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विशेष आलेख : सरकारी शिक्षा और बदलता नज़रिया

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सरकारी षिक्षा व्यवस्था की आलोचनाओं से अखबारों को अटा पाता हंू। सामाजिक मान्यता में भी सरकारी स्कूल एक पायदान कमतर ही है। आखिर लोगों का नजरियां ऐसा क्यों बना? यह सवाल अपनी जगह ठीक है लेकिन नज़रिये अच्छे भी होते हैं जरूरत हैं उनको देखने की। आम तौर पर सरकारी स्कूलों के प्रति यही सोच रहती है कि सरकारी स्कूलों में पढ़ाई नहीं होती। सरकारी स्कूलों के अध्यापकों की सैलरी भारी-भरकम होने के बावजूद भी वह ठीक से नहीं पढ़ाते। बच्चों में अनुषासन की कमी होती है। कंप्यूटर आदि की व्यवस्था भी ठीक नहीं होती। स्कूलों में अध्यापकों की कमी रहती है। इस तरह के कई अन्य आरोपों से सरकारी स्कूलों में दी जाने वाली षिक्षा चैतरफा घिरी रहती है। प्रथम दृष्टया में सरकारी षिक्षा बड़ी तंग हाल दिखती है। अगर सरकारी स्कूल के षिक्षकों की जि़म्मेदारी का विष्लेशण करें तो अध्यापक और षिक्षा व्यवस्था के बीच राजनैतिक सरगर्मियां भी होती हैं। सरकारी षिक्षक बच्चों को पढ़ाने से ज़्यादा चुनाव ड्यूटी, परीक्षा ड्यूटी, मिड-डे-मील,  जनगणना, जागरूकता रैली आदि दूसरे कामों में ज़्यादा व्यस्त रहते हैं। षिक्षकों को सरकारी फरमान का पालन हर हाल में करना ही होता है। इतनी जि़म्मेदारियों के बीच षिक्षक बेचारा पढ़ाए तो कैसे पढ़ाए। षिक्षकों की इतनी जि़म्मेदारियों के चलते षिक्षण जैसा महत्तपूर्ण कार्य द्वितीयक स्तर पर रखने की मजबूरी ने सरकारी षिक्षा पर सवालिया निषान लगा दिए हैं। इन सब खामियों के बावजूद कुछ षिक्षकों ने अपनी दिनचर्या को ऐसे डिज़ाइन किया हुआ है कि उन्हें षिक्षण कार्य के अलावा और भी दूसरे कार्यकलाप बोझिल नहीं लगते हैं।
           
स्कूल एक जीवंत प्रयोगषाला है जहां प्रयोगधर्मिता इन षिक्षकों का धर्म और रचनात्मकता इनका कर्म है। ऐसे ही कुछ प्रयोगधर्मी षिक्षकों की कहानी लिखने की मंषा और उनके प्रयोगों को समझने की दृश्टि से मैं उत्तराखंड के दूरस्थ राजकीय प्राथमिक स्कूल बैंसखेत में पहुंचा । यह स्कूल अल्मोड़ा जनपद के हवालबाग विकासखण्ड का एक प्राचीन स्कूल है। षिक्षक खोलिया जी को 18 साल अल्मो़ड़ा के बैंसखेत स्कूल में हो गए हैं। बच्चों के अलावा गांव वालों के साथ इनके रिष्ते काफी अच्छे हैं। बंैसखेत प्राइमरी स्कूल में 40 बच्चे हैं और एक अध्यापक के सहारे स्कूल चलता है। षि़क्षक के अपने तरीके हैं पढ़ाने के। षिक्षण में पीयर लर्निंग के तरीके आज़माते देख इस षिक्षक को देखकर लगता है कि इस सरकारी स्कल के षिक्षण प्रयोगों को दूसरे सरकारी स्कूलों में भी प्रयोग में लाया जाना चाहिए। स्कूल में स्वच्छता, बेहतर मिड डे मील की व्यवस्था, खेल का मैदान, साफ-सुथरे लिबास में सलीके से बैठे हुए बच्चों को देखकर मन प्रसन्न हो गया। बच्चों में प्रष्न करने की ललक, उनकी दमदार आवाज, षिक्षक ने स्कूल में स्वायत्तापूर्ण माहौल तैयार करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी थी। 
              
स्कूल की महत्वपूर्ण भूमिका होती है कि बच्चों में आत्मविष्वास जगाए। प्राथमिक स्कूल बैंसखेत में मैंने एक आदर्ष स्कूल की झलक देखी।  स्कूल से निकलते वक्त कुछ अभिभावाकों से बात-चीत करने का अवसर मिला। जब मैंने इनसे पूछा गया कि आपको स्कूल में क्या खास लगता है ? तो इनका सीधा सा जवाब था कि स्कूल के सारे अध्यापक बच्चों को अपने बच्चों की तरह समझते हैं। यह बहुत महत्वपूर्ण बात थी। अल्मोड़ा नगर से 15 किलोमीटर की दूरी पर ढ़ौरा माध्यमिक स्कूल भी आदर्ष स्कूल की श्रेणी में जाता हुआ दिखता है। एक दृष्य-स्कूल में एसएससी की बैठक होने वाली है। यहां तीन षिक्षक हैं। पाॅच अभिभावक आ चुके हैं और बाकियों का इंतेज़ार हो रहा है। अनौपचारिक चर्चा षुरू हो जाती है। गांव में लोग रोज़ाना काम धंधे की तलाष में निकलते हैं, खेती-बाड़ी का काम भी होता है तो स्कूल की बैठकों के लिए समय निकालने का मतलब है उनका आधा दिन गया। लेकिन ढौरा गांव के बच्चे और अभिभावक दोनो ही अपनी जि़म्मेदारी बखूबी समझते हैं। अब बैठक षुरू हो चुकी है। करीब 20-22 अभिभावक आ चुके हैं महिलाओं की संख्या अधिक है। बैठक षुरू होती है स्कूल में पेयजल की व्यवस्था की व्यवस्था से। स्कूल से दूर जंगल में पाइप लाइन टूटी है किस तरह उसे ठीक किया जाये ? कितना बजट स्कूल के पास है ? इन सारे सवालों पर षिक्षक अपनी बात रखते हैं। गाॅव के लोग भी आर्थिक सहयोग करने को तैयार हैं। पेयजल मुद्दे के बाद स्कूल में बाल मेला आयोजित करने पर सबकी बात सुनी जा रही है। बैठक में चाय-पानी की व्यवस्था भी है। एक षिक्षक साथी और एक अभिभावक चाय सर्व कर रहे हैं। दो घण्टे तक चली इस व्यवस्था में दोनों ही पक्ष संवाद की स्थिति मंे दिखे। इस बैठक में गिले-षिकवे ही नहीं वरन समस्या समाधान की बात भी होती रही। स्कूल और समुदाय के आपसी सम्बन्धों का क्या असर स्कूली व्यवस्था में होता है, यह ढौरा माध्यमिक स्कूल में नजर आया। 
         
बैठक के बाद बच्चों ने खुद का तैयार किया गया एक नाटक प्रस्तुत किया जो हिन्दी के एक पाठ को आधार बना कर बनाया गया था। नाटक में किरदार निभा रहे बच्चों की अभिनय क्षमता को देखकर मैं आष्चर्यचकित हो गया। गांव के किसी भी स्कूल के बच्चे इतने अच्छे अभिनेता हो सकते हैं अगर षिक्षक और समुदाय चाहे तो। सरकारी स्कूलों के प्रति मेरी तमाम मान्यताएं ढौरा और बैंसखेत स्कूल भ्रमण के बाद टूट रही थी। जब मैंने एक अभिभावक सुरेन्द्र जी से पूछा कि इस स्कूल में क्या खास बात है तो उन्होंने मुझे बताया कि स्कूल में षिक्षक की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। सुरेन्द्र जी गांव में बच्चों के घर जाकर उनके व्यवहार को देखते हैं। बच्चों के अभिभावकों से लगातार संपर्क में रहते हैं। सुरेन्द्र जी की इन कोषिष का असर बच्चों के व्यवहार में साफ दिखाई देता है। स्कूल एक महत्वपूर्ण संस्थान है। सरकार ने काफी हद तक स्कूल को सबकी पकड़ में रखने के लिए आरटीई जैसे सफल प्रयास भी किये ताकि सबको षिक्षा  मुहैया हो पाये। कमियां बहुत सारी होती हैं लेकिन कमियों के साथ जीने से समाधान नहीं मिलते। कमियों का हल निकाल कर समस्या का समाधान करें तो बदलाव की आस दिखती है। 
          
षिक्षा का मूल तो बदलाव और बेहतर जीवन में निहित है। आज जिस षिक्षा के विभिन्न रूप और माॅडल बाजार में उपलब्ध हैं यह नौकरी तो दिला रहे हैं लेकिन एक मूल्यपरक इंसान बनाने में कितने सफल हैं इसका विष्लेशण किया जा सकता है। सार्थकता विहीन षिक्षा समाज में असमानता का विस्तार करेगी इस बात को समझने के लिए बहुत अधिक मेहनत करने की जरूरत नहीं है। षिक्षाविदों ने अपना जीवन खपा दिया षिक्षा को समझने में। सरकारी षिक्षा व्यवस्था को कोसने से पहले जनसाधारण में उसकी उपलब्धता पर सोचना चाहिए। हर गांव में  स्कूल हो, बच्चों को घर के पास ही मजबूत बुनियादी षिक्षा मिले। इससे अच्छी बात और क्या हो सकती है? सरकारी षिक्षा तंत्र बहुत बड़ा है। उच्च प्रषिक्षण  प्राप्त षिक्षक सरकार के पास हैं, भवन आदि की उचित व्यवस्था है। जितना है उतने से एक बेहतर गुणवत्ता परक षिक्षा का प्रसार हो सकता है। बहुत सारी गैर सरकारी संस्थाएं सरकार के साथ मिलकर षिक्षा व्यवस्था को दुरूस्त करने में लगी हैं। सरकारी स्कूलों के प्रति लोगों के नज़रिए में बदलाव की षुरूआत हो चुकी है लेकिन यह षुरूआत अभी धीमी है। लेकिन वक्त के साथ लोगों का नजरियां बदल रहा है।  षिक्षक और समाज दोनों की सोच बदलेगी और एक बेहतर व्यवस्था लागू होगी। तब हम बैंसखेत और ढौरा स्कूलों का उदाहरण नहीं दे रहे हांेगे बल्कि हमारे पास इससे भी बेहतर स्कूलों की एक लंबी सूची होगी।  




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विपिन जोशी
(चरखा फीचर्स)

आलेख : पाकिस्तान से नरमी, मतलब खतरा

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इतिहास गवाह है कि पाकिस्तानी हुक्मरान चाहे सेना के प्रमुख रहे हो या चुन कर आने वाले, अपने शासन के औचित्य को सही साबित करने के लिए भारत विरोधी भावना का सहारा लेते रहे है। इतिहास की इन नकारात्मक परछाइयों से उबरने व पड़ोसी देशों के साझेपन से बनने वाले एक खुशहाल दक्षिण एसिया की राह चलने में पाकिस्तान हमेसा अपने को नाकाम पाता है। इस बार भी यही हुआ। पाक की तरफ से घुसपैठ या अकारण गोलाबारी की इस साल करीब 50 घटनाएं हो चुकी है 

पाकिस्तान में छिड़ा अंदरुनी कलह को देखते हुए भारत को पल-पल सजग रहना होगा। क्योंकि पाकिस्तानी सेना आतंकवाद का खुलेआम एक राजनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल करना चाहती है और नवाज शरीफ के बने रहते संभव नहीं। ऐसे में भारत को दोमुंहे पाकिस्तान से सामना होगा। मतलब पाकिस्तान में विस्फोटक होती हालात को ध्यान में रखते हुए सीमा पर कड़ा पहरेदारी की सख्त जरुरत है। पाकिस्तान द्वारा लगातार संघविराम का उल्लंघन, उसके नापाक इरादों को साफ दर्शाता है। बार-बार इस तरह की हरकत से बिल्कुल साफ है कि पाकिस्तान की सरकार का उसकी सेना व सरहद पर कोई नियंत्रण नहीं रह गया है। 

पाकिस्तानी सरकार व उसकी सेना के आपसी तालमेल के बिना सरहद पर घुसपैठ की हरकत हो ही नहीं सकती। सरहद पर गोलीबारी में हमारे बीर सैनिक शहीद हो रहे है। पाकिस्तान की छिपकर हमले करने की अपनी आदत से बाज नहीं आ रहा। धोखे से हमारे सैनिकों को मारना, उनका सिर काट ले जाना आदि कब तक सहता रहेगा भारत। आखिर कब तक हमारे बीर सैनिक शहीद होते रहेंगे। पाकिस्तान प्रायोजित आतंकी गतिविधियों और छद्म युद्ध से भारत में शांति भंग करने की कोशिश में लगा रहता है। उसका मकसद सिर्फ यहां के अमन-चैन में खलल व विकास में बाधा पहुंचाना होता है। उसकी गतिविधियों के मद्देनजर अब भारत को अपना रुख कड़ा करते हुए जवाबी हमले को हर वक्त तैयार रहना होगा। चुनावी दौर में पाकिस्तान के छक्के छुड़ा देने व सैनिकों पर हमले बर्दाश्त नहीं आदि दावों की बात करने वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सत्ता पाने के बाद पाकिस्तानी प्रधानमंत्री को शपथग्रहण में बुलाने और दोस्ती का हाथ बढ़ाने का मामला तो ठीक था, शांति बहाली की हरसंभव कोशिश करना लाजिमी भी था, लेकिन अब ज बवह दोस्ती की आड़ में गुर्रा रहा है तो हमें फूंक-फूंक कर कदम रखनी होगी। मोदी के प्रधानमंत्री बनने सेे अबतक पाकिस्तानी सेनाओं ने कुल 19 बार युद्धविराम का उल्लंघन किया है। यह जगजाहिर है कि बिना उसकावे के किए गए इस तरह के हमले मुख्यतः घाटी में अतिवादियों व आतंकवादियों की घुसपैठ से ध्यान हटाने के लिए किए जाते है। 

घाटी में आई आतंकवादी हमलों में तेजी इस बात की चीख-चीख कर गवाही दे रहे है। गत दिनों दक्षिण कश्मीर में सीमा सुरक्षा बल के काफिले पर किया गया आतंकी हमला इसका प्रमाण है। इस आतंकी हमले हमारे सुरक्षा के 6 जवान घायल हुए। इस घटना के बाद फिर से श्रीनगर आतंकी हमला किया गया। स्वीसफायर का उल्लंघन हो रहा है। फिर भी हमारे सुरक्षा जवान जान की परवाह किए बगैर आतंकी हमले का मुकाबला कर रहे है। लेकिन जवाबी कार्रवाई या हमले के लिए उन्हें सरकार की भी अनुमति का इंतजार होता है, जो नहीं दिख रही है। रक्षा मंत्री अरुण जेटली के चेतावनी का पाकिस्तान पर कोई असर नहीं दिख रहा, उल्टे लगातार हमलें हो रहे है। वर्ष 2013 में भी 25 अगस्त जैसे शर्तो पर बैठक होनी थी, लेकिन सीमा पर उस वक्त भी लगाार उल्लंघन होते चले जा रहे थे, जिससे बैठक स्थगित करनी पड़ी। सवाल यह है कि जब पूर्व में भी इस तरह के हरकत होते रहे है तो सरकार को फिर से पाकिस्तान पर भरोसा नहीं करना चाहिए था। हकीकत तो यही है कि भारत के संबंध में नवाज सरीफ का एजेंडा या तो वहां की सेना या आइ्रएसआई तय करती है या हाफिज सईद जैसी कट्टरपंथी ताकतें। नौकरशाही के स्तर पर बातचीत का मतलब ही था कि हमेशा की तरह इस बार भी मुकर जाना या बातों को न मानना। भारत सरकार द्वारा बातचीत को रद्द करने जैसा कठोर कदम उठाने के बावजूद उच्चायुक्त कश्मीरी अलगाववादियों के साथ मुलाकातें जारी रखते है और अपने कदम का बचाव करते है तो समझा सकता है कि स्लामाबाद ने भारत के खिलाफ कितना कुछ अपना दाव पर लगा रखा है। और यह भी कि पाकिस्तानी एस्टैब्लिेसमेंट भारत की नाराजगी तो बर्दास्त करने को तैयार है, पर कश्मीर के अलगाववादी तत्वों का नहीं। 

