष रहित और सुरक्षित माने जाते थे। कहा भी गया है- यरूश्रावणे विमलमासि विधान-विज्ञो, रक्षा-विधानमिदमाचरते मनुष्यरू। आस्ते सुखेन परमेण वर्षमेकं, पुत्र-प्रपौत्र सहितरू ससुहृज्जनरू स्यातः।। 
आज हमारी बहनें सुरक्षित नहीं हे, उनकी रक्षा का संकल्प लेना होगा। तभी हमारेे संस्कृति व समाज की रक्षा हो सकेगी। रक्षा बंधन हमें आजादी का सीख देता है तोकि हम स्वयं को इस योग्य बना सके कि बहनों की रक्षा कर सकें। इस त्योहार के पीछे सिर्फ बहन ही नही समाज, देश, प्र्यावरण सभी की रक्षा का संदेश देता है। कहा यह भी जाता है कि रक्षाबंधन कर पुरोहित दक्षिणा एवं सम्मान पाता था, परंतु समय में बदलाव आया और पहले की तरह रक्षा विधान रहा और रक्षा का रूप-रंग ही रहे। पुरोहितों का स्थान बहनों ने ले लिया और राखी भी आर्टिफिशियल हो गई। परिवर्तन के पीछे भी कुछ कारण अवश्य रहता है। हमारे यहां कन्यादान भी महायज्ञ रहा और कन्या लक्ष्मी का, दामाद विष्णु का एवं नाती, विष्णु का अंश (ब्राह्मण के रूप में) मान्य रहे। कितने ब्राह्मणों के यहां आज भी नाती भांजे पुरोहित होते हैं। रक्षाबंधन के दिन नाती भांजा नहीं पाया हो और बहन ने ही अपने पुत्र का कार्य कर दिया हो और उस घर की परंपरा बन गई हो, फिर समाज ने इसे मान्यता दे दी हो। यही विकास शुरुआती कदम नई परंपरा का जनक हो सकता है। 

व्रती प्रातरू स्नानादि से शुद्ध होकर रेशम या सूत के धागे में सरसों, सुवर्ण, केसर, चंदन, अक्षत एवं दूर्वा की पोटली तीन तार के मौली में बांध रंग बिरंगा रक्षा सूत्र तैयार करते हैं। फिर प्रांगण के किसी स्वच्छ स्थान पर कलशादि की स्थापना कर वेदोक्त मंत्रों से रक्षा सूत्र का पूजन, ऋषि पूजन आदि के पश्चात उस सुपूजित रक्षा सूत्र को गणपति एवं आह्वाहित देवताओं को चढ़ा निम्न मंत्र द्वारा अभिमंत्रित किया जाता है। ऊंॅ व्रतेन दीक्षामाप्नोति दीक्षया‌ऽऽप्नोति दक्षिणाः‌। दक्षिणा श्रद्धामाप्नोति श्रद्धया सत्यमाप्यते।। पूजनाादि के पश्चात ब्राह्मण यजमान या बहनें अपने भाई की कलाई पर निम्नमंत्र के साथ बांधती हैं। ऊंॅ यदाबंधन दाक्षायणा हिरण्यं शतानीकाय सुमनस्यमानारू। तन्म बध्नामि शतशारदायायुष्मांजरदष्टिर्यथास।। येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलरू। तेन त्वामनुबध्नामि रक्षे मा चल मा चल।। अर्थात जैसे दानवों के राजा बलि बांधि गए थे, वैसे ही यह रक्षा मैं तुम्हारी कलाई में बांधती हूं। हे रक्षा! तू यहां से हटना, हटना। इसके बाद उन्हें कुंकुम, केसर, अक्षत आदि का निम्न मंत्र से तिलक लगा मिष्ठान्न खिलाया जाता है। ऊं स्वस्ति इन्द्रो, वृद्धश्रवारू स्वस्ति नरू पूषा विश्ववेदारू। स्वस्ति नस्ताक्ष्र्यो अरिष्टनेमिरू स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु।। इसके उपलक्ष्य में भाई द्वारा अपने बहन को अथवा यजमान द्वारा अपने पुरोहित को उपहार आदि दिए जाते हैं। 





(सुरेश गांधी)

