Quantcast
Channel: Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)
Viewing all 73727 articles
Browse latest View live

विशेष : विपक्षी दल कब निजी स्वार्थों से ऊपर उठेंगे?

0
0
opposition-politics
सत्रहवीं लोकसभा के चुनाव का सातवां और आखिरी चरण संपन्न होते विपक्षी दलों के जोड़तोड़ के नये समीकरण बनाने के प्रयास उग्र हो गये हैं। विपक्षी दल केन्द्र में सरकार बनाने की संभावनाओं को तलाश रहे हैं, जबकि एक्जिट पोल में एनडीए को स्पष्ट बहुमत से अधिक सीटें मिलने के संकेत सामने आये हैं। चुनाव से लेकर केन्द्र में सरकार बनाने तक विपक्षी दलों का ध्येय देश की राजनीति को नयी दिशा देने एवं सुदृढ़ भारत निर्मित करने के बजाय निजी लाभ उठाने का ही रहा है। क्या यह बेहतर नहीं होता कि चुनाव नतीजों की प्रतीक्षा की जाती और फिर परिस्थितियों के हिसाब से कदम बढ़ाए जाते? सवाल यह भी है कि यदि विपक्षी नेता मोदी सरकार की वापसी रोकने को लेकर इतने ही प्रतिबद्ध थे तो फिर उन्होंने चुनाव पूर्व कोई गठबंधन क्यों नहीं तैयार किया? सरकार बनाना हो या सशक्त विपक्ष की भूमिका का निर्वाह करना हो, ये विपक्षी दल किस हद तक अपने सहयोगियों को एकजुट कर पाते हैं, यह एक बड़ी चुनौती है, जिस पर वे चुनाव पूर्व की स्थितियों में नाकाम रहे हैं, अब कैसे वे सरकार बनाने की संभावनाओं को तलाशते एकजुट हो पायेंगे? भले ही वे इन संभावनाओं की तलाशने के लिए स्वतंत्र हैं, लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात वाला ही होता दिखाई दे रहा है। 

भारतीय लोकतंत्र में विपक्षी दल अपनी सार्थक भूमिका निर्वाह करने में असफल रहे हैं। क्योंकि दलों के दलदल वाले देश में दर्जनभर से भी ज्यादा विपक्षी दलों के पास कोई ठोस एवं बुनियादी मुद्दा नहीं रहा है, देश को बनाने का संकल्प नहीं है, उनके बीच आपस में ही स्वीकार्य नेतृत्व का अभाव है जो विपक्षी गठबंधन की विडम्बना एवं विसंगतियों को ही उजागर करता रहा है। विपक्षी गठबंधन को सफल बनाने के लिये नारा दिया गया है कि ‘पहले मोदी को मात, फिर पीएम पर बात।’ ऐसा लग रहा कि विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में अब नेतृत्व के बजाय नीतियों को प्रमुख मुद्दा न बनाने के कारण विपक्षी दल नकारा साबित हो रहे हैं, अपनी पात्रता को खो रहे हैं, यही कारण है कि न वे मोदी को मात दे पा रहे हैं और न ही पीएम की बात करने के काबिल बन पा रहे हैं। ध्यान रहे कि इन विपक्षी दलों ने केवल महागठबंधन बनाने के दावे ही नहीं किए गए थे, बल्कि न्यूनतम साझा कार्यक्रम तय करने का भी वादा किया गया था। लेकिन इस वादे से किनारा किए जाने से आम जनता के बीच यही संदेश गया कि विपक्षी दल कोई ठोस विकल्प पेश करने को लेकर गंभीर नहीं है और उनकी एकजुटता में उनके संकीर्ण स्वार्थ बाधक बन रहे हैैं, वे अवसरवादी राजनीति की आधारशिला रखने के साथ ही जनादेश की मनमानी व्याख्या करने, मतदाता को गुमराह करने की तैयारी में ही लगे है। इन्हीं स्थितियों से विपक्ष की भूमिका पर सन्देह एवं शंकाओं के बादल मंडराने लगे। इन चुनावों में विपक्षी दलों ने एकता के लिये अनेक नाटक रचे, भाजपा एवं मोदी को हराने की तमाम जायज-नाजायज कोशिशें भी हुई, लेकिन उनके कोई सार्थक परिणाम चुनाव के दौरान सामने नहीं आये। अब चुनाव नतीजे आने के पहले एक बार फिर विपक्षी दलों के विभिन्न नेताओं के बीच मेल-मिलाप तेज होना आश्चर्यकारी है। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू विभिन्न विपक्षी दलों के नेताओं से मिले हैं। उनके इस सघन संपर्क अभियान के बीच अन्य दलों के नेता भी भावी सरकार बनाने की संभावनाओं को तलाशते हुए प्रयास कर रहे हैं। लगता है विपक्षी पार्टियों के ये प्रयास उनके राजनीतिक अस्तित्व को बचाए रखने की जद्दोजहद के रूप में होते हुए दिख रहे हैं, आखिर विपक्षी दल इस रसातल तक कैसे पहुंचे, यह गंभीर मंथन का विषय है।

विपक्षी दलों के गठबंधन वैचारिक, राजनीतिक और आर्थिक आधार पर सत्तारूढ़ दल का विकल्प प्रस्तुत करने में नाकाम रहा है। उसने सत्तारूढ़ भाजपा की आलोचना की, पर कोई प्रभावी विकल्प नहीं दिया। किसी और को दोष देने के बजाय उसे अपने अंदर झांककर देखना चाहिए। क्षेत्रीय मुद्दे उसके लिए इतने अहम रहे कि कई बार राष्ट्रीय मुद्दों पर उसने जुबान भी नहीं खोली। लोकतंत्र तभी आदर्श स्थिति में होता है जब मजबूत विपक्ष होता है और सत्ता की कमान संभालने वाले दलों की भूमिकाएं भी बदलती रहती है। क्यों नहीं विपक्ष ने सीबीआई, आरबीआई या राफेल जैसे मुद्दे को उठाया, आम आदमी महंगाई, व्यापार की संकटग्रस्त स्थितियां, बेरोजगारी आदि समस्याओं से परेशान हो चुका था, वह नये विकल्प को खोजने की मानसिकता बना चुका है, जो विपक्षी एकता के उद्देश्य को नया आयाम दे सकता था, क्यों नहीं विपक्ष इन स्थितियों का लाभ लेने को तत्पर हुआ। बात केवल विपक्षी एकता की ही न होती, बात केवल मोदी को परास्त करने की भी न होती, बल्कि देश की भी होती तो आज विपक्ष इस दुर्दशा का शिकार नहीं होता। वह कुछ नयी संभावनाओं के द्वार खोलता, देश-समाज की तमाम समस्याओं के समाधान का रास्ता दिखाता, सुरसा की तरह मुंह फैलाती गरीबी, अशिक्षा, अस्वास्थ्य, बेरोजगारी और अपराधों पर अंकुश लगाने का रोडमेप प्रस्तुत करता, नोटबंदी, जीएसटी आदि मुद्दों से आम आदमी, आम कारोबारी को हुई परेशानी को उठाता तो उसकी स्वीकार्यता बढ़ती। व्यापार, अर्थव्यवस्था, बेरोजगारी, ग्रामीण जीवन एवं किसानों की खराब स्थिति की विपक्ष को यदि चिंता थी तो इसे चुनाव में दिखना चाहिए था। पर विपक्ष केंद्र या राज्य, दोनों ही स्तरों पर केवल खुद को बचाने में लगा हुआ नजर आया। वह अपनी अस्मिता की लड़ाई तो लड़ रहा था पर सत्तारूढ़ दल को अपदस्थ करने की दृढ़ इच्छा उसने नहीं दिखाई। पूरे चुनाव में वह विभाजित और हताश दिखा। इन स्थितियों के रहते आज उसकी सरकार बनाने की संभावनाएं कैसे रंग ला सकती है?  चुनावों में ही नहीं, बल्कि पिछले पांच सालों में क्षेत्रीय दलों ने राष्ट्रीय मुद्दों की लगातार अनदेखी की। वे भूल गए कि देश में एक बेहतर केंद्र सरकार देने की जिम्मेदारी उनकी भी है। उन्होंने लोकतंत्र में अपने दायित्व का निर्वाह नहीं किया है। सभी राज्य सिर्फ अपने बारे में सोचने लगें तो देश में अराजकता आ जाएगी। केंद्र-राज्य समन्वय से ही भारतीय व्यवस्था चल सकती है। विपक्षी दलों ने यह बात कई बार कही कि वे भाजपा से विचारधारा की लड़ाई लड़ रहे हैं। यदि यह विचारधारा की लड़ाई थी तो इसे इस चुनाव में दिखना चाहिए था। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। विपक्षी एकता केंद्र में सत्तारूढ़ पक्ष को कड़ी चुनौती क्यों नहीं पेश कर पाया, इस विचार होना चाहिए।

समस्या केवल यही नहीं रही कि चुनाव के पहले विपक्षी दल एकजुट नहीं हो सके। समस्या यह भी रही कि वे चुनाव के दौरान एक-दूसरे को मात देकर आगे निकलने की होड़ में भी जुटे रहे। इसी के चलते वे एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ते हुए भी दिखाई दिये। कांग्रेस जिस सपा-बसपा को अपने भावी सहयोगी के तौर पर देख रही थी उसके खिलाफ चुनाव लड़ी। सपा-बसपा ने भी चुनाव बाद कांग्रेस से सहयोग लेने-देने की संभावनाएं तो जगाए रखीं, लेकिन उसे अपने गठबंधन का हिस्सा बनाने से इन्कार कर दिया। कुछ ऐसी ही स्थिति अन्य राज्यों में भी दिखी। इससे यही स्पष्ट हुआ कि विपक्षी दल स्वयं के बलबूते ज्यादा से ज्यादा सीटें हासिल करना चाह रहे थे ताकि यदि नतीजों के बाद मिलीजुली सरकार बनाने की नौबत आए तो उसमें उनका दावा औरों से कहीं अधिक मजबूत हो सके और वे इसका अधिक लाभ ले सके। पता नहीं चुनाव नतीजे क्या तस्वीर पेश करेंगे, लेकिन इसमें दोराय नहीं कि विपक्षी दल भाजपा अथवा उसके नेतृत्व वाले राजग से एकजुट होकर मुकाबला करने को लेकर गंभीर नहीं दिखे। कम से कम अब तो उन्हें यह समझना ही चाहिए कि गठबंधन राजनीति मौकापरस्ती का पर्याय नहीं बन सकती। पर अब तक देख रहे हैं कि अधिकार का झण्डा सब उठा लेते हैं, दायित्व का कोई नहीं। जबकि अधिकार का सदुपयोग ही दायित्व का निर्वाह है। इन चुनावों में विपक्षी दलों को एक सूरज उगाना था ताकि सूरतें बदले। जाहिर है, यह सूरत तब बदलती, जब सोच बदलती। इस सोच को बदलने के संकल्प के साथ यदि विपक्षी दल आगे बढ़ते तो ही मोदी को टक्कर देने में सक्षम होते। यह भी हमें देखना था कि टक्कर कीमत के लिए है या मूल्यों के लिए? लोकतंत्र का मूल स्तम्भ भी मूल्यों की जगह कीमत की लड़ाई लड़ता रहा है, तब मूल्यों को संरक्षण कौन करेगा? एक खामोश किस्म का ”सत्ता युद्ध“ देश में जारी है। एक विशेष किस्म का मोड़ जो हमें गलत दिशा की ओर ले जा रहा है, यह मूल्यहीनता और कीमत की मनोवृत्ति, अपराध प्रवृत्ति को भी जन्म दे सकता है। हमने सभी विधाओं को बाजार समझ लिया। जहां कीमत कद्दावर होती है और मूल्य बौना। सिर्फ सत्ता को ही जब राजनीतिक दल एकमात्र उद्देश्य मान लेता है तब वह राष्ट्र दूसरे कोनों से नैतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक स्तरों पर बिखरने लगता है। क्या इन विषम एवं अंधकारमय स्थितियों में विपक्षी दल कोई रोशनी बन सकती है, अपनी सार्थक भूमिका के निर्वाह के लिये तत्पर हो सकती है?