इसका इलाज दो ही है या तो दोस्ती या युद्ध। इस पर विचार कर लेना चाहिये दोस्ती निभ नहीं रही है तो युद्ध हो जाना चाहिये। राजदूत व दूतावासों को दुनिया भर में विशेष सुरक्षा व्यवस्था मुहैया है, होने भी चाहिए, लेकिन देश की एकता व अखंडता को नुकसान पहुंचाने वालों को तो कोई सुरक्षा नहीं दी जानी चाहिए। भारत सरकार ने 24 घंटे पहले जो संदेश दिया वह तभी सार्थक होगा जब पाकिस्तान को इस कदम का करारा कुटनीतिक जवाब दिया जाएं। भले ही वह ज्यादा कड़ा कदम क्यों न हो। यदि वह गैर दोस्ताना और भड़काउ व्यवहार के लिए खेद व्यक्त नहीं करे तो भारत को पाकिस्तानी उच्चायुक्त को वापस भेजने जैसे कदम पर भी विचार करना चाहिए। पाकिस्तान के अब तक की सफलता का राज यहीं है कि चाहे वह बाजपेयी रहो या यूपीए सभी ने दो टूक जवाब देने के बजाएं घिघियाते ही नजर आ रहे थे, लेकिन मोदी ने साहसी कदम उठाकर जो जवाब दिया है उससे पाकिस्तान की चूलें हिल गई है। जैसा कि पाकिस्तान के विदेश विभाग की प्रवक्ता तसनीम असलम ने कहा, पाकिस्तान भारत का गुलाम नहीं है जो उसे खुश करने के लिए हर कदम उठाए। पाकिस्ताजन एक आजाद देश है।  कश्मीर भारत का हिस्सा नहीं है। कश्मीर एक विवादास्पद जगह है और उस विवाद में पाकिस्तान की भी वाजिब हिस्सेदारी है, जैसे बयानों से तो यही संदेश मिलता है कि वह अपने हरकतों से बाज नहीं आयेगा। पाकिस्तान की तरफ से सीजफायर उल्लंतघन का ताजा मामला जम्मू-कश्मीेर के मेंढर का है। गत दिनों यानी मंगलवार रात करीब 12 घंटे की शांति के बाद पाकिस्तानी रेंजर्स ने मेंढर के हमीरपुर स्थित भारतीय चैकियों पर गोलीबारी की। हालांकि भारतीय सेना ने भी जबावी फायरिंग की। 

इतिहास गवाह है कि पाकिस्तानी हुक्मरान चाहे सेना के प्रमुख रहे हो या चुन कर आने वाले, अपने शासन के औचित्य को सही साबित करने के लिए भारत विरोधी भावना का सहारा लेते रहे है। इतिहास की इन नकारात्मक परछाइयों से उबरने व पड़ोसी देशों के साझेपन से बनने वाले एक खुशहाल दक्षिण एसिया की राह चलने में पाकिस्तान हमेसा अपने को नाकाम पाता है। इस बार भी यही हुआ। पाक की तरफ से घुसपैठ या अकारण गोलाबारी की इस साल करीब 50 घटनाएं हो चुकी है। ऐसे में नवाज सरीफ के साथ हुई बातचीत को आगे बढ़ाने के लिए होेने वाली 25 अगस्त की बैठक का भविष्य वैसे भी ठीक नहीं दिख रहा था। इसमें रोड़ा भी पाकिस्तान ही बना और पहले पहल भी शुरु किया। सवाल यह है कि पाकिस्तान अगर भारत से सहमत तो अलग क्यों होता। उसकी विसात ही भारत दुश्मनी पर टिकी है। भारत का पाकिस्तान के प्रति रवैया बिल्कुल सही है, मुहतोड़ जवाब देने का। 






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(सुरेश गांधी)

आलेख : क्या योजना आयोग गैर जरूरी है

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर अपने उद्बोधन में कहा कि उनकी सरकार ने योजना आयोग को समाप्त करने और उसके स्थान पर एक नई संस्था बनाने का निर्णय ले लिया है, जो कि देश के संघीय ढांचे को और मजबूत करेगी। फिलवक्त यह संभव नहीं है कि मार्च 1950 में पं. जवाहरलाल नेहरू द्वारा स्थापित योजना आयोग के मौजूदा स्वरूप और नए प्रस्तावित संस्थान के बीच हम तुलना कर सकें, क्योंकि हमें अभी पता नहीं है कि उसकी प्रकृति और स्वरूप किस तरह का होगा। लेकिन अगर सरकार देश के नेहरूवादी-समाजवादी अतीत से खुद को पृथक करना चाहे तो भी वह उन महत्वपूर्ण कार्यों से खुद को अलग नहीं कर सकती, जिनका निष्पादन योजना आयोग द्वारा किया जाता है। इनमें शामिल है केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों व विभागों की विभिन्न् नीतियों-कार्यक्रमों का स्वतंत्र मूल्यांकन और समन्वयन। कुछ हद तक ये कार्य प्रधानमंत्री कार्यालय, वित्त मंत्रालय या कैबिनेट सचिवालय द्वारा किए जा सकते हैं, लेकिन नौकरशाह और राजनेता हर चीज खुद नहीं कर सकते। उन्हें विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों की मदद की भी दरकार रहती है।

यह कहना ठीक नहीं होगा कि आज के उदारवादी और बाजार-केंद्रित आर्थिक माहौल में नियोजन, मूल्यांकन और समन्वयन एक ऐसी समाजवादी अर्थव्यवस्था के लक्षण हैं, जिसकी अब कोई प्रासंगिकता नहीं रह गई है। यहां तक कि मुक्त बाजार में यकीन रखने वाले विकसित देशों ने भी सरकार द्वारा प्रायोजित संस्थाओं द्वारा नियोजन, समन्वयन और नीतियों के स्वतंत्र मूल्यांकन की प्रणाली को तिलांजलि नहीं दी है। लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री ने कहा, 'हम जल्द ही योजना आयोग की जगह एक नई संस्था बनाएंगे। कभी-कभी घर की मरम्मत करवाना जरूरी हो जाता है। इसमें काफी पैसा भी लगता है, लेकिन इसके बावजूद हमें संतोष नहीं होता। तब हमें लगता है इससे तो बेहतर है एक नया घर ही बनवा लिया जाए।"

यह तो स्पष्ट है कि जब मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब उन्हें यह पसंद नहीं आया होगा कि वे योजना भवन जाएं तो वहां आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया जैसे किसी 'टेक्नोक्रेट"द्वारा उन्हें बताया जाए कि केंद्रीय योजना सहयोग के रूप में उनके राज्य के लिए उन्हें इतनी-इतनी रकम दी जाएगी और इतना-इतना धन उन्हें केंद्र सरकार द्वारा प्रायोजित विभिन्न् योजनाओं के तहत आवंटित किया जाएगा। फिर भी, मोदी को कभी दिल्ली के सामने झोली फैलाने को मजबूर नहीं होना पड़ा था, जबकि गुजरात से कम भाग्यशाली अनेक राज्यों के मुख्यमंत्रियों को ऐसा ही करना पड़ता था।

लेकिन यह कहना गलत होगा कि आज के दौर में योजना आयोग अपनी प्रासंगिकता गंवा चुका है। अरुण शौरी ने एक बार योजना आयोग को राजनेताओं के चहेतों और अवांछित नौकरशाहों का 'पार्किंग लॉट"बताया था। वर्ष 1985 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने आयोग के सदस्यों को 'जोकरों का समूह"तक कह दिया था। तब योजना आयोग के उपाध्यक्ष कोई और नहीं, स्वयं मनमोहन सिंह थे। तब उन्हें अपने पद से इस्तीफा नहीं देने के लिए मनाए जाने की जरूरत पड़ गई थी। पर आयोग व उसके सदस्यों पर छींटाकशी करने वाले कभी भी कम नहीं रहे।

और ऐसा भी नहीं है कि योजना आयोग की भूमिका पर पहली बार सवाल उठाए गए हों। खुद आयोग की अधिकृत वेबसाइट पर लिखा हुआ है कि 'भारतीय अर्थव्यवस्था अब एक बेहद केंद्रीयकृत नियोजन प्रणाली से धीरे-धीरे निर्देशात्मक नियोजन की ओर बढ़ रही है, जिसमें योजना आयोग भविष्य के लिए दीर्घकालिक दृष्टिकोण विकसित करने और राष्ट्र की प्राथमिकताएं निर्धारित करने का काम करता है।"लेकिन सवाल उठता है कि क्या इस कार्य के लिए पृथक से एक संस्था बनाए जाने की जरूरत है?

निश्चित ही, सरकार के भीतर एक ऐसी स्वतंत्र संस्था की आवश्यकता है, जो न केवल विभिन्न् नीतियों और कार्यक्रमों का स्वतंत्र रूप से मूल्यांकन और उनकी आलोचना कर सके, बल्कि विभिन्न् मंत्रालयों व विभागों के बीच समन्वयक की भूमिका भी निभा सके। मिसाल के तौर पर, कृषि या ऊर्जा से जुड़ी नीतियों और कार्यक्रमों का निर्माण छह से अधिक मंत्रालयों द्वारा किया जाता है। निश्चित ही, यह सुनिश्चित किए जाने की जरूरत है कि सरकार के ये सभी विभाग अलग-थलग होकर काम न करें। प्रभावी प्रशासन के लिए नीतियों के निर्माण और योजनाओं के क्रियान्वयन में निरंतरता और समरूपता होनी चाहिए। स्वयं प्रधानमंत्री ने अपने स्वतंत्रता दिवस संबोधन में इस बात को स्वीकार किया कि सरकार के विभिन्न् अंग अमूमन आपस में ही उलझते रहते हैं।

हालांकि नियोजन राज्यमंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने आधिकारिक तौर पर कहा था कि योजना आयोग को समाप्त करने की सरकार की कोई मंशा नहीं है। वे जल्द ही गलत साबित होने जा रहे हैं। योजना आयोग को समाप्त किया जा रहा है, यह धारणा तब अधिक बलवती हो गई थी, जब खुद आयोग के स्वतंत्र मूल्यांकन कार्यालय (आईईओ) ने इस आशय का सुझाव दिया था। नई सरकार बनने के तीन दिन के भीतर ही आईईओ के पहले महानिदेशक बने अजय छिब्बर ने एक रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें कहा गया था कि 'चूंकि योजना आयोग आधुनिक अर्थव्यवस्था की मांगों और राज्यों के सशक्तीकरण की जरूरतों के मुताबिक खुद में सुधार करने के प्रयास नहीं कर सका है, इसलिए यह प्रस्ताव किया जाता है कि उसे समाप्त कर दिया जाए।"छिब्बर का कहना था कि राज्य सरकारें केंद्र सरकार द्वारा उन्हें मुहैया कराए जाने वाली राशि के व्यय में अधिक लचीला रुख चाहती हैं। साथ ही उन्होंने यह भी सुझाया कि क्यों न योजना आयोग को किसी थिंक टैंक में तब्दील कर दिया जाए।

अतीत में योजना आयोग का महत्व अमूमन इस पर निर्भर रहा है कि उसकी अगुआई करने वाले व्यक्ति का सरकार में क्या प्रभाव है। यूपीए सरकार के राज में आयोग का इसलिए दबदबा था, क्योंकि उसके उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के करीबी माने जाते थे। 1950 के दशक के अंत में जब पं. नेहरू ने अपने विश्वस्त पीसी महालनोबिस को योजना आयोग का सदस्य बनाया तो उनके कुछ कैबिनेट सहयोगी कथित रूप से इस 'सुपर फाइनेंस मिनिस्टर"की नियुक्ति से चिढ़ गए थे।

सरकार को एक ऐसी संस्था की जरूरत है, जो राष्ट्रीय विकास परिषद की सहायता कर सके। इस परिषद के अध्यक्ष प्रधानमंत्री होते हैं और इसमें कैबिनेट मंत्री और सभी राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्यमंत्री शामिल होते हैं। यदि किसी अंतरराज्यीय परिषद को पुनर्जीवित किया जाता है, जैसा कि वीपी सिंह ने करने की कोशिश की थी, तो भी इस तरह की किसी संस्था की जरूरत होगी। यदि योजना आयोग को समाप्त कर दिया जाता है और फिलहाल योजना भवन में काम करने वाले सैकड़ों सरकारी कर्मचारियों के लिए कोई नया काम ढूंढ़ लिया जाता है, तो भी ये लोग अब तक जो काम कर रहे थे, उसे अब सरकार के किसी अन्य विभाग को करना होगा। योजना आयोग की मृत्यु हो चुकी है। योजना आयोग के नए अवतार की जय हो!