राजद, जद (यू), कांग्रेस गठबंधन को राकंपा का बिना शर्त समर्थन

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tariq anwar
बिहार विधानसभा की 10 सीटों के लिए आगामी 21 अगस्त को होने वाले उपचुनाव में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकंपा), जनता दल (युनाइटेड), राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और कांग्रेस गठबंधन को बिना शर्त समर्थन देगी।राकंपा के राष्ट्रीय महासचिव तारिक अनवर ने शनिवार को पटना में इसकी घोषणा करते हुए कहा, "आगामी उपचुनाव में जद (यू), राजद और कांग्रेस गठबंधन को राकंपा बिना शर्त समर्थन देगी। राकंपा का मानना है कि सांप्रदायिक शक्तियों को रोकने के लिए यह आवश्यक है। अगर ऐसा कोई धर्मरिपेक्ष गठबंधन बनता है तो उसे वर्तमान परिस्थितियों में समर्थन देना समय की मांग है।" 

उन्होंने कहा कि पिछले लोकसभा चुनाव में भी राकांपा संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) में शामिल थी। अनवर ने स्पष्ट कहा कि राकांपा न गठबंधन से कोई शर्त रखी है और न ही उनसे कोई सीट की मांग की है। उन्होंने कहा कि बिहार विधानसभा चुनाव के लिए अब समय काफी कम है। उल्लेखनीय है कि 21 अगस्त को बिहार विधानसभा की 10 सीटों पर होने वाले उपचुनाव में राजद, जद (यू) और कांग्रेस गठबंधन के तहत चुनाव लड़ रहे हैं। 

हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल से एमएच17 गिराना असंभव

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मलेशिया के परिवहन मंत्री हिशामुद्दीन हुसैन ने शनिवार को कहा कि यह बात असंभव लगती है कि मलेशियाई उड़ान संख्या एमएच17 को गिराए जाने के लिए हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल का इस्तेमाल किया गया। यह विमान 17 जुलाई को यूक्रेन में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। 

मलेशिया स्टार के अनुसार, हिशामुद्दीन ने कहा, "यह एक जमीन से हवा में मार करने वाला मिसाइल था और ऐसी प्रणाली यूक्रेन या विद्रोहियों के पास हो सकती है।"हिशामुद्दीन का बयान सेना की खुफिया जानकारी और एमएच17 के मलबे की जांच पर आधारित है।  यह कहा गया है कि अमेरिका में खुफिया अधिकारी इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि विमान को हवा से हवा में मार करने वाले मिसाइल से गिराया गया है और यूक्रेन सरकार का इससे संबंध है। 

गौरतलब है कि 17 जुलाई को रूस की सीमा से सटे पूर्वी यूक्रेन में एमएच17 विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, जिससे इसमें सवार सभी 298 यात्रियों और चालक दल के सदस्यों की मौत हो गई। 

हर साल किसी सामाजिक मुद्दे को समर्पित करें : मोदी

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modi and amit shah in bjp advisory meeting
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को यहां कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अपने कार्यकर्ताओं को हर साल किसी एक सामाजिक कार्य के लिए प्रोत्साहित कर अपनी अलग पहचान बना सकती है। पार्टी की राष्ट्रीय परिषद की बैठक में मोदी ने कार्यकर्ताओं को सलाह दी कि हर साल समाज कल्याण से जुड़े किसी मुद्दे को समर्पित किया जा सकता है और राजनीतिक मुद्दे तक ही बंधे रहने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा, "पार्टी के सभी कार्यकर्ताओं को प्रत्येक साल सामाजिक मुद्दे से जुड़ा कार्यक्रम तय करना चाहिए।" मोदी ने कहा, "उदाहरण के लिए एक साल ऊर्जा बचत, तो दूसरा साल गांवों में शौचालय के निर्माण में दिया जाना चाहिए।"

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को राजनाथ सिंह को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की लोकसभा चुनाव में उतरी चुनावी टीम का कप्तान और अमित शाह को मैन ऑफ द मैच करार दिया। मोदी आम चुनाव के बाद भाजपा की पहली राष्ट्रीय परिषद की बैठक को संबोधित कर रहे थे।