 (ललित गर्ग)
ई-253, सरस्वती कंुज अपार्टमेंट
25 आई. पी. एक्सटेंशन, पटपड़गंज, दिल्ली-92
फोनः 22727486, 9811051133

चर्चा : सिद्धू-कैप्टन घमासान, कांग्रेस में भूचाल का संकेत

0
0
siddhu-captan-war
राजनीति में कब क्या हो जाए कुछ कहा नहीं जा सकता। लेकिन अभी हाल ही में मतदान बाद के जो सर्वेक्षणों में संकेत मिले हैं उससे यही लग रहा है कि देश में एक बार फिर से नरेन्द्र मोदी की सरकार बनने जा रही है। वहीं दूसरी तरफ इस बात को भी अनदेखा नहीं किया जा सकता कि पंजाब कांग्रेस में एक घमासान भी प्रारंभ हो गया है। यह घमासान भारत में पाकिस्तान प्रेमी के रुप में बदनाम हो चुके पंजाब सरकार के मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू की ओर से प्रारंभ हुआ है। हालांकि इस बार न तो उनके द्वारा पाकिस्तान के प्रति प्रेम का प्रदर्शन किया गया है और न ही कोई अनाप शनाप बयान ही दिया है। इस बार नवजोत सिंह सिद्धू ने कांग्रेस की पंजाब सरकार के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह को आड़े हाथ लिया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि मेरी पत्नी झूठ नहीं बोलती, उसे मुख्यमंत्री अमरिन्दर के कारण ही कांग्रेस के टिकट से वंचित किया गया है। इसके बाद मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने यह कहकर आग में घी डालने का प्रयास किया कि नवजोत सिंह सिद्धू मुझे हटाकर पंजाब के मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं। यहां यह स्पष्ट किया जा सकता है कि जब नवजोत सिंह सिद्धू भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए थे, उसी समय से उनके मन में यह सपना उफान मारने लगा था कि वे भी पंजाब के मुख्यमंत्री बन सकते हैं। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने इस सपने को उजागर कर दिया। पंजाब कांग्रेस में अभी तो राजनीतिक स्वार्थ मात्र सामने ही आया है, लेकिन जब बात निकली है तो दूर तक जाएगी। अभी तो यह घमासान पंजाब के अंदर ही शुरु हुआ है, लेकिन यह सच है कि देश में सत्ता परिवर्तन की हार्दिक इच्छा रखने वाली कांगे्रस पार्टी की दशा को मतदान बाद के सर्वेक्षण सही साबित करते हैं तो कांग्रेस के अंदर भूचाल लाने से कोई रोक नहीं सकता। कांगे्रस में नेताओं के समूह पूरे देश में हैं। कांग्रेस नेताओं की सबसे बड़ी कमी यही है कि वे कभी लोगों को कांग्रेस से नहीं जोड़ते, बल्कि अपने आपसे जोड़ते हैं। इसलिए आज कांग्रेस का प्रत्येक कार्यकर्ता पार्टी से नहीं, बल्कि किसी न किसी नेता के साथ ही जुड़ा है। यही कांग्रेस की गुटबाजी है।

पंजाब में भी कांग्रेस दो समूहों में विभाजित होने की कगार पर है। जिसमें अमरिन्दर सिंह के विरोधियों को नवजोत सिंह हवा देने का प्रयास कर रहे हैं तो अमरिन्दर सिंह इसे अपने अस्तित्व के लिए खतरा मान बैठे हैं। खैर.. इस बात से यह तो मानना ही पड़ेगा कि कांग्रेस में सब कुछ ठीक नहीं हैं। कांगे्रस नेतृत्व भले ही कितनी ही एकता की सफाई दे, लेकिन कांग्रेस का सच यही है कि वह समूहों में इस कदर विभाजित है कि एक दूसरे के विरोध राजनीतिक चाल चलते ही रहते हैं। कमोवेश यही हाल अभी हाल ही में सत्तासीन होने वाले राज्य मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी है। चुनाव बाद के सर्वेक्षणों में जिस प्रकार से इन राज्यों की तसवीर दिखाई गई है, वह इन समूहों का घातक परिणाम कहा जा सकता है। इन राज्यों में भी पंजाब की ही तरह कांग्रेस पार्टी के अंदर ही मुख्यमंत्रियों के विरोध में जबरदस्त वातावरण है। भले ही यह ऊपर से दिखाई न दे, लेकिन जनता सब जानती है। एक दूसरे के विरोध में जबरदस्त वातावरण तैयार कर निपटाने की योजना बनाई जाती है। कहा यह भी जाता है कि भोपाल से चुनाव मैदान में उतरे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह भी ऐसी ही राजनीति का शिकार हुए हैं। अभी पंजाब सरकार के विरोध में उनके अपने ही बयानबाजी कर रहे हैं, कहीं ऐसा न हो कि लोकसभा चुनाव परिणाम आने के बाद पूरी कांग्रेस में ही विस्फोट हो जाए। हम जानते हैं कि 2014 के चुनाव परिणामों के बाद कांगे्रस के वरिष्ठ नेताओं ने ही अपने राष्ट्रीय नेतृत्व पर सवाल उठाए थे। राहुल गांधी को कांग्रेस का सर्वेसर्वा बनाए जाने के बाद पूर्व केन्द्रीय मंत्री जयराम रमेश तो यहां तक कह दिया था कि अब कांगे्रस में वरिष्ठ नेताओं की कोई कद्र नहीं। अगर इस चुनाव के परिणाम भी कांग्रेस की हालत को सुधारने में असफल होते हैं तो संभवत: सवाल उठाने वालों की संख्या बढ़ भी सकती है। हालांकि इसकी अभी प्रतीक्षा करनी होगी।




सुरेश हिन्दुस्थानी
102 शुभदीप अपार्टमेंट
कमानी पुल के पास, लक्ष्मीगंज
लश्कर ग्वालियर मध्यप्रदेश
मोबाइल-9770015780

दुमका : मतगणना पदाधिकारियों व कर्मियों को दिया गया प्रशिक्षण

0
0
counting-training-dumka
दुमका (अमरेन्द्र सुमन)  उपायुक्त-सह-जिला निर्वाचन पदाधिकारी दुमका मुकेश कुमार के निदेष पर इंडोर स्टेडियम दुमका में मतगणना कार्य को सफलतापूर्वक सम्पन्न कराने के लिए मतगणना कार्य में लगने वाले मतगणना पदाधिकारी एवं कर्मी को प्रशिक्षण दिया गया। इस अवसर पर उपस्थित सभी प्रषिक्षणार्थियों को प्रषिक्षण कोषांग के प्रभारी पदाधिकारी सुधीर कुमार सिंह एवं षिवमंगल तिवारी ने बताया कि पोस्टल बैलेट द्वारा डाले गये मतों की गणना पहले उसके लिए निर्धारित स्थान टेबुल पर की जायेगी इसकी गणना समाप्त हो जाने के उपरांत मतगणना हाॅल में ईवीएम में डाले गये मतों की गणना की जायेगी। यदि आधे घंटे के अंदर पोस्टल बैलेट की गणना समाप्त नही हो पाये तो मतगणना हाॅल में मषीन में डाले गये मतों की गणना शुरु कर दी जायेगी परन्तु ध्यान रहे पोस्टल बैलेट की गणना टेबुल पर गणना किये जा रहे मतों का अंतिम चक्र के पूर्व समाप्त हो जाय यदि ऐसा नही होने पाये तो टेबुल पर मतगणना रोक कर पहले पोस्टल बैलेट की गणना समाप्त की जायेगी तब टेबुल पर अंतिम चक्र की गणना की जायेगी। उन्होंने बताया कि ईवीएम का बक्सा ले जाने के पहले एड्रेस टैग का मिलान उनके टेबुल पर आवंटित टेबुलवार एवं चक्रवार मतदान केन्द्रों की सूची से करेंगे और उक्त कंट्रोल यूनिट (सीयू) उस टेबुल से संबंधित हो इसे सुनिष्चित करेंगे। बक्सा खोलने के उपरांत कंट्रोल यूनिट को टेबुल पर रखेंगे। कंट्रोल यूनिट को टेबुल पर रखने के उपरांत सीयू एवं सीयू में लगे स्ट्रीप सील एवं ग्रीन पेपर सील का नंबर 17ग से मिलान कर एवं उपस्थित राजनैतिक दलों के प्रतिनिधियों को इसकी जानकारी देने का कार्य करेंगे। उन्होंने बताया कि संबंधित विधान सभा क्षेत्र के सहायक निर्वाची पादधिकारी उस क्षेत्र के सभी कार्यो के प्रभार में रहेंगे तथा सभी कार्यो को अपनी देख-रेख में सुगमता पूर्वक सम्पन्न करायेंगे। वज्रगृह के सहायक प्रभारी पदाधिकारी, वज्रगृह प्रभारी पदाधिकारी की देख-रेख में ईवीएम (मतदान केन्द्रवार आवंटित संबंधित टेबुल पर चार्ट के अनुसार) मतगणना हेतु भेजना सुनिष्चित करेंगे। प्रेक्षक दल में प्रतिनियुक्त द्वितीय माइक्रो आब्जर्वर कम्प्यूटर टीम में दर्ज कराए जा रहे डाटा की जाँच करेंगे। प्रथम माइक्रो आब्जर्वर प्रेक्षक को गणना कार्य में सहयोग प्रदान करेंगे। सीलिंग पर्यवेक्षक/सहायक के द्वारा कंट्रोल यूनिट, बैलेट यूनिट तथा वीवीपैट को सील कराया जायेगा। उन्होंने कहा कि 23 मई 2019 को इंजीनियरिंग काॅलेज दुमका में आप सभी ससमय योगदान करें। इस दौरान उन्होंने और भी कई महत्वपूर्ण जानकारी दी। इस अवसर पर संबंधित कोषांग के पदाधिकारी, सभी प्रखंड के प्रखंड विकास पदाधिकारी, अंचला अधिकारी, प्रशिक्षण कोषांग के कर्मी गोर चन्द्र पाल, उमा मंडल, अजीत कुमार, चुन्नू हेम्ब्रम, श्रीकान्त प्रसाद, अभयकांत मिश्रा, दीपक मिश्रा नीरज कुमार यादव, पिंकू कुमार, सजल कुमार उपस्थित थे।