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दीपक कुमार
संपर्क : 09555403291
लेखक अमर उजाला से जुड़े हैं।

पाकिस्तान ने फिर किया युद्ध विराम का उल्लंघन

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पाकिस्तान रेंजर्स ने शुक्रवार को एक बार फिर युद्ध विराम का उल्लंघन करते हुए जम्मू जिले में अंतर्राष्ट्रीय सीमा से सटी भारतीय चौकियों पर बिना किसी उकसावे के गोलीबारी की। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने आईएएनएस को बताया कि पाकिस्तान रेंजर्स ने जम्मू के आर.एस. पुरा सेक्टर में अंतर्राष्ट्रीय सीमा से सटी सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की चौकियों पर गोलीबारी की। बीएसएफ ने गोलीबारी का प्रभावी ढंग से जवाब दिया।

आर.एस. पुरा तथा अर्निया क्षेत्र के लोगों को गोलीबारी की चपेट में आने से बचने के लिए घरों से नहीं निकलने तथा रात में घरों की लाइट बंद रखने के लिए कहा गया है। गौरतलब है कि जम्मू एवं कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर सुरक्षा सेना के हवाले है, जबकि अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर बीएसएफ के जवान तैनात हैं।

गाजा में 496 बच्चे मारे गए : यूनीसेफ

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संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनीसेफ) के एक अधिकारी ने यहां गुरुवार को कहा कि गाजा पट्टी में अब तक कुल 469 बच्चे मारे जा चुके हैं। गाजा पट्टी में स्थिति बहुत भयानक है और 18 साल तक की आयुवर्ग के लोगों पर इसका बुरा प्रभाव पड़ रहा है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, गाजा के कब्जे वाले फिलिस्तीनी क्षेत्र में यूनीसेफ के क्षेत्रीय अधिकारी परनिल आयरनसाइड ने बताया, "प्रभाव और ब्च्चों के मामले में स्थिति बहुत भयानक है।" 

उन्होंने कहा, "पिछले 48 घंटों में नौ बच्चे और मारे गए हैं। दुर्भाग्यवश इसके साथ ही इस सुबह तक मारे गए बच्चों की संख्या 469 हो गई है।"लोंगों की मौतों, उनके घायल होने और इमारतों के धवस्त होने से शारीरिक स्तर पर लोगों पर दुष्प्रभाव पड़ रहा है, खास तौर से बच्चे युद्ध के कारण भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक रूप से अस्थिर हो जाते हैं।

कनाडा में जन्मे मानवाधिकार अधिवक्ता और बच्चों के पैरोकार, जो कि गाजा में एक वर्ष अनुभव हासिल कर चुके हैं और फिलहाल संयुक्त राष्ट्र में कार्यरत हैं, ने बताया कि बच्चे महसूस करते हैं कि कहीं भी जाना सुरक्षित नहीं है। उन्होंने कहा, "बच्चों में सुरक्षा की भावना पैदा करने की जरूरत है।"

उन्होंने कहा, "मैंने आज जब बच्चों से बात की, मैंने पाया कि उन्होंनें अपने परिवार के साथ सामान्य बातचीत करना छोड़ दिया है। उन्हें भयंकर सपने आते हैं, वे रो-रोकर अपना बिस्तर गीला कर देते हैं, वे अपने माता-पिता को भी बाहर नहीं जाने देना चाहते हैं।"

मणिपुर में इरोम शर्मिला फिर गिरफ्तार

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सेना को असीमित अधिकार देने वाले सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम को पूर्वोत्तर से हटाने की मांग को लेकर पिछले करीब 14 साल से अनशन कर रहीं कार्यकर्ता इरोम शर्मिला को शुक्रवार को एक बार फिर गिरफ्तार कर लिया गया। दो दिन पहले ही मणिपुर की एक अदालत ने उन्हें रिहा करने के आदेश दिए थे। अदालत के आदेश पर बुधवार को रिहा होने के बाद भी इरोम मणिपुर में इस अधिनियम के खिलाफ प्रदर्शन कर रही थीं। पुलिस के घटनास्थल पर पहुंचने के बाद हालांकि स्वयं इरोम, उनकी मां और उनके समर्थकों ने पुलिस का विरोध किया। लेकिन इसके बावजूद पुलिस इरोम को वहां से ले गई।

इरोम ने दो नवंबर, 2000 को इंफाल हवाई अड्डे के नजदीक कथित तौर पर असम रायफल्स की गोलीबारी में 10 लोगों की मौत के बाद इस अधिनियम को हटाने की मांग को लेकर चार नवंबर, 2000 को अनशन शुरू किया था। उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 309 के तहत आत्महत्या के प्रयास का मुकदमा दायर किया गया था, जिसमें आरोपी के लिए एक बार में एक साल तक की कैद की सजा का प्रावधान है।

इरोम के खराब स्वास्थ्य को देखते हुए उन्हें इंफाल स्थित जवाहरलाल नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के विशेष वार्ड में भर्ती कराया गया था। वहां जिस कक्ष में वह भर्ती थीं, उसे उप-कारा घोषित कर दिया गया था। इरोम को पिछले करीब 14 साल से हर बार 364 दिन के बाद रिहा और फिर गिरफ्तार कर लिया जाता रहा है। उन्हें नाक के जरिये जबरन दिन में तीन बार तरल रूप में भोजन दिया जा रहा था। उन्होंने निर्वाचन आयोग से चुनावों में मतदान करने की अनुमति देने की मांग भी की थी, लेकिन निर्वाचन आयोग ने इसकी अनुमति नहीं दी, क्योंकि कानून जेल में रहने वाले लोगों को मतदान करने की अनुमति नहीं देता।

यह अधिनियम सुरक्षा बलों को देखते ही गोली मारने, किसी भी व्यक्ति को बिना वारंट के गिरफ्तार करने तथा कहीं भी तलाशी लेने जैसे असीमित अधिकार देता है। यह अधिनियम मणिपुर, त्रिपुरा, असम, नगालैंड, अरुणाचल तथा जम्मू एवं कश्मीर के विभिन्न हिस्सों में लागू है। देश के विभिन्न हिस्सों में यह अधिनियम उग्रवाद व आतंकवाद पर काबू पाने के लिए लागू किया गया है।

बिहार के सीवान में व्यवसायी की गोली मारकर हत्या

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बिहार के सीवान जिले के नगर थाना क्षेत्र में शुक्रवार को अज्ञात अपराधियों ने एक स्वर्ण व्यवसायी की गोली मार कर हत्या कर दी। नगर के थाना प्रभारी विनय प्रताप सिंह ने बताया कि नगर क्षेत्र के प्रोफेसर कॉलोनी निवासी कुंदन कुमार सोनी का शव पुलिस ने सड़क से बरामद किया है। उन्होंने कहा कि कुंदन गुरुवार को सुबह अपने घर से निकले थे परंतु जब गुरुवार की रात तक वापस घर नहीं आए तब परिजनों ने इनकी खोज प्रारंभ की। शुक्रवार सुबह ईदगाह के सामने से शव बरामद किया गया। 

उन्होंने बताया कि मृतक स्वर्ण आभूषण बनाने का कार्य करता था। इस मामले की एक प्राथमिकी संबंधित थाना में दर्ज करा दिया गया है तथा पूरे मामले की छानबीन प्रारंभ कर दी है। शव को पुलिस ने कब्जे में कर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है।

सबको घर का सपना पूरा करे आईआईटी : मोदी

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आईआईटी) से कहा कि केंद्र सरकार देश में सभी को आवास मुहैया कराना चाहती है और इसे पूरा करने के लिए वे सस्ते व पर्यावरण के अनुकूल घर बनाने के लिए प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करें। विभिन्न आईआईटी के निदेशक मंडलों के अध्यक्षों की राष्ट्रपति भवन में आयोजित बैठक में मोदी ने कहा, "प्रौद्योगिकी के माध्यम से सस्ता, पर्यावरण के अनुकूल और मजबूत घर बनाकर सरकार की सबको आवास के सपने को पूरा करने में अपना योगदान दें।"

मोदी ने इससे इंकार किया कि भारत के पास इस तरह की चीजों के लिए प्रतिभा नहीं है और इसके लिए उसे आयात पर निर्भर होना होगा। उन्होंने कहा, "भारत की कई क्षेत्रों में आयात पर बहुत निर्भरता है, जिसमें रक्षा एवं स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए आवश्यक उपकरणों से लेकर नोट छापने की स्याही और आंसू गैसे जैसी संवेदनशील चीजें भी शामिल हैं।"

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि प्रौद्योगिकी भले ही स्थानीय हो, लेकिन विज्ञान सार्वभौमिक होता है। उन्होंने आईआईटी से आह्वान किया कि वे अपने छात्रों को स्थानीय जरूरतों और अपेक्षाओं से संबंधित परियोजनाएं दें, ताकि अध्ययन के दौरान वे इन समस्याओं के नए समाधान निकाल सकें। 

आईआईटी के छात्रों को महत्वपूर्ण शक्ति करार देते हुए उन्होंने कहा कि विश्व रैंकिंग महत्वपूर्ण है। इसके लिए भारत खुद मानदंड स्थापित करेगा, जिससे बदलाव और सुधार सुनिश्चित किया जा सकेगा।  प्रधानमंत्री ने आईआईटी से आसपास स्थित इंजीनियरिंग कॉलेजों को अपनाने और उनके विकास में योगदान देने का आह्वान किया। 

चीनी आयात शुल्क बढ़कर 25 फीसदी हुआ

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केंद्र सरकार ने शुक्रवार को चीनी आयात शुल्क 15 फीसदी से बढ़ाकर 25 फीसदी कर दिया। यह कदम महंगे गन्नो से परेशानी झेल रही चीनी मिलों को राहत देने के लिए उठाया गया है। केंद्रीय उत्पाद और सीमा शुल्क द्वारा जारी सूचना के मुताबिक कच्ची चीनी और शोधित चीनी या सफेद चीनी पर आयात शुल्क बढ़ाकर 25 फीसदी कर दिया गया है।

सूचना के मुताबिक बड़े पैमाने पर कच्ची चीनी का आयात करने वाले बड़े उपभोक्ताओं पर भी बढ़ा हुआ उत्पाद शुल्क लगाया जाएगा। चीनी मिल मालिकों और किसानों के साथ पिछले सप्ताह एक बैठक करने के बाद खाद्य मंत्री राम विलास पासवान ने कहा था कि यदि मिल मालिक किसानों के बकायों का भुगतान करने के लिए तैयार हो जाएं, तो चीनी पर आयात शुल्क बढ़ाया जा सकता है।

उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के मुताबिक चीनी मिल के पास चीनी का अधिक भंडार है और अभी बजार में उसकी कीमत 34-40 रुपये प्रति किलो चल रही है। लगातार चौथे साल चीनी का जरूरत से अधिक उत्पादन हुआ है और इसके कारण चीनी की कीमत लागत से कम हो गई है। उत्तर प्रदेश की मिलें 30.50 रुपये प्रति किलो की दर से चीनी बेच रही हैं, जबकि इस पर लागत 37 रुपये प्रति किलो बैठ रहा है।

पासवान ने हलांक जून में कहा था कि आयात शुल्क को वर्तमान 15 फीसदी से बढ़ाकर 40 फीसदी किया जा सकता है। भारतीय चीनी मिल संगठन (इसमा) के महानिदेशक अविनाश वर्मा ने कहा, "हम फैसले का स्वागत करते हैं। वर्तमान अंतर्राष्टीय मूल्य और रुपया-डॉलर विनिमय दर पर आयात शुल्क में की गई इस वृद्धि से चीनी का आयात रुक जाएगा। इससे घरेलू बजाार की स्थिति बेहतर होगी।"उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों पर किसानों का 5,000 करोड़ रुपये का बकाया है। मिलों ने बकाए का भुगतान इसलिए नहीं किया है, क्योंकि चीनी की कीमत काफी कम हो गई है।

नरकटियागंज (बिहार) की खबर (22 अगस्त)

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नये विधायक 6 प्रखण्ड को लेकर तेज करेंगे, नरकटियागंज जिला बनाने की मुहिम

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नरकटियागंज(अवधेश कुमार शर्मा) नरकटियागंज विधानसभा उपचुनाव में करीब 60 प्रतिशत मतदान हुआ। इससे स्पष्ट है कि क्षेत्र की जनता इस उपचुनाव के लिए पहले से तैयार थी और वर्षा ने मतदाताओं के उत्साह पर भरसक पानी फेरने का प्रयास किया लेकिन  सफलता नहीं मिली। लगातार हो रही वर्षा के बावजूद क्षेत्र की जनता ने खुलकरर मतदान किया। पुलिस कप्तान बेतिया सौरव कुमार शाह ने बताया कि हमारा उद्देश्य आमजन में भय पैदा करना नहीं, बल्कि असमाजिक तत्वों में भय पैदा करना है ताकि वे गलत नहीं कर सके। पुलिस काफी हद तक इसमें सफल रही इसके लिए सभी को साधुवाद है। उपचुनाव का परिणाम जो भी हो लेकिन लोगों का उत्साह काबिल ए तारिफ रहा है। महिला, पुरूष, युवा और वृद्ध सभी उत्साह पूर्वक अपने क्षेत्र को दिशा देने को प्रयासरत दिखे। सबका मानना यह था कि नरकटियागंज का विकास हो और यह क्षेत्र प्रदेश के नक्शा पर नजर आये, नरकटियागंज को जिला बनाने की मांग जोर पकड़ती जा रही हैं। नरकटियागंज अनुण्डल के पाँच और बगहा अनुमण्डल के एक प्रखण्ड रामनगर को इसमे मिला देने के बाद पश्चिम चम्पारण जिला के 18 प्रखण्डों में 6 प्रखण्ड के तीन जिला तैयार हो जाएँगे। पश्चिम चम्पारण जिला जिसका मुख्यालय बेतिया है के अन्तर्गत 6 प्रखण्ड, नरकटियागंज जिला अन्तर्गत 6 प्रखण्ड और वाल्मीकिनगर जिला जिसका मुख्यालय बगहा होगा। इस प्रकार इस क्षेत्र के विकास के लिए तीन जिला का निर्माण कर सŸाा का विकेन्द्रीयकरण किया जाए तो प्रगति सुनिश्चित होगी। युपीए के प्रत्याशी फखरूद्दीन खान और एनडीए प्रत्याशी रश्मि वर्मा ने नरकटियागंज के विकास के लिए पूरा जोर लगा देने की बात कही है।

प्रलेस ने याद किया हरिशंकर परसाई को

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इंदौर, 22 अगस्त। प्रगतिशील लेखक संघ की इंदौर ईकाई और आईबीएसएस विद्या निकेतन की ओर से शुक्रवार को हिंदी के महान व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई के जन्म दिवस पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरूआत में छात्राओं कुमारी मीनल वर्मा, कशिश हार्डिया और प्राची मौर्या ने परसाई के सृजन एवं साहित्य पर अपने-अपने विचार रखे। मध्य प्रदेश प्रगतिशील लेखक संघ के महासचिव विनीत तिवारी ने कहा कि परसाई के व्यंग्य महज हंसाते नहीं थे, बल्कि वे सोचने और हालात को बदलने के लिए प्रेरित भी करते थे। उन्होंने कहा कि असल में व्यंग्य का मुख्य काम भी बदलाव के लिए लोगों को प्रेरित करना है। आईबीएसएस के संचालक मंडल की ओर से श्री एस. के. दुबे ने हरिशंकर परसाई के लेखन के महत्व पर चर्चा की और बताया कि किस तरह उनके लेखन से समाज और शासन अपनी गलतियों पर शर्मिंदा होता था। आईबीएसएस की प्राचार्या सुश्री गीता सोनवणे ने प्रगतिशील  लेखक संघ के अतिथियों का स्वागत करते हुए स्कूल की गतिविधियों की जानकारी दी। 

इस अवसर पर प्रलेसं के सचिव अभय नेमा ने परसाई की व्यंग्य रचनाओं ‘रोटी’ और ‘खेती’ का पाठ किया। विनीत तिवारी ने परसाई की रचना ‘एकलव्य ने गुरु को अंगूठा दिखाया’ का पाठ किया। इस व्यंग्य में परसाईजी ने इतिहास के माध्यम से वर्तमान शिक्षा व्यवस्था में मौजूद खामियों और भ्रष्टाचार पर रोचक अंदाज़ में प्रहार किया है।  बच्चों को परसाई के व्यंग्य बहुत पसंद आये। विनीत तिवारी ने बताया कि किस तरह परसाईजी ने प्रेमचंद की समाजोन्मुख साहित्य की परंपरा को आगे बढ़ाया। प्रलेस की इंदौर ईकाई के केसरी सिंह चिडार ने स्वरचित बच्चों की कविताएं ‘चूहा राम का फोन’ एवं ‘कद्दू काका का ब्याह’ सुनाई। विद्या निकेतन की शिक्षिका सुचित्रा कापसे ने परसाई जी की व्यंग्य रचना ‘अच्छा बेवकूफ’ का पाठ किया। कार्यक्रम का संचालन विशी वर्मा एवं कुणाल ने किया। धन्यवाद प्राचार्या सुश्री गीता सोनवणे ने दिया। 

इस मौके पर प्रलेसं इंदौर के अध्यक्ष श्री एस. के. दुबे और वरिष्ठ साहित्यकार राम आसरे पांडे के अलावा आईबीएसएस विद्यालय के सभी शिक्षकगण मौजूद थे।









 -केसरी सिंह चिडार-

सीहोर (मध्यप्रदेश) की खबर (22 अगस्त)

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कृषि महोत्सव का आयोजन 25 सितम्बर से 