संगकारा ने एक ही दिन में लारा को पीछे छोड़ा और ब्रैडमैन की बराबरी की

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श्रीलंका क्रिकेट टीम के धुरंधर बल्लेबाज कुमार संगकारा लगातार कीर्तिमान स्थापित कर रहे हैं। इस महान बल्लेबाज ने एक ही दिन में जहां सर डॉन ब्रैडमैन की बराबरी की वहीं ब्रायन लारा को पीछे छोड़ दिया। संगकारा ने टेस्ट मैचों में 150 या उससे अधिक पारियां खेलने के मामले में आस्ट्रेलिया के ब्रैडमैन की बराबरी कर ली है। इसके अलावा उन्होंने टेस्ट मैचों में सर्वाधिक दोहरे शतक लगाने के मामले में लारा को पीछे छोड़ दिया है।

गॉल में पाकिस्तान के साथ जारी पहले टेस्ट मैच के चौथे दिन शनिवार को संगकारा ने 150 रन बनाने के साथ ब्रैडमैन की बराबरी पर पहुंच गए। इन दोनों खिलाड़ियों ने कुल 18-18 बार टेस्ट मैचों में 150 या उससे अधिक रनों की पारियां खेली हैं। इस सूची में भारत के सचिन तेंदुलकर का नाम सबसे आगे है। सचिन ने कुल 20 बार यह कारनामा किया है जबकि वेस्टइंडीज के महान बल्लेबाज ब्रायन लारा ने 19 बार यह कारनामा किया है।

ब्रैडमैन और संगकारा के बाद श्रीलंका के माहेला जयवर्धने (16), आस्ट्रेलिया के रिकी पोंटिंग (15), दक्षिण अफ्रीका के जैक्स कैलिस (14) और भारत के वीरेंद्र सहवाग (14) का नाम आता है। टेस्ट मैचो में ब्रैडमैन ने सबसे अधिक 12 दोहरे शतक लगाए हैं। संगकारा अब तक 10 बार ऐसा कर चुके हैं। लारा ने नौ बार दोहरे शतक लगाए हैं। इंग्लैंड के वॉली हेमंड और श्रीलंका के माहेला जयवर्धने ने सात-सात दोहरे शतक लगाए हैं।

संगकारा ने शुक्रवार को अपने करियर का 37वां शतक लगाया था। वह टेस्ट शतकों की दौड़ में भारत के राहुल द्रविड़ (36 शतक) से आगे निकल गए हैं। साथ ही वह 37 शतकों के साथ सर्वाधिक शतक लगाने वाले बल्लेबाजों की सूची में चौथे क्रम पर पहुंच गए हैं।  सर्वाधिक शतकों की सूची में सचिन (51) पहले, कैलिस (45) दूसरे और पोंटिंग (41) तीसरे क्रम पर हैं। ये तीनों खिलाड़ी अब टेस्ट क्रिकेट से संन्यास ले चुके हैं।

संगकारा पाकिस्तान के खिलाफ तीन मौकों पर 200 या उससे अधिक रनों की पारी खेल चुके हैं। भारत के वीरेंद्र सहवाग ने ही इसके अलावा पाकिस्तान के खिलाफ तीन मौकों पर 200 या उससे अधिक रनों की पारी खेल सके हैं।

तेलंगाना कानून-व्यवस्था राज्यपाल को सौंपने के खिलाफ

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esl narasimhan
तेलंगाना सरकार और केंद्र सरकार के बीच टकराव की स्थिति अपरिहार्य लगने लगी है, क्योंकि तेलंगाना सरकार ने हैदराबाद की कानून-व्यवस्था की जिम्मेदारी राज्यपाल को सौंपने संबंधित एक निर्देश को खारिज कर दिया है। केंद्र सरकार की तरफ से हैदराबाद के कानून-व्यवस्था की जिम्मेदारी राज्यपाल को सौंपे जाने से संबंधित पत्र के भेजे जाने के अगले दिन राज्य सरकार ने केंद्र को पत्र लिखकर इसके विभिन्न मानदण्डों को लागू न करने की बात कही है।  आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, सरकार ने कहा कि राज्यपाल को मंत्रि परिषद की सलाह के अनुसार काम करना चाहिए।