दुमका, भाजपा के प्रति आदिवासियों व मुस्लिमों का बढ़ा रुझान, हो सकता है उलटफेर

0
0
dumka-result-may-opposit
दुमका (अमरेन्द्र सुमन)  7 वें व अंतिम चरण (19 मई 2019) में दुमका संसदीय निर्वाचन क्षेत्र के लिये सम्पन्न हुए चुनाव के बाद परिणाम का दिन ज्यों-ज्यों करीब आता जा रहा है, झामुमो व भाजपा के खेमे में हलचल भी परवान पर नजर आ रहा है। जहाँ एक ओर दोनों ही पार्टियों (झामुमो व भाजपा) द्वारा अपनी-अपनी जीत का राग अलापा जा रहा है वहीं दूसरी ओर चैक-चैहारों से लेकर मैदान-दूकान तक और आम से लेकर खास तक में इस पार्लियामेंट्री सीट को लेकर रोचकता बनी हुई है। वैसे पिछले चालीस वर्षों से दुमका व संताल परगना की राजनीति में एक बड़े हस्ताक्षर के रुप में आदिवासियों के दिलो-दिमाग पर छाये रहने वाले ंशिबू सोरेन के लिये 23 मई का परिणाम उनकी राजनीतिक यात्रा के लिये मील का पत्थर साबित होने वाला है। यदि षिबू सोरेन यह चुनाव जीत जाते है तो झामुमो का पिछला रिकाॅर्ड सुरक्षित रह जाएगा और 5 वर्षों के लिये षिबू सोरेन फिर से हरे-भरे हो जाऐंगे। जहाँ तक भाजपा प्रत्याशी सुनील सोरेन की बात है तो यह चुनाव उनके लिये भी उनके भविष्य की लक्ष्मण रेखा है। भाजपा प्रत्याशी सुनील सोरेन यदि झामुमो प्रत्याशी शिबू सोरेन को हरा पाने में सफल होते हैं तो फिर उनकी राजनीतिक यात्रा में चार चाँद लग जाएगा। झारखण्ड को एक युवा आदिवासी नेता मिल जाएगा और संसद में इस क्षेत्र की समस्या को पटल पर रखने वाली एक मुखर आवाज। यह सब तब होगा जब परिणाम पक्ष में होगा। यदि परिणाम विरुद्ध हुआ तो फिर सुनील सोरेन का राजनीतिक कैरियर एक तरह से खत्म ही हो जाएगा। दुमका लोकसभा क्षेत्र के अन्तर्गत दुमका, शिकारीपाड़ा, जामा (दुमका जिलान्तर्गत विधानसभा क्षेत्र), नाला, जामताड़ा (दोनों जामताड़ा जिलान्तर्गत विधानसभा क्षेत्र) व सारठ (देवघर जिलान्र्गत विधानसभा क्षेत्र) आते हैं। कुल छः विधानसभा क्ष्,ोत्रों में मतदाताओं की स्थिति क्या रही होगी यह तो शोध की बात है। जहाँ तक विधानसभा क्षेत्र षिकारीपाड़ा (दुमका जिलान्तर्गत) की बात है तो यह क्षेत्र आदिवासी, मुस्लिम व इसाई बहुलता वाला क्षेत्र है। झामुमों के कट्टर समर्थकों का यह क्षेत्र माना जाता है किन्तु इस चुनाव मंे आदिवासी व मुस्लिम मतदाताओं के 10 से 20 प्रतिषत मतों का हस्तांतरण भाजपा के पक्ष में जाने की बात सुनी गई है। षिकारीपाड़ा में व्यवसायी वर्ग का प्रतिनिधित्व कर रहे भाजपा के स्थानीय नेता रामनारायण भगत व रानेष्वर के सामाजिक कार्यकर्ता बबलू दत्ता से जब क्षेत्र की अद्यतन स्थिति पर बात की गई तो यह ज्ञात हुआ कि शिकारीपाड़ा विस क्षेत्र में पिछले चुनाव की तुलना में भाजपा के प्रति लोगों का रुझान बढ़ा है। भाजपा नेता व सामाजिक कार्यकर्ता रामनारायण भगत का मानना है मुस्लिम बहुल गाँव खडीकदमा, षिवतल्ला, ननकाडीह, ढेवाडीह, कोल्हाबदर, पिनरगड़िया, शहरपुर, चितरागड़िया (सभी मुस्लिम आबादी वाले गाँव) व बड़ा चापुड़िया, बिलाय, बाँसपहाड़ी, दरबारपुर जैसे आदिवासी गाँवों मंे भाजपा के पक्ष 10 से 20 प्रतिषत लोगों ने मतदान किया। कई आदिवासी गाँवों में झामुमो कार्यकर्ताओं के विरुद्ध मतदाताओं का आक्रोश भी सामने दिखा। रानेश्वर प्रखण्ड के भाजपा समर्थक व पार्टी कार्यकर्ता बबलू दत्ता का कहना है सरसाजोल, बाॅकीजोर, बाँसपहाड़ी, राजबांध पलासी, पर्वतपुर, कलाईबाड़ी, आसनबनी, हरीपुर, पाटजोर, सुखजोरा, तिकुंडी, बाँसकुली, रानेष्वर, गोविन्दपुर, बेलकांदी जैसे इलाकों में भाजपा के पक्ष में 90 फीसदी मतदान यह दर्षाता है कि इस क्षेत्र के लोगों का मिजाज क्या रहा होगा। शिकारीपाड़ा विधानसभा क्षेत्र अन्तर्गत तीन प्रखण्ड आते हैं षिकारीपाड़ा, काठीकुण्ड व रानेष्वर। 10 से 20 प्रतिषत आदिवासियों व मुस्लिमों का रुझान यदि भाजपा के पक्ष में रहा तो यह कहना मुश्किल नहीं होगा कि दुमका संसदीय क्षेत्र की फिजा बदल सकती है। 

बेगूसराय : जिलाधिकारी ने किया मतगणना स्थल का निरीक्षण

0
0
dm-begusaray-inspact-strong-room
अरुण कुमार (आर्यावर्त) बेगूसराय में लोकसभा चुनाव के बाद 23 मई को होने वाले मतगणना की सारी तैयारी पूरी कर ली गई है। इसको लेकर जिला निर्वाचन पदाधिकारी सह जिलाधिकारी राहुल कुमार जहाँ मतगणना स्थल बाजार समिति में अधिकारियों के साथ मॉक ड्रिल कर स्थल का जायजा लिया वहीं देर शाम समाहरणालय स्थित कारगिल भवन में विधि व्यवस्था को लेकर अधिकारियों के साथ बैठक भी की। जिलाधिकारी राहुल कुमार ने बताया कि मतगणना के बाद किसी भी तरह का जुलूस,आतिशबाजी पर पाबंदी रहेगी साथ ही किसी भी प्रत्याशी के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने पर कार्रवाई की जाएगी। मतगणना स्थल पर विधि व्यवस्था और सुरक्षा का व्यापक प्रबंध किया गया है।जिले में बढ़ते अपराध पर डीएम ने कहा कि हर घटना पर विचार-विमर्श कर लिया गया है, चुनाव के कारण पुलिस बल बाहर थे जो अब लौट आई है और हर मामले की जाँच कर उचित कानूनी कार्रवाई की जाएगी ।इधर बेगुसराय में बढ़ते अपराध को देखते हुए पुलिस कप्तान ने भी अपराधियों को नकेल कसने के लिये पूरी तैयारी में हैं।

वाराणसी : पीएम के क्षेत्र में एक-एक वोट पर रहेगी पैनी नजर

0
0
वाराणसी लोकसभा: सबसे पहले शहर दक्षिणी और सबसे अंत में कैंट विस का परिणाममतगणना केंद्र में कुछ भी लेकर जाने पर रहेगी रोक
nation-eyes-on-pm-counting
वाराणसी (सुरेश गांधी) ।लोकसभा चुनाव की मतगणना केवल 24 घंटे ही बाकी रह गया है। फैसले की घड़ी के इंतजार के बीच 23 मई को लोकसभा चुनाव का परिणाम सामने आएगा। इसके लिए पहड़िया मंडी में मतगणना कराने को लेकर जिला प्रशासन ने अपने स्तर से पूरी तैयारी कर ली है। मतगणना में जिला प्रशासन ने 800 कार्मिकों की ड्यूटी लगाई है। साथ में रिजर्व भी रखे गए हैं। चूकी वाराणसी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का संसदीय क्षेत्र है इसलिए प्रशासन पूरी तरह चैकन्ना है। मुकाबला कड़ा होने से प्रशासन ने एक-एक वोट और हरेक गतिविधि पर पैनी नजर रखने का प्लान तैयार किया है। सभी प्रत्याशियों ने अपने एजेंटों की सूची प्रशासन को सौंप दी है। 

जिलाधिकारी सुरेन्द्र सिंह ने बताया कि मतगणना स्थल पर सुबह 7 से 8 बजे तक कर्मचारियों और एजेंटों का होगा प्रवेश। इसके बाद सुबह 8 बजे से मतों की गिनती शुरू होगी। गिनती से पहले स्ट्रॉंग रूम से ईवीएम काउंटिंग टेबल पर लाया जाएगा। मतगणना पर्यवेक्षक सबसे पहले ईवीएम पर लगे सुरक्षा की जाच करेंगे। यह सुनिश्चित करेंगे कि ईवीएम से किसी तरह की छेड़छाड़ तो नहीं की गई है। पोस्टल बैलेट की गिनती शुरू होने के बाद ही ईवीएम से गिनती शुरू होगी। मतगणना की पूरी प्रक्रिया से जुड़े सुपरवाइजर मतगणना एजेंट को बताएंगे कि कैसे ईवीएम का बटन दबाते हैं, उसके बाद हर उम्मीदवार के मतों की संख्या दिखेगी। प्रत्येक घटे में चार राउंड की गिनती होगी। एक बार में 14 ईवीएम की गिनती की जाएगी।  श्री सिंह ने बताया कि मतगणना (काउंटिंग) पर्यवेक्षक काउंटिंग एजेंट्स की मदद से मतों की गिनती शुरू होगी। मतों की गिनती कर रहा कर्मचारी हर उम्मीवार को पड़े वोट की संख्या दिखाने के बाद उसे लिखकर एआरओ को भेजेगा। हर चरण की गिनती के नतीजे की जानकारी मुख्य निर्वाचन अधिकारी को भेजी जाएगी। साथ में पूरी जानकारी चुनाव आयोग के सर्वर में फीड किया जाएगा। प्रत्येक राउंड के बाद ईवीएम डाटा और शीट में भरे गए डाटा का मिलान होगा। मिलान के बाद इसे एआरओ और प्रत्याशियों के एजेंटों को भी नोट कराया जाएगा। मतगणना स्थल पर लगे बोर्ड पर प्रत्येक राउंड के बाद वोटों की गिनती चस्पा की जाएगी। वोटों के गिनती की यह प्रक्रिया चलती रहती है जब तक मतगणना पूरी नहीं हो जाती। 