सीहोर जिले में आगामी 25 सितम्बर से 20 अक्टूबर तक कृषि महोत्सव का आयोजन किया जायेगा उसी दौरान पी.एच.डी. चेम्बर आॅफ कामर्स एवं इन्डस्ट्री के द्वारा कृषि मेला का आयोजन भी किया जावेगा। मेले की तैयारियाँ एवं स्थान चयन हेतु आज पी.एच.डी. चेम्बर आॅफ काॅमर्स एव इन्डस्ट्री के क्षेत्रीय प्रबंधक श्री द्विवेदी एवं सहायक श्री दुबे, श्रीवास्तव आऐ थे। उन्होंने कलेक्टर डाॅ. सुदाम खाडे से मिलकर मेले के संबंध में विस्तृत जानकारी दी । उप संचालक किसान कल्याण तथा कृषि विकास ने बताया कि कलेक्टर डाॅ. खाडे द्वारा निर्देश दिये गये है कि मेले में कृषि से संबंधित उक्त तकनीकों का सेक्टरवार प्रदर्शन किया जावे, जिसमें कृषि उत्पादन से कृषि उत्पाद के विपणन तक कलस्टर (समूह) में प्रदर्शन किया जावे। साथ ही साथ विभिन्न विषयों की कृषक संगोष्ठी एवं बाहर से विभिन्न विषयों के रिसोर्स पर्सन को बुलाकर वृहद स्तर पर कृषकों को अधिक से अधिक उन्नत तकनीकों का प्रदर्शन समाहित किये जाने के निर्देश दिये।

कृषक सेमीनार का आयोजन

sehore news
सी. आर. डी. ई. कृषि विज्ञान केन्द्र, सेवनियाॅ, सीहोर में कृषक सेमीनार का आयोजन मौसम परिवर्तन को दृष्टिगत रखते हुए कृषि विविधीकरण विषय पर किया गया। कार्यक्रम में मुख्यरूप से आत्मा विभाग, किसान कल्याण तथा कृषि विकास के अधिकारियों के साथ - साथ कृषक मित्र व कृषक उपस्थित थेे। श्री जे. के. कनौजिया, विषेषज्ञ, कृषि विज्ञान केन्द्र, सीहोर द्वारा कृषि के साथ उद्यानिकी फसलों (फल वृक्ष, सब्जी वर्गीय व औषधीय आदि) की खेती विषयक जानकारी दी गई साथ ही आपने संरक्षित खेती अपनाने हेतु कृषक को प्रेरित किया गया। डाॅ. उपेष कुमार, विषेषज्ञ, पौध संरक्षण, कृषि विज्ञान केन्द्र, सीहोर द्वारा खरीफ फसलों में पौध संरक्षण हेतु कीटनाषक, फफूॅदनाषक के उपयोग विषयक जानकारी से अवगत कराया। आपने पौध संरक्षण के जैविक तरीकों को अपनाने हेतु किसानों को प्रेरित किया। श्री संदीप टोडवाल, विषेषज्ञ (मृदा विज्ञान) ने कृषि विविधीकरण विषय पर विस्तृत जानकारी दी तथा आपने मृदा स्वास्थ्य को दृष्टिगत रखते हुए जैविक खेती को अपनाने हेतु किसानों को प्रेरित किया। श्री संदीप चैहान, विषेषज्ञ, (कृषि प्रसार) कृषि विज्ञान केन्द्र, सीहोर ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए कृषि के साथ साथ पशुपालन अपनाने हेतु कृषकों को प्रेरित किया। कार्यक्रम के दौरान कृषकों ने अपनी जिज्ञासायें व्यक्त की जिनका समाधान कृषि विषेषज्ञों द्वारा किया गया। कार्यक्रम में कृषि विज्ञान केन्द्र, प्रक्षेत्र भ्रमण के दौरान केन्द्र पर प्रदर्षित तकनीकें जैसे - आम बागवानी, अमरूद बागवानी, सोयाबीन की उन्नत किस्मों को प्रदर्षन, धान उत्पादन की श्री पद्धति का प्रदर्षन, अजोला उत्पादन तकनीक, सब्जी उत्पादन विषयक जानकारी दी। कार्यक्रम के अन्त में विषेषज्ञ श्री जे. के. कनौजिया द्वारा आभार व्यक्त किया गया।

उत्तराखंड की विस्तृत खबर (22 अगस्त)

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सुरेन्द्र ने खंडूडी के बयान पर किया पलटवार

B.C. Khanduri
देहरादून, 22 अगस्त (निस)। मुख्यमंत्री के मीडिया प्रभारी सुरेन्द्र कुमार ने पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता भुवन चन्द्र खण्डूड़ी के बयान पर पलटवार करते हुए कहा है कि खंडूड़ी जी को बताना चाहिए कि 21 अगस्त, 2011 को अपने एक मुख्यमंत्री पर देश का भ्रष्टतम मुख्यमंत्री कहने का आरोप क्या उन्होंने वापस ले लिया है। उन्हें यह भी बताना चाहिए कि मुख्यमंत्री रहते हुए उनके एक कैबिनेट मंत्री पर योग गुरू बाबा रामदेव ने लैंड यूज के नाम पर करोड़ों रुपये लेने का आरोप लगाया था। उस आरोप के बारे में श्री खंडूड़ी जी को क्या कहना है। क्या उन आरोपों की जांच कराने की आवश्यकता लगती है। मीडिया प्रभारी श्री कुमार ने यह भी कहा कि कांग्रेसनीत राज्य सरकार की एक प्रभावी लोकायुक्त संस्था बनाने की मंशा है और ऐसी संस्था बनाने के लिए समय की भी आवश्यकता होती है। पूर्व मुख्यमंत्री खंडूडी के बनाये हुए लोकायुक्त कानून में काफी खामियां थी, जिसमें संविधान के अनुच्छेदों, उच्च न्यायालय व सर्वोच्च न्यायालय के अधिकार क्षेत्र का उल्लंघन होता है। हमारी सरकार इन सभी अवरोधो को दूर करके एक प्रभावी लोकायुक्त संस्था का गठन करना चाहती है। श्री कुमार ने यह भी कहा कि आपदा को लेकर भी भाजपा नेता हल्की राजनीति कर रहे है। जिससे चारधाम यात्रा व श्री नंदादेवी राजजात पर आने वाले देश भर के यात्रियों के सामने प्रदेश की छवि खराब हो रही है। भाजपा नेताओं के कारण पूरे देश में यह संदेश जा रहा है कि उत्तराखण्ड में यात्रा सुरक्षित नही है। उन्होंने भाजपा नेताओं को याद दिलाया कि भाजपा नेताओं ने यात्रियों से सिर पर कफन बांध कर उत्तराखण्ड आने की बात कही थी, जो कि शर्मनाक है। श्री कुमार ने आश्चर्य प्रकट करते हुए कहा कि भाजपा नेता प्रदेश की चारधाम यात्रा और श्री नंदादेवी राजजात यात्रा के महत्व को समझने में असफल रहे है। 

सहायता राशि वितरित करने के निर्देश

देहरादून, 22 अगस्त (निस)। सचिव आपदा प्रबन्धन भास्करानंद ने वित्तीय वर्ष 2014-15 में मानसून अवधि के दौरान प्राकृतिक आपदा से हुई क्षति पर अहेतुक सहायता, गृह अनुदान एवं अनुग्रह अनुदान मदों को पुनरीक्षित दरों के आधार पर वितरित किये जाने के सम्बन्ध में सभी जिलाधिकारियों को निर्देश जारी किये है। सचिव आपदा प्रबंधन ने बताया कि विगत वर्षो की भांति इस वित्तीय वर्ष 2014-15 में भी मानसून अवधि के दौरान राज्य में भारी वर्षा, बादल फटने आदि से जानमाल की क्षति हुई है। प्राकृतिक आपदा के कारण जिनके घर बह गये हो अथवा जलभराव से प्रभावित हो, को कपड़ों और बर्तन हेतु अब 4000-4000 रुपये कुल (8000 रूपये) प्रति परिवार राहत राशि दी जायेगी। पूर्व में यह राशि कपड़े व बर्तन हेतु एसडीआरएफ तथा एनडीआरएफ के मानक अनुसार क्रमशः 1300 रुपये व 1400 रुपये (कुल 2700 रुपये) दी जाती थी।

योजनाओं का निरंतर हो स्थलीय व भौतिक सत्यापन: मनीषा

देहरादून, 22 अगस्त (निस)। जिला स्तर पर चल रहे विकास कार्यो की निरन्तर समीक्षा हेतु शासन द्वारा प्रत्येक जनपद हेतु नामित प्रभारी सचिव के रूप में आज प्रमुख सचिव मनीषा पंवार द्वारा कलैक्ट्रेट सभागार देहरादून में जनपद की समीक्षा करते हुए कहा कि विभिन्न विभागीय योजनाओं के अन्तर्गत हो रहे विकास कार्यो का निरन्तर स्थलीय व भौतिक सत्यापन कराया जाये। उन्होने कहा कि अगली बैठक से पूर्व वह स्वयं योजनाओं का स्थलीय निरीक्षण करेगीं। उन्होने जिलाधिकारी को निर्देश देते हुए कहा कि जिले में गठित टास्क फोर्स के माध्यम से विभागों की योजनाओं का निरीक्षण तथा सत्यापन कराये। उन्होने कहा कि अगली बैठक में विभागीय योजना के भौतिक सत्यापन की स्थिति के साथ ही विभागवार जो कार्य हो रहे है उसमें से एक प्रोजेक्ट का प्रत्येक विभाग प्रजेंटेशन भी प्रस्तुत करेगा। प्रमुख सचिव ने समाज कल्याण विभाग द्वारा चलाई जा रही विभिन्न पेंशन योजनाओं की समीक्षा करते हुए कहा कि सभी योजनाओं के अन्तर्गत पात्र लाभार्थियों को पेंशन समय से प्राप्त हो जानी चाहिए। विद्यालयों में विभिन्न प्रकार की छात्रवृत्ति की समीक्षा करते हुए उन्होने कहा कि जिलाधिकारी इस बात पर विद्यालयों से पुष्टि कर लें की विद्यार्थियों को मिलने वाली छात्रवृत्ति पात्र छात्र/छात्राओं को समय पर मिल रही है। उन्होने समयबद्धता तथा पारदर्शिता को ध्यान में रखते हुए विद्यालय प्रबन्धन समितियों के साथ समय-2 पर बैठक बुलाकर प्रकरणों में तेजी लाने के निर्देश दिये। उन्होने अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति वितरण पर विशेष ध्यान देने की जरूरत बताते हुए इसका भी समय-2 पर अनुश्रवण करने को कहा। उन्होंने शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत विद्यालयों में हुए दाखिलों के सम्बन्ध में समीक्षा करते हुए कहा कि वर्तमान वर्ष के दाखिले के साथ ही गत वर्ष की फीस विद्यालयों को ट्रांसफर हुई या नही इसका भी अनुश्रवण करें। बैठक में प्रमुख सचिव मनीषा पंवार द्वारा सभी विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिये गये कि उनके विभाग को जिला योजना, राज्य सेक्टर केन्द्र पोषित योजनाओं में जो भी धनराशि प्राप्त हुई है उसका सद्पयोग यथाशीघ्र कर कार्यो में प्रगति लाई जाये। बैठक मे प्रमुख सचिव को अवगत कराते हुए जिलाधिकारी चन्दे्रश कुमार ने बताया कि सभी विभागों को 50 प्रतिशत् धनराशि जिला योजना के अन्र्गत अवमुक्त कर दी गयी है। जिससे चालू योजनाआंे के अन्तर्गत व्यय किया जाना है। उन्होने कहा कि अधिकांश विभागों द्वारा यह धनराशि 30 सितम्बर तक व्यय कर ली जायेगी। बैठक में मुख्य विकास अधिकारी आलोक कुमार पाण्डेय, अपर जिलाधिकारी प्र0 झरना कमठान, अपर जिलाधिकारी वि/रा प्रताप सिंह शाह, डीएफओ सुशांत पटनायक सहित सभी विभागों के अधिकारी उपस्थित थे।

नोडल अधिकारी किया गया नियुक्त

देहरादून, 22 अगस्त (निस)। उच्च शिक्षा में गुणात्मक सुधार के लिए प्रदेश की वित्त एवं उच्च शिक्षा मंत्री डा0 श्रीमती इन्दिरा हृदयेश नई कार्ययोजना के साथ कार्य करने के लिए तत्पर है। डा0 हृदयेश के आदेशो के क्रम मंे उच्च शिक्षा विभाग की प्रमुख सचिव मनीषा पंवार ने निदेशालय मे तैनात सहायक निदेशक डा0 अनुराग अग्रवाल तथा डा0 सतपाल सिह साहनी को विशेष कार्य आबंटित किये है। नये कार्य आबंटन के अनुसार संम्बन्धित अधिकारियो श्री साहनी को कुलपति श्री देवसुमन विश्वविद्यालय से तथा श्री अग्रवाल को कुलपति कुमायू विश्वविद्यालय से समन्वय हेतु नोडल अधिकारी नियुक्त किया है। ये दोनो अधिकारी कुमाऊ और गढवाल के 36 अधिसंख्या वाले राजकीय महाविद्यालयो तथा अशासकीय महाविद्यालयो के सीट वृद्धि सम्बन्धी प्रकरणो की सम्पूर्ण कार्यवाही करेंगे। इसके साथ ही दोनो मंडलो के नवीन स्वीकृत राष्ट्रीय महाविद्यालयो की सम्बद्धता सम्बन्धी सम्पूर्ण कार्यवाही करेगे।  

भू-क्षेत्रों के संरक्षण व विकास पर गोष्ठी आयोजित

देहरादून, 22 अगस्त (निस)। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार के पर्वतीय प्रभाग एवं गोबप हिमालय पर्यावरण एवं विकास संस्थान, कोसी-कटारमल (अल्मोड़ा) की संयुक्त पहल से मुख्य वन संरक्षक कार्यालय, देहरादून के मंथन सभागार में एक गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस गोष्ठी का मुख्य उद्देश्य उत्तराखण्ड के पवित्र भू-क्षेत्रों के दीर्घकालिक संरक्षण एवं पर्यावरण संगत विकास हेतु प्रदेश सरकार के सम्बन्धित विभागों, शोध व विकास कार्य से जुडे संस्थानों, प्रदेश की अग्रणी गैर सरकारी संस्थाओं एवं हिमालयी क्षेत्र के पर्यावरण संरक्षण एवं विकास में रूचि रखने वाले विद्धानों से व्यापक परामर्श के उपरान्त संरक्षण व विकास की रणनीति निर्धारित करना था। गोष्ठी के मुख्य अतिथि श्री परशुराम ने कहा कि कैलाश परियोजना समपन्न जैव विविधता, विषम भौगोलिक परिस्थितियां एवं आर्थिक-सामाजिक विभिन्नताओं का उत्कृष्ठ उदाहरण है। अतः इस परियोजना की सफलता से निकलने वाले परिणाम देश के अन्य पर्वतीय भागों हेतु भी उपयोगी सिद्ध होंगे। आजीविका वृद्धि के उपाय एवं जैव उत्पादों को बाजार उपलब्ध करवाना इस परियोजना की सफलता में मुख्य भूमिका अदा करेंगे। जिसके लिए स्थानीय स्तर पर संस्थाओं का गठन करना होगा। इससे पूर्व संस्थान के निदेशक डा0 पीताम्बर ध्यानी ने आशा व्यक्त की कि इस महत्वपूर्ण गोष्ठी के निष्कर्ष उक्त दोनों संस्थानों के वैज्ञानिकों के उपरोक्त परियोजनाओं को सफलतापूर्वक संचालित करने की दिशा में अत्यन्त लाभकारी सिद्ध होंगे। इस अवसर पर पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार के संयुक्त सचिव वृज राठौर ने गोष्ठी के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जलवायु परिवर्तन एवं प्रकृति में मानव के बढ़ते दखल से उत्पन्न हो रही जैव विविधता संरक्षण एवं संतुलित विकास की चुनौती का समग्र रूप से समाधान हेतु भू-क्षेत्र को इकाई के रूप में नियोजित करने की जरूरत है। इस अवसर पर मनोज चन्द्रन, राजीव भरतरी, डा0 अनुपम जोशी, पर्यावरण संस्थान, अल्मोड़ा के वैज्ञानिक डा0 राकेश मैखुरी व डा0 गिरीश ने भी अपने विचार रखे। कार्यक्रम में एफआरआई के निदेशक डा0 भोजवैद, वैज्ञानिक डा0 हर्ष, केन्द्रीय मृदा एवं जल संरक्षण एवं प्रशिक्षण संस्थान के निदेशक डा0 मिश्रा, वरिष्ठ वैज्ञानिक डा0 चतुर्वेदी, डा0 तोमर आदि मुख्य रूप से मौजूद थे। 