मुख्य सचिव राजीव शर्मा ने मुख्यमंत्री से शनिवार सुबह मुलाकात कर केंद्र के पत्र के संबंध में चर्चा की। शर्मा इसके बाद राजभवन पहुंचे और राज्यपाल ई.एस.एल.नरसिम्ह्न से मुलाकात की। इसके बाद मुख्य सचिव ने केंद्र को पत्र भेजा।  मुख्यमंत्री के.चंद्रशेखर राव ने केंद्र सरकार को 'फासीवादी'करार देते हुए मुख्य सचिव राजीव शर्मा को शुक्रवार रात को ही निर्देश दे दिया था कि केंद्र सरकार के निर्देश को खारिज करते हुए उसे एक पत्र भेज दिया जाए। उन्होंने केंद्र के फैसले को राज्य के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करार देते हुए गैर-राजग शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की एक बैठक बुलाने का भी निर्णय लिया है। 

मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव को यह निर्देश तब दिया, जब उन्हें केंद्रीय गृह मंत्री का पत्र मिला, जिसमें उन्हें हैदराबाद की कानून-व्यवस्था की जिम्मेदारी राज्यपाल को सौंपने को कहा गया था। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, केसीआर ने यह स्पष्ट किया है कि राज्य सरकार केंद्र सरकार के फैसले को लागू नहीं करेगी और उन्होंने इसे राज्य के मामले में हस्तक्षेप करार दिया। पृथक तेलंगाना आंदोलन का नेतृत्व कर चुके और जून में इस राज्य के पहले मुख्यमंत्री बने केसीआर ने केंद्र सरकार पर लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई सरकार की शक्तियां छीनने का आरोप लगाया है। 

केंद्र की तरफ से भेजे गए पत्र के मुताबिक, राज्यपाल के पास हैदराबाद की कानून-व्यवस्था की समीक्षा का अधिकार होगा, जो कि तेलंगाना और आंध्र प्रदेश की संयुक्त राजधानी घोषित की गई है। राज्यपाल के पास शीर्ष पुलिस अधिकारियों के स्थानांतरण का भी अधिकार होगा। हैदराबाद में रह रहे आंध्र प्रदेश के नागरिकों की सुरक्षा के लिए विशेष पुलिस इकाई होगी। गृह मंत्रालय ने इसके लिए आंध्र प्रदेश विभाजन अधिनियम 2014 का हवाला दिया है। तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) सरकार कानून-व्यवस्था को राज्य का विषय बताते हुए इस पर राज्यपाल के नियंत्रण का विरोध कर रही है। 

टीआरएस प्रमुख ने अपने सांसदों से इस मुद्दे को सोमवार को संसद में उठाने के लिए कहा है। इस बीच, सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री के.टी.रामाराव ने कहा कि केंद्र सरकार का कदम संघीय भावना के खिलाफ है। उन्होंने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार से उसके फैसले पर विचार करने की मांग की। मुख्यमंत्री के बेटे रामा राव ने कहा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा यह कदम उठाना उचित नहीं है। एक राज्य के मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी संभाल चुकने के कारण उन्हें इस फैसले पर दोबारा विचार करना चाहिए।"

महागठबंधन को लेकर भ्रम फैला रही भाजपा : मांझी

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jitan ram manjhi
बिहार के मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने शनिवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर आरोप लगाया कि वह महागठबंधन को लेकर भ्रम फैला रही है। मांझी ने कहा कि भाजपा भ्रामक बयानबाजी कर जनता दल (युनाइटेड), राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और कांग्रेस के महागठबंधन में फूट डालना चाहती है। 

पटना में एक कार्यक्रम में भाग लेने के बाद संवाददाताओं से बातचीत में मांझी ने कहा कि भाजपा के नेता बातों की गलत व्याख्या कर बिहार की जनता में भ्रम फैलाना चाह रहे हैं, ताकि उनको चुनाव में फायदा मिल सके। उन्होंने कहा कि पिछले चुनाव में नरेन्द्र मोदी के कारण भाजपा ऐसा कर चुकी है, परंतु अब बिहार में ऐसा नहीं होने वाला है। बिहार की जनता समझदार है, अब वह ऐसे भ्रम में नहीं फंसने वाली है। 

पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री बनने के विषय में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि नीतीश जद (यू) के सर्वमान्य नेता हैं। पिछले नौ वर्षो में उन्होंने बिहार में बढ़िया काम किया है और आगे भी उनके नेतृत्व में काम आगे बढ़ेगा। गठबंधन में मुख्यमंत्री के पद के उम्मीदवार के विषय में पूछे जाने पर मांझी ने कहा, "अगर अगला विधानसभा चुनाव गठबंधन के तहत लड़ा जाता है तब गठबंधन के बड़े नेता बैठकर इस मामले पर विचार कर नेता तय कर लेंगे।"उल्लेखनीय है कि 21 अगस्त को बिहार विधानसभा की 10 सीटों पर होने वाले उपचुनाव में राजद, जद (यू) और कांग्रेस गठबंधन के तहत चुनाव लड़ रही हैं। 

नागासाकी में परमाणु बम हमले की 69वीं बरसी

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जापान के शहर नागासाकी में शनिवार को वर्ष 1945 में द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान अमेरिका की ओर से गिराए गए परमाणु बम की 69वीं बरसी मनाई गई। नागासाकी के मेयर टोमिहिसा टाउ ने कहा कि परमाणु हथियार वर्तमान और भविष्य के लिए खतरा है तथा उनका शहर संयुक्त राष्ट्र एवं अन्य देशों को एक परमाणु हथियार मुक्त दुनिया बनाने के प्रयास में सहयोग करेगा। 

समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, टोमिहिसा ने कहा कि जापानी संविधान के अनुसार यह देश सैद्धांतिक रूप से युद्ध का परित्याग करेगा। द्वितीय विश्वयुद्ध में जापान को आत्मसमर्पण कराने के लिए अमेरिकी सेना ने छह अगस्त, 1945 को हिरोशिमा पर परमाणु बम गिराया था, जिसमें 1,40,000 लोगों की मौत हो गई थी। 

इसके तीन दिन बाद नौ अगस्त को नागासाकी पर ऐसा ही हमला किया था। इस हमले में 74,000 लोग मारे गए थे। इन हमलों के बाद जापान ने संयुक्त सेना के सामने 15 अगस्त को समर्पण कर दिया था, जिसके साथ ही विश्वयुद्ध समाप्त हो गया था। 

भारत का विदेशी पूंजी भंडार 57 करोड़ डॉलर घटा

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reserve bank of india
देश का विदेशी पूंजी भंडार एक अगस्त को समाप्त हुए सप्ताह में 57.35 करोड़ डॉलर घटकर 319.9905 अरब डॉलर दर्ज किया गया, जो 19,508.9 अरब रुपये के बराबर है। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा शुक्रवार को जारी साप्ताहिक आंकड़े से यह जानकारी मिली। विदेशी पूंजी भंडार का सबसे बड़ा घटक विदेशी मुद्रा भंडार आलोच्य सप्ताह में 1.091 अरब डॉलर घटकर 292.6932 अरब डॉलर हो गया, जो 17,860.7 अरब रुपये के बराबर है।

बैंक के मुताबिक, विदेशी मुद्रा भंडार को डॉलर में व्यक्त किया जाता है और इस पर भंडार में मौजूद पाउंड स्टर्लिग, येन जैसी अंतर्राष्ट्रीय मुद्रओं के मूल्य में होने वाले उतार-चढ़ाव का सीधा असर पड़ता है। आलोच्य अवधि में देश के स्वर्ण भंडार 53.89 करोड़ डॉलर बढ़कर 21.1738 अरब डॉलर हो गया, जो 1,275.6 अरब रुपये के बराबर है।

इस दौरान देश के विशेष निकासी अधिकार (एसडीआर) का मूल्य 1.55 करोड़ डॉलर घटकर 4.4221 अरब डॉलर दर्ज किया गया, जो 269.1 अरब रुपये के बराबर है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) में मौजूद देश के भंडार का मूल्य आलोच्य अवधि में 59 लाख डॉलर घटकर 1.7014 अरब डॉलर दर्ज किया गया, जो 103.5 अरब रुपये के बराबर है।