श्री सिंह ने बताया कि जिनके पास कार्ड होगा वही मतगणना केंद्र में प्रवेश कर सकेंगे। यही नहीं मतगणना केंद्र में एजेंट पेन, बेल्ट, मोबाइल, घड़ी, पर्स, चाबी सहित कुछ भी लेकर नहीं जा सकेंगे। उनके लिए प्रशासन की ओर से कागज एवं पेंसिल की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। यही नहीं मतगणना कार्य में लगने वाले अधिकारी एवं कर्मचारी भी कुछ भी लेकर नहीं जा सकेंगे। एक-एक पुलिस उपायुक्त को एक-एक विधानसभा क्षेत्र की जिम्मेदारी सौंपी गई है। कानून व्यवस्था एवं ट्रैफिक व्यवस्था को लेकर अलग से जिम्मेदारी सौंपी गई है। शहर दक्षिणी विधानसभा क्षेत्र का परिणाम सबसे पहले आएगा। सबसे अंत में कैंटोमेंट विधानसभा क्षेत्र का। क्योंकि सबसे कम मतदाता शहर दक्षिणी विधानसभा क्षेत्र में और सबसे अधिक कैंट विधानसभा क्षेत्र में हैं।  श्री सिंह ने बताया कि मतगणना में उन कार्मिकों को अलग से पहचान पत्र जारी किया गया है जिससे अंदर प्रवेश करने में कोई परेशानी नहीं हो। सहायक रिटर्निग अफसर अपने-अपने विधानसभा क्षेत्र में मतगणना कराएंगे। वाराणसी लोकसभा में कुल 1854541 मतदाता हैं, इनमें से कुल 1076561 मतदाताओं ने मतदान किया। इस लोकसभा में शहर दक्षिणी विधानसभा क्षेत्र में कुल 296513 मतदाता है, इनमें 174201 मत पड़े। शहर उत्तरी विधानसभा क्षेत्र में कुल 404014 मतदाता है, इनमें 225237 मत पड़े। रोहनिया विधानसभा क्षेत्र में कुल 390884 मतदाता हैं, इनमें 229644 मत पड़े। इसी प्रकार सेवापुरी विधानसभा क्षेत्र में कुल 331183 मतदाता हैं, इनमें 204008 मत पड़े। कैंट विधानसभा क्षेत्र में कुल 431947 मतदाता हैं, यहां 235411 मत पड़े।

बेगूसराय : शिक्षा के विकास के लिये "घूरन बाल शिक्षा विकास"कार्यालय का उद्घाटन

0
0
ghuran-baal-shiksha
अरुण कुमार (आर्यावर्त) "घूरन बाल शिक्षा विकास कार्यक्रम"के जिला कार्यालय का उद्घाटन समारिह सम्पन्न।गौड़ा 1 के बिशनपुर टोला में बेगूसराय नगर निगम के महापौर श्री उपेंद्र प्रसाद सिंह,फिल्म अभिनेता श्री अमिय कश्यप,मिथिलांचल के वरिष्ठ साहित्यकार श्री चाँद मुसाफिर जी,गुरुदेव श्री विवेकानंद शर्मा जी,राष्ट्रकवि दिनकर के साहित्यिकी उत्तराधिकारी श्री प्रफुल्ल चन्द्र मिश्रा जी,सुमन कुमारी मुखिया दुलारपुर (रातगॉंव) पत्रकार प्रभाकर कुमार राय, सामाजिक कार्यकर्ता श्री सरोज चौधरी के हाथों संपन्न हुआ।संजीब पहलवान के संयोजन में मंच संचालन सत्यजीत सोनू द्वारा किया गया।मोoअफजल,राजकुमार,ब्रजेश कुमार, अजित कुमार आदि ने अपनी मेहनत से कार्यक्रम को सफल बनाया।संस्था द्वारा गॉंव के हर वार्ड में प्रथम वर्ग से पंचम वर्ग तक के बच्चों के बीच शिक्षा देने का काम करेगी।प्रत्येक वार्ड में,इस संस्था का एकसूत्री कार्यक्रम शिक्षा का विस्तारीकरण।

मधुबनी : मतगणना के अवसर पर विधि-व्यवस्था को लेकर बैठक का आयोजन

0
0
dm-madhubani-meeting-for-election-counting
मधुबनी (आर्यावर्त संवाददाता) : जिला निर्वाचन पदाधिकारी, मधुबनी, श्री शीर्षत कपिल अशोक की अध्यक्षता में स्थानीय नगर भवन, मधुबनी में मंगलवार को लोकसभा आम निर्वाचन, 2019 मतगणना कार्य को स्वच्छ एवं पारदर्शी ढ़ंग से संपन्न कराने के उदेश्य से विधि-व्यवस्था से संबंधित बैठक का आयोजन किया गया।  बैठक में पुलिस अधीक्षक, मधुबनी, श्री सत्यप्रकाश, विशेष कार्य पदाधिकारी, मधुबनी, श्री सुनील कुमार, जिला परिवहन पदाधिकारी, मधुबनी, श्री सुशील कुमार, अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी, सदर मधुबनी, सुश्री कामिनीबाला समेत सभी प्रतिनियुक्त दंडाधिकारी एवं पुलिस पदाधिकारी उपस्थित थे।  बैठक में जिला निर्वाचन पदाधिकारी, मधुबनी के द्वारा बताया गया कि मतगणना स्थल एवं आस-पास के क्षेत्र में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर दंडाधिकारी/पुलिस पदाधिकारी/सशस्त्र बल की प्रतिनियिुक्ति की गई है। इसके अतिरिक्त सी0पी0एफ बल की भी प्रतिनियुक्ति मतगणना हाॅल के गेट एवं आस-पास के क्षेत्रों में की गई है। भारत निर्वाचन आयोग से प्राप्त निदेश के आलोक में मतगणना के अवसर पर त्रिस्तरीय सुरक्षा व्यवस्था के तहत मुख्य प्रवेश द्वार से 100 मीटर आगे तक जिला पुलिस बल, मुख्य प्रवेश द्वार पर जांच हेतु जिला पुलिस बल तथा मतगणना हाॅल के द्वार पर सी0पी0एफ0 की प्रतिनियुक्ति की गयी है। उन्होंने कहा कि भारत निर्वाचन आयोग के निदेश के आलोक में चुनाव लड़नेवाले अभ्यर्थियों के साथ प्रतिनियुक्त सशस्त्र बल/अंगरक्षकों को मुख्य द्वार से बाहर ही रोक देने एवं उन्हें अंदर जाने की अनुमति नहीं देंगे। सभी प्रतिनियुक्त पदाधिकारी/पुलिस पदाधिकारियों को यह सुनिश्चित करेंगे कि कोई भी व्यक्ति जिन्हें निर्वाची पदाधिकारी द्वारा नियुक्ति पत्र नहीं दिया गया है अथवा उन्हें उचित गेट पास निर्गत नहीं है, को मतगणना केन्द्र में प्रवेश की अनुमति नहीं देंगे। उप मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी, बिहार पटना से प्राप्त निदेश के आलोक में मतगणना केन्द्र में सेलुलर फोन, काॅडलेस फोन, वायरलेस सेट इत्यादि ले जाना वर्जित है। अतएव मुख्य द्वारा पर प्रतिनियुक्त दंडाधिकारी/पुलिस पदाधिकारी यह सुनिश्चित करेंगे कि कोई भी व्यक्ति मतगणना केन्द्र में सेलुलर फोन,काॅडलेस फोन, वायरलेस सेट एवं अन्य इलेक्ट्राॅनिक गैजेट्स इत्यादि लेकर मतगणना केन्द्र के अंदर प्रवेश नहीं करें। 
           
dm-madhubani-meeting-for-election-counting
आर0के0काॅलेज परिसर में मीडिया सेंटर की स्थापना की जा रही है, जहां प्राधिकृत मीडिया प्रतिनिधि रहेंगे। वे उक्त सेंटर तक अपना मोबाईल फोन ले जा सकते है, परंतु मतगणना हाॅल तक अपना मोबाईल सेट नहीं ले जा सकते है। मतगणना परिसर में विधि-व्यवस्था एवं शांति-व्यवस्था बनाये रखने हेतु श्री सुशील कुमार, जिला परिवहन पदाधिकारी, मधुबनी एवं श्री सतीश चन्द्र मिश्र, पुलिस उपाधीक्षक(मुख्यालय), मधुबनी को वरीय प्रभारी पदाधिकारी के रूप में प्रतिनियुक्त किया गया है। उन्हें मतगणना केन्द्र के मुख्य प्रवेश द्वार एवं आर0के0 काॅलेज, मधुबनी के पिछला द्वार पर बिहार पुलिस बल प्रतिनियुक्त कर प्रवेश करने वाले सभी व्यक्तियों की पूर्ण तलाशी करने तथा महिलाओं की तलाशी के लिए महिला पुलिस कर्मी को लगाने एवं इनकी तलाशी के लिए एक अलग इनक्लोजर बनाने की व्यवस्था का निदेश दिया गया। प्रवेश करने वाले सभी सरकारी कर्मियों एवं अभ्यर्थियों के मतगणना अभिकत्र्ता को अपना फोटोयुक्त प्रवेश पत्र अपने जेब पर लगाना अनिवार्य होगा। दोनों प्रवेश द्वार पर मेटल डिटेक्टर(डी0एफ0एम0डी0 एवं एच0एम0डी0) के माध्यम से सभी व्यक्तियों की जांच की जायेगी। मतगणना केन्द्र के भीतर अभ्यर्थी, उनके निर्वाचन अभिकत्र्ता, एवं मतगणना अभिकत्र्ता के द्वारा किसी भी प्रकार का ज्वलनशील पदार्थ, कैलकुलेटर, मोबाईल फोन, काॅडलेस फोन इत्यादि ले जाना पूर्णतया वर्जित रहेगा। मतगणना केन्द्र के भीतर किसी भी निजी वाहन का प्रवेश वर्जित रहेगा। मतगणना केन्द्र के प्रवेश द्वार पर चेकिंग की विडियोग्राफी भी करायी जायेगी।   मतगणना केन्द्र में शांतिपूर्ण वातावरण में मतगणना कार्य पर सूक्ष्म निगरानी रखने के उदेश्य से मतगणना नियंत्रण कक्ष की स्थापना प्रशासनिक भवन के ठीक सामने की गयी है। मतगणना नियंत्रण कक्ष में 06-मधुबनी लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र के लिए दूरभाष संख्या-06276-222331 एवं 07-झंझारपुर लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र हेतु दूरभाष संख्या-06276-222332 स्थापित किया गया है। मतगणना केन्द्र में प्रवेश हेतु अभ्यर्थियों का वाहन रहिका की ओर से आने वाली पथ (सप्ता चौक) के पूरब ड्राॅप गेट तक एवं पूरब भाग से आनेवाली अभ्यर्थियों का वाहन किशोरी लाल चौक से आगे भगवती स्थान मोड़ तक ही जाएगी।  इसके अलावे जिला निर्वाचन पदाधिकारी-सह-जिला दंडाधिकारी द्वारा निरोधात्मक कार्रवाई करने, वितंतु सेट खुला रखने, यातायात व्यवस्था हेतु बैरियर की व्यवस्था करने एवं स्वच्छ एवं शांतिपूर्ण माहौल में सभी दंडाधिकारियों एवं पुलिस पदाधिकारियों को मतगणना कार्य संपन्न कराने का निदेश दिया गया।