ऐतिहासिक होगी भाजपा प्रदेश कार्य समिति की बैठकः शुक्ला

देहरादून, 22 अगस्त (निस)।   विधायक राजेश शुक्ला ने कहा कि रूद्रपुर में 23 से 25 अगस्त तक आयोजित होने वाली भाजपा प्रदेश कार्यसमिति की बैठक ऐतिहासिक होगी। तैयारियों को लेकर सभी व्यवस्थायें एवं जिम्मेदारियां सौंप दी गयी हैं। करीब 300 प्रतिनिधि इस प्रदेश कार्यसमिति में भाग लेंगे तथा प्रदेश के सभी वरिष्ठ नेताओं एवं पूर्व मुख्यमंत्रियों के साथ साथ केंद्र से प्रदेश के प्रभारी व भारत सरकार के कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह, राष्ट्रीय महामंत्री रामलाल व सहमहामंत्री शिव प्रकाश व सौदान सिंह विशेष रूप से शामिल होंगे। विधायक शुक्ला ने बताया कि इस आयोजन को ऐतिहासिक बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी जायेगी। 23 अगस्त को सायं प्रदेश पदाध्किारियों की बैठक में कार्यसमिति के सभी पहलुओं पर विचार विमर्श किया जायेगा तथा राजनीतिक प्रस्ताव तैयार होगा। उन्होंने प्रेस के लोगों को समाचार संकलन में असुविधा न हो इसके लिए विशेष प्रयास किये गये हैं। 24 अगस्त को आने वाले सभी प्रतिनिधियों को तिलक लगाकर व उनका पुष्पवर्षा कर स्वागत करने की जिम्मेदारी महिला मोर्चा को सौंपी गयी है। भोजन व्यवस्था के लिए भी अनुभवी एवं जिम्मेदार कार्यकर्ताओं को लगाया गया है। इस प्रदेश कार्यसमिति के सफल आयोजन के लिए प्रभारी मदन कौशिक दो बार जिले में बैठक कर चुके हैं तथा प्रदेश अध्यक्ष तीरथ सिंह रावत भी बैठक कर निर्देश दे चुके हैं तथा सभी कार्यकर्ता जी-जान से तैयारियों में जुटे हैं। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में सभी दलों को अपनी बैठक करने व संगठन की रूपरेखा तय करने का अधिकार है तथा राजनीतिक परम्परा के अनुसार कोई भी दल इसका विरोध नहीं करता किन्तु आश्चर्य की बात है कि कांग्रेस के कैबिनेट दर्जा प्राप्त पूर्वमंत्री तिलकराज बेहड़ ने इस प्रदेश कार्यसमिति के विरोध का ऐलान किया है जो हास्यास्पद है। उन्होंने कहा कि यदि इसका विरोध किया गया तो भाजपा इसका जवाब देगी।

झाबुआ (मध्यप्रदेश) की खबर (22 अगस्त)

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वार्ड 16 मे सीसी रोड का हुआ भूमि पूजन 

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झाबुआ --- नगर का विकास करना हमारा नैतिक दायित्व है और जनता को अधिक से अधिक मूलभूत सुविधायंे उपलब्ध कराने के लिये नगरपालिका झाबुआ पूरी तरह कृत संकल्पित है। प्रदेश की शिवराजसिंह सरकार के द्वारा विभिन्न कल्याणकारी योजनायें लागू की जाकर लोगो को बेहतर जीवन जीने के लिये सुविधाये मुहैया कराई जारही है। उक्त उदगोर क्षेत्रीय विधायक शांतिलाल बिलवाल ने शुक्रवार को नगर के वार्ड क्रमांक 16 में 6.50 लाख की लागत के सीसी रोड के भूमि पूजन के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में व्यक्त किये । इस अवसर पर जिला भाजपा अध्यक्ष शैलेष दुबे ने नगरपालिका झाबुआ द्वारा नगर के सभी वार्डो में किये जारहे विकास कार्यो का जिक्र करते हुए कहा है कि नगर में समानता की भावना के साथ सभी वार्डो की मूलभूत आवश्यकताओं को देखते हुए नपा सतत कार्य कर रही है । नगरपालिका अध्यख धनसिंह बारिया ने इस अवसर पर बताया कि  वार्ड 16 में हरिश गैरेना के मकान से कला ताहेड के मकान तक साढे छ लाख की लागत से सीसी रोड का निर्माण हो जाने से इस मोहल्लें के लोगों की मांग पूरी हो जावेगी और लोगों को काफी सुविधा प्राप्त होगी । इस अवसर पर वार्ड पार्षद अविनाश डोडियार,जाकिर हुसैन, पास्केल डामोर, नरेन्द्र पंवार, बबलु सकलेचा, नाहरसिंह गुण्डिया रामचंद्र भाबर सहित बडी संख्या में वार्ड के नागरिक गण उपस्थित थे ।

740 लाख की लागत के एनीकट आधारित समूह जल प्रदाय योजना का विधायक ने किया लोकार्पण 

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झाबुआ--- प्रदेश की शिवराजसिंह चैहान की सरकार ने सर्वहारावर्ग के कल्याण के साथ ही गा्रमीण अंचलों में पर्याप्त पेय जल की सुविधायें दिलाने के लिये तिव्रता से योजनाओं का क्रियान्वयन शुरू कर दिया है । गा्रम गा्रम में घर घर तक पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिये पेय जल परियोजनाओं को नालू करके नल जल योजनाओं के माध्यम से पर्याप्त पेयजल उपलब्ध करानेे का कार्य शुरू किया है । गा्रम खेडी पिटोल में आज मोद नदी पर एनकट आधारित समूह जल प्रदाय योजना का लोकार्पण हो रहा है इस योजना का लाभ  12 गा्रमों के127 फलियों को मिलेगा । प्रदेश सरकार ने आदिवासी अंचल के विकास के लिये ढेरों योजनायें लागू की है जिसका लाभ आम जनों को मिले इसके लिये हम सभी को मिल कर काम करना होगा । उक्त उदगार विधायक शांतिलाल बिलवाल ने षुक्रवार को झाबुआ विकासखंड के गा्रम खेडा की मोद नदी पर एनीकट आधारित समूह जल प्रदाय योजना के लोकार्पण के अवसर पर कही । लोकार्पण कार्यक्रम के विशेष अतिथि जिला भाजपा अध्यक्ष शैलेष दुबे ने कहा कि प्रदेश सरकार क्षेत्रीय विकास के लिये पूरी तत्परता से जुटी है तथा जिले के सर्वांिगण विकास के लिये पूरी तर कृत संकल्पित है और आगामी दिनों में पानी की समस्या के निवारण के लिये धन की कमी नही आने देगी तथा अधिक से अधिक  समस्याग्रस्त गा्रमों में पेयजल की समस्या समयबद्ध रूप  से हल होगी । इस अवसर पर मंडल भाजपा अध्यक्ष मेजिया कटारा, जनपद प्रतिनिधि रामचंद्र कटारा, मीडिया प्रभारी राजेन्द्र सोनी सहित बडी संख्या में विभागीय अधिकारी एवं कर्मचारी तथा गा्रमीणजन उपस्थित थे । विधायक श्री बिलवाल एवं जिला भाजपाध्यक्ष शैलेष दुबे ने फीता काट कर संयत्र का लोकार्पण किया तथा लोक स्वास्थ्य यात्रिकी विभाग के नवनिर्मित फिल्टर प्लांट के परिसर मे वृक्षारोपण भी किय । इस अवसर पर लोक स्वास्थ्य यांत्रिकीय विभाग के कार्यपालन यंत्री महेन्द्रसिंह पंवार, असिस्टेंट इन्जिनियर बी एस अचाले, उपयंत्री बीपी दुबे  ने जानकारी देते हुए बताया कि  उक्त योजना 739.60 लाख की लागत की होकर इसमे सम्मिलित बसाहटों के गा्रमों की संख्या 12 होकर 127 फलियों में सतत जल यंत्रालय के माध्यम से फिल्टर्ड पेयजल की आपूर्ति होगी ।

देश भक्ति गीतों एवं नृत्य की ओपन प्रतियोगिता फायनल राउण्ड 24 अगस्त को, रविवार को होगी अंतिम चरण की प्रतियोगिता

झाबूआ--- जिले की सामाजिक सांस्कृतिक एवं सहित्यिक संस्था साज़रंग झाबुआ द्वारा स्वतंत्रता दिवस के अवसर प्रतिवर्षानुसार जिले के तरूणों, नवयुवकों में देशभक्ति की भावनाओं के संचार करने एवं अपने राष्ट्र का महिमा मण्डन गीत संगीत एवं नृत्य के माध्यम से करने एवं उभरती प्रतिभाओं को अवसर एवं मंच प्रदान करने के उद्देश्य से देश भक्ति गीत एवं नृत्य प्रतियोगिता का अभिनव आयोजन आॅडिशन राउण्ड उपरान्त चयनित प्रतियोगियों का अंतिम दौर दिनांक 24 अगस्त 2014 को सामुदायिक भवन पुलिस लाईन्स झाबुआ में प्रातः 10 बजे से करने जा रही है । कार्यक्रम के प्रभारी आशीष पाण्डेय ने बताया कि दिनांक 17 अगस्त रविवार को इस अंतिम चरण हेतु नृत्य एवं गीत विधा के जुनियर सिनियर एकल व समूह प्रस्तुतियों के लिए 4 -4 अंतिम प्रतियोगीयों का चयन किया जा चुका है, इस प्रकार कुल 24 प्रतियोगी प्रतियोगीता के इस अंतिम चरण में अपनी प्रस्तुति देंगे इस हेतु संस्था द्वारा निर्णायकों का चयन कर उन्हें प्रतियोगीता के नियमों से अवगत करा दिया गया है ये निर्णयक प्रतियोगीयों को अपनी कसौटी पर कस कर प्रतियोगी की क्षमता का आंकलन करेंगे प्ष्चात प्रत्येक वर्ग में प्रथम व द्वितीय स्थान प्राप्त करने वाले प्रतियोगीयों को आकर्षक स्मृति चिन्ह और प्रमाण पत्र से पुरूस्कृत किया जावेगा । संस्था के अध्यक्ष धर्मेन्द्र मालवीय ने बताया इस हेतू प्रत्येक वर्ग में निर्णायकों द्वारा प्रथक-पृथक गीत चयन, लयबद्धता, वेशभूषा, स्टेज व हाॅल अनुशासन इत्यादि विषयों पर अंक प्रदान किये जावेंगे प्रत्येक वर्ग में प्रतियोगीयों से निर्णयक एक से अधिक प्रस्तुति देने हेतु आदेशित कर सकते है इस लिए उन्हें एक से अधिक प्रस्तुतियों के लिए तैयार रहना होगा मंच पर निर्णायकों द्वारा भजन व अन्य संगीत प्रस्तुतियाॅ भी प्रस्तुत करने हेतु आदेशित किया जा सकता है । द्वितीय चरण में सभी वर्ग में 3 संगतकार  स्वीकार्य (ंससवू) होंगे । इस हेतु वाद्ययंत्र प्रतियोगी को स्वयं लाना होगें । नृत्य के लिए अपने गीत का ट्रेक पेन ड्राईव/सीडी में प्रतियोगियों को स्वयं लाना होंगे । समूह वर्ग में संगीत के प्रतियोगी अपनी संस्था के गणवेश में अनिवार्यतः आवें या एक समान वेशभूषा का प्रयोग किया जा सकता है नृत्य हेतु समूह अपने हिसाब से वेषभूशा चयनित कर सकता है ।  संस्था के अध्यक्ष धर्मेन्द्र मालवीय, विकास पाण्डे, राहुल बैरागी, दीपक दोहरे ताहा परवेज़ पठान एवं समस्त कालाकार व सदस्यों ने नगर वासीयों से अपील की है कि अधिकाधिक संख्याॅं में कार्यक्रम में उपस्थित होकर प्रतियोगीयों का उत्साह वर्धन कर कार्यक्रम को सफल बनावे।

संवेग के साथ आत्मा को शुद्ध करें, आत्मा अमर है वह केवल स्थान परिवर्तित करती है : - आचार्य रवीन्द्रसूरि