15 अगस्त के बाद सूखे की घोषणा : जीतन राम मांझी

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बिहार के मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने शनिवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर भ्रम फैलाने का आरोप लगाया है। उन्होंने अनावृष्टि के विषय में कहा कि सूखे की स्थिति पर सरकार नजर रखे हुए है। 15 अगस्त के बाद सुखाड़ की घोषणा की जा सकती है। पटना में एक कार्यक्रम में भाग लेने के बाद संवाददाताओं से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार सूखे की स्थिति पर नजर रखे हुए है। उन्होंने कहा कि मौसम विशेषज्ञों का भी कहना है अभी बारिश हो सकती है। शुक्रवार को बारिश हुई थी, अभी भी बादल हैं। उन्होंने कहा कि अगर एक-दो दिनों के अंदर बारिश नहीं होती है तो 15 अगस्त के बाद सूखे से निपटने की व्यवस्था के लिए सुखाड़ घोषित किया जा सकता है। 

उन्होंने कहा कि भाजपा भ्रामक बयानबाजी कर जनता दल (युनाइटेड), राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और कांग्रेस के महागठबंधन में फूट डालना चाहती है। उन्होंने कहा कि भाजपा के नेता बातों की गलत व्याख्या कर बिहार की जनता में भ्रम फैलाना चाह रहे हैं, जिससे उनको चुनाव में फायदा मिल सके। पिछले चुनाव में नरेन्द्र मोदी के कारण भाजपा ऐसा कर चुकी है परंतु अब बिहार में ऐसा नहीं होने वाला है। बिहार की जनता समझदार है, अब वह ऐसे भ्रम में नहीं फंसने वाली है। 

पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री बनने के विषय में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि नीतीश जद (यू) के सर्वमान्य नेता हैं। पिछले नौ वर्ष में उन्होंने बिहार में बढ़िया काम किया है और आगे भी उनके नेतृत्व में काम आगे बढ़ेगा।  गठबंधन में मुख्यमंत्री के पद के उम्मीदवार के विषय में पूछे जाने पर मांझी ने कहा, "अगर अगले विधानसभा चुनाव में गठबंधन के तहत चुनाव लड़ा जाता है तब गठबंधन के बड़े नेता बैठकर इस मामले पर विचार कर नेता तय कर लेंगे।"उल्लेखनीय है कि 21 अगस्त को बिहार विधानसभा की 10 सीटों पर होने वाले उपचुनाव में राजद, जद (यू) और कांग्रेस गठबंधन के तहत चुनाव लड़ रही है। 

बेलगाम महंगाई के खिलाफ भाकपा का राज्यव्यापी रोषपूर्ण प्रदर्शन

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बेतहासा बढ़ रही महंगाई, रेल यात्री किराये में बढ़ोत्तरी एवं केन्द्रीय आम बजट में निजीकरण तथा विदेषी प्रत्यक्ष निवेष को प्रोत्साहित करने के खिलाफ आज भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की ओर से राज्य के सभी प्रखंड कार्यालयों पर रोषपूर्ण प्रदर्षन किया गया। इस कार्यक्रम में हजारों पार्टी कार्यकत्र्ता एवं आम लोगों, खासकर गरीब एवं मेहनतकष लोगों ने भाग लिया कई प्रखंडों में भारी प्रदर्षन के कारण घंटों कार्यालय का काम-काज ठप रहा।
आज यहां पार्टी राज्य सचिव राजेन्द्र प्रसाद सिंह ने जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा है। कि अब तक प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार 20 जिलों के लगभग 80 प्रखंडों में कार्यक्रम हुआ। बिहार विधान सभा में हो रहे उपचुनाव के कारण आदर्ष आचार संहिता को देखते हुए कुछ जिलों में यह कार्यक्रम नहीं हुआ। कुछ जिलों से अभी रिपोर्ट नहीं आयी है। जिन जिलों में यह कार्यक्रम हुआ, उनमें प्रमुख हैं पष्चिम चंपारण, पूरब चंपारण, मुजफ्फरपुर, वैषाली, मधेपुरा, पटना, जहानाबाद, सीतामढ़ी, रोहतास, नवादा, नालंदा आदि 
प्रदर्षन में शामिल लोग केन्द्र सरकार के खिलाफ नारे लगा रहे थे। प्रदर्षनकारियों हाथों में लाल झंडा और बैनर लिये महंगाई निजीकरण विदेषी पूंजी निवेष का विरोध कर रहे थे। प्रदर्षन के बाद अंचल कार्यालय के निकट सभा हुई। भिन्न-भिन्न जिलों में पार्टी के भिन्न-भिन्न नेताओं ने प्रदर्षनकारियों और आम लोगों को संबोधित किया। वक्ताओं ने महंगाई के लिए केन्द्र की मोदी सरकार की आलोचना की और कहा कि मोदी सरकार भी पिछली कांग्रेस सरकार की ही जनविरोधी आर्थिक नीतियों को अपना रही है। कुछ मामलों में तो नरेन्द्र मोदी की सरकार जनता की मुसीबतें बढ़ाने में यूपीए सरकार को भी बहुत पीछे छोड़ आगे बढ़ती जा रही है। 
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की ओर से स्थानीय अधिकारियों को मांग पत्र सौंपे गये जिसमें महंगाई पर रोक लगाने, कालाबाजारी और जमाखोरी के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने, सभी गरीबों को राषन कार्ड देने और बिजली-पानी संकट को हल करने आदि मांगें शामिल थीं। 
आज के इस कार्यक्रम का नेतृत्व करने वालों में पार्टी की राज्य कार्यकारिणी के सदस्य प्रमोद प्रभाकर, मोहन प्रसाद, गजनफर नवाब, अजय कुमार, राज्य परिषद के सदस्य ओम प्रकाष क्रांति, अम्बिका प्रसाद, पूर्व विधायक बाल किषोर मंडल, राज्य परिषद के सदस्य सुभाष चन्द्र यादव आदि प्रमुख हैं।