अवैध संबंधों के शक में पत्नी की हत्या

0
0
husband-killed-wife-jind
जींद, 21 मई, जींद जिले के नरवाना-टोहाना मार्ग पर स्थित लौन गांव में एक व्यक्ति ने अवैध संबंधों के शक में अपनी सो रही पत्नी की गर्दन में फाली (नुकीला तेजधार हथियार) मारकर हत्या कर दी। हत्या करने के बाद पति ने खुद भी बिजली का तार पकड़कर आत्महत्या करने की कोशिश की। पुलिस ने यह जानकारी दी।  घटना की सूचना मिलते ही डीएसपी जगतसिंह, गढ़ी थाना प्रभारी कुलदीप सिंह व धमतान चौकी प्रभारी जगदीश सिंह मौके पर पहुंचे और मौके का मुआयना किया। सीन ऑफ क्राइम की टीम ने भी मौके से साक्ष्य जुटाए। पुलिस ने मृतका के भाई अनिल के बयान पर तीन लोगों के खिलाफ हत्या करने का मामला दर्ज कर लिया है। पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम करवाकर परिजनों को सौंप दिया।  गढ़ी थाना प्रभारी कुलदीप सिंह ने बताया कि लौन गांव में महिला की हत्या में तीन लोगों पर हत्या का मामला दर्ज किया गया है। उन्होंने बताया कि पति सेवासिंह ,जेठ पूर्ण सिंह व जेठानी बबली पर मामला दर्ज किया गया है।  पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार गांव लौन के सेवा सिंह का अपनी पत्नी से अक्सर झगड़ा रहता है। सेवासिंह की पत्नी मजदूरी करने बाहर जाती थी और सेवा सिंह अपनी पत्नी के चरित्र पर शक करता था। सोमवार शाम भी दोनों के बीच झगड़ा हुआ था। मंगलवार सुबह करीब तीन बजे सेवासिंह ने अपनी तीस वर्षीय पत्नी पिंकी की गर्दन में सोते समय फाली मार दी। पत्नी की मौत के बाद उसने घर में बिजली की तार छूकर खुद भी जान देने की कोशिश की। उसके बाद सेवासिंह ने गली में लगे बिजली के ट्रांसफार्मर को भी चार बार छूआ जिससे वह घायल हो गया। 

मोदी ने मंत्रिपरिषद के सदस्यों से मुलाकात की

0
0
modi-meet-cabinet
नयी दिल्ली, 21 मई , लोकसभा चुनाव के एग्जिट पोल में राजग को बहुमत मिलने के पूर्वानुमान के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मंत्रिपरिषद के सदस्यों से मंगलवार को यहां मुलाकात की और उनका आभार प्रकट किया। यह बैठक भाजपा मुख्यालय में हुई। इस बैठक में प्रधानमंत्री के अलावा भाजपा अध्यक्ष अमित शाह सहित राजग सरकार में घटक दलों के मंत्री भी शामिल हुए। बैठक का नाम ‘स्वागत एवं आभार मिलन समारोह’ रखा गया। इसमें केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी, रामविलास पासवान, स्मृति ईरानी, पीयूष गोयल, मुख्तार अब्बास नकवी, राधामोहन सिंह, हरसिमरत कौर बादल और अनुप्रिया पटेल आदि शामिल हुए।  भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने राजग के शीर्ष नेताओं को मंगलवार को रात्रि आठ बजे रात्रिभोज पर आमंत्रित किया है।

भारत के लिये अहम होगा धोनी का अनुभव और ‘फिनिशिंग टच’ : बिकेल

0
0
dhoni-experience-important-for-india
नयी दिल्ली, 21 मई,महेंद्र सिंह धोनी को दुनिया का सर्वश्रेष्ठ फिनिशर माना जाता है और आस्ट्रेलिया के पूर्व तेज गेंदबाज एंडी बिकेल का मानना है कि मैच के अंतिम क्षणों में इस विकेटकीपर बल्लेबाज का बिना किसी हड़बड़ी के टीम को लक्ष्य तक पहुंचाने की महारत से भारत अन्य टीमों को पीछे छोड़ देता है। बिकेल उन खिलाड़ियों में शामिल हैं जो धोनी के खिलाफ खेल चुके हैं और आईपीएल में उनकी कप्तानी में भी खेले हैं। वह इस पूर्व भारतीय कप्तान के खेल और क्रिकेट की समझ से अच्छी तरह परिचित हैं। बिकेल ने  कहा, ‘‘भले ही वह (धोनी) कप्तान नहीं हैं लेकिन बीच के ओवरों में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण होगी। उनके यह सुझाव काफी उपयोगी होंगे क्योंकि वह बहुत अनुभवी हैं और उनके एक या दो सुझाव भी काफी मायने रखेंगे। यह संभवत: उनका अंतिम विश्व कप होगा और वह अपनी तरफ से टीम को अधिक से अधिक देना चाहेंगे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ धोनी वर्षों से फिनिशर की भूमिका निभा रहे हैं और मुझे पूरा विश्वास है कि वह फिर से इसमें खरे उतरेंगे। धोनी की उपस्थिति से भारत इस मामले में फायदे में दिख रहा है मैच के अंतिम क्षणों में भी टीम पर किसी तरह की हड़बड़ाहट में नहीं दिखेगी। धोनी उसमें शांतचितता का प्रभाव बनाये रखेंगे। ’’ आस्ट्रेलिया की तरफ से 19 टेस्ट और 67 वनडे खेलने वाले बिकेल को लगता है कि धोनी के अनुभव का विराट कोहली को न सिर्फ कप्तानी में बल्कि बल्लेबाजी में भी फायदा मिलेगा। उन्होंने कहा, ‘‘धोनी का अनुभव बल्लेबाजी में बाद के ओवरों में विराट के काफी काम आएगा जिस तरह से वीरू (वीरेंद्र सहवाग) को सचिन (तेंदुलकर) के अनुभव का लाभ मिला वैसा ही कोहली को धोनी के विराट अनुभव का फायदा मिलता रहा है।’’ बिकेल ने हालांकि भारत के विश्व कप अभियान में आलराउंडर हार्दिक पंड्या और रविंद्र जडेजा की भूमिका को भी महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा, ‘‘ अगर भारत को विश्व कप में आगे बढ़ना है तो जडेजा और हार्दिक पंड्या को अच्छा प्रदर्शन करना होगा। इन दोनों की बीच के ओवरों में गेंदबाजी करते हुए और डेथ ओवरों में बल्लेबाजी काफी अहम साबित होगी। जडेजा इंग्लैंड में काफी सफल रहे हैं। इस बार मैच बड़े स्कोर वाले होने की संभावना है और ऐसे में बीच के ओवरों की गेंदबाजी काफी मायने रखेगी। ’’ बिकेल भले ही किसी एक टीम को खिताब का दावेदार नहीं बताना चाहते लेकिन उनकी नजर में भारतीय टीम बेहद संतुलित है और इसका एक कारण उसका तेज गेंदबाजी आक्रमण भी है जिसमें जसप्रीत बुमराह, भुवनेश्वर कुमार और मोहम्मद शमी शामिल हैं।

विश्व कप 2003 में आस्ट्रेलिया की जीत में अहम भूमिका निभाने वाले बिकेल ने कहा, ‘‘ भारत के पास शानदार आक्रमण है। उसके तीनों तेज गेंदबाज अपनी विधा में माहिर हैं। जसप्रीत विश्वस्तरीय गेंदबाज है और उसने हाल में आईपीएल में बेहतरीन गेंदबाजी की। देखना होगा कि वह इतने लंबे टूर्नामेंट में दस ओवर तक अपनी निरंतरता बनाये रख सकते हैं या नहीं। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘भुवनेश्वर कुमार इंग्लैंड की परिस्थितियों में विश्वस्तरीय गेंदबाज हैं। वह गेंद को दोनों तरफ स्विंग करा सकता है। मोहम्मद शमी लगातार 140 की रफ्तार से गेंदबाजी कर सकता है जो कि काफी मायने रखता है।’’ आस्ट्रेलिया की विश्व कप में संभावना के बारे में बिकेल ने कहा कि स्टीवन स्मिथ और डेविड वार्नर की वापसी से टीम को मजबूती मिली है और खिलाड़ियों ने उनकी वापसी को सहजता से स्वीकार किया है। बिकेल ने कहा, ‘‘ आस्ट्रेलिया ने हाल में भारत और पाकिस्तान को वनडे में हराया है। डेविड वार्नर और स्टीव स्मिथ की वापसी से टीम मजबूत ही नहीं ऊर्जावान भी बनी है। अगर वार्नर और स्मिथ पहले मैच से अच्छा प्रदर्शन करते हैं तो आगे के लिये चीजें आसान हो जाएंगी। टीम उन दोनों के साथ सहज है जैसा कि (कोच) जस्टिन लैंगर ने भी कहा है तो यह अच्छे संकेत हैं। ’’ बिकेल ने विश्व कप 2003 में इंग्लैंड के खिलाफ पोर्ट एलिजाबेथ में 20 रन देकर सात विकेट लिये थे जिसे उन्होंने अपने करियर का विशेष मैच करार दिया। बिकेल ने इस मैच में दसवें नंबर के बल्लेबाज के रूप में नाबाद 34 रन बनाकर टीम को लक्ष्य तक भी पहुंचाया था।  उन्होंने कहा, ‘‘मैं उस पूरे टूर्नामेंट में खेला था लेकिन वह मैच मेरे लिये विशेष था। मैंने बल्ले और गेंद दोनों से अच्छा प्रदर्शन किया था। लेकिन जब आप देश के लिये खेलते हैं तो आपके लिये हर मैच विशेष हो जाता है। ’’