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झाबूआ--राजगढ़ मोहनखेडा प.पू. अर्हत ध्यानयोगी गच्छाधिपति आचार्यदेवेश श्री रवीन्द्रसूरीश्वर जी म.सा. ने पर्युषण पर्व एवं चातुर्मास आराधकों को ध्यान - साधना कराने के पश्चात् कहा कि पर्युषण पर्व में हमें आत्मा का स्वाध्याय करना है । केवल पुस्तक पढ लेना स्वाध्याय नहीं होता है आत्मा में उठने वाले भावों का परिशीलन करें । पर्युषण पर्व में ही पौषध व्रत के आराधक अपनी आत्मा की डण्त्ण्प्ण् कर ले । क्योकि आज विज्ञान ने इतनी प्रगति कर ली है कि इस मशीन से शरीर की बारीक से बारीक नसों की बिमारी पकड में आ जाती है । तो साधक आध्यात्म के क्षेत्र में ध्यान साधना के साथ पौषध व्रत में रात्रि में निंद्रा का त्याग कर अपनी आत्मा का अवलोकन कर उसमें चल रही विचारधारा और तरंगों पर अंकुश कर उन पर विजय प्राप्त कर आत्मा का कल्याण कर सकता है । श्रावक आश्रव, निर्जरा का विशेष ध्यान रखें । विचार और तरंगों से हमारे पूर्व जन्म के कर्म झलकते है तब मन इन्द्रीयों द्वारा कर्म करवा देता है । बूरे कर्मो से कलुसित हो रहे कर्मो को रोकना ही पर्युषण पर्व है । मनुष्य आत्मा अपने उचित कर्म करके पूर्व संचित बूरे कर्मो से मुक्त करवा लेती है । पौषध व्रत में संसार के चिन्तन का त्याग कर देना चाहिये तभी वह सार्थक होगा । हमें केवल पौषध व्रत की क्रियाओं पर ही ध्यान रखना है संसार की मूर्छा का त्याग करना है । पौषध व्रत में आराधक संसार के श्रावक धर्म का त्याग कर साधु जीवन जैसा जीवन साधना में रखता है । व्यक्ति वैराग्य के समय व्यवहारिक रुप से संसार के सारे रिश्ते- नाते त्याग कर संयम जीवन अंगीकार करता है और यदि उसके मन में या आत्मा में अपनी पत्नी, पुत्र या किसी परिजन के प्रति आसक्ति के भाव रह जाते है और सन्यास ग्रहण कर लेता है स्मृति मौजूद रह जाती है ऐसा साधु संसार छोडकर भी आसक्ति का विसर्जन नही कर पाता है तब सन्यास घटित नहीं होता है । वह कितनी भी तपस्या कर ले कितना भी त्याग कर ले परन्तु अन्र्तमन की चेतना में से आसक्ति को त्यागना जरुरी है । संसार के अन्दर पर्युषण पर्व एक ऐसा पर्व है जिससे आत्मा आनन्द से हर्ष विभोर हो जाती है । यह पर्व आत्मा को नये वस्त्र धारण करवाने वाला पर्व है । ये आठ दिन पूण्य प्रकृति को बांधने के दिन है शरीर शुद्धि आवश्यक है । आत्मा पर लगी कर्मो की कलुषित रज को दूर करने का पर्व है । भाव दशा में रहकर भावों एवं संवेग के साथ आत्मा को शुद्ध करने का पर्व पर्युषण पर्व है । बिना संवेग और उत्साह के आत्मा जागृत नहीं होती है । चैथे आरे में सिर्फ इरियावही सूत्र से व्यक्ति मोक्ष को प्राप्त कर लेता था । सहज व्यवहार के प्रति इरियावही की जा सकती है और हम कर्मो से मुक्त हो सकते है । मुनिप्रवर श्री ऋषभचन्द्रविजयजी म.सा. ने आराधकों से कहा कि पर्युषण पर्व के दिनों में तप, दान और धर्म क्रिया का विशेष महत्व है । यह पर्व आराधकों के लिये दीपवली से भी अधिक महत्वपूर्ण माना गया है । अष्ठान्हिका प्रवचन देते हुऐ मुनिप्रवर ने आराधकों से कहा कि पर्व दिनों में कषायों का त्याग करें । मुनिराज श्री रजतचन्द्रविजयजी म.सा. ने कहा कि श्रावक की संसारिक क्षैत्र एवं धर्म क्षैत्र की जिम्मेदारी में काफी अन्तर है । धर्म के क्षैत्र में आश्रव, हिंसा, झूठ, चैरी, परस्त्रीगमन, अब्रह्म के सेवन, परिग्रह का त्याग करना है एवं जीवों की जयणा करना है । दानों में अभयधान सर्वश्रेष्ठ है । इन आठ दिनों में वस्त्र नहीं धोना, गड्डे नहीं खोदना बहुत हिंसा के सभी कार्य निषेध है । वैभव के प्रति राग छोड़े, दान धर्म करें और धर्म की बैंक में अपना फिक्स डिपाजिट करें । क्रोध, मान, माया, लोभ, अहंकार का त्याग करें । आज प्रवचन से पूर्व विशाल शौभायात्रा के साथ अष्ठान्हिका प्रवचन ग्रंथ को श्री भरतपूर नगर प्रवचन पाण्डाल में लाया गया । ग्रंथ बोहराने के लाभार्थी बागरा निवासी श्री कैलाशचंद जी चंदनमल जी परिवार द्वारा प.पू. अर्हत ध्यानयोगी गच्छाधिपति आचार्यदेवेश श्री रवीन्द्रसूरीश्वर जी म.सा. को अष्टप्रकारी पूजा के साथ ज्ञान पूजा कर ग्रंथ वोहराया गया । आज के प्रवचन में श्रीमती मफीबाई दरगाजी जीवाजी पांचसौवोरा परिवार सांचोर द्वारा संघ पूजा की गई एवं नारियल के गोले की प्रभावना श्री रवीन्द्रकुमार जी बाबुलाल जी बागरावालों द्वारा की गई । प्रवचन के दौरान भीनमाल निवासी श्रीमती पुष्पाबेन रमेशजी वाणीगोता मुम्बई द्वारा आचार्यश्री के समक्ष अक्षत गहुंली कर मोक्ष दण्ड तप का संकल्प धारण किया । आचार्यश्री द्वारा रखे जा रहे धर्म दण्ड को मुष्ठियों से नापा गया और उसके नाप के आधार पर आराधिका को 21 उपवास की तपस्या का संकल्प प्रदान किया गया । आचार्यश्री के दण्ड का पूजन भी किया गया । चातुर्मास में समस्त तपस्वीयों के पारणे के लाभार्थी श्री कैलाशचंद जी चंदनमल जी बागरा वालों ने सभी चल रही बड़ी तपस्या के तपस्वीयों का बहुमान किया । आज पयुर्षण पर्व के प्रथम दिन से सिद्धितप के आठवें क्रम की तपस्या प्रारम्भ होकर सवंत्सरी प्रतिक्रमण के बाद पूर्णाहूति होगी । सिद्धीतप आराधकों द्वारा 45 दिन की कठिन तपस्या में 36 उपवास पूर्ण किये जायेगें । आचार्य श्री ने पयुर्षण पर्व के दौरान समस्त आराधकों को सामुहिक अठ्ठाई तपस्या करने की प्रेरणा दी । महिला चैविसी में मासक्षमण एवं सिद्धितप की तपस्या के निमित महिला सांझी का आयोजन श्री गुरुराज विद्या साख सहकारिता बैंक राजगढ़ के सहयोग से किया गया जिसमें समस्त महामृत्युजय मासक्षमण तपस्वी एवं सिद्धितप के तपस्वीयों का बैंक के संचालकों एवं प्रबन्धकों द्वारा बहुमान किया गया एवं प्रश्न मंच व लक्की ड्रा का पारितोषित वितरण किया गया । महिला सांझी में आराधक व राजगढ़ की महिलाओं ने हिस्सा लिया । श्री मोहनखेड़ा तीर्थ पर दादा गुरूदेव श्रीमद्विजय राजेन्द्रसूरीश्वरजी म. सा. की पाट परम्परा के शासनप्रभावक सप्तम पटधर वर्तमान प.पू. गच्छााधिपति आचार्यदेवेश श्रीमद्विजय रवीन्द्रसूरीश्वरजी म.सा., ज्योतिषम्राट मुनिप्रवर श्री ऋषभचन्द्रविजयजी म. सा., मुनिराज श्री पीयूषचन्द्रविजयजी म.सा., मुनिराज श्री रजतचन्द्रविजयजी म. सा. शासन ज्योति साध्वी श्री महेन्द्रश्रीजी म. सा., सेवाभावी साध्वी श्री संघवणश्रीजी म.सा. आदि ठाणा की पावनतप निश्रा में श्री मोहनखेडा तीर्थ पर यशस्वी चातुर्मास के दौरान 45 दिन की सिद्वितप आराधना में 20 आराधक आराधना कर रहे है । 1 आराधक भद्रतप की तपस्या में लीन है साथ ही तीर्थ पर सांकली अट्ठम तपाराधना निरन्तर गतिमान है । तीर्थ में श्री राजेन्द्रसूरि गुरुतप आराधना में 309 आराधक आराधना कर रहे है । चातुर्मास के नियमित आराधकों के अतिरिक्त पर्युषण पर्व आराधना हेतु 300 से अधिक आराधक आराधना में शामिल हुऐ । पर्युषण पर्व के दूसरे दिन जय तलेटी की यात्रा के संघपति बन कर हाथी पर बैठने का लाभ श्री श्रेणिककुमार जी बापुलाल जी नागदा परिवार खाचरोद, बग्गी का लाभ श्री मांगीलालजी मुन्नीलालजी रामाणी परिवार, गहुंली का लाभ श्री मदनलालजी बाबुलालजी मेहता परिवार भीनमाल को प्राप्त हुआ ।

जिला स्तरीय लोक कल्याण शिविर 25 अगस्त को

झाबुआ ---जिला स्तरीय लोक कल्याण शिविर ग्राम पंचायत बोरडी जनपद पंचायत थांदला में 25 अगस्त 2014 सोमवार को आयोजित किया जावेगा। शिविर में जिला स्तरीय अधिकारी उपस्थित होकर आवेदन का निराकरण करेगे एवं शासन की जनकल्याणकारी योजनाओं की जानकारी भी देगे।

प्रेक्षक श्री बोरीवाल ने रजिस्ट्रीकरण अधिकारियों की बैठक ली
      
झाबुआ --- कलेक्टर कार्यालय के सभाकक्ष में निर्वाचन संबंधी बैठक संपन्न हुई। बैठक में त्रि-स्तरीय पंचायत आम निर्वाचन 2014-15 की फोटोयुक्त मतदान सूची के कार्यक्रम अनुसार कार्य करने के लिए रजिस्ट्रीकरण एवं सहायक रजिस्ट्रीकरण अधिकारियों को प्रेक्षक श्री एम एल बोरीवाल ने निर्देशित किया। बैठक में उप जिला निर्वाचन अधिकारी श्री रधुवंशी सहित संबंधित अधिकारी उपस्थित थे। प्रेक्षक श्री एम एल बोरीवाल ने विगत 21 अगस्त को पेटलावद एवं थांदला तथा आज 22 अगस्त को झाबुआ, रामा एवं राणापुर में फोटोयुक्त मतदाता सूची का निरीक्षण किया।

दो चोरी की वारदात मे लाखो के माल पर हाथ साफ

झाबूआ---फरियादी निलेश पिता राजमल जैन, उम्र 32 वर्ष, निवासी मेघनगर ने बताया कि अज्ञात 03 आरोपियों के द्वारा उसके घर में घुसकर आलमारी का ताला तोडकर सोना चांदी सोने का हार मंगल सूत्र, अंगूठी, चैन, टाप्स तथा चांदी के पायजेब व नगदी 40,000/-रूपये, कुल मश्रुका 1,75,000/-रूपये चुराकर ले गये। प्रकरण में थाना मेघनगर में अपराध क्रमांक 164/14, धारा 457,380 भादवि का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया। फरियादी सुभाषचन्द्र पिता भेरूलाल जैन, उम्र 52 वर्ष निवासी कुंदनपुर ने बताया कि अज्ञात बदमाश घर के कवेलु हटाकर अन्दर घुस कर पेटी व अलमारी मे से चांदी के पुराने सिक्के, चांदी की अंगुठी, खेरची सोने चांदी की चैन, सोने की रकम तथा नगदी रूपये कुल मश्रुका 1,75,000/-रूपये का चुराकर ले गये। प्रकरण में थाना राणापुर में अपराध क्रमांक 298/14, धारा 457,380 भादवि का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया।

जहरीली दवा पिने से मौत

झाबूआ---हकरिया पिता दितीया डामोर, उम्र 40 वर्ष निवासी झाबुआ ने बताया कि रतनीबाई पति सेवसिंह मेडा, उम्र 35 वर्ष निवासी सूरीनाला को जहर पीने से गंभीर अवस्था में जिला चिकित्सालय झाबुआ भर्ती कराया गया था। ईलाज के दौरान मृत्यु हो गयी। प्रकरण में थाना कालीदेवी में मर्ग क्रमांक 32/14, धारा 174 जा0फौ0 का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया।

मोटर सायकल दूर्घटना मे मौत
          
झाबूआ---तोल्या पिता हरचन्द भूरिया, उम्र 50 वर्ष निवासी रूण्डीपाडा ने बताया कि उसकी पत्नी कमलाबाई पति तोल्या भूरिया, उम्र 45 वर्ष, निवासी रूण्डीपाडा को अज्ञात मो0सा0 के चालक ने तेज गति व लापरवाही पूर्वक चलाकर टक्कर मारकर गंभीर चोंट पहुचायी थी। ईलाज के दौरान मृत्यु हो गयी। प्रकरण में थाना थांदला में मर्ग क्रमांक 43/14, धारा 174 जा0फौ0 का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया।

सिर मे गम्भीर चैट लगने से मौत

झाबूआ---फरियादी दिता पिता पुना भाबोर, उम्र 50 वर्ष निवासी बेडावा ने बताया उसका लडका कमलेश उम्र 15 वर्ष गुरूकृपा बस से नीचे गिर गया। सिर में गंभीर चोंट होने से मृत्यु हो गयी। प्रकरण में गुरूकृपा बस के चालक के विरूद्ध थाना थांदला में अपराध क्रमांक 398/14, धारा 304-ए भादवि का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया।

बस की टक्कर से यूवक की मौत

झाबूआ--फरियादी सतीश पिता सरदारसिंह बडदवाल निवासी पिटोल ने बताया कि बस क्रमांक एमपी-14 क्यू-0379 के चालक ने बस को तेज व लापरवाही पूर्वक चलाकर उसके भतीजे दीवान को टककर मार दी, जिससे उसकी मृत्यु हो गयी। प्रकरण में थाना थांदला में अपराध क्रमांक 609/14 धारा 304-ए भादवि का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया। 
  
काम करने गया  खेत मे मृत मिला
          
झाबूआ--- करण सिंह पिता दीपा सिगाड, उम्र 40 वर्ष निवासी मकोडिया ने बताया कि उसके भाई नाहरसिंह पिता दीपा सिगाड, उम्र 40 वर्ष निवासी मकोडिया खेत में डोरा चलाने गया था। घर वापस नहीं आया। तलाश करने पर अज्ञात कारण से खेत मेें मृत अवस्था में पडा मिला।  प्रकरण में थाना थांदला में मर्ग क्रमांक 44/14, धारा 174 जा0फौ0 का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया।

बूरीनियत से हाथ पकडा

झाबूआ---फरियादिया रिया पति विकास, उम्र 27 वर्ष, निवासी गोपालपुरा अपने पति से झगड़ा होकर आयी थी, घर जाते समय आरोपी शिवाजी पिता हक्काजी डामोर निवासी गोपालपुरा ने बुरी नियत से हाथ पकड़ा। प्रकरण में थाना कल्याणपुरा में अपराध क्रमांक 206/14, धारा 456,354 भादवि का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया। फरियादिया श्रीमती संगीता पति रमेश गरवाल, उम्र 30 वर्ष, निवासी भेरूपाड़ा ने बताया कि वह अपने घर में थी, आरोपी सुरपाल पिता राणजी गरवाल, निवासी भेरूपाडा आया व पीछे से बुरी नियत से हाथ पकड़ा व चिल्लाने पर बैटरी सिर पर मार दी। प्रकरण में थाना पेटलावद में अपराध क्रमांक 348/14, धारा 452,323,354 भादवि का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया। 

सट्टा खेलते आरोपी रंगे हाथों गिरफ्तार

झाबूआ-- आरोपी रमेश पिता मांगीलाल, उम्र 30 वर्ष निवासी पेटलावद को पेटलावद पुलिस ने सट्टे खेलते हुए रंगे हाथों पकड़ा। आरोपी को गिरफ्तार कर उससे सट्टा पर्ची एवं 125/- रूपये जप्त कर गिरफ्तार किया गया। प्रकरण में थाना पेटलावद में अपराध क्रमांक 346/14, धारा 4 क धु्रत अधिनियम का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया।

पशु कु्ररता के तिन अपराध मे पांच आरोपी गिरफ्तार, गेावंश को गौशाला भेजा  

झाबूआ---फरियादी अमृतलाल पिता जवरा भाभोर, उम्र 19 वर्ष, गवालरूण्डी ने बताया कि बुलेरो पिकअप वाहन के चालक शंकर पिता सूल्तान डामोर एवं अन्य 02, निवासी झिरणी अपने वाहन में गाय व बछडे अवैध रूप से ठुस-ठुस कर कु्ररता पूर्वक भर कर गुजरात तरफ ले जा रहा था। प्रकरण में थाना पेटलावद में अपराध क्रमांक 344/14, धारा 4,6,9 गोवंश अधिनियम तथा 11 पशु क्रुरता अधिनियम 2011 का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया। फरियादी उमेश पिता रतनलाल राठौर, उम्र 27 वर्ष निवासी झाबुआ ने बताया कि ट्रक क्रमांक एम0पी0-09-जीसी-9065 के चालक वाहन में भैस ठुस-ठुस कर कु्ररता पूर्वक भरकर ले जा रहा था। प्रकरण में थाना पेटलावद में अपराध क्रमांक 345/14, धारा 11(घ)  पशु क्रुरता अधिनियम 2011 का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया। आरोपी प्रभू पिता कालु भील, उम्र 32 वर्ष निवासी मदरानी एवं अन्य 02, टेम्पो में  ठुस-ठुस कर क्षमता से अधिक बैलों का परिवहन करते ले जा रहे थे। प्रकरण में थाना रायपुरिया में अपराध क्रमांक 200/14, धारा 11(घ)  पशु क्रुरता अधिनियम 2011 का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया।