राखी : स्नेह की डोर से पटा बाजार, बहनें जमकर कर रही राखी की खरीदारी

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  • मिठाई व गिफट आइटमों की दुकानों पर खरीदारों का लगा तांता, ‘माइटी राजू’ और छोटा भीम होंगे रक्षा कवच 

दोपहर 1.39 बजे तक भद्रा व्यापित रहेगी। शास्त्रनुसार दोपहर 1 बज कर 38 मिनट के बाद ही अपराह्न् काल में रक्षाबंधन का शुभ कार्य करना शुभ होगा। विशेष परिस्थिति में प्रातः 10.07 बजे से 11.07 बजे तक भद्रा पुच्छ काल में बहनें राखी बांध सकती है। 

rakhi and market
शहर से लेकर देहात तक में राखी की दुकानें सज गई है। बाजार में आकर्षक व रंग-बिरंगी के साथ-साथ मोदी के नाम छपे वाली राखी हर किसी को भा रही है। दुकानदारों की मानें तो राखी वपर महंगाई का बिल्कुल असर नहीं है। जबकि पिछले साल की तुलना में इस बार राखियों की कीमतों में करीब २० फीसद वृद्धि हुई है। पारंपरिक राखियों की जगह बड़ी संख्या में चाइना मेड राखियां बाजार में बिक रही है। डिजाइनर राखियां बहनें खूब पसंद कर रही है। दुकानों पर सजी छोटा भीम की ताकत और ‘माइटी राजू’ का प्रेम राखी बच्चों को खूब भा रहिी है। 