जोको विडोडो दूसरी बार बने इंडोनेशिया के राष्ट्रपति, विपक्ष ने गड़बड़ी का लगाया आरोप

0
0
joko-vidodo-indoneshia-president
जकार्ता, 21 मई, इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो को विश्व के इस तीसरे बड़े लोकतंत्र का फिर से राष्ट्रपति चुना गया है।  निर्वाचन आयोग ने आधिकारिक परिणाम की समय से पूर्व अचानक मंगलवार को घोषणा की और इसके मद्देनजर अशांति की आशंका के कारण पूरे जकार्ता में हजारों जवानों को तैनात किया गया।  आयोग को 17 अप्रैल को हुए चुनावों की घोषणा बुधवार को करनी थी, लेकिन अशांति की आशंका के कारण परिणाम का पहले ही खुलासा कर दिया गया। आयोग ने बताया कि ‘इंडोनेशियन डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ स्ट्रगल’ के सदस्य विडोडो ने अपने प्रतिद्वंद्वी एवं सेवानिवृत्त जनरल प्राबोवो सुबियांतो को हराया। आयोग ने बताया कि विडोडो (57) और उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार मारूफ अमीन ने क्रमश: सुबियांतो एवं सांडियागा यूनो के खिलाफ 55.5 प्रतिशत से लेकर 44.5 प्रतिशत तक के अंतर से जीत हासिल की। अनधिकृत आंकड़ों में विडोडो की जीत का पूर्वानुमान जताया गया था, लेकिन सुबियांतो (67) ने मतदान में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए विडोडो की जीत को चुनौती देने का संकल्प लिया था और चेताया था कि इससे इंडोनेशिया में विरोध प्रदर्शन शुरू हो सकता है। पुलिस ने पिछले सप्ताह बताया था कि उसने इस्लामिक स्टेट से जुड़े कई आतंकवादियों को गिरफ्तार किया है। इनमें कुछ आतंकवादियों ने चुनाव के बाद किसी प्रदर्शन में बम विस्फोट करके अराजकता पैदा करने का षड्यंत्र रचा है। इसके बाद से देश में तनाव बढ़ गया है।

पश्चिम बंगाल में वकीलों की हड़ताल, उच्चतम न्यायालय ने स्थिति को बताया ‘असाधारण’

0
0
lawer-strike-in-bangal
नयी दिल्ली, 21 मई , उच्चतम न्यायालय ने पश्चिम बंगाल में स्थिति को ‘‘असाधारण’’ बताया, जहां वकील 29 अप्रैल से हड़ताल कर रहे हैं। इससे अदालतों से जमानत मांगने के नागरिकों के जीवन और स्वतंत्रता के मौलिक अधिकारों पर असर पड़ रहा है। उसने निर्देश दिया कि आईपीएल सट्टेबाजी गिरोह के आरोप में गिरफ्तार किए गए याचिकाकर्ताओं को उनकी जमानत याचिकाओं के संबंध में बुधवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय के समक्ष पेश किया जाए। उच्चतम न्यायालय ने गौर किया कि ‘‘पश्चिम बंगाल के बार काउंसिल द्वारा काम बंद करने के संबंध में 29 अप्रैल को किया गया आह्वान राहत की मांग रहे आठ लोगों के रास्ते में बाधा बन रहा है जिन्हें कथित आईपीएल सट्टेबाजी गिरोह के संबंध में 23 अप्रैल को गिरफ्तार किया गया था। न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की अवकाशकालीन पीठ ने इन आठ लोगों द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की। इन आठ लोगों ने अंतरिम जमानत की मांग की है। इन आरोपियों की ओर से पेश हुए वकील ने कहा कि मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने 26 अप्रैल को उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी लेकिन उन्हें कोई समाधान नहीं मिला क्योंकि राज्यभर के लोगों ने पूरी तरह से न्यायिक कामकाज रोक दिया। पीठ ने कहा, ‘‘याचिकाकर्ताओं को जमानत के आवश्यक आदेशों के लिए 22 मई 2019 को कलकत्ता उच्च न्यायालय के समक्ष पेश किया गया। हालांकि, यह स्पष्ट किया जाता है कि यह आदेश याचिकाकर्ताओं को जमानत देने के अधिकार के संबंध में किसी आशय के रूप में ना लिया जाए।’’  पीठ ने याचिका का निस्तारण करते हुए अपने आदेश में कहा, ‘‘पश्चिम बंगाल बार काउंसिल के 29 अप्रैल 2019 को हड़ताल के आह्वान के कारण पैदा हुई असाधारण स्थिति के संबंध में मामले के विशेष तथ्यों और परिस्थितियों और संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत नागरिकों के मौलिक अधिकार पर इसके असर पर गौर करते हुए यह आदेश पारित किया गया। इस फैसले को मिसाल के तौर पर नहीं लिया जाए।’’ 

डीए मामले में मुलायम, अखिलेश के खिलाफ आरोप साबित नहीं हुए : सीबीआई

0
0
cbi-withdraw-case-against-mulayam-akhilesh
नयी दिल्ली, 21 मई, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव और उनके बेटे अखिलेश को राहत देते हुए केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने उच्चतम न्यायालय से कहा कि उनके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के आरोप की पुष्टि नहीं हो सकी और उसने सात अगस्त 2013 को शुरुआती जांच बंद कर दी थी। शीर्ष अदालत में दायर हलफनामे में, सीबीआई ने कहा कि चूंकि मुलायम, उनके दो बेटों अखिलेश तथा प्रतीक के खिलाफ संज्ञेय अपराध करने का ‘‘पहली नजर में कोई साक्ष्य’’ नहीं मिला, प्रारंभिक जांच (पीई) को आपराधिक मामले, प्राथमिकी में तब्दील नहीं किया गया और इसलिए, सात अगस्त 2013 के बाद इस मामले में कोई जांच नहीं की गई। सीबीआई ने कहा कि इस मामले में ‘‘निष्पक्ष, स्वतंत्र एवं पेशेवर तरीके’’से आगे की जांच करने के बाद उसने 2012 के फैसले में अदालत के निर्देश के अनुरूप स्वतंत्र रूप से उनके खिलाफ जांच बंद करने का निर्णय किया। सीबीआई ने अपने 21 पेज के हलफनामे में कहा, ‘‘13 दिसंबर 2012 के फैसले में अदालत द्वारा दिये गये निर्देशों का पालन करते हुए, इस पीई में आगे की जांच की गई और यह पाया गया कि प्रतिवादियों के खिलाफ आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति अर्जित करने के आरोप सही नहीं पाए गए।’’  सीबीआई एसपी ने हलफनामे में कहा, ‘‘इस मामले में दर्ज पीई के तहत आगे की जांच अदालत के 13 दिसंबर 2012 के फैसले के बाद शुरू और सात अगस्त 2013 को पूरी हुई। मैं सम्मानपूर्वक कहना चाहता हूं कि चूंकि संदिग्धों के खिलाफ संज्ञेय अपराध के साक्ष्य जांच में पहली नजर में नहीं मिले इसलिए इस मामले की पीई को आपराधिक मामले, प्राथमिकी में नहीं बदला गया और सात अगस्त 2013 के बीच इस मामले में जांच नहीं की गई।’’  उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत ने 2012 के अपने फैसले में इस मामले में विभिन्न निर्देश जारी किये थे और सीबीआई को किसी से निर्देश प्राप्त किये बिना जांच के अनुसार जरूरत के हिसाब से निष्पक्ष कदम उठाने की अनुमति दी थी। सीबीआई ने कहा कि उसने याचिकाकर्ता विश्वनाथ चतुर्वेदी की याचिका पर 2007 में शीर्ष अदालत के फैसले के अनुरूप इन तीनों, अखिलेश की पत्नी डिंपल यादव और अन्य अज्ञात लोगों के खिलाफ आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति अर्जित करने के आरोपों पर गौर करने के लिए पांच मार्च 2007 को पीई दर्ज की थी। सीबीआई ने 12 अप्रैल को न्यायालय से कहा था कि उसने मुलायम और उनके बेटे अखिलेश के खिलाफ इस मामले में पीई 2013 में बंद कर दी थी। शीर्ष अदालत ने चतुर्वेदी की नई याचिका पर सीबीआई से उसका जवाब मांगा था। चतुर्वेदी ने इस मामले में जांच की स्थिति के बारे में पूछा था।

ईवीएम में ‘छेड़छाड़’ की शिकायतों पर सियासी विवाद, पूर्व राष्ट्रपति मुखर्जी ने जताई चिंता

0
0
pranab-mukherjee-on-evm-doubt
लखनऊ/नयी दिल्ली, 21 मई, लोकसभा चुनावों की मतगणना से महज दो दिन पहले इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) में कथित छेड़छाड़ की खबरें सामने आने के बाद मंगलवार को राजनीतिक विवाद पैदा हो गया। विपक्ष ने चुनाव आयोग से अपील की है कि वह मतगणना में पूरी पारदर्शिता बरते। इस पूरे मामले में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने भी दखल दिया और कहा कि इन वोटिंग मशीनों को लेकर चल रही तमाम अटकलों पर विराम लगाने की जिम्मेदारी चुनाव आयोग की है। उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में इस मुद्दे पर हुए विरोध प्रदर्शन के बाद विपक्ष को ईवीएम में पड़े वोटों का मिलान वीवीपीएटी की पर्चियों से करने के आंकड़े को बढ़ाने के लिए आयोग पर दबाव बनाने का एक और मौका मिल गया। विपक्ष ईवीएम की विश्वसनीयता को लेकर पहले भी चुनाव आयोग से भिड़ता रहा है। ईवीएम को कथित तौर पर इधर-उधर ले जाने और इन मशीनों से छेड़छाड़ के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद विरोध प्रदर्शन होने लगे।  विरोध प्रदर्शनों पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कांग्रेस ने कहा कि चुनाव आयोग को देश के विभिन्न हिस्सों में स्ट्रॉंगरूमों से ईवीएम को लाने-ले जाने की शिकायतों के निदान के लिए तत्काल प्रभावी कदम उठाने चाहिए। 