विदिशा (मध्यप्रदेश) की खबर (22 अगस्त)

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संभागायुक्त द्वारा योजनाओं एवं निर्माण कार्यो का जायजा

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भोपाल संभागायुक्त श्री एसबी सिंह ने शुक्रवार को विदिशा जिले में क्रियान्वित शासकीय योजनाओं, कार्यक्रमों के साथ-साथ निर्माण कार्यो की समीक्षा विभागों को ग्रुप में विभक्त कर की। कलेक्टर चेम्बर में सम्पन्न हुई इस बैठक में कलेक्टर श्री एमबी ओझा, अपर कलेक्टर श्री शशिभूषण सिंह समेत समस्त विभागों के जिलाधिकारी मौजूद थे। संभागायुक्त श्री सिंह ने विभागीय अधिकारियों से कहा कि योजनाओं की लक्ष्यों की पूर्ति अवधि अधिकारी स्वंय तय कर बताएं। उनके द्वारा बतलाई गई डेड लाइन तक लक्ष्यों की पूर्ति नही करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कठोर कार्यवाही की जाएगी। उन्होंने ग्रुप एक में शामिल महिला एवं बाल विकास विभाग, स्वास्थ्य विभाग, डूडा, आदिम जाति कल्याण विभाग और नगरपालिका के कार्यो की समीक्षा की जिसमें महिला एवं बाल विकास विभाग के द्वारा आंगनबाडी कार्यकर्ता एवं सहायिकाओं की भर्ती प्रक्रिया की कार्यवाही, कुपोषित बच्चों, एनआरसी, मुख्यमंत्री लाड़ली लक्ष्मी योजना इत्यादि की अद्यतन जानकारी प्राप्त की। संभागायुक्त श्री सिंह ने आंगनबाडी केन्द्रों में कसावट लाने के लिए जिलाधिकारियों को आकस्मिक निरीक्षण के लक्ष्य तय करने के निर्देश कलेक्टर को दिए। उन्होंने कहा कि एनआरसी केन्द्रों पर अतिकुपोषित बच्चों में सेम श्रेणी के बच्चों को सर्वोच्च प्राथमिकता से भर्ती कराया जाए। संभागायुक्त श्री सिंह ने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को चेतावनी देते हुए कहा कि आगामी बैठक में पूरी तैयारियों के साथ आए। ज्ञातव्य हो कि संभागायुक्त द्वारा चाही गई जानकारियांे को बतलाने में सीएमओएच द्वारा अनभिज्ञता जाहिर करने पर उन्हें चेतावनी दी गई। इस दौरान संभागायुक्त ने जिला चिकित्सालय के कार्यो के संबंध मंें भी पूछताछ की। उन्होंने कहा कि जिला चिकित्सालय परिसर में सूचना पटल लगवाया जाए जिसमें भर्ती मरीजो की संख्या सहित अन्य जानकारियां अंकित की जाए। उन्होंने आऊटसोर्से स्टाफ का जाॅब चार्ट तैयार कराने के भी निर्देश दिए। संभागायुक्त ने कहा कि निकाय क्षेत्र में जो हाकर जोन बनाए गए है उन ही में ठेले वालो को दुकाने संचालित करने के प्रयास किए जाए। हाकर जोन से बाहर खडे़ होने वालो के खिलाफ अर्थदण्ड कार्यवाही की जाए। पोस्ट मैेट्रिक छात्रावासों में रह रहे विद्यार्थियों से भोजन के लिए ली जाने वाली सहायोग राशि के संबंध में शासन को पत्र के माध्यम से अवगत कराने के निर्देश दिए गए जिसमें इस बात का उल्लेख हो कि आर्थिक रूप सेे कमजोर उक्त वर्ग के छात्र-छात्राएं पढ़ाई से वंचित हो सकती है। छात्रावासों के विद्यार्थियों को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत एक रूपए के मान से खाद्यान्न प्रदाय कराने के प्रबंध के संबंध में भी शासन को मार्गदर्शी पत्र प्रेषित करने के निर्देश दिए गए। संभागायुक्त श्री सिंह ने जिले के जलाश्यों में जल भराव की भी जानकारी संबंधित विभागों के अधिकारियों से प्राप्त की। वही पीडब्ल्यूडी, पीआईयू और आरईएस के निर्माण कार्यो के संबंध में भी पूछताछ की। पीएमजीएसवाय के अधिकारी ने बताया कि जिले के ऐसे ग्राम जिनकी आबादी आठ सौ सात सौ के मध्य मंे है उन ग्रामों को मुख्य सड़क से जोड़ने के लिए टेण्डर आमंत्रित किए गए है। किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग के अधिकारी ने बताया कि जिले में 95 प्रतिशत बोवनी हुई है यूरिया खाद की कमी ना हो इसके लिए पूर्व में ही प्रबंध सुनिश्चित किए गए है। जिला आपूर्ति अधिकारी ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत की गई कार्यवाही से अवगत कराया। संभागायुक्त श्री सिंह ने कहा कि जिले के ऐसे युवा बेरोजगार जिनके द्वारा होटल प्रबंधन का प्रशिक्षण प्राप्त किया गया है उन्हें ढावा संचालन हेतु उद्योग विभाग के माध्यम से प्रकरण तैयार कर बैकों के माध्यम से वित्त पोषण कराया जाए। उन्होंने डेयरी व्यवसाय को वृहद रूप में क्रियान्वित कराए जाने की अपेक्षा व्यक्त करते हुए कहा कि जिले में दुग्ध उत्पादन की अपार संभावनाएं है इसके लिए अधिक से अधिक बड़ी यूनिट तैयार की जाए। बैठक में पशुपालन, उद्यान, रेशम विभाग के द्वारा क्रियान्वित योजनाओं की भी समीक्षा की गई। 

औचक निरीक्षण
संभागायुक्त श्री सिंह ने किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग के उप संचालक कार्यालय और पशु चिकित्सा सेवा विभाग के उप संचालक कार्यालय का औचक निरीक्षण किया। दोनो कार्यालय के स्टाफ की उपस्थिति पंजी का भी उन्होंने जायजा लिया। पशु चिकित्सालय में पहुंचकर उन्होंने सोनोग्राफी एवं आपरेशन कक्ष को देखा और उप संचालक से चिकित्सालीन जानकारी प्राप्त की। 

निर्माणाधीन कम्पोजिट बिल्डिंग
ईदगाह चैराहे पर निर्माणाधीन कम्पोजिट भवन के निर्माण कार्यो का भी संभागायुक्त श्री एसबी सिंह और कलेक्टर श्री एमबी ओझा ने संयुक्त रूप से निरीक्षण कर प्रगति के संबंध मंे जानकारी प्राप्त की और आवश्यक मार्गदर्शन दिया। इस अवसर पर लोक निर्माण विभाग के अधीक्षण यंत्री श्री संजय खाण्डे ने बताया कि दिसम्बर तक कम्पोजिट भवन पूर्ण कर लिया जाएगा। 

मतदाता एवं सहायता शिविर आज

जिले के मतदाताओं के लिए सहायता शिविर 23 अगस्त को शासकीय कन्या महाविद्यालय विदिशा मंें प्रातः 10 बजे से सायं साढ़े पांच बजे तक आयोजित किया गया है। कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी श्री एमबी ओझा ने बताया कि मतदाता एवं सहायता शिविर में नए एवं डुप्लीकेट मतदाता परिचय पत्र बनाने की कार्यवाही के अलावा कार्डो में सुधार संशोधन संबंधी कार्य और कलर लेमीनेटड मतदाता परिचय पत्र हेतु मतदाता अपने आवेदन प्रस्तुत कर सकते है स्वीप गतिविधियों के तहत आयोजित उक्त शिविर का अधिक से अधिक लाभ उठाने का आग्रह मतदाताओं से किया गया है। 

ग्राम पंचायतों के सचिवो की नवीन पदस्थापना के आदेश जारी

जिला पंचायत की समिति के अनुमोदन उपरांत सीईओ श्री शशिभूषण सिंह ने जिले में 394 ग्राम पंचायत सचिवों के स्थानांतरण आदेश जारी कर दिए है। स्थानांतरण प्रशासकीय एवं स्वेच्छा के आधार पर किए गए है। जारी आदेश में उल्लेख है कि स्थानांतरित हुए ग्राम सचिव तीन दिवस के भीतर भारमुक्त होकर नवीन पदस्थापना वाली ग्राम पंचायत में अपनी उपस्थिति लिखित मंे देंगे और एक प्रति संबंधित जनपद पंचायत को सरपंच के माध्यम से प्रस्तुत करेंगे। जनपदों के सीईओ से कहा गया कि भारमुक्त करने के पूर्व संबंधित के विरूद्व किसी भी प्रकार की कोई वसूली शेष नही है यह सुनिश्चित करते हुए संबंधित सचिव की व्यक्तिगत नस्ती नवीन पदस्थापना की जनपद पंचायत को प्रेषित करने के निर्देश दिए गए है।

शांति समिति की बैठक सोमवार को 

आगामी पर्वो के परिप्रेक्ष्य में शांति समिति की बैठक 25 अगस्त सोमवार को आयोजित की गई है। कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी श्री एमबी ओझा की अध्यक्षता में यह बैठक कलेक्टेªट सभाकक्ष में अपरान्ह चार बजे से प्रारंभ होगी।

आलेख : कालीन उद्योग को लेकर गंभीर हुए मोदी

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  • आईआईसीटी को विश्वस्तरीय पहचान दिलाने के लिए संकल्पित: सांसद 
  • प्रधानमंत्री की तरफ से पहले ही मिल चुकी है हरी झंडी 

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गलीचों के शहर भदोही के विकास को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी गंभीर हो गए है। खासकर प्रतिद्वंदी देशों के मुकाबले लगातार पिछड़ रहे कालीन उद्योग को उंचाईयों पर पहुंचाने के वास्ते, जैसा कि अपने चुनावी वादों में कहा था, को पुरा करने के लिए रोडमैप तैयार करने का संकेत इलाकाई सांसद वीरेन्द्र सिंह को आदेशित भी कर दिया है। इसकी जानकारी श्री सिंह ने कालीन प्रौद्योगिकी संस्थान, भदोही का निरीक्षण व जायजा लेने के बाद दी। श्री सिंह ने बताया कि कालीन प्रौद्योगिकी संस्थान को वह विश्व का एक अद्वितीय टेक्सटाईल प्रशिक्षण संस्थान बनाना चाहते है। इसके लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से उनकी न सिर्फ वार्ता हो चुकी है, बल्कि उन्होंने हामी भी भर दी है। 

श्री सिंह का मानना है इस संस्थान के विकसित होने से हर रोज डिजाइन से लेकर फिनिशिंग, मैन्युफैक्चरिंग आदि के क्षेत्र में लगातार हो रहे बदलाव के दौर में यह संस्थान काफी मायने रखता है। इसलिए इस संस्थान का विकास आज की जरुरत बन गयी है। कहा, इस संस्थान से नयी तकनीकी से परिपूर्ण छात्र डिग्री लेकर निकलेंगे तो कालीन निर्माण क्षेत्र में अपना बेहतर योगदासन दे सकते है। ऐसे में संस्थान को हर तरह की नयी तकनीकी से सुसज्जित कराने का उन्होंने निर्णय लिया है। अपने इस निर्णय को उन्होंने प्रधानमंत्री को देते हुए भदोही की अन्य विकास योजनाओं व उद्यमियों को सहूलियते दिलवाने की भी बात कहीं है। 

श्री सिंह ने बताया कि आज अंतराष्टीय प्रतिस्पर्धा में भदोही का कारपेट लागत व डिजाइन आदि के चलते पिछड़ रहा है। प्रतिद्वंदी देशों के मुकाबले भदोही की कालीनें विदेशी खरीदारों को महंगी पड़ रही है। ऐसे संस्थान की नयी-नयी तकनीकी इजाद व प्रशिक्षित छात्र अपनी करिश्माई ज्ञान से कालीन को न सिर्फ प्रतिद्वंदी देशों के मुकाबले क्वालिटी में सुधार ला सकते है, बल्कि लागत में भी कुछ नया कर सकते है। इन सारी चीजों को उन्होंने प्रधानमंत्री को विस्तार से बताया है। प्रधानमंत्री ने उन्हें आश्वासन दिया है कि संस्थान के विकास की रोडमैप तैयार कराकर उनके पास लाएं, हम कुछ न कुछ जरुर अच्छा करेंगे। क्योंकि कालीन उद्योग एक कुटीर उद्याग है और इससे लाखों लोग जुड़े है। इसके पूर्व सांसद वीरेन्द्र सिंह ने शुक्रवार को कालीन प्रौद्योगिकी संस्थान संस्थान का भ्रमण किया। संस्थान के निदेशक डा के के गोस्वामी ने संस्थान में लगे आधुनिक उपकरणांे एवं मशीनो से उन्हें रूबरू कराया। संस्थान की अब तक उपलब्धियों के बारे में विस्तार से बताया। श्री गोस्वामी द्वारा संस्थान की उपलब्ध्यिों के बारे में जानकारी प्राप्त करने के सांसद ने संतोष व्यक्त किया। बता दें सांसद ने अपने कार्यकाल में केन्द्रीय कपड़ा मंत्री काशीराम राणा को लाएं थे और संस्थान को बजट भी दिलवाया था। उसके बाद से संस्थान लगातार प्रगति कर रहा है। इस दौरान संासद ने संस्थान में अध्ययनरत बीटेक के छात्र-छात्राओं एवं अन्य प्रशिक्षु (डाईन्ग, कम्प्यूटर, डिजाईन) आदि के अलावा संस्थान से प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके बुनकरो से भी मिलकर बातचीन की। उनके प्रशिक्षण एवं भविष्य के बारे में जानकारी ली। संस्थान के निरीक्षण करने के पश्चात उन्होने संस्थान के निदेशक एवं वरिष्ठ अध्यापक एवं अधिकारियों से बैठकर संस्थान को और अधिक उचाई तक पहुचाने की योजना पर मंथन किया। सांसद ने कहा, कालीन पशिक्षण केद्र मे आकर यहाॅ का कार्य देखकर मैं अभिभूत हॅू। मैने अपने संसदीय जीवन के पिछले कार्यकाल में यहाॅं के विकास के लिए प्रयास किया था उसे देखकर मुझे बहुत ही गर्व महसूस हो रहा है कि मैने एक सांसद के नाते बहुत ही उत्तम कार्य कर सका। सांसद के साथ संतोषजी एवं शैलेन्द्र दूबे आदि मौजूद थे। 



(सुरेश गांधी)