हमेशा की तरह इस बार भी मौली वाली राखियों की खूब डिमांड है। पूजा-अर्चना में उपयोग होने वाली मौली को लेकर लोगों की खूब श्रद्धा होने से राखियों में भी यह भावना दिख रही है। इसके अलावा कुंदन, जरकन, पर्ल, रंगबिरंगे स्टोन व रेशम वाली राखियां भी डिमांड में हैं। रक्षाबंधन पर इस बार थाली भी पसंद की जा रही है। बहनें सोने-चांदी की राखियां भी ऑर्डर पर तैयार करवा रही हैं। चांदी की राखियां रंग-बिरंगे जरकन से सजाई गई हैं। भाभियों के लिए डिजाइनर लुंबी की खरीदारी भी हो रही है। छोटे बच्चों के लिए कार्टून कैरेक्टर की राखियां पसंद की जा रही हैं। इसके अलावा बाजार में कई नामी हस्तियां और कार्टून पात्रों की राखियां बिक रही है। बच्चों को प्रेरणादायी संदेश देने वाले छोटा भीम और ‘माइटी राजू’ दोनों पात्र इस बार रक्षासूत्र पर शोभायमान हो चुके हैं। इनके अलावा क्रिकेट स्टार महेन्द्र सिंह धोनी का बैट बहनों की रक्षा का संकल्प लेगा। अमेरिकी डायमंड, क्रिस्टल, स्टोन, चंदन से निर्मित राखी, एक ओंकार, गणोश जी, श्री राधा-कृष्ण व रोबोट ट्वाय राखियां मार्केट में उपलब्ध हैं। सिल्क और प्लास्टिक के फूलों से निर्मित राखी भी बाजारों की शोभा बढ़ा रही हैं। राखी मास्क भी खूब बिक रहे हैं। इनकी खासियत यह है कि कलाई में बाधने के बाद इसे चेहरे पर भी लगाया जा सकता है। इसके अतिरिक्त स्टोन व मेटल से निर्मित आर्टिफिशियल राखियों 250 रुपये, रेशम की डोर, रंगीन कलावे 10 रुपये में मिल रहे हैं। सलमान का ब्रेसलेट और धौनी की फोटो लगी राखियां 25 से 30 रुपये तक उपलब्ध हैं। बच्चों को गिफ्ट पैक वाली राखी खूब लुभाएगी। इस राखी में चाकलेट, बिस्कुट व खिलौना होता है। चूंकि रक्षाबंधन में महज पांच दिन शेष हैं, इसलिए खरीदारी में तेजी आई है। दुकानदारों के मुताबिक राखी की बड़ी रेंज मार्केट में है। इनमें चाइनीज ट्वायज की राखी, अमेरिकी डायमंड (200 से 1250 रुपये प्रति), क्रिस्टल की राखियां (50 से 200 रुपये प्रति) मुख्य हैं। 

ज्योतिष पंडित आरके दुबे कहते हैं कि 10 अगस्त को श्रवण पूर्णिमा के दिन रक्षाबंधन है। इस दिन दोपहर 1.39 मिनट तक भद्रा व्यापित रहेगी। शास्त्रनुसार दोपहर 1 बज कर 38 मिनट के बाद ही अपराह्न् काल में रक्षाबंधन का शुभ कार्य करना शुभ होगा। इसके बावजूद यदि भद्रा काल में ही रक्षाबंधन करना पड़े तो भद्रा पुच्छकाल में रक्षा बंधनादि शुभ कार्य करने की आज्ञा दी है। भविष्य पुराणानुसार भद्रा के पुच्छकाल में किए गए कार्य में सिद्धि एवं विजय प्राप्त होती है, जबकि भद्रा मुख में कार्य का नाश होता है। इस कारण यदि अत्यंत आवश्यक परिस्थिति हो तो 10 अगस्त को प्रातः 10.07 मिनट से 11.07 मिनट तक भद्रा पुच्छ काल में यह शुभ कार्य किया जा सकता है। दोपहर 11.07 से 12.48 बजे तक भद्रा मुख काल का विशेष रूप से त्याग करें। 59 साल बाद 9 में से 7 ग्रह रक्षाबंधन के दिन की कुंडली के केंद्र में होंगे। इस दौरान सिर्फ विपरीत फल देने वाले राहु-केतु ही केंद्र में नहीं होंगे। आयुष्मान और सौभाग्य योग ने पर्व को और भी खास बना दिया है। ज्योतिषियों का मानना है कि ग्रहों की सकारात्मक चाल के चलते पर्व अत्यंत मंगलकारी और शुभ फल प्रदान करने वाला बन गया है। पं लालजी के अनुसार 10 अगस्त रक्षाबंधन के दिन कर्क राशि में सूर्य, बुध, गुरु, शुक्र और तुला में मंगल व शनि और मकर में चंद्रमा रहेगा। इनमें गुरु और शनि उच्च राशि में होंगे। गुरु का भी उदय हो चुका है। पूरे दिन श्रवण नक्षत्र रहेगा। इससे पहले केंद्र योग 1955 में बना था। रक्षाबंधन के दिन की कुंडली में ये सात ग्रह केंद्र में हैं और सकारात्मक फल प्रदान करेंगे। माना जाता है कि आयुष्मान योग भाई को लंबी उम्र और बहन को सौभाग्य देने वाला है। 




(सुरेश गांधी)
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