हालांकि, चुनाव आयोग ने इस आरोप को ‘‘ओछा’’ और ‘‘अवांछित’’ करार दिया। चुनाव आयोग ने यह भी कहा कि 11 अप्रैल को शुरू और 19 मई को खत्म हुए सात चरणों के चुनाव के लिए इस्तेमाल की गई वोटिंग मशीनें स्ट्रॉंगरूमों में ‘‘पूरी तरह सुरक्षित’’ हैं। ऐसे आरोप लगाए जा रहे हैं कि गुरूवार को मतगणना से पहले चुनावों में इस्तेमाल हुई वोटिंग मशीनों की जगह नई ईवीएम रखी जा रही हैं।  चुनाव आयोग ने बयान जारी कर स्पष्ट किया कि ऐसी सभी खबरें और आरोप ‘‘पूरी तरह गलत और तथ्यात्मक तौर पर सच्चाई से परे हैं।’’  आयोग ने कहा कि टीवी और सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे दृश्यों का चुनाव के दौरान इस्तेमाल की गईं ईवीएम से कोई लेना-देना नहीं है। इस पूरे विवाद में दखल देते हुए पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने ईवीएम संबंधी विवाद को लेकर मतदाताओं के फैसले से कथित छेड़छाड़ पर चिंता जताई और कहा कि संस्थागत सत्यनिष्ठा सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी चुनाव आयोग पर है और उसे सभी अटकलों पर विराम लगाना चाहिए। मुखर्जी ने यह भी कहा कि भारतीय लोकतंत्र के मूल आधार को चुनौती देने वाली किसी भी अटकल के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए। उन्होंने ट्विटर हैंडल पर जारी एक बयान में कहा, ‘‘मैं मतदाताओं के फैसले से कथित छेड़छाड़ की खबरों पर चिंतित हूं। आयोग की देखरेख में मौजूद इन ईवीएम की सुरक्षा की जिम्मेदारी आयोग की है।’’  मुखर्जी ने कहा कि जनादेश अत्यंत पवित्र होता है और इसमें लेशमात्र भी संशय नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘इस मामले में संस्थागत सत्यनिष्ठा सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी भारतीय चुनाव आयोग पर है। उसे उन्हें पूरा करते हुए सभी अटकलों पर विराम लगाना चाहिए।’’ 

पूर्व राष्ट्रपति मुखर्जी ने लोकसभा चुनाव ‘‘शानदार’’ तरीके से कराने के लिए सोमवार को चुनाव आयोग की तारीफ की थी।  रहने का निर्देश दिया है जहां चुनावों में इस्तेमाल की गयी ईवीएम रखी हैं। भाजपा ने ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल उठाने के लिए विपक्षी पार्टियों की निंदा की और उनसे कहा कि यदि जनता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार को फिर से सत्ता में लाने का जनादेश देती है तो विपक्षी पार्टियों को गरिमा के साथ इसे स्वीकार करना चाहिए। एग्जिट पोलों (चुनाव बाद सर्वेक्षणों) में दिखाया गया है कि भाजपा की अगुवाई वाली एनडीए सरकार सत्ता में बरकरार रहेगी। भाजपा नेता एवं केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि जब ममता बनर्जी, एन चंद्रबाबू नायडू, अमरिंदर सिंह और अरविंद केजरीवाल जैसे नेता चुनाव जीतकर सत्ता में आते हैं तो ईवीएम ठीक रहती हैं, लेकिन जब लगता है कि ‘‘मोदी की सत्ता में वापसी हो जाएगी तो ईवीएम अविश्वसनीय हो जाती हैं।’’  कांग्रेस, द्रमुक, तेदेपा और बसपा सहित 22 विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने दिल्ली में चुनाव आयोग से मुलाकात की और एक ज्ञापन सौंप कर मांग की कि वोटों की गिनती से पहले औचक तरीके से चुने गए पांच मतदान केंद्रों की वीवीपीएटी पर्चियों का सत्यापन कराया जाए।  उन्होंने यह मांग भी की कि यदि वीवीपीएटी के सत्यापन के दौरान कोई विसंगति पाई जाती है तो उस विधानसभा क्षेत्र के सभी मतदान केंद्रों की वीवीपीएटी पर्चियों की 100 फीसदी गिनती की जाए और उनकी तुलना ईवीएम के नतीजों से की जाए।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने पत्रकारों से कहा, ‘‘हमने चुनाव आयोग से कहा कि पहले वीवीपैट मशीनों की गिनती होनी चाहिए और यदि कोई विसंगति पाई जाए तो उस क्षेत्र में सभी की गणना कराई जाए।’’  आजाद के सहकर्मी एवं पार्टी के नेता अभिषेक सिंघवी ने कहा कि महीनों से चुनाव आयोग से किए जा रहे अनुरोध के बावजूद आयोग ने अब जाकर कहा है कि वह बुधवार को इस मुद्दे पर चर्चा के लिए बैठक करेगा। तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) के प्रमुख एन चंद्रबाबू नायडू ने कहा, ‘‘हम चुनाव आयोग से कह रहे हैं कि वह जनादेश का सम्मान करे। इससे हेराफेरी नहीं की जा सकती।’’  बसपा नेता सतीश चंद्र मिश्रा ने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश में ईवीएम से जुड़ी धांधली बड़े पैमाने पर हुई है। उन्होंने केंद्रीय सुरक्षा बलों की तैनाती की मांग की। विपक्षी पार्टियों ने मतगणना से पहले ईवीएम को लाने-ले जाने के मुद्दे पर चिंता जाहिर की और चुनाव आयोग से अनुरोध किया कि वह इस मामले की जांच करे। इस बीच, उच्चतम न्यायालय ने वह जनहित याचिका खारिज कर दी जिसमें 23 मई को होने वाली मतगणना के दौरान ईवीएम के आंकड़ों के साथ वीवीपैट मशीनों की पर्चियों का शत प्रतिशत मिलान करने की मांग की गई थी। ईवीएम को लाने-ले जाने और उनसे कथित छेड़छाड़ के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद गाजीपुर, चंदौली और डुमरियागंज में विभिन्न पार्टियों ने विरोध-प्रदर्शन शुरू कर दिया। उनका आरोप है कि ईवीएम मशीनों को स्ट्रॉंगरूम के बाहर ले जाया जा रहा है। कांग्रेस प्रवक्ता राजीव शुक्ला ने कहा कि ईवीएम को लाने-ले जाने के बारे में शिकायतें देश के अलग-अलग हिस्सों से आ रही हैं।  उन्होंने कहा, ‘‘उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा, पंजाब - इन राज्यों से शिकायतें आ रही हैं कि स्ट्रॉंगरूमों से ईवीएम मशीनें ले जाई जा रही हैं। लोगों का संदेह और गुस्सा बढ़ रहा है।’’  शुक्ला ने कहा कि तर्क दिया जा रहा है कि वे रिजर्व मशीनें हैं, लेकिन फिर भी इन ईवीएम को उम्मीदवारों के प्रतिनिधियों को दिखाया जाना चाहिए। उत्तर प्रदेश के मुख्य चुनाव अधिकारी वेंकटेश्वरलू ने ईवीएम में छेड़छाड़ की आशंका को खारिज किया। उन्होंने कहा, ‘‘स्ट्रॉंग रूमों में सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं। उम्मीदवारों को अपने प्रतिनिधियों के जरिए स्ट्रॉंग रूमों पर नजर रखने की अनुमति रहती है। सारी आशंकाएं निराधार हैं।’’ 

यह अब तक का सबसे चुनौतीपूर्ण विश्वकप : विराट

0
0
this-is-the-most-challenging-world-cup-till-now-virat
मुंबई, 21 मई , भारतीय कप्तान विराट कोहली ने मंगलवार को कहा कि इंग्लैंड की जमीन पर होने वाला आईसीसी एकदिवसीय विश्वकप-2019 अब तक का सबसे चुनौतीपूर्ण विश्वकप होगा। पहली बार विश्वकप में भारत की कप्तानी संभाल रहे विराट के नेतृत्व में 15 सदस्यीय टीम 30 मई से इंग्लैंड एंड वेल्स में होने वाले विश्वकप में खिताब की प्रबल दावेदार के तौर पर उतरेगी। विराट ने कोच रवि शास्त्री के साथ आईसीसी टूर्नामेंट के लिये रवाना होने की पूर्व संध्या पर यहां मंगलवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा कि यह एक ऐसा विश्वकप है जहां कोई भी टीम अपने दिन किसी भी टीम को लुढ़का सकती है। विराट के करियर का यह तीसरा विश्वकप है लेकिन बतौर कप्तान यह उनका पहला विश्वकप है। कप्तान ने कहा,“ यह अब तक का सबसे चुनौतीपूर्ण विश्वकप है जहां कोई भी टीम किसी भी टीम को उलटफेर का शिकार बना सकती है। हर टीम को परिस्थितियों के अनुरूप खुद को जल्द ही ढालना होगा। हम विश्वकप में हर प्रकार के स्कोर वाले मैच के बारे में सोच सकते हैं।” कप्तान ने साथ ही कहा,“ इंग्लैंड की ज़मीन पर विश्वकप जैसे मेगा टूर्नामेंट में दबाव को झेल पाना सबसे अधिक मायने रखेगा। यदि हमारी टीम और हमारे खिलाड़ी महत्वपूर्ण मौकों पर दबाव को झेल जाते हैं तो निश्चित ही हमारी टीम का प्रदर्शन शानदार रहेगा।”

चुनाव आयोग का विवाद समाप्त, सभी सदस्यों के होंगे बयान दर्ज

0
0
election-commission-s-dispute-ends-statements-of-all-members-will-be-recorded
नयी दिल्ली, 21 मई , चुनाव आयुक्त अशोक लवासा की आपत्तियों को लेकर उठे विवाद को सुलझाते हुए चुनाव आयोग ने कहा है कि आदर्श चुनाव आचार संहिता उल्लंघन के मामले में सभी सदस्यों के बयान दर्ज किये जायेंगे। आयोग ने श्री लवासा की आपत्तियों और बैठक में भाग न लेने की घोषणा को देखते हुए मंगलवार को अपनी महत्वपूर्ण बैठक बुलाई थी जिसमे उपरोक्त निर्णय लिया गया। बैठक में मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा के अलावा चुनाव आयुक्त श्री लवासा और सुशील चन्द्र ने भाग लिया। गौरतलब है कि श्री लवासा ने श्री अरोड़ा को गत दिनों पत्र लिखकर इस बात पर आपत्ति की थी कि आदर्श चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन के मामले में फैसला देते समय उनकी असहमतियों को दर्ज नहीं किया जा रहा है। यह देखते हुए श्री लवासा ने आयोग की बैठकों में भाग न लेने की घोषणा की थी। यह खबर जब मीडिया में आयी तो आयोग ने 21 मई को इस मुद्दे पर बैठक बुलाने का फैसला किया। चुनाव आयोग के सूत्रों ने बताया कि आज की बैठक में यह फैसला लिया गया कि आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के मामले में आयोग की बैठक की कार्यवाही दर्ज की जायेगी जिसमें आयोग के सभी सदस्यों की बातों को भी शामिल किया जायेगा। सूत्रों ने बताया कि बैठक में यह भी फैसला किया गया कि इस बारे में उचित दिशा-निर्देश तय किये जायेंगे और नियमानुसार उसे जारी किया जायेगा। इस तरह चुनाव आयोग के भीतर चल रहा आंतरिक टकराव अब समाप्त हो गया है। उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आदर्श आचार चुनाव संहिता के उल्लंघन की शिकायतों को निपटाते हुए आयोग ने श्री मोदी को सभी मामलों में क्लीन चिट दे दी जबकि श्री लवासा ने कुछ मामलों में असहमति भी जताई लेकिन उनकी राय को दर्ज नहीं किया गया।