संदर्भ: - पर्युषण में इस आगम का वाचन किया जाता है।

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जैन धर्म की साहित्यिक विरासत में एक से बढ़कर एक अनेक ग्रंथ हैं। हर ग्रंथ की विषय वस्तु और महŸाा अलग-अलग हैं। कुछ ग्रंथों के प्रति कुछ कारणों से जन जीवन में विषेष स्थान बन गया, उनमें से एक ग्रंथ है - कल्पसूत्र। कल्प का आशय है - नीति, आचार-संहिता, मर्यादा और विधि-विधान। जिस ग्रंथ में इन विषयों का निरूपण हुआ है, वह कल्पसूत्र है। पूर्वजन्म, इतिहास, आचार और संस्कृति विषयक इस ग्रंथ के रचनाकार श्रुतकेवली आचार्य श्री भद्रबाहु स्वामी हैं। ष्वेताम्बर जैन परम्परा के मान्य आगम ग्रंथ दशाश्रुतस्ंकध (आचारदशा) का आठवाँ अध्ययन कल्पसूत्र है। इस अध्ययन का इतना महŸव रहा कि आचारदशा से इसे अलग करके ‘कल्पसूत्र’ नाम से एक स्वतंत्र ग्रंथ के रूप में स्थान व सम्मान मिला। ठीक वैसे ही, जैसे गीता महाभारत का ही एक भाग होने के बावजूद स्वतंत्र ग्रंथ के रूप में समादृत है। कल्पसूत्र की महŸाा व लोकप्रियता के अनेक कारण हैं। उनमें पाँच कारण मुख्य हैं - 
  • प्रशस्ति चूलिका सहित नमस्कार महामंत्र
  • भगवान महावीर का उत्कृष्ट जीवन 
  • महावीर-पूर्व 23 तीर्थंकरों की जीवन-झाँकी
  • हजार वर्ष की आचार्य-स्थविरावली 
  • श्रमण समाचारी
नवकार महामंत्र: 
कल्पसूत्र का मंगलाचरण नमस्कार महामंत्र से किया गया है। पंच नमस्कार की प्रशस्ति चूलिका सहित महामंत्र का यह प्राचीनतम साहित्यिक उल्लेख है। नवकार महामंत्र जैनों का सर्वमान्य तथा सार्वभौम सूत्र है। जैन परम्परा में इसे शाश्वत माना गया है। लौकिक और लोकोŸार सुखों को प्रदान करने वाला, साधना व श्रद्धा का केन्द्र नवकार महामंत्र कल्पसूत्र की महŸाा का एक कारण है। 

भगवान महावीर का जीवन:     
कल्पसूत्र में चैबीसवें तीर्थंकर श्रमण भगवान महावीर का इन्द्रधनुषी जीवनवृŸा दिया गया है। उनके 26 पूर्वभवों के उल्लेख के बाद, माता द्वारा 14 स्वप्न-दर्शन, जन्म, देवताओं एवं मानवों द्वारा जन्मोत्सव, अनासक्त गृहस्थ जीवन, दीक्षा, दुर्धर्ष उपसर्गों से भरी कठोर साधना, कैवल्य, तीर्थ-स्थापना, धर्म-प्रचार और निर्वाण तक के विस्तृत जीवन में श्रद्धा, प्रेरणा और पुरुषार्थ के अनन्त आयाम खड़े होते हैं।  

तेबीस तीर्थंकरों की जीवन-झाँकी: 
कल्पसूत्र में भगवान महावीर के जीवन के बाद तेबीसवें तीर्थंकर भगवान पाश्र्वनाथ, बाइसवें तीर्थंकर भगवान अरिष्टनेमी, इक्कीसवें तीर्थंकर भगवान नमिनाथ इस प्रतिक्रम से प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ भगवान ऋषभदेव तक की तथ्यपूर्ण जीवन-झाँकी प्रस्तुत की गई है। पुश्करवाणी ग्रुप ने जानकारी लेते हुए बताया कि भगवान महावीर से पूर्व चली आ रही तीर्थंकर परम्परा का यह विवरण जैन धर्म की प्राचीनता और ऐतिहासिकता का सबल प्रमाण है। 

वीर निर्वाण संवत् 1000 तक आचार्य-स्थविरावली: 
तीर्थंकर की प्रत्यक्ष अनुपस्थिति में आचार्य उनकी तीर्थ-परम्परा के संवाहक होते हैं। कल्पसूत्र के अनुसार भगवान महावीर के निर्वाण के बाद पंचम गणधर सुधर्मा स्वामी उनके उŸाराधिकारी हुए। सुधर्मा स्वामी से लेकर आचार्य देवर्द्धि क्षमाश्रमण तक की प्रामाणिक स्थविरावली (पट्ट परम्परा) कल्पसूत्र में मिलती है। इस स्थविरावली की प्रामाणिकता और ऐतिहासिकता मथुरा के अभिलेखों से भी सिद्ध हो चुकी है। 

श्रमण समाचारी: 
जैन धर्म आचरण-प्रधान धर्म है। कल्पसूत्र में साधु-साध्वियों के लिए आचार-संहिता दी गई है, जिसे समाचारी कहा जाता है। आचार से ही चतुर्विध संघ में मर्यादा, अनुशासन और व्यवस्था का निर्माण होता है। आचार के कारण ही श्रमण श्रावक से ज्येष्ठ तथा श्रमणों में भी पूर्व दीक्षित श्रमण ज्येष्ठ माना जाता है। समाचारी विभाग के कारण ही कल्पसूत्र का एक नाम ‘पर्युषणा-कल्प’ है। सूत्र में वर्णित दस कल्पों में अन्तिम पर्युषणा-कल्प है। इसमें वर्षावास स्थापना और पयुर्षण आराधना का विधान और कालमान बताया गया है। 

महिमा के प्रमाण: 
कल्पसूत्र के प्रति जैन धर्मावलम्बियों के हृदय में अपरम्पार आस्था है। उस आस्था का एक प्रबल प्रमाण यह भी है कि जैन ग्रंथ भण्डारों में प्राप्त कल्पसूत्र की शताधिक प्राचीन प्रतियाँ शुद्ध स्वर्ण की स्याही से लिखी हुई हैं। कल्पसूत्र में वर्णित घटनाओं के आधार पर अनेक दुर्लभ चित्रों से मण्डित ग्रंथ भी भण्डारों में पाये जाते हैं। आस्था, कला, चित्रकला, संस्कृति, इतिहास और पुरातŸव की दृष्टि से इन कलात्मक प्राचीन प्रतियों का अत्यधिक मूल्य हैं। मंत्रों में महामंत्र नवकार, पर्वों में महापर्व पर्युषण, श्रमणों में महाश्रमण भगवान महावीर देवों में देवाधिदेव तीर्थंकर भगवान और मुनियों में निग्र्रन्थ मुनि श्रेष्ठ हैं। कल्पसूत्र में इन सबका गौरवपूर्ण उल्लेख मिलता है। यही वजह है कि वह ग्रंथों में श्रेष्ठ ग्रंथराज बन गया। जीवन को समग्र और श्रेष्ठ बनाने की मंगल प्रेरणा प्राप्त करने के लिए ही कल्पसूत्र का पर्युषण पर्व के दौरान पठन, वाचन और श्रवण किया जाता है। 

आचार्य देवेन्द्रमुनि के संपादन का वैशिष्ट्य: 
कल्पसूत्र पर शताब्दियों से सैकड़ों टीकाएँ और व्याख्याएँ लिखी जाती रही हैं। श्रुतपुरुष आचार्य श्री देवेन्द्रमुनिजी ने भी सन् 1968 में मूलार्थ के साथ आधुनिक हिन्दी भाषा में कल्पसूत्र का शोधपूर्ण सम्पादन-विवेचन किया था। उनके द्वारा व्याख्यायित कल्पसूत्र का एक ओर साधारण पाठकों और स्वाध्यायियों में अपूर्व स्वागत हुआ, दूसरी ओर विद्वत् जगत में भी उसकी भरपूर सराहना हुई। आचार्य श्री आनन्दऋषिजी ने इसे ‘‘महान आवश्यकता की पूर्ति’’ बताया। आचार्य श्री यशोदेव सूरीश्वरजी ने लिखा कि श्री देवेन्द्रमुनिजी द्वारा सम्पादित कल्पसूत्र में अनुवाद की भाषा सरल, सरस और प्रवाहयुक्त है। शैली चिŸााकर्षक है, प्रस्तावना बहुत ही मननीय तथा शोधप्रधान है। आचार्य श्री हस्ती लिखा, ‘‘कल्पसूत्र के आज दिन तक जितने प्रकाशन निकले हैं, उन सभी में यह सर्वश्रेष्ठ है।’’ उपाध्याय श्री अमरमुनिजी लिखा कि इसमें अन्वेषण और तुलनात्मक दृष्टि से श्रमसाध्य सम्पादन हुआ है। मरुधर केसरी मुनि श्री मिश्रीमलजी ने इसकी मुक्त सराहना करते हुए अधिकाधिक प्रचार की हार्दिक मंगलभावना व्यक्त की। इतिहासकार श्री अगरचन्दजी नाहटा ने लिखा, ‘‘आज दिन तक प्रकाशित सभी संस्करणों की अपेक्षा यह संस्करण अधिक महŸवपूर्ण है।’’ पं. शोभाचन्द्रजी भारिल्ल ने भी इसी प्रकार की भावना व्यक्त करते हुए लिखा, ‘‘मेरी दृष्टि से इतना सर्वांग और सम्पूर्ण जन साधारण के लिए उपयोगी संस्करण दूसरा नहीं निकला है।’’ इस प्रकार अनेक आचार्यों, सन्तों और विद्वानों ने आचार्य श्री देवेन्द्रमुनिजी द्वारा संपादित कल्पसूत्र की मुक्त मन से प्रशंसा की है। यही वजह है कि अब तक हिन्दी और गुजराती में इसके अनेक संस्करण प्रकाशित हो चुके हैं। सुख-दुःख में समता, श्रद्धा और मर्यादा का दिग्दर्शन कराने वाला कल्पसूत्र जीवन के लिए कल्पवृक्ष से भी बढ़कर है, जो इच्छित-अनिच्छित प्रशस्त मनोरथों को पूर्ण करता है, गहरी शीतल छाँव देता है और मधुर सुफल भी। पाठकगण श्री तारक गुरु जैन ग्रन्थालय, गुरु पुश्कर मार्ग उदयपुर से मूल्य 200 रु. अदा कर कल्पसूत्र मंगवा सकते हैं।     






जीवन का कल्पवृक्ष: कल्पसूत्र
- डाॅ. दिलीप धींग
(निदेषक: अंतर्राष्ट्रीय प्राकृत अध्ययन व शोध केन्द्र)

झारखंड में भाजपा, झामुमो कार्यकर्ताओं के बीच झड़प

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झारखंड में शनिवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के कार्यकर्ताओं के बीच हुई झड़प में दो पुलिसकर्मियों सहित पांच लोग घायल हो गए। रांची में बिरसा मुंडा हवाईअड्डे के करीब हिनू चौक एवं बिरसा चौक पर झामुमो के सैंकड़ों कार्यकर्ता केंद्रीय इस्पात एवं खनन मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के आगमन के विरोध में प्रदर्शन कर रहे थे। तोमर जमशेदपुर में एक अस्पताल की आधारशिला रखने के लिए यहां पहुंचे थे।

झामुमो कार्यकर्ताओं ने तोमर के वाहन को हिनू चौक पर रोक लिया, जिसे लेकर भाजपा और झामुमो कार्यकर्ताओं में झड़प शुरू हो गई। घटना में दो पुलिसकर्मी और झामुमो के पांच कार्यकर्ता घायल हो गए। ज्ञात हो कि बीते 21 अगस्त को एक कार्यक्रम के दौरान भाजपा कार्यकर्ताओं ने मुख्यमंत्री सोरेन के भाषण के बीच में हस्तक्षेप करते हुए मोदी के समर्थन में नारेबाजी की थी। इस घटना के विरोध में झामुमो कार्यकर्ता शनिवार को प्रदर्शन कर रहे थे।

झामुमो कार्यकर्ता अंतु तिर्की ने संवाददाताओं को बताया, "भाजपा कार्यकर्ताओं ने हम पर हमला किया। हम अपने पूर्व नियोजित कार्यक्रम और घोषणा के तहत प्रदर्शन कर रहे थे।"झामुमो ने 21 अगस्त की घटना के बाद ऐलान किया था कि केंद्र सरकार के किसी मंत्री को राज्य में नहीं घुसने देंगे।

नेता प्रतिपक्ष पर सरकार ही कुछ कर सकती है : सुमित्रा

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sumitra mahajan
लोकसभा में विपक्ष के नेता को लेकर चल रही बहस के बीच सर्वोच्च न्यायालय द्वारा उठाए गए सवाल ने इस मामले को नई गर्माहट दे दी है। इस बीच लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने यह कहते हुए गेंद केंद्र सरकार के पाले में डाल दी है कि उन्होंने अध्यक्ष के नाते जो निर्णय लिया है, वह 'डायरेक्टिव ऑफ स्पीकर'के नियमानुसार ही लिया है। यदि कुछ करना है तो सरकार को करना है, अध्यक्ष को नहीं। एक निजी कार्यक्रम में शामिल होने इंदौर पहुंची महाजन ने कहा कि इससे पहले भी 1980 और 1984 में सदन में विपक्ष का नेता नहीं था, उस समय की फाइलें निकालकर उन्होंने निर्णय लेने से पहले देखा है। उसमें भी डायरेक्टिव ऑफ स्पीकर के नियमों का जिक्र है। जब से यह नियमावली निर्देश बना है उसमें विपक्ष के नेता के चयन को लेकर दिए गए नियमों में कोई बदलाव नहीं किया गया है, नियम में साफ लिखा है कि सदन में विपक्ष का नेता उसी दल से बनेगा जिसकी संख्या एक बटा 10 से अधिक होगी। 

महाजन ने कहा कि गठजोड़ (एलायंस) करके भी यदि सदन में विपक्ष का नेता बनाया जाए तो भी उसके नियम साफ हैं। गठजोड़ वाले दलों का चुनावी घोषणा पत्र एक होना चाहिए, मुझे गठजोड़ के दलों की तरफ से जो पत्र सौंपे गए थे, उसमें सदन में उनके पार्टी का नेता कौन होगा उसके बारे में बताया गया था, वैसे भी गठजोड़ सीटों को लेकर बना था, चुनाव के समय उनके घोषणा-पत्र अलग-अलग थे।

उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने जो कहा है उसका जवाब लोकसभा अध्यक्ष को नहीं सरकार को देना है, सरकार जवाब देगी। रही बात सदन में विपक्ष के नेता की तो यह सरकार का काम है कि वह इसके लिए बनी नियमावली में संशोधन का प्रस्ताव लाए। सारा प्रश्न सदन में विपक्ष की पार्टी के मान्यता को लेकर है, प्रजातंत्र में तो विपक्ष होता है और है। 

हूटिंग के लिए मोदी जिम्मेदार नहीं : उद्धव ठाकरे

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uddhav thackeray
शिवसेना के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति वाले आधिकारिक कार्यक्रमों में मुख्यमंत्री के खिलाफ हूटिंग की घटनाओं पर कहा कि इसके लिए मोदी जिम्मेदार नहीं हैं। उद्धव ने शिवसेना के मुखपत्र 'सामना'के संपादकीय में लिखा, "जो लोग हूटिंग कर रहे थे, वे गुजरात या नई दिल्ली से नहीं पहुंचे थे, बल्कि वे महाराष्ट्र और उसी तरह हरियाणा के थे।"

उद्धव ने लिखा कि मोदी ने लोकसभा चुनाव भारी मत से जीता है और वह जहां भी जाते हैं, लोग उनके समर्थन में नारेबाजी करते हैं। इसके लिए मोदी को जिम्मेदार कैसे ठहराया जा सकता है?

उन्होंने महाराष्ट्र के नागपुर में ऐसे ही एक कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण द्वारा प्रधानमंत्री मोदी के साथ मंच साझे करने से इंकार कर दिए जाने को 'दुर्भाग्यपूर्ण'करार देते हुए कहा कि मोदी के समर्थन में होने वाली नारेबाजी से स्पष्ट है कि लोग कांग्रेस के पक्ष में नहीं हैं।
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