ईवीएम पूरी तरह से सुरक्षित हैं : चुनाव आयोग

0
0
evms-are-completely-safe-election-commission
नयी दिल्ली, 21 मई, चुनाव आयोग ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) की हेराफेरी की सभी खबरों को बेबुनियाद और गलत बताया है कहा है कि देश के सभी स्ट्रांग रूम में ईवीएम पूरी तरह से सुरक्षित हैं और उन्हें किसी तरह का कोई खतरा नहीं है। सोशल मीडिया पर कल से वायरल हो रही खबरों और वीडियो का संज्ञान लेते हुए आयोग ने मंगलवार को अपना स्पष्टीकरण जारी करते हुए उन खबरों का खंडन किया और कहा कि सभी ईवीएम नियमानुसार सील बंद कर स्ट्रांग रूम में बंद कर दी गयी हैं और उनके बाहर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम भी किये गये हैं। आयोग ने कहा है कि ईवीएम को सीलबंद करने की पूरी कार्रवाई को सीसीटीवी कैमरों में दर्ज किया गया है, इसलिए ये आरोप बेबुनियाद, गलत और झूठे हैं। उसने कहा कि पर्यवेक्षकों और उम्मीदवारों के सामने ही ईवीएम और वीवीपैट सीलबंद किये जाते हैं। हर स्ट्रांग रूम के सामने केन्द्रीय सुरक्षा बल के सुरक्षा कर्मी मौजूद रहते हैं। वहां राजनीतिक दलों के एजेंट रात-दिन रहते हैं। मतदान शुरू होने से पहले ईवीएम तथा वीवीपैट के टैग सील आदि की जांच की जाती है। आयोग ने यह भी कहा है कि अगर किसी ईवीएम में हेराफेरी की कोई शिकायत सामने आती है तो आयोग उसकी जांच करता है। आयोग ने ईवीएम के लिए एक कंट्रोल रूम भी बनाया है जहाँ 22 मई से पूर्वाह्न 11 बजे से ईवीएम के बारे में कोई शिकायत 011-23052123 पर दर्ज़ की जा सकेगी।

ईवीएम को लेकर विपक्षी दलों की बैठक

0
0
meeting-of-opposition-parties-to-evm
नयी दिल्ली, 21 मई , विपक्षी दलों ने ईवीएम के मुद्दे पर मंगलबार काे यहां बैठक करने के बाद चुनाव आयोग से इस बात की मांग की कि 23 मई को मतगणना शुरु होने के पहले वीवीपैड की पर्चियों का मिलान इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन से किया जाये। राजधानी के कॉन्स्टिीट्यूशन कल्ब में 22 दलों के नेताओं ने बैठक की और इसमें उन्होंने आयोग से इस आशय की मांग करने का सर्वसम्मति से फैसला किया । इसके बाद वे मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा से मिलने गये । बाद में राजनीतिक दलों के नेताओं ने श्री अरोड़ा को एक ज्ञापन सौंपा जिसमें हर विधानसभा क्षेत्र के पांच मतदान केन्द्रों के पांच मतदान केन्द्रों पर वीवीपैड की पर्चियों के ईवीएम से मिलान करने के बाद ही विधिवत मतगणना करने का अनुरोध किया । बैठक में सर्वश्री गुलाम नबी आजाद, चंद्रबाबू नायडू, अभिषेक मनु सिंघवी, कनिमोझी, प्रफुल्ल पटेल, सीताराम येचुरी, डी. राजा, सतीश चंद्र मिश्र, दानिश अली आदि ने भाग लिया ।

मोदी के नेतृत्व में आस्था जतायी राजग के 36 दलों ने

0
0
36-parties-of-nda-manifested-faith-in-modi-s-leadership
नयी दिल्ली 21 मई ,धानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) को एक ‘आर्गेनिक एन्टिटी’ बताते हुए क्षेत्रीय आकांक्षाअों को पूरा करने में उसकी भूमिका की आज सराहना की तथा इस गठजोड़ को अधिक मजबूत बनाने का आह्वान किया। जबकि राजग में शामिल 36 क्षेत्रीय पार्टियों ने श्री मोदी के नेतृत्व की एक सुर से प्रशंसा करते हुए उनमें एक बार फिर विश्वास व्यक्त किया और दावा किया कि 23 मई को राजग एग्जिट पोल के अनुमान से अधिक बहुमत से जीत कर सत्ता में आ रहा है। मंगलवार रात को यहां होटल अशोका में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अध्यक्ष अमित शाह द्वारा राजग के नेताओं के लिए आयोजित एक रात्रिभोज के पहले शिरोमणि अकाली दल के नेता प्रकाश सिंह बादल की अध्यक्षता में हुई एक बैठक में राजग के नेताओं ने श्री मोदी के नेतृत्व में आस्था व्यक्त करने वाला एक प्रस्ताव रखा और उसे सर्वसम्मति से पारित किया। श्री मोदी ने सबके साथ लजीज भोजन का आनंद भी लिया। बैठक में राजग के 36 में से 33 पार्टियों के नेताओं ने शिरकत की जबकि बाकी तीन दलों के नेताओं ने अपने समर्थन के पत्र भेजे। केन्द्रीय मंत्री राजनाथ सिंह और रामविलास पासवान ने रात में संवाददाताओं से कहा कि राजग के सभी नेताओं ने प्रधानमंत्री का अभिनंदन किया जबकि भाजपा की ओर से सभी राजग नेताओं का स्वागत किया गया। श्री मोदी ने राजग नेताओं को अपने संबोधन में कहा कि राजग एक ‘आर्गेनिक एन्टिटी’ बन चुका है और क्षेत्रीय आकांक्षाओं को पूरा करने में उसकी भूमिका अहम है। राजग को पहले से अधिक मजबूत बनाना होगा। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक जीवन में जात-पात और ऊंच-नीच की धारणा से बाहर आने की जरुरत है तथा केवल गरीबी को जाति मानकर उसे दूर करने पर ध्यान देने की आवश्यकता है। प्रधानमंत्री का कहना था कि उन्होंने कोई काम वोट को लक्ष्य मान कर नहीं किया बल्कि नये भारत के निर्माण को लक्ष्य माना। श्री पासवान ने कहा कि सभी सहयोगी दलों ने श्री मोदी के नेतृत्व में आस्था व्यक्त की और कहा कि चुनाव के परिणाम श्री मोदी के विज़न एवं परिश्रम का नतीजा होंगे। चुनाव में कोई लहर नहीं बल्कि सुनामी थी। जबकि प्रधानमंत्री ने भाजपा के अलावा राजग के अन्य दलों के कार्यकर्ताओं के प्रति भी आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि श्री मोदी ने पांच साल ऐसे सरकार चलायी कि छोटे से छोटे सहयोगी दल को बराबर का सम्मान दिया और किसी भी दल ने भेदभाव की शिकायत नहीं की। उन्होंने कहा कि राजग में नेता नीति एवं नीयत साफ है। सभी ने एक टीम के रूप में काम किया है।

श्री पासवान ने कहा कि विपक्ष इलैक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) पर आरोप लगाकर साबित कर रहा है कि उसकी हालत खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे जैसी हो गयी है। 23 मई को राजग एग्जिट पोल के अनुमानों से बड़ा बहुमत लेकर आ रहा है। श्री सिंह ने श्री मोदी के समर्थन में पारित प्रस्ताव की जानकारी देते हुए कहा कि प्रस्ताव में कहा गया है कि राजग ने सच्चे अर्थों में भारत की आकांक्षा के गठबंधन के रूप में काम किया है। प्रस्ताव में प्रधानमंत्री को उनके ऐतिहासिक निर्णयों के लिए बधाई भी दी गयी। बैठक में श्री बादल, श्री अमित शाह, शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे, बिहार के मुख्यमंत्री एवं जनता दल यूनाइटेड के अध्यक्ष नीतीश कुमार, श्री पासवान एवं श्री राजनाथ सिंह ने भी संबोधित किया। बैठक में शामिल होने वाले दल शिवसेना, जनता दल युनाइटेड, अन्नाद्रमुक, शिरोमणि अकाली दल, लोक जनशक्ति पार्टी, पट्टाली मक्कल काच्ची, देसीय मुरपोक्कू कषगम, अपना दल, असम गण परिषद, भारतीय रिपब्लिकन पार्टी, नेशनल पीपुल्स पार्टी, गोवा फारवर्ड पार्टी, इंडिजीनियस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी, नेशनल डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी, तमिल मनीला कांग्रेस, राष्ट्रीय समाज पक्ष, केरल कांग्रेस, भारतीय धर्म जन सेना, ऑल झारखंड स्टूडेंट यूनियन, बोडाेलैंड पीपुल्स फ्रंट, राभा हसौंग ज्वाइंट मूवमेंट, पूठिया तमिलगम काच्ची, ऑल इंडिया एन आर कांग्रेस काच्ची, निशाद पार्टी, सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट, गण शक्ति, ऑल इंडिया मुवेंडर मुन्नानी कषगम, तमिझगा मक्कल मुनेत्र कषगम, टी एन काेंगू इलाइग्नार पेरवई, कोनगुनाडु मुनेत्र कषगम, नागा पीपुल्स फ्रंट, ऑल इंडिया समथवा मक्कल काच्ची, इंडिया मक्कल कलवी मुनेत्र कषगम, पुराची भारतम, गोरखा जनमुक्ति मोर्चा थे। जबकि तिवा जातीय ओइकिया मंच, यूनाइटेड डेमोक्रेटिक पार्टी तथा मिजो नेशनल फ्रंट के नेता किन्ही कारणों से नहीं आ सके। पर उन्होंने राजग के नेता के रूप में श्री मोदी के प्रति अपना समर्थन व्यक्त करते हुए पत्र भेजे हैं।
Viewing all 73727 articles
Browse latest View live




Latest Images